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ऩ ॊच ऩ ऩी

स धयू भ होतचन्द नी के फॊगरे के ड्र इॊगरूभ के तभ भ खिड़ककम ॊ दयव जे फन्द थे। बीतय उसके स भने एक आदभी ज्वेरय
ग्र स आॊि से रग ए भेज ऩय अऩने स भने बफिये , चभचभ कयते हीये जव हय त ऩयि यह थ औय दस
ू य आदभी
होतचन्द नी के ऩहरू भें फैठ होतचन्द नी की ही तयह अऩरक हीये जव हय त ऩयिे ज ते दे ि यह थ ।

हीयों के ऩ यिी क न भ वववेक ज र न थ । वह एक रगबग तीस स र क सन्


ु दय मव
ु कथ।

हीये जव हय त जजनभें अधधकतय भ नक औय नीरभ थे—स धयू भ होतचन्द नी की मभजककमत थे जोकक ऩच स से ऊऩय
आमु क ननह मत हट्ट -कट्ट , तन्दरु
ु स्त आदभी थ । उस उम्र भें बी न तो वह चश्भ रग त थ , न उसके मसय क कोई फ र
सपेद थ औय न ही उसके चेहये ऩय फुढ ऩे के आगभन की फजकक ऩहुॊच चक
ु े होने की—चगु री कयने व री कोई झुयी थी।
श मद वह नेऩ र की—जह ॊ कक उसने अऩनी आधी जजन्दगी गज ु यी थी—ठण्डी, स्व स््मद मक आफोहव क असय थ ।

तीसये —होतचन्द नी के ऩहरू भें फैठे—आदभी क न भ द भोदय िेत न थ औय वह ऩयिे ज यहे भ र क सम्ब ववत
ियीदद य थ । वह कोई च रीस स र क ब यी-बयकभ आदभी थ जोकक उस फन्द खिड़ककमों औय दयव जों व रे कभये भें बी
आॊिों ऩय स्म ह क र चश्भ रग ए थ ।

दोऩहय फ द से हीये जव हय त की ऩयि क वह जटिर क भ चर यह थ औय अफ श भ होने को आ यही थी। तफ से अफ


तक वववेक ज र न ने कबी अऩने क भ से मसय उठ म थ तो नम मसगये ि सर
ु ग ने के मरए म नेऩ री बफमय क दज ा
यिने व रे जौ से फने भ दक तयर ऩद था झ ॊग क घूॊि बयने के मरए जोकक होतचन्द नी क नेऩ री नौकय हनुभ न अऩने
भ मरक के इश ये ऩय म इश ये के बफन बी; सफको सवा कय दे त थ ।

एक फ त वववेक ज र न के बफन तफ तक भुॊह िोरे ही स प ऩत रग यही थी।

वो हीये जव हय त भ मरक द्व य फड़े मत्न से छ ॊि छ ॊिकय जभ ककए गए थे औय मकीनन फेशकीभती थे।

हय स्िोन की ऩयि के फ द वववेक ज र न कयीफ ऩड़ी एक क ऩी ऩय कुछ आॊकड़े नोि कयत ज त थ औय उन आॊकड़ों के
क रभ की रम्फ ई फढती ही ज यही थी।

अन्त भें उसने ज्वेरय ग्र स आॊि से हि कय एक ओय यि टदम औय अऩने स भने ऩड़ जौहरयमों व र न जुक तय जू बी
ऩये सयक टदम ।

स धयू भ होतचन्द नी औय द भोदय िेत न ने आश ऩण


ू ा नेत्रों से उसकी तयप दे ि ।

‘जो’—वववेक ज र न िॊि यकय गर स प कयत हुआ फोर —‘एक कैये ि से कभ वजन के स्िोन हैं, उनकी कीभत क भैं
भहज अन्द ज रग ऊॊग ।’

‘ठीक है ।’—होतचन्द नी फोर ।

‘ऐसे स्िोन ककतने हैं?’—द भोदय िेत न ने ऩछ


ू ।
वववेक ज र न ने क ऩी ऩय मरिे आॊकड़ों ऩय ननग ह दौड़ ई औय फोर —‘ऩचऩन। भैं इनको बी फ की स्िोंस की तयह ज चग
ूॊ
तो य त हो ज एगी।’

‘जरूयत नहीॊ।’—िेत न फोर —‘उनकी कीभत क भुझे अन्द ज भॊजूय है ।’

‘भुझे बी।’—होतचन्द नी फोर ।

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म ; उसने एक नम मसगये ि सर


ु ग मरम औय ऩें मसर रेकय क ऩी भें मरिे आॊकड़ों से उरझ
गम ।

अन्त भें उसने कॉऩी ऩें मसर ऩये यि दी।

‘क्म ऩयि ?’—द भोदय िेत न उत वरे स्वय भें फोर ।

उत्तय दे ने के स्थ न ऩय वववेक ने मसगये ि क एक रम्फ कश रग म । जजस क भ को वह अबी अन्ज भ दे कय हि थ उसे


कयने के मरए उसे द भोदय िेत न ने चन
ु थ क्मोंकक, फकौर उसके, वह ॊ ऩयदे श भें ककसी स्थ नीम नेऩ री जौहयी के
भुक फरे भें उसे अऩने ‘ज त ब ई’ क ज्म द बयोस थ ।

अऩने कधथत ज त ब ई से वववेक की जुम्भ जुम्भ आठ योज की व ककपमत थी। होिर किस्िर भें—जजसके एक कभये भें
वववेक यहत थ —वह वऩछरे ही भहीने आम थ । क ठभ ण्डू के किस्िर जैसे भध्मभ दजे के होिर भें एक ध टदन के
आव स के फ द ही टहन्दोस्त ननमों की—वो बी ज त ब इमों की—व ककपमत हो ज न भ भर
ू ी फ त थी। द भोदय िेत न ने
अऩने आऩको एक व्म ऩ यी फत म थ जोकक नेऩ र भें ककसी व्म ऩ य की—ककसी बी व्म ऩ य की—सम्ब वन ओॊ ऩय ववच य
कयने के मरए क ठभ ण्डू आम थ । फकौर उसके ब यत भें उसक होजजमयी क बफजनेस थ ।

द भोदय िेत न न भ के उस शख्स को फ तचीत क कुछ ऐस ढॊ ग आत थ कक च हकय बी वववेक अऩने फ ये भें उससे कोई
सीिेि नहीॊ यि ऩ म थ । अऩने फ ये भें वह मह तक नहीॊ छुऩ ऩ म थ कक अऩने घय से, अऩने वतन से इतनी दयू ऩयदे स
भें इन टदनों वो फेक य थ औय उसकी आधथाक जस्थनत इतनी शोचनीम हो चरी थी आइन्द टदनों भें उसे अऩने होिर क
बफर बयन बी दब
ू य रग सकत थ । द भोदय िेत न फतौय ट्रें ड जजमोरोजजस्ि औय जैभ एक्सऩिा उसकी मोग्मत ओॊ से
फहुत प्रब ववत हुए थ औय उसने आश व्मक्त की थी कक वववेक जैसे ‘गुणी’ आदभी को नेऩ री म टहन्दोस्त न भें कोई
नमी नौकयी ढूॊढने भें टदक्कत नहीॊ होने व री थी। तफ वववेक ने उसे फत म थ कक नमी नौकयी की आपय उसे मभर चकु ी
थी औय वह उसी को ज्व इन कयने के मरए सोभव य को टदकरी ज यह थ ।

अफ उस योज द भोदय िेत न के कहने ऩय ऩ ॊच हज य रुऩमे की ननध ारयत पीस ऩय वो वह ॊ स धयू भ होतचन्द नी के फॊगरे
भें उसके जव हय त की ऩयि कयके उसकी कीभत रग ने के मरए ह जजय हुआ थ ।

होतचन्द नी से बी वववेक न व ककप नहीॊ थ —न मसपा न व ककप नहीॊ थ , फजकक िेत न के भुक फरे भें उससे कहीॊ ज्म द ,
कहीॊ ऩुय न व ककप थ । हकीकत होतचन्द नी ही उसकी भौजूद फेक यी की वजह थ । होतचन्द नी वो शख्स थ जजसके
ऩ िा नयमशऩ के झ ॊसे भें आकय वह टदकरी छोड़कय नेऩ र आम थ औय जजससे धोि ि कय वो अऩनी भौजद
ू दश्ु व यी की
ह रत भें ऩहुॊच थ ।

‘क्म ऩयि ?’—द भोदय िेत न ने ऩूवव


ा त ् उत वरे स्वय भें अऩन सव र दोहय म ।
‘भैं मसपा अऩन ज ती अन्द ज फत सकत हूॊ।’—वववेक फोर ।

‘ठीक है ।’—होतचन्द नी तननक नतक्तत बये स्वय भें फोर —‘जव हय त क स य धन्ध ही ज ती अन्द जों ऩय भुनइसय होत
है । औयतों औय घडड़मों की तयह जैभ एक्सऩर्टास भें बी क पी इत्तप क नहीॊ होत । एक ही हीय दो अरग-अरग ऩ यखिमों
को टदि ओ, कबी ऐस नहीॊ होग कक दोनों उसकी एक ही कीभत फत में। फहयह र भेये भें औय द भोदय िेत न भें मह
पैसर ऩहरे ही हो चक
ु है कक हभ दोनों को तम्
ु ह य अन्द ज भॊजयू होग । अफ फोरो क्म है तम्
ु ह य अन्द ज ?’

‘उनच स र ि नतहत्तय हज य च य सौ रुऩमे।’

‘इजन्डमन म नेऩ री?’—द भोदय िेत न फोर ।

‘इजन्डमन।’
वववेक ने स प भहसस
ू ककम कक उसक जव फ सन
ु कय होतचन्द नी ने चैन की फड़ी रम्फी स ॊस री थी। वजह वववेक
ज नत थ । जरूय होतचन्द नी सभझ यह थ कक उससे फदर ननक रने के मरए वह ज नफूझकय जव हय त की कीभत कभ
कयके आॊक सकत थ औय उसे इस सेव की द भोदय िेत न से कोई पीस ह मसर हो सकती थी।

हकीकतन ऐस नहीॊ थ । हकीकतन वववेक ने ऩूयी ईभ नद यी से जव हय त को ऩयि थ औय अऩने ऩूये क योफ यी तजुफे से
उनकी कीभत आॊकी थी।

‘य जी?’—होतचन्द नी द भोदय िेत न से फोर ।

िेत न ने तयु न्त उत्तय न टदम । उसने अऩनी आॊिों ऩय से अऩन क र चश्भ उत य औय नेत्र मसकोड़कय कई फ य अऩने
भेजफ न की सूयत को औय जव हय त को दे ि ।

‘कभ र है , स ईं!’—वह धीये से फोर —‘छोिे , फड़े कई ककस्भ के जव हय त की एक ऩोिरी मह कहकय भेये स भने पेंकी
ज ती है कक इसभें ऩच स र ि क भ र है औय ऩयिे ज ने ऩय भ र ऩच स र ि क ही ननकरत है । भेय भतरफ है
तकयीफन।’
‘वववेक तम्
ु ह य आदभी है ।’—होतचन्द नी तननक सख्ती से फोर —‘इसे तम्
ु हीॊ ने चन
ु है औय तम्
ु हीॊ इसे मह ॊ र ए हो।’ जफ
तम्
ु हें अऩने ही आदभी की ऩयि ऩय एतफ य नहीॊ तो…’

‘भुझे ऩूय एतफ य है ।’

‘तो कपय?’

द भोदय िेत न ि भोश यह ।

‘सच ऩूछो तो भेय अन्द ज इसके अन्द जे से कदयन ज्म द थ । वववेक भुझे ऩसन्द नहीॊ कयत । इसको भेये से ज ती
यॊ जजश है । इसकी जगह कोई जूसय जैभ एक्सऩिा होत तो भुभककन है कक भ र की कीभत दो च य र ि रुऩमे ज्म द
आॊकत ।’

‘म श मद’—द भोदय िेत न फोर —‘दो च य र ि रुऩमे कभ आॊकत ।’


‘श मद।’

द भोदय िेत न कपय ि भोश हो गम । उसके चेहये से सन्दे ह औय धचन्त के ब व स्ऩष्ि रूऩ से ऩरयरक्षऺत हो यहे थे। कुछ
ऺण फड़ फोखझर स सन्न ि छ म यह ।

‘ठीक है ।’—आखियक य िेत न ने चश्भ व वऩस अऩनी आॊिों ऩय चढ मरम औय ननण ामक स्वय भें फोर —‘भझ
ु े सौद
भॊजयू है । अफ अगरी फ त।’

‘क्म ?’—होतचन्द नी सशॊक स्वय भें फोर ।

‘कैश ड उन ऩय रयम मत की फ त हुई थी?’

‘रयम मत?’
‘जो कक कभ से कभ दस पीसदी तो होनी ही च टहए।’

‘भुझे भॊजूय है । रेककन रयम मत क तयीक जुद होग ।’

‘क्म ?’

‘यकभ भें कभी कयने की जगह भैं भ र भें इज प कय दे त हूॊ।’

‘भैं सभझ नहीॊ।’

‘अबी सभझ त हूॊ।’

होतचन्द नी अऩने स्थ न से उठ औय ड्र ईंगरूभ के वऩछव ड़े के एक फन्द दयव जे की तयप फढ । उसने वह दयव ज िोर
तो आगे एक रम्फ गमरम य प्रकि हुआ। होतचन्द नी ने गमरम ये भें कदभ यि औय अऩने ऩीछे दयव ज मबड़क टदम ।

होतचन्द नी के दृजष्ि से ओझर होते ही द भोदय िेत न अऩने स्थ न से उठ औय आकय वववेक व रे सोपे ऩय उसके ऩहरू
भें फैठ गम ।

‘ब ई भेये।’—वह वववेक के कन्धे ऩय ह थ यित हुआ धचजन्तत स्वय भें फोर —‘भुझे ठीक य म दे यह है न? अऩने ज त
ब ई को घ िे के सौदे भें तो नहीॊ पॊस यह ?’

‘भुझे क्म जरूयत ऩड़ी है तम्


ु हें घ िे के सौदे भें पॊस ने की?’ वववेक बुनबुन म ।

‘जरूयत तो नहीॊ ऩड़ी रेककन...म नी कक तम्


ु ह यी य म भें सौद फयु नहीॊ।’

‘भुझे नहीॊ भ रूभ सौद फुय है म अच्छ । भैंने सौदे के फ ये भें कोई य म नहीॊ दी। भैंने भ र के फ ये भें य म दी है । औय
अऩनी य म की फ फत बी भैंने मह द व नहीॊ ककम कक वो सौ पीसदी दरु
ु स्त है ।’

‘वो तो होतचन्द नी बी कहत थ कक ककसी एक एक्सऩिा की य म सौ पीसदी दरु


ु स्त नहीॊ हो सकती। थोड़ी फहुत कभी फेशी
चरेगी। उससे भुझे एतय ज नहीॊ। भैं मे ऩूछ यह हूॉ, ब ई भेये, कक भेयी जगह अगय तभ
ु ियीद य होते तो जो कीभत तभ
ु ने
भ र की रग ई है , वो तभ
ु अद कय दे त?
े ’

‘भेये ऩ स ऐसी कीभत स त जन्भ भें नहीॊ हो सकती।’

‘हो सकती तो अद कय दे त?
े ’

‘तभ
ु भझ
ु े फ तों भें न पॊस ओ। भैं तम्
ु ह ये सव र क जव फ नहीॊ दे सकत । भेय जव फ मे है कक जो क भ तभ
ु ने भझ
ु े कयने
के मरए टदम थ , उसे भैंने अऩनी ऩूयी क बफमरमत औय ईभ नद यी से अॊज भ टदम है औय भैं फहुत सोच सभझ कय इस
नतीजे ऩय ऩहुॊच हूॊ कक इन जव हय त की कीभत उनच स र ि नतहत्तय हज य च य सौ रुऩमे से ककसी सूयत भें कभ नहीॊ।
अफ भेये नतीजे से इत्तप क कयन म न कयन , भेयी आॊकी हुई कीभत ऩय एतफ य कयन म न कयन तम्
ु ह यी अऩनी भजी
ऩय भन
ु हसय है ।’

‘फ त तो तभ
ु ठीक कह यहे हो।’

वववेक ि भोश यह ।

‘कोई वजह तो नहीॊ टदि ई दे ती तम्


ु ह यी क बफमरमत म ईभ नद यी ऩय एतफ य न कयने की।’

वववेक कोई जव फ दे ने की जगह नम मसगये ि सुरग ने भें भशगूर हो गम ।


द भोदय िेत न ने अऩन फिुव ननक र औय धगन कय उसभें से सौ सौ के ऩच्चीस नोि ननक रे।

‘मे यही तम्


ु ह यी आधी पीस।’—वह नोि वववेक की तयप फढ त हुआ फोर —‘फ की आधी पीस सौद चक
ु त होने के फ द।’

‘थैंक्मू।’—वववेक नोि थभ त हुआ फोर ।

तबी होतचन्द नी व वऩस रौि । उसके ह थ भें िीन क एक छोि स डडब्फ थ । वह सैन्िय िे फर के कयीफ ऩहुॊच । उसने
डडब्फे क ढक्कन िोर औय डडब्फे को भेज ऩय उरि कय टदम ।

भेज ऩय भिभैरे कॊकड़ से रुढक ऩड़े।


आभ ननग ह के मरए वो कॊकड़ थे रेककन वववेक की ऩ यिी ननग ह ने तत्क र ऩहच न कक वे भ नक औय नीरभ थे जो कक
अबी तय शे नहीॊ गमे थे।

‘मे क्म है ?’—द भोदय िेत न फड़फड़ मे स्वय भें फोर ।

‘रयम सत।’—होतचन्द नी फड़े इत्भीन न से फोर ।

‘क्म भतरफ?’

‘मे वभ ा की ि नों से ननकरे नीरभ औय भ नक हैं। तय शे ज चक


ु ने ऩय इनकी कीभत दस र ि से ऊऩय फनेगी रेककन
अऩनी भौजूद ह रत भें बी ऩ ॊच र ि से कभ क भ र मे ककसी सूयत भें नहीॊ। वववेक से ऩूछ रो।’

ऩछ
ू े ज ने से ऩहरे ही वववेक क मसय सहभनत भें टहरने रग ।
‘तम्
ु हें कैश ड उन कीभत भें दस पीसदी की रयम सत च टहमे थी’—होतचन्द नी फोर —‘उसकी जगह भैं तम्
ु हें मे ऩ ॊच र ि
से कहीॊ ऊऩय क एक्स्ट्र भ र दे यह हूॊ। कीभत वही यहे गी जो वववेक ने रग ई। उनच स र ि नतहत्तय हज य च य सौ
रुऩमे। ठीक है ?’

‘ठीक तो है रेककन…’

‘क्म रेककन? हभ ये फीच कैश ड उन ऩय रयम सत की फ त हुई थी रेककन ऐस कुछ तम नहीॊ हुआ थ कक वो रयम सत
इतनी होगी, ककस सूयत भें होगी। कहो कक भैं गरत कह यह हूॊ।’

गरत तो तभ
ु नहीॊ कह यहे हो स ईं, रेककन…।’

‘अगय भैं गरत नहीॊ कह यह हूॊ तो कैश ननक रो।’

‘कैश ननक र?
ॊू ’

‘औय क्म ?’

‘कैश भेयी जेफ भें थोड़े ही है! ऩच स र ि के नोि कोई जेफ भें यिकय र मे ज सकते हैं?’

‘तो?’

‘सफ
ु ह! कैश भेये ऩ स सवेये आमेग औय तभ
ु जफ च होगे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच टदम ज मेग ।’

‘हूॊ!’—होतचन्द नी ववच यऩूणा स्वय भें फोर । कपय वह भेज ऩय पैरे जव हय त को धगनकय, जुद जुद क गजों भें रऩेि कय
क रे यॊ ग की शनीर की एक थैरी भें फन्द कयने रग । उसके द्व य फ द भें र मे, बफन तय शे, जव हय त उसने अरग
शनीर की थैरी भें फन्द ककमे। उसने दोनों थैमरमों को उनकी डोरयम ॊ िीॊच कय भजफूती से फन्द ककम । कपय वह एक कोने
भें रगी एक आकपसनुभ िे फर के कयीफ ऩहुॊच औय उसक इकरौत दय ज िोर कय उसने उसभें से एक फड़ भजफूत बूय
मरप प , र ि की एक जस्िक औय एक भोभफत्ती फय भद की। वो सफ स भ न सम्ब र कय व वऩस सैन ्िय िे फर ऩय रौि ।
उसने शनीर की दोनों थैमरम ॊ बूये मरप पे भें फन्द कीॊ औय मरप पे क फ्रैऩ गीर कयके उसे भोड़ कय मरप पे के स थ
धचऩक टदम ।
‘जय अऩनी अॊगूठी उत यो।’—होतचन्द नी फोर ।

‘क्मों?’—द भोदय िेत न हड़फड़ कय फोर ।

‘इस ऩय भझ
ु े फेरफटू िमों की नक्क शी के फीच भें तम्
ु ह ये न भ क ऩहर हयप ‘डी’ गद
ु टदि ई दे यह है । मरप प फन्द
कयने भें तम्
ु ह यी मे अॊगूठी सीर क क भ दे गी।’

‘ओह!’

द भोदय िेत न ने अॊगूठी उत य कय भेज ऩय यिी दी।

होतचन्द नी ने वववेक से र इिय रेकय भोभफत्ती जर ई औय कपय र ि औय अॊगठ


ू ी की सह मत से मरप पे को सीर कयने
रग । मरप पे ऩय आठ दस जगह र ि की सीर रग चक
ु ी तो उसने अॊगूठी व वऩस द भोदय िेत न को रौि दी औय
भोभफत्ती फुझ दी।

‘अफ मे मरप प ’—वह फोर —‘सीर तोड़े बफन नहीॊ िोर ज सकत ।’

‘प मद !’—द भोदय िेत न फोर —‘प मद क्म हुआ?’

‘प मद मे हुआ कक अफ सफ
ु ह तम्
ु ह ये कैश रेकय आने ऩय भेये ऩय इरज भ नहीॊ रग म ज सकेग कक जजन जव हय त की
ऩयि आज हभ सफ के स भने हुई थी वो तम् ु ह ये मह ॊ से चरे ज ने के फ द भैंने फदर टदमे थे म इनभें भैंने कोई घि फढ
कय दी थी।’

‘ओह!’

‘अफ कर भ र को दोफ य ऩयिने के मरए वववेक को तकरीप दे ने की जरूयत नहीॊ यहे गी। सफ
ु ह अगय मे सीर तम्
ु हें
फयकय य मभरें गी तो मह इस फ त क सफूत होग कक जो भ र अबी इसभें यि गम है , ऐन वही इसभें से फय भद होग ।’

‘तभ
ु इस मरप पे को प ड़ कय पेंक सकते हो औय ऐस एक नम मरप प रेकय उस ऩय नमी सीरें रग सकते हो।’

‘नहीॊ रग सकत । अॊगूठी तो तम्


ु ह ये ऩ स होगी। औय फेरफूिों की ऐसी ऩेचीद ननक्क शी व री, तम्
ु ह ये न भ व री ऐन ऐसी
ही अॊगूठी ओवयन इि नहीॊ फनव मी ज सकती। वववेक से ऩूछ रो।’

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘ठीक।’—द भोदय िेत न गम्बीयत से फोर ।

मरप प सम्ब रे फोतचन्द नी व वऩस आकपस िे फर ऩय ऩहुॊच । िे फर के इकरौते दय ज के नीचे अरभ यी की तयह िर
ु ने
व र एक ऩकर रग हुआ थ । उसने उसे िोर तो ऩीछे से एक नन्हीॊ सी भजफूत सेप फय भद हुई। उसने सेप ऩय रगे
ड मर ऩय एक नम्फय घभ
ु म औय सेप क दयव ज िीॊच । ब यी दयव ज नन्शब्द िर
ु गम । उसने सीर फन्द मरप प
सेप भें यि , सेप को फन्द ककम औय उसके भुॊह ऩय भेज क ऩकर बी फन्द कय टदम । सेप दृजष्ि से ओझर हो गमी।

वह व वऩस रौि ।
‘अफ’—वह फोर —‘नेऩ री झ ॊग की जगह ववर मती ववस्की हो ज मे।’

‘भेये मरमे नहीॊ।’—द भोदय िेत न एक एक उठ िड़ हुआ—‘भैं चरत हूॉ।’

‘जकदी क्म है ?’

‘भुझे है । सॉयी अफ कर भुर क त होगी।

‘भजी तम्
ु ह यी।’—कपय वववेक को बी उठने क उऩिभ कयते ऩ कय वह फोर —‘तभ
ु तो रुको।’

‘भैं बी चरत ही हूॊ।’—वववेक अननजश्चत ब व से फोर ।


‘थोड़ी दे य रुको। प्रीज! एक ध डड्रॊक तो भेये स थ रेते ज ओ। कपय फेशक चरे ज न ।’

‘अच्छी फ त है । एक ध डड्रॊक के मरए रुक ज त हूॊ भैं।’

‘शुकिम ।’
होतचन्द नी द भोदय िेत न को ववद कयने के मरए उसके स थ फ हय फॊगरे के फय भदे तक गम । कुछ ऺण फ द वह
अकेर व वऩस रौि

‘हनुभ न!’—व वऩस वववेक के कयीफ ऩहुॊचकय उसने जोय से आव ज रग मी।

जव फ भें उसक सपेद फ रों व र अनत ववश रक म फूढ नेऩ री नौकय ड्र ईंगरूभ भें ऩहुॊच ।

‘ववस्की र ओ।—होतचन्द नी ने आदे श टदम ।

हनभ
ु न तत्क र व वऩस रौि गम ।
होतचन्द नी वववेक के कयीफ आ फैठ । वह कुछ ऺण अऩरक वववेक को दे ित यह औय कपय धीये से फोर —‘भेये भ र की
सही कीभत आॊक कय आज तभ
ु ने भेये ऊऩय फहुत भेहयफ नी की है । उस भेहयफ नी क भैं एक छोि स फदर चक
ु न
च हत हूॊ।’

वववेक ने उत्तय न टदम । उसने मे बी न ऩूछ कक वो कैसे फदर चक


ु न च हत थ । इसके ववऩयीत वह उसके फ ये भें
सोचने रग । कैस आदभी थ मे स धयू भ होतचन्द नी जो कक आज से तीस स र ऩहरे अऩनी नौजव नी भें अऩने घय से
ब ग कय नेऩ र आम थ औय कुछ अऩनी भेहनत से औय अधधकतय अऩनी च र की, फेईभ नी औय ठगी की अद्भत
ु ऺभत
से जभीन से उठ कय आसभ न ऩय ऩहुॊच गम थ । कहने को वो आढत क दर र औय टहन्दोस्त नी कऩड़े क व्म ऩ यी थ
रेककन हकीकत वो स्भगरयों क शयणद त औय ठगों औय उठ ईगीयों क सयऩयस्त थ । ब यत के अर व फभ ,ा फॊगर दे श
औय थ ईरैंड तक भें उसके सम्ऩका फत मे ज ते थे। अऩनी आधी जजन्दगी नेऩ र भें गुज यने के फ द अफ वह अऩन तभ भ
त भझ भ फेचकय औय फढ
ु ौती भें एक थ ई हसीन से श दी कयके टहन्दोस्त न व वऩस रौि ज ने की तैम यी कय यह थ ।
अऩन भौजूद फॊगर तक वह फेच चक
ु थ । उन जव हय त की बफिी आखियी सौद थ जजसे उसने अबी थोड़ी दे य ऩहरे
अॊज भ टदम थ ।

‘अगय’—होतचन्द नी कह यह थ —तभ
ु ने भेये से फदर उत यने की कोमशश की होती तो भेये भ र की कीभत तभ
ु ऩच स की
जगह च रीस र ि बी रग सकते थे, ऩैंतीस र ि बी रग सकते थे।’

‘भेयी रग मी कीभत भॊजूय कयन ’—वववेक फोर —‘आऩके मरमे जरूयी नहीॊ थ ।’

‘भौजूद ह र त भें जरूयी थ । भैं कीभत न भन्जूय कयत तो सौद िूि ज त । कपय टहन्दोस्त नी रुऩमे भें कैश ड उन ऩेभेन्ि
कयने व र अऩने भ र क दस
ू य ग्र हक ढूॊढने भें भुझे भहीनों रग ज ते जफ कक भैं तो इसी हफ्ते मह ॊ से कूच कय ज न
च हत हूॊ।’

‘इतन रुऩम आऩ मॊू मह ॊ से रे ज सकते हैं?’

‘रे ज सकत हूॊ। सफको भ रूभ है भैं अऩन बफजनेस; घय फ य सफ कुछ फेचकय मह ॊ से ज यह हूॊ। ऩूछे ज ने ऩय भैं
जव हय त क न भ बी नहीॊ रूॊग । ऩूछे ज ने ऩय मही कहूॊग कक भुझे स यी यकभ अऩन घय फ य, अऩन बफजनेस औय
उसकी गुडववर फेच कय ह मसर हुई।’

‘िेत न जव हय त क क्म कये ग ?’

‘ऩत नहीॊ। भैंने नहीॊ ऩूछ । भुझे अऩनी यकभ से भतरफ है । वो जव हय त को रे ज कय च हे दरयम भें पेंके। वैसे नेऩ र से
फ हय उन जव हय त की कीभत एक कयोड़ से ऊऩय होगी।’

‘वो जरूय कोई तयीक होग उसकी ननग ह भें उन्हें नेऩ र से फ हय रे ज सकने क ।’

‘हूॊ!’

‘फहयह र भैंने तम्


ु ह यी ईभ नद यी ऩय द ॊव िेर थ ।’

‘ज नकय िश ु ी हुई’—वववेक शषु ्क स्वय भें फोर —‘कक एक फेईभ न आदभी को, एक ऐसे फेईभ न आदभी को जो िद
ु भेये
से फेईभ नी कय चक ु है , अफ भेयी ईभ नद यी की कद्र हुई, उसे उसकी जरूयत भहसूस हुई।’

‘व्म ऩ य भें ऊॊचनीच होती ही है ।’


‘जो हयकत आऩने भेये स थ की थी वो व्म ऩ य भें हुई ऊॊचनीच क नहीॊ, गुण्ड गदी, ध ॊधरी औय स प फेईभ नी क दज ा
यिती है । भेये स थ ऩ िा नयमशऩ क एग्रीभें ि फनव म , भेये स इन कयने क वक्त आम तो भेयी आॊिों भें धर
ू झोंक कय उसे
फदर टदम औय भेये से उस क गज ऩय स इन कयव मरमे जजसके भत
ु बफक भैं आऩक ऩ िा नय नहीॊ, आऩक भर
ु जजभ थ ।
मे गुण्ड गदी, ध ॉधरी औय फेईभ नी नहीॊ तो औय क्म है ।’

‘अच्छे व्म ऩ यी को एक मे बी तो सीि होती है कक वो अऩनी आॊिें िर


ु ी यिे औय ककसी को उसभें धर
ू न झोंकने दे !

‘एतफ य बी तो कोई चीज होती है !’

‘धन्धे भें नहीॊ होती। होती है तो स धयू भ होतचन्द नी के धन्धे भें नहीॊ होती। भैं बी तम्
ु ह यी तयह होत तो आज बी भैं नॊगे
ऩ ॊव, ि री जेफ, दो जून की योिी मरए क ठभ ण्डू की सड़कों ऩय दयु -दयु कयत कपय यह होत ।’

‘आऩ फेईभ नी को अऩनी िफ


ू ी फत यहे हैं?’

‘नहीॊ। वक्त की जरूयत।’

‘भैं आऩसे सहभत नहीॊ।’

‘ज टहय है । तबी तो कुछ टदन ऩहरे आॊिों भें िन


ू मरए तभ
ु मह ॊ आ धभके थे। भेय नौकय हनुभ न ऐन भौके ऩय फीच भें न
आ गम होत तो उस टदन ऩत नहीॊ तभ
ु भेयी क्म गत फन ते। श मद भ य ही ड रते। फ वजूद ऩीछे हो चक
ु ी इतनी फड़ी
घिन के तभ ु ने भेये से सहमोग ककम , भेये भ र की सही कीभत आॊकी, इसके मरए भैं तम्
ु ह य अहस नभन्द हूॊ औय इसक
भैं फदर चक
ु न च हत हूॊ।’

‘मह आऩने ऩहरे बी कह ।’


तबी एक ट्रे ऩय उम्द स्क च ववस्की, सोड स इपन औय दो ग्र स यिे हनुभ न वह ॊ ऩहुॊच । उसने ट्रे क स भ न सैन्िय
िे फर ऩय स्थ न न्तरयत ककम औय ि री ट्रे के स थ वह ॊ से ववद हो गम ।

होतचन्द नी ने ववस्की के दो फड़े ऩैग फन मे।

दोनों ने धचमसा फोर ।

‘ककसी की’—ववस्की क एक घॊि


ू ऩीने के फ द होतचन्द नी फोर —‘भेहयफ नी क फदर चक
ु ने की जरूयत सभझने व री
ककस्भ क आदभी भैं नहीॊ। रेककन रगत है इस उम्र भें हुए इश्क ने औय तीस स र फ द अऩने वतन रौिने की िश ु ी ने
भुझे नभाटदर फन टदम है ।’—उसने जेफ से एक यॊ गीन क गज भें फॊधी ऩुडड़म ननक रकय उसे िोर औय िरु े क गज को
वववेक के स भने ककम —‘ऩन्न है । दस कैये ि से ऊऩय है । एक पैस भें जय से नुक्स है रेककन वो सैटिॊग भें छुऩ ज मेग ।
इसकी अॊगठ
ू ी फनव कय अऩनी होने व री फीवी को दे न । भेये आशीव ाद के स थ। रो।’

‘सभ ू क भ र है ।’—वववेक क गज सभेत ऩन्ने को थ भत हुआ फोर —‘छोड़ूग


ॊ तो नहीॊ। रेककन मे न सभखझएग कक इसी
भें उस धोि धड़ी औय फेईभ नी क बी फदर चक ु गम जो कक आऩ भेये स थ कय चकु े हैं। आऩकी उस कयतत
ू के मरए तो
भैं जफ तक जजन्द यहूॊग आऩकी तत्क र भत्ृ मु की क भन करूॊग ।’

‘ऩुिड़े!—होतचन्द नी मशक मतबये स्वय भें फोर —‘भेये घय भें फैठकय, भेयी भेहभ ननव जी कफूरते हुए तो ऐस फुय फोर न
फोर।’

‘भैं ऐस ही फुय फोर फोरूॊग । अरफत्त आऩ अऩनी ववस्की क धगर स भेये से छीन सकते हैं औय भुझे घय से ननक र
सकते हैं।’
‘अये , नहीॊ। भैं ऐस क्मों करूॊग । भैं तो तम्
ु ह ये अऩने फीच भें अभन श जन्त क भ हौर दे िन च हत हूॊ।’

‘वो नहीॊ हो सकत ।’

‘औय दो टदन क तो द न ऩ नी यह गम है नेऩ र भें भेय । उसके फ द ऩत नहीॊ जजन्दगी भें हभ दोनों कबी एक दस
ू ये की
सूयत बी दे ि ऩ एॊगे कक नहीॊ।’

‘तबी तो इस कोमशश भें हूॊ कक आऩको अबी जी बय के कोस रूॊ।’

होतचन्द नी हॊ स ।

‘फहयह र ऩन्ने क शकु िम । भेयी िद


ु की औक त तो ऩत नहीॊ कफ होती इतने िफ
ू सयू त औय कीभती नग व री अॊगठ
ू ी
श्वेत को बें ि कयने की।’—उसने ववस्की क धगर स ि री ककम औय उठ िड़ हुआ—‘अफ भैं चरत हूॊ।’

‘अये , एक डड्रॊक तो औय रो।’

‘नहीॊ। भेहयफ नी।’

उसने ऩन्ने को क गज भें व वऩस रऩेि कय ऩडु ड़म अऩनी जेफ भें यि री औय बफन अऩने भेजफ न से ह थ मभर ने क म
उसक अमबव दन कयने क उऩिभ ककए दयव जे की ओय फढ ।
‘ड मरिंग।’—तबी फ हय फय भदे ऩय से एक सुयीरी आव ज आमी—‘कह ॊ हो!’

कपय दयव ज िर
ु औय एक अनतसुन्दय, अनतआधनु नक, ववर मती ऩरयध नध यी मुवती ने बीतय कदभ यि । उसक यॊ ग
गोय थ , नमन नक्श फहुत तीिे थे औय स्म ह क रे फ रों क सजधज ऐसी थी जैसे वह उसी घड़ी उन्हें ककसी ब्मूिी ऩ राय
से सैि कय कय आमी थी। आमु भें वो रगबग तीस वषा की थी रेककन उम्र से आम ठहय व औय श इस्तगी उसकी िफ ू सूयती
को दोफ र ही कय यहे थे।

वह अचय मोसववधचत न भ की वो थ ई मुवती थी जजससे जव न, उम्रदय ज, दो फच्चों क फ ऩ स धयू भ होतचन्द नी श दी


कयने ज यह थ ।

‘हकरो ड मरिंग। हकरो ज र न!’—वह ऩहरे होतचन्द नी औय कपय वववेक से फोरी—‘भैंने डडस्िफा तो नहीॊ ककम ! भेये आने
से ववघ्न तो नहीॊ ऩड़ !’

‘कतई नहीॊ। कतई नहीॊ!’—होतचन्द नी उठकय उसक स्व गत कयत हुआ फोर । वह कयीफ आमी तो उसने फड़े अनुय गऩूणा
ब व से उसे अऩनी एक फ हॊ के घेये भें रे मरम ।

अऩनी नस्र के मरह ज से अचय िफ


ू रम्फी थी। उसक कद होतचन्द नी से ज्म द नहीॊ तो उसके फय फय जरूय थ । कुछ
ज्म द रम्फी वह अऩने फ रों की वजह से बी रग यही थी। जजसे उसने भ थे के ऊऩय से गोर ई भें घुभ कय सैि कयव म
हुआ थ ।

होतचन्द नी की आॊिों भें उस घड़ी जो गुर फी डोये तैयते वववेक को टदि ई टदए, वह सभझ न सक कक वे ववस्की की वजह
से थे म अचय के आगभन की वजह से। उसने जोय से अचय को अऩने ऩहरू के स थ बीॊच ।

‘भेये फ र न बफग ड़ दे न ।’—अचय चेत वनीऩूणा स्वय भें फोरी—‘एक घन्ि रग है इन्हें सैि कयव ने भें ।’

होतचन्द नी ने उसे अऩने ऩहरू से ननकर ज ने टदम ।

‘क्म फ त है !’—वह भदबये स्वय भें फोर —‘आज कुछ ज्म द ही हसीन रग यही हो।’

‘इसभें भेय क्म कभ र है ?’—वह िनकती हुई हॊ सी हॊ सती हुई फोरी—‘सफ ब्मूिी ऩ राय क कभ र है जह ॊ से भैं फ र सैि
कयव कय आमी हूॊ। रेककन तभ ु भेये भेकअऩ की त यीप कय यहे हो म भेयी ऩोश क की! वैसे मे ऩोश क बी नमी है । आज ही
ऩहनी है ऩहरी फ य।’

ऩोश क एक फहुत बड़कीरी स्किा औय ऩीरे यॊ ग क ऊनी ब्र उज थी।’ ब्र उज की कपटिॊग कुछ ऐसी थी कक उसक सड
ु ौर
उन्नत वऺ औय बी सुडौर औय उन्नत रग यह थ ।

‘भेये मरए क बफरेत यीप’—होतचन्द नी मूॊ फोर जैसे फीस स र क छोकय हो—‘न तम्
ु ह यी ऩोश क है औय न तम्
ु हय
भेकअऩ। भेये मरए तो क बफरेत यीप मसपा तभ
ु हो।’

‘थैंक्म!ू ’—वह फोरी—‘थैंक्मू ड मरिंग।’


वववेक कपय दयव जे की तयप फढ ।

‘ज यहे हो?’—अचय फोरी।

‘ह ॊ।’—वह फोर ।

‘क्मों?’

‘क्मोंकक कफ फ भें हड्डी फनने क भेय कोई इय द नहीॊ।’

‘कफ व से क्म ? हड्डी क्म ?’

‘डैडी से सभझन ।’

औय वववेक वह ॊ से ववद हो गम ।

वववेक ज र न होिर किस्िर के ड मननॊग ह र भें श्वेत श ह के स थ फैठ थ । वे डडनय कय चक


ु े थे औय अफ क पी की
प्रतीऺ कय यहे थे।

श्वेत श ह वो नेऩ री मुवती थी जजस ऩय वववेक टदरोज न से कपद थ औय जजससे श दी कयने क वह फड़ भजफूत इय द
यित थ ।

श्वेत से उसकी ऩहरी भर


ु क त होतचन्द नी के आकपस भें हुई थी जह ॊ कक वह अऩने एम्ऩर मय के बेजे होतचन्द नी से
कुछ क गज त स इन कयव ने आमी थी। होतचन्द नी उस घड़ी कहीॊ गम हुआ थ इसमरए उसके इन्तज य भें वह वववेक के
केबफन भें उसके ऩ स फैठी यही थी।

वववेक को ऩहरी नजय भें उससे प्म य हो गम थ ।

वो प्म य अफ इस कदय ऩयव न चढ चक


ु थ कक वववेक उसके बफन अऩनी ककऩन नहीॊ कय सकत थ ।

होतचन्द नी के फॊगरे ऩय हुए अऩने टदन बय के क भ औय ऩच्चीस सौ रुऩमे की कभ ई की फ फत वह सववस्त य श्वेत को


फत चक ु थ । श्वेत की सूयत से स प ज टहय हो यह थ कक वववेक की वो एडवेंचय उसे कोई ि स ऩसन्द नहीॊ आई थी।

‘तम्
ु हें तो’—श्वेत फोरी—‘होतचन्द नी से सख्त नपयत थी।’

‘भुझे ककसी से नपयत नहीॊ।’—फ त को भज क भें उड़ ने की गयज से वववेक फोर —‘भैं भह त्भ फुद्ध हूॊ।’

‘उस शख्स ने तम्


ु हें इतन फड़ धोि टदम , फजकक स प-स प तम्
ु हें ठग कपय बी तम्
ु हें उसक क भ कयन भॊजयू हुआ!’

‘उसक नहीॊ ड मरिंग, द भोदय िेत न क ।’


‘वो कौन स कभ है । भुझे तो वो तम्
ु ह ये भुकक की कपकभों के उन गुण्डों जैस रगत है जो क्र इभेक्स भें थोक भें हीयो से
भ य ि ते हैं। गौंगस्िसा की तयह हय वक्त क र चश्भ रग मे यहत है ।
वववेक हॊ स ।

‘हॊ सने की फ त नहीॊ है ।’—श्वेत फोरी—‘हीये जव हय त जॊचव ने के मरए क्मों उसने तम्
ु हें चन
ु ? ऐसे क भों के मरए रोग
स ि व री पभा भें ज ते हैं जह ॊ कक सयक यी भ न्मत प्र प्त जैभ एक्सऩिा उऩरब्ध होते हैं। इतने फड़े सौदे की आपय व रे
भ र को ऩयिव ने के मरए उसे मरच्छवी ज्वेरसा के ऩ स ज न च टहए थ ।’

‘भैं बी जैभ एक्सऩिा हूॊ।’

‘हो। रेककन तभ
ु सयक यी भ न्मत प्र प्त जैभ, एक्सऩिा नहीॊ हो।’

‘रेककन जैभ एक्सऩिा हूॊ। मरच्छवी के जैभ एक्सऩिा भेये से ज्म द ऻ नी नहीॊ हो सकते। ऊऩय से भैं क्व रीप इड
जजमोरोजजस्ि हूॊ। जेम्स की फ वत ककतनी ही फ तें भैं दक
ु नद यी व रे जौहरयमों से ज्म द ज नत हूॊ।’

‘ओफ्पोह! फ वजद
ू अऩनी स यी क फमरमत के तभ
ु भ र की फ फत कोई सटिा कपकेि तो इशू नहीॊ कय सकते।

‘द भोदय िेत न को ककसी सटिा कपकेि की जरूयत नहीॊ थी। उसक क भ भेयी जुफ नी य म ऩय ही चर सकत है ।’

‘इसी से स बफत होत है कक मे कोई घोि रे क सौद है । कोई गैयक नूनी सौद है ।’

‘होत यहे । भुझे क्म ! भेयी तयप से फेशक वो जव हय त चोयी क भ र हों। मे ियीदने व रे की मसयददा है कक वह चोयी के
भ र क क्म कये ग म उससे क्म प मद उठ मेग । भैंने फेचने व रे को फेचने की य म नहीॊ दी, ियीदने व रे को ियीदने
की य म नहीॊ दी। भेये से भहज एक आइिभ के फ ये भें सव र ककम गम कक वो सोन है म ऩीतर है , भैंने फत टदम ।’

तबी वेिय क पी रे आम ।

वेिय के क पी सवा कयके चरे ज ने तक दोनों ि भोश यहे ।

‘श्वेत , भ ई ड मरिंग’—कपय वववेक उसे सभझ त हुआ फोर —‘तभ ु फ त को मूॊ सभझो कक एक जरूयतभन्द आदभी ने
ओवयि इभ ककम , अऩनी भेहनत की पीस कभ ई। भझ ु े इससे क्म कक स धयू भ होतचन्द नी चोय है म द भोदय िेत न
उठ ईगीय । भैंने ऩच्चीस सौ रुऩए कभ मरए हैं। इतने ही रुऩए कर अबी औय मभरेंगे भुझ।े अफ मे क्म तम्
ु हें बी फत ने की
जरूयत है कक मे यकभ भेये ककतने क भ आ सकती है !’

श्वेत ने उत्तय न टदम । उसने ि भोशी से क पी क एक घूॊि वऩम ।

‘भैंने टदकरी ज कय अऩन कोई घय-फ य जभ न है । कोई िीन िप्ऩय िड़ कयन है जजसभें कक भैं तम्
ु हें यि सकॊू । भेये इस
अमबम न भें मे यकभ ककतनी क यगय स बफत हो सकती है, इसे तभ
ु तो सभझो! जजतने भेये ऩ स ऩैसे ज्म द होंगे उतनी ही
जकदी भैं तम्
ु हें अऩनी फीवी फन ने की जस्थनत भें होऊॊग ।’

‘तभ
ु महीॊ क्मों नहीॊ यह ज ते?’

‘क्मोंकक जजतन भैं मह ॊ यह चक


ु हूॊ, उतने से भैंने फिफ
ू ी ज न मरम है कक मह ॊ कुछ नहीॊ यि ।’

‘तम्
ु हें मह ॊ नौकयी मभर सकती है ।’
‘रेककन भ भूरी। क भ चर ऊ। जो भेय मसपा इतन बर कये गी कक भैं फेयोजग य नहीॊ कहर ऊॊग । ऐसी ि न ऩूयी क दज ा
यिने व री नौकयी के मरए, जजसभें तयक्की के बी कोई आस य नहीॊ, ऩयदे स भें धक्के ि ने क क्म प मद ! मह ॊ
होतचन्द नी ने धोि न टदम होत , तो फ त कुछ औय होती।’

‘हूॊ।’

‘अफ तभ
ु इसे बी भेयी िश
ु ककस्भती सभझो कक टदकरी के सफसे फड़े ज्वेरय के ऩ स भेयी फड़ी इज्जतद य नौकयी रग यही
है । ज ते ज ते भैंने ऩ ॊच हज य रुऩए कभ मरमे तो क्म फुय ककम ।’

श्वेत ने उत्तय न टदम ।

‘फोरो।’

‘तभ
ु ’—श्वेत फोरी तो उसने नम ही सव र ककम —‘अबी भझ
ु े स थ क्मों नहीॊ रे ज सकते?’

‘सौ फ य फत म । एक सौ एकवीॊ फ य फत त हूॊ। टदकरी ऩहरे ज कय तम्


ु हें वह ॊ यहने के मरए कोई घय फ य जभ न जरूयी है ।’

‘भुझे डय रगत है ।’

‘ककस फ त क ?

‘तम्
ु ह ये चरे ज ने के फ द तम्
ु ह ये भक
ु क की कपकभों की तयह कहीॊ भैं मह ॊ ववयह के गीत ही ग ती न यह ज ऊॊ।’

‘तभ
ु ऩ गर हो।’—वववेक हॊ स ।

‘भैं गम्बीय हूॊ।’

‘भेय अकेरे ज न जरूयी है । सोभव य भैंने ड्मूिी ज्व मन कयनी है । न कयने ऩय इतनी फटढम नौकयी ह थ से ननकर ज ने
क अन्दे श है । भेय प्रेन टिकि फक
ु है । ऊऩय से सोभव य तक तम्
ु ह य च च अऩनी एवये स्ि एक्सऩीडीशन से व वऩस
रौिकय नहीॊ आने व र । तभ
ु क्म उसे बफन कुछ फत मे भेये स थ चर दोगी! भैं क्म तम्
ु हें बग कय रे ज यह हूॊ!’

‘भुझे तो कोई एतय ज नहीॊ।’

‘ककस फ त भें?’

‘तम्
ु ह ये स थ ब ग चरने भें ।’

‘ऩ गर हो! जरूयत क्म है ऐसी हयकत की! फस चन्द टदनों की तो फ त है । कपय भैं तम्
ु हें ववधधवत ् ब्म ह कय टदकरी रे
ज ऊॊग ।’

वह ि भोश यही।
‘ओके?’—वववेक फोर ।

उसने फड़ी सॊजीदगी से सहभनत भें मसय टहर म ।

‘न ओ धगव भी ए स्भ इर।’

वह भस्
ु कय ई।
तबी एक वेिय उनकी िे फर के कयीफ ऩहुॊच ।

‘आऩके मरए पोन है, ज र न स हफ।’—वह फड़े अदफ से फोर ।

वह तत्क र उठकय र फी भें ऩहुॊच ।

पोन होतचन्द नी क थ औय आव ज से वह फहुत धचजन्तत रग यह थ ।

‘तभ
ु थोड़ी दे य के मरए मह ॊ आ सकते हो?’—वह फोर ।

‘मह ॊ कह ?
ॊ ’—वववेक फोर ।

‘भेये फॊगरे ऩय।’

‘क्मों?’

‘एक फहुत जरूयी क भ है ।’

‘कैस क भ?’

‘कुछ भशवय रेन है ।’

‘कैस भशवय ? आऩ कुछ फत नहीॊ यहे हैं।’

‘आओगे तो फत ऊॊग । पोन ऩय ज्म द सव र न कयो। थोड़ी तकरीप कयो भेयी ि नतय।’

‘कफ आऊॊ?’

‘स ढे नौ फजे आ सकते हो?’

‘आ सकत हूॊ।’

‘ठीक है । आन । स ढे नौ फजे। भैं तम्


ु ह य इन्तज य करूॊग ।’

र इन कि गई।

रयसीवय व वऩस िेडडर ऩय यिकय वह व वऩस अऩनी िे फर ऩय रौि ।


श्वेत अऩनी क पी ित्भ कय चक
ु ी थी। उसके सॊकेत ऩय वह उठी औय दोनों वह ॊ से फ हय ननकर कय सड़क ऩय आ गए।

डडनय के फ द व क कयके श्वेत को उसके घय तक छोड़ कय आन वववेक क योज क दस्तयू थ ।

श्वेत अन थ थी। उसकी भ ॊ उसके फचऩन भें ही भय गमी थी औय उसक वऩत एक टहभ रमन एक्सीऩीडीशन भें
बस
ू ॊस्िरन क मशक य होकय भय गम थ । औय कोई ब ई फहन उसक थ नहीॊ। उसक ऩ रन ऩोषण उसके ववधयु च च ने
ककम थ जो कक उसके वऩत की ही तयह शेयऩ थ औय भ उन्ि एवये स्ि अन्नऩण
ू ,ा कॊचनजॊग , धौरधगयी औय
भच्छऩुच्छर जैसी ऩवात श्ि
ॊ ृ र ओॊ के आयोहण अमबम न दरों के स थ ज त थ ।

‘फ रयश न हो ज मे।’—श्वेत झुयझुयी रेती हुई फोरी।

‘भ नसून क भौसभ आ गम है ।—वववेक फोर —‘अफ न हो ज मे कहने से थोड़े ही फ रयश कहन भ न ज मेगी।’

‘मे बी ठीक है ।’

दोनों श्वेत के घय ऩहुॊच।े वह रकड़ी क फन , कई दे वी-दे वत ओॊ की भूनतामों से सज ऐस घय थ जो घय कभ, छोि -भोि


भजन्दय ज्म द रगत थ ।

श्वेत ने दयव जे क त र िोर औय उसकी तयप घूभी।

वववेक ने सहज ही उसे अऩनी फ ॊहों भें बय मरम औय उसके शहद से भीठे होंठों ऩय अऩने आतयु होंठ यि टदमे। ककतनी ही
दे य दोनों एक दस
ू ये के आमरॊगन भें फन्धे यहे । कपय वववेक ने ही उसे अऩने से अरग ककम ।

‘भैं चरत हूॊ।’—वह फोर —‘क भ है । कर रॊच ऩय भुर क त होगी।’

श्वेत ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘गुड न इि। स्वीि ड्रीम्स।’

वह वह ॊ से ववद हो गम । स ढे नौ फजने भें अबी क पी वक्त थ इसमरए वह व वऩस अऩने होिर भें आ गम । वह फ य भें
गम । उसने गभा ऩ नी ब् ॊडी ह मसर की औय उसे चस
ु कत औय मसगये ि के कश रग त वह ॊ फैठ यह ।

भुर क त के ननध ारयत सभम भें केवर तीन मभनि फ की यह गमे तो वह फ य से ववद हुआ।

होतचन्द नी क फॊगर उसके होिर से थोड़ी ही दयू थ ।

रम्फे डग बयत हुआ वह फॊगरे की तयप फढ चर ।

वह अबी आधे य स्ते भें ही थ कक एक एक बफन ककसी चेत वनी के ऩ नी फयसने रग । वह फौिर म । फ रयश एक एक इस
तेजी से होनी शुरू हुई थी कक वह दौड़ कय बी होतचन्द नी के फॊगरे तक ऩहुॊचत तो बी ऩूयी तयह से बीग चक
ु होत । ककसी
ओि भें शयण रेने भें ही उसे अऩन ककम ण रग । सौब ग्मवश ऐसी ओि ऐन वहीॊ भौजूद थी जह ॊ कक फ रयश शरू ु होते ही
वह टठठक थ । सड़क से कुछ ही पुि ऩये एक रगबग िॊडहय हो चक
ु अॊधेय ि री भक न थ जजसे वववेक ने ऩहरे बी कई
फ य दे ि थ । वह रऩक कय उसके फय भदे भें ऩहुॊच गम जो कक भक न से कहीॊ फेहतय जस्थनत भें थ ।

उसने एक मसगये ि सुरग मरम औय फ रयश के रुकने की प्रतीऺ कयने रग ।

वह ज नत थ कक वह भ नसून की फयस त थी जो कक घन्िों बी फयसती यह सकती थी म कपय जैसे एक एक शुरू हुई थी


वैसे ही एक एक फन्द बी हो सकती थी। न फन्द होती तो वह सड़क से गुजयती ककसी स इककर रयक्श को योक कय
होतचन्द नी के फॊगरे तक ऩहुॊच सकत थ । फहयह र उसक फ रयश भें बीगने क कोई इय द नहीॊ थ ।

मसगये ि के कश रग त वह फय भदे भें टठठक िड़ यह ।

फ रयश शुरू होते ही उसकी तयह औय रोग बी इधय उधय ऩन ह भ ॊगते सड़क से ग मफ होने रगे थे। ऩ नी से फुयी तयह तय
एक फ इमसकर व र मसय नीच ककमे ऩूयी शजक्त से ऩैडर भ यत सड़क ऩय ज यह थ । वैसी ही दश भें एक औयत छ ती
से कोई फॊडर स धचऩक मे, मसय नीचे ककमे, सड़क ऩय चरी ज यही थी। वह इस फयु ी तयह बीग चक
ु ी थी कक उसके गीरे
फ र रिों की सयू त भें उसके चेहये ऩय रिक आमे थे औय उनभें से ऩ नी फह यह थ । उसकी ऩोश क बीग कय ऩरस्तय की
तयह उसके फदन से धचऩक चक
ु ी थी।

तबी सड़क ऩय एक क य प्रकि हुई जजसकी है डर इर्टस की तीिी योशनी सीधे फय भदे भें िड़े वववेक के चेहये ऩय ऩड़ी। उसने
आॊिें मभचमभच मीॊ। जफ तक वह ठीक से आॊिें िोर ऩ म तफ तक क य सड़क से गुजय चक ु ी थी औय अफ मसपा उसकी दयू
होती िे र र इि उसे टदि ई दे यही थी।

उसने फड़े फेसब्ेऩन से मसगये ि क आखियी कश रग म औय उसे एक ओय उछ र टदम ।

तबी एक एक फ रयश मूॊ फन्द हुई जैसे ककसी ने श वय फ थ की िूिी फन्द कय दी हो। अबी फ रयश क बीषण शोय थ तो
अबी सन्न ि थ । केवर ऩेड़ों से िऩकते ऩ नी की िऩ िऩ की आव ज व त वयण भें गूॊज यही थी।

वह फय भदे की ओि छोड़ कय व वऩस सड़क ऩय ऩहुॊच ।


उसी की तयह औय रोग बी ककसी ऩेड़ के नीचे से, ककसी इभ यत की ओि भें से ननकर कय सड़क ऩय आने रगे। औय थोड़ी
दे य भें कपय ऩहरे जैसी चहर ऩहर हो ज ने व री थी।

गीरी सड़क ऩय स वध नी से चरत हुआ वह होतचन्द नी के फॊगरे ऩय ऩहुॊच । उसने दे ि कक फॊगरे क भुख्मद्व य िर

थ औय बीतय योशनी थी। उसने टहचककच ते हुए दयव जे ऩय दस्तक दी। कोई उत्तय न मभर तो उसने दयव जे को धकेर
कय ऩयू िोर औय बीतय ़दभ यि । ड्र इॊगरूभ भें उसने दो ही कदभ आगे फढ मे थे कक वह थभक कय िड़ हो गम ।

उसे होतचन्द नी टदि ई टदम ।

वह अऩनी आकपस िे फर के कयीफ पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ थ । उसकी ि ॊगें घुिनों ऩय से भुड़ी हुई थीॊ औय
उसकी एक फ ॊह उसके जजस्भ के नीचे कहीॊ दफी हुई थी। दयव जे की तयप उसकी ऩीठ थी इसमरमे वववेक को उसक चेहय
ठीक से टदि ई नहीॊ दे यह थ ।

‘होतचन्द नी स हफ!’—वह व्म कुर ब व से फोर —‘होतचन्द नी स हफ! क्म हुआ?’

कोई उत्तय न मभर ।


खझझकत हुआ वह पशा ऩय ननश्चेष्ि रुढके ऩड़े शयीय के कयीफ ऩहुॊच । वह एक घुिने के फर नीचे झुक कय उसके कयीफ
फैठ गम । उसने एक फ य कपय उसे न भ रेकय ऩुक य औय कपय हौरे से उसके कन्धे को छुआ।

कन्धे को ह थ रगते ही होतचन्द नी के शयीय भें मूॊ हयकत हुई कक वववेक ने धचहुॊक कय अऩन ह थ व वऩस िीॊच मरम ।
उसके दे िते दे िते होतचन्द नी क शयीय हौरे से कपय औय कपय ऩीठ के फर रुढक कय जस्थय हो गम । तफ वववेक को
उसकी ऩथय ई हुई आॊिें औय िन
ू से तय कभीज टदि ई दी।

आतॊककत ब व से वववेक कुछ ऺण अऩरक उसे दे ित यह , कपय उसने टहम्भत कयके ह थ फढ कय र श की कर ई को


छुआ। नब्ज ग मफ थी रेककन जजस्भ अबी गभा थ । उसने कर ई छोड़ दी जो कक एक धप्ऩ की आव ज से क रीन बफछे
पशा ऩय ज कय धगयी। उसने उसकी छ ती ऩय ननग ह ड री तो ऩ म कक िन
ू क द मय अबी बी फड़ होत ज यह थ । उस
द मये के ऐन फीच भें एक क र स सयु ि टदि ई दे यह थ । ज टहय थ कक उसके वह ॊ आगभन से कुछ ही ऺण ऩहरे
ककसी ने होतचन्द नी को शि
ू ककम थ ।

वह घफय कय उठ िड़ हुआ।

तफ उसकी ननग ह आकपस िे फर ऩय ऩड़ी। उसने दे ि कक िे फर क कऩफोडा जैस ऩकर ऩूय िर


ु थ औय उसके ऩीछे से
सेप झ ॊक यही थी जो कक ऩत नहीॊ िर
ु ी थी म फन्द थी। उस घड़ी उसे सेप की जगह मह सूझ यह थ कक होतचन्द नी से
कुछ टदन ऩहरे हुए झगड़े पस द की वजह से, जजसक कक उसक नौकय हनभ ु न गव ह थ , वववेक क वह ॊ त जे त जे
कत्र हुए होतचन्द नी के ऩहरू भें िड़ ऩ म ज न उसे ब यी भुसीफत भें ड र सकत थ । हनुभ न अबी वह ॊ प्रकि हो
सकत थ औय उसे अऩने हनुभ न जैसे ही फ हुऩ श भें फ ॊध सकत थ ।

इसी बम से आॊदोमरत वववेक वह ॊ से ब ग िड़ हुआ।

वह मूॊ मन्त्रच मरत स वह ॊ से ब ग कक सड़क ऩय ऩहुॊच कय ही उसे अऩनी उस हयकत क अहस स हुआ। तफ सफ से ऩहरे
तो उसने दौड़न फन्द ककम रेककन च र उसकी कपय बी तेज ही यही। कोई अऻ त बम उसे वह ॊ से उड़न छू हो ज ने के
मरए प्रेरयत कय यह थ ।

सड़क ऩय जगह जगह जभ हो गए ऩ नी भें ऩड़ने से अऩने ऩैयों को फच त हुआ वह फॊगरे से ऩये चरत यह ।

उसे स भने अऩन होिर टदि ई दे ने रग तो वह टठठक ।

तफ कहीॊ ज कय उस ऩय से बम क बत
ू उतय औय उसकी अक्र ने क भ कयन शरू
ु ककम । तफ उसने भहसस
ू ककम कक
उसे मूॊ होतचन्द नी के फॊगरे से ब ग नहीॊ िड़ होन च टहए थ । क्म ऩत उसने नब्ज ठीक से दे िी हो, क्म ऩत
होतचन्द नी तफ बी जजन्द हो औय पौयन ड क्ियी इभद द ह मसर हो ज ने ऩय उसकी ज न फच सकती हो।

ऊऩय से हो सकत थ ककसी ने उसे होतचन्द नी के फॊगरे भें द खिर होते औय कपय वह ॊ से कूच कयते दे ि हो। इस त्म
क फ द भें उज गय होन उसके मरए ब यी दश्ु व यी क फ मस फन सकत थ ।

उसे रौिने भें ही अऩन ककम ण टदि ई टदम ।

वह घूभ औय होतचन्द नी के फॊगरे की ओय फढ चर ।


फॊगर कयीफ आने रग तो उसके टदर की धड़कन तेज होने रगी। उसकी व्म कुर ननग ह इधय उधय कपयने रगी। आगे
फॊगरे के कयीफ एक ओय फड़ के एक ववश र ऩेड़ की ओि भें एक र्टमोि क य िड़ी थी जजसके फ ये भें वह पैसर न कय
सक कक वह ऩहरे बी वह ॊ थी म फ द भें आकय िड़ी हुई थी। ऩेड़ की ओि की वजह से क य क नम्फय ऩूय नहीॊ टदि ई दे
यह थ । जो टदि ई दे यह थ , वह थ डी—१२

इससी ऩहरे कक वह आगे फढकय फ की क नम्फय ऩढने की कोमशश कयत , उसकी तवज्जो फ मीॊ ओय से आती एक
सयसय हि जैसी आव ज की तयप गई। उसने उस तयप दे ि तो पुिऩ थ से आगे उगी घ स ऩय एक ऩयछ ईं सी ऩड़ती
भहसूस की। उसने आॊिें प ड़-प ड़ कय उधय उगे ऩेड़ों की तयप ननग ह दौड़ ई तो ऩ म कक एक ऩेड़ के नीचे ऩेड़ के तने की
तयह ही गनतहीन एक आदभी िड़ थ । उसके कऩड़ों की यॊ गत क री थी औय वह ऩेड़ के नीचे के अन्धेये के स थ मूॊ
टहरमभर गई थी कक फहुत अधधक गौय कयने ऩय ही उसकी वह ॊ भौजद
ू गी क आब स मभरत थ ।

ककसी अऻ त ब वन से प्रेरयत होकय वह ज नफझ


ू कय उस ऩेड़ के कयीफ से गज
ु यने क उऩिभ कयने रग । उसने जेफ भें
ह थ ड र कय अऩन मसगये ि क ऩैकेि ननक र , उसभें से एक मसगये ि ननक र कय होंठों से रग म औय ऩेड़ के कयीफ
टठठक ।

‘भ धचस होगी?’—वह फोर ।

तने के स थ रग िड़ आदभी सीध हुआ।

‘ह ॊ।’—वह जेफ भें ह थ ड रत हुआ फोर ।

‘आऩ मसगये ि रो।’—वववेक उसकी तयप ऩैकेि फढ त हुआ फोर ।

‘नहीॊ। भेहयफ नी।’

उसने भ धचस वववेक को थभ दी।

वववेक ने एक तीरी चर कय मसगये ि सुरग म । मू हुई ऺखणक योशनी भें उसने दे ि कक वह डफर योिी की तयह पूरे चेहये
व र एक ववश रक म नेऩ री थ जो क री जीन, क री कभीज औय चभड़े की क री जैकेि ऩहने थ । उसके मसय ऩय
नेऩ री स्ि इर की िि
ु यी जैसे बफकरे व री क री िोऩी थी। उसकी िोऩी कन्धे वगैयह सफ सूिे थे जजससे ज टहय होत थ
कक वह तबी होकय हिी फ रयश की चऩेि भें नहीॊ आम थ । ऩेड़ भें से िऩकती फूॊदें फत यही थीॊ कक फ रयश के दौय न अगय
वह महीॊ बी भौजद
ू होत तो बी बीगने से न फच ऩ म होत ।

‘शुकिम ।’—वववेक उसे भ मसच रौि त हुआ फोर ।

नेऩ री ने ि भोशी से भ धचस रे री।


‘फहुत जोय की फ रयश हुई।’—वववेक फोर ।

‘ह ॊ।’
‘आऩ नहीॊ बीगे।’

‘ह ॊ।’

‘मह ॊ ककसी क इन्तज य कय यहे हैं?’

‘इन्तज य! नहीॊ, नहीॊ। भैं तो मॊू ही जत


ू े के तस्भे फ ॊधने के मरए रुक गम थ ।’

कपय वववेक के दोफ य फोर ऩ ने से ऩहरे ही वह वह ॊ से हि औय रम्फे डग बयत हुआ एक ओय फढ गम । वववेक तत्क र
पैसर न कय सक कक वह उसे योके कक ज ने दे । जफ तक उसके भन भें उसे योकने की इच्छ ज गतृ हुई, तफ तक वह
सड़क ऩय फहुत दयू ननकर चक
ु थ।

वववेक ने एक गहयी स ॊस री औय मसगये ि क आखियी कश रग कय उसे पेंक टदम । वह घूभ औय आगे फढकय फॊगरे भें
द खिर हो गम । उसने य हद यी ऩ य की औय सीटढम ॊ चढकय फय भदे भें ऩहुॊच गम । उसने ड्र इॊगरूभ भें कदभ यि । उसकी
ननग ह ऩैन होती हुई च यों तयप घूभी।

तत्क र उसे आब स हुआ कक कभय ऐन वैसी ही ह रत भें नहीॊ थ जैसी भें वो उसे अबी थोड़ी दे य ऩहरे छोड़कय गम थ ।
अफ आकपस िे फर क सेप के ऊऩय क इकरौत दय ज िर ु हुआ थ औय भेज ऩय तयह-तयह के क गज त औय मरप पे
ऩड़े थे। क गज इतने अधधक थे कक कुछ भेज ऩय से सयक कय नीचे पशा ऩय ज धगये थे।

तफ उसक ध्म न हीयों की दो थैमरमों से बये बयू े यॊ ग के उस सीरफन्द मरप पे की तयप गम जजसके टदन भें उसके स भने
होतचन्द नी ने भेज की सेप भें फन्द ककम थ ।

क्म मरप प बीतय थ ?

उस घड़ी सेप िर
ु ी थी म फन्द थी?

फहुत च हते हुए बी उसने सेप को चेक न ककम । उसकी अक्र मही कह यही थी कक उसे वह ॊ की ककसी चीज को नहीॊ छून
च टहमे थ ।

कपय वह दोफ य र श के कयीफ उकड़ू फैठ गम औय उसभें जीवन के कोई रऺण तर श कयने क उऩिभ कयने रग ।

तबी एक हककी सी आहि उसके क नों से िकय मी।

वह स्तब्ध हो गम औय क न रग कय सन
ु ने रग ।

कह ॊ से आई थी वो आहि!

आहि इतनी हककी थी कक सॊमोगवश ही वह उसे सुन ई दे गई थी।

उसकी सतका ननग ह च यों तयप घूभी।

कहीॊ कोई नहीॊ थ ।


आहि कपय हुई।

इस फ य उसे अहस स हुआ कक आहि फॊगरे के ऩष्ृ ठब ग से कहीॊ से आई थी।

क्म फॊगरे भें कोई थ ?

क्म कोई कहीॊ छुऩ उसकी ननगहफीनी कय यह थ ?

फॊगरे के च यों तयप फय भद थ औय फॊगरे क कोई न कोई दयव ज ककसी न ककसी तयप के फय भदे भें िर
ु त थ इसमरए
जरूयी नहीॊ थ कक फॊगरे भें प्रवेश केवर स भने के दयव जे से ही ककम ज त ।

अऩनी ऩसमरमों भें ध ड़-ध ड़ फजते टदर को क फू कयत हुआ वह उठ कय सीध हुआ।

जजस ककसी ने बी आकपस िे फर की वो ह रत फन मी थी; वह जरूय अबी बी वहीॊ थ । जरूय वववेक के दोफ य वह ॊ आगभन
से उसके क भ भें व्मवध न ऩड़ गम थ ।

क्म वही आदभी हत्म य बी हो सकत थ ?

अगय वही आदभी हत्म य थ तो कपय तो उससे वह ॊ उस घड़ी आभन स भन हो ज ने ऩय िद


ु उसकी बी ज न ज सकती
थी। जैसे उसने होतचन्द नी को शूि ककम थ , वैसे ही वह उसे बी शूि कय सकत थ ।

वो क्म कये ?

क्म वह कपय वह ॊ से ब ग िड़ हो?

नहीॊ।

अफ तो उसकी वह ॉ भौजूदगी ननश्चम ही ककसी की ननग ह भें थी।

कपय फहुत टहम्भत कयके उसने आगे फढकय कभये क वऩछर दयव ज िोर ।

आगे गमरम य ि री थ ।

वह रम्फे डग बयत हुआ उसके दसू ये मसये ऩय ऩहुॊच । उसने ऩ म कक वह दयव ज चौिि से रग हुआ थ रेककन फन्द नहीॊ
थ । उसने उसे िोर कय फ हय फय भदे भें कदभ यि ।

कहीॊ कोई नहीॊ थ ।

तबी ऩहरे जैसी आहि उसे कपय सन


ु ई दी। इस फ य उसे रग कक आहि फॊगरे के स भने ब ग से कहीॊ से आई थी। व वऩस
गमरम ये भें द खिर होने की जगह वह दफे ऩ ॊव फय भदे भें आगे रऩक औय फॊगरे क घेय क िकय स भने फय भदे की ओय
फढ ।
तबी एक क य स्ि िा होने की आव ज आमी।

वह रगबग दौड़त हुआ स भने फय भदे भें ऩहुॊच औय आॊिें प ड़-प ड़ कय सड़क की तयप दे िने रग ।

सड़क ि री थी।

जो र्टऩोि क य उसने फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ी दे िी थी, वह अऩने स्थ न से ग मफ थी।

क्म वह हत्म ये की क य थी?

क्म उसी ऩय अबी अबी हत्म य वह ॊ से ब ग थ ?

क श वह उसकी सूयत दे ि ऩ त !

वह कुछ ऺण वहीॊ स्तब्ध व त वयण भें टठठक िड़ यह , कपय ब यी कदभों से व वऩस ड्र इॊग रूभ भें रौि ।

उसने वह ॊ से ऩमु रस को िोरीपोन ककम औय तभ भ व क्म फम न ककम । उसको टहद मत मभरी कक वह ऩमु रस के आगभन
तक वहीॊ यहे औय ककसी चीज को न छुए।

वह पोन मथ स्थ न यिकय आकपस िे फर के कयीफ ऩहुॊच । उसकी िोजऩूणा ननग ह भेज ऩय बफिये क गज त ऩय ऩड़ी। उन
क गज त भें फेशुभ य ि इऩशुद ऩष्ृ ठ थे, फैंक स्िे ि-भें र्टस थीॊ, यसीदें थीॊ, धचटिम ॊ थीॊ, एक रम्फी सूची थी जजसभें
होतचन्द नी की नेऩ र भें तभ भ चर अचर सम्ऩजत्त क वववयण दजा थ ।
इससे ऩहरे कक वह उस सूची क औय गौय से भुआमन कय ऩ त उसे फ हय से आती एक क य की आव ज सुन मी दी। उसे
रग कक क य क इॊजन ऐन फॊगरे के स भने आकय फन्द हुआ थ ।

वह पौयन भेज से ऩये हि गम ।

ककसी के फय भदे की सीटढम ॊ चढने की आव ज आमी। कपय दयव जे ऩय एक दस्तक ऩड़ी।

‘बई, कोई है घय ऩय!’

कपय भछे न्द्रन थ य ण ने बीतय कदभ यि ।

भछे न्द्रन थ य ण से वववेक फिफ


ू ी व ककप थ । वह होतचन्द नी क वकीर थ औय श्वेत उसके आकपस भें फतौय उसकी
सैिेिी नौकयी कयती थी। वह एक रगबग ऩच स स र क हट्ट -कट्ट नेऩ री थ । वह भोिी भूॊछें यित थ औय सोने के फ्रेभ
क चश्भ रग त थ । उस घड़ी वह फहुत श नद य ब यी थ्री ऩीस सि
ू ऩहने थ ।

उसकी ननग ह ऩहरे वववेक ऩय, कपय पशा ऩय ऩड़े होतचन्द नी ऩय औय कपय वववेक ऩय ऩड़ी।

‘क्म फ त है ?’—वह तीिे स्वय भें फोर —‘क्म हुआ इसे?’

‘भय गम !’—वववेक धीये से फोर ।


‘भय गम ?’—य ण ने दोहय म । तफ तक उसकी ननग ह उसकी िन
ू भें यॊ गी छ ती ऩय ऩड़ चक
ु ी थी—‘हे बगव न! मे

‘ह ॊ।’

‘क्म हुआ? कैसे हुआ’

‘ऩत नहीॊ। भझ
ु े तो मे मह ॊ मॊू ही ऩड़े मभरे थे। भैं अबी आऩ के आगे-आगे ही मह ॊ आम हूॊ।’

‘ऩुमरस को िफय कयनी च टहए।’

‘भैंने कय दी है । वो रोग आते ही होंगे।’—तबी फ हय से कपय एक क य के इन्जन की आव ज आई—‘रगत है आ ही गमे।’

उसने आगे फढकय िर


ु े दयव जे भें से फय भदे भें कदभ यि ।

ऩुमरस की जीऩ वह ॊ ऩहुॊची थी औय तफ उसभें से कई ऩुरमसमे फ हय ननकर यहे थे।

ऩमु रस ऩ िी के इॊच जा इन्सऩेक्िय क न भ बत्रबव


ु न दे व थ । वह एक कोई ऩैंतीस-छत्तीस स र क , अबी से मसय से गॊज
हो चर , दफ
ु र -ऩतर आदभी थ । उसके सह मक सफ इन्स्ऩेक्िय क न भ कुभ य फह दयु थ औय वह कोई ऩुमरस पोसा भें
ज त ज त बयती हुआ मुवक रगत थ ।

वववेक औय भछे न्द्र न थ य ण को ऩुमरस की तफ्तीश ऩूयी होने तक वहीॊ टिके यहने क आदे श हुआ थ ।

ऩमु रस क ड क्िय आकय इस फ त की तसदीक कय चक


ु थ कक स धयू भ होतचन्द नी कफ क इस प नी दनु नम से रुख्सत
हो चक
ु थ।

कपय होतचन्द नी के नौकय हनुभ न को तरफ ककम गम ।

हनुभ न फॊगरे के वऩछरे कम्ऩ उण्ड के कोने भें फने रकड़ी के केबफन भें यहत थ औय उसे तबी ऩुमरस व रों के फत मे ऩत
रग थ कक वह ॊ क्म हो गम थ ।

उसक फम न रेने के मरमे इन्स्ऩेक्िय दे व उसे वऩछव ड़े के एक कभये भें रे गम ।

वववेक औय य ण ड्र इॊगरूभ भें एक कोने भें फैठे यहे ।

ऩुमरस क एक पोिोग्र पय ववमबन्न कोणों से र श की तस्वीयें िीॊच यह थ । एक कपॊ गयवप्रॊि एक्सऩिा कई स्थ नों से
उॊ गमरमों के ननश न उठ ने की कोमशश कय यह थ । एक अन्म व्मजक्त आकपस िे फर ऩय बफिये क गज त क भुआमन कय
यह थ ।

कपय वह ॊ एम्फूरेंस ऩहुॊची औय र श उठव दी गमी।

कपय ड क्िय, पोिोग्र पय औय कपॊ गयवप्रॊि एक्सऩिा बी वह ॊ से ववद हो गमे।

तबी हनुभ न के स थ इन्सऩेक्िय दे व व वऩस ड्र ईंग रूभ भें रौि । हनुभ न एक ओय िड़ हो गम । इन्स्ऩेक्िय अऩने दो
ऩुमरमसमों से सम्फोधधत हुआ—‘भ नक होतचन्द नी। कैप्िन बफमरमभ भूॊग बफन। अचय मोसववधचत। सफ को मह ॊ रे के
आओ।’

दोनों ऩुमरमसमे सहभनत भें मसय टहर ते हुए वह ॊ से ववद हो गमे।

कपय इन्स्ऩेक्िय वववेक की तयप आकवषात हुआ।

‘र श आऩने कैसे फय भद की?’—उसने सव र ककम —‘भेय भतरफ है मह ॊ कैसे आन हुआ आऩक ?’

‘भुझे होतचन्द नी स हफ ने पोन कयके फुर म थ ।’–वववेक फोर ।

‘कह ॊ पोन ककम थ उन्होंने आऩको?

‘भेये होिर भें । जह ॊ कक भैं अऩनी भॊगेतय श्वेत श हू के स थ डडनय कय यह थ ।’

‘ककस वक्त पोन आम थ ?’

‘स ढे आठ के कयीफ।’

‘आऩ को ककसी बी वक्त मह ॊ चरे आने को कह गम थ म भुर क त क कोई वक्त भुकया य हुआ थ ?’

‘वक्त भुकया य हुआ थ ।’

‘ककतने फजे क ?

‘स ढे नौ फजे क ?

‘स ढे नौ फजे क ।’—इन्स्ऩेक्िय फड़े ववच यऩूणा ब व से फोर थ —‘तो स ढे नौ फजे जफ आऩ मह ॊ आमे तो आऩने
होतचन्द नी स हफ को मह ॊ भय ऩड़ ऩ म ?’

वववेक टहचककच म ।

क्म वह फत मे कक उसके वह ॊ दो पेये रगे थे, कक ऩहरी फ य जफ वह वह ॉ आम थ तो र श ऩय ननग ह ऩड़ते ही वह ॉ से


ब ग िड़ हुआ थ औय होश टठक ने आ ज ने के फ द कपय दोफ य वह ॊ व वऩस रौि थ । उसे रग कक अऩने दो पेयों की
फ फत ऩुमरस को फत न उसके मरए कई अनज नी दश्ु व रयम ॊ िड़ी कय सकत थ ।

उसने अऩने टहत भें अऩने ऩहरे पेये को गोर कय ज न ही भुन मसफ सभझ ।

‘ननध ारयत वक्त ऩय’—वह फोर —’ भैं मह ॊ नहीॊ ऩहुॊच सक थ ।’

‘क्म ?’

‘भैंने अजा ककम कक भैं मह ॊ स ढे नौ फजे नहीॊ आ सक थ ।’


‘क्मों?’

‘क्मोंकक एक एक फ रयश होने रगी थी औय भैं फ रयश भें पॊस गम थ ।’

‘हूॊ। कफ तक पॊसे यहे थे औय फ रयश भें ?’

‘मही कोई दसेक मभनि।’

‘तो फ रयश फन्द हो ज ने के फ द आऩ अऩने होिर से यव न हुए?’

‘ह -ॊ ह ॊ।’

‘मह ॊ ककस वक्त ऩहुॊच?


े ’

‘श मद ऩौने दस फजे। म औय ऩ ॊच मभनि फ द। ठीक से ध्म न नहीॊ। भैंने घड़ी नहीॊ दे िी थी।’

‘हूॊ।’—इन्स्ऩेक्िय कुछ ऺण सोचत यह औय कपय फोर —‘हनभ ु न कहत है कक आऩ भें औय होतचन्द नी स हफ भें कुछ
यॊ जजश थी। वो कहत है कक कुछ टदन ऩहरे आऩ फड़े क नतर न इय दे से मह ॊ ऩहुॊचे थे औय अगय उसने फीच बफच व न
ककम होत तो तफ श मद आऩ होतचन्द नी स हफ को भ य ही ड रते। मे फ त सच है?’

‘फ त तो सच है —वववेक कटठन स्वय भें फोर —‘रेककन इसक भतरफ मह तो नहीॊ कक क्मोंकक तफ हनुभ न के फीच बफच व
की वजह से भैं होतचन्द नी स हफ को नहीॊ भ य सक थ इसमरए भैंने उन्हें आज भ य टदम ।’

‘नहीॊ। इसक भतरफ मह नहीॊ है । है बी तो अबी भैंने ऐस कुछ कह नहीॊ। अबी हभ वऩछरी फ य की फ त कय यहे हैं।’

वववेक ि भोश यह ।

‘तो आऩ कफूर कयते हैं कक आऩ क नतर न इय दे से मह ॊ आमे थे?’

‘भैं फहुत गस्


ु से भें बय मह ॊ आम थ ।’

‘आऩ होतचन्द नी स हफ ऩय झऩिे थे। अगय हनुभ न फीच भें न आ गम होत तो हो सकत थ आऩक गुस्स उनकी ज न
रेकय ही ठण्ड होत ।

‘होने को तो कुछ बी हो सकत थ रेककन हुआ नहीॊ।’

‘इसमरए नहीॊ हुआ क्मोंकक होने नहीॊ टदम गम ।’

‘चमरए मॊू ही सही।’

‘ज र न स हफ, हकीकत ज नकय इस फ त की ह भी बरयए। भेये ऩय अहस न कयने के ढॊ ग से इसे कफूर न कीजजए।’

‘ठीक है ।’—वववेक बड़ककय फोर —‘भैं कफूर कयत हूॊ कक कुछ टदन ऩहरे गुस्से भें उपनत हुआ भैं मह ॊ आम थ औय
भैंने होतचन्द नी स हफ को कह थ कक भैं उन्हें ज न से भ य ड रूॊग रेककन…’

‘रेककन यहने दीजजए। कपरह र इतन ही क पी है ।’

‘नहीॊ क पी। गुस्से भें ककसी को ज न से भ य ड रने की घोषण कयने रगने ऩय कोई सच भें ही ककसी को ज न से नहीॊ भ य
ड रत । गुस्से भें ऐसी व हीतफ ही कोई बी फक सकत है जजसक आऩ फ द भें तोड़-भयोड़कय कैस बी भन भ कपक भतरफ
ननक र सकते हैं। अगय आऩ सभझते हैं कक भैंने होतचन्द नी स हफ क कत्र ककम है तो ऐस स प कटहए। भेये स थ मॊू
चह
ू े बफकरी क िेर िेरने क क्म भतरफ?’

‘आऩने कत्र ककम है ?’

‘नहीॊ।’

‘होतचन्द नी स हफ ऩय मॊू चढ दौड़ने की नौफत क्मों आई थी?’

‘उन्होंने भेये स थ धोि ककम थ ।’

‘कैस धोि ?’

‘सुननए। भैं प्रमशऺण प्र प्त िननज ऩद थों क ववशेषऻ हूॊ।’

‘जजमोरोजजस्ि?’

‘ह ॊ। होतचन्द नी स हफ को मह ॊ हीये -जव हय त की भ इननॊग के कुछ प्रॉस्ऩैक्िस टदि ई टदए थे जजनके मरए इन्हें एक ट्रें ड
जजमोरोजजस्ि की जरूयत थी। इन्होंने भुझे ि स तौय से टहन्दोस्त न से ऩ िा नयमशऩ के व दे ऩय फुर म थ औय भैं अऩनी
रगी रग ई नौकयी से िड़े ऩैय इस्तीप दे कय मह ॊ आम थ । हभ ये भें तम हुआ थ कक इन्वेस्िभें ि स यी इनकी होगी औय
भेहनत स यी भेयी होगी औय हभ ये भें मसक्सिी पोिी की ऩ िा नयमशऩ होगी।’

‘म नी कक स ठ प्रनतशत भन
ु प होतचन्द नी स हफ क औय च रीस प्रनतशत आऩक ?’

‘ह ॊ।’

‘कोई एग्रीभें ि बी तो स इन हुआ होग ऐस ?’

‘हुआ थ । उसी भें तो इन्होंने भुझे धोि टदम ।’

‘कैसे?’

‘होतचन्द नी स हफ ने एग्रीभें ि तैम य कयके भुझे टदम । वहीॊ उनकी भौजूदगीभें भैने एग्रीभें ि ऩढ । एग्रीभें ि एकदभ चौकस
थ । भैं फेटहचक उस ऩय स इन कयने को तैम य हो गम । वहीॊ स भने सैन्िय िे फर ऩय फैठकय होतचन्द नी क ऩैन रेकय जफ
भैं स इन कयने रग तो भैंने ऩ म कक ऩैन भें स्म ही नहीॊ थी। उन्होंने भुझे कह कक भैं उस आकपस िे फर ऩय भौजूद
कभरद न भें से दस
ू य ऩैन रे आऊॊ। भैं उठकय ऩैन रेने गम । इतने भें उन्होंने एग्रीभें ि क क गज फदर टदम । दोनों
क गज एक जैसे थे इसमरए तफ भझ
ु े पका भहसस
ू न हुआ। भैंने स इन कय टदए। उसने भेयी क ऩी को तह कयके एक
मरप पे भें यि औय मरप प भुझे सौंऩ टदम । फ त ित्भ हो गई। अबी कोई तीन हफ्ते ऩहरे भुझे ककसी तयीके से भ रूभ
हुआ कक होतचन्द नी के ऩ स ऐसी ककसी भ इननॊग क कोई सयक यी ऩयमभि नहीॊ थ । बफन सयक यी इज जत के आऩके
भुकक भें ऐसी भ इननॊग गैयक नूनी थी औय ऩकड़े ज ने ऩय रम्फी सज हो सकती थी। भैं डय गम । भैंने पौयन क न्ट्रे क्ि
ित्भ कयने क पैसर कय मरम । तफ कहीॊ ज कय शुरू क ककम हुआ क न्ट्रे क्ि भैंने मरप पे भें से ननक रकय ऩढ तो भुझे
भ रभू हुआ कक उस क न्ट्रै क्ि के भत
ु बफक भैं होतचन्द नी स हफ क ऩ िा नय नहीॊ; भर
ु जजभ थ औय फतौय भरु जजभ भेयी
जो तनख्व ह थी वो इतनी कभ दजा थी कक टहस फ कयने ऩय उरिे होतचन्द नी स हफ को भैंने ऩैसे दे ने होते। तफ भेयी
सभझ भें आम कक भुझे ज नफूझकय सूि ऩैन ऩकड़ म गम थ क न्ट्रै क्ि स इन कयने के मरए त कक भैं दस
ू यै ऩैन र ने के
मरए भेज ऩय से हिूॊ औय वो क न्ट्रै क्ि फदर दें । आऩ िद
ु पैसर कीजजए इन्स्ऩेक्िय स हफ, इतने फड़े धोिे की िफय रगने
ऩय भेय िन
ू िौरत म न िौरत । भेयी जगह आऩ बी होते तो क्म आऩ ऐसे धोिेफ ज आदभी ऩय न चढ दौड़ते?’

