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अध्यर्न
Abstract
कुछ मू लभू त अहर्कार प्रत्ये क व्यक्ति को जन्म सार्थ ही हमल जाते है और उसके अांहतम क्षणोां तक
उसके सार्थ ही रहते हैं । जैसे,जीिन जीने की स्वतां त्रता, समता का अहर्कार, हिकास के अिसर प्राप्त
करने के समान अहर्कार या अन्य प्रकार के अहर्कार,ले हकनप्रत्ये क अहर्कार में महहलाओां के सार्थ
भे दभाि हकया जाता है । अहर्कार होने के बािजूद उन्हें कई बार अहर्कारोां के प्रयोग से िांहित होना
पड़ता है । सांहिर्ान द्वारा हलां ग-भे द की समस्त परां पराओां को दरहकनार रखते हुए महहलाओां को समान
अहर्कार और समान सहभाहगता के अिसर हदए गए हैं , ले हकन महहलाएां अपने अहर्कारोां का प्रयोग
र्रातल नहीां कर पा रही है ,इसका एक कारण इनका राजनीहत ि समाहजक िे तना की कमी होना भी है
और िे तना का सीर्ा सीर्ा सांबांर् हशक्षा से होता है । अगर महहलाएां हशहक्षत होगी तो िे अपने अहर्कारोां
के प्रहत सजग भी होांगी और जागरूक भी। इस प्रकार महहला हशक्षा बहुत ही महत्वपूणा है ।
रहा है । पू रे हिश्व में भारत का नाम सभ्यता ि सां स्कृहत के नाम से भी जाना जाता
है ।दे शभर में नारी उत्थान की बात एक ििाा का हिषय बनी हुई है , परां तु इस दे श की
भािी पीढी हजसके गिा से जन्म लेती है उसी स्त्री को सही मायने में उसके सां िैर्ाहनक
सां क्रमण से गुजर रही है हजसमें सकारात्मक एि नकारात्मक दोनोां ही तत्वोां का समन्वय
है । स्त्री की हशक्षा उसके अपने पररिार के हलए समाज के हलए तर्था दे श की प्रगहत के
हलए भी आिश्यक है । हशक्षा अन्य अहर्कारोां को सु रहक्षत करने के हलए लड़हकयोां और
अच्छे समाज के हनमाा ण में मदद करती है । हशक्षा प्राप्त करके आहर्था क रूप आत्महनभा र
होने का अर्था यह नही ां है हक नारी हशहक्षत होकर पु रुष को अपना प्रहतद्वां दी मानते हुए
उसके सामने ही मोिाा लेकर खड़ी हो जाए। बक्ति िह आहर्था क क्षे त्र में भी पु रुष के
बराबर समानता का अहर्कार प्राप्त करके उसके सार्थ मै त्रीपू णा सां बांर् के सहमकणा बनने
हिदे हशयोां के आगमन से महहलाओां की क्तस्र्थहत में जबरदस्त हगरािट आयी। अहशक्षा और
उपभोग की िस्तु बना हदया र्था और के कारण बाल हििाह, सदा कर्था अहशक्षा आहद
हिहिन सामाहजक कुरीहतयोां का समाज में पररिे श हुआ, इसमें महहलाओां की क्तस्र्थहत को
गांभीर बना हदया तर्था उनके हनजी एिां सामाहजक जीिन को कलुहषत कर हदया।
19िीां शताब्दी पू िाा र्द्ा में भारत के कुछ समाजसे हियोां जैसे राजा राममोहन राय, दयानां द
स्वामी, ईश्वरिांद हिद्यासागर तर्था केशि िांद्र से न अत्यािारी सामाहजक व्यिस्र्था के
हिरुर्द् आिाज उठायी।उन्होांने तत्कालीन शासकोां के समक्ष स्त्री पु रुष समानता, स्त्री
हशक्षा, सती प्रर्था पर रोक तर्था बहु हििाह पर रोक की आिाज उठायी का पररणाम र्था
सती प्रर्था हनषेर् अहर्हनयम 1829, 1856 में हहां दू हिर्िा पु नहिा िाह अहर्हनयम, 1891 में
एज ऑफ कन्सटें ट हबल,1891, बहु हििाह रोकने का समाज पर दू रगामी पररणाम
हुआ। उन्नीसिी ां सदी के मध्य काल से लेकर इक्कीसिी सदी तक आते -आते पु नः
नए आयाम तय हकये ,हजसका मू ल भारतीय सां हिर्ान के अनु च्छेदोां 14, 15,16(1),
