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अ यापक जाँच स ीय काय


पाठ्य म का कोड : एम. सी. ओ. -03
पाठ्य म का शीषक : अनुसंधान िविधयाँ एवं सांि यक य िव े षण
स ीय काय का कोड : एम. सी. ओ. -03/टी. एम. ए./ 2020-2021
ख ड क सं या : सभी ख ड
अिधकतम अंक : 100
सभी के उ र दीिजए ।

1. ाथिमक समंक के संकलन क िविभ न िविधय क गणु एवं दोष का वणन करते हए या या (20)
क िजए ।
2. (क) िवषमता क धारणा को प क िजए। यह संमको के िव े षण म िकस कार से सहायक (10+10)
है ।
(ख) ितवेदन या है ? ितवेदन तैयारी क िविभ न अव थाएं बताइए।

3. िन निलिखत पर िट पणीया क िजए : (4X5)


(क) संमको का वग करण संमको के सारणी करण का आधार उपल ध कराता है। -
(ख) अनसु ंधािनक सम या मल ू शारिणक तथा यवहा रक िहत क होती है।:
(ग) िनणय िनमाता अ सर म यवत गणना का उपयोग सचू काक ं सं या के िलए करते है।
(घ) दो चीज़ो के बीच तल ु ना नह क जा सकती जब तक क आधार एक सामान न ह ।

4. िन निलिखत य य क या या अित सं ेप म क िजए : (4X5)


(क) अनसु ंधान संरचना
(ख) सांि यक य प न
(ग) सामा य बंटन
(घ) सचू कांक क अप फ ित

5. िन निलिखत म अंतर प क िजए : (4X5)


(क) अ यांश िनदशन एवं त रत दैव ितचयन
(ख) सरल दडं आरे ख एवं बहगणु ीय दडं आरे ख
(ग) सहसंबंध एवं ितगमन
(घ) आक ं लन एवं प रक पना परी ण

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ASSIGNMENT SOLUTIONS GUIDE (2020-21)

MCO-03
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MCO-03/ASS/TMA/2020-21
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mÙkjµ अनुबंध �सद्धांत और अथर्शास्त्र म� , जानकार� �वषमता लेनदे न म� �नणर्य� के अध्ययन से
संबं�धत है जहां एक प� के पास दस
ू रे क� तुलना म� अ�धक या बेहतर जानकार� है । यह �वषमता लेन-
दे न म� शिक्त का असंतुलन पैदा करती है , जो कभी-कभी लेन-दे न को भयावह होने का कारण बन
सकती है, सबसे खराब िस्थ�त म� एक प्रकार क� बाजार क� �वफलता। इस समस्या के उदाहरण
प्र�तकूल चयन, नै�तक खतरे और �ान के एका�धकार ह�।
सूचना �वषमता गैर-आ�थर्क व्यवहार तक फैल� हुई है। च�ूं क �नजी फम� को �नयामक� क� अनुपिस्थ�त
म� उन �क्रयाओं के बारे म� बेहतर जानकार� होती है , िजन्ह� वे �नयमन क� अनुपिस्थ�त म� लेते ह�।
अंतरार्ष्ट्र�य संबंध �सद्धांत ने माना है �क युद्ध असम�मत जानकार� के कारण हो सकते ह� और यह �क
"आध�ु नक युग के अ�धकांश महान युद्ध नेताओं क� जीत के �लए उनक� संभावनाओं को गलत सा�बत
करने के प�रणामस्वरूप हुए"। राष्ट्र�य नेताओं के बीच असम�मत जानकार� है , जैक्सन और मोरे ल� ने
�लखा है, जब मतभेद होते ह� "वे जो जानते ह� [यानी �वश्वास करते ह�] एक-दस
ू रे क� सेनाओं के बारे म� ,
सैन्य क�मर्य� क� गण
ु वत्ता और रणनी�त, दृढ़ संकल्प, भग
ू ोल, राजनी�तक जलवाय,ु या यहां तक �क
बस के बारे म� अलग-अलग प�रणाम� क� सापे� संभावना "या जहां उनके पास" अन्य एज�ट� क�
प्रेरणाओं के बारे म� अधरू � जानकार� है "।

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सूचना �वषमताओं का अध्ययन �प्रं�सपल-एज�ट समस्याओं के संदभर् म� �कया जाता है जहां वे गलत
सूचना का एक प्रमुख कारण ह� और हर संचार प्र�क्रया म� आवश्यक ह�। सूचना �वषमता सह� जानकार�
के �वपर�त है , जो नव-शास्त्रीय अथर्शास्त्र म� एक महत्वपूणर् धारणा है । 2001 म� अथर्शास्त्र म� नोबेल
मेमो�रयल पुरस्कार जॉजर् अकरलोफ, माइकल स्प� स और जोसेफ ई। िस्टिग्लट्ज़ को उनके
"असम�मत जानकार� वाले बाजार� के �वश्लेषण" के �लए �दया गया था।

mÙkjµ प्र�तवेदन (Report) एक ऐसा �ववरण होता है जो �कसी प्रश्न के उत्तर अथवा �कसी जांच के
फलस्वरुप प्रस्तुत �कया जाता है । सरकार� �वभाग�, कायार्लय� म� घ�टत होने वाल� �वशेष घटनाओं पर
आधा�रत प्रमा�णक �ववरण तैयार करने क� आवश्यकता पड़ती रहती है । इस �सल�सले म� तैयार �कया
गया प्रमा�णक �ववरण ह� प्र�तवेदन कहलाता है । प्र�तवेदन का उद्देश्य आवश्यक सूचनाओं, आंकड़�,
तथ्य� आ�द का �वश्लेषण करके �नष्कषर् एवं सुझाव को सं��प्त रुप म� प्रस्तुत करना होता है । इसम�
घटना अथवा �कसी मामले म� क� गई जांच पड़ताल, छानबीन, पूछताछ क� ठोस और तथ्यपरक
जानकार� द� जाती है , साथ ह� साथ मामले को सुलझाते हुए कोई �नष्कषर् �नकाल कर �सफा�रश� भी क�
जाती ह�।
सरकार� कायार्लय� म� प्र�तवेदन एक �नधार्�रत प्रपत्र पर तैयार �कया जाता है ले�कन कुछ स्थान� पर
यह अलग से �लखा जाता है । प्र�तवेदन म� घटना या प्रसंग का शीषर्क, उसक� �वषयवस्तु और उद्देश से
आ�द �लखा जाता है । इस �ववरण म� संबं�धत तथ्य� और सच
ू नाओं का संकलन �कया जाता है । य�द
आवश्यक हो तो अलग अलग �बंदओ
ु ं म� उनको संस्त�ु तयां भी क� जाती है । अंत म� परू े �ववरण के संबंध
म� अपना �नष्कषर् �दया जाता है ।
�नष्कषर् म� यह भी �दया जाता है �क घटना या मामले का िजम्मेदार कौन है , इसम� �कसका दोष है ।
प्र�तवेदन प्रस्तत
ु करने क� िजम्मेदार� �कसी स�म और �नष्प� व्यिक्त को द� जाती है । कभी-कभी
एक जांच स�म�त बना कर भी यह काम कराया जाता है । प्र�तवेदन तैयार करके अ�धकार� को स�पने क�
अव�ध भी �नधार्�रत कर द� जाती है ।

