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1- भूमका -

‘‘शा क कसी भी योजना म म अयापक को केय थान दे ता हूँ।‘‘

ने!सन एल.बॉसंग

शा वातव म एक )*या है िजसके -वारा एक मानव क /छपी हुई शि3तय4 को

5वकसत कया जाता है , उजागर कया जाता है तथा उसे नये 7ान, कुशलताओं, मू!य4 आदश9

आ:द को सखाया जाता है । िजससे वह अपने वातावरण पर अ>धकार पा सके समाज म

अपना सह थान )ा@त कर सके और मानव जीवन के लBय4 को )ा@त कर सके। शा

)*या का मC
ु य कायD जीवन के लBय4 को )ा@त करना ह। राEF तथा समाज का 5वकास

करना है । शैGक )शासन व संगठन -वारा शा के अपIयय को यन


ू तम कर अ>धकतम

उपलिJध कराई जाती है । बालक के Iयवहार म वाँKछनीय पLरवतDन लाने के लए Iयविथत

शा भी परम आवMयक है 3य4क शा माता के समान पालन पोषण करती है 5पता के

समान उ>चत मागD दशDन -वारा अपने काय9 म लगती है तथा पPनी क भां/त सांसाLरक

>चताओं को दरू करके )सनता )दान करती है । बालक के Iयवहार म वाँKछनीय पLरवतDन

लाने के लए Iयविथत शा क परम आवMयकता है ।

शा )*या का एक महPवपूणD प है - अयापक जो इस )*या को न केवल

ग/त दे ता है बि!क शा म अपेGत योSयता के 5वकास उनके चLरT /नमाDण एवं राEF

/नमाDण म महPवपूणD भूमका /नभाता है ।

संकृत म कहा गया है क ‘‘आचाय


इ त आचाय
‘‘ अथाDत िजसका आचरण

अनुकरणीय हो वह आचायD है । शक के Iयि3तPव का बालक4 के उपर अमत )भाव पड़ता

है और वह उसके भावी जीवन क नींव रखता है। अतः शक क अभव5ृ X, गुणवXा व

चLरT बKच4 क शा म बहुत महPव रखते ह।


2

राय शा नी त (1986) ने शक के महPव को )/तपा:दत करते हुए लखा है क

-’’कसी समाज म शक का दजाD उसके सामािजक, सांकृ/तक लोकाचार को )/तYबिZबत

करता है अतः कोई राEF अपने शको के तर के Yबना उपर नहं उठ सकता है ।’‘(1)

एक महPवपूणD कहावत है क - “Destiny of a Nation is shaped in its

classroom’’ अथाDत ् कसी भी राEF का भ5वEय उसक काओं म /नमDत होता है । इस

भ5वEय को /नमDत करने का )मुख उतरदा/यPव एक शक पर होता है। अतः शक का

का म Iयवहार बहुत महPव रखता है । कोठार आयोग (1964-66) के अनस


ु ार केवल शा ह

एक ऐसा उपकरण है िजससे भारत क सामािजक और आ>थDक :दशा म पLरवतDन लाया जा

सकता है ।(2)

कागत शण क )*या म शक का Iयवहार छाT4 के मन पर उसके Iयि3तPव

के ]प म )कट होता है । पूवD अययन4 के मायम से जाना जाए तो 5वभन कारक है जो

छाT शक क )भावी शण 5)ं*या को )भा5वत करते है कुछ कारक है जो इस :दशा म

योगदान करते है - जैसे काक म अयापक Iयवहार, काक )बधन तकनीक और

शण अभमता आ:द। काक Iयवहार क अवधारणा शैGक जगत का आधार तZभ

है ।

राय शा नी त 1986 म यह अपेा क गई है क राEFय आवMयकताओं के

सदभD म आ>थDक, सामािजक, पयाDवरण, उPपादन, 7ान के 5वतार, 5व7ान व तकनीक के त


5वकास को दे खते हुए दे श म )भावी तकनीक 5वकास व )भावी शैGक )बधन क

आवMयकता है , ताक 5व-या>थDय4 को भावी जीवन क चुनौ/तयां का सामना करने के लए

तैयार कया जा सक। काक )बधन एवं उसके सभी आयाम शा को समाज के साथ

जोड़ते है। वैMवीकरण एवं भूम`डलकरण ने तो इसे शैGक जगत का आधार तZभ बताया

ह। अयापक क )भावशीलता का पता उसके कागत Iयवहार एवं काक )बधन से
3

लगता है । उसके Iयि3तPव क सामाय एवं मानवीय 5वशेषताऍ उसक Iयवसा/यक सफलता

या असफलता को /नःसदे ह )भा5वत करती है।(3)

चास
एवं पैपस ने अयापको के कायc क एक सूची बनायी। उनके अनस
ु ार एक

अयापक को )/त:दन 1022 कायD करने पड़ते है इनम से 122 कायD काक शण से

सZब>धत है।

5व7ान, तकनीक और )बधन के 5वकास न 7ान के प को सम-


ृ ध बनाया है

िजसके पLरणाम व]प )बधन क रणनी/त ने शोहरत हासल क है ।

काक को शा दे ने का महPवपण


ू D थान माना जाता है जहाँ पर छाT अपने

शक के सा/नय म बैठकर नवीन 7ान का अजDन करता है और भ5वEय ]पी सकाराPमक

मागD क ओर अdसत होता है । काक )बधन, तकनीक4 क 5व5वधता क IयाCया करता

है । एक अयापक से काक म इन तकनीक4 को )योग म लाने क दता क उZमीद है।

राय पाठयचया
क! "परे खा NCF 2005 म कहा गया है क- ’’तकनीक का

5ववेकपूणD उपयोग शा कायD*म4 क पहुँच को बढा सकता है । Iयवथा के )बधन म

सहायता कर सकता है और शा सZबधी 5वशEट आवMयकताओं क पू/तD कर सकता

है ।”(4)

काक )बधन अभी तक एक चुनौती बनी हुई है । काक सZभवतः शा>थDय4

के Iयवहार को )भा5वत करने का महPवपूणD थान है । काक कायD 5ववरण पर क गई

शोध का के )बधकय Iयवहार को रे खांकत करती है । इमरसन 2004 ने अनुदेशनाPमक

उ-दे Mय4 को अ>धगम अनभ


ु व4 म बदलना, काक )बधन म इनक 3या भूमका है इसका

5ववेचन कया है उहांने का )बधन तकनीक क अवधारणा को Iय3त करने के लए

संकेतको को सूचीब-ध कया वे है -


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1- काक का वातावरण।

2- काक संचार।

3- सीखने से सZबिधत छाT का काक )बधन।

4- काक म छाT Iयवहार का )बधन अनश


ु ासन।

5- शण Iयूह रचनाएं।

6- घर और कूल के बीच क कड़ी के मायम से।

काक )बधन शक4 -वारा का के सभी छाT4 के कागत Iयवहार को सुचा]

