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कालिदास
पूर्म
व ेघ
कश्चित्
कान्तावर्रहगरु
ु णास्र्ाधिकारात्रमत:
शापेनास्तग्
ड:लमतमहहमार्र्वभोग्येणभत:ुव ।
यक्षच
िक्रेजनकतनयास्नानपण्
ु योदकेर्ु
श्स्नग्
िच्
छायातरुर्ु र्सततिंरामधगयावश्रमेर्।ु ।
कोईयक्षथा।र्हअपनेकाममें असार्िान
हुआतोयक्षपततनेउसेशापहदयाकक
र्र्व-भरपत्
नीकाभारीवर्रहसहो।इससे
उसकीमहहमाढिगई।उसनेरामधगररके
आश्रमोंमें बस्तीबनाईजहााँघनेछायादार
पेड़थेऔरजहााँसीताजीकेस्नानोंद्र्ारा
तश्स्मन्नद्रोकततधिदबिावर्रयुक्त:सकामी
नीत्
र्ामासान्कनकर्ियभ्रिंशररक्तरकोष्
ठ:
आर्ाढस्यरथमहदर्सेमेघमाश्चिष्टसानु
र्रक्रीडापररणतगजरेक्षणीयिंददशव।।
स्त्रीकेवर्छोहमें कामीयक्षनेउसपर्वत
परकईमासबबताहदए।उसकीकिाई
सुनहिेकिंगनकेखिसकजानेसेसूनी
दीिनेिगी।आर्ाढ़मासकेपहिेहदनपहाड़की
िोटीपरझुकेहुएमेघकोउसनेदे िातो
ऐसाजानपड़ाजैसेढूसामारनेमें मगन
कोईहाथीहो।
तस्
यश्स्थत्
र्ाकथमवपपुर:कौतुकािानहे तो-
रन्
तर्ावष्
पश्चिरमनुिरोराजराजस्यदध्
यौ।
कण्ठाच
िर्
े रणतयतनजनेककिं पुनदव रू सिंस्थे।।
यक्षपततकार्हअनुिरकामोत्किंठा
जगानेर्ािेमेघकेसामनेककसीतरह
ठहरकर, आाँसुओिंकोभीतरहीरोकेहुएदे र
जनकाधििभीऔरतरहकाहोजाता
है , किंठालििंगनकेलिएभटकतेहुएवर्रही
जनकातोकहनाहीक्या?
4
रत्
यासन्
ने नभलसदतयताजीवर्तािम्बनाथी
जीमूतेनस्र्कुशिमयीिंहारतयष्यन्रर्वृ िम ्।
सरत्
यग्रै:कुटजकुसुमै:कश्पपताघावयतस्मै
रीत:रीततरमुिर्िनिंस्र्ागतिंव्याजहार।।
जबसार्नपासआगया, तबतनजवरया
केराणोंकोसहारादे नेकीइच्छासेउसने
मेघद्र्ाराअपनाकुशि-सन्देशभेजनािाहा।
किर, टटकेखििेकुटजकेिूिोंका
अर्घयव दे करउसनेगदगदहोरीतत-भरे
र्िनोंसेउसकास्र्ागतककया।
िूमज्
योतत:सलििमरुतािंसिंतनपात:क्र्मेघ:
सिंदेशाथाव:क्
र्पटुकरणै:राखणलभ:रापणीया:।
इत्
यौत्
सक्
ु यादपररगणयन्गुह्यकस्तिं ययािे
कामातावहहरकृततकृपणाचित
े नािेतनर्
ु ।ु ।
बादिकहााँ? कहााँसन्
देशकीर्ेबातें श्जन्हें
िोिीइश्न्द्रयोंर्ािेराणीहीपहुाँिापातेहैं?
उत्
किंठार्शइसपरध्याननदे तेहुए
यक्षनेमेघसेहीयािनाकी।
जोकामकेसताएहुएहैं, र्ेजैसे
िेतनकेसमीपर्ैसे हीअिेतनकेसमीप
भी, स्र्भार्सेदीनहोजातेहैं।
जातिंर्िंशेभुर्नवर्हदतेपष्ु करार्तवकानािं
जानालमत्
र्ािंरकृततपुरुर्िंकामरूपिंमघोन:।
तेनाधथवत्
र्िं त्र्तयवर्धिर्शादरू बन्िुगत
व ोहिं
याण्िामोघार्रमधिगण
ु ेनािमेिब्िकामा।।
पष्ु
करऔरआर्तवकनामर्ािेमेघोंके
िोक-रलसद्िर्िंशमें तम
ु जनमेहो।तम्
ु हेंमैं
इन्द्रकाकामरूपीमुख्यअधिकारीजानता
मैंइसीकारणतम्
ु हारे पासयािकबनाहूाँ।
गुणीजनसेयािनाकरनाअच्छाहै ,
अच्
छानहीिं, िाहे सििभीहो।
सिंतप्तानािंत्
र्मलसशरणिंतत्
पयोद!वरयाया:
सिंदेशिंमेहरिनपततक्रोिवर्चिेवर्तस्य।
गन्
तव्यातेर्सततरिकानामयक्षेचर्
राणािं
बाह्योद्यानश्स्थतहरलशरचिश्न्द्रकािौतह्मम्याव।।
जोसन्
तप्तहैं, है मेघ!तुमउनकेरक्षक
हो।इसलिएकुबेरकेक्रोिर्शवर्रहीबने
हुएमेरेसन्
देशकोवरयाकेपासपहुाँिाओ।
यक्षपततयोंकीअिकानामकरलसद्ि
बैठेहुएलशर्केमस्तकसेतछटकतीहुई
िााँदनीउसकेभर्नोंकोिर्लितकरतीहै ।
त्र्ामारूढिं पर्नपदर्ीमद्
ु गह
ृ ीतािकान्ता:
रेक्षक्षष्यन्ते पधथकर्तनता:रत्ययादाचर्सन्
त्य:।
क:सिंनद्िेवर्रहवर्िुरािंत्र्य्युपेक्षेतजायािं
नस्यादन्योsप्यहलमर्जनोय:परािीनर्वृ ि:।।
जबतुमआकाशमें उमड़तेहुएउठोगेतो
रर्ासीपधथकोंकीश्स्त्रयााँमुाँहपरिटकते
हुएघुाँघरािेबािोंकोऊपरिेंककरइस
आशासेतुम्हारीओरटकटकीिगाएाँगी
ककअबवरयतमअर्चयआतेहोंगे।
तुम्
हारे घुमड़नेपरकौन-साजनवर्रह
में व्याकुिअपनीपत्नीकेरततउदासीन
रहसकताहै , यहदउसकाजीर्नमेरीतरह
परािीननहीिंहै ?
9
मन्
दिंमन्
दिंनुदततपर्नच
िानुकूिोयथात्र्ािं
र्ामच
िायिंनदततमिुरिंिाकतस्तेसगन्ि:।
गभाविानक्षणपररियान्नूनमाबद्िमािा:
सेवर्ष्यन्ते नयनसुभगिंिेभर्न्तिंबिाका:।।
अनुकूिर्ायुतुम्हेंिीमे-िीमेििारहीहै ।
गर्व-भरायहपपीहातुम्हारे बाएाँआकर
मीठीरटनिगारहाहै ।
गभाविानकाउत्सर्मनानेकीअभ्यासी
बगुलियााँआकाशमें पिंश्क्तयााँबााँि-बााँिकर
नयनोंकोसुभगिगनेर्ािेतुम्हारे समीप
अर्चयपहुाँिेंगी।
10
तािंिार्च
यिं हदर्सगणनातत्परामेकपत्नी-
पव्
यापन्
नामवर्हतगततद्रव क्ष्य
लसभ्रातज
ृ ायाम ्।
आशाबन्ि:कुसम
ु सदृशिंरायशोह्यङ्गनानािं
सद्य:पाततरणतयहृदयिंवर्रयोगेरुणद्धि।।
अर्चयदे िना।
नाररयोंकेिूिकीतरहसक
ु ु माररेम-
भरे हृदयकोआशाकाबन्
िनवर्रहमें
टूटकरअकस्मातबबिरजानेसेराय:रोके
रहताहै ।
11
कतुुं यच्
िरभर्ततमहीमश्ु च्छिीन्रामर्न्ध्यािं
तच्
छत्
र्ातेश्रर्णसुभगिंगश्जवतिंमानसोत्का:।
आकैिासाद्वर्सककसियच्छेदपाथेयर्न्त:
सैपत्
स्यन्ते नभलसभर्तीराजहिं सा:सहाया:।।
श्जसकेरभार्सेपथ्
ृ र्ीिम्
ु भ ीकीटोवपयों
कािुटार्िेतीऔरहरीहोतीहै , तुम्हारे
उससुहार्नेगजवनकोजबकमिर्नोंमें
उत्
किंठासेअपनीिोंिमें मण
ृ ािके
अग्रििंडकापथ-भोजनिेकरर्ेकैिास
तककेलिएआकाशमें तम्
ु ह ारे साथीबन
जाएाँगे।
12
आपच्
ृ
छस्र्वरयसिममुिं तुग्ड़
मालिग्ड़िशैििं
र्न्
द्यै:पुिंसािंरघुपततपदै रककड़तिंमेििासु।
कािेकािेभर्ततभर्तोयस्यसिंयोगमेत्य
स्नेहव्यश्क्तश्चिरवर्रहजिंमुञ्ितोर्ाष्पमष्ु णम ्।।
अबअपनेप्यारे सिाइसऊाँिेपर्वतसे
गिेलमिकरवर्दािोश्जसकीढािूिट्टानों
परिोगोंसेर्न्दनीयरघुपततकेिरणोंकी
छापिगीहै , औरजोसमय-समयपर
तम्
ु हारासम्पकवलमिनेकेकारणिम्बेवर्रह
केतप्तआाँसू बहाकरअपनास्नेहरकट
करतारहताहै ।
13
मागुंतार्च्छृणु कथयतस्त्र्त्रयाणानरू
ु पिं
सिंदेशिंमेतदनुजिद!श्रोष्यलसश्रोत्रपेयम ्।
खिन्न:खिन्
न:लशिररर्ुपदिं न्यस्यन्तालसयत्र
क्षीण:क्षीण:पररिघुपय:स्त्रोतसािंिोपभज्
ु य।।
हे मेघ, पहिेतोअपनीयात्राकेलिए
अनुकूिमागवमेरेशब्दोंमेंसुनो-थक-थककर
श्जनपर्वतोंकेलशिरोंपरपैरटे कतेहुए,
औरबार-बारतनक्षीणहोकरश्जनसोतों
काहिकाजिपीतेहुएतम
ु जाओगे।
पीछे , मेरायहसन्
देशसुननाजोकानोंसे
पीनेयोग्
यहै ।
14
अद्रे :श्रिंग
ृ िंहरततपर्न:ककिं श्स्र्हदत्युन्मि
ु ीलभ-
दृवष्
टोत्
साहच
िककतिककतिंमुग्ि
लसद्िङग्नालभ:।
स्नानादस्
मात्सरसतनिुिादत्ु प
तोदड़्मुि:ििं
हदड़्नागानािंपधथपररहरन्
थिू हस्तार्िेपान ्।।
क्
यार्ायुकहीिंपर्वतकीिोटीहीउड़ाये
लियेजातीहै , इसआशिंकासेभोिी
बािाएाँऊपरमुाँहकरकेतम्
ु ह ारापराक्रम
िककहो-होकरदे िेंगेी।
इसस्
थानसेजहााँबेंतकेहरे पेड़हैं,
हदग्
गजोंकेस्
थूिशुिंडोंकाआघातबिाते
हुएउत्
तरकीओरमुाँहकरकेजाना।
15
रत्
नच्
छायाव्यततकरइर्रेक्ष्य
मेतत्परु स्ता:
द्र्पमीकाग्रात्रभर्ततिन:ु िण्डमािण्डिस्य।
येनच
यामिंर्परु तततरािंकाश्न्तमापत्स्यतेते
बहे णेर्स्
िुररतरूधिनागोपर्ेर्स्यवर्ष्
णो:।।
िम-िमकरतेरत्नोंकीखझिलमिज्योतत-सा
जोसामनेदीिताहै , इन्
द्रकार्हिनुििंड
बााँबीकीिोटीसेतनकिरहाहै ।
उससेतुम्हारासााँर्िाशरीरऔरभी
मोरलशिासेगोपािर्ेशिारीकृष्णका
शरीरसजगयाथा।
16
त्
र्य्यायत्
तकृवर्ििलमततभ्रूवर्िासानलभज्ञै:
रीततश्स्नग्
िैजन
व पदर्िूिोिनै:पीयमान:।
सद्य:सीरोत्कर्णमुरलभक्षेत्रमाररह्यमाििं
ककिं धित्
पच
िाद्रजिघुगततभय
ूव एर्ोत्तरे ण।।
िेतीकािितम्
ु हारे अिीनहै -इसउमिंग
रेमसेगीिेअपनेनेत्रोंमें तुम्हेंभरिेंगी।
मािक्षेत्रकेऊपरइसरकारउमड़-
घुमड़करबरसनाककहिसेतत्काििुरिी
हुईभूलमगन्िर्तीहोउठे ।किरकुछदे र
बादिटक-गततसेपुन:उत्
तरकीओरिि
पड़ना।
17
त्
र्ामासाररशलमतर्नोपप्िर्िंसािुमूध्नाव,
र्क्ष्
यत्
यध्
र्श्रमपररगतिंसानुमानाम्रकूट:।
नक्षुद्रोवपरथमसुकृतापेक्षयासिंश्रयाय
राप्
ते लमत्रेभर्ततवर्मुि:ककिं पुनयवस्तथोच्
िै:।।
र्नमें िगीहुईअश्ग्नकोअपनीमूसिािार
र्श्ृ ष्टसेबझ
ु ानेर्ािे, रास्ते कीथकानसे
पर्वतसादरलसर-माथेपररिेगा
क्षुद्रजनभीलमत्रकेअपनेपासआश्रय
केलिएआनेपरपहिेउपकारकीबात
सोिकरमह
ाँु नहीिंमोड़ते।जोउच्िहैं,
उनकातोकहनाहीक्या?
