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वतीय भाषा के प म हंद

(कोड सं.–085)
क ा 9वीं – 10वीं (2022-23)

रा य पा यचया क परे खा, नई श ा नी त 2020 तथा क य मा य मक श ा बोड वारा समय-समय


पर द ता आधा रत श ा, कला समे कत अ धगम, अनभ
ु वा मक अ धगम को अपनाने क ेरणा द गई है,
जो श ा थय क तभा को उजागर करने, खेल-खेल म सीखने पर बल दे ने, आनंदपण
ू ानाजन और
व याजन के व वध तर क को अपनाने तथा अनभ
ु व के वारा सीखने पर बल दे ती है।
यो यता या द ता आधा रत श ा से ता पय है- सीखने और मू यांकन करने का एक ऐसा ि टकोण, जो
श ाथ के सीखने के तफल और वषय म वशेष द ता को ा त करने पर बल दे ता है। यो यता वह
मता, कौशल, ान और ि टकोण है , जो यि त को वा त वक जीवन म काय करने म सहायता करता
है । इससे श ाथ यह सीख सकते ह क ान और कौशल को कस कार ा त कया जाए तथा उ ह
वा त वक जीवन क सम याओं पर कैसे लागू कया जाए। येक वषय, येक पाठ को जीवनोपयोगी
बनाकर योग म लाना ह द ता आधा रत श ा है । इसके लए उ च तर य चंतन कौशल पर वशेष बल
दे ने क आव यकता है।
कला समे कत अ धगम को श ण-अ धगम या म सु नि चत करना अ य धक आव यक है। कला के
संसार म क पना क एक अलग ह उड़ान होती है । कला एक यि त क रचना मक अ भ यि त है। कला
समे कत अ धगम से ता पय है - कला के व वध प संगीत, न ृ य, नाटक, क वता, रं गशाला, या ा,
मू तकला, आभष
ू ण बनाना, गीत लखना, नु कड़ नाटक, कोलाज, पो टर, कला दशनी को श ण अ धगम
क या का अ भ न ह सा बनाना। कसी वषय को आरं भ करने के लए आइस े कं ग ग त व ध के
प म तथा सामंज यपण
ू समझ पैदा करने के लए अंतर वषयक या बहु वषयक प रयोजनाओं के प म
कला समे कत अ धगम का योग कया जाना चा हए। इससे पाठ अ धक रोचक एवं ा य हो जाएगा।
अनभ
ु वा मक अ धगम या आनभ
ु वक ानाजन का उ दे य शै क वातावरण को श ाथ क त बनाने के
साथ-साथ वयं मू यांकन करने, आलोचना मक प से सोचने, नणय लेने तथा ान का नमाण कर उसम
पारं गत होने से है । यहाँ श क क भू मका मागदशक क रहती है। ानाजन-अनभ
ु व सहयोगा मक अथवा
वतं होता है और यह छा को एक साथ काय करने तथा वयं के अनभ
ु व वारा सीखने पर बल दे ता है ।
यह स धांत और यवहार के बीच क दरू को कम करता है।

भारत एक बहुभाषी दे श है िजसम बहुत सी े ीय भाषाएँ रची बसी ह। भा षक और सां कृ तक


ि ट से भ न होने के बावजूद भारतीय परं परा म बहुत कुछ ऐसा है जो एक दस
ू रे को जोड़ता है ।
यह कारण है क मातभ
ृ ाषा के प म अलग भाषा को पढ़ने वाला व याथ जब दस
ू र भाषा के
प म हंद का चुनाव करता है तो उसके पास अ भ यि त का एक ढ़ आधार पहल भाषा के प
म पहले से ह मौजूद होता है । इस लए छठ से आठवीं क ा म सीखी हुई हंद का वकास भी वह
तेजी से करने लगता है । आठवीं क ा तक वह हंद भाषा म सुनने, पढ़ने, लखने और कुछ-कुछ
बोलने का अ यास कर चक
ु ा होता है । हंद क बाल प काएँ और छटपुट रचनाएँ पढ़ना भी अब
उसे आ गया है । इस लए जब वह नवीं एवं दसवीं क ा म हंद पढ़े गा तो जहाँ एक ओर हंद
भाषा के मा यम से सारे दे श से जड़
ु ग
े ा वह ं दस
ू र ओर अपने े और प रवेश को हंद भाषा के
मा यम से जानने क को शश भी करे गा, य क कशोरवय के इन ब च के मान सक धरातल का
वकास व व तर तक पहुँच चक
ु ा होता है ।

