You are on page 1of 148

https://telegram.

me/SahityaJunction_bot
जय श्री राम

Compiled By
Abhishar Ganguly

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘अस्वीकृ ति’
इस संकलन की सभी कविताएँ और कृ तियाँ मूल रूप से लेखक के द्वारा उनकी सहमति से
ली गई हैं तथा लेखक के द्वारा इसके प्राकृ तिक और साहित्यिक होने की पुष्टि की गई है।

इन रचनाओं में लेखक ने अपनी कल्पना और साहित्यिक विचारों को रखा है, जिसका
किसी भी जाति, समुदाय तथा किसी जीवित या मृत व्यक्ति से संबंध नहीं होना चाहिए।
इसे मूल रखने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की है। अगर हमारे ज्ञान से कु छ छू ट गया
है, तो इसके लिए प्रकाशक, संकलनकर्ता और संपादक जिम्मेदार नहीं होंगे। लेखक पूरी
तरह से जिम्मेदार होंगे।

प्रकाशक
अभिशार गाँगुली

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘अभिस्वीकृ ति’
सर्वप्रथम उस परमपिता परमेश्वर का ह्र्दयतल से आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिनकी
अनुकं पा से मैं मर्यादा पुरुषोत्तम ‘श्री राम’ को समर्पित इस अद्भुत व अलौकिक साहित्यिक
संग्रह ‘जय श्री राम’ का सफलतापूर्वक संकलन करने में समर्थ रहा। तदुपरांत मैं अपने
जन्मदाता मेरे माता-पिता का दिल की गहराई से धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूँगा जिन्होंने
मुझे उच्चतम संस्कार दिए जिससे मैं इस धार्मिक साहित्यिक संग्रह का सफ़ल संकलन कर
सका।
इसके बाद में हमेशा की तरह मेरा साथ देने वाले मेरे हमरुह परिवार के महत्वपूर्ण सदस्यों
व मेरे आधारभूत जनों का आत्मिक आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिनमें देव प्रकाश,
प्रशस्ति सचदेव व किशन कु शवाहा का नाम अग्रणी हैं। ये सभी सर्वदा ही मेरी सहायता को
तत्पर रहते हैं।
इसी के साथ-साथ कु छ अन्य महत्वपूर्ण व आवश्यक सदस्यों जैसे प्रियंका मिश्रा, प्राची
अग्रवाल, तुलिका श्रीवास्तव, उज्ज्वला कु मारी, प्रतिभा सिंह, स्वरांजली दत्ता आदि का भी
तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा।
इसके बाद सर्वप्रमुख मेरे सभी सह-लेखक जिन्होंने अपने जीवन की व्यस्ततम दिनचर्या में
से निकालकर कु छ बहुमूल्य क्षणों का सदुपयोग कर के हमारे इस धार्मिक साहित्यिक संग्रह
के लिए अद्भुत, आत्मिक व आध्यात्मिक रचनाएँ रची व मर्यादा पुरुषोत्तम ‘श्री राम’ को
समर्पित किया।
अंत में हमेशा की तरह माँ सरस्वती के सच्चे सपूतों, हमारे प्रिय पाठकों का ह्र्दय के कण-
कण से आभार व्यक्त करना चाहूँगा। आशा करता हूँ कि आप सभी को यह रचना अवश्य
पसंद आएगी व हमेशा की तरह आपके मन मंदिर में राममयी अनुराग जगा जाएगी।
जय श्री राम।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘जय श्री राम:एक परिचय’
राम का ही तो सब कु छ है जग में
राम बसे हैं ‘अभि’ हमारे रग-रग में

राम शब्द अपने में ही परिपूर्ण है। इस शब्द को किसी परिचय व व्याख्या की कोई
आवश्यकता नहीं है। राम शब्द सुनते व पढ़ते ही हमारे मन मस्तिष्क में एक ही शब्द आता
है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम। वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जिन्होंने अपने रघुकु ल की
मर्यादा के लिए, अपने पिता के दिए हुए वचन को निभाने के लिए राज सिंहासन व राजपाट
निःस्वार्थ रूप से त्याग दिया व हँसते-हँसते चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार कर लिया।

पत्नीव्रता ऐसे कि आजीवन माता सीता के सिवा किसी और की ओर आँख उठाकर भी


नहीं देखा। वीर योद्धा ऐसे कि वानर सेना के बल पर लंकापति रावण से युद्ध करने को
तैयार हो गए एवं कला, कौशल व बुद्धि सहित असंभव से युद्ध को भी बड़ी आसानी से
जीत लिया और माता सीता को प्राप्त किया। ऐसे थे हमारे श्री राम, इसलिए करते हैं हम
सब इनकी जय-जयकार और कहते है सर्वदा “जय श्री राम”।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
संकलक
अभिशार गाँगुली

“श्री राम सा तन, मन और जीवन होना चाहिए,


उन जैसा लक्ष्य, संघर्ष और प्रतिष्ठा होनी चाहिए।
मानव कु ल में जन्म लेने का क्या लाभ ‘अभि’,
हमारे कण-कण में मानवता भी होनी चाहिए।”

अपने अंदर ‘श्री राम’ के सभी गुणों को समाहित कर ‘श्री राम’ सा जीवन व्यतीत करने
वाले इस मर्यादा प्रिय रचनाकार का नाम ‘अभिशार गाँगुली’ हैं। बालपन से ही इन्होंने ‘श्री
राम’ के गुणों व त्यागपूर्ण कथाओं को बड़े ही चाव के साथ पढ़ा, सुना व देखा था। उन्हें
अपने जीवन में चरितार्थ करने की लालसा इनमें बालपन से ही थी। जिसे आज ये अपने
जीवन में प्रयोग कर के आम जनमानस के समक्ष एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते
हैं व सभी के मन-मंदिर में ‘श्री राम’ के आचरणों को स्थापित करना चाहते हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘जय श्री राम’

मर्यादा पुरुषोत्तम हो आप प्रभु, आपने


जग को मानवता का पाठ पढ़ाया।
आप से सीख कर ही हमने जीवन
को जीवन जैसा जीवनमय पाया।

आपकी लीला अपरम्पार हैं प्रभू


क्या जाने तुच्छ मानव, अज्ञानी।
आपसे ही है सब कु छ इस जग में
आपकी लिखी हुई हैं हर कहानी।

आप जो चाहो तो आग ही आग हैं
जगत में व्याप्त, नही तो सब पानी।
आपने सिखाया हम सबको मर्यादा,
पिता के वचन, कु ल की लाज बचानी।

पिता दशरथ के वचन की ख़ातिर


आपने राज-पाठ सब त्याग दिया।
ऐसा के वल मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
ही कर सकते है, जग को पाठ दिया।

लक्ष्मण को साथ लेकर के आपने


प्रभु वर्षों जंगल-जंगल वास किया।
जब भी सुअवसर मिला आपको प्रभु!
सबका बेड़ा पार किया, उद्धार किया।

विशाल समुद्र पार करने को आपने

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
सागर को भी पल भर में मना लिया।
सारे शूरवीर थे रावण की सेना में
सभी वरदान वालों से आपने लोहा लिया।

सीता मैया को वापस लाने के लिए


आप लंकापति रावण से भी लड़ गए।
जब हुआ युद्ध में सामना आपसे
रघुवर सब बलशाली राक्षस डर गए।

अंत काल सर्वस्व जीत कर भी


प्रभु! आपने सब कु छ त्याग दिया।
सत्यप्रिय विभीषण को सौंप कर
सब कु छ, आपने सटीक न्याय किया।

लौटकर अयोध्या में फिर ‘श्री राम’ ने


सुशासन व रामराज्य का निर्माण किया।
जब तक रहें विराजमान हमारे प्रभु!
जनता की भलाई की व कल्याण किया।

— ©अभि:एकतन्हामुसाफ़िर

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“तुम राम बनकर तो दिखलाओ”

लक्ष्मण बहुत मिलेंगे आज भी इस जगत में,


बस तुम एक बार राम बनकर तो दिखलाओ।

तुम्हारी सीता आज भी राह देख रही हैं तुम्हारी,


तुम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बनकर तो दिखलाओ।

कौन कहता है कि 'लंकाभेदी' विभीषण गलत था,


तुम सही रास्ते पर चलने वाले भाई बनकर तो दिखलाओ।

जान देने को तैयार मिलेगा तुम्हारा भाई,


तुम राजपाट छोड़ने वाले रघुवर बनकर तो दिखलाओ।

भाई आजीवन तुम्हारी चरण पादुका संग तुम्हारे


नाम से राज चलाएगा, तुम निस्वार्थता तो दिखलाओ।

जग सुंदर हो जाएगा एकदम, फिर से सतयुग आ जाएगा

तुम अपने अंदर ‘श्री राम’ लाकर तो दिखलाओ।

— ©अभि:एकतन्हामुसाफ़िर

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
हिंदी रचनाएँ

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
अभिषेक मिश्रा

इनका नाम अभिषेक मिश्रा है, ये मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये कहते हैं, राइटिंग इनका
प्रोफे शन नहीं है। लॉकडाउन में खाली बैठने के कारण इन्होंने कु छ लिखा और ये धन्यवाद
देते हैं उन लोगों को जिन्होंने उसे पढ़ा और उत्साहित किया लिखने को और इन्हें लिखना
अच्छा लगने लगा जब अच्छे रिस्पॉन्स मिलने लगे तो इन्हें लगा सच में ये बहुत अच्छा
माध्यम है खुद की भावनाएं दिखाने का और खुद से बातें करने का।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“भगवान राम”

अयोध्या की कलम से
धन्य हुई ये भूमि, बन गई जब जन्मभूमि
चौदह वर्ष के बाद, फ़िर अयोध्या झूमी।
जनकपुर की कलम से
जनक का था जाप, कौन उठाएगा चाप
नहीं आने दी ताप, दिखा दिया प्रताप
पढ़ गई सभी पर छाप।
प्रयाग की कलम से
चौदह वर्ष का वनवास,ऋषि से लिया विश्वास
श्री राम ने भी ली दुआ, बस यही दिल को छु आ।
चित्रकू ट की कलम से
श्री राम लक्ष्मण सीता, साधुओं का दिल जीता
सती अनुसूइया के आश्रम में, माँ सीता का समय बीता।
पंचवटी की कलम से
रावण की बहन शूर्पणखा, लक्ष्मण के क्रोध को चखा
एक युद्ध को जन्म दिया, कटवा के अपनी नका।
लेपाक्षी की कलम से
माँ सीता के लिए युद्ध लड़ा, रावण के सामने खड़ा
पंख कटा के अपने, लेपाक्षी की भूमि पे गिर पढ़ा।
किष्किन्धा की कलम से
मित्र बने किष्किन्धा नरेश, था वानरों का भेष
माँ सीता की खोज में, बदल गया परिवेश।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
रामेश्वरम की कलम से
पत्थर पत्थर जोड़कर, समुद्र में बनाया पुल
रावण से युद्ध को अब, वानर सेना थी कु ल।
अशोक वाटिका की कलम से,
रखा था रावण ने माँ सीता को जहाँ
हनुमान जी ने नष्ट कर दिया सब वहाँ
क्रोध में रावण ने पूंछ में लगा दी आग
लंका को जलाकर फिर वहाँ से लिए भाग।
श्री लंका की कलम से
युद्ध लड़ा जहाँ रावण से, अपनी भार्या के लिए
अनुज वियोग का फल चखा, मेघनाद वध के लिए
सत्य को विजय दिलाई, असत्य के पराजय के लिए
और कहलाये भगवान पुरुषोत्तम, हम सभी मानव के लिए।।
'जय श्री राम'

— अभिषेक मिश्रा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
अमित गोरा

ये अमित गोरा है, जो राजस्थान के निवासी हैं। इनका शौक़ रहा है। ये शायरी-ए-शहोक़्त में
लिबास बदलने का। ये अक्सर टूटे दिल को अपना बनाकर नज़्मों में सजाते हैं। फ़िर कहानी
अपनी वक़्त को ब़ताते हैं। ये बी.कॉम से ग्रेजुएट हैं।
instagram I'd@amitt_gora

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"राम नाम"

राम नाम की लूट हैं लूटिज़ तो लूट लयों


राम हैं भक्तिं राम हीं माया,
इस भटकते शरीर की फिर राम हीं काया।

राम नाम सुख जीवन का, राम हीं है उदार


राम पलता हर हृदय में, फिर राम पर ही खत्म सम्पूर्ण संसार।

राम से चलीं सृष्टि, फिर राम पर ही खत्म हैं


यह सुन्दर दो अक्षर का नाम, राम सम्पूर्ण ज़ग को ही समर्पित है।

राम हैं अविनाशी, फिर सुन्दर वनवासी


'माँ' सिता का श्रृंगार राम
लक्ष्मन का मान राम, 'पिता' जनक का अभिमान राम।

राम नाम हर हृदय में पलता, राम हीं काया राम हीं माया
राम हीं सुन्दर संसार हैं
राम हीं अंत राम हीं प्रारंभ, राम की लीला अन्त विलार हैं।

वो राम राम हरी-राम हैं, सम्पूर्ण जग का अभिमान।।


— अमित गोरा

अंकित मलिक

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
ये अंकित मलिक हैं, कु रुक्षेत्र,हरियाणा के रहने वाले हैं। ये नीट की तैयारी कर रहें हैं। इन्हें
कविताएँ लिखने और पढ़ने का शौक़ हैं। इन्हें डांस और संगीत सुनना बहुत पसंद है।
insta@malikankit_007
twitter@malikankit_007

"राम लला हमारे"


राम लला हमारे सबके दिल में रहते है,
दुश्मन का भी दिल जीत ले,
ये ऐसा जादू चलाते है
शांत जल सा मन है इनका,
क्रोध से दूरी बनाते है
अयोध्या में जन्में, माता सीता से ब्याहे है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
जनता के दिल पर राज किया,
वो राजा ऐसे मर्यादा पुरषोत्तम कहलाए है
इनके परम भक्त, पवन पुत्र अंजनी के जाए है
लव-कु श जाए इनके महावीर,
अयोध्या की महासेना पर भी विजय पाए है
दशरथ के लाड़ दुलारे, पिता के वचन की ख़ातिर
14 साल का वनवास छोटे भाई संग
काट जब अयोध्या लौट के आए
दीपो से अयोध्या सजी तब, जश्न धूमधाम से प्रजा मनाए
जिसे आज विश्व भर में, सब दीपावली मनाए
जय श्री राम का नारा घर घर गूंज रहा,
पुरुषोत्तम राम ये कहलाए है
सबके दिल पर राज करें, वो राम प्रभु हमारे कहलाये है।।
— अंकित मलिक

