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महाभारत महाभारत में यूं तो हजारोूं किरदार हैं , ले किन यहाूं प्रस्तु त है उन लोगोूं िे बारे में सूंकिप्त पररचय

कजनिा महाभारत िे युद्ध से प्रत्यि और अप्रत्यि रूप से सूंबूंध रहा है । वह भी कजनिी महाभारत में ज्यादा
चचाा होती है ।

कृष्ण- वसुदेव और दे विी िी 8वीूं सूंतान और भगवान कवष्णु िे 8वें अवतार कजन्ोूंने अपने दु ष्ट मामा िूंस िा
वध किया था। भगवान िृष्ण ने अजुा न िो िुरुिे त्र युद्ध िे प्रारूं भ में गीता उपदे श कदया था। िृष्ण िी 8 पकियाूं
थीूं, यथा रुक्मकि, जाम्बवूंती, सत्यभामा, िाकलूं दी, कमत्रकबूंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मिा। श्रीिृष्ण िे लगभग 80
पुत्र थे । उनमें से खास िे नाम हैं - प्रद् युम्न, साम्ब, भानु , सुबाहू आकद। साम्ब िे िारि ही िृष्ण िुल िा नाश हो
गया था। साम्ब ने दु योधन िी पुत्री लक्ष्मिा से कववाह किया था।

भीष्म- 8 वसुओूं में से एि और शाूं तनु एवूं गूंगा िे पुत्र भीष्म िा नाम दे वव्रत था। जब दे वव्रत ने अपने कपता िी
प्रसन्नता िे कलए आजीवन ब्रह्मचारी रहने िा प्रि कलया, तब से उनिा नाम भीष्म हो गया। उनिे कपता िी
दसरी पिी िा नाम सत्यवती था, जो कनषाद िन्या थीूं।

द्रोण- भारद्वाज ऋकष िी सूंतान थे । द्रोिाचाया िा कववाह िृपाचाया िी बहन िृकप से हुआ था कजससे उनिो एि
पुत्र कमला कजसिा नाम अश्वत्थामा था। गुरु द्रोिाचाया ने शपथ ली थी कि मैं हस्तस्तनापुर िे राजिुमारोूं िो ही
शस्त्र कवद्या कसखाऊूंगा इसीकलए उन्ोूंने एिलव्य िो अपना कशष्य बनाने से इूं िार िर कदया था। युद्ध में द्रौपदी
िे भाई धृष्टद् युम्न ने एि छल से द्रोिाचाया िा वध िर कदया था।

धृ तराष्ट्र- शाूं तनु और सत्यवती िे पुत्र कवकचत्रवीया िी दसरी पिी अस्तम्बिा से धृतराष्टर िा जन्म हुआ। धृतराष्टर
जन्म से ही अूंधे थे । उनिा कववाह गाूं धार प्रदे श िी राजिुमारी गाूं धारी से हुआ। उनिे दु योधन सकहत 100 पुत्र
और एि पुत्री थी। युयुत्सु भी उनिा ही पुत्र था, जो एि दासी से जन्मा था।

पाांडु- शाूं तनु और सत्यवती िे पुत्र कवकचत्रवीया िी पहली पिी अम्बाकलिा से पाूं डु िा जन्म हुआ। पाूं डु िा
कववाह िुूंती और माद्री से हुआ। श्राप िे चलते दोनोूं से ही उनिो िोई पुत्र नहीूं हुआ तब िुूंती और माद्री ने
मूं त्रशस्ति िे बल से दे वताओूं िा आह्वान किया और 5 पुत्रोूं िो जन्म कदया। िुूंती ने कववाह पवा भी एि पुत्र िो
जन्म कदया था कजसिा नाम ििा था। इस तरह दोनोूं िे कमलािर 6 पुत्र थे।

विदु र- महकषा अूंकगरा, राजा मनु िे बाद कवदु र ने ही राज्य और धमा सूंबूंधी अपने सुूंदर कवचारोूं से ख्याकत प्राप्त
िी थी। अस्तम्बिा और अम्बाकलिा िो कनयोग िराते दे खिर उनिी एि दासी िी भी इच्छा हुई। तब वेदव्यास
ने उससे भी कनयोग किया कजसिे फलस्वरूप कवदु र िी उत्पकि हुई। कवदु र धृतराष्टर िे मूं त्री किूंतु न्यायकप्रयता िे
िारि पाूं डवोूं िे कहतैषी थे । कवदु र िो उनिे पवा जन्म िा धमा राज िहा जाता है । जीवन िे अूंकतम ििोूं में
इन्ोूंने वनवास ग्रहि िर कलया तथा वन में ही इनिी मृ त्यु हुई।

सूंजय- सूंजय िे कपता बुनिर थे इसकलए उन्ें सत पुत्र माना जाता था। उनिे कपता िा नाम गावल्यगि था।
उन्ोूंने महकषा वेदव्यास से दीिा ले िर ब्राह्मित्व ग्रहि किया था अथाा त वे सत से ब्राह्मि बन गए थे । वेदाकद
कवद्याओूं िा अध्ययन िरिे वे धृतराष्टर िी राजसभा िे सम्माकनत मूं त्री भी बन गए थे । िहते हैं कि गीता िा
उपदे श दो लोगोूं ने सुना- एि अजुा न और दसरा सूंजय। यहीूं नहीूं, दे वताओूं िे कलए दु लाभ कवश्वरूप तथा चतुभुाज
रूप िा दशा न भी कसफा इन दो लोगोूं ने ही किया था। सूंजय हस्तस्तनापुर में बैठे हुए ही िुरुिे त्र में हो रहे युद्ध िा
विान धृतराष्टर िो सुनाते हैं । महाभारत युद्ध िे पश्चात अने ि वषों ति सूंजय युकधकिर िे राज्य में रहे । इसिे
पश्चात धृतराष्टर, गाूं धारी और िुूंती िे साथ उन्ोूंने भी सूंन्यास ले कलया था। बाद में धृतराष्टर िी मृ त्यु िे बाद वे
कहमालय चले गए, जहाूं से वे कफर िभी नहीूं लौटे ।

