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हरयहय काका Chapter 1

कऺा 10 हहॊदी -ऩाठ 1 (हरयहय काका)


रेखक - मभथथरेश्वय
जन्भ - 1950

रेखक - मभथथरेश्वय
जन्भ - 1950
ऩाठ व्माख्मा
• हरयहय काका के मह ॉ से भैं अबी-अबी रौट हॉ। कर बी उनके मह ॉ गम थ , रेककन न तो वह
कर ही कुछ कह सके औय न आज ही। दोनों ददन उनके ऩ स भैं दे य तक फैठ यह , रेककन
उन्होंने कोई फ तचीत नहीॊ की। जफ उनकी तबफमत के फ ये भें ऩछ तफ उन्होंने मसय उठ कय एक
फ य भुझे दे ख । कपय मसय झुक म तो भेयी ओय नहीॊ दे ख । ह र ॉकक उनकी एक ही नज़य फहुत
कुछ कह गई। जजन मॊत्रण ओॊ के फीच वह घघये थे औय जजस भन् जथथघत भें जी यहे थे, उसभें
आॉखे ही फहुत कुछ कह दे ती हैं, भॉह
ु खोरने की जरूयत नहीॊ ऩड़ती।
• तबफमत - शयीय की स्थथतत / भन की स्थथतत
मॊत्रणा - मातना / करेश / कष्ट
भन्स्थथतत - भन की स्थथतत
• रेखक कहत है कक वह अबी-अबी हरयहय क क के घय से रौट है। वह पऩछरे कर बी उनके
घय गम थ , रेककन हरयहय क क ने न तो उससे पऩछरे कर फ त की औय न ही उन्होंने आज
कुछ फोर थ । दोनों ही ददन रेखक हरयहय क क के ऩ स फहुत सभम तक फैठ यह , रेककन
उन्होंने कोई फ त नहीॊ की। जफ रेखक ने उनसे उनके ह रच र के फ ये भें ऩछ तो उन्होंने
रेखक को एक फ य मसय उठ कय दे ख औय कपय मसय झक ु ददम औय उसके फ द रेखक की ओय
नहीॊ दे ख । रेखक को उनकी एक नजय से ही सफ कुछ सभझ आ गम थ । जजन कष्टों भें वे थे
औय उनके भन की जो जथथघत थी, उनको अऩने भॉह ु से कहने की बी कोई जरुयत नहीॊ थी
क्मोंकक उनकी आॉखे ही सफ कुछ कह यही थी।
• हरयहय क क की जजन्दगी से भैं फहुत गहये भें जड़
ु हॉ। अऩने ग ॉव भें जजन चॊद रोगों को भैं
सम्भ न दे त हॉ, उनभें हरयहय क क बी एक हैं। हरयहय क क के प्रघत भेयी आसजक्त के अनेक
व्म वह रयक औय वैच रयक क यण हैं। उनभें प्रभख
ु क यण दो हैं। एक तो मह कक हरयहय क क भेये
ऩड़ोस भें यहते हैं औय दसय क यण मह की भेयी भ ॉ फत ती हैं, हरयहय क क फचऩन भें भुझे फहुत
दरु य कयते थे। अऩने कॊधे ऩय फैठ कय घभ ु म कयते थे। एक पऩत अऩने फच्चे को जजतन
प्म य कयत है, उससे कहीॊ ज्म द प्म य हरयहय क क भुझे कयते थे। औय जफ भैं सम न हुआ
तफ भेयी ऩहरी दोथती हरयहय क क के स थ ही हुई।
• चॊद - कुछ
आसस्तत - रगाव
व्मावहारयक - व्मावहाय सम्फन्धी
वैचारयक - ववचाय सम्फन्धी
दरु ाय - प्माय
समाना - व्मथक / फुविभान / सभझदाय
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• रेखक कहत है कक वह हरयहय क क के स थ फहुत गहये से जड़ ु थ । रेखक अऩने ग ॉव के जजन कुछ रोगों क
सम्भ न कयत थ , हरयहय क क उनभें से एक थे। रेखक क हरयहय क क के प्रघत जो प्म य थ वह रेखक क उनके
व्म वह य के औय उनके पवच यों के क यण थ । रेखक क हरयहय क क के प्रघत जो प्म य थ उसके दो क यण थे। उनभें
से ऩहर क यण थ कक हरयहय क क रेखक के ऩड़ोसी थे औय दसय क यण रेखक को उनकी भ ॉ ने फत म थ कक
हरयहय क क रेखक को फचऩन से ही फहुत ज्म द प्म य कयते थे। वे रेखक को अऩने कॊधे ऩय फैठ कय घुभ म कयते
थे। एक पऩत क अऩने फच्चों के मरए जजतन प्म य होत है , रेखक के अनुस य हरयहय क क क उसके मरए प्म य
उससे बी अथधक थ । रेखक कहत है कक जफ वह व्मथक हुआ म थोड़ सभझद य हुआ तो उसकी ऩहरी दोथती बी
हरयहय क क के स थ ही हुई थी।
• प्रतीऺा - इॊतजाय
फ़िरहार - अबी / इस सभम
भझधाय - फीच भें (जर प्रवाह मा बवसागय के भध्म भें )
ववरीन - रुप्त हो जाना
ववकल्ऩ - दस ू या उऩाम

• रेखक कहत है कक जफ उसके ऩहरे दोथत हरयहय क क फने तो उसे ऐस रग जैसे हरयहय क क ने बी रेखक से
दोथती कयने के मरए अऩनी इतनी रम्फी उम्र तक इन्तज य ककम हो। रेखक की भ ॉ ने रेखक को फत म थ कक उससे
ऩहरे हरयहय क क की ग ॉव भें ककसी से इतनी गहयी दोथती नहीॊ हुई थी। रेखक कहत है कक हरयहय क क उससे कबी
बी कुछ नहीॊ छुऩ ते थे, वे उससे सफकुछ खुर कय कह दे ते थे रेककन अबी इस सभम उन्होंने रेखक से बी फ त कयन
फॊद कय ददम थ । उनकी इस तयह की ऩरयजथथघत को दे ख कय रेखक को उनकी थचॊत हो यही थी। उनकी जथथघत रेखक
को इस तयह रग यही थी जैसे कोई न व जर प्रव ह म बवस गय के भध्म भें पॉस गई हो औय उसभे फैठे रोग ककसी
को थचल्र कय बी नहीॊ फुर सकते क्मोंकक बवस गय के फीच भें होने की वजह से उनकी आव जें कहीॊ रहयों की आव जों
भें मभर कय रप्ु त हो ज ती हैं। ऐसी जथथघत भें चऩ
ु -च ऩ वहीीँ ऩ नी भें ही अॊघतभ स ॉस रेने के आर व कोई औय य थत
नहीॊ यह ज त । रेखक कहत है कक उसे हरयहय क क की ऐसी जथथघत ऩय पवश्व स नहीॊ हो यह थ । ऐसी जथथघत भें जैसे
जीने के र रच भें फैचेनी औय छटऩट हट फढ़ ज ती है , कुछ ऐसी ही जथथघत के फीच भें हरयहय क क पॉसे हुए रग यहे
थे।

• हरयहय क क के फ ये भें भैं सोचत हॉ तो भुझे रगत है कक वह मह सभझ नहीॊ ऩ यहे हैं कक कहे तो क्म कहें ? अफ
कोई ऐसी फ त नहीॊ जजसे कहकय वह हल्क हो सकें। कोई ऐसी उजक्त नहीॊ जजसे कहकय वे भजु क्त ऩ सकें। हरयहय
क क की जथथघत भें भैं बी होत तो घनश्चम ही इस गॉ गेऩन क मिक य हो ज त ।
• हरयहय क क इस जथथघत भें कैसे आ पॉसे? मह कौन सी जथथघत है ? इसके मरए कौन जजम्भेव य है ? मह सफ फत ने से
ऩहरे अऩने ग ॉव क औय ख सकय उस ग ॉव की ठ कुयफ यी क सॊक्षऺप्त ऩरयचम भैं आऩको दे दे न उथचत सभझत हॉ
• क्मोंकक उसके बफन तो मह कह नी तो अधयी ही यह ज एगी।
• उस्तत - कथन / वातम
ठाकुयफायी - दे वथथान
• रेखक कहत है कक हरयहय क क की इस जथथघत को दे ख कय उसे रग यह थ कक वे ि मद सभझ नहीॊ ऩ यहे
थे कक उन्हें क्म कहन च दहए? अफ ि मद कोई ऐसी फ त ही नहीॊ थी जजसको फोर कय वे अऩन भन हल्क
कय सकें औय न ही कोई ऐस व क्म म कथ है जो उनके भन को ि ॊघत प्रद न कय सके। रेखक कहत है कक
हरयहय क क की जो जथथघत है उसभें अगय वह थवमॊ बी होत तो वह बी ि मद इसी तयह गॉग हो ज त अथ ात
ककसी से फ त नहीॊ कयत । 3
• अफ फ त आती है कक हरयहय क क इस जथथघत भें कैसे पॉस गए। मह कौन सी जथथघत है जजसके फ ये भें रेखक
फ त कय यह है । हरयहय क क को इस जथथघत भें ऩहुॉच ने के मरए कौन जजम्भेव य हैं । मह सफ फत ने से ऩहरे
रेखक अऩने ग व ॉ औय ख सकय उस ग व ॉ भें जथथत दे वथथ न के फ ये भें सॊऺऩे भें फत न च हत है क्मोंकक
उसको ज ने बफन कह नी को सभझन न भुभककन है औय कह नी उसके बफन अधयी है ।
• भेय ग ॉव कथफ ई िहय आय से च रीस ककरोभीटय की दयु ी ऩय है । हसनफ ज य फस थटैं ड के ऩ स। ग व ॉ की कुर
आफ दी ढ ई-तीन हज़ य होगी। ग ॉव भें तीन प्रभख ु थथ न हैं । ग ॉव के ऩजश्चभ ककन ये क फड़ -स त र फ। ग ॉव
के भध्म जथथत फयगद क ऩयु न वऺ ृ औय ग व ॉ के ऩयफ भें ठ कुय जी क पवि र भॊददय, जजसे ग ॉव के रोग
ठ कुयफ यी कहते हैं ।
• भध्म - फीच भें
• रेखक कहत है कक उसक ग ॉव कथफ ई िहय आय से च रीस ककरोभीटय की दयु ी ऩय हसनफ ज य फस थटैंड के
ऩ स जथथत है । ग व ॉ की कुर आफ दी रगबग ढ ई-तीन हज़ य होगी। ग ॉव भें तीन प्रभख ु थथ न हैं । ऩहर -ग ॉव के
ऩजश्चभ ककन ये भें एक फड़ -स त र फ जथथत है । ग ॉव के फीचोंफीच एक फयगद क ऩयु न वऺ ृ जथथत है औय
ग ॉव की ऩवा ददि भें ठ कुय जी क पवि र भॊददय है , जजसे ग ॉव के रोग ठ कुयफ यी म घन दे वथथ न कहते हैं ।कक
वर्षों ऩहरे जफ मह ग व ॉ ऩयी तयह फस बी नहीॊ थ , कहीॊ से एक सॊत आकय इस थथ न ऩय झोंऩड़ी फन यहने
रगे थे। वह सफ ु ह-ि भ मह ॉ ठ कुयजी की ऩज ककम कयते थे। रोगों से भ ग ॉ कय ख रेते थे औय ऩज - ऩ ठ की
ब वन ज ग्रत ककम कयते थे। फ द भें रोगों ने चॊद कयके मह ॉ ठ कुयजी क एक ग ॉव भें इस ठ कुयफ यी की
थथ ऩन कफ हुई, इसकी ठीक-ठीक ज नक यी ककसी को नहीॊ। इस सम्फन्ध भें ग ॉव भें जो कह नी प्रचमरत है वह
मह छोट -स भॊददय फनव ददम । कपय जैसे-जैसे ग ॉव फसत गम औय आफ दी फढ़ती गई, भॊददय के करेवय भें बी
पवथत य होत गम । रोग ठ कुयजी को भनौती भन ते कक ऩुत्र हो, भुकदभे भें पवजम हो, रड़की की ि दी अच्छे घय
भें तम हो, रड़के को नौकयी मभर ज ए। कपय इसभें जजनको सपरत मभरती, वह ऽुिी से ठ कुयजी ऩय रूऩम,
ज़ेवय, अन ज चढ़ ते। अथधक ऽुिी होती तो ठ कुयजी के न भ अऩने खेत क एक छोट -स टुकड़ मरख दे ते। मह
ऩयॊ ऩय आज तक ज़ यी है ।
• प्रचलरत - चरनसाय
जाग्रत - जगाना
करेवय - शयीय / दे ह / ऊऩयी ढाॉचा
भनौती - भन्नत
ऩयॊ ऩया - प्रथा / प्रणारीरेखक
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• उसके ग ॉव भें थथ पऩत दे व-थथ न की थथ ऩन के फ ये भें कहत है कक ग ॉव भें वह दे व-थथ न कफ थथ पऩत


ककम गम इसके फ ये भें कोई बी सही-सही नहीॊ फत सकत । इसके फ ये भें ग ॉव भें जो कह नी चरी आ
यही है उसके अनस ु य, फहुत स र ऩहरे जफ ग ॉव सही ढॊ ग से फस बी नहीॊ थ तफ न ज ने कह ॉ से एक
सॊत ग ॉव भें आकय उस थथ न ऩय झोंऩड़ी फन कय यहने रग । वह सॊत सफ ु ह-ि भ ठ कुयजी की ऩज ककम
कयत थ औय रोगो से भ ॉगकय ही ख न ख त थ । वह रोगो भें ऩज -ऩ ठ की ब वन को जग ने क क भ
• कयत थ । फ द भें रोगों ने आऩस भें ही कुछ धन जभ कयके उस झोंऩड़ी के थथ न ऩय ठ कुयजी क एक
छोट -स भॊददय फन ददम । कपय जैसे-जैसे ग ॉव फढ़त गम , वह ॉ की आफ दी बी फढ़ती गई औय स थ-ही-स थ
भॊददय के आक य भें बी फढ़ोतयी होती गई। रोग ठ कुय जी से ऩत्र ु की भन्नत भ ग ॊ ते, भु़दभे भें जीत, रड़क
की ि दी ककसी अच्छे घय भें हो ज ए, रड़के को नौकयी मभर ज ए आदद भन्नत भ ग ॉ ते थे। भन्नत ऩयी होन
ऩय रोग अऩनी ऽि ु ी से ठ कुयजी को रूऩए, ज़ेवय, औय अन ज चढ़ म कयते थे। जजसको फहुत अथधक ऽि ु ी
होती थी वह अऩने खेत क छोट -स ब ग ठ कुयजी के न भ कय दे त थ औय मह एक तयह से प्रथ ही
फन गई जो आज तक चरी आ यही है।
• अथधक ॊि रोगों को पवश्व स है कक उन्हें अच्छी पसर होती है, तो ठ कुयजी की कृऩ से। भु़दभे भें उनकी
जीत हुई तो ठ कुयजी के चरते। रड़की की ि दी इसमरए जल्दी तम हो गई, क्मोंकक ठ कुयजी को भनौती
भन ई गई थी। रोगों के इस पवश्व स क ही मह ऩरयण भ है कक ग ॉव की अन्म चीज़ों की तर ु न भें
ठ कुयफ यी क पवक स हज़ य गुन अथधक हुआ है। अफ तो मह ग ॉव ठ कुयफ यी से ही ऩहच न ज त है। मह
ठ कुयफ यी न मसपा भेये ग ॉव की एक फड़ी औय पवि र ठ कुयफ यी है फजल्क ऩयु े इर के भें इसकी जोड़ की
दसयी ठ कुयफ यी नहीॊ।
ठ कुयफ यी के न भ ऩय फीस फीघे खेत हैं। ध मभाक रोगों की एक समभघत है, जो ठ कुयफ यी की दे ख-ये ख औय
सञ्च रन के मरए प्रत्मेक तीन स र ऩय एक भहॊत औय एक ऩज ु यी की घनमजु क्त कयती है।
• अधधकाॊश - ज्मादातय
सलभतत - सॊथथा
सञ्चारन - तनमॊत्रण / चराना
तनमस्ु तत - तैनाती / रगामा गमा
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• रेखक कहत है कक ग ॉव के ज्म द तय रोगों क पवश्व स मह फन गम है कक अगय उनकी पसर अच्छी
हो तो उसे वे अऩनी भेहनत नहीॊ फजल्क ठ कुयजी की कृऩ भ नते हैं। ककसी की भु़दभे भें जीत होती है
तो उसक श्रेम बी ठ कुयजी को ददम ज त है। रड़की की अगय ि दी जल्दी तम हो ज ती है तो बी
भ न ज त है कक ठ कुयजी से भन्नत भ ॉगने के क यण ऐस हुआ है। रोगो के इस तयह के पवश्व स क
ही ऩरयण भ है कक दे व-थथ न क पवक स ग ॉव की फ कक सबी चीज़ों से हज़ य गुन ज्म द हुआ है। रेखक
कहत है कक उसक ग ॉव अफ ग ॉव के न भ से नहीॊ फजल्क दे व-थथ न के वजह से ही ऩहच न ज त है।
उसके ग ॉव क मह दे व-थथ न केवर उसके ग ॉव क ही सफसे फड़ दे व-थथ न नहीॊ है फजल्क मह दे व-थथ न
तो उस इर के क सफसे फड़ औय प्रमसद्ध दे वथथ न है।
• रेखक कहत है कक दे व-थथ न के न भ ऩय रगबग फीस फीघे जभीन है। दे व-थथ न की दे ख-ये ख औय
घनमॊत्रण के मरए एक ध मभाक रोगों की सॊथथ क घनभ ाण बी ककम गम है , मह सॊथथ हय तीन स र भें
एक भहॊत औय एक ऩज ु यी को तैन त कयती है जो दे व-थथ न भें ऩज -ऩ ठ क ध्म न यखते है।
• ठ कुयफ यी क क भ रोगो के अॊदय ठ कुय जी के प्रघत बजक्त ब वन ऩैद कयन तथ धभा से पवभख ु हो
यहे रोगो को य थते ऩय र न है। ठ कुयफ यी भें बजन-कीतान की आव ज़ फय फय गॉजती यहती है। ग ॉव जफ
बी फ ढ़ म सखे की चऩेट भें आत है, ठ कुयफ यी के अह ते भें तॊफ रग ज त है। .रोग औय ठ कुयफ यी के
स धु -सॊत अखॊड हरयकीतान िरू ु कय दे ते हैं। इसके अघतरयक्त ग ॉव भें ककसी बी ऩवा-त्मोह य की िुरुआत
ठ कुयफ यी से ही होती है। होरी क सफसे ऩहर गुर र ठ कुयजी को ही चढ़ म ज त है। दीव री क
ऩहर दीऩ ठ कुयफ यी भें ही जरत है। जन्भ, ि दी औय जनेऊ के अवसय ऩय अन्न-वथत्र की ऩहरी बें ट
ठ कुयजी के न भ की ज ती है ठ कुयजी के ब्र ह्भण-स धु व्रत-कथ ओॊ के ददन घय-घय घभकय कथ व चन
कयते हैं। रोगों के खमरह न भें जफ पसर की दवनी होकय अन ज की 'ढे यी' तैम य हो ज ती है, तफ
ठ कुयजी के न भ 'अगउभ' घनकरकय ही रोग अन ज अऩने घय रे ज ते हैं।
• ववभुख - प्रततकूर
चऩेट - आघात / प्रहाय
अहाता - चायों ओय से दीवायों से तघया हुआ भैदान
अखॊड - तनवविघ्नअगउभ - प्रमोग भें राने से ऩहरे दे वता के लरए तनकारा गमा अॊश


