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NCERT Solution
पाठ – 01
नमक का दरोगा
पाठ के साथ:
1. कहानी का कौन-सा पा आपको सवा धक भा वत करता है और य?

2. 'नमक का दारोगा' कहानी म! पं#डत अलोपीद'न के )यि त+व के कौन से दो पहलू (प.) उभरकर
आते ह1?

3. कहानी के लगभग सभी पा समाज क3 4कसी-न-4कसी स5चाई को उजागर करते ह1।


9न:न;ल<खत पा के संदभ म! पाठ से उस अंश को उ@ृत करत
त े हुए ब ाइए 4क यह समाज क3
4कस स5चाई को उजागर करते ह1 –
(क) वG
ृ मंश
ु ी (ख) वक3ल (ग) शहर क3 भीड़
4. 9न:न पंि तय को Iयान से पJढए
़ -
नौकर' म! ओहदे क3 ओर Iयान मत दे ना, यह तो पीर का मज़ार है । 9नगाह चढ़ावे और चादर
पर रखनी चाJहए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपर' आय हो। मा;सक वेतन तो पण
ू मासी का
चाँद है जो एक Jदन Jदखाई दे ता है और घटते-घटत
ते लXु हो जाता है । ऊपर' आय बहता हुआ
Yोत है िजससे सदै व Xयास बझ
ु ती है । वेतन मन[ु य दे ता है , इसी से उसम! व ृ G नह'ं होती।
ऊपर' आमदनी ई\वर दे ता है , इसी से उसक3 बरकत होती है , तुम ]वयं व^वान हो, तु:ह! या
समझाऊँ ।
(क) यह 4कसक3 उि त है ?
(ख) मा;सक वेतन को पूणमासी का चाँद य कहा गया है ?
(ग) या आप एक पता के इस व त)य से सहमत ह1?
5. 'नमक का दारोगा' कहानी के कोई दो अ_य शीषक बताते हुए उसके आधार को भी ]प[ट
क3िजए।

6. कहानी के अंत म! अलोपीद'न के वंशीधर को मैनेजर 9नयु त करने के पीछे या कारण हो


सकते ह1? तक सJहत उ+तर द'िजए। आप इस कहानी का अंत 4कस कार करते?

पाठ के आस पास:
1. दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कायa क3 वजह से पं#डत अलोपीद'न को गरbतार करता है , ले4कन
कहानी के अंत म! इसी पं#डत अलोपीद'न क3 सcदयता पर मुdध होकर उसके यहाँ मैनेजर क3

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नौकर' को तैयार हो जाता है । आपके वचार से वंशीधर का ऐसा करना उ चत था? आप उसक3
जगह होते तो या करते?

2. नमक वभाग के दारोगा पद के ;लए बड़ -बड़ का जी ललचाता था। वतमान समाज म! ऐसा
कौन-सा पद होगा िजसे पाने के ;लए लोग लाला9यत रहते ह गे और य?

3. 'पढ़ना-;लखना सब अकारथ गया। वG


ृ मंश
ु ी जी ^वारा यह बात एक व;श[ट संदभ म! कह' गई
थी। अपने 9नजी अनुभव के आधार पर बताइए -

(क) जब आपको पढ़ना-;लखना )यथ लगा हो।


(ख) जब आपको पढ़ना-;लखना साथक लगा हो।

(ग) 'पढ़ना-;लखना' को 4कस अथ म! यु त 4कया गया होगा:सा.रता अथवा ;श.ा? ( या


आप इन दोन को समान मानते ह1?)

4. लड़4कयाँ ह1, वह घास-फूस क3 तरह बढ़ती चल' जाती ह1। वा य समाज म! लड़4कय क3 ि]थ9त
क3 4कस वा]त वकता को कट करता है ?

5. इस;लए नह'ं 4क अलोपीद'न ने य यह कम 4कया बिhक इस;लए 4क वह कानून के पंजे म!


