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बायतवर्ष भें एक प्रताऩी औय दानी याजा याज्म
कयता था। वह ननत्म गयीफों औय ब्राह्भणों की
सहामता कयता था। मह फात उसकी यानी को
अच्छी नहीॊ रगती थी, वह न ही गयीफों को
दान दे ती, न ही बगवान का ऩज
ू न कयती थी
औय याजा को बी दान दे ने से भना ककमा
कयती थी।
एक ददन याजा शिकाय खेरने वन को गए हुए
थे, तो यानी भहर भें अकेरी थी। उसी सभम
फह
ृ स्ऩनतदे व साधु वेर् भें याजा के भहर भें
शबऺा के शरए गए औय शबऺा भाॉगी यानी ने
शबऺा दे ने से इन्काय ककमा औय कहा: हे साधु
भहायाज भैं तो दान ऩण्
ु म से तॊग आ गई हूॊ।
भेया ऩनत साया धन रट
ु ाते यदहते हैं। भेयी
इच्छा है कक हभाया धन नष्ट हो जाए कपय न
यहे गा फाॊस न फजेगी फाॊसयु ी। साधु ने कहा :

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दे वी तुभ तो फडी ववचित्र हो। धन, सन्तान तो
सबी िाहते हैं। ऩुत्र औय रक्ष्भी तो ऩाऩी के
घय बी होने िादहए। मदद तुम्हाये ऩास अचधक
धन है तो बूखों को बोजन दो, प्मासों के शरए
प्माऊ फनवाओ, भुसाकपयों के शरए धभषिाराएॊ
खुरवाओ। जो ननधषन अऩनी कॊु वायी कन्माओॊ
का वववाह नहीॊ कय सकते उनका वववाह कया
दो। ऐसे औय कई काभ हैं जजनके कयने से
तुम्हाया मि रोक-ऩयरोक भें पैरेगा।
ऩयन्तु यानी ऩय उऩदे ि का कोई प्रबाव न
ऩडा। वह फोरी: भहायाज आऩ भुझे कुछ न
सभझाएॊ। भैं ऐसा धन नहीॊ िाहती जो हय
जगह फाॉटती कपरॊ।
साधु ने उत्तय ददमा मदद तम्
ु हायी ऐसी इच्छा
है तो तथास्तु! तुभ ऐसा कयना कक
फह
ृ स्ऩनतवाय को घय रीऩकय ऩीरी शभटटी से
अऩना शसय धोकय स्नान कयना, बटटी िढाकय
कऩडे धोना, ऐसा कयने से आऩका साया धन

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नष्ट हो जाएगा। इतना कहकय वह साधु
भहायाज वहाॉ से आरोऩ हो गमे।
साधु के अनस
ु ाय कही फातों को ऩयू ा कयते हुए
यानी को केवर तीन फह
ृ स्ऩनतवाय ही फीते थे,
कक उसकी सभस्त धन-सॊऩजत्त नष्ट हो गई।
बोजन के शरए याजा का ऩरयवाय तयसने रगा।
तफ एक ददन याजा ने यानी से फोरा कक हे
यानी, तभ
ु महीॊ यहो, भैं दस
ू ये दे ि को जाता हूॊ,
क्मोंकक महाॉ ऩय सबी रोग भझ
ु े जानते हैं।
इसशरए भैं कोई छोटा कामष नहीॊ कय सकता।
ऐसा कहकय याजा ऩयदे ि िरा गमा। वहाॉ वह
जॊगर से रकडी काटकय राता औय िहय भें
फेिता। इस तयह वह अऩना जीवन व्मतीत
कयने रगा। इधय, याजा के ऩयदे ि जाते ही यानी
औय दासी द्ु खी यहने रगी।
एक फाय जफ यानी औय दासी को सात ददन
तक बफना बोजन के यहना ऩडा, तो यानी ने
अऩनी दासी से कहा: हे दासी! ऩास ही के नगय

