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एक ां की सांचय
)अभ्यास-पुस्तिका (
5. मह भ रत की एक स ाँझ (भारत भूषण अग्रवाल)

प्रश्न 1. जो अपने सगे संबंधियों को गाजर-मूली की भााँधि कटवा सकिा है, जो अपने भाइयों को जीधवि जलवा दे ने में भी नही ं
धहचकिा, जो आदमी अपनी भाभी को भरी सभा में अपमाधनि करने में आनंद ले सकिा है, उसका लज्जा से क्या पररचय?

(क) उपययुक्त कथन धकसने, धकससे, धकस संदभु में कहे हैं? अनहोनी बाि से धकस घटना की ओर संकेि है?
उत्तर- जब दय योिन आत्मरक्षा के धलए द्वै िवन के जलस्तंभ में धिपिा है िब भीम उसे ललकारिा है, उस समय यह कथन पांडय पयत्र
ययधिधिर ने अपने भाई भीम से कहा है। अनहोनी बाि से धनलुज्ज दय योिन से लज्जज्जि होने की उम्मीद करने की ओर संकेि
है।

(ख) 'गाजर-मूली की िरह कटवाना' का प्रयोग धकस उद्दे श्य से धकया गया है और क्यों?
उत्तर- महाभारि के ययद्ध में अनेक योद्धा मारे गए थे, उसे बिाने के उद्दे श्य से इसका प्रयोग धकया गया है। क्योंधक महाभारि का
ययद्ध दय योिन की अनीधि के कारण लडा गया था।

(ग) धकसने अपने भाइयों को जीधवि जलवाने का प्रयास धकया? घटना का उल्लेख कीधजए |
उत्तर- दय योिन ने अपने चचेरे भाई पांडवों को जीधवि जलवाने का प्रयास धकया था। ययधिधिर के मंत्री पयरोचन ने लाख से भवन का
धनमाुण करवाया था। राि के समय जब पांडव सो रहे होंगे िब उस भवन को आग लगाकर उन्हें जलाकर मारने की योजना
बनाई थी।

(घ) अपनी भाभी को भरी सभा में अपमाधनि करने की घटना का उल्लेख कीधजए|
उत्तर- द्रौपदी दय योिन की भाभी थी। ययधिधिर जब अपनी पत्नी द्रौपदी को जयए में हार जािा है िब दय योिन के आदे श पर उसके
िोटे भाई दय शासन ने भरी सभा में द्रोपदी का चीर हरण (वस्त्रहरण) करने का प्रयत्न धकया था। इस प्रकार उन्होंने अपनी
भाभी द्रौपदी को भरी सभा में अपमाधनि धकया था।
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प्रश्न 2. अरे नीच ! अब भी िेरा गवु चूर नही ं हुआ। यधद बल है िो आ न बाहर और हमको पराधजि करके राज्य प्राप्त कर।
वहा बैठा-बैठा क्या वीरिा बखानिा है ! िू क्या समझिा है, हम िेरी थोथी बािों से डर जाएं गे?

(क) उपययुक्त कथन धकसने, धकससे कहे हैं? धकसका गवु अभी चूर नही ं हुआ था? वक्ता ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर- उपययुक्त कथन ययधिधिर ने दय योिन से कहे हैं। वक्ता ने ऐसा इसधलए कहा है क्योंधक दय योिन के सभी साथी ययद्ध में मारे गए
थे। इसधलए सरोवर के जलस्तंभ में िय पकर बैठा था और अभी भी उसकी भयजाओं में बल होने बाि कह रहा था।

(ख) 'यधद बल है िो आ न बाहर' वक्ता ने धकसे, कब िथा क्यों ललकारा है?


