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NCERT Solution

पाठ – 03
ल लाधर मंडलोई
न-अ यास
मौ खक:
(क) न न ल खत न के उ!तर एक-दो पंि'तय म( द िजए-
उ!तर1:- तताँरा-वामीरो एक लोक कथा है । यह दे श के उन वीप क कथा है जो आज ल टल
अंदमान और कार-$नकोबार नाम से जाने जाते ह'। $नकोबा(रय का मानना है )क *ाचीन
काल म, ये दोन वीप एक ह- थे।
उ!तर2:- वामीरो सागर के )कनारे गा रह- थी। अचानक समु0 क ऊँची लहर ने उसे भगो
दया, इसी हड़बडाहट म, वह गाना भूल गई।
उ!तर3:- तताँरा वामीरो के 9प और मधरु आवाज़ से स<मो हत हो गया था। गाँव क र-$त क
परवाह )कए =बना उसने अगले दन )फर लपाती गाँव क उसी समु0- च?ान पर आने क
याचना क ।
उ!तर4:- तताँरा और वामीरो के गाँव क र-$त थी )क @ववाह के लए लड़का-लड़क का एक ह- गाँव
का होना आवAयक था।
उ!तर5:- Bोध म, तताँरा ने अपनी परू - शिDत लगाकर उसक तलवार को धरती म, घोप दया और
उसक सार- शिDत लगाकर खींचने लगा िजससे धरती म, दरार पड़ गई और वह दो टुकड़
म, बँट गई।

ल खत:
(क) न न ल खत न के उ!तर (25-30 श1द म( ) ल खए -
उ!तर1:- तताँरा क तलवार के बारे म, लोग का मत था )क उसक तलवार भले साधारण लकड़ी
क थी पर तलवार म, अHत
ु , @वलIण और दै वीय शिDत थी।
उ!तर2:- वामीरो ने तताँरा को बेJखी से जवाब दया )क वह कौन है , उसे Dय घूर रहा है और
उसके इस तरह असंगत *Aन के उLतर वह Dय दे ? वह अपने गाँव के अ$त(रDत )कसी
अNय यव
ु क के *Aन के उLतर दे ने के लए बाOय नह-ं है और यह बात वह भी जानता
है ।
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उ!तर3:- तताँरा-वामीरो क Lयागमयी मLृ यु से $नकोबार क स दय से चल रह- J ढ़वाद- पर<परा
म, प(रवतRन आया। उन दोन क मLृ यु के पAचात ् गाँव वाले दस
ू रे गाँववाल से भी
वैवा हक स<बNध को Tथा@पत करने लगे।
उ!तर4:- तताँरा एक नेक, मददगार युवक था। वह सदै व दस
ू र क सहायता करने के लए तLपर
रहता था। अपने नह-ं बिUक समच
ू े वीपवा सय क सेवा करना चाहता था। जहाँ कह-ं भी
मुसीबत आती वह दौड़ा-दौड़ा चला जाता था। उसके इNह-ं मानवीय गुण के कारण
$नकोबार के लोग तताँरा को पसंद करते थे।

(ख) न न ल खत न के उ!तर (50-60 श1द म( ) ल खए -


उ!तर1:- $नकोबार वीपसमूह के @वभDत होने के बारे म, $नकोबा(रय का @वAवास है )क पहले यह
दोन वीप एक ह- थे जो तताँरा वामीरो क असफल *ेम क Vासद- के फलTव9प दो
अलग-अलग वीप म, बदल गए।
उ!तर2:- तताँरा दनभर के अथक प(रWम करने के बाद समु0 )कनारे टहलने $नकलता है । उस
समय सूरज डूबने का समय हो रहा था। समु0 से ठं डी बयार, चल रह- थी। पYIय के
घोसल म, लौटने का समय भी हो चला था इस लए उनक आवाज, धीरे -धीरे कम हो गई
थीं। सूरज क अं$तम )करण, समु0 पर *$त=ब<ब अं)कत कर रह- थी।
उ!तर3:- वामीरो के मलने के पAचात ् तताँरा हर-समय वामीरो के ह- Zयाल म, ह- खोया रहता
था। उसके लए वामीरो के =बना एक पल भी गज
ु ारना क ठन-सा हो गया था। वह शाम
होने से पहले ह- लपाती क उसी समु0- च?ान पर जा बैठता, जहाँ वह वामीरो के आने
क *तीIा )कया करता था।
उ!तर4:- *ाचीन काल म, मनोरं जन और शिDत-*दशRन के लए मेले, पशु-पवR कुAती, गीत संगीत
आ द अनेक *कार के आयोजन )कए जाते थे। जैसे पशु-पवR म, [\ट-पु\ट पशुओं का
*दशRन )कया जाता था तो पु9ष को अपनी शिDत *दशRन करने के लए पशुओं से
भड़ाया जाता था। इस तरह के आयोजन म, सभी गाँववाले भाग लेते थे और गीत-संगीत
के साथ भोजन आ द क भी _यवTथा क जाती थी।
उ!तर5:- 9 ढयाँ जब बंधन बन बोझ बनने लग, तब उनका टूट जाना ह- अbछा है Dय )क तभी हम
समय के साथ आगे बढ़ पाएगे। बंधन म, जकड़कर _यिDत और समाज का @वकास, सुख-
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आनंद, अ भ_यिDत आ द Jक जाती है । य द हम, आगे बढ़ना है तो इन J ढ़वाद-
@वचारधाराओं को तोड़ना ह- होगा।

