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ीरामज मभूिम म दर

हमारी रा ीय अ मता
और वािभमान का मूितम त प

जनवरी 2024

© The Narrative
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काशक
The Narrative
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॥ ॐ॥

ीरामज मभूिम म दर
हमारी रा ीय अ मता और वािभमान का मूितमंत प

िवषय- म
१. भारतीयता क ितिनिध ीराम 05
२. अयो या माहा य 06
३. ीरामज मभूिम पर आ मण 06
म दर पर पहला आ मण
पुनिनिमत म दर क भ यता
बाबर का आ मण और म दर वंस
४. ी रामज मभूिम क िलए संघष क महान गाथा 08
1528 से 1857 तक
1857 से 1947 तक
1947 से 1986 तक
1986 से 2019 तक
५. िवजय का वह उ ास अभूतपूव था 24
६. भारत क वािभमान का तीक ह ीराम म दर 26
७. अब हमारा दािय व 27
काशक य
ीराम भारत क ाण म बसते ह। यही कारण ह िक आ मणका रय ने सदा
ही राम म दर को अपने िनशाने म िलया। लिेकन ज द ही पराधीनता क इस
कलक ं को िमटाकर भारतवासी अयो या म ीरामज मभिूम पर अपने
ाणाधार ीराम क ाण- ित ा करने जा रह ह। परूा दश
े राममय हो चकु ा ह।
और यह यक े भारतीय क िलए गौरव का ण ह।
लेिकन The Narrative क िलए यह अवसर इसिलए भी मह वपूण ह
िक 15 अग त को राजनीितक दासता से मु होने वाला देश आज
मानिसक दासता से अपनी मुि का एक भ य मारक बना रहा ह। इसिलए
भी िक िपछली कछ सिदय म भारत को तोड़ने का ष करने वाली
ताकत ारा बुने गए नैरिट ज़ क जाल से भी यह राममय भारत अब मु हो
रहा ह। ऐसा लग रहा ह, मानो िवख डन क किटल यास क दौर म ीराम
ने वयं ही समाज को पुनः जोड़ने का यह काय स प िकया ह।
ऐसे पावन अवसर पर, जब समूचा िव भारतवािसय क इस िवजय का
भ य उ ास मना रहा ह, The Narrative प रवार का यह लघु यास
आप सभी भारतवािसय को समिपत ह, इस आ ह क साथ िक इस अवसर
को िवशेष बनाने म आप भी अपना योगदान अव य द!
- काशक
॥ ॐ॥

ीरामज मभूिम म दर
हमारी रा ीय अ मता और वािभमान का मूितमंत प

(भारत क संिवधान क मूल ित म मौिलक अिधकार से जुड़ अ याय क आर भ म ीराम, सीता और ल मण का िच )

रामो िव हवा धमः साधुः स य परा मः।


राजा सव य लोक य देवानािमव वासवः॥
(वा मीक य रामायण|अर यका ड|३७.१३)

