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|||Common|||
ड्रयफ्ट िेशिि एजुकेशि पॉलिसी, 2019 (डी.एि.ई.पी.) एक भयरत-क़ेंद्रित लशक्षय प्रणयिी को ियगू
करती है , जो सभी को उच्च-गुणवत्तय की लशक्षय प्रदयि करके, हमयरे रयष्ट्र को न््य्सांगत और
जीवांत सूचिय समयज म़ें बदििे म़ें प्रत््क्ष ्ोगदयि प्रदयि करती है । िीनत आ्ोग िे ववशेष रूप
से पररणयमों और कय्यक्रमों से हटकर लशक्षय पर ध््यि क़ेंद्रित कक्य है। इसिे रयज््ों के बीच
प्रनतस्पर्ययत्मकतय को बढयवय द्रद्य है तयकक छयत्रों पर परीक्षणों के प्रवयह दवयरय उिके शैक्षक्षक
सांकेतकों को बेहतर बिय्य जय सके। िेककि 'िो वि िेफ्ट बबहयइांड' (NOLB) पर गांभीर रुप से
कय्य करिे के लिए िए और सर्
ु यरवयदी दृष्ष्ट्टकोण की आवश््कतय होती है। डी.एि.ई.पी. िे कुछ
आशय प्रदयि की है, िेककि इसके लिए व््यख््यि ववद्य और वयस्तववकतय के परीक्षण की
आवश््कतय है।
अपिे ववजि को वयस्तववक बियिे के लिए आवश््क तरीकों और गनत कय अिुमयि िगयिे के
लिए डीएिईपी को वतयमयि आर्थयक और शैक्षक्षक वयतयवरण के सांदभय म़ें पढय जयिय चयद्रहए। एक
ओर, हम औद्ोर्गक क्रयांनत ्य किर कुशि आ्ु के दस
ू रे िए ्ुग म़ें हैं। तो दस
ू री ओर, वतयमयि
म़ें, िगभग एक लमलि्ि ्ुवय महीिे भयरती् कय्यबि म़ें शयलमि हो रहे हैं, िेककि उिम़ें से
अर्र्कयांश पेशेवर तकिीकी ज्ञयि ्य व््यवहयररक व््यवसयन्क कौशि के मयमिे म़ें कय्यकुशि
िहीां हैं। लशक्षय और रोजगयर के बीच दब
ु ि
य सांबांर् भयरत के जिसयांष्ख््की् ियभयांश को
जिसयांष्ख््की् आपदय म़ें बदििे कय सांभयववत जोखिम पैदय करते हैं।
लशक्षय क्षेत्र म़ें, मयत्रय-गुणवत्तय-निष्ट्पक्षतय बत्रभुज की भ्यांनतजिक पहे िी अभी भी अिसुिझी बिी हुई
है। हयियाँकक लशक्षय की आवश््कतय को महत्वपूणय मयिय जयतय है , किर भी इसके लिए सयवयजनिक
निवेश बेहद कम है। ्ह पतय िगयिय प्रयसांर्गक है कक स्कूि लशक्षय म़ें िीनतगत हस्तक्षेप के लिए
डी.एि.ई.पी. िे कुछ प्रमुि क्षेत्रों को कैसे सांबोर्र्त कक्य है , अथययत ् प्रवेश, ष्जसे लशक्षय प्रणयिी म़ें
आगे बढिे वयिे छयत्रों की सांख््य और प्रवयह दवयरय मयपय जय सकतय है, निष्ट्पक्षतय, ष्जसे ववकयस
से वांर्चत आबयदी, और गुणवत्तय की कमी ्य जड़तय के रूप म़ें दे िय जय सकतय है , ष्जसे लशक्षण-
अर्र्गम की प्रकक्र्यओां और बच्चों के लिए ववकयस के पररणयमों से समझय जय सकतय है , जो कक
अर्र्क आसयिी से प्रयप्् स्कोर दवयरय निद्रहत है।
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1.रयष्ट्री् लशक्षय िीनत, 2019 के मसौदे कय उददे श्् क््य है ?A. स्कूि से िेकर उच्च लशक्षय तक
सभी स्तरों पर सर्
ु यर और पि
ु नियमययण।
B. रयज््ों के बीच प्रनतस्पर्ययत्मकतय को बढयवय दे िय।
C. अपिे छयत्रों को आवश््क कौशि और गण
ु वत्तय ज्ञयि से सस
ु ष्ज्जत करके भयरत को सूचिय
महयशष्क्त बियिय।
D. पररणयम और कय्यक्रमों से ध््यि हटयकर लशक्षय से पररणयम पर ध््यि क़ेंद्रित करिय।
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A. केवि I
B. II और III
C. I और III दोिों
D. I, III और IV
A. लशक्षय की पहुांच को लशक्षय प्रणयिी म़ें शयलमि होिे वयिे छयत्रों के आकयर और प्रवयह दवयरय मयपय जय
तय है।
B. ववकयस से वांर्चत आबयदी की कमी ्य दृढतय से समयितय कय अिुमयि िगय्य जय सकतय है।
C. लशक्षय की गुणवत्तय को लशक्षण-
सीििे की प्रकक्र्यओां और बच्चों के लिए ववकयसयत्मक पररणयमों से समझय जय सकतय है जो कक प्रयप््