(ग) न न ल खत के आशय 5प6ट क8िजए -


उ!तर1:- इस पंिDत का आशय यह है )क तताँरा अपने अपमान को सहन नह-ं कर पाया। अपने
अपमान को शांत करने के लए उसने अपनी परू - ताकत लगाकर धरती म, अपनी तलवार
घ प द-। िजसके प(रणाTव9प धरती दो टुकड़ म, बँट गई।
उ!तर2:- इस पंिDत के ज(रए तताँरा के मन क उधेड़बुन को दशाRया गया है । वामीरो से मलने क
*तीIा म, वह बैचन
ै रहता था। उसक *तीIा आशा और $नराशा के बीच झूलती रहती
थी।

भाषा अ;ययन:
उ!तर1:- (क) @वधानवाचक
(ख) *Aनवाचक
(ग) @वधानवाचक
(घ) *Aनवाचक
(ङ) @वTमया दबोधक
(च) @वधानवाचक

उ!तर2:-
मुहावरे वाDय
सुध-बुध खोना लता द-द- के गान ने तो मेर- सुध-बुध ह- भुला द-।
@वदे श म, गए अपने बेटे क माता-@पता बड़ी ह- बेसgीसे बाट जो
बाट जोहना रहे थे।
खश
ु ी का ठकाना कई साल बाद अपने बचपन के मV से मलकर मेर-ख़श
ु ी का ठ
न रहना काना न रहा।
आग बबूला होना बेटे क शरारत पर @पता आग बबूला हो उठे ।
आवाज उठाना अNयाय के iखलाफ़ आवाज उठानी चा हए।

उ!तर3:-
शkद मूल शkद *Lयय
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चlचRत चचाR इत
साह सक साहस इक
छटपटाहट छटपट आहट
शkदह-न शkद ह-न

उ!तर4:-
अन + आकषRक अनाकषRक
अ + nात अnात
सु + कोमल सुकोमल
बे + होश बेहोश
दरू ् + घटना दघ
ु ट
R ना

उ!तर5:-
(क) जीवन म, पहल- बार ऐसा हुआ )क म' @वच लत हुआ हूँ।
(ख) )फ़र तेज कदम से चलती हुई तताँरा के सामने आई और ठठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होने पर घर क तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को दे खा और फूटकर रोने लगी।
(ङ) र-$त के अनुसार यह आवAयक था )क दोन एक ह- गाँव के हो।

उ!तर6:-
(क) पास म, संुदर और शिDतशाल- यव
ु क रहा करता था। (दो पद को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी ।( 'अNय' के अथR म, )
(ग) एक आकृ$त कुछ साफ हुई... कुछ और... कुछ और... (Bमश : धीरे - धीरे के अथR म, )
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर क तरफ दौड़ गई। (दो उपवाDय को जोड़ने के
अथR म, )
(ङ) वामीरो का दख
ु उसे और गहरा कर रहा था। ('अlधकता' के अथR म, )
(च) उसने थोड़ा और कर-ब जाकर पहचानने क चे\टा क । (' $नकटता ' के अथR म, )

उ!तर7:-
शkद @वलोम शkद
भय $नभRय
मधरु कटु
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सsय असsय
मूक वाचाल
तरल ठोस
उपिTथ$त अनुपिTथ$त
सख
ु द दख
ु द

उ!तर8:- समु0 - सागर, संध।ु


आँख - नेV,लोचन।
दन - वासर, वार।
अंधेरा - अंधकार, तम।
मुDत - आज़ाद, TवतंV।

उ!तर9:-
शkद वाDय
)कंकतR_य@वमूढ अब ऐसे )कंकतR_य@वमूढ न खड़े रहो, जाओ जाकर काम करो।
@वtवल उन अनाथ बbच क दशा दे खकर म' भाव @वtवल होउठu।
भयाकुल उस बालक ने भयाकुल नज़र से मेर- ओर दे खा।
याचक दरवाजे पर कोई याचक खड़ा है ।
आकंठ भDत अपने गुJ के सLसंग म, आकंठ डूब चक
ू े थे।

उ!तर10:- वाDय म, दन के लए आँचर हत - एक - ठं डा और ऊबाऊ @वशेषण का *योग )कया


गया है ।
दन के लए कुछ और @वशेषण -
1) बफwला
2) उ\णता र हत
3) बड़ा
4) लंबा
5) नीरस
6) उमस भरा

उ!तर11:-
NCERT Solu

1) तुम यह Dया कह रहे हो


2) सीता है )क बोलते ह- जा
3) राम कुछ भी मत बको।
4) वाह! Dया खब
ू तुमने तो
5) इस कथन का ताLपयR Dय
6) सभी उसक वाकपटुता के

उ!तर12:- पदबंध के *कार -


(क) @वशेषण पदबंध
(ख) )Bया पदबंध
(ग) )Bया@वशेषण पदबंध
(घ) संnा पदबंध
(ङ) संnा पदबंध

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