‘गस्
ु से भें आदभी िन
ू कय ही फैठत है ।’

‘कफूर। रेककन फकौर आऩके अगय भैं ‘क नतर न ’ इय दे से तफ मह ॊ आम होत तो क्म स थ भें कोई हधथम य रेकय न
आम होत । आऩ हनुभ न से ऩूछ रीजजए। तफ भेये ऩ स कोई हधथम य नहीॊ थ ।’
v इन्सऩेक्िय ने हनुभ न की तयप दे ि । हनुभ न ने फड़ी सॊजीदगी से इनक य भें मसय टहर म ।

‘वो एक एक आए गस्
ु से की फ त थी।’–वववेक फोर —‘जो भैं उन ऩय चढ दौड़ थ । होतचन्द नी स हफ कोई भ धचस की
तीरी नहीॊ थे। हट्टे -कट्टे तन्दरु
ु स्त आदभी थे। हनुभ न ने फीच बफच व न ककम होत तो हो सकत थ वही भुझे ऩीि ड रते।
म वे भुझे शूि कय दे ते औय कहते कक उन्होंने आत्भयऺ के मरए गोरी चर ई थी। हनुभ न इस फ त क गव ह होत कक
हभर वय भैं थ । कहने क भतरफ मह है इन्स्ऩेक्िय स हफ, आऩ मह न सभखझए कक हनुभ न ने फीच बफच व कयके अऩने
भ मरक को फच म थ । श मद उसने भुझे होतचन्द नी स हफ के ह थों ह थ ऩ ॊव तड़
ु व ने म ऩयरोक मसध यने से फच म
थ ।’

इन्स्ऩेक्िय ि भोश यह रेककन वह वववेक की फ तों से स प स प प्रब ववत टदि ई दे यह थ ।

‘आऩ’—कपय इन्सऩेक्िय य ण की तयप घूभ —‘भकतर


ू के वकीर थे?’

‘ह ॊ।’—य ण िॊि यकय गर स प कयत हुआ फोर ।

‘ऩ िा नमशऩ क वो एग्रीभें ि आऩने तैम य ककम थ ?’

‘नहीॊ।’

‘तो ककसने ककम थ ?’

‘भुझे नहीॊ भ रूभ।’

‘ककम तो ककसी वकीर ने ही होग ?’


‘जरूयी नहीॊ। वो एग्रीभें ि होतचन्द नी स हफ ने िद
ु बी तैम य ककम हो सकत है ।’

‘फ वजद
ू एक वकीर की ये गर
ु य सेव एॊ उऩरब्ध होने के?’

य ण ने उत्तय न टदम ।

‘होतचन्द नी स हफ नहीॊ च हते होंगे।’—वववेक फोर —‘कक जो धोि धड़ी वो भेये स थ कयने ज यहे थे, उसकी िफय ककसी
को रगे।’

‘आऩ एक फ त फत इए।’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘हनभ


ु न कहत है कक आज की स यी श भ आऩने मह ॊ भकतर
ू के ड्र इॊग रूभ
भें फैठकय कुछ जव हय त को ऩयिने भें औय उनकी कीभत आॊकने भें गुज यी थी?’

‘ह ॊ।’

‘मसपा तीन हफ्ते ऩहरे आऩ जजस आदभी की हस्ती मभि दे ने ऩय आभ द थे, आज आऩ उसकी ऐसी खिदभत क्मों कय यहे
थे?’

‘मे खिदभत भैं होतचन्द नी स हफ की नहीॊ कय यह थ ।’

‘तो ककसकी कय यहे थे?’

‘द भोदय िेत न की।’

‘मे कौन हुआ?’

‘भेयी तयह ही एक टहन्दोस्त नी है जोकक भेये व रे ही होिर भें ठहय हुआ है ।’

‘जव हय त ऩयिने के मरए उसने आऩकी सेव एॊ प्र प्त की थीॊ?’

‘ह ॊ।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक ग्र हक वो थ । होतचन्द नी स हफ के जो जव हय त भैंने ऩयिने थे, उनक ियीदद य वो थ ।’

‘भ र तकयीफन ककतने क थ ?’
‘ऩच स र ि रुऩमे क ।’

इन्स्ऩेक्िय क भुॊह मूॊ िर


ु जैसे यकभ उसके मरए एकदभ अप्रत्म मशत हो।
‘म नी कक भोि भ र थ ।’—वह धीये से फोर ।

‘ज टहय है ।’–वववेक फोर ।

‘भयने व रे को आऩ ऩय, आऩकी ऩयि ऩय एतफ य थ ?’

‘रगत तो थ ।’

‘अफ वो जव हय त कह ॊ हैं? वो ियीदद य—द भोदय िेत न—रे गम उन्हें ?’

‘नहीॊ। िेत न यकभ स थ रेकय नहीॊ आम थ । वो यकभ के स थ कर सुफह रौिकय आने व र थ । होतचन्द नी स हफ ने
हभ यी स भने जव हय त को एक फड़े से बूये मरप पे भें सीर कयके उस सेप भें’—उसने आकपस िे फर की तयप इश य
ककम —‘यि टदम थ ।’

इन्स्ऩेक्िय सेप के कयीफ ऩहुॊच । उसने उसे आजभ म तो ऩ म कक वह भजफत


ू ी से फन्द थी।

‘मे कम्फीनेशन र क व री सेप है ।’—इन्स्ऩेक्िय सीध होकय फोर —‘इसक नम्फय ककसी को भ रूभ हो?’

कोई उत्तय न मभर ।

‘आऩको नहीॊ भ रभ
ू ?’—वह वकीर से फोर ।

‘नहीॊ।’—य ण ने उत्तय टदम ।

‘तम्
ु हें ?’—वह हनुभ न से फोर ।

‘भझ
ु े नम्फय नहीॊ भ रभ
ू ’—हनभ
ु न कटठन स्वय भें फोर —‘रेककन स हफ ने भझ
ु े एक फ त कही थी।’

‘क्म ?’

‘उन्होंने कह थ कक अगय उन्हें एक एक कबी कुछ हो ज ए औय इस सेप को िोरन जरूयी हो ज ए तो भैं सेप के ऊऩय
व र दय ज ननक रकय उसकी उरिी तयप दे ि।ूॊ ’

‘दय ज की उरिी तयप क्म है ?’


‘भुझे नहीॊ भ रूभ।’

‘तभ
ु ने कबी दय ज ननक र नहीॊ?’

‘नहीॊ।

इन्स्ऩेक्िय ने दय ज ननक र औय उसे उरि ककम । फहुत गौय से भुआमन कयने ऩय उसने ऩ म कक वह ॊ ऩेजन्सर से फहुत
फ यीक अॊकों भें एक नम्फय मरि हुआ थ ।

इन्स्ऩेक्िय ने दय ज मथ स्थ न ऩहुॊच टदम औय वह नम्फय सेप के ड मर ऩय घुभ म ।

सेप िर
ु गमी।

इॊस्ऩेक्िय ने सेप के बीतय झ ॊक ।

‘इससे तो कोई सीरफन्द बूय मरप प नहीॊ है ।’—वह फोर ।

कोई कुछ न फोर ।

‘मरप प कह ॊ गम ?’—इॊस्ऩेक्िय हनुभ न से फोर ।

‘भझ
ु े क्म भ रभ
ू ?’

‘सेप क कम्फीनेशन औय ककसी को भ रूभ थ ?’

‘नहीॊ।’

‘रोककन तम्
ु हें कभ से कभ मे भ रूभ थ कक नम्फय दय ज की उरिी तयप तरे ऩय मरि होत थ ।’

‘भैंने सेप नहीॊ िोरी।’

‘ककसी ने तो िोरी। औय उसभें ऩड़ ऩच स र ि रुऩमे के जव हय त व र मरप प ननक र ।’

‘भैंने नहीॊ ननक र ।’

‘जव हय त कैसे थे? तय शे हुए म बफन तय शे?’

‘तय शे हुए।’

‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ? तभ
ु से तो सव र भैंने ककम बी नहीॊ थ ।’

‘भुझे भ रूभ।’
‘वो तो अफ ज टहय है रेककन कैसे?’

‘वो जव हय त भैं तय शत थ ।

‘तभ
ु ! तभ
ु जव य त तय शन , स्िोन कटिॊग, ज नते हो?’

‘ह ॊ। स हफ के कहने ऩय भैंने अऩने ब ई से ि स तौय से मह क भ सीि थ । भेय ब ई गरुण मरच्छवी ज्वेरसा के ऩ स


क भ कयत थ । अफ उसकी भौत हो चक
ु ी है ।’

‘मह ॊ स्िोन कटिॊग के औज य हैं?’

‘ह ॊ। ऩूयी वकाश ऩ है मह ॊ के वऩछरे एक कभये भें ।’

‘कफ से कय यहे हो मे क भ?’

‘वऩछरे च य स र से। वऩछरे मरजच्छवी ज्वेरसा के मह ॊ से छुट्टी कय के हय श भ को भेय ब ई मह ॊ आम कयत थ औय


भुझे क भ मसि कय ज म कयत थ । कपय भैं िद
ु ही दऺ हो गम थ ।’

‘कभ र है । तम् ॊ
ु ह ये भ मरक ने गैयक नूनी भ इननॊग से न केवर प्रेशस स्िोंस ह मसर ककमे फजकक उनकी कटिॊग ऩ मरमशग
क बी महीॊ प्रफन्ध कय के यि ।’

सफ ि भोश यहे ।

‘कुभ य फह दयु !’—इॊस्ऩेक्िय तत्क र फोर ।

‘किस्िर होिर भें पोन रग ओ औय वह ॊ इस द भोदय िेत न न भक टहन्दोस्त नी क ऩत कयो। अगय फ त हो ज मे तो


उसे मह ॊ फुर ओ।’

‘मस, सय।’—कुभ य फह दयु फोर औय पोन की तयप फढ चर ।

इॊस्ऩेक्िय भछे न्द्रन थ य ण की तयप आकवषात हुआ।

‘तो आऩ’—वह फोर —‘भयने व रे की जजन्दगी भें उसके वकीर थे?’

‘जी ह ॉ।’—य ण फोर ।

‘आऩको जव हय त की िफय थी?’

‘भझ
ु े मसपा इतनी िफय थी कक भेये क्र मन्ि की सम्ऩजत्त हीये जव हय त की सयू त भें बी थी। रेककन न भैंने कबी
जव हय त की सूयत दे िी थी औय न भुझे भ रूभ थ कक भेय क्र मन्ि वो जव हय त कह ॊ यित थ ।’

‘जव हय त क जो सौद आऩक क्र मन्ि इस…द भोदय िेत न से कयने ज यह थ , उसकी तो आऩको िफय होगी!’
‘नहीॊ। भुझे ऐसी कोई िफय नहीॊ थी।’

‘भुझे हनुभ न से भ रूभ हुआ है कक आऩक क्र मन्ि श दी कयने व र थ । अचय मोसववधचत न भ की एक थ ई औयत
से?’

‘जी ह ॊ।’

‘औय चन्द ही टदनों भें वो अऩन फोरयम बफस्तय रऩेि कय मह ॊ से कूच कय ज ने व र थ ?’

‘जी ह ॊ।’

‘आऩ इस फ ये भें अऩने क्र मन्ि की क पी भदद कय यहे होंगे?’

‘जी ह ॊ। क पी।’

‘कोई ि स क भ जो आज कर आऩ अऩने क्र मन्ि के ननदे शों ऩय कय यहे हों म कय के हिे हों?’

‘ि स क भ बी थ ।’

‘क्म ?’

‘भैं उनकी वसीमत तैम य कय यह थ ।’

‘उस वसीमत के ही मसरमसरे भें आऩ मह ॊ आमे थे?’

‘होतचन्द नी ने भेये आकपस भें पोन कयके भुझे मह ॊ आने को कह थ रेककन वसीमत क न भ उसने नहीॊ मरम थ ।
इसमरमे भुझे नहीॊ भ रूभ कक उसने भुझे मह ॊ वसीमत के मसरमसरे भें फुर म थ म उसे भेये से कोई औय क भ थ । वैसे
वसीमत क पस्िा ड्र फ्ि भेये ऩ स तैम य थ ।’

‘वो वसीमत फदर क्मों यहे थे?’

‘वो फदर नहीॊ यहे थे, ऩहरी फ य वसीमत कय यहे थे। जह ॉ तक भुझे भ रूभ है उन्होंने अफ से ऩहरे कोई वसीमत नहीॊ की
थी।
‘औय अफ कय बी नहीॊ ऩ मे। ऩहरे ही उनक कत्र हो गम ।’

‘ह ॊ।’

‘वैसे क्म मरिव म थ उन्होंने वसीमत भें?’

‘उनकी वसीमत के भुत बफक उनकी रगबग स यी दौरत की स्व मभनी उनसे श दी होते ही मभसेज अचय मोसववधचत फन
ज ने व री थीॊ।’

‘अऩनी ऩहरी श दी से अऩने ऩहरे दो फच्चों के मरए उन्होंने कुछ नहीॊ छोड़ ?’
‘उनक कोई प्रफन्ध वो ऩहरे ही कय चक
ु े भ रूभ होते हैं। उनक रड़क भ नक होतचन्द नी तो मह ॊ क ठभ ण्डू भें ही यहत
है । आऩ उससे ऩूछत छ कय सकते हैं। रड़क श दीशुद नहीॊ है । रड़की सीत कृऩर नी श दीशुद है औय इजन्डम भें
द जजामरॊग भें यहती है । कुछ ऩैस उन्होंने अऩने वप द य नौकय हनुभ न के न भ बी ककम है । अबी हभ ने वसीमत क मसपा
पस्िा ड्र फ्ि तैम य ककम है , उसभें जो भेजय फेनीकपशमयी है , वो अचय मोसववधचत ही है । श मद फ द भें वो प इनर ववर
भें कोई तब्दीमरम ॊ कय ते। हो सकत है ऐसी ककन्ही तब्दीमरमों की ि नतय ही उन्होंने भझ
ु े पोन कय के फर
ु म हो।’

‘वसीमत के एग्जीक्मूिय आऩ होंगे?’

‘भैं अकेर नहीॊ। स थ भें नेऩ र य ष्ट्र फैंक, क ठभ ण्डू बी।’

‘अफ वसीमत तो हुई नहीॊ। अफ क्म होग ?’

‘अफ भकतर
ू की चर अचर सम्ऩजत्त क एक एडमभननस्ट्रे िय कोिा से अप्व मन्ि ककम ज मेग ।’

‘कौन?’

‘श मद भैं। भयने व र भेय क्र मन्ि ही नहीॊ, भेय दोस्त बी थ औय उसके भ री भ भर त को भेये से फेहतय श मद ही
कोई सभझत हो।’

तबी फय भदे भें कई कदभों की आहि हुई औय कपय एक स्त्री के द में फ में चरते दो ऩरु
ु षों ने बीतय कदभ यि ।

स्त्री अचय मोसववधचत थी।

उस घड़ी उसभें वो िफ
ू सूयती, सजधज औय श नोशौकत कतई टदि ई नहीॊ दे यही थी जो कक उसके श भ के वह ॊ आगभन के
वक्त वववेक ने दे िी थी। श भ को वो चभचभ ती हुई बफजरी रग यही थी तो उस वक्त वो फुझी हुई धचॊग यी भ रूभ हो यही
थी। श भ को वह ब्मूिी ऩ राय की भेहनत क प्रनतपर रग यही थी औय उस वक्त मूॊ रग यही थी जैसे वह सोते से उठ कय
र मी गमी थी। उसके चेहये ऩय कोई भेकअऩ नहीॊ थ औय चभड़ी की यॊ गत धआ
ु -ॊ धआ
ु ॊ सी रग यही थी। हय वक्त गर
ु फ की
ऩॊिडु ड़मों की तयह खिरे यहने व रे होंठ उस वक्त फदयॊ ग थे औय मबॊचे हुए थे। आॊिों के धगदा क री झ ईंम टदि ई दे यही
थीॊ औय आॊसू उभड़ ऩड़ने को तत्ऩय भ रूभ होते थे। अऩने श नद य ववर मती ऩरयध न की जगह वो उस घड़ी फोय स ऊनी
ग उन औय ह ई हीर की सैंडडरों की जगह एक फ्रैि अॊगूठेद य चप्ऩर ऩहने थी। उसने मसय ऩय एक रुभ र फ ॊध हुआ थ
औय फ रों भें उसने ढे य स यी सुईम ॊ अिक ई हुई थीॊ।

उसके स थ जो दो ऩरु
ु ष थे उनभें से एक हत्प्र ण क फेि भ नक होतचन्द नी थ औय दस
ू य कैप्िन ववमरमन भॊक
ू ववन न भ
क एक फभीज थ जो कक अचय के ऩहरे ऩनत सोपोन मोसववधचत की भौत के फ द से ही उसक ऩक्क स थी थ ।

भ नक होतचन्द नी एक कोई छब्फीस सत्त ईस स र क गोय धचट्ट , झब्फेद य फ रों व र , क्रीन शेव्ड, पैशनेफर मुवक
थ । उसकी आॊिों भें अऩने टदवॊगत वऩत जैस ही क ईम ॊऩन थ । वववेक को ऩक्क ऩत थ कक वऩत ऩुत्र भें कतई नहीॊ
फनती थी।

कैप्िन ववमरमभ भॊग


ू ववन आमु भें रगबग च रीस स र क , द ढी भछ
ू दोनों यिने व र , भोि ऩे की तयप अग्रसय, फभीज
थ । वह एक कभमशामर ऩ मरेि थ । उसके ऩ स एक छोि स अऩन डकोि प्रेन थ जजसे वह ववदे शी ऩमािकों को नेऩ र
भें टहभ रम दशान के मरए औय नेऩ र से फ हय फॊगर दे श, फभ ा औय थ ईरैण्ड की च िा डा फ्र मि ऩय रे ज ने के क भ भें
र त थ । प्रेन क अधधकतय इस्तेभ र टहभ रम दशान की एक घण्िे की फ्र इि के मरए होत थ जजसभें वह ऩमािकों को
एक घन्िे क कॊचनजॊग , धौरधगयी, अन्नऩूण ा औय भच्छऩुच्छर जैसी ऩवात श्ि
ॊ ृ र ओॊ क भनोह यी नज य कय कय र त
थ।

‘कह ॊ है वो।’—अचय आतान द कयती हुई फोरी—‘क्म ककम तभ ु रोगों ने?’


‘आऩ फैठ ज इए।’—इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व सह नुबूनतऩूणा स्वय भें फोर —‘प्रीज।’

‘रेककन वो…वो…’

‘र श को ऩोस्िभ िा भ के मरमे बेजन जरूयी थ । आऩ से बी कुछ सव र पौयन ककमे ज ने जरूयी न होते तो हभने य त की
इस घड़ी हयधगज बी आऩको मह ॉ आने की तकरीप न दी होती।’

‘रेककन मे हुआ कैसे? आऩके आदभी कहते हैं ककसी ने उन्हें गोरी भ य दी? ककसने भ य दी? कफ भ य दी? स ढे आठ फजे
तक तो भैं िदु मह ॊ थी। भैं िद
ु मह ॊ उनके स थ डडनय कयके गमी थी।

आऩके सव रों क जव फ दे ऩ न अबी हभ ये मरए भुभककन नहीॊ। अबी तफ्तीश ज यी है । औय उसभें हभें आऩकी भदद की
बी जरूयत है । आऩ धीयज यखिमे औय फैठ ज इमे।’

वह ये त के फोये की तयह एक कुसी ऩय ढे य हो गमी।

इन्स्ऩेक्िय भ नक की तयप आकवषात हुआ।

‘आऩके वऩत के वकीर’—वह फोर —‘य ण स हफ ने फत म है कक आऩके हत्प्र ण वऩत अऩनी वसीमत तैम य कयव यहे थे।
आऩको उसकी िफय है ?’

भ नक ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘आऩको मे बी भ रूभ है कक आऩके वऩत भैडभ से श दी के फ द अऩनी अधधकतय चर अचर सम्ऩजत्त क व रयस भैडभ को
फन दे ने व रे थे?’

‘ह ॊ।’

‘आऩके मरए औय आऩकी फहन के मरए उन्होंने क्म छोड़ने क इय द ककम थ ?’

‘वकीर स हफ से ही ऩनू छमे। इनसे क्म छुऩ है ।’

‘भैं आऩसे सुनन च हत हूॊ।’

‘तो सुन रीजजमे। अऩनी और द के मरमे वे धचडड़म के चग्ु गे क , गऊश र के चन्दे क , मतीभि ने के सूिे िुकड़ों क
इन्तज भ छोड़ कय ज ने व रे थे। अऩनी और द हभ ये वऩत को कबी ऩसन ्द नहीॊ आमी। उनक फस चरत तो वो कोई
पीस बय कय भझ
ु े औय भेयी फहन को कहीॊ से फदर रेत।े भझ
ु े तो वो ि सतौय से न ऩसन्द कयते थे। हनभ
ु न से जय ही
फेहतय व्मवह य कयते थे वो भेये से। अऩनी दौरत के जजस नभूने के क बफर उन्होंने भुझे ज न , वो है इन्द्र चौक भें एक
तीन कभयों क फ्रैि, एक ि री ऩड़ी दक
ु न, एक िूिी पूिी जीऩ औय कीनताऩुय भें एक प भा ह उस। भेयी फहन द जामरॊग भें
यहती है रेककन उसक ऩनत मोगेश कृऩर नी मह ॊ ट्र ॊसऩोिा बफजनेस भें है । उस ऩय ढे य स य कज ा है । ट्रक उसके धगयवी ऩड़े
हैं जजनको छुड़ ने की ि नतय कोई दस र ि रुऩमे क इन्तज भ भेये वऩत ने अऩनी फेिी के मरए सोच हुआ थ ।’

‘अऩनी और द से उसकी ऐसी फेरुिी की वजह?’

‘वजह भेये से जफ न ऩय नहीॊ र मी ज ती।’


‘कोमशश कीजजमे। मे कत्र क भ भर है । ऐसे सेन्िीभेन्र्टस भें शयीक होकय भैं तफ्तीश के ककसी ऩहरू को भॊझध य भें नहीॊ
छोड़ सकत ।’

‘आऩ वकीर स हफ से ऩछ
ू रीजजमे। वो इन फ तों को फेहतय फम न कय सकते हैं।’

इन्स्ऩेक्िय ने य ण की तयप दे ि ।

य ण ने िि य कय गर स प ककम , अऩनी भूॊछों को सॊव य , अऩन चश्भ ठीक ककम औय कपय सॊकोचऩूणा स्वय भें
फोर —‘होतचन्द नी की ऩहरी फीवी, उसके फच्चों की भ ॊ नेऩ रन थी जजससे होतचन्द नी ने महीॊ श दी की थी। उसकी
जजन्दगी भें होतचन्द नी उसके चरयत्र ऩय शक कयत थ । वो कहत थ कक भ नक उसक फेि नहीॊ।’

‘ओह! औय फेिी?’

‘फेिी ऩय उसने ऐस र ॊछन तो कबी नहीॊ रग म थ रेककन िप वो उससे बी थ ।’

‘उससे क्मों?’

‘उसने रव भैरयज की थी। होतचन्द नी की यज भन्दगी के खिर प। होतचन्द नी उसकी श दी ककसी ि नद नी मसन्धी रड़के
से कयन च हत थ रेककन फेिी ने उसकी वो ख्व टहश ऩयू ी नहीॊ होने दी थी।’

‘अबी हत्प्र ण के फेिे ने उसके ऩनत क न भ मोगेश कृऩर नी फत म थ । क्म कृऩर नी मसन्धी नहीॊ होते?

‘होते हैं।’

‘तो कपय…?’

‘होतचन्द नी क उस ऩय इरज भ थ कक वो मसन्धी नहीॊ थ । उसने मसपा उसे धोि दे ने के मरए फेवकूप फन ने के मरए
अऩन न भ मसजन्धमों जैस यि मरम थ ।’

‘कभ र है !’

य ण ि भोश हो गम ।

‘आऩको’—वह कपय भ नक की तयप घूभ —‘भ रूभ थ कक आऩके वऩत श दी कयने ज यहे थे?’
‘ह ’ॊ —भ नक फोर ।

‘कैसे भ रूभ थ ?’

‘उन्होंने िद
ु फत म थ । कोई एक भहीन ऩहरे उन्होंने िद
ु फत म थ कक अऩन सफ क योफ य जह ॊ से सभेि कय औय
अचय से श दी कयके वे फम्फई अऩने ऩुश्तैनी भक न भें अऩने फड़े ब ई के ऩ स रौि ज ने व रे थे। उनक फड़ ब ई बी भौत
की दहरीज ऩय है । वह ॊ ज ने के ऩीछे बी जरूय भेये वऩत क भकसद अऩने ऩश्ु तैनी भक न ऩय कब्ज कयन ही थ ।’

‘हूॊ।’—इन्स्ऩेक्िय अचय की तयप घूभ —‘आऩको बी िफय थी वसीमत की?’

‘ह ॊ।’—वह फोरी। उस घड़ी उस के रहजे भें ऐसी तश


ु ी आ गमी थी कक वववेक की ननग ह अन म स ही उसकी तयप उठ
गमी। उसकी ननग हें उस वक्त एक ववधचत्र प्रक य के ववद्वेष से धधक यही थीॊ। अफ वो अऩने होने व रे ऩनत की भौत से
गभजद औयत नहीॊ रग यही थी। अफ वो एक ऐसी आन्दोमरत औयत रग यही थी जजसक ब यी आधथाक नक
ु स न हो गम
थ।

हकीकत हुआ बी मही थ ।

औय चन्द टदनों भें वो एक धनकुफेय की फीवी होती। तफ उसके ऩ स दौरत होती। रुतफ होत ऐश्वमाऩूणा ब वी जीवन की
ग यन्िी होती। अफ उसके ऩ स कुछ बी नहीॊ थ ।

‘हनभ
ु न कहत है ’—इन्स्ऩेक्िय कपय भ नक से सम्फोधधत हुआ—‘कक आज श भ नौ फजे के कयीफ आऩ अऩने वऩत से
मभरने मह ॊ आमे थे। उसने आऩ दोनों भें क पी तू तू भैं भै औय तकय य होती सुनी थी। क्म भद्द
ु थ तकय य क ?’

‘इसी से ऩूनछमे न।’—भ नक आग्नेम नेत्रों से हनुभ न को घूयत हुआ फोर ।

‘भैं आऩ से ऩूछ यह हूॊ।’

‘भैं क्म फत ऊॊ इन्स्ऩेक्िय स हफ ! भेयी क्म कोई ऩहरी फ य तकय य हुई थी अऩने फ ऩ से! भैं तो जफ से फ मरग हुआ हूॊ
अऩने फ ऩ से रड़त ही आ यह हूॊ, झगड़त ही आ यह हूॊ।’

‘इस फ य झगड़ ककस फ त ऩय थ ?’

‘थी कोई व्मजक्तगत फ त जो इस वक्त भैं आऩको फत न नहीॊ च हत ।’

तत्क र इन्स्ऩेक्िय के चेहये ऩय सख्ती के ब व आमे। वह कुछ ऺण अऩरक भ नक को दे ित यह कपय उसक चेहय नभा
ऩड़ गम । उसने भ नक से नम सव र ककम —‘फ रयश के वक्त आऩ कह ॊ थे?’

‘मोगेश के ट्रे रय भें ।’—उत्तय मभर ।

‘मोगेश!’

‘कृऩर नी। भेय जीज । भेयी फहन क हसफैंड।’


‘कह ॊ है उसक ट्रे रय इस वक्त?’

‘फ घभती नदी के ककन ये । ऩशुऩनतन थ भजन्दय के कयीफ।’

‘वो बी वह ॊ थ ? वो मोगेश कृऩर नी?’

‘नहीॊ।’

‘औय कौन थ वह ?
ॊ ’

‘कोई बी नहीॊ। उसकी तर श भें भैं उसके ट्रे रय ऩय गम थ रेककन वो वह ॊ नहीॊ थ । कपय फ रयश होने रगी। भैं वहीॊ अिक
गम । फ रयश फन्द हुई तो भैं कपय उसे ढूॊढने ननकर । आखियक य वो भुझे ओकड मसिी सेंिय के एक फ य भें मभर ।’

‘वकीर स हफ’—इन्स्ऩेक्िय य ण से फोर —‘आऩ कह ॊ थे फ रयश के वक्त?’

‘अऩने आकपस भें ।’—य ण ने उत्तय टदम ।

‘औय कौन थ वह ?
ॊ ’

‘कोई नहीॊ। भैं वह ॊ अकेर थ ।

इन्स्ऩेक्िय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन की तयप घूभ ।

‘हनभ
ु न कहत है ’—वह फोर —‘कक भ नक के अऩने वऩत से रड़कय मह ॊ से चरे ज ने के फ द वऩत ने आऩको पोन ककम
थ ।’
‘ककम तो थ ।’—कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन अऩनी द ढी ऩय ह थ पेयत हुआ स वध न स्वय भें फोर ।

‘क्म च हते थे होतचन्द नी स हफ?’

‘भेये से मभरन च हते थे। भझ


ु े मह ॊ फर
ु यहे थे।’

‘आऩ आमे थे मह ?
ॊ ’

‘नहीॊ।’

‘क्मों?’

‘फ रयश होने रगी थी। फ रयश के फ द भेय भूड नहीॊ यह थ । भुर क त को अगरे योज ऩय ऩोस्िऩोन कयके भैं अऩने घय
चर गम थ । अबी भेये घय से ही आऩक आदभी भझ
ु े फर
ु कय र म थ ।’

‘आऩने कह ’—इन्स्ऩेक्िय अचय से फोर —‘कक आऩने हत्प्र ण के स थ डडनय ककम थ औय आऩ स ढे आठ फजे तक महीॊ
थीॊ?’
‘ह ॊ।’—अचय फोरी।

‘उसके फ द आऩ कह ॊ गमीॊ?’

‘भैं अऩने घय गमी। जह ॊ कक भैंने अऩने फ र धोमे औय कुछ कऩड़े धोमे। भैं अऩने फैडरूभ भें रेिी न वर ऩढ यही थी जफकक
आऩक आदभी भुझे फुर ने आम थ औय उसने भुझे फत म थ कक होतचन्द नी स हफ क िन
ू हो गम थ ।’

तबी द भोदय िेत न ने बीतय कदभ यि ।

इन्स्ऩेक्िय ने उसे अऩन ऩरयचम टदम , उसके तत्क र वह ॊ ऩहुॊचने के मरए उसक धन्मव द ककम औय उसे फत म कक
ककसी ने स धयू भ होतचन्द नी को शूि कय टदम थ ।

‘टदन भें आऩ मह ॊ थे?’—इन्स्ऩेक्िय फोर ।

‘ह ॊ।’—िेत न फोर ।

वववेक ने नोि ककम कक उस घड़ी उसकी ननग ह आकपस िे फर की िर


ु ी सेप ऩय टिकी हुई थी।

‘आऩने कुछ जव हय त को ऩयिने के मरए मभस्िय वववेक ज र न की सेव एॊ प्र प्त की थीॊ?’

‘ह ॊ।’

‘जव हय त जो कक ऩच स र ि रुऩमे की कीभत के थे?’

‘तकयीफन।’

‘आऩ उन जव हय त को ियीदने ज यहे थे?’

‘अच्छ !’

‘हनभ
ु न कहत है कक सौद तम हो चक
ु थ अरफत्त डडरीवयी आऩ ऩयू ी यकभ नकद चक
ु त कयके कर सफ
ु ह रेने व रे
थे।’

‘हनुभ न कौन है ?’

‘आऩ नहीॊ ज नते?’

‘नहीॊ।’

‘हनभ
ु न मे है ।’—इन्स्ऩेक्िय ने थोड़ ऩये िड़े ववश रक म नेऩ री की ओय सॊकेत ककम —‘भयने व र इसक भ मरक थ ।’

‘आई सी।’

‘मे ऩच स र ि रुऩम इस भुकक भें कदभ यिते वक्त आऩने डडक्रेमय ककम थ ?’
‘भेये ऩ स ऐसी कोई यकभ डडक्रेमय कयने के मरए थी ही नहीॊ।

‘तो कपय मह ॊ क ठभ ण्डू भें इतनी फड़ी यकभ आऩने कैसे भुहैम की?’

‘कौन कहत है भैंने की? भेये ऩ स कोई यकभ न ऩहरे थी, न अफ है । आऩ च हें तो अबी भेयी औय भेये होिर के कभये की
तर शी रे सकते हैं।’

‘कभ र है !’—इन्स्ऩेक्िय तननक हकफक म —‘तो कपय कैसे आऩने होतचन्द नी को कह कक कर आऩ उसे ऩच स र ि
रुऩम अद कयें ग?
े ’

‘भैंने उसे कबी नहीॊ कह थ कक भैं उसे कैश ऩेभेंि करूॊग ।’

‘तो औय कैसे ऩेभेन्ि कयते आऩ?’

‘ड्र फ्ि से। ब यतीम स्िे ि फैंक क ऩच स र ि क एक ड्र फ्ि कर भेये ऩ स ऩहुॊचने व र है ।’

वववेक ज नत थ कक वह झूठ फोर यह थ । फ त स प स प कैश ऩेभेन्ि की हुई थी औय उसने स प कह थ कक सवेये


उसके ऩ स कैश उऩरब्ध होने व र थ ।

‘आऩ एक गैयक नूनी सौद कय यहे थे।’

‘अच्छ !’

‘प्रेशस स्िोंस की मूॊ ियीद पयोख्त गैय क नूनी है ।’

‘भुझे नहीॊ भ रूभ थ । कपय तो अच्छ हुआ सौद नहीॊ हुआ।’

‘सौद हो ज त तो जव हय त क आऩ क्म कयते?’

‘उन्हें उस शख्श को सौंऩ दे त जजसके मरए भैंने सौद ककम थ ।’

‘म नी कक सौद आऩने अऩने मरए नहीॊ ककम थ ?’

‘नहीॊ।’

‘वो शख्स कौन है जजसके मरए आऩने सौद ककम थ ?’

‘वही जो कर ड्र फ्ि रेकय आने व र थ ।’

‘कोई न भ ध भ फत इमे उसक ।’

िेत न ने एक न भ औय टदकरी क ऩत फोर , जजसके असरी होने क इन्स्ऩेक्िय को यत्ती बय बी मकीन हुआ नहीॊ
भ रूभ होत थ ।
‘वैसे जव हय त हैं कह ?
ॊ ’—िेत न फोर —‘कोई ऩ य तो नहीॊ कय गम उन्हें ?’

‘ऩ य?’

‘भेय भतरफ है वो चोयी तो नहीॊ चरे गए?’

‘चोयी ही चरे गए भ रभ
ू होते हैं। कोई फड़ी फ त नहीॊ कक उन जव हय त की वजह से ही होतचन्द नी स हफ क कत्र हुआ
हो।’

‘ओह!’

‘फहयह र सहमोग के मरए आऩ सफ सजन्नों क शुकिम । कर आऩ रोगों से कपय फ त होगी इसमरए कृऩ कयके आऩ रोग
उऩरब्ध यटहएग ।’

तभ भ मसय सहभनत भें टहरे।

श्वेत सोते से जगी।


ऩहरे तो उसे मूॊ रग जैसे वह अबी सोई थी ही नहीॊ रेककन कपय टदभ ग ऩय जोय दे ने ऩय उसे म द आम कक दस फजे के
कयीफ वह तभ भ खिड़ककम ॊ दयव जे फन्द कयके औय फजत्तम ॊ फुझ कय बफस्तय के हव रे हुई थी।

उसकी ननग ह भेज ऩय यिी चभकीरे ड मर व री घड़ी ऩय ऩड़ी।

सव ग्म यह फजने को थे।

ननश्चम ही वह सोते से ज गी थी।

जरूय उसने कोई डय वन सऩन दे ि थ जजसकी वजह से उसकी नीॊद िर


ु गमी थी। रेककन टदभ ग ऩय फहुत जोय दे ने के
फ वजूद उसे कोई डय वन , म कैस बी, सऩन म द न आम ।

फ हय से कुत्तों के जोय-जोय से बौंकने की आव जें आ यही थीॊ रेककन ननश्चम ही उन आव जों की वजह से उसकी नीॊद नहीॊ
िर
ु ी थी। मूॊ कुत्तों के बौकने की आव जें तो अन्धेयी य तों भें योज ही आती थीॊ। तफ उसे रग कक कोई औय ही आव ज
सुनकय वह नीॊद से ज गी थी।

कोई फहुत कयीफ से आती आहि।

क्म घय भें कोई चोय घस


ु आम थ ?

खिड़ककम ॊ दयव जे तो उसने िद


ु फड़ी भजफूती औय फड़ी जजम्भेद यी से फन्द ककमे थे।

तबी कपय एक हककी सी िि की आव ज हुई।

उसने स प भहसूस ककम कक आहि फैठक भें हुई थी। फैठक को उसके फैडरूभ से जोड़ने व र दयव ज िर
ु थ । उसने
आॊिें प ड़ प ड़ कय दे ि रेककन उसे अस ध यण कुछ टदि ई न टदम ।

रेककन आहि तो ननश्चम ही हुई थी।

वह सोचने रगी—वह फत्ती जर मे म न जर मे।

अगय घय भें कोई चोय घस


ु आम थ तो फत्ती जर ने ऩय उसे भ रभ
ू हो सकत थ कक वह ज ग गई थी। कपय वह उस ऩय
झऩि सकत थ , उसक गर दफ सकत थ , उसे शि
ू कय सकत थ ।

कपय टहम्भत कयके वह नन्शब्द ऩरॊग ऩय से उतयी औय कोने की अरभ यी की तयप फढी जजसभें उसके च च की एक
िि
ु यी यिी यहती थी। हौरे से अरभ यी िोरकय, बीतय ििोरकय उसने िि
ु यी अऩने क फू भें की औय उसकी म्म न को
उससे अरग ककम ।

िि
ु यी ह थ भें आते ही उसकी टहम्भत दोफ र हो गमी।

अफ फेशक चोय को ऩत रग ज मे कक वह ज ग गमी थी।

उसने ज नफूझ कय जोय से अरभ यी क दयव ज फन्द ककम औय बफजरी क जस्वच आन ककम । कपय एक एक योशनी भें
आॊिें मभचमभच ती, िि
ु यी को अऩने स भने त ने वह फैठक की तयप फढी।

आहि की वजह उसकी सभझ भें आन जरूयी थ । वह ज नती थी कक जफ तक वजह उसकी सभझ भें न आती, वह दोफ य
नीॊद के हव रे नहीॊ हो सकती थी।

िर
ु े दयव जे की चौिि ऩय ऩहुॊचकय वह टठठकी।

फैठक के बफजरी के जस्वच ऩयरे, फय भदे की ओय िर


ु ने व रे, दयव जे के कयीफ थे। वह ॊ ऩहुॊचे बफन वह ॊ योशनी नहीॊ की
ज सकती थी। फहयह र वह ॊ ननऩि अॊधक य नहीॊ थ क्मोंकक फैड रूभ से प्रनतबफजम्फत होती योशनी वह ॊ अऩन थोड़ फहुत
असय टदि यही थी।

िि
ु यी स भने त ने उसने फैठक भें ऩहर कदभ यि ।

तबी एक ऩहरू से एक हककी सी सयसय हि की आव ज हुई। घूभकय ठीक से दे ि ऩ ने से ऩहरे ही उसके िि


ु यी व रे ह थ
से कोई चीज िकय मी औय ििु यी उसके ह थ से ननकर गमी। स थ ही ककसी ने उसके मसय ऩय एक कऩड़ ड र टदम ।
तत्क र उसकी आॊिों के आगे अन्धेय छ गम । उसने चीिने की कोमशश की रेककन गरे से कोई आव ज ननकरने से
ऩहरे ही ककसी ने उसे ऩीछे से दफोच मरम । एक फ रोंबयी भजफत
ू फ ॊह उसके कन्धों से मरऩि गमी। फ ॊह की कर ई भें
फन्धी घड़ी क भैिर क ऩट्ट फहुत जोय से उसे चब
ु । आतत मी ने उसको जोय से अऩनी तयप िीॊच । उसके मसय क
ऩष्ृ ठब ग आतत मी की छ ती से ज कय िकय म । कपय ककसी ने उसे कपयकनी की तयह घुभ म औय उसे जोय से ऩीछे
फैडरूभ की तयप धकेर टदम । वह बयबय कय फैडरूभ के पशा ऩय धगयी। कऩड़ अबी बी उसके मसय के धगदा मरऩि हुआ
थ।

वह पशा ऩय से तत्क र उठी औय उसने दोनों ह थों से नोच कय कऩड़ अऩने मसय ऩय से अरग ककम ।
तबी भुख्मद्व य के बड़ क से फन्द होने की आव ज हुई।

वह उठकय िड़ी हुई औय फैठक भें धगयती ऩड़ती भुख्मद्व य ऩय ऩहॊ ची। उसने उसे िोरकय फ हय झ ॊक ।

फ हय अन्धक य के अर व उसे कुछ टदि ई न टदम ।

जो कोई बी वह ॊ आम थ , वह उसके द्व य ऩय ऩहुॊचने से ऩहरे अन्धक य भें ववरीन हो चक


ु थ।

वह व वऩस घूभी। उसने फैठक की फत्ती जर मी। कऩड़ अबी बी उसके ह थ भें थ । उसने दे ि वह फैठक के दीव न की
च दय थी। उसने च दय को दीव न ऩय व वऩस उछ र टदम । औय मह दे िने के मरए च यों तयप ननग ह दौड़ ने रगी कक क्म
ग मफ थ , चोय क्म चयु कय रे गम थ ।

उसे अऩन है ण्डफैग कहीॊ टदि ई न टदम ।

जरूय चोय अबी उसक है ण्डफैग ही उठ ऩ म थ कक वह ज ग गमी थी।

औय गनीभत थी कक है ण्डफैग भें न केवर ज्म द रुऩमे नहीॊ थे फजकक औय बी कोई कीभती चीज नहीॊ थी।

ककसी औय नुकस न की तर श भें उसने स ये घय क चक्कय रग म । उसे कोई औय चीज तो ग मफ न टदि ई दी रेककन
ककचन के एक योशनद न क ऩकर उिड़ टदि ई टदम । ननश्चम ही चोय उस योशनद न के य स्ते ही बीतय घुस थ ।

रेककन ककस मरमे?

क्म भहज उसक है ण्डफैग चयु ने के मरए!

कपय उसने दोफ य फजत्तम ॊ फुझ मीॊ औय बफस्तय के हव रे हो गमी।

वववेक ज र न अऩने होिर के फ य भें फैठ ब् न्डी चस


ु क यह थ । उस वक्त फ य रगबग ि री थ औय फ य के कभाच यी
उसे फन्द कयने की तैम यी कय यहे थे।

होतचन्द नी के फॊगरे से वह सीध होिर भें ऩहुॊच थ औय फ य भें ऐ फैठ थ ।

वह अबी बी इस फ त से अऩने आऩ से न िश
ु थ कक वह ऩहरी फ य र श दे िकय घिन स्थर से ब ग िड़ हुआ थ ।
ऩुमरस क नतर होने क शक तो उस ऩय कय ही यही थी, उसकी उस हयकत क ऩद ाप श हो ज ने ऩय ऩुमरस के शक भें कई
गुण इज प हो ज न अवश्मम्ब वी थ । अफ उसक अऩनी बर ई इस फ त ऩय बी ननबाय कयती थी कक व स्तववक हत्म य
जो कोई बी थ जकद से जकद ऩकड़ ज त ।

सेप भें से जव हय त क मरप प ग मफ होन अफ केस को नम भोड़ दे यह थ । अगय कत्र उन जव हय त की वजह से


हुआ थ तो क नतर ने जरूय होतचन्द नी को शूि कयने से ऩहरे उसे सेप िोरने ऩय भजफूय ककम थ ।

म कपय हनुभ न के अर व बी ककसी को भ रूभ थ कक सेप क क म्फीनेशन दय ज की उकिी तयप उसके तरे ऩय मरि
होत थ ।
म कपय हनुभ न के अर व बी ककसी को भ रूभ थ कक सेप क क म्फीनेशन दय ज की उकिी तयप उसके तरे ऩय मरि
होत थ ।
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इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व क एतफ य च हे हत्म के इसी उद्देश्म ऩय थ रेककन व स्तव भें हत्म के औय बी उद्देश्म सॊबव थे।
होतचन्द नी की भौत से केवर जव हय त के चोय को ही नहीॊ फजकक औय बी कई रोगों क प मद ऩहुॊच थ ।

फ य की फजत्तम ॊ फझ
ु ई ज ने रगीॊ तो वववेक ने अऩन ब् ॊडी क धगर स ि री ककम औय उठ िड़ हुआ। उसने व र क्र क
ऩय ननग ह ड री तो ऩ म कक ऐन स ढे ग्म यह फजे थे। वह फ य से फ हय ननकर कय होिर की र फी भें ऩहुॊच । आगे एक
ि री कम्ऩ उण्ड थ जजसभें उस वक्त एक इकरौती िै क्सी िड़ी थी।

वववेक उस िै क्सी को औय उसके ड्र इवय दोनों को ऩहच नत थ । िै क्सी ड्र इवय क न भ दत्त त्रेम थ । वह एक ननह मत
िश
ु मभज ज नेऩ री मव
ु क थ । अधधकतय ड्र इवय ककय मे की िै क्सी चर ते थे रेककन दत्त त्रेम की िै क्सी उसकी अऩनी थी।

वववेक कयीफ ऩहुॊच तो दत्त त्रेम ने िै क्सी से फ हय ननकर कय उसक अमबव दन ककम ।

‘दत्त त्रेम’—वववेक उसके अमबव दन क जव फ दे त हुआ फोर —‘थोड़ स चरे कहीॊ?

‘थोड़ स क्मों’—दत्त त्रेम अऩने फेहद सपेद, फेहद सुडौर द ॊत चभक त हुआ फोर —‘ढे य श य चरते हैं। कहो तो टदकरी
चरें, श फ।’

‘नहीॊ, इतनी दयू नहीॊ।’—वववेक िै क्सी भें ऩीछे फैठने की जगह उसके स थ आगे फैठत हुआ फोर । उसने मसगये ि क ऩैकेि
ननक र औय एक मसगये ि दत्त त्रेम को टदम औय एक िद ु मरम । उसने ऩहरे दत्त त्रेम क औय कपय अऩन मसगये ि
सुरग म ।

‘शुकिम , श फ।’—दत्त त्रेम फोर —‘कह ॊ चर?


ूॊ ’

‘फेरयस्िय भछे न्द्रन थ य ण क ऩत ज नते हो?’

‘ह !ॊ उसक आकपस दयफ य भ गा ऩय है !’

‘आकपस क ऩत भुझे भ रूभ है । भैं उसके घय के ऩते की फ त कय यह थ ।

‘वो बी भ रूभ है , श फ। वो ऩ िन भें यहत है ।’

ऩ िन क ठभ ॊडू से तीन भीर दयू थ ।

‘वह ॊ चरो।’

दत्त त्रेम ने तत्क र िै क्सी आगे फढ मी।

वववेक को फैरयस्िय य ण उस केस क सफसे अधधक भहत्त्वऩूणा आदभी रग यह थ । वह न केवर हत्प्र ण क वकीर औय
अन्तयॊ ग मभत्र थ , वह केस से सम्फजन्धत तभ भ व्मजक्तमों से बरी ब ॊनत ऩरयधचत थ । उसक कत्र से च हे कोई रयश्त न
होत रेककन जजस ककसी क बी कत्र से रयश्त थ , उसकी फ फत कोई क यआभद ज नक यी ह मसर कयने क वो फहुत
क यआभद जरयम स बफत हो सकत थ ।

उस घड़ी उसके सो चक
ु ने की सम्ब वन ज्म द थी रेककन कपय बी वववेक उससे पौयी भुर क त की एक कोमशश जरूय
कयन च हत थ ।

िै क्सी दयफ य भ गा से गुजयी।

‘जय उसके आकपस ऩय योकन ।’—एक एक वववेक फोर —‘क्म ऩत वो आकपस भें ही हो।’

‘य त के इस वक्त!’—दत्त त्रेम फोर ।

‘क्म ऩत ?’

वह ॊ के ऐनतह मसक भहर औय भजन्दयों के ऩरयसय के कयीफ की एक इभ यत के स भने दत्त त्रेम ने िै क्सी योकी।

उस इभ यत की दस
ू यी भजन्जर ऩय फैरयस ्िय भछे न्द्रन थ य ण क दफ्तय थ । एक ननग ह भें तो वववेक को आकपस की
तभ भ खिड़ककम ॊ अन्धेयी रगीॊ रेककन कपय उसने नोि ककम कक फ मीॊ ओय की एक खिड़की के ऩीछे योशनी क तननक
आब स मभर यह थ । उससे आश्वस्त होकय वह सीटढम ॊ चढने रग ।

वह दस
ू यी भजन्जर ऩय य ण के आकपस के स भने ऩहुॊच ।

दयव जे ऩय एक नेभप्रेि रगी थी जजस ऩय मरि थ :

भछे न्द्र न थ य ण

फ य-एि-र

वह ज नत थ कक वह दयव ज जजस कभये भें िर


ु त थ । वह रयसैप्शन थ औय वह ॊ श्वेत श ह फैठती थी। उससे आगे एक
फड़ कभय थ जो कक य ण क ननजी आकपस थ ।

उसने दयव जे ऩय दस्तक दी। उसने एक ऺण प्रतीऺ की औय कपय हैंडर घभ


ु कय दयव जे को धक्क टदम । दयव ज ननशब्द
िर
ु गम । बीतय अन्धेय थ । उसने खझझकते हुए अॊधेये कभये भें कदभ यि ।

कपय एक एक वह टठठक !

अगय आकपस भें य ण थ तो वह ॊ अॊधेय क्मों? ऐसी स्तब्धत क्मों?’ वह ॊ अन्धेय थ तो कभ से कभ बीतय य ण के
व्मजक्तगत कऺ भें तो योशनी होती रेककन योशनी क कोई आब स तो वह ॊ से बी नहीॊ मभर यह थ जफ कक नीचे सड़क से
उसने कभ से कभ एक िड़की भें योशनी मकीनन दे िी थी। आगे फीच क दयव ज आध िर
ु थ । अगय बीतय य ण के
ननजी कऺ भें योशनी होती तो ननश्चम ही वह फ हय रयसैप्शन ऩय बी प्रनतबफजम्फत हो यही होती।

इससे ऩहरे कक वह अऩन कोई अगर कदभ ननध ारयत कयने की कोमशश कयत , एक एक एक जक्रक की आव ज हुई औय
कपय उसके चेहये ऩय प्रक श क तीि झभ क ऩड़ । उसकी आॊिें चौंधधम गमीॊ। उसने अनुबव ककम कक ककसी ने स भने
श्वेत की िे फर ऩय ऩड़े िे फर रैम्ऩ क रुि उसके चेहये की तयप कय के उसक फिन दफ टदम थ । उसे रग कक रैम्ऩ के
ऩीछे कोई िड़ थ ।

कपय उसे रैम्ऩ के ऩीछे िड़े शख्स के ह थ भें थभी रयव कवय टदि ई दी।
वह बमबीत हो उठ ।

‘कौन है!’—उसके भुॊह से ननकर ।

तफ तक उसकी आॊिों की चौंधधम हि दयू हो गमी थी औय उसे सफ कुछ वैसे टदि ई दे ने रग थ जैसे टदि ई दे न च टहमे
थ।

‘कौन है?’—टहम्भत कय के वह कपय फोर । रयव कवय को अऩनी ओय झ ॊकती न र उसे फुयी तयह से आन्दोमरत कय यही
थी।

रयव कवय व रे के भॊह


ु से एक गहयी ननश्व स छूिी। उसक रयव कवय व र ह थ नीचे झक
ु गम । कपय उसने ि री ह थ फढ
कय िे फर रैम्ऩ क रुि बी ऩये दीव य की ओय कय टदम ।

तफ कहीॊ ज कय रयव कवय व रे की सूयत वववेक की ऩहच न भें आमी।

वह भछे न्द्रन थ य ण थ ।

‘तौफ ।’—वववेक श जन्त की गहयी स ॊस रेत हुआ फोर —‘मह क्म भज क हुआ, वकीर स हफ! आऩने तो भेयी ज न ही
ननक र दी।’

‘सॉयी।’—य ण फोर —मह ॊ कैसे आमे?’

‘नीचे सड़क से गुजय यह थ । आऩकी खिड़की भें योशनी टदि ई दी। भैं ऊऩय आम तो मह ॊ अन्धेय ही अन्धेय ऩ म । क्म
भ जय है , वकीर स हफ?’

‘मह ॊ कोई चोय घस


ु आम थ ।’—य ण धीये से फोर —‘भेये से ऩहरे वो मह ॊ भौजद
ू थ । भेये ऩय व य कय के वो मह ॊ से ब ग
गम थ । अबी जफ दयव जे ऩय दस्तक ऩड़ी थी तो भैं सभझ थ कक वही व वऩस रौि आम थ । तफ फत्ती ज नफूझ कय
भैंने फुझ ई थी।’
‘ओह!’

‘दयव ज फन्द कय दो औय बीतय आ ज ओ।’

कभये भें र्टमफ


ू र इि की योशनी हुई तो वववेक ने दे ि य ण के भ थे ऩय त ज फन चोि क ननश न टदि ई दे यह थ ।

च य दय जों की प इमरॊग कैबफनेि के च यों दय ज िर


ु े ऩड़े थे औय सफसे ऊऩय के दय ज की ह रत इस फ त की चग
ु री कय
यही थी कक उसे जफयन िोर गम थ ।

य ण अफ ि भोशी से श्वेत की सीि ऩय फैठ मसग य ऩी यह थ । वववेक उसके स भने फैठ थ ।

‘मह ॊ कैसे आमे?’—एक एक वह फोर ।


‘आऩ ही से मभरने आम थ ।’—वववेक फोर । य ण के स थ ही उसने बी एक मसगये ि सुरग मरम थ ।

‘तम्
ु हें उम्भीद थी इतनी य त गमे भेये मह ॊ आकपस भें होने की?’

‘कतई उम्भीद नहीॊ थी। सच ऩूनछमे तो भैं आऩके घय ज यह थ । य स्त इधय से ही थ । आऩके आकपस के नीचे से गुजयने
रग तो भझ
ु े एक खिड़की भें योशनी क आब स मभर । भैं इस उम्भीद भें ऊऩय चर आम कक आऩ मह ॊ होंगे।’

‘क्मों मभरन च हते थे तभ


ु भेये से?’

‘ऩहरे आऩ फत इमे क्म हुआ मह ?


ॊ आऩक भ थ कैसे पूि गम ?’

भ थे के जजि ऩय य ण ने अन म स चोि के स्थ न ऩय अऩन रूभ र पेय । कपय उसने अऩने चश्भे को अऩनी न क ऩय
व्मवजस्थत ककम औय भुॊछों के बी न क के नीचे फदस्तयू भौजूद होने की तसदीक की।

‘ककसी ने आऩ ऩय व य ककम थ ?’—वववेक ने ऩछ


ू ।

‘कोई झऩि तो थ भेये ऩय।’—य ण फोर —‘रेककन चोि उसके व य की वजह से नहीॊ रगी। उसके झऩट्टे से अऩने आऩको
फच ने की कोमशश भें भेय सन्तर
ु न बफगड़ गम थ औय भैं धगय ऩड़ थ । तबी भेज क एक कोन भेये भ थे भें गड़ गम थ ।
थोड़ी दे य के मरमे भुझे भूछ ा सी आ गमी थी। तफ भुझे मे तो ऩत रग यह थ कक क्म हो यह थ रेककन भैं टहरने डुरने से
र च य थ ।’

‘हुआ क्म थ ?’

‘भैं मह ॊ ऩहुॊच थ । बीतय कोई ऩहरे से ही भौजूद थ । भैं अबी ििोर कय बफजरी क जस्वच आन कयने की ही कोमशश कय
यह थ कक वो भझ ु ऩय झऩि ऩड़ थ औय भुझे जोय क धक्क दे कय मह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ ।’

‘थ कौन वो?

‘क्म ऩत कौन थ ? भझ
ु े तो उसकी एक झरक तक नहीॊ मभरी थी।’

‘च हत क्म थ ?’

‘क्म भ रूभ क्म च हत थ रेककन मह ॊ की तर शी उसने िफ


ू री भ रूभ होती है । प इमरॊग कैबफनेि तभ
ु दे ि ही यहे हो
कक कैसे िर
ु ी ऩड़ी है । बीतय भेयी भेज के दय जों क बी ऐस ही ह र है ।’

‘आऩ दोनों जगहों ऩय कोई कीभती स भ न यिते थे?’

‘नहीॊ। मसपा क गज त। कीभती चीजों के मरए मह ॊ एक व र सेप है रेककन भैंने चेक ककम है , उसके स थ कोई छे ड़ि नी
नहीॊ की गमी है ।’

‘म नी कक चोय ने क गज त ही ििोरे?’
‘ऐस ही भ रूभ होत है ।’

‘वसीमत सर भत है?’

‘वसीमत?’

‘होतचन्द नी स हफ की वसीमत! जजसक पस्िा ड्र फ्ि आऩने फत म थ कक आऩ तैम य कयव चक


ु े हैं।’

य ण कुछ ऺण सकऩक म स उसे दे ित यह , कपय अऩन मसग य उसने ऐश ट्रे भें यि टदम औय उठ कय िड़ हो गम ।
ननशब्द वह प इमरॊग कैबफनेि के कयीफ ऩहुॊच । उसके दसू ये दय ज को ऩूय िीॊच कय उसने उसभें से एक पोकडय ननक र ।
कपय पोकडय को मथ स्थ न यि कय वह रम्फे डग बयत हुआ अऩने ननजी कऺ भें ऩहुॊच । वववेक को अऩने स्थ न से वह
टदि ई दे न फन्द हो गम रेककन बीतय से दय जों के िरु ने औय फन्द होने की आव जें उसे आती यहीॊ।

कुछ ऺण फ द वह व वऩस रौि ।

‘वसीमत के ड्र फ्ि की भूर प्रनतमरवऩ’—उसने फत म —‘औय उसकी इकरौती क फान क ऩी दोनों ग मफ हैं।’

‘ओह!’—वववेक के भुॊह से ननकर ।

‘अफ तभ
ु मे फत ओॊ कक तम्
ु हें कैसे सूझ कक मे क गज त मह ॊ से ग मफ होंगे?’

‘भझ
ु े कह ॊ सझ
ू थ । भैंने तो ऐस कुछ नहीॊ कह थ ।’

‘इस घड़ी तम्


ु हें वसीमत क ख्म र ही कैसे आम ?’

‘वो तो मूॊ ही ि भि ह आ गम ।’

‘कभ र है !’

वववेक ि भोश यह ।

‘मभस्िय, अबी भुझे तम्


ु ह यी मे फ त बी उरझन भें ड र यही है कक तभ
ु क्मों इतनी य त गमे भेये से मभरन च हते थे?’

वववेक कपय बी ि भोश यह । उसने गम्बीयत से मसगये ि क कश रग म ।

‘भैं तम्
ु ह ये जव फ क इन्तज य कय यह हूॊ।’—य ण फेसब्ेऩन से फोर ।

‘मह एक भुजश्कर सव र है ।’

‘रेककन जव फ तो इसक तभ
ु ने दे न ही है । तम्
ु ह यी भेये घय ऩय भेये से भर
ु क त होती तफ बी तो कोई जव फ दे त!े तफ बी
तो भेये से मूॊ मभरने को उत वरे हो उठने की कोई वजह फत ते!’

‘वजह मही है कक भुझे आऩसे कुछ ि स ज नक यी ह मसर होने की उम्भीद थी। आऩ न मसपा होतचन्द नी के वकीर थे
फजकक उसके कयीफी दोस्त बी थे। इस केस से सम्फजन्धत तभ भ रोगों को आऩ ज नते हैं औय केस की फैकग्र उण्ड से बी
आऩकी सफ से ज्म द व ककपमत है ।’
‘तो क्म हुआ?’

‘भैं उम्भीद कय यह थ कक फ तों फ तों भें आऩ से ऐस कुछ भ रूभ हो सकेग जो कक केस के हर तक ऩहुॊचने भें भददग य
स बफत होग । दयअसर फ त मे है कक भझ ु े अऩनी कपि है । जफ तक चोयी गमे जव हय त फय भद नहीॊ हो ज ते म जफ तक
ऩुमरस ककसी को धगयफ्त य नहीॊ कय रेती, तफ तक भैं बी ऩुमरस के शक के द मये भें ही यहत हूॊ।’

‘वो तो इस केस से सम्फजन्ध हय व्मजक्त ऩुमरस के शक के द मये भें है । इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व ककसी क मरह ज कयने
व री म कोई भुर हज भ नने व री ककस्भ आ आदभी नहीॊ।’

‘भेयी जस्थनत औय रोगों के भक


ु फरे भें कुछ ज्म द ववकि है । भेयी सोभव य की टदकरी के मरए प्रेन टिकि फक
ु है ।
सोभव य टदकरी भें ज कय भैंने एक नौकयी ज मन कयनी है । भैं सोभव य ऐस न कय सक तो वह नौकयी भेये ह थ से ननकर
ज मेगी। उस नौकयी क भेये मरए ब यी भहत्व है । भेय आइन्द जजन्दगी क भुकम्भर द योभद य उस नौकयी ऩय है । अफ
सोभव य तक अगय भैं ऩुमरस के शक के द मये से फ हय न ननकर ऩ म तो आऩक वो फोमरह ज औय फेभुर हज इन्स्ऩेक्िय
दे व भुझे नेऩ र से रुख्सत नहीॊ होने दे ग ।’

‘आई सी।’

‘आऩकी य म भें कत्र जव हय त के मरमे हुए है ?’

‘औय ककसमरमे हुआ होग ?’

‘वसीमत के फ ये भें क्म िम र है आऩक ?’

‘उसके फ ये भें अफ क्म ख्म र ज टहय करूॊ? वसीमत तो हुई ही नहीॊ।’

‘वसीमत न होने के फ ये भें क्म ख्म र है आऩक ?’

‘क्म भतरफ?’

भतरफ आऩ फिफ
ू ी सभझ यहे हैं। वसीमत होती तो फ त कुछ ही होती, रेककन अफ न होने की सूयत भें भयने व रे की
दौरत हकद य कौन होग ?’

‘अफ तो हकद य उसके कयीफी रयश्तेद य ही होंगे।’

‘वो कौन हुए?’

‘वो हुए भयने व रे क फेि भ नक होतचन्द नी, उसकी द जामरॊग भें यहती फेिी सीत कृऩर नी औय उसक फम्फई भें यहत
फड़ ब ई जजसक कक भझ ु े न भ नहीॊ भ रूभ।’

‘म नी कक अगय होतचन्द नी अचय से श दी कयने के मरए औय वसीमत ऩय ववधधवत ् दस्तित कयने के मरमे जजन्द यहत
तो भ नक क बववष्म उतन उज्ज्वर न होत जजतन कक वो अफ है । मही फ त फ की दोनों रयश्तेद यों ऩय बी र गू होती है ।’

‘होतचन्द नी की फेिी औय ब ई को तो अबी उसकी भौत की औय वसीमत के झभेरे की िफय बी नहीॊ होगी।’

‘रेककन फेिी की वजह से प मदे की जस्थनत भें ऩहुॊचे शख्स को हय भौजूद ह र त की फिफ
ू ी िफय है ।

तम्
ु ह य इश य होतचन्द नी के द भ द मोगेश कृऩर नी की ओय है ?’

‘जजसके कक ट्रक धगयवी ऩड़े हैं औय जजसे होतचन्द नी के वसीमत ककमे बफन भय ज ने से अफ ब यी आधथाक र ब ऩहुॊचने
व र है ।

‘मभस्िय, तभ
ु तो केस की फड़ी डय वनी तस्वीय िीॊच यहे हो।’

‘एक फ त औय फत इमे। आऩके ख्म र से होतचन्द नी के, उसके नौकय हनुभ न के, ियीदद य द भोदय िेत न के औय भेये
अर व उन जव हय त की ज नक यी औय ककस को थी?’

वह सोचने रग ।

‘भसरन क्म आऩको थी?’

‘भुझ!े ’

‘ह !ॊ ’

‘ह ॊ। इतने तो भुझे भ रूभ थ कक वे जव हय त उसके ऩ स थे। अरफत्त उनकी कीभत क अन्द ज भुझे नहीॊ थ । ऩच स
र ि रुऩमे कीभत क अन्द ज तो भुझे हयधगज बी नहीॊ थ ।’

‘इतनी यकभ भें तो सौद हुआ थ । असर भें तो उन जव हय त की कीभत स ठ र ि से बी ऊऩय थी।’

‘आई सी।’

‘क्म भयने व रे की होने व री फीवी अचय मोसववधचत को उन जव हय त की िफय थी?’

‘हो सकती है । िद
ु होतचन्द नी ने ही उसे फत म हो सकत है । आखिय वो उसकी होने व री फीवी थी।’

‘आगे?’

‘आगे क्म ?’

‘भैंने सन
ु है कबी अचय औय कैप्िन ववमरमन भॊग
ू ववन की फड़ी ग ढी छनती थी।’

‘ऩहरे क्म , भेये ख्म र से तो उनकी आज बी ग ढी छनती है ।’

‘म नी कक अचय के भ ध्मभ से उन जव हय त की िफय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन को बी हो सकती है ।’


‘हो तो सकती है ।’—वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —िफय तो ऩमु रस को बी हो सकती है । तबी तो होतचन्द नी मूॊ
आनन प नन उन जव हय त को फेच ड रने क इच्छुक हो उठ थ ।’

‘आई सी।’

‘भैं भयने व रे के फ ये भें कोई फयु फोर नहीॊ फोरन च हत रेककन हकीकत मह है कक वो एक फेईभ न आदभी थ । मह ॊ
नेऩ र भें ऩैस कभ ने के मरए की गई उसकी हय हयकत फेईभ नीबयी औय गैयक नन
ू ी थी। तम्
ु ह ये भ ध्मभ से मह ॊ
गैयक नूनी भ इननॊग कयव न , तम्
ु हें स प-स प धोि दे न औय उसके ऩ स स ठ र ि की यकभ के वो जव हय त भौजूद
होन ही उसकी फुयी नीमत की स प चग ु री है । आजकर फ डाय ऩय चैककॊग फहुत है । जव हय त की फ फत उससे जव फदे ही हो
सकती थी रेककन टहन्दोस्त नी रुऩम तो नेऩ र भें चरत है । उसकी फ फत उसके ऩ स एक चौकस जव फ बी थ कक रुऩम
उसने नेऩ र भें अऩने तभ भ चर-अचर सम्ऩजत्त फेचकय ह मसर ककम थ । इसमरए वो जव हय त फेचन च हत थ । औय
ककतन क ईम ॊ आदभी थ वो, इस फ त क अन्द ज तभ
ु इस से बी रग ओ कक अऩनी जरूयत के मरए ककम गम सौद
बी उसने ऩूये द भों ऩय ककम । जव हय त वो अऩने ऩ स नहीॊ यि सकत थ , वो उसने फेचने ही थे, कभ कीभत ऩय बी
बफकते तो फेचने थे, कपय बी उसने उनक सौद तम्
ु ह ये द्व य आॊकी ऩूयी कीभत ऩय ककम । इतन ज्म द सम न थ मे
स धयू भ होतचन्द नी।

‘म श मद द भोदय िेत न ज्म द भि


ू ा है ।’

‘रगत तो नहीॊ वो भूि।ा ’


‘रगत तो भुझे बी नहीॊ’—वववेक एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘अगय जव हय त फय भद हो ज में तो अफ उनक क्म
होग ?’

‘वो होतचन्द नी की एस्िे ि क टहस्स ही भ ने ज मेंगे। अरफत्त अफ होतचन्द नी के व रयसों को इस ऩय तगड़ िै क्स
बयन ऩड़ेग ।’

एस्िे ि के न भ ऩय वववेक को ऩीछे होतचन्द नी के फॊगरे भें आकपस िे फर ऩय औय क गज त के स थ ऩड़ी उस रम्फी सूची
क ख्म र आम जजसभें होतचन्द नी की तभ भ चर-अचर सॊऩजत्त क वववयण दजा थ । वकीर य ण , वही एस्िे ि क
एडमभननस्ट्रे िय भुकया य होने व र थ । कपय कौन द वे के स थ कह ऩ त कक कौन सी चीज होतचन्द नी की एस्िे ि
(ज मद द) क टहस्स थी औय कौन सी नहीॊ थी! इस फ फत कोई प्र भ खणक ज नक यी यिने म अऩने वकीर से कोई
सव र कय सकने व र शख्स तो इकरौत होतचन्द नी थ औय वह भय चक
ु थ।

म नी कक होतचन्द नी की एस्िे ि के स थ य ण अगय अफ कोई घऩर कयन च हत तो फिफ


ू ी कय सकत थ अगय ऩहरे
कोई घऩर कय चक
ु म तो अफ वो ऩकड़ नहीॊ ज ने व र थ । ि स तौय से तफ जफ कक वही हत्प्र ण की एस्िे ि क
एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त होने व र थ ।

श्वेत के भ ध्मभ से वववेक उस वकीर के फ ये भें क पी कुछ ज नत थ । वह नेऩ र क एक प्रनतजष्ठत वकीर थ रेककन
नेऩ र जैसे छोिे से गयीफ भुकक भें फ वजूद फड़ वकीर होने के उसके इस धन्धे से भ र भ र हो ज ने जैसी सम्ब वन में
नगण्म थीॊ। ऊऩय से उसने अऩनी है मसमत से ऊऩय य जऩरयव से सम्फजन्धत एक मुवती से श दी की थी जो कक इतनी
िचीरी थी कक स र भें दो फ य तो श वऩॊग के मरए रन्दन ज ती थी।
क्म ऐस आदभी भौक रगने ऩय अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि भें घोि र कयने से फ ज आ सकत थ ?

नहीॊ—उसकी अक्र ने गव ही दी।

‘क्म ?’—एक एक वह फोर । य ण कुछ कह यह थ , अऩने ख्म रों की यव नगी भें जो कक उसे सुन ई नहीॊ टदम थ ।

‘भैं कह यह थ , अफ फहुत य त हो गई है ।’—य ण फोर —‘औय क्म ग मफ है, मह भैं सफ


ु ह दे िग
ॊू औय सफ
ु ह ही भैं ऩमु रस
भें रयऩोिा बी मरिव ऊॊग ।’

वववेक सहभनत भें मसय टहर त हुआ उठ िड़ हुआ। वह य ण से अबी औय कई सव र ऩूछन च हत थ रेककन उसकी उस
घोषण के फ द अफ वो भुभककन नहीॊ रग यह थ ।

‘एक आखियी फ त।’—कपय बी वह फोर —‘चोय मह ॊ बीतय कैसे घुस ?’

‘ज टहय है कक प्रवेश द्व य से।’—य ण फोर —‘मह ॊ घस


ु ने क औय तो कोई य स्त है ही नहीॊ।’

‘म नी कक उसने त र तोड़ ?’

‘त रे के स थ कोई ऐस फर त्क य ककम गम टदि ई तो नहीॊ दे त ।’

‘कपय तो त र िर
ु यह गम होग !’

‘सव र ही नहीॊ ऩैद होत । भैं जफ मह ॊ से गम थ तो त र भैंने िद


ु फन्द ककम थ । भझ
ु े िफ
ू अच्छी तयह से म द है ।’

‘कपय तो त र च फी रग कय ही िोर गम होग ।’

‘ह ।ॊ ’

‘इसकी ककतनी च बफम ॊ उऩरब्ध हैं?’

‘तीन। एक भेये ऩ स है । एक श्वेत के ऩ स है औय तीसयी स्ऩेमय च फी, भैं अऩने घय ऩय यित हूॊ।’

‘घय व री च फी चोयी हो ज ने क कोई अन्दे श ?’

‘कतई नहीॊ। घय ऩय भेयी फीवी के अर व कभ से कभ तीन नौकय हय वक्त होते हैं।’

‘आई सी।’

दत्त त्रेम की िै क्सी ऩय वववेक श्वेत के घय ऩहुॊच ।

च बफमों की फ फत य ण की फ त सुनते ही उसे श्वेत की कपि रग गई थी।

श्वेत के घय को उसने अन्धक य भें डूफ ऩ म ।


वह सोचने रग कक वह श्वेत को जग मे म न जग मे। इतनी य त गए वह ॊ मूॊ ककसी क आगभन ऩड़ोमसमों की आॊिों भें
ििक सकत थ ।

रेककन अड़ोस-ऩड़ोस भें बी तो भुकम्भर सन्न ि थ ।

ऊऩय से उसके भन भें उभड़त आवेश उसे श्वेत की सर भती की तसदीक कयने के मरए भजफूय कय यह थ ।

कपय कुछ सोचकय उसने दत्त त्रेम को ब ड़ चक


ु कय वह ॊ से ववद कय टदम । वह ॊ से उसके होिर क ऩैदर क य स्त थ
औय कहीॊ औय ज ने की तफ उसकी भजी नहीॊ थी।

िै क्सी के भोड़ क िकय दृजष्ि से ओझर हो ज ने तक वह वहीॊ िड़ यह । कपय वह श्वेत के घय के भुख्मद्व य ऩय ऩहुॊच ।

उसने हौरे से दयव जे ऩय दस्तक दी।

स्तब्ध व त वयण भें दस्तक फड़े जोय से गॊज


ू ी रेककन बीतय से कोई जव फ न मभर ।

उसने कपय दयव ज िििि म औय स थ ही हौरे से श्वेत को न भ रेकय ऩुक य ।

इस फ य बीतय योशनी हुई। स थ ही उसे बीतय से दयव जे की ओय फढते कदभों की आहि सुन ई दी।

‘कौन?’—कपय स वध न स्वय भें सव र हुआ।

‘भैं।’—वववेक फोर —‘वववेक!’

तत्क र दयव ज िर
ु ।

वह बीतय द खिर हुआ। श्वेत ने उसके ऩीछे दयव ज फन्द कय टदम । वह उसे फैडरूभ भें रे आई जह ॊ कक योशनी थी।

वववेक ने दे ि श्वेत क चेहय पक थ औय यह यह कय उसके शयीय भें कॊऩकॊऩी छूि यही थी।

‘क्म फ त है ?’—वह व्मग्र ब व से फोर —‘तफीमत तो ठीक है ?’

‘ह -ॊ ह ॊ।’—वह पॊसे स्वय भें फोरी—‘ठीक है ।’


‘तो मूॊ हव स क्मों उड़े हुए हैं तम्
ु ह ये ?’

उसने अऩने होंठों ऩय ि भोशी से जुफ न पेयी।

‘क्म भेये आने से डय गमी हो?’

‘तम्
ु ह ये आने से नहीॊ।’

‘तो?’

‘घय भें चोय घुस आम थ ।’


‘क्म ? कफ? कैसे? क्म हुआ? जकदी फत ओ।’

श्वेत ने जकदी-जकदी चोय की कह नी दोहय ई।

‘कभ र है ।’—वह ि भोश हुई तो वववेक भन्त्रभुग्ध स्वय भें फोर —‘मसपा हैंडफेग ही रे के गम वो तम्
ु ह य ।’

‘ह ॊ।’—श्वेत फोरी—‘रेककन उसभें कोई कीभती स भ न नहीॊ थ ।’

‘कपय तो अच्छ हुआ। तम्


ु ह य कोई फड़ नुकस न होने से फच गम ।’

‘ह ॊ।’

‘श्वेत !’—एक एक मह व्मग्र ब व से फोर —‘आकपस की च फी तभ


ु उसी हैंडफैग भें तो नहीॊ यिती थीॊ?’

‘उसी भें यिती थी।’

‘हभेश ?’

‘ह ॊ।’

‘कपय तो मे सभझ रो कक चोय वह हैंडफैग ही चयु ने आम थ ।’

‘क्म भतरफ?’

वववेक ने उसे उसके एम्ऩर मय के आकपस भें घस


ु े चोय की फ फत फत म । स थ ही उसने उसे होतचन्द नी के कत्र की
फ फत बी फत म ।

‘कभ र है ।—श्वेत फोरी—‘इतने फिेड़े चोय ने होतचन्द नी की वसीमत क ड्र फ्ि औय उसकी क फान क ऩी चयु ने के मरए
ककए?’

‘ज टहय है ।’—वववेक फोर —’फशते कक तम्


ु ह य एम्ऩर मय सच कहत हो कक इसके मसव म औय कुछ चोयी नहीॊ गम है ।’

‘औय कुछ चोयी गम होग तो भुझे कर भ रूभ हो ज मेग ।’

‘वैयी गुड! कर रॊच ऩय मभरन औय अगय कुछ औय चोयी हुआ हो तो भुझे फत न ।’

‘अच्छ ।’

‘मह बी भ रभ
ू कयन कक इस फ ये भें य ण औय क्म कहत है ।’

‘ठीक है ।’

‘ि स तौय से मे भ रूभ कयने की कोमशश कयन कक वो क गज त चोयी गमे बी हैं म नहीॊ।’


‘य ण इस फ फत झूठ क्मों फोरेग ?’

‘श मद कोई वजह हो।’

‘तभ
ु मह तो नहीॊ कहन च हते कक य ण क कत्र से कोई रयश्त है?’

‘अबी कुछ कहन गरत है । रेककन अगय वो क गज त चोयी हुए हैं तो इतन ननजश्चत है कक उनक ककसी न ककसी तयीके से
होतचन्द नी के कत्र से रयश्त जरूय है ।’

‘म नी कक वो चोय ही होतचन्द नी क क नतर बी होग ।’

‘हो सकत है ।’

श्वेत ि भोश हो गमी।

‘भैं अफ चरत हूॊ। कर मभरन ।’

उसने सहभनत भें मसय टहर म ।

वववेक चऩ
ु च ऩ वह ॊ से ववद हो गम ।

वववेक जफ अऩने होिर के कभये भें रौि उस वक्त सव एक फस चक


ु थ।

उसक कभय होिर के एकभॊजजरे ववॊग भें थ । कभये की ववश र खिड़ककम ॊ एक ऩहरू के फगीचे भें िर
ु ती थीॊ औय
खिड़ककमों के आगे एक आमत क य चफूतय मूॊ फन हुआ थ कक ककसी ऊऩयरी भॊजजर ऩय वह फ ककनी होत । वह ॊ
खिड़ककमों के द में फ में दो ववश र गभरे यिे थे जो कक एक फड़े ड्रभ को फीच भें से क िकय औय उसे हये यॊ ग के ऩें ि कयके
फन मे गए भ रूभ होते थे। उन गभरों भें से एक भें ऩ भ औय दस
ू ये भें िफ
ू भोिे तने व र कैक्िस रग हुआ थ । वहीॊ एक
ईजी चेमय औय एक छोिी सी चौकी बी ऩड़ी थी। वववेक अक्सय वह ॊ फैठकय च म ऩीत थ म अिफ य ऩढत थ ।

उसने कऩड़े तब्दीर ककमे औय कपय जफ ऩदे सयक ने के मरमे खिड़ककमों के कयीफ ऩहुॊच तो उसकी ननग ह एक एक चौकी
ऩय ऩड़ी।

चौकी ऩय उस योज क अिफ य ऩड़ थ औय अिफ य ऩय बुयबुयी मभट्टी के कण बफिये स प टदि ई दे यहे थे।

उसने ऩदों ऩय से ह थ हि मरमे औय झुककय फड़े गौय से चौकी क भुआमन ककम ।

अिफ य ऩय ननश्चम ही बयु बयु ी मभट्टी के कण बफिये हुए थे, वे व त वयण भें उड़ती धर
ू के कण हयधगज बी नहीॊ थे।

उसक ध्म न स्वमॊभेव ही गभरों की तयप चर गम ।

ऐसी मभट्टी तो वह ॊ उन ऩ भ औय कैक्िस के गभरों भें थी।


उसने फड़े गौय से ऩहरे एक औय कपय दस
ू ये गभरे क भुआमन ककम ।

उसे कोई अस ध यण फ त न टदि ई दी।

रेककन क्मोंकक श भ से हो यही घिन ओॊ की वजह से उसे हय फ त सजन्दग्ध ज न ऩड़ती थी इसमरमे उसने इतने से ही
गभरों क ऩीछ न छोड़ टदम । वह बीतय ज कय वह ॊ से एक रम्फी ऩैंमसर तर श कयके र म औय उसकी सह मत से ऩ स
के गभरे की मभट्टी को उसके तने के च यों तयप नीचे तक कुये दने रग ।

कोई नतीज न ननकर ।


वही कुछ उसने कैक्र्टस व रे कभरे के स थ बी ककम ।

तत्क र नतीज स भने आम ।

उस गभरे की मभट्टी भें दपन बयू मरप प फय भद हुआ। वह मरप प ननश्चम ही वही थ जजसभें होतचन्द नी ने हीयों की
शनीर की थैमरम ॊ फन्द की थीॊ क्मोंकक उस ऩय रगी र ि की स यी सीरें अबी बी फयकय य थीॊ।

वह घफय गम ।

जरूय ककसी ने उसे पॊस ने के मरए वह हयकत की थी। कोई होतचन्द नी के कत्र क इरज भ उसके मरए भॊढ ज त दे िने
क ख्व टहशभन्द थ ।

उसकी तकदीय ही अच्छी थी जो वक्त यहते उसे जव हय त व रे मरप पे की वह ॊ भौजद


ू गी की िफय रग गमी थी। अफ जैसे
वह जफयन उसके भत्थे भॊढ गम थ , वैसे ही वह उससे ऩीछ छुड़ सकत थ ।

अफ उसके स भने अहभ सव र मे थ कक वह मरप पे से कैसे ऩीछ छुड़ मे!

कभये भें तो उसको छुऩ ने र मक कोई जगह थी नहीॊ। गभरों भें कहीॊ व वऩस छुऩ ने क सव र ही नहीॊ ऩैद होत थ ।

उसने एक खिड़की िोरी औय फ हय झ ॊक ।

फ हय दीव य के स थ-स थ क्म रयम ॊ थीॊ जजनभें पूर उगे हुए थे। खिड़की से थोड़ ऩये दीव य के स थ ही चभेरी के पूरों क
एक झ ड़ थ ।

वह कुछ ऺण सोचत यह , कपय खिड़की प ॊद कय फ हय फगीचे भें आ गम ।


वह चभेरी के झ ड़ के कयीफ ऩहुॊच ।

ऩें मसर से उसने उसकी जड़ के कयीफ की मभट्टी को ििोर ।

त जी-त जी फ रयश होकय हिी थी इसमरए मभट्टी नभा थी औय उसको ऩैंमसर से म ह थ से ही िोद ज सकत थ ।

फड़ी पुती से उसने वह ॊ एक िड्ड िोद औय उसभें जव हय त क मरप प दपन टदम । कपय फड़े मत्न से उसने उसके
ऊऩय मभट्टी को हभव य कय टदम ।
सफ कुछ ऩ ॊच मभनि भें हो गम ।

खिड़की के य स्ते वह व वऩस कभये भें द खिर हो गम । उसने अऩने चप्ऩरों को औय ऩें मसर को अच्छी तयह से खिड़की से
फ हय झ ड़ औय कपय खिड़की फन्द कय री।

कपय उसने ऩें मसर को य इटिॊग िे फर ऩय मथ स्थ न ऩहुॊच म औय चौकी ऩय ऩड़े अिफ य की मभट्टी व वऩस गभरे भें ड री।
उसने फड़ी फ यीकी से चफतू ये क भआु मन ककम औय जह ॊ कहीॊ बी मभट्टी टदि ई दी, उसे सभेि कय व वऩस गभरे भें ड र ।
कपय हौरे-हौरे थऩक-थऩक कय उसने गभरों की मभट्टी को बी हभव य कय टदम ।

उसने फ थरूभ भें ज कय शीशे भें अऩने कऩड़ों क भुआमन ककम , जह ॊ कहीॊ मभट्टी टदि ई दी उसे स प ककम औय स फुन
से ह थ धोमे।

तफ कहीॊ ज कय उसकी ज न भें ज न आमी।

रेककन अबी चैन की ऩूयी स ॊस वह रे बी नहीॊ ऩ म थ कक एक एक दयव जे ऩय दस्तक ऩड़ी।

वह चौंक । उसने हड़फड़ कय फन्द दयव जे की टदश भें दे ि ।

दस्तक कपय ऩड़ी। कोई फेसब्ेऩन से दयव ज िििि यह थ ।

उसने आगे फढकय दयव ज िोर ।

उसे स भने इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व औय उसके कन्धे ऩय से झ ॊकत उसक मुव -इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु टदि ई टदमे।

वह एक ओय हि गम ।

दोनों ऩुमरस अधधक यी बीतय द खिर हुए।

‘हभ’—इन्स्ऩेक्िय दे व िेदहीन स्वय भें फोर —‘इतनी य त गए आऩ को तकरीप दे ने के मरए भ पी च हते हैं रेककन क्म
ककम ज ए! क भ फहुत ही जरूयी है ।’

‘क्म है फहुत जरूयी क भ?’—झुॊझर ने क अमबनम कयत हुआ वववेक फोर । वैसे बफन ज ने ही उसक टदर गव ही दे यह
थ कक वो जरूयी क भ गभरे भें छुऩ मे गए जव हय त के मरप पे से ही त करक
ु यित हो सकत थ ।

‘हभ मह ॊ की तर शी रेन च हते हैं।’

‘तर शी! क्मों?’

‘वजह स भने आ ज मेगी।’

‘आऩ ऐसे कैसे तर शी रे सकते हैं!’

‘रे सकते हैं। भैं सचा-व यन्ि स थ रेकय आम हूॊ। कुभ य फह दयु , स हफ को सचा व यन्ि टदि ओ।’
सफ-इन्स्ऩेक्िय ने एक क गज िोरकय वववेक की आॊिों के आगे रहय म जजस ऩय मरि कुछ बी उसकी सभझ भें न
आम ।

‘अफ आऩको कोई एतय ज?’—इन्स्ऩेक्िय दे व फोर ।

‘एतय ज तो फहुत है ।’—वववेक बन


ु बन
ु म —‘रेककन अफ भेये एतय ज कयने से होग क्म ?’

‘बफरकुर ठीक कह आऩने।’

कपय इन्स्ऩेक्िय के इश ये ऩय उसक भ तहत सफ-इन्सऩेक्िय कभये की तर शी रेने भें जुि गम ।

वववेक ने अऩन मसगये ि क ऩैकेि ननक र मरम । उसने इन्स्ऩेक्िय को मसगये ि आपय ककम रेककन उसने तत्क र इनक य
कय टदम । वववेक ने िद
ु एक मसगये ि सुरग मरम ।

‘आऩ’—वह फोर —‘भहकभे के चौफीस घन्िे के भर


ु जजभ भ रभ
ू होते हैं।’

‘ऐस ही सभझ रीजजए।’—इन्स्ऩेक्िय शुष्क स्वय भें फोर ।

‘क्म तर श कय यहे हैं आऩ?’

