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श्री रामजी का ध्यान
श्री रामजी का ध्यान
भज
ु िल बिपल
ु भार महह खंडित। खर दष
ू न बिराध िध पंडित॥
रावनारर सुखरूप भूपिर। जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर॥
अपने बाहुबल से पथ्
ृ र्ी के बडे भारी बोझ को नटि करने र्ाले, खर दष
ू र् और वर्राध के र्ध करने में
कुशल, रार्र् के शत्र,ु आनंदस्र्रूप, रािाओं में श्रेटठ और दशरथ के कुल रूपी कुमुददनी के चंद्रमा श्री
रामिी! आपकी िय हो॥