पररणाम स्वरूप महहलाओां के प्रहत समाज के लोगोां के दृहष्ट्कोण में जो बदलाि आया है ।
से अिहे लना की जाती है बक्ति उन्हें मानि अहर्कार के दायरे से बाहर रखा जाता है |
कुलश्रे ष्ठ रानी लक्ष्मी (2001) “पां िायती राज और महहला”में हलखा है हक पां िायती राज
व्यिस्र्था में महहला आरक्षण के पररणाम स्वरूप अब महहलाओां की मन: क्तस्र्थहत बदल
रही है ।महहलाओां की सहक्रय भागीदारी से उन्हें जो नया पररिे श हमल रहा है , िह उनके
हलए प्रगहत और हिकास के द्वार तो खोल ही रहा है , पु रुष तर्था स्त्री के बीि समाज में जो
अहर्कारोां पर जो शोर् काया हुए हैं । इससे यह बात मजबू ती से उभर कर सामने आई है
हक आहर्था क हिकास और स्त्री-पु रुष समानता में िै सा सापे क्ष सां बांर् नही ां है , जैसा आमतौर
पर समझा जाता है ।मानिाहर्कार के मायने प्राय: पु रुषोां तक ही सीहमत है ।आज
अध्यापकोां की भारत में हशक्षण के प्रहत अहभिृ हत्त का प्रभाि" और हनष्कषा में पाया की
महहला अध्यापकोां में अपने व्यिसाय के प्रहत पु रुष अध्यापकोां की तु लना में अहर्क
सकारात्मक अहभिृ हत्त पाई गई। शोर् में यह भी सामने आया हक ग्रामीण क्षे त्र में काया रत
अध्यापकोां में शहरी क्षे त्र के अध्यापकोां में शहरी क्षे त्र के अध्यापकोां की तु लना में अहर्क
प्रहतबर्द्ता एिां सां तुहष्ट् पाई गई। इसी प्रकार के हनष्कषा ज्यादातर शोर् अध्ययनोां से
महहलाओां के प्रहत सकारात्मक सोि तर्था हशक्षा से सां बांहर्त समस्या में महहलाओां के प्रहत
सकारात्मक सोि आहद के प्रहत सिे त रहते हैं । जो हशक्षा हशक्षकोां द्वारा दी जा रही है
उनका महहला अहर्कारोां के प्रहत क्या अहभिृ हत्त है ? िै श्वीकरण के दौर में प्रत्ये क
योजनाएां अनेक प्रकार की हसफाररशें आहद लागू की जा रही है । प्रस्तु त शोर् में महहला
है ।
ि ि का उद्दे श्य:-
करना।
अध्ययन करना।
अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त’ के अध्ययन हे तु िणा नात्मक अनुसांर्ान के सिे क्षण प्रहिहर्
का ियन हकया गया है ।
जनसां ख्या:- प्रस्तु त शोर् के अां तगात िर्ाा हजले के अां तगा त हिद्यालयोां के हशक्षकोां को
प्रमतदिय:- प्रस्तु त अध्ययन शोर् के हलए शोर्कताा द्वारा अपने उद्दे श्योां को ध्यान में रखते
हुए सोद्दे श्यपरक हिहर् का उपयोग करते हुए प्रहतदशा के रूप में महाराष्ट्र के िर्ाा हजले
के अां तगा त कुल 7 माध्यहमक स्तर के हिद्यालयोां (न्यू इां क्तिश, सु शील हहम्मत हसां ग
प्रर्ु क्त उपकरण उपकरण:- प्रस्तु त शोर् में शोर्कताा ओां द्वारा अहभिृ हत्त मापनी का
प्रयोग हकया गया है हजसके अां तगात कुल 34 कर्थन हदए गए।अहभिृ हत्त मापनी में प्रत्ये क
कर्थन को 5 हिकल्प हदए गए, हजसमें सभी कर्थनोां के उत्तर को सकारात्मक (5,4,3,2,1)
आों कड़ ों का मवश्लेषण एवों व्याख्या:- प्रस्तु त अध्याय में उपयु ि शोर् हिहर्योां के द्वारा
आां कड़ोां का हिश्ले षण एिां व्याख्या को सु व्यिक्तस्र्थत एिां िै ज्ञाहनक ढां ग से की गया है और
उसका हिस्तृ त हिश्ले षण, सू िनाओां की व्याख्या एिां साां मान्यीकरण के हनरूपण प्रस्तु त
हकया गया है ।