]प से चलाने के लए उपयोगी )*या सु/निMचत करता है। शारLरक दं ड और कड़ा

अनश
ु ासन 5व-या>थDय4 पर नकाराPमक )भाव डालते है। इसलए इनका उपयोग काक

)बधन म कम से कम करना उपयोगी होगा।

अनेक शोधकताDओं ने अपने शोधकाय9 क सहायता से यह जाना क अ>धगम पर

कन कन कारक4 का )भाव पड़ता है शोध पLरणाम4 के आधार पर /नEकषD /नकले क

Iयि3तPव सZबिधत कारक तथा Iयि3तPव से असZबिधत कारक मुCय थे िजनसे अ>धगम

)भा5वत होता है । Iयि3तPव से असZबिधत कारक4 म मुCय थे-शण 5व>धयां, का का

भौ/तक वातावरण, 5वषयवतु आ:द।

का अयापक4 के सामने एक महPवपण


ू D चन
ु ौ/त है क कैसे एक अयापक का म

5वभन मताओं, 5वभन वगc व भन -2 सामािजक तर4 वाले छाT4 क शैGक

आवMयकताओं क प/ू तD करे ।

इन 5वभन वग9 व मताओं वाले 5व-या>थDय4/छाT4 क आवMयकताओं क पू/तD के

लए अयापक एक )भावी काक )बध क Iयवथा करे एवं इनके )/त अपने उपय3
ु त

Iयवहार को भी स/ु निMचत कर । काक )बधन करने से पव


ू D एक अयापक -वारा का

)बधन के मुCय उ-दे Mय कौन से है उनसे सZबिधत सूचनाएं व तgय एकYTत कर , छाT4 से
5

परामशD करे ताक वह काक )बधन को और अ>धक बेहतर बना सके। जे. जोन 1970 ने

अपने शोध अययन से पEट कया है क क़ा )बधन उन तgय4 अथवा तPव4 पर

आधाLरत है, िजह अयापक का म अKछे अ>धगम वातावरण के /नमाDण हे तु तथा

समयाओं के समाधान हे तु )य3


ु त करता है ।

सकाराPमक का )बधन तकनीक /नZनांकं त चार कारक4 का पLरणाम है -

1. कैसे शक अपने छाT का सZमान करते है ?(आयािPमक आयाम)

2. कैसे वे काक वातावरण को Iयविथत करते है ? (शारLरक आयाम)

3. कैसे वे अपने 5वषय को कुशलतापूवD पढाते है? (अनद


ु े शनाPमक आयाम)

4. कैसे वे छाT4 के Iयवहार को अंकत करते है ? ()बधकय आयाम)

उपय3
ुD त 5ववेचन काक )बधन तकनीक4 क 5व5वधता का वणDन करता है। एक

शक से काक म इन तकनीक4 को )योग करने म दता क उZमीद क जाती है ।

का शण वह )*या है जो कसी न कसी )कार से बालक के Iयवहार पर )काश डालती

है 3यांक शण म शक -वारा क गई )Pयेक *या का लBय छाT4 को सखाने से

सZबिधत होता है । शण एक कौशल पण


ू D Iयवसाय है और )Pयेक शक को यह कौशल

अिजDत करना आवMयक है यह एक कला है 3यांक इसका अथD मानव Iयवहार म सुधार

करना है । शा के ेT म शण चाहे कला हो या 5व7ान पर एक अKछा व )भावी शक

बनने और शण को )भावी बनाने के लए उसम कुछ /निMचत )कार क )व/ृ तयां और

चLरTगत 5वशेषताएं उPपन करना अPयत आवMयक है । इनम अयापन के )/त /नEठा,

Iयि3त क अयापन अभमता या शक अभमता इनम महPवपूणD घटक है।

अभमता उन 5वशेषताओं क लBय समिEट syndrome है जो कसी 5वशEट ेT

म दता अिजDत करने क मता को )/तYबिZबत करती है । भावी अयापक एवं

अया5पकाओं म 5व-यमान अयापन अभमता क जानकार कतनी आवMयक है यह बात


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वतः स-ध है 3यांक भावी अयापक एवं अया5पका वांिKछत शण अभमता से

सZपन है तो राEiर का भ5वEय सरु Gत है । अभमता कसी वतु का नाम नहं है यह

एक अमूतD सं7ा है या/न गुण4 का समुKचय है । यह Iयि3त के गुण4 क ओर संकेत करती है

क वह कस Iयवसाय म दता हासल करे गा।

अभमता को Iयि3तPव का एक आवMयक अंग माना जाता है । अयापन

अभमता Iयि3त क उस तPपरता का )तीक है जो उसके -वारा अयापन म सफलता

)ा@त करने का -योतक है ।

अयापक का काक Iयवहार और उनक शण अभमता बालक4 क शा को

अनेक )कार से )भा5वत करती है ।

रोजशाइन ने अयापक के Iयवहार व 5व-या>थDय4 क शैGक उपलिJध के सZबध

पर कये गये अययन4 का सवjण Reveiw कया है उससे पता लगता है क अयापक

Iयवहार बालक4 क शैGक उपलिJध को )भा5वत करता है।(5)

हमाचक ने अयापक Iयवहार से सZबिधत कई अययन4 का सवDण करने के

उपरात /नEकषD /नकाला क जो अयापक कई )कार के Iयवहार करने म सम है वे अपने

5व-या>थDय4 के Iयवहार म वां/छत पLरवतDन लाने म सफल होते है।(6)

शा का तर सुधारने हे तु के व राkय सरकार4 -वारा कई योजनाओं को

*यािवत करने के पMचात भी शा क िथ/त म अपेGत सुधार नहं हो पा रहा है ।

3य4क शक4 क भूमका को बहुत महPव नहं :दया गया है । शा ेT म अपेGत )ग/त

का दा/यPव शक4 के कध4 पर ह है । इसलए एक शक का का क Iयवहार

सकाराPमक हो तथा का क )बधन भी उ>चत व सह ढं ग से कया जाए ताक बKच4 म

पढाई के )/त ]>च जागत


ृ क जा सक। साथ ह उनम शण अभमता पयाD@त हो यह भी
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आवMयक है अतः शक4 को काक )बधन का )शण दे ना चा:हये व का म उनका