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रेखक दे व-थथ न के क भ के फ ये भें फत त हुआ कहत है कक दे व-थथ न क क भ रोगों के अॊदय बगव न के
प्रघत आथथ औय पवश्व स ऩैद कयन औय जो रोग धभा के य थते से बटक गए हैं उन्हें सही य थत ददख न है ।
दे व-थथ न ऩय बगव न के बजन-कीतान की आव जें गॉजती यहती हैं । जफ कबी बी ग ॉव ऩय फ ढ़ औय सखे क
प्रह य होत है , तो दे व-थथ न के च यों ओय से दीव यों से घघये हुए भैद न भें तॊफ रग ज ते हैं औय वह ॉ रोग औय
दे व-थथ न के स ध-ु सॊत बफन ककसी योक-टोक व रे म फहुत रम्फे सभम तक चरने व रे हरयकीतान िरू ु कय दे ते
हैं । इतन ही नहीॊ अगय ग ॉव भें कबी बी-कोई बी ऩवा-त्मोह य होत है , तो उसकी िुरुआत बी दे व-थथ न से ही
होती है । जैसे-होरी क ऩहर गुर र बगव न को रग म ज त है , दीव री क ऩहर दीऩ बी दे व-थथ न ऩय ही
जर म ज त है । जन्भ, ि दी औय जनेऊ के अवसय ऩय बी ऩहरी बें ट बगव न के ही न भ ज ती है । बगव न के
ब्र ह्भण-स धु व्रत-कथ ओॊ के ददन घय-घय घभकय कथ क फख न कयते हैं । रोगो के आॉगन भें जफ गें हॉ म ध न
घनक रने की प्रकिम िरू ु होती है औय जफ अन ज क ढे य तैम य हो ज त है , तो प्रमोग भें र ने से ऩहरे दे वत
के मरए अन ज क अॊि घनक र ज त है , उसके फ द ही रोग अन ज को अऩने घय रे ज ते हैं ।
• ठ कुयफ यी के स थ अथधक ॊि रोगों क सम्फन्ध फहुत ही घघनष्ठ है -भन औय तन दोनों थतय ऩय। कृपर्ष-क मा से
अऩन फच हुआ सभम वे ठ कुयफ यी भें ही बफत ते हैं । ठ कुयफ यी भें स ध-ु सॊतों के प्रवचन सन ु औय ठ कुय जी के
दिान कय वे अऩन मह जीवन स थाक भ नने रगते हैं । उन्हें मह भहसस होत है कक ठ कुयफ यी भें प्रवेि कयते
ही वे ऩपवत्र हो ज ते हैं । उनके पऩछरे स ये ऩ ऩ अऩने आऩ ऽत्भ हो ज ते हैं ।
• घतनष्ठ - अत्मधधक तनकटता
प्रवचन - वेद, ऩयु ाण आहद का उऩदे श कयना
साथिक - उद्देश्म वारा
• रेखक कहत है कक ग ॉव के कुछ रोगों क दे व-थथ न के स थ फहुत घनकटत क रयश्त फन गम है , वे तन-भन
दोनों से ही दे व-थथ न के प्रघत आथथ व न हैं । वे अऩने कृपर्ष के क भ को ऽत्भ कयके फच हुआ सभम दे व-थथ न
भें ही बफत ते हैं । दे व-थथ न के स ध-ु सॊतो के द्व य वेद, ऩयु ण आदद क उऩदे ि सुनकय औय बगव न के दिान
कय रेने से वे अऩने जीवन को उद्देश्म से बयऩय भ नते हैं । उन्हें ऐस रगत है कक जैसे ही वे दे व-थथ न भें
प्रवेि कयते हैं, वे ऩपवत्र हो ज ते हैं औय उनके द्व य ककमे गए स ये फयु े क भ अऩने आऩ ही ऽत्भ हो ज ते हैं ।
• ऩरयजथथघतवि इधय हरयहय क क ने ठ कुयफ यी भें ज न फॊद कय ददम है । ऩहरे वह अकसय ही ठ कुयफ यी भें
ज ते थे। भन फहर ने के मरए कबी-कबी भैं बी ठ कुयफ यी भें ज त हॉ । रेककन वह ॉ के स ध-ु सॊत भुझे पटी
आॉखों नहीॊ सह ु ते। क भ-ध भ कयने भें उनकी कोई रूथच नहीॊ। ठ कुयजी को बोग रग ने के न भ ऩय दोनों जन
हरव -ऩड़ी ख ते हैं औय आय भ से ऩड़े यहते हैं । उन्हें अगय कुछ आत है तो मसपा फ त फन न आत है ।

• ऩरयस्थथततवश - ऩरयस्थथततमों के कायण


पूटी आॉखों न सह ु ाना - थोडा बी अच्छा न रगना
दोनों जन
ू - दोनों वतत
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• रेखक कहत है कक हरयहय क क ने अऩनी ऩरयजथथघतओॊ के क यण दे व-थथ न भें ज न फॊद कय ददम है।
ऩहरे वे रगबग हभेि ही दे व-थथ न ज म कयते थे। भन फहर ने के मरए रेखक बी कबी-कबी दे व-
थथ न चर ज त थ । रेककन रेखक कहत है कक वह ॉ के स ध-ु सॊत उसे बफरकुर बी ऩसॊद नहीॊ थे।
क्मोंकक वे क भ कयने भें कोई ददरचथऩी नहीॊ यखते थे। बगव न को बोग रग ने के न भ ऩय वे ददन के
दोनों सभम हरव -ऩड़ी फनव ते थे औय आय भ से ऩड़े यहते थे। स य क भ वह ॉ आए रोगो से सेव कयने
के न भ ऩय कयव ते थे। वे खुद अगय कोई क भ कयते थे तो वो थ फ तें फनव ने क क भ।
• हरयहय क क च य ब ई हैं। सफकी ि दी हो चक ु ी है। हरयहय क क के आर व सफके फ र-फच्चे हैं। फड़े
औय छोटे ब ई के रड़के क पी सम ने हो गए हैं। दो की ि ददम ॉ हो गई हैं। उनभें से एक ऩढ़-मरखकय
िहय के ककसी दफ़्तय भें क्रकी कयने रग है। रेककन हरयहय क क की अऩनी दे ह से कोई और द नहीॊ।
ब इमों भें हरयहय क क क नॊफय दसय है और द के मरए उन्होंने दो ि ददम ॉ कीॊ। रॊफे सभम तक
प्रतीऺ यत यहे । रेककन बफन फच्च जने उनकी दोनों ऩजत्नम ॉ थवगा मसध य गईं। रोगों ने तीसयी ि दी
कयने की सर ह दी रेककन अऩनी थगयती हुई उम्र औय ध मभाक सॊथक यों की वजह से हरयहय क क ने
इॊक य कय ददम वह इत्भीन न औय प्रेभ से अऩने ब इमों के ऩरयव य के स थ यहने रगे।
• आरावा - अततरयतत
तरकी - लरवऩक / कभिचायी
प्रतीऺायत - इॊतजाय कयना
इत्भीनान - तसल्री
• रेखक हरयहय क क के फ ये भें फत त हुआ कहत है कक हरयहय क क औय उनके ब ई, च य हैं। सफकी
ि दी हो चक ु ी है। हरयहय क क के अघतरयक्त सबी तीन ब इमों के फ र-फच्चे हैं। फड़े औय छोटे ब ई के
फच्चे फहुत सभझद य हो गए हैं। उनभें से दो की ि ददम ॉ बी हो गई हैं। उनभें से एक ऩढ़-मरखकय िहय
भें कहीॊ मरपऩक की नौकयी कय यह है। रेककन हरयहय क क की कोई अऩनी और द नहीॊ है। ब इमों भें
हरयहय क क दसये नॊफय के ब ई हैं। और द की च ह भें हरयहय क क ने दो ि ददम ॉ की थी। फहुत रम्फे
सभम तक वे और द की प्रतीऺ कयते यहे , रेककन और द को बफन जन्भ ददए ही उनकी दोनों ऩजत्नम ॉ
थवगा मसध य गई। रोगों ने हरयहय क क को तीसयी ि दी कयने के मरए कह , रेककन अऩनी फढ़ती उम्र
औय अऩने ध मभाक सॊथक यों को ध्म न भें यखते हुए उन्होंने तीसयी ि दी कयने से इॊक य कय ददम । वे
तसल्री औय प्म य के स थ अऩने ब इमों के ऩरयव य के स थ यहने रगे थे।
8
• हरयहय क क के ऩरयव य के ऩ स कुर स ठ फीघे खेत हैं। प्रत्मेक ब ई के दहथसे ऩॊद्रह फीघे ऩड़ेंगे। कृपर्ष-
क मा ऩय मे रोग घनबाय हैं। ि मद इसमरए अफ तक सॊमक् ु त ऩरयव य के रूऩ भें ही यहते आ यहे हैं।
• हरयहय क क के तीनों ब इमों ने अऩनी ऩजत्नमों को मह सीख दी थी कक हरयहय क क की अच्छी तयह
सेव कयें । सभम ऩय उन्हें न श्त -ख न दें । ककसी तयह की तकरीफ़ न होने दें । कुछ ददनों तक वे हरयहय
क क की खोज-खफय रेती यहीॊ। कपय उन्हें कौन ऩछने व र ? 'ठहय चौक ' रग कय ऩॊख झरते हुए अऩने
भदों को अच्छे -अच्छे व्मॊजन खखर तीॊ। हरयहय क क के आगे तो फची-खुची चीज़ें आती। कबी-कबी तो
हरयहय क क को रूख -सख ख कय ही सॊतोर्ष कयन ऩड़त ।

• व्मॊजन - अच्छा खाना


सॊतोष - तस्ृ प्त / प्रसन्नता / हषि
• रेखक कहत है कक हरयहय क क के ऩये ऩरयव य के ऩ स रगबग स ठ फीघे खेत हैं। अगय हय एक ब ई
को फय फय-फय फय फ ॉट दें तो हय एक के दहथसे भें ऩॊद्रह फीघे जभीन आएगी। मे सबी रोग अऩन गज ु य
खेती-फ ड़ी कय के ही कयते हैं। ि मद मही क यण थ कक अफ तक मे ऩय ऩरयव य एक स थ ही यहत थ ।
• हरयहय क क के तीनों ब इमों ने अऩनी-अऩनी ऩजत्नमों को मह कह कय यख थ कक हरयहय क क की
अच्छे से सेव होनी च दहए। सभम ऩय उन्हें न श्त -ख न आदद मभरन च दहए। उनको ककसी बी तयह की
ऩये ि नी नहीॊ होनी च दहए। कुछ ददनों तक तो वे हरयहय क क की सबी चीज़ों क अच्छे से ध्म न यखती
यही, ऩयन्तु कपय कुछ ददनों फ द हरयहय क क को कोई ऩछने व र नहीॊ थ । ख ने की भेज़ सज कय ऩॊख
दहर ते हुए अऩने-अऩने ऩजत्तमों को अच्छ -अच्छ ख न खखर ती थी औय हरयहय क क के स भने जो
कुछ फच ज त थ वही ऩयोस ज त थ । कबी-कबी तो हरयहय क क को बफन तेर-घी के ही रूख -सख
ख न ख कय प्रसन्न यहन ऩड़त थ ।
• आगे कबी हरयहय क क की तफीमत खय फ हो ज ती तो भुसीफत भें ऩड़ ज ते। इतने फड़े ऩरयव य भें यहते
हुए बी कोई उन्हें ऩ नी दे ने व र तक नहीॊ। सबी अऩने क भों भें भिगर। फच्चे म तो ऩढ़-मरख यहे
होते म धभ चौकड़ी भच ते। भदा खेतों भें गए यहते। औयतें ह र ऩछने बी नहीॊ आतीॊ। द र न के कभये भें
अकेरे ऩड़े हरयहय क क को थवमॊ उठकय अऩनी जरूयतों की ऩघता कयनी ऩड़ती। ऐसे वक्त अऩनी ऩजत्नमों
को म द कय-कयके हरयहय क क की आॉखें बय आती। ब इमों के ऩरयव य के प्रघत भोहबॊग की िरु ु आत
इन्हीॊ ऺणों भें हुई थी।

• तफीमत - शयीय की स्थथतत / भन की स्थथतत


भशगूर – व्मथत , धभाचौकडी - उछर-कूददारान – फयाभदा भोहबॊग - प्रेभ की भ्रास्न्त का नाश

9
• रेखक कहत है कक अगय कबी हरयहय क क के ियीय की जथथघत म भन की जथथघत ठीक नहीॊ होती तो
सभखझए हरयहय क क ऩय भस ु ीफतों क ऩह ड़ ही थगय ज त । क्मोंकक इतने फड़े ऩरयव य के यहते हुए बी हरयहय
क क को कोई ऩ नी बी नहीॊ ऩछत थ । सबी अऩने-अऩने क भों को कयने भें व्मथत यहते थे। फच्चे म तो
अऩनी ऩढ़ ई कय यहे होते थे म उछर-कद कय यहे होते थे। ऩरयव य के सबी भदा खेतों भें गए होते थे। औयते
तो हरयहय क क क ह र बी ऩछने नहीॊ आती थी। फ य भदे के कभये भें ऩड़े हुए हरयहय क क को अगय ककसी
चीज़ की जरुयत होती तो उन्हें खद
ु ही उठन ऩड़त । ऐसे सभम भें हरयहय क क को अऩनी दोनों ऩजत्नमों की
म द आ ज ती औय उनकी आॉखें बय ज ती। रेखक के अनस ु य हरयहय क क क जो ब इमों के ऩरयव य के मरए
प्म य थ उसके कभ होने की िुरुआत उनके स थ होने व रे इस तयह के व्मवह य से ही हुई थी।

• औय कपय, एक ददन तो पवथपोट ही गम । उस ददन हरयहय क क की सहन-िजक्त ज़व फ दे गई। उस ददन िहय
भें क्रकी कयने व रे बतीजे क एक दोथत ग व ॉ आम थ उसी के आगभन के उऩरक्ष्म भें दो-तीन तयह की
सब्ज़ी, फजके, चटनी, य मत आदद फने थे। बफभ यी से उठे हरयहय क क क भन थव ददष्ट बोजन के मरए फेचैन
थ । भन-ही-भन उन्होंने अऩने बतीजे के दोथत की सय हन की, जजसके फह ने उन्हें अच्छी चीज़ें ख ने को मभरने
व री थीॊ। रेककन फ तें बफरकुर पवऩयीत हुईं। सफों ने ख न ख मरम , उनको कोई ऩछने तक नहीॊ आम । उनके
तीन ब ई ख न ख कय खमरम न भें चरे गए। दवनी हो यही थी। वे इस फ त के प्रघत घनजश्चॊत थे कक हरयहय
क क को तो ऩहरे ही खखर ददम गम होग ।
• ववथपोट - पूट कय फाहय तनकरना
आगभन - आने ऩय
उऩरक्ष्म - सॊकेत
सयाहना - प्रशॊसा
तनस्श्चॊत – फेफपक्र

• रेखक कहत है कक हरयहय क क सफ कुछ सहन कय यहे थे, ऩयन्तु एक ददन सफ कुछ पट कय फ हय आ गम ।
उस ददन हरयहय क क की सहन-िजक्त टट गई। उस ददन उनक जो बतीज िहय भें क्रकी की नौकयी कयत
है , वह औय उसक एक दोथत ग व
ॉ आए हुए थे। उन्हीॊ के आने की ऽुिी भें दो-तीन तयह की सजब्ज़म ,ॉ फजके,
चटनी, य मत औय बी फहुत कुछ फन थ । बफभ यी से कुछ सभम ऩहरे ही ठीक हुए हरयहय क क बी कुछ
थव ददष्ट ख न ख ने क भन थ । हरयहय क क भन-ही-भन बतीजे औय उसके दोथत की प्रिॊस कयने रगे
क्मोंकक उनकी वजह से ही आज हरयहय क क को थव ददष्ट ख न ख ने को मभरने व र थ । रेककन जैस हरयहय
क क ने सोच थ फ त बफरकुर उसके उरटी हुई। सफ रोगों ने ख न ख मरम औय हरयहय क क को कोई
ऩछने तक नहीॊ आम । उनके तीनों ब ई ख न ख कय खमरम न भें चरे गए क्मोंकक गें हॉ औय ध न को अरग
कयने क क भ चर यह थे। वे इस फ त से फैऽफय थे औय सोच यहे थे कक हरयहय क क को तो ऩहरे ही ख न
दे ददम गम होग ।
10
• अॊत भें हरयहय क क ने थवमॊ द र न के कभये से घनकर हवेरी भें प्रवेि ककम । तफ उनके
छोटे ब ई की ऩत्नी ने रुख -सख ख न र कय उनके स भने ऩयोस ददम -ब त, भ औय अच य।
फस, हरयहय क क के फदन भें तो जैसे आग रग गई। उन्होंने थ री उठ कय फीच आॉगन भें
पेंक दी। झन्न की तेज़ आव ज़ के स थ आॉगन भें थ री थगयी। ब त बफखय गम । पवमबन्न
घयों भें फैठी रड़ककम ,ॉ फहुएॉ सफ एक स थ फ हे घनकर आईं। हरयहय क क गयजते हुए हवेरी
से द र न की ओय चर ऩड़े-"सभझ यही हो कक भफ़् ु त भें खखर ती हो, तो अऩने भन से मह
फ त घनक र दे न । भेये दहथसे के खेत की ऩैद व य इसी घय भें आती है । उसभें तो भैं दो-च य
नौकय यख रॉ , आय भ से ख ऊॉ, तफ बी कभी नहीॊ होगी। भैं अन थ औय फेसह य नहीॊ हॉ। भेये
धन ऩय तो तन ु सफ भौज कय यही हो। रेककन अफ भैं तभ ु सफों को फत ऊॉग .... आदद।“रेखक
कहत है कक जफ हरयहय क क को ककसी ने ख न ख ने के मरए नहीॊ ऩछ तो वे खद ु ही
फय भदे व रे कभये से घनकर कय हवेरी के अॊदय गए। तफ हरयहय क क के छोटे ब ई कक
ऩत्नी ने रुख -सख ख न र कय उनके स भने ऩयोस ददम । जजसभें ब त, द र औय अच य ही
थ । फस कपय क्म थ , ऐस ख न दे खकय हरयहय क क को गथ ु स आ गम औय उन्होंने थ री
को उठ कय फीच आॉगन भें पेंक ददम । थ री आॉगन भें झन्न की आव ज़ के स थ फहुत जोय
से थगयी। ब त थगय कय आॉगन भें बफखय गम । ग व ॉ के अरग-अरग घयों भें फैठी रड़ककम ॉ
औय फहुएॉ आव ज को सन ु कय एक स थ फ हय आ गईं। हरयहय क क गथ ु से भें फय भदे की
ओय चर ऩड़े औय जोय-जोय से फोर यहे थे कक उनके ब ई की ऩजत्नम ॉ क्म मह सोचती हैं
कक वे उन्हें भुफ्त भें ख न खखर यही हैं। अगय वे ऐस कुछ सोचती हैं तो वे अऩने भन से
ऐसी फ तें घनक र दें । हरयहय क क कह यहे थे कक उनके खेत भें उगने व र अन ज बी इसी
घय भें आत है । औय अगय वो अरग यहें तो वो दो-च य नौकय यख कय आय भ से अऩनी
जजॊदगी क ट सकते हैं, उनको कोई कभी नहीॊ होगी। वे अन थ औय फेसह य नहीॊ हैं क्मोंकक जफ
तक उनके ऩ स धन है वे ककसी को बी अऩन फन सकते हैं। हरयहय क क कह यहे थे कक
उनके ब ई क ऩरयव य उनके ऩैसों ऩय ही तो भौज कयत है । रेककन अफ हरयहय क क सफसे
उनके स थ ऐस दव्ु मावह य कयने के मरए फदर रेने की फ त कय यहे थे, औय बी वे न ज ने
क्म -क्म फोर यहे थे।
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• हरयहय क क जजस वक्त मह सफ फोर यहे थे, उस वक्त ठ कुयफ यी के ऩज ु यी जी उनके द र न ऩय ही
पवय जभ न थे। व पर्षाक हुभ ध के मरए वह घी औय िकीर रेने आए थे। रौटकय उन्होंने भहॊत जी को
पवथत य के स थ स यी फ त फत ई। उनके क न खड़े हो गए। वह ददन उन्हें फहुत िुब भहसस हुआ। उस
ददन को उन्होंने ऐसे ही गुज़य ज ने दे न उथचत नहीॊ सभझ । तत्ऺण दटक -घतरक रग , कॊधे ऩय य भन भी
मरखी च दय ड र ठ कुयफ यी से चर ऩड़े। सॊमोग अच्छ थ । हरयहय के द र न तक नहीॊ ज न ऩड़ । य थते
भें ही हरयहय मभर गए। गथ ु से भें घय से घनकर वह खमरम न की ओय ज यहे थे। रेककन भहॊत जी ने
उन्हें खमरम न की ओय नहीॊ ज ने ददम । अऩने स थ ठ कुयफ यी ऩय रेते आए।
• ववयाजभान - उऩस्थथतहुभाध - हवन भें प्रमत ु त होने वारी साभग्री ,कान खडे होना - सावधान होना
तत्ऺण - उसी सभम .सॊमोग – फकथभत

• ऩज ु यी जी ने वह ॉ से रौटकय भहॊत जी को स यी फ तें फहुत ही पवथत य से सन ु ई। भहॊत जी स वध न हो