स्कोर दवयरय अर्र्क आसयिी म़ें निद्रहत हैं।
D. शैक्षक्षक सांकेतक छयत्रों पर परीक्षणों को थोपकर मयपे जय सकते हैं।
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श्रम के पररप्रेक्ष्् म़ें , जयपयिी कय्यकतययओां दशकों तक अपेक्षयकृत कम ियगत तथय उच्च गन्
ु वयत्त्तय
के आर्यर पर प्रनतस्पर्ी अलभियभ प्रदयि करते रहे हैं, ववशेषकर द्रटकयऊ वस्तओ
ु ां एवां उपभोक्तय
सांबांर्ी इिेक्रोनिक्स उद्गों ्थय : मशीिरी, ऑटोमोबयइि , टे िीववजि, रे डड्ो आद्रद के सांदभय
म़ें| तदप
ु रयांत श्रम आर्यररत ियभ दक्षक्षण कोरर्य, पश्चयत, मिेलश्य, मैष्क्सको तथय एिी दे शों
मेियष्न्त्रत हुए| सम्प्रनत, श्रम के आर्यर पर चीि के ववशेष ियभ उपिब्र् होतय प्रतीत हो रहय है |
किर भी, एसी द्रटकयऊ वस्तुओां, इिेक्रॉनिक तथय एिी उत्पयदों के लिए जयपयिी िमय बयजयर म़ें
अपेक्षयकृत अर्र्क प्रनतस्पर्यय ्ोग््तय रिती हैं| ककन्तु एिी औद्र्गक दे शों के ववनिमययतयओां के
ऊपर प्रनतस्पर्ययत्मक अलभियभ हे तु श्रम्बि अब प्ययप्त िहीां है | श्रम आर्यररत ियभ म़ें इस प्रकयर
कय बदियव उत्पयदि से जुड़े उद्ोगों तक स्पष्ट्टत: अिुसीलमत िहीां है | आज सूचिय प्रौद्ोर्गकी
एवां सेवय क्षेत्र से जुड़े अर्र्सांख्् रोजगयर की सभयवियएां ्ूरोप तथय उत्तरी अमेररकय से भयरत,
लसांगयपुर तथय ऐसे ही एिी दे शों की ओर दे शों म़ें शैक्षक्षक स्तर एवां तकिीकी दक्षतयएां अलभवद
ृ र्
हो रही हैं, उिके समक्ष ि्े प्रनतस्पर्र्य्ों के आववभययव से ऐसे ियभों की सांभयवियओां को बिय्े
रििय कद्रिि प्रतीत होतय है |
पाँज
ू ी की िष्ष्ट्ट से, सद्रद्ों तक स्वणय-लसक्कों के कयि एवां बयद म़ें कयगजी मुिय िे भी ववत्ती्
प्रवयहों को प्रनतवांर्र्त कक्य| इस क्रम म़ें क्षेत्री् केन्िीकरण कय अभ््ुद् हुआ ष्जसम़ें बड़े बैंक,
उद्ोग और बयजयर सष्म्मर्श्रत हुए| ककन्तु आज पाँूजी कय प्रवयह अन्तरयष्ट्री् स्टयर पर क्षक्षप्रगनत
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से हो रहय है | वैष्श्वक वयखणज्् अब अपिे व््यपयररक प्रनतभयर्ग्ो से क्षेत्री् अष्न्त्क्र्यओां
अन्तरयष्ट्री् स्तर पर क्षक्षप्रगनत से हो रहय है | वैष्श्वक वयखणज्् अब अपिे व््यपयररक प्रैभयर्ग्ों
से क्षेत्री् अष्न्त्क्र्यओ (ववनिम्) की आवश््कतय िहीां रितय| नि:सांदेह, क्षेत्री् स्टयर पर पाँज
ू ी-
केन्िीकरण के पुांज न््ू्यकय, िन्दि तथय टोक््ो जैसे स्थयिों म़ें अभी भी ववर्मयि हैं ककन्तु वे
स्पर्ययत्मक ियभों के लिए ववश्व म़ें िैिे हुए एिी पाँज
ू ी ववनिवेश्कों को िष्ष्ट्टगत रिते हुए प्ययप्त
िहीां है | पररवनतयत पररिश्् म़ें कोई भी सांगिि अपिे सांसयर्िों (्थय:भूलम, श्रम, पाँज
ू ी, एवां सच
ू िय
प्रौद्ोर्गकी) को जोड़िे, समष्न्वत करिे तथय अिुप्र्ोग म़ें प्रभयवी रूप से सक्षम हैं तथय ष्जसे
एिी प्रनतस्पर्र्य्ों दवयरय सुववर्यजिक रूप म़ें अपिय्य ि जय सके, तभी उन्ह़ें िम्बे अरसे तक
ऐसे अलभियषों के सांपोषण कय अवसर प्रयप्त हो सकेगय|
िमय के ज्ञयि-आर्यररत लसदर्यांत के पररप्रेक्ष्् म़ें एस र्यरणय से सांगिियत्मक ज्ञयि को परम्परयगत
आर्थयक आगतों की सयमर्थ्य एवां महत्त्व के समतुल्् सांसयर्ि के रूप म़ें दे िय जय सकतय है | वह
सांगिि ष्जसम़ें उत्कृष्ट्ट ज्ञयि कय सबि ववर्मयि है , ववशेषत: उि बयजयरों म़ें स्पर्ययत्मक ियभ
लमि सकते हैं जहयाँ ज्ञयि के अिुप्र्ोग के प्रनत आकषयण है | इसके उदयहरण है: सेमीकांडक्टर,