उत्तर- वक्ता ययधिधिर ने दय योिन को ललकारा है। क्योंधक दय योिन आत्मरक्षा के धलए द्वै िवन के जलस्तंभ में धिपकर अपने आप
को योद्धा कह रहा था।

(ग) 'अरे नीच' ! का संबोिन धजसके धलए प्रयोग धकया गया है उसके चररत्र की प्रमयख धवशेषिाएाँ बिाइए।
उत्तर- अरे नीच का संबोिन दय योिन के धलए धकया गया है। वह अत्यंि वीर, पराक्रमी, महत्वाकांक्षी, गदा ययद्ध में पारं गि, रण
कौशल में धनपयण था। परन्तय वह अत्यंि उद्दं ड, स्वेच्छाचारी, दं भी िथा दय ष्ट प्रवृधत्त का था।

(घ) वक्ता ने श्रोिा की धकन थोथी बािों का उल्लेख धकया है और क्यों?


उत्तर- वक्ता ययधिधिर ने दय योिन की वीरिा और िाकि की थोथी बािों का उल्लेख धकया है। क्योंधक वह डर कर अपने आप को
बचाने के धलए जलस्तंभ में धिपा बैठा था और वही से अपनी िाकि और वीरिा का बखान कर रहा था।
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प्रश्न 3. धजस कालाधि को िूने वषों िृि दे कर उभारा है, लपटों में साथी िो स्वाहा हो गए। उसके घेरे से िू क्यों बचना चाहिा है?
अच्छी िरह समझ ले, यह िेरी आहुधि धलए धबना शांि न होगा।

(क) 'कालाधि' शब्द का प्रयोग धकस संदभु में हुआ है और क्यों?


उत्तर- कालाधि मिलब मृत्यय की ज्वाला। यहााँ इसका प्रयोग महाभारि के ययद्ध के संदभु में हुआ है। यह ययद्ध दय योिन की
महत्वाकांक्षा के कारण शयरू हुआ था।

(ख) ‘घृि' शब्द का प्रयोग धकस धलए धकया गया है? धकसके साथी कब और क्यों स्वाहा हो गए?
उत्तर- घृि मिलब घी। धजस प्रकार घी आग को भडकाने का काम करिा है उसी प्रकार दय योिन की महत्वाकांक्षा ने महाभारि
के ययद्ध को भडकाया था। दय योिन के साथी इसी महाययद्ध रुपी कालाधि में मरकर स्वाहा हो गए थे। क्योंधक उन्होंने अिमु
का साथ धदया था।

(ग) वक्ता कौन है? उसका पररचय दीधजए।


उत्तर- वक्ता पांडय एवं कयंिी का दू सरा पयत्र भीम है। वह अत्यंि बलवान, भीमकाय, वीर, पराक्रमी, दृढ़ प्रधिज्ञ िथा कयशल योद्धा था।
गदा ययद्ध में उसे कोई पराधजि नही ं कर सकिा था। उसका स्वभाव अत्यंि उग्र एवं चंचल था।

(घ) 'िेरी आहुधि धलए धबना शांि न होगा' - वाक्य का आशय स्पष्ट कीधजए |
उत्तर- महाभारि का ययद्ध दय योिन की महत्वाकांक्षा के कारण हुआ था। उसमें दय योिन के सभी साथी मारे गए थे। दय योिन की मृत्यय
के धबना यह ययद्ध समाप्त नही ं होने वाला था। इस वाक्य का आशय यह है धक पांडव उससे ययद्ध करके उसे मौि के घाट
उिारना चाहिे थे।
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प्रश्न 4. अरे पामर ! िेरा िमु िब कहााँ चला गया था, जब एक धनहत्थे बालक को साि-साि महारधथयों ने धमलकर मारा था, जब
आिा राज्य िो दू र सूई के नोक के बराबर भी भूधम दे ना ियझे अनयधचि लगा था। अपने अिमु से इस पयण्य लोक भारि भूधम
में द्वे ष की ज्वाला ििकाकर अब िू िमु की दय हाई दे िा है? धिक्कार है िेरे ज्ञान को धिक्कार है िेरी वीरिा को।

