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ऩाठ -13 भॊत्र

भौखिक –

ननम्नलरखित प्रश्नों के उत्तय दीजजए |

प्रश्न (१) डॉक्टय चड्ढा के ऩरयवायजनों का ऩरयचम दीजजए |

उत्तय - डॉक्टय चड्ढा, उनका फेटा कैराश , उनकी ऩुत्री व उनकी ऩत्नी नायामणी थी |

प्रश्न (२) कैराश भूनछि त कैसे हुआ ?

उत्तय – कैराश साॉऩ के काटने से भनू छि त हुआ |

प्रश्न (३) डॉक्टय साहफ ने बगत के रड़के को दे िने से क्मों इनकाय कय ददमा ?

उत्तय - डॉक्टय साहफ ने बगत के रड़के को दे िने से इसलरए इनकाय कय ददमा क्मोंकक मह
उनका गोल्फ़ िेरने जाने का सभम था |

प्रश्न (४) कैराश को जीवन दान ककसने व कैसे ददमा ?

उत्तय – कैराश को जीवन दान फूढ़े बगत ने भॊत्र के द्वाया ददमा |

लरखित –

(क)ननम्नलरखित प्रश्नों के उत्तय दीजजए |

प्रश्न (१) डॉक्टय चड्ढा के उत्तभ स्वास््म का क्मा यहस्म था ? स्ऩष्ट

कीजजए |

उत्तय - डॉक्टय चड्ढा के उत्तभ स्वास््म का मह यहस्म था कक वो ननमभानुसाय अऩना साया कामि
कयते थे | इस ननमभ से वह जौ बय बी न टरते थे | इसलरए फड़ी उम्र होने के फावजद
ू बी वो
जवान रगते थे |

प्रश्न (२) ननम्नलरखित ऩात्रों के चरयत्र की कभ से कभ चाय –चाय ववशेषताओॊ का उल्रेि


कीजजए- डॉक्टय चड्ढा, बगत ,कैराश
उत्तय – डॉक्टय चड्ढा ननमभों के ऩक्के ,ऩरयश्रभी ,कठोय ददरवारे औय चस्
ु त व पुतीरे व्मजक्त थे
| बगत ऩयोऩकायी ,दमावान ,कतिव्मऩयामण औय एक फढ़
ू ा व्मजक्त था | कैराश ववनम्र ,यलसक ,
साॉऩों को ऩारने का शौकीन व मुवा व्मजक्त था |

प्रश्न (३) फढ़
ू े बगत के भन भें ककस फात का प्रनतकाय था तथा भन भें प्रनतकाय होने के फाद बी
वह डॉक्टय के ऩुत्र का उऩचाय कयने क्मों गमा ?

उत्तय - फढ़
ू े बगत के भन भें इस फात का प्रनतकाय था कक जफ उसका ऩत्र
ु फीभाय था औय उसे
डॉक्टय द्वाया ददए जाने वारे उऩचाय की आवश्मकता थी रेककन उस सभम डॉक्टय चड्ढा ने
अऩने ननमभों के कायण उसके ऩुत्र का उऩचाय नहीॊ ककमा | जजसके कायण फूढ़े बगत के ऩुत्र की
भत्ृ मु हो गई | इसके फावजूद बी वह डॉक्टय के ऩुत्र का उऩचाय कयने गमा क्मोंकक वह एक
ऩयोऩकायी व अऩने कतिव्म का ऩारन कयने वारा व्मजक्त था |

प्रश्न (४) भण
ृ ालरनी के भना कयने ऩय बी कैराश साॉऩों का तभाशा क्मों ददिाता यहा ? अऩने
शब्दों भें लरखिए |

उत्तय- भण
ृ ालरनी के भना कयने ऩय बी कैराश साॉऩों का तभाशा इसलरए ददिाता यहा क्मोंकक
भण
ृ ालरनी ऩहरे बी उसके द्वाया ऩारे गए साॉऩों को ददिाने के लरए कहती यहती थी ऩय वह
हभेशा भना कय दे ता था | कैराश के जन्भददन ऩय भण
ृ ालरनी व उसके सहऩादठमों ने उसे तभाशा
ददिाने का आग्रह ककमा | सबी साॉऩों का िेर दे िने के लरए उत्सादहत थे | जफ वह िेर ददिा
यहा था तफ भण
ृ ालरनी ने उसे िेर ददिाने के लरए भना बी ककमा ऩयॊ तु कैराश इतना उत्सादहत
था की भना कयने के फाद बी वह नहीॊ भाना |

प्रश्न (५) ऩुत्र को जीवन दान लभरने ऩय डॉक्टय चड्ढा के भन भें वद्
ृ ध बगत के प्रनत क्मा बाव
उत्ऩन्न हुए?

