Professional Documents
Culture Documents
भगत सं
ह (1931)
म नाि तक य हू
?
ँ
यह लेख भगत सं ह नेजेल म रहतेहु
ए लखा था और यह 27 सत बर 1931 को
लाहौर केअखबार “ द पीपल “ म का शत हुआ । इस लेख म भगत संह नेई वर
क उपि थ त पर अने क तक पण
ू सवाल खड़ेकयेह और इस सं सार के नमाण ,
मनुय केज म , मनुय केमन म ई वर क क पना केसाथ साथ सं सार म
मनुय क द नता , उसकेशोषण , दु नया म या त अराजकता और और वगभे द
क ि थ तय का भी व ले षण कया है। यह भगत संह केलेखन केसबसेच चत
ह स म रहा है।
1/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
अ व वास कया?
मे
र ा नाि तकतावाद कोई अभी हाल क उ पि त नह ंहै
। मनेतो ई वर पर व वास
करना तब छोड़ दया था, जब म एक अ स नौजवान था। कम सेकम एक काले ज
का व याथ तो ऐसे कसी अनु चत अहंक ार को नह ंपाल-पोस सकता, जो उसे
नाि तकता क ओर लेजाये। य य प म कु
छ अ यापक का चहे ता था तथा कु
छ अ य
को म अ छा नह ं लगता था। पर म कभी भी बहु
त मे
हनती अथवा पढ़ाकू व याथ नह ं
रहा। अहं
क ार जै
सी भावना म फँ
सनेका कोई मौका ह न मल सका। म तो एक बहु
त
ल जालु वभाव का लड़का था, िजसक भ व य केबारेम कु छ नराशावाद कृत थी।
मे
रेबाबा, िजनके भाव म म बड़ा हु आ, एक ढ़वाद आय समाजी ह। एक आय
समाजी और कु छ भी हो, नाि तक नह ंहोता। अपनी ाथ मक श ा पू
र करनेकेबाद
मनेडी0 ए0 वी0 कू ल, लाहौर म वे श लया और पू रेएक साल उसकेछा ावास म
रहा। वहाँ
सुबह और शाम क ाथना केअ त र त म घ ट गाय ी मं जपा करता था।
उन दन म पू र ा भ त था। बाद म मनेअपनेपता केसाथ रहना शु कया। जहाँ
तक धा मक ढ़वा दता का न है, वह एक उदारवाद यि त ह। उ ह ंक श ा से
मुझे वत ता के ये य के लयेअपनेजीवन को सम पत करनेक े
र णा मल ।
क तुवेनाि तक नह ं ह। उनका ई वर म ढ़ व वास है । वेमु
झे त दन पूज ा- ाथना
के लये ो सा हत करतेरहतेथे । इस कार सेमे र ा पालन-पोषण हु
आ। असहयोग
आ दोलन के दन म रा य काले
ज म वे श लया। यहाँआकर ह मनेसार धा मक
सम याओं– यहाँ
तक क ई वर केअि त व केबारेम उदारतापव
ूक सोचना, वचारना
तथा उसक आलोचना करना शु कया। पर अभी भी म प का आि तक था। उस समय
तक म अपनेल बेबाल रखता था। य य प मुझेकभी-भी स ख या अ य धम क
2/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
4/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
चन
ुौती दे
नेके लयेउ ेरत ह गे
। इस लयेनह ंक उ ह राजा बनना हैया कोई अ य
पु
र कार ा त करना हैयहाँया अगलेज म म या मृ योपरा त वग म। उ ह तो
मानवता क गदन सेदासता का जु आ उतार फ कनेऔर मु ि त एवंशाि त था पत
करनेके लयेइस माग को अपनाना होगा। या वेउस रा तेपर चलगेजो उनकेअपने
लयेख़तरनाक क तुउनक महान आ मा के लयेएक मा क पनीय रा ता है । या
इस महान येय के त उनकेगव को अहं क ार कहकर उसका गलत अथ लगाया
जाये
गा? कौन इस कार केघृ
णत वशेषण बोलनेका साहस करे
गा? या तो वह मू
ख है
या धत
ू। हम चा हए क उसे मा कर द, य क वह उस दय म उ वे लत उ च
वचार , भावनाओं
, आवेग तथा उनक गहराई को महससू नह ंकर सकता। उसका दय
मां
स केएक टु कड़ेक तरह मतृ है। उसक आँख पर अ य वाथ के े त क छाया
पड़नेसेवेकमज़ोर हो गयी ह। वयंपर भरोसा रखनेकेगु ण को सदैव अहं
क ार क
संा द जा सकती है। यह दु
खपूण और क ट द है
, पर चारा ह या है?
