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य ांत्रिकी, पद र्थ के गुणधर्थ, ऊष्र् और चुांबकत्व

य ांत्रिकी
● य ांत्रिकी भौतिक विज्ञ न की मुख्य श ख ओां में से एक है, जो विभभन्न प्रक र के बलों य विस्थ पन के
अांिर्गि होने पर, भौतिक वपांडों के अध्ययन और व्यिह र िथ वपांडों के पररिेश पर अनुििी प्रभ ि से
सांबांधिि है, अथ गि, ककसी िस्िु की स्स्थति में उसके पररिेश के स पेक्ष पररििगन।
● उद हरण के भलए, सूयग के च रों ओर घूमने ि ले ग्रहों पर र्ुरुत्ि कर्गण क प्रभ ि, चुांबकीय बल स्जससे
लोहे के कण चुांबक की ओर आकवर्गि होि है , विद्युि बल स्जसके िहि दोनों आिेश एक दस
ू रे की
ओर आकवर्गि होिे हैं, आदद।

● य ांत्रिकी को मुख्य रूप से तनम्नभलखखि िीन श्रेखणयों में िर्ीकृि ककय ज सकि है:
1. धचरसम्मि य ांत्रिकी
2. प्रम ि य ांत्रिकी
3. स ांस्ख्यकीय य ांत्रिकी

चचरसम्र्त य ांत्रिकी
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● धचरसम्मि य ांत्रिकी एक भौतिकी भसद्ि ांि है जो प्रक्षेप्य से लेकर मशीनरी के विभभन्न भ र्ों िक
स्थल
ू िस्िओ
ु ां (स म न्य आांखों से ददख ई दे ने ि ली िस्िओ
ु ां) िथ अांिररक्ष य न, ि रों, ग्रहों और
आक शर्ांर् ओां जैसी खर्ोलीय िस्िओ
ु ां की र्ति पर विच र करि है।
● उन िस्िओ
ु ां के भलए, स्जन्हें धचरसम्मि य ांत्रिकी तनयांत्रिि करिी हैं, यदद ििगम न अिस्थ ज्ञ ि है ,
िो हम भविष्यि णी कर सकिे हैं कक कोई िस्िु भविष्य में कैसे र्ति करे र्ी (तनयित्िि द) और
इसने अिीि में कैसे र्ति की थी (प्रतिििीि )।

● धचरसम्मि य ांत्रिकी को आर्े दो प्रक रों में विभ स्जि ककय र्य है, जो हैं:
1. 1. शद्
ु ध गततववज्ञ न (क इनेर्ेटिक्स) -यह भौतिक विज्ञ न की एक श ख है िथ श भमल बलों
(अथ गि, र्ति के क रण और प्रभ ि) पर विच र ककए त्रबन ककसी वपांड य वपांडों के तनक य की
ज्य भमिीय रूप से सांभि र्ति से सांबांधिि धचरसम्मि य ांत्रिकी क एक की एक श ख है।
o शद्
ु ि र्तिविज्ञ न क उद्दे श्य वपांडों य
भौतिक कणों के वपांडों की स्थ तनक
स्स्थति, कणों के र्ति करने की दर
(िेर्), और उनके िेर् पररििगन की दर
(त्िरण) क वििरण प्रद न करन है।

2. गततकी (बलगततकी) - धचरसम्मि य ांत्रिकी की


र्तिकी श ख द्रव्यम न वपांडों की र्ति पर बल, बल घण
ू ग और सांिर्
े के प्रभ ि और क रणों से
सांबांधिि है।
o यह स्स्थति-विज्ञ न के विपरीि है , जो सांिुलन की स्स्थति में विश्र म करने ि ले वपांडों से
सांबांधिि है। िे र्तिकी के अांिर्गि बलर्तिकी और शुद्ि र्ति विज्ञ न दोनों को श भमल
करिे हैं।
o र्तिकी की नीांि 16िीां शि ब्दी के अांि में र्ैलीभलयो र्ैलीली द्ि र रखी र्ई थी, स्जन्होंने
एक आनि िल से लुढ़कने ि ली धचकनी र्ें द के स थ प्रयोर् करके धर्रिे वपांडों के भलए
र्ति के तनयम को व्युत्पन्न ककय थ ।

