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भारत का अपवाह तं

नद भत ू ल पर वा हत एक जलधारा है िजसका ोत ायः कोई झील, हमनद, झरना या बा रश का पानी


होता है तथा कसी सागर अथवा झील म गरती है ।
नद श द सं कृत के न यः से आया है ।

नद दो कार क होती है . सदानीरा या बरसाती।


सदानीरा न दय का ोत झील, झरना अथवा हमनद होता है और वष भर जलपण
ू रहती ह, जब क बरसाती
न दयाँ बरसात के पानी पर नभर करती ह।
गंगा, यमनु ाए कावेर , मपु आ द सदानीरा न दयाँ ह।
भारत क न दय का दे श के आ थक एवं सां कृ तक वकास म ाचीनकाल से ह मह वपण ू योगदान रहा है ।
स धु तथा गंगा न दय क घा टय म ह व व क सवा धक ाचीन स यताओं स धु घाट तथा आय
स यता का आ वभाव हुआ।
आज भी दे श क सवा धक जनसं या एवं कृ ष का संके ण नद घाट े म पाया जाता है ।
ाचीन काल म यापा रक एवं यातायात क सु वधा के कारण दे श के अ धकांश नगर न दय के कनारे ह
वक सत हुए थे तथा आज भी दे श के लगभग सभी धा मक थल कसी न कसी नद से स ब ध है ।
न दय के दे श कहे जाने वाले भारत म मु यतः हमालय से नकलने वाल न दयाँ( संध,ु गंगा, मपु ),
ाय वीपीय नद (नमदा, कावेर , महानद ) णाल है ।

हमालय से नकलने वाल न दयाँ


हमालय से नकलने वाल न दयाँ बफ़ और ले शयर ( हमानी या हमनद) के पघलने से बनी ह अत: इनम
परू े वष के दौरान नर तर वाह बना रहता है ।
हमालय क न दय के बे सन बहुत बड़े ह एवं उनके जल हण े सैकड़ -हजार वग कमी. म फैले ह।
हमालय क न दय को तीन मख ु नद -तं म वभािजत कया गया है ।
स धु नद -तं , गंगा नद -तं तथा मपु नद -तं ।
इन तीन नद -तं का वकास एक अ य त वशाल नद से हुआ, िजसे ‘ शवा लक’ या ह द- म नद भी
कहा जाता था।
यह नद ओसम से पंजाब तक बहती थी।
ल टोसीन काल म जब ‘पोटवार पठार का उ थान’ हुआ तो यह नद छ न- भ न हो गई एवं वतमान तीन
नद तं म बंट गई। इस संबध ं म भग
ू भ वै ा नक के मत एक नह ं है ।

स धु नद -तं

इसके अ तगत स धु एवं उसक सहायक न दयां सि म लत है ।


स धु त बत के मानसरोवर झील के नकट ‘चेमायग
ंु डुग
ं ’ ले शयर से नकलती है ।
यह 2,880 कमी. ल बी है ।
भारत म इसक ल बाई 1,114 कमी.(पाक अ धकृत स हत, केवल भारत म 709 कमी.) है ।
इसका जल सं हण े 11.65 लाख वग कमी. है ।

स धु क सहायक न दयां
दायीं ओर से मलने वाल - योक, काबल
ु , कुरम, गोमल।
बायीं ओर से मलने वाल - सतलज, यास, रावी, चनाब एवं झेलम क संयु त धारा( मठनकोट के पास) तथा
जा कर, यांग, शगार, गल गट।

1960 म हुए ‘ स धु जल समझौते’ के अ तगत भारत स धु व उसक सहायक न दय म झेलम और चेनाब


का 20 तशत जल उपयोग कर सकता है जब क सतलज, रावी के 80 तशत जल का उपयोग कर सकता
है ।
स धु नद भारत से होकर त प चात ् पा क तान से हो कर और अंतत: कराची के नकट अरब सागर म मल
जाती है ।

