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इकाई 10

सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

गर श नाथ झा
आचाय, संगणक य भाषा व ान, सं कृत एवं ा य व या अ ययन सं थान,
जवाहरलाल नेह व व व यालय, नई द ल
ई-मेल: girishjha@jnu.ac.in

प रचय

आज भूमंडल करण के यग
ु म सूचना एवं संचार ौ यो गक क ां त के वारा सीमा पार
और अंतर-सां कृ तक संचार को बलता मल है । शै क े म सीमा पार संचार म
अ य धक विृ द दे खी गई है और इसम सीखने और ान के वकास के हर े को भा वत
करने क मता है । ाचीन भारत त शला, नालंदा जैसे मुख व व व यालय के साथ
अंतररा य श ा का क था, िजसने व वभर के छा और व वान को आक षत कया।
वतमान समय म, छा , श क , कमचा रय और बौ धक साम ी के सीमा पार आवाजाह
क अपार संभावना है, िजससे श ा के अ धक से अ धक अंतरा यकरण का माग श त
हो रहा है । श ा के इस पहलू के मह व को यान म रखते हुए, रा य श ा नी त -2020
ने भारत सरकार के लए कई मख
ु नी तगत अ नवायताओं को सच ू ीब ध कया है। रा. श.
नी.- 2020 म ता वत श ा के इस प को लागू करने से ाचीन भारत क व वगु क
पर स ध पुन: था पत क जा सकती है इस लए श ा का अंतरा यकरण भारत को फर
से व वगु बनाने क दशा म उ चत कदम होगा।

अ धगम तफल

उ च श ा े के व व व यालय और महा व यालय श क के प म 'सीमा पार श ा/


उ च श ा के अंतरा यकरण' के आव यक प को समझना मह वपूण है ता क अ णी
व व व यालय के सव े ठ छा को आक षत करने के लए भावी सहयोग और भागीदार
वक सत क जा सके और हमारे छा , व वान , श क और कमचा रय को उनके श ण/
अनुसंधान कौशल को अ यतन करने के लए अ य दे श म भेजा जा सके।


इकाई 10, मॉ यूल 3: ‘ ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन’, PMMMNMTT के
अंतगत इ नू, नई द ल वारा संचा लत ‘रा य श ा नी त– 2020 के काया वयन पर
यावसा यक वकास काय म’ का भाग है। © इ नू, 2022
सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

इस इकाई म, श क को न केवल सीमा पार श ा और श ा के अंतरा यकरण क


अवधारणा और उसके आव यक प से अवगत कराया जाएगा, बि क यह भी समझाया
जाएगा क रा. श. नी.- 2020 इन प को कैसे ता वत करता है। इस इकाई का
अ ययन करने के बाद, श क स म ह गे-

 सीमा पार और श ा के अंतरा यकरण के व भ न पहलुओं का वणन करने म।


 भारत म श ा के अंतरा यकरण क आव यकता को रे खां कत करने म।
 अंतरा यकरण के लए रा. श.नी.- 2020 और उसक सफा रश क सूची तैयार
करना और उनका वणन करने म।
 श ा और अनुसध
ं ान के अंतरा यकरण के लए व भ न नी तगत अ नवायताओं का
व लेषण करने म।
 अ णी भारतीय व व व यालय म वतमान सव म थाओं का वणन, साथ ह साथ
अंतरा य र कं ग के पहलुओं का भी वणन करने म।

