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सभाज भें, भिऺा भें एवं ऩारन-ऩोषण भें फारकों से कभ यखा जाता
प्रोपेसय एस.के. दफ
ु े के अनस
ु ाय, "रैंगगक ववबेद का आिम उन
जो कक स्त्री वगि को दफ
ु र
ि तथा ननम्न स्तयीम फताने का प्रमास कयते
यहा है . मह ववबेद भात्र बायत भें ही नहीं वयन ् ववश्व के तभाभ दे िों
आदद. वस्तत
ु ् सबी प्रकाय के ववबेद भानवता के भरए खतया है
क्मोंकक इन ववबेदों के कायण ही भानव भें एकता स्थावऩत कयने भें
ननम्नभरखखत हैं-
ऩत्र
ु ों को वऩता का उततयागधकायी भाना जाता है . फच्चों के नाभ के
आगे वऩता का नाभ ही रगामा जाता है . वंि ऩयं ऩया फढाने के भरए
भें बी ऩरु
ु ष की उऩजस्थनत अऩरयहामि है एवं कुछ कामि भें तो जस्त्रमों
के भरए ऩूणत
ि मा ननषेध है . अत् ऐसी जस्थनत भें ऩुरुष प्रधान हो
फाऩ की वद्ध
ृ ावस्था का सहाया फनें गे, वंि को आगे फढाएंगे, उन्हें
इसके फावजद
ू फाभरकाओं के कामिऺेत्र चौका-फतिन तक ही सीभभत
प्रदििन कयने के भरए काभ आने रगी. रड़के वारे रारच भें
फहुत भजफत
ू फनामा है कपय बी िायीरयक तौय ऩय ऩरु
ु षों से
बेजने भें भाता-वऩता घफयाते हैं . ददल्री भें हुए ननबिमा काण्ड
जा सकती है
के साथ भ्रण
ू के स्िास्थम के विषम भें जानने के शरए सोनोग्रापी
कन्मा भ्रण
ू हतमा के फढते चरन के कायण धीये -धीये सभाज भें
भभरती.
भानने रगती हैं कक ऩुरुष उनसे श्रेष्ठ हैं. स्वमं स्त्री होकय अऩने फेटे-
फहुत फड़ी बभू भका ननबा सकते हैं. मे रोग अऩनी यचनाओं भें नायी
कॉरेज खोरे जाने चादहए जहां वह आसानी से एवं सयु क्षऺत रूऩ से
योजगाय प्राप्त हो. इससे ऩरयवाय बी उन्हें ऩढाने भें वविेष रूगच
आवश्मक है .
भख्
ु म धाया भें जोड़ा जाना चादहए. कुछ धाभभिक कभिकांड ऐसे हैं जो
भसपि ऩुरुष आधारयत हैं. अबी हार भें कुछ भंददयों भें भदहराओं के
की अनऩ
ु भ कृनत हैं. उन्हें सबी प्रकाय के कभिकांड कयने का
ऩरु
ु षों की फयाफयी कय सकें. बायतीम संववधान भें जस्त्रमों के ववकास
तथा उनकी ऺभता के भरए अनेक प्रमास ककए गए हैं. जरूयत है तो
सकते हैं.