‘भ रूभ हो ज मेग । ऩहरे बी कह ।’

‘सझ
ू कैसे मह ॊ की तर शी रेन ?’

‘क्म भतरफ?’

‘जरूय ककसी ने सुझ म होग । ककसी ने कोई गुभन भ टिऩ दी होगी कक आऩके क भ की कोई चीज मह ॊ से ह मसर हो
सकती है ।’

‘क्म चीज?’

‘भुझे क्म भ रूभ? मे तो आऩ फत इमे।’


‘आऩ कुछ सोधचमे। कोई अन्द ज रग इमे।’

‘एय वत। सपेद ह थी। इन्द्र क व हन।’

‘आऩ भज क कय यहे हैं।’

‘आऩने भेये इस सव र क जव फ अबी बी नहीॊ टदम कक मे ककसी गभ


ु न भ टिऩ क नतीज है म —’

‘हभें कोई गुभन भ टिऩ नहीॊ मभरी।’

‘म नी कक आऩ ही के आर टदभ ग भें एक एक मह बफजरी कौंध गमी की इतनी य त गमे आऩको मह ॊ की तर शी रेनी


च टहमे थी।’

‘आऩ कपय भज क कय यहे हैं।’

‘गरत ख्म र है आऩक । भज क नहीॊ कय यह भैं। भैं फहुत सॊजीदगी से आऩसे मे ऩूछ यह हूॊ कक ि स भुझ ऩय मे भेहयफ नी
क्मों?’

‘ठीक है । सन
ु रीजजए अऩने सव र क जव फ। मे भेहयफ नी ि स आऩ ऩय नहीॊ हो यही है । ऐसी तर शी हय उस शख्श के
ननव स की हो यही है जजस के ऩ स से कक जव हय त फय भद हो सकते हैं। य त के इस वक्त तर शी रेने क मे भतरफ है कक
हय कोई सोच यह होग कक जो होग अगरे योज होग म नी कक उसके ऩ स जव हय त कहीॊ छुऩ दे ने क वक्त होग । मे
वक्त उसे न मभर ऩ मे इसीमरमे इतनी य त गए तर मशम ॊ हो यही हैं।’

‘आऩ औय बी तर मशम ॊ रे चक
ु े हैं?’

‘ह ॊ। इत्तप क से आऩके ऩ स हभ आखिय भें ऩहुॊचे हैं।’

‘म नी कक जव हय त फय भद नहीॊ हुए! हुए होते तो आऩ मह ॊ आमे ही न होते।’

‘अबी तक तो नहीॊ फय भद हुए। अफ आगे दे िते हैं क्म होत है ।’

‘आगे बी वही होग जो अफ तक हुआ है ।’

‘म नी कक जव हय त मह ॊ से फय भद नहीॊ होंगे?’

‘जी ह ॊ।’

‘सूिकेस भें त र रग है ।’—व डायोफ िोरे िड़ सफ इॊस्ऩेक्िय कुभ य फह दयु फोर ।

‘च फी भेये कोि की जेफ भें है ।’—वववेक फोर —‘ननक र रीजजमे।’

‘आऩ िद
ु ननक मरमे।’—इॊस्ऩेक्िय फोर —‘आऩ िद
ु िोमरमे सि
ू केस।’

‘फेहतय।’

वववेक ने सूिकेस िोर टदम औय ऩये हि गम ।

सफ-इन्स्ऩेक्िय कपय फड़ी तन्भमत से तर शी भें भशगूर हो गम ।


औय दस मभनि फ द तर शी भक
ु म्भर हुई।

तर शी भें दऺ सफ-इॊस्ऩेक्िय ने दोनों गभरों की बी उनकी मभट्टी की जड़ तक कुये क कय दे ि थ ।

अफ दोनों ऩुमरस अधधक रयमों के चेहयों ऩय से ननय श के ब व स प ऩरयरक्षऺत हो यहे थे।


ओके, मभस्िय ज र न।’—कपय इन्स्ऩेक्िय दे व प्रत्मऺत् भधयु स्वय भें फोर —‘हभ तकरीप की भ पी च हते हैं।’

‘नैवय भ इन्ड।’

‘नभस्ते।’

‘नभस्ते।’

दोनों ऩुमरस अधधक यी वह ॊ से ववद हो गमे।

वववेक ने चैन की स ॊस री औय उनके ऩीछे दयव ज फन्द कय टदम ।

सुफह ब्ेकप स्ि के मरमे जफ वववेक ज र न होिर के ड मननॊग रूभ भें फैठ थ तो हभेश की तयह उसे वह ॊ कई नमे चेहये
टदि ई टदमे जो कक कोई नमी फ त नहीॊ थी। क ठभ ण्डू दनु नम बय के टहजप्ऩमों, चऩय मसमों औय स्भैककमों क अड्ड फनत
ज यह थ । स्भगरयों औय ज री ऩ सऩोिों के जरयमे प ये न ट्रै वर क इन्तज भ कयने व रे एजेन्िों क बी वह ॊ िफ

फोरफ र थ । ऊऩय से िूरयस्ि ट्रे ड तो वह ॊ प्रभुि थ ही। किस्िर जैसे भध्मभ दजे के होिर भें नमे चेहयों की आव ज ही तो
रगी ही यहती थी।

च म क आखियी घूॊि ऩीकय उसने कऩ नीचे यि ही थ कक द भोदय िेत न उसके कयीफ ऩहुॊच ।

‘गड
ु भ ननिंग।’—वह एक कुसी ऩय फैठत हुआ फोर ।

‘गुड भ ननिंग।’—वववेक बी फोर ।

‘ब्ेकप स्ि कय मरम ?’

‘ह ॊ।’

‘कुछ औय हो ज मे। भेये स थ एक प्म री च म म …’

‘नहीॊ। औय इच्छ नहीॊ। भैं तो ज ही यह थ ।’

‘भैंने तम्
ु ह ये से एक फ त कयनी थी। कह ॊ ज यहे हो?’

‘अबी तो कहीॊ नहीॊ ज यह ।’

‘भुझे ब्ेकप स्ि भें फड़ी हद दस मभनि रगें गे। तफ तभ


ु कह ॊ होवोगे?’

‘रॉफी भें। म अऩने कभये भें ।’

‘ठीक है । भैं दस मभनि भें आत हूॊ।’

‘वववेक सहभनत भें मसय टहर त वह ॊ से ववद हो गम ।


वह रॉफी भें ऩहुॊच ।

उसने एक उड़ती ननग ह रयसैप्शन डैस्क के ऩीछे फने की-फोडा ऩय ड री।

द भोदय िेत न के कभये की च फी की-फोडा ऩय भौजूद नहीॊ थी।

तफ उसके भन भें उसके कभये भें झ ॊकने क ख्म र आम । अगय उसक कभय फन्द नहीॊ थ तो उस वक्त वह क भ फिफ
ू ी
ककम ज सकत थ । क्मोंकक इसक आइन्द दस मभनि तक तो द भोदय िेत न के ड मननॊग ह र भें होने की ग यन्िी थी।
‘भैं वहीॊ ज त हूॊ। सी मू अगेन।’

‘ओह श्मोय!’

ज ती फ य उसकी ननग ह सूिकेस ऩय कपय ऩड़ी। सूिकेस फहुत फड़ थ । स ये सूिकेस भें अगय कऩड़े ही कऩड़े होते तो उसभें
एक भहीन ऩोश कें फदरने क स भ न हो ज त । फ्र इि के स थ आमी कोई एमय होस्िे स तो एक भहीन क ठभ ण्डू भें
नहीॊ यह सकती थी, एक हफ्त बी नहीॊ यह सकती थी।
उस ववश र सूिकेस क उसे कोई औय ही इस्तेभ र सूझने रग ।

सोकिी ओफेय म की फ्री, पस्िा क्र स, डीरक्स भेहभ ननव जी छोड़ कय उस कधथत ऩ भेर सेन के किस्िर भें आकय
ठहयने की बी उसे कोई औय ही वजह सूझने रगी।

वह कभये से फ हय ननकर गम ।

द भोदय िेत न क ननजी स भ न ििोरने क वह सुनहय भौक उसके ह थ से ननकर गम थ रेककन उसकी कोमशश ऩूयी
तयह से ज म नहीॊ गमी थी। ऩ भेर सेन की सूयत भें उसकी ज नक यी भें कुछ तो इज प हुआ ही थ ।
वह अऩने कभये भें आ गम ।

उसने एक मसगये ि सर
ु ग मरम औय ऩरॊग ऩय ढे य हो गम ।

तबी िे रीपोन की घन्िी फजी।

उसने रयसीवय उठ म ।

‘हकरो!’—वह फोर ।

‘मभस्िय वववेक ज र न!’—ऩछ


ू गम ।

‘फोर यह हूॊ।’

‘भैं ऩुमरस स्िे शन से सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु फोर यह हूॊ। इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व स हफ आऩ से पौयन मभरन
च हते हैं। क्म आऩ अबी मह ॊ ऩध य सकते हैं?’

‘अबी?’
‘जी ह ॊ।’

‘ठीक है । आत हूॊ।’

‘ऩुमरस स्िे शन आऩको भ रूभ है न कह ॊ है?’

‘भ रभ
ू है ।’

‘धन्मव द। पौयन ऩध रयमे।’

उसने रयसीवय यि टदम औय उठ िड़ हुआ। उसने कभये से ननकर कय उसे त र रग म औय च फी रे ज कय रयसैप्शन ऩय
सौंऩ दी। वह ॊ से कूच कयने से ऩहरे उसने ड मननॊग ह र भें झ ॊक ।

द भोदय िेत न वह ॊ नहीॊ थ ।

वह होिर से फ हय ननकर ।

िै क्सी स्िै ण्ड ऩय दत्त त्रेम भौजूद थ ।

वह उसकी िै क्सी भें सव य हो गम औय फोर —‘ऩुमरस स्िे शन।’

िै क्सी तत्क र सड़क ऩय दौड़ चरी।

दत्त त्रेम ने िै क्सी ऩमु रस स्िे शन के स भने योकी।

वववेक फ हय ननकर ।

तबी उसकी ननग ह ऩुमरस स्िे शन से ननकर कय उसकी सीटढम ॊ उतयते एक आदभी ऩय ऩड़ी।

वववेक ने उसे पौयन ऩहच न , स प ऩहच न ।

वह वो आदभी थ वऩछरी य त जो उसे होतचन्द नी के फॊगरे के ऩ स एक ऩेड़ के नीचे िड़ मभर थ औय जजससे उसने
मसगये ि सुरग ने के मरए भ धचस भ ॊगी थी। सीटढम ॊ उतयते आदभी क ध्म न उसकी तयप नहीॊ थ ।

‘दत्त त्रेम!’—वववेक आतयु स्वय भें फोर ।’

‘ह ,ॊ श फ!’—दत्त त्रेम तत्क र फोर ।

‘उस आदभी को दे िो जो सीटढम ॊ उतय यह है ।’

दत्त त्रेम ने तत्क र सीटढमों की तयप दे ि । उसके दे िते दे िते वह आदभी सीटढम ॊ उतय कय कम्ऩ उण्ड भें एक ओय चर
टदम ।

‘दे ि , श फ!’—दत्त त्रेम फोर ।


‘कौन है वो? ऩहच नते हो उसे?’

‘ऩहच नत हूॊ श फ! इसक न भ शभशेय थ ऩ है । कबी होतचन्द नी श फ क भैनेजय हुआ कयत थ ।’

‘हुआ कयत थ ? अफ नहीॊ है ?’

‘नहीॊ, श फ!’

‘अफ क्म कयत है?’

‘अबी तो क्म कयत होग , श फ!’

‘भतरफ?’

‘मे जेर भें थ , श फ! इसको इधय दे ि के ही भझ


ु े भ रभ
ू हुआ है कक मे जेर से छूि चक
ु है ।’

‘तभ
ु भ रूभ कय सकते हो कक मे आदभी अफ कह ॊ ऩ म ज त है ?’

‘जरूय, श फ।’

‘तो इसके ऩीछे ज ओ।’

‘रौि कय मह ॊ आऊॊ?’

‘ह !ॊ जरूय। भैं तम्


ु हें महीॊ मभरॊग
ू । तम्
ु ह ये आने भें दे य बी हुई तो भैं तम्
ु ह य महीॊ इन्तज य करूॊग । ठीक है ?’

‘ठीक है , स फ।’

शभशेय थ ऩ ! होतचन्द नी क भैनेजय!—होंठों भें फुदफुद त औय ऐसे शख्स की कत्र से ऩहरे होतचन्द नी के फॊगरे के
कयीफ भौजूदगी ऩय है य न होत वववेक आगे फढ औय ऩुमरस स्िे शन की सीटढम ॊ चढने रग ।

आगे गमरम ये भें एक फेंच ऩय उसे फैरयस्िय भछे न्द्रन थ य ण फैठ टदि ई टदम ।

‘आऩ मह ॊ कैसे?’—य ण के कयीफ ऩहुॊच कय वह फोर ।

‘वैसे ही जैसे तभ
ु मह ॊ हो!’—य ण एक पीकी हॊ सी हॊ सत हुआ फोर —‘ऩुमरस क फुर व है ।’
vv ‘कोई औय बी आम है मह ?ॊ ’

‘आम है । कभ से कभ एक जने को तो भैंने दे ि है ।’

‘ककसे?’
‘द भोदय िेत न को। अबी तम्
ु ह ये आगे आगे ही वो मह ॊ ऩहुॊच है ।’

‘ओह!’

‘उस स भने कभये भें गम है वो।’—उसने एक फन्द दयव जे की तयप इश य ककम —‘तभ
ु ने बी वहीॊ ज न होग ।’

‘आई सी! इन्स्ऩेक्िय दे व से भुर क त हुई आऩकी?’

‘ह !ॊ हुई। भैंने अऩन फम न दजा कय बी टदम है । कपय बी उसने भुझे रुकने को कह है ।’

‘क्मों?’

‘ऩत नहीॊ।’

वववेक ने य ण द्व य इॊधगत दयव जे की ओय कदभ फढ म । तबी दयव जे को बीतय की ओय से िर


ु त ऩ कय वह टठठक
गम औय प्रतीऺ कयने रग । दयव ज ऩूय िर
ु तो मभसेज अचय मोसववधचत के स थ इन्स्ऩेक्िय दे व ने फ हय कदभ
यि । वह एक क न से रेकय दस
ू ये क न तक होंठ पैर मे भुस्कय यह थ औय फ य फ य अचय के सहमोग के मरए उसक
शि
ु गज
ु य हो यह थ ।

रह उसे सीटढमों के दह ने तक छोड़ने गम ।

अचय वह ॊ से ववद हो गमी तो वह व वऩस रौि । उसने वववेक को अऩने स थ आने क इश य ककम ।

वववेक उसके ऩीछे -ऩीछे उसके आकपस भें द खिर हुआ।

वह वववेक की अऩेऺ से क पी फड़ आकपस ननकर । उसके भध्म भें एक ववश र िे र रगी हुई थी जजसके ऩीछे इन्स्ऩेक्िय
दे व ज फैठ । िे फर के स भने च य-ऩ ॊच कुमसाम ॊ ऩड़ी तीॊ जजसभें से एक ऩय इन्स्ऩेक्िय क इश य ऩ कय वह फैठ गम । ऩीछे
दीव य ऩय नेऩ र क फहुत फड़ नक्श रग हुआ थ । एक ओय एक आदभी फैठ थ जजसके ह थ भें थभी ऩैजन्सर औय
श डाहैंड की िर
ु ी क ऩी उसके स्िे नोग्र पय होने की चग
ु री कय यही थीॊ।

‘अफ’—इन्स्ऩेक्िय दे व गम्बीयत से फोर —‘आऩने कर य त नौ फजे से रेकय उस वक्त तक, जफकक होतचन्द नी के फॊगरे
ऩय ऩमु रस ऩहुॊची थी, कक हय फ त सववस्त य दोहय नी है । औय जो कुछ कहन है मे सोच-सभझकय कहन है कक आऩको
कही कोई बी फ त आऩके खिर प इस्तेभ र की ज सकती है । सभझ गए आऩ?’

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘तो शुरू कीजजए।’


उसने शुरू ककम । उसने दे ि उसकी कही हय फ त ऩुमरस स्िे नोग्र फ्र नोि ककए ज यह थ । वववेक ने घिन स्थर ऩय ऩहरे
पेये क जजि एक फ य बी नहीॊ ककम । एक फ य उस फ फत झूठ फोर चक
ु ने के फ द अफ कुछ कहन उसे न जॊच । उसने
फॊगरे के कयीफ ऩेड़ के नीचे िड़े उस नेऩ री क बी जजि न ककम जजसे अफ वो शभशेय थ ऩ के न भ से ज नत थ औय
जजसे उसने अबी-अबी वह ॊ से फ हय ननकरकय ज ते दे ि थ । उसकी फ फत औय कुछ ज न ऩ ने से ऩहरे वह उसक जजि
नहीॊ कयन च हत थ । उसको उसने ऩमु रस स्िे शन से ननकरते दे ि थ , इसक भतरफ मह बी हो सकत थ कक ऩमु रस
उसके फ ये भें ऩहरे ही सफ कुछ ज नती थी। उसकी फ फत उस घड़ी भॊह
ु प ड़कय ऩमु रस के नए सव रों की फौछ य क
मशक य नहीॊ फनन च हत थ ।

अन्त भें वह ि भोश हुआ।

‘फस?’—इन्सऩेक्िय फोर ।

वववेक ने ह भी बयी।

इन्स्ऩेक्िय ने स्िे नोग्र पय को वह ॊ से रुख्सत कय टदम ।

‘य ण ने’—कपय वह फोर —‘कर य त अऩने दफ्तय भें घुसे चोय की कह नी भुझे सुन ई है । उस फ फत आऩ कुछ कहन
च हते हों?’

‘भैं क्म कहूॊ। जजतन य ण को भ रूभ है , भैं उससे ज्म द थोड़े ही ज नत हूॊ।’

‘वो आऩके इतनी य त गमे उसके आकपस भें आगभन की आऩकी फत ई वजह से आश्वस्त नहीॊ हैं।’

‘भैं ककसी सुननमोजजत वजह से वह ॊ गम बी नहीॊ थ । भेये भन भें एक ख्म र उठ थ कक भुझे य ण से मभरन च टहए थ
औय भैं उससे मभरने की नीमत से ननकर ऩड़ थ । ज भैं उसक घय यह थ रेककन जफ भैं उसके आकपस के नीचे से
गुजय थ तो भुझे वह ॊ योशनी टदि ई दी थी। भुझे य ण के आकपस भें ही होने की उम्भीद हुई थी इसमरए भैं ऊऩय ऩहुॊच
गम थ ।

वह ॊ चोय के आगभन की वजह से य ण भझ


ु े उस भड
ू औय सहमोग से न मभर जजसभे उसके मभरने की भैं अऩेऺ कय यह
थ । इसमरए कोई भेय भनऩसन्द व त ार ऩ तो हभ दोनों के फीच भें हो ही न सक ।

‘हूॊ।’

भैं वसीमत के उस ड्र फ्ि के फ ये भें सोच यह थ जो कक क फान क ऩी सभेत चोय चयु कय रे गम है । आऩके स्िे नोग्र पय को
क भ कयते दे िकय भुझे ख्म र आम है कक उस ड्र फ्ि के श िा हैंड नोर्टस बी तो उऩरब्ध होंगे।’
‘नहीॊ हैं।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक चोय श िा हैंड की वो क ऩी बी रे गम है जजसभें कक वो नोर्टस थे।’

‘ओह।’

‘है न अजीफ फ त! वसीमत के ड्र फ्ि की, उसकी क फान क ऩी की, िै क्स्ि के नोर्टस की कोई क नूनी कीभत नहीॊ। वसीमत
तो हुई ही नहीॊ। ऐसे ककसी दस्त वेज ऩय भयने व रे के हस्त ऺय होने की नौफत तो आई ही नहीॊ। कपय बी उन क गज त को
ग मफ कयने भें ककसी ने इतनी टदरचस्ऩी टदि ई, मे व कई फड़ी अजीफ औय न सभझ भें आने व री फ त है ।

‘श मद उसभें कोई ऐस क्रोज हो जो कक चोय ककसी की ज नक यी भें न आने दे न च हत हो।’

‘श मद।’

‘य ण आकपस से औय कुछ ग मफ फत त है ?’

‘ह ॊ। एक मरप प ग मफ है , य ण के ख्म र से जजसक कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से कोई रयश्त थ । वह मरप प हत्प्र ण
ने सी कयके औय उस ऩय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन क न भ मरि के अऩने वकीर य ण को सुयक्षऺत यिने के मरए सौंऩ
थ । मरप पे के बीतय कोई क गज थ रेककन य ण कहत है कक उसे नहीॊ भ रूभ कक क गज ऩय क्म मरि थ । जैसें
उसक अन्द ज है कक वह क गज कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क मरि उस कजे क प्रोनोि थ जो उसने अऩने प्रेन की
एवज भें होतचन्द नी से ककम थ ।’
‘ऐस प्रोनोि होतचन्द नी ने ि स य ण के ऩ स क्मों कयव म ? औय ककतने ही ऐस क गज त तो कर य त भैंने उसकी भेज
ऩय बफिये ऩड़े दे िे थे?’

‘क्म ऩत क्मों यिव म ?’ य ण क जव फ तो मही है कक वो इस फ ये भें कुछ नहीॊ ज नत ।

‘वैसे आऩने भेजऩय बफिये क गज त क भुआमन ककम थ ?’

‘ह ॊ। कयन ही थ ।’

‘कपय तो मरस्ि बी दे िी होगी आऩने।’

‘मरस्ि! कौन-सी मरस्ि?’

‘जजसभें हत्प्र ण की चर अचर सम्ऩजत्त क वववयण दजा थ ! जो कक एक तयह से भयने व रे की एस्िै ि क िर


ु स थ !’

‘ऐसी कोई मरस्ि थी उन क गज त भें?’


‘ह ॊ। वह दो पुरस्केऩ ऩेजों की डफर क रभ व री मरस्ि थी। आऩको नहीॊ मभरी?’

इन्सऩेक्िय दे व ने फड़े धचन्त ऩूणा ब व से इनक य भें मसय टहर म ।

‘कभ र है !’

इन्स्ऩेक्िय ने भेज ऩय अऩने स भने यिी क रफैर फज ई। तत्क र एक क ॊस्िे फर ने बीतय कदभ यि ।

‘जय दे िो’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘य ण स हफ हैं म चरे गमे? न गमे हों तो उन्हें मह ॊ आने को कहो।’

क ॊस्िे फर सहभनत भें मसय टहर त हुआ वह ॊ से ववद हो गम ।

कुछ ऺण फ द य ण ने बीतय कदभ यि ।

‘बफय जजमे।’—इन्स्ऩेक्िय फोर ।

य ण वववेक की फगर भें एक कुसी ऩय फैठ गम ।

इन्स्ऩेक्िय ने उससे मरस्ि की फ फत सव र ककम ।

‘भैंन’े —जव फ भें य ण शुष्क स्वय भें फोर —‘भेज ऩय ऩड़ी ककसी चीज को ह थ नहीॊ रग म थ ।

‘चीज की ज नक यी ह थ रग ए बफन बी हो सकती है । भैं ऩूछत हूॊ कक आऩने ऐसी कोई मरस्ि भेज ऩय बफिये क गज त भें
ऩड़ी दे िी थी?’

‘नहीॊ।’

‘ऩक्की फ त?’

‘ह ॊ।’

‘आऩने’—वह वववेक की ओय घभ
ू —‘वो मरस्ि कफ दे िी थी?’

ऩुमरस को पोन कयने की नीमत से’—वववेक फोर —‘जफ भैं िे रीपोन के कयीफ ऩहुॊच थ , तबी भुझे वो मरस्ि टदि ई दी
थी।’

‘वकीर स हफ वह ॊ कफ ऩहुॊचे थे?’

‘भेये पोन कय चक
ु ने के फ द ही ऩहुॊच गए थे। फड़ी हद दो म तीन मभनि फ द।’

‘तफ से रेकय ऩुमरस के आगभन तक आऩ हय वक्त एक दस


ू ये की ननग ह भें थे?’

अफ वववेक को मकीन आने रग कक वो मरस्ि भेज ऩय से य ण ने ही ग मफ की थी। जरूय ऐस उसने तफ ककम थ जफ


ऩुमरस के आगभन की आहि ऩ कय वह उसे ऩीछे ड्र ईंगरूभ भें िड़ छोड़ कय फ हय फय भदे भें आ गम थ ।

‘जव फ दीजजए।’—इन्स्ऩेक्िय जजदबये स्वय भें फोर ।

‘भैं मे द व नहीॊ कय सकत कक मे हय वक्त भेयी ननग ह भें थे।’—वववेक फोर —‘हत्म कोई ऐसी घिन नहीॊ जो ककसी की
जजन्दगी भें योज-योज घटित होती हो। होतचन्द नी के अॊज भ से भैं फहुत आन्दोमरत थ औय भेयी तवज्जो आभ इधय-उधय
बिक ज ती थी।’

‘आऩ ने’—इन्स्ऩेकिय वकीर से फोर —‘भेज ऩय से वो मरस्ि उठ ई थी?’

‘भैं बर ऐस क्मों कयत ?’—य ण बन्न म ।

‘आऩने भेज ऩय से वो मरस्ि उठ ई थी?’

‘नहीॊ।’

‘ऐसी ककसी मरस्ि की ज नक यी है आऩको?’

‘है ।’

‘कैसे है ?’

‘वो मरस्ि तैम य ही भैने कयव मी थी।’

‘अऩने आकपस भें?’

‘ह ॊ।’

‘ि इऩशुद थी वो मरस्ि?’

‘ह ॊ।’

‘वैयी गुड। कपय तो आऩके आकपस भें उसकी क फान क ऩी उऩरब्ध होगी। भैं अबी आऩ के स थ अऩन एक आदभी बेजत
हूॊ आऩ फय मभेहयफ नी उसे मरस्ि की क फान क ऩी सौंऩ दीजजएग ।’

य ण ने उठने क उऩिभ न ककम ।

‘क्म हुआ?’—इन्स्ऩेक्िय उसे घूयत हुआ फोर —‘अफ आऩ मे न कह दीजजएग कक वो मरस्ि बी चोय चयु कय रे गम ।’

‘भैं मही कहने ज यह थ ।’

चेहये ऩय न य जगी के ब व मरए इन्स्ऩेक्िय कुछ ऺण अऩरक उसे दे ित यह ।

‘ऩहरे तो आऩने ऐस नहीॊ कह थ ।’—कपय वह फोर ।


‘भैं बूर गम थ ।’—य ण धीये से फोर ।

‘क्मों बूर गमे थे?’

‘फस, बूर गम थ । सॊमोग से वो मरस्ि भेये जेहन भें उतय आमी थी।
‘औय बी कुछ म द कय रीजजए जो सॊमोग से म बफन सॊमोग से आऩके जेहन से उतय गम हो।’

‘औय कुछ नहीॊ है ऐस ।’

‘आऩ ग यन्िी कयते हैं?’

‘ह ॊ।’

‘फ द भें कपय ककसी ग मफशुद चीज को आऩने उस चोय ऩय थोऩ टदम तो फहुत फुयी फ त होगी।’

‘ऐस नहीॊ होग ।’

‘वो मरस्ि फन मी क्मों गमी थी?’

‘त कक होतचन्द नी को नेऩ र भें अऩनी सम्ऩूणा चर औय अचर सम्ऩजत्त क ऩक्क अन्द ज हो सकत ।’

‘ऐसी मरस्ि अऩने क्र मन्ि के अनुयोध ऩय आऩने तैम य कयव ई औय अऩने क्र मन्ि को सौंऩी!’

‘ह ॊ।’

‘कफ?’

‘कर सुफह।’

‘औय वो मरस्ि अफ घिन स्थर से ग मफ है ?

‘आऩ कहते हैं तो ग मफ ही होगी।’

‘भैं कहत हूॊ। औय उसकी क फान क ऩी आऩके आकपस से ग मफ है ?’

‘ह ॊ।’

‘चोय रे गम ?’

‘ह ॊ।’

‘भैं आऩके आकपस की तर शी रेन च हत हूॊ।’


‘क्मों?’

‘त कक भुझे मकीन आ ज ए कक जो चीजें आऩ वह ॊ से ग मफ फत यहे हैं, वो व कई ग मफ हैं।’

‘भैं इस फ ये भें बर झूठ क्मों फोरूॊग ?’

‘भझ
ु े कोई वजह नहीॊ भ रभ
ू । आऩ फत इमे।’

य ण ि भोश यह । उसने फेचन


ै ी से ऩहरू फदर ।

‘मे नहीॊ फत सकते तो मे फत इमे कक आऩ हभें सहमोग दें गे औय अऩने आकपस की तर शी रे रेने दें गे म इसके मरमे हभें
सचा व यन्ि ज यी कयव न होग ।’

‘ऩुमरस से असहमोग क भेय कोई इय द नहीॊ।’

‘ज नकय िश
ु ी हुई। अफ आऩ जय फ हय इन्तज य कीजजए।’

य ण वह ॊ से चर गम ।

तबी ऩुमरस क स्िे नोग्र पय व वऩस रौि । वह वववेक क फम न ि इऩ कयके र म थ ।

‘आऩ इसे ऩढ रीजजमे।’—उसके इश ये ऩय ि इऩशुद क गज त जफ स्िे नोग्र फ्र ने वववेक को सौंऩ टदमे तो इन्स्ऩेक्िय
फोर —‘सफ कुछ ठीक ठीक ि इऩ हुआ रगे तो स इन कय दीजजमे।’

वववेक ने ऐस ही ककम । उसने क गज त को सयसयी तौय ऩय ऩढ औय कपय उन ऩय स इन कय टदमे।

‘त यीि औय वक्त बी ड र दीजजमे।’—आदे श मभर ।

वववेक ने वो बी ककम । उसने क गज त व वऩस इन्स्ऩेक्िय को सौंऩ टदमे। इन्स्ऩेक्िय ने एक प्रनत अऩने दय ज भें यि री
औय फ की की तीन प्रनतम ॊ स्िे नोग्र फ्र को सौंऩ कय उसे वह ॊ से ववद कय टदम ।

‘इन्स्ऩेक्िय स हफ’—वववेक िॊक य कय गर स प कयत हुआ फोर —‘आऩने भेये से फेशुभ य सव र ऩूछे। अफ अगय
इज जत हो तो एक ध सव र भैं ऩूछूॊ?’

‘आऩ क्म ऩूछन च हते हैं!’—इन्स्ऩेक्िय तननक फेसब्ेऩन से फोर ।

कत्र ककस वक्त हुआ! होतचन्द नी की भौत क क्म ि इभ भुकया य ककम है आऩने अऩनी तफ्तीश से?’

‘हभ यी तफ्तीश कहती है कक कत्र नौ फजकय फत्तीस मभनि से रेकय नौ फजकय इकत रीस मभनि के फीच ककसी वक्त
हुआ थ ।’

‘ऐस एक्मूयेि अन्द ज आऩके भैडडकर एक्सऩिा ने फत म है म ऩोस्िभ िा भ से हुआ है ।’


मे अन्द ज हभें फ रयश से हुआ है । कत्र अड़तीस कैरीफय की ब यी रयव कवय से हुआ भ रूभ होत है । ऐसी रयव कवय की
गोरी की फहुत ऊॊची आव ज होती है । हत्प्र ण को दो फ य शूि ककम गम रेककन गोरी चरने की आव ज ककसी ने न सुनी।
ऐसी आव ज होतचन्द नी के फॊगरे के अगर फगर के जॊगरों भें सुनी ज नी च टहए थी। हनुभ न को तो वो जरूय सुन मी
दे नी च टहमे थी। ऐस नहीॊ हुआ। इसी से स बफत होत है कक गोरी फ रयश के दौय न चरी थी औय फ रयश हभने भ रूभ ककम
है कक नौ फजकय फत्तीस मभनि ऩय शरू ु हो गमी थी। भ नसन ू की फयस त फहुत शोय कयती है, ि सतौय से होतचन्द नी के
फॊगरे व रे इर के भें जह ॊ कक फॊगरों की ऊऩयव री भॊजजर ऩय सीटढमों के दह ने ऩय फने स मफ नों की छतें िीन की हैं। उस
शोय भें तो तोऩ चर मे ज ने की आव ज बी श मद ही सुन मी दे ऩ ती। गोरी चरने की आव ज ननश्चम ही फ रयश की
आव ज भें दफ गमी थी।’

कपय इन्स्ऩेक्िय मूॊ भुस्कय म जैसे वो नतीज ऩेश कयके उसने करयश्भ कय टदि म हो।

‘आऩ सहभत हैं भेयी फ त से?’—वह फड़े अमबभ न से फोर ।

‘ह ॊ।’—वववेक फोर ।

‘कोई सव र औय ऩूछन च हते हों आऩ?’

‘नहीॊ। फस भेहयफ नी।’

‘वह उठ िड़ हुआ।

‘मह ॊ ऩध यने क औय ऩुमरस को सहमोग दे ने क धन्मव द।’—इन्स्ऩेक्िय दे व ह थ जोड़त हुआ औय भुस्कय त हुआ
फोर —‘भैं आऩसे कपय सम्ऩका करूॊग । इस दौय न अगय आऩ को कोई ऐसी फ त ध्म न भें आ ज मे जो अबी आऩ अऩने
मरखित फम न भें न श मभर कय सके हों तो पौयन भेये ऩ स चरे आने की कृऩ कीजजएग ।’
v ‘जी ह ॊ।’ जरूय।’

वववेक ने बी ह थ जोड़े औय वह ॊ से फ हय ननकर आम ।

उसने ऩ म कक इस फ य फ हय फेंच ऩय य ण के स थ कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन बी फैठ थ । वववेक को दे िकय वह हॊ स ।

‘भडाय कनपैस कय मरम ?’—वह ववनोदऩूणा स्वय भें फोर ।

‘अबी नहीॊ।’—वववेक फोर ।

‘अच्छ ककम । ऐसे भ भरों भें थोड़ -फहुत निय जरूय कयन च टहए वन ा इन ऩुमरस व रों क टदभ ग िय फ हो ज त है ।’

वववेक हॊ स । कैप्िन ने बी हॊ सी भें उसक स थ टदम । केवर य ण उकरू स नक्श त ने ि भोश फैठ यह ।

तबी एक अन्म कभये क दयव ज िर


ु औय गमरम ये भें द भोदय िेत न प्रकि हुआ। वववेक को दे िकय वह रम्फे डग
बयत हुआ उसके कयीफ ऩहुॊच औय उसकी फ ॊह थ भ कय वह उसे फ हय की ओय चरत हुआ फड़े फेसब्ेऩन से फोर —‘आओ
चरो मह ॊ से। फहुत जरूयी फ त कयनी है ।’

वववेक उसके स थ खिॊचत चर गम ।

द भोदय िेत न क नम प्रस्त व सुन कय वववेक हकफक म स उसक भुॊह दे िने रग । दोनों दत्त त्रेम की िै क्सी की
वऩछरी सीि ऩय फैठे थे जो कक वववेक के थ ने से फ हय ननकरने से ऩहरे वह ॊ रौि चक
ु थ । उस वक्त दत्त त्रेम की िै क्सी
फहुत भॊथय गनत से सड़क ऩय दौड़ यही थी। द भोदय िेत न ने फहुत दफे हुए रेककन ऩुयजोय रहये भें अऩनी पयभ मश वववेक
के स भने ऩेश की थी।

‘फोरो क्म कहते हो?’—अन्त भें वह आश ऩूणा स्वय भें फोर ।

‘भेय जव फ इनक य भें है ।’—वववेक फोर ।

‘क्मों?’

‘क्मोंकक भेये ख्म र से तभ


ु ऩ गर हो गए हो।’

‘मे फ त तभ
ु ि भि ह, बफन सोचे-सभझे, जोश भें कह यहे हो। जय ठण्डे टदर से सोचो, कोई िय फी नहीॊ है इसभें । कपय
इसभें तम्
ु ह य बी प मद है ।’

‘भेय क्म प मद है?’

‘तम्
ु हें ढ ई हज य रुऩमे भैंने अबी औय दे ने हैं। वो भैं तम्
ु हें तफ दे त जफ सौद चक
ु त होत । होतचन्द नी तो भय गम । उससे
तो अफ सौद होन भुन मसफ नहीॊ। रेककन उस शख्स से सौद होन अबी बी भुभककन है जजसके ऩ स जव हय त हैं। तभ

भेय उससे सौद कयव ओ। भैं तम्
ु हें फ की के वो ढ ई हज य रुऩमे बी दॊ ग
ू औय फतौय फोनस ऩ ॊच हज य रुऩमे औय दॊ ग
ू ।’

‘ककतने?’

‘दस हज य रुऩए। ऩहरे श मद भैं गरत फोर गम थ ।’

‘तभ
ु वो जव हय त ियीदने के मरए इतन भये क्मों ज यहे हो?’

‘वो तभ
ु नहीॊ सभझोगे।’

‘रुऩम तम्
ु ह ये ऩ स आ गम जो कक सवेये आने व र थ ?’

‘आ ज मेग ।’
वववेक क जी च ह कक वो उससे कुफुरव मे कक रुऩम इॊडडमन एमय र इन्स की होस्िे स ऩ भेर सेन रेकय आ चक
ु ी थी।
रेककन तफ उसे मे बी कफर
ू कयन ऩड़त कक वह चोयों की तयह उसके कभये भें घस
ु थ । वो फ त उसे उस रड़की से बी
भ रभ
ू हो सकती थी रेककन रड़की को उसके ककसी कधथत दोस्त क उसकी तर श भें उसके कभये भें आन एक भ भर
ू ी
हयकत रग सकत थ औय उसे उसक जजि कयन गैयजरूयी भ रूभ हो सकत थ ।
‘दे िो।’—द भोदय िेत न दफे स्वय भें उसे कपय सभझ ने रग —‘मह फ त तो मकीनी तौय ऩय सच है कक जव हय त क चोय
होतचन्द नी के इदा -धगदा क ही कोई आदभी है । ऐसे जो ऩ ॊच शख्स इस वक्त भेयी ननग ह भें हैं, वो हैं होतचन्द नी की
भ शूक अचय मोसववधचत, उसक कधथत स थी रेककन शनताम म य औय ठोकू कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन, होतचन्द नी क
फेि भ नक होतचन्द नी, उसक द भ द मोगेश कृऩर नी औय उसक वकीर भछे न्द्रन थ य ण । भैं इन सफकी सयू तें ठीक से
नहीॊ ऩहच नत जफकक होतचन्द नी से अऩने ऩयु ने त करक
ु त की वजह से तभ
ु इन रोगों को फिफ
ू ी ज नते हो। भैं क्म
च हत हूॊ, मे तभ
ु इन रोगों को फिफ
ू ी सभझ सकते हो।’

‘भैं नहीॊ सभझ न च हत ।’

‘तभ
ु न सभझ ओ भेये ब ई, भैं सभझ रूॊग । रेककन इन रोगों तक भेयी ऩहुॊच फन ने के मरए तो ह भी बयो। इतन बी भेयी
ि नतय कय दोगे तो पीस तम्
ु ह यी कपय बी वही होगी जो भैंने अबी कही।’

‘मूॊ कोई भ नेग कक जव हय त उसने चयु मे हैं?’

‘भ नेग । तम्
ु ह यी भनुह य से भ नेग । इसमरए भ नेग क्मोंकक उस चोयी के भ र को कैश भें तफदीर कयने क भौक वो बी
नहीॊ छोड़न च हे ग ।’

‘चोयी की ह भी बयकय चोय को कत्र की हभ यी बयनी ऩड़ेगी।’

‘हभ कत्र क जजि ही क्मों कयें ग,े ब ई भेये! हभ यी तयप से चोय ने सौ कत्र ककमे हों। हभें इससे क्म रेन दे न है । चोय
की ज नक यी हो ज ने के फ द क्म भैं ऩुमरस के ऩ स दौड़ ज ऊॊग ! क्म तभ
ु ऐस कयोगे! तभ
ु मे भुकक छोड़कय ज यहे हो।
तभ
ु क्मों ककसी झभेरे भें पॊसन च होगे?’

‘हभ तो नहीॊ च हें गे रेककन क्म चोय को हभ यी इस नीमत ऩय मकीन आ ज मेग ?’

‘आ ज मेग । नोिों की झरकी दे िकय आ ज मेग ।’

‘भैं अबी बी कहत हूॊ तभ


ु ऩ गर हो।’

‘वो बी कहत यह, ब ई भेये, रेककन स थ ही वो बी कय जो भैं कह यह हूॊ।’

रेककन…’
‘सुनो, सुनो! पजा कयो जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं। अफ तभ
ु ने होतचन्द नी क कत्र ककम है म नहीॊ ककम , ऩुमरस ने वो
जव हय त अगय तम्
ु ह ये ऩ स से फय भद कय मरमे तो क नतर तम्
ु हीॊ सभझे ज ओगे। मे फ त क्म तम्
ु हें ि क िीॊचकय
सभझ ने की जरूयत है ?’

‘नहीॊ।’

‘गड
ु । अफ आत हूॊ भैं औय ऩच स र ि रुऩमों भें उन जव हय त को तभ
ु से ियीदने की कयत हूॊ ऩेशकश। भेये ब ई जय
सोचो, तम्
ु ह ये खिर प ऩुमरस के ऩ स ज ने क भतरफ होग कक वो जव हय त बी ऩुमरस के हव रे। तम्
ु हें कत्र औय चोयी
के इरज भ भें धगयफ्त य कयव ने के न शुके क भ के मरए भैं अऩन ऩच स र ि रुऩमे क नुकस न बर क्मों करुॊ ग ?
फोरो, करूॊग भैं ऐस ?’

‘नहीॊ।’

‘कपय? जफ तभ
ु मे फ त सभझ सकते हो तो क्म चोय नहीॊ सभझेग ?’

वववेक ि भोश यह ।

‘अबी आगे सुनो।’—द भोदय िेत न ऩुयजोय रहजे भें फोर —‘अबी हभने पजा ककम थ कक जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं। अफ
हभ पजा कयते हैं कक ऩच स र ि रुऩमे भें भेय तम्
ु ह य जव हय त क सौद हो ज त है । जव हय त भेये ऩ स, रुऩम तम्
ु ह ये
ऩ स। म नी कक तम्
ु ह ये ऩ स सेप भ र है , भेये ऩ स ितयन क भ र है । भैं जव हय त के स थ ऩकड़ ज त हूॊ तो तम्ु ह ये
खिर प फड़ी हद मही तो कह सकत हूॊ कक जव हय त भैंने तभ ु से ियीदे । रेककन भेये कह दे ने बय से इस फ त ऩय कौन
मकीन कय रेग ! ऩुमरस तभ
ु से सव र कये गी। तभ
ु स प भुकय ज ओगे। मसपा भेय टदम रुऩम तम्
ु ह ये भुकयने की ऩोर
िोर सकत है रेककन इतनी अक्र तम्
ु ह ये भें होगी ही कक वक्ती तौय ऩय तभ
ु उसे कहीॊ ग मफ कय दो। अफ फोरो, नुकस न
ककसक हुआ? भेय कक तम्
ु ह य ?’

‘तम्
ु ह य ।’

‘दरु
ु स्त। तभ
ु कहते हो भैं ऩ गर हूॊ रेककन क्म भैं इतन ऩ गर हूॊ कक मूॊ अऩन इतन फड़ नुकस न कय फैठूॊग ?’ चोय औय
क नतर को भैं ऩकड़व बी दॊ गू तो क्म मह ॊ की ऩुमरस भुझे कोई भैडर दे दे गी! दे बी दे गी तो क्म उसकी कीभत ऩच स
र ि रुऩमे होन भुभककन है ! कहो कक भैं गरत कह यह हूॊ।’

वववेक क मसय स्वमॊ ही इनक य भें धगरने रग ।

‘स यी कथ क कुर जभ भतरफ मे हुआ, भेये ब ई।’—द भोदय िेत न आगे फढ —‘कक भैं ऩुमरस के ऩ स ज न अपोडा नहीॊ
कय सकत औय चोय को बी इस फ त क मकीन टदर दे न कोई भुजश्कर क भ नहीॊ होग हभ दोनों के मरए। अफ फोरो क्म
कहते हो?’

‘कहूॊ?’
‘जरूय कहो।’

‘फेििके कहूॊ?’

‘ह ॊ। फेििके कहो।’

‘तभ
ु एक नम्फय के हय भी आदभी हो।’

‘भेये ब ई—वह मशक मतबये स्वय भें फोर —‘अऩने ज त ब ई को हय भी कह यह है ?’

‘हकीकत फम न कय यह हूॊ। तभ
ु कोई आभ आदभी नहीॊ। तभ
ु कोई फहुत ऩहुॊची हुई चीज हो।’

‘क्म ऩहुॊची हुई चीज हूॊ भैं?’

‘तभ
ु कोई िॉऩ क्व मरिी के, मूॊ कह रो कक वरड्ा क्र स कॉनभैन (Conman) हो।’

‘चर ऐसे ही सही। तझ


ु े िश
ु ी होती है तो मे बी कह रे भझ
ु े रेककन, भेये ब ई, तझ
ु े भेयी ज ती जजन्दगी से क्म रेन -दे न
है ?’

‘तम्
ु ह ये ऩ स ऩच स र ि रुऩमे कह ॊ से आमे?’

‘अबी कह ॊ आमे हैं?’ रेककन आ ज मेंगे।’

‘कह ॊ से आ ज मेंग?
े ’

‘भेये ब ई, मे बी भेयी ज ती जजन्दगी से त करुक यित एक सव र है जो तझ


ु े नहीॊ ऩूछन च टहए।’

‘फत ने भें क्म हजा है?’

‘कोई हजा नहीॊ रेककन वो ज नक यी तझ


ु े कन्फ्मूज ही कये गी। उससे तेये ऩकरे नहीॊ कुछ ऩड़ने व र ।’

वो ठीक कह यह थ ।

‘दे ि भेये ब ई, अगय तू ह ॊ भें जव फ दे तो भैं तझ


ु े ऩूये फीस हज य रुऩमे दे ने क व द कयत हूॊ।’

अफ न भें जव फ दे न भूित
ा थी। वववेक िफ
ू ज नत थ कक ऐसी कोई यकभ उसकी आइन्द जजन्दगी सॊव य सकती थी।
श्वेत से उसकी श दी उन दोनों की उम्भीद से ऩहरे हो सकती थी। वह उसके च च के अऩनी एक्सऩीडडशन से रौिते ही
श्वेत से श दी कय सकत थ औय उसे टदकरी स थ रे ज कय अऩन घय फस सकत थ ।

‘भेय जव फ ह ॊ भें हुआ।’—वह स वध न स्वय भें फोर —‘रेककन अऩने अमबम न भें हभें क भम फी न ह मसर हुई तो?’

‘तो बी भैं तझ
ु े ऩच्चीस सौ रुऩमे जरूय दॊ ग
ू जजसक कय य हभ दोनों के फीच भें ऩहरे हुआ थ । फजकक ऩ ॊच हज य रुऩए
दॊ ग
ू । क भ हुआ तो फीस। न हुआ तो ऩ ॊच। अफ जव फ दे ।’
‘भेय क भ मसपा तम्
ु हें रोगों के ऩ स ऩहुॊच न होग । जो बी फ त कयनी होगी वो तभ
ु िद
ु कयोगे।’

‘भॊजूय। अफ फोर।’

‘भुझे बी भॊजूय। अरफत्त भेयी य म अबी बी मही है कक तभ


ु ऩ गर हो गए हो।’

उसकी ह भी से द भोदय िेत न इतन िश


ु हुआ कक िै क्सी भें उसने उसे गरे रग ने से कसय न छोड़ी।

वववेक मे उम्भीद कय यह थ कक भ म कक प्र जप्त के स थ-स थ उसे उन ऩ ॊच ऩ वऩमों से मभर कय मे बी बनक रग सकती
थी कक उनभें से ककसने जव हय त को उसके कभये भें यि गभरे भें छुऩ कय उसके मरए भुसीफत िड़ी कयने की कोमशश की
थी।

‘सफसे ऩहरे ककसके ऩ स चरें?’—वववेक फोर ।

‘सफसे ऩहरे’—द भोदय िेत न ननण ामक स्वय भें फोर —‘थ ई भेभ स हफ मभसेज अचय मोसववधचत के ऩ स चरो जो कक
मभसेज स धयू भ होतचन्द नी फनने से फ र-फ र फची हैं।’

जैसे फ्रैि भें अचय मोसववधचत यहती थी, अगय वो मभसेज होतचन्द नी फन ज ती तो मकीनन सफ से ऩहरे उस फ्रैि को
ही नतर ॊजमर दे ती। वह एक ि स नेऩ री अॊद ज क दोभॊजजर भक न थ जजसकी एक ही भॊजजर इस्तेभ र के क बफर थी
औय जजसके दो कभयों भें अचय यहती थी। इभ यत के फ हय से फ हयी दीव य के स थ-स थ फनी रकड़ी की सीटढम ॊ एक
जॊगर रगे फय भदे भें ऩहुॊचती थीॊ जजसके आगे ड इॊगरूभ थ औय ऩहरू भें फैडरूभ थ ।

ननह मत भ तभी शक्र मरमे अचय ने उन्हें ड्र ईंगरूभ भें बफठ म ।

वववेक ने द भोदय िेत न से उसक ऩरयचम कय म ।

कपय अचय की नौकय नी ने सफ को च म सवा की।


‘कैसे आमे?’—अचय ने ऩछ
ू ।

‘िेत न स हफ’—वववेक फोर —‘आऩ से कुछ ि स फ त कयन च हते हैं।’

अचय ने द भोदय िेत न की तयप दे ि ।

‘भैडभ’—िेत न स वध न स्वय भें फोर —‘जो फ त भैं आऩको कहने ज यह हूॊ वो हो सकत है कक भौजूद ह र त भें
आऩको न गव य गजु ये रेककन भेय मकीन ज ननमे कक अन्त ऩन्त वो आऩके प मदे की है ।’

‘भैं सुन यही हूॊ।’–अचय फड़े सब् के स थ फोरी।

‘भैं एक व्म ऩ यी हूॊ। भेयी होतचन्द नी स हफ से एक फड़ी अहभ व्म ऩ रयक फ तचीत चर यही थी जफ कक वो…वो ह दस हो
गम । भैडभ, होतचन्द नी स हफ अगय मूॊ एक एक इन्तक र न पयभ गमे होते तो अफ तक हभ दोनों भें हभ दोनों के ही
मरए एक ननह मत प मदे भन्द सौद हो चक
ु होत । भेये आऩके ऩ स आने क भकसद मही है कक वो सौद भैं अबी बी कयने
के मरए तैम य हूॊ।’
‘ककसके स थ?’

‘जजस ककसी के स थ बी हो सके।’

‘भैं आऩक भतरफ नहीॊ सभझी।’

‘जव हय त की व ककपमत तो आऩको होगी।’

‘आऩ उन जव हय त की फ त कय यहे हैं जो सफ चोयी चरे गमे हैं?’

‘जी ह !ॊ भैं उन्हीॊ जव हय त की फ त कय यह हूॊ। आऩको िफय थी।’

‘ह !ॊ ’

‘कपय तो मे बी भ रूभ होग कक होतचन्द नी स हफ उन जव हय त को भुझे फेचने व रे थे?’

‘ह !ॊ मे बी भ रभ
ू है । आगे फोमरमे।’

तत्क र आगे फोरने की जगह द भोदय िेत न ने फेचन


ै ी से ऩहरू फदर औय ककसी प्रोत्स हन की अऩेऺ भें वववेक की तयप
दे ि । वह ॊ से कोई प्रोत्स हन न मभरत ऩ कय उसने िॊि य कय गर स प ककम औय फड़े नवास ब व से अऩने क रे चश्भे
को अऩनी न क ऩय व्मवजस्थत कयत हुआ फोर —‘भैं उन जव हय त को अबी बी ियीदन च हत हूॊ। भैं अबी बी उनकी
नकद ऩहरे ही व री, कीभत अद कयने को तैम य हूॊ।’

अचय के नेत्र मसकुड़े। उसने घूय कय िेत न को दे ि ।

िेत न ने कपय फेचन


ै ी से ऩहरू फदर औय अऩन क र चश्भ ििोर ।

‘तो इसमरए आए हैं आऩ मह ॊ।’—अचय सख्ती से फोरी—‘आऩ सभझते हैं वो जव हय त भैंने चयु मे हैं।’

‘नहीॊ, नहीॊ।’—िेत न जकदी से फोर —‘भैं ऐस कुछ नहीॊ सभझ यह । भैं इस फ फत कुछ नहीॊ ज नत । भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू कक
उन जव हय त क चोय कौन है । भ रभ
ू होत तो भैं सीध उसके ऩ स ज त । भेय कहन मे है भैडभ, कक वो जव हय त चोयी
तो हुए ही हैं औय चोय कोई हज य ऩ ॊच सौ रोगों भें से एक नहीॊ हो सकत । चोय भयने व रे के अन्तयॊ ग द मये भें आने व रे
धगने चनु े रोगों भें से ही कोई एक है ।’

‘औय आऩके उन धगने चन


ु े रोगों भें से एक भैं बी हूॊ।’

‘है तो सही आऩ बी।’—इस फ य द भोदय तननक टदरेयी से फोर ।

‘फड़े अच्छे आदभी हैं आऩ। भेये घय ऩय भेये स भने फैठे आऩ भुझे चोय कय य दे यहे हैं।

‘आऩ गरत सभझ यही हैं।

‘इस के ववऩयीत आऩ गरत सभझ यहे हैं। आऩ एक ऐसे भ र की चोयी क इरज भ भेये ऩय रग यहे हैं जो औय चन्द टदनों
भें वैसे ही भेय हो ज ने व र थ । आऩ…’

‘आऩ जय भेयी फ त सुननमे। भैं आऩ ऩय म ककसी ऩय कोई इरज भ नहीॊ रग यह । भैं मसपा इस फ त को हव दे न च हत
हूॊ कक उन जव हय त को ियीदने क ख्व मशभन्द भैं अबी बी हूॊ। अऩनी इस ख्व टहश को हव दे ने के मरए भेय आऩको औय
आऩ जैसी जस्थनत भें जो औय रोग हैं, उनको मे सफ कहन जरूयी है । आऩने चोयी नहीॊ की, मे फड़ी िशु ी की फ त है रेककन
उन जव हय त की फ फत अऩनी भॊश आऩको बी फत मे बफन भेय भकसद हर होने व र नहीॊ।’

‘रेककन…’

‘फहस छोडड़मे।’—िेत न एक एक उठ िड़ हुआ—‘भकतर ू आऩक होने व र ऩनत थ । उसकी भौत से आऩको जो सदभ
ऩहुॊच है, उसको भैं सभझ सकत हूॊ। भुझे आऩ से हभददी है रेककन, फद्तभीजी के मरमे भ पी च हते हुए अजा कयन
च हत हूॊ कक, भैं तो अबी होतचन्द नी स हफ को ठीक से ज नत बी नहीॊ थ इसमरए उनकी भौत से ज्म द भझ ु े इस फ त
क अपसोस है कक भेय सौद बफगड़ गम । मे एक िद ु गजीबयी फ त है रेककन सच्ची फ त है । सच ऩनू छमे तो भझु े तो इस
फ त की बी ऩयव ह नहीॊ है कक क नतर औय चोय अऩनी कयतत
ू की सज ऩ त है म नहीॊ। भेयी टदरचस्ऩी तो मसपा अऩने
बफगड़े हुए सौदे को सॊव यने भें है । भैं किस्िर होिर भें ठहय हुआ हूॊ। अऩने भ तभी भूड से उफय कय इस फ फत आऩ कपय
कबी कोई फ त भझ ु से कयन च हें तो भैं आऩको वहीॊ मभरूॊग । हभ ये भें जो फ त होगी, गोऩनीम होगी। ज र न अऩन ज त
ब ई है , कभ से कभ इसकी वजह से गोऩनीमत बॊग नहीॊ होगी। इसक दस
ू य योर मे है कक भेये से कोई फ त कयने भें अगय
आऩको सॊकोच हो तो मही फ त आऩ ज र न से कय सकती हैं। आखिय आऩ इसे ऩुय न ज नती हैं। कपरह र नभस्ते।’

भुर क त के मरमे दस
ू ये नम्फय ऩय द भोदय िेत न ने भ नक होतचन्द नी को चन
ु ।

दत्त त्रेम की िै क्सी ऩय ही वे इन्द्र चौक ऩहुॊच।े

वह ॊ अऩने फ्रैि भें भ नक भौजूद नहीॊ थ ।

‘वो अऩने जीज के स थ हो सकत है ।’—वववेक ने सझ


ु म।

‘औय जीज कह ॊ होग ?’—द भोदय िेत न फोर ।

‘अऩने ट्रे रय ऩय। अफ ट्रे रय अऩने टठक ने ऩय होग म नहीॊ, मे कहन भुह र है ।’

‘ट्रे रय क टठक न कौन स है ?’

‘फ घभती नदी। अभभ


ू न वो नदी ककन ये ऩशऩ
ु नतन थ भॊटदय के कयीफ ही कहीॊ अऩने ट्रे रय िड़ कयत है ।’

‘वो मूॊ चरते कपयते घय भें क्मों यहत है ?’

‘तभ
ु हय वक्त क र चश्भ क्मों ऩहनते हो?’

‘अच्छ , अच्छ !’

िै क्सी ऩय वे नदी ककन ये ऩहुॊच।े


मोगेश कृऩर नी क ट्रे रय, उसक चरत कपयत घय, वह ॊ भौजूद थ । कृऩर नी ने ट्रे रय ऩय इतने फेशुभ य यॊ ग योगन ऩोते
हुए थे कक वह सकास क म ककसी क नीव र क टहस्स भ रूभ होत थ ।

भ नक होतचन्द नी औय उसक जीज मोगेश कृऩर नी उन्हें ट्रे रय के ऩहरू भें पोजकडॊग कुमसाम ॊ बफछ मे फैठे ब ॊग ऩीते
मभरे।

‘दे िो कभीनों को!’—वववेक धीये से फोर —‘भयने व र एक क सग फ ऩ थ औय दस


ू ये क सग ससयु । अबी चौफीस घन्िे
नहीॊ हुए होतचन्द नी को भये हुए औय मे मह ॊ फैठे वऩकननक कय यहे हैं।’

‘हभें क्म ?’—द भोदय िेत न फोर ।

‘मह बी ठीक है ।’—वववेक गहयी स ॊस रेकय फोर ।

दोनों उनके कयीफ ऩहुॊच।े

भ नक औय मोगेश उठ कय िड़े हो गए।

वववेक ने द भोदय िेत न क दोनों से ऩरयचम कय म ।

‘ब ॊग?’—भ नक फोर ।

‘नहीॊ!’—िेत न फोर —‘शकु िम ।’

वववेक ने बी इनक य भें मसय टहर म ।

‘कैसे आमे?’—भ नक फोर ।

‘िेत न स हफ आऩ रोगों से कुछ फ त कयन च हते हैं।’—वववेक फोर ।

दोनों िेत न की तयप दे िने रगे।

िेत न ने अऩने जव हय त क अबी बी ग्र हक होने की वही कह नी रगबग उन्हीॊ शब्दों भें वह ॊ दोहय मी जो वह अचय के
मह ॊ सुन कय आम थ । दोनों ने फड़े गौय से िेत न के भुॊह से ननकर एक एक शब्द सुन रेककन अन्त भें जव फ उनक
बी वही थ जो िेत न को अचय से ह मसर हुआ थ ।

‘तभ
ु ने’—भ नक फोर —‘मे कैसे सोच मरम कक जव हय त हभ ये ऩ स होंगे।’
‘भैंने ऐसे कबी नहीॊ कह ।’—िेत न फोर ।

‘म ’—मोगेश फोर —‘जव हय त की हभें कोई िफय होगी।’

‘भैंने वो बी नहीॊ कह ।’—िेत न फड़े सब् के स थ फोर —‘भैं तो कुछ धगने चन


ु े रोगों के जेहन भें मह फ त बफठ ने की
कोमशश कय यह हूॊ कक भैं अबी बी उन जव हय त क ग्र हक हूॊ होतचन्द नी स हफ बफन वसीमत ककमे भय गए। अफ उनकी
ज मद द क एक िफ ू फड़ टहस्स तम्ु हें औय तम्
ु ह यी फहन के भ ध्मभ से तम्
ु ह ये जीज को मभरने व र है । वो जव हय त
बी भयने व रे की ज मद द क टहस्स हैं। भैं मसपा मे कहन च हत हूॊ कक अगय ककसी इत्तप क से उन जव हय त क
भ मरक न हक आऩ दोनो भें से ककसी को ह ॉमसर हो ज त है , तो भैं अबी बी उनक सौद कयने के तैम य हूॊ।’

भ नक ने फड़ी सॊजीदगी से सहभनत भें गदा न टहर मी। कपय उसने फड़े सजन्दग्ध ब व से वववेक की ओय दे ि ।

‘तभ
ु वववेक क ख्म र भत कयो।’—द भोदय िेत न उसक भन्तव्म सभझ कय तत्क र फोर —‘इसक इन फ तों से न कोई
रयश्त है औय न मे कोई रयश्त फन ने क ख्व टहशभन्द है । हभ ये भें अगय कोई सौद होग तो वो हभ ये भें ही होग । ककसी
तीसये आदभी के—वववेक को बी—इसकी बनक बी नहीॊ रगेगी। मे भेये स थ मसपा इसमरमे है क्मोंकक रोगफ ग भुझे ज नते
नहीॊ औय वो सीधे भेये से फ त कयने भें ऩयहे ज कय सकते हैं। इतने न जुक भसरे ऩय एक अजनफी से फ त कयने भें ककसी
को बी ऩयहे ज हो सकत है ।’

‘हूॊ।’—भ नक प्रब ववत स्वय भें फोर ।

‘अफ फोरो, तम्


ु ह यी च मस क्म होगी? वो जव हय त म उनके फदरे भें नकद रुऩम ?’

‘नकद रुऩम !’—उत्तय तत्क र मोगेश के भुॊह से ननकर ।

‘सभझद य आदभी हो।’—िेत न तननक भुस्कय कय फोर ।

‘रेककन एक फ त अबी बी भेयी सभझ से फ हय है ।’

‘क्म ?’

‘तभ
ु क्मों उन जव हय त के मरए भये ज यहे हो?’

‘भैं भय नहीॊ ज यह । भैं मसपा मे च हत हूॊ कक जजस सौदे ऩय भैंने इतनी भेहनत की है , इतन वक्त रग म है , एक जैभ
एक्सऩिा की’—उसने वववेक की तयप इश य ककम —‘पीस बयी है वो अफ मूॊ ि भि ह भेये ह थ से न ननकर ज मे। ऊऩय से
भैंने इतनी भजु श्कर से उसकी ऩयू ी कीभत की मह ॊ अद मगी क इन्तज भ ककम है । औय ऊऩय से उन जव हय त को फीस
पीसदी भुन प दे कय ियीदने व र भेये ऩ स ग्र हक है ।’

‘कौन है वो ग्र हक?’—भ नक तत्क र फोर ।

‘वो भैं तम्


ु हें कैसे फत दॊ ग
ू ? मूॊ तभ
ु िद
ु ही सीधे उसके ऩ स नहीॊ ऩहुॊच ज ओगे?’

‘रेककन इसक भतरफ मे तो हुआ न कक वो जव हय त भॊहगे बफक सकते हैं!’

‘बफक सकते हैं। रेककन भेये फेच।े तम्


ु ह ये फेचे नहीॊ। तम्
ु ह ये फ ऩ के फेचे बी वो ऩच स र ि से भॊहगे नहीॊ बफकने व रे थे।
बफकने व रे होते तो वो इतन ऩहुॊच हुआ आदभी उनक सौद भेये से कयत ?’

भ नक ि भोश यह ।

‘सच ऩूछो तो तभ
ु दोनों भें से ककसी के फेचे तो वो ऩच स र ि भें बी नहीॊ बफकने व रे। नेऩ र भें तो हयधगज नहीॊ।’
‘तभ
ु उन्हें फ हय रे ज कय फेचोगे?’

‘ह ॊ। च न्द ऩय रे ज कय।’

‘भज क भत कयो।’

‘भज क तभ
ु भत कयो। ब ई भेये, तम्
ु हें इन फ तों से क्म रेन दे न है कक भैं उन जव हय त को दे शी घी क तड़क रग कय
ि त हूॊ म उनक अच य ड रत हूॊ! अफ सौद हो ज मे तो तभ
ु आय भ से फैठ के अऩने नोि धगनन । आगे भैं ज नू
जव हय त ज नें ।’

भ नक ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘ऩहरे जव हय त हों तो सही हभ ये ऩ स।’—मोगेश फोर ।

‘वो सोचन तम्


ु ह य क भ है । फहयह र भेयी तयप से आपस ियी है । औय भेये से जव हय त क सौद कयने क तम्
ु हें एक
औय बी प मद है ।’
‘वो क्म ?’—भ नक फोर ।

‘कपय मूॊ ह मसर हुए रुऩमे भें तम्


ु ह ये वऩत क फम्फई व र ब ई टहस्सेद य नहीॊ होग । न ही ह मसर यकभ ऩय तम्
ु हें मह ॊ कोई
िै क्स बयन ऩड़ेग । जो कुछ होग , हभ दोनों के फीच चऩ ु च ऩ होग । ककसी को इसकी बनक तक नहीॊ रगेगी।’

‘ऩमु रस को?’

‘कैसे रगेगी? ऩुमरस के ऩ स क्म तभ


ु ज ओगे? म भैं ज ऊॊग ?

उसने वववेक की तयप दे ि ।

‘तभ
ु इसकी कपि न कयो।’—िेत न फोर —‘इसक ज मभन भैं हूॊ।’

‘ठीक है । हभ सोचें गे इस फ ये भें ।’

‘अबी बी सोचें ग?
े ’

‘अबी जव हय त कोई हभ यी जेफ भें नहीॊ हैं। जफ वो हभ ये ह थ रगें गे तो तबी हभ कोई प इनर य म फन मेंगे।’

‘ठीक है । सोचन । जी बय के सोचन । च य औय रोगों से बी भशवय कय रेन रेककन भेये से जो फ त कयन सॊजीदगी से
कयन । ये त भें भछमरम ॊ भ यने के शौकीन रोग भुझे ऩसन्द नहीॊ। भेय सौद तम्
ु हें जॊचत हो, भ र तम्
ु ह ये ऩ स च क चौफॊद
उऩरब्ध हो तबी भेये से फ त कयन वन ा भेये ऩ स बी न पिकन ।’

‘तभ
ु तो िप हो यहे हो?’

‘भैं िप नहीॊ हो यह । क मदे की फ त कय यह हूॊ।’


‘ठीक है । जैस,े तभ
ु कह यहे हो, वैसे ही होग ।’

‘शुकिम ।’

द भोदय िेत न ने मभर ने के मरए भ नक की तयप ह थ फढ म । भ नक ने ह थ थ भने के मरए अऩन ह थ फढ म तो


उसके कोि औय कभीज की आस्तीन उसकी कर ई ऩय से सयक गमी।’

मॊू वववेक को भैिर के भजफत


ू ऩट्टे व री उसकी कर ई घड़ी टदि ई दी।

कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन क फॊगर शहय के घने औय व्मस्त इर के से अऩेऺ कृत दयू थ औय वह ॊ फॊगरों की एक रम्फी
कत य के ऐन भध्म भें थ । फॊगर फहुत ऩुय न थ औय प्र इवेसी को भद्देनजय यि कय फन म गम भ रूभ होत थ ।
नतीजतन वो सड़क से कभ से कभ ऩच स पुि ऩये एक ववश र कम्ऩ उण्ड के मसये ऩय फन भ रूभ होत थ । कम्ऩ उण्ड भें
ऩेड़ उगे हुए थे उनकी वजह से फॊगरे के आगे के फय भदे क बी फहुत कभ टहस्स सड़क ऩय से स प नजय आत थ ।

जजस वक्त दत्त त्रेम ने अऩनी िै क्सी फॊगरे के रकड़ी के िर


ु े प िक के स भने योकी, उस वक्त कैप्िन भूॊग ववन ड्र इव वे
भें िड़ी अऩनी िोमोि क य से फ हय कदभ यि यह थ ।

द भोदय िेत न औय वववेक ज र न िै क्सी से फ हय ननकरे औय प िक से हो कय बीतय द खिर हुए।

तफ वववेक की ननग ह अन म स ही िोमोि की नम्फय प्रेि की ओय उठ गई।

नम्फय एन ऩी डी—१२८८ थ ।

तयु न्त उसक ध्म न उस िोमि क य की ओय गम जजसे उसने वऩछरी य त को होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ एक फड़ के
ऩेड़ के नीचे िड़े दे ि थ । तफ क य क जो आध नम्फय उसने दे ि थ वह डी—१२ थ ।

औय डी—१२ कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन क क य के नम्फय भें बी थ ।

क्म उसी क य को उसने वऩछरी य त तफ दे ि थ जफ उसकी तवज्जो एक ऩेड़ के नीचे प्रेत की तयह िड़े शभशेय थ ऩ की
ओय चरी गई थी!

कर य त जफ वह दस
ू यी फ य होतचन्द नी के फॊगरे भें गम थ तो वह ॊ ननश्चम ही कोई थ , जो उसके आगभन ऩय वह ॊ से
खिसक गम थ औय कपय जरूय वो उसी िोमोि क य ऩय वह ॊ से कूच कय गम थ जोकक उसने फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ी
दे िी थी।

जरूय उसी आदभी ने दय ज की तर शी री थी औय भेज ऩय होतचन्द नी के क गज त बफिये थे।

क्म वो आदभी कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन हो सकत थ ?

िोमोि क यें तो वैसे औय बी दजानों ऐसी हो सकती थीॊ नेऩ र भें जजनके नम्फय के फीच के अऺय औय अॊक ‘डी—१२’ होते।

रेककन—उसने िद
ु से जजयह की—औय दजानों ऐसी क यों भें भ मरकों क तो भयने व रे से कोई व स्त नहीॊ थ ! भयने व रे
से व स्त तो मसपा उसी क र के भ मरक कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क थ जो कक भयने व रे क कज ाई फत म ज त थ ।
तबी कैप्िन उनके कयीफ ऩहुॊच । वह फड़े प्रेभब व से दोनों से मभर औय उन्हें अऩने घय के बीतय रे चर । बीतय उसने
उन्हें ड्र इॊगरूभ भें बफठ म औय फोर —‘भैं बफमय र त हूॊ।’

प्रत्मुत्तय भें उन दोनों भें से ककसी के कुछ कहने से ऩहरे ही वह वह ॊ से कूच कय गम ।

थोड़ी दे य फ द जफ वह व वऩस रौि तो वह बफमय से उपनते तीन भगों से बयी एक ट्रे उठ ए थ । उसने अऩन कोि उत य
टदम थ औय अऩनी कभीज की आस्तीन कोहनी तक चढ री थीॊ।

वववेक ने दे ि , वह वैसी ही भैिर के भजफूत ऩट्टे व री कर ई घड़ी ऩहने थ जैसी उसने भ नक होतचन्द नी को बी ऩहने
दे ि थ ।

कैप्िन ने अऩने भेहभ नों को बफमय सवा की औय कपय बफमय की चजु स्कमों भें उसने द भोदय िेत न क जव हय त की फ फत
आख्म न सन
ु ।

द भोदय िेत न ि भोश हुआ तो कैप्िन फड़े ववनोदऩूणा ढॊ ग से भुस्कय म ।

‘प्रस्त व फटढम है ।’—वह फोर —‘ऩच स र ि रुऩम फहुत फड़ी यकभ होती है । भेये ह थ आ ज ए तो भेये कई सॊकि कि
ज एॊ। फहयह र भैं इतन ही कह सकत हूॊ कक क श वो जव हय त क मरप प भेये ऩ स होत म भुझे कोई अन्द ज होत
कक वो कैसे भेये ह थ रग सकत थ ।’

‘आऩने’—वववेक फोर —‘अऩने प्रेन की एवज भें होतचन्द नी से कोई कज ा मरम हुआ थ ?’

‘नहीॊ।’—कैप्िन सहज ब व से फोर ।

‘जी!’

‘भैंने कह भैंने होतचन्द नी से कोई कज ा नहीॊ मरम हुआ थ ।’

‘उसके ऩ स आऩक प्रोनोि थ ।’

‘कौन कहत है ?’

‘ऩुमरस कहती है कक होतचन्द नी ने एक सीरफन्द मरप प ऊऩय आऩक न भ मरिकय टहप जत से यिने के मरए अऩने
वकीर भछे न्द्रन थ य ण को टदम हुआ थ ।’
v ‘ऩमु रस कहती है कक होतचन्द नी ने एक सीरफन्द मरप प ऊऩय आऩक न भ मरिकय टहप जत से यिने के मरए अऩने
वकीर भछे न्द्रन थ य ण को टदम हुआ थ ।’
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‘तो? ऩुमरस ने अफ वो मरप प िोर है औय उसभें से भेय प्रोनोि ननक र है ?’

‘भैं ककसी को कैस बी कोई अन्द ज रग ने से कैसे योक सकत हूॊ।’


‘तो आऩने होतचन्द नी से कोई कज ा नहीॊ मरम हुआ थ ?’

‘न।’

‘आऩक कोई प्रोनोि होतचन्द नी के ऩ स नहीॊ थ ?’

‘जफ कज ा नहीॊ थ तो प्रोनोि कह ॊ से आत !’

‘तो क्म थ उस मरप पे भें ?’

‘भझ
ु े क्म ऩत क्म थ ?’

‘आऩको कोई अन्द ज तो होन च टहए।’

‘क्मों होन च टहए?’

‘आऩ फत इए।’

‘भुझे कोई अन्द ज नहीॊ है ।’

‘आऩ प्रोनोि की फ त इसमरए तो गोर कयने की कोमशश नहीॊ कय यहे क्मोंकक अफ वो मरप प चोयी चर गम है ।’

‘भुझे तो ऐसी ककसी फ त की िफय तक नहीॊ। भुझे तो तम्


ु हीॊ से ऩत रग यह है कक ऐस कोई मरप प थ औय वो चोयी
चर गम है ।’

‘ऩमु रस ने इस फ फत आऩसे कोई फ त नहीॊ की?’

‘अबी तक तो नहीॊ की।’

‘आऩ कुछ छुऩ यहे हैं।’

‘फ त जव हय त की हो यही थी।’

‘वववेक ि भोश हो गम ।

‘मभस्िय िेत न’—कैप्िन द भोदय िेत न की तयप घूभ —‘वो जव हय त अगय भेये ह थ रग बी ज एॊ तो बी वो भेये थोड़े ही
हो ज एॊगे! चोयी क भ र यिने व र तो चोय ही कहर त है । औय चोयी क भ र ियीदने व र शख्स क्म कहर त है ,
मभस्िय िेत न?’
िेत न ने उत्तय न टदम । उसने बफमय क एक घूॊि वऩम । कैप्िन अऩरक उसे दे ित यह ।

वववेक पैसर न कय सक कक कैप्िन क वो व्मवह य उसकी शय पत क ऩरयच मक थ म तो वह उसके िेत न से ज्म द


फड़े, ज्म द भॊजे हुए, हय भी होने की चग
ु री कय यह थ ।

‘आऩको चोयी के भ र से ऩयहे ज है ?’—िेत न फोर ।

‘आऩको नहीॊ है?’

‘भझ
ु े तो नहीॊ है । होत तो भैं उसकी ियीद की ऩेशकश कयत ?’

‘जव हय त भेये ऩ स नहीॊ हैं।’

‘अगय हों औय आऩको उनको अऩने ऩ स यिे यहकय चोय क दज ा ह मसर कयन न गव य गुजयत हो तो बी आऩ एक क भ
ऐस कय सकते हैं जजससे भेय बी क भ फन ज एग ।’

‘वो क्म ?’

‘आऩ जव हय त को उनके भ मरक को सौंऩ दीजजएग ।’

‘भ मरक तो भय गम !’

‘भेय इश य भकतर
ू के व रयस की तयप थ ।’

‘वो कौन हुआ?’

‘वो हुआ भकतर


ू क फेि भ नक होतचन्द नी। कपय भैं ज नूॊ औय भ नक होतचन्द नी ज ने।’

‘फदरे भें भुझे क्म मभरेग ?’

‘इन भ। चोयी गम भ र ढुॊढव ने क ।’

‘कौन दे ग ?’

‘कोई बी दे सकत है । भैं दे सकत हूॊ। भ नक होतचन्द नी दे सकत है । आऩ इन भ की कपि न कीजजए। वो आऩको मभर
ज एग । ऩहरे आऩ भुझे मे गुड न्मूज दीजजए कक आऩने भ र उसके भ मरक को सौंऩ टदम ।’
‘दॊ ग
ू ।’

‘भैं इन्तज य करूॊग ।’—िेत न उठ िड़ हुआ—‘बफमय क शुकिम ।’

‘भ ई प्रेजय।’

दोनों वह ॊ से ववद हो गए।

‘स र !’—िै क्सी भें द भोदय िेत न बुनबुन म —‘आम फड़ धभाय ज मुधधजष्ठय! चोयी क भ र नहीॊ यिन च हत । जफ
जव हय त ऩ स होंगे तो दे ि रेन उड़कय आवेग भेये ऩ स।’

‘तम्
ु ह ये ऩ स म भ नक होतचन्द नी के ऩ स?’—वववेक फोर ।

‘भेये ऩ स।’

‘म श मद ऩुमरस के ऩ स…’

‘कह न भेये ऩ स। भेये ब ई, भैं उसे कोि दॊ ग


ू , भयने व रे क व रयस उसे कोि क फिन दे ग , ऩुमरस फिन बी नहीॊ दे गी।
तम्
ु हें वह फभीज इतन अहभक रगत है कक अऩन भ री नप नुकस न न ऩहच न ऩ ए! भुझे तो नहीॊ रगत ।’

‘अफ कह ॊ चरें?’

‘ऩ ॊचवें ऩ ऩी के ऩ स।’

फैरयस्िय भछे न्द्रन थ य ण आकपस भें भौजूद थ औय उस वक्त ि री थ । फ हय रयसेप्शन ऩय फैठी श्वेत श ह ने तत्क र
उन्हें य ण के ननजी कऺ भें बेज टदम ।

उनके आगभन ऩय वो ि इऩ-य इिय िििि यही थी। अफ वो आव ज आनी फन्द हो गई। न ज ने क्मों वववेक को रग कक
उनक व त ार ऩ सुनने की नीमत से ही उसने ि इऩ कयन छोड़ टदम थ । ि इऩ-य इिय की िििि न होने ऩय औय फीच
क दयव ज थोड़ -स बी िर
ु होने ऩय य ण के ननजी कऺ भें होत व त ार ऩ फ हय सुन ज सकत थ ।

द भोदय िेत न ने वह ॊ बी अऩनी वो कथ की जो वह ऩहरे तीन जगह कय चक


ु थ।

‘अफ फोमरए’—अन्त भें िेत न फोर —‘आऩ क्म कहते हैं?’

‘भैं मे कहत हूॊ,’—अऩने चश्भे भें से िेत न को घयू त हुआ य ण फोर —‘कक क्मों न भैं आऩको धगयफ्त य कयव दॊ ।ू ’

‘ककस मरए?’—िेत न हड़फड़ म —‘क्म ककम है भैंन?


े ’
‘आऩ चोयी क भ र ियीदने के ख्व टहशभन्द हैं।’

‘ख्व टहशभन्द ही तो हूॊ, भेये ब ई, ियीद तो नहीॊ मरम ।’

‘आऩ ियीदने की आपय कय तो यहे हैं।’

‘रेककन भ र कह ॊ है जजसको ियीदने की भैं आपय कय यह हूॊ? क्म कहें गे आऩ ऩमु रस को? क्म फेच यहे हैं आऩ भझ
ु !े
भहज जफ ु नी जभ िजा से आऩ भझ ु े चोयी के भ र क ियीदद य स बफत कय दें गे?’

‘आऩ क्म ऩुमरस के स भने भुकय ज मेंगे कक आऩने अबी भुझे चोयी क भ र ियीदने की ऩेशकश की है ?’

‘क्मों नहीॊ भुकय ज ऊॊग ? आऩ ऐसी फेहूद हयकत कयके भेये मरए कोई दश्ु व यी ऩैद कयने की कोमशश कयें गे तो भैं उरिे मे
कहूॊग कक भैं ियीद क उतन ख्व टहशभन्द नहीॊ जजतने कक आऩ पयोख्त के मरए भये ज यहे हैं।’

य ण हकफक म ।

‘कहने क भतरफ मे है वकीर स हफ, कक ऩुमरस को इस भ भरे से फ हय ही यखिमे। जजस हभ भ भें सफ नॊगे हों उसभें एक
नॊगे क दस
ू ये नॊगे को नॊग कहन शोब नहीॊ दे त ।’

‘भैं ककसी हभ भ भें…क टहस्स नहीॊ।’

‘ठीक है कपय। कपय आऩ फिश


ु ी ऩमु रस को पोन कीजजमे।’ उसने ऐस कोई उऩिभ न ककम ।

‘सुननमे’—द भोदय िेत न तफ तननक उत्स टहत होकय फोर —‘आऩको भ रूभ है कक आऩक टदवॊगत क्र मन्ि वो जव हय त
फेच यह थ । ऩहरे से न भ रूभ हो तो भैं अफ फत दे त हूॊ कक वो ियीदद य भैं थ । वो ियीदद य अफ बी भैं ही हूॊ औय उसी
कीभत ऩय भ र ियीदने क ख्व टहशभन्द हूॊ जो कक आऩके क्र मन्ि की भौजूदगी भें वववेक ज र न ने आॊकी थी औय जो
आऩके क्र मन्ि ने भन्जूय की थी। भेयी ऩेशकश चोयी क भ र र ठी के गज के न ऩ से ियीदने क नहीॊ है । भैं रुऩमे के ऩूये
सोरह आने अद कयने व र ग्र हक थ औय हूॊ। वो जव हय त होतचन्द नी की एस्िे ि क टहस्स थे औय फकौर उसके
वकीर आऩको उन जव हय त को फेचने क ऩूय अजख्तम य है ।’

‘फशते कक वो फय भद हो ज में।’—य ण फोर —‘फशते कक भुझे एस्िे ि क एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त कय टदम ज मे जो कक


अबी नहीॊ हो सक है ।’

‘वो सफ हो ज एग । उन जव हय त को फेचने के मरए भयने व रे के व रयसों की यज भन्दी च टहए होगी तो वो बी आऩको


मभर ज एगी। अफ फय मभेहयफ नी आऩ भझ
ु े मे फत इमे कक उन जव हय त को भेये ियीदने की ऩेशकश कयन ऩमु रस को
फीच भें र ने व र भसर बर क्मों कय फन गम ?’

‘मूॊ तो नहीॊ फन गम ।’

‘तो कपय?’

‘दयअसर भैं आऩकी फ त ठीक से सभझ नहीॊ थ । भैं सभझ थ कक आऩ मे इश य कय यहे हैं कक उन जव हय त क चोय भैं
थ औय आऩ चोय से चोयी के भ र क सौद कयन च हते थे।’

‘आऩने गरत सभझ थ ।’—िेत न फड़ी भ सूमभमत से फोर ।

वववेक ज नत थ कक व स्तव भें द भोदय िेत न की ऩेशकश एक चोय को ही थी औय वह चोय से ही चऩ


ु च ऩ चोयी क भ र
ियीदने की ख्व टहशभन्द थ । रेककन य ण की अप्रत्म मशत ऩुमरस की धभकी की वजह से उसने फड़ी चतयु ई से फ त ऩरि
दी थी। अफ मे य ण ऩय ननबाय कयत थ कक जव हय त उसके ऩ स उऩरब्ध होने ऩय वह िेत न से चऩ
ु च ऩ उनक सौद
कयत थ म हत्प्र ण की स्िे ि क टहस्स फत कय व रयसों की ज नक यी भें उन्हें ियोख्त कयत थ ।

‘वैसे’—द भोदय िेत न दफे स्वय भें फोर —‘ऐस बी हो ज मे तो भुझे कोई एतय ज नहीॊ।’

‘क्म ?’—य ण हड़फड़ म —‘कैस हो ज मे तो आऩ को कोई एतय ज नहीॊ?’

‘चोय से चोयी के भ र क सौद !’

‘य ण के चेहये ने कई यॊ ग फदरे।

‘मभस्िय िेत न’–कपय वह फोर —‘क ईंडरी गैि आउि आप भ ई आकपस।’

‘जी!’

‘भैंने कह फय मभेहयफ नी मह ॊ से दप हो ज इमे।’

‘ठीक है ।’—िेत न ने गहयी स ॉस री औय उठ िड़ हुआ—‘भजी आऩकी।’

िेत न औय वववेक आगे ऩीछे वह ॊ से फ हय ननकर गए।

वे व वऩस िै क्सी भें आ सव य हुए तो वववेक फोर —‘क्म ह मसर हुआ?’

‘फहुत कुछ’—िेत न इत्भीन न से फोर —‘फीज भैंने फो टदम है । दे ि रेन आइन्द चौफीस घन्िों भें िद
ु -फ-िद
ु कोई
नजीत स भने आमेग ।’

‘इन ऩ ॊचों ऩ वऩमों भें से कोई जव हय त रे के तम्


ु ह ये ऩ स आ ज मेग !’

‘ह ॊ।’

‘भुझे तो उम्भीद नहीॊ।’

‘भझ
ु े ऩयू ी उम्भीद है ।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक भेये ख्म र से जो जव हय त क चोय है , वही हत्म य है । हत्म य उन जव हय त को अऩने ऩ स यिे यहकय पॊसन
नहीॊ च हे ग ।’

‘पॊस तो उसे वो नोि बी सकते हैं जो तभ


ु उसे जव हय त के फदरे भें दोगे।’

‘वो उन्हें कहीॊ छुऩ रेग ।’


‘क्म कहने! जव हय त की जय सी ऩोिरी छुऩ न आस न है कक ऩच स र ि के नोि।’

‘आस न तो ऩोिरी छुऩ न ही है रेककन, भेये ब ई, अन्त-ऩन्त तो उसने जव हय त को फेचन ही है । औय भेये जैस ग्र हक
फ द भें उसे ढूॊढे नहीॊ मभरेग ।’

पजा कयो जव हय त तभ
ु ने ियीद मरमे औय जव हय त के स थ ऩुमरस ने तम्
ु हें ऩकड़ मरम !’

‘ऐस नहीॊ होग !’

‘भैंने कह पजा कयो।’

‘तो भेयी ऐसी तैसी कपय ज एगी।’

‘दे मय मू आय।’

‘रेककन भैं ऩुमरस की ऩकड़ भें आने व र नहीॊ। उन जव हय त को टठक ने रग ने के भेये अऩने स धन हैं।’

वववेक को कपय एमयहोस्िे स ऩ भेर सेन क ख्म र आम ।

‘भेये फ ये भें क्म ख्म र है ?’—वह फोर ।

‘कैस ख्म र?’—िेत न फोर ।

‘अगय भैं ही ऩुमरस के ऩ स ज कय तम्


ु ह यी ऩोर-ऩट्टी िोर दॊ ू तो?’

‘तभ
ु ऐस नहीॊ कयोगे?’

‘क्मों नहीॊ करूॊग ?’