कणण- सयादेव एवूं िुूंती िे पुत्र ििा िा पालन-पोषि अकधरथ और राधा ने किया था। ििा िो दानवीर ििा िे
नाम से भी जाना जाता है । ििा िवच एवूं िुूंडल पहने हुए पैदा हुए थे । इूं द्र ने उनसे ये िवच और िुूंडल दान में
माूं ग कलए थे । छल िरने िे िारि बदले में इूं द्र िो अपना अमोघ अस्त्र दे ना पडा था। 'अूंग' दे श िे राजा ििा
िी पहली पिी िा नाम वृषाली था। वृषाली से उसिो वृषसेन, सुषेि, वृषिेत नामि 3 पुत्र कमले । दसरी सुकप्रया
से कचत्रसेन, सुशमाा प्रसेन, भानु सेन नामि 3 पुत्र कमले । माना जाता है कि सुकप्रया िो ही पद्मावती और पुन्नुरुवी
भी िहा जाता था।

युवधविर- धमा राज और िुूंती िे पुत्र युकधकिर िे धमा कपता पाूं डु थे । ये सत्य वचन बोलने िे कलए प्रकसद्ध थे । द्रौपदी
से जन्मे युकधकिर िे पुत्र िा नाम प्रकतकवूंध्य था। युकधकिर िी दसरी पिी दे कविा थी। दे कविा से धौधेय नाम िा
पुत्र जन्मा।

अर्ुणन- राजा पाूं डु िे धमा पुत्र और दे वराज इूं द्र िे पुत्र अजुा न िी माता िा नाम िुूंती था। भगवान श्रीिृष्ण िे
सखा और उनिी ही बहन सुभद्रा िे पकत अजुा न िो ही गीता िा उपदे श कदया गया था। द्रौपदी से जन्मे अजुा न
िे पुत्र िा नाम श्रु तिमाा था। द्रौपदी िे अलावा अजुा न िी सुभद्रा, उलपी और कचत्राूं गदा नामि 3 और पकियाूं
थीूं। सुभद्रा से अकभमन्यु, उलपी से इरावत, कचत्राूं गदा से वभ्रुवाहन नामि पुत्रोूं िा जन्म हुआ।

भीम- पवनदे व और िुूंती िे पुत्र भीम िे धमा कपता पाूं डु थे । भीम में 10 हजार हाकथयोूं िा बल था। युद्ध में इन्ोूंने
ही सभी िौरवोूं िा वध िर कदया था। द्रौपदी से जन्मे भीमसेन से उत्पन्न पुत्र िा नाम सुतसोम था। द्रौपदी िे
अलावा भीम िी कहकडम्बा और बलूं धरा नामि 2 और पकियाूं थीूं। कहकडम्बा से घटोत्कच और बलूं धरा से सवंग
िा जन्म हुआ।

नकुल- अकश्वन िुमार और माद्री िे पुत्र निुल िे धमा कपता पाूं डु थे । मद्रदे श िे राजा शल्य निुल-सहदे व िे सगे
मामा थे । निुल ने अश् व कवद्या और कचकित्सा में भी कनपुिता हाकसल िी थी। द्रौपदी से उनिे शतानीि नाम िे
एि पुत्र भी हुए। द्रौपदी िे अलावा निुल िी िरे िुमती नामि पिी थीूं। िरे िुमती से कनरकमत्र नामि पुत्र िा
जन्म हुआ। िरे िुमती चेकदराज िी राजिुमारी थीूं।

सहदे ि- अकश्वनिुमार और माद्री िे पुत्र सहदे व िे धमा कपता पाूं डु थे । सहदे व पशु पालन शास्त्र, कचकित्सा और
ज्योकतष शास्त्र में दि होने िे साथ ही कत्रिालदशी भी थे । सहदे व िी िुल 4 पकियाूं थीूं- द्रौपदी, कवजया,
भानु मकत और जरासूंध िी िन्या। द्रौपदी से श्रु तिमाा , कवजया से सुहोत्र पुत्र िी प्रास्तप्त हुई। इसिे अलावा इनिे
2 पुत्र और थे कजसमें से एि िा नाम सोमि था।

कृपाचायण- हस्तस्तनापुर िे ब्राह्मि गुरु और अश्वत्थामा िे मामा। इनिी बहन 'िृकप' िा कववाह द्रोिाचाया से हुआ
था। महाभारत िे युद्ध में िृपाचाया बच गए थे, क्ोूंकि उन्ें कचरूं जीवी रहने िा वरदान था। िृपाचाया अश्वत्थामा
िे मामा और िौरवोूं िे िुलगुरु थे । महाभारत युद्ध में िृपाचाया िौरवोूं िी ओर से सकिय थे । वे आज भी
जीकवत हैं ।

युयुत्सु- महाराज धृतराष्टर िे एि पुत्र युयुत्सु ने पाूं डवोूं िी ओर से लडाई िी थी। महाभारत महािाव्य में 'युयुत्सु'
राजा धृतराष्टर िे वैश्य दासी मकहला से उत्पन्न पुत्र थे । माना जाता है कि युयुत्सु िे वूंशज आज भी मौजद हैं ।
महाभारत िे युद्ध में युयुत्सु ने पाूं डवोूं िे कलए हकथयारोूं िी आपकता और रखरखाव िा िाया किया था।