iz 'u 3- fuEufyf[kr ij fVIif.k;k dhft,%

mÙkjµ संक�लत समंको का मौ�लक स्वरूप अत्यन्त ज�टल एवं अव्यविस्थत होता है और इन्ह� इसी
रूप मे �वश्लेषण एवं �नवार्चन हे तु प्रयक्
ु त नह� �कया जा सकता जब तक �क इन्ह� सं��प्त करते हुए
इनको स्वजातीयता के आधार पर अलग-अलग वग� मे �वभक्त न कर �दया जाए। वग�करण वह
प्र�क्रया है िजसम� एक�त्रत समंको को उनक� �व�भन्न �वशेषताएंओं के आधार पर अलग-अलग समूह�,
वग� या उपवग� मे क्रमबद्ध �कया जाता ह�।
वग�करण—आज हम इस लेख मे वग�करण का अथर्, वग�करण क� प�रभाषा, वग�करण के प्रकार और
उद्देश्य जान�गे।

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वग�करण का अथर्—"वग�करण वस्तुओं को समूह� अथवा वग� म� उनक� समानता तथा सजातीयता के
अनुसार क्रमानुसार रखने क� �क्रया है और यह इकाईय� क� �भन्नता के बीच मे उपिस्थत गुण� क�
एकता को व्यक्त करता ह�।
वग�करण क� प�रभाषा—शुक्ल और सहाय के अनुसार "वग�करण द्वारा आँकड़� के अव्यविस्थत
�वशाल ढे र को एक व्यविस्थत रूप �दया जाता है ता�क भ�वष्य का कायर् सरल हो जाये।"
का◌ॅनर के शब्द� म� " वग�करण वह प्र�क्रया है, िजसके द्वारा तथ्य� को यथाथर् रूप मे या किल्पत रूप
से उनक� समानता और सादृश्यता के आधार पर वग� या �वभाग� मे �वभािजत �कया जाता है और जो
इकाई क� �व�भन्नता के मध्य गण
ु � क� एकता को व्यक्त करती ह�।
वग�करण के प्रकार (vargikaran ke prakar)—
ु ात्मक वग�करण—जब तथ्य� को 'वणर्न' 'गण
गण ु �' के आधार पर वग�कृत �कया जाता है तो उसे
गण
ु ात्मक वग�करण कहते ह�। उदाहरणाथर्- सा�रता, ईमानदार�, च�रत्र आ�द। गण
ु ात्मक वग�करण दो
प्रकार का हो सकता है —
(a) सरल वग�करण—इसमे सामग्री को एक गण
ु के आधार पर वग�कृत �कया जाता है । यह हम�
स्पष्ट तथा �न�शचत करना पड़ता है �क वह गुण उसमे उपिस्थत है या नह�।
(b) समावेशी �व�ध—इस �व�ध उपयक्
ुर् त �व�ध क� जो सं�दग्धता है उसका �नराकरण करने का
प्रयास �कया गया है । इस �व�ध मे प्रथम वगर् क� उच्च सीमा और द्�वतीय वगर् �क �नम्न सीमा
मे एक इकाई का अन्तर �दया जाता है अथार्त वगर् क� उच्च सीमा को द्�वतीय वगर् क� �नम्न
सीमा से एक इकाई से कम कर �दया जाता ह�।
वग�करण के ल�ण (�वशेषताएं)—
1. वग�करण मे संक�लत समंको को �व�भन्न वग� मे �वभािजत �कया जाता है ।
2. वग�करण का आधार गुण� क� समानता या एकता होती है ।
3. यह पद� क� �व�भन्नता के बीच भी उनक� एकता को स्पष्ट करता ह�।
4. वग�करण समूह क� इकाइय� को �भन्न-�भन्त्र वग� मे �वभािजत करता ह�।
5. वग�करण का �नमार्ण वास्त�वक या काल्प�नक हो सकता है ।
6. वग�करण यथाथर् रूप मे या भावात्मक रूप मे होता ह�।
वग�करण के उद्देश्य—
1. वग�करण का उद्देश्य ज�टल तथा �बखरे हुए तथ्य� को सरल बनाना ह�।
2. समूह क� इकाइय� क� �भन्नता मे �न�हत एकता को स्पष्ट करना।
3. आँकड़� को सं��प्त एवं सरल रूप दे ना।
4. आँकड़� को सरलता से समझने योग्य बनाना।
5. आँकड़� को तुलना योग्य बनाना।
6. वै�ा�नक प्रबंध �निश्चत करना।
7. तल
ु नात्मक अध्ययन क� स�ु वधा प्रदान करना।

