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Jai Shree Ram - जय श्री राम
Jai Shree Ram - जय श्री राम
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जय श्री राम
Compiled By
Abhishar Ganguly
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‘अस्वीकृ ति’
इस संकलन की सभी कविताएँ और कृ तियाँ मूल रूप से लेखक के द्वारा उनकी सहमति से
ली गई हैं तथा लेखक के द्वारा इसके प्राकृ तिक और साहित्यिक होने की पुष्टि की गई है।
इन रचनाओं में लेखक ने अपनी कल्पना और साहित्यिक विचारों को रखा है, जिसका
किसी भी जाति, समुदाय तथा किसी जीवित या मृत व्यक्ति से संबंध नहीं होना चाहिए।
इसे मूल रखने के लिए हम सभी ने कड़ी मेहनत की है। अगर हमारे ज्ञान से कु छ छू ट गया
है, तो इसके लिए प्रकाशक, संकलनकर्ता और संपादक जिम्मेदार नहीं होंगे। लेखक पूरी
तरह से जिम्मेदार होंगे।
प्रकाशक
अभिशार गाँगुली
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‘अभिस्वीकृ ति’
सर्वप्रथम उस परमपिता परमेश्वर का ह्र्दयतल से आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिनकी
अनुकं पा से मैं मर्यादा पुरुषोत्तम ‘श्री राम’ को समर्पित इस अद्भुत व अलौकिक साहित्यिक
संग्रह ‘जय श्री राम’ का सफलतापूर्वक संकलन करने में समर्थ रहा। तदुपरांत मैं अपने
जन्मदाता मेरे माता-पिता का दिल की गहराई से धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूँगा जिन्होंने
मुझे उच्चतम संस्कार दिए जिससे मैं इस धार्मिक साहित्यिक संग्रह का सफ़ल संकलन कर
सका।
इसके बाद में हमेशा की तरह मेरा साथ देने वाले मेरे हमरुह परिवार के महत्वपूर्ण सदस्यों
व मेरे आधारभूत जनों का आत्मिक आभार व्यक्त करना चाहूँगा जिनमें देव प्रकाश,
प्रशस्ति सचदेव व किशन कु शवाहा का नाम अग्रणी हैं। ये सभी सर्वदा ही मेरी सहायता को
तत्पर रहते हैं।
इसी के साथ-साथ कु छ अन्य महत्वपूर्ण व आवश्यक सदस्यों जैसे प्रियंका मिश्रा, प्राची
अग्रवाल, तुलिका श्रीवास्तव, उज्ज्वला कु मारी, प्रतिभा सिंह, स्वरांजली दत्ता आदि का भी
तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा।
इसके बाद सर्वप्रमुख मेरे सभी सह-लेखक जिन्होंने अपने जीवन की व्यस्ततम दिनचर्या में
से निकालकर कु छ बहुमूल्य क्षणों का सदुपयोग कर के हमारे इस धार्मिक साहित्यिक संग्रह
के लिए अद्भुत, आत्मिक व आध्यात्मिक रचनाएँ रची व मर्यादा पुरुषोत्तम ‘श्री राम’ को
समर्पित किया।
अंत में हमेशा की तरह माँ सरस्वती के सच्चे सपूतों, हमारे प्रिय पाठकों का ह्र्दय के कण-
कण से आभार व्यक्त करना चाहूँगा। आशा करता हूँ कि आप सभी को यह रचना अवश्य
पसंद आएगी व हमेशा की तरह आपके मन मंदिर में राममयी अनुराग जगा जाएगी।
जय श्री राम।
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‘जय श्री राम:एक परिचय’
राम का ही तो सब कु छ है जग में
राम बसे हैं ‘अभि’ हमारे रग-रग में
राम शब्द अपने में ही परिपूर्ण है। इस शब्द को किसी परिचय व व्याख्या की कोई
आवश्यकता नहीं है। राम शब्द सुनते व पढ़ते ही हमारे मन मस्तिष्क में एक ही शब्द आता
है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम। वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जिन्होंने अपने रघुकु ल की
मर्यादा के लिए, अपने पिता के दिए हुए वचन को निभाने के लिए राज सिंहासन व राजपाट
निःस्वार्थ रूप से त्याग दिया व हँसते-हँसते चौदह वर्षों का वनवास स्वीकार कर लिया।
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संकलक
अभिशार गाँगुली
अपने अंदर ‘श्री राम’ के सभी गुणों को समाहित कर ‘श्री राम’ सा जीवन व्यतीत करने
वाले इस मर्यादा प्रिय रचनाकार का नाम ‘अभिशार गाँगुली’ हैं। बालपन से ही इन्होंने ‘श्री
राम’ के गुणों व त्यागपूर्ण कथाओं को बड़े ही चाव के साथ पढ़ा, सुना व देखा था। उन्हें
अपने जीवन में चरितार्थ करने की लालसा इनमें बालपन से ही थी। जिसे आज ये अपने
जीवन में प्रयोग कर के आम जनमानस के समक्ष एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते
हैं व सभी के मन-मंदिर में ‘श्री राम’ के आचरणों को स्थापित करना चाहते हैं।
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‘जय श्री राम’
आप जो चाहो तो आग ही आग हैं
जगत में व्याप्त, नही तो सब पानी।
आपने सिखाया हम सबको मर्यादा,
पिता के वचन, कु ल की लाज बचानी।
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सागर को भी पल भर में मना लिया।
सारे शूरवीर थे रावण की सेना में
सभी वरदान वालों से आपने लोहा लिया।
— ©अभि:एकतन्हामुसाफ़िर
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“तुम राम बनकर तो दिखलाओ”
— ©अभि:एकतन्हामुसाफ़िर
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हिंदी रचनाएँ
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अभिषेक मिश्रा
इनका नाम अभिषेक मिश्रा है, ये मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये कहते हैं, राइटिंग इनका
प्रोफे शन नहीं है। लॉकडाउन में खाली बैठने के कारण इन्होंने कु छ लिखा और ये धन्यवाद
देते हैं उन लोगों को जिन्होंने उसे पढ़ा और उत्साहित किया लिखने को और इन्हें लिखना
अच्छा लगने लगा जब अच्छे रिस्पॉन्स मिलने लगे तो इन्हें लगा सच में ये बहुत अच्छा
माध्यम है खुद की भावनाएं दिखाने का और खुद से बातें करने का।
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“भगवान राम”
अयोध्या की कलम से
धन्य हुई ये भूमि, बन गई जब जन्मभूमि
चौदह वर्ष के बाद, फ़िर अयोध्या झूमी।
जनकपुर की कलम से
जनक का था जाप, कौन उठाएगा चाप
नहीं आने दी ताप, दिखा दिया प्रताप
पढ़ गई सभी पर छाप।
प्रयाग की कलम से
चौदह वर्ष का वनवास,ऋषि से लिया विश्वास
श्री राम ने भी ली दुआ, बस यही दिल को छु आ।
चित्रकू ट की कलम से
श्री राम लक्ष्मण सीता, साधुओं का दिल जीता
सती अनुसूइया के आश्रम में, माँ सीता का समय बीता।
पंचवटी की कलम से
रावण की बहन शूर्पणखा, लक्ष्मण के क्रोध को चखा
एक युद्ध को जन्म दिया, कटवा के अपनी नका।
लेपाक्षी की कलम से
माँ सीता के लिए युद्ध लड़ा, रावण के सामने खड़ा
पंख कटा के अपने, लेपाक्षी की भूमि पे गिर पढ़ा।
किष्किन्धा की कलम से
मित्र बने किष्किन्धा नरेश, था वानरों का भेष
माँ सीता की खोज में, बदल गया परिवेश।
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रामेश्वरम की कलम से
पत्थर पत्थर जोड़कर, समुद्र में बनाया पुल
रावण से युद्ध को अब, वानर सेना थी कु ल।
अशोक वाटिका की कलम से,
