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अ यापक जाँच स ीय काय

पाठ्य म का कोड : एम. सी. ओ. -01


पाठ्य म का शीषक : संगठन िस ांत और यवहार
स ीय काय का कोड : एम. सी. ओ. -01/टी. एम. ए./ 2020-2021
ख ड क सं या : सभी ख ड
अिधकतम अंक : 100
सभी के उ र दीिजए ।

1. अिधगम िकसी यि के दशन को कै से भािवत करता है? अिधगम के िविभ न िस ांत पर चचा (20)
कर।
2. यि व िवकास को अनेक कारक भािवत करते है’ चचा क िजये तथा िविभ न यि व कार (20)
क या या कर।

3. िन निलिखत पर नोट िलख: (4X5)


(क) तं िस ांत
(ख) य ण क ि या
(ग) काय सबं ंधी अिभवृि याँ
(घ) टीम िनमाण

4. िन निलिखत म अतं र कर: (4X5)


(क) प रयोजना और मैि स संरचना
(ख) िववेक अथ मानव मॉडल और सगं ठना मक मानव मॉडल
(ग) मै लो और हबग का अिभ ेरण िस ांत
(घ) जॉब संवधन और जॉब िव तार

5. िन निलिखत कथन पर सं ेप म िट पणी कर: (4X5)


(क) िवभगीकरण के भाव के प म बंधक य दािय व का िच ण और काया मक काय का
समहू न होता है
(ख) य ण को समझने के िलए गड़ु ारोपण एक मह वपणू संक पना है
(ग) दवाब नकारा मक और सकारा मक दोन है
(घ) संगठन म जब ितरोध होता है, तो बंधन को ितरोध को दरू करने के िलए उिचत कदम
उठाने होते ह ।

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ASSIGNMENT SOLUTIONS GUIDE (2020-21)

MCO-01
laxBu fl¼kUr vkSj O;ogkj
MCO-01/ASS/TMA/2020-21
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iz'u 1- vfèkxe fdlh O;fDr osQ izn'kZu dks oSQls izHkkfor djrk gS\ vfèkxe osQ fofHkUu fl¼kUrksa ij
ppkZ djsaA
mÙkjµ अ�धगम (Learning) का अथर्—अ�धगम को �श�ा मनो�व�ान का �दल कहा गया है ।
अ�धगम का �श�ा के �ेत्र म� �वशेष स्थान बताया गया है । क्य��क �श�ा का सवर् प्रथम उद्देश्य ह�
सीखना है । हम सभी जानते है मनुष्य का जीवन जन्म से लेकर मत्ृ यु तक सीखना ह� है । घर, स्कूल एवं
अपने आस – पास के वातावरण से मनुष्य कुछ ना कुछ सीखता ह� रहता है और अपना सवर्प�ीय
�वकास करता है ।
आज हम दे खते है सीखने क� प्र�क्रया द्वारा द�ु नया बहुत छोट� हो गई है । �व�भन्न प्रकार के अनुभव�
क� वजह से मनुष्य के स्वाभा�वक व्यवहार म� जो प�रवतर्न होता है उस प्र�क्रया अ�धगम या सीखना
कहते है ।
इस उदाहरण द्वारा समझते है –जब कोई छोटा बच्चा जलती हुई �दयासलाई को हाथ लगाता है तो उस
का हाथ जल जाता है (उसे कड़वा अनुभव होता है । ) दस
ू र� बार वह जलती हुई �कसी भी वस्तु क� तरफ़
हाथ बढ़ाने का साहस नह� करे गा ।
अ�धगम को अ�धक �वस्तार से समझने के �लए नीचे �दये प�रभाषाएं को दे खे–

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1. गेट्स व अन्य – ‘ अनुभव के द्वारा व्यवहार म� होने वाले प�रवतर्न को सीखना या अ�धगम
कहते है । “
2. क्रो एण्ड क्रो के अनुसार – ” सीखने के अंतगर्त आदत� , �ान तथा व्यवहार को ग्रहण करना
शा�मल है । “
3. पाल के अनुसार – ” अ�धगम, व्यिक्त म� एक प�रवतर्न है जो उसके वातावरण के प�रवतर्न� के
अनुसार होता है । “
उपरोक्त प�रभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है �क –
1. अ�धगम द्वारा मनष्ु य के व्यवहार म� प�रवतर्न होता है ।
2. सीखना नए अनुभव ग्रहण करता है ।
3. यह जीवन भर चलने वाल� प्र�क्रया है ।
4. यह एक सज
ृ नात्मक पद्ध�त है ।
5. यह स्थानान्त�रत होता है ।
6. सीखना सावर्भौ�मक है ।
7. सीखना एक प्र�क्रया है न �क प�रणाम ।
8. यह एक माना�सक प्र�क्रया है ।
9. यह प्रग�त और �वकास है ।
सीखने का स्वरूप अथवा प्रकृ�त-अ�धगम के स्वरूप के बारे म� द्वािष्टकोण–
1. व्यवहारवाद� द्वािष्टकोण–व्यवहारवा�दय� का �वचार है �क अ�धगम अनभ
ु व के प�रणाम के
तौर पर व्यवहार म� प�रवतर्न का नाम है । मनष्ु य तथा दस
ू र� प्राणी वातावरण म� प्र�त�क्रया करते
ह�। बच्चा जन्म से ह� अपने वातावरण से कुछ सीखने का प्रयत्न करता है ।
2. गैस्टालट दृिष्टकोण–इस दृिष्टकोश के अनुसार अ�धगम का आधार �गस्टालट ढ़ांचे पर �नभर्र
है । अ�धगम सम्पूणर् िस्थ�त क� सम्पूणर् प्र�त�क्रया है ।
3. होर�मक दृिष्टकोण–यह दृिष्टकोण मैक्डूगल क� दे न है । यह अ�धगम के ल�य – केिन्दत
स्वरूप पर जोर दे ता है । अ�धगम ल�य को सामने रखकर �कया जाता है ।
4. प्रयत्न तथा भूल दृिष्टकोण–यह दृिष्टकोण थानर्डाइक क� दे न है । उसने �बिल्लय�, कुत्त� तथा
मछ�लय� पर बहुत से प्रयोग करके या �नष्कषर् �नकाला �क वे प्रयत्न तथा भूल से बहुत कुध
सीखते ह�।
5. अ�धगम का �ेत्रीय द्वािष्टकोण–कटर् ल��वन ने इस द्वािष्टकोण को �प्रपा�दत �कया है । उसने
�लखा है �क अ�धगम प�रिस्थ�त का प्रत्य� �ानात्मक संगठन है और सीखने म� प्रेरणा का
महत्वपूणर् हाथ है ।

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iz d kjksa dh O;k[;k djsaA
mÙkjµ O;fDrRo osQ fodkl dks iz Hkkfor djus okys dkjdµ

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iz 'u 3- fuEufyf[kr ij uksV fy[ksa%

mÙkjµ तंत्र �सद्धान्त (Systems theory) ज�टल संरचनाओं के अध्ययन करने क� एक �व�ध है। ज�टल
संरचनाएँ प्रकृ�त म� , समाज म� या �व�ान म� या अन्य �ेत्र� म� हो सकती ह�। उदाहरण के �लए �कसी दे श
क� अथर्व्यवस्था एक ज�टल संरचना है और दे श के आ�थर्क �वकास व दे शवा�सय� के जीवन स्तर के
उन्नयन के �लए इस संरचना के �व�वध प�� का �ान आवश्यक है । तंत्र �सद्धान्त इसका अध्ययन करता

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है �क तंत्र (�सस्टम) कैसे बनते ह�, वे कैसे काम करते ह�, �कसी तंत्र का ल�य क्या है , उस ल�य क� प्रािप्त
के �लए �कन �कन चीज� को �कस तरह (कब, �कस ग�त से और �कतनी मात्रा म� ) बदलना चा�हए। स्पष्ट
है �क तंत्र �सद्धान्त एक अंत�वर्षयी उपागम (interdisciplinary approach) है ।
'�सस्टे म्स �थअर�' का आरम्भ बतर्लान्फ� (Bertalanffy) द्वारा प्र�तपा�दत 'जनरल �सस्टे म्स �थअर�'
से हुई। यहाँ 'तंत्र' से मतलब उन तंत्र� से है जो प्र�तपुिष्ट के माध्यम से स्व�नय�मत (self-correcting)
होते ह�।

mÙkjµ मी�डया के एक वगर् म� इस आशय क� ख़बर� ह� �क �वत्त वषर् 2019-20 म� प्रत्य� कर


संग्रह क� व�ृ द्ध दर म� भार� �गरावट दजर् क� गई है और सकल घरे लू उत्पाद (जीडीपी) म� व�ृ द्ध
क� तुलना म� प्रत्य� कर संग्रह क� उछाल ऋणात्मक स्तर पर पहुंच गई है । ये �रपोटर् प्रत्य�
कर� के संग्रह म� व�ृ द्ध के बारे म� सह� तस्वीर नह�ं दशार्ती ह�। वैसे तो यह सह� है �क �वत्त
वषर् 2018-19 म� हुए शुद्ध प्रत्य� कर संग्रह क� तुलना म� �वत्त वषर् 2019-20 म� शद्ध