कृतिमाण- िृतवमाा यादव थे और यह भोजराज ह्रकदि िे पुत्र तथा िौरव पि िे अकतरथी योद्धा थे । मथु रा पर
आिमि िे समय श्रीिृष्ण ने िृतवमाा िो पवी द्वार िी रिा िा भार सौूंपा था। िृतवमाा ने बाि िे मूं त्री
िपििा िो हराया था। श्रीिृष्ण ने िृतवमाा िो हस्तस्तनापुर भी भे जा था, जहाूं ये पाूं डवोूं, द्रोि तथा कवदु र आकद से
कमले थे और मथु रा जािर श्रीिृष्ण िो सारा हाल बताया था। िृतवमाा ने शतधूंवा िी सहायता िरना अस्वीिार
किया था। यादवोूं िी आपसी लडाई में सात्यकि ने िृतवमाा िा कसर धड से अलग िर कदया था।

सात्यवक- महाभारत युद्ध में सात्यकि पाूं डवोूं िी ओर से लडने वाले यादव योद्धा थे । सात्यकि ने िौरवोूं िे
अने ि उच्च िोकट िे योद्धाओूं िो मार डाला कजनमें से प्रमु ख जलसूंकध, कत्रगतों िी गजसेना, सुदशा न, म्ले च्छोूं िी
सेना, भररश्रवा, ििापुत्र प्रसन थे । सात्यकि ने यादवोूं िे झगडे में ितवमाा िा कसर िाट कदया था और वे भी मारे
गए थे।

र्यद्रथ- कसन्धु िे राजा और धृतराष्टर िा दामाद जयद्रथ महाभारत युद्ध में अकभमन्यु िे चिव्यह में फूंसने िे
बाद दु योधन आकद योद्धाओूं िे साथ कमलिर उसिा वध िर दे ता है तब अजुा न सयाा स्त से पहले जयद्रथ िा
शीश िाटने िी शपथ ले ता है । श्रीिृष्ण अपनी माया से समय से पहले ही सयाा स्त िर दे ते हैं । छु पा हुआ जयद्रथ
बाहर कनिल आता है तभी सया कदखाई दे ने लगता है और अजुा न तत्क्षि उसिा शीश उतार दे ता है ।

अश्वत्थामा- अश्वत्थामा िौरवोूं िी ओर से लडे थे । गुरु द्रोिाचाया िे पुत्र अश्वत्थामा िे मस्ति पर अमल्य मकि
कवद्यमान थी, जो कि उसे दै त्य, दानव, शस्त्र, व्याकध, दे वता, नाग आकद से कनभा य रखती थी। यही िारि था कि
उन्ें िोई मार नहीूं सिता था। कपता िो छलपवाि मारे जाने िा जानिर अश्वत्थामा दु खी होिर िोकधत हो गए
और उन्ोूंने ब्रह्मास्त्र िा प्रयोग िर कदया कजससे युद्धभकम श्मशान भकम में बदल गई। यह दे ख िृष्ण ने उन्ें 3
हजार वषों ति िोढी िे रूप में जीकवत रहने िा शाप दे डाला।

दु योधन- िौरवोूं में ज्ये ि धृतराष्टर एवूं गाूं धारी िे 100 पुत्रोूं में सबसे बडे दु योधन िा शरीर वज्र िे समान था, बस
उसिी जूं घा ही िमजोर थी। युद्ध िे अूंत में भीम ने उसिी जूं घा उखाडिर उसिा वध िर कदया था। दु योधन
िे ििा िी िभी नहीूं सुनी। उसने हमे शा अपने मामा शिुकन िी ही बातोूं पर ज्यादा ध्यान कदया। दु योधन िा
कववाह िाम्बोज िे राजा चन्द्रवमाा िी पुत्री भानु मकत से हुआ था। दोनोूं िे 2 सूंतानें हुईूं- एि पुत्र लक्ष्मि था कजसे
अकभमन्यु ने युद्ध में मार कदया था और पुत्री लक्ष्मिा कजसिा कववाह िृष्ण िे जामवूंकत से जन्मे पुत्र साम्ब से हुआ
था।

दु ुः शासन- दु योधन िा छोटा भाई, जो द्रौपदी िो हस्तस्तनापुर राज्यसभा में बालोूं से पिडिर लाया था। िुरुिे त्र
युद्ध में भीम ने दु ुः शासन िी छाती िा रि पीिर अपनी प्रकतज्ञा परी िी थी।

शल्य- रघुवूंश िे शल्य पाूं डवोूं िे मामाश्री थे ले किन िौरव भी उन्ें मामा मानिर आदर और सम्मान दे ते थे ।
पाूं डु पिी माद्री िे भाई अथाा त निुल और सहदे व िे सगे मामा शल्य िे पास कवशाल सेना थी। जब युद्ध िी
घोषिा हुई तो निुल और सहदे व िो तो यह 100 प्रकतशत कवश्वास ही था कि मामाश्री हमारी ओर से ही लडाई
लडें गे, ले किन शल्य िो दु योधन िे प्यार और मान-सम्मान िे आगे झुिना पडा। उन्ोूंने िौरव सेना िा साथ
कदया और वे बाद में ििा िे सारथी भी बने थे । युद्ध में पाूं डवोूं ने शल्य िा वध िर कदया था।