Iयवहार 3या हो इसक भी जानकार दे नी चा:हए उनक शण अभमता का भी परण

करना चा:हए। अगर ये सभी कौशल अयापक4 म सेवा पूवD ह 5वकसत कये जाये तभी वो

आगे चलकर इनका )योग शण म भल भां/त कर सकता है । 3यांक अगर )शण

महा5व-यालय4 म उनके काक Iयवहार, काक )बधन, शण के )/त अभमता

आ:द से सZबिधत साथDक )यास कये जायगे तो सेवारत अयापक4 -वारा काओं म

शण बेहतर करवाया जा सकेगा। पूवD म वlणDत कया गया है क शक बKच4 के भ5वEय

का /नमाDता होता है । अगर अयापक अपने Iयवहार म इन कौशल4 के साथ काओं म

शण करवाता है तो 5व-या>थDय4 को बेहतर शण के साथ-साथ उनके अ>धगम तर व

/नEप/तय4 म व-
ृ >ध होना स/ु निMचत होगा। अतः शोधकTm -वारा इस शोध 5वषय को ‘‘भावी

शको का काक %यवहार, काक 'ब)धन और शण अभमता का अ.ययन‘‘ चुना

गया है।

अ/बेडकर के अनस
ु ार ’’शा ह मनEु य म सवाDगीण 5वकास का साधन है इस )कार

दे खा जाए तो शा एक ऐसी )*या है जो मनुEय क जमजात शि3तय4 का सवाnगीण

5वकास करती है । शा म गण


ु वXा लाने के लए शा म अकादमक तर को सध
ु ारना

होगा 5व-यालय4 का वातावरण सुधारना होगा तथा शा के )/त 5व-या>थDय4 एवं शक4 क

]>च उPपन करनी होगी।”(7)

2- शक का काक %यवहार :-

1-2-1 शक1 का काक %यवहार (अथ


व प3रभाषाएँ) -

अयापक के काक Iयवहार के अतगDत अयापक -वारा कये जाने वाले वे

समत Iयवहार सिZमलत कये जाते है िजह एक अयापक का म करता है जैसे- पढ़ाना,
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भाषण दे ना, )शंसा करना या /नंदा करना, /नयTण करना, )Mन पछ


ू ना, छाT4 के )Mन4 के उतर

दे ना आ:द।

अयापक का का क Iयवहार वातव म उसका शण से सZबधी Iयवहार है ।

3य4क अयापक का म )मुख ]प से शण अ>धगम )*या को संचालत करता है ।

अयापक के कुछ काक Iयवहार 5व-या>थDय4 पर सकाराPमक )भाव डालते है जैसे

- पढाना, भाषण दे ना, )ोPसा:हत करना, )शंसा करना, )Mन पछ


ू ना, 5वचार4 को वीकार करना

आ:द। वहं अयापक के कुछ काक Iयवहार 5व-या>थDय4 पर नकाराPमक )भाव डालते है

जैसे - /नंदा करना, /नयTण करना, अ>धकार :दखाना, आलोचना करना आ:द।

प3रभाषाएँ :-

रे य)स 1969 के अनस


ु ार :- ‘‘शक Iयवहार से ताPपयD Iयि3त क उन सभी *याओं तथा

Iयवहार से होता है , जो एक शक के करने योSय मानी जाती है । 5वशेष ]प से वे *याएं

जो दस
ू र4 के सीखने म /नदj शन एवं मागDदशDन का कायD करती है ।‘‘
(8)

/यए
ू 6स तथा ि8मथ 1964 के अनस
ु ार :- ‘‘शक Iयवहार के अतगDत शक क वे समत

*याएं आती है जो वह छाT4 के सीखने म उन/त एवं व-


ृ >ध हे तु 5वशेषतः का म करता

है ।

1-2-2 शक %यवहार क! म:


ु य ;वशेषताएं -

1. शक Iयवहार के लए शक एवं शाथm दोन4 का काक म आमने सामने

होना अ/नवायD होता है ।

2. कागत अतः*या का म शक Iयवहार को )कट करने क एक महPवपूणD

5व>ध है ।
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3. शक Iयवहार शािJदक एवं अशािJदक दोनो ]प म )तत


ु कया जा सकता है ।

पLरिथ/तय4 पर /नभDर करता है क शक कस )कार का Iयवहार कर ।

4. शक Iयवहार का मू!यांकन छाT4 क शैGक उ-दे Mय4 क )ाि@त पर /नभDर होता

है ।

5. शक के कुछ Iयवहार छाT4 के सीखने को सकाराPमक ]प से )भा5वत करते है

और कुछ Iयवहार नकाराPमक ]प से।

1-2-3 शक %यवहार के स<धा)त :-

रे यस ने शक Iयवहार के दो )मुख स-धात बताये ह -

1- शक %यवहार सामािजक होता है :-

रे य)स के अनस
ु ार शक Iयवहार एक सामािजक Iयवहार है अथाDत शण म

सीखाने वाले (शक) के अ/तLर3त सीखने वाले (छाT) उपिथत होने आवMयक है । िजनके

साथ शक सZ)ेषण *या करता है और )भा5वत करता है। शक छाT के मय Iयवहार

पारपLरक होता है अतः न केवल शक ह छाT4 के Iयवहार को )भा5वत करता है बि!क

छाT भी शक Iयवहार को )भा5वत करते है ।

2- शक %यवहार सापे>क है :-

शक का म शण )दान करते समय जो कुछ भी *याएं करता है वह सभी

सामािजक पLरिथ/तय4 का ह पLरणाम है िजसम शक पढाता है । वह अपनी इKछानुसार

का म Iयवहार करता है । य:द छाT पढने म ]>च नहं भी लेते ह फर भी वह का म

छाT4 को शण कायD करवाता है ।


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1-2-4 शक %यवहार का वग?करण :- का म सामायतः शक -वारा दो )कार के

Iयवहार कये जाते है -

कागत शक Iयवहार

शािJदक Iयवहार अशािJदक Iयवहार

)Pय शािJदक Iयवहार अ)Pय शािJदक Iयवहार

1- शाि@दक %यवहार :-

का म जब अयापक 5व-याथm शJद4 के मायम से अपने 5वचार4 का आदान )दान

करते ह तो उसे शािJदक Iयवहार कहा जाता है । शािJदक Iयवहार म अभIयि3त का मायम

मौlखक, लlखत तथा )तीकाPमक होता है शक अपने शण म तीन )कार के शािJदक

Iयवहार4 का )योग करता है ।

बौ->धक *याएं - पLरभाषा दे ना, IयाCया करना, पEटकरण करना आ:द।

/नदj श *याएं - पेन कैसे पकड़े, )Mन हल कैसे कर , कैसे बैठे, >चT को दे ख ्◌े◌ं आ:द।
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संवेगाPमक तथा भावाPमक *याएं - )शंसा करना, आ7ा दे ना, अवीकृ/त, आलोचना,

