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1- भूमका -
ने!सन एल.बॉसंग
5वकसत कया जाता है , उजागर कया जाता है तथा उसे नये 7ान, कुशलताओं, मू!य4 आदश9
अपना सह थान )ा@त कर सके और मानव जीवन के लBय4 को )ा@त कर सके। शा
)*या का मC
ु य कायD जीवन के लBय4 को )ा@त करना ह। राEF तथा समाज का 5वकास
उपलिJध कराई जाती है । बालक के Iयवहार म वाँKछनीय पLरवतDन लाने के लए Iयविथत
शा भी परम आवMयक है 3य4क शा माता के समान पालन पोषण करती है 5पता के
समान उ>चत मागD दशDन -वारा अपने काय9 म लगती है तथा पPनी क भां/त सांसाLरक
>चताओं को दरू करके )सनता )दान करती है । बालक के Iयवहार म वाँKछनीय पLरवतDन
ग/त दे ता है बि!क शा म अपेGत योSयता के 5वकास उनके चLरT /नमाDण एवं राEF
अनुकरणीय हो वह आचायD है । शक के Iयि3तPव का बालक4 के उपर अमत )भाव पड़ता
है और वह उसके भावी जीवन क नींव रखता है। अतः शक क अभव5ृ X, गुणवXा व
करता है अतः कोई राEF अपने शको के तर के Yबना उपर नहं उठ सकता है ।’‘(1)
भ5वEय को /नमDत करने का )मुख उतरदा/यPव एक शक पर होता है। अतः शक का
सकता है ।(2)
छाT शक क )भावी शण 5)ं*या को )भा5वत करते है कुछ कारक है जो इस :दशा म
शण अभमता आ:द। काक Iयवहार क अवधारणा शैGक जगत का आधार तZभ
है ।
तैयार कया जा सक। काक )बधन एवं उसके सभी आयाम शा को समाज के साथ
जोड़ते है। वैMवीकरण एवं भूम`डलकरण ने तो इसे शैGक जगत का आधार तZभ बताया
ह। अयापक क )भावशीलता का पता उसके कागत Iयवहार एवं काक )बधन से
3
लगता है । उसके Iयि3तPव क सामाय एवं मानवीय 5वशेषताऍ उसक Iयवसा/यक सफलता
चास
एवं पैपस ने अयापको के कायc क एक सूची बनायी। उनके अनस
ु ार एक
अयापक को )/त:दन 1022 कायD करने पड़ते है इनम से 122 कायD काक शण से
सZब>धत है।
शक के सा/नय म बैठकर नवीन 7ान का अजDन करता है और भ5वEय ]पी सकाराPमक
राय पाठयचया
क! "परे खा NCF 2005 म कहा गया है क- ’’तकनीक का
है ।”(4)
5ववेचन कया है उहांने का )बधन तकनीक क अवधारणा को Iय3त करने के लए
1- काक का वातावरण।
2- काक संचार।
काक )बधन शक4 -वारा का के सभी छाT4 के कागत Iयवहार को सुचा]
अनश
ु ासन 5व-या>थDय4 पर नकाराPमक )भाव डालते है। इसलए इनका उपयोग काक
कन कन कारक4 का )भाव पड़ता है शोध पLरणाम4 के आधार पर /नEकषD /नकले क
Iयि3तPव सZबिधत कारक तथा Iयि3तPव से असZबिधत कारक मुCय थे िजनसे अ>धगम
5वभन मताओं, 5वभन वगc व भन -2 सामािजक तर4 वाले छाT4 क शैGक
लए अयापक एक )भावी काक )बध क Iयवथा करे एवं इनके )/त अपने उपय3
ु त
)बधन के मुCय उ-दे Mय कौन से है उनसे सZबिधत सूचनाएं व तgय एकYTत कर , छाT4 से
5
परामशD करे ताक वह काक )बधन को और अ>धक बेहतर बना सके। जे. जोन 1970 ने
अपने शोध अययन से पEट कया है क क़ा )बधन उन तgय4 अथवा तPव4 पर
आधाLरत है, िजह अयापक का म अKछे अ>धगम वातावरण के /नमाDण हे तु तथा
