Professional Documents
Culture Documents
इ तहास · दे वता
स दाय · पूजा ·
आ थादशन
पुनज म · मो
कम · माया
दशन · धम
वेदा त ·योग
शाकाहार · आयुवद
युग · सं कार
भ {{ ह दशन}}
थशा
ा ण थ · आर यक
उप नषद् · ीम गव ता
रामायण · महाभारत
सू · पुराण
श ाप ी · वचनामृत
स ब धत
व म ह धम
गु · म दर दे व थान
य · म
श दकोष ( ह धम)|श दकोष · ह पव
व ह
वेश ार: ह धम
ह मापन णाली
रचनाकाल
कुछ भारतीय कहते ह क यह ६०० ईपू से पहले लखा
गया।[3] उसके पीछे यु यह है क महाभारत जो इसके
प ात आया बौ धम के बारे म मौन है य प उसम
जैन, शैव, पाशुपत आ द अ य पर परा का वणन
है।[4] अतः रामायण गौतम बु के काल के पूव का होना
चा हये। भाषा-शैली से भी यह पा ण न के समय से पहले
का होना चा हये।
रामायण का पहला और अ तम कांड
राम कथा
सनातन धम के धा मक लेखक तुलसीदास जी के
अनुसार सव थम ी राम क कथा भगवान ी शंकर ने
माता पावती जी को सुनायी थी। जहाँ पर भगवान शंकर
पावती जी को भगवान ी राम क कथा सुना रहे थे वहाँ
कागा (कौवा) का एक घ सला था और उसके भीतर
बैठा कागा भी उस कथा को सुन रहा था। कथा पूरी होने
के पहले ही माता पावती को न द आ गई पर उस प ी ने
पूरी कथा सुन ली। उसी प ी का पुनज म
काकभुशु ड[घ] के प म आ। काकभुशु ड जी ने
यह कथा ग ड़ जी को सुनाई। भगवान ी शंकर के मुख
से नकली ीराम क यह प व कथा अ या म रामायण
के नाम से यात है। अ या म रामायण को ही व का
सव थम रामायण माना जाता है।
सं ेप म रामायण-कथा
ह शा के अनुसार भगवान राम, व णु के अवतार
थे। इस अवतार का उ े य मृ युलोक म मानवजा त को
आदश जीवन के लये मागदशन दे ना था। अ ततः
ीराम ने रा स जा त[च] के राजा रावण का वध कया
और धम क पुन थापना क ।
बालका ड …
अयो याका ड …
राम के ववाह के कुछ समय प ात् राजा दशरथ ने राम
का रा या भषेक करना चाहा। इस पर दे वता को
च ता ई क राम को रा य मल जाने पर रावण का
वध अस भव हो जायेगा। ाकुल होकर उ ह ने दे वी
सर वती से कसी कार के उपाय करने क ाथना क ।
सर वती ने म थरा, जो क कैकेयी क दासी थी, क
बु को फेर दया। म थरा क सलाह से कैकेयी
कोपभवन म चली गई। दशरथ जब मनाने आये तो
कैकेयी ने उनसे वरदान[8] मांगे क भरत को राजा
बनाया जाये और राम को चौदह वष के लये वनवास म
भेज दया जाये।
अर यका ड …
क क धाका ड …
सुंदरका ड …
लंकाका ड (यु का ड) …
उ रका ड …
रामायण क सीख
इस (धा मक वचार कृपया हटाएँ। कृपया त य पर आधा रत
होकर पुनलखन कर)। को व कफ़ाइ करने क आवLearn
यकताmore
हो
रामायण ारा े रत अ य सा ह यक
महाका
वा मी क रामायण से े रत होकर स त तुलसीदास ने
रामच रतमानस जैसे महाका क रचना क जो क
वा मी क के ारा सं कृत म लखे गये रामायण का
हद सं करण है। रामच रतमानस म ह आदश का
उ कृ वणन है इसी लये इसे ह धम के मुख ंथ होने
का ेय मला आ है और येक ह प रवार म
भ भाव के साथ इसका पठन पाठन कया जाता है।
इ ह भी दे ख
भगवान महावीर का साधना काल
रामायण और च कला
व भ भाषा म रामायण
ी रामच रत मानस
महाभारत
राम तांडव तो
ीराघव च रतम्
राम
भगवद गीता
महाका
ह सा ह य
वेद
ट का- ट पणी
क. ^ ‘रामायण’ का सं ध व छे द करने है ‘राम’ +
‘अयन’। ‘अयन’ का अथ है ‘या ा’ इस लये रामायण का
अथ है राम क या ा।
ख. ^ इसम ४,८०,००२ श द ह जो महाभारत का
चौथाई है।
ग. ^ प पुराण, ीम ागवत पुराण, कूमपुराण,
महाभारत, आन द रामायण, दशावतारच रत एवं
रामच रतमानस म राम के व णु का अवतार होने का
