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हमारी रा ीय अ मता
और वािभमान का मूितम त प
जनवरी 2024
© The Narrative
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काशक
The Narrative
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ीरामज मभूिम म दर
हमारी रा ीय अ मता और वािभमान का मूितमंत प
िवषय- म
१. भारतीयता क ितिनिध ीराम 05
२. अयो या माहा य 06
३. ीरामज मभूिम पर आ मण 06
म दर पर पहला आ मण
पुनिनिमत म दर क भ यता
बाबर का आ मण और म दर वंस
४. ी रामज मभूिम क िलए संघष क महान गाथा 08
1528 से 1857 तक
1857 से 1947 तक
1947 से 1986 तक
1986 से 2019 तक
५. िवजय का वह उ ास अभूतपूव था 24
६. भारत क वािभमान का तीक ह ीराम म दर 26
७. अब हमारा दािय व 27
काशक य
ीराम भारत क ाण म बसते ह। यही कारण ह िक आ मणका रय ने सदा
ही राम म दर को अपने िनशाने म िलया। लिेकन ज द ही पराधीनता क इस
कलक ं को िमटाकर भारतवासी अयो या म ीरामज मभिूम पर अपने
ाणाधार ीराम क ाण- ित ा करने जा रह ह। परूा दश
े राममय हो चकु ा ह।
और यह यक े भारतीय क िलए गौरव का ण ह।
लेिकन The Narrative क िलए यह अवसर इसिलए भी मह वपूण ह
िक 15 अग त को राजनीितक दासता से मु होने वाला देश आज
मानिसक दासता से अपनी मुि का एक भ य मारक बना रहा ह। इसिलए
भी िक िपछली कछ सिदय म भारत को तोड़ने का ष करने वाली
ताकत ारा बुने गए नैरिट ज़ क जाल से भी यह राममय भारत अब मु हो
रहा ह। ऐसा लग रहा ह, मानो िवख डन क किटल यास क दौर म ीराम
ने वयं ही समाज को पुनः जोड़ने का यह काय स प िकया ह।
ऐसे पावन अवसर पर, जब समूचा िव भारतवािसय क इस िवजय का
भ य उ ास मना रहा ह, The Narrative प रवार का यह लघु यास
आप सभी भारतवािसय को समिपत ह, इस आ ह क साथ िक इस अवसर
को िवशेष बनाने म आप भी अपना योगदान अव य द!
- काशक
॥ ॐ॥
ीरामज मभूिम म दर
हमारी रा ीय अ मता और वािभमान का मूितमंत प
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राजा महताब िसंह और देवीदीन पा ड का संग : किनंघम क
उपयु वृ ा त से िब कल िमलता-जुलता एक संग आता ह िक म दर
िगराए जाने क समय भीटी क राजा महताब िसंह सेना क साथ तीथया ा पर
िनकले थे। जैसे ही उ ह म दर व त िकए जाने का समाचार िमला, वैसे ही
उ ह ने सेना को कने का आदेश देकर िनकट क अंजान क बाग म पड़ाव
डाल िलया। यहाँ से उ ह ने रात -रात आस-पास क सभी राजा ,
यो ा , सेनानायक को इसका समाचार िभजवाकर उ ह संगिठत िकया।
सुबह सूरज िनकलते ही यो ा सिहत गृह थ ने भी जो हाथ आया उसे ही
हिथयार बनाकर, ज मभूिम को घेर िलया। मीरबांक खाँ तो पहले होश ही
नह स हाल पाया। लेिकन, िफर मुगल सेना ने भी तलवार िनकाल ली। 15
िदन तक िदन-रात यु आ। इसम 4 लाख मुगल से 1 लाख 75 हजार