अंकित साह

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
अंकित साह ये झारखंड के छोटे से शहर चाईबासा से हैं। इनकी पढ़ाई एस.पी.जी. मिशन
स्कू ल से हुई है। इन्होनें जी.सी.जैन कॉमर्स कॉलेज से अपना स्नातक किया है। फिलहाल
एम.कॉम. की पढ़ाई कर रहे हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"कु छ ऐसे मेरे श्री राम है"

हिंदुत्व की वो शान है, हर दिल में बसते जहाँ राम है,


जन्मभूमि आयोध्या जिनका धाम है,
सादगी संवेदना जिनकी पहचान है,
कु छ ऐसे मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं।
धर्मियों के लिए देवता,
अधर्मियों के लिए वो सर्वनाशी है,
राजा दशरथ के वो आँखों का तारा,
हनुमान के सीने के वो निवासी हैं।
पिता के एक वचन पर राजतिलक छोड़
चौदह वर्ष के लिए वनवास को चले गये,
कु छ ऐसे मेरे श्री राम एक वनवासी हैं।
ठाना था जो वचन मन में वो वचन हम निभा रहे हैं,
जन्मभूमि पर तेरी ओ राम लाला मंदिर हम बना रहे है।
अवध पूरी में तेरे नाम का नशा कु छ ऐसा सर पर चढ़ा है,
कि हर सुबह शाम बस तेरे ही नाम के जयकारे लगा रहे हैं।

'जय श्री राम'

— अंकित साह

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
अंकिता गुप्ता

"रास्ते ख़ुद चलेंगे मंज़िल की ओर,


एक बार थाम कर देखो आत्मविश्वास की डोर।"

ये अंकिता गुप्ता हैं। इन्होंने एम.एससी, बी.एड की हैं। वीरों की भूमि कहे जाने वाले
राजस्थान में अज़मेर की निवासी हैं। इन्हें लिखने का शौक़ हमेशा से रहा है, पर कु छ ख़ास
कला भी जो मुझे योग से जोड़ता है। इन्हें पेंसिल और रंगों के साथ बच्चों की मासूमियत से
प्रेम है। बस इतनी सी दीवानगी है, ज़िन्दगी में आगे बढ़ते रहने की ठानी है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"
राम नाम है, राम नाम, राम नाम से सबको प्यार।
राम के रहीम, रहीम के राम, राम नाम सबसे बलवान।

जो मर्यादा मन मे पाले, भगवा रंग से उसको जाने।


सीता के ह्रदय के वासी, लक्ष्मण के भ्राता श्री,

बजरंगी है सेवक न्यारे, राम नाम है, राम नाम,


पिता के वचनों के खातिर, राज-पाठ छोड़ चले वन की ओर।

राम नाम है, राम नाम, हुआ सामना जब वन में,


अहंकारी रावण से, कपटी रावण ने मृग रचा।

सीता को छल से हरा, बहुत खुश था सीता को हर कर,


समझ ना पाया अंत है अब तो, अंत भी करे राम को प्रणाम।

राम नाम है, राम नाम, परीक्षा थी माता सीता की,


जन्म-जन्म के बंधन की, राम नाम है, राम नाम

वीर धनुर्धर राम को देख, भस्म हुई लंका रावण की,


हर रूप में राम है, दुश्मन को भी क्षमा दान है।

हिंदुस्तान का अभिमान है, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम है।


राम नाम है, राम नाम, राम नाम से सबको प्यार।।

— अंकिता गुप्ता

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
आरोही

"क्या होती है मर्यादा जान लो, अपना अस्तित्व तुम पहचान लो


ख़ुद में भी पाओगे राम को, बस राम का तुम ध्यान करो"

आरोही का जन्म और पालन-पोषण बिहार राज्य के छोटे से गाँव शेरपुर में हुआ है। ये
अपने विश्वास और परिवार को अपने लिए सबसे महत्वपूर्ण मानती है। ये ग्रेजुएशन की
छात्रा हैं। इन्हें प्यार, पर्यावरण पर कविताएँ लिखना पसंद है। उन्हें अपने दोस्तों, परिवार के
अलावा किताबों और पेड़-पौधों के साथ समय बिताना पसंद हैं।
इनकी कविताएँ 'IN A DILEMMA', 'Jazbaati Kalam', 'कसूर', 'स्त्री' , 'हर हर
महादेव', 'Ankahe Jazbaat Dil ke' नामक संकलनों में आ चुकी हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"हे राम"

हे श्री राम, जय शाश्वत, राजीवलोचन, रामभद्र


हम आये हैं द्वार तेरे करने खुद को नतमस्तक

हे जानकीबल्लभ, ओ जैत्र, शरण्यत्राणतत्पर


करो स्वीकार प्रार्थना हम हैं बड़े आज असमर्थ

हे रघुपुङ्गव जरा देखिये, हाल क्या इस धरा पर


है फै ली यहाँ महामारी, रोदन हैं सब यत्र – तत्र

हे हरकोदण्ड- खण्डन , जामदग्न्यमहादर्पदलन


कर दो प्रभु इसका दमन , हो आप ही जनार्दन

हे श्री राम, जय शाश्वत , राजीवलोचन, रामभद्र


बालिप्रमथन रामचन्द्र आपको मेरा नतमस्तक

— ©आरोही

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
आशा

"काया का सुख लेते-देते, बीती रैन सुहानी, किसने समझी, किसने जानी पीड़ा अनजानी, ये माटी की गुड़िया जपती राम
नाम, ये तो ठहरी बड़ी ज्ञानी।"

इनका नाम आशा है। ये निर्गुण लगन व निर्मम स्वभाव की है, इनको अपने शब्दों का
इस्तेमाल बखूबी करना आता है। समझ-समझ कर जो न समझे ऐसा इनका स्वरूप है। ये
हर किसी को बखूबी समझ आ जाए ऐसा बहुत कम होता है, परंतु अपने अनुसार इन्होंने
श्री राम का जो रुप अपने शब्दों में परिवर्तित करा है वो आनंदित व अतुलनीय है। इनका
मानना है कि समय-समय पर अल्फाज़ों पर काम ज़ारी रखना चाहिए जिसे हम हर समय
ख़ुद को ख़ुद से बेहतर प्रदर्शित कर सकें ।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"राम नाम"

जिनके नाम को हृदय में बसा लेने से हो जाते है पूर्ण काम,


वही तो हैं श्री राम।
तुम ही जग की माता, तुम ही जग के पिता हो,
तुम ही हो राधा के श्याम।
जिनके समान कोई नहीं दूसरा नाम
जिनके स्मरण मात्र से ही प्रारंभ होते है सारे काम,
वही है श्री राम।
कलयुग में न यज्ञ, और न है ज्ञान,
महत्व एक मात्र है सिर्फ राम का नाम।
राम के ही चरणों में है सारे धाम।
राम के ही होने से हो जीवों का उद्धार,
तुम से ही बनते हर बिगड़े काम।
सूर्यवंश में लिया है तुमने राम अवतार,
तुम ही हो जगदाता, तुम ही हो विश्वविधाता,
तुम से ही सुबह, तुम से ही होती यहाँ शाम।
ऐसा पावन हैं सीता संग जिसका नाम
वही तो हैं प्रिय सीता के राम।
श्री राम।

— आशा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
आशा झा “सखी”

ये आशा झा 'सखी' है जो की मध्यप्रदेश की संस्कारधानी 'जबलपुर' से संबन्ध रखती हैं। ये


पेशे से शिक्षिका हैं। इन्होंने एम.एससी(मैथ्स) तथा बी.एड की शिक्षा पायी है। इनकी पठन-
पाठन में गहरी रुचि है। इन्होने प्रस्तुत संकलन में मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के प्रति अपनी
भक्ति, आस्था को शब्द देने का प्रयास किया है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जग-मग अयोध्या"
डूबा रहा जो बरसों
तम के अंधकार में
जगमगा उठा नगर आज
दीयों के प्रकाश में
देखो सरयू के तट पर
दीपावली की जगमगाहट हुई
पाँच लाख इक्यावन हजार
पाँच सौ एक दीयों से
आज अयोध्या रौशन हुई
रंग गयी है अवधपुरी
आज भगवा रंग में
एक भगवाधारी के कारण
नगर में भगवा की सजावट हुई
राह देख रहा जनमानस
प्रतीक्षा की घड़ियाँ विकल हुई
श्री राम के नगरागमन की

पुनः सुगबुगाहट हुई।।

— आशा झा सखी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
आशीष कु मार

"राही क्यों डरे मंजिल का फासला देखकर,


निरंतर है चलता मन में हौसला रखकर।"

ये हैं आशीष कु मार जो की रायपुर,छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। वर्तमान में ये तृतीय वर्ष के
इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। इनका ये मानना है कि जब भी आप अके लापन महसूस करें, तब
अपने कलम को अपना साथी बनाकर अपने मन के सारे जज़्बात और भावनाओं को पन्नों
में लिखिए। ये साथ ही लेखन को मन की शांति बताते हुए कहते हैं कि लेखन आपको
अपने कलम से चीखने का मौका देती है और बेजुबान को भी शोर देती है। ये प्रकृ ति की
वादियों को अपनी रचनाओं से परिभाषित करने की कोशिश की है, साथ ही प्रेम का भी
अपनी कु छ शायरियों से उल्लेख किया है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“मर्यादा पुरुषोत्तम-’प्रभु श्रीराम’"

बखान क्या मैं करूँ प्रभु का, प्रकृ ति के हर एक कण में समाया नाम हैं,

रघुवीर, मर्यादा पुरुषोत्तम, दशरथ पुत्र वे "प्रभु श्रीराम" हैं।

राम नाम तु जप ले रे मनवा,प्रभु करते हर भक्तों का कल्याण हैं,

सदज्ञान से विश्व को राह दिखलाते,विषमताओं का वो करते निर्वाण हैं।

वीर पराक्रमी,मन से सहज,अयोध्यापति हैं वो कहलाते,

शिव धनुष उठा पराक्रम दिखाते, सियापति हैं वो बन जाते।

अहंकारी का सर्वनाश कर जाते,धर्म को विजय रथ में बिठाते।

प्राण जाये पर वचन ना जाये,ऐसे आदर्शों वाली "अयोध्या नगरी" का सृजन कर जाते।

हनुमान जिसके भक्त कहलाते,विविध दुविधाओं का संघार कर जाते।

प्रभु के राम नाम का लिखा पत्थर पानी में डूब ना पाये,

प्रभु की वानर सेना,"रामसेतु" बना विशाल समंदर लांघ जाये।


रावण का अहंकार जिसके चरणों में तुच्छ पड़ जाये,

अपनी दया,करूणा,उदारता,का परिचय देकर रावण से क्षमा का एक अवसर अंगद से


दोबारा भिजवाये।

अहंकार रूपी रावण जब स्वयं परम पिता परमात्मा को पहचान ना पाया,

तब अहंकार,बुराई का सर्वनाश करने प्रभु ने अपना धनुष उठाया।

बुराई पर अच्छाई की जीत हुयी,लंका दहन कर

प्रभु श्रीराम जी की पराक्रमी सेना विजयी हुयी।

चारों दिशाओं में गूँज उठा जय-जय श्रीराम का नारे,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
सम्पूर्ण विश्व में हुआ जयघोष,मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्रीराम हमारे।

विजयी हो जब लौटे प्रभु पावन अयोध्या नगरी,

दीपों से सजा था हर आँगन,और खुशबू से वो फू लों की क्यारी।

बखान क्या मैं करूँ प्रभु का,प्रकृ ति के हर एक कण में समाया नाम हैं,

रघुवीर, मर्यादा पुरुषोत्तम, दशरथ पुत्र वे "प्रभु श्रीराम" हैं।।

— आशीष कु मार

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
आशीष पांडे

इनका नाम आशीष पांडे है। ये फरीदाबाद में रहते हैं। ये अभी 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं।
इन्हें कविता लिखना अच्छा लगता है। वो कहानी लोगों को एक अच्छा संदेश देने के लिए
लिखते हैं। इनका कहना ये है कि मनुष्य अपनी फितरत तब दिखाता है, जब मनुष्य का
स्वार्थ निकल जाता है

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"

वह सिर्फ़ राम नहीं, भगवान विष्णु का सातवां अवतार है


वह सिर्फ़ राम नहीं ,मर्यादा पुरुषोत्तम राम है,
वह सिर्फ़ राजा दशरथ का अग्रज लाल नहीं,माता कौशल्या का नटखट राम है
वह सिर्फ़ राम नहीं, भगवान विष्णु का सातवां अवतार है
वह सिर्फ़ राम नहीं, अयोध्यावासी राम है
वह सिर्फ़ भगवान राम नहीं, रघुकु ल का राम है
वह सिर्फ़ राम नहीं, सभी पुरुषों में सबसे उत्तम पुरुष वह राम है
वह सिर्फ़ राम नहीं, भगवान विष्णु का सातवां अवतार है
वह राम सिर्फ़ नाम नहीं ,संकट में खूब जपा हुआ मंत्र है
वह राम सिर्फ़ प्रतिमा नहीं, प्रतिमान है
नभ में चमकते हुए दिनमान है,
वह सिर्फ़ राम नहीं, माता सीता का जीवन साथी है
वह राम सिया सिर्फ़ कोई युक्ति नहीं, राम नाम सत्य बोले किसी इंसान की आत्मा को
मुक्ति नहीं

वह राम नहीं, भगवान विष्णु का सातवां अवतार है।

— आशीष पांडे

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
बीना शाह

इनका नाम बीना संजय शाह है। इन्हें विविध विषयों में बड़ी रुचि है ,पर संगीत और लेखन
से विशेष लगाव है और इसीलिए अपना सारा समय ये लेखन कार्य पर ख़र्च करना चाहती
है। इन्होंने आज तक तेरह से ज्यादा संकलनों में अपना योगदान दिया है । ये अपने विचार
बड़ी सादगी से पेश करती है ,पर जब भी लिखती हैं, दिल से लिखती है। वो गुजराती ,
हिंदी, मराठी और अंग्रेजी भाषा में लिखती रहती है। इनकी कृ तियों में इनके व्यक्तित्व की
झलक दिखेगी। इनका लेखन ही इनकी पहचान है।
yourquote@beenashah12
blog@http://rahimanava.blogspot.com/?m=1
insta@beena_shah74

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“जन्मोत्सवसी”

ढोल बजाओ मंगल गीत गाओ,


रंग बिरंगी फू लों से घर बार सजाओ।
जन्म लिया कोशल्या सूत ने,
अयोध्या नगरी है आनंद मंगल में।

साक्षात श्री राम पधारे हैं घर में,


हर्षोत्सव छाया सबके तन मन में
सभी के दिल में है खुशियां छाई,
कौशल्या रानी तो बड़ी हरखाई।

प्यारा सूत उनकी आंखों का है तारा,


सब का चहीता है उनका ये दुलारा।
जन्मा है सत्य का प्रकाश फै लाने
अपने कार्यों से सारे जगत को चौंकाने।