(क) 'पामर' शब्द का प्रयोग धकसके धलए धकया गया है? क्या आप इस संबोिन को उधचि मानिे हैं?
उत्तर- पामर शब्द का प्रयोग दय योिन के धलए धकया गया है। यह संबोिन उधचि है। क्योंधक दय योिन और उसके साधथयों ने ययद्ध
के धनयमों का उल्लंघन धकया था। वह अिमु से ययद्ध जीिना चाहिा था। परन्तय जब वह अकेला रह जािा है, िब उसे िमु
और नीधि याद आिी है।

(ख) धनहत्था बालक कौन था? साि महारधथयों द्वारा कब और धकस प्रकार मारा गया था? घटना का संकेि कीधजए |
उत्तर- धनहत्था बालक अजयुन और सयभद्रा का पयत्र अधभमन्यय था। कौरवों द्वारा रचाए गए चक्रव्यूह को िोडकर वह अंदर प्रवेश
करिा है और दय योिन के पयत्र लक्ष्मण का वि कर दे िा है। परन्तय उसे बाहर आने का ज्ञान नही ं था। उसी बाि का फ़ायदा
उठाकर ययद्ध के धनयमों का उल्लंघन करिे हुए कौरव सेना के साि महारधथयों ने धमलकर धनहत्थे अधभमन्यय को घेर कर
उसकी हत्या की थी।

(ग) वक्ता के अनयसार श्रोिा को कौन-सी बाि अनयधचि लगी थी िथा कब?
उत्तर- वक्ता के अनयसार जब पांडवों ने अपने अधिकार के आिे राज्य की मााँग की थी, िब श्रोिा दय योिन को पांडवों के धलए सयई
के नोक के बराबर भी भूधम दे ने की बाि अनयधचि लगी थी।

(घ) वक्ता के अनयसार श्रोिा ने िमु की दय हाई धकस प्रकार दी?


उत्तर- वक्ता के अनयसार श्रोिा की महत्वाकांक्षा के कारण महाभारि का ययद्ध हुआ था। जब वह अकेला जीधवि बच जािा है िो
अपने प्राणों को बचाने के धलए िमु की दलील दे िा है धक धजस प्रकार उसने पांडवों को िेरा साल का समय धदया था, उसी
प्रकार उसे भी समय धदया जाए, ऐसा न करना अिमु है।

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प्रश्न 5. पहले वीरिा का दं भ और अंि में करुणा की भीख ! कायरों का यही धनयम है | परं िय दय योिन ! कान खोलकर सयन लो |
हम ियम्हें दया करके िोडेंगे भी नही ं और ियम्हारी भााँधि अिमु से हत्या कर बधिक भी न कहलाएाँ गे |

(क) वक्ता और श्रोिा कौन हैं? कायरों के धकस धनयम का उल्लेख धकया है?
उत्तर- वक्ता ययधिधिर और श्रोिा दय योिन है। वक्ता ने कायरों के धनयम का उल्लेख धकया है धक वे पहले अपनी वीरिा का झूठा
धदखावा करिे हैं और जब उन्हें अपनी मृत्यय धदखिी है, िब करुणा की भीख म ग ाँ िे हैं। अथाुि प्राण दान के धलए याचना
करिे हैं।

(ख) वक्ता के चररत्र की प्रमयख धवशेषिाओं का उल्लेख कीधजए |


उत्तर- वक्ता ययधिधिर महाराज पांडय एवं कयंिी के ज्येि पयत्र है। वे एक िमुधनि, सत्यवादी, सदाचारी एवं न्यायधप्रय व्यज्जक्त थे। वे सदा
बडों की आज्ञा का पालन करिे हुए नीधि के मागु पर चले थे। उन्होंने हमेशा सबका धहि चाहा। उन्हें िमुराज भी कहा जािा
है।

(ग) वक्ता के अनयसार उसने श्रोिा से धकस प्रकार का ययद्ध करने की पेशकश की और क्यों?
उत्तर- वक्ता के अनयसार उसने श्रोिा से िमु के धनयमों के अनयसार ययद्ध करने की पेशकश की। क्योंधक वक्ता दय योिन पर दया
करके उसे जीधवि भी िोडना नही ं चाहिे थे िथा उसके समान अिमु से उसकी हत्या करके स्वयं हत्यारे भी नही ं बनना
चाहिे थे।

(घ) इस ययद्ध का क्या पररणाम धनकला?