गए। उन्हें रग यह थ कक मह ददन फहुत ही ज्म द अच्छ है। उस ददन क ऐसे ही फीत ज न उन्होंने
सही नहीॊ सभझ । उन्होंने तॊयु त दटक -घतरक रग म , अऩने कॊधे ऩय य भ न भ मरखी च दय को ड र औय
दे व-थथ न से घनकर कय चर ऩड़े। उनकी ककथभत अच्छी थी। हरयहय क क के फय भदे तक नहीॊ ज न
ऩड़ । उन्हें हरयहय क क य थते भें ही मभर गए थे। क्मोंकक हरयहय क क गुथसे भें घय से घनकर कय
खमरम न की ओय ज यहे थे, रेककन भहॊत जी ने उन्हें य थते भें ही योक ददम औय खमरम न की ओय
नहीॊ ज ने ददम । भहॊत जी हरयहय क क को अऩने स थ दे व-थथ न रे आए।
• कपय एक ॊत कभये भें उन्हें फैठ , खफ प्रेभ से सभझ ने रगे-" हरयहय! मह ॉ कोई ककसी क नहीॊ है। सफ
भ म क फॊधन है। त तो ध मभाक प्रवघृ त क आदभी है। भैं सभझ नहीॊ ऩ यह हॉ कक तभ ु इस फॊधन भें
कैसे पॉस गए? ईश्वय भें बजक्त रग ओ। उसके मसव म कोई तुम्ह य अऩन नहीॊ। ऩत्नी, फेटे, ब ई-फॊधु सफ
थव था के स थी हैं। जजस ददन उन्हें रगेग कक तुभसे उनक थव था सधने व र नहीॊ, उस ददन वे तुम्हें
ऩछें गे तक नहीॊ। इसमरए ऻ नी, सॊत, भह त्भ ईश्वय के मसव म ककसी औय भें प्रेभ नहीॊ रग ते।.....तुम्ह ये
दहथसे भें ऩॊद्रह फीघे खेत हैं। उसी के चरते तुम्ह ये ब ई के ऩरयव य तुम्हें ऩकड़े हुए हैं। तुभ एक ददन कह
कय तो दे ख रो कक अऩन खेत उन्हें न दे कय दसये को मरख दोगे, वह तभ ु से फोरन फॊद कय दें गे। खन
क रयश्त खत्भ हो ज मग । तम् ु ह ये बरे के मरए भैं फहुत ददनों से सोच यह थ रेककन सॊकोचवि नहीॊ
कह यह थ ।
• एकाॊत - खारी
थवाथि - अऩना भतरफ
सॊकोच – झझझक
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• रेखक कहत है कक भहॊत जी हरयहय क क को एक ख री कभये भें रे गए औय फहुत ही प्म य से
सभझ ने रगे कक इस दघु नम भें कोई ककसी क नहीॊ है। इस दघु नम भें र रच औय सम्ऩघत क झठ
ज र है। भहॊत हरयहय क क को कहत है कक उसे वे धभा से जड़ ु े हुए व्मजक्त रगते हैं। उसे सभझ भें
नहीॊ आ यह कक हरयहय क क इतने सभझद य होते हुए बी ऐसे फॊधन भें कैसे पॉस गए। भहॊत हरयहय
क क को बगव न भें आथथ रग ने को कहत है क्मोंकक भहॊत के अनस ु य बगव न के मसव म इस
दघु नम भें कोई अऩन नहीॊ है। ऩत्नी, फेटे, ब ई-फॊधु सफ केवर अऩने भतरफ के मरए ही स थ भें होते हैं।
जजस ददन उन्हें रगेग कक उनक भतरफ ऩय नहीॊ हो यह है तो वे फ त तक नहीॊ कयें गें। इसीमरए तो
फड़े-फड़े ऻ नी, सॊत, भह त्भ बगव न के अर व ककसी औय से प्म य नहीॊ कयते। भहॊत हरयहय क क से
कहत है कक उनके दहथसे भें तो ऩॊद्रह फीघे खेत हैं। जजसके क यण उनके ब इमों क ऩरयव य उनसे जड़ ु
हुआ है। ककसी ददन अगय हरयहय क क मह कह दें कक वे अऩने खेत ककसी औय के न भ मरख यहे हैं तो
वे रोग तो उनसे फ त कयन बी फॊद कय दें गें। खन के रयश्ते ऽत्भ हो ज मेंगे। भहॊत हरयहय क क से
कहत है कक मे उनके बरे की है औय वह फहुत ददनों से उनसे कहन च हत थ रेककन खझझक के
क यण नहीॊ फोर ऩ म ।
• आज कह दे त हॉ, तुभ अऩने दहथसे क खेत ठ कुय जी के न भ मरख दो। सीधे फैकॊु ठ को प्र प्त कयोगे।
तीनो रोकों भें तुम्ह यी कीघता जगभग उठे गी। जफ तक च ॉद-सयज यहें गे, तफ तक रोग तुम्हें म द कयें गे।
ठ कुयजी के न भ ऩय ज़भीन मरख दे न , तुम्ह ये जीवन क भह द न होग । स ध-ु सॊत तुम्ह ये ऩ ॉव ऩख यें गे।
सबी तम् ु ह य मिोग न कयें गे। तम् ु ह य मह जीवन स थाक हो ज एग । अऩनी िेर्ष जजॊदगी तभ ु इसी
ठ कुयफ यी भें गज ु यन , तम् ु हें ककसी चीज़ की कभी नहीॊ होगी। एक भ ॉगोगे तो च य ह जज़य की ज एॉगी हभ
तुम्हें मसय-आॉखों
• ऩय उठ कय यखेंगे। ठ कुयजी के स थ-स थ तुम्ह यी आयती बी रग एॉगे। ब ई क ऩरयव य तुम्ह ये मरए कुछ
नहीॊ कये ग । ऩत नहीॊ ऩवाजन्भ भें तभ ु ने कौन स ऩ ऩ ककम थ कक तम् ु ह यी दोनों ऩजत्नम ॉ अक रभत्ृ मु
को प्र प्त हुई। तभ ु ने और द क भॉह ु तक नहीॊ दे ख । अऩन मह जन्भ तभ ु अक यथ न ज ने दो। ईश्वय
को एक बय दोगे तो दस बय ऩ ओगे। भैं अऩने मरए तो तुभसे भ ॉग नहीॊ यह हॉ। तुम्ह य मह रोक औय
ऩयरोक दोनों फन ज एॉ, इसकी य ह भैं तुम्हें फत यह हॉ .....।"
• फैकॊु ठ – थवगि ,कीतति - प्रलसवि /ख्मातत ,ऩाॉव ऩखायना - ऩाॉव धोना
अकायथ – अकायण
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• भहॊ त हरयहय क क से कहत है कक उनके दहथसे भें जजतने खेत हैं वे उनको बगव न के न भ
मरख दें । ऐस कयने से उन्हें सीधे थवगा की प्र जप्त होगी। तीनों रोकों भें उनकी प्रमसपद्ध क
ही गण ु ग न होग । जफ तक इस दघु नम भें च ॉद-सयज यहें गे, तफ तक रोग उन्हें म द ककम
कयें गे। बगव न के न भ ऩय अऩनी स यी जभीन को मरख दे न उनके जीवन क भह द न
कहर म ज मग । स ध-ु सॊत बी उनके ऩ ॉव धोएॊगें। सबी उनकी प्रिॊस औय उनक गुणग न
कयें गे। उनक जीवन सपर हो ज एग । भहॊ त हरयहय क क से कहत है कक वे अऩनी फ की
की जजॊदगी दे व-थथ न ऩयगुज य सकते हैं। वह ॉ ऩय उन्हें कबी बी ककसी बी चीज़ की कोई
कभी नहीॊ होगी। कोई एक चीज़ भ ॉगने ऩय च य चीज़ें यख दी ज एगी। वह ॉ ऩय उनक फहुत
आदय-सत्क य ककम ज एग । बगव न की ऩज के स थ-स थ हरयहय क क की बी ऩज की
ज एगी। भहॊ त हरयहय क क से कहत है कक उनके ब ई क ऩरयव य उनके मरए कुछ बी नहीॊ
कये ग । भहॊ त मह बी कहत है कक ऩत नहीॊ हरयहय क क ने पऩछरे जन्भ भें कौन से ऐसे
ऩ ऩ ककमे थे जजसके क यण उनकी दोनों ऩजत्नम ॉ भत्ृ मु से ऩहरे ही भत्ृ मु को प्र प्त हो गई
औय न ही वे और द क सुख ह मसर कय ऩ ए। भहॊ त हरयहय क क को कहत है कक वे
अऩन जीवन अक यण ही ऽय फ न कयें । अगय वे बगव न को एक चीज़ दें गे तो बगव न उन्हें
दस चीज़ें व पऩस दें गे। भहॊ त हरयहय क क से कहत है कक वह जभीन उसके अऩने मरए तो
नहीॊ भ ॉग यह , वह तो मसपा हरयहय क क को य थत ददख यह है त कक हरयहय क क के रोक
औय ऩयरोक दोनों सख ु भें फीते।
• हरयहय दे य तक भहॊ त जी की फ तें सन ु ते यहे । भहॊ त जी कक फ तें उनके भन भें फैठती ज यही
थीॊ। ठीक ही तो कह यहे हैं भहॊ त जी। कौन ककसक है ? ऩॊद्रह फीघे खेत की पसर ब इमों के
ऩरयव य को दे तें हैं, तफ तो कोई ऩछत नहीॊ, अगय कुछ न दें तफ क्म ह रत होगी? उनके
जीवन भें तो मह जथथती है , भयने के फ द कौन उन्हें म द कये ग ? सीधे-सीधे उनके खेत हड़ऩ
ज एॉगे। ठ कुय जी के न भ मरख दें गे तो ऩुश्तों तक रोग उन्हें म द कयें गे। अफ तक के जीवन
भें तो ईश्वय के मरए उन्होंने कुछ नहीॊ ककम । अॊघतभ सभम तो मह फड़ ऩुण्म कभ रें।
रेककन मह सोचते हुए बी हरयहय क क क भॉह ु खर ु नहीॊ यह थ । ब ई क ऩरयव य तो
अऩन ही होत है । उनको न दे कय ठ कुयफ यी भें दे दे न उनके स थ धोख औय पवश्व सघ त
होग .....।
14
• हड़ऩ रेन - फेईभ नी से रे रेन
• रेखक कहत है कक जफ भहॊ त हरयहय क क को सभझ यहे थे, तो हरयहय क क फहुत दे य तक भहॊ त की फ तों
को सन ु ते यहे । भहॊ त की फ तें हरयहय क क के भन भें फैठती ज यही थी औय वे सोच यहे थे कक भहॊ त सही तो
कह यहे हैं । इस दघु नम भें कोई ककसी क नहीॊ है । क्मोंकक वे अऩने दहथसे के ऩॊद्रह फीघे खेत की पसर अऩने
ब इमों के ऩरयव य को दे दे ते हैं, उसके फ द बी वह ॉ उनक ध्म न नहीॊ यख ज त । हरयहय क क सोचने रगे
अगय वे कुछ बी न दें कपय उनक क्म होग । उनके जीते जी ही उनक कोई भहत्त्व नहीॊ यह गम है , तो भयने
के फ दकोई उन्हें म द नहीॊ कये ग । उनके खेतों ऩय फेईभ नी से कब्ज़ कय मरम ज एग । हरयहय क क सोचने
रगे कक अगय वे अऩनी जभीन बगव न के न भ मरख दें तो ऩीदढ़मों तक उनको म द यख ज मेग । अफ तक के
जीवन भें उन्होंने बगव न के मरए कुछ बी नहीॊ ककम । अऩने अॊघतभ सभम भें वे कुछ अच्छ तो कय ही सकते
हैं । रेखक कहत है कक हरयहय क क मे सफ सोच तो यहे थे ऩयन्तु वे कुछ फोर नहीॊ ऩ यहे थे। वे दसयी ओय
मह बी सोच यहे थे कक ब ई क ऩरयव य बी तो अऩन ही ऩरयव य होत है । अऩनी जभीन उनको न दे कय दे व-
थथ न के न भ मरख दे न , उनके स थ बी तो धोख औय पवश्व सघ त होग ।
• अऩनी फ त सभ प्त ऩय भहॊ त जी प्रघतकिम ज नने के मरए हरयहय की ओय दे खने रगे। उन्होंने भह ुॉ से तो कुछ
नहीॊ कह , रेककन उनके चेहये के ऩरयवघतात ब व भहॊ त जी की अनब ु वी आॉखों से घछऩे न यह सके। अऩनी
सपरत ऩय भहॊ त जी को फहुत ऽि ु ी हु ई। उन्होंने सही जगह व य ककम है । इसके फ द उसी वक्त ठ कुयफ यी के
दो सेवकों को फुर कय आदे ि ददम कक एक स फ़-सुथये कभये भें ऩरॊग ऩय बफथतय रग कय उनके आय भ क
इॊतज़ भ कयें । कपय तो भहॊ त जी के कहने भें जजतन सभम रग थ , उससे कभ सभम भें ही, सेवकों ने हरयहय
क क के भन कयने के फ वज़द उन्हें एक सन् ु दय कभये भें ऩरॊग ऩय ज मरट म । औय भहॊ त जी! उन्होंने ऩज ु यी
जी को मह सभझ ददम कक हरयहय के मरए पविेर्ष रूऩ से बोजन की व्मवथथ कयें । हरयहय क क को भहॊ त जी
एक पविेर्ष उद्देश्म से रे गए थे, इसमरए ठ कुयफ यी भें चहर-ऩहर िरू ु हो गई।
• प्रततफक्रमा - प्रततकाय / फदरा / फक्रमा के ववयोध भें होनेवारी घटना
ऩरयवततित - फदरा हुआ
इॊतजाभ - प्रफॊध
• जफ भहॊ त जी हरयहय क क को सभझ कय रुके तो वे हरयहय क क की ओय दे खने रगे क्मोंकक वे ज नन च हते
थे कक उनके सभझ ने क हरयहय क क ऩय क्म प्रब व ऩड़ है । हरयहय क क ने अऩने भह ॉु से तो कोई उत्तय
नहीॊ ददम ऩयन्तु हरयहय क क के चेहये की फदरती हुई ब वन ओॊ को भहॊ त जी आस नी से ऩहच न गए। भहॊ त
जी जो च हते थे वह हो यह थ इसमरए वह फहुत खि ु थे। वे ज नते थे कक उन्होंने सही जगह औय सही सभम
ऩय व य ककम है । कपय भहॊ त जी ने उसी सभम दो सेवकों को फुर म औय उन्हें आदे ि ददम कक एक स फ़-सुथये
कभये भें ऩरॊग ऩय बफथतय रग कय हरयहय क क के आय भ क प्रफॊध कयें । भहॊ त जी के कहने भें जजतन सभम
रग थ सेवकों ने उससे बी कभ सभम भें ही क भ कय ददम औय हरयहय क क के भन कयने के फ द बी उन्हें
एक सन् ु दय कभये भें ऩरॊग ऩय रेट म गम । औय भहॊ त जी ने ऩुज यी को मह सभझ ददम थ कक हरयहय क क
के मरए पविेर्ष रूऩ से बोजन की व्मवथथ कयव ए क्मोंकक हरयहय क क को भहॊ त जी एक पविेर्ष उद्देश्म से दे व -
थथ न भें रे कय आए थे, इसमरए दे व-थथ न भें चहर-ऩहर िरू ु हो गई।
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• इधय ि भ को हरयहय क क के ब ई जफ खमरम न से रौटे तफ उन्हें इस दघ ु ट
ा न क ऩत चर ऩहरे तो अऩनी
ऩजत्नमों ऩय वे खफ फयसे, कपय एक जगह फैठकय थचॊत भग्न हो गए। ह र ॉकक ग व ॉ के ककसी व्मजक्त ने बी उनसे
कुछ नहीॊ कह थ । भहॊ त जी ने हरयहय क क को क्म -क्म सभझ म है , इसकी बी ज नक यी उन्हें नहीॊ थी।
रेककन इसके फ फजद उनक भन िॊक रु औय फेचन ै हो गम । दयअसर, फहुत स यी फ तें ऐसी होती हैं, जजनकी
ज नक यी बफन फत ए ही रोगो को मभर ज ती है ।
ि भ गहय ते-गहय ते हरयहय क क के तीनों ब ई ठ कुयफ यी ऩहुॉचे। उन्होंने हरयहय क क को व पऩस घय चरने के
मरए कह । इससे ऩहरे की हरयहय क क कुछ कहते, भहॊ त जी फीच भें आ गए -"आज हरयहय को महीॊ यहने
दो.... बफभ यी से उठ है । इसक भन अि ॊत है । ईश्वय के दयफ य भें यहे ग तो ि ॊघत मभरेगी....।“
• धचॊताभग्न - सोच भें ऩडना
शॊकारु - सॊदेह कयने वारा
फेचनै – व्माकुर

• हरयहय क क के ब ई जफ ि भ को क भ कयके खमरम न से रौटे तफ उन्हें स यी फ त क ऩत चर की उनके


ऩीछे घय भें क्म -क्म हुआ है । सफ कुछ ज न कय ऩहरे तो उन्होंने अऩनी ऩजत्नमों को फहुत ड ॉट , कपय एक
थथ न ऩय फैठकय सोच भें ऩड़ गए। वैसे अबी तक ग व ॉ के ककसी व्मजक्त ने उनसे कुछ नहीॊ कह थ औय न ही
उन्हें अबी तक इस फ त क ऩत थ की भहॊ त जी ने हरयहय क क को क्म -क्म सभझ म है । रेककन इन सफ
के फ द बी उनक भन सॊदेह भें ऩड़ गम औय व्म कुर हो गम । क्मोंकक उनको इस फ त क ऩत थ की फहुत
सी फ तों की ज नक यी रोगों को बफन फत ए ही हो ज ती है ।

• ि भ के ज्म द गहये होते-होते हरयहय क क के तीनो ब ई हरयहय क क को घय व पऩस रेने के मरए दे व-थथ न
ऩहुॉच गए। उन्होंने हरयहय क क को घय चरने के मरए कह औय इससे ऩहरे हरयहय क क कुछ फोरते भहॊ त जी
फीच भें ही फोर ऩड़े कक आज हरयहय क क को दे व-थथ न भें ही यहने ददम ज ए क्मोंकक हरयहय क क अबी कुछ
ददर ऩहरे ही बफभ यी से ठीक हुए हैं औय उनक भन बी ि ॊत नहीॊ है । अगय हरयहय क क बगव न के ऩ स कुछ
सभम बफत एॉगे तो उन्हें अच्छ रगेग ।रेककन उनके ब ई उन्हें घय रे चरने के मरए जज़द कयने रगे। इस ऩय
ठ कुयफ यी के स ध-सॊत उन्हें सभझने रगे। वह ॉ उऩजथथत ग ॉव के रोगों ने बी कह कक एक य त ठ कुयफ यी भें
यह ज एॉगे तो क्म हो ज एग ? अॊतत् ब इमों को घनय ि हो वह ॉ से रौटन ऩड़ ।
य त भें हरयहय क क को बोग रग ने के मरए जो मभष्ट न्न औय व्मॊजन मभरे, वैसे उन्होंने कबी नहीॊ ख ए थे।
घी टऩकते भ रऩुए, यस फुघनम , रड्ड, छे ने की तयक यी, दही, खीय....। ऩुज यी जी ने थवमॊ अऩने ह थों से ख न
ऩयोस थ । ऩ स भें फैठे भहॊ त जी धभा चच ा से भन भें ि ॊघत ऩहुॉच यहे थे। एक ही य त भें ठ कुयफ यी भें जो
सुख-ि ॊघत औय सॊतोर्ष ऩ म , वह अऩने अफ तक के जीवन भें उन्होंने नहीॊ ऩ म थ ।

लभष्टान्न - लभठाई
व्मॊजन - तयह-तयह का बोजन
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• भहॊ त के मे कहने ऩय बी कक आज हरयहय क क को दे व-थथ न भें ही यहने दो, उनके ब ई उन्हें घय रे चरने की
जज़द कयने रगे। इस ऩय दे व-थथ न के सबी स ध-ु सॊत हरयहय क क के ब इमों को सभझ ने रग गए। वह ॉ ऩय
उऩजथथत ग व ॉ के रोग बी उन्हें कहने रगे कक अगय एक य त हरयहय क क दे व-थथ न ऩय यहें गे तो कुछ नहीॊ
होग । इसके क यण हरयहय क क के ब इमों को घनय ि हो कय व पऩस अऩने घय ज न ऩड़ ।
• दे व-थथ न भें य त के ख ने के मरए हरयहय क क को जो ख न ददम गम , वैसी मभठ ई औय तयह-तयह क बोजन
उन्होंने कबी नहीॊ ख ए थे । घी टऩकते भ रऩुए, यस फुघनम , रड्ड, छे ने की तयक यी, दही, खीय औय बी न ज ने
क्म -क्म । ऩुज यी जी ने थवमॊ अऩने ह थों से हरयहय क क को ख न ऩयोस थ । ऩ स भें फैठे भहॊ त जी धभा चच ा
कयते हुए हरयहय क क के भन भें ि ॊघत ऩहुॉच यहे थे। एक ही य त भें हरयहय क क ने दे व-थथ न भें जो सख ु -
ि ॊघत औय सॊतोर्ष ऩ मरम थ , वह उन्होंने अऩने अफ तक के ऩयु े जीवन भें ह मसर नहीॊ ककम थ ।
इधय तीनों ब ई य त-बय सो नहीॊ सके। ब वी आिॊक उनके भन को भथती यही। ऩॊद्रह फीघे खेत! इस ग व ॉ की
उऩज ऊ ज़भीन! दो र ख से अथधक की सम्ऩघत! अगय ह थ से घनकर गई तो कपय वह कहीॊ के न यहें गे।
सुफह तड़के ही तीनों ब ई ऩुन् ठ कुयफ यी ऩहुॉचे। हरयहय क क के ऩ व
ॉ ऩकड़ योने रगे। अऩनी ऩजत्नमों की गरती
के मरए भ फ़ी भ ॉगी तथ उन्हें दण्ड दे ने की फ त कही। स थ ही खन के रयश्ते की भ म पैर ई। हरयहय क क
क ददर ऩसीज़ गम । वह ऩन ु ् व पऩस घय रौट आए।
• बावी आशॊका - बववष्म की धचॊता
भथना - फाय-फाय सोचना
ऩसीज - भन भें दमा का बाव जागना
• जफ हरयहय क क दे व-थथ न भें ही रुक गए तो य त-बय उनके तीनों ब इमों को नीॊद नहीॊ आई। उनके बपवष्म
की थचॊत उनके भन भें फ य-फ य आती यही। वे सोचते यहे कक ऩॊद्रह फीघे खेत, जजसकी जभीन ग ॉव की सफसे
अथधक उऩज ऊ जभीन है औय रगबग दो र ख से ज्म द की सॊऩजत्त अगय उनके ह थ से घनक र गई तो वे
क्म कयें गे।

