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स धयू भ होतचन्द नी के फॊगरे के ड्र इॊगरूभ के तभ भ खिड़ककम ॊ दयव जे फन्द थे। बीतय उसके स भने एक आदभी ज्वेरय
ग्र स आॊि से रग ए भेज ऩय अऩने स भने बफिये , चभचभ कयते हीये जव हय त ऩयि यह थ औय दस
ू य आदभी
होतचन्द नी के ऩहरू भें फैठ होतचन्द नी की ही तयह अऩरक हीये जव हय त ऩयिे ज ते दे ि यह थ ।
हीये जव हय त जजनभें अधधकतय भ नक औय नीरभ थे—स धयू भ होतचन्द नी की मभजककमत थे जोकक ऩच स से ऊऩय
आमु क ननह मत हट्ट -कट्ट , तन्दरु
ु स्त आदभी थ । उस उम्र भें बी न तो वह चश्भ रग त थ , न उसके मसय क कोई फ र
सपेद थ औय न ही उसके चेहये ऩय फुढ ऩे के आगभन की फजकक ऩहुॊच चक
ु े होने की—चगु री कयने व री कोई झुयी थी।
श मद वह नेऩ र की—जह ॊ कक उसने अऩनी आधी जजन्दगी गज ु यी थी—ठण्डी, स्व स््मद मक आफोहव क असय थ ।
तीसये —होतचन्द नी के ऩहरू भें फैठे—आदभी क न भ द भोदय िेत न थ औय वह ऩयिे ज यहे भ र क सम्ब ववत
ियीदद य थ । वह कोई च रीस स र क ब यी-बयकभ आदभी थ जोकक उस फन्द खिड़ककमों औय दयव जों व रे कभये भें बी
आॊिों ऩय स्म ह क र चश्भ रग ए थ ।
वो हीये जव हय त भ मरक द्व य फड़े मत्न से छ ॊि छ ॊिकय जभ ककए गए थे औय मकीनन फेशकीभती थे।
हय स्िोन की ऩयि के फ द वववेक ज र न कयीफ ऩड़ी एक क ऩी ऩय कुछ आॊकड़े नोि कयत ज त थ औय उन आॊकड़ों के
क रभ की रम्फ ई फढती ही ज यही थी।
अन्त भें उसने ज्वेरय ग्र स आॊि से हि कय एक ओय यि टदम औय अऩने स भने ऩड़ जौहरयमों व र न जुक तय जू बी
ऩये सयक टदम ।
‘जो’—वववेक ज र न िॊि यकय गर स प कयत हुआ फोर —‘एक कैये ि से कभ वजन के स्िोन हैं, उनकी कीभत क भैं
भहज अन्द ज रग ऊॊग ।’
अऩने कधथत ज त ब ई से वववेक की जुम्भ जुम्भ आठ योज की व ककपमत थी। होिर किस्िर भें—जजसके एक कभये भें
वववेक यहत थ —वह वऩछरे ही भहीने आम थ । क ठभ ण्डू के किस्िर जैसे भध्मभ दजे के होिर भें एक ध टदन के
आव स के फ द ही टहन्दोस्त ननमों की—वो बी ज त ब इमों की—व ककपमत हो ज न भ भर
ू ी फ त थी। द भोदय िेत न ने
अऩने आऩको एक व्म ऩ यी फत म थ जोकक नेऩ र भें ककसी व्म ऩ य की—ककसी बी व्म ऩ य की—सम्ब वन ओॊ ऩय ववच य
कयने के मरए क ठभ ण्डू आम थ । फकौर उसके ब यत भें उसक होजजमयी क बफजनेस थ ।
द भोदय िेत न न भ के उस शख्स को फ तचीत क कुछ ऐस ढॊ ग आत थ कक च हकय बी वववेक अऩने फ ये भें उससे कोई
सीिेि नहीॊ यि ऩ म थ । अऩने फ ये भें वह मह तक नहीॊ छुऩ ऩ म थ कक अऩने घय से, अऩने वतन से इतनी दयू ऩयदे स
भें इन टदनों वो फेक य थ औय उसकी आधथाक जस्थनत इतनी शोचनीम हो चरी थी आइन्द टदनों भें उसे अऩने होिर क
बफर बयन बी दब
ू य रग सकत थ । द भोदय िेत न फतौय ट्रें ड जजमोरोजजस्ि औय जैभ एक्सऩिा उसकी मोग्मत ओॊ से
फहुत प्रब ववत हुए थ औय उसने आश व्मक्त की थी कक वववेक जैसे ‘गुणी’ आदभी को नेऩ री म टहन्दोस्त न भें कोई
नमी नौकयी ढूॊढने भें टदक्कत नहीॊ होने व री थी। तफ वववेक ने उसे फत म थ कक नमी नौकयी की आपय उसे मभर चकु ी
थी औय वह उसी को ज्व इन कयने के मरए सोभव य को टदकरी ज यह थ ।
अफ उस योज द भोदय िेत न के कहने ऩय ऩ ॊच हज य रुऩमे की ननध ारयत पीस ऩय वो वह ॊ स धयू भ होतचन्द नी के फॊगरे
भें उसके जव हय त की ऩयि कयके उसकी कीभत रग ने के मरए ह जजय हुआ थ ।
होतचन्द नी से बी वववेक न व ककप नहीॊ थ —न मसपा न व ककप नहीॊ थ , फजकक िेत न के भुक फरे भें उससे कहीॊ ज्म द ,
कहीॊ ऩुय न व ककप थ । हकीकत होतचन्द नी ही उसकी भौजूद फेक यी की वजह थ । होतचन्द नी वो शख्स थ जजसके
ऩ िा नयमशऩ के झ ॊसे भें आकय वह टदकरी छोड़कय नेऩ र आम थ औय जजससे धोि ि कय वो अऩनी भौजद
ू दश्ु व यी की
ह रत भें ऩहुॊच थ ।
‘ठीक है ।’—होतचन्द नी तननक नतक्तत बये स्वय भें फोर —‘जव हय त क स य धन्ध ही ज ती अन्द जों ऩय भुनइसय होत
है । औयतों औय घडड़मों की तयह जैभ एक्सऩर्टास भें बी क पी इत्तप क नहीॊ होत । एक ही हीय दो अरग-अरग ऩ यखिमों
को टदि ओ, कबी ऐस नहीॊ होग कक दोनों उसकी एक ही कीभत फत में। फहयह र भेये भें औय द भोदय िेत न भें मह
पैसर ऩहरे ही हो चक
ु है कक हभ दोनों को तम्
ु ह य अन्द ज भॊजयू होग । अफ फोरो क्म है तम्
ु ह य अन्द ज ?’
‘इजन्डमन।’
वववेक ने स प भहसस
ू ककम कक उसक जव फ सन
ु कय होतचन्द नी ने चैन की फड़ी रम्फी स ॊस री थी। वजह वववेक
ज नत थ । जरूय होतचन्द नी सभझ यह थ कक उससे फदर ननक रने के मरए वह ज नफूझकय जव हय त की कीभत कभ
कयके आॊक सकत थ औय उसे इस सेव की द भोदय िेत न से कोई पीस ह मसर हो सकती थी।
हकीकतन ऐस नहीॊ थ । हकीकतन वववेक ने ऩूयी ईभ नद यी से जव हय त को ऩयि थ औय अऩने ऩूये क योफ यी तजुफे से
उनकी कीभत आॊकी थी।
िेत न ने तयु न्त उत्तय न टदम । उसने अऩनी आॊिों ऩय से अऩन क र चश्भ उत य औय नेत्र मसकोड़कय कई फ य अऩने
भेजफ न की सूयत को औय जव हय त को दे ि ।
‘कभ र है , स ईं!’—वह धीये से फोर —‘छोिे , फड़े कई ककस्भ के जव हय त की एक ऩोिरी मह कहकय भेये स भने पेंकी
ज ती है कक इसभें ऩच स र ि क भ र है औय ऩयिे ज ने ऩय भ र ऩच स र ि क ही ननकरत है । भेय भतरफ है
तकयीफन।’
‘वववेक तम्
ु ह य आदभी है ।’—होतचन्द नी तननक सख्ती से फोर —‘इसे तम्
ु हीॊ ने चन
ु है औय तम्
ु हीॊ इसे मह ॊ र ए हो।’ जफ
तम्
ु हें अऩने ही आदभी की ऩयि ऩय एतफ य नहीॊ तो…’
‘तो कपय?’
‘सच ऩूछो तो भेय अन्द ज इसके अन्द जे से कदयन ज्म द थ । वववेक भुझे ऩसन्द नहीॊ कयत । इसको भेये से ज ती
यॊ जजश है । इसकी जगह कोई जूसय जैभ एक्सऩिा होत तो भुभककन है कक भ र की कीभत दो च य र ि रुऩमे ज्म द
आॊकत ।’
द भोदय िेत न कपय ि भोश हो गम । उसके चेहये से सन्दे ह औय धचन्त के ब व स्ऩष्ि रूऩ से ऩरयरक्षऺत हो यहे थे। कुछ
ऺण फड़ फोखझर स सन्न ि छ म यह ।
‘ठीक है ।’—आखियक य िेत न ने चश्भ व वऩस अऩनी आॊिों ऩय चढ मरम औय ननण ामक स्वय भें फोर —‘भझ
ु े सौद
भॊजयू है । अफ अगरी फ त।’
‘रयम मत?’
‘जो कक कभ से कभ दस पीसदी तो होनी ही च टहए।’
‘क्म ?’
होतचन्द नी अऩने स्थ न से उठ औय ड्र ईंगरूभ के वऩछव ड़े के एक फन्द दयव जे की तयप फढ । उसने वह दयव ज िोर
तो आगे एक रम्फ गमरम य प्रकि हुआ। होतचन्द नी ने गमरम ये भें कदभ यि औय अऩने ऩीछे दयव ज मबड़क टदम ।
होतचन्द नी के दृजष्ि से ओझर होते ही द भोदय िेत न अऩने स्थ न से उठ औय आकय वववेक व रे सोपे ऩय उसके ऩहरू
भें फैठ गम ।
‘ब ई भेये।’—वह वववेक के कन्धे ऩय ह थ यित हुआ धचजन्तत स्वय भें फोर —‘भुझे ठीक य म दे यह है न? अऩने ज त
ब ई को घ िे के सौदे भें तो नहीॊ पॊस यह ?’
‘भुझे नहीॊ भ रूभ सौद फुय है म अच्छ । भैंने सौदे के फ ये भें कोई य म नहीॊ दी। भैंने भ र के फ ये भें य म दी है । औय
अऩनी य म की फ फत बी भैंने मह द व नहीॊ ककम कक वो सौ पीसदी दरु
ु स्त है ।’
‘हो सकती तो अद कय दे त?
े ’
‘तभ
ु भझ
ु े फ तों भें न पॊस ओ। भैं तम्
ु ह ये सव र क जव फ नहीॊ दे सकत । भेय जव फ मे है कक जो क भ तभ
ु ने भझ
ु े कयने
के मरए टदम थ , उसे भैंने अऩनी ऩूयी क बफमरमत औय ईभ नद यी से अॊज भ टदम है औय भैं फहुत सोच सभझ कय इस
नतीजे ऩय ऩहुॊच हूॊ कक इन जव हय त की कीभत उनच स र ि नतहत्तय हज य च य सौ रुऩमे से ककसी सूयत भें कभ नहीॊ।
अफ भेये नतीजे से इत्तप क कयन म न कयन , भेयी आॊकी हुई कीभत ऩय एतफ य कयन म न कयन तम्
ु ह यी अऩनी भजी
ऩय भन
ु हसय है ।’
‘फ त तो तभ
ु ठीक कह यहे हो।’
वववेक ि भोश यह ।
तबी होतचन्द नी व वऩस रौि । उसके ह थ भें िीन क एक छोि स डडब्फ थ । वह सैन्िय िे फर के कयीफ ऩहुॊच । उसने
डडब्फे क ढक्कन िोर औय डडब्फे को भेज ऩय उरि कय टदम ।
‘क्म भतरफ?’
ऩछ
ू े ज ने से ऩहरे ही वववेक क मसय सहभनत भें टहरने रग ।
‘तम्
ु हें कैश ड उन कीभत भें दस पीसदी की रयम सत च टहमे थी’—होतचन्द नी फोर —‘उसकी जगह भैं तम्
ु हें मे ऩ ॊच र ि
से कहीॊ ऊऩय क एक्स्ट्र भ र दे यह हूॊ। कीभत वही यहे गी जो वववेक ने रग ई। उनच स र ि नतहत्तय हज य च य सौ
रुऩमे। ठीक है ?’
‘ठीक तो है रेककन…’
‘क्म रेककन? हभ ये फीच कैश ड उन ऩय रयम सत की फ त हुई थी रेककन ऐस कुछ तम नहीॊ हुआ थ कक वो रयम सत
इतनी होगी, ककस सूयत भें होगी। कहो कक भैं गरत कह यह हूॊ।’
गरत तो तभ
ु नहीॊ कह यहे हो स ईं, रेककन…।’
‘कैश ननक र?
ॊू ’
‘औय क्म ?’
‘कैश भेयी जेफ भें थोड़े ही है! ऩच स र ि के नोि कोई जेफ भें यिकय र मे ज सकते हैं?’
‘तो?’
‘सफ
ु ह! कैश भेये ऩ स सवेये आमेग औय तभ
ु जफ च होगे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच टदम ज मेग ।’
‘हूॊ!’—होतचन्द नी ववच यऩूणा स्वय भें फोर । कपय वह भेज ऩय पैरे जव हय त को धगनकय, जुद जुद क गजों भें रऩेि कय
क रे यॊ ग की शनीर की एक थैरी भें फन्द कयने रग । उसके द्व य फ द भें र मे, बफन तय शे, जव हय त उसने अरग
शनीर की थैरी भें फन्द ककमे। उसने दोनों थैमरमों को उनकी डोरयम ॊ िीॊच कय भजफूती से फन्द ककम । कपय वह एक कोने
भें रगी एक आकपसनुभ िे फर के कयीफ ऩहुॊच औय उसक इकरौत दय ज िोर कय उसने उसभें से एक फड़ भजफूत बूय
मरप प , र ि की एक जस्िक औय एक भोभफत्ती फय भद की। वो सफ स भ न सम्ब र कय व वऩस सैन ्िय िे फर ऩय रौि ।
उसने शनीर की दोनों थैमरम ॊ बूये मरप पे भें फन्द कीॊ औय मरप पे क फ्रैऩ गीर कयके उसे भोड़ कय मरप पे के स थ
धचऩक टदम ।
‘जय अऩनी अॊगूठी उत यो।’—होतचन्द नी फोर ।
‘इस ऩय भझ
ु े फेरफटू िमों की नक्क शी के फीच भें तम्
ु ह ये न भ क ऩहर हयप ‘डी’ गद
ु टदि ई दे यह है । मरप प फन्द
कयने भें तम्
ु ह यी मे अॊगूठी सीर क क भ दे गी।’
‘ओह!’
‘अफ मे मरप प ’—वह फोर —‘सीर तोड़े बफन नहीॊ िोर ज सकत ।’
‘प मद मे हुआ कक अफ सफ
ु ह तम्
ु ह ये कैश रेकय आने ऩय भेये ऩय इरज भ नहीॊ रग म ज सकेग कक जजन जव हय त की
ऩयि आज हभ सफ के स भने हुई थी वो तम् ु ह ये मह ॊ से चरे ज ने के फ द भैंने फदर टदमे थे म इनभें भैंने कोई घि फढ
कय दी थी।’
‘ओह!’
‘अफ कर भ र को दोफ य ऩयिने के मरए वववेक को तकरीप दे ने की जरूयत नहीॊ यहे गी। सफ
ु ह अगय मे सीर तम्
ु हें
फयकय य मभरें गी तो मह इस फ त क सफूत होग कक जो भ र अबी इसभें यि गम है , ऐन वही इसभें से फय भद होग ।’
‘तभ
ु इस मरप पे को प ड़ कय पेंक सकते हो औय ऐस एक नम मरप प रेकय उस ऩय नमी सीरें रग सकते हो।’
मरप प सम्ब रे फोतचन्द नी व वऩस आकपस िे फर ऩय ऩहुॊच । िे फर के इकरौते दय ज के नीचे अरभ यी की तयह िर
ु ने
व र एक ऩकर रग हुआ थ । उसने उसे िोर तो ऩीछे से एक नन्हीॊ सी भजफूत सेप फय भद हुई। उसने सेप ऩय रगे
ड मर ऩय एक नम्फय घभ
ु म औय सेप क दयव ज िीॊच । ब यी दयव ज नन्शब्द िर
ु गम । उसने सीर फन्द मरप प
सेप भें यि , सेप को फन्द ककम औय उसके भुॊह ऩय भेज क ऩकर बी फन्द कय टदम । सेप दृजष्ि से ओझर हो गमी।
वह व वऩस रौि ।
‘अफ’—वह फोर —‘नेऩ री झ ॊग की जगह ववर मती ववस्की हो ज मे।’
‘जकदी क्म है ?’
‘भजी तम्
ु ह यी।’—कपय वववेक को बी उठने क उऩिभ कयते ऩ कय वह फोर —‘तभ
ु तो रुको।’
‘शुकिम ।’
होतचन्द नी द भोदय िेत न को ववद कयने के मरए उसके स थ फ हय फॊगरे के फय भदे तक गम । कुछ ऺण फ द वह
अकेर व वऩस रौि
जव फ भें उसक सपेद फ रों व र अनत ववश रक म फूढ नेऩ री नौकय ड्र ईंगरूभ भें ऩहुॊच ।
हनभ
ु न तत्क र व वऩस रौि गम ।
होतचन्द नी वववेक के कयीफ आ फैठ । वह कुछ ऺण अऩरक वववेक को दे ित यह औय कपय धीये से फोर —‘भेये भ र की
सही कीभत आॊक कय आज तभ
ु ने भेये ऊऩय फहुत भेहयफ नी की है । उस भेहयफ नी क भैं एक छोि स फदर चक
ु न
च हत हूॊ।’
‘अगय’—होतचन्द नी कह यह थ —तभ
ु ने भेये से फदर उत यने की कोमशश की होती तो भेये भ र की कीभत तभ
ु ऩच स की
जगह च रीस र ि बी रग सकते थे, ऩैंतीस र ि बी रग सकते थे।’
‘भेयी रग मी कीभत भॊजूय कयन ’—वववेक फोर —‘आऩके मरमे जरूयी नहीॊ थ ।’
‘भौजूद ह र त भें जरूयी थ । भैं कीभत न भन्जूय कयत तो सौद िूि ज त । कपय टहन्दोस्त नी रुऩमे भें कैश ड उन ऩेभेन्ि
कयने व र अऩने भ र क दस
ू य ग्र हक ढूॊढने भें भुझे भहीनों रग ज ते जफ कक भैं तो इसी हफ्ते मह ॊ से कूच कय ज न
च हत हूॊ।’
‘रे ज सकत हूॊ। सफको भ रूभ है भैं अऩन बफजनेस; घय फ य सफ कुछ फेचकय मह ॊ से ज यह हूॊ। ऩूछे ज ने ऩय भैं
जव हय त क न भ बी नहीॊ रूॊग । ऩूछे ज ने ऩय मही कहूॊग कक भुझे स यी यकभ अऩन घय फ य, अऩन बफजनेस औय
उसकी गुडववर फेच कय ह मसर हुई।’
‘ऩत नहीॊ। भैंने नहीॊ ऩूछ । भुझे अऩनी यकभ से भतरफ है । वो जव हय त को रे ज कय च हे दरयम भें पेंके। वैसे नेऩ र से
फ हय उन जव हय त की कीभत एक कयोड़ से ऊऩय होगी।’
‘वो जरूय कोई तयीक होग उसकी ननग ह भें उन्हें नेऩ र से फ हय रे ज सकने क ।’
‘हूॊ!’
‘ज नकय िश ु ी हुई’—वववेक शषु ्क स्वय भें फोर —‘कक एक फेईभ न आदभी को, एक ऐसे फेईभ न आदभी को जो िद
ु भेये
से फेईभ नी कय चक ु है , अफ भेयी ईभ नद यी की कद्र हुई, उसे उसकी जरूयत भहसूस हुई।’
‘धन्धे भें नहीॊ होती। होती है तो स धयू भ होतचन्द नी के धन्धे भें नहीॊ होती। भैं बी तम्
ु ह यी तयह होत तो आज बी भैं नॊगे
ऩ ॊव, ि री जेफ, दो जून की योिी मरए क ठभ ण्डू की सड़कों ऩय दयु -दयु कयत कपय यह होत ।’
‘ऩुिड़े!—होतचन्द नी मशक मतबये स्वय भें फोर —‘भेये घय भें फैठकय, भेयी भेहभ ननव जी कफूरते हुए तो ऐस फुय फोर न
फोर।’
‘भैं ऐस ही फुय फोर फोरूॊग । अरफत्त आऩ अऩनी ववस्की क धगर स भेये से छीन सकते हैं औय भुझे घय से ननक र
सकते हैं।’
‘अये , नहीॊ। भैं ऐस क्मों करूॊग । भैं तो तम्
ु ह ये अऩने फीच भें अभन श जन्त क भ हौर दे िन च हत हूॊ।’
‘औय दो टदन क तो द न ऩ नी यह गम है नेऩ र भें भेय । उसके फ द ऩत नहीॊ जजन्दगी भें हभ दोनों कबी एक दस
ू ये की
सूयत बी दे ि ऩ एॊगे कक नहीॊ।’
होतचन्द नी हॊ स ।
उसने ऩन्ने को क गज भें व वऩस रऩेि कय ऩडु ड़म अऩनी जेफ भें यि री औय बफन अऩने भेजफ न से ह थ मभर ने क म
उसक अमबव दन कयने क उऩिभ ककए दयव जे की ओय फढ ।
‘ड मरिंग।’—तबी फ हय फय भदे ऩय से एक सुयीरी आव ज आमी—‘कह ॊ हो!’
कपय दयव ज िर
ु औय एक अनतसुन्दय, अनतआधनु नक, ववर मती ऩरयध नध यी मुवती ने बीतय कदभ यि । उसक यॊ ग
गोय थ , नमन नक्श फहुत तीिे थे औय स्म ह क रे फ रों क सजधज ऐसी थी जैसे वह उसी घड़ी उन्हें ककसी ब्मूिी ऩ राय
से सैि कय कय आमी थी। आमु भें वो रगबग तीस वषा की थी रेककन उम्र से आम ठहय व औय श इस्तगी उसकी िफ ू सूयती
को दोफ र ही कय यहे थे।
‘हकरो ड मरिंग। हकरो ज र न!’—वह ऩहरे होतचन्द नी औय कपय वववेक से फोरी—‘भैंने डडस्िफा तो नहीॊ ककम ! भेये आने
से ववघ्न तो नहीॊ ऩड़ !’
‘कतई नहीॊ। कतई नहीॊ!’—होतचन्द नी उठकय उसक स्व गत कयत हुआ फोर । वह कयीफ आमी तो उसने फड़े अनुय गऩूणा
ब व से उसे अऩनी एक फ हॊ के घेये भें रे मरम ।
होतचन्द नी की आॊिों भें उस घड़ी जो गुर फी डोये तैयते वववेक को टदि ई टदए, वह सभझ न सक कक वे ववस्की की वजह
से थे म अचय के आगभन की वजह से। उसने जोय से अचय को अऩने ऩहरू के स थ बीॊच ।
‘भेये फ र न बफग ड़ दे न ।’—अचय चेत वनीऩूणा स्वय भें फोरी—‘एक घन्ि रग है इन्हें सैि कयव ने भें ।’
‘क्म फ त है !’—वह भदबये स्वय भें फोर —‘आज कुछ ज्म द ही हसीन रग यही हो।’
‘इसभें भेय क्म कभ र है ?’—वह िनकती हुई हॊ सी हॊ सती हुई फोरी—‘सफ ब्मूिी ऩ राय क कभ र है जह ॊ से भैं फ र सैि
कयव कय आमी हूॊ। रेककन तभ ु भेये भेकअऩ की त यीप कय यहे हो म भेयी ऩोश क की! वैसे मे ऩोश क बी नमी है । आज ही
ऩहनी है ऩहरी फ य।’
ऩोश क एक फहुत बड़कीरी स्किा औय ऩीरे यॊ ग क ऊनी ब्र उज थी।’ ब्र उज की कपटिॊग कुछ ऐसी थी कक उसक सड
ु ौर
उन्नत वऺ औय बी सुडौर औय उन्नत रग यह थ ।
‘भेये मरए क बफरेत यीप’—होतचन्द नी मूॊ फोर जैसे फीस स र क छोकय हो—‘न तम्
ु ह यी ऩोश क है औय न तम्
ु हय
भेकअऩ। भेये मरए तो क बफरेत यीप मसपा तभ
ु हो।’
‘ह ॊ।’—वह फोर ।
‘क्मों?’
‘डैडी से सभझन ।’
औय वववेक वह ॊ से ववद हो गम ।
श्वेत श ह वो नेऩ री मुवती थी जजस ऩय वववेक टदरोज न से कपद थ औय जजससे श दी कयने क वह फड़ भजफूत इय द
यित थ ।
‘तम्
ु हें तो’—श्वेत फोरी—‘होतचन्द नी से सख्त नपयत थी।’
‘भुझे ककसी से नपयत नहीॊ।’—फ त को भज क भें उड़ ने की गयज से वववेक फोर —‘भैं भह त्भ फुद्ध हूॊ।’
‘हॊ सने की फ त नहीॊ है ।’—श्वेत फोरी—‘हीये जव हय त जॊचव ने के मरए क्मों उसने तम्
ु हें चन
ु ? ऐसे क भों के मरए रोग
स ि व री पभा भें ज ते हैं जह ॊ कक सयक यी भ न्मत प्र प्त जैभ एक्सऩिा उऩरब्ध होते हैं। इतने फड़े सौदे की आपय व रे
भ र को ऩयिव ने के मरए उसे मरच्छवी ज्वेरसा के ऩ स ज न च टहए थ ।’
‘हो। रेककन तभ
ु सयक यी भ न्मत प्र प्त जैभ, एक्सऩिा नहीॊ हो।’
‘रेककन जैभ एक्सऩिा हूॊ। मरच्छवी के जैभ एक्सऩिा भेये से ज्म द ऻ नी नहीॊ हो सकते। ऊऩय से भैं क्व रीप इड
जजमोरोजजस्ि हूॊ। जेम्स की फ वत ककतनी ही फ तें भैं दक
ु नद यी व रे जौहरयमों से ज्म द ज नत हूॊ।’
‘ओफ्पोह! फ वजद
ू अऩनी स यी क फमरमत के तभ
ु भ र की फ फत कोई सटिा कपकेि तो इशू नहीॊ कय सकते।
‘द भोदय िेत न को ककसी सटिा कपकेि की जरूयत नहीॊ थी। उसक क भ भेयी जुफ नी य म ऩय ही चर सकत है ।’
‘इसी से स बफत होत है कक मे कोई घोि रे क सौद है । कोई गैयक नूनी सौद है ।’
‘होत यहे । भुझे क्म ! भेयी तयप से फेशक वो जव हय त चोयी क भ र हों। मे ियीदने व रे की मसयददा है कक वह चोयी के
भ र क क्म कये ग म उससे क्म प मद उठ मेग । भैंने फेचने व रे को फेचने की य म नहीॊ दी, ियीदने व रे को ियीदने
की य म नहीॊ दी। भेये से भहज एक आइिभ के फ ये भें सव र ककम गम कक वो सोन है म ऩीतर है , भैंने फत टदम ।’
तबी वेिय क पी रे आम ।
‘श्वेत , भ ई ड मरिंग’—कपय वववेक उसे सभझ त हुआ फोर —‘तभ ु फ त को मूॊ सभझो कक एक जरूयतभन्द आदभी ने
ओवयि इभ ककम , अऩनी भेहनत की पीस कभ ई। भझ ु े इससे क्म कक स धयू भ होतचन्द नी चोय है म द भोदय िेत न
उठ ईगीय । भैंने ऩच्चीस सौ रुऩए कभ मरए हैं। इतने ही रुऩए कर अबी औय मभरेंगे भुझ।े अफ मे क्म तम्
ु हें बी फत ने की
जरूयत है कक मे यकभ भेये ककतने क भ आ सकती है !’
‘भैंने टदकरी ज कय अऩन कोई घय-फ य जभ न है । कोई िीन िप्ऩय िड़ कयन है जजसभें कक भैं तम्
ु हें यि सकॊू । भेये इस
अमबम न भें मे यकभ ककतनी क यगय स बफत हो सकती है, इसे तभ
ु तो सभझो! जजतने भेये ऩ स ऩैसे ज्म द होंगे उतनी ही
जकदी भैं तम्
ु हें अऩनी फीवी फन ने की जस्थनत भें होऊॊग ।’
‘तभ
ु महीॊ क्मों नहीॊ यह ज ते?’
‘तम्
ु हें मह ॊ नौकयी मभर सकती है ।’
‘रेककन भ भूरी। क भ चर ऊ। जो भेय मसपा इतन बर कये गी कक भैं फेयोजग य नहीॊ कहर ऊॊग । ऐसी ि न ऩूयी क दज ा
यिने व री नौकयी के मरए, जजसभें तयक्की के बी कोई आस य नहीॊ, ऩयदे स भें धक्के ि ने क क्म प मद ! मह ॊ
होतचन्द नी ने धोि न टदम होत , तो फ त कुछ औय होती।’
‘हूॊ।’
‘अफ तभ
ु इसे बी भेयी िश
ु ककस्भती सभझो कक टदकरी के सफसे फड़े ज्वेरय के ऩ स भेयी फड़ी इज्जतद य नौकयी रग यही
है । ज ते ज ते भैंने ऩ ॊच हज य रुऩए कभ मरमे तो क्म फुय ककम ।’
‘फोरो।’
‘तभ
ु ’—श्वेत फोरी तो उसने नम ही सव र ककम —‘अबी भझ
ु े स थ क्मों नहीॊ रे ज सकते?’
‘भुझे डय रगत है ।’
‘ककस फ त क ?
‘तम्
ु ह ये चरे ज ने के फ द तम्
ु ह ये भक
ु क की कपकभों की तयह कहीॊ भैं मह ॊ ववयह के गीत ही ग ती न यह ज ऊॊ।’
‘तभ
ु ऩ गर हो।’—वववेक हॊ स ।
‘भेय अकेरे ज न जरूयी है । सोभव य भैंने ड्मूिी ज्व मन कयनी है । न कयने ऩय इतनी फटढम नौकयी ह थ से ननकर ज ने
क अन्दे श है । भेय प्रेन टिकि फक
ु है । ऊऩय से सोभव य तक तम्
ु ह य च च अऩनी एवये स्ि एक्सऩीडीशन से व वऩस
रौिकय नहीॊ आने व र । तभ
ु क्म उसे बफन कुछ फत मे भेये स थ चर दोगी! भैं क्म तम्
ु हें बग कय रे ज यह हूॊ!’
‘ककस फ त भें?’
‘तम्
ु ह ये स थ ब ग चरने भें ।’
‘ऩ गर हो! जरूयत क्म है ऐसी हयकत की! फस चन्द टदनों की तो फ त है । कपय भैं तम्
ु हें ववधधवत ् ब्म ह कय टदकरी रे
ज ऊॊग ।’
वह ि भोश यही।
‘ओके?’—वववेक फोर ।
वह भस्
ु कय ई।
तबी एक वेिय उनकी िे फर के कयीफ ऩहुॊच ।
‘तभ
ु थोड़ी दे य के मरए मह ॊ आ सकते हो?’—वह फोर ।
‘मह ॊ कह ?
ॊ ’—वववेक फोर ।
‘क्मों?’
‘कैस क भ?’
‘आओगे तो फत ऊॊग । पोन ऩय ज्म द सव र न कयो। थोड़ी तकरीप कयो भेयी ि नतय।’
‘कफ आऊॊ?’
‘आ सकत हूॊ।’
र इन कि गई।
श्वेत अन थ थी। उसकी भ ॊ उसके फचऩन भें ही भय गमी थी औय उसक वऩत एक टहभ रमन एक्सीऩीडीशन भें
बस
ू ॊस्िरन क मशक य होकय भय गम थ । औय कोई ब ई फहन उसक थ नहीॊ। उसक ऩ रन ऩोषण उसके ववधयु च च ने
ककम थ जो कक उसके वऩत की ही तयह शेयऩ थ औय भ उन्ि एवये स्ि अन्नऩण
ू ,ा कॊचनजॊग , धौरधगयी औय
भच्छऩुच्छर जैसी ऩवात श्ि
ॊ ृ र ओॊ के आयोहण अमबम न दरों के स थ ज त थ ।
‘भ नसून क भौसभ आ गम है ।—वववेक फोर —‘अफ न हो ज मे कहने से थोड़े ही फ रयश कहन भ न ज मेगी।’
‘मे बी ठीक है ।’
वववेक ने सहज ही उसे अऩनी फ ॊहों भें बय मरम औय उसके शहद से भीठे होंठों ऩय अऩने आतयु होंठ यि टदमे। ककतनी ही
दे य दोनों एक दस
ू ये के आमरॊगन भें फन्धे यहे । कपय वववेक ने ही उसे अऩने से अरग ककम ।
वह वह ॊ से ववद हो गम । स ढे नौ फजने भें अबी क पी वक्त थ इसमरए वह व वऩस अऩने होिर भें आ गम । वह फ य भें
गम । उसने गभा ऩ नी ब् ॊडी ह मसर की औय उसे चस
ु कत औय मसगये ि के कश रग त वह ॊ फैठ यह ।
भुर क त के ननध ारयत सभम भें केवर तीन मभनि फ की यह गमे तो वह फ य से ववद हुआ।
वह अबी आधे य स्ते भें ही थ कक एक एक बफन ककसी चेत वनी के ऩ नी फयसने रग । वह फौिर म । फ रयश एक एक इस
तेजी से होनी शुरू हुई थी कक वह दौड़ कय बी होतचन्द नी के फॊगरे तक ऩहुॊचत तो बी ऩूयी तयह से बीग चक
ु होत । ककसी
ओि भें शयण रेने भें ही उसे अऩन ककम ण रग । सौब ग्मवश ऐसी ओि ऐन वहीॊ भौजूद थी जह ॊ कक फ रयश शरू ु होते ही
वह टठठक थ । सड़क से कुछ ही पुि ऩये एक रगबग िॊडहय हो चक
ु अॊधेय ि री भक न थ जजसे वववेक ने ऩहरे बी कई
फ य दे ि थ । वह रऩक कय उसके फय भदे भें ऩहुॊच गम जो कक भक न से कहीॊ फेहतय जस्थनत भें थ ।
फ रयश शुरू होते ही उसकी तयह औय रोग बी इधय उधय ऩन ह भ ॊगते सड़क से ग मफ होने रगे थे। ऩ नी से फुयी तयह तय
एक फ इमसकर व र मसय नीच ककमे ऩूयी शजक्त से ऩैडर भ यत सड़क ऩय ज यह थ । वैसी ही दश भें एक औयत छ ती
से कोई फॊडर स धचऩक मे, मसय नीचे ककमे, सड़क ऩय चरी ज यही थी। वह इस फयु ी तयह बीग चक
ु ी थी कक उसके गीरे
फ र रिों की सयू त भें उसके चेहये ऩय रिक आमे थे औय उनभें से ऩ नी फह यह थ । उसकी ऩोश क बीग कय ऩरस्तय की
तयह उसके फदन से धचऩक चक
ु ी थी।
तबी सड़क ऩय एक क य प्रकि हुई जजसकी है डर इर्टस की तीिी योशनी सीधे फय भदे भें िड़े वववेक के चेहये ऩय ऩड़ी। उसने
आॊिें मभचमभच मीॊ। जफ तक वह ठीक से आॊिें िोर ऩ म तफ तक क य सड़क से गुजय चक ु ी थी औय अफ मसपा उसकी दयू
होती िे र र इि उसे टदि ई दे यही थी।
तबी एक एक फ रयश मूॊ फन्द हुई जैसे ककसी ने श वय फ थ की िूिी फन्द कय दी हो। अबी फ रयश क बीषण शोय थ तो
अबी सन्न ि थ । केवर ऩेड़ों से िऩकते ऩ नी की िऩ िऩ की आव ज व त वयण भें गूॊज यही थी।
गीरी सड़क ऩय स वध नी से चरत हुआ वह होतचन्द नी के फॊगरे ऩय ऩहुॊच । उसने दे ि कक फॊगरे क भुख्मद्व य िर
ु
थ औय बीतय योशनी थी। उसने टहचककच ते हुए दयव जे ऩय दस्तक दी। कोई उत्तय न मभर तो उसने दयव जे को धकेर
कय ऩयू िोर औय बीतय ़दभ यि । ड्र इॊगरूभ भें उसने दो ही कदभ आगे फढ मे थे कक वह थभक कय िड़ हो गम ।
वह अऩनी आकपस िे फर के कयीफ पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ थ । उसकी ि ॊगें घुिनों ऩय से भुड़ी हुई थीॊ औय
उसकी एक फ ॊह उसके जजस्भ के नीचे कहीॊ दफी हुई थी। दयव जे की तयप उसकी ऩीठ थी इसमरमे वववेक को उसक चेहय
ठीक से टदि ई नहीॊ दे यह थ ।
कन्धे को ह थ रगते ही होतचन्द नी के शयीय भें मूॊ हयकत हुई कक वववेक ने धचहुॊक कय अऩन ह थ व वऩस िीॊच मरम ।
उसके दे िते दे िते होतचन्द नी क शयीय हौरे से कपय औय कपय ऩीठ के फर रुढक कय जस्थय हो गम । तफ वववेक को
उसकी ऩथय ई हुई आॊिें औय िन
ू से तय कभीज टदि ई दी।
वह मूॊ मन्त्रच मरत स वह ॊ से ब ग कक सड़क ऩय ऩहुॊच कय ही उसे अऩनी उस हयकत क अहस स हुआ। तफ सफ से ऩहरे
तो उसने दौड़न फन्द ककम रेककन च र उसकी कपय बी तेज ही यही। कोई अऻ त बम उसे वह ॊ से उड़न छू हो ज ने के
मरए प्रेरयत कय यह थ ।
सड़क ऩय जगह जगह जभ हो गए ऩ नी भें ऩड़ने से अऩने ऩैयों को फच त हुआ वह फॊगरे से ऩये चरत यह ।
तफ कहीॊ ज कय उस ऩय से बम क बत
ू उतय औय उसकी अक्र ने क भ कयन शरू
ु ककम । तफ उसने भहसस
ू ककम कक
उसे मूॊ होतचन्द नी के फॊगरे से ब ग नहीॊ िड़ होन च टहए थ । क्म ऩत उसने नब्ज ठीक से दे िी हो, क्म ऩत
होतचन्द नी तफ बी जजन्द हो औय पौयन ड क्ियी इभद द ह मसर हो ज ने ऩय उसकी ज न फच सकती हो।
ऊऩय से हो सकत थ ककसी ने उसे होतचन्द नी के फॊगरे भें द खिर होते औय कपय वह ॊ से कूच कयते दे ि हो। इस त्म
क फ द भें उज गय होन उसके मरए ब यी दश्ु व यी क फ मस फन सकत थ ।
इससी ऩहरे कक वह आगे फढकय फ की क नम्फय ऩढने की कोमशश कयत , उसकी तवज्जो फ मीॊ ओय से आती एक
सयसय हि जैसी आव ज की तयप गई। उसने उस तयप दे ि तो पुिऩ थ से आगे उगी घ स ऩय एक ऩयछ ईं सी ऩड़ती
भहसूस की। उसने आॊिें प ड़-प ड़ कय उधय उगे ऩेड़ों की तयप ननग ह दौड़ ई तो ऩ म कक एक ऩेड़ के नीचे ऩेड़ के तने की
तयह ही गनतहीन एक आदभी िड़ थ । उसके कऩड़ों की यॊ गत क री थी औय वह ऩेड़ के नीचे के अन्धेये के स थ मूॊ
टहरमभर गई थी कक फहुत अधधक गौय कयने ऩय ही उसकी वह ॊ भौजद
ू गी क आब स मभरत थ ।
वववेक ने एक तीरी चर कय मसगये ि सुरग म । मू हुई ऺखणक योशनी भें उसने दे ि कक वह डफर योिी की तयह पूरे चेहये
व र एक ववश रक म नेऩ री थ जो क री जीन, क री कभीज औय चभड़े की क री जैकेि ऩहने थ । उसके मसय ऩय
नेऩ री स्ि इर की िि
ु यी जैसे बफकरे व री क री िोऩी थी। उसकी िोऩी कन्धे वगैयह सफ सूिे थे जजससे ज टहय होत थ
कक वह तबी होकय हिी फ रयश की चऩेि भें नहीॊ आम थ । ऩेड़ भें से िऩकती फूॊदें फत यही थीॊ कक फ रयश के दौय न अगय
वह महीॊ बी भौजद
ू होत तो बी बीगने से न फच ऩ म होत ।
‘ह ॊ।’
‘आऩ नहीॊ बीगे।’
‘ह ॊ।’
कपय वववेक के दोफ य फोर ऩ ने से ऩहरे ही वह वह ॊ से हि औय रम्फे डग बयत हुआ एक ओय फढ गम । वववेक तत्क र
पैसर न कय सक कक वह उसे योके कक ज ने दे । जफ तक उसके भन भें उसे योकने की इच्छ ज गतृ हुई, तफ तक वह
सड़क ऩय फहुत दयू ननकर चक
ु थ।
वववेक ने एक गहयी स ॊस री औय मसगये ि क आखियी कश रग कय उसे पेंक टदम । वह घूभ औय आगे फढकय फॊगरे भें
द खिर हो गम । उसने य हद यी ऩ य की औय सीटढम ॊ चढकय फय भदे भें ऩहुॊच गम । उसने ड्र इॊगरूभ भें कदभ यि । उसकी
ननग ह ऩैन होती हुई च यों तयप घूभी।
तत्क र उसे आब स हुआ कक कभय ऐन वैसी ही ह रत भें नहीॊ थ जैसी भें वो उसे अबी थोड़ी दे य ऩहरे छोड़कय गम थ ।
अफ आकपस िे फर क सेप के ऊऩय क इकरौत दय ज िर ु हुआ थ औय भेज ऩय तयह-तयह के क गज त औय मरप पे
ऩड़े थे। क गज इतने अधधक थे कक कुछ भेज ऩय से सयक कय नीचे पशा ऩय ज धगये थे।
तफ उसक ध्म न हीयों की दो थैमरमों से बये बयू े यॊ ग के उस सीरफन्द मरप पे की तयप गम जजसके टदन भें उसके स भने
होतचन्द नी ने भेज की सेप भें फन्द ककम थ ।
उस घड़ी सेप िर
ु ी थी म फन्द थी?
फहुत च हते हुए बी उसने सेप को चेक न ककम । उसकी अक्र मही कह यही थी कक उसे वह ॊ की ककसी चीज को नहीॊ छून
च टहमे थ ।
कपय वह दोफ य र श के कयीफ उकड़ू फैठ गम औय उसभें जीवन के कोई रऺण तर श कयने क उऩिभ कयने रग ।
वह स्तब्ध हो गम औय क न रग कय सन
ु ने रग ।
कह ॊ से आई थी वो आहि!
फॊगरे के च यों तयप फय भद थ औय फॊगरे क कोई न कोई दयव ज ककसी न ककसी तयप के फय भदे भें िर
ु त थ इसमरए
जरूयी नहीॊ थ कक फॊगरे भें प्रवेश केवर स भने के दयव जे से ही ककम ज त ।
अऩनी ऩसमरमों भें ध ड़-ध ड़ फजते टदर को क फू कयत हुआ वह उठ कय सीध हुआ।
जजस ककसी ने बी आकपस िे फर की वो ह रत फन मी थी; वह जरूय अबी बी वहीॊ थ । जरूय वववेक के दोफ य वह ॊ आगभन
से उसके क भ भें व्मवध न ऩड़ गम थ ।
वो क्म कये ?
नहीॊ।
कपय फहुत टहम्भत कयके उसने आगे फढकय कभये क वऩछर दयव ज िोर ।
आगे गमरम य ि री थ ।
वह रम्फे डग बयत हुआ उसके दसू ये मसये ऩय ऩहुॊच । उसने ऩ म कक वह दयव ज चौिि से रग हुआ थ रेककन फन्द नहीॊ
थ । उसने उसे िोर कय फ हय फय भदे भें कदभ यि ।
वह रगबग दौड़त हुआ स भने फय भदे भें ऩहुॊच औय आॊिें प ड़-प ड़ कय सड़क की तयप दे िने रग ।
सड़क ि री थी।
जो र्टऩोि क य उसने फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ी दे िी थी, वह अऩने स्थ न से ग मफ थी।
क श वह उसकी सूयत दे ि ऩ त !
वह कुछ ऺण वहीॊ स्तब्ध व त वयण भें टठठक िड़ यह , कपय ब यी कदभों से व वऩस ड्र इॊग रूभ भें रौि ।
उसने वह ॊ से ऩमु रस को िोरीपोन ककम औय तभ भ व क्म फम न ककम । उसको टहद मत मभरी कक वह ऩमु रस के आगभन
तक वहीॊ यहे औय ककसी चीज को न छुए।
वह पोन मथ स्थ न यिकय आकपस िे फर के कयीफ ऩहुॊच । उसकी िोजऩूणा ननग ह भेज ऩय बफिये क गज त ऩय ऩड़ी। उन
क गज त भें फेशुभ य ि इऩशुद ऩष्ृ ठ थे, फैंक स्िे ि-भें र्टस थीॊ, यसीदें थीॊ, धचटिम ॊ थीॊ, एक रम्फी सूची थी जजसभें
होतचन्द नी की नेऩ र भें तभ भ चर अचर सम्ऩजत्त क वववयण दजा थ ।
इससे ऩहरे कक वह उस सूची क औय गौय से भुआमन कय ऩ त उसे फ हय से आती एक क य की आव ज सुन मी दी। उसे
रग कक क य क इॊजन ऐन फॊगरे के स भने आकय फन्द हुआ थ ।
उसकी ननग ह ऩहरे वववेक ऩय, कपय पशा ऩय ऩड़े होतचन्द नी ऩय औय कपय वववेक ऩय ऩड़ी।
‘ह ॊ।’
‘ऩत नहीॊ। भझ
ु े तो मे मह ॊ मॊू ही ऩड़े मभरे थे। भैं अबी आऩ के आगे-आगे ही मह ॊ आम हूॊ।’
वववेक औय भछे न्द्र न थ य ण को ऩुमरस की तफ्तीश ऩूयी होने तक वहीॊ टिके यहने क आदे श हुआ थ ।
हनुभ न फॊगरे के वऩछरे कम्ऩ उण्ड के कोने भें फने रकड़ी के केबफन भें यहत थ औय उसे तबी ऩुमरस व रों के फत मे ऩत
रग थ कक वह ॊ क्म हो गम थ ।
ऩुमरस क एक पोिोग्र पय ववमबन्न कोणों से र श की तस्वीयें िीॊच यह थ । एक कपॊ गयवप्रॊि एक्सऩिा कई स्थ नों से
उॊ गमरमों के ननश न उठ ने की कोमशश कय यह थ । एक अन्म व्मजक्त आकपस िे फर ऩय बफिये क गज त क भुआमन कय
यह थ ।
तबी हनुभ न के स थ इन्सऩेक्िय दे व व वऩस ड्र ईंग रूभ भें रौि । हनुभ न एक ओय िड़ हो गम । इन्स्ऩेक्िय अऩने दो
ऩुमरमसमों से सम्फोधधत हुआ—‘भ नक होतचन्द नी। कैप्िन बफमरमभ भूॊग बफन। अचय मोसववधचत। सफ को मह ॊ रे के
आओ।’
‘स ढे आठ के कयीफ।’
‘आऩ को ककसी बी वक्त मह ॊ चरे आने को कह गम थ म भुर क त क कोई वक्त भुकया य हुआ थ ?’
‘ककतने फजे क ?
‘स ढे नौ फजे क ?
‘स ढे नौ फजे क ।’—इन्स्ऩेक्िय फड़े ववच यऩूणा ब व से फोर थ —‘तो स ढे नौ फजे जफ आऩ मह ॊ आमे तो आऩने
होतचन्द नी स हफ को मह ॊ भय ऩड़ ऩ म ?’
वववेक टहचककच म ।
उसने अऩने टहत भें अऩने ऩहरे पेये को गोर कय ज न ही भुन मसफ सभझ ।
‘क्म ?’
‘ह -ॊ ह ॊ।’
‘श मद ऩौने दस फजे। म औय ऩ ॊच मभनि फ द। ठीक से ध्म न नहीॊ। भैंने घड़ी नहीॊ दे िी थी।’
‘हूॊ।’—इन्स्ऩेक्िय कुछ ऺण सोचत यह औय कपय फोर —‘हनभ ु न कहत है कक आऩ भें औय होतचन्द नी स हफ भें कुछ
यॊ जजश थी। वो कहत है कक कुछ टदन ऩहरे आऩ फड़े क नतर न इय दे से मह ॊ ऩहुॊचे थे औय अगय उसने फीच बफच व न
ककम होत तो तफ श मद आऩ होतचन्द नी स हफ को भ य ही ड रते। मे फ त सच है?’
‘फ त तो सच है —वववेक कटठन स्वय भें फोर —‘रेककन इसक भतरफ मह तो नहीॊ कक क्मोंकक तफ हनुभ न के फीच बफच व
की वजह से भैं होतचन्द नी स हफ को नहीॊ भ य सक थ इसमरए भैंने उन्हें आज भ य टदम ।’
‘नहीॊ। इसक भतरफ मह नहीॊ है । है बी तो अबी भैंने ऐस कुछ कह नहीॊ। अबी हभ वऩछरी फ य की फ त कय यहे हैं।’
वववेक ि भोश यह ।
‘आऩ होतचन्द नी स हफ ऩय झऩिे थे। अगय हनुभ न फीच भें न आ गम होत तो हो सकत थ आऩक गुस्स उनकी ज न
रेकय ही ठण्ड होत ।
‘ज र न स हफ, हकीकत ज नकय इस फ त की ह भी बरयए। भेये ऩय अहस न कयने के ढॊ ग से इसे कफूर न कीजजए।’
‘ठीक है ।’—वववेक बड़ककय फोर —‘भैं कफूर कयत हूॊ कक कुछ टदन ऩहरे गुस्से भें उपनत हुआ भैं मह ॊ आम थ औय
भैंने होतचन्द नी स हफ को कह थ कक भैं उन्हें ज न से भ य ड रूॊग रेककन…’
‘नहीॊ क पी। गुस्से भें ककसी को ज न से भ य ड रने की घोषण कयने रगने ऩय कोई सच भें ही ककसी को ज न से नहीॊ भ य
ड रत । गुस्से भें ऐसी व हीतफ ही कोई बी फक सकत है जजसक आऩ फ द भें तोड़-भयोड़कय कैस बी भन भ कपक भतरफ
ननक र सकते हैं। अगय आऩ सभझते हैं कक भैंने होतचन्द नी स हफ क कत्र ककम है तो ऐस स प कटहए। भेये स थ मॊू
चह
ू े बफकरी क िेर िेरने क क्म भतरफ?’
‘नहीॊ।’
‘कैस धोि ?’
‘जजमोरोजजस्ि?’
‘ह ॊ। होतचन्द नी स हफ को मह ॊ हीये -जव हय त की भ इननॊग के कुछ प्रॉस्ऩैक्िस टदि ई टदए थे जजनके मरए इन्हें एक ट्रें ड
जजमोरोजजस्ि की जरूयत थी। इन्होंने भुझे ि स तौय से टहन्दोस्त न से ऩ िा नयमशऩ के व दे ऩय फुर म थ औय भैं अऩनी
रगी रग ई नौकयी से िड़े ऩैय इस्तीप दे कय मह ॊ आम थ । हभ ये भें तम हुआ थ कक इन्वेस्िभें ि स यी इनकी होगी औय
भेहनत स यी भेयी होगी औय हभ ये भें मसक्सिी पोिी की ऩ िा नयमशऩ होगी।’
‘म नी कक स ठ प्रनतशत भन
ु प होतचन्द नी स हफ क औय च रीस प्रनतशत आऩक ?’
‘ह ॊ।’
‘कैसे?’
‘होतचन्द नी स हफ ने एग्रीभें ि तैम य कयके भुझे टदम । वहीॊ उनकी भौजूदगीभें भैने एग्रीभें ि ऩढ । एग्रीभें ि एकदभ चौकस
थ । भैं फेटहचक उस ऩय स इन कयने को तैम य हो गम । वहीॊ स भने सैन्िय िे फर ऩय फैठकय होतचन्द नी क ऩैन रेकय जफ
भैं स इन कयने रग तो भैंने ऩ म कक ऩैन भें स्म ही नहीॊ थी। उन्होंने भुझे कह कक भैं उस आकपस िे फर ऩय भौजूद
कभरद न भें से दस
ू य ऩैन रे आऊॊ। भैं उठकय ऩैन रेने गम । इतने भें उन्होंने एग्रीभें ि क क गज फदर टदम । दोनों
क गज एक जैसे थे इसमरए तफ भझ
ु े पका भहसस
ू न हुआ। भैंने स इन कय टदए। उसने भेयी क ऩी को तह कयके एक
मरप पे भें यि औय मरप प भुझे सौंऩ टदम । फ त ित्भ हो गई। अबी कोई तीन हफ्ते ऩहरे भुझे ककसी तयीके से भ रूभ
हुआ कक होतचन्द नी के ऩ स ऐसी ककसी भ इननॊग क कोई सयक यी ऩयमभि नहीॊ थ । बफन सयक यी इज जत के आऩके
भुकक भें ऐसी भ इननॊग गैयक नूनी थी औय ऩकड़े ज ने ऩय रम्फी सज हो सकती थी। भैं डय गम । भैंने पौयन क न्ट्रे क्ि
ित्भ कयने क पैसर कय मरम । तफ कहीॊ ज कय शुरू क ककम हुआ क न्ट्रे क्ि भैंने मरप पे भें से ननक रकय ऩढ तो भुझे
भ रभू हुआ कक उस क न्ट्रै क्ि के भत
ु बफक भैं होतचन्द नी स हफ क ऩ िा नय नहीॊ; भर
ु जजभ थ औय फतौय भरु जजभ भेयी
जो तनख्व ह थी वो इतनी कभ दजा थी कक टहस फ कयने ऩय उरिे होतचन्द नी स हफ को भैंने ऩैसे दे ने होते। तफ भेयी
सभझ भें आम कक भुझे ज नफूझकय सूि ऩैन ऩकड़ म गम थ क न्ट्रै क्ि स इन कयने के मरए त कक भैं दस
ू यै ऩैन र ने के
मरए भेज ऩय से हिूॊ औय वो क न्ट्रै क्ि फदर दें । आऩ िद
ु पैसर कीजजए इन्स्ऩेक्िय स हफ, इतने फड़े धोिे की िफय रगने
ऩय भेय िन
ू िौरत म न िौरत । भेयी जगह आऩ बी होते तो क्म आऩ ऐसे धोिेफ ज आदभी ऩय न चढ दौड़ते?’
