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सुश्रत

प्रश्नों के उत्तय

प्रश्न 1. हभ ककस प्रकाय बमॊकय योगों ऩय काफू ऩा सकते हैं?

उत्तय – हभ आधनु नक चिककत्सा के मुग भें शल्म चिककत्सा द्वाया बमॊकय योगों ऩय काफू ऩा
सकते हैं । वैज्ञाननक अनुसॊधानों से भानव ने अऩनी आमु भें वद्
ृ चध की है वह ॊ शल्म
चिककत्सा की उन्ननत के कायण एक व्मक्तत के शय य का कोई अॊग अफ दस
ू ये व्मक्तत के
शय य भें रगामा जा सकता है । आॉखों के प्रत्मायोऩण से रेकय हृदम औय गयु दे प्रत्मायोपऩत कय
भानव ने अऩनी प्रनतबा का ऩरयिम ददमा । शय य को सुॊदय फनाने के लरए बी शल्म
चिककत्सा की जा यह है । इसके अरावा शल्म चिककत्सकों ने बफना िीय-पाड़ के रेज़य
ककयणों द्वाया शल्म चिककत्सा बी आयॊ ब कय द है । मह प्रथा प्रािीन कार से िर आ यह
है ,तफ बी मुद्ध भें घामर सैननकों के अॊगों का प्रत्मायोऩण इसी पवचध से होता था ।

प्रश्न 2. लसद्ध कीक्जए कक शल्म चिककत्सा का इनतहास हजायों वषष ऩुयाना है ।

उत्तय-शल्म चिककत्सा पवज्ञान का इनतहास फहुत ऩुयाना है । बायत भें उस कार भें बी वैदम
शल्म चिककत्सा कयना जानते थे। वे जड़ी-फूदिमों द्वाया तो योगों का उऩिाय कयते ह थे ,साथ
ह मुद्ध भें घामर हुमे सैननकों कक शल्म चिककत्सा बी ककमा कयते थे । कुिरे औय ज़ख्भी
अॊग को कािकय उऩिाय ककमा जाता था । सुश्रत
ु के प्रमोगों ऩय आधारयत ‘सुश्रत
ु शल्म तॊत्र’
की यिना ईसा ऩव
ू ष छठी शताब्द भें हुई । दो सौ वषष फाद नागाजन
ुष ने इस ग्रॊथ को नमा रूऩ
ददमा ।

प्रश्न-3 ‘सश्र
ु त ु सॊदहता’ भें ककतने अध्माम हैं ?इसका रेखन ककस रूऩ भें ककमा गमा ?

उत्तय – ‘सुश्रत
ु सॊदहता’ भें रगबग एक सौ फीस अध्माम हैं । इस ग्रॊथ का रेखन प्रश्नोत्तय रूऩ
भें ककमा गमा है । प्रश्न सुश्रत
ु द्वाया ककए गए है तथा धन्वॊतरय ने उनके सभाधान ददए हैं।
कुछ पवद्वानों का भत है कक हभाये दे श भें शल्म चिककत्सा कयनेवारों रोगों को धन्वॊतरय
कहा जाता था ऩयॊ तु सॊदहता से ज्ञात होता है कक धन्वॊतरय काशी के याजा थे ।

प्रश्न-4 सश्र
ु त ु के अनस
ु ाय कुशर चिककत्सक फनने के लरए तमा आवश्मक है ?

उत्तय- सुश्रत
ु के अऩने ग्रॊथ भें फतामा कक सपर चिककत्सक के लरए प्रमोग कयना फहुत
आवश्मक है । शल्म चिककत्सक के पवद्माथी को ऩहरे छे दम –बेदम कभष सीखने िादहए ।
परों , सक्ब्जमों , तयह-तयह के ऩुतरों ,भये हुए जानवयों की िीय –पाड़ कयके अभ्मास कयना
िादहए । वे शव की त्विा फेधकय अऩने पवद्माचथषमों को शय य की भाॊसऩेलशमों , हड्डिमों तथा
बीतय अॊगों का अध्ममन कयाते थे । उनका भानना था कक मदद कोई इस तयह का अभ्मास
नह ॊ कये गा तो वह शल्म चिककत्सा नह ॊ कय ऩाएगा , तमोंकक अधयू े ज्ञानवारा चिककत्सक
पवषैरे सऩष से बी अचधक घातक होता है अत् कुशर चिककत्सक फनने के लरए ऩस्
ु तकीम
ज्ञान तथा व्मावहारयक प्रमोग दोनों ह ज़रूय है ।

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