You are on page 1of 9

महाभारत की एक साँझ - एकांकी संचय

जो अपने सगे-संबधिं यों को गाजर- -मल


ू ी की भाँति कटवा सकता है , जो अपने भाइयों को जीवित जलवा दे ने में
भी नहीं हिचकता, जो आदमी अपनी भाभी को भरी सभा में अपमानित करने में आनंद ले सकता है , उसका
लज्जा से क्या परिचय?

(क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे, किस संदर्भ में कहे हैं? अनहोनी बात से किस घटना की ओर संकेत है ?

उत्तर : वक्ता यधि


ु ष्ठिर है और श्रोता भीमसेन है । यधिु ष्ठिर ने भीमसेन से उपर्युक्त वाक्य तब कहा, जब
भीमसेन ने दर्यो
ु धन से कहा था कि अपने सारे सहयोगियों की हत्या का कलंक अपने माथे पर लगाकर तू
कायरों की भाँति अपने प्राण बचाता फिरता है , तझ ु े लज्जा नहीं आती।

(ख) 'गाजर-मल
ू ी की तरह कटवाना' का प्रयोग किस उद्दे श्य से किया गया है और क्यों?

उत्तर : 'गाजर-मल
ू ी की तरह कटवाना' का अर्थ है - आसानी से बरु ी तरह मारना अथवा वध करना। कथन को
यधि
ु ष्ठिर ने इसलिए कहा क्योंकि दर्यो
ु धन ने अपने सगे-संबधिं यों को बड़ी आसानी से मरवा दिया था, यहाँ तक
कि अपने भाइयों को जीवित जलवा दे ने में भी वह नहीं हिचकिचाया।

(ग) किसने अपने भाइयों को जीवित जलवाने का प्रयास किया? घटना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : दर्यो
ु धन ने शकुनी की नीति के तहत पांडवों के रुकने के लिए एक ऐसा महल बनवाया था, जो लाख से
बना था, जिसे बाद में लाक्षागह
ृ कहा गया। दर्यो
ु धन की योजना के अनस ु ार इस महल में रात में चप
ु चाप से आग
लगा दी गई थी, ताकि सोते हुए पांडवों की इस महल में ही जलकर मत्ृ यु हो जाए। किंतु पांडवों के जासस ू ों ने
उन्हें इस योजना की सचू ना दे दी और वे रात को ही एक गप्ु त सरु ं ग से निकल भागे और बच गए।

(घ) अपनी भाभी को भरी सभा में अपमानित करने की घटना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : महाभारत में यत


ू क्रीड़ा के समय यधि ु ष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया और दर्यो
ु धन की ओर से
मामा शकुनि ने द्रौपदी को जीत लिया। उस समय दःु शासन द्रौपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले
आया। दे खते-ही-दे खते दर्यो
ु धन के आदे श पर दःु शासन ने परू ी सभा के सामने द्रौपदी की साड़ी उतारनी शरू ु कर
दी। भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और विदरु जैसे महान लोग मौन थे, पांडव भी द्रौपदी की लाज बचाने में असमर्थ
हो गए। तब द्रौपदी ने आँखें बंद कर वासद ु े व श्रीकृष्ण का आह्वान किया, "हे गोविंद, आज आस्था और
अनास्था के बीच जंग है । आज मझ ु े दे खना है कि ईश्वर है कि नहीं।" तब श्रीकृष्ण ने सभी के समक्ष एक
चमत्कार प्रस्तत
ु किया और द्रौपदी की साड़ी तब तक लंबी होती गई, जब तक कि दःु शासन बेहोश नहीं हो
गया। सभी को समझ में आ गया कि यह चमत्कार है ।

अरे नीच ! अब भी तेरा गर्व चरू नहीं हुआ। यदि बल है , तो आ न बाहर और हमको पराजित करके राज्य प्राप्त
वहाँ बैठा - बैठा क्या वीरता बखानता है ! तू क्या समझता है , हम तेरी थोथी बातों से डर जाएँगे?

(क) उपर्युक्त कथन किसने, किससे कहे हैं ? किसका गर्व अभी चरू नहीं हुआ था ? वक्ता ने ऐसा क्यों कहा है
?

उत्तर : उपर्युक्त कथन यधि ु ष्ठिर ने दर्यो


ु धन से कहे हैं। दर्यो
ु धन का गर्व अभी चरू नहीं हुआ था। जबकि दर्यो ु धन
असहाय हो चक ु ा था। उसकी सेना तितर-बितर हो गई थी, उसके सहयोगी समाप्त हो चक ु े थे, शस्त्रास्त्र चकु
गए थे, परं तु फिर भी उसका अभिमान समाप्त नहीं हुआ था।

(ख) 'यदि बल है तो आ न बाहर' - वक्ता ने किसे, कब तथा क्यों ललकारा है ?