‘गस्
ु से भें आदभी िन
ू कय ही फैठत है ।’
‘कफूर। रेककन फकौर आऩके अगय भैं ‘क नतर न ’ इय दे से तफ मह ॊ आम होत तो क्म स थ भें कोई हधथम य रेकय न
आम होत । आऩ हनुभ न से ऩूछ रीजजए। तफ भेये ऩ स कोई हधथम य नहीॊ थ ।’
v इन्सऩेक्िय ने हनुभ न की तयप दे ि । हनुभ न ने फड़ी सॊजीदगी से इनक य भें मसय टहर म ।
‘वो एक एक आए गस्
ु से की फ त थी।’–वववेक फोर —‘जो भैं उन ऩय चढ दौड़ थ । होतचन्द नी स हफ कोई भ धचस की
तीरी नहीॊ थे। हट्टे -कट्टे तन्दरु
ु स्त आदभी थे। हनुभ न ने फीच बफच व न ककम होत तो हो सकत थ वही भुझे ऩीि ड रते।
म वे भुझे शूि कय दे ते औय कहते कक उन्होंने आत्भयऺ के मरए गोरी चर ई थी। हनुभ न इस फ त क गव ह होत कक
हभर वय भैं थ । कहने क भतरफ मह है इन्स्ऩेक्िय स हफ, आऩ मह न सभखझए कक हनुभ न ने फीच बफच व कयके अऩने
भ मरक को फच म थ । श मद उसने भुझे होतचन्द नी स हफ के ह थों ह थ ऩ ॊव तड़
ु व ने म ऩयरोक मसध यने से फच म
थ ।’
‘नहीॊ।’
‘फ वजद
ू एक वकीर की ये गर
ु य सेव एॊ उऩरब्ध होने के?’
य ण ने उत्तय न टदम ।
‘होतचन्द नी स हफ नहीॊ च हते होंगे।’—वववेक फोर —‘कक जो धोि धड़ी वो भेये स थ कयने ज यहे थे, उसकी िफय ककसी
को रगे।’
‘ह ॊ।’
‘मसपा तीन हफ्ते ऩहरे आऩ जजस आदभी की हस्ती मभि दे ने ऩय आभ द थे, आज आऩ उसकी ऐसी खिदभत क्मों कय यहे
थे?’
‘ह ॊ।’
‘क्मों?’
‘भ र तकयीफन ककतने क थ ?’
‘ऩच स र ि रुऩमे क ।’
‘रगत तो थ ।’
‘नहीॊ। िेत न यकभ स थ रेकय नहीॊ आम थ । वो यकभ के स थ कर सुफह रौिकय आने व र थ । होतचन्द नी स हफ ने
हभ यी स भने जव हय त को एक फड़े से बूये मरप पे भें सीर कयके उस सेप भें’—उसने आकपस िे फर की तयप इश य
ककम —‘यि टदम थ ।’
‘मे कम्फीनेशन र क व री सेप है ।’—इन्स्ऩेक्िय सीध होकय फोर —‘इसक नम्फय ककसी को भ रूभ हो?’
‘आऩको नहीॊ भ रभ
ू ?’—वह वकीर से फोर ।
‘तम्
ु हें ?’—वह हनुभ न से फोर ।
‘भझ
ु े नम्फय नहीॊ भ रभ
ू ’—हनभ
ु न कटठन स्वय भें फोर —‘रेककन स हफ ने भझ
ु े एक फ त कही थी।’
‘क्म ?’
‘उन्होंने कह थ कक अगय उन्हें एक एक कबी कुछ हो ज ए औय इस सेप को िोरन जरूयी हो ज ए तो भैं सेप के ऊऩय
व र दय ज ननक रकय उसकी उरिी तयप दे ि।ूॊ ’
‘तभ
ु ने कबी दय ज ननक र नहीॊ?’
‘नहीॊ।
इन्स्ऩेक्िय ने दय ज ननक र औय उसे उरि ककम । फहुत गौय से भुआमन कयने ऩय उसने ऩ म कक वह ॊ ऩेजन्सर से फहुत
फ यीक अॊकों भें एक नम्फय मरि हुआ थ ।
सेप िर
ु गमी।
‘भझ
ु े क्म भ रभ
ू ?’
‘नहीॊ।’
‘रोककन तम्
ु हें कभ से कभ मे भ रूभ थ कक नम्फय दय ज की उरिी तयप तरे ऩय मरि होत थ ।’
‘तय शे हुए।’
‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ? तभ
ु से तो सव र भैंने ककम बी नहीॊ थ ।’
‘भुझे भ रूभ।’
‘वो तो अफ ज टहय है रेककन कैसे?’
‘वो जव हय त भैं तय शत थ ।
‘तभ
ु ! तभ
ु जव य त तय शन , स्िोन कटिॊग, ज नते हो?’
‘कभ र है । तम् ॊ
ु ह ये भ मरक ने गैयक नूनी भ इननॊग से न केवर प्रेशस स्िोंस ह मसर ककमे फजकक उनकी कटिॊग ऩ मरमशग
क बी महीॊ प्रफन्ध कय के यि ।’
सफ ि भोश यहे ।
‘भझ
ु े मसपा इतनी िफय थी कक भेये क्र मन्ि की सम्ऩजत्त हीये जव हय त की सयू त भें बी थी। रेककन न भैंने कबी
जव हय त की सूयत दे िी थी औय न भुझे भ रूभ थ कक भेय क्र मन्ि वो जव हय त कह ॊ यित थ ।’
‘जव हय त क जो सौद आऩक क्र मन्ि इस…द भोदय िेत न से कयने ज यह थ , उसकी तो आऩको िफय होगी!’
‘नहीॊ। भुझे ऐसी कोई िफय नहीॊ थी।’
‘भुझे हनुभ न से भ रूभ हुआ है कक आऩक क्र मन्ि श दी कयने व र थ । अचय मोसववधचत न भ की एक थ ई औयत
से?’
‘जी ह ॊ।’
‘जी ह ॊ।’
‘जी ह ॊ। क पी।’
‘कोई ि स क भ जो आज कर आऩ अऩने क्र मन्ि के ननदे शों ऩय कय यहे हों म कय के हिे हों?’
‘ि स क भ बी थ ।’
‘क्म ?’
‘होतचन्द नी ने भेये आकपस भें पोन कयके भुझे मह ॊ आने को कह थ रेककन वसीमत क न भ उसने नहीॊ मरम थ ।
इसमरमे भुझे नहीॊ भ रूभ कक उसने भुझे मह ॊ वसीमत के मसरमसरे भें फुर म थ म उसे भेये से कोई औय क भ थ । वैसे
वसीमत क पस्िा ड्र फ्ि भेये ऩ स तैम य थ ।’
‘वो फदर नहीॊ यहे थे, ऩहरी फ य वसीमत कय यहे थे। जह ॉ तक भुझे भ रूभ है उन्होंने अफ से ऩहरे कोई वसीमत नहीॊ की
थी।
‘औय अफ कय बी नहीॊ ऩ मे। ऩहरे ही उनक कत्र हो गम ।’
‘ह ॊ।’
‘उनकी वसीमत के भुत बफक उनकी रगबग स यी दौरत की स्व मभनी उनसे श दी होते ही मभसेज अचय मोसववधचत फन
ज ने व री थीॊ।’
‘अऩनी ऩहरी श दी से अऩने ऩहरे दो फच्चों के मरए उन्होंने कुछ नहीॊ छोड़ ?’
‘उनक कोई प्रफन्ध वो ऩहरे ही कय चक
ु े भ रूभ होते हैं। उनक रड़क भ नक होतचन्द नी तो मह ॊ क ठभ ण्डू भें ही यहत
है । आऩ उससे ऩूछत छ कय सकते हैं। रड़क श दीशुद नहीॊ है । रड़की सीत कृऩर नी श दीशुद है औय इजन्डम भें
द जजामरॊग भें यहती है । कुछ ऩैस उन्होंने अऩने वप द य नौकय हनुभ न के न भ बी ककम है । अबी हभ ने वसीमत क मसपा
पस्िा ड्र फ्ि तैम य ककम है , उसभें जो भेजय फेनीकपशमयी है , वो अचय मोसववधचत ही है । श मद फ द भें वो प इनर ववर
भें कोई तब्दीमरम ॊ कय ते। हो सकत है ऐसी ककन्ही तब्दीमरमों की ि नतय ही उन्होंने भझ
ु े पोन कय के फर
ु म हो।’
‘अफ भकतर
ू की चर अचर सम्ऩजत्त क एक एडमभननस्ट्रे िय कोिा से अप्व मन्ि ककम ज मेग ।’
‘कौन?’
‘श मद भैं। भयने व र भेय क्र मन्ि ही नहीॊ, भेय दोस्त बी थ औय उसके भ री भ भर त को भेये से फेहतय श मद ही
कोई सभझत हो।’
तबी फय भदे भें कई कदभों की आहि हुई औय कपय एक स्त्री के द में फ में चरते दो ऩरु
ु षों ने बीतय कदभ यि ।
उस घड़ी उसभें वो िफ
ू सूयती, सजधज औय श नोशौकत कतई टदि ई नहीॊ दे यही थी जो कक उसके श भ के वह ॊ आगभन के
वक्त वववेक ने दे िी थी। श भ को वो चभचभ ती हुई बफजरी रग यही थी तो उस वक्त वो फुझी हुई धचॊग यी भ रूभ हो यही
थी। श भ को वह ब्मूिी ऩ राय की भेहनत क प्रनतपर रग यही थी औय उस वक्त मूॊ रग यही थी जैसे वह सोते से उठ कय
र मी गमी थी। उसके चेहये ऩय कोई भेकअऩ नहीॊ थ औय चभड़ी की यॊ गत धआ
ु -ॊ धआ
ु ॊ सी रग यही थी। हय वक्त गर
ु फ की
ऩॊिडु ड़मों की तयह खिरे यहने व रे होंठ उस वक्त फदयॊ ग थे औय मबॊचे हुए थे। आॊिों के धगदा क री झ ईंम टदि ई दे यही
थीॊ औय आॊसू उभड़ ऩड़ने को तत्ऩय भ रूभ होते थे। अऩने श नद य ववर मती ऩरयध न की जगह वो उस घड़ी फोय स ऊनी
ग उन औय ह ई हीर की सैंडडरों की जगह एक फ्रैि अॊगूठेद य चप्ऩर ऩहने थी। उसने मसय ऩय एक रुभ र फ ॊध हुआ थ
औय फ रों भें उसने ढे य स यी सुईम ॊ अिक ई हुई थीॊ।
उसके स थ जो दो ऩरु
ु ष थे उनभें से एक हत्प्र ण क फेि भ नक होतचन्द नी थ औय दस
ू य कैप्िन ववमरमन भॊक
ू ववन न भ
क एक फभीज थ जो कक अचय के ऩहरे ऩनत सोपोन मोसववधचत की भौत के फ द से ही उसक ऩक्क स थी थ ।
भ नक होतचन्द नी एक कोई छब्फीस सत्त ईस स र क गोय धचट्ट , झब्फेद य फ रों व र , क्रीन शेव्ड, पैशनेफर मुवक
थ । उसकी आॊिों भें अऩने टदवॊगत वऩत जैस ही क ईम ॊऩन थ । वववेक को ऩक्क ऩत थ कक वऩत ऩुत्र भें कतई नहीॊ
फनती थी।
‘रेककन वो…वो…’
‘र श को ऩोस्िभ िा भ के मरमे बेजन जरूयी थ । आऩ से बी कुछ सव र पौयन ककमे ज ने जरूयी न होते तो हभने य त की
इस घड़ी हयधगज बी आऩको मह ॉ आने की तकरीप न दी होती।’
‘रेककन मे हुआ कैसे? आऩके आदभी कहते हैं ककसी ने उन्हें गोरी भ य दी? ककसने भ य दी? कफ भ य दी? स ढे आठ फजे
तक तो भैं िदु मह ॊ थी। भैं िद
ु मह ॊ उनके स थ डडनय कयके गमी थी।
आऩके सव रों क जव फ दे ऩ न अबी हभ ये मरए भुभककन नहीॊ। अबी तफ्तीश ज यी है । औय उसभें हभें आऩकी भदद की
बी जरूयत है । आऩ धीयज यखिमे औय फैठ ज इमे।’
‘आऩके वऩत के वकीर’—वह फोर —‘य ण स हफ ने फत म है कक आऩके हत्प्र ण वऩत अऩनी वसीमत तैम य कयव यहे थे।
आऩको उसकी िफय है ?’
‘आऩको मे बी भ रूभ है कक आऩके वऩत भैडभ से श दी के फ द अऩनी अधधकतय चर अचर सम्ऩजत्त क व रयस भैडभ को
फन दे ने व रे थे?’
‘ह ॊ।’
‘तो सुन रीजजमे। अऩनी और द के मरमे वे धचडड़म के चग्ु गे क , गऊश र के चन्दे क , मतीभि ने के सूिे िुकड़ों क
इन्तज भ छोड़ कय ज ने व रे थे। अऩनी और द हभ ये वऩत को कबी ऩसन ्द नहीॊ आमी। उनक फस चरत तो वो कोई
पीस बय कय भझ
ु े औय भेयी फहन को कहीॊ से फदर रेत।े भझ
ु े तो वो ि सतौय से न ऩसन्द कयते थे। हनभ
ु न से जय ही
फेहतय व्मवह य कयते थे वो भेये से। अऩनी दौरत के जजस नभूने के क बफर उन्होंने भुझे ज न , वो है इन्द्र चौक भें एक
तीन कभयों क फ्रैि, एक ि री ऩड़ी दक
ु न, एक िूिी पूिी जीऩ औय कीनताऩुय भें एक प भा ह उस। भेयी फहन द जामरॊग भें
यहती है रेककन उसक ऩनत मोगेश कृऩर नी मह ॊ ट्र ॊसऩोिा बफजनेस भें है । उस ऩय ढे य स य कज ा है । ट्रक उसके धगयवी ऩड़े
हैं जजनको छुड़ ने की ि नतय कोई दस र ि रुऩमे क इन्तज भ भेये वऩत ने अऩनी फेिी के मरए सोच हुआ थ ।’
‘आऩ वकीर स हफ से ऩछ
ू रीजजमे। वो इन फ तों को फेहतय फम न कय सकते हैं।’
इन्स्ऩेक्िय ने य ण की तयप दे ि ।
य ण ने िि य कय गर स प ककम , अऩनी भूॊछों को सॊव य , अऩन चश्भ ठीक ककम औय कपय सॊकोचऩूणा स्वय भें
फोर —‘होतचन्द नी की ऩहरी फीवी, उसके फच्चों की भ ॊ नेऩ रन थी जजससे होतचन्द नी ने महीॊ श दी की थी। उसकी
जजन्दगी भें होतचन्द नी उसके चरयत्र ऩय शक कयत थ । वो कहत थ कक भ नक उसक फेि नहीॊ।’
‘ओह! औय फेिी?’
‘उससे क्मों?’
‘उसने रव भैरयज की थी। होतचन्द नी की यज भन्दगी के खिर प। होतचन्द नी उसकी श दी ककसी ि नद नी मसन्धी रड़के
से कयन च हत थ रेककन फेिी ने उसकी वो ख्व टहश ऩयू ी नहीॊ होने दी थी।’
‘अबी हत्प्र ण के फेिे ने उसके ऩनत क न भ मोगेश कृऩर नी फत म थ । क्म कृऩर नी मसन्धी नहीॊ होते?
‘होते हैं।’
‘तो कपय…?’
‘होतचन्द नी क उस ऩय इरज भ थ कक वो मसन्धी नहीॊ थ । उसने मसपा उसे धोि दे ने के मरए फेवकूप फन ने के मरए
अऩन न भ मसजन्धमों जैस यि मरम थ ।’
‘कभ र है !’
य ण ि भोश हो गम ।
‘आऩको’—वह कपय भ नक की तयप घूभ —‘भ रूभ थ कक आऩके वऩत श दी कयने ज यहे थे?’
‘ह ’ॊ —भ नक फोर ।
‘कैसे भ रूभ थ ?’
‘उन्होंने िद
ु फत म थ । कोई एक भहीन ऩहरे उन्होंने िद
ु फत म थ कक अऩन सफ क योफ य जह ॊ से सभेि कय औय
अचय से श दी कयके वे फम्फई अऩने ऩुश्तैनी भक न भें अऩने फड़े ब ई के ऩ स रौि ज ने व रे थे। उनक फड़ ब ई बी भौत
की दहरीज ऩय है । वह ॊ ज ने के ऩीछे बी जरूय भेये वऩत क भकसद अऩने ऩश्ु तैनी भक न ऩय कब्ज कयन ही थ ।’
औय चन्द टदनों भें वो एक धनकुफेय की फीवी होती। तफ उसके ऩ स दौरत होती। रुतफ होत ऐश्वमाऩूणा ब वी जीवन की
ग यन्िी होती। अफ उसके ऩ स कुछ बी नहीॊ थ ।
‘हनभ
ु न कहत है ’—इन्स्ऩेक्िय कपय भ नक से सम्फोधधत हुआ—‘कक आज श भ नौ फजे के कयीफ आऩ अऩने वऩत से
मभरने मह ॊ आमे थे। उसने आऩ दोनों भें क पी तू तू भैं भै औय तकय य होती सुनी थी। क्म भद्द
ु थ तकय य क ?’
‘भैं क्म फत ऊॊ इन्स्ऩेक्िय स हफ ! भेयी क्म कोई ऩहरी फ य तकय य हुई थी अऩने फ ऩ से! भैं तो जफ से फ मरग हुआ हूॊ
अऩने फ ऩ से रड़त ही आ यह हूॊ, झगड़त ही आ यह हूॊ।’
तत्क र इन्स्ऩेक्िय के चेहये ऩय सख्ती के ब व आमे। वह कुछ ऺण अऩरक भ नक को दे ित यह कपय उसक चेहय नभा
ऩड़ गम । उसने भ नक से नम सव र ककम —‘फ रयश के वक्त आऩ कह ॊ थे?’
‘मोगेश!’
‘नहीॊ।’
‘औय कौन थ वह ?
ॊ ’
‘कोई बी नहीॊ। उसकी तर श भें भैं उसके ट्रे रय ऩय गम थ रेककन वो वह ॊ नहीॊ थ । कपय फ रयश होने रगी। भैं वहीॊ अिक
गम । फ रयश फन्द हुई तो भैं कपय उसे ढूॊढने ननकर । आखियक य वो भुझे ओकड मसिी सेंिय के एक फ य भें मभर ।’
‘औय कौन थ वह ?
ॊ ’
‘हनभ
ु न कहत है ’—वह फोर —‘कक भ नक के अऩने वऩत से रड़कय मह ॊ से चरे ज ने के फ द वऩत ने आऩको पोन ककम
थ ।’
‘ककम तो थ ।’—कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन अऩनी द ढी ऩय ह थ पेयत हुआ स वध न स्वय भें फोर ।
‘आऩ आमे थे मह ?
ॊ ’
‘नहीॊ।’
‘क्मों?’
‘फ रयश होने रगी थी। फ रयश के फ द भेय भूड नहीॊ यह थ । भुर क त को अगरे योज ऩय ऩोस्िऩोन कयके भैं अऩने घय
चर गम थ । अबी भेये घय से ही आऩक आदभी भझ
ु े फर
ु कय र म थ ।’
‘आऩने कह ’—इन्स्ऩेक्िय अचय से फोर —‘कक आऩने हत्प्र ण के स थ डडनय ककम थ औय आऩ स ढे आठ फजे तक महीॊ
थीॊ?’
‘ह ॊ।’—अचय फोरी।
‘उसके फ द आऩ कह ॊ गमीॊ?’
‘भैं अऩने घय गमी। जह ॊ कक भैंने अऩने फ र धोमे औय कुछ कऩड़े धोमे। भैं अऩने फैडरूभ भें रेिी न वर ऩढ यही थी जफकक
आऩक आदभी भुझे फुर ने आम थ औय उसने भुझे फत म थ कक होतचन्द नी स हफ क िन
ू हो गम थ ।’
इन्स्ऩेक्िय ने उसे अऩन ऩरयचम टदम , उसके तत्क र वह ॊ ऩहुॊचने के मरए उसक धन्मव द ककम औय उसे फत म कक
ककसी ने स धयू भ होतचन्द नी को शूि कय टदम थ ।
‘ह ॊ।’—िेत न फोर ।
‘आऩने कुछ जव हय त को ऩयिने के मरए मभस्िय वववेक ज र न की सेव एॊ प्र प्त की थीॊ?’
‘ह ॊ।’
‘तकयीफन।’
‘अच्छ !’
‘हनभ
ु न कहत है कक सौद तम हो चक
ु थ अरफत्त डडरीवयी आऩ ऩयू ी यकभ नकद चक
ु त कयके कर सफ
ु ह रेने व रे
थे।’
‘हनुभ न कौन है ?’
‘नहीॊ।’
‘हनभ
ु न मे है ।’—इन्स्ऩेक्िय ने थोड़ ऩये िड़े ववश रक म नेऩ री की ओय सॊकेत ककम —‘भयने व र इसक भ मरक थ ।’
‘आई सी।’
‘मे ऩच स र ि रुऩम इस भुकक भें कदभ यिते वक्त आऩने डडक्रेमय ककम थ ?’
‘भेये ऩ स ऐसी कोई यकभ डडक्रेमय कयने के मरए थी ही नहीॊ।
‘तो कपय मह ॊ क ठभ ण्डू भें इतनी फड़ी यकभ आऩने कैसे भुहैम की?’
‘कौन कहत है भैंने की? भेये ऩ स कोई यकभ न ऩहरे थी, न अफ है । आऩ च हें तो अबी भेयी औय भेये होिर के कभये की
तर शी रे सकते हैं।’
‘कभ र है !’—इन्स्ऩेक्िय तननक हकफक म —‘तो कपय कैसे आऩने होतचन्द नी को कह कक कर आऩ उसे ऩच स र ि
रुऩम अद कयें ग?
े ’
‘ड्र फ्ि से। ब यतीम स्िे ि फैंक क ऩच स र ि क एक ड्र फ्ि कर भेये ऩ स ऩहुॊचने व र है ।’
‘अच्छ !’
‘नहीॊ।’
िेत न ने एक न भ औय टदकरी क ऩत फोर , जजसके असरी होने क इन्स्ऩेक्िय को यत्ती बय बी मकीन हुआ नहीॊ
भ रूभ होत थ ।
‘वैसे जव हय त हैं कह ?
ॊ ’—िेत न फोर —‘कोई ऩ य तो नहीॊ कय गम उन्हें ?’
‘ऩ य?’
‘चोयी ही चरे गए भ रभ
ू होते हैं। कोई फड़ी फ त नहीॊ कक उन जव हय त की वजह से ही होतचन्द नी स हफ क कत्र हुआ
हो।’
‘ओह!’
‘फहयह र सहमोग के मरए आऩ सफ सजन्नों क शुकिम । कर आऩ रोगों से कपय फ त होगी इसमरए कृऩ कयके आऩ रोग
उऩरब्ध यटहएग ।’
फ हय से कुत्तों के जोय-जोय से बौंकने की आव जें आ यही थीॊ रेककन ननश्चम ही उन आव जों की वजह से उसकी नीॊद नहीॊ
िर
ु ी थी। मूॊ कुत्तों के बौकने की आव जें तो अन्धेयी य तों भें योज ही आती थीॊ। तफ उसे रग कक कोई औय ही आव ज
सुनकय वह नीॊद से ज गी थी।
उसने स प भहसूस ककम कक आहि फैठक भें हुई थी। फैठक को उसके फैडरूभ से जोड़ने व र दयव ज िर
ु थ । उसने
आॊिें प ड़ प ड़ कय दे ि रेककन उसे अस ध यण कुछ टदि ई न टदम ।
कपय टहम्भत कयके वह नन्शब्द ऩरॊग ऩय से उतयी औय कोने की अरभ यी की तयप फढी जजसभें उसके च च की एक
िि
ु यी यिी यहती थी। हौरे से अरभ यी िोरकय, बीतय ििोरकय उसने िि
ु यी अऩने क फू भें की औय उसकी म्म न को
उससे अरग ककम ।
िि
ु यी ह थ भें आते ही उसकी टहम्भत दोफ र हो गमी।
उसने ज नफूझ कय जोय से अरभ यी क दयव ज फन्द ककम औय बफजरी क जस्वच आन ककम । कपय एक एक योशनी भें
आॊिें मभचमभच ती, िि
ु यी को अऩने स भने त ने वह फैठक की तयप फढी।
आहि की वजह उसकी सभझ भें आन जरूयी थ । वह ज नती थी कक जफ तक वजह उसकी सभझ भें न आती, वह दोफ य
नीॊद के हव रे नहीॊ हो सकती थी।
िर
ु े दयव जे की चौिि ऩय ऩहुॊचकय वह टठठकी।
िि
ु यी स भने त ने उसने फैठक भें ऩहर कदभ यि ।
वह पशा ऩय से तत्क र उठी औय उसने दोनों ह थों से नोच कय कऩड़ अऩने मसय ऩय से अरग ककम ।
तबी भुख्मद्व य के बड़ क से फन्द होने की आव ज हुई।
वह उठकय िड़ी हुई औय फैठक भें धगयती ऩड़ती भुख्मद्व य ऩय ऩहॊ ची। उसने उसे िोरकय फ हय झ ॊक ।
वह व वऩस घूभी। उसने फैठक की फत्ती जर मी। कऩड़ अबी बी उसके ह थ भें थ । उसने दे ि वह फैठक के दीव न की
च दय थी। उसने च दय को दीव न ऩय व वऩस उछ र टदम । औय मह दे िने के मरए च यों तयप ननग ह दौड़ ने रगी कक क्म
ग मफ थ , चोय क्म चयु कय रे गम थ ।
औय गनीभत थी कक है ण्डफैग भें न केवर ज्म द रुऩमे नहीॊ थे फजकक औय बी कोई कीभती चीज नहीॊ थी।
ककसी औय नुकस न की तर श भें उसने स ये घय क चक्कय रग म । उसे कोई औय चीज तो ग मफ न टदि ई दी रेककन
ककचन के एक योशनद न क ऩकर उिड़ टदि ई टदम । ननश्चम ही चोय उस योशनद न के य स्ते ही बीतय घुस थ ।
वह अबी बी इस फ त से अऩने आऩ से न िश
ु थ कक वह ऩहरी फ य र श दे िकय घिन स्थर से ब ग िड़ हुआ थ ।
ऩुमरस क नतर होने क शक तो उस ऩय कय ही यही थी, उसकी उस हयकत क ऩद ाप श हो ज ने ऩय ऩुमरस के शक भें कई
गुण इज प हो ज न अवश्मम्ब वी थ । अफ उसक अऩनी बर ई इस फ त ऩय बी ननबाय कयती थी कक व स्तववक हत्म य
जो कोई बी थ जकद से जकद ऩकड़ ज त ।
म कपय हनुभ न के अर व बी ककसी को भ रूभ थ कक सेप क क म्फीनेशन दय ज की उकिी तयप उसके तरे ऩय मरि
होत थ ।
म कपय हनुभ न के अर व बी ककसी को भ रूभ थ कक सेप क क म्फीनेशन दय ज की उकिी तयप उसके तरे ऩय मरि
होत थ ।
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इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व क एतफ य च हे हत्म के इसी उद्देश्म ऩय थ रेककन व स्तव भें हत्म के औय बी उद्देश्म सॊबव थे।
होतचन्द नी की भौत से केवर जव हय त के चोय को ही नहीॊ फजकक औय बी कई रोगों क प मद ऩहुॊच थ ।
फ य की फजत्तम ॊ फझ
ु ई ज ने रगीॊ तो वववेक ने अऩन ब् ॊडी क धगर स ि री ककम औय उठ िड़ हुआ। उसने व र क्र क
ऩय ननग ह ड री तो ऩ म कक ऐन स ढे ग्म यह फजे थे। वह फ य से फ हय ननकर कय होिर की र फी भें ऩहुॊच । आगे एक
ि री कम्ऩ उण्ड थ जजसभें उस वक्त एक इकरौती िै क्सी िड़ी थी।
वववेक उस िै क्सी को औय उसके ड्र इवय दोनों को ऩहच नत थ । िै क्सी ड्र इवय क न भ दत्त त्रेम थ । वह एक ननह मत
िश
ु मभज ज नेऩ री मव
ु क थ । अधधकतय ड्र इवय ककय मे की िै क्सी चर ते थे रेककन दत्त त्रेम की िै क्सी उसकी अऩनी थी।
वववेक कयीफ ऩहुॊच तो दत्त त्रेम ने िै क्सी से फ हय ननकर कय उसक अमबव दन ककम ।
‘थोड़ स क्मों’—दत्त त्रेम अऩने फेहद सपेद, फेहद सुडौर द ॊत चभक त हुआ फोर —‘ढे य श य चरते हैं। कहो तो टदकरी
चरें, श फ।’
‘नहीॊ, इतनी दयू नहीॊ।’—वववेक िै क्सी भें ऩीछे फैठने की जगह उसके स थ आगे फैठत हुआ फोर । उसने मसगये ि क ऩैकेि
ननक र औय एक मसगये ि दत्त त्रेम को टदम औय एक िद ु मरम । उसने ऩहरे दत्त त्रेम क औय कपय अऩन मसगये ि
सुरग म ।
‘वह ॊ चरो।’
वववेक को फैरयस्िय य ण उस केस क सफसे अधधक भहत्त्वऩूणा आदभी रग यह थ । वह न केवर हत्प्र ण क वकीर औय
अन्तयॊ ग मभत्र थ , वह केस से सम्फजन्धत तभ भ व्मजक्तमों से बरी ब ॊनत ऩरयधचत थ । उसक कत्र से च हे कोई रयश्त न
होत रेककन जजस ककसी क बी कत्र से रयश्त थ , उसकी फ फत कोई क यआभद ज नक यी ह मसर कयने क वो फहुत
क यआभद जरयम स बफत हो सकत थ ।
उस घड़ी उसके सो चक
ु ने की सम्ब वन ज्म द थी रेककन कपय बी वववेक उससे पौयी भुर क त की एक कोमशश जरूय
कयन च हत थ ।
‘जय उसके आकपस ऩय योकन ।’—एक एक वववेक फोर —‘क्म ऩत वो आकपस भें ही हो।’
‘क्म ऩत ?’
वह ॊ के ऐनतह मसक भहर औय भजन्दयों के ऩरयसय के कयीफ की एक इभ यत के स भने दत्त त्रेम ने िै क्सी योकी।
उस इभ यत की दस
ू यी भजन्जर ऩय फैरयस ्िय भछे न्द्रन थ य ण क दफ्तय थ । एक ननग ह भें तो वववेक को आकपस की
तभ भ खिड़ककम ॊ अन्धेयी रगीॊ रेककन कपय उसने नोि ककम कक फ मीॊ ओय की एक खिड़की के ऩीछे योशनी क तननक
आब स मभर यह थ । उससे आश्वस्त होकय वह सीटढम ॊ चढने रग ।
वह दस
ू यी भजन्जर ऩय य ण के आकपस के स भने ऩहुॊच ।
भछे न्द्र न थ य ण
फ य-एि-र
कपय एक एक वह टठठक !
अगय आकपस भें य ण थ तो वह ॊ अॊधेय क्मों? ऐसी स्तब्धत क्मों?’ वह ॊ अन्धेय थ तो कभ से कभ बीतय य ण के
व्मजक्तगत कऺ भें तो योशनी होती रेककन योशनी क कोई आब स तो वह ॊ से बी नहीॊ मभर यह थ जफ कक नीचे सड़क से
उसने कभ से कभ एक िड़की भें योशनी मकीनन दे िी थी। आगे फीच क दयव ज आध िर
ु थ । अगय बीतय य ण के
ननजी कऺ भें योशनी होती तो ननश्चम ही वह फ हय रयसैप्शन ऩय बी प्रनतबफजम्फत हो यही होती।
इससे ऩहरे कक वह अऩन कोई अगर कदभ ननध ारयत कयने की कोमशश कयत , एक एक एक जक्रक की आव ज हुई औय
कपय उसके चेहये ऩय प्रक श क तीि झभ क ऩड़ । उसकी आॊिें चौंधधम गमीॊ। उसने अनुबव ककम कक ककसी ने स भने
श्वेत की िे फर ऩय ऩड़े िे फर रैम्ऩ क रुि उसके चेहये की तयप कय के उसक फिन दफ टदम थ । उसे रग कक रैम्ऩ के
ऩीछे कोई िड़ थ ।
कपय उसे रैम्ऩ के ऩीछे िड़े शख्स के ह थ भें थभी रयव कवय टदि ई दी।
वह बमबीत हो उठ ।
तफ तक उसकी आॊिों की चौंधधम हि दयू हो गमी थी औय उसे सफ कुछ वैसे टदि ई दे ने रग थ जैसे टदि ई दे न च टहमे
थ।
‘कौन है?’—टहम्भत कय के वह कपय फोर । रयव कवय को अऩनी ओय झ ॊकती न र उसे फुयी तयह से आन्दोमरत कय यही
थी।
वह भछे न्द्रन थ य ण थ ।
‘तौफ ।’—वववेक श जन्त की गहयी स ॊस रेत हुआ फोर —‘मह क्म भज क हुआ, वकीर स हफ! आऩने तो भेयी ज न ही
ननक र दी।’
‘नीचे सड़क से गुजय यह थ । आऩकी खिड़की भें योशनी टदि ई दी। भैं ऊऩय आम तो मह ॊ अन्धेय ही अन्धेय ऩ म । क्म
भ जय है , वकीर स हफ?’
‘तम्
ु हें उम्भीद थी इतनी य त गमे भेये मह ॊ आकपस भें होने की?’
‘कतई उम्भीद नहीॊ थी। सच ऩूनछमे तो भैं आऩके घय ज यह थ । य स्त इधय से ही थ । आऩके आकपस के नीचे से गुजयने
रग तो भझ
ु े एक खिड़की भें योशनी क आब स मभर । भैं इस उम्भीद भें ऊऩय चर आम कक आऩ मह ॊ होंगे।’
भ थे के जजि ऩय य ण ने अन म स चोि के स्थ न ऩय अऩन रूभ र पेय । कपय उसने अऩने चश्भे को अऩनी न क ऩय
व्मवजस्थत ककम औय भुॊछों के बी न क के नीचे फदस्तयू भौजूद होने की तसदीक की।
‘कोई झऩि तो थ भेये ऩय।’—य ण फोर —‘रेककन चोि उसके व य की वजह से नहीॊ रगी। उसके झऩट्टे से अऩने आऩको
फच ने की कोमशश भें भेय सन्तर
ु न बफगड़ गम थ औय भैं धगय ऩड़ थ । तबी भेज क एक कोन भेये भ थे भें गड़ गम थ ।
थोड़ी दे य के मरमे भुझे भूछ ा सी आ गमी थी। तफ भुझे मे तो ऩत रग यह थ कक क्म हो यह थ रेककन भैं टहरने डुरने से
र च य थ ।’
‘हुआ क्म थ ?’
‘भैं मह ॊ ऩहुॊच थ । बीतय कोई ऩहरे से ही भौजूद थ । भैं अबी ििोर कय बफजरी क जस्वच आन कयने की ही कोमशश कय
यह थ कक वो भझ ु ऩय झऩि ऩड़ थ औय भुझे जोय क धक्क दे कय मह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ ।’
‘थ कौन वो?
‘क्म ऩत कौन थ ? भझ
ु े तो उसकी एक झरक तक नहीॊ मभरी थी।’
‘च हत क्म थ ?’
‘नहीॊ। मसपा क गज त। कीभती चीजों के मरए मह ॊ एक व र सेप है रेककन भैंने चेक ककम है , उसके स थ कोई छे ड़ि नी
नहीॊ की गमी है ।’
‘म नी कक चोय ने क गज त ही ििोरे?’
‘ऐस ही भ रूभ होत है ।’
‘वसीमत सर भत है?’
‘वसीमत?’
य ण कुछ ऺण सकऩक म स उसे दे ित यह , कपय अऩन मसग य उसने ऐश ट्रे भें यि टदम औय उठ कय िड़ हो गम ।
ननशब्द वह प इमरॊग कैबफनेि के कयीफ ऩहुॊच । उसके दसू ये दय ज को ऩूय िीॊच कय उसने उसभें से एक पोकडय ननक र ।
कपय पोकडय को मथ स्थ न यि कय वह रम्फे डग बयत हुआ अऩने ननजी कऺ भें ऩहुॊच । वववेक को अऩने स्थ न से वह
टदि ई दे न फन्द हो गम रेककन बीतय से दय जों के िरु ने औय फन्द होने की आव जें उसे आती यहीॊ।
‘वसीमत के ड्र फ्ि की भूर प्रनतमरवऩ’—उसने फत म —‘औय उसकी इकरौती क फान क ऩी दोनों ग मफ हैं।’
‘अफ तभ
ु मे फत ओॊ कक तम्
ु हें कैसे सूझ कक मे क गज त मह ॊ से ग मफ होंगे?’
‘भझ
ु े कह ॊ सझ
ू थ । भैंने तो ऐस कुछ नहीॊ कह थ ।’
‘वो तो मूॊ ही ि भि ह आ गम ।’
‘कभ र है !’
वववेक ि भोश यह ।
‘भैं तम्
ु ह ये जव फ क इन्तज य कय यह हूॊ।’—य ण फेसब्ेऩन से फोर ।
‘मह एक भुजश्कर सव र है ।’
‘रेककन जव फ तो इसक तभ
ु ने दे न ही है । तम्
ु ह यी भेये घय ऩय भेये से भर
ु क त होती तफ बी तो कोई जव फ दे त!े तफ बी
तो भेये से मूॊ मभरने को उत वरे हो उठने की कोई वजह फत ते!’
‘वजह मही है कक भुझे आऩसे कुछ ि स ज नक यी ह मसर होने की उम्भीद थी। आऩ न मसपा होतचन्द नी के वकीर थे
फजकक उसके कयीफी दोस्त बी थे। इस केस से सम्फजन्धत तभ भ रोगों को आऩ ज नते हैं औय केस की फैकग्र उण्ड से बी
आऩकी सफ से ज्म द व ककपमत है ।’
‘तो क्म हुआ?’
‘भैं उम्भीद कय यह थ कक फ तों फ तों भें आऩ से ऐस कुछ भ रूभ हो सकेग जो कक केस के हर तक ऩहुॊचने भें भददग य
स बफत होग । दयअसर फ त मे है कक भझ ु े अऩनी कपि है । जफ तक चोयी गमे जव हय त फय भद नहीॊ हो ज ते म जफ तक
ऩुमरस ककसी को धगयफ्त य नहीॊ कय रेती, तफ तक भैं बी ऩुमरस के शक के द मये भें ही यहत हूॊ।’
‘वो तो इस केस से सम्फजन्ध हय व्मजक्त ऩुमरस के शक के द मये भें है । इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व ककसी क मरह ज कयने
व री म कोई भुर हज भ नने व री ककस्भ आ आदभी नहीॊ।’
‘आई सी।’
‘क्म भतरफ?’
भतरफ आऩ फिफ
ू ी सभझ यहे हैं। वसीमत होती तो फ त कुछ ही होती, रेककन अफ न होने की सूयत भें भयने व रे की
दौरत हकद य कौन होग ?’
‘वो हुए भयने व रे क फेि भ नक होतचन्द नी, उसकी द जामरॊग भें यहती फेिी सीत कृऩर नी औय उसक फम्फई भें यहत
फड़ ब ई जजसक कक भझ ु े न भ नहीॊ भ रूभ।’
‘म नी कक अगय होतचन्द नी अचय से श दी कयने के मरए औय वसीमत ऩय ववधधवत ् दस्तित कयने के मरमे जजन्द यहत
तो भ नक क बववष्म उतन उज्ज्वर न होत जजतन कक वो अफ है । मही फ त फ की दोनों रयश्तेद यों ऩय बी र गू होती है ।’
‘होतचन्द नी की फेिी औय ब ई को तो अबी उसकी भौत की औय वसीमत के झभेरे की िफय बी नहीॊ होगी।’
‘रेककन फेिी की वजह से प मदे की जस्थनत भें ऩहुॊचे शख्स को हय भौजूद ह र त की फिफ
ू ी िफय है ।
तम्
ु ह य इश य होतचन्द नी के द भ द मोगेश कृऩर नी की ओय है ?’
‘जजसके कक ट्रक धगयवी ऩड़े हैं औय जजसे होतचन्द नी के वसीमत ककमे बफन भय ज ने से अफ ब यी आधथाक र ब ऩहुॊचने
व र है ।
‘मभस्िय, तभ
ु तो केस की फड़ी डय वनी तस्वीय िीॊच यहे हो।’
‘एक फ त औय फत इमे। आऩके ख्म र से होतचन्द नी के, उसके नौकय हनुभ न के, ियीदद य द भोदय िेत न के औय भेये
अर व उन जव हय त की ज नक यी औय ककस को थी?’
वह सोचने रग ।
‘भुझ!े ’
‘ह !ॊ ’
‘ह ॊ। इतने तो भुझे भ रूभ थ कक वे जव हय त उसके ऩ स थे। अरफत्त उनकी कीभत क अन्द ज भुझे नहीॊ थ । ऩच स
र ि रुऩमे कीभत क अन्द ज तो भुझे हयधगज बी नहीॊ थ ।’
‘इतनी यकभ भें तो सौद हुआ थ । असर भें तो उन जव हय त की कीभत स ठ र ि से बी ऊऩय थी।’
‘आई सी।’
‘हो सकती है । िद
ु होतचन्द नी ने ही उसे फत म हो सकत है । आखिय वो उसकी होने व री फीवी थी।’
‘आगे?’
‘आगे क्म ?’
‘भैंने सन
ु है कबी अचय औय कैप्िन ववमरमन भॊग
ू ववन की फड़ी ग ढी छनती थी।’
‘आई सी।’
‘भैं भयने व रे के फ ये भें कोई फयु फोर नहीॊ फोरन च हत रेककन हकीकत मह है कक वो एक फेईभ न आदभी थ । मह ॊ
नेऩ र भें ऩैस कभ ने के मरए की गई उसकी हय हयकत फेईभ नीबयी औय गैयक नन
ू ी थी। तम्
ु ह ये भ ध्मभ से मह ॊ
गैयक नूनी भ इननॊग कयव न , तम्
ु हें स प-स प धोि दे न औय उसके ऩ स स ठ र ि की यकभ के वो जव हय त भौजूद
होन ही उसकी फुयी नीमत की स प चग ु री है । आजकर फ डाय ऩय चैककॊग फहुत है । जव हय त की फ फत उससे जव फदे ही हो
सकती थी रेककन टहन्दोस्त नी रुऩम तो नेऩ र भें चरत है । उसकी फ फत उसके ऩ स एक चौकस जव फ बी थ कक रुऩम
उसने नेऩ र भें अऩने तभ भ चर-अचर सम्ऩजत्त फेचकय ह मसर ककम थ । इसमरए वो जव हय त फेचन च हत थ । औय
ककतन क ईम ॊ आदभी थ वो, इस फ त क अन्द ज तभ
ु इस से बी रग ओ कक अऩनी जरूयत के मरए ककम गम सौद
बी उसने ऩूये द भों ऩय ककम । जव हय त वो अऩने ऩ स नहीॊ यि सकत थ , वो उसने फेचने ही थे, कभ कीभत ऩय बी
बफकते तो फेचने थे, कपय बी उसने उनक सौद तम्
ु ह ये द्व य आॊकी ऩूयी कीभत ऩय ककम । इतन ज्म द सम न थ मे
स धयू भ होतचन्द नी।
‘वो होतचन्द नी की एस्िे ि क टहस्स ही भ ने ज मेंगे। अरफत्त अफ होतचन्द नी के व रयसों को इस ऩय तगड़ िै क्स
बयन ऩड़ेग ।’
एस्िे ि के न भ ऩय वववेक को ऩीछे होतचन्द नी के फॊगरे भें आकपस िे फर ऩय औय क गज त के स थ ऩड़ी उस रम्फी सूची
क ख्म र आम जजसभें होतचन्द नी की तभ भ चर-अचर सॊऩजत्त क वववयण दजा थ । वकीर य ण , वही एस्िे ि क
एडमभननस्ट्रे िय भुकया य होने व र थ । कपय कौन द वे के स थ कह ऩ त कक कौन सी चीज होतचन्द नी की एस्िे ि
(ज मद द) क टहस्स थी औय कौन सी नहीॊ थी! इस फ फत कोई प्र भ खणक ज नक यी यिने म अऩने वकीर से कोई
सव र कय सकने व र शख्स तो इकरौत होतचन्द नी थ औय वह भय चक
ु थ।
श्वेत के भ ध्मभ से वववेक उस वकीर के फ ये भें क पी कुछ ज नत थ । वह नेऩ र क एक प्रनतजष्ठत वकीर थ रेककन
नेऩ र जैसे छोिे से गयीफ भुकक भें फ वजूद फड़ वकीर होने के उसके इस धन्धे से भ र भ र हो ज ने जैसी सम्ब वन में
नगण्म थीॊ। ऊऩय से उसने अऩनी है मसमत से ऊऩय य जऩरयव से सम्फजन्धत एक मुवती से श दी की थी जो कक इतनी
िचीरी थी कक स र भें दो फ य तो श वऩॊग के मरए रन्दन ज ती थी।
क्म ऐस आदभी भौक रगने ऩय अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि भें घोि र कयने से फ ज आ सकत थ ?
‘क्म ?’—एक एक वह फोर । य ण कुछ कह यह थ , अऩने ख्म रों की यव नगी भें जो कक उसे सुन ई नहीॊ टदम थ ।
वववेक सहभनत भें मसय टहर त हुआ उठ िड़ हुआ। वह य ण से अबी औय कई सव र ऩूछन च हत थ रेककन उसकी उस
घोषण के फ द अफ वो भुभककन नहीॊ रग यह थ ।
‘म नी कक उसने त र तोड़ ?’
‘कपय तो त र िर
ु यह गम होग !’
‘ह ।ॊ ’
‘तीन। एक भेये ऩ स है । एक श्वेत के ऩ स है औय तीसयी स्ऩेमय च फी, भैं अऩने घय ऩय यित हूॊ।’
‘आई सी।’
ऊऩय से उसके भन भें उभड़त आवेश उसे श्वेत की सर भती की तसदीक कयने के मरए भजफूय कय यह थ ।
िै क्सी के भोड़ क िकय दृजष्ि से ओझर हो ज ने तक वह वहीॊ िड़ यह । कपय वह श्वेत के घय के भुख्मद्व य ऩय ऩहुॊच ।
इस फ य बीतय योशनी हुई। स थ ही उसे बीतय से दयव जे की ओय फढते कदभों की आहि सुन ई दी।
तत्क र दयव ज िर
ु ।
वह बीतय द खिर हुआ। श्वेत ने उसके ऩीछे दयव ज फन्द कय टदम । वह उसे फैडरूभ भें रे आई जह ॊ कक योशनी थी।
वववेक ने दे ि श्वेत क चेहय पक थ औय यह यह कय उसके शयीय भें कॊऩकॊऩी छूि यही थी।
‘तम्
ु ह ये आने से नहीॊ।’
‘तो?’
‘कभ र है ।’—वह ि भोश हुई तो वववेक भन्त्रभुग्ध स्वय भें फोर —‘मसपा हैंडफेग ही रे के गम वो तम्
ु ह य ।’
‘ह ॊ।’
‘हभेश ?’
‘ह ॊ।’
‘क्म भतरफ?’
‘कभ र है ।—श्वेत फोरी—‘इतने फिेड़े चोय ने होतचन्द नी की वसीमत क ड्र फ्ि औय उसकी क फान क ऩी चयु ने के मरए
ककए?’
‘अच्छ ।’
‘मह बी भ रभ
ू कयन कक इस फ ये भें य ण औय क्म कहत है ।’
‘ठीक है ।’
‘तभ
ु मह तो नहीॊ कहन च हते कक य ण क कत्र से कोई रयश्त है?’
‘अबी कुछ कहन गरत है । रेककन अगय वो क गज त चोयी हुए हैं तो इतन ननजश्चत है कक उनक ककसी न ककसी तयीके से
होतचन्द नी के कत्र से रयश्त जरूय है ।’
‘हो सकत है ।’
वववेक चऩ
ु च ऩ वह ॊ से ववद हो गम ।
उसक कभय होिर के एकभॊजजरे ववॊग भें थ । कभये की ववश र खिड़ककम ॊ एक ऩहरू के फगीचे भें िर
ु ती थीॊ औय
खिड़ककमों के आगे एक आमत क य चफूतय मूॊ फन हुआ थ कक ककसी ऊऩयरी भॊजजर ऩय वह फ ककनी होत । वह ॊ
खिड़ककमों के द में फ में दो ववश र गभरे यिे थे जो कक एक फड़े ड्रभ को फीच भें से क िकय औय उसे हये यॊ ग के ऩें ि कयके
फन मे गए भ रूभ होते थे। उन गभरों भें से एक भें ऩ भ औय दस
ू ये भें िफ
ू भोिे तने व र कैक्िस रग हुआ थ । वहीॊ एक
ईजी चेमय औय एक छोिी सी चौकी बी ऩड़ी थी। वववेक अक्सय वह ॊ फैठकय च म ऩीत थ म अिफ य ऩढत थ ।
उसने कऩड़े तब्दीर ककमे औय कपय जफ ऩदे सयक ने के मरमे खिड़ककमों के कयीफ ऩहुॊच तो उसकी ननग ह एक एक चौकी
ऩय ऩड़ी।
चौकी ऩय उस योज क अिफ य ऩड़ थ औय अिफ य ऩय बुयबुयी मभट्टी के कण बफिये स प टदि ई दे यहे थे।
अिफ य ऩय ननश्चम ही बयु बयु ी मभट्टी के कण बफिये हुए थे, वे व त वयण भें उड़ती धर
ू के कण हयधगज बी नहीॊ थे।
रेककन क्मोंकक श भ से हो यही घिन ओॊ की वजह से उसे हय फ त सजन्दग्ध ज न ऩड़ती थी इसमरमे उसने इतने से ही
गभरों क ऩीछ न छोड़ टदम । वह बीतय ज कय वह ॊ से एक रम्फी ऩैंमसर तर श कयके र म औय उसकी सह मत से ऩ स
के गभरे की मभट्टी को उसके तने के च यों तयप नीचे तक कुये दने रग ।
उस गभरे की मभट्टी भें दपन बयू मरप प फय भद हुआ। वह मरप प ननश्चम ही वही थ जजसभें होतचन्द नी ने हीयों की
शनीर की थैमरम ॊ फन्द की थीॊ क्मोंकक उस ऩय रगी र ि की स यी सीरें अबी बी फयकय य थीॊ।
वह घफय गम ।
जरूय ककसी ने उसे पॊस ने के मरए वह हयकत की थी। कोई होतचन्द नी के कत्र क इरज भ उसके मरए भॊढ ज त दे िने
क ख्व टहशभन्द थ ।
कभये भें तो उसको छुऩ ने र मक कोई जगह थी नहीॊ। गभरों भें कहीॊ व वऩस छुऩ ने क सव र ही नहीॊ ऩैद होत थ ।
फ हय दीव य के स थ-स थ क्म रयम ॊ थीॊ जजनभें पूर उगे हुए थे। खिड़की से थोड़ ऩये दीव य के स थ ही चभेरी के पूरों क
एक झ ड़ थ ।
त जी-त जी फ रयश होकय हिी थी इसमरए मभट्टी नभा थी औय उसको ऩैंमसर से म ह थ से ही िोद ज सकत थ ।
फड़ी पुती से उसने वह ॊ एक िड्ड िोद औय उसभें जव हय त क मरप प दपन टदम । कपय फड़े मत्न से उसने उसके
ऊऩय मभट्टी को हभव य कय टदम ।
सफ कुछ ऩ ॊच मभनि भें हो गम ।
खिड़की के य स्ते वह व वऩस कभये भें द खिर हो गम । उसने अऩने चप्ऩरों को औय ऩें मसर को अच्छी तयह से खिड़की से
फ हय झ ड़ औय कपय खिड़की फन्द कय री।
कपय उसने ऩें मसर को य इटिॊग िे फर ऩय मथ स्थ न ऩहुॊच म औय चौकी ऩय ऩड़े अिफ य की मभट्टी व वऩस गभरे भें ड री।
उसने फड़ी फ यीकी से चफतू ये क भआु मन ककम औय जह ॊ कहीॊ बी मभट्टी टदि ई दी, उसे सभेि कय व वऩस गभरे भें ड र ।
कपय हौरे-हौरे थऩक-थऩक कय उसने गभरों की मभट्टी को बी हभव य कय टदम ।
उसने फ थरूभ भें ज कय शीशे भें अऩने कऩड़ों क भुआमन ककम , जह ॊ कहीॊ मभट्टी टदि ई दी उसे स प ककम औय स फुन
से ह थ धोमे।
उसे स भने इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व औय उसके कन्धे ऩय से झ ॊकत उसक मुव -इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु टदि ई टदमे।
वह एक ओय हि गम ।
‘हभ’—इन्स्ऩेक्िय दे व िेदहीन स्वय भें फोर —‘इतनी य त गए आऩ को तकरीप दे ने के मरए भ पी च हते हैं रेककन क्म
ककम ज ए! क भ फहुत ही जरूयी है ।’
‘क्म है फहुत जरूयी क भ?’—झुॊझर ने क अमबनम कयत हुआ वववेक फोर । वैसे बफन ज ने ही उसक टदर गव ही दे यह
थ कक वो जरूयी क भ गभरे भें छुऩ मे गए जव हय त के मरप पे से ही त करक
ु यित हो सकत थ ।
‘रे सकते हैं। भैं सचा-व यन्ि स थ रेकय आम हूॊ। कुभ य फह दयु , स हफ को सचा व यन्ि टदि ओ।’
सफ-इन्स्ऩेक्िय ने एक क गज िोरकय वववेक की आॊिों के आगे रहय म जजस ऩय मरि कुछ बी उसकी सभझ भें न
आम ।
वववेक ने अऩन मसगये ि क ऩैकेि ननक र मरम । उसने इन्स्ऩेक्िय को मसगये ि आपय ककम रेककन उसने तत्क र इनक य
कय टदम । वववेक ने िद
ु एक मसगये ि सुरग मरम ।
‘सझ
ू कैसे मह ॊ की तर शी रेन ?’
‘क्म भतरफ?’
‘जरूय ककसी ने सुझ म होग । ककसी ने कोई गुभन भ टिऩ दी होगी कक आऩके क भ की कोई चीज मह ॊ से ह मसर हो
सकती है ।’
‘क्म चीज?’
‘गरत ख्म र है आऩक । भज क नहीॊ कय यह भैं। भैं फहुत सॊजीदगी से आऩसे मे ऩूछ यह हूॊ कक ि स भुझ ऩय मे भेहयफ नी
क्मों?’
‘ठीक है । सन
ु रीजजए अऩने सव र क जव फ। मे भेहयफ नी ि स आऩ ऩय नहीॊ हो यही है । ऐसी तर शी हय उस शख्श के
ननव स की हो यही है जजस के ऩ स से कक जव हय त फय भद हो सकते हैं। य त के इस वक्त तर शी रेने क मे भतरफ है कक
हय कोई सोच यह होग कक जो होग अगरे योज होग म नी कक उसके ऩ स जव हय त कहीॊ छुऩ दे ने क वक्त होग । मे
वक्त उसे न मभर ऩ मे इसीमरमे इतनी य त गए तर मशम ॊ हो यही हैं।’
‘आऩ औय बी तर मशम ॊ रे चक
ु े हैं?’