अवभमन्यु- अजुा न और सुभद्रा िे वीर पुत्र जो िुरुिे त्र युद्ध में वीरगकत िो प्राप्त हुए। दरअसल, अकभमन्यु जब
सुभद्रा िे गभा में थे तभी चिव्यह िो भे दना सीख गए थे लेकिन बाद में उन्ोूंने चिव्यह से बाहर कनिलने िी
कशिा िभी नहीूं ली। अकभमन्यु श्रीिृष्ण िे भानजे थे । उनिी पिी िा नाम उिरा था कजसिे गभा में परीकित पल
रहा था। परीकित िो ही श्रीिृष्ण ने अश्वत्थामा िे अस्त्र से बचाया था।

वशखांडी- कशखूं डी िे िारि ही भीष्म िा शरीर छलनी हो गया था। यह पवा जन्म में अम्बा नामि राजिुमारी
था। कशखूं डी िो उसिे कपता द्रुपद ने पुरुष िी तरह पाला था तो स्वाभाकवि है कि उसिा कववाह किसी स्त्री से
ही किया जाना चाकहए। ऐसा ही हुआ ले किन कशखूंडी िी पिी िो इस वास्तकविता िा पता चला तो वह कशखूं डी
िो छोड अपने कपता िे घर चली गई। इसी कशखूं डी िो िृष्ण ने अपने रथ पर आसीन किया और अजुा न िे साथ
भीष्म िे सामने ला खडा किया। भीष्म ने िृष्ण पर युद्ध धमा िे कवरुद्ध आचरि िरने िा आरोप लगाते हुए एि
स्त्री पर वार िरने से मना िर अपना धनु ष नीचे रख कदया। यही समय था जबकि अजुा न ने कशखूं डी िी आड में
अपने बािोूं से भीष्म िा शरीर छलनी िर कदया।

घटोत्कच- रािस जाकत िी कहकडम्बा िो पाूं डु पुत्र भीम से प्रेम हो गया था। उसने अपनी माया से सुूंदर शरीर
धरिर भीम से कववाह किया और बाद में वह अपने असली रूप में आ गई। कहकडम्बा और भीम िा पुत्र
घटोत्कच था। घटोत्कच िा पुत्र बबारीि था। द्रौपदी िे शाप िे िारि ही महाभारत िे युद्ध में घटोत्कच ििा
िे हाथोूं मारा गया था।

बबणरीक- बबारीि महान पाूं डव भीम िे पुत्र घटोत्कच और नागिन्या अकहलवती िे पुत्र थे । िहीूं-िहीूं पर मु र
दै त्य िी पुत्री 'िामिूंटिटा' िे उदर से भी इनिे जन्म होने िी बात िही गई है । बबारीि और घटोत्कच िे
बारे में िहा जाता है कि ये दोनोूं ही कवशालिाय मानव थे । बबारीि िे कलए 3 बाि ही िाफी थे कजसिे बल पर
वे िौरव और पाूं डवोूं िी परी सेना िो समाप्त िर सिते थे । यह जानिर भगवान िृष्ण ने ब्राह्मि िे वेश में
उनिे सामने उपस्तथथत होिर उनसे दान में छलपवाि उनिा शीश माूं ग कलया।
बबारीि ने िृष्ण से प्राथा ना िी कि वे अूंत ति युद्ध दे खना चाहते हैं , तब िृष्ण ने उनिी यह बात स्वीिार िर
ली। फाल्गु न मास िी द्वादशी िो उन्ोूंने अपने शीश िा दान कदया। भगवान ने उस शीश िो अमृ त से सीूंचिर
सबसे ऊूंची जगह पर रख कदया ताकि वे महाभारत युद्ध दे ख सिें। उनिा कसर युद्धभकम िे समीप ही एि
पहाडी पर रख कदया गया, जहाूं से बबारीि सूंपिा युद्ध िा जायजा ले सिते थे । आज उन्ें खाट श् याम िे नाम
से जानते हैं ।

शकुवन- गाूं धारी िे भाई और दु योधन िे मामा एवूं िौरवोूं िो छल व िपट िी राह कसखाने वाले शिुकन उन्ें
पाूं डवोूं िा कवनाश िरने में पग-पग पर मदद िरते थे । शिुकन िी युस्ति िे ही चलते जु आ खे ला गया था और
उसिे छलपिा पाूं से िे चलते ही पाूं डव अपना सबिुछ हार बैठे थे । शिुकन ने ही पाूं डवोूं िो मरवाने िे कलए
लािागृह िी योजना बनाई थी। शिुकन िे एि नहीूं, िई िारनामे हैं । शिुकन कजतनी नफरत िौरवोूं से िरता
था, उतनी ही पाूं डवोूं से भी, क्ोूंकि उसे दोनोूं िी ओर से दु ख कमला था। पाूं डवोूं िो शिुकन ने अने ि िष्ट कदए।
भीम ने इसे अने ि अवसरोूं पर परे शान किया। महाभारत युद्ध में सहदे व ने शिुकन िा इसिे पुत्र सकहत वध िर
कदया था।

इरािन- अजुा न और उलपी िे बेटे इरावन या इरावत ने अपने कपता िी जीत िे कलए खु द िी बकल दी थी। बकल
दे ने से पहले उसिी अूंकतम इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी िर ले । मगर इस शादी िे कलए िोई भी
लडिी तैयार नहीूं थी, क्ोूंकि शादी िे तुरूंत बाद उसिे पकत िो मरना था। इस स्तथथकत में भगवान िृष्ण ने
मोकहनी िा रूप कलया और इरावन से न िेवल शादी िी बस्ति एि पिी िी तरह उसे कवदा िरते हुए रोए भी।