श ण उ दे य

 दै नक जीवन म हंद म समझने-बोलने के साथ-साथ लखने क मता का वकास करना।


 हंद के कशोर-सा ह य, अखबार व प काओं को पढ़कर समझ पाना और उसका आनंद उठाने
क मता का वकास करना।
 औपचा रक वषय और संदभ म बातचीत म भाग ले पाने क मता का वकास करना।
 हंद के ज़ रए अपने अनुभव संसार को लखकर सहज अ भ यि त कर पाने म स म बनाना।
 संचार के व भ न मा यम ( ट
ं और इले ॉ नक) म यु त हंद के वभ न प को
समझने क यो यता का वकास करना।
 क ा म बहुभा षक, बहुसां कृ तक संदभ के त संवेदनशील सकारा मक सोच बनाना।
 अपनी मातभ
ृ ाषा और प रवेशगत भाषा को साथ रखकर हंद क संरचनाओं क समझ बनाना।
 सामािजक मु द पर समझ बनाना| (जा त, लंग तथा आ थक वषमता)
 क वता, कहानी तथा घटनाओं को रोचक ढं ग से लखना ।
 भाषा एवं सा ह य को समझने एवं आ मसात करने क द ता का वकास।

श ण यु याँ

· वतीय भाषा के प म पढ़ाई जा रह हंद भाषा का तर पढ़ने और पढ़ाने दोन ह ि टय


से मातभ
ृ ाषा सीखने क तुलना म कुछ मंथर ग त से चलेगा। वह ग त धीरे -धीरे बढ़ सके,
इसके लए हंद अ यापक को बड़े धीरज से अपने अ यापन काय म को नयोिजत करना
होगा। कसी भी वतीय भाषा म नपुणता ा त करने-कराने का एक ह उपाय है -उस भाषा
का लगातार रोचक अ यास करना-कराना। ये अ यास िजतने अ धक रोचक, स य एवं
ासं गक ह गे व या थय क भा षक उपलि ध भी उतनी ह तेज़ी से हो सकेगी। मुखर भा षक
अ यास के लए वातालाप, रोचक कहानी सुनना-सुनाना, घटना-वणन, च -वणन, संवाद, वाद-
ववाद, अ भनय, भाषण तयो गताएँ, क वता पाठ और अं या र जैसी ग त व धय का सहारा
लया जा सकता है ।
· का य भाषा के मम से व याथ का प रचय कराने के लए ज़ र होगा क कताब म आए
का यांश क लयब ध तु तय के ऑ डयो-वी डयो कैसेट तैयार कए जाएँ। अगर आसानी से
कोई गायक/गा यका मले तो क ा म म यकाल न सा ह य के अ यापन- श ण म उससे मदद
ल जानी चा हए।
 रा.प .और .अ.शै.,(एन वारा उपल ध (.ट .आर.ई.सी. कराए गए अ धगम तफल -सीखने/
सखाने क या जो इस पा यचया के साथ संल नक के प म उपल ध है , को श क
वारा मता आधा रत श ा का ल य ा त करने के लये अ नवाय प से इ तेमाल करने
क आव यकता है ।
· मानव संसाधन वकास मं ालय के व भ न संगठन तथा वतं नमाताओं वारा उपल ध
कराए गए अ य काय म/ई-साम ी/ व ृ च और सनेमा को श ण-साम ी के तौर पर
इ तेमाल करने क ज़ रत है । इनके दशन के म म इन पर लगातार बातचीत के ज़ रए
सनेमा के मा यम से भाषा के योग क व श टता क पहचान कराई जा सकती है और हंद
क अलग-अलग छटा दखाई जा सकती है ।
· क ा म सफ़ एक पा यपु तक क उपि थ त से बेहतर होगा क श क के हाथ म तरह-तरह
क पा यसाम ी को व याथ दे ख और क ा म अलग-अलग मौक पर श क उनका इ तेमाल
कर सक।
· भाषा लगातार हण करने क या म बनती है , इसे द शत करने का एक तर का यह भी है
क श क खुद यह सखा सक क वे भी श दकोश, सा ह यकोश, संदभ ंथ क लगातार मदद
ले रहे ह। इससे व या थय म इनके इ तेमाल करने को लेकर त परता बढ़े गी। अनुमान के
आधार पर नकटतम अथ तक पहुँचकर संतु ट होने क जगह वे सट क अथ क खोज करने के
लए े रत ह गे। इससे श द क अलग-अलग रं गत का पता चलेगा, वे श द के बार क अंतर
के त और सजग हो पाएँगे।
· भ न मता वाले व या थय के लए उपयु त श ण-साम ी का इ तेमाल कया जाए तथा
कसी भी कार से उ ह अ य व या थय से कमतर या अलग न समझा जाए।
· क ा म अ यापन को हर कार क व वधताओं ( लंग, धम, जा त, वग आ द) के त
सकारा मक और संवेदनशील वातावरण न मत करना चा हए।
वण (सुनने) और वाचन (बोलने) क यो यताएँ

