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|| श्री रामजी का ध्यान ||

मामवलोकय पंकज लोचन। कृपा बिलोकनन सोच बिमोचन॥


नील तामरस स्याम काम अरर। हृदय कंज मकरं द मधप
ु हरर॥
कृपापूर्क
व दे ख लेने मात्र से शोक के छुडाने र्ाले हे कमलनयन! मेरी ओर दे खखए (मुझ पर भी कृपादृष्टि
कीष्िए) हे हरर! आप नीलकमल के समान श्यामर्र्व और कामदे र् के शत्रु महादे र्िी के हृदय कमल के
मकरन्द (प्रेम रस) के पान करने र्ाले भ्रमर हैं॥

जातुधान िरूथ िल भंजन। मुनन सज्जन रं जन अघ गंजन॥


भूसुर ससस नव िंद
ृ िलाहक। असरन सरन दीन जन गाहक॥
आप राक्षसों की सेना के बल को तोडने र्ाले हैं। मुननयों और संतिनों को आनंद दे ने र्ाले और पापों का
नाश करने र्ाले हैं। ब्राह्मर् रूपी खेती के ललए आप नए मेघसमूह हैं और शरर्हीनों को शरर् दे ने र्ाले
तथा दीन िनों को अपने आश्रय में ग्रहर् करने र्ाले हैं॥

भज
ु िल बिपल
ु भार महह खंडित। खर दष
ू न बिराध िध पंडित॥
रावनारर सुखरूप भूपिर। जय दसरथ कुल कुमुद सुधाकर॥
अपने बाहुबल से पथ्
ृ र्ी के बडे भारी बोझ को नटि करने र्ाले, खर दष
ू र् और वर्राध के र्ध करने में
कुशल, रार्र् के शत्र,ु आनंदस्र्रूप, रािाओं में श्रेटठ और दशरथ के कुल रूपी कुमुददनी के चंद्रमा श्री
रामिी! आपकी िय हो॥

सुजस पुरान बिहदत ननगमागम। गावत सुर मुनन संत समागम॥


कारुनीक ब्यलीक मद खंिन। सि बिधध कुसल कोसला मंिन॥
आपका सुंदर यश पुरार्ों, र्ेदों में और तंत्रादद शास्त्रों में प्रकि है ! दे र्ता, मुनन और संतों के समुदाय उसे
गाते हैं। आप करुर्ा करने र्ाले और झूठे मद का नाश करने र्ाले, सब प्रकार से कुशल (ननपुर्) श्री
अयोध्यािी के भूषर् ही हैं॥

कसल मल मथन नाम ममताहन। तुलससदास प्रभु पाहह प्रनत जन॥


आपका नाम कललयुग के पापों को मथ डालने र्ाला और ममता को मारने र्ाला है । हे तुलसीदास के
प्रभु! शरर्ागत की रक्षा कीष्िए॥

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