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FACULTY OF SCIENCE AND HUMANITIES

DEPARTMENT OF HINDI
SUB CODE : ULH20G101J

SRM INSTITUTE OF SCIENCE AND TECHNOLOGY


Credit : 3

Learning Objective : To inculcate social and moral values, national integration and universal
brotherhood through the Hindi Literature component prescribed in the paper. Students are expected to
know the office and business procedure, official terminology and correspondence, Noting and drafting.

FIRST SEMESTER HOURS : 60


UNIT – 1 HOURS: 20

1. Vo Tera Ghar ye Mera Ghar – MALTI JOSHI


2. Mithaivala – SHRI BHAGAVATHY PRASAD VAJPEYI
3. Bachendri Pal – JEEVANI
4. Nadi aur Jeevan – DR. VIVEKI RAI
5. Pachees chauka Ded Sau – OMPRAKASH VALMIKI

UNIT – 2 HOURS : 10

1. Raat ke rahi – Sri Brajbusan


2. Akhbari vigyapan – Sri Cheerenjit

UNIT – 3 HOURS: 10

1. PATRKARITA
a. Arth
b. Paribhasha
c. Swarup
d. Prakar evam Daitava

UNIT – 4 HOURS:10

1. FILM SAMIKSHA
a. 2 MAINSTREAM MOVIES
b. 2 CLASSIC OR DOCUMENTARY
UNIT – 5 HOURS:10

1. TECHNICAL TERMINOLOGY

Course Outcome: By the end of this course, the students will be able to –

CO1 - Understanding the Philosophy of the real life through Short-Stories.

C02 - Acquaint the knowledge about one act play fundamentals and Importance in
The daily life.

CO3 – Understanding the Fundamentals of Journalism.

CO4 – Acquiring the Knowledge of Film Criticism including main stream film or
Documentary film.

CO5- Understanding the Administrative Terminology and Usage in Practical life.

BOOK REFERENCE

1. VYAVASYIK HINDI – Prof. SAIYAD RAHAMATTULLAH


2. PRAYOJAN MULAK HINDI – MADHAV SONTK
3. IDIOMS AND PROVERBS - Rahmatulla
वो तेया घय मे भेया घय
भारती जोशी
आज खाने की भेज ऩय अयसे फाद पऩॊकी चहक यही थी । ऩी ी की ऩयीऺा सानॊद .मभ.
सा ामातत था । -सॊऩतन हह जाने से सातासयण हाका हह गमा था । इतने सदनन तक मक तनास
घय ऩय बी मय फ चन के भन ऩय बी । प्रसतना का सेकॊड सेमभस् य ऩयसन ही सभातत हुआ ।
आज पऩॊकी बी फ्री हह गई थी । अफ रयजा की चचॊता कुछ सदनन के मरम भुातसी यखकय
आजादी का जश्न भनामा जा सकता था । खाने की भेज ऩय उसी की तराननॊग चर यही थी ।
तयहप्रसाद ने.तयह की पयभाइ ी । मभ-तयह के सुझास मय तयह- फ चन के उत्साह ऩय ब्रेक
रगाते हुम कहा, “तुभ रहग ामद बूर यहे हह कक ऩाऩा के ऑकपस भी सभय सेके न जैसी, कहई
चीज नहीॊ हहती ।” “तह आऩ आयाभ से घय भी फैठे यसहम ।” फ चन की भाॉ ने तुनककय कहा
“रेककन भैं दसऩॊरह सदनन के मरम कहीॊ ज य जाऊॉगी । आऩकह तह द तय क-ेे अरासा कुछ
सूझता ही नहीॊ है । इन दहनन की ी न भैंने भैं अकेरे झेरी है । आम नीड म ची ज फेडरी ।” "भैं
सहच यहा था...” मभप्रसाद ने पझझकते हुम कहा मय चऩ
ु हह गम ।. “क्मा सहच यहे थे आऩ ? अफ
कह बी डामरम ।” “मही कक इस ननसायइतसाय सागय जाकय फाफूजी कह मरसा राता। -” “ओह नह
!”फ चन ने कहयस भी कहा, तह भाॉ ने उतही आॉखन से डऩ सदमा मय फहरीॊ,“रीॊ इतनी जादी ?”
“जादी कहाॉ ? उतही गम दह भहीने से ऊऩय हह गम हैं। इतने सदन से फे ी के महाॉ कबी यहे हैं ?”
“क्मा ऩाऩा, आऩ बी फे ाफे ी कयने रगे हैं। मे सफ कपजूर की फाती हैं।-” “अऩने मरम हनगी हन ,
ऩय फाफूजी तह ऩुयाने ढये के ामक्क्त हैं। उनके मरम मे फाती फहुत भहत्त्स यखती हैं। अफ इस उम्र
भी मह आ ा कयना कक से अऩनी सहच फदर रीगे, फेकाय है । मह तह ठीक है कक भामा की स्सतॊत्र
गह
ृ स्थी है , इसीमरम से दह भहीने सहाॉ स क बी गम । छामा के महाॉ तह उसके सासससुय-, जेठ-
दे सयन के फीच दह सदन बी नहीॊ यह ऩाते।” फ चन ने कपय फहस नहीॊ की । चऩ
ु चाऩ खाकय उठ गम
। ऩत्नी ने े फर सभे ते हुम पूछा, ‘सुननम ,क्मा इसी ह ते जाना फहुत जरूयी है ?” से प्रश्नाथथक
नज़यन से ऩत्नी कह दे खते यहे । “नहीॊ, हीॊ भैं सहच यही थी, फ चे थहडा रयरेक्स कय रेते । अबी-
अबी तह फेचाये फ्री हुम हैं।” फ चन कह रयरेक्स हहने के मरम कौन भना कय यहा है ?” “आऩ
सभझते नहीॊ हैं। फडे-फजु ग
ु थ घय भी हहते हैं तह थहडा फॊधन तह हह ही जाता है । फ चन के हॉ सने-
फहरने ऩय, खानेज ऩीने ऩय फॊसद रग ही-हहती है ।”
“तह तभ
ु चाहती हह, फाफज
ू ी कह सहीॊ यहने दॉ ू ?” उनका स्सय थहडा ताख था। ऩत्नी ने
नयभाई से कहा, “नहीॊ, हीॊ भेया भतरफ था, आठ... दस सदन मय सही। कपय तह हभीॊ कह-”(से तम
नहीॊ कय ऩाईं कक ‘झेरना’ कही कक ‘बग
ु तना’ कही । ऩनत की नायाजगी के डय से उतहननेतहन साक्म
अधयू ा ही छहड सदमा।) कई फाय अनकहे ब्द बी फहुत कुछ कह जाते हैं। मभप्रसाद बी उन .
अनकहे ब्दन कह बरी बाॉनत ऩ गम। उतही पसतउृ णा मय खीझ हह आई । अऩने आऩकह से
ऩहरी फाय इतना नन ऩाम अनुबस कय यहे थे। ककतनी हसयत से, ककतनी उभॊग से से फाफूजी कह
महाॉ राम थे। मूॉ तह भाॉ की भत्ृ मु के फाद ही उतही राने का भन था, ऩय सारबय तक फाफूजी -
दौडकय सहाॉ जाते यहे -सहाॉ से सहरने के मरम याजी नहीॊ हुम । प्रसाद ही दौड, फाफूजी की खहज फय -
रेते यहे । हय फाय फाफूजी ऩहरे से मादा थके हुम, ू े हुम नज़य आम। मह स्साबापसक बी था।
चारीसऩैंतारीस सार का साथ मकामक छू जाता है -, तह आदभी ू ही जाता है । कपय फाफूजी के
मभत्र बी कहने रगे, “फे ा, अफ अऩने पऩता कह अऩने ऩास ही यखह । फु ाऩे का यीय है । दे खबार
की जरूयत ऩडती है ।” भाॉ की फयसी के फाद फाफूजी की मक नहीॊ सन
ु ी गई। क्जद कयके से रहग
उतही अऩने साथ बहऩार रे आम । फे े के साथसाथ फहू मय फ चन ने बी फहुत भनहु ाय की थी-,
तबी से याजी हुम थे। ऩय फहुत जादी ही महसास हहने रगा कक स्सागत का मह बास धीये धीये -
नतयहसहत हहने रगा है । मन तह फाफज
ू ी फहुत ाॊत प्रकृनत के जीस हैं। उनकी जरूयती बी फहुत थहडी-
सी हैंभास के जीस तह हैं। -उधय दखरॊदाजी कयने की आदत बी नहीॊ है । कपय बी से हाड-इधय .
घय भी उनकी उऩक्स्थनत भहसस
ू की ही जाती थी। सफसे फडी सभस्मा थीसहने की। इससे फहरे -
फाफूजी जफ बी आम, भाॉ साथ भी हहती थीॊ।थीॊ से दहनन मक-दस
ू ये का खमार यख रेते थे। आठ-
फ दस सदन कीेात हहती थी। कुछ न कुछ ामसस्था हह ही जाती थी। थहडीसी- असुपसधा बी तफ
नहीॊ अखयती थी। फ चे छह े थे तह दादादादी के साथ खु ी से मडजस् बी हह जाते थे। फक्ाक -
तफ तह दहनन भी हहड रगा कयती थी कक कौन ककसके ऩास सहमगा। ऩय अफ क्स्थनतमाॉ फदर गई
थीॊ।थीॊ फ ची फडे हह गम थे। दहनन के ऩास अऩने स्सतॊत्र कभये थे। तीसया प्रसाद दॊ ऩती का था।
कुछ सदन पऩॊकी भाॉ के ऩास सहई मय प्रसाद जी पऩता के साथ उसके कभये भी सहम, ऩय मह
ामसस्था स्थामी तह नहीॊ हह सकती थी । तह जसान हहती बफस मा के कभये भी फाफूजी का सहना
बी अ छा नहीॊ रगता था। कपय उतही प्रसतना के कभये भी सुरामा गमा। सहाॉ बी घहय असुपसधा
थी । उसे यात दे य तक जागकय ऩ ने की आदत थी। उसका स् ीरयमन बी हयदभ फजता यहता था
। दीसाय ऩय कई ऐसे ऩहस् य थे, क्जतही फाफूजी की नजयन से फचाना जरूयी था। अॊततः फाफूजी की
ामसस्था हॉर भी की गई। तीन फेडरूभ सारे घय भी बी फाफूजी के मरम ननयाऩद फस मही स्थान
था। से दीसान ऩय आयाभ से सह जाते थे, ऩय उनके साथ उनका ऩानी, दसाइमाॉ, हऩी, भपरय, ॉचथ,
जूते, चश्भा सबी यखे यहते थी। सुफह नौकय के आने तक फाहय का कभया फाहय सारन के फैठने
महग्म नही यहता था। सफसे फडी सभस्मा थी ॉमरे की । फु ाऩे के कायण यात भी कई फाय
उठना ऩडता था। सह ऩतऩू के कभये का ही आश्रम रेना ऩडता था । सुफह उतही जादी उठने की
आदत थी। यातबय का जागा हुआ प्रसतना-, सुफहसुफह उनके भुखप्रऺारन से खीज उठता था।- मक
क्स्थनत मह आई कक फाफूजी फ चन के मरम ‘अझेर’ हह गम। मह ‘अझेर’ ब्द बी फ चन का ही
ग ा हुआ था, जह प्रसाद जी कह फहुत चब
ु ा था। कपय उतहननेतहन छह ी फहन कह चऩ
ु चाऩ ऩत्र
मरखा कक कुछ सदनन के मरम फाफूजी कह रे जाम। फ चन की ऩयीऺा के फाद से खद
ु उतही मरसा
जामॉगे। अफ ऩयीऺामॉ बी सभातत हह गई हैं, ऩय रगता है , घय अबी बी भानमसक रूऩ से फाफज
ू ी
के ऩुनयागभन के मरम तैमाय नहीॊ है । मभसेज प्रसाद दे य यात तक ीदे खती थीॊ।थीॊ सुफह दे य .सी.
से उठती थीॊ।थीॊ फायह फजे तक नहाती थीॊ।थीॊ ह ते भी दह सदन उनकी ‘भामर सारी’ आती थी।
हय ऩॊरहसी सदन ‘भेहॉदी सारी’ आती थी हय तीसये सदन उनकी .‘कु ी ऩा ी’ हहती थी । फाफूजी के
यहते मे साये काभ सहजता से नहीॊ हह ऩाते थे। पऩॊकी कह सहे मरमन के साथ फाहय घूभने का
ौंक ौं था। हय तीसये सदन से रहग पऩक्चय जाती थीॊ।थीॊ प्रसतना का तह कहई ाइभ े फर ही
नहीॊ था। दहस्तन का जभघ हभे ा उसे घेये यहता था। फाफूजी के यहते मे गनतपसचधमाॉ बी थहडी
धीभी हह जाती थी। कपय साये ऩरयसाय कह फाहय खाने का ौक था। फाफूजी साथ जाते नहीॊ थे ।
उनके मरम घय ऩय ऩयू ा सयॊ जाभ कयके जाना ऩडता था। फाहय जाने का साया भजा ही ककयककया
हह जाता था। प्रसाद जी घय सारन कह न सभझते हन, हन ऐसा नहीॊ था। ऩय उस कायण फाफज
ू ी कह
हभे ा के मरम भामा के महाॉ तह छहडा नहीॊ जा सकता था न !”
ऩत्नी ’सासफह-ेू का सीरयमर दे खने भी ामस्त थी । भौके का पामदा उठाकय उतहननेतहन
भामा कह पहन रगामा। से हय दसकु रऺेभ ऩछ
ू रेते थे। ऩॊरह सदन फाद पहन कयके फाफज
ू ी की-
ऩय उतहननेतहन फाफूजी से फात कबी नहीॊ की। उतही डय रगा यहता कक कहीॊ उतहननेतहन आने की
क्जद ऩकड री तह से भना नहीॊ ऩय ऩामॉगे। पहन भामा के ऩनत सुये ने उठामा था। कु रऺेभ के
फाद प्रसाद जी ने कहा, “भैं अगरे यपससाय आ यहा हूॉ । फाफूजी से कसहम, तैमाय यही ।” "बाई साहफ,
आऩकह भामा ने फतामा नहीॊ क्मा ? फाफूजी तह कफ से चरे गम।” “चरी गम ? कहाॉ ?” उतही रगा
कक आसाज कुछ मादा ही ऊॉची हह गई है । उतहननेतहन चहय नजयन से ऩत्नी की ओय दे खा। सह
सीरयमर भी खहई हुई थी। उतहननेतहन अऩनी आसाज तथा क्क्त धीभी कयते हुम कहा, “कहाॉ चरे
गम ?” “अऩने घय, जौया। भैं खद
ु ही तह छहड आमा था। हाॉ, ामद फाफूजी ने भना ककमा था,
इसीमरम भामा ने आऩकह फतामा नहीॊ हहगा।” से कुछ दे य के मरम स्तब्ध यह गम “आऩ मादा
ऩये ान न हन, हन बाई साहफ मे ऩुयाने रहग हैं न !, दस
ू यी जगह मडजस् नहीॊ हह ऩाते। उतही
अऩना घय ही अ छा रगता है ।” उस यात से जया बी नहीॊ सह सके । ऩता नहीॊ कैसेकैसे पसचाय -
आते यहे । भुश्कक्ेर तह मही थी कक से अऩनी ऩये ानी ऩत्नी के साथ बी म
े य नहीॊ कय सकते
थे। सह पौयन कह दे ती, ‘हभने तह छह भहीने झेर बी मरमा, ऩय आऩकी फहन तह जया से भी ही
उकता गई।’ दस
ू ये सदन उतहननेतहन भामा कह द तय से ही पहन रगामा। जानते थे, उस सभम
सुये बी घय ऩय नहीॊ हहगा । उनके उराहनन के उत्तय भी भामा ने कहा, “बाई साहफ, आऩ कुछ
भेयी भजफूयी का बी तह अॉदाज रगाइम। से तह आठसी सदन से जाने की य रगाम फैठे थे। फडी
भुक्श्कर से भैंने भैं उतही ऩॊरह सदन यहका। कपय से तह अकेरे ही चर ऩडे। फहरे, ‘बहऩान कौनसा -
दयू है । महाॉ से फस भी बफठा दह । सहाॉ पहन कय दहकहई न कहई उताय . रेगा।’ भैंने भैं फहुत भना
ककमा, ऩय जफ बफरकुर ही क्जद ऩय आ गम तह उतही असरी फात फतानी ही ऩडी।” “क्मा ?” “मही
कक फ चन की ऩयीऺा हहने तक आऩकह मही यहना है ।” “तफ तह ामद तुभने मह बी फता सदमा
हहगा कक भैंने भैं ही तभ
ु से कहा था कक उतही रे जाओ।” “बाई साहफ, मह तह भैं कबी नहीॊ
फताती, ऩय उतहननेतहन खद
ु ही अॊदाजा रगा मरमा । उसके फाद तह से ऩरमहाॉ कने कह बय बी-
याजी नहीॊ हुम । फहरे, ‘ईश्सय की कृऩा से अबी भेया घय सराभत है । भुझे सहीॊ ऩहुॉचा दह ।’ कपय
मे खदु जाकय छहड आम थे । जरूयी ामसस्थामॉ बी कय आम थे ।” इसके फाद कहने कह कुछ था
ही नहीॊ । उतहननेतहन चऩ
ु चाऩ रयसीसय यख सदमा मय उस घडी कह कहसते यहे , जफ उतहननेतहन
फाफूजी कह भामा के साथ बेजा था । ऩूये ह ते से गुभसुभ फने यहे । कपय मक ाभ भारसा
े़
मक्सप्रेस से चर ही ऩडे । भॉह
ु अॉधेये भयु ै ना ऩहुॉचे । सहीीँ से जह ऩहरी फस मभरी, उससे जौया के
मरम चर ऩडे। उतहननेतहन सहचा था कक इतनी सफ
ु ह घय खर
ु साने भी सदक्कत हहगी । बर
ू ही गम
थे कक गाॉसकस्फन की सफ ु ह जया जादी हहती है । घय ऩहुॉचकय दे खा-, साभने सारे आॉगन भी
चायऩाईमाॉ बफछी हुई हैं मय फाफजू ी की मभत्रभॊडरी चचाथ भी भ गर
ू है । उतहननेतहन जाते ही सफके
ऩाॉस छुम, आ ीसाथद ऩामा । कपय से सफके सफ उठ खडे हुम, “ऩॊडड जी, अफ आऩ फे े की खानतय
कीक्जम, हभ रहग चरते हैं ।” “अये , आऩ रहग फैसठम ना, भैं क्मा कहई भेहभान हूॉ ? मह तह भेया
घय है । आऩ रहग इत्भीनान से फैठी ।” इस आग्रह भी म उ ाचाय तह खैय था ही, मक उद्दे श्म मह
बी था कक उतनी दे य तक फाफूजी के साभने अकेरे ऩडने से फचे यही गे । ऩय फाफूजी के दहस्त के
नहीॊ । उतही पसदा कयके फाऩफे े दहनन बीतय आम । फाफूजी ने- कहा, “तुभ हाथभॉह
ु धह रह। तफ -
तकभैं चाम च ाता हूॉ ।” फाथ भ का दयसाजा खहरा तह चककत यह गम, “फाफूजी , मे कभहड कफ
रगसामा ? ” अबीअबी तह रगसामा है । सहचा-, तुभ रहग आते हह, तह तुम्ही ऩये ानी तह हहती
हहगी । भुझे बी फुढाऩे भी आयाभदामक रगता है ।” उस ऩुयाने घय भी सह नमानकहय फाथ भ-,
ा भी ये भ के ऩैसॊदसा रग यहा था । फ्रे हहकय फाहय आम तह दे खा-, चौके भी मक छह ीसी -
भेज ऩय चाम रग गई थी । साथ भी बफस्कु बी थे । "मह भेज बी नई रग यही है ?” “हाॉ, अफ
ऩ े ऩय फैठकय खाना अ छा नहीॊ रगता । तुम्हायी भाॉ माद आती है । सैसे बी ऩ े ऩय फैठकय
खाने का भजा तह तफ है , जफ ऩास फैठकय कहई फात कये , गयभगयभ पुरके उतायकय भनुहाय के -
साथ ऩयहसे । जफ अऩने से रेकय खाना है , तह भेज ही ठीक है ।” प्रसाद जी सभझ गम कक
फाफूजी मक तयह से महीॊ यहने का भन फना चक
ु े हैं । से ऩहरे की अऩेऺा चस्
ु तद ु स्त बी रग -
यहे थे । ामद भाॉ की आकक्स्भक भत्ृ मु के दःु ख से से उफय चक
ु े हैं ।अऩने भन की फात कहने
के मरम से उऩमुक्त ब्द खहज यहे थे, तबी ककसना ने आकय उनके ऩैय छुम । “कैसे हह ककसना
?” “फस, फाफूजी की कृऩा है ।” उसने गदगद बास से कहा । “फाफूजी की कृऩा का फखान कपय कय
रेना । ऩहरे जाकय बैमा के मरम कुछ नाश्ता रेकय आ।” फाफूजी ने कहा ओय जेफ से ऩैसे
ननकारकय से तपसीर से उसे कुछ सभझाने रगे । प्रसाद जी ने कहना चाहा कक फाफूजी,
आजकर भैं मह सफ नहीॊ खाता हूॉ । उतहननेतहन खद ु उठकय ककसना कह ऩैसे दे ने चाहे , ऩय
सहम्भत ही नहीॊ ऩडी । उतहननेतहन अनुबस ककमा कक फाफूजी अऩने ऩुयाने पॉभथ भी रौ आम हैं ।
मह बी कक मह फाफूजी का घय है । महाॉ उनका आदे ही चरता है । उतहननेतहन सहचा, नाश्ता
आने से ऩहरे नहा मरमा जाम । नहाने के फाद आॉगन भी फॉधी यस्सी ऩय तौमरमा पैराते हुम
उतहननेतहन दे खा कक मक भसहरा ने उतही दे खते ही रॊफासा घूॉघ खीॊचखीॊ मरमा है ।- “फाफूजी,
आॉगन भी कौन है ?” “ककसना की फहू हहगी । से रहग अफ महीॊ यहने रगे हैं न ? ” “महीॊ भतरफ
?” “ऩीछे गाम सारी कहठयी खारी ऩडी थी न । उसे ठीकठाक कयके दे दी है । फहू बी गाॉस भी -
ऩडी थी, उसे बी रे आमा है । सह भेये मरम दह यहस माॉ डार दे ती है । चौकाफासन, झाडूफुहायी कय -
दे ती है । ककसना भेयी धहती पीॊचपीॊ दे ता है , सौदा सुरप रा दे ता है । काभ बी हह जाता है मय-
साथ बी । तुभ रहगन कह बी कपकय नहीॊ यहे गी कक फाफूजी अकेरे ऩडे हैं।” “रेककन आऩकह महाॉ
अकेरे यहने कौन दे गा ? भैं तह आऩकह रे जाने के मरम ही आमा हूॉ ।” “भझ
ु े रानेरे जाने की -
भेयी जफ भजज हहगी ! ज यत नहीॊ है फै ा, चरा आऊॉगा । ऩय जफ तक भेये हाथऩाॉस चर यहे हैं-,
भझ
ु े महीॊ यहने दह । महाॉ भेये दहस्तअहफाफ हैं-, नातेरयश्तेदाय हैं-, ऩासऩडहस है । दयस जे ऩय- खडा
बी हह जाता हूॉ तह दस रहग ‘जै याभजी’ कयते ननकर जाते हैं । सहाॉ तह सभम का े नहीॊ क ता
। सदन बय छत की ककस्से-? तभु सफ रहग अऩनेइस उम्र अऩने काभ भी भस प यहते हह । अफ-
भी भझ
ु से मादा ऩ नामरखना बी नहीॊ हहता ।-” फाफज
ू ी की फात मकदभ सही थी । उसका कहई
तकथसॊगत उत्तय प्रसादजी सहच यहे थे कक फाफूजी ने कहा, “मक फात मय है फे ा तुम्हायी भाॉ तह !
नहीॊ यही । ऩय जफ तक भैं हूॉ, तफ तक तह रडककमन का ऩीहय फना यहे । कबी उनका भन हुआ,
तह आने कह मक घय तह हह ।” ’क्मा से रहग भेये घय नहीॊ आ सकतीॊ ?’ उतहनने कहना चाहा, ऩय
अऩनी फात का खहखराऩन खद
ु ही उनकी जफान ऩय तारा रगा गमा । उतही माद आमा कक
जफजफ फहनन कह फुराना चाहा-, घय भी सभस्माओॊ का मक अॊफाय उठ खडा हुआ । फाफूजी अऩनी
यौ भी कहे जा यहे थे, “भाॉ के ऩीछे फेचायी जफ बी आई हैं, खद
ु ही ख ती यही हैं ।अफ मह ककसना
की फहू आ गई है तह थहडा हाथ फॉ ा दे गी । कुछ तह सहाया हह जामगा ।” प्रसाद जी ने पसषमाॊतय
कयते हुम कहा, “फाफूजी, अऩने इस छहकये कह जगह दे तह दी है , फाद भी कहीॊ रपडा न हह जाम ।”
“कैसा रपडा ?” “फाद भी अगय इसने जगह खारी कयने से इनकाय कय सदमा तह ?” “फाद भी
भतरफ ?” प्रसाद जी भथ से गड ही गम । अऩनी ामग्रता भी उतही माद ही नहीॊ यहा कक से क्मा
कह यहे हैं ? फाफूजी ने रेककन इसे फडे सहज बास से मरमा, फहरे, “उसकी चचॊता अबी से क्मन ?
फाद भी तह ककसी कह महाॉ यहना नहीॊ है । भकान तह फेचना ही है । जह बी खयीदे गा, सही ककसना
से बी ननऩ रेगा ।” अऩनी भथ से से अफ तक नहीॊ उफय ऩाम थे मय फाफूजी ने जैसे स्ऩउ ही
उस ओय सॊकेत कय सदमा । इसमरम अऩनी सपाईसी दे ते हुम प्रसाद जी फहरे-, “फाफूजी, घय फेचने
की फात तह भेये भन भी कबी उठी ही नहीॊ।हीॊ ” “भैं अबी की फात नहीॊ कय यहा हूॉ फे े अबी भेये !
यहते तह कहई ससार ही नहीॊ उठता । भेये मरम मह मसपथ ईं गाये की इभायत नहीॊ है । भेया -
भानमसक सॊफर है मह । ऩय भेये ऩीछे तह इसे ननकारना ही ऩडेगा । यखकय कयहगे बी क्मा ?
प्रस्तास तह अबी से आ यहे हैं । बहऩार जाने से ऩहरे तह इतनी अ छी ऑपय आई थी कक क्मा
फताऊॉ फडी भुक्श्कर से अऩने कह यहक ऩामा । मे तह कह !ेह कक ईश्सय ने ही सदफुद्चध दे दी
थी, नहीॊ तह भेयी पजीयत ही थी ।” अॊनतभ फात कहतेकहते फाफज
ू ी का स्सय बयाथ गमा था । -
प्रसाद जी के भन भी जह फात खदक यही थी इतनी दे य से, उसे कहने का बी मही भौका था ।
उतहननेतहन बफना ककसी बूमभका के कह ही डारा, “फाफूजी, आऩ भामा के महाॉ से उस ऩय क्जद
कयके चरे आम, मह अ छा नहीॊ ककमा । जानते हैं , भैंने भैं अफ तक मह फात आऩकी फहू कह बी
नही फताई है । सह तह मही सहचेगी न कक भामा अऩने फाफूजी कह भहीनाबय बी नहीॊ यख सकी -
।” “मह तुभने फहुत अ छा ककमा । फहन कह क घये भी खडा हहने से फचा मरमा मय अफ तुभने
फात उठाई है तह भुझे बी, तह भुझसे कहना था । उस रडकी कह इस प्रऩॊच भी क्मन डारा ? सह
तह चरह, फात तभ
ु बाईफहनन- के फीच ही यह गई । ऩय कर कह अगय जभाई फाफू कह भझ
ु से
ऩये ानी हहती, से भझ
ु से ऊफ जाते मय भामा से कहते तह सहचह, क्मा हहता ? भझ
ु े तह कहीॊ भॉह