‘क्मोंकक एक तो तभ
ु मूॊ दग फ जी कयने व री ककस्भ के आदभी नहीॊ टदि ई दे त।े दस
ू ये अऩने सहमोग के फदरे भें तम्
ु हें भेये
से कभ मी होने व री है ।’

‘सहमोग ऩय ख्म र आम । भैं तम्


ु ह ये ककस क भ आम ? स यी फ तचीत तो तभ
ु ने िद
ु की। भैं तो हय जगह ि भोश ही यह ।’

‘तभ
ु भेये फहुत क भ आमे। तभ
ु भेये उन रोगों तय ऩहुॊचने के मरए ऩर
ु फने। तम्
ु ह यी वजह से रोगों ने भेयी फ तों को
गम्बीयत से मरम । वो वकीर क फच्च तो भुझ अकेरे को श मद अऩने ऩ स बी न पिकने दे त । तभ ु ि नतय जभ यिो,
तभ
ु भेये क भ आमे हो औय तम्
ु ह यी पीस ियी है ।’
वववेक ि भोश हो गम ।

िै क्सी किस्िर होिर की ओय दौड़ चरी।

वववेक ने दयफ य भ गा ऩय जस्थत मरच्छवी ज्वेरसा के ववश र शो रूभ भें कदभ यि ।

िै क्सी ने किस्िर होिर दयफ य भ गा ऩय से ही होकय गज


ु यन थ इसमरए वह ॊ ऩहुॊचते ही एक एक उसक तत्क र व वऩस
होिर रौिने क ववच य फदर टदम थ ।

वह ॊ क क पी स य स्ि प उससे ऩरयधचत थ ।

वह एक ऩरयधचत सेकसभैन के ऩ स ऩहुॊच । उसने होतचॊद नी से ह मसर हुआ ऩन्न उसके स भने यि टदम ।

‘इसकी अॊगूठी फन नी है ।’—वह फोर —‘जन न न ऩ की। च ॊदी की।’

‘च ॊदी की?’—सेकसभैन सकऩक म ।

‘ह ॊ।’

‘इतन फटढम ऩन्न च ॊदी भें जड़व न च हते हो?’

‘जड़व न नहीॊ च हत । जड़व न ऩड़ यह है । भेये भौजूद ह र त तभ


ु से छुऩे नहीॊ हुए। सोने की अॊगूठी भैं अपोडा नहीॊ कय
सकत ।’

‘ऩन्न अपोडा कय सकते हो?’

‘ह ॊ।’

‘कभ र है ।’

‘है न। अॊगठ
ू ी श भ को मभर ज मे।’

‘कर सुफह। फजकक दोऩहय को।’

‘ठीक है । चरेग ।

वववेक अऩने होिर व वऩस रौि ।

किस्िर होिर भें रूप ग डान बी थ जह ॊ कक रॊच भें वववेक अक्सय श्वेत से मभरत थ । वह रूप ग डान भें ऩहुॊच । वह ॊ
उसने द भोदय िेत न के एमय होस्िे स ऩ भेर सेन के स थ एक िे फर ऩय फैठे औय घिु घि
ु कय फ तें कयते दे ि । वह इतनी
जकदी िेत न से दोफ य मभरने क ख्व टहशभन्द नहीॊ थ इसमरए वह चऩ
ु च ऩ नीचे रॉफी भें व वऩस आ गम ।

श्वेत वह ॊ ऩहुॊची तो वह उसे व वऩस दयफ य भ गा रे आम जह ॊ कक िोक्मो न भक ये स्िोये न्ि थ औय जह ॊ क ज ऩ नी ि न


श्वेत को फहुत ऩसन्द थ ।

दोनों कोने की एक िे फर ऩय ज फैठे।

रॊच की सभ जप्त तक दोनों भें कोई ववशेष व त ार ऩ न हुआ।

‘िेत न के स थ’—कपय श्वेत ने उत्सक


ु ब व से ऩछ
ू —‘कैसे घि
ु यही थी औज तम्
ु ह यी?’

वववेक ने फड़ी ईभ नद यी से उसे वजह फत दी।

‘तभ
ु गरती कय यहे हो उस शख्स क स थ दे कय।’—श्वेत स यी फ त सुन चक
ु ने के फ द धचजन्तत ब व से फोरी—‘ऩैसे क
र रच तम्
ु हें ककसी ऐसे षड्मन्त्र भें पॊस कय छोड़ेग जजसभें से फ द भें ननकर नहीॊ ज मेग तम्
ु ह ये से।’

‘जो होग दे ि ज मेग ।—वववेक र ऩयव ही से फोर ।

‘रेककन…’

‘रेककन वेककन छोड़ो। मे न बूरो कक द भोदय िेत न से ह मसर होने व री यकभ क हभ दोनों को ही आइन्द जजन्दगी भें
फड़ अहभ योर है ।’

श्वेत चऩ
ु यही। प्रत्मऺत् वह सन्तष्ु ि नहीॊ थी।

‘तम्
ु हें ’—वववेक ने ववषम फदर —‘उस सीरफन्द मरप पे की िफय है जजस ऩय कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क न भ मरि
थ औय जजसे होतचन्द नी ने तम्
ु ह यी एम्ऩरम य के ऩ स यिव म थ ?’

‘ऐस एक मरप प थ तो सही।’—श्वेत फोरी।


‘य ण ने ऩुमरस को अऩन अन्द ज मे फत म थ कक उसभें कैप्िन द्व य मरि गम उस कजे क प्रोनोि थ जो उसने
होतचन्द नी से मरम हुआ थ । रेककन जफ मही फ त भैंने कैप्िन से ऩूछी थी तो उसने ऐसे ककसी प्रोनोि के अजस्तत्व से
स प इनक य कय टदम थ । वो कहत है कक उसने होतचन्द नी से कोई कज ा नहीॊ मरम हुआ थ ।’

‘तो?’

‘अव्वर तो भौजूद ह र त भें कैप्िन झूठ ही फोर यह हो सकत है । दस


ू ये उस मरप पे भें प्रोनोि नहीॊ तो औय ऐस कुछ
यह होग कैप्िन के खिर प जजसे के होतचन्द नी ने सीरफन्द कयके अऩने वकीर के ऩ स भहपूज यिव न जरूयी
सभझ ।’

‘आगे।’

‘आगे मे कक कर य त जो चोय तम्


ु ह ये घय भें घुस थ , वो कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन हो सकत है । वो भैिर के भोिे
भजफूत ऩट्टे व री कर ई घड़ी ऩहनत है । तभ
ु ने कह थ कक जफ चोय तम्
ु हें ऩीछे से दफोच कय अऩनी तयप िीॊच थ तो
तम्
ु ह ये मसय क वऩछर टहस्स चोय की छ ती से िकय म थ । इस मरह ज से चोय छ् पुि से ननकरते कद क आदभी होन
च टहमे जो कक कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन है । भैिर के ऩट्टे व री कर ई घड़ी भ नक होतचन्द नी बी ऩहनत है रेककन
उसक कद तो तम्
ु ह ये से जय ही ज्म द है ।’

‘ओह!’

‘कपय चोय क मसपा तम्


ु ह य है ण्डफैग झऩिन बी मे स बफत कयत है कक उसे तम्
ु ह ये घय के कीभती स भ न से कुछ रेन
दे न नहीॊ थ ।’

‘वो है ण्डफैग बी भझ
ु े मभर गम है ।’

‘क्म । कफ? कह ॊ से?’

‘आज सुफह। वऩछव ड़े की झ डड़मों भें ऩड़ थ । फैग की हय चीज सर भत थी। मसव म आकपस के भुख्मद्व य की च फी के।’

‘मे बी अऩने आऩ भें सफूत है कक चोय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन थ । उसी ने तम्
ु ह यी च फी से य ण के आकपस क त र
िोर औय वह ॊ से वो मरप प ग मफ कय टदम जजसभें उसक मरि कजे क प्रोनोि थ । वो मरप प वो कब्ज चक
ु है
इसीमरमे अफ वो प्रोनोि के अजस्तत्व से फड़े इत्भीन न से इनक य कय यह है ।’

‘वववेक’—श्वेत धीये से फोरी—‘उस मरप पे भें प्रोनोि नहीॊ थ ।’

‘क्म !’

‘अगय प्रोनोि थ तो प्रोनोि के अर व कुछ औय बी थ उस मरप पे भें जो कैप्िन के मरए प्रोनोि से कहीॊ ज्म द ितयन क
स बफत हो सकत थ ।’

‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ? मरप प तो सीरफन्द थ !’

‘होतचन्द नी एक फ य आकपस भें आम थ । उसने िद


ु य ण को फत म थ कक मरप पे भें कुछ औय बी थ । आकपस भें
फीच क दयव ज ऩूय फन्द होने से जय स बी यह ज मे तो बीतय की आव जें फ हय स प सुन ई दे ती हैं। उस टदन बी
दयव ज थोड़ स िर
ु यह गम थ औय न च हते हुए बी भझ
ु े होतचन्द नी औय य ण के फीच भें हुआ व त ार ऩ सन
ु ई दे
गम थ ।’

‘ओह! औय क्म थ उस मरप पे भें ?’

‘उसभें कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन औय शभशेय थ ऩ न भ के एक आदभी की ककसी कयतत


ू क वववयण थ जो कक उन दोनों
ने मभरकय होतचन्द नी के खिर प की थी।’

‘क्म कयतत
ू थी वो?’

‘शभशेय थ ऩ ऩहरे होतचन्द नी क भैनेजय होत थ । उसने कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से मभरकय स्भगमरॊग क एक ऐस
ऩैयेरर कुचि यच थ जो न मसपा िद
ु होतचन्द नी क धन्ध बफग ड़ सकत थ फजकक उसके मरए क नूनी दश्ु व रयम ॊ बी
िड़ी कय सकत थ । होतचन्द नी ने दोनों को यॊ गे ह थों ऩकड़ थ । अऩनी उस कयतत
ू की वजह से शभशेय थ ऩ को दो
स र की सज हुई थी जो कक वो क ि चक
ु है । मह फ त भझ
ु े इसमरए भ रभ
ू है क्मोंकक कर वो आकपस भें आम थ ।’
‘कौन? वो शभशेय थ ऩ ?’

‘ह ॊ।’

‘क्मों आम थ वो आकपस भें ? क्म च हत थ वो?’

‘च हत थ कक य ण उसकी कहीॊ कोई नौकयी रगव दे ।’

‘क्म जव फ मभर ?’

‘मही कक कोई ओऩननॊग टदि ई दे गी तो उसको िफय कय दी ज मेगी।’

‘मे तो ि रने व र जव फ हुआ।’

‘ज टहय है ।’

‘एक फ त फत ओ। जफ एक कयतत
ू भें दो जने शयीक थे तो पॊस एक ही क्मों? होतचन्द नी ने कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन
को क्मों फख्श टदम ?’

‘क्मोंकक कैप्िन क भहत्व उसके मरए फहुत ज्म द थ । शभशेय थ ऩ जैसे भैनेजय नेऩ र भें एक ढूॊढने से सौ मभरते हैं,
कैप्िन जैस ऩ मरेि नहीॊ मभरत । कैप्िन के प्रेन क होतचन्द नी के स्म ह सपेद धन्धों भें फहुत योर थ ।’

‘ओह!’

‘रेककन भेये ख्म र से उसने कैप्िन से उसक कोई इकफ मरम फम न मरिव कय ही उसे फख्श थ औय जरूय वो फम न
ही, जो कक कैप्िन को बी कबी बी जेर मबजव सकत थ , उस सीरफन्द मरप पे भें उसके प्रोनोि के स थ थ ।’

वववेक कुछ ऺण सोचत यह औय कपय फोर —‘तम्


ु हें मे फ त अजीफ नहीॊ रगती।’

‘क्म ?’

‘तम्
ु ह ये एम्ऩर मय ने ऩुमरस को मरप पे भें कोई प्रोनोि होने की फ फत तो अऩन अन्द ज फत म रेककन उस इकफ मरम
फम न की फ त को स प गोर कय गम जफ कक उसको उसकी प्रोनोि से कहीॊ फेहतय ज नक यी थी।’

‘अजीफ है तो सही मे फ त।’

‘जरूय इस फ त को छुऩ मे यिने भें तम्


ु ह ये एम्ऩर मय क कोई अऩन स्व था होग ।’

‘हो सकत है ।’

‘वैसे मे प्रोनोि व री फ त है फहुत अनोिी। इस मरह ज से तो सफ ककम धय इस कैप्िन क ही हो सकत है । हो सकत है


होतचन्द नी क िन ू बी कैऩ ्िन ने ही ककम हो। होतचन्द नी अऩन स य बफजनेस फेचकय हभेश के मरए मह ॊ से कूच कय
ज ने व र थ इसमरए उसने कैप्िन से अऩन कज ा व वऩस भ ॊग हो सकत थ । न रौि ने की सूयत भें उसने उसके
इकफ मरम फम न के दभ ऩय उसे जेर मबजव ने की धभकी दी हो सकती थी। नतीजतन उसने होतचन्द नी क कत्र कय
टदम हो सकत है औय कपय य ण के आकपस से अऩने न भ क वो मरप प ग मफ कय टदम हो सकत है ।’
‘हो तो सकत है ।’

‘रेककन’—वववेक ने शॊक प्रकि की—‘उसक वसीमत के ड्र फ्ि से क्म रेन दे न थ ? उसने वह ड्र फ्ि; उसकी क फान क ऩी
औय श िा हैण्ड की वसीमत के नोर्टस व री नोि फक
ु क्मों ग मफ की?’

‘क्मों ग मफ की?’—श्वेत भन्त्रभुग्ध स्वय भें फोरी।

‘श िा हैण्ड की एक ही नोिफुक ग मफ है जजसभें कक वसीमत व रे नोर्टस थे?’

‘ह ॊ।’

‘वैसे तो आकपस भें श िा हैण्ड की कई नोि फक


ु होंगी?’

‘ह ॊ। दजानों भें हैं।’

‘कपय श िा हैण्ड के ऻ न के बफन बर कोई कैसे दजानों नोि फुकों भें से वो नोि फुक छ ॊि ऩ म होग जजसभें कक होतचन्द नी
की वसीमत व रे नोर्टस थे?’

‘उसे श िा हैण्ड आती होगी।’

‘रेककन उसक वसीमत से कोई व स्त तो टदि ई दे । उसे क्म रेन दे न थ होतचन्द नी की वसीमत से म उसके ड्र फ्ि से
म उसके नोर्टस से?’

‘क्म रेन दे न थ ?’

‘मे फहुत अच्छ है । जो भैं कहूॊ वही तभ


ु दोहय टदम कयो।’

‘भेय भतरफ है तभ
ु फत ओ।’

‘भुझे तो कुछ रेन दे न टदि ई नहीॊ दे त ।’

‘तो!’

‘क्म मे नहीॊ हो सकत कक वसीमत से त करुक यिते क गज त ककसी औय ने आकपस से ग मफ ककए हों?’

‘क्म भतरफ?’

‘आकपस भें चोय घुस । वो अऩने भतरफ की चीज—वो सीरफन्द मरप प —चोयी कयके रे गम , कपय ककसी को सूझ कक
अफ वह ॊ से कुछ औय बी ग मफ हो ज त तो उसकी चोयी बी उसी चोय ऩय थोऩी ज सकती थी।’

‘म नी कक असरी चोयी हो ज ने के फ द?’


‘ह ॊ।’

‘ऐस शख्स कौन हो सकत है ? वो तो म भैं हो सकती हूॊ म य ण हो सकत है ।

‘य ण को श िा हैण्ड आती है?’

‘नहीॊ।’

‘म नी कक वो नहीॊ ज न सकत थ कक वसीमत के नोर्टस व री श िा हैण्ड फुक कौन-सी थी।’

‘श िा हैण्ड ज ने बफन कैसे ज न सकत थ ?’

‘उस नोिफुक भें औय क्म थ ? स यी क ऩी वसीमत के नोर्टस से तो बय नहीॊ गमी होगी?’

‘नहीॊ। उसभें औय बी क पी स यी डडक्िे शन री थी भैंने। कुछ धचटिम ॊ डडक्िे ि कय ई थीॊ य ण ने। औय ह ,ॊ उसी क ऩी भें एक
रयऩोिा के नोर्टस थे।’

‘रयऩोिा । कैसी रयऩोिा?’

‘होतचन्द नी की तभ भ चर औय अचर सम्ऩजत्त से त करुक यिती रयऩोिा । उसकी एस्िे ि क ऩूये वववयण के स थ वणान।
वो च हत थ कक वसीमत के स थ ही एस्िे ि से त करुक यिती वो रयऩोिा बी तैम य हो ज ती।’

‘उस ऩय त यीि होगी।’

‘क्म भतरफ?’

‘स्िे नोज की भैंने आऩ आदत दे िी है कक वो डडक्िे शन रेन शुरू कयने से ऩहरे नोिफुक ऩय त यीि जरूय ड रती हैं। उस
नोर्टस ऩय बी डेि होगी।’
‘थी। वो तो होती ही है ।’

‘फस कपय’—वववेक ववजेत के से स्वय भें फोर —‘श िा हैण्ड न ज नते हुए बी उस त यीि से ही ज न ज सकत थ कक कौन
से नोर्टस कौन सी नोि फुक भें थे। डडक्िे शन दे ने व र शख्स िद
ु य ण थ इसमरए मकीनन उसे भ रूभ थ कक कौन सी
त यीि को उसने क्म डडक्िे ि कय म थ ।’
श्वेत ि भोश यही।

‘ककसी औय को भ रभ
ू थ कक वसीमत क ड्र फ्ि य ण ने कौन सी त यीि को डडक्िे ि कय म थ ?’

‘न।’

‘तो कपय वो नोिफुक जरूय िद


ु य ण ने ही ग मफ की थी।’

‘रेककन क्मों? उसे ऐस कयने की क्म जरूयत थी?’


‘जरूय उसी ने वसीमत क ड्र फ्ि औय उसकी प्रनतमरवऩ बी ग मफ की थी जो कक नोि फुक ग मफ कयने के भुक वरे भें
भ भूरी क भ थ । एस्िे ि की रयऩोिा के नोर्टस बी उसी नोि फुक भें थे औय उसकी प्रनतमरवऩ बी य ण ग मफ फत त है । उस
रयऩोिा की भूर प्रनत भैंने होतचन्द नी के फॊगरे भें उसकी आकपस िे फर ऩय बफिये क गज त भें दे िी थी रेककन य ण को
ऩुमरस के भौक मेव यद त ऩय ऩहुॊचने से ऩहरे उसे वह ॊ से ग मफ कयने क बी ऩूय भौक ह मसर थ ।’

‘रेककन क्मों? क्मों? य ण ने क्मों ककम ऐस ? उसे क्म जरूयत थी इन तभ भ क गज त को ग मफ कयने की?’

‘कोई तो जरूयत होगी ही।’

‘भुझे तो मकीन आत नहीॊ कक मे सफ कुछ य ण ने ककम होग ।’

‘दे िो।’—वववेक उसे सभझ त हुआ फोर —‘मे जो स धयू भ होतचन्द नी थ न, मे एक फहुत फेयहभ औय फहुत सख्त
मभज ज आदभी थ । िद ु दस
ू ये को नक
ु स न ऩहुॊच ने भें उसे कोई खझझक नहीॊ होती थी रेककन िद
ु अऩने को नक
ु सन
ऩहुॊच ने व रे को वो कबी नहीॊ फख्शत थ । दे ि रो कैसे उसने अऩने भैनेजय शभशेय थ ऩ को जेर मबजव म थ औय
कैप्िन बफमरमभ भूॊग ववन को अऩनी भि ु ी भें जकड़ कय यि थ । अफ एक मभनि के मरए पजा कयो कक ऐसे आदभी को
अऩने वकीर से अऩनी एस्िे ि क जो ब्मोय मभरत है वो सौ पीसदी दरु
ु स्त नहीॊ होत ।’
v ‘क्मों नहीॊ होत ? तभ
ु कहन च हते हो कक उसके वकीर ने ही उसकी ज मद द भें कोई घोि र कय टदम ?’

‘पजा कयो वकीर ने ऐस घोि र ककम होत है जो कक उसके क्र मन्ि द्व य प इनर टहस फ ककत फ तयु न ्त भ ॊग मरमे
ज ने की वजह से वो छुऩ नहीॊ ऩ त । भैं कहत हूॊ मसपा पजा कयो। पजा कयो औय मे फत ओ कक ऐस घोि र कयने व रे ऩय
होतचन्द नी जैस आदभी कहय फन कय िूिे ग म नहीॊ?’

‘िूिे ग तो सही।’

‘उसके स थ घोि र कयने व र आदभी शभशेय थ ऩ की तयह जेर भें होग म नहीॊ?’

‘जरूय होग ।’

‘फस। कह नी ित्भ। अऩने ऐसे ही ककसी अॊज भ से फचने के मरए तम्


ु ह ये एम्ऩर मय ने अऩने क्र मन्ि क िन
ू कय टदम
औय वो तभ भ क गज त ग मफ कय टदए जो उसकी कयतत
ू क ऩद ाप श कय सकते थे।’

‘तभ
ु भेये एम्ऩर मय के स थ ज्म दती कय यहे हो। ऩहरे तो पजा कयो पजा कयो कयते यहे । फ द भें पजी फ तों के दभ ऩय ही
उसे गन
ु हग य कय य दे टदम । तम्
ु हें क्म ऩत होतचन्द नी की एस्िे ि भें य ण की वजह से हुई कोई कभी फेशी थी?’

‘तभ
ु तो टहभ मत कयोगी ही अऩने एम्ऩर मय की।’

‘मे तो कोई जव फ नहीॊ हुआ।’


‘ह र त इसी जव फ की तसदीक कय यहे हैं। दे िो, ककसी ने च फी के मरए तम्
ु ह ये घय भें चोयी की। उसी ने ज कय य ण के
दफ्तय क त र िोर औय उस ऩय आिभण बी ककम । वो आदभी कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन हो सकत है क्मोंकक उसके
न भ क सीरफन्द मरप प वह ॊ से ग मफ है रेककन फ की क गज त भें उसकी टदरचस्ऩी नहीॊ सभझ भें नहीॊ आती। फ की
क गज त जरूय ककसी औय ने ग मफ ककए औय उनकी चोयी को बी उसी चोय ऩय थोऩ । ऐस शख्स य ण के अर व कोई
नहीॊ हो सकत ।’

‘म नी की कत्र य ण ने ककम ?’

‘क्मों नहीॊ?’

‘अबी तो तभ
ु कैप्िन को क नतर फत यहे थे।’

‘अफ भुझे तम्


ु ह य एम्ऩर मय ज्म द फटढम कैन्डीडेि रग यह है । मरप प शनताम ॊ कैप्िन ने चयु म रेककन कत्र हो
सकत है , उसने न ककम हो। उसको भहज कत्र की तत्क र िफय रगी हो औय कपय उसे सूझ हो कक तफ वक्त यहते उसे
वो मरप प अऩने क फू भें कयके नष्ि कय दे न च टहए थ ।’

‘म नी कक अफ तभ
ु मे कहन च हते हो कक य ण ने अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि भें कोई घोि र ककम औय कपय ऩकड़े ज ने
से फचने के मरए अऩने क्र मन्ि को कत्र कय टदम ।’

‘ह ॊ।’

‘रेककन कत्र तो जव हय त के मरए हुआ है ।’

‘कौन कहत है ?’

‘ह र त कहते हैं।’

‘ह र त नहीॊ कहते। कत्र जव हय त के मरमे हुआ होत तो जव हय त क नतर के ऩ स होते जो कक नहीॊ हैं। उसने तो
जव हय त को हधथम य फन म ककसी औय को पॊस ने के मरमे!’

‘ककसे?’

वववेक ने होंठ क िे । अऩने होिर के कभये के फ हय चभेरी के झ ड़ के नीचे दफे ऩड़े जव हय त की फ फत वह श्वेत को फत
कय उसे कपि भें नहीॊ ड रन च हत थ ।

‘तम्
ु हें क्म ऩत जव हय त क नतर के ऩ स नहीॊ हैं!’—श्वेत है य नी से उसे दे िती हुई फोरी।
‘भेय अन्द ज है ।’

‘इस अन्द जे की कोई फुननम द बी तो होगी। तम्


ु हें मे ही कैसे ऩत कक क नतर ने जव हय त को ककसी को पॊस ने के मरमे
हधथम य फन म है ?’

‘दो फज गमे।’—वववेक एक एक व्मस्तत जत त हुआ फोर —‘तम्


ु ह य एम्ऩर मय इन्तज य कय यह होग ।’

‘तभ
ु फ त को ि र यहे हो। तभ
ु भझ
ु से कुछ छुऩ यहे हो।’

श्वेत की फ तों की तयप तवज्जो दे ने के स्थ न ऩय उसने वेिय को फुर कय उसक बफर चक
ु त ककम ।

‘भुझे एक जरूयी क भ म द आ गम है ।’—कपय वह उठत हुआ फोर —‘भैं तभ


ु से महीॊ से ववद रे यह हूॊ।’

‘रेककन तभ
ु …’

‘श भ को भुर क त होगी?’

‘आज श भ को नहीॊ होगी।’

‘क्मों?’

‘भुझे उस योशनद न की भयम्भत कय नी है जो कर य त चोय तोड़ गम थ । सुफह भैं उसभें िे म्ऩये यी कीरें जोड़ के आमी हूॊ।’

‘ओह! तो कपय कर रॊच ऩय।’

‘ह ॊ। रेककन तभ
ु भझ
ु े मे तो फत ओ कक…’

‘कपय फ त होगी। इस वक्त न तम्


ु ह ये ऩ स वक्त है न भेये ऩ स।’

‘रेककन…’

‘फ की फ तें कर रॊच ऩय। ओके।’

श्वेत ने फड़े अननच्छ ऩूणा ब व से सहभनत भें मसय टहर म ।

होिर मरमो एक नतभॊजजरी इभ यत ननकरी जजसक अधधक ॊश ब ग रकड़ी क फन हुआ थ । वह एक फहुत िस्त ह र
जगह थी दत्त त्रेम से प्र प्त सूचन के अनुस य जह ॊ के एक कभये भें शभशेय थ ऩ यहत थ । इभ यत के ग्र उन्ड फ्रोय ऩय
दक
ु नें थीॊ। जजनके फीच भें से होकय सॊकयी सी सीटढम ॊ ऊऩय ज ती थीॊ। उन सीटढमों के ऊऩय एक फोय्ड रग थ जजस ऩय
भोिे -भोिे अऺयों भें होिर मरमो मरि हुआ थ ।

सीटढम ॊ तम कयके वववेक ऩहरी भॊजजर ऩय ऩहुॊच ।

वह ॊ उसे एक नेऩ री स्ि इर क भटदय रम टदि ई टदम । उसी के एक कोने भें रयसैप्शन थ जजस ऩय एक ऊॊघत स
नेऩ री भौजूद थ ।

वववेक रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।

रयसैप्शननस्ि ने मसय उठ म औय मूॊ अधिर


ु ी आॊिों से वववेक की तयप दे ि जैसे अपीभ के नशे भें हो।

‘शभशेय थ ऩ कौन से कभये भें है ?’—वववेक ने उससे ऩूछ ।

‘ऊऩय।’—रयसैप्शननस्ि ने छत की तयप अऩने द एॊ ह थ की तजानी उॊ गरी उठ ई—‘ऩ ॊच नम्फय कभये भें ।’

‘वो है अऩने कभये भें?’

‘होन तो च टहए।’

‘य स्त ककधय से है ?

रयसैप्शननस्ि ने वऩछव ड़े के एक दयव जे की तयप उॊ गरी उठ दी जजस ऩय कक एक भैर कुचैर स ऩद ा िॊ ग हुआ थ ।

वववेक आगे फढ । ऩद ा हि कय उसने बीतय कदभ यि तो उसने स्वमॊ को एक ड्मोढी सी भें ऩ म जजसभें से रकड़ी की
चयभय ती हुई सीटढम ॊ ऊऩय ज ती थीॊ।

सीटढम ॊ तम कयके वह ऊऩय ऩहुॊच । वह ॊ उसने ऩ ॊच नम्फय कभय तर श ककम औय ज कय उसके दयव जे ऩय दस्तक दी।

‘िर
ु है ।’—बीतय से आव ज आई।

वववेक ने दयव ज ठे रकय चौिि से बीतय कदभ यि । उसने शभशेय थ ऩ को एक िी-शिा औय जीन ऩहने एक भैरे-कुचैरे
ऩरॊग ऩय ढे य हुआ ऩ म । उस वक्त उसक चेहय डफर योिी की तयह पूर हुआ नहीॊ रग यह थ । जरूय उसकी वजह मह
थी कक वह उस वक्त अऩनी क री नेऩ री िोऩी नहीॊ ऩहने हुए थ जो कक उसकी िोऩड़ी ऩय धगर प की तयह कपि आती
थी। वह मसय से रगबग गॊज थ औय उसके भ थे औय मसय के धगदा वह ॊ एक स्थ मी रकीय खिॊची भ रूभ होती थी जह ॊ कक
उसकी िोऩी आकय टिकती थी।

दोनों की ननग हें मभरीॊ।

शभशेय थ ऩ की आॊिों भें पौयन चभक ऩैद हुई। ज टहय थ कक वववेक ऩय ननग ह ऩड़ते ही उसने उसे ऩहच न मरम थ ।

वववेक ने कभये भें अगर कदभ ड र तो थ ऩ ऩरॊग ऩय से उठकय िड़ हो गम ।


‘तम्
ु ह यी सूयत से रगत है’—वववेक फोर —‘कक तभ
ु ने भुझे ऩहच न मरम है ।’

‘तभ
ु ’—थ ऩ उसे घूयत हुआ फोर —‘ज नते हो भैं कौन हूॊ?’

‘ह ,ॊ ज नत हूॊ। तम्
ु ह य न भ शभशेय थ ऩ है । तभ
ु कबी स धयू भ होतचन्द नी के भैनेजय हुआ कयते थे, कपय उसकी कृऩ
से जेर के ऩॊछी फने औय अफ आज द धचडड़म हो।’

‘कैसे ज न ?’

‘एक उड़ती धचडड़म ने फत म ।’

‘भेय ऩत कैसे ज न ?’

‘वो बी एक उड़ती धचडड़म ने फत म ।’

‘क्म च हते हो?’

‘थोड़ी फ तचीत कयन च हत हूॊ तभ


ु से।’

‘कैसी फ तचीत?’

‘फैठ न ज एॊ?’

थ ऩ सहभनत भें मसय टहर त हुआ व वऩस ऩरॊग ऩय फैठ गम । वववेक के मरए उसने एक फदशक्र कुसी की तयप इश य
ककम ।

वववेक खझझकत हुआ कुसी ऩय फैठ । कुसी ने उसक वजन सम्ब र मरम तो उसकी ज न भें ज न आमी। उसने अऩनी जेफ
से मसगये ि क ऩैकेि ननक र औय थ ऩ को मसगये ि आपय ककम । थ ऩ ने एक मसगये ि रे मरम । वववेक ने र इिय से ऩहरे
उसक औय कपय अऩन मसगये ि सुरग म ।

‘आज सफ
ु ह।’—कपय वह ढे य स य धआ
ु ॊ उगरत हुआ फोर —‘भैंने तम्
ु हें ऩमु रस स्िे शन से फ हय ननकरते दे ि थ ।’

‘अच्छ ।’

‘भेय िै क्सी ड्र इवय तम्


ु हें ऩहच नत थ । उसी ने भुझे तम्
ु ह यी फ फत सफ कुछ फत म ।’

‘हूॊ।’

‘ऩमु रस है डक्व िा सा कैसे ऩहुॊच गमे?’

‘भजी से तो नहीॊ ऩहुॊच ।’

‘वो तो ज टहय है । हस्ऩत र, थ ने औय कचहयी कहीॊ कोई भजी से ऩहुॊचत है !’


‘हयधगज नहीॊ।’

‘म नी कक फुर व आम थ ?’

‘ऩकड़ के भॊगव म गम थ ।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक भैं स धयू भ होतचन्द नी क भुर जजभ यह चक


ु थ औय उसी के बेजे दो स र की जेर क िकय आम थ ।’

‘म नी कक उसके कत्र क शक ऩुमरस तम्


ु ह ये ऩय बी कय यही है ?’

‘ह ॊ।’

‘क्मोंकक वो सभझते हैं कक तभ


ु होतचन्द नी से इस फ त क फदर रेन च हते थे कक उसने तम्
ु हें जेर मबजव म थ ?’

‘ह ॊ।’

‘होतचन्द नी के स थ तभ ु ने जो धोि धड़ी की थी, भुझे भ रूभ हुआ है कक उसभें कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन बी श मभर थ
रेककन जेर मसपा तम्
ु हें हुई। वो कैसे फच गम ?’

‘है न भजेद य फ त?’

‘है तो सही।’
‘इसक जव फ मसपा मही है कक होतचन्द नी के मरए भेयी अहमभमत मसपय थी रेककन उस ऩ मरेि के फच्चे की अहमभमत
फहुत ज्म द थी। भेये जैसे भैनेजय उसे एक ढूढने ऩय सौ मभर ज ते जफकक कैप्िन जैस ऩ मरेि उसे न मभरत ।’

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म । ऐन वही फ त श्वेत ने बी कही थी।

कपय बी होतचन्द नी ने उसे मॊू ही नहीॊ फख्श टदम थ । उसने भेयी सॊगत भें कैप्िन की स यी कयतत
ू क इकफ मरम फम न
उससे मरिव कय अऩने ऩ स यि थ । वो फम न कैप्िन के मसय ऩय सद रिकती तरव य थ । उस फम न के दभ ऩय
होतचन्द नी जफ च हत उसे जेर मबजव सकत थ ।’

‘तभ
ु उस औयत को ज नते हो जजससे होतचन्द नी श दी कयने ज यह थ ?’

‘अचय मोसववधचत न भ की उस थ ई औयत को?’

‘ह ॊ।’

‘ज नत हूॊ। िफ
ू ज नत हूॊ।’

‘कैसे ज नते हो? दो स र से तो तभ


ु जैर भें थे? होतचन्द नी की उस औयत से व ककपमत इतनी ऩुय नी तो नहीॊ फत ई
ज ती।’
‘भैं उस थ ई औयत को होतचन्द नी की वजह से नहीॊ, कैप्िन की वजह से ज नत हूॊ।’

‘कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन की वजह से?’

‘ह ॊ।’

‘वो कैसे?’

‘ऩहरे वो कैप्िन की भ शूक होती थी।’

‘आई सी। होतचन्द नी को इस फ त की िफय नहीॊ थी?’

‘दोनों की व ककपमत की िफय थी। आमशकी की िफय नहीॊ यही होगी।’

‘रग ज ने ऩय िन
ू िय फे की नौफत आ सकती थी?’

‘क्मों नहीॊ आ सकती थी?’

‘म नी कक कैप्िन के ऩ स होतचन्द नी के कत्र क दोहय उद्देश्म थ । एक तो वो इकव मरम फम न जो कक कैप्िन को कबी


बी जेर मबजव सकत थ औय दस
ू ये होतचन्द नी उसकी भ शूक से श दी कयके उसे फम्फई रे ज यह थ जो कक कैप्िन
च हत नहीॊ थ । होतचन्द नी के कत्र से कैप्िन के दोनों क भ सय गमे हैं। उसक इकफ मरम फम न ग मफ है जो कक कत्र
के फ द ननश्चम ही उसी ने ग मफ ककम होग औय होतचन्द नी की भौत के स थ उसकी भ शक
ू बी स्थ मी रूऩ से उसके
ऩकरे फॊधकय उसकी ऩहुॊच से दयू ननकर ज ने से फच गमी है ।’

‘कपय बी ऩुमरस की ननग ह भें ज्म द फड़ सस्ऩैक्ि भैं हूॊ।’

‘तभ
ु ने कत्र ककम है?’

‘अफ तभ
ु बी ऩमु रस की जफ न फोरने रगे।’

‘भैं तभ
ु ऩय इरज भ नहीॊ रग यह , तभ
ु से सव र कय यह हूॊ।’

‘ऐस सव र कयन बी इरज भ रग न ही होत है ।’

‘भेये सव र क जव फ दे न तम्
ु ह ये मरए जरूयी नहीॊ जफकक ऩुमरस—’

‘इसीमरए जव फ दे यह हूॊ क्मोंकक तम्


ु ह ये सव र क जव फ दे न जरूयी नहीॊ।
भैंने कत्र नहीॊ ककम ।

‘ओह!’

‘रेककन’—वह सख्ती से फोर —‘अगय कत्र कयके स प फच ज ने की कोई तयकीफ भेये जहन भें होती तो भैं उस हय भज दे
क कत्र जरूय कयत । फहयह र अच्छ हुआ कक भेय क भ ककसी औय ने कय टदम ।

‘तम्
ु ह ये ऩ स कत्र के वक्त की कोई एरीफ ई है ?’

‘क्म भतरफ?’

‘कर य त जफ भैंने तम्


ु ह ये से भ धचस भ ॊगी थी, उस घड़ी उस ऩेड़ के नीचे तभ
ु कफ से िड़े थे?’

‘तभ
ु ने भुझे तफ ठीक से दे ि थ ?’

‘दे ि तो थ भ मसस की वक्ती योशनी भें । क्मों?’

‘तफ भेये कऩड़े गीरे थे?’

‘नहीॊ।’

‘इसक क्म भतरफ हुआ?’

‘तभ
ु फत ओ।’

‘इसक भतरफ हुआ कक भैंने फ रयश भें कदभ नहीॊ यि थ जफकक ऩुमरस कहती है कक कत्र फ रयश के दौय न हुआ थ ।
भेय बीग न होन ही इस फ त क सफूत है कक कत्र के दौय न भैं उस फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ थ ।’

‘तभ
ु ने मे फ त ऩमु रस को फत ई?’

‘नहीॊ।’

‘क्मों?’

‘उन्हें मकीन नहीॊ आने व र थ । ऊऩय से उन्हें मे भ रूभ हो ज त कक कत्र के वक्त भैं भौक मेव यद त के कयीफ भौजूद
थ ।’

‘कपय तो ऩुमरस को तभ
ु ने मे बी नहीॊ फत म होग कक तफ वह ॊ तभ
ु ने भुझे दे ि थ !’

‘नहीॊ फत म ।’

‘ओह!’

‘तम्
ु ह य मह ॊ आन भुझे उरझन भें ड र यह है । ठीक से फत ओ तभ
ु क्म च हते हो भेये से?’

वववेक तयु न्त कोई उत्तय न दे सक । वो थ ऩ से हत्म के यहस्म ऩय योशनी ड रने व री कोई नई फ त भ रूभ हो ऩ ने की
उम्भीद से मह ॊ आम थ रेककन इसकी वो इच्छ ऩूयी होती टदि ई नहीॊ दे यही थी। उसे रग यह थ कक वऩछरी य त ऩेड़ के
नीचे अऩनी भौजूदगी की फ फत थ ऩ सच नहीॊ फोर यह थ रेककन उससे सच फुरव ने क कोई तयीक बी उसे नहीॊ सूझ
यह थ ।
‘भैं बी’—कपय वह फोर —‘ऩुमरस की ननग ह भें भडाय सस्ऩैक्ि हूॊ। ऩुमरस से तभ
ु भेयी ज न छुड़व सकते हो।’

‘भैं छुड़व सकत हूॊ?’—वो है य नी से फोर ।

‘ह ॊ।’

‘कैसे?’

‘ऩुमरस क कहन है कक होतचन्द नी क कत्र फ रयश के दौय न हुआ थ । तभ


ु ने दे ि थ कक भैं फ रयश फन्द होने के फ द
वह ॊ ऩहुॊच थ ।’

‘ओह! तभ
ु च हते हो कक भैं मे फ त ऩमु रस को फत ऊॊ?’

‘ह ॊ।’

‘वो इनक य भें मसय टहर ने रग ।

‘क्मों? क्म हुआ?’

‘भैं इस झभेरे भें नहीॊ ऩड़न च हत ।’

‘तभ
ु असरी अऩय धी की धगयफ्त यी भें भददग य स बफत नहीॊ होन च हते?’

‘बफरकुर बी नहीॊ होन च हत । क्मों होऊॊ बर भैं! जजस आदभी ने भुझे जेर मबजव म , उसके मरए भेये भन भें क्म
हभददी होगी! भेयी ओय से बरे ही असरी अऩय धी सज ऩ ने से स प फच ज ए।’

‘असरी अऩय धी को सज टदर ने के मरए भैं बी नहीॊ भय ज यह । भैं उसकी धगयफ्त यी मसपा इसमरए च हत हूॊ त कक भैं
ऩमु रस के शक से फयी हो सकॊू । औय इस क भ भें तम्
ु ह य फम न फहुत भददग य हो सकत है ।’

वह ि भोश यह । वह ऩये दे िने रग ।

‘भैं तम्
ु ह यी भदद की कोई कीभत अद कयने के मरमे तैम य हूॊ।’

‘कैसी कीभत?’

‘कोई बी भन
ु मसफ कीभत तभ
ु िद
ु भक
ु या य कय रो।’

‘फदरे भें भुझे क्म कयन होग ?’

‘फदरे भें तम्


ु हें ऩुमरस के ऩ स ज न होग औय उन्हें फत न होग कक फ रयश फन्द होने के फ द तो अबी तभ
ु ने भुझे
होतचन्द नी के फॊगरे की तयप फढत दे ि थ ।—तम्
ु ह यी मे गव ही मे स्थ वऩत कय दे गी कक भैं अऩय धी नहीॊ हो सकत ।’
‘नहीॊ, नहीॊ। भैं ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ज सकत ।’

‘अऩनी पीस रेकय बी नहीॊ?’

‘नहीॊ।’

‘ठीक है ।’—वववेक एक एक उठ िड़ हुआ—‘तो कपय भैं क न दस


ू ये तयीके से ऩकड़ने क जग
ु ड़ कयत हूॊ।’

‘क्म भतरफ?’

‘कपय भैं ज कय ऩुमरस को फत त हूॊ कक कर य त भैंने तम्


ु हें कह ॊ दे ि थ । कफ दे ि थ । भेय भतरफ मूॊ बी हर हो
ज मेग ।

‘जफ तम्
ु ह य भतरफ मूॊ हर हो सकत है तो भुझे ऩुमरस के ऩ स क्मों बेजन च हते हो! वो बी भेयी भदद की कीभत अद
कयके!’

‘क्मोंकक भेये कहे मे फ त भेये हक भें उतनी क यआभद स बफत नहीॊ होगी। मही फ त ऩुमरस को तभ
ु से भ रूभ होगी तो
उसक उन ऩय ज्म द असय होग ।’

‘हूॊ।’

‘थ ऩ , भैं तम्
ु हें श भ तक क वक्त दे त हूॊ। तफ तक भेयी आपय ऩय िफ
ू सोच ववच य कय रो। श भ तक अगय तम्
ु ह यी
तयप से कोई गुड न्मूज भुझे न मभरी तो कपय भैं ज नूॊ औय ऩुमरस ज ने। तफ तक के मरमे नभस्ते।’

वह अऩने होिर भें ऩहुॊच ।

सफ से ऩहरे उसने चभेरी के उस झ ड़ क भुआमन ककम जजस के नीचे उस ने जव हय त व र मरप प दपन म थ ।

उसे न रग कक ककसी ने वह ॊ कोई छे ड़ि नी की थी।

कपय उसने कोि औय जूते उत ये औय ऩरॊग ऩय ढे य हो गम । उसने एक मसगये ि सुरग मरम औय उसके कश रग त हुआ
सोचने रग ।

शभशेय थ ऩ से हुए अऩने स ऺ त्क य से वो कतई सन्तष्ु ि नहीॊ थ । उसे अफ मह फ त बी आश्वस्त नहीॊ कय यही थी कक
उसने उसे ऩुमरस के ऩ स ज ने को प्रेरयत ककम थ । वो नहीॊ ज नत थ कक थ ऩ उस ऩेड़ के नीचे कफ से िड़ थ । क्म
ऩत वो वह ॊ इतने ऩहरे से भौजद
ू यह हो कक उसने वववेक को उसके ऩहरे पेये भें बी वह ॊ आते दे ि हो औय कपय
आतॊककत ब व से वह ॊ से कूच कयते दे ि हो! मूॊ तो उसकी गव ही उसक कोई प मद कयने की जगह उसक ब यी नुकस न
कय सकती थी।

तो वो क्म कये !

व वऩस थ ऩ के होिर भें ज मे औय ज कय गव ही से उसे हतोत्स टहत कये ।


मे तो औय बी फड़ी भूित
ा होती।

मूॊ ही अऩन अगर कदभ ननध ारयत कयने की कोमशश कयते कयते उसे नीॊद आ गमी।

स ढे ऩ ॊच फजे वववेक ज र न होिर के िैंयेस ग डान भें ऩहुॊच औय सड़क की ओय की ये मरॊग के कयीफ की एक िे फर ऩय फैठ
गम ।

फ रयश उसी ऺण होकय हिी थी। नीचे सड़क ऩय रोग ओि से ननकर यहे थे औय कपय से सड़क ऩय हरचर क भ हौर ऩैद
कय यहे थे।

फ रयश के भ भरे भें वववेक ने नेऩ री औयतों की एक फड़ी अनूठी आदत दे िी थी। फ रयश होने ऩय वे अगय तत्क र ओि
नहीॊ रे ऩ तीॊ थीॊ औय फ रयश से फचने के मरए उनके ऩ स कोई छ त वगैयह बी नहीॊ होत थ तो बी वो अऩने मसय को
बीगने से फच ने की फहुत ख्व टहशभन्द रगती थीॊ। फ रयश की ऩहरी फॊद
ू िऩकते ही उनके ह थ भें कोई ऩैकेि, कोई झोर ,
कोई िोकयी कोई ऩबत्रक वगैयह जो कुछ बी होत थ , तत्क र वे उससे अऩन मसय ढॊ कने रगती थीॊ। कुछ बी नहीॊ होत थ
तो वे अऩने ह थों को ही अऩने मसय के ऊऩय कय रेती थीॊ। ऐस उसने हय नेऩ री स्त्री को हभेश कयते दे ि थ ।

एक वेिय उसके कयीफ ऩहुॊच ।

उसने क पी क आडाय टदम ।

क पी आ गई तो वह धीये -धीये उसे चस ु कत हुआ वह ॊ फैठ यह ।


छ् फजे उसे िै येस ऩय द भोदय िेत न के दशान हुए। उस वक्त ननह मत सजी धजी एमय होस्िे स ऩ भेर सेन उसके स थ
थी। दोनों ने वववेक की टदश भें एक फ य बी ननग ह न उठ ई। वे वववेक से फहुत ऩये एक भेज ऩय ज फैठे औय मसय से मसय
जोड़ कय फनतम ने रगे।

वववेक चऩु च ऩ अऩने स्थ न से उठ औय उनसे दयू -दयू ये मरॊग के स थ-स थ चरत हुआ सीटढमों की ओय फढ । उसके
सीटढमों तक ऩहुॊच ज ने तक द भोदय िेत न ने म ऩ भेर सेन ने एक फ य बी मसय न उठ म ।

वह रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।

रयसैप्शननस्ि क उन्िय के भुख्मद्व य के कयीफ के कोने ऩय ककसी के स थ व्मस्त थ । वववेक ने ह थ फढ कय की-फोडा ऩय


से द भोदय िेत न के कभये की च फी उत य री। ककसी ने उसकी तयप ध्म न न टदम । वैसे बी उस होिर भें भेहभ न क मूॊ
िद
ु की-फोडा से च फी भह
ु ै म कय रेन आभ फ त थी।

वह द भोदय िेत न के कभये के स भने ऩहुॊच । उसने त रे भें च फी कपय मी औय दयव ज िोर कय बीतय द खिर हो गम ।

ककसी ने उसे ऐस कयते न दे ि । गमरम य उस वक्त भूकम्भर तौय से ि री थ ।

उसने खिड़ककमों के आगे ब यी ऩदे िीॊच टदए औय कभये की र्टमूफ र इि जर ई।

वऩछरी फ य कभये भें ऩ भेर सेन की अप्रत्म मशत भौजद


ू गी की वजह से वह वह ॊ की तर शी नहीॊ रे ऩ म थ । अफ उस
अधयू े क भ को ऩूय कयने भें कोई व्मवध न नहीॊ थ ।

सफसे ऩहरे उसने दे ि कक वह ॊ से ऩ भेर सेन क एमयफैग ग मफ थ रेककन वो फड़ स सूिकेस ऩरॊग के नीचे ऩड़ थ
जजसे कक वऩछरे पेये भें उसने ऩरॊग के ऊऩय िर
ु ऩड़ दे ि थ । उसने सूिकेस को चैक ककम तो उसक त र भजफूती से
फन्द ऩ म ।

आइन्द कुछ मभनि उसने त रे को िोरने की कोमशशों भें गज


ु ये रेककन क भम फी ह मसर न हुई।

उसने सूिकेस को मथ स्थ न व वऩस धकेर टदम औय उठ िड़ हुआ।

उसने कभये भें एक औय छोि स सूिकेस औय एक फैग ऩ म जो कक ऩहरे से ही िर


ु े थे। उनको ििोरने भें उसने आइन्द
ऩ ॊच मभनि िचा ककमे रेककन कोई भतरफ की चीज ह थ न रगी।

उसने व डायोफ भें िॊ गे कऩड़ों को ििोरन आयम्ब ककम ।

ओवयकोि की बीतयी जेफ भें एक रम्फ मरप प फय भद हुआ जजस ऩय कक य मर एमयर इन्स क जन्तऩथ क ठभ ण्डु छऩ
हुआ थ । उसने बीतय के क गज त क भुआमन ककम तो उसे भ रूभ हुआ कक द भोदय िेत न की य मर नेऩ र
एमयर इन्स से सोभव य की मसॊग ऩुय की टिकि फुक थी।

उसने मरप प व वऩस ओवयकोि भें यि टदम ।

व डायोफ से ही एक ब्ीपकेस फय भद हुआ। उसभें त र नहीॊ रग हुआ थ । वववेक ने उसे य इटिॊग िे फर ऩय यि कय िोर ।

ब्ीपकेस क गज त से अि ऩड़ थ ।

उन क गज त भें एक चीज ऐसी थी जो कक फ की क गज त से भेर नहीॊ ि ती थी।

उसभें टदकरी से प्रक मशत होने व रे अिफ य टहन्दोस्त न ि इम्स की एक कटिॊग थी। कटिॊग फैनय है डर इन्स के स थ छऩी
डकैती की एक िफय की थी औय उस ऩय कोई डेढ भहीन ऩहरे की त यीि ऩड़ी हुई थी।

वैसी ही एक अऩेऺ कृत छोिी कटिॊग उस फड़ी कटिॊग के स थ स्िे ऩर से जोड़ी हुई थी औय वह बी डकैती से ही सम्फजन्धत
थी।

उसने दोनों कटिॊग्स को ऩढ ।

कटिॊग्स के भत
ु बफक डेढ भहीन ऩहरे दो सशस्त्र डकैतों ने कन ि प्रेस के नेशनर फैंक भें टदन दह ड़े ड क ड र थ ।
डकैतों के ह थ स ठ र ि रुऩमे रगे थे। उस डकैती की अस ध यण फ त मह थी कक टदनदह ड़े कन ि प्रेस जैसे व्मस्त
इर के भें केवर दो डकैत उसे अन्ज भ दे ने भें क भम फ हो गए थे।

दस
ू यी कटिॊग के भुत बफक डकैती के दस टदन फ द बी ऩुमरस को डकैतों क कोई सुय ग नहीॊ मभर थ । उसभें छऩ थ कक
रूिे हुए नोिों भें क पी भ त्र भें नोि ऩ ॊच सौ रुऩमे व रे थे जो कक अबी नमे चरे थे। उन नोिों के नम्फय ऩुमरस को
उऩरफ ्ध थे औय उनकी बफन ऩय ऩमु रस को डकैतों के ह थ आ ज ने की फहुत उम्भीदें थीॊ।
वववेक सोचने रग ।

द भोदय िेत न को उस डकैती भें इतनी ववशेष टदरचस्ऩी क्मों थी?

कोई उत्तय उसे न सूझ ।

कपय कुछ सोचकय कटिॊग उसने अऩने कोि की बीतयी जेफ के हव रे कीॊ औय ब्ीपकेस को फन्द कयके मथ स्थ न व वऩस
यि टदम ।

कपय उसने खिड़ककमों ऩय से ऩदे व वऩस सयक मे, फत्ती फुझ मी औय कभये से फ हय ननकर आम ।

च फी उसने रयसैप्शन ऩय की फोडा भें मथ स्थ न ऩहुॊच दी।

वह होिर से फ हय ननकर औय ऩैदर चरत हुआ क जन्तऩथ ऩहुॊच जह ॊ कक क ठभ ण्डु क जी.ऩी.ओ. थ । वहीॊ केफर औय
िै रेक्स बेजने के मरए िे रीकम्मन
ू ीकेशन आकपस थ । वह ॊ से उसने एक िे रीग्र भ प भा ह मसर ककम औय उस ऩय मरि :

सुयेश कऩूय, सॊव दद त टहन्दोस्त न ि इम्स कस्तफ


ू ा ग ॊधी भ गा, नई टदकरी।

डेढ भहीन ऩहरे कन ि प्रेस के नेशनर फैंक भें टदन दह ड़े ऩड़ी स ठ र ि की डकैती की ओय ध्म न कषाण (स्िॉऩ) केस
की वताभ न जस्थनत की सूचन व वऩसी त य द्व य व ॊनछत (स्िॉऩ) वववेक ज र न, किस्िर होिर, क ठभ न्डू, नेऩ र।

कपय उसने एक औय प भा उठ म औय उस ऩय मरि :

श्म भजी घनश्म भजी झ वेयी, स उथ एक्सिें शन, नई टदकरी।

तत्क र ड्मूिी ज मन कयन सम्बव नहीॊ (स्ि ऩ) कृऩम एक सप्त ह की भोहरत दें (स्ि ऩ) भॊजूयी म न भॊजूयी व वऩसी
त य द्व य बेजें (स्ि ऩ) वववेक ज र न, किस्िर होिर, क ठभ न्डू, नेऩ र।

उसने दोनों िे रीग्र भ क उन्िय ऩय ऩेश कीॊ, उनके द भ चक


ु में, यसीद ह मसर की औय वह ॊ से ववद हो गम ।

वह व वऩस होिर भें ऩहुॊच तो रयसैप्शननस्ि ने उसे ऩक


ु य।

वह रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।

‘आऩके मरए एक पोन आम थ , सय।’—रयसेप्शननस्ि फड़े अदफ से फोर —‘उस वक्त आऩ अऩने रूभ भें नहीॊ थे। भैंने औय
जगह ऩेज कयव म थ रेककन…’

‘इर्टस आर य इि।’—वववेक फेसब्ेऩन से फोर —‘ककसक पोन थ ?’

‘कोई शभशेय थ ऩ फोर यहे थे।’


‘कोई भैसेज टदम उन्होंने?’

‘मसपा इतन कक आऩको फत टदम ज ए कक शभशेय थ ऩ ने पोन ककम थ ।’


‘आई सी। थैंक्मू। थैंक्मू वैयी भच।’

वह अऩने कभये भें ऩहुॊच ।

िे रीपोन के कयीफ ऩड़ी ड मये क्ट्री भें उसने होिर मरमो की एन्ट्री तर श कयनी आयम्ब की।

वैसी कोई एन्ट्री उसे ड मये क्ट्री भें न मभरी।

उसने ड मये क्ट्री इॊक्व मयी ऩय पोन ककम तो भ रूभ हुआ कक होिर मरमो भें कोई पोन नहीॊ थ ।

वह कपय रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।

‘भैं फ य भें हूॊ।’—वह फोर —‘श मद भेय ऩहरे व र पोन कपय आए। तफ फय मभेहयफ नी भुझे फ य से फुर रेन ।’

रयसेप्शननस्ि ने सहभनत भें मसय टहर म ।

वववेक फ य भें ऩहुॊच गम ।

सव नौ फजे वववेक मरमो होिर के स भने ऩहुॊच ।

उसके डडनय कय चक
ु ने के फ द बी जफ शभशेय थ ऩ क दोफ य पोन न आम तो उसने िद
ु ही वह ॊ चक्कय रग रेन
भुन मसफ सभझ । वैसे बी डडनय के फ द वह थोड़ी सी व क जरूय कयत थ इसमरए उसे उस घड़ी चरकय वह ॊ ऩहुॊचने से
कोई गयु े ज नहीॊ हुआ थ ।

वह ऩहरी भॊजजर ऩय ऩहुॊच ।

रयसेप्शन ि री थ । टदन व र ऊॊघत स रयसेप्शननस्ि वह ॊ भौजूद नहीॊ थ । उसने की-फोडा ऩय ननग ह ड री। ऩ ॉच नम्फय
की च फी अऩनी जगह ऩय िॊ गी थी म नी कक शभशेय थ ऩ अऩने कभये भें नहीॊ थ ।

उसकी तवज्जो भटदय रम की तयप गई। वह ॊ उसके रौिने क इन्तज य कय सकत थ । एक भेहय फद य दयव जे को ऩ य
कयके वह बीतय द खिर हुआ औय एक फदशक्र िे फर ऩय ज फैठ । तत्क र एक नेऩ री वेिय उसके ऩहरू भें ऩहुॊच उसने
ब् ॊडी क आडाय टदम तो भ रूभ हुआ कक झ ॊग औय यभ के अर व वह ॊ कुछ नहीॊ मभरत थ । उसने उसे गभा ऩ नी के स थ
यभ र ने क आदे श टदम ।

वेिय एक अप्रत्म मसत रूऩ से स प-सुथये धगर स भें उसे यभ सवा कय गम । उसने एक मसगये ि सुरग मरम औय उसके
स थ यभ की चजु स्कम ॊ रग ने रग ।

स ढे नौ फज गए।

वह व वऩस रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।

रयसैप्शननस्ि तफ बी वह ॊ नहीॊ थ रेककन इस फ य की-फोडा ऩय ऩ ॊच नॊफय कभये की च फी नहीॊ टदि ई दे यही थी।
म नी कक उसकी भटदय रम भें भौजूदगी के दौय न ककसी वक्त शभशेय थ ऩ रौि आम थ ।

वह सीटढम ॊ चढकय दस
ू यी भजन्जर ऩय ऩहुॊच ।

वह ॊ उसने ऩ ॊच नम्फय कभये के स भने ऩहुॊच कय दयव जे ऩय दस्तक दी।

कोई उत्तय न मभर ।

तफ उसने दे ि कक कभये की च फी तो त रे के छे द भें रगी हुई थी। जरूय थ ऩ त र िोरने के फ द च फी वह ॊ से


ननक रन बूर गम थ । उसने दयव जे को धक्क टदम तो वह िर ु गम । उसने बीतय कदभ यक । बीतय योशनी थी
रेककन कभय ि री ि री थ ।

वह सोचने रग ।

च फी फ हय दयव जे ऩय रगी होने क भतरफ मही थ कक थ ऩ कहीॊ ि मरेि वगैयह भें गम थ । ि मरेि वह ज नत नहीॊ
थ कक इभ यत भें कह ॊ थ इसमरए उसने वहीॊ फैठकय उसकी प्रतीऺ कयने क ननणाम मरम ।

वह कभये भें भौजूद इकरौती, उसी कुसी ऩय फैठ गम जजस ऩय वह टदन भें बी फैठ थ । उसने एक मसगये ि सुरग मरम ।
उसकी ननग ह कपय से कभये भें च यों तयप बिकने रगी। कभये भें पशा के नीचे एक सूिकेस ऩड़ थ । एक िि
ूॊ ी ऩय एक
फैग रिक हुआ थ । एक िि
ॊू ी ऩय उसकी क री कभीज औय क री जैकेि िॊ गी हुई थी।

उसने मसगये ि क फच हुआ िुकड़ पशा ऩय ड र कय जूते से भसर टदम औय घड़ी ऩय ननग ह ड री।

नौ च रीस।

ि मरेि भैं—उसने फेचन


ै ी से सोच —इतनी दे य तो नहीॊ रगनी च टहए थी थ ऩ को।

जरूय वह कहीॊ औय गम थ ।

कहीॊ औय नहीॊ बी गम थ तो वह ॊ फैठे यहने की जगह उसे फ हय ज कय ककसी से ऩछ


ू न च टहए थ कक ि मरेि कह ॊ थ ।
कपय कभ से कभ इस फ त की तो तसदीक हो ज ती कक थ ऩ वह ॊ थ म नहीॊ।

वह उठकय दयव जे की तयप फढ ।

तबी फ हय गमरम ये से ब यी कदभों की आव ज आमी।

वह टठठक ।

क्म थ ऩ रौि यह थ !

कोई फ हय दयव जे ऩय आकय टठठक । कपय दयव जे ऩय दस्तक ऩड़ी। उतने से ही वह सभझ गम थ आगन्तक
ु थ ऩ नहीॊ
थ । थ ऩ बर अऩने ही दयव जे ऩय दस्तक क्मों दे त !
‘कौन है?’—अन म स उसके भुॊह से ननकर गम ।

तत्क र दयव ज िर
ु ।

उसे चौिि ऩय सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु िड़ टदि ई टदम । वववेक ऩय ननग ह ऩड़ते ही उसके चेहये ऩय ऩहरे है य नी के
औय कपय सॊदेह के ब व आमे।

‘आऩ मह ॊ क्म कय यहे हैं?’—कपय उसके भुॊह से ननकर औय उसने कभये के बीतय कदभ यि ।

‘शभशेय थ ऩ क इन्तज य।’—वववेक फोर ।

‘उसके कभये भें फैठकय?’

‘दयव ज िर
ु थ , च फी दयव जे भें रगी हुई थी, भैंने सोच वह महीॊ कहीॊ होग इसमरए भैं बीतय आकय फैठ गम ।’
‘आऩ थ ऩ को ज नते हैं?’

‘ह ॊ।’

‘कैसे?’

‘मूॊ ही इत्तप क से।’

‘मभरन क्मों च हते थे उससे?’

‘भैं नहीॊ, वो भुझसे मभरन च हत थ । उसने भेये होिर भें भेये मरए पोन ककम थ । इत्तप क से तफ भैं होिर भें नहीॊ थ ।
डडनय के फ द भें व क के मरए ननकर थ । भैं मह ॊ चर आम ।’

‘मे ऩूछने के मरए कक उसने क्मों आऩको पोन ककम थ ?’

‘ह ॊ। आखिय उत्सक
ु त तो होती ही है न इनस न को ऐसे भ भरों भें ।’

‘कफ से आमे हुए हैं आऩ मह ?


ॊ ’

‘कभये भें तो ऩ ॊच-स त मभनि से ही हूॊ। वैसे होिर भें सव नौ फजे ऩहुॊच थ ।’

‘फ की क वक्त कह ॊ यहे?’

‘नीचे फ य भें ।’

‘क्मों? सीधे क्मों नहीॊ आए मह ?


ॊ ’

‘तफ थ ऩ के कभये की च फी की-फोडा ऩय भौजूद थी।’


‘म नी कक जफ आऩने च फी की-फोडा से ग मफ ऩ मी, तफ आऩ मह ॊ आए।’

‘ह ॊ।’

‘आऩने सभझ कक थ ऩ रौि आम थ ?’

‘ह ॊ।’

‘औय उसे कभये भें न ऩ कय आऩ उसके इन्तज य भें मह ॊ फैठ गए?’

‘ह ॊ। सफ-इन्स्ऩेक्िय स हफ, इतने सव र ककस मरमे?’

‘आऩको भेये स थ चरन होग ।’

‘इस वक्त?’

‘जी ह ॊ।’

‘क्मों?’

‘भ रूभ हो ज मेग ।’

‘रेककन—’

‘फहस न कीजजए, मभस्िय ज र न। नीचे ऩमु रस की जीऩ िड़ी है । आऩ ज कय उसभें फैटठए। भैं आत हूॊ।’

‘रेककन—’

‘प्रीज, मभस्िय ज र न।’

‘अच्छी फ त है ।’—वववेक अननच्छ ऩूणा स्वय भें फोर ।

वह ॊ से ववद होने से ऩहरे उसने नोि ककम कक सफ-इॊस्ऩेक्िय ने तर शी रेने के अन्द ज से वह ॊ की चीजें ििोरनी आयम्ब
कय दी थीॊ।

सफ-इन्स्ऩेक्िय के स थ चरने क भतरफ वववेक ने सहज ही ऩुमरस स्िे शन चरन रग मरम थ रेककन व स्तव भें वह
उसे फ धभती नदी के ककन ये रे आम । जह ॊ उसने जीऩ योकी वह जगह उस जगह से थोड़ी ही दयू थी जह ॊ कक मोगेश
कृऩर नी क ट्रे रय िड़ थ । वह ॊ अन्धेय थ जजसे ककसी हद तक एक एम्फूरेंस की ओय ऩुमरस की एक अन्म जीऩ की
है डर इर्टस दयू कय यही थीॊ। ऩये दो क यें औय िड़ी थीॊ। एम्फर
ू ेंस के कयीफ इन्स्ऩेक्िय बत्रबव
ु न दे व िड़ थ औय ऩमु रस के
उसकी ड क्िय से फ त कय यह थ जजसने वऩछरी य त होतचन्द नी की र श क भुआमन ककम थ ।

वववेक जीऩ से ननकरकय आगे फढ ।


वह कयीफ ऩहुॊच तो उसने ऩ म कक नीचे जभीन ऩय एक भ नव शयीय च दय से मूॊ ढक ऩड़ थ कक केवर उसके जूते च दय
से फ हय झ ॊक यहे थे।

‘स हफ’—सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु आगे फढकय फोर —‘भैं मभस्िय ज र न को र म हूॊ।’

‘ज र न!’–इन्स्ऩेक्िय दे व तत्क र घूभ औय अचकच कय फोर —‘मे कह ॊ से मभर गमे तम्


ु हें ?’

‘थ ऩ के होिर के कभये भें भेये ऩहुॊचने से ऩहरे फैठे हुए थे मे वह ॊ।’

‘हूॊ। होिर से क्म भ रूभ हुआ?’

‘रयसैप्शन क्रका कहत है कक थ ऩ नौ फजे होिर से गम थ ।’

‘कोई थ ऩ से मभरने-जुरने आम गम ?’

‘मसपा एक। दोऩहय फ द।’

‘कोई िे रीपोन क र वगैयह?’

‘होिर के पोन आते हैं। भ रूभ हुआ है कक होिर छोड़ने से ऩहरे थ ऩ ने वह ॊ से कहीॊ एक पोन ककम थ ।’

‘आऩ’—इन्स्ऩेक्िय दे व वववेक की तयप घूभ —‘वह ॊ कैसे ऩहुॊच गए?’

‘थ ऩ के फर ु वे ऩय ही ऩहुॊच थ ।’—वववेक फोर —‘आऩके सफ-इन्स्ऩेक्िय स हफ थ ऩ की जजस पोन क र क जजि कय


यहे हैं वो जरूय उसने भुझे ही की थी।’

‘क्म कह थ उसने पोन ऩय?’

‘भेयी उससे फ त नहीॊ हुई थी। उसकी पोन क र के वक्त भैं होिर भें नहीॊ थ । भुझे मसपा भैसेज मभर थ उसक भेये होिर
के रयसैप्शननस्ि के जरयए।’

‘मरमो होिर तफ आऩ ऩहरी फ य गए थे?’

‘नहीॊ।’—वववेक तननक टहधचककच कय फोर —‘टदन भें बी गम थ । जो शख्स दोऩहय फ द आऩके सफ-इन्स्ऩेक्िय स हफ
थ ऩ से मभरने आम फत ते हैं, वो भैं थ ।’
‘अच्छ ! आऩ ज नते कैसे थे थ ऩ के फ ये भें?’

‘भेये िै क्सी ड्र इवय ने भझ


ु े भ रभ
ू कयके टदम थ कक वो मरमो होिर भें यहत थ ।’

‘भेय भतरफ है आऩ थ ऩ को कैसे ज नते थे? उसके न भ से ही कैसे व ककप थे आऩ? अबी मसपा दो टदन ऩहरे तो वो
शख्स जेर से छूि थ !’

वववेक सोचने रग । अफ इन्स्ऩेक्िय से कुछ छुऩ न ितयन क स बफत हो सकत थ । तफ्तीश क रुि फत त थ कक च दय
के नीचे ढॊ की र श शभशेय थ ऩ की थी। वऩछरी य त की फ फत थ ऩ ननश्चम ही उससे कहीॊ ज्म द ज नत थ जजतन कक
उसने कफूर ककम थ । अफ तो वह मह बी भहसूस कय यह थ कक अगय उसने टदन भें अऩने ऩुमरस स्िे शन के फुर वे के
दौय न ही ऩुमरस को थ ऩ के फ ये भें सफ कुछ फत टदम होत तो श मद थ ऩ अबी जजन्द होत ।

‘कर य त’—वह ननण ामक स्वय भें फोर —‘जफ भैं होतचन्द नी के फॊगरे ऩय गम थ औय भुझे वह ॊ उसकी र श ऩड़ी मभरी
थी तो य स्ते भें थ ऩ भझ
ु े फॊगरे के कयीफ एक ऩेड़ के नीचे िड़ मभर थ ।’

‘क्म ?’—इन्स्ऩेक्िय हकफक कय फोर —‘कह ॊ िड़ मभर थ वो आऩको?’

वववेक ने अऩन वक्तव्म दोहय म ।

‘मभस्िय ज र न! इतनी अहभ फ त आऩने अफ तक छुऩ यिी!’

‘भैं बर
ू गम थ । ऩहरे फ त भेये ध्म न से उतय गई थी।’

‘आऩ बूर गए थे!’—इन्स्ऩेक्िय दे व ववतष्ृ ण ऩूणा स्वय भें फोर —‘ऩहरे फ त आऩके ध्म न से उतय गई थी। कत्र आऩके
मरए भ भूरी, योजभय ा की घिन है इसमरए आऩ बूर गए थे। मभस्िय ज र न, भेये भुकक भें िन
ू -िय फे के व क्म त उतने
आभ नहीॊ जजतने औय भुककों भें हैं। भेयी नौकयी भें चौफीस घन्िों भें दो कत्र आज से ऩहरे कफ हुए थे भुझे म द नहीॊ ऩड़
यह । मे एक अहभ औय फेहद धचन्त जनक व क्म है । भैं आऩको व ननिंग दे त हूॊ कक आऩ िद ु अऩने टहत भें वो तभ भ फ तें
म द कय रीजजए जो आऩके ध्म न से उतय गई हैं म जजन्हें आऩ बर
ू गए हैं।’

‘आई एभ स यी।’

‘मू ऑि िु फी।’

वववेक ि भोश यह ।

‘अफ कृऩ कयके जय ठीक से, ववस्त य से फत इए कक थ ऩ कफ, कह ,ॊ कैसे आऩको मभर थ ।

वववेक ने फत म ।

‘हूॊ।’—इन्स्ऩेक्िय ववच यऩूणा स्वय भें फोर —‘आऩ कहते हैं उसके कऩड़े गीरे नहीॊ थे।’

‘ह ॊ।’—वववेक फोर ।

‘आऩने ऩहच न कैसे उसे?’

‘तफ नहीॊ ऩहच नत थ । तफ भैंने भ धचस की योशनी भें उसकी मसपा सूयत दे िी थी। आज टदन भें जफ भैंने उसे ऩुमरस
स्िे शन की सीटढम ॊ उतयते दे ि थ तो तफ भैंने अऩने िै क्सी ट्र इवय से उसकी फ फत सव र ककम थ । उसने भुझे फत म
थ कक वो कौन थ ।’

‘हूॊ।’
‘वो—थ ऩ —ऩुमरस स्िे शन भें क्म कय यह थ ?’

‘फुर म गम थ । होतचन्द नी के कत्र की िफय रगते ही हभें सफसे ऩहरे थ ऩ क ही ख्म र आम थ । आखिय
होतचन्द नी की वजह से उसे दो स र की सज हुई थी। थ ऩ की फ फत जो कुछ आऩ हभें फत यहे हैं, वो आऩने ऩहरे
फत म होत तो ननश्चम ही थ ऩ ऩुमरस की टहय सत भें होत औय मूॊ कत्र होने से फच गम होत ।’

‘मे’—वववेक ने च दय से ढॊ की र श की तयप सॊकेत ककम —‘थ ऩ है?’

‘ह ॊ। आऩ थोड़ी दे य भेयी जीऩ भें ज कय फैटठए। भैं मह ॊ से ननऩिकय आत हूॊ।

वववेक ने आदे श क ऩ रन ककम ।

इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व वववेक को ऩुमरस स्िे शन अऩने आकपस भें रे आम ।

‘फैटठए।’—वह फोर ।

वववेक उसके स भने एक कुसी ऩय फैठ गम ।

‘भैंने स्िे नोग्र पय को उसके घय से फुरव म है ।’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘उसके आने भें अबी थोड़ वक्त रगेग । आऩको फ द
भें उसके स भने कपय अऩन फम न दोहय ने भें एतय ज न हो तो अबी कुछ फ तचीत हो ज ए।’

‘भझ
ु े कोई एतय ज नहीॊ।’

‘धन्मव द। अफ…’

‘ऩहरे आऩ तो कुछ फत इए। क्म हुआ शभशेय थ ऩ को?’

‘शूि ककम है ककसी ने उसे। फहुत कयीफ से। आभने-स भने िड़े होकय। छ ती भें ।’

‘गन मभरी?’

‘नहीॊ।’

‘वो गन मभरी जजससे होतचन्द नी को शूि ककम गम थ ?’

‘वो बी नहीॊ मभरी। हनुभ न कहत है कक होतचन्द नी अऩनी भेज के इकरौते दय ज भें एक रयव कवय यित थ रेककन वो
रयव कवय हभ ये ह थ नहीॊ रगी है अफ तक। हभ ये मह ॊ घ तक गोमरमों की आधुननक तयीकों से रैफोये ट्री ज ॊच की सुववध एॊ
नहीॊ हैं रेककन कपय बी इतन अन्द ज हभें है कक होतचन्द नी को ककसी ब यी, ज्म द कैरीफय की, रयव कवय से शि
ू ककम
गम थ जफकक शभशेय थ ऩ ककसी हककी, कभ कैरीफय की, रयव कवय की गोरी क मशक य हुआ है ।’

‘थ ऩ क कत्र कफ हुआ?’

‘अबी एकदभ सही ि इभ क अन्द ज हभें नहीॊ है । वो तो ऩोस्िभ िा भ से ही भ रूभ होग । वैसे हभें एक गव ह मभर है
जजसने ऩहरे गोरी चरने की औय कपय कुछ ऺण फ द एक क य के घिन स्थर से यव न होने की आव ज सुनी थी रेककन
उसे वक्त क सही अन्द ज नहीॊ।’
‘घड़ी नहीॊ थी उसके ऩ स?’

‘घड़ी तो थी रेककन उसे तत्क र ि इभ दे िन नहीॊ सूझ थ ।’

‘उसी शख्स ने आऩको िफय दी थी?’

‘ह ॊ। नौ ऩच्चीस ऩय मह ॊ उसक पोन आम थ ।’

‘तफ तो इससे दस ऩन्दयह मभनि ऩहरे ही कत्र हुआ होग ?’

‘सव नौ म नौ फीस क अन्द ज है हभ य । आऩ उसके होिर भें ककस वक्त ऩहुॊचे थे?’

‘सव नौ फजे।’

‘कोई इस फ त की तसदीक कय सकत है ?’

‘श मद कय सकत हो। वह ॊ रयसैप्शन ऩय तो कोई नहीॊ थ रेककन उस वेिय को वक्त क ध्म न हो सकत है जो वह ॊ के
भटदय रम भें भेये मरए डड्रॊक र म थ ।’

‘उसे बफककुर बी ध्म न नहीॊ होग । भैं क्म अऩने दे शव मसमों को ज नत नहीॊ?’

वववेक ि भोश यह ।

‘आगे फोमरए।’

वववेक ने हत्प्र ण के कभये भें ऩहुॊचने औय वह ॊ सफ-इॊस्ऩेक्िय कुभ य फह दयु के आगभन तक की कह नी दोहय ई।

‘आऩक भतरफ है ’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘कक आऩकी फ य भें भौजद


ू गी के दौय न कोई ऊऩय थ ऩ के कभये भें गम थ ?’

‘ऐस ही भ रूभ होत है ।’—वववेक फोर —‘भैंने जफ की-फोडा से थ ऩ के कभये की च फी ग मफ ऩ ई थी तो भैंने सभझ थ
कक थ ऩ रौि आम थ । रेककन वो तो रौि नहीॊ हो सकत थ । वो तो तफ नदी ककन ये भय ऩड़ थ औय आऩ तक उसकी
भौत की िफय बी ऩहुॊच चक
ु ी थी। अफ तो ज टहय है कक कोई औय शख्स थ ऩ के कभये भें गम थ ।’

‘कौन?’

‘श मद थ ऩ क हत्म य ।’

‘वो कौन हुआ?’

वववेक ने अनमबऻत से कन्धे झिक ए।’


‘अफ आऩ मे फत इमे कक टदन भें थ ऩ औय उसकी असमरमत की ज नक यी हो चक
ु ने के फ द आऩ उससे मभरने क्मों ऩहुॊच
गए थे? क्म ह मसर कयन च हते थे आऩ उस भुर क त से?’

‘वो वऩछरी य त होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ भौजूद थ । भैं मे ज नन च हत थ कक ककतन अयस उसने वह ॊ िड़े
गुज य थ औय क्म कुछ उसने दे ि थ ।’

‘क्म ज न आऩने?’

‘सच ऩूनछमे तो कुछ बी नहीॊ। ऩहरे भुझे इस फ त ने फहुत प्रब ववत ककम थ कक उसके कऩड़े गीरे नहीॊ थे। रेककन अफ
भुझे मह बी एक भ्र भक फ त रग यही है ।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक फ रयश के दौय न उसने अऩने कयीफ ही भौजद


ू होतचन्द नी के फॊगरे के फय भदे भें शयण रे री हो सकती है ।

‘ऐस थ बी तो आऩको क्म ?’

वववेक ि भोश यह ।

‘आऩ कुछ छुऩ यहे हैं।’

‘आऩ एक फ त फत इमे।’—वववेक कटठन स्वय भें फोर ।

‘ऩूनछमे।’

‘होतचन्द नी क क नतर होने क शक आऩको भेये ऩय बी है न?’

‘है तो सही।’

‘भेयी थ ऩ भें टदरचस्ऩी की मही वजह थी कक वो आदभी भझ


ु े एरीफ ई दे सकत थ । भैंने आऩको फत म थ कक कर य त
कफ भैं होतचन्द नी के फॊगरे ऩय ऩहुॊच थ औय वह ॊ उसको भय ऩड़ ऩ म थ । अगय आऩको भेये ऩय क नतर होने क शक
है तो ज टहय है कक आऩको भेये फम न ऩय मकीन नहीॊ। इॊस्ऩेक्िय स हफ उस आदभी की भेये हक भें गव ही आऩको भेयी फ त
क मकीन टदर सकती थी।’

‘तो आऩ थ ऩ के ऩ स अऩने मरमे एरीफ ई ह मसर कयने की नीमत से गमे थे?’

‘ह ॊ।’

‘आऩने कह औय वह आऩको एरीफ ई दे ने के मरमे तैम य हो गम ?’

‘मूॊ तो नहीॊ तैम य हो गम वो।’

‘तो?’
‘भैंने उसे उसकी जहभत की कोई भुन मसफ कीभत अद कयने की ऩेशकश की थी।’

‘मूॊ रयश्वत दे कय ह मसर हुई गव ही आऩके ककसी क भ आती?’

‘रयश्वत की फ त ककसने कही?’

‘आऩ ही ने कही औय ककसने कही!’

‘भैंने तो रयश्वत क न भ बी नहीॊ मरम ।’

‘सीधे सीधे नहीॊ मरम । जय रऩेिकय मरम । आऩने मे कह कक आऩ उससे एरीफ ई ियीदने गमे।’

‘इन्स्ऩेक्िय स हफ, आऩ ि भि ह भेये रफ्जों को तोड़ भयोड़ यहे हैं औय उनक भनभ कपक भतरफ ननक र यहे हैं।’

‘अच्छ !’

‘जी ह ॊ।’
‘थ ऩ को रुऩमे ऩैसे की जो बी आपय आऩने दी, उसे आऩ क्म न भ दें गे?’

‘रयश्वत के अर व कोई बी। भेहनत न ! इन भ! कृतऻत -ऻ ऩन! वक्त की कीभत! रेककन रयश्वत हयधगज नहीॊ।’

‘चमरए ऐसे ही सही। आगे फटढमे। वो तैम य हुआ आऩ को इरीफ ई दे ने के मरए?’

‘नहीॊ।’

‘क्मों?’

‘वो ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ज न च हत थ । वो नहीॊ च हत थ कक मूॊ ऩुमरस को भ रूभ होत कक कत्र के वक्त वे घिन -
स्थर के आस ऩ स भौजूद थ ।’

‘फ त कह ॊ ित्भ हुई?’

‘भैंने उसे सोच ववच य के मरए श भ तक क वक्त टदम थ । भैंने उसे कह थ कक श भ तक अगय उसने भुझे पोन न ककम
तो भैं िद
ु ऩुमरस के ऩ स ऩहुॊच ज ऊॊग ।’

‘आऩ क ऐस इय द थ ?’

‘बफककुर थ ।’

‘पोन तो ककम उसने।’

‘रेककन इत्तप क से भेयी उससे फ त न हो सकी। अफ ऩत नहीॊ वो क्म कहन च हत थ भुझे िे रीपोन ऩय!’
‘हूॊ। म नी कक थ ऩ की भौत के स थ िद
ु को फेगुन ह स बफत कय सकने क भौक आऩके ह थ से ननकर गम ।’

‘अगय आऩ भेये फम न ऩय मकीन कय रें तो भुझे ककसी भौके की जरूयत नहीॊ।’

‘वो भैं नहीॊ कय सकत । मभस्िय ज र न, कत्र के केस भें इनवैजस्िगेशन आकपसय के मरए जफ तक अऩय धी ऩकड़ न
ज मे तफ तक मह ननध ारयत कयन फहुत कटठन होत है कक वो ककस फ त ऩय मकीन कये औय ककस ऩय न कये । अद रत भें
आदभी तफ तक ननदोष भ न ज त है जफ तक वो अऩय धी स बफत नहीॊ हो ज त । रेककन भेयी ननग ह भें हय सजन्दग्ध
व्मजक्त अऩय धी है जफ तक कक वो ननववाव द रूऩ से सन्दे हभुक्त नहीॊ हो ज त । अगय आऩने कत्र ककम है —भैं मे नहीॊ
कह यह हूॊ कक आऩने कत्र ककम है, भैं कह यह हूॊ कक अगय…अगय आऩने कत्र ककम है —तो भैं आऩसे सच फोरने की
उम्भीद नहीॊ कयत । इसमरए आऩके, म ककसी के बी, फम न को तफ तक सच्च कय य नहीॊ टदम ज सकत जफ तक कक
कधथत सच्च ई को ऩूयी तयह से ऩयि कय स्थ वऩत न ककम ज चक
ु हो। आऩ भेयी ननग ह भें सजन्दग्ध व्मजक्त इसमरए हैं
क्मोंकक र श आऩने फय भद की थी औय क्मोंकक आऩके ऩ स हत्म के कभ से कभ दो उद्देश्म थे।’

‘दो!’

‘जी ह ॊ। एक तो आऩकी होतचन्द नी से ऩुय नी यॊ जजश थी क्मोंकक उसने आऩको धोि टदम थ । कुछ टदन ऩहरे आऩ उसे
ित्भ कय दे ने की नीमत से चढ बी दौड़े थे उस ऩय।’

‘वो तो हुआ! दस
ू य उद्देश्म फत इमे।’

‘दस
ू य उद्देश्म ऩच स र ि रुऩमे के वो जव हय त हैं जो कक भेज भें कपि सेप भें फन्द थे।’

‘सेप िोरने के मरए भुझे उसक कम्फीनेशन बी तो भ रूभ होन च टहए थ ।’

‘कोई जरूयी नहीॊ।’

‘जी।’

‘वही हधथम य वो क भ कय सकत थ जजससे कक होतचन्द नी क कत्र हुआ। आऩ उसे रयव कवय टदि कय सेप िोरने ऩय
भजफूय कय सकते थे। आऩ ऩहरे सेप िर
ु व कय जव हय त अऩने कब्जे भें कय सकते थे औय कपय कत्र कय सकते थे।’

‘रेककन कत ्र तो आऩ फ रयश के दौय न हुआ फत ते हैं जफ कक भैं…

‘हो सकत है आऩ फ रयश के फ द न आमे हों फजकक ऩहरे से ही वह ॊ भौजूद हों। आऩने जव हय त कब्ज मे, कत्र ककम ,
फ रयश फन्द होते ही वह ॊ से रुख्सत हो गए, जव हय त कहीॊ टठक ने रग ए औय मॊू व वऩस रौि ऩड़े जैसे वो वह ॊ ज ने व र
आऩक ऩहर पेय थ । औय उस दस
ू ये पेये भें आऩने ऩेड़ के नीचे िड़े थ ऩ को दे ि थ । रेककन व स्तव भें वो आऩके ऩहरे
पेये क बी चश्भदीद गव ह यह हो सकत है ।’

‘म नी कक’—वववेक आवेशऩूणा स्वय भें फोर —‘आऩ थ ऩ क कत्र बी भेये मसय…’

‘आज टदन भें आऩ’—इन्स्ऩेक्िय ने अऩन द म ॊ ह थ मॊू िड़ ककम जैसे वववेक के शब्द व वऩस उसके भॊह
ु भें धकेरन
च हत हो औय फोर —‘थ ऩ से मभरे। तफ व त ार ऩ के दौय न आऩ को अहस स हुआ कक वह घिन स्थर ऩय आऩके एक
नहीॊ दो पेयों क गव ह थ । तफ वक्ती तौय ऩय उसक भुॊह फन्द कयने के मरए आऩने उसे रयश्वत आपय की। श भ को
आऩने यकभ अद कयने के फह ने से ही उसे होिर से फ हय कहीॊ फुर म औय उसे अऩने स थ क य भें फैठ कय फ घभती नदी
के उस सुनस न ककन ये ऩय रे गए जह ॊ से हभ अबी होकय आ यहे हैं। आऩने वह ॊ थ ऩ को शूि कय टदम औय व वऩस उसके
होिर भें ऩहुॊच कय उसक इन्तज य कयने फैठ गए।’

‘्मोयी फटढम है ।’

‘धन्मव द।’

‘रेककन इसभें एक नुक्स है ।’

‘क्म ?’

‘भेये ऩ स क य नहीॊ है ।’

‘क य ह मसर की ज सकती है ।’

‘भैंने कोई क य—उध य म ककय मे ऩय—ह मसर नहीॊ की थी, मह भ रूभ कय रेन आऩके मरए भ भूरी क भ होग ।’

‘हभ भ रूभ कयें ग।े ’

तबी सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य ने बीतय कदभ यि ।

‘स्िे नोग्र पय आ गम है ।’—उसने फत म ।

‘गुड। मभस्िय ज र न, आऩ दस
ू ये कभये भें चरे ज इए औय स्िे नोग्र पय को अऩन फम न डडक्िे ि कय दीजजए। जफ वो
फम न ि इऩ कय रे तो उसे रेकय भेये ऩ स आ ज इमेग ।’

वववेक सहभनत भें मसय टहर त हुआ उठ िड़ हुआ।


वह फ हय गमरम ये भें ऩहुॊच तो उसने कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू बफन, भ नस होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी को फ हय फैंच
ऩय फैठे ऩ म ।

स्िे नोग्र पय से प रयग होकय जफ उसने कपय गमरम ये भें कदभ यि तो उसने ऩ म कक स ये जीजे की जोड़ी तो मथ स्थ न
तफ बी फैठी थी, केवर कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन की जगह अचय मोसववधचत ने रे री थी।

अऩने फम न ऩय स इन कयने के फ द जफ वह वह ॊ से रुख्सत हो यह थ तो ऩ ॊचव ॊ ऩ ऩी भछे न्द्रन थ य ण उसे अऩनी क य


ऩय वह ॊ ऩहुॊचत मभर ।

वववेक की नीॊद िर
ु गमी।

वह सोचने रग कक क्मों मूॊ उसकी नीॊद िर


ु ी थी।
आधी य त के कयीफ वह बफस्तय के हव रे हुआ थ औय नशे औय थक न की वजह से तत्क र ही उसकी आॊि रग गमी थी।

जरूय उसने कोई सऩन दे ि थ ।

रेककन टदभ ग ऩय फहुत जोय दे ने ऩय बी कोई सऩन उसे म द न आम ।

कपय उसे सझ
ू कक कोई आहि सन
ु कय वह नीॊद से ज ग थ ।

जरूय वही फ त थी।

जरूय कभये भें कोई थ ।

ककसी क मूॊ वह ॊ आगभन अऩेक्षऺत बी थ ।

जजस ककसी ने बी कैक्िस के गभरे भें जव हय त व र मरप प छुऩ म थ उसक मरप पे के मरए वह ॊ रौिन मुजक्त
सॊगत भ रभ
ू होत थ ।

बफन टहरे डुरे उसने कभये भें ननग ह दौड़ ई।

कभये भें अन्धेय थ । केवर खिड़ककमों के कयीफ फ हय कहीॊ से प्रनतबफजम्फत होकय आती योशनी की वजह से इतनी योशनी
थी कक उसे एक खिड़की के कयीफ एक ऩयछ ईं सी क आब स मभर ऩ त ।

कौन थ कभये भें ?

