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रामायण ह रघु
वं
श के
राजा राम क गाथा है
।।
इसे
आ दका [1] तथा इसके
रच यता मह ष वा मी क को 'आ दक व' भी कहा जाता है
।
रामायण के
छः अ याय ह जो का ड के
नाम से
जाने
जाते
ह, इसके
२४,००० ोक ह।
महाका क ऐ तहा सक वृ और सं
रचनागत परत को जानने
केलए कई यास कए गए ह;
7 व से
4 व शता द ईसा पूव म पाठ े
णी के
शुआती चरण केलए व भ हा लया व ान के
अनु
मान बाद के
चरण केसाथ तीसरी शता द सीई तक फै
लेए ह।[3]
कु
छ भारतीय कहते
ह क यह ६०० ईपू
सेपहलेलखा गया।
ा जी के
कहे अनुसार वा मी क ने
भगवान ी रामकेवृता त को ोकब कया। मह ष वा मी क के ारा
ोकब भगवान ी राम क कथा को वा मी क रामायण के नाम से
जाना जाता है
। वा मी क को आ दक व कहा
जाता हैतथा वा मी क रामायण को आ द रामायण केनाम सेभी जाना जाता है
और यही सबसेामा णक भी है ।
दे
श म वदे शय क स ा हो जाने केबाद सं कृ
त का ास हो गया[कृ
पया उ रण जोड़] और भारतीय लोग उ चत
ान केअभाव तथा वदेशी स ा के भाव के कारण अपनी ही संकृत को भूलनेलग गये।[कृ
पया उ रण जोड़]
ऐसी थ त को अ य त वकट जानकर जनजागरण केलये महा ानी स त ी तुलसीदास जी नेएक बार फर से
भगवान ीराम क प व कथा को दे शी (अवधी) भाषा म ल पब कया। स त तु लसीदास जी ने
अपनेारा
ल खत भगवान ीराम क क याणकारी कथा से प रपू
ण इस थ ंका नाम रामच रतमानस[ङ] रखा। सामा य प
से रामच रतमानस को तु
लसी रामायण के नाम सेजाना जाता है
।
संे
प म रामायण-कथा
बालका ड- अयो या नगरी म दशरथ नाम केराजा येजनक कौश या, कै केयी और सु म ा नामक
प नयाँ थ । स तान ा त हेतुअयो याप त दशरथ ने अपने गु ी व श क आ ा से पुकामे य
करवाया[6] जसेक ऋं गी ऋ ष नेस प कया। भ पू ण आ तयाँ पाकर अ नदे व स ये और उ ह ने
वयंकट होकर राजा दशरथ को ह व यपा (खीर, पायस) दया जसेक उ ह ने अपनी तीन प नय म बाँ ट
दया। खीर केसेवन के
प रणाम व प कौश या के गभ से राम का, कैकेयी के गभ से भरत का तथा सु म ा के
गभ से ल मण और श ु न का ज म आ। राजकु मार के बड़ेहोनेपर आ म क रा स से र ा हे
तुऋष
व ा म राजा दशरथ से राम और ल मण को मां ग कर अपने साथ ले गये। राम ने ताड़का और सु बा जैसे
रा स को मार डाला और मारीच को बना फल वाले बाण[7] सेमार कर समुके पार भे
ज दया। उधर
ल मण ने रा स क सारी से ना का सं
हार कर डाला। धनुषय हे तु राजा जनक केनम ण मलने पर
व ा म राम और ल मण के साथ उनक नगरी म थला (जनकपु र) आ गये । रा तेम राम नेगौतम मु नक
ी अह या का उ ार कया। म थला म आकर जब राम शवधनु ष को दे खकर उठाने का य न करने लगेतब
वह बीच से टू
ट गया और जनक त ा के अनुसार राम नेसीता सेववाह कया। राम और सीता केववाह के
साथ ही साथ गुव श ने भरत का मा डवी से, ल मण का उ मला से और श ु न का ु तक त से करवा
दया।
अयो याका ड- राम केववाह केकु
छ समय प ात्राजा दशरथ ने राम का रा या भषेक करना चाहा।तब
मं
थरा,जो कैकेयी क दासी थी,ने कै
केयी क बु को फे र दया। म थरा क सलाह से कैके