प उ लेख है, क तु वा मी क रामायण म केवल
इसका संकेत मा ही है।
घ. ^ काकभुशु ड क व तृत कथा का वणन
तुलसीदास जी ने रामच रतमानस के उ रका ड के दोहा
मांक ९६ से दोहा मांक ११५ तक म कया है।
ङ. ^ रामच रतमानस = राम + च रत + मानस,
रामच रतमानस का अथ है राम के च र का सरोवर।
रामच रतमानस के बालका ड के दोहा मांक ३५ से
दोहा मांक ४२ म तुलसीदास जी ने इस सरोवर के
व प का वणन कया है।
च. ^ “आचाय चतुरसेन” ने अपने ंथ ‘वयं र ामः’
म रा सजा त एवं रा स सं कृ त का व तृत वणन
कया है।
स दभ
1. 'रामायणमा दका म्', ी क दपुराणे उ रख डे
रामायणमाहा ये- १-३५ तथा ५-६१,
ीम ा मीक य रामायण भाग-१, गीता ेस
गोरखपुर, सं करण-१९९६ ई०, पृ -९ एवं २५.
2. व यालोकः, १-५ (का रका एवं वृ ) तथा ४-५
(वृ ), व यालोक, ह द ा याकार- आचाय
व े र स ा त शरोम ण, ानमंडल ल मटे ड,
वाराणसी, सं करण-१९८५ ई०, पृ -२९-३० एवं
३४५ तथा व यालोकः (लोचन स हत) ह द
अनुवाद- जग ाथ पाठक, चौख बा व ाभवन,
वाराणसी, सं करण-२०१४, पृ -८६ एवं ८९ तथा
पृ०-५७०.
3. सह, बी.पी. (2001)। गो व द च पा डे: Life,
Thought and Culture of India — “The
Valmiki Ramayana: A Study”। Centre
of Studies in Civilizations, नई द ली।
आइएसबीएन 81-87586-07-0।
4. "How did the 'Ramayana' and
'Mahabharata' come to be (and what
has 'dharma' got to do with it)?" .
5. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ १६३
. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ १८०
7. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ ९२-९३
. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 120-128
9. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
528-533
10. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
554-557
11. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 251-263
12. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
603-606
13. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
634-638
14. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
658-659
15. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
668-672
1 . ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
678-679
17. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
709-711
1 . ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
751-759
19. ‘रामच रतमानस’, ट काकार: हनुमान साद पो ार,
काशक एवं मु क: गीता ेस, गोरखपुर पृ
802-807
20. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 455-459
21. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 463-475
22. ‘वा मीक य रामायण’‘, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 480-483
23. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 485-491
24. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 495-496
25. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 508-512
2 . ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 515-518
27. ‘वा मीक य रामायण’, काशक: दे हाती पु तक
भंडार, द ली पृ 518-520
थसूची …
बाहरी क ड़याँ
ारं भक सा ह य
व क ोत से रामायण
अनुवाद
"https://hi.wikipedia.org/w/index.php?
title=रामायण&oldid=4482886" से लया गया
इस पृ के संपादन इ तहास को दे ख।