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गुरु नानक खालसा महाविद्यालय, माटुुंगा, मुुंबई-४०००१९

कक्षा: बारहि ुं प्रथम सत्रान्त परीक्षा अक्टूबर २०२२ समय: २ घुंटे


विषय: हहुंदी हहुंदी कृततपत्रत्रका कुल अुंक : ५०

* कृततपत्रत्रका के ललए सच
ू नाएँ:
१) सच
ू ना के अनस
ु ार गद्य, पद्य तथा परू क पठन की कृततयों में आिश्यकता के अनस
ु ार
आकृततयों में ही उत्तर ललखना अपेक्षक्षत हैं।
२) सभ आकृततयों के ललए पेन का ही उपयोग करें ।
३) व्याकरण विभाग में आकृततयों की आिश्यकता नहीुं हैं।
४) शद्
ु ध स्पष्ट एिुं सि
ु ाच्य लेखन अपेक्षक्षत हैं।

विभाग - १. गद्य

कृतत- १. (अ) तनम्नललखखत गद्याुंश पढ़कर सच


ू ना के अनस
ु ार कृततयाँ पण
ू ण कीजिए:

ऐसे दो व्यक्ति सब जगह मिल सकिे हैं क्जनिें एक उनकी नम्र उदारिा की प्रशंसा करिे नह ं थकिा
और दस
ू रा उनके उद्धि व्यवहार की ननंदा करिे नह ं हारिा। जो अपनी चोट के पार नह ं दे ख पािे, वे उनके ननकट
पहुँच ह नह ं सकिे। उनके ववद्रोह की असफलिा प्रिाणिि करने के मलए उनके चररत्र की उजल रे खाओं पर काल िल

फेरकर प्रनिशोध लेिे रहिे हैं। ननराला जी के संबध
ं िें फैल हई भ्ांि ककं वदं नियाुँ इसी ननम्न ववृ ि से संबध
ं रखिी हैं।
िनष्य जानि की नासिझी का इनिहास क्रूर और लंबा है । प्रायः सभी यगों िें िनष्य ने अपने िें श्रेष्ठिा पर
सिझ िें आने वाले व्यक्ति को छाुँटकर, कभी उसे ववष दे कर, कभी सल
ू पर चढाकर और कभी गोल का लक्ष्य बनाकर
हाथ से अपनी बबबर िख
ू ि
ब ा के इनिहास िें नये पष्ृ ठ जोड़े हैं।
प्रकृनि और चेिना न जाने ककिने ननष्फल प्रयोगों के उपरांि ऐसे िनष्य का सज
ृ न कर पािी हैं, जो अपने
स्रष्टाओं से श्रेष्ठ हो पर उसके सजािीय ऐसे अद्भि सज
ृ न को नष्ट करने के मलए इससे बड़ा कारि खोजने की भी
आवश्यकिा नह ं सिझिे कक वह उनकी सिझ के परे है अथवा उसका सत्य इनकी भ्ांनियों से िेल नह ं खािा ।
अ } १) सुंिाल पण
ू ण कीजिए: (०२)

िनष्य जानि द्वारा अपने से श्रेष्ठ व्यक्तियों के साथ ककए गए क्रूर व्यवहार-

२) तनम्नललखखत शब्दों के विलोम शब्द ललखखए: (०२)

१) ववजािीय X ३) सफलिा X
२) प्रशंसा X ४) जीिना X
३) ‘अततथथ दे िो भि ' इस कथन के बारे में ४० से ५० शब्दों में अपने विचार ललखखए: (०२)

1
(आ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो प्रश्न का उत्तर लगभग ६० से ८० शब्दो में ललखखए। (०६)

१.) ‘आदशब बदला’ कहानी का उद्दे श्य स्पष्ट कीक्जए।


२.) 'पाप के चार हथथयार' पाठ का संदेश मलणखए।
३.) ‘उडो बेट , उडो, पर धरिी पर ननगाह रखकर।‘ इस पंक्ति िें ननहहि सगंधा की िाुँ के ववचार स्पष्ट कीक्जए।
इ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो प्रश्न का उत्तर एक-एक िाक्य में उत्तर ललखखए। (०२)