उत्तर : यधि
ु ष्ठिर ने दर्यो
ु धन को तब ललकारा, जब महाभारत यद् ु ध के अंत में दर्यो
ु धन की समस्त सेना का
विनाश हो गया, तो दर्योु धन द्वै
त वन के जल स्तं
भ में छिप गया। एक अहे री द्वारा सच
ू ना पाकर पांडव भी वहाँ
पहुँचे तथा सरोवर के तट पर खड़े होकर दर्यो
ु धन को ललकारने लगे।

(ग) 'अरे नीच' ! का संबोधन जिसके लिए प्रयोग किया गया है , उसके चरित्र की प्रमख
ु विशेषताएँ बताइए।

उत्तर : 'अरे नीच' ! का संबोधन यधि ु ष्ठिर ने दर्यो


ु धन के लिए प्रयोग किया। दर्यो
ु धन कुरुवंशी था। वह राजा
धत ृ राष्ट्र के सौ पत्र
ु ों में सबसे बड़ा था। महाभारत का यद्ु ध दर्यो
ु धन के हठ एवं अहं कार के कारण हुआ। दर्यो
ु धन
छल, बल, अधर्म तथा अनेक प्रकार के षड्यंत्रों द्वारा राज्य प्राप्त करना चाहता था। वह निर्दय था। उसने
द्रौपदी का चीरहरण किया तथा वनवास में भी पांडवों को चैन से नहीं जीने दिया।

(घ) वक्ता ने श्रोता की किन थोथी बातों का उल्लेख किया है और क्यों ?

उत्तर : जब दर्यो
ु धन सरोवर के जल-स्तंभ में छिपकर बैठा था, तब यधिु ष्ठिर के ललकारने पर वह कहता है कि
तमु मझ ु पर जितना चाहे हँस लो, पर यह न भल ू ना कि मैं अभी जीवित हूँ। मेरी भज
ु ाओं का बल अभी नष्ट
नहीं हुआ है । यधि
ु ष्ठिर दर्यो
ु धन की इन थोथी बातों का उल्लेख करता है क्योंकि उसे भी ज्ञात था कि अब
दर्यो
ु धन का अंत समीप है और वह खोखली धमकियाँ दे रहा है ।

जिस कालाग्नि को तनू े वर्षों घत


ृ दे कर उभारा है , लपटों में साथी तो स्वाहा हो गए। उसके घेरे से तू क्यों बचना
चाहता है ? अच्छी तरह समझ ले, ये तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा।

(क) 'कालाग्नि' शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है और क्यों ?

उत्तर : 'कालाग्नि' शब्द का प्रयोग मत्ृ यु की ज्वाला से है । दर्यो


ु धन आरं भ से ही पांडवों के प्रति क्रोध और
प्रतिस्पर्धा की भावना रखता था। जब उसे यधि ु ष्ठिर के भावी राजा बनने के बारे में पता चला, तब वह कंु ठा से
भर उठा और उसने पांडव पत्र ु ों को अपने मामा शकुनी की सहायता से समाप्त करने की कोशिशें शरू ु कर दी।।
दर्यो
ु धन ने जीवन भर मर्यादाओं को तोड़कर अनैतिक कार्य किए। उसी कालाग्नि में दर्यो ु धन के सभी साथी भी
समाप्त हो गए।

(ख) 'घत
ृ ' शब्द का प्रयोग किस लिए किया गया है ? किसके साथी कब और क्यों स्वाहा हो गए ?

उत्तर : 'घत
ृ ' शब्द का अर्थ है - घी। दर्यो
ु धन ने मत्ृ यु की ज्वाला में अपने क्रोध रूपी घी को डालकर उसे और
भड़काया था। दर्योु धन के साथी महाभारत के यद् ु ध में स्वाहा हो गए थे। महाभारत के भयानक यद् ु ध में दर्यो
ु धन
की अक्षौहिणी नष्ट हो गई थीं। सभी कुछ नष्ट होते-होते अंत में अश्वत्थामा, कृतवर्मा, कृपाचार्य और दर्यो ु धन
के अतिरिक्त कोई भी महारथी नहीं बचा था।

(ग) वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर : वक्ता भीम है । भीम यधि


ु ष्ठिर का छोटा भाई है तथा प्रसिद्ध पाँच पांडवों में से दस
ू रे थे। उनमें दस हज़ार
हाथियों का बल था और वह गदा यद् ु ध में पारं गत थे। भीम ने ही दर्यो
ु धन और दःु शासन सहित गाँधारी के सौ
पत्र
ु ों को मारा था।

(घ) 'तेरी आहुति लिए बिना शांत न होगा' वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इस वाक्य का अर्थ है कि आज उसे स्वयं की आहुति दे नी होगी क्योंकि जिस कालाग्नि को दर्यो ु धन ने
वर्षों से उभारा है , उसकी लपटों में सब कुछ स्वाहा हो गया है , तो वह उससे क्यों बचना चाहता है । उसे समझ
लेना चाहिए कि ये ज्वाला उसकी आहुति लिए बिना शांत नहीं होगी।
अरे पामर ! तेरा धर्म तब कहाँ चला गया था, जब एक निहत्थे बालक को सात-सात महारथियों ने मिलकर
मारा था। जब आधा राज्य तो दरू सई ू की नोक के बराबर भी भमि
ू दे ना तझ
ु े अनचिु त लगा था। अपने अधर्म से
इस पण्
ु य लोक भारत भमि ू में द्वेष की ज्वाला धधकाकर अब तू धर्म की दहु ाई दे ता है ? धिक्कार है तेरे ज्ञान
को, धिक्कार है तेरी वीरता को।

