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रचयिता :- महापुरुष संत अच्युतानंद दास

अनुबादक :- सुमित सोनाल सिंह और भास्वत चक्रबर्ती


महापुरुष संत अच्युतानंद दास अपने शिष्य राम दास के माध्यम से
हमे सतर्क कर रहे हैं आने वाले भविष्य के बारे में और भविष्य
में जो जो होने वाला हैं और हम आने वाले परिस्तिथियो का कै से
सामना करें।
महापु रुष सं त अच्यु तानं द दास अपने
शिष्य को सावधान कर रहे है कलियु ग के
भविष्य के बारे मै । ।१।

महापुरुष कहते है कलियुग मे समय रहते हुए


प्रभु का नाम का आश्रय लेना चाहिए और
हृदय से भजना चाहिए और प्रभु के चरण मे
समर्पित हो जाना चाहिए तब तुम प्रभु को देख
पाओगे। ।२।

महापुरुष अपने शिष्य से के ह रहे है भक्ति


करना चाहिए कलियुग मे, गुरू का सेवा
करना चाहिए और ये माया के संसार को भी
नही भूल ना चाहिए। ।३।

अपने सच्चे गुरु का दिया गया नाम स्मरण


करना चाहिए तभी जीवन और मृत्यु के बंधन
से मुक्त हो पाओगे। ।४।

महापुरुष अपने शिष्य से कह रहे है कलियुग


मे भगवान का दृष्टि भक्तों पर है और प्रभु उनके
साथ लीला खेलेंगे। ।५।
आ रहा है ऐसा समय कलियुग मै,
जब 7 दिन तक अंधेरा रहेगा, और
उस समय, समय रहते अपने 6 चक्र
को एक करना चाहिए। ।६।
मा भैरवी डाक देगा, और इस
आवाज़ से पुरा देश चमक उठेगा,
और उसी समय लोगो का मृत्यु हो
जायेगा। ।७।

भयंकर युध होगा, देश देश के बीच


मे प्रबल युद्ध होगा, पृथ्वी होजायेगा
नारखार। ।८।

तुर्की आयेगा भारत और बोहोत


लोगो का जान लेगा, मार काट
होगा, गोली बरसेगा। ।९।

ओडिशा युध्द का स्थान बन जाएगा,


कटक से चौद्वार तक रक्त बहेगा
बोहोत लोगो का। ।१०।

जोबरा से लेकर जटनि तक,


गोलियो से हमला होगा, और जो दुष्ट
लोग(दैत्य) है वो धरती को बोहोत
क्षति पोहोचायेंगे। ।११।
लाख लाख घर और बिलडिंग्स,
आग से जल के नारखार हो
जाएगा। ।१२।

और जो कोणार्क है,
उधर भी युध्द होगा, और जो दुष्ट लोग है वो
मारेंगे बोहोत लोगो को। ।१३।

उस समय पूरी के मंदीर के अंदर, मार काट


होगा, गोली बारी होगा, और तुम अपने
आखोसे देखोगे ये सब। ।१४।
अचुवा लोक(यवन सैनिक) जो है
वो पूरी मंदीर के अंदर सर गल जाएंगे यही
मोहन गांधी का वाणी। ।१५।

लाख लाख लोग जिनका


कर्म असत्य होगा वो यमदूत के पास पोहोच
जायेंगे बकरी की तरह ही उनका भी अंत हो
जाएगा। ।१६।
भक्ति के पथ पर जो रहेगा,
उनका दुष्ट और दानव लोग कु छ भी बिगार
नही सकता क्युकी स्वयं प्रभु बासुदेव उनके
साथ है। ।१७।

उस समय पर हेरा गोहिरि स्थान पर,


रक्त का धारा बहेगा। ।१८।
त्रिजटा के वंश मिलके ,
प्रभु दारू ब्रह्मा को अपने साथ
रेलगाड़ी मे लेकर जायेंगे,
उस समय सबका बुद्धि साथ चोर
देगा ऐसा परिस्तिथि होगा। ।१९।

