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दोस्तो राक्षस महोदर ने कु म्भकर्ण से आगे कहा तुमने युध्ध के लीए अके ले अपने ही प्रस्थान

करने के विषय में जो हेतु दिया है और अपने महान बल द्वारा शत्रु को परास्त कर देने की जो
घोषणा की है उसमें भी जो असंगत एवंम अनुचित बात कही गइ है उसे में तुम्हारे सामने रखता हु ।
जिन्होंने पहेले जनस्थान में बहोत से अत्यंत बलशाली राक्षसों को मारड़ाला था उन्ही रघुवंशी श्री राम
को तुम अके ले कै से परास्त करोंगे । जनस्थान में श्री राम ने पहेले जीन महान बलशाली नीशाचरों को

मार भगाया था वे आज भी इस लंकापुरी में विध्यमान है और उनका वह भय अब तक दुर नही हुआ


है । क्या तुम उन राक्षसों को नही देखते हो । दशरथकु मार श्री राम कु पित हुए सिंह के समान
पराक्रमी एवंम भयंकर है । क्या तुम उनसे भिड़ने का साहस करते हो ? तुम्हारी मुर्खता पर आश्चर्य
होता है । हमारी यह सारी सेना भी यदि उस अजय शत्रु का सामना करने के लीए खड़ी हो तो उसका
जिवन भी संशय में पड़ सकता है । अतः तात युध्ध के लीए तुम्हारा अके ले जाना मुजे बिलकु ल
अच्छा नही लगता । जो सहायको से संपन्न और प्राणों की बाझी लगाकर शत्रुओ का संहार करने के
लीए निश्चित विचार रखनेवाला हो ऐसे शत्रु को अत्यंत साधारण मानकर कौन असहाय योध्धा वश में
लाने की इच्छा कर सकता है । रोष के आवेश से युक्त कु म्भकर्ण को ऐसा कहेकर महोदर ने रावण
से कहा महाराज आप विदैह कु मारी को अपने सामने पाकर भी किसलीए विलंब कर रहे है । आप
चाहे तभी सीता आपके वश में हो जायेगी । राक्षस राज मुजे एक ऐसा उपाय सुजा है जो सीता को
आपकी सेवा में उपस्थित करके ही रहेगा आप उसे सुनीए । सुनकर अपनी बुध्धी से उसपर विचार
कीजीए और ठीक जचे तो उसे काम में लाइए । आप नगर में यह घोषित करवा दे की महोदर
द्वीजीव, संहादी, कु म्भकर्ण और वितर्दन ये पांच राक्षस राम का वध करने के लीए जा रहे है । हम
लोग रणभूमि में जाकर प्रयत्न पूर्वक श्री राम के साथ युध्ध करेंगे । यदि आपके शत्रुओ पर हम
विजय पा गये तो हमारे लीए सीता को वश में करने के लीए निमित्त दुसरे कीसी उपाय की
आवश्यकता ही नही रहे जायेंगी । यदि हमारा शत्रु अजय होने कारण जिवित ही रहे गया और हम भी
युध्ध करते करते मारे नही गये तो हम उस उपाय को काम में लायेंगे जिसे हमने मन से सोचकर
निश्चित कीया है । राम नाम से अंकीत बाणों द्वारा अपने शरीर को घायल कराकर खुन से लथपथ
हो हम यह कहेते हुए युध्ध भूमि से यहा लौटेंगे की हमने राम और लक्ष्मण को खा लीया है । उस
समय हम आपके पैर पकड़ कर यह भी कहेंगे की हमने शत्रु को मारा है इसलीए आप हमारी इच्छा
पुरी किजिए । तब आप हाथी की पीठ पर कीसी को बीठाकर सारे नगर में यह घोषणा करा दे के
भाई और सेना के सहित राम मारा गया । इतना ही नही आप प्रसंन्नता दिखाते हुए अपने वीर
सेवको को उनकी अभीष्ठ वस्तुए तरह तरह की भोग सामग्रीयाँ, दास-दासी आदी धन-रत्न, आभुषण,
वस्त्र और अन्य भी दिलावे । अन्य योध्धाओ को भी बहोत से उपहार दे तथा स्वयंम भी खुशी मनाते
हुए मध्यपान करे । तदंतर जब लोगों में सब ओर यह चर्चा फै ल जाये की राम अपने सुहदयो सहित
राक्षसों के आहार बन गये और सीता के कानों में भी यह बात पड़ जाये तब आप सीता को समजाने
के लीए एकांत में उसके वास स्थान पर जाए और तराह तराह से धीरज बंधाकर उसे धन धान्य, भाती
भाती के भोग और रत्न आदि का लोभ दिखावे । राजन इस प्रवंचना से अपने को अनाथ मानने वाली
सीता का शोक ओर भी बढ़ जायेगा और वह इच्छा ना होने पर भी आपके आधीन हो जायेगी । वह
पहेले सुख में पली हुइ है और सुख भोगने के योग्य है । परंतु इन दिनों दुख से दुर्बल हो गइ है।
ऐसी दशा में अब आपके आधीन अपना सुख समजकर सर्वथा आपकी सेवा में आ जायेंगी । मेरे देखने
में यही सबसे सुंदर नीती है । युध्ध में तो श्री राम का दर्शन करते ही आपको अनर्थ की प्राप्ति हो
सकती है । अतः आप युध्धस्थल में जाने के लीए उत्सुक न हो यही आपके अधिष्ठ मनोरथ की
सिध्धी हो जायेगी । बीना युध्ध के ही आपको सुख का महान लाभ होगा । महाराज जो राजा बीना
युध्ध के ही शत्रु पर विजय पा सकता है उसकी सेना नष्ठ नही होती । उसका जिवन भी संशय में
नही पड़ता । वह पवित्र एवंम महान यश पाता तथा दिर्गकाल तक लक्ष्मी एवंम उत्तम किर्ती का
उपभोग करता है । ऐसा कहेनेपर कु म्भकर्ण ने महोदर को दांटते हुए उसे कहा महोदर जो मुर्ख और
जुठे ही अपने आप को पंडीत माननेवाले होंगे उन्ही राजाओं को तुम्हारे कही जानेवाली यह चीकनी
चुपड़ी बाते अच्छी लगेंगी । तुम जैसे चांपलुसों ने ही सदा राजा की हा में हा मिलाकर सरा काम
चौपट कीया है । अब तो लंका में के वल राजा शेष रहे गये है राजकोष खाली हो गया और सेना
मारड़ाली गइ । इस राजा को पाकर तुम लोगोंने मित्र के रुप में शत्रु का काम किया है । तुम लोगों
ने अपनी खोटी नीति के कारण जो विषम परिस्थिति उत्पन्न कर दी है उसका आज महासमर में
समीकरण करना है । इस विशम संकट को सर्वदा के लीए टाल देना है ।

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