(क) 'पामर' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? क्या आप इस संबोधन को उचित मानते

उत्तर : ‘पामर' शब्द का अर्थ है - दष्ु ट, नीच। एकांकीकार ने 'पामर' शब्द का प्रयोग दर्यो
ु धन के लिए किया है ।
मेरे विचार में दर्यो
ु धन के लिए प्रयक्ु त यह शब्द उचित है क्योंकि उसने अपने अधर्म से भारत भमि ू में द्वेष की
ज्वाला भड़काई थी। ऐसी वीरता और ऐसा ज्ञान धिक्कार के योग्य है ।

(ख) निहत्था बालक कौन था ? उसे सात महारथियों द्वारा कब और किस प्रकार मारा गया था ? घटना का
संकेत कीजिए।

उत्तर : निहत्था बालक अभिमन्यु था; जो कि महाभारत के यद् ु ध में सबसे कम उम्र का योद्धा था। अभिमन्यु
ने माता के गर्भ में रहकर चक्रव्यहू को भेदना सीखा था। लेकिन वह चक्रव्यह ू को तोड़ना इसलिए नहीं सीख
पाया क्योंकि जब इसकी शिक्षा दी जा रही थी, तब उसकी माँ सो गई थी। महाभारत के यद् ु ध में कौरवों ने
चक्रव्यहू की रचना कर दी थी। पांडवों को चन ु ौती दी जा रही थी - या तो चक्रव्यह
ू तोड़ो या फिर हार मान लो।
सभी चिंता में थे। तभी एक वीर योद्धा अर्जुन का पत्र ु अभिमन्यु सामने आया। अभिमन्यु की सहायता के लिए
भीमसेन और सात्यकि को भेजा गया। पहले द्वार पर वाणों की वर्षा कर अभिमन्यु व्यह ू में घस
ु गया। भीमसेन
और सात्यकि अंदर न जा सके। अभिमन्यु हर द्वार को तोड़ता हुआ आगे बढ़ रहा था। तब सातों महारथियों ने
जिनमें अश्वत्थामा, कृपाचार्य, कृतवर्मा, कर्ण, बह
ृ द्वल और दर्यो
ु धन थे, उस पर आक्रमण कर दिया। कर्ण ने
अपने वाणों से उसका धनष ु तोड़ डाला। भोज ने उसका रथ तोड़ दिया। अब अभिमन्यु पर्ण ू रूप से निहत्था था।
तभी अभिमन्यु के हाथ में - एक गदा आ गई। उसने गदा से कई योद्धाओं को मार गिराया। तभी अचानक
दःु शासन के पत्र
ु ने पीछे से एक गदा अभिमन्यु के सिर पर मारी। अभिमन्यु उसी क्षण नीचे गिरा और उस वीर
ने वही प्राण त्याग दिए।

(ग) वक्ता के अनस


ु ार श्रोता को कौन-सी बात अनचि
ु त लगी थी और कब ?

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर के अनस ु ार दर्यो
ु धन को यधि ु ष्ठिर की यह बात बरु ी लगी, जब उसने कहा कि आपने अधर्म से
इस पण् ु यलोक भारत भमि
ू में द्वे ष की ज्वाला धधकाकर अब तू धर्म की दह ु ाई दे ता है । धिक्कार है , तेरे ज्ञान
को, धिक्कार है तेरी वीरता को।

(घ) वक्ता के अनस


ु ार श्रोता ने धर्म की दह
ु ाई किस प्रकार दी ?

उत्तर : दर्यो
ु धन यधि ु ष्ठिर से कहता है कि तम ु तो धर्मराज कहलाते हो; तम्
ु हारा दं भ है कि तम
ु अधर्म नहीं
करते। फिर तम् ु हारे रहते तम्
ु हारी आँखों के आगे ऐसा अधर्म हो, सोचो तो।

पहले वीरता का दं भ और अंत में करुणा की भीख! कायरों का यही नियम है । परं तु दर्यो
ु धन ! कान खोलकर सन

लो। हम तम्
ु हें दया करके छोड़ेंगे भी नहीं और तम्
ु हारी भाँति अधर्म से हत्या कर बधिक भी न कहलाएँगे।

(क) वक्ता और श्रोता कौन हैं ? वक्ता ने कायरों के किस नियम का उल्लेख किया है ?

उत्तर : वक्ता यधि


ु ष्ठिर है और श्रोता दर्यो
ु धन। यधि
ु ष्ठिर ने कायरों के नियम का उल्लेख करते हुए कहा कि
कायरों का यही नियम होता है कि वे पहले वीरता का दं भ दिखाते हैं और अंत में करुणा की भीख माँगते हैं।
(ख) वक्ता के चरित्र की प्रमख
ु विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर एकांकी का प्रमख
ु पात्र है । वह पांडव परिवार का ज्येष्ठ पत्र
ु है । वह धर्मपरायण, विनम्र,
राजनीति में कुशल; कुशल वक्ता तथा व्यवहार कुशल है । उसकी समस्त बातें एवं तर्क नीतिगत होते हैं। वह
निहत्थे दर्यो
ु धन पर प्रहार नहीं करता। वह सत्यवादिता और धार्मिक आचरण के लिए विख्यात था। वह कभी
झठ ू नहीं बोलता था। उसका व्यवहार शांत एवं विनम्र है । वह अपने भाइयों से बहुत प्रेम करता है । उसमें धैर्य,
दृढ़ता, सहनशीलता, विनम्रता, दयालत ु ा और प्राणिमात्र पर कृपा जैसे अनेक गण ु हैं।

(ग) वक्ता के अनस


ु ार उसने श्रोता से किस प्रकार का यद्
ु ध करने की पेशकश की और क्यों ?