उपय3
ुD त 5ववेचन काक )बधन तकनीक4 क 5व5वधता का वणDन करता है। एक
का शण वह )*या है जो कसी न कसी )कार से बालक के Iयवहार पर )काश डालती
अिजDत करना आवMयक है यह एक कला है 3यांक इसका अथD मानव Iयवहार म सुधार
करना है । शा के ेT म शण चाहे कला हो या 5व7ान पर एक अKछा व )भावी शक
बनने और शण को )भावी बनाने के लए उसम कुछ /निMचत )कार क )व/ृ तयां और
चLरTगत 5वशेषताएं उPपन करना अPयत आवMयक है । इनम अयापन के )/त /नEठा,
वतः स-ध है 3यांक भावी अयापक एवं अया5पका वांिKछत शण अभमता से
सZपन है तो राEiर का भ5वEय सरु Gत है । अभमता कसी वतु का नाम नहं है यह
पर कये गये अययन4 का सवjण Reveiw कया है उससे पता लगता है क अयापक
3य4क शक4 क भूमका को बहुत महPव नहं :दया गया है । शा ेT म अपेGत )ग/त
सकाराPमक हो तथा का क )बधन भी उ>चत व सह ढं ग से कया जाए ताक बKच4 म
करना चा:हए। अगर ये सभी कौशल अयापक4 म सेवा पूवD ह 5वकसत कये जाये तभी वो
आगे चलकर इनका )योग शण म भल भां/त कर सकता है । 3यांक अगर )शण
आ:द से सZबिधत साथDक )यास कये जायगे तो सेवारत अयापक4 -वारा काओं म
शण बेहतर करवाया जा सकेगा। पूवD म वlणDत कया गया है क शक बKच4 के भ5वEय
/नEप/तय4 म व-
ृ >ध होना स/ु निMचत होगा। अतः शोधकTm -वारा इस शोध 5वषय को ‘‘भावी
गया है।
अ/बेडकर के अनस
ु ार ’’शा ह मनEु य म सवाDगीण 5वकास का साधन है इस )कार
होगा 5व-यालय4 का वातावरण सुधारना होगा तथा शा के )/त 5व-या>थDय4 एवं शक4 क
समत Iयवहार सिZमलत कये जाते है िजह एक अयापक का म करता है जैसे- पढ़ाना,
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दे ना आ:द।
आ:द। वहं अयापक के कुछ काक Iयवहार 5व-या>थDय4 पर नकाराPमक )भाव डालते है
जैसे - /नंदा करना, /नयTण करना, अ>धकार :दखाना, आलोचना करना आ:द।
प3रभाषाएँ :-
जो दस
ू र4 के सीखने म /नदj शन एवं मागDदशDन का कायD करती है ।‘‘
(8)
/यए
ू 6स तथा ि8मथ 1964 के अनस
ु ार :- ‘‘शक Iयवहार के अतगDत शक क वे समत
है ।
1. शक Iयवहार के लए शक एवं शाथm दोन4 का काक म आमने सामने
5व>ध है ।
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4. शक Iयवहार का मू!यांकन छाT4 क शैGक उ-दे Mय4 क )ाि@त पर /नभDर होता
है ।
रे य)स के अनस
ु ार शक Iयवहार एक सामािजक Iयवहार है अथाDत शण म
सीखाने वाले (शक) के अ/तLर3त सीखने वाले (छाT) उपिथत होने आवMयक है । िजनके
साथ शक सZ)ेषण *या करता है और )भा5वत करता है। शक छाT के मय Iयवहार
पारपLरक होता है अतः न केवल शक ह छाT4 के Iयवहार को )भा5वत करता है बि!क
शक का म शण )दान करते समय जो कुछ भी *याएं करता है वह सभी
का म Iयवहार करता है । य:द छाT पढने म ]>च नहं भी लेते ह फर भी वह का म
1- शाि@दक %यवहार :-
करते ह तो उसे शािJदक Iयवहार कहा जाता है । शािJदक Iयवहार म अभIयि3त का मायम
