You are on page 1of 6

पाठ - सपनोँ के − से दिन (गुरियाऱ ससिंह)

ननम्नलरखित प्रश्नों के उत्तय दीजजए —

प्र1. कोई बी बाषा आऩसी व्मवहाय भें फाधा नहीॊ फनती −ऩाठ के ककस अॊश से मह
लसद्ध होता है ?

उत्तय− रेिक फताते हैं कक फचऩन भें उनके आधे से अधधक साथी याजस्थान मा
हरयमाणा के थे।फचऩन भें रेिक को उनकी फात सभझ भें नहीॊ आती थी।इसलरए
वे कई फाय उनकी फोरी की हॉ सी बी उड़ाते थे। ऩयन्तु जफ फच्चे आऩस भें लभरकय
िेरते थे औय िेरते सभम एक−दस
ू ये की फात अच्छी तयह सभझ रेते थे।
धीये −धीये वे एक दस
ू ये की फात आसानी से सभझ जाते थे।इससे मह लसद्ध होता है
कोई बी बाषा आऩसी व्मवहाय भें फाधा नहीॊ फनती।

प्र 2. ऩीटी साहफ की ‘शाफाश’ फ़ौज के तभगों−सी क्मों रगती थी? स्ऩष्ट कीजजए।

उत्तय− ऩीटी के अध्माऩक प्रीतभचॊद फहुत ही कठोय स्वबाव के इनसान थे।सबी


फच्चे उनसे डयते थे।वे फच्चों की िार−िीॊचने के लरए हभेशा तैमाय यहते थे।ऩयन्तु
स्काउटटॊग का अभ्मास कयाते सभम जफ उन्हें िाकी वदी ऩहने गरे भें दो यॊ गे
रुभार रटकाए बफना ककसी गरती अभ्मास कयते हुए दे िकय वह अऩनी चभकीरी
आॉिें झऩकाते हुए उन्हें शाफाशी दे ते थे तो फच्चे उनसे लभरी प्रशॊसा औय शाफाशी
को फहुत भहत्त्व दे ते थे।मही कायण था कक ऩीटी भास्टय से लभरी शाफाशी उन्हें
फ़ौज के तभगों के सभान भहत्त्वऩण
ू ण रगती थी।

Page 1 of 6
प्र 3. नमी श्रेणी भें जाने औय नमी कापऩमों औय ऩयु ानी ककताफों से आती पवशेष
गॊध से रेिक का फारभन क्मों उदास हो उठता था?

उत्तय− नई श्रेणी भें जाते सभम छात्र िुश हो जाते हैं औय उत्साह से बय उठते हैं
ऩयन्तु रेिक उदास हो जाता था।उसका कायण था रेिक के भन भें नए
अध्माऩकों की भाय−ऩीट का डय तथा ऩढ़ाई का भजु श्कर होना। रेिक गयीफ
ऩरयवाय से था। फार भनोपवऻान के अनस
ु ाय रेिक को ऩता था कक वह नई ऩस्
ु तकें
नहीॊ ियीद सकता। उसे ऩयु ानी ककताफों औय नई कापऩमों से एक अजीफ प्रकाय की
गॊध आती थी।

प्र 4. स्काउट ऩये ड कयते सभम रेिक अऩने को भहत्त्वऩण


ू ण ‘आदभी’ फ़ौजी जवान
क्मों सभझने रगता था?

उत्तय− भास्टय प्रीतभचॊद जफ स्काउट ऩये ड कयवाते तो रेफ्ट−याइट की आवाज़ मा


भॉह
ु भें री सीटी से भाचण कयवाते।कपय याइट टनण मा रेफ्ट टनण मा अफाउट टनण
कहने ऩय छोटे −छोटे फट
ू ों की एड़ड़मों ऩय दाॉए−फाएॉ मा एकदभ ऩीछे भड़
ु कय
अकड़कय चरते हुए रेिक को रगता कक भानो वह छात्र नहीॊ फजकक फहुत ही
भहत्त्वऩण
ू ण ‘आदभी’ हो ।उस सभम उसे फ़ौजी जवानों की−सी शान अनब
ु व होती
थी।

प्र 5. हे डभास्टय शभाण जी ने ऩीटी साहफ को क्मों भअ


ु त्तर कय टदमा?

अथवा

Page 2 of 6
‘सऩनों के टदन’ ऩाठ के आधाय ऩय लरखिए कक हे डभास्टय शभाण जी ने प्रीतभचॊद को
क्मों भअ
ु त्तर कय टदमा?

