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डिजीभारतम ्
मूऱ-पाठ :- अद्म संऩर्
ू वण िश्िे “डडजजटरइजडडमा” इत्मस्म चचाण श्रम
ू ते। अस्म ऩदस्म क् बाि् इतत भनसस
जजऻासा उत्ऩद्मते। कारऩरयितणनेन सह भानिस्म आिश्मकताऽवऩ ऩरयितणते। प्राचीनकारे ऻानस्म आदान-प्रदानं
भौखिकभ ् आसीत ्, विद्मा च श्रतु तऩयम्ऩयमा गह्
ृ मते स्भ। अनन्तयं तारऩत्रोऩरय बोजऩत्रोऩरय च रेिनकामणभ ्
आयब्धभ ्। ऩयिततणतन कारे कगणदस्म रेिन्मा् च आविष्काये र् सिेषाभेि भनोगतानां बािानां कगणदोऩरय रेिनं
प्रायब्धभ ्। टं कर्मंत्रस्म आविष्काये र् तु सरखित- साभग्री टं ककता सती फहुकाराम सुयक्षऺता अततष्ठत ्।
सरऱार्थ :- आज साये संसाय भें ‘डडजजटर इजडडमा’ की चचाण सुनी जाती है। इस शब्द का क्मा बाि है,
मह (ऐसी) भन भें जजऻासा ऩैदा होती है। सभम के फदरने के साथ भनुष्म की आिश्मकता बी फदरती है।
प्राचीन कार भें ऻान का आदान-प्रदान भौखिक था औय विद्मा श्रुतत ऩयम्ऩया (सुनने की ऩयं ऩया) से ग्रहर् की
जाती थी। फाद भें ताड़(तार) के ऩत्ते के ऊऩय औय बोज के ऩत्ते के ऊऩय रेिन-कामण प्रायं ब हुआ। फाद के सभम
भें कागज़ औय करभ के आविष्काय(प्रचरन) से सबी के ही भन भें जस्थत बािों का कागज़ के ऊऩय सरिना
प्रायम्ब हुआ। टाइऩ की भशीन के आविष्काय(शुरूआत) से तो सरिी हुई साभग्री टाइऩ की हुई होने से फहुत
सभम के सरए सुयक्षऺत यही।
मूऱ-पाठ :- िैऻातनकप्रविधे् प्रगततमात्रा ऩन
ु यवऩ अग्रे गता। अद्म सिाणखर् कामाणखर् संगर्कनाभकेन
मंत्रर्
े साधधतातन बिजन्त। सभाचाय-ऩत्राखर् ऩस्
ु तकातन च कम््मट
ू यभाध्मभेन ऩठ्मन्ते सरख्मन्ते च। कगणदोद्मोगे
िऺ
ृ ार्ाभ ् उऩमोगेन िऺ
ृ ा् कत्मणन्ते स्भ, ऩयभ ् संगर्कस्म अधधकाधधक-प्रमोगेर् िऺ
ृ ार्ां कतणने न्मन
ू ता बविष्मतत
इतत विश्िास्। अनेन ऩमाणियर्सयु ऺामा् ददसश भहान ् उऩकाय: बविष्मतत।
सरऱार्थ :- िैऻातनक(विऻान सम्फन्धी) तकनीक की उन्नतत की मात्रा आगे गई। आज साये काभ
कम््मट
ू य नाभक मन्त्र से ससद्ध होते हैं। सभाचाय-ऩत्र(अिफाय) औय ऩस्
ु तकें कम््मट
ू य के भाध्मभ से ऩढी औय
सरिी जाती हैं। कागज़ के उद्मोग(कायोफाय) भें िऺ
ृ ों के उऩमोग के कायर् िऺ
ृ काटे जाते थे, ऩयन्तु कम््मूटय
के अधधक से अधधक प्रमोग से िऺ
ृ ों की कटाई भें कभी होगी(आएगी), ऐसा विश्िास है । इससे ऩमाणियर् की
सुयऺा की ददशा भें भहान उऩकाय होगा।
मूऱ-पाठ :- अधन
ु ा आऩर्े िस्तक्र
ु माथणभ ् रू्मकार्ाभ ् अतनिामणता नाजस्त। “डेबफट काडण, क्रेडडट काडण”
इत्मादद सिणत्र रू्मकार्ां स्थानं गह