१.) िहादे वी विाब जी के कवविा संग्रह के नाि मलणखए ।


२.) सदशबन जी की कौन–सी प्रथि कहानी है ?
३.) ‘धरिी के फूल ’ कहानी संग्रह ककसने मलखा है ?
४.) आशारानी व्होरा जी की दो साहहत्य कृनियों के नाि मलणखए ।

विभाग – २ पदय

कृतत- २. (अ) तनम्नललखखत पदयाुंश पढ़कर सच


ू ना के अनस
ु ार कृततयाँ पण
ू ण कीजिए:

जमल िोह घमस िमस करर, िनि कागद करर सारु,


भाइ कलि करर थचि, लेखारर,गरु पनछ मलख बीचारु
मलख नाि सालाह मलख,मलख अंि न पारावारु ।।
िन रे अहहननमस हरर गि सारर ।
क्जन णखन पल नाि न ववसरै िे जन ववरले संसारर
जोिी जोनि मिलाईए, सरिी सरनि संजोग ।
हहंसा हउिैं गि गए नाह ं सहसा सोग ।
गरुिणख क्जस हरर िनन वसै निस िेले गरु संजोग ||
२. अ } १) सुंिाल पण
ू ण कीजिए: (०२)

नाम स्ततु त के ललए ये आिश्यक है -नाम


स्तुतत के ललए ये आिश्यक है ।

२.) तनम्नललखखत शब्दों के समानाथी शब्द ललखखए। (०२)

१) स्याह - २) बद्थध - ३) थचि – ४) अहहननमस -

३) 'ईश्िर भजक्त में नामस्मरण का महत्त्त्ि होता हैं',इस विषय पर अपना मुंतव्य ललखखए। (०२)

आ ) तनम्नललखखत मद्
ु दों के आधार पर 'सच हम नहीुं; सच तम
ु नहीुं' कविता का रसास्िादन कीजिए:

(१) रचनाकार का नाि (०१)


(२) पसंद की पंक्तियाुँ (०१)
(३) पसंद आने के कारि (०२)
(४) कवविा की केंद्र य कल्पना (०२)

2
अथिा

(आ) ि िन के अनभ
ु िों और िास्तविकता से पररथचत कराने िाले िद
ुं ृ ि के दोहों का रसास्िादन कीजिए। (०२)

(इ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो प्रश्न का उत्तर एक-एक िाक्य में उत्तर ललखखए। (०२)

१.) चिष्पद के लक्षि मलणखए।


२.) नयी कवविा िें डॉ.जगद श गप्ि ककसको जीवन की सच्चाई िानिे हैं?
३.) वद
ं ृ जी की दो रचनाओं का नाि मलणखए।
४.) ‘पेड़ होने का अथब’ कवविा के लेखक नाि मलणखए।

विभाग- ३. विशेष अध्ययन

कृतत-३. (अ) तनम्नललखखत पदयाुंश पढ़कर सच


ू ना के अनस
ु ार, कृततयाँ पण
ू ण कीजिए।

सनो कन, सनो


तया िैं मसफब एक सेि थी िम्हारे मलए
ल लाभमू ि और यद्धक्षेत्र के अलंघ्य अंिराल िें !
अब इन सन
ू े मशखरों, ित्ृ य घाहटयों िें बने
सोने के पिले गुँथ
ू े िारोंवाले पल–सा
ननजबन
ननरथबक
काुँपिा-सा, यहाुँ छूट गया- िेरा यह सेि क्जस्ि
-क्जसको जाना था वह चला गया

१) सुंिाल पण
ू ण कीजिए: (०२)

ऐसा है मेरा (राधा का) सेतु जिस्म -

स्तुतत के ललए ये आिश्यक है ।

२ ) तनम्नललखखत शब्दों के पयाणयिाच शब्द ललखखए। (०२)