उत्तय− भास्टय प्रीतभचॊद का रूऩ−यॊ ग औय स्वबाव डयावना था ।वह कबी


भस
ु कयाते नहीॊ थे।।सबी फच्चे उनसे फहुत डयते थे।प्रीतभचॊद चौथी कऺा के फच्चों
को पायसी ऩढ़ाने रगे थे।एक सप्ताह के फाद उन्होंने फच्चों को एक शब्द− रूऩ
माद कयने के लरए टदमा।वह शब्द−रूऩ कटठन था।अगरे टदन कऺा से कोई बी
फच्चा उस शब्द रूऩ को नहीॊ सन
ु ा ऩामा।जजससे क्रोधधत हो प्रीतभचॊद ने उन्हें ऩीठ
ऊॉची तथा सीधी यिकय भग
ु ाण फनने को कहा।मह जस्थनत फहुत ही बॊमकय थी।कुछ
रड़के धगय ऩड़े।हे डभास्टय शभाण जी ने मह सफ दे ि लरमा ।वे फच्चों को शायीरयक
सज़ा दे ने के खिराफ़ थे।इस प्रकाय के दॊ ड को अनधु चत भानते हुए हे डभास्टय शभाण
जी ने ऩीटी साहफ को भअ
ु त्तर कय टदमा ।

प्र. 6. रेिक के अनस


ु ाय उन्हें स्कूर िश
ु ी से बागे जाने की जगह न रगने ऩय बी
कफ औय क्मों उन्हें स्कूर जाना अच्छा रगने रगा?

उत्तय− रेिक भानता है कक फचऩन भें उन्हें स्कूर जाना अच्छा नहीॊ रगता था
ऩयन्तु स्काउटटॊग का अभ्मास कयते सभम जफ वे नीरी−ऩीरी झॊड़डमाॉ रेकय ऩीटी
साहफ की सीटी ऩय मा वन−टू−थ्री कहने ऩय झॊड़डमाॉ ऊऩय−नीचे मा दाएॉ−फाएॉ कयते
थे तो उन्हें फहुत अच्छा रगता था।िाकी वदी औय गरे भें दो यॊ गा रूभार रटकाना
बी उन्हें अच्छा रगता था।जफ प्रीतभचॊद िुश होकय शाफाशी दे ते थे तफ उन्हें
स्कूर जाना अच्छा रगता था।

Page 3 of 6
प्र 7. रेिक अऩने छात्र जीवन भें स्कूर से छुटिमों भें लभरे काभ को ऩयू ा कयने के
लरए क्मा−क्मा मोजनाएॉ फनामा कयता था औय उसे ऩयू ा न कय ऩाने की जस्थनत भें
ककसकी बाॉनत ‘फहादयु ’ फनने की ककऩना ककमा कयता था?

अथवा

‘सऩनों के−से टदन’ ऩाठ के आधाय ऩय फताइए कक रेिक छात्र−जीवन भें छुटिमों
का काभ ऩयू ा

कयने के लरए क्मा−क्मा मोजनाएॉ फनाता था?

उत्तय− छुटिमों के ऩहरे तीन−चाय सप्ताह फड़ी भस्ती −बये होते थे।रेिक औय
उसके साथी िूफ िेरा कयते थे। जफ स्कूर जाने का सभम कयीफ आता तो वे डय
जाते थे औय लभरे हुए काभ को ऩयू ा कयने की फात सोचना शरू
ु कयते थे। टहसाफ
भें उन्हें दो सौ सवार टदए गए थे।रेिक सोचता कक योज दस सवार बी ककए तो
फीस टदन भें ऩयू े सवार हो जाएॉगे। िेरते−िेरते दस टदन औय फीत जाते ।अफ वे
सोचते कक दस की फजाम ऩॊद्रह सवार कयें गे ऩयन्तु धीये −धीये सभम हाथ से ननकर
जाता। जफ काभ ऩयू ा नहीॊ हो ऩाता तो सोचते कक काभ कयने की फजाम ‘ओभा’ की
तयह अध्माऩकों की भाय िा रॉ ग
ू ा।

प्र 8. ऩाठ भें वखणणत घटनाओॊ के आधाय ऩय ऩीटी सय की चारयबत्रक पवशेषताओॊ ऩय


प्रकाश डालरए।

उत्तय− ऩीटी भास्टय फहुत ही कठोय स्वबाव के थे।वे स्कूर के सभम कबी
भस
ु कयाते मा हॉ सते नहीॊ थे।छात्रों को अनश
ु ासन भें राने के लरए वे कठोय दॊ ड टदमा
कयते थे।ऩीटी का प्रलशऺण दे ते सभम अनश
ु ासन का कड़ा ऩारन कयवाते थे।गरती