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mÙkjµ �कसी भी शै��क शोध क� शुरूआत एक शोध समस्या क� स्पष्ट पहचान से होती है । शोध
समस्या क� स्पष्ट रूप से पहचान कर उसका उल्लेख करना शोधकतार् के �लए एक क�ठन कायर् होता है ।
�फर भी वह प�रिस्थ�तय� क� समझ, अपने अनुभव� एवं पहले �कये गये शोध� क� समी�ा करके �कसी
स्पष्ट तथा ठोस समस्या का �नधार्रण कर पाता है ।
सवर्प्रथम यह जानना आवश्यक है �क शोध समस्या �कसे कहते ह� ? सामान्यत: शोध समस्या एक
ऐसी समस्या होती है िजसके द्वारा दो या दो से अ�धक चर� के बीच एक प्रश्ना◌ात्मक सम्बन्ध
(Interrogative Relationship) क� अ�भव्यिक्त हे ाती है । ‘कर�लंगर’ के अनुसार ‘‘समस्या एक ऐसा
प्रश्नात्मक वाक्य या कथन होता है जो दो या दो से अ�धक चर� के बीच कैसा सम्बन्ध है , यह दे खता
है ।’’टाउनसेण्ड (John C. Townsend) ने समस्या क� प�रभाषा दे ते हुए कहा है �क ‘‘समस्या तो
समाधान के �लए एक प्रस्ता�वत प्रश्न है ।’’ वास्तव म� जब �कसी प्रश्न का केाई उत्तर प्राप्त नह�ं होता है
तो समस्या उपिस्थत हो जाती है ।
�कसी भी वै�ा�नक समस्या म� सदै व दो या दो से अ�धक चल रा�शय� (variables) के बीच क्या
सम्बन्ध है , दे खा जाता है । उदाहरण के �लये परु स्कार का सीखने क� �क्रया पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह
दे खना वै�ा�नक समस्या का उदाहरण है । यहाँ परु स्कार एक चलरा�श तथा दस
ू र� चलरा�श सीखने म�
प्रभाव है ।
समस्या क� पहचान—मैक्गइ
ु न (Mc. Guigan) के अनस
ु ार, ‘‘एक (समाधान-योग्य) समस्या ऐसा
प्रश्न है िजसका उत्तर व्यिक्त क� सामान्य �मताओं के प्रयोग से �दया जा सकता है ।’’इनके अनस
ु ार
समस्या क� अ�भव्यिक्त के तीन कारण है —
1. �ान म� दरार (Gap) हो—कोई भी समस्या उस समय स्वयं अ�भव्यक्त हो उठे गी जब व्यिक्त
का �ान �कसी जानकार� क� तकर्युक्त ढ़ं ग से व्याख्या न कर सके। ऐसी प�रिस्थ�त म� व्यिक्त
यद्य�प अपने �ान से प�र�चत हे ाता है तथा साथ ह� वह इस सत्य से भी इन्कार नह�ं करता है
�क उसके �ान म� कुछ कमी है िजसके कारण वह �कसी घटना क� उ�चत व्याख्या नह�ं कर पा
रहा है । उदाहरण के �लये ‘�श�ण क� कौन सी �व�ध सव�त्तम है ? अथवा ‘ �च�कत्सा �ेत्र म�
कौन सी �च�कत्सा-प्रणाल� सवर्श्रेष्ठ है ? आ�द प्रश्न� से यह स्पष्ट है �क मनुष्य के �ान म�
वास्तव म� दरार है ।
2. �वरोधी प�रणाम (Contradictory Results)—कभी-कभी ऐसा होता है जब �कसी एक ह�
समस्या पर �व�भन्न प्रयोग� द्वारा �व�भन्न प�रणाम �नकलते ह�। इस प�रणाम� म� अन्तर के
कई कारण हो सकते ह�, जैसे प्रयोगकतार् या अनुसंधानकतार् द्वारा प्रयोग को ठ�क ढ़ं ग से न
करना या चर� पर पूर� तरह से �नयंत्रण न कर पाना आ�द प्रयोगकतार् क� ये त्र�ु टयां भी समस्या
अ�भव्यिक्त का कारण बन जाती है ।
3. �कसी तथ्य क� व्याख्या (Explaining a ‘fact’)—जब कोई भी नया तथ्य वै�ा�नक को
प्राप्त होता है , तो वह उसे अपना �ान से सम्बिन्धत करने का प्रयास करता है । �कन्तु वह
अपने प्रयास म� पूणर् रूप से सफल नह�ं हो पाता यहाँ उसका असफल हो जाना ह� समस्या क�

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अ�भव्यिक्त करता है । ऐसी प�रिस्थ�त म� वह अ�त�रक्त जानकार� एक�त्रत करता है िजसके
द्वारा वह इस नये तथ्य क� व्याख्या कर सके।
इस प्रकार �श�ाषािस्त्रय�, समाज वै�ा�नक� तथा मनोवै�ा�नक� के �वचार� म� केवल शब्दावल� का ह�
अन्तर �दखाई दे ता है अन्यथा इस बात को सभी स्वीकार करते है �क आवश्यकता क� संतुिष्ट के मागर्
म� बाधा ह� समस्या है , चाहे यह आवश्यकता िज�ासा क� संतुिष्ट मात्र हो, जो सभी मूलभूत अनुसंधान�
का आधार है अथवा �कसी उपयो�गता पर आधा�रत हो।

mÙkjµ वेबस्टर शब्दकोश �नणर्य-�नमार्ण का प�रभाषा- ”अपन मिस्तष्क म� कोई मत या काम के तर�के
का �नधार्�रत करने क� �क्रया” के रूप म� दे ता है । रॉबटर् टै नेनबॉम के अनुसार �नणर्य-�नमार्ण म� - ”दो या
अ�धक व्यवहार �वकल्प� के समूह म� से �कसी एक व्यवहार �वकल्प का चन
ु ाव शा�मल होता है ।”
टे र� �नणर्य-�नमार्ण को ”दो या अ�धक संभाव्य �वकल्प� म� से एक व्यवहार �वकल्प को चन
ु ने” के रूप
म� प�रभा�षत करते ह�। इस तरह, �नणर्य-�नमार्ण का अथर् है - तमाम �वकल्प� म� से एक �वकल्प चन
ु ाव।
यह प्रकृ�त से मूलत: समस्या का समाधान करने वाला है । �नणर्य-�नमार्ण, नी�त-�नमार्ण से काफ�
�नकटता से जुड़ा है , मगर व एक नह�ं है ।
टे र� ने �नणर्य व नी�त के भेद को �नम्न रुप से स्पष्ट �कया है - ”�नणर्य आम तौर पर नी�त द्वारा
स्था�पत �नद� श� के ढांचे के भीतर �लए जाते ह�। कोई नी�त तुलनात्मक रुप व ज्यादा व्यापक होती है ,
कई समस्याओं का प्रभा�वत करती है और बार-बार इस्तेमाल होती है । इसके �वपर�त, कोई �नणर्य
�कसी �वशेष समस्या पर लागू होता है और इसका इस्तेमाल गैर-�नरं तर स्वरूप का होता है।”
क्ला�सक�य �चंतक� न योजना, संगठन, तालमेल और �नयंत्रण इत्या�द जैसे प्रबंधक�य काम� व जुड़ी
एक सवर्व्याप्त ग�त�व�ध के रुप म� �नणर्य-�नमार्ण को बहुत महत्व नह�ं। फ्रेड लुथां�स के शब्द� म� -
”फेयॉल व अर�वक जैसे क्ला�सक�य �सद्धांतकार �नणर्य-�नमार्ण से केवल उस हद तक जुड़े थे िजस हद
तक यह प्रत्यायोजन और प्रा�धकार को प्रभा�वत करता है , जब�क फ्रेड�रक डब्ल्यू. टे लर ने वै�ा�नक
पद्ध�त क� तरफ संकेत केवल �नणर्य लेने के एक आदशर् उपागम के रुप म� �कया।”
�नणर्य-�नमार्ण क� प्र�क्रया का पहला व्यापक �वश्लेषण चेस्टर बनार्डर् ने �दया। उन्ह�ने कहा- ”�नणर्य
क� प्र�क्रयाएँ मोटे तौर पर चन
ु ाव को संक�णर् बनाने क� तकनीक ह�।”
�नणर्य-�नमार्ण क� साइमन क� अवधारणा—हरबटर् ए. साइमन सबसे महत्त्वपूणर् �नणर्य �वचारक ह�।
उन्ह�ने �नणर्य-�नमार्ण क� प�रभाषा- ”कायर्वा�हय� के वैकिल्पक रास्त� के बीच सव�त्तम ता�कर्क
चन
ु ाव” के रूप म� द�। साइमन के अनुसार �नणर्य-�नमार्ण पूरे संगठन म� ह� व्याप्त होता है , यानी
संगठन के सभी स्तर� पर �नणर्य �लए जाते ह�। इस�लए उन्ह�ने संगठन को �नणर्य-�नमार्ताओं क� एक
संरचना के रूप म� दे खा।
उन्ह�ने प्रशासन और �नणर्य-�नमार्ण के बीच समानताएँ बताई क्य��क प्रशासन का हर पहलू �नणर्य-
�नमार्ण के इदर् -�गदर् घूमता है । उन्ह�ने गौर �कया �क �नणर्य-�नमार्ण फेयॉल द्वारा POCCC और

