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हंद (ऐि छक) कोड सं या – 002

क ा 11वीं – 12वीं (2023-24)

उ चतर मा य मक तर म वेश लेने वाला व याथ पहल बार सामा य श ा से वशेष


अनुशासन क श ा क ओर उ मुख होता है । दस वष म व याथ भाषा के व वध कौशल का
साथक उपयोग करने लग जाता है । भाषा और सा ह य के तर पर उसका दायरा अब घर, पास-
पड़ोस, कूल,
ांत और दे श से होता हुआ धीरे -धीरे व व तक फैल जाता है । वह इस उ म
पहुँच चुका है क दे श क सां कृ तक, सामािजक, राजनी तक और आ थक सम याओं पर वचार-
वमश कर सके, एक िज़ मेदार नाग रक क तरह अपनी िज़ मेदा रय को समझ सके तथा दे श
और वयं को सह दशा दे सकने म भाषा क ताकत को पहचान सके। ऐसे ढ़ भा षक और
वैचा रक आधार के साथ जब व याथ आता है तो उसे वमश क भाषा के प म हंद क
यापक समझ और योग म द बनाना सबसे पहला उ दे य होगा। कशोराव था से यव
ु ाव था
के इस नाज़क
ु मोड़ पर कसी भी वषय का चन
ु ाव करते समय ब चे और उनके अ भभावक इस
बात को लेकर सबसे अ धक चं तत रहते ह क चय नत वषय उनके भ व य और जी वका के
अवसर म मदद करे गा क नह ं। इस उ के व या थय म चंतन और नणय करने क वृ
भी बल होती है । इसी आधार पर वे अपने मान सक, सामािजक, बौ धक और भा षक वकास
के त भी सचेत होते ह और अपने भावी अ ययन क दशा तय करते ह। इस तर पर
ऐि छक हंद का अ ययन एक सज
ृ ना मक, सा हि यक, सां कृ तक और व भ न युि तय क
भाषा के प म होगा। इस बात पर भी बल दया जाएगा क नरं तर वक सत होती हंद के
अ खल भारतीय व प से ब चे का र ता बन सके।
इस तर पर व या थय म भाषा के ल खत योग के साथ-साथ उसके मौ खक योग क
कुशलता और द ता का वकास भी ज़ र है ।
यास यह भी होगा क व याथ अपने बखरे हुए
वचार और भाव क सहज और मौ लक अ भ यि त क मता हा सल कर सके।

नई श ा नी त 2020 तथा क य मा य मक श ा बोड वारा समय-समय पर द ता


आधा रत श ा, कला समे कत अ धगम, अनभ
ु वा मक अ धगम को अपनाने क बात क गई है
जो श ा थय क तभा को उजागर करने, खेल-खेल म सीखने पर बल दे ने, आनंदपण

ानाजन और व याजन के व वध तर क को अपनाने तथा अनभ
ु व के वारा सीखने पर बल
दे ती है ।

द ता आधा रत श ा से ता पय है सीखने और मू यांकन करने का एक ऐसा ि टकोण जो


श ाथ के सीखने के तफल और वषय म वशेष द ता को ा त करने पर बल दे ता है ।
यो यता वह मता, कौशल, ान और ि टकोण है जो यि त को वा त वक जीवन म काय

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करने म सहायता करती है । इससे श ाथ यह सीख सकते ह क ान और कौशल को कस
कार ा त कया जाए तथा उ ह वा त वक जीवन क सम याओं पर कैसे लागू कया जाए।
येक वषय, येक पाठ को जीवनोपयोगी बनाना तथा वा त वक जीवन के अनुभव से पाठ
को समृ ध करना ह द ता आधा रत श ा है । इसके लए उ च तर य चंतन कौशल पर
वशेष बल दे ने क आव यकता है ।