उत्तर- दय योिन और भीम के बीच गदा ययद्ध हुआ था। दोनों ही बडे पराक्रम से लडे । दय योिन का पलडा भारी पड रहा था िब श्री
कृष्ण के संकेि पर भीम ने दय योिन की जंघा पर गदा से प्रहार धकया। एक चीख के साथ दय योिन भूधम पर धगर पडा। इस
प्रकार इस ययद्ध में पांडवों की जीि हुई।

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प्रश्न 6. धवफलिा के इस मरुस्थल में एक बूाँद आएगी भी िो सूखकर खो जाएगी। यधद ियम्हें इसी में संिोष हो धक ियम्हारी
महत्वाकांक्षा मेरी मृि दे ह पर ही अपना जयस्तंभ उठाए िो धफर यही सही।

(क) वक्ता कौन है? उपययुक्त कथन का संदभु स्पष्ट कीधजए।


उत्तर- वक्ता दय योिन है। महाभारि के ययद्ध में कौरवों के पक्ष में केवल दय योिन बचा था। वह अपने आप को बचाना चाहिा था
परन्तय पांडव उसे ययद्ध के धलए ललकारिे हैं। उस समय अपना पक्ष रखिे हुए वक्ता ने यह कथन कहा है।

(ख) 'धवफलिा के इस मरुस्थल में एक बूाँद आएगी भी िो सूखकर खो जाएगी' - आशय स्पष्ट कीधजए।
उत्तर- धजस प्रकार मरुस्थल में पानी की एक बूाँद सूखकर धवलयप्त हो जािी है, उसी प्रकार दय योिन को अपने जीधवि रहने की
कामना करना व्यथु लग रही है। क्योंधक उसका साथ दे ने वाले सभी मर चयके हैं।

(ग) 'यधद ियम्हें इसी में संिोष हो ---------' कथन का संदभु स्पष्ट कीधजए।
उत्तर- दय योिन अपने आप को बचाने के धलए भरसक प्रयत्न करिा है। परं िय वह जनिा है धक पांडव उसे बख्शेंगे नही ं। िब वह
ययद्ध करने के धलए िैयार हो जािा है। उस समय उसने यह कथन कहा है।

(घ) 'महाभारि की एक सााँझ' एकांकी के शीषुक की साथुकिा पर प्रकाश डाधलए।


उत्तर- 'महाभारि की एक सााँझ' शीषुक अत्यंि सटीक है। धजस प्रकार धदन का अंि उसकी सााँझ से होिा है, उसी प्रकार महाभारि
के ययद्ध का अंि दय योिन की पराजय एवं उसकी मृत्यय के बाद के बाद हुआ था । इस अंधिम घटना को ‘महाभारि की एक
सााँझ’ कहा गया है।

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प्रश्न 7. पश्चािाप िो ियम्हें होना चाधहए। मैं क्यों पश्चािाप करू ाँ गा? मैंने ऐसा कौन-सा पाप धकया है? मैंने अपने मन के भावों को
गयप्त नही ं रखा, मैंने षड्यंत्र नही ं धकया, मैंने गयरुजनों का वि नही ं धकया?
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(क) आपकी दृधष्ट में 'पश्चािाप' धकसे होना चाधहए था? वक्ता को या श्रोिा को? स्पष्ट कीधजए।
उत्तर- पश्चािाप वक्ता दय योिन को होना चाधहए था। दय योिन धजद्दी, हठी, एवं बहुि ही स्वेच्छाचारी था। उसने मनमानी करिे हुए
पांडवों से उनका अधिकार िीन धलया था। उन्हें अपने रास्ते से हटाने के धलए िल और कपट का सहारा लेकर वनवास में
भेज धदया था। उसने सभी काम अिमु से धकए थे।

(ख) वक्ता ने अपने पक्ष में कौन-कौन से िकु रखे?