िह दु ने लोहा िलया। िवजय मुगल क ई। लेिकन मुगल सेना 4 लाख
से घटकर महज 3 हजार ही रह गई। किनंघम क लखनऊ गजेिटयर म िदये
त य इस लोक संग क पुि भी करते ह।
इसी तरह देवीदीन पा ड नामक यो ा ने भी 10 हजार सािथय क साथ
मीरबांक पर हमला बोला था। लेिकन मीरबांक क ब दूक से वे वीरगित
को ा ए। देवीदीन क िवषय म वयं बाबर ने तुजुक-ए-बाबरी म िलखा
ह िक अकल देवीदीन ने सात सौ मुगल िसपािहय को मौत क घाट उतारा।
किव जसव त ने देवीदीन पा ड क वीरता का वणन करते ए िलखा,
फबी रनभूिम झूिम-झूिम छिब िह दुन क ,
देिख क जुन बी जोर देवीदीन पा ड क ।
वीरांगना रानी जयकमारी क वीरता से ज मभूिम पर ीराम क
पूजा पुनः ारंभ ई :
अपने भारत देश म संकट आने पर मिहला ने भी वीरांगना का प धरा
ह। ऐसी ही एक वीरांगना थी – हसवर क वग य राजा रणिवजय िसंह क
20 वष य महारानी जयकमारी। उ ह ने अपनी ही जैसी 3 हजार
वीरांगना क एक सेना बनाकर ज मभूिम पर अिधकार ा करने
क िलए गो र ा प ित से संघष छड़ िदया। महारानी क गु मह रानंद
जी ने भी गाँव-गाँव जाकर यो ासंकलन का काय िकया। बाबर से लेकर
मायूँ क काल तक रानी ने यह संघष िनर तर जारी रखा। मायूं क काल म
ही रानी ने एक जबरद त आ मण करते ए ीरामज मभूिम पर अिधकार
ा कर िलया। लेिकन तीन िदन बाद शाही सेना आ धमक और िफर से
ज मभूिम छीन ली गई। रानी क सेना ने इसक बाद भी संघष जारी रखा।
अकबर क शासनकाल म उ ह ने ज मभूिम क उ ार क िलए 20 बार
शाही सेना से मुकाबला िकया। इनम से अंितम यु म तो रानी क सेना ने
शाही फौज को बुरी तरह हराया। सैिनक गाजर-मूली क तरह काट डाले
गए, छाविनयाँ भ म कर दी गई और सबसे मह वपूण बात िक ज मभूिम पर
रानी क सेना ने अिधकार कर िलया। लेिकन महारानी और उनक गु
मह रानंद दोन ही वीरगित को ा ए।
िह दु ने म जद क चहारदीवारी िगराकर वहाँ एक चबूतरा बनाकर
ीराम क पूजा ार भ कर दी। बीरबल और टोडरमल क ह त ेप से
अकबर इस बार कछ न कर सका। अकबर क बाद जहाँगीर ने भी यही
यव था कायम रखी।
साधु क च ड सेना और औरंगजेब : िद ी क ग ी पर औरंगजेब
क बैठने क बाद संघष बढ़ने लगा। एक िदन चौमटाधारी साधु क दल
को यह समाचार िमला िक औरंगजेब ने रामज मभूिम को तहस-नहस करने
क िलए जांबाज़ खाँ क नेतृ व म एक बड़ी फौज रवाना क ह। साधु क
उस दल म लगभग 10 हजार साधु थे, जो यु िव ा म भी पारंगत थे। इस
दल क मुिखया वै णवदास थे, जो छ पित िशवाजी क गु समथ गु
रामदास क िश य थे। इन साधु ने आस-पास क गाँव म भी सूचना करवा
दी। अब जब औरंगजेब क फौज ऊवशी क ड क िनकट प ची, तबतक
साधु और गृह थ क फौज उनक अ छ वागत क िलए तैयार खड़ी
थी। सात िदन तक घोर यु चला। मुगल सेना िछ -िभ कर दी गई।
गु गोिव द िसंह क सेना ने भी मुगल फौज को धूल चटायी :