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गु�लक द्वारा ‘POSDCORB’ के रूप म� व�णर्त सभी प्रशास�नक काय� को समेटने वाल� व्यापक
ग�त�व�ध है।
साइमन कहते ह�- ”�सद्धांत �वक�सत कर लेने से पहले �कसी भी �व�ान के पास अवधारणाएँ होनी
चा�हए। �नणर्य-�नमार्ण प्रशासन क� सबसे महत्त्वपूणर् ग�त�व�ध है … कोई भी प्रशास�नक �व�ान,
अन्य �कसी भी �व�ान क� तरह शुद्ध रूप से तथ्यात्मक कथन� से सरोकार रखता है । �व�ान के
अध्ययन म� नै�तक कथन� का कोई स्थान नह�ं होता है ।”
सं�ेप म� , साइमन क� प्रशासन क� अवधारणा के दो मल
ू भत
ू तत्व ह�:
(i) क्ला�सक�य �चंतक� के �सद्धांत उपागम (संरचनात्मक उपागम) के �वकल्प के रूप म� �नणर्य-
�नमार्ण उपागम पर जोर और
(ii) प्रशासन के अध्ययन म� आदशर्वाद� उपागम के �वपर�त आनभ
ु �वक उपागम (मल्
ू य-मझ

उपागम) क� वकालत।
जैसा �क एन. उमाप�त ठ�क ह� कहते ह�- ”साइमन ने �नणर्य-�नमार्ण पर ध्यान क��द्रत करते हुए
ता�कर्क प्रत्य�वाद के �सद्धांत� और पद्ध�तय� के आधार पर प्रशासन क� एक नई अवधारणा का प्रस्ताव
�दया।”
2. �नणर्य-�नमार्ण का आधार या कारक (Bases or Factors of Decision Making)—
सेकलर-हडसन ने बारह ऐसे कारक� क� सूची द� है िजन पर �नणर्य-�नमार्ण म� �वचार �कया जाता है :
(a) कानूनी सीमाएँ,
(b) बजट,
(c) लोकनी�त,
(d) तथ्य,
(e) इ�तहास,
(f) आंत�रक उत्साह,
(g) पूवार्नुमा�नत भ�वष्य,
(h) श्रेष्ठतर,
(i) दबाव समूह,
(j) स्टाफ,
(k) कायर्क्रम क� प्रकृ�त और
(l) अधीनस्थ।
�नणर्य-�नमार्ण के साइमन के आधार—साइमन के अनुसार, हर �नणर्य दो आधार� पर �नभर्र होता है -
तथ्यात्मक आधार व मूल्य आधार। एक तथ्य वास्त�वकता का बयान होता है , जब�क एक मूल्य
प्राथ�मकता क� अ�भव्यिक्त। �कसी तथ्यात्मक आधार को दे खे और मापे जा सकने वाले साधन� से
�सद्ध �कया जा सकता है ।
अथार्त ्, इसक� वैधता क� जाँच आनभ
ु �वक रूप से क� जा सकती है । दस
ू र� ओर �कसी मल्
ू य आधार को
आनभ
ु �वक रूप से नह�ं आँका जा सकता, यानी इसे मात्र व्यिक्त�नष्ठ रूप से वैध माना जा सकता है ।

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साइमन के अनुसार, मूल्य आधार� का सरोकार कायर्वाह� के ल�य� के चन
ु ाव से होता है , जब�क
तथ्यात्मक आधार� का संबंध कायर्वाह� के माध्यम� के चन
ु ाव से होता है ।
उन्ह�ने कहा �क, जहाँ तक �नणर्य अं�तम ल�य� के चन
ु ाव क� ओर ले जाते ह�, उन्ह� ‘मूल्य �नणर्य’
(‘मूल्य’ मुख्य रूप से प्रभावी होता है ) कहा जा सकता है और जहाँ तक वे �नणर्य ऐसे ल�य� के लागू
करने को शा�मल करते ह�, उन्ह� ‘तथ्यात्मक �नणर्य’ (यानी तथ्यात्मक अंग मुख्य रूप से प्रभावी
होता है।) कहा जा सकता है ।

mÙkjµ पारं प�रक �नयम िजसके बारे म� तुलना करने के बाद इस्तेमाल करने का �दखावा करता है �क
तुलना तब क� जानी चा�हए जब यह दो स्पष्ट रूप से असंतुष्ट व्यिक्तय� या चीज� के बीच समानता या
समानता को इं�गत करता है : उसने अपनी �लखावट क� तुलना नॉटे ड िस्ट्रं ग से क�। तुलना के साथ
पालन �कया जाना चा�हए, �नयम कहते ह�, जब यह एक ह� सामान्य वगर् के दो संस्थाओं के बीच
समानता या अंतर को इं�गत करता है : आलोचक ने प�त्रका तस्वीर� के साथ प्रदशर्नी म� �चत्र� क� तल
ु ना
क�। यह �नयम �कसी भी तरह से हमेशा मनाया जाता है , हालां�क, औपचा�रक भाषण और लेखन म�
भी। �व�भन्न वग� के सदस्य� के बीच समानता के �लए �नयोिजत करने के �लए सामान्य अभ्यास है :
एक भाषा क� तल
ु ना एक जी�वत जीव से क� जा सकती है । ले�कन जब तल
ु ना एक ह� श्रेणी के सदस्य�
के बीच होती है , तो दोन� का उपयोग �कया जाता है : लेख म� आज के �शकागो क� तल
ु ना 1890 के
�शकागो (या) के साथ क� गई है । �पछल� कृदं त का अनस
ु रण करते हुए, अंतर या समानता क� परवाह
�कए �बना या दोन� के साथ प्रयोग �कया जाता है या नह�ं क� तल
ु ना म� चीज� समान या �व�भन्न वग� से
संबं�धत ह�: 18 वीं शताब्द� के लंदन क� सड़क� क� तुलना म� (या), न्यूयॉकर् क� सड़क� पर स्वच्छता और
व्यवस्था के मॉडल ह�।

iz 'u 4- fuEufyf[kr O;DrO;ksa dh O;k[;k vfr la{ksi esa dhft,%

mÙkjµ अनस
ु ंधान कायर् करते समय, एकरूप घनत्व, छ�व के �वपर�त और स्पष्टता का �नर��ण
करना आवश्यक है , रे खाएं, अ�र, संख्याएं और संकेत स्पष्ट, परू े पाठ म� समान रूप से काले होने
चा�हए। अनस
ु ंधान कायर् के संरचनात्मक तत्व� और मख्
ु य भाग के अनभ
ु ाग� के शीष� को अंत म� डॉट के
�बना लाइन के बीच म� रखा जाना चा�हए और �बना रे खां�कत �कए बोल्ड म� म�ु द्रत �कया जाना चा�हए।
शीषर् पर पाठ दो अंतराल� से शीषर्क� को अलग �कया जाता है । उप-अनुच्छे द� और पैराग्राफ� का शीषर्क
एक पैराग्राफ इंड�ट के साथ शुरू होना चा�हए। य�द शीषर्क म� कई वाक्य शा�मल ह�, तो उन्ह� डॉट्स द्वारा
अलग �कया जाता है । शीषर्क� म� शब्द हाइफ़नेशन क� अनुम�त नह�ं है ।
शोध कायर् है पहला तत्व� को मास्टर करने के �लए एक छात्र के काम क� आवश्यकता होती है शोध
कायर्। शोध का �वषय वणर्नात्मक नह�ं हो सकता, �वषय के शब्दांकन म� एक शोध समस्या होनी
चा�हए।