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भें भेयी फदहन यहती है । वह फडी धनवान है ।
तू उसके ऩास जा औय कुछ रे आ, ताकक
थोडी-फहुत गज
ु य-फसय हो जाए। दासी यानी की
फदहन के ऩास गई।
उस ददन गरु
ु वाय था औय यानी की फदहन उस
सभम फह
ृ स्ऩनतवाय व्रत की कथा सन
ु यही थी।
दासी ने यानी की फदहन को अऩनी यानी का
सॊदेि ददमा, रेककन यानी की फडी फदहन ने
कोई उत्तय नहीॊ ददमा। जफ दासी को यानी की
फदहन से कोई उत्तय नहीॊ शभरा तो वह फहुत
द्ु खी हुई औय उसे क्रोध बी आमा। दासी ने
वाऩस आकय यानी को सायी फात फता दी।
सन
ु कय यानी ने अऩने बाग्म को कोसा।
उधय, यानी की फदहन ने सोिा कक भेयी फदहन
की दासी आई थी, ऩयॊ तु भैं उससे नहीॊ फोरी,
इससे वह फहुत द्ु खी हुई होगी।
कथा सन
ु कय औय ऩज
ू न सभाप्त कयके वह
अऩनी फदहन के घय आई औय कहने रगी: हे

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फदहन! भैं फह
ृ स्ऩनतवाय का व्रत कय यही थी।
तम्
ु हायी दासी भेये घय आई थी ऩयॊ तु जफ तक
कथा होती है , तफ तक न तो उठते हैं औय न
ही फोरते हैं, इसशरए भैं नहीॊ फोरी। कहो दासी
क्मों गई थी?
यानी फोरी: फदहन, तभ
ु से क्मा नछऩाऊॊ, हभाये
घय भें खाने तक को अनाज नहीॊ था। ऐसा
कहते-कहते यानी की आॊखें बय आई। उसने
दासी सभेत वऩछरे सात ददनों से बख
ू े यहने
तक की फात अऩनी फदहन को ववस्ताय ऩव
ू क

सन
ु ा दी।
यानी की फदहन फोरी: दे खो फदहन! बगवान
फह
ृ स्ऩनतदे व सफकी भनोकाभना को ऩण
ू ष कयते
हैं। दे खो, िामद तम्
ु हाये घय भें अनाज यखा हो।
ऩहरे तो यानी को ववश्वास नहीॊ हुआ ऩय
फदहन के आग्रह कयने ऩय उसने अऩनी दासी
को अॊदय बेजा तो उसे सिभुि अनाज से बया
एक घडा शभर गमा। मह दे खकय दासी को फडी

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है यानी हुई। दासी यानी से कहने रगी: हे यानी!
जफ हभको बोजन नहीॊ शभरता तो हभ व्रत ही
तो कयते हैं, इसशरए क्मों न इनसे व्रत औय
कथा की ववचध ऩछ
ू री जाए, ताकक हभ बी
व्रत कय सकें। तफ यानी ने अऩनी फदहन से
फह
ृ स्ऩनतवाय व्रत के फाये भें ऩछ
ू ा।
उसकी फदहन ने फतामा, फह
ृ स्ऩनतवाय के व्रत भें
िने की दार औय भन
ु क्का से ववष्णु बगवान
का केरे की जड भें ऩज
ू न कयें तथा दीऩक
जराएॊ, व्रत कथा सन
ु ें औय ऩीरा बोजन ही
कयें । इससे फह
ृ स्ऩनतदे व प्रसन्न होते हैं। व्रत
औय ऩज
ू न ववचध फताकय यानी की फदहन अऩने
घय को रौट गई।
सात ददन के फाद जफ गरु
ु वाय आमा, तो यानी
औय दासी ने व्रत यखा। घड
ु सार भें जाकय
िना औय गड
ु रेकय आईं। कपय उससे केरे की
जड तथा ववष्णु बगवान का ऩज
ू न ककमा। अफ
ऩीरा बोजन कहाॉ से आए इस फात को रेकय