विष्णु का सातवां अवतार है यह


हिंदू धर्म का आचार स्तंभ है यह।
समाज को एक सूत्र में बांधने आया
अपने जीवन से सबको प्रेरणा देने है आया।।

— बीना शाह

चंद्र प्रकाश पुजारी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
ये चंद्र प्रकाश पुजारी हैं। इन्होंनें एम.बी.ए, एम.ए. (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) और
एल.एल.बी की डिग्री हासिल की हैl वो ३३ वर्ष निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कं पनियों के
मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण विभाग में कार्यरत थेl ये सेवानिवृत्ति के समय महाप्रबंधक
(मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण) पद पर कार्यरत थेl ये २ वर्ष मानव संसाधन के क्षेत्र में
‘सलाहकार’ के पद पर भी कार्य कर चुके हैंl इन्हें हिंदी भाषा में कविताएँ और अंग्रेज़ी
भाषा में विभिन्न विषयों पर लेख लिखने में रुचि रखते है और आनंद प्राप्त करते हैंl

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"भगवान राम"

इंसान भेजा गया धरा पर करने अच्छे कर्म,

सज्जन ने किया अच्छे कर्म, दुर्जन ने दुष्कर्म,


अद्भुत हैं संसार चलाने के आपके नियम,
हर पल होते हैं यहाँ भांति-भांति के कर्म l

ईश्वर बिन यह संसार है एक शून्य,

स्वार्थ बिन मानव करे न कोई काम तो पुण्य ,


पड़े न ज़रूरत तो न ले वह आपका नाम,

आए जब कष्ट, मुंह से निकले- हे राम।

जब हुआ मानव संसार में त्रस्त,

और संसार हुआ अस्त – व्यस्त,


धर्म हुआ जब भंग , सह न पाए आप नारायण,

कितने ही अवतार में आप हुए अवतीर्ण l

त्रेता युग का दर्पी राजा रावण,

ज्ञानी किन्तु, अच्छा न था आचरण,


राम बनके आपने किया पदार्पण,

कराया रावण को प्रभु का स्मरण l

आप करें असंख्य लोगों का कल्याण,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
अहिल्या वर्षों पड़ी थी बनके पाषाण,
आपके स्पर्श से मिला उन्हें नव जीवन,

अर्पित किया आपको कोटि -कोटि नमन l

जो चले आप के बताये मार्ग पर,


निरतंर सफल हुआ अपने सफ़र पर,

संयमी, दयावान और मर्यादा पुरुषोत्तम राम,


भक्त कभी थकते नहीं लेकर आपका नाम l।
— चंद्र प्रकाश पुजारी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
दीप पंचाल

ये 'दीप पंचाल' अर्थशास्त्र के विद्यार्थी है। ये गुजरात, बड़ोदरा के नज़दिक गाउपोर के


रहनेवाले है। ये लिखने की कोशिश करते है। इनको लिखना पसंद है, ज्यादातर प्रेम और
दर्द पर लिखना पसंद करते है। आगे भी नई-नई रचनाओं को लिखेंगे।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम”

जो खुद भगवान था पूरे संसार में राज करता था,


फिर क्यों लिया धरती पर जन्म।
पाप बढ़ रहा था धरती पर धरती माँ हर पीड़ा सह रही थी,
दु:ख-दर्द मानो उनकी ही गौद में आ गए थे,
तब भगवान विष्णु को और एक रूप धारण करना पड़ा था,
राजा दशरथ के वहां जन्म लेके उनको धरती पर आना पड़ा था।
रावण पृथ्वी पर हाहाकार मचा रहा था,
मनुष्य पर अत्याचार कर कर रहा था।
सीता माता क अपहरण करके ख़ुद ही के जाल में फं स गया था,
जो मानता न था राम भगवान है उन्हीं को ललकारे मृत्यु के निकट आ गया था।
साथ मिला हनुमान और सुग्रीव जैसे महान लोगो का,
पर किया समुन्दर पहुंच गए सीता माता को छु ड़ाने।
युद्ध हुआ श्री राम और लंका पति रावण के बीच,

हार गया रावण, जीत हुई राम जी की और एक नई कहानी शुरू हुई।।

— दीप पंचाल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
दिपक कर्मा

“संघर्ष के वल उन लोगों के हिस्से में आते हैं


जो इसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताक़त रखते हैं और सफल होते हैं,
धैर्य, संतोष व शांत मन से हर संकट का समाधान सम्भव है।“

ये हैं दिपक कर्मा। जो मध्य प्रदेश के खरगोन में एक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
करही (महेश्वर) में एक गणित के शिक्षक हैं। ये प्रकृ ति से बहुत जुड़ाव रखते हैं। इन्हें सुबह
की सैर बहुत अच्छी लगती है और समय का अभाव होने पर भी अपने विचारों को सबके
समक्ष रख देते हैं। लिखना इनका एक शौक़ है, दीपक का अर्थ दूसरों को प्रकाशित करना,
इस अर्थ को सार्थक करने के लिए ये ज्ञान रूपी प्रकाश फै ला रहे हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"भगवान राम"

बहुत पावन है राम की रामायण, भगवान राम, श्री नारायण के अवतार हैं,
सूर्य वंश के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के प्रिय पुत्र है ।1।

ब्रह्मर्षि विश्वामित्र से शिक्षा और पाया ऋषि अरुं धति से संगीत का ज्ञान,


किया विवाह माता सीता से, जब खण्डित शिव धनुष हुआ है ।2।

किया उन्होंने 14 वर्ष का बनवास पूरा जो थी पिता की वाणी,


चारो भाई मे बड़े राम थे आज्ञाकारी ।3।

बजरंग सा मित्र पाया, लक्ष्मण सा छोटा भाई,


हर संकट की स्थिति का किया सामना राम नाम हितकारी ।4।

हुआ दानवी कु ल का नाश, जब मारे गए लंका पति राम के हाथ,


हुई सत्य की जीत और सीता माता लौट आई राम के साथ ।5।

— दिपक कर्मा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
देव प्रकाश

"मैं अंधेरे में हूँ तो अंधेरे में रहने दो,


दिन के उजाले में अक्सर लोगों के असल चेहरे सामने आ जाते हैं।"
देव प्रकाश झारखण्ड के बोकारो इस्पात नगर में रहते हैं। ये कक्षा बारहवीं के छात्र हैं। ये
अपने शौक़ से लिखते हैं और पिछले तीन वर्षो से लिख रहे हैं। इन्हें खाली समय में लिखने
और किताबें पढ़ने का शौक़ है। इन्होंने दस से अधिक संकलन में बतौर सह-लेखक काम
किया है और 3 संकलनों (एक सफ़र, अनकही दास्तां और Trust बात भरोसे की) में बतौर
संकलक काम किया है।
insta@shayar_ke_diary_se
email@deoprakashbokaro4@gmail.com

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"कलियुग का राम"
त्रेतायुग का वक़्त गया,
रामायण का भी अंत हुआ।

ये समय हैं कलियुग का,


तुम कलियुग के राम बन जाओ।

पाप अत्याचार जड़े जमा रही,


तुम इन सब का नाश कर जाओ।

कौन कहता हैं वनवास में रहने,


अपने अहं का परित्याग तो कर दो।

कौन कहता हैं सीता का त्याग करने,


पर सीता की पवित्रता को तो पहचानो।

कौन कहता हैं राम-सा शबरी के झूठे बेर खाने,


पर किसी दुखियारी के दर्द को तो जानो।

राम का नाम जपने से क्या होगा,


राम के आदर्श को जीवंत तो करो।

पूरे राम तो बन न सकोगे,


पर राम के दिखाये मार्ग पर तो चलो।

— एक_अधूरा_शायर

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
धर्मेंद्र प्रसाद

धर्मेंद्र प्रसाद मूलतः सिवान, बिहार से हैं। ये व्यवसाय से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। हिंदी
कविताओं को पढ़ने तथा उनकी रचना करने में रूचि रखते हैं। इनका मानना है की हर
कार्य को पूर्णता एवं लगन के साथ करना चाहिए। जीवन के प्रति इनका यह दृष्टिकोण है
की इंसान को सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करनी चाहिए चूँकि लालच का कोई अंत नहीं है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"कु छ ऐसा है ईश्वर मेरा"

जो छोड़ दे महलों का सुख, वो कै के यी का राम था


जो भागा मृग आखेट पर, सीता-पति वो राम था,

भाई के ग़म में था हताश, हाँ वो लखन का राम था


चला मर्यादा की राह पर, वो राम था, बस राम था,

जूठन नही, बस प्रेम था, कु छ ऐसा राम था सबरी का


जो सच के दल में लड़ रहा, हां ऐसा राम था सुग्रीव का,

जो काल सा मंडरा गया, वो राम रावण का हुआ


जो जीत कर सब दे गया, वो जग का ही भगवान था,

जो हर पिता का हो गुरूर, दशरथ की वो संतान था


जिसे सब ने पुरुषोत्तम कहा, वो राम था, बस राम था।

— धर्मेंद्र प्रसाद

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
फ़रहीन सिद्दिकी

इनका नाम फ़रहीन सिद्दिकी है और ये वाराणसी की रहने वाली हैं। इनके पिता महबूब
अहमद सिद्दिकी व माता सुल्ताना परवीन हैं। अभी ये मध्य प्रदेश से बी.सी.ए की पढ़ाई कर
रही हैं। इन्हें लिखने का बहुत शौक है और ये गुण इनको विरासत में इनके दादा से मिला
है। इनके दादा सिर्फ़ डायरी में लिखा करते थे लेकिन ये अपनी पहचान किताबों में भी
बनाना चाहती हैं और ये इनका उद्देश्य है। ये हिन्दी व उर्दू दोनों ही भाषाओं में लिखना
पसन्द करती हैं और अंग्रज़ी भाषा में भी लिखने का प्रयास कर रही है। इन्हें अमूमन हर
विषय पर लिखना बेहद पसन्द है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"दास्तान-ए-श्री राम"

करूँ कै से मैं उसका ज़िकर


जो अपनी माँ का नूर-ए-नज़र
बाबा के दिल की जान था
नगर में जिसका बड़ा मान था
प्रेम की वाणी जिसे भाती थी
मोह, कपट, ईर्ष्या जिससे दूर रहती थी
धन-दौलत का अहंकार जिसे बिल्कु ल ना था
पुरूषों में सबसे उत्तम जिसका चरित्र था
साहसी वीर व धनुर्विद्या के महारथी थे
जिसके आगे झुके बड़े-बड़े बलवान थे
पिता के वचन के पालन को घर-बार सब छोड़ दिया
एक भाई की खातिर सिंहासन भी छोड़ दिया
अश्रु छिपाकर अपने ख़ुशी से हाथ जोड़कर
चौदह वर्ष वनवास रहे सारे आराम छोड़कर
जंगल के दामन को माँ के दामन सा बताकर
निकल पड़े बेटे राम माँ से दुखों को छिपाकर
विश्नु जी के अवतारों में से एक अवतार अनोखा था
अहंकार जो रावण को हुआ वो तो उसका धोखा था
वध करके रावण का उसके पापों का नाश किया
धरती की रक्षा करके सुछ-शांति का फिर से वास किया
पूर्ण हुआ जीवन तो दे दिया दैहिक त्याग
सरयू नदी के तट से चले बैकु ण्ठ धाम के मार्ग।
— फ़रहीन सिद्दिकी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
गणेश पाटील

ये गणेश पाटील हैं। जो अंतिम वर्ष औषध निर्माणशास्त्र के विद्यार्थी है। ये जलगाँव महाराष्ट्र
के रहने वाले है। इन्हें लेखन और कविता में बेहद रुची है। जिससे ये अपने विचारों को
शब्दों में परिवर्तित करते है। अपने लेखन को विशिष्ट पद्धती से लिखने की उनकी आदत
है। जो उन्हें एक लेखक के रूप में दर्शाती है। ये कई प्रकाशन में लेखनियों का योगदान दे
चुके है। इन्हें सामाजिक और प्रेम के विषयों में लेखन करने की बहुत रुची है। इन्होंने अब
तक १५० से ज़्यादा कविता लिखी हुई है और आगे भी लिखते रहेंगे।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"श्रीराम जन्मोत्सव"

आज धरणी भी देखो खुशी से झूम उठी


परमात्मा के पावन चरण से धन्य हो गयी,
चैत्र मास के आज इस शुभ अवसर पर
माता कौशल्या को पुत्ररत्न की प्राप्ती हुई।

रघुकु ल की प्रजा में त्योहारों की बौछार छायी


संगीत और मधुर स्वरो की गुंज देती सुनाई,
तेज फै ला राजकु मार राम का चारो दिशाओ में
देखो आज मंगलमय घडी इस त्रेतायुग में आयी।

संसार को करणे के लिये संकटो से मुक्त


रघुकु ल का ये दिपक प्रकाशमान हुआ है,
धरती माता को पापियों से छु ड़ाने के लिये
तारणहार श्री रामजी का अवतार हुआ है।।

— गणेश पाटील

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
हँसमुख नामदेव

"अधूरे है जो ख्वाब उनका पूरा होना जरूरी है,


लाख बुराइयां हो ख़ुद में पर ख़ुद से मोहब्बत होना जरूरी है।"

इनका नाम हँसमुख नामदेव है। ये मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के शिवपुर ग्राम के रहने
वाले है। इन्होंने लिखने की शुरुआत अपने दोस्त के जन्मदिन पर की थी। इनके द्वारा
लिखी पहली रचना इन्होंने अपने दोस्त को गिफ्ट की थी, वो रचना सभी को इतनी पसन्द
आई। सभी ने इन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया। तभी से इन्होंने बहुत सी रचनाओं को
लिखना शुरु कर दिया। ज्यादातर ये प्रेम और श्रृंगार की कविता‍एँ लिखना पसन्द करते है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"प्रभु श्री राम"

