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15-01-1965

हे रो गड
ु इवननिंग आज 15 जनवयी का यात्रि क्रास है ।

भैं नहीिं सभझता हिं कक कोई मह साधु सिंत मा भहात्भा मा गरु


ु ओिं को कोई “आऩ सफ कुछ जानते हो” मह
कह सकते होंगे। ना…..! फाकी कृऩा आशीवााद फहुत भािंगते हैं औय महािं फाऩ से जफ कोई लरखते हैं, फाफा
शक्क्त प्रदान कयो मा कृऩा कयो, आशीवााद कयो, आऩ जानी जाननहाय हो, पराना….. मह सफ बक्क्त हैं,
क्मोंकक फच्चे जो फाऩ को होते हैं तो उनको मह भारभ है हभको वसाा ऩाना है , औय ऩरु
ु षाथा कयना है
भािंगना नहीिं है कुछ बी। आशीवााद मा शक्क्त भािंगी नहीिं जाती है , क्मोंकी फाऩ तो अच्छी तयह से
सभझाते हैं कक माद भें यहने से तुभको शक्क्त लभरेगी। इसभें भािंगना तो कुछ है नहीिं। अच्छा कृऩा… अफ
ऩढें ग,े मोग यखेंगे, अच्छी तयह से धायण कयें गे तो जैसे अऩने ऊऩय कृऩा कयते हो। महािं भािंगने की
दयकाय नहीिं यहती हैं आशीवााद औय कृऩा। तो नए-नए होते हैं ना बगत, मे हीये हुए हैं, फाऩ की बी कृऩा,
पराने की बी कृऩा, फडे आदलभमों की बी कृऩा, भहात्भाओिं की बी कृऩा आशीवााद, मह वास्तव भें सफ
कुछ अऩने ऊऩय आऩे ही कयना है फच्चों को। ऐसे कोई काभ फे कामदे काभ तो नहीिं होता है , अगय
होता है , खाता है तो कपय वह काभ ना कयना है , अगय ककमा है तो फाऩ को लरख दे ना है । लरखने से ही
जैसे अऩने ऊऩय कृऩा कयते हैं, आशीवााद कयते हैं, ना लरखने से गोमा अऩने ऊऩय अकृऩा अथवा
आशीवााद ना कयते हैं औय अऩने को नक
ु सान ऩहुिंचाते हैं। इसभें फाऩ कहते हैं फाऩ को माद कयो औय
फयसे को माद कयो। भन भनाबव भध्माजी बव, अऺय मह ठीक है । सिंस्कृत तो फाऩ सभझाते नहीिं हैं फाऩ
तो हहिंदी भें ही सभझाते हैं। सिंस्कृत भें सभझाने वारे होते तो तुभ एक बी नहीिं होते, कपय तुम्हें मह
सभझानी आए कहािं से इतनी सिंस्कृत रैंग्वेज। एक-एक सिंस्कृत सीखने रगे तो फेचायी जान ही चरी
जाए। ऻान लभरा हुआ है , सभझ फहुत अच्छी लभर जाती है । फाऩ द्वाया जफ तक ऻान ना लभरे तफ
तक भनष्ु म त्रफल्कुर ही फेसभझ है , जैसे सप्र
ु ीभ फाऩ को सफ तफ ही जानते हैं जफ फाऩ फयसा दे ने आए
औय जानते हैं कक उनकी भत ऩय चरने से… भत ऩय जरूय चरना है , तबी फेडा ऩाय हो सकता है अगय
भत ऩय नहीिं चरेंगे मा डयते यहें ग…
े . कहािं सन
ु ो कोई कहे कक भझ
ु े ना कयना ऩडे तो वो कपय गगय ऩडते हैं।
श्रीभद् दे ती है हभेशा सर्वास के लरए कक जाओ कोई का कल्माण कयो, कोई का कल्माण कयो तो कये गा
वही जो ऩहरे अऩना कल्माण ककमा हुआ होगा। अच्छी तयह से धायणा ककमा होगा अगय धायणा नहीिं
ककमा हुआ होगा तो औय कोई को बी धायणा नहीिं कया सकेंगे, कल्माण बी नहीिं कय सकते हैं। मक्ु क्तमािं
फहुत फतानी ऩडती है । जो प्रजा फहुत फनाते हैं वह अच्छा ऩद ऩाते हैं। फच्चे मिं तो जो ना बी प्रजा फनाते
हैं उनको बी ऩद तो लभरना है , जफ तरक फाऩ का है ऩयिं तु वह तो हल्का ऩद लभरता है ऩीछे लभरेगा
फहुत। अच्छा ही है …! चरते कपयते उसने कोलशश कय कयके, जो बी कामा लभरे… फाऩ को औय वसे को
माद कयने से खुशी का ऩाया अच्छा चढे गा। कोई ऩढने से अथा नहीिं सभझेंगे कक याजाओिं के याजा का
अथा क्मा, तुभ फच्चों की फुर्ि भें मे फैठता है कक फयोफय हभ ऩर्वि फनते हैं। ऩीछे जो दसये होते हैं वह
अऩर्वि होते हैं तो मह बी फुर्ि भें आता है की हभ ही सो याजा फनते हैं भहायाजा फनते हैं, हभ ही सो
कपय याजा फनते हैं, हभ ही सो कपय ऩनतत भहायाजा फनते हैं, हभ ही सो कपय ऩनतत याजा फनते हैं, मह
बी फुर्ि भें फैठता है , नहीिं तो कोई ऐसे नहीिं के हभ वह नहीिं फनते हैं नीचे वारे याजाए नहीिं फनते। वह
बी फनते हैं, लसिंगर ताज वारे बी फनते हैं तो लरखा बी हुआ है उसभें जो द्वाऩय के फाद कपय लसिंगर
ताज वारे याजाई लभरती है । रक्ष्म ऩक्का मह कयाना है कक ईश्वय तो एक ही ठहया ना, फस इसभें कपय
गीता तो बगवान कृष्ण है पराना है वह बी नहीिं चर सकें क्मोंकक बगवान तो एक ही है कपय गीता के
ऊऩय अगय ऩढ हुआ है तो ऩछना चाहहए क्मोंकक वह आदभी वहािं से ननकरा है भफ
ुिं ई की प्रदशानी से
अहभदाफाद का है कहा ककसको सभझाने भें दान कयने भें भजा आता है मह बी नॉरेज है मे बी फडे
साहकाय फनने के लरए ऩुरुषाथा मे खजाने लभरते हैं ऐसे बी कहते हैं मा वो हहिंदस्
ु तानी रोग उदा भें
करुण के खजाने कहते हैं जो फच्चे ऩक्के ऩक्के हो जाते हैं उन्हें एकदभ अच्छे से सदै व हदर भें यहता है
अफ मह नाटक ऩया होता है अफ हभ जाते हैं वाऩस अबी र्वनाश होने का है जरूय नाटक ऩया ही र्वनाश
को कहा जाता है ऻान आमा अबी औय फाफा के साथ हभ स्थाऩना कय यहे हैं अऩनी याजधानी की फाफा
के साथ ही कपय चरे जाएिंगे याजधानी स्थाऩन कयके कपय फाफा तो नहीिं आएिंगे हभ तो आएिंगे मह नहीिं
कक योज योज अऩने साथ मही कयते यहे फच्चे दस फीस दपा फडा खश
ु लभजाज यहें वायसा लभरा था अबी
छीना गमा है अफ कपय फाऩ से वषाा रेना है यावण ने छीना है याभ कपय आमा है याभयाज्म दे ने