महवषण व्यास- महाभारत महािाव्य िे ले खि। पाराशर और सत्यवती िे पुत्र। इन्ें िृष्ण द्वै पायन िे नाम से भी
जाना जाता है , क्ोूंकि वे िृष्ण विा िे थे तथा उनिा जन्म एि द्वीप में हुआ था। िहते हैं कि वे आज भी कजूं दा
हैं ।

परशुराम- अथाा त परशु वाले राम। वे द्रोि, भीष्म और ििा जै से महारकथयोूं िे गुरु थे । वे भगवान कवष्णु िा
षष्ठम अवतार हैं । िहते हैं कि वे आज भी कजूं दा हैं ।

एकलव्य- द्रोि िा एि महान कशष्य कजससे गुरु दकििा में द्रोि ने उसिा अूंगठा माूं गा था। एिलव्य एि
राजपुत्र थे और उनिे कपता िी िौरवोूं िे राज्य में प्रकतिा थी। बालपन से ही अस्त्र-शस्त्र कवद्या में बालि िी
लय, लगन और एिकनिता िो दे खते हुए गुरु ने बालि िा नाम 'एिलव्य' रख कदया था। एिलव्य िे युवा होने
पर उसिा कववाह कहरण्यधनु ने अपने एि कनषाद कमत्र िी िन्या सुिीता से िरा कदया। एिलव्य िा एि पुत्र था
कजसिा नाम िेतुमान था। एिलव्य िे युद्ध में वीरगकत िो प्राप्त होने िे बाद उसिा पुत्र िेतुमान कसूंहासन पर
बैठता है और वह िौरवोूं िी सेना िी ओर से पाूं डवोूं िे स्तखलाफ लडता है । महाभारत िे युद्ध में वह भीम िे
हाथ से मारा जाता है ।

कांस मामा- महाभारत और पु रािोूं में जरासूंध िी बहुत चचाा होती है । वह उस िाल िे सबसे शस्तिशाली
जनपद मगध िा सम्राट था। जरासूंध िा दामाद था िूंस, जो भगवान श्रीिृष्ण िा मामा था। िूंस ने अपने कपता
उग्रसेन िो राजपद से हटािर जे ल में डाल कदया था और स्वयूं शरसेन जनपद िा राजा बन बैठा था। शरसेन
जनपद िे अूंतगात ही मथु रा आता है । िूंस िे िािा शरसेन िा मथु रा पर राज था। िूंस ने मथु रा िो भी अपने
शासन िे अधीन िर कलया था और वह प्रजा िो अने ि प्रिार से पीकडत िरने लगा था। श्रीिृष्ण िी बुआ िे
बेटे कशशु पाल िा झुिाव भी िूंस िी ओर था।

र्रासांध- िूंस िे मारे जाने िे बाद उसिा ससुर जरासूंध िृष्ण िा िट्टर शत्रु बन गया। इसी ने िालयवन िो
बुलािर श्रीिृष्ण िो युद्ध िे कलए ललिारा था। जरासूंध मगध िा अत्यूंत िर एवूं साम्राज्यवादी प्रवृकि िा
शासि था। वह बृहद्रथ नाम िे राजा िा पुत्र था और जन्म िे समय 2 टु िडोूं में कवभि था। जरा नाम िी
रािसी ने उसे जोडा था तभी उसिा नाम जरासूंध पडा। उसिे 2 टु िडे िर दे ने िे बाद भी वह कजूं दा हो जाता
था। भीम ने श्रीिृष्ण िे इशारे पर उसिी जूं घा पिडिर उसिे 2 टु िडे िर कदए ले किन वह कफर जु डिर
कजूं दा हो जाता था। तब 14वें कदन श्रीिृष्ण ने एि कतनिे िो बीच में से तोडिर उसिे दोनोूं भागोूं िो कवपरीत
कदशा में फेंि कदया। भीम, श्रीिृष् ि िा यह इशारा समझ गए और उन्ोूंने वही किया। उन्ोूंने जरासूंध िो
दोफाड िर उसिे एि फाड िो दसरे फाड िी ओर तथा दसरे फाड िो पहले फाड िी कदशा में फेंि कदया।
इस तरह जरासूंध िा अूंत हो गया, क्ोूंकि कवपररत कदशा में फेंिे जाने से दोनोूं टु िडे जु ड नहीूं पाए।

कालयिन- यह जन्म से ब्राह्मि ले किन िमा से असुर था और अरब िे पास यवन दे श में रहता था। पुरािोूं में
इसे म्ले च्छोूं िा प्रमु ख िहा गया है । िालयवन ऋकष शे कशरायि िा पुत्र था। गगा गोत्र िे ऋकष शे कशरायि कत्रगत
राज्य िे िुलगुरु थे । िालयवन िी सेना ने मथु रा िो घेर कलया। जब िालयवन और िृष्ण में द्वूं द्व युद्ध िा जय
हो गया तब िालयवन श्रीिृष्ण िी ओर दौडा। श्रीिृष्ण तुरूंत ही दसरी ओर मुूं ह िरिे रिभकम से भाग चले और
िालयवन उन्ें पिडने िे कलए उनिे पीछे -पीछे दौडने लगा। श्रीिृष्ण लीला िरते हुए दर एि पहाड िी गुफा
में घुस गए। उनिे पीछे िालयवन भी घुसा। वहाूं उसने एि दसरे ही मनु ष्य िो सोते हुए दे खिर सोचा, मु झसे
बचने िे कलए श्रीिृष्ण इस तरह भे ष बदलिर छु प गए हैं । यह सोचिर उसने सोए हुए व्यस्ति िो िसिर एि
लात मारी। वह पुरुष बहुत कदनोूं से वहाूं सोया हुआ था। पैर िी ठोिर लगने से वह उठ पडा और धीरे -धीरे
उसने अपनी आूं खें खोलीूं। इधर-उधर दे खने पर पास ही िालयवन खडा हुआ कदखाई कदया। वह पुरुष इस
प्रिार ठोिर मारिर जगाए जाने से िुछ रुष्ट हो गया था। उसिी दृकष्ट पडते ही िालयवन िे शरीर में आग
पैदा हो गई और वह ििभर में जलिर राख िा ढे र हो गया। िालयवन िो जो पुरुष गुफा में सोए कमले, वे
इक्ष्वािुवूंशी महाराजा माूं धाता िे पुत्र राजा मु चुिुूंद थे । इस तरह िालयवन िा अूंत हो गया।