12
अनुसंधान छात्र को एक अ�धक ज�टल कायर् करने के �लए तैयार करता है - �वश्व�वद्यालय म� शोध
कायर्। हम अनुशंसा करते ह� �क आप इस �वषय से पूर� तरह प�र�चत ह�, क्य��क यहां �कसी भी
वै�ा�नक कायर् के �लए मुख्य आवश्यकताएं बताई गई ह�।
�वषय �श�क� द्वारा कायर् के �वषय प्रस्ता�वत और अनुमो�दत �कए जाते ह�। �कसी �वशेष अनुशासन
म� अनुसंधान कायर् के कायार्न्वयन के �लए बु�नयाद� मागर्दशर्न डेटा और �दशा�नद� श स्कूल पद्ध�त
संगठन� द्वारा तैयार �कए जाते ह�। स्कूल� बच्चे स्वतंत्र रूप से अनुशासन और काम के �वषय चन
ु ते ह�,
ले�कन पाठ्यक्रम के ढांचे के भीतर। छात्र अपने स्वयं के शोध �वषय क� पेशकश भी कर सकता है ,
ले�कन इसके �वकास क� ग�त को उ�चत ठहराता है ।

mÙkjµ एक ग्राफ िजसम� सामान्य �वतरण (Normal distribution) प्रद�शर्त है । सांिख्यक�, ग�णत क�
वह शाखा है िजसम� आँकड़� का संग्रहण, प्रदशर्न, वग�करण और उसके गुण� का आकलन का
अध्ययन �कया जाता है । सांिख्यक� एक ग�णतीय �व�ान है िजसम� �कसी वस्तु/अवयव/तंत्र/समुदाय
से सम्बिन्धत आकड़� का संग्रह, �वश्लेषण, व्याख्या या स्पष्ट�करण और प्रस्तु�त क� जाती है । यह
�व�भन्न �ेत्र� म� लागू है - अकाद�मक अनुशासन (academic disciplines), इस से प्राकृ�तक
�व�ान, सामािजक �व�ान, मान�वक�, सरकार और व्यापार आ�द। सांिख्यक�य तर�क� को डेटा के
संग्रह के संग्रहण अथवा वणर्न के �लए इस्तेमाल �कया जा सकता है । इसे वणर्नात्मक सांिख्यक�
(descriptive statistics) कहा जाता है । इसके अ�त�रक्त, डेटा म� पैटनर् को इस तरह से मॉडल �कया
जा सकता है �क वह �नष्कष� क� यादृिच्छकता और अ�निश्चतता का कारण बने और �फर इस
प्र�क्रया को उस �व�ध, या िजस जनसंख्या का अध्ययन �कया जा रहा हो, उसके बारे म� अनम
ु ान
लगाने के �लए �कया जाता है । इसे अनम
ु ा�नत सांिख्यक� (inferential statistics) कहा जाता है ।
वणर्नात्मक तथा अनम
ु ा�नत सांिख्यक�, दोन� म� व्यावहा�रक सांिख्यक� सिम्म�लत है । एक और
�वद्या है - ग�णतीय सांिख्यक� (mathematical statistics), जो �वषय के सैद्धािन्तक आधार से
सम्बन्ध रखती है । आप �करण �कसी श्रेणी म� पद� के बेकरार को प्रद�शर्त करता है जब�क �वषमता
का संबंध उसक� आकृ�त क� �व�शष्टताओं से होता है अन्य शब्द� म� अवकरण हम� श्रेणी क� संरचना
के बारे म� बताता है जब�क �वषमता हम� वक्र क� आकृ�त के बारे म� बताता है अप�करण हम� श्रेणी के
पद� के मानक रूप म� स्वीकृत अन्य �कसी पद के व्यिक्तगत अंतर� क� ओर संकेत करता है �वषमता
�वचलन� क� दशा क� ओर संकेत करता है अब करण द्�वतीय श्रेणी के माध्यम पर आधा�रत है .

mÙkjµ प्रा�यकता �सद्धान्त म� प्रसामान ्य बंटन या गाउसीय बंटन (normal distribution या


Gaussian distribution) वह सतत प्रा�यकता बंटन है जो प्रकृ�त म� सामान्यतः पाया जाता है ।
प्रसामान्य बंतन सांिख्यक� म� महत्वपूणर् है । प्राकृ�तक �व�ान� और सामािजक �व�ान� म� इनका
उपयोग वास्त�वक मान वाले यादृिच्छक चर� को �नरु�पत करने के �लये �कया जाता है ।[1][2]
प्रसामान्य बंटन का प्रा�यकता घनत्व �नम्न�ल�खत होता है—

13
जहाँ:
• बंटन का माध्य या अपे��त मान है (यह बटन का मध्य (median) तथा बहुलक (mode) भी
होता है)
• मानक �वचलन है ,
• प्रसरण है ।
�कसी यादृिच्छक चर का बंटन प्रसामान्य बंटन हो तो उसे प्रसामान्य बं�टत चर कहते ह�।
प्रसामान्य संभाव्यता वक्र[संपा�दत कर� ]
नॉमर्ल प्रोबे�ब�लट� कवर् एनपीसी प्रसामान्य संभाव्यता वक्र अन्य �वतरण आंकड़� के आधार पर तैयार
होता है िजसे या प्रसामान्य �वतरण वक्र एनपीसी कहां जाता है दस
ू रे शब्द� म� प्रसामान्य पत्र से तात्पयर्
होता है िजसके द्वारा प्रसामान्य �वतरण नॉमर्ल �डस्ट्र�ब्यश
ू न का प्र�त�न�धत्व होता है अथर् वैसे
�वतरण से होता है िजसम� बहुत सारे के मापनी म� आते ह� तथा बहुत कम कैसे मापनी क� ऊपर� चोर
तथा बहुत कम केसेस मापनी के �नचले छोर पर आते ह� इस तरह के �वतरण से बनने को घंटाघर बकरा
या बॉल सेव कर कहां जाता है अन्य नामो जैसे फ्रूट कार ऑफ एयर �डनो वषर् वक्र गौ सीमन बकरा ह�
कहा जाता है जैसे अगर �कसी क�ा के �वद्या�थर्य� क� बु�द्ध लिब्ध �नकाल� जाए तो बहुत उम्मीद है �क
आप क्य��क बु�द्ध लिब्ध 110 के बीच आएगी खद
ु ह� कम �वद्या�थर्य� क� बु�द्ध लिब्ध 70-80 मापनी के
�नचले छोर तथा 130 - 140 मापनी के ऊपर छोड़कर भीतर आएगी इस तरह के �वतरण को हम
प्रसामान्य �वतरण कह� गे और इससे जो वक्त बनेगा उसे प्रसामान्य वक्र कहा जाता है �हंद� के आधार
पर प्रसामान्य पत्र को घंटा कायर्क्रम आ जाता है क्य��क इसक� आकृ�त घंटा क� आकृ�त से बहुत कुछ
�मलती जुलती है