ृ ीतिन्तौ। वित्तकोशस्म चावऩ सिाणखर् कामाणखर् संगर्कमंत्रर्
े सम्ऩाद्मन्ते।
फहुविधा् अनप्र
ु मोगा् भद्र
ु ाहीनाम वितनभमाम सहामका् सजन्त।
सरऱार्थ :- अफ फाज़ाय भें िस्तुओं(चीज़ों) को ियीदने के सरए रुऩमों की अतनिामणता (आिश्मकता) नहीं
है । ‘डेबफट काडण’, ‘क्रेडडट काडण’ आदद ने सिणत्र रुऩमों की जगह रे री है । औय फैंक के बी साये काभ कम््मट
ू य
से होते हैं। फहुत प्रकाय के अनुप्रमोग रुऩमे-ऩैसों के बफना व्माऩाय के सरए सहामक हैं।
मूऱ-पाठ :- कुत्रावऩ मात्रा कयर्ीमा बिेत ् ये रमानमात्राऩत्रस्म, िामुमानमात्राऩत्रस्म अतनिामणता अद्म
नाजस्त। सिाणखर् ऩत्राखर् अस्भाकं चरदयू बाषमन्त्रे ‘ई-भेर’ इतत स्थाने सुयक्षऺतातन बिजन्त मातन सन्दमण िमं
सौकमेर् मात्रामा् आनन्दं गह्ृ र्ीभ्। धचककत्सारमेऽवऩ उऩचायाथं रू्मकार्ाभ ् आिश्मकताद्म नानुबम
ू ते। सिणत्र
काडणभाध्मभेन, ई-फैंकभाध्मभेन शल्
ु कभ ् प्रदातुं शक्मते।
सरऱार्थ :- कहीं बी मात्रा कयनी हो, आज ये र दटकट की, हिाई जहाज़ के दटकट की ज़रूयत अतनिामण
रूऩ से नहीं है । सबी दटकट हभाये भोफाइर भें ‘ई-भेर’ के रूऩ भें सुयक्षऺत होते हैं, जजनको ददिाकय हभ आयाभ
से मात्रा का आनन्द रेते हैं। अस्ऩतार भें बी इराज के सरए रुऩमों की ज़रूयत आज अनुबि नहीं होती है ।
सफ जगह काडण के द्िाया, ई-फैंक के द्िाया शल्
ु क (पीस) को ददमा जा सकता है।
मूऱ-पाठ :- तद्ददनं नाततदयू भ ् मदा िमभ ् हस्ते एकभात्रं चरदयू बाषमन्त्रभादाम सिाणखर् कामाणखर्
साधतमतुं सभथाण् बविष्माभ्। िस्त्रऩुटके रू्मकार्ाभ ् आिश्मकता न बविष्मतत। ‘ऩासफुक’ चैकफक
ु ’ इत्मनमो्
आिश्मकता न बविष्मतत। ऩठनाथं ऩस्
ु तकानां सभाचायऩत्रार्ाभ ् अतनिामणता सभा्तप्रामा बविष्मतत। रेिनाथणभ ्
अभ्मासऩुजस्तकामा् कगणदस्म िा, नूतनऻानान्िेषर्ाथणभ ् शब्दकोशस्मिाऽवऩ आिश्मकतावऩ न बविष्मतत।
अऩरयधचत-भागणस्म ऻानाथणभ ् भागणदशणकस्म भानधचत्रस्म आिश्मकतामा् अनब
ु तू त् अवऩ न बविष्मतत। एतत ् सिं
एकेनैि मन्त्रेर् कतभ
ुण ्, शक्मते। शाकाददक्रमाथणभ ्, परक्रमाथणभ ्, विश्राभगह
ृ े षु कऺं सतु नजश्चतं कतभ
ुण ् धचककत्सारमे
शल्
ु क प्रदातभ
ु ्, विद्मारमे भहाविद्मारमे चावऩ शल्
ु क प्रदातभ
ु ्, फहुना दानभवऩ दातभ
ु ् चरदयू बाषमन्त्रभेि अरभ ्।
डडजीबायतभ ् इतत अस्मां ददसश िमं बायतीमा् द्रत
ु गत्मा अग्रेसयाभ्।
सरऱार्थ : िह ददन फहुत दयू नहीं है जफ हभ हाथ भें केिर एक भोफाइर फोन रेकय साये काभ कयने
भें सभथण होंगे। जेफ भें रुऩमों की ज़रूयत नहीं होगी। ‘ऩास फक
ु औय चेक फक