रखा था रावण ने माँ सीता को जहाँ
हनुमान जी ने नष्ट कर दिया सब वहाँ
क्रोध में रावण ने पूंछ में लगा दी आग
लंका को जलाकर फिर वहाँ से लिए भाग।
श्री लंका की कलम से
युद्ध लड़ा जहाँ रावण से, अपनी भार्या के लिए
अनुज वियोग का फल चखा, मेघनाद वध के लिए
सत्य को विजय दिलाई, असत्य के पराजय के लिए
और कहलाये भगवान पुरुषोत्तम, हम सभी मानव के लिए।।
'जय श्री राम'
— अभिषेक मिश्रा
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अमित गोरा
ये अमित गोरा है, जो राजस्थान के निवासी हैं। इनका शौक़ रहा है। ये शायरी-ए-शहोक़्त में
लिबास बदलने का। ये अक्सर टूटे दिल को अपना बनाकर नज़्मों में सजाते हैं। फ़िर कहानी
अपनी वक़्त को ब़ताते हैं। ये बी.कॉम से ग्रेजुएट हैं।
instagram I'd@amitt_gora
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"राम नाम"
राम नाम हर हृदय में पलता, राम हीं काया राम हीं माया
राम हीं सुन्दर संसार हैं
राम हीं अंत राम हीं प्रारंभ, राम की लीला अन्त विलार हैं।
अंकित मलिक
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ये अंकित मलिक हैं, कु रुक्षेत्र,हरियाणा के रहने वाले हैं। ये नीट की तैयारी कर रहें हैं। इन्हें
कविताएँ लिखने और पढ़ने का शौक़ हैं। इन्हें डांस और संगीत सुनना बहुत पसंद है।
insta@malikankit_007
twitter@malikankit_007
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जनता के दिल पर राज किया,
वो राजा ऐसे मर्यादा पुरषोत्तम कहलाए है
इनके परम भक्त, पवन पुत्र अंजनी के जाए है
लव-कु श जाए इनके महावीर,
अयोध्या की महासेना पर भी विजय पाए है
दशरथ के लाड़ दुलारे, पिता के वचन की ख़ातिर
14 साल का वनवास छोटे भाई संग
काट जब अयोध्या लौट के आए
दीपो से अयोध्या सजी तब, जश्न धूमधाम से प्रजा मनाए
जिसे आज विश्व भर में, सब दीपावली मनाए
जय श्री राम का नारा घर घर गूंज रहा,
पुरुषोत्तम राम ये कहलाए है
सबके दिल पर राज करें, वो राम प्रभु हमारे कहलाये है।।
— अंकित मलिक
अंकित साह
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अंकित साह ये झारखंड के छोटे से शहर चाईबासा से हैं। इनकी पढ़ाई एस.पी.जी. मिशन
स्कू ल से हुई है। इन्होनें जी.सी.जैन कॉमर्स कॉलेज से अपना स्नातक किया है। फिलहाल
एम.कॉम. की पढ़ाई कर रहे हैं।
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"कु छ ऐसे मेरे श्री राम है"
— अंकित साह
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अंकिता गुप्ता
ये अंकिता गुप्ता हैं। इन्होंने एम.एससी, बी.एड की हैं। वीरों की भूमि कहे जाने वाले
राजस्थान में अज़मेर की निवासी हैं। इन्हें लिखने का शौक़ हमेशा से रहा है, पर कु छ ख़ास
कला भी जो मुझे योग से जोड़ता है। इन्हें पेंसिल और रंगों के साथ बच्चों की मासूमियत से
प्रेम है। बस इतनी सी दीवानगी है, ज़िन्दगी में आगे बढ़ते रहने की ठानी है।
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"जय श्री राम"
राम नाम है, राम नाम, राम नाम से सबको प्यार।
राम के रहीम, रहीम के राम, राम नाम सबसे बलवान।
— अंकिता गुप्ता
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आरोही
आरोही का जन्म और पालन-पोषण बिहार राज्य के छोटे से गाँव शेरपुर में हुआ है। ये
अपने विश्वास और परिवार को अपने लिए सबसे महत्वपूर्ण मानती है। ये ग्रेजुएशन की
छात्रा हैं। इन्हें प्यार, पर्यावरण पर कविताएँ लिखना पसंद है। उन्हें अपने दोस्तों, परिवार के
अलावा किताबों और पेड़-पौधों के साथ समय बिताना पसंद हैं।
इनकी कविताएँ 'IN A DILEMMA', 'Jazbaati Kalam', 'कसूर', 'स्त्री' , 'हर हर
महादेव', 'Ankahe Jazbaat Dil ke' नामक संकलनों में आ चुकी हैं।
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"हे राम"
— ©आरोही
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आशा
"काया का सुख लेते-देते, बीती रैन सुहानी, किसने समझी, किसने जानी पीड़ा अनजानी, ये माटी की गुड़िया जपती राम
नाम, ये तो ठहरी बड़ी ज्ञानी।"
इनका नाम आशा है। ये निर्गुण लगन व निर्मम स्वभाव की है, इनको अपने शब्दों का
इस्तेमाल बखूबी करना आता है। समझ-समझ कर जो न समझे ऐसा इनका स्वरूप है। ये
हर किसी को बखूबी समझ आ जाए ऐसा बहुत कम होता है, परंतु अपने अनुसार इन्होंने
श्री राम का जो रुप अपने शब्दों में परिवर्तित करा है वो आनंदित व अतुलनीय है। इनका
मानना है कि समय-समय पर अल्फाज़ों पर काम ज़ारी रखना चाहिए जिसे हम हर समय
ख़ुद को ख़ुद से बेहतर प्रदर्शित कर सकें ।
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"राम नाम"
— आशा
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आशा झा “सखी”
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"जग-मग अयोध्या"
डूबा रहा जो बरसों
तम के अंधकार में
जगमगा उठा नगर आज
दीयों के प्रकाश में
देखो सरयू के तट पर
दीपावली की जगमगाहट हुई
पाँच लाख इक्यावन हजार
पाँच सौ एक दीयों से
आज अयोध्या रौशन हुई
रंग गयी है अवधपुरी
आज भगवा रंग में
एक भगवाधारी के कारण
नगर में भगवा की सजावट हुई
राह देख रहा जनमानस
प्रतीक्षा की घड़ियाँ विकल हुई
श्री राम के नगरागमन की
— आशा झा सखी
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आशीष कु मार
ये हैं आशीष कु मार जो की रायपुर,छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। वर्तमान में ये तृतीय वर्ष के
इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। इनका ये मानना है कि जब भी आप अके लापन महसूस करें, तब
अपने कलम को अपना साथी बनाकर अपने मन के सारे जज़्बात और भावनाओं को पन्नों
में लिखिए। ये साथ ही लेखन को मन की शांति बताते हुए कहते हैं कि लेखन आपको
अपने कलम से चीखने का मौका देती है और बेजुबान को भी शोर देती है। ये प्रकृ ति की
वादियों को अपनी रचनाओं से परिभाषित करने की कोशिश की है, साथ ही प्रेम का भी
अपनी कु छ शायरियों से उल्लेख किया है।
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“मर्यादा पुरुषोत्तम-’प्रभु श्रीराम’"
बखान क्या मैं करूँ प्रभु का, प्रकृ ति के हर एक कण में समाया नाम हैं,
प्राण जाये पर वचन ना जाये,ऐसे आदर्शों वाली "अयोध्या नगरी" का सृजन कर जाते।
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सम्पूर्ण विश्व में हुआ जयघोष,मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभू श्रीराम हमारे।
बखान क्या मैं करूँ प्रभु का,प्रकृ ति के हर एक कण में समाया नाम हैं,
— आशीष कु मार