छुऩाने की बी जगह नहीॊ मभरती । ऐसी नौफत आने से ऩहरे ही सहाॉ चर दे ना अक्रभॊदी थी,
इसीमरम चरा आमा।” “ऩय आऩ महाॉ क्मन आ गम? सीधे बहऩार आ जाना था न !” प्रसाद जी ने
कहना चाहा, ऩय उनकी आसाज गरे भी पॉसकय यह गई । फाफज
ू ी जैसे उनकी फाद सभझ गम ।
कपय फाफज
ू ी जैसे उनकी फात सभझ गम । ऩीठ थऩथऩाकय साॊत्सना के स्सय भी फहरे, “यातबय के -
सी तयकायी -हूॉ । कौन जगे हह । थहडा आयाभ कय रह । भैं मक चक्कय फाजाय के रगाकय आता
खाओगे?”
भीठाईवारा
बगवती प्रसाद वाजऩेमी

फहुत ही भीठे स्सयन के साथ सह गमरमन भी घभ


ू ता हुआ कहता फ चन कह फहरानेसारा" -,
पखरौनेसारा।" इस अधयू े साक्म कह सह ऐसे पसचचत्र ककततु भादककक भधयु ढॊ ग से गाकय कहता-
सुननेसारे मक फाय अक्स्थय हह उठते। उनके स्नेहामबपषक्त कॊठ से पू ा हुआ उऩमुक्त गान
सुनकय ननक के भकानन भी हरचर भच जाती। छह े छह े फ चन कह अऩनी गहद भी मरम -
मुसनतमाॉ चचकन कह उठाकय छ जन ऩय नीचे झाॉकने रगतीॊ।तीॊ गमरमन मय उनके अततामाथऩी
छह े नन भी खेरते मय इठराते हुम फ चन का झॊड
ु उसे घेय रेता मय तफ सहछह े उद्मा-
पखरौनेसारा सहीॊ फैठकय पखरौने की ऩे ी खहर दे ता। फ चे पखरौने दे खकय ऩर
ु ककत हह उठते। से
ऩैसे राकय पखरौने का भहरइछका दाभ" - बास कयने रगते। ऩूछते- क्मा है , मर इछका? मर
इछका?" पखरौनेसारा फ चन कह दे खता, मय उनकी नतहीॊतहीॊनतहीॊ उॉ गमरमन से ऩैसे रे- रेता, मय
फ चन की इ छानुसाय उतही पखरौने दे दे ता। पखरौने रेकय कपय फ चे उछरनेकूदने रगते मय -
तफ कपय पखरौनेसारा उसी प्रकाय गाकय कहता फ चन कह फहरानेसारा" -, पखरौनेसारा।सागय "
की सहरहय की बाॉनत उसका मह भादक गान गरी बय के भकानन भी इस ओय से उस ओय तक,
रहयाता हुआ ऩहुॉचता, मय पखरौनेसारा आगे फ जाता। याम पसजमफहादयु के फ चे बी मक सदन
पखरौने रेकय घय आमचत
ु नू जफ पखरौने रे !चत
ु नू मय भुतनू - से दह फ चे थे ! आमा, तह फहरा -
भेरा घहरा कैछा छुतदर ऐ"?" भुतनू फहरा मर दे खह" -, भेरा कैछा छुतदर ऐ?" दहनन अऩने हाथी-
घहडे रेकय घय बय भी उछरने रगे। इन फ चन की भाॉ यहसहणी कुछ दे य तकखडेखडे उनका- खेर
ननयखती यही। अतत भी दहनन फ चन कह फुराकय उसने ऩूछा भुतनू - अये ओ चत
ु नू" -, मे पखरौने
तुभने ककतने भी मरम है ?" भुतनू फहरा "पखरौनेसारा दे गमा ऐ। !दह ऩैछे भी " -