mÙkjµ भारतम� उद्योग� का �वतरण समरूप नह�ं है । उद्योग कुछ अनक


ु ू ल अविस्थ�तक कारक� से
कुछ �निश्चत स्थान� पर क��द्रत हो जाते ह�। उद्योग� के समह
ू न को पहचानने के �लए कई सच
ू कांक�
का उपयोग �कया जाता है िजनम� प्रमख
ु ह�—
1. औद्यो�गक इकाइय� क� संख्या
2. औद्यो�गक क�मर्य� क� संख्या
3. औद्यो�गक उद्देश्य� के �लए उपयोग क� जाने वाल� प्रयक्
ु त शिक्त क� मात्रा
4. कुल औद्यो�गक �नगर्त वनजचनज-
5. उत्पादन प्र�क्रया जन्य मल्
ू य आ�द।

iz 'u 5- fuEufyf[kr esa var j Li"V dhft,%

mÙkjµ मानव अपने जीवन काल म� व्यिक्तगत व सामािजक दोन� ह� प�� म� अ�धकतम �वकास लाने
के �लए सदै व सचेष्ट रहता है इसके �लये वह अपने आस पास के पयार्वरण को समझता है और अपनी
सीमाओं व सम्भावनाओं, �हत� व अन�हत� गुण� व दोष� को तय कर लेता है । परन्तु जीवन क� इस

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चेष्टा म� कभी वे �ण भी आते ह� जहॉ पर वह इन अद्भत
ु �मताओं का प्रदशर्न अपनी योग्यता के अनुरूप
नह�ं कर पाता है और तब वह इसके �लये दस
ू रे से सहयोग लेता है िजससे वह अपनी समस्या को समझ
सके एवं अपनी �मता के योग्य समाधान �नकाल सके। यह प्रयास सम्पूणर् जीवन चलता है और यह
जीवन के �व�वध प�� के साथ बदलता जाता है यह� �नद� शन कहलाता है । यह आ�दकाल से ह� ‘सलाह’
के रूप म� �वद्यमान थी परन्तु बीसवीं सद� म� इसका वतर्मान स्वरूप उभरा। �नद� शन का अथर् स्पष्ट
करने के �लये इसका समझना आवश्यक है । अनेक �वद्वान� ने इसे एक �व�शष्ट सेवा माना है और यह
व्यिक्त को उसके जीवन के �व�वध प�� म� सहयोग दे ने हे तु प्रयक्
ु त �कया जाता है । यह वास्तव म�
�नद� शन का�मर्क द्वारा �कसी व्यिक्त को उसक� समस्या को दृिष्टगत रखते हुये अनेक �वकल्प
�बन्दओु ं से अवगत कराते हुये अपे��त राय व सहायता दे ने क� प्र�क्रया है ।
वास्तव म� �श�ा एवं �नद� शन एक दस
ू रे के पयार्य ह� क्य��क इन दोन� के अन्तगर्त व्यिक्त या बालक को
उसके शै��क,व्यावसा�यक, व्यिक्तगत, सामािजक, नै�तक, आध्याित्मक या शार��रक जीवन प�� के
�वकास हे तु सहायता द� जाती है । �नद� शन वास्तव म� एक अ�वरल प्र�क्रया है जो �क व्यिक्त हे तु जीवन
पयर्न्त चा�हये। इस �ेत्र म� हर प्र�श��त व साधक व्यिक्त �नद� शन का�मर्क कहलाता है । इस प्र�क्रया म�
�वद्यालय, प�रवार, समाज व राजनी�तक प�रवेश सिम्म�लत होते ह�। �वद्यालय से सम्बिन्धत
�श�क, उपबोधक तथा अन्य सहकम�, प�रवार के अन्य सभी सदस्य, अ�भभावक,�मत्र राजनी�त� इस
व्यापक प्र�क्रया को मूतर् स्वरूप प्रदान करते ह�। �नद� शन का अटूट क्रम है और यह व्यिक्त को उसके
जीवन के �व�वध प�� म� आवश्यक हो जाती है । वास्तव म� यह समय व प�रिस्थ�त के साथ केिन्द्र
परामशर्दाता व सेवाथ� केिन्द्रत हो जाती है जब यह परामशर्दाता को केन्द्र मानकर द� जाती है तो
परामशर्दाता केिन्द्रत और परामशर् प्राथ� को केन्द्र �बन्द ु मानकर द� जाती है तो यह परामशर् प्राथ�
केिन्द्रत हो जाती है । हमारे दे श म� �नद� शनकम� अपनी औपचा�रक भ�ू मका का �नवार्ह अनेकानेक
‘मनो�न�तक’ उपकरण� के अनुप्रयोग के अलावा व्यिक्त�नष्ठ या आत्म�नष्ठ प्रा�व�धय� के माध्यम से
करते चले आ रहे ह�।

mÙkjµ दण्ड आरे ख अथवा बार चाटर् (अंग्रेज़ी: Bar chart) या बार डायग्राम यह एक प्रमुख
एक�वम आरे ख है । इसके द्वारा एकल अथवा साम�ू हक सांिख्यक�य आँकड़ो के मान� को आयताकार
दण्ड� द्वारा प्रद�शर्त �कया जाता है , जहाँ प्रत्येक दण्ड क� लंबाई उसके द्वारा प्रद�शर्त �कये जा रहे
मान के अनुपात म� रखी जाती है ।
बहुदंड आरे ख म� दो या दो से अ�धक परस्पर संबं�धत तत्व� को �दखाने के �लए एक से अ�धक दण्ड� का
प्रयोग �कया जाता है इस�लए इन्ह� बहुदण्ड आँकड़े कहते ह�। इनम� एक ह� वगर् के परस्पर संबं�धत
आंकड़� क� तल
ु ना क� जाती है , इस�लए इन्ह� तल
ु नात्मक दं ड आरे ख भी कहते ह�। इन पारस्प�रक
संबं�धत आंकड़� को �व�भन्न तरह तरह तरह के दण्ड� के समुच्चय� द्वारा प्रद�शर्त �कया जाता है ।