उत्तर- वक्ता दय योिन ने अपने पक्ष में िकु रखे धक उसने अपने मन के भावों को पांडवों के समान गयप्त नही ं रखा था। उसने उनके
धवरुद्ध धकसी प्रकार का कोई षड्यंत्र नही ं रचा था िथा उनके समान अपने गयरुजनों का वि भी नही ं धकया था।

(ग) श्रोिा के अनयसार वह वक्ता के पास धकस उद्दे श्य से आया था?
उत्तर- श्रोिा के अनयसार वह वक्ता के पास उसे शांधि दे ने के उद्दे श्य से आया था। उसे लगा धक शायद वक्ता दय योिन को पश्चािाप
हो रहा हो, िो वह उसकी व्यथा हल्की कर सके।

(घ) एकांकीकार ने एकांकी में धकस पौराधणक घटना को नए संदभु में धकस प्रकार प्रस्तयि धकया है?
उत्तर- एकांकीकार भारि भूषण अग्रवाल ने महाभारि की पौराधणक घटना को नए संदभु को प्रस्तयि धकया है। उनके अनयसार
महाभारि के ययद्ध िथा उसके धवनाशकारी पररणामों के धलए अकेला दय योिन ही धजम्मेदार नही ं था, बज्जल्क पांडवों की
महत्वाकांक्षा भी धकसी-न-धकसी रूप में धजम्मेदार थी।

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प्रश्न 8. मैं ियम्हारी आत्मप्रशंसा नही ं सयन सकिा, इससे ियम अपने भक्तों के धलए ही रहने दो। ियम धवजय की डी ंग मार सकिे हो,
पर िमु की दय हाई मि दो।

(क) ययधिधिर ने अपनी प्रशंसा में क्या-क्या कहा था?


उत्तर- ययधिधिर ने अपनी प्रशंसा में कहा था धक उसने हमेशा न्याय ही धकया है। इसी कारण उसने बडे -बडे दय ख सहे हैं। सगे-
संबंधियों की मृत्यय का भीषण दृश्य िथा अबलाओं, अनाथों की करुण चीखें भी उसने शांि भाव से सही है।

(ख) दय योिन के अनयसार राज्य पर ययधिधिर का अधिकार क्यों नही ं था?


उत्तर- दय योिन के अनयसार ययधिधिर के धपिा जी महाराज पांडय को केवल राज्य की दे खभाल करने का कायु सौंपा था। क्योंधक
महाराज िृिराष्टर अंिे थे। उनके पश्चाि राज्य पर मूल अधिकार उसके धपिाजी िृिराष्टर का ही था। वे धजसे चाहे अधिकार
सौंप सकिे थे। अिः वह अधिकार दय योिन को सौंपा गया था। इसधलए राज्य पर ययधिधिर का अधिकार नही ं था।

(ग) ययधिधिर ने दय योिन की इस बाि का धकस प्रकार उत्तर धदया?