कौशल्या जी के राज दुलारे दशरथ जी के आप हो प्यारे नाम है आपका राम,

आपका नाम लेते से ही हो जाते है पूरे काम।

तुम हो ईश्वर तुम हो स्वामी तुम हो कृ पा निधान,


पत्थर भी पानी में तैरे जिस पर हो आपका नाम।

आप के शुभ चरणों मे प्रभु जी सदा बिराजे है हनुमान,


तोड़ा था आप ही ने आखिर रावण का अभिमान।

रंक ओर राजा दोनों तर गए लेकर आपका नाम,,


सिला भी हो गई थी नारी प्रभु जी लेकर आपका नाम।

दुनिया के कण कण में प्रभु जी बसा है आपका नाम,


हर मानव के ह्रदय में बसा हुआ है आपका काम।

धन्य हुई भारत भूमि जहाँ प्रगट भये श्री राम,,


मर्यादा पुरुषोत्तम हो आप प्रभु जी अयोध्या आपका धाम।

हे रघुवर में तुमको निहारूँ मेरी हर सांस में हो आपका नाम,


दिल में बसे हो आप प्रभु जी लेते है हमेशा आपका नाम।।

— हँसमुख नामदेव

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
कन्हैया पटेल

इनका नाम कन्हैया पटेल है। ये बिहार के मोतिहारी जिला के बोकाने कलां गाँव से आते है।
इन्होंने अपनी शिक्षा गाँव के विद्यालय से पूरी की, उसके बाद मोतिहारी श्री लक्ष्मी नारायण
दुबे महाविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। इन्हें लिखने का शौक़ बचपन से है,
बचपन से अभितक इन्होंने बहुत सारी कविताएँ लिखी है। इनका बचपन अपने ही गाँव के
श्री प्रजापति सेवा सदन पुस्तकालय में बीता। इन्होंने अपनी कलम का प्रेम और लिखने की
पागलपन को मिला के अपना नाम "पागल प्रेमी" रखा है, और इस नाम से इन्होंने अभी
तक सैकड़ों भोजपुरी गीत लिखा है।
इनको किताबें पढ़ना, गीत और कविताएँ लिखना और, क्रिके ट खेलना पसंद है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"राम"

रघुकु ल नंदन जय श्री राम,


पतित पावन सीताराम।

शिष्य धर्म की खातिर तूने,


लिया दैत्य से वैर भी ठान,
पुत्र धर्म की खातिर भगवन,
त्याग दिया वैभव का खान,
रघुकु ल नंदन जय श्री राम,
पतित पावन सीताराम।।

चरण धोवन से के वट को,


प्रभुजी तूने तार दिया,
चरण रज से पत्थर का,
भाग्य तूने संवार दिया,
रघुकु ल नंदन जय श्री राम,
पतित पावन सीताराम।।

प्रेम भक्ति में प्रभु जी तूने,


जूठे बैर का भोग लिया,
पति धर्म के खातिर स्वामी,
पापी रावण का नाश किया,
रघुकु ल नंदन जय श्री राम,
पतित पावन सीताराम।।।।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
भक्त को देकर भाई का दर्जा,
भक्त का भाग्य संवार दिया,
मर्यादा पुरुषोत्तम दुनिया,
प्रभुजी तुमको नाम दिया,
"पागल प्रेमी" भक्त तिहारो,
रटता हरदम तेरो नाम,
रघुकु ल नंदन जय श्री राम,
पतित पावन सीताराम।।

— कन्हैया पटेल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
करिल

एक अनुभवी पेशेवर शिक्षक, गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित स्कू ल से जुड़े, करियर काउंसलिंग


में एक डायनामिक ट्रैक रिकॉर्ड से लैस, करिल आनंद मूल्य-चालित है, उलझे हुए,
परोपकारी सिद्धांतों से प्रेरित है, और अपने उग्र लेखन के माध्यम से विपुल कै लिबर और
तप का प्रदर्शन करती है।
उनकी कलम हिंदी और अंग्रेजी दोनों में विभिन्न शैलियों में फै ली हुई है। करिल लगातार,
स्थिर रूप से, कला कृ तियों में तल्लीन है, और उसके आगामी प्रयास निश्चित रूप से हमें
अविभाज्य छोड़ देंगे!

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
” मर्यादाओं का युग - एक आवश्यकता”

त्याग दी सारी ख़्वाहिशें


कु छ अलग बनने के लिए
बहुत कु छ खोना पड़ा
राम से श्री राम बनने के लिए।
प्रतीक्षा है कलयुग मेँ
सतयुग के राम की।
राम राज्य स्थापित हो जाए
ना हो हानि प्राण की
मर्यादित रहने की है आवश्यकता
है कलयुग की प्राथमिकता
करे श्री राम का अनुसरण
मिल जाएगा समस्या का समाधान।

— ©करिल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
खुशाल इंदौरकार

इनका नाम खुशाल इंदौरकार है। इनके नाम का मतलब 'ज़िन्दगी का मकसद' है। जिसके
मायने है खुशाल, जो खुश रहता है। ये इसे एक कदम और आगे ले जाकर सबको अपने
लेखों के द्वारा खुश रखना चाहते है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
'राम'

एक महापुरुष जो समाज के लिए जिया


एक ऐब ना रखा सबका भला किया
एक सुपूत्र के सारे फर्ज़ निभाए
अपने तेज से सभी अँधेरे भगाए
सगे-सौतेले का कभी फर्क नहीं पता
राम को सब अपने है यही था पता
पिता की मजबूरी भरे वादे को आदर से मान लिया
के कई की जलन भरी ज़िद्द के आगे वनवास मान लिया
उच-नीच के सभी भेद भाव मिटाए थे
राम ने शबरी के झूठे बेर चाव से खाए थे
छोटे भाई ने बड़े भाई के पादुका राजगद्दी पर सजवाए थे
भाई भरत ने राम भैया का आशीर्वाद लेकर राजपाठ के कार्य निभाए थे
सिया के हरण पे रावण के प्राण हर लिए
शत्रु के सैनिकों का अपने सैनिकों के शवों के साथ देहेन किए
उत्तम भी वही, सर्वोत्तम भी वही है
आदर्श बेटे और मर्यादा पुरषोत्तम भी वही है
बल के जितने शक्तिशाली, मन के उतने कोमल है
मुस्कान में भरी शांति और वाणी निर्मल है।
— खुशाल इंदौरकार

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
खुशबू श्रीवास्तव

इनका नाम श्रीमती खुशबू श्रीवास्तव है। ये उत्तर प्रदेश के जिला सुल्तानपुर की निवासी है।
इन्हें कविताएँ पढ़ना बहुत पसंद है। ये हमेशा से लिखना चाहती थी पर इन्होंने लिखना हाल
ही में शुरू किया है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"वो राम है"

वो राम है, जिनके नाम से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

वो राम है, जिनके नाम से पत्थर भी तैरने लगते हैं।

वो राम है, जिनके लिए सीता जी महलों का सुख त्याग के वन का जीवन चुन लिया था।

वो राम है, जिन्होंने पिता के वचन का मान रखा था।

वो राम है, जिन्होंने आहिल्या का श्राप मुक्त किया था।

वो राम है, जिन्होंने सबरी की भक्ति भाव से उनके जूठे बैर खाये थे।

वो राम है, जिन्होंने सीता जी का वियोग सहा था।

वो राम है, जिन्होंने रावण का संहार किया था।

— खुशबू श्रीवास्तव

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
कीर्ति लोहार

“हर कलम कहती है बात कु छ नई पुरानी


सरलता ही गहना है ये बात है सबको समझानी”

ये विचार हैं सुश्री कीर्ति लोहार के ,ये झीलों की नगरी उदयपुर,राजस्थान की निवासी हैं।
इन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है और वर्तमान में शोधार्थी हैं। ये अपनी
कलम से उन वाकियों को बयां करती हैं जो आम ज़िन्दगी से जुड़े हैं,सरल शब्दों में लिखना
इनकी शैली है और नित नया सीखना इनका जुनून।
लिखने का ये हुनर अपने पिता और बड़ी बहन से पाया है।
जीवन में इनका के वल एक ही उद्देश्य है कि कु छ ऐसा करें जिससे किसी को दुख ना हो
और सभी को खुशियां मिले।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“एक नया राम चाहिए”

आज इस कलयुग में एक नई हुंकार चाहिए


हर मनुष्य में अब एक नया राम चाहिए,
ऐसा नहीं कि छोड़े हर मानव अपना घर बार
पर करे मात पिता की सेवा सौ हजारों बार,
लड़ जाए जो अपनी पत्नी के स्वाभिमान के लिए
कार्य करे वो बस समाज के उत्थान के लिए,
ऐसे ही युग पुरुषों का अब आह्वान चाहिए
हर मनुष्य में अब एक नया राम चाहिए।

चारों ओर फै ले हैं बुराई रूपी राक्षस कईं


एक राम बने जो करे अंत ताकि उत्पन्न हो ना नई,
मानव मानव में करे ना वो भेद
लक्ष्मण हनुमान सरीखे हों उसके मित्र अनेक,
अगर त्यागना पड़े परिवार भी समाज के लिए
हँसते हँसते हो तैयार वो इस बलिदान के लिए,
अब भयावह रावणों का अंत फिर से चाहिए

हर मनुष्य में अब एक नया राम चाहिए।।


— कीर्ति लोहार

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
मनीषा कौशल

इनका नाम मनीषा कौशल है। झीलों की नगरी भोपाल की ये रहने वाली है। वर्तमान में ये
श्री भवंस भारती पब्लिक स्कू ल में हिंदी शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। इन्हें लिखने का
शौक बचपन से था परन्तु अपने शौक को कभी वयक्त नहीं किया। कोरोना काल के
अन्तर्गत मन में बसी हुई सारी बातें इन्होंने लेखन के द्वारा व्यक्त की। पिछले 15 वर्षों से ये
बच्चों को हिंदी पढ़ाती आ रही है। लेखन क्षेत्र में ये और लिखना चाहती है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“जय श्री राम”

दशरथ के राज दुलारे,


कौशल्या के सबसे प्यारे,
अवध के राजकु मार कहलाए,
सीता जी को ब्याह कर लाए,
हनुमान जी की भक्ति निराली
श्री राम को मन में बसाने वाली,
वानर सेना के प्रभु कहलाए,
कण – कण में राम समाए,
सबके मन को हर्षाते मर्यादा पुरषोत्तम कहलाते,
कु ल की सदा रीत निभाते,
कर्तव्य पथ पर चलते जाते,
जो लेता राम का नाम जीवन होता उसका धनवान,
अधूरी अभिलाषा होती पूरी राम नाम में है ऐसी शक्ति,
जग में इनकी महिमा निराली संसार को सुख देने वाली,
करते हैं अंहकार का नाश दिखाते है जीवन प्रकाश का मार्ग,

राम नाम जपते चलो मन को शांत करते चलो।।

— मनीषा कौशल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
मानसी मिश्रा

मानसी मिश्रा स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। उन्हें कविता लिखना, पढ़ना पसंद है। उन्हें
संगीत कला और साहित्य अत्यंत पसंद है। अपने शब्दों से समाज को नारी अपराध के प्रति
जाग्रत कर कम करना चाहतीं हैं। वे नारी की पीड़ा और अस्तित्व को अपने शब्दों मे उके र
कर इस समाज मे नारी को सम्मान दिलाने की आशा रखतीं हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“श्री राम”

वे दशरथ नंदन श्री राम हैं,


वे सूर्यवंशी श्री राम हैं,
वे सत्यप्रेमी, त्याग प्रेमी
वे हर किरदार मे श्रेष्ठ हैं,
वे पुरुष सर्वश्रेष्ठ हैं
राजा दशरथ की आँखों के तारे हैं,

वे माँ कै के यी के राजदुलारे हैं


वे कर्तव्यों मे विश्वसनीय हैं,
वे व्यक्तित्व सराहनीय हैं,
वे माता सीता की मांग का सिन्दूर हैं,
वे सम्पूर्ण अयोध्या का गुरूर हैं,
वे बजरंगी की भक्ति का नूर हैं,

"वे श्री राम हैं"

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम हैं।।

— मानसी मिश्रा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
मुग्धा डवरे

“लिखना हमारा जुनून है,


अभियांत्रिकी हमारी हक़ीक़त है!

मुग्धा डवरे महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली हैं। ये कमिंस महाविद्यालय में
अभियांत्रिकी के दुसरे वर्ष की शिक्षा ले रही है। इन्होंने हाल ही में लिखने का शौक़ खोजा
है।
insta@shaoems_world

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"विनम्रता की मूर्ति"

रावण को था शिव जी का वरदान,


कई बेगुनाहों को देना पड़ा अपने जीवन का बलिदान ;
रावण ने मचाया था चारों ओर हाहाकार,
ये देखकर खुद भगवान विष्णु ने लिया प्रभू श्री राम का अवतार ;
राजा दशरथ के प्रभू राम ज्येष्ठ पुत्र,
असाधारण वो, चाहे हो कोई भी क्षेत्र ;
लक्ष्मण वैसे थे प्रभू श्री राम के भ्राता,
पर सन्मान से दोनों का नाम साथ लिया जाता ;
धनुष तोडकर माते सीता का साथ मिला,
14 साल का वनवास, कु छ ना कहके हंसी-खुशी अपना लिया ;
ज्ञानी हो के भी, पल पल ग्यान प्राप्त करते रहे वो,
हर इंसान को खास कर, समान न्याय देते थे वो ;
प्रभू श्री राम थे आज्ञाकारी और विनम्रता की मूर्ति,
रावण कर बैठा था सीता माता के अपहरण की कृ ति,
प्रभू राम ने किया सर्वनाश रावण और उसके अहंकार का,
खुशी का अवसर था अयोध्या वासियों का
अंत मैं बस इतना ही कहना
सदियों से प्रचलित एक अद्भुत गाथा,
ये है प्रभू श्री राम की कथा, ये है प्रभू श्री राम की कथा।
प्रभू श्री राम की कथा।

— मुग्धा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
नैंसी सिंह

उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच की निवासी नैंसी सिंह जी यूँ तो बचपन से ही कविता
लिखती थी पर कभी इन्होंने अपनी इस कला को सबके सामने नहीं लाया है। ये इनकी
पहली रचना है जो "जय श्री राम" संकलन में प्रकाशित हो रही है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“जय श्री राम”

राम है यह सिर्फ नाम नहीं


जीने का सहारा है
कभी दुःख में, तो कभी सुख में
इन्होंने हमें सम्भाला है

पदचिन्हों पर जिनके चलकर


जीवन का कल्याण है होता
अगर राम होते कलयुग में
तो का सम्मान ना खोलता

अगर निभाई होती मनुष्यों नें मर्यादा इनकी


तो प्रकृ ति यूं शर्मसार ना होती
और ना सुनी होती राम नें उस धोबी की बातें
तो आज सीता मैया भी बेदाग होती।

— नैन्सी सिंह

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
निधि पनीकर

इनका नाम निधि पनीकर है इनका जन्म ३० मार्च १९९७ मे हुआ था ओर ये गुजरात के
राजकोट शहर में रहतीं है कहानी लिखना ओर कविता लिखना इनहे पसंद है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"मेरे प्रभु श्रीराम"