श ा के अंतरा यकरण के प

आज व व के येक दे श को श ा म सीमा-पार और सां कृ तक पहलुओं को एक कृत


करना चा हए, िजससे श ा म वैि वक व धय और थाओं का सव म अनुभव ा त हो
सके। इसे श ा के सभी तर - ाथ मक, मा य मक, उ च मा य मक और व व व यालय,
वशेष प से उ च श ा सं थान (एचईआई) के तर पर आव यक प से लागू पर कया
जाना चा हए। भारतीय उ च श ा सं थान के बीच उ च रा य र कं ग ढाँचा
(एनआईआरएफ) म उ म र कं ग ा त करने के लए कड़ी त पधा है, जब क यूएस
( वा वेरेल साइमं स ल मटे ड वारा का शत व ड यू नव सट र कं ग) जैसी एज सय वारा
र कं ग के प म व व के शीष व व व यालय के प म सच
ू ीब ध होने म उनके वारा
वशेष ग त नह ं हुई। हमारे उ च श ा े को दे श से बाहर वैि वक तर पर खोलने और
लघु व नमय काय म के मा यम से सव े ठ छा और श क को आक षत करने,
संयु त अनुसध
ं ान, पयवे ण, प रयोजनाओं, सीखने के मुख े म सहयोग करने के
नि चत लाभ को उ रो र मा यता द जा रह है। इ ह हमारे उ च श ा सं थान के
अंतरा यकरण काय म म न न ल खत प को शा मल करके ा त कया जा सकता है-

1. अंतररा य तर पर छा को आक षत करने के लए आव यक आधारभूत ढाँचा,


श ण/ अनस
ु ंधान सु वधाओं और काय म का नमाण करना।
2. ऐसे व व व यालय म छा , कमचा रय और संकाय के लए पार प रक प से
लाभकार ग तशीलता काय म का नमाण करना।
3. पा य म और अनुसध
ं ान का अंतरा यकरण।
4. अ णी व व व यालय के अपतट य प रसर को खोलना
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

5. अनुसंधान एवं वकास (R&D) के मुख े म संयु त सहयोग


6. े डट अंतरण और संयु त उपा धयाँ।

श ा का अंतरा यकरण य?

हाल के वष म, भारत ने वैि वक मंच पर अभूतपूव विृ द दे खी है । यह अंतररा य ि थत


और धारणा एक वागत यो य बदलाव के प म है। आ थक वकास म, भारत वतमान म
सकल घरे लू उ पाद (जीडीपी) म छठा और य शि त समानता (पीपीपी) के मामले म
तीसरा थान ा त करने वाला सबसे बड़ा दे श है। सामािजक याय और समानता, वै ा नक
उ न त, रा य एकता और सां कृ तक संर ण के े म, हमने नए मील के प थर हा सल
कए ह और वां छत अंतररा य ि ट और शंसा अिजत क है। औसत आयु के संदभ म,
हम द ु नया के सबसे यव
ु ा दे श ह, और अगले दशक म द ु नया म यव
ु ाओं क सबसे अ धक
जनसं या का दावा करगे। इस लए, हमार उ च गुणव ा वाले शै क अवसर दान करने क
मता हमारे दे श के भ व य का नधारण करे गी। युवा जनसं या आम तौर पर आगे क ओर
अ सर और ग तशील है , इस लए उनके काय े क उ न त के लए सभी मामल , मानक ,
व धय , गण
ु व ा आ द म अंतरा य दशन मह वपण
ू होगा। यि त, समाज, दे श और
व व के अ छे के लए हमारे दे श क समृ ध तभाओं और संसाधन को वक सत एवं
अ धकतम करने का सावभौ मक उ च गुणव ा वाल श ा सबसे उ चत माग है। भारत
वारा 2015 म सतत वकास एजडा अपनाया गया, "सभी के लए 2030 तक समावेशी और
समान गुणव ा वाल श ा सु नि चत करना और जीवन- पय त सीखने के अवसर को
बढ़ावा दे ना।" इसका एक और मह वपूण प है , आज आईसीट वारा संचा लत उ रो र
वै वीकृत द ु नया म, भारत व व तर पर शै क थाओं म अंतरा यकरण के कुछ
सव म उदाहरण से अलग होने का जो खम नह ं उठा सकता है। भारत क श ा म वैि वक
सव म थाओं से सीखने और शा मल करने के अवसर ह। शै णक वष 2019-20 म,
भारत ने 168 दे श के 49,348 छा क मेजबानी क , जो शीष 10 दे श के सभी
अंतररा य छा का 63.9% ह सा था। हमारे अ धकांश अंतरा य छा द ण, द ण
पव
ू , पि चम और अ का के पड़ोसी े से आते ह, िजसम अकेले नेपाल से भारत म आने
वाले सभी अंतररा य छा का लगभग 30% है । 2019 म, भारत 47,000 से अ धक
वदे शी छा क मेजबानी कर रहा था, और 2023 तक चौगुना करके 200,000 छा क
सं या का ल य है । जहां भारत लागत भावी श ा के लए पड़ोसी दे श के छा को
आक षत करने के लए अ छा कर रहा है, वह ं यरू ोप और अमे रका जैसे अ य महा वीप के
छा को आकषक शै क अवसर दान करने क अ धक आव यकता है। अंतरा य छा
नामांकन ( नय मत ड ी काय म , अ पका लक व नमय काय म , इंटन शप, श ण
काय म आ द) म व ृ ध के ल य को ा त करने के लए, रा. श. नी.- 2020 ने श ा के
ग तशील अंतरा यकरण के लए कई वशेष नी त नदश दए ह।
सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

