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अवतयण-V

"बैमा, गुनाह का पर मभरेगा मा नह ॊ मह तो बगवान जाने, ऩय ऐसी ह


कभाई से कोठिमों भें यहते हैं औय एक हभ हैं कक ऩरयश्रभ कयने ऩय बी
हाथ भें कुछ नह ॊ आता।"

क) उऩमक्
ु त कथन ककसने, ककससे कफ औय क्मों कहा है ?

उत्तय: उऩमक्
ु त कथन यभजान ने यसीरा से उस सभम कहा जफ यसीरा
ने उसे फाफू जगत मसॊह के द्वाया रयश्वत रेने के फाये भें जानकाय द
क्मोंकक उसे रगा कक ऩैसे कभाने का मह फहुत ह आसान तय का था ।

ख) वक्ता का सॊकेत ककस 'गुनाह' की ओय है ? वह 'गुनाह' ककसने ककमा


था औय कैसे ?

उत्तय: वक्ता यभजान का सॊकेत जगतमसॊह औय शेख साहफ के द्वाया र


गई रयश्वत की ओय है , जजसे उसने गुनाह का नाभ ठदमा । वह गुनाह
यसीरा औय यभजान के भामरकों ने ककमा था ।

ग)'ऐसी ह कभाई' द्वाया वक्ता सभाज की ककस फुयाई ऩय क्मा व्मॊग्म


कय यहा है ? स्ऩष्ट कीजजए ।

उत्तय: “ऐसी ह कभाई” द्वाया यभजान रयश्वत रेने वार फुयाई ऩय


व्मॊग्म कय यहा है ।सभाज भें फडे-फडे ऩदों ऩय फैिे हुए रोग रयश्वत रेते
हैं, रेककन उन्हें ऩकडने वारा कोई नह ॊ होता। जफकक गय फ रोग भात्र
अिन्नी की हे या-पेय कयने ऩय जेर की सराखों के ऩीछे सडते हैं वहाॉ
जगत मसॊह औय शेख सर भुद्द न फेकपक्र सोते हैं औय फेचाये यसीरा ने
भात्र अिन्नी की हे या पेय की थी रेककन डाॉटने ऩय उसने तुयॊत अऩना
अऩयाध स्वीकाय कयके मह मसद्ध कय ठदमा कक वह एक अच्छा औय
बरा इॊसान था ।

घ) वक्ता की मह फात सन
ु कय श्रोता के भन भें क्मा ववचाय आमा औय
क्मों ?

उत्तय: यभजान की फात सन


ु कय श्रोता यसीरा के भन भें मह ववचाय आमा
कक भेये हाथों से सैकडों रुऩए ननकर गए रेककन कबी भेया धभु नह ॊ
बफगडा,एक-एक आना बी चुयामा होता तो आज भेये ऩास बी फहुत यकभ
होती ।

अवतयण-VI

."यसीरा ने तुयॊत अऩना अऩयाध स्वीकाय कय मरमा । उसने कोई फहाना


नह ॊ फनामा।"

क) यसीरा का भुकदभा ककसकी अदारत भें ऩेश हुआ ?उनका ऩरयचम


द जजए |

उत्तय: यसीरा का भुकदभा शेख सर भुद्द न की अदारत भें ऩेश हुआ ।


शेख साहफ जजरा भजजस्रे ट थे, वे जगत मसॊह के ऩडोसी थे वह रयश्वत
रेने भें उनसे दो हाथ आगे थे ।वे गय फ रोगों से रयश्वत के तौय ऩय
अच्छी यकभ रेते है । न्माम कयते सभम वे अऩनी फुद्धध से काभ नह ॊ
रेते थे ।

ख) यसीरा का क्मा अऩयाध था ? उसने उसे तुयॊत स्वीकाय कय मरमा,


इससे उसके चरयत्र की ककस ववशेषता की ओय सॊकेत होता है ?

उत्तय: यसीरा का मह अऩयाध था कक जफ उस से ऩाॉच रुऩए की मभिाई


भॉगवाई गई तो उसने अिन्नी की हे यापेय कय द , ऩकडे जाने ऩय उसने
तुयॊत अऩना अऩयाध स्वीकाय कय मरमा। इससे उसके चरयत्र की इस
ववशेषता का ऩता चरता है कक वह फहुत भेहनती औय ईभानदाय था
उसने भजफूय भें भात्र अिन्नी की हे या पेय की जजसके कायण फाफू
जगतमसॊह ने उसे जेर बेज ठदमा |

ग) यसीरा क्मा-क्मा फहाने फनाकय अऩने को फेकसूय साबफत कय सकता


था, ऩय उसने ऐसा क्मों नह ॊ ककमा ?