जिनकी भुमि है आयोध्या धाम

वही है प्रभु श्रीराम

जिनकी माता है कौशल्या, कै के यी और सुमित्रा वही है प्रभु श्रीराम


जिनके पिता है दशरथ ओर

लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न जेसे

भ्राता वही है प्रभु श्रीराम

जिनहोने पहना मर्यादा का


वस्त्रो वही है प्रभु श्रीराम

जिनकी पत्नी है सिया

वही है प्रभु श्रीराम

जो महलों को त्याग बनी

वनवास संगनी ऐसी है प्रभु श्रीराम

अर्धांगिनी

जो सुख, आराम सब छोड़ निस्वार्थ चले संग राम ऐसे है

भ्राता लक्ष्मण

जो राजा होकर राज ओर

राज्य छोड़ चले ऐसे है प्रभु श्रीराम

अपनों की खुशी के लिए अपना सब त्याग चले वनवास

ऐसे है प्रभु श्रीराम

जिन्होंने अहिल्या सती को किया

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
श्राप मुक्त वही है प्रभु श्रीराम

जिन्होंने खाये शबरी के झूठे

बेर वही है प्रभु श्रीराम

जिनके शबरी जैसे भक्त

जिन्होंने पूरा जीवन किया

प्रभु समर्पित ऐसे है प्रभु श्रीराम

भक्त

जय श्री राम

— निधि पनीकर

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
🔴 BEST TELEGRAM E-BOOKS CHANNEL 🔴
साहित्य/उपन्यास संग्रह नटखटी शरारती बातें Indian Magazines
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Namo Sanatan Indian Book Hub Movie Junction


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Digital Art Library Global Book House Nisha Music Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Radha Bhakti Sagar Hindi Comics Library Audio Books Museum


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Global Books Museum Indian Books Museum Hindi Desi Web Series
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Indian Comics Museum Global Comics Museum Islamic Books Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Sahitya Junction Official Wholesale Online Store Rayta Queen Madhurakshi


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Relationship Fact (Kamsutra) Earn Real Money More Updates By Bot


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

BackUp Group BackUp Channel Monthly Subscription


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

🔴 JOIN BEST FACEBOOK PAGE 🔴


भगवा योध्दा कॉमिक्स जंक्शन साहित्य/उपन्यास संग्रह
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Shayari Ka Khazana Naina Books Library Comics Novels Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

🔴 JOIN BEST IMO CHANNEL 🔴


Onlyfans Premium Movies & Web Series Unlimited Free Books
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

नोट : किसी भी चैंनेल या पेंज मे ज्वॉइन होने के लिए JOIN NOW बटन पर क्लिक करें।
नीक राजपूत

इनका नाम नीक राजपूत है और ये गुजरात में स्थित पोरबंदर के रहने वाले हैं। ये पिछले
तीन साल से कविताएँ लिख रहे हैं और इन्हें लिखना बहुत पसंद हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“श्री राम”
राम नाम से है पावन धरती वायु।
आकाश राम नाम से मिले मुक्ती,
राम है हरिद्वार राम नाम है मोक्ष,
का द्वार करो राम, की भक्ति राम,
है हर कण में राम है हमारे जीवन।
का सार राम है भगवान। राम है।
अभीमान राम है हमारी, पहेचान।
करो राम के गुणगान राम ही नाम।
से ही, होगा जीवन सरल, उद्धार,
दो शब्दों का प्यार नाम लेते ही।
कई मुश्किले दूर भागती पूरे होते,
काम तमाम। राम है मर्यादा, मान,
जब लगें, गा राम नाम का जाप,
लगें गी तब पानी मे भी आग।
राम नाम, मे इतनी सकती उनके ,
नामसे पत्थर, की शिलाएँ, भी।
तैरती पुरषोत्तम है भवगवान राम।
अपने राज्य का मुकु ट है राम प्रभु,
राम है शत्रुओं, के क्षमादान राम।
है संन्यासी, राम, है। अविनाशी।
— नीक राजपूत

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
पारुल पाटीदार

"लिखती हूँ दिल के जज़्बातों को, इन्हें मामूली अल्फ़ाज़ ना समझना


ख़ामोशी को अपनाया है मैंने, इसे “पारुल” की कमज़ोरी ना समझना"

ये पारुल पाटीदार‌हैं। ये उदयपुर, राजस्थान की


‍ रहने वाली हैं। इन्होंने एम.बी.ए. (फाइनेंस)
किया है और अभी ये सी.ए.फर्म में काम कर रही हैं। इन्हें कविताएँ और शायरियाँ लिखना
बहुत पसंद है। ये पिछले कई सालों से लिख रही हैं। इन्हें दिल में उमड़ रहे जज़्बातों,
कहानियों को पन्नों पर ज़ाहिर करना बेहद सुकूँ देता है, इसलिए ये अपने दिल की बात
अपनी कविताओं में पिरो देती हैं। ये इसे ईश्वर का आशीर्वाद मानती हैं जो इन्हें ये हुनर
मिला है।

"श्री राम"
राम नाम से गूंज रही
आज अयोध्या नगरी सारी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
चैत मास नवमी तिथि आई
प्रगट भए रघुनन्दन श्री राम हमारे

हैं क्या ये राम की महिमा


ये अब तक कोई ना जाना
कहे सब मर्यादा पुरषोत्तम जिनको
उन्हें है सारा जग प्यारा

श्री राम बसें है, सबके तन, मन में


श्री राम है जग के , हर कण कण में
श्री राम बसें है, मर्यादा से जीवन जीने में
श्री राम बसें है, सीता माता की पावनता में

ना कोई उनके लिए है छोटा, ना कोई है बड़ा


ना है कोई उनके लिए ऊं चा, ना कोई है नीचा
जो भी मिला उसे गले लगाया
चाहें निषाद राज हो, या के वट भोला भाला

प्रभु भक्ति में डूबी शबरी के


झूठे बेर भी श्री राम ने प्रेम से खाए
पितृ वचन की ख़ातिर उन्होंने
चौदह वर्ष वन में बिताएं

पथराई अहिल्या को भी फिर तारा, श्री राम ने


अत्याचारी असुरों का भी संहार किया, श्री राम ने
एक पत्नी व्रत धारा, श्री राम ने
रावण जैसे दुष्ट को तारा, श्री राम ने

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
हनुमान जी के सीने में बसे, ये सिया के राम है
गृध्रपति जटायु को भी पिता तुल्य माना
दशरथ पुत्र, कौशल्या नंदन
मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम ने

बन जाए हम भी श्री राम के जैसे


अपनाये राम तत्व को अपने भीतर
अहंकार रुपी रावण का मर्दन हम सब करें
और मर्यादा पुरषोत्तम हम भी बनें।।
— पारुल पाटीदार

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
प्राची अग्रवाल

"नाम राम का तो हर मानव के ह्रदय मे बसता है


बस वही ह्रदय मे बसा राम बनना बाकी है"

इनका नाम प्राची अग्रवाल है। ये रतनपुर, छत्तीसगढ की रहने वाली है। ये इंजीनियरिंग
तृतीय वर्ष की छात्रा है। साथ ही अपने मन के विचारों को कलम से पन्नों पर उतारने की
प्रतिभा रखते हुए लेखन कार्य में प्रयासरत है। इन्होंने बतौर संकलक दो संकलन की है।
बतौर सह-लेखिका बहुत से संकलन में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है। इनकी दुनिया के
सामने अपनी बात एक नये नजरिए से रखने की कोशिश हमेशा रहती है।
insta@prachiagrawal261

“जय सिया राम”


हे मर्यादापुरुषोत्तम !हे रघुवर हे राम !
जय सिया राम ये गूंजता आया सदा नारा है

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
क्या लिखे हम इन महान मर्यादापुरुषोत्तम के बारे मे
जिनके महानता मे अनन्त शब्द है
जिनके जीवन के अनन्त उपदेश है
आप मानव जाति के धर्म चिन्ह है
आप सरलता और शान्ति के अनन्त सागर है
आपका नाम लेते ही सब परेशानी का हल हो जाता है
आपके नाम ने तो पत्थर को भी पानी मे तैराया है
अशांत चित आपकी भक्ति मे शान्त हो जाता है
मानव जीवन का उदाहरण आपने दिया है
पितृभक्ति की मिसाल आपको माना है
बिना कोई अपराध 14 वर्ष का वनवास आपने भोगा है
कई दानव कई राक्षस का वध कर ,उन्हे श्राप से मुक्ति किया है,अनेक ऋषि-मुनियो से
जीवन उपदेश लिया है
हे मर्यादापुरुषोत्तम हे रघुवर हे राम
जय सिया राम ये गूंजता आया सदा नारा है

— प्राची अग्रवाल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
प्रशस्ति सचदेव

"राम के नाम में राम को तलाशती,


सबसे बेखबर बस उनको हैं जानती"

ये हैं प्रशस्ति सचदेव जो कि जौनपुर, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। इन्होंने इलेक्ट्रिकल
इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। ये सचदेव और साहब की इबारतों को बयां करके ही अपने
उंस को हर बार जी लिया करतीे है। अपने जीवन के सारे आयामों का श्रेय ये अपनी बहन
को देती हैं।
इन्होंने बतौर संकलक 'सफ़र' और 'अपनापन एक एहसास' में काम किया है। इनका सपना
है कि वो अपेक्षित वर्ग के लोग के लिए कु छ कर सकें ।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“आपकी तलाश में श्रीराम”

मैं आपको किस रूप में जानती हूँ, ये बताना बड़ा मुश्किल है क्योंकि हर रूप में मुझे आप
हर बार नए दिखते हो, शुरुआत से बताऊँ तो आपके नाम के बड़े अर्थ है मेरी जिंदगी में,
आप मेरे बचपन के मंदिर वाले वो मूरत हो जिनके आगे मैंने हनुमान जी को नतमस्तक
देखा है।
कभी मुझे आप टेलीविजन पर रामायण में दिखते, कभी मुझे ये पता चला कि आप मेरे
प्यारे कृ ष्णा के ही एक रूप हो, कभी मुझे दशहरे के मेले में रावण का वध करते हुए दिखे,
कभी मुझे आप रामलीला के आयोजन में हे सीते! पुकारते दिखे।
मैंने आपको बहुत रूपों में पाया है, कभी किसी जगह का नाम मैंने रामगढ़, रामपुर,
रामनगर पाया है और इन सब जगहों के बावजूद जो मेरी जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने
रखता है वो ऋषिके श का राम झूला है। मुझे नहीं मालूम झूले का नाम राम झूला क्यों पड़ा,
पर हाँ उससे मेरी अलग ही आस्था जुड़ी हुई है, उसके नीचे बैठती हूँ तो मैं पहाड़ों की शांति
और गंगा जी की कलकल मधुर आवाज में ऐसा लगता है कि आप अपना आशीष देते हो।
मेरा मन एक बार के लिए एकदम शांत हो जाता है।
बहुतों को कहते सुना है कि राम नाम जपते जाओ मरने से पहले एक बार राम का नाम
जरूर लेना चाहिए। आपके नाम के बहुत मायने जिंदगी में हैं पर तब भी लगता है कि
असल स्वरूप मैं आज तक जान नहीं पाई हूँ। आपकी तलाश में शायद अभी जिंदगी में
कु छ और लम्हें देखने बाकी है, कृ ष्णा को जानती हूँ, राम को नहीं जानती आपको जानने
की आतुरता मेरी जिंदगी में हमेशा रहने वाली है। एक दिन मेरे बजरंगबली के आराध्य 'श्री
राम' को जरूर जान पाऊँ गी। 'जय श्री राम'
— सचदेव

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
प्रतिभा सिंह

“लिखने की चाहत है, तो लिख लिया करती हूँ मैं,


सबसे कह नही पाती हूँ, तो लिख कर बयां करती हूँ मैं।

इनका नाम प्रतिभा सिंह है, जो मूलतः तो उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा की निवासी है, पर
जीवन यापन ये दिल्ली में कर रही है। साहित्य क्षेत्र में रुझान इन्हें बचपन से ही पर लिखना
इन्होंने कु छ सालों से ही शुरू किया है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"
जय श्री राम, जय श्री राम,
हर कोई गए तेरा ही गुणगान,
तेरे दर पर हम भक्त जन आम,

जय श्री राम, जय श्री राम,


तेरे पद्चिन्ह को पूजे हम,
उस पद्चिन्ह चलना चाहे अवाम,

जय श्री राम, जय श्री राम,


सारे काम को किया ध्यान से
तुझसे हमने सीखा सारे काम,

जय श्री राम, जय श्री राम,


उन्होंने मानवता का पाठ पढ़ाया,
हमने उनसे मानवता सिखी

जय श्री राम, जय श्री राम,


सदैव सत्यता पथ पर चलते देखा
उनसे हमने सत्यता सीखी

जय श्री राम, जय श्री राम,


उन्होंने सबको देखा एक समान
हमने भी उनसे समानता सीखी

जय श्री राम, जय श्री राम,


सदैव वचन से बढ़कर कु छ न देखा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
हमने भी वचनबद्ध होना सीखा

जय श्री राम, जय श्री राम,


सबसे पहले उन्होंने कर्तव्य चुना,
उनसे ही कर्तव्य पथ पर चलना सीखा।

जय श्री राम, जय श्री राम,


राघव, रघुपति, रघुवर, रघुराज
रघुराई को बुलाये हम अनेको नाम।

जय श्री राम, जय श्री राम,


तेरे नाम से न है कोई अनजान,
हर कोई जपे बस जय श्री राम।
— अधूरे_लफ़्ज

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
प्रयास तामाङ

ये हैं प्रयाश तामाङ जो पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग के रहने वाले हैं। ये असिस्टेंट
लाइब्रेरियन का काम करते हैं, रबिन्द्र भारती यूनिवर्सिटी, कोलकाता में। इन्हें साहित्य से
जीने की व प्रकृ ति से लिखने की प्रेरणा मिलती हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘भक्ति’

ना मेरे पास पूँछ है न कोई गदा,


पर मैं हनुमान के जैसा,
श्री राम के भक्ति करूं मैं सदा।
घर में भी मेंरे भैया और भाभी
मन से मैं करू श्रद्धा।।

मन में बसे हो तो श्री राम,


हर कठिनाई में साहस मिले,
हर दुःख में भी सँभाल सके ,
और सफल बन जाये हर काम।।

मन में बसे हो तो श्री राम,


मुसीबत की हर लंका जला सके ;
मन के अन्दर के रावण को भी

राम नाम से मिटा सके ।।

— प्रयास तामाङ

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
प्रियंका मिश्रा

“हम राम जी के राम जी हमारे है!


इस दुनिया के इकलौते सहारे है!!”