‘म नी कक जव हय त मह ॊ से फय भद नहीॊ होंगे?’
‘जी ह ॊ।’
‘सूिकेस भें त र रग है ।’—व डायोफ िोरे िड़ सफ इॊस्ऩेक्िय कुभ य फह दयु फोर ।
‘आऩ िद
ु ननक मरमे।’—इॊस्ऩेक्िय फोर —‘आऩ िद
ु िोमरमे सि
ू केस।’
‘फेहतय।’
‘नैवय भ इन्ड।’
‘नभस्ते।’
‘नभस्ते।’
सुफह ब्ेकप स्ि के मरमे जफ वववेक ज र न होिर के ड मननॊग रूभ भें फैठ थ तो हभेश की तयह उसे वह ॊ कई नमे चेहये
टदि ई टदमे जो कक कोई नमी फ त नहीॊ थी। क ठभ ण्डू दनु नम बय के टहजप्ऩमों, चऩय मसमों औय स्भैककमों क अड्ड फनत
ज यह थ । स्भगरयों औय ज री ऩ सऩोिों के जरयमे प ये न ट्रै वर क इन्तज भ कयने व रे एजेन्िों क बी वह ॊ िफ
ू
फोरफ र थ । ऊऩय से िूरयस्ि ट्रे ड तो वह ॊ प्रभुि थ ही। किस्िर जैसे भध्मभ दजे के होिर भें नमे चेहयों की आव ज ही तो
रगी ही यहती थी।
च म क आखियी घूॊि ऩीकय उसने कऩ नीचे यि ही थ कक द भोदय िेत न उसके कयीफ ऩहुॊच ।
‘गड
ु भ ननिंग।’—वह एक कुसी ऩय फैठत हुआ फोर ।
‘ह ॊ।’
‘भैंने तम्
ु ह ये से एक फ त कयनी थी। कह ॊ ज यहे हो?’
तफ उसके भन भें उसके कभये भें झ ॊकने क ख्म र आम । अगय उसक कभय फन्द नहीॊ थ तो उस वक्त वह क भ फिफ
ू ी
ककम ज सकत थ । क्मोंकक इसक आइन्द दस मभनि तक तो द भोदय िेत न के ड मननॊग ह र भें होने की ग यन्िी थी।
‘भैं वहीॊ ज त हूॊ। सी मू अगेन।’
‘ओह श्मोय!’
ज ती फ य उसकी ननग ह सूिकेस ऩय कपय ऩड़ी। सूिकेस फहुत फड़ थ । स ये सूिकेस भें अगय कऩड़े ही कऩड़े होते तो उसभें
एक भहीन ऩोश कें फदरने क स भ न हो ज त । फ्र इि के स थ आमी कोई एमय होस्िे स तो एक भहीन क ठभ ण्डू भें
नहीॊ यह सकती थी, एक हफ्त बी नहीॊ यह सकती थी।
उस ववश र सूिकेस क उसे कोई औय ही इस्तेभ र सूझने रग ।
सोकिी ओफेय म की फ्री, पस्िा क्र स, डीरक्स भेहभ ननव जी छोड़ कय उस कधथत ऩ भेर सेन के किस्िर भें आकय
ठहयने की बी उसे कोई औय ही वजह सूझने रगी।
वह कभये से फ हय ननकर गम ।
द भोदय िेत न क ननजी स भ न ििोरने क वह सुनहय भौक उसके ह थ से ननकर गम थ रेककन उसकी कोमशश ऩूयी
तयह से ज म नहीॊ गमी थी। ऩ भेर सेन की सूयत भें उसकी ज नक यी भें कुछ तो इज प हुआ ही थ ।
वह अऩने कभये भें आ गम ।
उसने एक मसगये ि सर
ु ग मरम औय ऩरॊग ऩय ढे य हो गम ।
उसने रयसीवय उठ म ।
‘हकरो!’—वह फोर ।
‘फोर यह हूॊ।’
‘भैं ऩुमरस स्िे शन से सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु फोर यह हूॊ। इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व स हफ आऩ से पौयन मभरन
च हते हैं। क्म आऩ अबी मह ॊ ऩध य सकते हैं?’
‘अबी?’
‘जी ह ॊ।’
‘ठीक है । आत हूॊ।’
‘भ रभ
ू है ।’
उसने रयसीवय यि टदम औय उठ िड़ हुआ। उसने कभये से ननकर कय उसे त र रग म औय च फी रे ज कय रयसैप्शन ऩय
सौंऩ दी। वह ॊ से कूच कयने से ऩहरे उसने ड मननॊग ह र भें झ ॊक ।
वह होिर से फ हय ननकर ।
वववेक फ हय ननकर ।
तबी उसकी ननग ह ऩुमरस स्िे शन से ननकर कय उसकी सीटढम ॊ उतयते एक आदभी ऩय ऩड़ी।
वह वो आदभी थ वऩछरी य त जो उसे होतचन्द नी के फॊगरे के ऩ स एक ऩेड़ के नीचे िड़ मभर थ औय जजससे उसने
मसगये ि सुरग ने के मरए भ धचस भ ॊगी थी। सीटढम ॊ उतयते आदभी क ध्म न उसकी तयप नहीॊ थ ।
दत्त त्रेम ने तत्क र सीटढमों की तयप दे ि । उसके दे िते दे िते वह आदभी सीटढम ॊ उतय कय कम्ऩ उण्ड भें एक ओय चर
टदम ।
‘नहीॊ, श फ!’
‘भतरफ?’
‘तभ
ु भ रूभ कय सकते हो कक मे आदभी अफ कह ॊ ऩ म ज त है ?’
‘जरूय, श फ।’
‘रौि कय मह ॊ आऊॊ?’
‘ठीक है , स फ।’
शभशेय थ ऩ ! होतचन्द नी क भैनेजय!—होंठों भें फुदफुद त औय ऐसे शख्स की कत्र से ऩहरे होतचन्द नी के फॊगरे के
कयीफ भौजूदगी ऩय है य न होत वववेक आगे फढ औय ऩुमरस स्िे शन की सीटढम ॊ चढने रग ।
आगे गमरम ये भें एक फेंच ऩय उसे फैरयस्िय भछे न्द्रन थ य ण फैठ टदि ई टदम ।
‘वैसे ही जैसे तभ
ु मह ॊ हो!’—य ण एक पीकी हॊ सी हॊ सत हुआ फोर —‘ऩुमरस क फुर व है ।’
vv ‘कोई औय बी आम है मह ?ॊ ’
‘ककसे?’
‘द भोदय िेत न को। अबी तम्
ु ह ये आगे आगे ही वो मह ॊ ऩहुॊच है ।’
‘ओह!’
‘उस स भने कभये भें गम है वो।’—उसने एक फन्द दयव जे की तयप इश य ककम —‘तभ
ु ने बी वहीॊ ज न होग ।’
‘क्मों?’
‘ऩत नहीॊ।’
अचय वह ॊ से ववद हो गमी तो वह व वऩस रौि । उसने वववेक को अऩने स थ आने क इश य ककम ।
वह वववेक की अऩेऺ से क पी फड़ आकपस ननकर । उसके भध्म भें एक ववश र िे र रगी हुई थी जजसके ऩीछे इन्स्ऩेक्िय
दे व ज फैठ । िे फर के स भने च य-ऩ ॊच कुमसाम ॊ ऩड़ी तीॊ जजसभें से एक ऩय इन्स्ऩेक्िय क इश य ऩ कय वह फैठ गम । ऩीछे
दीव य ऩय नेऩ र क फहुत फड़ नक्श रग हुआ थ । एक ओय एक आदभी फैठ थ जजसके ह थ भें थभी ऩैजन्सर औय
श डाहैंड की िर
ु ी क ऩी उसके स्िे नोग्र पय होने की चग
ु री कय यही थीॊ।
‘अफ’—इन्स्ऩेक्िय दे व गम्बीयत से फोर —‘आऩने कर य त नौ फजे से रेकय उस वक्त तक, जफकक होतचन्द नी के फॊगरे
ऩय ऩमु रस ऩहुॊची थी, कक हय फ त सववस्त य दोहय नी है । औय जो कुछ कहन है मे सोच-सभझकय कहन है कक आऩको
कही कोई बी फ त आऩके खिर प इस्तेभ र की ज सकती है । सभझ गए आऩ?’
‘फस?’—इन्सऩेक्िय फोर ।
वववेक ने ह भी बयी।
‘य ण ने’—कपय वह फोर —‘कर य त अऩने दफ्तय भें घुसे चोय की कह नी भुझे सुन ई है । उस फ फत आऩ कुछ कहन
च हते हों?’
‘भैं क्म कहूॊ। जजतन य ण को भ रूभ है , भैं उससे ज्म द थोड़े ही ज नत हूॊ।’
‘वो आऩके इतनी य त गमे उसके आकपस भें आगभन की आऩकी फत ई वजह से आश्वस्त नहीॊ हैं।’
‘भैं ककसी सुननमोजजत वजह से वह ॊ गम बी नहीॊ थ । भेये भन भें एक ख्म र उठ थ कक भुझे य ण से मभरन च टहए थ
औय भैं उससे मभरने की नीमत से ननकर ऩड़ थ । ज भैं उसक घय यह थ रेककन जफ भैं उसके आकपस के नीचे से
गुजय थ तो भुझे वह ॊ योशनी टदि ई दी थी। भुझे य ण के आकपस भें ही होने की उम्भीद हुई थी इसमरए भैं ऊऩय ऩहुॊच
गम थ ।
‘हूॊ।’
भैं वसीमत के उस ड्र फ्ि के फ ये भें सोच यह थ जो कक क फान क ऩी सभेत चोय चयु कय रे गम है । आऩके स्िे नोग्र पय को
क भ कयते दे िकय भुझे ख्म र आम है कक उस ड्र फ्ि के श िा हैंड नोर्टस बी तो उऩरब्ध होंगे।’
‘नहीॊ हैं।’
‘क्मों?’
‘ओह।’
‘है न अजीफ फ त! वसीमत के ड्र फ्ि की, उसकी क फान क ऩी की, िै क्स्ि के नोर्टस की कोई क नूनी कीभत नहीॊ। वसीमत
तो हुई ही नहीॊ। ऐसे ककसी दस्त वेज ऩय भयने व रे के हस्त ऺय होने की नौफत तो आई ही नहीॊ। कपय बी उन क गज त को
ग मफ कयने भें ककसी ने इतनी टदरचस्ऩी टदि ई, मे व कई फड़ी अजीफ औय न सभझ भें आने व री फ त है ।
‘श मद।’
‘य ण आकपस से औय कुछ ग मफ फत त है ?’
‘ह ॊ। एक मरप प ग मफ है , य ण के ख्म र से जजसक कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से कोई रयश्त थ । वह मरप प हत्प्र ण
ने सी कयके औय उस ऩय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन क न भ मरि के अऩने वकीर य ण को सुयक्षऺत यिने के मरए सौंऩ
थ । मरप पे के बीतय कोई क गज थ रेककन य ण कहत है कक उसे नहीॊ भ रूभ कक क गज ऩय क्म मरि थ । जैसें
उसक अन्द ज है कक वह क गज कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क मरि उस कजे क प्रोनोि थ जो उसने अऩने प्रेन की
एवज भें होतचन्द नी से ककम थ ।’
‘ऐस प्रोनोि होतचन्द नी ने ि स य ण के ऩ स क्मों कयव म ? औय ककतने ही ऐस क गज त तो कर य त भैंने उसकी भेज
ऩय बफिये ऩड़े दे िे थे?’
‘ह ॊ। कयन ही थ ।’
‘कभ र है !’
इन्स्ऩेक्िय ने भेज ऩय अऩने स भने यिी क रफैर फज ई। तत्क र एक क ॊस्िे फर ने बीतय कदभ यि ।
‘जय दे िो’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘य ण स हफ हैं म चरे गमे? न गमे हों तो उन्हें मह ॊ आने को कहो।’
‘भैंन’े —जव फ भें य ण शुष्क स्वय भें फोर —‘भेज ऩय ऩड़ी ककसी चीज को ह थ नहीॊ रग म थ ।
‘चीज की ज नक यी ह थ रग ए बफन बी हो सकती है । भैं ऩूछत हूॊ कक आऩने ऐसी कोई मरस्ि भेज ऩय बफिये क गज त भें
ऩड़ी दे िी थी?’
‘नहीॊ।’
‘ऩक्की फ त?’
‘ह ॊ।’
‘आऩने’—वह वववेक की ओय घभ
ू —‘वो मरस्ि कफ दे िी थी?’
ऩुमरस को पोन कयने की नीमत से’—वववेक फोर —‘जफ भैं िे रीपोन के कयीफ ऩहुॊच थ , तबी भुझे वो मरस्ि टदि ई दी
थी।’
‘भेये पोन कय चक
ु ने के फ द ही ऩहुॊच गए थे। फड़ी हद दो म तीन मभनि फ द।’
‘भैं मे द व नहीॊ कय सकत कक मे हय वक्त भेयी ननग ह भें थे।’—वववेक फोर —‘हत्म कोई ऐसी घिन नहीॊ जो ककसी की
जजन्दगी भें योज-योज घटित होती हो। होतचन्द नी के अॊज भ से भैं फहुत आन्दोमरत थ औय भेयी तवज्जो आभ इधय-उधय
बिक ज ती थी।’
‘नहीॊ।’
‘है ।’
‘कैसे है ?’
‘ह ॊ।’
‘ि इऩशुद थी वो मरस्ि?’
‘ह ॊ।’
‘वैयी गुड। कपय तो आऩके आकपस भें उसकी क फान क ऩी उऩरब्ध होगी। भैं अबी आऩ के स थ अऩन एक आदभी बेजत
हूॊ आऩ फय मभेहयफ नी उसे मरस्ि की क फान क ऩी सौंऩ दीजजएग ।’
‘क्म हुआ?’—इन्स्ऩेक्िय उसे घूयत हुआ फोर —‘अफ आऩ मे न कह दीजजएग कक वो मरस्ि बी चोय चयु कय रे गम ।’
‘फस, बूर गम थ । सॊमोग से वो मरस्ि भेये जेहन भें उतय आमी थी।
‘औय बी कुछ म द कय रीजजए जो सॊमोग से म बफन सॊमोग से आऩके जेहन से उतय गम हो।’
‘ह ॊ।’
‘फ द भें कपय ककसी ग मफशुद चीज को आऩने उस चोय ऩय थोऩ टदम तो फहुत फुयी फ त होगी।’
‘त कक होतचन्द नी को नेऩ र भें अऩनी सम्ऩूणा चर औय अचर सम्ऩजत्त क ऩक्क अन्द ज हो सकत ।’
‘ऐसी मरस्ि अऩने क्र मन्ि के अनुयोध ऩय आऩने तैम य कयव ई औय अऩने क्र मन्ि को सौंऩी!’
‘ह ॊ।’
‘कफ?’
‘कर सुफह।’
‘ह ॊ।’
‘चोय रे गम ?’
‘ह ॊ।’
‘भझ
ु े कोई वजह नहीॊ भ रभ
ू । आऩ फत इमे।’
‘मे नहीॊ फत सकते तो मे फत इमे कक आऩ हभें सहमोग दें गे औय अऩने आकपस की तर शी रे रेने दें गे म इसके मरमे हभें
सचा व यन्ि ज यी कयव न होग ।’
‘ज नकय िश
ु ी हुई। अफ आऩ जय फ हय इन्तज य कीजजए।’
य ण वह ॊ से चर गम ।
‘आऩ इसे ऩढ रीजजमे।’—उसके इश ये ऩय ि इऩशुद क गज त जफ स्िे नोग्र फ्र ने वववेक को सौंऩ टदमे तो इन्स्ऩेक्िय
फोर —‘सफ कुछ ठीक ठीक ि इऩ हुआ रगे तो स इन कय दीजजमे।’
वववेक ने वो बी ककम । उसने क गज त व वऩस इन्स्ऩेक्िय को सौंऩ टदमे। इन्स्ऩेक्िय ने एक प्रनत अऩने दय ज भें यि री
औय फ की की तीन प्रनतम ॊ स्िे नोग्र फ्र को सौंऩ कय उसे वह ॊ से ववद कय टदम ।
‘इन्स्ऩेक्िय स हफ’—वववेक िॊक य कय गर स प कयत हुआ फोर —‘आऩने भेये से फेशुभ य सव र ऩूछे। अफ अगय
इज जत हो तो एक ध सव र भैं ऩूछूॊ?’
कत्र ककस वक्त हुआ! होतचन्द नी की भौत क क्म ि इभ भुकया य ककम है आऩने अऩनी तफ्तीश से?’
‘हभ यी तफ्तीश कहती है कक कत्र नौ फजकय फत्तीस मभनि से रेकय नौ फजकय इकत रीस मभनि के फीच ककसी वक्त
हुआ थ ।’
कपय इन्स्ऩेक्िय मूॊ भुस्कय म जैसे वो नतीज ऩेश कयके उसने करयश्भ कय टदि म हो।
‘ह ॊ।’—वववेक फोर ।
‘मह ॊ ऩध यने क औय ऩुमरस को सहमोग दे ने क धन्मव द।’—इन्स्ऩेक्िय दे व ह थ जोड़त हुआ औय भुस्कय त हुआ
फोर —‘भैं आऩसे कपय सम्ऩका करूॊग । इस दौय न अगय आऩ को कोई ऐसी फ त ध्म न भें आ ज मे जो अबी आऩ अऩने
मरखित फम न भें न श मभर कय सके हों तो पौयन भेये ऩ स चरे आने की कृऩ कीजजएग ।’
v ‘जी ह ॊ।’ जरूय।’
‘अच्छ ककम । ऐसे भ भरों भें थोड़ -फहुत निय जरूय कयन च टहए वन ा इन ऩुमरस व रों क टदभ ग िय फ हो ज त है ।’
वववेक हॊ स । कैप्िन ने बी हॊ सी भें उसक स थ टदम । केवर य ण उकरू स नक्श त ने ि भोश फैठ यह ।
द भोदय िेत न क नम प्रस्त व सुन कय वववेक हकफक म स उसक भुॊह दे िने रग । दोनों दत्त त्रेम की िै क्सी की
वऩछरी सीि ऩय फैठे थे जो कक वववेक के थ ने से फ हय ननकरने से ऩहरे वह ॊ रौि चक
ु थ । उस वक्त दत्त त्रेम की िै क्सी
फहुत भॊथय गनत से सड़क ऩय दौड़ यही थी। द भोदय िेत न ने फहुत दफे हुए रेककन ऩुयजोय रहये भें अऩनी पयभ मश वववेक
के स भने ऩेश की थी।
‘क्मों?’
‘मे फ त तभ
ु ि भि ह, बफन सोचे-सभझे, जोश भें कह यहे हो। जय ठण्डे टदर से सोचो, कोई िय फी नहीॊ है इसभें । कपय
इसभें तम्
ु ह य बी प मद है ।’
‘तम्
ु हें ढ ई हज य रुऩमे भैंने अबी औय दे ने हैं। वो भैं तम्
ु हें तफ दे त जफ सौद चक
ु त होत । होतचन्द नी तो भय गम । उससे
तो अफ सौद होन भुन मसफ नहीॊ। रेककन उस शख्स से सौद होन अबी बी भुभककन है जजसके ऩ स जव हय त हैं। तभ
ु
भेय उससे सौद कयव ओ। भैं तम्
ु हें फ की के वो ढ ई हज य रुऩमे बी दॊ ग
ू औय फतौय फोनस ऩ ॊच हज य रुऩमे औय दॊ ग
ू ।’
‘ककतने?’
‘तभ
ु वो जव हय त ियीदने के मरए इतन भये क्मों ज यहे हो?’
‘वो तभ
ु नहीॊ सभझोगे।’
‘रुऩम तम्
ु ह ये ऩ स आ गम जो कक सवेये आने व र थ ?’
‘आ ज मेग ।’
वववेक क जी च ह कक वो उससे कुफुरव मे कक रुऩम इॊडडमन एमय र इन्स की होस्िे स ऩ भेर सेन रेकय आ चक
ु ी थी।
रेककन तफ उसे मे बी कफर
ू कयन ऩड़त कक वह चोयों की तयह उसके कभये भें घस
ु थ । वो फ त उसे उस रड़की से बी
भ रभ
ू हो सकती थी रेककन रड़की को उसके ककसी कधथत दोस्त क उसकी तर श भें उसके कभये भें आन एक भ भर
ू ी
हयकत रग सकत थ औय उसे उसक जजि कयन गैयजरूयी भ रूभ हो सकत थ ।
‘दे िो।’—द भोदय िेत न दफे स्वय भें उसे कपय सभझ ने रग —‘मह फ त तो मकीनी तौय ऩय सच है कक जव हय त क चोय
होतचन्द नी के इदा -धगदा क ही कोई आदभी है । ऐसे जो ऩ ॊच शख्स इस वक्त भेयी ननग ह भें हैं, वो हैं होतचन्द नी की
भ शूक अचय मोसववधचत, उसक कधथत स थी रेककन शनताम म य औय ठोकू कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन, होतचन्द नी क
फेि भ नक होतचन्द नी, उसक द भ द मोगेश कृऩर नी औय उसक वकीर भछे न्द्रन थ य ण । भैं इन सफकी सयू तें ठीक से
नहीॊ ऩहच नत जफकक होतचन्द नी से अऩने ऩयु ने त करक
ु त की वजह से तभ
ु इन रोगों को फिफ
ू ी ज नते हो। भैं क्म
च हत हूॊ, मे तभ
ु इन रोगों को फिफ
ू ी सभझ सकते हो।’
‘तभ
ु न सभझ ओ भेये ब ई, भैं सभझ रूॊग । रेककन इन रोगों तक भेयी ऩहुॊच फन ने के मरए तो ह भी बयो। इतन बी भेयी
ि नतय कय दोगे तो पीस तम्
ु ह यी कपय बी वही होगी जो भैंने अबी कही।’
‘भ नेग । तम्
ु ह यी भनुह य से भ नेग । इसमरए भ नेग क्मोंकक उस चोयी के भ र को कैश भें तफदीर कयने क भौक वो बी
नहीॊ छोड़न च हे ग ।’
‘हभ कत्र क जजि ही क्मों कयें ग,े ब ई भेये! हभ यी तयप से चोय ने सौ कत्र ककमे हों। हभें इससे क्म रेन दे न है । चोय
की ज नक यी हो ज ने के फ द क्म भैं ऩुमरस के ऩ स दौड़ ज ऊॊग ! क्म तभ
ु ऐस कयोगे! तभ
ु मे भुकक छोड़कय ज यहे हो।
तभ
ु क्मों ककसी झभेरे भें पॊसन च होगे?’
रेककन…’
‘सुनो, सुनो! पजा कयो जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं। अफ तभ
ु ने होतचन्द नी क कत्र ककम है म नहीॊ ककम , ऩुमरस ने वो
जव हय त अगय तम्
ु ह ये ऩ स से फय भद कय मरमे तो क नतर तम्
ु हीॊ सभझे ज ओगे। मे फ त क्म तम्
ु हें ि क िीॊचकय
सभझ ने की जरूयत है ?’
‘नहीॊ।’
‘गड
ु । अफ आत हूॊ भैं औय ऩच स र ि रुऩमों भें उन जव हय त को तभ
ु से ियीदने की कयत हूॊ ऩेशकश। भेये ब ई जय
सोचो, तम्
ु ह ये खिर प ऩुमरस के ऩ स ज ने क भतरफ होग कक वो जव हय त बी ऩुमरस के हव रे। तम्
ु हें कत्र औय चोयी
के इरज भ भें धगयफ्त य कयव ने के न शुके क भ के मरए भैं अऩन ऩच स र ि रुऩमे क नुकस न बर क्मों करुॊ ग ?
फोरो, करूॊग भैं ऐस ?’
‘नहीॊ।’
‘कपय? जफ तभ
ु मे फ त सभझ सकते हो तो क्म चोय नहीॊ सभझेग ?’
वववेक ि भोश यह ।
‘अबी आगे सुनो।’—द भोदय िेत न ऩुयजोय रहजे भें फोर —‘अबी हभने पजा ककम थ कक जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं। अफ
हभ पजा कयते हैं कक ऩच स र ि रुऩमे भें भेय तम्
ु ह य जव हय त क सौद हो ज त है । जव हय त भेये ऩ स, रुऩम तम्
ु ह ये
ऩ स। म नी कक तम्
ु ह ये ऩ स सेप भ र है , भेये ऩ स ितयन क भ र है । भैं जव हय त के स थ ऩकड़ ज त हूॊ तो तम्ु ह ये
खिर प फड़ी हद मही तो कह सकत हूॊ कक जव हय त भैंने तभ ु से ियीदे । रेककन भेये कह दे ने बय से इस फ त ऩय कौन
मकीन कय रेग ! ऩुमरस तभ
ु से सव र कये गी। तभ
ु स प भुकय ज ओगे। मसपा भेय टदम रुऩम तम्
ु ह ये भुकयने की ऩोर
िोर सकत है रेककन इतनी अक्र तम्
ु ह ये भें होगी ही कक वक्ती तौय ऩय तभ
ु उसे कहीॊ ग मफ कय दो। अफ फोरो, नुकस न
ककसक हुआ? भेय कक तम्
ु ह य ?’
‘तम्
ु ह य ।’
‘दरु
ु स्त। तभ
ु कहते हो भैं ऩ गर हूॊ रेककन क्म भैं इतन ऩ गर हूॊ कक मूॊ अऩन इतन फड़ नुकस न कय फैठूॊग ?’ चोय औय
क नतर को भैं ऩकड़व बी दॊ गू तो क्म मह ॊ की ऩुमरस भुझे कोई भैडर दे दे गी! दे बी दे गी तो क्म उसकी कीभत ऩच स
र ि रुऩमे होन भुभककन है ! कहो कक भैं गरत कह यह हूॊ।’
‘स यी कथ क कुर जभ भतरफ मे हुआ, भेये ब ई।’—द भोदय िेत न आगे फढ —‘कक भैं ऩुमरस के ऩ स ज न अपोडा नहीॊ
कय सकत औय चोय को बी इस फ त क मकीन टदर दे न कोई भुजश्कर क भ नहीॊ होग हभ दोनों के मरए। अफ फोरो क्म
कहते हो?’
‘कहूॊ?’
‘जरूय कहो।’
‘फेििके कहूॊ?’
‘ह ॊ। फेििके कहो।’
‘तभ
ु एक नम्फय के हय भी आदभी हो।’
‘हकीकत फम न कय यह हूॊ। तभ
ु कोई आभ आदभी नहीॊ। तभ
ु कोई फहुत ऩहुॊची हुई चीज हो।’
‘तभ
ु कोई िॉऩ क्व मरिी के, मूॊ कह रो कक वरड्ा क्र स कॉनभैन (Conman) हो।’
‘तम्
ु ह ये ऩ स ऩच स र ि रुऩमे कह ॊ से आमे?’
‘कह ॊ से आ ज मेंग?
े ’
वो ठीक कह यह थ ।
अफ न भें जव फ दे न भूित
ा थी। वववेक िफ
ू ज नत थ कक ऐसी कोई यकभ उसकी आइन्द जजन्दगी सॊव य सकती थी।
श्वेत से उसकी श दी उन दोनों की उम्भीद से ऩहरे हो सकती थी। वह उसके च च के अऩनी एक्सऩीडडशन से रौिते ही
श्वेत से श दी कय सकत थ औय उसे टदकरी स थ रे ज कय अऩन घय फस सकत थ ।
‘भेय जव फ ह ॊ भें हुआ।’—वह स वध न स्वय भें फोर —‘रेककन अऩने अमबम न भें हभें क भम फी न ह मसर हुई तो?’
‘तो बी भैं तझ
ु े ऩच्चीस सौ रुऩमे जरूय दॊ ग
ू जजसक कय य हभ दोनों के फीच भें ऩहरे हुआ थ । फजकक ऩ ॊच हज य रुऩए
दॊ ग
ू । क भ हुआ तो फीस। न हुआ तो ऩ ॊच। अफ जव फ दे ।’
‘भेय क भ मसपा तम्
ु हें रोगों के ऩ स ऩहुॊच न होग । जो बी फ त कयनी होगी वो तभ
ु िद
ु कयोगे।’
‘भॊजूय। अफ फोर।’
वववेक मे उम्भीद कय यह थ कक भ म कक प्र जप्त के स थ-स थ उसे उन ऩ ॊच ऩ वऩमों से मभर कय मे बी बनक रग सकती
थी कक उनभें से ककसने जव हय त को उसके कभये भें यि गभरे भें छुऩ कय उसके मरए भुसीफत िड़ी कयने की कोमशश की
थी।
‘सफसे ऩहरे’—द भोदय िेत न ननण ामक स्वय भें फोर —‘थ ई भेभ स हफ मभसेज अचय मोसववधचत के ऩ स चरो जो कक
मभसेज स धयू भ होतचन्द नी फनने से फ र-फ र फची हैं।’
जैसे फ्रैि भें अचय मोसववधचत यहती थी, अगय वो मभसेज होतचन्द नी फन ज ती तो मकीनन सफ से ऩहरे उस फ्रैि को
ही नतर ॊजमर दे ती। वह एक ि स नेऩ री अॊद ज क दोभॊजजर भक न थ जजसकी एक ही भॊजजर इस्तेभ र के क बफर थी
औय जजसके दो कभयों भें अचय यहती थी। इभ यत के फ हय से फ हयी दीव य के स थ-स थ फनी रकड़ी की सीटढम ॊ एक
जॊगर रगे फय भदे भें ऩहुॊचती थीॊ जजसके आगे ड इॊगरूभ थ औय ऩहरू भें फैडरूभ थ ।
ननह मत भ तभी शक्र मरमे अचय ने उन्हें ड्र ईंगरूभ भें बफठ म ।
‘भैडभ’—िेत न स वध न स्वय भें फोर —‘जो फ त भैं आऩको कहने ज यह हूॊ वो हो सकत है कक भौजूद ह र त भें
आऩको न गव य गजु ये रेककन भेय मकीन ज ननमे कक अन्त ऩन्त वो आऩके प मदे की है ।’
‘भैं एक व्म ऩ यी हूॊ। भेयी होतचन्द नी स हफ से एक फड़ी अहभ व्म ऩ रयक फ तचीत चर यही थी जफ कक वो…वो ह दस हो
गम । भैडभ, होतचन्द नी स हफ अगय मूॊ एक एक इन्तक र न पयभ गमे होते तो अफ तक हभ दोनों भें हभ दोनों के ही
मरए एक ननह मत प मदे भन्द सौद हो चक
ु होत । भेये आऩके ऩ स आने क भकसद मही है कक वो सौद भैं अबी बी कयने
के मरए तैम य हूॊ।’
‘ककसके स थ?’
‘ह !ॊ ’
‘ह !ॊ मे बी भ रभ
ू है । आगे फोमरमे।’
‘तो इसमरए आए हैं आऩ मह ॊ।’—अचय सख्ती से फोरी—‘आऩ सभझते हैं वो जव हय त भैंने चयु मे हैं।’
‘नहीॊ, नहीॊ।’—िेत न जकदी से फोर —‘भैं ऐस कुछ नहीॊ सभझ यह । भैं इस फ फत कुछ नहीॊ ज नत । भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू कक
उन जव हय त क चोय कौन है । भ रभ
ू होत तो भैं सीध उसके ऩ स ज त । भेय कहन मे है भैडभ, कक वो जव हय त चोयी
तो हुए ही हैं औय चोय कोई हज य ऩ ॊच सौ रोगों भें से एक नहीॊ हो सकत । चोय भयने व रे के अन्तयॊ ग द मये भें आने व रे
धगने चनु े रोगों भें से ही कोई एक है ।’
‘फड़े अच्छे आदभी हैं आऩ। भेये घय ऩय भेये स भने फैठे आऩ भुझे चोय कय य दे यहे हैं।
‘इस के ववऩयीत आऩ गरत सभझ यहे हैं। आऩ एक ऐसे भ र की चोयी क इरज भ भेये ऩय रग यहे हैं जो औय चन्द टदनों
भें वैसे ही भेय हो ज ने व र थ । आऩ…’
‘आऩ जय भेयी फ त सुननमे। भैं आऩ ऩय म ककसी ऩय कोई इरज भ नहीॊ रग यह । भैं मसपा इस फ त को हव दे न च हत
हूॊ कक उन जव हय त को ियीदने क ख्व मशभन्द भैं अबी बी हूॊ। अऩनी इस ख्व टहश को हव दे ने के मरए भेय आऩको औय
आऩ जैसी जस्थनत भें जो औय रोग हैं, उनको मे सफ कहन जरूयी है । आऩने चोयी नहीॊ की, मे फड़ी िशु ी की फ त है रेककन
उन जव हय त की फ फत अऩनी भॊश आऩको बी फत मे बफन भेय भकसद हर होने व र नहीॊ।’
‘रेककन…’
‘फहस छोडड़मे।’—िेत न एक एक उठ िड़ हुआ—‘भकतर ू आऩक होने व र ऩनत थ । उसकी भौत से आऩको जो सदभ
ऩहुॊच है, उसको भैं सभझ सकत हूॊ। भुझे आऩ से हभददी है रेककन, फद्तभीजी के मरमे भ पी च हते हुए अजा कयन
च हत हूॊ कक, भैं तो अबी होतचन्द नी स हफ को ठीक से ज नत बी नहीॊ थ इसमरए उनकी भौत से ज्म द भझ ु े इस फ त
क अपसोस है कक भेय सौद बफगड़ गम । मे एक िद ु गजीबयी फ त है रेककन सच्ची फ त है । सच ऩनू छमे तो भझु े तो इस
फ त की बी ऩयव ह नहीॊ है कक क नतर औय चोय अऩनी कयतत
ू की सज ऩ त है म नहीॊ। भेयी टदरचस्ऩी तो मसपा अऩने
बफगड़े हुए सौदे को सॊव यने भें है । भैं किस्िर होिर भें ठहय हुआ हूॊ। अऩने भ तभी भूड से उफय कय इस फ फत आऩ कपय
कबी कोई फ त भझ ु से कयन च हें तो भैं आऩको वहीॊ मभरूॊग । हभ ये भें जो फ त होगी, गोऩनीम होगी। ज र न अऩन ज त
ब ई है , कभ से कभ इसकी वजह से गोऩनीमत बॊग नहीॊ होगी। इसक दस
ू य योर मे है कक भेये से कोई फ त कयने भें अगय
आऩको सॊकोच हो तो मही फ त आऩ ज र न से कय सकती हैं। आखिय आऩ इसे ऩुय न ज नती हैं। कपरह र नभस्ते।’
भुर क त के मरमे दस
ू ये नम्फय ऩय द भोदय िेत न ने भ नक होतचन्द नी को चन
ु ।
‘अऩने ट्रे रय ऩय। अफ ट्रे रय अऩने टठक ने ऩय होग म नहीॊ, मे कहन भुह र है ।’
‘तभ
ु हय वक्त क र चश्भ क्मों ऩहनते हो?’
‘अच्छ , अच्छ !’
भ नक होतचन्द नी औय उसक जीज मोगेश कृऩर नी उन्हें ट्रे रय के ऩहरू भें पोजकडॊग कुमसाम ॊ बफछ मे फैठे ब ॊग ऩीते
मभरे।
‘ब ॊग?’—भ नक फोर ।
िेत न ने अऩने जव हय त क अबी बी ग्र हक होने की वही कह नी रगबग उन्हीॊ शब्दों भें वह ॊ दोहय मी जो वह अचय के
मह ॊ सुन कय आम थ । दोनों ने फड़े गौय से िेत न के भुॊह से ननकर एक एक शब्द सुन रेककन अन्त भें जव फ उनक
बी वही थ जो िेत न को अचय से ह मसर हुआ थ ।
‘तभ
ु ने’—भ नक फोर —‘मे कैसे सोच मरम कक जव हय त हभ ये ऩ स होंगे।’
‘भैंने ऐसे कबी नहीॊ कह ।’—िेत न फोर ।
भ नक ने फड़ी सॊजीदगी से सहभनत भें गदा न टहर मी। कपय उसने फड़े सजन्दग्ध ब व से वववेक की ओय दे ि ।
‘तभ
ु वववेक क ख्म र भत कयो।’—द भोदय िेत न उसक भन्तव्म सभझ कय तत्क र फोर —‘इसक इन फ तों से न कोई
रयश्त है औय न मे कोई रयश्त फन ने क ख्व टहशभन्द है । हभ ये भें अगय कोई सौद होग तो वो हभ ये भें ही होग । ककसी
तीसये आदभी के—वववेक को बी—इसकी बनक बी नहीॊ रगेगी। मे भेये स थ मसपा इसमरमे है क्मोंकक रोगफ ग भुझे ज नते
नहीॊ औय वो सीधे भेये से फ त कयने भें ऩयहे ज कय सकते हैं। इतने न जुक भसरे ऩय एक अजनफी से फ त कयने भें ककसी
को बी ऩयहे ज हो सकत है ।’
‘क्म ?’
‘तभ
ु क्मों उन जव हय त के मरए भये ज यहे हो?’
‘भैं भय नहीॊ ज यह । भैं मसपा मे च हत हूॊ कक जजस सौदे ऩय भैंने इतनी भेहनत की है , इतन वक्त रग म है , एक जैभ
एक्सऩिा की’—उसने वववेक की तयप इश य ककम —‘पीस बयी है वो अफ मूॊ ि भि ह भेये ह थ से न ननकर ज मे। ऊऩय से
भैंने इतनी भजु श्कर से उसकी ऩयू ी कीभत की मह ॊ अद मगी क इन्तज भ ककम है । औय ऊऩय से उन जव हय त को फीस
पीसदी भुन प दे कय ियीदने व र भेये ऩ स ग्र हक है ।’
भ नक ि भोश यह ।
‘सच ऩूछो तो तभ
ु दोनों भें से ककसी के फेचे तो वो ऩच स र ि भें बी नहीॊ बफकने व रे। नेऩ र भें तो हयधगज नहीॊ।’
‘तभ
ु उन्हें फ हय रे ज कय फेचोगे?’
‘ह ॊ। च न्द ऩय रे ज कय।’
‘भज क भत कयो।’
‘भज क तभ
ु भत कयो। ब ई भेये, तम्
ु हें इन फ तों से क्म रेन दे न है कक भैं उन जव हय त को दे शी घी क तड़क रग कय
ि त हूॊ म उनक अच य ड रत हूॊ! अफ सौद हो ज मे तो तभ
ु आय भ से फैठ के अऩने नोि धगनन । आगे भैं ज नू
जव हय त ज नें ।’
‘ऩमु रस को?’
‘तभ
ु इसकी कपि न कयो।’—िेत न फोर —‘इसक ज मभन भैं हूॊ।’
‘अबी बी सोचें ग?
े ’
‘अबी जव हय त कोई हभ यी जेफ भें नहीॊ हैं। जफ वो हभ ये ह थ रगें गे तो तबी हभ कोई प इनर य म फन मेंगे।’
‘ठीक है । सोचन । जी बय के सोचन । च य औय रोगों से बी भशवय कय रेन रेककन भेये से जो फ त कयन सॊजीदगी से
कयन । ये त भें भछमरम ॊ भ यने के शौकीन रोग भुझे ऩसन्द नहीॊ। भेय सौद तम्
ु हें जॊचत हो, भ र तम्
ु ह ये ऩ स च क चौफॊद
उऩरब्ध हो तबी भेये से फ त कयन वन ा भेये ऩ स बी न पिकन ।’
‘तभ
ु तो िप हो यहे हो?’
‘शुकिम ।’
कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन क फॊगर शहय के घने औय व्मस्त इर के से अऩेऺ कृत दयू थ औय वह ॊ फॊगरों की एक रम्फी
कत य के ऐन भध्म भें थ । फॊगर फहुत ऩुय न थ औय प्र इवेसी को भद्देनजय यि कय फन म गम भ रूभ होत थ ।
नतीजतन वो सड़क से कभ से कभ ऩच स पुि ऩये एक ववश र कम्ऩ उण्ड के मसये ऩय फन भ रूभ होत थ । कम्ऩ उण्ड भें
ऩेड़ उगे हुए थे उनकी वजह से फॊगरे के आगे के फय भदे क बी फहुत कभ टहस्स सड़क ऩय से स प नजय आत थ ।
नम्फय एन ऩी डी—१२८८ थ ।
तयु न्त उसक ध्म न उस िोमि क य की ओय गम जजसे उसने वऩछरी य त को होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ एक फड़ के
ऩेड़ के नीचे िड़े दे ि थ । तफ क य क जो आध नम्फय उसने दे ि थ वह डी—१२ थ ।
क्म उसी क य को उसने वऩछरी य त तफ दे ि थ जफ उसकी तवज्जो एक ऩेड़ के नीचे प्रेत की तयह िड़े शभशेय थ ऩ की
ओय चरी गई थी!
कर य त जफ वह दस
ू यी फ य होतचन्द नी के फॊगरे भें गम थ तो वह ॊ ननश्चम ही कोई थ , जो उसके आगभन ऩय वह ॊ से
खिसक गम थ औय कपय जरूय वो उसी िोमोि क य ऩय वह ॊ से कूच कय गम थ जोकक उसने फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ी
दे िी थी।
िोमोि क यें तो वैसे औय बी दजानों ऐसी हो सकती थीॊ नेऩ र भें जजनके नम्फय के फीच के अऺय औय अॊक ‘डी—१२’ होते।
रेककन—उसने िद
ु से जजयह की—औय दजानों ऐसी क यों भें भ मरकों क तो भयने व रे से कोई व स्त नहीॊ थ ! भयने व रे
से व स्त तो मसपा उसी क र के भ मरक कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क थ जो कक भयने व रे क कज ाई फत म ज त थ ।
तबी कैप्िन उनके कयीफ ऩहुॊच । वह फड़े प्रेभब व से दोनों से मभर औय उन्हें अऩने घय के बीतय रे चर । बीतय उसने
उन्हें ड्र इॊगरूभ भें बफठ म औय फोर —‘भैं बफमय र त हूॊ।’
थोड़ी दे य फ द जफ वह व वऩस रौि तो वह बफमय से उपनते तीन भगों से बयी एक ट्रे उठ ए थ । उसने अऩन कोि उत य
टदम थ औय अऩनी कभीज की आस्तीन कोहनी तक चढ री थीॊ।
वववेक ने दे ि , वह वैसी ही भैिर के भजफूत ऩट्टे व री कर ई घड़ी ऩहने थ जैसी उसने भ नक होतचन्द नी को बी ऩहने
दे ि थ ।
कैप्िन ने अऩने भेहभ नों को बफमय सवा की औय कपय बफमय की चजु स्कमों भें उसने द भोदय िेत न क जव हय त की फ फत
आख्म न सन
ु ।
‘प्रस्त व फटढम है ।’—वह फोर —‘ऩच स र ि रुऩम फहुत फड़ी यकभ होती है । भेये ह थ आ ज ए तो भेये कई सॊकि कि
ज एॊ। फहयह र भैं इतन ही कह सकत हूॊ कक क श वो जव हय त क मरप प भेये ऩ स होत म भुझे कोई अन्द ज होत
कक वो कैसे भेये ह थ रग सकत थ ।’
‘आऩने’—वववेक फोर —‘अऩने प्रेन की एवज भें होतचन्द नी से कोई कज ा मरम हुआ थ ?’
‘जी!’
‘कौन कहत है ?’
‘ऩुमरस कहती है कक होतचन्द नी ने एक सीरफन्द मरप प ऊऩय आऩक न भ मरिकय टहप जत से यिने के मरए अऩने
वकीर भछे न्द्रन थ य ण को टदम हुआ थ ।’
v ‘ऩमु रस कहती है कक होतचन्द नी ने एक सीरफन्द मरप प ऊऩय आऩक न भ मरिकय टहप जत से यिने के मरए अऩने
वकीर भछे न्द्रन थ य ण को टदम हुआ थ ।’
-----------------------------------
‘तो? ऩुमरस ने अफ वो मरप प िोर है औय उसभें से भेय प्रोनोि ननक र है ?’
‘न।’
‘भझ
ु े क्म ऩत क्म थ ?’
‘आऩ फत इए।’
‘आऩ प्रोनोि की फ त इसमरए तो गोर कयने की कोमशश नहीॊ कय यहे क्मोंकक अफ वो मरप प चोयी चर गम है ।’
‘फ त जव हय त की हो यही थी।’
‘वववेक ि भोश हो गम ।
‘मभस्िय िेत न’—कैप्िन द भोदय िेत न की तयप घूभ —‘वो जव हय त अगय भेये ह थ रग बी ज एॊ तो बी वो भेये थोड़े ही
हो ज एॊगे! चोयी क भ र यिने व र तो चोय ही कहर त है । औय चोयी क भ र ियीदने व र शख्स क्म कहर त है ,
मभस्िय िेत न?’
िेत न ने उत्तय न टदम । उसने बफमय क एक घूॊि वऩम । कैप्िन अऩरक उसे दे ित यह ।
‘भझ
ु े तो नहीॊ है । होत तो भैं उसकी ियीद की ऩेशकश कयत ?’
‘अगय हों औय आऩको उनको अऩने ऩ स यिे यहकय चोय क दज ा ह मसर कयन न गव य गुजयत हो तो बी आऩ एक क भ
ऐस कय सकते हैं जजससे भेय बी क भ फन ज एग ।’
‘वो क्म ?’
‘भ मरक तो भय गम !’
‘भेय इश य भकतर
ू के व रयस की तयप थ ।’
‘कौन दे ग ?’
‘कोई बी दे सकत है । भैं दे सकत हूॊ। भ नक होतचन्द नी दे सकत है । आऩ इन भ की कपि न कीजजए। वो आऩको मभर
ज एग । ऩहरे आऩ भुझे मे गुड न्मूज दीजजए कक आऩने भ र उसके भ मरक को सौंऩ टदम ।’
‘दॊ ग
ू ।’
‘भ ई प्रेजय।’
‘स र !’—िै क्सी भें द भोदय िेत न बुनबुन म —‘आम फड़ धभाय ज मुधधजष्ठय! चोयी क भ र नहीॊ यिन च हत । जफ
जव हय त ऩ स होंगे तो दे ि रेन उड़कय आवेग भेये ऩ स।’
‘तम्
ु ह ये ऩ स म भ नक होतचन्द नी के ऩ स?’—वववेक फोर ।
‘भेये ऩ स।’
‘म श मद ऩुमरस के ऩ स…’
‘अफ कह ॊ चरें?’
‘ऩ ॊचवें ऩ ऩी के ऩ स।’
फैरयस्िय भछे न्द्रन थ य ण आकपस भें भौजूद थ औय उस वक्त ि री थ । फ हय रयसेप्शन ऩय फैठी श्वेत श ह ने तत्क र
उन्हें य ण के ननजी कऺ भें बेज टदम ।
उनके आगभन ऩय वो ि इऩ-य इिय िििि यही थी। अफ वो आव ज आनी फन्द हो गई। न ज ने क्मों वववेक को रग कक
उनक व त ार ऩ सुनने की नीमत से ही उसने ि इऩ कयन छोड़ टदम थ । ि इऩ-य इिय की िििि न होने ऩय औय फीच
क दयव ज थोड़ -स बी िर
ु होने ऩय य ण के ननजी कऺ भें होत व त ार ऩ फ हय सुन ज सकत थ ।
‘भैं मे कहत हूॊ,’—अऩने चश्भे भें से िेत न को घयू त हुआ य ण फोर —‘कक क्मों न भैं आऩको धगयफ्त य कयव दॊ ।ू ’
‘रेककन भ र कह ॊ है जजसको ियीदने की भैं आपय कय यह हूॊ? क्म कहें गे आऩ ऩमु रस को? क्म फेच यहे हैं आऩ भझ
ु !े
भहज जफ ु नी जभ िजा से आऩ भझ ु े चोयी के भ र क ियीदद य स बफत कय दें गे?’
‘आऩ क्म ऩुमरस के स भने भुकय ज मेंगे कक आऩने अबी भुझे चोयी क भ र ियीदने की ऩेशकश की है ?’
‘क्मों नहीॊ भुकय ज ऊॊग ? आऩ ऐसी फेहूद हयकत कयके भेये मरए कोई दश्ु व यी ऩैद कयने की कोमशश कयें गे तो भैं उरिे मे
कहूॊग कक भैं ियीद क उतन ख्व टहशभन्द नहीॊ जजतने कक आऩ पयोख्त के मरए भये ज यहे हैं।’
य ण हकफक म ।
‘कहने क भतरफ मे है वकीर स हफ, कक ऩुमरस को इस भ भरे से फ हय ही यखिमे। जजस हभ भ भें सफ नॊगे हों उसभें एक
नॊगे क दस
ू ये नॊगे को नॊग कहन शोब नहीॊ दे त ।’
‘सुननमे’—द भोदय िेत न तफ तननक उत्स टहत होकय फोर —‘आऩको भ रूभ है कक आऩक टदवॊगत क्र मन्ि वो जव हय त
फेच यह थ । ऩहरे से न भ रूभ हो तो भैं अफ फत दे त हूॊ कक वो ियीदद य भैं थ । वो ियीदद य अफ बी भैं ही हूॊ औय उसी
कीभत ऩय भ र ियीदने क ख्व टहशभन्द हूॊ जो कक आऩके क्र मन्ि की भौजूदगी भें वववेक ज र न ने आॊकी थी औय जो
आऩके क्र मन्ि ने भन्जूय की थी। भेयी ऩेशकश चोयी क भ र र ठी के गज के न ऩ से ियीदने क नहीॊ है । भैं रुऩमे के ऩूये
सोरह आने अद कयने व र ग्र हक थ औय हूॊ। वो जव हय त होतचन्द नी की एस्िे ि क टहस्स थे औय फकौर उसके
वकीर आऩको उन जव हय त को फेचने क ऩूय अजख्तम य है ।’
‘मूॊ तो नहीॊ फन गम ।’
‘तो कपय?’
‘दयअसर भैं आऩकी फ त ठीक से सभझ नहीॊ थ । भैं सभझ थ कक आऩ मे इश य कय यहे हैं कक उन जव हय त क चोय भैं
थ औय आऩ चोय से चोयी के भ र क सौद कयन च हते थे।’
‘वैसे’—द भोदय िेत न दफे स्वय भें फोर —‘ऐस बी हो ज मे तो भुझे कोई एतय ज नहीॊ।’
‘य ण के चेहये ने कई यॊ ग फदरे।
‘जी!’
‘फहुत कुछ’—िेत न इत्भीन न से फोर —‘फीज भैंने फो टदम है । दे ि रेन आइन्द चौफीस घन्िों भें िद
ु -फ-िद
ु कोई
नजीत स भने आमेग ।’
‘ह ॊ।’
‘भझ
ु े ऩयू ी उम्भीद है ।’
‘क्मों?’
‘क्मोंकक भेये ख्म र से जो जव हय त क चोय है , वही हत्म य है । हत्म य उन जव हय त को अऩने ऩ स यिे यहकय पॊसन
नहीॊ च हे ग ।’
‘आस न तो ऩोिरी छुऩ न ही है रेककन, भेये ब ई, अन्त-ऩन्त तो उसने जव हय त को फेचन ही है । औय भेये जैस ग्र हक
फ द भें उसे ढूॊढे नहीॊ मभरेग ।’
पजा कयो जव हय त तभ
ु ने ियीद मरमे औय जव हय त के स थ ऩुमरस ने तम्
ु हें ऩकड़ मरम !’
‘दे मय मू आय।’
‘रेककन भैं ऩुमरस की ऩकड़ भें आने व र नहीॊ। उन जव हय त को टठक ने रग ने के भेये अऩने स धन हैं।’
‘तभ
ु ऐस नहीॊ कयोगे?’
‘क्मोंकक एक तो तभ
ु मूॊ दग फ जी कयने व री ककस्भ के आदभी नहीॊ टदि ई दे त।े दस
ू ये अऩने सहमोग के फदरे भें तम्
ु हें भेये
से कभ मी होने व री है ।’
‘तभ
ु भेये फहुत क भ आमे। तभ
ु भेये उन रोगों तय ऩहुॊचने के मरए ऩर
ु फने। तम्
ु ह यी वजह से रोगों ने भेयी फ तों को
गम्बीयत से मरम । वो वकीर क फच्च तो भुझ अकेरे को श मद अऩने ऩ स बी न पिकने दे त । तभ ु ि नतय जभ यिो,
तभ
ु भेये क भ आमे हो औय तम्
ु ह यी पीस ियी है ।’
वववेक ि भोश हो गम ।
वह एक ऩरयधचत सेकसभैन के ऩ स ऩहुॊच । उसने होतचॊद नी से ह मसर हुआ ऩन्न उसके स भने यि टदम ।
‘ह ॊ।’
‘ह ॊ।’
‘कभ र है ।’
‘है न। अॊगठ
ू ी श भ को मभर ज मे।’
‘ठीक है । चरेग ।
किस्िर होिर भें रूप ग डान बी थ जह ॊ कक रॊच भें वववेक अक्सय श्वेत से मभरत थ । वह रूप ग डान भें ऩहुॊच । वह ॊ
उसने द भोदय िेत न के एमय होस्िे स ऩ भेर सेन के स थ एक िे फर ऩय फैठे औय घिु घि
ु कय फ तें कयते दे ि । वह इतनी
जकदी िेत न से दोफ य मभरने क ख्व टहशभन्द नहीॊ थ इसमरए वह चऩ
ु च ऩ नीचे रॉफी भें व वऩस आ गम ।
‘तभ
ु गरती कय यहे हो उस शख्स क स थ दे कय।’—श्वेत स यी फ त सुन चक
ु ने के फ द धचजन्तत ब व से फोरी—‘ऩैसे क
र रच तम्
ु हें ककसी ऐसे षड्मन्त्र भें पॊस कय छोड़ेग जजसभें से फ द भें ननकर नहीॊ ज मेग तम्
ु ह ये से।’
‘रेककन…’
‘रेककन वेककन छोड़ो। मे न बूरो कक द भोदय िेत न से ह मसर होने व री यकभ क हभ दोनों को ही आइन्द जजन्दगी भें
फड़ अहभ योर है ।’
श्वेत चऩ
ु यही। प्रत्मऺत् वह सन्तष्ु ि नहीॊ थी।
‘तम्
ु हें ’—वववेक ने ववषम फदर —‘उस सीरफन्द मरप पे की िफय है जजस ऩय कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन क न भ मरि
थ औय जजसे होतचन्द नी ने तम्
ु ह यी एम्ऩरम य के ऩ स यिव म थ ?’
‘तो?’
‘आगे।’
‘ओह!’
‘वो है ण्डफैग बी भझ
ु े मभर गम है ।’
‘आज सुफह। वऩछव ड़े की झ डड़मों भें ऩड़ थ । फैग की हय चीज सर भत थी। मसव म आकपस के भुख्मद्व य की च फी के।’
‘मे बी अऩने आऩ भें सफूत है कक चोय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन थ । उसी ने तम्
ु ह यी च फी से य ण के आकपस क त र
िोर औय वह ॊ से वो मरप प ग मफ कय टदम जजसभें उसक मरि कजे क प्रोनोि थ । वो मरप प वो कब्ज चक
ु है
इसीमरमे अफ वो प्रोनोि के अजस्तत्व से फड़े इत्भीन न से इनक य कय यह है ।’
‘क्म !’