ु ’ इन दोनों की बी ज़रूयत नहीं
होगी। ऩढने के सरए ऩस्
ु तकों औय अिफायों की अतनिामणता (तनजश्चतता) रगबग सभा्त हो जाएगी। सरिने के
सरए अभ्मास ऩुजस्तका (कॉऩी) अथिा कागज़ की, नए ऻान की िोज के सरए शब्दकोष की बी आिश्मकता
नहीं होगी। अऩरयधचत भागण के ऻान के सरए भागणदशणक की, भानधचत्र (नक्शे) की आिश्मकता की अनुबतू त बी
नहीं होगी। मह सफ एक ही मंत्र (भशीन) से ककमा जा सकता है । सजब्जमों आदद की ियीददायी के सरए, परों
की ियीददायी के सरए, गेस्ट हाउस (होटर) भें कभये की फुककं ग के सरए, अस्ऩतार भें पीस दे ने के सरए,
विद्मारम औय भहाविद्मारम भें बी पीस दे ने के सरए, फहुत कहने से क्मा दान बी दे ने के सरए भोफाइर
फोन की भशीन ही कापी है।डडजीटर बायत (डडजीटर इजडडमा) इस ददशा भें हभ बायतीम तेजी से आगे फढ
यहे हैं।

पाठान्त-अभ्यास:
प्रश्न:1.अधोसरखितानां प्रश्नानाभ ् उत्तयाखर् एकऩदे न सरित-(तनम्नसरखित प्रश्नों के उत्तय एक ऩद भें सरखिए-)
(क) कुत्र “डडजजटर इजडडमा” इत्मस्म चचाण बितत?
(ि) केन सह भानिस्म आिश्मकता ऩरयितणते?
(ग) आऩर्े िस्तन
ू ां क्रमसभमे केषाभ ् अतनिामणता न बविष्मतत?
(घ) कजस्भन ् उद्मोगे िऺ
ृ ा् उऩमज्
ू मन्ते?
(ङ) अद्म सिाणखर् कामाणखर् केन साधधतातन बिजन्त?
उत्तयभ ्:
(क) संऩूर्वण िश्िे, (ि) कारऩरयितणनेन, (ग) रू्मकार्ाभ ्, (घ) कगणदोद्मोगे, (ङ) चरदयू बाषमन्त्रेर्।
प्रश्न् 2. अधोसरखितान ् प्रश्नान ् ऩूर्ि
ण ाक्मेन उत्तयत-(तनम्नसरखित प्रश्नों के उत्तय ऩूर्ण िाक्म भें दीजजए-)
(क) प्राचीनकारे विद्मा कथं गह्
ृ मते स्भ?
(ि) िऺ
ृ ार्ां कतणनं कथं न्मन
ू तां मास्मतत?
(ग) धचककत्सारमे कस्म आिश्मकता अद्म नानुबम
ू ते?
(घ) िमभ ् कस्मां ददसश अग्रेसयाभ्?
(ङ) िस्त्रऩट
ु के केषाभ ् आिश्मकता न बविष्मतत?
उत्तयभ ्:
(क) प्राचीनकारे विद्मा श्रतु तऩयम्ऩयमा गह्
ृ मते स्भ।
(ि) िऺ
ृ ार्ां कतणनं संगर्कस्म अधधकाधधक-प्रमोगेर् न्मन
ू ता मास्मतत।
(ग) धचककत्सारमे रू्मकार्ाभ ्/रू्मकस्म आिश्मकता अद्म नानब
ु म
ू ते।
(घ) िमभ ् डडजीबायतभ ् इतत ददसश अग्रसयाभ:।।
(ङ) िस्त्रऩट
ु के रू्मकार्ाभ ् आिश्मकता न बविष्मतत।
प्रश्न् 3. ये िांककतऩदान्मधधकृत्म प्रश्नतनभाणर्ं कुरुत-(ये िांककत ऩदों के आधाय ऩय प्रश्न-तनभाणर् कीजजए-)
(क) बोजऩत्रोऩरय रेिनभ ् आयब्धभ ्।
(ि) रेिनाथणभ ् कगणदस्म आिश्मकतामा् अनुबूतत् न बविष्मतत।
(ग) विश्राभगह
ृ े षु कऺं सतु नजश्चतं बिेत ्।
(घ) सिाणखर् ऩत्राखर् चरदयू बाषमन्त्रे सुयक्षऺतातन बिजन्त।
(ङ) िमभ ् उऩचायाथणभ ् धचककत्सारमं गच्छाभ्?
