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�शवाजी द्वारा िमजार् राजा जय�संह को �लखा गया पत्र (िहंदी �पांतरण)

(यह पत मूल प से फारसी भाषा म शेर के प म िलखा गया है)

“ऐ सरदारों के सरदार! राजाओं के राजा तथा भारतोद्यान �ा�रयों के �व�ापक! ऐ रामच� के चैत� �दयांश! तुझसे
राजपूतों क� ग्रीवा उ�त है, तुमसे बाबर वं श क� रा�ल�ी अ�धक प्रबल हो रही है|

मैंने सुना है िक तू मुझपर आक्रमण करने आ रहा है! िह�ुओ ं के �दय से तथा आँ खों के र� से तू लाल मुं ह वाला (यश�ी) होना चाहता है!
पर�ु तू यह नहीं जनता िक तेरे मुं ह पर का�लख लग रही है, �ोंिक इससे दे श तथा धमर् को आपि� हो रही है|


तू अपनी ओर से �यं द��ण िवजय करने आता तो मैं तेरे घोड़े के साथ मेरी सेना लेकर चलता और एक �सरे से दूसरे �सरे तक सारी भूिम
जीतकर तुझे सौंप दे ता| पर�ु तू औरं गजेब क� ओर से आ रहा है| यिद मैं तुझसे िमल जाऊं तो यह मेरा पु�ष� नहीं होगा| �संह लोमड़ीपना

रस्व
नहीं करते| यिद मैं तलवार से काम लेता �ँ तो दोनों और िह�ुओ ं क� ही हािन है| मुझे इसका खेद है िक मुसलमानों के खून पीने के
अित�र� िकसी अ� कायर् के िनिम� मेरी तलवार को �ान से िनकलना पड़े|

औरं गजेब �ाय तथा धमर् से वं �चत प्राणी, पापी जो मनु� के �प में रा�स है, जब अफजल खां से कोई श्रे�ता प्रकट न �ई न शाइ�ा खां
क� कोई यो�ता दे खी तो उसने तुमको हमारे युद्ध के िनिम� तय िकया है| वह �यं तो हमारे आक्रमण को सहन करने क� यो�ता नहीं
रखता| वह चाहता है िक �संह गुण आपस में लड़कर घायल तथा शांत हो जाएँ �जससे िक गीदड़ जं गल के �संह बन बैठें| यह गु� भेद तू
कै से नहीं समझता?
सा
यिद तेरी तलवार में पानी है, यिद तेरे कू दने वाले घोड़े में दम है तो िह�ू धमर् के शत्रु पर आक्रमण कर| इ�ाम क� जड़-मूल खोद डाल| तू
उस नीच औरं गजेब क� कृ पा पर �ा अ�भमान करता है? यिद तू राजभि� दी दुहाई दे ता है तो तू यह तो �रण कर िक उसने शाहजहाँ के
साथ �ा बतार्व िकया?

यह अवसर हम लोगों के आपस में लड़ने का नहीं है| िह�ुओ ं पर इस समय किठन समय आ गया है| हमारे लड़के -लड़िकयां, दे श-धन,
दे वालय और पिवत्र दे वपूजक, इन सब पर सं कट आया �आ है| यिद कु छ िदन ऐसे ही चला तो हम लोगों का कोई �चह्न भी पृ�ी पर नहीं
रहेगा| बड़े आ�यर् क� बात है िक मुट्ठीभर मुसलमान हमारे दे श पर बड़ी प्रभुता जमाये �ए हैं| इस समय हम लोगों क� िह�ू धमर् और
ाम
िह�ु�ान क� र�ा के िनिम� अ��धक प्रय� करने चािहए| चारों तरफ से धावा करके तुम लोग युद्ध करो| उस सांप का सर कु चल दो| मैं
इस ओर से दोनों बादशाहों का भेजा िनकाल दूंगा| द��ण के पटल से इ�ाम का नाम तथा �चह्न धो डालूँ गा| हम लोग अपनी सेनाओं क�
तरं गों को िद�ी में प�ंचा दें , िफर तो न औरं ग (राज�संहासन) रहेगा और न जेब (शोभा)|

हम लोग शुद्ध र� से भरी नदी बहा दें और उससे अपने िपतरों क� आ�ाओं का तपर्ण करें | ई�र क� सहायता से हम लोग औरं गजेब का
श्य

�ान पृ�ी के नीचे कब्र में बना दें | यह काम किठन नहीं है| दो �दय अगर एक हो जाएँ तो पहाड़ को भी तोड़ सकते हैं|

इस िवषय में मुझे तुझसे ब�त कु छ कहना है, तुझसे सुनना है, जो बातें पत्र में �लखना युि�सं गत नहीं है| मैं चाहता �ँ क� हम लोग िमलकर
पर�र बातचीत करें | यिद तू चाहे तो मैं तुझसे सा�ात् बातचीत करने आऊं| तलवार क� शपथ, घोड़े क� शपथ, दे श क� शपथ तथा धमर् क�
शपथ लेता �ँ िक इससे तुझपर कदािप आपि� नहीं आएगी| अफजल खां के प�रणाम से तू शं िकत मत हो| वह झूठा था| बारह सौ बड़े
लड़ाके हब्शी सवार वह मेरे घात में लगाये �ए था| यिद मैं पहले ही उसको ना मरता तो यह पत्र तुझे कौन �लखता? तुझे �यं मुझसे कोई
शत्रुता नहीं है| यिद मैं तेरा उ�र अनुकूल पाउँ गा तो तेरे सम� राित्र को अके ले आऊंगा| मैं तुझको वो गु� पत्र िदखाऊंगा जो मैंने शाइ�ा
खां क� जेब से िनकाले थे|

यिद मेरा यह पत्र तेरे मन के अनुकूल ना पड़े तो िफर मैं �ँ और मेरी काटने वाली तलवार तथा मेरी सेना| कल सूयार्� के बाद मेरा खड़ग
�ान से बाहर िनकल आएगा| बस तेरा भला हो|”

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