सुफह होते ही हरयहय क क के तीनों ब ई कपय से दे व-थथ न ऩहुॉच गए। तीनों हरयहय क क के ऩ ॉव भें थगय कय
योने रगे औय अऩनी ऩजत्नमों की गरती की भ फ़ी भ ॉगने रगे औय कहने रगे की वे अऩनी ऩजत्नमों को उनके
स थ ककए गए इस तयह के व्मवह य की सज़ दें गे। वे हरयहय क क के स भने खन के रयश्ते की फ त कयने रगे।
हरयहय क क के भन भें दम क ब व ज ग गम औय वे कपय से घय व पऩस रौट कय आ गए।
• रेककन मह क्म ? इस फ य अऩने घय ऩय जो फदर व उन्होंने रक्ष्म ककम ,उसने उन्हें सख ु द आश्चमा भें ड र ददम ।
घय के छोटे -फड़े सफ उन्हें मसय-आॉखों ऩय उठ ने को तैम य। ब इमों की ऩजत्नमों ने उनके ऩैय ऩय भ थ यख गरती
के मरए ऺभ -म चन की। कपय उनकी आवबगत औय जो ख घतय िुरू हुई, वैसी ख घतय ककसी के मह ॉ भेहभ न
आने ऩय बी नहीॊ होती होगी। उनकी रूथच औय इच्छ के भुत बफक दोनों जन ख न -न श्त तैम य। ऩ ॉच भदहर एॉ
उनकी सेव भें भुथतैद- तीन ब इमों की ऩजत्नम ॉ औय दो उनकी फहुएॉ। हरयहय क क आय भ से द र न भें ऩड़े
यहते। जजस ककसी चीज़ की इच्छ होती, आव ज़ रग ते ही ह जज़य। वे सभझ गए थे कक मह सफ भहॊ त जी के
चरते ही हो यह है , इसमरए भहॊ त जी के प्रघत उनके भन भें आदय औय श्रद्ध के ब व घनयॊ तय फढ़ते ही ज यहे
थे।
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• माचना - भाॉगना
आवबगत - सत्काय
भथ ु तैद - कभय कस कय तैमाय यहना
श्रिा - आदयऩण ू ि आथथा मा ववश्वास
तनयॊ तय – रगाताय

• जफ अऩने ब इमों के सभझ ने के फ द हरयहय क क घय व पऩस आए तो घय भें औय घय व रों के व्मवह य भें आए फदर व को
दे ख कय उन्हें फहुत ही सखु दे ने व री ब वन भहसस हुई। घय के सबी छोटे -फड़े रोग हरयहय क क क आदय-सत्क य कयने रगे।
तीनों ब इमों की ऩजत्नमों ने हरयहय क क के ऩैयों भें अऩन भ थ यख कय अऩने व्मवह य के मरए भ फ़ी भ ॉगी। कपय तो जो
सत्क य औय ख घतयद यी हरयहय क क की होने रगी, वैसी तो फहुतों के घय भें भेहभ नों की बी नहीॊ होती। जो बी हरयहय क क को
ऩसॊद होत , दोनों सभम वही ख न फन म ज त । तीन ब इमों की ऩजत्नम ॉ औय उनकी दो फहुएॉ- सबी ऩ ॉचों भदहर एॉ हरयहय क क
की सेव भें कभय कस कय हभेि तैम य यहती थी। हरयहय क क आय भ से फय भदे भें ऩड़े यहते थे। उन्हें जजस ककसी चीज़ की
जरुयत होती वे मसपा आव ज दे ते सफ कुछ उनके स भने र म ज त । वे मह सभझ गए थे कक मे सफ भहॊ त जी के क यण ही हो
यह है , इसीमरए भहॊ त जी के मरए उनके भन भें आदय ऩणा आथथ औय पवश्व स रग त य फढ़त ही ज यह थ ।
• फहुत फ य ऐस होत है कक बफन ककसी के कुछ फत ए ग ॉव के रोग असरी तथ्म से थवमॊ व ककप हो ज ते हैं। हरयह य क क की
इस घटन के स थ ऐस ही हुआ। दयअसर रोगो की ज़फ ु न से घटन ओॊ की जफ
ु न ज्म द ऩैनी औय असयद य होती है । घटन एॉ
थवमॊ ही फहुत कुछ कह दे ती हैं, रोगों के कहने की जरुयत नहीॊ यहती। न तो ग ॉव के रोगों से भहॊ त जी ने ही कुछ कह थ औय
न ही हरयहय क क के ब इमों ने ही। इसके फ वजद ग ॉव के रोग सच्च ई से अवगत हो गए थे। कपय तो ग ॉव की फैठकों भें फ तों
क जो मसरमसर चर घनकर उसक कहीॊ कोई अॊत नहीॊ। हय जगह उन्हीॊ क प्रसॊग िरू ु । कुछ रोग कहते कक हरयहय को अऩनी
जभीन ठ कुय जी के न भ मरख दे नी च दहए। इससे उत्तभ औय कुछ नहीॊ। इससे कीघता बी अचर फनी यहती है । इसके पवऩयीत
कुछ रोगों की भ न्मत मह थी कक ब ई क ऩरयव य तो अऩन ही होत है । अऩनी ज मद द उन्हें न दे न उनके स थ अन्म म
कयन होग । खन के रयश्ते के फीच दीव य फन नी होगी।

• तथ्म - वाथतववक घटना


वाफकप - ऩरयधचत
अवगत - जाना हुआ
कीतति - प्रलसवि / ख्मातत
अचर – गततहीन

• रेखक कहत है कक फहुत फ य ऐस दे खने भें आत है कक बफन ककसी के कुछ बी फत ए, ग ॉव के रोगों को व थतपवक घटन क
ऩत चर ही ज त है । हरयहय क क की घटन भें बी कुछ ऐस ही हुआ थ । फ त मह है कक रोगों की जुफ न ककसी बी घटन को
औय ज्म द असयद य औय भहत्वऩणा फन दे ती है । कोई बी घटन खद ु बी अऩने फ ये भें फहुत कुछ फत दे ती है , रोगों के कहने
की कोई जरुयत ही नहीॊ ऩड़ती। ग ॉव के रोगों को न तो भहॊ त जी ने कुछ फत म थ औय न ही हरयहय क क के ब इमों ने कुछ
फत म थ । उसके फ द बी ग ॉव के रोग सच्च ई से खद ु ही ऩरयथचत हो गए थे। कपय तो ग ॉव के रोग जफ बी कहीॊ फैठते तो
फ तों क ऐस मसरमसर चरत जजसक कोई अॊत नहीॊ थ । हय जगह फस उन्हीॊ की फ तें होती थी। कुछ रोग कहते कक हरयहय
क क को अऩनी जभीन बगव न के न भ मरख दे नी च दहए। इससे उत्तभ औय अच्छ कुछ नहीॊ हो सकत । इससे हरयहय क क
को कबी न ऽत्भ होने व री प्रमसपद्ध प्र प्त होगी। इसके पवऩयीत कुछ रोग मह भ नते थे कक ब ई क ऩरयव य बी तो अऩन ही
ऩरयव य होत है । अऩनी ज मद द उन्हें न दे न उनके स थ अन्म म कयन होग । खन के रयश्ते के फीच दीव य फन सकती है ।
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• जजतने भह ॉु उतनी फ तें । ऐस जफयदथत भसर ऩहरे कबी नहीॊ मभर थ , इसमरए रोग भौन होन नहीॊ च हते
थे। अऩने-अऩने तयीके से सभ ध न ढॉ ढ यहे थे औय प्रतीऺ कय यहे थे कक कुछ घदटत हो। ह र ॉकक ऐसी िभ भें
फ तें गभ ाहट-बयी बी होने रगी थीॊ। रोग प्रत्मऺ औय ऩयोऺ रूऩ भें दो वगों भें फॉटने रगे थे। कई फैठकों भें
दोनों वगों के फीच आऩस भें त-त, भैं-भैं बी होने रगी। एक वगा के रोग च हते थे कक हरयहय अऩने दहथसे की
जभीन ठ कुय जी के न भ मरख दें । तफ मह ठ कुयफ यी न मसपा इर के की ही सफसे फड़ी ठ कुयफ यी होगी, फजल्क
ऩये य ज्म भें इसक भुक फर कोई दसयी ठ कुयफ यी नहीॊ कय सकेगी। इस वगा के रोग ध मभाक सॊथक यों के रोग
हैं । स थ ही ककसी-न-ककसी रूऩ भें ठ कुयफ यी से जुड़े हैं । असर भें जफ सुफह-ि भ ठ कुयजी को बोग रग म
ज त है , तफ स ध-ु सॊतों के स थ ग वॉ के कुछ ऩेट औय चटोय ककथभ के रोग प्रस द ऩ ने के मरए वह ॉ जट ु ज ते
हैं । मे रोग इसी वगा के दहभ मती हैं । दसये वगा भें ग व ॉ के प्रगघतिीर पवच यों व रे रोग तथ वैसे ककस न हैं ,
जजनके मह ॉ हरयहय जैसे औयत-भदा ऩर यहे होते हैं । ग व ॉ क व त वयण तन वऩणा हो गम थ औय रोग कुछ
घदटत होने की प्रतीऺ कयने रगे थे।
• सभाधान - उऩाम
प्रत्मऺ - जो साभने हदखाई दे
ऩयोऺ - जो साभने हदखाई न दे
हहभामती - तयपदायी कयने वारा / ऩऺऩाती
• रेखक कहत है कक ग ॉव भें जजतने भह ुॉ थे उतनी यॊ ग की फ तें हो यही थी। फ तें कयने के मरए ऐस व क्म कबी
नहीॊ मभर थ , इसमरए रोग चऩ ु होने क न भ नहीॊ रे यहे थे। हय कोई अऩनी-अऩनी सभझ के आध य ऩय
सभथम के मरए उऩ म खोज यह थ औय मे इन्तज य कय यहे थे कक कफ कुछ घटन घदटत हो। इसी के क यण
फ तें इतनी अथधक फढ़ गई थी कक रोग स भने औय बफन स भने आए हुए बी दो ब गों भें फॉट गए थे। कई फ य
तो ह र त मे हो ज ते कक दोनों ब गों के रोगों के फीच झगड़े की नौफत आ ज ती। एक वगा के रोग मे च हते
थे कक हरयहय अऩने दहथसे की जभीन बगव न के न भ मरख दें । क्मोंकक वे सोचते थे कक ऐस कयने ऩय उनक
दे व-थथ न न मसपा इर के की ही सफसे फड़ दे व-थथ न होग , फजल्क ऩये य ज्म भें इसक भुक फर कोई दसय
दे व-थथ न नहीॊ कय ऩ एग । जो रोग मह सोचते थे, वे ध मभाक प्रवजृ त्त के रोग थे औय वे ककसी न ककसी तयह
दे व-थथ न से जड़ु े हुए थे। असर भें वे ऐसे रोग थे, जो सफ ु ह-ि भ जफ बगव न को बोग रग म ज त , तफ
स धु-सॊतों के स थ प्रस द ऩ ने के मरए वह ॉ जट ु ज ते थे । मे रोग मसपा स ध-ु सॊतों औय भहॊ तों की तयपद यी
कयने व रे थे। दसये वगा के रोग ग ॉव के पवक स के फ ये भें सोचने व रे रोग थे औय वे रोग थे जजनके घय भें
हरयहय क क की तयह कोई न कोई औयत म भदा थ । ग ॉव क व त वयण फहुत ही तन व बय हो गम थ औय
रोग इॊतज़ य कय यहे थे कक कुछ न कुछ घदटत हो। इधय ब वी आिॊक ओॊ के भद्देनज़य यखते हुए हरयहय क क
के ब ई उनसे मह घनवेदन कयने रगे कक अऩनी जभीन वे उन्हें मरख दें । उनके मसव म उनक औय अऩन है
नहीॊ कौन? इस पवर्षम ऩय हरयहय क क ने एक ॊत भें भझ ु से क फ़ी दे य तक फ त की। अॊतत् हभ इस घनष्कर्षा ऩय
ऩहुॉचे कक जीते-जी अऩनी ज मद द क थव भी ककसी औय को फन न ठीक नहीॊ होग । च हे वह अऩन ब ई म
भॊददय क भहॊ त ही क्मों न हो? हभें अऩने ग ॉव औय इर के के वे कुछ रोग म द आए, जजन्होंने अऩनी जजॊदगी भें
ही अऩनी ज मद द अऩने उत्तय थधक रयमों म ककसी अन्म को मरख दी थी, रेककन उसके फ द उनक जीवन कुत्ते
क जीवन हो गम । कोई उन्हें ऩछने व र नहीॊ यह ।
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हरयहय क क बफरकुर अनऩढ़ व्मजक्त हैं, कपय बी इस फदर व को उन्होंने सभझ मरम औय मह घनश्चम ककम कक
जीते-जी ककसी को जभीन नहीॊ मरखें गे। अऩने ब इमों को सभझ ददम भय ज ऊॉग तो अऩने आऩ भेयी जभीन
तम्
ु हें मभर ज मगी। जभीन रे कय तो ज ऊॉग नहीॊ। इसमरए मरखव ने की क्म जरुयत?

• लसवाम - अरावा
तनष्कषि – ऩरयणाभ

• रेखक कहत है कक अऩने बपवष्म की थचॊत को ध्म न भें यख कय हरयहय क क के ब ई उनसे प्र थान कयने रगे
कक वे अऩने दहथसे की जभीन को उनके न भ मरखव दें । उनके अर व हरयहय क क की ज मद द ऩय ह़
जत ने व र कोई नहीॊ थ । इस पवर्षम ऩय हरयहय क क ने रेखक से फहुत सभम तक फ त की औय रेखक
औय हरयहय क क अॊत भें इस ऩरयण भ ऩय ऩहुॊचे कक अऩने जीते-जी अऩनी ज मद द क थव भी ककसी औय को
फन न ठीक नहीॊ होग । कपय च हे वह अऩन ब ई हो म भॊददय क भहॊ त। क्मोंकक रेखक औय हरयहय क क को
अऩने ग व ॉ औय इर के के वे कुछ रोग म द आए, जजन्होंने अऩनी जजॊदगी भें ही अऩनी ज मद द को अऩने
रयश्तेद यों म ककसी औय के न भ मरखव ददम थ । उनक जीवन फ द भें ककसी कुत्ते के जीवन की तयह हो
गम थ , उन्हें कोई ऩछने व र बी नहीॊ थ । हरयहय क क बफरकुर बी ऩढ़े -मरखे नहीॊ थे, ऩयन्तु उन्हें अऩने
जीवन भें एकदभ हुए फदर व को सभझने भें कोई गरती नहीॊ हुई औय उन्होंने पैसर कय मरम कक वे जीते-जी
ककसी को बी अऩनी जभीन नहीॊ मरखेंगे। हरयहय क क ने अऩने ब इमों को बी सभझ ददम थ कक जफ वे भय
ज एॉगे तो अऩने आऩ उनकी स यी जभीन उनके ब इमों की हो ज मगी। वे जभीन रे कय तो भयें गे नहीॊ इसमरए
मरखव ने की कोई जरुयत नहीॊ है ।

• उधय भहॊ त जी बी हरयहय क क की टोह भें यहने रगे। जह ॉ कहीॊ एक ॊत ऩ ते, कह उठते -"पवरम्फ न कयो
हरयहय। िब ु क भ भें दे य नहीॊ कयते। चर कय ठ कुयजी के न भ जभीन फम कय दो। कपय ऩयी जजॊदगी ठ कुयफ यी
भें य ज कयो। भयोगे तो तुम्ह यी आत्भ को रे ज ने के मरए थवगा से पवभ न आएग । दे वरोक को प्र प्त कयोगे
...।"
• रेककन हरयहय क क न 'ह 'ॉ कहते औय न 'न '। 'न ' कहकय वे भहॊ त जी को दख ु ी कयन नहीॊ च हते थे। क्मोंकक
ब ई के ऩरयव य से जो सख ु -सुपवध एॉ उन्हें मभर यही थी, वे भहॊ त जी की कृऩ से ही। औय 'ह 'ॉ तो उन्हें कहन
नहीॊ है , क्मोंकक अऩनी जजॊदगी भें अऩनी जभीन उन्हें ककसी को नहीॊ मरखनी।
• इस भुद्दे ऩय वे ज गरूक हो गए थे।
• टोह - खोज
ववरम्फ - दे य
फम - वसीमत
जागरूक - सावधान

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• रेखक कहत है कक जफ हरयहय क क अऩने ब इमों के ऩरयव य के स थ यहने रगे तो भहॊ त जी हरयहय क क की खोज
भें यहने रगे थे। उन्हें जफ बी हरयहय क क अकेरे मभरते, तो वे अऩनी फ त यखने से ऩीछे नहीॊ हटते, वे हभेि हरयहय
क क को अऩनी जभीन बगव न के न भ कयने के मरए भन ते यहते थे। वे हभेि हरयहय क क से कहते थे कक उन्हें दे य
नहीॊ कयनी च दहए। क्मोंकक अच्छे क भ भें कबी बी दे य नहीॊ कयनी च दहए। उन्हें जल्दी ही अऩनी जभीन को बगव न के
न भ कय दे न च दहए। औय अऩनी ऩयी जजॊदगी वे आय भ से दे व-थथ न भें गुज य सकते हैं। वे हरयहय क क से कहते थे
कक अगय वे ऐस कयें गे तो उनके भयने ऩय उनकी आत्भ को रे ज ने के मरए थवगा से पवभ न आएग । औय वे बगवन
के ऩ स ज एॉगे औय थवगा भें ही यहें गे।
• रेककन हरयहय क क उनकी ककसी बी फ त क जव फ सही से नहीॊ दे ते थे , वे न तो उत्तय 'ह 'ॉ भें दे ते थे औय न ही 'न '
कहते थे। 'न ' कहकय वे भहॊ त जी को न य ज नहीॊ कयन च हते थे। क्मोंकक हरयहय क क के अनुस य ब ई के ऩरयव य से
जो सख ु -सपु वध एॉ उन्हें मभर यही थी, वे भहॊ त जी की क यण ही सॊबव हुई थी। औय 'ह 'ॉ वे ककसी को बी नहीॊ कहन
च हते क्मोंकक उन्होंने इय द फन ददम थ कक वे अऩने जीते जी अऩनी जभीन को ककसी के न भ बी नहीॊ मरखें गे। इस
पवर्षम ऩय वे ऩयी तयह से स वध न हो गए थे।
• ऩय बफतते सभम के अनुस य भहॊ त जी की थचॊत एॉ फढ़ती ज यही थीॊ। ज र भें पॉसी थचडड़म ऩकड़ से फ हय हो गई थी,
भहॊ त जी इस फ त को सह नहीॊ ऩ यहे थे। भहॊ त जी को रग यह थ कक हरयहय धभा -सॊकट भें ऩड़ गम है । एक ओय
वह च हत है कक ठ कुय जी को मरख दॉ , ककन्तु दसयी ओय ब ई के ऩरयव य के भ म -भोह भें फ ॊध ज त है । इस जथथघत
भें हरयहय क अऩहयण कय जफयदथती उससे मरखव ने के अघतरयक्त दसय कोई पवकल्ऩ नहीॊ। फ द भें हरयहय थवमॊ य जी
हो ज एग ।
• भहॊ त जी रड़ क औय दफॊग प्रकृघत के आदभी हैं। अऩनी मोजन को क मा-रूऩ भें ऩरयणत कयने के मरए वह जी-ज न से
जुट गए। ह र ॉकक मह सफ गोऩनीमत क घनव ाह कयते हुए ही वह कय यहे थे। हरयहय क क के ब इमों को इसकी बनक
तक नहीॊ थी।
• जफयदथती – फरऩूवक ि ,अततरयतत – लसवाम ,ववकल्ऩ – उऩाम ,याजी – सहभत ,दफॊग - प्रबावशारी
ऩरयणत - स्जसभें ऩरयवतिन हुआ हो ,गोऩनीमता - जो सबी को न फता कय कुछ रोगो को ही फतामा जाए
तनवािह - तनबाना / आऻानुसाय कामि कयना , बनक - उडती खफयभहॊ त जी फहुत जी रड़ने व रे औय प्रब वि री ककथभ
के व्मजक्त थे। अऩनी मोजन को, जो बफरकुर ही फदर गई थी, ऩय कयने के मरए भहॊ त जी अऩनी ऩयी त कत से रग
गए। भहॊ त जी इस क मा को कुछ ही रोगों को फत कय कय यहे थे। इस फ त की ज नक यी हरयहय क क के ब इमों को
बी नहीॊ थी।