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आशीष पांडे
इनका नाम आशीष पांडे है। ये फरीदाबाद में रहते हैं। ये अभी 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं।
इन्हें कविता लिखना अच्छा लगता है। वो कहानी लोगों को एक अच्छा संदेश देने के लिए
लिखते हैं। इनका कहना ये है कि मनुष्य अपनी फितरत तब दिखाता है, जब मनुष्य का
स्वार्थ निकल जाता है
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"जय श्री राम"
— आशीष पांडे
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बीना शाह
इनका नाम बीना संजय शाह है। इन्हें विविध विषयों में बड़ी रुचि है ,पर संगीत और लेखन
से विशेष लगाव है और इसीलिए अपना सारा समय ये लेखन कार्य पर ख़र्च करना चाहती
है। इन्होंने आज तक तेरह से ज्यादा संकलनों में अपना योगदान दिया है । ये अपने विचार
बड़ी सादगी से पेश करती है ,पर जब भी लिखती हैं, दिल से लिखती है। वो गुजराती ,
हिंदी, मराठी और अंग्रेजी भाषा में लिखती रहती है। इनकी कृ तियों में इनके व्यक्तित्व की
झलक दिखेगी। इनका लेखन ही इनकी पहचान है।
yourquote@beenashah12
blog@http://rahimanava.blogspot.com/?m=1
insta@beena_shah74
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“जन्मोत्सवसी”
— बीना शाह
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ये चंद्र प्रकाश पुजारी हैं। इन्होंनें एम.बी.ए, एम.ए. (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) और
एल.एल.बी की डिग्री हासिल की हैl वो ३३ वर्ष निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कं पनियों के
मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण विभाग में कार्यरत थेl ये सेवानिवृत्ति के समय महाप्रबंधक
(मानव संसाधन एवं प्रशिक्षण) पद पर कार्यरत थेl ये २ वर्ष मानव संसाधन के क्षेत्र में
‘सलाहकार’ के पद पर भी कार्य कर चुके हैंl इन्हें हिंदी भाषा में कविताएँ और अंग्रेज़ी
भाषा में विभिन्न विषयों पर लेख लिखने में रुचि रखते है और आनंद प्राप्त करते हैंl
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"भगवान राम"
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अहिल्या वर्षों पड़ी थी बनके पाषाण,
आपके स्पर्श से मिला उन्हें नव जीवन,
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दीप पंचाल
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"जय श्री राम”
— दीप पंचाल
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दिपक कर्मा
ये हैं दिपक कर्मा। जो मध्य प्रदेश के खरगोन में एक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
करही (महेश्वर) में एक गणित के शिक्षक हैं। ये प्रकृ ति से बहुत जुड़ाव रखते हैं। इन्हें सुबह
की सैर बहुत अच्छी लगती है और समय का अभाव होने पर भी अपने विचारों को सबके
समक्ष रख देते हैं। लिखना इनका एक शौक़ है, दीपक का अर्थ दूसरों को प्रकाशित करना,
इस अर्थ को सार्थक करने के लिए ये ज्ञान रूपी प्रकाश फै ला रहे हैं।
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"भगवान राम"
बहुत पावन है राम की रामायण, भगवान राम, श्री नारायण के अवतार हैं,
सूर्य वंश के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के प्रिय पुत्र है ।1।
— दिपक कर्मा
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देव प्रकाश
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"कलियुग का राम"
त्रेतायुग का वक़्त गया,
रामायण का भी अंत हुआ।
— एक_अधूरा_शायर
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धर्मेंद्र प्रसाद
धर्मेंद्र प्रसाद मूलतः सिवान, बिहार से हैं। ये व्यवसाय से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। हिंदी
कविताओं को पढ़ने तथा उनकी रचना करने में रूचि रखते हैं। इनका मानना है की हर
कार्य को पूर्णता एवं लगन के साथ करना चाहिए। जीवन के प्रति इनका यह दृष्टिकोण है
की इंसान को सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करनी चाहिए चूँकि लालच का कोई अंत नहीं है।
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"कु छ ऐसा है ईश्वर मेरा"
— धर्मेंद्र प्रसाद
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फ़रहीन सिद्दिकी
इनका नाम फ़रहीन सिद्दिकी है और ये वाराणसी की रहने वाली हैं। इनके पिता महबूब
अहमद सिद्दिकी व माता सुल्ताना परवीन हैं। अभी ये मध्य प्रदेश से बी.सी.ए की पढ़ाई कर
रही हैं। इन्हें लिखने का बहुत शौक है और ये गुण इनको विरासत में इनके दादा से मिला
है। इनके दादा सिर्फ़ डायरी में लिखा करते थे लेकिन ये अपनी पहचान किताबों में भी
बनाना चाहती हैं और ये इनका उद्देश्य है। ये हिन्दी व उर्दू दोनों ही भाषाओं में लिखना
पसन्द करती हैं और अंग्रज़ी भाषा में भी लिखने का प्रयास कर रही है। इन्हें अमूमन हर
विषय पर लिखना बेहद पसन्द है।
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"दास्तान-ए-श्री राम"
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गणेश पाटील
ये गणेश पाटील हैं। जो अंतिम वर्ष औषध निर्माणशास्त्र के विद्यार्थी है। ये जलगाँव महाराष्ट्र
के रहने वाले है। इन्हें लेखन और कविता में बेहद रुची है। जिससे ये अपने विचारों को
शब्दों में परिवर्तित करते है। अपने लेखन को विशिष्ट पद्धती से लिखने की उनकी आदत
है। जो उन्हें एक लेखक के रूप में दर्शाती है। ये कई प्रकाशन में लेखनियों का योगदान दे
चुके है। इन्हें सामाजिक और प्रेम के विषयों में लेखन करने की बहुत रुची है। इन्होंने अब
तक १५० से ज़्यादा कविता लिखी हुई है और आगे भी लिखते रहेंगे।
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"श्रीराम जन्मोत्सव"
— गणेश पाटील
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हँसमुख नामदेव
इनका नाम हँसमुख नामदेव है। ये मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के शिवपुर ग्राम के रहने
वाले है। इन्होंने लिखने की शुरुआत अपने दोस्त के जन्मदिन पर की थी। इनके द्वारा
लिखी पहली रचना इन्होंने अपने दोस्त को गिफ्ट की थी, वो रचना सभी को इतनी पसन्द
आई। सभी ने इन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया। तभी से इन्होंने बहुत सी रचनाओं को
लिखना शुरु कर दिया। ज्यादातर ये प्रेम और श्रृंगार की कविताएँ लिखना पसन्द करते है।
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"प्रभु श्री राम"
— हँसमुख नामदेव
