You are on page 1of 10

इकाई-11

गण
ु व ायु त अकाद मक अनस
ु ंधान
रजनीश म और सुशांत म
जवाहरलाल नेह व व व यालय, नई द ल
ई-मेल: rkmishra@mail.jnu.ac.in

प रचय

इस इकाई म, हम गुणव ा बनाए रखने के ि टकोण से अकाद मक अनुसंधान म शा मल


कए गए वषय को समझगे। अकाद मक अनुसंधान क गण
ु व ा प ध तगत ि टकोण क
कमी के कारणहमेशा अनुसंधान के लए चंता का वषय बनी रह है, हमारे व व व यालय
ने प ट प से अनुसंधान म गुणव ा के कुछ पहलुओं को अनदे खाकर दया है ।
प रणाम व प, हमारे व व व यालय ने अंतरा य तर पर आशानु प दशन नह ं कया
है इस लए रा य श ा नी त- 2020 म, इस वषय को वशेष प से भाग दो म
प ट कया गया है, जो उ च श ा पर वचार क प रक पना करता है । हमारा वचार-
वमश रा. श. नी.- 2020 के इस खंड म इ ह वचार के वषय के आस-पास होगा।

अ धगम तफल

इस इकाई का मूल उ दे य रा य श ा नी त- 2020 म न हत शै णक अनुसंधान के


गुणव ा पूवक वचार क समझ पैदा करना है ।

गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान क अवधारणा और संदभ

पारं प रक समाज म ान सज
ृ न पर उन सभी का वशेषा धकार था जो समाज के सम
एकजुट कामकाज से संबं धत व भ न कार क उ पादक और रचना मक ग त व धय म
लगे हुए थे। सं चत और अिजत ान का सं हताकरण और ान नमाण क संपूण
पा रि थ तक के आधार पर व भ न तर क से कया गया था। उदाहरण के लए, नय मत
प से उपभो य व तुओं के लए उ पादन ग त व धय म, जैसे क बढ़ई के उ पाद , लोहार
आ द को पी ढ़य वारा पा रत कया गया था। समाज और उपल ध साम य क


इकाई 11, मॉ यूल 3: ‘ ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन’, PMMMNMTT के
अंतगत इ नू, नई द ल वारा संचा लत ‘रा य श ा नी त– 2020 के काया वयन पर
यावसा यक वकास काय म’ का भाग है। © इ नू, 2022
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान

आव यकताओं के अनुसार धीरे -धीरे ौ यो गक म शोधन और सुधार होते रहते ह।


सं हताब ध ान भी कुछ व वान वारा लखा गया था और इस लए हमारे पास ह थयार,
वा तुकला, च क सा और इस तरह के अ य े पर ंथ ह। इन ंथ के लेखन ने कुछ
प ध तगत ि टकोण का पालन कया,िजसके अनुसार तकनीक श द , ान के वग करण
और सं हताकरण के लए वैचा रक नमाण को प ट प से ंथ के साथ-साथ इन ंथ के
लेखन क परं परा म समझाया गया था।