झेलम नद

यह पीरपंजाल पवत क ेणी म शेषनाग झील के पास वेर नाग झरने से नकलती है और बहती हुई वल
ू र झील
म मलती है और अंत म चनाब नद म मल जाती है ।
इसक सहायक नद कशनगंगा है , िजसे पा क तान म नीलम कहा जाता है ।
ीनगर इसी नद के कनारे बसा है ।
ीनगर म इस पर ‘ शकार’ या ‘बजरे ’ अ धक चलाए जाते ह।

चनाब नद
यह नद स धु नद क सबसे बड़ी सहायक नद है ।
जो हमाचल दे श म च भागा कहलाती है ।
यह नद लाहुल म बाड़ालाचा दर के दोन ओर से च और भागा नामक दो न दय के प म नकलती है ।

रावी नद
इस नद का उ गम थल हमाचल दे श के कांगड़ा िजले म रोहतांग दर के समीप है ।
यह पंजाब क पांच न दय म सबसे छोट है ।

यास
इसका उ गम थल भी हमाचल दे श के कांगड़ा िजले म रोहतांग दर के नकट यासकंु ड है ।
यह सतलज क सहायक नद है ।
यह कपरू थला के नकट ‘ह रके’ नामक थान पर स धु से मल जाती है ।
यह पण
ु प से भारत म(460-470 कमी.) बहती है ।

सतलज नद
यह त बत म मानसरोवर के नकट राकस ताल से नकलती है और भारत म शपक ला दर के पास से वेश
करती है ।
भाखड़ा नांगल बांध सतलज नद पर बनाया गया है ।

गंगा नद
उ राख ड के उ रकाशी िजले म गोमख ु के नकट गंगो ी हमनद से भागीरथी के प म नकलकर दे व याग
म अलकनंदा एवं भागीरथी के संगम के बाद संयु त धारा गंगा नद के नाम से जानी जाती है ।
इलाहाबाद के नकट गंगा से यमन ु ा मलती है िजसे संगम या याग कहा जाता है ।
प. बंगाल म गंगा दो धाराओं म बंट जाती है एक धारा हुगल नद के प म अलग होती है जब क मु यधारा
भागीरथी के प म आगे बढ़ती है ।
मपु नद बां लादे श म जमन
ु ा के नाम से भागीरथी(गंगा) म मलती है ।
इनक संयु त धारा को प मा कहा जाता है ।
प मा नद म बां लादे श म मेघना नद मलती है ।
बाद म गंगा एवं मपु क संयु त धारा मेघना से मलने के बाद मेघना के नाम से आगे बढ़ती है और
छोट -छोट धाराओं म बंटने के बाद बंगाल क खाड़ी म गरती है ।
गंगा- मपु का डे टा व व का सबसे बड़ा डे टा माना जाता है ।
िजसका व तार हुगल और मेघना न दय के बीच है ।
सु दर व ृ क अ धकता के कारण इसे ‘सु दर वन डे टा’ कहा जाता है ।

डे टा
नद जब सागर या झील म गरती है तो वेग म कमी के कारण मह
ु ाने पर उसके मलबे का न ेप होने लगता है
िजससे वहां वशेष कार के थल प का नमाण होता है ।
इस थल प को डे टा कहते ह।

सहायक न दयां

बांयी ओर मलने वाल - गोमती, घाघरा, ग डक, बढ़


ू गंगा, कोशी, महानंदा, मपु ।
दांयी ओर मलने वाल - यमनु ा, ट स, सोन।

उ राखंड के सबसे फेमस टू र ट डेि टनेशन ऋ षकेश म गंगा नद पर दे श का पहला लास लोर ज बनाया
जाएगा।
ल मण झल ू ा के बराबर म बनने वाले इस ज का फश मजबत ू पारदश कांच का होगा।
94 वष से ऋ षकेश क पहचान बने ल मण झल ू ा को सरु ा कारण से जलु ाई 2019 म बंद कर दया गया
था।