18
छन्नोपान्त:पररणतििद्योततलभ:काननाम्रै-
स्त्
र्य्यरूढे लशिरमिि:श्स्नग्
िर्ेणीसर्णे।
नूनिंयास्यत्यमरलमथुनरेक्षणीयामर्स्थािं
मध्
येच
याम:स्तनइर्भुर्:शेर्वर्स्तारपाण्डु:।।
पकेििोंसेहदपतेहुएजिंगिीआम
श्जसकेिारोंओरिगेहैं, उसपर्वतकी
िोटीपरजबतुमधिकनीर्ेणीकीतरह
दे र्-दम्पततयोंकेदे िनेयोग्
यऐसीहोगी
जैसेबीिमें सााँर्िाऔरसबओरसे
पीिापधृ थर्ीकास्तनउठाहुआहो।
19
श्स्थत्
र्ातश्स्मन्
र्निरर्िूभक्
ु तकुण्जे मुहूतुं
तोयोत्
सगुंद्रत
ु तरगततस्तत्परिं तत्मव तीणव:।
रे र्ािंद्रक्ष्
यस्यप
ु िवर्र्मेवर्न्ध्य
पादे वर्शीणाुं
भश्क्तच्
छेदैररर्वर्रधितािंभूततमिंगेगजस्य।।
उसपर्वतपरजहााँकिंु जोंमेंर्निरोंकी
र्िुओिंनेरमणककयाहै , घड़ी-भरवर्श्राम
िेिेना।किरजिबरसानेसेहिकेहुए,
औरभीिटकिािसेअगिामागवतय
करना।
वर्न्ध्
यपर्वतकेढिानोंमें ऊाँिे-नीिे
ढोकोंपरबबिरीहुईनमवदातुम्हेंऐसी
हदिाईदे गीजैसेहाथीकेअिंगोंपरभााँतत-
भााँततकेकटार्ोंसेशोभा-रिनाकीगई
हो।
20
तस्
याश्स्तक्
तैर्न
व नगजमदै र्ावलसतिंर्ान्
तर्श्ृ ष्ट-
जवम्
बकू ु ञ्जरततहतरयिंतोयमादायगच्छे:।
अन्त:सारिं घन!ति
ु तयतिंु नातनि:शक्ष्यततत्र्ािं
ररक्
त:सर्ोभर्ततहहिघ:ु पण
ू त
व ागौरर्ाय।।
आगेबढ़नाजोजिंगिीहाधथयोंकेतीते
महकतेमदसेभावर्तहै औरजामुनों
हे घन, भीतरसेतुमठोसहोगेतोहर्ा
तुम्
हेंनउड़ा, सकेगी, क्योंककजोरीतेहैंर्े
होतेहैं।
21
नीपिंदृष्ट्र्ािंहररतकवपशिंकेसरै रिवरूढे -
रावर्भूर
व थममुकुिा:कन्दिीच
िानुकच्छम ्।
जग्
ध्
र्ारण्
येष्र्धिकसुरलभिंगन्
िमाघ्रायिोव्याव:
हे मेघ, जिकीबद
ूाँ ें बरसातेहुएतुम्हारे
जानेकाजोमागवहै , उसपरकहीिंतोभौरे
अिखििेकेसरोंर्ािेहरे -पीिेकदम्बोंको
केपहिेिुटार्कीकलियोंकोटूाँगतेहुए,
औरकहीिंहाथीजिंगिोंमें िरतीकीउठती
हुईउग्रगन्िकोसाँघतेहुएमागवकीसि
ू ना
दे तेलमिेंगे।
22
उत्
पच
िालमद्रत
ु मवपसिे!मश्त्रयाथुंतययासो:
कािक्षेपिंककुभरसुरभौपर्वते पर्वतेते।
शुक्
िापािंगै:सजिनयनै:स्र्ागतीकृत्यकेका:
रत्
यद्
ु यात:कथमवपभर्र्ान्
गन्तुमाशुव्यर्स्येतु।।
हे लमत्र, मेरेवरयकायवकेलिएतुमजपदी
भीजानािाहो, तोभीकुटजकेिूिोंसे
महकतीहुईिोहटयोंपरमझ
ु ेतुम्हाराअटकार्
हदिाईपड़रहाहै ।
सिेदडोरे खििंिेहुएनेत्रोंमेंजि
भरकरजबमोरअपनीकेकार्ाणीसे
तुम्
हारास्
र्ागतकरनेिगें ग,े तबजैसेभी
हो, जपदीजानेकारयत्नकरना।
23
पाण्
डुच्
छायोपर्नर्त
ृ य:केतकै:सूधिलभन्नै-
नीिंडारम्
भगै वृ हबलिभुजामाकुिग्रामिैत्या:।
त्
र्य्यासन्
ने पररणतििचयामजम्बूर्नान्ता:
सिंपत्
स्यन्ते कततपयहदनस्थातयहिं सादशाणाव:।।
हे मेघ, तम
ु तनकटआएककदशाणवदे शमें
उपर्नोंकीकटीिीरौंसोंपरकेतकीके
पौिोंकीनक
ु ीिीबािोंसेहररयािीछा
परिहि-पहिहदिाईदे नेिगेगी, और
पकेििोंसेकािेभौंरािेजामुनकेर्न
हदनोंकेमेहमानरहजाएाँग।े
24
तेर्ािंहदक्षुरधथतवर्हदशािक्षणािंराजिानीिं
गत्
र्ासद्य:ििमवर्कििंकामुकत्र्स्यिब्
िा।
तीरोपान्
तस्ततनतसुभगिंपास्
यलसस्र्ादु यस्मा-
त्
सभ्रूभिंगिंमुिलमर्पयोर्ेत्रर्त्याच
ििोलमव।।
नामकीराजिानीमें पहुाँिनेपरतुम्हेंअपने
रलसकपनेकािितुरन्तलमिेगा-र्हााँतट
केपासमठारतेहुएतुमर्ेत्रर्तीकेतरिं धगत
जिकाऐसेपानकरोगेजैसेउसका
भ्रू-ििंििमुिहो।
25
नीिैराख्
यिं धगररमधिर्सेस्तत्रवर्श्रामहे तो-
स्त्
र्सिंपकावश्त्पुिककतलमर्रौढपुष्पै:कदम्ब:ै ।
य:पण्
यस्त्रीरततपररमिोद~गाररलभनावगराणा-
मुद्दामातनरथयततलशिार्ेचमलभयौर्नातन।।
वर्श्रामकेलिएर्हााँ'तनििे' पर्वतपर
बसेराकरनाजोतम्
ु हारासम्पकवपाकरखििे
िूिोंर्ािेकदम्बोंसेपुिककत-सािगेगा।
उसकीपथरीिीकन्
दराओिंसेउठतीहुई
गखणकाओिंकेभोगकीरत-गन्
िपरु र्ालसयों
केउत्
कटयौर्नकीसि
ू नादे तीहै ।
26
वर्श्रान्
त:सन्
रजर्ननदीतीरजािातनलसञ्ि-
न्
नुद्यानानािंनर्जिकणैयूव धथकाजािकातन।
गण्
डस्र्द
े ापनयनरुजाक्िान्
तकणोत्पिानािं
छायादानात्
क्षणपररधित:पुष्प
िार्ीमुिानाम ्।।
वर्श्रामकरिेनेपर, र्न-नहदयोंकेककनारों
परिगीहुईजूहीकेउद्यानोंमें कलियोंको
नएजिकीबूाँदोंसेसीिंिना, औरश्जनके
कपोिोंपरकानोंकेकमिपसीनापोंछने
कीबािासेकुम्हिागएहैं, ऐसीिूि
िुननेर्ािीश्स्त्रयोंकेमि
ु ोंपरततनकछााँह
करतेहुएपुन:आगेििपड़ना।
27
र्क्र:पन्
थायदवपभर्त:रश्स्थतस्योत्तराशािं
सौिोत्
सगिं रण
यवर्मि
ु ोमास्मभूरुज्जतयन्
या:।
वर्द्युद्दामस्िुररतिककतैस्त
त्रपौरािंगनानािं
यद्यवपउत्
तरहदशाकीओरजानेर्ािेतुम्हें
मागवकाघुमार्पड़ेगा, किरभीउज्
जतयनी
केमहिोंकीऊाँिीअटाररयोंकीगोदमें
बबिसनेसेवर्मि
ु नहोना।बबजिीिमकने
सेिकािौंिहुईर्हााँकीनागरीश्स्त्रयोंके
नेत्रोंकीििंििधितर्नोंकासुितुमनेन
िूटातोसमझनाककठगेगए।
28
र्ीधिक्षोभस्
ततनतवर्हगश्रेखणकाञ्िीगुणाया:
सिंसपवन्त्
या:स्िलितसुभगिंदलशवतार्तवनाभे:।
तनवर्वन्ध्
याया:पधथभर्रसाभ्यन्तर:सश्न्नपत्य
स्त्रीणामाद्यिंरणयर्िनिंवर्भ्रमोहहवरयेर्ु।।
िहरोंकेथपेड़ोंसेककिकारीभरतेहुए
हिं सोंकीपिंश्क्तरूपीकरिनीझिंकारतीहुई,
अटपटबहार्सेिािकीमस्तीरकट
करतीहुई, औरभाँर्ररूपीनालभउघाड़कर
हदिातीहुईतनवर्वन्ध्यासेमागवमें लमिकर
उसकारसभीतरिेतेहुएछकना।
वरयतमसेस्त्रीकीपहिीराथवना
श्रिंग
ृ ार-िेष्
टाओिंद्र्ाराहीकहीजातीहै ।
29
र्ेणीभूतरतनुसलििािसार्तीतस्यलसन्िु:
पाण्
डुच्
छायातटरुहतरूभ्रिंलशलभजीणवपणै:।
सौभाग्
यिंतेसुभग!वर्रहार्स्
थयाव्यञ्जयन्ती
काच
युं येनत्
यजततवर्धिनासत्र्यैर्ोपपाद्य:।।
श्जसकीपतिीजििारार्ेणीबनीहुईहैं,
औरतटकेर्क्ष
ृ ोंसेझड़ेहुएपरु ानेपत्तोंसे
जोपीिीपड़ीहुईहै , अपनीवर्रहदशासे
कृशताश्जसउपायसेदरू होर्ैसाअर्चय
करना।
30
राप्
यार्न्
तीनुदयनकथाकोवर्दग्रामर्द्
ृ िा-
न्
पूर्ोद्हदष्टामनुसरपुरीिंश्रीवर्शािािंवर्शािाम ्।
स्र्पपीभूतेसि
ु ररतििेस्र्धगवणािंगािंगतानािं
शेर्ै:पुण्
यैहृवतलमर्हदर्:काश्न्तमत्िण्डमेकम ्।।
गााँर्ोंकेबड़े-बढ़
ू े जहााँउदयनकीकथाओिं
पहिेकहीहुईवर्शािर्ैभर्र्ािीउज्
जतयनी
पुरीकोजाना।
सुकमोंकेििछीजनेपरजबस्र्गवके
राणीिरतीपरबसनेआतेहैं, तबबिेहुए
पुण्
य-ििोंसेसाथमें िायाहुआस्र्गवका
हीजगमगाताहुआटुकड़ामानोउज्
जतयनी
है ।
31
दीघीकुर्वन्
पटुमदकििंकूश्जतिंसारसानािं
रत्
यूर्ेर्ुस्िुहटतकमिामोदमैत्रीकर्ाय:।
यत्रस्त्रीणािंहरततसुरतग्िातनमिंगानुकूि:
लशरार्ात:वरयतमइर्राथवनािाटुकार:।।
जहााँरात:कािलशराकापर्नखििेकमिों
कीभीनीगन्
िसेमहमहाताहुआ, सारसों
कीस्पष्
टमिुरबोिीमें िटकारीभरता
हुआ, अिंगोंकोसि
ु दस्पशवदे कर, राथवना
केिटोरे वरयतमकीभााँततश्स्त्रयोंके
रततजतनतिेदकोदरू करताहै ।
32
जािोद्गीणैरुपधितर्पु:केशसिंस्कारिूप-ै
बवन्
िुरीत्
याभर्नलशखिलभदव त्तनत्ृ योपहार:।
हम्येष्र्स्या:कुसुमसुरलभष्र्ध्र्िेदिंनयेथा
िक्ष्
मीिंपच
यपव िलितर्तनतापादरागाद्हदतेर्ु।।
उज्
जतयनीमें श्स्त्रयोंकेकेशसुर्ालसत