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mÙkjµ सहसंबंध-correlation शब्द क� उत्पित्त co-relation से हुई है िजसका अथर् है-पारस्प�रक
सम्बन्ध। सह-सम्बन्ध इस बात का सच
ू क होता है । दो �वशेषताओं के बीच �कतना अंतसंबंध है इससे
इसक� जानकार� �मलती है । जैसे -�कसी व्यिक्त �क दो �वषय �क �वशेषताओं का पर��ण द्वारा
मापन करना ओर प्रत्येक व्यिक्त के दोनो �वषय� के अलग-अलग प्राप्ताक� को ता�लका म� जोड़� के रुप
म� व्यविस्थत करके सांिख्यक�य गणना द्वारा दोन� म� सम्बन्ध �ात �कया जाता है उसे सह-सम्बन्ध
कहते है ।
सांिख्यक�य मॉड�लंग म� , प्र�तगमन �वश्लेषण एक आ�श्रत चर (िजसे अक्सर 'प�रणाम चर' कहा जाता
है ) और एक या अ�धक स्वतंत्र चर (अक्सर 'भ�वष्यवक्ता', 'सहसंयोजक' या 'सु�वधाएँ') के बीच संबंध�
का आकलन करने के �लए सांिख्यक�य प्र�क्रयाओं का एक सेट होता है । )। प्र�तगमन �वश्लेषण का
सबसे आम रूप रै �खक प्र�तगमन है , िजसम� एक शोधकतार् लाइन (या अ�धक ज�टल रै �खक कायर्) को
पाता है जो एक �व�शष्ट ग�णतीय मानदं ड के अनुसार डेटा को सबसे कर�ब से �फट करता है । उदाहरण
के �लए, साधारण कम से कम वग� क� �व�ध अद्�वतीय रे खा (या हाइपरप्लेन) क� गणना करती है जो
सह� डेटा और उस रे खा (या हाइपरप्लेन) के बीच वगर् दरू � क� रा�श को कम करती है । �व�शष्ट ग�णतीय
कारण� से (रै �खक प्र�तगमन दे ख�), यह शोधकतार् को आ�श्रत चर क� सशतर् अपे�ा (या जनसंख्या
औसत मूल्य) का अनुमान लगाने क� अनुम�त दे ता है जब स्वतंत्र चर मान� के �दए गए सेट पर लेते ह�।
प्र�तगमन के कम सामान्य रूप वैकिल्पक स्थान मापदं ड� (जैसे, मात्रात्मक प्र�तगमन या आवश्यक
िस्थ�त �वश्लेषण) का अनुमान लगाने के �लए या गैर-रे खीय मॉडल के व्यापक संग्रह म� सशतर् अपे�ा
का अनुमान लगाने के �लए थोड़ा अलग प्र�क्रयाओं का उपयोग करते ह� (उदाहरण के �लए, गैरपारं प�रक
प्र�तगमन)।
प्र�तगमन �वश्लेषण मुख्य रूप से दो अवधारणात्मक उद्देश्य� के �लए उपयोग �कया जाता है । सबसे
पहले, प्र�तगमन �वश्लेषण व्यापक रूप से भ�वष्यवाणी और पूवार्नुमान के �लए उपयोग �कया जाता है ,
जहां इसका उपयोग मशीन सीखने के �ेत्र के साथ पयार्प्त ओवरलैप होता है । दस
ू रा, कुछ िस्थ�तय� म�
प्र�तगमन �वश्लेषण का उपयोग स्वतंत्र और आ�श्रत चर के बीच कारण संबंध� का पता लगाने के �लए
�कया जा सकता है । महत्वपूणर् रूप से, स्वयं द्वारा प्र�तगमन केवल एक �निश्चत चर म� स्वतंत्र चर
और स्वतंत्र चर के संग्रह के बीच संबंध� को प्रकट करता है । भ�वष्यवाणी के �लए प्र�तगमन का उपयोग
करने के �लए या कारण संबंध� का अनम
ु ान लगाने के �लए, क्रमशः, एक शोधकतार् को सावधानीपव
ू क
र्
यह बताना चा�हए �क मौजद
ू ा संबंध� म� एक नए संदभर् के �लए पव
ू ार्नम
ु ेय शिक्त क्य� है या दो चर के
बीच संबंध क्य� एक कारण व्याख्या है । उत्तराद्धर् �वशेष रूप से महत्वपण
ू र् है जब शोधकतार् अवलोकन
संबंधी डेटा का उपयोग करके कारण संबंध� का अनम
ु ान लगाने क� उम्मीद करते ह�।
कुछ संचालन और ग�त�व�धय� के प�रणाम� क� भ�वष्यवाणी करने और प�रणाम� म� उतार-चढ़ाव को
�नयं�त्रत करने के �लए एक तकनीक, और एक सांिख्यक�य बहु�भन्नरूपी �वश्लेषण है । बड़ी संख्या
म� ऑपरे शन / ग�त�व�ध डेटा और संबं�धत प�रणाम डेटा एकत्र �कए जाते ह�, और मात्रा म� उतार-चढ़ाव
क� भ�वष्यवाणी क� जाती है (िजसे उद्देश्य चर या आ�श्रत चर कहा जाता है) को ऑपरे शन / ग�त�व�ध