प्रत्य� कर संग्रह कम था, ले�कन प्रत्य� कर� के संग्रह म� यह �गरावट संभावनाओं के
अनुरूप ह� है और लागू �कए गए ऐ�तहा�सक कर सुधार� के साथ-साथ �वत्त वषर् 2019-20
के दौरान काफ� अ�धक �रफंड जार� �कए जाने के कारण यह �गरावट अस्थायी है ।
यह तथ्य और भी अ�धक स्पष्ट तब हो जाता है जब हम सकल संग्रह (जो �कसी एक वषर्
म� �कए गए �रफंड क� मात्रा म� घट-बढ़ से उत्पन्न �वसंग�तय� को दरू करता है ) क� तुलना
लागू �कए गए उन साह�सक कर सुधार� से जुड़ी अनुमा�नत राजस्व माफ� को ध्यान म� रखते
हुए करते ह� िजनक� चचार् नीचे क� गई है और िजन्ह�ने �वत्त वषर् 2019-20 म� प्रत्य� कर�
के संग्रह पर सीधा प्रभाव डाला है । उल्लेखनीय है �क �वत्त वषर् 2019-20 म� कुल �रफंड
1.84 लाख करोड़ रुपये का �कया गया, जो �वत्त वषर् 2018-19 म� �कए गए 1.61 लाख
करोड़ रुपये के �रफंड क� तुलना म� सालाना आधार पर 14% अ�धक है ।
• सभी मौजूदा घरे लू कंप�नय� के �लए कॉरपोरे ट टै क्स क� दर म� कमी: �वकास और
�नवेश को बढ़ावा दे ने के �लए सरकार ने कराधान कानून (संशोधन)
अध्यादे श 2019 के ज�रए एक ऐ�तहा�सक कर सुधार लागू �कया है , िजसने �वत्त
वषर् 2019-20 से सभी मौजूदा घरे लू कंप�नय� के �लए 22% क� �रयायती कर व्यवस्था
प्रदान क�, बशत� �क वे �कसी भी �न�दर् ष्ट छूट या प्रोत्साहन का लाभ न उठाएं। इसके
अलावा, इन कंप�नय� को न्यूनतम वैकिल्पक कर (मैट) के भुगतान से भी छूट दे द�
गई है ।
• नई �व�नमार्ण घरे लू कंप�नय� के �लए प्रोत्साहन: �व�नमार्ण �ेत्र म� �नवेश आक�षर्त
करने के �लए कराधान कानन
ू (संशोधन) अध्यादे श 2019 के ज�रए नई �व�नमार्ण
घरे लू कंपनी के �लए टै क्स दर को घटाकर 15% कर �दया गया है, बशत� �क इस तरह
क� कंपनी �कसी भी �न�दर् ष्ट छूट या प्रोत्साहन का लाभ न उठाए। इन कंप�नय� को
भी न्यन
ू तम वैकिल्पक कर (मैट) के भग
ु तान से छूट द� गई है ।

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• मैट क� दर म� कमी: उन कंप�नय� को राहत प्रदान करने के �लए मैट क� दर भी
18.5% से घटाकर 15% कर द� गई है जो छूट/कटौती का लाभ उठाती रहती ह� और
मैट के तहत कर का भुगतान करती ह�।
• 5 लाख रुपये तक क� आय वाले व्यिक्तय� को आयकर से छूट और मानक कटौती म�
व�ृ द्ध: इसके अलावा, 5 लाख रुपये तक क� कर योग्य आय वाले व्यिक्तय� को आयकर
के भुगतान से पूर� तरह राहत प्रदान करने के �लए �वत्त अ�ध�नयम, 2019 के
ज�रए 100% कर छूट प्रदान करके 5 लाख रुपये तक क� कर योग्य आय वाले
व्यिक्तगत करदाता को इसक� अदायगी से छूट दे द� गई। इसके अलावा, वेतनभोगी
करदाताओं को राहत दे ने के �लए �वत्त अ�ध�नयम, 2019 के ज�रए मानक कटौती को
40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर �दया गया।
इन सध
ु ार� का राजस्व प्रभाव कॉरपोरे ट टै क्स के �लए 1.45 लाख करोड़ रुपये और व्यिक्तगत
आयकर (पीआईट�) के 23,200 करोड़ रुपये आंका गया है ।

mÙkjµ कायर् �ववरण—कायर् का �ववरण (SOW) प�रयोजना प्रबंधन के �ेत्र म� �नय�मत रूप से
�नयोिजत एक दस्तावेज है । यह प�रयोजना क� कायर् आवश्यकता का �ववरण है । [१] यह ग्राहक को
सेवाएं प्रदान करने वाले �वक्रेता के �लए प�रयोजना-�व�शष्ट ग�त�व�धय�, �ड�लवरे बल्स और
समयसीमाओं को प�रभा�षत करता है । SOW म� आम तौर पर मानक �नयामक और शासन के �नयम�
और शत� के साथ �वस्तत
ृ आवश्यकताएं और मल्
ू य �नधार्रण शा�मल ह�। यह अक्सर एक मास्टर सेवा
समझौते या प्रस्ताव के �लए अनरु ोध (RFP) के �लए एक महत्वपण
ू र् संगत है ।

mÙkjµ ट�म �नमार्ण ग�त�व�धय� के �लए �वचार� क� तलाश है ? स्टोर�बो�ड�ग वकर्शॉप प्र�श�ण,
व्यवसाय क� योजना बनाने, आपक� ट�म पर रचनात्मकता और �वचार� को बढ़ाने, और बहुत कुछ
करने म� सहायता करते ह�। �कसी भी आकार क� ट�म के �लए हमारे पास कुछ बेहतर�न �वकल्प ह�!
आपके व्यवसाय कायर्शालाओं म� स्टोर�बो�ड�ग का उपयोग करने के कुछ अच्छे कारण यहां �दए गए ह�:
• रचनात्मकता और नेतत्ृ व को बढ़ावा दे ना
• समस्या हल करने के कौशल को हल करना
• ट�मवकर्
• प्रबंधन प्र�श�ण
• रचनात्मक ब्लॉक� को बा�धत कर� और बु�द्धशीलता शुरू कर�
• अपने ग्राहक� को समझ�
• प्र�क्रयाएं बनाएं या सीख�
• सवर्श्रेष्ठ दृश्य स्टोर�बोडर् बनाने के बारे म� जान�

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iz 'u 4- fuEufyf[kr esa var j djsa%

mÙkjµ मै�ट्रक्स संगठन यह एक व्यावसा�यक संरचना है िजसम� कमर्चार� अपने काय� क� उपे�ा �कए
�बना �व�शष्ट प�रयोजनाओं म� भाग लेते ह�। दोहर� चैनल� का उपयोग �कया जाता है : एक तरफ, मुख्य
पदानुक्रम; और दस
ू रे पर, �व�शष्ट कायर्क्रम. आम तौर पर, ये प्रोग्राम या पोटर् फो�लयो �कसी कंपनी
द्वारा द� जाने वाल� सेवाओं का प्र�त�न�धत्व करते ह�। एक बार क्लाइंट और सेवा क� आवश्यकता को
प�रभा�षत करने के बाद, कंपनी एक प�रयोजना शुरू करती है िजसम� �व�भन्न �वभाग� के क�मर्य� के
साथ एक बहु-�वषयक ट�म बनाई जाती है ।. इस प्रकार का एक संगठन पारं प�रक संगठनात्मक चाट�
के अनुसार काय� द्वारा समूह�कृत कमर्चा�रय� के अपने पेरोल क� संरचना को बनाए रखता है , ले�कन
बाजार के प�रवतर्न� और मांग� के अनुकूल होने के �लए उन्ह� और अ�धक तेजी से संतुष्ट करने के �लए
तैयार �कया जाता है ।. दस
ू रे शब्द� म� , यह अपने सफल समापन के �लए प�रयोजनाओं के व्यिक्तगत
�नयंत्रण म� लचीलापन और अ�धक सुर�ा के फायदे प्रदान करता है , और संगठन के भीतर �वकास और
संवधर्न के अवसर भी प्रदान करता है ।यह अभ्यास िजम्मेदा�रय�, सहयोग और अंत�वर्भागीय संचार,
संसाधन� और कौशल के साझाकरण और एक ग�तशील कायर् वातावरण के प्र�त�न�धमंडल को बढ़ावा
दे ता है ।मै�ट्रक्स संगठन ने ग्राहक� के तेजी से प्र�त�क्रया के �लए कंप�नय� के उत्पादन काय� को
अनुकू�लत करने के �लए 1970 के बाद लोक�प्रयता हा�सल क�. िजन कंप�नय� ने यह �नणर्य �लया था,
वे इस आंत�रक संरचना को गुप्त रूप से संभव �वत्तीय अिस्थरता से बचाने के �लए इस्तेमाल करती
थीं, दोन� ह� रू�ढ़वाद� कॉप�रे ट आलोचना और प्र�तयो�गता द्वारा इसके संरचनात्मक मॉडल क�
प्र�त�ल�प द्वारा.
आठ मख्
ु य �वशेषताएं—
1. ु �त दे ता है —यह तत्व वह है जो शायद
यह प�रयोजनाओं के आधार पर काम करने क� अनम
मै�ट्रक्स क� लचील� और दोहर� संरचना को जन्म दे ते हुए पारं प�रक रै �खक पदानक्र
ु म क�
संगठनात्मक संरचनाओं को आध�ु नक और ग�तशील बनाता है । कंपनी अपनी �वभागीय
कायर्�मता को प्रभा�वत �कए �बना एक साथ कई प�रयोजनाओं पर काम कर सकती है .
एक प�रयोजना का जन्म �व�भन्न कौशल और �ान के लोग� के साथ एक कायर् दल के �नमार्ण
के बाद होता है । यह उपकरण अस्थायी है और ग्राहक क� जरूरत� को पूरा करने के �लए इकट्ठा
�कया गया है .
आमतौर पर प�रयोजना के कुल या आं�शक प्रािप्त के �लए प्रोग्राम �कए गए समय को पूरा
�कया जाता है । एक बार प�रयोजना परू � हो जाने के बाद, सदस्य� को अन्य कायर्क्रम� को �फर
से स�पा जा सकता है । श्र�मक कभी भी अपने मूल �वभाग से संबं�धत नह�ं होते ह�.
2. प्र�तभाओं और संसाधन� का संर�ण—योग्य क�मर्य� और संसाधन� को कायार्त्मक �वभाग�
और प�रयोजना ट�म� के बीच साझा �कया जा सकता है । इस तरह वे संगठन के भीतर और
अ�धक इकाइय� के �लए और अ�धक कुशलता से उपयोग �कए जाते ह�.