प्रियंका मिश्रा जो की भगवान महादेव की अनंत भक्त है और इन्हें अपना गुरु मानती है ये
लखनऊ की रहने वाली है। ये पोस्ट ग्रेजुएटेड है। इन्होंने दो साल से लेखन आरम्भ किया है
इनका परिवार ही इनका मार्गदर्शक है तथा महादेव की कृ पा से लिखने में रूचि आयी। इन्हें
हमेशा मोहब्बत पे लिखना ज्यादा पसंद है या अपने आस पास जो देखती है उसे ही अपनी
शायरी कविता में लिखती है। इनकी कविताएँ माँ, आत्मिक प्रेम, बचपन, वेदना, 2020,
मेरी मिट्टी, मन मेरा, विद्या माता, स्त्री , हर हर महादेव, रंग नामक संकलन में आ चुकी है।
और ये खुद की भी अपनी कसूर तथा आखिरी मोहब्बत नामक संकलन में बतौर संकलक
काम कर चुकी है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"मर्यादा पुरुषोत्तम"
अयोध्या के राज दुलारे दशरथ नंदन कहलाते हैं !
प्रजा के दिल पर राज किया वही राम कहलाते हैं !!

भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न जिनके भ्राता कहे जाते हैं !


उन्ही के चरणों में हनुमान लला नतमस्तक हो जाते हैं !!

गेरुआ वस्त्र पहने हुए चौदह वर्ष वनवास किया हैं !


भाई और पत्नी संग महल के सुख का त्याग किया हैं !!

शबरी के झूठे बेर खाये हर साधु संत का मान किया हैं !


ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम को मैंने कोटी कोटी प्रणाम किया हैं !!

क्रोध में जिसने पूरे संसार को जीता हाँ उन्ही की भार्या तो सीता हैं !
बुराई पर अच्छाई से दुनिया को जीता है हाँ उसी राम राज्य की प्रजा हम हैं !!

पूरा अयोध्या दीप से जगमगाया था जब भगवान राम माँ को साथ लेकर लौटे हैं !
हुआ अभिषेक हर्ष उल्लास से प्रजा के मन को भायें हैं !!

हर कर्तव्यों का पालन किया राजा बनकर भी अपनी प्रजा को सम्मान दिया है !

तीनो माँ को एक सा मान दिया अपने भाइयो को बेटो सा प्यार दिया है !!

— प्रियंका मिश्रा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
राधा मिश्रा

"अपने जीवन में स्व-निर्मित नियमों पर चलना हैं"

इनका नाम राधा मिश्रा शर्मा है। ये अविश्वसनीय भारत के ब्रांड एंबेसडर के रूप में ख़ुद को
देखती हैं क्योंकि शुरू में ये राजस्थान की मूल निवासी थीं, फिर बिहार में कु छ दिन रहीं
फिर झारखंड में फिर उड़ीसा और तदोपरांत वर्तमान में उत्तराखंड में रह रही हैं, ये वहाँ
चली जाती हैं जहाँ जीवन की हसीन यात्रा इन्हें ले जाती है।
ये पेशे से शिक्षिका हैं। इन्होंने बी.टेक. और एम.बी.ए. किया है। ये अपने जीवन को खुशी,
प्यार, दर्द और गुस्से के विभिन्न रंगों से रंगती हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"मेरे राघव"

मेरा मेरे राघव से बड़ा गहरा नाता है। राघव शब्द में अपनापन ज्यादा महसूस होता है।
शायद इसीलिए मेरे जिह्वा पर ये सदैव विराजमान हैं और हमेशा रहेंगे, जब तक है प्राण।
राम = रास्ता +मंजिल । राम ही रास्ता बताते हैं, रामचरितमानस के द्वारा और वे हीं तो
असली मंजिल है । उनको पाने के बाद और कु छ पाना शेष नहीं रह जाता। या यह भी कह
सकते हैं कि उनको पाने की ललक में और सब कु छ फीका पड़ जाता है।
रामचरित ऐसा विशाल सागर है की जिसके बारे में कु छ लिखना सागर में से गागर की कु छ
बूंदों के समान भी नहीं है। जीवन के हर एक पड़ाव को पार करने के लिए श्री राघव जी का
चरित्र ही सर्वोत्तम मार्गदर्शन करता है। श्री राम जी का चरित्र, उनकी कृ पा, उनकी महानता,
उनकी भक्तवत्सलता, को समझने के लिए श्रीरामचरितमानस सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। शायद
श्रीरामचरितमानस को ग्रंथ कहना अपराध होगा, वे तो साक्षात श्री राम जी हैं। हम जैसे
मंदबुद्धियों के लिए इससे सरलतम साधन नहीं है श्री राम राजा सरकार को जानने के लिए।
इस घोर कलयुग में मानव उद्धार के लिए ‘मानस’
(श्रीरामचरितमानस) से सरल और कोई साधन नहीं है। श्रीराम का तो एक-एक प्रसंग
अनुकरणीय है। बाल्यकाल, विद्यार्थी जीवन, युवावस्था, वन प्रसंग में मातृ-पित्तभक्ति,
संहारक या फिर पालक , रामराज्य , सभी हमें जीवन के हर एक मोड़ को जीना सिखाते
हैं। भाई भाई का प्रेम हो, माता को सम्मान देना हो, पिता की बात का मान रखना हो,
जीवनसंगिनी के विचारों का कद्र करना हो, राजा के रूप मैं त्यागी जैसा जीवन जीना,
इतना कु छ सीखने को है श्रीराम से। सफल और श्रेष्ठतम जीवन जीने के लिए मर्यादा
सर्वोपरि है। यही बात श्री मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन से सीखने को भी मिलती है।
मर्यादित जीवन जीने वाला व्यक्ति कभी गलत राह पर नहीं चल सकता, उसे कष्ट अवश्य
हो सकता है , पर व सुखी जीवन जिएगा।
श्री तुलसीदास जी लिखते है-
“अति हरि कृ पा जाहि पर होई, पाउं देइ एहिं मारग सोई। “
अर्थात- जिन पर भगवान की विशेष कृ पा होती है के वल वे ही इस पथ पर आगे बढ़ सकते
हैं और उनको जानने की एवं मानने की इच्छा रख सकते हैं। श्री राम को सही मायने में
अनुकरण करने के लिए उनकी कृ पा होना अनिवार्य है । जितना अपने जीवन से जाना है,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
कृ पा पाने का सर्वोत्तम साधन सत्संग है, क्योंकि बिनु सत्संग विवेक नहीं होई। जब तक
विवेक नहीं होगा तब तक मन निर्मल नहीं होगा। और प्रभु निर्मल मन में ही वास करते हैं।
श्री राम कहते हैं- “ निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।
इस रामनवमी पर श्री सीताराम जी के चरणों में अपने भाव पुष्प अर्पण करने का सौभाग्य
प्राप्त हुआ। सबका मन और चित्त सुंदर एवं निर्मल हो, हमारा उद्धार हो, हम आपकी
शरण में आए हैं
इस प्रार्थना के साथ
“भो राम मामुद्धर“। जय सियाराम।

— राधा मिश्रा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
ऋचा सिंह “सोमवंशी”

“कलम और कागज को अपना मीत बनाना चाहती हूँ,


शब्दों के सहारे उन्मुक्त गगन में स्वच्छंद उड़ना चाहती हूँ।।”

हिंदी भाषा की लेखिका ऋचा सिंह “सोमवंशी”, उत्तर प्रदेश के “प्रतापगढ़” जिला से
ताल्लुक रखती हैं। इन्होंने “राजनीति शास्त्र” से स्नातकोत्तर किया है। स्नातक करते समय
इन्हें बहुत से श्रेष्ठ कवियों के कव्यांशों को पढ़ने का अवसर मिला और यहीं से साहित्य की
ओर रूझान बढ़ा तथा इन सब से प्रेरित होकर इन्होंने अपना लेखन कार्य प्रारंभ किया।
इन्होंने 'रंग', 'माँ', 'बचपन', 'आत्मिक प्रेम', 'वेदना', 'THE COURAGE' आदि कई काव्य
संग्रह में सह-लेखिका के तौर पर कार्य किया है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“लौट आओ पुरुषोत्तम राम”

आस से लिपटे नयन, मन से बिछड़ा चैन,


कटुता, कपट, दुराचार दिनचर्या सी है,
है यही दिन-रैन,

दुष्टता का आलिंगन, शत्रुता की चादर है,


भूल सा गया जग, क्या प्रेम, क्या आदर है,

सच्चाई की हर पल एक अग्निपरीक्षा है,


रावण की दी हुई सी लगती ये दीक्षा है,

ऐसा नहीं कि धरती पर अब धर्म नहीं,


पर हो ना सके दमन इसका, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं,

अटल विडंबना है प्रभु, तेरे नाम से होती राजनीति है,


तुझको भी ना छोड़ा, यह समाज की कै सी नीति है,

तेरी मर्यादा से ही काटी हुई, ये कै सा तेरा धाम,


उद्धार करो सबका प्रभु, लौट आओ पुरुषोत्तम राम।।

— ऋचा सिंह “सोमवंशी”

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
सम्राट अरोड़ा

एम एस पी एस के विद्यार्थी सम्राट अरोड़ा का जन्म वर्तमान भारतीय राजधानी दिल्ली में 3


नवम्बर को हुआ था। ये उत्तर प्रदेश राज्य के अमरोहा जिले के धनौरा से आते है। इनका
ध्यान क्रिके ट व लेखन विद्या मे हैं। ये व्यापारिक शिक्षा ( बिज़नेस एके डमिकस ) के लिए
तत्पर हैं। ये पढ़ने में अच्छे है। इनके ज्यादातर लेख जीवन की सजीवता पर आधारित है।
सच्चाई व प्राकर्तिक स्वभाव उनके लेख के दो किरदार है। इनकी लेखनी इन्ही के जीवन
पर आधारित हैं। इनका मानना है कि जीवन के संघर्ष कविताओं में नयापन लाते हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"हमारे रघुराई"

अयोध्या राज्य की कथा सुनाई ।


जहाँ जन्मे नन्हे रघुराई ।

सत्य, सनातनी, शीतल छटा पाई।


मर्यादा की ज्योति जलाई ।

सारे जग ने गाथा गाई ।


धनुष यज्ञ में वीरता दिखाई।

सुग्रीव संग सच्ची मित्रता निभाईं।


हनुमंत भक्ति सफल कर जाई ।

कोई मुसीबत छू नहीं पाई ।


जिनके संग रहे रघुराई ।

सुझ-बुझ से समुद्र लांग जाई ।


लंका पर कर दी चढ़ाई ।

घमंडी रावण को जगह दिखाई।


नाभि मे तीर मारे रघुराई ।

सीता संग सच्ची प्रीत निभाईं ।


विचलित हुए जब सीता समाई ।

महावीर व बड़े सच्चे भाई ।


रोए जब लक्षमण को शक्ति आई।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
सत्य के पथ पर ज़िन्दगी बिताई ।
ऐसे है हमारे रघुराई ।

— सम्राट अरोड़ा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
शालिनी अग्रवाल

“जिंदगी की किताब के कु छ पन्ने पीछे छू ट गए हैं, शायद मुझसे रूठ गए हैं। उन्हें मनाने
चलूँगी तो पूरी ज़िन्दगी ही निकल जाएगी।”

ये श्रीमती शालिनी अग्रवाल हैं। इनकी पहली पुस्तक गीत पल्लवी एक साझा काव्य
संकलन है जिसमें इनके ही परिवार की पाँच महिलाएँ हैं। इसमें इनकी सोलह कविताएँ
प्रकाशित हुई हैं। 2017 में इनका अपना काव्य संग्रह भूली बिसरी यादें प्रकाशित हुआ जो
100 कविताओं का संग्रह है।
इसके उपरांत 2018 में एक और साझा काव्य संकलन गीत पल्लवी भाग-2 प्रकाशित हुआ
जिसमें इनकी चौबीस कविताएँ प्रकाशित हुईं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"
महिमा उनकी अपरम्पार
सबका वो करते उद्धार
शब्दों में उनको रचकर
ख़ुद को मैं कर दूँ कृ तार्थ।

त्रेता युग में जन्म लिया


पिता के वचन का पालन किया
राज पाठ सब त्याग दिया
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

कौशल्या उनकी माता हैं


लक्ष्मण उनके भ्राता हैं
अपने कु ल का मान रखा
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

धनुष पर प्रत्यँचा चढ़ाई


सीता संग स्वयंवर रचा
सेतू का निर्माण किया
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

वनवासी का जीवन जीकर


कं द मूल खा निर्वाह किया
कर्मों का सम्मान रखा
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

लंका थर थर काँप उठी


उनके युद्ध के कौशल से
रावण को परास्त किया
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

यश,वैभव,कीर्ति पाकर
हिंदुत्व का अभिमान रखा
सीता का सम्मान रखा

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।

राम नाम की माया है


बाकी सब बेकार है
राम राम जो करता है
उसका बेड़ा पार है।

शबरी के झूठे बेरों में हैं राम


पत्थर की अहिल्या में हैं राम
कण कण में है , रोम-रोम में
मन में मेरे, जीवन मे है राम
उनको शब्दों में रचकर
आज मैं हो गई कृ तार्थ।।

— शालिनी अग्रवाल

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
शिवांगी सिंह राजपूत

"कु छ ख़ास नहीं हैं मेरी ज़िन्दगी में बस यू ही जी रही हूँ ,


जब से कलम का साथ मिला हैं अब मुक़म्मल हो रही हूँ।"

ये हैं शिवांगी सिंह राजपूत, जो शिव की नगरी काशी (वाराणसी) उत्तरप्रदेश की रहने वाली
है। ये एक कृ ष्णा भक्त हैं। इन्हें नई जगहों पर घूमना, कहानियाँ लिखना, शायरी
लिखना,कान्हा की भक्ति करना बहुत पसंद हैं। इन्हें भीड़ में रहना बिल्कु ल पसंद नहीं हैं
पर इनकी खुद से खूब बनती हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
" मेरे प्यारे राम "

श्रीराम के नाम से ही सारा काम हो जाता हैं


दुःख का मुश्किल वक़्त भी पल में गुजर जाता हैं

‘राम’ मेरे कन्हैया का ही एक अनोखा रूप हैं


उनके चेहरे में मुझे संपूर्ण ब्रम्हांड नजर आता हैं

उनको देखने को अब मेरी आंखे तरसती हैं


उनका दर्शन मुझे स्वर्ग का अनुभव कराता हैं

इनकी गाथाएँ लोग आज भी सुना करते हैं


हर पवित्र दिल में श्रीराम बसा करते हैं

श्रीराम ने अपने कर्मों से सब कु छ सीखा दिया


क्या होती हैं एक सच्चे मानव कि छवि ये भी बता दिया

उनकी एक एक बात आज भी याद हैं


श्रीरामचरित्रमानस में लिखी उनके जीवन कि बात हैं

कितना अद्भुत जीवन था मेरे राम का


वो जन्म भी कितना श्रेष्ठ था मेरे श्याम का

— शिवांगी सिंह राजपूत

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
शिवेंद्र भूषण

ये शिवेंद्र भूषण लखनऊ, उत्तर प्रदेश से हैं। ये कक्षा 12 के छात्र है। ये एक लेखक, स्के च
कलाकार है। ये अपने भावों को शब्दों का रूप देते हैं। ये इनकी दूसरी कविता है जो
प्रकाशित हुई हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"श्री राम"