· वाह के साथ बोल जाती हुई हंद को अथबोध के साथ समझना।


· हंद श द का ठ क उ चारण करना तथा हंद के वाभा वक अनत ु ान का योग करना।
· सामा य वषय पर बातचीत करना और प रचचा म भाग लेना।
· हंद क वताओं को उ चत लय, आरोह-अवरोह और भाव के साथ पढ़ना।
· सरल वषय पर कुछ तैयार के साथ दो-चार मनट का भाषण दे ना।
· हंद म वागत करना, प रचय और ध यवाद दे ना।
· हंद अ भनय म भाग लेना।
वण तथा वाचन पर ा हे तु दशा- नदश
 वण (सन
ु ना) (2.5 अंक): व णत या प ठत साम ी को सन
ु कर अथ हण करना, वातालाप
करना, वाद- ववाद, भाषण, क वतापाठ आ द को सन
ु कर समझना, मू यांकन करना और
अ भ यि त के ढं ग को समझना।

 वाचन (बोलना) (2.5 अंक): भाषण, स वर क वता-पाठ, वातालाप और उसक औपचा रकता,
काय म- तु त, कथा-कहानी अथवा घटना सन
ु ाना, प रचय दे ना, भावानक
ु ू ल संवाद-वाचन।

वण (सुनना) एवं वाचन (बोलना) कौशल का मू यांकन:

· पर क कसी ासं गक वषय पर एक अनु छे द का प ट वाचन करे गा। अनु छे द


त या मक या सुझावा मक हो सकता है । अनु छे द लगभग 120 श द का होना चा हए।
या
· पर क 1-1.5 मनट का य अंश (ऑ डयो ि लप) सुनवाएगा। अंश रोचक होना चा हए।
क य/ घटना पूण एवं प ट होनी चा हए। वाचक का उ चारण शु ध, प ट एवं वराम
च न के उ चत योग स हत होना चा हए।
· पर ाथ यानपूवक पर क/ऑ डयो ि लप को सुनने के प चात पर क वारा पूछे गए
न का अपनी समझ से मौ खक उ र दगे।

कौशल के अंतरण का मू यांकन

(इस बात का न चय करना क या व याथ म वण और वाचन क न न ल खत यो यताएँ ह)

वण (सुनना) वाचन (बोलना)