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3. संचार और मुफ्त जानकार� का प्रवाह—मै�ट्रक्स संरचना कमर्चा�रय� को �वभागीय सीमाओं के
बावजूद अ�धक तेज़ी से संवाद करने क� अनुम�त दे ती है । यह कहना है, सूचना संगठन के दोन�
ओर और प�� क� ओर बहती है .
उसी प�रयोजना क� उपयोगी जानकार� आवश्यक रूप से संलग्न नह�ं है ; यह सभी के �लए
उपलब्ध हो सकता है । यह सूचना �सलोस को रोकता है और एक सहकार� कायर् वातावरण
बनाता है जो संगठन को एक�कृत करता है .
4. ु �त दे ता है—प्रत्येक नई कायर् ट�म
यह एक ह� समय म� दो प्रबंधन आंकड़� के अिस्तत्व क� अनम
को एक प�रयोजना प्रबंधक स�पा जाता है , जो प�रयोजना के दौरान ट�म के सदस्य� के प्रमख

के रूप म� कायर् करता है । प्रभार� के इस व्यिक्त के कायर् अधीनस्थ नह�ं ह� या प्रत्येक �वभाग के
�निश्चत प्रबंधक� के सामने नह�ं रखे गए ह�.
इस�लए, कई बार, एक कमर्चार� के एक ह� समय म� दो बॉस हो सकते ह�। इस प्रणाल� के �लए
संघषर् नह�ं है , दोन� प्रमख
ु � के बीच अ�धकार और िजम्मेदार� के �वभाजन के मापदं ड� को अच्छ�
तरह से प�रभा�षत करना महत्वपण
ू र् है .
5. भ�वष्य के प्रबंधक� का �वकास करना—प�रयोजना के सदस्य� म� अस्थायी काय� का काम
मै�ट्रक्स संगठन को भ�वष्य के प्रबंधक� के प्र�श�ण के �लए एक उत्कृष्ट प�रदृश्य बनाता है ,
क्य��क वे एक बहु-�वषयक कायर् वातावरण म� पहचानना आसान है .
6. िजम्मेदा�रय� का भार प्रत्यायोिजत �कया जाता है —प�रयोजना प्रबंधक स्था�पत समय और
बजट के भीतर प�रयोजना के पूरा होने के �लए सीधे िजम्मेदार है । यह काय� के अनुपालन को
सु�निश्चत करने के �लए मजबूत नेतत्ृ व का आह्वान करता है .
प�रयोजना क� सफलता प्रबंधक के �नणर्य लेने पर �नभर्र करे गी, संगठन क� पदानुक्रम क�
परवाह �कए �बना। यह तौर-तर�के काय� और प्र�क्रयाओं को �वक�द्र�कृत भी करता है , िजससे
पूरे ढांचे म� एक �निश्चत स्तर क� प�रचालन स्वतंत्रता �मलती है .
7. तेजी से और अ�धक कुशल प्र�त�क्रयाएं प्रदान करता है—एक नई प�रयोजना के �लए
अंतः�वषय ट�म� का गठन काफ� जल्द� हो सकता है , और यह संभावना है �क कायर्क्रम लगभग
तुरंत शुरू हो जाएगा.
प�रयोजनाएं उन �वशेष सेवाओं और उत्पाद� पर आधा�रत होती ह� िजनका उपयोग कंपनी क�
पेशकश करने के �लए �कया जाता है ; �फर, क�मर्य� को �नयुक्त करने और काम शुरू करने का
समय न्यूनतम है और कमांड क� एक रै �खक श्रख
ं ृ ला के नौकरशाह� अनुमोदन क� आवश्यकता
नह�ं है .
यह कंपनी को बाजार क� मांग के अनुसार जल्द� से अनुकूलन करने क� अनुम�त दे ता है , बहुत
कम समय म� संतोषजनक गुणवत्ता प�रणाम दे ता है और य�द आवश्यक हो, तो तुरंत एक और
प�रयोजना शुरू करता है । यह समानांतर म� �वक�सत होने वाल� कई प�रयोजनाओं के
अिस्तत्व क� भी अनम
ु �त दे ता है .

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8. �कसी प�रयोजना का अंत काम का अंत नह�ं है —एक बार एक प�रयोजना बंद हो जाती है या
समाप्त हो जाती है , कंपनी को कमर्चा�रय� के स्थानांतरण के बारे म� �चंता करने क� ज़रूरत
नह�ं है, क्य��क कमर्चा�रय� ने अपनी नौकर� से संबं�धत कभी नह�ं रोका। इससे कंपनी को
लागत कम होती है .
कुछ कंप�नय� म� प्रत्येक ट�म के सदस्य के �लए �वशेष भुगतान या प्र�त प्रोजेक्ट बोनस का आंकड़ा
संभाला जाता है , ले�कन वे कमर्चार� के �नय�मत वेतन से स्वतंत्र ह�.

mÙkjµ बु�द्ध के �सद्धान्त—यहॉ यह प्रश्न स्वाभा�वक है �क बु�द्ध के स्वरूप एवं �सद्धान्त म� मूलरूप से
क्या अंतर है? वैसे तो दोन� ह� बु�द्ध के �वषय के बारे म� �वचार प्रकट करते ह� परन्तु �फर भी दोन� म�
�भन्नता दृिष्टगत होती है । बु�द्ध के �सद्धान्त उसक� संरचना को स्पष्ट करते ह� जब�क स्वरूप उसके
कायर् पर प्रकाश डालते ह�। गत शताब्द� के प्रथम दशक से ह� �व�भन्न दे श� के मनोवै�ा�नक� म� इस
बात क� रू�च बढ़� क� बु�द्ध क� संरचना कैसी है तथा इसम� �कन-�कन कारक� का समावेश है । इन्ह�ं
प्रश्न� के प�रणाम स्वरूप �व�भन्न कारक� के आधार पर बु�द्ध क� संरचना क� व्याख्या होने लगी।
अमे�रका के थासर्टन, थानर्डाईक, थॉमसन आ�द मनोवै�ा�नक� ने कारक� के आधार पर ‘बु�द्ध के
स्वरूप’ �वषय म� अपने-अपने �वचार व्यक्त �कये। इसी तरह फ्रांस म� अल्फ्रेड �बने, �ब्रटे न म�
स्पीयरमेन ने भी बु�द्ध के स्वरूप के बारे म� अपने �वचार प्रस्तुत �कये। बु�द्ध के �व�भन्न �सद्धान्त� क�
व्याख्या �वस्तार म� हम आगे कर रहे ह�
�बने का एक कारक �सद्धान्त—इस �सद्धान्त का प्र�तपादन फ्रांस के मनोवै�ा�नक अल्फ्रेड �बने ने
1905 म� �कया। अमे�रका के मनोवै�ा�नक टमर्न तथा जमर्नी के मनोवै�ा�नक एं�बगास ने इस
�सद्धान्त का समथर्न �कया। इस �सद्धान्त के अनुसार “बु�द्ध वह शिक्त है जो समस्त मान�सक काय�
को प्रभा�वत करती है ।” इस �सद्धान्त के अनय
ु ाइय� ने ब�ु द्ध को समस्त मान�सक काय� को प्रभा�वत
करने वाल� एक शिक्त के रूप म� माना है । उन्ह�ने यह भी माना है �क ब�ु द्ध समग्र रूप वाल� होती है और
व्यिक्त को एक �वशेष कायर् करने के �लये अग्र�सत करती है । इस �सद्धान्त के अनुसार ब�ु द्ध एक एकत्व
का खंड है िजसका �वभाजन नह�ं �कया जा सकता है । इस �सद्धान्त के अनस
ु ार य�द व्यिक्त �कसी एक
�वशेष �ेत्र म� �नपण
ु है तो वह अन्य �ेत्र� म� भी �नपण
ु रहे गा। इसी एक कारक�य �सद्धान्त को ध्यान म�
रखते हुए �बने ने ब�ु द्ध को व्याख्या-�नणर्य क� योग्यता माना है । टमर्न ने इसे �वचार करने क� योग्यता
माना है तथा स्टनर् ने इसे नवीन प�रिस्थ�तय� के साथ समायोजन करने क� योग्यता के रूप म� माना है ।
द्�वतत्व या द्�वकारक �सद्धान्त—इस �सद्धान्त के प्रवतर्क �ब्रटे न के प्र�सद्ध मनोवै�ा�नक स्पीयर मेन
ह�। उन्ह�ने अपने प्रयोगात्मक अध्ययन� तथा अनुभव� के आधार पर बु�द्ध के इस द्�व-तत्व �सद्धान्त
का प्र�तपादन �कया। उनके मतानुसार बु�द्ध दो शिक्तय� के रूप म� है या बु�द्ध क� संरचना म� दो कारक ह�
िजनम� एक को उन्ह�ने सामान्य बु�द्ध तथा दस
ू रे कारक को �व�शष्ट बु�द्ध कहा है । सामान्य कारक या
G-factor से उनका तात्पयर् यह है �क सभी व्यिक्तय� म� कायर् करने क� एक सामान्य योग्यता होती है ।
अत: प्रत्येक व्यिक्त कुछ सीमा तक प्रत्येक कायर् कर सकता है । ये कायर् उसक� सामान्य बु�द्ध के कारण