21
• फ त अबी ह र की ही है । आधी य त के आस-ऩ स ठ कुयफ यी के स धु-सॊत औय उनके ऩऺधय ब र , गॊड़ स औय फॊदक से
रैस एक एक हरयहय क क के द र न ऩय आ धभके। हरयहय क क के ब ई इस अप्रत्म मित हभरे के मरए तैम य नहीॊ
थे। इससे ऩहरे की वे जव फी कयव ई कयें औय गुह य रग कय अऩने रोगों को जुट एॉ, तफ तक आिभणक यी उनको ऩीठ
ऩय र दकय चॊऩत हो गए।
• ग ॉव भें ककसी ने ऐसी घटन नहीॊ दे खी थी, न सुनी ही थी। स य ग ॉव ज ग गम । िुबथचॊतक तो उनके मह ॉ जुटने रगे
रेककन अन्म रोग अऩने द र न औय भक न की छतों ऩय जभ होकय आह ट रेने औय फ तचीत कयने रगे। अप्रत्म मित
- आकजथभक / जजसकी आि न यही हो
• गहु ाय - यऺा के लरए गहु ाय ,चॊऩत - गामफ हो जाना ,शबु धचॊतक - बराई चाहने वारा
आहाट - फकसी के आने-जाने, फात कयने की भॊद आवाज
रेखक कहत है की अबी कुछ सभम ऩहरे की ही फ त है । आधी य त के आस-ऩ स दे व-थथ न के स धु-सॊत औय उनके
कुछ स थी ब र , गॊड़ स औय फॊदकों के स थ अच नक ही हरयहय क क के आॉगन भें आ गए। हरयहय क क के ब ई इस
अच नक हुए हभरे के मरएतैम य नहीॊ थे। इससे ऩहरे हरयहय क क के ब ई कुछ सोचें औय ककसी को अऩनी सह मत के
मरए आव ज रग कय फुर एॉ , तफ तक फहुत दे य हो गई थी, हभर कयने व रे हरयहय क क को अऩनी ऩीठ ऩय ड र कय
कही ग मफ हो गए थे।
• रेखक कहत है कक उसके ग ॉव भें ककसी ने बी ऐसी ककसी बी घटन को न तो ऩहरे कबी दे ख थ औय न ही ऐसी
ककसी घटन के फ ये भें सुन थ । स य ग ॉव िोय के क यण ज ग गम । हरयहय क क की बर ई च हने व रे उनके घय भें
इकठ्ठे होने रगे औय फ कक रोग अऩने आॉगनों औय भक नों की छतों ऩय जभ हो कय ककसी के बी आने -ज ने औय फ त-
चीत कयने की आव जों को सुन कय आऩस भें फ तें कयने रगे।
• हरयहय क क के ब ई रोगों के स थ उन्हें ढॉ ढने घनकरे। उन्हें रग कक मह भहॊ त क क भ है । वे भम दर-फर ठ कुयफ यी
ज ऩहुॉचे। वह ॉ ख भोिी औय ि ॊघत नजय आई। योज की ब ॉघत ठ कुयफ यी क भख् ु म प टक फॊद थ । व त वयण भें य त क
सन्न ट औय सन ऩन व्म प्त मभर । उन्हें रग , मह क भ भहॊ त क नहीॊ, फ हय के ड कुओॊ क है । वे तो हयज ने कक भोटी
यकभ रेकय ही हरयहय क क को भुक्त कयें गे।
• खोज भें घनकरे रोग ककसी दसयी ददि की ओय प्रथथ न कयते कक इसी सभम ठ कुयफ यी के अॊदय से फ तचीत कयने की
सजम्भमरत, ककन्तु धीभी आव ज सुन ई ऩड़ी। सफके क न खड़े हो गए। उन्हें मकीन हो गम कक हरयहय क क इसी भें हैं।
अफ क्म सोचन ? वे ठ कुयफ यी क प टक ऩीटने रगे। इसी सभम ठ कुयफ यी की छत से योड़े ऩत्थय उनके ऊऩय थगयने
रगे। वे घततय-बफतय होने रगे। अऩने हथथम य सॉब रे। रेककन हथथम य सॉब रने से ऩहरे ही ठ कुयफ यी के कभयों की
खखड़ककमों से प मरयॊग िुरू हो गई। एक नौजव न के ऩैय भें गोरी रग गई। वह थगय गम । उसके थगयते ही हरयहय क क
के ब इमों के ऩऺधय ब ग चरे। मसपा वे तीन ब ई फचे यह गए। अऩने तीनो के फते इस मुद्ध को जजतन उन्हें सॊबव
नहीॊ ज न ऩड़ । इसमरए वे कथफे के ऩुमरस थ ने की औय दौड़ ऩड़े।
22
• भम - मुतत / बया हुआ ,दर-फर - सॊगी-साथी ,सन्नाटा - चऩ ु ी / भौन ,व्माप्त - ऩयू ी तयह पैरा औय सभामा हुआ
हयजाने - हातन के फदरे हदमा जाने वारा धन ,प्रथथान – जाना ,सस्म्भलरत – साभहू हक
• तततय-बफतय - अथत-व्मथत
फत
ू े - अऩने फर ऩय
• रेखक कहत है कक हरयहय क क के अऩहयण के फ द हरयहय क क के ब ई रोगों के स थ हरयहय क क की तर ि भें घनकर
गए। उन्हें रग की मे सफ भहॊ त क ककम क भ है । इसमरए वे अऩने सगे -स थथमों से बये एक सभह के स थ दे व-थथ न ज
ऩहुॉचे। वह ॉ ऩय ऩहुॉच कय उन्हें मसपा चप्ु ऩी औय ि ॊघत ही नजय आई। हभेि की तयह दे व-थथ न क प्रभख ु दयव ज फॊद ही थ ।
व त वयण भें य त की ख भोिी औय सन ऩन पैर हुआ थ । कपय सफको रग कक मह क भ भहॊ त क नहीॊ है , मह क भ फ हय के
ककसी ड क के सभह क है औय वे हरयहय क क के फदरे भें उनके ऩरयव य से फहुत ज्म द धन की भ ॉग कयें गे औय जफ उनके
घय व रे ऩय धन दे -दें गे तबी वे हरयहय क क को छोड़ेंगे।

• जफ खोज भें घनकरे रोगों को रग की हरयहय क क दे व-थथ न भें नहीॊ है तो वे दसयी ददि भें उन्हें खोजने के मरए ज ने रगे ,
तबी उसी सभम उन्हें दे व-थथ न के अॊदय से स भदहक ऩयन्तु फहुत धीभी आव जें सन
ु ई ऩड़ी। सबी के क न खड़े हो गए अथ ात
सबी ध्म न से सन
ु ने रगे। अफ सबी को ऩय बयोस हो गम थ कक हरयहय क क दे व-थथ न भें ही हैं। कपय तो बफन सोचे -सभझे,
बफन दे य ककए रोग दे व-थथ न के प्रभख
ु दयव जे को ऩीटने रगे। तबी दे व-थथ न की छत से योड़े-ऩत्थय फयसने िरू
ु हो गए, जजसके
क यण वे अथत-व्मथत हो कय बफखयने रगे। सबी अऩने -अऩने हथथम यों को सॉब रने रगे। ऩयन्तु जफ तक वे अऩने हथथम य
सॉब रते उससे ऩहरे ही दे व-थथ न की खखड़ककमों से प मरयॊग िरू
ु हो गई। एक नौजव न के ऩैय ऩय गोरी रग गई औय वह थगय
गम । उसके थगयते ही हरयहय क क के ब इमों के स थ आए स थी ब ग गए। अफ मसपा हरयहय क क के तीनों ब ई ही वह ॊ यह
गए थे। हरयहय क क के ब इमों को उनके अकेरे के दभ ऩय सफक भक ु फर कयन कदठन रग तो वे बी िहय के ऩमु रस थ ने
की ओय सह मत के मरए ब गे।

• उधय ठ कुयफ यी के बीतय भहॊ त औय उनके कुछ चॊद पवश्व सी स धु स दे औय मरखे क गजों ऩय अनऩढ़ हरयहय क क के अॉगठे के
घनि न जफयन रे यहे थे। हरयहय क क तो भहॊ त के इस व्मवह य से जैसे आसभ न से जभीन भें आ गए थे। उन्होंने सऩने भें बी
नहीॊ सोच थ कक भहॊ त जी इस रूऩ भें बी आएॉगे। जजस भहॊ त को वे आदयणीम औय श्रद्धेम सभझते थे , वह भहॊ त अफ उन्हें
घखृ णत, दयु च यी औय ऩ ऩी नजय आने रग थ । अफ वह उस भहॊ त की सयत बी दे खन नहीॊ च हते थे। अफ अऩने ब इमों क
ऩरयव य भहॊ त की तुरन भें उन्हें ज्म द ऩपवत्र, नेक औय अच्छ रगने रग थ । हरयहय क क ठ कुयफ यी से अऩने घय ऩहुॉचने के
मरए फेचन ै थे। रेककन रोग उन्हें ऩकडे हुए थे। औय भहॊ त जी उन्हें सभझ यहे थे -"तुम्ह ये बरे के मरए ही मह सफ ककम गम
हरयहय। अबी तुम्हें रगेग कक हभ रोगों ने तुम्ह ये स थ ज़ोय-जफयदथती की, रेककन फ द भें तुभ सभझ ज ओगे कक जजस धभा-
सॊकट भें तुभ ऩड़े थे, उससे उफ यने के मरए मही एकभ त्र य थत थ ....।
• जफयन – जफयदथती ,आदयणीम - आदय के मोग्म , श्रिेम - श्रिा के मोग्म , घझृ णत - तघनौना
दयु ाचायी - दष्ु ट / फयु ा आचयण कयने वारा , नेक – बरा , फेचन
ै – व्माकुर , उफायना - ऩाय कयना / तनकरना ,एकभात्र - केवर एक
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• रेखक कहत है कक एक ओय तो हरयहय क क को फच ने आए सबी रोग ब ग गए थे औय दसयी ओय दे व-
थथ न के अॊदय भहॊ त औय उनके कुछ स थी कुछ मरखे हुए क गजों ऩय ज़फयदथती अनऩढ़ हरयहय क क के अॉगठे
के घनि न रेन च ह यहे थे। हरयहय क क तो भहॊ त के इस तयह के व्मवह य से जैसे आसभ न से जभीन ऩय
थगय गए थे क्मोंकक उन्होंने सऩने भें बी नहीॊ सोच थ कक भहॊ त जी क ऐस बी कोई रूऩ स भने आएग । जजस
भहॊ त को वे आदय औय सम्भ न तथ श्रद्ध के सभ न सभझते थे, वे असर भें इतने घघनौने, दष्ु ट औय ऩ ऩी
प्रकृघत के घनकरें गे। अफ हरयहय क क के भन भें भहॊ त के मरए नपयत ऩैद हो गई थी, वे भहॊ त की सयत बी
नहीॊ दे खन च हते थे। हरयहय क क को अफ अऩने ब इमों क ऩरयव य भहॊ त की तर ु न भें फहुत ही ऩपवत्र, नेक
औय अच्छ रगने रग थ ।
• हरयहय क क अऩने घय ज ने के मरए फहुत ज्म द व्म कुर हो यहे थे। रेककन भहॊ त के स थथमों ने उन्हें ऩकड़
यख थ । भहॊ त जी हरयहय क क को सभझ यहे थे कक मह सफ जो उन्होंने ककम है वह हरयहय क क के बरे के
मरए ही ककम है । इस सभम हरयहय क क को रग सकत है कक भहॊ त उनके स थ जोय-जफयदथती कय यह है ,
ऩयन्तु भहॊ त कहत है कक जजस धभा-सॊकट भें हरयहय क क पॉस गए थे उससे फ हय घनक रने के मरए मही एक
य थत थ ।
• एक ओय ठ कुयफ यी के बीतय जफयन अॉगठे क घनि न रेने औय ऩकड़कय सभझ ने क क मा चर यह थ तो
दसयी ओय हरयहय क क के तीनों ब ई सुफह होने से ऩहरे ही ऩुमरस की जीऩ के स थ ठ कुयफ यी ऩहुॉचे। जीऩ से
तीनों ब ई, एक दयोग औय ऩुमरस के आठ जव न उतये । ऩुमरस इॊच जा ने ठ कुयफ यी के प टक ऩय आव ज
रग ई। दथतक दी। रेककन अॊदय से कोई जव फ नहीॊ। अफ ऩुमरस के जव नों ने ठ कुयफ यी के च यों तयप घेय
ड रन िरू ु ककम । ठ कुयफ यी अगय छोटी यहती तो ऩुमरस के जव न आस नी से उसे घेय रेत,े रेककन पवि रक म
ठ कुयफ यी को ऩमु रस के मसमभत जव न घेय सकने भें असभथा स बफत हो यहे थे। कपय बी जजतन सॊबव हो सक ,
उस रूऩ भें उन्होंने घेय ड र ददम औय अऩन -अऩन भोच ा सॉब र सुफह की प्रतीऺ कयने रगे।
• दयोगा - इॊथऩेतटय
इॊचाजि - प्रबायी
दथतक - दयवाजा खटखटाना
सीलभत - सीभा के अॊदय
असभथि - मोग्मता न होना
• रेखक कहत है कक एक ओय तो दे व-थथ न के अॊदय जफयदथती हरयहय क क के अॉगठे क घनि न रेने औय
ऩकड़कय सभझने क क भ चर यह थ , तो वहीॊ दसयी ओय हरयहय क क के तीनों ब ई सफ ु ह होने से बी ऩहरे
ही ऩुमरस की जीऩ को रेकय दे व-थथ न ऩय ऩहुॉच गए थे। जीऩ से तीनो ब ई, एक सफ-इॊथऩेक्टय औय आठ जव न
उतये । ऩमु रस की ओय से ऩमु रस प्रब यी ने दे व-थथ न क प्रभख
ु दयव ज खटखट म औय आव ज बी दी। रेककन
दे व-थथ न के अॊदय से कोई आव ज फ हय नहीॊ आई। जफ ककसी ने दे व-थथ न क दयव ज नहीॊ खोर औय न ही
कोई उत्तय ददम तो ऩमु रस ने दे व-थथ न को च यों ओय से घेयन िरू ु कय ददम । दे व-थथ न अगय छोट होत तो
ऩुमरस आस नी से उसे घेय रेती, रेककन दे व-थथ न इतन पवि र थ कक ऩमु रस के उन थोड़े से मसऩ दहमों के
मरए मे आस न नहीॊ थ । कपय बी जजतन हो सकत थ उन्होंने दे व-थथ न को च यों ओय से घेय मरम औय
अऩने-अऩने थथ न ऩय ऩहय दे ते हुए सफ ु ह क इॊतज़ य कयने रगे।
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• हरयहय क क के ब इमों ने सोच थ कक जफ वे ऩुमरस के स थ ठ कुयफ यी ऩहुॉचेंगे तो ठ कुयफ यी के बीतय से
हभरे होंगें औय स ध-ु सॊत यॉ गे ह थों ऩकड़ मरए ज मॉगे। रेककन ऐस कुछ बी नहीॊ हुआ। ठ कुयफ यी के अॊदय से
एक योड़ बी फ हय नहीॊ आम । ि मद ऩमु रस को आते हुए उन्होंने दे ख मरम थ ।
• सफ ु ह होने भें अबी कुछ दे य थी। इसमरए ऩमु रस इॊच जा यह-यहकय ठ कुयफ यी क प टक खोरने औय स ध-ु सॊतों
को आत्भसभऩाण कयने के मरए आव ज रग यहे थे। स थ ही ऩुमरस वगा की ओय से हव ई प मय बी ककए ज
यहे थे, रेककन ठ कुयफ यी की ओय से कोई जव फ नहीॊ आ यह थ ।
• यॉ गे हाथों ऩकडना - जभ ु ि कयते हुए ऩकडे जाना
योडा - छोटा ऩत्थय
आत्भसभऩिण - हधथमाय डार दे ना
• जफ हरयहय क क के ब ई ऩमु रस को रे कय दे व-थथ न आए तो उन्हें रग थ कक ऩुमरस ऩय बी दे व-थथ न के
अॊदय से उसी तयह से योडों औय ऩत्थय से हभर होग जजस तयह उन ऩय हुआ थ औय स ध-ु सॊत जभ ु ा कयते हुए
ऩकड़े ज मॉगे। रेककन जैस उन्होंने सोच थ वैस कुछ बी नहीॊ हुआ। दे व-थथ न के अॊदय से एक छोट -स ऩत्थय
बी नहीॊ आम । ऐस रग यह थ जैसे उन्होंने ऩुमरस को आते हुए दे ख मरम थ । सुफह होने भें अबी क पी
सभम फ कक थ इसमरए ऩमु रस प्रब यी फ य-फ य कुछ सभम के पवय भ के फ द दयव जे को खटखट त औय स ध-ु
सॊतों को हथथम य ड रने को फोरत यह । इसके स थ ही ऩुमरस फीच-फीच भें हव भें बी प मय कय यही थी,
रेककन दे व-थथ न से इसके जव फ भें कोई बी क माव ही नहीॊ हुई।
• सुफह तड़के एक वद्ध ृ स धु ने ठ कुयफ यी क प टक खोर ददम । उस स धु की उम्र अथसी वर्षा की अथधक की
होगी। वह र ठी के सह ये क ॉऩते हुए खड़ थ । ऩुमरस इॊच जा ने उस वद्ध ृ स धु के ऩ स ऩहुॉच हरयहय क क औय
ठ कुयफ यी के भहॊ त, ऩज ु यी औय अन्म स धओ
ु ॊ के फ ये भें ऩ छ । रे ककन उसने कुछ बी फत ने से इॊक य कय ददम ।
ऩुमरस इॊच जा ने कई फ य उससे ऩछ । ड ॉट रग ई, धभककम ॉ दीॊ, रेककन हय फ य एक ही व क्म कहत , "भुझे कुछ
भ रभ नहीॊ" ऐसे वक्त ऩमु रस के रोग भ य-ऩीट क सह य रेकय बी फ त उगरव ते हैं; रेककन उस स धु की वम
दे खकय ऩुमरस इॊच जा को भहदटम ज न ऩड़ ।
• वम - उम्र
भहहटमा - नजयअॊदाज कय दे ना
• रेखक कहत है कक जफ सफ ु ह हुई तो एक फहुत ही वद्ध ृ स धु ने दे व-थथ न क प्रभख ु दयव ज खोर ददम । दे खने
से रग यह थ कक उस स धु की उम्र अथसी वर्षा से बी अथधक की होगी। वह र ठी रे कय खड़ थ औय क ॉऩ
यह थ । ऩमु रस प्रब यी उस वद्ध ृ स धु के ऩ स गम औय उससे हरयहय क क औय दे व-थथ न के भहॊ त, ऩुज यी औय
दसये स धओ ु ॊ के फ ये भें ऩ छ । रेककन उस वद्ध
ृ ने कुछ बी फत ने से इॊक य कय ददम । ऩमु रस प्रब यी ने उससे
फहुत फ य एक ही फ त ऩछी, उसे फहुत फ य ड ॉट बी औय स थ-ही-स थ धभककम ॉ बी दी,