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कन्हैया पटेल
इनका नाम कन्हैया पटेल है। ये बिहार के मोतिहारी जिला के बोकाने कलां गाँव से आते है।
इन्होंने अपनी शिक्षा गाँव के विद्यालय से पूरी की, उसके बाद मोतिहारी श्री लक्ष्मी नारायण
दुबे महाविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया है। इन्हें लिखने का शौक़ बचपन से है,
बचपन से अभितक इन्होंने बहुत सारी कविताएँ लिखी है। इनका बचपन अपने ही गाँव के
श्री प्रजापति सेवा सदन पुस्तकालय में बीता। इन्होंने अपनी कलम का प्रेम और लिखने की
पागलपन को मिला के अपना नाम "पागल प्रेमी" रखा है, और इस नाम से इन्होंने अभी
तक सैकड़ों भोजपुरी गीत लिखा है।
इनको किताबें पढ़ना, गीत और कविताएँ लिखना और, क्रिके ट खेलना पसंद है।
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"राम"
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भक्त को देकर भाई का दर्जा,
भक्त का भाग्य संवार दिया,
मर्यादा पुरुषोत्तम दुनिया,
प्रभुजी तुमको नाम दिया,
"पागल प्रेमी" भक्त तिहारो,
रटता हरदम तेरो नाम,
रघुकु ल नंदन जय श्री राम,
पतित पावन सीताराम।।
— कन्हैया पटेल
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करिल
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” मर्यादाओं का युग - एक आवश्यकता”
— ©करिल
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खुशाल इंदौरकार
इनका नाम खुशाल इंदौरकार है। इनके नाम का मतलब 'ज़िन्दगी का मकसद' है। जिसके
मायने है खुशाल, जो खुश रहता है। ये इसे एक कदम और आगे ले जाकर सबको अपने
लेखों के द्वारा खुश रखना चाहते है।
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'राम'
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खुशबू श्रीवास्तव
इनका नाम श्रीमती खुशबू श्रीवास्तव है। ये उत्तर प्रदेश के जिला सुल्तानपुर की निवासी है।
इन्हें कविताएँ पढ़ना बहुत पसंद है। ये हमेशा से लिखना चाहती थी पर इन्होंने लिखना हाल
ही में शुरू किया है।
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"वो राम है"
वो राम है, जिनके लिए सीता जी महलों का सुख त्याग के वन का जीवन चुन लिया था।
वो राम है, जिन्होंने सबरी की भक्ति भाव से उनके जूठे बैर खाये थे।
— खुशबू श्रीवास्तव
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कीर्ति लोहार
ये विचार हैं सुश्री कीर्ति लोहार के ,ये झीलों की नगरी उदयपुर,राजस्थान की निवासी हैं।
इन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है और वर्तमान में शोधार्थी हैं। ये अपनी
कलम से उन वाकियों को बयां करती हैं जो आम ज़िन्दगी से जुड़े हैं,सरल शब्दों में लिखना
इनकी शैली है और नित नया सीखना इनका जुनून।
लिखने का ये हुनर अपने पिता और बड़ी बहन से पाया है।
जीवन में इनका के वल एक ही उद्देश्य है कि कु छ ऐसा करें जिससे किसी को दुख ना हो
और सभी को खुशियां मिले।
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“एक नया राम चाहिए”
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मनीषा कौशल
इनका नाम मनीषा कौशल है। झीलों की नगरी भोपाल की ये रहने वाली है। वर्तमान में ये
श्री भवंस भारती पब्लिक स्कू ल में हिंदी शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। इन्हें लिखने का
शौक बचपन से था परन्तु अपने शौक को कभी वयक्त नहीं किया। कोरोना काल के
अन्तर्गत मन में बसी हुई सारी बातें इन्होंने लेखन के द्वारा व्यक्त की। पिछले 15 वर्षों से ये
बच्चों को हिंदी पढ़ाती आ रही है। लेखन क्षेत्र में ये और लिखना चाहती है।
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“जय श्री राम”
— मनीषा कौशल
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मानसी मिश्रा
मानसी मिश्रा स्नातक अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। उन्हें कविता लिखना, पढ़ना पसंद है। उन्हें
संगीत कला और साहित्य अत्यंत पसंद है। अपने शब्दों से समाज को नारी अपराध के प्रति
जाग्रत कर कम करना चाहतीं हैं। वे नारी की पीड़ा और अस्तित्व को अपने शब्दों मे उके र
कर इस समाज मे नारी को सम्मान दिलाने की आशा रखतीं हैं।
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“श्री राम”
— मानसी मिश्रा
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मुग्धा डवरे
मुग्धा डवरे महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली हैं। ये कमिंस महाविद्यालय में
अभियांत्रिकी के दुसरे वर्ष की शिक्षा ले रही है। इन्होंने हाल ही में लिखने का शौक़ खोजा
है।
insta@shaoems_world
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"विनम्रता की मूर्ति"
— मुग्धा
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नैंसी सिंह
उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच की निवासी नैंसी सिंह जी यूँ तो बचपन से ही कविता
लिखती थी पर कभी इन्होंने अपनी इस कला को सबके सामने नहीं लाया है। ये इनकी
पहली रचना है जो "जय श्री राम" संकलन में प्रकाशित हो रही है।
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“जय श्री राम”
— नैन्सी सिंह
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निधि पनीकर
इनका नाम निधि पनीकर है इनका जन्म ३० मार्च १९९७ मे हुआ था ओर ये गुजरात के
राजकोट शहर में रहतीं है कहानी लिखना ओर कविता लिखना इनहे पसंद है।
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"मेरे प्रभु श्रीराम"
अर्धांगिनी
भ्राता लक्ष्मण
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श्राप मुक्त वही है प्रभु श्रीराम
भक्त
जय श्री राम
— निधि पनीकर
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नीक राजपूत
इनका नाम नीक राजपूत है और ये गुजरात में स्थित पोरबंदर के रहने वाले हैं। ये पिछले
तीन साल से कविताएँ लिख रहे हैं और इन्हें लिखना बहुत पसंद हैं।
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“श्री राम”
राम नाम से है पावन धरती वायु।
आकाश राम नाम से मिले मुक्ती,
राम है हरिद्वार राम नाम है मोक्ष,
का द्वार करो राम, की भक्ति राम,
है हर कण में राम है हमारे जीवन।
का सार राम है भगवान। राम है।
अभीमान राम है हमारी, पहेचान।
करो राम के गुणगान राम ही नाम।
से ही, होगा जीवन सरल, उद्धार,
दो शब्दों का प्यार नाम लेते ही।
कई मुश्किले दूर भागती पूरे होते,
काम तमाम। राम है मर्यादा, मान,
जब लगें, गा राम नाम का जाप,
लगें गी तब पानी मे भी आग।