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ह� होते ह�। सामान्य कारक व्यिक्त क� सम्पूणर् मान�सक एवं बौ�द्धक �क्रयाओं म� पाया जाता है परन्तु
यह �व�भन्न मात्राओं म� होता है । बु�द्ध का यह सामान्य कारक जन्मजात होता है तथा व्यिक्तय� को
सफलता क� ओर इं�गत करता है ।
व्यिक्त क� �वशेष �क्रयाएं बु�द्ध के एक �वशेष कारक द्वारा होती है । यह कारक बु�द्ध का �व�शष्ट कारक
कहलाता है । एक प्रकार क� �व�शष्ट �क्रया म� बु�द्ध का एक �व�शष्ट कारक कायर् करता है तो दस
ू र� �क्रया
म� दस
ू रा �व�शष्ट कारक अत: �भन्न-�भन्न प्रकार क� �व�शष्ट �क्रयाओं म� �भन्न-�भन्न प्रकार के
�व�शष्ट कारक� क� आवश्यकता होती है । ये �व�शष्ट कारक �भन्न-�भन्न व्यिक्तय� म� �भन्न-�भन्न
प्रकार के होते ह�। इसी कारण वैयिक्तक �भन्नताएं पाइर् जाती ह�। ब�ु द्ध के सामान्य कारक जन्मजात
होते ह� जब�क �व�शष्ट कारक अ�धकांशत: अिजर्त होते ह�। ब�ु द्ध के इस दो-कारक �सद्धान्त के अनस
ु ार
सभी प्रकार क� मान�सक �क्रयाओं म� ब�ु द्ध के सामान्य कारक कायर् करते ह�। जब�क �व�शष्ट मान�सक
�क्रयाओं म� �व�शष्ट कारक� को स्वतंत्र रूप से काम म� �लया जाता है । व्यिक्त के एक ह� �क्रया म� एक
या कई �व�शष्ट कारक� क� आवश्यकता होती है । परन्तु प्रत्येक मान�सक �क्रया म� उस �क्रया से
संबं�धत �व�शष्ट कारक के साथ-साथ सामान्य कारक भी आवश्यक होते ह�। जैसे- सामान्य �व�ान,
सामािजक अध्ययन, दशर्न एवं शास्त्र अध्ययन जैसे �वषय� को जानने और समझने के �लए सामान्य
कारक महत्वपूणर् समझे जाते ह� वह�ं यां�त्रक, हस्तकला, कला, संगीत कला जैसे �व�शष्ट �वषय�◌ं को
जानने ओर समझने के �लए �व�शष्ट कारक� क� प्रमुख रूप से आवश्यकता होती है । अत: इससे स्पष्ट
है �क �कसी �वशेष �वषय या कला को सीखने के �लए दोन� कारक� का होना अत्यन्त अ�नवायर् है ।
व्यिक्त क� �कसी �वषेश �वषय म� द�ता उसक� �व�शष्ट योग्यताओं के अ�त�रक्त सामान्य
योग्यताओं पर �नभर्र है । स्पीयर मेन के अनुसार ‘�वषय� का स्थानान्तरण केवल सामान्य कारक�
द्वारा ह� संभव हो सकता है । इस �सद्धान्त को �चत्र संख्या एक के द्वारा प्रस्तुत �कया गया है । िजसम�
यह स्पष्ट �कया गया है �क �कसी भी मान�सक �क्रया म� �व�शष्ट कारक� के साथ सामान्य कारक भी
आवश्यक है ।
�त्रकारक बु�द्ध �सद्धान्त—स्पीयरमेन ने 1911 म� अपने पूवर् बु�द्ध के द्�वकारक �सद्धान्त म� संशोधन
करते हुए एक कारक और जोड़कर बु�द्ध के �त्रकारक या तीन कारक बु�द्ध �सद्धान्त का प्र�तपादन �कया।
बु�द्ध के िजस तीसरे कारक को उन्ह�ने अपने �सद्धान्त म� जोड़ा उसे उन्ह�ने समूह कारक या ग्रुप फेक्टर
कहा। अत: बु�द्ध के इस �सद्धान्त म� तीन कारक-1. सामान्य कारक 2. �व�शष्ट कारक तथा 3. समूह
कारक सिम्म�लत �कये गये ह�। स्पीयरमेन के �वचार म� सामान्य तथा �व�शष्ट कारक� के अ�त�रक्त
समूह कारक भी समस्त मान�सक �क्रयाओं म� साथ रहता है । कुछ �वशेष योग्यताएं जैसे- यां�त्रक
योग्यता, आं�कक योग्यता, शािब्दक योग्यता, संगीत योग्यता, स्म�ृ त योग्यता, ता�कर्क योग्यता तथा
बौ�द्धक योग्यता आ�द के संचालन म� समूह कारक भी �वशेष भू�मका �नभाते ह�। समूह कारक स्वयं
अपने आप म� कोई स्वतंत्र अिस्तत्व नह�ं रखता बिल्क �व�भन्न �व�शष्ट कारक� तथा सामान्य कारक
के �मश्रण से यह अपना समूह बनाता है । इसी�लए इसे समूह कारक कहा गया है ।

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मनोवै�ा�नक� के अनुसार इस �सद्धान्त म� �कसी प्रकार क� नवीनता नह�ं है । थानर्डाइक जैसे
मनोवै�ा�नक� ने इस �सद्धान्त क� आलोचना करते हुए कहा है �क समूह कारक कोई नवीन कारक नह�ं
है अ�पतु यह सामान्य एवं �व�शष्ट कारक� का �मश्रण मात्र है ।
थानर्डाइक का बहुकारक बु�द्ध �सद्धान्त—थानर्डाइक ने अपने �सद्धान्त म� बु�द्ध को �व�भन्न कारक� का
�मश्रण माना है । िजसम� कई योग्यताएं �न�हत होती ह�। उनके अनुसार �कसी भी मान�सक कायर् के
�लए, �व�भन्न कारक एक साथ �मलकर कायर् करते ह�। थानर्डाइक ने पूवर् �सद्धान्त� म� प्रस्तुत सामान्य
कारक� क� आलोचना क� और अपने �सद्धान्त म� सामान्य कारक� क� जगह मल
ू कारक� तथा
उभय�नष्ठ कारक� का उल्लेख �कया। मल
ू कारक� म� मल
ू मान�सक योग्यताओं को सिम्म�लत �कया
है । ये योग्यताएं जैसे-शािब्दक योग्यता, आं�कक योग्यता, यां�त्रक योग्यता, स्म�ृ त योग्यता, ता�कर्क
योग्यता तथा भाषण दे ने क� योग्यता आ�द ह�। उनके अनस
ु ार ये योग्यताएं व्यिक्त के समस्त
मान�सक काय� को प्रभा�वत करती है ।
थानर्डाइक इस बात को भी मानते ह� �क व्यिक्त म� कोई न कोई �व�शष्ट योग्यता अवश्य पायी जाती है ।
परन्तु उनका यह भी मानना है �क व्यिक्त क� एक �वषय क� योग्यता से दस
ू रे �वषय म� योग्यता का
अनुमान लगाना क�ठन है । जैसे �क एक व्यिक्त यां�त्रक कला म� प्रवीण है तो यह आवश्यक नह�ं �क वह
संगीत म� भी �नपुण होगा। उनके अनुसार जब दो मान�सक �क्रयाओं के प्र�तपादन म� य�द धनात्मक
सहसंबंध पाया जाता है तो उसका अथर् यह है �क व्यिक्त म� उभय�नष्ठ कारक भी ह�। ये उभय�नष्ठ
कारक �कतनी मात्रा म� ह� यह सहसंबंध क� मात्रा से �ात हो सकता है । जैसे उदाहरण के �लए �कसी
�वद्यालय के 100 छात्र� को दो पर��ण । तथा B �दये गये और उनका सहसंबंध �ात �कया। �फर उन्ह�
। तथा C पर��ण दे कर उनका सहसंबंध �ात �कया। पहले दो पर��ण� म� । तथा B म� अ�धक सहसंबंध
पाया गया जो इस बात को प्रमा�णत करता है �क । तथा C पर��ण� क� अपे�ाकृत । तथा B पर��ण�
मान�सक योग्यताओं म� उभय�नष्ठ कारक अ�धक �न�हत है । उनके अनुसार ये उभय�नष्ठ कुछ अंश�
म� समस्त मान�सक �क्रयाओं म� पाए जाते ह�।
थ�टन का समूह कारक बु�द्ध �सद्धान्त—थ�टन के समूह कारक �सद्धान्त के अनुसार बु�द्ध न तो
सामान्य कारक� का प्रदशर्न है न ह� �व�भन्न �व�शष्ट कारक� का, अ�पतु इसम� कुछ ऐसी �निश्चत
मान�सक �क्रयाएं होती ह� जो सामान्य रूप से मूल कारक� म� सिम्म�लत होती है । ये मान�सक �क्रयाएं
समूह का �नमार्ण करती ह� जो मनोवै�ा�नक एवं �क्रयात्मक एकता प्रदान करते ह�। थ�टन ने अपने
�सद्धान्त को कारक �वश्लेषण के आधार पर प्रस्तुत �कया। उनके अनुसार बु�द्ध क� संरचना कुछ
मौ�लक कारक� के समूह से होती है । दो या अ�धक मूल कारक �मलकर एक समूह का �नमार्ण कर लेते
ह� जो व्यिक्त के �कसी �ेत्र म� उसक� बु�द्ध का प्रदशर्न करते ह�। इन मौ�लक कारक� म� उन्ह�ने आं�कक
योग्यता प्रत्य�ीकरण क� योग्यता शािब्दक योग्यता दै �शक योग्यता शब्द प्रवाह तकर् शिक्त और
स्म�ृ त शिक्त को मुख्य माना।
थसर्टन ने यह स्पष्ट �कया �क बु�द्ध कई प्रकार क� योग्यताओं का �मश्रण है जो �व�भन्न समूह� म� पाई
जाती है । उनके अनस
ु ार मान�सक योग्यताएं �क्रयात्मक रूप से स्वतंत्र है �फर भी जब ये समह
ू म� कायर्
करती है तो उनम� परस्पर संबंध या समानता पाई जाती है । कुछ �व�शष्ट योग्यताएं एक ह� समह
ू क�

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होती ह� और उनम� आपस म� सह-संबंध पाया जाता है । जैसे- �व�ान �वषय� के समूह म� भौ�तक,
रसायन, ग�णत तथा जीव-�व�ान भौ�तक� एवं रसायन आ�द। इसी प्रकार संगीत कला को प्रद�शर्त
करने के �लए तबला, हारमो�नयम, �सतार आ�द बजाने म� परस्पर सह-संबंध रहता है । बु�द्ध के अनेक
प्रकार क� योग्यताओं के �मश्रण को प्रस्तुत �कया है । इन योग्यताओं का संकेतीकरण इस प्रकार है —
• आं�कक योग्यता
• वा�चक योग्यता
• स्थान सम्बंधी योग्यता
• स्मरण शिक्त योग्यता
• शब्द प्रवाह योग्यता
• तकर् शिक्त योग्यता
थॉमसन का प्र�तदशर् �सद्धान्त—थॉमसन ने ब�ु द्ध के प्र�तदशर् �सद्धान्त को प्रस्तत
ु �कया। उनके
मतानस
ु ार व्यिक्त का प्रत्येक कायर् �निश्चत योग्यताओं का प्र�तदशर् होता है । �कसी भी �वशेष कायर् को
करने म� व्यिक्त अपनी समस्त मान�सक योग्यताओं म� से कुछ का प्र�तदशर् के रूप म� चन
ु ाव कर लेता
है । इस �सद्धान्त म� उन्ह�ने सामान्य कारक� क� व्यावहा�रकता को महत्व �दया है । थॉमसन के अनुसार
व्यिक्त का बौ�द्धक व्यवहार अनेक स्वतंत्र योग्यताओं पर �नभर्र करता है परन्तु पर��ा करते समय
उनका प्र�तदशर् ह� सामने आता है ।
बटर् तथा वनर्न का पदानुक्र�मत बु�द्ध �सद्धान्त—बटर् एवं वनर्न (1965) ने इस �सद्धान्त का प्र�तपादन
�कया। बु�द्ध �सद्धान्त� के �ेत्र म� यह नवीन �सद्धान्त माना जाता है । इस �सद्धान्त म� बटर् एवं वनर्न ने
मान�सक योग्यताओं को क्र�मक महत्व प्रदान �कया है । उन्ह�ने मान�सक योग्यताओं को दो स्तर� पर
�व�भक्त �कया—
• सामान्य मान�सक योग्यता
• �व�शष्ट मान�सक योग्यता
सामान्य मान�सक योग्यताओं म� भी योग्यताओं को उन्ह�ने स्तर� के आधार पर दो वग� म� �वभािजत
�कया। पहले वगर् म� उन्ह�ने �क्रयात्मक यां�त्रक दै �शक एवं शार��रक योग्यताओं को रखा है । इस मुख्य
वगर् को उन्ह�ने v.ed. नाम �दया। योग्यताओं के दस
ू रे समूह म� उन्ह�ने शािब्दक आं�कक तथा शै��क
योग्यताओं को रखा है और इस समूह को उन्ह�ने अण्मकण ् नाम �दया है । अं�तम स्तर पर उन्ह�ने
�व�शष्ट मान�सक योग्यताओं को रखा िजनका सम्बंध �व�भन्न �ानात्मक �क्रयाओं से है । इस
�सद्धान्त क� नवीनता एवं अपनी �वशेष योग्यताओं के कारण कइर् मनोवै�ा�नक� का ध्यान इसक� ओर
आक�षर्त हुआ है ।
�गलफोडर् का �त्र-आयाम बु�द्ध �सद्धान्त—�गलफोडर् (1959, 1961, 1967) तथा उसके सहयो�गय� ने
तीन मान�सक योग्यताओं के आधार पर बु�द्ध संरचना क� व्याख्या प्रस्तुत क�। �गलफोडर् का यह बु�द्ध
संरचना �सद्धान्त �त्र-प��य बौ�द्धक मॉडल कहलाता है । उन्ह�ने बु�द्ध कारक� को तीन श्रे�णय� म� बांटा
है । अथार्त ् मान�सक योग्यताओं को तीन �वमाओं म� बांटा है । ये ह�-सं�क्रया �वषय-वस्तु तथा उत्पादन

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। कारक �वश्लेषण के द्वारा बु�द्ध क� ये तीन� �वमाएं पयार्प्त रूप से �भन्न है । इन �वमाओं म�
मान�सक योग्यताओं के जो-जो कारक आते ह� वे इस प्रकार ह�-
�वषय वस्तु - इस �वमा म� बु�द्ध के जो �वशेष कारक है वे �वषय वस्तु के होते ह�। जैसे- आकृ�तक
सांके�तक, शािब्दक तथा व्यावहा�रक। आकृ�तक �वषय वस्तु को दृिष्ट द्वारा ह� दे खा जा सकता है
तथा ये आकार और रं ग-रूप के द्वारा �न�मर्त होती है । सांके�तक �वषय-वस्तु म� संकेत, अंक तथा शब्द
होते है जो �वशेष पद्ध�त के रूप म� व्यविस्थत होते ह�। शािब्दक �वषय-वस्तु म� शब्द� का अथर् या �वचार
होते ह�। व्यावहा�रक �वषय-वस्तु म� व्यवहार संबंधी �वषय �न�हत होते ह�।
उत्पादन - ये छ: प्रकार के माने गए ह�—
(1) इकाइयां
(2) वगर्
(3) सम्बंध
(4) पद्ध�तयां
(5) स्थानान्तरण तथा
(6) अपादान।
सं�क्रया—इस �वमा म� मान�सक योग्यताओं के पांच मुख्य समूह माने ह�। 1. सं�ान 2. मूल्यांकन 3.
अ�भसार� �चंतन 4. अपसार� �चंतन
कैटल का बु�द्ध �सद्धान्त—रे मण्ड वी. केटल (1971) ने दो प्रकार क� सामान्य बु�द्ध का वणर्न �कया है । ये
ह�-फ्लूड तथा �क्रस्टे लाईज्ड उनके अनुसार बु�द्ध क� फ्लूड सामान्य योग्यता वंशानुक्रम कारक� पर
�नभर्र करती है जब�क �क्रस्टलाईज्ड योग्यता अिजर्त कारक� के रूप म� होती है । फ्लूड सामान्य
योग्यता मुख्य रूप से संस्कृ�त युक्त, ग�त-िस्थ�तय� तथा नई िस्थ�तय� के अनुकूलता वाले पर��ण�
म� पाई जाती है । �क्रस्टे लाईज्ड सामान्य योग्यता अिजर्त सांस्कृ�तक उपलिब्धय�, कौशलताओं तथा
नई िस्थ�त से सम्बं�धत वाले पर��ण� म� एक कारक के रूप म� मापी जाती है । फ्लूड सामान्य योग्यता
(gf) को शर�र क� वंशानुक्रम �वभक्ता के रूप म� �लया जा सकता है । जो जैव रासाय�नक प्र�त�क्रयाओं
द्वारा संचा�लत होती है । जब�क �क्रस्टे लाईज्ड सामान्य योग्यता (gc) सामािजक अ�धगम एवं
पयार्वरण प्रभाव� से संचा�लत होती है । केटल के अनुसार फ्लुड सामान्य बु�द्ध वंषा◌ानुक्रम से सम्बं�धत
है तथा जन्मजात होती है जब�क �क्रस्टे लाईज्ड सामान्य बु�द्ध अिजर्त है ।

mÙkjµ मास्लो द्वारा प्र�तपा�दत 'आवश्यकता पदानक्र


ु म' (Maslow's Hierarchy of Needs)
अब्राहम मास्लो (Abraham Harold Maslow; 1 अप्रैल 1908 – 8 जन
ू 1970) अमे�रका के
मनोवै�ा�नक थे िजन्होने मास्लो का प्रेरणा का पदानक्र
ु म �सद्धान्त नामक मान�सक स्वास्थ्य का
�सद्धान्त प्रस्तत
ु �कया। मास्लो कई महा�वद्यालय� और �वश्व�वद्यालय� म� मनो�व�ान के प्रोफेसर
रहे । मनो�व�ान (Psychology) वह शै��क व अनप्र
ु योगात्मक �वद्या है जो प्राणी (मनष्ु य, पशु
आ�द) के मान�सक प्र�क्रयाओं (mental processes), अनभ
ु व� तथा व्यक्त व अव्यक्त दा◌ेना◌े◌ं
प्रकार के व्यवहारा◌े◌ं का एक क्रमबद्ध तथा वै�ा�नक अध्ययन करती है । दस
ू रे शब्द� म� यह कहा जा