औरंगजेब ने जैसे ही साधु क हाथ शाही फौज क हार का समाचार
सुना, वह आगबबूला हो गया। उसने अबक बार 40 हजार क फौज भेजी।
वै णवदास जी को इसक आशंका थी ही। अतः उ ह ने गु गोिव द िसंह
को सहायता क िलए पहले ही ाथना भेज दी थी। गु गोिव द िसंह ने
ाथना वीकार कर सेना क साथ सहादतगंज म शाही फौज से मुकाबला
िकया और उसे तहस-नहस कर िदया। इस तरह एक बार िफर औरंगजेब क
मंसूब पर पानी िफर गया।
ीरामज मभूिम िफर परतं ई : इस हार से औरंगजेब और भी ोिधत
आ, लेिकन उसने अगले 4 साल रामज मभूिम क ओर आँख उठाने का
साहस नह िकया। 4 साल क बाद उसने िफर एक बड़ी फौज भेजी। इस
बार िह दु असावधान रह। मुगल ने ज मभूिम तहस-नहस कर दी। चबूतर
सिहत आस-पास क म दर तोड़ िदये गये। िफर से म जद बनायी गयी।
पुजा रय ने िकसी तरह भगवान का िव ह बचाकर उसे सरयू म िछपा िदया।
लेिकन इसक बाद भी िह दु लगातार संघषरत रह। हालांिक उ ह सफलता
नह िमली। राजा गु द िसंह और देवीब स िसंह क नेतृ व म यु ए।
अवध क नसी ीन हदर क िव देवीब स िसंह ने िवजय ा क लेिकन
म दर िफर भी न बन सका।
िवजय का यह उ ास अभूतपूव था
य िप इस समय तक आ दोलन क कछ मुख नेता मृितशेष हो चुक थे,
आ दोलन म अपने युवा सािथय को घोड़ क पैर तले मरते देखने वाली
आँखे अब बूढ़ा गयी थ । देश का अिधकांश युवावग उस आ दोलन क
भ यता से अनजान था, लेिकन िफर भी िवजय का यह ण सभी क िलए
अिव मरणीय रहा। सोशल मीिडया, होिड स सब बधाइय से पट गए। पूर
भारत म दीपावली मनाई गयी। िवजयो ास ने पूर देश को आनंद म सराबोर
कर िदया। ऐसा अभूतपूव उ ास वतं ता क बाद शायद पहली बार मनाया
गया होगा! और िफर यह अवसर भी तो अभूतपूव ही था। आजादी क 72
साल बाद गुलामी का एक बड़ा कलंक भारत ने पोछा था। ज द ही क
सरकार ने ीरामज मभूिम तीथ यास बनाकर उसक मा यम से ज मभूिम
पर भ य म दर क पुनिनमाण का माग श त िकया।
र दगे, ाण दगे
म दर का िनमाण करगे।
िह दु क इस ण क पूरा होने क ितिथ अब िब कल हमार सामने आ
खड़ी ह। ी रामज मभूिम पर भ य म दर क प म मान रा म दर ही
साकार हो रहा ह।
भारत क वािभमान का तीक ह ी राम म दर
पूव म हमन जैसा कहा िक ीराम और उनक ि य राजधानी अयो या
येक भारतीय क मन म बसते ह। इसिलए भारत को चोट प चाने क िलए
िमिनया डर से लेकर बाबर और िफर औरंगजेब तक तमाम िवदेशी
आ मणका रय ने अयो या क मा यम से भारतीय क मन को चोट
प चाने का यास िकया। अपने ही सामने अपने मयादा पु षो म क
म दर को टटते देखने से अिधक पीड़ादायी भला और या हो सकता था।
इसिलए आज यह जो भ य रामम दर आकार ले रहा ह, वह कवल
आ था का ही नह , ब क समूची भारतीयता का मु य क होगा।
वािभमान क िलए चले पाँच सौ वष क संघष म बिलदान ए भारतीय
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