यी कोपभवन म चली
गई। दशरथ जब मनाने आये तो कैकेयी ने
उनसे वरदान[9] मांगेक भरत को राजा बनाया जाये और राम को
चौदह वष केलये वनवास म भे ज दया जाये । राम केसाथ सीता और ल मण भी वन चले गये। ऋं गवे
रपु
रम
नषादराज गु ह नेतीन क ब त से वा क । कुछ आनाकानी करने के बाद केवट ने तीन को गं गा नद के पार
उतारा। याग प च ंकर राम ने भार ाज मु न से भट क । वहां से राम यमु ना नान करतेये वा मी क ऋ ष के
आ मप ं च।ेवा मी क सेई म णा के अनु सार राम, सीता और ल मण च कू ट म नवास करने लगे
।
अयो या म पुकेवयोग के कारण दशरथ का वगवास हो गया। व श ने भरत और श ु न को उनके न नहाल
सेबु
लवा लया। वापस आने पर भरत ने अपनी माता कै केयी क , उसक कु टलता केलये , ब त भत ना क
और गुजन के आ ानु सार दशरथ क अ ये या कर दया। भरत ने अयो या के रा य को अ वीकार कर
दया और राम को मना कर वापस लाने केलये सम त ने हीजन के साथ च कू ट चले गये। कैकेयी को भी
अपनेकये पर अ य त प ाताप आ। भरत तथा अ य सभी लोग ने राम के वापस अयो या जाकर रा य करने
का ताव रखा जसेक राम ने , पता क आ ा पालन करने और रघु वंश क री त नभाने केलये , अमा य कर
दया। भरत अपनेने ही जन के साथ राम क पा का को साथ ले कर वापस अयो या आ गये । उ ह नेराम क
पा का को राज सहासन पर वरा जत कर दया वयं न द ाम म नवास करने लगे ।
अर यका ड- कु
छ काल के
प ात राम नेच कू ट सेयाण कया तथा वे अ ऋ ष के आ मप च ँ।ेअ
नेराम क तु त क और उनक प नी अनसू या ने सीता को पा त त धम के मम समझाये । वहाँसेफर राम ने
आगे थान कया और शरभं ग मुन से भट क । शरभं ग मु न केवल राम के दशन क कामना से वहाँनवास
कर रहे थेअतः राम के दशन क अपनी अ भलाषा पू ण हो जाने सेयोगा न से अपने शरीर को जला डाला और
लोक को गमन कया। और आगे बढ़ने पर राम को थान थान पर ह य के ढे
र दखाई पड़ेजनकेवषय
म मु नय ने राम को बताया क रा स ने अने क मु नय को खा डाला है और उ ह मु नय क ह याँ ह। इस
पर राम ने त ा क क वे सम त रा स का वध करके पृ वी को रा स वहीन कर दगे । राम और आगे बढ़े
और पथ म सु ती ण, अग य आ द ऋ षय से भट करतेये द डक वन म वे श कया जहाँ पर उनक
मु
लाकात जटायु सेई। राम ने पंचवट को अपना नवास थान बनाया। पं चवट म रावण क बहन शू पणखा ने
आकर राम सेणय नवे दन- कया। राम ने यह कह कर क वे अपनी प नी के साथ ह और उनका छोटा भाई
अके ला हैउसे ल मण के पास भे ज दया। ल मण ने उसके णय- नवे दन को अ वीकार करतेये श ु क बहन
जान कर उसके नाक और कान काट लये । शूपणखा ने खर- षण से सहायता क मां ग क और वह अपनी से ना
के साथ लड़ने केलये आ गया। लड़ाई म राम ने खर- षण और उसक से ना का सं
हार कर डाला।[11]
शू
पणखा ने जाकर अपने भाई रावण सेशकायत क । रावण ने बदला ले नेकेलये मारीच को वणमृ ग बना कर
भेजा जसक छाल क मां ग सीता ने राम से क । ल मण को सीता के र ा क आ ा दे कर राम वणमृ ग पी
मारीच को मारने केलये उसके पीछे चले गये। मारीच के हाथ मारा गया पर मरते मरतेमारीच ने राम क