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सकता है �क मनो�व�ान एक ऐसा �व�ान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically) प्रे�णीय व्यवहार
(observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मान�सक एवं दै �हक
प्र�क्रयाओं जैसे - �चन्तन, भाव आ�द तथा वातावरण क� घटनाओं के साथ उनका संबंध जोड़कर
अध्ययन करता है । इस प�रप्रे�य म� मनो�व�ान को व्यवहार एवं मान�सक प्र�क्रयाओं के अध्ययन का
�व�ान कहा गया है । 'व्यवहार' म� मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोन� ह� सिम्म�लत होते ह�।
मान�सक प्र�क्रयाओं के अन्तगर्त संवेदन (Sensation), अवधान (attention), प्रत्य�ण
(Perception), सीखना (अ�धगम), स्म�ृ त, �चन्तन आ�द आते ह�। मनो�व�ान अनभ
ु व का �व�ान
है , इसका उद्देश्य चेतनावस्था क� प्र�क्रया के तत्त्व� का �वश्लेषण, उनके परस्पर संबंध� का स्वरूप
तथा उन्ह� �नधार्�रत करनेवाले �नयम� का पता लगाना है ।
वणर्नात्मक सेट �सद्धांत ता�कर्क ज�टलता और सेट� के अच्छे व्यवहार के बीच संबंध पर चचार् करता है ,
तथाक�थत �नय�मतता गण
ु (जैसे लेब्सेग क� औसत दज� क� योग्यता, सह� सेट संपित्त, आ�द)। यह
सवर्�व�दत है �क ये गण
ु जबरन (और कुछ मामल� म� , बड़े का�डर्नल्स म� ) �नकट से जड़ ु े हुए ह�। सेट
थ्योर� म� आध�ु नक �वकास जैसे �क फो�स�ग, बड़े का�डर्नल्स और �नधार्रक वणर्नात्मक सेट �सद्धांत म�
समस्याओं से �नपटने के �लए शिक्तशाल� तकनीक दे ते ह�। हाल के वष� म� , सेट �सद्धांतकार� ने
सामान्यीकृत वास्त�वकताओं के �लए वणर्नात्मक सेट �सद्धांत के शास्त्रीय प�रणाम� को सामान्यीकृत
�कया है ।

mÙkjµ नौकर� संवधर्न एक अवधारणा है िजसका उपयोग सभी प्रकार के उद्योग� के भीतर संचा�लत
सभी आकार� के कई व्यवसाय� म� �कया जाता है । फ्रेड�रक हज़र्बगर् को 1950 के दशक म� अवधारणा के
साथ आने का श्रेय �दया जाता है , साथ ह� अवधारणा के नाम के साथ आने के साथ। यह व्यवसाय� के
भीतर कमर्चा�रय� को प्रे�रत करने के �लए कमर्चा�रय� को िजम्मेदा�रय� क� एक सीमा पर ले जाने के
�लए प्रे�रत करने के �लए उपयोग �कया जाता है , जो उन्ह� अपनी प्र�तभा, कौशल और �मताओं के
वग�करण का उपयोग करने म� स�म बनाता है । कई बार, नौकर� संवधर्न, िजसे ऊध्वार्धर लो�डंग भी
कहा जाता है , नौकर� म� व�ृ द्ध क� अवधारणा के �वपर�त है , िजसे �ै�तज लो�डंग के रूप म� व�णर्त �कया
गया है । यह मुख्य रूप से एक संगठन के भीतर आंत�रक कमर्चार� प्रेरणा बढ़ाने के �लए �वक�सत �कया
गया था।
ऐसे कई तर�के ह� िजनका उपयोग नौकर� संवधर्न के �लए �कया जा सकता है । अ�धकांश व्यवसाय एक
�वस्तत
ृ योजना �वक�सत करते ह�, क्य��क यह उन्ह� अवधारणा को लागू करने के �लए अपने ल�य� क�
पहचान करने क� अनुम�त दे ता है , जो अंततः उन्ह� इन ल�य� को प्राप्त करने म� स�म बनाता है । एक
�वस्तत
ृ योजना �वक�सत करने के साथ, अ�धकांश व्यवसाय यह सु�निश्चत करते ह� �क उनके
कमर्चा�रय� के पास उनके द्वारा स�पे गए काय� को प्रभावी ढं ग से करने के �लए संसाधन उपलब्ध ह�।
उ�चत उपकरण� के �बना, कमर्चार� हतोत्सा�हत महसूस कर� गे, जो अवधारणा को लागू करने के पूरे
उद्देश्य को परािजत करता है । एक �वस्तत
ृ योजना और उ�चत उपकरण� के अलावा, व्यवसाय� ने खल
ु े
संचार को बनाए रखने के महत्व क� भी खोज क� है ता�क नौकर� संवधर्न ल�य� को प्राप्त �कया जा सके।

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कई व्यवसाय जो नौकर� संवधर्न का उपयोग करते ह�, अपने कमर्चा�रय� को अ�धक संख्या म� काय� के
साथ-साथ �नणर्य लेने वाले प्रा�धकरण म� व�ृ द्ध प्रदान कर� गे। इन दोन� �ेत्र� को संव�धर्त करने से
कमर्चा�रय� क� नौकर� क� उत्पादकता बढ़ती है क्य��क यह उनक� नौकर� क� प्रेरणा को बढ़ावा दे ता है ।
नौकर� क� उत्पादकता म� व�ृ द्ध के साथ, कई व्यवसाय अनुपिस्थ�त म� कमी भी सहन करते ह�। इन दोन�
व�ृ द्ध से एक संगठन के �लए लाभ के स्तर म� एक उल्लेखनीय सुधार होता है । कई व्यवसाय� को लगता
है �क उन्ह� प्रत्येक व्यिक्त के �लए नौकर� संवधर्न योजना �वक�सत करनी चा�हए, क्य��क प्रत्येक
कमर्चार� के प्रेरक कारक आम तौर पर �भन्न होते ह�।
नौकर� म� इज़ाफ़ा क� प�रभाषा मौजद
ू ा भ�ू मका म� समान स्तर के भीतर अ�त�रक्त ग�त�व�धय� को
जोड़ रह� है । इसका मतलब है �क एक व्यिक्त अपनी वतर्मान नौकर� म� अ�धक, �व�भन्न ग�त�व�धयां
करे गा। उदाहरण के �लए, एक कमर्चार� जो अब अपनी खद
ु क� योजना का प्रबंधन भी करे गा जहां यह
पव
ू र् म� उसके प्रबंधक द्वारा �कया गया था।
जॉब इज़ाफ़ा, जॉब �र�डज़ाइन, जॉब रोटे शन और जॉब सरल�करण के साथ-साथ जॉब �र�डजाइन क�
एक महत्वपण
ू र् तकनीक है ।
नौकर� व�ृ द्ध अक्सर नौकर� संवधर्न के साथ भ्र�मत है । हालां�क, एक अलग अंतर है । नौकर� म� व�ृ द्ध का
उद्देश्य नौकर� को अ�धक प्रेरक बनाने के �लए �कसी एक क� नौकर� को व्यापक बनाना है । नौकर�
संवधर्न मौजूदा नौक�रय� म� प्रेरक� को जोड़ने क� प्र�क्रया है । इसका मतलब यह है �क नौकर� म� व�ृ द्ध
नौकर� संवधर्न करने का एक तर�का है ले�कन सभी नौकर� संवधर्न ग�त�व�धय� को नौकर� म� व�ृ द्ध नह�ं
माना जाता है । हम इसे बाद म� और अ�धक गहराई से समझाएंगे।

iz 'u 5- fuEufyf[kr dFku ij la{ksi esa fVIi.kh djsa%

mÙkjµ �कसी व्यावसा�यक संगठन को �व�भन्न �वभाग� व उप-�वभाग� म� �वभक्त करना ह�


�वभागीकरण कहलाता है । �कसी �नमार्णी संस्था म� पाये जाने वाला क्रय �वभाग, उत्पादन �वभाग,
�वत्त �वभाग, �वक्रय �वभाग, उत्पादन �वभाग, �वत्त �वभाग, �वक्रय �वभाग, शोध एवं �वकास
�वभाग, से �ववग�य �वभागीकरण ह� है । व्यवसाय क� प्रकृ�त एवं आकार को ध्यान म� रखते हुए
�वभागीय प्रबंधक, �वभाग� को उप-�वभाग� म� �वभक्त कर सकते ह�। �वभाग� को जो कायर् स�पे जाते ह�
उसके �लए �वभागाध्य� ह� उत्तरदायी होता है । �कसी भी संगठन म� �वभागीकरण लागू करने का मूल
उद्देश्य �व�शष्ट�करण के लाभ� को प्राप्त करना तथा संगठन क� संचालक�य कायर्कुशलता म� व�ृ द्ध
करना है । �कसी भी संगठन के �वकास के साथ साथ उसके �वभाग� और उप�वभाग� क� संख्या भी
बढ़ती जाती है । �वभागीकरण के सम्बन्ध म� �वद्वान� द्वारा �दये गये कुछ प्रमुख �वचार ह� :- कूष्टज
एवं ओडोनल के अनुसार ‘‘�वभागीकरण एक �वशाल एकात्मक कायार्त्मक संगठन को छोट� छोट� एवं
लोचपूणर् प्रशासक�य इकाइय� म� बांटने क� एक प्र�क्रया है ।’’ �व�लयम एफ. ग्लूक के अनुसार, ‘‘सम्पूणर्