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर दर्यो
ु धन से कहते हैं कि हम तम् ु हें दया करके छोड़ेंगे भी नहीं और तम्
ु हारी भाँति अधर्म से हत्या
भी नहीं करें गे। हम तम्ु हें कवच और अस्त्र दें गे। तमु जिस अस्त्र से लड़ना चाहो, हमें वता दो। हममें से केवल
एक व्यक्ति तम ु से लड़े
ग ा और यदि तमु जीत गए, तो सारा राज्य तम्
ु हारा । यधि
ु ष्ठिर ने यह पेशकश इसलिए
की क्योंकि वह धर्मपरायण व्यक्ति थे और कोई भी काम अधर्म से नहीं करना चाहते थे।

(घ)इस यद्
ु ध का क्या परिणाम निकला ?

उत्तर : दर्यो
ु धन ने भीमसेन से गदा यद्
ु ध किया। दर्यो
ु धन का पराक्रम सबको चकित कर रहा था। ऐसा लगता
था कि विजय दर्यो
ु धन की ही होगी। तभी कृष्ण के संकेत पर भीम ने दर्यो
ु धन की जंघा पर गदा का प्रहार किया,
जिससे दर्यो
ु धन आहत होकर गिर पड़े।

विफलता के इस मरुस्थल में एक बद ंू आएगी भी तो सख


ू कर खो जाएगी। यदि तम्
ु हें इसी में संतोष हो कि
तम्
ु हारी महत्त्वाकांक्षा मेरी मत
ृ दे ह पर ही अपना जयस्तंभ उठाए तो फिर यही सही।

(क) वक्ता कौन है ? उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:वक्ता दर्यो
ु धन है । जब दर्यो
ु धन यधि ु ष्ठिर और भीम से कहता है कि मझ ु निहत्थे को मार दो, तब
यधि
ु ष्ठिर कहते हैं कि हम अधर्म से तम् ु हारी हत्या नहीं करें गे, बल्कि तम ु जिस अस्त्र से लड़ना चाहो, तम्
ु हें वह
अस्त्र दें गे और एक ही व्यक्ति तम ु से लड़ेगा। इस बात क े उत्तर में दर्यो
ु धन उपर्युक्त कथन कहता है ।

(ख) 'विफलता' के इस मरुस्थल में एक बद ंू आएगी भी तो सख


ू कर खो जाएगी' - आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : इस पंक्ति का आशय है कि जब चारों ओर से असफलता ही हाथ लगी हो, तो छोटी-सी सकारात्मक बात
कोई मायने नहीं रखती। वह सफलता निरर्थक रहती है । महाभारत के यद्ु ध में दर्यो
ु धन का सब कुछ नष्ट हो
गया था। अब केवल उसके प्राण रह गए थे। यदि उसके प्राण बच भी जाएँ, तो वे बेकार हैं। उसके अनस
ु ार अब
प्राणों की तप्ति
ृ की चेष्टा व्यर्थ है ।

(ग) 'यदि तम्


ु हें इसी में संतोष हो कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जब यधि ु ष्ठिर ने दर्योु धन के सामने यद्


ु ध का प्रस्ताव रखा कि हम धर्म के अनस ु ार यद्ु ध करें गे। तम्
ु हारी
इच्छानस ु ार तम्ु हें अस्त्र दिया जाएगा और केवल एक व्यक्ति ही तम ु से लड़ेगा। तब दर्यो
ु धन कहता है कि यदि
तम्
ु हें इसी में संतोष मिलता है कि मेरी मत ृ दे ह पर ही अपना विजय का स्तंभ उठाकर तम् ु हारी बड़ा बनने की
इच्छा परू ी होती हो, तो तम ु ऐसा ही कर लो।

(घ) 'महाभारत की एक साँझ' एकांकी के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।


उत्तर : 'महाभारत की एक साँझ' एकांकी का शीर्षक सार्थक है । एकांकी में महाभारत के यद्
ु ध की समाप्ति पर
घटी एक अंतिम घटना को साँझ कहकर संबोधित किया गया है । जिस प्रकार किसी दिवस का अंत उसकी साँझ
से होता है , उसी प्रकार महाभारत के यद्
ु ध का समापन दर्यो
ु धन की पराजय एवं उसकी मत्ृ यु से हुआ। इसी
घटना को 'महाभारत की एक साँझ' कहा गया है ।