कला समे कत अ धगम को श ण-अ धगम या म सु नि चत करना अ य धक आव यक है ।


कला के संसार म क पना क एक अलग ह उड़ान होती है । कला एक यि त क रचना मक
अ भ यि त है । कला समे कत अ धगम से ता पय है कला के व वध प संगीत, न ृ य, नाटक,
क वता, रं गशाला, या ा, मू तकला, आभष
ू ण बनाना, गीत लखना, नु कड़ नाटक, कोलाज,
पो टर, कला दशनी आ द को श ण अ धगम क या का अ भ न ह सा बनाना। कसी
वषय को आरं भ करने के लए आइस े कंग ग त व ध के प म तथा सामंज यपण
ू समझ पैदा
करने के लए अंतर वषयक या बहु वषयक प रयोजनाओं के प म कला समे कत अ धगम का
योग कया जाना चा हए। इससे पाठ अ धक रोचक एवं ा य हो जाएगा।

अनभ
ु वा मक अ धगम या आनभ
ु वक ानाजन का उ दे य शै क वातावरण को छा क त
बनाने के साथ-साथ वयं मू यांकन करने, आलोचना मक प से सोचने, नणय लेने तथा ान
का नमाण कर उसम पारं गत होने से है । यहाँ श क क भू मका सु वधा दाता व े क क
रहती है । ानाजन आनभ
ु ा वक,सहयोगा मक तथा वतं प से होता है और यह श ा थय
को एक साथ काय करने तथा वयं के अनुभव वारा सीखने पर बल दे ता है । यह स धांत और
यवहार के बीच क दरू को कम करता है ।

इस पा म के अ यन से:

1. व याथ अपनी च और आव यकता के अनु प सा ह य का गहन और वशेष अ ययन


जार रख सकगे।
2. व व व यालय तर पर नधा रत हंद -सा ह य से संबं धत पा य म के साथ सहज
संबंध था पत कर सकगे।
3. लेखन-कौशल के यावहा रक और सज
ृ ना मक प क अ भ यि त म स म हो सकगे।
4. रोज़गार के कसी भी े म जाने पर भाषा का योग भावी ढं ग से कर सकगे।
5. यह पा य म व याथ को जनसंचार तथा काशन जैसे व भ न- े म अपनी मता
य त करने का अवसर दान कर सकता है ।
6. व याथ दो भ न पाठ क पा यव तु पर चंतन करके उनके म य क संब धता पर
अपने वचार अ भ य त करने म स म हो सकगे।

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7. व याथ रटे -रटाए वा य के थान पर अ भ यि तपरक/ ि थ त आधा रत/ उ च चंतन
मता के न पर सहजता से अपने वचार कट कर सकगे।

उ े :
● सज
ृ ना मक सा ह य क सराहना, उसका आनंद उठाना और उसके त सज
ृ ना मक
और आलोचना मक ि ट का वकास करना।
● सा ह य क व वध वधाओं (क वता, कहानी, नबंध आ द), मह वपण
ू क वय और
रचनाकार , मख
ु धाराओं और शै लय का प रचय करवाना।
● भाषा क सज
ृ ना मक बार कय और यावहा रक योग का बोध तथा संदभ और
समय के अनस
ु ार भावशाल ढं ग से उसक मौ खक और ल खत अ भ यि त करना।
● वभ न ानानश
ु ासन के वमश क भाषा के प म हंद क वश ट कृ त एवं
मता का बोध करवाना।
● सा ह य क भावशाल मता का उपयोग करते हुए सभी कार क व वधताओं
(धम, जा त, लंग, वग, भाषा आ द) एवं असमानताओं के त सकारा मक और
संवेदनशील यवहार का वकास करना।
● दे श- वदे श म च लत हंद के प से प र चत करवाना।
● संचार-मा यम ( ट
ं और इले ॉ नक) म यु त हंद क कृ त से अवगत करवाना
और नवीन व धय के योग क मता का वकास करना।
● सा ह य क यापक धारा के बीच रखकर व श ट रचनाओं का व लेषण और ववेचन
करने क मता हा सल करना।
● अमूत संक पनाओं/ वचार को अ भ य त करने क भाषा का वकास क पनाशीलता
और मौ लक चंतन को अ भ यि त दान करने क भाषा का वकास।

श ण-युि तयाँ:
इन क ाओं म उ चत वातावरण- नमाण म अ यापक क भू मका सदै व उ ेरक एवं सहायक क
होनी चा हए। उनको भाषा और सा ह य क पढ़ाई म इस बात पर यान दे ने क ज़ रत होगी
क-
● क ा का वातावरण संवादा मक हो ता क अ यापक, व याथ और पु तक-तीन के
बीच एक र ता बन सके।
● ब च को वतं प से बोलने, लखने और पढ़ने दया जाए और फर उनसे होने
वाल भूल क पहचान करवाकर अ यापक अपनी पढ़ाने क शैल म प रवतन करे ।