यहसहणी सहचने रगी इतने सस्ते कैसे दे गमा है -? कैसे दे गमा है , मह तह सही जाने।
रेककन दे तह गमा ही है , इतना तह ननश्चम है ! मक जयासी फात ठहयी। यहसहणी अऩने काभ भी रग -
बी गई। कपय कबी उसे इस ऩय पसचाय की आसश्मकता बरा क्मन ऩडती। 2 छह भहीने फाद। नगय
बय भी दहबाई " - चाय सदनन से मक भुयरीसारे के आने का सभाचाय पैर गमा। रहग कहने रगे-
साहभयु री ! फजाने भी सह मक ही उस्ताद है । भयु री फजाकय, गाना सन
ु ाकय सह भयु री फेचता बी
है सह बी दहदह ऩैसे बरा-, इसभी उसे क्मा मभरता हहगा। भेहनत बी तह न आती हहगी"! मक
ामक्क्त ने ऩूछ मरमा कैसा है सह भुयरीसारा" -, भैंने भैं तह उसे नही दे खा"! उत्तय मभरा उम्र " -
तह उसकी अबी अचधक न हहगी, मही तीसऩतरा गहया मुसक है-फत्तीस का हहगा। दफ
ु रा-, फीकानेयी
यॊ गीन सापा फाॉधता है ।" "सही तह नहीॊ, हीॊ जह ऩहरे पखरौने फेचा कयता था?" "क्मा सह ऩहरे
पखरौने बी फेचा कयता था?' "हाॉ, जह आकायप्रकाय तभ
ु ने फतरामा-, उसी प्रकाय का सह बी था।"
"तह सही हहगा। ऩय बई, है सह मक उस्ताद।" प्रनतसदन इसी प्रकाय उस भयु रीसारे की चचाथ हहती।
प्रनतसदन नगय की प्रत्मेक गरी भी उसका भादक, भद
ृ र
ु स्सय सुनाई ऩडता फ चन कह " -
फहरानेसारा, भुयमरमासारा।" यहसहणी ने बी भयु रीसारे का मह स्सय सुना। तयु तत ही उसे
पखरौनेसारे का स्भयण हह आमा। उसने भन ही भन कहा गाकय -पखरौनेसारा बी इसी तयह गा" -
"पखरौने फेचा कयता था। यहसहणी उठकय अऩने ऩनत पसजम फाफू के ऩास गई या उस ज" -
भुयरीसारे कह फुराओ तह, चत
ु नभ
ू ुतनू के मरम रे रॉ ।ू - क्मा ऩता मह कपय इधय आम, न आम। से
बी, जान ऩडता है , ऩाकथ भी खेरने ननकर गम है ।" पसजम फाफू मक सभाचाय ऩत्र ऩ यहे थे। उसी
तयह उसे मरम हुम से दयसाजे ऩय आकय भुयरीसारे से फहरे क्मन" - बई, ककस तयह दे ते हह
भुयरी?" ककसी की हऩी गरी भी चगय ऩडी। ककसी का जूता ऩाकथ भी ही छू गमा, मय ककसी की
सहथनी ही ढीरी )ऩाजाभा( हहकय र क आई है । इस तयह दौडतेहाॉपते हुम फ चन का झत
ु ड आ -
अभ" - ऩहुॉचा। मक स्सय से सफ फहर उठे फी री दे री भुारी, मय अभ फी री दे री भुारी।"
भुयरीसारा हषथरेककन जया कह !दी गे बैमा" - गद्गद हह उठा। फहरा-, ठहयह, मकमक कह दे ने दह। -
अबी इतनी जादी हभ कहीॊ रौ थहडे ही जामॉगे। फेचने तह आम ही हैं , मय हैं बी इस सभम भेये
ऩास मकदह नहीॊ-, हीॊ ऩूयी सत्तासन।हाॉ ..., फाफूजी, क्मा ऩूछा था आऩने ककतने भी दीॊदीॊ दी तह ...!
तीन ऩैसे के सहसाफ से है-सैसे तीन, ऩय आऩकह दह"दह ऩैसे भी ही दे दॉ ग
ू ा।- पसजम फाफू बीतयफाहय -
दहनन रूऩन भी भुसेकया सदम। भन ही भन कहने रगे कैसा है । दे ता तह सफकह इसी बास - से है ,
ऩय भुझ ऩय उर ा महसान राद यहा है । कपय फहरे फहरने की आदत तुभ रहगन की झूठझू" -
हहती है। दे ते हहगे सबी कह दहदह ऩैसे भी -, ऩय महसान का फहझा भेये ही ऊऩय राद यहे हह।"
भुयरीसारा मकदभ अप्रनतब हह उठा। फहरा आऩकह क्मा ऩता फाफू जी कक इनकी असरी " -
रागत क्मा है । मह तह ग्राहकन का दस्तयू हहता है कक दक
ु ानदाय चाहे हानन उठाकय चीज क्मन न
फेच,े ऩय ग्राहक मही सभझते हैं - दक
ु ानदाय भुझे रू यहा है । आऩ बरा काहे कह पसश्सास कयी गे?
रेककन सच ऩूनछम तह फाफूजी, असरी दाभ दह ही ऩैसा है । आऩ कहीॊ से दह ऩैसे भी मे भुयमरमाॉ
नहीॊ ऩा सकते। भैंने भैं तह ऩूयी मक हजाय फनसाई थीॊ, थीॊ तफ भुझे इस बास ऩडी हैं।" पसजम फाफू
फहरे अ छा" -, भुझे मादा सक्त नहीॊ, हीॊ जादी से दह ठह ननकार दह।" दह भुयमरमाॉ रेकय पसजम
फाफू कपय भकान के बीतय ऩहुॉच गम। भुयरीसारा दे य तक उन फ चन के झुतड भी भुयमरमाॉ फेचता
यहा। उसके ऩास कई यॊ ग की भुयमरमाॉ थीॊ।थीॊ फ चे जह यॊ ग ऩसतद कयते, भुयरीसारा उसी यॊ ग की
भुयरी ननकार दे ता। "मह फडी अ छी भुयरी है । तभ
ु मही रे रह फाफू, याजा फाफू तुम्हाये रामक तह
फस मह है । हाॉ बैम, तभ
ु कह सही दी गे। मे रह।तभ
ु कह सैसी न चासहम ..., मह नायॊ गी यॊ ग की, अ छा
सही रह।रे आम ऩैसे ....? अ छा, मे रह तम्
ु हाये मरम भैंने भैं ऩहरे ही ननकार यखी थीतभ
ु कह !...
ऩैसे नहीॊ मभरे। तुभने अम्भा से ठीक तयह भाॉगे न हनगेहन गे। धहती ऩकडकय ऩैयन भी मरऩ कय,
अम्भा से ऩैसे भाॉगे जाते हैं फाफूहाॉ !, कपय जाओ। अफकी फाय मभर जामॉगे। दअ
ु तनी है ...? तह क्मा
हुआ, मे रह ऩैसे साऩस रह। ठीक हह गमा न सहसाफ?....मभर गम ऩैसे? दे खह, भैंने भैं तयकीफ फताई !
अ छा अफ तह ककसी कह नहीॊ रेना है ? सफ रे चक
ु े ? तम्
ु हायी भाॉ के ऩैसे नहीॊ हैं? अ छा, तभ
ु बी
मह रह। अ छा, तह अफ भैं चरता हूॉ।" इस तयह भुयरीसारा कपय आगे फ गमा। 3 आज अऩने
भकान भी फैठी हुई यहसहणी भुयरीसारे की सायी फाती सुनती यही। आज बी उसने अनुबस ककमा,
फ चन के साथ इतने तमाय से फाती कयनेसारा पेयीसारा ऩहरे कबी नहीॊ आमा। कपय मह सौदा बी
कैसा सस्ता फेचता है ! बरा आदभी जान ऩडता है । सभम की फात है , जह फेचाया इस तयह भाया-
भाया कपयता है । ऩे जह न कयाम, सह थहडा! इसी सभम भयु रीसारे का ऺीण स्सय दस
ू यी ननक की
गरी से सुनाई ऩडा फ चन कह फहरानेसारा" -, भुयमरमासारा"! यहसहणी इसे सुनकय भन ही भन
कहने रगी !मय स्सय कैसा भीठा है इसका - फहुत सदनन तक यहसहणी कह भुयरीसारे का सह भीठा
स्सय मय उसकी फ चन के प्रनत से स्नेहमसक्त फाती माद आती यहीॊ।हीॊ भहीने के भहीने आम मय
चरे गम। कपय भुयरीसारा न आमा। धीये धीये उसकी स्भनृ त बी ऺीण हह गई।- 4 आठ भास फाद -
सदी के सदन थे। यहसहणी स्नान कयके भकान की छत ऩय च कय आजानर
ु ॊबफत के याम सख
ु ा -
यही थी। इसी सभम नीचे की गरी भी सुनाई ऩडा कह फहरानेसारा फ चन" -, मभठाईसारा।"
मभठाईसारे का स्सय उसके मरम ऩरयचचत था, झ से यहसहणी नीचे उतय आई। उस सभम उसके
ऩनत भकान भी नहीॊ थे। हाॉ, उनकी सद्
ृ धा दादी थीॊ।थीॊ यहसहणी उनके ननक आकय फहरी दादी" -,
चत
ु नभ
ू ुतनू के मरम मभठाई रेनी है ।- जया कभये भी चरकय ठहयाओ। भैं उधय कैसे जाऊॉ, कहई
आता न हह। जया ह कय भैं बी चचक की ओ भी फैठी यहूॉगी।" दादी उठकय कभये भी आकय फहरीॊ
रीॊ म मभठाईसारे " -, इधय आना।" मभठाईसारा ननक आ गमा। फहरा ककतनी मभठाई दॉ "ू -, भाॉ? मे
नम तयह की मभठाइमाॉ हैं बफयॊ गी-यॊ ग -, कुछकुछ- खट् ी, कुछकुछ भीठी-, जामकेदाय, फडी दे य तक
भॉह
ु भी स कती हैं। जादी नहीॊ घुरतीॊ।तीॊ फ चे फडे चास से चस
ू ते हैं। इन गुणन के मससा मे खाॉसी
बी दयू कयती हैंककतनी दॉ ू !? चऩ ी, गहर, ऩहरदाय गहमरमाॉ हैं। ऩैसे की सहरह दे ता हूॉ।" दादी फहरीॊ
रीॊ सहरह तह फहुत कभ हहती हैं " -, बरा ऩचीस तह दे ते।" मभठाईसारा नहीॊ दादी" -, अचधक नहीॊ
दे सकता। इतना बी दे ता हूॉ, मह अफ भैं तुम्ही क्माखैय ..., भैं अचधक न दे सकॉू गा।" यहसहणी दादी
के ऩास ही थी। फहरी दादी" -, कपय बी कापी सस्ता दे यहा है । चाय ऩैसे की रे रह। मह ऩैसे यहे ।
मभठाईसारा मभठाइमाॉ चगनने रगा। "तह चाय की दे दह। अ छा, ऩ चीस नहीॊ सही, फीस ही दह। अये
हाॉ, भैं फू ी हुई भहरबास अफ भझ
ु े मादा कयना- आता बी नहीॊ।हीॊ " कहते हुम दादी के ऩहऩरे भॉह

से जयासी भुस्कयाहय पू ननकरी।- यहसहणी ने दादी से कहा दादी" -, इससे ऩूछह, तुभ इस हय
भी मय बी कबी आम थे मा ऩहरी फाय आम हह? महाॉ के ननसासी तह तुभ हह नहीॊ।हीॊ " दादी ने
इस कथन कह दहहयाने की चेउ ा की ही थी कक मभठाईसारे ने उत्तय सदमा ऩहरी फाय नहीॊ" -, हीॊ
मय बी कई फाय आ चक
ु ा है ।" यहसहणी चचक की आड ही से फहरी ऩहरे मही मभठाई फेचते हुम " -
आम थे, मा मय कहई चीज रेकय?"

