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हम पंछी उन्मुक्त गगन के
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पाठ का सार
हिंदी काव्य जगत के प्रख्यात कवि श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के द्वारा रचित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’
उस समय रची गई थी, जब हमारा दे श परतंत्र था और अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के कारण भारतवासियों का
जीना मुश्किल हो गया था I वे अपनी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं कर सकते थे I भारतवासियों का हालत पिंजरे में
बंद पक्षियों की तरह थी I स्वतंत्र रहना प्राणिमात्र का स्वभाव है फिर भला मनष्ु य क्यों नहीं स्वतंत्र रहना चाहे गा I
कवी कहते हें की खुले आकाश में उड़ना हम पक्षियों का स्वभाव है I अतः हम पिंजरे में बंद रहकर नहीं गा पाएंगे I
यदि हम इस पिंजरे के अन्दर चहकना उड़ना चाहें गे तो इस पिंजरे की सोने की तोलियों से टकराकर हमारे पंख टूट
जायेंगे I हम पक्षी तो नदियों का बहता हुआ पानी पिने वाले हें I इसलिए हम इस पिंजरे में रखी मैदा नहीं खायेंगे
और भूखे प्यासे मर जाना पसंद करें गे I हमारे लिए पिंजरे के अन्दर रखी सोने की कटोरी में रखा मैदा से कहीं
अधिक अच्छी नीम की कड़वी निबौरी है I इस सोने के पिंजरे के अन्दर पड़े पड़े हम उड़ना फुदकना ही भूल गए हें I
पेड़ों की फुगनी पर बैठकर झुला झुलना टो मेरे लिए सपनो की बात हो गई I मेरी तो ऐसी इच्छा थी कि इस नीले
आकाश की सीमा पाने के लिए इधर से उधर तक उड़ते और सूर्य की लाल किरणों के समान अपनी चोंच खोलकर
तारे रूपी अनार के दानों को चुगते I हम जी भर कर खुले आकाश में उड़ना चाहते हैं I निरं तर उड़ते रहने से या टो
हमें क्षितिज मिल जाता या फिर उड़ते उड़ते हम थक जाते और और हमारे प्राण ही निकल जाते I हमें परतंत्र करने
वालो, हमारी तुमसे यही प्रार्थना है की तुम चाहो टो हमारे पेड़ की डाली का सहारा तोड़ डालो, हमें रहने के लिए
घोसला न दो, किन्तु जब इश्वर ने हमें उड़ने के लिए पंख दिए हैं टो हमारी स्वतंत्र उडान में बाधा मत डालो I
शब्दार्थ : पंछी – पक्षी I उन्मुक्त – आजाद I गगन – आसमान I पिंजरबद्ध – पिंजरे में बंद I कनक - स्वर्ण / सोने का I
तीलियाँ – सलाखें I पुलकित – कोमल I
व्याख्या – पिंजरे में बंद पक्षियों का कहना है कि हम खुले आकाश में विचरण करने वाले पक्षी हैं I हम पिंजरे में
बंद होकर नहीं रह सकते I सोने के पिंजरे की सलाखों से टकरा- टकराकर हमारे कोमल पंख टूट जाएँगे I वास्तव में
कवि ने पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाना चाहा है I पक्षियों की भांति मनष्ु य भी परतंत्रता का
जीवन नहीं जी सकता I
[२] हम बहता जल पिनेवाले
मर जायेंगे भूखे – प्यासे,
कहीं भला है कटुक निबौरी
कनक – कटोरी की मैदा से I
शब्दार्थ : बहता जल – नदी-झरनों का जल I भूखे-प्यासे – बिना कुछ खाए- पिए I कटुक – कड़वी I निबौरी – नीम के
बक्ष
ृ का फल I कटोरी – एक प्रकार का बर्तन I
व्याख्या – पक्षियों का कहना है कि हम टो नदी-झरनों का बहता जल पिने वाले हैं I हम पिंजरे में बंद रहकर भख