उपभो य उ पाद के अलावा, ंथ के रखरखाव के लए कुछ ान परं पराएं वक सत हु ,


िज ह ने या तो कृ त के उ पाद के साथ काम करने के अिजत ान को सं हताब ध कया
या मानव जा त के कुछ बु नयाद अि त वगत न का उ र दे ने का यास कया। कृ त
के उ पादन के साथ काम करते समय अिजत और सं चत ान के बारे म, कौशल और
श दकोश दोन क भू मका मह वपूण थी। अ यास को एक साथ काम करके स प दया
गया था और इस उ दे य के लए श त लोग वारा श दकोश का नमाण और रखरखाव
कया गया। मानव जा त के अि त वगत न से संबं धत ंथ का रखरखाव, अ ध हण
और वत रत के तर क के संदभ म, दान कया गया, य क ंथ के रखरखाव क
ग त व धय के लए, मौ खक रखरखाव के लए और पांडु ल प नमाण के लए भाषाई कौशल
क आव यकता होती है । भाषाई कौशल क इस आव यकता ने यादातर ंथ को बनाए
रखने के लए सम पत लोग का एक अलग समूह बनाया। उदाहरण के लए, यूरोपीय समाज
म, चच का यह एक मह वपण
ू काय था। भारत म, यह अ सर सामािजक, आ थक और
राजनी तक आव यकताओं के आधार पर व भ न उ दे य के लए था पत धा मक
व यालय वारा कया जाता था। सामािजक, राजनी तक और आ थक शासन के कुछ
मौ लक स धांत से संबं धत ंथ ने भी उन लोग के इस समूह वारा बनाए रखने के लए
ंथ का एक बड़ा ह सा बनाया, िज ह ने सं चत ान के मौ खक या पांडु ल प रखरखाव के
लए कौशल के अ ध हण लए खुद को सम पत कया। व भ न स यताओं ने अपने
सां कृ तक सं थान को वक सत कया जो ान के ाि तकरण, रखरखाव और वकास से
संबं धत व भ न ग त व धय के लए सम पत थे। इस या म, यरू ोपीय समाज म,
आधु नक व व व यालय क अवधारणा सां कृ तक सं थान के प म वक सत हुई। इस
तरह के सां कृ तक सं थान म ान को बनाए रखने और न मत करने के कुछ तर के थे।
ऐसे यूरोपीय सं थान म ान के नमाण क याएं व व व यालय म आधु नक समय
क अनस
ु ंधान ग त व धय से जड़
ु ी हुई ह।

भारत म आधु नक व व व यालय क थापना औप नवे शक शि तय वारा क गई थी।


ारं भ म, इन व व व यालय का उ दे य औप नवे शक श ा को टश व व व यालय
क श ा णाल के आधार पर भारत लाना था, िजसम आधु नक श ा णाल के कई लाभ
शा मल थे। उदाहरण के लए, जनता म समकाल न व ान और ौ यो गक को सीखने क
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

शु आत क गई िजससे हम यूरोप म पुनजागरण के समय से वक सत ान से लाभाि वत


हो सक। भारत म ौ यो गक आ व कार क शु आत के साथ एक नई सामािजक-आ थक
पा रि थ तक वक सत हुई। इन नए शै क सं थान ने इस नई सामािजक-आ थक
पा रि थ तक क आव यकताओं का जवाब दया, िजसने औप नवे शक शि तय क
औ यो गक अथ यव था के कई पहलुओं को लाया गया। इन सं थान म चुने गए वषय
यादातर चु नंदा पारं प रक ान णा लय और आधु नक यूरोपीय ान णा लय का
सावधानीपव
ू क संयोजन था। अ धकांश व व व यालय म आधु नक पा य म और आधु नक
पा य पु तक के साथ आधु नक वषय का श ण शा मल था, िजसम भारत क पारं प रक
णा लय से संबं धत कुछ भी शा मल नह ं कया गया था। उदाहरण के लए, ग णत के
श ण म ग णत पर भारतीय ान शा मल नह ं होगा, ले कन ग णत क आधु नक यूरोपीय
समझ के आधार पर बनाई गई पा य पु तक पर आधा रत होगा। सं कृत के साथ-साथ
अं ेजी और उसके सा ह य के श ण को ो सा हत कया गया। भारत से ाकृत का ान
और ीक-लै टन जैसा क यूरोप म पढ़ाया जाता है जो इन सं थान के पा य म से गायब
था। आधु नक च क सा का ान तो शु कया गया ले कन भारतीय च क सा का ान या
द ु नया भर से पारं प रक च क सा के कसी भी प म पा य म का ह सा नह ं था। सं ेप
म, हम कह सकते ह क टश शासको के अनुसार भारत म औप नवे शक शासन के तहत
एक औ यो गक समाज और उसके शासन क आव यकताओं के लए वषय व तु को अ धक
उपयु त सखाया जा रहा है । वह सं थाएं वतं भारत म काय करना जार रखती थीं जो
1949 म श ा पर राधाकृ णन स म त क रपोट के बाद से श ा आयोग वारा इस संबंध
म सझ
ु ाई गई कसी भी नी त को वा तव म लागू कए बना भारतीय श ा णाल भारतीय
भाषाओं के मह व पर बहस करती रह ं।