करनेर्ािीिूपगर्ाक्षजािोंसेबाहरउठती
हुईतुम्
हारे गात्रकोपुष्टकरे गी, औरघरों
केपाितूमोरभाईिारे केरेमसेतुम्हेंनत्ृ य
सुरलभतमहिोंमें सुन्द
रश्स्त्रयोंकेमहार्र
िगेिरणोंकीछापदे ितेहुएतुममागवकी
थकानलमटाना।
33
भतु:व कण्
ठच्
छवर्ररततगणै:सादरिं र्ीक्ष्यमाण:
पुण्
यिं यायाश्स्त्रभुर्नगुरोिावमिण्डीच
र्रस्य।
िूतोद्यानिंकुर्ियरजोगश्न्िलभगवन्िर्त्या-
स्तोयक्रीडातनरतयुर्ततस्नानततक्तैमवरुद~लभ:।।
अपनेस्र्ामीकेनीिेकिंठसेलमितीहुई
शोभाकेकारणलशर्केगणआदरके
साथतम्
ु हारीओरदे िेंगे।र्हााँबत्रभर्
ु न-
पततििंडीच
र्रकेपवर्त्रिाममें तम
ु जाना।
उसकेउपर्नकेकमिोंकेपरागसे
सुगश्न्ितएर्िंजिक्रीड़ाकरतीहुईयुर्ततयों
केस्नानीयद्रव्योंसेसुरलभतगन्िर्तीकी
हर्ाएाँझकोररहीहोंगी।
34
अप्
यन्यश्स्मञ्जििर!महाकािमासाद्यकािे
स्थातव्यिं तेनयनवर्र्यिंयार्दत्येततभानु:।
कुर्वन्
सिंध्
याबलिपटहतािंशलू िन:चिाघनीया-
मामन्द्राणािंििमवर्कििंिप्
स्यतेगश्जवतानाम ्।।
हे जििर, यहदमहाकािकेमश्न्दरमें
समयसेपहिेतुमपहुाँिजाओ, तोतब
तकर्हााँठहरजानाजबतकसूयव आाँिसे
ओझिनहोजाए।
लशर्कीसन्
ध्याकािीनआरतीके
समयनगाड़ेजैसीमिुरध्र्तनकरतेहुए
तुम्
हेंअपनेिीर-गम्भीरगजवनोंकापूरािि
राप्तहोगा।
35
पादन्यासक्र्खणतरशनास्तत्रिीिार्िूतै
रत्
नच्
छायािधितर्लिलभच
िामरै :क्िान्तहस्ता:।
र्ेच
यास्त्
र्त्
तोनिपदसि
ु ान्राप्यर्र्ावग्रबबन्दू -
नामोक्ष्
यन्ते त्
र्तयमिुकरश्रेखणदीघावन्कटाक्षान ्।।
र्हााँरदोर्-नत्ृ यकेसमयपैरोंकीठुमकन
सेश्जनकीकहटककिं ककणीबजउठतीहै , और
रत्
नोंकीिमकसेखझिलमिमूठोंर्ािी
िौररयााँडुिानेसेश्जनकेहाथथकजातेहैं,
ऐसीर्ेच
याओिंकेऊपरजबतम
ु सार्नके
बन्
ु दाकड़ेबरसाकरउनकेनिक्षतोंकोसि
ु
दोगे, तबर्ेभीभौंरों-सीििंििपत
ु लियोंसे
तम्
ु हारे ऊपरअपनेिम्बे धितर्नििाएाँगी।
36
पच
िादच्
ु िभ
ै ज
ुव तरुर्निंमण्डिेनालभिीन:
सान्
ध्
यिंतेज:रततनर्जपापुष्प
रक्तिं दिान:।
नत्ृ
यारम्
भे हरपशुपतेराद्रव नागाश्जनेच्छािं
शान्
तोद्र्ेगश्स्तलमतनयनिंदृष्
टभश्क्तभवर्ान्या।।
आरतीकेपचिातआरम्भहोनेर्ािेलशर्के
पुष्
पोंकीभााँततिूिीहुईसन्ध्याकीििाई
लियेहुएशरीरसे, र्हााँलशर्केऊाँिेउठे
भुजमिंडिरूपीर्न-ििंडकोघेरकरछाजाना।
इससेएकओरतोपशुपततलशर्रक्
त
सेभीगाहुआगजासुरिमवओढ़नेकीइच्छा
सेवर्रतहोंगे, दस
ू रीओरपार्वतीजीउस
ग्
िातनकेलमटजानेसेएकटकनेत्रोंसे
तुम्
हारीभश्क्तकीओरध्यानदें गी।
37
गच्
छन्तीनािंरमणर्सततिंयोवर्तािंतत्रनक्तिं
रुद्िािोकेनरपततपथेसूधिभेद्यैस्तमोलभ:।
सौदामन्
याकनकतनकर्श्स्नग्
ियादशवयोर्ी
तोयोत्
सगवस्ततनतमुिरोमास्मभूवर्वक्िर्ास्ता:।।
र्हााँउज्
जतयनीमें रातकेसमयवरयतमके
भर्नोंकोजातीहुईअलभसाररकाओिंको
जबघप्ु
पअाँिेरेकेकारणराज-मागवपर
कुछनसझ
ू ताहो, तबकसौटीपरकसी
किंिन-रे िाकीतरहिमकतीहुईबबजिी
क्
योंककर्ेबेिारीडरपोकहोतीहैं।
38
तािंकस्यािंधिद~भर्नर्िभौसुप्तपारार्तायािं
नीत्
र्ाराबत्रिंधिरवर्िलसनाश्त्िन्नवर्द्युत्कित्र:।
दृष्
टेसूयेपुनरवपभर्ान्र्ाहयेदध्
र्शेर्िं
मन्
दायन्ते नििुसुहृदामभ्
युपेताथवकृत्या:।।
दे रतकबबिसनेसेजबतम्
ु हारीबबजिी
रूपीवरयतमाथकजाए, तोतुमर्हराबत्र
ककसीमहिकीअटारीमें जहााँकबूतर
सोतेहोंबबताना।किरसूयोदयहोनेपर
शेर्रहामागवभीतयकरना।लमत्रोंका
रयोजनपूराकरनेकेलिएजोककसीकाम
करते।
39
तश्स्मन्कािेनयनसलिििंयोवर्तािंिश्ण्डताना
शाश्न्तिंनेयिंरणतयलभरतोर्त्मव भानोस्त्यजाशु।
रािेयास्त्रिंकमिर्दनात्सोवपहतुुं नलिन्या:
रत्
यार्त्ृ
तस्त्
र्तयकररुधिस्
यादनपपाभ्यसूय:।।
राबत्रमें बबछोहसहनेर्ािीििंडडतानातयकाओिं
केआाँसूसूयोदयकीबेिामें उनकेवरयतम
पोंछाकरतेहैं, इसलिएतुमशीघ्रसूयव का
मागवछोड़करहटजाना, क्योंककसूयव भी
कमलिनीकेपिंकजमुिसेओसरूपीआाँसू
रोकेजानेपरउनकारोर्बढ़े गा।
40
गम्भीराया:पयलससररतच
िते सीर्रसन्
ने
छायात्
मावपरकृततसभ
ु गोिप्स्यतेतेरर्ेशम ्।
तस्
यादस्
या:कुमद
ु वर्शदान्यहवलसत्र्िंनिैयाव-
न्मोिीकतुव िटुिशिरोद्र्तवनरेक्षक्षतातन।।
गम्भीराकेधित्तरूपीतनमविजिमें तुम्हारे
सहजसुन्
दरशरीरकारततबबम्बपड़ेगाही।
किरकहीिंऐसानहोककतम
ु उसकेकमि-
सेच
र्त
े औरउछितीशिरी-सेििंिि
धितर्नोंकीओरअपनेिीरजकेकारण
ध्
याननदे तेहुएउन्हेंवर्ििकरदो।
41
तस्
या:ककिं धित्करित
ृ लमर्राप्तर्ानीरशाििं
नीत्
र्ानीििंसलििर्सनिंमक्
ु तरोघोतनतम्बम ्।
रस्
थानिंतेकथमवपसिे!िम्बमानस्यभावर्
शातास्
र्ादोवर्र्त
ृ जघनािंकोवर्हातुिंसमूथ:व ।।
हे मेघ, गम्भीराकेतटसेहटाहुआनीिा
जि, श्जसेबेंतअपनीझक
ु ीहुईडािोंसे
छूतेहैं, ऐसाजानपड़ेगामानोतनतम्बसे
सरकाहुआर्स्त्रउसनेअपनेहाथोंसे
पकड़ारक्
िाहै ।
हे लमत्र, उसेसरकाकरउसकेऊपर
िम्
ब-े िम्
बे झुकेहुएतुम्हारार्हााँसेहटना
कहठनहीहोगा, क्योंककस्र्ादजाननेर्ािा
कौनऐसाहै जोउघड़ेहुएजघनभागका
त्यागकरसके।
42
त्
र्श्न्नष्यन्दोच््र्लसतर्सि
ु ागन्िसिंपकवरम्य:
स्त्रोतोरन्रध्
र्तनतसभ
ु गिंदश्न्तलभ:पीयमान:।
नीिैर्ावस्यत्यप
ु श्जगलमर्ोदे र्पर्
ू व धगररिंते
शीतोर्ाय:ु पररणमतयताकाननोदम्
ु बराणाम ्।।
हे मेघ, तुम्
हारीझड़ीपड़नेसेभपाराछोड़ती
हुईभूलमकीउत्कटगन्
िकेस्पशवसेजो
सुरलभतहै , अपनीसूाँड़ों++केनथुनोंमें
सुहार्नीध्
र्तनकरतेहुएहाथीश्जसकापान
करतेहैं, औरजिंगिीगि
ू रश्जसकेकारण
जानेकेइच्छुकतुमकोमन्
द-मन्
दथपककयााँ
दे कररेररतकरे गा।
43
तत्रस्
कन्
दिंतनयतर्सततिंपुष्प
मेिीकृतात्मा
पुष्
पासारै :स्रपयतुभर्ान्व्योमगग्
ड़ाजिाद्रै ैः।
रक्षाहे तोनवर्शलशभत
ृ ार्ासर्ीनािंिमूना-
मत्
याहदत्
यिंहुतर्हमुिेसिंभत
ृ िं तद्धितेज:।।
हे मेघ, अपनेशरीरकोपुष्प-र्र्ीबनाकर
आकाशगिंगाकेजिमें भीगेहुएिूिोंकी
बौछारोंसेर्हााँदे र्धगररपरसदाबसनेर्ािे
स्कन्दकोतुमस्नानकराना।नर्ीनिन्द्रमा
मस्
तकपरिारणकरनेर्ािेभगर्ानलशर्
अधिकश्जसतेजकोअश्ग्नकेमुिमें
क्रमश:सिंधितककयाथा, र्हीस्कन्दहै ।
44
ज्
योततिेिार्ितयगलितिंयस्यबहुं, भर्ानी
पुत्ररेम्णाकुर्ियदिरावपकणेकरोतत।
िौतापाङ्गिंहरशलशरुिापार्केस्तिंमयूर
पच
र्ादहद्रग्रहणगुरुलभगवश्जवतैनत
व य
व ेथा:।।
पच
िातउसपर्वतकीकन्दराओिंमें गाँज
ू कर
िैिनेर्ािेअपनेगश्जवतशब्
दोंसेकाततवकेय
केउसमोरकोनिानाश्जसकीआाँिोंके
कोयेलशर्केिन्
द्रमाकीिााँदनी-सेिर्लित
हैं।उसकेछोड़ेहुएपैंिको, श्जसपर
जीपुत्र-स्नह
े केर्शीभूतहोकमिपत्रकी
जगहअपनेकानमें पहनतीहैं।
45
आराध्
यैनिंशरर्णभर्िंदे र्मुपि
ाङ्वर्ताध्र्ा
लसध्दद्र्न्
द्र्ैजि
व कणभयाद्र्ीखणलभमुव क्तमागव:।
व्यािम्
र्थ
े ा:सुरलभतनयािम्
भजािंमानतयष्यन ्
स्रोतोमूत्
यावभुवर्पररणतािंरश्न्तदे र्स्यकीततवम ्।।
सरकिंडोंकेर्नमें जन्मिेनेर्ािेस्कन्दकी
आरािनासेतनर्त
ृ होनेकेबादतुम, जब
र्ीणाहाथमें लियेहुएलसद्िदम्पततबूाँदों