Page 4 of 6
होने ऩय कड़ी सज़ा दे ते थे।काभ अच्छा होने ऩय फच्चों को शाफाशी बी दे ते
थे।प्रीतभचॊद फहुत स्वालबभानी थे।हे डभास्टय साहफ जफ उन्हें कठोय दॊ ड दे ने ऩय
भअ
ु त्तर कय दे ते हैं तो वह नौकयी के लरए उनके ऩास धगड़धगड़ाने नहीॊ जाते
हैं।उनका अऩने तोतों के प्रनत प्रेभ दे िकय रगता है कक वह कोभर द्ददम बी थे।

प्र 9. पवद्माधथणमों को अनश


ु ासन भें यिने के लरए ऩाठ भें अऩनाई गई मजु क्तमों
औय वतणभान भें स्वीकृत भान्मताओॊ के सॊफॊध भें अऩने पवचाय प्रकट कीजजए।

उत्तय− ऩाठ के आधाय ऩय ऩयु ाने ज़भाने भें ऩाठशारा भें पवद्माधथणमों को अनश
ु ासन
भें यिने के लरए मातनाएॉ दी जाती थीॊ।छात्रों को डयामा - धभकामा औय भाया−ऩीटा
जाता था।स्कूर भें बम का वातावयण होता था। इस ऩाठ भें ऩीटी अध्माऩक का
वणणन ककमा गमा है जजन्हें दे िते ही छात्र काॉऩने रगते थे औय ऩाठशारा जाने से
कतयाते थे। वतणभान सभम भें छात्रों को भायना−ऩीटना कानन
ू ी अऩयाध है।शयीरयक
दॊ ड छात्रों को लशऺा से पवभि
ु कय दे ता है।शयायती तथा ऩढ़ाई भें कभज़ोय फच्चों
को सध
ु ायने औय सही यास्ते भें राने के लरए हभें फार भनोपवऻान भें टदए गए
उऩाम अऩनाने चाटहए। सभम−सभम ऩय उन्हें प्रोत्साटहत कयने के लरए ऩयु स्काय
औय शाफाशी आटद दे ना चाटहए।

प्र 10. प्राम: अलबबावक फच्चों को िेर−कूद भें ज़्मादा रुधच रेने ऩय योकते हैं औय
सभम फयफाद न कयने की नसीहत दे ते हैं । फताइए —

क. िेर आऩके लरए क्मों ज़रूयी है?

उत्तय− जीवन भें जजतना भहत्त्व ऩढ़ाई का है उतना ही िेरकूद औय व्मामाभ


का बी है ।िेरों से स्वास््म फनता है । स्वस्थ शयीय भें ही स्वस्थ भन ननवास
कयता है ।िेर−कूद से हभाये भन भें स्पूनतण, उत्साह औय जोश बय जाता
है ।अनश
ु ासन आता है। अत: िेर जीवन के लरए फहुत है ।

Page 5 of 6
ि. आऩ कौन से ऐसे ननमभ− कामदों को अऩना अऩनाएॉगे जजससे अलबबावकों को
आऩके िेर ऩय अऩजत्त न हो?

उत्तय− अलबबावक चाहते हैं कक उनके फच्चे ऩढ़ाई कयें । उन्हें रगता है कक िेरों
भें फच्चे अधधक सभम रगाते हैं जजस कायण वे ऩढ़ाई भें पऩछड़ जाते हैं।इसलरए
टदन−बय िेरने की फजाम हभें िेर औय ऩढ़ाई भें सॊतुरन फनाना चाटहए।हभें
सभम का ध्मान यिकय सीलभत तथा ननजश्चत सभम ऩय िेरकूद भें टहस्सा रेना
चाटहए। हभ बफना ककसी ईष्माण - द्वेष के लभरजुर कय िेरेंगे। हभ अऩनी टदनचमाण
को इस प्रकाय ननजश्चत कयें गे कक िेरों के कायण हभायी ऩढ़ाई भें कोई फाधा न
आए।ऩयीऺा के सभम िेरों भें कभ औय ऩढ़ाई ऩय अधधक ध्मान दे गें।

अतिररक्ि प्रश्न—

1.रेिक को स्कूरी जीवन क्मों नहीॊ अच्छा रगता था?

2. छात्रों के नेता ‘ओभा’ के लसय की क्मा िालसमत थी?

3. हे डभास्टय का स्वबाव कैसा था?

4. रॊडे ऩढ़वाकय फटहमाॉ लरिना लसिा दें गे ।’ ककस सॊदबण भें कहा गमा है।

5. फ़ौज भें बयती कयाने के लरए अॊग्रेज़ सयकाय क्मा कयती थी?

6.अॊग्रेज़ों ने नाबा की सत्ता ककस प्रकाय हधथमाई?

7. नाबा रयमासत के फाये भें आऩ क्मा जानते हैं?

8. ‘सऩनों के−से टदन’ के आधाय ऩय फताइए कक ऩढ़ाई भें रुधच न होने के कायण
फच्चे क्मा कयते थे?

Page 6 of 6

You might also like