ीराम िनिववाद प से भारतीयता क ितिनिधपु ष ह। हर भारतीय अपने


मयादा पु षो म ीराम को धम क य मरूत मानता ह। ीराम ने अपने
जीवन क यक े प म भारतीय िचतंन पर परा का उ तम आदश जग क
सम रखा ह। एक पु क प म राम जहाँ िपता क आ ापालन क िलए
सव व यागकर वनवास वीकार कर लतेे ह, तो वह एक बड़ भाई क प म
वे व सलता क मरूत लगते ह। प ी क र ा क िलए वे रा सकल से
वानरसनेा क दम पर लोहा ले लतेे ह, तो कवट और शबरी क मे म िम ी क
डली क तरह घल ु जाते ह। वनवास को भी उ ह ने लोग से स पक का एक
सु दर अिभयान बना िलया। इस दौरान वनवासी, कोलार, भील, िनषाद,
ऋिषकल सबक मन म उ ह ने अपना एक शा त थान बना िलया। जा क
हर घटक ने अपने राजा रामच को ही अपना ाण माना। उनका यि व
इतना िवशाल ह िक मानस म हम गाते ह, “राम िनका रावरी ह सबही को
नीक।” अथा राम का क याणकारी वभाव ही सबका क याण करने
वाला ह। एक पु , एक भाई, एक सखा, एक पित और एक राजा क प म
ीराम ने अपने जीवन म िजन आदश का िवकास िकया, उसे भारत ने इस
तरह वीकार िकया ह िक वे आज हमारी सं कित क िविश अगं बन गए ह।
क मीर, नेपाल, ित बत से लेकर लंका और इ डोनेिशया तक और
यांमार से लेकर िसंध तक का पूरा े हम राममय िदखता ह, राम सव
या िदखते ह। महिष वा मीिक ने इसिलए ही तो रामभूतं जग तं
कहकर ीराम क मिहमा बखानी ह। लेिकन िफर भी उन राम क ज मभूिम
अयो या या साकतपुरी का हम भारतवािसय क िलए एक िवशेष मह व
ह। ातः मरणीय सात मो दायी नगर म अयो या का नाम ही सबसे पहले
हम मरण करते ह। गो वामी तुलसीदास जी कहते ह,
सहस सेष निह किह सकिह जह नृप राम िबराज।
अथा जहाँ ीराम वयं राजा क प म िवरािजत ह, हजार शेषनाग भी
उस अयो यापुरी क मिहमा का बखान नह कर सकते। ीराम वयं कहते
ह, “अवधपुरी सम ि य नह सोऊ”। वेद-पुराण भी अयो या क मिहमा
का गान करते ह। अथववेद ने जहाँ देवानां पूरयो या कहकर इसका
बखान िकया ह, तो वह प पुराण ने सववेदमयं शुभ कहकर इसका
माहा य बताया ह। और िफर जन-जन क मन म बसे राम क राजधानी होने
क कारण ही अयो या भी भारतीय क मन म बसती ह। यही कारण रहा िक
ीक आ मणकारी िमिनया डर से लेकर मुगल आ मणकारी बाबर तक
सब ने अयो या को िनशाना बनाया तािक वे भारतीय क मन को, उनक
वािभमान को ही तोड़ द। लेिकन आज भी भारत म वािभमान क
भाव का संचार िफर से अयो या ने ही िकया। यही अयो याजी क
मिहमा ह।
म दर पर पहला आ मण
हमार ाचीन थ और लोक सािह य म ऐसा एक उ ख बार-बार आता ह
िक अयो या म ीरामज मभूिम पर एक िवशाल-भ य म दर था। समय-
समय पर िविभ राजा उसका जीण ार कराते रहते थे। लेिकन ईसा क दो
सदी पहले भारत क आंत रक श ु क मदद से ीक आ मणकारी
िमिनया डर का सै य अिभयान जब अयो या प चा, तो उसने वहाँ
िव मान ाचीन म दर को तोड़कर उसे नामशेष बना िदया। लेिकन तब
भारत क दशा कछ और थी। तीन महीन म ही िमिनया डर का वध
कर अयो या को मु करा िलया गया। बाद म स ाट िव मािद य ने
वहाँ पहले से भी भ य म दर का िनमाण कराया।
पुनिनिमत म दर क भ यता
कहा जाता ह िक गु काल क समय भारतवष म चार म दर को सव क
माना जाता था। इनम ीरामज मभूिम म दर पहला था। शेष तीन म दर म
कनक भवन, का मीर का सूय-मात ड म दर और भासप ण (गुजरात)
का सोमनाथ म दर स मिलत ह। स ाट िव मािद य ारा बनवाए गए
रामज मभूिम म दर क भ यता क क पना इस बात से क जा सकती ह
िक म दर क िशखर पर थािपत वण कलश क दशन आज क मनकापुर
(यानी लगभग 25-30 km क दूरी) से भी हो जाते थे। यह म दर
पौरािणक कथा म विणत कसौटी क 84 त भ पर बना था।
बाबर का आ मण और म दर वंस
स ाट िव मािद य क बाद लगभग 15 सिदय तक ी रामज मभूिम म दर
भारत क आ था और गौरव का क बना रहा। लेिकन 1528 म मुगल
आ मणकारी क ि अयो या पर पड़ी। एक बार िफर घर क भेिदय ने
उसक सहायता क । इस बार भारत म सै यशि भी संगिठत न होकर
िछ -िभ थी। दोन का लाभ उठाकर बाबर क सेनापित मीरबांक ने
अयो या पर धावा बोलकर ीरामज मभूिम क िवशाल म दर को व त
कर िदया। और न कवल व त िकया, ब क म दर क अवशेष से ही
उसने वहाँ एक म जद बना दी। ि िटश इितहासकार हिम टन अपने
बाराबक गजेिटयर म िलखता ह िक जलालशाह ने िह दु क खून
का गारा बनाकर उस पर लाखौरी ट म जद क न व डालने क
िलए दी। रामधुन क जगह ज मभूिम से अब अजान क आवाज सुनाई देने
लगी। यह भारत क वािभमान पर तब आ मणका रय ारा क गई शायद
सबसे बड़ी चोट थी।
ीराम ज मभूिम क िलए संघष क महान गाथा
ि िटश इितहासकार किनंघम क गजेिटयर क अनुसार बाबर क वज़ीर
मीरबांक ारा रामज मभूिम म दर क साथ-साथ अ य म दर को भी न
व त िकये जाने क घटना तेजी से भारत म फली। किनंघम अपने लखनऊ
गजेिटयर क 29व और 30व पृ म िलखता ह िक म दर िगराये जाने क
अवसर पर िह दु ने अपनी जान क बाजी लगा दी थी और
लगभग 1 लाख 79 हजार िह दु क लाश िगराने क बाद ही
मीरबांक खाँ म दर को िगराने म सफल हो सका।