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● ऐसे श ण- बंदओ
ु ं क पहचान क जाए, िजससे क ा म व याथ क स य
भागीदार रहे और अ यापक भी उनका साथी बना रहे ।
● भ न मता वाले व या थय के लए उपयु त श ण-साम ी का उपयोग कया
जाए तथा कसी भी कार से उ ह अ य व या थय से कमतर या अलग न समझा
जाए।
● क ा म अ यापक को हर कार क व वधताओं( लंग, धम, जा त, वग आ द) के त
सकारा मक और संवेदनशील वातावरण न मत करना चा हए।
● सज
ृ ना मकता के अ यास के लए व याथ से साल म कम से कम दो रचनाएँ
लखवाई जाएँ।

वण तथा वाचन पर ा हे तु दशा नदश ( कसी रकॉड अंश को सुनना)


वण (सुनना)(5अंक): व णत या प ठत साम ी को सुनकर अथ हण करना, वातालाप करना,
वाद- ववाद, भाषण, क वतापाठ आ द को सुनकर समझना, मू यांकन करना और अ भ यि त के
ढं ग को समझना।
वाचन(बोलना)(5अंक): भाषण, स वर क वता-पाठ, वातालाप और उसक औपचा रकता, काय म-
तु त, कथा-कहानी अथवा घटना सुनाना, प रचय दे ना, भावानुकूल संवाद-वाचन।
ट पणी: वातालाप क द ताओं का मू यांकन नरं तरता के आधार पर पर ा के समय ह होगा।
नधा रत 10 अंक म से 5 वण (सुनना) कौशल के मू यांकन के लए और 5 वाचन (बोलना)
कौशल के मू यांकन के लए ह गे।
वण (सन
ु ना) एवं वाचन(बोलना) कौशल का मू यांकन:
● पर क कसी ासं गक वषय पर एक का प ट वाचन करे गा। अनु छे द त या मक या
सझ
ु ावा मक हो सकता है । अनु छे द लगभग 250 श द का होना चा हए।
या
पर क 2-3 मनट का य अंश (ऑ डयो ि लप) सन
ु वाएगा। अंश रोचक होना चा हए ।
क य/घटना पण
ू एवं प ट होनी चा हए। वाचक का उ चारण शु ध, प ट एवं वराम
च न के उ चत योग स हत होना चा हए।
● पर ाथ यानपूवक पर क/ऑ डयो ि लप को सुनने के प चात पर क वारा पूछे गए
न का अपनी समझ से मौ खक उ र दगे।
● कसी नधा रत वषय पर बोलना:िजससे व याथ अपने यि तगत अनुभव का
या मरण कर सक।
● कोई कहानी सुनाना या कसी घटना का वणन करना।

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● प रचय दे ना। ( व/ प रवार/ वातावरण/ व तु/ यि त/ पयावरण/ क व /लेखक आ द)

पर क के लए अनुदेश :-
● पर ण से पूव पर ाथ को तैयार के लए कुछ समय दया जाए।
● ववरणा मक भाषा म वषय के अनुकूल तीन काल का योग अपे त है ।
● नधा रत वषय पर ाथ के अनुभव-जगत के ह ।
● श ाथ को वषय क त वतं अ भ यि त का अवसर दान कर।

कौशल के अंतरण का मू यांकन


(इस बात का न चय करना क या व याथ म वण और वाचन क न न ल खत यो यताएँ
ह)

वण (सुनना) वाचन (बोलना)