रा. श.नी.-2020 म श ा के अंतरा यकरण हे तु नी तगत अ नवायताएं

रा. श. नी.- 2020 ने उ च श ा के तर पर श ा के अंतरा यकरण पर अ धक जोर


दया है। अंतररा य तर पर वतमान सव म थाओं (सीबीपी) से अ धगम क सफा रश
है । िजसका ल य वैि वक गुणव ा और मानक को ा त करना और वतमान सव म थाओं
से अ धगम है । रा. श. नी.- 2020 वारा 'घर पर अंतरा यकरण' के ल य को ा त करने
के लए अ धक से अ धक अंतरा य छा और श क को आक षत करने को मह व दया
गया है । व नमय समझौता ापन (ए सचज मेमोरडम ऑफ ए ीम स) के मा यम से छा ,
कमचा रय और श क के सीमा पार वाह को सुगम बनाया जाना चा हए। अंतररा य
छा और श क क अ छ सं या को आक षत करने से हमारे व व व यालय को
अंतररा य दशन और यता मलेगी। वदे शी छा क मेजबानी करने वाले येक उ च
श ण सं थान (एचईआई) म एक अंतरा य छा कायालय था पत कया जाना चा हए
ता क वदे श से आने वाले छा के वागत और सहयोग से संबं धत सभी मामल का
सम वय कया जा सके। व यालय , महा व यालय और अ य सं थान और व व व यालय
को छा , श क और कमचा रय के व नमय के लए अंतररा य सहयोग के समझौता
ापन पर ह ता र करने के लए ो सा हत कया जाएगा। संयु त पयवे ण, अंतरा य
प रयोजनाओं जैसी सहयोगा मक अनुसंधान ग त व धय को ो सा हत कया जाना चा हए।
भारतीय सं थान और वैि वक सं थान के बीच अनुसंधान सहयोग और छा आदान- दान
क सु वधा के लए वशेष यास कए जाने चा हए। सीमा पार कम समय के व नमय
काय म करने वाले छा को े डट ह तांतरण और मा यता योजना को अ धक लचीलेपन
के साथ लागू करना चा हए। सभी उ च शै ण सं थान को आव यकतानुसार, जहां उपयु त
हो वदे शी व व व यालय म अिजत े डट को अनुम त और उनक गणना करके ड ी
दान करनी चा हए।

हमारे छा को अ धकतम अवसर दान करने के लए पार प रक प से सहमत पा य म


और काय म म संयु त ड ी शु क जा सकती है । इस संदभ म, भारतीय व या,
भारतीय भाषाओं, आयव
ु द, योग और ाकृ तक च क सा, यन
ू ानी, स ध और हो योपैथी
(आयुष) च क सा णाल , कला, संगीत, इ तहास, सं कृ त, दशन और आधु नक भारत क
णा लय से संबं धत पा य म म भारत म अ ययन के लए वदे शी छा को आक षत
कया जा सकता है । हमारे अंतररा य व नमय के लए जाने के इ छुक छा एसट ईएम
(STEM) े म ओर अ धक पा य म का संयु त ड ी/ माणीकरण व नमय के लए
पता कर सकते है । इस पहल के तहत व ान और सामािजक व ान म अ धक अंतररा य
तर पर ासं गक पा य म को ो सा हत कया जाना चा हए। हमारे प रसर म अंतरा य
छा के लए सामािजक जड़
ु ाव, गुणव ापूण आवासीय सु वधाओं और प रसर म सहायता के
साथक अवसर दान कए जाने चा हए। इन यास के साथ भारत को कफायती क मत पर
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