1 प र चत संदभ म यु त श द और पद 1 केवल अलग-अलग श द और पद के योग


को समझने क सामा य यो यता है । क यो यता द शत करता है ।

2 छोटे सुसंब ध कथन को प र चत संदभ 2 प र चत संदभ म शु धता से केवल छोटे


म समझने क यो यता है । संब ध कथन का सी मत योग करता है ।

3 प र चत या अप र चत दोन संदभ म 3 अपे ाकृत द घ भाषण म ज टल कथन के


क थत सूचना को प ट समझने क योग क यो यता द शत करता है ।
यो यता है ।
4 द घ कथन को पया त शु धता से समझता है 4 अप र चत ि थ तय म वचार को ता कक ढं ग
और न कष नकाल सकता है। से संग ठत कर धारा- वाह प म तुत
करता है ।

5 ज टल कथन के वचार- बंदओ


ु ं को समझने 5 उ दे य और ोता के लए उपयु त शैल को
क यो यता द शत करने क मता है । अपना सकता है ।

वण-वाचन कौशल एवं प रयोजना काय का मू यांकन व यालय तर पर आंत रक पर क वारा


ह कया जाएगा।
पठन कौशल
पढ़ने क यो यताएँ

 हंद म कहानी, नबंध, या ा-वणन, जीवनी, प , डायर आ द को अथबोध के साथ


पढ़ना।
 पा यव तु के संबंध म वचार करना और अपना मत य त करना।
 संदभ सा ह य को पढ़कर अपने काम के लायक सच
ू ना एक करना।
 प ठत साम ी के व भ न अंश का पर पर संबंध समझना।
 प ठत व तु का सारांश तैयार करना।
 भाषा, वचार एवं शैल क सराहना करना।
 सा ह य के त अ भ च का वकास करना।

लखने क यो यताएँ

 लखते हुए याकरण-स मत भाषा का योग करना।


 हंद के प र चत और अप र चत श द क सह वतनी लखना।
 वराम च न का समु चत योग करना।
 लेखन के लए स य ( यवहारोपयोगी) श द भंडार क व ृ ध करना।
 भावपूण भाषा तथा लेखन-शैल का वाभा वक प से योग करना।
 उपयु त अनु छे द म बाँटकर लखना।
 ाथना प , नमं ण प , बधाई प , संवेदना प , आदे श प , ईमेल,
एस.एम.एस आ द लखना और व वध प को भरना।
 व वध ोत से आव यक साम ी एक कर एक अभी ट वषय पर अनुछेद
लखना।
 दे खी हुई घटनाओं का वणन करना और उन पर अपनी त या कट करना।
 पढ़ हुई कहानी को संवाद म तथा संवाद को कहानी म प रव तत करना।
 समारोह और गोि ठय क सच ू ना और तवेदन तैयार करना।
 लखने म सज
ृ ना मकता लाना।
 अनाव यक काट-छाँट से बचते हुए सप
ु ा य लेखन काय करना
 दो भ न पाठ क पा यव तु पर चंतन करके उनके म य क संब धता (अंतसबंध )
पर अपने वचार अ भ य त करने म स म होना।
 रटे -रटाए वा य के थान पर अ भ यि तपरक/ ि थ त आधा रत/ उ च चंतन मता
वाले न पर सहजता से अपने मौ लक वचार कट करना।

रचना मक अ भ यि त
अनु छे द लेखन

 पण
ू ता – संबं धत वषय के सभी प को अनु छे द के सी मत आकार म संयोिजत करना।

 मब धता– वचार को मब ध एवं तकसंगत व ध से कट करना।

 वषय-क त – ारं भ से अंत तक अनु छे द का एक सू म बँधा होना।

 सामा सकता – अनाव यक व तार न दे कर सी मत श द म यथासंभव वषय संब ध परू बात

कहने का यास करना।

प लेखन

 अनौपचा रक प वचार- वमश का ज़ रया िजनम मै ीपूण भावना न हत, सरलता,


सं त और सादगी के साथ लेखन शैल ।
 औपचा रक प वारा दै नं दनी जीवन क व भ न ि थ तय म काय, यापार, संवाद,
परामश, अनुरोध तथा सुझाव के लए भावी एवं प ट सं ेषण मता का वकास।
 सरल और बोलचाल क भाषा शैल , उपयु त, सट क श द के योग, सीधे-सादे ढं ग से
प ट और य बात क तु त।
 ा प क आव यक औपचा रकताओं के साथ सु प ट, सल
ु झे और मब ध वचार आव यक;
त य, सं तता और संपण
ू ता के साथ भावी तु त।