• ऩयन्तु वह वद्ध
ृ स धु हय फ य एक ही उत्तय दे यह थ कक उसे कुछ बी नहीॊ ऩत । ऐसे वक्त भें अगय ऩुमरस के
स भने उस वद्धृ स धु की जगह कोई औय होत तो ऩुमरस उससे भ य-ऩीट कय सफ फ तें उगरव दे ती, ऩयन्तु उस
स धु की उम्र के क यण ऩमु रस प्रब यी को सफ कुछ नजयअॊद ज कयन ऩड़ ।
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• रेखक कहत है कक ऩमु रस प्रब यी के नेतत्ृ व भें सबी ऩमु रस के जव न दे व-थथ न की अच्छे से तर िी रेने रगे।
रेककन न तो ऩुमरस को दे व-थथ न के नीचे व रे कभयों भें कुछ मभर औय न ही दे व-थथ न के छत के कभयों भें
कोई मभर । ऩमु रस के जव नों ने दे व-थथ न की फहुत अच्छे से छ न-फीन की, ऩयन्तु उन्हें उस वद्ध ृ स धु अर व
उस दे व-थथ न ऩय औय कोई बी नहीॊ मभर ।
• ऩमु रस इॊच जा के नेतत्ृ व भें ऩमु रस के जव न ठ कुयफ यी की तर िी रेने रगे। रेककन न तो ठ कुयफ यी के नीचे
के कभयों भें ही कोई ऩ म गम औय न ही छत के कभयों भें ही। ऩमु रस के जव नों ने खफ छन-फीन की, उस
वद्ध
ृ स ध के अर व कोई दसय ठ कुयफ यी भें नहीॊ मभर ।
• हरयहय क क के ब ई थचॊत , ऩये ि नी औय दख ु द आश्चमा से घघय गए। ठ कुयफ यी के भहॊ त औय स ध-ु सॊत हरयहय
क क को रे कय कह ॉ ब ग गए? अफ क्म होग ? क फ़ी ऩैसे खचा कय ऩुमरस को र ए थे। ऩमु रस के स थ आने
के फ द वह अॊदय ही अॊदय गवा भहसस कय यहे थे। उन्हें रग यह थ कक अफ ब ई को वे आस नी से घय रे
ज एॉगे तथ स ध-ु सॊतों को जेर मबजव दें गे। रेककन दोनों भें से एक बी नहीॊ हुआ।
• रेखक कहत है कक ऩमु रस प्रब यी के नेतत्ृ व भें सबी ऩमु रस के जव न दे व-थथ न की अच्छे से तर िी रेने रगे।
रेककन न तो ऩुमरस को दे व-थथ न के नीचे व रे कभयों भें कुछ मभर औय न ही दे व-थथ न के छत के कभयों भें
कोई मभर । ऩुमरस के जव नों ने दे व-थथ न की फहुत अच्छे से छ न-फीन की, ऩयन्तु उन्हें उस वद्ध ृ स धु अर व
उस दे व-थथ न ऩय औय कोई बी नहीॊ मभर ।
• हरयहय क क के ब ई अफ थचॊत , ऩये ि नी औय द्ु ख के फ दरों भें घघय गए थे। वे फस मही सोच यहे थे कक दे व-
थथ न के भहॊ त औय स ध-ु सॊत हरयहय क क को कह ॉ रेकय गए होंगें । अफ वे क्म कयें गें, क्मोंकक उन्हें हरयहय
क क नहीॊ मभर यहे थे। उन्होंने फहुत स ये ऩैसे दे कय ऩुमरस को दे व-थथ न तक र म थ । जफ वे ऩुमरस को
अऩने स थ रे कय आए थे तो उनको अऩने ऊऩय गवा हो यह थ क्मोंकक उन्हें रग यह थ कक अफ वे आस नी
से अऩने ब ई अथ ात हरयहय क क को अऩने स थ घय रे कय ज एॉगे औय उन जभ ु ा कयने व रे स ध-ु सॊतों को वे
जेर मबजव दें गें। ऩयन्तु उनकी एक बी इच्छ ऩयी नहीॊ हुई।
• ठ कुयफ यी के जो कभये खर ु े थे, उनकी तर िी ऩहरे री गई थी। फ द भें जजन कभयों की थचटककनी फॊद थी, उन्हें
बी खोरकय दे ख गम थ । एक कभये के फ हय फड़ -स त र रटक यह थ । ऩमु रस औय हरयहय क क के ब ई
सफ वहीॊ एकत्र हो गए। उस कभये की कुॊजी की भ ग ॉ वद्ध
ृ स धु से की गई तो उसने स फ़ कह ददम , "भेये ऩ स
नहीॊ।"
• जफ उससे ऩछ गम , "इस कभये भें क्म है ?" तफ उसने जव फ ददम , "अन ज है ।"
• ऩुमरस इॊच जा अबी सोच ही यहे थे कक इस कभये क त र तोड़ कय दे ख ज ए म छोड़ ददम ज ए कक अच नक
उस कभये के दयव जे को बीतय से ककसी ने धक्क दे न िुरू ककम ।
• ऩलु रस के जवान सावधान हो गए।
एकत्र - इकठ्ठे
कॊु जी - चाफी
26
• रेखक कहत है कक दे व-थथ न के जजतने बी कभये खुरे हुए थे, ऩहरे उन कभयों की तर िी री गई। उसके फ द
जो कभये कॊु डी रग कय फॊद ककए गए थे, उन्हें खोर कय दे ख गम थ । कहीॊ कुछ नहीॊ मभर । कपय एक कभय
जजसके फ हय फड़ -स त र रटक यह थ , उस के स भने ऩुमरस औय हरयहय क क के ब ई सफ इकठ्ठे हो गए।
उस कभये की त री जफ उस वद्ध ृ स धु से भ ॉगी गई तो उसने स फ़-स फ़ कह ददम कक उसके ऩ स नहीॊ है । जफ
ऩमु रस ने वद्ध
ृ स ध ु से ऩ छ कक उस कभये न क्म यख है , तो उसने जव फ ददम कक उस कभये भें अन ज यख
गम है । ऩमु रस के प्रब यी अबी सोच ही यहे थे कक उस कभये क त र तोडन है म उस कभये की तर िी नहीॊ
रेनी है , तबी उस कभये को ककसी ने अॊदय की ओय से धक्क दे न िरू ु कय ददम । मह दे ख कय ऩमु रस के जव न
स वध न हो गए।
• त र तोड़कय कभये क दयव ज खोर गम । कभये के अॊदय हरयहय क क जजस जथथघत भें मभरे, उसे दे ख कय
उनके ब इमों क खन खौर उठ । उस वक्त अगय भहॊ त, ऩुज यी म अन्म नौजव न स धु उन्हें नजय आ ज ते तो
वे जीते-जी उन्हें नहीॊ छोड़ते।
• हरयहय क क के ह थ औय ऩ ॉव तो फ ॉध ही ददए गए थे, उनके भॉह ु भें कऩड़ ठॉ सकय फ ॉध ददम गम थ । हरयहय
क क जभीन ऩय रुढ़कते हुए दयव जे तक आ गए थे औय ऩैय से दयव ज़े ऩय धक्क रग म थ ।
• क क को फॊधनभक् ु त ककम गम , भॉह ु से कऩड़े घनक रे गए। हरयहय क क ने ठ कुयफ यी के भहॊ त,ऩज
ु यी औय
स धुओॊ की क री कयततों क ऩयद फ़ ि कयन िरू ु ककम कक वह स धु नहीॊ, ड क, हत्म ये औय कस ई हैं, कक उन्हें
इस रूऩ भें कभये भें फॊद कय गुप्त दयव ज़े से ब ग गए, कक उन्होंने के स दे औय मरखे हुए क गज़ों ऩय जफयन
उनके अॉगठे के घनि न मरए... आदद।
• खन ू खौर उठना - फहुत क्रोध आना
ऩयदा़िाश -बेद प्रकट कय दे ना
• रेखक कहत है कक जफ कभये को ककसी ने अॊदय की ओय से धक्क दे न िुरू कय ददम तो ऩुमरस ने कभये क
त र तोड़ ददम औय कभये को खोर ददम । उस कभये के अॊदय हरयहय क क उन्हें जजस जथथघत भें मभरे उसे
दे खकय उनके ब इमों को इतन अथधक गुथस आगम थ कक अगय उस सभम दे व-थथ न के भहॊ त, ऩुज यी म
अन्म नौजव न स धु उन्हें नजय आ ज ते तो वे उन्हें भ य ही ड रते।
• कभये भें हरयहय क क को ह थ औय ऩ ॉव फ ॉध कय यख गम थ औय स थ ही स थ उनके भुॉह भें कऩड़ ठॉ स
गम थ त कक वे आव ज़ न कय सकें। ऩयन्तु हरयहय क क दयव ज़े तक रुढ़कते हुए आ गए थे औय दयव ज़े ऩय
अऩने ऩैयों से धक्क रग यहे थे त कक फ हय खड़े उनके ब ई औय ऩमु रस उन्हें फच सकें।
• दयव ज़ खोर कय हरयहय क क को फॊधन से भुक्त ककम गम । उनके भुॉह से कऩड़ घनक र गम । हरयहय क क
ने दे व-थथ न के भहॊ त, ऩज ु यी औय स धओ ु ॊ के सबी गनु हों क बेद खोरन िरू ु ककम कक वह रोग स धु नहीॊ,
ड क, हत्म ये औय कस ई हैं, वे रोग क क को उस कभये भें इस तयह फ ॉध कय कही घछऩे हुए दयव ज़े से ब ग
गए हैं औय उन्होंने कुछ ख री औय कुछ मरखे हुए क गजों ऩय हरयहय क क के अॉगठे के घनि न जफयदथती
मरए हैं औय बी हरयहय क क उनके बेद खोरते ही ज यहे थे।


27
• हरयहय क क ने दे य तक अऩन फम न दजा कय ए। उनके िब्द-िब्द से स धओ ु ॊ के प्रघत नफ़यत औय घण ृ व्मक्त हो यही थी।
जजॊदगी ने कबी ककसी के खखर फ़ उन्होंने इतन नहीॊ कह होग जजतन ठ कुयफ यी के भहॊ त, ऩुज यी औय स धओ ु ॊ के फ ये भें कह ।
• हरयहय क क ऩन ु ् अऩने ब इमों के ऩरयव य के स थ यहने रगे थे इस फ य उन्हें द र न ऩय नहीॊ , घय के अॊद य यख गम थ -ककसी
फहुभल्म वथतु की तयह सॉजोकय, घछऩ कय। उनकी सयु ऺ के मरए रयश्ते-न ते के जजतने 'सयु भ ' थे , सफको फुर मरम गम थ ।
हथथम य जट ु मरए गए थे। चौफीसों घॊटे ऩहये ददए ज ने रगे थे। अगय ककसी आवश्मक क मावि क क घय से ग ॉव भें घनकरते तो
च य-ऩ ॉच की सॊख्म भें हथथम यों से रैस रोग उनके आगे-ऩीछे चरते यहते। य त भें च यों तयप से घेयकय सोते। ब इमों ने ड्मटी
फ ॉट री थी। आधे रोग सोते तो आधे रोग ज गकय ऩहय दे ते यहते।
• फमान - हार / वत ृ ाॊत ,घण ृ ा – तघन ,फहुभल्
ू म - फहुत ज्मादा कीभती
सॉजोना - सॉबार कय यखना ,सयु भा - मोिा / फहादयु ड्मूटी - कतिव्म / काभ
• रेखक कहत है कक हरयहय क क क पी सभम तक ऩमु रस को अऩन ह र म वत ृ ॊत फत ते यहे । उनके प्रमोग भें र ए गए एक-
एक िब्द भें स धओ ु ॊ के प्रघत नफ़यत औय घघन क एहस स हो यह थ । हरयहय क क ने अऩनी ऩयी जजॊदगी भें कबी बी ककसी के
खऽर फ़ इतन सफ कुछ नहीॊ फोर थ जजतन उन्होंने दे व-थथ न के भहॊ त, ऩज ु यी औय स धुओॊ के फ ये भें कह ददम थ ।
• मह सफ फीत ज ने के फ द हरयहय क क कपय से अऩने ब इमों के ऩरयव य के स थ यहने रग गए थे। ऩयन्तु इस फ य हरयहय क क
को फय भदे भें नहीॊ फजल्क घय के अॊदय यख गम थ , वह बी ककसी फहुत ही कीभती चीज़ की तयह सॉब र कय औय सबी से
छुऩ कय। हरयहय क क की सयु ऺ के मरए रयश्ते-न ते भें जजतने बी मोद्ध औय फह दयु रोग थे सबी को फर ु म गम थ । हथथम यों
क बी ऩय प्रफॊध ककम गम थ । चौफीसों घॊटे ऩहये ददए ज ने रगे थे। मह ॉ तक कक अगय हरयहय क क को ककसी क भ के क यण
ग ॉव भें ज न ऩड़त तो हथथम यों के स थ च य-ऩ ॉच रोग हभेि ही उनके स थ यहने रगे। य त को बी हरयहय क क को च यों औय
से सुयऺ दी ज ती। हरयहय क क के ब इमों ने अऩने क भ फ ॉट मरए थे। जफ आधे रोग सो यहे होते थे तफ फ कक के आधे रोग
हरयहय क क की सुयऺ भें तैन त यहते थे।
• इधय ठ कुयफ यी क दृश्म बी फदर गम थ । एक से एक खॉख य रोग ठ कुयफ यी भें आ गए थे। उन्हें दे ख कय ही डय रगत थ ।
ग ॉव के फच्चों ने तो ठ कुयफ यी की औय ज न ही फॊद कय ददम । हरयहय क क को रेकय ग ॉव प्र यम्ब से ही दो वगों भें फ ॉट गम
थ इस नई घटन को रेकय दोनों तयप से प्रघतकिम एॉ व्मक्त की ज ने रगी थी।
• खॉख ू ाय - अत्मधधक क्रूय / तनदि मी
प्रततफक्रमा - प्रततकाय / फदरा
व्मतत - थऩष्ट / सा़ि
• रेखक कहत है कक इतन सफ कुछ हो ज ने के फ द दे व-थथ न क दृश्म ही फदर गम थ । वह ॉ ऩय ऩुज यी औय भहॊ त के थथ न
ऩय फहुत स ये एक से फढ़कय एक अत्मथधक िय औय घनदा मी रोग आ गए थे। उन्हें दे खने भ त्र से ही ककसी को बी डय रग
सकत थ । उनके डय से ग ॉव के फच्चों ने तो दे व-थथ न ज न ही छोड़ ददम थ । हरयहय क क के पवर्षम को रेकय ऩहरे ही ग ॉव
के रोग दो ब गों भें फ ॉट गए थे , अफ हरयहय क क के अऩहयण औय उनको छुड़ ने की घटन के फ ये भें फ तें होने रगी थी। रोग
अऩनी-अऩनी य म दे ने रगे थे।
• औय अफ हरयहय क क एक सीधे -स दे औय बोरे ककस न की अऩेऺ चतयु औय ऻ नी हो चरे थे। वह भहसस कयने रगे थे कक
उनके ब ई अच नक उनको जो आदय-सम्भ न औय सयु ऺ प्रद न कयने रगे हैं , उसकी वजह उन रोगों के स थ उनक सगे ब ई क
सम्फन्ध नहीॊ, फजल्क उनकी ज मद द है , अन्मथ वे उनको ऩछते तक नहीॊ। इस ग ॉव भें ज मद दहीन ब ई को कौन ऩछत है ?
हरयहय क क को अफ सफ नज़य आने रग थ ! भहॊ त की थचकनी-चऩ ु ड़ी फ तों के बीतय की सच्च ई बी अफ वह ज न गए थे।
ठ कुयजी के न भ ऩय वह अऩन औय अऩने जैसे स धओ ु ॊ क ऩेट ऩ रत है । उसे धभा औय ऩयभ था से कोई भतरफ नहीॊ। घनजी
थव था के मरए स ध होने औय ऩज -ऩ ठ कयने क ढोंग यच म है ।
• अऩेऺा - तुरना
जामदादहीन - धन-दौरत के बफना
धचकनी-चऩ ु डी फातें - खश ु ाभद बयी
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• रेखक कहत है कक हरयहय क क के स थ जो कुछ बी हुआ थ उससे हरयहय क क एक सीधे-स दे औय बोरे ककस न की
तुरन भें च र क औय फपु द्धभ न हो गए थे। उन्हें अफ सफ कुछ सभझ भें आने रग थ कक उनके ब इमों क अच नक
से उनके प्रघत जो व्मवह य ऩरयवतान हो गम थ , उनके मरए जो आदय-सम्भ न औय सुयऺ वे प्रद न कय यहे थे, वह
उनक कोई सगे ब इमों क प्म य नहीॊ थ फजल्क वे सफ कुछ उनकी धन-दौरत के क यण कय यहे हैं , नहीॊ तो वे हरयहय
क क को ऩछते तक नहीॊ। रेखक कहत है कक उसके ग ॉव भें धन-दौरत के बफन कोई अऩने ब ई को ऩछत बी नहीॊ है ।
हरयहय क क सफ कुछ फहुत अच्छी तयह से सभझ गए थे। भहॊ त की खुि भद बयी फ तों के अॊदय छुऩी सच्च ई को बी
वह ज न गए थे। हरयहय क क ज न गए थे कक भहॊ त बगव न के न भ ऩय अऩन औय अऩने स थ क भ कयने व रे
स धु-सॊतों क ऩेट ऩ रत है । उसे धभा औय ऩयभ था से कोई भतरफ नहीॊ है फजल्क वह तो अऩने थव था के मरए स धु
होने औय बगव न की ऩज -अचान कयने क न टक कयत है ।
• स धु के फ ने भें भहॊ त, ऩुज यी औय उनके अन्म सहमोगी रोबी-र रची औय कुकभी हैं । छर, फर, कर, ककसी बी तयह धन
अजजात कय बफन ऩरयश्रभ ककए आय भ से यहन च हते हैं। अऩने घखृ णत इय दों को घछऩ ने के मरए ठ कुयफ यी को इन्होने
भ ध्मभ फन म है । एक ऐस भ ध्मभ जजस ऩय अपवश्व स न ककम ज सके। इसीमरए हरयहय क क ने भन ही भन तम
कय मरम कक अफ भहॊ त को वे अऩने ऩ स बटकने तक नहीॊ दें गे। स थ ही अऩनी जज़न्दगी भें अऩनी ज मद द ब इमों
को बी नहीॊ मरखें गे, अन्मथ कपय वह दध की भक्खी हो ज एॉगे। रोग घनक र कय पैंक दें गे। कोई उन्हें ऩछे ग तक नहीॊ।
फुढ़ ऩे क दख ु बफत ए नहीॊ फीतेग !
• फाने - वेश भें , कुकभी - फुये काभ कयने वारे , छर, फर, कर - मुस्तत / फुवि , अस्जित -इकठ्ठा
घझृ णत – फुया , भाध्मभ – सहाया , दधू की भतखी - तुच्छ सभझना / फेकाय सभझना
• रेखक कहत है कक हरयहय क क मह अच्छी तयह से सभझ गए थे कक भहॊ त , ऩुज यी औय उनके अन्म सहमोगी स धु
नहीॊ हैं फजल्क वे तो स धु के वेि भें फहुत ही र रची औय फयु े क भ कयने व रे रोग हैं। वह अऩनी मोजन ओॊ औय फपु द्ध
के सह ये फहुत स य धन इकठ्ठ कयन च हते हैं त कक वे बफन भेहनत के ही आय भ से अऩन जीवन व्मतीत कय सकें।
अऩने इस तयह के फुये क भों को छुऩ ने के मरए उन्होंने दे व-थथ न को ही सह य फन मरम थ । क्मोंकक दे व-थथ न एक
ऐस थथ न होत है जजस ऩय सबी आॉखें फॊद कय के पवश्व स कयते हैं। इसीमरए हरयहय क क ने अऩने भन-ही-भन भें
मह ठ न मरम थ कक अफ वे भहॊ त को अऩने आस-ऩ स बी नहीॊ आने दें गे औय उसकी ककसी बी फ त ऩय ध्म न नहीॊ
दें गे। इसके स थ ही हरयहय क क ने मह बी तम कय मरम थ कक वे अऩने जीते-जी अऩनी धन-दौरत अऩने ब इमों को
बी नहीॊ दें गे क्मोंकक वे ज नते थे कक अगय उन्होंने ऐस कुछ ककम तो सफ उनको फेक य सभझ कय कहीॊ पैंक दें गे।
उनक कोई ध्म न नहीॊ यखेग । उनके मरए फुढ़ ऩ फहुत ही ज्म द कष्टों व र हो ज एग ।
• रेककन हरयहय क क सोच कुछ औय यहे थे औय व त वयण कुछ दसय ही तैम य हो यह थ । ठ कुयफ यी से जजस ददन
उन्हें व पऩस र म गम थ , उसी ददन से उनके ब ई औय रयश्ते-न ते के रोग सभझने रगे थे कक पवथधवत अऩनी
ज मद द वे अऩने बतीजों के न भ मरख दें । वह जफ तक ऐस नहीॊ कयें गे तफ तक भहॊ त की थगद्ध-दृजष्ट उन ऩय रगी
यहे गी। मसय ऩय भॉडय यहे तफ़ न से भजु क्त ऩ ने के मरए उनके सभऺ अफ मही एकभ त्र य थत है ....।
29
• सुफह, दोऩहय, ि भ, य त गए तक मही चच ा। रेककन हरयहय क क स फ़ नक य ज ते। कहते -"भेये फ द तो भेयी ज मद द इस ऩरयव य को थवत्
मभर ज मगी इसमरए मरखने क कोई अथा नहीॊ। भहॊत ने अॉगठे के जो जफयन घनि न मरए हैं , उसके खखर फ़ भुकदभ हभने ककम ही है....।
• धगि-दृस्ष्ट - तेज नजय , भॉडया – घूभते सभऺ - साभने
नकाय - भना कयना
थवत् - अऩने आऩ
• रेखक कहत है कक हरयहय क क जो सोच यहे थे ह र त बफरकुर उसके उरटे हो यहे थे। जफ से हरयहय क क दे व -थथ न से व पऩस घय आए
थे, उसी ददन से ही हरयहय क क के ब ई औय उनके दसये न ते-रयश्तेद य सबी मही सोच यहे थे कक हरयहय क क को ़ ननी तयीके से उनकी
ज मद द को उनके बतीजों के न भ कय दे न च दहए। क्मोंकक जफ तक हरयहय क क ऐस नहीॊ कयें गे तफ तक भहॊत की तेज़ नज़य उन ऩय
दटकी यहे गी। सबी च हते थे कक हरयहय क क उनके ऊऩय घभते हुए खतये को उनकी ज मद द उनके बतीजों के न भ कयके हट दें क्मोंकक
उनके ऩ स मही एक य थत फच गम है , जजससे वे अऩनी ज न फच सकते हैं।
• सफ ु ह, दोऩहय, ि भ मह ॉ तक की य त भें बी इसी के फ ये भें फ त होती थी। रेककन हरयहय क क इस फ त को भ नने से बफरकुर ही भन कय
दे ते थे औय कहते थे कक उनके भय ज ने के फ द तो उनकी ज मद द खुद ही उनके ऩरयव य को मभर ज एगी तो मरखने से म न
• मरखने से क्म पका ऩड़ेग । भहॊत ने जो जफयदथती उनके अॉगठे के घनि न मरए हैं उसके मरए तो उन्होंने भक ु दभ ककम हुआ है , तो घफय ने
की कोई फ त नहीॊ।
• ब ई जफ सभझ ते-सभझ ते ह य गए तफ उन्होंने ड ॉटन औय दफ व दे न िरू ु ककम । रेककन क क इस य थते बी य ज़ी नहीॊ हुए। थऩष्ट कह
ददम कक अऩनी जजॊदगी भें वह नहीॊ मरखें गे। फस एक य त उनके ब इमों ने वही रूऩ ध यण कय मरम , जो रूऩ भहॊत औय उनके सहमोथगमों
ने ध यण ककम थ । हरयहय क क को अऩनी आॉखों ऩय पवश्व स नहीॊ हुआ। उनके वही अऩने सगे ब ई, जो उनकी सेव औय सयु ऺ भें तैम य
यहते थे, उन्हें अऩन अमबन्न सभझते थे, जो उनकी नीॊद ही सोते औय ज गते थे, हथथम य रेकय उनके स भने खड़े थे। कह यहे थे -"सीधे भन
से क गजों ऩय जह ॉ-जह ॉ जरुयत है , अॉगठे के घनि न फन ते चरो अन्मथ भ य कय महीॊ घय के अॊदय ग ड़ दें गे। ग ॉव के रोगों को कोई सचन
तक नहीॊ मभरने ऩ एगी।"
• रेखक कहत है कक जफ हरयहय क क के ब ई हरयहय क क को सभझ ते-सभझ ते थक गए, तो उन्होंने हरयहय क क को ड ॉटन औय उन ऩय
दव फ ड रन िरू ु कय ददम । रेककन हरयहय क क इस तयह बी नहीॊ भ नें । उन्होंने थऩष्ट औय स फ़-स फ़ कह ददम थ कक वे अऩने जीते-जी
ऐस नहीॊ कयें गे। रेखक कहत है कक एक य त हरयहय क क के ब इमों ने बी उसी तयह क व्मवह य कयन िरू ु कय ददम जैस भहॊत औय
उनके सहमोथगमों ने ककम थ । हरयहय क क को अऩनी आॉखों ऩय पवश्व स नहीॊ हुआ क्मोंकक उनके वही सगे ब ई जो उनकी सेव औय
सुयऺ के मरए ददन-य त तैम य यहते थे, उन्हें कबी अऩने से अरग नहीॊ भ नते थे, उनके स थ ही ज गते औय सोते थे, वही ब ई आज हरयहय
क क के स भने हथथम य रे कय खड़े थे औय उन्हें धभक ते हुए कह यहे थे कक ऽुिी-ऽुिी क गज़ ऩय जह ॉ-
• जह ॉ जरुयत है , वह ॉ-वह ॉ अॉगठे के घनि न रगते ज ओ, नहीॊ तो वे उन्हें भ य कय वहीीँ घय के अॊदय ही ग ड़ दें गे औय ग ॉव के रोगो को इस
फ ये भें कोई सचन बी नहीॊ मभरेगी।
• अगय ऩहरे व री फ त होती तो हरयहय क क डय ज ते। अऻ न की जथथघत भें ही भनुष्म भत्ृ मु से डयते हैं। ऻ न होने के फ द तो आदभी
आवश्मकत ऩड़ने ऩय भत्ृ मु को वयन कयने के मरए तैम य हो ज त है। हरयहय क क ने सोच मरम कक मे सफ एक ही फ य उन्हें भ य दें , वह
ठीक होग ; रेककन अऩनी जभीन मरख कय यभेसय की पवधव की तयह िेर्ष जजॊदगी वे घुट-घुट कय भयें , मह ठीक नहीॊ होग । यभेसय की
पवधव को फहर -पुसर कय उसके दहथसे की ज़भीन यभेसय के ब इमों ने मरखव री। िरू ु भें तो उसक खफ आदय-भ न ककम , रेककन फुढ़ ऩे
भें उसे दोनों जन ख न दे ते उन्हें अखयने रग । अॊत उसकी वह दग ु घा त हुई कक ग ॉव के रोग दे खकय मसहय ज ते। हरयहय क क को रगत है
कक अगय यभेसय की पवधव ने अऩनी जभीन नहीॊ मरखी होती तो अॊत सभम तक रोग उसके ऩ ॉव ऩख यते होते।
30
• वयन - साभना
अखयने - फयु ा रगना
दग ु ति त - फयु ी हारत
ऩखायना - धोना
• कभ नहीॊ...!" रेखक कहत है कक जफ हरयहय क क के ब ई हरयहय क क को धभक यहे थे तो वे बफरकुर नहीॊ
डये , अगय वे हरयहय क क के अऩहयण से ऩहरे उन्हें डय ते तो ि मद वे डय ज ते। क्मोंकक जफ भनुष्म को ऻ न
नहीॊ होत तबी वह भत्ृ मु से डयत है । ऩयन्तु जफ भनष्ु म को ऻ न हो ज त है तफ वह जरूयत ऩड़ने ऩय भत्ृ मु
क स भन कयने के मरए बी तैम य हो ज त है । हरयहय क क ने सोच मरम थ कक उनके ब ई उन्हें एक फ य
ही भ य दें तो सही है , रेककन वे जभीन उनके न भ मरख कय यभेसय की पवधव की तयह अऩनी ऩयी जजॊदगी घुट-
घुट कय नहीॊ भयन च हते, मह उन्हें ठीक नहीॊ रग यह थ । यभेसय की पवधव को अऩनी फ तों भें र कय यभेसय
के ब इमों ने उसकी जभीन अऩने न भ मरखव दी थी। ऩहरे-ऩहरे तो यभेसय की पवधव क फहुत आदय-सम्भ न
होत थ , ऩयन्तु फुढ़ ऩे भें यभेसय के ऩरयव य व रों को उसे दो वक्त क ख न दे न बी फयु रगने रग थ । अॊत
भें तो फेच यी की ह रत इतनी ऽय फ हुई कक ग ॉव के रोग बी उस ऩय तयस कयने रगे थे। हरयहय क क अऩनी
इस तयह की ह रत से अच्छ एक फ य ही भय ज न सही सभझते थे। उन्हें रगत थ कक अगय यभेसय की
पवधव अऩनी जभीन यभेसय के ऩरयव य को नहीॊ मरखती तो अॊत तक सबी उसके ऩ व ॉ धोते अथ ात उसकी सेव
कयते।
• हरयहय क क गुथसे भें खड़े हो गए औय गयजते हुए कह ,"भैं अकेर हॉ ... तुभ सफ इतने हो! ठीक है , भुझे भ य
दो.. भैं भय ज ऊॉग , रेककन जीते-जी एक धय जभीन बी तम् ु हें नहीॊ मरखॉग .....तभु सफ ठ कुयफ यी के भहॊ त-ऩज ु यी
से तघनक बी "दे खते हैं, कैसे नहीॊ मरखोगे? मरखन तो तुम्हें है ही, च हे हॉ स के मरखो म यो के....।"
• हरयहय क क के स थ उनके ब इमों की ह थ ऩ ई िरू ु हो गई। हरयहय क क अफ उस घय से घनकरकय फ हय ग ॉव
भें ब ग ज न च हते थे, रेककन उनके ब इमों ने उन्हें भजफती से ऩकड़ मरम थ । प्रघतक य कयने ऩय अफ वे
प्रह य बी कयने रगे थे। धय - टुकड़
• ततनक - थोडे बी
हाथाऩाई - भायऩीट
प्रततकाय - ववयोध
प्रहाय - हभरा
• जफ हरयहय क क के ब ई हरयहय क क को धभक यहे थे, तफ हरयहय क क गथ ु से भें खड़े होकय फोरे कक वे
अकेरे ही हैं औय उनके ब ई इतने स ये हैं । अगय वे उन्हें भ यन च हते हैं तो भ य दें । हरयहय क क ने स फ़ कह
ददम कक वे भय ज मॉगे ऩयन्तु जीते-जी वे अऩनी जभीन क एक टुकड़ बी उनके न भ नहीॊ मरखें गे, क्मोंकक अफ
हरयहय क क को अऩने ब ई, दे व-थथ न के भहॊ त औय ऩुज यी से थोड़े बी क भ नहीॊ रग यहे थे। हरयहय क क के
ब ई हरयहय क क को धभक यहे थे कक उन्हें अऩनी जभीन ब इमों के न भ मरखनी ही ऩड़ेगी कपय च हे वे हॉ स
• कय मरखे म यो कय।
31
• हरयहय क क के स थ अफ उनके ब इमों की भ यऩीट िरू ु हो गई। हरयहय क क अफ उस घय भें नहीॊ यहन च हते थे , वे उस घय से
फ हय ग ॉव भें ब गन च हते थे ऩयन्तु उनके ब इमों ने उन्हें फहुत भजफती से ऩकड़ कय यख थ । अगय हरयहय क क उनक
पवयोध कयते तो वे हरयहय क क ऩय हभर बी कयने रग गए थे।
• अकेरे हरयहय कई रोगो से जझ सकने भें असभथा थे , परथवरूऩ उन्होंने अऩनी यऺ के मरए खफ ज़ोय-ज़ोय से थचल्र न िरू ु कय
ददम । अफ ब इमों को चेत आम कक भॉह ु तो उन्हें ऩहरे ही फॊद कय दे न च दहए थ । उन्होंने तत्ऺण उन्हें ऩटक उनके भॉह
ु भें
कऩड़ ठॉ स ददम । रेककन ऐस कयने से ऩहरे ही क क की आव ज़ ग ॉव भें ऩहुॉच गई थी। टोर -ऩड़ोस के रोग द र न भें जट ु ने
रगे थे। ठ कुयफ यी के ऩऺधयों के भ ध्मभ से तत्क र मह खफय भहॊ त जी तक बी चरी गई थी। रेककन वह ॉ उऩजथथत हरयहय
क क के ऩरयव य औय रयश्ते-न ते के रोग, ग ॉव के रोगों को सभझ दे ते कक अऩने ऩरयव य क घनजी भ भर है , इससे दसयों को
क्म भतरफ? रेककन भहॊ त जी ने वह तत्ऩयत औय पुयती ददख ई जो क क के ब इमों ने बी नहीॊ ददख ई थी। वह ऩमु रस की
जीऩ के साथ आ धभके।चेत - ध्मान
तत्ऺण - उसी ऩर
तत्कार - उसी सभम
तत्ऩयता - दऺता / तनऩण ू त
ि ा
पुयती – तेजी