मभठाईसारा हषथ, सॊ म मय पसस्भमासद बासन भे डूफकय फहरा इससे ऩहरे भुयरी रेकय " -
आमा था, मय उससे बी ऩहरे पखरौने रेकय।" यहसहणी का अनभ
ु ान ठीक ननकरा। अफ तह सह
उससे मय बी कुछ फाती ऩूछने के मरम अक्स्थय हह उठी। सह फहरी इन ामससामन भी बरा " -
हहगा तुम्ही क्मा मभरता?" सह फहरा मही खाने बय कह मभर जाता है । !मभरता बरा क्मा है " -
कबी नहीॊ बी मभरता है । ऩय हाॉ; सततहष, धीयज मय कबीकबी असी-भ सुख जरूय मभरता है मय
मही भैं चाहता बी हूॉ।" "सह कैसे? सह बी फताओ।" "अफ ामथथ उन फातन की क्मन चचाथ क ॉ ? उतही
आऩ जाने ही दी । उन फातन कह सन
ु कय आऩ कह द"ु ख ही हहगा।: "जफ इतना फतामा है , तफ मय
बी फता दह। भैं फहुत उत्सुक हूॉ। तुम्हाया हजाथ न हहगा। मभठाई भैं मय बी कुछ रे रॉ ग
ू ी।"
अनत म गम्बीयता के साथ मभठाईसारे ने कहा भैं बी अऩने नगय का मक प्रनतक्उठत आदभी " -
-था। भकान ामससाम, गाडीडेघह-, नौकयचाकय सबी कुछ था। स्त्री थी-, छह े छह े दह फ चे बी थे। -
भेया सह सहने का सॊसाय था। फाहय सॊऩपत्त का सैबस था, बीतय साॊसारयक सुख था। स्त्री सत
ु दयी थी,
भेयी प्राण थी। फ चे ऐसे सत
ु दय थे, जैसे सहने के सजीस पखरौने। उनकी अठखेमरमन के भाये घय
भी कहराहर भचा यहता था। सभम की गनतपसधाता की ! रीरा। अफ कहई नहीॊ है । दादी, प्राण
ननकारे नहीॊ ननकरे। इसमरम अऩने उन फ चन की खहज भी ननकरा हूॉ। से सफ अतत भी हनगेहन
गे, तह महीॊ कहीॊ।हीॊ आपखय, कहीॊ न जतभे ही हनगेहन गे। उस तयह यहता, घुरघुर कय भयता। इस -
तयह सख
ु कबी अऩने उन फ चन की मक -ष के साथ भरूॉगा। इस तयह के जीसन भी कबीसॊतह-
सी मभर जाता है ।-झरक ऐसा जान ऩडता है , जैसे से इतहीॊ भी उछरखेर यहे हैं। -उछरकय हॉ स-
ऩैसन की कभी थहडे ही है , आऩकी दमा से ऩैसे तह कापी हैं। जह नहीॊ है , इस तयह उसी कह ऩा
जाता हूॉ।" यहसहणी ने अफ मभठाईसारे की ओय दे खा उसकी आॉखी आॉसुओॊ से तय हैं। - इसी सभम
चत
ु नभ
ू ुतनू आ गम। यहसहणी से मरऩ कय-, उसका आॉचर ऩकडकय फहरे अम्भाॉ" -, मभठाई"! "भुझसे
रह।मह कहकय ", तत्कार कागज की दह ऩडु डमाॉ, मभठाइमन से बयी, मभठाईसारे ने चत
ु नभ
ू त
ु नू कह दे -
दीॊ!दीॊ यहसहणी ने बीतय से ऩैसे पीक सदम। मभठाईसारे ने ऩे ी उठाई, मय कहा अफ इस फाय मे " -
"ऩैसे न रॉ ूगा। दादी फहरी अये -अये " -, न न, अऩने ऩैसे मरम जा बाई"! तफ तक आगे कपय सुनाई
ऩडा उसी प्रकाय भादक"फ चन कह फहरानेसारा मभठाईसारा।" - भद
ृ र
ु स्सय भी-
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फचेन्द्री ऩार

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15&16 ebZ 1984 dks cqद्ध iwf.kZek osQ fnu eSa YgksRls dh cQhZyh lhèkh <yku ij yxk, x,
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ऩच्चीस चौका डेढ सौ
ओभप्रकाश वाल्मभकी

ऩहरी तनख्सा ह के ऩमे हा थ भी था भे सद


ु ी ऩ अबा सन के गहये अॊधका य भी यह नी
की उम्भी द से बय गमा था । मक ऐसी खु ी उसके क्ज स्भ भी सद खा ई ऩड यही थी , क्जसे
ऩाने के मरम उसने असॊख्म कॉ ीरे झाडझॊखाडन के फीच अऩनी याह फना-ई थी । हथेरी भी बीॊचे
ऩमन की गभज उसकी यगयग भी उतय गई थी । ऩहरी फाय उसने इतने ऩमे मक सा-थ दे खे थे।
सह सतथभान भी जीना चाहता था । रेककन बूतकार उसका ऩीछा नहीॊ छहड यहा था । हय ऩर
उसके बीतय सतथभान मय बत
ू की यस्सा कसी चरती यहती थी । अबासन ने कदभऩय उसे कदभ-
छरा था । कपय बी उसने स्समॊ कह ककसी तयह फचा कय यखा था । इसी मरम मह भाभर
ू ी नौकयी
बी उसके मरम फडी अहमभमत यखती थी । नई नई-नौकयी भी छुट्स माॉ मभरना कसठन हह ता है ।
उसे बी आसानी से छुट् ी नहीॊ मभरी थी । उसने यपससाय की छुट्स मन भी अनतरयक्त काभ ककमा
था , क्जसके फदरे उसे दह सदन का असका मभर गमा था । सह ऩहरी तनख्साह मभरने की
खु ी अऩने भाॉ फाऩ के साथ फाॉ ना चा-हता था । स्कूर की ऩ ाई मय नौकयी के फीच सभम मय
हारात की गहयी खाई कह सह ऩा नहीॊ सकता था । कपय बी खाई के फीच फाॉ कय ऩीडा कभ हह
जाती है । उसने इस ऩर के इॊतजाय भी मक रम्फा सपय तम ककमा था । ऐसा सपय, क्जसभी
सदनयात मय भानअऩभान के फी-च अॊतय ही नहीॊ था । हय से गाॉस तक ऩहुॉचने भी दहढा- ई घॊ े
से मादा का सभम रग जाता था , इसी मरम सह सुफह ही ननकर ऩडा था । फस अड्डे ऩय आते
ही उसे फस मभर गई थी । फस भी कापी बीड थी । फडी भक्ु श्कर से उसे फैठने की जगह मभर
ऩाई थी । कॊडक् य ककसी मात्री ऩय बफगड यहा था , “इस साभान कह उठाओ। छत ऩय यखह ।
आनेजा-ने का यास्ता फतद ही कय सदमा है । ककसका है मह साभान?” कॊडक् य ने ऊॉचे मय ककथ
स्सय भी ऩूछा । मक दफ
ु दर
ु ा य भी फहसा ग्राभीण धीभे स्स- ऩतरा-रा , “जी , भेया है ।” कॊडक् य ने
ग्राभीण के सजूद कह तौरते हुम आसाज सख्त कयके रगबग दहाडते हुम कहा , “तेया है तह इसे
अऩने ऩास यख। महाॉ यास्ते भी अडा सदमा है ? उठ इसे।” ग्राभीण ने चगडचग डाकय अजीफसी आसा-ज
भी कहा , “साहफ… नजदीक ही उतयना है ।” सुदीऩ जफ बी ककसी कह चगडचगडाते दे खता है तह उसे
अऩने पऩता जी की छपस माद आने रगती है , ऐसे भी उसका ऩहयऩह-य च खने रगता है । जैसे कहई
धीये धीये उसके क्जस्भ ऩय आयी चरा यहा हह ।- उसने कतडक् य की ओय दे खा । कतडक् य का
तहक्तदमर यीय कऩडे पाडकय फाहय आनेकह छ ऩ ा यहा था । फनैरे सुअय की तयह उसके चेहये
ऩय ऩान से यॊ गे दाॉत, उसकी बामता भी इजापा कय यहे थे। सुदीऩ कह रगा जॊगरी सुअय फस की
बीड भी घुस आमा है । उसने सहभकय सहमात्री की ओय दे खा , जह ननयऩेऺ बास से अऩने ख्मारन
भी गभ
ु था । सद
ु ीऩ ने ग्राभीण ऩय नजय डारी , जह अबी तक दमनीमता से उफय नहीॊ ऩामा था ।
उसके बीतय पऩता जी की छपस आकाय रेने रगी । सह सदन स्भनृ त भी दस्तक दे ने रगा , जफ
पऩता जी उसे रेकय स्कूर भी दापखर कयाने रे गम थे। उनकी फस्ती के फ चे स्कूर नहीॊ जाते
थे। ऩता नहीॊ पऩता जी के भन भी मह पसचाय कैसे आमा कक उसे स्कूर भी बतज कयामा जाम,
जफकक ऩूयी फस्ती भी ऩ ाईमरखाई की ओय कक सी का खमा-न नहीॊ था ।

पऩता जी रम्फे-रम्फे डग बयकय चर यहे थे। उसे उनके साथ चरने भी दौडना ऩडता था ।
उसने भैरी सी मक फदयॊ ग कभी-ज मय ऩट् े दाय ननक्कयनुभा क छा ऩहन यखा था । क्जसे थहडी
द ऊऩय खीॊथहडी दे य फा-चना ऩडता था । स्कूर के फयाभदे भी ऩहुॉचकय पऩता जी ऩर बय के मरम
सठठके। कपय धीयधी-ये चरकय इस कभये से उस कभये भी झाॉकने रगे। हय मक कभये भी अॉधेया
था , क्जसभी फ चे ऩ यहे थे। भास् य कुमसथमन ऩय उकडू फैठे फीडी ऩी यहे थे मा ऊॉघ यहे थे। पऩता
जी पूरमसॊहमसॊ भास् य कह ढूॉढ यहे थे। दह तीन कभयन भी झाॉकने के फाद मक छह- े से कभये की -
ओय भुड।े उस कभये भेेेॊ अतम कभयन से मादा अॉधेया था । पूरमसॊहमसॊ भास् य अकेरे फैठे
फीडी ऩी यहे थे। उतही दयसाजे ऩय दे खकय पूरमसॊहमसॊ भास् य खद
ु ही फाहय आ गम थे। पऩता जी
ने भास् य जी कह दे खते ही दमनीम स्सय भी चगडचगडाकय कहा , “भास् य जी इस जातक )फ चे(
कू अऩणी सयण भी रे रह । दह अ छय ऩ रेगा तह थायी दमा ते महफी आदभी फॊण जागा ।
म्हायी क्जनगी फी कुछ सुधाय जागी ।” सुदीऩ पऩता जी की उस भुरा कह बूर नहीॊ ऩामा । से हाथ
जहडकय झुके खडे थे। पूरमसॊहमसॊ भास् य ने फीडी का न ा अॉगूठे के इ ाये से दयू उछारा मय
पऩता जी कह रेकय हे डभास् य के कभये भी चरे गम। सद
ु ीऩ का दापखरा हह गमा था । पऩता जी
खु थे। उनकी खु ी भी बी सही चगडचगडाह झरक यही थी । से झक
ु झक
ु कय भा स् य-
पूरमसॊहमसॊ कह सराभ कय यहे थे। फस सहचकहरे खा खा कय यी ग यही थी । आसऩास के माबत्रमन -
मस- ने फीडीगये का धआ
ुॊ ऐसे उगरना ुरू कय सदमा था , जैसे सबी अऩनी अऩनी -
दक्ु श्चदक्ु श्चतताओॊ कह धम
ु ॉ के फादरन भी पसरी न कय दी गे। उसने अऩने ऩास की पखडकी का ी ा
सयकामा । ताजा हसा की हाकीहाकी सयसयाह बी-तय घस
ु आई। उसकी स्भनृ त भी स्कूर के सदन
मक के फाद मक रौ कय आने रगे। दस
ू यी कऺा तक आतेजाते सह अ छे पसद्माचथथमनचथथमन भी
चगना जाने रगा था । तभाभ साभाक्जक दफासन मय बेदबासन के फासजूद सह ऩूयी रगन से स्कूर
जाता यहा । सबी पसषमन भी सह ठीकठाक था । गपणत भी उसका भन कुछ मादा ही रगता था-।