पश्चाताप तो तम् ु हें होना चाहिए। मैं क्यों पश्चाताप करूँगा ? मैंने ऐसा कौन-सा पाप
किया है ? मैंने अपने मन के भावों को गप्ु त नहीं रखा, मैंने षड्यंत्र नहीं किया, मैंने
गरु
ु जनों का वध नहीं किया।

(क) आपकी दृष्टि में पश्चाताप' किसे होना चाहिए था ? वक्ता को या श्रोता को ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : मेरी दृष्टि में पश्चाताप वक्ता दर्यो


ु धन को करना चाहिए था, न कि श्रोता यधि ु ष्ठिर को क्योंकि
महाभारत का यद् ु ध दर्यो
ु धन और शक ु नी के कारण ही हु आ था। शक ु नी द र्यो
ु धन का मामा था। अगर शकुनी न
होता तो शायद महाभारत का यद् ु ध न होता और न कुरुक्षेत्र की धरा वीरों के लहू से लाल होती।

(ख) वक्ता ने अपने पक्ष में कौन-कौन से तर्क रखे।

उत्तर : दर्यो
ु धन अपने पक्ष में तर्क दे ता हुआ कहता है कि मैंने कोई पाप नहीं किया। मैंने अपने मन के भावों को
गप्ु त नहीं रखा। मैंने कोई षड्यंत्र नहीं किया। मैंने गरु
ु जनों का वध नहीं किया, तो मैं पश्चाताप क्यों करूँ ?

(ग) श्रोता के अनस


ु ार वह वक्ता के पास किस उद्दे श्य से आया था ?

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर दर्यो
ु धन के पास उसे शांति दे ने के लिए आए थे। यधि
ु ष्ठिर सोचते हैं कि हो सकता है कि
दर्यो
ु धन को पश्चाताप हो रहा हो, तो वह उसकी व्यथा को कम करने के उद्दे श्य से आए थे। ।

(घ) एकांकीकार ने एकांकी में किस पौराणिक घटना को नए संदर्भ में किस प्रकार प्रस्तत
ु किया है ?

उत्तर : एकांकीकार ने इस एकांकी में एक पौराणिक विषय-वस्तु को सर्वथा नए एवं अनठ ू े ढं ग से प्रस्तत
ु करते
हुए यह स्पष्ट किया है कि महाभारत के यद् ु ध के लिए केवल दर्यो
ु धन की हठधर्मिता ही उत्तरदायी नहीं थी
अपितु पांडवों की महत्त्वाकांक्षा भी समान रूप से ज़िम्मेदार थी।

मैं तम्
ु हारी यह आत्म-प्रशंसा नहीं सनु सकता, इसे तम
ु अपने भक्तों के लिए ही रहने दो। तम
ु विजय की डींग
मार सकते हो, पर न्याय धर्म की दह ु ाई मत दो !

(क) यधि
ु ष्ठिर ने अपनी प्रशंसा में क्या-क्या कहा था ?

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर दर्यो
ु धन से कहते हैं कि उन्होंने सदा न्याय किया है । न्याय के लिए उन्होंने बड़े-बड़े दख
ु उठा
लिए थे। सगे-संबधिं यों के तड़प-तड़प कर प्राण त्यागने के भीषण दृश्य, अबलाओं, अनाथों का करुण - चीत्कार
आदि। दिल को दहला दे ने वाले संहार के दृश्यों को भी उन्होंने शांत भाव से सह लिया था क्योंकि न्याय के मार्ग
पर मिलने वाला अच्छा-बरु ा सब कुछ स्वीकार्य होता है ।

(ख) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार राज्य पर यधि
ु ष्ठिर का अधिकार क्यों नहीं था ?

उत्तर : दर्यो
ु धन यधि ु ष्ठिर से कहता है कि जिस राज्य पर तमु अपना अधिकार चाहते थे, वह तम्
ु हारे पिता को
जन्माधिकार से नहीं मिला था, बल्कि उन्हें राज्य की दे खभाल का कार्य केवल इसलिए दिया गया था क्योंकि
मेरे पिता अंधे थे। राज्य-संचालन में उन्हें
असवि
ु धा होती थी। अन्यथा उस राज्य पर तम्
ु हारे पिता का कोई अधिकार नहीं था।

(ग) यधि
ु ष्ठिर ने दर्यो
ु धन की इस बात का किस प्रकार उत्तर दिया ?

उत्तर : इस बात के उत्तर में यधि


ु ष्ठिर कहता है कि यह सही है , पर एक बार चाहे किसी कारण से हो, मेरे पिता
को राज्य मिल गया, तब उनके पश्चात ् उस पर मेरा अधिकार ही बनता है । राजनियम भी यही जब कहता है ।

(घ) 'सबने मेरा हठ दे खा, मेरे पक्ष का न्याय किसी ने न दे खा' - दर्यो
ु धन ने इसका क्या कारण बताया ?