ू े
प्यासे मर जायेंगे I इस सोने के पिंजरे में सोने की कटोरी में रखा मैदा की अपेक्षा नीम के पेड़ की कड़वी निबौरियाँ
खाना हमें अधिक अच्छा लगता है I वास्तव में पक्षी खल
ु े वातावरण में घम
ू -घम
ू कर बहता जल पीकर और नीम की
निबौरियाँ खाकर ही खश
ु रहते हैं I
[३] स्वर्ण-शंख
ृ ला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपनों में दे ख रहे हैं
तरु की फुनगी पर के झूले I
शब्दार्थ : स्वर्ण-शंख
ृ ला- सोने की सलाखों से निर्मित पिंजरा, सुख-सुविधाएँ I बंधन – परतंत्रता/ बांधना, तरु- पेड़ फुनगी-
पेड़ की टहनी का सिरा
व्याख्या – पक्षियों के माध्यम से कवि कहता है कि सोने की सलाखों से निर्मित पिंजरे में रहकर टो हम अपना
उड़ान व उसकी गति भी भूल गए हैं I अब तो केवल सपनों में ही यह सोचते हैं कि वे पेड़ की सबसे ऊँची चोटी पर
झुल रहे हैं I
कविता से
1. हर तरह की सुख सुविधाएं पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
उत्तर-पिंजरे का जीवन पराधीनता का जीवन है I वहां उड़ने की आजादी नहीं है I घूमना-फिरना, एक डाली से
दस
ू री डाली पर कूदना, फुदकना तथा अपनी पंसद के अनुसार अलग-अलग ऋतुओं में फलों के दाने चुगना, पिंजरे
में बंद रहकर संभव नहीं है I पिंजरे में जरा सा पंख फडफड़ाने पर भी पंखों के टूटने का भय है I वहीँ सोने की
कटोरी में मिले व्यंजनों में बक्ष
ृ पर लगे फलों के रस का स्वाद नहीं मिल सकता I यही कारण है कि हर तरह
की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते हैं I
2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ परू ी करना चाहते हैं?
उत्तर- पक्षी उन्मुक्त रह कर खुले आकाश में उड़ना चाहते हैं। उड़ते हुाए वह क्षितिज की सीमा तक पहुंच जाना
चाहते हैं। वह बहता हुआ जल पीना चाहते हैं तथा वक्ष
ृ की डाली पर लगे कड़वे-मीठे फल चुगना चाहते हैं। यह
पेड़ की सबसे ऊँची टहनी के सिरे पर बैठ कर झूला-झूलना चाहते हैं। पक्षी उन्मुक्त रह कर अपने सारे संपने
और अरमान पूरा करना चाहते हैं।
3. भाव स्पष्ट कीजिए
या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसो की डोरी।
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' द्वारा रचित कविता 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के से उद्धृत
हैं । इनमें पक्षी स्वतंत्र रह कर क्षितिज की सीमा तक उड़ कर जाने की अपनी इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
पक्षी कहते हैं कि उड़ते-उड़ते या तो वह क्षितिज की सीमा ढूँढ ही निकालेंगे या अपने प्राण त्याग दें गे।
पक्षियों के इस कथन से उड़ने के प्रति उनके लगाव का पता चलता है ।
कविता से, आगे
1I बहुत से लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं ? अपने विचार लिखें ।
उत्तर- पक्षियों को पालना उचित नहीं है । जिस प्रकार मुनष्य की अपनी स्वतंत्रता प्रिय होती है , उसी प्रकार
पक्षियों को भी अपनी आजादी प्रिय होती है । ईश्वर ने उन्हें पंख दिए हैं ताकि वह उड़ सकें। यदि हम उन्हें
पालते हैं तो उनकी आजादी तथा उड़ान में व्यवधान उत्पन्न है । उनकी मओ सपनों तथा अरमानों पर ग्रहण
लग जाता है । अतः पक्षियों को पालना सही नहीं है ।