IयंSयाPमक :ट@पणी करना आ:द।

शक के शािJदक Iयवहार को दो भाग4 म बांटा गया है -

 )Pय शािJदक Iयवहार

 अ)Pय शािJदक Iयवहार

'Bय शाि@दक %यवहार -

)Pय शािJदक Iयवहार वह Iयवहार है िजसम शक का के अतगDत अपने आप

को )मुख मानकर Iयवहार करता है तथा का म छाT4 को अपने 5वचार4 को वतंTतापूवDक

कहने का अवसर नहं दे ता है तब उस Iयवहार को )Pय शािJदक Iयवहार कहा जाता है ।

)Pय शािJदक Iयवहार म शक शण के अ>धकांश समय भाषण -वारा अपने 5वचार

Iय3त करने म Iयतीत करता है , छाT4 से कायD कराने म /नदj श व आ7ा का )योग करता है ,

सह Iयवहार कराने के लए 5व-या>थDय4 क आलोचना करता है , वयं के Iयवहार का

औ>चPय /नधाDLरत करता है , छाT4 के साथ कायD करने म ]>च नहं लेता, का म औपचाLरक

]प से अनश
ु ासन था5पत करता है , शण अ>धगम )*या म छाT4 को कम महPव दे ता है ।

इस )कार के Iयवहार म छाT4 क वैयि3तक भनता के मनोवै7ा/नक तgय को वीकार

नहं कया जाता है इस )कार छाT4 क इKछा, इनके तर, मू!य, उ-दे Mय, /नणDय आ:द का

कोई थान नहं होता है।

अ'Bय शाि@दक %यवहार -

काक म जब अयापक छाT4 को अपनी इKछानस


ु ार कायD करने क, अपने 5वचार4

को अभIय3त करने क पण
ू D वतTता )दान करता है तो इस )कार के Iयवहार को

अ)Pय शािJदक Iयवहार कहा जाता है । अ)Pय शािJदक Iयवहार म शक का म कम
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बोलता है तथा छाT4 को बोलने का अ>धक अवसर )दान करता है , छाT4 क समयाओं को