आवाज बना कर ‘हा ल मण’ का दन कया जसे सुन कर सीता ने आशं कावश होकर ल मण को राम के
पास भेज दया। ल मण के जाने के बाद अके ली सीता का रावण ने छलपू वक हरण कर लया और अपने साथ
लं
का ले गया। रा तेम जटायु ने सीता को बचाने केलये रावण से यु कया और रावण ने तलवार के हार से
उसे अधमरा कर दया। सीता को न पा कर राम अ य त ःखी ये और वलाप करने लगे। रा ते
म जटायु से
भट होने पर उसने राम को रावण के ारा अपनी दशा होने व सीता को हर कर द ण दशा क ओर ले जाने
क बात बताई। ये सब बताने के बाद जटायु ने अपनेाण याग दये और राम उसका अ तम सं कार करके
सीता क खोज म सघन वन के भीतर आगे बढ़े। रा तेम राम नेवासा के शाप के कारण रा स बने ग धव
कब ध का वध करके उसका उ ार कया और शबरी के आ म जा प च ँेजहाँपर क उसके ारा दये गये जूठे
बे
र को उसके भ के वश म होकर खाया। इस कार राम सीता क खोज म सघन वन के अंदर आगे बढ़ते
गये।
सु
दरका ड- हनु
ं मान ने
लं
का क ओर थान कया। सु रसा नेहनु
मान क परी ा ली[14] और उसे यो य
तथा साम यवान पाकर आशीवाद दया। माग म हनु मान नेछाया पकड़ने वाली रा सी का वध कया और
लं कनी पर हार करके लंका म वे श कया। उनक वभीषण से भट ई। जब हनु मान अशोकवा टका म प च ँे
तो रावण सीता को धमका रहा था। रावण के जाने पर जटा ने सीता को सा तवना द । एका त होने पर
हनुमान जी नेसीता माता सेभट करके उ ह राम क मुका द । हनु मान नेअशोकवा टका का व वं स करके
रावण के पुअ य कु मार का वध कर दया। मेघनाथ हनु मान को नागपाश म बां
ध कर रावण क सभा म ले
गया।[15] रावण के के उ र म हनुमान नेअपना प रचय राम केत के प म दया। रावण ने हनुमान क
पूँ
छ म ते
ल म डूबा आ कपड़ा बां ध कर आग लगा दया इस पर हनु मान नेलंका का दहन कर दया। हनु मान
सीता केपास प ँच।ेसीता नेअपनी चूड़ाम ण दे कर उ ह वदा कया। वे वापस समुपार आकर सभी वानर
सेमले और सभी वापस सुीव के पास चले गये। हनु
मान के काय सेराम अ य त स ये । राम वानर क
सेना केसाथ समुतट पर प ँ च।ेउधर वभीषण ने रावण को समझाया क राम से बैर न ल इस पर रावण ने
वभीषण को अपमा नत कर लं का सेनकाल दया। वभीषण राम के शरण म आ गया और राम ने उसे लंका
का राजा घो षत कर दया। राम ने समुसे रा ता देने
क वनती क । वनती न मानने पर राम नेोध कया
और उनके ोध से भयभीत होकर समुनेवयं आकर राम क वनती करने केप ात् नल और नील के ारा
पुल बनानेका उपाय बताया।
लं
काका ड (युका ड)- जा बव त केआदे
श से
नल-नील दोन भाइय नेवानर सेना क सहायता से
समुपर पु ल बां
ध दया।[17] ी राम नेी रामेर क थापना करके भगवान शंकर क पू जा क और से ना
स हत समुके पार उतर गये। समुके पार जाकर राम ने डे
रा डाला। पुल बंध जानेऔर राम के समुके पार
उतर जाने केसमाचार से रावण मन म अ य त ाकु ल आ। म दोदरी के राम से
बैर न ले
नेकेलये समझाने
पर भी रावण का अहं कार नह गया। इधर राम अपनी वानरसे ना केसाथ सु बे
ल पवत पर नवास करने लगे ।
अंगद राम केत बन कर लं का म रावण के पास गयेऔर उसे राम के शरण म आने का सं