जेिेद्रटक इांजीनि्ररग, ियमययस््ूद्रटकल्स, सॉफ्टवे्र, सैन्् ्ुदर् कमय तथय एिी ज्ञयि गहि
प्रनतदवयदां द्रदतय के वे क्षेत्र जो कयिक्रमयिुसयर लसदर् एवां वतयमयि म़ें भी प्रभयवी हैं| सेमीकांडक्टर
जैसे कम्प््ुटर र्चप्स को ही िे िीष्जए जो प्रमुि रूप से रे ट एवां सयमयन्् र्यतुओां से बिते है |्े
सयवयदेलशक एवां शष्क्तशयिी इिेक्रॉनिक प्रयववर्र््याँ सयमयन्् कय्ययि् भविों म़ेंतै्यर की जयती हैं
तथय इिम़ें वयखणज्् िष्ष्ट्ट से उपिब्र् उपकरणों कय उप्ोग होतय है तथय कई औद्ोर्गक दे शों
म़ें कयरियिों म़ें ही निलमयत होते द्रहां| ििस्वरूप, सेमीकांडक्टर उद्ोगों म़ें भूलम को महत्त्वपण
ू य
प्रनतस्पर्ययत्मक सांसयर्ि के रूप म़ें िहीां लि्य जयतय है |
|||End|||
7.भयरत और लसांगयपरु के श्रम-आर्यररत प्रनतस्पर्ी ियभ आई.टी और सेवय क्षेत्रों म़ें क््ों सांपोवषत
िहीां कक्े जय सकते ?
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D. ववनिमययण उद्ोगों म़ें श्रम आर्यररत ियभ के अांतरण के कयरण
A. क्षेत्री् पाँज
ू ी प्रवयहों के मयध््म से|
B. व््यपयर कतययओां के बीच क्षेत्री् अांतकक्रय्य के मयध््म से|
C. बड़े बैंकों, उद्ोगों और बयजयरों को सष्म्मर्श्रत कर|
D. ववलभन्ि सयध्क्त्वों के प्रभयवी प्र्ोग दवयरय|
9.ववलशष्ट्ट बयजयरों म़ें प्रनतस्पर्ी ियभों को सुनिष्श्चत करिे के लिए क््य आवश््क है ?
A. पाँज
ू ी की सुिभतयl
B. सयमयन्् कय्ययि् भवि
C. उत्कृष्ट्ट ज्ञयि
D. सयमयन्् र्यतए
ु ां
Answers:
1. C
2. A
3. D
4. C
5. B
6. B
7. C
8. D
9. C
10. A
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Direction: Read the following passage carefully and answer questions.
The DNEP must be read in the context of the current economic and
educational climate in order to be able to gauge the essential path and pace
needed to make its vision a reality. On the one hand, we are in another new
age of industrial revolution or the skilling age. On the other, at present,
roughly one million young people enter the workforce in India each month,
but a majority of them are just raw hands without professional technical
knowledge or practical vocational skills. The weak linkages between
education and employment carry the potential risk of turning India’s
demographic dividend into a demographic disaster.
|||End|||
Answer ||| C
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2.What calls for further examination of rhetoric and reality?
Answer ||| A
3.What does the author mean by “the weak linkages between education and
employment”?
Answer ||| D
A. Only I
B. Both II and III
C. Both I and III
D. I, III and IV
Answer ||| C
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5.According to the passage, which of the following statements is not true?
Answer ||| B
Answer ||| B
Answer ||| C
Answer ||| D
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9.What is required to ensure competitive advantages in specific markets?
A. Access to capital
B. Common office buildings
C. Superior knowledge
D. Common metals
Answer ||| C
Answer ||| A
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