कै से आए। ऐसा मनु[य िजसके पास असाIय करनेवाला धन और अन_य वाचालता हो, वह य
कानून के पंजे म! आए। +येक मन[ु य उनसे सहानुभ9ू त कट करता था। अपने आस-पास
अलोपीद'न जैसे )यि तय को दे खकर आपक3 या 9त4iया होगी? उपयु त JटXपणी को Iयान
म! रखते हुए ;लख! ।

समझाइए तो ज़रा -
1. नौकर' म! ओहदे क3 ओर Iयान मत दे ना, यह तो पीर क3 मज़ार है । 9नगाह चढ़ावे और चादर
पर रखनी चाJहए।

2. इस व]तत
ृ संसार म! उनके ;लए धैय अपना ;म , बु G अपनी पथ दशक और आ+मावलंबन ह'
अपना सहायक था।

3. तक ने jम को पु[ट 4कया।
4. _याय और नी9त सब लkमी के ह' <खलौने ह1 , इ_ह! वह जैसे चाहती ह1, नचाती ह1।
5. द9ु नया सोती थी, पर द9ु नया क3 जीभ जागती थी।

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6. खेद ऐसी समझ पर! पढ़ना-;लखना सब अकारथ गया।
7. धम ने धन को पैर तले कुचल डाला।
8. _याय के मैदान म! धम और धन म! युG ठन गया।

भाषा क' बात:


1. भाषा क3 च ा+मकता, लोकोि तय और मुहावर के जानदार उपयोग तथा Jहंद'-उद ू के साझा mप
एवं बोलचाल क3 भाषा के ;लहाज से यह कहानी अnत
ु है । कहानी म! से ऐसे उदाहरण छाँटकर
;ल<खए और यह भी बताइए 4क इन के योग से 4कस तरह कहानी का कoय अ धक असरदार
बना है ?

2. कहानी म! मा;सक वेतन के ;लए 4कन-4कन वशेषण का योग 4कया गया है ? इसके ;लए आप
अपनी ओर से दो-दो वशेषण और बताइए। साथ ह' वशेषण के आधार को तक सJहत प[ु ट
क3िजए।

3. (क) बाबज
ू ी आशीवाद!
(ख) सरकार' हु म!
(ग) दातागंज के !
(घ) कानपरु !
द' गई व;श[ट अ;भ)यि तयाँ एक 9नि\चत संदभ म! 9नि\चत अथ दे ती ह1। संदभ बदलते ह'
अथ भी पpरव9तत हो जाता है । अब आप 4कसी अ_य संदभ म! इन भा षक अ;भ)यि तय का
योग करते हुए समझाइए।

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पाठ – 01
नमक का दरोगा
पाठ के साथ
उ तर1: कहानी का नायक मुंशी वंशीधर हम सवा धक भा वत करता है । मुंशी वंशीधर एक
ईमानदार और कत यपरायण यि!त है , जो समाज म ईमानदार% और कत य&न'ठा क)
*मसाल कायम करता है । उसने अलोपीद%न दातागंज जैसे सबसे अमीर और व1यात
यि!त को गर2तार करने का साहस 3दखाया। आ6खरकर पं7डत आलोपीद%न भी उसक)
9ढ़ता से मु;ध हो जाते ह<।
उ तर2: पं7डत अलोपीद%न के यि!त=व के &न>न*ल6खत दो पहलू उभरकर आते ह< –
एक - पैसे कमाने के *लए &नयम वBC काय करनेवाला D'ट यि!त। लोगF पर जुGम
करता था परं तु समाज म वह सफ़े दपोश यि!त था। यह उसके दोगले चKरL को उज
ागर
करता है । दो - कहानी के अंत म उसका उMMवल चKरL सामने आता है । ईमानदार% एवं
धम&न'ठा के गुणF क) कN करनेवाला यि!त।
उ तर3:
(क) वC
ृ मंश
ु ी - वC
ृ मंश
ु ी समाज म धन को मह=ता दे नेवाले D'ट यि!त है । वे अपने बेटे को
ऊपर% आय बनाने क) सलाह दे ते ह<। वे कहते ह< - 'मा*सक वेतन तो पण
ू मासी का चाँद है
जो एक 3दन 3दखाई दे ता है और घटते-घटते लTु त हो जाता है । ऊपर% आय बहता हुआ
Uोत है िजससे सदै व Tयास बझ
ु ती है ।'
(ख) वक)ल - आजकल जैसे धन लट
ू ना ह% वक)लF का धम बन गया ह<। वक)ल धन के *लए
गलत यि!त के पW म लड़ते ह<। मिजYZे ट के अलोपीद%न के हक म फै सला ुनसाने पर
वक)ल खश
ु ी से उछल पड़ता है ।
(ग) शहर क) भीड़ - शहर क) भीड़ दस
ू रF के दख
ु F म तमाशे जैसा मज़ा लेती है । पाठ म एक
Yथान पर कहा गया है - 'भीड़ के मारे छत और द%वार म भेद न रह गया।'
उ तर4:
(क) यह उि!त बूढ़े मुंशीजी क) है ।
(ख) मा*सक वेतन को पूणमासी का चाँद कहा गया है !यF^क वह मह%ने म एक 3दन 3दखाई
दे ता है और घटते-घटते लुTत हो जाता है । वेतन भी एक ह% 3दन आता है जैसे-जैसे माह
आगे बढ़ता है वैसे वह खच होता जाता है ।
(ग) जी नह%ं, म< एक पता के इस व!त य से सहमत नह%ं ह
।ू ँ ^कसी भी यि!त को D'टाचार
से दरू रहना चा3हए। एक पता अपने बेटे को Kर`वत लेने क) सलाह नह%ं दे सकता और
न दे नी चा3हए।