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दोनों फहुत द्ु खी थे। िॊकू क उन्होंने व्रत यखा
था, इसशरए फह
ृ स्ऩनतदे व उनसे प्रसन्न थे।
इसशरए वे एक साधायण व्मजक्त का रऩ
धायण कय दो थारों भें सन्
ु दय ऩीरा बोजन
दासी को दे गए। बोजन ऩाकय दासी प्रसन्न
हुई औय कपय यानी के साथ शभरकय बोजन
ग्रहण ककमा।
उसके फाद वे सबी गरु
ु वाय को व्रत औय ऩज
ू न
कयने रगी। फह
ृ स्ऩनत बगवान की कृऩा से
उनके ऩास कपय से धन-सॊऩजत्त आ गई, ऩयॊ तु
यानी कपय से ऩहरे की तयह आरस्म कयने
रगी।
तफ दासी फोरी: दे खो यानी! तभ
ु ऩहरे बी इस
प्रकाय आरस्म कयती थी, तम्
ु हें धन यखने भें
कष्ट होता था, इस कायण सबी धन नष्ट हो
गमा औय अफ जफ बगवान फहृ स्ऩनत की कृऩा
से धन शभरा है तो तम्
ु हें कपय से आरस्म
होता है । यानी को सभझाते हुए दासी कहती है

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कक फडी भस
ु ीफतों के फाद हभने मह धन ऩामा
है , इसशरए हभें दान-ऩण्
ु म कयना िादहए, बख
ू े
भनष्ु मों को बोजन कयाना िादहए, औय धन को
िुब कामों भें खिष कयना िादहए, जजससे
तम्
ु हाये कुर का मि फढे गा, स्वगष की प्राजप्त
होगी औय वऩत्र प्रसन्न होंगे। दासी की फात
भानकय यानी अऩना धन िुब कामों भें खिष
कयने रगी, जजससे ऩयू े नगय भें उसका मि
पैरने रगा।
फह
ृ स्ऩनतवाय व्रत कथा के फाद श्रद्धा के साथ
आयती की जानी िादहए। इसके फाद प्रसाद
फाॊटकय उसे ग्रहण कयना िादहए।
एक ददन द्ु खी होकय जॊगर भें एक ऩेड के
नीिे आसन जभाकय फैठ गमा। वह अऩनी
दिा को माद कयके व्माकुर होने रगा।
फह
ृ स्ऩनतवाय का ददन था, एकाएक उसने दे खा
कक ननजषन वन भें एक साधु प्रकट हुए। वह
साधु वेर् भें स्वमॊ फह
ृ स्ऩनत दे वता थे। रकडहाये

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के साभने आकय फोरे: हे रकडहाये ! इस
सन
ु सान जॊगर भें तू चिन्ता भग्न क्मों फैठा
है ?
रकडहाये ने दोनों हाथ जोड कय प्रणाभ ककमा
औय उत्तय ददमा: भहात्भा जी! आऩ सफ कुछ
जानते हैं, भैं क्मा कहूॉ। मह कहकय योने रगा
औय साधु को अऩनी आत्भकथा सन
ु ाई।
भहात्भा जी ने कहा: तम्
ु हायी स्त्री ने फह
ृ स्ऩनत
के ददन फह
ृ स्ऩनत बगवान का ननयादय ककमा है
जजसके कायण रुष्ट होकय उन्होंने तम्
ु हायी मह
दिा कय दी। अफ तभ
ु चिन्ता को दयू कयके
भेये कहने ऩय िरो तो तम्
ु हाये सफ कष्ट दयू
हो जामेंगे औय बगवान ऩहरे से बी अचधक
सम्ऩजत्त दें गे। तभ
ु फह
ृ स्ऩनत के ददन कथा
ककमा कयो। दो ऩैसे के िने भन
ु क्का राकय
उसका प्रसाद फनाओ औय िुद्ध जर से रोटे भें
िक्कय शभराकय अभत
ृ तैमाय कयो। कथा के
ऩश्िात प्रेशभमों भें अभत
ृ व प्रसाद फाॊटकय आऩ