वशशुपाल- कशशु पाल 3 जन्मोूं से श्रीिृष्ण से बैर-भाव रखे हुआ था। इस जन्म में भी वह कवष्णु िे पीछे पड गया।
दरअसल, कशशु पाल भगवान कवष्णु िा वही द्वारपाल था कजसे कि सनिाकद मु कनयोूं ने शाप कदया था। वे जय और
कवजय अपने पहले जन्म में कहरण्यिश्यपु और कहरण्याि, दसरे जन्म में रावि और िुूंभििा तथा अूंकतम तीसरे
जन्म में िूंस और कशशु पाल बने । िृष्ण ने प्रि किया था कि मैं कशशु पाल िे 100 अपमान िमा िरू ूं गा अथाा त
उसे सुधरने िे 100 मौिे दूं गा।

एि बार िी बात है कि जरासूंघ िा वध िरने िे बाद श्रीिृष्ण, अजुा न और भीम इन्द्रप्रथथ लौट आए, तब
धमा राज युकधकिर ने राजसय यज्ञ िी तैयारी िरवा दी। उस यज्ञ में कशशु पाल श्रीिृष्ण िो अपमाकनत िर गाली
दे ने लगा। 100 अपशब्ोूं िे बाद कशशु पाल िे मु ख से अपशब् िे कनिलते ही श्रीिृष्ण ने अपना सुदशा न चि
चला कदया और पलि झपिते ही कशशु पाल िा कसर िटिर कगर गया।

प ांडर क- चुनार दे श िा प्राचीन नाम िरुपदे श था। वहाूं िे राजा िा नाम पौूंडरि था। इसिे कपता िा नाम
वसुदेव था। यह द्रौपदी स्वयूंवर में उपस्तथथत था। पौूंडरि िो उसिे मखा और चापलस कमत्रोूं ने यह बताया कि
असल में वही परमात्मा वासुदेव और वही कवष्णु िा अवतार है , मथु रा िा राजा िृष्ण नहीूं। पुरािोूं में उसिे
निली िृष्ण िा रूप धारि िरने िी िथा आती है । वह हर बार श्रीिृष्ण िो युद्ध िे कलए ललिारता रहता
था। अूंत में श्रीिृष्ण ने उसिा वध िर कदया था।

विवचत्रिीयण- शाूं तनु और सत्यवती िे पुत्र कवकचत्रवीया िी 2 पकियाूं अस्तम्बिा और अम्बाकलिा थीूं। दोनोूं िो िोई
पुत्र नहीूं हो रहा था तो सत्यवती िे पुत्र वेदव्यास िी सहायता से पुत्रोूं िो जन्म कदया। अस्तम्बिा से धृतराष्टर,
अम्बाकलिा से पाूं डु और दासी से कवदु र िा जन्म हुआ। तीनोूं ही ऋकष वेदव्यास िी सूंतान थीूं। इन्ीूं 2 पुत्रोूं में से
एि धृतराष्टर िे यहाूं जब िोई पुत्र नहीूं हुआ तो वेदव्यास िी िृपा से ही 99 पुत्र और 1 पुत्री िा जन्म हुआ।

गां गा- इूं द्र िे शाप िे चलते शाूं तनु और गूंगा िो मनु ष्य योकन में जन्म ले ना पडा और कफर दोनोूं िा कमलन हुआ।
गूंगा ने शाूं तनु से कववाह िरने िी शता रखी कि 'मैं आपसे कववाह तो िरू ूं गी पर चाहे मैं िुछ भी िरू ूं , आप
िभी मु झसे ये नहीूं पछें गे कि मैं वैसा क्ोूं िर रही हूूं अन्यथा में स्वगा चली जाऊूंगी।' शाूं तनु ने शता मूं जर िर
ली। गूंगा और शाूं तनु िे पुत्र होते थे तो गूंगा उन्ें नदी में बहा दे ती थी। शता में बूंधे शाूं तनु िुछ नहीूं िरते थे,
ले किन अपने 8वें पुत्र िो जब गूंगा नदी में बहाने लगी तो शाूं तनु ने उन्ें रोििर पछ ही कलया कि तुम ऐसा क्ोूं
िरती हो? शर् त भूं ग होने िे बाद गूंगा ने िहा कि ये 8 वसु थे कजन्ें शाप िे चलते मनु ष्य योकन में जन्म ले ना
पडा ले किन इस 8वें पुत्र िो अब मनु ष्योूं िे दु ख भी भोगना होूंगे। यह पुत्र आगे चलिर भीष्म कपतामह िहलाए।
सत्यिती- महाभारत िी शु रुआत राजा शाूं तनु िी दसरी पिी सत्यवती से होती है । सत्यवती िे बारे में पढने पर
पता चलता है कि यह एि ऐसी मकहला थीूं कजसिे िारि भीष्म िो ब्रह्मचया िी प्रकतज्ञा ले नी पडी। िहते हैं कि
सत्यवती ही एि प्रमु ख िारि थी कजसिे चलते हस्तस्तनापुर िी गद्दी से िुरुवूंश नष्ट हो गया। यकद भीष्म सौगूंध
नहीूं खाते तो सत्यवती िे पराशर से उत्पन्न पुत्र वेदव्यास िे 3 पुत्र पाूं डु, धृतराष्टर और कवदु र हस्तस्तनापुर िे
शासि नहीूं होते या यह िहें कि उनिा जन्म ही नहीूं होता। तब इकतहास ही िुछ और होता।