1 प र चत संदभ म यु त श द और पद 1 केवल अलग अलग श द और पद के
को समझने क सामा य यो यता है । योग क यो यता द शत करता है ।
2 छोटे सुसंब ध कथन को प र चत संदभ 2 प र चत संदभ म केवल छोटे सुसंब ध
म समझने क यो यता है । कथन का सी मत शु धता से योग
करता है ।
3 प र चत या अप र चत दोन संदभ म 3 अपे ाकृत द घ भाषण म अ धक ज टल
क थत सूचना को प ट समझने क कथन के योग क यो यता द शत
यो यता है । करता है ।
4 दघ कथन क ख
ं ृ ला को पया त 4 अप र चत ि थ तय म वचार को ता कक
शु धता से समझने के ढं ग और न कष ढं ग से संग ठत कर धारा- वाह प म
नकाल सकने क यो यता है । तत
ु करता है
5 ज टल कथन के वचार बंदओ
ु ं को 5 उ दे य और ोता के लए उपयु त शैल
समझने क यो यता द शत करने क को अपना सकता है , ऐसा करते समय वह
मता है । वह उ दे य के अनुकूल सुनने केवल मामूल गल तयाँ करता है ।
क कुशलता द शत करते ह।
प रयोजना काय - कुल अंक 10

वषय व तु – 5 अंक भाषा एवं तु त – 3 अंक शोध एवं मौ लकता - 2 अंक

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● हंद भाषा और सा ह य से जुड़े व वध वषय /सा ह यकार / समकाल न लेखन / भाषा के
तकनीक प / भाव/ अनु योग/ सा ह य के सामािजक संदभ एवं जीवन-मू य संबंधी
भाव आ द पर प रयोजना काय दए जाने चा हए ।
● स के ारं भ म ह व याथ को वषय चन
ु ने का अवसर मले ता क उसे शोध, तैयार
और लेखन के लए पया त समय मल सके।
प रयोजना-काय
‘प रयोजना’ श द योजना म ‘प र’ उपसग लगने से बना है । ‘प र’ का अथ है ‘पूणता’ अथात
ऐसी योजना जो अपने आप म पूण हो प रयोजना कहलाती है । कसी वशेष ल य क ाि त
हे तु जो योजना बनाई और कायाि वत क जाती है , उसे प रयोजना कहते ह। यह कसी सम या
के नदान या कसी वषय के त य को का शत करने के लए तैयार क गई एक पण
ू वचार
योजना होती है ।

रा य पा यचचा क परे खा, नई श ा नी त 2020 तथा के य मा य मक श ा बोड वारा


समय-समय पर अनभ
ु वा मक अ धगम, आनंदपण
ू अ धगम क बात कह गई है । उ चतर
मा य मक तर पर व या थय के लए हंद का अ ययन एक सज
ृ ना मक, सा हि यक,
सां कृ तक और व भ न युि तय क भाषा के प म करने और करवाने के लए प रयोजना
काय अ यंत मह वपूण व लाभदायक स ध होता है ।

प रयोजना का मह व

● यि तगत तर पर खोज , कारवाई और यारहवीं-बारहवीं क ा के दौरान अिजत ान


और कौशल, वचार आ द पर चंतन का उपयोग।
● सै धां तक नमाण और तक का उपयोग करके वा त वक द ु नया के प र य का
व लेषण और मू यांकन
● एक वतं और व ता रत काय का नमाण करने के लए मह वपूण और रचना मक
सोच कौशल और मताओं के अनु योग का दशन ।
● उन वषय पर काय करने का अवसर िजनम श ा थय क च है ।
● नए ान क ओर अ सर
● खोजी वृ म वृ ध
● भाषा ान समृ ध एवं यावहा रक
● सम या समाधान क मता का वकास