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2
राजा महताब िसंह और देवीदीन पा ड का संग : किनंघम क
उपयु वृ ा त से िब कल िमलता-जुलता एक संग आता ह िक म दर
िगराए जाने क समय भीटी क राजा महताब िसंह सेना क साथ तीथया ा पर
िनकले थे। जैसे ही उ ह म दर व त िकए जाने का समाचार िमला, वैसे ही
उ ह ने सेना को कने का आदेश देकर िनकट क अंजान क बाग म पड़ाव
डाल िलया। यहाँ से उ ह ने रात -रात आस-पास क सभी राजा ,
यो ा , सेनानायक को इसका समाचार िभजवाकर उ ह संगिठत िकया।
सुबह सूरज िनकलते ही यो ा सिहत गृह थ ने भी जो हाथ आया उसे ही
हिथयार बनाकर, ज मभूिम को घेर िलया। मीरबांक खाँ तो पहले होश ही
नह स हाल पाया। लेिकन, िफर मुगल सेना ने भी तलवार िनकाल ली। 15
िदन तक िदन-रात यु आ। इसम 4 लाख मुगल से 1 लाख 75 हजार
िह दु ने लोहा िलया। िवजय मुगल क ई। लेिकन मुगल सेना 4 लाख
से घटकर महज 3 हजार ही रह गई। किनंघम क लखनऊ गजेिटयर म िदये
त य इस लोक संग क पुि भी करते ह।
इसी तरह देवीदीन पा ड नामक यो ा ने भी 10 हजार सािथय क साथ
मीरबांक पर हमला बोला था। लेिकन मीरबांक क ब दूक से वे वीरगित
को ा ए। देवीदीन क िवषय म वयं बाबर ने तुजुक-ए-बाबरी म िलखा
ह िक अकल देवीदीन ने सात सौ मुगल िसपािहय को मौत क घाट उतारा।
किव जसव त ने देवीदीन पा ड क वीरता का वणन करते ए िलखा,
फबी रनभूिम झूिम-झूिम छिब िह दुन क ,
देिख क जुन बी जोर देवीदीन पा ड क ।
वीरांगना रानी जयकमारी क वीरता से ज मभूिम पर ीराम क
पूजा पुनः ारंभ ई :
अपने भारत देश म संकट आने पर मिहला ने भी वीरांगना का प धरा
ह। ऐसी ही एक वीरांगना थी – हसवर क वग य राजा रणिवजय िसंह क
20 वष य महारानी जयकमारी। उ ह ने अपनी ही जैसी 3 हजार
वीरांगना क एक सेना बनाकर ज मभूिम पर अिधकार ा करने
क िलए गो र ा प ित से संघष छड़ िदया। महारानी क गु मह रानंद
जी ने भी गाँव-गाँव जाकर यो ासंकलन का काय िकया। बाबर से लेकर
मायूँ क काल तक रानी ने यह संघष िनर तर जारी रखा। मायूं क काल म
ही रानी ने एक जबरद त आ मण करते ए ीरामज मभूिम पर अिधकार
ा कर िलया। लेिकन तीन िदन बाद शाही सेना आ धमक और िफर से
ज मभूिम छीन ली गई। रानी क सेना ने इसक बाद भी संघष जारी रखा।
अकबर क शासनकाल म उ ह ने ज मभूिम क उ ार क िलए 20 बार
शाही सेना से मुकाबला िकया। इनम से अंितम यु म तो रानी क सेना ने
शाही फौज को बुरी तरह हराया। सैिनक गाजर-मूली क तरह काट डाले
गए, छाविनयाँ भ म कर दी गई और सबसे मह वपूण बात िक ज मभूिम पर
रानी क सेना ने अिधकार कर िलया। लेिकन महारानी और उनक गु
मह रानंद दोन ही वीरगित को ा ए।
िह दु ने म जद क चहारदीवारी िगराकर वहाँ एक चबूतरा बनाकर
ीराम क पूजा ार भ कर दी। बीरबल और टोडरमल क ह त ेप से
अकबर इस बार कछ न कर सका। अकबर क बाद जहाँगीर ने भी यही
यव था कायम रखी।
साधु क च ड सेना और औरंगजेब : िद ी क ग ी पर औरंगजेब
क बैठने क बाद संघष बढ़ने लगा। एक िदन चौमटाधारी साधु क दल
को यह समाचार िमला िक औरंगजेब ने रामज मभूिम को तहस-नहस करने
क िलए जांबाज़ खाँ क नेतृ व म एक बड़ी फौज रवाना क ह। साधु क
उस दल म लगभग 10 हजार साधु थे, जो यु िव ा म भी पारंगत थे। इस
दल क मुिखया वै णवदास थे, जो छ पित िशवाजी क गु समथ गु
रामदास क िश य थे। इन साधु ने आस-पास क गाँव म भी सूचना करवा
दी। अब जब औरंगजेब क फौज ऊवशी क ड क िनकट प ची, तबतक
साधु और गृह थ क फौज उनक अ छ वागत क िलए तैयार खड़ी