5/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
6/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
तुम मु
सलमानो और ईसाइयो! तु
म तो पू
वज म म व वास नह ंकरते। तु
म तो
ह दु
ओं क तरह यह तक पे
श नह ंकर सकतेक य तः नद ष यि तय केक ट
उनकेपूवज म केकम का फल है । म तु
मसेपू
छ ता हू
ँक उस सवशि तशाल नेश द
वारा व व केउ पि त के लयेछः दन तक य प र म कया? और ये
क दन
वह य कहता हैक सब ठ क है ? बु
लाओ उसेआज। उसेपछला इ तहास दखाओ।
उसेआज क प रि थ तय का अ ययन करनेदो। हम दे खगेक या वह कहनेका
साहस करता हैक सब ठ क है
। कारावास क काल-कोठ रय सेले
क र झोप ड़य क
बि तय तक भूख सेतड़पतेलाख इ सान सेले क र उन शो षत मज़दरू सेलेक र जो
पँ
ज
ूीवाद पशाच वारा खन
ू चसूनेक या को धै
यप व
ूक न साह सेदे ख रहेह तथा
उस मानवशि त क बबाद देख रहेह, िजसेदे
खकर कोई भी यि त, िजसेत नक भी
सहज ान है, भय सेसहर उठेगा, और अ धक उ पादन को ज़ रतम द लोग म बाँ टने
केबजाय समु म फ क दे ना बे
हतर समझनेसेले क र राजाआं
◌ेकेउन महल तक
िजनक नीं
व मानव क ह डय पर पड़ी है
- उसको यह सब दे
खनेदो और फर कहे–
सब कुछ ठ क है
! य और कहाँसे
? यह मेरा न है
। तु
म चप
ु हो। ठ क है
, तो म
आगे चलता हू
।
ँ
और तुम ह दुओ, तु
म कहतेहो क आज जो क ट भोग रहेह, येपू
वज म केपापी
ह और आज केउ पीड़क पछलेज म म साधु पुष थे
, अतः वेस ता का आन द लूट
रहेह। मु
झेयह मानना पड़ता हैक आपकेपू
वज बहु
त चालाक यि त थे। उ ह नेऐसे
स ा त गढ़े
, िजनम तक और अ व वास केसभी यास को वफल करनेक काफ़
ताकत है
। यायशा केअनुसार द ड को अपराधी पर पड़नेवालेअसर केआधार पर
केवल तीन कारण सेउ चत ठहराया जा सकता है। वेह – तकार, भय तथा सु
धार।
आज सभी ग तशील वचारक वारा तकार के स ा त क न दा क जाती है ।
भयभीत करनेके स ा त का भी अ त वह ंहै । सुधार करनेका स ा त ह के वल
आव यक हैऔर मानवता क ग त के लयेअ नवाय है । इसका ये य अपराधी को
यो य और शाि त य नाग रक के प म समाज को लौटाना है । क तुय द हम
मनुय को अपराधी मान भी ल, तो ई वर वारा उ ह दयेगयेद ड क या कृत
है
? तुम कहतेहो वह उ ह गाय, ब ल , पे
ड़, जड़ी-बूट या जानवर बनाकर पै
दा करता
है
। तुम ऐसे84 लाख द ड को गनातेहो। म पू छ ता हू
ँक मनुय पर इनका सु धारक
के प म या असर है ? तुम ऐसेकतनेयि तय सेमलेहो, जो यह कहतेह क वे
कसी पाप केकारण पूवज म म गधा के प म पै दा हु
ए थे
? एक भी नह ं
? अपने
पु
र ाण सेउदाहरण न दो। मे
रेपास तुहार पौरा णक कथाओंके लए कोई थान नह ं
है
। और फर या तुह पता हैक दु नया म सबसेबड़ा पाप गर ब होना है
। गर बी
एक अ भशाप है। यह एक द ड है
। म पू
छ ता हू
ँक द ड या क कहाँतक शं सा
कर, जो अ नवायतः मनुय को और अ धक अपराध करनेको बा य करे? या तुहारे
ई वर नेयह नह ंसोचा था या उसको भी येसार बात मानवता वारा अकथनीय क ट
केझे लनेक क मत पर अनु भव सेसीखनी थीं? तु
म या सोचतेहो, कसी गर ब या
अनपढ़ प रवार, जै
सेएक चमार या मे हतर केयहाँपै
दा होनेपर इ सान का या भा य
होगा? चँ
ूक वह गर ब है , इस लयेपढ़ाई नह ंकर सकता। वह अपनेसा थय से
तर कृ
त एवंप र य त रहता है
, जो ऊँ