बायरी स्टेशन पे,


इंजन नष्ट हो जाएगा
और उस समय प्रभु अंतर्ध्यान हो जायेंगे। ।२०।

भक्त के साथ, स्वयं प्रभु नारायण


दारू ब्रह्मा को छतिया ग्राम को लेके
जायेंगे। ।२१।

7 दिन श्री क्षेत्र मे, लीला शुरू होगी


छतिया ग्राम में, और उस स्थान पर भक्त
लोग एक दूसरे से मिलेंगे। ।२२।

उसके बाद श्री क्षेत्र फिर से लौट आयेंगे,


प्रभु दारू ब्रह्मा. और यहा सत्य ग्राही एक
होंगे। ।२३।

मोहन गांधि का आयु क्षय हुआ था यवनो का


साथ देने के वजह से
यवनो का नाश हो जाएगा युध्द मे
और ये बात असत्य नही है जान लो। ।२४।
टिकारा गोहीरी के बाली में युध्द लगेगा (बाली
मतलब सैंड और मिट्टी में युध्द होगा) और
बोहोत उत्पात होगा और देश मे बिदेशी लोग
घुस आयेंगे। ।२५।
कु तो पेखोरी (ओडिशा में एक झील) के पास,
महा घोर युध्द होगा
क्युकी वहा पे महा शस्त्र है। ।२६।
बिरात देश मे,
पांडवोका अस्त्र है,
शमी वृक्ष के अंदर। ।२७।

अश्वत्थामा जर्मनी,
देश मे अति गुप्त रूप से जन्म लिया है, और
युध्द मे कोई उस से जीत नही पाएगा। ।२८।
भूरिश्रवा चीन देश मे, जन्म
लेगा भक्त के बेश मे, और वो
वीर बड़ा पाग बांधेगा। ।२९।
अमेरिका और लंडन मे,
जन्म लिए है बोहोत भक्तों ने, और जब समय
आयेगा उस दिन वो वापस आएंगे। ।३०।
वीर अभिमन्यु,
बेलालसेन के साथ मिलकर,
युद्ध मै महासमर करेंगे। ।३१।
एकलव्य, घटोत्कच, बभ्रुवाहन ये पांच
वीर योद्धा मिलके , विदेशियों को नष्ट
कर देंगे। ।३२।

महाभारत के युद्ध मे,


ये 5 वीर योद्धाओं का युद्ध लड़ने की इच्छा अधूरी
रह गई थी,
भगवान कृ ष्ण के कपाट के करण। ।३३।

इसलिए ये पांच वीर, इस बार के युद्ध में महासमर


करेंगे, और इनका युद्ध कौशल देख के लोग
हेयरन हो जायेंगे।।३४।
भीष्म, द्रोण, कर्ण और शल्य, महाभारत
के युद्ध में नंद दुलाल ने, अपने कपट से
इनके बल(ताकत) को तोड़ा था। ।३५।
वही वीर योद्धा, फिर से भारत के
इस युद्ध में लड़ेंगे, और कोई समज
नहीं पाएगा। ।३६।
और युद्ध भूमि में ऐसा तबाही करेंगे, कि विदेशी
लोगो का हार एक चाल को बिफल कर देंगे, और
जीत का झंडा लहराएंगे। ।३७।
फिर से यही वीर लोग, भारत
भूमि पर जन्मेंगे, और मातृ
सम्मान रखेंगे। ।३८।
महाभारत का बाकी का युद्ध,
ओडिशा में होगा,
और बोहोत सारे यवन सैनिक आएंगे। ।३९।

उस समय को देख कर, ओडिशा में प्रभु


जन्म लेंगे, और कोई उनके माया को
पहचान नहीं पायेगा।।४०।

गुप्त में खेल चल रहा है, हर घर में जो घर के


मालिक है, प्रभु हर घर में चुपके से घूम रहे हैं और
भक्तों को ढुंड रहे हैं।।४२।

पांच पांडव मिलके , बदमंतु को खींच के तोड़ देंगे,


और उनके साथ रहेंगे प्रभु बलदेव जी।।४३।

बदमंतु को का रास्ता, मुक्त कर देंगे पठान जाति के


लोग, और ये देवताओं का योजना है कोई जान
नहीं पायेगा।।४४।
पठान कु ल में जानो, शैल्या का हुआ है जन्म, और
युद्ध के मैदान में है वो निपुण।।४५।