थी। सात िदन तक घोर यु चला। मुगल सेना िछ -िभ कर दी गई।
गु गोिव द िसंह क सेना ने भी मुगल फौज को धूल चटायी :
औरंगजेब ने जैसे ही साधु क हाथ शाही फौज क हार का समाचार
सुना, वह आगबबूला हो गया। उसने अबक बार 40 हजार क फौज भेजी।
वै णवदास जी को इसक आशंका थी ही। अतः उ ह ने गु गोिव द िसंह
को सहायता क िलए पहले ही ाथना भेज दी थी। गु गोिव द िसंह ने
ाथना वीकार कर सेना क साथ सहादतगंज म शाही फौज से मुकाबला
िकया और उसे तहस-नहस कर िदया। इस तरह एक बार िफर औरंगजेब क
मंसूब पर पानी िफर गया।
ीरामज मभूिम िफर परतं ई : इस हार से औरंगजेब और भी ोिधत
आ, लेिकन उसने अगले 4 साल रामज मभूिम क ओर आँख उठाने का
साहस नह िकया। 4 साल क बाद उसने िफर एक बड़ी फौज भेजी। इस
बार िह दु असावधान रह। मुगल ने ज मभूिम तहस-नहस कर दी। चबूतर
सिहत आस-पास क म दर तोड़ िदये गये। िफर से म जद बनायी गयी।
पुजा रय ने िकसी तरह भगवान का िव ह बचाकर उसे सरयू म िछपा िदया।
लेिकन इसक बाद भी िह दु लगातार संघषरत रह। हालांिक उ ह सफलता
नह िमली। राजा गु द िसंह और देवीब स िसंह क नेतृ व म यु ए।
अवध क नसी ीन हदर क िव देवीब स िसंह ने िवजय ा क लेिकन
म दर िफर भी न बन सका।

1857 से लेकर 1947 तक रामज मभूिम क िलए संघष


वष 1857 क वाधीनता सं ाम क पहले तक क मुगिलया द तावेज क
त य पर हम गौर करगे, तो पता चलता ह िक 1528 से लेकर 1857
तक लगभग सवा 300 साल क इस अविध म 4 लाख से अिधक
िह दु ने ीरामज मभूिम क िलए अपने ाण िनछावर िकए।
देवीब स िसंह क िवजय क बाद काफ समय तक अयो या म न कवल
वही थित कायम रही, ब क 1857 क सं ाम म िह दु-मु लम एकता
होने से वाधीनता सं ाम क बाद रामज मभूिम िह दु को स पने का
िनणय भी मुसलमान ने ले िलया। लेिकन 1857 क सं ाम क बाद ि िटश
सा ा ी ने क पनी से स ा ले ली। अं ेजी राज ने िह दु-मु लम एकता क
ितिनिध क प म उभर रह बाबा रामचरण दास और अमीर अली को
फाँसी दे दी। ज मभूिम िह दु को स पी नह जा सक । िफर अं ेज ने
िह दु और मुसलमान क बीच इतनी चौड़ी खाई बना दी िक िबना संघष
क ज मभूिम ा करना िह दु क िलए असंभव हो गया।
पहला मुकदमा : जब आपसी समझ से ज मभूिम ा करने क माग ब द
होते िदखे, तब मह त रघुबर दास ने 25 मई 1885 को फजाबाद
िजला जज क अदालत म यह यािचका रखी िक उ ह ीरामज मभूिम पर
म दर िनमाण क आ ा दी जाए। िजला जज कनल एफ़. ई. ए. शेिमयर
ने 1986 म इस पर िनणय सुनाते ए यह माना िक िह दु क पिव
भूिम पर म जद बनायी गयी। लेिकन ब त पुरानी बात हो जाने क
कारण उसने यािचका ठकरा दी।
1912 व 1934 का संघष : अदालती प ित क िवफल हो जाने क बाद
िह दु को िववश होकर िफर से सघंष क राह पर लौटना पड़ा। एक बार
वष 1912 म तो दस ू री बार 1934 म िह दु ने ज मभिूम पर बलपवूक
अिधकार िकया। साधु और गहृ थ ने वहाँ तोड़-फोड़ भी क । लिेकन,
ि िटश कमत ने न कवल ज मभिूम को अफने अिधकार म िफर से िलया,
ब क उस ढाच ँ े क मर मत क िलए िह दु से ही जमुाना भी वसल ू ा। इससे
मसु लमान ने यह कहकर किथत म जद का प र याग कर िदया िक
इसम अब कािफर का पस ै ा लग गया ह। लिेकन िह दू ज मभिूम म पजू ा-
अचना करते रह। आगे 1947 म भारत क वतं ता तक यही थित बनी रही।
तो इस कार हम देखते ह िक 1528 से लेकर 1947 तक लगभग
4 शता दय से भी अिधक ल बी अविध तक राम ज मभूिम क िलए
िह दु का संघष चलता रहा। इस दौरान कल 76 यु लड़ गए,
िजनम 4 लाख से अिधक िह दु ने अपने राजाराम क खाितर
ाण िनछावर िकए, पर सफलता नह िमल सक ।