उ च को ट क श ा दान के वैि वक अ ययन गंत य के प म भावशा लता से तत



कया जाना चा हए, ता क एक व वगु के प म अपनी भू मका को पुन: ा त करने म
मदद मल सके।

सतत यावसा यक वकास (सीपीडी), संकाय वकास काय म (एफडीपी) योजनाएं

कूल श ा के साथ-साथ उ च शै ण सं थान के श क को अंतररा य श ा म


वतमान सव म थाओं (सीबीपी) से अ यतन करने के लए सतत यावसा यक वकास
(सीपीडी) एवं संकाय वकास काय म (एफडीपी) क आव यकता होगी। इन काय म को
करने के लए संबं धत मानव संसाधन वकास क (एचआरडीसी) को स पा जाना चा हए।
यह उ ह अंतरा य संगोि ठय , कायशालाओं, समूह चचाओं, आमने-सामने क बैठक आ द
के मा यम से साथक अंतरा य सहयोग के लए तैयार करे गा। हमारे श ण, अनस
ु ंधान
और श ण काय म म सव म अंतररा य श ाशा ीय व धय और थाओं को
शा मल करना चा हए। व व तर पर श ण-अ धगम व धय और थाओं को अ यतन
और संरे खत करने के लए मता संवधन काय म (सीबीपी) को करवाने का काय उ च
शै ण सं थान को संबं धत नयामक नकाय को स पना चा हए।

अपतट य प रसर क थापना

शीष र कं ग वाले व व व यालय को अपतट य प रसर क थापना क अनम


ु त दे ने म एक
वैि वक वृ रह है । भारत म भी, हमारे उ च दशन करने वाले व व व यालय को अ य
दे श म प रसर था पत करने के लए ो सा हत कया जाना चा हए। बदले म, चय नत शीष
व व व यालय (द ु नया के शीष 100 म से) को भारत म अपने प रसर संचा लत करने क
सु वधा दान क जानी चा हए। ऐसे मता संवधन काय म (सीबीपी) को लागू करने म
आने वाल कानूनी/ शास नक बाधाओं को यान म रखते हुए, इसके लए एक उपयु त
वधायी ढांचा था पत कया जाना चा हए और ऐसे व व व यालय को भारत के अ य
वाय सं थान के समान नयामक, शासक य और साम ी मानदं ड के संबंध म वशेष
रयायत द जानी चा हए।

रा य कौशल यो यता ढाँचा (एनएस यूएफ)

रा य कौशल यो यता ढाँचा एक रा य तर पर एक कृत श ा और यो यता-आधा रत


ढांचा है जो यि तय को वां छत यो यता तर ा त करने म स म बनाता है। यह ान,
कौशल और यो यता के तर क एक ंख
ृ ला के अनुसार यो यताओं को यवि थत करता
है । रा. श.नी.-2020 रा य कौशल यो यता ढाँचा क मह वपूण भू मका क प रक पना
करती है। यह अंतरा य म संगठन (ILO) वारा बनाए गए यवसाय के अंतरा य
मानक वग करण (ISCO) जैसे वैि वक मानक के अनु प होगा। यह 'ढांचा' पव
ू श ण क
मा यता (RPL) को आधार दान करे गा। इसके मा यम से, औपचा रक णाल से बीच म
सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

पढ़ाई छोड़ने वाले को उनके यावहा रक अनुभव को ासं गक तर के साथ जोड़कर फर से


अ ययन म जोड़ा जाएगा। े डट-आधा रत ' े मवक' भी 'सामा य' और ' यावसा यक' श ा म
ग तशीलता क सु वधा दान करे गा। े डट आधा रत 'ढाँचा' 'सामा य' और ' यावसा यक'
श ा म ग तशीलता क सु वधा भी दान करे गा।

रा य अनस
ु ंधान फाउं डेशन (एनआरएफ)

पांच वष के लए 50,000 करोड़ पये के वशाल बजट य आवंटन के साथ एनआरएफ श ा


के अंतरा यकरण म मह वपूण भू मका नभाएगा। अनुसध
ं ान को न ध दे ने के लए इस
एजसी क थापना वतमान अंतररा य सव म थाओं के अनु प है और इसक सफलता
दर मा णत है। भारत उन दे श म से एक है , जो अनुसंधान पर नह ं के बराबर खच करता
है।