राम नाम, मे इतनी सकती उनके ,
नामसे पत्थर, की शिलाएँ, भी।
तैरती पुरषोत्तम है भवगवान राम।
अपने राज्य का मुकु ट है राम प्रभु,
राम है शत्रुओं, के क्षमादान राम।
है संन्यासी, राम, है। अविनाशी।
— नीक राजपूत
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पारुल पाटीदार
"श्री राम"
राम नाम से गूंज रही
आज अयोध्या नगरी सारी
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चैत मास नवमी तिथि आई
प्रगट भए रघुनन्दन श्री राम हमारे
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हनुमान जी के सीने में बसे, ये सिया के राम है
गृध्रपति जटायु को भी पिता तुल्य माना
दशरथ पुत्र, कौशल्या नंदन
मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम ने
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प्राची अग्रवाल
इनका नाम प्राची अग्रवाल है। ये रतनपुर, छत्तीसगढ की रहने वाली है। ये इंजीनियरिंग
तृतीय वर्ष की छात्रा है। साथ ही अपने मन के विचारों को कलम से पन्नों पर उतारने की
प्रतिभा रखते हुए लेखन कार्य में प्रयासरत है। इन्होंने बतौर संकलक दो संकलन की है।
बतौर सह-लेखिका बहुत से संकलन में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है। इनकी दुनिया के
सामने अपनी बात एक नये नजरिए से रखने की कोशिश हमेशा रहती है।
insta@prachiagrawal261
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क्या लिखे हम इन महान मर्यादापुरुषोत्तम के बारे मे
जिनके महानता मे अनन्त शब्द है
जिनके जीवन के अनन्त उपदेश है
आप मानव जाति के धर्म चिन्ह है
आप सरलता और शान्ति के अनन्त सागर है
आपका नाम लेते ही सब परेशानी का हल हो जाता है
आपके नाम ने तो पत्थर को भी पानी मे तैराया है
अशांत चित आपकी भक्ति मे शान्त हो जाता है
मानव जीवन का उदाहरण आपने दिया है
पितृभक्ति की मिसाल आपको माना है
बिना कोई अपराध 14 वर्ष का वनवास आपने भोगा है
कई दानव कई राक्षस का वध कर ,उन्हे श्राप से मुक्ति किया है,अनेक ऋषि-मुनियो से
जीवन उपदेश लिया है
हे मर्यादापुरुषोत्तम हे रघुवर हे राम
जय सिया राम ये गूंजता आया सदा नारा है
— प्राची अग्रवाल
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प्रशस्ति सचदेव
ये हैं प्रशस्ति सचदेव जो कि जौनपुर, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। इन्होंने इलेक्ट्रिकल
इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। ये सचदेव और साहब की इबारतों को बयां करके ही अपने
उंस को हर बार जी लिया करतीे है। अपने जीवन के सारे आयामों का श्रेय ये अपनी बहन
को देती हैं।
इन्होंने बतौर संकलक 'सफ़र' और 'अपनापन एक एहसास' में काम किया है। इनका सपना
है कि वो अपेक्षित वर्ग के लोग के लिए कु छ कर सकें ।
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“आपकी तलाश में श्रीराम”
मैं आपको किस रूप में जानती हूँ, ये बताना बड़ा मुश्किल है क्योंकि हर रूप में मुझे आप
हर बार नए दिखते हो, शुरुआत से बताऊँ तो आपके नाम के बड़े अर्थ है मेरी जिंदगी में,
आप मेरे बचपन के मंदिर वाले वो मूरत हो जिनके आगे मैंने हनुमान जी को नतमस्तक
देखा है।
कभी मुझे आप टेलीविजन पर रामायण में दिखते, कभी मुझे ये पता चला कि आप मेरे
प्यारे कृ ष्णा के ही एक रूप हो, कभी मुझे दशहरे के मेले में रावण का वध करते हुए दिखे,
कभी मुझे आप रामलीला के आयोजन में हे सीते! पुकारते दिखे।
मैंने आपको बहुत रूपों में पाया है, कभी किसी जगह का नाम मैंने रामगढ़, रामपुर,
रामनगर पाया है और इन सब जगहों के बावजूद जो मेरी जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने
रखता है वो ऋषिके श का राम झूला है। मुझे नहीं मालूम झूले का नाम राम झूला क्यों पड़ा,
पर हाँ उससे मेरी अलग ही आस्था जुड़ी हुई है, उसके नीचे बैठती हूँ तो मैं पहाड़ों की शांति
और गंगा जी की कलकल मधुर आवाज में ऐसा लगता है कि आप अपना आशीष देते हो।
मेरा मन एक बार के लिए एकदम शांत हो जाता है।
बहुतों को कहते सुना है कि राम नाम जपते जाओ मरने से पहले एक बार राम का नाम
जरूर लेना चाहिए। आपके नाम के बहुत मायने जिंदगी में हैं पर तब भी लगता है कि
असल स्वरूप मैं आज तक जान नहीं पाई हूँ। आपकी तलाश में शायद अभी जिंदगी में
कु छ और लम्हें देखने बाकी है, कृ ष्णा को जानती हूँ, राम को नहीं जानती आपको जानने
की आतुरता मेरी जिंदगी में हमेशा रहने वाली है। एक दिन मेरे बजरंगबली के आराध्य 'श्री
राम' को जरूर जान पाऊँ गी। 'जय श्री राम'
— सचदेव
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प्रतिभा सिंह
इनका नाम प्रतिभा सिंह है, जो मूलतः तो उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा की निवासी है, पर
जीवन यापन ये दिल्ली में कर रही है। साहित्य क्षेत्र में रुझान इन्हें बचपन से ही पर लिखना
इन्होंने कु छ सालों से ही शुरू किया है।
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"जय श्री राम"
जय श्री राम, जय श्री राम,
हर कोई गए तेरा ही गुणगान,
तेरे दर पर हम भक्त जन आम,
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हमने भी वचनबद्ध होना सीखा
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प्रयास तामाङ
ये हैं प्रयाश तामाङ जो पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग के रहने वाले हैं। ये असिस्टेंट
लाइब्रेरियन का काम करते हैं, रबिन्द्र भारती यूनिवर्सिटी, कोलकाता में। इन्हें साहित्य से
जीने की व प्रकृ ति से लिखने की प्रेरणा मिलती हैं।
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‘भक्ति’
— प्रयास तामाङ
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प्रियंका मिश्रा
प्रियंका मिश्रा जो की भगवान महादेव की अनंत भक्त है और इन्हें अपना गुरु मानती है ये
लखनऊ की रहने वाली है। ये पोस्ट ग्रेजुएटेड है। इन्होंने दो साल से लेखन आरम्भ किया है
इनका परिवार ही इनका मार्गदर्शक है तथा महादेव की कृ पा से लिखने में रूचि आयी। इन्हें
हमेशा मोहब्बत पे लिखना ज्यादा पसंद है या अपने आस पास जो देखती है उसे ही अपनी
शायरी कविता में लिखती है। इनकी कविताएँ माँ, आत्मिक प्रेम, बचपन, वेदना, 2020,
मेरी मिट्टी, मन मेरा, विद्या माता, स्त्री , हर हर महादेव, रंग नामक संकलन में आ चुकी है।
और ये खुद की भी अपनी कसूर तथा आखिरी मोहब्बत नामक संकलन में बतौर संकलक
काम कर चुकी है।
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"मर्यादा पुरुषोत्तम"
अयोध्या के राज दुलारे दशरथ नंदन कहलाते हैं !