अम्बा- कशखूं डी पवा जन्म में अम्बा नामि राजिुमारी था। अम्बा ने आत्महत्या िर ली थी।

अम्बम्बका- शाूं तनु और सत्यवती िे पुत्र कवकचत्रवीया िी पिी, अम्बा और अम्बाकलिा िी बहन। इनिे पुत्र िा
नाम धृतराष्टर था।

अम्बावलका- शाूं तनु और सत्यवती िे पुत्र कवकचत्रवीया िी पिी, अम्बा और अस्तम्बिा िी बहन। इनिे पुत्र िा
नाम पाूं डु था।

गाांधारी- सत्यवती िे बाद यकद राजिाज में किसी िा दखल था तो वह थी धृतराष्टर िी पिी गाूं धारी। िहते हैं कि
गाूं धारी िा कववाह भीष्म ने जबरदस्ती धृतराष्टर से िरवािर उसिे सूंपिा पररवार िो बूंधि बनािर रखा था।
गाूं धारी िे कलए यह सबसे दु खदायी बात थी। गाूं धारी िे कलए आूं खोूं पर पट्टी बाूं धने िा एि िारि यह भी था।
धृतराष्टर आूं खोूं से ही नहीूं, मन से भी अूंधोूं िी भाूं कत व्यवहार िरते थे इसकलए गाूं धारी और उनिे भाई शिुकन
िो अप्रत्यि रूप से सिा सूंभालनी पडी। गाूं धारी िो यह कचूंता सताने लगी थी कि िहीूं िुूंती िे पुत्र
कसूंहासनारूढ न हो जाए। ऐसे में शिुकन ने दु योधन िे भीतर पाूं डवोूं िे प्रकत घृिा िा भाव भर कदया था।
हालाूं कि यह भी िहा जाता था कि शिुकन भीष्म, धृतराष्टर आकद से बदला ले ना चाहता था इसीकलए उसने यह
षड्यूंत्र रचा था।

गाूं धारी ने ही अपनी शस्ति िे बल पर दु योधन िे अूंग िो वज्र िे समान बना कदया था ले किन श्रीिृष्ण िी
चतुराई िे चलते उसिी जूं घा वैसी िी वैसी ही रह गई थी, क्ोूंकि श्रीिृष्ण ने िहा था कि माूं िे समि नग्न
अवथथा में जाना पाप है । गाूं धारी मानती थीूं कि श्रीिृष्ण िे िारि ही महाभारत िा युद्ध हुआ और उन्ीूं िे
िारि मे रे सारे पुत्र मारे गए। तभी तो गाूं धारी ने भगवान श्रीिृष्ण िो उनिे िुल िा नाश होने िा श्राप कदया
था।

कांु ती- गाूं धारी िे बाद िुूंती महाभारत िे पटल पर एि शस्तिशाली मकहला बनिर हस्तस्तनापुर में प्रवेश िरती
है । िुूंती और माद्री दोनोूं ही पाूं डु िी पकियाूं थीूं। यकद पाूं डु िो शाप नहीूं लगता तो उनिा िोई पुत्र होता, जो
गद्दी पर बैठता ले किन ऐसा नहीूं हुआ। तब पाूं डु िे आग्रह पर िुूंती ने एि-एि िर िई दे वताओूं िा आवाहन
किया। इस प्रिार माद्री ने भी दे वताओूं िा आवाहन किया। तब िुूंती िो 3 और माद्री िो 2 पुत्र प्राप्त हुए
कजनमें युकधकिर सबसे ज्ये ि थे । िुूंती िे अन्य पुत्र थे भीम और अजुा न तथा माद्री िे पुत्र थे निुल व सहदे व। िुूंती
ने धमा राज, वायु एवूं इन्द्र दे वता िा आवाहन किया था तो माद्री ने अकश्वन िुमारोूं िा। इससे पहले िुूंती ने
कववाहपवा सया िा आह्वान िर ििा िो जन्म कदया था और उसे एि नदी में बहा कदया था।

