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गण
ु व ायु त अकाद मक अनस
ु ंधान
रजनीश म और सुशांत म
जवाहरलाल नेह व व व यालय, नई द ल
ई-मेल: rkmishra@mail.jnu.ac.in
प रचय
अ धगम तफल
पारं प रक समाज म ान सज
ृ न पर उन सभी का वशेषा धकार था जो समाज के सम
एकजुट कामकाज से संबं धत व भ न कार क उ पादक और रचना मक ग त व धय म
लगे हुए थे। सं चत और अिजत ान का सं हताकरण और ान नमाण क संपूण
पा रि थ तक के आधार पर व भ न तर क से कया गया था। उदाहरण के लए, नय मत
प से उपभो य व तुओं के लए उ पादन ग त व धय म, जैसे क बढ़ई के उ पाद , लोहार
आ द को पी ढ़य वारा पा रत कया गया था। समाज और उपल ध साम य क
इकाई 11, मॉ यूल 3: ‘ ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन’, PMMMNMTT के
अंतगत इ नू, नई द ल वारा संचा लत ‘रा य श ा नी त– 2020 के काया वयन पर
यावसा यक वकास काय म’ का भाग है। © इ नू, 2022
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान
याकलाप 11.1
1. तीन श ा आयोग के नाम का उ लेख क िजए ।
2. भारत म आधु नक व व व यालय क थापना कसन क ?
3. उ च शै क सं थान क दो सम याएं बताइए।
4. तीन यूरोपीय वचारक के नाम बताइए िज ह ने आधु नक श ा णाल के अनुसध
ं ान
क प ध त को भा वत कया।
5. भारतीय भाषाओं को अनस
ु ंधान सं थान से जोड़ने का या मह व है ?
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन
गण
ु व ा संप न उ चतर अकाद मक सं थान क ासं गकता को रे खां कत करते हुए, रा य
श ा नी त बल दे ती है क , “21वी शता द क आव यकताओं को दे खते हुए, गुणव ा
संप न उ चतर श ा को अ छे , वचारशील, प रप व और रचना मक यि त वक सत
करने का ल य रखना चा हए। यह छा ाओं/छा को एक से अ धक वश ट े का
सू मता से अ ययन करने, च र वक सत करने, नै तक एवं संवैधा नक मू य वक सत
करने, बौ धक उ सुकता, वै ा नक मनोदशा, रचना मकता, सेवाभाव एवं ान क वभ न
शाखाओं िजनम व ान, सामािजक व ान, कलाएं, मान वक , भाषाय सि म लत ह, 21वीं
शता द के अनु प मताएं ा त करने, साथ ह यावसा यक, तकनीक एवं पेशेवर
(Professional) वषय म स मता ा त करने म सहायक होनी चा हए।” रा य श ा
नी त शै क आव यकताओं को 21वीं शता द के स दभ म दे खती है एवं रचना मक
यि तय के नमाण पर बल दे ती है ।ऐसे रचना मक यि त कसी आ थक एवं सामािजक
प से वक सत समाज म मु य भू मका म होते ह। एक रचना मक यि त समाज क
आव यकताओं के त इस कार त या दे ता है िजससे क अ व कार व नवाचार को
बढावा मलता है। ान के कसी भी े जैसे व ान, सामािजक व ान, कलाओं,
मान वक , भाषाओं आ द म ऐसा रचना मक य ती रचना मकता द शत करता है िजससे
अ य को सि म लत होने क संभावनाएं एवं अवसर उपल ध हो सक अंततः सामािजक-
आ थक वकास क या नै तक, पारदश एवं समावेशी हो सके। रा य शै क नी त
प टतः य त करती है क “उ चतर श ा बु ध, सामािजक प से चैत य, ानशील एवं
कुशल रा जो क अपनी सम याओं को पहचानकर उन पर ढ़ समाधान लागू कर सकता
है , का वकास करने म स म होनी चा हए। उ चतर श ा को ान सज
ृ न एवं नवाचार के
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान
इसम एक ंख
ृ ला के मा यम से उपाय क िजनम उ कृ ट सावज नक श ा सि म लत है ;
िजसम व ततृ पहुँच, समानता एवं समावेश; तकूल ि थ त एवं अ प अ धकार वाले
छा /छा ाओं के लए नजी व सावज नक व व व यालय के वारा व व व सहायता
( कॉलर शप) इ टरनेट के मा यम से श ा; मु त दरू थ श ण (ओपन ड टस ल नग);
कसी शर रक असमथता से पी ड़त छा ाओं/छा के लए आधारभूत संसाधन एवं श ा
साम ी क उपल धता एवं उन तक पहुँच शा मल ह।
1. अनस
ु ंधान सं थान के म य आपसी सहयोग क आव यकता
2. आ थक वकास के संसाधन (जैसे औ यो गक एवं व भ न सामािजक सं थाएँ) एवं
इन आव यकताओं को परू ा करने के लए अनुसंधानीय त याएं
3. सं थान के अनुसंधान क ाि तय (आउटपुट) एवं नी त नमाण याओं के म य
सम वय था पत करना िजससे क शै क अनस
ु ंधान क नी तगत ज टलताओं का
समाधान हो सके
4. संबं धत शास नक एवं अ शास नक अ भकरण (एजसीज) के वारा शोधकताओं को
नाग रक के त त याशील एवं उ रदायी बनाना;
5. समी ा, व ीय सहायता एवं पुर कार याओं के मा यम से त याशील एवं
उ रदायी अनुसंधान को मा यता दे ना ।
शै क अनस
ु ध
ं ान के स दभ म, एचईसीआई का उन सं थान क पहचान करने का काय
होगा िज ह ने थानीय समुदाय एवं समाज क उ लेखनीय तर पर आव यकताओं के त
त या द है। यह उन सं थान क पहचान करने म सहायक होगा िज ह शै क
अनुसंधान एवं श ण से संबं धत सामािजक एवं रा य आव यकताओं के त अ धक
उ रदायी होने के लए अ त र त वाय ता क जानकार दान क जानकार सकती है।
न कष एवं नी त
रा य श ा नी त - 2020 शै णक अनुसध
ं ान को व वध भौगो लक े एवं व भ न
तर क आव यकताओं पर वापस लाने के साथ अंतररा य तर के अनु प लाने क
प रक पना एवं साका रत करती है । गुणव ा अनुसंधान के अंतररा य तर के अनु प
बनाई रखी जाएगी जब क आगत व ाि त (आउटपुट) वा त वकता द शत करगे चूं क वे
सं था क आव यकताओं एवं आसपास उपल ध अनुसंधान संसाधन क उपल धता पर
आधा रत ह गे ।यह गौण ( वतीयक)संसाधन आधा रत अनस
ु ंधान को धीरे धीरे अनाव यक
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान
याकलाप 11.2
1. शै णक अनुसंधान को समाज क आव यकताओं के अनुसार उ रदायी एवं
त याशील बनाने से स बं धत रा य श ा नी त 2020 के मुख ल ण का वणन
क िजए ।
2. रा य श ा नी त - 2020 का अनुसध
ं ान के तर पर मातभ
ृ ाषा लागू करने का या
मह व है ?
3. भारतीय उ चतर श ा आयोग (एचईसीआई) क कया भू मका या है ?
4. एनआरएफ (नेशनल रसच फाउं डेशन) क या भू मका है ?
5. आप वाय ड ी दान करने वाले कॉलेज से या समझते ह?