उत्तर- ययधिधिर ने इस बाि का उत्तर धदया धक यह केवल दय योिन का अपना मि है। क्योंधक अब िक धकसी ने भी इस प्रकार का
संदेह प्रकट नही ं धकया था। धपिामह भीष्म, महात्मा धवदय र, कृपाचायु िथा स्वयं महाराज िृिराष्टर ने भी कभी ऐसी बाि नही ं
कही थी।

(घ) 'सब ने मेरा हठ दे खा, मेरे पक्ष का न्याय धकसी ने न दे खा' - दय योिन ने इसका क्या कारण बिाया?
उत्तर- दय योिन ने इसका कारण बिाया धक सभी लोग पांडवों के गयणों से प्रभाधवि थे। वे सब उनकी वीरिा से डरिे थे। कायरों की
भााँ तत रक्तपाि से बचने के धलए उन्होंने न्याय और सच का बधलदान धदया।

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प्रश्न 9. 'िभी िो कहिा हाँ ययधिधिर ! धक स्वाथु ने ियम्हें अंिा बना धदया, अन्यथा इिनी िोटी-सी बाि क्या ियम्हें धदखाई न पड
जािी धक धजिने िाधमुक और न्यायी व्यज्जक्त थे, सब ने इस ययद्ध में मेरा साथ धदया है।'

(क) गयरुजनों पर ियम व्यथु ही कायरिा का आरोप लगा रहे हो - ययधिधिर ने अपने कथन के समथुन में क्या कहा?
उत्तर- ययधिधिर ने अपने इस कथन के समथुन में कहा धक धपिामह भीष्म, महात्मा धवदय र, कृपाचायु जैसे गयरुजनों ने पांडवों का पक्ष
ाँ की थी।
लेकर उन्हें राज्य दे ने की म ग
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(ख) दय योिन ने क्यों कहा धक स्वाथु ने ियम्हें अंिा बना धदया?


उत्तर- दय योिन ने इसधलए ऐसा कहा क्योंधक सभी िाधमुक और न्यायी व्यज्जक्तयों ने ययद्ध में उसका साथ धदया था क्योंधक न्याय उसके
पक्ष में था। परं िय ययधिधिर को राज्य प्राज्जप्त की लालसा िथा स्वाथु के कारण यह सब धदखाई नही ं दे रहा था।

(ग) दय योिन ने धकन-धकन िाधमुक और न्यायी व्यज्जक्तयों के नाम धलए जो ययद्ध में अपनी ओर से लडे ? सब मेरी ओर से लडे ,
दय योिन ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर- दय योिन ने धपिामह भीष्म, द्रोणाचायु, कृपाचायु और अश्वत्थामा जैसे िाधमुक और न्यायी व्यज्जक्तयों के नाम धलए, जो ययद्ध में
उसके पक्ष में लडे थे। दय योिन ने ऐसा इसधलए कहा क्योंधक उसके अनयसार न्याय उसके पक्ष में था।

(घ) 'कृष्ण' के संबंि में दय योिन ने क्या कहा?


उत्तर- कृष्ण के संबंि में दय योिन ने कहा धक वे चियर थे इसधलए उन्होंने दोनों पक्षों से मैत्री रखना उधचि समझा। वे पांडवों के धमत्र
होने पर भी उन्होंने अपनी नारायणी सेना कौरवों को दी थी।
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प्रश्न 10. सत्य को ढं कने का प्रयत्न न करो ययधिधिर! उसे धनष्पक्ष होकर जााँचो। मेरे पास प्रमाणों की कमी नही ं है।

(क) दय योिन ने पयरोचन और द्रय पद के संबंि में धकस िथ्य को प्रकट धकया?
उत्तर- पयरोचन दय योिन का मंत्री था, धजसके घर में आग लगाकर भीम ने उसका वि धकया था। साथ ही द्रौपदी के धपिा िथा पांचाल
के राजा द्रय पद को पांडवों ने अपने पक्ष में लाकर अपनी िाकि बढ़ाई थी।

(ख) अपने धपिा जी द्वारा ययधिधिर को आिा राज्य दे धदए जाने का क्या कारण बिाया?
उत्तर- पांचाल के राजा द्रय पद द्वारा पांडवों का साथ दे ने से उनका बल बढ़ गया था। राज्य के अधिकार को लेकर पररवार में ही
कलह न हो इसधलए महाराज िृिराष्टर ने ययधिधिर को आिा राज्य दे धदया था।