प रयोजना काय नधा रत करते समय यान दे ने यो य बात

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● प रयोजना काय श ा थय म यो यता आधा रत मता को यान म रखकर दए जाएँ
िजससे वे वषय के साथ जुड़ते हुए उसके यावहा रक प को समझ सक। वतमान
समय म उसक ासं गकता पर भी यान दया जाए।
● स के ार भ म ह व या थय को वषय चुनने का अवसर मले ता क उसे शोध,
तैयार और लेखन के लए पया त समय मल सके।
● अ या पका/अ यापक वारा क ा म प रयोजना-काय को लेकर व तारपूवक चचा क जाए
िजससे व याथ उसके अथ, मह व व या को भल -भाँ त समझने म स म हो सक ।
● हंद भाषा और सा ह य से जुड़।े व वध वषय / वधाओं/ सा ह यकार / समकाल न लेखन/
भाषा के तकनीक प / भाव/ अनु योग/ सा ह य के सामािजक संदभ एवं जीवन-मू य
संबंधी भाव आ द पर प रयोजना काय दए जाने चा हए।
● श ाथ को उसक च के अनस
ु ार वषय का चयन करने क छूट द जानी चा हए तथा
अ यापक/ अ या पका को मागदशक के प म उसक सहायता करनी चा हए।
● प रयोजना – काय करते समय न न ल खत ब दओ
ु ं को अपनाया जा सकता है -
1. माण – प
2. आभार ापन
3. वषय-सूची
4. उ दे य
5. प रयोजना सम या
6. प रक पना
7. या (सा य सं ह, सा य का व लेषण)
8. तुतीकरण ( वषय का व तार)
9. अ ययन का प रणाम
10. अ ययन क सीमाएँ
11. ोत
12. अ यापक ट पणी
● प रयोजना – काय म शोध के दौरान सि म लत कए गए च और संदभ के वषय म
उ चत जानकार द जानी चा हए। उनके ोत को अव य अं कत करना चा हए।
● च , रे खा च , व ापन, ाफ, वषय से संबं धत आँकड़े, वषय से संबं धत समाचार क
कतरन एक त के जानी चा हए।
● माण व प सि म लत कए गए आँकड़े, च , व ापन आ द के ोत अं कत करने के
साथ-साथ समाचार-प , प काओं के नाम एवं दनांक भी लखने चा हए।
● सा ह यकोश, संदभ- ंथ, श दकोश क मदद लेनी चा हए।

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● प रयोजना-काय म श ा थय के लए अनेक संभावनाएँ ह । उनके यि तगत वचार
तथा उनक क पना के व तत
ृ संसार को अव य सि म लत कया जाए।

प रयोजना – काय के कुछ वषय सुझावा मक प म दए जा रहे ह।

भाषा और सा ह य से जुड़े व वध वषय / वधाओं/ सा ह यकार / समकाल न लेखन के आधार


पर

(1) हंद क वता म कृ त च ण (पाठ – जयशंकर साद)


 व भ न क वय क क वताओं का तुलना मक अ ययन,
 भाषा शैल , वशेषताएँ
 वतमान के साथ ासं गकता इ या द।
(2) भारतीय ामीण का जीवन (पाठ – सरू दास क झोपड़ी)
 आज़ाद से पहले, बाद म तथा वतमान म ि थ त
 सध
ु ार क आव यकताएँ
 आपक भू मका/ योगदान/ सझ
ु ाव

(3) समकाल न वषय - जी वट और भारत

 भू मका – या है , य है आ द का ववरण
 व भ न दे श म भाव
 भारत के साथ तुलना मक अ ययन
 कारण और नवारण
 आपक भू मका/ योगदान/ सुझाव

उपयु त वषय सुझाव के प म तुत कए गए ह। आप दशा नदश के आधार पर अ य


वषय का चयन या जा सकता है ।

प रयोजना क श द सीमा 2000 श द क होनी चा हए।

वण कौशल एवं प रयोजना काय का मू ांकन िव ालय र पर आं त रक परी क (िवषय


अ ापक) ारा ही िकया जाएगा।

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िहं दी (ऐ क) (कोड सं .002) क ा –11वी ं (वष 2023-24)

 -प दो ख ों - खंड 'अ' और 'ब' म होगा|

 खंड 'अ' म 40 व ुपरक पूछे जाएँ गे I सभी 40 ों के उ र दे ने होंगे।

 खंड 'ब' म वणना क पूछे जाएँ गे| ों म आं त रक िवक िदए जाएँ गे |

भारां क - 80 िनधा रत समय - 03 घं टे


वािषक परी ा हेतु भार िवभाजन
खंड अ (व ुपरक ) 40 अं क
िवषय व ु भार
1 अपिठत ग ांश 18
01 अप ठत ग यांश पर आधा रत 10 बहु वक पीय न पछ
ू े जाएँगे I सभी 10 न 10
के उ र दे ने ह गे। (लगभग 300 श द का)
(01 अंक x 10 न)
01 अप ठत प यांश पर आधा रत 08 बहु वक पीय न पछ
ू े जाएँगे I सभी 08 न 08
के उ र दे ने ह गे। (लगभग 150 श द का)
(01 अंक x 08 न)
2 अिभ और मा म पु क के आधार पर 05
इकाई एक – जनसंचार मा यम और लेखन (पाठ 1 और 2) पर आधा रत 05 05