२ I पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित
होता है ,इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर: पारिस्थिति तक संतुलन बनाए रखने में पथ्
ृ वी के सभी जीवों की समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका है ।
पथ्
ृ वी के पर्यावरण के लिए जितनी आवश्यकता मनुष्य की है उतनी आवश्यकता पशु-पक्षियों की भी है । पक्षियों
को बंदी बना लेने से उनकी उड़ने की आजादी छिनती है । इसके साथ ही पर्यावरण भी प्रभावित होता है । पक्षी
आहार श्रंख
ृ ला की नियमित करने के लिए आवश्यक है । इनके अभाव में प्रकृति का संतुलन ही छिन्न भिन्न होने
लगेगा उदाहरण के लिए टिड्डें तथा अन्य कीड़े मकोड़े घास और अन्य पौधे खाते हैं। पक्षी इन टिड्डों तथा कीडों
का शिकार करते हैं । इससे टिड्डों की संख्या नियंत्रित रहती है तथा हमारी फसलों का भी बचाव होता है । यदि
पक्षी न हों तो पर्याबरण में असामान्य रूप से टिड्डों की संख्या में बढ़ीतरी होगी और हमारे लिए वक्ष
ृ ों पाघों तथा
फसलो को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।
अनुमान और कल्पना
१ I क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जड़
ु ी योजनाएँ पक्षियों के लिए
घातक हैं ? पक्षियों से राहित वातावरण में अनेक समस्याएं जत्पन्न हो सकती है । इन समस्याओं से बचने के लिए
हमें क्या करना चाहिए उक्त विपय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कोजिए ।
उत्तर: इसमें कीई सदे ह नहीं है कि मानव की वर्तमान जीवन शैली और शहरीकरण से जड़
ु ी योजनाएँ पक्षियों के
लिए
घातक है । शहरों के विस्तार बढते औद्योगीकरण, सड़कों तथा फ्लाईआवरों के निर्माण ने पक्षियों के अस्तित्व पर
खतरा उत्पन्न कर दिया है । इन सब कार्य के लिए बड़ी संख्या में वक्ष
ृ काटे गए है जिससे पक्षियों का आश्रय नष्ट
हुआ है । कल-कारखाना के खल
ु ने से वाताबरण में प्रदष
ू ण बढ़ा है I जिससे पक्षियों के लिए आकाश में उड़ना भी
कठिन हो गया है । पक्षियों के न रहने से सबसे बड़ा खतरा आहार श्रंख
ृ ला के अनियमित होने का है । इससे
पर्यावरण संतल
ु न पर गहरा असर पड़ेगा और तब मनष्ु य को अपने अस्तित्व की फिक्र सताने लगगी। अतः
आवश्यक है कि हम अभी से सचेत हो जाना चाहिए और अधिक से अधिक संख्या में वक्ष
ृ ारोपाण करें । पक्षियों को
पकड़ना तथा पालना या उनका शिकार करना बंद करें I कल-कारखाना का निर्माण शहर से दरू करें I पक्षियों के लिए
जलाशय के साथ साथ बाग़ -बगीचों का निर्माण करवाएं I
2) यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना
घर बदलना पड़ रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे लिखिए।
उत्तर: सर्वप्रथम तो हम यह प्रयास करें गे कि जब तक घोसलों में रखे अंडे से बच्चे न निकल आएँ और पक्षी उन्हें
उड़ना न सिखा ले तव तक हमे घर न बदलना पड़े। लेकिन फिर भी घर छोडना अनिवार्य हुआ तो उस घर में आने
वाले नए परिवार से मिलकर हम आग्रह करें गे कि वे घोसले को वही बना रहने दें । पक्षियों को छें डे नहीं तथा
उनका ध्यान रखें। बच्चें बड़े हो जाने पर पक्षी स्वयं ही वहाँ से चले जाएंगे ।