1947 से लेकर 1986 तक रामज मभूिम क िलए संघष


1947 म देश अं ेजी राज से आज़ाद आ। भारत को वाधीनता िमली।
इससे िह दू समाज को आस जगी िक अब तो 450 साल का संघष समा
आ। अपनी चुनी सरकार रामलला को उनक ज मभूिम पर अिधकार
अव य िदलाएगी। सोमनाथ म दर क पुन ार ने इस आस को और बल
िदया। लेिकन ीराम ने तो मान अब िह दु क खोये वािभमान
को जगाने का िन य कर िलया था। रामलला ने िह दु क संगिठत
होने क ती ा करते ए वनवास म ही रहना वीकार िकया। सरदार पटल
सोमनाथ क तरह अयो या म म दर नह बना सक।
रामलला का ाक और प रसर म ताला लगना : वष 1949 क
22-23 िदस बर क चम कारी रात ीरामज मभूिम क िलए चल रह
भारतीय संघष म मह वपूण िस ई। इस िदन ज मभूिम म म जद कह जा
रह ढाँचे क भीतर रामलला कट ए। इसे सुनते ही रामलला क दशन क
िलए लोग का ताँता लग गया। 27 िदस बर को गोर पीठाधी र मह त
िद वजयनाथ ने वहाँ अख ड क तन शु िकया, जो तबसे लेकर आज तक
अनवरत चल रहा ह। इन सबसे मु लम म रोष या आ और उ ह ने
वहाँ से िह दु को हटाकर नमाज पढ़ने का फसला िकया। लेिकन 29
िदस बर 1949 को नगर द डनायक क रपोट को आधार बनाकर
त कालीन कले टर क. क. नायर ने भारतीय द ड संिहता क धारा 145 का
उपयोग करते ए पूर प रसर को कक कर ार पर ताला लगा िदया। गु बद
क नीचे पूजा चलती रही। इसक बाद 1950 तक इस मामले को लेकर िह दू
और मु लम दोन ही प क ओर से अदालत म मुकदमे दायर िकए गए।
दाऊदयाल ख ा और रामज मभूिम क मुि का : वष 1950 से
लेकर अब तक रामज मभूिम को लेकर अदालत म िजतने भी मुकदम
दायर िकए गए थे, उनम 1977 तक तो कवल यही तय होता रहा िक
आिखर कक िकए गए प रसर का रसीवर कौन बने। उधर दाऊदयाल
ख ा, जो उ र देश क कां ेस सरकार म 1962-67 तक किबनेट मं ी रह
थे, उ ह ने मई 1983 म त कालीन धानमं ी इिदरा गांधी को प
िलखकर रामज मभूिम क साथ-साथ मथुरा व काशी क म जद
भी िह दु को स पने क मांग कर दी। ीराम ज मभूिम क मुि का
यही गंभीर उ ह ने इस िवषय पर मुज फरपुर म बुलायी गयी एक
िवराट सभा म पूव गृहमं ी गुलजारीलाल नंदा व रा ीय वयंसेवक संघ क
त कालीन सरकायवाह ो. राजे िसंह क सम पुनः उप थत िकया।
उ ह ने रा वसं क सरसंघचालक मान. देवरस जी से भी इस बार म चचा
क । इसीक बाद िव िह दू प रष ने ीराम ज मभूिम क िलए संघष का
नेतृ व वीकार िकया। और यही घटना रामज मभूिम क िलए िह दु क
संघष क िनणायक चरण का आिद िब दु िस आ।
िव िह दू प रष और रामज मभूिम आ दोलन : िव िह दू प रष
क संघष म स मिलत होने से इसने गित पकड़ी। उसी वष, यानी 1983 म
ही, देवो थान एकादशी से लेकर गीता जयंती क बीच (यानी 16 नव बर से
16 िदस बर तक) प रष ने एका मता य और अनेक अिभनव योग
लोक सं ह क िलए िकए। इसक बाद रामज मभूिम पर जनचेतना जगाने क
िलए प रष ने जनकपुरी (नेपाल) से अयो या-लखनऊ होते ए िद ी
तक रामजानक रथ या ा आरंभ क । हालांिक त कालीन धानमं ी व.
इ दरा गांधी क ह या क बाद इसे मेरठ म ही थिगत कर िदया गया।
लेिकन यह या ा अपने योजन म सफल हो चुक थी।
आगे बढ़ो, जोर से बोलो – ज मभूिम का ताला खोलो : इसी बीच 18
अ ैल 1985 को मह त रामच दास ने घोषणा कर दी िक यिद अगली
महािशवराि (यानी 8 माच 1986) तक राम म दर का ताला नह खोला
गया तो वे आ मदाह कर लगे। िफर या था, पूर देश म रामज मभूिम म
िववािदत ढाँचे म िवरािजत रामलला क ार से ताला खोलने क िलए एक
अिभयान ार भ हो गया। ‘ज मभूिम ताला तोड़ो’ सिमित गिठत क गई।
जब तक ताला नह खुलेगा।
तब तक िह दू चैन न लेगा।
आगे बढ़ो, जोर से बोलो
ज मभूिम का ताला खोलो
ऐसे नार देश भर म गूँजने लगे। िह दु म अब रोष उफनता िदखने लगा
था। जनवरी 1986 म संत ने एक सभा म िनणय िलया िक आगामी
िशवराि से ताला खुलवाने क िलए संघष शु िकया जाए। लेिकन उससे
पहले ही, यानी 1 फरवरी 1986 को फजाबाद क िजला यायालय ने
वक ल उमेशच क यािचका पर म दर क ताले खोलने क आदेश दे
िदए। यह रामज मभूिम क मुि क िदशा म िह दु क पहली
सीढ़ी रही। ताला खुलते ही जन-मन म अब रामम दर क पुनिनमाण का
संक प िहलोर लेने लगा। लेिकन दूसरी ओर मुसलमान ने इसक खीझ म
क मीर म कई म दर तोड़ िदए। मु लम नेता ने इसे इ लाम पर
आ मण बताया था। लेिकन िह दु जनभावना क िव इस बार उनका
िव टम काड िवफल रहा। लोग ने अपना िन य य कर िदया था िक,
कोिट-कोिट िह दू जन का हम ार उठाकर मानगे।
सौग ध राम क खाते ह, हम म दर नया बनाएंगे॥
चली िशला ीराम क : िह दु जनभावना का यह उमड़ता ार देख
30-31 जनवरी 1989 को याग क भ क दौरान ई धमसंसद मे यह
घोषणा कर दी गई िक ीरामज मभूिम पर म दर िनमाण क िलए हर घर से
एक-एक िशला ( ट) और सवा-सवा पये संकिलत िकए जाएंगे।
अिभयान का आर भ 30 िसत बर से करना सुिनि त आ। इन िशला
का देवो थान एकादशी (9 नव बर 1989) तक अयो या प चना तय
िकया गया। 19 अग त को ब ीनाथ म दर म योित मठ क शंकराचाय
वामी शा तान द ने पहली िशला का पूजन कर िशलापूजन इस अिभयान
ीगणेश िकया। िफर या था,
अब न झुकगे अब न सहगे, घटनाएँ अपमान क ।
ाम- ाम से अवधपुरी को चली िशला ीराम क ॥
इन पंि य पर झूमते गाते भारत क येक ाम-नगर-ब ती से रामिशलाएँ
िशलापूजन क बाद अवधपुरी को चल । इनक साथ-साथ दुिनयाभर क 34
देश से भी िशलाएँ भारत प ची। पूर देशभर क लगभग 3 लाख थान पर