देश दया क तु
रावण ने नह माना। शा त के सारेयास असफल हो जाने पर यु आर भ हो गया। ल मण और मे घनाद के
म य घोर यु आ। श बाण के वार सेल मण मू छत हो गये । उनके उपचार केलये हनु
मान सु षे
ण वैको
ले आये और सं जीवनी लाने केलये चले गये। गुतचर से समाचार मलने पर रावण नेहनुमान के काय म बाधा
केलये कालने म को भेजा जसका हनु मान नेवध कर दया। औष ध क पहचान न होने के कारण हनुमान पू रे
पवत को ही उठा कर वापस चले । माग म हनुमान को रा स होने केस दे ह म भरत नेबाण मार कर मू छत कर
दया पर तु यथाथ जानने पर अपने बाण पर बैठा कर वापस लं का भे
ज दया। इधर औष ध आने म वल ब दे ख
कर राम लाप करने लगे। सही समय पर हनु मान औष ध ले कर आ गये और सु षे
ण के उपचार से ल मण व थ
हो गये। रावण नेयु केलये कुभकण को जगाया। कुभकण ने भी रावण को राम क शरण म जाने क
असफल म णा द । यु म कुभकण ने राम केहाथ परमग त ा त क । ल मण ने मेघनाद सेयु करके
उसका वध कर दया। राम और रावण के म य अनेक घोर यु ऐ और अ त म रावण राम के हाथ मारा
गया।[19] वभीषण को लं का का रा य स प कर राम, सीता और ल मण के साथ पुपक वमान पर चढ़ कर
अयो या केलये थान कया।
उ रका ड- उ रका ड राम कथा का उपसं हार है। सीता, ल मण और सम त वानरसे ना केसाथ राम
अयो या वापस प ँ च।ेराम का भ वागत आ, भरत के साथ सवजन म आन द ा त हो गया। वे द और
शव क तु त केसाथ राम का रा या भषेक आ। अ यागत क वदाई द गई। राम नेजा को उपदे श दया
और जा ने कृत ता कट क । चार भाइय के दो दो पु ये । रामरा य एक आदश बन गया। उपरो बात
के साथ ही साथ गो वामी तुलसीदास जी नेउ रका ड म ी राम-व श सं वाद, नारद जी का अयो या आकर
रामच जी क तु त करना, शव-पावती संवाद, ग ड़ मोह तथा ग ड़ जी का काकभु शुड जी से रामकथा
एवं राम-म हमा सु
नना, काकभु शुड जी के पू
वज म क कथा, ान-भक् त न पण, ानद पक और
भक् त क महान म हमा, ग ड़ के सात श्न और काकभु शुड जी के उ र आ द वषय का भी व तृ त
वणन कया है । जहाँतु
लसीदास जी ने उपरो वणन लखकर रामच रतमानस को समा त कर दया है वह
आ दक व वा मी क अपने रामायण म उ रका ड म रावण तथा हनु मान केज म क कथा, सीता का नवासन,
राजा नृग, राजा न म, राजा यया त तथा रामरा य म कुेका याय क उपकथाय, लवकु श का ज म, राम के
ारा अ मे घ य का अनुान तथा उस य म उनके पु लव तथा कु
श के ारा महाक व वा मी क र चत
रामायण गायन, सीता का रसातल वे श, ल मण का प र यागका भी वणन कया है । वा मी क रामायण म
उ रका ड का समापन राम के महा याण के बाद ही आ है
।
वा मी क रामायण सेे
रत होकर स त तु
लसीदास ने
रामच रतमानस जै
से
महाका क रचना क जो क वा मी क
के ारा संकृत म लखे
गयेरामायण का हद सं करण है
।
रामायण से
ही ेरत होकर मै
थलीशरण गुत नेपंचवट तथा साके
त नामक खं
डका क रचना क । रामायण म
ल मण क प नी उ मला केउ ले
खनीय याग को शायद भू
लवश अनदे खा कर दया गया है
और इस भू
ल को साके
त
खंडका रचकर मै थलीशरण गुत जी ने