उत्तय: यसीरा अगय चाहता तो कह सकता था कक भैं इन रोगों के घय भें


काभ नह ॊ कयना चाहता इसमरए मे रोग भेये खखराफ़ साजजश कय यहे
हैं। रेककन एक गरती कयने के फाद उसभें इतनी ठहम्भत नह ॊ थी कक
वह दस
ू य गरती कयें इसमरए उसने अऩनी गरती चऩ
ु चाऩ स्वीकाय कय
र ।

घ) यसीरा को ककतनी सजा हुई? न्माम व्मवस्था ऩय ठटप्ऩणी मरखखए।


उत्तय: यसीरा को छह भह ने की सजा हुई। हभाया दे श ऩयू तयह से भ्रष्ट
हो चुका है सभाज के उच्च ऩद ऩय आसीन रोग,जजन ऩय सभाज की
जजम्भेदाय है वे बी बफना रयश्वत मरए काभ नह ॊ कयते इसमरए आभ
आदभी का न्माम ऩय से ववश्वास उि गमा है केवर ऩैसे वारे रोग ह
सभाज भें सख
ु ी जीवन बफता यहे हैं।

अवतयण-VII

"पैसरा सुनकय यभजान की आॉखों भें खून उतय आमा।"

क)यभजान कौन था ? उसका ऩरयचम द जजए।

उत्तय: यभजान जगत मसॊह के ऩडोसी शेख सराभुद्द न के महाॉ चौकीदाय


था। यभजान दमारु प्रवजृ ‍त का व्मजक्त है । वह एक सच्चा मभत्र है । मभत्र
के द:ु ख से वह बी दख
ु ी होता है औय उसके कष्टों को दयू कयने की
कोमशश कयता है । इसका उदाहयण हभें तफ मभरता है जफ वह यसीरा
को ऩाॉच रुऩए दे कय उसकी आधथुक सहामता कयता है ।

ख)फ़ैसरा ककसने सन
ु ामा था ?उसकी चारयबत्रक ववशेषताओॊ ऩय प्रकाश
डामरए |

उत्तय:फ़ैसरा भजजस्रे ट शेख सर भुद्द न साहफ ने सन


ु ामा था |शेख साहफ
फडे रयश्वतखोय औय फेईभान व्मजक्त थे | सभाज के उच्च ऩद ऩय फैि
कय उन्हें न्माम कयना चाठहए था रेककन उन्होंने यसीरा के साथ अन्माम
ककमा जजससे उनके स्वाथऔ औय अन्मामी होने का ऩता चरता है |

सभाज भें उच्च ऩद ऩय यहकय उन्हें गय फों की भदद कयनी चाठहए


रेककन वे उनके साथ गरत कय यहे थे |

ग) पैसरा सन
ु कय यभजान कमा सोचने रगा ?

उत्तय: पैसरा सन
ु कय यभजान को फहुत गस्
ु सा आ गमा उसकी आॉखें
गुस्से से रार हो गई वह अऩने भन भें सोचने रगा कक मह दनु नमा
न्माम की नगय नह ॊ फजकक अॊधेय नगय है एक छोट सी चोय कयने ऩय
यसीरा को अऩयाधी साबफत कय ठदमा जाता है औय दस
ू य ओय फडे-फडे
अऩयाधी फडी-फडी कोठिमों भें आयाभ से फैिे दोनों हाथों से धन फटोय यहे
हैं उन्हें कोई नह ॊ ऩकडता ।

घ)"फात अिन्नी की" कहानी द्वाया रेखक ने क्मा सॊदेश ठदमा है ?

उत्तय: 'फात अिन्नी की' कहानी सुदशुन जी द्वाया मरखखत एक साभाजजक


कहानी है । इसभें सभाज भें व्माप्त रयश्वतखोय को ठदखामा गमा है ।मह
कहानी न्माम व्मवस्था ऩय कयाया व्मॊग्म प्रस्तुत कयती है रयश्वत रेकय
सम्भाननत जीवन व्मतीत कयने वारों ऩय कटु प्रहाय ककमा गमा है ।
रयश्वतखोयों की सच्चाई को हभाये साभने प्रस्तत
ु कयती है ।

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