प्रजा के दिल पर राज किया वही राम कहलाते हैं !!
क्रोध में जिसने पूरे संसार को जीता हाँ उन्ही की भार्या तो सीता हैं !
बुराई पर अच्छाई से दुनिया को जीता है हाँ उसी राम राज्य की प्रजा हम हैं !!
पूरा अयोध्या दीप से जगमगाया था जब भगवान राम माँ को साथ लेकर लौटे हैं !
हुआ अभिषेक हर्ष उल्लास से प्रजा के मन को भायें हैं !!
— प्रियंका मिश्रा
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राधा मिश्रा
इनका नाम राधा मिश्रा शर्मा है। ये अविश्वसनीय भारत के ब्रांड एंबेसडर के रूप में ख़ुद को
देखती हैं क्योंकि शुरू में ये राजस्थान की मूल निवासी थीं, फिर बिहार में कु छ दिन रहीं
फिर झारखंड में फिर उड़ीसा और तदोपरांत वर्तमान में उत्तराखंड में रह रही हैं, ये वहाँ
चली जाती हैं जहाँ जीवन की हसीन यात्रा इन्हें ले जाती है।
ये पेशे से शिक्षिका हैं। इन्होंने बी.टेक. और एम.बी.ए. किया है। ये अपने जीवन को खुशी,
प्यार, दर्द और गुस्से के विभिन्न रंगों से रंगती हैं।
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"मेरे राघव"
मेरा मेरे राघव से बड़ा गहरा नाता है। राघव शब्द में अपनापन ज्यादा महसूस होता है।
शायद इसीलिए मेरे जिह्वा पर ये सदैव विराजमान हैं और हमेशा रहेंगे, जब तक है प्राण।
राम = रास्ता +मंजिल । राम ही रास्ता बताते हैं, रामचरितमानस के द्वारा और वे हीं तो
असली मंजिल है । उनको पाने के बाद और कु छ पाना शेष नहीं रह जाता। या यह भी कह
सकते हैं कि उनको पाने की ललक में और सब कु छ फीका पड़ जाता है।
रामचरित ऐसा विशाल सागर है की जिसके बारे में कु छ लिखना सागर में से गागर की कु छ
बूंदों के समान भी नहीं है। जीवन के हर एक पड़ाव को पार करने के लिए श्री राघव जी का
चरित्र ही सर्वोत्तम मार्गदर्शन करता है। श्री राम जी का चरित्र, उनकी कृ पा, उनकी महानता,
उनकी भक्तवत्सलता, को समझने के लिए श्रीरामचरितमानस सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। शायद
श्रीरामचरितमानस को ग्रंथ कहना अपराध होगा, वे तो साक्षात श्री राम जी हैं। हम जैसे
मंदबुद्धियों के लिए इससे सरलतम साधन नहीं है श्री राम राजा सरकार को जानने के लिए।
इस घोर कलयुग में मानव उद्धार के लिए ‘मानस’
(श्रीरामचरितमानस) से सरल और कोई साधन नहीं है। श्रीराम का तो एक-एक प्रसंग
अनुकरणीय है। बाल्यकाल, विद्यार्थी जीवन, युवावस्था, वन प्रसंग में मातृ-पित्तभक्ति,
संहारक या फिर पालक , रामराज्य , सभी हमें जीवन के हर एक मोड़ को जीना सिखाते
हैं। भाई भाई का प्रेम हो, माता को सम्मान देना हो, पिता की बात का मान रखना हो,
जीवनसंगिनी के विचारों का कद्र करना हो, राजा के रूप मैं त्यागी जैसा जीवन जीना,
इतना कु छ सीखने को है श्रीराम से। सफल और श्रेष्ठतम जीवन जीने के लिए मर्यादा
सर्वोपरि है। यही बात श्री मर्यादा पुरुषोत्तम के जीवन से सीखने को भी मिलती है।
मर्यादित जीवन जीने वाला व्यक्ति कभी गलत राह पर नहीं चल सकता, उसे कष्ट अवश्य
हो सकता है , पर व सुखी जीवन जिएगा।
श्री तुलसीदास जी लिखते है-
“अति हरि कृ पा जाहि पर होई, पाउं देइ एहिं मारग सोई। “
अर्थात- जिन पर भगवान की विशेष कृ पा होती है के वल वे ही इस पथ पर आगे बढ़ सकते
हैं और उनको जानने की एवं मानने की इच्छा रख सकते हैं। श्री राम को सही मायने में
अनुकरण करने के लिए उनकी कृ पा होना अनिवार्य है । जितना अपने जीवन से जाना है,
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कृ पा पाने का सर्वोत्तम साधन सत्संग है, क्योंकि बिनु सत्संग विवेक नहीं होई। जब तक
विवेक नहीं होगा तब तक मन निर्मल नहीं होगा। और प्रभु निर्मल मन में ही वास करते हैं।
श्री राम कहते हैं- “ निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।
इस रामनवमी पर श्री सीताराम जी के चरणों में अपने भाव पुष्प अर्पण करने का सौभाग्य
प्राप्त हुआ। सबका मन और चित्त सुंदर एवं निर्मल हो, हमारा उद्धार हो, हम आपकी
शरण में आए हैं
इस प्रार्थना के साथ
“भो राम मामुद्धर“। जय सियाराम।
— राधा मिश्रा
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ऋचा सिंह “सोमवंशी”
हिंदी भाषा की लेखिका ऋचा सिंह “सोमवंशी”, उत्तर प्रदेश के “प्रतापगढ़” जिला से
ताल्लुक रखती हैं। इन्होंने “राजनीति शास्त्र” से स्नातकोत्तर किया है। स्नातक करते समय
इन्हें बहुत से श्रेष्ठ कवियों के कव्यांशों को पढ़ने का अवसर मिला और यहीं से साहित्य की
ओर रूझान बढ़ा तथा इन सब से प्रेरित होकर इन्होंने अपना लेखन कार्य प्रारंभ किया।
इन्होंने 'रंग', 'माँ', 'बचपन', 'आत्मिक प्रेम', 'वेदना', 'THE COURAGE' आदि कई काव्य
संग्रह में सह-लेखिका के तौर पर कार्य किया है।
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“लौट आओ पुरुषोत्तम राम”
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सम्राट अरोड़ा
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"हमारे रघुराई"
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सत्य के पथ पर ज़िन्दगी बिताई ।
ऐसे है हमारे रघुराई ।
— सम्राट अरोड़ा
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शालिनी अग्रवाल
“जिंदगी की किताब के कु छ पन्ने पीछे छू ट गए हैं, शायद मुझसे रूठ गए हैं। उन्हें मनाने
चलूँगी तो पूरी ज़िन्दगी ही निकल जाएगी।”
ये श्रीमती शालिनी अग्रवाल हैं। इनकी पहली पुस्तक गीत पल्लवी एक साझा काव्य
संकलन है जिसमें इनके ही परिवार की पाँच महिलाएँ हैं। इसमें इनकी सोलह कविताएँ
प्रकाशित हुई हैं। 2017 में इनका अपना काव्य संग्रह भूली बिसरी यादें प्रकाशित हुआ जो
100 कविताओं का संग्रह है।
इसके उपरांत 2018 में एक और साझा काव्य संकलन गीत पल्लवी भाग-2 प्रकाशित हुआ
जिसमें इनकी चौबीस कविताएँ प्रकाशित हुईं।
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"जय श्री राम"