रामिशला का पूजन आ, िजनम लगभग 11 करोड़ लोग स मिलत ए
और लगभग 8 करोड़ 30 लाख पये संकिलत ए। भारतवािसय ने एक
गीत क पंि – “राम-काज पर आज चढ़ा द, ा िह दु थान क ”
को सच कर िदखलाया।
जनभावना क ार का यह वेग था िक भारत सरकार भी इसे रोकने
म वयं को असमथ पा रही थी। इ डया टड म कािशत एक रपोट (15
नव बर 1990, पृ. 29) म राजीव गांधी क हवाले से कहा गया, “गृह
मं ालय का यह िवचार था िक िशलापूजन रोकने क िलए हमार
पास पया ताकत नह थी।” इससे यह भी तय हो गया िक अब यह ार
म दर िनमाण पर ही थम सकता ह।
इस अिभयान को रोकने क िलए अदालती तरीका भी अपनाया गया,
लेिकन अदालत ने मूल अिधकार का हवाला देते ए रोक लगाने से इकार
कर िदया। इस कार 09 नव बर को िनयत ितिथ को िनयत समय पर
भूिमपूजन आ और िफर 10 नव बर को पहली िशला रखी गयी। और इस
रामकाज म देश क सकल स तसमाज, मूध य राजनेता क बीच पहली
िशला अिपत क अनुसूिचत जाित समाज क हमार ब धु कामे र चौपाल
ने। ीराम ने मान जाितभेद क कलंक को भारत से धोने का अपना
कायिस कर िदया। “रामलला हम आए ह। म दर यह बनाएंगे।”
क नार से िदशाएँ गूंज उठी।
लेिकन िशला यास क इस काय म अनेक बाधाएँ पैदा क ग । कानून-
यव था िबगड़ने क एक तरह क धमक भी दी गई, चुनाव क समय का
भी हवाला िदया गया। लेिकन, मह त रामच दास, व. अशोक िसंघल
सरीखे नेतृ वकता ने सरकार को प कर िदया िक िशला यास िनयत
ितिथ को िनयत समय पर ही होगा। और यिद नह तो इसी जगह पर
स या ह होगा। इन दो क िसवा और कोई िवक प ही नह ह।
पहली कारसेवा : िशला यास क बाद यादा देर न करते ए िव िह दू
प रष ने याग क संत स मेलन म 28 जनवरी को घोषणा क िक 14
फरवरी 1990 क िदन शुभ मु त से म दर िनमाणकाय आरंभ कर िदया
जाएगा। इस स मेलन म यह भी िनणय िलया गया िक यिद सरकार 6
फरवरी 1990 से पहले कोई चचा करना चाह तो बातचीत क दरवाजे खुले
रख जाए, नह तो उसक बाद काय ांभ कर िदया जाएगा। लेिकन वी.पी.
िसंह क सरकार ने संत-समाज और प रष से 4 महीन क मोहलत मांग ही
ली। 8 जून को मोहलत क अविध समा होते ही ह र ार म 23-24 जून को
एक बैठक म भ यम दर क पुनिनमाण क िलए देव बोिधनी एकादशी
(30 अ टबर) क िदन 'कारसेवा' का िन य िकया गया।
योजना कछ ऐसी बनी िक पहले 12 से 18 अ टबर तक ीराम योित
स ाह मनाया जाएगा, और िफर पाँच लाख गाँव से लाख कारसेवक
अयो या प चगे। राम योित स ाह क िलए अयो या म अरणी मथकर
योित जलायी गयी और िफर उससे दीप जलाकर पूर देश म राम योित
दान स ाह मनाते ए यह योित घर-घर प चाई गयी। इस वष दीपावली
क िदन इसी योित से सबने अपने-अपने घर म दीप जलाए।
इस पहली कारसेवा क िलए ी लालक ण आडवाणी ने 25
िसत बर 1990 को सोमनाथ से अयो या क िलए राम रथया ा ार भ क ।
सरकार हड़बड़ा गयी थी। त कालीन धानमं ी वी.पी. िसंह ने चचा का
आ ह िकया, पर व. अशोक िसंघल जी ने िफर प ता क साथ कहा
िक ितिथ, थान और म दर क मॉडल म प रवतन क कोई बात
नह होगी। इन तीन को छोड़कर और कोई बात यिद सरकार करना
चाह, तो कर ले। उधर रथया ा को िमलता अपार जनसमथन देख तमाम
से यूलरवादी दल ने अपनी राजनीित बचाने क िलए इसे सा दाियकता
फलाने और दंगे भड़काने वाली या ा कहना शु कर िदया।
रथया ा क अपार समथन से जुड़ा एक संग आडवाणी जी अ सर
सुनाते ह। वे बताते ह िक राजीव गा धी सरीखे नेता ारा रथया ा को
शैतानी या ा कहने और कां ेस सरकार ारा इसे रोकने क बात करने से
उ ह अंदेशा था िक महारा सीमा क भीतर प चते ही वहाँ क कां ेस
(इ दरा) सरकार उ ह िगर तार कर लेगी। और जब वे महारा सीमा पर
प चे तो वहाँ पुिलस क एक टकड़ी पहले से मौजूद थी। उ ह लगा िक अब
िगर तारी होनी ही ह। लेिकन उ ह बताया गया िक यह कवल याि य क
यव था क िलए ह न िक िगर तार करने क िलए। ऐसा ही अंदेशा उ ह
कणाटक और आ देश जैसे कां ेस शािसत देश क बार म भी था।
लेिकन वहाँ भी उनक अंदेशे गलत िनकले। वा तव म, यह रथया ा भाजपा
क न होकर पूर देश क आम-जन क थी। उन लोग क थी, िजनक िलए
राम उनक ाण ह। तब कोई भी सरकार जनभावना को भड़काने का
दु साहस भला कसे करती। इसक बाद आडवाणी जी अपने संबोधन म
कई बार चुटिकयाँ लेते ए कहा करते, “कां ेस क मु यमं ी अपने
रा ीय अ य राजीव गांधी से यादा समझदार िनकले।” यह था
िह दुजन का ार, िजसे उठाने क गीत गाते रामभ कारसेवा क िलए
अयो या को िनकल पड़ थे। लेिकन िबहार म मु यमं ी लालू साद यादव
ने सम तीपुर क सिकट हाउस से सुबह साढ़ पाँच बजे आडवाणी जी को
िगर तार करवा िलया। यह खबर फलते ही जनआ ोश भड़क गया। लोग
ने आडवाणी क िगर तारी पर कहा िक सम तीपुर पर लगा यह
कलंक राम म दर बनने से ही िमट सकगा। ऐसी उस समय क बल
जनभावनाएँ थी।
मुलायम सरकार क कठोरता : उधर मुलायम िसंह यादव क सरकार ने
पूरी अयो या को छावनी म बदल िदया। वे बड़ ताव से कह रह थे िक
अयो या म तो प र दा भी पर नही मार सकता। उ र देश सरकार का
यास भी यही था। मरीज तक को डॉ टर क पास जाने क मनाही थी।
रामभ क ार क सामने मुलायम िसंह दीवार बने का दु साहस कर रह
थे। अपने झूठ द भ को सं तु करने क िलए मुलायम िसंह सरकार ने पूर
उ र देश म सरकारी तं से आतंक मचा िदया। रामभ पर अ याचार
क हद हो गयी।