‘अगय प्रोनोि थ तो प्रोनोि के अर व कुछ औय बी थ उस मरप पे भें जो कैप्िन के मरए प्रोनोि से कहीॊ ज्म द ितयन क
स बफत हो सकत थ ।’
‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ? मरप प तो सीरफन्द थ !’
‘क्म कयतत
ू थी वो?’
‘शभशेय थ ऩ ऩहरे होतचन्द नी क भैनेजय होत थ । उसने कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से मभरकय स्भगमरॊग क एक ऐस
ऩैयेरर कुचि यच थ जो न मसपा िद
ु होतचन्द नी क धन्ध बफग ड़ सकत थ फजकक उसके मरए क नूनी दश्ु व रयम ॊ बी
िड़ी कय सकत थ । होतचन्द नी ने दोनों को यॊ गे ह थों ऩकड़ थ । अऩनी उस कयतत
ू की वजह से शभशेय थ ऩ को दो
स र की सज हुई थी जो कक वो क ि चक
ु है । मह फ त भझ
ु े इसमरए भ रभ
ू है क्मोंकक कर वो आकपस भें आम थ ।’
‘कौन? वो शभशेय थ ऩ ?’
‘ह ॊ।’
‘क्म जव फ मभर ?’
‘ज टहय है ।’
‘एक फ त फत ओ। जफ एक कयतत
ू भें दो जने शयीक थे तो पॊस एक ही क्मों? होतचन्द नी ने कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन
को क्मों फख्श टदम ?’
‘क्मोंकक कैप्िन क भहत्व उसके मरए फहुत ज्म द थ । शभशेय थ ऩ जैसे भैनेजय नेऩ र भें एक ढूॊढने से सौ मभरते हैं,
कैप्िन जैस ऩ मरेि नहीॊ मभरत । कैप्िन के प्रेन क होतचन्द नी के स्म ह सपेद धन्धों भें फहुत योर थ ।’
‘ओह!’
‘रेककन भेये ख्म र से उसने कैप्िन से उसक कोई इकफ मरम फम न मरिव कय ही उसे फख्श थ औय जरूय वो फम न
ही, जो कक कैप्िन को बी कबी बी जेर मबजव सकत थ , उस सीरफन्द मरप पे भें उसके प्रोनोि के स थ थ ।’
‘क्म ?’
‘तम्
ु ह ये एम्ऩर मय ने ऩुमरस को मरप पे भें कोई प्रोनोि होने की फ फत तो अऩन अन्द ज फत म रेककन उस इकफ मरम
फम न की फ त को स प गोर कय गम जफ कक उसको उसकी प्रोनोि से कहीॊ फेहतय ज नक यी थी।’
‘हो सकत है ।’
‘रेककन’—वववेक ने शॊक प्रकि की—‘उसक वसीमत के ड्र फ्ि से क्म रेन दे न थ ? उसने वह ड्र फ्ि; उसकी क फान क ऩी
औय श िा हैण्ड की वसीमत के नोर्टस व री नोि फक
ु क्मों ग मफ की?’
‘ह ॊ।’
‘कपय श िा हैण्ड के ऻ न के बफन बर कोई कैसे दजानों नोि फुकों भें से वो नोि फुक छ ॊि ऩ म होग जजसभें कक होतचन्द नी
की वसीमत व रे नोर्टस थे?’
‘रेककन उसक वसीमत से कोई व स्त तो टदि ई दे । उसे क्म रेन दे न थ होतचन्द नी की वसीमत से म उसके ड्र फ्ि से
म उसके नोर्टस से?’
‘क्म रेन दे न थ ?’
‘भेय भतरफ है तभ
ु फत ओ।’
‘तो!’
‘क्म मे नहीॊ हो सकत कक वसीमत से त करुक यिते क गज त ककसी औय ने आकपस से ग मफ ककए हों?’
‘क्म भतरफ?’
‘आकपस भें चोय घुस । वो अऩने भतरफ की चीज—वो सीरफन्द मरप प —चोयी कयके रे गम , कपय ककसी को सूझ कक
अफ वह ॊ से कुछ औय बी ग मफ हो ज त तो उसकी चोयी बी उसी चोय ऩय थोऩी ज सकती थी।’
‘नहीॊ।’
‘नहीॊ। उसभें औय बी क पी स यी डडक्िे शन री थी भैंने। कुछ धचटिम ॊ डडक्िे ि कय ई थीॊ य ण ने। औय ह ,ॊ उसी क ऩी भें एक
रयऩोिा के नोर्टस थे।’
‘होतचन्द नी की तभ भ चर औय अचर सम्ऩजत्त से त करुक यिती रयऩोिा । उसकी एस्िे ि क ऩूये वववयण के स थ वणान।
वो च हत थ कक वसीमत के स थ ही एस्िे ि से त करुक यिती वो रयऩोिा बी तैम य हो ज ती।’
‘क्म भतरफ?’
‘स्िे नोज की भैंने आऩ आदत दे िी है कक वो डडक्िे शन रेन शुरू कयने से ऩहरे नोिफुक ऩय त यीि जरूय ड रती हैं। उस
नोर्टस ऩय बी डेि होगी।’
‘थी। वो तो होती ही है ।’
‘फस कपय’—वववेक ववजेत के से स्वय भें फोर —‘श िा हैण्ड न ज नते हुए बी उस त यीि से ही ज न ज सकत थ कक कौन
से नोर्टस कौन सी नोि फुक भें थे। डडक्िे शन दे ने व र शख्स िद
ु य ण थ इसमरए मकीनन उसे भ रूभ थ कक कौन सी
त यीि को उसने क्म डडक्िे ि कय म थ ।’
श्वेत ि भोश यही।
‘ककसी औय को भ रभ
ू थ कक वसीमत क ड्र फ्ि य ण ने कौन सी त यीि को डडक्िे ि कय म थ ?’
‘न।’
‘रेककन क्मों? क्मों? य ण ने क्मों ककम ऐस ? उसे क्म जरूयत थी इन तभ भ क गज त को ग मफ कयने की?’
‘दे िो।’—वववेक उसे सभझ त हुआ फोर —‘मे जो स धयू भ होतचन्द नी थ न, मे एक फहुत फेयहभ औय फहुत सख्त
मभज ज आदभी थ । िद ु दस
ू ये को नक
ु स न ऩहुॊच ने भें उसे कोई खझझक नहीॊ होती थी रेककन िद
ु अऩने को नक
ु सन
ऩहुॊच ने व रे को वो कबी नहीॊ फख्शत थ । दे ि रो कैसे उसने अऩने भैनेजय शभशेय थ ऩ को जेर मबजव म थ औय
कैप्िन बफमरमभ भूॊग ववन को अऩनी भि ु ी भें जकड़ कय यि थ । अफ एक मभनि के मरए पजा कयो कक ऐसे आदभी को
अऩने वकीर से अऩनी एस्िे ि क जो ब्मोय मभरत है वो सौ पीसदी दरु
ु स्त नहीॊ होत ।’
v ‘क्मों नहीॊ होत ? तभ
ु कहन च हते हो कक उसके वकीर ने ही उसकी ज मद द भें कोई घोि र कय टदम ?’
‘पजा कयो वकीर ने ऐस घोि र ककम होत है जो कक उसके क्र मन्ि द्व य प इनर टहस फ ककत फ तयु न ्त भ ॊग मरमे
ज ने की वजह से वो छुऩ नहीॊ ऩ त । भैं कहत हूॊ मसपा पजा कयो। पजा कयो औय मे फत ओ कक ऐस घोि र कयने व रे ऩय
होतचन्द नी जैस आदभी कहय फन कय िूिे ग म नहीॊ?’
‘िूिे ग तो सही।’
‘उसके स थ घोि र कयने व र आदभी शभशेय थ ऩ की तयह जेर भें होग म नहीॊ?’
‘जरूय होग ।’
‘तभ
ु भेये एम्ऩर मय के स थ ज्म दती कय यहे हो। ऩहरे तो पजा कयो पजा कयो कयते यहे । फ द भें पजी फ तों के दभ ऩय ही
उसे गन
ु हग य कय य दे टदम । तम्
ु हें क्म ऩत होतचन्द नी की एस्िे ि भें य ण की वजह से हुई कोई कभी फेशी थी?’
‘तभ
ु तो टहभ मत कयोगी ही अऩने एम्ऩर मय की।’
‘म नी की कत्र य ण ने ककम ?’
‘क्मों नहीॊ?’
‘अबी तो तभ
ु कैप्िन को क नतर फत यहे थे।’
‘म नी कक अफ तभ
ु मे कहन च हते हो कक य ण ने अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि भें कोई घोि र ककम औय कपय ऩकड़े ज ने
से फचने के मरए अऩने क्र मन्ि को कत्र कय टदम ।’
‘ह ॊ।’
‘कौन कहत है ?’
‘ह र त कहते हैं।’
‘ह र त नहीॊ कहते। कत्र जव हय त के मरमे हुआ होत तो जव हय त क नतर के ऩ स होते जो कक नहीॊ हैं। उसने तो
जव हय त को हधथम य फन म ककसी औय को पॊस ने के मरमे!’
‘ककसे?’
वववेक ने होंठ क िे । अऩने होिर के कभये के फ हय चभेरी के झ ड़ के नीचे दफे ऩड़े जव हय त की फ फत वह श्वेत को फत
कय उसे कपि भें नहीॊ ड रन च हत थ ।
‘तम्
ु हें क्म ऩत जव हय त क नतर के ऩ स नहीॊ हैं!’—श्वेत है य नी से उसे दे िती हुई फोरी।
‘भेय अन्द ज है ।’
‘तभ
ु फ त को ि र यहे हो। तभ
ु भझ
ु से कुछ छुऩ यहे हो।’
श्वेत की फ तों की तयप तवज्जो दे ने के स्थ न ऩय उसने वेिय को फुर कय उसक बफर चक
ु त ककम ।
‘रेककन तभ
ु …’
‘श भ को भुर क त होगी?’
‘क्मों?’
‘भुझे उस योशनद न की भयम्भत कय नी है जो कर य त चोय तोड़ गम थ । सुफह भैं उसभें िे म्ऩये यी कीरें जोड़ के आमी हूॊ।’
‘ह ॊ। रेककन तभ
ु भझ
ु े मे तो फत ओ कक…’
‘रेककन…’
होिर मरमो एक नतभॊजजरी इभ यत ननकरी जजसक अधधक ॊश ब ग रकड़ी क फन हुआ थ । वह एक फहुत िस्त ह र
जगह थी दत्त त्रेम से प्र प्त सूचन के अनुस य जह ॊ के एक कभये भें शभशेय थ ऩ यहत थ । इभ यत के ग्र उन्ड फ्रोय ऩय
दक
ु नें थीॊ। जजनके फीच भें से होकय सॊकयी सी सीटढम ॊ ऊऩय ज ती थीॊ। उन सीटढमों के ऊऩय एक फोय्ड रग थ जजस ऩय
भोिे -भोिे अऺयों भें होिर मरमो मरि हुआ थ ।
वह ॊ उसे एक नेऩ री स्ि इर क भटदय रम टदि ई टदम । उसी के एक कोने भें रयसैप्शन थ जजस ऩय एक ऊॊघत स
नेऩ री भौजूद थ ।
‘होन तो च टहए।’
‘य स्त ककधय से है ?
रयसैप्शननस्ि ने वऩछव ड़े के एक दयव जे की तयप उॊ गरी उठ दी जजस ऩय कक एक भैर कुचैर स ऩद ा िॊ ग हुआ थ ।
वववेक आगे फढ । ऩद ा हि कय उसने बीतय कदभ यि तो उसने स्वमॊ को एक ड्मोढी सी भें ऩ म जजसभें से रकड़ी की
चयभय ती हुई सीटढम ॊ ऊऩय ज ती थीॊ।
सीटढम ॊ तम कयके वह ऊऩय ऩहुॊच । वह ॊ उसने ऩ ॊच नम्फय कभय तर श ककम औय ज कय उसके दयव जे ऩय दस्तक दी।
‘िर
ु है ।’—बीतय से आव ज आई।
वववेक ने दयव ज ठे रकय चौिि से बीतय कदभ यि । उसने शभशेय थ ऩ को एक िी-शिा औय जीन ऩहने एक भैरे-कुचैरे
ऩरॊग ऩय ढे य हुआ ऩ म । उस वक्त उसक चेहय डफर योिी की तयह पूर हुआ नहीॊ रग यह थ । जरूय उसकी वजह मह
थी कक वह उस वक्त अऩनी क री नेऩ री िोऩी नहीॊ ऩहने हुए थ जो कक उसकी िोऩड़ी ऩय धगर प की तयह कपि आती
थी। वह मसय से रगबग गॊज थ औय उसके भ थे औय मसय के धगदा वह ॊ एक स्थ मी रकीय खिॊची भ रूभ होती थी जह ॊ कक
उसकी िोऩी आकय टिकती थी।
शभशेय थ ऩ की आॊिों भें पौयन चभक ऩैद हुई। ज टहय थ कक वववेक ऩय ननग ह ऩड़ते ही उसने उसे ऩहच न मरम थ ।
‘तभ
ु ’—थ ऩ उसे घूयत हुआ फोर —‘ज नते हो भैं कौन हूॊ?’
‘ह ,ॊ ज नत हूॊ। तम्
ु ह य न भ शभशेय थ ऩ है । तभ
ु कबी स धयू भ होतचन्द नी के भैनेजय हुआ कयते थे, कपय उसकी कृऩ
से जेर के ऩॊछी फने औय अफ आज द धचडड़म हो।’
‘कैसे ज न ?’
‘भेय ऩत कैसे ज न ?’
‘कैसी फ तचीत?’
‘फैठ न ज एॊ?’
थ ऩ सहभनत भें मसय टहर त हुआ व वऩस ऩरॊग ऩय फैठ गम । वववेक के मरए उसने एक फदशक्र कुसी की तयप इश य
ककम ।
वववेक खझझकत हुआ कुसी ऩय फैठ । कुसी ने उसक वजन सम्ब र मरम तो उसकी ज न भें ज न आमी। उसने अऩनी जेफ
से मसगये ि क ऩैकेि ननक र औय थ ऩ को मसगये ि आपय ककम । थ ऩ ने एक मसगये ि रे मरम । वववेक ने र इिय से ऩहरे
उसक औय कपय अऩन मसगये ि सुरग म ।
‘आज सफ
ु ह।’—कपय वह ढे य स य धआ
ु ॊ उगरत हुआ फोर —‘भैंने तम्
ु हें ऩमु रस स्िे शन से फ हय ननकरते दे ि थ ।’
‘अच्छ ।’
‘हूॊ।’
‘म नी कक फुर व आम थ ?’
‘ऩकड़ के भॊगव म गम थ ।’
‘क्मों?’
‘ह ॊ।’
‘ह ॊ।’
‘होतचन्द नी के स थ तभ ु ने जो धोि धड़ी की थी, भुझे भ रूभ हुआ है कक उसभें कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन बी श मभर थ
रेककन जेर मसपा तम्
ु हें हुई। वो कैसे फच गम ?’
‘है तो सही।’
‘इसक जव फ मसपा मही है कक होतचन्द नी के मरए भेयी अहमभमत मसपय थी रेककन उस ऩ मरेि के फच्चे की अहमभमत
फहुत ज्म द थी। भेये जैसे भैनेजय उसे एक ढूढने ऩय सौ मभर ज ते जफकक कैप्िन जैस ऩ मरेि उसे न मभरत ।’
कपय बी होतचन्द नी ने उसे मॊू ही नहीॊ फख्श टदम थ । उसने भेयी सॊगत भें कैप्िन की स यी कयतत
ू क इकफ मरम फम न
उससे मरिव कय अऩने ऩ स यि थ । वो फम न कैप्िन के मसय ऩय सद रिकती तरव य थ । उस फम न के दभ ऩय
होतचन्द नी जफ च हत उसे जेर मबजव सकत थ ।’
‘तभ
ु उस औयत को ज नते हो जजससे होतचन्द नी श दी कयने ज यह थ ?’
‘ह ॊ।’
‘ज नत हूॊ। िफ
ू ज नत हूॊ।’
‘ह ॊ।’
‘वो कैसे?’
‘रग ज ने ऩय िन
ू िय फे की नौफत आ सकती थी?’
‘तभ
ु ने कत्र ककम है?’
‘अफ तभ
ु बी ऩमु रस की जफ न फोरने रगे।’
‘भैं तभ
ु ऩय इरज भ नहीॊ रग यह , तभ
ु से सव र कय यह हूॊ।’
‘भेये सव र क जव फ दे न तम्
ु ह ये मरए जरूयी नहीॊ जफकक ऩुमरस—’
‘ओह!’
‘रेककन’—वह सख्ती से फोर —‘अगय कत्र कयके स प फच ज ने की कोई तयकीफ भेये जहन भें होती तो भैं उस हय भज दे
क कत्र जरूय कयत । फहयह र अच्छ हुआ कक भेय क भ ककसी औय ने कय टदम ।
‘तम्
ु ह ये ऩ स कत्र के वक्त की कोई एरीफ ई है ?’
‘क्म भतरफ?’
‘तभ
ु ने भुझे तफ ठीक से दे ि थ ?’
‘नहीॊ।’
‘तभ
ु फत ओ।’
‘इसक भतरफ हुआ कक भैंने फ रयश भें कदभ नहीॊ यि थ जफकक ऩुमरस कहती है कक कत्र फ रयश के दौय न हुआ थ ।
भेय बीग न होन ही इस फ त क सफूत है कक कत्र के दौय न भैं उस फड़ के ऩेड़ के नीचे िड़ थ ।’
‘तभ
ु ने मे फ त ऩमु रस को फत ई?’
‘नहीॊ।’
‘क्मों?’
‘उन्हें मकीन नहीॊ आने व र थ । ऊऩय से उन्हें मे भ रूभ हो ज त कक कत्र के वक्त भैं भौक मेव यद त के कयीफ भौजूद
थ ।’
‘कपय तो ऩुमरस को तभ
ु ने मे बी नहीॊ फत म होग कक तफ वह ॊ तभ
ु ने भुझे दे ि थ !’
‘नहीॊ फत म ।’
‘ओह!’
‘तम्
ु ह य मह ॊ आन भुझे उरझन भें ड र यह है । ठीक से फत ओ तभ
ु क्म च हते हो भेये से?’
वववेक तयु न्त कोई उत्तय न दे सक । वो थ ऩ से हत्म के यहस्म ऩय योशनी ड रने व री कोई नई फ त भ रूभ हो ऩ ने की
उम्भीद से मह ॊ आम थ रेककन इसकी वो इच्छ ऩूयी होती टदि ई नहीॊ दे यही थी। उसे रग यह थ कक वऩछरी य त ऩेड़ के
नीचे अऩनी भौजूदगी की फ फत थ ऩ सच नहीॊ फोर यह थ रेककन उससे सच फुरव ने क कोई तयीक बी उसे नहीॊ सूझ
यह थ ।
‘भैं बी’—कपय वह फोर —‘ऩुमरस की ननग ह भें भडाय सस्ऩैक्ि हूॊ। ऩुमरस से तभ
ु भेयी ज न छुड़व सकते हो।’
‘ह ॊ।’
‘कैसे?’
‘ओह! तभ
ु च हते हो कक भैं मे फ त ऩमु रस को फत ऊॊ?’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु असरी अऩय धी की धगयफ्त यी भें भददग य स बफत नहीॊ होन च हते?’
‘बफरकुर बी नहीॊ होन च हत । क्मों होऊॊ बर भैं! जजस आदभी ने भुझे जेर मबजव म , उसके मरए भेये भन भें क्म
हभददी होगी! भेयी ओय से बरे ही असरी अऩय धी सज ऩ ने से स प फच ज ए।’
‘असरी अऩय धी को सज टदर ने के मरए भैं बी नहीॊ भय ज यह । भैं उसकी धगयफ्त यी मसपा इसमरए च हत हूॊ त कक भैं
ऩमु रस के शक से फयी हो सकॊू । औय इस क भ भें तम्
ु ह य फम न फहुत भददग य हो सकत है ।’
‘भैं तम्
ु ह यी भदद की कोई कीभत अद कयने के मरमे तैम य हूॊ।’
‘कैसी कीभत?’
‘कोई बी भन
ु मसफ कीभत तभ
ु िद
ु भक
ु या य कय रो।’
‘नहीॊ।’
‘क्म भतरफ?’
‘जफ तम्
ु ह य भतरफ मूॊ हर हो सकत है तो भुझे ऩुमरस के ऩ स क्मों बेजन च हते हो! वो बी भेयी भदद की कीभत अद
कयके!’
‘क्मोंकक भेये कहे मे फ त भेये हक भें उतनी क यआभद स बफत नहीॊ होगी। मही फ त ऩुमरस को तभ
ु से भ रूभ होगी तो
उसक उन ऩय ज्म द असय होग ।’
‘हूॊ।’
‘थ ऩ , भैं तम्
ु हें श भ तक क वक्त दे त हूॊ। तफ तक भेयी आपय ऩय िफ
ू सोच ववच य कय रो। श भ तक अगय तम्
ु ह यी
तयप से कोई गुड न्मूज भुझे न मभरी तो कपय भैं ज नूॊ औय ऩुमरस ज ने। तफ तक के मरमे नभस्ते।’
कपय उसने कोि औय जूते उत ये औय ऩरॊग ऩय ढे य हो गम । उसने एक मसगये ि सुरग मरम औय उसके कश रग त हुआ
सोचने रग ।
शभशेय थ ऩ से हुए अऩने स ऺ त्क य से वो कतई सन्तष्ु ि नहीॊ थ । उसे अफ मह फ त बी आश्वस्त नहीॊ कय यही थी कक
उसने उसे ऩुमरस के ऩ स ज ने को प्रेरयत ककम थ । वो नहीॊ ज नत थ कक थ ऩ उस ऩेड़ के नीचे कफ से िड़ थ । क्म
ऩत वो वह ॊ इतने ऩहरे से भौजद
ू यह हो कक उसने वववेक को उसके ऩहरे पेये भें बी वह ॊ आते दे ि हो औय कपय
आतॊककत ब व से वह ॊ से कूच कयते दे ि हो! मूॊ तो उसकी गव ही उसक कोई प मद कयने की जगह उसक ब यी नुकस न
कय सकती थी।
तो वो क्म कये !
मूॊ ही अऩन अगर कदभ ननध ारयत कयने की कोमशश कयते कयते उसे नीॊद आ गमी।
स ढे ऩ ॊच फजे वववेक ज र न होिर के िैंयेस ग डान भें ऩहुॊच औय सड़क की ओय की ये मरॊग के कयीफ की एक िे फर ऩय फैठ
गम ।
फ रयश उसी ऺण होकय हिी थी। नीचे सड़क ऩय रोग ओि से ननकर यहे थे औय कपय से सड़क ऩय हरचर क भ हौर ऩैद
कय यहे थे।
फ रयश के भ भरे भें वववेक ने नेऩ री औयतों की एक फड़ी अनूठी आदत दे िी थी। फ रयश होने ऩय वे अगय तत्क र ओि
नहीॊ रे ऩ तीॊ थीॊ औय फ रयश से फचने के मरए उनके ऩ स कोई छ त वगैयह बी नहीॊ होत थ तो बी वो अऩने मसय को
बीगने से फच ने की फहुत ख्व टहशभन्द रगती थीॊ। फ रयश की ऩहरी फॊद
ू िऩकते ही उनके ह थ भें कोई ऩैकेि, कोई झोर ,
कोई िोकयी कोई ऩबत्रक वगैयह जो कुछ बी होत थ , तत्क र वे उससे अऩन मसय ढॊ कने रगती थीॊ। कुछ बी नहीॊ होत थ
तो वे अऩने ह थों को ही अऩने मसय के ऊऩय कय रेती थीॊ। ऐस उसने हय नेऩ री स्त्री को हभेश कयते दे ि थ ।
वववेक चऩु च ऩ अऩने स्थ न से उठ औय उनसे दयू -दयू ये मरॊग के स थ-स थ चरत हुआ सीटढमों की ओय फढ । उसके
सीटढमों तक ऩहुॊच ज ने तक द भोदय िेत न ने म ऩ भेर सेन ने एक फ य बी मसय न उठ म ।
वह रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।
वह द भोदय िेत न के कभये के स भने ऩहुॊच । उसने त रे भें च फी कपय मी औय दयव ज िोर कय बीतय द खिर हो गम ।
सफसे ऩहरे उसने दे ि कक वह ॊ से ऩ भेर सेन क एमयफैग ग मफ थ रेककन वो फड़ स सूिकेस ऩरॊग के नीचे ऩड़ थ
जजसे कक वऩछरे पेये भें उसने ऩरॊग के ऊऩय िर
ु ऩड़ दे ि थ । उसने सूिकेस को चैक ककम तो उसक त र भजफूती से
फन्द ऩ म ।
ओवयकोि की बीतयी जेफ भें एक रम्फ मरप प फय भद हुआ जजस ऩय कक य मर एमयर इन्स क जन्तऩथ क ठभ ण्डु छऩ
हुआ थ । उसने बीतय के क गज त क भुआमन ककम तो उसे भ रूभ हुआ कक द भोदय िेत न की य मर नेऩ र
एमयर इन्स से सोभव य की मसॊग ऩुय की टिकि फुक थी।
व डायोफ से ही एक ब्ीपकेस फय भद हुआ। उसभें त र नहीॊ रग हुआ थ । वववेक ने उसे य इटिॊग िे फर ऩय यि कय िोर ।
ब्ीपकेस क गज त से अि ऩड़ थ ।
उसभें टदकरी से प्रक मशत होने व रे अिफ य टहन्दोस्त न ि इम्स की एक कटिॊग थी। कटिॊग फैनय है डर इन्स के स थ छऩी
डकैती की एक िफय की थी औय उस ऩय कोई डेढ भहीन ऩहरे की त यीि ऩड़ी हुई थी।
वैसी ही एक अऩेऺ कृत छोिी कटिॊग उस फड़ी कटिॊग के स थ स्िे ऩर से जोड़ी हुई थी औय वह बी डकैती से ही सम्फजन्धत
थी।
कटिॊग्स के भत
ु बफक डेढ भहीन ऩहरे दो सशस्त्र डकैतों ने कन ि प्रेस के नेशनर फैंक भें टदन दह ड़े ड क ड र थ ।
डकैतों के ह थ स ठ र ि रुऩमे रगे थे। उस डकैती की अस ध यण फ त मह थी कक टदनदह ड़े कन ि प्रेस जैसे व्मस्त
इर के भें केवर दो डकैत उसे अन्ज भ दे ने भें क भम फ हो गए थे।
दस
ू यी कटिॊग के भुत बफक डकैती के दस टदन फ द बी ऩुमरस को डकैतों क कोई सुय ग नहीॊ मभर थ । उसभें छऩ थ कक
रूिे हुए नोिों भें क पी भ त्र भें नोि ऩ ॊच सौ रुऩमे व रे थे जो कक अबी नमे चरे थे। उन नोिों के नम्फय ऩुमरस को
उऩरफ ्ध थे औय उनकी बफन ऩय ऩमु रस को डकैतों के ह थ आ ज ने की फहुत उम्भीदें थीॊ।
वववेक सोचने रग ।
कपय कुछ सोचकय कटिॊग उसने अऩने कोि की बीतयी जेफ के हव रे कीॊ औय ब्ीपकेस को फन्द कयके मथ स्थ न व वऩस
यि टदम ।
कपय उसने खिड़ककमों ऩय से ऩदे व वऩस सयक मे, फत्ती फुझ मी औय कभये से फ हय ननकर आम ।
वह होिर से फ हय ननकर औय ऩैदर चरत हुआ क जन्तऩथ ऩहुॊच जह ॊ कक क ठभ ण्डु क जी.ऩी.ओ. थ । वहीॊ केफर औय
िै रेक्स बेजने के मरए िे रीकम्मन
ू ीकेशन आकपस थ । वह ॊ से उसने एक िे रीग्र भ प भा ह मसर ककम औय उस ऩय मरि :
डेढ भहीन ऩहरे कन ि प्रेस के नेशनर फैंक भें टदन दह ड़े ऩड़ी स ठ र ि की डकैती की ओय ध्म न कषाण (स्िॉऩ) केस
की वताभ न जस्थनत की सूचन व वऩसी त य द्व य व ॊनछत (स्िॉऩ) वववेक ज र न, किस्िर होिर, क ठभ न्डू, नेऩ र।
तत्क र ड्मूिी ज मन कयन सम्बव नहीॊ (स्ि ऩ) कृऩम एक सप्त ह की भोहरत दें (स्ि ऩ) भॊजूयी म न भॊजूयी व वऩसी
त य द्व य बेजें (स्ि ऩ) वववेक ज र न, किस्िर होिर, क ठभ न्डू, नेऩ र।
वह रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच ।
‘आऩके मरए एक पोन आम थ , सय।’—रयसेप्शननस्ि फड़े अदफ से फोर —‘उस वक्त आऩ अऩने रूभ भें नहीॊ थे। भैंने औय
जगह ऩेज कयव म थ रेककन…’
िे रीपोन के कयीफ ऩड़ी ड मये क्ट्री भें उसने होिर मरमो की एन्ट्री तर श कयनी आयम्ब की।
उसने ड मये क्ट्री इॊक्व मयी ऩय पोन ककम तो भ रूभ हुआ कक होिर मरमो भें कोई पोन नहीॊ थ ।
‘भैं फ य भें हूॊ।’—वह फोर —‘श मद भेय ऩहरे व र पोन कपय आए। तफ फय मभेहयफ नी भुझे फ य से फुर रेन ।’
उसके डडनय कय चक
ु ने के फ द बी जफ शभशेय थ ऩ क दोफ य पोन न आम तो उसने िद
ु ही वह ॊ चक्कय रग रेन
भुन मसफ सभझ । वैसे बी डडनय के फ द वह थोड़ी सी व क जरूय कयत थ इसमरए उसे उस घड़ी चरकय वह ॊ ऩहुॊचने से
कोई गयु े ज नहीॊ हुआ थ ।
रयसेप्शन ि री थ । टदन व र ऊॊघत स रयसेप्शननस्ि वह ॊ भौजूद नहीॊ थ । उसने की-फोडा ऩय ननग ह ड री। ऩ ॉच नम्फय
की च फी अऩनी जगह ऩय िॊ गी थी म नी कक शभशेय थ ऩ अऩने कभये भें नहीॊ थ ।
उसकी तवज्जो भटदय रम की तयप गई। वह ॊ उसके रौिने क इन्तज य कय सकत थ । एक भेहय फद य दयव जे को ऩ य
कयके वह बीतय द खिर हुआ औय एक फदशक्र िे फर ऩय ज फैठ । तत्क र एक नेऩ री वेिय उसके ऩहरू भें ऩहुॊच उसने
ब् ॊडी क आडाय टदम तो भ रूभ हुआ कक झ ॊग औय यभ के अर व वह ॊ कुछ नहीॊ मभरत थ । उसने उसे गभा ऩ नी के स थ
यभ र ने क आदे श टदम ।
वेिय एक अप्रत्म मसत रूऩ से स प-सुथये धगर स भें उसे यभ सवा कय गम । उसने एक मसगये ि सुरग मरम औय उसके
स थ यभ की चजु स्कम ॊ रग ने रग ।
स ढे नौ फज गए।
रयसैप्शननस्ि तफ बी वह ॊ नहीॊ थ रेककन इस फ य की-फोडा ऩय ऩ ॊच नॊफय कभये की च फी नहीॊ टदि ई दे यही थी।
म नी कक उसकी भटदय रम भें भौजूदगी के दौय न ककसी वक्त शभशेय थ ऩ रौि आम थ ।
वह सीटढम ॊ चढकय दस
ू यी भजन्जर ऩय ऩहुॊच ।
वह सोचने रग ।
च फी फ हय दयव जे ऩय रगी होने क भतरफ मही थ कक थ ऩ कहीॊ ि मरेि वगैयह भें गम थ । ि मरेि वह ज नत नहीॊ
थ कक इभ यत भें कह ॊ थ इसमरए उसने वहीॊ फैठकय उसकी प्रतीऺ कयने क ननणाम मरम ।
वह कभये भें भौजूद इकरौती, उसी कुसी ऩय फैठ गम जजस ऩय वह टदन भें बी फैठ थ । उसने एक मसगये ि सुरग मरम ।
उसकी ननग ह कपय से कभये भें च यों तयप बिकने रगी। कभये भें पशा के नीचे एक सूिकेस ऩड़ थ । एक िि
ूॊ ी ऩय एक
फैग रिक हुआ थ । एक िि
ॊू ी ऩय उसकी क री कभीज औय क री जैकेि िॊ गी हुई थी।
उसने मसगये ि क फच हुआ िुकड़ पशा ऩय ड र कय जूते से भसर टदम औय घड़ी ऩय ननग ह ड री।
नौ च रीस।
जरूय वह कहीॊ औय गम थ ।
वह टठठक ।
क्म थ ऩ रौि यह थ !
कोई फ हय दयव जे ऩय आकय टठठक । कपय दयव जे ऩय दस्तक ऩड़ी। उतने से ही वह सभझ गम थ आगन्तक
ु थ ऩ नहीॊ
थ । थ ऩ बर अऩने ही दयव जे ऩय दस्तक क्मों दे त !
‘कौन है?’—अन म स उसके भुॊह से ननकर गम ।
तत्क र दयव ज िर
ु ।
उसे चौिि ऩय सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु िड़ टदि ई टदम । वववेक ऩय ननग ह ऩड़ते ही उसके चेहये ऩय ऩहरे है य नी के
औय कपय सॊदेह के ब व आमे।
‘आऩ मह ॊ क्म कय यहे हैं?’—कपय उसके भुॊह से ननकर औय उसने कभये के बीतय कदभ यि ।
‘दयव ज िर
ु थ , च फी दयव जे भें रगी हुई थी, भैंने सोच वह महीॊ कहीॊ होग इसमरए भैं बीतय आकय फैठ गम ।’
‘आऩ थ ऩ को ज नते हैं?’
‘ह ॊ।’
‘कैसे?’
‘भैं नहीॊ, वो भुझसे मभरन च हत थ । उसने भेये होिर भें भेये मरए पोन ककम थ । इत्तप क से तफ भैं होिर भें नहीॊ थ ।
डडनय के फ द भें व क के मरए ननकर थ । भैं मह ॊ चर आम ।’
‘ह ॊ। आखिय उत्सक
ु त तो होती ही है न इनस न को ऐसे भ भरों भें ।’
‘कभये भें तो ऩ ॊच-स त मभनि से ही हूॊ। वैसे होिर भें सव नौ फजे ऩहुॊच थ ।’
‘फ की क वक्त कह ॊ यहे?’
‘नीचे फ य भें ।’
‘ह ॊ।’
‘ह ॊ।’
‘इस वक्त?’
‘जी ह ॊ।’
‘क्मों?’
‘भ रूभ हो ज मेग ।’
‘रेककन—’
‘फहस न कीजजए, मभस्िय ज र न। नीचे ऩमु रस की जीऩ िड़ी है । आऩ ज कय उसभें फैटठए। भैं आत हूॊ।’
‘रेककन—’
वह ॊ से ववद होने से ऩहरे उसने नोि ककम कक सफ-इॊस्ऩेक्िय ने तर शी रेने के अन्द ज से वह ॊ की चीजें ििोरनी आयम्ब
कय दी थीॊ।
सफ-इन्स्ऩेक्िय के स थ चरने क भतरफ वववेक ने सहज ही ऩुमरस स्िे शन चरन रग मरम थ रेककन व स्तव भें वह
उसे फ धभती नदी के ककन ये रे आम । जह ॊ उसने जीऩ योकी वह जगह उस जगह से थोड़ी ही दयू थी जह ॊ कक मोगेश
कृऩर नी क ट्रे रय िड़ थ । वह ॊ अन्धेय थ जजसे ककसी हद तक एक एम्फूरेंस की ओय ऩुमरस की एक अन्म जीऩ की
है डर इर्टस दयू कय यही थीॊ। ऩये दो क यें औय िड़ी थीॊ। एम्फर
ू ेंस के कयीफ इन्स्ऩेक्िय बत्रबव
ु न दे व िड़ थ औय ऩमु रस के
उसकी ड क्िय से फ त कय यह थ जजसने वऩछरी य त होतचन्द नी की र श क भुआमन ककम थ ।
‘कोई थ ऩ से मभरने-जुरने आम गम ?’
‘होिर के पोन आते हैं। भ रूभ हुआ है कक होिर छोड़ने से ऩहरे थ ऩ ने वह ॊ से कहीॊ एक पोन ककम थ ।’
‘भेयी उससे फ त नहीॊ हुई थी। उसकी पोन क र के वक्त भैं होिर भें नहीॊ थ । भुझे मसपा भैसेज मभर थ उसक भेये होिर
के रयसैप्शननस्ि के जरयए।’
‘नहीॊ।’—वववेक तननक टहधचककच कय फोर —‘टदन भें बी गम थ । जो शख्स दोऩहय फ द आऩके सफ-इन्स्ऩेक्िय स हफ
थ ऩ से मभरने आम फत ते हैं, वो भैं थ ।’
‘अच्छ ! आऩ ज नते कैसे थे थ ऩ के फ ये भें?’
‘भेय भतरफ है आऩ थ ऩ को कैसे ज नते थे? उसके न भ से ही कैसे व ककप थे आऩ? अबी मसपा दो टदन ऩहरे तो वो
शख्स जेर से छूि थ !’
वववेक सोचने रग । अफ इन्स्ऩेक्िय से कुछ छुऩ न ितयन क स बफत हो सकत थ । तफ्तीश क रुि फत त थ कक च दय
के नीचे ढॊ की र श शभशेय थ ऩ की थी। वऩछरी य त की फ फत थ ऩ ननश्चम ही उससे कहीॊ ज्म द ज नत थ जजतन कक
उसने कफूर ककम थ । अफ तो वह मह बी भहसूस कय यह थ कक अगय उसने टदन भें अऩने ऩुमरस स्िे शन के फुर वे के
दौय न ही ऩुमरस को थ ऩ के फ ये भें सफ कुछ फत टदम होत तो श मद थ ऩ अबी जजन्द होत ।
‘कर य त’—वह ननण ामक स्वय भें फोर —‘जफ भैं होतचन्द नी के फॊगरे ऩय गम थ औय भुझे वह ॊ उसकी र श ऩड़ी मभरी
थी तो य स्ते भें थ ऩ भझ
ु े फॊगरे के कयीफ एक ऩेड़ के नीचे िड़ मभर थ ।’
‘भैं बर
ू गम थ । ऩहरे फ त भेये ध्म न से उतय गई थी।’
‘आऩ बूर गए थे!’—इन्स्ऩेक्िय दे व ववतष्ृ ण ऩूणा स्वय भें फोर —‘ऩहरे फ त आऩके ध्म न से उतय गई थी। कत्र आऩके
मरए भ भूरी, योजभय ा की घिन है इसमरए आऩ बूर गए थे। मभस्िय ज र न, भेये भुकक भें िन
ू -िय फे के व क्म त उतने
आभ नहीॊ जजतने औय भुककों भें हैं। भेयी नौकयी भें चौफीस घन्िों भें दो कत्र आज से ऩहरे कफ हुए थे भुझे म द नहीॊ ऩड़
यह । मे एक अहभ औय फेहद धचन्त जनक व क्म है । भैं आऩको व ननिंग दे त हूॊ कक आऩ िद ु अऩने टहत भें वो तभ भ फ तें
म द कय रीजजए जो आऩके ध्म न से उतय गई हैं म जजन्हें आऩ बर
ू गए हैं।’
‘आई एभ स यी।’
‘मू ऑि िु फी।’
वववेक ि भोश यह ।
‘अफ कृऩ कयके जय ठीक से, ववस्त य से फत इए कक थ ऩ कफ, कह ,ॊ कैसे आऩको मभर थ ।
वववेक ने फत म ।
‘हूॊ।’—इन्स्ऩेक्िय ववच यऩूणा स्वय भें फोर —‘आऩ कहते हैं उसके कऩड़े गीरे नहीॊ थे।’
‘ह ॊ।’—वववेक फोर ।
‘तफ नहीॊ ऩहच नत थ । तफ भैंने भ धचस की योशनी भें उसकी मसपा सूयत दे िी थी। आज टदन भें जफ भैंने उसे ऩुमरस
स्िे शन की सीटढम ॊ उतयते दे ि थ तो तफ भैंने अऩने िै क्सी ट्र इवय से उसकी फ फत सव र ककम थ । उसने भुझे फत म
थ कक वो कौन थ ।’
‘हूॊ।’
‘वो—थ ऩ —ऩुमरस स्िे शन भें क्म कय यह थ ?’
‘फुर म गम थ । होतचन्द नी के कत्र की िफय रगते ही हभें सफसे ऩहरे थ ऩ क ही ख्म र आम थ । आखिय
होतचन्द नी की वजह से उसे दो स र की सज हुई थी। थ ऩ की फ फत जो कुछ आऩ हभें फत यहे हैं, वो आऩने ऩहरे
फत म होत तो ननश्चम ही थ ऩ ऩुमरस की टहय सत भें होत औय मूॊ कत्र होने से फच गम होत ।’
‘फैटठए।’—वह फोर ।
‘भैंने स्िे नोग्र पय को उसके घय से फुरव म है ।’—इन्स्ऩेक्िय फोर —‘उसके आने भें अबी थोड़ वक्त रगेग । आऩको फ द
भें उसके स भने कपय अऩन फम न दोहय ने भें एतय ज न हो तो अबी कुछ फ तचीत हो ज ए।’
‘भझ
ु े कोई एतय ज नहीॊ।’
‘धन्मव द। अफ…’
‘शूि ककम है ककसी ने उसे। फहुत कयीफ से। आभने-स भने िड़े होकय। छ ती भें ।’
‘गन मभरी?’
‘नहीॊ।’
‘वो बी नहीॊ मभरी। हनुभ न कहत है कक होतचन्द नी अऩनी भेज के इकरौते दय ज भें एक रयव कवय यित थ रेककन वो
रयव कवय हभ ये ह थ नहीॊ रगी है अफ तक। हभ ये मह ॊ घ तक गोमरमों की आधुननक तयीकों से रैफोये ट्री ज ॊच की सुववध एॊ
नहीॊ हैं रेककन कपय बी इतन अन्द ज हभें है कक होतचन्द नी को ककसी ब यी, ज्म द कैरीफय की, रयव कवय से शि
ू ककम
गम थ जफकक शभशेय थ ऩ ककसी हककी, कभ कैरीफय की, रयव कवय की गोरी क मशक य हुआ है ।’
‘थ ऩ क कत्र कफ हुआ?’
‘अबी एकदभ सही ि इभ क अन्द ज हभें नहीॊ है । वो तो ऩोस्िभ िा भ से ही भ रूभ होग । वैसे हभें एक गव ह मभर है
जजसने ऩहरे गोरी चरने की औय कपय कुछ ऺण फ द एक क य के घिन स्थर से यव न होने की आव ज सुनी थी रेककन
उसे वक्त क सही अन्द ज नहीॊ।’
‘घड़ी नहीॊ थी उसके ऩ स?’
‘सव नौ म नौ फीस क अन्द ज है हभ य । आऩ उसके होिर भें ककस वक्त ऩहुॊचे थे?’
‘सव नौ फजे।’
‘श मद कय सकत हो। वह ॊ रयसैप्शन ऩय तो कोई नहीॊ थ रेककन उस वेिय को वक्त क ध्म न हो सकत है जो वह ॊ के
भटदय रम भें भेये मरए डड्रॊक र म थ ।’
‘उसे बफककुर बी ध्म न नहीॊ होग । भैं क्म अऩने दे शव मसमों को ज नत नहीॊ?’
वववेक ि भोश यह ।
‘आगे फोमरए।’
वववेक ने हत्प्र ण के कभये भें ऩहुॊचने औय वह ॊ सफ-इॊस्ऩेक्िय कुभ य फह दयु के आगभन तक की कह नी दोहय ई।
‘ऐस ही भ रूभ होत है ।’—वववेक फोर —‘भैंने जफ की-फोडा से थ ऩ के कभये की च फी ग मफ ऩ ई थी तो भैंने सभझ थ
कक थ ऩ रौि आम थ । रेककन वो तो रौि नहीॊ हो सकत थ । वो तो तफ नदी ककन ये भय ऩड़ थ औय आऩ तक उसकी
भौत की िफय बी ऩहुॊच चक
ु ी थी। अफ तो ज टहय है कक कोई औय शख्स थ ऩ के कभये भें गम थ ।’
‘कौन?’
‘श मद थ ऩ क हत्म य ।’
‘वो वऩछरी य त होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ भौजूद थ । भैं मे ज नन च हत थ कक ककतन अयस उसने वह ॊ िड़े
गुज य थ औय क्म कुछ उसने दे ि थ ।’
‘क्म ज न आऩने?’
‘सच ऩूनछमे तो कुछ बी नहीॊ। ऩहरे भुझे इस फ त ने फहुत प्रब ववत ककम थ कक उसके कऩड़े गीरे नहीॊ थे। रेककन अफ
भुझे मह बी एक भ्र भक फ त रग यही है ।’
‘क्मों?’
वववेक ि भोश यह ।
‘ऩूनछमे।’
‘है तो सही।’
‘ह ॊ।’
‘तो?’
‘भैंने उसे उसकी जहभत की कोई भुन मसफ कीभत अद कयने की ऩेशकश की थी।’
‘सीधे सीधे नहीॊ मरम । जय रऩेिकय मरम । आऩने मे कह कक आऩ उससे एरीफ ई ियीदने गमे।’
‘इन्स्ऩेक्िय स हफ, आऩ ि भि ह भेये रफ्जों को तोड़ भयोड़ यहे हैं औय उनक भनभ कपक भतरफ ननक र यहे हैं।’
‘अच्छ !’
‘जी ह ॊ।’
‘थ ऩ को रुऩमे ऩैसे की जो बी आपय आऩने दी, उसे आऩ क्म न भ दें गे?’
‘रयश्वत के अर व कोई बी। भेहनत न ! इन भ! कृतऻत -ऻ ऩन! वक्त की कीभत! रेककन रयश्वत हयधगज नहीॊ।’
‘नहीॊ।’
‘क्मों?’
‘वो ऩुमरस के ऩ स नहीॊ ज न च हत थ । वो नहीॊ च हत थ कक मूॊ ऩुमरस को भ रूभ होत कक कत्र के वक्त वे घिन -
स्थर के आस ऩ स भौजूद थ ।’
‘फ त कह ॊ ित्भ हुई?’
‘भैंने उसे सोच ववच य के मरए श भ तक क वक्त टदम थ । भैंने उसे कह थ कक श भ तक अगय उसने भुझे पोन न ककम
तो भैं िद
ु ऩुमरस के ऩ स ऩहुॊच ज ऊॊग ।’
‘आऩ क ऐस इय द थ ?’
‘बफककुर थ ।’
‘रेककन इत्तप क से भेयी उससे फ त न हो सकी। अफ ऩत नहीॊ वो क्म कहन च हत थ भुझे िे रीपोन ऩय!’
‘हूॊ। म नी कक थ ऩ की भौत के स थ िद
ु को फेगुन ह स बफत कय सकने क भौक आऩके ह थ से ननकर गम ।’
‘वो भैं नहीॊ कय सकत । मभस्िय ज र न, कत्र के केस भें इनवैजस्िगेशन आकपसय के मरए जफ तक अऩय धी ऩकड़ न
ज मे तफ तक मह ननध ारयत कयन फहुत कटठन होत है कक वो ककस फ त ऩय मकीन कये औय ककस ऩय न कये । अद रत भें
आदभी तफ तक ननदोष भ न ज त है जफ तक वो अऩय धी स बफत नहीॊ हो ज त । रेककन भेयी ननग ह भें हय सजन्दग्ध
व्मजक्त अऩय धी है जफ तक कक वो ननववाव द रूऩ से सन्दे हभुक्त नहीॊ हो ज त । अगय आऩने कत्र ककम है —भैं मे नहीॊ
कह यह हूॊ कक आऩने कत्र ककम है, भैं कह यह हूॊ कक अगय…अगय आऩने कत्र ककम है —तो भैं आऩसे सच फोरने की
उम्भीद नहीॊ कयत । इसमरए आऩके, म ककसी के बी, फम न को तफ तक सच्च कय य नहीॊ टदम ज सकत जफ तक कक
कधथत सच्च ई को ऩूयी तयह से ऩयि कय स्थ वऩत न ककम ज चक
ु हो। आऩ भेयी ननग ह भें सजन्दग्ध व्मजक्त इसमरए हैं
क्मोंकक र श आऩने फय भद की थी औय क्मोंकक आऩके ऩ स हत्म के कभ से कभ दो उद्देश्म थे।’
‘दो!’
‘जी ह ॊ। एक तो आऩकी होतचन्द नी से ऩुय नी यॊ जजश थी क्मोंकक उसने आऩको धोि टदम थ । कुछ टदन ऩहरे आऩ उसे
ित्भ कय दे ने की नीमत से चढ बी दौड़े थे उस ऩय।’
‘वो तो हुआ! दस
ू य उद्देश्म फत इमे।’
‘दस
ू य उद्देश्म ऩच स र ि रुऩमे के वो जव हय त हैं जो कक भेज भें कपि सेप भें फन्द थे।’
‘जी।’
‘वही हधथम य वो क भ कय सकत थ जजससे कक होतचन्द नी क कत्र हुआ। आऩ उसे रयव कवय टदि कय सेप िोरने ऩय
भजफूय कय सकते थे। आऩ ऩहरे सेप िर
ु व कय जव हय त अऩने कब्जे भें कय सकते थे औय कपय कत्र कय सकते थे।’
‘हो सकत है आऩ फ रयश के फ द न आमे हों फजकक ऩहरे से ही वह ॊ भौजूद हों। आऩने जव हय त कब्ज मे, कत्र ककम ,
फ रयश फन्द होते ही वह ॊ से रुख्सत हो गए, जव हय त कहीॊ टठक ने रग ए औय मॊू व वऩस रौि ऩड़े जैसे वो वह ॊ ज ने व र
आऩक ऩहर पेय थ । औय उस दस
ू ये पेये भें आऩने ऩेड़ के नीचे िड़े थ ऩ को दे ि थ । रेककन व स्तव भें वो आऩके ऩहरे
पेये क बी चश्भदीद गव ह यह हो सकत है ।’
‘आज टदन भें आऩ’—इन्स्ऩेक्िय ने अऩन द म ॊ ह थ मॊू िड़ ककम जैसे वववेक के शब्द व वऩस उसके भॊह
ु भें धकेरन
च हत हो औय फोर —‘थ ऩ से मभरे। तफ व त ार ऩ के दौय न आऩ को अहस स हुआ कक वह घिन स्थर ऩय आऩके एक
नहीॊ दो पेयों क गव ह थ । तफ वक्ती तौय ऩय उसक भुॊह फन्द कयने के मरए आऩने उसे रयश्वत आपय की। श भ को
आऩने यकभ अद कयने के फह ने से ही उसे होिर से फ हय कहीॊ फुर म औय उसे अऩने स थ क य भें फैठ कय फ घभती नदी
के उस सुनस न ककन ये ऩय रे गए जह ॊ से हभ अबी होकय आ यहे हैं। आऩने वह ॊ थ ऩ को शूि कय टदम औय व वऩस उसके
होिर भें ऩहुॊच कय उसक इन्तज य कयने फैठ गए।’
‘्मोयी फटढम है ।’
‘धन्मव द।’
‘क्म ?’
‘भेये ऩ स क य नहीॊ है ।’
‘क य ह मसर की ज सकती है ।’
‘भैंने कोई क य—उध य म ककय मे ऩय—ह मसर नहीॊ की थी, मह भ रूभ कय रेन आऩके मरए भ भूरी क भ होग ।’
‘गुड। मभस्िय ज र न, आऩ दस
ू ये कभये भें चरे ज इए औय स्िे नोग्र पय को अऩन फम न डडक्िे ि कय दीजजए। जफ वो
फम न ि इऩ कय रे तो उसे रेकय भेये ऩ स आ ज इमेग ।’
स्िे नोग्र पय से प रयग होकय जफ उसने कपय गमरम ये भें कदभ यि तो उसने ऩ म कक स ये जीजे की जोड़ी तो मथ स्थ न
तफ बी फैठी थी, केवर कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन की जगह अचय मोसववधचत ने रे री थी।
वववेक की नीॊद िर
ु गमी।
कपय उसे सझ
ू कक कोई आहि सन
ु कय वह नीॊद से ज ग थ ।
जजस ककसी ने बी कैक्िस के गभरे भें जव हय त व र मरप प छुऩ म थ उसक मरप पे के मरए वह ॊ रौिन मुजक्त
सॊगत भ रभ
ू होत थ ।
कभये भें अन्धेय थ । केवर खिड़ककमों के कयीफ फ हय कहीॊ से प्रनतबफजम्फत होकय आती योशनी की वजह से इतनी योशनी
थी कक उसे एक खिड़की के कयीफ एक ऩयछ ईं सी क आब स मभर ऩ त ।
वववेक कुछ ऺण स ॊस योके स्तब्ध रेि यह ; कपय उसने फड़ी स वध नी से कयवि फदरी औय स्वमॊ को नन्शब्द ऩरॊग के
नीचे धगय टदम । कुछ ऺण पशा ऩय ि भोश धगय ऩड़ वह अऩनी उस हयकत की कोई प्रनतकिम स भने आने की प्रतीऺ
कयत यह , कपय वह स वध नी से उकड़ू हो गम ।
वैसे ही उकड़ू हुआ कोई आहि न कयने क बयसक प्रमत्न कयत हुआ वह इॊच इॊच आगे फढने रग ।
‘वववेक प्रीज!’
‘ब गने की कोमशश न कयन !’—वह चेत वनी बये स्वय भें फोर ।
‘अच्छ ।’
वववेक ने उसे छोड़ टदम औय ऩरॊग के कयीफ ऩहुॊच कय वह ॊ ऩड़ िे फर रैम्ऩ जर म । र्टमूफ र इि उसने ज नफूझकय नहीॊ
जर मी थी। इतन य त गमे अऩने कभये भें जगभग वो नहीॊ च हत थ ।
वह चफूतये के कयीफ िड़ी थी औय अऩनी उिड़ी स ॊसों ऩय क फू ऩ ने की कोमशश कय यही थी। उस घड़ी वह एक जस्कन
ि इि क री जीन औय क री स्कीवी ऩहने थी। अऩने मसय ऩय उसने कस कय क र रुभ र फ न्ध हुआ थ । अऩनी उस
क री ऩोश क की वजह से ही वह योशनी होने से ऩहरे अन्धेये भें घर
ु -मभर गमी भ रभ
ू होती थी। उस घड़ी उसक उन्नत
वऺ उसकी स ॊसों के स थ धौंकनी की तयह उठ धगय यह थ ।
‘तम्
ु हीॊ हत्म यी हो।’
‘न…हीॊ।’
‘तम्
ु हीॊ ने भुझे पॊस ने के मरमे चोयी के जव हय त को मह ॊ भेये कभये भें छुऩ म औय जफ भुझे पॊसत न ऩ म तो अफ
जव हय त व वऩस रेने आमी हो। झूठ फोरने की जरूयत नहीॊ। कैक्िस के गभरे के इदा -धगदा बफियी मभट्टी अऩनी कह नी
िद
ु कह यही है ।’
‘तभ
ु गरत सभझ यहे हो।’
‘ह ॊ।’
‘अच्छ !’