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उपक्रम के कायार्ं ◌े को �वभािजत करने अथवा कृत्य� के समूह स्था�पत करने को ह� �वभागीकरण
कहते ह�। इसका प�रणाम उप-इकाइय� का �नमार्ण करना है िजन्ह� सामान्यत: �वभाग कहा जाता है ।’’
इस प्रकार �वभागीकरण से आशय संगठन क� सम्पूणर् �क्रयाओं को �व�भन्न भाग� म� �वभक्त करना
है । िजससे छोट� छोट� प्रशास�नक इकाइयॉ ं ग�ठत हो जाती ह�। िजससे व्यिक्तय� एवं �क्रयाओं दोन� का
समूह�करण भी हो जाता है िजसके प�रणामस्वरूप �व�शष्ट�करण के लाभ प्राप्त होते ह� जो संचालक�य
कायर्कुशलता म� व�ृ द्ध कर दे ते ह�। संसाधन� का कुषलतम प्रयोग होता है । �क्रयाओं का अच्छा समन्वय
होता है । प्रत्येक �वभाग उप�वभाग और व्यिक्तय� के कायर् स्पष्टत: प�रभा�शत होने से �नश्पादन के
स्तर अच्छा रहता है । इस प्रकार �वभागीकरण के माध्यम से काय� का स्पष्टत: �वभाजन एवं �क्रयाओं
का कुषलतम �नश्पादन होता है ।
आवश्यकता एवं महत्व—संगठन म� �वभागीकरण से �व�भन्न स्तर� के �नमार्ण म� समन्वय �नयंत्रण,
संदेशवाहन, �नद� शन क� समस्याएं ज�टल हो जाती ह� िजससे संगठन म� भ्रािन्तयॉ,ं संघष� एवं कायर्
�वलम्ब� को बल �मलता है , परन्तु इसके सज
ृ न क� इन कारण� से आवश्यकता होती है –
प्रबंधको क� सी�मत कायर् �मता–व्यवसा�यक संगठन का कायर् बहुत अ�धक होता है और एक प्रबंधक
क� शार��रक एवं मान�सक कायर्�मता उनक� तुलना म� सी�मत होती है । इस�लए काय� को �व�भन्न
�वभाग� म� �वभािजत करना आवश्यक हो जाता है िजससे प्रत्येक �वभागाध्य� अपने �वभाग के �लए
पयार्प्त समय दे सके। काय� का �नर��ण कर सके, य�द कोइर् समस्या या �षकायत हो तो �वभागी स्तर
पर ह� उनका त्व�रत �नस्तारण सम्भव हो सके।
�व�शष्ट�करण–�वभागीकरण, �व�शष्ट�करण के �लए आवश्यक होता है । काय� क� प्रकृ�त क� समानता
के आधार पर �क्रयाओं का वग�करण कर उन्ह� एक �वभाग को स�प �दया जाता है । इसके पश्चात
�वभाग क� आवश्यकता के अनुरूप �वशेष�� क� �नयुिक्त क� जाती है । �वषेश�� क� दे खरे ख म� ह�
काय� का �नश्पादन होता है । �वषेश� �वभाग म� ह� उपलब्ध रहने से काय� पर �नयंत्रण एवं समन्वय
सरल हो जाता है ।
का श्रेष्ठ �नष्पादन–�वभाग� का �नमाणर्, काय� क� पक्रृि◌त, समानता, �नष्पादन क� सु�वधा,
समन्वय, �नद� शन संदेशवाहन, एवं �नयंत्रण क� सु�वधा को ध्यान म� रखकर �कया जाता है । इस प्रकार
�नष्पादन क� सु�वधा को ध्यान म� रखते हुए �वभागीकरण �कया जाता है िजससे काय� का श्रेष्ठ
�नष्पादन होता है ।
प्रभावी �नयोजन एवं �नयत्रंण–एक प्रबधंक क� सी�मत काय�्र् ◌ामता होती है इस�लए उसका कायर्�त्र

एक सी�मत सीमा तक ह� बढ़ाया जा सकता है । य�द कायर्भार सीमा से अ�धक होगा तो प्रबंधक ठ�क
प्रकार �नयोजन, �नद� शन,�नर��ण का कायर् सम्पन्न नह�ं कर सकता है । इसी�लए समस्त �क्रयाओं को
�निश्चत वग� म� �वभािजत कर �नष्पादन के �लए सुयोग्य प्रबन्धक� को स�प �दया जाता है । िजससे
प्रभावपूणर् ढं ग से �नयोजन एवं �नयंत्रण सम्भव हो सके।
अ�धकार� प्र�त�नधायन–अ�धकार� के प्र�त�नधायन के �लए यह आवश्यक है �क संगठन का उ�चत
रूप से �वभागीकरण �कया जाय। य�द �क्रयाओं का वग�करण �व�भन्न �वभाग� म� स्पष्ट रूप से कर
�दया गया है तो अ�धकार� का प्र�त�नधायन काय� का स�पना और उत्तरदा�यत्व� का �नधार्रण

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प्रभावपूणर् ढं ग से सम्भव हो सकेगा। इसके प�रणामस्वरूप संगठन म� कुशल कायर् �नष्पादन, प्रभावी
�नर��ण एवं �नयंत्रण तीव्र संदेशवाहन, �व�शष्ट�करण, �वकेन्द्र�यकरण, उत्तरदा�यत्व� का
सु�नयोिजत �नधार्रण, अ�धकार� के प्र�त�नध ् ◌ा◌ायन आ�द के �लए �वभागीकरण क� आवश्यकता
होती है ।
कायर् मूल्याकंन म� सरलता–�वभागीकरण से प्रत्येक व्यिक्त के कायर् सुप�रभा�षत होते ह�। व्यिक्तय�
के उत्तरदा�यत्व भी �निश्चत होते ह� इसी�लए प्रत्येक कायर् के �लए व्यिक्त �वशेष को उत्तरदायी
ठहराया जा सकता है । इससे प्रत्येक व्यिक्त का कायर् मल्
ू यांकन सरलतापव
ू क
र् �कया जा सकता है और
िजम्मेदार व्यिक्त को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है ।
कायर्�मता म� व�ृ द्ध–�वभागीकरण से कायर्�मता म� विृ ◌द्ध हो जाती है । प्रत्येक व्यिक्त के कायर् एवं
दा�यत्व �निश्चत होते ह�। बेहतर संदेशवाहन, �नयोजन, �नयंत्रण, �नद� शन आ�द से संगठन क� कायर्
प्रणाल� म� व्यापक सध
ु ् ◌ा◌ार �मल जाता है िजसके प�रणाम स्वरूप प्रत्येक व्यिक्त के कायर्�मता म�
व�ृ द्ध हो जाती है ।

mÙkjµ �पछले दस वष� म� ऑनलाइन �व�ापन के तीव्र �वकास से उत्पन्न व्यवधान के प�रणामस्वरूप,
�वपणन संगठन� के पास प्रभावशीलता और आरओआई को ट्रै क करने के �लए काफ� अ�धक डेटा तक
पहुंच है । इस बदलाव ने यह प्रभा�वत �कया है �क �वपणक �व�ापन� क� प्रभावशीलता को कैसे मापते
ह�, साथ ह� प्र�त िक्लक (सीपीसी), लागत प्र�त हज़ार इंप्रेशन (सीपीएम), लागत प्र�त कायर् / अ�धग्रहण
(सीपीए) जैसे नए मे�ट्रक्स के �वकास और िक्लक-थ्रू रूपांतरण । इसके अ�त�रक्त, कई ए�ट्रब्यूशन
मॉडल समय के साथ �वक�सत हुए ह� क्य��क �डिजटल उपकरण� के प्रसार और उपलब्ध आंकड़� म�
जबरदस्त व�ृ द्ध ने ए�ट्रब्यूशन तकनीक के �वकास को धक्का �दया है ।
�संगल सोसर् ए�ट्रब्यूशन (�संगल टच ए�ट्रब्यूशन) मॉडल �कसी भी ईव� ट को पूरा क्रे�डट प्रदान करते ह�,
जैसे �क अं�तम िक्लक, पहला िक्लक या आ�खर� चैनल जो �कसी �व�ापन (पोस्ट व्यू) को �दखाता है ।
सरल या अं�तम-िक्लक एंटेशन को व्यापक रूप से ए�ट्रब्यूशन के वैकिल्पक रूप� क� तुलना म� कम
सट�क माना जाता है क्य��क यह उन सभी योगदान करने वाले कारक� के �लए िजम्मेदार नह�ं है , जो
वां�छत प�रणाम के �लए प्रे�रत करते ह�।
आं�शक गुणन म� समान भार, समय �य, ग्राहक ऋण और बहु-स्पशर् / वक्र मॉडल शा�मल ह�। समान
वजन वाले मॉडल घटनाओं को समान मात्रा म� क्रे�डट दे ते ह�, ग्राहक क्रे�डट �पछले अनुभव का उपयोग
करता है और कभी-कभी क्रे�डट आवं�टत करने के �लए केवल अनुमान लगाया जाता है , और मल्ट�-टच
सेट मात्रा म� खर�दार क� यात्रा म� सभी टचपॉइंट्स पर �व�भन्न क्रे�डट असाइन करता है ।
अल्गो�रथ�मक या प्रोबे�ब�लिस्टक ए�ट्रब्यूशन सांिख्यक�य मॉड�लंग और मशीन ल�न�ग तकनीक� का
उपयोग सभी माक��टंग टचपॉइंट्स म� रूपांतरण क� संभावना को प्राप्त करने के �लए करता है जो तब
रूपांतरण से पहले प्रत्येक टचपॉइंट के मूल्य को वजन करने के �लए उपयोग �कया जा सकता है । डेटा
�ड्रवेन एट्र�ब्यश
ू न के रूप म� भी जाना जाता है Google क� Doubleclick और Analytics 360 अपने