भास् य म सनायामण मभश्रा ने चौथी कऺा के फ चन से ऩतरह तक ऩहाडे माद कयने के


मरम कहा था । रेककन सुदीऩ कह चौफीस तक ऩहाडे ऩहरे से ही अ छी तयह माद थे। भास् य म
सनायामण मभश्रा ने ाफासी दे ते हुम ऩ चीस का ऩहाडा माद कयने के मरम सुदीऩ से कहा । स्कूर
से घय रौ ते ही सुदीऩ ने ऩ चीस का ऩहाडा माद कयना ुरू कय सदमा । सह जहयजहय से ऊॉची -
आसाज भी ऩहाडा कॊठस्थ कयने रगा । ऩ चीस मकभ ऩ चीस, ऩ चीस दन
ू ीदन
ू ी ऩचास, ऩ चीस नत
माॉ ऩचहत्तय, ऩ चीस चौका सौ …? पऩता जी फाहय से थकेहाये रौ े थे। उसे ऩ चीस का ऩहा-डा
य ते दे खकय उनके चेहये ऩय सततुक्उ बास तैय गम थे। थका-न बूरकय से सुदीऩ के ऩास फैठ गम
थे। सैसे तह उतही फीस से आगे चगनती बी नहीॊ आती थी , रेककन ऩ चीस का ऩहाडा उनकी क्ज
तदगी का अहभ ऩडास था , क्जसे से अनेक फाय अरगअरग रहगन के फीच दह-हया चक
ु े थे। जफ
बी उस घ ना का क्जक्र कयते थे, उनके चेहये ऩय मक अजीफसा पसश्सा-स चभक उठता था । सद
ु ीऩ
ने ऩ चीस का ऩहाडा दहहयामा मय जैसे ही ऩ चीस चौका सौ कहा , उतहन ने हका । “नहीॊ
फेट् े … ऩ चीस चौका सौ नहीॊ … ऩ चीस चौका डे सौ …” उतहन ने ऩूये आत्भपसश्सास से कहा ।
सुदीऩ ने चौंककय पऩता जी की ओय दे खा । सभझा ने के रहजे भी फहरा , “नहीॊ पऩता जी , ऩ ची
स चौका सौ … मे दे खह गपणत की ककताफ भी मरखा है ।” “फेट् े , भझ
ु े ककताफ क्मा सदखासे है । भैं तह
हयप रेखे फीना पऩछाणॊ।ू भेये )अऺय( तह कारा अ छय बैंस फयाफय है । कपय सी इतना तह जरूय
जाणुॊ कक ऩ चीस चौका डे सौ हह से हैं।” पऩता जी ने सहजता से कहा । “ककताफ भी तह
सापसाप मरखा है ऩ चीस चौ-का सौ …” सुदीऩ ने भासूमभमत से कहा । “तेयी ककताफ भी गरत
फी तह हह सके नहीॊ तह क्मा चौधयी झूठ फहारीगे? तेयी ककताफ से कहीॊ ठड्डे आदभी हैं )सडे(
चौधयी जी । उनके धहये भहट् ी ककता- तह मे भहट् ी )ऩास(फी हैं… सह जह तेया हे डभास् य है सह फी
ऩाॉस छुम है चौधयी जी के। ऩड्डेय बरा सह गरत फतामीगे भास् य से कणा सही सही ऩ ा-मा
कये …।” पऩता जी ने उखडते हुम कहा । “पऩता जी … ककताफ भी गरत थहडे ही मरक्खा है ।” सुदीऩ
ॉ आसा हह गमा । “तू अबी फ चा है । तू क्मा जाणे दनु नमादायी । दस सार ऩहरे की फात है । तेये
हहणे से ऩहरे तेयी म्हतायी फीभायी ऩडगी थी । फचने की उम्भेद ना थी । सहय के फडे डाक्दय से
इराज कयसामा था । साया खचथ चौधयी ने ही तह सदमा था । ऩयू ा सौका ऩत्ता … मे रम्फा रीरे नी (
नह( यॊ ग का रह )रे था । डाकदय की पी )स, दसाइमाॉ सफ मभराकय सौ ऩमे फणे थे। क्जफ तेयी
भाॉ ठीकठाक हह कपयण रा-क चारण-गी तह , तह भैं चाय मभतने फाद चौ )भहीने(धयी जी की
हसेरी भी गमा । दआ
ु सराभ के फाद भैतने चौधयी जी ते कहा ‘चौधयी जी भैं तह गयीफ आदभी हूॉ,
थायी भेहयफातनी से भेयी रुगाई की जान फच गई, सह जी गई, सनाथ भेये जातक सीया न हह जाते।
तभने सौ ऩमे सदम ते। उनका सहसा फफता दह । भैं थहडा थहडा कयके साया कजथ चक
ु ा हूॉगा । -
मक साथ दे णे की भेयी सहम्भत ना है चौधयी जी ।’ चौधयी जी ने कहा , ‘भैतने तेये फयू े फखत भी
भदद कयी तह ईफ तू ईभा नदायी ते साया ऩैसा चक
ु ा दे ना । सौ ऩमे ऩय हय भही ने ऩ चीस
चौका डे सौ । तू अऩणा आदभी है तेये से मादा क्मा रेणा । डे सौ भी से सीस ऩमे कभ कय
दे । फीस ऩमे तुझे छहड सदम। फचे मक सह तीस। चाय भहीने का ामाज मक सौ तीस अबी दे दी ।
फाकी यहा भर
ू क्जस हहगा दे दे णा , भहीनेभहीने ामा-ज दे ते यहणा ।” “ईस फता फेट् े ऩ चीस
चौका डे सौ हह ते हैं मा नहीॊ । चौधयी बरे मय इ जतदाय आदभी हैं , जह उतहन ने फीस ऩमे
छैं र सदम। नहीॊ तह बरा इस जभाने भी कहइ छहड्डे है ? अऩणे म सनायामण भास् य के फाऩ फडे
मभमसय जी कू ही दे ख रह । मक धेारा फी ना छै ड्डे। ऊऩय ते पसगाय अरग ते कया से है। )सेगाय(
जैसे पसगाय उनका हक है । सदन बय भी गहड्डे ू जाॊ । भजूयी के नाभ ऩे खाारी हाथ। अऩय ते
गारी अरग। गारी तह ऐसे दे है जैसे फेद भततय ऩ यहे हन ।” सद
ु ीऩ ने ऩ चीस का ऩहाडा
दहहयामा । ऩ चीस मकभ ऩ चीस, ऩ चीस दन
ू ीदन
ू ी ऩचास, ऩ चीस नतमा ऩचहत्तय, ऩ चीस चौका
डे सह … अगरे सदन कऺा भी भास् य म सनायामण मभश्रा ने ऩ चीस का ऩहाडा सुनाने के मरम
सुदीऩ कह खडा कय सदमा । सुदीऩ खडा हहकय उत्साहऩूसक
थ ऩहाडा सुनाने रगा । “ऩ चीस मकभ
ऩ चीस, ऩ चीस दन
ू ीदन
ू ी ऩचास, ऩ चीस नतमा ऩचहत्तय, ऩ चीस चौका डे सौ ।” भास् य
म सनायामण मभश्रा ने उसे हका , “ऩ चीस चौका सौ ।” भास् य जी के हकने से सद
ु ीऩ अचानक
चऩ
ु हह गमा मय खाभह ी से भास् य का भॉह
ु दे खने रगा । भास् य म सनायामण मभश्रा कुसज ऩय
ऩैय यखकय उकडू फैठे थे। फीडी का सुट् ा भायते हुम फहरे, “अफेचह
ू डे के !, आगे फहरता क्मूॊ नहीॊ ?
बूर चगमा क्मा ?” सुदीऩ ने कपय ऩहाडा ुरू ककमा । स्साबापसक ढॊ ग से ऩ चीस चौका डे सौ
कहा । भास् य म सनायामण मभश्रा ने डाॉ कय कहा , “अफेकामर !मे, डे सौ नहीॊ सौ … सौ !” सुदीऩ
ने डयते डयते कहा-, “भास्सा हफपऩ !ता जी कहते हैं ऩ चीस चौका डे सौ हह से हैं।” भास् य
म सनायामण हत्थे से उखड गमा । खीॊचकय मक थतऩड उसके गार ऩय यसीद ककमा । आॉखे
तये यकय ची ा , “अफे, तेया फाऩ इतना फडा बफदसा न है तह महाॉ क्मा अऩनी भाॉ - मक कक्र मा( ..
क्जसे सुसॊस्कृत रहग सासहत्म भी त्माजम भानते हैंआमा है ।.. ) सारे, तुभ रहगन कह चाहे ककतना
बी मरखाओ, ऩ ाओ यहहगे सहीॊ सहीॊ-के-… सदभाग भी कूडा मरखा-कयक जह बया है । ऩ ाई-ई के
सॊस्काय तह तुभ रहगन भी आ ही नहीॊ सकते। चर फहर ठीक से… ऩ चीस चौका सौ । स्कूर भी
तेयी थहडी सी तायी-प क्मा हह ने रगी , ऩाॉस जभीन ऩय नहीॊ ऩडते। ऊऩय से जफान चरासे है ।
उर कय जसाफ दे ता है ।” सुदीऩ ने सुफकते हुम ऩ चीस चौका सौ कहा मय मक साॉस भी ऩूया
ऩहाडा सन
ु ा सदमा । उस सदन की घ ना ने उसके सदभाग भी उरझन ऩैदा कय दी । मसद भास्साफ
सही कहते हैं तह पऩता जी गरत क्मॉू फता यहे हैं। मसद पऩता जी सही हैं तह भास् य साफ क्मॉू
गरत फता यहे हैं। पऩता जी कहते हैं चौधयी फडे आदभी हैं, झूठ नहीॊ फहरते। उसके हृदम भी
फसतडय उठने रगे। नभथ मय भासूभ फारभन ऩय मक खयनच ऩड गई थी , जह सभम के साथसा -
थ मय गहया गई थी । ककसी ने ठीक ही कहा है , भन भी गाॉठ ऩड जाम तह खहरे नहीॊ खर
ु ती ।
सह तेतेजा गते-, उठतेफैठते-, ऩ चीस चौका डे सौ उसे ऩये ा न कयने रगा । फारभन की मह
खयनच ग्रॊचथ फन गई थी । जफ बी सह ऩ चीस की सॊख्मा ऩ ता मा मरखता , उसे ऩ चीस चौका
डे सौ ही माद आता । साथ ही माद आता पऩता जी का पसश्सास बया चेहया मय भास् य
म सनायामण मभश्रा का गारी रा-गरौज कयता रार-र गुस्सैर चेहया । सुदीऩ दहनन चेहये मक साथ
स्भनृ त भी दफाम ऩ चीस चौका डे सौ की अॊधेयी दग
ु द
थ ग
ु भ
थ गमरमन भी ब कने रगा । जैसेजैसे -
फडा हहने रगा , कई ससार उसके भन कह पसचमरत कयने रगे,रेककन उत्तय उसके ऩास नहीॊ थे।
फस अड्डे से थहडा ऩहरे मक फडासा गनत- असयहधक था , क्जसके कायण अचानक ब्रेक रगने से
फस भी फैठे माबत्रमन कह झ का रगा । कई रहग तह चगयतेचगयते फचे। झ का रगने से सुदीऩ की -
पसचाय ततरा बी ू गई, उसने जेफ कह छूकय दे खा । तनख्साह के ऩमे जेफ भी सही सराभत थे।
फस गाॉस के ककनाये की । फस अड्डे के नाभ ऩय दह मक दक
ु ाकानी ऩानफी-डी की , मक ऩेड के
तने से स की ऩयु ानी सी भेज ऩय- फदयॊ ग आईना यखकय फैठ गाॉस का ही फदरू नाई, नाई से थहडा
ह कय दस
ू दयू े ऩेड तरे फैठा गाॉस का भहची , मक केरे- अभरूदसारा । फस मही था फस अड्डा ।
सुदीऩ ने फस से नीचे उतयकय आसऩास नजयी दौडाई, फस अड्डे ऩय कहई पस ष
े चहरहीॊ ऩहर न-
दक्
ु कादक्
ु का रहग इधयउधय फैठे थे। सह सीधा घय की ओय चर ऩडा। गाॉस के - थी । इक्का
चारी-ऩक्श्चभी छहय ऩय तीसस घयन की फस्ती भी उनका घय था । दह ऩहय हहने कह आई थी ।
सयू ज कापी ऊऩय च गमा था । उसने तेजतेज कदभ उठाम। रगबग भहीने बय फाद गाॉस -
रौ ा था । जानी ऩहचानी चचय ऩरयचचत गमर-मन भी उसे अऩने फचऩन से अफ तक बफतामे ऩर
गुदगुदा ने रगे। इससे ऩहरे उसने कबी ऐसा भहसूस नहीॊ ककमा था । मक अनजाने से आत्भीम
सुख से सह बय गमा था । अऩना गाॉस, अऩने यास्ते, अऩने रहग। उसने भनभन भुस्कुया कय - ही-
कीचड बयी नारी कह राॉघा मय फस्ती की ओय भुड गमा । गाॉस मय फस्ती के फीच मक फडा -
सा जहहड था , क्जसभी जरकुम्बी पैरी हुई थी । जरकुम्बी का नीरा पूर उसे फहुत अ छा रगता
है । इक्का दक्
ु क-ेा पूर सदखाई ऩडने रगे थे। उसने जहहड के ककनाये ककना-ये चरना ुरू कय
सदमा । पऩता जी आॉगन भी ऩडी मक ऩुयानी चायऩाई की यस्सी कस यहे थे। सुदीऩ कह आमा
दे खकय से उसकी ओय रऩके। “अचानक… क्मा फात है … रगता है सहय भी जी नहीॊ रगता ।” “नहीॊ
ऐसी फात नहीॊ है … फस ऐसे ही चरा आमा ।” सद
ु ीऩ ने सहजता से कहा । जेफ से ननकारकय
तनख्साह के ऩमे उनके हाथ भी यखकय, ऩाॉस छुम। पऩता जी गदगद हह गम। दहनन हाथन भी ऩमे
थाभकय भाथे से रगामा , जैसे दे सता का प्रसाद ग्रहण कय यहे हन । भनभन अस्पु फ- ही-ेदन
भी कुछ फुदफुदा मे। कपय सुदीऩ की भाॉ कह ऩुकाया , “दीऩे की भाॉ , कयके महाॉ तह आरे मसॊबार ..
अऩने राडरे की कभाई।” भाॉ आसाज सन
ु कय फाहय आई, आॉचर ऩसायकय ऩमे मरमे मय सद
ु ीऩ
कह छाती से रगा मरमा । सह ऺण ऐसा रग यहा था , जैसे सभूचा घय खु ी की फारय से बीग
यहा हह । सुदीऩ चऩ
ु चाऩ सबी के पखरे चेहये दे ख यहा था । सफ खु थे। ऊऩयी तौय ऩय तह सह
बी भुस्कुया यहा था , रेकक न उसके बीतय मक खरफरी भची थी । सह अ ाॊत। उसने भाॉ से कहा
, “महाॉ फैट्ठह भाॉ !” हाथ फ ा कय आॉचर से कुछ ऩमे रे मरमे। गम्बीय स्सय भी फहरा , “पऩता
जी , भझ
ु े आऩसे मक फात कहनी है ।” “क्मा फात है फेट् े ? …कुछ चासहम?” पऩता जी ने क्जऻासा
स ऩूछा । “नहीॊ पऩता जी कुछ नहीॊ चासहम। भैं आऩकह कुछ फताना चाहता हूॉ।” पऩता जी
गुभसुभ हह कय उसकी ओय दे खने रगे। कुछ दे य ऩहरे की खु ी ऩय धध
ुॊ ऩडने रगी थी । तयह-
तयह की आ ॊकामॉ उतही झकझहयने रगी थी । से अचानक फेचन
ै ी भहसूस कयने रगे थे। सुदीऩ ने
ऩ चीसऩ चीस ऩमे की चाय ढे रयमाॉ रगा-ईं, पऩता जी से कहा , “अफ आऩ इतही चगननमे।” पऩता जी
चऩ
ु चाऩ सुदीऩ की ओय दे ख यहे थे। उनकी सभझ भी कुछ बी नहीॊ आ यहा था । असहाम हह कय
फहरे, “फे े , भुझे तह फीस ते आग्गे चगनना फी नी आत्ता । तू ही चगणके फता दे ।” सुदीऩ ने धीभे
स्सय भी कहा , “पऩता जी , मे चाय जगह ऩ चीसऩ ची स ऩमे हैं-, अफ इतही मभरा कय चगनते
हैं… चाय जगह का भतरफ है ऩ चीस चौका ।” कुछ ऺण ककय सुदीऩ ने पऩता जी की ओय दे खा
। कपय फहरा , “अफ दे खते हैं ऩ चीस चौका सौ हहते हैं मा डे सौ ।..” पऩता जी आसाक हहकय
सद
ु ीऩ का चेहया दे खने रगे। उनकी आॉखन के आगे चौधयी का चेहया घभ
ू गमा । तीसऩैंतीस सा-र
ऩुयानी घ ना साकाय हह उठी । मह घ ना , क्जसे से अफ तक न जाने ककतनी फाय दहहया कय
रहगन कह सुना चक
ु े थे। आज उसी घ ना कह नम रूऩ भी रेकय फैठ गमा था सुदीऩ। सुदीऩ ऩमे
चगन यहा था फहरफह-रकय, सौ ऩय जा कय क गमा । फहरा , “दे खह , ऩ चीस चौका सौ हुम, डे
सौ नहीॊ ।” पऩता जी ने उसके हाथ से ऩमे ऐसे छीने, जैसे सुदीऩ उतही भूखथ फना यहा है । से ऩमे
चगनने का प्रमास कयने रगे। रेककन फीस ऩय जा कय अ क गम। सुदीऩ ने उनकी भदद की । सौ
हहने ऩय पऩता जी की ओय दे खा । उतही पसश्सास ही नहीॊ हह यहा था । उतहन ने कपय मक से
चगनना ुरू कय सदमा । फीस ऩय अ क गम। उर ऩर कय ऩमन कह दे ख यहे थे-, जैसे कुछ
उनभी कभ हैं। सुदीऩ ने कपय चगनकय सदखाम। पऩता जी कह मकीन ही नहीॊ आ यहा था । सुदीऩ
ने हय फाय उनकी ॊका का सभाधान ककमा , हय प्रकाय से। आपखय पऩता जी कह पसश्सास हह गमा
। सुदीऩ ठीक कह यहा है ऩ चीस चौका सौ ही हहते हैं। झूठसच सा-भने था । पऩता जी के हृदम
भी जैसे अतीत जरने रगा था । उनका पसश्सास, क्जसे पऩछरे तीस ऩैंतीस सारन से से अऩने-सीने
भी रगाम चौधयी के गुणगा न कयते नहीॊ अघाते थे, आज अचानक काॉच की तयह च ककय उनके
यहभयह-भ भी सभा गमा था । उनकी आॉखन भी मक अजीफसी पस-तउृ णा ऩनऩ यही थी , क्जसे
ऩयाजम नहीॊ कहा जा सकता था , फक्ाक पसश्सास भी छरे जाने की गहन ऩीडा ही कहा जामगा ।
उतहन ने अऩनी भैरी चीक धहती के कहने से आॉख की कहय भी जभा कीचड ऩनछा मय मक
रम्फी साॉस री । ऩमे सुदीऩ ने रौ ा सदम। उनके चेहये ऩय ऩीडा का खॊडहय उग आमा था ,
क्जसकी दीसायन से ईं , ऩत्थय मय सीभी बुयबुया कय चगयने रगे थे। उनके अततस भी मक ीस
उठी , जैसे कह यहे हन , “कीडे ऩडीगे चौधयी … कहई ऩानी दे ने सारा बी नहीॊ फचेगा ।”
ऩत्रकारयता

ऩत्रकारयता का अथथ (patrakarita kise kahate hai)