यमन
ु ा नद
यह गंगा क सबसे ल बी(1,370 कमी.) सहायक नद है ।
यह बंदरपछ
ंू ेणी पर ि थत यमन
ु ो ी हमनद से नकलती है ।
इसक मख ु सहायक न दयां हंडन, ऋ ष गंगा, चंबल, बेतवा, केन एवं संध है ।
रामगंगा नद
यह नैनीताल(गैरसेण के नकट गढ़वाल क पहाड़ीयां) से नकलकर क नौज के समीप गंगा म मलती है ।

गोमती
यह उ र दे श के पील भीत जनपद से नकलती है एवं गाजीपरु के नकट गंगा म मलती है ।
कनारे बसे शहर - लखनऊ, जौनपरु व गाजीपरु ।

घाघरा(सरय)ु नद
यह नेपाल के मपसा तगंु हमानी से नकलती है एवं बहार के छपरा के नकट गंगा म मलती है ।
सहायक न दयां - रा ती एवं शारदा।
कनारे बसे शहर - अयो या, फैजाबाद, ब लया।

ग डक नद
नेपाल म शा ल ामी नद नाम से जानी जाती है ।
भारत म पटना के नकट गंगा नद म मलती है ।

कोसी नद
7 धाराओं से मु य धारा अ ण नाम से माउ ट एवरे ट के पास गोसाईथान चोट से नकलती है ।
भागलपरु जनपद म गंगा नद म मलती है ।
बार-बार अपना रा ता बदलने एवं बाढ़ लाने के कारण यह नद बहार का शोक कहलाती है ।

हुगल नद
प. बंगाल म गंगा क वत रका के प म इसका उ गम होता है तथा बंगाल क खाड़ी म गरती है ।

तमसा(द णी ट स) नद
कैमरू क पहाड़ीय से नकलकर इलाहबाद से आगे गंगा नद म मलती है ।

सोन नद
अमरकंटक क पहा डय
़ से नकलकर पटना से पहले गंगा नद म मलती है ।

यमन
ु ा क सहायक न दयां

च बल
च बल म य दे श के मऊ(इ दौर) के समीप ि थत जानापाव पहाड़ी से नकलती है एवं इटावा के समीप यमन
ु ा
नद म मलती है ।

सहायक न दयां - बनास, पावती, काल संध एवं ा।

संध
यह गन
ु ा िजले के सर ज तहसील के पास से नकलती है ।

बेतवानद
यह म य दे श के रायसेन िजले म व य पवत माला से नकलती है ।
हमीरपरु के नकट यमनु ा नद म मलती है ।

केन नद
यह म य दे श के सतना िजले म कैमरू क पहाड़ी से नकलती है एवं बांदा के नकट यमन
ु ा म मल जाती है ।

च बल क सहायक न दयां

बनास
बनास अरावल ेणी क खमनौर पहाड़ीय से नकलती है एवं चंबल नद म मल जाती है ।

ा नद
यह इ दौर के नकट काकर पहाड़ी से नकलती है एवं च बल म मलती है ।
उ जैन म ा के तट पर महाकाल का मं दर है एवं 12 व वष कंु भ का मेला लगता है ।
काल संध
काल संध म य दे श के दे वास िजले के बागल गांव म व य पहाड़ी से नकलती है एवं च बल नद म मल
जाती है ।

पावती
यह नद म य दे श म व य ेणी से नकलती है एवं राज थान म चंबल नद म मल जाती है ।

मपु नद -तं
मपु नद का उ गम त बत म मानसरोवर झील के नकट आं सी हमनद से होता है ।
त बत म मपु नद सां पो नाम से जानी जाती है ।
यह नमचा बरबा पवत शखर के नकट अ णाचल दे श म वेश करती है तब इसका नाम दहांग होता है ।
बाद म इसक 2 सहायक नद दबांग और लो हत के मलने के बाद यह मपु नाम से जानी जाती है ।
बां लादे श म मपु को जमन ु ा नाम से जाना जाता है ।
ती ता नद मपु से बां लादे श म मलती है ।
इसके बाद मपु प मा(गंगा) म मल जाती है ।