‘तभ
ु सभझ यहे हो कक होतचन्द नी क कत्र भैंने ककम है । भैंने कत्र नहीॊ ककम । भैं तो उस से श दी कयने व री थी। श दी
कय के उसके स थ इजण्डम ज ने व री थी। भुझे उसक कत्र कयने की क्म जरूयत थी।’
‘नहीॊ।’
‘तम्
ु ह य कैप्िन से अपेमय नहीॊ?’
‘कबी थ । अफ हभ दोनों भें कुछ फ की नहीॊ। वो कह नी तबी ित्भ हो गमी थी जफ भुझे भ रूभ हुआ थ कक होतचन्द नी
भेये ऩय टदर यित थ ।’
‘खिड़की के य स्ते।’
वह ि भोश यही।
‘जव फ दो।’
‘क्म ह ॊ?’
‘जजसे कक तम्
ु हीॊ ने कर मह ॊ दपन म थ ?’
‘ह ॊ।’
वह ि भोश यही।
‘नहीॊ।’
‘क्म नहीॊ?’
‘तम्
ु हें पॊस ने क भेय कोई इय द नहीॊ थ ।’
‘जो तम्
ु ह यी कर की हयकत से त करुक यिती है ।’
‘म द कयो।’
‘क्म म द करूॊ?’
‘जो कुछ कर य त तभ
ु ने ककम थ ।’
‘तो सुनो। होतचन्द नी के स थ उसके फॊगरे ऩय डडनय रेने के फ द जफ भैं वह ॊ से ववद हो गमी थी तो कोई आधे घन्िे फ द
होतचन्द नी ने भझ
ु े पोन ककम थ । उस वक्त उसकी आव ज से फहुत ऩये श नी िऩक यही थी औय उसने कह थ कक वो
भुझ से पौयन मभरन च हत थ ।’
‘क्मों?’
‘तो?’
‘भैं तबी कुछ कऩड़े औय अऩने फ र धोकय हिी थी। उस वक्त भेयी ह रत घय से ननकरने जैसी नहीॊ थी रेककन उसकी जजद
के आगे भुझे हधथम य ड रने ऩड़े थे। कऩड़े फदर कय भैं चरने को तैम य हुई ही थी कक फ रयश होने रगी जजसकी वजह से
भुझे रुकन ऩड़ गम । फ रयश फन्द होते ही भैं होतचन्द नी के फॊगरे की ओय चर ऩड़ी। भैं फॊगरे से अबी थोड़ दयू ही थी कक
भैंने एक आदभी को फॊगरे से ननकर कय वह ॊ से कूच कयते दे ि ।’
‘कौन थ वो?’
‘तभ
ु ।’
‘हूॊ। आगे।’
‘तम्
ु ह ये वह ॊ से कूच कयने के फ द भैं फॊगरे के बीतय गमी थी औय भैंने होतचन्द नी को ड्र इॊगरूभ के पशा ऩय भय ऩड़ दे ि
थ ।’
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‘तफ तभ
ु ने जव हय त व र मरप प चयु मरम ?’
‘ह ॊ।’
‘ज्म द ऩहरे से नहीॊ भ रूभ थ । अबी सोभव य को ही भ रूभ हुआ थ । उस श भ भैंने होतचन्द नी के स थ उसके फॊगरे ऩय
ही डडनय ककम थ । उस य त वो फहुत िश
ु थ औय उसने ऩी बी आभ टदनों से ज्म द री थी। अऩने अच्छे भड
ू भें वो फहुत
प्म य उॊ ढे र यह थ भेये ऩय। तबी उसने भुझे एक तोहप दे ने क पैसर ककम थ । उसने भुझे फत म थ कक एक फहुत ही
श नद य यत्नजडड़त कड़ उसने ि स भेये मरए यि हुआ थ , जजसे वह श दी के फ द भुझे दे न च हत थ रेककन उस घड़ी
तबी दे ने को तैम य हो गम थ । अऩने उसी यॊ गीन भूड भें उसने भुझे सेप क कम्फीनेशन फत टदम थ त कक भैं सेप को
िद
ु िोर कय कड़ ननक र ऩ ती।’
‘भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू , थे कक नहीॊ थे। सेप िोरते ही कड़ भझ
ु े टदि ई टदम थ इसमरए आगे त क झ ॊक भैंने की ही नहीॊ थी।’
‘जो कक होतचन्द नी को भय ऩ कय तभ
ु ने सेप भें से ननक र मरम !’
‘ह ॊ।’
‘क्मों?’
‘मह एक रम्फी कह नी है ।’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ। थ ईरैंड एक ऐस भुकक है जह ॊ गयीफ घय भें रड़की फनकय ऩैद होन सजृ ष्ि क सफसे फड़ अऩय ध है । थ ईरैंड क
एमशम क वेननस कहर ने व र शहय फैंक क, जह ॊ कक भैं ऩैद हुई थी, व स्तव भें सॊस य क सफसे फड़ वेश्म रम है । वह ॊ
आधी से ज्म द नौजव न रड़ककम ॊ वेश्म में हैं। वह ॊ रडकी की नौजव न जजन्दगी अबी शुरू नहीॊ हुई होती कक ित्भ हो
ज ती है । वह ॉ गयीफ भ ॉ फ ऩ इन्तज य कयते हैं अऩनी फच्ची के जव न होने क त कक वह धन्धे भें रग सकें औय बूिे भयते
उसके ऩरयव य के भॊह
ु भें योिी क ननव र ज सके। भैं सत्रह स र की थी जफ वेश्म वजृ त्त की कग य ऩय िड़ी भेयी जजन्दगी
भें एरन किस्िी न भ के एक उम्र से भेये से दग
ु ने फड़े अॊग्रेज के कदभ ऩड़े। वो भेयी भुहब्फत क दभ बयने रग औय भेये से
श दी की ख्व टहश ज टहय कयने रग । फकौर उसके वो मसॊग ऩुय भें वह ॊ के एक फहुत फड़े होिर भें अमसस्िें ि भैनेजय की
नौकयी कयत थ औय अऩने यसूि से वह ॊ भेयी बी रयसैप्शननस्ि की म िे रीपोन आऩये िय की इज्जद य नौकयी रगव
सकत थ । भैं उसकी फ तों भें आ गमी। भैंने उससे श दी कय री औय मभसेज किस्िी फनकय घय से ब ग कय मसॊग ऩुय ऩहुॊच
गमी। वह ॊ ज कय भुझे भ रूभ हुआ कक भैं ककतने फड़े फ्रॉड की फ तों भें आ गमी थी। वो अॊग्रेज क फच्च कहीॊ कोई भैनेजय-
वैनेजय नहीॊ थ फजकक उसक क भ ही मॊू वेश्म वजृ त्त के मरए थ ईरैंड से रड़ककम ॊ बग कय र न थ । कहने क भतरफ मह
है कक भैं वेश्म ओॊ के फैंक क न भ के एक शहय से ननकरी थी औय मसॊग ऩुय न भ से वैसे ही दस
ू ये शहय भें ज पॊसी थी।’
‘क्म ?’
‘कुछ नहीॊ। तभ
ु आगे फढो।’
‘वह ॊ मसग ऩुय भें भेये कधथत ऩनत रेककन यजण्डमों के दर र उस भह हय भी एरन किस्िी के सौजन्म से दो स र भेयी वो
दयु गत हुई जो कक कोई ककसी दश्ु भन की न कय मे। कपय भैं औय भेये जैसी तीन औय रड़ककम ॊ एक क नीव र के स थ फभ ा
ब गने भें क भम फ हो गमीॊ। वह ॊ यॊ गून भें भेये स थ भेये आज तक के जीवन की सफसे सुिद घिन घिी।’
‘क्म ?’
‘ह ॊ। वो एक फहुत ही बर आदभी थ जजसने न मसपा भेये से श दी की फजकक भुझे वो इज्जत औय भ न टदम जजसके मरए
गह
ृ णी फनने की इच्छुक औयत तयसती है । उस शख्स के सदके भझ
ु े इतन सि
ु औय सम्भ न मभर कक भैं अऩनी गज
ु यी
जजन्दगी की स यी दश्ु व रयम ॊ औय र नतें बूर गमी।’
‘थ कौन वो?’
‘भेय ही हभवतनी थ , ववधयु थ । उम्र भें भेये से फीस स र फड़ थ । ऩीछे फैंक क भें उसकी ऩहरी ऩत्नी से एक फेिी थी जो
इसके भ ॊ फ ऩ के ऩ स ऩरती थी। यॊ गून भें एम्फैसी की नौकयी कयत थ औय अच्छी ऩोस्ि ऩय थ ।’
‘आई सी।’
‘तफ बी वो ऩ मरेि ही थ ?’
‘ह ॊ रेककन स थ भें ढॊ क छुऩ सभगरय बी। फभ ा भें भ नक औय नीरभ की भ इननॊग फहुत मत से होती है । इन्हीॊ प्रैशस
स्िोंस को वो अऩने ऩ मरेि होने क प मद उठ कय नेऩ र ऩहुॊच त थ ।’
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‘कपय प्रेन की एवज भें कज ा मरए होने की क्म फ त हुई?’
‘वो सफ फकव स है । हकीकत मे है कक प्रेन होतचन्द नी क है औय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन होतचन्द नी क भुर जजभ
है ।’
‘िैय, तभ
ु अऩनी कहो, यॊ गून भें तम्
ु ह यी भुर क त कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से हुई कपय क्म हुआ?’
‘वो भुझे मह ॊ क ठभ ण्डू रे आम । भैं उसके प्रेन टट्रप्स भें होस्िे स की ड्मूिी बुगत ने रगी। उसी ने भुझे वो फ्रैि रेकय
टदम जजसभें कक भैं इस वक्त यहती हूॊ।’
‘नहीॊ हुई।’
‘वो तम्
ु ह य बूतऩूवा प्रेभी फत म ज त है ।’
‘हकीकत इससे जुद नहीॊ थी। ऩसन्द तो वो भुझे आने ही रग थ । ऊऩय से भैं ज नती थी कक ककसी भदा के स्थ मी सह ये
बफन भेयी फ की जजन्दगी नहीॊ कि सकती थी। हभ दोनों भें फड़े अच्छे प्रेभऩूणा सम्फन्ध स्थ वऩत हो गए थे जजनक श दी भें
फदर ज न मसपा वक्त की फ त थी।’
‘रेककन श दी तो तभ
ु होतचन्द नी से कयने व री थीॊ।’
‘उसकी दौरत की ि नतय न कक भुहब्फत की ि नतय। भुहब्फत भुझे आज बी कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन से है , रेककन
उज्जवर बववष्म क जजतन फड़ आश्व सन भुझे होतचन्द नी भें टदि ई दे त थ वो कैप्िन भें टदि ई नहीॊ दे त थ । औयत
क रूऩ औय उसकी जव नी उसक सद स थ नहीॊ दे ती रेककन भदा की दौरत उसक सद स थ दे ती है । अऩने अगरे जन्भ-
टदन ऩय भैं ऩूये तीस की हो ज ऊॊगी। भेये जैसी औयत के मरए होतचन्द नी फहुत फड़ प्ररोबन थ , र इप इॊश्मोयें स थ । ऐस
भौक फ य फ य नहीॊ आत । भैं वो भौक छोड़न अपोडा नहीॊ कय सकती थी।’
‘थी रेककन भेयी बी तो भजफूयी थी। कैप्िन से भुझे मसपा प्म य ह मसर थ रेककन होतचन्द नी से दौरत। ऊऩय से
होतचन्द नी के इजण्डम व वऩस चरे ज ने ऩय कैप्िन अन-एम्ऩ रमड हो सकत थ औय उसकी जजन्दगी भेये ही जैसी
प्र ब्रभ फन सकती थी। भेयी ककस्भ की, भेयी उम्र की, औयत के मरए प्म य के व दे से दो जून की योिी क व द कहीॊ
आकषाक होत है । प्म य से ऩेि नहीॊ बयत ।’
‘इस मरह ज से होतचन्द नी की भौत से तो तम्
ु ह य फहुत नुकस न हो गम ।’
‘ह ॊ।’—एक एक उसकी आवज बय ा आमी—‘भेय एक फेहद सुह न सऩन िूि गम । जो ऩैस , इज ्जत, रुतफ , ठहय व औय
इत्भीन न भुझे मभसेज होतचन्द नी फनकय ह मसर होने व र थ , वो उसके कत्र के स थ भुझसे नछन गम ।’
‘भैं कैसे आसभ न भें ऩहुॊचते ऩहुॊचते एक एक ऩ त र भें ज कय धगयी हूॊ, इसक अॊद ज तभ
ु उस वसीमत से ही रग सकते
हो जो होतचन्द नी भेये हक भें कयने ज यह थ । वो टदर से भुझे च हने रग थ । वो अऩनी िमु शम ,ॊ अऩनी दौरत, अऩनी
आइन्द जजन्दगी, अऩनी हय चीज भेये स थ शेमय कयने की ख्व टहश यित थ । रेककन तकदीय को मे सफ भन्जूय न हुआ।
ऩहरे ही सफ गड़फड़ हो गमी।’
‘फ त सुनने भें फहुत जरीर रगती है रेककन हकीकत मही है । भयने व र तो भय गम थ । उसकी दौरत उसके स थ तो ज
नहीॊ सकती थी। ककसी के ऩकरे तो वो ऩड़नी ही थी। कपय भेये ही ऩकरे क्मों नहीॊ? भैं बी तो उसकी और द औय उसके ब ई
जजतनी ही हकद य थी उस दौरत की। आखिय वो भुझसे श दी कयने व र थ ।’
‘कयने व र थ । कय नहीॊ चक
ु थ ।’
‘ज नती हूॊ। इसी फ त ने भुझे उस चोयी के मरए प्रेरयत ककम थ । उसकी भौत के सदभे से उफयते ही जो ऩहर ख्म र भेये
जेहन भें कौंध थ , वो उन जव हय त की फ फत थ । भैंने सेप से जव हय त व र मरप प ननक र मरम औय वहीॊ से कूच
कय गई।’
‘नहीॊ।’
‘ऐस कैसे हो सकत है ? इजन्डम रौिने की तैम यी भें होतचन्द नी अऩन सफ कुछ फेच चक
ु थ । इतन भ र…’
‘औय कह ?
ॊ ’
‘भझ
ु े नहीॊ भ रभ
ू । श मद ककसी फैंक के र कय भें थ ककसी औय ऐसी ही सयु क्षऺत जगह ऩय।’
‘जजन जव हय त की ि नतय तभ
ु इतन ितयन क कदभ उठ म , उन्हें तभ
ु ने मह ॊ र कय क्मों दपन टदम । भुझे पॊस कय
तम्
ु हें क्म ह मसर होत ?’
‘कुछ बी नहीॊ।’
‘तो कपय…’
‘तम्
ु ह ये पॊसने से तो जव हय त उरिे भेये ह थ से ननकर ज ते।’
‘मकीनन तम्
ु हें पॊस ने के मरए नहीॊ ककम । जव हय त भैं अऩने फ्रैि भें तो छुऩ कय यि नहीॊ सकती थी। ऩुमरस की ननग ह
भें भैं प्र इभ भडाय सस्ऩैक्ि थी। भैं कबी बी धगयफ्त य हो सकती थी, भेये फ्रैि की तर शी हो सकती थी औय मॊू जव हय त
ऩुमरस के ह थ रग सकते थे।’
‘वह तम्
ु हें कैसे सूझी?’
वह तननक भस्
ु कय मी औय कपय फोरी—‘कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन के स थ जफ भैं यॊ गन
ू से मह ॊ आई थी। तो ऩहरे भैं इसी
होिर भें ठहयी थी औय इसी कभये भें यही थी। कैक्िस औय ऩ भ के मे दोनों फड़े-फड़े गभरे ि स भेयी पयभ मश ऩय
भैनेजभें ि ने मह ॊ यिव मे थे। ऊऩय से क पी अयस इस कभये भें यहे होने की वजह से भुझे भ रूभ थ कक मह ॊ की
खिड़ककमों भें से फ मीॊ ओय की खिड़की क रैंच िय फ थ । खिड़की फन्द ककमे ज ने ऩय वह बीतय से रग गम भ रूभ होत
थ रेककन असर भें रग नहीॊ होत थ । वो खिड़की फ हय से धक्क टदए ज ने ऩय िर
ु ज ती है ।’
‘ओह!’
‘अच्छ हुआ वक्त यहते भुझे जव हय त मह ॊ छुऩ न सूझ गम औय भैं फहुत फड़ी जहभत से फच गई। ऩुमरस तो आधी य त
के फ द ही भेये फ्रैि की तर शी रेने ऩहुॊच गई थी। जव हय त मह ॊ छुऩ ने के फ द भैंने रौि कय अबी अऩने फ्रैि भें कदभ
यि ही थ कक वह ॊ ऩमु रस आन धभकी थी। तर शी भें वो जव हय त अगय भेये ऩ स से फय भद हो ज ते तो जरूय वो मही
सभझते कक भैंने ही होतचन्द नी क कत्र ककम थ ।’
‘अच्छ ! कफ?’
‘बफककुर आम । पौयन आम । वो नेऩ री इन्स्ऩेक्िय शक्र से फफुव स रगत है रेककन असर भें फहुत चतयु है , फहुत
घ घ है ।’
‘नहीॊ रगे।’
‘क्म ?’
‘नहीॊ थ ?’
‘ह ॊ।’
वववेक भुस्कय म ।
‘ह ॊ।’
‘कैसे ऩत रग ?’
‘ओह।’
वैसे इसभें इत्तप क क बी फड़ ह थ थ । इत्तप क से ही भेयी तवज्जो गभरे से फ हय बफिये ऩड़े मभट्टी के कणों की तयप
गई थी।’
‘ह ॊ।’
ॊ ’
‘कह ?
‘क्मों?’
‘वो भेय भ र है ।’
‘अच्छ ! वो कैसे?’
‘भैंने उन्हें कैक्िस के गभरे भें छुऩ कय यि थ ।’
‘नहीॊ।’
‘तो कपय?’
‘तो कपय…’
‘अगय होतचन्द नी जजन्द होत तो उस सम्ऩजत्त की, उस एस्िे ि की भ मरककन भैं होती, न कक उसकी फेिी म फेि म
दभ द म ब ई म कोई औय। ऐसे बी उन जव हय त की हकद य भैं हूॊ।’
‘तभ
ु …तभ
ु च हते क्म हो?’
‘भैं च हत हूॊ कक ऩहरे मे य ज िर
ु े कक होतचन्द नी क कत्र ककसने ककम ।’
‘रेककन…’
‘एक फ त फत ओ।’
‘क्म ?’
‘जव हय त के फदरे भें जो रुऩम होतचन्द नी को मभरत , उसे वो मॊू ही अऩने स थ फम्फई रे ज ने क इय द यित थ ?’
‘ह ॊ। इसीमरए तो वो ककसी क भमशामर फ्र इि से नहीॊ, कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के, फजकक मूॊ कहो कक अऩने, च िा डा
प्रेन से फम्फई ज ने व र थ ।’
‘कैसी टदक्कत!’
‘उसने नेऩ र भें कभ म । औय नेऩ र भें अऩन बफजनेस फेचकय ह मसर ककम । ऐस एक सयक यी सटिा कपकेि बी वो मह ॊ से
भुहैम कयने व र थ ।’
‘ओह!’
‘क्म ?’
‘टहन्दोस्त न औय नेऩ र के न गरयकों को मह ॊ से वह ॊ म वह ॊ से मह ॊ ट्रवर कयने के मरए कोई ऩ सऩोिा म फीस नहीॊ
च टहए होत औय नेऩ र औय टहन्दोस्त न के फीच की इजण्डमन एमयर इन्स म य मर नेऩ र एमयर इन्स की फ्र इर्टस को
डोभेजस्िक फ्र इर्टस क दज ा ह मसर होत है जजसकी वजह से इन फ्र इर्टस के टहन्दोस्त नी औय नेऩ री भुस कपयों की
कस्िभ वगैयह की वैसी चैककॊग नहीॊ होती जैसी औय इन्ियनेशनर फ्र इर्टस की औय भुककों के ऩ सऩोिा वीस वगैयह के
जरयमे सपय कयने व रे न गरयकों की होती है ।’
‘ओह!’
‘अफ फत ओ वो जव हय त…’
एक एक उठ िड़ हुआ।
‘अचय बी उठी। उसने उसकी तयप एक कदभ फढ म तो उसक उन्नत वऺ उसकी छ ती से छूने रग । ऩीछे ऩरॊग थ
जजसकी वजह से वह ऩीछे बी नहीॊ हि सकत थ ।
‘ऩहरे?’
‘तम्
ु ह यी फ फत ऩुमरस को कुछ न फत कय।’
‘भतरफ?’
उसने एक एक अऩनी फ ॊहें वववेक की गदा न के धगदा वऩयो दीॊ औय उसे जोय से अऩने स थ बीॊच । वववेक को अऩने तनफदन
भें आग रगती भहसूस हुई। उसे रग कक उस औयत की नीमत भें िोि हो सकती थी, जजस्भ भें कोई िोि नहीॊ थी।
फड़ी कटठन ई से स्वमॊ ऩय जब्त कयके उसने उसे अऩने से अरग ककम ।
‘कर’—वह तननक ह ॊपत हुआ फोर —‘इस फ ये भें हभ कपय फ त कयें गे। अफ तभ
ु ज ओ। प्रीज।’
‘नहीॊ। भैं वऩछव ड़े के एक ऐसे य स्ते से मह ॊ आमी थी जजधय य त के इस वक्त होिर क स्ि प नहीॊ होत ।’
उसने सहभनत भें मसय टहर म औय कपय जैसे प्रेत की तयह वह ॊ प्रकि हुई थी, वैसे ही वह ॊ से ववद हो गमी।
ग्म यह फजे वववेक ज र न सोकय उठ । उसने वेिय को फुर कय ब्ेकप स्ि क आडाय टदम औय फ थरूभ भें घुस गम । नह
धोकय जफ तक वह फ थरूभ से फ हय ननकर , तफ तक वेिय ब्ेकप स्ि रे आम । उसने फड़े इत्भीन न से ब्ेकप स्ि ककम ।
ब्ेकप स्ि से ननवत्ृ त होकय उसने अऩने कभये से फ हय के चभेरी के झ ड़ क भुआमन कयके तसदीक की कक उसके स थ
कोई छे ड़ि नी नहीॊ की गमी थी।
तबी िे रीग्र भ आकपस क एक कभाच यी वह ॊ ऩहुॊच । उसने वववेक के हस्त ऺय कय कय उसे एक केफर सौंऩी औय वह ॊ से
ववद हो गम ।
वववेक ने प भा को िोरकय सीध ककम तो ऩ म कक वह वऩछरे योज उसके द्व य नमी टदकरी टहन्दोस्त न ि इम्स के
सम्व द द त सुयेश कऩूय को बेजी गमी केफर क जव फ थ । मरि थ :
डकैती के मरए रोकऩ र मसॊह औय दे वेन्द्र िेभक न भक दो फदभ श जजम्भेद य थे (स्ि ऩ) रोकऩ र मसॊह ऩकड़ गम थ
रेककन पय य होने की कोमशश भें ऩुमरस के ह थों भ य गम थ (स्ि ऩ) उसके ऩ स से रूि क कोई भ र फय भद नहीॊ हुआ
थ (स्ि ऩ) उसकी स थी दे वेन्द्र िेभक अबी बी पय य है औय रूि क भ र अबी बी ग मफ है (स्ि ऩ) भ र भें से ऩच स
र ि के नोि ऩ ॊच-ऩ ॊच सौ रुऩमे के थे जो कक ट्रे स ककए ज सकते हैं (स्ि ऩ) उन नोिों की बफन ऩय ऩुमरस को दस
ू ये डकैत
के ह थ आ ज ने की फहुत उम्भीदें हैं (स्ि ऩ) वो जफ बी उन्हें िचा कयने की कोमशश कये ग , ऩकड़ ज मेग (स्ि ऩ) डकैती
भें तम्
ु ह यी क्म टदरचस्ऩी है , तयु न्त सधू चत कयो।
सुयेश कऩूय।
क्म द भोदय िेत न ही वो पय य डकैत दे वेन्द्र िेभक हो सकत थ । ऐसे रोग जफ न भ फदरते थे तो न भ के प्रथभ ऺय
अभूभन वही यिते थे औय न भ बी मभरत जुरत ही यिने की कोमशश कयते थे। मूॊ वे अऩने इनीमशमकस व री ककसी
अॊगूठी वगैयह को नतर ॊजमर दे ने की जहभत से फच सकते थे।
न भ के अर व ह र त बी उसके वो डकैत होने की चग
ु री कय यहे थे।
अफ अगय मे स्थ वऩत हो ज त कक होतचन्द नी को दे ने के मरमे जजस यकभ क प्रफन्ध द भोदय िेत न ने ककम थ , वो
ऩ ॊच ऩ ॊच सौ रुऩमे के नोिों भें थी तो मकीनी तौय ऩय मे कह ज सकत थ कक वही ब यत भें फैंक रूिने क अऩय धी
दे वेन्द्र िेभक थ ।
अफ उसक जव हय त ियीदने के मरए भय ज न बी सभझ भें आत थ । जो नोि उसके ऩ स थे उन्हें वह टहन्दोस्त न भें
चर ऩ ने क हौसर नहीॊ कय सकत थ । उसके ऐस कयते ही उसक ऩकड़ ज न र जभी थ । डकैती की फ की की दस
र ि की यकभ सेप थी। जरूय उसभें से एक भोिी यकभ की रयश्वत ऩ भेर सेन को दे कय उसने उन नोिों को नेऩ र
ऩहुॊच ने क इन्तज भ ककम थ जह ॊ कक टहन्दोस्त नी रुऩम चरत थ । एक फ य ितयन क नोिों से ऩीछ छुड़ कय, फदरे
भें जव हय त रेकय वह कहीॊ औय खिसक सकत थ औय उन्हें औने ऩौने भें कहीॊ कैश कय सकत थ । वववेक को नेऩ र भें
चरती कुछ सजन्दग्ध चरयत्र की ट्रै वर एजेजन्समों के एक यै केि की बी िफय थी। वे रोगों को टहन्दोस्त नी—नेऩ री नहीॊ—
ज री ऩ सऩोिा भह
ु ै म कय ते थे। कोई बी टहन्दोस्त नी बफन ऩ सऩोिा के ननववाघ्न नेऩ र आ सकत थ , वह ॊ से ककसी पजी
न भ क ज री ऩ सऩोिा भुहैम कय सकत थ औय कपय उसके सह ये ह ॊगक ॊग मसॊग ऩुय वगैयह कहीॊ बी ज सकत थ ।
नेऩ र छोि भुकक थ । ब यत जैसी ववजनें स की सुववध में वह ॊ उऩरब्ध नहीॊ थीॊ। इसमरए ज री ऩ सऩोिा के जरयमे जो
सपय टहन्दोस्त न भें ननह मत भुजश्कर थ , वो नेऩ र भें आस न हो सकत थ ।
जरूय द भोदय िेत न ऐसी ही ककसी कपय क भें थ । य मर नेऩ र एमयर इन्स क मसॊग ऩुय क टिकि वह भुहैम कय बी
चक
ु थ।
ज्मों ज्मों वववेक इस फ फत सोचत ज त थ , उसे मकीन होत ज त थ कक द भोदय िेत न ही टहन्दोस्त नी डकैत दे वेन्द्र
िेभक थ ।
रॊच ऩय हभेश की तयह उसकी श्वेत श ह से भुर क त हुई। उस योज बी वह उसे अऩने होिर के ड मननॊगरूभ भें रे ज ने
की जगह जड़
ू सड़क ऩय जस्थत ‘इजन्दय ’ न भक ब यतीम बोजन व रे ये स्िोयें ि भें रे आम जह ॊ कक उन्होंने ि भोशी भें रॊच
ककम ।
‘कर तभ
ु ने’—श्वेत फोरी—‘फहुत सी फ तों की फ फत—ि स मे चोयी गमे होतचन्द नी के जव हय त की फ फत—भेये स थ
ि रभिोर क यवैम अजख्तम य ककम थ । कर तम्
ु ह यी चर गमी थी क्मोंकक भुझे दफ्तय ऩहुॊचने भें दे य हो यही थी।’
‘आज नहीॊ हो यही। आज भैं अऩने एम्ऩर मय को कह कय आमी हूॊ कक भैं एक घण्ि रेि आऊॊगी।’
‘आई सी।’
‘आई सी।’
‘क्म फोर?
ॊू ’
‘नहीॊ, तभ
ु भत फत ओ’—वववेक क श्वय एक एक गम्बीय हो गम —‘भैं ही फत त हूॊ।’
‘भैं सन
ु यही हूॊ।’
वववेक ने धीये धीये उसे सफ कुछ कह सुन म । उसने उसे मे बी फत म कक कैसे ऩयसों य त वह दो फ य होतचन्द नी के फॊगरे
ऩय गम थ औय ऩहरी फ य र श दे िते ही वह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ ।’
‘रेककन तभ
ु व वऩस तो आ ही गमे थे।’—श्वेत फोरी।
‘व वऩस तो आ गम थ ।’—वववेक फोर —‘व वऩस आ ज ने की ही वजह से भेयी ऩहरे पेये की फ त छुऩी बी यह ज ती
अगय…’
‘अगय क्म ?’
‘उसने तम्
ु हें दे ि थ ?’
‘वो कहती तो है ।’
‘तम्
ु हें ककसी औय ने दे ि हो सकत है ।’
‘औय उसने अचय को फत म हो सकत है ?’
‘ह ॊ।’
‘ओह!’
‘आगे।’
कपय उसने श्वेत को जव हय त की कैक्िस व रे ड्रभ से फय भदी की औय उनसे सम्फजन्धत अचय की वऩछरी य त की अऩने
होिर के कभये भें आभद की कह नी सुन मी।
‘जरूय उसी ने होतचन्द नी क कत्र ककम है ।’—वह ि भोश हुआ तो श्वेत जोश से फोरी—‘उन जव हय त की ि नतय।
जरूय उसने कत्र कयने के फ द जव हय त चयु मे होंगे।’
‘उसे क्म प मद थ कत्र कयने भें?’—वह फोर —’उसे तो होतचन्द नी के जजन्द यहने भें प मद थ । आखिय वह उससे
श दी कयने व र थ ।’
‘तो कपय मूॊ हुआ होग कक वो जव हय त चयु ते यॊ गे ह थों ऩकड़ी गई होगी औय अऩनी कयतत
ू ऩय ऩद ा ड रने के मरए
भजफूयन उसे कत्र कयन ऩड़ होग । अचय की उस कयतत
ू के फ द बी होतचन्द नी उससे श दी थोड़े ही कयत !’
‘नहीॊ कयत रेककन जो चीज श दी के फ द वैसे ही अचय की हो ज ने व री थी, उसे उसको चयु ने की क्म जरूयत थी? जफ
ऩूय भ र ह थ आ ज ने की सम्ब वन में हों तो उसके एक छोिे से टहस्से ऩय नीमद फद कयने क क्म भतरफ?’
‘भेयी ट्रे जडी मे है कक न च हते हुए बी भैं इस केस भें गहय धॊसत चर ज यह हूॊ। अफ जजतनी दे य ऩुमरस असरी अऩय धी
को ऩकड़ने भें रग एगी, उतनी ही दे य भेये मरए मे सस्ऩैंस फन यहे ग कक भेय क्म होग ! ऩुमरस की ननग ह भें भैं बी भडाय
सस्ऩैक्ि हूॊ। जफ तक मे केस हर नहीॊ हो ज त मह ॊ की ऩुमरस भुझे क ठभ ॊडू से फ हय कदभ नहीॊ यिने दे गी। ऐसे तो भेयी
सोभव य की फ्र इि घऩरे भें ऩड़ ज मेगी। ऐसे तो भेयी नमी नौकयी घऩरे भें ऩड़ ज मेगी। औय तो औय तम्
ु ह यी भेयी श दी
घऩरे भें ऩड़ ज मेगी।’
‘तम्
ु हें अऩने एम्ऩर मय को कहन च टहमे कक वो तम्
ु हें औय ज मननॊग क ि इभ दें ।’
‘भैंने कह है । िे रीग्र भ बेजकय भोहरत भ ॊगी है भैंने। रेककन भेयी दयख्व स्त कफूर न हुई तो सफ कुछ घऩर हो ज एग ।’
‘ऩुमरस जकदी ही असरी हत्म ये को ऩकड़ रेगी। भेये दे श की ऩुमरस उतनी ननकम्भी नहीॊ जजतनी तभ
ु उसे सभझ यहे हो।’
‘इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व फहुत क बफर ऩुमरस अधधक यी है । इॊग्रैन्ड की ऩुमरस अक दभी क ऩढ हुआ है वो।’
‘तभ
ु उसे उस औयत को तो नहीॊ सौंऩ दोगे?’
‘तो?’
‘सौंऩूॊग तो भैं उन्हें ऩुमरस को ही रेककन अबी नहीॊ। अबी ऐस कयने ऩय ऩुमरस उरिे भेयी ही ऐसी तैसी कयने ऩय तर
ु
ज मेगी।’
‘क्मों बर ? तभ
ु ऩमु रस को सच सच फत सकते हो कक वे जव हय त अचय मोसववधचत ने तम्
ु ह ये होिर के कभये भें यिे
कैक्िस के गभरे भें छुऩ मे थे।’
‘वो ऐस ककम होने से स प भुकय ज एगी। ऊऩय से भेयी इस हयकत से न य ज होकय वो होतचन्द नी के फॊगरे भें रगे भेये
ऩहरे पेये की ऩोर िोर दे गी। ऐसे तो भैं ही हत्म य स बफत हो ज ऊॊग । वो जफ वह ॊ ऩहुॊची थी तो उसने होतचॊद नी को भय
ऩ म थ । उससे जय ही ऩहरे उसने भुझे भौक मेव यद त से फगूरे की तयह कूच कयते दे ि थ । इसक क्म भतरफ होग !
इसक भतरफ होग कक कत्र भैंने ककम ! ि स तौय से तफ जफ कक जव हय त बी भेये ऩ स हैं। नहीॊ, नहीॊ। भौजूद ह र त
भें जव हय त के स थ ऩुमरस के ऩ स ज न भैं अपोडा नहीॊ कय सकत ।’
‘एक तयीक औय बी हो सकत है ।’
‘क्म ?’
‘अये , क्म ?’
‘तभ
ु जव हय त की फ फत ऩमु रस को एक गभ
ु न भ िे रीपोन क र कय दो। ऐसी क र ऩमु रस व रों को आती ही यहती हैं।
कपय ऩमु रस िद
ु चभेरी के झ ड़ के नीचे से जव हय त फय भद कय रेगी। ऩछ
ू े ज ने ऩय तभ
ु फड़ी भ समू भमत से कह सकते हो
कक तम्
ु हें उनकी वह ॊ भौजूदगी की कतई कोई िफय नहीॊ थी।’
‘भुझे है । ऩुमरस सभझे न सभझे, अचय पौयन सभझ ज एगी कक वो गुभन भ पोन क र भैंने की थी। भेये मसव म औय कोई
वो क र कय ही नहीॊ सकत । भेये मसव म ककसी को भ रूभ ही नहीॊ कक जव हय त कह ॊ दफ्न हैं। एक फ य अचय को मह
भ रूभ होने की दे य है कक जव हय त उसकी ऩहुॊच से फ हय ननकर गमे हैं कपय भेयी ऩोर िोरने भें वो यत्ती बय बी ऩयहे ज
नहीॊ कये गी।’
‘क्म ?’
‘ओह!’
‘तभ
ु क्मों धचन्त कयती हो?’—वववेक फड़े प्म य से फोर ।
वववेक भुस्कय म ।
‘भैं तम्
ु हें कुछ न ही फत त तो अच्छ थ ।’—वह फोर —‘ि भि ह कपि रग गमी न तम्
ु हें बी।’
‘अफ तभ
ु कयोगे क्म ?’
‘तभ
ु फत ओ क्म करूॊ?’
‘भसरन क्म ?’
‘मही तो फ त है कपि व री। बगव न ऩशुऩनतन थ से प्र थान कयो कक ऐस कोई ह दस न हो।’
श्वेत को ववद कयने के फ द वववेक ने ऩहरे मरच्छवी ज्वेरसा से अऩनी ऩन्न जड़ी च ॊदी की अॊगठ
ू ी ह मसर की औय कपय
अऩने होिर व वऩस रौि ।
वह अऩने होिर के रयसैप्शन ऩय ऩहुॊच तो उसने की-फोडा ऩय से अऩने कभये की च फी ग मफ ऩ मी। रेककन उसभें
आन्दोमरत होने व री कोई फ त नहीॊ थी। होिर क स्ि प बी कभये की सप ई कयने के मरए म च दयें वगैयह फदरने के
मरए भेहभ न की गैयभौजद
ू गी भें मॊू उसके कभये की च फी की-फोडा से भह
ु ै म कय रेत थ । वह मॊू आश्वस्त थ इसमरए
उसने फड़े स्व ब ववक ढॊ ग से दयव ज ठे र कय अऩने कभये के बीतय कदभ यि औय वह ॊ कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन को
घुिनों के फर झुके उसके सूिकेस क त र िोरने की कोमशश कयते ऩ म ।
वववेक क ऩ य एकदभ चढ रेककन कपय फड़े मत्न के स थ उसने स्वमॊ ऩय जब्त ककम । एक तो वैसे ही कैप्िन उससे कभ
से कभ डेढ गुन ववश र थ औय उस ऩय झऩिने की किम भें वह िद
ु अऩने ह थ ऩ ॊव तड़
ु सकत थ , दस
ू ये जो हयकत वह
उस वक्त वह ॊ कय यह थ , ऐन वही कुछ िद
ु वह वैसे ही दभोदय िेत न के कभये भें कय चक
ु थ जजसकी वजह से कैप्िन
को िोकने क उसक भुॊह नहीॊ फनत थ ।
‘नहीॊ िर
ु यह ?’—वह धीये से फोर ।
कैप्िन ने धचहुॊक कय ऩीछे दे ि । वववेक को आम दे ि कय ऩहरे उसके चेहये की यॊ गत फदरी, कपय वह फड़ी फेशभी से हॊ स ।
‘नहीॊ िर
ु यह ।’—वो फोर ।
वववेक आगे फढ । तत्क र कैप्िन उठ कय अऩने ऩैयों ऩय िड़ हो गम औय आशॊककत स उसे दे िने रग । वववेक ने आगे
फढ कय सूिकेस उठ औय उसे ऊऩय ऩरॊग ऩय यि । उसने जेफ से च फी ननक र कय सूिकेस क त र िोर औय उसक
ढक्कन ऩये धकेर ।
‘जरूयत नहीॊ।’
‘फ की सफ जगह दे ि मरम ?’—वववेक सूिकेस क ढक्कन धगय कय उसे कपय से त र रग त हुआ फोर —‘भेज के दय जों
भें । व डायोफ भें । फ थरूभ भें । ि सतौय से कभोड के व िय िैंक भें । फहुत फटढम जगह होती है , वो छोिी भोिी चीज छुऩ ने के
मरए!’
‘नहीॊ दे ि ।’
‘दे ि रो।’
‘अफ क्म प मद !’
‘श मद हो।’
‘नहीॊ होग ।’
‘तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड बी कर य त मह ॊ आमी थी, मही सफ कुछ कयने।’
‘उसने मसपा गभर दे ि थ कक तभ
ु ज ग गए थे।’
‘ह ॊ।’
‘औय अफ तभ
ु िद
ु मह ॊ आए हो उसक कर क अधयू क भ ऩूय कयने।’
‘दरु
ु स्त!’
वववेक ि श यह । वह अऩरक उसे दे ित यह । कैप्िन ने उससे आॊि न मभर ई। उसने जेफ से अऩन मसगये ि क ऩैकेि
ननक र औय वववेक को मसगये ि आकपय ककम । वववेक ने मसगये ि न मरम । अरफत्त उसने िद
ु अऩन ऩैकेि ननक र औय
एक मसगये ि सुरग मरम । कैप्िन ने बी उसक अनुकयण ककम ।
‘तम्
ु ह यी गरा फ्रेंड ने ही मह ॊ बेज तम्
ु हें ?’—वववेक फोर ।
‘नहीॊ।’
‘तो?’
‘फ्री सववास।’
‘तम्
ु हें इस फ त क िौप नहीॊ कक भैं तम्
ु हें मह ॊ घुस आम चोय कय य दे कय ऩुमरस के हव रे कय सकत हूॊ।’
‘नहीॊ।’
‘वजह!’
‘ह ॊ।’
‘जव हय त व र मरप प ?’
‘ह ॊ।’
‘वो मह ॊ नहीॊ है ।’
‘भुझे तम्
ु ह यी फ त ऩय मकीन है । मह ॊ होत तो इतनी पय िटदरी से द में फ में जगह न सुझ यहे होते उसकी तर श के
मरए।’
‘सभझद य हो।’
‘तभ
ु से कभ?’
‘ह जजय जव फ बी।’
‘वो ि भोश यह ।’
‘सोपगो बी तम्
ु ह यी स पगोई की वजह से ही तभ
ु से एक सव र कय यह हूॊ।’
‘क्म ?’
‘कैसे ज न ?’
‘वो कहती है कक जजस आदभी ने उसे ऩीछे से दफोच थ , वो भैिर के ऩट्टे व री घड़ी ऩहनत थ क्मोंकक वो ऩट्ट उसे फहुत
जोय से चब
ु थ । तभ
ु वैसे ऩट्टे व री घड़ी ऩहनते हो। इस वक्त बी ऩहने हुए हो।’
‘फस।’
‘वो कहती है कक चोय ने जफ उसे ऩीछे से अऩनी तयप िीॊच थ तो उसक मसय चोय की छ ती से ज कय िकय म थ । इस
मरह ज से चोय एक िफ
ू रम्फ तगड़ आदभी होन च टहए। तभ
ु एक िफ
ू रम्फे तगड़े आदभी हो।’
‘भेय सव र मे है कक तभ
ु वो चोय थे म नहीॊ थे?’
‘भैंने उसे कोई नुक्स न नहीॊ ऩहुॊच म थ । उसक है ण्डफैग बी भैं उसके घय के फ हय ही पेंक गम थ ।’
‘म नी कक तम्
ु हीॊ वो चोय थे।’
‘वो सफ कुछ तभ
ु ने भछे न्द्रन थ य ण के आकपस की च फी ह मसर कयने के मरए ककम थ ?’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु य ण के आकपस भें से वो सीरफन्द मरप प ग मफ कयन च हते थे जजस ऩय तम्
ु ह य न भ मरि औय जजसभें तम्
ु हय
वो इकफ मरम फम न थ जो तम्
ु हें जेर मबजव सकत थ ।’
वववेक ने ि भोशी से मसगये ि क रम्फ कश रग म । कुछ ऐसी फ तें उसके जेहन भें घुभड़ यही थीॊ जजनके फ ये भें वो पैसर
नहीॊ कय ऩ यह थ कक वो जजनक जजि कैऩ ्िन से कये म नहीॊ। भसरन उसे मे फ त फहुत सम्ब ववत रग यही थी कक
कैप्िन ने अऩन न भ मरि सीरफन्द मरप प होतचन्द नी के कत्र के फ द ऩहरे उसकी भेज के दय ज भें तर श ककम
होग । मरप प वह ॊ से न ननकरने ऩय ही उसे होतचन्द नी के वकीर क आकपस ििोरन सूझ होग । म नी कक ऩयसों य त
कत्र के वक्त के दौय न वह बी घिन स्थर ऩय भौजूद थ । अगय ऐस थ तो जैसे शभशेय थ ऩ ने उसे दे ि थ वैसे ही
उसने कैप्िन को दे ि हो सकत थ । प्रत्मऺत् कैप्िन थ ऩ को ऩुमरस के स भने भुॊह प ड़ने क भौक नहीॊ दे न च हत थ
इसमरए उसने…
उसने मसगये ि क एक औय कश रग म ।
ऩुमरस की सूचन के अनुस य मरमो होिर भें उसके रयसैप्शन ऩय से ककसी ने—मकीनन िद
ु शभशेय थ ऩ ने नहीॊ—उसके
कभये की च फी उठ ई थी औय वह तफ ऊऩय थ ऩ के कभये भें गम थ जफ कक वववेक िद
ु नीचे भटदय रम भें थ ऩ की
प्रतीऺ भें फैठ , यभ चस
ु क यह थ । मूॊ थ ऩ के कभये भें ज ने व र शख्स कैप्िन हो सकत थ । वह उसी घड़ी फ घभती
नदी के ककन ये थ ऩ क कत्र कयके वह ॊ से रौि हो सकत थ ।
वह ॊ क्मों?
कौन सी चीज?
‘ककम कफूर। होतचन्द नी की भौत के फ द वो मरप प भेये ह थ रगन जरूयी थ । होतचन्द नी की जजन्दगी भें वो
मरप प भेये मरए उतन ितयन क नहीॊ थ जजतन कक उसकी भौत के फ द। होतचन्द नी वो मरप प भेये मसय ऩय तरव य
की तयह रिक मे यिन च हत थ । भैं उससे फ हय न ज त तो उसभें भौजद
ू भेये इकफ मरम फम न को वह हयधगज बी भेये
खिर प इस्तेभ र न कयत । इतनी भुझे ग यन्िी थी। रेककन उसकी भौत के फ द वह मरप प ककसी औय के ह थ ऩड़ ज त
तो मह भेये मरए फहुत फुय होत । भैं नहीॊ च हत थ कक उस मरप पे की वजह से भैं एक के चॊगुर से ननकर औय दस
ू ये के
चॊगुर भें ज पॊसत ! वो मरप प ककसी बी सूयत भें भेये ह थ रगन जरूयी थ । उसक य ण के ऩ स यहन तो भुझे बफककुर
बी भॊजूय नहीॊ थ । वो होतचन्द नी की एस्िे ि क एडमभननस्ट्रे िय फनने व र थ । तफ वो मरप प िोरने क बी उसे
अधधक य होत औय मू भेयी ह रत आसभ न से धगय कय िजयू भें ज अिकने जैसी हो ज ती। होतचन्द नी अऩनी ग ॊठ क
ऩक्क अऩने भतरफ क ऩूय थ । उसक कपय बी कोई कैये क्िय थ । य ण क तो भुझे कोई कैये क्िय रगत ही नहीॊ। अऩने
ननजी प मदे के मरए वो भेये उस इकफ मरम फम न क कैस बी कोई फेज प मद उठ सकत थ ।’
‘तम्
ु हें क्म भ रूभ?’
म नी कक तभ
ु ने उसे नष्ि कय टदम ?’
‘ह थ आते ही। पौयन। गोरी की तयह। भैंने तो उसक घय ऩहुॊचने तक क बी एतफ य नहीॊ ककम थ । क्म ऩत य स्ते भें वो
कपय ककसी करयश्भ ई तयीके से भेये ह थ से ननकर ज त ।’
‘कुछ नहीॊ। औय कुछ चयु ने की क्म जरूयत ऩड़ी थी भुझ।े भुझे तो मसपा वो मरप प …’
एक एक वह फोरत हुआ चऩ ु हो गम । वववेक ने नोि ककम कक वो उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यह थ । उसने घभ
ू कय उसकी
दृजष्ि क अनुसयण ककम तो ऩ म कक वह खिड़की से फ हय होिर के द ईं ओय के ब्र क की ओय दे ि यह थ । उस घडी
वह ॊ ऩहरी भॊजजर की एक फ ककनी भें ऩ भेर सेन िड़ी थी। उस घड़ी वह मशपोन की एक स ड़ी औय स्रीवरैस ब्र उज
ऩहने थी। उसके फ र िर
ु े थे औय वह ननह मत हसीन औय कभमसन रग यही थी।
‘मे बी कोई ऩूछने की फ त है!’—‘कैप्िन फोर —‘आॊिों ऩय मकीन नहीॊ आ यह । मे तो सोकिी क भ र है । किस्िर भें कैसे
ऩहुॊच गम ?’
‘ऩहच न ठीक है तभ
ु ने। सोकिी क ही भ र है । किस्िर भें द भोदय िेत न की वजह से ऩहुॊच है ।’
‘ह ॊ।’
‘फहुत िश
ु ककस्भत है ऩि !’
‘ज टहय है ।’
‘भेये ख्म र से’—वववेक एक ऺण टहचककच त हुआ फोर —‘मे कैश रेकय आमी है ।’
‘जजससे द भोदय िेत न जव हय त ियीदने व र थ । ऩच स र ि रुऩमे की यकभ कैस दे कय। भ रूभ होग तम्
ु हें !’
‘वो कैश मे र मी है ।’
‘भेय ख्म र है ।’
‘भेये ख्म र से नहीॊ थ । ऩूछे ज ने ऩय िेत न ने स प कह थ कक कैश उसके ऩ स अगरी सुफह आने व र थ । भुझे इस
फ फत उसकी जुफ न से ननकर एक-एक रफ्ज हूफहू म द है । उसने होतचन्द नी को कह थ —‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग
औय तभु जफ च होगे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच टदम ज एग ।’ मे रड़की अगरी सुफह ही मह ॊ ऩय ऩहुॊची थी। इसी से भुझे रगत है
कक मही कैश र मी है ।’
‘द भोदय िेत न के मे कहने क ‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग ’ भतरफ मे कैसे हो गम कक कैश मे रड़की र मी?’
‘क्मोंकक अगय उसके ऩ स कैश ऩहरे से उऩरब्ध होत तो वह मह क्मों कहत कक ‘कैश भेये ऩ स सवेये आमेग ?’ तफ वह
मह कहत कक ‘कैश भेये ऩ स जेफ भें नहीॊ है रेककन तभ
ु जफ च हो भैं उसे तम्
ु ह ये ऩ स ऩहुॊच सकत हूॊ।’ उसक मे कहन
कक ‘कैश भेये ऩ स सवेये आएग ।’ तो मही स बफत कयत है कक ऩयसों श भ सौद ऩक्क हो ज ने के वक्त तक कैश उसके
ऩ स उऩरब्ध नहीॊ थ । तबी तो फ त अगरे योज ऩय छोड़ी गमी। उसके ऩ स कैश उऩरब्ध होत तो वो उसी वक्त उसे रेकय
होतचन्द नी के ऩ स व वऩस रौित ।’
‘भेय अन्द ज है । कोई तो र म ही। अगरे योज जफ भुजे मही िेत न के कभये भें टदि ई दी जजसक कक नेऩ र भें तबी
आगभन हुआ थ तो भैंने मही नतीज ननक र कक कैश मही र मी थी।’
‘टहन्दस्
ु त न से नेऩ र भें मूॊ टहन्दोस्त नी कये न्सी र मी ज सकती है?’
‘बफककुर र मी ज सकती है । टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र भें नेऩ री रुऩमे की तयह ही चरत है ।’
‘म नी की मूॊ इतनी फड़ी यकभ नेऩ र भें र कय इस रड़की ने कोई गैयक नूनी क भ नहीॊ ककम ?’
‘ह र त से ज न । ह र त मही ज टहय कय यहे हैं। इसमरए सोकिी ज ने की जगह मे रड़की किस्िर भें ऩहुॊची।’
‘तभ
ु तो फहुत यहस्मभमी फ तें कय यहे हो।’
वववेक भुस्कय म ।
‘अगय च मस तम्
ु ह यी होती’—वववेक फोर —‘तो तभ
ु क्म रेन ऩसन्द कयते? होतचन्द नी के जव हय त? म टहन्दोस्त नी
कये न्सी भें उसकी नकद कीभत?’
‘जव हय त।’
‘क्मों?’
‘क्मोंकक गोकड की तयह प्रेशस स्िोंस बी एक तयह से इन्ियनेशनर कये न्सी होती है । उन्हें कीभत की थोड़ी फहुत घिफढ के
स थ कहीॊ बी रे ज कय कैश ककम ज सकत है । वो जव हय त भेये ह थ आ ज में तो भैं तो नेऩ र को हभेश के मरए
गुडफ ई कह कय यॊ गून कूच कय ज ऊॊ। भैं यॊ गून की च िा िा फ्र इि क इन्तज भ करूॊ, अऩने प्रेन ऩय यॊ गून ऩहुॊचूॊ औय कबी
रौि कय न आऊॊ।’
‘वो तो श मभर ही श मभर है ।’—वो फड़े यॊ गीन ब व से हॊ स —‘भेये ऩ स ऩच स र ि के जव हय त हों तो अचय के मरए बी
मभनी होतचन्द नी ही स बफत होऊॊग । वो सभझद य, दनु नम द य औयत है । िफ
ू ज नती है कक भेर ट्रे न छूि ज ए तो ऩैसेन्जय
से सपय कयने भें कोई हजा नहीॊ होत ।’
‘कब्जे भें न सही रेककन ज नते तो हो कक वो कह ॊ हैं। आखिय जह ॊ कहीॊ बी हैं वह ॊ तम्
ु हीॊ ने तो उन्हें ऩहुॊच म है ।’
‘वो तो है ।’
‘क्म भतरफ?’
‘तभ
ु भुझे गरत सभझ यहे हो। तभ
ु एक फहुत ही ितयन क ववरेन क ि क िीॊच यहे हो।’
वववेक आगे उसकी क य क जजि बी कयन च हत थ रेककन तत्क र उसने ि भोशी अजख्तम य कय री।
ऩयसों य त उसने एक िोमि क य होतचन्द नी के फॊगरे के कयीफ िड़ी दे िी थी। उस क य के नभ ्फय क जो एक टहस्स वह
दे ि ऩ म थ वह कैप्िन की क य क हो सकत थ जो कक िोमोि ही थी। ऩुमरस के भुत बफक शभशेय थ ऩ को फ घभती
नदी के सुनस न ककन ये तक क य भें फैठ कय रे ज म गम थ । कैप्िन ऐस आदभी थ जो एक कत्र कय चक
ु ने के फ द
अऩनी सर भती को ितये भें ऩ कय एक से ज्म द कत्र बी कय सकत थ । अगय वह ऩहरे होतचन्द नी की ओय कपय
शभशेय थ ऩ क कत्र कय चक
ु थ तो कपय अफ जरूयत ऩड़ने ऩय उसकी बी कत्र कय दे ने से उसे क्म गुयेज होत !’
‘वहभ है तम्
ु ह य । भैं इतन हौसर भन्द होत तो इतने स र मूॊ होतचन्द नी के अॊगूठे के नीचे न दफ यहत ।’
‘वो तभु इसमरए नहीॊ दफे हुए थे क्मोंकक होतचन्द नी क अॊगठू भजफत ू थ । वो तभ
ु अऩने इकफ मरम फम न की वजह से
दफे हुए थे। होतचन्द नी की जजन्दगी भें तम्
ु हें भ रभ
ू तक नहीॊ थ कक वह कह ॊ थ ।’
‘दस
ू य टठक न !’
‘ऩ गर हुए हो! उस मरप पे के मरए भैं मसपा य ण के आकपस भें गम थ । होतचन्द नी के फॊगरे के ऩ स तो भैं पिक बी
नहीॊ थ । उसके कत्र के फ द वह ॉ ज कय भैंने पॊसन थ ?’