भीठे भीठे लसकीरधे फच्चों प्रनत फाऩ दादा का मादप्माय औय गड


ु नाइट्भैं नहीिं सभझता हिं कक कोई मह
साधु सिंत मा भहात्भा मा गरु
ु ओिं को कोई, आऩ सफ कुछ जानते हो मह कह सकते होंगे। ना फाकी कृऩा
आशीवााद फहुत भािंगते हैं औय महािं फाऩ से जफ कोई लरखते हैं फाफा शक्क्त प्रदान कयो मा कृऩा कयो
आशीवााद कयो आऩ जानी जाननहाय हो पराना मह सफ बक्क्त हैं क्मोंकक फच्चे जो फाऩ को होते हैं तो
उनको मह भारभ है हभको वसाा ऩाना है , औय ऩुरुषाथा कयना है भािंगना नहीिं है कुछ बी आशीवााद मा
शक्क्त भािंगी नहीिं जाती है क्मों की फाऩ तो अच्छी तयह से सभझाते हैं कक माद भें यहने से तुभको शक्क्त
लभरेगी इसभें भािंगना तो कुछ है नहीिं अच्छा कृऩा अफ ऩढें गे मोग यखेंगे अच्छी तयह से धायण कयें गे तो
जैसे अऩने ऊऩय कृऩा कयते हो महािं भािंगने की दयकाय नहीिं यहती हैं आशीवााद औय कृऩा तो नए-नए होते
हैं ना बगत मे हीये हुए हैं फाऩ को बी कृऩा पराने को बी कृऩा फडे आदलभमों की बी कृऩा भहात्भाओिं की
बी कृऩा आशीवााद मह वास्तव भें सफ कुछ अऩने ऊऩय आऩे ही कयना है फच्चों को र्वदे श भेये से कोई
काभ फे कामदे काभ तो नहीिं होता है अगय होता है खाता है तो कपय वह काभ ना कयना है अगय ककमा
है तो फाऩ को लरख दे ना है लरखने से ही जैसे अऩने ऊऩय कृऩा कयते हैं आशीवााद कयते हैं ना लरखने से
गोमा अऩने ऊऩय अकृऩा अथवा आशीवााद ना कयते हैं औय अऩने को नक
ु सान ऩहुिंचाते हैं इसभें फाऩ कहते
हैं फाऩ को माद कयो औय फयसे को माद कयो भन भनाबव भध्माजी बव अऺय मह ठीक है सिंस्कृत तो
फाऩ सभझाते नहीिं हैं तो हहिंदी भें ही सभझाते हैं सिंस्कृत भें सभझाने वारे होते तो तुभ एक बी नहीिं होते
कपय तुम्हें मह सभझानी आए कहािं से इतनी सिंस्कृत रैंग्वेज एक-एक सिंस्कृत सीखने रगे तो फेचायी जान
ही चरी जाए ऻान लभरा हुआ है सभझ फहुत अच्छी लभर जाती है फाऩ द्वाया जफ तक ऻान ना लभरे
तफ तक भनष्ु म त्रफल्कुर ही फेसभझ है जैसे सप्र
ु ीभ फाऩ को सफ तफ ही जानते हैं जफ फाऩ फयसा दे ने
आए औय जानते हैं कक उनकी भत ऩय चरने से भत ऩय जरूय चरना है तबी फेडा ऩाय हो सकता है
अगय भत ऩय नहीिं चरेंगे मा डयते यहें गे कहािं सन
ु ो कोई कहे कक भझ
ु े ना कयना ऩडे तो वो कपय गगय
ऩडते हैं श्रीभद् दे ती है हभेशा सर्वास के लरए कक जाओ कोई का कल्माण कयो कोई का कल्माण कयो तो
कये गा वही जो ऩहरे अऩना कल्माण ककमा हुआ होगा अच्छी तयह से धायणा ककमा होगा अगय धायणा