ऩत्रकारयता ब्द अॊग्रेजी के 'जनथमर म' का सहतदी रूऩाॊतय है । सहतदी भे बी ऩत्रकारयता का अथथ बी
रगबग मही है । 'ऩत्र' से 'ऩत्रकाय' मय कपय 'ऩत्रकारयता' से इसे सभझा जा सकता है । 'ऩत्रकाय' का
अथथ सभाचाय-ऩत्र का सॊऩादक मा रेखक मय 'ऩत्रकारयता' का अथथ ऩत्रकाय का काभ मा ऩे ा,
सभाचाय के सॊऩादन, सभाचाय इकट्ठे कयने आसद का पससेचन कयने सारी पसद्मा। रगबग सबी
सभाचाय भाखमभन से सॊदे मा सूचना का प्रसाय मक तयपा हहता है । ऩत्रकारयता मक ऐसा
करात्भक सेसा कामथ है क्जसभी साभनमक घ नाओॊ कह ब्द मसॊ चचत्र के भाखमभ से जन-जन
तक आकषथक ढॊ ग से प्रस्तुत ककमा हह मय जह ामक्क्त से रेकय सभूह तक मय दे से रेकय
पसश्स तक के पसचाय, अथथ, याजनीनत मय महाॉ तक कक सॊस्कृनत कह बी प्रबापसत कयने भी सऺभ
हह। इसमरम सभाचाय जादी भे मरखा गमा इनतहास हहता है । सभम के साथ ऩत्रकारयता का भूाम
फदरता गमा है । आज इॊ यने मय सूचना अचधकाय ने ऩत्रकारयता कह फहु आमाभी मय अनॊत
फना सदमा है ।

ऩत्रकारयता की ऩरयबाषा (patrakarita ki paribhasha)

डाॅ. फन्द्रीनाथ कऩूय के शब्दों भे," ऩत्रकारयता ऩत्र-ऩबत्रकाओॊ के मरम सभाचाय, रेख आसद मकबत्रत
तथा सॊऩासदत कयने, प्रका न-आदे आसद दे ने का कामथ है ।"

चम्फसथ डडक्शनयी के अनुसाय," आकषथक ीषथक दे ना, ऩउृ ठन का आकषथक फनास, जादी से जादी
सभाचाय दे ने की हहड, दे -पसदे के प्रभुख उद्महग-धॊधन के पसऻाऩन प्रातत कयने की चतयु ाई,
सतु दय छऩाई तथा ऩाठक के हाथ भी सफसे जादी ऩत्र ऩहुॊचा दे ने की त्सया, मे सफ ऩत्रकाय-करा
के अॊतगथत आ गमे है ।"

अभेरयकन इनसाइक्रोऩीडडमा ने ऩत्रकारयता के स्वरूऩ को सभझाते हुमे लरखा है कक," 'जनथमर भ'
फ्रीच ब्द 'जनज' से ामुत्ऩतन है , क्जसका अथथ हहता है -- मक-मक सदसस का कामथ अथसा उसकी
पससयपणका प्रस्तुत कयना। ऩत्रकारयता दै ननक जीसन की घ नाओॊ तथा उनके आधाय ऩय प्रकाम त
ऩत्रन की सॊसासहका हहती है । इसभी घ नाओॊ, तथ्मन, ामसस्थाऩयकता के साथ-साथ याजनीनतक,
साभाक्जक, धामभथक तथा करात्भक सॊदबों की प्रस्तुनत हहती है ।"

ऩत्रकारयता का स्वरूऩ

ऩत्रकारयता का स्सरूऩ ननम्न प्रकाय है --

1. सभाज का दऩथण

ऩत्रकारयता सभाज का दऩथण है । सभाज भी कफ, कहाॊ, क्मन, कैसे, क्मा हह यहा है ? इन प्रश्नन का
उत्तय ऩत्रकारयता है । "ऩत्रकारयता सह भाखमभ है , क्जसके द्साया हभ अऩने भक्स्तउक भी उस दनु नमा
के फाये भी सभस्त सच
ू नामॊ सॊकमरत कयते है , क्जसे हभ स्सतः कबी नही जान सकते। ऩत्रकारयता
साभाक्जक जीसन की सत-असत, दृश्म-अदृश्म तथा ब
ु -अ ब
ु छपसमन का दऩथण है । सभाज भी
पैरी कुयीनतमन, अॊधपसश्सासन रूस मन आसद के प्रनत बी ऩत्रकारयता सॊघषथ छे डती है तथा सभाज से
इन फयु ाइमन कह मभ ाने का प्रमत्न कयती है ।

2. सूक्ष्भ शल्क्त

ऩत्रकारयता के भाखमभ से ऩरयसे का ससाांगीण ननरूऩण हहता है । आज हभाया जीसन ऩमाथतत


जस र तथा सॊकुर हह गमा है । प्रनतऩर घ ने सारी करूणाजनक, बमासह तथा कॊऩा दे ने सारी
घ नाओॊ से भनुउम आश्चमथचककत हह जाता है । भानसीम सॊफॊधन भे आज ऩरयसतथन हह यहा है । उन
सॊफॊधह का सूक्ष्भ ननरूऩण तथा प्रस्तुतीकयण अनेक फाय हभी सभाचाय-ऩत्रन से मभरती है । ऩत्रकाय
सभाज के सजग प्रहयी के रूऩ भी सभाज भी घस त घ नाओॊ कह गहयाई से सभझता है । फदरते
हुमे ऩरयसे मय भानस सॊफॊधन की जस रता के कायणन, प्रनतकक्रमाओॊ तथा ऩरयणाभन का पसश्रेषण
कयता है । ऩत्रकारयता ऩरयसे के यीय अथाथत स्थर
ू घ नाचक्र के साथ-साथ भन अथाथत सक्ष्
ू भ
सॊफॊधन तक कह उजागय कयती है ।

3. सजथनात्भकता

स्सस्थ ऩत्रकारयता का रऺण नीय-ऺीयसत पससेचन मसॊ ननणथम का काभ हहता है । जह ऩत्रकारयता
गहयाई तक अऩनी ऩहुॊच यखती है , उसे भात्र ननषेधात्भक भानना मचचत्मऩूणथ है , क्मनकक मक
'ऩत्रकाय बपसउमदृउ ा हहता है । सह सभस्त याउर की जनता की चचत्तसपृ त्तमन, अनुबूनतमन मय
आत्भा का साऺात्काय कयता है । ऩत्रकाय ककसी कह ब्रह्राऻानी नही फना सकता, ऩयततु भनुउम की
बाॊनत जीते यहने की प्रेयणा दे ता है । जहाॊ उसे अतमाम, अऻान, उत्ऩीडन, प्रसॊचना, भ्रउ ाचाय, कदाचाय
सदखाई दे ता है , सह उनका तार ठहककय पसयहध कयता है तथा आ ातीत आत्भपसश्सास मसॊ दृ ता
से प्राणी-प्राणी भी ाॊनत मसॊ सद् बास की स्थाऩना कयता है । स चा ऩत्रकाय ननभाथण क्राॊनत की
रऩ न से, सभाज की फुयाइमन कह बस्भ कयने का आमहजन कयता है ।"

4. साभाल्जक भूममों की ववधायमका

ऩत्रकारयता स्सस्थ्म साभाक्जक भूामन की ननमामभका है । दे स सभाज भे ामातत असॊतहष, बरे ही


सह दे , जानत, धभथ के रूऩ भी क्मन न हह, ऩत्रकारयता उसका सही पसश्रेषण कयती है । उदाहयणाथथ,
आऩातकार के दौयान दे भे ऩरयसाय ननमहजन के प्रनत रहगन भी आक्रह
ऩैदा हुआ मय उसकी
जह बी प्रनतकक्रमा हुई उसका पसस्ताय ब्मौया प्रकाम त कयके भनुउम कह उसके प्रनत अ छी तथा
फुयी फाती फताकय उसने उसका भागथ प्र स्त ककमा। मह याउर भी घ ने सारी सबी भहत्सऩूणथ
घ नाओॊ के फायी भी चचॊतन की प्रकक्रमा कह जतभ दे कय उसे सही सद ा भी अग्रसय हहने भी
सहामता कयती है। सास्तपसक ऩत्रकारयता तह मक भागथदम क
थ ा, जीसन-ननभाथत्री तथा साभाक्जक
भूामन की पसधानमका है ।

5. ऩरयवेश से साऺात्काय: ऩत्रकारयता ऩरयवेश से रूफरू कयाती है

ऩत्रकारयता भनुउम कह उसके ऩरयसे से अॊतययाउरीम घ नाचक्र से जहड दे ती है । ऩत्रकारयता


भनुउम कह उसके चायन तयप हह यहे घ नाचक्रन से ऩरयचचत कयाती है । ऩत्रकारयता के भाखमभ से
न मसपथ हभ अऩने ऩरयसे से ऩरयचचत हहते है , फक्ाक दयू सतज दे न से बी हभाया साऺात्काय कुछ
ही ऺणन भे हह जाता है । मही क्मन, कहीॊ कुछ घस त हुआ कक नही इसकी खफय हभ न केसर ऩ
ही ऩाते है , अपऩतु े रीपसजन जैसे सैऻाननक उऩकयण के द्साया उस घ ना का आॊखह दे खा चचत्र
बी दे ख रेते है ।

6. ववववधात्भकता

ऩत्रकारयता का ऺेत्र न केसर पसपसधात्भक है सयन ामाऩक बी है । जीसन का कहई बी पसषम मा


कहई बी ऩऺ ऩत्रकारयता से अछूता नही। आज प्रत्मेक पसषम से सॊफॊचधत ऩत्र-ऩबत्रकामॊ प्रकाम त
हहती है । प्रत्मेक सभूह का ामक्क्त अऩने पसषम के सॊफॊध भी नसीनतभ जानकायी मय ऻान के
मरम ऩत्रकारयता कह ही भाखमभ फनाते है । ऩत्रकारयता का ऺेत्र अफ ामाऩक हह गमा है । सह
सभाचायन मा याजनीनत की सीभा से ऩये है , फक्ाक सासहत्म, कपाभ, खेर-कूद, सापण म, ामससाम,
पसऻान, धभथ, हास्म, ामॊग्म तथा ग्राभीण ऺेत्र भी बी प्रसे कय चक
ु ी है ।

7. ववकृयत ववनाशक

ऩत्रकारयता सभाज की पसकृनतमन का ननभथभता से ऩदाथपा कयके उतही सभूह नउ कयने का


प्रमास कयती है । ऩत्रकाय की नजय तीखी स तेज हहती ही है , सयन म स जैसी तीसयी आॊख बी
हहती है । मही कायण है कक ऩत्रकाय ऩरयसे के
यीय भी दौडते हुम यक्त मा उसके यक्तचाऩ की
ऩयीऺा कयता है , उसकी धडकनन का सहसाफ यखता है । जफ सह अचधक पसकृत हहने रगता है , तफ
ऩत्रकाय कु रताऩूसक
थ साभाक्जक ऩरयसे की मक्स-ये -रयऩह थ बी प्रस्तुत कय दे ता है ।

8. संप्रेषण का सशक्त भाध्मभ


ऩत्रकारयता सॊप्रेषण का मक स क्त भाखमभ है । ये डडमन, े रीपसजन, कपाभ, सभाचाय-ऩत्र आसद ऐसे
भाखमभ है , क्जनके द्साया सभाज भे ककसी बी ऺेत्र भी घस त घ नामॊ हभी तयु ॊ त ही मभर जाती है ।
ऩत्रकारयता जनता कह सचेत कयती है साथ ही उसे म क्षऺत कयती हुई उसे सु चचऩण ू थ भनहयॊ जन
बी प्रदान कयती है । मही सह साधन है , जह हभी पसश्स भे हहने सारे, सॊऩण
ू थ नसीन आपसउकायन,
घ नाओॊ मय अनस
ु ॊधानन से ऩरयचचत कयाकय प्रबापसत कयता है ।

ऩत्रकारयता के प्रकाय

ऩत्रकारयता के प्रकाय, ऩत्रकारयता ककतने प्रकाय की हहती है -


1. खहजी ऩत्रकारयता
2. साचडाग ऩत्रकारयता
3. मडसहकेसी ऩत्रकारयता
4. ऩीत ऩत्रकारयता
5. ऩेज थ्री ऩत्रकारयता
6. खेर ऩत्रकारयता
7. भसहरा ऩत्रकारयता
8. आचथथक ऩत्रकारयता
9. ग्राभीण मसॊ कृपष ऩत्रकारयता
10. ये डडमह ऩत्रकारयता
11. ामाख्मात्भक ऩत्रकारयता
12. पसकास ऩत्रकारयता
13. सॊसदीम ऩत्रकारयता
14. े रीपसजन ऩत्रकारयता
15. पसचध ऩत्रकारयता
16. पह ह ऩत्रकारयता
17. पसऻान ऩत्रकारयता
18. ैक्षऺक ऩत्रकारयता
19. साॊस्कृनतक-सासहक्त्मक ऩत्रकारयता
20. अऩयाध ऩत्रकारयता
21. याजनैनतक ऩत्रकारयता

1. खोजी ऩत्रकारयता - खहजी ऩत्रकारयता सह है क्जसभी आभतौय ऩय सासथजननक भहत्स के भाभरे


जैसे भ्रउ ाचाय, अननममभतताओॊ मय गडफडडमन की गहयाई से छानफीन कय साभने राने की
कहम की जाती है । क्स् ॊ ग ऑऩये न खहजी ऩत्रकारयता का ही मक नमा रूऩ है । खहजऩयक
ऩत्रकारयता बायत भी अबी बी अऩने ै स कार भी है ।

2. वाचडाग ऩत्रकारयता - इसका भुख्म कामथ सयकाय के काभकाज ऩय ननगाह यखना है मय कहीॊ
बी कहई गडफडी हह तह उसका ऩदाथपा कयना है । इसे ऩयॊ ऩयागत रूऩ से साचडाग ऩत्रकारयता कहा
जा सकता है ।
3. एडवोकेसी ऩत्रकारयता - मडसहकेसी मानन ऩैयसी कयना। ककसी खास भद्
ु दे मा पसचायधाया के ऩऺ
भी जनभत फनाने के मरम रगाताय अमबमान चरानेसारी ऩत्रकारयता कह मडसहकेसी ऩत्रकारयता कहा जाता
है । भीडडमा ामसस्था का ही मक अॊग है । मय ामसस्था के साथ तारभेर बफठाकय चरनेसारे भीडडमा कह
भख्
ु मधाया भीडडमा कहा जाता है ।

दस
ू यी ओय कुछ ऐसे सैकक्ाऩक सहच यखनेसारा भीडडमा हहते हैं जह ककसी पसचायधाया मा ककसी
खास उद्दे श्म की ऩूनतथ के मरम ननकारे जाते हैं।

इस तयह की ऩत्रकारयता कह मडसहकेसी )ऩैयसी( ऩत्रकारयता कहा जाता है । जैसे याउरीम पसचायधाया,
धामभथक पसचायधाया से जुडे ऩत्र ऩबत्रकामॉ।
4. ऩीत ऩत्रकारयता - ऩाठकन कह रब
ु ाने के मरम झठ
ू ी अपसाहन, आयहऩन प्रत्मायहऩन प्रेभ सॊफॊधन आसद
से सॊफॊचधत सनसनीखेज सभाचायन से सॊफॊचधत ऩत्रकारयता कह ऩीत ऩत्रकारयता कहा जाता है ।
इसभी सही सभाचायन की उऩेऺा कयके सनीसनी पैराने सारे सभाचाय मा खमान खीॊचने सारा
ीषथकन का फहुतामत भी प्रमहग ककमा जाता है । इसे सभाचाय ऩत्रन की बफक्री फ ाने, इरेक्क्रननक
भीडडमा की ीआयऩी फ ाने का घस मा तयीका भाना जाता है ।