मौlखक, लlखत तथा )तीकाPमक होता है शक अपने शण म तीन )कार के शािJदक
/नदj श *याएं - पेन कैसे पकड़े, )Mन हल कैसे कर , कैसे बैठे, >चT को दे ख ्◌े◌ं आ:द।
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संवेगाPमक तथा भावाPमक *याएं - )शंसा करना, आ7ा दे ना, अवीकृ/त, आलोचना,
को )मुख मानकर Iयवहार करता है तथा का म छाT4 को अपने 5वचार4 को वतंTतापूवDक
)Pय शािJदक Iयवहार म शक शण के अ>धकांश समय भाषण -वारा अपने 5वचार
Iय3त करने म Iयतीत करता है , छाT4 से कायD कराने म /नदj श व आ7ा का )योग करता है ,
औ>चPय /नधाDLरत करता है , छाT4 के साथ कायD करने म ]>च नहं लेता, का म औपचाLरक
]प से अनश
ु ासन था5पत करता है , शण अ>धगम )*या म छाT4 को कम महPव दे ता है ।
नहं कया जाता है इस )कार छाT4 क इKछा, इनके तर, मू!य, उ-दे Mय, /नणDय आ:द का
को अभIय3त करने क पण
ू D वतTता )दान करता है तो इस )कार के Iयवहार को
अ)Pय शािJदक Iयवहार कहा जाता है । अ)Pय शािJदक Iयवहार म शक का म कम
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बोलता है तथा छाT4 को बोलने का अ>धक अवसर )दान करता है , छाT4 क समयाओं को
समझकर उनका समाधान करने का )यास करता है , छाT4 से )Mन अ>धक माTा म पछ
ू कर
उह )ेLरत व उPसा:हत करता है, )शंसा व )ोPसा:हत करता है , छाT4 क भावनाओं व
अनभ
ु /ू तय4 को वीकार करता है , )Mन पछ
ू ता है आ:द।
2- अशाि@दक %यवहार :-
बोलकर भाव4 व 5वचार4 का सZ)ेषण नहं होता है बि!क शक हाव-भाव व संकेत4 -वारा
शण )दान करता है जैसे -शक छाT4 को )ोPसा:हत करने के लए सर :हलाने क
)/त*या करता है , छाT4 को शात करने के लए अंगुल का )योग, मुकुराकर वीकृ/त दे ना
आ:द।
कागत अतः *या का के छाT4 व अयापक के मय होती है। अयापक का
लBय छाT4 के अ>धगम तर म साथDक पLरवतDन लाना है यह पLरवतDन केवल मानसक नहं
है बि!क छाT4 क दै /नक *याओं और समाज के )/त उनके Iयवहार म भी आता है।
कागत अतः *या म सवD)थम अयापक व छाT4 के मय अतः*या -वारा पूवD
7ान व अनुभव4 के बल पर समया )कट होती है फर अयापक समया हल करने के लए
उ-दपक )तत
ु करता है । अत म छाT अयापक अत*या -वारा समया का हल कया
जाता है।
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vUr% fdz;k vkxs c<rh jgrh gS vkSj leL;k dk gy izdV gksrk jgrk gS¼9½
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6. यह 5व>ध शक एवं शक छाT को का म अपने Iयवहार क वत/ु नEठता से
समझने के अवसर दे ती है ।
)यास करता है ।
रखती है। qलै`डसD क 5व>ध -वारा का म शक Iयवहार सZबधी वत/ु नEठ सूचनाओं
को छाT4 क अनभ
ु ू/त वीकार कर उह )ोPसाहन दे ना, उससे )Mन पछ
ू ना, *याएं कराना और
को सीमत रखना।
अनस
ु ार छाT को ढालना ह नहं है वरन इससे आगे भी कुछ है। िजसके अतगDत शक से
अपेा है क का म ऐसी स5ु वधाओं को तारतZय बना समिवत कर , िजससे अ>धगम