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बी ग्रहण कयो। ऐसा कयने से बगवान तम्
ु हायी
सफ भनोकाभनाएॉ ऩयू ी कयें गे।
ऐसा कयने से बगवान तम्
ु हायी सफ
भनोकाभनाएॉ ऩयू ी कयें गे।
साधु के ऐसे विन सन
ु कय रकडहाया फोरा: हे
प्रबो! भझ
ु े रकडी फेिकय इतना ऩैसा नहीॊ
शभरता, जजससे बोजन के उऩयान्त कुछ फिा
सकॊू । भैंने याबत्र भें अऩनी स्त्री को व्माकुर
दे खा है । भेये ऩास कुछ बी नहीॊ जजससे भैं
उसकी खफय भॊगा सकॊू ।
साधु ने कहा: हे रकडहाये ! तुभ ककसी फात की
चिन्ता भत कयो। फह
ृ स्ऩनत के ददन तभ

योजाना की तयह रकडडमाॉ रेकय िहय को
जाओ। तभ
ु को योज से दग
ु न
ु ा धन प्राप्त होगा,
जजससे तभ
ु बरी-बाॊनत बोजन कय रोगे तथा
फह
ृ स्ऩनतदे व की ऩज
ू ा का साभान बी आ
जामेगा। इतना कहकय साधु अन्तर्धमाषन हो गए।
धीये -धीये सभम व्मतीत होने ऩय कपय वही

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फह
ृ स्ऩनतवाय का ददन आमा। रकडहाया जॊगर
से रकडी काटकय ककसी िहय भें फेिने गमा,
उसे उस ददन औय ददन से अचधक ऩैसा शभरा।
याजा ने िना गड
ु आदद राकय गरु
ु वाय का व्रत
ककमा। उस ददन से उसके सबी क्रेि दयू हुए,
ऩयन्तु जफ दफ
ु ाया गरु
ु वाय का ददन आमा तो
फह
ृ स्ऩनतवाय का व्रत कयना बर
ू गमा। इस
कायण फह
ृ स्ऩनत बगवान नायाज हो गए।
उस ददन उस नगय के याजा ने वविार मऻ
का आमोजन ककमा तथा िहय भें मह घोर्णा
कया दी कक कोई बी भनष्ु म अऩने घय भें
बोजन न फनावे न आग जरावे सभस्त जनता
भेये महाॉ बोजन कयने आवे। इस आऻा को जो
न भानेगा उसे पाॉसी की सजा दी जाएगी। इस
तयह की घोर्णा सम्ऩूणष नगय भें कयवा दी
गई।
याजा की आऻानस
ु ाय िहय के सबी रोग
बोजन कयने गए। रेककन रकडहाया कुछ दे य से

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ऩहुॉिा इसशरए याजा उसको अऩने साथ घय
शरवा रे गए औय रे जाकय बोजन कया यहे थे
तो यानी की दृजष्ट उस खॊट
ू ी ऩय ऩडी जजस ऩय
उसका हाय रटका हुआ था। वह वहाॉ ऩय
ददखाई नहीॊ ददमा। यानी ने ननश्िम ककमा कक
भेया हाय इस भनष्ु म ने ियु ा शरमा है । उसी
सभम शसऩादहमों को फर
ु ाकय उसको कायागाय
भें डरवा ददमा।
जफ रकडहाया कायागाय भें ऩड गमा औय फहुत
द्ु खी होकय वविाय कयने रगा कक न जाने
कौन से ऩव
ू ष जन्भ के कभष से भझ
ु े मह द्ु ख
प्राप्त हुआ है , औय उसी साधु को माद कयने
रगा जो कक जॊगर भें शभरा था।
उसी सभम तत्कार फह
ृ स्ऩनतदे व साधु के रऩ
भें प्रकट हुए औय उसकी दिा को दे खकय
कहने रगे: अये भख
ू !ष तन
ू े फह
ृ स्ऩनतदे व की
कथा नहीॊ कयी इस कायण तझ
ु े द्ु ख प्राप्त
हुआ है । अफ चिन्ता भत कय फह
ृ स्ऩनतवाय के

