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शोध पद्धतिय ाँ और स ांतययकी

Research Methodology and


Statistics
शोध तितधय ाँ: अर्थ, पररभ ष , उद्देश्य और
महत्ि-II
डॉ0 प्रीति बोर
गृह तिज्ञ न तिभ ग
उत्तर खण्ड मुक्त तिश्वतिद्य लय
शोध के प्रक र
ऐतिह तसक शोध तितध
 ऐतिहातिक शोध तितध में भतिष्य को िमझने के तिये भिू काि िे िम्बंतधि
िमस्याओ ं का तिश्ले षण तकया जािा है।
 ऐतिहातिक शोध का िम्बन्ध ऐतिहातिक िमस्याओ ं के िैज्ञातनक तिश्ले षण िे है।
इिके तितभन्न चरण भिू काि के िम्बन्ध में एक नयी चनु ौिी पैदा करिे हैं तजिका
िम्बन्ध िितमान और भतिष्य िे होिा है”।
 इिके द्वारा अिीि की िचू नाओ ं एिं िचू ना ित्रू ों के िम्बन्ध में प्रमाणों की िैधिा
का िािधानीपिू क त परीक्षण तकया जािा है और परीक्षण तकये गये प्रमाणों की
िािधानीपिू क त व्याख्या की जािी है”।
 िरि शब्दों में “ऐतिहातिक शोध अिीि की घटनाओ,ं तिकाि क्रमों का
िैज्ञातनक अध्ययन या अन्िेषण है। इिके अन्िगति उन बािों या तनयमों की खोज
की जािी है तजन्होंने िितमान को एक तिशेष रूप प्रदान तकया हो”।
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ऐतिह तसक शोध क महत्ि
तकिी शोध िमस्या का अध्ययन अिीि की घटनाओ ं के आधार पर करना
तजििे यह पिा चि िके तक िमस्या का तिकाि तकि प्रकार और क्यों
हुआ, ऐतिहातिक शोध कहिािा है।
 ििथम न क अिीि के आध र पर ज्ञ न
ऐतिहातिक शोध के आधार पर िामातजक मल्ू यों, अतभितृ ियों और
व्यिहार प्रतिमानों का अध्ययन करके इनिे िम्बतन्धि िमस्याओ ं के उद्गम
और तिकाि के बारे में ज्ञाि तकया जा िकिा है।
 पररििथन की प्रकृति के ब रे में ज नने में सह यक
िामातजक पररिितन, िांस्कृतिक पररिितन, औद्योगीकरण, नगरीकरण िे
िम्बतन्धि िमस्याओ ं की पररिितन की प्रकृति को ऐतिहातिक शोध के
प्रयोग द्वारा िमझा जा िकिा है।
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 अिीि के प्रभ ि क मूलय ांकन
व्यिहारपरक तिज्ञानों में कई िमस्याओ ं का क्रतमक तिकाि हुआ है। इन
िमस्याओ ं पर अिीि के प्रभाि को ऐतिहातिक शोध तितध द्वारा िमझा
जा िकिा है।
 व्यिह ररक उपयोतगि
शोधकिात द्वारा तकिी नई योजना के तक्रयान्ियन हेिु िह ऐतिहातिक
शोध द्वारा अिीि में इि योजना िे िम्बंतधि त्रतु टयों को िितमान में िधु ार
कर योजना को अतधक प्रभािी ढंग िे िागू करने का प्रयाि कर िकिा
है।