काक )बधन एक )*या है िजसके -वारा शक अपना तथा छाT4 का Iयवहार
एनसाइ6लो;पKडया ऑफ एNयक
ू े शन 3रसच
के आधार पर शा 'शासन :-
समिवत कया जाता है िजससे मानवीय गुण4 का )भावी ढंग से 5वकास हो। यह )*या
उPपादन सZभव होता है तथा उPपादन से मानव सतिु Eट एवं क!याण का कायD )शत होता
है ।‘‘(11)
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यन
ू े8क1 ने 1969 म लखा है क ‘‘काक )बधन तकनीक को पLरभा5षत करते
हुए लखा है क यह तकनीक एवं प-ध/तय4 का 7ान है िजसके -वारा शैGक उ-दे Mय4 क
)ाि@त क जा सकती है ।‘‘ शैGक संचार एवं तकनीक संघ क तकनीक सम/त 1970 -वारा
Iयवथापक पहचान 5वकास संगठन एवं अ>धगम Tोत4 के पूणD उपयोग -वारा )*या
1. का को 7ानोPपादवंद
ृ म सेट करना िजससे का म ऐसा वातावरण था5पत हो
4. अKछे बरु े सभी )कार के Iयवहार के छाT सीखने म जहां एक जुट हो।
करता है।
शक -
काक क! ि8थ त -
भौ/तक वातावरण
अ>धगम का वातावरण
काक का संचालन
अ>धगम का मू!यांकन
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अनश
ु ासन
सZ)ेषण
शण Iयवथा
1. काक के सZपण
ू D थान का सह सदप
ु योग करने के लए काक )बधन क
आवMयकता सवD)मुख है ।
अ/तआवMयक है ।
5वशेष गुण या 5वशेष )/तभाय होती है जो उह अय Iयि3तय4 से अलग करती है । यह
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Iयि3त के कुछ गण
ु 4 या )/तभाव4 का समK
ु चय है जो Iयि3त क कसी ग/त5व>ध म
1-4-1 अथ
एवं प3रभाषाएँ :-
R!मेन के अनस
ु ार :-
Iयि3त कस 5वशेष 7ान, योSयता या )/त*याओं के समूह जैसे भाषा बोलने क योSयता या
परे न के अनुसार :-
Iयि3त के -वारा )शण के उपरात )ा@त क जाने वाल योSयता पर संकेत करती है ।‘‘
े 6सलर के अनस
ु ार :-
ओर संकेत करती है । िजसे Iयि3त 7ान, दता या 7ान और दता का म>uत )शण
-वारा )ा@त करे गा जैसे- कला या संगीत म योगदान करने क योSयता, यांYTक योSयता या
उसक मताओं क ओर संकेत करती है । वतDमान वतु िथ/त होने पर भी इसका /नदj श
अभमता का पता चलता है िजस ेT म Iयि3त क अभमता होती है उसम उसक ]ची
भी होती है ।
है ।
3. अभमता का सZबध Iयि3त क ]>च, योSयता एवं कायD सतुिEट से होता है।
है ।
7. कसी भी Iयि3त म समत अभमताएँ समान ]प म नहं पाई जाती है। 3यांक
जाता है। परामशDदाता -वारा अभमता के 7ान के आधार पर ह उ>चत परामशD :दया जाता
है । कसी छाT को कस Iयवसाय का )शण )ा@त करना चा:हए या कस Iयवसाय म
)वेश करना चा:हए। यह परामशD उह तभी :दया जा सकता है जब उस छाT क मताओं
और अभमताओं का पण
ू D 7ान परामशDदाता को हो।
Iयवसाय म असफल कमDचाLरय4 के dाफ को नीचे लाया जा सकता है । 3यांक हमारे भारत
वषD म लोग4 -वारा अपनी ]>च और अभमता को यान म रखे Yबना ह Iयवसाय4 म
)वेश कर लया जाता है । िजसके पLरणामव]प िअंधकांश लोग अपने Iयवसाय4 को बदलते