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ददन कायागाय के दयवाजे ऩय िाय ऩैसे ऩडे
शभरें गे। उनसे तू फह
ृ स्ऩनतदे व की ऩज
ू ा कयना
तेये सबी कष्ट दयू हो जामेंगे।
फह
ृ स्ऩनत के ददन उसे िाय ऩैसे शभरे। रकडहाये
ने कथा कही उसी याबत्र को फहृ स्ऩनतदे व ने उस
नगय के याजा को स्वप्न भें कहा: हे याजा!
तभ
ू ने जजस आदभी को कायागाय भें फन्द कय
ददमा है वह ननदोर् है । वह याजा है उसे छोड
दे ना। यानी का हाय उसी खॊट
ू ी ऩय रटका है ।
अगय तू ऐसा नही कये गा तो भैं तेये याज्म को
नष्ट कय दॊ ग
ू ा।
इस तयह याबत्र के स्वप्न को दे खकय याजा
प्रात्कार उठा औय खॊट
ू ी ऩय हाय दे खकय
रकडहाये को फर
ु ाकय ऺभा भाॊगी तथा
रकडहाये को मोग्म सन्
ु दय वस्त्र-आबर्
ू ण दे कय
ववदा कय ददमा। फह
ृ स्ऩनतदे व की आऻानस
ु ाय
रकडहाया अऩने नगय को िर ददमा। याजा जफ
अऩने नगय के ननकट ऩहुॉिा तो उसे फडा

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आश्िमष हुआ। नगय भें ऩहरे से अचधक फाग,
ताराफ, कुएॊ तथा फहुत सी धभषिारा भजन्दय
आदद फन गई हैं। याजा ने ऩछ
ू ा मह ककसका
फाग औय धभषिारा हैं, तफ नगय के सफ रोग
कहने रगे मह सफ यानी औय फाॊदी के हैं। तो
याजा को आश्िमष हुआ औय गुस्सा बी आमा।
जफ यानी ने मह खफय सन
ु ी कक याजा आयहे
हैं, तो उन्होंने फाॉदी से कहा कक: हे दासी! दे ख
याजा हभको ककतनी फयु ी हारत भें छोड गए
थे। हभायी ऐसी हारत दे खकय वह रौट न
जामें, इसशरए तू दयवाजे ऩय खडी हो जा।
आऻानस
ु ाय दासी दयवाजे ऩय खडी हो गई।
याजा आए तो उन्हें अऩने साथ शरवा राई।
तफ याजा ने क्रोध कयके अऩनी यानी से ऩछ
ू ा
कक मह धन तम्
ु हें कैसे प्राप्त हुआ है , तफ
उन्होंने कहा: हभें मह सफ धन फह
ृ स्ऩनतदे व के
इस व्रत के प्रबाव से प्राप्त हुआ है ।
याजा ने ननश्िम ककमा कक सात योज फाद तो

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सबी फह
ृ स्ऩनतदे व का ऩज
ू न कयते हैं ऩयन्तु भैं
प्रनतददन ददन भें तीन फाय कहानी तथा योज
व्रत ककमा करॉगा। अफ हय सभम याजा के
दऩ
ु टटे भें िने की दार फॉधी यहती तथा ददन
भें तीन फाय कहानी कहता।
एक योज याजा ने वविाय ककमा कक िरो
अऩनी फदहन के महाॉ हो आवें । इस तयह
ननश्िम कय याजा घोडे ऩय सवाय हो अऩनी
फदहन के महाॉ को िरने रगा। भागष भें उसने
दे खा कक कुछ आदभी एक भद
ु े को शरए जा
यहे हैं, उन्हें योककय याजा कहने रगा: अये
बाइमों! भेयी फह
ृ स्ऩनतदे व की कथा सन
ु रो।
वे फोरे: रो! हभाया तो आदभी भय गमा है ,
इसको अऩनी कथा की ऩडी है । ऩयन्तु कुछ
आदभी फोरे: अच्छा कहो हभ तम्
ु हायी कथा बी
सन
ु ेंगे। याजा ने दार ननकारी औय जफ कथा
आधी हुई थी कक भद
ु ाष दहरने रग गमा औय
जफ कथा सभाप्त हो गई तो याभ-याभ कयके