प्रर् ि य ांत्रिकी
● प्रम ि य ांत्रिकी विज्ञ न क िह भसद्ि ांि है जो परम णु और उप-परम णु स्िरों पर पद थग और प्रक श
के व्यिह र क अध्ययन करि है।
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● प्रम ि य ांत्रिकी िह मल
ू भि
ू स िन है जो सैद्ि ांतिक स्िर पर र स यतनक यौधर्कों की इलेक्ट्रॉतनक
सांरचन और उनकी य ांत्रिकी, ऊष्म र्ति की, र स यतनक बलर्तिकी और र स यतनक प्रतिकिय ओां
की बलर्तिकी को समझने में सह यि करि है।
● प्रम ि य ांत्रिकी अणओ
ु ां और परम णओ
ु ां और उनके घटकों अथ गि ् इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यर
ू ॉन, और
कई अन्य कण जैसे क्ट्ि कग और ग्लओ
ू न के र्ण
ु ों क िणगन करने और दे खने क प्रय स करिी है। इन
विशेर्ि ओां में कणों की एक दस
ू रे के स थ अन्योन्य किय (सूक्ष्म स्िर पर) िथ प्रक श-ककरणों,
एक्ट्स-ककरणों, और र् म -ककरणों जैसे विद्युि चुम्बकीय विककरणों के स थ अन्योन्य किय श भमल
है।
● प्रम ि य ांत्रिकी की एक अतनि यग विशेर्ि यह है कक ककसी तनक य को त्रबन अव्यिस्स्थि ककए
म पन स म न्य िौर पर असांभि है , यह ां िक कक भसद्ि ांि रूप में भी; इस व्यिि न की विस्िि

प्रकृति और सटीक त्रबांद ु स्जस पर यह होि है, अस्पष्ट और विि द स्पद है।
● प्रम ि य ांत्रिकी क अध्ययन कई क रणों से ल भद यक है। पहल , यह भौतिक विज्ञ न की आिश्यक
क यगप्रण ली को दश गि है। दस
ू र , यह व्य िह ररक रूप से प्रत्येक उस स्स्थति में सही पररण म दे ने में
क फी सफल रह है, स्जस पर इसे ल र्ू ककय र्य है।
● यह प्रम ि रस यन विज्ञ न, प्रम ि क्षेि भसद्ि ांि, प्रम ि प्रौद्योधर्की, और प्रम ि सूचन विज्ञ न
सदहि सभी प्रम ि भौतिक विज्ञ न की नीांि है।

स ांख्ययकीय य ांत्रिकी
● स ांस्ख्यकीय य ांत्रिकी, भौतिक विज्ञ न की एक श ख जो स ांस्ख्यकी के भसद्ि ांिों और प्रकिय ओां को
धचरसम्मि और प्रम ि य ांत्रिकी दोनों के तनयमों के स थ जोड़िी है , विशेर् रूप से ऊष्म र्तिकी के
क्षेि से सांबांधिि है।
● इसक उद्दे श्य मैिोस्कोवपक प्रण भलयों के सूक्ष्म घटकों के र्ुणों और व्यिह र के आि र पर उन
प्रण भलयों के म पनीय र्ण
ु ों की भविष्यि णी और व्य ख्य करन है।
● स ांस्ख्यकीय य ांत्रिकी के क्षेि क श्रेय आमिौर पर ऑस्स्रय ई भौतिक विज्ञ नी लड
ु विर् बोल्ट्जमैन
को ददय ज ि है, स्जन्होंने सक्ष्
ू म अिस्थ ओां के सांग्रह के सांदभग में एन्र पी की मौभलक व्य ख्य
विकभसि की थी।
● स ांस्ख्यकीय य ांत्रिकी प्र तयकि के तनयमों पर बहुि अधिक तनभगर करिी है। यह एक स्थल
ू पद थग में
प्रत्येक व्यस्क्ट्िर्ि कण के व्यिह र पर ध्य न केंदद्रि नहीां करिी है बस्ल्टक एक ही िरह के कणों की
एक बड़ी सांख्य के औसि व्यिह र पर ध्य न केंदद्रि करिी है।
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● स ांस्ख्यकीय य ांत्रिकी, उद हरण के भलए, उष्मीय ऊज ग को अव्यिस्स्थि अिस्थ ओां में परम णु कणों
की ऊज ग के रूप में और ि पम न को इस िरह के कणों के बीच ऊज ग स झ करने की म ि त्मक म प
के रूप में व्य ख्य करिी है।