हुए पाये जाते है । िजससे शि3त व समय का अपIयय होता है। इस अपIयय को दरू करने के
)तत
ु शोध अययन का औ>चPय /नZनलlखत rिEटकोण4 के मायम से समझा जा
सकता है :-
1- अनस
ु ंधानकता
ओं क! Wिट से :-
)तत
ु शोध कायD भावी अनुसध
ं ानकताDओं के लए एक आधार )तत
ु करे गा, िजससे
2- शक1 क! Wिट से :-
)तत
ु शोधकायD शक4 क rिEट से महPवपण
ू D है 3य4क )तत
ु शोधकायD से
शक अपने शण कायD को )भावी बनाते हुए 5व-यालयी और 5व-या>थDय4 क उपलिJध म
व-
ृ >ध कर सकग ।
3- 'शणाIथ
य1 क! Wिट से :-
)तत
ु शोध कायD शक4 के साथ साथ )शणा>थDय4 के लए भी महPवपूणD है । इस
फलव]प 5व-या>थDय4 के साथ उपयु3त Iयवहार करते हुए का को /नयिTत कया जा
सकता है ।
4- 'ाचाय
क! Wिट से :-
)तत
ु शोध कायD शक )शण महा5व-यालय क rिEटकोण से भी महPवपूणD है
सकते है।
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करने का /नणDय लया - ‘‘भावी शको का काक %यवहार काक 'ब)धन और शण
अभमता का अ.ययन‘‘
करते है ?
इन शोध )Mन4 को यान म रखते हुए /नZन शोध उ-दे Mय4 का /नधाDरण कया गया।
अययन करना।
तल
ु नाPमक अययन करना।
तल
ु नाPमक अययन करना।
अययन करना।
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अययन करना।
तल
ु नाPमक अययन करना।
अययन करना।
अ.यापक %यवहार -
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'ब)धन -
)बधन से आशय /नधाDLरत उ-दे Mय4 क )ाि@त के लए मानवीय Iयवहार व *याओं
शण -
-वारा शक अपने गहन 7ान तथा सZ)ेषणीय कुशलता के आधार पर सZबिधत 5वषय
अभमता -
भावी शक -
अयापन कायD सभी -वारा नहं हो सकता 3य4क अयापन कराना भी सीखना पड़ता
का पEटकरण आसानी से हो सके। समया िजतनी सीमत और पEट होगी अययन कायD
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भी उतनी ह गहनता से कया जा सकेगा। अतः सीमत समय एवं साधन4 को यान म
)तत
ु अययन राजथान राkय के झुझुनू िजले के शक )शण महा5व-यालय4
तक सीमत है ।
'शणाIथ
य1 क! Wिट सेः-
)तत
ु अययन शक-)शण महा5व-यालय म अययनरत म:हला व पुvष
)शाण>थDय4 तक ह सीमत है ।
1-11 )यादश
चयन :-
सZपूणD तgय के एक अंश से अ>धक का अययन नहं कर पाते तथा उसके बारे म 7ान
)तत
ु कया जाता है ।
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याrिKछक 5व>ध -वारा चयन कया जायेगा िजसम 150 म:हला व 150 पु]ष बी.एड.
U;kn”kZ fooj.k
U;kn”kZ p;u
Ekgkfo|ky; dza- la- {ks= dqy U;kn”kZ
Ekfgyk iq#’k
1 Xkzkeh.k 25 25 50
2 Xkzkeh.k 25 25 50
3 xzkeh.k 25 25 50
4 “kgjh 25 25 50
5 “kgjh 25 25 50
6 “kgjh 25 25 50
)तत
ु शोध अययन के लए शोधकTm ने अपने उ-दे Mय4 क )ाि@त हे तु सवjण
5व>ध का चयन कया जाएगा, 3य4क इसका सZबंध वतDमान म उपिथत िथ/तय4, सZबंध4,
(ii) व/नमDत उपकरणः- का-क )बंधन के लए शोधकTm -वारा ‘‘व/नमDत )मापनी‘‘
(iii) मानककृत उपकरणः- शण अभमता के लए डॉ. सुरे)Y संह दZहया और डॉ.