सकल घरे लू उ पाद के 0.69% के अनुसंधान यय के साथ भारत सबसे कम म से एक है


(च 11.1)। अपने आकार, जनसं या और व वध आव यकताओं के अनुसार इसे उससे कई
गन
ु ा अ धक खच करना चा हए।

अनुसंधान यय (सकल घरे लू उ पाद का तशत)


5
4.5
4
3.5
3
2.5
2 Research Spending (% of
1.5 GDP)
1
0.5
0
India Israel South USA (2.8%)
(0.69%) (4.3%) Korea
(4.2%)

च 11.1: चु नंदा दे श म अनुसंधान यय

वतमान म, भारत सरकार क कई एज सयां और संगठन ह जो अकाद मक अनुसध


ं ान और
वकास को न ध दे ते ह: व ान और ौ यो गक वभाग (DST), परमाणु ऊजा वभाग
(DAE), जैव- ौ यो गक वभाग (DBT), भारतीय कृ ष अनुसंधान प रषद (ICAR) , भारतीय
च क सा अनुसध
ं ान प रषद (ICMR), भारतीय इ तहास अनुसध
ं ान प रषद (ICHR), और
व व व यालय अनुदान आयोग (UGC), साथ ह साथ व भ न नजी और लोक क याणकार
संगठन। रा. श. नी. -2020 के अनस
ु ार, ये संगठन अपनी ाथ मकताओं और ज रत के
अनुसार वतं प से अनुसध
ं ान के लए कोष दगे। य य प, रा य अनुसंधान फाउं डेशन
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

अ य कोष एज सय के साथ सावधानीपूवक सम वय करे गा और उ दे य के तालमेल को


सु नि चत करने और यास के दोहराव से बचने के लए व ान, इंजी नय रंग और अ य
अकाद मय के साथ काम करे गा।

रा य अनुसंधान फाउं डेशन म नयोिजत ग त व धय को न नानुसार शा मल कया जाएगा-

1. वैि वक मानक के लए अनुसंधान मताओं का व तार

भारत म अ णी उ च शै णक सं थान क अनुसंधान मताओं को कई मुख दशाओं –


आधारभूत ढांचे, उपकरण , साम ी, मानव संसाधन, सहयोग आ द म अ सर करने क
आव यकता है। एसट ईएम (STEM) के व भ न े और उ च ाथ मकता वाले े के
अ य वषय म वैि वक मानक को यान म रखते हुए रा य अनस
ु ध
ं ान फाउं डेशन को
आगे कुछ क ठन काय करने ह गे। अकाद मक/ उ योग/ सरकार और अ य हतधारक के
साथ अंतररा य सहयोग के साथ अनुसंधान का व तार वैि वक अनुसंधान और वकास
(R&D) नेत ृ व म भाग लेने का यास करे गा।

2. जलवायु प रवतन, जनसं या क ग तशीलता, बंधन, जैव- ौ यो गक , कृ म


बु धम ा (AI), यं अ धगम (ML) जैसे नए े

भारत के वकास के लए मह वपूण उभरते े म अनुसंधान एवं वकास (R&D) के व तार


को रा य अनस
ु ंधान फाउं डेशन वारा सग
ु म बनाया जाएगा। हमार भव
ू ै ा नक, भौगो लक,
जनसांि यक य, सामािजक-आ थक, सामािजक-सां कृ तक व श टता और कमजो रय पर
वचार करते हुए जलवायु प रवतन तेजी से भारत क आव यकताओं के लए अनुसंधान का
एक मुख े बन रहा है । अ य समसाम यक मख ु उभरते े जैस-े जैव ौ यो गक ,
कृ म बु धम ा/ यं अ धगम, भाषा ौ यो गक , शै क ौ यो गक , ई- शासन, ई-
वा य, ई- वरासत आ द पर से वशेष यान दे ने क आव यकता है।