सुधारा है
।
बौ पर परा म ीराम से
सं
बं
धत दशरथ जातक, अनामक जातक तथा दशरथ कथानक नामक तीन जातक कथाएँ
उपल ध ह।
परमार भोज ने
भी चं
पु
रामायण क रचना क थी।
इसके अतर भी सं
कृत,गु
जराती, मलयालम, क ड, अस मया, उ , अरबी, फारसी आ द भाषा म राम कथा
लखी गयी।
वदे
श म रामायण
त बती रामायण
पू
व तु
क तान क खोतानीरामायण
इं
डोने
शया क कक बनरामायण
जावा का से
रतराम, सै
रीराम, रामके
लग, पातानीरामकथा
इ डोचायना क रामके
त (रामक त), खमै
ररामायण,
बमा ( यां
मार) क यू
तोक रामयागन
रामावतार या गो ब द रामायण - पं
जाबी (गुगो ब द सह ारा र चत)
रामावतार च रत – क मीरी
रामच रतम्
– मलयालम
रामावतारम्
या कं
बरामायण - त मल
मु
गल बादशाह अकबर ारा रामायण का फारसी अनु
वाद करवाया था। उसके
बाद हमीदाबानू
बे
गम, रहीम और
जहाँ
गीर ने
भी अपनेलये
रामायण का अनु वाद करवाया था।
अकबर क स च रामायण वतमान समय म महाराजा सवाई मान सह तीय संहालय, जयपुर म है
। यह रामायण
ई.स. १५८४ से
१५८८ के
बीच तै
यार ए थ । इस रामायण क पा डु
ल प दौलताबाद कागज़ पर लीखी गई ह
जसके ३६५ पृह।
महाभारत
ववरण 'महाभारत' भारत का अनु
पम, धा मक, पौरा णक, ऐ तहा सक और दाश नक
थ
ं है। यह ह धम केमुयतम थ ं म से एक है। यह व का सबसे ल बा
सा ह यक थंहै।
रच यता वे
द ास ले
खक भगवान गणे
श
भाषा सं
कृत
18 पव-
8. आ मे
धकपव- आ मे
धक पव म 113 अ याय ह। आ मे
धक पव म मह ष ास
ारा अ मेध य करने केलए आव यक धन ा त करने का उपाय यु
ध र सेबताना
और य क तै यारी, अजुन ारा कृण सेगीता का वषय पू
छना, ी कृण ारा अनेक
आ यान रा अजु न का समाधान करना, ा णगीता का उपदेश, अ य आ या मक
बात, पा डव ारा द वजय करकेधन का आहरण, अ मे ध य क स प ता,
युध र ारा वै
णवधम वषयक और ीकृण ारा उसका समाधान आ द वषय
व णत ह।
13. अनु
शासनपव- अनुशासन पव म कु ल मलाकर 168 अ याय ह। अनु शासन पव के
आर भ म 166 अ याय दान-धम पव केह। इस पव म भी भी म केसाथ यु ध र के
सं
वाद का सात य बना आ है। भी म युध र को नाना कार सेतप, धम और दान क
म हमा बतलातेह और अ त म यु ध र पतामह क अनु म त पाकर ह तनापु
र चले
जातेह। भी म वगारोहण पव म केवल 2 अ याय (167 और 168) ह। इसम भी म के
पास युध र का जाना, युध र क भी म से बात, भी म का ाण याग, यु
ध र ारा
उनका अ तम सं कार कए जाने का वणन है। इस अवसर पर वहाँउप थत लोग के
सामने गं
गा जी कट होती ह और पुकेलए शोक कट करने पर ी कृण उ ह
समझाते ह।
15. कणपव-कण पव केअ तगत कोई उपपव नह हैऔर अ याय क संया 96 है। इस
पव म ोणाचाय क मृ
युकेप ात्कौरव से
नाप त केपद पर कण का अ भषे
क, कण
केसेनाप त व म कौरव सेना ारा भीषण यु, पा डव के परा म, श य ारा कण का
सार थ बनना, अजुन ारा कौरव सेना का भीषण सं
हार, कण और अजु न का यु, कण
केरथ केप हये का पृवी म धँसना, अजुन ारा कणवध, कौरव का शोक, श य ारा
य धन को सा वना देना आ द व णत है।
16. श यपव- श य पव म कण क मृ
युकेप ात्
कृपाचाय ारा स ध केलए य धन