बहु वक पा मक न I (सभी 05 न के उ र दे ने ह गे।)


(01 अंक x 05 न)
3 पा पु क अंतरा भाग – 1 से ब िवक ा क 10
अ प ठत का यांश पर 05 बहु वक पा मक न I सभी 05 न के उ र 05

दे ने ह गे।
(01 अंक x 05 न)
ब प ठत ग यांश पर 05 बहु वक पा मक न I सभी 05 न के उ र 05

दे ने ह गे।
(01 अंक x 05 न)
4 पू रक पा पु क अंतराल भाग-1 से ब िवक ा क 07
अ प ठत पाठ पर 07 बहु वक पा मक न I सभी 07 न के उ र दे ने 07

ह गे।
(01अंक x 07 न)

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खंड – ब (वणना क ) 40 अंक
िवषय व ु भार
5 अ भ यि त और मा यम पु तक के आधार पर 17
इकाई - दो सज
ृ ना मक लेखन पाठ 9, 10 और इकाई – तीन यावहा रक लेखन पाठ 14, 15
1 द गई ि थ त/ घटना के आधार पर य लेखन ( वक प स हत) लगभग 05

120 श द म (05 अंक x 01 न)


2 औपचा रक – प / ववत
ृ लेखन/ रोजगार संबंधी आवेदन प ( वक प 05

स हत) लगभग 120 श द म (05 अंक x 01 न)


3 यावहा रक लेखन ( तवेदन, ैस- व ि त, प रप कायसूची, कायवत
ृ से 03

संबि धत न) ( वक प स हत) (03 अंक x 01 न)


4 अ भ यि त और मा यम पु तक से प ठत पाठ पर आधा रत 02 न 04

के उ र (लगभग 40 श द म) (02 अंक x 02 न)


6 पा पु क अंतरा भाग – 1 एवं अंतराल भाग – 1 20
1 का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र 04

(लगभग 40 श द म) (02 अंक x 02 न)


2 01 का यांश क स संग या या ( वक प स हत) (द घउ र य न) 06

(06 अंक x 01 न) लगभग 100 श द म


3 ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र 04

(लगभग 40 श द म) (02 अंक x 02 न)


4 2 म से 01 गदयांश क स संग या या ( वक प स हत) 06

(द घउ र य न) ( 06 अंक x 01 न) लगभग 100 श द म


7 अं तराल भाग - 1 03
पाठ क वषयव तु पर आधा रत 2 म से 01 न ( वक प स हत) 03

(03 अंक x 01 न)
8 (अ) वण तथा वाचन 10

(ब) प रयोजना काय 10


कुल अंक 100
िनधा रत पु क:
 अं तरा, भाग-1, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण
 अं तराल, भाग-1, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण
 ‘अिभ और मा म’, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण

10 | P a g e
नोट : िन िल खत पाठों से नही ं पूछे जाएँ गे ।

पा पु क - अं तरा भाग-1
1. नए की ज कुंडली (एक) (पूरा पाठ)
2. प ाकर (पू रा पाठ)
3. महादे वी वमा - सब आँ खों के आँ सू उजले (घटाया गया पाठ का अंश और उससे सं बंिधत अ ास
4. नर शमा - नी ंद उचट जाती है (पू रा पाठ)
पा पु क - अंतराल
1. अं डे के िछलके (एकां की) पूरा पाठ

िहं दी (ऐ क) (कोड सं. 002) क ा –12वी ं (2023-24) परी ा भार िवभाजन


 -प दो ख ों - खंड 'अ' और 'ब' मे होगा|

 खंड 'अ' म 40 व ुपरक पूछे जाएँ गे I सभी 40 ों के उ र दे ने होंगे।

 खंड 'ब' म वणना क पूछे जाएँ गे| ों म आं त रक िवक िदए जाएँ गे |

भारां क - 80 िनधा रत समय 03 घं टे


वािषक बोड परी ा हेतु भार िवभाजन

खंड अ (व ुपरक )

िवषय व ु भार

1 अपिठत ग ांश 18

अ एक अप ठत ग यांश पर आधा रत 10 बहु वक पीय न पछू े जाएँगे 10

सभी 10 न के उ र दे ने ह गे। (लगभग 300 श द का)