केडरसेमागवछोड़करहटजाएाँ, तबआगे
बढ़ना, औरिमवण्र्
तीनदीकेरततसम्मान
रकटकरनेकेलिएनीिेउतरना।गोमेघ
सेउत्
पन्नहुईराजारश्न्तदे र्कीकीततवही
उसजििाराकेरूपमें पथ्
ृ र्
ीपरबह
तनकिीहै ।
46
त्
र्य्यािंदातुिंजिमर्नतेशडङवणोर्णविौरे
तस्
या:लसन्िोैःपथ
ृ ुमवपतनुिं दरू भार्ात्रर्ाहम ्।
रे किंमुक्
तागण
ु लमर्भुर्:स्थि
ू मध्येन्द्रनीिम ्।।
हे मेघ, वर्ष्
णु केसमानच
यामर्शवतुमजब
िमवण्र्तीकाजिपीनेकेलिएझक
ु ोगे,
हदिाईपड़ताहै , आकाशिारीलसद्ि-गन्
िर्व
एकटकदृश्ष्टसेतनच
ियदे िनेिगें गेमानो
पथ्
ृ र्ीकेर्क्षपरमोततयोंकाहारहो
श्जसकेबीिमें इन्द्रनीिकामोटामनका
वपरोयागयाहै ।
47
तामुत्
तीयुंरजपररधितभ्रूितावर्भ्रमाणािं
पक्ष्
मोत्
क्षेपादप
ु ररवर्िसत्कृष्
णशाररभाणाम ्।
कुन्
दक्षेपानुगमिुकरश्रीमुर्ामात्मबबम्बिं
पात्रीकुर्वन्द
शपुरर्िूनत्र
े कौतुहिनाम ्।।
उसनदीकोपारकरकेअपनेशरीरको
दशपरु कीश्स्त्रयोंकेनेत्रोंकीिािसाका
पात्रबनातेहुएआगेजाना।भौंहें ििानेमें
अभ्यस्तउनकेनेत्रजबबरौनीऊपरउठती
है तबच
र्त
े औरचयामरभाकेबाहर
तछटकनेसेऐसेिगतेहैं, मानोर्ायुसे
भौंरोंकीशोभाउन्होंनेिरु ािीहो।
48
रह्मार्तुंजनपदमथच्छाययागाहमान:
क्षेत्रिंक्षत्ररिनवपशुनकौरर्िंतद्भजेथा:।
राजन्
यानािंलशतशरशतैयत्र
व गाण्डीर्िन्र्ा
िारापातैस्त्
र्लमर्कमिान्यभ्यर्र्वन्मुिातन।।
उसकेबादरह्मार्तवजनपदकेऊपरअपनी
परछाईंडाितेहुएक्षबत्रयोंकेवर्नाशकी
सूिककुरुक्षेत्रकीउसभूलममें जानाजहााँ
गािंडीर्िारीअजन
ुव नेअपनेिोिेबाणोंकी
र्र्ावसेराजाओिंकेमुिोंपरऐसीझड़ी
िगादीथीजैसीतुममूसिािारमेह
बरसाकरकमिोंकेऊपरकरतेहो।
49
हहत्
र्ाहािामलभमतरसािंरे र्तीिोिनाङ्का
बन्
िुरीत्
यासमरवर्मि
ु ोिाग्ड़िीया:लसर्ेर्े।
कृत्
र्ातासामलभगममपािंसौम्य!सारस्र्तीना-
मन्
त:शुद्िस्त्र्मवपभवर्तार्णवमात्रेणकृष्ण:।।
कौरर्ोंऔरपािंडर्ोंकेरततसमानस्नेहके
कारणयुध्दसेमुाँहमोड़करबिरामजी
मन-िाहतेस्र्ादर्ािीउसहािाको, श्जसे
रे र्तीअपनेनेत्रोंकीपरछाईंडािकरस्र्यिं
वपिातीथीिं, छोड़करसरस्र्तीकेश्जनजिों
कासेर्नकरनेकेलिएििेगएथे, तम
ु
भीजबउनकापानकरोगे, तोअन्
त:करण
सेशद्
ु िबनजाओगे, केर्िबाहरीरिं गही
सााँर्िाहदिाईदे गा।
50
तस्
माद्गच्छेरनुकनिििंशैिराजार्तीणाव
जहृो:कन्
यािंसगरतनयस्र्गवसोपानपड़्श्क्तम ्।
गौरीर्क्त्रभक
ृ ु हटरिनािंयावर्हस्येर्िेनै:
शिंभो:केशग्रहणमकरोहदन्
दिु ग्
नोलमवहस्ता।।
र्हााँसेआगेकनििमें शैिराजहहमर्न्
त
सेनीिेउतरतीहुईगिंगाजीकेसमीप
जाना, जोसगरकेपत्र
ु ोंकाउद्िारकरनेके
लिएस्
र्गवतकिगीहुईसीढ़ीकीभााँतत
हैं।पार्वतीकेभौंहें तानेहुएमुाँहकीओर
अपनेिेनोंकीमुसकानिेंककरर्ेगिंगा
जीअपनेतरिं गरूपीहाथोंसेिन्द्रमाके
साथअठिेलियााँकरतीहुईलशर्केकेश
पकड़ेहुएहैं।
51
तस्
या:पातुिंसुरगजइर्व्योश्म्नपचिाथविम्बी
त्
र्िं िेदच्
छस्िहटकवर्शदिं तकवयेश्स्तयवगम्भ:।
सिंसपवन्त्
यासपहदभर्त:स्
त्रोतलसच्छायसासौ
स्यादस्
थानोपगतयमुनासिंगमेर्ालभरामा।।
आकाशमें हदशाओिंकेहाथीकीभााँतत
वपछिेभागसेिटकतेहुएजबतम
ु आगे
कीओरझक
ु करगिंगाजीकेस्र्च्छबबपिौर
जैसेतनमविजिकोपीनािाहोगे, तोरर्ाह
में पड़तीहुईतुम्हारीछायासेर्हिारा
ऐसीसुहार्नीिगेगीजैसेरयागसेअन्यत्र
यमुनाउसमें आलमिीहो।
52
आसीनानािंसुरलभतलशििंनालभगन्िैमग
वृ ाणािं
तस्
याएर्िंरभर्मिििंराप्यगौरिं तुर्ारै :।
र्क्ष्
यस्यध्
र्श्रमवर्नयनेतस्यश्रिंग
ृ ेतनर्ण्
ण:
शोभािंशुभ्रबत्रनयनर्र्
ृ ोत्
िातपड़्कोपमेयाम ्।।
र्हााँआकरबैठनेर्ािेकस्तरू ीमग
ृ ोंकेनािे
कीगन्
िसेश्जसकीलशिाएाँमहकतीहैं,
उसहहम-िर्लितपर्वतपरपहुाँिकरजब
तुमउसकीिोटीपरमागवकीथकार्ट
लमटानेकेलिएबैठोगे, तबतुम्हारीशोभा
ऐसीजानपड़ेगीमानोलशर्केगोरे नन्दी
नेगीिीलमट्टीिोदकरसीिंगोंपरउछाि
िीहो।
53
तिंिेद्र्ायौसरततसरिस्
कन्िसिंघट्टजन्मा
बािेतोप
काक्षवपतिमरीबािभारोदर्ाश्ग्न:।
अहवस्येनिंशततयतुििंर्ाररिारासहस्त्रै-
रापन्नाततवरशमनििा:सिंपदोह्युत्तमानाम ्।।
जिंगिीहर्ाििनेपरदे र्दारुकेतनोंकी
रगड़सेउत्
पन्नदार्ाश्ग्न, श्जसकीधिनगाररयों
सेिौंरीगायोंकीपाँछ
ू केबािझुिसजाते
अपनीअसिंख्यजि-िाराओिंसेउसेशान्
त
करना।श्रेष्ठ
पुरुर्ोंकीसम्
पविकायही
दरू हों।
54
येसिंरम्भोत्
पतनरभसा:स्र्ाड़्गभड्गायतश्स्म-
न्
मक्
ु
ताध्
र्ानिंसपहदशरभािड्घयेयुभर्
व न्तम ्।
तान्
कुर्ीथास्तुमुिकरकार्श्ृ ष्टपातार्कीणावन ्
केर्ानस्
यु:पररभर्पदिं तनष्ििारम्भयत्ना।।
यहदर्हााँहहमाियमें कुवपतहोकरर्ेगसे
उछितेहुएशरथमग
ृ , उनकेमागवसेअिग
अपनाअिंग-भिंगकरनेपरउतारूहों, तो
तुमभीतड़ातड़ओिेबरसाकरउन्हेंदि
दे ना।व्यथवकेकामोंमें हाथडािनेर्ािा
55
तत्रव्
यक्
तिं दृर्हदिरणन्यासमिेन्दम
ु ौिे:
शच
र्श्त्सद्िैरूपधितबलििंभश्क्तनम्र:परीया:।
यश्स्मन्
दृष्टेकरणवर्गमादध्
ू र्
म व ुद्ित
ृ पापा:
सिंकपपन्ते श्स्थरगणपदराप्तयेश्रद्दिाना:।।
र्हााँिट्टानपरलशर्जीकेपैरोंकीछाप
बनीहै ।लसद्ििोगसदाउसपरपज
ू ाकी
सामग्रीिढ़ातेहैं।तम
ु भीभश्क्तसे
झक
ु करउसकीरदक्षक्षणाकरना।उसके
दशवनसेपापकेकटजानेपरश्रद्िार्ान
िोगशरीरत्यागनेकेबादसदाकेलिए
गणोंकापदराप्तकरनेमेंसमथवहोतेहैं।
56
शब्दायन्ते मिुरमतनिै:कीिका:पूयम
व ाणा:
सिंसक्
तालभश्स्त्रपुरवर्जयोगीयतोककन्नरीलभ:।
तनहावदस्
ते मुरजइर्िेत्कन्
दरे र्ुध्र्तन:स्या-
त्
सगिं ीताथोननुपशुपतेस्तत्रभार्ीसमग्र:।।
र्हााँपरहर्ाओिंकेभरनेसेसि
ू ेबााँस
बजतेहैंऔरककन्नररयााँउनकेसाथकिंठ
लमिाकरलशर्कीबत्रपरु -वर्जयकेगान
गातीहैं।यहदकन्
दराओिंमेंगाँज
ू ताहुआ
तुम्हारागजवनमद
ृ िं गकेतनकितीहुईध्र्तन
पूजाकेसिंगीतकापूराठाटजमजाएगा।
57
रािेयाद्रे रुपतटमततक्रम्यतािंस्ताश्न्र्शेर्ान ्
तेनोदीिीिंहदशमनुसरे श्स्तयवगायामशोभी
च
याम:पादोबलितनयमनाभ्
युद्यतस्येर्वर्ष्
णो:।।
हहमाियकेबाहरीअिंििमेंउन-उनदृचयों
कोदे ितेहुएतुमआगेबढ़ना।र्हााँक्रौंि
रन्
रहै श्जसेपरशुरामनेपहाड़िोड़कर
बनायाथा।र्हउनकेयशकास्मतृ त-धिह्न
है ।उसकेभीतरकुछझक
ु करिम्बेरर्ेश
करतेहुएतुमऐसेिगोगेजैसेबलि-बन्िन
केसमयउठाहुआबत्रवर्क्रमवर्ष्
णुका
सााँर्िािरणसुशोलभतहुआथा।
58
गत्
र्ािोध्
र्ुं दशमि
ु भुजोच््र्ालसतरस्थसिंिे:
कैिासस्यबत्रदशर्तनतादपवणस्याततधथ:स्
या:।
श्रङ्
ृ गोच्
रायै:कुमद
ु वर्शदै योवर्तत्यश्स्थत:ििं
राशीभूत:रततहदनलमर्त्र्यम्
बकस्याट्टहास:।।
र्हााँसेआगेबढ़करकैिासपर्वतके
अततधथहोनाजोअपनीशभ्र
ु ताकेकारण
दे र्ािंगणनाओिंकेलिएदपवणकेसमानहै ।
उसकीिारोंकेजोड़रार्णकीभुजाओिंसे
झड़झड़ाएजानेकेकारणढीिेपड़गएहैं।
र्हकुमुदकेपष्ु पजैसीच
र्त
े बिीिी
िोहटयोंकीऊाँिाईसेआकाशकोछाए
हुएऐसेिड़ाहै मानोलशर्केरततहदनके
अट्टहासकाढे रिगगयाहै ।
59
उत्
पच
यालमत्
र्तयतटगतेश्स्नगिलभन्
नाञ्जनाभे
सद्य:कृत्