को समझाना, सेनाप त पद पर श य का अ भषेक, म राज श य का अदभु त परा म,
युध र ारा श य और उनके भाई का वध, सहदे
व ारा शकु न का वध, बची ई से
ना
केसाथ य धन का पलायन, य धन का द म वे श, ाध ारा जानकारी मलने पर
युध र का द पर जाना, यु ध र का य धन से सं
वाद, ीकृण और बलराम का भी
वहाँप चँना, य धन केसाथ भीम का वा यु और गदा यु और य धन का
धराशायी होना, ु बलराम को ी कृण ारा समझाया जाना, य धन का वलाप
और सेनाप त पद पर अ थामा का अ भषे क आ द व णत है।
महाभारत सव थम महामु
न ास क रचना के प म स है । महामु न ास से ले
कर
अब तक अनेक ले
खक ारा अनेक प म महाभारत क रचना होती रही है
। यह व भ
भाषा तथा सा ह य केव भ प का , महाका , नाटक, च पू आ द के प म
र चत होते
रहा है
।
जै
न सं
करण
बृ
हद पां
डवपु
राण - शु
भच
पां
डवपु
राण - वा दच
पां
डवच रत - दे
व भा सू
र
ह रवं
श पु
राण (जै
न) - जनसे
न
ष शलाकापुष जै
न महाभारत - हे
मच ाचाय
बालभारतका - अमरचं
द
सं
कृत नाटक
अ भ ानशाकुतल - का लदास
व मोवशीय - का लदास
कणभार - भास
ऊ भं
ग - भास
तवा य - भास
तघटो कच - भास
पां
चरा - भास
म यम ायोग - भास
बालच र - भास
वे
णीसं
हार - नारायण भ
बालभारत - राजशे
खर
तपतीसं
वरण - कु
लशे
खर वमा
क याणसौगं
धक - नीलकं
ठ
नै
षधान द - म
ेी र
हरके
ल - व हराज
नल वलास - रामच सू
र
नभयभीम - रामच सू
र
यादवा यु
दय - रामच सू
र
वनमाला - रामच सू
र
पाथपरा म - ादनदे
व
धनं
जय वजय - कां
चनाचाय
यया तच रत - दे
व
करातजनीय - व सराज
पु
रदाह - व सराज
समुमं
थन - व सराज
क णाव ायु
घ - बालचंसू
र
ौपद वयं
वर - वजयपाल
भीम व म - मो ा द य
सु
भ ाजु
न - के
शवशा ी
सु
भ ाधनं
जय - गुराम
सु
भ ाहरण - माधवभ
सु
भ ाधनं
जय - कु
लशे
खर वमा
सु
भ ाना टका - ह तम ल
सु
भ ाप रणय - न लाक व
सु
भ ाप रणय - रधु
नाथाचाय
सु
भ ाप रणय - वे
कं
टा वरी
सु
भ ाप रणय - रामदे
व ास
पा डवा यु
दय - रामदे
व ास
क चकभीम
च भारत - े
मे
पा डवा यु
दय
मु
कु
टता डतक - बाण
व ध वल सत
वल य धन
श म ाप रणय
नल वजय
पयो धमं
थन
भीम वजय
श म ायया त
यया तदे
वयानीच रत
पां
डव वजय अथवा सभापवनाटक - जयरणम ल दे
व
नलच रत - बालक व
सं
कृत का
नलानय - मा ण य वजयसू
र
सु
भ ाहरण - नारायण
कराताजु
नीयम्
- भार व
शशु
पालवघ - माघ
यु
ध र वजय - वासु
दे
व
भारतमं
जरी - े
मे
नै
षधीयमहाका - हष
स दयानं
द - कृणानं
द
उ रनै
षधीय - वं
दा भ
क याणनै
षध
राघवपां
डवीय
यादवराघवपां
डवीय - अनं
ताचाय
नलह र ं
राघवनै
षधीय - हरद
नरनारायणानं
द - व तु
पाल
बालभारत - अग य
नलक तकौमु
द - अग य
नला यु
दय - वामनभ बाण
पा डवा यु
दय का - शवसू
य
भारतच पू
- राजचू
डाम ण द त
सु
भ ाजु
नका - नीलकं
ठ
ौपद प रणय - च क व
एक दन बं
ध - सू
यनारायण
पा डवच रत - अ ात
राजसू
य - नारायणीयम्
पां
चाली वयं
वर - नारायणीयम्
करात - नारायणीयम्
भारतयु - नारायणीयम्
वगारोहण - नारायणीयम्
त णभारतका
अ भनवभारत - नर पामंी
पां
डव वजय - हे
मच राय क वभू
षण
व मभारत - ी वर वघालं
कार
भारतोदय - च भानु
क चकवघम्
- नी तवमन