उत्तर : दर्यो
ु धन ने इसका कारण बताते हुए कहा कि सब तम् ु हारे (यधि
ु ष्ठिर) गण ु ों से प्रभावित थे, सब तम्
ु हारी
वीरता से डरते थे। कायरों की भाँति रक्तपात से बचने के प्रयत्न में वे न्याय और सच का बलिदान कर बैठे। वे
यह नहीं समझ पाए कि भय जिसका आधार हो, वह शांति स्थायी नहीं हो सकती।

तभी तो कहता हूँ यधि


ु ष्ठिर ! कि स्वार्थ ने तम्
ु हें अंधा बना दिया, अन्यथा इतनी छोटी-सी बात क्या तम् ु हें
दिखाई न पड़ जाती कि जितने धार्मिक और न्यायी व्यक्ति थे, सबने इस यद् ु ध में मेरा साथ दिया है ।

(क) गरु
ु जनों पर तम
ु व्यर्थ ही कायरता का आरोप लगा रहे हो - यधि
ु ष्ठिर ने अपने कथन के समर्थन में क्या
कहा?

उत्तर : यधि
ु ष्ठिर अपने कथन के समर्थन में कहते हैं कि दर्यो
ु धन बेकार ही गरु ु जनों पर कायरता का आरोप
लगा रहा है । यदि मेरे पक्ष में न्याय न होता, तो कोई भी मझु े राज्य दे ने की माँग न करता।

(ख) दर्यो
ु धन ने क्यों कहा कि स्वार्थ ने तम्
ु हें अंधा बना दिया ?

उत्तर : दर्यो
ु धन इसलिए यधि
ु ष्ठिर से यह कहता है कि स्वार्थ ने तम्
ु हें अंधा बना दिया क्योंकि वह केवल अपना
तथा अपने परिजनों का हित चाहता था और राज्य पर अधिकार करना उसका लक्ष्य था।

(ग) दर्यो
ु धन ने किन-किन धार्मिक और न्यायी व्यक्तियों के नाम लिए , जो यद्
ु ध में अपनी ओर से लड़े ? 'सब
मेरी ओर से लड़े' - दर्यो
ु धन ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर : दर्यो
ु धन कहता है कि भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, कृष्ण आदि धार्मिक और न्यायी व्यक्ति
उसकी ओर से लड़े थे क्योंकि न्याय वास्तव में उसकी ओर था।

(घ) 'कृष्ण' के संबध


ं में दर्यो
ु धन ने क्या कहा ?

उत्तर : कृष्ण के संबध


ं में दर्यो
ु धन बताते हैं कि तम् ु हारे परममित्र कृष्ण ने भी मेरी सहायता के लिए अपनी सेना
दे दी थी। वे चतरु थे, वे दोनों पक्षों से मैत्री रखना बेहतर समझते थे। उन्होंने मेरा साथ इसलिए दिया क्योंकि
न्याय मेरे साथ था।

सत्य को ढं कने का प्रयत्न न करो यधि


ु ष्ठिर ! उसे निष्पक्ष होकर जाँचो। मेरे पास प्रमाणों की कमी नहीं है ।

(क) दर्यो
ु धन ने परु ोचन और द्रप
ु द के संबध
ं में किस तथ्य को प्रकट किया ?

उत्तर : दर्यो
ु धन बताता है कि परु ोचन को कपट से मारकर तम
ु पंचाल चले गए थे और यहाँ द्रप
ु द को अपनी ओर
मिला लिया था।
(ख) अपने पिताजी द्वारा यधि
ु ष्ठिर को आधा राज्य दे दिए जाने का क्या कारण बताया ?

उत्तर : दर्यो
ु धन कहता है कि जब मेरे पिता जी ने तम्
ु हारा बढ़ता बल दे खा, तो उन्होंने अपना आधा राज्य उसे दे
दिया था।

ग) 'आधा राज्य पाकर भी तम


ु ने चैन न लिया' - इस संबध
ं में दर्यो
ु धन ने यधि
ु ष्ठिर पर क्या आरोप लगाए ?

उत्तर : दर्यो
ु धन यधि
ु ष्ठिर पर आरोप लगाता है कि आधा राज्य पाकर भी तम ु ने चैन न लिया और तमु ने अर्जुन
को चारों ओर दिग्विजय के लिए भेजा। राजसय
ू यज्ञ के बहाने तम
ु ने जरासंघ और शिशप ु ाल को समाप्त किया।

(घ) जए
ु के खेल के संबध
ं में दर्यो
ु धन ने यधि
ु ष्ठिर से क्या कहा ?

उत्तर : दर्यो
ु धन यधि
ु ष्ठिर से कहता है कि जए
ु में खेल-खेल में भी तम ु अपनी ईर्ष्या को न भल ु ा पाए और तम ु ने
झट से अपना राज्य दाँव पर लगा दिया ताकि यदि तम ु जीते तो त म्
ु हें मे रा राज्य बिना प्रयास क े ही मिल जाए।

सत्य को विचित्र मानकर उड़ा नहीं सकते यधि


ु ष्ठिर ! अपने ही कृत्य से वनवास पाकर भी उसका दोष मेरे ही
मत्थे मढ़ा गया।

(क) दर्यो
ु धन ने पांडवों के वनवास के लिए यधि
ु ष्ठिर को ज़िम्मेदार क्यों ठहराया।

उत्तर : दर्यो
ु धन ने पांडवों के वनवास के लिए यधिु ष्ठिर को इसलिए जिम्मेदार ठहराया क्योंकि उसी ने जए
ु के
खेल में अपना राज्य दाँव पर लगा दिया था ताकि यदि वह जीत जाता है तो उसे दःु शासन का राज्य भी बिना
प्रयास के मिल जाए। राज्य पाने की महत्त्वाकांक्षा का परिणाम ही वनवास था। जए
ु की रात हार जाने के कारण
ही पांडवों को वनवास जाना पड़ा था।

(ख) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार पांडवों ने वनवास का एक-एक क्षण किस प्रकार यद्
ु ध की तैयारी में लगाया ?