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भनष्ु म उठकय खडा हो गमा।
आगे भागष भें उसे एक ककसान खेत भें हर
िराता शभरा। याजा ने उसे दे ख औय उससे
फोरे: अये बईमा! तभ
ु भेयी फह
ृ स्ऩनतवाय की
कथा सन
ु रो। ककसान फोरा जफ तक भैं तेयी
कथा सन
ु ॊग
ू ा तफ तक िाय हयै मा जोत रॊग
ू ा।
जा अऩनी कथा ककसी औय को सन
ु ाना। इस
तयह याजा आगे िरने रगा। याजा के हटते ही
फैर ऩछाड खाकय चगय गए तथा ककसान के
ऩेट भें फडी जोय का ददष होने रगा।
उस सभम उसकी भाॉ योटी रेकय आई, उसने
जफ मह दे खा तो अऩने ऩत्र
ु से सफ हार ऩछ
ू ा
औय फेटे ने सबी हार कह ददमा तो फदु ढमा
दौडी-दौडी उस घड
ु सवाय के ऩास गई औय
उससे फोरी कक भैं तेयी कथा सन
ु ॊग
ू ी तू अऩनी
कथा भेये खेत ऩय िरकय ही कहना। याजा ने
फदु ढमा के खेत ऩय जाकय कथा कही, जजसके
सन
ु ते ही वह फैर उठ खड हुए तथा ककसान के

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ऩेट का ददष बी फन्द हो गमा।
याजा अऩनी फदहन के घय ऩहुॉिा। फदहन ने
बाई की खफ
ू भेहभानी की। दस
ू ये योज
प्रात्कार याजा जगा तो वह दे खने रगा कक
सफ रोग बोजन कय यहे हैं।
याजा ने अऩनी फदहन से कहा: ऐसा कोई
भनष्ु म है जजसने बोजन नहीॊ ककमा हो, भेयी
फह
ृ स्ऩनतवाय की कथा सन
ु रे।
फदहन फोरी: हे बैमा! मह दे ि ऐसा ही है कक
ऩहरे महाॉ रोग बोजन कयते हैं, फाद भें अन्म
काभ कयते हैं। अगय कोई ऩडोस भें हो तो दे ख
आउॊ ।
वह ऐसा कहकय दे खने िरी गई ऩयन्तु उसे
कोई ऐसा व्मजक्त नहीॊ शभरा, जजसने बोजन न
ककमा हो अत् वह एक कुम्हाय के घय गई
जजसका रडका फीभाय था। उसे भारभ
ू हुआ
कक उनके महाॉ तीन योज से ककसी ने बोजन
नहीॊ ककमा है । यानी ने अऩने बाई की कथा

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सन
ु ने के शरए कुम्हाय से कहा वह तैमाय हो
गमा। याजा ने जाकय फह
ृ स्ऩनतवाय की कथा
कही जजसको सन
ु कय उसका रडका ठीक
होगमा, अफ तो याजा की प्रिॊसा होने रगी।
एक योज याजा ने अऩनी फदहन से कहा कक हे
फदहन! हभ अऩने घय को जामेंगे। तभ
ु बी
तैमाय हो जाओ। याजा की फदहन ने अऩनी
सास से कहा। सास ने कहा हाॉ िरी जा।
ऩयन्तु अऩने रडकों को भत रे जाना क्मोंकक
तेये बाई के कोई औराद नहीॊ है ।
फदहन ने अऩने बईमा से कहा: हे बईमा! भैं
तो िरॊग
ू ी ऩय कोई फारक नहीॊ जाएगा।
याजा फोरा: जफ कोई फारक नहीॊ िरेगा, तफ
तभ
ु ही क्मा कयोगी।
फडे द्ु खी भन से याजा अऩने नगय को रौट
आमा।
याजा ने अऩनी यानी से कहा: हभ ननयवॊिी हैं।
हभाया भॊह
ु दे खने का धभष नहीॊ है औय कुछ