मपु नद सहायक न दयां


दांयी ओर से मलने वाल - सब
ु न सर , कामग, मानस, संकोज, ती ता।
बांयी ओर से मलने वाल न दयां - लो हत, दबांग, धन ी, कालांग।

असोम घाट म मपु नद के गंु फत होने से माजल ु वीप का नमाण हुआ है ।


भारत म बहने के अनस
ु र सबसे ल बी नद गं गा है और भारत म वा हत होने वाल न दय क कुल लंबाई के
आधार पर मपु सबसे लंबी नद है ।
मपु भारत क सबसे बड़ी नद जल क मा ा के हसाब से है ।

गंु फत स रता/नद
एक ह नद या स रता से उ प न होने वाल लघ,ु उथल तथा सं थत स रताओं का जाल।
नद के मह ु ाने के नकट भू म का ढाल अ यंत मंद होने पर बड़ी मा ा म मलवे का जमाव होता रहता है िजससे
डे टा का नमाण होता है ।
इस डे टाई भाग म नद का जल कई शाखाओं एवं उपशाखाओं (जल वत रकाओं) म व भ त हो जाता है ।
ये जल वत रकाएं आगे पन ु ः कई बार मल जाती ह और पथ ृ क् होती ह।
इस कार छोट -छोट स रताएं एक-दस ू रे से गथ
ु ी हु ई होती ह और उथल होती ह।

ाय वीपीय अपवाह तं
भारतीय ाय वीप म अनेक न दयां वा हत ह।
मैदानी भाग क न दय क अपे ा ाय वीपीय भारत क न दयां आकार म छोट ह।
यहां क न दयां अ धकांशतः मौसमी ह और वषा पर आ त ह।
वषा ऋतु म इन न दय के जल- तर म व ृ ध हो जाती है , पर शु क ऋतु म इनका जल- तर काफ कम हो
जाता है । इस े क न दयां कम गहर ह, परं तु इन न दय क घा टयां चौड़ी ह और इनक अपरदन मता
लगभग समा त हो चक ु है ।
यहां क अ धकांश न दयां बंगाल क खाड़ी म गरती ह, कुछ न दयां अरब सागर म गरती ह और कुछ न दयां
गंगा तथा यमनु ा नद म जाकर मल जाती ह।
ाय वीपीय े क कुछ न दयां अरावल तथा म यवत पहाड़ी दे श से नकलकर क छ के रन या खंभात क
खाड़ी म गरती ह।

ये न दयां दो भाग म वभ त होती ह -


अरब सागर म गरने वाल न दयां
बंगाल क खाड़ी म गरने वाल न दयां

अरब सागर म गरने वाल न दयां

भादर नद
यह गज
ु रात के राजकोट से नकलकर अरब सागर म गरती है ।

शतरं जी
गज
ु रात के अमरे ल िजले से नकलकर खंभात क खाड़ी म गरती है ।

साबरमती नद
यह उदयपरु (राज थान) के नकट अरावल पवत माला से नकलती है एवं गज
ु रात होते हुए खंभात क खाड़ी म
अपना जल गराती है ।
माह नद
माह नद म य दे श के धार िजले म व याचल पवत से नकलती है इसका वाह म य दे श, राज थान
और गजु रात रा य म है ।
इसक सहायक न दयां सोम एवं जाखम है ।
यह खंभात क खाड़ी म अपना जल गराती है ।

नमदा नद
नमदा नद मैकाल पवत क अमरकंटक चोट से नकलती है ।
नमदा का वाह े म य दे श(87 तशत), गज ु रात(11.5 तशत) एवं महारा (1.5 तशत) है ।
नमदा व याचल पवत माला एवं सतपड ु ा पवतमाला के बीच शं घाट म बहती है ।
यह अरबसागर म गरने वाल ाय वीपीय भारत क सबसे बड़ी नद है ।
खंभात क खाड़ी म गरने पर यह वारनदमख ु (ए चअु र ) का नमाण करती है ।