अर्जुन अपने तीर से, गोरा सैनिको को


मारेगा, और कोई जान नहीं पायेगा ये
माया।।४६।
भारत में बिजाती लोग, ना रहेगा
कोई जानो।।४७।
अलेख धर्म के लोग, चंदियो के हाथ से उनका पटन
हो जाएगा। क्यूकी जीस उदेश्य के लिए उनके
अनादि स्वामी ने इस धर्म का स्थापना किया था वे
लोग उस उद्देश्य से भटक जायेंगे। ।४८।
विशेष कर पश्चिम और उत्तर देश, भीषण
युद्ध के कारण, ध्वंस हो जायेगा। ।४९।
कोलकाता जो शहर है, वाहा आग से
भीषण तबाही होगा, और भारत युद्ध का
मैदान बन जाएगा।।५०।
नास्तिक, ईसाई, इस्लाम, बौद्ध धर्म, जैन,
और जो अलेख धर्म के लोग हैं। ।५१।
सबका धम्भ, गर्व, टूट जायेगा.
और जो शुन्यबादी(मूर्ति पूजा को नहीं मानते जो
बोलते हैं शून्य की ही पूजा करो) है वो शून्य मे ही
खो जाएंगे (मतलब उनका संख्या ही शून्य हो
जाएगा)। ।५२।
बस सनातन, धर्म का स्थापना करेंगे प्रभु नारायण,
और अन्य धर्म चूर्ण हो जाएगा। ।५३।

गरुड़ पृष्ट पे बैठके , प्रभु ब्रिटेन जायेंगे,


और वहां से सफ़े द तुलसी लाएंगे।।५४।
मयूर सिंहासन
और कौस्तब मनी को धारण कर,
प्रभु नारायण लेकर आएंगे। ।५५।
गरुड़ देव के आघात से, ब्रिटेन में गोरा सैन्य
(ब्रिटिश सेना) मर जाएंगे, और जो लोग धर्म
और सत्य के रास्ते पर होंगे वो बचेंगे। ।५६।
उन भक्तों को प्रभु, वाहा के राज्य सौप के
आएंगे, इसलिए महापुरुष बोल रहे हैं
असत्या और हिमसा को त्यागने के
लिए। ।५७।
एक लाख स्वर्ण मुद्रा लेकर, ऋषि आएंगे और
पुरी के पुजारी को देंगे और उनसे चतुर्थ मूर्ति दारू
मूर्ति को देने के लिए कहेंगे।और जब दारू मूर्ति
को बहार लाया जाएगा ऋषि दर्शन करेंगे और
भक्त दर्शन करेंगे, प्रभु कुं ज बिहारी का।।५८।
प्रभु बलदेव राजा होंगे, और 108 वर्ष तक पृथ्वी
पर जिंदा रहेंगे, और सत्य पथ पर रह के पृथ्वी
का पालन करेंगे। ।५९।
अग्निरो दहिका शक्ति (परमाणु शक्ति),को खींच
लेंगे, प्रभु कोमोला पति, तब विदेशी लोग हट
जायेंगे।।६०।
जर्मनी, रूस आदि, इटली, जापान,
तुर्की आदि, ये सब रद हो जायेंगे।।
६१।
पहला युद्ध में, सेनापति होगा
मोहन, और वो तोपो सिद्धि में
होगा निपुण।।६२।
अनंत किशोर देव, भूमि चक्रवर्ती
होंगे और ये बात अटल सत्य है।
।६३।

जो सत्य के पथ पर होंगे, उनको


गोली कु छ नहीं कर सकता । ।६४।

निश्चय स्वराज्य होगा, यवन


भारत चोर के जायेगा, और ये सब
घोर कली काल में होगा। ।६५।

महा कली, जब छायेगा धरती में,


तब हिंसा शुरू होगा एक दूसरे के
ऊपर। ।६६।
गाँव गाँव में बकरी मार काटके खाएंगे, ये
देख देवा देवी दुखी हो जाएंगे। और घोर
रात्रि में हान काट होगा। ।६७।