• रेखक कहत है कक जफ हरयहय क क अऩने ब इमों क भक ु फर नहीॊ कय ऩ यहे थे, तो उन्होंने ज़ोय-ज़ोय से थचल्र कय अऩनी
भदद के मरए ग ॉव व रों को आव ज रग न िुरू कय ददम । तफ उनके ब इमों को ध्म न आम कक उन्होंने तो हरयहय क क क
भॉह
ु फॊद ही नहीॊ ककम जो उन्हें सफसे ऩहरे कयन च दहए थ । उन्होंने उसी ऩर हरयहय क क को जभीन ऩय ऩटक औय उनके
भॉहु भें कऩड़ ठॉ स ददम । रेककन तफ तक फहुत दे य हो गई थी, हरयहय क क की आव जें फ हय ग ॉव भें ऩहुॉच गई थी। आस-ऩड़ोस
के रोग हरयहय क क के फय भदे भें इकठ्ठे होने रग गए थे। दे व-थथ न के सभथाकों ने उसी सभम वह फ त भहॊ त जी के क नों
तक ऩहुॉच दी। रेककन वह ॉ उऩजथथत हरयहय क क के ऩरयव य औय रयश्ते-न ते के रोग जफ तक ग ॉव व रों को सभझ ते की मह
सफ उनके ऩरयव य क आऩसी भ भर है , वे सबी इससे दय यहें , तफ तक भहॊ त जी फड़ी ही दऺत औय तेज़ी से वह ॉ ऩमु रस की
जीऩ के स थ वह ॉ आ गए। वे वह ॉ इतनी जल्दी ऩहुॊचे थे जजतनी जल्दी हरयहय क क के ब ई, हरयहय क क के अऩहयण के दौय न
बी नहीॊ ऩहुॊचे थे। ऩमु रस आने के फ द घनजी भ भरे क सव र ऽत्भ हो गम । घय-तर िी िरू ु हुई। कपय हरयहय क क को उससे
बी फदतय ह रत भें फय भद ककम गम जजस ह रत भें ठ कुयफ यी से उन्हें फय भद ककम गम थ ।
• फॊधनभक् ु त होने औय ऩमु रस की सयु ऺ ऩ ने के फ द उन्होंने फत म कक उनके ब इमों ने उनके स थ फहुत ज़ल् ु भ-अत्म च य ककम है ,
कक जफयन अनेक क गजों ऩय उनके अॉगठे के घनि न मरए हैं , कक उन्हें खफ भ य -ऩीट है , कक उनकी कोई बी दग ु ाघत फ की नहीॊ
छोड़ी है , कक अगय औय थोड़ी दे य तक ऩमु रस नहीॊ आती तो वह उन्हें ज न से भ य दे ते....।
• हरयहय क क के ऩीठ, भ थे औय ऩ ॉवों ऩय कई जगह ज़ख्भ के घनि न उबय आए थे। वह फहुत घफय ए हुए-से रग यहे थे। क ॉऩ यहे
थे। अच नक थगय कय फेहोि हो गए। भॉह ु ऩय ऩ नी छीॊटकय उन्हें होि भें र म गम । ब ई औय बतीजे तो ऩमु रस आते ही चॊऩत
हो गए थे। ऩमु रस की ऩकड़ भें रयश्ते के दो व्मजक्त आए। रयश्ते के िेर्ष रोग बी फ़य य हो गए थे ....।

• फदतय - अत्मधधक फयु ा


फयाभद - हालसर कयना
़ियाय - बाग जाना
32
• रेखक कहत है कक हरयहय क क के ऩरयव य व रे रोगो को मे कह कय बग यहे थे कक मह उनके घय क आऩसी भ भर है , ऩयन्तु जफ
भहॊत ऩमु रस को रे कय आम तो वह कोई आऩसी भ भर नहीॊ यह गम थ । ऩमु रस ने ऩयु े घय की अच्छे से तर िी रेन िरू ु कय ददम ।
कपय घय के अॊदय से हरयहय क क को इतनी फुयी ह रत भें ह मसर ककम गम जजतनी फुयी ह रत उनकी दे व-थथ न भें बी नहीॊ हुई थी।
• जफ हरयहय क क को फॊधन से खोर गम औय उन्हें रग कक अफ वे ऩमु रस के स थ सयु क्षऺत हैं, तफ उन्होंने फोरन िरू ु ककम कक उनके
ब इमों ने उनके स थ फहुत ही ज्म द फुय व्मवह य ककम है, जफयदथती फहुत से क गजों ऩय उनके अॉगठे के घनि न रे मरए है, उन्हें फहुत
ज्म द भ य -ऩीट है, अफ ऐस कोई बी फुय व्मवह य फ की नहीॊ यह है जो उनके स थ न हुआ हो, हरयहय क क क क कहते कक अगय ऩुमरस
सभम ऩय नहीॊ आती तो ि मद उनके ब ई उन्हें भ य ही ड रते।
• रेखक कहत है कक हरयहय क क की ऩीठ, भ थे औय ऩ ॉवों ऩय कई जगह ज़ख्भ के घनि न आस नी से दे खे ज सकते थे। हरयहय क क फहुत
ही घफय ए हुए रग यहे थे। वे क ॉऩ यहे थे औय फोरते-फोरते अच नक वे फेहोि हो गए। उनके भॉह ु ऩय ऩ नी की छीॊटे ड रकय उन्हें होि भें
र म गम । ऩुमरस के आते ही हरयहय क क के ब ई औय बतीजे सबी ब ग गए थे। ऩुमरस ने हरयहय क क के दो रयश्तेद यों को ऩकड़ थ ।
फ की के रयश्तेद य बी ब ग गए थे।हरयहय क क के स थ घटी घटन ओॊ भें मह अफ तक की सफसे अॊघतभ घटन है। इस घटन के फ द क क
अऩने ऩरयव य से एकदभ अरग यहने रगे हैं। उनकी सुयऺ के मरए य इपरध यी ऩुमरस के च य जव न मभरे हैं। ह र ॉकक इसके मरए उनके
ब इमों औय भहॊत की ओय से क फ़ी प्रम स ककए गए हैं। असर भें ब इमों को थचॊत थी कक हरयहय क क अकेरे यहने रगें गे, तफ ठ कुयफ यी
के भहॊत अऩने रोगों के स थ आकय ऩुन् उन्हें रे ब गें गे। औय मही थचॊत भहॊत जी को बी थी कक हरयहय को अकेर औय असुयक्षऺत ऩ
उनके ब ई ऩुन् उन्हें धय दफोचें गे। इसीमरए जफ हरयहय क क ने अऩनी सुयऺ के मरए ऩुमरस की भ ग ॉ की तफ नेऩथ्म भें यहकय ही उनके
ब इमों औय भहॊत जी ने ऩैयवी रग औय ऩैसे खचा कय उन्हें ऩयी सह मत ऩहुॉच ई। मह उनकी सह मत क ही ऩरयण भ है कक एक व्मजक्त
की सुयऺ के मरए ग ॉव भें ऩमु रस के च य जव न तैन त कय ददए गए हैं।
• ऩुन् - फपय से , धय दफोचना - ऩकड रेना , नेऩथ्म - यॊ ग-भॊच के ऩीछे की जगह , ऩैयवी - खुशाभद / अनुगभन
• रेखक कहत है कक हरयहय क क के स थ अफ तक जजतनी बी घटन ऐॊ घटी मे घटन उनभें से अफ तक की सफसे अॊघतभ घटन थी। इस
घटन के फ द हरयहय क क अऩने ऩरयव य से एकदभ अरग यहने रगे थे। उन्हें उनकी सुयऺ के मरए च य य इपरध यी ऩुमरस के जव न
मभरे थे। आश्चमा की फ त तो मह है कक इसके मरए उनके ब इमों औय भहॊत की ओय से क फ़ी प्रम स ककए गए थे। असर भें ब इमों को
थचॊत थी कक हरयहय क क अकेरे यहने रगें गे, तो दे व-थथ न के भहॊत-ऩज ु यी कपय से हरयहय क क को फहर -पुसर कय रे ज मॉगे औय
जभीन दे व-थथ न के न भ कयव रें गे। औय मही थचॊत भहॊत जी को बी थी कक हरयहय क क को अकेर औय असुयक्षऺत ऩ , उनके ब ई कपय
से उन्हें ऩकड़ कय भ यें गे औय जभीन को अऩने न भ कयव रें गे। इसीमरए जफ हरयहय क क ने अऩनी सयु ऺ के मरए ऩमु रस की भ ॉग की
तफ स भने न आकय हरयहय क क के ब ई औय भहॊत दोनों ने ऩीछे ही यह कय फहुत खुि भद औय ऩैस खचा कय के हरयहय क क की
सुयऺ के मरए सह मत की थी। मह उनकी सह मत क ही ऩरयण भ थ कक एक व्मजक्त की सुयऺ के मरए ग ॉव भें ऩुमरस के च य जव न
तैन त कय ददए गए थे।
• जह ॉ तक भैं सभझत हॉ, कफ़रह र हरयहय क क ऩुमरस की सुयऺ भें यह जरूय यहे हैं, रेककन व थतपवक सुयऺ ठ कुयफ यी औय अऩने ब इमों
की ओय से ही मभर यही है। ठ कुयफ यी के स धु-सॊत औय क क के ब ई इस फ त के प्रघत ऩयी तयह सतका हैं, कक उनभें से कोई म ग ॉव क
कोई अन्म हरयहय क क के स थ ज़ोय-जफयदथती न कयने ऩ ए। स थ ही अऩन सदब व औय भधुय व्मवह य प्रकट कय ऩुन् उनक ध्म न
अऩनी औय खीॊच रेने के मरए दोनों द र प्रमत्निीर हैं।
• वाथतववक - असर भें ,सतकि – सावधान , सदबाव - अच्छा व्मवहाय , प्रमत्नशीर - प्रमास भें रगे यहना
• रेखक कहता है फक उसे रगता है हरयहय काका बरे ही ऩुलरस की सुयऺा भें यह यहे हों, ऩयन्तु असर भें जो सुयऺा
फोध-प्रश्न
• प्रश्न 1 - कथावाचक औय हरयहय काका के फीच तमा सम्फन्ध है औय इसके तमा कायण है ?
• उत्तय - हरयहय क क रे खक को फचऩन से ही फहुत ज्म द प्म य कयते थे। वे रेखक को अऩने कॊधे ऩय फैठ कय घभ
ु म कयते
थे। एक पऩत क अऩने फच्चों के मरए जजतन प्म य होत है , रेखक के अनुस य हरयहय क क क उसके मरए प्म य उससे बी
अथधक थ । जफ रे खक व्मथक हुआ म थोड़ सभझद य हुआ तो उसकी ऩहरी दोथती बी हरयहय क क के स थ ही हुई थी। उससे
ऩहरे हरयहय क क की ग ॉव भें ककसी से इतनी गहयी दोथती नहीॊ हुई थी। रेखक कहत है कक जफ हरयहय क क उसके ऩहरे
दोथत फने तो उसे ऐस रग जैसे हरयहय क क ने बी रेखक से दोथती कयने के मरए इतनी रम्फी उम्र तक इन्तज य ककम हो।
हरयहय क क उससे कबी बी कुछ नहीॊ छुऩ ते थे, वे उससे सफकुछ खर ु कय कह दे ते थे। इस तयह हभ कह सकते हैं कक रे खक
औय हरयहय क क क फहुत ही घघनष्ठ सम्फन्ध थ ।