उत्तर : दर्यो
ु धन के अनस
ु ार पांडवों ने वनवास में रहते हुए महाभारत के यद्
ु ध की तैयारी की थी। अर्जुन ने
तपस्या द्वारा नए-नए शस्त्र प्राप्त किए और विराट-राज से मैत्री कर नए-नए संबधं बनाए गए।

(ग) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार यधि
ु ष्ठिर ने द्रौपदी का किस प्रकार अपमान किया था ?

उत्तर : धर्मराज यधि


ु ष्ठिर ने यत
ू क्रीड़ा में अपना संपर्ण
ू राज्य, सोना, चाँदी, घोड़े, रथ तथा अपने चारों भाइयों को
हार दिया था। उनके पास कुछ नहीं बचा था। फिर उन्होंने अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दाँव पर लगा दिया था।
द्रौपदी को हारने के बाद दर्यो
ु धन और दःु शासन ने द्रौपदी का अपमान किया।

(घ) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार अभिमन्यु के विवाह के बहाने पांडवों ने कौन-सी चाल चली ?

उत्तर : दर्यो
ु धन के अनसु ार वनवास की अवधि परू ी होने के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के विवाह के बहाने मित्र
राजाओं को निमंत्रण दे कर एकत्रित किया था।

अंतर्यामी जानते हैं कि मैंने कोई बरु ा आचरण नहीं करना चाहा। मैंने एकमात्र अपनी रक्षा की।

(क) अपने कथन के समर्थन में दर्यो


ु धन ने क्या तर्क दिया ?
उत्तर : दर्यो
ु धन कहता है कि हे यधि ु ष्ठिर ! जब तक तम
ु ने आक्रमण नहीं किया, तब तक मैं चप
ु रहा और जब
मैंने दे खा कि यद्
ु ध अनिवार्य है , तो फिर विवश होकर वीरोचित कार्य करना पड़ा।

(ख) क्या अभिमन्यु वध वीरोचित था ? यधि


ु ष्ठिर द्वारा यह प्रश्न पछ
ू े जाने पर दर्यो
ु धन ने क्या उत्तर दिया ?

उत्तर: यधि
ु ष्ठिर के प्रश्न के उत्तर में दर्यो
ु कहता है कि जब भीष्म, द्रोण और कर्ण का वध वीरोचित हो सकता है ,
तो फिर अभिमन्यु के वध में ऐसी क्या विशेषता थी ?

(ग) भीमसेन और अपने यद्


ु ध के बारे में दर्यो
ु धन ने क्या कहा ?

उत्तर : दर्यो
ु धन कहता है कि आज भीमसेन ने जिस प्रकार मझ
ु े पराजित किया है , क्या वह वीरोचित कहलाएगा
?

(घ) दर्यो
ु धन ने महाभारत के नरसंहार के लिए क्या कारण बताया ?

उत्तर : महाभारत के नरसंहार के लिए दर्यो


ु धन यधि
ु ष्ठिर को दोषी बताते हुए कहता है कि तम् ु हारी महत्त्वाकांक्षा
ही इस नरसंहार और इस भीषण रक्तपात का मल ू कारण है । सब तम्ु हारे गण
ु ों से प्रभावित थे, सब तम्
ु हारी
वीरता से डरते थे।

कायरों की भाँति रक्तपात से बचने के प्रयत्न में वे न्याय और सच का बलिदान कर बैठे। वे यह नहीं समझ पाए
कि भय जिसका आधार हो, वह शांति स्थायी नहीं हो सकती।

(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : वक्ता दर्यो


ु धन है तथा श्रोता यधि ु ष्ठिर है । जब दर्यो
ु धन यधि ु ष्ठिर से कहता है कि तमु जिस हस्तिनापरु
राज्य पर अधिकार करना चाहते थे, उस पर मेरा अधिकार था क्योंकि उसे तो तम् ु हारे पिता को दे खभाल के लिए
दिया गया था क्योंकि मेरे पिता अंधे थे। यधि ु ष्ठिर उत्तर दे ते हैं कि आज तक किसी ने भी ऐसा मत नहीं दिया।
दर्यो
ु धन कहता है कि इसी बात का तो उसे दख ु है कि किसी ने सच्चाई तक पहुँचने की चेष्टा नहीं की। सबने
मेरा हठ दे खा, किसी ने मेरे पक्ष का न्याय नहीं दे खा।

(ख) 'सब' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? क्या आप दर्यो
ु धन के कथन से सहमत हैं ?