(01 अंक x 10 न)
ब एक अप ठत प यांश आधा रत 08 बहु वक पीय न पूछे जाएँगे I 08

सभी 08 न के उ र दे ने ह गे। (लगभग 150 श द का)


(01 अंक x 08 न)
2 अिभ और मा म पु क के आधार पर 05

इकाई एक – जनसंचार मा यम और लेखन ( पाठ 3,4 और 5 ) पर 05

आधा रत 05 बहु वक पा मक न। सभी 05 न के उ र दे ने ह गे।


(01 अंक x 05 न)
3 पा यपु तक अंतरा भाग – 2 से बहु वक पा मक न 10

अ प ठत का यांश पर 05 बहु वक पीय न I सभी 05 न के उ र 05

11 | P a g e
दे ने ह गे। (01 अंक x 05 न)
ब प ठत ग यांश पर 05 बहु वक पीय न। सभी 05 न के उ र 05

दे ने ह गे। (01 अंक x 05 न)


4 पूरक पा यपु तक अंतराल भाग-2 से बहु वक पा मक न 07

अ प ठत पाठ पर 07 बहु वक पीय न I सभी 07 न के उ र दे ने 07

ह गे।(01 अंक x 07 न)
खंड – ब (वणना मक न)
वषय व तु भार

5 अ भ यि त और मा यम पु तक के आधार पर 17

इकाई एक - जनसंचार मा यम और लेखन (पाठ 3,4 और 5) इकाई - दो


सज
ृ ना मक लेखन पाठ 6,7,8 और 13 पर आधा रत
1 दए गए तीन नए और अ या शत वषय म से कसी एक वषय 05

पर लगभग 100 श द म रचना मक लेखन (05 अंक x 01


न)
2 क वता/कहानी/नाटक क रचना या पर आधा रत तीन न म से 06

क ह ं दो न के उ र (3 अंक x 2 न) (लगभग 60 श द
म)
3 समाचार लेखन (उ टा परा मड शैल )/फ चर लेखन/आलेख लेखन पर 06

आधा रत दो लघुउ र य न (03 अंक x 02 न) ) (लगभग 60


श द म)
6 पा पु क अंतरा भाग – 2 + अं तराल भाग –2 20

1 का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र 04

(लगभग 40 श द म)
(02 अंक x 02 न)
2 02 म से कसी 01 का यांश क स संग या या ( वक प स हत) 06

(द घउ र य न)
(06 अंक x 01 न)
3 ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र 04

(लगभग 40 श द म)
(02 अंक x 02 न)
4 02 म से कसी 01 ग यांश क स संग या या ( वक प स हत) 06

(द घउ र य न)

12 | P a g e
(06 अंक x 01 न)
7 अंतराल भाग – 2 03

पाठ क वषयव तु पर आधा रत 01 न ( वक प स हत) 03

(03 अंक x 01 न)
8 (अ) वण तथा वाचन 10

(ब) प रयोजना काय 10

कुल अं क 100

िनधा रत पु क:
1. अं तरा, भाग–2, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण
2. अं तराल, भाग–2, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण
3. ‘अिभ और मा म’, एन.सी.ई.आर.टी., नई िद ी ारा कािशत नवीनतम सं रण
 नोट : िन िल खत पाठों से नही ं पू छे जाएँ गे ।

- अं तरा भाग 2
1. सूयकां त ि पाठी िनराला - गीत गाने दो मुझे (घटाया गया पाठ का अंश और उससे संबंिधत अ ास)
2. िव ु खरे - एक कम, स (पू रा पाठ)
3. केशवदास - रामचंि का (पूरा पाठ)
4. घनानं द - सवै या (घटाया गया पाठ का अंश और उससे संबंिधत अ ास)
5. जमोहन ास - क ा िच ा (पूरा पाठ)
6. रामिवलास शमा - यथा ै रोचते िव म (पूरा पाठ)
पू रक पा पु क - अंतराल 2
1. संजीव - आरोहण

क ा बारहवीं हे तु न-प का व तत
ृ ा प जानने के लए कृपया बोड वारा जार आदश

( तदश) न-प दे ख।

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