‘ओहो! तो तभ
ु होतचन्द नी के कत्र क इरज भ भुझ ऩय थोऩन च हते हो।’
‘भैं कौन होत हूॊ ऐस कुछ कयने व र ! इस फ फत जो कुछ कये गी, मह ॊ की ऩुमरस कये गी।
‘रेककन तभ
ु सभझते तो हो कक क नतर भैं हूॊ।’
‘नहीॊ।’
‘रेककन…’
‘तभ
ु ऩ गर हो। अगय भेय इय द तम्
ु ह ये खिर प ऩुमरस के क न बयने क होत तो भैं तभ
ु से इतनी फ तें कय यह होत !’
वह सोचने रग ।
‘ऩत नहीॊ क्म हुआ औय क्म ननकर । रेककन एक फ त म द यिन , मभस्िय वववेक ज र न! उस्त दी भें कबी-कबी रेने
के दे ने बी ऩड़ ज ते हैं।’
रूप ग डान उस वक्त रगबग ि री थ इसमरए एक िे फर ऩय अकेरी फैठी ऩ भेर सेन ऩय उसकी ननग ह तत्क र ऩड़ी।
‘भझ
ु े ऩहच न ?’
‘सूयत ऩहच नी हुई रग यही है ।’—वह भ थे ऩय फर ड रकय उसे दे िती हुई फोरी—‘रेककन ध्म न भें नहीॊ आ यह कह ॊ
दे िी।’
‘म द दयो।’
‘जरूय भेयी ककसी फ्र इि भें तभ
ु ऩैसेंजय थे।’
‘नहीॊ।’
‘तो कपय…अये ह ॊ। म द आम । तभ
ु तो िेत न स हफ के दोस्त हो। सुफह तभ
ु उनके कभये भें भुझे मभरे थे।’
‘बफककुर दरु
ु स्त।’
‘फैठो।’
‘सुफह न भ क्म फत म थ तभ
ु ने अऩन ?’—वह फोरी।
‘हभेश के मरए?’
‘ह ॊ।’
‘आमे कैसे थे मह ?
ॊ ’
‘दोस्ती तो नहीॊ है । व ककपमत कह रो, जो कक एक ही होिर भें ठहये एक ही भुकक के दो ऩयदे मसमों भें अन म स हो ज ती
है ।
‘सुफह तो तभ
ु िद
ु को िेत न स हफ क दोस्त फत यहे थे!’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ। तभ
ु क्म वऩमोगे?’
‘तभ
ु क्म ऩी यही हो?’—ज नते फझ
ू ते वववेक ने सव र ककम ।
‘म नी की झ ॊग?’
‘ह ॊ।’
‘अफ आती है रेककन जफ ऩहरी फ य भुझे ऩत रग थ कक नेऩ र भें झ ॊग न भ की कोई ऩीने की चीज होती है तो ज नते
हो मे भुझे कैसी रगी थी?’
‘जैसे मे शैम्ऩू की जगह फ र धोने के क भ आने व री िट्टी रस्सी हो जजसे कक भोयी भें से फहते हुए इकि ककम गम हो।’
‘ह ॊ। तभ
ु वऩमोगे?’
उसने वेिय को फुर कय च म क आडाय टदम । ऩ भेर सेन ने अऩने मरए औय झ ॊग भॊग ई।
वववेक ने नोि ककम कक झ ॊग कोई िुन्न कय दे ने व र ऩेम ऩद था नहीॊ थ रेककन कपय बी वह अच्छी ि सी नशे भें भ रूभ
हो यही थी। उसने मे बी नोि ककम कक उस घड़ी वह वही मशपोन की स ड़ी औय स्रीवरैस ब्र उज ऩहने थी जजसभें उसने
औय कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन ने दोऩहय भें उसे उसके कभये की फ ककनी भें दे ि थ ।
‘भैंने कह तम्
ु हें रगती नहीॊ?’
‘तम्
ु हें रग यही है ?’
‘जो ऩोश क तभ
ु इस वक्त ऩहने हो, उसभें तम्
ु हें दे िकय तो मह ॊ फपा बी ऩड़ यही होती तो भुझे गभी रगती।’
‘वैर। थैंक्मू।’
‘क ठभ ण्डू तम्
ु ह यी फ्र इि कह ॊ से आती है ?’—च म ऩीते हुए वववेक ने ऩछ
ू ।
‘मे तम्
ु ह य यै गुरय रूि है ?’
‘ऩ ॊच-छ् भहीने से तो है ।’
‘एक स र हो गम है ।’
‘फस, हो गमी।’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु यहने व री करकत्ते की हो?’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु फहुत ज्म द सव र ऩूछ यहे हो। वजह?’
वववेक ि भोश यह ।
‘तभ
ु बरे आदभी भ रूभ होते हो। ऊऩय से भेये वतन के हो। भुझे बर क्मों एतय ज होग तम्
ु ह ये कोई सव र ऩूछने से।’
‘शकु िम ।’
‘तभ
ु क्म ऩूछ यहे थे?’
‘ि स कुछ नहीॊ ऩछ
ू यह थ ।’
‘कपय बी?’
‘नहीॊ।’
‘भ ॊ बी सववास कयती है ?’
‘नहीॊ.’
‘फहनें?’
‘म नी कक तम्
ु ह ये ऩरयव य भें तम्
ु ह य एक तयह से कत्त ा क योर है ।’
‘हैं तो सही।’
‘फय फय यहती है ।’
‘क्म भतरफ?’
‘ऊऩय से तम्
ु ह यी मसपा एक स र की नौकय ऩय गौय ककम ज ए तो तभ ु ने बी फहुत टदरेयी टदि ई। हव ई जह ज के क्मु की
तर शी तो नहीॊ होती रेककन कपय बी आमे टदन अिफ यों भें छऩत ही यहत है कक पर ॊ एमयर इन्स क ऩ मरेि हे योइन के
स थ ऩकड़ गम , पर ॊ एमयर इन्स क नेवीभेिय घडड़मों के स थ ऩकड़ गम , पर ॊ एमयर इन्स की होस्िे स सोने के
बफस्कुिों के स थ ऩकड़ी गमी।’
‘मभस्िय, तभ
ु क्म कह यहे हो, भेयी सभझ भें कुछ नहीॊ आ यह ।’
‘भैं तम्
ु ह यी हौसर भन्दी की त यीप कय यह थ । अरफत्त मे पैसर नहीॊ कय ऩ यह हूॊ कक तभ
ु िफ
ू सूयत ज्म द हो म
हौसर भन्द ज्म द हो।’
‘तभ
ु अबी बी वही जुफ न फोर यहे हो जो भेयी ऩकड़ भें नहीॊ आ यही।’
‘नहीॊ आ यह ।’
‘स प जुफ न फोर?
ूॊ ’
‘ह ॊ।’
‘जव फ बी स प दोगी?’
वह चौंकी।
‘अफ मे न कहन कक जो सि
ू केस िेत न ने तम्
ु हें सौंऩ थ ; तम्
ु हें भ रभ
ू ही नहीॊ थ कक उसभें ऩ ॉच-ऩ ॊच सौ के नोिों की सौ
गड्डडम ॊ थीॊ!’
‘तभ
ु कौन हो?’—वो घफय कय फोरी।
‘तभ
ु इतन कुछ कैसे ज नते हो जफकक तभ
ु कहते हो कक तभ
ु िेत न के जजगयी दोस्त बी नहीॊ हो!’
‘दो भें दो जोड़कय जव फ च य ननक र रेने के मरए िेत न क जजगयी दोस्त होन जरूयी नहीॊ।’
‘रेककन तम्
ु हें मे कैसे भ रूभ कक च य जव फ दो भें दो जोड़ कय आम है , एक भें तीन जोड़ कय नहीॊ?’
‘तसदीक तभ
ु जो कय दोगी। कय क्म दोगी, कय ही दी है तसदीक तभ
ु ने। तम्
ु ह यी घफय हि ही फत यही है कक जो भैं कह
यह हूॊ, वो गरत नहीॊ है । अरफत्त मे भुझे तम्
ु ह ये फत मे बफन नहीॊ भ रूभ हो सकत कक िेत न क क भ तभ
ु ने भुर हजे
भें ककम , धभकी भें ककम म कोई पीस रेकय ककम ।’
वह ि भोश यही।
‘नहीॊ। क्मों?’
‘कपय सभझ रो कक तम्
ु हें रुऩम ही मभर । छऩे हुए क गज नहीॊ।’
‘ज री नहीॊ, चोयी के। फैंक डकैती के। रेककन ि नतय जभ यिो, मसपा ऩ ॊच सौ व रे नोि ऩकड़े ज ने व रे हैं। सौ सौ के नोि
सेप हैं, सही हैं।’
‘तम्
ु हें कैसे भ रभ
ू है कक वो नोि फैंक डकैती के हैं?’
‘भेय अन्द ज है ।’
‘एक तो कोई डेढ भहीन ऩहरे टदकरी भें ऐसी एक फैंक डकैती ऩड़ी है जजसभें फ की भ र के स थ ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों की
सूयत भें ऩच स र ि के नोि बी थे।’
‘दस
ू यी फ त क्म है?’
‘दस
ू यी फ त मह है कक उसने नोिों को तम्
ु ह ये भ ध्मभ से चोयी से नेऩ र र ने क इन्तज भ ककम । नेऩ र भें इजन्डमन
कये न्सी चरती है । टहन्दोस्त नी न गरयक द्व य टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र र ने भें कोई ऩ फन्दी नहीॊ, मसपा कस्िभ ऩय उसे
डडक्रेमय कयन ऩड़त है । वो रुऩम डकैती क न होत तो द भोदय िेत न ही उसे शये आभ मह ॊ र सकत थ । तफ उसक
तम्
ु ह यी दो र ि की पीस बयन जरूयी न होत । रेककन रुऩम डकैती क थ , न मसपा डकैती क थ , ऐसे नोिों की सूयत भें
थ जो ट्रे स ककमे ज सकते थे। वो रुऩम िद
ु स थ र ने की कोमशश कयत तो करकत्ते भें ही ऩकड़ ज त । इसीमरए उसने
उसे मह ॊ ऩहुॊच ने के मरए तम्
ु हें प ॊस । अफ फोरो क्म कहती हो?’
वह कुछ ऺण ि भोश यही, कपय उसक मसय अऩने आऩ ही धीये धीये सहभनत भें टहरने रग ।
‘वो कैसे?’
‘ऩ ॊच र ि मभरते मभरते मभरत , दो र ि भुझे एडव ॊस मभर । ऊऩय से अगय भैं िेत न को बी न ऩकड़व ऩ ती तो ऩत
नहीॊ वो भेय म भेये ऩरयव य की क्म गत फन त । औय सौ फ तों की एक फ त मे कक ऩहरे भुझे नहीॊ भ रूभ थ कक वो रुऩम
चेयी क थ ।’
‘तम्
ु हें भ रूभ तो थ न कक सूिकेस भें क्म थ ?’
‘भ रूभ थ । वो नहीॊ फत न च हत थ रेककन असमरमत ज ने बफन भैं वो सूिकेस ढोने को तैम य नहीॊ थी।’
‘कुछ सभ जी जजम्भेद रयम ॊ ऐसी होती हैं जजनको बुगत ने भें इससे बी फड़े रयस्क रेने ऩड़ ज ते हैं। भेयी जरूयत छोिी थी,
भैंने इतन ही ककम । भेयी जरूयत फड़ी होती तो श मद भैं तम्
ु ह य सुझ म ऩ ॊच र ि रुऩमे के इन भ व र य स्त अऩन ती।
औय फड़ी होती तो श मद भैं वो सूिकेस ही उड़ रेने की कोई जुगत मबड़ ने क इय द कयती।’
‘िेत न के भ र की वजह से ही तभ
ु अऩने किमु के स थ सोकिी ज ने की जगह मह ॊ आमीॊ?’
‘ह !ॊ ’
‘क्मोंकक भैंने अऩने स धथमों को कह थ कक भैंने मह ॊ अऩनी ककसी सहे री के ऩ स टिकन थ औय मह कक भैं उन्हें फ्र इि
ऩय ही मभरूॊगी। अफ फीच भें सोकिी ज ने ऩय सव र होते कक सहे री क क्म हुआ?’
‘कर सुफह! कर सुफह तक इस फ्री फैग भें टिकन औय फ्रेंच व इन्स औय उम्द स्क च की जगह झ ॊग ऩीन भेयी भजफूयी
है …।’
एक एक वह ि भोश हो गमी।
वववेक ने नोि ककम कक वह उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यही थी। उसने तत्क र गदा न घुभ कय ऩीछे दे ि ।
उसके ऩीछे द भोदय िेत न िड़ थ औय अऩनी न क ऩय सद ववय जभ न क रे चश्भे भें से ऩ भेर को घूय यह थ ।
‘आज’—वववेक को ऩूयी तयह से नजयअन्द ज कयके वह ऩ भेर से सम्फोधधत हुआ—‘फहुत जकदी तपयीह शुयफ कय दी!’
‘फोय हो यही थी।’—ऩ भेर मॊू फोरी जैसी चोयी कयती ऩकड़ी गई हो।’
‘भ रूभ है ।’
‘नहीॊ भ रूभ! भ रूभ होत तो तम्
ु हें मे बी अहस स होत कक नश तम्
ु हें हो बी चक
ु है ।’
‘ऐस बी है तो तम्
ु हें क्म ?’
‘भुझे है ।’
‘क्म है ?’
‘िद
ु सोचो! कोई फ त कहीॊ’—उसने एक उड़ती ननग ह वववेक ऩय ड री—‘कहने व री होती है , कोई फ त कहीॊ कहने व री
नहीॊ होती।’
वववेक ने आगे कदभ फढ म तो उसने सीटढमों की तयप से अचय मोसववधचत को वह ॊ ऩहुॊचते ऩ म दोनों की ननग हें मभरीॊ।
तत्क र अचय के चेहये ऩय भस्
ु कय हि आमी। उसने इश ये से वववेक को अऩने ऩ स फर
ु म।
‘क्म ?’
‘एक तो कोई डेढ भहीन ऩहरे टदकरी भें ऐसी एक फैंक डकैती ऩड़ी है जजसभें फ की भ र के स थ ऩ ॊच ऩ ॊच सौ के नोिों की
सूयत भें ऩच स र ि के नोि बी थे।’
‘दस
ू यी फ त क्म है?’
‘दस
ू यी फ त मह है कक उसने नोिों को तम्
ु ह ये भ ध्मभ से चोयी से नेऩ र र ने क इन्तज भ ककम । नेऩ र भें इजन्डमन
कये न्सी चरती है । टहन्दोस्त नी न गरयक द्व य टहन्दोस्त नी रुऩम नेऩ र र ने भें कोई ऩ फन्दी नहीॊ, मसपा कस्िभ ऩय उसे
डडक्रेमय कयन ऩड़त है । वो रुऩम डकैती क न होत तो द भोदय िेत न ही उसे शये आभ मह ॊ र सकत थ । तफ उसक
तम्
ु ह यी दो र ि की पीस बयन जरूयी न होत । रेककन रुऩम डकैती क थ , न मसपा डकैती क थ , ऐसे नोिों की सूयत भें
थ जो ट्रे स ककमे ज सकते थे। वो रुऩम िद
ु स थ र ने की कोमशश कयत तो करकत्ते भें ही ऩकड़ ज त । इसीमरए उसने
उसे मह ॊ ऩहुॊच ने के मरए तम्
ु हें प ॊस । अफ फोरो क्म कहती हो?’
वह कुछ ऺण ि भोश यही, कपय उसक मसय अऩने आऩ ही धीये धीये सहभनत भें टहरने रग ।
‘वो कैसे?’
‘ऩ ॊच र ि मभरते मभरते मभरत , दो र ि भुझे एडव ॊस मभर । ऊऩय से अगय भैं िेत न को बी न ऩकड़व ऩ ती तो ऩत
नहीॊ वो भेय म भेये ऩरयव य की क्म गत फन त । औय सौ फ तों की एक फ त मे कक ऩहरे भुझे नहीॊ भ रूभ थ कक वो रुऩम
चेयी क थ ।’
‘ह ॊ।’
‘तम्
ु हें भ रूभ तो थ न कक सूिकेस भें क्म थ ?’
‘भ रूभ थ । वो नहीॊ फत न च हत थ रेककन असमरमत ज ने बफन भैं वो सूिकेस ढोने को तैम य नहीॊ थी।’
‘कुछ सभ जी जजम्भेद रयम ॊ ऐसी होती हैं जजनको बुगत ने भें इससे बी फड़े रयस्क रेने ऩड़ ज ते हैं। भेयी जरूयत छोिी थी,
भैंने इतन ही ककम । भेयी जरूयत फड़ी होती तो श मद भैं तम्
ु ह य सुझ म ऩ ॊच र ि रुऩमे के इन भ व र य स्त अऩन ती।
औय फड़ी होती तो श मद भैं वो सूिकेस ही उड़ रेने की कोई जुगत मबड़ ने क इय द कयती।’
‘िेत न के भ र की वजह से ही तभ
ु अऩने किमु के स थ सोकिी ज ने की जगह मह ॊ आमीॊ?’
‘ह !ॊ ’
‘क्मोंकक भैंने अऩने स धथमों को कह थ कक भैंने मह ॊ अऩनी ककसी सहे री के ऩ स टिकन थ औय मह कक भैं उन्हें फ्र इि
ऩय ही मभरूॊगी। अफ फीच भें सोकिी ज ने ऩय सव र होते कक सहे री क क्म हुआ?’
‘कर सुफह! कर सुफह तक इस फ्री फैग भें टिकन औय फ्रेंच व इन्स औय उम्द स्क च की जगह झ ॊग ऩीन भेयी भजफूयी
है …।’
एक एक वह ि भोश हो गमी।
वववेक ने नोि ककम कक वह उसकी ऩीठ ऩीछे कहीॊ दे ि यही थी। उसने तत्क र गदा न घुभ कय ऩीछे दे ि ।
उसके ऩीछे द भोदय िेत न िड़ थ औय अऩनी न क ऩय सद ववय जभ न क रे चश्भे भें से ऩ भेर को घूय यह थ ।
‘आज’—वववेक को ऩूयी तयह से नजयअन्द ज कयके वह ऩ भेर से सम्फोधधत हुआ—‘फहुत जकदी तपयीह शुयफ कय दी!’
‘फोय हो यही थी।’—ऩ भेर मूॊ फोरी जैसी चोयी कयती ऩकड़ी गई हो।’
‘भ रभ
ू है ।’
‘ऐस बी है तो तम्
ु हें क्म ?’
‘भुझे है ।’
‘क्म है ?’
‘िद
ु सोचो! कोई फ त कहीॊ’—उसने एक उड़ती ननग ह वववेक ऩय ड री—‘कहने व री होती है , कोई फ त कहीॊ कहने व री
नहीॊ होती।’
वववेक ने आगे कदभ फढ म तो उसने सीटढमों की तयप से अचय मोसववधचत को वह ॊ ऩहुॊचते ऩ म दोनों की ननग हें मभरीॊ।
तत्क र अचय के चेहये ऩय भस्
ु कय हि आमी। उसने इश ये से वववेक को अऩने ऩ स फर
ु म।
रम्फे डग बयत हुआ वववेक उसके कयीफ ऩहुॊच ।
‘भैं तभ
ु से कुछ फ त कयन च हती हूॊ।’—वो फोरी।
‘तो?’
‘ऐसी क्म फ त है ?’
‘भ रूभ हो ज एगी।’
वववेक ने रयसैप्शन से अऩने कभये की च फी भुहैम की। वह अचय को अऩने कभये भें रे आम ।
‘फैठो।’—वववेक फोर ।
‘भतरफ?’
‘वन ा क्म ?’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ। िद
ु भुझे धोि दे ने की नीमत फन कय तभ
ु भुझसे मे उम्भीद नहीॊ कय सकते कक भैं चऩ
ु फैठी यहूॊगी। भैं तम्
ु हें ऐस कपि
करूॊगी कक तभु म द कयोगे।’
‘तभ
ु तो’—वववेक तननक ववनोदऩूणा स्वय भें फोर —‘भुझे धभकी दे यही हो।’
‘भैं तम्
ु हें व ननिंग दे यही हूॊ, वैसे तभ
ु इसे धभकी बी सभझो तो भुझे कोई एतय ज नहीॊ।’
‘तभ
ु क्म कयोगी? स यी, वो तो तभ
ु ने फत म कक तभ
ु इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कयोगी? क्म कहोगी
उसे?’
‘मे सफ तभ
ु भुझे कर य त फत तो चक
ु ी हो।’
‘तम्
ु हें । इन्स्ऩेक्िय दे व को नहीॊ। अफ भैं उसे फत ऊॊगी कक फ रयश फन्द होने के फ द जफ भैं वह ॊ ऩहुॊची थी तो भैंने तम्ु हें
दौड़ते हुए होतचन्द नी के फॊगरे से फ हय ननकरते औय वह ॊ से कूच कयते दे ि थ । तम् ु हें मूॊ वह ॊ से पय य होते दे ि कय…’
‘…भेय भ थ ठनक थ । भुझे तबी ककसी अननष्ि की आशॊक होने रगी थी। भैं दौड़कय बीतय ऩहुॊची थी तो भैंने
होतचन्द नी को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ ऩ म थ । ऩहरे भैं मही सभझी थी कक वो भय चक
ु थ
रेककन कपय भैंने उसके एक ह थ भें हयकत दे िी थी। भैं दौड़कय उसके कयीफ ऩहुॊची थी औय घुिनों के फर उसके कयीफ फैठ
कय उसको न भ रेकय ऩुक यने रगी थी औय ऩूछने रगी थी कक क्म हुआ थ ! उसकी वो ह रत ककसने फन मी थी! भेयी
फ य फ य ऩक
ु य सन
ु ने ऩय उसभें तननक चेतन आमी थी। उसके होंठ पड़पड़ मे थे। भैं सभझ गमी थी कक वो कुछ कहने की
कोमशश कय यह थ । भैं औय आगे झुककय अऩन एक क न उसके पड़पड़ ते होंठों के कयीफ रे आमी थी। वो अऩनी आॊिें
नहीॊ िोर ऩ यह थ रेककन कुछ कहने क बीषण प्रमत्न कय यह थ । भैंने उससे कपय ऩूछ थ कक उसक वो ह र ककसने
ककम थ तो आखियक य फड़ी कटठन ई से वो कह ऩ म थ —‘ज र न ने…वववेक ज र न ने ककम थ ।’ कपय तबी उसके
प्र ण ऩिेरू उड़ गए थे।’
‘ह ॊ।’
रम्फे डग बयत हुआ वववेक उसके कयीफ ऩहुॊच ।
‘मह ॊ नहीॊ।’
‘तो?’
‘ऐसी क्म फ त है ?’
‘भ रूभ हो ज एगी।’
वववेक ने रयसैप्शन से अऩने कभये की च फी भुहैम की। वह अचय को अऩने कभये भें रे आम ।
‘फैठो।’—वववेक फोर ।
‘भतरफ?’
‘वन ा क्म ?’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ। िद
ु भुझे धोि दे ने की नीमत फन कय तभ
ु भुझसे मे उम्भीद नहीॊ कय सकते कक भैं चऩ
ु फैठी यहूॊगी। भैं तम्
ु हें ऐस कपि
करूॊगी कक तभु म द कयोगे।’
‘तभ
ु तो’—वववेक तननक ववनोदऩूणा स्वय भें फोर —‘भुझे धभकी दे यही हो।’
‘भैं तम्
ु हें व ननिंग दे यही हूॊ, वैसे तभ
ु इसे धभकी बी सभझो तो भझ
ु े कोई एतय ज नहीॊ।’
‘तभ
ु क्म कयोगी? स यी, वो तो तभ
ु ने फत म कक तभ
ु इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व से स प स प फ त कयोगी? क्म कहोगी
उसे?’
‘भैं उसे फत ऊॊगी कक ऩयसों य त भुझे होतचन्द नी ने पोन ककम थ औय कह थ कक वो भुझसे पौयन मभरन च हत थ …’
‘मे सफ तभ
ु भुझे कर य त फत तो चक
ु ी हो।’
‘तम्
ु हें । इन्स्ऩेक्िय दे व को नहीॊ। अफ भैं उसे फत ऊॊगी कक फ रयश फन्द होने के फ द जफ भैं वह ॊ ऩहुॊची थी तो भैंने तम्ु हें
दौड़ते हुए होतचन्द नी के फॊगरे से फ हय ननकरते औय वह ॊ से कूच कयते दे ि थ । तम् ु हें मूॊ वह ॊ से पय य होते दे ि कय…’
‘…भेय भ थ ठनक थ । भुझे तबी ककसी अननष्ि की आशॊक होने रगी थी। भैं दौड़कय बीतय ऩहुॊची थी तो भैंने
होतचन्द नी को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रढ
ु क ऩड़ ऩ म थ । ऩहरे भैं मही सभझी थी कक वो भय चक
ु थ
रेककन कपय भैंने उसके एक ह थ भें हयकत दे िी थी। भैं दौड़कय उसके कयीफ ऩहुॊची थी औय घुिनों के फर उसके कयीफ फैठ
कय उसको न भ रेकय ऩुक यने रगी थी औय ऩूछने रगी थी कक क्म हुआ थ ! उसकी वो ह रत ककसने फन मी थी! भेयी
फ य फ य ऩुक य सुनने ऩय उसभें तननक चेतन आमी थी। उसके होंठ पड़पड़ मे थे। भैं सभझ गमी थी कक वो कुछ कहने की
कोमशश कय यह थ । भैं औय आगे झुककय अऩन एक क न उसके पड़पड़ ते होंठों के कयीफ रे आमी थी। वो अऩनी आॊिें
नहीॊ िोर ऩ यह थ रेककन कुछ कहने क बीषण प्रमत्न कय यह थ । भैंने उससे कपय ऩछ
ू थ कक उसक वो ह र ककसने
ककम थ तो आखियक य फड़ी कटठन ई से वो कह ऩ म थ —‘ज र न ने…वववेक ज र न ने ककम थ ।’ कपय तबी उसके
प्र ण ऩिेरू उड़ गए थे।’
‘ह ॊ।’
‘कफ? कह ? ककसे?’
‘ओह! म नी कक तभ
ु ऐस कह होने से भुकय ज ओगी!’
‘ह ॊ मह सच है कक भेये वह ॊ ऩहुॊचने ऩय वो वह ॊ भय ऩड़ थ रेककन भैं मही कहूॊगी कक वो तफ जजन्द थ औय भेये स भने
अऩने हत्म ये क —म नी कक तम् ु ह य —न भ रेकय भय थ । मे फ त च हे भैंने गढी है रेककन मे सच बी हो सकती है । तभ
ु ने
सच ही होतचन्द नी क कत्र ककम हो सकत है । वन ा ऐन व यद त के वक्त तभ
ु वह ॊ भौजूद कैसे थे? तभ
ु वह ॊ से ब गे
क्मों? ब गे तो रौिकय क्मों आमे? इसीमरए न कक मे सभझ ज मे कक तम्
ु ह य दस
ू य पेय ही ऩहर पेय थ औय ऩहरे पेये
की तयप ककसी क ध्म न तक न ज मे। ऩहरी फ य तभ
ु भुझे न टदि ई दे गए होते तो तम्
ु ह यी मे फ त चर बी ज ती।
मभस्िय वववेक ज र न, मकीन ज नो जफ भैं पुर ड्र भेटिक्स के स थ अऩन मे दशान इन्स्ऩेक्िय दे व के स भने ऩेश करूॊगी
तो वो गोरी की तयह भेयी जुफ न से ननकरे एक एक अऺय ऩय मकीन कय रेग । क्म सभझे?’
उत्तय दे ने के स्थ न ऩय वह नवास ब व से एक मसगये ि सुरग ने रग । वो ज नत थ कक वो औयत गरत नहीॊ कह यही थी।
वो न मसपा अऩनी धभकी ऩय ियी उतय सकती थी फजकक सच भें ही ऩुमरस क ववश्व स जीत कय टदि सकती थी। वो एक
िफ
ू ि ई िेरी औयत थी, अऩनी बर ई से अहभ भसर जजसके स भने दस
ू य कोई नहीॊ थ । वो वक्त की यफ्त य के स थ
अऩने प मदे के भद्देनजय यि कय कैस बी रुि अजख्तम य कय सकती थी। होतचन्द नी की भौत के स थ तकदीय से ह य
भ न कय चऩ
ु च ऩ फैठ ज ने व री ककस्भ की औयत वो नहीॊ थी। उस वक्त उसक इकरौत रक्ष्म जव हय त ह मसर कयन
भ रूभ होत थ । औय अऩने इस रक्ष्म तक ऩहुॊचने के मरए वो ककसी को बी यौंदती हुई गुजय सकती थी। वववेक के खिर प
जो कह नी उसने गढी थी, एक तो उसी भें दभ थ दसू ये कह नी कहने की उसकी व्मजक्तगत क फमरमत उसभें च य च ॊद
रग दे ती। एकफ यगी तो इन्स्ऩेक्िय दे वी मकीनन उसक ववश्व स कय रेत । नतीजतन वह ॊ ऩयदे श भें वववेक कत्र के
इरज भ भें धगयफ्त य हो ज त तो कपय कोई करयश्भ ही उसे फच ऩ त ।
उसकी ननग ह स्वमॊभेव ही खिड़की से फ हय चभेरी के झ ड़ की तयप उठ गई। फड़ी कटठन ई से उसने उधय से गदा न कपय ई।
कपय एक एक उसे एक नमी फ त सूझी जजसकी रूह भें अऩन अगर कदभ ननध ारयत कयन उसके मरए आस न हो गम ।
‘कपय बर क्मों ज ऊॊगी भैं ऩुमरस के ऩ स?’—वह फोरी—भ ई डडमय ज र न, भेय मभशन जव हय त ह मसर कयन है न कक
फदर रेन ।’
‘हूॊ।’
‘एक फ य जव हय त ह मसर हो ज ने के फ द कपय भेय तभ
ु से क्म रेन दे न फ की यह ज एग ? तफ भेये स भने अहभतयीन
भसर मह होग कक एक फ य भ र ह थ भें आ ज ने के फ द वो कपय न ननकर ज मे भेये ह थ से। जव हय त भुझे सौंऩ चक
ु ने
के फ द हभ दोनों ही तबी ननजश्चन्त हो सकेंगे जफ कक तभ ु फ त को आई गई हुई भ न कय ि भोश फैठ ज ओगे। रेककन
अगय तभ ु जुफ न िोरेगे तो कपय भैं बी भुॊह प ड़ूग
ॊ ी। तम्
ु ह य ककसी को मे फत ने की कोमशश कयने ऩय कक जव हय त तभ
ु ने
भझ
ु े टदए हैं, भैं बी होतचन्द नी की ड ईंग डडक्रेमये शन व री स्िोयी के स थ ऩमु रस के ऩ स ज सकती हूॊ। क्म सभझे?’
‘वही जो तभ
ु ने सभझ म ।’
‘भेय जव फ वही है जो तभ
ु च हती हो।’
‘म नी कक तभ
ु जव हय त भझ
ु े सौंऩने को तैम य हो?’
‘ह ॊ।
‘अबी कह ॊ से ननक र?
ूॊ ’
‘क्म भतरफ?’
‘जव हय त भैंने वह ॊ फ हय’—उसने खिड़ककमों की तयप इश य ककम —‘फगीचे भें दपन मे हुए हैं। टदन दह ड़े भैं फगीचे की
जभीन िोदनी शुरू नहीॊ कय सकत ।’
वह सोचने रगी। जव हय त के वहीॊ फगीचे भें दफ्न होने के ख्म र से उसकी आॊिों भें जो चभक ऩैद हुई थी वो वववेक से
छुऩी नहीॊ यही थी। कपय उसने सहभनत भें मसय टहर म ।
‘तो कह ॊ?’
‘तम्
ु हें कोई पका ऩड़त है ?’
‘तो कपय?’
‘तभ
ु ने कबी सोच है कक जजससे तम्
ु ह यी जग
ु रफन्दी है वही हत्म य हो सकत है !’
‘तम्
ु ह य भतरफ है कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन ने होतचॊद नी क कत्र ककम हो सकत है ।’
‘होने को तो इस नश्वय सॊस य भें कुछ बी हो सकत है । रेककन भुझे मकीन नहीॊ कक कत्र कैप्िन ने ककम होग ।’
‘उसके ऩ स कत्र क उद्देश्म थ , भैं भ नती हूॊ रेककन हयकत उसकी ऐसी कोई नहीॊ है जो उसके क नतर होने की तयप
इश य कयती हो।’
‘ह ॊ।’
‘कफ?’
‘ओह!’
‘वो घिन स्थर ऩय भौजूद हुए बफन होतचन्द नी के क गज त कैसे िॊग र सकत थ ? वो वह ॊ गम थ । उसकी िोमि क य
भैंने िद
ु अऩनी आॊिों से वह ॊ फॊगरे के कयीफ एक ऩेड़ के ऩीछे छुऩी िड़ी दे िी थी। तम्
ु हें तो’—वववेक स वध न स्वय भें
फोरी—‘मे सफ भ रूभ होग ।’
गुड़।—वववेक भन ही भन फोर ।
‘क्म ?’
‘उसने बी भेयी तयह होतचन्द नी के फॊगरे भें दो पेये रगे हो सकते हैं।’
वह कुछ ऺण सोचती यही, कपय उसने र ऩयव ही से कन्धे झिक ए औय फोरी—‘अगय क नतर वो है तो बी भझ
ु े क्म । भैंने
क्म कैप्िन को अऩनी जजन्दगी क ऩि मरिकय टदम हुआ है ? मभस्िय, भौजूद ह र त भें उन जव हय त से ज्म द अहभ
चीज भेये मरए कोई नहीॊ। उनकी ि नतय भैं ककसी को बी धत फत सकती हूॊ।’
‘ह ॊ।’
‘अकेरे आन ।’
‘अकेरे आऊॊग ।’
औय जो ऩ ॊच घॊिे फ की थे, उनभें जव हय त िोदकय ननक रने के अर व बी अबी उसने कई क भ कयने थे।
श्वेत श ह उस योज की ि इऩशुद धचटिमों को उनके मरप पों भें ड रकय उनके डडस्ऩैच की तैम यी कय यही थी जफकक
इन्स्ऩेक्िय बत्रबुवन दे व ने बीतय कदभ यि ।
श्वेत ने मसय उठ म ।
‘ह ’ॊ —श्वेत फोरी—हैं।’
‘क्मों नहीॊ।’—श्वेत उठती हुई फोरी—‘जरूय। भैं अबी उन्हें िफय कयती हूॊ।’
वह फीच के दयव जे ऩय गई। उसने दयव ज िोरकय अऩने एम्ऩर मय भछे न्द्रन थ य ण के ननजी कऺ भें झ ॊक औय उसे
वहीॊ से इन्स्ऩेक्िय दे व के आगभन की सच
ू न दी।
इन्स्ऩेक्िय दे व आगे फढ । य ण ने उसे ऩहरे अऩने ननजी कऺ भें प्रववष्ि होने टदम औय कपय दयव ज फन्द कयत हुआ
आगे फढ ।
श्वेत ने दे ि उस फ य बी दयव ज ऩयू ी तयह चौिि से नहीॊ ज रग थ । दयव जे औय चौिि के फीच भें एक ऩतरी-सी
खझयी यह गई थी।
उसने दयव जे की तयप से ननग ह हि री औय फड़े ननववाक य ब व से कपय धचटिमों को भोड़ भोड़कय उनके मरप पों भें
ड रने रगी।
उसके क न िड़े हो गए। बीतय इन्स्ऩेक्िय ने म य ण ने वववेक क न भ मरम थ । अफ उसे उत्सुकत होने रगी कक वह
न भ ककस ववषम भें मरम गम थ ।
‘जव हय त की फ फत आऩसे सव र कयन जरूयी थ ।’—इन्स्ऩेक्िय दे व कह यह थ —‘वैसे भुझे ऩूय मकीन थ कक अगय
आऩको जव हय त की कोई िफय होगी तो आऩ वो िफय तत्क र ऩुमरस तक ऩहुॊच एॊगे।’
‘भझ
ु े िश
ु ी है कक आऩ अऩन पजा सभझते हैं। आखिय आऩ वकीर हैं।’
‘भुझे जव हय त की कोई िफय नहीॊ। कतई कोई िफय नहीॊ।’
‘ओह!’
‘आऩ जव हय त को फहुत अहमभमत दे यहे हैं। जरूय आऩ सभझते हैं कक वो जव हय त ही होतचन्द नी के कत्र के यहस्म ऩय
से ऩद ा उठ सकते हैं।’
‘भेय वो ही भतरफ थ ।’
‘वो जव हय त मकीनन स ये यहस्म की कॊु जी स बफत हो सकते हैं। होतचन्द नी के कत्र के सन्दबा भें जजस एक इकरौती
फ त क सफसे ज्म द चच ा है, वो उन जव हय त की चोयी ही है । जव हय त के अजस्तत्व की िफय फहुत रोगों को है , रेककन
अगय भयने व रे के औय उसके घय के नौकय के न भों ऩय ववच य न ककम ज ए तो फ की दो ही औय जने फचते हैं जजन्होंने
कक जव हय त को हकीकत भें दे ि ऩयि थ औय जजन्हें भ रूभ थ कक वे जव हय त एक सीरफन्द मरप पे भें होतचन्द नी
की िे फर की सेप भें भौजूद थे।’
‘होिर के कभये भें ऐसी कोई जगह नहीॊ होती जह ॊ कक कोई चीज छुऩ ई ज सके। कोई भूिा ही होग जो कक ऐसी कोमशश
कये ग ।’
‘ज टहय है कक वववेक ज र न ऐस भि
ू ा नहीॊ।’
‘हयधगज बी नहीॊ। वो फहुत होमशम य छोकय है । वो जव हय त को कभये भें छुऩ ने की फेवकूपी कयने व र शख्स नहीॊ।
जव हय त अगय उसके ऩ स होते तो मकीनन उसने उन्हें होिर के अऩने कभये से फ हय कहीॊ छुऩ म होत । मे फ त तो
आऩको बी सूझी होगी।’
‘क्म भतरफ?’
‘दे खिए न, जैस कक भुझे भ रूभ हुआ है , वो जव हय त शनीर की दो थैमरमों भें थे। औय वो दोनों थैमरम ॊ एक भजफूत
सीरफन्द मरप ऩे भें फन्द थीॊ।’
‘तो?’
‘अफ ऐसे मरप पे को अगय जभीन िोदकय कहीॊ दपन टदम ज ए तो बीतय भौजद
ू जव य त क क्म बफगड़ ज एग ?
किस्िर होिर भें कई जगह हैं जह ॊ कक वो मरप प फिफ
ू ी दपन म ज सकत है । वह ॊ ग्र उण्ड फ्रोय के तो तकयीफन
कभयों की खिड़ककम ॊ छोिे भोिे फगीचों भें िर
ु ती हैं। कपय वह ॊ ऩेड़े ऩौधों औय झ डड़मों की बी कभी नहीॊ।’
श्वेत के छक्के छूि गए। उसके एम्ऩर मय ने जव हय त की कब् की सही जगह इन्स्ऩेक्िय को सुझ ने भें कोई कसय नहीॊ
छोड़ी थी। उसे तो मे बी शक हुय् कक य ण को असर भें ही भ रूभ थ कक जव हय त कह ॊ दफ्न थे औय अफ वो इश यों भें
इन्स्ऩेक्िय को उसकी ज नक यी दे यह थ । वह बगव न ऩशऩ ु नतन थ से प्र थान कयने रगी कक इन्स्ऩेक्िय उसकी फ तों को
गम्बीयत से न रे।
रेककन ऐस न हुआ।
‘भेये अऩने जेहन भें बी ऐस कुछ थ ।’—उसे इन्स्ऩेक्िय दे व कहत सुन ई टदम —‘सच ऩूनछमए तो भैं भहकभे भें च य ऩ ॊच
आदमभमों की एक िीभ तैम य कयने की सोच यह थ जोकक फहुत ि भोशी से, फहुत कीयीकी से होिर किस्िर के र ॊस
वगैयह को—ि स तौय से वववेक ज र न के कभये की खिड़ककमों के फ हय के फगीचों की ओय खिड़ककमों के नीचे उगी
झ डड़मों वगैयह को—ििोरे। ऐसी ही ऩड़त र भैं द भोदय िेत न के कभये के फ हय के इर के की कय न च हत हूॊ। अगय
आज य त तक तव हय त न फय भद हुए तो…’
तबी बीतय से एक कुसी ऩीछे सयक ए ज ने की आव ज हुई। श मद इन्स्ऩेक्िय वह ॊ से रुख्सत होने के मरए उठ िड़ हुआ
थ।
श्वेत दयव जे के ऩ स से हिी औय रऩककय व वऩस अऩनी सीि ऩय ऩहुॊच गई। आनन-प नन उसने मरप पों ऩय टिकिें
रग ने क अऩन अधयू छोड़ क भ कपय कयन शरू ु कय टदम ।
फीच क दयव ज िर
ु ।
श्वेत ने मसय न उठ म ।
कपय फ हयव र दयव ज िर ु कय फन्द हुआ रेककन श्वेत ने तफ बी मसय न उठ म । रेककन मसय उठ मे बफन बी वह
ज नती थी कक इन्स्ऩेक्िय दे व वह ॊ से ववद हो चक
ु थ औय उसे ववद कयने के मरए फीच के दयव जे तक आम उसक
एम्ऩर मय बी व वऩस अऩने कऺ भें ज चक
ु थ।
श्वेत उस घड़ी ऊऩय से श न्त टदि ई दे यही थी रेककन बीतय से फहुत आन्दोमरत थी। उस घड़ी उसे वववेक औय उसके
होिर के कभये की खिड़की के अर व कुछ नहीॊ सूझ यह थ । ऩुमरस ने अगरी सुफह मकीनी तौय ऩय वह ॊ से जव हय त
फय भद कय रेने थे। कपय वववेक जव फदे ही होती कक जव हय त ऐन उसी की खिड़की के नीचे कैसे दपन थे औय उसके फ द
ऩमु रस क अगर कदभ उसकी धगयफ्त यी होत । उस जस्थनत से फच व क एक ही तयीक थ कक अगरी सफ
ु ह जफ ऩमु रस
की सचा ऩ िी चभेरी के झ ड़ भें ह थ ड रे तो जव हय त व र मरप प वह ॊ न हो।
बम औय उत्कण्ठ के उस भूड भें उसकी अन्तप्रेयण ने उसे सुझ म कक उसे क्म कयन च टहमे थ ।
वववेक के मरए उसके रृदम भें रहय ते प्म य के अथ ह स गय ने उसे प्रेरयत ककम कक क्मों न जव हय त को उनके गुप्त
स्थ न से िोद ननक रने क क भ वह कये । उस क भ को वह फिफ
ू ी कय सकती थी। आखिय उसे भ रभ
ू थ कक जव हय त
क मरप प ऐन कौन सी जगह दफ्न थ ।
मह ॊ अफ उसके स भने एक दस
ू य सव र भुॊह फ मे आन िड़ हुआ।
जव हय त चभेरी के झ ड़ से िोद ननक रने के फ द…उसके फ द वह क्म कये गी उनक ? उन्हें अऩने ऩ स यिे यहन
ितयन क स बफत हो सकत थ औय ऐस कोई बयोसे क न भ उसे सूझ नहीॊ यह थ जजसे कक वो जव हय त फतौय अभ नत
यिने को कह ऩ ती। मह बी सम्बव नहीॊ थ कक वह जव हय त के स थ ऩमु रस स्िे शन ज ती औय कहती कक वो उसने कहीॊ
ऩड़े ऩ मे थे।
वो सोचने रगी।
नतीजतन उसे जो तयकीफ सूझी वो िद ु उसे फहुत चभत्कृत कय दे ने व री रगी औय उसने भहसूस ककम कक उस तयकीफ
से ककसी को कोई नक
ु स न बी ऩहुॊचने व र नहीॊ थ ।
मसव म िद
ु उसको।
वह फड़े ननण ामक ब व से उठ कय िड़ी हुई औय दृढत से चरती हुई अऩने एम्ऩर मय के आकपस भें ऩहुॊची।
‘भैं आऩ से एक मभनि फ त कयन च हती थी।’—वह अऩने स्वय को बयसक सन्तमु रत यिती हुई नेऩ री भें फोरी।
‘जी ह ॊ।’
‘फैठो।’
‘शकु िम ।’
‘भैं आऩके क्र मन्ि के चोयी चरे गमे हुए जव हय त के फ ये भें आऩसे एक सव र कयन च हती थी।’
‘होतचन्द नी के जव हय त के फ ये भें?’
‘जी ह ॊ।’
‘तो तभ
ु सभझती हो कक वो जव हय त भेये ह थ रग सकते हैं?’
‘भुझे नहीॊ ऩत ।’
‘य ण स हफ, भैंने कह थ कक अगय…अगय वो जव हय त आऩके ह थ रग ज में तो क्म आऩ उन्हें ऩमु रस को सौंऩ दें गे?’
‘तभ
ु तो भुझे उरझन भें ड र यही हो। जय फ त को ठीक से सभझ ओ।’
‘भैं कोमशश कयती हूॊ। पजा कीजजमे वो चोय, जजसे ऩ स कक जव हय त हैं, एक एक बमबीत होने रगत है कक जव हय त के
उसके कब्जे भें होने की ऩुमरस को िफय रग ज मेगी।’
‘बम की अऩनी उस ह रत भें उसकी मे ख्व टहश हो सकती है कक ऩुमरस के चॊगुर भें पॊसने से ऩहरे वो जव हय त से अऩन
ऩीछ छुड़ रे!’
‘हो सकती है ।’
‘रेककन ऩीछ छुड़ मेग कैसे वो? इतने कीभती भ र को मॊू ही सड़क ऩय तो पेंक नहीॊ दे ग वो? जरूय उसकी मे कोमशश
होगी कक वो उन्हें ककसी ऐसी जगह छोड़े जह ॊ से कक वो ककसी सही आदभी के ह थ रग सकें।’
‘कहीॊ तभ
ु ’—कपय वह फोर —‘घुभ कपय कय मे कहने की कोमशश तो नहीॊ कय यही हो कक जव हय त तम्
ु ह ये ऩ स हैं।’
‘नहीॊ, नहीॊ।’—श्वेत तत्क र फोरी—‘ऐस बर कैसे हो सकत है । जव हय त के भेये ऩ स होने क क्म भतरफ?’
‘तम्
ु हें मे भ रभ
ू बी नहीॊ कक जव हय त ककस के ऩ स हैं?’
‘नहीॊ।’
‘म कह ॊ हैं?’
‘न।’
‘तम्
ु ह ये जेहन भें ऐस कोई ि स जगह है जह ॊ से कक वे जव हय त भेये ह थ रग सकते हैं?’
‘ऐसी कोई ि स जगह तो भेये जेहन भें नहीॊ है रेककन पजा कीजजमे कक…’
‘भुन मसफ क भ तो मही होग ।’—य ण सोचत हुआ फोर —‘रेककन इसभें एक बेद है ।’
‘क्म ?’
‘भैं ऩुमरस को कैसे मकीन टदर ऩ ऊॊग कक जव हय त भुझे म,ूॊ इतने करयश्भ स ज तयीके से, मह ॊ भेयी आकपस िे फर ऩय
ऩड़े मभरे थे! भेये कह दे ने बय से ही ऩुमरस को भेयी फ त ऩय मकीन थोड़े ही हो ज मेग । इस फ फत सौ सव र ऩूछे ज मेंगे
भेये से। सफ से अहभ सव र तो मे ही होग कक जव हय त को मह ॊ छोड़ ज ने की नीमत से कोई भेये फन्द हो चक
ु े आकपस भें
घुस कैसे ऩ म ? तफ भुझे ऩुमरस को मे बी तो फत न होग कक एक दस
ू ये चोय की वऩछरी फ य की मह ॊ आभद के फ द से भैं
मह ॊ क त र फदरव चक ु हूॊ औय नमे त रे की केवर दो ही च बफम ॊ उऩरब्ध हैं जजन भें से एक तम्
ु ह ये ऩ स है औय दस
ू यी
भेये ऩ स है । तभ
ु क्म च होगी कक ऩुमरस मे सभझे कक वो जव य त मह ॊ तभु ने छोड़े?’
‘नहीॊ, नहीॊ।’
‘तो?’
‘क्म ?’
‘कक आऩ आकपस भें क पी य त गमे तक अकेरे क भ कय यहे थे कक ककसी ने आकपस भें प्रवेश द्व य ऩय दस्तक दी थी।
भेयी मह ॊ गैयभौजूदगी भें दयव जे ऩय ऩड़ी दस्तक के जव फ भें उठ कय दयव जे ऩय आऩ ही तो ऩहुॊचेंगे।’
‘ज टहय है ।’
‘आऩ ज कय दयव ज िोरते हैं तो ऩ ते हैं कक दयव ज िििि ने व र तो वह ॊ से कूच कय चक
ु थ रेककन वो दयव जे की
चौिि ऩय जव हय त व र मरप प छोड़ गम हुआ थ ।’
‘कय तो सकती है । ऐस हो बी सकत है । आखिय उन जव हय त क असरी भ मरक भेय क्र मन्ि थ औय भैं उसकी एस्िे ि
क एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त ककम ज ने व र हूॊ। जव हय त भेये क्र मन्ि की एस्िे ि क टहस्स थे। कोई फड़ी फ त नहीॊ चोयी
के भ र की अऩने ऩ स भौजूदगी भें ब यी ितय भहसूस कयके ककसी ने उसे हत्प्र ण की एस्िे ि के एडमभननस्ट्रे िय के ऩ स
ऩहुॊच ने की कोमशश की।’
‘सफ कुछ पजा ही ककम ज न है म जव हय त के मूॊ भेये ऩ स ऩहुॊचने की सच भें कोई सम्ब वन है ?’
‘अगय चोय को मकीन होग कक मॊू वो ऩकड़ नहीॊ ज मेग तो वो जव हय त को मॊू आऩ तक ऩहुॊच ने की कोमशश कय सकत
है ।’
‘श्वेत ’—वह फोर —‘आज से ऩहरे तो कबी इतन कुछ पजा नहीॊ कय म तभ
ु ने भुझ!े ’
‘आऩ िद
ु सभझद य हैं।’
‘अच्छ हुआ’—वह फोर —‘कक इतनी अहभ फ तें इतने गोऩनीम ढॊ ग से पजा कयने क तभ
ु ने भुझे भौक टदम । औय…घय
ज ती व य धचटिम ॊ ऩोस्ि कयती ज न ।’
‘मस, सय।’
य ण क अमबव दन कयके वो व वऩस अऩनी सीि ऩय ऩहुॊची। उसने वह ॊ बफिये प रतू क गज त भेज की दय ज के हव रे
ककए औय आकपस की धचटिम ॊ अऩने है ण्डफैग भें ड रीॊ। कपय ि मरेि भें ज कय उसने अऩने फ र सॊव ये औय चेहये ऩय हकक
स भेकअऩ रग म ।
ि मरेि के ऩहरू भें ि मरेि औय य ण के ननजी कऺ के दयव जे के फीच एक छोि स अरभ यीनुभ स्िोय थ जजसभें
आकपस स्िे शनयी औय वह ॊ इस्तेभ र होने व र औय छोि भोि स भ न यि ज त थ । उसी भें रगी एक िि
ॊू ी ऩय श्वेत
अऩन कोि ि ॊगती थी।
वह ॊ से कोि उत यते वक्त एक ख्म र बफजरी की तयह उसके जेहन भें कौंध ।
य ण के मरए उस स्िोय क कोई व्मजक्तगत इस्तेभ र नहीॊ थ । श्वेत ने कबी बी उसे उसक दयव ज िोरते नहीॊ दे ि
थ।
उसने आकपस क प्रवेशद्व य िोर औय चौिि र ॊघे बफन एक जोयद य आव ज के स थ उसे व वऩस फन्द कय टदम । वह
दफे ऩ ॊव स्िोय के दयव जे के ऩ स व वऩस रौिी। दयव ज तफ िर
ु थ । वह स्िोय के बीतय द खिर हो गमी। उसने नन्शब्द
दयव ज फन्द ककम ।
जो कुछ उसने ककम थ , ककसी अऻ त ब वन से प्रेरयत होकय ककम थ औय अफ अऩनी उस हयकत क कोई गरत अॊज भ
स भने आने की दहशत भें उसके टदर ने ध ड़ ध ड़ उसकी ऩसमरमों के स थ िकय न शुरू बी कय टदम थ ।
अऩने एम्ऩर मय के प्रनत उसके भन भें सन्दे ह क फीज योऩण वववेक की फ तों से ही हुआ थ । उसी ने सुझ म थ कक श मद
य ण उतन दध ू क धर ु आदभी नहीॊ थ जजतन कक वह उसे सभझती थी। व स्तव भें ‘वो पजा कयो पजा कयो’ व री ब ष
बी य ण के सन्दबा भें उसने वववेक से ही सीिी थी, उसीने उसे मे पजा कयव म थ कक य ण ने होतचन्द नी की एस्िे ि भें
कोई घोि र ककम हो सकत थ औय उस घोि रे को छुऩ ने के मरए ही उसने होतचन्द नी के कत्र जैस ितयन क कदभ
उठ म हो सकत थ । स यी फ तें उसने वववेक के कहने ऩय बरे ही पजा की थीॊ रेककन एक फ त क अफ उसे मकीन थ ।
अऩने इसी उद्देश्म की ऩनू ता के हे तु श्वेत उस वक्त उस अन्धेये स्िोय भें फन्द थी।
कुछ ऺण फ द उसने टहम्भत कयके दयव जे को स वध नी से धक्क टदम औय कोई एक इन्च की खझयी ऩैद कय री। खझयी
भें से त ज हव क झोंक बीतय द खिर हुआ तो उसे कुछ य हत भहसूस हुई। य हत भहसूस हुई तो उसके ज्म द से ज्म द
दे य वहीॊ टिके यहने के इय दे कपय से फर
ु न्द होने रगे।
तबी एक एक उसको य ण की आव ज सुन मी दी। आव ज मूॊ एक एक हुई कक वह धचहुॊक गमी। फड़ी कटठन ई से उसने स्वमॊ
ऩय क फू ऩ म औय क न रग कय सुनने रगीॊ। तत्क र उसने अनुबव ककम कक य ण पोन ऩय ककसी से फ त कय यह थ ।
उसने अऩन एक क न दयव जे भें ऩैद हुई खझयी के एकदभ स थ रग टदम ।
सन्न ि छ गम ।
‘भ नक!’—–एक एक उसे य ण की आव ज कपय सुन मी दी—‘भैं य ण फोर यह हूॊ। वो क्म है कक तम् ु ह ये डैडी के गुभशुद
जव हय त के फ ये भें एक फड़ी भजेद य फ त स भने आमी है ।…मे िे रीपोन ऩय कयने व री फ त नहीॊ। भेय कह भ नो तो
पौयन मह ॊ चरे आओ।…भेये आकपस भें । भैं महीॊ फैठ हूॊ। हो सके तो अऩने जीज को स थ रेकय आन ।…बई, आखिय वो
तम्
ु ह यी सगी फहन क ऩनत है । इस मरह ज से तभ ु दोनों के इन्ट्रे स्ि एक नहीॊ होने च टहए?…ठीक है । दस मभनि भें ऩहुॊच
ज ओगे?…ठीक है । भैं इन्तज य करूॊग ।’
अफ य ण ऩय उसे ऩयू शक होने रग थ । जव हय त के सन्दबा भें उसक मॊू भ नक होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी को
फुर न ज टहय कयत थ कक जव हय त ह मसर हो ज ने ऩय उनकी िफय ऩुमरस को दे ने क उसक कोई इय द नहीॊ थ ।
वह प्रतीऺ कयती यही।
फ हयी दयव ज िर
ु ने की आव ज हुई।
उसके दे िते दे िते आगे ऩीछे चरते हुए स र जीज उसके स भने से गज
ु ये औय य ण के ननजी कऺ भें द खिर हो गए।
‘भुझे बी वो मही कह के गम थ ।’
‘हभ से वो’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘मे बी ऩूछ यह थ कक हभ यी च मस क्म होगी! जव हय त म नकद रुऩम ।’
‘क्म च मस फत ई तभ
ु ने?’