ब ा-ब ा राम का - ज मभूिम क काम का : पर न मुलायम क
कठोरता काम आयी, न मुलायम सरकार का आतंक। य िक राम ोही तं
का सामना इस बार सीधे लोक से था। कारसेवक को रोकने क िलए सरयू
पुल पर दो हजार जवान तैनात िकये गए थे। पर नािवक रात म िबना उतराई
िलए कारसेवक को सरयू पार करा रह थे। जयपुर से कािशत होने वाले
दैिनक समाचार प राज थान पि का क प कार ी गोपाल शमा, जो िक
उस समय अयो या म ही थे, वे कारसेवा क िदन का, यानी 30 अ टबर क
िदन का एक बड़ा ेरणादायी संग सुनाते ह। वे बताते ह िक अयो या म
हर घर ने कछ कारसेवक को शरण दे रखी थी। लेिकन राम ज मभूिम क
बाहर बैठ अफसर इस बात को लेकर िनि ंत थे िक कारसेवा महज एक
खयाली पुलाव ह, य िक घर से बाहर िनकलते ही कारसेवक िगर तार
कर िलए जाएंगे। लेिकन आगे य शाला क पास खड़ी एक मिहला आ त
थी िक कारसेवा ज र होगी। कसे? तो उसने उनसे दावे क साथ कहा िक
पुिलस को यह थोड़ ही पता ह िक हर घर म 5-5, 10-10 कारसेवक ह।
आ य क भाव देखने पर मिहला ने आगे बात पूरी करते ए कहा िक
बाहर से आए कारसेवक ही य , ब क अयो या का हर ब ा-
बूढ़ा, ी-पु ष भी तो कारसेवक ही ह। वह राम क काम आना
चाहता ह। जनता क भाव का यह वेग ही था, िजसे अ ततः पुिलस काबू न
कर सक ।
सरयू पुल पर 8-10 िदन से बैठ कारसेवक क भी धैय का सैलाब फट
पड़ा। “रामलला हम आएंगे - म दर वह बनाएंगे” जैसेलोक चिलत
नार क साथ कारसेवक ज मभूिम क तरफ बढ़ने लगे। तब सीआरपीएफ
क तीन अिधका रय ने जवान से सेमी-ऑटोमेिटक SLR छीनकर
20-20 राउ ड गोिलयाँ चला दी। इससे जवान भड़क उठ। कछ ने तो
उन अिधका रय पर ही ब दुक तान दी। लेिकन व र क बीच-बचाव से वे
शा त हो गए।
उधर कारसेव भी पुिलस क सभी उपाय को धता बताकर ज मभूिम क
भीतर प च गए। पुिलस ने डर क मार गभगृह क दरवाजे पर लगा ताला
खोल िदया। कई कारसेवक गु बद पर चढ़कर ी राम का जयकारा लगाने
लगे। गु बद पर भगवा वज फहरा िदया गया। लोकशि क तं पर आज
िवजय ई। उस मिहला का िव ास सही िनकला। “ब ा-ब ा राम का
– ज मभूिम क काम का” क नार ने वयं को च रताथ िकया। पुिलस
छावनी भंग हो गई। कछ इस तरह क नार अयो या क गिलय म गूंज उठ –
“अयो या ई हमारी ह, अब मथुरा क बारी ह।”
एक बार िफर अयो या रामभ क र से लाल हो गई : 30
अ टबर को कारसेवा क सफलता क बाद 01 नव बर को यह िनणय
िलया गया िक काितक पूिणमा (2 नव बर) को िफर से कारसेवा क
जाएगी। लेिकन इस बार सरकार ने भी िकसी भी दशा म कारसेवा को रोकने
का िन य कर रखा था। प कार गोपाल शमा अपनी एक पु तक म 02
नव बर क सुबह-सुबह सरयू पुल पर दो पुिलस किमय से उनक चचा क
बार म बताते ए िलखते ह िक चलते-चलते एक दो पुिलस किमय से बात
ई। उ ह ने बताया िक 01 नव बर क रात को ही सरयू पार का े खाली
कराया जा चुका ह। पुिलसकिमय ने उ ह जो बताया वह पाशिवक संग
आपको बरबस ही मुगल आ ा ता क याद िदला देगा। प कार शमा
बताते ह िक उ ह पुिलसकिमय से पता चला िक कल रात ग डा पुिलस
अधी क क नेतृ व म पुिलस बल ने आमरण-अनशन पर बठै साधु को
खदेड़ िदया या िगर तार कर िलया। उन साधु को जटा और दाढ़ी
से पकड़ कर घसीटा गया। रामायण फाड़कर फक दी। उनक धुनी
को ठोकर मारकर उड़ा िदया गया। भागते लोग पर घोड़ तक दौड़ा
िदये। भागते-भागते कछ लोग, िज ह तैरना नह आता था, वे सरयू
म डब गए। प कार शमा आगे बताते ह िक सुबह दूर-दूर तक स ाटा था।
तभी एक कारसेवक ग डा पुिलस अधी क क पास िगड़िगड़ाता आ
आया और उससे बोला िक उसका एक साथी कारसेवक िदख नह रहा,
शायद सरयू म डब गया होगा। तो इस पर ग डा पुिलस अधी क ने र हसी
क साथ कहा, “बिढ़या ह, मो िमल गया। डबने ही तो आए थे।”
इसी पुिलस अधी क ने कारसेवक पर 20 राउ ड गोिलयाँ भी चलाय ।
लोग इससे और भड़क गए। “हम भी गोली खाएंगे – दशन करक
जाएंगे” इस भाव से कारसेवक रामलला क दशन को मचल उठ थे।
जिलयांवाला बाग क मृितयाँ अयो या म जीव त हो उठ : 1919 म
बैसाखी क िदन अमृतसर क जिलयाँवाला बाग म जनरल डायर ने जो नृशंस
ह याका ड िकया था, वैसे ही, देव-दीपावली क िदन उससे भी यादा र
और नृशंस ह याका ड क सा ी ीराम क ि य अवधपुरी बनी। काितक
पूिणमा क िदन य ही िनह थे कारसेवक िदग बर अखाड़ से िनकल कर
मु य सड़क क िलए दा गली म मुड़, उ र देश आर ी पुिलस बल ने
'ऑपरशन कारसेवक' क तहत कारसेवक पर गोली क वषा कर दी गई।
कारसेवक जय ीराम – जय ीराम कहते िगरने लगे। अयो या क
धरती बिलदानी रामभ क र से नहा उठी।
लेिकन मुलायम िसंह यादव क पुिलस क ब दूक को इतने से भी चैन
नह था। कारसेवक को घर से िनकाल-िनकाल कर गोली मारी गई।
बीकानरे िनवासी कोठारी ब धु क ममा तक ह या भला कौन भल ू
सकता ह। इ ह क तरह मथािनया क सठेाराम, जोधपरु क ो.
मह नाथ अरोड़ा आिद कई कारसवेक को िनशाना लगा-लगा कर
गोिलयाँ मारी गई।
दूसरी ओर अयो या क शा ी नगर म रामधुन करते हजार कारसेवक
धीर-धीर बढ़ रह थे। लेिकन तभी लाठी चाज और आंसू गैस का योग शु
कर िदया गया। भारत क दि णी देश से आए कारसेवक ब धु ने पीछ
भागना वीकार नह िकया, ब क वे द डव णाम क मु ा म लेट गए।
लेिकन पुिलस तो मान रता म आज औरंगजेब और जनरल डायर
से मुकाबला करने को तुली थी। उसने इन कारसेवक क ऊपर घोड़
दौड़ा िदए। राम क देश म रामभि क ऐसी सजा!