• प्रश्न 2 - हरयहय काका को भहॊ त औय अऩने बाई एक ही श्रेणी के तमों रगने रगे ?
• उत्तय - कुछ ददनों तक तो हरयहय क क के ऩरयव य व रे हरयहय क क की सबी चीज़ों क अच्छे से ध्म न यखते थे , ऩयन्तु कपय
कुछ ददनों फ द हरयहय क क को कोई ऩछने व र नहीॊ थ । हरयहय क क के स भने जो कुछ फच ज त थ वही ऩयोस ज त थ ।
कबी-कबी तो हरयहय क क को बफन तेर-घी के ही रूख -सख ख न ख कय प्रसन्न यहन ऩड़त थ । अगय कबी हरयहय क क के
ियीय की जथथघत म भन की जथथघत ठीक नहीॊ होती तो हरयहय क क ऩय भस ु ीफतों क ऩह ड़ ही थगय ज त । क्मोंकक इतने फड़े
ऩरयव य के यहते हुए बी हरयहय क क को कोई ऩ नी बी नहीॊ ऩछत थ । फ य भदे के कभये भें ऩड़े हुए हरयहय क क को अगय
ककसी चीज़ की जरुयत होती तो उन्हें खद ु ही उठन ऩड़त ।
भहॊ त हरयहय क क को सभझ त थ कक उनके दहथसे भें जजतने खेत हैं वे उनको बगव न के न भ मरख दें । ऐस कयने से उन्हें
सीधे थवगा की प्र जप्त होगी। तीनों रोकों भें उनकी प्रमसपद्ध क ही गुणग न होग । जफ तक इस दघु नम भें च ॉद -सयज यहें गे, तफ
तक रोग उन्हें म द ककम कयें गे। स धु-सॊत बी उनके ऩ ॉव धोएॊगें। भहॊ त हरयहय क क से कहत थ कक उनके दहथसे भें जो ऩॊद्रह
फीघे खेत हैं। उसी के क यण उनके ब इमों क ऩरयव य उनसे जड़ ु हुआ है । ककसी ददन अगय हरयहय क क मह कह दें कक वे अऩने
खेत ककसी औय के न भ मरख यहे हैं तो वे रोग तो उनसे फ त कयन बी फॊद कय दें गें। खन के रयश्ते ऽत्भ हो ज मेंगे।
असर भें हरयहय क क को सभझ आ गम थ की दोनों ही उनसे उनकी जभीन के मरए अच्छ व्मवह य कयते हैं , नहीॊ तो कोई
उन्हें ऩछत तक नहीॊ। इसीमरए हरयहय क क को भहॊ त औय अऩने ब ई एक ही श्रेणी के रगने रगे थे।

• प्रश्न 3 - ठाकुयफायी के प्रतत गाॉव वारों के भन भें अऩाय श्रिा के जो बाव हैं उससे उनकी फकस भनोवतृ त का ऩता चरता है ?
• उत्तय - ग ॉव के रोगों को बोर औय अॊधपवश्व सी भनोवघृ त क भ न ज त है क्मोंकक ग ॉव के ज्म द तय रोगों क पवश्व स मह
फन होत है कक अगय उनकी पसर अच्छी हुई है तो उसे वे अऩनी भेहनत नहीॊ फजल्क बगव न की कृऩ भ नते हैं। ककसी की
भ़ ु दभे भें जीत होती है तो उसक श्रेम बी बगव न को ददम ज त है । रड़की की ि दी अगय जल्दी तम हो ज ती है तो बी
भ न ज त है कक बगव न से भन्नत भ ॉगने के क यण ऐस हुआ है । अऩनी ऽि ु ी से ग ॉव के रोग बगव न को फहुत कुछ द न भें
दे ते हैं, कुछ तो अऩने खेत क छोट -स ब ग बगव न के न भ कय दे ते हैं। इसी फ त क प मद भहॊ त-ऩज ु यी औय स धु-सॊत रोग
उठ ते हैं जो ठ कुयफ यी के न भ ऩय औय बगव न को बोग रग ने के न भ ऩय ददन के दोनों सभम हरव -ऩड़ी फनव ते हैं औय
आय भ से ऩड़े यहते हैं। स य क भ वह ॉ आए रोगो से सेव कयने के न भ ऩय कयव ते हैं। रोग ठ कुय फ यी को ऩपवत्र, घनष्करॊक
औय ऻ न क प्रघतक भ नते हैं।

फोध-प्रश्न
• प्रश्न 4 - अनऩढ़ होते हुए बी हरयहय काका दतु नमा की फेहतय सभझ यखते हैं ? कहानी
के आधाय ऩय थऩष्ट कीस्जए।
• उत्तय - जफ हरयहय क क के ब इमों ने हरयहय क क को उनके दहथसे की जभीन
को उनके न भ मरखव ने के मरए कह , तो हरयहय क क फहुत सोचने के फ द अॊत भें
इस ऩरयण भ ऩय ऩहुॊचे कक अऩने जीते-जी अऩनी ज मद द क थव भी ककसी औय को
फन न ठीक नहीॊ होग । कपय च हे वह अऩन ब ई हो म भॊददय क भहॊ त। हरयहय
क क को अऩने ग ॉव औय इर के के वे कुछ रोग म द आए, जजन्होंने अऩनी जजॊदगी
भें ही अऩनी ज मद द को अऩने रयश्तेद यों म ककसी औय के न भ मरखव ददम थ ।
उनक जीवन फ द भें ककसी कुत्ते की तयह हो गम थ , उन्हें कोई ऩछने व र बी
नहीॊ थ । हरयहय क क बफरकुर बी ऩढ़े -मरखे नहीॊ थे, ऩयन्तु उन्हें अऩने जीवन भें
एकदभ हुए फदर व को सभझने भें कोई गरती नहीॊ हुई औय उन्होंने पैसर कय
मरम कक वे जीते-जी ककसी को बी अऩनी जभीन नहीॊ मरखेंगे। इससे ऩत चरत है
कक अनऩढ़ होते हुए बी हरयहय क क दघु नम की फेहतय सभझ यखते थे।

• प्रश्न 5 - हरयहय काका को जफयन उठा रे जाने वारे कौन थे? उन्होंने उनके साथ
कैसा फतािव फकमा?
• उत्तय - हरयहय क क को जफयन उठ रे ज ने व रे भहॊ त के आदभी थे। उन्होंने
ठ कुयफ यी के एक कभये भें हरयहय क क को ह थ औय ऩ ॉव फ ॉध कय यख थ औय
स थ ही स थ उनके भॉुह भें कऩड़ ठॉ स गम थ त कक वे आव ज़ न कय सकें। वे
रोग क क को उस कभये भें इस तयह फ ॉध कय कही गप्ु त दयव ज़े से ब ग गए थे
औय उन्होंने कुछ ख री औय कुछ मरखे हुए क गजों ऩय हरयहय क क के अॉगठे के
घनि न जफयदथती रे मरए थे। ऩयन्तु हरयहय क क दयव ज़े तक रुढ़कते हुए आ गए
थे औय दयव ज़े ऩय अऩने ऩैयों से धक्क रग यहे थे त कक फ हय खड़े उनके ब ई
औय ऩमु रस उन्हें फच सकें।
फोध-प्रश्न
• प्रश्न 6 - हरयहय क क के भ भरे भें ग ॉव व रों की क्म य म थी औय उसके क्म क यण थे?

• उत्तय - कह नी के आध य ऩय ग ॉव के रोगों को न तो भहॊ त जी ने कुछ फत म थ औय न ही हरयहय क क के ब इमों


ने कुछ फत म थ । उसके फ द बी ग ॉव के रोग सच्च ई से खुद ही ऩरयथचत हो गए थे।ग ॉव के रोग ज नते थे कक
हरयहय क क के ऩरयव य व रे हरयहय क क क ध्म न नहीॊ यखते औय इसी वजह से भहॊ त जी हरयहय क क को सुख-
सभपृ द्ध क र रच दे कय जभीन ठ कुयफ यी के न भ कयव न च हते थे। मही क यण थ कक ग ॉव व रे दो वगों भें फ ॉट
गए थे। कपय तो ग ॉव के रोग जफ बी कहीॊ फैठते तो फ तों क ऐस मसरमसर चरत जजसक कोई अॊत नहीॊ थ । हय
जगह फस उन्हीॊ की फ तें होती थी। कुछ रोग कहते कक हरयहय क क को अऩनी जभीन बगव न के न भ मरख दे नी
च दहए। इससे उत्तभ औय अच्छ कुछ नहीॊ हो सकत । इससे हरयहय क क को कबी न ऽत्भ होने व री प्रमसपद्ध प्र प्त
होगी। इसके पवऩयीत कुछ रोगों की मह य म थी कक ब ई क ऩरयव य बी तो अऩन ही ऩरयव य होत है । अऩनी ज मद द
उन्हें न दे न उनके स थ अन्म म कयन होग । खन के रयश्ते के फीच दीव य फन सकती है ।

• प्रश्न 7 - कह नी के आध य ऩय थऩष्ट कीजजए कक रेखक ने मह क्मों कह , "अऻ न की जथथघत भें ही भनष्ु म भत्ृ मु से
डयते हैं। ऻ न होने के फ द तो आदभी आवश्मकत ऩड़ने ऩय भत्ृ मु को वयन कयने के मरए तैम य हो ज त है ।“

• उत्तय - जफ हरयहय क क के ब ई हरयहय क क को धभक यहे थे तो वे बफरकुर नहीॊ डये , अगय वे हरयहय क क के
अऩहयण से ऩहरे उन्हें डय ते तो ि मद वे डय ज ते। हरयहय क क सभझ गए थे कक जफ भनुष्म को ऻ न नहीॊ होत
तबी वह भत्ृ मु से डयत है । ऩयन्तु जफ भनुष्म को ऻ न हो ज त है तफ वह जरूयत ऩड़ने ऩय भत्ृ मु क स भन कयने के
मरए बी तैम य हो ज त है । हरयहय क क ने सोच मरम थ कक उनके ब ई उन्हें एक फ य ही भ य दें तो सही है , रेककन
वे जभीन उनके न भ मरख कय अऩनी ऩयी जजॊदगी घट ु -घट
ु कय नहीॊ भयन च हते, मह उन्हें ठीक नहीॊ रग यह थ ।
हरयहय क क को अऩने ग ॉव औय इर के के वे कुछ रोग म द आए, जजन्होंने अऩनी जजॊदगी भें ही अऩनी ज मद द को
अऩने रयश्तेद यों म ककसी औय के न भ मरखव ददम थ । ऩहरे -ऩहरे तो रयश्तेद य फहुत आदय-सम्भ न कयते हैं, ऩयन्तु
फुढ़ ऩे भें ऩरयव य व रों को दो वक्त क ख न दे न बी फुय रगने रग त है । फ द भें उनक जीवन ककसी कुत्ते के
जीवन की तयह हो ज त है , उन्हें कोई ऩछने व र बी नहीॊ होत । हरयहय क क अऩनी इस तयह की ह रत से अच्छ
एक फ य ही भय ज न सही सभझते थे।

फोध-प्रश्न
• प्रश्न 8 - सभाज भें रयश्तों की तमा अहलभमत है ? इस ववषम ऩय अऩने ववचाय प्रकट कीस्जए।
• उत्तय - सभ ज भें सख ु ी जीवन जीने के मरए रयश्तों-न तों क फहुत अथधक भहत्त्व है । ऩयन्तु
आज के सभ ज भें सबी भ नवीम औय ऩ रयव रयक भल्मों औय कताव्मों को ऩीछे छोड़ते ज यहे
हैं। आज क व्मजक्त थव थी भनोवघृ त क हो गम है । वह केवर अऩने भतरफ के मरए ही
रोगों से मभरत है । वह अऩने अभीय रयश्तेद यों से योज मभरन च हत है ऩयन्तु अऩने गयीफ
रयश्तेद यों से कोसों दय ब गत है । ज्म द तय रोग केवर थव था के मरए ही रयश्ते घनब ते हैं।
योज अखफ यों औय ऽफयों भें सुनने को मभरत है कक ज मद द के मरए रोग अऩनों की हत्म
कयने से बी नहीॊ खझझकते।

• प्रश्न 9 - महद आऩके ऩास हरयहय काका जैसी हारत भें कोई हो तो आऩ उसकी फकस तयह
भदद कयें गे?
• उत्तय - मदद हभ ये आस-ऩ स हरयहय क क जैसी ह रत भें कोई व्मजक्त होग तो हभ उसकी
भदद कयने की ऩयी कोमिि कयें ग।े आज कर फहुत सी थवमॊसेवी सॊथथ एॉ हैं जो इस तयह से
ऩीडड़त व्मजक्तमों की भदद कयती हैं, हभ उनसे भदद रेंगे। उस व्मजक्त से खदु बी फ त कयें गे
औय क यण क ऩत कयने की कोमिि कयें गे। हभ उस व्मजक्त को ऽि ु ी से अऩनी फ की
जजॊदगी गुज यने के मरए प्रेरयत कयें गे औय अगय सॊबव हो तो उसके ऩरयव य व रो से बी फ त
कयके उनके बफगड़े हुए रयश्तों को सध ु यने क प्रम स कयें गे।

• प्रश्न 10 - हरयहय काका के गाॉव भें महद लभडडमा की ऩहुॉच होती तो उनकी तमा स्थथतत होती?
अऩने शब्दों भें लरझखए।
• उत्तय - हरयहय क क के ग व ॉ भें मदद मभडडम की ऩहुॉच होती तो ि मद उनकी इतनी खय फ
ह रत नहीॊ होती। सफकी ऩोर खर ु ज ती, मभडडम हरयहय क क के स थ हुए अत्म च यों को
सबी के स भने र ती। वे रोग जो फेसह य फज ु ग
ु ों ऩय अत्म च य कयते हैं, उनकी सम्ऩघत को
हड़ऩने के मरए ककसी बी हद तक चरे ज ते हैं औय मह ॉ तक की उन्हें दो वक्त क ख न बी
नहीॊ दे ते, उन रोगो को स भने र कय मभडडम उन्हें स ज ददरव ने के मरए सफतों को इकठ्ठ
कय सकत है औय मही होत अगय हरयहय क क के ग ॉव भें मभडडम की ऩहुॉच होती।तनदे श –
Extra-questions
• सबी प्रश्न अतनवामि है ।
• प्रश्न 1 से 3 एक अॊक के है ।
• प्रश्न 4 से 8 दो अॊक के है ।
• प्रश्न 9 से 10 ऩाॊच अॊक के है ।

• 1.हरयहय क क कौन हैं?


• 2.ग ॉव भें ठ कुयफ यी की थथ ऩन ककसने की थी?
• 3.‘हरयहय क क कह नी मरखने क भर उद्देश्म क्म है ?
• 4.थव था के मरए रोग क्म -क्म कयते हैं?
• 5.वत्ताभ न सभम भें हरयहय क क जैसे रोगों को दे खते हुए मवु ऩीढ़ी क क्म कताव्म होन च दहए?
वत्ताभ न सभम भें हरयहय क क जैसे रोगों को दे खते हुए मवु ऩीढ़ी क क्म कताव्म होन च दहए?
• 6.क्म हरयहय क क एक िोपर्षत वगा के प्रघतघनथध के रूऩ भें नज़य आते हैं?
• 7.हरयहय क क को जफयन उठकय रे ज ने व रों ने उनके स थ कैस व्मवह य ककम ?
• 8.रेखक की ठ कुयफ यी के पवर्षम भें क य म है ?
• 9.हरयहय क क के भ भरे भें ग ॉव व रों की क्म य म थी औय उसके क्म क यण थे?
• 10.मदद आऩके आसऩ स हरयहय क क जैसी ह रत भें कोई हो तो आऩ उसकी भदद कैसे कयें गे?

• उत्तय .......
• 1.हरयहय क क रेखक मभथथरेश्वेय के ऩड़ोसी तथ इस कथ के न मक हैं |
• 2.ग ॉव भें ऐस भ न ज त थ कक कहीॊ से कोई स धु आए औय एक झोंऩड़ी फन कय वहीॊ ऩज -ऩ ठ कयने
रगे |सभम के स थ-स थ मह थथ न ठ कुयफ यी के रूऩ भें पवख्म त हो गम |
• 3.‘हरयहय क क ‘ न भक कह नी मरखने क भर उद्देश्म है | सगे औय ऩय ए रोगों से स वध न कयन तथ
सभ ज क चेहय ददख न |
Extra-questions(ans)
• 4.थव था के मरए रोग कुछ बी कयने के मरए तैम य हैं |मह ॉ तक के मरए ध मभाक औय स भ जजक सॊथथ एॉ,जो
रोगों के कल्म ण की फ तें कयतीॊ हैं,वे बी इससे अछती नहीॊ हैं|
• 5.मुव ऩीढ़ी क कताव्म है कक वह भन रग कय मथ सॊबव ऐसे व्मजक्तमों की सह मत कये |वद्ध ृ ों को उथचत
दे खब र तथ प्रेभ बये अऩनेऩन की जरुयत है |उन्हें भ न-सम्भ न दे न तथ मथोथचत सेव कयन मुव ऩीढ़ी क
ऩयभ कताव्म होन च दहए |(
• 6.हरयहय क क के ऩ स ज़भीॊ-ज मद द है कपय बी वे िोपर्षत वगा के प्रघतघनथध के रूऩ भें नज़य आते हैं| उनके
सगे ब इमों के ऩरयव य औय स भ जजक व्मवथथ ने अऩन थव था स धने के मरमे उन्हें िोर्षण क मिक य एवॊ
खखन्न भनोवजृ त्त व र फन ददम है |

• 7.भहॊ त के आदमभमों ने हरयहय क क को कई फ य ज़भीन ज मद द ठ कुयफ यी के न भ कय दे ने को कह । भॊहत


ने अऩने चेरे स धुसत ॊ ो के स थ मभरकय उनके ह थ ऩैय फ धॊ ददए, भुॉह भें कऩड़ ठॉ स ददम औय जफयदथती अॉगठे
के घनि न मरए, उन्हें एक कभये भें फॊद कय ददम । जफ ऩुमरस आई तो थवमॊ गप्ु त दयव ज़े से ब ग गए
• रेखक की य म ठ कुयफ यी के फ ये भें फहुत अच्छी नहीॊ है | उसके पवच य भें मह ॉ यहने व रे स ध-ु सॊत कुछ कयते
नहीॊ हैं | ह ॉ ठ कुयजी को बोग रग ने के न भ ऩय अच्छ -अच्छ बोजन कयते हैं| सके अघतरयक्त वे रोगों को
अऩनी फ तों से भखा फन ते हैं |

• कह नी के आध य ऩय ग ॉव के रोगों को बफन फत ए ऩत चर गम कक हरयहय क क को उनके ब ई नहीॊ ऩछते।


इसमरए सख ु आय भ क प्ररोबन दे कय भहॊ त उन्हें अऩने स थ रे गम । ब ई भन्नत कयके क क को व ऩस रे
आते हैं । इस तयह ग ॉव के रोग दो ऩऺों भें फॉट गए कुछ रोग भहॊ त की तयफ़ थे जो च हते थे कक क क अऩनी
ज़भीन धभा के न भ ऩय ठ कुयफ यी को दे दें त कक उन्हें सुख आय भ मभरे, भत्ृ मु के फ द भोऺ,मि मभरे। भहॊ त
ऻ नी है वह सफ कुछ ज नत है रेककन दसये ऩऺ के रोग कहते कक ज़भीन ऩरयव य व रों को दी ज ए। उनक
कहन थ इससे उनके ऩरयव य क ऩेट बये ग । भॊददय को ज़भीन दे न अन्म म होग । इस तयह दोनों ऩऺ अऩने -
अऩने दहस फ से सोच यहे थे, ऩयन्तु हरयहय क क के फ ये भें कोई नहीॊ सोच यह थ । इन फ तों क एक क यण
मह बी थ कक क क पवधयु थे औय उनके कोई सॊत न बी नहीॊ थी। ऩॊद्रह फीघे ज़भीन के मरए इनक र रच
थव ब पवक थ ।

• मदद हभ ये आसऩ स हरयहय क क जैसी ह रत भें कोई हो तो हभ उसकी ऩयी तयह भदद कयने की कोमिि
कयें गे। उनसे मभरकय उनके दखु क क यण ऩत कयें गे, उन्हें अहस स ददर एॉगे कक वे अकेरे नहीॊ हैं । सफसे ऩहरे
तो मह पवश्व स कय एॉगे कक सबी व्मजक्त र रची नहीॊ होते हैं । इस तयह भौन यह कय दसयों को भौक न दें
फजल्क उल्र स से िेर्ष जीवन बफत एॉ। रयश्तेद यों से मभरकय उनके सॊफॊध सध
ु यने क प्रमत्न कयें गे। थवमॊसेवी
सॊथथ से मभरकय बी उनकी सभथम को सुरझ ने क प्रम स कयें गें। (छ त्रों क भत थवीक मा )
ऩरयमोजना कामि

• ठ कुयव यी जैसी ध मभाक सॊथथ एॉ सभ ज के


मरए कल्म णक यी हैं |इससे आऩ सहभत हैं
म नहीॊ तका सदहत उत्तय दीजजए |

• धन्मवाद .........

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