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ऐतिह तसक शोध की सीम एां
1. िथ्यों की अनुप्लब्धि िर् तबखर ि- ऐतिहातिक शोध की शोध िमस्या िे
िम्बतन्धि िाक्ष्य या िथ्य एक स्थान पर प्राप्त नहीं होिे हैं। इिके तिये शोधकिात
को कई िस्ं थाओ ं और पस्ु िकाियों का िदं भत िेना होिा है। कभी-कभी िमस्या
िे िम्बतन्धि पस्ु िकें , िेख, शोधपत्र-पतत्रकायें, बहुि परु ानी होने पर इिके कुछ
भाग नष्ट हो जाने के कारण आतं शक रूप िे ही उपिब्ध हो पािे हैं ।
2. िथ्यों क त्रुतिपूर्थ रखरख ि- पस्ु िकाियों िथा अनेक िस्ं थाओ ं में कभी
प्रिेख क्रम में नही होिे हैं अन्यथा कभी-कभी त्रतु टपणू त रखरखाि के कारण
उपिब्ध नहीं होिे।
3. िथ्यों की िस्िुतनष्ठि - ऐतिहातिक शोध में िथ्यों और िाक्ष्यों का िंग्रह
अध्ययनकिात के पक्षपािों, अतभितृ ियों, मिों और व्यतिगि तिचारधाराओ ं िे
प्रभातिि होिा है तजििे पररणामों की तिश्विनीयिा और िैधिा ितं दग्ध रहिी है।
4. सीतमि उपयोग- ऐतिहातिक शोध का प्रयोग उन्हीं िमस्याओ ं के अध्ययन मे
हो िकिा है तजनके ऐतिहातिक पष्ठृ भतू म िे िम्बतन्धि प्रिेख, पाण्डुतितपयााँ
अथिा आक ं ड़ों या िथ्यों िे िम्बतन्धि िामग्री उपिब्ध हो। 5
िर्थन त्मक शोध तितध
 िणतनात्मक शोध िितमान पररतस्थयों, तिश्वािों,
तिचारधाराओ,ं अतभितृ ियों का िणतन एिं तिश्ले षण करिा
है। िणतनात्मक शोध का मख्ु य उद्देश्य िितमान दशाओ,ं
तक्रयाओ,ं अतभितृ ियों िथा तस्थति के तिषय में ज्ञान प्राप्त
करना है। िणतनात्मक शोधकिात िमस्या िे िम्बतन्धि
के िि िथ्यों को एकत्र ही नहीं करिा है बतल्क िह िमस्या
िे िम्बतन्धि तितभन्न चरों में आपिी िम्बन्ध भी ढूाँढने का
प्रयाि करिा है।
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िर्थन त्मक शोध तितध को तनम्नतलतखि िीन मुयय भ गों में िगीकृि
तकय ज सकि है:
1. सिेक्षर् अध्ययन
ििेक्षण अध्ययन के द्वारा हम तनम्न प्रकार की िचू नाएं प्राप्त करने का प्रयाि करिे
हैं;
1. िितमान स्िर का तनधातरण,
2. िितमान स्िर और मान्य स्िर में िि
ु ना,
3. िितमान स्िर का तिकाि करना एिं उिे प्राप्त करना।
ििेक्षण अध्ययन अनेक प्रकार का हो िकिा है जैि;े
 कायत तिश्ले षण
 प्रिेखी तिश्ले षण
 जनमि ििेक्षण
 िमदु ाय ििेक्षण