सब कु छ कं ट्रोल होगा,
और कागज कागज में पृथ्वी चलेगा और देश
में रुपिया पैसा नहीं होगा। ।६८।
कल्पबत का जो, पूर्व दिग में शाखा है
वो सुखने लगेगा। और ऐशन्या दिग
के और जीवित रहेगा।।६९।
गले मै माला नहीं होगी, लुंगी पहनेंगे कमर
के नीचे, सब लोग होंगे निर्लज। ।७०।
पठान बेश में होंगे, इसको नकार
नहीं सकते, और इसलिए इनका
आयु क्षय हो जाएगा।।७१।
सब एक जैसा हो जायेंगे, कोई वेद और
विद्या का विचार नहीं रखेगा, मनुष्य बहुत
मिथ्या बादि होंगे।।७२।
बिधोबा ब्राह्मणी का विवाह होगा, और ये बात
सुनके तुम हेयरन हो जाओगे। कहीं पे भी भक्ति
सेबा भाव नहीं रहेगा। ।७३।
चाची और बुआ को वो हरण करेंगी। मामा
भांजी, भाई बहन ये सब रिश्ते ख़राब हो
जायेंगे।।७४।
बहुत अन्याय करेंगे, और प्रसाद खाएंगे और ताली
मारेंगे, और अंत में चंदियो के हाथ से उनका अंत
हो जाएगा। ।७५।
नारी उग्र स्वभाव के होंगे, पति का बात नहीं
मानेंगे, और पर पुरुष के साथ घूमेंगे। ।७६।
ब्राह्मण शूद्रानि से प्यार, शूद्र ब्राह्मणी से
प्यार करेगा, राज्य में गौ और बेल के
सहारे खेती करेंगे।।७७।
बालक बालिका जो गर्भ में होंगे,
उनको गुप्त रूप से नष्ट करेंगे। और
पाप के रास्ते में होंगे। ।७८।
गायत्री चोरके ब्राह्मण, शूद्रो के जैसे
दिन गुजारेगा, इसलिए उनका ज्ञान
नष्ट हो जाएगा।।७९।
साधु और वैष्णव मिलेंगे, और मधिरा, स्त्री,
माँस का भोग करेंगी, इसलिए उनका हैजा से
मृत्यु होगा। ।८०।
बहुत अन्याय होगा, जोर जोर से भूकं प
होगा और बिजली गरजेगा, और उस समय
पर तूफान होगा। ।८१।
पुरी जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से, पत्थर बार-बार
गिरेंगे, और तुम इन्हीं आँखों से देखोगे।।८२।

मंदिर के पंडा पुजारी वैश्या के साथ


समय बिताएंगे. और काल उनको समाप्‍त
कर देगा। ।८३।

नौ प्रकार के कं तनी, समय-समय


पर आएंगे, और पृथ्वी में छा
जाएंगे। ।८४।
तब समय रहते सावधान हो जाओ,
एकाक्षर जप करके दिन गुजारो, और
भगवत का पाठ करो।।८५।
7 दिन जब पृथ्वी पर अशांति होगा,
ये मे मेरा त्रिकु ट पे ध्यान लगाके
बोल रहा हूं।।८६।
4 द्वारो को एक करके , अपने कु ल
कुं डलिनी को जागृत करो, तब तुम
प्रभु श्री हरि के दर्शन करोगे। ।८७।

बहुत सारी नदियों का पानी बढ़ जाएगा, जिसके


कारण अनेक लोगो का विनाश होगा, और उस
समय पर बारिश नहीं होगा। ।८८।

गांव में कु छ ही लोग रहेंगे, और


पापी लोग जो होंगे वो सब चंदियों
के हवाले पड़ेंगे। ।८९।

बोहोत धन का अभाब होगा। और कु छ दिन तक


अराजकता फै लेगा। और वो अंग्रेज़ चोर के
जाएगा। ।९०।

गाय मरेंगे बोहोत, चारो और


अकाल पड़ जाएगा। ।९१।
घर घर मैं एकाक्षर मंत्र का प्रचार होगा। और ये
सुनके पिता और पुत्रो के बीच में डरार उत्पन्न
होगा। ।९२।
भारत भूमि में, जन्म लिए हैं भक्त लोग
देवी देवता, और वो गुप्त रूप से रह रहे
हैं। ।९३।
माता लक्ष्मी श्री क्षेत्र में, जन्म लिए
हैं अनंत नाम के पंडा के घर, और
प्रभु भी जन्म होंगे उसी दिन। ।९४।
आकाश में से जिस दिन, देव ध्वज
गिर जाएगा उसी दिन समझो कि
प्रभु जन्म होंगे। ।९५।
वही प्रभु श्री कृ ष्ण चैतन्य जन्म लिए हैं धरती पर।
जो की सैंतालीस(47) अंक में है जानलो। ।९६।

[ये 47 अंक गजपति महाराज दिव्यसिंह देव जी


के अंक वर्ष हैं जो 2005 या 2006 मसीहा को
दर्शता हैं जो कि प्रभु कृ ष्ण चैतन्य मतलब प्रभु
कल्कि का जन्म लेने का अवतार लेने का समय
है]
कलियुग में 3 बार जन्म, लेंगे प्रभु
नारायण. इसका मर्म भला कौन
समझेगा। ।९७।

[बुद्ध, चैतन्य और कल्कि]


जब कलियुग समाप्त होगा, और प्रभु
कु छ समय के लिए सत्य युग में रहेंगे,
तब राम राज्य सत्य होगा। ।९८।