के वल दशरथ दुलारे नहीं


जो भाए हर किसी को
वो परम चरित्र श्री राम हैं,

कौशल्या पुत्र ‌होकर


जो‌पाए पुत्र प्रेम कै कयी का भी
वो सर्व प्रिय पुत्र श्री राम हैं,

गुरु की चरण रज को जो धारण करे शिष पर


वो परम आज्ञाकारी शिष्य ‌श्री ‌‍राम हैं,

जो भ्राता नहीं भगवान हो अनुज के लिए


वो पूजनीय भ्राता श्री राम हैं,

पिता वचन हेतु जो


त्याग दे सिंहासन को भी वो परम आदर्श पुत्र श्री राम हैं,

माता की आज्ञा हेतु जो


धारण करे वनवास वो परम सुत श्री राम हैं,

मित्र को वचन‌देकर
निभाए हर मूल्य पर
वो परम मित्र श्री राम हैं,

जो नाश करे रावण का


वो शूरवीर परमवीर योद्धा ‌श्री राम हैं,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
जो‌जीवन के सबसे कठीन समय में भी लांघे ना मर्यादा को
वो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हैं।

— शिवेंद्र भूषण

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
सुधी विनय

“जिंदगी कष्टों और परीक्षाओं से परिपूर्ण है, अपने विचारों को शब्दों में प्रकट करना हमें
शांति प्रदान करता है।”

इनका नाम सुधी विनय (कलम नाम - आरू) है। वह पूर्णिया (मिनी दार्जिलिंग के नाम से
प्रसिद्ध) बिहार से हैं। इन्होंने इस वर्ष अपना इंटरमीडिएट पूरा किया है तथा 10 वीं कक्षा से
लिखना शुरू किया था। “स्त्री” तथा "हर हर महादेव" संग्रह में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो
चुकी हैं। इनका मानना है जीवन में आए हर एक उतार चढ़ाव में शांति की अवश्यकता
सबसे अधिक होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करके हमारे अंतर्मन को अथाह
सुख की अनुभूति होती है, शब्दो के मायाजाल में इतनी शक्ति होती है कि जीवन और
संसार के हर भाग में ये बदलाव ला सकती है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जीवन अध्याय श्री राम की"

अवध नगरी में बज रही शहनाई है ,


दशरथ के द्वार मंगल बेला आई है ।
शंभू भवानी पुलकित हुए जात हैं ,
मात-पिता गुरु-बंधु खुशियां बाट रहे ।

गुरुकु ल जीवन चारों भाई संग जी रहे,


वेद शौर्य राजनीति और संयम सीख‌रहे।
देख प्रताप विश्वामित्र पुलकित हुए,
कौशल्य उद्धार ताड़का वध महिमा रामलला रच रहे।

शिव धनुष खंडित भयो, रघुनंद सिया के राम बने‌।


दशरथ वचनबद्ध हुए, वनवासी पुत्र राम बने।
सिया हरण हुआ, विचलित रघुनंदन राम हुए।
नियति राह पर अग्रसर लंकापति सियावर राम हुए।

राज्य हित राजन का परम धर्म बना,


एक और अध्याय सिया के वनवास का बना।
अश्वमेघ यज्ञ अंतिम अध्याय बना ,
एक कारण यह सियाराम मिलन का बना।

छोर रघुकु ल दीपक रघुनंद के संग,


सिया धरा के गोद चली।
मर्यादा पुरुषोत्तम ने पग-पग परीक्षा हैं दिए,
अलगाव का दर्द लिए राम नगरी चलें।।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
धन्य नगरी है अयोध्या जो श्री राम का वो धाम है ।।
दुख सुख पीड़ा पाप कर्म सबका वह विराम है।।

— आरू

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
शुभम दुबे

“अगर 'झुकने' से मिलता हो मान - सम्मान,


तो प्यारा है मुझे मेरा 'स्वाभिमान'।"

इनका नाम शुभम दुबे है। लेखक और पेशे से इंजीनियर है। ये गोंदिया, महाराष्ट्र के निवासी
है । अकसर अपने लेखन के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते रहते है। प्यार और
विचारों को उद्धरण और कविता के माध्यम से व्यक्त करते है । ये वर्तमान में एक प्रेम
कहानी पर काम कर रहा है उम्मीद है कि यह जल्द ही प्रकाशित होंगी ।
insta@Terra_of_words
fbpage@Shubhi Wrote.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"

वो प्राण है वहीं पहचान है


वाल्मीकि तुलसी का बखान है
उनसे होता दिन शुरू उनसे होती शाम
अयोध्या जन्मे कण कण में बसते
मर्यादा पुरुषोत्तम की यही पहचान है,

राजा दशरथ के थे लाल रानी मां कौशल्या करती लाड-दुलार


महर्षि विश्वामित्र से शास्त्र और धनुर्विद्या का लिया ज्ञान
शिव जी के धनुष को उठाया सीता संग बयाह रचाया
बात वचन की थी निभाने जाना था वनवास इस बार,

पैरो में खड़ाऊ, शस्त्र और वस्त्रों के चिथड़े मे संवरे रेशमी वस्त्र को किया त्याग
ख़ुशी ख़ुशी सब मोह माया त्याग निकल चला भाई लक्ष्मण और प्रिये सीता के साथ
वन में सुंदर मायावी स्वर्ण मृग माता सीता ने जब देखा
विधि विधान का खेल में पार हुई लक्ष्मण रेखा,

रावण ने स्वांग रचाया सीता को वो हर ले आया


रावण को था मृत्यु का ज्ञात उद्धार पाने के लिए किया यह पाप,
राम ने अहिल्या को तारा असुरों को है मार गिराया
शबरी के झूठे बेर खाकर प्यार कि अलग
परिभाषा बतलाया।

राम को मिला हनुमत सा दास वानर सेना की अलग थी बात


नल और नील संग पुल है बनाया समुद्र तट को है पार लगाया

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
राम ने किया रावण का नाश अहंकार का हुआ विनाश
राम सिया की जोड़ी है ख़ास बिन हनुमत के जमे ना बात ,
राम नाम की अलग है बात, मर्यादा पुरुषोत्तम बोलो जय श्री राम।

— शुभम दुबे

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
स्मृति मुखर्जी

"नहीं हूँ मैं किसी के उम्मीदों की स्मृति


मैं तो हूँ कु टुंब खुशियों की स्मृति"

इनका नाम स्मृति मुखर्जी है। ये नई दिल्ली में रहती हैं। वो पेशे से राजनीति विज्ञान की
अध्यापिका हैं। इन्हें कविताएँ लिखने और पढ़ने का शौक़ है।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"श्री राम सा होना आसान नहीं"

श्री राम सा होना आसान नहीं


खुशियों को अनदेखा कर
आज्ञाकारी होना आसान नहीं
प्रेम और सम्मान में संतुलन कर,
मर्यादित रहना आसान नहीं
अपनी कोमलता खुद ही कु चल कर
पुरूषार्थ पाना आसान नहीं
धैर्य के साथ कर्त्तव्य निभा कर,
लक्ष्य भेदना आसान नहीं
पराए बेड़े में मित्र बना कर
सम्मान ‌बचाना‌आसान नहीं
शत्रु ‌को भी मोक्ष प्रदान कर,
कृ पालु होना आसान नहीं
अपना जीवन उदाहरण बना कर
श्री राम होना आसान नहीं।

— स्मृति मुखर्जी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
स्मृति सुमन

लेखिका का नाम स्मृति सुमन है। ये बिहार के जिला मुजफ्फरपुर से संबंध रखती हैं।
लिखना इनके हृदय को सुकू न देता है। ये समाज में हो रहे अन्याय और सामाजिक बुराईयों
को अपनी कलम से उजागर करती हैं। ये बहुत से किताबों में सह-लेखिका के तौर पर और
कई समाचार पत्रों में भाग ले चुकी हैं। ये ख़ुद प्रकाशक बनकर अपनी लेखनी से समाज
को प्रभावित कर दूसरो के लिये प्रेरणा बनना चाहती हैं।
insta@the_blue_moon_girl

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"मुझे गर्व है रावण हूँ मैं"

प्रिय, कलयुग के राम


मुझे गर्व है रावण हूँ मैं,
माना बहुत से पाप किए हैं मैंने
मगर अब स्वतंत्र हो चुका हूँ मैं श्रीराम के बाण से,
मुझे गर्व है रावण हूँ मैं
कै लाशपति शिव का अनन्य भक्त हूँ मैं,
मुझे पता था गलत है सूर्पनखा
फिर भी भ्राता का फ़र्ज़ निभाया,
कोशिश कि उसे हर लांछन से बचाया
हाँ, माँ सीता का अपहरण कर लाया,
मगर सीता के सम्मान को कभी न मैंने ठे स पहुँचाया
तुम्हें हक़ नहीं तो मुझे जलाओ।
जलाना ही है तो जाओ राम बन कर आओ।

— स्मृति सुमन

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
स्वप्निल खैरनार

इनका नाम स्वप्निल खैरनार हैं। ये एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। वो हमेशा से ही अपने माता-
पिता के लिए कु छ करना चाहते है। इन्हें भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ख़याल आया की क्यों
ना कु छ लिखा जाए खुद की ज़िंदगी पर तो बस कु छ सीखते सीखते अब कु छ अच्छा
लिखने की कोशिश कर रहे हैं।

insta@swapnil777888
email@swappya77778888@gmail.com

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"राम नवमी"

राम नाम गूंजा था हर किसी की जबान पर


जब राम जी आए थे रावण को हराकर।

चौदह साल वनवास किया उन्होंने अपनी माँ की एक जुबान पर


लक्ष्मण जी भी साथ गए थे प्रभु राम जी की लिखी नियति पर।

अयोध्या के राजा हो कर भी गए वनवास मैं


भगवे कपड़े पहने रहे इतने साल ना किसी सवाल पर।

जब गए थे पकड़ने स्वर्ण मृग को माता सीता की बात पर


तभी दुष्ट रावण आया भिक्षुक रूप धारण कर ।

माता को ले गया रावण छल से खुद को भिक्षुक बताकर


प्रभु राम जब वापस आए माता का हुआ था हरण।

उसी वक्त प्रभु राम ने ली कसम माता सीता को वापस लाने की


और आगे जाके उनकी मुलाकात हुई पवनसुत हनुमान जी संग।

लड़ाई दौरान लगा तीर लक्ष्मण जी के हृदय पर


जाके लाया द्रोणागिरी पर्वत हनुमान जी ने अपने हाथ पर।

जान बची थी लक्ष्मण जी की अब नही था किसी को भी डर


फिर से सब वापस गए करने रावण का सर धड़ से अलग।

आख़िर हुई जीत अच्छाई की और बुराई पर मात


रामजी लेके आए माता सीता को अपने साथ।।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
— स्वप्निल खैरनार

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
तुलिका श्रीवास्तव

"मैं वो किताब हूँ जिसको आप पढ़ने के लिए अयोग्य है,


क्योंकि उसमें शब्दों कि जगह मेरे जज्बात ले रखे हैं!"

तुलिका श्रीवास्तव, एक ओजपूर्ण लेखिका हैं। जो छोटे से शहर सिवान, बिहार से हैं। ये
"जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी " से "MCA" की पढा़ई की है और Scorpix India Com.
की सेलेक्टिव कैंडिडेट है। इनकी कविताएँ Remedies Of Living Souls, Flying
Towards Freedom, Stree - A warrior, मेरी मिट्टी, मन मेरा, विद्या माता, स्त्री, रंग
आदि संकलन में आ चुकी है। ये एक संकलन "सफ़र का नाम जि़न्दगी" की संकलक भी
है! इनका मानना है कि जब जज़्बातों और कल्पनाओं को मिल जाए एक कलम का साथ,
दिल में सिमटे अनकहे शब्दों को मिल जाए जब पन्नों का पनाह, तो इससे खूबसूरत बात
और क्या हो सकती है। इसी धारणा के साथ ये लेखिका अपनी भावनाओं को हर किसी के
समक्ष रखने के लिए प्रयासरत हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"श्री राम"

सातवें विष्णु के अवतार है, हमारे कण-कण में बसे, ये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है!

मानवीय रूप लिए, करने भलाई मानव की


इस धरा पर अवतरित हुए, वो आदिपुरूष श्रीराम है!

चार पुत्र राजा दशरथ के , सबसे प्यारे ये राम


भाईयों के आदर्श राम, मातृ-पितृ के दुलारे राम!

अयोध्या के शान ये राम, हर प्रजा के अभिमान ये राम


माता कै के यी की शर्तों में बंध, चौदह वर्ष "वनवासी" का शिकार ये राम!

वचनों में बंधे पिता को देख,


हर संघर्ष के पथ अपनाने को तैयार ये राम!

संगी है जो जनकनंदिनी का, सेवक जिसका बजरंगी


बसा है हर रोम-रोम में, मर्यादा कि पहचान ये राम!

नर नारी का सम्मान है राम, सर्वाधिक दयावान ये राम


राज मुकु ट की शान है, राम राज्य का प्रमाण ये राम!

प्रतिमा नहीं, प्रतिमान ये राम,


कोई नारा नहीं, आस्था ये राम!

हर जयकारा में "श्री राम" की पुकार,


हर भक्तों के भगवान ये राम!

अयोध्या के मर्यादा में राम,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
कौशल्या के ममता में राम!

इस मिट्टी के कण-कण में राम,


भारत की आत्मा में बसे "श्री राम"!