महिमा उनकी अपरम्पार
सबका वो करते उद्धार
शब्दों में उनको रचकर
ख़ुद को मैं कर दूँ कृ तार्थ।
यश,वैभव,कीर्ति पाकर
हिंदुत्व का अभिमान रखा
सीता का सम्मान रखा
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मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने।
— शालिनी अग्रवाल
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शिवांगी सिंह राजपूत
ये हैं शिवांगी सिंह राजपूत, जो शिव की नगरी काशी (वाराणसी) उत्तरप्रदेश की रहने वाली
है। ये एक कृ ष्णा भक्त हैं। इन्हें नई जगहों पर घूमना, कहानियाँ लिखना, शायरी
लिखना,कान्हा की भक्ति करना बहुत पसंद हैं। इन्हें भीड़ में रहना बिल्कु ल पसंद नहीं हैं
पर इनकी खुद से खूब बनती हैं।
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" मेरे प्यारे राम "
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शिवेंद्र भूषण
ये शिवेंद्र भूषण लखनऊ, उत्तर प्रदेश से हैं। ये कक्षा 12 के छात्र है। ये एक लेखक, स्के च
कलाकार है। ये अपने भावों को शब्दों का रूप देते हैं। ये इनकी दूसरी कविता है जो
प्रकाशित हुई हैं।
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"श्री राम"
मित्र को वचनदेकर
निभाए हर मूल्य पर
वो परम मित्र श्री राम हैं,
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जोजीवन के सबसे कठीन समय में भी लांघे ना मर्यादा को
वो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम हैं।
— शिवेंद्र भूषण
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सुधी विनय
“जिंदगी कष्टों और परीक्षाओं से परिपूर्ण है, अपने विचारों को शब्दों में प्रकट करना हमें
शांति प्रदान करता है।”
इनका नाम सुधी विनय (कलम नाम - आरू) है। वह पूर्णिया (मिनी दार्जिलिंग के नाम से
प्रसिद्ध) बिहार से हैं। इन्होंने इस वर्ष अपना इंटरमीडिएट पूरा किया है तथा 10 वीं कक्षा से
लिखना शुरू किया था। “स्त्री” तथा "हर हर महादेव" संग्रह में इनकी रचनाएं प्रकाशित हो
चुकी हैं। इनका मानना है जीवन में आए हर एक उतार चढ़ाव में शांति की अवश्यकता
सबसे अधिक होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करके हमारे अंतर्मन को अथाह
सुख की अनुभूति होती है, शब्दो के मायाजाल में इतनी शक्ति होती है कि जीवन और
संसार के हर भाग में ये बदलाव ला सकती है।
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"जीवन अध्याय श्री राम की"
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धन्य नगरी है अयोध्या जो श्री राम का वो धाम है ।।
दुख सुख पीड़ा पाप कर्म सबका वह विराम है।।
— आरू
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शुभम दुबे
इनका नाम शुभम दुबे है। लेखक और पेशे से इंजीनियर है। ये गोंदिया, महाराष्ट्र के निवासी
है । अकसर अपने लेखन के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते रहते है। प्यार और
विचारों को उद्धरण और कविता के माध्यम से व्यक्त करते है । ये वर्तमान में एक प्रेम
कहानी पर काम कर रहा है उम्मीद है कि यह जल्द ही प्रकाशित होंगी ।
insta@Terra_of_words
fbpage@Shubhi Wrote.
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"जय श्री राम"
पैरो में खड़ाऊ, शस्त्र और वस्त्रों के चिथड़े मे संवरे रेशमी वस्त्र को किया त्याग
ख़ुशी ख़ुशी सब मोह माया त्याग निकल चला भाई लक्ष्मण और प्रिये सीता के साथ
वन में सुंदर मायावी स्वर्ण मृग माता सीता ने जब देखा
विधि विधान का खेल में पार हुई लक्ष्मण रेखा,
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राम ने किया रावण का नाश अहंकार का हुआ विनाश
राम सिया की जोड़ी है ख़ास बिन हनुमत के जमे ना बात ,
राम नाम की अलग है बात, मर्यादा पुरुषोत्तम बोलो जय श्री राम।
— शुभम दुबे
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स्मृति मुखर्जी
इनका नाम स्मृति मुखर्जी है। ये नई दिल्ली में रहती हैं। वो पेशे से राजनीति विज्ञान की
अध्यापिका हैं। इन्हें कविताएँ लिखने और पढ़ने का शौक़ है।
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"श्री राम सा होना आसान नहीं"
— स्मृति मुखर्जी
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स्मृति सुमन
लेखिका का नाम स्मृति सुमन है। ये बिहार के जिला मुजफ्फरपुर से संबंध रखती हैं।
लिखना इनके हृदय को सुकू न देता है। ये समाज में हो रहे अन्याय और सामाजिक बुराईयों
को अपनी कलम से उजागर करती हैं। ये बहुत से किताबों में सह-लेखिका के तौर पर और
कई समाचार पत्रों में भाग ले चुकी हैं। ये ख़ुद प्रकाशक बनकर अपनी लेखनी से समाज
को प्रभावित कर दूसरो के लिये प्रेरणा बनना चाहती हैं।
insta@the_blue_moon_girl
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"मुझे गर्व है रावण हूँ मैं"
— स्मृति सुमन
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स्वप्निल खैरनार
इनका नाम स्वप्निल खैरनार हैं। ये एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। वो हमेशा से ही अपने माता-
पिता के लिए कु छ करना चाहते है। इन्हें भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ख़याल आया की क्यों
ना कु छ लिखा जाए खुद की ज़िंदगी पर तो बस कु छ सीखते सीखते अब कु छ अच्छा
लिखने की कोशिश कर रहे हैं।
insta@swapnil777888
email@swappya77778888@gmail.com
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"राम नवमी"
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— स्वप्निल खैरनार
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तुलिका श्रीवास्तव
तुलिका श्रीवास्तव, एक ओजपूर्ण लेखिका हैं। जो छोटे से शहर सिवान, बिहार से हैं। ये
"जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी " से "MCA" की पढा़ई की है और Scorpix India Com.