पद र्थ के गुण-धर्थ
● पद थग एक भौतिक पद थग है जो स्थ न घेरि है, द्रव्यम न रखि है , परम णओ
ु ां से बन है - य , उप-
परम णक
ु कणों के म मले में, एक परम णु क दहस्स है- और ऊज ग में पररििगनीय है। यही क रण है
कक परम णुओां को स म न्य रूप से पद थग के तनम गण खांड कह ज ि है।
● सभी भौतिक सांरचन एां पद थग से बनी होिी हैं, और पद थग की अिस्थ य प्रकिय पद थग क आस नी
से दे ख ज ने ि ल र्ुणिमग है। ठोस, द्रि और र्ैस पद थग की िीन मूल अिस्थ एां हैं।
● प्रत्येक अिस्थ के अलर्-अलर् र्ुणिमग होिे हैं जो इसे अन्य अिस्थ ओां से अलर् करिे हैं, और
चरण सांिमण प्रकिय एां होिी हैं स्जसके द्ि र पद थग एक अिस्थ से दस
ू री अिस्थ में पररितिगि
होि है।

ठोस द्रव गैस


उनके कसकर बांिे अणुओां उन अणुओां से बन है जो ऐसे अणु होिे हैं जो एक
द्ि र विभशष्ट आस नी से एक दस
ू रे से दस
ू रे के च रों ओर आस नी
होकर र्ुजर सकिे हैं से घूम सकिे हैं
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ठोस अपन आक र ि रण यह म न ज सकि है कक उनके प ि क परू आक र


करिे हैं और उनक आयिन द्रिों क आयिन भी तनस्श्चि और आयिन लेिे हैं
तनस्श्चि होि है होि है
सघन अपेक्ष कृि कम सघन न्यूनिम सघन

● कोई भी विशेर्ि स्जसे म प ज सकि है , जैसे ककसी िस्िु क घनत्ि, रां र्, द्रव्यम न, आयिन,
लांब ई, आघ िििगनीयि , र्लन ांक, कठोरि , र्ांि, ि पम न, और बहुि कुछ, पद थग के र्ुणिमग म ने
ज िे हैं।
● पद थग के र्ुणिमग उन र्ुणों/विशेर्ि ओां को सांदभभगि करिे हैं जो पद थग के एक नमूने को दस
ू रे से
अलर् करिे हैं। इन र्ुणिमों को आमिौर पर दो श्रेखणयों में विभ स्जि ककय ज ि है: भौतिक य
र स यतनक।

पद र्थ के भौततक गुण-धर्थ


● भौतिक र्ण
ु ों को पद थग की सांरचन को बदले त्रबन दे ख य म प ज सकि है। भौतिक र्ण
ु ों क
उपयोर् पद थग को दे खने और उसक िणगन करने के भलए ककय ज ि है।
● घनत्ि, रां र्, कठोरि , र्लन ांक और क्ट्िथन ांक और विद्यि
ु च लकि सभी भौतिक र्ण
ु िमों के
उद हरण हैं।
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● स मग्री और प्रण भलयों के भौतिक र्ण


ु िमों को अक्ट्सर र्हन और व्य पक र्ण
ु िमों के रूप में िखणगि
ककय ज ि है। यह िर्ीकरण प्रण ली य िस्िु के आक र य सीम पर र्ण
ु िमों की तनभगरि से
सांबांधिि है।
गहन गण
ु -धर्थ: एक र्हन र्ण
ु िमग एक समस्ष्ट र्ण
ु िमग है , स्जसक अथग है कक यह प्रण ली क स्थ नीय
भौतिक र्ण
ु िमग है जो प्रण ली के आक र य स मग्री की म ि से स्ििांि होि है। र्हन र्ण
ु िमग िे हैं जो
मौजूद पद थग की म ि से स्ििांि होिे हैं। इनमें श भमल हैं -
o घनत्ि: ρ=m/v.
o रां र्: िणगक य छ य ।
o च लकि : पद थग के म ध्यम से प्रि दहि होने ि ली विद्युि।
o आघ िििगनीयि : क्ट्य ककसी पद थग को चपट ककय ज सकि है।
o चमक: पद थग ककिन चमकद र ददखि है।
o द ब और ि पम न।
व्य पक गुण-धर्थ: एक नमन
ू े में पद थग की म ि पर तनभगर र्ुणिमग को व्य पक र्ण
ु िमग के रूप में ज न
ज ि है। व्य पक र्ुणिरमों र्ुणिमों में द्रव्यम न और आयिन श भमल हैं। व्य पक र्ुणिमग िे हैं स्जनमें
एक प्रण ली के र्ुणिमग क मूल्टय प्रण ली के कुछ भ र्ों के मूल्टयों के योर् के बर बर होि है। इनमें श भमल
हैं -
o द्रव्यम न: नमूने में ककिन पद थग है।
o आयिन: नमून ककिन स्थ न लेि है।
o लांब ई: नमून ककिन लांब है।