(ग) ‘आिा राज्य पाकर भी ियमने चैन न धलया’ - इस संबंि में दय योिन ने ययधिधिर पर क्या आरोप लगाए?
उत्तर- दय योिन ने ययधिधिर पर आरोप लगाया धक उसने अजयुन को धदज्जिजय के धलए चारों ओर भेजा था। राजसूय यज्ञ के बहाने
मगि के राजा जरासंि और चेधद के राजा धशशयपाल का वि धकया था। साथ ही बचा हुआ आिा राज्य पाने के धलए जयए का
खेल भी खेला था।

(घ) जयए के खेल के संबंि में दय योिन ने ययधिधिर से क्या कहा?


उत्तर- इस संबंि में दय योिन ने कहा धक जयआ खेलिे समय ययधिधिर ने अपना आिा राज्य यह सोच कर दााँव पर लगा धदया था धक
यधद जयए में उसकी जीि हो जािी है, िो धबना धकसी प्रयत्न के ही बाकी आिा राज्य भी उसे प्राप्त हो जाएगा।

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प्रश्न 11. 'सत्य को धवधचत्र मानकर उडा नही ं सकिे ययधिधिर ! अपने ही कृत्य से वनवास पाकर भी उसका दोष मेरे ही मत्थे गढ़ा
गया।'

(क) दय योिन ने पांडवों के वनवास के धलए ययधिधिर को धजम्मेदार क्यों ठहराया?


उत्तर- दय योिन ने पांडवों के वनवास के धलए ययधिधिर ही धजम्मेदार ठहराया क्योंधक जयए के खेल में ययधिधिर ने अपने आिे राज्य के
साथ-साथ अपने चारों भाइयों समवेि स्वयं को भी दााँव पर लगाया था। धजसमें हारने पर उन्हें 13 साल के वनवास के धलए
भेज धदया गया था।

(ख) दय योिन के अनयसार पांडवों ने वनवास का एक-एक क्षण धकस प्रकार ययद्ध की िैयारी में लगाया?
उत्तर- दय योिन के अनयसार पांडवों ने वनवास का एक-एक क्षण ययद्ध की िैयाररयों में लगाया। अजयन
ु िपस्या करके नए-नए शस्त्र
प्राप्त धकए। उन्होंने धवराट राजा से मैत्री करके नए संबंि प्रस्थाधपि धकए।

(ग) दय योिन के अनयसार ययधिधिर ने द्रौपदी का धकस प्रकार अपमान धकया था?
उत्तर- दय योिन के अनयसार ययधिधिर ने द्रौपदी को जयए के दााँव पर लगाकर उसका अपमान धकया था। क्योंधक द्रौपदी पांडवों की
पत्नी थी। एक स्त्री को जयए के दााँव पर लगाना उसके स्त्रीत्व का अपमान था, जो ययधिधिर ने धकया था।
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(घ) दय योिन के अनयसार अधभमन्यय के धववाह के बहाने पांडवों ने कौन-सी चाल चली?
उत्तर- दय योिन के अनयसार वनवास की अवधि पूरी होने पर अजयुन पयत्र अधभमन्यय के धववाह के बहाने पांडवों ने धमत्र-राजाओं को
धनमंत्रण दे कर एकधत्रि करके अपनी शज्जक्त बढ़ाई थी।
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प्रश्न 12. 'अंियाुमी भी जानिे हैं धक मैंने कोई बयरा आचरण नही ं करना चाहा। मैंने एकमात्र अपनी रक्षा की।'

(क) अपने कथन के समथुन में दय योिन ने क्या िकु धदया?