उत्तयभ ्:
(क) बोजऩत्रोऩरय ककभ ् आयब्धभ ्?
(ि) रेिनाथणभ ् कस्म आिश्मकतामा् अनुबतू त् न बविष्मतत?
(ग) कुत्र/केषु कऺं सतु नजश्चतं बिेत ्?
(घ) सिाणखर् ऩत्राखर् कजस्भन ् सुयक्षऺतातन बिजन्त?
(ङ) िमभ ् ककभथणभ ् धचककत्सारमं गच्छाभ:?
प्रश्न् 4. उदाहयर्भनस
ु त्ृ म विशेषर् विशेष्मभेरनं कुरुत-(उदाहयर् के अनस
ु ाय विशेषर् एिं विशेष्म का सभरान
कीजजए-)
उत्तयभ ्:
(क) – (1), (ि) – (3), (ग) – (5), (घ) – (2), (ङ) – (4)
प्रश्न् 5.
अधोसरखितऩदमो् संजन्धं कृत्िा सरित-(तनम्नसरखित ऩदों की संधध कयके सरखिए-)
(क) ऩदस्म + अस्म = …………………
(ि) तारऩत्र + उऩरय = …………………
(ग) च + अततष्ठत = …………………
(घ) कगणद + उद्मोगे = …………………
(ङ) क्रम + अथणभ ् = …………………
(च) इतत + अनमो् = …………………
(छ) उऩचाय + अथणभ ् = …………………
उत्तयभ ्:
(क) ऩदस्मास्म, (ि) तारऩत्रोऩरय, (ग) चाततष्ठत, (घ) कगणदोद्मोगे,
(ङ) क्रमाथणभ ्, (च) इत्मनमो्, (छ) उऩचायाथणभ ्।।
प्रश्न् 6.उदाहयर्भनुसत्ृ म अधोसरखितेन ऩदे न रघु िाक्म तनभाणर्ं कुरुत-(उदाहयर् के अनुसाय तनम्नसरखित ऩदों
से रघु िाक्मों का तनभाणर् कीजजए-)
मथा- जजऻासा – भभ भनसस िैऻातनकानां विषमे जजऻासा अजस्त।
(क) आिश्मकता – ………………………………………………
(ि) साभग्री – ………………………………………………
(ग) ऩमाणियर् सुयऺा – ………………………………………………
(घ) विश्राभगह
ृ भ ् – ………………………………………………
उत्तयभ ्:
(क) अद्म तु रेिनाथं कगणदस्म आिश्मकता नाजस्त।
(ि) टं ककता साभग्री अधन
ु ा न्मन
ू ा एिं प्रा्मते।
(ग) िऺ
ृ भ्
े म् ऩमाणियर् सुयऺा बितत।
(घ) जना् तीथेषु विश्राभगह
ृ भ ् अन्िेषमजन्त।
प्रश्न् 7.उदाहयर्ानुसायभ ् कोष्ठकप्रदत्तेषु ऩदे षु चतथ
ु ी प्रमज्
ु म रयक्तस्थानऩतू तण कुरुत-(उदाहयर् के अनुसाय
कोष्ठक भें ददए गए ऩदों के चतथ
ु ी रूऩ का प्रमोग कयके रयक्त स्थान की ऩूततण कीजजए-)
मथा- सबऺुकाम धनं ददात।ु । (सबऺुक)
(क) ………………… ऩुस्तकं दे दह। (छात्र)
(ि) अहभ ् ………………… िस्त्राखर् ददासभ। (तनधणन)
(ग) ………………… ऩठनं योचते। (रता)
(घ) यभेश् ………………… अरभ ्। (अध्माऩक)
उत्तयभ ्:
(क) छात्रेभ्म:/छात्राम, (ि) तनधणनाम, (ग) रतामै, (घ) सुयेशीम, (ङ)
अध्माऩकाम।