समझकर उनका समाधान करने का )यास करता है , छाT4 से )Mन अ>धक माTा म पछ
ू कर

उह )ेLरत व उPसा:हत करता है, )शंसा व )ोPसा:हत करता है , छाT4 क भावनाओं व

अनभ
ु /ू तय4 को वीकार करता है , )Mन पछ
ू ता है आ:द।

2- अशाि@दक %यवहार :-

अशािJदक शक Iयवहार वह Iयवहार होता है िजसम शक व छाT के मय

बोलकर भाव4 व 5वचार4 का सZ)ेषण नहं होता है बि!क शक हाव-भाव व संकेत4 -वारा

शण )दान करता है जैसे -शक छाT4 को )ोPसा:हत करने के लए सर :हलाने क

)/त*या करता है , छाT4 को शात करने के लए अंगुल का )योग, मुकुराकर वीकृ/त दे ना

आ:द।

1-2-5 शक छाD अ)तः FGया :-

कागत अतः *या का के छाT4 व अयापक के मय होती है। अयापक का

लBय छाT4 के अ>धगम तर म साथDक पLरवतDन लाना है यह पLरवतDन केवल मानसक नहं

है बि!क छाT4 क दै /नक *याओं और समाज के )/त उनके Iयवहार म भी आता है।

कागत अतः *या म सवD)थम अयापक व छाT4 के मय अतः*या -वारा पूवD

7ान व अनुभव4 के बल पर समया )कट होती है फर अयापक समया हल करने के लए

उ-दपक )तत
ु करता है । अत म छाT अयापक अत*या -वारा समया का हल कया

जाता है।
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14

1-2-6 कागत अ)तःFGया क! उपयोIगता

1. यह अ>धगम संचालन करने हे तु आवMयक है ।

2. शक छाT परपर अत*या से का म 7ानाPमक वातावरण उPपन होता है ।

3. यह 5व>ध छाT4 म नवीन 7ान को उजागर करने का )यास करती है ।

4. छाT4 को अभIयि3त करने हे तु उPसा:हत करती है ।

5. छाT तgय4 क साथDकता का अनभ


ु व करते है और दस
ू रे छाT4 के 5वचार4 से अपने

5वचार4 क जांच कर पाते है।

6. यह 5व>ध शक एवं शक छाT को का म अपने Iयवहार क वत/ु नEठता से

समझने के अवसर दे ती है ।

7. शक छाT क अत*या से शक अपनी शण )*या म सुधार लाने का

)यास करता है ।

qलै`डसD क काक अतः*या अययन 5व>ध शण के ेT म 5वशेष महPव

रखती है। qलै`डसD क 5व>ध -वारा का म शक Iयवहार सZबधी वत/ु नEठ सूचनाओं

का अंकन कया जा सकता है । यह शक के शण Iयवहार म सुधार लाने के लए एक

अKछा मायम है । इस अतः*या अययन से यह पEट हो जाता है क एक अKछे शक

को छाT4 क अनभ
ु ू/त वीकार कर उह )ोPसाहन दे ना, उससे )Mन पछ
ू ना, *याएं कराना और

उनक )/त*याओं को सहानभ


ु ू/तपूवक
D सुनना और जहां तक सZभव हो सके अपने IयाCयान

को सीमत रखना।

1-3 काक 'ब)धन -

काक )बधन मुCय ]प से शा से जड़


ु ा हुआ आयाम है इसम मुCय]प से

अयापक क /नZन *याएं शामल क जाती है - जैसे अनश


ु ासन, /नयंTण, आ7ा दे ना,

अभ)ेरणा तथा अ>धगम क )/त सकाराPमक rिEटकोण आ:द सिZमलत होते है ।


15

काक )बधन से अभ)ाय केवल 5व-या>थDय4 को दIु यDवहार से रोकना और अयापक के

अनस
ु ार छाT को ढालना ह नहं है वरन इससे आगे भी कुछ है। िजसके अतगDत शक से

अपेा है क का म ऐसी स5ु वधाओं को तारतZय बना समिवत कर , िजससे अ>धगम

)भावी हो और जहाँ सभी छाT सफलतापव


ू क
D सीखे।

काक )बधन एक )*या है िजसके -वारा शक अपना तथा छाT4 का Iयवहार

/नधाDLरत करता है साथ ह छाT4 को कागत शैGक ग/त5व>धय4 म अ>धका>धक शामल

करने के लए )यासरत रहता है ।

)भावी काक )बधन का म उ>चत शैGक वातावरण को तैयार करता है

िजसके -वारा अ>धगम म व-


ृ >ध तथा नकाराPमक Iयवहार को कम कया जाता है साथ ह

काक )बधन का मुCय लBय 5व-या>थDय4 म अ>धगम क व-


ृ >ध करना है और का

क म सीखने के अ>धगम क समू>चत पLरिथ/तय4 को उPपन करना है। इस )कार एक

अयापक काक )बधन के उ>चत स-धात4 को लागू करता है ताक वह छाT4 से

सकाराPमक पLरणाम )ा@त कर सक।

एनसाइ6लो;पKडया ऑफ एNयक
ू े शन 3रसच
के आधार पर शा 'शासन :-

‘‘शा )शासन वह )*या है िजसम कायDरत लोग4 के )यास4 को इस )कार

समिवत कया जाता है िजससे मानवीय गुण4 का )भावी ढंग से 5वकास हो। यह )*या

केवल बालक4 एवं नवयव


ु क4 तक ह सीमत नहं है , वरन ् इसके अतगDत )ौढ़ कायDकताDओं के

5वकास को भी महPव :दया जाता है ।‘‘(10)

केनेथ फेड ने कहा है क ‘‘)बध इस पg


ृ वी पर सबसे महान कायD है 3यांक इससे

उPपादन सZभव होता है तथा उPपादन से मानव सतिु Eट एवं क!याण का कायD )शत होता

है ।‘‘(11)
16

1-3-1 काक 'ब)धन क! अथ


एवं प3रभाषाएं :-

यन
ू े8क1 ने 1969 म लखा है क ‘‘काक )बधन तकनीक को पLरभा5षत करते

हुए लखा है क यह तकनीक एवं प-ध/तय4 का 7ान है िजसके -वारा शैGक उ-दे Mय4 क

)ाि@त क जा सकती है ।‘‘ शैGक संचार एवं तकनीक संघ क तकनीक सम/त 1970 -वारा

कहा गया है क ‘‘काक )बधन शैGक तकनीक का एक ऐसा ेT है जो क

Iयवथापक पहचान 5वकास संगठन एवं अ>धगम Tोत4 के पूणD उपयोग -वारा )*या

)बधन -वारा मानवीय अ>धगम को सु5वधाजनक बनाता है ‘‘।

बोथमेर ने कहा है क “ Classroom management is also about

orchesatrating or coordinating entire sets or sequence of learning activities so

that everyone learns as easly and productively as possible”. (12)

1-3-2 काक 'ब)धन के 'मुख उ<दे Oय :-

1- शण अ>धगम के लए उ>चत वातावरण का /नमाDण करना।

2- उपलJध मानवीय व भौ/तक संसाधन4 का उ>चत उपयोग करना।

3- छाT4 के Iयवहार म अपेGत Iयवहारगत पLरवतDन करना।

4- ज:टल शैGक को आसान बनाना।

5- का म अनुशासनाPमक Iयवहार बनाये रखना।

6- मू!यांकन को )भावी बनाना।

7- काक )बधन के :दशा /नदj श एवं रणनी/तयां तय करना।

का 'ब)धन क! ;वशेषताएँ –

1. का को 7ानोPपादवंद
ृ म सेट करना िजससे का म ऐसा वातावरण था5पत हो

िजसम सीखना सुलभ हो और अ>धगम सरलता से हो।


17

2. सीखने हे तु *याओं का समवय सZभव हो।

3. सीखने क )*या *मानस


ु ार घ:टत बनाने का )बधन हो।

4. अKछे बरु े सभी )कार के Iयवहार के छाT सीखने म जहां एक जुट हो।

5. जहाँ के वातावरण म उPपादन सीख म बल मले।

6. काक )बधन 5व-याथm और अयापक को शण अ>धगम िथ/त के लए

तैयार करने क )*या है ।

7. काक )बधन अभ)ेरणा और अनश


ु ासन से /नकटता से जड़
ु ा हुआ है ।

8. )भावी काक )बधन शक4 म आPम5वMवास और सज


ृ नाPमकता का 5वकास

करता है।

1-3-3 काक 'ब)धन को 'भा;वत करने वाले कारक या घटक -

शक -

 शक 5व-याथm अनप


ु ात

 शक4 क उपिथ/त तथा समय

काक क! ि8थ त -

 भौ/तक वातावरण

 अ>धगम का वातावरण

 काक का संचालन

 काक के काय9 को समाज के साथ सZबध करना

 अ>धगम का मू!यांकन
18

शक छाD अ)तःFGया

 अनश
ु ासन

 शण सहायक सामdी

 सZ)ेषण

 अयापक का /नEप Iयवहार

 शण Iयवथा

1-3-4 काक 'ब)धन क! आवOयकता :-

1. काक के सZपण
ू D थान का सह सदप
ु योग करने के लए काक )बधन क

आवMयकता सवD)मुख है ।

2. काक क दै /नक *याओं का सह /नधाDरण करने के लए काक )बधन

अ/तआवMयक है ।

3. का म रचना कायD कौशल सZबधी /नयम बनाने के लए।

4. पाtयवतु व शण *याओं क ग/त व संरचनाओं का /नधाDरण करने के लए।

5. शण म नवीन प-ध/तय4 व नवीन उपकरण4 का )योग करने के लए।

6. छाT4 क ]>च, अभयोSयता, सज


ृ नाPमकता तथा सामािजक चेतना के 5वकास के लए।

1-4 शण अभमता :-

अभमता या अभयोSयता एक वतDमान िथ/त है जो भ5वEय क ओर संकेत करती

है । यह कसी एक ेT म या समूह म Iयि3त क कायDकुशलता क 5वशEट योSयता या

5वशEट मता है । कई बार हम यह कहते हुए सुनते है क वह जमजात क5व है या उसम

>चTकाLरता क कला या )/तभा है । इहं कथन4 से पEट होता है क हर Iयि3त म कुछ

5वशेष गुण या 5वशेष )/तभाय होती है जो उह अय Iयि3तय4 से अलग करती है । यह
19

5वशेष गुण या योSयताएं अभमता या अभयोSयता के नाम से जानी जाती है । अभमता

Iयि3त के कुछ गण
ु 4 या )/तभाव4 का समK
ु चय है जो Iयि3त क कसी ग/त5व>ध म

समानता के -योतक होते है ।

अतः अभयोSयता Iयि3त क वतDमान आदत4, दताओं कायDकुशलताओं और

योSयताओं के आधार पर यह भ5वEयवाणी करती है क वह Iयि3त )शण -वारा कस

Iयवसाय म 3या सफलता )ा@त करे गा।

1-4-1 अथ
एवं प3रभाषाएँ :-

R!मेन के अनस
ु ार :-

‘‘अभमता एक िथ/त या 5वशेषताओं का समूह है जो यह इं>गत करता है क

Iयि3त कस 5वशेष 7ान, योSयता या )/त*याओं के समूह जैसे भाषा बोलने क योSयता या

सं7ीत7 बनने या यांYTक कायD करने क योSयता का 5वकास कर सकता है ।‘‘(13)