रा य अनुसंधान फाउं डेशन कृ म बु धम ा (AI) के संदभ म -आयामी ि टकोण का


समथन है-

(क) कोर कृ म बु धम ा (AI) अनुसंधान को आगे बढ़ाना

कोर कृ म बु धम ा अनुसध
ं ान दो मह वपूण घटक पर नभर करता है– (1) तकनीक
वकास के लए माट ए गो रदम और तकनीक वकास मंच, और (2) उन सभी े म
आंकड़ का वकास जहां कृ म बु धम ा ए गो रदम को यं अ धगम और गहन यं
अ धगम आधा रत व धय का उपयोग करके श त कया जाएगा। भाषा ौ यो गक
वकास, श ा, शासन, वा य पूवानुमान, मौसम पूवानुमान या आपदा संवेदन मता,
जनसं या बंधन सभी मह वपण
ू े म वकास के लए हम इन दो घटक पर वशेष
यान दे ने क आव यकता है ।
सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

(ख) अनु योग आधा रत अनुसंधान का वकास एवं प र नयोजन

अनुसंधान को ो सा हत करना िजसम प र नयोजन के लए अनु योग म ह तांतरण को


ाथ मकता द जाएगी। भारत को वकास के लगभग सभी े म मख
ु ौ यो ग कय क
आव यकता है । इस लए, रा य और अंतररा य तर पर सहयोग और पार प रक प से
लाभ द आधार पर अकाद मक और उ योग म अनुसंधान और मूल प के लए ौ यो गक
ह तांतरण क अनम
ु त ाथ मकता से दे ना चा हए।

(ग) वा य दे खभाल, कृ ष और जलवायु प रवतन जैसे े म वैि वक चुनौ तय का


समाधान करने के लए अंतररा य अनुसंधान को कृ म बु धम ा (AI) का उपयोग करके
आगे बढ़ाना

हमारे आव यक सम यामूलक े म अनुसंधान एवं वकास को आगे बढ़ाने के लए अ णी


अंतररा य व वान , समूह और एज सय के साथ वशेष भागीदार था पत करने के
यास करने चा हए। वा य, कृ ष और जलवायु प रवतन जैसे मुख े पर उपयु त
कृ म बु धम ा (AI) और अनस
ु ंधान एवं वकास (R&D) क मदद से यान दे ना आव यक
होगा। अकाद मक, उ योग और अ य हतधारक के साथ उपयु त अंतररा य सहयोग मांगा
जाना चा हए।

श ा के लए ौ यो गक का उपयोग और एक करण

श ा के लए ौ यो गक का उपयोग हाल के वष का मु य आकषण रहा है, वशेषकर


कोरोना महामार
के समय म। भारत जैसे बहुभाषी और बहुसां कृ तक दे श म, सभी
हतधारक तक उनक मातभृ ाषा म पहुंचाने का ल य एक वशाल काय है, जो वचा लत
पीच-टू- पीच अनव
ु ाद और ग तशील साम ी नमाण, वतरण और मू यांकन आ द सच
ू ना
एवं संचार ौ यो गक (ICT) का उपयोग कए बना संभव नह ं है।

कूल और उ च श ा दोन के लए सीखने, मू यांकन, योजना, शासन आ द को बढ़ाने के


लए ौ यो गक के उपयोग के मा यम से वचार के मु त आदान- दान के लए एक
रा य शै क ौ यो गक मंच (NETF) का नमाण कया जाएगा।

श ा म ौ यो गक हमारे लाख लोग को उनक भाषा म श त करने के लए आव यक


होगी। भारत म मातभ
ृ ाषा (एमट ) के प म उपयोग क जाने वाल सैकड़ भाषाएं ह, और
यद पीच-टू- पीच यं अनुवाद (एसएसएमट ) जैसी उपयु त तकनीक नह ं होगी तो भारत
क सैकड़ मातभ
ृ ाषाओं म श ा रा. श. नी. -2020 का यह प एक दरू का सपना होगा।
शै क ौ यो गक के अ य े जैसे ई-ल नग और ल नग मैनेजमट स टम (LMS) के
लए स ते वक सत और प र नयोिजत मंच क आव यकता होगी। इस लए, अंतरा य
मता नमाण काय म (CBP) से सीखने और भारत म श ा के लए ौ यो गक का
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