एि शाप िे चलते जब पाूं डु िा दे हाूं त हो गया तो माद्री पाूं डु िी मृ त्यु बदाा श्त नहीूं िर सिी और उनिे साथ
सती हो गई। ऐसे में िुूंती अिेली 5 पुत्रोूं िे साथ जूं गल में रह गई। अब उसिे सामने भकवष्य िी चुनौकतयाूं थीूं।
ऐसे में िुूंती ने मायिे िी सुरकित जगह पर जाने िे बजाय ससुराल िी असुरकित जगह िो चुना। 5 पुत्रोूं िे
भकवष्य और पालन-पोषि िे कनकमि उसने हस्तस्तनापुर िा रुख किया, जो कि उसिे जीवन िा एि बहुत ही
िकठन कनिाय और समय था। िुूंती ने वहाूं पहुूं चिर अपने पकत पाूं डु िे सभी कहतैकषयोूं से सूंपिा िर उनिा
समथा न जु टाया। सभी िे सहयोग से िुूंती आस्तखरिार राजमहल में अपनी जगह बनाने में िामयाब हो गई।
िुूंती और समथा िोूं िे िहने पर धृतराष्टर और गाूं धारी िो पाूं डवोूं िो पाूं डु िा पुत्र मानना पडा। राजमहल में
िुूंती िा सामना गाूं धारी से भी हुआ। िुूंती वसुदेवजी िी बहन और भगवान श्रीिृष्ण िी बुआ थीूं, तो गाूं धारी
गूंधार नरे श िी पुत्री और राजा धृतराष्टर िी पिी थी।
द्र पदी- सत्यवती, गाूं धारी और िुूंती िे बाद यकद किसी िा नूं बर आता है तो वह थीूं 5 पाूं डवोूं िी पिी द्रौपदी।
द्रौपदी िे कलए पाूं चोूं पाूं डवोूं िे साथ कववाह िरना बहुत िकठन कनिाय था। सामाकजि परूं परा िे कवरुद्ध उसने
यह किया और दु कनया िे समि एि नया उदाहरि ही नहीूं रखा बस्ति उसने अपना सम्मान भी प्राप्त किया
और खु द िी छकव िो पकवत्र भी बनाए रखा। द्रौपदी िी िथा और व्यथा पर िई उपन्यास कलखे जा चुिे हैं ।

द्रौपदी िो इस महाभारत युद्ध िा सबसे बडा िारि माना जाता है । द्रौपदी ने ही दु योधन िो इूं द्रप्रथथ में िहा
था, 'अूंधे िा पुत्र भी अूंधा।' बस यही बात दु योधन िे कदल में तीर िी तरह धूंस गई थी। यही िारि था कि
द् यतिीडा में उनसे शिुकन िे साथ कमलिर पाूं डवोूं िो द्रौपदी िो दाूं व पर लगाने िे कलए राजी िर कलया था।
द् यतिीडा या जु ए िे इस खेल ने ही महाभारत िे युद्ध िी भकमिा कलख दी थी, जहाूं द्रौपदी िा चीरहरि हुआ
था।

सुभद्रा- सुभद्रा तो िृष्ण िी बहन थी कजसने िृष्ण िे कमत्र अजुा न से कववाह किया था, जबकि बलराम चाहते थे
कि सुभद्रा िा कववाह िौरव िुल में हो। बलराम िे हठ िे चलते ही तो िृष्ण ने सुभद्रा िा अजुा न िे हाथोूं हरि
िरवा कदया था। बाद में द्वारिा में सुभद्रा िे साथ अजुा न िा कववाह कवकधपवाि सूंपन्न हुआ। कववाह िे बाद वे 1
वषा ति द्वारिा में रहे और शेष समय पुष्कर िे त्र में व्यतीत किया। 12 वषा परे होने पर वे सुभद्रा िे साथ
इन्द्रप्रथथ लौट आए।

लक्ष्मणा- श्रीिृष्ण िी 8 पकियोूं में एि जाम्बवूंती थीूं। जाम्बवूंती-िृष्ण िे पुत्र िा नाम साम्ब था। साम्ब िा कदल
दु योधन-भानु मती िी पुत्री लक्ष्मिा पर आ गया था और वे दोनोूं प्रेम िरने लगे थे । दु योधन िे पुत्र िा नाम
लक्ष्मि था और पुत्री िा नाम लक्ष्मिा। दु योधन अपनी पुत्री िा कववाह श्रीिृष्ण िे पुत्र से नहीूं िरना चाहता था।
भानु मती सुदकिि िी बहन और दु योधन िी पिी थी इसकलए एि कदन साम्ब ने लक्ष्मिा से प्रेम कववाह िर कलया
और लक्ष्मिा िो अपने रथ में बैठािर द्वाररिा ले जाने लगा। जब यह बात िौरवोूं िो पता चली तो िौरव
अपनी परी सेना ले िर साम्ब से युद्ध िरने आ पहुूं चे।

िौरवोूं ने साम्ब िो बूंदी बना कलया। इसिे बाद जब श्रीिृष्ण और बलराम िो पता चला, तब बलराम हस्तस्तनापुर
पहुूं च गए। बलराम ने िौरवोूं से कनवेदनपवाि िहा कि साम्ब िो मु ि िर उसे लक्ष्मिा िे साथ कवदा िर दें ,
ले किन िौरवोूं ने बलराम िी बात नहीूं मानी। तब बलराम ने अपना रौद्र रूप प्रिट िर कदया। वे अपने हल से
ही हस्तस्तनापुर िी सूंपिा धरती िो खीचूं िर गूंगा में डु बोने चल पडे । यह दे खिर िौरव भयभीत हो गए। सूंपिा
हस्तस्तनापुर में हाहािार मच गया। सभी ने बलराम से माफी माूं गी और तब साम्ब िो लक्ष्मिा िे साथ कवदा िर
कदया। द्वाररिा में साम्ब और लक्ष्मिा िा वैकदि रीकत से कववाह सूंपन्न हुआ।

सत्यभामा- सत्यभामा भगवान श्रीिृष्ण िी पिी थीूं। राजा सत्राकजत िी पुत्री श्रीिृष्ण िी 3 महाराकनयोूं में से 1
बनीूं। सत्यभामा िे पुत्र िा नाम भानु था। सत्यभामा िो एि और जहाूं अपने सुूंदर होने और श्रे ि घराने िी
राजिुमारी होने िा घमूं ड था वहीूं दे वमाता अकदकत से उनिो कचरयौवन िा वरदान कमला था कजसिे चलते वह
और

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