भारत एवं भारतीय व व व यालय म अं ेजी श ा क नरं तरता ने ऐसी ि थ त का नमाण


कया िजसम आधु नक उ च श ा सं थान का पारं प रक ान णाल से अपे ाकृत कम
संपक था।

भारतीय ान णाल क श दावल एवं कला -कौशल सामा यतः न तो पा य म म


सि म लत कए जाते थे, न ह ं अनुसंधान म पठन-पाठन के लए जाते थे। अनुसंधान के
व भ न अ भगम म भी अ धकतर अनुसंधान क यूरोप- क त प रक प- नगमना मक
व धयां ह सि म लत थी जो यूरोपीय व व व यालय म ह वक सत हुई थी। इसका एक
लाभ यह हुआ क भारत म श त व वान अंतररा य श ा णाल से जड़ ु सक। यह
भारतीय के लए एक बड़ा लाभ था जब क वष 1947 के बाद, भारत क अथ यव था व ृ ध
क अपे ाकृत सू म अव था म थी। अ धक सं या म भारतीय नाग रक वदे श जाने म
स म हो सके एवं व ान के वभ न े म उ च तर य मताओं को ा त कर
वशेष ता ा त कर सके (इसम सामािजक एवं मानव व ान भी सि म लत है। फर भी,
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान

धीरे धीरे भारतीय समाज क आव यकताओं को सि म लत करने का मह व अनुभव कया


गया। उदाहरण के लए उ च श ा सं थान ने सामा यतः कृ त, समाज, शासन शै णक
समझ एवं अ य संबं धत े म जनजातीय एवं पारं प रक ान के वकास एवं अ धक
उपयोग को अनदे खा कया। जैसे -जैसे हम आ थक एवं सामािजक प से वक सत हुए,
व वान के वारा वतमान म वदे शी करण क आव यकता को अनुभव कया गया चँ ू क
सह ाि दय क परं पराओं वाल भारतीय मा यताओं के अनु प वक सत होने एवं शासन
करने क आव यकता अनभ
ु व क गई। यरू ोपीय एंव अमे रक समझ का भारतीय
अनुसंधानीय सं थान म अनु योग अ धक फलदाई नह ं होता य क भारतीय क
आव यकताएं एवं आदत भ न ह। उदाहरण के लए भारतीय ने अपने ंथ को यि तय
के कुछ ऐसे समूह वारा सं चत कया जो वशेषत:ऐसे ंथ के अ ययन के लए सम पत थे
न क धा मक याओं को करने वाले वग वारा। सा ह य, याकरण च क सा भाषा आ द
पर आधा रत ंथ पर अ धकार रखने वाले आव यक प से धा मक ग त व धय म
सि म लत ह , ऐसा आव यक नह ं था।जैसा क यूरोपीय समाज म था जहां पर श ा णाल
चच आधा रत थी।यूरोप म व भ न व व व यालय क थापना के बाद भी पुरो हत वग
मु यतः ान अ ध हण,सं हण एवं वकास म सि म लत था। बेकन डेसकाटसएवं यूटन
जैसे व वान मु यतः चच आधा रत श ा णाल म श त एवं पुरो हत भाषा म लखते
थे। भारत म परं परागत प से यह ि थ त नह ं थी, ान समसाम यक प से व भ न
भाषाओं म वक सत हुआ एवं परु ो हत वग एवं परु ो हत भाषाओं तक सी मत रहा ।समाज के
शै णक वकास के लए आधु नक उ च तर शै क सं थान के मह व को दे खते हुए यह
आव यक है क व व व यालय एवं अनुसंधान सं थान म व भ न तर पर कए जा रहे
अनुसंधान एवं वकास म ान क णा लय को सि म लत कया जाए इस ल य क ाि त
के लए वतं ता ाि त के समय से ह वभ न
यास हुए ह, मु यतः भारतीय भाषाओं को
व यालय आधा रत पाठय म से जोड़कर। फर भी, वकास एवं े ीय भाषाओं म उपल ध
संसाधन के उपयोग के स बंध म अ धक सफलता ा त नह ं क जा सक है। इसके
व भ न कारण हो सकते ह,ऐसी व तुओ के उपयोग और उ ह वक सत करने क लागत,
इन कारण म से एक है ।