की सेलेक्टिव कैंडिडेट है। इनकी कविताएँ Remedies Of Living Souls, Flying
Towards Freedom, Stree - A warrior, मेरी मिट्टी, मन मेरा, विद्या माता, स्त्री, रंग
आदि संकलन में आ चुकी है। ये एक संकलन "सफ़र का नाम जि़न्दगी" की संकलक भी
है! इनका मानना है कि जब जज़्बातों और कल्पनाओं को मिल जाए एक कलम का साथ,
दिल में सिमटे अनकहे शब्दों को मिल जाए जब पन्नों का पनाह, तो इससे खूबसूरत बात
और क्या हो सकती है। इसी धारणा के साथ ये लेखिका अपनी भावनाओं को हर किसी के
समक्ष रखने के लिए प्रयासरत हैं।
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"श्री राम"
सातवें विष्णु के अवतार है, हमारे कण-कण में बसे, ये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है!
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कौशल्या के ममता में राम!
— तुलिका श्रीवास्तव
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उज्जवला कु मारी
इनका नाम उज्जवला कु मारी है और ये झारखंड स्थित जमशेदपुर की रहने वाली हैं इन्होंने
कोल्हान यूनिवर्सिटी ऑफ चाईबासा से ग्रेजुएशन किया हुआ है और ये बी.एड. की छात्रा
हैं। इन्हें डांस अथवा पेंटिंग का बहुत शौक़ है। इन्हें कविता तथा शायरी लिखना बहुत पसंद
है। ये ज्यादातर मोहब्बत पर लिखना पसंद करती हैं। इन्हें अपनी मन की बात को रचनाओं
में लिखना बहुत अच्छा लगता है। इनकी कविताएं तथा रचनाएं 'एक सफ़र', 'अनकही
दास्तां', 'धोखा', 'मेरी मिट्टी', 'मेरा मन', 'कसूर', 'विद्या माता', 'लाइफ', 'भारतीय है हम',
नामक पुस्तक में आ चुकी हैं।
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"श्री राम पुरुषोत्तम"
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तब जाकर चारों दिशाओं में रौनक तथा खुशियां छाई,
लोगों ने उनके स्वागत के लिए घरों में दीप जलाया।
चहल-पहल से चारों दिशाओं में रौनक छाया,
श्री राम जी के चरणों में सभी देवी-देवताओं ने भी
फु लो को समर्पित कर उनका मान-सम्मान बढ़ाया।
— उज्जवला कु मारी
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विक्रम सिंह राजावत
यथार्थ में जीने वाले और यथार्थ को ही शब्दों में सँजो कर लिखने वाले, जीवन में किसी भी
काम को छोटा नही समझने वाले विक्रम सिंह राजावत भारत देश के सबसे बड़े राज्य
(क्षेत्रफल की दृष्टि से) राजस्थान के करौली जिले के निवासी हैं। ये इंजीनियरिंग करते-करते
लिखना भी सीख गए हैं तथा तरह-तरह के लोगों से मिलना और उनसे विचारों का आदान
प्रदान करना पसंद करते हैं। अपने जीवन मे पहली प्राथमिकता सत्य को देते हैं।
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"जय श्री राम"
चैत्र मास, शुक्ल पक्ष की नवमी, अयोध्या में जन्मे श्री राम।
वानर सेना संग में लेकर, लंका प्रस्थान करे श्री राम।
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चौदह वर्ष वनवास बिता कर, अयोध्या लौटे जय श्री राम।
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English Write-ups
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Arya Asok
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“The Guider”
Kamala Shastry
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Kamala is a retired school teacher with 34 years of teaching experience in
Fatima High School at Ambarnath, near Mumbai. She is also an Art of
Living faculty, teaching the Happiness Program. An avid reader and a poet
at heart. She is a great friend, a role model of her students. A kind and
sensitive person. The Art of Living now epitomises her sole purpose of
living. Her hobbies include drawing, painting and music. Her poems are an
interpretation of pleasant revelation of the simple facts of life, experiences
and through her Guru’s teachings.
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‘Rama’
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Ramayana within us all.
Dashrath, control of ten,
Horses, senses and organs.
Skillful like Kaushalya,
One point focus Like Laxman,
Devotion like Hanuman.
Rama and Sage Vashisht,
Gave us Yog Vashishth.
A boon to Mankind.
Jai Shree Ram, Jai Siya Ram,
Victory to thee O Rama,
The whole of Ayodhya
Lit up with a million lamps,
Glowing in His Glory, let
Ram Navami be a Blessing to all.
— Kamala Shastry
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Mohammad Aga Hussain
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“Lord Rama”
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Nisarg Patil
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“Lord Rama”
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Shashank Om
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“The birth of Rama”
— Shashank Om
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Shreya
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“Why Lord Ram?”
When I complained I got the answer that even Sita was left by Ram,
Who are you that we will tolerate your nuisance?
Why did you lord let Sita go to the jungle?
Why did you lord let Sita bear ‘Agnipariksha’?
I am an ordinary woman and no one to question,
But when I have nowhere to go, I ask these questions.
When I insist on going to someplace by myself,
Who are you when Sita has to bear strict actions?
Who are you to go all alone by yourself?
Take your nephew of age five along before deciding to go yourself.
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Be Sita and don’t take decisions by yourself.
Why did you Lord Ram not let Sita take her decisions?
See this world today give examples of her to every woman.
— Shreya
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Subhashree Pradhan
Subhashree Pradhan hails from Puri, Odisha. She is a poetic heart whose
pen steals pain to connect the sublime emotions with the heart of people.
She is tremendously passionate to enhance her writing skills and to draw a
rainbow of smiles on the face of the reader.
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“Child of Ram”
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— Subhashree Pradhan
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Thank you
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