— तुलिका श्रीवास्तव

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
उज्जवला कु मारी

इनका नाम उज्जवला कु मारी है और ये झारखंड स्थित जमशेदपुर की रहने वाली हैं इन्होंने
कोल्हान यूनिवर्सिटी ऑफ चाईबासा से ग्रेजुएशन किया हुआ है और ये बी.एड. की छात्रा
हैं। इन्हें डांस अथवा पेंटिंग का बहुत शौक़ है। इन्हें कविता तथा शायरी लिखना बहुत पसंद
है। ये ज्यादातर मोहब्बत पर लिखना पसंद करती हैं। इन्हें अपनी मन की बात को रचनाओं
में लिखना बहुत अच्छा लगता है। इनकी कविताएं तथा रचनाएं 'एक सफ़र', 'अनकही
दास्तां', 'धोखा', 'मेरी मिट्टी', 'मेरा मन', 'कसूर', 'विद्या माता', 'लाइफ', 'भारतीय है हम',
नामक पुस्तक में आ चुकी हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"श्री राम पुरुषोत्तम"

जब-जब सृष्टि में दुष्टों ने जन्म लिया है,


तब-तब भगवान विष्णु ने अवतार ले कर दानवों का अवीनाश किया है।
कभी कृ ष्ण के रूप में कं श का सर्वनाश किया ,
तो कभी नृसिंह अवतार में हिरण्यकश्यप का
वध किया है।

इस संसार को विपत्ति से मुक्त कराना के लिए


कु ल २४ अवतार ले कर पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं,
कभी मत्स्य अवतार, कू र्म अवतार,
परशुराम अवतार तो कभी बुद्ध अवतार।

प्रेम तथा मोह को त्याग कर भगवान राम जी


निकले १४ साल के वनवास को,
लक्ष्मण और सीता मां भी निकल पड़े राम जी के समकक्ष को,
कई दुविधा,कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा उनको।

जब छल-कपट कर रावण ले गया सीता मां को,


तब हनुमानजी ने जला ही डाला पुरी लंका को,
संभव नहीं था इतनी बड़ी नदी को पार करना…
पर राम जी के नाम ने सबकु छ संभव कर
दिया असंभव को।
सारी संकटों का सामना कर ले आया वो वापस
सीता मां को।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
तब जाकर चारों दिशाओं में रौनक तथा खुशियां छाई,
लोगों ने उनके स्वागत के लिए घरों में दीप जलाया।
चहल-पहल से चारों दिशाओं में रौनक छाया,
श्री राम जी के चरणों में सभी देवी-देवताओं ने भी
फु लो को समर्पित कर उनका मान-सम्मान बढ़ाया।

खुशी से मन आदर्शमय हो गया श्री राम जी का,


बड़ा गर्व महसूस हुआ उन्हें अपने भक्त हनुमान जी पर,
तभी उन्होंने वचन दिया हनुमानजी को
कि मेरे जन्मदिन पर हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाएगा।
राम जी के साथ-साथ हनुमान जी का भी
नाम लिया जाएगा।

— उज्जवला कु मारी

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
विक्रम सिंह राजावत

“अपने मौजूदा हालातों को मैं कु छ ऐसे बुन लेता हूँ,


जो जी पाता वो जी लेता जो रह जाए वो लिख देता हूँ।।”

यथार्थ में जीने वाले और यथार्थ को ही शब्दों में सँजो कर लिखने वाले, जीवन में किसी भी
काम को छोटा नही समझने वाले विक्रम सिंह राजावत भारत देश के सबसे बड़े राज्य
(क्षेत्रफल की दृष्टि से) राजस्थान के करौली जिले के निवासी हैं। ये इंजीनियरिंग करते-करते
लिखना भी सीख गए हैं तथा तरह-तरह के लोगों से मिलना और उनसे विचारों का आदान
प्रदान करना पसंद करते हैं। अपने जीवन मे पहली प्राथमिकता सत्य को देते हैं।

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
"जय श्री राम"

विष्णु के सप्तम अवतार, त्रेता में जन्मे हैं राम,

सूर्यवंशी वो हैं कहलाते, दशरथ के घर जन्मे राम।

भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण के प्राण, कौशल्या नंदन हैं राम,

चैत्र मास, शुक्ल पक्ष की नवमी, अयोध्या में जन्मे श्री राम।

गुरु वशिष्ठ से शिक्षा पाकर, धर्म को लौटे फिर श्री राम,

विश्वामित्र के संग वन जाकर, ताड़का मारे जब श्री राम।

मिथिला में गौतम आश्रम में, अहिल्या तारे जब श्री राम,

शिव धनुष तोड़ा मिथिला में, सीता मन भाए जब श्री राम।

पुष्प वर्षा हुई आसमान से, सब कोई बोले जय श्री राम,

जनक सुता संग अयोध्या आये, जन प्रसन्न बोले श्री राम।

कै कयी के वरदान के चलते, वन-वन भटके जब श्री राम,


सिया हरण हुआ जो वन में, दर-दर भटके जब श्री राम।

मिला जटायु घायल वन में, हृदय से लगाये जब श्री राम,

दिया पता रावण का उसने, चिंतित हुए जब श्री राम।

हनुमान, सुग्रीब मिले फिर, सब के प्रभु बने श्री राम,

वानर सेना संग में लेकर, लंका प्रस्थान करे श्री राम।

समुद्र तट पर देख क्रोध को, सागर बोला जय श्री राम,

रामसेतु पत्थर से बांधा , पत्थर तिर गए जय श्री राम।

रावण वध कर लंका में, सीता मुक्त करे श्री राम,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
चौदह वर्ष वनवास बिता कर, अयोध्या लौटे जय श्री राम।

राजतिलक फिर हुआ विधिवत, राजा बने जब श्री राम,

रामराज्य मे सब प्रसन्नचित्त, जन- जन बोले जय श्री राम।।

— विक्रम सिंह राजावत

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
English Write-ups

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Arya Asok

Arya Asok is a passionate writer, blogger and an engineer. She loves to


express her emotions through words. Books, reading & writing are her
greatest interests. She has co-authored and compiled several anthologies
and she is launching her debut novel soon. Books and pens are her greatest
love.
insta@crane_berrygirl.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“The Guider”

There is time in everybody’s life


To express the greatest gratitude
For every blessing we have received
For everything God has given us
You were there in every point of
My life as a best keepsake
You were there as a mentor in
Every miserable stages of my life
You were the best guide to pave
Right path for me
You were my greatest teacher who taught me the vivacious life lessons
You were there as a momentous part of
My life who gave me a bunch of
Blessings and gifts before I cloud plead
My deepest gratitude for everything
Every heights I had been
Thank you lord shri Ram My teacher,
My everything my strength
My prodigious thing in my life
I am your devotee and your child evermore I will preach Hare rama
— Arya Asok

Kamala Shastry
https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Kamala is a retired school teacher with 34 years of teaching experience in
Fatima High School at Ambarnath, near Mumbai. She is also an Art of
Living faculty, teaching the Happiness Program. An avid reader and a poet
at heart. She is a great friend, a role model of her students. A kind and
sensitive person. The Art of Living now epitomises her sole purpose of
living. Her hobbies include drawing, painting and music. Her poems are an
interpretation of pleasant revelation of the simple facts of life, experiences
and through her Guru’s teachings.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
‘Rama’

Rama,The Radiant One.


Dasharatha’s first born,
Kaushalya Putra RAMA,
The Righteous Avataar.
Entire Ramayana within us,
A Prince shows the way of
Obedience and filial Love,
Fulfilling his father’s vows,
Fourteen years of exile,
With Laxmana and Seeta.
A lesson, facing adversities,
In the Dandakaranya.
The Golden Deer, symbol of
Temptations and desires.
Enter Ravana, in disguise,
Carrying off Seeta to Lanka.
The Golden City of Dreams.
The Vanar Sena, Hanuman,
Pivotal in Seeta’s rescue.
Hanuman burnt the grand Lanka
Palace into flames.
The mighty Ravana fell to
The Bow of Sri Rama.
Everything predestined.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Ramayana within us all.
Dashrath, control of ten,
Horses, senses and organs.
Skillful like Kaushalya,
One point focus Like Laxman,
Devotion like Hanuman.
Rama and Sage Vashisht,
Gave us Yog Vashishth.
A boon to Mankind.
Jai Shree Ram, Jai Siya Ram,
Victory to thee O Rama,
The whole of Ayodhya
Lit up with a million lamps,
Glowing in His Glory, let
Ram Navami be a Blessing to all.

— Kamala Shastry

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Mohammad Aga Hussain

The author Mohammad Aga Hussain, M.sc (Agri.) Entomology, M.B.A is a


toddler in the field of writing and frequently scribbles his heart on paper in
the form of inspirational quotes, poems and rhymes. Till present he has the
credit of publishing three Coffee Table books on YourQuote i.e, “Candid
Thoughts”, “Amiable Conceptions” and “Harmony”. Some anthologies
inked by him as a Co-Author i.e, “ The Man In Me”, “ Words on Nature”
and “She ” finds place on amazon.in and many anthologies are in the row of
publication. The author hails from Raipur, Chhattisgarh and can be
connected at

Email: aga_ent@rediffmail.com, aga20071975@gmail.com


Insta@aga.hussain.20

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“Lord Rama”

As a seventh avatar of Vishnu


Born to queen Kaushalya and king Dasharatha
Besides the banks of holy river Sarayu
Ayodhya will remain blessed for this kindness.

He confronted vast challenges


And was put to exile of fourteen years
With no cravings for the worldly pleasures
He came forward to keep the word of elders.

He kept the throne at the butt of foot


And selflessly chose the vagaries of woods
The love between brothers were then set forth
Lakshmana and Bharata proved their gesture.

Rama tasted the half eaten berries of Shabari


When in forest and at times of banishment
In reciprocation of his endless compassion
Towards all the weaker and vulnerable sections.

The welfare of the others is the greatest Dharma


And injury to others only adds to his karma
For all the misguided and the crusaders of violence
The teachings of Lord Rama could be summoned.

— Mohammad Aga Hussain

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Nisarg Patil

He is Nisarg Patil, lives in Ambernath. He is studying in class XI. He is


fond of literature and loves to write poems, quotes and stories. He is such a
friendly and humorous type of person as he loves making new friends and
making people laugh.
He lives a simple and happy life. He would be so glad to be your friend,
insta@nisarg_patil_2408/@nisargwrites

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“Lord Rama”

Lord Rama taught,


Everyone good deeds,
He was the inspiration,
For both adults and kids.

You shall be kind, loyal and satisfied


Like Lord Rama in your life,
And be his devotee,
You have to follow the path of Lord Rama,
And good results for everything
You will see.

Lord Rama was a great Archer,


And was experienced with weapon’s knowledge.
He fought against the evils with his
Goodness and courage.

Happiness and sorrows are alternate in life,


Lord Rama says,
But Believe, Lord Rama from depth of your heart,
He will enlighten you to deal with the problems,
And will remove the darkness.
— Nisarg Patil

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Shashank Om

Shashank Om is a resident of Bareilly, Uttar Pradesh. He is firm towards his


goals and future. He is currently pursuing B.Tech From Mechanical
engineering. For him, writing is an effective way of portraying his feelings
on paper. He has been writing since 9th grade. For him, life is short so enjoy
each and every moment happily and loving your parents. Healing the world
is his major goal. Apart from writing, he loves to dance, sing and play
guitar.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“The birth of Rama”

Years ago he took birth


For a special purpose on earth
The eldest son of King Dasharatha
The right Heir of the throne of Ayodhya
The symbol of Victory towards evil
Rakshasa raja Ravan he kill
With Sitaji his spouse & Lakshaman by his side
And with Hanumanji supporting his fight
Travelled far to get his wife back
With fire in his eyes he attack
Finally he Won and the exile ended
And Lord Rama was again Ascended

— Shashank Om

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Shreya

She is a creative writer and a strong believer in "Equality on the basis of


Humanity." She writes mostly about the issues a woman faces since her
childhood. There are so many unspoken and unexpressed problems in her
life that society and this world should know. Through her poems, stories,
and blogs she wants to bring forth such issues so that people start
acknowledging them and women start understanding that it is okay to
express their problems.
insta@unsaidletters_bysneha

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“Why Lord Ram?”

Since childhood I have revered you,


Without any questions I believed you.
Folding my hands in front of you,
When I asked for a groom like you,
Little did I know a Sita was expected from me.

Lord Ram! You are the only perfect man.


Lord Ram! You are the only perfect husband.
When I questioned the restrictions after marriage,
I got the answer that even Ram’s Sita has to bear.
Never lectured the man to be like Ram,
But I always heard a lot about how to be like Sita.

When I complained I got the answer that even Sita was left by Ram,
Who are you that we will tolerate your nuisance?
Why did you lord let Sita go to the jungle?
Why did you lord let Sita bear ‘Agnipariksha’?
I am an ordinary woman and no one to question,
But when I have nowhere to go, I ask these questions.
When I insist on going to someplace by myself,
Who are you when Sita has to bear strict actions?
Who are you to go all alone by yourself?
Take your nephew of age five along before deciding to go yourself.

When I packed my bags to visit for few days to my parents,

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Be Sita and don’t take decisions by yourself.
Why did you Lord Ram not let Sita take her decisions?
See this world today give examples of her to every woman.

— Shreya

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Subhashree Pradhan

Subhashree Pradhan hails from Puri, Odisha. She is a poetic heart whose
pen steals pain to connect the sublime emotions with the heart of people.
She is tremendously passionate to enhance her writing skills and to draw a
rainbow of smiles on the face of the reader.

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
“Child of Ram”

When he clutches your bare hands,


And his mercy removes illusion's stain.
When you know he is the only path of your dark room,
Your soul glitters drenched with the rain.

Nothing can be more peaceful than this,


When your heart skips a beat with his eternal bliss.
Drowned in the labyrinth, when I lost the crystal of ray,
I never asked for the eternity of heaven, Ram is my sublime way.

Hare Krishna Hare Krishna, Krishna Krishna Hare Hare,


Hare Rama Hare Rama, Rama Rama Hare Hare....

When he embraces saying, Yes, this is my child,


Torn pieces of my heart, find the nectar of delight.
The soul kneels before His presence within,
The mundane become just background din.

When the whole luck made me burn in blame,


Ram was the one, for whom I could resist the flame.
Everything we need lies in His holy name,
Just forward your hands, He is there,
To hold them....

Hare Krishna Hare Krishna, Krishna Krishna Hare Hare,


Hare Rama Hare Rama, Rama Rama Hare Hare....

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
— Subhashree Pradhan

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
Thank you

https://telegram.me/SahityaJunction_bot
🔴 BEST TELEGRAM E-BOOKS CHANNEL 🔴
साहित्य/उपन्यास संग्रह नटखटी शरारती बातें Indian Magazines
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Namo Sanatan Indian Book Hub Movie Junction


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Digital Art Library Global Book House Nisha Music Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Radha Bhakti Sagar Hindi Comics Library Audio Books Museum


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Global Books Museum Indian Books Museum Hindi Desi Web Series
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Indian Comics Museum Global Comics Museum Islamic Books Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Sahitya Junction Official Wholesale Online Store Rayta Queen Madhurakshi


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Relationship Fact (Kamsutra) Earn Real Money More Updates By Bot


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

BackUp Group BackUp Channel Monthly Subscription


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

🔴 JOIN BEST FACEBOOK PAGE 🔴


भगवा योध्दा कॉमिक्स जंक्शन साहित्य/उपन्यास संग्रह
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

Shayari Ka Khazana Naina Books Library Comics Novels Library


JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

🔴 JOIN BEST IMO CHANNEL 🔴


Onlyfans Premium Movies & Web Series Unlimited Free Books
JOIN NOW JOIN NOW JOIN NOW

नोट : किसी भी चैंनेल या पेंज मे ज्वॉइन होने के लिए JOIN NOW बटन पर क्लिक करें।

You might also like