सहायक न दयां -
तवा, बरनेर, दध
ू ी, श कर, हरन, बरना, कोनार, माचक।
म य दे श म नमदा जयंती पर अमर कंटक म तीन दन के नमदा महो सव का आयोजन कया जाता है ।

ए चअ
ु र या वारनदमख

नद का जलम न मह ु ाना जहाँ थल से आने वाले जल और सागर य खारे जल का मलन होता है नद के जल
म ती वाह के कारण जब मलव का न ेप मह ु ाने पर नह ं होता है तथा नद जल के साथ मलबा भी समु म
गर जाता है तो नद का महु ाना गहरा हो जाता है ऐसे गहरे महु ाने को वारनदमखु कहते ह।

तापी
तापी म य दे श के बैतल
ु िजले के मु लाई नामक थान से नकलती है ।
यह सतपड़ु ा एवं अजंता पहाड़ी के बीच शं घाट म बहती है ।
तापी नद का बे सन महारा (79 तशत), म य दे श(15 तशत) एवं गज ु रात(6 तशत) है ।

तापी क मु य सहायक नद परू णा है ।

तापी खंभात क खाड़ी म अपना जल गराती है एवं ए चअ


ु र का नमाण करती है ।

मा डवी नद
मा डवी नद कनाटक रा य म पि चमी घाट पवत के भीमगाड झरने से नकलकर पि चम दशा म वा हत
होते हुए गोवा रा य से वा हत होने के बाद अरब सागर म गरती है ।

जआ
ु र नद
जआ
ु र नद गोवा रा य म पि चमी घाट से नकलकर पि चम दशा म बहते हुए अरब सागर म गरती है ।
यह गोवा क सबसे लंबी नद है ।
शरावती नद
यह नद कनाटक रा य म पि चमी घाट पवत क अ बत
ु ीथ नामक पहाड़ी से नकलती है एवं कनाटक रा य
म बहते हुए अरब सागर म गरती है ।
जोग जल पात इसी नद पर ि थत है ।

गंगावेल नद
यह नद कनाटक रा य म पि चमी घाट पवत से नकलकर कनाटक रा य म बहते हुए अरब सागर म गरती
है ।

पे रयार नद
यह अ नामलाई पहाड़ी से नकलती है एवं केरल रा य म बहते हुए अरबसागर म गरती है ।
यह केरल क दसू र सबसे लंबी नद है ।
इसे केरल क जीवन रे खा भी कहा जाता है ।
इसका वाह े केरल एवं त मलनाडु रा य म है ।

भरतपज
ू ा नद
यह अ नामलाई से नकलती है ।
इसका अ य नाम पो नानी है ।
यह केरल क सबसे लंबी नद है ।
इसका वाह े केरल एवं त मलनाडु है ।

पंबा नद
यह केरल क नद है एवं बे बनाद झील म गरती है ।

बंगाल क खाड़ी म गरने वाल न दयां

हुगल
यह नद प. बंगाल म गंगा नद क वत रका के प म उ ग मत होती है एवं बंगाल क खाड़ी म जल गराती
है ।

दामोदर
यह छोटा नागपरु पठार, पलामू िजला, झारख ड से नकलती है पव
ू दशा म बहते हुए प. बंगाल म हुगल नद
म मल जाती है ।
यह अ त द ू षत नद है ।
यह बंगाल का शोक कहलाती है ।
इसका वाह े झारख ड एवं प. बंगाल रा य है ।

वण रे खा नद
यह नद रांची के पठार से नकलती है । यह पि चम बंगाल उडीसा के बीच सीमा रे खा बनाती है ।
यह बंगाल क खाड़ी म गरती है ।
वैतरणी नद
यह ओडीसा के य झर िजले से नकलती है ।
इसका वाह े ओडीसा एवं झारख ड रा य है ।
यह बंगाल क खाड़ी म जल गराती है ।