उत्तर : 'सब' संबोधन का प्रयोग पितामह भीष्म, महात्मा विदरु , कृपाचार्य तथा स्वयं महाराज धत
ृ राष्ट्र के लिए
किया गया है । नहीं, हम दर्यो
ु धन के कथन से सहमत नहीं हैं ?

(ग) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार 'न्याय' एवं 'सच' क्या था ? क्या आप उससे सहमत हैं ?

उत्तर : दर्यो
ु धन के अनस ु ार न्याय और सच यह था कि हस्तिनापरु के राज्य पर उसका अधिकार है क्योंकि
उसके पिता धत ृ राष्ट्र अंधे थे, इसलिए राज्य की दे खभाल के लिए पांडु को दिया गया था और उनके पश्चात ्
राज्य पर मल ू अधिकार उसके पिता का था। वे जिसे चाहते, व्यवस्था के लिए उसे सौंप सकते थे। नहीं, हम
दर्यो
ु धन की बात से सहमत नहीं हैं।

(घ) 'भय जिसका आधार हो, वह शांति स्थायी नहीं हो सकती।' कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जब भय को आधार बनाकर शांति स्थापित करने का प्रयत्न किया जाता है , तब वह शांति स्थायी नहीं
हो सकती। दर्यो
ु धन कहता है कि भीष्म पितामह, महात्मा विदरु , कृपाचार्य और स्वयं महाराज
(ग) भीमसेन और अपने यद्
ु ध के बारे में दर्यो
ु धन ने क्या कहा ?

उत्तर : दर्यो
ु धन कहता है कि आज भीमसेन ने जिस प्रकार मझ
ु े पराजित किया है , क्या वह वीरोचित कहलाएगा
?

(घ) दर्यो
ु धन ने महाभारत के नरसंहार के लिए क्या कारण बताया ?

उत्तर : महाभारत के नरसंहार के लिए दर्यो


ु धन यधि
ु ष्ठिर को दोषी बताते हुए कहता है कि तम्
ु हारी महत्त्वाकांक्षा
ही इस नरसंहार और इस भीषण रक्तपात का मल ू कारण है ।

सब तम् ु हारे गण
ु ों से प्रभावित थे, सब तम्
ु हारी वीरता से डरते थे। कायरों की भाँति रक्तपात से बचने के प्रयत्न
में वे न्याय और सच का बलिदान कर बैठे। वे यह नहीं समझ पाए कि भय जिसका आधार हो, वह शांति स्थायी
नहीं हो सकती।

(क) वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं ? कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : वक्ता दर्यो


ु धन है तथा श्रोता यधि ु ष्ठिर है । जब दर्यो
ु धन यधि ु ष्ठिर से कहता है कि तमु जिस हस्तिनापरु
राज्य पर अधिकार करना चाहते थे, उस पर मेरा अधिकार था क्योंकि उसे तो तम् ु हारे पिता को दे खभाल के लिए
दिया गया था क्योंकि मेरे पिता अंधे थे। यधि ु ष्ठिर उत्तर दे ते हैं कि आज तक किसी ने भी ऐसा मत नहीं दिया।
दर्यो
ु धन कहता है कि इसी बात का तो उसे दख ु है कि किसी ने सच्चाई तक पहुँचने की चेष्टा नहीं की। सबने
मेरा हठ दे खा, किसी ने मेरे पक्ष का न्याय नहीं दे खा।

(ख) 'सब' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ? क्या आप दर्यो
ु धन के कथन से सहमत हैं ?

उत्तर : 'सब' संबोधन का प्रयोग पितामह भीष्म, महात्मा विदरु , कृपाचार्य तथा स्वयं महाराज धत
ृ राष्ट्र के लिए
किया गया है । नहीं, हम दर्यो
ु धन के कथन से सहमत नहीं हैं ?

(ग) दर्यो
ु धन के अनस
ु ार 'न्याय' एवं 'सच' क्या था ? क्या आप उससे सहमत हैं ?

उत्तर : दर्यो
ु धन के अनस ु ार न्याय और सच यह था कि हस्तिनापरु के राज्य पर उसका अधिकार है क्योंकि
उसके पिता धत ृ राष्ट्र अंधे थे, इसलिए राज्य की दे खभाल के लिए पांडु को दिया गया था और उनके पश्चात ्
राज्य पर मल ू अधिकार उसके पिता का था। वे जिसे चाहते, व्यवस्था के लिए उसे सौंप सकते थे। नहीं, हम
दर्यो
ु धन की बात से सहमत नहीं हैं।

(घ) 'भय जिसका आधार हो, वह शांति स्थायी नहीं हो सकती।' कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जब भय को आधार बनाकर शांति स्थापित करने का प्रयत्न किया जाता है , तब वह शांति स्थायी नहीं
हो सकती। दर्यो
ु धन कहता है कि भीष्म पितामह, महात्मा विदरु , कृपाचार्य और स्वयं महाराज धत ृ राष्ट्र
यधि
ु ष्ठिर के गणु ों से इतना प्रभावित थे कि उन्होंने कायरों की भाँति रक्तपात से बचने के लिए न्याय और सच
का बलिदान कर दिया और शांति स्थापित करने का प्रयत्न करते रहे , परं तु सफल न हो सके।

You might also like