परे न के अनुसार :-

‘अभमता Iयि3त म /न:हत योSयताओं तथा गुण4 का वह ]प मानी जाती है जो

Iयि3त के -वारा )शण के उपरात )ा@त क जाने वाल योSयता पर संकेत करती है ।‘‘

े 6सलर के अनस
ु ार :-

‘‘अभमता Iयि3त क दशा, गुण या गुण4 का संdह है जो सZभा5वत 5वतार क

ओर संकेत करती है । िजसे Iयि3त 7ान, दता या 7ान और दता का म>uत )शण

-वारा )ा@त करे गा जैसे- कला या संगीत म योगदान करने क योSयता, यांYTक योSयता या

5वदे शी भाषा बोलने या पढ़ने क योSयता।(14)


20

Sब)घम के अनुसार अभमता के लण :-

कसी Iयि3त क अभमता वतDमान वतु िथ/त या गुण का समुKचय है जो

उसक मताओं क ओर संकेत करती है । वतDमान वतु िथ/त होने पर भी इसका /नदj श

भ5वEय क ओर है यह गुण4 क ऐसी uंखला है जो गुणाPमक है । अभमता कसी वतु का

नाम नहं है यह कसी Iयि3त के गुण या उसक योSयता क ओर संकेत करते है । यह

Iयि3तPव का एक अंग है । कसी Iयवसाय म )वीणता )ा@त करने क मता से ह

अभमता का पता चलता है िजस ेT म Iयि3त क अभमता होती है उसम उसक ]ची

भी होती है ।

1-4-2 अभमता क! ;वशेषताएँ :-

1. अभमता कसी Iयि3त के वतDमान गण


ु 4 का वह समK
ु चय है, जो भ5वEय क

मताओं क ओर संकेत करता है ।

2. अभमता कसी वतु का नाम न होकर एक अमत


ू D सं7ा है । अभमता Iयि3तPव

का अंग मानी जाती है इसलए यह Iयि3त के गुण या 5वशेषताओं को )कट करती

है ।

3. अभमता का सZबध Iयि3त क ]>च, योSयता एवं कायD सतुिEट से होता है।

4. अभमता Iयि3त क जमजात योSयता ह नहं होती है बि!क यह कसी काम को

पूरा करने क उसक योSयता के भाव को भी )कट करती है ।

5. अभमता के 5वकास म जमजात तथा अिजDत गण


ु 4 के मय परपर सZबध होता

है ।

6. अभमता म वैयि3तक 5वभनता पाई जाती है । 3य4क दो Iयि3तय4 क

अभमता म अतर होना वाभा5वक है ।


21

7. कसी भी Iयि3त म समत अभमताएँ समान ]प म नहं पाई जाती है। 3यांक

Iयि3त म सभी कायc के )/त अभमता भन भन पाई जाती है ।

8. अभमता वतDमान म होती है फर भी यह भ5वEय क ओर संकेत करती है ।

9. कसी भी Iयि3त म अभमताएँ िथर ]प म पाई जाती है । फर भी इनम

पLरवतDन सZभव है । लेकन ये पLरवतDन *मक तथा अ!प माT होते है ।

1-4-3 अभमता का शै>क नदT शन मU महBव :-

/नदj शन के ेT म अभमता का अपना एक उKच थान होता है । 3य4क कसी

छाT को Iयवसाय /नदj शन दे ते समय उसक अभमता को 5वशेष ]प से यान म रखा

जाता है। परामशDदाता -वारा अभमता के 7ान के आधार पर ह उ>चत परामशD :दया जाता

है । कसी छाT को कस Iयवसाय का )शण )ा@त करना चा:हए या कस Iयवसाय म

)वेश करना चा:हए। यह परामशD उह तभी :दया जा सकता है जब उस छाT क मताओं

और अभमताओं का पण
ू D 7ान परामशDदाता को हो।

5वशेष अभमता या अभमता पराओं क सहायता से 5वशेष जी5वकाओं के लए

Iयि3तय4 का चयन करने म सहायक भी होती है । अभमता पराओं के -वारा कसी भी

Iयवसाय म असफल कमDचाLरय4 के dाफ को नीचे लाया जा सकता है । 3यांक हमारे भारत

वषD म लोग4 -वारा अपनी ]>च और अभमता को यान म रखे Yबना ह Iयवसाय4 म

)वेश कर लया जाता है । िजसके पLरणामव]प िअंधकांश लोग अपने Iयवसाय4 को बदलते

हुए पाये जाते है । िजससे शि3त व समय का अपIयय होता है। इस अपIयय को दरू करने के

लए आवMयक है क अभमता पराओं का उपयोग सवD5)य बनाया जाए।

1-5 शोध अ.ययन का औIचBय -


22

)तत
ु शोध अययन का औ>चPय /नZनलlखत rिEटकोण4 के मायम से समझा जा

सकता है :-

1- अनस
ु ंधानकता
ओं क! Wिट से :-

)तत
ु शोध कायD भावी अनुसध
ं ानकताDओं के लए एक आधार )तत
ु करे गा, िजससे

भ5वEय म इस समया के 5वभन आयाम4 पर अनेक शोध कायD कए जा सकग ।

2- शक1 क! Wिट से :-

)तत
ु शोधकायD शक4 क rिEट से महPवपण
ू D है 3य4क )तत
ु शोधकायD से

शक अपने शण कायD को )भावी बनाते हुए 5व-यालयी और 5व-या>थDय4 क उपलिJध म

व-
ृ >ध कर सकग ।

3- 'शणाIथ
य1 क! Wिट से :-

)तत
ु शोध कायD शक4 के साथ साथ )शणा>थDय4 के लए भी महPवपूणD है । इस

शोध कायD के मायम से )शणाथm यह जान सकग क कस तरह क अभमता के

फलव]प 5व-या>थDय4 के साथ उपयु3त Iयवहार करते हुए का को /नयिTत कया जा

सकता है ।

4- 'ाचाय
क! Wिट से :-

)तत
ु शोध कायD शक )शण महा5व-यालय क rिEटकोण से भी महPवपूणD है

इस शोधकायD के मायम से शक )शण महा5व-यालय के )ाचायD यह जान सकग क

कस तरह क शण अभमता के )शणाथm, )शण का अ>धक से अ>धक लाभ ले

सकते है।
23

उपरो3त वlणDत शोध के महPव को यान म रखकर शोधकTm ने /नZनलlखत शोध

करने का /नणDय लया - ‘‘भावी शको का काक %यवहार काक 'ब)धन और शण

अभमता का अ.ययन‘‘

1-6 शोध 'Oन -

शोध औ>चPय के आधार पर समया से सZबिधत कुछ शोध )Mन शोधकTm के

मितEक म उPपन हुए, जैसे -

1. भावी शक4 का काक म शण के समय कैसा Iयवहार रहता है ?