याकलाप 11.1
1. तीन श ा आयोग के नाम का उ लेख क िजए ।
2. भारत म आधु नक व व व यालय क थापना कसन क ?
3. उ च शै क सं थान क दो सम याएं बताइए।
4. तीन यूरोपीय वचारक के नाम बताइए िज ह ने आधु नक श ा णाल के अनुसध
ं ान
क प ध त को भा वत कया।
5. भारतीय भाषाओं को अनस
ु ंधान सं थान से जोड़ने का या मह व है ?
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

रा य श ा नी त - 2020 एवं गुणव ायु त अकाद मक अनुसध


ं ान

रा य श ा नी त - 2020 उ च शै क सं थान म अकाद मक अनुसंधान क गुणव ा के


वषय का उपरो त सभी कारक के स बंध म समाधान तुत करती है । रा य श ा नी त
- 2020 ने छा ाओं/छा के लए व यालय तर से ह स भा वत अकादे मीय वातावरण
उपल ध कराने के वषय म समाधान दया है जो क उ च गुणव ा संप न अकादे मीय
अनुसंधान क ओर नेत ृ व दान करती है । सभी कारक म मातभ
ृ ाषा म श ा अवसर दान
करना, व यालय तर पर मु य भाषाओं (First languages) का उपयोग िजससे क भ व य
के शोधकता (Researchers) अपने वातावरण क सम याओं एवं आव यकताओं से जुड़े रह,
सव थम है । ाकृ तक एवं सामािजक वातावरण से इस कार का मेल-जोल शोधकता को
समाज क उन आव यकताओं से अवगत कराएगा िजनक पू त क जानी चा हए। श ण एवं
अनुसंधान के उ च सं थान के म य सहयोग एवं तकनीक सहायता के साथ ऐसी
आव यकताओं के त त या, रा य श ा नी त 2020 का मु य परामश है ।
ववर णका का भाग 2 श ा म उ त वषय का व तार से वणन करता है।

गण
ु व ा संप न उ चतर अकाद मक सं थान क ासं गकता को रे खां कत करते हुए, रा य
श ा नी त बल दे ती है क , “21वी शता द क आव यकताओं को दे खते हुए, गुणव ा
संप न उ चतर श ा को अ छे , वचारशील, प रप व और रचना मक यि त वक सत
करने का ल य रखना चा हए। यह छा ाओं/छा को एक से अ धक वश ट े का
सू मता से अ ययन करने, च र वक सत करने, नै तक एवं संवैधा नक मू य वक सत
करने, बौ धक उ सुकता, वै ा नक मनोदशा, रचना मकता, सेवाभाव एवं ान क वभ न
शाखाओं िजनम व ान, सामािजक व ान, कलाएं, मान वक , भाषाय सि म लत ह, 21वीं
शता द के अनु प मताएं ा त करने, साथ ह यावसा यक, तकनीक एवं पेशेवर
(Professional) वषय म स मता ा त करने म सहायक होनी चा हए।” रा य श ा
नी त शै क आव यकताओं को 21वीं शता द के स दभ म दे खती है एवं रचना मक
यि तय के नमाण पर बल दे ती है ।ऐसे रचना मक यि त कसी आ थक एवं सामािजक
प से वक सत समाज म मु य भू मका म होते ह। एक रचना मक यि त समाज क
आव यकताओं के त इस कार त या दे ता है िजससे क अ व कार व नवाचार को
बढावा मलता है। ान के कसी भी े जैसे व ान, सामािजक व ान, कलाओं,
मान वक , भाषाओं आ द म ऐसा रचना मक य ती रचना मकता द शत करता है िजससे
अ य को सि म लत होने क संभावनाएं एवं अवसर उपल ध हो सक अंततः सामािजक-
आ थक वकास क या नै तक, पारदश एवं समावेशी हो सके। रा य शै क नी त
प टतः य त करती है क “उ चतर श ा बु ध, सामािजक प से चैत य, ानशील एवं
कुशल रा जो क अपनी सम याओं को पहचानकर उन पर ढ़ समाधान लागू कर सकता
है , का वकास करने म स म होनी चा हए। उ चतर श ा को ान सज
ृ न एवं नवाचार के
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान

लए आधार न मत करना चा हए िजससे व ृ ध करती हुई रा य अथ यव था म योगदान


हो सके। यह दखाता है क गुणव ा संप न अकादे मीय अनुसध
ं ान को ान सज
ृ न एवं नवीन
याओं (नवाचार) के स दभ म, समाज क आव यकताओं को मह व दे ना चा हए ना क
यि तगत शोधकता अथवा सं थाओं के हत म आधा रत होना चा हए। अकादे मीय
अनुसंधान का क बंदु सामािजक आव यकताएं ह रहती ह। यह प मह पूण है य क
यह नाग रक एवं सं थाओं के धन पर आधा रत अनुसंधान म उपयोग हुई लागत से संबं धत
एक नै तक वषय हैI अनस ु ंधान एवं नवाचार ग त व धय का एक मह वपण ू सामािजक
उ रदा य व है िजसपर रा य श ा नी त - 2020 क ओर से वशेष बल दया गया है।

रा य श ा नी त - 2020 आगे इस कार के सम यि तय के नमाण म श ा के


येक तर के मह व को रे खां कत करती है, सम यि तय को वक सत करने के उ दे य
क पू त के लए, यह आव यक है क मू य एवं कौशल के एक वग कृत समु चय को
व यालय से पूव के तर से लेकर उ च श ा तर तक, श ा के येक तर पर
छा /छा ाओं म समा व ट कया जाए । रा य श ा नी त उ चतर शै क सं थान वारा
अनभ
ु व क गई दस मख
ु सम याओं को चि नत करती है िजनके कारण अकादे मीय
अनुसंधान के तर का न नीकरण हुआ-

1. दयनीय प से वभािजत उ चतर शै क प रतं ;


2. सं ाना मक कौशल एवं अ ययन प रणाम के वकास पर कम मह व दया जाना;
3. ान क व भ न वधाओं के म य ठोस वभाजन, छा ाओं/छा का अ ययन के
संक ण े म व श ट करण (Specialization) एवं अ ययन के संक ण े से
अवगत होना;
4. े ीय भाषाओं म श ा दे ने वाल कम सं या म व यमान उ चतर श ा सं थान
म वशेषतः सामािजक आ थक प से वं चत े म, सी मत पहुंच;
5. सी मत श क एवं सं थागत वाय ता;
6. यो यता आधा रत आजी वका बंधन एवं सं थानीय नेताओं व संकाय के वकास के
लए अपया त तं ;
7. अ धकतर कॉलेज व व व व यालय म अनुसध
ं ान पर अपे ाकृत कम मह व होना,
व भ न वधाओं म समक वारा पुनः अवलो कत त पधा मक अनुसंधान म
व ीय सहयोग क कमी;
8. उ चतर श ा सं थान के शासन और नेत ृ व क लघु काय मता;
9. अ भावी नयामक णाल ; और
10. बड़ी सं या म व भ न सं थान से संब ध व व व यालय का होना जो क नातक
पूव श ा के न न तर म प र णत हुई ह।
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

रा य श ा नी त इन सभी सम याओं का समाधान करने का यास करती है एवं


न न ल खत प रक पनाय तुत करती ह:

1. परू े भारत के येक िजले म अथवा येक िजले के आसपास कम से कम एक बड़ी,


बहु वधा वाले व व व यालय एवं कॉलेज , आदे श एवं काय म को े ीय/ भारतीय
भाषाओं के मा यम से उपल ध कराने वाल अ धक उ चतर श ा सं थाओं, वाले
उ चतर श ा तं क ओर बढ़ना;
2. अ धक बहु वषयक नातक श ा क ओर अ सर होना;
3. संकाय एवं सं थानीय वाय ता क ओर अ सर होना;
4. व तत
ृ छा ीय अनुभव के लए पाठय म, श ाशा , मू यांकन एवं छा सहायता
सेवा म सध
ु ार;
5. यो यता आधा रत नयिु तयां एवं श ण, अनुसंधान व सेवा के आधार पर
आजी वक य ग त के मा यम से संकायी एवं सां थानीय नेत ृ व पद क अख डता
को ढ़ करना;
6. उ कृ ट समक के वारा पन
ु ः अवलो कत अनस
ु ंधान एवं व व व यालय एवं कॉलेज
म स यता से अनुसंधान को े रत करने के लए रा य अनुसंधान न ध (नैशनल
रसच फाउं डेशन) क थापना;
7. शै क एवं शा नक वाय ता वाले उ च श त वतं मंडल (बोडस) के वारा
उ च श ा सं थान का नयं ण;
8. उ चतर श ा के सरल एवं ढ़ नयं ण के लए एकल नयं क;

इसम एक ंख
ृ ला के मा यम से उपाय क िजनम उ कृ ट सावज नक श ा सि म लत है ;
िजसम व ततृ पहुँच, समानता एवं समावेश; तकूल ि थ त एवं अ प अ धकार वाले
छा /छा ाओं के लए नजी व सावज नक व व व यालय के वारा व व व सहायता
( कॉलर शप) इ टरनेट के मा यम से श ा; मु त दरू थ श ण (ओपन ड टस ल नग);
कसी शर रक असमथता से पी ड़त छा ाओं/छा के लए आधारभूत संसाधन एवं श ा
साम ी क उपल धता एवं उन तक पहुँच शा मल ह।

सुझाव के स दभ म, रा य श ा नी त 2020 ता वत करती है क बड़े बहु वषयक


उ च श ा े (कल टर) क योजना नमाण एवं थापना क जानी चा हए ता क
अकादे मीय अनस
ु ंधान म बहु- वधायी रचना मकता क मनोदशा उ प न क जा सके।

जैसा क हमने पहले चचा क शै क अनुसंधान एक संपूण अ भगम को अपनाता है एवं इस


कार के सम अ भगम के लए अनुसंधान के व भ न उ पादन ोत (आउटपुट) क
व भ न वधाओं के म य अंत: या आव यक है। े ीय एवं थानीय तर पर शै क
सं थान के अ त र त सशि तकरण के लए रा य श ा नी त श ण पर अ धक मह व
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान

दे ने वाल अथात “ श ण क त ट चंग इंनट शव, साथ ह उ लेखनीय अनुसंधान करने


वाल अनुसंधान क त ( रसच इंनटनं शव) व व व यालय । क थापना का ताव दे ती
है । इसी बीच, एक वाय उपा ध दान करने वाला महा वधलाय उ चतर श ा क बहु-
वषयक सं था होती है जो क नातक ड ी दान करती ह एवं मुखत: नातक पूव
श ण पर क त होती ह परं तु इस तक सी मत नह ं होतीं एवं इ ह इस तक सी मत रहने
क आव यकता भी नह है । यह एक सामा य व व व यल से छोट होती है।“ येक उ चतर
सं थान के संसाधन के द तापण
ू उपयोग के वारा अनस
ु ंधान के प रणाम क गण
ु व ा को
अ त र त बढ़ाने के लए, रा य श ा नी त उ चतर श ा सं थान पर उ रदा य व का
एक समु चय नधा रत करती है , इनम अ य उ च श ा सं थान को उनके वकास म
सहयोग दे ना, सामुदा यक ग त व धय एवं सेवाओं म भाग लेना एवं वभ न े म
योगदान सि म लत है ।” साथ ह , रा य श ा नी त े ीय व थानीय भाषा के साथ
वतमान म उपयोग क जाने वाल अ य मह वपूण भारतीय भाषाओं म श ा को वभाषी
मा यम से उपल ध कराने क संभावना क क पना करती है। उ चतर श ा सं थान क
पहुंच क संभावना को बढ़ाने के लए मु त दरू थ श ण मा यम का भी परामश दया गया
है । य य प, उ च गण
ु व ा संप न शै क अनुसंधान के लए यह संभावना मह वपूण नह ं है
ये कारक व भ न सामािजक आ थक प रवेशो एवं सुदरू भौगो लक थान जहां उ चतर
श ा सं थान पहुंचने म स म नह ं है, से स बंध रखने वाले श ाथ य को च के
अनस
ु ंधान म वेश ा त करने के लए बड़े तर पर ो सा हत कर सकते ह। यह
अकाद मक अनुस धान के अ त र त संपूण उ पादन को सु नि चत करे गा य क समाज के
बड़े भाग क आव यकताएं अनुसंधान ग त व धय म आगत को आगे बढ़ाएगी, अतः
अकादे मीय अनुसंधान म नवेश कए गए संसाधन के इ टतम उपयोग क समान
आव यकताओं के त त या दे ने म समथ अनस
ु ंधान के गण
ु व ा संप न उ पादन को
सु नि चत करे गा।

रा य श ा नी त - 2020 एक रा य अनुसंधान न ध (नेशनल रसच फाउं डेशन) क


थापना क प रक पना करती है िजससे न न ल खत भू मकाओं क अपे ा क जायेगी :

1. सव वधाओं (अनुशासनी) एवं सावज नक कार के त पधा मक, समक वारा


पुनः अवलो कत (पीर र यूड) अनुदान ताव को व ीय आधार दे ना;
2. शै क सं थाओं वशेषत: व व व लय एवं कॉलेज म जहां पर अनुसंधान वतमान
समय म आरं भक अव था म है, ऐसी सं थाओं क यव था के उ रदा य व के
मा यम से अनुसंधान को े रत, सहज बनाना एवं व ृ ध दान करना है ;
3. शोधकताओं, शासन क संबं धत शाखाओं एवं शोधा थय के म य कड़ी के प म
काय करना िजससे क शोध व वान रसच कॉलर वतमान प से सवा धक
मह वपूण रा य अनुसंधान के वषय के बारे म नय मत प से अवगत कराये जा
ौ यो गक , अंतरा यकरण, अनुसंधान और व नयमन

सक िजससे क नी त- नमाताओं को नवीनतम अनुसंधानीय सफलताओं के वषय म


सू चत कया जा सके व अनुसंधानीय सफलताओं को नी तय म लाया जा सके
एवं/अथवा लागू कया जा सके;
4. व श ट अनुसंधान एवं ग त को चि नत करना।

एनआरएफ क उपरो त प रक पनाय म रा. श. नी.- 2020 प टतः रे खां कत करती है क:

1. अनस
ु ंधान सं थान के म य आपसी सहयोग क आव यकता
2. आ थक वकास के संसाधन (जैसे औ यो गक एवं व भ न सामािजक सं थाएँ) एवं
इन आव यकताओं को परू ा करने के लए अनुसंधानीय त याएं
3. सं थान के अनुसंधान क ाि तय (आउटपुट) एवं नी त नमाण याओं के म य
सम वय था पत करना िजससे क शै क अनस
ु ंधान क नी तगत ज टलताओं का
समाधान हो सके
4. संबं धत शास नक एवं अ शास नक अ भकरण (एजसीज) के वारा शोधकताओं को
नाग रक के त त याशील एवं उ रदायी बनाना;
5. समी ा, व ीय सहायता एवं पुर कार याओं के मा यम से त याशील एवं
उ रदायी अनुसंधान को मा यता दे ना ।