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बोजन आदद नहीॊ ककमा।
यानी फोरी: हे प्रबो! फह
ृ स्ऩनतदे व ने हभें सफ
कुछ ददमा है , वह हभें औराद अवश्म दें गे।
उसी यात को फह
ृ स्ऩनतदे व ने याजा से स्वप्न
भें कहा: हे याजा उठ। सबी सोि त्माग दे , तेयी
यानी गबष से है । याजा की मह फात सन
ु कय
फडी खि
ु ी हुई।
नवें भहीने भें उसके गबष से एक सन्
ु दय ऩत्र

ऩैदा हुआ। तफ याजा फोरा: हे यानी! स्त्री बफना
बोजन के यह सकती है , ऩय बफना कहे नहीॊ यह
सकती। जफ भेयी फदहन आवे तभ
ु उससे कुछ
कहना भत। यानी ने सन
ु कय हाॉ कय ददमा।
जफ याजा की फदहन ने मह िुब सभािाय सन
ु ा
तो वह फहुत खि
ु हुई तथा फधाई रेकय अऩने
बाई के महाॉ आई, तबी यानी ने कहा: घोडा
िढकय तो नहीॊ आई, गधा िढी आई।
याजा की फदहन फोरी: बाबी भैं इस प्रकाय न
कहती तो तम्
ु हें औराद कैसे शभरती। फह
ृ स्ऩनत

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दे व ऐसे ही हैं, जैसी जजसके भन भें काभनाएॉ
हैं, सबी को ऩण
ू ष कयते हैं, जो सदबावनाऩव
ू क

फह
ृ स्ऩनतवाय का व्रत कयता है एवॊ कथा ऩढता
है , अथवा सन
ु ता है , दस
ू यो को सन
ु ाता है ,
फह
ृ स्ऩनतदे व उसकी सबी भनोकाभना ऩण
ू ष कयते
हैं।
बगवान फह
ृ स्ऩनतदे व उसकी सदै व यऺा कयते
हैं, सॊसाय भें जो भनष्ु म सदबावना से बगवान
जी का ऩज
ू न व्रत सच्िे हृदम से कयते हैं, तो
उनकी सबी भनोकाभनाएॊ ऩण
ू ष कयते है ।
जैसी सच्िी बावना से यानी औय याजा ने
उनकी कथा का गण
ु गान ककमा तो उनकी सबी
इच्छामें फह
ृ स्ऩनतदे व जी ने ऩण
ू ष की थीॊ।
इसशरए ऩण
ू ष कथा सन
ु ने के फाद प्रसाद रेकय
जाना िादहए। हृदम से उसका भनन कयते हुए
जमकाया फोरना िादहए।

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ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा, जम फह
ृ स्ऩति दे वा।
तिन तिन बोग रगाऊँ, कदरी पर भेवा॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

िभ
ु ऩूर्ण ऩयभात्भा,िुभ अन्िमाणभी।
जगिपऩिा जगदीश्वय,िुभ सफके स्वाभी॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

चयर्ाभि
ृ तनज तनभणर,सफ ऩािक हिाण।
सकर भनोयथ दामक,कृऩा कयो बिाण॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

िन, भन, धन अऩणर् कय,जो जन शयर् ऩडे।


प्रबु प्रकट िफ होकय,आकय द्वाय खडे॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

दीनदमार दमातनधध,बक्िन हहिकायी।


ऩाऩ दोष सफ हिाण,बव फन्धन हायी॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥
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सकर भनोयथ दामक,सफ संशम िायो।
पवषम पवकाय मभटाओ,सन्िन सख
ु कायी॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

जो कोई आयिी िेयीप्रेभ सहहि गावे।


जेष्टानन्द फन्दसो सो तनश्चम ऩावे॥

ऊँ जम फह
ृ स्ऩति दे वा॥

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