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उ तर5: ईमानदार% का फल - ईमानदार% का फल हमशा सुखद होता है । मुंशी वंशीधर को भी
क3ठनाइयF सहने के बाद अंत म ईमानदार% का सुखद फल *मलता है ।
D'टाचार और aयाय यवYथा - इस कहानी म 3दखाया गया है ^क aयाय के रWक वक)ल
कै से अपने ईमान को बेचकर गलत आलोपीद%न का साथ दे ते ह<।
उ तर6: कहानी के अंत म अलोपीद%न के वंशीधर को मैनेजर &नयु!त करने के पीछे &न>न कारण
हो सकते ह< –
• उसक) ईमानदार% और कत य&न'ठा से अलोपीद%न भा वत हो गए थे।
• वे आ=म;ला&न का अनुभव कर रहे थे।

पाठ के आस पास:
उ तर1: वंशीधर का ऐसा करना उ चत नह%ं था। म< अलोपीद%न के &त
त कृ dता 3दखाते हुए उaह
नौकर% के *लए मना कर दे ता !यF^क लोगF पर जG
ु म करके कमाई हुई बेईमानी क)
कमाई क) रखवाल% करना मेरे आदशf के वBC है ।
उ तर2: वतमान समाज म ऐसे पद ह< - आयकर, gबh)कर, सेGसटे !स इंYपे!टर, आ3द। इaह पाने
के *लए लोग लाला3हत रहते हFगे !यF^क इसम ऊपर% कमाई (Kर`वत) *मलने क) संभावना
Mयादा होती है ।
उ तर3:
(क) जब म<ने दे खा पढ़े -*लख लोग गंदगी फै ला रहे ुझ
है े उनका
तो म पढ़ना-*लखना यथ लगा।
(ख) जब हम पढ़े -*लख लोगF को उनके बkचF के उMMवल भ व'य क) योजना बनाते दे खते ह<
तो हम उनका पढ़ना-*लखना साथक लगता ह<।
(ग) 'पढ़ना-*लखना' को *शWा के अथ म यु!त ^कया गया ह<। नह%ं, इनम अंतर है ।
उ तर4: यह कथन समाज म लड़^कयF क) उपेlWत िYथ&त को दशाता है । लड़^कयF को बोझ माना
जाता ह<। उनक) उ चत दे ख-भाल नह%ं क) जा सकती।
उ तर5: अलोपीद%न जैसे यि!तयF दे खकर मेरे मन म यह &त^hया होती है ^क समाज म सारे
यि!त वंशीधर जैसे चKरLवान और साहसी !यF नह%ं होते। जो अलोपीद%न जैसे यि!तयF
को उनके कुकमf क) सज़ा 3दलाएँ।