नलोदयका
नलच पू
- व म
भारतच पूतलक - ल मण
बकवघ
कु
मारा यु
दय
पं
चेोप यान
कु
मार वजय - भा कर
नयनीदशन
आसाम के अने
क क वय नेरा या य मे महाभारत का आसामी अनु
वाद कया था। इ ह ने
महाभारत मे
अने
क प रवतन भी कयेथे।
दामोदरदास - श यपव
वघा पं
चानन - भी मपव, कणपव
राम म ा - भी मपव
दामोदर ज - श यपव
क वशे
खर - ोणपव
ल मीनाथ ज - शां
तपव
पृ
थरु
ाम ज - मौसु
लपव, महा थानपव, वगारोहणपव
सागर खरी - कू
मावलीवघ
क वराज म ा - गदापव
गा साद - सौ तकपव
गं
गादास - अ मे
धपव
शू राय - जै
मनी अ मे
ध
बां
ला
रधु
नाथ - अ मे
ध का पु
नःकथन
बाङ्
ला महाभारत - क व सं
जय
मलयालम
भारतम पाटु
- अय ा पल
महाभारथम क लीपाटु
- इथु
ताचन
न यानीच रत - कु
ं
चान नामबाइर
भारतगाथा - पोनाथील शं
कर
भारतमाला - शं
कर
ओ डया
सारलादास - महाभारत का पु
नःकथन
मोहन से
नाप त - महाभारत का पु
नःकथन
गु
जराती
भील भारत - गु
जरात के
डूं
गरी के
भीलो क महाभारत
पद चउपइ - रं
ग वमल
पद चतु
पद - कनककु
शल
नला यान - े
मानं
द
महाभारत - े
मानं
द
चंहास आ यान - े
मानं
द
ऋष ृ
ग आ यान - े
ं मानं
द
ौपद वयं
वर - े
मानं
द
मां
धाता आ यान - े
मानं
द
भगव ता - े
मानं
द
ौपद हरण - े
मानं
द
सु
भ ाहरण - े
मानं
द
अ ाव आ यान - े
मानं
द
पां
चाली स ा यान नाटक - े
मानं
द
तप या यान नाटक - े
मानं
द
य ो र - व लभ
कु
ं
ती स ा यान - व लभ
कृण व ी - व लभ
यु
ध रवृ
कोदर आ यान - व लभ
शशु
पालवघ - र नेर
अ भनव ऊझं
णु
- दे
हल क व
सु
भ ाहरण - घरता क व
ौपद वयं
वर - शवदास
पां
डव व - सु
रजी
अ भम यु
आ यान - तापीदास
नलदमयं
तीरास - महीराज
नलदमयं
तीरास - नयसु
द
ंर
नलदमयं
तीरास - मे
धराज
नलकथा - समयसु
द
ंर
ब व
ुाहन आ यान - हरीदास
नलकथा - तु
लसीपुवै
कु
ं
ठ
अ भम यु
आ यान - नाकर
कण आ यान - नाकर
कृण व ी - नाकर
सु
ध वा यान - नाकर
व रनी वनं
ती - नाकर
वनपव - नाकर, व णु
दास, अ वचलदास
वराटपव - नाकर, व णु
दास, काशीसु
त, शालीसू
र
उघोगपव - व णु
दास, भाऊ, भाईयासु
त
भी मपव - व णु
दास, जसो, वै
कु
ं
ठ
ौणपव - व णु
दास, भाऊ
कणपव - व णु
दास, वै
कु
ं
ठ, भाऊ, नाकर
श यपव - व णु
दास, वै
कु
ं
ठ, नाकर
सौ तकपव - व णु
दास, नाकर
ीपव - व णु
दास, नाकर
मौसु
लपव - व णु
दास, शवदास
महा थानपव - व णु
दास
वगारोहणपव - व णु
दास, सू
रभ
शल प दकारम
सबसे
पहला जै
न त मल महाका ।
इलं
गो आ दगल एक जै न संत, एक चेर राजकु
मार और एक क व थे
। उ ह पारं
प रक
प सेत मल सा ह य केपांच महान महाका म से एक- सल प तकरम केले खक
के प म ेय दया जाता है
।
पां
च त मल महाका -
कु
ंतलकेशी (घु
घराले
ं बाल वाली म हला) जसे कु
ं
तलक व म भी कहा जाता है , एक
त मल बौ महाका है , जो नाथकुनार ारा लखा गया है
, सं
भवत: 10 व शता द
म।
यह लगभग पू
री तरह से
अकावल (ए क रयम) मीटर (एकालाप) म 5,730 पं य क
क वता है
।
महाका एक साधारण यु
गल, क क और उसकेप त कोवलन क एक खद े
म
कहानी है
।
कहानी-
क णगी-कोवलन: त मलनाडु
लोक-कथा
ⓘ शल प दकारम
सं
गम सा ह य सं
गम यु
ग