2 नव बर 1990 को अयो या म मुलायम िसंह यादव क सरकार ारा


जिलयाँवाला बाग क जैसा ह याका ड िकया गया। ( ोत: ‘कारसेवा से कारसेवा तक’, गोपाल शमा)
पर इससे भी रामभ का हौसला नह टटा। रामभ क हौसले का
िच ख चता एक संग सुनने म आता ह िक िक जब पुिलस छत से आँसू
गैस क गोले दाग रही थी, तो उ ह बेअसर करने क िलए मिहलाएँ छत पर
पानी से भरी बा टयाँ लेकर खड़ी थी। ऐसी ही एक मिहला को पास क
छत म खड़ पुिलस कम ने राइफल िदखाकर कहा, “भाग यहाँ से” यह
सुनकर उस मिहला ने भागने क बजाय छाती ठ कते ए पुिलस वाले
को चुनौती दी, “नह जाऊगी, चला गोली।” ऐसे अनिगन संग इन
दो-तीन िदन म घिटत ए। इन सबसे रामम दर आ दोलन क ाला
भड़क उठी। देश भर से लोग रामलला क दशन और कारसेवा क िलए
मचल उठ।
दूसरी कारसेवा और रामज मभूिम पर िववािदत ढाँचे का वंस : वष
1992 क आते-आते प र थितयाँ िब कल बदल चुक थ । उ र देश म
भाजपा क पूण ब मत क सरकार थी। क याण िसंह मु यमं ी थे। क
म कां ेस सरकार और पी. वी. नरिसंहराव धानमं ी थे। िव िह दू
प रष , स त समाज आिद सबने िमलकर 6 िदस बर को कारसेवा करने
का िन य िकया। देश भर से कारसेवक िफर से अयो या म एकि त होने
लगे। िफर आया 6 िदस बर का िदन। युवा कारसेवक क जोश ने
अनुशासन क बाँध क साथ-साथ बाबरी म जद कही जा रही इमारत को भी
व त कर िदया। चार ओर जय ी राम का घोष गूंज उठा। पूर देश म खुशी
क लहर दौड़ पड़ी। और हो भी य न, उस ख डहर क प म हमारी
पराधीनता का कलंक जो िमटा था। लगभग 450 साल म अपना बिलदान
देने वाले लाख रामभ क र का ितशोध पूरा आ था। रामज मभूिम
मु हो गई। यह ीराम ज मभूिम क िलए िह दू-संघष क सफलता म
दूसरी सीढ़ी िस ई।
अंितम िवजय : िववािदत ढाँचे क बाद खाली जगह म किथत म जद क
नीचे पुराता वक शोध संभव हो सका। इन शोधकाय क दौरान यह िस हो
गया िक ज मभूिम पर एक िवशाल म दर को तोड़कर ही म जद बनायी
गयी थी। इन पुराता वक सा य क साथ-साथ िविभ सािह यक,
पौरािणक माण आिद क आधार पर िव ान वक ल क टीम ने मजबूती से
रामलला का प रखा। िफर आया 09 नव बर 2019 का िदन। मु य
यायाधीश ज टस रंजन गोगोई क अ य ता वाली सु ीम कोट क पांच
सद यीय पीठ ने इलाहाबाद हाईकोट का 2010 का फसला बदलते ए पूरी
ज मभूिम राम म दर क िलए देते ए क सरकार को तीन महीने म
ज मभूिम यास बनाकर म दर िनमाण क ि या आगे बढ़ाने क आ ा
दी। इसी क साथ ीरामज मभूिम क िलए राजा महताब िसंह, रानी
जय कमारी, देवीदीन पा ड, कोठारी ब धु , ो. अरोड़ा आिद
लाख िह दुजन का बिलदान फलीभूत हो गया। िह दु समाज का
प र म रंग लाया।

िवजय का यह उ ास अभूतपूव था
य िप इस समय तक आ दोलन क कछ मुख नेता मृितशेष हो चुक थे,
आ दोलन म अपने युवा सािथय को घोड़ क पैर तले मरते देखने वाली
आँखे अब बूढ़ा गयी थ । देश का अिधकांश युवावग उस आ दोलन क
भ यता से अनजान था, लेिकन िफर भी िवजय का यह ण सभी क िलए
अिव मरणीय रहा। सोशल मीिडया, होिड स सब बधाइय से पट गए। पूर
भारत म दीपावली मनाई गयी। िवजयो ास ने पूर देश को आनंद म सराबोर
कर िदया। ऐसा अभूतपूव उ ास वतं ता क बाद शायद पहली बार मनाया
गया होगा! और िफर यह अवसर भी तो अभूतपूव ही था। आजादी क 72
साल बाद गुलामी का एक बड़ा कलंक भारत ने पोछा था। ज द ही क
सरकार ने ीरामज मभूिम तीथ यास बनाकर उसक मा यम से ज मभूिम
पर भ य म दर क पुनिनमाण का माग श त िकया।
र दगे, ाण दगे
म दर का िनमाण करगे।
िह दु क इस ण क पूरा होने क ितिथ अब िब कल हमार सामने आ
खड़ी ह। ी रामज मभूिम पर भ य म दर क प म मान रा म दर ही
साकार हो रहा ह।
भारत क वािभमान का तीक ह ी राम म दर
पूव म हमन जैसा कहा िक ीराम और उनक ि य राजधानी अयो या
येक भारतीय क मन म बसते ह। इसिलए भारत को चोट प चाने क िलए
िमिनया डर से लेकर बाबर और िफर औरंगजेब तक तमाम िवदेशी
आ मणका रय ने अयो या क मा यम से भारतीय क मन को चोट
प चाने का यास िकया। अपने ही सामने अपने मयादा पु षो म क
म दर को टटते देखने से अिधक पीड़ादायी भला और या हो सकता था।
इसिलए आज यह जो भ य रामम दर आकार ले रहा ह, वह कवल
आ था का ही नह , ब क समूची भारतीयता का मु य क होगा।
वािभमान क िलए चले पाँच सौ वष क संघष म बिलदान ए भारतीय

l
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का यह भ य मारक होगा। यह म दर एक-एक ट और सवा-सवा पय


का अमू य सहयोग करने वाले भारतीय क गौरव का िवषय का होगा।
यह कवल म दर नह ह। िपछले दो साल से अथक प र म कर रह
िमक , वा तुिवद , राज थान क न ाश , उ र देश क धातुकिमय ,
महारा क का कार , दि ण क मूितकार समेत अनिगन भारतीय क िलए
यह उनका मा टरपीस ह। आगे चलकर देश क असं य लोग क िलए
य और परो प से यह आजीिवका का क बनने जा रहा ह। और
सबसे अिधक मह वपूण बात तो यह ह िक ीरामज मभूिम पर बन रहा यह
भ य म दर हमार अतीत क गौरवशाली पर परा का, सामािजक
समरसता का, हमारी संघषशीलता का और याय व धम क ित भारत क
अनुराग का तीक बनने जा रहा ह। इस म दर क िलए चला अनवरत
संघष मगध, िमिथला, काशी, कराची, बंगाल, आ , क मीर आिद म बँट
लोग को एक अख ड भारतीय रा क संतान होने का बोध कराने म
सफल आ। लोग को उनक िह दू अ मता का मरण कराने म सफल
आ। इसीिलए भारत क वािभमान का तीक व प यह भ य
रामम दर सही मायन म कह तो एक रा म दर ह।
अब यह हमारा दािय व ह िक हमने िजन रामलला क िलए इतना ल बा
संघष िकया, उ ह ीराम क आदश पर चलते ए भारत भूिम क उ थान
क िलए हम पुनः य शील हो जाएँ। भेदभाव क सभी कारण को समा
कर, भय-आतंक, राग- ेष आिद सबको िमटाकर एक सुखी-समरस
समाज क िनमाण क िदशा म हम अ णी ह ; धमस मत तरीक से धनाजन
करते ए समाज को समृ बनाने क ओर हम अ णी ह ; यि और
समाज क प म हमार भीतर िव मान बुराइय को ितलांजिल देकर, एक
स य-सुसं कत समाज बनाने क ओर हम अ णी ह ; इसी म हमार इस
िचर संघष का मह म येय िछपा ह। g
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