उत्तय - ऩुत्र को जीवन दान लभरने ऩय डॉक्टय चड्ढा के भन भें वद्


ृ ध बगत के प्रनत श्रद्धा के
बाव उत्ऩन्न हुए | उनके भन भें मह ववचाय आमा कक वद्
ृ ध बगत का जन्भ मश की वषाि कयने
के लरए हुआ है | उन्हें आत्भग्रानन हुई औय डॉक्टय चड्ढा ने बववष्म भें बगत की तयह अच्छा
इॊसान फनने व दस
ू यों की सही सभम ऩय भदद कयने का ननश्चम ककमा |

प्रश्न (६) प्रस्तुत कहानी से आऩको क्मा लशऺा लभरती है ?


उत्तय - प्रस्तुत कहानी से हभें मह लशऺा लभरती है कक हभें दस
ू यों के साथ अच्छा व्मवहाय
कयना चादहए औय अऩने कतिव्म का ऩारन कयना चादहए| दस
ू यों के व्मवसाम का सम्भान कयना
चादहए औय फदरे की बावना नहीॊ यिनी चादहए|

लरखित –

(ि)ननम्नलरखित ऩॊजक्तमों का बाव स्ऩष्ट कीजजए | |

(१) भन भें प्रनतकाय था; ऩय कभि भन के अधीन न था ?

प्रस्तुत ऩॊजक्त हभायी ऩाठ्म ऩुस्तक ‘अभत


ृ ऩाठभारा’ के ऩाठ ‘भॊत्र’ से री गई है | इसके रेिक
प्रेभचॊद मह कहते हैं कक फूढ़े बगत के भन भें डॉक्टय के प्रनत प्रनतकाय था क्मोंकक उसने बगत
के ऩुत्र का उऩचाय नहीॊ ककमा था| ऩयॊ तु कभि प्रनतकाय से अधधक श्रेष्ठ लसद्ध हुआ औय वह
डॉक्टय के घय उसके फेटे का उऩचाय कयने चरा गमा|

(२) जहाॉ हास्म की ध्वनन थी , वहाॉ अफ करुण-क्रॊदन औय अश्रु प्रवाह था |

प्रस्तुत ऩॊजक्त भें सारधगयह के सभायोह का वणिन ककमा गमा है | दो ववऩयीत

ऩरयजस्थनतमों के फाये भें फतामा गमा है | सारधगयह सभायोह उल्रास का, ख़श


ु ी का वातावयण
प्रस्तुत कयता है वहीीँ दस
ू यी औय साॉऩ के डसने का वातावयण योने भें ऩरयवनतित हो जाता है | जहाॉ
सफके चेहये ऩय ख़श
ु ी थी वहीॊ दस
ू यी तयफ़ आॉसू फह यहे थे|

(३) चेतना योकती थी भगय उऩचेतना ठे रती थी ,सेवक स्वाभी ऩय हावी था|

प्रस्तुत ऩॊजक्त के भाध्मभ से रेिक फूढ़े बगत के भन भें चर यहे सोच –ववचाय के फाये भें फताते
हुए कहते हैं कक डॉक्टय चड्ढा ने उसके ऩुत्र को नहीॊ फचामा था जजसके कायण फूढ़े बगत के भन
भें फदरे की बावना थी| उसकी चेतना उसे डॉक्टय चड्ढा के ऩुत्र का उऩचाय कयने से योक यही थी
ऩयॊ तु उसकी उऩचेतना उसे अऩना कतिव्म माद ददरा यही थी क्मोंकक बगत एक बरा व
ऩयोऩकायी व्मजक्त था| सेवक स्वाभी ऩय हावी था अथाित ् सेवक कभि की बावना थी व स्वाभी
प्रनतकाय की बावना थी| कभि की बावना प्रनतकाय की बावना से जीत गई|
(४) उसका जन्भ मश की वषाि कयने के लरए ही हुआ है |

प्रस्तत
ु ऩॊजक्त डॉक्टय चड्ढा ने अऩने भन भें फढ़
ू े बगत के प्रनत श्रद्धा का बाव यिते हुए कही
क्मोंकक फूढ़े बगत ने उस सभम प्रनतकाय की बावना को बूरकय डॉक्टय चड्ढा के ऩुत्र को जीवन
दान ददमा| मही बगत के चरयत्र की सफसे फड़ी ववशेषता थी|

भूल्माधारयत प्रश्न –

प्रश्न – एक नाभी डॉक्टय होने के फावजूद बी क्मा डॉक्टय चड्ढा ने एक अच्छे डॉक्टय का पर्ि
ननबामा? एक अच्छे डॉक्टय के पर्ि का अऩने शब्दों भें वणिन कीजजए| (अऩने
अनुसाय सबी ववद्माथी उत्तय लरिें गे|)

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