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सभी अलग-अलग रास्त� का �वश्लेषण करने के �लए प�रष्कृत एल्गो�रदम का उपयोग करते ह� (दोन�
गैर-रूपांत�रत और प�रव�तर्त करना) यह पता लगाने के �लए �क कौन सा टचपॉइंट रूपांतरण के साथ
सबसे अ�धक मदद करता है । एल्गो�रथ्म ए�ट्रब्यूशन रूपांतरण क� संभावना �नधार्�रत करने के �लए
सभी चैनल� म� प�रव�तर्त और गैर-प�रव�तर्त पथ दोन� का �वश्लेषण करता है । प्रत्येक टचपॉइंट को
स�पे गए प्रा�यकता के साथ, टचप्वाइंट वेट को उस आयाम के कुल वजन को �नधार्�रत करने के �लए
उस टचपॉइंट (चैनल, प्लेसम� ट, �क्रए�टव, आ�द) के एक आयाम द्वारा एकत्र �कया जा सकता है ।

mÙkjµ यद्य�प मल
ू रूप से दबाव को अ�धकांश वै�ा�नक पाठ्यपस्
ु तक� म� एक आदशर् �नवार्त के
सापे� प�रभा�षत और मापा जाता है , ले�कन यह औद्यो�गक अनप्र ु योग� के बहुमत म� एक ऐसे
वातावरण के सापे� दबाव को मापने के �लए अव्यावहा�रक है जो टे रा फ़मार् पर कह�ं भी स्वाभा�वक रूप
से मौजद
ू नह�ं है । इसके बजाय अ�धकांश औद्यो�गक उपकरण वायु से �घरे वातावरण म� िस्थत ह�।
एक मशीन पर घटक� क� आवाजाह� बनाने के �लए, या एक प्र�क्रया से दस
ू रे भाग म� एक गैस या तरल
पदाथर् को स्थानांत�रत करने के �लए, एक दबाव लागू करना पड़ता है जो आसपास के प�रवेशी वायु
दबाव से अ�धक या कम होता है ।
स्थानीय वायु दबाव सभी दबाव प्रणा�लय� के �लए प्राकृ�तक आधार दबाव है , इससे पहले �क वे अन्य
घटक� से सील और अलग हो जाएं। इस बेस प्रेशर का कोई �नधार्�रत दबाव मूल्य नह�ं है , और चँ �ू क
स्थानीय वायुदाब लगातार बदलता रहता है , यह गेज रे फर� स प�रवतर्न� को ट्रै क करने का एक तर�का
प्रदान करने के �लए आवश्यक है , यह सु�निश्चत करने के �लए �क हर समय बेस प्रेशर के सापे� दबाव
र��डंग को मापा जाता है ।
एक गेज संदभर् को लगातार ट्रै क करने का सबसे आसान और सबसे व्यावहा�रक तर�का यह है �क
आसपास के प�रवेशी वायु दबाव पर दबाव संवेदन उपकरण के �रवसर् साइड को व� ट करने का एक
तर�का प्रदान �कया जाए। यह सु�निश्चत करे गा �क माप के दौरान वायुमंडल�य दबाव म� �कसी भी
प�रवतर्न को तुरंत मुआवजा �दया जाता है । सकारात्मक गेज दबाव �कसी भी दबाव है िजसे वतर्मान
वायुमंडल�य दबाव से ऊपर मापा जाता है । नकारात्मक गेज दबाव �कसी भी दबाव को मापा जाता है जो
वतर्मान वायुमंडल�य दबाव से कम होता है ।
.

mÙkjµ एंट�बायो�टक प्र�तरोध सावर्ज�नक स्वास्थ्य के �लए सबसे अ�धक दबाव, वैिश्वक खतर� म� से
एक के रूप म� उभरा है । एंट�बायो�टक प्र�तरोध के �लए एकल-प्रजा�त प्रयोग� म� चयन बहुत कम
एंट�बायो�टक सांद्रता पर होता है । हालां�क, यह स्पष्ट नह�ं है �क इन �नष्कष� को प्राकृ�तक वातावरण
के �लए �कतना दरू �कया जा सकता है , जहां प्रजा�तयां ज�टल समुदाय� के भीतर अंत�नर्�हत ह�। हम
Escherichia कोलाई के आइसोजे�नक उपभेद� का मुकाबला करते ह�, जो एक एकल गुणसूत्र प्र�तरोध
�नधार्रक म� �वशेष रूप से �भन्न होते ह�, दो प्रासं�गक एंट�बायो�टक दवाओं के �लए एंट�बायो�टक

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एकाग्रता के एक ढाल म� उपिस्थ�त और अनुपिस्थ�त म� दो प्रासं�गक एंट�बायो�टक दवाओं के �लए:
ज�टामाइ�सन और कैनामाइ�सन। हम बताते ह� �क न्यन
ू तम चयनात्मक एकाग्रता समुदाय म� एम्बेडड

होने पर दोन� एंट�बायो�टक दवाओं के �लए प�रमाण के एक से अ�धक क्रम से बढ़ गया था। हमने
पहचान क� �क दो सामान्य तंत्र न्यूनतम चयनात्मक एकाग्रता म� व�ृ द्ध के �लए िजम्मेदार थे: प्र�तरोध
क� लागत म� व�ृ द्ध और अ�तसंवेदनशील फेनोटाइप के �लए समुदाय का एक सुर�ात्मक प्रभाव। इन
�नष्कष� म� एंट�बायो�टक प्र�तरोध के �वकास और चयन क� हमार� समझ के �लए �न�हताथर् ह�, और
एंट�बायो�टक सांद्रता पर भ�वष्य के जो�खम मल्
ू यांकन प्रयास� को स�ू चत कर सकते ह�।
हाल के प्रायो�गक अध्ययन� से पता चलता है �क ज�टल समद
ु ाय� म� एएमआर जीन के �लए चयन
एंट�बायो�टक सांद्रता (न्यन
ू तम चयनात्मक एकाग्रता; एमएससी) पर हो रहा है जो अ�तसंवेदनशील
बैक्ट��रया (न्यन
ू तम �नरोधात्मक एकाग्रता; एमआईसी) क� व�ृ द्ध को रोकने वाले क� तल ु ना म� बहुत
कम ह�। जैसा �क पहले इन �वट्रो म� एकल प्रजा�तय� के भीतर �दखाया गया है । हालां�क, यह स्पष्ट नह�ं
है �क अन्य माइक्रो�बयल प्रजा�तय� क� उपिस्थ�त एमएससी को कैसे प्रभा�वत करती है । हालां�क
अन्य प्रजा�तय� के सट�क प्रभाव क� संभावना संदभर् पर �नभर्र है , हम प�रकल्पना करते ह� �क समद
ु ाय
क� उपिस्थ�त आमतौर पर एमएससी को बढ़ाएगी। एकल प्रजा�तय� के अध्ययन से पता चलता है �क
प्र�तरोधी को�शकाएं अ�तसंवेदनशील लोग� को सुर�ा दे सकती ह�, दोन� के माध्यम से, एंट�बायो�टक
दवाओं के इंट्रासेल्युलर और बाह्य �वकृ�त, इस प्रकार अ�तसंवेदनशील उपभेद� क� सापे� �फटनेस म�
व�ृ द्ध और इस�लए एमएससी। हालां�क, उत्सिजर्त मेटाबोलाइट्स एंट�बायो�टक प्रभावका�रता दोन� को
कम कर सकते ह� या कम कर सकते ह�, इस प्रकार MSCs म� कमी या व�ृ द्ध हो सकती है । इसके अलावा,
एएमआर से जुड़ी कोई भी लागत संसाधन� के �लए बढ़� हुई प्र�तस्पधार् से बढ़ सकती है , उदाहरण के
�लए, वायरस के �लए परजीवी और बैक्ट��रया के �लए मिक्खय� म� प्र�तरोध के संबंध म� दे खा गया है ।
एएमआर चयन पर सामुदा�यक संदभर् के संभा�वत प्रभाव� का पता लगाने के �लए, हमने दो अलग-
अलग अमीनोग्लाइकोसाइड एंट�बायो�टक्स, केनामाइ�सन के एक ढाल म� एक माइक्रो�बयल समुदाय
क� उपिस्थ�त और अनुपिस्थ�त म� , एक ह� गुणसूत्र प्र�तरोध �नधार्रक म� �वशेष रूप से �भन्न,
आइसोजे�नक एस्चे�र�चया कोलाई MG1655 उपभेद� का मुकाबला �कया। ) और ज�टामाइ�सन
(Gm)। हम Escherichia कोलाई (ई। कोलाई) को एम्बेडड
े करते ह�, जो आमतौर पर गमर् रक्त वाले
स्तनधा�रय� के अवायवीय पाचन तंत्र म� पाए जाते ह�, आं�शक रूप से एक गम वातावरण क� को�शश म�
प्रायो�गक अवायवीय पाचन म� एक सुअर faecal समुदाय के भीतर। हमने एएमआर चयन पर
सामुदा�यक प्रभाव� को कम करने वाले तंत्र म� अंतदृर्िष्ट प्रदान करने के �लए अ�त�रक्त रूप से
�नयोिजत मेगाहे नो�मक �वश्लेषण, सामुदा�यक टाइ�पंग (16S rRNA जीन) और ग�णतीय मॉड�लंग
को �नयोिजत �कया।

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