तद्वर्रददशनच्छेदगौरस्यतस्य।
शोभामद्रे :श्स्तलमतनयनरेक्षणीयािंभवर्त्री-
मिंसन्यस्ते सततहिभत
ृ ोमेिकेर्ाससीर्।।
हे मेघ, धिकनेघट
ु े हुएअिंजनकीशोभासे
युक्
ततुमजबउसकैिासपर्वतकेढाि
परतघरआओगे, जोहाथीदााँतकेतुरन्त
कटे हुएटुकड़ेकीतरहिर्िहै , तो
तुम्
हारीशोभाआाँिोंसेऐसीएकटकदे िने
योग्
यहोगीमानोकन्िे परनीिार्स्त्रडािे
हुएगोरे बिरामहों।
60
हहत्
र्ातश्स्मन्भुजगर्ियिंशिंभुनादत्तहस्ता
भड्गीभक्
त्
यावर्रधितर्प:ु स्
तश्म्भतान्तजविौघ:
सोपानत्
र्िं कुरूमखणतटारोहणायाग्रयायी।।
श्जसपरलिपटाहुआसपवरूपीकिंगनउतारकर
रिहदयागयाहै , लशर्केऐसेहाथमें
अपनाहाथहदएयहदपार्वतीजीउसक्रीड़ा
पर्वतपरपैदिघूमतीहों, तोतुमउनके
आगेजाकरअपनेजिोंकोभीतरहीबिव
रूपमें रोकेहुएअपनेशरीरसेनीिे-ऊाँिे
ििंडसजाकरसोपानबनादे नाश्जससेर्े
तुम्
हारे ऊपरपैररिकरमखणतटपरआरोहण
करसकें।
61
तत्रार्च
यिंर्ियकुलिशोद्िट्टनोदगीणवतोयिं
नेष्यश्न्तत्
र्ािंसुरयुर्तयोयन्त्रिारागह
ृ त्र्म ्।
ताभ्
योभोक्षस्तर्यहदसिे!िमविब्िस्यनस्यात ्
क्रीडािोिा:श्रर्णपरुर्ैगश्व जवतभ
ै ावययेस्ता:।।
र्हााँकैिासपरसुर-युर्ततयााँजड़ाऊकिंगन
में िगेहुएहीरोंकीिोटसेबिवकेबाहरी
करकेतुम्
हारािुहाराबनािेंगी।हे सिे,
उनसेयहदशीघ्रनछूटसकोतोअपने
गणवभेदीगजवनसेउन्हेंडरपादे ना।
62
हे माम्
भोजरसवर्सलिििंमानसस्याददान:
कुर्वन्
कामिंक्षणमि
ु पटरीततमैरार्तस्य।
िुन्
र्न्कपपद्रम
ु ककसियान्यिंशक
ु ानीर्र्ातै-
नानािेष्
टैजि
व द!िलितैतनववर्वशेतिंनगेन्द्र
म ्।।
हे मेघ, अपनेलमत्रकैिासपरनानाभााँतत
कीिलितक्रीड़ाओिंसेमनबहिाना।कभी
सुनहरे कमिोंसेभराहुआमानसरोर्रका
जिपीना; कभीइन्द्रकेअनि
ु रअपने
सिाऐरार्तकेमह
ुाँ परक्षण-भरकेलिए
कपड़ा-साझााँपकरउसेरसन्
नकरना; और
कभीकपपर्क्ष
ृ केपत्तोंकोअपनीहर्ाओिं
महीनदप
ु ट्टािेकरनत्ृ यकेसमयकरते
हैं।
63
तस्
योत्
सङ्गेरणतयनइर्स्
रोतङ्गादक
ु ू िािं
नत्
र्िं दृष्
ट्र्ानपुनरिकािंज्ञास्यसेकामिारीन ्!
यार्:कािेर्हततसलििोद्गारमुच्िैवर्वमाना
मुक्
ताजािग्रधथतमिकिंकालमनीर्ाभ्रर्न्ृ दम ्।।
हे कामिारीमेघ, श्जसकीगिंगारूपीसाड़ी
सरकगईहै ऐसीउसअिकाकोरेमी
पहिानसको, ऐसानहीिंहोसकता।बरसात
केहदनोंमें उसकेऊाँिेमहिोंपरजबतुम
छाजाओगेतबतम्
ु हारे जिकीझड़ीसेर्ह
ऐसीसुहार्नीिगेगीजैसीमोततयोंकेजािों
सेगाँथ
ु ेहुएघुाँघरािेकेशोंर्ािीकोईकालमनी
हो।
उत्तरमेघ
वर्द्यत्ु
र्न्तिं िलितर्तनता:सेन्द्र
िापिंसधित्रा:
सिंगीतायरहतमरु जा:श्स्नग्
िगम्भीरघोर्म ्।
अन्तस्तोयिंमखणमयभर्
ु स्तङ्
ु मभ्रिंलिहाग्रा:
रासादास्
त्
र्ािंति
ु तयतम
ु ििंयत्रतैस्तैवर्वशेर्ै:।।
अिकाकेमहिअपनेइन-इनगुणोंसे
तुम्
हारीहोड़करें गे।तुम्हारे पासबबजिीहै
राँगीिाइन्
द्रिनुर्है तोउनमें धित्रलििेहैं।
तुम्
हारे पासमिुरगम्भीरगजवनहै तोउनमें
सिंगीतकेलिएमद
ृ िं गठनकतेहैं।तुम्हारे
भीतरजिभराहैं, तोउनमेंमखणयोंसेबने
िमकीिेिशवहैं।तुमआकाशमें ऊाँिेउठे
होतोर्ेगगनिुम्बीहैं।
2
हस्ते िीिाकमिमिकेबािकुन्दानुवर्द्ििं
नीतािोररसर्रजसापाण्डुतामाननेश्री:।
िूडापाशेनर्कुरर्किंिारुकणेलशरीर्:
सीमन्ते ित्
र्दप
ु गमजिंयत्रनीपिंर्िूनाम ्।।
र्हााँअिकाकीर्िुएाँर्ड्ऋतुओिंकेिूिों
सेअपनाश्रिंग
ृ ारकरतीहैं।शरदमें कमि
उनकेहाथोंकेिीिारवर्न्दहैं।हे मन्
तमें
टटकेबािकुन्दउनकेघुाँघरािेबािोंमें गाँथ
ू े
जातेहैं।लशलशरमेंिोरपष्ु पोंकापीिा
परागर्ेमुिकीशोभाकेलिएिगातीहैं।
र्सन्तमें कुरबककेनएिूिोंसेअपना
जूड़ासजातीहैं।गरमीमें लसरसकेसुन्दर
िूिोंकोकानमें वपरोतीहैंऔरतुम्हारे
पहाँिनेपरर्र्ावमें जोकदम्बपुष्पखििते
यस्यािंयक्षा:लसतमखणमयान्
येत्यहम्यस्
व थिातन
ज्
योततच
छायाकुसुमरधितान्यत्ु तमस्त्रीसहाया:।
आसेर्न्ते मिुरततिििंकप
पर्क्ष
ृ रसूतिं
त्
र्द्गम्भीरध्र्तनर्ुशनकै:पष्ु करे ष्र्ाहतेर्ु।।
र्हााँपत्
थरकेबनेहुएमहिोंकेउनअट्टों
परश्जनमें तारोंकीपरछाईंिूिों-सीखझिलमि
होतीहै , यक्षिलितािंगनाओिंकेसाथवर्राजते
हैं।तुम्
हारे जैसीगम्
भीरध्र्तनर्ािेपुष्कर
र्ाद्यजबमन्
द-मन्
दबजतेहैं, तबर्ेदम्
पतत
कपपर्क्ष
ृ सेइच्छानुसारराप्तरततिि
नामकमिुकापानकरतेहैं।
मन्
दाककन्या:सलििलशशरै :सेव्यमानामरुदलभ-
मवन्दाराणामनुतटरुहािंछाययार्ाररतोष्
णा:।
सिंक्रीडन्ते मखणलभरमरराधथवतायत्रकन्या:।।
दे र्ताश्जन्हेंिाहतेहैं, ऐसीरूपर्तीकन्
याएाँ
अिकामें मन्
दाककनीकेजिसेशीति
बनीपर्नोंकासेर्नकरतीहुई, औरनदी
ककनारे केमन्
दारोंकीछायामें अपनेआपको
िूपसेबिातीहुई, सुनहरीबािूकीमठ
ू ें
मारकरमखणयोंकोपहिेतछपादे तीहैंऔर
किरउन्हेंढूाँढ़तनकािनेकािेििेिती
हैं।
नीर्ीबन्िोच्
्र्लसतलशधथििंयत्रबबम्बािाराणािं
क्षौमिंरागादतनभत
ृ करे ष्र्
ाक्षक्षपत्सुवरयेर्ु।
अधिवस्
तङ्
ु गानालभमि
ु मवपराप्तरत्नरदीपान ्
ह्नीमूढानािंभर्ततवर्ििरेरणािण
ू म
व ुश्ष्ट:।।
र्हााँअिकामें कामीवरयतमअपनेििंिि
हाथोंसेिािअिरोंर्ािीश्स्त्रयोंकेनीर्ी
बन्
िनोंकेतड़कजानेसेढीिेपड़ेहुए
दक
ु ू िोंकोजबिीिंिनेिगतेहैं, तोिज्
जा
में बड़
ू ीहुईर्ेबेिारीककरणेंतछटकातेहुए
रत्
नीदीपोंकोसामनेरिेहोनेपरभीकिंु कुम
कीमठ
ू ीसेबझ
ु ानेमें सििनहीिंहोतीिं।
नेत्रानीता:सततगततनायद्वर्मानाग्रभूमी-
रािेख्
यानािंनर्जिकणैदोर्मत्ु पाद्यासद्य:।
शङ्कास्
पष्ृ टाइर्जिमुिस्त्र्
ादृशाजािमागै-
िम
ूव ोद्गारानुकृतततनपण
ु ाजजवरातनष्पतश्न्त।।
उसअिकाकेसतििंडेमहिोंकीऊाँिी
अटाररयोंमें बेरोकटोकजानेर्ािेर्ायुकी
बादिअपनेनएजि-कणोंसेलभविधित्रों
कोबबगाड़करअपरािीकीभााँततडरे हुए,
झरोिोंसेिुएाँकीतरहतनकिभागनेमें
िािाक, जजवरहोकरबाहरआतेहैं।
7
यत्रस्त्रीणािंवरयतमभुजालिङ्गनोच््र्ालसताना-
मङ्गग्
िातनसुरतजतनतािंतन्तुजािार्िम्बा:।
त्
र्त्
सरिं ोिापगमवर्शपैचिन्द्रपादै तनशीथे
व्यािुम्
पश्न्तस्िुटजििर्स्
यश्न्दनच
िन्
द्रकान्ता:।।
र्हााँअिकामें आिीरातकेसमयजब
तम
ु बीिमें नहीिंहोतेतबिन्द्रमाकी
तनमविककरणेंझािरोंमें िटकीहुईिन्
द्रकान्त
मखणयोंपरपड़तीहैं, श्जससेर्ेभीजि-
बबन्
दओु िंकीिुहारिआ
ु नेिगतीहैंऔर
वरयतमोंकेगाढ़भुजालििंगनसेलशधथिहुई
कालमतनयोंकेअिंगोंकीरततजतनतथकान
कोलमटातीहैं।
अक्षय्यान्तभवर्नतनिय:रत्यहिं रक्तकण्
ठै-
र्ैभ्राजाख्
यिंबबबुिर्तनतार्ारमुख्यासहाया
बद्िािापाबहहरुपर्निंकालमनोतनवर्वशश्न्त।।
र्हााँअिकामें कामीजनअपनेमहिोंके
भीतरअिट
ू िनरालशरिेहुएसुरसुन्दरी
र्ारािंगनाओिंसेरेमािापमें मग्नहोकर
रततहदन, सुरीिेकिंठसेकुबेरकायश
गानेर्ािेककन्नरोंकेसाथ, धित्ररथनामक
बाहरीउद्यानमें वर्हारकरतेहैं।
गत्
युत्
कम्पादिकपतततैयत्र
व मन्
दारपुष्पै:
पत्रच्
छेदै:कनककमिै:कणववर्भ्रिंलशलभचि।
मुक्
ताजािै:स्तनपररसरश्च्छन्नसूत्रैचिहारै -
नैशोमागव:सवर्तुरुदयेसूच्यतेकालमनीनाम ्।।