2. भावी शक का शण के पव


ू D एवं शण के दौरान का )बधन कस )कार

करते है ?

3. भावी शक4 क शण के )/त अभमता का तर 3या है ?

इन शोध )Mन4 को यान म रखते हुए /नZन शोध उ-दे Mय4 का /नधाDरण कया गया।

1-7 शोध अ.ययन के उ<दे Oय

1. बी.एड. )शणा>थDय4 के काक Iयवहार, )बधन और शण अभमताओं का

अययन करना।

2. dामीण एवं शहर बी.एड. म:हला )शणा>थDय4 के काक अयापक Iयवहार का

तल
ु नाPमक अययन करना।

3. dामीण एवं शहर बी.एड. पु]ष )शणा>थDय4 के काक अयापक Iयवहार का

तल
ु नाPमक अययन करना।

4. dामीण एवं शहर बी.एड. म:हला )शणा>थDय4 के काक )बधन का तल


ु नाPमक

अययन करना।
24

5. dामीण एवं शहर बी.एड. पु]ष )शणा>थDय4 के काक )बधन का तुलनाPमक

अययन करना।

6. dामीण एवं शहर बी.एड. म:हला )शणा>थDय4 क शण अभमता का

तल
ु नाPमक अययन करना।

7. dामीण एवं शहर बी.एड. पु]ष )शणा>थDय4 क शण अभमता का तल


ु नाPमक

अययन करना।

8. तीन4 ‘‘काक Iयवहार, काक )बधन और शण अभमता‘‘ का आपस म

अतसDZबध4 का पता लगाना।

1-8 शोध प3रकपनाएँ

1. भावी शको के काक Iयवहार )बधन और शण अभमताओं म कोई

साथDक अतर नहं है ।

2. शहर एवं dामीण बी.एड. पु]ष व म:हला )शणा>थDय4 के काक अयापक

Iयवहार म कोई साथDक अतर नहं है ।

3. शहर एवं dामीण बी.एड. पु]ष व म:हला )शणा>थDय4 के काक )बधन

तकनीक म कोई साथDक अतर नहं है ।

4. शहर एवं dामीण बी.एड. पु]ष व म:हला )शणा>थDय4 क शण अभमता म

कोई साथDक अतर नहं है ।

5. भावी शक4 के काक Iयवहार, काक )बधन व शण अभमता के

अतर सZबध4 म कोई साथDक अतर नहं है ।

1-9 शोध अ.ययन मU 'यु6त तकनीक! श@द1 का प3रभा;षकरण :-

अ.यापक %यवहार -
25

अयापक Iयवहार का अभ)ाय उन शैGक Iयवहार4 से है जो कसी भी का म

सभी अयापक करते है और इन Iयवहार4 से अयापक छाT4 म अपेGत पLरवतDन लाता है ।

'ब)धन -

)बधन से आशय /नधाDLरत उ-दे Mय4 क )ाि@त के लए मानवीय Iयवहार व *याओं

का /नदj शन करने से है अथाDत संगठनाPमक लBय4 क )ाि@त के लए )बधन सामू:हक

)यास4 के /नयोजन, /नदj शन एवं /नयTण क )*या है ।

शण -

शक व शा>थDय4 के मय कागत पLरिथ/तय4 म ऐसी अतः*या को, िजसके

-वारा शक अपने गहन 7ान तथा सZ)ेषणीय कुशलता के आधार पर सZबिधत 5वषय

वतु को अपने 5व-या>थDय4 को आPमसात कराने म सम हो शण कहते है ।

अभमता -

अभमता कसी एक ेT म Iयि3त क कायD कुशलता क 5वशEट योSयता अथवा

5वशEट मता है । अभमता वतDमान िथ/त है जो भ5वEय क ओर संकेत करती है।

भावी शक -

अयापन कायD सभी -वारा नहं हो सकता 3य4क अयापन कराना भी सीखना पड़ता

है अतः अयापन कराना जो सीख रहा है वह भावी अयापक है।

1-10 शोध सम8या का प3रसीमन

कसी भी शोधकायD के लए समया का सीमांकन अ/तआवMयक है िजससे समया

का पEटकरण आसानी से हो सके। समया िजतनी सीमत और पEट होगी अययन कायD
26

भी उतनी ह गहनता से कया जा सकेगा। अतः सीमत समय एवं साधन4 को यान म

रखकर /नZनलlखत पLरसीमाएं /नधाDLरत क गई है -

भौगोलक Wिट सेः-

शोधकTm -वारा समया का पLरसीमन राजथान राkय के झुझुनू िजले तक ह

सीमत कया गया है ।

महा;व<यालय Wिट सेः-

)तत
ु अययन राजथान राkय के झुझुनू िजले के शक )शण महा5व-यालय4

तक सीमत है ।

'शणाIथ
य1 क! Wिट सेः-

)तत
ु अययन शक-)शण महा5व-यालय म अययनरत म:हला व पुvष

)शाण>थDय4 तक ह सीमत है ।

1-11 )यादश
चयन :-

यादशD एक समिEट का वह अंश होता है , िजसम समिEट क समत 5वशेषताओं का

पEट )/तYबZब रहता है ।

पी.वी. यंग ु ार ‘‘एक )/तदशD अपने समत समूह का लघु>चT होता है ‘‘


के अनस

ड@य.ू जी. कोकरन के अनस


ु ार ‘‘)Pयेक 5व7ान क शाखा म हमारे साधन सीमत है। इसलए

सZपूणD तgय के एक अंश से अ>धक का अययन नहं कर पाते तथा उसके बारे म 7ान

)तत
ु कया जाता है ।
27

शोधकTm -वारा शोधकायD हे तु राजथान राkय के झुझुनू िजले के 6 शक )शक

महा5व-यालय4 (तीन dामीण व तीन शहर) म से कुल 300 बी.एड. )शणा>थDय4 का

याrिKछक 5व>ध -वारा चयन कया जायेगा िजसम 150 म:हला व 150 पु]ष बी.एड.

