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Annual Magazine (Hindi) (Arik) (CL 12 Comm)
Annual Magazine (Hindi) (Arik) (CL 12 Comm)
गरु
ु कुल से पा के हां शिक्षा, दीक्षा सब दे ने पहुंचे बल का प्रमाण
हस्तिनापरु के सभी वीर हर्षित थे कौरव पांडव खड़े बिच मैदान
हां गदा घम
ू ी फिर भीम की और लगे चलने अर्जुन के बाण
न कौरवो में कोई श्रेष्ठ ऐसा जो ज्ञान बल में उनके समान
जीत स्वयंवर अर्जुन भ्राताओ संग घर को लौट चले बिन दे खे जो कहे शब्द…
कंु ती के ह्रदय को तोड़ चले मरु लीधर ने आकर के फिर पर्ण
ू जन्म का ज्ञान कहा
पांचो गण
ु ये पांचो पांडव शिव का वो वरदान कहा
धर्मराज के बद्
ु धि पे जए
ु ने ग्रहण लगा डाला
एक शकुनी के बहकावे में द्रौपदी को दांव लगा डाला
कर्म तम्
ु हारे वश में पार्थ पर फल तेरे अधीन नहीं
निष्काम होक तम ु काम करो यूँ रण में रोना ठीक नहीं
सार हां सन
ु के गीता का जो सत्य था अर्जुन जान गया
लीलाधर की लीला को पलभर में ही पहचान गया
सामने आई सख ृ ंदी भीष्म ने शस्त्र त्याग दिए हां केशव के कहने पे पार्थ ने
बहु बाण प्रहार किए
दर्यो
ु धन की सेना पे जब काल के बदल घिर आए
तब सर्य
ु पत्र
ु ने आकर के था वीर का प्रमाण दिया
गदा यद्
ु ध के महारथी दोनों दे खो आपस में टकराए
एक शिष्य था बलदाऊ का कृष्ण भीम का साथ निभाएं
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