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डेटा म� समझाया गया है । व्याख्यात्मक चर या स्वतंत्र चर माने जाने वाले डेटा के आधार पर
भ�वष्यवा�णयां करने के �लए, दोन� के बीच संबंध प्राप्त �कया जाता है । यह कई �ेत्र� म� सबसे अ�धक
इस्तेमाल �कया जाने वाला सांिख्यक�य तर�का है , िजसम� स्ट�ल के भ�ट्टय� को �नयं�त्रत करने के
�लए प्र�क्रया �वश्लेषण और रासाय�नक संयंत्र� म� प�रचालन क� िस्थ�त का �नधार्रण करने के साथ-
साथ आ�थर्क डेटा, मनो�व�ान और �च�कत्सा का �वश्लेषण और भ�वष्यवाणी शा�मल है ।
एक लंबा �पता एक लंबा बेटा (सहसंबंध) रखता है । X- अ� पर �पता क� ऊँचाई और y- अ� पर पुत्र क�
ऊँचाई को लेते हुए, कई प�रवार� का डेटा �ततर �बतर भख
ू ड
ं म� दशार्या जाता है , x- अ� को छोटे वग� म�
�वभािजत �कया जाता है, और y मान प्रत्येक अनभ
ु ाग औसत ह�। जब �बंद ु को पार �कया जाता है , तो
यह लगभग एक सीधी रे खा बन जाती है । यहाँ, एक �रश्ता यह है �क एक लम्बे �पता से पैदा हुए बेटे क�
औसत ऊँचाई एक �पता क� तल
ु ना म� अ�धक नह�ं होती है , और एक छोटे �पता से पैदा हुए बेटे क� उम्र
�पता क� तल
ु ना म� कम नह�ं होती है । एफ। गाल्टन ने 1889 म� इस संबंध क� खोज क� और इसे
प्र�तगमन नाम �दया, और सीधी रे खा को प्र�तगमन रे खा या प्र�तगमन रे खा का नाम �दया। यह नाम
प्र�तगमन क� उत्पित्त है । उसके बाद, इसे अन्य �ेत्र� म� लागू �कया गया था, और प्र�तगमन �वश्लेषण
तब भी �कया जा सकता है जब व्याख्यात्मक चर और उद्देश्य चर के बीच संबंध एक वक्र होता है या एक
उद्देश्य चर के �लए कई व्याख्यात्मक चर होते ह�।
जब एक व्याख्यात्मक चर होता है , तो इसे एकल प्र�तगमन या रै �खक प्र�तगमन �वश्लेषण कहा जा
सकता है , और जब दो या अ�धक व्याख्यात्मक चर होते ह�, तो इसे एका�धक प्र�तगमन �वश्लेषण कहा
जा सकता है । साधारण प्र�तगमन �वश्लेषण म� , य�द उद्देश्य चर का i- व� मान the i है और संबं�धत
व्याख्यात्मक चर मान x i है , तो सीधी रे खा ŷ i = a + bx i को प्र�तगमन समीकरण कहा जाता है , और
�नरं तर शब्द a आं�शक प्र�तगमन गुणांक तथाक�थत ग्रे�डएंट बी कम से कम दो गुना अनुमान है �क,
मूल्य के बीच अंतर है द्वारा y प्र�तगमन समीकरण का �क म�ने कहा है क� भ�वष्यवाणी क� मूल्य और
दे खे गए मूल्य y म� r म� = y म� - y म�, बच के वग� के 2 योग (वग� के अव�शष्ट रा�श का अव�शष्ट बुलाया
) कम करने के �लए एक और बी का पता लगाएं। दस
ू रे शब्द� म� , दे खे गए मूल्य और अनुमा�नत मूल्य
िजतना संभव हो उतना कर�ब होना चा�हए। इस�लए, मनाया गया मान और अनुमा�नत मूल्य के
बीच सहसंबंध गुणांक को बहु सहसंबंध गुणांक कहा जाता है ता�क इसे सामान्य एका�धक प्र�तगमन
�वश्लेषण पर लागू �कया जा सके, और इसके वगर् को योगदान दर कहा जाता है , और यह एक सूचकांक
है �क यह �कतना अच्छा है प्र�तगमन समीकरण मनाया मूल्य पर लागू होता है । और प्र�तगमन
समीकरण x i का सरल रूपांतरण सूत्र हो सकता है जैसे う can i = a + b log x i , या बहुपद
समीकरण जैसे ŷ i = a + bx i + cx i 2। एका�धक प्र�तगमन �वश्लेषण म� , व्याख्यात्मक चर को x , z ,
आ�द के रूप म� �लखा जाता है , और प्र�तगमन समीकरण को b i = a + bx i + cz i के रूप म� सेट �कया
जाता है । प्र�तगमन �वश्लेषण म� , कई चर को व्याख्यात्मक चर के �लए उम्मीदवार माना जाता है ।
हालां�क, व्यवहार म� , कई व्याख्यात्मक चर (3-7, अ�धकतम 10) चय�नत ह�, और एक प्र�तगमन
समीकरण जो अच्छ� तरह से �फट बैठता है वह वां�छत है । म� चाहता हूं �क डेटा क� संख्या व्याख्यात्मक
चर क� संख्या से लगभग 10 गन
ु ा हो।

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mÙkjµ मूल्यांकन पर��ण हमेशा एक मूल्यांकन का एक घटक होता है । उम्मीदवार� से संबं�धत
�व�भन्न मामल� के अनुसंधान के �लए �डिजटल या �ल�खत पर��ण� का उपयोग �कया जाता है ।
मूल्यांकन पर��ण प्रकार—आकलन म� अक्सर कई पर��ण� का उपयोग �कया जाता है । उदाहरण के
�लए एक बु�द्ध पर��ण शायद ह� कभी छोड़ा जाता है , और एक व्यिक्तत्व पर��ण और कै�रयर पर��ण
भी एक मूल्यांकन म� �नय�मत होते ह�।
�फर �मता पर��ण ह�। ये पर��ण आपके व्यिक्तत्व और आईक्यू जैसी �वशेषताओं से अ�धक कौशल
पर क��द्रत ह�। इन पर��ण� के �लए आपको अक्सर एक असाइनम� ट करना होता है जो यह �दखाने का
इरादा रखता है �क क्या आपको कुछ कौशल म� महारत हा�सल है ।
ू यांकन पर��ण� क� तैयार�—अपने मल्
मल् ू यांकन क� तैयार� के �लए आप �व�भन्न ऑनलाइन पर��ण
करके अभ्यास कर सकते ह�। उदाहरण के �लए, आप मफ्
ु त आईक्यू टे स्ट लेकर अभ्यास कर सकते ह�।
अलग-अलग ऑनलाइन पर��ण करके आप समय का अभ्यास करते ह� और िजस तरह से प्रश्न पछ
ू े
जाते ह�, उसका अनभ
ु व करते ह�, और इसके अलावा अपनी स्म�ृ त और ब�ु द्ध को प्र�श��त करते ह�।
ऑनलाइन मूल्यांकन पर��ण—कुछ मामल� म� ये मूल्यांकन पर��ण घर से �लए जा सकते ह�। उस
िस्थ�त म� आप सुर��त ऑनलाइन वातावरण म� पर��ा द� गे और प�रणाम तुरंत मूल्यांकनकतार् को
भेजे जाएंगे। जब भी आप ऑन-साइट पर��ा लेते ह�, तो आमतौर पर आपको ऑनलाइन मूल्यांकन
पर��ण� के प�रणाम प्राप्त ह�गे। एक और संभावना यह है �क आप मूल्यांकन कंपनी म� या कंपनी म� ह�
�नयं�त्रत वातावरण म� �डिजटल या �ल�खत पर��ा लेते ह�।
प�रणाम—आपके द्वारा मूल्यांकन के दौरान आपके द्वारा �लए गए �व�भन्न पर��ण� के प�रणाम
मूल्यांकन के अं�तम प�रणाम� को �नधार्�रत करने म� �नणार्यक नह�ं होते ह�। सा�ात्कार, व्यावहा�रक
असाइनम� ट और भू�मका के प�रणाम� के साथ संयुक्त वे अं�तम प�रणाम बनाते ह�। प�रणाम
मूल्यांकन �रपोटर् म� प�रल��त ह�गे, िजसे उम्मीदवार हमेशा पहले �नर��ण कर सकता है ।
प�रकल्पना पर��ण आँकड़� म� एक अ�ध�नयम है िजसके तहत एक �वश्लेषक एक जनसंख्या
पैरामीटर के संबंध म� एक धारणा का पर��ण करता है । �वश्लेषक द्वारा �नयोिजत कायर्प्रणाल�
उपयोग �कए गए डेटा क� प्रकृ�त और �वश्लेषण के कारण पर �नभर्र करती है ।
प�रकल्पना पर��ण का उपयोग नमूना डेटा का उपयोग करके एक प�रकल्पना क� संभावना का
आकलन करने के �लए �कया जाता है । ऐसा डेटा बड़ी आबाद� से, या डेटा-जनरे ट करने क� प्र�क्रया से हो
सकता है । शब्द "जनसंख्या" का उपयोग इन दोन� मामल� के �लए �नम्न�ल�खत �ववरण� म� �कया
जाएगा।

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