एल.सी. संह -वारा /नमDत ‘‘शण अभमता परण‘‘ का उपयोग कया जाएगा।
1. मयमान
2. मानक 5वचलन
3. ट.परण
शोध को एक सह :दशा )दान करता है । )तुत शोध के लए )थम अयाय एक
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पLरचयाPमक अयाय होगा। िजसम सZपूणD शोध के >चTण का )यास कया गया है ।
-5वतीय अयाय के अतगDत सZबिधत सा:हPय का पLरचय, अथD, महPव, Tोत आ:द के बारे
5वभािजत कया जायेगा- 5वदे श4 म कए गए शोध अययन और भारत म कए गए शोध
अययन । तत
ृ ीय अयाय के अतगDत शोध अययन म )यु3त 5व>ध, )5व>ध, यादशD,
व/नमDत उपकरण /नमाDण के सोपान, मानककृत उपकरण आ:द का उ!लेख कया जायेगा।
चतथ
ु D अयाय के अतगDत )ा@त आंकड़4 का 5वMलेषण कर उनके /नEकषD )ा@त कए जायग।
पंचम अयाय के अतगDत शोध सांरांश, /नEकषD, शोध के शैGक /न:हताथD एवं भावी शोध के
1-16 उपसंहार -
)तत
ु शोध अयाय के अतगDत अनुसंधान क सZपूणD योजना का रे खांकन कया
गया। अनस
ु ंधान कायD )ारZभ करने के लए उसक सZपूणD आयोजना पव
ू D म /निMचत करनी
आवMयक होती है िजससे शोधाथm Iयविथत एवं वै7ा/नक ढं ग से अपना शोधकायD कर सके।
उपय3
ुD त प4 को यान म रखते हुए इस अयाय के अतगDत अययन क समया,
पाLरभा5षक शJदावल, शोध का औ>चPय, शोध के उ-दे Mय, पLरसीमन, यादशD, अययन, 5व>ध,
)5व>ध एवं उपकरण आ:द सभी प4 का पEटकरण कया गया है । अगले अयाय के
स)दभ
सूची -
1. भटनागर, सुरेश, (1995), कोठार कमीशन (1964-66), मेरठ, आर.लाल. बुक wडपो
2. वमाD, जे.पी., (2013), शैGक )बधन, जयपुर, राजथान :हद dथ अकादमी
3. भटनागर, सुरेश, (1995), कोठार कमीशन (1964-66), मेरठ, आर.लाल. बुक wडपो
4. YबEट, डॉ. आभा रानी, (2007), )गत शैGक मनो5व7ान, आगरा, 5वनोद पुतक मिदर
5. YबEट, डॉ. आभा रानी, (2007), )गत शैGक मनो5व7ान, आगरा, 5वनोद पुतक मिदर
8. वमाD, डॉ.एल.एन., (2013), )योगाPमक शा मनो5व7ान, जयपुर, राजथान :हद dथ
अकादमी
9. वमाD, )ो. जे.पी., (2013), शैGक )बधन, जयपुर, राजथान :हद dथ अकादमी
10. शमाD, एन.आर. कड़वासरा, ओम, (2010), शा मनो5व7ान, जयपुर, सा:हPय चिका
)काशन
11. वमाD, डॉ.एल.एन., (2013), )योगाPमक शा मनो5व7ान, जयपरु , राजथान :हद dथ
अकादमी
12. भटनागर, डॉ. ए.बी., भटनागर, मनाी, (1996), मनो5व7ान और शा म मापन एवं
13. मuा, मंज,ू (2008), शैGक )ो-यौ>गक एवं काक )बधन, जयपरु , य/ू नवसDट बक
ु
हाउस