‘ऐसी कोई च मस’—य ण फोर —‘एडव ॊस भें ववच य रेने क कोई भतरफ नहीॊ है । च मस तो उसकी होगी जजसक कक
जव हय त ऩय भ मरक न हक होग ।’
‘दरु
ु स्त। रेककन हक स्थ वऩत कयन ऩड़त है ।’
‘भतरफ?’
‘वो जव हय त चोयी ज चक
ु े हैं। उनकी फय भदी ऩय फय भद कयने व रे क पजा मे फनत है कक वो उन्हें उधचत ह थों भें
ऩहुॊच मे।’
‘नहीॊ हैं। वो उधचत ह थ ऩुमरस के हैं। म अगय भैं कोिा द्व य अऩने क्र मन्ि की एस्िे ि क एडमभननस्ट्रे िय ननमुक्त कय
टदम ज ऊॊ—जो कक भुझे उम्भीद है कक भैं कय टदम ज ऊॊग —तो वो उधचत ह थ भेये बी हो सकते हैं। रेककन क्मोंकक अबी
भेयी ऐसी कोई अप्व मॊिभें ि नहीॊ हुई है , इसमरए अबी उन जव हय त की फ फत भेय कोई क नूनी अजख्तम य नहीॊ फनत ।’
‘वकीर स हफ।’—भ नक होतचन्द नी तननक उिड़े स्वय भें फोर —‘भुझे नहीॊ रगत कक अऩने क नूनी अजख्तम य म
उनक न होन सभझ ने के मरए आऩने हभें मह ॊ फुर म है ।’
‘कयै क्ि।’
‘क्म ?’
‘एक ऐसी सम्ब वन स भने आमी है जजसके अन्तगात आज ककसी वक्त वो जव हय त भेये आकपस के दयव जे की चौिि
ऩय प्रकि हो सकते हैं।’
‘भ नक ठीक कह यह है ।—मोगेश कृऩर नी फोर —‘ऩच स र ि रुऩमे क भ र कोई मूॊ आऩ के दयव जे ऩय छोड़ ज एग ;
मे भज क की ही फ त है ।’ कोई…’
‘सुनो सुनो।’—य ण फोर —‘भेय ख्म र है कक जजस ककसी के ऩ स जव हय त इस वक्त हैं, वो डय गम है । अफ उसे
जव हय त अऩने ऩ स यिे यहने से दहशत हो गई है । उसे दहशत हो गई है कक भौजूद ह रत भें जव हय त की उसके ऩ स
फय भदी उसे कत्र के इरज भ भें धगयफ्त य कय सकती है । इसीमरए वो उन जव हय त से ऩीछ छुड़ न च हत है ।’
‘ह ॊ।’
‘मह ॊ क्मों?’
‘वजह क क्म भहत्व है ! वजह कुछ बी हो। भतरफ आभ ि ने से होन च टहए न कक ऩेड़ धगनने से।’
‘हूॊ। आगे।’
‘क्म होग ?’
‘क्मोंकक वे जव हय त स्भगमरॊग औय गैयक नूनी भ इननॊग क नतीज थे इसमरमे ऩहरे तो मही फहुत ज्म द सम्ब वन है
कक सयक य उन्हें जब्त कय रेगी। ऐस नहीॊ बी होग तो िै क्स औय ड्मूिीज क बुगत न कयने भें उन की कीभत क फहुत
फड़ टहस्स सपा हो ज मेग क्मोंकक िद
ु होतचन्द नी ने उन ऩय कोई िै क्स म ड्मि
ू ी नहीॊ बयी थी। उसके फ द ऩीछे जो
यकभ फचेगी उसभें होतचन्द नी के फम्फई व रे ब ई की सूयत भें अबी एक औय टहस्सेद य बी होग ।’
‘आऩ द भोदय िेत न की आपय को बूर यहे हैं।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘उसकी आपय कफूर कय रेने से ऐस कुछ
बी नहीॊ होग । कपय भ र भें न सयक य की टहस्सेद यी जरूयी होगी औय न हभ ये फम्फई व रे अॊकर की।’
‘फहुत भुभककन है । जेर ज ने से फच बी गमे तो कोिा कचहयी तो जरूय होगी। तगड़ जुभ ान तो जरूय होग । इज्जत िय फ
होगी सो अरग।’
‘ओह!’
‘अफ मे फत ओ कक तभ
ु रोग अऩनी मे दयु गत कय ने को तैम य हो?’
‘भैं तो बफककुर ही तैम य नहीॊ हूॊ। भैं नेऩ री हूॊ औय अऩने भुकक क एक सम्भ ननत न गरयक हूॊ। भेयी ऩत्नी य ज ऩरयव य से
सम्फन्ध यिती है । भझु े भज
ु रयभ की तयह कोई कोिा कचहयी बग ु तनी ऩड़ गमी तो भैं फयफ द हो ज ऊॊग ।’
‘रेककन’—इस फ य य ण फदरे स्वय भें फोर —‘अगय भेहनत न तगड़ हो तो भैं मे ितय भोर रेने को तैम य हूॊ।’
‘ह ॊ।’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ।’
‘ठीक है । तो जो तम्
ु हें रगत है , उसकी रूह भें भेय जव फ मे है कक आभद क शुकिम । जो कुछ भैंने कह उसे बूर ज ओ
औय मह ॊ से चरते कपयते नजय आओ। जव हय त जफ उड़कय म ज द ू के जोय से मह ॊ ऩहुॊचेंगे तो भैं उनकी िफय ऩुमरस को
कय दॊ ग
ू ।’
‘तम्
ु हें होन ही च टहए।’—य ण फोर —‘तभ
ु बूर गमे भ रूभ होते हो कक द भोदय िेत न ने उन जव हय त की ियीद की
फ फत जो आपय तभ
ु रोगों को दी थी, वही उसने भुझे बी दी थी। अगय जव हय त भेये ऩ स होते औय उतन र रची औय
फेईभ न होत तो भैं चऩ
ु च ऩ उनक सौद िेत न से कय बी चक
ु होत औय ककसी को क नों क न िफय न हुई होती उस
सौदे की।’
‘आऩ ठीक कह यहे हैं।’—मोगेश कृऩर नी फोर —‘अफ भ पी भ ॊग तो री भैंने। कपय भ ॊग रेत हूॊ। कोई न क-व क
यगड़व न च हे तो वो बी स प कटहए।’
‘नहीॊ, नहीॊ।’
‘फ त भेहनत ने की हो यही थी।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘आऩ जव हय त की कीभत भें फय फय क टहस्स च हते हैं।
ठीक है । हभें आऩकी फ त भॊजयू है । अफ आगे फटढमे।’
‘भेये सुनने भें आम है कक उनभें कुछ अनकि स्िोंस बी थे औय उनकी कीभत आॊकी गई कीभत भें श मभर नहीॊ थी।’
‘ठीक फ त है । वैसे भ र स ठ र ि तक क हो सकत है रेककन अगय हभने द भोदय िेत न से सौद कयन है तो वो उसी
कीभत ऩय होग जो कक अऩनी भौत से ऩहरे होतचन्द नी ने भॊजयू की थी। म नी कक ऩच स र ि।’
‘उन जव हय त को म उनकी कीभत को होतचन्द नी की एस्िे ि भें श मभर ककम ज एग तो उस ऩय सौ तयह के िै क्स औय
ड्मूिीज रगें गी, उनभें तम्
ु ह ये अॊकर की बी टहस्सेद यी होगी जजसके नतीजे के तौय ऩय अगय तभ
ु दोनों के ऩकरे दस र ि
बी ऩड़ ज में तो मे तम्
ु ह यी िश
ु ककस्भती होगी। रेककन अगय हभ उन जव हय त को िेत न को फेच दें तो हभें ऩच स र ि
रुऩए मभरेंगे। उनभें भेय एक नतह ई टहस्स बुग ने के फ वजूद सव सत्तयह-सत्तयह र ि रुऩमे तभ
ु दोनों के टहस्से भें
आमेंगे औय इस तयीके से तम्
ु हें सव स त र ि रुऩमे की अनतरयक्त कभ मी होगी। अफ फोरो तम्
ु हें दस र ि से कभ की
यकभ च टहमे कक सत्तयह र ि से ज्म द की?’
‘तो तभ
ु रोगों को भेयी आपय भन्जयू है ?’
‘आपय तो भन्जूय है ।’—भ नक होतचन्द नी फोर —‘रेककन हैं तो कपरह र मे हव भें भछमरम ॊ ऩकड़ने व री ही फ तें । आऩ
उम्भीद ही तो कय यहे हैं कक जव हय त आज य त आऩकी चौिि ऩय ऩहुॊच ज मेंगे। न ऩहुॊचे तो।
‘तो कह नी ित्भ। तो सभझन हभ तीनों ने ि भि ह मसय िऩ ई की। ि भि ह वक्त की फयफ दी की। ि भि ह ख्म री
ऩर
ु व ऩक मे।’
‘ओह!’
‘रेककन भेय टदर कहत है कक कोई नतीज ननकरेग । जव हय त हभ ये ह थ रगें ग,े हभ य िेत न से उनक चऩ
ु च ऩ सौद
होग औय सव सत्तयह-सत्तयह र ि रुऩमे हभ यी जेफों भें होंगे।’
‘कौन सी फ त?’
‘मे जो रुऩम जव हय त की एवज भें हभ ये ह थ भें आमेग , भें ऐस नहीॊ होग जजसे कक फैंक भें जभ कय म ज सकत हो
म जजसे आनन प नन िचान शुरू ककम ज सकत हो। इतनी फड़ी यकभ क एक एक ककसी के ऩ स बी प्रकि होन कई
क नूनी दश्ु व रयम ॊ ऩैद कय सकत है ।’
‘गड
ु । तो अफ भीटिॊग फि ास्त की ज मे।’
तत्क र श्वेत ने दयव जे की खझयी फन्द कय दी। वह स ॉस योके प्रतीऺ कयने रगी। भन ही भन वह अऩने एम्ऩर मय की
उसकी फदनीमती के मरए फुयी तयह से कोस यही थी।
‘ग्म यह फजे।’—य ण फोर —‘ग्म यह फजे भुझे मह ॊ पोन कयन । तफ तक भुझे भ रूभ हो ज एग कक जव हय त के मह ॊ
ऩहुॊचने की फ फत भेयी ज नक यी सही ननकरी म नहीॊ। जव हय त ह थ रग गमे तो हभ आज ही य त द भोदय िेत न से
उनके सौदे क ननऩि य कय दें गे। ठीक है ?’
अन्त भें वह वह ॊ से फ हय ननकरी। आकपस को अॊधेय औय ि री ऩ कय उसकी ज न भें ज न आमी। कपय वह रऩक कय
एक खिड़की के ऩ स ऩहुॊची। उसने उसको थोड़ स िोर कय स वध नी से फ हय झ ॊक ।
वह खिड़की फन्द कयके उससे ऩये हिी। उसने चैन की एक गहयी स ॊस री।
उस घड़ी वह क रे यॊ ग क जीन, क रे यॊ ग क ही ह ईनैक क ऩुरोवय औय जैकेि ऩहने थी। अऩने फ र उसने ऩोनीिे र की
सयू त भें अऩनी ऩीठ फ ॉध मरए थे। अऩने हैंडफैग भें उसने अऩने च च की िि
ु यी यि री थी जजससे कक वह चभेरी के झ ड़
की जड़ को िोदने क इय द यिती थी औय फवक्तेजरूयत जजसको वो फतौय हधथम य इस्तेभ र कयने क बी इय द यिती
थी, अरफत्त वह बगव न ऩशुऩनतन थ से फ य फ य मही प्र थान कय यही थी कक वैसी कोई नौफत न आमे।
वववेक को वह पोन कय के फत चक
ु ी थी कक उसकी तफीमत िय फ थी। इसमरए श भ को उससे भुर क त भुभककन नहीॊ
थी।
उसे भ रूभ थ कक होिर भें द खिर होने क एक य स्त उसके ऩहरू से बी थ । उस य स्ते से वह बीतय द खिर हुई औय
स वध नी से चरती हुई होिर के उस एकभजन्जरे ब्र क के वऩछव ड़े भें ऩहुॊची जजसभें कक वववेक क कभय थ । वह ॊ एक
दीव य के सह ये जभीन से कोई आठ पुि की ऊॊच ई ऩय एक कभजोय स फकफ जर यह थ जो कक ऐन अऩने आसऩ स क
बी अॊधेय दयू कयने भें सऺभ नहीॊ थ ।
दीव य के कयीफ-कयीफ चरती हुई वह वववेक के कभये की खिड़ककमों के कयीफ ऩहुॊची। वह ॊ एक ही चभेरी क झ ड़ थ जजसे
तर श कयने भें उसे कोई टदक्कत न हुईं।
एक दो अन्म कभयों की खिड़ककमों भें से योशनी फगीचे भें ऩड़ यही थी रेककन श्वेत को उम्भीद थी कक उसकी क री ऩोश क
की वजह से वववेक के कभये की खिड़ककमों के स भने उसकी भौजद
ू गी ककसी की ननग ह भें नहीॊ आने व री थी। िद
ु वववेक
के कभये भें अॊधेय थ जजससे स बफत होत थ कक वो उस घड़ी अऩने कभये भें नहीॊ थ । अरफत्त कभये की तीन खिड़ककमों
भें से फीच की खिड़की िर
ु ी थी जो कक है य नी की फ त थी।
क ॊऩते ह थों से उसने मरप पे को वह ॊ से उठ कय एक ओय यि औय कपय िोदी हुई मभट्टी को व वऩस मथ स्थ न ऩहुॊच ने
रगी। स यी मभट्टी मथ स्थ न ऩहुॊच चक
ु ने के फ द वह जभीन को हभव य फन ने की कोमशश कय यही थी कक एक एक उसे
अऩने कयीफ से ऩहरे एक धप्ऩ की औय कपय सूिी िहननमों के चिकने की आव ज आमी।
श्वेत क टदर जोय से धड़क । उसके भुॊह से एक आतॊकबयी मससक यी सी ननकरी औय वह उछर कय अऩने ऩैयों ऩय िड़ी
हो गई। स्वमॊभेव ही उसक िि
ु यी व र ह थ उसके स भने तन गम औय वह अन्धक य भें आॊिें प ड़ प ड़ कय दे िने
रगी।
‘कौन है?’—आतॊक के अधधक्म भें फड़ी भुजश्कर से उसके भुॊह से पुसपुस हि सी ननकरी।
स मे ने आगे कदभ फढ म ।
च हते हुए बी उस ऩय ििु यी क व य कयने की श्वेत की भज र न हुई। बम ने उसे जड़ कय टदम थ । उसे अऩने कदभों
ऩय िड़े यह ऩ न भहु र रग यह थ । उसकी ि ॊगे थयथय यही थीॊ औय ऐस रगत थ जैसे वह ककसी बी ऺण फेहोश होकय
जभीन ऩय ढे य हो ज ने व री थी।
वववेक की आव ज उसने तत्क र ऩहच नी। जो फ ॊह उसे अऩने अॊक भें सभेिे हुई थी वो, वववेक की थी। उस घड़ी उसे ऐसी
य हत भहसूस हुई कक उसक जी च हने रग कक वह वववेक से मरऩि कय म तो अट्टह स कयने रगे म जोय जोय से योने
रगे।
‘श्वेत !’—वववेक फड़े प्म य से उसके क न भें फोर —‘होश भें आओ।’
फड़ी भेहनत से उसने स्वमॊ को क फू भें ककम । उसकी कॊऩकऩी फन्द हुई।
‘ठीक हो अफ?’
‘ह ॊ।’—श्वेत फोरी।
वववेक ने उसे अऩने से अरग ककम । उसने ऩहरे श्वेत की उॊ गमरमों भें से िि
ु यी ननक री औय कपय झुक कय जभीन ऩय से
जव हय त व र मरप प उठ म ।
उसने िि
ु यी औय मरप प दोनों श्वेत के हैंडफैग भें ड र टदए औय उसे अऩने कभये की िर
ु ी खिड़की के कयीफ र म । उसने
श्वेत की ऩतरी कभय भें ह थ ड र कय उसे उठ म औय खिड़की ऩय चढ टदम । िद
ु वह व वऩस चभेरी के झ ड़ के कयीफ
ऩहुॊच । उसने श्वेत द्व य िोदी गमी जभीन को थऩक थऩक कय हभव य ककम औय जफ वह अऩने क मा से सन्तष्ु ि हो
गम तो खिड़की के ऩ स व वऩस रौि । वह खिड़की प ॊद कय कभये के बीतय द खिर हो गम । उसने खिड़की फन्द की,
उसके स भने ऩदे िीॊचे औय कभये की फत्ती जर मी। योशनी होने से उसने ऩ म कक श्वेत मसय झुक मे एक कुसी ऩय फैठी
थी। उसकी सयू त से मॊू रग यह थ जैसे कोई प्र इभयी स्कूर क फच्च नकर भ यत हुआ है डभ स्िय द्व य ऩकड़ मरम
गम हो।
उस घड़ी वववेक को उस ऩय फहुत प्म य आम । उसने आगे फढ कय उसे अऩने स थ मरऩि मरम ।
‘ऩहरे कहो तभ
ु भेये से िप नहीॊ हो।’—वह फोरी।
‘भैं तभ
ु से िप हो सकत हूॊ?’
‘ऩहरे कहो।’
‘ठीक है । कह ।’
‘क्म ?’
‘भैं तभ
ु से िप नहीॊ हूॊ।’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु ने तो भझ
ु े बी डय टदम थ ।’
‘तम्
ु हें ऩत थ भैं क्म कय यही थी?’
‘तभ
ु कह ॊ थे?’
‘महीॊ थ । जो कुछ तभ
ु ने ककम है , वही कयने की तैम यी कय यह थ !’
‘ओह!’
‘भैं िर
ु ी खिड़की के य स्ते फ हय ननकरने ही रग थ कक भुझे फ हय तम्
ु ह ये ऩहुॊचने की आहि मभरी थी। भैं खिड़ककमों के
ऩहरू भें दीव य के स थ रग कय िड़ी हो गम थ । फ द भें खिड़की से फ हय झ ॊक थ तो भैंने एक स मे को चभेरी के झ ड़
की जड़ भें फैठे ऩ म थ । भैं सभझ गम थ कक कोई जव हय त हधथम ने की कपय क भें थ । तफ भैं पौयन खिड़की से फ हय
कूद ऩड़ थ ।’
‘तो जो होत दे ि ज त ।’
‘वैसे तो भैं ही तभ
ु ऩय िि
ु यी से व य कयने व री थी।’
‘भुझ ऩय?’
‘तभ
ु मह ॊ कैसे ऩहुॊच गमीॊ?’
वववेक एक कुसी घसीि कय उसके स भने फैठ गम । उसने प्रश्नसूचक नेत्रों से श्वेत की तयप दे ि ।
‘कैसे भ रूभ?’
‘इन्सऩेक्िय बत्रबव
ु न दे व आकपस भें आम थ । भैंने उसे य ण से फ तें कयते सन
ु थ । वो कह यह थ कक अगय य त तक
जव हय त फय भद न हुए तो कर सुफह वह अऩने च य ऩ ॊच आदमभमों की एक िीभ तैम य कयके उसे होिर किस्िर के र न
फगीचे वगैयह िॊग रने भें रग मेग । उसने तम्
ु ह ये औय द भोदय िेत न के कभयों की खिड़ककमों के फ हय उगी झ डड़मों क
ि स तौय से जजि ककम थ ।’
‘औय मे सुन कय तभ
ु िद
ु मह ॊ जभीन िोदने ऩहुॊच गमीॊ?’
‘ह ॊ।’
‘क्मों?’—तभ
ु ने भुझे फत म होत ।
‘भुझे डय थ ।’
‘ककस फ त क ?’
‘तम्
ु ह ये जव हय त के स थ ऩकड़े ज ने क ।’
‘ऐस तम्
ु ह ये स थ बी तो हो सकत थ ।’
‘तम्
ु ह ये स थ ज्म द हो सकत थ ।’
‘ऩगरी!’
वह ि भोश यही।
‘तम्
ु हें भझ
ु े फत न च टहए थ ।’
वो कपय चऩ
ु हो गमी।
‘औय तम्
ु ह य मे एम्ऩर मय तो भेयी उम्भीद से ज्म द हय भी शै ननकर ।’
‘रेककन’—वह ऩव
ू व
ा त ् व्मग्र ब व से फोरी—‘कुछ तो हभें कयन ही होग । इन जव हय त को तभ
ु अऩने ऩ स नहीॊ यि
सकते। तभ
ु िद
ु ही कफूर कयते हो कक इन्हें िद
ु ऩुमरस को सौंऩने क तभ
ु हौसर नहीॊ कय सकते। ऩुमरस को सौंऩ नहीॊ
सकते; अऩने ऩ स यि नहीॊ सकते; ऐसे कैसे फीतेगी? वक्त यहते इनसे ऩीछ तो छुड़ न ही होग ।’
‘कैसे?’
‘ह ॊ।’
‘ककस को?’
‘अचय मोसववधचत।’
‘वो थ ई औयत?’
‘ह ॊ।’
‘सुनो।’
‘ऩुमरस को एतफ य आ ज ने ऩय ही तो।’—वह व्म कुर ब व से फोरी—‘जरूयी थोड़ी ही है कक ऩुमरस उसकी फ त ऩय ववश्व स
कय ही रेगी।’
‘जरूयी तो नहीॊ है ।’—वह फोर —‘रेककन कपय बी ितय तो है ही न! अफ जो चीज भेयी नहीॊ है ; उसकी ि नतय ऐस ितय
भोर रेने क क्म प मद !’
‘फोर ही सकती है । कुछ बी स्म ह सपेद फोर ऩड़ने से उसे कौन योक सकत है !’
‘टदि ई तो नहीॊ दे त । हो बी तो उसकी जरूयत क्म है ! जव हय त अऩने ऩ स यिे यहने क तो भेय इय द कबी बी नहीॊ
थ ।’
‘रेककन मे अन्म म है ।’
‘क्म ?’
‘उस चोयनी के ह थ जव हय त रगन ।’
‘है तो सही रेककन ककम क्म ज ए। इस वक्त कोई य स्त बी तो नहीॊ।’—वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘भुझे अफ
चरन च टहए। दस फजे भुझे कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे ऩय ऩहुॊचन है ।’
‘भैं तम्
ु ह ये स थ चरॊग
ू ी।’
ॊ ’—वववेक सकऩक म ।
‘कह ?
‘जह ॊ तभ
ु ज यहे हो। कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे ऩय।’
‘हयधगज नहीॊ।’
‘भैं जरूय चरॊूगी।’
‘ऩ गर हुई हो?’
‘रेककन…’
‘तभ
ु भझ
ु े योक नहीॊ सकते। मे न बर
ू ो कक जव हय त भेये कब्जे भें हैं। तभ
ु भझ
ु े योकने की कोमशश कयोगे तो भैं जव हय त
रेकय ब ग िड़ी होऊॊगी औय उन्हें रे ज कय य ण को सौंऩ दॊ ग
ू ी।’
‘तभ
ु ऐस नहीॊ कयोगी।’
‘ज नती हूॊ।’
‘कपय बी ऐस कयोगी?’
अऩन हैंडफैग भजफूती से दफोचे औय चेहये ऩय दृढत के ब व मरए वह ि भोश फैठी यही।
‘दे िो। भैं जव हय त वह ॊ छोड़कय उरिे ऩ ॊव चरे आने व र नहीॊ हूॊ। भैंने कुछ औय ही सोच हुआ है ।’
‘भुझे कुछ फड़ी सनसनीिेज फ तें सूझी हैं जजनकी तसदीक भैं अचय औय कैप्िन को फ तों भें रग कय कयन च हत हूॊ।
अगय भेयी च र चर गमी तो भैं वैसे ही सन्दे ह से फयी हो ज ऊॊग ।’
‘अन्द ज तो है ।’
‘कपय तो तम्
ु हें ऩमु रस के ऩ स ज न च टहए।’
‘फत म तो। भैं कैप्िन के फॊगरे ऩय ज ऊॊग । वह ॊ भैं अऩनी एक ववमशष्ि ज नक यी को हधथम य की तयह इस्तेभ र करूॊग
औय कपय दे िगॊू क्म होत है । भेये ऐस कयने से वह ॊ क भ हौर एक एक फहुत गभा हो सकत है । इसीमरए भैं तम्ु हें स थ
नहीॊ रे ज न च हत । तम्
ु ह य वह ॊ ज न भेयी मोजन को पेर कय सकत है । तम्ु ह यी है मसमत वह ॊ भेये स थ आए गव ह
जैसी हो ज एगी। कोई गव ह के स भने भुॊह प ड़न ऩसन्द नहीॊ कयत । सभझीॊ कुछ?’
‘सभझी।’
‘तो कपय तभ
ु भेये स थ ज ने की जजद छोड़ यही हो?’
‘नहीॊ।’
‘ह ॊ।
‘तभ
ु फॊगरे के बीतय भुझे बरे ही न रेकय ज न रेककन वह ॊ तक तम्
ु ह ये स थ भैं जरूय आऊॊगी।’
‘ह मसर?’
‘श मद कुछ हो।’
‘रेककन…’
‘तभ
ु व द कयती हो कक वह ॊ ऩहुॊचकय तभ
ु नमे मसये से भेये स थ बीतय ज ने की जजद नहीॊ कयने रगोगी?’
‘भॊजयू ।’
‘ठीक है । चरो।’
‘कहीॊ इधय उधय ही होग ।’—वववेक फड़े सब् से फोर —‘आ ज मेग ।’
‘दे िो। अऩने एम्ऩर मय ऩय जो भेयी आस्थ थी, एतफ य थ , वो सफ तो अफ ऩूयी तौय से उड़न छू हो चक
ु है । भुझे ऩूय
मकीन है कक होतचन्द नी के फॊगरे से उसकी चर अचर सम्ऩजत्त की मरस्ि औय आकपस से उसकी क फानक ऩी औय भेयी
श िा हैंड की नोिफुक उसी ने ग मफ की। रेककन वसीमत क ड्र फ्ि बी तो ग मफ है । वो बी अगय उसे ने ग मफ ककम तो क्मों
ककम ? वसीमत से, जो कक अबी की बी नहीॊ ज सकती थी, य ण ने क्म रेन दे न थ ?’
वववेक कुछ ऺण सोचत यह औय कपय फोर —‘जरूय उस वसीमत भें ककसी को दी ज ने व री ककसी ऐसी धन सम्ऩजत्त क
जजि होग जजसभें कक तम्
ु ह य एम्ऩर मय ऩहरे ही ब ॊजी भ य चुक होग । वो नहीॊ च हत होग कक वसीमत के भ ध्मभ से
ऐसी कोई आईिम्स पोकस भें आएॊ औय उसकी ऩोर िोरने क स भ न कयें ।’
श्वेत के चेहये ऩय आश्व सन के ब व न आए।
‘एग्जैक्िरी।’
तबी दत्त त्रेम वह ॊ ऩहुॊच । उसने दोनों क अमबव दन ककम औय रऩककय िै क्सी क वऩछर दयव ज िोर ।
दोनों उसकी िै क्सी भें सव य हो गए। वववेक ने उसे कैप्िन ववमरमभ भॊग
ू ववन के फॊगरे ऩय चरने को कह ।
वववेक के आदे श ऩय दत्त त्रेम िै क्सी को फॊगरे के आगे से सीध गुज य कय रे गम औय मसये से भोड़ कय व वऩस रौि । तफ
वववेक ने उसे िै क्सी सड़क के ऩ य फॊगरे से ऩये िड़ी कयने को कह ।
‘िै क्सी भें ही फैठन ।’—वववेक चेत वनीबये स्वय भें फोर ।
‘बीतय कोई फिेड़ तो नहीॊ िड़ हो ज मेग ?’—वह व्म कुर ब व से फोरी।
‘क्म ?’
‘अगय भैं औय कैप्िन फॊगरे से इकिे फ हय ननकरें औय कैप्िन की क य ऩय सव य होकय कहीॊ यव न हों तो तभ
ु ने हभ य
ऩीछ कयन है औय ऩहर द ॊव रगते ही कहीॊ से ऩुमरस को िे रीपोन िड़िड़ न है । सभझ गमीॊ?’
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु बी सभझ गमे, दत्त त्रेम?’
‘भझ
ु ’े —श्वेत आतयु ब व से फोरी—‘तो अबी ही ककसी फिेड़े की फू आ यही है । भेय टदर तो अबी ही ककसी अऻ त आशॊक
से रयजने रग है ।’
‘रेककन…’
श्वेत ने है ण्डफैग से ननक रकय जव हय त क मरप प उसे सौंऩ टदम । कपय कुछ सोचकय उसने फैग के बीतय भौजूद
िि
ु यी बी ननक र री।
‘क्मों?’—वववेक सकऩक म ।
‘श मद ककसी क भ आ ज मे।’
‘अच्छी फ त है ।’
वववेक ने िि
ु यी अऩनी ऩतरून की फैकि भें िोंस री औय ऊऩय से कोि के फिन फन्द कय मरमे। मूॊ िि
ु यी कोि के नीचे
छुऩ गमी।
उसने आश्व सनऩूणा ढॊ ग से ऩये श नह र श्वेत क कन्ध थऩथऩ म , वह िै क्सी से फ हय ननकर औय सड़क ऩ य कयत हुआ
कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन के फॊगरे की ओय फढ ।
वववेक फॊगरे के स भने ऩहुॊच तो उसने ऩ म कक उसक स भने क दयव ज फन्द थ रेककन फय भदे के द ईं ओय जस्थत एक
दयव जे के ऩीछे से योशनी क आब स मभर यह थ । वह उस ओय भुड़ ।
उधय फय भदे की उस ओय की सीटढमों के स भने दो क यें िड़ी थीॊ। उनभें से एक क य कैप्िन की एन ऩी डी- १२८८ नम्फय
व री िोमोि थी, दस
ू यी क य बी िोमोि थी रेककन वह उसे ऩहच नत नहीॊ थ ।
वह ननसॊकोच उधय की सीटढम ॊ चढ कय फय भदे भें ऩहुॊच । फड़े अधधक य के स थ उसने दयव जे को धक्क टदम । दयव ज
िर
ु गम तो वह बीतय द खिर हुआ।
अचय मोसववधचत उससे ऩये दो खिड़ककमों के फीच भें रगे एक दीव न ऩय फैठी हुई थी। उस घड़ी बी वो ही ऩोश क ऩहने थी
जजसभें वह श भ को उसे होिर भें मभरी थी। उसक चेहय एकदभ गम्बीय थ रेककन आॊिें ककसी घ घ रोभड़ी की तयह
चभक यही थीॊ। ‘दे य से आमे हो!’—कैप्िन फोर …
‘हभ तो कफ से तम्
ु ह य इन्तज य कय यहे हैं।’
‘सॉयी।’
‘अचय कहती थी तभ
ु जरूय आओ।’
कैप्िन की ननग ह उसके ह थ भें थभे जव हय त व रे सीर फन्द मरप पे ऩय ऩड़ी। उसके नेत्र चभके।
वववेक ने अननजश्चत ब व से अचय की तयप दे ि । अचय ने उससे ननग ह न मभर ई। वह कैप्िन की तयप दे ि यही थी।
कपय वववेक को रग जैसे दोनों भें कोई इश ये फ जी हुई हो। ऩरयण भस्वरूऩ कैप्िन क ह थ अऩने र्टववड के कोि की बीतयी
जेफ भें गम । जफ वह फ हय ननकर तो उसभें एक वऩस्तौर चभक यही थी।
‘ऩीछे हिो!’—वह फोर रेककन उसके स्वय भें धभकी क ऩुि नहीॊ थ —‘औय उधय सोपे के ऩ स ऩड़ी उस कुसी तक ऩहुॊचो।
रयव कवय से भत घफय ओ, मह मॊू ही भेये ह थ भें है ।’
‘भैं कोई च ॊस नहीॊ रेन च हत ।—कैप्िन फोर —‘ऩहरे वो भकसद हर होन च टहमे जजसकी वजह से हभ मह ॊ भौजूद हैं।’
वववेक ि भोश यह ।
‘प्रीज भव
ू ।’
जजस दयव जे से वह बीतय द खिर हुआ थ उसके ऩहरू भें उसे च य फड़े फड़े सूिकेस औय एक क स्भैटिक्स केस जैस
जन न फैग यि टदि ई टदम ।
‘ओहो!’—वह शुष्क स्वय भें फोर —‘तो कूच की तैम यी है ।’
‘हभें?’
‘ज टहय है ।’
वववेक के ननदे मशत कुसी के कयीफ ऩहुॊचने तक कैप्िन वऩस्तौर त ने जस्थय िड़ यह कपय उसने आगे फढ कय वऩस्तौर
अचय को थभ दी।
‘इस ऩय ननग ह यिन ।’—वह फोर —‘मे कोई होमशम यी टदि ने की कोमशश कयत रगे तो ननसॊकोच गोरी चर दे न ।’
कैप्िन एक ओय ऩड़े िे रीपोन के कयीफ ऩहुॊच । उसने उस ऩय नम्फय ड मर ककम , औय प्रतीऺ कयने रग । कुछ ऺण फ द
सम्ऩका स्थ वऩत हुआ तो वह फोर —‘भैं मभस्िय द भोदय िेत न से फ त कयन च हत हूॊ।’
‘कुछ ऺण औय मॊू ही गज
ु ये ।
‘हकरो, मभस्िय िेत न!’—वह भ उथऩीस भें फोर —‘भैं कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन फोर यह हूॊ। आऩने भुझे
ऩहच न ?…गुड। आऩको म द है कर आऩ वववेक ज र न के स थ भेये फॊगरे ऩय आए थे औय आऩने भुझे कोई ऩेशकश की
थी?…जी ह ॊ। वही। वही। होतचन्द नी के चोयी चरे गए जव हय त की ियीद की ऩेशकश!…जी ह ॊ। जी हैं। कोई बर
ू ने की
फ त नहीॊ। म नी कक म द है आऩको।…गड
ु । भेय पोन कयने क भकसद आऩसे मे ऩूछन थ कक क्म आऩ अबी बी उन
जव हय त के ियीदद य हैं।…उन्हें छोडड़मे। वो सह ऩहरे की फ तें। अफ आऩ फेशक मे कह रीजजए कक चोयी क भ र अऩने
ऩ स यिकय चोय कहर ने से भुझे एतय ज नहीॊ है । मूॊ गैि भ ई प्व इॊि।…गुड। तो क्म जव फ हुआ आऩक ?…जी!…जी ह ॊ।
जव हय त भेये ऩ स हैं औय इस वक्त ऐन भेये स भने भौजूद हैं।…क्म ? जी ह ॊ। मरप पे भें ।…जी?…नहीॊ, नहीॊ। भैंने
मरप प नहीॊ िोर है । उस ऩय रगी तभ भ सीर एकदभ फयकय य है , चौकस है । भैंने उनको छुआ तक नहीॊ है …’
‘क्म फ त है ?’—अचय व्मग्र ब व से पुसपुस ई—‘इतनी रम्फी फ त क्मों हो यही है ? क्म वो…’
कैप्िन ने अऩन ि री ह थ उठ कय उसे ि भोश यहने क इश य ककम औय आॊिों ही आॊिों भें उसे आश्व सन टदम ।
‘दे खिमे’—वह कपय भ उथऩीस भें फोर —‘ऐसे सौदे एतफ य बफन नहीॊ होते। एक तो एतफ य होग तो दस
ू ये को बी एतफ य
होग न। आऩ भेये ऩय एतफ य करयए, भैं आऩ ऩय एतफ य कयत हूॊ। आऩ रुऩम रेकय मह ॊ आइए औय जव हय त रेकय मह ॊ
से चरे ज इए। दै र्टस आर। आऩ उन जव हय त क क्म कयते हैं, इससे हभें भतरफ नहीॊ। हभ आऩसे ह मसर रुऩमे क क्म
कयते हैं, इससे आऩको भतरफ नहीॊ। न आऩ ककसी को कुछ फत ने व रे हैं औय न हभ अऩन भुॊह प ड़ने व रे हैं। इि इज
ऐज ईजी ऐज दै ि। इि इज ऐज मसम्ऩर ऐज दै ि।…वैयी गुड। आऩ भेये फॊगरे ऩय आए ही हुए हैं।…ज र न के स थ आए थे
इसमरए य स्त म द नहीॊ!…कोई फ त नहीॊ। आऩ भेय ऩत नोि कय रीजजए।’—उसने िेत न को अऩन ऩत नोि
कय म ?—‘वैसे तो भेये फॊगरे ऩय ऩहुॊचने के मरए भेय न भ भ रूभ होन ही क पी है । आऩ ककसी बी िै क्सी ड्र इवय को कह
दीजजएग कक आऩने कैप्िन ववमरमभ भॊग ू ववन के फॊगरे ऩय ज न है । वो आऩको मह ॊ ऩहुॊच दे ग । रेककन एक भेहयफ नी
कीजजएग , ग ड़ी ऐन फॊगरे के स भने ऩ का न कय इमेग । मू नो व ि आई भीन!…गुड। गुड गुड।…ओके, आई एभ वेटिॊग
प य मू।’
उसने रयसीवय व वऩस िेडर ऩय यि टदम औय फड़े सॊतजु ष्ि ऩूणा ब व से गदा न टहर ई।
‘हूॊ।’
कैप्िन वववेक की ओय घभ
ू ।
‘उसको मह ॊ ऩहुॊचने भें ऩ ॊच दस मभनि रगें गे’—वह फोर —‘तफ तक कोई डड्रॊक ऩेश करूॊ?’
‘क्म वऩमोगे?’
अचय फदस्तयू ह थ भें थभी वऩस्तौर वववेकी की ओय त ने यही। उसकी ननग ह वववेक के चेहये ऩय मूॊ टिकी यही जैसे वह
ककसी बी ऺण उससे ककसी गरत हयकत की अऩेऺ कय यही हो।
कैप्िन व वऩस रौि तो तबी उसने वववेक को एकिक दे िन फन्द ककम औय वऩस्तौर की न र तननक नीचे झक
ु ी।
कैप्िन अऩने ह थ भें एक ट्रे उठ ए थ जजसभें एक स्क च ववस्की की फोतर, एक ऩ नी क जग औय तीन धगर स यिे थे।
इसने ट्रे भेज ऩय यि दी। उसने एक धगर स भें ववस्की ड री। उसभें ऩ नी मभर म औय धगर स वववेक को थभ टदम ।
‘तभ
ु रोगी न?’—वह अचय से फोर ।
उसकी चेत वनी क कैप्िन ऩय कोई असय न हुआ। उसने अऩने मरए डड्रॊक तैम य ककम ।
‘प्रेन उड़ ने की नौफत आने भें अबी फहुत वक्त है ।’—वह फोर औय कपय वववेक की ओय घूभ —‘धचमसा।’
वववेक ने ि भोशी से अऩन धगर स तननक ऊॊच ककम औय उसभें से एक छोि स घूॊि बय ।
‘फम्फई।’—कैप्िन फोर ।
‘ऩहुॊच ज ओगे?’
‘फहुत आस नी से। तभ ु बूर यहे हो कक भेयी ही च िा डा फ्र इि होतचन्द नी औय अचय को उनकी श दी के फ द फम्फई रे
ज ने व री थी। भेये प्रेन के तभ भ ऩेऩसा तैम य हैं। च िा डा फ्र इि को क ठभ ण्डू औय फम्फई से जक्रमयें स मभर चक
ु ी है ।
सफ कुछ वैसे ही होग जैसे कक होन तम थ । पका है तो मसपा इतन कक मसपा दक
ू हे य ज हभ ये स थ नहीॊ होंगे।’
‘भैं!’—वववेक चौंक ।
‘ह ॊ।’
‘तभ
ु रोग भझ
ु े अऩने स थ फम्फई रेकय ज ओगे?’
‘तो?’
‘क्म ?’
‘भैं ऩैय शि
ू से कैसे धयती ऩय उतय ऩ ऊॊग । भैं क्म कोई ऩैय ट्रू ऩय हूॊ?’
‘उतय ऩ ओगे।’—कैप्िन उसकी घफय हि से आनजन्दत होत हुआ फोर —‘एक ध डोयी ही तो िीॊचनी होती है । वो भैं मसि
दॊ ग
ू । धयती ऩय ऩयपैक्ि रैंडडॊग नहीॊ कय ऩ ओगे तो थोड़ी फहुत चोि ही तो ि ज ओगे। वो फद ाश्त कय रेन । आखिय
जव न जह न आदभी हो।’
‘रेककन…’
‘वैसे’—अचय फोरी—‘तम्
ु ह ये ऩमु रस के ऩ स न ज ने की ग यन्िी कयने क हभ ये ऩ स एक आस न तयीक बी है ।’
‘भज क कय यही है ।’—जोय क अट्टह स कयत हुआ कैप्िन फोर —‘तभ ु ि भि ह घफय यहे हो। ऩैय शिू से धयती ऩय उतयने
भें तम्
ु हें कोई कतरीप नहीॊ होगी। तम्
ु हें तकरीप ऩहुॊच ने क हभ य कतई कोई इय द नहीॊ। हभ मसपा मे च हते हैं कक हभ ये
सुयक्षऺत फम्फई ऩहुॊच ज ने तक तभ
ु मह ॊ कक ऩुमरस के ऩ स न ऩहुॊच सको। जैस हभने प्रोग्र भ सोच है उसके भुत बफक
क ठभ ण्डू व ऩस आकय ऩुमरस के ऩ स ऩहुॊचने भें तम्
ु हें कभ से कभ दो टदन रग ज एॊगे।’
वववेक ि भोश यह ।
‘मसगये ि हभ दे ते हैं।
वववेक औय आशॊककत हो उठ ।
कैप्िन ऩय बी फ हय से आती आव जों क तत्क र असय हुआ। उसने अऩन धगर स भेज ऩय ऩिक , आगे फढकय अचय के
ह थ से वऩस्तौर झऩिी औय दयव जे की ओय फढ ।
तबी दयव ज िर
ु औय श्वेत को अऩनी धगयफ्त भें दफोचे उसे अऩने स थ रगबग घसीिते हुए द भोदय िेत न ने बीतय
कदभ यि । उस घड़ी बी वह हभेश की तयह अऩन क र चश्भ रग ए थ औय उसके चेहये ऩय फड़े ितयन क ब व थे।
श्वेत ऩय ननग ह ऩड़ते ही वववेक जस्प्रॊग रगे खिरौने की तयह अऩनी कुसी से उठ । श्वेत को िेत न के चॊगुर भें पॊसी होने
क उसने एक ही भतरफ रग म कक वो वववेक के आदे श नुस य िै क्सी भें नहीॊ फैठी यही थी। वह उसके फच व के मरए आगे
झऩि तो कैप्िन क य ऺस जैस ववश रक म शयीय उसके य स्ते भें आम । उसने फड़ी सहूमरमत से वववेक को व वऩस धकेर
टदम ।
‘ि भोश।’
‘तम्
ु हें बीतय गए हुए फहुत दे य हो गमी थी तो भैं घफय गमी थी। भैं मसपा मे ब ॊऩने की कोमशश भें फय भदे तक आमी थी कक
तम्
ु हें बीतय इतनी दे य क्मों रग यही थी कक तबी मे…मे…’
‘अफ फन गम है भतरफ।’—कैप्िन फोर —‘अफ इसे कैसे मह ॊ से ज ने टदम ज सकत है ? हभें क्म भ रूभ नहीॊ कक इसे
मह ॊ से ज ने टदम गम तो मह ॊ से ननकर कय मे सीधी कह ॊ ज मेगी! हभें फेवकूप सभझते हो?’
‘भैं इसकी ग यन्िी रेत हूॊ कक मे कुछ नहीॊ कये गी। आखिय भैं तो मह ॊ हूॊ।’
‘सॉयी। मे अफ महीॊ ठहये गी।’
‘रेककन…’
‘शि अऩ।’
वववेक फड़े अननच्छ ऩूणा ब व से ि भोश हो गम । उसकी एक मशक मतबयी ननग ह श्वेत ऩय गमी तो वह आॊिों ही आॊिों
भें उससे ऺभ म चन कयने रगी।
‘आऩकी य म के भुत बफक’–िेत न फोर –‘भैं सड़क के भोड़ ऩय ही िै क्सी से उतय गम थ । औय ऩैदर मह ॊ तक ऩहुॉच थ ।
भैं प िक से बीतय द खिर हुआ थ तो भुझे रग थ कक फय भदे भें कोई थ । भैं दफे ऩ ॊव कयीफ ऩहुॉच तो भैंने इसे दयव जे
के स थ क न रग मे िड़े ऩ म । भैं चऩ
ु च ऩ इसके ऩीछे ऩहुॉच औय कपय भैंने इसे दफोच मरम ।’
‘चऩ
ु च ऩ उधय उस कुसी ऩय फैठ ज ओ।’
‘रुऩम कह ॊ है ?’–कैप्िन कपय िेत न से सम्फोधधत हुआ। ‘फ हय फय भदे भें ।’—िेत न फोर —‘भेये दो ही ह थ हैं। भेये ब ई।
म तो भैं इस रड़की को बीतय र सकत थ औय म रुऩमों व रे सूिकेस को। सभझे?’
कैप्िन भेज के कयीफ ऩहुॊच । वऩस्तौर थ भे थ भे ही उसने नोिों की कुछ गड्डडमों क भुआमन ककम । कपय तत्क र उसकी
आॊिों भें र रच की चभक आमी।
वववेक उस घड़ी िेत न की ओय दे ि यह थ । वह अनुबव कय यह थ कक िेत न अऩने कोि के नीचे शोकडय होरस्िय
रग मे थ औय उसभें जरूय कोई हधथम य थ ।
िेत न ने आगे फढकय मरप प उठ म औय फड़ी फ यीकी से उसकी एक-एक सीर क भुआमन कयने रग ।
कपय अन्त भें उसक भुआमन सभ प्त हुआ औय उसने होंठ भुस्कय हि की सूयत भें पैरे।
‘ह ॊ। औय मही इसे मह ॊ र म है ।’
‘भजी से कहीॊ ऐसे क भ होते हैं। हभने इस ऩय कोई दफ व ड र थ जजसके आगे इसकी ऩेश नहीॊ चरी थी। इसे भजफूयन
मरप प मह ॊ र न ऩड़ थ ।’
‘शरू
ु से ही।’
‘क्म भतरफ?’
‘तो?’
‘ओहो! तो तम्
ु हें अऩनी पीस च टहए।’
‘क्मों नहीॊ?’
‘जव हय त तभ
ु ने थोड़े ही टदए हैं भझ े ’
ु ?
द भोदय िेत न कुछ ऺण सोचत यह , कपय उसके होंठों ऩय एक भुस्कय हि प्रकि हुई।
‘शुकिम ।’—वववेक फोर । उसने भेज ऩय से गड्डडम ॊ उठ रीॊ औय कैप्िन की ऩैनी, चेत वनीऩूणा ननग हों के स भने उन्हें मूॊ
अऩने कोि क द मीॊ जेफ भें ड र मरम कक ह थ जेफ भें द खिर न हुआ।
‘िश
ु ?’—िेत न फोर ।
‘फहुत ज्म द ।’
‘रेककन इन दोनों की मह ॊ भौजूदगी की अहमभमत है ।’—िेत न फोर —‘मे दोनों हभ ये फीच हुए सौदे के चश्भदीद गव ह हैं।
मे हभ यी ऩोर िोर सकते हैं। ऩयसों दोऩहय की फ्र इि से भेयी मसॊग ऩुय की सीि फुक है । भुझे इस फ त की ग यन्िी च टहए
कक भेये नेऩ र से कूच कय ज ने से ऩहरे मे जव हय त की भेये ऩ स भौजद
ू गी की ऩोर नहीॊ िोर दें गे।’
‘ऐसी ग यन्िी िद
ु हभें बी च टहए। ऐसी ग यन्िी है ।’
‘कैसे है ?’
‘अफ पका मसपा इतन ऩड़ गम है ’—वह फोर —‘कक अफ हभें एक की जगह दो ऩैसेन्जयों को ऩैय शि
ू से ड्र ऩ कयन ऩड़ेग ।’
‘वैयी गुड।’
‘हो सकत है ऩैय ड्र ऩ रड़की ऩय ब यी ऩड़े रेककन उसभें हभ क्म कय सकते हैं? इसे मह ॊ नहीॊ आन च टहए थ ।’
‘ठीक।’
‘वैसे रड़की के आ ज ने से हभें तो प मद ही हुआ है । अफ कोई होमशम यी टदि ने क ख्म र कयने से ऩहरे वववेक दस फ य
सोचेग ।
‘वैयी गुड। इन दोनों के भ भरे भें अगय भेयी कोई भदद च टहए हो तो…।’
‘सम्ब र ही रेन ।’—िेत न चेत वनी बये स्वय भें फोर —‘मे न बर
ू न कक सौद ऩि चक
ु ने के फ द बी जफ तक हभ मह ॊ से
ननकर कय अऩने टठक ने ऩय न ऩहुॊच ज में, हभ एक दसू ये के स थी हैं। एक के टहत भें ही दस
ू ये क टहत है । एक ने गरती
की तो दस
ू ये को बी बुगतनी ऩड़ेगी। एक की सर भती भें ही दस
ू ये की सर भती है, भेये ब ई।’
‘हभ सभझते हैं। तभ
ु धचन्त न कयो। जो कुछ होग , ठीक ही होग ।’
वववेक ने फेचन
ै ी से ऩहरू फदर । िेत न को वह ॊ अिक मे यिने की एक तयकीफ उसके जेहन भें थी रेककन दो फ तें उसे उस
तयकीफ ऩय अभर कयने से हतोत्स टहत कय यही थीॊ। एक तो आश के ववऩयीत िेत न हधथम यफन्द थ दस
ू ये उसे श्वेत की
सर भती की कपि थी। नतीजतन वह ि भोशी से िेत न को जव हय त के स थ वह ॊ से कूच कयत दे ित यह ।
‘तम्
ु हें अबी बी शक है ?’—कैप्िन उऩह सऩूणा स्वय भें फोर ।
‘तभ
ु दोनों की उसी भें बर ई है । हभ यी औय िेत न की बी उसी भें बर ई है ।’
‘फ द भें कोई पका नहीॊ ऩड़त । भैंने ऩहरे ही कह है कक व वऩस क ठभ ॊडू ऩहुॊचने भें तम्
ु हें कभ से कभ दो टदन रगें गे। अफ
रड़की के स थ की वजह से श मद ज्म द वक्त रग ज मे। दो टदन फ द ऩुमरस च हकय बी हभ य कुछ नहीॊ बफग ड़
सकेगी।’ वह एक ऺण टठठक औय कपय फोर —‘कपय इस फ त क एक दस
ू य ऩहरू बी है ।’
‘वो क्म ?’
‘क्मों?’
‘भेये ऊऩय?’
‘हो सकत है ।’
‘तभ
ु सभझते हो कक होतचन्द नी क कत्र भैंने ककम है ?’
‘अचय ने तम्
ु हें अऩनी कह नी सन
ु मी?’
‘कौन सी कह नी?’
‘ह ॊ। सुन मी।’
‘मे बी फत म कक जफ मे ऩयसों य त होतचन्द नी के फॊगरे ऩय ऩहुॊची थी तो इसने उसे ड ईंगरूभ के पशा ऩय ऩहरू के फर
रुढक ऩड़ ऩ म थ । इसने मे बी फत म कक होतचन्द नी इसके स भने हत्म ये क न भ रेकय भय थ ?’
‘नहीॊ।’
‘मे फ त झठ
ू है कक होतचन्द नी अऩने हत्म ये क न भ रेकय भय थ ।’
‘अच्छ !’
‘ह ॊ।’
‘मे कक इसने होतचन्द नी की र श को ड्र ईंगरूभ के पशा ऩय एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ ऩ म थ । फस मही एक फ त सच
है इसके फम न की जजसकी कक तसदीक भैं बी कय सकत हूॊ। भैंने बी जफ होतचन्द नी की र श दे िी थी तो वो पशा ऩय
ऩहरू के फर ही रुढकी हुई थी। उसको पशा ऩय रुढक ऩड़ दे िते ही भुझे मे नहीॊ सूझ गम थ कक वो भय ऩड़ थ । भैं
कयीफ ज कय घि
ु नों के फर फैठ गम थ औय भैंने उसको तननक खझझोड़ने की नीमत से उसके कन्धे को छुआ थ रेककन
भेये उसके कन्धे को ह थ रग ते ही उसके शयीय भें एक एक मूॊ हयकत हुई थी कक वह ऩीठ के फर रुढक गम थ । तबी
उसकी िनू से सनी छ ती दे ि कय भुझे भ रूभ हुआ थ कक वो भय ऩड़ थ । अफ भेये मसव म मसपा एक औय शख्स को मे
फ त भ रूभ हो सकती थी कक होतचन्द नी जफ भय कय धगय थ तो उसकी र श पशा ऩय अऩने ऩहरू के फर ज कय जस्थय
हुई थी। औय वो शख्स थ होतचन्द नी क हत्म य ।’
वववेक अऩने दोनों श्ोत ओॊ ऩय अऩने कथन क प्रब व दे िने के मरए टठठक । उसने नोि ककम कक कैप्िन सोच भें ऩड़
गम थ औय अचय फहुत आन्दोमरत टदि ई दे ने रगी थी।
‘भैं’—अचय फोरी—‘ऩूछे बफन ही फत ती हूॊ कक भैं क्म कहती हूॊ। ठीक है , होतचन्द नी की अऩने हत्म ये की फ फत ड ईंग
डडक्रेमये शन व री कह नी भैंने गढी। इसभें कोई नमी फ त नहीॊ। मे तो भैं तम्
ु ह ये स भने ही तम्
ु ह ये होिर के कभये भें
कफूर कय चक
ु ी हूॊ। रेककन तभु इस फ त से इनक य नहीॊ कय सकते कक भेयी कह नी फहुत दभद य औय मकीन भें आने व री
थी। ऐस न होत तो तभ ु भेयी धभकी के जव फ भें जव हय त व र मरप प रेकय मह ॊ दौड़े न चरे आते। फ की यही र श
के ऩहरू के फर ऩड़े होने व री फ त तो वो तो एक इत्तप क थ कक भैंने ऐस कह थ ।’
‘नहीॊ। इत्तप क नहीॊ थ । वो हकीकत थी। तबी वो तम्
ु ह ये भुॊह से ननकरी। तभ
ु ने र श को ऩहरू के फर ऩड़ दे ि थ , तबी
तभ
ु ने ऐस कह । अफ सव र मे ऩैद होत है कक र श को ऩहरू के फर रढ
ु क ऩड़ तभ
ु ने कफ दे ि । अगय तम्
ु ह यी इस फ त
क मकीन ककम ज मे कक तभ
ु ने भुझे अऩने ऩहरे पेये भें वह ॊ से कूच कयते दे ि थ औय भेये वह ॊ से कूच कय ज ने के फ द
तभ
ु ने फॊगरे भें कदभ यि थ तो र श तम्
ु हें ऩहरू के फर ऩड़ी नहीॊ टदि ई दे सकती थी। तफ तक भेये उसक कन्ध छू
फैठने की वजह से र श रुढक कय ऩीठ के फर आ टिकी थी औय मूॊ ही भैं उसे वह ॊ छोड़कय गम थ । र श अगय तभ
ु ने तबी
ऩहरी फ य दे िी होती तो ऩीठ के फर रुढकी ऩड़ी दे िी होती। इसक क्म भतरफ हुआ?’