इसभी ककसी सभाचाय खासकय ऐसे सासथजननक ऺेत्र से जुडे ामक्क्त द्साया ककमा गमा कुछ
आऩपत्तजनक कामथ, घह ारे आसद कह फ ाच ाकय सनसनी फनामा जाता है । इसके अरासा ऩत्रकाय
द्साया अामससानमक तयीके अऩनाम जाते हैं।
5. ऩेज थ्री ऩत्रकारयता - ऩजे थ्री ऩत्रकारयता उसे कहते हैं क्जसभी पै न, अभीयन की ऩास थ मन
भसहराओॊ मय जानेभाने रहगन के ननजी जीसन के फाये भी फतामा जाता है ।

6. खेर ऩत्रकारयता - खेर से जुडी ऩत्रकारयता कह खेर ऩत्रकारयता कहा जाता है । खेर आधनु नक हन
मा प्राचीन खेरन भी हहनेसारे अद्बुत कायनाभन कह जग जासहय कयने तथा उसका ामाऩक प्रचाय-
प्रसाय कयने भी खेर ऩत्रकारयता का भहत्सऩूणथ महगदान यहा है । आज ऩूयी दनु नमा भी खेर मसद
रहकपप्रमता के म खय ऩय है तह उसका कापी कुछ श्रेम खेर ऩत्रकारयता कह बी जाता है ।

7. भहहरा ऩत्रकारयता - ऩत्रकारयता के ऺेत्र भी भसहराओॊ की बाचगदायी बी दे खी जाने रगी है ।


दस
ू यी फात मह है कक म ऺा ने भसहराओॊ कह अऩने अचधकायन के प्रनत जागरूक फनामा है । अफ
भसहरामॊ बी अऩने करयमय के प्रनत सचेत हैं। भसहरा जागयण के साथ साथ भसहराओॊ के प्रनत
अत्माचाय मय अऩयाध के भाभरे बी फ े हैं। भसहराओॊ की साभाक्जक सयु ऺा सनु नक्श्चत कयने के
मरम फहुत साये कानून फने हैं।

भसहराओॊ कह साभाक्जक सुयऺा सदराने भी भसहरा ऩत्रकारयता की अहभ बूमभका यही है । आज


भसहरा ऩत्रकारयता की अरग से जरूयत ही इसमरम है कक उसभी भसहराओॊ से जुडे हय ऩहरू ऩय
गौय ककमा जाम मय भसहराओॊ के ससायॊ गीण पसकास भी मह भहत्सऩूणथ बूमभका ननबा सके।

8. आर्थथक ऩत्रकारयता - आचथथक ऩत्रकारयता भी ामक्क्तमन सॊस्थानन या मन मा दे न के फीच


हहनेसारे आचथथक मा ामाऩारयक सॊफॊध के गुण-दहषन की सभीऺा मय पससेचन की जाती है ।

9. ग्राभीण एवं कृवष ऩत्रकारयता - बायत भी आज बी रगबग 70 प्रनत त आफादी गाॊसन भी फसती
है । दे के फज प्रासधानन का फडा सहस्सा कृपष मसॊ ग्राभीण पसकास ऩय खचथ हहता है । ग्राभीण
पसकास के बफना दे का पसकास अधयू ा है । ऐसे भी आचथथक ऩत्रकारयता का मक भहत्सऩूणथ
क्जम्भेदायी है कक सह कृपष मसॊ कृपष आधारयत महजनाओॊ तथा ग्राभीण बायत भी चर यहे पसकास
कामथक्रभ का स ीक आकरन कय तस्सीय ऩे कयी ।

10. ये डडमो ऩत्रकारयता - भुरण के आपसउकाय के फाद सॊदे ा मय पसचायन कह क्क्त ारी आयै
प्रबासी ढॊ ग से अचधक से अचधक रहगन तक ऩहुॊचना भनुउम का रक्ष्म फन गमा। इसी से ये डडमह
का जतभ हुआ। ये डडमह के आपसउकाय के जरयम आसाज मक ही सभम भी असॊख्म रहगन तक
उनके घयन कह ऩहुॊचने रगा। इस प्रकाय श्राम भाखमभ के रूऩ भी जनसॊचाय कह ये डडमह ने नमे
आमाभ सदम। आगे चरकय ये डडमह कह मसनेभा मय े रीपसजन मय इॊ यने से कडी चन ु ौनतमाॊ
मभरी रेककन ये डडमह अऩनी पसम उ ता के कायण आगे फ ता गमा मय आज इसका स्थान
सुयक्षऺत है ।

ये डडमह की पस ष
े ता मह है कक मह सासथजननक बी है मय ामक्क्तगत बी।

11. व्माख्मात्भक ऩत्रकारयता - ऩत्रकाय से अऩेऺा की जाती है कक सह घ नाओॊ की तह तक


जाकय उसका अथथ स्ऩउ कये मय आभ ऩाठक कह फताम कक उस सभाचाय का क्मा भहत्स है ।
ऩत्रकाय इस भहत्स कह फताने के मरम पसमबतन प्रकाय से उसकी ामाख्मा कयता है । इसके ऩीछे
क्मा कायण है । इसके ऩीछे कौन था मय ककसका हाथ है । इसका ऩरयणाभ क्मा हहगा। इसके
प्रबास से क्मा हहगा आसद की ामाख्मा की जाती है । साततासहक ऩबत्रकाओॊ सॊऩादकीम रेखन भी
इस तयह ककसी घ ना की जाॊच ऩडतार कय ामाख्मात्भक सभाचाय ऩे ककम जाते हैं।

ीसी चैनरन भी तह आजकर मह रे डॊ फन गमा है कक ककसी बी छह ी सी छह ी घ नाओॊ के मरम


बी पस ष
े ऻ ऩेनर बफठाकय उसकी सकायात्भक मसॊ नकायात्भक ामाख्मा की जाने रगी है ।

12. ववकास ऩत्रकारयता सयकायी महजनाओॊ से दे का पसकास हह यहा है मा नहीॊ उसका आकरन
कयना ही पसकास ऩत्रकारयता का कामथ है । पसकास ऩत्रकारयता के जरयम ही इसभी मथा सॊबस
सुधाय राने का भागथ प्र स्त हहगा।

13. संसदीम ऩत्रकारयता - रहकतॊत्र भी सॊसदीम ामसस्था की प्रभुख बूमभका है । सॊसदीम ामसस्था
के तहत सॊसद भी जनता द्साया चन ु े हुम प्रनतननचध ऩहुॊचते हैं। फहुभत हामसर कयने सारा ासन
कयता है ताेे दस
ू या पसऩऺ भी फैठता है । दानेन की अऩनी अऩनी अहभ बूमभका हहती है । इनके
द्साया ककम जा यहे कामथ ऩय नजय यखना ऩत्रकारयता की अहभ क्जम्भेदायी है क्मनकक रहकतॊत्र भी
मही मक कडी है जह जनता मसॊ नेता के फीच काभ कयता है ।
जनता ककसी का चन
ु ास इसमरम कयते हैं तह सह रहगन की सुख सुपसधा तथा जीसनस्तय सुधायने
भी कामथ कये । रेककन चन
ु ा हुआ प्रनतननचध मा सयकाय अगय अऩने भागथ ऩय नहीॊ चरते हैं तह
उसकह चेताने का कामथ ऩत्रकारयता कयती है । इनकी गनतपसचध, इनके कामथ की ननगयानी कयने का
कामथ ऩत्रकारयता कयती है ।

14. टे रीववजन ऩत्रकारयता - भनहयॊ जन के ऺेत्र भी कपाभन से सॊफॊचधत कामथक्रभ, ना क, धायासासहक,


नत्ृ म, सॊगीत तथा भनहयॊ जन के पसपसध कामथक्रभ ामभर हैं। इन कामथक्रभन का प्रभुख उद्दे श्म
रहगन का भनहयॊ जन कयना है । म ऺा ऺेत्र भी े रीपसजन की भहत्सऩूणथ क्जम्भेदायी है ।

15. ववर्ध ऩत्रकारयता - नम कानून, उनके अनुऩारन मय उसके प्रबास से रहगन कह ऩरयचचत
कयाना फहुत ही जरूयी है । कानन
ू ामसस्था फनाम यखना, अऩयाधी कह सजा दे ना से रेकय ासन
ामसस्था भी अऩयाध याके ने, रहगन कह तमाम प्रदान कयना इसका भख्
ु म कामथ है । इसके मरम
ननचरी अदारत से रेकय उ च तमामारम, ससो च तमामारम तक ामसस्था है । इसभी यहजाना
कुछ न कुछ भहत्सऩण
ू थ पैसरे सन
ु ाम जाते हैं। कई फडी फडी घ नाओॊ के ननणथम, उसकी सन
ु साई
की प्रकक्रमा चरती यहती है । इस फाये भी रहग जानने की इ छुक यहते हैं, क्मनकक कुछ भक
ु दभे
ऐसे हहते हैं क्जनका प्रबास सभाज, सॊप्रदाम, प्रदे मसॊ दे ऩय ऩडता है ।

दस
ू यी फात मह है कक दफास के चरते कानून ामसस्था अऩयाधी कह छहडकय ननदोष कह सजा तह
नहीॊ दे यही है इसकी ननगयानी बी पसचध ऩत्रकारयता कयती है ।

16. पोटो ऩत्रकारयता - पह ह ऩत्रकारयता ने छऩाई तकनीक के पसकास के साथ ही सभाचाय ऩत्रन
भी अहभ स्थान फना मरमा है । कहा जाता है कक जह फात हजाय ब्दाॊेे भी मरखकय नहीॊ की जा
सकती है सह मक तस्सीय कह दे ती है ।

17. ववऻान ऩत्रकारयता - सतथभान भी पसऻान ने कापी तयक्की कय री है । इसकी हय जगह ऩहुॊच
हह चरी है । पसऻान भी हभायी जीसन ैरी कह फदरकय यख सदमा है । सैऻाननकन द्साया यहजाना
नई नई खहज की जा यही है । इसभी कुछ तह जन कामाणकायी हैं तह कुछ पसखसॊसकायी बी है ।
जैसे ऩयभाणु की खहज से कई फदरास रा सदमा है रेककन इसका पसखसॊसकायी ऩऺ बी है । इसे
ऩयभाणु फभ फनाकय उऩमहग कयने से पसखसॊस हागेा।

इस तयह पसऻान ऩत्रकारयता दहनन ऩऺन का पसश्रेषण कय उसे ऩे कयने का कामथ कयता है । जहाॊ
पसऻान के उऩमहग से कैसे जीसन ैरी भी सुधाय आ सकता है तह उसका गरत उऩमहग से
सॊसाय खसॊस हह सकता है।
18. शैक्षऺक ऩत्रकारयता - ऩत्रकारयता सबी नई सच
ू ना कह रहगन तक ऩहुॊचाकय ऻान भी सद्
ृ चध
कयती है । जफ से म ऺा कह मऩचारयक फनामा गमा है तफ से ऩत्रकारयता का भहत्स मय फ
गमा है । जफ तक हभी नई सूचना नहीॊ मभरेगी हभी तफ तक अऻानता घेय कय यखी यहे गी। उस
अऻानता कह दयू कयने का सफसे फडा भाखमभ है ऩत्रकारयता। चाहे सह ये डडमह हाेे मा े रीपसजन
मा सभाचाय ऩत्र मा ऩबत्रकामॊ सबी भी नई सूचना हभी प्रातत हातेी है क्जससे हभी नई म ऺा
मभरती है । मक फात आयै कक म क्षऺत ामक्क्त मक भाखमभ भी सॊतुउ नहीॊ हहता है ।

सह अतम भाखमभ कह बी दे खना चाहता है । मह क्जऻासा ही ऩत्रकारयता कह फ ासा दे ता है तह


ऩत्रकारयता उसकी क्जऻासा के अनुरूऩ म ऺा मसॊ ऻान प्रदान कय उसकी क्जऻासा कह ाॊत कयने
का प्रमास कयता है । इसे ऩहुॊचाना ही ैक्षऺक ऩत्रकारयता का कामथ है ।

19. सांस्कृयतक-साहहल्त्मक ऩत्रकारयता - भनुउम भी नछऩी प्रनतबा, करा चाहे सह ककसी बी रूऩ भी
हह उसे दे खने से भन कह तक्ृ तत मभरती है । इसमरम भनुउम हभे ा नई नई करा, प्रनतबा की
खहज भी रगा यहता है । इस करा प्रनतबा कह उजागय कयने का मक स क्त भाखमभ है
ऩत्रकारयता। करा प्रनतबाओॊ के फाये भी जानकायी यखना, उसके फाये भी रहगन कह ऩहुॊचाने का काभ
ऩत्रकारयता कयता है । इस साॊस्कृनतक सासहक्त्मक ऩत्रकारयता के कायण आज कई पसरुतत प्राचीन
करा जैसे रहकनत्ृ म, रहक सॊगीत, स्थाऩत्म करा कह खहज ननकारा गमा है मय कपय से जीपसत
हह उठे हैं।

दसू यी ओय बायत जैसे पस ार मय फहु साॊस्कृनतक सारे दे भी साॊस्कृनतक सासहक्त्मक ऩत्रकारयता


के कायण दे की मक अरग ऩहचान फन गई है । कुछ आॊचमरक रहक नत्ृ म, रहक सॊगीत मक
अॊचर से ननकरकय दे , दनु नमा तक ऩहचान फना मरमा है । सभाचाय ऩत्र मसॊ ऩबत्रकामॊ प्रायॊ ब से
ही ननममभत रूऩ से साॊस्कृनतक सासहक्त्मक करभ कह जगह दी है । इसी तयह चैनरन ऩय बी
साॊस्कृनतक, सासहक्त्मक सभाचायन का चरन फ ा है ।

20. अऩयाध ऩत्रकारयता - याजनीनतक सभाचाय के फाद अऩयाध सभाचाय ही भहत्सऩूणथ हहते हैं।
फहुत से ऩाठकन स द क थ न कह अऩयाध सभाचाय जानने की बूख हहती है । इसी बूख कह ाॊत कयने
के मरम ही सभाचायऩत्रन स चैनरन भी अऩयाध डामयी, सनसनी, सायदात, क्राइभ पाइर जैसे सभाचाय
कामथक्रभ प्रकाम त मसॊ प्रसारयत ककम जा यहे हैं। मक अनुभान के अनुसाय ककसी सभाचाय ऩत्र भी
रगबग ऩैंतीस प्रनत त सभाचाय अऩयाध से जड
ु े हातेेे हैं। इसी से अऩयाध ऩत्रकारयता कह फर
मभरा है ।
दस
ू यी फात मह कक अऩयाचधक घ नाओॊ का सीधा सॊफॊध ामक्क्त, सभाज, सॊप्रदाम, धभथ मय दे से
हातेा है । अऩयाचधक घ नाओॊ का प्रबास ामाऩक हातेा है ।