अगय उस वक्त वह ॊ हत्म य आम हुआ थ तो वह तो उसको ज ग गम ऩ कय उस ऩय बी घ तक आिभण कय सकत थ ।

एक खिड़की के कयीफ हयकत हुई।

वववेक कुछ ऺण स ॊस योके स्तब्ध रेि यह ; कपय उसने फड़ी स वध नी से कयवि फदरी औय स्वमॊ को नन्शब्द ऩरॊग के
नीचे धगय टदम । कुछ ऺण पशा ऩय ि भोश धगय ऩड़ वह अऩनी उस हयकत की कोई प्रनतकिम स भने आने की प्रतीऺ
कयत यह , कपय वह स वध नी से उकड़ू हो गम ।

उसने स भने ननग ह ड री।

एक खिड़की के कयीफ ननश्चम ही कोई थ जजसके स मे के आक य क आब स उसे मभर यह थ । स म उस खिड़की के


कयीफ थ जजसके ऩहरू भें कैक्िस के ऩौधे व र ड्रभ ऩड़ थ ।

वैसे ही उकड़ू हुआ कोई आहि न कयने क बयसक प्रमत्न कयत हुआ वह इॊच इॊच आगे फढने रग ।

मूॊ वह ननववाघ्न कभये के भध्म भें ऩहुॊच गम ।

अफ स म उसे अऩेऺ कृत स्ऩष्ि टदि ई दे यह थ ।


वह एक एक उठ कय सीध हुआ औय फड़े वेग से स मे ऩय झऩि ।

आहि सुन कय स मे के भुॊह से एक घुिी हुई मससक यी ननकरी, वह तत्क र घूभ ।

तबी वववेक उसके मसय ऩय ऩहुॊच गम औय उसने उसे दफोच मरम ।

तत्क र उसने अनब


ु व ककम कक उसकी ऩकड़ भें कोई स्त्री शयीय थ ।

‘छोड़ो! छोड़ो!’—स म उसकी ऩकड़ भें छिऩि म ।

‘हयधगज नहीॊ’—वववेक फोर —‘ऩहरे तभ


ु …’

‘वववेक प्रीज!’

तफ वववेक ने वो आव ज ऩहच नी।

उसके आगोश भें अचय मोसववधचत थी।

‘ब गने की कोमशश न कयन !’—वह चेत वनी बये स्वय भें फोर ।

‘अच्छ ।’

वववेक ने उसे छोड़ टदम औय ऩरॊग के कयीफ ऩहुॊच कय वह ॊ ऩड़ िे फर रैम्ऩ जर म । र्टमूफ र इि उसने ज नफूझकय नहीॊ
जर मी थी। इतन य त गमे अऩने कभये भें जगभग वो नहीॊ च हत थ ।

कभये क अन्धेय दयू हुआ तो उसने अचय की तयप दे ि ।

वह चफूतये के कयीफ िड़ी थी औय अऩनी उिड़ी स ॊसों ऩय क फू ऩ ने की कोमशश कय यही थी। उस घड़ी वह एक जस्कन
ि इि क री जीन औय क री स्कीवी ऩहने थी। अऩने मसय ऩय उसने कस कय क र रुभ र फ न्ध हुआ थ । अऩनी उस
क री ऩोश क की वजह से ही वह योशनी होने से ऩहरे अन्धेये भें घर
ु -मभर गमी भ रभ
ू होती थी। उस घड़ी उसक उन्नत
वऺ उसकी स ॊसों के स थ धौंकनी की तयह उठ धगय यह थ ।

‘तो’—वववेक ककाश स्वय भें फोर —‘सफ ककम धय तम्


ु ह य है ।’

‘नहीॊ।’—वह फड़ी कटठन ई से कह ऩ मी।

‘तम्
ु हीॊ हत्म यी हो।’

‘न…हीॊ।’

‘तम्
ु हीॊ ने भुझे पॊस ने के मरमे चोयी के जव हय त को मह ॊ भेये कभये भें छुऩ म औय जफ भुझे पॊसत न ऩ म तो अफ
जव हय त व वऩस रेने आमी हो। झूठ फोरने की जरूयत नहीॊ। कैक्िस के गभरे के इदा -धगदा बफियी मभट्टी अऩनी कह नी
िद
ु कह यही है ।’
‘तभ
ु गरत सभझ यहे हो।’

‘अच्छ !’ वववेक व्मॊग्मऩूणा स्वय भें फोर ।

‘ह ॊ।’

‘इधय आकय फैठ ज ओ।’

अचय ब यी कदभों से आगे फढी औय ऩरॊग के कयीफ की एक कुसी ऩय फैठ गमी।

वववेक उसके स भने ऩरॊग ऩय फैठ गम । उसने एक मसगये ि सुरग मरम ।


‘अफ फोरो।’—वह फोर —‘अऩनी कह नी भुझे सुन न ऩसन्द कयोगी म ऩुमरस को?’

‘भैंने कुछ नहीॊ ककम ।’—वह फोरी।

‘अच्छ !’

‘भेय भतरफ है वो नहीॊ ककम जो तभ


ु सभझ यहे हो कक भैंने ककम है ।’

‘भैं क्म सभझ यह हूॊ?’

‘तभ
ु सभझ यहे हो कक होतचन्द नी क कत्र भैंने ककम है । भैंने कत्र नहीॊ ककम । भैं तो उस से श दी कयने व री थी। श दी
कय के उसके स थ इजण्डम ज ने व री थी। भुझे उसक कत्र कयने की क्म जरूयत थी।’

‘भुझे क्म भ रूभ। हो सकत है होतचन्द नी को तम्


ु ह ये औय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के अपेमय की िफय रग गमी हो,
उसने तम्
ु ह ये से ऩकर झ ड़न च ह हो जो कक तम्
ु हें न गव य गुजय हो औय तभ
ु ने उसक कत्र कय टदम हो।’

‘नहीॊ।’

‘तम्
ु ह य कैप्िन से अपेमय नहीॊ?’

‘कबी थ । अफ हभ दोनों भें कुछ फ की नहीॊ। वो कह नी तबी ित्भ हो गमी थी जफ भुझे भ रूभ हुआ थ कक होतचन्द नी
भेये ऩय टदर यित थ ।’

‘मह ॊ बीतय कैसे घुसीॊ?’

‘खिड़की के य स्ते।’

‘कर य त बी मही य स्त अजख्तम य ककम थ ?’


‘ह ॊ।’

‘क्मों? कैक्िस के गभरे भें जव हय त व र मरप प छुऩ ने के मरमे? उसी मरप पे को आज तभ


ु व वऩस ननक रने आमी
हो?’

वह ि भोश यही।

‘जव फ दो।’

‘ह ॊ।’—वह फड़ी कटठन ई से कह ऩ मी।

‘क्म ह ॊ?’

‘भैं वो मरप प ननक रने आमी थी।’

‘जजसे कक तम्
ु हीॊ ने कर मह ॊ दपन म थ ?’

‘ह ॊ।’

‘भुझे पॊस ने के मरए!’—वववेक गुस्से से फोर —‘तभ


ु ने सोच थ कक ऩुमरस मह ॊ आमेगी, वो मरप प फय भद कये गी औय
भुझे ऩकड़ कय रे ज एगी।’

वह ि भोश यही।

‘भेयी तो तकदीय ही अच्छी थी जो कक वक्त यहते भझ


ु े उस मरप पे की मह ॊ भौजद
ू गी की िफय रग गमी थी औय भैंने
उससे ऩीछ छुड़ मरम थ , वन ा इस वक्त भैं जेर की कोठयी भें फैठ एडड़म ॊ यगड़ यह होत ।’

‘नहीॊ।’

‘क्म नहीॊ?’

‘तम्
ु हें पॊस ने क भेय कोई इय द नहीॊ थ ।’

‘कसय बी क्म छोड़ी थी!’

‘अगय भेय इय द तम्


ु हें पॊस ने क होत तो भैं कर ही ऩुमरस को स यी सच्च ई फत दे ती।’
‘कौन सी सच्च ई?’

‘जो तम्
ु ह यी कर की हयकत से त करुक यिती है ।’

‘भेयी कौन सी कर की हयकत! क्म ऩहे मरम ॊ फुझ यही हो!’

‘म द कयो।’

‘क्म म द करूॊ?’

‘जो कुछ कर य त तभ
ु ने ककम थ ।’

‘क्म ककम थ भैंन?


े स प स प फोरो।’

‘भेयी जुफ नी जरूयी सुनन च हते हो?’

‘ह ॊ।’ जरूयी सुनन च हत हूॊ।’

‘तो सुनो। होतचन्द नी के स थ उसके फॊगरे ऩय डडनय रेने के फ द जफ भैं वह ॊ से ववद हो गमी थी तो कोई आधे घन्िे फ द
होतचन्द नी ने भझ
ु े पोन ककम थ । उस वक्त उसकी आव ज से फहुत ऩये श नी िऩक यही थी औय उसने कह थ कक वो
भुझ से पौयन मभरन च हत थ ।’

‘क्मों?’

‘मे उसने पोन ऩय नहीॊ फत म थ ।’

‘कैसे मभरन च हत थ वो?’

‘वो भुझे अऩने फॊगरे ऩय व वऩस फुर यह थ ।’

‘तो?’

‘भैं तबी कुछ कऩड़े औय अऩने फ र धोकय हिी थी। उस वक्त भेयी ह रत घय से ननकरने जैसी नहीॊ थी रेककन उसकी जजद
के आगे भुझे हधथम य ड रने ऩड़े थे। कऩड़े फदर कय भैं चरने को तैम य हुई ही थी कक फ रयश होने रगी जजसकी वजह से
भुझे रुकन ऩड़ गम । फ रयश फन्द होते ही भैं होतचन्द नी के फॊगरे की ओय चर ऩड़ी। भैं फॊगरे से अबी थोड़ दयू ही थी कक
भैंने एक आदभी को फॊगरे से ननकर कय वह ॊ से कूच कयते दे ि ।’

‘कौन थ वो? सूयत दे िी थी तभ


ु ने उस आदभी की?’
‘ह ॊ।’ स प दे िी थी।’

‘कौन थ वो?’

‘तभ
ु ।’

‘हूॊ। आगे।’

‘तम्
ु ह ये वह ॊ से कूच कयने के फ द भैं फॊगरे के बीतय गमी थी औय भैंने होतचन्द नी को ड्र इॊगरूभ के पशा ऩय भय ऩड़ दे ि
थ ।’

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‘तफ तभ
ु ने जव हय त व र मरप प चयु मरम ?’

‘ह ॊ।’

‘सेप कैसे िोरी?’ कम्फीनेशन कैसे भ रूभ थ तम्


ु हें ? कफ से भ रूभ थ ?’

‘ज्म द ऩहरे से नहीॊ भ रूभ थ । अबी सोभव य को ही भ रूभ हुआ थ । उस श भ भैंने होतचन्द नी के स थ उसके फॊगरे ऩय
ही डडनय ककम थ । उस य त वो फहुत िश
ु थ औय उसने ऩी बी आभ टदनों से ज्म द री थी। अऩने अच्छे भड
ू भें वो फहुत
प्म य उॊ ढे र यह थ भेये ऩय। तबी उसने भुझे एक तोहप दे ने क पैसर ककम थ । उसने भुझे फत म थ कक एक फहुत ही
श नद य यत्नजडड़त कड़ उसने ि स भेये मरए यि हुआ थ , जजसे वह श दी के फ द भुझे दे न च हत थ रेककन उस घड़ी
तबी दे ने को तैम य हो गम थ । अऩने उसी यॊ गीन भूड भें उसने भुझे सेप क कम्फीनेशन फत टदम थ त कक भैं सेप को
िद
ु िोर कय कड़ ननक र ऩ ती।’

‘तफ सेप भें जव हय त थे?’

‘भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू , थे कक नहीॊ थे। सेप िोरते ही कड़ भझ
ु े टदि ई टदम थ इसमरए आगे त क झ ॊक भैंने की ही नहीॊ थी।’

‘कपय जव हय त के फ ये भें तम्


ु हें कफ, कैसे भ रूभ हुआ?’

‘कर य त ही भ रूभ हुआ। टदन भें तम्


ु ह ये , द भोदय िेत न के औय उसके फीच वह ॊ क्म कुछ हुआ थ , उसने वो भुझे
सववस्त य सुन म थ । वो न फत त तो भुझे कबी न भ रूभ होत कक कोई जव हय त की थैमरमों व र सीरफन्द मरप प
उसकी सेप भें भौजूद थ ।’

‘जो कक होतचन्द नी को भय ऩ कय तभ
ु ने सेप भें से ननक र मरम !’
‘ह ॊ।’

‘क्मों?’

‘मह एक रम्फी कह नी है ।’

‘कोई फ त नहीॊ। भेये ऩ स फहुत वक्त है , तम्


ु ह यी रम्फी कह नी सुनने के मरए। स यी य त अऩनी है ।’

‘उस कह नी क रयश्त भेये थ ई होने से बी है ।’

‘अच्छ !’

‘ह ॊ। थ ईरैंड एक ऐस भुकक है जह ॊ गयीफ घय भें रड़की फनकय ऩैद होन सजृ ष्ि क सफसे फड़ अऩय ध है । थ ईरैंड क
एमशम क वेननस कहर ने व र शहय फैंक क, जह ॊ कक भैं ऩैद हुई थी, व स्तव भें सॊस य क सफसे फड़ वेश्म रम है । वह ॊ
आधी से ज्म द नौजव न रड़ककम ॊ वेश्म में हैं। वह ॊ रडकी की नौजव न जजन्दगी अबी शुरू नहीॊ हुई होती कक ित्भ हो
ज ती है । वह ॉ गयीफ भ ॉ फ ऩ इन्तज य कयते हैं अऩनी फच्ची के जव न होने क त कक वह धन्धे भें रग सकें औय बूिे भयते
उसके ऩरयव य के भॊह
ु भें योिी क ननव र ज सके। भैं सत्रह स र की थी जफ वेश्म वजृ त्त की कग य ऩय िड़ी भेयी जजन्दगी
भें एरन किस्िी न भ के एक उम्र से भेये से दग
ु ने फड़े अॊग्रेज के कदभ ऩड़े। वो भेयी भुहब्फत क दभ बयने रग औय भेये से
श दी की ख्व टहश ज टहय कयने रग । फकौर उसके वो मसॊग ऩुय भें वह ॊ के एक फहुत फड़े होिर भें अमसस्िें ि भैनेजय की
नौकयी कयत थ औय अऩने यसूि से वह ॊ भेयी बी रयसैप्शननस्ि की म िे रीपोन आऩये िय की इज्जद य नौकयी रगव
सकत थ । भैं उसकी फ तों भें आ गमी। भैंने उससे श दी कय री औय मभसेज किस्िी फनकय घय से ब ग कय मसॊग ऩुय ऩहुॊच
गमी। वह ॊ ज कय भुझे भ रूभ हुआ कक भैं ककतने फड़े फ्रॉड की फ तों भें आ गमी थी। वो अॊग्रेज क फच्च कहीॊ कोई भैनेजय-
वैनेजय नहीॊ थ फजकक उसक क भ ही मॊू वेश्म वजृ त्त के मरए थ ईरैंड से रड़ककम ॊ बग कय र न थ । कहने क भतरफ मह
है कक भैं वेश्म ओॊ के फैंक क न भ के एक शहय से ननकरी थी औय मसॊग ऩुय न भ से वैसे ही दस
ू ये शहय भें ज पॊसी थी।’

‘आसभ न से धगयी िजूय ऩय अिकी।’

‘क्म ?’

‘कुछ नहीॊ। तभ
ु आगे फढो।’

‘वह ॊ मसग ऩुय भें भेये कधथत ऩनत रेककन यजण्डमों के दर र उस भह हय भी एरन किस्िी के सौजन्म से दो स र भेयी वो
दयु गत हुई जो कक कोई ककसी दश्ु भन की न कय मे। कपय भैं औय भेये जैसी तीन औय रड़ककम ॊ एक क नीव र के स थ फभ ा
ब गने भें क भम फ हो गमीॊ। वह ॊ यॊ गून भें भेये स थ भेये आज तक के जीवन की सफसे सुिद घिन घिी।’
‘क्म ?’

‘वह ॊ भेयी भुर क त सोपोन मोसववधचत से हुई।’

‘सोपोन मोसववधचत!’—भैं अचय के न भ ऩय गौय कयत हुआ फोर —‘तम्


ु ह य बूतऩूवा ऩनत?’

‘ह ॊ। वो एक फहुत ही बर आदभी थ जजसने न मसपा भेये से श दी की फजकक भुझे वो इज्जत औय भ न टदम जजसके मरए
गह
ृ णी फनने की इच्छुक औयत तयसती है । उस शख्स के सदके भझ
ु े इतन सि
ु औय सम्भ न मभर कक भैं अऩनी गज
ु यी
जजन्दगी की स यी दश्ु व रयम ॊ औय र नतें बूर गमी।’

‘थ कौन वो?’

‘भेय ही हभवतनी थ , ववधयु थ । उम्र भें भेये से फीस स र फड़ थ । ऩीछे फैंक क भें उसकी ऩहरी ऩत्नी से एक फेिी थी जो
इसके भ ॊ फ ऩ के ऩ स ऩरती थी। यॊ गून भें एम्फैसी की नौकयी कयत थ औय अच्छी ऩोस्ि ऩय थ ।’

‘आई सी।’

‘रेककन भेये ककस्भत भें वो सि


ु बी नहीॊ मरि थ । अबी हभ यी श दी हुए दो स र बी ऩयू े नहीॊ हुए थे कक वो एक भोिय
एक्सीडेंि भें भ य गम । भैं कपय ननय ध य हो गमी। अगर एक स र भैंने फड़ी दश्ु व यी की ह रत भें उन च य ऩैसों के सदके
क ि जो सोपोन मोसववधचत भेये मरए छोड़ गम थ । उसके स थ फीती भेये इज्जतद य जजन्दगी क भुझ ऩय ऐस असय थ
कक अऩनी ऩुय नी, न ऩ क, गुन हबयी जजन्दगी भें कदभ यिने को भेय जी नहीॊ च हत थ । रेककन भैं क्म कयती! भेयी
भजफूयी थी। ऩयदे स भें बूिों भयने की नौफत आ ज ने ऩय भुझे कुछ बी कयन ऩड़ सकत थ । जजन्दगी के ऐसे न जुक भोड़
ऩय भेयी भुर क त कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से हुई। वो बी उम्रदय ज आदभी थ जो भेयी सूयत ऩय यीझ ।’

‘तफ बी वो ऩ मरेि ही थ ?’

‘ह ॊ रेककन स थ भें ढॊ क छुऩ सभगरय बी। फभ ा भें भ नक औय नीरभ की भ इननॊग फहुत मत से होती है । इन्हीॊ प्रैशस
स्िोंस को वो अऩने ऩ मरेि होने क प मद उठ कय नेऩ र ऩहुॊच त थ ।’

‘होतचन्द नी के मरए! वो होतचन्द नी के मरए क भ कयत थ ?’

‘ह !ॊ जजस प्रेन को वो अऩन फत त है , असर भें वो बी होतचन्द नी क है ।’

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‘कपय प्रेन की एवज भें कज ा मरए होने की क्म फ त हुई?’
‘वो सफ फकव स है । हकीकत मे है कक प्रेन होतचन्द नी क है औय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन होतचन्द नी क भुर जजभ
है ।’

‘िैय, तभ
ु अऩनी कहो, यॊ गून भें तम्
ु ह यी भुर क त कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से हुई कपय क्म हुआ?’

‘वो भुझे मह ॊ क ठभ ण्डू रे आम । भैं उसके प्रेन टट्रप्स भें होस्िे स की ड्मूिी बुगत ने रगी। उसी ने भुझे वो फ्रैि रेकय
टदम जजसभें कक भैं इस वक्त यहती हूॊ।’

‘अऩने ऩहरे ऩनत की तयह तम्


ु ह यी उससे श दी की कई फ तचीत नहीॊ हुई?

‘नहीॊ हुई।’

‘वो तम्
ु ह य बूतऩूवा प्रेभी फत म ज त है ।’

‘अकेरी, नौजव न औयत के त करुक भें आम हय भदा उसक प्रेभी ही फत म ज त है ।’

‘हकीकत क्म थी?’

‘हकीकत इससे जुद नहीॊ थी। ऩसन्द तो वो भुझे आने ही रग थ । ऊऩय से भैं ज नती थी कक ककसी भदा के स्थ मी सह ये
बफन भेयी फ की जजन्दगी नहीॊ कि सकती थी। हभ दोनों भें फड़े अच्छे प्रेभऩूणा सम्फन्ध स्थ वऩत हो गए थे जजनक श दी भें
फदर ज न मसपा वक्त की फ त थी।’

‘रेककन श दी तो तभ
ु होतचन्द नी से कयने व री थीॊ।’

‘उसकी दौरत की ि नतय न कक भुहब्फत की ि नतय। भुहब्फत भुझे आज बी कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से है , रेककन
उज्जवर बववष्म क जजतन फड़ आश्व सन भुझे होतचन्द नी भें टदि ई दे त थ वो कैप्िन भें टदि ई नहीॊ दे त थ । औयत
क रूऩ औय उसकी जव नी उसक सद स थ नहीॊ दे ती रेककन भदा की दौरत उसक सद स थ दे ती है । अऩने अगरे जन्भ-
टदन ऩय भैं ऩूये तीस की हो ज ऊॊगी। भेये जैसी औयत के मरए होतचन्द नी फहुत फड़ प्ररोबन थ , र इप इॊश्मोयें स थ । ऐस
भौक फ य फ य नहीॊ आत । भैं वो भौक छोड़न अपोडा नहीॊ कय सकती थी।’

‘मे कैप्िन के स थ न इन्स पी नहीॊ थी?’

‘थी रेककन भेयी बी तो भजफूयी थी। कैप्िन से भुझे मसपा प्म य ह मसर थ रेककन होतचन्द नी से दौरत। ऊऩय से
होतचन्द नी के इजण्डम व वऩस चरे ज ने ऩय कैप्िन अन-एम्ऩ रमड हो सकत थ औय उसकी जजन्दगी भेये ही जैसी
प्र ब्रभ फन सकती थी। भेयी ककस्भ की, भेयी उम्र की, औयत के मरए प्म य के व दे से दो जून की योिी क व द कहीॊ
आकषाक होत है । प्म य से ऩेि नहीॊ बयत ।’
‘इस मरह ज से होतचन्द नी की भौत से तो तम्
ु ह य फहुत नुकस न हो गम ।’

‘ह ॊ।’—एक एक उसकी आवज बय ा आमी—‘भेय एक फेहद सुह न सऩन िूि गम । जो ऩैस , इज ्जत, रुतफ , ठहय व औय
इत्भीन न भुझे मभसेज होतचन्द नी फनकय ह मसर होने व र थ , वो उसके कत्र के स थ भुझसे नछन गम ।’

वववेक ने फड़े सह नुबूनत ब व से गदा न टहर मी।

‘भैं कैसे आसभ न भें ऩहुॊचते ऩहुॊचते एक एक ऩ त र भें ज कय धगयी हूॊ, इसक अॊद ज तभ
ु उस वसीमत से ही रग सकते
हो जो होतचन्द नी भेये हक भें कयने ज यह थ । वो टदर से भुझे च हने रग थ । वो अऩनी िमु शम ,ॊ अऩनी दौरत, अऩनी
आइन्द जजन्दगी, अऩनी हय चीज भेये स थ शेमय कयने की ख्व टहश यित थ । रेककन तकदीय को मे सफ भन्जूय न हुआ।
ऩहरे ही सफ गड़फड़ हो गमी।’

‘इसीमरए ब गते चोय की रॊगोिी ज नकय तभ


ु ने वो जव हय त चयु मरए?’

‘फ त सुनने भें फहुत जरीर रगती है रेककन हकीकत मही है । भयने व र तो भय गम थ । उसकी दौरत उसके स थ तो ज
नहीॊ सकती थी। ककसी के ऩकरे तो वो ऩड़नी ही थी। कपय भेये ही ऩकरे क्मों नहीॊ? भैं बी तो उसकी और द औय उसके ब ई
जजतनी ही हकद य थी उस दौरत की। आखिय वो भुझसे श दी कयने व र थ ।’

‘कयने व र थ । कय नहीॊ चक
ु थ ।’

‘ज नती हूॊ। इसी फ त ने भुझे उस चोयी के मरए प्रेरयत ककम थ । उसकी भौत के सदभे से उफयते ही जो ऩहर ख्म र भेये
जेहन भें कौंध थ , वो उन जव हय त की फ फत थ । भैंने सेप से जव हय त व र मरप प ननक र मरम औय वहीॊ से कूच
कय गई।’

‘सेप भें औय कुछ नहीॊ थ ?’

‘नहीॊ।’

‘ऐस कैसे हो सकत है ? इजन्डम रौिने की तैम यी भें होतचन्द नी अऩन सफ कुछ फेच चक
ु थ । इतन भ र…’

‘उस छोिी सी सेप भें न थ , न हो सकत थ । वो भ र होतचन्द नी जरूय कहीॊ औय यिे थ ।’

‘औय कह ?
ॊ ’

‘भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू । श मद ककसी फैंक के र कय भें थ ककसी औय ऐसी ही सयु क्षऺत जगह ऩय।’

‘सेप भें उस मरप पे के अर व कुछ नहीॊ थ ?’


‘कीभती, र य िऩक ने र मक, चयु रेने र मक कुछ नहीॊ थ ।’

‘वह ॊ कुर ककतनी दे य ठहयी तभ


ु ?’

‘भुजश्कर से एक म दो मभनि। र श के स थ म जव हय त के स थ वह ॊ ऩकड़े ज ने की भेयी कोई ख्व टहश नहीॊ थी।’

‘जजन जव हय त की ि नतय तभ
ु इतन ितयन क कदभ उठ म , उन्हें तभ
ु ने मह ॊ र कय क्मों दपन टदम । भुझे पॊस कय
तम्
ु हें क्म ह मसर होत ?’

‘कुछ बी नहीॊ।’

‘तो कपय…’

‘तम्
ु ह ये पॊसने से तो जव हय त उरिे भेये ह थ से ननकर ज ते।’

‘तो कपय ऐस क्मों ककम तभ


ु ने?’

‘मकीनन तम्
ु हें पॊस ने के मरए नहीॊ ककम । जव हय त भैं अऩने फ्रैि भें तो छुऩ कय यि नहीॊ सकती थी। ऩुमरस की ननग ह
भें भैं प्र इभ भडाय सस्ऩैक्ि थी। भैं कबी बी धगयफ्त य हो सकती थी, भेये फ्रैि की तर शी हो सकती थी औय मॊू जव हय त
ऩुमरस के ह थ रग सकते थे।’

‘भडाय सस्ऩैक्ि तो भैं बी हूॊ।’

‘भेये जजतने तगड़े नहीॊ। ऊऩय से जव हय त छुऩ ने के मरए भैंने जो जगह चन


ु ी थी, भुझे उम्भीद थी कक वो ककसी को नहीॊ
सूझने व री थी।’

‘वह तम्
ु हें कैसे सूझी?’

वह तननक भस्
ु कय मी औय कपय फोरी—‘कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन के स थ जफ भैं यॊ गन
ू से मह ॊ आई थी। तो ऩहरे भैं इसी
होिर भें ठहयी थी औय इसी कभये भें यही थी। कैक्िस औय ऩ भ के मे दोनों फड़े-फड़े गभरे ि स भेयी पयभ मश ऩय
भैनेजभें ि ने मह ॊ यिव मे थे। ऊऩय से क पी अयस इस कभये भें यहे होने की वजह से भुझे भ रूभ थ कक मह ॊ की
खिड़ककमों भें से फ मीॊ ओय की खिड़की क रैंच िय फ थ । खिड़की फन्द ककमे ज ने ऩय वह बीतय से रग गम भ रूभ होत
थ रेककन असर भें रग नहीॊ होत थ । वो खिड़की फ हय से धक्क टदए ज ने ऩय िर
ु ज ती है ।’

‘ओह!’
‘अच्छ हुआ वक्त यहते भुझे जव हय त मह ॊ छुऩ न सूझ गम औय भैं फहुत फड़ी जहभत से फच गई। ऩुमरस तो आधी य त
के फ द ही भेये फ्रैि की तर शी रेने ऩहुॊच गई थी। जव हय त मह ॊ छुऩ ने के फ द भैंने रौि कय अबी अऩने फ्रैि भें कदभ
यि ही थ कक वह ॊ ऩमु रस आन धभकी थी। तर शी भें वो जव हय त अगय भेये ऩ स से फय भद हो ज ते तो जरूय वो मही
सभझते कक भैंने ही होतचन्द नी क कत्र ककम थ ।’

‘तर शी रेने के मरए ऩमु रस तो मह ॊ बी आमी थी।’

‘अच्छ ! कफ?’

‘कर य त को ही। सचा व यन्ि रेकय।’

‘रेककन उन्हें कैक्िस के गभरे क ख्म र तक न आम होग ।’

‘बफककुर आम । पौयन आम । वो नेऩ री इन्स्ऩेक्िय शक्र से फफुव स रगत है रेककन असर भें फहुत चतयु है , फहुत
घ घ है ।’

‘ऩुमरस ने गभरे को ििोर ?’

‘फड़ी फ यीकी से।’

‘ओह!’—वह गभगीन स्वय भें फोरी—‘म नी कक जव हय त ऩुमरस के ह थ…’

‘नहीॊ रगे।’

‘क्म ?’

‘भैंने कह जव हय त ऩुमरस के ह थ नहीॊ रगे। जफ उन्होंने कैक्िस के गभरे को ििोर थ , तफ जव हय त क सीरफन्द


मरप प गभरे भें दफ्न नहीॊ थ ।’

‘नहीॊ थ ?’

‘ह ॊ।’

‘मे कैसे हो सकत है ! भैंने िद


ु …’

वववेक भुस्कय म ।

‘ओह!’—वो गहयी स ॊस रेकय फोरी—‘तम्


ु हें मरप पे की वह ॊ भौजूदगी की िफय रग गई थी औय ऩुमरस के आने से ऩहरे
ही तभ
ु ने उसे वह ॊ से ननक र मरम थ !’

‘ह ॊ।’

‘कैसे ऩत रग ?’

‘गभरे की मभट्टी हैंडर कयने भें फयती तम्


ु ह यी र ऩयव ही से ऩत चर । मभट्टी गभरे से फ हय बफियी ऩड़ी स प टदि ई ऩड़
यही थी।’

‘ओह।’

वैसे इसभें इत्तप क क बी फड़ ह थ थ । इत्तप क से ही भेयी तवज्जो गभरे से फ हय बफिये ऩड़े मभट्टी के कणों की तयप
गई थी।’

‘फहयह र जो हुआ अच्छ ही हुआ। जव हय त ऩुमरस के ह थों भें ऩड़ने से फच गए।’

‘ह ॊ।’

‘अफ कह ॊ हैं वो?’

‘जह ॊ बी हैं सुयक्षऺत हैं।’

ॊ ’
‘कह ?

‘कह न जह ॊ बी हैं सुयक्षऺत हैं।’

‘अये भुझे बी तो फत ओ कह ॊ हैं?’

‘क्मों?’

‘क्मों?’—वह हड़फड़ मी—‘क्मों क क्म भतरफ?’

‘क्मों क भतरफ क्मों?’

‘वो भेय भ र है ।’

‘अच्छ ! वो कैसे?’
‘भैंने उन्हें कैक्िस के गभरे भें छुऩ कय यि थ ।’

‘फस इतने से वो तम्


ु ह य भ र हो गमे?’

‘भेय नहीॊ तो तम्


ु ह य बी तो नहीॊ हो गमे।’

‘भैंने ऐस कुछ कह बी नहीॊ।’

‘मे कपजूर की फहस है ।’—वह झुॊझर कय फोरी—‘जव हय त अफ क्मोंकक तम्


ु ह ये ह थ रग गमे हैं इसमरए अगय तभ

सभझते हो कक तभ
ु उन्हें अकेरे हड़ऩ सकते हो तो मे तम्
ु ह य वहभ होग ।’

‘भेय ऐस कोई इय द नहीॊ।’

‘तो कपय क्म इय द है तम्


ु ह य ? उन्हें ऩमु रस को सौंऩ दे ने क ?’

‘नहीॊ।’

‘तो कपय?’

वववेक ने उत्तय न टदम ।


‘दे िो, अगय उन जव हय त भें तभ
ु कोई टहस्स च हते हो तो…’

‘भैं कोई टहस्स नहीॊ च हत ।’

‘तो कपय…’

‘भेये ख्म र से वो जजसक भ र है , उसकी के ऩ स ज न च टहमे।’

‘होतचन्द नी के ऩ स? जहन्नुभ भें ?’

‘वो जव हय त होतचन्द नी की सम्ऩजत्त क , उसकी एस्िे ि क टहस्स हैं।’

‘अगय होतचन्द नी जजन्द होत तो उस सम्ऩजत्त की, उस एस्िे ि की भ मरककन भैं होती, न कक उसकी फेिी म फेि म
दभ द म ब ई म कोई औय। ऐसे बी उन जव हय त की हकद य भैं हूॊ।’

‘अऩन अऩन ख्म र है ।’

‘तभ
ु …तभ
ु च हते क्म हो?’
‘भैं च हत हूॊ कक ऩहरे मे य ज िर
ु े कक होतचन्द नी क कत्र ककसने ककम ।’

‘रेककन…’

‘एक फ त फत ओ।’

‘क्म ?’

‘जव हय त के फदरे भें जो रुऩम होतचन्द नी को मभरत , उसे वो मॊू ही अऩने स थ फम्फई रे ज ने क इय द यित थ ?’

‘ह ॊ। इसीमरए तो वो ककसी क भमशामर फ्र इि से नहीॊ, कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के, फजकक मूॊ कहो कक अऩने, च िा डा
प्रेन से फम्फई ज ने व र थ ।’

‘आगे फम्फई भें उसे कोई टदक्कत न होती?’

‘कैसी टदक्कत!’

‘वह ॊ उससे कोई न ऩूछत कक इतन नगद रुऩम उसके ऩ स कह ॊ से आम !’

‘उसने नेऩ र भें कभ म । औय नेऩ र भें अऩन बफजनेस फेचकय ह मसर ककम । ऐस एक सयक यी सटिा कपकेि बी वो मह ॊ से
भुहैम कयने व र थ ।’

‘ओह!’

‘टहन्दोस्त नी होने के न ते एक फ त तम्


ु हें भेये से फेहतय भ रभ
ू होनी च टहए।’

‘क्म ?’

‘टहन्दोस्त न औय नेऩ र के न गरयकों को मह ॊ से वह ॊ म वह ॊ से मह ॊ ट्रवर कयने के मरए कोई ऩ सऩोिा म फीस नहीॊ
च टहए होत औय नेऩ र औय टहन्दोस्त न के फीच की इजण्डमन एमयर इन्स म य मर नेऩ र एमयर इन्स की फ्र इर्टस को
डोभेजस्िक फ्र इर्टस क दज ा ह मसर होत है जजसकी वजह से इन फ्र इर्टस के टहन्दोस्त नी औय नेऩ री भुस कपयों की
कस्िभ वगैयह की वैसी चैककॊग नहीॊ होती जैसी औय इन्ियनेशनर फ्र इर्टस की औय भुककों के ऩ सऩोिा वीस वगैयह के
जरयमे सपय कयने व रे न गरयकों की होती है ।’

‘ओह!’

‘अफ फत ओ वो जव हय त…’
एक एक उठ िड़ हुआ।

‘इस फ फत हभ कपय फ त कयें गे।’–वह फोर ।

‘अचय बी उठी। उसने उसकी तयप एक कदभ फढ म तो उसक उन्नत वऺ उसकी छ ती से छूने रग । ऩीछे ऩरॊग थ
जजसकी वजह से वह ऩीछे बी नहीॊ हि सकत थ ।

‘अबी क्मों नहीॊ?’—वह भ दक स्वय भें फोरी।

‘वो…वो क्म है कक…’

‘वववेक, एक फ त ज न रो। भेये क भ आकय घ िे भें नहीॊ यहोगे। भैं बी तम्


ु ह ये फहुत क भ आ सकती हूॊ। ऩहरे आ बी चक
ु ी
हूॊ।’

‘ऩहरे?’

‘तम्
ु ह यी फ फत ऩुमरस को कुछ न फत कय।’

‘इसक फदर सभझ रो जव हय त ऩमु रस को न सौंऩ कय चक


ु टदम भैंने।

‘हभ ये फीच ऐसे औय कई ि ते िर


ु सकते हैं।’

‘भतरफ?’

उसने एक एक अऩनी फ ॊहें वववेक की गदा न के धगदा वऩयो दीॊ औय उसे जोय से अऩने स थ बीॊच । वववेक को अऩने तनफदन
भें आग रगती भहसूस हुई। उसे रग कक उस औयत की नीमत भें िोि हो सकती थी, जजस्भ भें कोई िोि नहीॊ थी।

फड़ी कटठन ई से स्वमॊ ऩय जब्त कयके उसने उसे अऩने से अरग ककम ।

‘कर’—वह तननक ह ॊपत हुआ फोर —‘इस फ ये भें हभ कपय फ त कयें गे। अफ तभ
ु ज ओ। प्रीज।’

‘ठीक है ।’—वह असह म ब व से फोरी—अगय मही तम्


ु ह यी भजी है तो…’

‘ह ॊ मही भेयी भजी है ।’

‘…ज ती हूॊ भैं।’


‘तम्
ु हें मह ॊ आते ककसी ने दे ि तो नहीॊ थ ?’

‘नहीॊ। भैं वऩछव ड़े के एक ऐसे य स्ते से मह ॊ आमी थी जजधय य त के इस वक्त होिर क स्ि प नहीॊ होत ।’

‘गुड। अफ ज ओ बी उसी य स्ते।’

उसने सहभनत भें मसय टहर म औय कपय जैसे प्रेत की तयह वह ॊ प्रकि हुई थी, वैसे ही वह ॊ से ववद हो गमी।

वववेक ने फत्ती फुझ दी औय कपय बफस्तय के हव रे हो गम ।

उस य त दोफ य उसे फहुत ही ज्म द दे य फ त नीॊद आमी।

ग्म यह फजे वववेक ज र न सोकय उठ । उसने वेिय को फुर कय ब्ेकप स्ि क आडाय टदम औय फ थरूभ भें घुस गम । नह
धोकय जफ तक वह फ थरूभ से फ हय ननकर , तफ तक वेिय ब्ेकप स्ि रे आम । उसने फड़े इत्भीन न से ब्ेकप स्ि ककम ।
ब्ेकप स्ि से ननवत्ृ त होकय उसने अऩने कभये से फ हय के चभेरी के झ ड़ क भुआमन कयके तसदीक की कक उसके स थ
कोई छे ड़ि नी नहीॊ की गमी थी।
तबी िे रीग्र भ आकपस क एक कभाच यी वह ॊ ऩहुॊच । उसने वववेक के हस्त ऺय कय कय उसे एक केफर सौंऩी औय वह ॊ से
ववद हो गम ।

वववेक ने प भा को िोरकय सीध ककम तो ऩ म कक वह वऩछरे योज उसके द्व य नमी टदकरी टहन्दोस्त न ि इम्स के
सम्व द द त सुयेश कऩूय को बेजी गमी केफर क जव फ थ । मरि थ :

डकैती के मरए रोकऩ र मसॊह औय दे वेन्द्र िेभक न भक दो फदभ श जजम्भेद य थे (स्ि ऩ) रोकऩ र मसॊह ऩकड़ गम थ
रेककन पय य होने की कोमशश भें ऩुमरस के ह थों भ य गम थ (स्ि ऩ) उसके ऩ स से रूि क कोई भ र फय भद नहीॊ हुआ
थ (स्ि ऩ) उसकी स थी दे वेन्द्र िेभक अबी बी पय य है औय रूि क भ र अबी बी ग मफ है (स्ि ऩ) भ र भें से ऩच स
र ि के नोि ऩ ॊच-ऩ ॊच सौ रुऩमे के थे जो कक ट्रे स ककए ज सकते हैं (स्ि ऩ) उन नोिों की बफन ऩय ऩुमरस को दस
ू ये डकैत
के ह थ आ ज ने की फहुत उम्भीदें हैं (स्ि ऩ) वो जफ बी उन्हें िचा कयने की कोमशश कये ग , ऩकड़ ज मेग (स्ि ऩ) डकैती
भें तम्
ु ह यी क्म टदरचस्ऩी है , तयु न्त सधू चत कयो।

सुयेश कऩूय।

वववेक ने केफर तह कयके अऩनी जेफ भें यि री औय सोचने रग ।

क्म द भोदय िेत न ही वो पय य डकैत दे वेन्द्र िेभक हो सकत थ । ऐसे रोग जफ न भ फदरते थे तो न भ के प्रथभ ऺय
अभूभन वही यिते थे औय न भ बी मभरत जुरत ही यिने की कोमशश कयते थे। मूॊ वे अऩने इनीमशमकस व री ककसी
अॊगूठी वगैयह को नतर ॊजमर दे ने की जहभत से फच सकते थे।
न भ के अर व ह र त बी उसके वो डकैत होने की चग
ु री कय यहे थे।

अफ अगय मे स्थ वऩत हो ज त कक होतचन्द नी को दे ने के मरमे जजस यकभ क प्रफन्ध द भोदय िेत न ने ककम थ , वो
ऩ ॊच ऩ ॊच सौ रुऩमे के नोिों भें थी तो मकीनी तौय ऩय मे कह ज सकत थ कक वही ब यत भें फैंक रूिने क अऩय धी
दे वेन्द्र िेभक थ ।

अफ उसक जव हय त ियीदने के मरए भय ज न बी सभझ भें आत थ । जो नोि उसके ऩ स थे उन्हें वह टहन्दोस्त न भें
चर ऩ ने क हौसर नहीॊ कय सकत थ । उसके ऐस कयते ही उसक ऩकड़ ज न र जभी थ । डकैती की फ की की दस
र ि की यकभ सेप थी। जरूय उसभें से एक भोिी यकभ की रयश्वत ऩ भेर सेन को दे कय उसने उन नोिों को नेऩ र
ऩहुॊच ने क इन्तज भ ककम थ जह ॊ कक टहन्दोस्त नी रुऩम चरत थ । एक फ य ितयन क नोिों से ऩीछ छुड़ कय, फदरे
भें जव हय त रेकय वह कहीॊ औय खिसक सकत थ औय उन्हें औने ऩौने भें कहीॊ कैश कय सकत थ । वववेक को नेऩ र भें
चरती कुछ सजन्दग्ध चरयत्र की ट्रै वर एजेजन्समों के एक यै केि की बी िफय थी। वे रोगों को टहन्दोस्त नी—नेऩ री नहीॊ—
ज री ऩ सऩोिा भह
ु ै म कय ते थे। कोई बी टहन्दोस्त नी बफन ऩ सऩोिा के ननववाघ्न नेऩ र आ सकत थ , वह ॊ से ककसी पजी
न भ क ज री ऩ सऩोिा भुहैम कय सकत थ औय कपय उसके सह ये ह ॊगक ॊग मसॊग ऩुय वगैयह कहीॊ बी ज सकत थ ।
नेऩ र छोि भुकक थ । ब यत जैसी ववजनें स की सुववध में वह ॊ उऩरब्ध नहीॊ थीॊ। इसमरए ज री ऩ सऩोिा के जरयमे जो
सपय टहन्दोस्त न भें ननह मत भुजश्कर थ , वो नेऩ र भें आस न हो सकत थ ।

जरूय द भोदय िेत न ऐसी ही ककसी कपय क भें थ । य मर नेऩ र एमयर इन्स क मसॊग ऩुय क टिकि वह भुहैम कय बी
चक
ु थ।

ज्मों ज्मों वववेक इस फ फत सोचत ज त थ , उसे मकीन होत ज त थ कक द भोदय िेत न ही टहन्दोस्त नी डकैत दे वेन्द्र
िेभक थ ।

रॊच ऩय हभेश की तयह उसकी श्वेत श ह से भुर क त हुई। उस योज बी वह उसे अऩने होिर के ड मननॊगरूभ भें रे ज ने
की जगह जड़
ू सड़क ऩय जस्थत ‘इजन्दय ’ न भक ब यतीम बोजन व रे ये स्िोयें ि भें रे आम जह ॊ कक उन्होंने ि भोशी भें रॊच
ककम ।

कपय क पी के दौय न गम्बीय व त ार ऩ की नौफत आमी।

‘कर तभ
ु ने’—श्वेत फोरी—‘फहुत सी फ तों की फ फत—ि स मे चोयी गमे होतचन्द नी के जव हय त की फ फत—भेये स थ
ि रभिोर क यवैम अजख्तम य ककम थ । कर तम्
ु ह यी चर गमी थी क्मोंकक भुझे दफ्तय ऩहुॊचने भें दे य हो यही थी।’

‘आज बी तो दे य हो यही होगी।’—वववेक ववनोदऩूणा स्वय भें फोर ।

‘आज नहीॊ हो यही। आज भैं अऩने एम्ऩर मय को कह कय आमी हूॊ कक भैं एक घण्ि रेि आऊॊगी।’
‘आई सी।’

‘कहने क भतरफ है कक आज भैं हय फ त सच्ची सच्ची स प स प ज ने बफन नहीॊ िरने व री।’

‘आई सी।’

‘अफ सी सी ही न कयते ज ओ। कुछ फोरो बी।’

‘क्म फोर?
ॊू ’

‘मे भैं फत ऊॊ?’—श्वेत आॊिें ननक र कय फोरी।

‘नहीॊ, तभ
ु भत फत ओ’—वववेक क श्वय एक एक गम्बीय हो गम —‘भैं ही फत त हूॊ।’

‘भैं सन
ु यही हूॊ।’

वववेक ने धीये धीये उसे सफ कुछ कह सुन म । उसने उसे मे बी फत म कक कैसे ऩयसों य त वह दो फ य होतचन्द नी के फॊगरे
ऩय गम थ औय ऩहरी फ य र श दे िते ही वह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ ।’

‘रेककन तभ
ु व वऩस तो आ ही गमे थे।’—श्वेत फोरी।

‘व वऩस तो आ गम थ ।’—वववेक फोर —‘व वऩस आ ज ने की ही वजह से भेयी ऩहरे पेये की फ त छुऩी बी यह ज ती
अगय…’

‘अगय क्म ?’

‘अचय मोसववधचत ने ऩहरी फ य भुझे वह ॊ से खिसकते न दे ि मरम होत ।’

‘उसने तम्
ु हें दे ि थ ?’

‘वो कहती तो है ।’

‘वो झूठ फोरती हो सकती है ।’

‘नहीॊ। दे िे बफन वो नहीॊ ज न सकती थी कक भेये वह ॊ दो पेये रगे थे।’

‘तम्
ु हें ककसी औय ने दे ि हो सकत है ।’
‘औय उसने अचय को फत म हो सकत है ?’

‘ह ॊ।’

‘फ त तो तफ बी वही की वहीॊ यही। अचय ने न दे ि , ककसी औय ने दे ि । भेयी वो ऩोर िर


ु ने क स धन तो फयकय य यह ।’

‘ओह!’

‘वैसे भेय ख्म र है कक अचय सच फोर यही है । जरूय उसी ने भझ


ु े ऩहरे पेये बी वह ॊ से कूच कयते दे ि थ ।’

‘आगे।’

कपय उसने श्वेत को जव हय त की कैक्िस व रे ड्रभ से फय भदी की औय उनसे सम्फजन्धत अचय की वऩछरी य त की अऩने
होिर के कभये भें आभद की कह नी सुन मी।

‘जरूय उसी ने होतचन्द नी क कत्र ककम है ।’—वह ि भोश हुआ तो श्वेत जोश से फोरी—‘उन जव हय त की ि नतय।
जरूय उसने कत्र कयने के फ द जव हय त चयु मे होंगे।’

वववेक उसके ि भोश होने से बी ऩहरे इनक य भें मसय टहर ने रग ।

‘उसे क्म प मद थ कत्र कयने भें?’—वह फोर —’उसे तो होतचन्द नी के जजन्द यहने भें प मद थ । आखिय वह उससे
श दी कयने व र थ ।’

‘तो कपय मूॊ हुआ होग कक वो जव हय त चयु ते यॊ गे ह थों ऩकड़ी गई होगी औय अऩनी कयतत
ू ऩय ऩद ा ड रने के मरए
भजफूयन उसे कत्र कयन ऩड़ होग । अचय की उस कयतत
ू के फ द बी होतचन्द नी उससे श दी थोड़े ही कयत !’

‘नहीॊ कयत रेककन जो चीज श दी के फ द वैसे ही अचय की हो ज ने व री थी, उसे उसको चयु ने की क्म जरूयत थी? जफ
ऩूय भ र ह थ आ ज ने की सम्ब वन में हों तो उसके एक छोिे से टहस्से ऩय नीमद फद कयने क क्म भतरफ?’

‘तो कपय ककसने ककम कत्र?’

‘मे भुझे भ रूभ होत तो फ त ही क्म थी!’

‘श्वेत ि भोश यही।

‘भेयी ट्रे जडी मे है कक न च हते हुए बी भैं इस केस भें गहय धॊसत चर ज यह हूॊ। अफ जजतनी दे य ऩुमरस असरी अऩय धी
को ऩकड़ने भें रग एगी, उतनी ही दे य भेये मरए मे सस्ऩैंस फन यहे ग कक भेय क्म होग ! ऩुमरस की ननग ह भें भैं बी भडाय
सस्ऩैक्ि हूॊ। जफ तक मे केस हर नहीॊ हो ज त मह ॊ की ऩुमरस भुझे क ठभ ॊडू से फ हय कदभ नहीॊ यिने दे गी। ऐसे तो भेयी
सोभव य की फ्र इि घऩरे भें ऩड़ ज मेगी। ऐसे तो भेयी नमी नौकयी घऩरे भें ऩड़ ज मेगी। औय तो औय तम्
ु ह यी भेयी श दी
घऩरे भें ऩड़ ज मेगी।’

‘तम्
ु हें अऩने एम्ऩर मय को कहन च टहमे कक वो तम्
ु हें औय ज मननॊग क ि इभ दें ।’

‘भैंने कह है । िे रीग्र भ बेजकय भोहरत भ ॊगी है भैंने। रेककन भेयी दयख्व स्त कफूर न हुई तो सफ कुछ घऩर हो ज एग ।’

‘ऩुमरस जकदी ही असरी हत्म ये को ऩकड़ रेगी। भेये दे श की ऩुमरस उतनी ननकम्भी नहीॊ जजतनी तभ
ु उसे सभझ यहे हो।’

‘भैं तो नहीॊ सभझ यह ।’

‘इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व फहुत क बफर ऩुमरस अधधक यी है । इॊग्रैन्ड की ऩुमरस अक दभी क ऩढ हुआ है वो।’

‘अच्छ ! भुझे नहीॊ भ रूभ थ ।’

‘जव हय त के फ ये भें अफ तम्


ु ह य क्म इय द है?’

‘कपरह र तो कोई इय द नहीॊ।’

‘तभ
ु उसे उस औयत को तो नहीॊ सौंऩ दोगे?’

‘अचय को? हयधगज नहीॊ।’

‘तो?’

‘सौंऩूॊग तो भैं उन्हें ऩुमरस को ही रेककन अबी नहीॊ। अबी ऐस कयने ऩय ऩुमरस उरिे भेयी ही ऐसी तैसी कयने ऩय तर

ज मेगी।’

‘क्मों बर ? तभ
ु ऩमु रस को सच सच फत सकते हो कक वे जव हय त अचय मोसववधचत ने तम्
ु ह ये होिर के कभये भें यिे
कैक्िस के गभरे भें छुऩ मे थे।’

‘वो ऐस ककम होने से स प भुकय ज एगी। ऊऩय से भेयी इस हयकत से न य ज होकय वो होतचन्द नी के फॊगरे भें रगे भेये
ऩहरे पेये की ऩोर िोर दे गी। ऐसे तो भैं ही हत्म य स बफत हो ज ऊॊग । वो जफ वह ॊ ऩहुॊची थी तो उसने होतचॊद नी को भय
ऩ म थ । उससे जय ही ऩहरे उसने भुझे भौक मेव यद त से फगूरे की तयह कूच कयते दे ि थ । इसक क्म भतरफ होग !
इसक भतरफ होग कक कत्र भैंने ककम ! ि स तौय से तफ जफ कक जव हय त बी भेये ऩ स हैं। नहीॊ, नहीॊ। भौजूद ह र त
भें जव हय त के स थ ऩुमरस के ऩ स ज न भैं अपोडा नहीॊ कय सकत ।’
‘एक तयीक औय बी हो सकत है ।’

‘क्म ?’

‘भैंने ज सूसी न वरों भें अक्सय ऩढ है ।’

‘अये , क्म ?’

‘तभ
ु जव हय त की फ फत ऩमु रस को एक गभ
ु न भ िे रीपोन क र कय दो। ऐसी क र ऩमु रस व रों को आती ही यहती हैं।
कपय ऩमु रस िद
ु चभेरी के झ ड़ के नीचे से जव हय त फय भद कय रेगी। ऩछ
ू े ज ने ऩय तभ
ु फड़ी भ समू भमत से कह सकते हो
कक तम्
ु हें उनकी वह ॊ भौजूदगी की कतई कोई िफय नहीॊ थी।’

‘ऩमु रस है य न नहीॊ होगी कक ऐसी कय भ ती क र ककसने की?’

‘ऩड़ी है य न होती यहे वो। तम्


ु हें क्म ?’

‘भुझे है । ऩुमरस सभझे न सभझे, अचय पौयन सभझ ज एगी कक वो गुभन भ पोन क र भैंने की थी। भेये मसव म औय कोई
वो क र कय ही नहीॊ सकत । भेये मसव म ककसी को भ रूभ ही नहीॊ कक जव हय त कह ॊ दफ्न हैं। एक फ य अचय को मह
भ रूभ होने की दे य है कक जव हय त उसकी ऩहुॊच से फ हय ननकर गमे हैं कपय भेयी ऩोर िोरने भें वो यत्ती बय बी ऩयहे ज
नहीॊ कये गी।’

‘क्मों? मूॊ तम्


ु ह यी ऩोर िर
ु ने से उसे जव हय त मभर ज मेंग?
े ’

‘नहीॊ मभरें गे रेककन एक चीज मभर ज एगी?’

‘क्म ?’

‘फदर मरम होने क सुि-सॊतोष।’

‘ओह!’

‘उन जव हय त ने भेयी ह रत तो स ॊऩ-छछूॊदय जैसी कय दी है । न उगरते फनत है , न ननगरते फनत है । जव हय त अऩने


ऩ स भैं यिे नहीॊ यहन च हत । उसे ऩमु रस को भैं दे नहीॊ सकत । अचय को भैं दे न नहीॊ च हत । ह थ ऩय ह थ यिे फैठ बी
नहीॊ यह सकत भैं। अचय को ऩत है वो जव हय त भेये ऩ स हैं। वो कबी बी आ के भुझे धभक ने रग सकती है । वो कह
सकती है —वववेक, जव हय त ननक र वन ा भैं तेयी ऩोर िोरती हूॊ।’
‘फड़ी ववकि जस्थनत है ।—श्वेत धचजन्तत ब व से फोरी।

‘तभ
ु क्मों धचन्त कयती हो?’—वववेक फड़े प्म य से फोर ।

‘तो औय कौन कये ग ?’ भैंने तो तम्


ु ह यी उम्र बय धचन्त कयनी है । आखिय तम्
ु ह यी फीवी फनने व री हूॊ।

वववेक भुस्कय म ।

‘भैं तम्
ु हें कुछ न ही फत त तो अच्छ थ ।’—वह फोर —‘ि भि ह कपि रग गमी न तम्
ु हें बी।’

‘अफ तभ
ु कयोगे क्म ?’

‘तभ
ु फत ओ क्म करूॊ?’

‘भुझे तो कुछ नहीॊ सूझ यह । कुछ सूझ यह है तो फुय फुय ।’

‘भसरन क्म ?’

‘होिर के भ री क ही ह थ उस चभेरी के झ ड़ भें ऩड़ गम तो! तम्


ु ह ये फत मे बफन अगय वो ऩुमरस ने वो जव हय त वह ॊ
से फय भद कय मरमे तो क्म वो मकीन कय रेंगे कक ऐन तम्
ु ह यी खिड़की के नीचे दफे जव हय त की तम्
ु हें कोई िफय ही नहीॊ
थी?’

‘मही तो फ त है कपि व री। बगव न ऩशुऩनतन थ से प्र थान कयो कक ऐस कोई ह दस न हो।’

‘वो तो भैं सद ही कयती हूॊ कक कैस बी कोई ह दस न हो।’

‘अफ कपरह र कपि छोड़ो। हभ इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व की क नतर को ऩकड़ने भें क भम फी की दआ


ु भ ॊगते हैं। क नतर
ऩकड़ ज एग तो सफ कुछ अऩने आऩ ही ठीक हो ज एग । ओके?’

श्वेत ने हौरे से सहभनत भें मसय टहर म ।

तफ वववेक ने वेिय को बफर र ने क इश य ककम ।

श्वेत को ववद कयने के फ द वववेक ने ऩहरे मरच्छवी ज्वेरसा से अऩनी ऩन्न जड़ी च ॊदी की अॊगठ
ू ी ह मसर की औय कपय
अऩने होिर व वऩस रौि ।

वह अऩने होिर के रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच तो उसने की-फोडा ऩय से अऩने कभये की च फी ग मफ ऩ मी। रेककन उसभें
आन्दोमरत होने व री कोई फ त नहीॊ थी। होिर क स्ि प बी कभये की सप ई कयने के मरए म च दयें वगैयह फदरने के
मरए भेहभ न की गैयभौजद
ू गी भें मॊू उसके कभये की च फी की-फोडा से भह
ु ै म कय रेत थ । वह मॊू आश्वस्त थ इसमरए
उसने फड़े स्व ब ववक ढॊ ग से दयव ज ठे र कय अऩने कभये के बीतय कदभ यि औय वह ॊ कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन को
घुिनों के फर झुके उसके सूिकेस क त र िोरने की कोमशश कयते ऩ म ।

ऩरॊग ऩय उसक फैग ऩड़ थ औय स प भ रभ


ू हो यह थ कक उसकी तर शी कैप्िन ऩहरे ही रे चक
ु थ।

वववेक क ऩ य एकदभ चढ रेककन कपय फड़े मत्न के स थ उसने स्वमॊ ऩय जब्त ककम । एक तो वैसे ही कैप्िन उससे कभ
से कभ डेढ गुन ववश र थ औय उस ऩय झऩिने की किम भें वह िद
ु अऩने ह थ ऩ ॊव तड़
ु सकत थ , दस
ू ये जो हयकत वह
उस वक्त वह ॊ कय यह थ , ऐन वही कुछ िद
ु वह वैसे ही दभोदय िेत न के कभये भें कय चक
ु थ जजसकी वजह से कैप्िन
को िोकने क उसक भुॊह नहीॊ फनत थ ।

‘नहीॊ िर
ु यह ?’—वह धीये से फोर ।

कैप्िन ने धचहुॊक कय ऩीछे दे ि । वववेक को आम दे ि कय ऩहरे उसके चेहये की यॊ गत फदरी, कपय वह फड़ी फेशभी से हॊ स ।

‘नहीॊ िर
ु यह ।’—वो फोर ।
वववेक आगे फढ । तत्क र कैप्िन उठ कय अऩने ऩैयों ऩय िड़ हो गम औय आशॊककत स उसे दे िने रग । वववेक ने आगे
फढ कय सूिकेस उठ औय उसे ऊऩय ऩरॊग ऩय यि । उसने जेफ से च फी ननक र कय सूिकेस क त र िोर औय उसक
ढक्कन ऩये धकेर ।

‘मू आय वैरकभ!’—कपय वह कैप्िन से फोर ।

‘अफ क्म प मद !’—कैप्िन जम्ह ई रेत हुआ फोर ‘—अफ तो तम्


ु ह य एक्शन ही स बफत कय यह है कक जजस चीज की
भुझे तर श है , वो इस सूिकेस भें नहीॊ है ।’

‘कपय बी तसकरी कय रो।’

‘जरूयत नहीॊ।’

‘फ की सफ जगह दे ि मरम ?’—वववेक सूिकेस क ढक्कन धगय कय उसे कपय से त र रग त हुआ फोर —‘भेज के दय जों
भें । व डायोफ भें । फ थरूभ भें । ि सतौय से कभोड के व िय िैंक भें । फहुत फटढम जगह होती है , वो छोिी भोिी चीज छुऩ ने के
मरए!’

‘नहीॊ दे ि ।’
‘दे ि रो।’

‘अफ क्म प मद !’

‘श मद हो।’

‘नहीॊ होग ।’

‘तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड बी कर य त मह ॊ आमी थी, मही सफ कुछ कयने।’
‘उसने मसपा गभर दे ि थ कक तभ
ु ज ग गए थे।’

‘म नी कक ज नते हो कक वो मह ॊ आमी थी। क्म कयने आमी थी, मे बी ज नते हो?’

‘ह ॊ।’

‘औय अफ तभ
ु िद
ु मह ॊ आए हो उसक कर क अधयू क भ ऩूय कयने।’

‘दरु
ु स्त!’

‘फड़े फेशभा हो।’

‘औय फदककस्भत बी। ऊऩय से आ गए तभ


ु ।’

वववेक ि श यह । वह अऩरक उसे दे ित यह । कैप्िन ने उससे आॊि न मभर ई। उसने जेफ से अऩन मसगये ि क ऩैकेि
ननक र औय वववेक को मसगये ि आकपय ककम । वववेक ने मसगये ि न मरम । अरफत्त उसने िद
ु अऩन ऩैकेि ननक र औय
एक मसगये ि सुरग मरम । कैप्िन ने बी उसक अनुकयण ककम ।

‘तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड ने ही मह ॊ बेज तम्
ु हें ?’—वववेक फोर ।

‘ह !ॊ ’—कैभोप्िन फड़ी शय पत से फोर ।

‘भ र भें टहस्सेद यी है तम्


ु ह यी?’

‘नहीॊ।’

‘तो?’

‘फ्री सववास।’
‘तम्
ु हें इस फ त क िौप नहीॊ कक भैं तम्
ु हें मह ॊ घुस आम चोय कय य दे कय ऩुमरस के हव रे कय सकत हूॊ।’

‘नहीॊ।’

‘वजह!’

‘वजह भैडभ ने फत मी नहीॊ कर य त तम्


ु हें ?’

‘आई सी। म नी कक वो तम्


ु हें सफ कुछ फत चक
ु ी हैं।’

‘ह ॊ।’

‘फड़े ऩक्के म य हो उसके?’

‘म य नहीॊ, भददग य।’

‘बफन अऩनी ककसी गयज के?’

‘मही सभझ रो।’

‘अफ क्म च हते हो?’

‘वही जजसकी भैं तर श भें थ ।’

‘जव हय त व र मरप प ?’

‘ह ॊ।’

‘वो मह ॊ नहीॊ है ।’

‘भुझे तम्
ु ह यी फ त ऩय मकीन है । मह ॊ होत तो इतनी पय िटदरी से द में फ में जगह न सुझ यहे होते उसकी तर श के
मरए।’

‘सभझद य हो।’

‘तभ
ु से कभ?’
‘ह जजय जव फ बी।’

‘वो ि भोश यह ।’

‘सोपगो बी तम्
ु ह यी स पगोई की वजह से ही तभ
ु से एक सव र कय यह हूॊ।’

‘क्म ?’

‘ऩयसों य त श्वेत श ह के घय भें योशनद न के य स्ते चोय की तयह तभ


ु घुसे थे?’

‘कैसे ज न ?’

‘वो कहती है कक जजस आदभी ने उसे ऩीछे से दफोच थ , वो भैिर के ऩट्टे व री घड़ी ऩहनत थ क्मोंकक वो ऩट्ट उसे फहुत
जोय से चब
ु थ । तभ
ु वैसे ऩट्टे व री घड़ी ऩहनते हो। इस वक्त बी ऩहने हुए हो।’

‘फस।’

‘वो कहती है कक चोय ने जफ उसे ऩीछे से अऩनी तयप िीॊच थ तो उसक मसय चोय की छ ती से ज कय िकय म थ । इस
मरह ज से चोय एक िफ
ू रम्फ तगड़ आदभी होन च टहए। तभ
ु एक िफ
ू रम्फे तगड़े आदभी हो।’

‘फड़ी ऩैनी सूझफूझ है इस रड़की की।’

‘भेय सव र मे है कक तभ
ु वो चोय थे म नहीॊ थे?’

‘भैंने उसे कोई नुक्स न नहीॊ ऩहुॊच म थ । उसक है ण्डफैग बी भैं उसके घय के फ हय ही पेंक गम थ ।’

‘म नी कक तम्
ु हीॊ वो चोय थे।’

‘अफ क्म मरि कय दॊ ?ू ’

‘वो सफ कुछ तभ
ु ने भछे न्द्रन थ य ण के आकपस की च फी ह मसर कयने के मरए ककम थ ?’

‘ह ॊ।’

‘तभ
ु य ण के आकपस भें से वो सीरफन्द मरप प ग मफ कयन च हते थे जजस ऩय तम्
ु ह य न भ मरि औय जजसभें तम्
ु हय
वो इकफ मरम फम न थ जो तम्
ु हें जेर मबजव सकत थ ।’

‘मे कैसे ज न ?’—कैप्िन तननक है य नी से फोर ।


‘तम्
ु ह ये ककसी जभ ने के जोड़ीद य शभशेय थ ऩ से ज न ।’

‘ओह!’—वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘फयु हुआ फेच ये के स थ। दो स र फ द जेर से छूि तो ग ड क फर


ु व आ
गम ।’

वववेक ने ि भोशी से मसगये ि क रम्फ कश रग म । कुछ ऐसी फ तें उसके जेहन भें घुभड़ यही थीॊ जजनके फ ये भें वो पैसर
नहीॊ कय ऩ यह थ कक वो जजनक जजि कैऩ ्िन से कये म नहीॊ। भसरन उसे मे फ त फहुत सम्ब ववत रग यही थी कक
कैप्िन ने अऩन न भ मरि सीरफन्द मरप प होतचन्द नी के कत्र के फ द ऩहरे उसकी भेज के दय ज भें तर श ककम
होग । मरप प वह ॊ से न ननकरने ऩय ही उसे होतचन्द नी के वकीर क आकपस ििोरन सूझ होग । म नी कक ऩयसों य त
कत्र के वक्त के दौय न वह बी घिन स्थर ऩय भौजूद थ । अगय ऐस थ तो जैसे शभशेय थ ऩ ने उसे दे ि थ वैसे ही
उसने कैप्िन को दे ि हो सकत थ । प्रत्मऺत् कैप्िन थ ऩ को ऩुमरस के स भने भुॊह प ड़ने क भौक नहीॊ दे न च हत थ
इसमरए उसने…

उसने मसगये ि क एक औय कश रग म ।

ऩुमरस की सूचन के अनुस य मरमो होिर भें उसके रयसैप्शन ऩय से ककसी ने—मकीनन िद
ु शभशेय थ ऩ ने नहीॊ—उसके
कभये की च फी उठ ई थी औय वह तफ ऊऩय थ ऩ के कभये भें गम थ जफ कक वववेक िद
ु नीचे भटदय रम भें थ ऩ की
प्रतीऺ भें फैठ , यभ चस
ु क यह थ । मूॊ थ ऩ के कभये भें ज ने व र शख्स कैप्िन हो सकत थ । वह उसी घड़ी फ घभती
नदी के ककन ये थ ऩ क कत्र कयके वह ॊ से रौि हो सकत थ ।

वह ॊ क्मों?

जरूय उसके कभये भें भौजद


ू कोई चीज हधथम ने।

कौन सी चीज?

उसने कैप्िन की तयप दे ि ।

इस फ फत कैप्िन से सव र कयन फेक य थ । सही जव फ दे न तो दयू , वो तो मही कफर


ू न कयत कक वो थ ऩ के कभये भें
गम थ ।’

‘क्म सोच यहे हो?’—कैप्िन फोर ।

‘य ण के आकपस भें से’—वववेक फोर —‘तभ


ु ने अऩने इकफ मरम फम न व र सीरफन्द मरप प फय भद ककम रेककन
तबी ऊऩय से य ण वह ॊ आ गम । नतीजतन तम्
ु हें उस ऩय आिभण कयन ऩड़ । ठीक?’
‘बफककुर ठीक।’—वह फड़ी शय पत से फोर —‘भैं ऐस न कयत तो क्म भैं ज नत नहीॊ कक वह ॊ भुझ ऩय क्म फीतती! वह ॊ
ऩकड़ ज न तो दयू , भैं तो य ण द्व य अऩनी सयू त दे िी ज न बी अपोडा नहीॊ कय सकत थ ।’

‘अफ इसी पय िटदरी से मरप पे की फ फत बी तो कफूर कयो।’

‘ककम कफूर। होतचन्द नी की भौत के फ द वो मरप प भेये ह थ रगन जरूयी थ । होतचन्द नी की जजन्दगी भें वो
मरप प भेये मरए उतन ितयन क नहीॊ थ जजतन कक उसकी भौत के फ द। होतचन्द नी वो मरप प भेये मसय ऩय तरव य
की तयह रिक मे यिन च हत थ । भैं उससे फ हय न ज त तो उसभें भौजद
ू भेये इकफ मरम फम न को वह हयधगज बी भेये
खिर प इस्तेभ र न कयत । इतनी भुझे ग यन्िी थी। रेककन उसकी भौत के फ द वह मरप प ककसी औय के ह थ ऩड़ ज त
तो मह भेये मरए फहुत फुय होत । भैं नहीॊ च हत थ कक उस मरप पे की वजह से भैं एक के चॊगुर से ननकर औय दस
ू ये के
चॊगुर भें ज पॊसत ! वो मरप प ककसी बी सूयत भें भेये ह थ रगन जरूयी थ । उसक य ण के ऩ स यहन तो भुझे बफककुर
बी भॊजूय नहीॊ थ । वो होतचन्द नी की एस्िे ि क एडमभननस्ट्रे िय फनने व र थ । तफ वो मरप प िोरने क बी उसे
अधधक य होत औय मू भेयी ह रत आसभ न से धगय कय िजयू भें ज अिकने जैसी हो ज ती। होतचन्द नी अऩनी ग ॊठ क
ऩक्क अऩने भतरफ क ऩूय थ । उसक कपय बी कोई कैये क्िय थ । य ण क तो भुझे कोई कैये क्िय रगत ही नहीॊ। अऩने
ननजी प मदे के मरए वो भेये उस इकफ मरम फम न क कैस बी कोई फेज प मद उठ सकत थ ।’

‘य ण इतन फुय आदभी तो नहीॊ।’

‘तम्
ु हें क्म भ रूभ?’

वववेक ने कहन च ह कक श्वेत क ऐस ख्म र थ रेककन वह ि भोश यह ।

‘वो मरप प ’–वह फोर —‘हत्म क उद्देश्म हो सकत है ?’

‘हो सकत थ । अफ कह यि है वो मरप प !’

म नी कक तभ
ु ने उसे नष्ि कय टदम ?’

‘ह थ आते ही। पौयन। गोरी की तयह। भैंने तो उसक घय ऩहुॊचने तक क बी एतफ य नहीॊ ककम थ । क्म ऩत य स्ते भें वो
कपय ककसी करयश्भ ई तयीके से भेये ह थ से ननकर ज त ।’

‘औय क्म चयु म ?’

‘कुछ नहीॊ। औय कुछ चयु ने की क्म जरूयत ऩड़ी थी भुझ।े भुझे तो मसपा वो मरप प …’

एक एक वह फोरत हुआ चऩ ु हो गम । वववेक ने नोि ककम कक वो उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यह थ । उसने घभ
ू कय उसकी
दृजष्ि क अनुसयण ककम तो ऩ म कक वह खिड़की से फ हय होिर के द ईं ओय के ब्र क की ओय दे ि यह थ । उस घडी
वह ॊ ऩहरी भॊजजर की एक फ ककनी भें ऩ भेर सेन िड़ी थी। उस घड़ी वह मशपोन की एक स ड़ी औय स्रीवरैस ब्र उज
ऩहने थी। उसके फ र िर
ु े थे औय वह ननह मत हसीन औय कभमसन रग यही थी।

‘बई व ह!’—कैप्िन फोर —‘मे ऩूखणाभ क च ॊद तम्


ु ह ये होिर भें कह ॊ से िऩक ?’
‘फटढम है ?’—वववेक ने ऩछ
ू ।

‘मे बी कोई ऩूछने की फ त है!’—‘कैप्िन फोर —‘आॊिों ऩय मकीन नहीॊ आ यह । मे तो सोकिी क भ र है । किस्िर भें कैसे
ऩहुॊच गम ?’

‘ऩहच न ठीक है तभ
ु ने। सोकिी क ही भ र है । किस्िर भें द भोदय िेत न की वजह से ऩहुॊच है ।’

‘अच्छ ! द भोदय िेत न क भ र है मे?’

‘ह ॊ।’

‘फहुत िश
ु ककस्भत है ऩि !’

‘ज टहय है ।’

‘है कौन मे?’

‘इजन्डमन एमयर इन्स की होस्िे स है । कर सुफह ही अऩनी फ्र इि के स थ आमी है ।’

‘िेत न से इसक क्म व स्त ?’

‘भेये ख्म र से’—वववेक एक ऺण टहचककच त हुआ फोर —‘मे कैश रेकय आमी है ।’

‘कैश! कौन स कैश?’

‘जजससे द भोदय िेत न जव हय त ियीदने व र थ । ऩच स र ि रुऩमे की यकभ कैस दे कय। भ रूभ होग तम्
ु हें !’

‘वो कैश मे र मी है ।’

‘भेय ख्म र है ।’

‘वो कैश ऩहरे से िेत न के ऩ स नहीॊ थ ?’

‘भेये ख्म र से नहीॊ थ । ऩूछे ज ने ऩय िेत न ने स प कह थ कक कैश उसके ऩ स अगरी सुफह आने व र थ । भुझे इस
फ फत उसकी जुफ न से ननकर एक-एक रफ्ज हूफहू म द है । उसने होतचन्द नी को कह थ —‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग
औय तभु जफ च होगे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच टदम ज एग ।’ मे रड़की अगरी सुफह ही मह ॊ ऩय ऩहुॊची थी। इसी से भुझे रगत है
कक मही कैश र मी है ।’

‘द भोदय िेत न के मे कहने क ‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग ’ भतरफ मे कैसे हो गम कक कैश मे रड़की र मी?’

‘क्मोंकक अगय उसके ऩ स कैश ऩहरे से उऩरब्ध होत तो वह मह क्मों कहत कक ‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग ?’ तफ वह
मह कहत कक ‘कैश भेये ऩ स जेफ भें नहीॊ है रेककन तभ
ु जफ च हो भैं उसे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच सकत हूॊ।’ उसक मे कहन
कक ‘कैश भेये ऩ स सवेये आएग ।’ तो मही स बफत कयत है कक ऩयसों श भ सौद ऩक्क हो ज ने के वक्त तक कैश उसके
ऩ स उऩरब्ध नहीॊ थ । तबी तो फ त अगरे योज ऩय छोड़ी गमी। उसके ऩ स कैश उऩरब्ध होत तो वो उसी वक्त उसे रेकय
होतचन्द नी के ऩ स व वऩस रौित ।’

‘कपय बी मे कैसे कहते हो कक कैश मे एमयहोस्िे स रड़की र मी?’

‘भेय अन्द ज है । कोई तो र म ही। अगरे योज जफ भुजे मही िेत न के कभये भें टदि ई दी जजसक कक नेऩ र भें तबी
आगभन हुआ थ तो भैंने मही नतीज ननक र कक कैश मही र मी थी।’

‘टहन्दस्
ु त न से नेऩ र भें मूॊ टहन्दोस्त नी कये न्सी र मी ज सकती है?’

‘बफककुर र मी ज सकती है । टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र भें नेऩ री रुऩमे की तयह ही चरत है ।’

‘म नी की मूॊ इतनी फड़ी यकभ नेऩ र भें र कय इस रड़की ने कोई गैयक नूनी क भ नहीॊ ककम ?’

‘मॊू टहन्दोस्त नी कये न्सी मह ॊ र न तो गैयक नन


ू ी नहीॊ है रेककन भेये ख्म र से मे रड़की िेत न के मरए रुऩम िर
ु े आभ
नहीॊ र मी। मे मह ॊ रुऩम अऩने एमयहोस्िे स होने क प मद उठ कय चऩ
ु च ऩ र मी है ।’
‘मे कैसे ज न ?’

‘ह र त से ज न । ह र त मही ज टहय कय यहे हैं। इसमरए सोकिी ज ने की जगह मे रड़की किस्िर भें ऩहुॊची।’

‘तभ
ु तो फहुत यहस्मभमी फ तें कय यहे हो।’

वववेक भुस्कय म ।

तबी ऩ भेर सेन फ ककनी से हिी औय कभये के बीतय चरी गमी।

‘एक फ त फत ओ।’—वववेक फोर ।

कैप्िन ने फ ककनी ऩय से ननग ह हि कय तत्क र उसकी तयप दे ि ।

‘अगय च मस तम्
ु ह यी होती’—वववेक फोर —‘तो तभ
ु क्म रेन ऩसन्द कयते? होतचन्द नी के जव हय त? म टहन्दोस्त नी
कये न्सी भें उसकी नकद कीभत?’

‘जो बी मभर ज त ।’—कैप्िन फोर ।

‘जो बी मभर ज त नहीॊ। भेय सव र मे है कक अगय तभ


ु ने दोनों भें से एक चीज चन
ु नी होती तो तभ
ु क्म चन
ु ते?’

‘जव हय त।’

‘क्मों?’

‘क्मोंकक गोकड की तयह प्रेशस स्िोंस बी एक तयह से इन्ियनेशनर कये न्सी होती है । उन्हें कीभत की थोड़ी फहुत घिफढ के
स थ कहीॊ बी रे ज कय कैश ककम ज सकत है । वो जव हय त भेये ह थ आ ज में तो भैं तो नेऩ र को हभेश के मरए
गुडफ ई कह कय यॊ गून कूच कय ज ऊॊ। भैं यॊ गून की च िा िा फ्र इि क इन्तज भ करूॊ, अऩने प्रेन ऩय यॊ गून ऩहुॊचूॊ औय कबी
रौि कय न आऊॊ।’

‘इस प्रोग्र भ भें अऩनी गरा फ्रेंड को श मभर नहीॊ ककम तभ


ु ने।’

‘वो तो श मभर ही श मभर है ।’—वो फड़े यॊ गीन ब व से हॊ स —‘भेये ऩ स ऩच स र ि के जव हय त हों तो अचय के मरए बी
मभनी होतचन्द नी ही स बफत होऊॊग । वो सभझद य, दनु नम द य औयत है । िफ
ू ज नती है कक भेर ट्रे न छूि ज ए तो ऩैसेन्जय
से सपय कयने भें कोई हजा नहीॊ होत ।’

‘होतचन्द नी की भौत से तम्


ु हें ककस्भ ककस्भ के प मदे हो गए। सीरफन्द मरप प ह थ रग ज ने से जेर म त्र के आस य
ित्भ हो गए। ह थ से रगबग ननकर ही चक
ु ी ऩुय नी भ शूक व वऩस मभर गमी। होतचन्द नी क डकोि प्रेन डक य ज ने
की बी कोई तयकीफ हो श मद तम्
ु ह ये जेहन भें । ऊऩय से ऩच स र ि रुऩमे के जव हय त जो तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड ने चयु मे औय
जजन्हें वे सभझती है कक व वऩस ह मसर कयके यहे गी।’

वो हॊ स औय कपय फोर —जव हय त हैं तो सेप तम्


ु ह ये ऩ स?’

‘सेप क्म ! वो हैं ही नहीॊ भेये ऩ स।’

‘कब्जे भें न सही रेककन ज नते तो हो कक वो कह ॊ हैं। आखिय जह ॊ कहीॊ बी हैं वह ॊ तम्
ु हीॊ ने तो उन्हें ऩहुॊच म है ।’

‘वो तो है ।’

‘तो फत ओ कह ॊ हैं जव हय त?’

भेये फभी ब ई, भैं तम्


ु हें इतन ही अहभक रगत हूॊ!’

‘क्म भतरफ?’

‘जैसी दीद टदरेयी तभ


ु ने तर शी के मरए कभये भें घस
ु कय टदि ई है वो अऩनी कह नी िद
ु कह यही है । तभ
ु इस फ त से
कोई ि स कपिभन्द नहीॊ थे कक भैं ऊऩय से मह ॊ आ ज ऊॊग । तभ
ु ने तो बीतय से दयव ज तक फन्द कयने की कोमशश नहीॊ
की थी जो कक तभ
ु कयते तो भेये आगभन की आहि ऩ कय बफन भेयी नजयों भें आए खिड़की के य स्ते ब ग ज ते। इससे
स बफत होत है कक तभ
ु भुझे ककसी तयीके से बी ककसी ि नतय भें र ने के क बफर नहीॊ सभझते। तभ
ु नहीॊ सभझते कक भैं
तम्
ु ह ये मरए कोई ितय फन सकत हूॊ। ऐसे ह र त भें भैं तम्
ु हें जव हय त के फ ये भें फत दॊ ू तो जरूय तभ
ु जव हय त को
कब्ज ओगे औय भझ ु े भच्छय की तयह भसर ड रोगे।’

‘तभ
ु भुझे गरत सभझ यहे हो। तभ
ु एक फहुत ही ितयन क ववरेन क ि क िीॊच यहे हो।’

‘भैं क्म ज नत हूॊ तम्


ु ह ये फ ये भें? भुझे कैसे भ रूभ हो कक तभ
ु फहुत ही ितयन क ववरेन नहीॊ हो?’

वववेक आगे उसकी क य क जजि बी कयन च हत थ रेककन तत्क र उसने ि भोशी अजख्तम य कय री।

ऩयसों य त उसने एक िोमि क य होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ िड़ी दे िी थी। उस क य के नभ ्फय क जो एक टहस्स वह
दे ि ऩ म थ वह कैप्िन की क य क हो सकत थ जो कक िोमोि ही थी। ऩुमरस के भुत बफक शभशेय थ ऩ को फ घभती
नदी के सुनस न ककन ये तक क य भें फैठ कय रे ज म गम थ । कैप्िन ऐस आदभी थ जो एक कत्र कय चक
ु ने के फ द
अऩनी सर भती को ितये भें ऩ कय एक से ज्म द कत्र बी कय सकत थ । अगय वह ऩहरे होतचन्द नी की ओय कपय
शभशेय थ ऩ क कत्र कय चक
ु थ तो कपय अफ जरूयत ऩड़ने ऩय उसकी बी कत्र कय दे ने से उसे क्म गुयेज होत !’

‘भैं कपय कहत हूॊ तभ


ु भझु े गरत सभझ यहे हो।’—कैप्िन कह यह थ —‘कत्र कयने के मरए जो गज बय क करेज
च टहए वो गॉड ने भुझे नहीॊ टदम ।’

‘इस ऩह ड़ जैसे जजस्भ भें गज से फड़ करेज हो सकत है ।’

‘वहभ है तम्
ु ह य । भैं इतन हौसर भन्द होत तो इतने स र मूॊ होतचन्द नी के अॊगूठे के नीचे न दफ यहत ।’

‘वो तभु इसमरए नहीॊ दफे हुए थे क्मोंकक होतचन्द नी क अॊगठू भजफत ू थ । वो तभ
ु अऩने इकफ मरम फम न की वजह से
दफे हुए थे। होतचन्द नी की जजन्दगी भें तम्
ु हें भ रभ
ू तक नहीॊ थ कक वह कह ॊ थ ।’

‘अबी बी भुझे आनन प नन कैसे भ रूभ हो सकत थ कक वो य ण के आकपस भें थ ।’

‘नहीॊ भ रूभ हो सकत थ रेककन ननकर वो वहीॊ। वह ॊ ननकरत तो तभ


ु ककसी तीसयी जगह—भसरन य ण के घय—उसे
तर श कयते। वह ॊ बी न ननकरत तो तभ
ु ककसी चौथे टठक ने ऩय ववच य कयते। कहने क भतरफ मह है कक तभ

िश
ु ककस्भत स बफत हुए कक दस
ू ये ही टठक ने ऩय तम्
ु हें वो मरप प मभर गम ।’

‘दस
ू य टठक न !’

‘ह ॊ ऩहर टठक न तो होतचन्द नी क फॊगर थ जह ॊ से कक तभ


ु अऩन वो मरप प फय भद नहीॊ कय सके थे।’

‘ऩ गर हुए हो! उस मरप पे के मरए भैं मसपा य ण के आकपस भें गम थ । होतचन्द नी के फॊगरे के ऩ स तो भैं पिक बी
नहीॊ थ । उसके कत्र के फ द वह ॉ ज कय भैंने पॊसन थ ?’

‘कत्र के फ द ककस मरए? कत्र के दौय न क्मों नहीॊ?’

‘ओहो! तो तभ
ु होतचन्द नी के कत्र क इरज भ भुझ ऩय थोऩन च हते हो।’
‘भैं कौन होत हूॊ ऐस कुछ कयने व र ! इस फ फत जो कुछ कये गी, मह ॊ की ऩुमरस कये गी।

‘रेककन तभ
ु सभझते तो हो कक क नतर भैं हूॊ।’

‘भेये सभझने से क्म होत है !’

‘म नी कक अऩनी मे फेफुननम द फ तें तभ


ु ऩुमरस को सुन ने नहीॊ ज ओगे?’

‘नहीॊ।’

‘भैं कैसे मकीन कय रूॊ?’


‘भत कयो।’

‘रेककन…’

‘तभ
ु ऩ गर हो। अगय भेय इय द तम्
ु ह ये खिर प ऩुमरस के क न बयने क होत तो भैं तभ
ु से इतनी फ तें कय यह होत !’

वह सोचने रग ।

‘एक फ त ऩय औय गौय कयो।’—वववेक फोर —‘जफ तम्


ु हें भेय एतफ य नहीॊ, जफ तभ
ु मे सभझते हो कक भैं तम्
ु ह ये खिर प
ऩुमरस के क न बय सकत हूॊ तो मे बी तो हो सकत है कक भैं तम्
ु हें जव हय त कब्ज रेने दॊ ू औय स थ ही ऩुमरस को बी इस
फ त की िफय कय दॊ ू त कक तभ
ु जव हय त सभेत धय मरए ज ओ। ऩुमरस की ्मोयी मे है कक जजसके ऩ स जव हय त
ननकरें ग,े वही क नतर होग । अफ जय ठण्डे टदभ ग से सोच कक कपरह र जव हय त जह ॊ कहीॊ बी छुऩे हुए हैं उनके वहीॊ
छुऩे यहने भें तम्
ु ह यी औय तम्
ु ह यी गरा फ्रैंड की बर ई है म भेयी ज नक यी भें उनके तभ
ु दोनों भें से ककसी के कब्जे भें आ
ज ने भें ?’

