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* कृततपत्रत्रका के ललए सच
ू नाएँ:
१) सच
ू ना के अनस
ु ार गद्य, पद्य तथा परू क पठन की कृततयों में आिश्यकता के अनस
ु ार
आकृततयों में ही उत्तर ललखना अपेक्षक्षत हैं।
२) सभ आकृततयों के ललए पेन का ही उपयोग करें ।
३) व्याकरण विभाग में आकृततयों की आिश्यकता नहीुं हैं।
४) शद्
ु ध स्पष्ट एिुं सि
ु ाच्य लेखन अपेक्षक्षत हैं।
विभाग - १. गद्य
ऐसे दो व्यक्ति सब जगह मिल सकिे हैं क्जनिें एक उनकी नम्र उदारिा की प्रशंसा करिे नह ं थकिा
और दस
ू रा उनके उद्धि व्यवहार की ननंदा करिे नह ं हारिा। जो अपनी चोट के पार नह ं दे ख पािे, वे उनके ननकट
पहुँच ह नह ं सकिे। उनके ववद्रोह की असफलिा प्रिाणिि करने के मलए उनके चररत्र की उजल रे खाओं पर काल िल
ू
फेरकर प्रनिशोध लेिे रहिे हैं। ननराला जी के संबध
ं िें फैल हई भ्ांि ककं वदं नियाुँ इसी ननम्न ववृ ि से संबध
ं रखिी हैं।
िनष्य जानि की नासिझी का इनिहास क्रूर और लंबा है । प्रायः सभी यगों िें िनष्य ने अपने िें श्रेष्ठिा पर
सिझ िें आने वाले व्यक्ति को छाुँटकर, कभी उसे ववष दे कर, कभी सल
ू पर चढाकर और कभी गोल का लक्ष्य बनाकर
हाथ से अपनी बबबर िख
ू ि
ब ा के इनिहास िें नये पष्ृ ठ जोड़े हैं।
प्रकृनि और चेिना न जाने ककिने ननष्फल प्रयोगों के उपरांि ऐसे िनष्य का सज
ृ न कर पािी हैं, जो अपने
स्रष्टाओं से श्रेष्ठ हो पर उसके सजािीय ऐसे अद्भि सज
ृ न को नष्ट करने के मलए इससे बड़ा कारि खोजने की भी
आवश्यकिा नह ं सिझिे कक वह उनकी सिझ के परे है अथवा उसका सत्य इनकी भ्ांनियों से िेल नह ं खािा ।
अ } १) सुंिाल पण
ू ण कीजिए: (०२)
िनष्य जानि द्वारा अपने से श्रेष्ठ व्यक्तियों के साथ ककए गए क्रूर व्यवहार-
१) ववजािीय X ३) सफलिा X
२) प्रशंसा X ४) जीिना X
३) ‘अततथथ दे िो भि ' इस कथन के बारे में ४० से ५० शब्दों में अपने विचार ललखखए: (०२)
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(आ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो प्रश्न का उत्तर लगभग ६० से ८० शब्दो में ललखखए। (०६)
विभाग – २ पदय
३) 'ईश्िर भजक्त में नामस्मरण का महत्त्त्ि होता हैं',इस विषय पर अपना मुंतव्य ललखखए। (०२)
आ ) तनम्नललखखत मद्
ु दों के आधार पर 'सच हम नहीुं; सच तम
ु नहीुं' कविता का रसास्िादन कीजिए:
2
अथिा
(आ) ि िन के अनभ
ु िों और िास्तविकता से पररथचत कराने िाले िद
ुं ृ ि के दोहों का रसास्िादन कीजिए। (०२)
(इ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो प्रश्न का उत्तर एक-एक िाक्य में उत्तर ललखखए। (०२)
१) सुंिाल पण
ू ण कीजिए: (०२)
आ) तनम्नललखखत में से ककस एक प्रश्न का उत्तर ८० से १०० शब्दों में ललखखए। (०६)
१) कनवप्रया कृनि िहाकाव्य है या खंडकाव्य ? इस पर अपने ववचार व्यति कीक्जए।
२) 'कवव ने राधा के िाध्यि से आधननक िानव की व्यथा को शब्दबद्ध ककया है ! इस कथन को स्पष्ट कीक्जए।
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विभाग- ४. व्यािहाररक हहुंदी
विभाग- ५ . व्याकरण
कृतत ५ (अ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो िाक्यों का काल पररितणन करके िाक्य किर से ललखखए। (०२)
१) उनकी व्यथा की सघनिा जानने का िझे एक अवसर मिला था। (पि
ू ब विबिानकाल)
२) बैजू बावरा की उुँ गमलयाुँ मसिार पर दौड़ रह थीं। (अपि
ू ब विबिानकाल िें मलणखए।)
३) इसिें संसार का एक बहि बड़ा सत्य कह हदया गया है । (पि
ू ब भि
ू काल )
४) जो जवान थे उनके बाल सफेद हो गए। (सािान्य भववष्यकाल)
आ) तनम्नललखखत पुंजक्तयों में उद्धत
ृ रस पहचानकर उनके नाम ललखखए । (४ में से २) (०२)
१.) िाला फेरि जग भया, गया न िन का फेर ।
कर का िनका डारर कैं , िन का िन का फेर ।।
२.) राि के रुप ननहारनि जानकी, कंकन के नग की परछाह ।
यािै सबै सथध भमू ल गई, कर टे कक रह पल हारि नाह ।।
३.) श्रीकृष्ि के वचन सन, अजन
ब क्रोध से जलने लगे ।
सब शोक अपना भल
ू कर, करिल यगल िलने लगे ।।
४.) बबन पग चलै, सनै बबन काना
कर बबन किब करै , ववथध नाना ।
आनन रहहि सकल रस भोगी
बबन वािी वतिा, बड़ जोगी ।।
(इ) तनम्नललखखत पुंजक्तयों में उद्धत
ृ अलुंकारों के नाम पहचानकर ललखखए। (४ में २) (०२)
१) ऊुँची-नीची सड़क, बहढया के कूबड़-सी । नंदनवन-सी फूल उठी, छोट -सी कहटया िेर ।
(२) जान पड़िा है नेत्र दे ख बड़े-बड़े। ह रकों िें गोल नीलि है जड़े।
(३) हनिंि की पछ िें लग न पाई आग । लंका सगर जल गई, गए ननशाचर भाग ।
(४) करि-करि अभ्यास के, जड़िनि होि सजान ॥
रसर आवि जाि है, मसल पर पड़ि ननसान ॥