उपयोग करने म अ णी एज सय और समूह के साथ उन व धय को ेणीब ध करने क


आव यकता होगी।

व व तर य, डिजटल अवसंरचना, शै क डिजटल साम ी और मता के नमाण के लए


एक सम पत इकाई का नमाण

ई-अ धगम साम ी वकास और इसके व रत सार के लए व व तर य सु वधा क


आव यकता होगी। भारत जैसे व वधतापण
ू दे श म शै क साम ी के वकास के लए एक
मंच पर काम करने वाले सैकड़ और हजार वशेष क आव यकता होगी। इस लए साम ी
बंधन प और सं करण क सावधानीपूवक योजना बनाई जाएगी। SWAYAM और Edex
आ द जैसे साम ी वतरण/ नयोिजत मंच के साथ संरे खत होने क होगी। इस े म
अंतरा य सफलता तर के उदारण से सीखने का यास होना चा हए।

ई- श ा व व तर पर तुत करना

अंतररा य छा के लए साम ी वकास के े क पहचान और उनक ाथ मकता तय


करना आव यक है। भारतीय ान परं परा के े पर ाथ मकता के आधार पर यान दे ना
होगा। हम हमारे साम य वाले े म अंतरा य छा के लए पा य म वक सत करना
चा हए। इसका अथ यह नह ं है क हम एसट ईएम (STEM) के उ च मांग वाले े म
अपने ह लोग को ई-अ धगम पा य म दान नह ं करने जा रहे है, ले कन हमारे पा य म
को व व तर पर त पध बनाने के लए, हम अपनी साम य वाले े म वैि वक छा
को आक षत करना होगा और उन े को भी वक सत करना होगा, जो हमारे
व व व यालय म अंतररा य छा वारा इि छत ह गे। इस लए, अ ययन के मुख े
क पहचान करने के लए एक सव ण कया जाना चा हए जो वक सत दे श से अ धकतम
अंतररा य छा को आक षत करने से संबं धत हो। हम भारत के सूचना एवं संचार
ौ यो गक (ICT) या अ य वै ा नक और तकनीक पा य म और काय म म च रखने
वाले अपने वयं के छा के लए और हमारे पड़ोसी दे श के अंतरा य छा के लए
एसट ईएम (STEM) पा य म दान करना जार रखना चा हए। य य प, छा क च के
अनुसार ए शया के अ य दे श , यूरोप, अमे रका आ द जैसे महा वीप के छा के लए हम
पा य म और काय म पेश करने क आव यकता है।

अंतरा य र कं ग

अंतरायकरण और सीमा पार श ा का एक बहुत ह मह वपूण प यह है क येक


उ च श ा सं थान को एक अ छ रा य और अंतरा य र कं ग बनाए रखनी होती है ।
भारत म रा य सं थान र कं ग ढाँचा (NIRF), QS व ड यू नव सट र कं ग, टाइ स हायर
एजक
ु े शन (THE) आ द जैसे अनेक कार के रा य और अंतरा य र कं ग तं है, िजसके
मानक का पालन सु नि चत कया जाना चा हए और उसके लए वा षक प से ासं गक
सीमा पार श ा/ श ा का अंतरा यकरण

काय लया जाना चा हए ता क उ च श ा सं थान (HEI) अपनी ेणी को सुधार सके।


अंतररा य र कं ग म वां छत थान सु नि चत करने म येक उ च श ा सं थान म
अंतररा य सहयोग कायालय (आईसीओ) और अंतररा य छा कायालय (आईएसओ) क
भू मका मह वपूण होगी।

काया वयन के लए न हताथ

रा. श. नी.-2020 क सफा रश और उसम नी तगत अ नवायताएं सीमा पार श ा और


श ा े के ग तशील अंतरा यकरण के लए एक आसान काय नह ं है, ऐसे कई मुख
े ह िजन पर असाधारण यास करने क आव यकता होगी-

क) अंतरा य सहयोग कायालय (ICO)