ा मणी नद
इसक उ प ओडीसा रा य क कोयेल एवं शंख न दय क धाराओं के मलने से हुई है ।
यह बंगाल क खाड़ी म अपना जल गराती है ।

महानद
महानद का उ गम मैकाल पवत क संहाना पहाड़ी(धमतर िजला, छ ीसगढ़) से होता है ।
इसका वाह े छ ीसगढ़ एवं ओडीसा रा य म है ।
यह बंगाल क खाड़ी म अपना जल गराती है ।

गोदावर नद

यह ाय वीपीय भारत क सबसे लंबी नद है ।


गोदावर नद का उ गम ना सक िजले क य बक पहाड़ी से होता है ।
गोदावर को ‘द ण गंगा’ व ‘व ृ ध गंगा’ भी कहा जाता है ।
गोदावर महारा , म य दे श, छ ीसढ़, तेलग ं ाना, आं दे श, ओडीसा, कनाटक एवं यनम(पद
ु च
ु ेर ) रा य से
होकर बहती है ।

गोदावर क सहायक न दयां -


दध
ु ना, पण
ू , पेन गंगा, वेनगंगा, इ ावती, सेलरू , ाण हता एवं मंजरा/मंजीरा(द ण से मलने वाल मख

नद )।

कृ णा नद
कृ णा नद का उ गम महाबले वर से होता है ।
यह ाय वीपीय भारत क दस ु र सबसे लंबी नद है ।
यह बंगाल क खाड़ी म डे टा बनाती है ।
यह महारा , कनाटक, तेलगं ाना एवं आं दे श से होकर बहती है ।

कृ णा नद क सहायक न दयां
- भीमा, तग
ंु ाभ ा, कोयना, वणा, पंचगंगा, घाट भा, दध
ू गंगा, माल भा एवं मस
ू ी।

पे नार नद
यह कनाटक के कोलार िजले क नंद दग
ु पहाड़ी से नकलती है ।

कावेर नद
कावेर कनाटक रा य के कुग िजले क म गर क पहाड़ीय से नकलती है ।
द ण भारत क यह एकमा नद है िजसम वष भर स प से जल वाह बना रहता है ।
इसका कारण है - कावेर का ऊपर जल हण े (कनाटक) द ण-पि चम मानसन ू से वषा जल ा त करता
है जब क नचला जल हण े (त मलनाडु), उ र -पव
ू मानसन ू से जल ा त करता है ।
इसके अपवाह का 56 तशत त मलनाडु, 41 तशत कनाटक व 3 तशत केरल म पड़ता है ।

सहायक न दयां -
ल मण तीथ, कं बनी, सव
ु णावती, भवानी, अमरावती, हे रंगी, हे मावती, शमसा, अकवती।

वैगाई नद
यह त मलनाडु के वरशानद पहाड़ी से नकलती है एवं पाक क खाड़ी म अपना जल गराती है ।
ता पण नद
यह त मलनाडु रा य म बहती है एवं म नार क खाड़ी म अपना जल गराती है ।
अंतः थल य न दयाँ
कुछ न दयाँ ऐसी होती है जो सागर तक नह ं पहुंच पाती और रा ते म ह लु त हो जाती ह।
ये अंतः थल य न दयाँ कहलाती ह।
घ घर, लनु ी नद इसके मु य उदाहरण ह।

घ घर
घ घर एक मौसमी नद ह जो हमालय क नचल ढाल से (कालका के समीप) नकलती है और अनपु गढ़
(राज थान) म लु त हो जाती ह। घ घर को ह वै दक काल क सर वती माना जाता है ।

लन
ू ी
लन
ू ी उ गम थल राज थान म अजमेर िजले के द ण-पि चम म अरावल पवत का अ नासागर है ।
अरावल के समानांतर पि चम दशा म बहती है ।
यह नद क छ के रन के उ र म साहनी क छ म समा त हो जाती है

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