आों कड़ ों का मवश्लेषण एवों व्याख्या:-प्रस्तु त अध्याय में उपयु ि शोर् हिहर्योां के द्वारा
आां कड़ोां का हिश्ले षण एिां व्याख्या को सु व्यिक्तस्र्थत एिां िै ज्ञाहनक ढां ग से की गया है और
उसका हिस्तृ त हिश्ले षण, सू िनाओां की व्याख्या एिां साां मान्यीकरण के हनरूपण को अर्था
पू णा हित्र द्वारा प्रस्तु त हकया गया है ।
की अहभिृ हत्त अध्ययन करना इस उद्दे श्य में हशक्षकोां की प्रहतहक्रयाएां में 4% हशक्षकोां
का अध्यर्न करना।
महहला हशहक्षकाओां की महहला अहर्कारोां के प्रहत सिाा हर्क अहभिृ हत्त पायी गयी है ।
84% औसत से अहर्क हशहक्षकाओां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पाई गई है ।
जबहक 8% औसत हशहक्षकाओां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है
तर्था औसत से कम और न्यूनतम प्रकार की महहला अहर्कारोां के प्रहत कोई अहभिृ हत्त
अहभिृ हत्त पाई गई है । महहलाये 92% उच्च है तो पु रुषोां की अहभिृ हत्त 96% उच्च है ।
8% अहभिृ हत्त मध्य है और 4% पु रुष हशक्षकोां की अहभिृ हत्त मध्य पाई गई है । हनम्न में
कोई अहभिृ हत्त नही ां पाई गई है । अतः इससे यह स्पष्ट् होता है हक महहला हशक्षकोां के
तुलना में पु रुष हशक्षकोां की महहला अहर्कार के प्रहत ज्यादा सकारात्मक अहभिृ हत्त पाई
गई है ।
हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत सिाा हर्क अहभिृ हत्त पायी गयी है । 18%औसत से
अहर्क हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पाई गई है । जबहक 2%
औसत हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है तर्था औसत से कम
और न्यू नतम प्रकार की महहला अहर्कारोां के प्रहत कोई अहभिृ हत्त नही ां पायी गयी।
महहला अहर्कारोां के प्रहत सिाा हर्क अहभिृ हत्त पायी गयी है । 38%औसत से अहर्क
हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पाई गई है । जबहक 2% औसत हशक्षकोां
की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है तर्था औसत से कम और न्यू नतम
प्रकार की महहला अहर्कारोां के प्रहत कोई अहभिृ हत्त नही ां पायी गयी।
हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पाई गई है । जबहक 2% औसत हशक्षकोां
की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है तर्था औसत से कम और न्यू नतम
प्रकार की महहला अहर्कारोां के प्रहत कोई अहभिृ हत्त नही ां पायी गयी।
के प्रहत,भाषा- हहां दी, मराठी, अां ग्रेजी के हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत 2%
सिाा हर्क अहभिृ हत्त पायी गयी है । 48%औसत से अहर्क हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां
प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है । तर्था औसत से कम और न्यूनतम प्रकार की महहला
जबहक 4% औसत हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त पायी गयी है तर्था
औसत से कम और न्यूनतम प्रकार की महहला अहर्कारोां के प्रहत कोई अहभिृ हत्त नही ां
पायी गयी।
मनष्कषय:-
करना।
अहर्कारोां के प्रहत जागरूक हैं । 92% हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत उच्च िृ क्तर्द्
पाई गई है । मध्य में 8% हशक्षकोां की अहभिृ हत्त पाई गई। हनम्न प्रकार की जो अहभिृ हत्त है