र्हााँअिकामें रात:सय
ू ोदयकेसमय
कालमतनयोंकेरातमें अलभसारकरनेका
मागविािकीदिककेकारणघुाँघरािे
केशोंसेसरकेहुएमन्दारिूिोंसे, कानों
हुएजािोंसे, औरउरोजोंपरिटकनेर्ािे
हारोंकेटूटकरधगरजानेसेपहिानाजाता
है ।
10
मत्
र्ादे र्िंिनपततसििंयत्रसाक्षाद्र्सन्
तिं
रायच
िापिंनर्हततभयान्मन्मथ:र्ट्पदज्यम ्।
सभ्रूभङ्गरहहतनयनै:कालमिक्ष्येष्र्मोघै-
स्तस्यारम्
भच
ितुरर्तनतावर्भ्रमैरेर्लसद्ि:।।
र्हााँअिकामें कुबेरकेलमत्रलशर्जीको
साक्षातबसताहुआजानकरकामदे र्भौंरों
कीरत्
यििं ार्ािेअपनेिनर्
ु परबाणिढ़ाने
सेराय:डरताहै ।
कामीजनोंकोजीतनेकाउसकामनोरथ
तोनागरीश्स्त्रयोंकीिीिाओिंसेहीपरू ा
अपनेकटाक्षछोड़तीहैंजोकामीजनोंमें
अिक
ू तनशानेपरबैठतेहैं।
11
र्ासश्चित्रिंमिुनयनयोवर्वभ्रमादे शदक्षिं
पुष्
पोद्भेदिंसहककसियैभर्
ूव णानािंवर्कपपान ्।
िाक्षरागिंिरणकमिन्
यासयोग्
यिंियस्या-
मेक:सूतेसकिमबिामण्डनिंकपपर्क्ष
ृ :।।
नयनोंमें ििंिितािानेकेलिएिटकमिु,
शरीरसजानेकेलिएपुष्प-ककसियऔर
भााँतत-भााँततकेगहने, िरणकमिराँगनेके
लिएमहार्र-यहसबश्स्त्रयोंकीश्रिंग
ृ ार-
सामग्रीअकेिाकपपर्क्ष
ृ हीउत्पन्नकर
दे ताहै ।
12
तत्रागारिं िनपततगह
ृ ानुत्तरे णास्मदीयिं
दरू ाप
िक्ष्
यिं सुरपततिनुचिारुणातोरणेन।
यस्योपान्तेकृतकतनय:कान्तयार्धिवतोमे
हस्तराप्
यस्तबकनलमतोबािमन्
दारर्क्ष
ृ :।।
उसअिकामें कुबेरकेभर्नसेउत्तरकी
ओरमेराघरहै , जोसन्
ु द रइन्द्रिनर्
ु के
समानतोरणसेदरू सेपहिानाजाताहै ।
उसघरकेएकओरमन्दारकाबािर्क्ष
ृ
है श्जसेमेरीपत्नीनेपुत्रकीतरहपोसाहै
औरजोहाथबढ़ाकरिुनिेनेयोग्यिूिों
केगुच्छोंसेझुकाहुआहै ।
13
र्ापीिाश्स्मन्मरकतलशिाबद्िसोपानमागाव
है मैच
छन्नवर्किकमिै:श्स्नग्
िर्ैदय
ू न
व ािै:।
यस्यास्तोयेकृतर्सतयोमानसिंसिंतनकृष्टिं
नाध्
यास्यश्न्तव्यपगतशि
ु स्
त्र्ामवपरेक्ष्य
हिं सा।।
उतरनेकीसीहढ़योंपरपन्नेकीलसिेंजड़ी
हैंऔरश्जसमें बबपिौरकीधिकनीनािोंर्ािे
खििेहुएसोनेकेकमिभरे हैं।सबद:ु ि
आजानेपरभीपासमें सग
ु ममानसरोर्र
में जानेकीउत्किंठानहीिंहदिाते।
14
तस्
यास्तीरे रधितलशिर:पेशिैररन्
द्रनीिै:
क्रीडाशैि:कनककदिीर्ेष्टनरेक्षणीय:।
मद्गोहहन्या:वरयइततसिे!िेतसाकातरे ण
रेक्ष्
योपान्
तस्िुररततडडतिंत्र्ािंतमेर्स्मरालम।।
उसबार्ड़ीकेककनारे एकक्रीड़ा-पर्वतहै ।
उसकीिोटीसुन्द
रइन्द्रनीिमखणयोंके
जड़ार्सेबनीहै ; उसकेिारोंओरसुनहिे
कदिीर्क्ष
ृ ोंकाकटहरादे िनेयोग्यहै ।
हे लमत्र, िारोंओरतघरकरबबजिी
िमकातेहुएतुम्हेंदे िकरडराहुआमेरा
हीयादकरनेिगताहै ।
15
रक्ताशोकच
ििककसिय:केसरच
िात्रकान्त:
रत्
यासन्
नौकुरबकर्त
ृ ेमाविर्ीमण्डपस्य।
एक:सख्
यास्तर्सहमयार्ामपादालभिार्ी
काङ्क्षत्
र्न्योर्दनमहदरािंदोहदच्
छद्मनास्या:।।
उसक्रीड़ा-शैिमें कुबरककीबाढ़सेतघरा
हुआमोततयेकामिंडपहै , श्जसकेपासएक
ओरििंििपपिर्ोंर्ािािाििूिोंका
अशोकहै औरदस
ू रीओरसन्
ु दरमौिलसरी
है ।उनमें सेपहिामेरीतरहकीदोहदके
बहानेतम्
ु हारीसिीकेबाएाँपैरकाआघात
िाहताहै , औरदस
ू रा(बकुि)उसकेमि
ु
सेमहदराकीिुहारकाइच्छुकहै ।
16
तन्
मध्
येिस्
िहटकििकाकाञ्िनीर्ासयश्ष्ट-
मूि
व ेबद्िामखणलभरनततरौढर्िंशरकाशै:।
तािै:लशन्जार्ियसुभगैनतव तवत:कान्तयामे
यामध्
यास्ते हदर्सवर्गमेनीिकण्ठ:सुहृद्र्:।।
उनदोर्क्ष
ृ ोंकेबीिमें सोनेकीबनीहुई
बबपिौरकाििकिगाहै , औरमूिमें
मरकतमखणयााँजड़ीहैं।
मेरीवरयतमाहाथोंमें बजतेकिंगन
सन्
ध्
याकेसमयउसछतरीपरबैठताहै ।
17
एलभ:सािो!हृदयतनहहतैिक्ष
व णैिक्ष
व येथा
द्र्ारोपान्ते लिखितर्पुर्ौशङ्िपद्मौिदृष्ट्र्ा।
क्षामच्
छायिंभर्नमिुनामद्वर्योगेननूनिं
सूयावपायेनििुकमििंपष्ु य
ततस्र्ामलभख्याम ्।।
हे ितरु , ऊपरबताएहुएइनिक्षणोंको
परबनीहुईशिंिऔरकमिकीआकृतत
दे िकरतुममेरेघरकोपहिानिोगे,
यद्यवपइससमयमेरेवर्योगमें र्हअर्चय
छवर्हीनपड़ाहोगा।
पूरीशोभानहीिंहदिापाता।
18
गत्
र्ासद्य:किभतनुतािंशीघ्रसिंपातहे तो:
क्रीडाशैिेरथमकधथतेरम्यसानौतनर्ण्णा:।
अहवस्यन्तभवभर्नपतततािंकतम
ुव पपापयभासिं
तुमशीघ्रहीमकुनेहाथीकेसमानरूप
बनाकरऊपरकहे हुएक्रीड़ा-पर्वतके
सुन्
दरलशिरपरबैठना।किरजुगनुओिंकी
भााँततिौकतीहुई, औरहटमहटमाते
रकाशर्ािीअपनीबबजिीरूपीदृश्ष्टमहि
केभीतरडािना।
19
तन्
र्ीच
यामालशिररदशनापक्र्बबम्बािरोष्
ठी
मध्
येक्षामािककतहररणीरेक्षणातनम्ननालभ:।
श्रोणीभारादिसगमनास्तोकनम्रास्तनाभ्यािं
यातत्रस्
याद्युर्ततवर्र्येसश्ृ ष्टराद्येर्िातु:।।
दे हकीछरहरी, उठतेहुएयौर्नर्ािी,
कीधितर्नर्ािी, गहरीनालभर्ािीश्रोखण-भार
कुछझक
ु ीहुई-ऐसीमेरीपत्नीर्हााँअिका
कीयुर्ततयोंमें मानोरह्माकीपहिीकृतत
है ।
20
तािंजानीथा:पररलमतकथािंजीवर्तिंमेद्वर्तीयिं
गाढोत्
कण्ठािंगुरुर्ुहदर्सेष्र्
ेर्ु गच्छन्सु बािािं
जातािंमन्येलशलशरमधथतािंपद्लमनीिंर्ान्
यरूपाम ्।।
मेरेदरू ििेआनेकेकारणअपनेसाथीसे
बबछड़ीहुईउसवरयतमाकोतम
ु मेरादस
ू रा
राणहीसमझो।मझ
ु ेिगताहै ककवर्रह
कीगाढ़ीर्ेदनासेसताईहुईर्हबािा
वर्योगकेकारणबोझिबनेइनहदनोंमें
कुछऐसीहोगईहोगीजैसे पािेकीमारी
कमलिनीऔरतरहकीहोजातीहै ।
21
नूनिंतस्
या:रबिरुहदतोच्छूननेत्रिंवरयाया
तन:च
र्ासानामलशलशरतयालभन्नर्णाविरोष्ठम ्।
हस्तन्यस्तिं मुिमसकिव्यश्क्तिम्बािकत्र्ा-
हदन्दोदै न्यिंत्र्दनुसरणश्क्िष्
टकान्तबे बवभततव।
िगाताररोनेसेश्जसकेनेत्रसूजगएहैं,
गमवसााँसोंसेश्जसकेतनििेहोंठकारिं ग
िीकापड़गयाहै , ऐसीउसवरयतमाका
हथेिीपररिाहुआमुि, जोश्रिंग
ृ ारके
अभार्में केशोंकेिटकआनेसेपूरान
दीिताहोगा, ऐसामलिनज्ञातहोगाजैसे
तुम्
हारे द्र्ाराढकजानेपरिन्द्रमाकाश्न्तहीन
होजाताहै ।
22
आिोकेतेतनपतततपरु ासार्लिव्याकुिार्ा
मत्
सादृच
यवर्रहतनुर्ाभार्गम्यिंलििन्ती।
पच्
ृ
छन्तीर्ामिुरर्िनािंसाररकािंपञ्जरस्
थािं
कश्च्िद्भतु:व स्
मरलसरलसके!त्र्िंहहतस्यवरयेतत।।
पज
ू ामें िगीहुईहदिाईपड़ेगी, यावर्रहमें
क्षीणमेरीआकृततकाअपनेमनोभार्ोंके
अनुसारधित्रलिितीहोगी, यावपिंजड़ेकी
रलसया, तझ
ु ेभीक्यार्ेस्र्ामीयादआते
हैं? तूतोउनकीदि
ु ारीथी।'
23
उत्
सङ्गेर्ामलिनर्सनेसौम्य!तनक्षक्षप्यर्ीणािं
मद्गोत्राङ्कवर्रधितपदिं गेयमुद्गातुकामा।
तन्
त्रीमाद्राुंनयनसलििै:सारतयत्र्ाकथिंधि-
द्भूयोभूय:स्
र्यमवपकृतािंमूच्छवनािंवर्स्मरन्
ती।।
हे सौम्
य, किरमलिनर्स्
त्रपहनेहुएगोदमें
र्ीणारिकरनेत्रोंकेजिसेभीगेहुए
तन्
तुओिंकोककसीतरहठीक-ठाककरके
मेरेनामािंककतपदकोगानेकीइच्छासे
वर्धिकोभीभूितीहुईहदिाईपड़ेगी।
24
शेर्ान्मासाश्न्र्रहहदर्सस्
थावपतस्यार्िेर्ाव
मत्
सङ्ड़्गिंर्ाहृदयतनहहतारम्भमास्र्ादयन्
ती
रायेणैतेरमणवर्रहे ष्र्ङ्गनानािंवर्नोदा:।।
वर्योधगनीकीकामदशा, सिंकपप-
अथर्ा, एकर्र्वकेलिएतनश्चितमेरे
वर्योगकीअर्धिकेककतनेमासअबशेर्
िढ़ाएपूजाकेिूिोंकोउठा-उठाकरभलू म