‘इसक भतरफ मह हुआ कक अचय भेये वह ॊ से कूच कयने के फ द वह ॊ नहीॊ ऩहुॊची थी फजकक ऩहरे से ही वह ॊ भौजूद थी।’
‘नहीॊ। दो फ य। दो फ य गमीॊ तभ
ु वह ॊ। एक फ य ऩमु रस के फर
ु वे ऩय औय दस
ू यी फ य भेये वह ॊ ऩहुॊचने से ऩहरे जफ कक
होतचन्द नी की र श अऩने एक ऩहरू के फर पशा ऩय ऩड़ी थी। तबी तभ ु ने भुझे वह ॊ आते दे ि थ औय अऩने प मदे के
मरए मे फ त गढ री थी कक तभ
ु ने भुझे वह ॊ से कूच कयते दे ि थ त कक मह फ त स्थ वऩत हो सके कक तभ
ु भेये फ द वह ॊ
ऩहुॊची थीॊ औय भेये फ द वह ॊ ऩहुॊचने की फ त स्थ वऩत कयके तभ
ु मे स बफत कयन च हती थीॊ कक कत्र तम्
ु ह ये वह ॊ ऩहुॊचने
से ऩहरे ही हो चक
ु थ ।’
‘तम्
ु ह ये भुझे धभक कय’—वववेक कहत यह —‘भेये होिर के कभये से चरे आने के फ द भैंने तम्
ु ह ये फम न की फ फत फहुत
सोच थ औय तम् ु ह यी कुछ ऩड़त र बी की थी।
‘क्म कह नी सभझ भें आ गमी?’—कैऩ ्िन आन्दोमरत स्वय भें फोर —‘तभ
ु मे कहन च हते हो कक होतचन्द नी क कत्र
अचय ने ककम है ?’
‘अफ क्म मरि कय दॊ ?ू भैंने ऩहरे ही नहीॊ कह कक भेये मसव म केवर हत्म ये को भ रूभ हो सकत थ कक होतचन्द नी जफ
भय कय धगय थ तो उसकी र श पशा ऩय उसके एक ऩहरू के फर ज कय जस्थय हुई थी। अचय को मे फ त भ रभ
ू होन ही
इस फ त क ऩम ाप्त सफूत है कक हत्म यी मे है ।’
ककतनी ही दे य कभये भें भयघि क स सन्न ि छ म यह । ऐस रगत यह जैसे वववेक के वक्तव्म के असय से एक एक
सफ कुछ फ्रीज हो गम थ । श्वेत की ह रत तो ऐसी थी जैसे वह स ॊस रेते डय यही हो। सफसे अधधक आॊदोमरत कैप्िन
ववमरमभ भूॊग ववन टदि मी दे यह थ । वह फ य फ य अऩनी द ढी नोच यह थ औय उसकी सूयत से मूॊ रग यह थ जैसे
उसकी अक्र ने एक एक क भ कयन फन्द कय टदम हो। केवर अचय मोसववधचत के चेहये से मूॊ रग यह थ जैसे कुछ हुआ
ही न हो। होंठों ऩय एक नऩी तर
ु ी भस्
ु कय हि मरमे वह ि भोश फैठी थी।
‘अचय !’—वह फड़े कटठन स्वय भें फोर —‘मे सच नहीॊ है न?’ मे टहन्दस्
ु त नी छोकय झूठ फोर यह है न?’
तत्क र अचय के चेहये की भुस्कय हि औय भुिय हो उठी। वह भुस्कय ती हुई अऩने स्थ न से उठी औय इठर ती हुई कैप्िन
के कयीफ ऩहुॊची। वह कैप्िन के स थ सि कय िड़ी हो गमी औय उसने मॊू फड़े प्म य से कैप्िन के द ढी से ढॊ के ग र ऩय एक
चम्
ु फन अॊककत ककम जैसे वह ॊ इन दोनों के अर व औय कोई बी नहीॊ थ ।
‘ओह, ड मरिंग!’
‘अचय प्रीज!’
‘बफककुर।’—अचय फोरी—‘ड मरिंग, जय सोचो। इस फ त से क्म पका ऩड़त है कक होतचन्द नी भय हुआ अऩने भुॊह के फर
ऩड़ थ म ऩीठ के फर ऩड़ थ म ककसी ऩहरू के फर ऩड़ थ । मे क्म कोई सफूत है ! मही तो कह यह है कक भैंने ऐस
कह कक भैंने होतचन्द नी को एक ऩहरू के फर रढ
ु के दे ि थ । कहने की तो मे मह बी कह सकत है कक भैंने इसे कह थ
कक भैंने होतचन्द नी को शूि ककम थ ।’
कैप्िन ने वववेक की तयप दे ि ।
‘तभ
ु अऩनी फ त से भुकय यही हो।’—वववेक फोर ।
‘कौन सी फ त से??’
‘कक तभ
ु ने कह थ कक तभ
ु ने होतचन्द नी की र श को एक ऩहरू के फर रुढके ऩड़े दे ि थ ।’
‘मे नहीॊ कह थ कक तभ
ु ने उसे एक ऩहरू के फर रुढक ऩड़ दे ि थ ?’
‘नहीॊ।’
‘भुकयने से तम्
ु ह य छुिक य नहीॊ होने व र भेभस हफ।’
‘अच्छ !’
‘अच्छ !’
‘फत त हूॊ।’—वववेक फोर —‘रेककन अऩनी फ त ठीक से सभझ ने के मरए भुझे होतचन्द नी के कत्र की य त के व क्म त
कपय से, तयतीफव य, दोहय ने ऩड़ेंगे।’
‘तो सुनो।’
उसने फोरन आयम्ब ककम । उसने कैप्िन को अऩने उस य त के एक एक एक्शन क अऺयश् ब्मोय दे न आयम्ब ककम ।
उसने उसे उस रगबग िॊडहय हो चक
ु े अॊधेये ि री भक न के फ ये भें बी फत म जजसके फय भदे भें उसने फ रयश शुरू होते ही
ऩन ह री थी। उसने फत म कक कैसे फ रयश फन्द होने के फ द वह वह ॊ से ननकर कय होतचन्द नी के फॊगरे भें ऩहुॊच थ
जह ॊ उसने र श को एक ऩहरू के फर ऩड़े दे ि थ औय कपय आतॊककत होकय वह ॊ से ब ग िड़ हुआ थ । कैसे य स्ते भें उस
ऩय से बम क बत
ू उतय थ , उसकी अकर ने गव ही दी थी कक उसे मॊू ब ग नहीॊ िड़ होन च टहए थ औय नतीजन वो
व वऩस रौि थ ।
‘फ रयश होते ही फजकक फयस त क एक छीॊि बी ऩड़ते वे पौयन ओि रेने को ब गती हैं…।’
‘सुन ओ।’
‘अगय वो ओि नहीॊ रे ऩ तीॊ; तत्क र कोई ओि उऩरब्ध नहीॊ होती तो वो क्म कयती हैं?’
‘तो उनके ह थ भें जो कुछ बी होत है , वो उससे मसय ढॊ कने की कोमशश कयती हैं। भैंने अक्सय दे ि है । मह ॊ की औयतें
फयस त भें अऩने मसय को बीगने से फच ने की फहुत ख्व टहशभन्द भ रूभ होती हैं। फ रयश की ऩहरी फूॊद िऩकते ही उनके
ह थ भें कोई ऩैकेि, झोर , िोकयी, भैगजीन, है ण्डफैग वगैयह जो कुछ बी होत है ; वे पौयन उससे अऩन मसय ढॊ कने की
कोमशश कयती हैं।’
‘होतचन्द नी के कत्र की य त को फ रयश के दौय न जफ भैं िॊडहय भक न के फय भदे भें िड़ थ तो भैंने सड़क ऩय से एक
औयत को गुजयते दे ि थ ।’
‘इसक मे भतरफ हुआ कक वो कोई नेऩ री औयत नहीॊ थी। वो औयत नेऩ री होती तो फॊडर उसने अऩनी छ ती से धचभि
कय यिने की जगह अऩने मसय के ऊऩय ककम होत जैस कक फ रयश भें हय नेऩ री औयत हभेश कयती है ।’
‘तो मे हुआ कक भेय द व है कक उस घड़ी फ रयश भें बीगती ज यही वो औयत अचय थी औय उसने जो फन्डर स अऩनी
छ ती के स थ धचभि म हुआ थ , वो जव हय त व र सीरफन ्द मरप प थ ।’—वववेक ने एक ननग ह अचय ऩय ड री औय
कपय आगे फढ —‘उस तेज फ रयश भें बी मे इसमरए सड़क ऩय रऩकी चरी ज यही थी क्मोंकक इसने ऩीछे होतचन्द नी के
फॊगरे भें उसक कत्र ककम थ औय मे जकदी से जकदी घिन -स्थर से ज्म द से ज्म द दयू ननकर ज न च हती थी।’
कैप्िन ने अचय की तयप दे ि । अचय फड़ी टदरेयी से उससे ननग ह मभर कय भस्
ु कय मी।
‘उसी घड़ी’—वववेक फोर —‘सड़क ऩय एक क य प्रकि हुई थी जजसकी है डर इर्टस की तीिी योशनी फय भदे भें सीधे भेये चेहये
ऩय आकय ऩड़ी थी। जरूय उसी योशनी भें अचय ने भुझे फय भदे भें िड़े दे ि थ जफ कक मूॊ आॊिें चौंधधम ज ने के फ द भैंने
जफ सड़क ऩय ननग ह ड री थी तो वो सड़क ऩय से गुजय चक
ु ी थी औय भेयी ननग हों से ओझर हो चक
ु ी थी। व स्तव भें
जरूय उस कुछ ऺण के मरए वहीॊ कहीॊ छुऩ कय िड़ी हो गमी थी औय कपय फ रयश फन्द होने के फ द उसने भुझे होतचन्द नी
के फॊगरे भें ज ते दे ि थ । ऐस मे िद
ु कफर
ू कयती है । वह ॊ भेये ऩहरे पेये की िफय भझ
ु े िद
ु अऩनी आॊिों से दे िे बफन
इसे नहीॊ हो सकती थी। औय अऩनी आॊिों से इसने भुझे औय कफ दे ि हो सकत थ ?’
‘हूॊ।’
‘फ की कह नी स प है । जरूय फ रयश के दौय न होतचन्द नी क कत्र ककम थ । फ रयश की वजह से ही जैस कक इन्स्ऩेक्िय
बत्रबुवन दे व ने कह थ , गोरी चरने की आव ज ककसी के क नों भें नहीॊ ऩड़ी थी। कपय इसने सेप भें से जव हय त व र
मरप प ननक र थ ।’
‘ह ॊ।’
‘आगे?’
‘कपय फ रयश भें ही मे वह ॊ से कूच कय गमी क्मोंकक इसे भ रूभ थ कक फ रयश के दौय न य स्ते भें ककसी ऩरयधचत के मभर
ज ने की सम्ब वन नहीॊ के फय फय थी। हुआ बी ऐस ही। भैं वह ॊ थ बी तो इसी ने भझ
ु े दे ि , भैं इसकी सयू त न दे ि
ऩ म । उसी घड़ी इसने सोच मरम कक जरूयत ऩड़ने ऩय मह मे कह नी गढ सकती थी कक मह फ रयश के फ द वह ॊ ऩहुॊची थी
जफ कक इसने भुझे ज ते दे ि थ । इसक भुझे दे ि होने क द व कयन ऩुमरस को इसकी कह नी ऩय मकीन टदरव दे त
औय कपय वे भेये ऩीछे ऩड़ ज ते कक क्मों भैंने अऩने ऩहरे पेये की कह नी उनसे छुऩ कय यिी थी। मूॊ मे िद
ु तो शक से फयी
हो ज ती औय भुझे पॊसव दे ती।’
‘मे ऐस कयती?’
‘ि भि ह तो न कयती रेककन अगय ककसी फड़े ही अप्रत्म मशत तयीके से मे फ त प्रकि हो ज ती कक डडनय के फ द स ढे आठ
फजे होतचन्द नी के फॊगरे से रुख्सत हो ज ने के फ द बी मे कपय वह ॊ गमी थी तो मही कहती कक मह फ रयश के फ द गमी
थी औय इसक सफूत मे थ कक इसने भुझे वह ॊ से ब गते दे ि थ । मूॊ इन्स्ऩेक्िय दे व , जो कक ज नत है कक कत्र फ रयश
के दौय न हुआ थ , तत्क र इसे शक से फयी कय दे त ।’
‘अगय मे कह नी इसे मूॊ शक से फयी कय सकती थी तो इसने मे कह नी ऩहरे ही क्मों न ऩुमरस को सुन दी? इसे तो प मद
थ ऩहरे कह नी कह सन
ु ने भें !’
‘एक प मद थ तो एक नक
ु स न बी थ ।’
‘नुकस न क्म थ ?’
‘कपय शक की उॊ गरी इस ऩय से हिकय भेयी तयप उठ ज ती। कपय ऩुमरस भेये ऩीछे ऩड़ ज ती जो कक मे नहीॊ च हती थी।’
‘क्मोंकक श मद इसने तबी मे ननणाम रे मरम हुआ थ कक जव हय त व र मरप प इसने कह ॊ छुऩ न थ । तबी ऩमु रस भेये
ऩीछे ऩड़ ज ती तो जव हय त बी ऩुमरस द्व य भेये कभये भें से वह ॊ से फय भद कय मरए ज ने क ऩूय ितय थ जह ॊ कक
इसने उन्हें छुऩ म थ ।’
कैप्िन क मसय हौरे से सहभनत भें टहर । कपय उसकी प्रश्नसूचक ननग ह अचय की ओय उठी।
‘मे ऩ गर है ।’—अचय जोय से हॊ सती हुई फोरी—‘इसने फ रयश भें बीगती ज ती एक औत दे िी जजसकी इसने सयू त नहीॊ
दे िी। मे कहत है वो कोई नेऩ री औयत नहीॊ थी क्मोंकक अऩने ह थ भें थभे एक फन्डर से अऩन मसय ढकने की कोमशश
कयने के स्थ न ऩय वो उसे अऩनी छ ती से धचभि मे थी। वो औयत नेऩ री नहीॊ थी, मसपा इतने से ही इसक मे भतरफ हो
गम कक वो भैं थी? क्म स ये क ठभ ॊडू भें, स ये नेऩ र भें, भैं इकरौती गैयनेऩ री औयत हूॊ?’
कैप्िन के चेहये से वववेक को स प रग कक उसे अचय की वो फ त जॊची थी रेककन उससे उसके चेहये ऩय अॊककत उरझन
के ब व घिे नहीॊ, उनभें इज प ही हुआ। स प रग यह थ कक वो पैसर नहीॊ कय ऩ यह थ कक ककस फ त ऩय वो मकीन
कये औय ककस ऩय न कये ।
‘भैं’—वववेक फोर —‘एक औय तयीके से बी मे स बफत कय सकत हूॊ कक वह औयत अचय ही थी।’
‘इसक कहन है कक स ढे आठ फजे डडनय के फ द होतचन्द नी के फॊगरे से रुख्सत होने के फ द मे सीधे अऩने फ्रैि ऩय
ऩहुॊची थी जह ॊ कक इसने अऩने फ र धोमे थे औय कुछ कऩड़े धोमे थे। कपय जफ मे अऩने फैडरूभ भें रेिी न वर ऩढ यही थी
तो ऩुमरस क एक आदभी इसे फुर ने के मरए वह ॊ ऩहुॊच थ । मूॊ जफ मे फॊगरे ऩय ऩहुॊची थी तो उस वक्त इसने अऩने मसय
ऩय एक रूभ र फ न्ध हुआ थ औय ढे य स यी सुइम ॊ फ रों भें अिक ई हुई थीॊ।’
‘क्म िय फी है इसभें ?’—कैप्िन फोर —‘फ र धोने के फ द औयतें फ रों को सैि कयने के मरए उसभें सुइम ॊ रग ती ही हैं।
धोने के फ द फ र अगय सूिे अबी न हो औय कहीॊ फ हय ज न ऩड़ ज ए तो मसय ऩय रुभ र फ न्ध ही ज सकत है । इतन
तो भैं बी ज नत हूॊ।’
‘भैं बी ज नत हूॊ।’
‘तो?’
‘तो कोई भुझे मे फत ए कक जो औयत अबी टदन भें ब्मूिी ऩ राय से अऩने फ र सैि कय कय आमी हो, वो य त को ही उन्हें
कपय से धोने बर क्मों फैठ ज मेगी।’
‘टदन भें होतचन्द नी के फॊगरे ऩय जफ भैं उसके स थ भौजूद थ तो अचय वह ॊ ऩहुॊची थी। उस घड़ी मह फहुत सजी धजी थी
औय इसके फ रों की सजधज स प ऐसी रग यही थी जैसे मे उसी घड़ी उन्हें ककसी ब्मूिी ऩ राय से सैि कय कय आमी थी।
होतचन्द नी ने इसकी िफ
ू सयू ती की त यीप की थी तो इसने िद
ु कह थ कक सफ ब्मि
ू ी ऩ राय क कभ र थ । इसने िद
ु
कह थ कक ऩूय एक घन्ि रग थ इसे फ र सैि कय ने भें । अफ फत ओ मे क्म ऩ गर है जो इसने चन्द ही घन्िों के फ द
फ रों को कपय धोकय ब्मूिी ऩ राय की स यी भेहनत बफग ड़ दी।’
‘क ठभ ॊडू भें ब्मूिी ऩ राय सौ ऩच स नहीॊ हैं औय ऐसे ब्मूिी ऩ राय तो मसपा च य हैं जह ॊ तम्
ु ह ये जैसी दे श ववदे श घूभी हुई
थ ई भेभ ज सकती है । श भ को तम् ु ह ये होिर के कभये से ववद होने के फ द भैंने ब्मूिी ऩ रायों के चक्कय रग ने शुरू ककमे
थे तो दस
ू ये ही ऩ राय भें से भुझे मे सुनने को मभर गम थ कक थ ई भेभ स हफ मभसेज अचय मोसववधचत होतचन्द नी के
कत्र व रे टदन वह ॊ से अऩने फ रों को शैम्ऩू औय सैि कयव कय गमी थी औय वऩचहत्तय रुऩए क बफर बी फ द भें अद
कयने को कह गई थीॊ। अफ क्म कहती हो?’
उसके मभज ज भें वो ऩरयवतान कैप्िन ने तत्क र नोि ककम । उसकी ननग ह कुछ ऺण अचय के चेहये ऩय टिकी यही, कपय
वह ॊ से बिक कय भेज ऩय ऩड़े नोिों से बये सि
ू केस ऩय ऩड़ी औय उसकी उॊ गमरम ॊ अऩने ह थ भें थभी वऩस्तौर ऩय कस गईं।
‘तभ
ु ने दे ि थ भुझ?
े ’—कैप्िन नेत्र मसकोड़ कय फोर ।
‘नहीॊ।’
‘अन्द ज रग म । फ हय एक ऩेड़ की ओि भें िड़ी िोमोि क य ने अन्द ज रग ने भें भदद की जो कक ननश्चम ही तम्
ु ह यी
थी। ऊऩय से तफ फॊगरे भें कोई मकीनन थ क्मोंकक भुझे उसकी आहि मभर यही थी।’
‘ओह!’
‘तभ
ु ही ऩेड़ के ऩीछे छुऩी िड़ी िोमोि क य नम्फय एन ऩी डी १२८८
भें वह ॊ से ब गे थे।’
‘तभ
ु अफ जय मे म द कयने की कोमशश कयो कक वह ॊ ऩहुॊचने ऩय औय वह ॊ होतचन्द नी को भय ऩड़ ऩ ने के फ द ककतन
वक्त तम्
ु हें वह ॊ अऩने उस इकफ मरम फम न व रे मरप पे की तर श कयने के मरए मभर थ जो कक तम्ु हें जेर मबजव
सकत थ ? तफ भुझे वह ॊ से गए भुजश्कर से च य म ऩ ॊच मभनि हुए थे। अगय अचय तम् ु ह यी वह ॊ भौजूदगी के दौय न वह ॊ
नहीॊ आई थी तो कपय कफ आमी थी? कैसे उसने भझ ु े वह ॊ ऩहरे पेये भें आम दे ि हो सकत थ ? अगय वो तफ भेये वह ॊ से
कूच कय ज ने के फ द आमी होती तो वो अबी बीतय ही होती औय तभ
ु ऊऩय से ऩहुॊच गए होते। वो वह ॊ तफ नहीॊ आमी जफ
तभ
ु वह ॊ थे, वो तफ नहीॊ आमी जफ भैं वह ॊ थ तो कपय कफ आमी? आमी तो मे जरूय। मे िद
ु भ नती है इस फ त को। ऊऩय
से मह जव हय त क मरप प इसके वह ॊ गए होने की चग
ु री कयत है । मे वह ॊ आमी तो कफ आमी? कैप्िन क्म अफ बी मे
सभझन भुजश्कर है कक वो मरप प चयु ने मे फ रयश के फ द आमी नहीॊ हो सकती। फ रयश फन्द होते ही भैं वह ॊ ऩहुॊच गम
थ । भैं वह ॊ से ब ग थ तो तभ
ु आ गए थे। तभ
ु अबी वहीॊ थे तो भैं व वऩस रौि आम थ । तभ
ु ब ग गए थे औय भैं अबी
वहीॊ थ तो वह ॊ भछे न्द्रन थ य ण ऩहुॊच गम थ । कपय वह ॊ ऩमु रस ऩहुॊच गमी थी। मे कफ आमी वह ?
ॊ मकीनन फ रयश से
ऩहरे। औय फ रयश के दौय न वह ॊ से गई। कत्र फ रयश के दौय न हुआ। फ रयश के दौय न मसपा मे वह ॊ थी। अफ औय क्म
कहूॊ भैं? अगय अबी बी तम्
ु ह यी सभझ भें कुछ नहीॊ आ यह तो कपय बगव न ही कुछ सभझ सकत है तम्
ु हें ।’
‘शुि है ।’
‘पका ऩड़त है म नहीॊ ऩड़त है । भुझे भ रूभ होन च टहए कक असमरमत क्म है ?’
‘ह ॊ।’
‘नहीॊ। ज सूस तो वो तफ रग त जफ उसे भेये ऩय शक होत । होतचन्द नी से रयश्त होने के फ द तो भैंने कैप्िन से ऩूय
ऩयहे ज फयत थ ।’
‘फ त भ नक होतचन्द नी औय मोगेश कृऩर नी ने बफग ड़ी। वो दोनों नहीॊ च हते थे कक होतचन्द नी भेये से श दी कयके
नेऩ र को सद के मरए छोड़कय चर ज मे। ऐसे हो ज त तो उनके ऩकरे कुछ बी न ऩड़त जफ कक वे दोनों ही होतचन्द नी
की दौरत ऩय कफ से द ॊत गड़ ए हुए थे। स रे फहनोई की उस िीभ को ककसी तयीके से भेये औय कैप्िन के ऩुय ने त करुक त
की िफय रग गई। वो हभ यी ननगय नी कयने रगे। वऩछरे टदनों होतचन्द नी अऩन वह ॊ मसरमसर जभ ने के मरए फम्फई
चर गम थ । तफ मभरने जुरने को सेप ज न कय भैं औय कैप्िन कपय मभरने रगे। तफ हभें क्म ऩत थ कक वो दोनों
कभीने हभ यी ज सस
ू ी कय यहे थे। ऐस उन्होंने ककम बी ऐसी चतयु ई से कक हभें बनक तक न रगी। होतचन्द नी फीस
टदन तक क ठभ ॊडू से फ हय यह । उस दौय न भेयी कैप्िन से जह ,ॊ जजतनी भुर क त हुईं, उन सफ क सभम सफूत
मसरमसरेव य व्मौय उन कभीनों ने जभ कय मरम । कपय जफ होतचन्द नी रौि तो भ नक ने उसके क न बय टदए।’
‘कफ?’
‘तम्
ु हें ऩत कैसे रग ?’—उसने अचय से ऩछ
ू —‘कक होतचन्द नी को तम्
ु ह ये औय कैप्िन के घननष्ठ सम्फन्धों की िफय
रग गई थी?’
‘उसी ने फत म थ ।’—अचय फोरी—‘इसी फ फत उसने भुझे पोन ककम थ औय पोन ऩय ही भेये छक्के छुड़ कय यि टदए थे
कपय उसने कैप्िन को बी पोन ककम थ औय उसे बी पोन ऩय ही िफ
ू ियी िोिी सुन दी थी।’
वववेक ने कैप्िन की ओय दे ि ।
‘जरूय’—कैप्िन फोर —‘पोन ऩय भुझे ियी िोिी सुन कय उसक भन नहीॊ बय होग । जरूय वो भेय औय अचय क
आभन स भन कयव कय हभें औय जरीर कयन च हत होग ।’
‘आई सी।’
‘ऐस तभ
ु रयव कवय की वजह से कह यहे हो तो गरत कह यहे हो। वो रयव कवय भेये ऩहरे ऩनत सोपोन मोसववधचत की थी
औय उसे भैं सद अऩने फैग भें अऩने ऩ स यिती थी। भैं उसके कत्र के इय दे से वह ॊ नहीॊ गई थी। तफ कत्र क तो ख्म र
तक नहीॊ थ भेये जेहन भें ।’
‘तो गमीॊ क्मों?’
‘उसे सभझ ने की ि नतय। उसे ब्ेनव श कयने के मरए। वो फूढ भुझ ऩय रट्टू थ । भुझे उम्भीद थी कक जैसी सख्ती उसने
पोन ऩय भेये स थ फयती थी वैसी वो भुझे रूफरू ऩ कय नहीॊ फयतने व र थ । रेककन असर भें भेये र ड़ प्म य, भनुह य क
उस ऩय कोई असय न हुआ। भुझे रूऩरू ऩ कय तो औय बी आगफफूर हो गम । भुझे गन्दी द मरम ॊ तक फकने रग ।
धभक ने रग कक वो क ठभ ॊडू भें भझ
ु े सड़क की मबि रयन फन कय भ नेग । भैं उसकी सभथा को सभझती थी औय ज नती
थी कक वह अऩनी धभककमों ऩय िय उतयकय टदि सकत थ । श दी तो फट्टे ि ते भें चरी ही गई थी, ऊऩय से वह भुझे
औय बी तफ ह कय दे ने की धभककम ॊ दे यह थ । उस घड़ी भेये तो प्र ण क ॊऩ गए थे।’—वह एक ऺण टठठकी औय फोरी—
‘तभ
ु ने भेयी िस्त भ री ह रत की जो ऩड़त र की है , वो एकदभ सही है । भेये ऩय व कई कई तयह की उध यी चढी हुई थी
औय मह ॊ क ठभ ॊडू भें भेयी उससे बी फुयी दद
ु ा श हो सकती थी जो कक ऩहरे यॊ गून औय उससे ऩहरे मसॊग ऩुय भें हो चक
ु ी थी
औय जजसके फ ये भें सोचने बय से ही भेय दभ ननकरने रगत थ ।’
‘कैप्िन तम्
ु ह यी ऐसी दद
ु ा श होने दे त ?’
‘तभ
ु ऩ गर हो। अऩनी ही कही फ तें बूर यहे हो। अये , होतचन्द नी जजतन भेये से िप थ , उतन ही कैप्िन से बी तो
िप थ । वो कैप्िन को जेर मबजव ए बफन हयधगज न भ नत । जेर भें फैठ कैप्िन भेयी दद
ु ा श होने से कैसे योक रेत !’
‘ऊऩय से तभ
ु भेये से भह
ु ब्फत क दभ बयते हो।’—वह फोरी।
‘ऐस दभ भैं तभ
ु से ऩहरे औय औयतों की भुहब्फत क बी बय चक
ु हूॊ।’
‘रेककन…’
‘तभ
ु ि भि ह ऩये श न हो यहे हो। भैं कहती हूॊ जो हुआ उसे मे सभझ कय बर ू ज ओ कक उसी भें हभ दोनों की बर ई थी।
ववमरमभ, भेय स थ दो। भैं व द कयती हूॊ भैं तम्
ु ह ये जीवन को स्वगा फन दॊ ग
ू ी। भैं अऩन सफ कुछ तभ
ु ऩय न्मोछ वय कय
दॊ ग
ू ी। भैं तम्
ु ह यी द सी फनकय यहूॊगी। भैं तम्
ु ह यी ऐसी सेव करूॊगी जैसी कबी ककसी औयत ने ककसी भदा की न की हो। इस
वक्त ऩच स र ि के नोिों से बय सूिकेस हभ ये स भने है औय हभ य सुनहय बववष्म हभ यी फ ि दे ि यह है । अबी औय
थोड़ी दे य फ द हभ नेऩ र की सीभ से फ हय होंगे औय कपय ननववाघ्न फम्फई ऩहुॊच ज एॊगे। य स्ते भें हभ इन दोनों को’—उसने
वववेक औय श्वेत की तयप इश य ककम —‘ऩैय शि ू द्व य कहीॊ ड्र ऩ कय दें गे। ओके? मही तो हभ कयने व रे थे न? से
ओके, ड मरिंग।’
कैप्िन ि भोश यह ।
‘क्मोंकक तफ भेयी अऩनी ज न ऩय आ फनी थी। भेज के सेप के ऊऩय व रे दय ज भें एक रयव कवय ऩड़ी थी जो कक उसने सेप
िोरते िोरते ननक र कय एक एक अऩने ह थ भें रे री थी। उस घड़ी भैं उसे शूि न कयती तो वह भुझे शूि कय दे त ।
भजफूयन भुझे ऩहरे गोरी चर नी ऩड़ी।’
उसे रग कक कैप्िन को अचय की गोद भें ज धगयने से योकने के मरए कुछ कयन जरूयी थ ।
‘भैं कफ कह यही हूॊ कक भैं नहीॊ उठ र ई थी।’—वह फोरी—‘उसकी रयव कवय को तो भैंने उसके ह थ से ननकरकय नीचे
धगयते ही उठ मरम थ । जजस हधथम य से ककसी को ितय हो उसे वे अऩने क फू भें कयने की कोमशश कयत ही है । भेयी
जगह तभ ु होते तो जरूय तभ
ु बी मही कयते। फ द भें जफ भैं वह ॊ से यव न हुई तो फेध्म नी भें होतचन्द नी की रयव कवय बी
भेये स थ ही आ गई।’
कैप्िन ने उसे ह थ उठ कय चऩ
ु यहने को कह औय कपय वववेक की तयप घूभ ।
कैप्िन ऩय उसके मूॊ बड़कने क कोई असय हुआ तो वह कभ से कभ उसके चेहये ऩय न झरक । उसने एक फ य फड़े
उरझनऩूणा ब व से नोिों से बये सूिकेस की तयप दे ि औय कपय वववेक से फोर –‘अबी तम्
ु ह ये मे कहने क क्म भतरफ
थ कक मे रुऩम हभ ये ककसी क भ नहीॊ आने व र थ ?’
‘अफ तम्
ु ह यी सभझ भें मे बी आ गम होग कक क्मों द भोदय िेत न अबी बी जव हय त क ग्र हक थ औय उन्हें ियीदने के
मरए भय ज यह थ । वो ककसी बी कीभत ऩय इन नोिों से ऩीछ छुड़ न च हत थ । ऐस टहन्दोस्त न भें सम्बव नहीॊ थ ।
कपय वो एक तगड़ी नतकड़भ मबड़ कय इसे नेऩ र भें र म क्मोंकक वो ज नत थ कक नेऩ र भें टहन्दोस्त नी कये न्सी चरती
थी। मह ॊ उसने इन नोिों से ऩीछ छुड़ ने के मरए ही होतचन्द नी से जव हय त क सौद ककम । इन थ ई भेभ स हफ की
कृऩ से वो जन्नतशीन हो गम वन ा वो बी इन नोिों की वजह से ब यी भुसीफत भें पॊसत । तभ
ु बी इन नोिों को फम्फई रे
ज यहे हो। वह ॊ अफ तभ
ु उस भुसीफत भें पॊसोगे जजसभें होतचन्द नी पॊसने व र थ । फजकक तभ
ु जकदी पॊसोगे औय
मकीनन पॊसोगे। होतचन्द नी के ऩ स तो िचाने के मरए औय बी दौरत थी रेककन तम्
ु ह ये ऩ स तो इन नोिों के मसव म
कुछ बी नहीॊ। कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन, टहन्दोस्त न भें इस सूिकेस क ऩहर नोि िचा कयने की कोमशश कयते ही तभ
ु
जेर की सीॊिचों के ऩीछे टदि ई दोगे।’
‘तभ
ु झूठ फोर यहे हो।’—कपय वह फोर ।
‘कैसे?’
‘इसके मरए भझ
ु े अऩनी जेफ भें ह थ ड रन ऩड़ेग ।’
‘क्मों?’
‘क्म छऩ है उनभें?’
‘डकैती की िफय।’
‘ठीक है ।’—कैप्िन उसकी तयप वऩस्तौर त नत हुआ फोर —‘ननक रो। रेककन कटिॊग ही ननकरे। कटिॊग के मसव म कुछ
न ननकरे।’
वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म । उसने जेफ भें ह थ ड र औय टहन्दोस्त न ि इम्स के रयऩोिा य सुयेश कऩूय की उसके न भ
बेजी िे रीग्र भ औय उसी अिफ य की वो दो कटिॊग ननक रीॊ जो उसने द भोदय िेत न के होिर के कभये की तर शी के
दौय न उसके ब्ीपकेस भें से फय भद की थीॊ। कैप्िन के इश ये ऩय उसने उठकय कटिॊग नोिों व रे सि
ू केस के कयीफ भेज ऩय
यि दीॊ औय व वऩस अऩनी कुसी ऩय ज फैठ ।
‘अफ टहरन नहीॊ।’—कैप्िन चेत वनी बये स्वय भें फोर ।
‘तभ
ु बी।’—वो श्वेत से फोर ।
कैप्िन ने वऩस्तौर अऩने स भने भेज ऩय यिी औय वह ॊ से कटिॊग औय िे रीग्र भ उठ मीॊ। कपय वह फड़े गौय से उनक
भुआमन कयने रग ।
‘इसमरए नहीॊ है ।’—वववेक फोर —‘क्मोंकक द भोदय िेत न उसक असरी न भ नहीॊ है । उसक असरी न भ तो दे वेन्द्र
िेभक है ।’
‘तम्
ु हें कैसे भ रूभ?’
‘ऩक्क । दे ि नहीॊ, कैसे जय स कहने से भुझे फीस हज य के नोि दे गम ! इसे कहते हैं भ रे भुफ्त टदरे फेयहभ! हर र की
कभ ई कोई मू रुि त है!’
‘हूॊ।’
‘मकीनन मही दे वेन्द्र िेभक न भ क वो फैंक डकैत है जजसक अिफ य की कटिॊग्स भें जजि है । इसके असरी औय नकरी
न भ के प्रथभ अऺय एक हैं। ऐस द द रोग अक्सय कयते हैं। वो पजी न भ यिते हैं तो कोई ऐस न भ चन
ु ते हैं जजसके
प्रथभ अऺय, इनीमशमकस, उनके असरी न भ व रे ही हों।’
‘फड़ी आस नी से। तबी तो वो टदन य त हय घड़ी क र चश्भ रग मे यहत थ । क र चश्भ आदभी की शक्र छुऩ ने भें
फहुत सह मक होत है ।’
‘हूॊ।’
‘कहने क भतरफ मे कक इन नोिों को फम्फई म टहन्दोस्त न भें कहीॊ बी रे ज कय िचा कयने की कोमशश कयन जेर म त्र
क द वत दे न होग ।’
‘अफ दे ि तभ
ु ने कक मे द भोदय िेत न उपा दे वेन्द्र िेभक ककतन च र क आदभी ननकर ! जो भ र वो रे गम वो तो एक
तयह से इन्ियनेशनर कये न्सी क दज ा यित है औय जो भ र वो तभ
ु रोगों को थोऩ गम वो टहन्दोस्त न से फ हय कूड़ है ।’
‘कयै क्ि। रेककन भेभ स हफ, आऩ मह ॊ रुकन अऩोडा नहीॊ कय सकतीॊ। आऩने एक नहीॊ दो दो कत्र ककए हैं मह ॊ।’
‘म नी कक मह ॊ की ऩुमरस को तभ
ु भूिा सभझती हो।’
‘भतरफ?’
‘मे न बूरो कक जो त्म भुझे उऩरब्ध हैं मही ऩुमरस को बी उऩरब्ध हैं। मसव म इस फ त के कक तभ
ु ने कह थ कक तभ
ु ने
होतचन्द नी की र श एक ऩहरू के फर ऩड़ी दे िी थी, ऩुमरस हय फ त ज नती है । दे य सवेय वो बी इस नतीजे ऩय ऩहुॊचग
े ी
जजस ऩय कक भैं ऩहुॊच । भ ई डडमय थ ई भैडभ, मुअय अये स्ि हे मय इज ओनरी ए भैिय आप ि इभ।’
‘वो द भोदय िेत न क फच्च अबी महीॊ होग ।’—कैप्िन फोर —‘क ठभ ॊडू भें वो ऐसे छुऩ नहीॊ सकत । भैं उससे जव हय त
व वऩस ह मसर कय सकत हूॊ।’
वह सोचने रग ।
‘तभ
ु ठीक कह यहे हो।’—अन्त भें वह ननण ामक स्वय भें फोर ।
उसने अिफ य की कटिॊग औय िे रीग्र भ भेज ऩय उछ र दी औय वह ॊ ऩड़ी अऩनी वऩस्तौर की तयप ह थ फढ म ।
अचय के ह थ भें उस घड़ी एक रयव कवय चभक यही थी औय वह उसक कैस बी इस्तेभ र कयने भें दृढप्रनतऻ टदि ई दे यही
थी।
‘तभ
ु ’—वह ववषबये स्वय भें फोरी—‘कौन सी रयव कवय से भयन च हते हो?’
‘भैं तो भयन ही नहीॊ च हत । भैं तो इसमरए ऩूछ यह थ कक होतचन्द नी के कत्र की य त को जफ ऩुमरस ने तम्
ु ह ये फ्रैि
की तर शी री थी तो वह ॊ से इन दोनों भें से कोई रयव कवय फय भद क्मों नहीॊ हुई थी?’
‘तो कह ॊ थीॊ?’
‘क य भें।’
‘ऩुमरस ने तम्
ु ह यी क य की तर शी नहीॊ री थी?’
‘भेयी कोई क य है ही नहीॊ। जो क य भेये अधधक य भें है , वो होतचन्द नी की है । होतचन्द नी ने अऩनी जजन्दगी भें अऩनी
एक क य भझ
ु े इस्तेभ र के मरए दी हुई थी।’
‘ह ॊ।’
‘उन्होंने क य की फ फत तम्
ु ह ये से कोई सव र नहीॊ ककम थ ?’
‘ककम थ । उन्होंने ऩूछ थ कक क्म भेये ऩ स कोई क य थी।’ भैंने कह थ नहीॊ। उनकी इतने से तसकरी हो गमी थी।’
‘क्मों?’
‘क य र व रयस सड़क ऩय िड़ी यहती थी। मह ॊ सड़क ऩय िड़ी क यों भें से स्िीरयमो वगैयह की चोयी की घिन एॊ आभ होती
हैं। भैं मह ितय नहीॊ उठ न च हती थी कक स्िीरयमो वगैयह के र रच भें कोई चोय भेयी क य िोरत औय जव हय त क
ऩैकेि वे उड़त ।’
‘ओह!’
‘कोई औय सव र?’
‘भेयी!’
‘होतचन्द नी व री कह ॊ गमी?’
‘तभ
ु ने होतचन्द नी व री रयव कवय से शभशेय थ ऩ को शि
ू ककम थ ?’
‘ह !ॊ ’
‘क्मों?’
‘वो तम्
ु हें ज नत थ ?’
‘ज नत ही होग जो अगरे योज ही अऩनी ि भोशी की कीभत भ ॊगने भेये फ्रैि ऩय ऩहुॊच गम ।’
‘तभ
ु ने उससे य त को कोई कीभत अद कयने क व द ककम , कपय य त को अऩनी क य भें बफठ कय तभ
ु उसे नदी ककन ये रे
गमीॊ औय वह ॊ तभ
ु ने उसे शूि कय टदम ?’
‘औय क्म कयती? उसकी ि भोशी की कीभत अद कयने र मक कोई यकभ कह ॊ थी भेये ऩ स? वो तो इन्तज य बी नहीॊ
कयन च हत थ । फ य फ य ऩुमरस के ऩ स ज ने की धभकी दे यह थ । य त तक ि भोश यहने की ह भी बी भैं उससे फड़ी
भुजश्कर से बयव ऩ मी थी।’
‘क य ऩय तम्
ु ह ये स थ यव न होते वक्त उसे तभ
ु ऩय शक नहीॊ हुआ? तम्
ु ह य क नतर न इय दों की कोई बनक नहीॊ रगी
उसे?’
‘रगती। अगय…’
‘अगय क्म ?’
‘म नी कक तभ
ु ने उसे अऩने रूऩ औय मौवन से रयझ म ?’
‘अफ जफ तभ
ु भझ
ु े डूफत जह ज फत कय भेये से ऩकर झ ड़ रेने ऩय अभ द हो उठे थे तो औय क्म कयती।’
‘वही जो ऩहरे थ ।’
‘क्म भतरफ?’
‘हभ तम्
ु ह ये प्रेन ऩय नेऩ र से कूच कय यहे हैं।’
‘हभ कौन?’
‘हभ सफ! तभ
ु , भैं औय मे दोनों।’
‘मे दोनों बी?’
‘तभ
ु सभझती हो कक तभ
ु भुझे जफयदस्ती प्रेन उड़ ने ऩय भजफूय कय सकती हो?’
‘तम्
ु ह यी कोमशश न क भ होगी।’
‘दे िेंगे।’
‘सुन ।’
‘मकीन है ।’
‘तो?’
‘एक डकैती के नोिों को ट्रे स कयने के अर व ऩुमरस को औय बी सैकड़ों क भ होते हैं। कपय इन नोिों को एक भुश्त म फड़ी
फड़ी ककश्तों भें िचा कयने क भेय कोई इय द नहीॊ। भझ
ु े मकीन है कक एक एक दो दो कयके भैं इन नोिों को चर रॊग
ू ी।
अबी भेयी जरूयत फम्फई भें अऩन फेस फन न है , इनके फर ऩय एय्म शी कयन नहीॊ। एय्म शी के मरए फहुत वक्त ऩड़ है ।
भैं डकैती की फ त ऩूयी तयह से ठन्डी हो ज ने तक इन्तज य कय सकती हूॊ। वैसे बी इस वक्त जो प्रभुि क भ भेये स भने है
वो इन नोिों की कपि कयन नहीॊ, फजकक मह ॊ से ननकर ब गन है । वववेक ठीक कहत है । इन्स्ऩेक्िय दे व को दे य सवेय
सूझ सकत है कक क नतर भेये मसव म कोई नहीॊ हो सकत । भैं मह ॊ डफर भडाय के इरज भ भें धगयफ्त य होकय प ॊसी ऩय
नहीॊ झर
ू न च हती। होतचन्द नी की ऩहरे से फक
ु च िा डा फ्र इि की सयू त भें मह ॊ से पय य होने क जो सन
ु हय भौक इस
वक्त भेये स भने है वो दोफ य ह थ नहीॊ आमेग ।’
‘तम्
ु हें नहीॊ।’—वह फड़े इत्भीन न से फोरी।
‘क्म भतरफ?’
वह भुस्कय मी।
‘तम्
ु हें गोरी भ य दॊ ग
ू ी’—वह फोरी—‘तो प्रेन कौन उड़ मेग ?’
‘तो मे इय द है तम्
ु ह य !’
श्वेत क ऩहरे से ही ऩीर ऩड़ चेहय औय ऩीर ऩड़ गम थ । उसने क तय ब व से वववेक की तयप दे ि ।
श्वेत के ककसी फुये अन्ज भ के ख्म र से वववेक क करेज भुॊह को आने रग । उस घड़ी वह श्वेत से िप नहीॊ थ कक
उसने िै क्सी भें ही फैठे यहने की उसकी फ त नहीॊ भ नी थी, फजकक अऩने आऩ से िप थ कक क्मों उसने श्वेत के स थ
आने की जजद भ नी। उस घड़ी फड़ी मशद्दत के स थ उसे भहसूस हुआ कक वह ककतन ज्म द प्म य श्वेत से कयत थ । वह
अऩने होते श्वेत क फ र बी फ ॊक नहीॊ होने दे सकत थ ।
उस घड़ी उसने वो क भ ककम जो ऩहरे कयने से वो भतव तय टहचक यह थ । उसने अऩने कोि के दोनों फिन िोर टदए।
अफ िि ु यी ऩय उसक ह थ आस नी से ऩहुॊच सकत थ । वह तननक आश्वस्त हुआ। िद
ु आश्वस्त हुआ तो उसने आॊिों-
आॊिों भें श्वेत को बी आश्व सन टदम ।
उसक ध्म न कपय अचय की तयप गम जो श्वेत के उठकय उसके कयीफ आने की प्रतीऺ कय यही थी। वो औयत दो िन
ू
कय चक
ु ी थी औय अफ ननश्चम ही तीसय —म चौथ , िद
ु उसक बी—िन
ू कयने से टहचकने व री नहीॊ थी। जफ बी कैप्िन
के प्रेन उड़ ने से इनक य कयने ऩय वह उसक बी िन
ू कय सकती थी औय अऩने फच व की कोई तयकीफ सोच सकती थी।
वो कोई औय भुग ा पॊस सकती थी जो उसकी फर अऩने मसय रेने को तैम य हो सकत थ । ऐसे क भों भें वह औयत भ टहय
थी।
ििु यी रयव कवय क भुक फर कैसे कय सकती थी? कैसे वो उसे उस ऩगर ई हुई औयत के खिर प फेहतयीन तयीके से
इस्तेभ र कय सकत थ !
‘तू ने सुन भैंने क्म कह ?’—एक एक अचय ककाश स्वय भें फोरी—‘उठकय फोरी—‘उठकय इधय भेये ऩ स आ।’
फड़ी भेहनत से श्वेत कुसी से उठकय िड़ी हुई। उसक चेहय पक थ , उसकी ि ॊगें क ॊऩ यही थीॊ औय रगत थ वो वहीॊ धगय
कय ढे य हो ज ने व री थी।
‘नहीॊ।’
‘तो कपय…’
‘तभ
ु ऩ गर हो।’—कैप्िन फोर —‘जो तभ
ु च हती हो वो नहीॊ हो सकत तभ
ु जफयदस्ती भुझे प्रेन उड़ ने ऩय भजफूय नहीॊ
कय सकतीॊ।’
‘तभ
ु से भैं एक ही फ त सुनन च हती हूॊ कक तभ
ु प्रेन उड़ ने को तैम य हो।’
‘क्म सुनूॊ।’
‘भैं तम्
ु हें एक घॊिे क वक्त दे त हूॊ।’
‘अकेरे?’
‘ह ॊ।’
‘औय तभ
ु ?’
‘भैं महीॊ यहूॊग औय भेये स थ जो फीतेगी भैं उसे भन्जूय कय रूॊग । भेये ऩय मसपा अऩय धी की—तम्
ु ह यी—भदद कयने क
इरज भ आ सकत है औय उसकी जो सज होगी, भैं बग ु त रॊग
ू तभ ु अऩन स भ न, नोिो से बय मे सि ू केस फ हय िड़ी
अऩनी क य भें र दो औय मह ॊ से यव न हो ज ओ।’
‘एक घन्ि मह ॊ तभ
ु क्म कयोगे?’
‘उसके फ द भैं नहीॊ तो रुऩम फ डाय ऩय ऩकड़ ज मेग । रुऩम ऩकड़ गम तो भैं क्म इजन्डम की ि क छ नने वह ॊ ज ऊॊगी।
भैं इतनी फेवकूप नहीॊ। भ ई डडमय ववमरमभ, इजन्डम भुझे मसपा तभ
ु ही ऩहुॊच सकते हो।’
‘मे तम्
ु ह य आखियी पैसर है ?’
‘ह ॊ। तभ
ु फेशक भझ
ु े गोरी भ य दो।’
‘तम्
ु हें नहीॊ। इसे।’—उसने रयव कवय की न र श्वेत की तयप रहय ई—‘इन नेऩ री गुडड़म की भौत ऩय आॊसू फह ने को
तैम य हो ज ओ कैप्िन ववमरमभ भूॊग ववन।’
वववेक क ह थ हौरे से िि
ु यी की भठ
ू ऩय सयक गम ।
िि
ु यी अचय के रयव कवय व रे ह थ के कन्धे से िकय मी। तत्क र उस कन्धे भें से िन
ू क पव्व य छूि ऩड़ । एन वक्त
ऩय िि
ु यी मॊू आ िकय ने से उसक ननश न चक
ू गम । कैप्िन फ र फ र फच । कपय दोफ य गोरी चर ऩ ने से ऩहरे ही
अचय त्मौय कय नीचे धगय ऩड़ी औय रयव कवय उसके ह थ से छूि कय वववेक के स भने आ धगयी।
‘तभ
ु ने भुझे धोि टदम ।’—वह पुसपुस ई।
‘तम्
ु ह यी तकदीय ने तम्
ु हें धोि टदम ।’—कैप्िन धीये से फोर —‘छोकय मह ॊ हधथम यफन्द आम थ । हभें इसकी तर शी
रेनी च टहए थी। हभें इसको जेफ भें ह थ ड रने से योके यहकय ही सन्तष्ु ि नहीॊ हो ज न च टहए थ ।’
‘तभ
ु अबी बी भेय स थ दे सकते हो।’
‘कैसे?’
‘नहीॊ। अरफत्त तभ
ु अबी बी मह ॊ से ननकर ज न च हो तो भैं इन्हें मह ॊ योके यह सकत हूॊ।’
‘भैं घ मर हूॊ।’
वह ि भोश यही।
‘औय स ये नोिों क र रच कयने के स्थ न ऩय एक-दो गड्डडम ॊ स थ रे ज ओ। इजन्डमन कये न्सी भें छोिी-भोिी यकभ की
फ डाय ऩय कोई चैककॊग नहीॊ होती। तभ
ु ननववाघ्न फ डाय ऩ य कय ज ओगी। अफ फोरो।’
‘फेहतय।’
कैप्िन आगे फढ ।
तबी ब्ेकों की तीिी चयचय हि के स थ एक क य के फ हय कम्ऩ उण्ड भें आकय रुकने की आव ज आमी। स थ ही जभीन ऩय
धम्भ-धम्भ ऩड़ते कदभों की आव ज आने रगी।
‘िफयद य।’—इन्स्ऩेक्िय दे व ि री ह थ थ रेककन मॊू योफ से फोर जैसे उसके ऩ स तोऩ हो—‘हधथम य धगय दो।’
इन्स्ऩेक्िय दे व के ननदे श ऩय एक मसऩ ही आगे फढ औय उसने कैप्िन की वऩस्तौर, अचय की रयव र ्वय औय वववेक की
िि
ु यी पशा ऩय से फिोय रीॊ।
इन्स्ऩेक्िय दे व की ननग ह ऩैन होती हुई स ये कभये भें कपयी औय अचय मोसववधचत ऩय आकय टिकी।
वववेक ने जकदी-जकदी फत म ।
इन्स्ऩेक्िय के इश ये ऩय दो मसऩ टहमों ने उसे उठ कय एक कुसी ऩय बफठ म औय उसकी जैकेि उत यकय उसके जख्भ क
भुआमन ककम । वववेक को बी टदि ई टदम कक जख्भ कोई ि स गहय नहीॊ थ , औयत भें िन
ू क उप न ही ज्म द थ जो
वह मॊू फेतह श फह यह थ ।
तफ इन्स्ऩेक्िय कपय वववेक की तयप आकवषात हुआ औय फोर —‘अफ फ की कह नी सुन ओ।’
वववेक के ि भोश होते ही जो ऩहर आदे श इन्स्ऩेक्िय दे व ने ज यी ककम , वह द भोदय िेत न की धगयफ्त यी क थ । उसने
सफ-इन्स्ऩेक्िय कुभ य फह दयु को कह कक वह किस्िर होिर से उस आदभी को ऩकड़े औय इसके स थ ऩुमरस स्िे शन
ऩहुॊच।े
सफ फ हय ऩहुॊच।े
‘तभ
ु दोनों’—वह वववेक औय श्वेत से फोर ‘—दत्त त्रेम की िै क्सी भें फैठो औय हभ ये ऩीछे ऩीछे आओ।’
वववेक ने सहभनत भें मसय टहर म । उसने श्वेत क ह थ थ भ औय दत्त त्रेम के स थ फ हय सड़क ऩय ऩहुॊच जह ॊ कक उसकी
िै क्सी िड़ी थी। दोनों िै क्सी की वऩछरी सीि ऩय सव य हो गए।
वववेक ने आश्व सनबये ब व से श्वेत क कन्ध थऩथऩ म तो वह कसकय उसके स थ मरऩि गई। उसक शयीय यह यहकय
मूॊ क ॊऩ ज त थ , जैसे ऩीछे मसय ऩय भॊडय ती भौत क ख्म र उसके जेहन से अबी बी न ननकर यह हो।
‘ओह!’
‘भझ
ु े नहीॊ रगत कक भौजद
ू ह र त भें भैं अऩनी सोभव य की फ्र इि ऩकड़ सकॊू ग । भझ
ु े वो टिकि कैंमसर कय नी होगी।’
‘तम्
ु ह यी नौकयी क क्म होग ?’
‘भैंने िे रीग्र भ बेजकय नौकयी ज मन कयने भें एक हफ्ते के वक्त की भोहरत भ ॊगी है । भोहरत मभर गई तो कुछ नहीॊ
होग । न मभरी तो औय नौकयी तर श कयनी ऩड़ेगी। फहयह र किा सी द भोदय िेत न रुऩमे ऩैसे क तो फटढम सह य हो ही
गम है ।’
‘भझ
ु े िश
ु ी है ।’
‘ऩहरे तो तम्
ु ह ये इतने उच्च ववच य नहीॊ थे?’
‘औय मे’—वह श्वेत क ह थ थ भकय उसे अॊगूठी ऩहन त हुआ फोर —‘मभस्िय ज र न की तच्
ु छ बें ि मभसेज ज र न की
सग ई की िश
ु ी भें ।’
‘भेयी नेऩ री फहन से श दी कय यहे हो।’—दत्त त्रेम रयमय व्मू मभयय से झ ॊकत हुआ फोर —‘फध ई हो, श फ।’
।।सभ प्त।।