अफ सोच के स थ स थ कैप्िन के चेहये ऩय धचन्त के ब व बी प्रकि हुए।

‘फहुत उस्त द आदभी हो तभ


ु ।’—कपय कई ऺण की ि भोशी के फ द वह फोर ।

‘मे भेयी त यीप हुई’—वववेक फोर —‘म भेय नुक्स ननकर ?’

‘ऩत नहीॊ क्म हुआ औय क्म ननकर । रेककन एक फ त म द यिन , मभस्िय वववेक ज र न! उस्त दी भें कबी-कबी रेने
के दे ने बी ऩड़ ज ते हैं।’

कपय वह पशा को रगबग यौंदत हुआ वह ॊ से कूच कय गम ।

च य फजे वववेक ज र न च म के मरए होिर के रुप ग डान भें ऩहुॊच ।

रूप ग डान उस वक्त रगबग ि री थ इसमरए एक िे फर ऩय अकेरी फैठी ऩ भेर सेन ऩय उसकी ननग ह तत्क र ऩड़ी।

वह कुछ ऺण टहचककच त यह औय कपय रम्फे डग बयत हुआ उसकी िे फर के कयीफ ऩहुॊच ।

‘हकरो!’—अऩने स्वय भें बयऩूय मभठ स घोरत हुआ वह फोर ।

‘हकरो मुअय सैकप।’—वह ननववाक य ब व से फोरी।

‘भझ
ु े ऩहच न ?’

‘सूयत ऩहच नी हुई रग यही है ।’—वह भ थे ऩय फर ड रकय उसे दे िती हुई फोरी—‘रेककन ध्म न भें नहीॊ आ यह कह ॊ
दे िी।’

‘म द दयो।’
‘जरूय भेयी ककसी फ्र इि भें तभ
ु ऩैसेंजय थे।’

‘नहीॊ।’

‘तो कपय…अये ह ॊ। म द आम । तभ
ु तो िेत न स हफ के दोस्त हो। सुफह तभ
ु उनके कभये भें भुझे मभरे थे।’

‘बफककुर दरु
ु स्त।’

‘फैठो।’

‘शुकिम ।’—वह उसके स भने फैठ गम । उसने दे ि कक वह झ ॊग ऩी यही थी।

‘सुफह न भ क्म फत म थ तभ
ु ने अऩन ?’—वह फोरी।

‘भैंने फत म ही नहीॊ थ । नौफत ही नहीॊ आई थी।’

‘चरो अफ फत दो। क्म न भ है तम्


ु ह य ?’

‘वववेक। वववेक ज र न।’

‘क्म कयते हो? आई भीन व ि इज मुअय र इन आप बफजनेस?’

‘भैं जजमोरोजजस्ि हूॊ।’

‘वो कौन होत है ?’

‘हीये जव हय त की भ इननॊग कय ने औय उनकी ऩयि यिने व र ववशेषऻ।’

‘आई सी। नेऩ र भें ऩक्के फसे हुए हो?’

‘अबी तक तो फस ही हुआ थ रेककन चन्द टदनों भें व वऩस टहन्दोस्त न ज यह हूॊ।’

‘हभेश के मरए?’

‘ह ॊ।’

‘आमे कैसे थे मह ?
ॊ ’

‘योजी योिी की तर श रे आई थी।’

‘ज क्मों यहे हो?’

‘तर श ऩूयी नहीॊ हुई। कुछ ह थ नहीॊ रग ।’


‘आई सी।—वह एक ऺण टठठकी औय कपय फोरी—‘िेत न स हफ से कैसे दोस्ती हो गई?’

‘दोस्ती तो नहीॊ है । व ककपमत कह रो, जो कक एक ही होिर भें ठहये एक ही भुकक के दो ऩयदे मसमों भें अन म स हो ज ती
है ।

‘सुफह तो तभ
ु िद
ु को िेत न स हफ क दोस्त फत यहे थे!’

‘गरत नहीॊ फत यह थ । दोस्त हूॊ रेककन जजगयी नहीॊ। तम्


ु ह ये जैस नहीॊ।’
‘भेयी बी उनसे कोई सटदमों की दोस्ती नहीॊ है ।’

‘अच्छ !’

‘ह ॊ। तभ
ु क्म वऩमोगे?’

‘तभ
ु क्म ऩी यही हो?’—ज नते फझ
ू ते वववेक ने सव र ककम ।

‘रोकर बफमय।’—वह फोरी।

‘म नी की झ ॊग?’

‘ह ॊ।’

‘ऩसन्द आती है तम्


ु हें ?’

‘अफ आती है रेककन जफ ऩहरी फ य भुझे ऩत रग थ कक नेऩ र भें झ ॊग न भ की कोई ऩीने की चीज होती है तो ज नते
हो मे भुझे कैसी रगी थी?’

‘कैसी रगी थी?’

‘जैसे मे शैम्ऩू की जगह फ र धोने के क भ आने व री िट्टी रस्सी हो जजसे कक भोयी भें से फहते हुए इकि ककम गम हो।’

वववेक की अन म स हॊ सी ननकर गई।

‘तफ न भुझे इसकी शक्र फद ाश्त हुई थी औय न स्भैर।’

‘अफ तो फड़े शौक से ऩी यही हो।’

‘ह ॊ। तभ
ु वऩमोगे?’

‘नहीॊ। अबी भैं च म वऩमॊग


ू ।’

उसने वेिय को फुर कय च म क आडाय टदम । ऩ भेर सेन ने अऩने मरए औय झ ॊग भॊग ई।

वववेक ने नोि ककम कक झ ॊग कोई िुन्न कय दे ने व र ऩेम ऩद था नहीॊ थ रेककन कपय बी वह अच्छी ि सी नशे भें भ रूभ
हो यही थी। उसने मे बी नोि ककम कक उस घड़ी वह वही मशपोन की स ड़ी औय स्रीवरैस ब्र उज ऩहने थी जजसभें उसने
औय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन ने दोऩहय भें उसे उसके कभये की फ ककनी भें दे ि थ ।

‘इस ऩोश क भें तम्


ु हें ठण्ड नहीॊ रगती?’—वववेक फोर ।

‘ठण्ड!’—वह तननक हड़फड़ कय फोरी।

‘भैंने कह तम्
ु हें रगती नहीॊ?’

‘तम्
ु हें रग यही है ?’

‘जो ऩोश क तभ
ु इस वक्त ऩहने हो, उसभें तम्
ु हें दे िकय तो मह ॊ फपा बी ऩड़ यही होती तो भुझे गभी रगती।’

‘ओह! आई सी मुवय प्व मॊि!’—वह अऩने दध


ू जैसे सपेद सुडौर द ॊत चभक ती हुई हॊ सी—‘मू आय आपरयॊग भी ए
कम्प्रीभें ि।’

‘मू कैन से दै ि।’

‘वैर। थैंक्मू।’

तबी वेिय ऩ भेर को झ ॊग औय वववेक को च म सवा कय गम ।

‘क ठभ ण्डू तम्
ु ह यी फ्र इि कह ॊ से आती है ?’—च म ऩीते हुए वववेक ने ऩछ
ू ।

‘करकत्त से।’—वह फोरी।

‘मे तम्
ु ह य यै गुरय रूि है ?’

‘ऩ ॊच-छ् भहीने से तो है ।’

‘एमय होस्िे स की नौकयी कफ से कय यही हो?’

‘एक स र हो गम है ।’

‘िेत न से कैसे भुर क त हो गई?’

‘फस, हो गमी।’

‘हुई कह ॉ? करकत्ते भें ?’

‘ह ॊ।’

‘तभ
ु यहने व री करकत्ते की हो?’
‘ह ॊ।’

‘ऩरयव य भें औय कौन कौन हैं?’

‘तभ
ु फहुत ज्म द सव र ऩूछ यहे हो। वजह?’

‘कोई ि स नहीॊ। जव फ दे न न दे न तम्


ु ह यी भजी ऩय भन
ु हसय है । वैसे भैंने कोई क बफरेएतय ज म कोई न गव य गज
ु यने
व री फ त ऩछ
ू ी हो तो भ पी च हत हूॊ।’

‘नहीॊ नहीॊ। वो फ त नहीॊ।’

वववेक ि भोश यह ।

‘तभ
ु बरे आदभी भ रूभ होते हो। ऊऩय से भेये वतन के हो। भुझे बर क्मों एतय ज होग तम्
ु ह ये कोई सव र ऩूछने से।’

‘शकु िम ।’

वववेक ने ि भोशी से च म की एक चस्


ु की री।

ऩ भेर ने झ ॊग क फड़ स घूॊि बय ।

‘तभ
ु क्म ऩूछ यहे थे?’

‘ि स कुछ नहीॊ ऩछ
ू यह थ ।’

‘कपय बी?’

‘भैं ऩूछ यह थ तम्


ु ह ये ऩरयव य भें औय कौन-कौन हैं?’

‘औय भ ॊ हैं। च य भेये से छोिी फहने हैं।’

‘वऩत नहीॊ हैं?’

‘नहीॊ।’
‘भ ॊ बी सववास कयती है ?’

‘नहीॊ.’

‘फहनें?’

‘ऩढती हैं। च यों।’

‘ऩरयव य भें औय कभ ने व र कोई नहीॊ?’


‘न।’

‘म नी कक तम्
ु ह ये ऩरयव य भें तम्
ु ह य एक तयह से कत्त ा क योर है ।’

‘मही सभझ रो।’

‘कपय तो फहुत जजम्भेद रयम ॊ हैं तम्


ु ह ये न जक
ु कन्धों ऩय।’

‘हैं तो सही।’

‘रुऩमे ऩैसे की टदक्कत यहती होगी!’

‘फय फय यहती है ।’

‘जरूय इसी फ त को िेत न ने कैश ककम है ।’

‘क्म भतरफ?’

‘ऊऩय से तम्
ु ह यी मसपा एक स र की नौकय ऩय गौय ककम ज ए तो तभ ु ने बी फहुत टदरेयी टदि ई। हव ई जह ज के क्मु की
तर शी तो नहीॊ होती रेककन कपय बी आमे टदन अिफ यों भें छऩत ही यहत है कक पर ॊ एमयर इन्स क ऩ मरेि हे योइन के
स थ ऩकड़ गम , पर ॊ एमयर इन्स क नेवीभेिय घडड़मों के स थ ऩकड़ गम , पर ॊ एमयर इन्स की होस्िे स सोने के
बफस्कुिों के स थ ऩकड़ी गमी।’

‘मभस्िय, तभ
ु क्म कह यहे हो, भेयी सभझ भें कुछ नहीॊ आ यह ।’

‘भैं तम्
ु ह यी हौसर भन्दी की त यीप कय यह थ । अरफत्त मे पैसर नहीॊ कय ऩ यह हूॊ कक तभ
ु िफ
ू सूयत ज्म द हो म
हौसर भन्द ज्म द हो।’

‘तभ
ु अबी बी वही जुफ न फोर यहे हो जो भेयी ऩकड़ भें नहीॊ आ यही।’

‘ऩकड़ भें तो तम्


ु ह ये सफ कुछ आ यह है ।’

‘नहीॊ आ यह ।’

‘स प जुफ न फोर?
ूॊ ’

‘ह ॊ।’

‘जव फ बी स प दोगी?’

‘अबी तक नहीॊ दे यही?’

‘िेत न से ककतने ऩैसे मभरे?’


‘ककस फ त के?’

‘ऩच स र ि के कये न्सी नोि करकत्त से मह ॊ ढोकय र ने के।’

वह चौंकी।

‘अफ मे न कहन कक जो सि
ू केस िेत न ने तम्
ु हें सौंऩ थ ; तम्
ु हें भ रभ
ू ही नहीॊ थ कक उसभें ऩ ॉच-ऩ ॊच सौ के नोिों की सौ
गड्डडम ॊ थीॊ!’

‘तभ
ु कौन हो?’—वो घफय कय फोरी।

‘दोस्त!’—वववेक इत्भीन न से फोर ।

‘तभ
ु इतन कुछ कैसे ज नते हो जफकक तभ
ु कहते हो कक तभ
ु िेत न के जजगयी दोस्त बी नहीॊ हो!’

‘दो भें दो जोड़कय जव फ च य ननक र रेने के मरए िेत न क जजगयी दोस्त होन जरूयी नहीॊ।’

‘रेककन तम्
ु हें मे कैसे भ रूभ कक च य जव फ दो भें दो जोड़ कय आम है , एक भें तीन जोड़ कय नहीॊ?’

‘तसदीक तभ
ु जो कय दोगी। कय क्म दोगी, कय ही दी है तसदीक तभ
ु ने। तम्
ु ह यी घफय हि ही फत यही है कक जो भैं कह
यह हूॊ, वो गरत नहीॊ है । अरफत्त मे भुझे तम्
ु ह ये फत मे बफन नहीॊ भ रूभ हो सकत कक िेत न क क भ तभ
ु ने भुर हजे
भें ककम , धभकी भें ककम म कोई पीस रेकय ककम ।’

वह ि भोश यही।

‘जो फैकग्र उण्ड तभ


ु ने अऩनी पैमभरी की फत ई है , उससे तो मही रगत है कक िेत न क क भ तभ
ु ने कोई पीस रेकय
ककम । ककतने ऩैसे मभरे?’

वो ऩये दे िने रगी।

‘अफ तो ककस्स ित्भ हो चकु है । जजसक भ र थ उसके ऩ स ऩहुॊच गम । अफ तो तम्


ु ह ये ऊऩय कोई इरज भ नहीॊ आ
सकत । अफ फत ने भें क्म हजा है ?’

‘उसने भुझे दो र ि रुऩम टदम ।’

वववेक के भुॊह से सीिी ननकर गमी।

‘नकद।’—वह फोरी—‘एडव ॊस।’

‘ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों भें तो नहीॊ?’

‘नहीॊ। क्मों?’
‘कपय सभझ रो कक तम्
ु हें रुऩम ही मभर । छऩे हुए क गज नहीॊ।’

‘क्म !’—वो कपय घफय मी—‘तभ


ु मे कहन च हते हो कक िेत न के ऩ स ज री नोि हैं?’

‘ज री नहीॊ, चोयी के। फैंक डकैती के। रेककन ि नतय जभ यिो, मसपा ऩ ॊच सौ व रे नोि ऩकड़े ज ने व रे हैं। सौ सौ के नोि
सेप हैं, सही हैं।’

‘तम्
ु हें कैसे भ रभ
ू है कक वो नोि फैंक डकैती के हैं?’

‘भेय अन्द ज है ।’

‘फस! मसपा अन्द ज !’

‘भेये उस अन्द जे को फर दे ने व री दो फ तें औय बी हैं।’


‘क्म ?’

‘एक तो कोई डेढ भहीन ऩहरे टदकरी भें ऐसी एक फैंक डकैती ऩड़ी है जजसभें फ की भ र के स थ ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों की
सूयत भें ऩच स र ि के नोि बी थे।’

‘दस
ू यी फ त क्म है?’

‘दस
ू यी फ त मह है कक उसने नोिों को तम्
ु ह ये भ ध्मभ से चोयी से नेऩ र र ने क इन्तज भ ककम । नेऩ र भें इजन्डमन
कये न्सी चरती है । टहन्दोस्त नी न गरयक द्व य टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र र ने भें कोई ऩ फन्दी नहीॊ, मसपा कस्िभ ऩय उसे
डडक्रेमय कयन ऩड़त है । वो रुऩम डकैती क न होत तो द भोदय िेत न ही उसे शये आभ मह ॊ र सकत थ । तफ उसक
तम्
ु ह यी दो र ि की पीस बयन जरूयी न होत । रेककन रुऩम डकैती क थ , न मसपा डकैती क थ , ऐसे नोिों की सूयत भें
थ जो ट्रे स ककमे ज सकते थे। वो रुऩम िद
ु स थ र ने की कोमशश कयत तो करकत्ते भें ही ऩकड़ ज त । इसीमरए उसने
उसे मह ॊ ऩहुॊच ने के मरए तम्
ु हें प ॊस । अफ फोरो क्म कहती हो?’

वह कुछ ऺण ि भोश यही, कपय उसक मसय अऩने आऩ ही धीये धीये सहभनत भें टहरने रग ।

‘औय भेभ स हफ’—वववेक आगे फढ —‘इतने जोिभ के क भ की पीस बी तभ


ु ने कभ री है ।’

‘वो कैसे?’

‘चोयी क भ र ऩकड़व ने ऩय सयक य की तयप से दस प्रनतशत क इन भ मभरत है । उस यकभ को मह ॊ ढोने की जगह तभ



उसे ऩकड़व दे तीॊ तो तम्
ु हें फतौय इन भ ऩ ॊच र ि रुऩम मभरत , अफ दो र ि मभर है ।’

‘ऩ ॊच र ि मभरते मभरते मभरत , दो र ि भुझे एडव ॊस मभर । ऊऩय से अगय भैं िेत न को बी न ऩकड़व ऩ ती तो ऩत
नहीॊ वो भेय म भेये ऩरयव य की क्म गत फन त । औय सौ फ तों की एक फ त मे कक ऩहरे भुझे नहीॊ भ रूभ थ कक वो रुऩम
चेयी क थ ।’

‘फहयह र दो र ि रुऩमे की एडव ॊस पीस की एवज भें तभ


ु ने वो नोिों व र सि
ू केस करकत्त से मह ॊ क ठभ ण्डू ऩहुॊच म ?’
‘ह ॊ।’

‘तम्
ु हें भ रूभ तो थ न कक सूिकेस भें क्म थ ?’

‘भ रूभ थ । वो नहीॊ फत न च हत थ रेककन असमरमत ज ने बफन भैं वो सूिकेस ढोने को तैम य नहीॊ थी।’

‘आर धथग्ॊ स सैड एण्ड डन, रयस्क तभ


ु ने फहुत मरम ।’

‘कुछ सभ जी जजम्भेद रयम ॊ ऐसी होती हैं जजनको बुगत ने भें इससे बी फड़े रयस्क रेने ऩड़ ज ते हैं। भेयी जरूयत छोिी थी,
भैंने इतन ही ककम । भेयी जरूयत फड़ी होती तो श मद भैं तम्
ु ह य सुझ म ऩ ॊच र ि रुऩमे के इन भ व र य स्त अऩन ती।
औय फड़ी होती तो श मद भैं वो सूिकेस ही उड़ रेने की कोई जुगत मबड़ ने क इय द कयती।’

वववेक ने है य नी से उसकी तयप दे ि ।

‘मस!’—वह फोरी—‘र इप इज र इक दै ि।’

‘िेत न के भ र की वजह से ही तभ
ु अऩने किमु के स थ सोकिी ज ने की जगह मह ॊ आमीॊ?’

‘ह !ॊ ’

‘अबी बी मह ॊ क्मों हो?’

‘क्मोंकक भैंने अऩने स धथमों को कह थ कक भैंने मह ॊ अऩनी ककसी सहे री के ऩ स टिकन थ औय मह कक भैं उन्हें फ्र इि
ऩय ही मभरूॊगी। अफ फीच भें सोकिी ज ने ऩय सव र होते कक सहे री क क्म हुआ?’

‘आई सी! फ्र इि कफ है तम्


ु ह यी?’

‘कर सुफह! कर सुफह तक इस फ्री फैग भें टिकन औय फ्रेंच व इन्स औय उम्द स्क च की जगह झ ॊग ऩीन भेयी भजफूयी
है …।’

एक एक वह ि भोश हो गमी।

वववेक ने नोि ककम कक वह उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यही थी। उसने तत्क र गदा न घुभ कय ऩीछे दे ि ।

उसके ऩीछे द भोदय िेत न िड़ थ औय अऩनी न क ऩय सद ववय जभ न क रे चश्भे भें से ऩ भेर को घूय यह थ ।

‘आज’—वववेक को ऩूयी तयह से नजयअन्द ज कयके वह ऩ भेर से सम्फोधधत हुआ—‘फहुत जकदी तपयीह शुयफ कय दी!’

‘फोय हो यही थी।’—ऩ भेर मॊू फोरी जैसी चोयी कयती ऩकड़ी गई हो।’

‘मे कोई शफात नहीॊ है । नश बी होत है इससे।’

‘भ रूभ है ।’
‘नहीॊ भ रूभ! भ रूभ होत तो तम्
ु हें मे बी अहस स होत कक नश तम्
ु हें हो बी चक
ु है ।’

‘ऐस बी है तो तम्
ु हें क्म ?’

‘भुझे है ।’

‘क्म है ?’

‘िद
ु सोचो! कोई फ त कहीॊ’—उसने एक उड़ती ननग ह वववेक ऩय ड री—‘कहने व री होती है , कोई फ त कहीॊ कहने व री
नहीॊ होती।’

‘िेत न स हफ’—ऩ भेर एक एक फड़ भ दक ब व से भुस्कय मी औय फोरी—‘फैठ ज ओ औय एनज म कयो। क्मों ि भि ह


फ त क फतॊगड़ फन यहे हो।’

‘मे ठीक कह यही है ।’—वववेक उठत हुआ फोर —‘तभ


ु फैठो। भैं तो ज ही यह थ ।’

उसने ऩ भेर क अमबव दन ककम औय वह ॊ से ऩये हि गम ।

द भोदय िेत न उसके द्व य ि री की गमी कुसी ऩय फैठ गम ।

वववेक ने आगे कदभ फढ म तो उसने सीटढमों की तयप से अचय मोसववधचत को वह ॊ ऩहुॊचते ऩ म दोनों की ननग हें मभरीॊ।
तत्क र अचय के चेहये ऩय भस्
ु कय हि आमी। उसने इश ये से वववेक को अऩने ऩ स फर
ु म।
‘क्म ?’

‘एक तो कोई डेढ भहीन ऩहरे टदकरी भें ऐसी एक फैंक डकैती ऩड़ी है जजसभें फ की भ र के स थ ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों की
सूयत भें ऩच स र ि के नोि बी थे।’

‘दस
ू यी फ त क्म है?’

‘दस
ू यी फ त मह है कक उसने नोिों को तम्
ु ह ये भ ध्मभ से चोयी से नेऩ र र ने क इन्तज भ ककम । नेऩ र भें इजन्डमन
कये न्सी चरती है । टहन्दोस्त नी न गरयक द्व य टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र र ने भें कोई ऩ फन्दी नहीॊ, मसपा कस्िभ ऩय उसे
डडक्रेमय कयन ऩड़त है । वो रुऩम डकैती क न होत तो द भोदय िेत न ही उसे शये आभ मह ॊ र सकत थ । तफ उसक
तम्
ु ह यी दो र ि की पीस बयन जरूयी न होत । रेककन रुऩम डकैती क थ , न मसपा डकैती क थ , ऐसे नोिों की सूयत भें
थ जो ट्रे स ककमे ज सकते थे। वो रुऩम िद
ु स थ र ने की कोमशश कयत तो करकत्ते भें ही ऩकड़ ज त । इसीमरए उसने
उसे मह ॊ ऩहुॊच ने के मरए तम्
ु हें प ॊस । अफ फोरो क्म कहती हो?’

वह कुछ ऺण ि भोश यही, कपय उसक मसय अऩने आऩ ही धीये धीये सहभनत भें टहरने रग ।

‘औय भेभ स हफ’—वववेक आगे फढ —‘इतने जोिभ के क भ की पीस बी तभ


ु ने कभ री है ।’

‘वो कैसे?’

‘चोयी क भ र ऩकड़व ने ऩय सयक य की तयप से दस प्रनतशत क इन भ मभरत है । उस यकभ को मह ॊ ढोने की जगह तभ



उसे ऩकड़व दे तीॊ तो तम्
ु हें फतौय इन भ ऩ ॊच र ि रुऩम मभरत , अफ दो र ि मभर है ।’

‘ऩ ॊच र ि मभरते मभरते मभरत , दो र ि भुझे एडव ॊस मभर । ऊऩय से अगय भैं िेत न को बी न ऩकड़व ऩ ती तो ऩत
नहीॊ वो भेय म भेये ऩरयव य की क्म गत फन त । औय सौ फ तों की एक फ त मे कक ऩहरे भुझे नहीॊ भ रूभ थ कक वो रुऩम
चेयी क थ ।’

‘फहयह र दो र ि रुऩमे की एडव ॊस पीस की एवज भें तभ


ु ने वो नोिों व र सि
ू केस करकत्त से मह ॊ क ठभ ण्डू ऩहुॊच म ?’

‘ह ॊ।’

‘तम्
ु हें भ रूभ तो थ न कक सूिकेस भें क्म थ ?’

‘भ रूभ थ । वो नहीॊ फत न च हत थ रेककन असमरमत ज ने बफन भैं वो सूिकेस ढोने को तैम य नहीॊ थी।’

‘आर धथग्ॊ स सैड एण्ड डन, रयस्क तभ


ु ने फहुत मरम ।’

‘कुछ सभ जी जजम्भेद रयम ॊ ऐसी होती हैं जजनको बुगत ने भें इससे बी फड़े रयस्क रेने ऩड़ ज ते हैं। भेयी जरूयत छोिी थी,
भैंने इतन ही ककम । भेयी जरूयत फड़ी होती तो श मद भैं तम्
ु ह य सुझ म ऩ ॊच र ि रुऩमे के इन भ व र य स्त अऩन ती।
औय फड़ी होती तो श मद भैं वो सूिकेस ही उड़ रेने की कोई जुगत मबड़ ने क इय द कयती।’

वववेक ने है य नी से उसकी तयप दे ि ।

‘मस!’—वह फोरी—‘र इप इज र इक दै ि।’

‘िेत न के भ र की वजह से ही तभ
ु अऩने किमु के स थ सोकिी ज ने की जगह मह ॊ आमीॊ?’

‘ह !ॊ ’

‘अबी बी मह ॊ क्मों हो?’

‘क्मोंकक भैंने अऩने स धथमों को कह थ कक भैंने मह ॊ अऩनी ककसी सहे री के ऩ स टिकन थ औय मह कक भैं उन्हें फ्र इि
ऩय ही मभरूॊगी। अफ फीच भें सोकिी ज ने ऩय सव र होते कक सहे री क क्म हुआ?’

‘आई सी! फ्र इि कफ है तम्


ु ह यी?’

‘कर सुफह! कर सुफह तक इस फ्री फैग भें टिकन औय फ्रेंच व इन्स औय उम्द स्क च की जगह झ ॊग ऩीन भेयी भजफूयी
है …।’

एक एक वह ि भोश हो गमी।

वववेक ने नोि ककम कक वह उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यही थी। उसने तत्क र गदा न घुभ कय ऩीछे दे ि ।

उसके ऩीछे द भोदय िेत न िड़ थ औय अऩनी न क ऩय सद ववय जभ न क रे चश्भे भें से ऩ भेर को घूय यह थ ।
‘आज’—वववेक को ऩूयी तयह से नजयअन्द ज कयके वह ऩ भेर से सम्फोधधत हुआ—‘फहुत जकदी तपयीह शुयफ कय दी!’

‘फोय हो यही थी।’—ऩ भेर मूॊ फोरी जैसी चोयी कयती ऩकड़ी गई हो।’

‘मे कोई शफात नहीॊ है । नश बी होत है इससे।’

‘भ रभ
ू है ।’

‘नहीॊ भ रूभ! भ रूभ होत तो तम्


ु हें मे बी अहस स होत कक नश तम्
ु हें हो बी चक
ु है ।’

‘ऐस बी है तो तम्
ु हें क्म ?’

‘भुझे है ।’

‘क्म है ?’

‘िद
ु सोचो! कोई फ त कहीॊ’—उसने एक उड़ती ननग ह वववेक ऩय ड री—‘कहने व री होती है , कोई फ त कहीॊ कहने व री
नहीॊ होती।’

‘िेत न स हफ’—ऩ भेर एक एक फड़ भ दक ब व से भुस्कय मी औय फोरी—‘फैठ ज ओ औय एनज म कयो। क्मों ि भि ह


फ त क फतॊगड़ फन यहे हो।’

‘मे ठीक कह यही है ।’—वववेक उठत हुआ फोर —‘तभ


ु फैठो। भैं तो ज ही यह थ ।’

उसने ऩ भेर क अमबव दन ककम औय वह ॊ से ऩये हि गम ।

द भोदय िेत न उसके द्व य ि री की गमी कुसी ऩय फैठ गम ।

वववेक ने आगे कदभ फढ म तो उसने सीटढमों की तयप से अचय मोसववधचत को वह ॊ ऩहुॊचते ऩ म दोनों की ननग हें मभरीॊ।
तत्क र अचय के चेहये ऩय भस्
ु कय हि आमी। उसने इश ये से वववेक को अऩने ऩ स फर
ु म।
रम्फे डग बयत हुआ वववेक उसके कयीफ ऩहुॊच ।

उसने दे ि वह नीरे यॊ ग की फेहद ि इि जीन, ि ॊगों की वऩॊडमरमों तक आने व रे क रे जूते, िर


ु े गरे क सपेद ब्र उज
औय जीन व रे कऩड़े की ही जैकेि ऩहने थी। उसके सुयभई फ र िरु े हुए थे औय उसके कन्धों ऩय रहय यहे थे। ऩोश क के
फ द जफ वववेक की उसके चेहये ऩय ननग ह ऩड़ी तो उसने ऩ म कक उसके चेहये ऩय धचन्त औय सोच के गहन ब व थे।

‘क्म फ त है ?’—वववेक फोर —‘फहुत उिड़े भड


ू भें हो।’

‘भैं तभ
ु से कुछ फ त कयन च हती हूॊ।’—वो फोरी।

‘श्मोय।’—वह एक ि री िे फर की तयप घूभ —‘आओ फैठ के फ त कयते हैं।’


‘मह ॊ नहीॊ।’

‘तो?’

‘अऩने कभये भें चरो।’

‘ऐसी क्म फ त है ?’

‘भ रूभ हो ज एगी।’

‘ठीक है । कभये भें चरते हैं।’

वे ग्र उण्ड फ्रोय ऩय ऩहुॊच।े

वववेक ने रयसैप्शन से अऩने कभये की च फी भुहैम की। वह अचय को अऩने कभये भें रे आम ।

‘फैठो।’—वववेक फोर ।

अचय ने फैठने क उऩिभ न ककम । वह फेचन


ै ी से कभये भें चहरकदभी कयने रगी। कुछ ऺण वही मसरमसर चर । कपय
एक एक वह वववेक के स भने टठठकी।

‘तो कपय’—वह फोरी—‘जव हय त के फ ये भें क्म सोच तभ


ु ने?’

‘अबी तो कुछ नहीॊ सोच ।’—वववेक फोर ।

‘मे ि रभिोर नहीॊ चरेगी, मभस्िय।’

‘भतरफ?’

‘जो सोचन है पौयन सोच ड रे वन …


ा ।’

‘वन ा क्म ?’

‘वन ा भैंने अऩन अगर कदभ सोच मरम है ।’

‘अच्छ ! क्म सोच तभ


ु ने?’

‘भैंने सोच है कक अफ इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कय रेने क वक्त आ गम है ।’

‘अच्छ !’

‘ह ॊ। िद
ु भुझे धोि दे ने की नीमत फन कय तभ
ु भुझसे मे उम्भीद नहीॊ कय सकते कक भैं चऩ
ु फैठी यहूॊगी। भैं तम्
ु हें ऐस कपि
करूॊगी कक तभु म द कयोगे।’
‘तभ
ु तो’—वववेक तननक ववनोदऩूणा स्वय भें फोर —‘भुझे धभकी दे यही हो।’

‘भैं तम्
ु हें व ननिंग दे यही हूॊ, वैसे तभ
ु इसे धभकी बी सभझो तो भुझे कोई एतय ज नहीॊ।’

‘तभ
ु क्म कयोगी? स यी, वो तो तभ
ु ने फत म कक तभ
ु इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कयोगी? क्म कहोगी
उसे?’

‘भैं उसे फत ऊॊगी कक ऩयसों य त भझ


ु े होतचन्द नी ने पोन ककम थ औय कह थ कक वो भझ
ु से पौयन मभरन च हत थ …’

‘मे सफ तभ
ु भुझे कर य त फत तो चक
ु ी हो।’

‘तम्
ु हें । इन्स्ऩेक्िय दे व को नहीॊ। अफ भैं उसे फत ऊॊगी कक फ रयश फन्द होने के फ द जफ भैं वह ॊ ऩहुॊची थी तो भैंने तम्ु हें
दौड़ते हुए होतचन्द नी के फॊगरे से फ हय ननकरते औय वह ॊ से कूच कयते दे ि थ । तम् ु हें मूॊ वह ॊ से पय य होते दे ि कय…’

‘पय य होते दे ि कय?’

‘…भेय भ थ ठनक थ । भुझे तबी ककसी अननष्ि की आशॊक होने रगी थी। भैं दौड़कय बीतय ऩहुॊची थी तो भैंने
होतचन्द नी को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ ऩ म थ । ऩहरे भैं मही सभझी थी कक वो भय चक
ु थ
रेककन कपय भैंने उसके एक ह थ भें हयकत दे िी थी। भैं दौड़कय उसके कयीफ ऩहुॊची थी औय घुिनों के फर उसके कयीफ फैठ
कय उसको न भ रेकय ऩुक यने रगी थी औय ऩूछने रगी थी कक क्म हुआ थ ! उसकी वो ह रत ककसने फन मी थी! भेयी
फ य फ य ऩक
ु य सन
ु ने ऩय उसभें तननक चेतन आमी थी। उसके होंठ पड़पड़ मे थे। भैं सभझ गमी थी कक वो कुछ कहने की
कोमशश कय यह थ । भैं औय आगे झुककय अऩन एक क न उसके पड़पड़ ते होंठों के कयीफ रे आमी थी। वो अऩनी आॊिें
नहीॊ िोर ऩ यह थ रेककन कुछ कहने क बीषण प्रमत्न कय यह थ । भैंने उससे कपय ऩूछ थ कक उसक वो ह र ककसने
ककम थ तो आखियक य फड़ी कटठन ई से वो कह ऩ म थ —‘ज र न ने…वववेक ज र न ने ककम थ ।’ कपय तबी उसके
प्र ण ऩिेरू उड़ गए थे।’

वववेक हक्क फक्क स उसक भॊह


ु दे िने रग ।

‘मे झूठ है ।’—कपय वह आवेशऩूणा स्वय भें फोर —‘तभ


ु ने िद
ु कह थ कक जफ तभ
ु वह ॊ ऩहुॊची थीॊ तो वो वह ॊ ऩहरे ही भय
ऩड़ थ ।’

‘भैंने ऐस कह थ ?’—वो फड़ी भ सूमभमत से फोरी।

‘ह ॊ।’
रम्फे डग बयत हुआ वववेक उसके कयीफ ऩहुॊच ।

उसने दे ि वह नीरे यॊ ग की फेहद ि इि जीन, ि ॊगों की वऩॊडमरमों तक आने व रे क रे जूते, िर


ु े गरे क सपेद ब्र उज
औय जीन व रे कऩड़े की ही जैकेि ऩहने थी। उसके सुयभई फ र िरु े हुए थे औय उसके कन्धों ऩय रहय यहे थे। ऩोश क के
फ द जफ वववेक की उसके चेहये ऩय ननग ह ऩड़ी तो उसने ऩ म कक उसके चेहये ऩय धचन्त औय सोच के गहन ब व थे।

‘क्म फ त है ?’—वववेक फोर —‘फहुत उिड़े भड


ू भें हो।’
‘भैं तभ
ु से कुछ फ त कयन च हती हूॊ।’—वो फोरी।

‘श्मोय।’—वह एक ि री िे फर की तयप घूभ —‘आओ फैठ के फ त कयते हैं।’

‘मह ॊ नहीॊ।’

‘तो?’

‘अऩने कभये भें चरो।’

‘ऐसी क्म फ त है ?’

‘भ रूभ हो ज एगी।’

‘ठीक है । कभये भें चरते हैं।’

वे ग्र उण्ड फ्रोय ऩय ऩहुॊच।े

वववेक ने रयसैप्शन से अऩने कभये की च फी भुहैम की। वह अचय को अऩने कभये भें रे आम ।

‘फैठो।’—वववेक फोर ।

अचय ने फैठने क उऩिभ न ककम । वह फेचन


ै ी से कभये भें चहरकदभी कयने रगी। कुछ ऺण वही मसरमसर चर । कपय
एक एक वह वववेक के स भने टठठकी।

‘तो कपय’—वह फोरी—‘जव हय त के फ ये भें क्म सोच तभ


ु ने?’

‘अबी तो कुछ नहीॊ सोच ।’—वववेक फोर ।

‘मे ि रभिोर नहीॊ चरेगी, मभस्िय।’

‘भतरफ?’

‘जो सोचन है पौयन सोच ड रे वन …


ा ।’

‘वन ा क्म ?’

‘वन ा भैंने अऩन अगर कदभ सोच मरम है ।’

‘अच्छ ! क्म सोच तभ


ु ने?’

‘भैंने सोच है कक अफ इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कय रेने क वक्त आ गम है ।’

‘अच्छ !’
‘ह ॊ। िद
ु भुझे धोि दे ने की नीमत फन कय तभ
ु भुझसे मे उम्भीद नहीॊ कय सकते कक भैं चऩ
ु फैठी यहूॊगी। भैं तम्
ु हें ऐस कपि
करूॊगी कक तभु म द कयोगे।’

‘तभ
ु तो’—वववेक तननक ववनोदऩूणा स्वय भें फोर —‘भुझे धभकी दे यही हो।’

‘भैं तम्
ु हें व ननिंग दे यही हूॊ, वैसे तभ
ु इसे धभकी बी सभझो तो भझ
ु े कोई एतय ज नहीॊ।’

‘तभ
ु क्म कयोगी? स यी, वो तो तभ
ु ने फत म कक तभ
ु इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कयोगी? क्म कहोगी
उसे?’

‘भैं उसे फत ऊॊगी कक ऩयसों य त भुझे होतचन्द नी ने पोन ककम थ औय कह थ कक वो भुझसे पौयन मभरन च हत थ …’

‘मे सफ तभ
ु भुझे कर य त फत तो चक
ु ी हो।’

‘तम्
ु हें । इन्स्ऩेक्िय दे व को नहीॊ। अफ भैं उसे फत ऊॊगी कक फ रयश फन्द होने के फ द जफ भैं वह ॊ ऩहुॊची थी तो भैंने तम्ु हें
दौड़ते हुए होतचन्द नी के फॊगरे से फ हय ननकरते औय वह ॊ से कूच कयते दे ि थ । तम् ु हें मूॊ वह ॊ से पय य होते दे ि कय…’

‘पय य होते दे ि कय?’

‘…भेय भ थ ठनक थ । भुझे तबी ककसी अननष्ि की आशॊक होने रगी थी। भैं दौड़कय बीतय ऩहुॊची थी तो भैंने
होतचन्द नी को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रढ
ु क ऩड़ ऩ म थ । ऩहरे भैं मही सभझी थी कक वो भय चक
ु थ
रेककन कपय भैंने उसके एक ह थ भें हयकत दे िी थी। भैं दौड़कय उसके कयीफ ऩहुॊची थी औय घुिनों के फर उसके कयीफ फैठ
कय उसको न भ रेकय ऩुक यने रगी थी औय ऩूछने रगी थी कक क्म हुआ थ ! उसकी वो ह रत ककसने फन मी थी! भेयी
फ य फ य ऩुक य सुनने ऩय उसभें तननक चेतन आमी थी। उसके होंठ पड़पड़ मे थे। भैं सभझ गमी थी कक वो कुछ कहने की
कोमशश कय यह थ । भैं औय आगे झुककय अऩन एक क न उसके पड़पड़ ते होंठों के कयीफ रे आमी थी। वो अऩनी आॊिें
नहीॊ िोर ऩ यह थ रेककन कुछ कहने क बीषण प्रमत्न कय यह थ । भैंने उससे कपय ऩछ
ू थ कक उसक वो ह र ककसने
ककम थ तो आखियक य फड़ी कटठन ई से वो कह ऩ म थ —‘ज र न ने…वववेक ज र न ने ककम थ ।’ कपय तबी उसके
प्र ण ऩिेरू उड़ गए थे।’

वववेक हक्क फक्क स उसक भुॊह दे िने रग ।

‘मे झूठ है ।’—कपय वह आवेशऩूणा स्वय भें फोर —‘तभ


ु ने िद
ु कह थ कक जफ तभ
ु वह ॊ ऩहुॊची थीॊ तो वो वह ॊ ऩहरे ही भय
ऩड़ थ ।’

‘भैंने ऐस कह थ ?’—वो फड़ी भ सूमभमत से फोरी।

‘ह ॊ।’
‘कफ? कह ? ककसे?’

‘कर य त। महीॊ इसी कभये भें । भझ


ु ।े ’
‘अच्छ !’

‘ओह! म नी कक तभ
ु ऐस कह होने से भुकय ज ओगी!’

‘क्म फहुत भुजश्कर क भ होग मे?’

‘तो मे इय दे हैं तम्


ु ह ये!’

‘ह ॊ मह सच है कक भेये वह ॊ ऩहुॊचने ऩय वो वह ॊ भय ऩड़ थ रेककन भैं मही कहूॊगी कक वो तफ जजन्द थ औय भेये स भने
अऩने हत्म ये क —म नी कक तम् ु ह य —न भ रेकय भय थ । मे फ त च हे भैंने गढी है रेककन मे सच बी हो सकती है । तभ
ु ने
सच ही होतचन्द नी क कत्र ककम हो सकत है । वन ा ऐन व यद त के वक्त तभ
ु वह ॊ भौजूद कैसे थे? तभ
ु वह ॊ से ब गे
क्मों? ब गे तो रौिकय क्मों आमे? इसीमरए न कक मे सभझ ज मे कक तम्
ु ह य दस
ू य पेय ही ऩहर पेय थ औय ऩहरे पेये
की तयप ककसी क ध्म न तक न ज मे। ऩहरी फ य तभ
ु भुझे न टदि ई दे गए होते तो तम्
ु ह यी मे फ त चर बी ज ती।
मभस्िय वववेक ज र न, मकीन ज नो जफ भैं पुर ड्र भेटिक्स के स थ अऩन मे दशान इन्स्ऩेक्िय दे व के स भने ऩेश करूॊगी
तो वो गोरी की तयह भेयी जुफ न से ननकरे एक एक अऺय ऩय मकीन कय रेग । क्म सभझे?’

उत्तय दे ने के स्थ न ऩय वह नवास ब व से एक मसगये ि सुरग ने रग । वो ज नत थ कक वो औयत गरत नहीॊ कह यही थी।
वो न मसपा अऩनी धभकी ऩय ियी उतय सकती थी फजकक सच भें ही ऩुमरस क ववश्व स जीत कय टदि सकती थी। वो एक
िफ
ू ि ई िेरी औयत थी, अऩनी बर ई से अहभ भसर जजसके स भने दस
ू य कोई नहीॊ थ । वो वक्त की यफ्त य के स थ
अऩने प मदे के भद्देनजय यि कय कैस बी रुि अजख्तम य कय सकती थी। होतचन्द नी की भौत के स थ तकदीय से ह य
भ न कय चऩ
ु च ऩ फैठ ज ने व री ककस्भ की औयत वो नहीॊ थी। उस वक्त उसक इकरौत रक्ष्म जव हय त ह मसर कयन
भ रूभ होत थ । औय अऩने इस रक्ष्म तक ऩहुॊचने के मरए वो ककसी को बी यौंदती हुई गुजय सकती थी। वववेक के खिर प
जो कह नी उसने गढी थी, एक तो उसी भें दभ थ दसू ये कह नी कहने की उसकी व्मजक्तगत क फमरमत उसभें च य च ॊद
रग दे ती। एकफ यगी तो इन्स्ऩेक्िय दे वी मकीनन उसक ववश्व स कय रेत । नतीजतन वह ॊ ऩयदे श भें वववेक कत्र के
इरज भ भें धगयफ्त य हो ज त तो कपय कोई करयश्भ ही उसे फच ऩ त ।

उसकी ननग ह स्वमॊभेव ही खिड़की से फ हय चभेरी के झ ड़ की तयप उठ गई। फड़ी कटठन ई से उसने उधय से गदा न कपय ई।

अफ तक वह फ त ि र यह थ रेककन अफ तयु न्त कोई ननणाम रेन आवश्मम्ब वी हो गम थ ।

अचय क नम वक्तव्म हथौड़े की तयह उसके जेहन भें फज यह थ ।

कपय एक एक उसे एक नमी फ त सूझी जजसकी रूह भें अऩन अगर कदभ ननध ारयत कयन उसके मरए आस न हो गम ।

‘पजा कयो भैं तम्


ु हें जव हय त सौंऩ दे त हूॊ।’—वह सन्तमु रत स्वय भें फोर —‘उसके फ द बी तभ
ु अऩनी इस नमी कह नी के
स थ ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ऩहुॊच ज ओगी, इसकी क्म ग यण्िी है ?’

‘कपय बर क्मों ज ऊॊगी भैं ऩुमरस के ऩ स?’—वह फोरी—भ ई डडमय ज र न, भेय मभशन जव हय त ह मसर कयन है न कक
फदर रेन ।’

‘हूॊ।’
‘एक फ य जव हय त ह मसर हो ज ने के फ द कपय भेय तभ
ु से क्म रेन दे न फ की यह ज एग ? तफ भेये स भने अहभतयीन
भसर मह होग कक एक फ य भ र ह थ भें आ ज ने के फ द वो कपय न ननकर ज मे भेये ह थ से। जव हय त भुझे सौंऩ चक
ु ने
के फ द हभ दोनों ही तबी ननजश्चन्त हो सकेंगे जफ कक तभ ु फ त को आई गई हुई भ न कय ि भोश फैठ ज ओगे। रेककन
अगय तभ ु जुफ न िोरेगे तो कपय भैं बी भुॊह प ड़ूग
ॊ ी। तम्
ु ह य ककसी को मे फत ने की कोमशश कयने ऩय कक जव हय त तभ
ु ने
भझ
ु े टदए हैं, भैं बी होतचन्द नी की ड ईंग डडक्रेमये शन व री स्िोयी के स थ ऩमु रस के ऩ स ज सकती हूॊ। क्म सभझे?’

‘वही जो तभ
ु ने सभझ म ।’

‘तो कपय क्म जव फ है तम्


ु ह य ?’

‘भेय जव फ वही है जो तभ
ु च हती हो।’

‘म नी कक तभ
ु जव हय त भझ
ु े सौंऩने को तैम य हो?’

‘ह ॊ।

‘वैयी गुड। ननक रो।’

‘अबी कह ॊ से ननक र?
ूॊ ’

‘क्म भतरफ?’

‘अबी मे क भ भुभककन नहीॊ। तम्


ु हें अॊधेय होने तक इन्तज य कयन होग ।’

‘वो ककस मरए?’

‘जव हय त भैंने वह ॊ फ हय’—उसने खिड़ककमों की तयप इश य ककम —‘फगीचे भें दपन मे हुए हैं। टदन दह ड़े भैं फगीचे की
जभीन िोदनी शुरू नहीॊ कय सकत ।’

वह सोचने रगी। जव हय त के वहीॊ फगीचे भें दफ्न होने के ख्म र से उसकी आॊिों भें जो चभक ऩैद हुई थी वो वववेक से
छुऩी नहीॊ यही थी। कपय उसने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘अन्धेय होने दो।’—वववेक फोर —‘भैं जव हय त वह ॊ से ननक र कय तम्


ु ह ये ऩ स ऩहुॊच दॊ ग
ू ।’

‘कफ?’—वह व्मग्रब व से फोरी।

‘फड़ी हद दस फजे तक। दस फजे जव हय त क सीरफन्द मरप प जस क तस भैं तम्


ु ह ये फ्रैि ऩय ऩहुॊच दॊ ग
ू ।’

‘दस फजे ठीक है रेककन भेये फ्रैि ऩय नहीॊ।’

‘तो कह ॊ?’

‘कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे ऩय।’


‘इस भ भरे भें वो बी तम्
ु ह य जोड़ीद य है ?’

‘हो सकत है । तम्


ु हें कोई एतय ज है ?’

‘भुझे क्म एतय ज होग !’

‘तम्
ु हें कोई पका ऩड़त है ?’

‘भुझे क्म पका ऩड़त है!’

‘तो कपय?’

‘कैप्िन के फ ये भें कपय बी एक सव र भैं तभ


ु से कयन च हत हूॊ।’
‘क्म ?’

‘तभ
ु ने कबी सोच है कक जजससे तम्
ु ह यी जग
ु रफन्दी है वही हत्म य हो सकत है !’

‘तम्
ु ह य भतरफ है कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन ने होतचॊद नी क कत्र ककम हो सकत है ।’

‘क्म नहीॊ हो सकत ?’

‘होने को तो इस नश्वय सॊस य भें कुछ बी हो सकत है । रेककन भुझे मकीन नहीॊ कक कत्र कैप्िन ने ककम होग ।’

‘उसकी कई हयकतें उसके अऩय धी होने की तयप इश य कयती हैं।’

‘उसके ऩ स कत्र क उद्देश्म थ , भैं भ नती हूॊ रेककन हयकत उसकी ऐसी कोई नहीॊ है जो उसके क नतर होने की तयप
इश य कयती हो।’

‘क्मों नहीॊ है?’—मह ॊ वववेक ने ब्रप क सह य मरम —‘भसरन उसने िद


ु कफूर ककम थ कक उसने अऩने सीरफन्द
मरप पे की ि नतय होतचन्द नी की भेज के दय ज की तर शी री थी।’

‘कैप्िन ने ऐस कफूर ककम थ !’—वह सजन्दग्ध ब व से फोरी।

‘ह ॊ।’

‘कफ?’

‘आज ही। जफ वो तम्


ु ह ये हुक्भ के भुत बफक भेये कभये की तर शी रेने आम थ ।’

‘ओह!’

‘वो घिन स्थर ऩय भौजूद हुए बफन होतचन्द नी के क गज त कैसे िॊग र सकत थ ? वो वह ॊ गम थ । उसकी िोमि क य
भैंने िद
ु अऩनी आॊिों से वह ॊ फॊगरे के कयीफ एक ऩेड़ के ऩीछे छुऩी िड़ी दे िी थी। तम्
ु हें तो’—वववेक स वध न स्वय भें
फोरी—‘मे सफ भ रूभ होग ।’

‘भुझे भ रूभ है । उसने िद


ु फत म थ भुझ।े ’

गुड़।—वववेक भन ही भन फोर ।

‘रेककन उसने जो कुछ ककम थ तम्


ु ह ये फॊगरे से कुछ कयने के फ द ककम थ । अगय फॊगरे भें आभद के वक्त होतचन्द नी
भय ऩड़ थ तो तम्
ु ह ये फ द घिन स्थर ऩय ऩहुॊच कैप्िन क नतर कैसे हो सकत है ?’

‘मूॊ तो नहीॊ हो सकत रेककन ऐस कुछ हुआ हो सकत है जो उसने तभ


ु से बी छुऩ कय यि हो सकत है ।’

‘क्म ?’

‘उसने बी भेयी तयह होतचन्द नी के फॊगरे भें दो पेये रगे हो सकते हैं।’

वह कुछ ऺण सोचती यही, कपय उसने र ऩयव ही से कन्धे झिक ए औय फोरी—‘अगय क नतर वो है तो बी भझ
ु े क्म । भैंने
क्म कैप्िन को अऩनी जजन्दगी क ऩि मरिकय टदम हुआ है ? मभस्िय, भौजूद ह र त भें उन जव हय त से ज्म द अहभ
चीज भेये मरए कोई नहीॊ। उनकी ि नतय भैं ककसी को बी धत फत सकती हूॊ।’

‘ऐसी फ त है तो भुझे कैप्िन के फॊगरे ऩय क्मों फुर यही हो?’

‘क्मोंकक भेये फ्रैि के भक


ु फरे भें वह ॊ ज्म द प्र इवेसी है ।’

‘कपय बी उस शख्स की भौजूदगी भें…’

‘अफ छोड़ो वो ककस्स । कैप्िन की फ फत तम्


ु हें हरक भ होने की जरूयत नहीॊ। वो भैं ज नूॊ म वो ज ने। तभ
ु अऩन क भ
कयो।’

‘ठीक है । भजी तम्


ु ह यी।’

‘तो कपय दस फजे तभ


ु जव हय त के स थ कैप्िन के फॊगरे ऩय ऩहुॊच यहे हो?’

‘ह ॊ।’

‘अकेरे आन ।’

‘अकेरे आऊॊग ।’

‘औय कोई होमशम यी टदि ने की कोमशश न कयन ।’

‘भेय ऐस कोई इय द नहीॊ।’

‘भैं ज ती हूॊ। दस फजे। कैप्िन के फॊगरे ऩय। जव हय त के स थ। म द यिन ।’


वववेक को सहभनत भें मसय टहर त छोड़कय वो वह ॊ से ववद हो गई।

ऩीछे अत्मन्त धचजन्तत ब व से वववेक ने एक नम मसगये ि सुरग म औय ऩरॊग ऩय ढे य हो गम ।

उसने घड़ी ऩय दृजष्िऩ त ककम तो ऩ म कक ऩ ॊच फजने को थे।

औय जो ऩ ॊच घॊिे फ की थे, उनभें जव हय त िोदकय ननक रने के अर व बी अबी उसने कई क भ कयने थे।

श्वेत श ह उस योज की ि इऩशुद धचटिमों को उनके मरप पों भें ड रकय उनके डडस्ऩैच की तैम यी कय यही थी जफकक
इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व ने बीतय कदभ यि ।

श्वेत ने मसय उठ म ।

‘हकरो!’—इन्स्ऩेक्िय दे व भुस्कय त हुआ फोर —‘वकीर स हफ हैं?’

‘ह ’ॊ —श्वेत फोरी—हैं।’

‘भैं उनसे मभर सकत हूॊ?’

‘क्मों नहीॊ।’—श्वेत उठती हुई फोरी—‘जरूय। भैं अबी उन्हें िफय कयती हूॊ।’

वह फीच के दयव जे ऩय गई। उसने दयव ज िोरकय अऩने एम्ऩर मय भछे न्द्रन थ य ण के ननजी कऺ भें झ ॊक औय उसे
वहीॊ से इन्स्ऩेक्िय दे व के आगभन की सच
ू न दी।

य ण तत्क र अऩनी कुसी से उठ । वह रऩककय फ हयी आकपस भें ऩहुॊच ।


‘आइए। आइए, इन्सऩेक्िय स हफ।’—वह आगे फढ कय उससे ह थ मभर त हुआ फोर —‘वैरकभ। वैरकभ।’

इन्स्ऩेक्िय दे व आगे फढ । य ण ने उसे ऩहरे अऩने ननजी कऺ भें प्रववष्ि होने टदम औय कपय दयव ज फन्द कयत हुआ
आगे फढ ।

श्वेत ने दे ि उस फ य बी दयव ज ऩयू ी तयह चौिि से नहीॊ ज रग थ । दयव जे औय चौिि के फीच भें एक ऩतरी-सी
खझयी यह गई थी।

उसने दयव जे की तयप से ननग ह हि री औय फड़े ननववाक य ब व से कपय धचटिमों को भोड़ भोड़कय उनके मरप पों भें
ड रने रगी।

उस वक्त ऩौने ऩ ॊच फजने को थे।

म नी कक औय कुछ मभनिों भें उसकी छुट्टी होने व री थी।

बीतय इन्स्ऩेक्िय दे व औय य ण के फीच व त ार ऩ चर यह थ जजसक कोई इक्क -दक्


ु क शब्द उसके क न भें ऩड़ ज त
थ रेककन न व त ार ऩ क ववषम उसकी सभझ भें आ यह थ औय न वह उसको सभझने की कोई कोमशश कय यही थी।
उस वक्त उसक ध्म न ऩूयी तयह से अऩने क भ भें थ ।
सफ मरप पे फन्द हो गए तो उसने उन ऩय टिकिें रग नी आयम्ब कीॊ।

एक एक उसके क न भें ज र न क न भ ऩड़ ।

उसके क न िड़े हो गए। बीतय इन्स्ऩेक्िय ने म य ण ने वववेक क न भ मरम थ । अफ उसे उत्सुकत होने रगी कक वह
न भ ककस ववषम भें मरम गम थ ।

फहुत क न िड़े कयके सन


ु ने की कोमशश कयने के फ वजद
ू उसे बीतय से आती कोई कोई आव ज ही सन
ु ई दे यही थी, कह
क्म ज यह थ , मे उसके ऩकरे नहीॊ ऩड़ यह थ ।

कपय उसे रग कक इन्स्ऩेक्िय जव हय त के फ ये भें कुछ कह यह थ ।

अगर शब्द उसे ‘एस्िे ि’ सुन ई टदम ।

कपय दोनों भें से एक ने कपय वववेक क न भ मरम ।

अफ श्वेत स्वमॊ ऩय क फू न यि ऩ मी औय उसने वो क भ ककम , स ध यण जस्थनत भें जजसे वह कबी न कयती।

वह रऩक कय फीच के दयव जे के ऩ स ऩहुॊची औय खझयी के कयीफ क न रे ज कय बीतय चर यह व त ार ऩ सुनने की


कोमशश कयने रगी।

जस्थनत उसे स ध यण जो नहीॊ रग यही थी।

अफ बीतय से आती आव जें उसे स प सुन ई दे यही थीॊ।

‘जव हय त की फ फत आऩसे सव र कयन जरूयी थ ।’—इन्स्ऩेक्िय दे व कह यह थ —‘वैसे भुझे ऩूय मकीन थ कक अगय
आऩको जव हय त की कोई िफय होगी तो आऩ वो िफय तत्क र ऩुमरस तक ऩहुॊच एॊगे।’

‘वो तो भेय पजा है ।’—य ण फोर ।

‘भझ
ु े िश
ु ी है कक आऩ अऩन पजा सभझते हैं। आखिय आऩ वकीर हैं।’
‘भुझे जव हय त की कोई िफय नहीॊ। कतई कोई िफय नहीॊ।’

‘ओह!’

‘आऩ जव हय त को फहुत अहमभमत दे यहे हैं। जरूय आऩ सभझते हैं कक वो जव हय त ही होतचन्द नी के कत्र के यहस्म ऩय
से ऩद ा उठ सकते हैं।’

‘जव हय त नहीॊ, फजकक वो शख्स जजसके ऩ स से कक जव हय त फय भद होंगे।’

‘भेय वो ही भतरफ थ ।’

‘वो जव हय त मकीनन स ये यहस्म की कॊु जी स बफत हो सकते हैं। होतचन्द नी के कत्र के सन्दबा भें जजस एक इकरौती
फ त क सफसे ज्म द चच ा है, वो उन जव हय त की चोयी ही है । जव हय त के अजस्तत्व की िफय फहुत रोगों को है , रेककन
अगय भयने व रे के औय उसके घय के नौकय के न भों ऩय ववच य न ककम ज ए तो फ की दो ही औय जने फचते हैं जजन्होंने
कक जव हय त को हकीकत भें दे ि ऩयि थ औय जजन्हें भ रूभ थ कक वे जव हय त एक सीरफन्द मरप पे भें होतचन्द नी
की िे फर की सेप भें भौजूद थे।’

‘द भोदय िेत न औय वववेक ज र न!’

‘ह ॊ।’ उन जव हय त की तर श भें हभने ऩयसों य त ही वववेक ज र न के होिर के कभये की तर शी री थी रेककन जव हय त


वह ॊ से फय भद नहीॊ हुए थे।’

‘होिर के कभये भें ऐसी कोई जगह नहीॊ होती जह ॊ कक कोई चीज छुऩ ई ज सके। कोई भूिा ही होग जो कक ऐसी कोमशश
कये ग ।’

‘ज टहय है कक वववेक ज र न ऐस भि
ू ा नहीॊ।’

‘हयधगज बी नहीॊ। वो फहुत होमशम य छोकय है । वो जव हय त को कभये भें छुऩ ने की फेवकूपी कयने व र शख्स नहीॊ।
जव हय त अगय उसके ऩ स होते तो मकीनन उसने उन्हें होिर के अऩने कभये से फ हय कहीॊ छुऩ म होत । मे फ त तो
आऩको बी सूझी होगी।’

‘क्म भतरफ?’

‘दे खिए न, जैस कक भुझे भ रूभ हुआ है , वो जव हय त शनीर की दो थैमरमों भें थे। औय वो दोनों थैमरम ॊ एक भजफूत
सीरफन्द मरप ऩे भें फन्द थीॊ।’

‘तो?’

‘अफ ऐसे मरप पे को अगय जभीन िोदकय कहीॊ दपन टदम ज ए तो बीतय भौजद
ू जव य त क क्म बफगड़ ज एग ?
किस्िर होिर भें कई जगह हैं जह ॊ कक वो मरप प फिफ
ू ी दपन म ज सकत है । वह ॊ ग्र उण्ड फ्रोय के तो तकयीफन
कभयों की खिड़ककम ॊ छोिे भोिे फगीचों भें िर
ु ती हैं। कपय वह ॊ ऩेड़े ऩौधों औय झ डड़मों की बी कभी नहीॊ।’

श्वेत के छक्के छूि गए। उसके एम्ऩर मय ने जव हय त की कब् की सही जगह इन्स्ऩेक्िय को सुझ ने भें कोई कसय नहीॊ
छोड़ी थी। उसे तो मे बी शक हुय् कक य ण को असर भें ही भ रूभ थ कक जव हय त कह ॊ दफ्न थे औय अफ वो इश यों भें
इन्स्ऩेक्िय को उसकी ज नक यी दे यह थ । वह बगव न ऩशऩ ु नतन थ से प्र थान कयने रगी कक इन्स्ऩेक्िय उसकी फ तों को
गम्बीयत से न रे।

रेककन ऐस न हुआ।

‘भेये अऩने जेहन भें बी ऐस कुछ थ ।’—उसे इन्स्ऩेक्िय दे व कहत सुन ई टदम —‘सच ऩूनछमए तो भैं भहकभे भें च य ऩ ॊच
आदमभमों की एक िीभ तैम य कयने की सोच यह थ जोकक फहुत ि भोशी से, फहुत कीयीकी से होिर किस्िर के र ॊस
वगैयह को—ि स तौय से वववेक ज र न के कभये की खिड़ककमों के फ हय के फगीचों की ओय खिड़ककमों के नीचे उगी
झ डड़मों वगैयह को—ििोरे। ऐसी ही ऩड़त र भैं द भोदय िेत न के कभये के फ हय के इर के की कय न च हत हूॊ। अगय
आज य त तक तव हय त न फय भद हुए तो…’

तबी बीतय से एक कुसी ऩीछे सयक ए ज ने की आव ज हुई। श मद इन्स्ऩेक्िय वह ॊ से रुख्सत होने के मरए उठ िड़ हुआ
थ।
श्वेत दयव जे के ऩ स से हिी औय रऩककय व वऩस अऩनी सीि ऩय ऩहुॊच गई। आनन-प नन उसने मरप पों ऩय टिकिें
रग ने क अऩन अधयू छोड़ क भ कपय कयन शरू ु कय टदम ।

फीच क दयव ज िर
ु ।

श्वेत ने मसय न उठ म ।

कपय फ हयव र दयव ज िर ु कय फन्द हुआ रेककन श्वेत ने तफ बी मसय न उठ म । रेककन मसय उठ मे बफन बी वह
ज नती थी कक इन्स्ऩेक्िय दे व वह ॊ से ववद हो चक
ु थ औय उसे ववद कयने के मरए फीच के दयव जे तक आम उसक
एम्ऩर मय बी व वऩस अऩने कऺ भें ज चक
ु थ।

श्वेत उस घड़ी ऊऩय से श न्त टदि ई दे यही थी रेककन बीतय से फहुत आन्दोमरत थी। उस घड़ी उसे वववेक औय उसके
होिर के कभये की खिड़की के अर व कुछ नहीॊ सूझ यह थ । ऩुमरस ने अगरी सुफह मकीनी तौय ऩय वह ॊ से जव हय त
फय भद कय रेने थे। कपय वववेक जव फदे ही होती कक जव हय त ऐन उसी की खिड़की के नीचे कैसे दपन थे औय उसके फ द
ऩमु रस क अगर कदभ उसकी धगयफ्त यी होत । उस जस्थनत से फच व क एक ही तयीक थ कक अगरी सफ
ु ह जफ ऩमु रस
की सचा ऩ िी चभेरी के झ ड़ भें ह थ ड रे तो जव हय त व र मरप प वह ॊ न हो।

बम औय उत्कण्ठ के उस भूड भें उसकी अन्तप्रेयण ने उसे सुझ म कक उसे क्म कयन च टहमे थ ।

भौजूद ह र त भें वववेक को ऩुमरस इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व के इय दों की िफय कय दे न औय उसे जव हय त को वह ॊ से


ग मफ कय दे ने को कहन ही क पी नहीॊ थ । वो जव हय त को वह ॊ से िोद कय ननक रत ऩकड़ ज सकत थ । वो उसे
ककसी दस
ू यी जगह टठक ने रग ने की कोमशश कयत ऩकड़ ज सकत थ । एक फ य ऐस ही ज ने ऩय वह हयधगज बी
ऩुमरस को अऩनी फेगुन ही क मकीन नहीॊ टदर सकत थ । रेककन अगय मही क भ वह िद
ु कयती तो वववेक को कोई
ितय नहीॊ थ ।

वववेक के मरए उसके रृदम भें रहय ते प्म य के अथ ह स गय ने उसे प्रेरयत ककम कक क्मों न जव हय त को उनके गुप्त
स्थ न से िोद ननक रने क क भ वह कये । उस क भ को वह फिफ
ू ी कय सकती थी। आखिय उसे भ रभ
ू थ कक जव हय त
क मरप प ऐन कौन सी जगह दफ्न थ ।

मह ॊ अफ उसके स भने एक दस
ू य सव र भुॊह फ मे आन िड़ हुआ।

जव हय त चभेरी के झ ड़ से िोद ननक रने के फ द…उसके फ द वह क्म कये गी उनक ? उन्हें अऩने ऩ स यिे यहन
ितयन क स बफत हो सकत थ औय ऐस कोई बयोसे क न भ उसे सूझ नहीॊ यह थ जजसे कक वो जव हय त फतौय अभ नत
यिने को कह ऩ ती। मह बी सम्बव नहीॊ थ कक वह जव हय त के स थ ऩमु रस स्िे शन ज ती औय कहती कक वो उसने कहीॊ
ऩड़े ऩ मे थे।

रेककन मही क भ गुभन भ तयीके से बी तो ककम ज सकत थ !


कोई ऐसी तयकीफ बी तो हो सकती थी कक जव हय त ऩुमरस के ऩ स ऩहुॊच ज ते रेककन उसक न भ फीच भें न आत ।

वो सोचने रगी।

नतीजतन उसे जो तयकीफ सूझी वो िद ु उसे फहुत चभत्कृत कय दे ने व री रगी औय उसने भहसूस ककम कक उस तयकीफ
से ककसी को कोई नक
ु स न बी ऩहुॊचने व र नहीॊ थ ।

मसव म िद
ु उसको।

रेककन वववेक की ि नतय तो वो कोई बी ितय भोर रेने को तैम य थी।

वह फड़े ननण ामक ब व से उठ कय िड़ी हुई औय दृढत से चरती हुई अऩने एम्ऩर मय के आकपस भें ऩहुॊची।

य ण ने मसय उठ कय उसकी तयप दे ि ।

‘भैं आऩ से एक मभनि फ त कयन च हती थी।’—वह अऩने स्वय को बयसक सन्तमु रत यिती हुई नेऩ री भें फोरी।

‘कोई ि स फ त?’—य ण फोर ।

‘जी ह ॊ।’

‘फैठो।’

‘शकु िम ।’

‘फोरो, क्म कहन च हती हो?’

‘भैं आऩके क्र मन्ि के चोयी चरे गमे हुए जव हय त के फ ये भें आऩसे एक सव र कयन च हती थी।’

‘होतचन्द नी के जव हय त के फ ये भें?’

‘जी ह ॊ।’

‘क्म ? क्म सव र कयन च हती हो?’

‘अगय वो जव हय त आऩके ह थ रग ज में तो आऩ उनक क्म कयें ग?


े ’

‘भैं क्म करूॊग ?’

‘ह ॊ। क्म आऩ उन्हें ऩमु रस को सौंऩ दें गे?’

‘रेककन जव हय त भेये ह थ रग कैसे ज मेंग?


े ’
‘पजा कीजजमे कक ऐस हो ज त है ।’

‘पजा बी वो फ त की ज ती जजसके हो ज ने की कोई सम्ब वन हो।’

‘पजा कीजजमे कक ऐसी सम्ब वन है ।’

‘फड़ी अजीफ फ तें कय यही हो।’

श्वेत ि भोश यही।

‘तो तभ
ु सभझती हो कक वो जव हय त भेये ह थ रग सकते हैं?’

‘भुझे नहीॊ ऩत ।’

‘क्म ? रेककन अबी तो तभ


ु ने कह कक…’

‘य ण स हफ, भैंने कह थ कक अगय…अगय वो जव हय त आऩके ह थ रग ज में तो क्म आऩ उन्हें ऩमु रस को सौंऩ दें गे?’

‘तभ
ु तो भुझे उरझन भें ड र यही हो। जय फ त को ठीक से सभझ ओ।’

‘भैं कोमशश कयती हूॊ। पजा कीजजमे वो चोय, जजसे ऩ स कक जव हय त हैं, एक एक बमबीत होने रगत है कक जव हय त के
उसके कब्जे भें होने की ऩुमरस को िफय रग ज मेगी।’

‘ठीक है । चोय को ऐस बम सत सकत है ।’

‘बम की अऩनी उस ह रत भें उसकी मे ख्व टहश हो सकती है कक ऩुमरस के चॊगुर भें पॊसने से ऩहरे वो जव हय त से अऩन
ऩीछ छुड़ रे!’

‘हो सकती है ।’
‘रेककन ऩीछ छुड़ मेग कैसे वो? इतने कीभती भ र को मॊू ही सड़क ऩय तो पेंक नहीॊ दे ग वो? जरूय उसकी मे कोमशश
होगी कक वो उन्हें ककसी ऐसी जगह छोड़े जह ॊ से कक वो ककसी सही आदभी के ह थ रग सकें।’

य ण ने अऩने फ ईपोककस भें से श्वेत को घूय ।

‘कहीॊ तभ
ु ’—कपय वह फोर —‘घुभ कपय कय मे कहने की कोमशश तो नहीॊ कय यही हो कक जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं।’

‘नहीॊ, नहीॊ।’—श्वेत तत्क र फोरी—‘ऐस बर कैसे हो सकत है । जव हय त के भेये ऩ स होने क क्म भतरफ?’

‘तम्
ु हें मे भ रभ
ू बी नहीॊ कक जव हय त ककस के ऩ स हैं?’

‘नहीॊ।’

‘म कह ॊ हैं?’
‘न।’

‘म नी कक’—य ण के स्वय भें तननक व्मॊग्म क ऩुि आ गम —‘हय फ त पजा ही कयनी है ।’

‘मही सभझ रीजजमे।’

‘तम्
ु ह ये जेहन भें ऐस कोई ि स जगह है जह ॊ से कक वे जव हय त भेये ह थ रग सकते हैं?’

‘ऐसी कोई ि स जगह तो भेये जेहन भें नहीॊ है रेककन पजा कीजजमे कक…’

‘कपय पजा करूॊ?’

‘ह ॊ। पजा कीजजमे कक अबी मह ॊ से छुट्टी कय के चरे ज ने के फ द आऩ ककसी क भ से य त को ककसी सभम जफ कपय मह ॊ


व वऩस रौिते हैं तो जव हय त आऩको मह ॊ अऩनी भेज ऩय ऩड़े मभरते हैं। तफ क्म आऩ जव हय त की मूॊ फय भदी की िफय
ऩमु रस को कयें ग?
े ’

वह कपय श्वेत को घूयने रग ।

‘जव फ दीजजमे, य ण स हफ।’—श्वेत उत वरे स्वय भें फोरी।’

‘भुन मसफ क भ तो मही होग ।’—य ण सोचत हुआ फोर —‘रेककन इसभें एक बेद है ।’

‘क्म ?’

‘भैं ऩुमरस को कैसे मकीन टदर ऩ ऊॊग कक जव हय त भुझे म,ूॊ इतने करयश्भ स ज तयीके से, मह ॊ भेयी आकपस िे फर ऩय
ऩड़े मभरे थे! भेये कह दे ने बय से ही ऩुमरस को भेयी फ त ऩय मकीन थोड़े ही हो ज मेग । इस फ फत सौ सव र ऩूछे ज मेंगे
भेये से। सफ से अहभ सव र तो मे ही होग कक जव हय त को मह ॊ छोड़ ज ने की नीमत से कोई भेये फन्द हो चक
ु े आकपस भें
घुस कैसे ऩ म ? तफ भुझे ऩुमरस को मे बी तो फत न होग कक एक दस
ू ये चोय की वऩछरी फ य की मह ॊ आभद के फ द से भैं
मह ॊ क त र फदरव चक ु हूॊ औय नमे त रे की केवर दो ही च बफम ॊ उऩरब्ध हैं जजन भें से एक तम्
ु ह ये ऩ स है औय दस
ू यी
भेये ऩ स है । तभ
ु क्म च होगी कक ऩुमरस मे सभझे कक वो जव य त मह ॊ तभु ने छोड़े?’

‘नहीॊ, नहीॊ।’

‘तो?’

‘आऩ कुछ औय कह सकते हैं।’

‘क्म ?’

‘कक आऩ आकपस भें क पी य त गमे तक अकेरे क भ कय यहे थे कक ककसी ने आकपस भें प्रवेश द्व य ऩय दस्तक दी थी।
भेयी मह ॊ गैयभौजूदगी भें दयव जे ऩय ऩड़ी दस्तक के जव फ भें उठ कय दयव जे ऩय आऩ ही तो ऩहुॊचेंगे।’

‘ज टहय है ।’
‘आऩ ज कय दयव ज िोरते हैं तो ऩ ते हैं कक दयव ज िििि ने व र तो वह ॊ से कूच कय चक
ु थ रेककन वो दयव जे की
चौिि ऩय जव हय त व र मरप प छोड़ गम हुआ थ ।’

‘जो कक भैंने दयव ज िोरने ऩय वह ॊ ऩड़ दे ि औय उठ मरम !’

‘जी ह ॊ। क्म ऩमु रस इस फ त ऩय मकीन नहीॊ कय रेगी?’

‘कय तो सकती है । ऐस हो बी सकत है । आखिय उन जव हय त क असरी भ मरक भेय क्र मन्ि थ औय भैं उसकी एस्िे ि
क एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त ककम ज ने व र हूॊ। जव हय त भेये क्र मन्ि की एस्िे ि क टहस्स थे। कोई फड़ी फ त नहीॊ चोयी
के भ र की अऩने ऩ स भौजूदगी भें ब यी ितय भहसूस कयके ककसी ने उसे हत्प्र ण की एस्िे ि के एडमभननस्ट्रे िय के ऩ स
ऩहुॊच ने की कोमशश की।’

श्वेत ने चैन की स ॊस री।

‘अफ एक फ त फत ओ।’—य ण कपय उसे घूयत हुआ फोर ।

‘क्म ?’—श्वेत फोरी।

‘सफ कुछ पजा ही ककम ज न है म जव हय त के मूॊ भेये ऩ स ऩहुॊचने की सच भें कोई सम्ब वन है ?’

‘अगय चोय को मकीन होग कक मॊू वो ऩकड़ नहीॊ ज मेग तो वो जव हय त को मॊू आऩ तक ऩहुॊच ने की कोमशश कय सकत
है ।’

‘औय ऐस कोई ि स वक्त तम्


ु ह ये जेहन भें हो!’

‘पजा कीजजमे दस फजे।’

इस फ य य ण की आॊिों भें आश की चभक श्वेत को स प टदि ई दी। प्रत्मऺत् वह ऩूवव


ा त ् ननववाक य ब व से भुस्कय यह
थ।

‘श्वेत ’—वह फोर —‘आज से ऩहरे तो कबी इतन कुछ पजा नहीॊ कय म तभ
ु ने भुझ!े ’

श्वेत भुस्कय मी।

‘फहयह र अबी आगे बी तो कुछ पजा कयन होग । है न?’

‘आऩ िद
ु सभझद य हैं।’

‘सफ कुछ पजा ऩय ही भुनहसय है इसमरमे भैं तम्


ु हें फत यह हूॊ कक आज य त दस फजे तक दफ्तय ि री होग औय उस
दौय न मह ॊ भेये रौि आने की सम्ब वन बी नहीॊ होगी क्मोंकक आज भैं अऩनी फीवी को उसकी पयभ मश ऩय सोकिी के
कैसीनो भें रे ज यह हूॊ। उसके फ द डडनय बी वहीॊ कयने क प्रोग्र भ है इसमरमे हभ ये व वऩस घय रौिने तक दस तो फज ही
ज मेंगे। उसके फ द हो सकत है भैं थोड़ी दे य के मरमे मह ॊ रौिूॊ।’—उसने अऩनी घड़ी ऩय ननग ह ड री—‘ऩ ॊच फज गमे।’
उसक इश य सभझकय श्वेत उठ िड़ी हुई।

‘अच्छ हुआ’—वह फोर —‘कक इतनी अहभ फ तें इतने गोऩनीम ढॊ ग से पजा कयने क तभ
ु ने भुझे भौक टदम । औय…घय
ज ती व य धचटिम ॊ ऩोस्ि कयती ज न ।’

‘मस, सय।’

य ण क अमबव दन कयके वो व वऩस अऩनी सीि ऩय ऩहुॊची। उसने वह ॊ बफिये प रतू क गज त भेज की दय ज के हव रे
ककए औय आकपस की धचटिम ॊ अऩने है ण्डफैग भें ड रीॊ। कपय ि मरेि भें ज कय उसने अऩने फ र सॊव ये औय चेहये ऩय हकक
स भेकअऩ रग म ।

ि मरेि के ऩहरू भें ि मरेि औय य ण के ननजी कऺ के दयव जे के फीच एक छोि स अरभ यीनुभ स्िोय थ जजसभें
आकपस स्िे शनयी औय वह ॊ इस्तेभ र होने व र औय छोि भोि स भ न यि ज त थ । उसी भें रगी एक िि
ॊू ी ऩय श्वेत
अऩन कोि ि ॊगती थी।

वह ॊ से कोि उत यते वक्त एक ख्म र बफजरी की तयह उसके जेहन भें कौंध ।

य ण के मरए उस स्िोय क कोई व्मजक्तगत इस्तेभ र नहीॊ थ । श्वेत ने कबी बी उसे उसक दयव ज िोरते नहीॊ दे ि
थ।

उसने अऩन कोि ऩहन औय व वऩस भेज ऩय आकय अऩन है ण्डफैग उठ म ।

‘भैं ज यही हूॊ।’—वह उच्च स्वय भें फोरी।

‘गुड न इि।’—बीतय से आव ज आमी।

उसने आकपस क प्रवेशद्व य िोर औय चौिि र ॊघे बफन एक जोयद य आव ज के स थ उसे व वऩस फन्द कय टदम । वह
दफे ऩ ॊव स्िोय के दयव जे के ऩ स व वऩस रौिी। दयव ज तफ िर
ु थ । वह स्िोय के बीतय द खिर हो गमी। उसने नन्शब्द
दयव ज फन्द ककम ।

जो कुछ उसने ककम थ , ककसी अऻ त ब वन से प्रेरयत होकय ककम थ औय अफ अऩनी उस हयकत क कोई गरत अॊज भ
स भने आने की दहशत भें उसके टदर ने ध ड़ ध ड़ उसकी ऩसमरमों के स थ िकय न शुरू बी कय टदम थ ।

अऩने एम्ऩर मय के प्रनत उसके भन भें सन्दे ह क फीज योऩण वववेक की फ तों से ही हुआ थ । उसी ने सुझ म थ कक श मद
य ण उतन दध ू क धर ु आदभी नहीॊ थ जजतन कक वह उसे सभझती थी। व स्तव भें ‘वो पजा कयो पजा कयो’ व री ब ष
बी य ण के सन्दबा भें उसने वववेक से ही सीिी थी, उसीने उसे मे पजा कयव म थ कक य ण ने होतचन्द नी की एस्िे ि भें
कोई घोि र ककम हो सकत थ औय उस घोि रे को छुऩ ने के मरए ही उसने होतचन्द नी के कत्र जैस ितयन क कदभ
उठ म हो सकत थ । स यी फ तें उसने वववेक के कहने ऩय बरे ही पजा की थीॊ रेककन एक फ त क अफ उसे मकीन थ ।

उसकी श िा हैण्ड की नोिफक


ु जजसभें एस्िे ि के वववयण सम्फन्धी नोर्टस थे जरूय य ण ने ही आकपस से ग मफ की थी। उस
नोिफक
ु को ग मफ कयन मसपा य ण को ही सझ
ू सकत थ । औय ककसी को तो मे भ रभ
ू ही नहीॊ हो सकत थ कक कौन सी
एस्िे ि श िा हैण्ड नोर्टस की सह मत से ि इऩ की गई थी औय कौन सी ह थ से मरिकय तैम य ककए ज ने के फ द ि इऩ की
गमी थी। चोय कोई औय होत तो उसने होतचन्द नी के फॊगरे से उसकी भूरप्रनत औय य ण के आकपस से उसकी क फान
क ऩी चयु कय ही तसकरी कय री होती। श िा हैण्ड की क ऩी बी चयु न मसपा य ण को ही सूझ सकत थ ।

एक फ य य ण ऩय से ववश्व स उठ ज ने के फ द अफ उसे य ण की कोई िकु पम िोजिफय रेन जरूयी रग यह थ । आखिय


ऩत तो रगत कक वो आदभी ककस कपय क भें थ ।

अऩने इसी उद्देश्म की ऩनू ता के हे तु श्वेत उस वक्त उस अन्धेये स्िोय भें फन्द थी।

स्िोय भें इतनी स्तब्धत थी कक श्वेत को अऩनी कनऩटिमों भें फजते िन


ू औय ऩहरू भें धड़कते टदर की आव जें स प
सुन मी दे यही थीॊ। सभम गुजयत ज यह थ औय कुछ होत भ रूभ नहीॊ हो यह थ । उस अरभ यी जैसे स्िोय भें अऩनी
स ॊस उसे अबी से घुिती रगने रगी थी। अफ उसे मह धचन्त बी सत ने रगी थी कक बीतय अऩने कऺ भें य ण की
भौजद
ू गी भें उसक वह ॊ से खिसक ऩ न भभ
ु ककन बी होग म नहीॊ जफ कक इय द उसक थोड़ औय इन्तज य कयने के फ द
वह ॊ से खिसक ज ने क ही थ ।

अफ तो उसे अऩनी वो हयकत भूित


ा ऩूणा बी रगने रगी थी।

कुछ ऺण फ द उसने टहम्भत कयके दयव जे को स वध नी से धक्क टदम औय कोई एक इन्च की खझयी ऩैद कय री। खझयी
भें से त ज हव क झोंक बीतय द खिर हुआ तो उसे कुछ य हत भहसूस हुई। य हत भहसूस हुई तो उसके ज्म द से ज्म द
दे य वहीॊ टिके यहने के इय दे कपय से फर
ु न्द होने रगे।

तबी एक एक उसको य ण की आव ज सुन मी दी। आव ज मूॊ एक एक हुई कक वह धचहुॊक गमी। फड़ी कटठन ई से उसने स्वमॊ
ऩय क फू ऩ म औय क न रग कय सुनने रगीॊ। तत्क र उसने अनुबव ककम कक य ण पोन ऩय ककसी से फ त कय यह थ ।
उसने अऩन एक क न दयव जे भें ऩैद हुई खझयी के एकदभ स थ रग टदम ।

‘ह ॊ।’—य ण कह यह थ —‘भैंने भ नक होतचन्द नी से फ त कयनी है ।—भैं होकड कय यह हूॊ।’

सन्न ि छ गम ।

श्वेत स ॊस योके प्रतीऺ कयती यही।

‘भ नक!’—–एक एक उसे य ण की आव ज कपय सुन मी दी—‘भैं य ण फोर यह हूॊ। वो क्म है कक तम् ु ह ये डैडी के गुभशुद
जव हय त के फ ये भें एक फड़ी भजेद य फ त स भने आमी है ।…मे िे रीपोन ऩय कयने व री फ त नहीॊ। भेय कह भ नो तो
पौयन मह ॊ चरे आओ।…भेये आकपस भें । भैं महीॊ फैठ हूॊ। हो सके तो अऩने जीज को स थ रेकय आन ।…बई, आखिय वो
तम्
ु ह यी सगी फहन क ऩनत है । इस मरह ज से तभ ु दोनों के इन्ट्रे स्ि एक नहीॊ होने च टहए?…ठीक है । दस मभनि भें ऩहुॊच
ज ओगे?…ठीक है । भैं इन्तज य करूॊग ।’

श्वेत को िे रीपोन व वऩस िेडर ऩय यिे ज ने की आव ज आमी।

कपय य ण के स थ स थ श्वेत क बी दस मभनि क इन्तज य शुरू हो गम ।

अफ य ण ऩय उसे ऩयू शक होने रग थ । जव हय त के सन्दबा भें उसक मॊू भ नक होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी को
फुर न ज टहय कयत थ कक जव हय त ह मसर हो ज ने ऩय उनकी िफय ऩुमरस को दे ने क उसक कोई इय द नहीॊ थ ।
वह प्रतीऺ कयती यही।

फ हयी दयव ज िर
ु ने की आव ज हुई।

श्वेत ने अऩने दयव जे की खझयी से आॊि रग दी।

उसके दे िते दे िते आगे ऩीछे चरते हुए स र जीज उसके स भने से गज
ु ये औय य ण के ननजी कऺ भें द खिर हो गए।

उसने दयव ज तननक औय िोर मरम ।

‘सुफह द भोदय िेत न भेये ऩ स आम थ ।’—उसने अऩने एम्ऩर मय को कहते सुन ।

‘हभ ये ऩ स बी आम थ ।’—मोगेश कृऩर नी फोर ।


‘तम्
ु ह ये ऩ स ककसमरए आम थ ?’

‘मे फत ने के मरए कक जव हय त क ग्र हक वो अबी बी थ ।’

‘भुझे बी वो मही कह के गम थ ।’

‘हभ से वो’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘मे बी ऩूछ यह थ कक हभ यी च मस क्म होगी! जव हय त म नकद रुऩम ।’

‘क्म च मस फत ई तभ
ु ने?’

‘नकद रुऩम !’—मोगेश कृऩर नी फोर ।

‘ऐसी कोई च मस’—य ण फोर —‘एडव ॊस भें ववच य रेने क कोई भतरफ नहीॊ है । च मस तो उसकी होगी जजसक कक
जव हय त ऩय भ मरक न हक होग ।’

‘हभ भयने व रे के व रयस हैं। हभ से फड़ हकद य इनक कौन हो सकत है !’

‘दरु
ु स्त। रेककन हक स्थ वऩत कयन ऩड़त है ।’

‘भतरफ?’

‘वो जव हय त चोयी ज चक
ु े हैं। उनकी फय भदी ऩय फय भद कयने व रे क पजा मे फनत है कक वो उन्हें उधचत ह थों भें
ऩहुॊच मे।’

‘एग्जेक्िरी। औय वो उधचत ह थ हभ ये हैं।’

‘नहीॊ हैं। वो उधचत ह थ ऩुमरस के हैं। म अगय भैं कोिा द्व य अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि क एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त कय
टदम ज ऊॊ—जो कक भुझे उम्भीद है कक भैं कय टदम ज ऊॊग —तो वो उधचत ह थ भेये बी हो सकते हैं। रेककन क्मोंकक अबी
भेयी ऐसी कोई अप्व मॊिभें ि नहीॊ हुई है , इसमरए अबी उन जव हय त की फ फत भेय कोई क नूनी अजख्तम य नहीॊ फनत ।’
‘वकीर स हफ।’—भ नक होतचन्द नी तननक उिड़े स्वय भें फोर —‘भुझे नहीॊ रगत कक अऩने क नूनी अजख्तम य म
उनक न होन सभझ ने के मरए आऩने हभें मह ॊ फुर म है ।’

‘कयै क्ि।’

‘तो कपय ि भि ह वक्त ज म कयने की जगह असर फ त ऩय आइमे।’

‘असर फ त फहुत अनोिी है ।’

‘क्म ?’