पररिरहीहोगी।याकिरभााँतत-भााँततके
रततसुिोंकोमनमें सोितीहुईमेरेलमिने
कारसिितीहोगी।
राय:स्र्ामीकेवर्रहमेंवर्योधगनी
श्स्त्रयााँइसीरकारअपनामन-बहिार्ककया
करतीहैं।
25
सव्यापारामहतननतथापीडयेन्मद्वर्योग:
शङ्केरात्रौगुरुतरशििंतनवर्वनोदािंसिीिंते।
मत्
सदिं े शै:सुितयतुमििंपचयसाध्र्ीिंतनशीथे
तामुश्न्नद्रामर्तनशयनािंसौिर्ातायनस्थ:।।
धित्र-िेिनयार्ीणाबजानेआहदमें व्यस्त
उसेहदनमेंतोमेरावर्योगर्ैसान
बहिार्केसािननरहनेसेर्हतेरीसिी
भरीशोकमें डूबजाएगी।
अतएर्आिीरातकेसमयजबर्ह
भूलमपरसोनेकाव्रतलियेहुएउिटीनीिंद
सेिेटीहो, तबमेरेसन्
देशमें उसपततव्रता
कोभरपूरसुिदे नेकेलिएतुममहिकी
गोिमें बैठकरउसकेदशवनकरना।
26
आधिक्षामािंवर्रहशयनेसिंतनर्ण्
णैकपाचर्ाुं
रािीमूिेतनुलमर्किामात्रशेर्ािंहहमािंशो:।
नीताराबत्र:क्षणइर्मयासािवलमच्छारतैयाव
तामेर्ोष्
णवै र्वरहमहतीमश्रुलभयावपयन्तीम ्।।
मानलसकसन्तापकेकारणतन-क्षीणबनी
हुईर्हउसवर्रह-शय्यापरएककरर्टसे
िेटीहोगी, मानोरािीहदशाकेक्षक्षततजपर
ििंद्रमाकीकेर्िएककोरबिीहो।
जोराबत्रककसीसमयमेरेसाथमनिाहा
वर्िासकरतेहुएएकक्षण-सीबीतजाती
थी, र्हीवर्रहमेंपहाड़बनीहुईगमव-गमव
आाँसुओिंकेसाथककसी-ककसीतरहबीतती
होगी।
27
पादातनन्
दोरमत
ृ लशलशराञ्जािमागवरवर्ष्टान ्
पूर्र
व ीत्
यागतमलभमुििंसिंतनर्त्ृ तिंतथैर्।
िक्षु:िेदात्
सलििगुरुलभ:पक्ष्मलभच
छादयन्
तीिं
जािीमें सेभीतरआतीहुईिन्द्रमाकी
ककरणोंकोपररधितस्नेहसेदे िनेकेलिए
उसकेनेत्रबढ़तेहैं, परतत्काििौटआते
हैं।तबर्हउन्हेंआाँसुओिंसेभरीहुईदभ
ू र
पिकोंसेऐसेढकिेतीहैं, जैसेिूपमें
खििनेर्ािीभ-ू कमलिनीमेह-बूाँदीकेहदन
नपूरीतरहखििसकतीहै, नकुम्हिाती
हीहै ।
28
तन:च
र्ासेनािरककसियक्िेलशनावर्क्षक्षपन्तीिं
शुद्िस्
नानात्परुर्मिकिंनूनमागण्डिम्बम ्।
मत्
सभिं ोग:कथमुपनयेत्स्र्प्
नजो∙पीतततनद्रा-
माकाङ्क्षन्तीिंनयनसलििोत्पीडरूद्िात्र्काशाम ्।।
िटअर्च
यउसकेगाितकिटकआई
होगी।अिरपपिर्कोझि
ु सानेर्ािी
गमव-गमवसााँसकाझोंकाउसेहटारहा
होगा।ककसीरकारस्र्प्नमें हीमेरेसाथ
रमणकासि
ु लमिजाए, इसलिएर्हनीिंद
कीिाहकरतीहोगी।परहा!आाँिोंमें
आाँसओ
ु िंकेउमड़नेसेनेत्रोंमें नीिंदकी
जगहभीर्हााँरुाँ िगईहोगी।
29
आद्येबद्िावर्रहहदर्सेयालशिादामहहत्र्ा
स्पशवश्क्िष्टामयलमतनिेनासकृत्सारयन्तीिं
गण्
डाभोगात्कहठनवर्र्मामेकर्ेणीिंकरे ण।।
वर्रहकेपहिेहदनजोर्ेणीिुटीिनेके
बबनामैंबााँिआयाथाऔरशापकेअन्त
में शोकरहहतहोनेपरमैंहीश्जसेजाकर
पहुाँिातीहोगी, र्हअपनेकोमिगिंडस्थि
केपासिम्
बे निोंर्ािाहाथिेजाकरबार-
बारहटातीहुईहदिाईपड़ेगी।
30
सासिंन्यस्ताभरणमबिापेशििंिारयन्ती
शय्योत्
सङ्गेतनहहतमसकृद्द:ु िद:ु िेनगात्रम ्।
त्
र्ामप्यस्त्रिंनर्जिमयिंमोितयष्यत्यर्चयिं
राय:सर्ोभर्ततकरुणार्वृ िराद्रश्न्तरात्मा।।
र्हअबिाआभर्
ू णत्यागेहुएअपने
सुकुमारशरीरकोभााँतत-भााँततकेदि
ु ोंसे
वर्रह-शय्यापरतड़पतेहुएककसीरकार
भीअर्च
यनई-नईबूाँदोंकेआाँसूबरसेंगे।
मद
ृ ु हृदयर्ािेव्यश्क्तयोंकीधित्त-र्वृ िराय:
करुणासेभरीहोतीहै ।
31
जानेसख्
यास्तर्मतयमन:सिंभत
ृ स्नेहमत्मा-
हदत्
थिंभूतािंरथमवर्रहे तामहिंतकवयालम।
र्ािाििंमािंनििुसुभगिंमन्यभार्:करोतत
रत्
यक्षिंतेतनखििमधिराद्भ्रातरुक्तिंमयायत ्।।
मैंजानताहूाँककतुम्हारीउससिीकेमन
में मेरेलिएककतनास्नेहहै।इसीकारण
अपनेपहिेबबछोहमें उसकीऐसीदखु ित
अर्स्थाकीकपपनामझ
ु ेहीरहीहै ।
पत्
नीकेसह
ु ागसेकुछअपनेको
बड़भागीमानकरमैंयेबातेंनहीिंबघार
स्र्यिंहीशीघ्रदे ििोगे।
32
रुध्दापाङ्गरसरमिकैरञ्जनस्नेहशन्
ू यिं
रत्
यादे शादवपिमिुनोवर्स्
मतृ भ्रूवर्िासम ्।
त्
र्य्यासन्
ने नयनमुपररस्पश्न्दशङ्केमग
ृ ाक्ष्या
मीनक्षोभाच्ििकुर्ियश्रीतुिामेष्यतीतत।।
मुाँहपरिटकआनेर्ािेबािश्जसकी
ततरछीधितर्नरोकतेहैं, काजिकीधिकनाई
केबबनाजोसूनाहै , औरवर्योगमें
मिुपानत्
यागदे नेसेश्जसकीभौंहें अपनी
ििंििताभूििुकीहैं, ऐसाउसमग
ृ नयनी
काबायााँनेत्रकुशिसन्देशिेकरतुम्हारे
पहुाँिनेपरऊपरकीओरिड़कताहुआ
ऐसारतीतहोगाजैसेसरोर्रमें मछिीके
िड़िड़ानेसेहहिताहुआनीिकमि
शोभापाताहै ।
33
र्ामच
िास्या:कररुहपदै मच्
ुव यमानोमदीयै-
मुक्
व ताजाििंधिरपररधितिंत्याश्जतोदै र्गत्या।
सिंभोगान्
ते ममसमुधितोहस्तसिंर्ाहनानािं
यास्यत्
यूरु:सरसकदिीस्तम्
भगौरच
िित्र्म ्।।
गोराउसकाबायााँउरु-भागतम्
ु हारे आनेसे
ििंििहोउठे गा।ककसीसमयसम्भोगके
अन्तमें मैंअपनेहाथोंसेउसकासिंर्ाहन
ककयाकरताथा।परआजतोनउसमें मेरे
द्र्ाराककएहुएनि-क्षतोंकेधिह्नहैं, और
नवर्िातानेउसकेधिर-पररधितमोततयों
सेगाँथ
ू ेहुएजािोंकेअििंकारहीरहनेहदए
हैं।
34
तश्स्मन्कािेजिद!यहदसािब्ितनद्रासुिास्या-
दन्र्ास्यैनािंस्ततनतवर्मि
ु ोयाममात्रिंसहस्र्।
माभूदस्
या:रणतयतनमतयस्र्प्निब्
िेकथिंधित ्
सद्य:कण्ठच्युत्भुजिताग्रश्न्थगाढोपगढ
ू म ्।।
हे मेघ, यहदउससमयर्हनीिंदकासि
ु िे
रहीहो, तोउसकेपासठहरकरगजवनसे
मुाँहमोड़ेहुएएकपहरतकबाटअर्चय
दे िना।ऐसानहोकककहठनाईसेस्र्प्न
में लमिेहुएअपनेवरयतमकेसाथगाढ़े
आलििंगनकेलिएकिंठमेंडािाहुआ
उसकाबाहु-पाशअिानकिुिजाए।
35
तामुत्
थाप्यस्र्जिकखणकाशीतिेनातनिेन
रत्
याच
र्ास्तािंसममलभनर्ैजाविकैमावितीनाम ्।
वर्द्युद्गभव:श्स्तलमतनयनािंत्र्त्सनाथेगर्ाक्षे
र्क्
तुिंिीर:स्ततनतर्िनैमावतननीिंरक्रमेथा:।।
जगाओगेतोमाितीकीनईकलियोंकी
हुएतुम्
हारीओरवर्स्मय-भरे नेत्रोंसेएकटक
दे ितीहुईउसमातननीसे, बबजिीको
अपनेभीतरहीतछपाकरिीरभार्से
घोरतेहुएकुछकहनाआरम्
भकरना।
36
भतुलव मवत्रिंवरयमवर्िर्े!वर्द्धिमामम्बुर्ाहिं
तत्
सदिं े शैहृवदयतनहहतैरागतिंत्र्त्समीपम ्।
योर्न्ृ
दातनत्र्रयततपधथश्राम्यतािंरोवर्तानािं
मन्
द्रश्स्नग्
िैध्र्तव नलभरबिार्ेखणमोक्षोत्सुकातन।।
हूाँ।उसकेहृदयमेंभरे हुएसन्देशोंको
िेकरतुम्हारे पासआयाहूाँ।मैंअपने
िीर-गम्भीरस्र्रोंसेमागवमें हटकेहुए
रर्ासीपततयोंकोशीघ्रघरिौटनेकेलिए
रेररतकरताहूाँ, श्जससेर्ेअपनीवर्रहहणी
श्स्त्रयोंकीबाँिीहुईर्ेणीिोिनेकीउमिंग
पूरीकरसकें।
37
इत्
याख्
यातेपर्नतनयिंमैधथिीर्ोन्मुिीसा
त्
र्ामुत्
कण्ठोच्
्र्लसतहृदयार्ीक्ष्यसिंभाव्यिैर्म ्।
श्रोष्
यत्
यस्मात्
परमर्हहतासौम्य!सीमश्न्तनीनािं
कान्तोदन्त:सुहृदप
ु नत:सिंगमाश्त्किंधिदन
ू :।।
जबतुमइतनाकहिक
ु ोगे, तबर्ह
हनुमानकोसामनेपानेसेसीताकीभााँतत
उत्
सुकहोकरखििेहुएधित्
तसेतुम्हारी
ओरमुाँहउठाकरदे िेगीऔरस्र्ागत
करे गी।
किरर्हसन्
देशसुननेकेलिएसर्वथा
स्र्ामीकेलमत्रद्र्ारापहुाँिताहै , र्हपततके
साक्षातलमिनसेकुछहीकमसुिकारी
होताहोगा।
38
तामायुष्
मन ्!ममिर्िनादात्मनचिोपकतुुं
रूयादे र्िंतर्सहिरोरामधगयावश्रमस्थ:।
अव्
यापन्
न:कुशिमबिे!पच्
ृ छ
ततत्र्ािंवर्यक्
ु त:
धिरजीर्ीलमत्र, मेरेकहनेसेऔरअपनी
परोपकार-भार्नासेतुमइसरकारउससे
गयाहुआतुम्हारार्हसाथीअभीजीवर्त
है ।तुम्
हारे वर्योगकीव्यथामें र्हपूछरहा
हैंककतुमकुशिसेतोहो।जहााँरततपि
वर्पविराखणयोंकेतनकटहैर्हााँसबसे
पहिेपूछनेकीबातभीयहीहै ।
39
अङ्गेनाङ्गेरतनुतनुनागाढतप्तेनतप्तिं
सास्
त्रण
े ाश्रुद्रत
ु मवर्रतोत्कण्ठमुत्कश्ण्ठतेन।
उष्णोच््र्ासिंसमधिकतरोच्
्र्ालसनादरू र्ती
सिंकपपस्
ै तवै र्वशततवर्धियार्ैररणारुद्िमागव:।।
दरू गयाहुआतुम्हारार्हसहिरअपनेशरीर
कोतुम्
हारे शरीरसेलमिाकरएककरना
िाहताहै , ककन्तुबैरीवर्िातानेउसकेिौटने
कामागवरूाँिरिाहै , अतएर्िंर्हउन-उन
सिंकपपोंद्र्ाराहीतम्
ु हारे भीतररर्ेशकररहाहै ।
र्हक्षीणहै , तम
ु भीक्षीणहोगईहो।
र्हगाढ़ीवर्रह-ज्र्ािामेंतप्तहै , तम
ु भी
वर्रहमें जिरहीहो।र्हआाँसओ
ु िंसेभराहै ,
तम
ु भीआाँसओ
ु िंसेगिरहीहो।र्हर्ेदना
सेयक्
ु तहै , तम
ु भीतनरन्तरर्ेदनासहरही
हो।र्हिम्
बीउसााँसेंिेरहाहै , तम
ु भीतीव्र
उच््र्ासछोड़रहीहो।
40
शब्दाख्
येयिंयदवपककितेय:सिीनािंपुरस्ता-
त्
कणेिोि:कथतयतुमभूदाननस्पशविेाभात ्।
सोततक्रान्
त:श्रर्णवर्र्यिंिोिनाभ्यामदृष्
ट-
स्त्
र्ामुत्
कण्ठावर्रधितपदिं मन्मुिेनेदमाह।।
सखियोंकेसामनेभीजोबातमुिसे
कािोभीर्हकानकेपासअपनामुाँह
िगाकरकहनेकेलिएििंििरहताथा।
ऐसार्हरलसकवरयतम, जोइससमय
आाँिऔरकानकीपहुाँिसेबाहरहै ,
उत्
किंठार्शसन्
देशकेकुछअक्षरजोड़कर
मेरेद्र्ारातुमसेकहरहाहै ।
41
च
यामास्
र्ङ्गिंिककतहररणीरेक्षणेदृश्ष्टपातिं
र्क्त्रच्
छायािंशलशतनलशखिनािंबहवभारे र्ुकेशान ्।
उत्
पच
यालमरतनुर्ुनदीर्ीधिर्ुभ्रूवर्िासान ्
हन्तैकश्स्मन्
क्
र्धिदवपनतेिश्ण्ड!सादृच
यमश्स्त।।
कीइठिातीहपकीिहरोंमेंििंििभौंहों
कीसमतामैंदे िताहूाँ।परहा!एकस्थान
छवर्नहीिंपाता।
42
त्
र्ामालिख्
यरणयकिंु वपतािंिातुरागै:लशिाया-
मात्
मानिंतेिरणपतततिंयार्हदच्छालमकतम
ुव ्।
अस्त्रैस्तार्त्मह
ु ु रूपधितैदृवश्ष्टरािुप्यतेमे
क्रूरस्
तश्स्मन्नवपनसहतेसिंगमिंनौकृतान्त:।।
हे वरये, रेममें रूठीहुईतम
ु कोगेरूकेरिं ग
सेिट्टानपरलििकरजबमैंअपनेआपको
तुम्
हारे िरणोंमें धिबत्रतकरनािाहताहूाँ,
तभीआाँसूपुन:पुन:उमड़करमेरीआाँिों
तोहमदोनोंकालमिनानहीिंसह
ु ाता।
43
मामाकाशरखणहहतभज
ु िंतनदवयाचिेर्हे तो-
िवब्िायास्ते कथमवपमयास्र्प्नसिंदशवनेर्।ु
पच
यन्तीनािंनििु बहुशोनस्थिीदे र्तानािं
मुक्
तास्
थूिास्तरुककसियेष्र्श्रुिेशा:पतश्न्त।।
मुझेककसीतरहलमिजातीहोतोतुम्हें
तनठुरतासेभज
ु पाशमें भरिेनेकेलिएमैं
शून्
यआकाशमें बााँहेंिैिाताहूाँ।मेरीउस
परबबिरजातेहैं।
44
लभत्
र्ासद्य:ककसियपुटान्
देर्दारूद्रम
ु ाणािं
येतत्
क्षीरस्त्रतु तसुरभयोदक्षक्षणेनरर्त्ृ ता:।
आलिङ्ग्यन्ते गण
ु र्तत!मयातेतुर्ाराहद्रर्ाता:
पूर्ुं स्
पष्टिंयहदककिभर्ेदङ्मेलभस्तर्ेतत।।
हे गुणर्तीवरये, दे र्दारुर्क्ष
ृ ोंकेमुाँदे
पप
िर्ोंकोिोितीहुई, औरउनकेिुटार्
सेबहतेहुएक्षीर-तनयावसकीसुगश्न्ििेकर
िितीहुई, हहमाििकीजोहर्ाएाँदश्क्िन
कीओरसेआतीहैं, मैंयहसमझकर
उनकाआलििंगनकरतारहताहूाँकककदाधित
र्ेपहिेतुम्हारे अिंगोंकास्
पशवकरकेआई
हों।
45
सिंक्षक्षप्येतक्षणइर्कथिंदीघवयामाबत्रयामा
सर्ावर्स्
थास्र्हरवपकथिंमन्दमन्
दातपिंस्यात ्।
इत्
यिंिेतच
िटुिनयने!दि
ु भ
व पाथवनिंमें
गाढोष्
मालभ:कृतमशरणिंत्र्द्वर्योगव्यथालभ:।
पहरोंर्ािीवर्रहकीरातिटपटकैसेबीत
कीहूिेंकैसेकमहोजाएाँ, ऐसी-ऐसीदि
ु भ
व
सािोंसेआकुिमेरेमनकोतुम्हारे वर्रह
कीव्
यथाओिंनेगहरासन्
तापदे करबबना
अर्िम्बकेछोड़हदयाहै ।
46
नन्र्ात्
मानवबहुवर्गणयन्नात्मनैर्ार्िम्बे
तत्
कपयाखण!त्
र्मवपतनतरािंमागम:कातरत्र्म ्।
कस्यात्
यन्तिं सुिमुपनतिंद:ु िमेकान्ततोर्ा
नीिैगच्
व
छत्युपररिदशािक्रनेलमक्रमेण।।
वरये!औरभीसन
ु ो।बहुतभााँततकी
कपपनाओिंमें मनरमाकरमैंस्र्यिंकोिैयव
दे करजीर्नरिरहाहूाँ।हेसह
ु ागभरी, तम
ु
भीअपनेमनकािैयव सर्वथािोमत
दे ना।
कौनऐसाहै श्जसेसदासि
ु हीलमिा
कीनेलमकीतरहबारी-बारीसेऊपर-नीिे
किरतारहताहै ।
47
शापान्तोमेभुजगशयनादश्ु त्थतेशाङ्वगपाणौ
शेर्ान्मासान ्गमयिोिनेमीितयत्या।
पच
िादार्ािंवर्रहगुखणतिंतिंतमात्मालभिार्िं
तनर्ेक्ष्य
ार्:पररणतशरच्िश्न्द्रकासुक्षपासु।।
जबवर्ष्
णु शेर्कीशय्यात्
यागकरउठें गे
तबमेरेशापकाअन्तहोजाएगा।इसलिए
बिेहुएिारमासआाँिमीिंिकरबबता
अपनीउन-उनअलभिार्ाओिंकोकाततवक
48
भय
ू च
िाहत्
र्मवपशयनेकण्
ठिग्नापरु ामे
तनद्रािंगत्
र्ाककमवपरुदतीसस्र्निंवर्रबद्
ु िा।
सान्
तहावसिंकधथतमसकृत्पच्
ृ छतचित्र्यामे
दृष्
ट:स्र्प्ने ककतर्!रमयन्
कामवपत्र्िं मयेतत।।
तुम्
हारे पततनेइतनाऔरकहाहै -एकबार
तुमपििंगपरमेराआलििंगनकरकेसोईहुई
थीिंककअकस्मातरोतीहुईजागपड़ीिं।जब
बार-बारमैंनेतुमसेकारणपूछातोतुमने
मन्
दहाँसीकेसाथकहा-''हे छलिया, आज
स्र्प्नमें मैंनेतुम्हेंदस
ू रीकेसाथरमण
करतेदे िा।''
49
एतस्मान्मािंकुशलिनमलभज्ञानदानाद्वर्हदत्
र्ा
माकौिीनाच्
िककतनयने!मध्यवर्च
र्ालसनीभू:।
हदष्टेर्स्
तुन्युपधितरसा:रेमराशीभर्श्न्त।।
इसपहिानसेमझ
ु ेसकुशिसमझिेना।
हे िपिनयनी, िोकिबार्सन
ु करकहीिंमेरे
वर्र्यमें अपनावर्च
र्ासमतिोदे ना।
कहतेहैंककवर्रहमेंस्नेहकमहोजाता
है ।परसितोयहहै ककभोगकेअभार्
में वरयतमकास्नेहरसकेसिंियसेरेम
काभिंडारहीबनजाताहै ।
50
आच
र्ास्यैर्िंरथमवर्रहोदग्रशोकािंसिीिंते
शैिादाश
ु बत्रनयनर्र्
ृ ोत्िातकूटाश्न्नर्त
ृ :।
सालभज्ञानरहहतकुशिैस्तद्र्िोलभमवमावप
रात:कुन्
दरसर्लशधथििंजीवर्तिंिारयेथा:।।
पहिीबारवर्रहकेतीव्रशोककीद:ु खिनी
उसअपनीवरयसिीकोिीरजदे ना।
किरउसकैिासपर्वतसे, श्जसकीिोटी
परलशर्कानन्दीढूसामारकरिेिकरता
है , तुमशीघ्रिौटआना।औरगूढ़पहिान
केसाथउसकेद्र्ाराभेजेगएकुशिसन्देश
सेमेरेसुकुमारजीर्नकोभी, जोरात:काि
केकुन्
दपष्ु पकीतरहलशधथिहोगयाहै ,
ढाढ़सदे ना।
51
कश्च्ित्
सौम्य!व्यर्लसतलमदिं बन्िुकृत्यिं त्र्यामे
रत्
यादे शान्
नििुभर्तोिीरतािंकपपयालम।
तन-शब्दो∙वपरहदशलसजििंयाधितचिातकेभ्य:
रत्
यक्
ु
तिं हहरणतयर्ुसतामीश्प्सताथवकक्रयैर्।।
हे वरयलमत्र, क्यातुमनेतनजबन्िुकायह
कायवकरनास्र्ीकारकरलिया? मैंयह
नहीिंमानताककतुमउत्तरमें कुछकहो
तभीतुम्
हारीस्र्ीकृततसमझीजाए।तम्
ु हारा
यहस्र्भार्है ककतुमगजवनकेबबनाभी
मााँगतेहैं।सज्जनोंकायािकोंकेलिए
इतनाहीरततर्िनहोताहैककर्ेउनका
कामपूराकरदे तेहैं।
52
एतत्
कृत्
र्ावरयमनुधितराथवनार्ततवनोमे
सौहादावद्र्ावर्िुरइततर्ामय्यनुक्रोशबुद्ध्या।
इष्टान्देशाञ्जिद!वर्िररार्र्
ृ ािंसिंभत
ृ श्री-
मावभूदेर्िंक्षणमवपितेवर्द्युतावर्रयोग:।।
हूाँइससेमेरेऊपरदयाकरकेयहअनधु ित
दे ना।किरर्र्ावऋतु कीशोभालियेहुए
तम्
ु हेंअपनीवरयतमावर्द्यत
ु ्सेक्षण-भरके
लिएभीमेरेजैसावर्योगनसहनापड़े।