उसमें कोई भी हशक्षक नही ां है । अतः इससे यह स्पष्ट् होता है हक महहला अहर्कारोां के
का अध्यर्न करना।
हैं हक सभी महहला अपने अहर्कारोां के बारे में नही ां जानती हैं । महहलाओां की महहला
अहर्कारोां के प्रहत अहभिृ हत्त का स्तर 92% उच्च है तो िही पु रुष हशक्षकोां की अगर हम
बात करते हैं तो महहला हशहक्षकाओां की तुलना में पु रुष हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां
के प्रहत उनके अहभिृ हत्त का स्तर 96% उच्च है । अतः इससे यह स्पष्ट् होता है हक महहला
अहर्कारोां के प्रहत महहला से ज्यादा पु रुष हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत ज्यादा
तृ तीर् उद्दे श्य सामामजक श्रे णी के आिार पर ममिला अमिकार ों के प्रमत मिक्षक ों
प्रहत उनका अहभिृ हत्त का स्तर 20% उच्च है िही अगर अन्य हपछड़ा िगा के हशक्षकोां की
अहभिृ हत्त का तर महहला अहर्कारोां के प्रहत दे खते हैं तो 40% उच्च अहभिृ हत्त हमें दे खने
प्रहत 34% उच्च प्रकार की अहभिृ हत्त पाई गई है । अतः इससे यह स्पष्ट् होता है हक
सामान्य श्रे णी के हशक्षकोां की तुलना में अन्य हपछड़ा िगा तर्था अनुसूहित जाहत/जनजाहत
के हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत ज्यादा उच्च एिां सकारात्मक अहभिृ हत्त है ।
ितु थय उद्दे श्य मवषर् वर्ों के आिार पर ममिला अमिकार ों के प्रमत मिक्षक ों की
स्तर दे खते हैं तो भाषा हहां दी, मराठी, अां ग्रेजी भाषा के हशक्षकोां की 50% उच्च अहभिृ हत्त
पाई गई। गहणत ि हिज्ञान हिषयोां के हशक्षकोां की महहला अहर्कारोां के प्रहत हशक्षकोां की
अहभिृ हत्त का स्तर 28% उच्च अहभिृ हत्त पाई गई। सामाहजक हिज्ञान हिषय के आर्ार पर
महहला अहर्कारोां के प्रहत हशक्षकोां की अहभिृ हत्त का स्तर 16% उच्च पाई गई। अतः
इससे यह स्पष्ट् होता है हक जो भाषा के हशक्षक हैं जैसे हहां दी, मराठी, अां ग्रेजी आहद उन
तुलना में जो गहणत ि हिज्ञान हिषयोां के हशक्षक हैं । सामाहजक हिज्ञान हिषय के आर्ार
िैमक्षक मनमिताथय:-
भािी शोर्ाहर्था योां के हलए- यह शोर् उन शोर्ार्थी के हलए सहायक हसर्द् हो सकता है जो
महहला अहर्कारोां से सां बांहर्त, हिद्यालय में काया रत महहलाओां से सां बांहर्त, या हिद्यालय में
अहर्कार प्राप्त होने के बाद भी अपने अहर्कारोां से िां हित है और उसका उपयोग नही
शैहक्षक हनहतहनमाा ताओां के हलए- प्रस्तु त शोर् उन शैहक्षक हनहत हनमाा ताओां के हलए
सहायक हसर्द् होगा जो महहला अहर्कारोां से सां बांहर्त योजनाओां का हनमाा ण करते है
सन्दिय ग्रन्थ सू िी
अांसारी. एम. ए,(1988), टर ाईबल एां ड करे क्तिि जक्तिस सब्लाइम पक्तब्लकेशन्स जयपुर (इां हडया)
शमाा . पूजा, (2012), महहलाएां एिां मानिाहर्कार, सागर पक्तब्लकेशन्स, जयपुर
हसांह. हनशान, (2010), महहला राजनीहतक और आरक्षण, ओमे गा पक्तब्लकेशन्स
हसांह . हनशाां त, (2011), स्त्री सशक्तिकरण: एक मू ल्ाां कन, खुशी पक्तब्लकेशन्स, नई हदल्ली
हत्रपाठी. मर्ु सूदन, (2010), महहला हिकास एक मू ल्ाां कन. नई हदल्ली: ओमे गा पक्तब्लकेशन
पक्तब्लकेशन्स दररयागांज.
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