)शणा>थDय4 का चयन कया जायेगा।

Lkkj.kh la[;k & 1-1

U;kn”kZ fooj.k

U;kn”kZ p;u
Ekgkfo|ky; dza- la- {ks= dqy U;kn”kZ
Ekfgyk iq#’k
1 Xkzkeh.k 25 25 50

2 Xkzkeh.k 25 25 50

3 xzkeh.k 25 25 50

4 “kgjh 25 25 50

5 “kgjh 25 25 50

6 “kgjh 25 25 50

dqy 150 150 300

1-12 शोध अ.ययन मU 'य6


ु त ;वIध

)तत
ु शोध अययन के लए शोधकTm ने अपने उ-दे Mय4 क )ाि@त हे तु सवjण

5व>ध का चयन कया जाएगा, 3य4क इसका सZबंध वतDमान म उपिथत िथ/तय4, सZबंध4,

)चलत Iयवहार4 अथवा )*याएँ जो क ग/तशील है आ:द से है ।


28

1-13 शोध अ.ययन मU 'यु6त उपकरण

उपकरण से ताPपयD उन भौ/तक संसाधन4 से है जो दŸ◌ा◌ं का संdह तथा उनका

5वMलेषण करने के ेT म अययनकताD क कुशलता को बढ़ाने म सहायक होते है । )तत


शोध अययन म दो )कार के उपकरण4 का उपयोग कया जाएगाः-

(i) का-क म अयापक Iयवहार के लये qलै`डसD का अतः*या 5वMलेषण )/तमान

)मापनी का उपयोग कया जाएगा।

(ii) व/नमDत उपकरणः- का-क )बंधन के लए शोधकTm -वारा ‘‘व/नमDत )मापनी‘‘

का उपयोग )शणा>थDय4 के लए कया जाएगा।

(iii) मानककृत उपकरणः- शण अभमता के लए डॉ. सुरे)Y संह दZहया और डॉ.

एल.सी. संह -वारा /नमDत ‘‘शण अभमता परण‘‘ का उपयोग कया जाएगा।

1-14 शोध अ.ययन मU 'यु6त सांि:यक!

सांिCयक वह तकनीक है , िजसके -वारा एक 5वशेष तरके से )ा@त सूचनाओं का

5वMलेषण कया जा सकता है । )तत


ु शोध अययन म शोधकTm -वारा दX 5वMलेषण हे तु

/नZनलlखत सांिCयकय )5व>धय4 का )योग कया जाएगा

1. मयमान

2. मानक 5वचलन

3. ट.परण

1-15 अ.याय1 का वग?करण -

अयाय4 का वगmकरण कसी भी शोध के लए एक महPवपण


ू D कड़ी है जो सZपूणD

शोध को एक सह :दशा )दान करता है । )तुत शोध के लए )थम अयाय एक
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पLरचयाPमक अयाय होगा। िजसम सZपूणD शोध के >चTण का )यास कया गया है ।

-5वतीय अयाय के अतगDत सZबिधत सा:हPय का पLरचय, अथD, महPव, Tोत आ:द के बारे

म वणDन कया जायेगा। )तुत शोध अययन से सZबिधत सा:हPय को दो भाग4 म

5वभािजत कया जायेगा- 5वदे श4 म कए गए शोध अययन और भारत म कए गए शोध

अययन । तत
ृ ीय अयाय के अतगDत शोध अययन म )यु3त 5व>ध, )5व>ध, यादशD,

व/नमDत उपकरण /नमाDण के सोपान, मानककृत उपकरण आ:द का उ!लेख कया जायेगा।

चतथ
ु D अयाय के अतगDत )ा@त आंकड़4 का 5वMलेषण कर उनके /नEकषD )ा@त कए जायग।

पंचम अयाय के अतगDत शोध सांरांश, /नEकषD, शोध के शैGक /न:हताथD एवं भावी शोध के

लए सुझाव )दान कए जायग।

1-16 उपसंहार -

)तत
ु शोध अयाय के अतगDत अनुसंधान क सZपूणD योजना का रे खांकन कया

गया। अनस
ु ंधान कायD )ारZभ करने के लए उसक सZपूणD आयोजना पव
ू D म /निMचत करनी

आवMयक होती है िजससे शोधाथm Iयविथत एवं वै7ा/नक ढं ग से अपना शोधकायD कर सके।

उपय3
ुD त प4 को यान म रखते हुए इस अयाय के अतगDत अययन क समया,

पाLरभा5षक शJदावल, शोध का औ>चPय, शोध के उ-दे Mय, पLरसीमन, यादशD, अययन, 5व>ध,

)5व>ध एवं उपकरण आ:द सभी प4 का पEटकरण कया गया है । अगले अयाय के

अतगDत सZबिधत सा:हPय का अययन कया जायेगा।


30

स)दभ
सूची -

1. भटनागर, सुरेश, (1995), कोठार कमीशन (1964-66), मेरठ, आर.लाल. बुक wडपो

2. वमाD, जे.पी., (2013), शैGक )बधन, जयपुर, राजथान :हद dथ अकादमी

3. भटनागर, सुरेश, (1995), कोठार कमीशन (1964-66), मेरठ, आर.लाल. बुक wडपो

4. YबEट, डॉ. आभा रानी, (2007), )गत शैGक मनो5व7ान, आगरा, 5वनोद पुतक मिदर

5. YबEट, डॉ. आभा रानी, (2007), )गत शैGक मनो5व7ान, आगरा, 5वनोद पुतक मिदर

6. संह, शरषपाल, (2004), अयापक शा, नई :द!ल, ए.पी.एच. पिJलसंग हाउस

7. संह, मयाशंकर (2006), शण तकनीक एवं शा के नत


ू न आयाम, :द!ल, अययन

पिJलशसD एवं wडFJयट


ू सD

8. वमाD, डॉ.एल.एन., (2013), )योगाPमक शा मनो5व7ान, जयपुर, राजथान :हद dथ

अकादमी

9. वमाD, )ो. जे.पी., (2013), शैGक )बधन, जयपुर, राजथान :हद dथ अकादमी

10. शमाD, एन.आर. कड़वासरा, ओम, (2010), शा मनो5व7ान, जयपुर, सा:हPय चिका

)काशन

11. वमाD, डॉ.एल.एन., (2013), )योगाPमक शा मनो5व7ान, जयपरु , राजथान :हद dथ

अकादमी

12. भटनागर, डॉ. ए.बी., भटनागर, मनाी, (1996), मनो5व7ान और शा म मापन एवं

मू!यांकन, मेरठ, आर.लाल. बुक wडपो

13. मuा, मंज,ू (2008), शैGक )ो-यौ>गक एवं काक )बधन, जयपरु , य/ू नवसDट बक

हाउस

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