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2. अन्िर सम्बन्धों क अध्ययन
 इिमें शोधकिात के िि िितमान तस्थति का ही ििेक्षण नहीं करिा है बतल्क उन ित्िों
को ढूाँढने का प्रयाि भी करिा है जो घटनाओ ं िे िम्बंतधि हों।
 व्यतक्त अध्ययन (Case Study): इिके अन्िगति तकिी िामातजक इकाई एक
व्यति, पररिार िमहू , िामातजक िस्ं था अथिा िमदु ाय का गहन अध्ययन तकया
जािा है।
 िुलन त्मक अध्ययन (Comparative Study): इिके अन्िगति तकिी िमस्या
के िमाधान को उिके कारक िम्बन्धों के आधार पर ढूाँढा जािा है िथा यह जानने
का प्रयाि तकया जािा है तक तिशेष व्यिहार, पररतस्थति अथिा घटना के घतटि होने
िे िम्बतन्धि कारक कौन-कौन िे हैं।
 सह-सम्बन्ध त्मक अध्ययन (Correlational Study): यह दो या दो िे
अतधक चरों, घटनाओ ं या िस्िओ ु ं के पारस्पररक िम्बन्ध के अध्ययन िे िम्बतन्धि
है। उदाहरण के रूप में यतद शोधकिात बािक के पोषण और शारीररक तिकाि के
िम्बन्ध का अध्ययन करना चाहिा है, िो िह िहिम्बन्ध शोध का प्रयोग करे गा। 8
3. तिक स त्मक अध्ययन
तिकािात्मक अध्ययन िितमान तस्थति एिं पारस्पररक िम्बन्ध के िाथ यह भी
स्पष्ट करिा है तक िमय के िाथ इनमें क्या पररिितन आये हैं। इिके अन्िगति
शोधकिात िम्बे िमय िक चरों के तिकाि का अध्ययन करिा है।
अनुदैध्यथ अध्ययन (Longitudinal Study): इि प्रकार के अध्ययन में
बािक के पोषण और शारीररक तिकाि की तस्थति का अध्ययन एक अिं राि
जैिे 12, 13, 14, 15 और 16 िषत की आयु में तकया जा िकिा है।
प्रतितनध्य त्मक अध्ययन (Cross sectional Study): इिमें एक ही बािक
अथिा िमहू का िम्बे िमय िक अध्ययन करने के स्थान पर एक ही िमय में
तितभन्न आयु के बािकों का अध्ययन एक िाथ तकया जािा है। जैिे 12, 13,
14, 15 और 16 िषत के बािकों की पोषण और शारीररक तिकाि की तस्थति
का अध्ययन
उपनति अध्ययन (Trend Study): यह िास्िि में ऐतिहातिक अध्ययन और
ििेक्षण शोध का तमश्रण है। इि शोध तितध द्वारा िामातजक, राजनैतिक और
आतथतक आक ं ड़े प्राप्त तकए जािे हैं, इन आक
ं ड़ों के तिश्ले षण द्वारा िितमान
उपनति की व्याख्या और िणतन तकया जािा है।
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प्रयोग त्मक शोध तितध
यह शोध की एक प्रमख ु तितध है। प्रयोगात्मक शोध में कायत कारण
िम्बन्ध स्थातपि तकया जािा है। प्रयोगात्मक शोध तितध “एकि चर के
तनयम (Law of Single Variable)” पर आधाररि होिी है।
प्रयोगात्मक शोध का आधार “अन्िर की तितध (Method of
Difference)” है। इि तितध के अनिु ार यतद दो पररतस्थतियां िभी
दृतष्टयों िे िमान हैं िथा यतद तकिी चर को एक पररतस्थति में जोड़ तदया
जाए िथा दिू री तस्थति में नहीं जोड़ा जाए और यतद पहिी पररतस्थति में
कोई पररिितन तदखाई दे िो िह पररिितन उि चर के जोड़ने के कारण
होगा। यतद तकिी एक पररतस्थति में एक चर हटा तिया जाए िथा दिू री
पररतस्थति में उि चर को न हटाए िब यतद पहिी पररतस्थति में कोई
पररिितन होिा है िो िह उि चर के हटा िेने के कारण होगा।
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कायत-कारण िम्बन्धों को स्थातपि करने के तिये प्रयोगात्मक शोध में दो
िमहू होिे हैं:
 प्रयोग त्मक समूह- इि िमहू में शोधकिात द्वारा स्ििंत्र चर में जोड़-िोड़
तकया जािा है। यह तिद्ध तकया जािा है तक यतद कारण है िो इिका प्रभाि
होगा।
 तनयतन्त्रि समूह- इि िमहू में शोधकिात द्वारा स्ििंत्र चर में कोई जोड़-िोड़
नहीं तकया जािा है। यह तिद्ध तकया जािा है तक यतद कारण नहीं है िो
इिका प्रभाि भी नहीं है।

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गुर् त्मक शोध तितध
इि शोध तितध में चरों का उनके गणु ों के आधार पर तिश्लेषण तकया जािा है।
गणु ात्मक िे िात्पयत है गैर िंख्यात्मक आक ं ड़ों का िग्रं हण या ग्राफ़ या आक
ं ड़ों
के स्रोि की तिशेषिाओ ं पर आधाररि स्पष्टीकरण।
गुर् त्मक शोध की तिशेषि ए:ां
 गण ु ात्मक शोध का के न्र तबन्दु तितशष्ट पररतस्थति, िंस्थायें, िमदु ाय या मानि
िमहू होिा है।
 यह मात्रात्मक प्राप्तांकों, मापन िथा िांतख्यकीय तिश्ले षण के स्थान पर तनतहि
कारणों, व्याख्याओ ं और तनतहि अथों पर बि देिा है।
 यह िंरतचि उपकरणों के स्थान पर व्यैतिक अनभ ु िों को बि देिा है।
 इि तितध में प्रतिदशत िंख्या कम होिी है।
 इिमें िग ं ठनात्मक प्रतक्रयाओ ं का अध्ययन तकया जािा है।
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