उत्तर- अपने कथन के समथुन में दय योिन ने िकु धदया धक जब िक पांडवों ने आक्रमण नही ं धकया, िब िक वह चयप रहा। जब
उसे लगा धक ययद्ध अधनवायु है, िो धफर धववश होकर अपनी रक्षा के धलए उसे ययद्ध करना पडा।

(ख) 'क्या अधभमन्यय वि वीरोधचि था? ययधिधिर द्वारा यह प्रश्न पूिे जाने पर दय योिन ने क्या उत्तर धदया?
उत्तर- ययधिधिर के इस प्रश्न का दय योिन ने उत्तर धदया धक जब भीष्म, द्रोण और कणु का वि िथा भीम द्वारा अनीधि से उसे पराधजि
करना वीरोधचि हो सकिा है, िो अधभमन्यय का वि भी वीरोधचि है।

(ग) भीमसेन और अपने ययद्ध के बारे में दय योिन ने क्या कहा?


उत्तर- भीमसेन के साथ हुए ययद्ध के बारे में दय योिन ने कहा धक अिमु से ययद्ध के धनयमों के ज्जखलाफ भीमसेन ने उसकी जंघा पर
गदा प्रहार करके उसे पराधजि धकया है।

(घ) दय योिन ने महाभारि के नरसंहार के धलए क्या कारण बिाया?


उत्तर- दय योिन ने महाभारि के नरसंहार और भीषण रक्तपाि के धलए ययधिधिर को धजम्मेदार ठहराया। क्योंधक उसके अनयसार
ययधिधिर की महत्वाकांक्षा ही महाभारि के ययद्ध का मूल कारण था।

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प्रश्न 13. सब ियम्हारे गयणों से प्रभाधवि थे, सब ियम्हारी वीरिा से डरिे थे। कायरों की भााँधि रक्तपाि से बचने के प्रयत्न में वे न्याय
और सत्य का बधलदान कर बैठे। वे यह समझ नही ं पाए धक भय धजसका आिार हो, वह शांधि स्थायी नही ं हो सकिी।

(क) वक्ता और श्रोिा कौन-कौन है? कथन का संदभु स्पष्ट कीधजए।


उत्तर- वक्ता दय योिन और श्रोिा ययधिधिर है। ययधिधिर यह दावा करिा है धक राज्य पर उसका अधिकार था और राज्यसभा में भी
सभी गयरुजनों ने उसका समथुन धकया था। उसके उत्तर में दय योिन ने यह कथन कहा है।

(ख) 'सब' शब्द का प्रयोग धकसके धलए धकया गया है? क्या आप दय योिन के कथन से सहमि हैं?
उत्तर- सब शब्द का प्रयोग धपिामह भीष्म, महात्मा धवदय र, गयरु द्रोणाचायु, गयरु कृपाचायु िथा महाराज िृिराष्टर के धलए धकया गया
है। कयि हद िक हम दय योिन के कथन से सहमि हैं। क्योंधक शायद इन सभी ने राज्य में शांधि बनी रहे और गृह -ययद्ध न
हो इसधलए ययधिधिर का समथुन धकया हो।

(ग) दय योिन के अनयसार 'न्याय' एवं 'सच' क्या था? क्या आप उससे सहमि हैं?
उत्तर- दय योिन के अनयसार न्याय और सच यह था धक महाराज पांडय के पश्चाि राज्य पर मूल अधिकार िथा अपना उत्तराधिकारी
चयनने का अधिकार महाराज िृिराष्टर का था। धजसके अनयसार राज्य पर दय योिन को वह अधिकार प्राप्त हुआ था। इस बाि
से कयि हद िक हम भी सहमि है।

(घ) ‘भय धजसका आिार हो वह शांधि स्थायी नही ं हो सकिी' - कथन का आशय स्पष्ट कीधजए।
उत्तर- इस कथन का आशय यह है धक भय या डर के आिार पर बनी हुई शांधि अधिक समय िक टीक नही ं पािी। क्योंधक ऐसी
ज्जस्थधि में धवद्रोह की संभावना अधिक रहिी है। ऐसे राज्य में अज्जस्थरिा कायम रहिी है।

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