नहीिं ककमा हुआ होगा तो औय कोई को बी धायणा नहीिं कया सकेंगे कल्माण बी नहीिं कय सकते हैं
मक्ु क्तमािं फहुत फतानी ऩडती है जो प्रजा फहुत फनाते हैं वह अच्छा ऩद ऩाते हैं फच्चे मिं तो जो ना बी
प्रजा फनाते हैं उनको बी ऩद तो लभरना है जफ तरक फाऩ का है ऩयिं तु वह तो हल्का ऩद लभरता है ऩीछे
लभरेगा फहुत अच्छा ही है चरते कपयते उसने कोलशश कय कयके जो बी कामा लभरे फाऩ को औय वसे को
माद कयने से खुशी का ऩाया अच्छा चढे गा कोई ऩढने से अथा नहीिं सभझेंगे कक याजाओिं के याजा का अथा
क्मा तुभ फच्चों की फुर्ि भें मे फैठता है कक फयोफय हभ ऩर्वि फनते हैं ऩीछे जो दसये होते हैं वह अऩर्वि
होते हैं तो मह बी फर्ु ि भें आता है की हभ ही सो याजा फनते हैं भहायाजा फनते हैं हभ ही सो कपय
याजा फनते हैं हभ ही सो कपय ऩनतत भहायाजा फनते हैं हभ ही सो कपय ऩनतत याजा फनते हैं मह बी फुर्ि
भें फैठता है नहीिं तो कोई ऐसे नहीिं के हभ वह नहीिं फनते हैं नीचे वारे याजाए नहीिं वह बी फनते हैं
लसिंगर ताज वारे बी फनते हैं तो लरखा बी हुआ है उसभें जो द्वाऩय के फाद कपय लसिंगर ताज वारे
याजाई लभरती है रक्ष्म ऩक्का मह कयाना है कक ईश्वय तो एक ही ठहया ना, फस..! इसभें कपय गीता तो
बगवान कृष्ण है , पराना है , वह बी नहीिं चर सकें, क्मोंकक बगवान तो एक ही है , कपय गीता के ऊऩय
अगय ऩढ हुआ है तो ऩछना चाहहए क्मोंकक वह आदभी वहािं से ननकरा है ……भफ
ुिं ई की प्रदशानी से,
अहभदाफाद का है ।

कहा ककसको सभझाने भें , दान कयने भें , भजा आता है । मह बी नॉरेज है , मे बी फडे साहकाय फनने के
लरए ऩुरुषाथा, मे खजाने लभरते हैं ऐसे बी कहते हैं, मा वो हहिंदस्
ु तानी रोग उदा भें करुण के खजाने कहते
हैं। जो फच्चे ऩक्के ऩक्के हो जाते हैं उन्हें एकदभ अच्छे से सदै व हदर भें यहता है , अफ मह नाटक ऩया
होता है । अफ हभ जाते हैं वाऩस। अबी र्वनाश होने का है जरूय, नाटक ऩया ही र्वनाश को कहा जाता है ।
ऻान आमा अबी औय फाफा के साथ हभ स्थाऩना कय यहे हैं अऩनी याजधानी की। फाफा के साथ ही कपय
चरे जाएिंगे याजधानी स्थाऩन कयके, कपय फाफा तो नहीिं आएिंगे। हभ तो आएिंगे। मह नहीिं कक योज योज
अऩने साथ मही कयते यहे फच्चे। दस फीस दपा फडा खुश लभजाज यहें । वयसा लभरा था, अबी छीना गमा
है अफ कपय फाऩ से वषाा रेना है । यावण ने छीना है , याभ कपय आमा है याभयाज्म दे ने।
भीठे भीठे लसकीरधे फच्चों प्रनत फाऩ दादा का मादप्माय औय गड
ु नाइट्।

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