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HURRICANS
HURRICANS
साथ-साथ हिन्दू आध्यात्मिक कवियित्री और भगवान कृ ष्णा की भक्त थी। वे श्री कृ ष्ण की भक्ति
और उनके प्रेम में इस कदर डू बी रहती थी कि दुनिया उन्हें श्री कृ ष्ण की दीवानी के रुप में
जानती है।
गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1482 को हुआ था।उनके जन्म के बारे में एक दोहा
प्रचलित है ।
चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास । दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास। उनके पिता राहू तथा माता का नाम करमा
था। उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है] रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। वे जूते
बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और उन्होंने अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय
से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
रुक्मिणी भगवान कृ ष्ण की पत्नी थी। रुक्मिणी को लक्ष्मी का अवतार भी माना
जाता है। उन्होंने श्रीकृ ष्ण से प्रेम विवाह किया था| रुक्मिणी (या रुक्मणी)
भगवान कृ ष्ण की इकलौती पत्नी और रानी हैं, द्वारका के राजकु मार कृ ष्ण ने
उनके अनुरोध पर एक अवांछित विवाह को रोकने के लिए उनका अपहरण कर
लिया और उनके साथ भाग गए और उन्हें दुष्ट शिशुपाल (भागवत पुराण में
वर्णित) से बचाया।
गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1482 को हुआ था।उनके जन्म के बारे में एक दोहा
प्रचलित है ।
चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास । दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास। उनके पिता राहू तथा माता का नाम करमा
था। उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है] रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। वे जूते
बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और उन्होंने अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय
से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
तुलसीदास
गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान
कवि थे। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार
भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया
है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से
पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है।
महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में
४६वाँ स्थान दिया गया।
जन्म
इनका जन्म स्थान विवादित है। कु छ लोग मानते हैं की इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में
[3] कु छ विद्वान् इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकू ट) में हुआ मानते हैं। जबकि कु छ विद्वान
हुआ था।[3]
तुलसीदास का जन्म स्थान राजापुर को मानने के पक्ष में हैं।
पूजा
पूजा अथवा पूजन (Worshipping) किसी भगवान को दैनिक पूजन विधि
पूजन के मुख्य छ: प्रकार है--
प्रसन्न करने हेतु हमारे द्वारा उनका अभिवादन होता है। पूजा
पंचोपचार (5 प्रकार)
दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है। यहाँ दशोपचार (10 प्रकार)
भगवान को पुष्प आदि समर्पित किये जाते हैं जिनके लिये कई षोडशोपचार (16 प्रकार)
द्वात्रिशोपचार (32 प्रकार)
पुराणों से छाँटे गए श्लोकों का उपयोग किया जाता है। वैदिक
चतुषष्टि प्रकार (64 प्रकार)
श्लोकों का उपयोग किसी बड़े कार्य जैसे यज्ञ आदि की पूजा में एकोद्वात्रिंशोपचार (132 प्रकार)
ब्राह्मण द्वारा होता है। सर्वप्रथम प्रथमपूज्यनीय गणेश की पूजा
की जाती है।
नवधा भक्ति
प्राचीन शास्त्रों में भक्ति के 9 प्रकार बताए गए हैं जिसे नवधा
भक्ति कहते हैं।
श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥
श्रवण (परीक्षित), कीर्तन (शुकदेव), स्मरण (प्रह्लाद), पादसेवन
(लक्ष्मी), अर्चन (पृथुराजा), वंदन (अक्रू र), दास्य (हनुमान), सख्य
(अर्जुन) और आत्मनिवेदन (बलि राजा) - इन्हें नवधा भक्ति कहते हैं।
श्रवण: ईश्वर की लीला, कथा, महत्व, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम
श्रद्धा सहित अतृप्त मन से निरंतर सुनना।
कीर्तन: ईश्वर के गुण, चरित्र, नाम, पराक्रम आदि का आनंद एवं
उत्साह के साथ कीर्तन करना।
स्मरण: निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके
महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना।
स्नेह
उदाहरण
द्वेष भाव भूल कर सभी
से स्नेह रखना चाहिये।
आप सबका स्नेह और
प्रोत्साहन ही मुझे और लिखने
के लिये प्रेरित करता है।
ऎसा ही स्नेह बनाये रखें।