‘एक ऐसी सम्ब वन स भने आमी है जजसके अन्तगात आज ककसी वक्त वो जव हय त भेये आकपस के दयव जे की चौिि
ऩय प्रकि हो सकते हैं।’

‘प्रकि हो सकते हैं!’—भ नक होतचन्द नी हकफक म —‘कैसे? ज द ू से?’

‘नहीॊ।’—य ण फोर —‘कोई उन्हें चऩ


ु च ऩ मह ॊ छोड़ कय ज एग ।’

प्रत्मुत्तय भें भ नक होतचन्द नी ने जोय क अट्टह स ककम ।

‘मे भज क की फ त नहीॊ है ।’—य ण फोर ।

‘भज क की ही फ त है ।’—भ नक फोर ।

‘भ नक ठीक कह यह है ।—मोगेश कृऩर नी फोर —‘ऩच स र ि रुऩमे क भ र कोई मूॊ आऩ के दयव जे ऩय छोड़ ज एग ;
मे भज क की ही फ त है ।’ कोई…’

‘सुनो सुनो।’—य ण फोर —‘भेय ख्म र है कक जजस ककसी के ऩ स जव हय त इस वक्त हैं, वो डय गम है । अफ उसे
जव हय त अऩने ऩ स यिे यहने से दहशत हो गई है । उसे दहशत हो गई है कक भौजूद ह रत भें जव हय त की उसके ऩ स
फय भदी उसे कत्र के इरज भ भें धगयफ्त य कय सकती है । इसीमरए वो उन जव हय त से ऩीछ छुड़ न च हत है ।’

‘उन्हें आऩके दयव जे ऩय डम्ऩ कयके?’

‘ह ॊ।’

‘मह ॊ क्मों?’

‘वजह क क्म भहत्व है ! वजह कुछ बी हो। भतरफ आभ ि ने से होन च टहए न कक ऩेड़ धगनने से।’

‘हूॊ। आगे।’

‘आगे मे कक वही आदभी हत्म य बी हो सकत है । अफ तभ


ु रोग मह फत ओ कक तम्
ु ह यी ज्म द टदरचस्ऩी ककस भें है ?
हत्म ये भें म जव हय त भें ?’
‘हभ यी टदरचस्ऩी तो जव हय त भें ही है । क्मों भ नक?’

‘ह ॊ।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘हत्म य हभ यी नहीॊ ऩुमरस क मसयददा है ।’

‘गुड।’—य ण फोर —‘अफ इस जव हय त भें अऩनी टदरचस्ऩी व री फ त को जय एक कदभ आगे फढ ओ। मे भ न कय


आगे फढ ओ कक जव हय त भेये फत मे करयश्भ स ज तयीके से भेये ऩ स ऩहुॊच गए। ओके! अफ उन जव हय त को ऩमु रस को
सौंऩ दे ने क भतरफ ज नते हो क्म होग ?’

‘क्म होग ?’

‘क्मोंकक वे जव हय त स्भगमरॊग औय गैयक नूनी भ इननॊग क नतीज थे इसमरमे ऩहरे तो मही फहुत ज्म द सम्ब वन है
कक सयक य उन्हें जब्त कय रेगी। ऐस नहीॊ बी होग तो िै क्स औय ड्मूिीज क बुगत न कयने भें उन की कीभत क फहुत
फड़ टहस्स सपा हो ज मेग क्मोंकक िद
ु होतचन्द नी ने उन ऩय कोई िै क्स म ड्मि
ू ी नहीॊ बयी थी। उसके फ द ऩीछे जो
यकभ फचेगी उसभें होतचन्द नी के फम्फई व रे ब ई की सूयत भें अबी एक औय टहस्सेद य बी होग ।’

‘आऩ द भोदय िेत न की आपय को बूर यहे हैं।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘उसकी आपय कफूर कय रेने से ऐस कुछ
बी नहीॊ होग । कपय भ र भें न सयक य की टहस्सेद यी जरूयी होगी औय न हभ ये फम्फई व रे अॊकर की।’

‘बफककुर ठीक। रेककन तफ ऩकड़े ज ने ऩय हभ सफ की ह रत ऩतरी हो ज मेगी।’

‘क्म हो ज मेग ?’—मोगेश कृऩर नी फोर —‘जेर ऩहुॊच ज एॊगे हभ सफ?’

‘फहुत भुभककन है । जेर ज ने से फच बी गमे तो कोिा कचहयी तो जरूय होगी। तगड़ जुभ ान तो जरूय होग । इज्जत िय फ
होगी सो अरग।’
‘ओह!’

‘अफ मे फत ओ कक तभ
ु रोग अऩनी मे दयु गत कय ने को तैम य हो?’

‘नहीॊ!’—ऺखणक ि भोशी के फ द भ नक होतचन्द नी फोर ।

‘आऩ अऩनी कटहमे।’—मोगेश कृऩर नी फोर ।

‘भैं तो बफककुर ही तैम य नहीॊ हूॊ। भैं नेऩ री हूॊ औय अऩने भुकक क एक सम्भ ननत न गरयक हूॊ। भेयी ऩत्नी य ज ऩरयव य से
सम्फन्ध यिती है । भझु े भज
ु रयभ की तयह कोई कोिा कचहयी बग ु तनी ऩड़ गमी तो भैं फयफ द हो ज ऊॊग ।’

‘कपय क्म फ त फनी?’

‘रेककन’—इस फ य य ण फदरे स्वय भें फोर —‘अगय भेहनत न तगड़ हो तो भैं मे ितय भोर रेने को तैम य हूॊ।’

‘तगड़ भेहनत न क्म हुआ?’

‘ह मसर भ र भें फय फय क टहस्स ।’


‘मे तगड़ थोड़े ही, फहुत तगड़ भेहनत न हुआ?’

‘ऐस ही सभझ रो।

‘म नी कक उन जव हय त के फदरे भें आऩको सव सत्तयह र ि से बी ज्म द क भेहनत न च टहमे जो कक आऩके कहने के


भत
ु बफक अबी आऩके आकपस की चौिि ऩय ऩहुॊचेंग!े उड़कय! म ज द ू के जोय से!’

‘ह ॊ।’

‘भुझे तो ज द ू ऩय एतफ य नहीॊ। न ही इस फ त ऩय मकीन कक जड़ चीजें उड़ सकती हैं।’

‘क्म कहन च हते हो तभ


ु ? जो कहन है स प कहो।’

‘भुझे तो रगत है , वकीर स हफ, कक जव हय त ऩहरे से ही आऩके ऩ स भौजूद है ।’

‘अच्छ !’

‘ह ॊ।’

‘ठीक है । तो जो तम्
ु हें रगत है , उसकी रूह भें भेय जव फ मे है कक आभद क शुकिम । जो कुछ भैंने कह उसे बूर ज ओ
औय मह ॊ से चरते कपयते नजय आओ। जव हय त जफ उड़कय म ज द ू के जोय से मह ॊ ऩहुॊचेंगे तो भैं उनकी िफय ऩुमरस को
कय दॊ ग
ू ।’

‘आऩ तो िप हो यहे हैं।’—मोगेश कृऩर नी क हड़फड़ म स्वय सुन ई टदम ।

‘बफककुर ठीक ऩहच न ।’—य ण फोर —‘भैं िप हो यह हूॊ। भुझे तम्


ु ह य यवैम ऩसन्द नहीॊ। भुझे तभ
ु से कोई डीमरॊग भॊजूय
नहीॊ।’

‘भैंने भहज एक सम्ब वन ज टहय की थी।’

‘स्िुवऩड, इनसजकिॊ ग सम्ब वन ज टहय की थी।

‘भैं भ पी च हत हूॊ। भैं अऩने रफ्ज व वऩस रेत हूॊ।’

कुछ ऺण ि भोशी यही।

श्वेत दयव जे की खझयी के स थ ऩूवव


ा त ् क न रग ए फुत फनी िड़ी यही।

‘जफ तक।’—अन्त भें य ण की आव ज कपय आई—‘तभ


ु रोगों को भेये ऩय ऩयू एतफ य न हो, इस फ त को आगे फढ ने क
कोई प मद नहीॊ।’

‘हभें आऩ ऩय ऩूय एतफ य है ।’—भ नक होतचन्द नी फोर ।


‘भैं ि भि ह भुॊह प ड़ने के मरए शमभान्द हूॊ।’—मोगेश कृऩर नी फोर ।

‘तम्
ु हें होन ही च टहए।’—य ण फोर —‘तभ
ु बूर गमे भ रूभ होते हो कक द भोदय िेत न ने उन जव हय त की ियीद की
फ फत जो आपय तभ
ु रोगों को दी थी, वही उसने भुझे बी दी थी। अगय जव हय त भेये ऩ स होते औय उतन र रची औय
फेईभ न होत तो भैं चऩ
ु च ऩ उनक सौद िेत न से कय बी चक
ु होत औय ककसी को क नों क न िफय न हुई होती उस
सौदे की।’

‘आऩ ठीक कह यहे हैं।’—मोगेश कृऩर नी फोर —‘अफ भ पी भ ॊग तो री भैंने। कपय भ ॊग रेत हूॊ। कोई न क-व क
यगड़व न च हे तो वो बी स प कटहए।’

‘नहीॊ, नहीॊ।’

‘फ त भेहनत ने की हो यही थी।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘आऩ जव हय त की कीभत भें फय फय क टहस्स च हते हैं।
ठीक है । हभें आऩकी फ त भॊजयू है । अफ आगे फटढमे।’

‘उन जव हय त की कीभत ऩच स र ि रुऩमे आकी गमी थी।’

‘भेये सुनने भें आम है कक उनभें कुछ अनकि स्िोंस बी थे औय उनकी कीभत आॊकी गई कीभत भें श मभर नहीॊ थी।’

‘ठीक फ त है । वैसे भ र स ठ र ि तक क हो सकत है रेककन अगय हभने द भोदय िेत न से सौद कयन है तो वो उसी
कीभत ऩय होग जो कक अऩनी भौत से ऩहरे होतचन्द नी ने भॊजयू की थी। म नी कक ऩच स र ि।’

‘आऩ ठीक कह यहे हैं।’

‘उन जव हय त को म उनकी कीभत को होतचन्द नी की एस्िे ि भें श मभर ककम ज एग तो उस ऩय सौ तयह के िै क्स औय
ड्मूिीज रगें गी, उनभें तम्
ु ह ये अॊकर की बी टहस्सेद यी होगी जजसके नतीजे के तौय ऩय अगय तभ
ु दोनों के ऩकरे दस र ि
बी ऩड़ ज में तो मे तम्
ु ह यी िश
ु ककस्भती होगी। रेककन अगय हभ उन जव हय त को िेत न को फेच दें तो हभें ऩच स र ि
रुऩए मभरेंगे। उनभें भेय एक नतह ई टहस्स बुग ने के फ वजूद सव सत्तयह-सत्तयह र ि रुऩमे तभ
ु दोनों के टहस्से भें
आमेंगे औय इस तयीके से तम्
ु हें सव स त र ि रुऩमे की अनतरयक्त कभ मी होगी। अफ फोरो तम्
ु हें दस र ि से कभ की
यकभ च टहमे कक सत्तयह र ि से ज्म द की?’

‘हभें फड़ी यकभ च टहए।’—मोगेश कृऩर नी तत्क र फोर ।

‘तो तभ
ु रोगों को भेयी आपय भन्जयू है ?’

‘आपय तो भन्जूय है ।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘रेककन हैं तो कपरह र मे हव भें भछमरम ॊ ऩकड़ने व री ही फ तें । आऩ
उम्भीद ही तो कय यहे हैं कक जव हय त आज य त आऩकी चौिि ऩय ऩहुॊच ज मेंगे। न ऩहुॊचे तो।

‘तो कह नी ित्भ। तो सभझन हभ तीनों ने ि भि ह मसय िऩ ई की। ि भि ह वक्त की फयफ दी की। ि भि ह ख्म री
ऩर
ु व ऩक मे।’
‘ओह!’
‘रेककन भेय टदर कहत है कक कोई नतीज ननकरेग । जव हय त हभ ये ह थ रगें ग,े हभ य िेत न से उनक चऩ
ु च ऩ सौद
होग औय सव सत्तयह-सत्तयह र ि रुऩमे हभ यी जेफों भें होंगे।’

‘आऩके भुॊह भें घी शक्कय।’

‘अबी च हे ख्म री ऩुर व ही ऩक यहे हैं रेककन कपय बी एक फ त से स वध न भैं तभ


ु रोगों को कयन च हत हूॊ।’

‘कौन सी फ त?’

‘मे जो रुऩम जव हय त की एवज भें हभ ये ह थ भें आमेग , भें ऐस नहीॊ होग जजसे कक फैंक भें जभ कय म ज सकत हो
म जजसे आनन प नन िचान शुरू ककम ज सकत हो। इतनी फड़ी यकभ क एक एक ककसी के ऩ स बी प्रकि होन कई
क नूनी दश्ु व रयम ॊ ऩैद कय सकत है ।’

‘गड
ु । तो अफ भीटिॊग फि ास्त की ज मे।’

तत्क र श्वेत ने दयव जे की खझयी फन्द कय दी। वह स ॉस योके प्रतीऺ कयने रगी। भन ही भन वह अऩने एम्ऩर मय की
उसकी फदनीमती के मरए फुयी तयह से कोस यही थी।

उसे य ण के ननजी कऺ क दयव ज िर


ु ने की औय उन रोगों के फ हय कदभ यिने की आव ज आमी।

‘कुछ फ त फनी म नहीॊ फनी।’—उसे भ नक होतचन्द नी की आव ज सन


ु ई दी—इसक हभ कफ ऩत कयें आऩसे?’

‘ग्म यह फजे।’—य ण फोर —‘ग्म यह फजे भुझे मह ॊ पोन कयन । तफ तक भुझे भ रूभ हो ज एग कक जव हय त के मह ॊ
ऩहुॊचने की फ फत भेयी ज नक यी सही ननकरी म नहीॊ। जव हय त ह थ रग गमे तो हभ आज ही य त द भोदय िेत न से
उनके सौदे क ननऩि य कय दें गे। ठीक है ?’

‘ठीक है । हभ ग्म यह फजे पोन कयें गे।’

कपय फ हयी दयव ज िर


ु ने की आव ज आमी।

कुछ ऺण फ द फ हयी दयव ज फन्द हुआ औय वह ॊ सन्न ि छ गम । वह सभझ गई थी कक य ण बी उन दोनों के स थ ही


वह ॊ से ववद हो गम थ रेककन कपय बी वह क पी दे य मथ स्थ न िड़ी यही।

अन्त भें वह वह ॊ से फ हय ननकरी। आकपस को अॊधेय औय ि री ऩ कय उसकी ज न भें ज न आमी। कपय वह रऩक कय
एक खिड़की के ऩ स ऩहुॊची। उसने उसको थोड़ स िोर कय स वध नी से फ हय झ ॊक ।

नीचे य ण अऩनी क य भें द खिर हो यह थ ।

श्वेत के दे िते दे िते वह अऩनी क य भें सव य होकय वह ॊ से ववद हो गम ।

वह खिड़की फन्द कयके उससे ऩये हिी। उसने चैन की एक गहयी स ॊस री।

कपय अऩनी च फी से उसने आकपस के प्रवेशद्व य क त र िोर औय चऩ


ु च ऩ वह ॊ से ववद हो गई।
अऩन ऩूवना नध ारयत अगर कदभ उठ ने के मरए।

नौ फजे श्वेत अऩने घय से ननकरी।

उस घड़ी वह क रे यॊ ग क जीन, क रे यॊ ग क ही ह ईनैक क ऩुरोवय औय जैकेि ऩहने थी। अऩने फ र उसने ऩोनीिे र की
सयू त भें अऩनी ऩीठ फ ॉध मरए थे। अऩने हैंडफैग भें उसने अऩने च च की िि
ु यी यि री थी जजससे कक वह चभेरी के झ ड़
की जड़ को िोदने क इय द यिती थी औय फवक्तेजरूयत जजसको वो फतौय हधथम य इस्तेभ र कयने क बी इय द यिती
थी, अरफत्त वह बगव न ऩशुऩनतन थ से फ य फ य मही प्र थान कय यही थी कक वैसी कोई नौफत न आमे।

वववेक को वह पोन कय के फत चक
ु ी थी कक उसकी तफीमत िय फ थी। इसमरए श भ को उससे भुर क त भुभककन नहीॊ
थी।

रम्फे डग बयती हुई वह किस्िर होिर की ओय चर ऩड़ी।

औय कुछ ऺण फ द उसे होिर स भने टदि ई दे ने रग ।

उसे भ रूभ थ कक होिर भें द खिर होने क एक य स्त उसके ऩहरू से बी थ । उस य स्ते से वह बीतय द खिर हुई औय
स वध नी से चरती हुई होिर के उस एकभजन्जरे ब्र क के वऩछव ड़े भें ऩहुॊची जजसभें कक वववेक क कभय थ । वह ॊ एक
दीव य के सह ये जभीन से कोई आठ पुि की ऊॊच ई ऩय एक कभजोय स फकफ जर यह थ जो कक ऐन अऩने आसऩ स क
बी अॊधेय दयू कयने भें सऺभ नहीॊ थ ।

दीव य के कयीफ-कयीफ चरती हुई वह वववेक के कभये की खिड़ककमों के कयीफ ऩहुॊची। वह ॊ एक ही चभेरी क झ ड़ थ जजसे
तर श कयने भें उसे कोई टदक्कत न हुईं।

एक दो अन्म कभयों की खिड़ककमों भें से योशनी फगीचे भें ऩड़ यही थी रेककन श्वेत को उम्भीद थी कक उसकी क री ऩोश क
की वजह से वववेक के कभये की खिड़ककमों के स भने उसकी भौजद
ू गी ककसी की ननग ह भें नहीॊ आने व री थी। िद
ु वववेक
के कभये भें अॊधेय थ जजससे स बफत होत थ कक वो उस घड़ी अऩने कभये भें नहीॊ थ । अरफत्त कभये की तीन खिड़ककमों
भें से फीच की खिड़की िर
ु ी थी जो कक है य नी की फ त थी।

‘कुछ ऺण वह मथ स्थ न टठठकी िड़ी यही औय िर


ु ी खिड़की की तयप से कोई आहि म हयकत होने की अऩेऺ कयती
यही। जफ ऐस कुछ न हुआ तो वह नीचे झुकी औय उकड़ू होकय चभेरी के झ ड़ के कयीफ फैठ गई। उसने अऩने हैंडफैग भें से
ििु यी ननक र कय ह थ भें रे री। उसने हौरे हौरे झ ड़ के आस ऩ स की बयु बयु ी जभीन को िि
ु यी की नोक से िहोकन
आयम्ब कय टदम ।

जकद ही नोक ककसी सख्त चीज से िकय ई।

उसने उसी स्थ न के आसऩ स की जभीन को िोद औय अऩनी उॊ गमरमों से िद


ु ी हुई जगह को ििोर तो सीरफन्द
मरप प उसकी उॊ गमरमों से िकय म ।

क ॊऩते ह थों से उसने मरप पे को वह ॊ से उठ कय एक ओय यि औय कपय िोदी हुई मभट्टी को व वऩस मथ स्थ न ऩहुॊच ने
रगी। स यी मभट्टी मथ स्थ न ऩहुॊच चक
ु ने के फ द वह जभीन को हभव य फन ने की कोमशश कय यही थी कक एक एक उसे
अऩने कयीफ से ऩहरे एक धप्ऩ की औय कपय सूिी िहननमों के चिकने की आव ज आमी।

श्वेत क टदर जोय से धड़क । उसके भुॊह से एक आतॊकबयी मससक यी सी ननकरी औय वह उछर कय अऩने ऩैयों ऩय िड़ी
हो गई। स्वमॊभेव ही उसक िि
ु यी व र ह थ उसके स भने तन गम औय वह अन्धक य भें आॊिें प ड़ प ड़ कय दे िने
रगी।

उसे एक स म अऩने स भने टदि ई टदम ।

‘कौन है?’—आतॊक के अधधक्म भें फड़ी भुजश्कर से उसके भुॊह से पुसपुस हि सी ननकरी।

स मे ने आगे कदभ फढ म ।

च हते हुए बी उस ऩय ििु यी क व य कयने की श्वेत की भज र न हुई। बम ने उसे जड़ कय टदम थ । उसे अऩने कदभों
ऩय िड़े यह ऩ न भहु र रग यह थ । उसकी ि ॊगे थयथय यही थीॊ औय ऐस रगत थ जैसे वह ककसी बी ऺण फेहोश होकय
जभीन ऩय ढे य हो ज ने व री थी।

एक फ ॊह आगे फढकय उसके धगदा मरऩिी औय कपय वह उस फ ॊह की रऩेि भें थी।

चीिने के मरए उसक भुॊह िर


ु ।
‘श्वेत ! बगव न के मरए होश भें आओ।’

वववेक की आव ज उसने तत्क र ऩहच नी। जो फ ॊह उसे अऩने अॊक भें सभेिे हुई थी वो, वववेक की थी। उस घड़ी उसे ऐसी
य हत भहसूस हुई कक उसक जी च हने रग कक वह वववेक से मरऩि कय म तो अट्टह स कयने रगे म जोय जोय से योने
रगे।

‘श्वेत !’—वववेक फड़े प्म य से उसके क न भें फोर —‘होश भें आओ।’

श्वेत क शयीय जोय से ऩत्ते की तयह क ॊऩ ।

‘श्वेत प्रीज! सॊब रो अऩने आऩ को।

फड़ी भेहनत से उसने स्वमॊ को क फू भें ककम । उसकी कॊऩकऩी फन्द हुई।

‘ठीक हो अफ?’

‘ह ॊ।’—श्वेत फोरी।

वववेक ने उसे अऩने से अरग ककम । उसने ऩहरे श्वेत की उॊ गमरमों भें से िि
ु यी ननक री औय कपय झुक कय जभीन ऩय से
जव हय त व र मरप प उठ म ।

म नी कक उसे भ रूभ थ कक वो वह ॊ क्म कय यही थी।

उसने िि
ु यी औय मरप प दोनों श्वेत के हैंडफैग भें ड र टदए औय उसे अऩने कभये की िर
ु ी खिड़की के कयीफ र म । उसने
श्वेत की ऩतरी कभय भें ह थ ड र कय उसे उठ म औय खिड़की ऩय चढ टदम । िद
ु वह व वऩस चभेरी के झ ड़ के कयीफ
ऩहुॊच । उसने श्वेत द्व य िोदी गमी जभीन को थऩक थऩक कय हभव य ककम औय जफ वह अऩने क मा से सन्तष्ु ि हो
गम तो खिड़की के ऩ स व वऩस रौि । वह खिड़की प ॊद कय कभये के बीतय द खिर हो गम । उसने खिड़की फन्द की,
उसके स भने ऩदे िीॊचे औय कभये की फत्ती जर मी। योशनी होने से उसने ऩ म कक श्वेत मसय झुक मे एक कुसी ऩय फैठी
थी। उसकी सयू त से मॊू रग यह थ जैसे कोई प्र इभयी स्कूर क फच्च नकर भ यत हुआ है डभ स्िय द्व य ऩकड़ मरम
गम हो।

उस घड़ी वववेक को उस ऩय फहुत प्म य आम । उसने आगे फढ कय उसे अऩने स थ मरऩि मरम ।

‘भेयी तयप दे िो।’—वह फोर ।

‘ऩहरे कहो तभ
ु भेये से िप नहीॊ हो।’—वह फोरी।

‘भैं तभ
ु से िप हो सकत हूॊ?’

‘ऩहरे कहो।’

‘ठीक है । कह ।’

‘क्म ?’

‘भैं तभ
ु से िप नहीॊ हूॊ।’

‘टदर से कह यहे हो न?’

‘ह ॊ।’

‘भैं फहुत डय गमी थी।’

‘तभ
ु ने तो भझ
ु े बी डय टदम थ ।’

‘तम्
ु हें ऩत थ भैं क्म कय यही थी?’

‘ऩत थ कक कोई क्म कय यह थ । फ हय तभ


ु भुझे मभरोगी मे तो भैंने सऩने भें बी नहीॊ सोच थ ।’

‘तभ
ु कह ॊ थे?’

‘महीॊ थ । जो कुछ तभ
ु ने ककम है , वही कयने की तैम यी कय यह थ !’

‘ओह!’

‘भैं िर
ु ी खिड़की के य स्ते फ हय ननकरने ही रग थ कक भुझे फ हय तम्
ु ह ये ऩहुॊचने की आहि मभरी थी। भैं खिड़ककमों के
ऩहरू भें दीव य के स थ रग कय िड़ी हो गम थ । फ द भें खिड़की से फ हय झ ॊक थ तो भैंने एक स मे को चभेरी के झ ड़
की जड़ भें फैठे ऩ म थ । भैं सभझ गम थ कक कोई जव हय त हधथम ने की कपय क भें थ । तफ भैं पौयन खिड़की से फ हय
कूद ऩड़ थ ।’

‘फ हय भेयी जगह कोई औय होत औय वह तभ


ु ऩय आिभण कय दे त तो?’

‘तो जो होत दे ि ज त ।’

‘वैसे तो भैं ही तभ
ु ऩय िि
ु यी से व य कयने व री थी।’

‘भुझ ऩय?’

‘तफ भुझे क्म ऩत थ कक वो तभ


ु थे।’

‘तभ
ु मह ॊ कैसे ऩहुॊच गमीॊ?’

‘फत ती हूॊ। ऩहरे फैठ ज ओ।’

वववेक एक कुसी घसीि कय उसके स भने फैठ गम । उसने प्रश्नसूचक नेत्रों से श्वेत की तयप दे ि ।

‘कर सुफह’—श्वेत फोरी—‘मह ॊ ऩुमरस ऩहुॊचने व री थी।’

‘कैसे भ रूभ?’

‘इन्सऩेक्िय बत्रबव
ु न दे व आकपस भें आम थ । भैंने उसे य ण से फ तें कयते सन
ु थ । वो कह यह थ कक अगय य त तक
जव हय त फय भद न हुए तो कर सुफह वह अऩने च य ऩ ॊच आदमभमों की एक िीभ तैम य कयके उसे होिर किस्िर के र न
फगीचे वगैयह िॊग रने भें रग मेग । उसने तम्
ु ह ये औय द भोदय िेत न के कभयों की खिड़ककमों के फ हय उगी झ डड़मों क
ि स तौय से जजि ककम थ ।’

‘औय मे सुन कय तभ
ु िद
ु मह ॊ जभीन िोदने ऩहुॊच गमीॊ?’

‘ह ॊ।’

‘क्मों?’—तभ
ु ने भुझे फत म होत ।

‘भुझे डय थ ।’

‘ककस फ त क ?’

‘तम्
ु ह ये जव हय त के स थ ऩकड़े ज ने क ।’

‘ऐस तम्
ु ह ये स थ बी तो हो सकत थ ।’

‘तम्
ु ह ये स थ ज्म द हो सकत थ ।’
‘ऩगरी!’

उसने मसय झुक मरम ।


‘अफ मे फत ओ’—वववेक फोर —‘कक मह ॊ से जव हय त ननक र रेने के फ द तभ
ु उनक क्म कयतीॊ?’

उसने फत म कक वह मरप प य त दस फजे के कयीफ मूॊ य ण के आकपस की चौिि ऩय यि आने क इय द यिती थी कक


वह तत्क र उसे मभर ज ए। उसने मह बी सववस्त य फत म कक कैसे उसने आकपस के अरभ यीनभ
ु स्िोय भें घस
ु कय
य ण , भ नक होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी क वत ार ऩ सुन थ ।

वह ि भोश हुई तो वववेक भन्त्रभुग्ध स्वय भें फोर —‘इतन सफ कुछ तभ


ु ने भेयी ि नतय ककम !’

वह ि भोश यही।

‘तम्
ु हें भझ
ु े फत न च टहए थ ।’

‘भैंने फत म न कक क्मों भैंन…


े ’

‘वो भैंने ने सुन । कपय बी भुझे फत न च टहए थ ।’

वो कपय चऩ
ु हो गमी।

‘औय तम्
ु ह य मे एम्ऩर मय तो भेयी उम्भीद से ज्म द हय भी शै ननकर ।’

‘हभें उससे क्म रेन दे न है ।’—वह व्मग्र ब व से फोरी—‘तभ


ु मे फत ओ कक जव हय त से ऩीछ छुड़ ने क जो तयीक भैंने
सोच है तभ ु उसभें अड़चन तो नहीॊ ड रोगे?’—उसने अऩनी कर ई घड़ी ऩय ननग ह ड री—‘दस फजने भें अबी बी फहुत
वक्त है । भैं अबी बी वो मरप प वक्त यहते य ण के आकपस की चौिि ऩय ऩहुॊच सकती हूॊ।’

वववेक कुछ ऺण सोचत यह । कपय उसने इनक य भें मसय टहर म ।’

‘रेककन’—वह ऩव
ू व
ा त ् व्मग्र ब व से फोरी—‘कुछ तो हभें कयन ही होग । इन जव हय त को तभ
ु अऩने ऩ स नहीॊ यि
सकते। तभ
ु िद
ु ही कफूर कयते हो कक इन्हें िद
ु ऩुमरस को सौंऩने क तभ
ु हौसर नहीॊ कय सकते। ऩुमरस को सौंऩ नहीॊ
सकते; अऩने ऩ स यि नहीॊ सकते; ऐसे कैसे फीतेगी? वक्त यहते इनसे ऩीछ तो छुड़ न ही होग ।’

‘ऩीछ छूि ज मेग ।’—वववेक धीये से फोर ।

‘कैसे?’

‘इन्हें ककसी को सौंऩकय।’

‘ककसी को? ऩुमरस औय य ण के अर व ककसी को?’

‘ह ॊ।’
‘ककस को?’

‘जजसकी धभकी की तरव य भेये मसय ऩय रिक यही है ।’

‘अये , न भ तो रो उसक । कौन है वो?’

‘अचय मोसववधचत।’

‘वो थ ई औयत?’

‘ह ॊ।’

‘क्म धभकी दी है उसने तम्


ु हें ?’

‘सुनो।’

उसने सववस्त य उसे सन


ु म कक कैसे अचय मे झठ
ू फोर कय उसे पॊस ने को आभ द थी कक होतचन्द नी भयने से ऩहरे
फतौय अऩने क नतर उसक न भ रेकय भय थ । भयने व रे की ड ईंग डडक्रेमये शन ऩय ऩुमरस को एतफ य आ ज ने क
सीध भतरफ थ , उसके गरे भें प ॊसी क पन्द ।

‘ऩुमरस को एतफ य आ ज ने ऩय ही तो।’—वह व्म कुर ब व से फोरी—‘जरूयी थोड़ी ही है कक ऩुमरस उसकी फ त ऩय ववश्व स
कय ही रेगी।’

‘जरूयी तो नहीॊ है ।’—वह फोर —‘रेककन कपय बी ितय तो है ही न! अफ जो चीज भेयी नहीॊ है ; उसकी ि नतय ऐस ितय
भोर रेने क क्म प मद !’

‘रेककन…रेककन वो औयत ऐस सपेद झूठ बर कैसे फोर सकती है?’

‘फोर ही सकती है । कुछ बी स्म ह सपेद फोर ऩड़ने से उसे कौन योक सकत है !’

‘उसे ऩमु रस के आगे भॊह


ु प ड़ने से योकने क कोई तयीक नहीॊ?’

‘है तो। मही तयीक है कक जव हय त उसे सौंऩ टदए ज एॊ।’

‘भेय भतरफ है इसके अर व ?’

‘टदि ई तो नहीॊ दे त । हो बी तो उसकी जरूयत क्म है ! जव हय त अऩने ऩ स यिे यहने क तो भेय इय द कबी बी नहीॊ
थ ।’

‘रेककन मे अन्म म है ।’

‘क्म ?’
‘उस चोयनी के ह थ जव हय त रगन ।’

‘है तो सही रेककन ककम क्म ज ए। इस वक्त कोई य स्त बी तो नहीॊ।’—वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘भुझे अफ
चरन च टहए। दस फजे भुझे कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे ऩय ऩहुॊचन है ।’

‘एक फ य कपय सोच रो।’—श्वेत फोरी।

‘भैंने जरूयत से ज्म द फ य सोच मरम है । भझ


ु े उस औयत क कह भ नन ही होग । भझ
ु े जव हय त के स थ ननध ारयत
सभम ऩय कैप्िन के फॊगरे ऩय ऩहुॊचन ही होग ।’

‘ठीक है , कपय।’—श्वेत गहयी स ॊस रेकय फोरी—‘ऐस ही सही, ऩीछ तो छूिे ग तम्


ु ह य इस न भुय द मरप पे से।’

‘औय नहीॊ तो क्म !’

‘भैं तम्
ु ह ये स थ चरॊग
ू ी।’

ॊ ’—वववेक सकऩक म ।
‘कह ?

‘जह ॊ तभ
ु ज यहे हो। कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे ऩय।’

‘हयधगज नहीॊ।’
‘भैं जरूय चरॊूगी।’

‘ऩ गर हुई हो?’

‘ऩ गर नहीॊ हुई हूॊ। इसमरए जरूय चरूॊगी।’

‘रेककन…’

‘तभ
ु भझ
ु े योक नहीॊ सकते। मे न बर
ू ो कक जव हय त भेये कब्जे भें हैं। तभ
ु भझ
ु े योकने की कोमशश कयोगे तो भैं जव हय त
रेकय ब ग िड़ी होऊॊगी औय उन्हें रे ज कय य ण को सौंऩ दॊ ग
ू ी।’

‘तभ
ु ऐस नहीॊ कयोगी।’

‘भैं जरूय करूॊगी।’

‘कपय ज नती हो भेय क्म होग ?’

‘ज नती हूॊ।’

‘कपय बी ऐस कयोगी?’

‘भुझे स थ रेकय चरोगे तो कपय बर क्मों करूॊगी।’


‘तौफ !’

अऩन हैंडफैग भजफूती से दफोचे औय चेहये ऩय दृढत के ब व मरए वह ि भोश फैठी यही।

‘नहीॊ भ नोगी?’—वह असह म ब व से फोर ।

‘नहीॊ।’—वह दृढत से फोरी।

‘दे िो। भैं जव हय त वह ॊ छोड़कय उरिे ऩ ॊव चरे आने व र नहीॊ हूॊ। भैंने कुछ औय ही सोच हुआ है ।’

‘औय क्म ?’—वह सशॊक स्वय भें फोरी।’

‘भुझे कुछ फड़ी सनसनीिेज फ तें सूझी हैं जजनकी तसदीक भैं अचय औय कैप्िन को फ तों भें रग कय कयन च हत हूॊ।
अगय भेयी च र चर गमी तो भैं वैसे ही सन्दे ह से फयी हो ज ऊॊग ।’

‘कैसे फयी हो ज ओगे?’

‘अये जफ असरी अऩय धी ऩकड़ ज मेग तो ऩुमरस को भेये से क्म रेन दे न यह ज एग ।’

‘जफ असरी अऩय धी ऩकड़ ज मेग ! कहीॊ तभ


ु मे तो नहीॊ कहन च हते कक तम्
ु हें भ रूभ है कक असरी अऩय धी कौन है ?’

‘अन्द ज तो है ।’

‘कपय तो तम्
ु हें ऩमु रस के ऩ स ज न च टहए।’

‘श्वेत , जफ तक जव हय त भेये कब्जे भें हैं, तफ तक भैं ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ज सकत ।’

‘तो क्म कयोगे?’

‘फत म तो। भैं कैप्िन के फॊगरे ऩय ज ऊॊग । वह ॊ भैं अऩनी एक ववमशष्ि ज नक यी को हधथम य की तयह इस्तेभ र करूॊग
औय कपय दे िगॊू क्म होत है । भेये ऐस कयने से वह ॊ क भ हौर एक एक फहुत गभा हो सकत है । इसीमरए भैं तम्ु हें स थ
नहीॊ रे ज न च हत । तम्
ु ह य वह ॊ ज न भेयी मोजन को पेर कय सकत है । तम्ु ह यी है मसमत वह ॊ भेये स थ आए गव ह
जैसी हो ज एगी। कोई गव ह के स भने भुॊह प ड़न ऩसन्द नहीॊ कयत । सभझीॊ कुछ?’
‘सभझी।’

‘तो कपय तभ
ु भेये स थ ज ने की जजद छोड़ यही हो?’

‘नहीॊ।’

‘क्म ? अबी बी नहीॊ?’

‘ह ॊ।
‘तभ
ु फॊगरे के बीतय भुझे बरे ही न रेकय ज न रेककन वह ॊ तक तम्
ु ह ये स थ भैं जरूय आऊॊगी।’

‘ह मसर?’

‘श मद कुछ हो।’

‘रेककन…’

‘अफ इससे तम्


ु हें क्म एतय ज है ?’

‘तभ
ु व द कयती हो कक वह ॊ ऩहुॊचकय तभ
ु नमे मसये से भेये स थ बीतय ज ने की जजद नहीॊ कयने रगोगी?’

‘भैं व द कयती हूॊ।’

‘भैंने दत्त त्रेम की िै क्सी कय वह ॊ ज न है । वह ॊ ऩहुॊचने ऩय तभ


ु िै क्सी भें ही फैठी यहोगी। भॊजूय?’

‘भॊजयू ।’

‘ठीक है । चरो।’

दोनों फ हय होिर की ऩ ककिंग भें ऩहुॊच।े

दत्त त्रेम की िै क्सी वह ॊ थी रेककन दत्त त्रेम वह ॊ नहीॊ थ ।

‘कहीॊ इधय उधय ही होग ।’—वववेक फड़े सब् से फोर —‘आ ज मेग ।’

श्वेत ने सॊटदग्ध ब व से उसकी तयप दे ि ।

‘कहीॊ दयू गम होत ’—वववेक फोर —तो िै क्सी बी मह ॉ न होती।’

श्वेत ने सहभनत भें मसय टहर म ।

दोनों प्रतीऺ कयने रगे।

‘एक फ त भुझे फहुत हरक न कय यही है ।’—एक एक श्वेत फोरी!

‘क्म ?—वववेक फोर ।

‘दे िो। अऩने एम्ऩर मय ऩय जो भेयी आस्थ थी, एतफ य थ , वो सफ तो अफ ऩूयी तौय से उड़न छू हो चक
ु है । भुझे ऩूय
मकीन है कक होतचन्द नी के फॊगरे से उसकी चर अचर सम्ऩजत्त की मरस्ि औय आकपस से उसकी क फानक ऩी औय भेयी
श िा हैंड की नोिफुक उसी ने ग मफ की। रेककन वसीमत क ड्र फ्ि बी तो ग मफ है । वो बी अगय उसे ने ग मफ ककम तो क्मों
ककम ? वसीमत से, जो कक अबी की बी नहीॊ ज सकती थी, य ण ने क्म रेन दे न थ ?’

वववेक कुछ ऺण सोचत यह औय कपय फोर —‘जरूय उस वसीमत भें ककसी को दी ज ने व री ककसी ऐसी धन सम्ऩजत्त क
जजि होग जजसभें कक तम्
ु ह य एम्ऩर मय ऩहरे ही ब ॊजी भ य चुक होग । वो नहीॊ च हत होग कक वसीमत के भ ध्मभ से
ऐसी कोई आईिम्स पोकस भें आएॊ औय उसकी ऩोर िोरने क स भ न कयें ।’
श्वेत के चेहये ऩय आश्व सन के ब व न आए।

‘फहयह र वसीमत ग मफ तम्


ु ह ये एम्ऩर मय ने ही की है । इसके अर व मे क भ कोई दस
ू य नहीॊ कय सकत थ । भेय
भतरफ है मसव म तम्
ु ह ये ।’

‘भैं बर ऐस क्मों करूॊगी?’

‘एग्जैक्िरी।’

तबी दत्त त्रेम वह ॊ ऩहुॊच । उसने दोनों क अमबव दन ककम औय रऩककय िै क्सी क वऩछर दयव ज िोर ।

दोनों उसकी िै क्सी भें सव य हो गए। वववेक ने उसे कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन के फॊगरे ऩय चरने को कह ।

िै क्सी अऩने गन्तव्म स्थ न ऩय ऩहुॊची।

फॊगरे की स भने की खिड़ककमों भें उस घड़ी योशनी टदि ई दे यही थी।

वववेक के आदे श ऩय दत्त त्रेम िै क्सी को फॊगरे के आगे से सीध गुज य कय रे गम औय मसये से भोड़ कय व वऩस रौि । तफ
वववेक ने उसे िै क्सी सड़क के ऩ य फॊगरे से ऩये िड़ी कयने को कह ।

जह ॊ िै क्सी रुकी वह ॊ से फॊगरे क अग्रब ग स प टदि ई दे त थ ।

‘िै क्सी भें ही फैठन ।’—वववेक चेत वनीबये स्वय भें फोर ।

श्वेत ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘टहरन नहीॊ मह ॊ से।’

‘बीतय कोई फिेड़ तो नहीॊ िड़ हो ज मेग ?’—वह व्म कुर ब व से फोरी।

‘कुछ नहीॊ होत । होग बी तो बुगतन ऩड़ेग । रेककन तभ


ु ऩये श न न होन । उत वरी न होन । धीयज न िोन । भुझे बीतय
थोड़ वक्त रग सकत है ।’

‘रेककन बीतय कोई फिेड़ …’

‘बगव न से प्र थान कयती यहन मह ॊ फैठे फैठे कक न हो रेककन एक फ त म द यिन ।’

‘क्म ?’

‘अगय भैं औय कैप्िन फॊगरे से इकिे फ हय ननकरें औय कैप्िन की क य ऩय सव य होकय कहीॊ यव न हों तो तभ
ु ने हभ य
ऩीछ कयन है औय ऩहर द ॊव रगते ही कहीॊ से ऩुमरस को िे रीपोन िड़िड़ न है । सभझ गमीॊ?’
‘ह ॊ।’

‘तभ
ु बी सभझ गमे, दत्त त्रेम?’

‘ह ,ॊ श फ!’—दत्त त्रेम फड़ी सॊजीदगी से फोर ।

‘भझ
ु ’े —श्वेत आतयु ब व से फोरी—‘तो अबी ही ककसी फिेड़े की फू आ यही है । भेय टदर तो अबी ही ककसी अऻ त आशॊक
से रयजने रग है ।’

‘फहस न कयो।’—वववेक फोर ।

‘रेककन…’

‘इसीमरए तो भैं तम्


ु हें स थ नहीॊ र न च हत थ । भुझे भ रूभ थ कक मह ॊ ऩहुॊचकय तभ
ु नमे मसये से कोई टिऩीकर जन न
य ग अर ऩन शरू ु कय दोगी।’

‘भैं तो कुछ नहीॊ कह यही।’

‘न ही कहो तो अच्छ है । अफ मरप प ननक रो।’

श्वेत ने है ण्डफैग से ननक रकय जव हय त क मरप प उसे सौंऩ टदम । कपय कुछ सोचकय उसने फैग के बीतय भौजूद
िि
ु यी बी ननक र री।

‘इसे बी रे ज ओ।’—वह फोरी।

‘क्मों?’—वववेक सकऩक म ।

‘श मद ककसी क भ आ ज मे।’

‘अच्छी फ त है ।’

वववेक ने िि
ु यी अऩनी ऩतरून की फैकि भें िोंस री औय ऊऩय से कोि के फिन फन्द कय मरमे। मूॊ िि
ु यी कोि के नीचे
छुऩ गमी।

उसने आश्व सनऩूणा ढॊ ग से ऩये श नह र श्वेत क कन्ध थऩथऩ म , वह िै क्सी से फ हय ननकर औय सड़क ऩ य कयत हुआ
कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे की ओय फढ ।

वववेक फॊगरे के स भने ऩहुॊच तो उसने ऩ म कक उसक स भने क दयव ज फन्द थ रेककन फय भदे के द ईं ओय जस्थत एक
दयव जे के ऩीछे से योशनी क आब स मभर यह थ । वह उस ओय भुड़ ।

उधय फय भदे की उस ओय की सीटढमों के स भने दो क यें िड़ी थीॊ। उनभें से एक क य कैप्िन की एन ऩी डी- १२८८ नम्फय
व री िोमोि थी, दस
ू यी क य बी िोमोि थी रेककन वह उसे ऩहच नत नहीॊ थ ।
वह ननसॊकोच उधय की सीटढम ॊ चढ कय फय भदे भें ऩहुॊच । फड़े अधधक य के स थ उसने दयव जे को धक्क टदम । दयव ज
िर
ु गम तो वह बीतय द खिर हुआ।

उसे दे िते ही कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन एक कुसी ऩय से उठ ।

अचय मोसववधचत उससे ऩये दो खिड़ककमों के फीच भें रगे एक दीव न ऩय फैठी हुई थी। उस घड़ी बी वो ही ऩोश क ऩहने थी
जजसभें वह श भ को उसे होिर भें मभरी थी। उसक चेहय एकदभ गम्बीय थ रेककन आॊिें ककसी घ घ रोभड़ी की तयह
चभक यही थीॊ। ‘दे य से आमे हो!’—कैप्िन फोर …

‘थोड़ी दे य हो गमी।’—वववेक फोर ।

‘हभ तो कफ से तम्
ु ह य इन्तज य कय यहे हैं।’

‘सॉयी।’

‘अचय कहती थी तभ
ु जरूय आओ।’

‘क्म गरत कहती थी! फन्द ह जजय है ।’

कैप्िन की ननग ह उसके ह थ भें थभे जव हय त व रे सीर फन्द मरप पे ऩय ऩड़ी। उसके नेत्र चभके।

‘मरप प उधय भेज ऩय यि दो।’—वह फोर ।

वववेक ने अननजश्चत ब व से अचय की तयप दे ि । अचय ने उससे ननग ह न मभर ई। वह कैप्िन की तयप दे ि यही थी।
कपय वववेक को रग जैसे दोनों भें कोई इश ये फ जी हुई हो। ऩरयण भस्वरूऩ कैप्िन क ह थ अऩने र्टववड के कोि की बीतयी
जेफ भें गम । जफ वह फ हय ननकर तो उसभें एक वऩस्तौर चभक यही थी।
‘ऩीछे हिो!’—वह फोर रेककन उसके स्वय भें धभकी क ऩुि नहीॊ थ —‘औय उधय सोपे के ऩ स ऩड़ी उस कुसी तक ऩहुॊचो।
रयव कवय से भत घफय ओ, मह मॊू ही भेये ह थ भें है ।’

‘मूॊ ही!’—वववेक व्मॊग्मऩूणा स्वय भें फोर ।

‘भैं कोई च ॊस नहीॊ रेन च हत ।—कैप्िन फोर —‘ऩहरे वो भकसद हर होन च टहमे जजसकी वजह से हभ मह ॊ भौजूद हैं।’

वववेक ि भोश यह ।

‘प्रीज भव
ू ।’

वह घूभ । उसकी ननग ह कपयकनी की तयह स ये कभये भें घूभी।

जजस दयव जे से वह बीतय द खिर हुआ थ उसके ऩहरू भें उसे च य फड़े फड़े सूिकेस औय एक क स्भैटिक्स केस जैस
जन न फैग यि टदि ई टदम ।
‘ओहो!’—वह शुष्क स्वय भें फोर —‘तो कूच की तैम यी है ।’

‘हो तो सही।’—कैप्िन सहज ब व से फोर —‘तम्


ु ह य क्म बयोस है, जव हय त हभें सौंऩ दे ने के फ द बी तो तभ
ु कबी बी
ऩुमरस के ऩ स ज सकते हो। इस फ त को भद्देनजय यिते हुए हभें अफ पौयन मह ॊ से कूच कय ज न ही भुन मसफ रग ।’

‘हभें?’

‘ज टहय है ।’

अचय क मसय हौरे से सहभनत भें टहर ।

वववेक के ननदे मशत कुसी के कयीफ ऩहुॊचने तक कैप्िन वऩस्तौर त ने जस्थय िड़ यह कपय उसने आगे फढ कय वऩस्तौर
अचय को थभ दी।

‘इस ऩय ननग ह यिन ।’—वह फोर —‘मे कोई होमशम यी टदि ने की कोमशश कयत रगे तो ननसॊकोच गोरी चर दे न ।’

अचय ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘फैठ ज ओ।’—कैप्िन वववेक से फोर —‘औय ि भोशी से नज य कयो।’

वववेक कुसी ऩय ढे य हो गम । उसने अऩनी ि ॊगें पैर रीॊ त कक फेकि भें िस


ुॊ ी नॊगी िि
ु यी उसके ऩहरू भें न चब
ु ने रगे।
उसने अचय की तयप दे ि । अचय ने बफन ऩरक झऩक मे उससे ननग ह मभर ई।

कैप्िन एक ओय ऩड़े िे रीपोन के कयीफ ऩहुॊच । उसने उस ऩय नम्फय ड मर ककम , औय प्रतीऺ कयने रग । कुछ ऺण फ द
सम्ऩका स्थ वऩत हुआ तो वह फोर —‘भैं मभस्िय द भोदय िेत न से फ त कयन च हत हूॊ।’

‘वह कुछ ऺण रयसीवय क न से रग मे िड़ यह । कपय उसने दयव जे के स थ िे क रग री औय वववेक की ओय दे ि कय


ि भि ह हॊ स ।

‘कुछ ऺण औय मॊू ही गज
ु ये ।

कपय एक एक रयसीवय क न से रग मे िड़ कैप्िन सचेत हुआ।

‘हकरो, मभस्िय िेत न!’—वह भ उथऩीस भें फोर —‘भैं कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन फोर यह हूॊ। आऩने भुझे
ऩहच न ?…गुड। आऩको म द है कर आऩ वववेक ज र न के स थ भेये फॊगरे ऩय आए थे औय आऩने भुझे कोई ऩेशकश की
थी?…जी ह ॊ। वही। वही। होतचन्द नी के चोयी चरे गए जव हय त की ियीद की ऩेशकश!…जी ह ॊ। जी हैं। कोई बर
ू ने की
फ त नहीॊ। म नी कक म द है आऩको।…गड
ु । भेय पोन कयने क भकसद आऩसे मे ऩूछन थ कक क्म आऩ अबी बी उन
जव हय त के ियीदद य हैं।…उन्हें छोडड़मे। वो सह ऩहरे की फ तें। अफ आऩ फेशक मे कह रीजजए कक चोयी क भ र अऩने
ऩ स यिकय चोय कहर ने से भुझे एतय ज नहीॊ है । मूॊ गैि भ ई प्व इॊि।…गुड। तो क्म जव फ हुआ आऩक ?…जी!…जी ह ॊ।
जव हय त भेये ऩ स हैं औय इस वक्त ऐन भेये स भने भौजूद हैं।…क्म ? जी ह ॊ। मरप पे भें ।…जी?…नहीॊ, नहीॊ। भैंने
मरप प नहीॊ िोर है । उस ऩय रगी तभ भ सीर एकदभ फयकय य है , चौकस है । भैंने उनको छुआ तक नहीॊ है …’
‘क्म फ त है ?’—अचय व्मग्र ब व से पुसपुस ई—‘इतनी रम्फी फ त क्मों हो यही है ? क्म वो…’

कैप्िन ने अऩन ि री ह थ उठ कय उसे ि भोश यहने क इश य ककम औय आॊिों ही आॊिों भें उसे आश्व सन टदम ।

‘दे खिमे’—वह कपय भ उथऩीस भें फोर —‘ऐसे सौदे एतफ य बफन नहीॊ होते। एक तो एतफ य होग तो दस
ू ये को बी एतफ य
होग न। आऩ भेये ऩय एतफ य करयए, भैं आऩ ऩय एतफ य कयत हूॊ। आऩ रुऩम रेकय मह ॊ आइए औय जव हय त रेकय मह ॊ
से चरे ज इए। दै र्टस आर। आऩ उन जव हय त क क्म कयते हैं, इससे हभें भतरफ नहीॊ। हभ आऩसे ह मसर रुऩमे क क्म
कयते हैं, इससे आऩको भतरफ नहीॊ। न आऩ ककसी को कुछ फत ने व रे हैं औय न हभ अऩन भुॊह प ड़ने व रे हैं। इि इज
ऐज ईजी ऐज दै ि। इि इज ऐज मसम्ऩर ऐज दै ि।…वैयी गुड। आऩ भेये फॊगरे ऩय आए ही हुए हैं।…ज र न के स थ आए थे
इसमरए य स्त म द नहीॊ!…कोई फ त नहीॊ। आऩ भेय ऩत नोि कय रीजजए।’—उसने िेत न को अऩन ऩत नोि
कय म ?—‘वैसे तो भेये फॊगरे ऩय ऩहुॊचने के मरए भेय न भ भ रूभ होन ही क पी है । आऩ ककसी बी िै क्सी ड्र इवय को कह
दीजजएग कक आऩने कैप्िन ववमरमभ भॊग ू ववन के फॊगरे ऩय ज न है । वो आऩको मह ॊ ऩहुॊच दे ग । रेककन एक भेहयफ नी
कीजजएग , ग ड़ी ऐन फॊगरे के स भने ऩ का न कय इमेग । मू नो व ि आई भीन!…गुड। गुड गुड।…ओके, आई एभ वेटिॊग
प य मू।’

उसने रयसीवय व वऩस िेडर ऩय यि टदम औय फड़े सॊतजु ष्ि ऩूणा ब व से गदा न टहर ई।

‘आ यह है ।’—वह अचय से फोर ।

‘रुऩमे के स थ?’—अचय सशॊक ब व से फोरी।

‘औय नहीॊ तो क्म ि री ह थ!’

‘हूॊ।’

कैप्िन वववेक की ओय घभ
ू ।

‘उसको मह ॊ ऩहुॊचने भें ऩ ॊच दस मभनि रगें गे’—वह फोर —‘तफ तक कोई डड्रॊक ऩेश करूॊ?’

‘भुझे कोई एतय ज नहीॊ।’

‘क्म वऩमोगे?’

‘ववस्की। ब् ॊडी बी चरेगी।’


‘भैं अबी ह जजय कयत हूॊ।’

वह कभये के वऩछव ड़े की तयप फढ औय वह ॊ क एक दयव ज र ॊघ कय दृजष्ि से ओझर हो गम ।

अचय फदस्तयू ह थ भें थभी वऩस्तौर वववेकी की ओय त ने यही। उसकी ननग ह वववेक के चेहये ऩय मूॊ टिकी यही जैसे वह
ककसी बी ऺण उससे ककसी गरत हयकत की अऩेऺ कय यही हो।

कैप्िन व वऩस रौि तो तबी उसने वववेक को एकिक दे िन फन्द ककम औय वऩस्तौर की न र तननक नीचे झक
ु ी।
कैप्िन अऩने ह थ भें एक ट्रे उठ ए थ जजसभें एक स्क च ववस्की की फोतर, एक ऩ नी क जग औय तीन धगर स यिे थे।
इसने ट्रे भेज ऩय यि दी। उसने एक धगर स भें ववस्की ड री। उसभें ऩ नी मभर म औय धगर स वववेक को थभ टदम ।

‘तभ
ु रोगी न?’—वह अचय से फोर ।

‘नहीॊ।’—अचय सख्ती से फोरी—‘औय तभ


ु बी ऩयहे ज ही कयो। आखिय तभ
ु ने प्रेन उड़ न है ।’

उसकी चेत वनी क कैप्िन ऩय कोई असय न हुआ। उसने अऩने मरए डड्रॊक तैम य ककम ।

‘प्रेन उड़ ने की नौफत आने भें अबी फहुत वक्त है ।’—वह फोर औय कपय वववेक की ओय घूभ —‘धचमसा।’

वववेक ने ि भोशी से अऩन धगर स तननक ऊॊच ककम औय उसभें से एक छोि स घूॊि बय ।

‘कह ॊ ज ने क इय द है ?’—कपय वह सहज ब व से फोर ।

‘फम्फई।’—कैप्िन फोर ।

‘ऩहुॊच ज ओगे?’

‘फहुत आस नी से। तभ ु बूर यहे हो कक भेयी ही च िा डा फ्र इि होतचन्द नी औय अचय को उनकी श दी के फ द फम्फई रे
ज ने व री थी। भेये प्रेन के तभ भ ऩेऩसा तैम य हैं। च िा डा फ्र इि को क ठभ ण्डू औय फम्फई से जक्रमयें स मभर चक
ु ी है ।
सफ कुछ वैसे ही होग जैसे कक होन तम थ । पका है तो मसपा इतन कक मसपा दक
ू हे य ज हभ ये स थ नहीॊ होंगे।’

वो हो हो कयके हॊ स । उसने ववस्की क एक घूॊि बय औय कपय फोर —‘उनकी जगह तभ


ु हभ य स थ दोगे।’

‘भैं!’—वववेक चौंक ।

‘ह ॊ।’

‘तभ
ु रोग भझ
ु े अऩने स थ फम्फई रेकय ज ओगे?’

‘स थ रेकय ज एॊगे रेककन फम्फई नहीॊ।’

‘तो?’

‘य स्ते भें कहीॊ हभ तम्


ु हें प्रेन से ड्र ऩ कय दें गे।’

‘क्म ?’

‘घफय ओ नहीॊ। मॊू ही नहीॊ रढ


ु क दें गे हभ तम्
ु हें प्रेन से फ हय। इतने फेयहभ नहीॊ हैं हभ। हभ तम्
ु हें ऩैय शि
ू से रैस कयके
प्रेन से फ हय कयें गे। तभ
ु एकदभ सेप नीचे क ठभ न्डू से दयू कहीॊ नेऩ र म इजण्डम की धयती ऩय कहीॊ रैंड कय ज ओगे।’

‘रेककन’—वववेक घफय ए स्वय भें फोर —‘इसकी जरूयत क्म है ?’


‘जरूयत है । मूॊ ही हभें इस फ त की तसकरी हो सकती है कक तभ
ु मह ॊ से ननकरते ही ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ऩहुॊच ज ओगे।’

‘भेय ऩुमरस के ऩ स ज ने क कोई इय द नहीॊ।’

‘आई नो। आई नो। फि वुई है व िु फी श्मोय।’

‘भैं ऩैय शि
ू से कैसे धयती ऩय उतय ऩ ऊॊग । भैं क्म कोई ऩैय ट्रू ऩय हूॊ?’

‘उतय ऩ ओगे।’—कैप्िन उसकी घफय हि से आनजन्दत होत हुआ फोर —‘एक ध डोयी ही तो िीॊचनी होती है । वो भैं मसि
दॊ ग
ू । धयती ऩय ऩयपैक्ि रैंडडॊग नहीॊ कय ऩ ओगे तो थोड़ी फहुत चोि ही तो ि ज ओगे। वो फद ाश्त कय रेन । आखिय
जव न जह न आदभी हो।’

‘रेककन…’

‘वैसे’—अचय फोरी—‘तम्
ु ह ये ऩमु रस के ऩ स न ज ने की ग यन्िी कयने क हभ ये ऩ स एक आस न तयीक बी है ।’

‘वो क्म ?’—वववेक आश ऩूणा स्वय भें फोर ।

‘कक हभ अऩनी यव नगी से ऩहरे तम्


ु हें महीॊ शूि कय दें ’

वववेक के छक्के छूि गए। उसने फदहव स ब व से कैप्िन की तयप दे ि ।

‘भज क कय यही है ।’—जोय क अट्टह स कयत हुआ कैप्िन फोर —‘तभ ु ि भि ह घफय यहे हो। ऩैय शिू से धयती ऩय उतयने
भें तम्
ु हें कोई कतरीप नहीॊ होगी। तम्
ु हें तकरीप ऩहुॊच ने क हभ य कतई कोई इय द नहीॊ। हभ मसपा मे च हते हैं कक हभ ये
सुयक्षऺत फम्फई ऩहुॊच ज ने तक तभ
ु मह ॊ कक ऩुमरस के ऩ स न ऩहुॊच सको। जैस हभने प्रोग्र भ सोच है उसके भुत बफक
क ठभ ण्डू व ऩस आकय ऩुमरस के ऩ स ऩहुॊचने भें तम्
ु हें कभ से कभ दो टदन रग ज एॊगे।’

वववेक ि भोश यह ।

कपय उसने अऩनी जेफ की तयप ह थ फढ म ।

‘िफयद य!’—अचय तत्क र फोरी।

‘भैं मसगये ि ननक र यह थ ।’—वववेक फोर ।’

‘मसगये ि हभ दे ते हैं।

उसके इश ये ऩय कैप्िन ने उसे मसगये ि ऩेश ककम ।

मसगये ि के कश औय जव्हस्की की चजु स्कमों के फीच आग भी ऩ ॊच मभनि गुजये ।

कपय एक एक फ हय फय भदे भें ऩड़ते ब यी कदभों की आहि हुई।


वववेक सम्बर कय फैठ गम । उसने मसगये ि पेंक टदम औय ववस्की क धगर स बी ि री कयके एक ओय यि टदम । वह
आशॊककत ब व से दयव जे की तयप दे िने रग क्मोंकक फ हय फय भदे क रकड़ी क पशा कुछ ज्म द ही जोय से िड़क यह
थ।
कपय एक घुिी हुई जन न चीि की आव ज फ हय से आमी।

वववेक औय आशॊककत हो उठ ।

कैप्िन ऩय बी फ हय से आती आव जों क तत्क र असय हुआ। उसने अऩन धगर स भेज ऩय ऩिक , आगे फढकय अचय के
ह थ से वऩस्तौर झऩिी औय दयव जे की ओय फढ ।

तबी दयव ज िर
ु औय श्वेत को अऩनी धगयफ्त भें दफोचे उसे अऩने स थ रगबग घसीिते हुए द भोदय िेत न ने बीतय
कदभ यि । उस घड़ी बी वह हभेश की तयह अऩन क र चश्भ रग ए थ औय उसके चेहये ऩय फड़े ितयन क ब व थे।

‘मह ॊ क्म हो यह है ?’—वह बड़के स्वय भें फोर ।

श्वेत ऩय ननग ह ऩड़ते ही वववेक जस्प्रॊग रगे खिरौने की तयह अऩनी कुसी से उठ । श्वेत को िेत न के चॊगुर भें पॊसी होने
क उसने एक ही भतरफ रग म कक वो वववेक के आदे श नुस य िै क्सी भें नहीॊ फैठी यही थी। वह उसके फच व के मरए आगे
झऩि तो कैप्िन क य ऺस जैस ववश रक म शयीय उसके य स्ते भें आम । उसने फड़ी सहूमरमत से वववेक को व वऩस धकेर
टदम ।

‘िफयद य!’—वह पुॊपक य ।’

‘उसे कहो रड़की को छोड़े।’—वववेक धचकर म ।

‘ि भोश।’

वववेक फड़ी कटठन ई से स्वमॊ ऩय क फू कय ऩ म ।

कैप्िन ने िेत न की तयप दे ि ।

िेत न ने तत्क र श्वेत ऩय से अऩनी ऩकड़ ढीरी कय दी औय उसे एक ओय धकेर टदम ।

श्वेती अऩनी उिड़ी स ॊसों ऩय क फू ऩ ने की कोमशश कयने रगी।

‘सॉयी!’—कपय वह वववेक से फोरी।

‘हुआ क्म थ ?’—वववेक फोर ।

‘तम्
ु हें बीतय गए हुए फहुत दे य हो गमी थी तो भैं घफय गमी थी। भैं मसपा मे ब ॊऩने की कोमशश भें फय भदे तक आमी थी कक
तम्
ु हें बीतय इतनी दे य क्मों रग यही थी कक तबी मे…मे…’

उसने द भोदय िेत न की ओय इश य ककम औय ि भोश हो गमी।


‘रड़की को ज ने दो।’—वववेक फोर —‘इसक मह ॊ कोई भतरफ नहीॊ।’

‘अफ फन गम है भतरफ।’—कैप्िन फोर —‘अफ इसे कैसे मह ॊ से ज ने टदम ज सकत है ? हभें क्म भ रूभ नहीॊ कक इसे
मह ॊ से ज ने टदम गम तो मह ॊ से ननकर कय मे सीधी कह ॊ ज मेगी! हभें फेवकूप सभझते हो?’

‘भैं इसकी ग यन्िी रेत हूॊ कक मे कुछ नहीॊ कये गी। आखिय भैं तो मह ॊ हूॊ।’
‘सॉयी। मे अफ महीॊ ठहये गी।’

‘रेककन…’

‘शि अऩ।’

वववेक फड़े अननच्छ ऩूणा ब व से ि भोश हो गम । उसकी एक मशक मतबयी ननग ह श्वेत ऩय गमी तो वह आॊिों ही आॊिों
भें उससे ऺभ म चन कयने रगी।

‘क्म हुआ थ , मभस्िय िेत न?’—कैप्िन िेत न से सम्फोधधत हुआ।

‘आऩकी य म के भुत बफक’–िेत न फोर –‘भैं सड़क के भोड़ ऩय ही िै क्सी से उतय गम थ । औय ऩैदर मह ॊ तक ऩहुॉच थ ।
भैं प िक से बीतय द खिर हुआ थ तो भुझे रग थ कक फय भदे भें कोई थ । भैं दफे ऩ ॊव कयीफ ऩहुॉच तो भैंने इसे दयव जे
के स थ क न रग मे िड़े ऩ म । भैं चऩ
ु च ऩ इसके ऩीछे ऩहुॉच औय कपय भैंने इसे दफोच मरम ।’

‘अच्छ ककम ।’–वह श्वेत की तयप घभ


ू –‘तो नेऩ री भेभ स हफ हभ ये ऩय ज सस
ू ी कय यही थी।’

श्वेत ि भोश यही।

‘चऩ
ु च ऩ उधय उस कुसी ऩय फैठ ज ओ।’

श्वेत ने आदे श क ऩ रन ककम ।

‘रुऩम कह ॊ है ?’–कैप्िन कपय िेत न से सम्फोधधत हुआ। ‘फ हय फय भदे भें ।’—िेत न फोर —‘भेये दो ही ह थ हैं। भेये ब ई।
म तो भैं इस रड़की को बीतय र सकत थ औय म रुऩमों व रे सूिकेस को। सभझे?’

कैप्िन ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘भैं सूिकेस र त हूॊ।’

िेत न वह ॊ से फ हय ननकर गम । जफ वह व वऩस रौि तो वववेक ने दे ि कक उसके ह थ भें वही ववश र सि


ू केस थ जजसे
उसने उसके कभये भें एक फ य ऩरॊग के ऊऩय िर
ु ऩड़ दे ि थ औय दस
ू यी फ य ऩरॊग के नीचे भजफूती से त र रग ऩड़
दे ि थ औय जजसे उसके ख्म र से ऩ भेर सेन अऩने स थ करकत्त से र मी थी। उसने वह सूिकेस र कय भेज ऩय यि
औय उसक त र िोर कय उसक ढक्कन उठ म ।

सूिकेस ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों की गड्डडमों से बय ऩड़ थ ।


‘अऩन भ र चैक कय रो।’—िेत न कैप्िन से फोर औय भेज ऩय से ऩये हि गम ।

कैप्िन भेज के कयीफ ऩहुॊच । वऩस्तौर थ भे थ भे ही उसने नोिों की कुछ गड्डडमों क भुआमन ककम । कपय तत्क र उसकी
आॊिों भें र रच की चभक आमी।

वववेक उस घड़ी िेत न की ओय दे ि यह थ । वह अनुबव कय यह थ कक िेत न अऩने कोि के नीचे शोकडय होरस्िय
रग मे थ औय उसभें जरूय कोई हधथम य थ ।

अफ वह ककसी सम्ब ववत िन


ू िय फे के ख्म र से आशॊककत होने रग ।

‘भ र चौकस।’—अन्त भें कैप्िन ने घोषण की।

‘तो’—िेत न फोर —‘अफ भेय भ र ननक रो।’

कैप्िन ने जव हय त क सीरफन्द मरप प सि


ू केस के ऩहरू भें भेज ऩय यि टदम ।

िेत न ने आगे फढकय मरप प उठ म औय फड़ी फ यीकी से उसकी एक-एक सीर क भुआमन कयने रग ।

कपय अन्त भें उसक भुआमन सभ प्त हुआ औय उसने होंठ भुस्कय हि की सूयत भें पैरे।

‘ठीक है ।’—वह फोर —‘अफ एक फ त फत ओ।’


‘ऩछ
ू ो।’—कैप्िन फोर ।

‘वववेक मह ॊ क्म कय यह है ? इसकी नेऩ री भ शूक मह ॊ क्म कय यही है ?’

‘मरप प वववेक के ऩ स थ ।’—कैप्िन फोर ।

‘अच्छ ।’—िेत न ने है य नी से वववेक की तयप दे ि ।

‘ह ॊ। औय मही इसे मह ॊ र म है ।’

‘अऩनी भजी से?’

‘भजी से कहीॊ ऐसे क भ होते हैं। हभने इस ऩय कोई दफ व ड र थ जजसके आगे इसकी ऩेश नहीॊ चरी थी। इसे भजफूयन
मरप प मह ॊ र न ऩड़ थ ।’

‘मरप प कफ से थ इसके ऩ स?’

‘शरू
ु से ही।’

िेत न ने औय सख्त है य नी से वववेक की ओय दे ि ।

‘फहुत’—कपय वह धीये से फोर —घुन्न ननकर भेय ज त ब ई।’


‘भैं कैस बी ननकर ।’—वववेक फोर —‘तम्
ु ह य क भ तो सय गम ।’

‘क्म भतरफ?’

‘जव हय त क मरप प तम्


ु ह ये ह थ भें है ।’

‘तो?’

‘बूर बी गए? बूर गए कक कर टदन भें इन जव हय त के सन्दबा भें तभ


ु ने भेये से कोई कय य ककम थ ? तभ
ु ने कह थ कक
जव हय त तम्
ु ह ये ह थ रग गए तो तभ
ु भुझे फीस हज य रुऩमे दोगे। न रगे तो बी तभ
ु भुझे ऩ ॊच हज य रुऩए दोगे।’

‘ओहो! तो तम्
ु हें अऩनी पीस च टहए।’

‘क्मों नहीॊ?’

‘जव हय त तभ
ु ने थोड़े ही टदए हैं भझ े ’
ु ?

‘ऐस कुछ तम नहीॊ हुआ थ कक जव हय त तम्


ु हें भैं दॊ ग
ू । भेय क भ तम्
ु हें मसपा य स्त टदि न थ ।’

‘ब ई भेये वो बी तो ठीक न टदि म तभ


ु ने। जव हय त िद
ु दफोचे यहे औय भुझे जगह जगह बिक ते यहे । तभ
ु शुरू भें ही
जव हय त भुझे सौंऩ सकते थे।’

‘भैं क्म कय सकत थ , इसक हव र दे न फेभ नी है । अहमभमत इस फ त की है कक क्म हो चक


ु है औय हो मे चक
ु है कक
जव हय त तम्
ु ह ये कब्जे भें हैं। अफ तभ
ु अऩने कय य ऩय िये उतयो म न उतयो, तम्
ु ह यी भजी। रेककन म द टदर न भेय
पय्ज थ ।’

द भोदय िेत न कुछ ऺण सोचत यह , कपय उसके होंठों ऩय एक भुस्कय हि प्रकि हुई।

‘तू बी क्म म द कये ग , भेये ज त ब ई, कक कोई मभर थ तझ


ु ।े ’—उसने कोि की बीतयी जेफ से सौ सौ के नोिों की दो
गड्डडम ॊ ननक री औय उन्हें वववेक के स भने भेज ऩय ड र टदम —‘आज भैं फहुत िश
ु हूॊ इसमरए मे रे, तू बी िश
ु हो ज ।’

‘शुकिम ।’—वववेक फोर । उसने भेज ऩय से गड्डडम ॊ उठ रीॊ औय कैप्िन की ऩैनी, चेत वनीऩूणा ननग हों के स भने उन्हें मूॊ
अऩने कोि क द मीॊ जेफ भें ड र मरम कक ह थ जेफ भें द खिर न हुआ।

‘िश
ु ?’—िेत न फोर ।

‘फहुत ज्म द ।’

‘तेयी सहे री मह ॊ कैसे ऩहुॊच गमी?’

वववेक ने उत्तय न टदम । वह ऩये दे िने रग ।

िेत न ने वही सव र कैप्िन से ककम ।


‘हभें नहीॊ भ रूभ।’—कैप्िन फोर —‘ऩत नहीॊ वववेक इसे स थ ही रेकय आम थ म मे वववेक क ऩीछ कयती हुई मह ॊ
ऩहुॊच गई थी। फहयह र उस फ त की कोई अहमभमत नहीॊ।’

‘रेककन इन दोनों की मह ॊ भौजूदगी की अहमभमत है ।’—िेत न फोर —‘मे दोनों हभ ये फीच हुए सौदे के चश्भदीद गव ह हैं।
मे हभ यी ऩोर िोर सकते हैं। ऩयसों दोऩहय की फ्र इि से भेयी मसॊग ऩुय की सीि फुक है । भुझे इस फ त की ग यन्िी च टहए
कक भेये नेऩ र से कूच कय ज ने से ऩहरे मे जव हय त की भेये ऩ स भौजद
ू गी की ऩोर नहीॊ िोर दें गे।’

‘ऐसी ग यन्िी िद
ु हभें बी च टहए। ऐसी ग यन्िी है ।’

‘कैसे है ?’

‘कैप्िन ने वववेक के ऩैय ड्र ऩ व री मोजन दोहय मी।

‘अफ पका मसपा इतन ऩड़ गम है ’—वह फोर —‘कक अफ हभें एक की जगह दो ऩैसेन्जयों को ऩैय शि
ू से ड्र ऩ कयन ऩड़ेग ।’

‘वैयी गुड।’

‘हो सकत है ऩैय ड्र ऩ रड़की ऩय ब यी ऩड़े रेककन उसभें हभ क्म कय सकते हैं? इसे मह ॊ नहीॊ आन च टहए थ ।’

‘ठीक।’

‘वैसे रड़की के आ ज ने से हभें तो प मद ही हुआ है । अफ कोई होमशम यी टदि ने क ख्म र कयने से ऩहरे वववेक दस फ य
सोचेग ।

‘वैयी गुड। इन दोनों के भ भरे भें अगय भेयी कोई भदद च टहए हो तो…।’

नहीॊ च टहए। शुकिम । हभ इन्हें फिफ


ू ी सम्ब र रेंगे।’

‘सम्ब र ही रेन ।’—िेत न चेत वनी बये स्वय भें फोर —‘मे न बर
ू न कक सौद ऩि चक
ु ने के फ द बी जफ तक हभ मह ॊ से
ननकर कय अऩने टठक ने ऩय न ऩहुॊच ज में, हभ एक दसू ये के स थी हैं। एक के टहत भें ही दस
ू ये क टहत है । एक ने गरती
की तो दस
ू ये को बी बुगतनी ऩड़ेगी। एक की सर भती भें ही दस
ू ये की सर भती है, भेये ब ई।’
‘हभ सभझते हैं। तभ
ु धचन्त न कयो। जो कुछ होग , ठीक ही होग ।’

‘फटढम । भैं चरत हूॊ।’

तत्क र जव हय त के मरप पे के स थ िेत न वह ॊ से ववद हो गम ।

वववेक ने फेचन
ै ी से ऩहरू फदर । िेत न को वह ॊ अिक मे यिने की एक तयकीफ उसके जेहन भें थी रेककन दो फ तें उसे उस
तयकीफ ऩय अभर कयने से हतोत्स टहत कय यही थीॊ। एक तो आश के ववऩयीत िेत न हधथम यफन्द थ दस
ू ये उसे श्वेत की
सर भती की कपि थी। नतीजतन वह ि भोशी से िेत न को जव हय त के स थ वह ॊ से कूच कयत दे ित यह ।

कैप्िन सूिकेस फन्द कयने रग ।


‘तभ
ु ’—वववेक फोर —‘व कई हभें ऩैय ड्र ऩ कयने की कपय क भें हो?’

‘तम्
ु हें अबी बी शक है ?’—कैप्िन उऩह सऩूणा स्वय भें फोर ।

‘शक तो नहीॊ रेककन…’

‘तभ
ु दोनों की उसी भें बर ई है । हभ यी औय िेत न की बी उसी भें बर ई है ।’

‘फ द भें बी तो हभ ऩुमरस को सफ फत सकते हैं।’

‘फ द भें कोई पका नहीॊ ऩड़त । भैंने ऩहरे ही कह है कक व वऩस क ठभ ॊडू ऩहुॊचने भें तम्
ु हें कभ से कभ दो टदन रगें गे। अफ
रड़की के स थ की वजह से श मद ज्म द वक्त रग ज मे। दो टदन फ द ऩुमरस च हकय बी हभ य कुछ नहीॊ बफग ड़
सकेगी।’ वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘कपय इस फ त क एक दस
ू य ऩहरू बी है ।’

‘वो क्म ?’

‘भुझे उम्भीद नहीॊ कक तभ


ु ऩुमरस के ऩ स ज ओगे।’

‘क्मों?’

‘क्मों कक हो सकत है तफ तक तम्


ु ह ये ऊऩय होतचन्द नी के कत्र क भुकदभ चर यह हो।’

‘भेये ऊऩय?’

‘हो सकत है ।’

‘तभ
ु सभझते हो कक होतचन्द नी क कत्र भैंने ककम है ?’

‘भेय कपय वही जव फ है । हो सकत है ।’

‘अचय ने तम्
ु हें अऩनी कह नी सन
ु मी?’

‘कौन सी कह नी?’

‘इसके होतचन्द नी के कत्र के रयश्ते की कह नी।’

‘ह ॊ। सुन मी।’

‘मे बी फत म कक जफ मे ऩयसों य त होतचन्द नी के फॊगरे ऩय ऩहुॊची थी तो इसने उसे ड ईंगरूभ के पशा ऩय ऩहरू के फर
रुढक ऩड़ ऩ म थ । इसने मे बी फत म कक होतचन्द नी इसके स भने हत्म ये क न भ रेकय भय थ ?’

‘ह ॊ। तबी तो भैं कह यह हूॊ कक आने व रे टदनों भें श मद तम्


ु ह ये ऊऩय होतचन्द नी के कत्र क भुकदभ ही चर यह हो।’
‘रेककन तभ
ु रोग तो आज ही य त मह ॊ से कुच कय यहे हो। कपय ऩुमरस को मे फ त कौन फत मेग कक होतचन्द नी अऩने
हत्म ये क न भ रेकय भय थ ?’

‘कोई नहीॊ।’ कपय तो सभझ रो कक हभ यी मह ॊ से यव नगी के स थ ही तम्


ु ह य फहुत फड़ प मद हो गम । अफ जय िश

होकय टदि ओ।’

‘अबी टदि त हूॊ रेककन ऩहरे जय भैं अऩनी फ त भक


ु म्भर कय रॊ।ू ’

‘अबी हुई नहीॊ तम्


ु ह यी फ त भुकम्भर?’

‘नहीॊ।’

‘औय क्म कहन च हते हो?’

‘मे फ त झठ
ू है कक होतचन्द नी अऩने हत्म ये क न भ रेकय भय थ ।’

‘होगी, म य! भैंने फध ई दे तो दी तम्


ु हें तम्
ु ह ये इस प मदे की?’

‘असमरमत मे है कक अचय के फम न की हय फ त गरत है । मसव म एक फ त के।’

‘अच्छ !’

‘ह ॊ।’

‘वो कौन सी हुई?’

‘मे कक इसने होतचन्द नी की र श को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ ऩ म थ । फस मही एक फ त सच
है इसके फम न की जजसकी कक तसदीक भैं बी कय सकत हूॊ। भैंने बी जफ होतचन्द नी की र श दे िी थी तो वो पशा ऩय
ऩहरू के फर ही रुढकी हुई थी। उसको पशा ऩय रुढक ऩड़ दे िते ही भुझे मे नहीॊ सूझ गम थ कक वो भय ऩड़ थ । भैं
कयीफ ज कय घि
ु नों के फर फैठ गम थ औय भैंने उसको तननक खझझोड़ने की नीमत से उसके कन्धे को छुआ थ रेककन
भेये उसके कन्धे को ह थ रग ते ही उसके शयीय भें एक एक मूॊ हयकत हुई थी कक वह ऩीठ के फर रुढक गम थ । तबी
उसकी िनू से सनी छ ती दे ि कय भुझे भ रूभ हुआ थ कक वो भय ऩड़ थ । अफ भेये मसव म मसपा एक औय शख्स को मे
फ त भ रूभ हो सकती थी कक होतचन्द नी जफ भय कय धगय थ तो उसकी र श पशा ऩय अऩने ऩहरू के फर ज कय जस्थय
हुई थी। औय वो शख्स थ होतचन्द नी क हत्म य ।’

वववेक अऩने दोनों श्ोत ओॊ ऩय अऩने कथन क प्रब व दे िने के मरए टठठक । उसने नोि ककम कक कैप्िन सोच भें ऩड़
गम थ औय अचय फहुत आन्दोमरत टदि ई दे ने रगी थी।

‘अफ’—वववेक फोर —‘तभ


ु अऩनी थ ई भेभस हफ से ऩूछो कक इस फ फत मे क्म कहती है ।’

‘भैं’—अचय फोरी—‘ऩूछे बफन ही फत ती हूॊ कक भैं क्म कहती हूॊ। ठीक है , होतचन्द नी की अऩने हत्म ये की फ फत ड ईंग
डडक्रेमये शन व री कह नी भैंने गढी। इसभें कोई नमी फ त नहीॊ। मे तो भैं तम्
ु ह ये स भने ही तम्
ु ह ये होिर के कभये भें
कफूर कय चक
ु ी हूॊ। रेककन तभु इस फ त से इनक य नहीॊ कय सकते कक भेयी कह नी फहुत दभद य औय मकीन भें आने व री
थी। ऐस न होत तो तभ ु भेयी धभकी के जव फ भें जव हय त व र मरप प रेकय मह ॊ दौड़े न चरे आते। फ की यही र श
के ऩहरू के फर ऩड़े होने व री फ त तो वो तो एक इत्तप क थ कक भैंने ऐस कह थ ।’
‘नहीॊ। इत्तप क नहीॊ थ । वो हकीकत थी। तबी वो तम्
ु ह ये भुॊह से ननकरी। तभ
ु ने र श को ऩहरू के फर ऩड़ दे ि थ , तबी
तभ
ु ने ऐस कह । अफ सव र मे ऩैद होत है कक र श को ऩहरू के फर रढ
ु क ऩड़ तभ
ु ने कफ दे ि । अगय तम्
ु ह यी इस फ त
क मकीन ककम ज मे कक तभ
ु ने भुझे अऩने ऩहरे पेये भें वह ॊ से कूच कयते दे ि थ औय भेये वह ॊ से कूच कय ज ने के फ द
तभ
ु ने फॊगरे भें कदभ यि थ तो र श तम्
ु हें ऩहरू के फर ऩड़ी नहीॊ टदि ई दे सकती थी। तफ तक भेये उसक कन्ध छू
फैठने की वजह से र श रुढक कय ऩीठ के फर आ टिकी थी औय मूॊ ही भैं उसे वह ॊ छोड़कय गम थ । र श अगय तभ
ु ने तबी
ऩहरी फ य दे िी होती तो ऩीठ के फर रुढकी ऩड़ी दे िी होती। इसक क्म भतरफ हुआ?’

‘क्म भतरफ हुआ?’—सव र कैप्िन ने ककम ।

‘इसक भतरफ मह हुआ कक अचय भेये वह ॊ से कूच कयने के फ द वह ॊ नहीॊ ऩहुॊची थी फजकक ऩहरे से ही वह ॊ भौजूद थी।’

‘म नी कक’—अचय व्मॊग्मऩूणा स्वय भें फोरी—‘भैं वह ॊ तीन फ य गमी! एक फ य तम्


ु ह ये आने से ऩहरे, दस
ू यी फ य तम्
ु ह ये
वह ॊ से कूच कयने के फ द औय तीसयी फ य ऩुमरस के फुर ने ऩय ऩुमरस के स थ?’

‘नहीॊ। दो फ य। दो फ य गमीॊ तभ
ु वह ॊ। एक फ य ऩमु रस के फर
ु वे ऩय औय दस
ू यी फ य भेये वह ॊ ऩहुॊचने से ऩहरे जफ कक
होतचन्द नी की र श अऩने एक ऩहरू के फर पशा ऩय ऩड़ी थी। तबी तभ ु ने भुझे वह ॊ आते दे ि थ औय अऩने प मदे के
मरए मे फ त गढ री थी कक तभ
ु ने भुझे वह ॊ से कूच कयते दे ि थ त कक मह फ त स्थ वऩत हो सके कक तभ
ु भेये फ द वह ॊ
ऩहुॊची थीॊ औय भेये फ द वह ॊ ऩहुॊचने की फ त स्थ वऩत कयके तभ
ु मे स बफत कयन च हती थीॊ कक कत्र तम्
ु ह ये वह ॊ ऩहुॊचने
से ऩहरे ही हो चक
ु थ ।’

‘चरो ऐसे ही सही।’—अचय र ऩयव ही से फोरी—‘तो बी क्म हुआ! भैं कफर


ू कय तो चक
ु ी हूॊ कक जव हय त भैंने चयु मे थे।’

‘कफूर! रेककन मे अबी तभ


ु कफूर कयोगी कक जव हय त तभ
ु ने इसमरए नहीॊ चयु ए थे क्मोंकक होतचन्द नी भय ऩड़ थ ।
जव हय त तभ
ु ने इसमरए चयु मे थे क्मोंकक होतचन्द नी क कत्र ही तभ
ु ने ककम थ । उन जव हय त की ही ि नतय ककम
थ ।’

‘क्म फकते हो?’—कैप्िन बड़क कय फोर ।

‘तम्
ु ह ये भुझे धभक कय’—वववेक कहत यह —‘भेये होिर के कभये से चरे आने के फ द भैंने तम्
ु ह ये फम न की फ फत फहुत
सोच थ औय तम् ु ह यी कुछ ऩड़त र बी की थी।

‘ऩड़त र बी की थी?’—अचय सकऩक ई।

‘ह !ॊ औय उस ऩड़त र से भुझे भ रूभ हुआ थ कक तम्


ु ह यी भ री ह रत फहुत िस्त थी। तम्
ु ह ये ऊऩय ककतनी ही तयह की
तो उध यी चढी हुई थी जो कक तभु सभझती थीॊ कक श दी के फ द होतचन्द नी चक
ु त कय दे ग । अफ जफ कक होतचन्द नी
तम्
ु ह यी उध यी के बफर चक
ु ने को फ की नहीॊ फच थ तो रुऩमे ऩैसे के भ भरे भें ऩयदे स भें तम्ु ह यी फहुत दद
ु ा श हो सकती
थी। अफ ज टहय है कक जैसी दद
ु ा श तम्
ु ह यी ऩहरे मसॊग ऩुय औय यॊ गून भें हो चुकी थी, वैसी तभ
ु कपय से मह ॊ क ठभ ण्डू भें
कय ने को तैम य नहीॊ थीॊ। तम्
ु ह यी इस, नीमत भें भैंने तम्
ु ह ये फम न की इस फ त को जभ ककम कक तभ
ु ने र श को उसके
ऩहरू के फर रुढके दे ि थ तो स यी कह नी ऩरक झऩकते भेयी सभझ भें आ गमी।’

‘क्म कह नी सभझ भें आ गमी?’—कैऩ ्िन आन्दोमरत स्वय भें फोर —‘तभ
ु मे कहन च हते हो कक होतचन्द नी क कत्र
अचय ने ककम है ?’