व ापन लेखन
/ व ा पत व त)ु वषय को क म रखते हुए(
 व ा पत व तु के व श ट गण
ु का उ लेख
 आकषक लेखन शैल
 तु त म नयापन, वतमान से जुड़ाव तथा दस
ू र से भ नता
 व ापन म आव यकतानस
ु ार नारे का उपयोग ( लोगन)
 व ापन लेखन म बॉ स, च अथवा रं ग का उपयोग अ नवाय नह ं है, कं तु समय होने पर
तु त को भावी बनाने के लए इनका उपयोग कया जा सकता है।
च -वणन
(च म दखाई दे रहे य /घटना को क पनाशि त से अपने श द म लखना)
 प रवेश क समझ
 सू म ववरण पर यान
 यानुकूल भाषा
 मब धता और तारत यता
 भावशाल अ भ यि त
संवाद लेखन
(द गई प रि थ तय के आधार पर संवाद लेखन)
 सीमा के भीतर एक दस
ू रे से जड़
ु े साथक और उ दे यपण
ू संवाद
 पा के अनक
ु ू ल भाषा शैल
 को ठक म व ता के हाव भाव का संकेत-
 संवाद लेखन के अंत तक वषय मु दे /पर वाता परू
सच
ू ना लेखन
(औपचा रक शैल म यावहा रक जीवन से संबं धत वषय पर आधा रत सच
ू ना लेखन)
 सरल एवं बोधग य भाषा
 वषय क प टता
 वषय से जुड़ी संपण
ू जानकार
 औपचा रक श टाचार का नवाह

ई-मेल लेखन
( व वध वषय पर आधा रत औपचा रक ई-मेल लेखन)

 सरल, श ट व बोधग य भाषा


 वषय से संब धता
 सं त कलेवर, कंतु वषयगत संपूण जानकार
 यावहा रक/कायालयी श टाचार व औपचा रकताओं का नवाह
लघक
ु था लेखन
( दए गए वषय/शीषक आ द के आधार पर रचना मक सोच के साथ लघक
ु था लेखन(
 नरं तरता
 कथा मकता
 भावी संवाद/पा ानक
ु ू ल संवाद
 रचना मकताक पनाशि त का उपयोग/
 िज ासा रोचकता/
क ा 9वीं हंद ‘ब’ (कोड सं. 085) –पर ाओं हे तु पा य म व नदशन 2022-23

 नप दो खंड , खंड 'अ' और 'ब' म वभ त होगा।


 खंड 'अ' म 45 व तप
ु रक न पछ
ू े जाएँगे, िजनम से केवल 40 न के ह उ र दे ने
ह गे।
 खंड 'ब' म वणना मक न पछ
ू े जाएँगे। न म उ चत आंत रक वक प दए जाएँगे।
 भारांक-{80(वा षक पर ा)+ 20 (आंत रक पर ा)

नधा रत समय- 3 घंटे भारांक-80

पर ा भार वभाजन
वषयव तु भार
खंड अ (व तप
ु रक न) 40
अप ठत ग यांश 10
1
अ दो अप ठत ग यांश (लगभग 200 श द के) बना कसी वक प के 10
(1x5=5)+(1x5=5) (दोन ग यांश म एक अंक य पाँच-पाँच न पछ
ू े जाएँग)े
यावहा रक याकरण के आधार पर बहु वक पा मक न (1 अंक x16 न)
2 16
कुल न के उ र दे ने ह गे 16 िजनम से केवल , न पछ
ू े जाएँगे 21।
i श द और पद (2 अंक) ( बना कसी वक प के) (2 म से 2 न) 02

ii अनु वार (1 अंक), अनन


ु ा सक (1 अंक) (3 म से 2 न) 02

iii उपसग (2 अंक), यय (2 अंक) (5 म से 4 न) 04

iv वर सं ध (3 अंक) (4 म से 3 न) 03

v वराम- च न (3 अंक) (4 म से 3 न) 03

vi अथ क ि ट से वा य भेद (2 अंक) (3 म से 2 न) 02

3 पा यपु तक पश, भाग–1 14


का य खंड 07
प ठत प यांश पर एक अंक य पाँच बहु वक पी न। (1x5) 05
पश (भाग–1) से नधा रत क वताओं के आधार पर एक अंक य दो बहु वक पी न पछ
ू े 02
जाएँगे। (1x2)