मही कायण है कक सभाचाय सॊगठन फडे ऩाठक द क


थ सगथ का ख्मार यखते हुम इस ऩय पस ष

पहकस कयते हैं।

21. याजनैयतक ऩत्रकारयता - सभाचाय ऩत्रन भी सफसे अचधक ऩ े जानेसारे आयै चैनरन ऩय ससाथचधक
दे खे सुने जानेसारे सभाचाय याजनीनत से जुडे हहते हैं। याजनीनत की उठा ऩ क, र के झ के,
आयहऩ प्रत्मायहऩ, यहचक यहभाॊचक, झूठ-सच, आना जाना आसद से जुडे सभाचाय सुपखथमन भी हहते हैं।
याजनीनत से जुडे सभाचायन का ऩूया का ऩूया फाजाय पसकमसत हह चक
ु ा है । याजनीनतक सभाचायन के
फाजाय भी सभाचाय ऩत्र मय सभाचाय चैनर अऩने उऩबेक्ताओॊ कह रयझाने के मरम ननत नमे
प्रमहग कयते नजय आ यहे हैं। चन
ु ास के भौसभ भी तह प्रमहगन की झॊडी रग जाती है मय हय कहई
मक दस
ू ये कह ऩछाडकय आगे ननकर जाने की हहड भी ामभर हह जाता है ।

याजनीनतक सभाचायन की प्रस्तुनत भी ऩहरे से अचधक फेफाकी आमी है । रहकतॊत्र की दहु ाई के साथ
जीसन के रगबग हय ऺेत्र भी याजनीनत की दखर फ ा है मय इस कायण याजनीनतक सभाचायन
की बी सॊख्मा फ ी है । ऐसे भी इन सभाचायन कह नजयअॊदाज कय जाना सॊबस नहीॊ है ।

याजनीनतक सभाचायन की आकषथक प्रस्तनु त रहकपप्रमा हामसर कयने का फहुत फडा साधन फन चक
ु ी
है ।

ऩत्रकारयता का दायमत्व

अमबामक्क्त की आज़ादी बरे ही हभी कानूनी रूऩ से अऩने सॊपसधान से मभरी है भगय सास्तस भी
मह हभाया भानसीम अचधकाय है । रहकततत्र भी इसका भहत्स मय बी फ जाता है । रहकततत्र की
सपरता असहॊसक सभाज भी ही सॊबस हह सकती है । ऐसे सभाज भी जहाॊ पैसरे ायीरयक मा
आमुध की ताकत से नहीॊ फक्ाक तकथ से, फहस से मय पसभत के अचधकाय की यऺा कयते
हुम तमामसॊगत आभ सहभनत से हहते हन।

रहकतॊत्र की भमाथदा तबी फनी यह सकती है जफ ऩत्रकारयता स्सतॊत्र हह मय सह अऩना दानमत्स


ऩयू ी भमाथदा से ननफाहे । इसीमरम रहकताक्तत्रक सभाज ऩत्रकायन से अऩेऺा यखता है
कक से मक तकथसान सॊसाद स्थापऩत कयने के साहक फनीगे।
ऩत्रकारयता का ऩहरा दानमत्स स ची सूचना दे ना हहता है । सूचना ककसी मक ऩऺ की नहीॊ – सफ
की। मही उसकी भमाथदा है । सह सूचना खद
ु ऩैदा नहीॊ कयता। सूचना उसे कहीॊ न कहीॊ से मभरती
है । मह उसका दानमत्स है कक सह उन स्रहतन की पसश्ससनीमता की ऩडतार कये जहाॊ से उसे
सूचनामॊ मभरती हैं। ऩत्रकायन का मह बी दानमत्स है कक सह सूचना के स्रहतन के हाथन भी न खेर
जामे। ऩत्रकाय का दानमत्स अऩने ऩाठकन के प्रनत हहता है न कक ककसी ामक्क्त, सॊस्थान, मा
पसचाय के प्रनत। महाॊ तक कक अऩने उस सॊस्थान के प्रनत बी नहीॊ जहाॊ सह भुराक्जभ है । मही
सफसे कसठन काभ है ।

ऩत्रकारयमा का दानमत्स केसर सूचना दे ना ही नहीॊ फक्ाक सूचनाओॊ का पसश्रेषण कयना मय उतही
आभ ऩाठक के मरम सॊदबथ दे ना बी हहता है । मय मह खाॊडे की धाय ऩय चरने जैसा है ।

सच
ू ना भी खह नहीॊ हह मह दानमत्स बी ऩत्रकायन का हहता है । ऩत्रकारयता मक ऩे ा बी है मय सह
मक कायहफाय बी है । भगय मह कायहफाय अतम कायहफायन मय ऩे न से अरग है । ऩत्रकाय मक साथ
कई बमू भकामॉ ननबाता है । सह सच
ू नाओॊ का हयकाया है तह सह म ऺक बी है , सह यऺक बी
है , मय सह खाक की ज़ुफान बी है ।

ऩत्रकारयता आभ आदभी की आसाज़ हहती है क्जसभी उसकी अऩेऺामॉ, आकाॊऺामॉ मय सऩने


भुखरयत हहते हैं। जहाॊ आभ आदभी खद
ु रड नहीॊ सकता सहाॉ उसके मरम ऩत्रकारयता रडती है । मह
रडाई अतमाम मय सह ी ताकतन के पखराप भानस भूामन के मरम हहती है ।

ऩत्रकारयता के भहत्स मय दानमत्स कह हभ भहात्भा गाॊधी के जरयमे ठीक से सभझ सकते हैं।
उतहनने कहा था “ऩत्रकारयता का काभ ऩाठक के सदभाग भी चाही-अनचाही चीजी थहऩना नहीॊ है
फक्ाक आभ जन के सदभाग कह जाग्रत कयना है ।” उनका कहना कक “आधनु नक ऩत्रकारयता भी
सतहीऩन, मकऩऺता, गरनतमाॊ, मय महाॊ तक कक फेईभानी बी, प्रसे कय गई हैं” आज ककतना
स ीक रगता है । इसके फासजूद गाॊधी अखफाय की आज़ादी के ऩूये ऩऺधय थे। उतहनने
कहा “अखफाय की आज़ादी इतनी अनभहर है कक कहई बी दे उसे छहड नहीॊ सकता।” गाॊधी ने
मक मय फडी फात कही : “प्रेस रहकततत्र का चौथा स्तम्ब कहराता है । सह ननक्श्चत रूऩ से मक
ताकत है । भगय मसद इस ताकत का द ु ऩमहग ककमा जाता है तह सह अऩयाध है ”।

गाॊधी ने मे फाती अऩने कयीफ चाय द क रॊफे ऩत्रकारयता के अनब


ु स से कही। दक्षऺण अफ्रीका भी
उतहनने ऩहरी फाय ‘इॊडडमन ओऩीननमन’अखफाय ननकारा। कपय बायत आकय ‘मॊग
इॊडडमा’ मय ‘नसजीसन’ का सम्ऩादन-प्रका
ककमा। उतहनने अॊग्रेजी भी ‘हरयजन’, सहतदी भी ‘हरयजन सेसक’मय गुजयाती भी ‘हरयजन
फॊध’ु अखफाय बी ननकारे। उतहनने सभाचाय भाखमभन की ताकत कह ऩहचाना मय उन भाखमभन का
सत्म, असहॊसा, सत्माग्रह मय दे की आज़ादी के प्रमासन भी बयऩूय उऩमहग ककमा।

गाॊधी ने कहा: “अखफायन के बफना सत्माग्रह जैसा अमबमान सॊबस नहीॊ हह सकता था।” उनके
अऩने अखफाय खद
ु उनके ब्दन भी उनके मरम “आत्भ-सॊमभ के प्रम ऺण स्थर फने। मय
भाखमभ फने भानस की प्रकृनत कह उसके सबी बेदन मय पसपसधताओॊ ससहत सभझने भी ।”

भूर रूऩ से ऩत्रकारयता के तीन दानमत्स हहते हैं - साभाक्जक, पसचधक मय ऩे ग


े त हैं। ऩत्रकारयता
भी अऩने सभाज की छपस ऩरयरक्षऺत हहती है । इसमरम ऩत्रकायन भी अऩने सभाज की जीसॊत
ऩयम्ऩयाओॊ की सभझ हहनी चासहम। ऩयम्ऩयामॉ जड नहीॊ हहती। जड हहने ऩय सह रूस फन जाती
है । ऩत्रकायन कह ऩयॊ ऩया मय रूस भी पकथ का फहध हहना जरूयी है । ऩत्रकारयता कह पसचधक दानमत्स
का बी ननसथहन कयना हहता है । रहकततत्र पसचध का ासन हहता है । उसकी आत्भा भी आभ
सहभनत हहती है । ऩत्रकाय कानन
ू से ऊऩय नहीॊ हहता। कपय आता है ऩे स
े य दानमत्स। ऩत्रकाय की
प्रनतफद्धता ककसी मय के प्रनत नहीॊ अऩने ऩे े के प्रनत हहती है । इस प्रनतफद्धता की
कॊु जी स चाई मय ननउऩऺता भी हहती है ।

ऩत्रकारयता की मक रक्ष्भण ये खा बी हहती है । इस रक्ष्भण ये खा की सीभा कहई मय तम नहीॊ कय


सकता। भौका आने ऩय ऩत्रकाय ही अऩने ामक्क्तगत स्तय ऩय मह तम कयते हैं कक से रहगन
कह स ची मय ननउकऩ जानकायी दे ने के अऩने दानमत्स के ननसथहन के मरम मह
ये खा कहाॊ खीॊची।

ऩत्रकारयता कह मभरी आज़ादी उसकी अऩनी मभक्ाकमत नहीॊ है । मह आज़ादी उसे ससथ जन कह
प्रातत अमबामक्क्त की स्सततत्रता के तहत मभरी है । अभेरयकी सॊपसधान के ऩहरे सॊ हधन के
जरयमे प्रैस की आज़ादी सुननक्श्चत की गई है । भगय हभाये महाॉ ऩत्रकारयता की आज़ादी आभ
नागरयक कह मभरी अमबामक्क्त की आज़ादी का ही सहस्सा है । अमबामक्क्त की स्सततत्रता से ही
ऩत्रकारयता का दानमत्स ऩूया हहता है । ऩय मह आज़ादी ननफाथध बी नहीॊ है । उसकी
सीभामॊ हैं। रहकततत्र के तीन सॊसैधाननक स्तॊबन – पसधानमका, कामथऩामरका मय तमामऩामरका –
की बी सीभामॊ हैं।

रहकततत्र का चौथा स्तम्ब कहराने सारी ऩत्रकारयता की पस ष


े क्स्थनत है । सह इन तीनन स्तॊबन
ऩय नज़य यखती है , उनकी खफय रेती है मय उनकी खफय दे ती है । तीन सॊसैधाननक स्तम्ब मक
दस
ू ये कह फैरीस कयते हैं। ऩत्रकारयता इस फात ऩय ननगाह यखती है मय रहगन कह सचेत यखती है
कक रहकताक्तत्रक भूाम फने ही नहीॊ यही फक्ाक से मय भजफूत हन। भगय इसके मरम खद

ऩत्रकारयता कह रहकताक्तत्रक हहना ऩहरी तथ है । ऐसा उसकी ननउऩऺता से सुननक्श्चत हहता है ।

गरती सफसे हहती है। ऩत्रकाय बी गरती कय सकता है । ऩत्रकाय कह गरती कयने की आज़ादी बी
है । क्मनकक गरती नहीॊ हह जामे इसके साये जतन कयने के फाद बी ऩत्रकारयता भी असत्म चरा
आता है । भगय ऩत्रकायन का मह गु त्तय दानमत्स फनता है कक ऩता चरते ही से अऩनी गरती
सुधाय री । ऩत्रकारयता कह गरती सुधायने की फडी आज़ादी है ।

कई फाय सत्म श्सेत-श्माभ नहीॊ हहता। सह साप मय स्ऩउ बी नहीॊ हहता। उसके कई ऩहरू हह
सकते हैं। इसीमरम ऩत्रकायन का दानमत्स फनता है कक से मसक्के के दहनन ऩहरुओॊ की जानकायी
अऩने ऩाठकन कह दे । फीफीसी े रीपसज़न का मक प्रहभह है क्जसभी मह सॊचाय भाखमभ दासा कयता
है कक “सत्म के कई यॊ ग हहते हैं मय हभ सबी यॊ ग प्रस्तुत कयते हैं।”

ऩत्रकारयता का दानमत्स अमबामक्क्त की स्सततत्रता से ही सॊबस है । अमबामक्क्त की स्सततत्रता है


तह ही ऩत्रकारयता है । रहकततत्र भी मह अचधकाय यह ी कऩडा मय भकान, फेहतय, स्सास्थ्म मय
इ जत सारा जीसन जीने के अचधकाय से बी अचधक भहत्सऩूणथ है क्मनकक मे साये अचधकाय ऩाने
का मह हचथमाय हहता है । “जनता के मरम, जनता का, जनता द्साया” क्जस ासन की काऩना
रहकततत्र के मरम की गई है सह इसी हचथमाय से सुननक्श्चत हहता है । पसधानमका भी जनता अऩने
क्जन प्रनतननचधमन कह चन
ु कय बेजती है उनके काभ-काज के फाये भी जानकायी भतदाता कह
सभाचाय भाखमभन से मभरती है । इसीमरम अखफाय कह “साच डॉग” कहा जाता है ।

अखफाय की आज़ादी दनु नमा भी फडे सॊघषथ से मभरी है । मह भान के नहीॊ चरना चासहम कक मक
फाय मह आज़ादी मभर गई तह सह हभे ा फनी यहेगी। इसकी सुयऺा के मरम हभे ा जागरूक फने
यहना हहता है।

अमबामक्क्त की आज़ादी फहुतन कह नहीॊ सुहाती। क्जतही मह नहीॊ सुहाती से रहकततत्र के सहतैषी
नहीॊ हह सकते। भगय उतही अऩने ककसी न ककसी कारे कायनाभे ऩय ऩदाथ फनाम यखना हहता है ।
रहकततत्र ऩयू ी ऩायदम त
थ ा की भाॊग कयता है । सह सफकी बागीदायी से परता-पूरता है । इसभी
साभॊती मा ताना ाही प्रसपत्तमन का कहई स्थान नहीॊ हहता। ऩत्रकारयता का दानमत्स इन प्रसपत्तमन का
भन कयने भी भदद कयना हहता है ।

ऩत्रकारयता भनहयॊ जन नहीॊ हहता। “इतपह े नभी ” ऩत्रकारयता नहीॊ हहती। अखफाय केसर स्माही से
कारे ककम हुम कागज़ नहीॊ हहते। ऩत्रकारयता केसर-आम अजथन का साधन नहीॊ हहती। सह नौकयी
नहीॊ हहती। ऩत्रकारयता मक प्रसपत्त हहती है । मह ककसी भी हहती है मा नहीॊ हहती है । इसभी फीच की
कहई क्स्थनत नहीॊ हहती।

आज इस दआ
ु की सफसे मादा जरूयत है कक ऩत्रकारयता भी ऐसी प्रसपत्त सारे रहग अचधक से
अचधक आमी मय उसे सफर फनामॉ। ऩत्रकारयता सफर हहगी तह रहकततत्र सफर हहगा, आभ
आदभी सफर हहगा।

Technical Terminology
First Semester
1. Advance
2. Exchange
3. Import
4. Investment
5. Risk
6. Agent
7. Act
8. Account
9. Address
10. Ad hoc
11. Advice
12. Aid
13. Allowance
14. Administration
15. Abstract
16. Acknowledgement
17. Income Tax
18. Store
19. Advocate General
20. Supreme Court
21. Typist
22. Education Officer
23. Record
24. Telegram
25. Log Book
26. Allotment
27. Approval
28. Director
29. Allegation
30. Notification

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