अद्य में नेमाल में लीला होगा, भक्त लोग


एकत्र होंगे और प्रभु नाम प्रेम में भाब
भीभोर हो जाएंगे। ।९९।

छटिया श्री क्षेत्र होगा, महा कै वल्य का


बाजार बैठेगा और आगे अनंत युग
आएगा। ।१००।

जाजपुर में बहुत भक्त हैं, और खंडगिरि के


मध्य में भी अनेक भक्त हैं। ।१०१।

ओलासुनी पर्वत, पर चारो


दिग से भक्त मिलेंगे, और वहां
पे लीला खेल होगा। ।१०२।

नेमाल मेरा निबास स्थान है, वाहा पीतांबर धारी


प्रभु लीला आरंभ करेंगे और विशेष कर वाहा भक्त
लोग से मिलन होगा। ।१०३।

प्राची तट के पास, ऋषि योग साधना कर


रहे हैं, अनासूत्र को रट के । ।१०४।
कु छ सिद्ध महात्मा वाहा रहके , नाम तत्व
ध्यान कर रहे हैं गुप्त में, वो सब एक
दिन आके मिलन होंगे। ।१०५।

कली भारत का खेल के समय सब


लोग से गुप्त में मिलेंगे राजा अनंत
देव किशोर। ।१०६।

जोबोरा में परीक्षा होगा, लाख लाख लोग आएंगे,


और नील माधब के दर्शन होंगे। ।१०७।

सिद्ध पुरुष मिलके , भक्त लोगो का


उद्धार करेंगे, प्रभु बलराम के चरणों
में शरण लेके । ।१०८।
उस समय में, एकाक्षर मंत्र को
सार मानके उसका जप करो, और
13वें स्कं ध को पढ़ो। ।१०९।
घर त्याग करनेवाले वैराग्यों का परीक्षा
तब होगा, इसलिए वो अपने मन को
नियन्त्रण कर रहे हैं। ।११०।

माता लक्ष्मी और प्रभु नरसिंह (कल्कि) का


खंडगिरि में मिलन होगा, और वाहा ब्रह्मा देव
आएंगे। ।१११।
प्रभु महादेव आएंगे,
और तांडव नृत्य मे मग्न हो जाएंगे और
अष्ठ दुर्गा उनके साथ होंगे। ।११२।
ये सब खेल गुप्त रूप से होगा, भक्तों के
अलावा और कोई जान नहीं पाएगा,
और ये वाणी अटल सत्य है। ।११३।

उन भक्तों के समान आसन तुम खुद को


बनाओ, और अपने मन को चेतना से भर लो
तभी तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी। ।११४।

जब देखोगे प्रभु श्रीहरि के सुन्दर मूर्ति


मुरली धारी, तब भाव सागर को तार
जाओगे। ।११५।
भक्तों का सुख का समय आ रहा है, और
पाखंडियो का दुख का समय आ रहा है। ।११६।

गंदगी ध्वंस न होने के कारण, सारे म्लेच्छ गण


का विनाश होगा। और वाहा अनंत किशोर देव
भी उपस्थित होंगे। ।११७।

बीराजा मंडल के स्थान पे,


सभा शुरू होगा, और वो सभा
प्रभु और पंचसखा और कु छ भक्त मिलके
करेंगे। ।११८।
करो तुम शिक्षा ग्रहण, श्री गुरु के चरणों
में तुम भिक्षा करो, और धर्म का पालन
करके गुरु से ब्रह्मा दीक्षा लो। ।११९।

कलियुग के समाप्ति में, एकाक्षर जपो


तब तुम लीला देखोगे, और सत्य धर्म में
सतयुग का बीज बनोगे। ।१२०।

मेरे भक्तों को कलियुग का शरीर मिला


है इसलिए उनको मूर्ख मानव पहचान
नहीं पाएंगे। ।१२१।

नीच लोक ऊं च होंगे, सत्य वचन के


निंदा की जाएगी, और वो लोग मेरे भक्तों
को पहचान नहीं पाएंगे। ।१२२।

भक्त लोगो को नींदा करने वाले को, मैं उनके


अहंकार को चूर्ण कर दूंगा, और उनका अकाल
मृत्यु निश्चय होगा ये जान लो। ।१२३।

दुष्टो को दलन करके और संथो को अपनाके ,


मे अपना विजय का झंडा लहराऊं गा, ये बात
ये मुर्ख अविवेकी मानव नही समझेंगे। ।१२४।

कु छ दिन लीला खेल के , प्रभु वैकुं ठ बिहारी


अंतर्ध्यान हो जायेंगे, महापुरुष अच्युतानंद दास
विचार करके कह रहे हैं। ।१२५।

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