‘अफ क्म मरि कय दॊ ?ू भैंने ऩहरे ही नहीॊ कह कक भेये मसव म केवर हत्म ये को भ रूभ हो सकत थ कक होतचन्द नी जफ
भय कय धगय थ तो उसकी र श पशा ऩय उसके एक ऩहरू के फर ज कय जस्थय हुई थी। अचय को मे फ त भ रभ
ू होन ही
इस फ त क ऩम ाप्त सफूत है कक हत्म यी मे है ।’

कैप्िन हकफक म स अचय क भुॊह दे िने रग ।

‘औय’—वववेक ने तऩते रोहे ऩय चोि की—‘शभशेय थ ऩ क्मोंकक फदककस्भती से इसकी कयतत


ू क चश्भदीद गव ह फन
गम थ इसमरए इसे उसक बी कत्र कयन ऩड़ ।’

ककतनी ही दे य कभये भें भयघि क स सन्न ि छ म यह । ऐस रगत यह जैसे वववेक के वक्तव्म के असय से एक एक
सफ कुछ फ्रीज हो गम थ । श्वेत की ह रत तो ऐसी थी जैसे वह स ॊस रेते डय यही हो। सफसे अधधक आॊदोमरत कैप्िन
ववमरमभ भूॊग ववन टदि मी दे यह थ । वह फ य फ य अऩनी द ढी नोच यह थ औय उसकी सूयत से मूॊ रग यह थ जैसे
उसकी अक्र ने एक एक क भ कयन फन्द कय टदम हो। केवर अचय मोसववधचत के चेहये से मूॊ रग यह थ जैसे कुछ हुआ
ही न हो। होंठों ऩय एक नऩी तर
ु ी भस्
ु कय हि मरमे वह ि भोश फैठी थी।

कपय अन्त भें कैप्िन ने ही चप्ु ऩी बॊग की।

‘अचय !’—वह फड़े कटठन स्वय भें फोर —‘मे सच नहीॊ है न?’ मे टहन्दस्
ु त नी छोकय झूठ फोर यह है न?’

तत्क र अचय के चेहये की भुस्कय हि औय भुिय हो उठी। वह भुस्कय ती हुई अऩने स्थ न से उठी औय इठर ती हुई कैप्िन
के कयीफ ऩहुॊची। वह कैप्िन के स थ सि कय िड़ी हो गमी औय उसने मॊू फड़े प्म य से कैप्िन के द ढी से ढॊ के ग र ऩय एक
चम्
ु फन अॊककत ककम जैसे वह ॊ इन दोनों के अर व औय कोई बी नहीॊ थ ।

‘ड मरिंग!’—वह फोरी—‘भुझ ऩय शक कय यहे हो?’

‘नहीॊ।’—कैप्िन फोर —‘भैं एक सव र ऩूछ यह हूॊ। वववेक फक यह है न?’

‘बफककुर फक यह है । मूॊ सभझो कक नशे भें प्रर ऩ कय यह है ।’

उसने दोफ य कैप्िन क चम्


ु फन रेने की कोमशश की रेककन कैप्िन ने उसे जफयन ऩये धकेर टदम ।

‘एक मभनि वहीॊ ज कय फैठो।’

‘ओह, ड मरिंग!’

‘अचय प्रीज!’

अचय फयु स भॊह


ु फन ती व वऩस मथ स्थ न ज फैठी।
कैप्िन ने अऩने मरए ववस्की क एक ऩैग फन म । इस फ य उसने वववेक को ववस्की आपय न की। उसने एक ही स ॊस भें
आध धगर स ि री कय टदम औय कपय फोर —‘हूॊ। तो मे झूठ फोर यह है ।’

‘बफककुर।’—अचय फोरी—‘ड मरिंग, जय सोचो। इस फ त से क्म पका ऩड़त है कक होतचन्द नी भय हुआ अऩने भुॊह के फर
ऩड़ थ म ऩीठ के फर ऩड़ थ म ककसी ऩहरू के फर ऩड़ थ । मे क्म कोई सफूत है ! मही तो कह यह है कक भैंने ऐस
कह कक भैंने होतचन्द नी को एक ऩहरू के फर रढ
ु के दे ि थ । कहने की तो मे मह बी कह सकत है कक भैंने इसे कह थ
कक भैंने होतचन्द नी को शूि ककम थ ।’
कैप्िन ने वववेक की तयप दे ि ।

‘तभ
ु अऩनी फ त से भुकय यही हो।’—वववेक फोर ।

‘कौन सी फ त से??’

‘कक तभ
ु ने कह थ कक तभ
ु ने होतचन्द नी की र श को एक ऩहरू के फर रुढके ऩड़े दे ि थ ।’

‘भैंने मसपा इतन कह थ कक भैंने होतचन्द नी को पशा ऩय भय ऩड़ दे ि थ ।’

‘मे नहीॊ कह थ कक तभ
ु ने उसे एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ दे ि थ ?’

‘नहीॊ।’

‘भुकयने से तम्
ु ह य छुिक य नहीॊ होने व र भेभस हफ।’

‘अच्छ !’

‘क्मोंकक भैं औय बी फ तें ज नत हूॊ जो कक तम्


ु ह ये अऩय धी होने की तयप इश य कयती हैं।’

‘अच्छ !’

‘ह !ॊ अबी तो भैंने मसपा वही फ त फत मी जजसकी वजह से भेय तम्


ु ह ये अऩय धी होने की तयप ध्म न गम थ ।’

‘औय क्म ज नते हो?’

‘औय क्म ज नते हो?’—कैप्िन ने बी सव र ककम ।

‘फत त हूॊ।’—वववेक फोर —‘रेककन अऩनी फ त ठीक से सभझ ने के मरए भुझे होतचन्द नी के कत्र की य त के व क्म त
कपय से, तयतीफव य, दोहय ने ऩड़ेंगे।’

‘तो दोहय ओ। ककसने योक है!’

‘तो सुनो।’
उसने फोरन आयम्ब ककम । उसने कैप्िन को अऩने उस य त के एक एक एक्शन क अऺयश् ब्मोय दे न आयम्ब ककम ।
उसने उसे उस रगबग िॊडहय हो चक
ु े अॊधेये ि री भक न के फ ये भें बी फत म जजसके फय भदे भें उसने फ रयश शुरू होते ही
ऩन ह री थी। उसने फत म कक कैसे फ रयश फन्द होने के फ द वह वह ॊ से ननकर कय होतचन्द नी के फॊगरे भें ऩहुॊच थ
जह ॊ उसने र श को एक ऩहरू के फर ऩड़े दे ि थ औय कपय आतॊककत होकय वह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ । कैसे य स्ते भें उस
ऩय से बम क बत
ू उतय थ , उसकी अकर ने गव ही दी थी कक उसे मॊू ब ग नहीॊ िड़ होन च टहए थ औय नतीजन वो
व वऩस रौि थ ।

कैप्िन ने फड़ी तन्भमत से उसकी हय फ त सुनी।

‘फ रयश के भ भरे भें’—कपय वह फोर —‘तभ


ु ने नेऩ री औयतों की एक फड़ी अनूठी आदत नोि की है ?’

‘कौन सी?’—कैप्िन फोर ।

‘फ रयश होते ही फजकक फयस त क एक छीॊि बी ऩड़ते वे पौयन ओि रेने को ब गती हैं…।’

‘इसभें क्म ि स फ त है ? ऐस तो स यी दनु नम की औयतें कयती हैं। फजकक भदा बी।’

‘अबी ऩूयी फ त तो सुन रो।’

‘सुन ओ।’

‘अगय वो ओि नहीॊ रे ऩ तीॊ; तत्क र कोई ओि उऩरब्ध नहीॊ होती तो वो क्म कयती हैं?’

‘तो उनके ह थ भें जो कुछ बी होत है , वो उससे मसय ढॊ कने की कोमशश कयती हैं। भैंने अक्सय दे ि है । मह ॊ की औयतें
फयस त भें अऩने मसय को बीगने से फच ने की फहुत ख्व टहशभन्द भ रूभ होती हैं। फ रयश की ऩहरी फूॊद िऩकते ही उनके
ह थ भें कोई ऩैकेि, झोर , िोकयी, भैगजीन, है ण्डफैग वगैयह जो कुछ बी होत है ; वे पौयन उससे अऩन मसय ढॊ कने की
कोमशश कयती हैं।’

‘ऐग्जैक्िरी। च हो तो श्वेत से इसकी तसदीक कय रो।’

‘जरूयत नहीॊ। नेऩ र भें ऐसे नज ये भैंने आभ दे िे हैं। तभ


ु अऩनी कहो, तभ
ु कहन क्म च हते हो।’

‘होतचन्द नी के कत्र की य त को फ रयश के दौय न जफ भैं िॊडहय भक न के फय भदे भें िड़ थ तो भैंने सड़क ऩय से एक
औयत को गुजयते दे ि थ ।’

‘तो क्म हुआ?’—कैप्िन उत वरे स्वय भें फोर —‘जय जकदी-जकदी जफ


ु न चर ओ। तभ
ु ने एक औयत को दे ि थ जो
फ रयश के दौय न सड़क ऩय चरी ज यही थी। आगे?’

‘उस औयत की सूयत भैं नहीॊ दे ि सक थ क्मोंकक एक तो योशनी कभ थी औय दस


ू ये फ रयश तेज थी रेककन इतन भुझे
कपय बी टदि ई टदम थ कक वह औयत थी औय मसय से ऩ ॊव तक ऩूयी तयह से बीगी हुई थी। उसके गीरे फ र रिों की सूयत
भें उसके चेहये ऩय रिक आमे थे औय उनभें से ऩ नी फह यह थ । उसके ह थ भें एक फन्डर थ जजससे अऩन मसय ढॊ कने
की जगह वो उसे अऩनी छ ती से धचभि मे हुए थी। इसक क्म भतरफ हुआ?’
‘तभ
ु फत ओ।’

‘इसक मे भतरफ हुआ कक वो कोई नेऩ री औयत नहीॊ थी। वो औयत नेऩ री होती तो फॊडर उसने अऩनी छ ती से धचभि
कय यिने की जगह अऩने मसय के ऊऩय ककम होत जैस कक फ रयश भें हय नेऩ री औयत हभेश कयती है ।’

‘तो क्म हुआ?’

‘तो मे हुआ कक भेय द व है कक उस घड़ी फ रयश भें बीगती ज यही वो औयत अचय थी औय उसने जो फन्डर स अऩनी
छ ती के स थ धचभि म हुआ थ , वो जव हय त व र सीरफन ्द मरप प थ ।’—वववेक ने एक ननग ह अचय ऩय ड री औय
कपय आगे फढ —‘उस तेज फ रयश भें बी मे इसमरए सड़क ऩय रऩकी चरी ज यही थी क्मोंकक इसने ऩीछे होतचन्द नी के
फॊगरे भें उसक कत्र ककम थ औय मे जकदी से जकदी घिन -स्थर से ज्म द से ज्म द दयू ननकर ज न च हती थी।’

कैप्िन ने अचय की तयप दे ि । अचय फड़ी टदरेयी से उससे ननग ह मभर कय भस्
ु कय मी।

‘उसी घड़ी’—वववेक फोर —‘सड़क ऩय एक क य प्रकि हुई थी जजसकी है डर इर्टस की तीिी योशनी फय भदे भें सीधे भेये चेहये
ऩय आकय ऩड़ी थी। जरूय उसी योशनी भें अचय ने भुझे फय भदे भें िड़े दे ि थ जफ कक मूॊ आॊिें चौंधधम ज ने के फ द भैंने
जफ सड़क ऩय ननग ह ड री थी तो वो सड़क ऩय से गुजय चक
ु ी थी औय भेयी ननग हों से ओझर हो चक
ु ी थी। व स्तव भें
जरूय उस कुछ ऺण के मरए वहीॊ कहीॊ छुऩ कय िड़ी हो गमी थी औय कपय फ रयश फन्द होने के फ द उसने भुझे होतचन्द नी
के फॊगरे भें ज ते दे ि थ । ऐस मे िद
ु कफर
ू कयती है । वह ॊ भेये ऩहरे पेये की िफय भझ
ु े िद
ु अऩनी आॊिों से दे िे बफन
इसे नहीॊ हो सकती थी। औय अऩनी आॊिों से इसने भुझे औय कफ दे ि हो सकत थ ?’

‘हूॊ।’
‘फ की कह नी स प है । जरूय फ रयश के दौय न होतचन्द नी क कत्र ककम थ । फ रयश की वजह से ही जैस कक इन्स्ऩेक्िय
बत्रबुवन दे व ने कह थ , गोरी चरने की आव ज ककसी के क नों भें नहीॊ ऩड़ी थी। कपय इसने सेप भें से जव हय त व र
मरप प ननक र थ ।’

‘कैसे? इसे सेप क कम्फीनेशन भ रूभ थ ?’

‘मे कहती है कक भ रूभ थ , होतचन्द नी ने िद


ु फत म थ रेककन व स्तव भें इसने कत्र से ऩहरे वऩस्तौर टदि कय
होतचन्द नी को िद
ु सेप िोरने के मरए भजफूय ककम हो सकत है ।’

‘फहयह र इसने सेप से जव हय त व र मरप प ननक र कय अऩने कब्जे भें कय मरम ?’

‘ह ॊ।’

‘आगे?’

‘कपय फ रयश भें ही मे वह ॊ से कूच कय गमी क्मोंकक इसे भ रूभ थ कक फ रयश के दौय न य स्ते भें ककसी ऩरयधचत के मभर
ज ने की सम्ब वन नहीॊ के फय फय थी। हुआ बी ऐस ही। भैं वह ॊ थ बी तो इसी ने भझ
ु े दे ि , भैं इसकी सयू त न दे ि
ऩ म । उसी घड़ी इसने सोच मरम कक जरूयत ऩड़ने ऩय मह मे कह नी गढ सकती थी कक मह फ रयश के फ द वह ॊ ऩहुॊची थी
जफ कक इसने भुझे ज ते दे ि थ । इसक भुझे दे ि होने क द व कयन ऩुमरस को इसकी कह नी ऩय मकीन टदरव दे त
औय कपय वे भेये ऩीछे ऩड़ ज ते कक क्मों भैंने अऩने ऩहरे पेये की कह नी उनसे छुऩ कय यिी थी। मूॊ मे िद
ु तो शक से फयी
हो ज ती औय भुझे पॊसव दे ती।’

‘मे ऐस कयती?’

‘ि भि ह तो न कयती रेककन अगय ककसी फड़े ही अप्रत्म मशत तयीके से मे फ त प्रकि हो ज ती कक डडनय के फ द स ढे आठ
फजे होतचन्द नी के फॊगरे से रुख्सत हो ज ने के फ द बी मे कपय वह ॊ गमी थी तो मही कहती कक मह फ रयश के फ द गमी
थी औय इसक सफूत मे थ कक इसने भुझे वह ॊ से ब गते दे ि थ । मूॊ इन्स्ऩेक्िय दे व , जो कक ज नत है कक कत्र फ रयश
के दौय न हुआ थ , तत्क र इसे शक से फयी कय दे त ।’

‘अगय मे कह नी इसे मूॊ शक से फयी कय सकती थी तो इसने मे कह नी ऩहरे ही क्मों न ऩुमरस को सुन दी? इसे तो प मद
थ ऩहरे कह नी कह सन
ु ने भें !’

‘एक प मद थ तो एक नक
ु स न बी थ ।’

‘नुकस न क्म थ ?’

‘कपय शक की उॊ गरी इस ऩय से हिकय भेयी तयप उठ ज ती। कपय ऩुमरस भेये ऩीछे ऩड़ ज ती जो कक मे नहीॊ च हती थी।’

‘क्मों नहीॊ च हती थी?’—कैप्िन झुॊझर म ।

‘क्मोंकक श मद इसने तबी मे ननणाम रे मरम हुआ थ कक जव हय त व र मरप प इसने कह ॊ छुऩ न थ । तबी ऩमु रस भेये
ऩीछे ऩड़ ज ती तो जव हय त बी ऩुमरस द्व य भेये कभये भें से वह ॊ से फय भद कय मरए ज ने क ऩूय ितय थ जह ॊ कक
इसने उन्हें छुऩ म थ ।’

कैप्िन क मसय हौरे से सहभनत भें टहर । कपय उसकी प्रश्नसूचक ननग ह अचय की ओय उठी।

‘मे ऩ गर है ।’—अचय जोय से हॊ सती हुई फोरी—‘इसने फ रयश भें बीगती ज ती एक औत दे िी जजसकी इसने सयू त नहीॊ
दे िी। मे कहत है वो कोई नेऩ री औयत नहीॊ थी क्मोंकक अऩने ह थ भें थभे एक फन्डर से अऩन मसय ढकने की कोमशश
कयने के स्थ न ऩय वो उसे अऩनी छ ती से धचभि मे थी। वो औयत नेऩ री नहीॊ थी, मसपा इतने से ही इसक मे भतरफ हो
गम कक वो भैं थी? क्म स ये क ठभ ॊडू भें, स ये नेऩ र भें, भैं इकरौती गैयनेऩ री औयत हूॊ?’

कैप्िन के चेहये से वववेक को स प रग कक उसे अचय की वो फ त जॊची थी रेककन उससे उसके चेहये ऩय अॊककत उरझन
के ब व घिे नहीॊ, उनभें इज प ही हुआ। स प रग यह थ कक वो पैसर नहीॊ कय ऩ यह थ कक ककस फ त ऩय वो मकीन
कये औय ककस ऩय न कये ।

‘भैं’—वववेक फोर —‘एक औय तयीके से बी मे स बफत कय सकत हूॊ कक वह औयत अचय ही थी।’

‘कैसे?’—कैप्िन फोर —‘कैसे?’

‘इसक कहन है कक स ढे आठ फजे डडनय के फ द होतचन्द नी के फॊगरे से रुख्सत होने के फ द मे सीधे अऩने फ्रैि ऩय
ऩहुॊची थी जह ॊ कक इसने अऩने फ र धोमे थे औय कुछ कऩड़े धोमे थे। कपय जफ मे अऩने फैडरूभ भें रेिी न वर ऩढ यही थी
तो ऩुमरस क एक आदभी इसे फुर ने के मरए वह ॊ ऩहुॊच थ । मूॊ जफ मे फॊगरे ऩय ऩहुॊची थी तो उस वक्त इसने अऩने मसय
ऩय एक रूभ र फ न्ध हुआ थ औय ढे य स यी सुइम ॊ फ रों भें अिक ई हुई थीॊ।’

‘क्म िय फी है इसभें ?’—कैप्िन फोर —‘फ र धोने के फ द औयतें फ रों को सैि कयने के मरए उसभें सुइम ॊ रग ती ही हैं।
धोने के फ द फ र अगय सूिे अबी न हो औय कहीॊ फ हय ज न ऩड़ ज ए तो मसय ऩय रुभ र फ न्ध ही ज सकत है । इतन
तो भैं बी ज नत हूॊ।’

‘भैं बी ज नत हूॊ।’

‘तो?’

‘तो कोई भुझे मे फत ए कक जो औयत अबी टदन भें ब्मूिी ऩ राय से अऩने फ र सैि कय कय आमी हो, वो य त को ही उन्हें
कपय से धोने बर क्मों फैठ ज मेगी।’

तत्क र कैप्िन को जैसे स ॊऩ सूॊघ गम ।

‘क्म ?’—वह हकफक कय फोर ।

‘टदन भें होतचन्द नी के फॊगरे ऩय जफ भैं उसके स थ भौजूद थ तो अचय वह ॊ ऩहुॊची थी। उस घड़ी मह फहुत सजी धजी थी
औय इसके फ रों की सजधज स प ऐसी रग यही थी जैसे मे उसी घड़ी उन्हें ककसी ब्मूिी ऩ राय से सैि कय कय आमी थी।
होतचन्द नी ने इसकी िफ
ू सयू ती की त यीप की थी तो इसने िद
ु कह थ कक सफ ब्मि
ू ी ऩ राय क कभ र थ । इसने िद

कह थ कक ऩूय एक घन्ि रग थ इसे फ र सैि कय ने भें । अफ फत ओ मे क्म ऩ गर है जो इसने चन्द ही घन्िों के फ द
फ रों को कपय धोकय ब्मूिी ऩ राय की स यी भेहनत बफग ड़ दी।’

‘क्मों ककम इसने ऐस ?’

‘इसक जव फ है कक इसने ऐस नहीॊ ककम । इसने य त को फ र धोकय ब्मि


ू ी ऩ राय की भेहनत की ऐसी तैसी नहीॊ पेयी।
ब्मूिी ऩ राय की भेहनत की ऐसी तैसी उस तेज फ रयश ने की जजसभें कक मे कत्र के फ द ही होतचन्द नी के फॊगरे से कूच
कय ज ने की वजह से फुयी तयह से बीगी अऩने फ रों की सप ई दे ने के मरए इसने कह टदम कक य त को अऩने फ्रैि ऩय
कऩड़े धोने के फ द इसने अऩने फ र बी धोमे थे।’

इस फ य कैप्िन ने स प-स प सजन्दग्ध ब व से अचय की तयप दे ि ।

‘मे फकत है ।’—वह फोरी—‘भैं ब्मि


ू ी ऩ राय गमी ही नहीॊ। भैंने इसको कबी नहीॊ कह थ कक भैं ब्मि
ू ी ऩ राय से फ र सैि
कय कय आमी थी।’

‘भुझे नहीॊ’—वववेक फोर —‘होतचन्द नी को कह थ औय भैंने सुन थ ।’


‘तम्
ु ह ये कहने से क्म होत है ! भैंने ऐस कुछ नहीॊ कह थ ।’

‘भेये कहने से तो कुछ नहीॊ होत क्मोंकक जजस तीसये शख्स ने मे फ त सन


ु ी थी, वो भय गम है । रेककन भेभ स हफ, उस
ब्मि
ू ी ऩ राय व रों के कहने से तो होत है जह ॊ से आऩने अऩने फ रों की एक घन्ि रम्फी खिदभत कयव मी थी?’
‘क्म भतरफ?’

‘क ठभ ॊडू भें ब्मूिी ऩ राय सौ ऩच स नहीॊ हैं औय ऐसे ब्मूिी ऩ राय तो मसपा च य हैं जह ॊ तम्
ु ह ये जैसी दे श ववदे श घूभी हुई
थ ई भेभ ज सकती है । श भ को तम् ु ह ये होिर के कभये से ववद होने के फ द भैंने ब्मूिी ऩ रायों के चक्कय रग ने शुरू ककमे
थे तो दस
ू ये ही ऩ राय भें से भुझे मे सुनने को मभर गम थ कक थ ई भेभ स हफ मभसेज अचय मोसववधचत होतचन्द नी के
कत्र व रे टदन वह ॊ से अऩने फ रों को शैम्ऩू औय सैि कयव कय गमी थी औय वऩचहत्तय रुऩए क बफर बी फ द भें अद
कयने को कह गई थीॊ। अफ क्म कहती हो?’

तफ ऩहरी फ य अचय फदहव स होती टदि ई दी।

उसके मभज ज भें वो ऩरयवतान कैप्िन ने तत्क र नोि ककम । उसकी ननग ह कुछ ऺण अचय के चेहये ऩय टिकी यही, कपय
वह ॊ से बिक कय भेज ऩय ऩड़े नोिों से बये सि
ू केस ऩय ऩड़ी औय उसकी उॊ गमरम ॊ अऩने ह थ भें थभी वऩस्तौर ऩय कस गईं।

‘कैप्िन’—वववेक उस भौके को कैश कयने की नीमत से फोर —‘तभ


ु ने ऩमु रस से झठ
ू फोर थ कक ऩयसों य त होतचन्द नी
की िे रीपोन क र के जफ फ भें तभ
ु उसके फॊगरे ऩय नहीॊ गए थे। हकीकतन तभ
ु उस य त होतचन्द नी के फॊगरे ऩय गए थे
औय जफ भैं अऩने दस
ू ये पेये भें व वऩस वह ॊ ऩय रौि थ तो जरूय उस घड़ी तभ
ु फॊगरे भें ही छुऩे हुए थे।’

‘तभ
ु ने दे ि थ भुझ?
े ’—कैप्िन नेत्र मसकोड़ कय फोर ।

‘नहीॊ।’

‘तो कपय कैसे ज न ?’

‘अन्द ज रग म । फ हय एक ऩेड़ की ओि भें िड़ी िोमोि क य ने अन्द ज रग ने भें भदद की जो कक ननश्चम ही तम्
ु ह यी
थी। ऊऩय से तफ फॊगरे भें कोई मकीनन थ क्मोंकक भुझे उसकी आहि मभर यही थी।’

‘ओह!’

‘अफ कफूर कयो कक वो शख्स तम्


ु हीॊ थे।’

‘ठीक है , भैं ही थ । कपय?’

‘तभ
ु ही ऩेड़ के ऩीछे छुऩी िड़ी िोमोि क य नम्फय एन ऩी डी १२८८
भें वह ॊ से ब गे थे।’

‘अये , अफ आगे बी तो कुछ फोरो।’

‘तभ
ु अफ जय मे म द कयने की कोमशश कयो कक वह ॊ ऩहुॊचने ऩय औय वह ॊ होतचन्द नी को भय ऩड़ ऩ ने के फ द ककतन
वक्त तम्
ु हें वह ॊ अऩने उस इकफ मरम फम न व रे मरप पे की तर श कयने के मरए मभर थ जो कक तम्ु हें जेर मबजव
सकत थ ? तफ भुझे वह ॊ से गए भुजश्कर से च य म ऩ ॊच मभनि हुए थे। अगय अचय तम् ु ह यी वह ॊ भौजूदगी के दौय न वह ॊ
नहीॊ आई थी तो कपय कफ आमी थी? कैसे उसने भझ ु े वह ॊ ऩहरे पेये भें आम दे ि हो सकत थ ? अगय वो तफ भेये वह ॊ से
कूच कय ज ने के फ द आमी होती तो वो अबी बीतय ही होती औय तभ
ु ऊऩय से ऩहुॊच गए होते। वो वह ॊ तफ नहीॊ आमी जफ
तभ
ु वह ॊ थे, वो तफ नहीॊ आमी जफ भैं वह ॊ थ तो कपय कफ आमी? आमी तो मे जरूय। मे िद
ु भ नती है इस फ त को। ऊऩय
से मह जव हय त क मरप प इसके वह ॊ गए होने की चग
ु री कयत है । मे वह ॊ आमी तो कफ आमी? कैप्िन क्म अफ बी मे
सभझन भुजश्कर है कक वो मरप प चयु ने मे फ रयश के फ द आमी नहीॊ हो सकती। फ रयश फन्द होते ही भैं वह ॊ ऩहुॊच गम
थ । भैं वह ॊ से ब ग थ तो तभ
ु आ गए थे। तभ
ु अबी वहीॊ थे तो भैं व वऩस रौि आम थ । तभ
ु ब ग गए थे औय भैं अबी
वहीॊ थ तो वह ॊ भछे न्द्रन थ य ण ऩहुॊच गम थ । कपय वह ॊ ऩमु रस ऩहुॊच गमी थी। मे कफ आमी वह ?
ॊ मकीनन फ रयश से
ऩहरे। औय फ रयश के दौय न वह ॊ से गई। कत्र फ रयश के दौय न हुआ। फ रयश के दौय न मसपा मे वह ॊ थी। अफ औय क्म
कहूॊ भैं? अगय अबी बी तम्
ु ह यी सभझ भें कुछ नहीॊ आ यह तो कपय बगव न ही कुछ सभझ सकत है तम्
ु हें ।’

‘इतन फेवकूप नहीॊ भैं।’—वो फोर ।

‘शुि है ।’

‘तो’—वह है य न स्वय भें अचय से फोर —‘सफ ककम धय तम्


ु ह य ही है ।’

तफ तक अचय क चेहय पक ऩड़ चक


ु थ । अफ वह कैप्िन से ननग ह मभर ने की त फ नहीॊ र ऩ यही थी। उसने जोय से
थक
ू ननगरी औय मूॊ ऩरकें झऩक मीॊ जैसे आॊिों भें एक एक आॊसू उभड़ आमे हों औय वह उन्हें योकने की कोमशश कय यही
हो। कपय उसने अऩन हैंडफैग िोर औय उसभें से रुभ र ननक र कय फड़े नवास ब व से अऩने चेहये ऩय कपय म ।

‘अफ कुछ फोरो तो सही।’—कैप्िन फोर ।

‘अफ क्म पका ऩड़त है !’—वह पॊसे स्वय भें फोरी।

‘पका ऩड़त है म नहीॊ ऩड़त है । भुझे भ रूभ होन च टहए कक असमरमत क्म है ?’

‘जो…जो भैंने ककम वो कयन जरूयी हो गम थ ।’

‘क्मों? क्मों जरूयी हो गम थ ?’

‘वो हभ दोनों के त करुक त के फ ये भें ज न गम थ । वो भेये को दत्ु क य कय बग ने व र थ औय तम्


ु हें जेर मबजव ने व र
थ । भैंने जो कुछ ककम मसपा अऩनी ि नतय ही नहीॊ ककम तम्
ु ह यी ि नतय बी ककम ।’

‘तो’—वववेक फोर —‘मे थ हत्म क उद्देश्म। होतचन्द नी को तम्


ु ह ये कैप्िन से त करुक त क ऩत रग गम थ ।’

‘ह ॊ।’

‘ऩत कैसे रग ? कोई ज सस


ू रग मे उसने तम्
ु ह ये ऩीछे ?’

‘नहीॊ। ज सूस तो वो तफ रग त जफ उसे भेये ऩय शक होत । होतचन्द नी से रयश्त होने के फ द तो भैंने कैप्िन से ऩूय
ऩयहे ज फयत थ ।’

‘कभ र है । कपय कैसे फ त बफगड़ी?’

‘फ त भ नक होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी ने बफग ड़ी। वो दोनों नहीॊ च हते थे कक होतचन्द नी भेये से श दी कयके
नेऩ र को सद के मरए छोड़कय चर ज मे। ऐसे हो ज त तो उनके ऩकरे कुछ बी न ऩड़त जफ कक वे दोनों ही होतचन्द नी
की दौरत ऩय कफ से द ॊत गड़ ए हुए थे। स रे फहनोई की उस िीभ को ककसी तयीके से भेये औय कैप्िन के ऩुय ने त करुक त
की िफय रग गई। वो हभ यी ननगय नी कयने रगे। वऩछरे टदनों होतचन्द नी अऩन वह ॊ मसरमसर जभ ने के मरए फम्फई
चर गम थ । तफ मभरने जुरने को सेप ज न कय भैं औय कैप्िन कपय मभरने रगे। तफ हभें क्म ऩत थ कक वो दोनों
कभीने हभ यी ज सस
ू ी कय यहे थे। ऐस उन्होंने ककम बी ऐसी चतयु ई से कक हभें बनक तक न रगी। होतचन्द नी फीस
टदन तक क ठभ ॊडू से फ हय यह । उस दौय न भेयी कैप्िन से जह ,ॊ जजतनी भुर क त हुईं, उन सफ क सभम सफूत
मसरमसरेव य व्मौय उन कभीनों ने जभ कय मरम । कपय जफ होतचन्द नी रौि तो भ नक ने उसके क न बय टदए।’
‘कफ?’

‘उसी य त को जजस य त होतचन्द नी क …वो भय ।’

वववेक को म द आम कक होतचन्द नी के नौकय हनभ


ु न ने तफ्तीश के दौय न इन्स्ऩेक्िय दे व को फत म थ कक कत्र की
य त को नौ फजे के कयीफ भ नक अऩने वऩत से मभरने आम थ औय तफ दोनों भें क पी तू तू भैं भैं औय तकय य हुई थी
रेककन उस तकय य की वजह फत ने से भ नक ने स प इनक य कय टदम थ । जरूय तबी फेिे ने वऩत की ब वी फीवी की
फ फत वऩत के क न बये थे औय वऩत हत्थे से उिड़ गम थ ।

‘तम्
ु हें ऩत कैसे रग ?’—उसने अचय से ऩछ
ू —‘कक होतचन्द नी को तम्
ु ह ये औय कैप्िन के घननष्ठ सम्फन्धों की िफय
रग गई थी?’

‘उसी ने फत म थ ।’—अचय फोरी—‘इसी फ फत उसने भुझे पोन ककम थ औय पोन ऩय ही भेये छक्के छुड़ कय यि टदए थे
कपय उसने कैप्िन को बी पोन ककम थ औय उसे बी पोन ऩय ही िफ
ू ियी िोिी सुन दी थी।’

वववेक ने कैप्िन की ओय दे ि ।

कैप्िन ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘उसने’—वववेक फोर —‘तम्


ु हें फॊगरे ऩय क्मों फुर म थ ?’

‘जरूय’—कैप्िन फोर —‘पोन ऩय भुझे ियी िोिी सुन कय उसक भन नहीॊ बय होग । जरूय वो भेय औय अचय क
आभन स भन कयव कय हभें औय जरीर कयन च हत होग ।’

‘आई सी।’

वववेक कपय अचय की तयप आकवषात हुआ।

‘तो उस पोन क र के नतीजे के तौय ऩय ही तभ


ु रयव कवय रेकय मह ॊ आ धभकी थीॊ। म नी कक तभ
ु घय से ही उसके कत्र
क इय द फन कय चरी थीॊ।’

‘ऐस तभ
ु रयव कवय की वजह से कह यहे हो तो गरत कह यहे हो। वो रयव कवय भेये ऩहरे ऩनत सोपोन मोसववधचत की थी
औय उसे भैं सद अऩने फैग भें अऩने ऩ स यिती थी। भैं उसके कत्र के इय दे से वह ॊ नहीॊ गई थी। तफ कत्र क तो ख्म र
तक नहीॊ थ भेये जेहन भें ।’
‘तो गमीॊ क्मों?’

‘उसे सभझ ने की ि नतय। उसे ब्ेनव श कयने के मरए। वो फूढ भुझ ऩय रट्टू थ । भुझे उम्भीद थी कक जैसी सख्ती उसने
पोन ऩय भेये स थ फयती थी वैसी वो भुझे रूफरू ऩ कय नहीॊ फयतने व र थ । रेककन असर भें भेये र ड़ प्म य, भनुह य क
उस ऩय कोई असय न हुआ। भुझे रूऩरू ऩ कय तो औय बी आगफफूर हो गम । भुझे गन्दी द मरम ॊ तक फकने रग ।
धभक ने रग कक वो क ठभ ॊडू भें भझ
ु े सड़क की मबि रयन फन कय भ नेग । भैं उसकी सभथा को सभझती थी औय ज नती
थी कक वह अऩनी धभककमों ऩय िय उतयकय टदि सकत थ । श दी तो फट्टे ि ते भें चरी ही गई थी, ऊऩय से वह भुझे
औय बी तफ ह कय दे ने की धभककम ॊ दे यह थ । उस घड़ी भेये तो प्र ण क ॊऩ गए थे।’—वह एक ऺण टठठकी औय फोरी—
‘तभ
ु ने भेयी िस्त भ री ह रत की जो ऩड़त र की है , वो एकदभ सही है । भेये ऩय व कई कई तयह की उध यी चढी हुई थी
औय मह ॊ क ठभ ॊडू भें भेयी उससे बी फुयी दद
ु ा श हो सकती थी जो कक ऩहरे यॊ गून औय उससे ऩहरे मसॊग ऩुय भें हो चक
ु ी थी
औय जजसके फ ये भें सोचने बय से ही भेय दभ ननकरने रगत थ ।’

‘कैप्िन तम्
ु ह यी ऐसी दद
ु ा श होने दे त ?’

‘तभ
ु ऩ गर हो। अऩनी ही कही फ तें बूर यहे हो। अये , होतचन्द नी जजतन भेये से िप थ , उतन ही कैप्िन से बी तो
िप थ । वो कैप्िन को जेर मबजव ए बफन हयधगज न भ नत । जेर भें फैठ कैप्िन भेयी दद
ु ा श होने से कैसे योक रेत !’

‘मे बी ठीक है ।…तो इन ह र त भें तभ


ु ने होतचन्द नी को शि
ू ककम औय शेप से जव हय त चयु ए।’

‘ह ॊ।’—कपय वह कैप्िन की ओय घूभी औय फड़े आतयु ब व से फोरी—‘तम्


ु हें भुझ ऩय िप नहीॊ होन च टहए, ववमरमभ। भैं
कपय कहती हूॊ जो कुछ ककम मसपा अऩनी ि नतय नहीॊ ककम , तम्
ु ह यी ि नतय बी ककम । भैं न होती तो तभ
ु इस वक्त जेर
भें एडड़म ॊ यगड़ यहे होते।’

कैप्िन के चेहये ऩय नभी के ब व न आए।

‘ऊऩय से तभ
ु भेये से भह
ु ब्फत क दभ बयते हो।’—वह फोरी।

‘ऐस दभ भैं तभ
ु से ऩहरे औय औयतों की भुहब्फत क बी बय चक
ु हूॊ।’

‘वो फीती फ तें हैं। वो औयतें तम्


ु ह ये स थ नहीॊ, भैं तम्
ु ह ये स थ हूॊ।’

‘रेककन…’

‘तभ
ु ि भि ह ऩये श न हो यहे हो। भैं कहती हूॊ जो हुआ उसे मे सभझ कय बर ू ज ओ कक उसी भें हभ दोनों की बर ई थी।
ववमरमभ, भेय स थ दो। भैं व द कयती हूॊ भैं तम्
ु ह ये जीवन को स्वगा फन दॊ ग
ू ी। भैं अऩन सफ कुछ तभ
ु ऩय न्मोछ वय कय
दॊ ग
ू ी। भैं तम्
ु ह यी द सी फनकय यहूॊगी। भैं तम्
ु ह यी ऐसी सेव करूॊगी जैसी कबी ककसी औयत ने ककसी भदा की न की हो। इस
वक्त ऩच स र ि के नोिों से बय सूिकेस हभ ये स भने है औय हभ य सुनहय बववष्म हभ यी फ ि दे ि यह है । अबी औय
थोड़ी दे य फ द हभ नेऩ र की सीभ से फ हय होंगे औय कपय ननववाघ्न फम्फई ऩहुॊच ज एॊगे। य स्ते भें हभ इन दोनों को’—उसने
वववेक औय श्वेत की तयप इश य ककम —‘ऩैय शि ू द्व य कहीॊ ड्र ऩ कय दें गे। ओके? मही तो हभ कयने व रे थे न? से
ओके, ड मरिंग।’
कैप्िन ि भोश यह ।

‘प्रीज, ड मरिंग—उसक स्वय औय आतयु हो उठ —‘तभ


ु भेये से जुद नहीॊ हो सकते। तभ
ु भुझे अऩने से अरग नहीॊ कय
सकते। भैं ज नती हूॊ तभ
ु भेयी भदद जरूय कयोगे। कयोगे न! ड मरिंग, जो भैंने ककम वो भेयी भजफूयी थी। भैं कपय से फैंक क
व री घोय गयीफी भें अऩनी ककऩन नहीॊ कय सकती थी। इस ककऩन से ही भेये प्र ण क ॊऩते हैं। इसी से िौप ि कय भैंने
उसकी सेप भें भौजद
ू जव हय त के मरप पे को अऩने कब्जे भें कयने क पैसर ककम । भैंने उस ऩय रयव कवय त न दी औय
उसे भौत क डय टदर कय उससे सेप िर
ु व ई। भेय उसके कत्र क कोई इय द नहीॊ थ । वो जव हय त गैयक नूनी भ इननॊग
औय सभगमरॊग क नतीज थे। उनकी चोयी की यऩि वो ऩुमरस भें नहीॊ मरिव सकत थ । ऐसी कोई कोमशश कयने ऩय उसे
रेने के दे ने ऩड़ सकते थे। वह िद
ु जेर भें ज सकत थ । भैं सच कहती हूॊ तफ भैं मसपा मरप प हधथम न च हती थी,
उसके कत्र क भेय कतई कोई इय द नहीॊ थ ।’

‘तो कपय ककम क्मों?’

‘क्मोंकक तफ भेयी अऩनी ज न ऩय आ फनी थी। भेज के सेप के ऊऩय व रे दय ज भें एक रयव कवय ऩड़ी थी जो कक उसने सेप
िोरते िोरते ननक र कय एक एक अऩने ह थ भें रे री थी। उस घड़ी भैं उसे शूि न कयती तो वह भुझे शूि कय दे त ।
भजफूयन भुझे ऩहरे गोरी चर नी ऩड़ी।’

वववेक ने थोड़ी दे य इत्भीन न भहसस


ू ककम थ रेककन अफ उसे कपय घफय हि होने रगी। अचय ऩत नहीॊ सच फोर यही थी
म नहीॊ रेककन उसके आतान द से कैप्िन वऩघरत भ रूभ हो यह थ जो कक वववेक नहीॊ च हत थ कक हो। अचय िफ
ू सूयत
औयत थी औय जन्भज त अमबनेत्री थी। तननक भौक मभरने ऩय वह ककसी बी भदा को शीशे भें उत य कय टदि सकती थी।
जो कह नी अचय सुन यही थी, वो सय सय गढी हुई हो सकती थी। व स्तव भें उसने ज नफूझकय, फहुत सोच-ववच य कय
होतचन्द नी क कत्र ककम हो सकत थ औय कपय उसके फ द िद ु उसने सेप िोरकय जव हय त चयु ए हो सकते थे।
कम्फीनेशन, उसने कह ही थ कक, उसे िद
ु होतचन्द नी ने फत म थ । दस
ू य कत्र बी उसकी ितयन क प्रवनृ त औय
सूझफूझ क नतीज हो सकत थ । जरूय उसने शभशेय थ ऩ को उसकी ि भोशी की कोई कीभत अद कयने क व द ककम
होग औय कपय उसे पुसर कय अऩने स थ फ घभती नदी के उस ननजान ककन ये ऩय रे गई होगी जह ॊ से कक थ ऩ की र श
फय भद हुई थी। कत्र के फ द जरूय वही व वऩस थ ऩ के होिर के कभये भें ऩहुॊची होगी जह ॊ कक इस फ त की तसदीक कयने
के मरए उसने तर शी री होगी कक थ ऩ अऩने ऩीछे अऩन कोई तहयीयी फम न नहीॊ छोड़ गम थ ।

उसे रग कक कैप्िन को अचय की गोद भें ज धगयने से योकने के मरए कुछ कयन जरूयी थ ।

‘अऩनी भेज की दय ज भें भौजूद’—वह फोर —‘जजस रयव कवय से तभ


ु कहती हो कक होतचन्द नी तम्
ु हें शूि कयने ज यह
थ , वो वह ॊ घिन स्थर ऩय तो मभरी नहीॊ थी। िद
ु भैंने ही वह ॊ कोई रयव कवय ऩड़ी नहीॊ दे िी थी। क्म इसक स प भतरफ
मे नहीॊ कक वो रयव कवय तभ
ु उठ र ई थीॊ।’

‘भैं कफ कह यही हूॊ कक भैं नहीॊ उठ र ई थी।’—वह फोरी—‘उसकी रयव कवय को तो भैंने उसके ह थ से ननकरकय नीचे
धगयते ही उठ मरम थ । जजस हधथम य से ककसी को ितय हो उसे वे अऩने क फू भें कयने की कोमशश कयत ही है । भेयी
जगह तभ ु होते तो जरूय तभ
ु बी मही कयते। फ द भें जफ भैं वह ॊ से यव न हुई तो फेध्म नी भें होतचन्द नी की रयव कवय बी
भेये स थ ही आ गई।’

वववेक को कफूर कयन ऩड़ कक उसकी फ त भें दभ थ ।


उसने दे ि कक कैप्िन के चेहये ऩय अबी बी अननश्चम के ब व थे औय उसकी ननग ह यह यहकय कबी अचय के िफ
ू सूयत
चेहये की तयप तो कबी नोिों से बये सूिकेस की तयप उठ ज ती थी।

‘कैप्िन।’—वववेक फड़े अथाऩूणा स्वय भें फोर —‘तम्


ु ह य मभशन अऩने मसय ऩय हय घड़ी भॊडय ते जेर ज ने के ितये से
ननज त ऩ न थ जो कक अऩने इकफ मरम फम न व र मरप प य ण के आकपस से चयु रेने भें क भम फ होने के स थ ही
तभ
ु ऩ चक
ु े थे। ऊऩय से डकोि प्रेन अफ सहज ही तभ
ु हड़ऩ सकते हो क्मोंकक वो होतचन्द नी की फेन भी की ियीद
फत म ज त थ औय उस ऩय अऩन हक जत सकने व र भय गम । तम्
ु ह यी तो वैसे ही अफ ऩ ॊचों उॊ गमरम ॊ घी भें हैं।’

‘तो!’—वह भ थे ऩय फर ड रकय फोर ।

‘तो मह अफ कत्र औय चोयी के फ की ऩचड़ों भें ऩड़ने की तम्


ु हें क्म जरूयत है ! ऩहरे तो मे रुऩम ही तम्
ु ह ये ककसी क भ
नहीॊ आने व र , ऊऩय से अऩने व्मजक्तगत र ब के मरए दो दो कत्र कय चक
ु ी औयत क तभ
ु कफ तक बयोस कय
सकोगे?’

‘कीऩ मुअय कपकदी भ उथ शि!’—अचय बड़ककय फोरी।

कैप्िन ने उसे ह थ उठ कय चऩ
ु यहने को कह औय कपय वववेक की तयप घूभ ।

‘क्म इस औयत के स थ’—वववेक आगे फढ —‘तम्


ु ह य हय ऺण इस दहशत भें नहीॊ गुजये ग कक इसने तम्
ु ह य गर दफ म
कक दफ म ! इसने िद
ु कफर
ू ककम है कक जव हय त के र रच भें इतने होतचन्द नी क कत्र ककम है । ऐसी औयत की क्म
ग यन्िी है कक ऐसे ही ककसी दस
ू ये र रच के हव रे होकय बववष्म भें ककसी टदन मे तम्
ु ह य बी क भ तभ भ नहीॊ कय दे गी।
इस औयत की टहस्ट्री ऩय गौय कयो। अऩने प मदे के मरए मे कऩड़ों की तयह भदा फदरती है । एरन किस्ट्री को छोड़कय इसने
सोपोन मोसववधचत क द भन थ भ । उसक स थ छूि तो तम्
ु हें दफोच मरम । तभ
ु से फेहतय फकय होतचन्द नी मभर गम
तो तम्
ु हें धक्क दे टदम । वो ह थ से ननकर गम तो अफ मे कपय तम्
ु ह य द भन थ भन च हती है । कैप्िन ववमरमभ भूॊग
ववन, इस फ त की क्म ग यन्िी है कक आइन्द टदनों भें मे तम्
ु हें छोड़कय ककसी औय की गोद भें भचरने की ख्व टहशभन्द
नहीॊ हो उठे गी! तफ तभ
ु कैसे हय ऩर इस फ त की ग यन्िी कय सकोगे कक इसक नम म य तम्
ु ह य क भ तभ भ नहीॊ कय
दे ग ? म िद
ु ही मे ऐस कोई कदभ नहीॊ उठ एगी! मे तम्
ु ह ये ि ने भें जहय मभर सकती है । तम्
ु ह ये नशे भें होने क
प मद उठ कय मे तम्
ु हें गैस से म क य के एग्ज स्ि से भ य सकती है । मे…’

‘शिअऩ!’—अचय आऩे से फ हय होकय धचकर ई—‘शिअऩ, मू सन आप बफच! ववमरमभ, प य ग ड सेक, इसे चऩ


ु कय ओ।
फन्द कय ओ इस कुत्ते क बौंकन ।’

कैप्िन ऩय उसके मूॊ बड़कने क कोई असय हुआ तो वह कभ से कभ उसके चेहये ऩय न झरक । उसने एक फ य फड़े
उरझनऩूणा ब व से नोिों से बये सूिकेस की तयप दे ि औय कपय वववेक से फोर –‘अबी तम्
ु ह ये मे कहने क क्म भतरफ
थ कक मे रुऩम हभ ये ककसी क भ नहीॊ आने व र थ ?’

‘मे टदकरी भें ऩड़ी एक फैंक डकैती भें रि


ू े भ र क टहस्स है’—वववेक फोर —‘मे नोि ट्रे स ककमे ज सकते हैं। स ये
टहन्दोस्त न की ऩुमरस को इन नोिों के सीरयमर नम्फयों की िफय है । ऊऩय से मे रुऩम ऩ ॊच सौ के एकदभ नमे नकोय नोिों
भें है जो कक टहन्दोस्त न भें अबी ह र ही भें चरे हैं। ऐसे नोिों क टहन्दस्
ु त न भें िचा कयने की कोमशश कयन सीध जेर
भें ज न होग ।’
‘ओह!’

‘अफ तम्
ु ह यी सभझ भें मे बी आ गम होग कक क्मों द भोदय िेत न अबी बी जव हय त क ग्र हक थ औय उन्हें ियीदने के
मरए भय ज यह थ । वो ककसी बी कीभत ऩय इन नोिों से ऩीछ छुड़ न च हत थ । ऐस टहन्दोस्त न भें सम्बव नहीॊ थ ।
कपय वो एक तगड़ी नतकड़भ मबड़ कय इसे नेऩ र भें र म क्मोंकक वो ज नत थ कक नेऩ र भें टहन्दोस्त नी कये न्सी चरती
थी। मह ॊ उसने इन नोिों से ऩीछ छुड़ ने के मरए ही होतचन्द नी से जव हय त क सौद ककम । इन थ ई भेभ स हफ की
कृऩ से वो जन्नतशीन हो गम वन ा वो बी इन नोिों की वजह से ब यी भुसीफत भें पॊसत । तभ
ु बी इन नोिों को फम्फई रे
ज यहे हो। वह ॊ अफ तभ
ु उस भुसीफत भें पॊसोगे जजसभें होतचन्द नी पॊसने व र थ । फजकक तभ
ु जकदी पॊसोगे औय
मकीनन पॊसोगे। होतचन्द नी के ऩ स तो िचाने के मरए औय बी दौरत थी रेककन तम्
ु ह ये ऩ स तो इन नोिों के मसव म
कुछ बी नहीॊ। कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन, टहन्दोस्त न भें इस सूिकेस क ऩहर नोि िचा कयने की कोमशश कयते ही तभ

जेर की सीॊिचों के ऩीछे टदि ई दोगे।’

कैप्िन हक्क फक्क स वववेक क भुॊह दे िने रग ।

‘तभ
ु झूठ फोर यहे हो।’—कपय वह फोर ।

‘ककस फ त भें?’—वववेक फोर ।

‘कक मे नोि ककसी फैंक डकैती क टहस्स हैं। ऐस तभ


ु हभें गभ
ु य ह कयने के मरए कह यहे हो। भझ
ु े तम्
ु ह यी फ त क मकीन
नहीॊ।’

‘भैं अबी मकीन टदर त हूॊ।’

‘कैसे?’

‘इसके मरए भझ
ु े अऩनी जेफ भें ह थ ड रन ऩड़ेग ।’

‘क्मों?’

‘जेफ भें अिफ य की दो कटिॊग हैं जो भैं तम्


ु हें टदि न च हत हूॊ।’

‘क्म छऩ है उनभें?’

‘डकैती की िफय।’
‘ठीक है ।’—कैप्िन उसकी तयप वऩस्तौर त नत हुआ फोर —‘ननक रो। रेककन कटिॊग ही ननकरे। कटिॊग के मसव म कुछ
न ननकरे।’

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म । उसने जेफ भें ह थ ड र औय टहन्दोस्त न ि इम्स के रयऩोिा य सुयेश कऩूय की उसके न भ
बेजी िे रीग्र भ औय उसी अिफ य की वो दो कटिॊग ननक रीॊ जो उसने द भोदय िेत न के होिर के कभये की तर शी के
दौय न उसके ब्ीपकेस भें से फय भद की थीॊ। कैप्िन के इश ये ऩय उसने उठकय कटिॊग नोिों व रे सि
ू केस के कयीफ भेज ऩय
यि दीॊ औय व वऩस अऩनी कुसी ऩय ज फैठ ।
‘अफ टहरन नहीॊ।’—कैप्िन चेत वनी बये स्वय भें फोर ।

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म ।

‘तभ
ु बी।’—वो श्वेत से फोर ।

श्वेत ने बी सहभनत भें मसय टहर म ।

कैप्िन ने वऩस्तौर अऩने स भने भेज ऩय यिी औय वह ॊ से कटिॊग औय िे रीग्र भ उठ मीॊ। कपय वह फड़े गौय से उनक
भुआमन कयने रग ।

वववेक औय अचय स्तब्ध फैठे यहे ।

अचय की ननग ह कपयकनी की तयह एक से दस


ू ये औय दस
ू ये से तीसये चेहये ऩय कपयती यही।

‘इसभें’—अन्त भें कैप्िन फोर —‘द भोदय िेत न क न भ तो कहीॊ नहीॊ है ।’

‘इसमरए नहीॊ है ।’—वववेक फोर —‘क्मोंकक द भोदय िेत न उसक असरी न भ नहीॊ है । उसक असरी न भ तो दे वेन्द्र
िेभक है ।’

‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ?’

‘भैंने मे कटिॊग द भोदय िेत न के ब्ीपकेस से फय भद की थी। उसी भें’—मह ॊ वववेक ने झठ


ू क सह य मरम —‘कुछ ऐसे
क गज त बी थे जो मे स बफत कयते थे कक द भोदय िेत न क असरी न भ दे वेन्द्र िेभक थ ।’

‘ओह! तो मे िेत न क फच्च असर भें फैंक डकैत है ।’

‘ऩक्क । दे ि नहीॊ, कैसे जय स कहने से भुझे फीस हज य के नोि दे गम ! इसे कहते हैं भ रे भुफ्त टदरे फेयहभ! हर र की
कभ ई कोई मू रुि त है!’

‘हूॊ।’

‘मकीनन मही दे वेन्द्र िेभक न भ क वो फैंक डकैत है जजसक अिफ य की कटिॊग्स भें जजि है । इसके असरी औय नकरी
न भ के प्रथभ अऺय एक हैं। ऐस द द रोग अक्सय कयते हैं। वो पजी न भ यिते हैं तो कोई ऐस न भ चन
ु ते हैं जजसके
प्रथभ अऺय, इनीमशमकस, उनके असरी न भ व रे ही हों।’

‘फैंक डकैत दे वेन्द्र िेभक मह ॊ आकय द भोदय िेत न फन गम !’

‘फड़ी आस नी से। तबी तो वो टदन य त हय घड़ी क र चश्भ रग मे यहत थ । क र चश्भ आदभी की शक्र छुऩ ने भें
फहुत सह मक होत है ।’

‘उसे मह ॊ अऩने ऩहच न मरए ज ने क अन्दे श थ ?’


‘श मद नहीॊ। रेककन कपय बी स वध नी फयतने भें कोई हजा तो नहीॊ होत ?’

‘हूॊ।’

‘कहने क भतरफ मे कक इन नोिों को फम्फई म टहन्दोस्त न भें कहीॊ बी रे ज कय िचा कयने की कोमशश कयन जेर म त्र
क द वत दे न होग ।’

‘कैप्िन क मसय सहभनत भें टहर ।

‘अफ दे ि तभ
ु ने कक मे द भोदय िेत न उपा दे वेन्द्र िेभक ककतन च र क आदभी ननकर ! जो भ र वो रे गम वो तो एक
तयह से इन्ियनेशनर कये न्सी क दज ा यित है औय जो भ र वो तभ
ु रोगों को थोऩ गम वो टहन्दोस्त न से फ हय कूड़ है ।’

‘नेऩ र भें नहीॊ।’—अचय के भुॊह से ननकर ।

‘कयै क्ि। रेककन भेभ स हफ, आऩ मह ॊ रुकन अऩोडा नहीॊ कय सकतीॊ। आऩने एक नहीॊ दो दो कत्र ककए हैं मह ॊ।’

‘कौन ज नत है ? भेय भतरफ है मसव म तम्


ु ह ये औय तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड के। तभ
ु दोनों क भुॊह फड़ी आस नी से फन्द ककम
ज सकत है ।’

‘म नी कक मह ॊ की ऩुमरस को तभ
ु भूिा सभझती हो।’

‘भतरफ?’

‘मे न बूरो कक जो त्म भुझे उऩरब्ध हैं मही ऩुमरस को बी उऩरब्ध हैं। मसव म इस फ त के कक तभ
ु ने कह थ कक तभ
ु ने
होतचन्द नी की र श एक ऩहरू के फर ऩड़ी दे िी थी, ऩुमरस हय फ त ज नती है । दे य सवेय वो बी इस नतीजे ऩय ऩहुॊचग
े ी
जजस ऩय कक भैं ऩहुॊच । भ ई डडमय थ ई भैडभ, मुअय अये स्ि हे मय इज ओनरी ए भैिय आप ि इभ।’

वह घफय ई। उसने व्म कुर ब व से कैप्िन की तयप दे ि ।

‘वो द भोदय िेत न क फच्च अबी महीॊ होग ।’—कैप्िन फोर —‘क ठभ ॊडू भें वो ऐसे छुऩ नहीॊ सकत । भैं उससे जव हय त
व वऩस ह मसर कय सकत हूॊ।’

‘मकीनन कय सकते हो।’—वववेक फोर —‘रेककन तम्


ु हें जरूयत क्म है ? तम्
ु ह ये मसय ऩय तो कोई ितय नहीॊ भॊडय यह ।
तभु ने तो कोई कत्र नहीॊ ककम । तभ
ु क्मों गेहूॊ के स थ घुन की तयह वऩसन च हते हो? तभ
ु क्मों डूफते जह ज के स थ
डूफन च हते हो? कैप्िन ववमरमभ भॊग ू ववन, तभ ु एक फ य जज्फ त से क भ रेन छोड़ कय अक्र से क भ रेन शरू ु कयो,
कपय तम्
ु हें भ रभ
ू होग कक तम्
ु ह य य स्त तो फेहद आस न है ।’

वह सोचने रग ।

कुछ ऺण कभये भें भयघि क स सन्न ि छ म यह ।

‘तभ
ु ठीक कह यहे हो।’—अन्त भें वह ननण ामक स्वय भें फोर ।
उसने अिफ य की कटिॊग औय िे रीग्र भ भेज ऩय उछ र दी औय वह ॊ ऩड़ी अऩनी वऩस्तौर की तयप ह थ फढ म ।

‘िफयद य!’—अचय की सदा आव ज कोड़े की पिक य की तयह व त वयण भें गूॊजी।


कैप्िन क ह थ हव भें ही फ्रीज हो गम । उसने धचहुॊक कय अचय की ओय दे ि ।

अचय के ह थ भें उस घड़ी एक रयव कवय चभक यही थी औय वह उसक कैस बी इस्तेभ र कयने भें दृढप्रनतऻ टदि ई दे यही
थी।

‘भेज से ऩये हि ज ओ।’—वह चेत वनीबये स्वय भें फोरी—‘तभ


ु मूॊ डूफते जह ज क स थ नहीॊ छोड़ सकते। ववमरमभ ड मरिंग,
अफ तम्
ु ह य डूफन उफयन इस जह ज के स थ ही होग ।’

एक फ य कपय कभये भें भयघि क स सन्न ि छ गम औय वह ॊ क व त वयण ब्रेड की ध य जैस ऩैन हो उठ ।

वववेक को ह र त फड़े धचन्त जनक रग यहे थे। वह फ य फ य अऩनी ऩतरन


ू की फैकि भें िस
ॊु ी िि
ु यी के फ ये भें सोच यह थ
जजसे कक वह ॊ से ननक रने के मरए कोि के फिन िोरने की कोमशश कयने बय से वो उस घड़ी ऩगर ई हुई औयत उसे शूि
कय सकती थी।

उस घड़ी तो कैप्िन बी घफय म हुआ रग यह थ ।

‘मे कौन सी रयव कवय है ?’—वववेक टहम्भत कयके फोर —‘तम्


ु ह यी व री म होतचन्द नी की?’

‘तभ
ु ’—वह ववषबये स्वय भें फोरी—‘कौन सी रयव कवय से भयन च हते हो?’

‘भैं तो भयन ही नहीॊ च हत । भैं तो इसमरए ऩूछ यह थ कक होतचन्द नी के कत्र की य त को जफ ऩुमरस ने तम्
ु ह ये फ्रैि
की तर शी री थी तो वह ॊ से इन दोनों भें से कोई रयव कवय फय भद क्मों नहीॊ हुई थी?’

‘क्मोंकक मे वह ॊ थीॊ नहीॊ।’

‘तो कह ॊ थीॊ?’

‘क य भें।’

‘ऩुमरस ने तम्
ु ह यी क य की तर शी नहीॊ री थी?’

‘भेयी कोई क य है ही नहीॊ। जो क य भेये अधधक य भें है , वो होतचन्द नी की है । होतचन्द नी ने अऩनी जजन्दगी भें अऩनी
एक क य भझ
ु े इस्तेभ र के मरए दी हुई थी।’

‘जो कक इस वक्त फ हय िड़ी है ?’

‘ह ॊ।’

‘ऩुमरस को मे फ त भ रूभ नहीॊ?’


‘अफ भ रूभ हो तो हो। ऩयसों य त फ्रैि की तर शी के वक्त नहीॊ भ रूभ थी।’

‘उन्होंने क य की फ फत तम्
ु ह ये से कोई सव र नहीॊ ककम थ ?’

‘ककम थ । उन्होंने ऩूछ थ कक क्म भेये ऩ स कोई क य थी।’ भैंने कह थ नहीॊ। उनकी इतने से तसकरी हो गमी थी।’

‘आई सी। कपय जव हय त क मरप प तभ


ु ने भेये कभये भें छुऩ ने की जहभत क्मों उठ ई? उसे बी क य भें ही छुऩ यहने
दे ती।’

उसने इनक य भें मसय टहर म ।

‘क्मों?’

‘क य र व रयस सड़क ऩय िड़ी यहती थी। मह ॊ सड़क ऩय िड़ी क यों भें से स्िीरयमो वगैयह की चोयी की घिन एॊ आभ होती
हैं। भैं मह ितय नहीॊ उठ न च हती थी कक स्िीरयमो वगैयह के र रच भें कोई चोय भेयी क य िोरत औय जव हय त क
ऩैकेि वे उड़त ।’

‘ओह!’

‘कोई औय सव र?’

‘वही ऩहरे व र । मे कौन सी रयव कवय है ?’

‘भेयी!’

‘होतचन्द नी व री कह ॊ गमी?’

‘फ घभती नदी भें गमी।’

‘तभ
ु ने होतचन्द नी व री रयव कवय से शभशेय थ ऩ को शि
ू ककम थ ?’

‘ह !ॊ ’

‘क्मों?’

‘उसने भुझे होतचन्द नी के कत्र के फ द जव हय त के मरप पे के स थ फॊगरे से फ हय ननकरते औय फ रयश भें ही वह ॊ से


कूच कयते दे ि थ ।’

‘वो तम्
ु हें ज नत थ ?’

‘ज नत ही होग जो अगरे योज ही अऩनी ि भोशी की कीभत भ ॊगने भेये फ्रैि ऩय ऩहुॊच गम ।’

‘तभ
ु ने उससे य त को कोई कीभत अद कयने क व द ककम , कपय य त को अऩनी क य भें बफठ कय तभ
ु उसे नदी ककन ये रे
गमीॊ औय वह ॊ तभ
ु ने उसे शूि कय टदम ?’

‘औय क्म कयती? उसकी ि भोशी की कीभत अद कयने र मक कोई यकभ कह ॊ थी भेये ऩ स? वो तो इन्तज य बी नहीॊ
कयन च हत थ । फ य फ य ऩुमरस के ऩ स ज ने की धभकी दे यह थ । य त तक ि भोश यहने की ह भी बी भैं उससे फड़ी
भुजश्कर से बयव ऩ मी थी।’

‘क य ऩय तम्
ु ह ये स थ यव न होते वक्त उसे तभ
ु ऩय शक नहीॊ हुआ? तम्
ु ह य क नतर न इय दों की कोई बनक नहीॊ रगी
उसे?’

‘रगती। अगय…’

‘उसने अऩने उन्नत वऺ ऩय ननग ह कपय ई।

‘अगय क्म ?’

‘अगय वो इन ऩय से ननग ह हि ऩ त ! अगय वो आॊिों की जगह अक्र से क भ रे ऩ त ।’

‘म नी कक तभ
ु ने उसे अऩने रूऩ औय मौवन से रयझ म ?’

‘जजसके ऩ स जो होत है वो उसी को तो इस्तेभ र कयत है ।’


वववेक ि भोश हो गम ।

अचय ने कैप्िन की तयप दे ि ।

‘अफ क्म इय द है तम्


ु ह य ?’—कैप्िन फोर —‘भुझे शूि कयोगी।’

‘हयधगज बी नहीॊ।’—अचय फोरी—‘आई रव मू ड मरिंग।

‘रयव कवय टदि कय कहीॊ ‘रव मू ड मरिंग’ होत है?’

‘अफ जफ तभ
ु भझ
ु े डूफत जह ज फत कय भेये से ऩकर झ ड़ रेने ऩय अभ द हो उठे थे तो औय क्म कयती।’

‘इय द क्म है अफ तम्


ु ह य ?’

‘वही जो ऩहरे थ ।’

‘क्म भतरफ?’

‘हभ तम्
ु ह ये प्रेन ऩय नेऩ र से कूच कय यहे हैं।’

‘हभ कौन?’

‘हभ सफ! तभ
ु , भैं औय मे दोनों।’
‘मे दोनों बी?’

‘ह ॊ। अफ इनक हभ ये स थ होन ऩहरे से बी ज्म द जरूयी है ।’

‘तभ
ु सभझती हो कक तभ
ु भुझे जफयदस्ती प्रेन उड़ ने ऩय भजफूय कय सकती हो?’

‘कोमशश तो कय ही सकती हूॊ।’

‘तम्
ु ह यी कोमशश न क भ होगी।’

‘दे िेंगे।’

‘अफ फम्फई ज ने क क्म प मद ! तभ


ु ने सुन नहीॊ वववेक ने सूिकेस भें भौजूद नोिों की फ फत क्म कह ?’

‘सुन ।’

‘मकीन नहीॊ तम्


ु हें उसके कहे ऩय कक मे नोि डकैती के हैं औय ट्रे स ककमे ज सकते हैं।’

‘मकीन है ।’

‘तो?’

‘एक डकैती के नोिों को ट्रे स कयने के अर व ऩुमरस को औय बी सैकड़ों क भ होते हैं। कपय इन नोिों को एक भुश्त म फड़ी
फड़ी ककश्तों भें िचा कयने क भेय कोई इय द नहीॊ। भझ
ु े मकीन है कक एक एक दो दो कयके भैं इन नोिों को चर रॊग
ू ी।
अबी भेयी जरूयत फम्फई भें अऩन फेस फन न है , इनके फर ऩय एय्म शी कयन नहीॊ। एय्म शी के मरए फहुत वक्त ऩड़ है ।
भैं डकैती की फ त ऩूयी तयह से ठन्डी हो ज ने तक इन्तज य कय सकती हूॊ। वैसे बी इस वक्त जो प्रभुि क भ भेये स भने है
वो इन नोिों की कपि कयन नहीॊ, फजकक मह ॊ से ननकर ब गन है । वववेक ठीक कहत है । इन्स्ऩेक्िय दे व को दे य सवेय
सूझ सकत है कक क नतर भेये मसव म कोई नहीॊ हो सकत । भैं मह ॊ डफर भडाय के इरज भ भें धगयफ्त य होकय प ॊसी ऩय
नहीॊ झर
ू न च हती। होतचन्द नी की ऩहरे से फक
ु च िा डा फ्र इि की सयू त भें मह ॊ से पय य होने क जो सन
ु हय भौक इस
वक्त भेये स भने है वो दोफ य ह थ नहीॊ आमेग ।’

‘ठीक। रेककन भैं प्रेन उड़ ने से इनक य कय दॊ ग


ू तो क्म कयोगी? भुझे गोरी भ य दोगी?’

‘तम्
ु हें नहीॊ।’—वह फड़े इत्भीन न से फोरी।

‘क्म भतरफ?’

वह भुस्कय मी।

‘तम्
ु हें गोरी भ य दॊ ग
ू ी’—वह फोरी—‘तो प्रेन कौन उड़ मेग ?’

‘मही तो भैं कह यह हूॊ।’


‘भैं तम्
ु हें नहीॊ इस नेऩ री गुडड़म को’—उसने श्वेत की ओय इश य ककम —‘गोरी भ रुॊ गी। ववमरमभ ड मरिंग, भुझे ऩूय
मकीन है कक तभ
ु एक भ सूभ, फेगुन ह रड़की क िन
ू अऩने मसय रेन नहीॊ च होगे।’

‘तो मे इय द है तम्
ु ह य !’

‘ह ॊ।’—कपय वह श्वेत से सम्फोधधत हुई—‘तभ


ु उठकय इधय भेये ऩ स आओ।’

श्वेत क ऩहरे से ही ऩीर ऩड़ चेहय औय ऩीर ऩड़ गम थ । उसने क तय ब व से वववेक की तयप दे ि ।

श्वेत के ककसी फुये अन्ज भ के ख्म र से वववेक क करेज भुॊह को आने रग । उस घड़ी वह श्वेत से िप नहीॊ थ कक
उसने िै क्सी भें ही फैठे यहने की उसकी फ त नहीॊ भ नी थी, फजकक अऩने आऩ से िप थ कक क्मों उसने श्वेत के स थ
आने की जजद भ नी। उस घड़ी फड़ी मशद्दत के स थ उसे भहसूस हुआ कक वह ककतन ज्म द प्म य श्वेत से कयत थ । वह
अऩने होते श्वेत क फ र बी फ ॊक नहीॊ होने दे सकत थ ।

रेककन वह अचय को उसके न ऩ क इय दों से योके तो कैसे योके?

उस घड़ी उसने वो क भ ककम जो ऩहरे कयने से वो भतव तय टहचक यह थ । उसने अऩने कोि के दोनों फिन िोर टदए।
अफ िि ु यी ऩय उसक ह थ आस नी से ऩहुॊच सकत थ । वह तननक आश्वस्त हुआ। िद
ु आश्वस्त हुआ तो उसने आॊिों-
आॊिों भें श्वेत को बी आश्व सन टदम ।

उसक ध्म न कपय अचय की तयप गम जो श्वेत के उठकय उसके कयीफ आने की प्रतीऺ कय यही थी। वो औयत दो िन

कय चक
ु ी थी औय अफ ननश्चम ही तीसय —म चौथ , िद
ु उसक बी—िन
ू कयने से टहचकने व री नहीॊ थी। जफ बी कैप्िन
के प्रेन उड़ ने से इनक य कयने ऩय वह उसक बी िन
ू कय सकती थी औय अऩने फच व की कोई तयकीफ सोच सकती थी।
वो कोई औय भुग ा पॊस सकती थी जो उसकी फर अऩने मसय रेने को तैम य हो सकत थ । ऐसे क भों भें वह औयत भ टहय
थी।

उसने कैप्िन की तयप दे ि ।

वह बी तो उस जस्थनत से ननज त ऩ ने की कोई तयकीफ सोच यह होग ।

उसक ध्म न कपय िि


ु यी की तयप गम ।

ििु यी रयव कवय क भुक फर कैसे कय सकती थी? कैसे वो उसे उस ऩगर ई हुई औयत के खिर प फेहतयीन तयीके से
इस्तेभ र कय सकत थ !

‘तू ने सुन भैंने क्म कह ?’—एक एक अचय ककाश स्वय भें फोरी—‘उठकय फोरी—‘उठकय इधय भेये ऩ स आ।’
फड़ी भेहनत से श्वेत कुसी से उठकय िड़ी हुई। उसक चेहय पक थ , उसकी ि ॊगें क ॊऩ यही थीॊ औय रगत थ वो वहीॊ धगय
कय ढे य हो ज ने व री थी।

तफ श्वेत की टहभ मत भें वववेक से ऩहरे कैप्िन फोर ऩड़ ।

‘रड़की क ऩीछ छोड़।’—वह फोर —‘श्वेत , तू वहीॊ यह।’


‘आगे फढने को तत्ऩय श्वेत थभक कय िड़ी हो गई। उसने अननजश्चत ब व से ऩहरे कैप्िन की तयप औय कपय वववेक की
तयप दे ि ।

‘रड़की के टहभ मती फनन च हते हो’—अचय फोरी—‘तो तभ


ु भेय कहन भ नो।’

‘नहीॊ।’

‘तो कपय…’

उसने श्वेत की ओय रयव कवय त नी।

‘तभ
ु ऩ गर हो।’—कैप्िन फोर —‘जो तभ
ु च हती हो वो नहीॊ हो सकत तभ
ु जफयदस्ती भुझे प्रेन उड़ ने ऩय भजफूय नहीॊ
कय सकतीॊ।’

‘कय सकती हूॊ।’

‘नहीॊ कय सकती। वो जजद छोड़ो औय जो भैं कहत हूॊ वो सुनो।’

‘तभ
ु से भैं एक ही फ त सुनन च हती हूॊ कक तभ
ु प्रेन उड़ ने को तैम य हो।’

‘वो नहीॊ हो सकत । तम्


ु ह यी उस जजद क अन्ज भ िन
ू -िय फ होग जजसके आखिय भें तम्
ु ह यी वही जस्थनत होगी जो कक
इस वक्त है । इसमरए अकर से क भ रो औय भेयी फ त सन
ु ो।’

‘क्म सुनूॊ।’

‘भैं तम्
ु हें एक घॊिे क वक्त दे त हूॊ।’

‘क्म कयने के मरए?’

‘मह ॊ से ननकर ज ने के मरए।’

‘अकेरे?’

‘ह ॊ।’

‘औय तभ
ु ?’

‘भैं महीॊ यहूॊग औय भेये स थ जो फीतेगी भैं उसे भन्जूय कय रूॊग । भेये ऩय मसपा अऩय धी की—तम्
ु ह यी—भदद कयने क
इरज भ आ सकत है औय उसकी जो सज होगी, भैं बग ु त रॊग
ू तभ ु अऩन स भ न, नोिो से बय मे सि ू केस फ हय िड़ी
अऩनी क य भें र दो औय मह ॊ से यव न हो ज ओ।’

‘यव न हो ज ऊॊ? कह ॊ के मरए?’


‘नेऩ र औय इजन्डम के फ डाय के मरए। तभ
ु दऺ ड्र इवय हो; वीयगॊज तक तभ ु ननववाघ्न ऩहुॊच सकती हो। वह ॊ मोयोवऩमन
औय अभयीकी सैर ननमों की कई फसें फ डाय ऩ य कयने को तत्ऩय तम्
ु हें मभरें गी। भुझे ग यन्िी है तभ
ु वह ॊ ककसी न ककसी फस
भें सव य होकय रुऩमे सभेत फ डाय ि स कय के यक्सौर ऩहुॊचने भें क भम फ हो ज ओगी। उसके फ द इजन्डम भें कही बी
ज न तम् ु ह ये मरए भ भूरी फ त होगी।’

‘एक घन्ि मह ॊ तभ
ु क्म कयोगे?’

‘भैं इन दोनों को मह ॊ योक कय यिग


ूॊ त कक मे ऩुमरस के ऩ स न ज सकें। तभ
ु से अऩनी ऩुय नी दोस्ती के सदके भैं तभ
ु से
व द कयत हूॊ कक भैं कभ से कभ एक घॊि इन्हें ऩुमरस के ऩ स ज ने से योके यहूॊग । इसके मरए भेयी वऩस्तौर’—उसने भेज
की तयप इश य ककम —‘तम् ु हें महीॊ छोड़कय ज नी होगी। फोरो भॊजूय!

‘बफककुर बी नहीॊ। एक घन्िे भें कहीॊ फीयगॊज ऩहुॊच ज सकत है ?’

‘नहीॊ ऩहुॊच ज सकत रेककन एक घॊिे क स्ि िा तम्


ु ह ये मरए क पी होग ।’

‘हुॊह! जफ तक भैं फीयगॊज ऩहुॊचग


ूॊ ी तफ तक इन्स्ऩेक्िय दे व वह ॊ की ऩुमरस को भेये फ ये भें आग ह कय चक
ु होग । औय भैं
वह ॊ ऩहुॊचते ही धय री ज ऊॊगी।’

‘भैं इन्हें मह ॊ ज्म द दे य योके यि सकत हूॊ।’

‘उसके फ द भैं नहीॊ तो रुऩम फ डाय ऩय ऩकड़ ज मेग । रुऩम ऩकड़ गम तो भैं क्म इजन्डम की ि क छ नने वह ॊ ज ऊॊगी।
भैं इतनी फेवकूप नहीॊ। भ ई डडमय ववमरमभ, इजन्डम भुझे मसपा तभ
ु ही ऩहुॊच सकते हो।’

‘भैं नहीॊ ज ऊॊग ।’

‘मे तम्
ु ह य आखियी पैसर है ?’

‘ह ॊ। तभ
ु फेशक भझ
ु े गोरी भ य दो।’

‘तम्
ु हें नहीॊ। इसे।’—उसने रयव कवय की न र श्वेत की तयप रहय ई—‘इन नेऩ री गुडड़म की भौत ऩय आॊसू फह ने को
तैम य हो ज ओ कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन।’

अचय क रयव कवय व र ह थ ऊॊच उठ ।

वववेक क ह थ हौरे से िि
ु यी की भठ
ू ऩय सयक गम ।

‘गोरी भत चर न ।’—एक एक कैप्िन धचकर ऩड़ —‘भैं तम्


ु ह ये कहे भुत बफक क भ कयने को तैम य हूॊ। जैसे तभ
ु च हती
हो, वैस ही होग ।’

अचय भुस्कय ई। उसक रयव कवय व र ह थ झुक ।

तबी कैप्िन भेज ऩय ऩड़ी रयव कवय ऩय झऩि ।


‘िफयद य!’—अचय आतॊककत ब व से धचकर ई। तत्क र उसने रयव कवय की न र कैप्िन की तयप कयके रयव कवय क घोड़
िीॊच ।

वववेक ने ऩतरून की फैकि भें से िि


ु यी िीॊची औय अचय ऩय पेंक कय भ यी।

िि
ु यी अचय के रयव कवय व रे ह थ के कन्धे से िकय मी। तत्क र उस कन्धे भें से िन
ू क पव्व य छूि ऩड़ । एन वक्त
ऩय िि
ु यी मॊू आ िकय ने से उसक ननश न चक
ू गम । कैप्िन फ र फ र फच । कपय दोफ य गोरी चर ऩ ने से ऩहरे ही
अचय त्मौय कय नीचे धगय ऩड़ी औय रयव कवय उसके ह थ से छूि कय वववेक के स भने आ धगयी।

वववेक ने झऩि कय रयव कवय उठ री।


तफ तक भेज ऩय ऩड़ी कैप्िन की वऩस्तौर बी उसके ह थ भें ऩहुॊच गई। उसने तत्क र वऩस्तौर पशा से उठ ने क प्रमत्न
कयती हुई अचय की तयप की औय त न दी। अचय ने कैप्िन की वऩस्तौर की न र अऩनी तयप झ ॊकती ऩ ई तो उसने पशा
ऩय अऩन शयीय ढीर छोड़ टदम ।

‘तभ
ु ने भुझे धोि टदम ।’—वह पुसपुस ई।

‘तम्
ु ह यी तकदीय ने तम्
ु हें धोि टदम ।’—कैप्िन धीये से फोर —‘छोकय मह ॊ हधथम यफन्द आम थ । हभें इसकी तर शी
रेनी च टहए थी। हभें इसको जेफ भें ह थ ड रने से योके यहकय ही सन्तष्ु ि नहीॊ हो ज न च टहए थ ।’

‘तभ
ु अबी बी भेय स थ दे सकते हो।’

‘कैसे?’

‘इन दोनों को महीॊ शूि कय दो औय भुझे स थ रे चरो।’

‘नहीॊ। अरफत्त तभ
ु अबी बी मह ॊ से ननकर ज न च हो तो भैं इन्हें मह ॊ योके यह सकत हूॊ।’

‘भैं घ मर हूॊ।’

‘घ मर हो रेककन ह जस्ऩिर केस नहीॊ हो। भैं अबी तम्


ु ह ये कन्धे की ड्रेमसॊग कय दॊ ग
ू तो िन
ू फहन फन्द हो ज एग । तफ
तभ
ु आस नी से क य चर सकोगी। फोरो।’

वह ि भोश यही।

‘औय स ये नोिों क र रच कयने के स्थ न ऩय एक-दो गड्डडम ॊ स थ रे ज ओ। इजन्डमन कये न्सी भें छोिी-भोिी यकभ की
फ डाय ऩय कोई चैककॊग नहीॊ होती। तभ
ु ननववाघ्न फ डाय ऩ य कय ज ओगी। अफ फोरो।’

‘ऩहरे भेये कन्धे से िन


ू फहन फन्द कयो।’

‘फेहतय।’

कैप्िन आगे फढ ।
तबी ब्ेकों की तीिी चयचय हि के स थ एक क य के फ हय कम्ऩ उण्ड भें आकय रुकने की आव ज आमी। स थ ही जभीन ऩय
धम्भ-धम्भ ऩड़ते कदभों की आव ज आने रगी।

कैप्िन चभक कय िड़ हो गम ।

सफकी आशॊककत ननग हें स्वमॊभेव ही फ हय रे दयव जे की ओय उठ गईं।

तबी बड़ क से वह दयव ज िर


ु औय इन्स्ऩेक्िय बत्रबव
ु न दे व , सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु औय कई मसऩ ही आनन-
प नन बीतय घुस आए।

उन सफके ऩीछे वववेक को दत्त त्रेम क चेहय टदि ई टदम ।

वह तत्क र सभझ गम कक वही ऩुमरस को वह ॊ फुर कय र म थ ।

‘िफयद य।’—इन्स्ऩेक्िय दे व ि री ह थ थ रेककन मॊू योफ से फोर जैसे उसके ऩ स तोऩ हो—‘हधथम य धगय दो।’

कैप्िन औय वववेक ने अऩने अऩने हधथम य पशा ऩय धगय ज ने टदए।

इन्स्ऩेक्िय दे व के ननदे श ऩय एक मसऩ ही आगे फढ औय उसने कैप्िन की वऩस्तौर, अचय की रयव र ्वय औय वववेक की
िि
ु यी पशा ऩय से फिोय रीॊ।

इन्स्ऩेक्िय दे व की ननग ह ऩैन होती हुई स ये कभये भें कपयी औय अचय मोसववधचत ऩय आकय टिकी।

‘इन्हें क्म हुआ?’—वह फोर ।

वववेक ने जकदी-जकदी फत म ।

इन्स्ऩेक्िय के इश ये ऩय दो मसऩ टहमों ने उसे उठ कय एक कुसी ऩय बफठ म औय उसकी जैकेि उत यकय उसके जख्भ क
भुआमन ककम । वववेक को बी टदि ई टदम कक जख्भ कोई ि स गहय नहीॊ थ , औयत भें िन
ू क उप न ही ज्म द थ जो
वह मॊू फेतह श फह यह थ ।

मसऩ टहमों ने दो रूभ रों की ऩट्टी-सी फन कय उसे कसकय जख्भ ऩय फ ॊध तो िन


ू फहन फन्द हुआ।

तफ इन्स्ऩेक्िय कपय वववेक की तयप आकवषात हुआ औय फोर —‘अफ फ की कह नी सुन ओ।’

वववेक ने आदे श क ऩ रन ककम ।

वववेक के ि भोश होते ही जो ऩहर आदे श इन्स्ऩेक्िय दे व ने ज यी ककम , वह द भोदय िेत न की धगयफ्त यी क थ । उसने
सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु को कह कक वह किस्िर होिर से उस आदभी को ऩकड़े औय इसके स थ ऩुमरस स्िे शन
ऩहुॊच।े

सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु तत्क र वह ॊ से ववद हो गम ।


‘आऩ सफ रोग बी’—इन्स्ऩेक्िय दे व फोर —‘भेये स थ ऩुमरस स्िे शन चर यहे हैं।’

कोई कुछ न फोर ।

इन्स्ऩेक्िय के आदे श ऩय एक मसऩ ही ने नोिों से बय सूिकेस उठ मरम ।

सफ फ हय ऩहुॊच।े

अचय औय कैप्िन इन्स्ऩेक्िय के स थ जीऩ ऩय सव य हो गए।

‘तभ
ु दोनों’—वह वववेक औय श्वेत से फोर ‘—दत्त त्रेम की िै क्सी भें फैठो औय हभ ये ऩीछे ऩीछे आओ।’

वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म । उसने श्वेत क ह थ थ भ औय दत्त त्रेम के स थ फ हय सड़क ऩय ऩहुॊच जह ॊ कक उसकी
िै क्सी िड़ी थी। दोनों िै क्सी की वऩछरी सीि ऩय सव य हो गए।

िै क्सी जीऩ के ऩीछे चर दी।

वववेक ने आश्व सनबये ब व से श्वेत क कन्ध थऩथऩ म तो वह कसकय उसके स थ मरऩि गई। उसक शयीय यह यहकय
मूॊ क ॊऩ ज त थ , जैसे ऩीछे मसय ऩय भॊडय ती भौत क ख्म र उसके जेहन से अबी बी न ननकर यह हो।

‘ईजी।’—वववेक फोर —‘ईजी!’

‘इन्स्ऩेक्िय हभें क्मों ऩमु रस स्िे शन रे ज यह है ?’

‘अऩय धधमों के खिर प हभ ये फम न दजा कयने के मरए।

ऩुमरस की ननग ह भें हभ यी है मसमत भैिीरयमर बफिनेस की है ।’

‘ओह!’

‘भझ
ु े नहीॊ रगत कक भौजद
ू ह र त भें भैं अऩनी सोभव य की फ्र इि ऩकड़ सकॊू ग । भझ
ु े वो टिकि कैंमसर कय नी होगी।’
‘तम्
ु ह यी नौकयी क क्म होग ?’

‘भैंने िे रीग्र भ बेजकय नौकयी ज मन कयने भें एक हफ्ते के वक्त की भोहरत भ ॊगी है । भोहरत मभर गई तो कुछ नहीॊ
होग । न मभरी तो औय नौकयी तर श कयनी ऩड़ेगी। फहयह र किा सी द भोदय िेत न रुऩमे ऩैसे क तो फटढम सह य हो ही
गम है ।’

‘भझ
ु े िश
ु ी है ।’

‘रुऩमे मभरने की?’

‘न नसेंस। सोभव य की फ्र इि से टदकरी ज ने क तम्


ु ह य अऩन इय द छोड़ने की। अगरे सोभव य से फहुत ऩहरे ही भेय
च च बी व वऩस रौि आएग । अफ दे िती हूॊ कैसे तभ
ु भुझे ऩीछे अकेरे छोड़कय ज ते हो।’
‘ि नतय जभ यिो, भेभ स हफ! अफ भैं श दी कयके दक
ु हन को स थ रे के ज ऊॊग । रोग श दी कयके हनीभून के मरए नेऩ र
आते हैं। भैं ऩहरे से ही मह ॊ हूॊ। भैं हनीभून क इतन फटढम भौक क्म मूॊ ही छोड़ दॊ ग
ू ।’

‘ऩहरे तो तम्
ु ह ये इतने उच्च ववच य नहीॊ थे?’

‘मसय ऩय भौत भॊडय ती दे िकय अक्र आई है , मभसेज ज र न।’

‘मभसेज ज र न।’—उसने भुटदत भन से दोहय म ।

वववेक ने जेफ भें ह थ ड रकय ऩन्न जड़ी अॊगूठी ननक री।

‘औय मे’—वह श्वेत क ह थ थ भकय उसे अॊगूठी ऩहन त हुआ फोर —‘मभस्िय ज र न की तच्
ु छ बें ि मभसेज ज र न की
सग ई की िश
ु ी भें ।’

श्वेत शयभ कय उसकी फ ॊहों भें आ गई।

‘भेयी नेऩ री फहन से श दी कय यहे हो।’—दत्त त्रेम रयमय व्मू मभयय से झ ॊकत हुआ फोर —‘फध ई हो, श फ।’

‘शुकिम ।’—वववेक फोर ।

।।सभ प्त।।

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