ग य खंड 07
प ठत ग यांश पर एक अंक य पाँच बहु वक पी न। (1x5) 05
पश (भाग–1) से नधा रत ग य पाठ के आधार पर व या थय क उ च चंतन मताओं एवं 02
अ भ यि त का आकलन करने हेतु एक अंक य दो बहु वक पी न पछ
ू े जाएँगे। (1x2)
खंड – ब (वणना मक न) 40
4 पा यपु तक पश, भाग–1 12
पश (ग य खंड) से नधा रत पाठ के आधार पर तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे। 06
1 (3 अंक x 2 न) (लगभग 60 श द)
2 पश (का य खंड) से नधा रत पाठ के आधार पर तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे। 06
(3 अंक x 2 न) (लगभग 60 श द)
परू क पा यपु तक संचयन भाग – 1 06
परू क पा यपु तक संचयन के नधा रत पाठ से तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे, िजनका उ र 06
लगभग 60 श द म दे ना होगा। (3 अंक x 2 न)

लेखन 22
5

i संकेत बंदओ
ु ं पर आधा रत समसाम यक एवं यावहा रक जीवन से जुड़े हुए क ह ं तीन 06
वषय म से कसी एक वषय पर लगभग 120 श द म अनु छे द लेखन।
(6 अंक x1 न) ( वक प स हत)
ii अ भ यि त क मता पर क त यावहा रक वषय म से कसी एक वषय पर लगभग 06
120 श द म अनौपचा रक प । (6 अंक x 1 न)
iii च वणन- च म दखाई दे रहे य /घटना का क पनाशि त से लगभग 100 श द म 05
वणन। ( वचार का वणन प ट प से च से ह संब ध होना चा हए)
( बना कसी वक प के)
iv द गई प रि थ तय के आधार पर संवाद लेखन। (लगभग 100 श द म) 05
( वक प स हत)
कुल 80
आंत रक मू यांकन अंक 20

अ साम यक आकलन 5

ब बहु वध आकलन 5

स पोटफ़ो लयो 5

द वण एवं वाचन 5

कुल 100

नधा रत पु तक:

1. पश, भाग–1, एन.सी.ई.आर.ट ., नई द ल वारा का शत नवीनतम सं करण

2. संचयन, भाग–1, एन.सी.ई. आर.ट ., नई द ल वारा का शत नवीनतम सं करण


 नोट : न न ल खत पाठ से न नह ं पछ
ू े जाएँगे-
पश(भाग –1)  धम क आड़ (परू ा पाठ)
 आदमीनामा (परू ा पाठ)
 एक फूल क चाह (परू ा पाठ)

संचयन(भाग-1)  हा मद खाँ (परू ा पाठ)


 दये जल उठे (परू ा पाठ)
क ा 10वीं हंद ‘ब’ पर ा हे तु पा य म व नदशन-2022-2023
 न-प दो खंड - खंड 'अ' और 'ब' का होगा।
 खंड 'अ' म 45 व तुपरक न पूछे जाएँगे, िजनम से केवल 40 न के ह उ र
दे ने ह गे।
 खंड 'ब' म वणना मक न पूछे जाएँगे। न म उ चत आंत रक वक प दए
जाएँगे। भारांक-{80(वा षक पर ा)+ 20 (आंत रक पर ा)