१) सेि - २) ननरथबक -
३) ननजबन - ४) सारू -
३) ‘व्यजक्त को कमण प्रधान होना चाहहए’ इस विषय पर ४० से ५० शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए। (०२)
अथिा

आ) तनम्नललखखत में से ककस एक प्रश्न का उत्तर ८० से १०० शब्दों में ललखखए। (०६)
१) कनवप्रया कृनि िहाकाव्य है या खंडकाव्य ? इस पर अपने ववचार व्यति कीक्जए।
२) 'कवव ने राधा के िाध्यि से आधननक िानव की व्यथा को शब्दबद्ध ककया है ! इस कथन को स्पष्ट कीक्जए।

3
विभाग- ४. व्यािहाररक हहुंदी

कृतत- ४ (अ) ककस एक प्रश्न का उत्तर से ६० से ८० शब्दों में ललखखए। (०३)


(१) पल्लवन की ववशेषिाएुँ स्पष्ट कीक्जए।
(२) फीचर लेखन की प्रकक्रया पर प्रकाश डामलए।
(आ) क) तनम्नललखखत शब्दों के ललुंग बदलकर ललखखए। (०१)
१). साध- २.) नवयविी -
ख) 'िक्ष
ृ ही हमारे सच्चे दोस्त हैं।' इस विषय पर लगभग ४० से ५० शब्दों में अपने विचार ललखखए। (०२)
इ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं चार अुंग्रेि शब्दों के उथचत हहुंदी पाररभावषक शब्द ललखखएI (०४)
१) Autonomus २) Record – ३) Speed – ४) Bond -
५) payment ६) Eligibility - ७) Gazetted- ८) Antibiotics -

विभाग- ५ . व्याकरण

कृतत ५ (अ) तनम्नललखखत में से ककन्हीुं दो िाक्यों का काल पररितणन करके िाक्य किर से ललखखए। (०२)
१) उनकी व्यथा की सघनिा जानने का िझे एक अवसर मिला था। (पि
ू ब विबिानकाल)
२) बैजू बावरा की उुँ गमलयाुँ मसिार पर दौड़ रह थीं। (अपि
ू ब विबिानकाल िें मलणखए।)
३) इसिें संसार का एक बहि बड़ा सत्य कह हदया गया है । (पि
ू ब भि
ू काल )
४) जो जवान थे उनके बाल सफेद हो गए। (सािान्य भववष्यकाल)
आ) तनम्नललखखत पुंजक्तयों में उद्धत
ृ रस पहचानकर उनके नाम ललखखए । (४ में से २) (०२)
१.) िाला फेरि जग भया, गया न िन का फेर ।
कर का िनका डारर कैं , िन का िन का फेर ।।
२.) राि के रुप ननहारनि जानकी, कंकन के नग की परछाह ।
यािै सबै सथध भमू ल गई, कर टे कक रह पल हारि नाह ।।
३.) श्रीकृष्ि के वचन सन, अजन
ब क्रोध से जलने लगे ।
सब शोक अपना भल
ू कर, करिल यगल िलने लगे ।।
४.) बबन पग चलै, सनै बबन काना
कर बबन किब करै , ववथध नाना ।
आनन रहहि सकल रस भोगी
बबन वािी वतिा, बड़ जोगी ।।
(इ) तनम्नललखखत पुंजक्तयों में उद्धत
ृ अलुंकारों के नाम पहचानकर ललखखए। (४ में २) (०२)
१) ऊुँची-नीची सड़क, बहढया के कूबड़-सी । नंदनवन-सी फूल उठी, छोट -सी कहटया िेर ।
(२) जान पड़िा है नेत्र दे ख बड़े-बड़े। ह रकों िें गोल नीलि है जड़े।
(३) हनिंि की पछ िें लग न पाई आग । लंका सगर जल गई, गए ननशाचर भाग ।
(४) करि-करि अभ्यास के, जड़िनि होि सजान ॥
रसर आवि जाि है, मसल पर पड़ि ननसान ॥

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