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NCERT Solution
पाठ – 01
कबीर
पद के साथ:
1. कबीर क ि ट म ई वर एक है । इसके समथन म उ ह ने या तक !दए ह#?

2. मानव शर&र का 'नमाण )कन पंच त-व से हुआ है ?

3. जैसे बाढ़& का ट ह& काटै अ3ग'न न काटै कोई।


सब घ!ट अंत7र तँूह& :यापक धरै स<पै सोई।।
इसके आधार पर बताइए )क कबीर क ि ट म ई वर का या =व<प है ?
4. कबीर ने अपने को द&वाना य कहा है ?
5. कबीर ने ऐसा य कहा है )क संसार बौरा गया है ?

6. कबीर ने 'नयम और धम का पालन करने वाले लोग क )कन कDमय क ओर संके त )कया
है ?

7. अFानी गुGओं क शरण म जाने पर Dश य क या ग'त होती है ?

8. बाHयाडंबर क अपेJा =वयं (आ-म) को पहचानने क बात )कन पंि तय म कह& गई है ? उ ह


अपने शMद म Dलख।

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पाठ – 01
कबीर के पद
पद के साथ:
उ तर1: कबीर क ि ट म ई वर एक है । इसके समथन म उ ह ने न न तक दए ह" -
• कबीर के अनुसार िजस )कार *व व म एक ह+ वायु और जल है , उसी )कार संपूण संसार म
एक ह+ परम 4यो त 6या7त है ।
• सभी मानव एक ह+ 9म:ी से अथात ् < ह =वारा न9मत ह"।
• परमा>मा लकड़ी म अि@न क तरह 6या7त रहता है ।
• एक ह+ 9म:ी से सब बतन अथात ् सभी जीव का नमाण हुआ है ।
उ तर2: मानव शर+र का नमाण अि@न, वायु, जल, भू और आकाश पंच त>व से हुआ है ।

उ तर3: कबीर क ि ट म ई वर का DवEप अ*वनाशी है । कबीर दास के कहने का ता>पय यह है


Fक िजस )कार लकड़ी म अि@न नवास करती है ठHक उसी )कार परमा>मा सभी जीव के
Iदय म आ>मा DवJप म 6या7त है । ई वर सव6यापक, अजर-अमर और अ*वनाशी है ।
बढ़ई लकड़ी को चीर सकता है परं तु उस लकड़ी म न हत आग को न ट नह+ं कर सकता।
वैसे ह+ मनु य का शर+र भले न वर है परं तु शर+र म 6या7त आ>मा अथात ् परमा>मा
अमर है ।

उ तर4: कबीर अपने आप को द+वाना कहता है Mय Fक उनके अनुसार ई वर नगुण, नराकार,


अजय-अमर और अ*वनाशी है और उ ह ने ने इस परमा>मा का आ>म साNा>कार कर
9लया है अब वे राग-=वेष, अंहकार और मोह-माया से दरू होकर नभय हो चक
ु े ह" अत:
ई वर के सQचे भMत होने के कारण द+वाने ह"।

उ तर5: कबीरदास इस संसार को बौराया हुआ अथात् पागलपन क िDथ त तक पहु ँ ह ु आ बताते
चा
ह"। उनका ऐसा मानना इस9लए है Mय Fक संसार के लोग झठ
ू H बात पर तो *व वास कर
लेते ह" और सच कहने पर मारने के 9लए दौड़ते है ऐसे लोग को स>य और अस>य का
Vान नह+ं है । कबीरदास जी के कहने का ता>पय यह है Fक संसार के लोग बाWय आडंबर
म उलझे रहते ह" और ई वर के सQचे DवJप को नह+ं पहचानते।

उ तर6: कबीर ने नयम और धम का पालन करने वाले लोग क सब


बसे ड़ी कमी ई वर-त>व से
कोस दरू रहने को माना है । ऐसे लोग बाWय आडंबर जैसे प>थर पूजा, तीथ-Zत करना,

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नमाज पढ़ना, छापा- तलक लगाना आ द म उलझे रहते ह" और सQचे धम और
वाDत*वकता से कोस दरू रहते ह"।

उ तर7: अVानी गुJ माया, अंहकार, धा9मक पाखंड और बाWय आडंबर म *व वास रखते ह" और
इसी )कार क 9शNा वे अपने 9श य को दे ते ह" इस कारण ऐसे गुJओं क शरण म जाने
से 9श य सह+ Vान नह+ं )ा7त कर पाते और अंधकार क गत म डूब जाते ह"।

उ तर8: बाWयाडंबर क अपेNा Dवयं (आ>म) को पहचानने क बात न न पंिMतय म कह+ गई है -

टोपी प हरे माला प हरे , छाप तलक अनुमाना।

साखी स`द ह गावत भूले, आतम खबaर न जाना।।

इन पिMतय का आशय यह है Fक ह द ू और मुसलमान दोन धमb के लोग बाWय आडंबर म


उलझे रहते ह"। कोई टोपी पहनता है , तो कोई तलक लगाता है और अपने-अपने अंहकार का
)दशन करते ह"। वे साखी-सबद आ द गाकर अपने आ>म DवJप को ह+ भूल जाते है ।

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