नधा रत समय घंटे 3 -भारांक-80


पर ा भार वभाजन
वषयव तु भार
खंड अ (व तप
ु रक न) 40
अप ठत ग यांश 10
1
अ दो अप ठत ग यांश (लगभग 200 श द के) बना कसी वक प के 10
(1x5=5)+(1x5=5) (दोन ग यांश म एक अंक य पाँच-पाँच न पछ
ू े जाएँग)े
यावहा रक याकरण के आधार पर बहु वक पा मक न (1 अंक x16 न)
2 16
कुल 21 न पछ
ू े जाएँगे, िजनम से केवल 16 न के उ र दे ने ह गे।
1 पदबंध (5 म से 4 न) 04
2 रचना के आधार पर वा य पांतरण (5 म से 4 न) 04
3 समास (5 म से 4 न) 04
4 मह
ु ावरे (6 म से 4 न) 04
3 पा यपु तक पश भाग – 2 14
का य खंड 07
प ठत प यांश पर एक अंक य पाँच बहु वक पी न। (1x5) 5
पश (भाग–2) से नधा रत क वताओं के आधार पर एक अंक य दो बहु वक पी न पछ
ू े 2
जाएँगे। (1x2)
ग य खंड 7
प ठत ग यांश पर एक अंक य पाँच बहु वक पी न। (1x5) 5
पश (भाग – 2) से नधा रत ग य पाठ के आधार पर व या थय क उ च चंतन मताओं 2
एवं अ भ यि त का आकलन करने हे तु एक अंक य दो बहु वक पी न पछ
ू े जाएँगे। (1x2)
खंड – ब (वणना मक न) 40
4 पा यपु तक पश भाग – 2 12
पश (ग य खंड)से नधा रत पाठ के आधार पर तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे। 06
1 (3 अंक x 2 न) (लगभग 60 श द)
2 पश (का य खंड) से नधा रत पाठ के आधार पर तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे। 06
(3 अंक x 2 न) (लगभग 60 श द)
परू क पा यपु तक संचयन भाग – 2 06
परू क पा यपु तक संचयन के नधा रत पाठ से तीन म से दो न पछ
ू े जाएँगे, िजनका उ र 06
लगभग 60 श द म दे ना होगा। (3 अंक x 2 न)

लेखन 22
5

i संकेत बंदओ
ु ं पर आधा रत समसाम यक एवं यावहा रक जीवन से जुड़े हुए क ह ं तीन 05
वषय म से कसी एक वषय पर लगभग 100 श द म अनु छे द लेखन।
(5 अंक x1 न) ( वक प स हत)
ii अ भ यि त क मता पर क त औपचा रक वषय म से कसी एक वषय पर लगभग 05
100 श द म प । (5 अंक x 1 न)
iii यावहा रक जीवन से संबं धत वषय पर आधा रत लगभग 80 श द म सच
ू ना लेखन। 04
(4 अंक x1 न) ( वक प स हत)
iv वषय से संबं धत लगभग 60 श द के अंतगत व ापन लेखन। (3 अंक x1 न) 03
( वक प स हत)
v दए गए वषय/शीषक आ द के आधार पर रचना मक सोच के साथ लगभग 100 श द म 05
लघक
ु था लेखन। (5 अंकx1 न)
अथवा
व वध वषय पर आधा रत लगभग 100 श द म औपचा रक ई-मेल लेखन
कुल 80
आंत रक मू यांकन अंक 20

अ साम यक आकलन 5

ब बहु वध आकलन 5

स पोटफ़ो लयो 5

द वण एवं वाचन 5

कुल 100

नधा रत पु तक:

1. पश, भाग–2, एन.सी.ई.आर.ट ., नई द ल वारा का शत नवीनतम सं करण

2. संचयन, भाग–2, एन.सी.ई.आर.ट ., नई द ल वारा का शत नवीनतम सं करण


 नोट : न न ल खत पाठ से न नह ं पछ
ू े जाएँगे।
पा य पु तक पश, भाग-2
बहार -दोहे (परू ा पाठ)
महादे वी वमा- मधरु -मधरु मेरे द पक जल (परू ा पाठ)
अंतोन चेखव- गर गट ( परू ा पाठ)
परू क पु तक संचयन, भाग-2
पु तक म कोई प रवतन नह ं। कोई भी पाठ नह ं हटाया गया है।

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