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श्रीराम

राम

दे वनागरी राम
सहबद्धता विष्णु के अवतार
आवास अयोध्या
शस्त्र धनुष
पति/पत्नि सीता

आुनिक प्रतिकृति

राम (रामचन्द्र), प्राचीन भारत में जन्मे, एक महापुरुष थे। हिन्द ू धर्म में , राम, विष्णु के १०
अवतारों में से एक हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मिकि द्वारा रचित, संस्कृत
महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है | उनके उपर तुलसीदास ने भक्ति काव्य श्री
रामचरितमानस रचा था | खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं ।
रामचन्द्र हिन्दत्ु ववादियों के भी आदर्श पुरुष हैं ।

राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बडे पत्र


ु थे। राम की पत्नी का नाम
सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है ) और इनके तीन भाई थे, लक्ष्मण, भरत और
शत्रघ्
ु न। हनम
ु ान, भगवान राम के, सबसे बडे भक्त माने जाते है । राम ने राक्षस जाति के राजा
रावण का वध किया|

हिन्द ू धर्म के कई त्यौहार, जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जड


ु े हुऎ है ।

राम के जीवन की प्रमख


ु घटनाएं
जन्म, बचपन और सीता-स्वयंवर

माना जाता है कि राम का जन्म प्राचीन भारत में हुआ था। उनके जन्म के समय का अनम
ु ान सही
से नही लगाया जा सका है , परन्तु विशेषज्ञों का मानना है कि राम का जन्म तकरीबन आज से
९,००० वर्ष (७३२३ ईसा पर्व
ू ) हुआ था। आज के यग
ु मे राम का जन्म, रामनवमी के रुप में मनाया
जाता है । राम चार भाईयो में से सबसे बड़े थे, इनके भाइयो के नाम लक्ष्मण, भरत और शत्रघ्
ु न थे।
राम बचपन से ही शान्‍
त स्‍वाभाव के वीर परू
ु ष थे । उन्‍
होने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्‍च स्‍थान
दिया था । इसी कारण उन्‍
हे मर्यादा परू
ु षोत्‍तम राम के नाम से जाना जाता है । उनका राज्‍य न्‍
यायप्रिय और खश
ु हाल माना जाता था, इसलिए भारत में जब भी सुराज की बात होती है , रामराज
या रामराज्य का उद्धरण दिया जाता है । धर्म के मार्ग पर चलने वाले राम ने अपने तीनो भाइयों के
साथ गुरू वशिष्‍ठ से शिक्षा प्राप्‍त की । किशोरवय में विश्‍
वामित्र उन्‍
हे वन में राक्षसों व्‍दारा मचाए
जा रहे उत्‍पात को समाप्‍त करने के लिए लेगये । राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्‍मण भी इस
कार्य में उनके साथ हो गए । राम ने उस समय ताड़का नामक राक्षसी को मारा तथा मारिच को
पलायन के लिए मजबूर किया । इस दौरान ही विश्‍ हे मिथिला लेकर गये । वहॉ ं के विदे ह
वमित्र उन्‍
राजा जनक ने अपनी पत्र
ु ी के विवाह के लिए एक समारोह आयोजित किया था । शिव का एक
धनुष था जिसपर प्रत्‍यंचा चढ़ा दे ने वाले शूर से सीता का विवाह किया जाना था । बहुत सारे राजा
महाराजा उस समारोह में पधारे थे । बहुत से राजाओं के प्रयत्‍न के बाद भी जब धनुष पर प्रत्‍यंचा
चढ़ाना तो दरू धनुष उठा तक नहीं तब विश्‍
वामित्र की आज्ञा पाकर राम ने धनुष उठा कर प्रत्‍यंचा
चढ़ाने की कोशिश की । उनकी प्रत्‍यंचा चढाने की कोशिश में वह महान धुनुष ही घोर ध्‍‍वनि करते
हुए टूट गया । महर्षि परशुराम ने जब वह घोर ध्‍वनि सुनि तो वहॉ ं आये और अपने गुरू (शिव) का
धनुष टूटनें पर रोष व्‍यक्‍त करने लगे । लक्ष्‍मण उग्र स्‍वाभाव के थे । उनका विवाद परशुराम से
हुआ । तब राम ने बीच-बचाव किया । इस प्रकार सीता का विवाह राम से हुआ और परशुराम सहित
समस्‍
त लोगो ने आ‍ र्शीवाद दिया । अयोद्या में राम सीता सुखपूर्वक रहने लगे । लोग राम को बहुत
चाहते थे । उनकी मद
ृ ल
ु , जनसेवायुक्त
‍ भावना और न्‍यायप्रियता के कारण उनकी विशेष
लोकप्रियता थी । राजा दशरथ वानप्रस्‍थ की ओर अग्रसर हो रहे थे अत: उन्‍
होने राज्‍यभार राम को
सौंपनें का सोचा । जनता में भी सुखद लहर दौड़ गई की उनके प्रिय राजा उनके प्रिय राजकुमार को
राजा नियुक्‍त करनेवाले हैं । उस समय राम के अन्‍य दो भाई भरत और शत्रघ्
ु ‍न अपने ननिहाल
कैकेय गए हुए थे । मंथरा, जो रानी कैकेयी की दासी थी, ने कैकेयी को भरमाया कि राजा तुम्‍हारे
साथ गलत कर रहें है । तम
ु राजा की प्रिय रानी हो तो तम्
ु ह
‍ ारी संतान को राजा बनना चाहिए पर
राजा दशरथ राम को राजा बनाना चा‍हते हैं ।
राम के बचपन की विस्तार-पूर्वक विवरण स्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के बालकाण्ड से
मिलती है ।