समझाइए तो ज़रा -
उ तर1: इसम नौकर% के ओहदे और उससे जुड़े सaमान से भी Mयादा मह==व ऊपर% कमाई को
3दया गया है । ऐसी नौकर% करने के *लए कहा जा रहा है जहा Mयादा से Mयादा Kर`वत
*मल सके ।

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उ तर2: मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कत यपरायण यि!त है , जो समाज म ईमानदार% और
कत य&न'ठा क) *मसाल कायम करता है । इस बरु ाइयF से भरे हुए युग से अपने आप को
दरू रखने के *लए वंशीधर धैय को अपना *मL, बु C को अपनी पथ दशक और
आ=मावलंबन को ह% अपना सहायक मानते ह<।
उ तर3: वंशीधर को रात को सोते-सोते अचानक पुल पर से जाती हुई गा7ड़यF क) गडगडाहट सुनाई
द%। उaह Dम हुआ ^क सोचा कुछ तो गलत हुआ रहा है । उaहFने तक से सोचा ^क दे र
रात अंधेरे म कौन गा7ड़याँ ले जाएगा और इस तक से उनका Dम पु'ट हो गया।
उ तर4: आजकल aयायालय म भी D'टाचार बढ़ रहा है । जैसे धन लूटना ह% वक)लF का धम बन
गया ह<। वक)ल धन के *लए गलत यि!त के पW म लड़ते ह<। तभी आलोपीद%न जैसे
लोग aयाय और नी&त को अपने वश म रखते ह<।
उ तर5: पं7डत आलोपीद%न रात म गर2तार हुए ह% थे ^क खबर सब जगह फै ल गई। &ु नया
द क)
जबान ट%का-3टTपणी करने से 3दन हो या रात nकती नह%ं।
उ तर6: वC
ृ मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर क) स=य&न'ठा से नारज ह<। वे सोचते है Kर`वत न लेकर
और आलोपीद%न को पकड़कर वंशीधर ने गलती क) और उपय!त
ु कथन कहते ह<।
उ तर7: वंशीधर ने आलोपीद%न के oवारा 3दए जानेवाले धन को ठु राकर उसके धन के
*मpया*भमान को चरू -चरू कर डाला। धम ने धन को पैरF तले कुचल डाला।
उ तर8: aयायालय म वंशीधर और आलोपीद%न का मक
ु दमा चला। वंशीधर धम के *लए और
आलोपीद%न धन के सहारे अधम के *लए लड़ रहा था। इस कार aयाय के मैदान म धम
और धन म यC
ु ठन गया।

भाषा क( बात:
उ तर1: भाषा क) चLा=मकता -
'जाड़े के 3दन थे और रात का समय। नमक के *सपाह%, चौक)दार नशे म मYत थे...एक
मील पूव क) ओर जमुना बहती थी, उस पर नावF का एक पुल बना हुआ था। दारोगाजी
^कवाड़ बंद ^कए मीठs नींद से सो रहे थे।'
लोकोि!तयाँ -
• पूणमासी का चाँद।
• सुअवसर ने मोती दे 3दया।
मुहावरे -
• फूले न समाना।
• सaनाटा छाना।

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• पंजे म आना।
• हाथ मलना।
• महँु म का*लख लगाना आ3द।
इनके योग से कहानी का भाव बढ़ा है ।
उ तर2: कहानी म मा*सक वेतन के *लए &न>न*ल6खत वशेषणF का योग ^कया गया है -
• पूणमासी का चाँद
• पीर का मजार
हमारे वशेषण –
• एक 3दन क) खशु ी (!यF^क उस 3दन बहुत खुश होते ह<)
• चार 3दन क) चाँदनी (कुछ 3दन तक वेतन आने पर सार% चीज़े ले ल% जाती है । चार 3दन
म सब खच हो जाता है )
उ तर3:
(क) बाबूजी आशीवाद - बाबूजी आशीवाद द%िजए।
(ख) सरकार% हु!म - वे सरकार% हु!म का पालन करते ह<।
(ग) दातागंज के - पं7डत जी दातागंज के रहने वाले ह<।
(घ) कानपरु - यह बस कानपरु जाती है ।

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