अततररक्त-अभ्यासः
(1) अनुच्छे दं ऩदठत्िा तदाधारयतान ् प्रश्नान ् उत्तयत-(नीचे सरिे अनुच्छे द को ऩढकय उस ऩय आधारयत प्रश्नों के
उत्तय दीजजए-)
अद्म संऩूर्वण िश्िे “डडजजटरइजडडमा” इत्मस्म चचाण श्रम
ू ते। अस्म ऩदस्म क् बाि् इतत भनसस जजऻासा
उत्ऩद्मते। कारऩरयितणनेन सह भानिस्म आिश्मकताऽवऩ ऩरयितणते। प्राचीनकारे ऻानस्म आदान-प्रदानं
भौखिकभ ् आसीत ्, विद्मा च श्रतु तऩयम्ऩयमा गह्
ृ मते स्भ। अनन्तयं तारऩत्रोऩरय बोजऩत्रोऩरय च रेिनकामणभ ्
आयब्धभ ्। ऩयिततणतन कारे कगणदस्म रेिन्मा् च आविष्काये र् सिेषाभेि भनोगतानां बािानां कगणदोऩरय रेिनं
प्रायब्धभ ्। टं कर्मंत्रस्म आविष्काये र् तु सरखिता साभग्री टं ककता सती फहुकाराम सयु क्षऺता अततष्ठत ्।
I. एकऩदे न उत्तयत-(एक ऩद भें उत्तय दीजजए)
(i) अद्म सम्ऩूर्ण विश्िे कस्म चचाण श्रम
ू ते?
(ii) अनन्तयं तारऩत्रोऩरय बोजऩत्रोऩरय च ककभ ् आयब्धभ ्?
उत्तयभ ्:
(i) डडजजटरइजडडमा
(ii) रेिनकामणभ ् |
II. ऩूर्ि
ण ाक्मेन उत्तयत-(ऩूर्ण िाक्म भें उत्तय दीजजए)
(i) ऩरयिततणतन कारे कक प्रायब्धभ ्?
(ii) टं कर्मन्त्रस्म आविष्काये र् का फहुकाराम सुयक्षऺता अततष्ठत ्?
उत्तयभ ्:
(i) ऩरयिततणतन कारे कगणदस्म रेिन्मा् च आविष्काये र् सिेषाभेि भनोगतानां बािानां कगणदोऩरय रेिनं
प्रायब्धभ ्।
(ii) टं कर्मंत्रस्म आविष्काये र् तु सरखिता साभग्री टं ककता सती फहुकाराम सयु क्षऺता अततष्ठत ्।
III. बावषक कामणभ ्-(बाषा-कामण)
(i) ‘ऩरयिततणतन कारे’ अनमो: ऩदमो् विशेषर्ऩदं ककभ ्?
(क) कारे
(ि) ऩरयिततणतन
(ग) कार:
(घ) ऩरयिततणत्
(ii) अनुच्छे दे ‘ऩरयितणते’ इत्मस्म कक्रमाऩदस्म कतऩ
ण ृ दं ककभजस्त?
(क) भानिस्म
(ि) कारऩरयितणनेन
(ग) आिश्मकताऽवऩ
(घ) आिश्मकता
(iii) अनच्
ु छे दे ‘आदानभ ्’ इतत ऩदस्म क् विऩमणम् आगत्?
(क) रेिनभ ्
(ि) प्रदानभ ्
(ग) भौखिकभ ्
(घ) जजऻासा
(iv) ‘ऻातुभ ् इच्छा’ इत्मस्म अथे अनुच्छे दे क् शब्द् आगत्?
(क) श्रतु तऩयम्ऩयमा
(ि) बािानाभ ्
(ग) आिश्मकता
(घ) जजऻासा
उत्तयभ ्:
(i) (ि) ऩरयिततणतन,
(ii) (क) भानिस्म,
(iii) (ि) प्रदानभ ्,
(iv) (घ) जजऻासा

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