उ चतर श ा म इन उ दे य क ाि त के लए, उ चतर श ा के नयं ण तं म


प रवतन क आव यकता है । इस स दभ म, रा य श ा नी त उ चतर श ा सं थान
को व भ न तं के मा यम से नयं त एवं पुनः ऊिजत करने वाले भारतीय उ चतर श ा
आयोग (हायर एजुकेशन क मशन ऑफ इं डया एचईसीआई) क संक पना करती है l

शै क अनस
ु ध
ं ान के स दभ म, एचईसीआई का उन सं थान क पहचान करने का काय
होगा िज ह ने थानीय समुदाय एवं समाज क उ लेखनीय तर पर आव यकताओं के त
त या द है। यह उन सं थान क पहचान करने म सहायक होगा िज ह शै क
अनुसंधान एवं श ण से संबं धत सामािजक एवं रा य आव यकताओं के त अ धक
उ रदायी होने के लए अ त र त वाय ता क जानकार दान क जानकार सकती है।

न कष एवं नी त

रा य श ा नी त - 2020 शै णक अनुसध
ं ान को व वध भौगो लक े एवं व भ न
तर क आव यकताओं पर वापस लाने के साथ अंतररा य तर के अनु प लाने क
प रक पना एवं साका रत करती है । गुणव ा अनुसंधान के अंतररा य तर के अनु प
बनाई रखी जाएगी जब क आगत व ाि त (आउटपुट) वा त वकता द शत करगे चूं क वे
सं था क आव यकताओं एवं आसपास उपल ध अनुसंधान संसाधन क उपल धता पर
आधा रत ह गे ।यह गौण ( वतीयक)संसाधन आधा रत अनस
ु ंधान को धीरे धीरे अनाव यक
गुणव ायु त अकाद मक अनुसंधान

त व समान हटा दे गी जो क उन समाज क आव यकताओं के अ धक अनु प ह जो ऐसे


संसाधन उ पा दत करते ह। रा य श ा नी त - 2020 म प रकि पत क गई नी तय म
अब तक अि त व म बनी हुई स धांत-आंकड़ा स बंध को प रव तत करने क मता है
िजसम सै धां तक तपादन वदे शी ोत से लए जाते थे एवं आकड़े अनुसंधान करने वाले
सं था के आसपास के ोत से अ ययन के लए ा त कए जाते थे। श ा के व भ न
तर पर िजसम अनुसध
ं ान भी सि म लत है , भारतीय भाषाओं के उपयोग पर मह व,
गण
ु व ा संप न शै णक म एक अ य मह वपण
ू कदम है। एक गण
ु व ा संप न शै णक
अनुसंधान को रा एवं समाज क आव यकताओं के त त याशील एवं उ रदायी होने
क समझ का यह ान हमारे अनुसंधान सं थान के वतमान अनुसंधान प रणाम म
ां तकार प रवतन ला सकता है।

याकलाप 11.2
1. शै णक अनुसंधान को समाज क आव यकताओं के अनुसार उ रदायी एवं
त याशील बनाने से स बं धत रा य श ा नी त 2020 के मुख ल ण का वणन
क िजए ।
2. रा य श ा नी त - 2020 का अनुसध
ं ान के तर पर मातभ
ृ ाषा लागू करने का या
मह व है ?
3. भारतीय उ चतर श ा आयोग (एचईसीआई) क कया भू मका या है ?
4. एनआरएफ (नेशनल रसच फाउं डेशन) क या भू मका है ?
5. आप वाय ड ी दान करने वाले कॉलेज से या समझते ह?

References and Resources for further study


https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf
https://www.educationforallinindia.com/1949%20Report%20of%20the%20University%20Edu
cation%20Commission.pdf
https://indianculture.gov.in/report-education-commission-1964-66
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/upload_document/npe.pdf

You might also like