ची जा त म पै
दा होनेकेकारण अपनेको ऊँ
चा
7/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
म पू
छ ता हू
ँतुहारा सवशि तशाल ई वर हर यि त को य नह ंउस समय रोकता
हैजब वह कोई पाप या अपराध कर रहा होता है
? यह तो वह बहु
त आसानी सेकर
सकता है । उसने य नह ंलड़ाकूराजाओंक लड़नेक उ ता को समा त कया और
इस कार व वयु वारा मानवता पर पड़नेवाल वपि तय सेउसेबचाया? उसने
अंेज केमि त क म भारत को मुत कर देनेक भावना य नह ंपैदा क ? वह य
नह ंपू
ज ीप तय के दय म यह परोपकार उ साह भर दे
ँ ता क वेउ पादन केसाधन
पर अपना यि तगत स पि त का अ धकार याग द और इस कार के वल स पणू
मक समु दाय, वरन सम त मानव समाज को पू ज ीवाद बे
ँ ड़य सेमुत कर? आप
समाजवाद क यावहा रकता पर तक करना चाहतेह। म इसेआपकेसवशि तमान पर
छोड़ दे
ता हू
ँक वह लाग ूकरे
। जहाँतक सामा य भलाई क बात है , लोग समाजवाद के
गु
ण को मानतेह। वेइसके यावहा रक न होनेका बहाना ले क र इसका वरोध करते
ह। परमा मा को आनेदो और वह चीज को सह तर केसेकर दे । अंे ज क हुकूमत
यहाँइस लयेनह ंहैक ई वर चाहता हैबि क इस लयेक उनकेपास ताकत हैऔर
हमम उनका वरोध करनेक ह मत नह ं । वेहमको अपने भुव म ई वर क मदद
सेनह ंरखेह, बि क ब दक ू, राइफल , बम और गो लय , पु
लस और से ना केसहारे।
यह हमार उदासीनता हैक वेसमाज के व सबसेन दनीय अपराध – एक रा
का दस
ूरेरा वारा अ याचार पू
ण शोषण – सफलतापूवक कर रहेह। कहाँहैई वर?
या वह मनुय जा त केइन क ट का मज़ा लेरहा है ? एक नीरो, एक चं
गेज , उसका
नाश हो!
या तु
म मुझसेपू छ तेहो क म इस व व क उ पि त तथा मानव क उ पि त क
या या कैसेकरता हू ? ठ क है
ँ , म तुह बताता हू। चा स डार वन नेइस वषय पर
ँ
कुछ काश डालनेक को शश क है । उसेपढ़ो। यह एक कृत क घटना है । वभ न
पदाथ के , नीहा रका केआकार म, आकि मक म ण सेपृवी बनी। कब? इ तहास
दे
खो। इसी कार क घटना सेज तुपै दा हु
ए और एक ल बेदौर म मानव। डा वन क
‘जीव क उ पि त’ पढ़ो। और तदु परा त सारा वकास मनुय वारा कृत केलगातार
वरोध और उस पर वजय ा त करनेक चे
टा सेहु
आ। यह इस घटना क स भवतः
8/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
सबसेसूम या या है
।
तुहारा दस
ूरा तक यह हो सकता हैक य एक ब चा अ धा या लं
गड़ा पै
दा होता
है
? या यह उसकेपू वज म म कयेगयेकाय का फल नह ंहै
? जीव व ान वेताओं
नेइस सम या का वैा नक समाधान नकाल लया है । अव य ह तु म एक और
बचकाना न पछू सकतेहो। य द ई वर नह ंहै
, तो लोग उसम व वास य करने
लगे? मेर ा उ तर सूम तथा प ट है । िजस कार वे े त तथा दुट आ माओंम
व वास करनेलगे । अ तर केवल इतना हैक ई वर म व वास व व यापी हैऔर
दशन अ य त वक सत। इसक उ पि त का य े उन शोषक क तभा को है
, जो
परमा मा केअि त व का उपदे
श दे
क र लोग को अपने भुव म रखना चाहतेथेतथा
उनसेअपनी व श ट ि थ त का अ धकार एवंअनुमोदन चाहतेथे
। सभी धम, सम दाय,
प थ और ऐसी अ य संथाएँ अ त म नदयी और शोषक संथाओं, यि तय तथा वग
क समथक हो जाती ह। राजा के व हर व ोह हर धम म सदै
व ह पाप रहा है
।
9/10
1/12/13 Main nastik kyon hoon, Bhagat Singh 1931
भगत सं
ह
10/10