वनवास

राजा दशरथ के तीन रानियाँ थीः कौशल्या, समि


ु त्रा और कैकेयी। राम कौशल्या के पु ्त्र थे, समि
ु त्रा
के दो पु ्त्र, लक्ष्मण और शत्रघ्
ु न थे और कैकेयी के पु ्त्र भरत थे। कैकेयी चाहती थी उनके पु ्त्र भरत
राजा बनें, इसलिए उन्होने राम को, दशरथ द्वरा, १४ वर्ष का वनवास दिलाया। राम ने अपने पिता
की आज्ञा का पालन किया। राम की पत्नी सीता, और उनके भाई लक्ष्मण भी वनवास गये थे।

सीता का हरण

वनवास के समय, एक राक्षस ने सीता का हरण किया था। यह राक्षस, जिसका नाम रावण था,
लंका का राजा था। रामायण के अनुसार, सीता और लक्ष्मण कुटिया में अकेले थे तब एक हिरण की
वाणी सुन कर सीता परे शान हो गयी। वह हिरन कोई और नहीं बल्कि रावण का मामा मारीच था|
उसने रावण के कहने पर सुनहरे हिरन का रूप बनाया| सीता उसे दे ख कर मोहित हो गयीं और
उन्होंने श्रीराम से उस हिरन का शिकार करने का अनुरोध किया| श्रीराम अपनी भार्या की इच्छा पूरी
करने चल पडे और लक्ष्मण से सीता की रक्षा करने को कहा| मारीच श्रीराम को बहुत दरू ले गया|
मौका मिलते ही श्रीराम ने तीर चलाया और हिरन बने मारीच का वध कर दिया| मरते मरते मारीच
ने ज़ोर से "हे सीता ! हे लक्ष्मण" की आवाज़ लगायी| उस आवाज़ को सन
ु सीता चिन्तित हो गयीं
और उन्होंने लक्ष्मण को भी श्रीराम के पास जाने को कहा| लक्ष्मण जाना नहीं चाहते थे पर अपनी
भाभी की बात को ना न कर सके| लक्ष्मण ने जाने से पहले एक रे खा खीची, जिसे लक्ष्मण रे खा के
नाम से जाना जाता है ।

राम, अपने भाई लक्ष्मण के साथ, सीता की खोज मे दर-दर भटक रहे थे, तब वह हनुमान और
सुग्रीव नामक दो वानरों से मिले। हनुमान, राम के सबसे बडे भक्त बने।

रावण से यद्ध

सीता को बचाने के लिये राम ने, हनुमान और वानर सेना की मदद से,रावण से युद्ध किया और उसे
परास्त किया था।
अयोध्या वापसी

भगवान राम ने जब रावण को उध में पर्हस्त कर दिया तब उन्हों ने उसके छोटे भाई विभीषण को
लंका का रजा बाना दिया. राम , सीता , लक्षमन और कुछ वानर जन पष्ु पक विमान से अयोध्या
को प्रस्थान कर गए. वहा सबसे मिलने के बाद राम और सीता अयोध्या के राजा और रानी का पद
स्वीकार किया. परु ा राज्य कुशल समय वय्तित करने लगा.

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