इस कायालय या वभाग का अ पका लक व नमय काय म के लए अंतररा य छा ,


श क और कमचा रय को आक षत करने के लए काय म बनाने का उतरदा य व होगा।
ऐसी ग तशील पहल को आं शक प से या पूण प से करने के लए पया त धन क
आव यकता होगी। उ च शै णक सं थान को इस कायालय के वारा अपनी पसंद के
अंतररा य सं थान के साथ वभ न कार के समझोत सं थान-से-सं थान यापक
समझौत या वभाग-से- वभाग क त समझौत के लए मानक सहयोग द तावेज़ ा प का
नमाण करना। अंतरा य सहयोग कायालय भागीदार सं थान से छा के आदान- दान के
लए व ापन अनरु ोध मख
ु एजसी होगी और आवेदक म से आव यक सं या का चयन
करने के लए आव यक तं वक सत करे गा। इस आदान- दान से लाभ उठाने के लए
छा / संकाय/ कमचा रय (य द मेजबान सं थान वारा व पो षत नह ं है) को पया त धन
उपल ध कराया जा सकता है । यह कायालय वदे शी त न धय / छा / कमचा रय / संकाय
क मेजबानी करने और यह सु नि चत करने के लए भी िज मेदार होगा क उनक या ा
और वास सु वधाजनक हो।

ख) अंतरा य छा कायालय (ISO)

उ च श ा सं थान म वदे शी छा के वशाल नयोिजत वेश को दे खते हुए येक मुख


उ च श ा सं थान म एक अंतरा य छा कायालय (ISO) था पत करना आव यक होगा।
व ापन से लेकर वा त वक ा त छा और उनके उ मुखीकरण तक, वेश क पूर या
के लए अंतरा य छा कायालय उ रदायी होगा। यह कायालय हमारे उ च श ा सं थान
म काय म , आधारभूत संरचनाओं और वेश मता के आधार पर व भ न रा यताओं के
छा का समान त न ध व सु नि चत करे गा।

ग) श ण, अनुसंधान और वकास म सहभा गता क योजना बनाना


ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

येक उ च श ा सं थान को केि त वश ट े म सव म वदे शी व व व यालय/


सं थान के साथ सहभा गता क योजना अंतरा य सहयोग कायालय/ अंतरा य छा
कायालय के वारा बनाने का यास होना चा हए, यह अंतररा य तर पर अ धक पद शत
होने के लए मह वपूण है, इन दशाओं म यास के लए सम वय और व पोषण क
आव यकता है। कभी-कभी संयु त अनुसंधान एवं वकास का अ छा ताव व भ न ोत
से बाहर व सहायता ा त कर सकता है।

घ) आधारभूत ढाँचा और अनुसंधान एवं वकास सु वधाएं

वदे शी सहभा गता को आक षत करने के लए अंतररा य छा के लए छा ावास,


अ पका लक संकाय, कमचा रय और अ य आने वाले त न धय के लए आवास-गह
ृ जैसी
उपयु त आधारभत
ू सु वधाएँ मल
ू भत
ू प से आव यक है। उ च शै णक सं थान क
अनुसंधान योगशालाओं म अनुसंधान एवं वकास सु वधाएं ऐसी होनी चा हए ता क अ त थ
जनशि त क वशेष ता का सव म उपयोग सु नि चत कया जा सके।

ड़) सीमा पार ई- श ा के लए तकनीक सहायता

सीमा पार श ा जार रखने के लए यह मह वपूण होगा, उन छा को ऑनलाइन साम ी


क उपल ध कराने के लए ौ यो गक का उपयोग करना, जो व भ न कारण से या ा नह ं
कर सकते है । इसे कोरोना महामार जैसे असामा य समय के दौरान एक वक प के साथ-
साथ आव यकता के प म भी तुत कया जाना चा हए।

References
Andrejs Rauhvargers, 2011, Global university rankings and their impact, European University
Association,
https://web.archive.org/web/20120826181934/http://www.eua.be/Libraries/Publications_homep
age_list/Global_University_Rankings_and_Their_Impact.sflb.ashx
Ministry of Education, GOI, 2019, The National Education Policy 2020,
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf
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https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/statistics-new/aishe_eng.pdf
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https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/upload_document/NETF.pdf
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https://vikaspedia.in/social-welfare/skill-development/best-practices-on-skill-
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National Research Foundation, 2019, PSA, GOI, https://www.psa.gov.in/nrf
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