पद र्थ के र स यतनक गुण-धर्थ


● र स यतनक र्ुणिमग िे विशेर्ि एँ हैं स्जन्हें केिल िब म प य दे ख ज सकि है जब पद थग एक
विशेर् प्रक र के पद थग में पररितिगि हो ज ि है।
● एक र स यतनक र्ण
ु िमग की पहच न करने के भलए, हम एक र स यतनक पररििगन की िल श करिे
हैं। एक र स यतनक पररििगन हमेश एक य अधिक प्रक र के पद थग उत्पन्न करि है जो पररििगन से
पहले मौजद
ू पद थग से भभन्न होिे हैं।
● जब यौधर्कों को अलर् करने की ब ि आिी है िो र स यतनक र्ण
ु -िमग अत्यांि सह यक होिे हैं।
● ज्िलनशीलि , विर् क्ट्िि , अम्लि , विभभन्न प्रक र की प्रतिकिय शीलि और दहन की ऊष्म
र स यतनक र्ुणिमों के उद हरण हैं।
o प्रततक्रिय शीलत - पद थग की अन्य पद थों के स थ र स यतनक रूप से सांयोस्जि होने की प्रिवृ ि
को प्रतिकिय शीलि के रूप में ज न ज ि है। कुछ पद थग अत्यधिक प्रतिकिय शील होिे हैं,
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जबकक अन्य अत्यांि तनस्ष्िय होिे हैं। उद हरण के भलए, पोटै भशयम जल की उपस्स्थति में भी
अत्यांि प्रतिकिय शील होि है। मटर के आक र क पोटे भशयम क एक टुकड़ जल की एक छोटी
म ि के स थ भमल ने पर विस्फोटक रूप से प्रतिकिय करि है।
o दहन की ऊष्र् िह ऊज ग है जो िब मक्ट्
ु ि होिी है जब कोई यौधर्क ऑक्ट्सीजन के स थ पण
ू ग दहन
(जलन) से र्ज
ु रि है। दहन की ऊष्म क प्रिीक ΔHcहै।
o ज्वलनशीलत - पद थग के जलने की प्रिवृ ि को ज्िलनशीलि कह ज ि है। जैसे ही पद थग जलि
है , यह ऑक्ट्सीजन के स थ प्रतिकिय करि है और विभभन्न पद थों में पररितिगि हो ज ि है।
ज्िलनशील पद थग कुछ भी हो सकि है जैसे कक लकड़ी।
o ववष क्तत - विर् क्ट्िि उस सीम को सांदभभगि करिी है स्जस िक एक र स यतनक ित्ि य
रस यनों क सांयोजन ककसी जीि को ह तन पहुांच सकि है।
o अम्लत - ककसी पद थग की अम्ल के स थ प्रतिकिय करने की क्षमि एक र स यतनक र्ुणिमग
है। कुछ ि िुएँ विभभन्न अम्लों के स थ अभभकिय करके यौधर्क बन िी हैं। अम्ल क्ष र के स थ
अभभकिय करके जल बन ि है , जो अम्ल को तनस्ष्िय कर दे ि है।

ऊष्र्
● ऊष्म िह ऊज ग है जो ि पम न में अांिर के क रण एक वपांड से दस
ू रे वपांड में स्थ न ांिररि होिी है।
● यदद अलर्-अलर् ि पम न पर दो वपांडों को एक स थ ल य ज ि है , िो ऊज ग स्थ न ांिररि हो ज िी
है - अथ गि, ऊष्म र्मग वपांड से ठां डे वपांड में प्रि दहि होिी है।
● उष्म को आमिौर पर कैलोरी य जूल में म प ज ि है। ऊष्म क एसआई म िक जल
ू है , जह ँ 1 जूल
= 1 न्यूटन × मीटर
● ऊष्म प्रि ह य स्जस दर पर तनक यों के बीच ऊष्म क स्थ न ांिरण होि है , उसक म िक शस्क्ट्ि के
म िक सम न होि है, अथ गि, ऊज ग प्रति इक ई समय (J/s)।
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● ऊष्म क अध्ययन ककसी िस्िु को बन ने ि ले परम णुओां और अणुओां क अध्ययन है। परम णु
स्जिनी िेजी से आर्े बढ़िे हैं, ि पम न उिन ही र्मग होि है क्ट्योंकक उनमें अधिक ऊज ग होिी है।
● एक वपांड के ि पम न में िद्
ृ धि के स थ, अणुओां य परम णुओां के कांपन में िद्
ृ धि होिी है। कफर ये
कांपन वपांड के एक भ र् से दस
ू रे भ र् में स्थ न ांिररि हो ज िे हैं। ऊज ग की िह म प स्जससे ककसी
तनक य में अणु कांपन करिे हैं, उस िस्िु में सांधचि ऊष्म कहल िी है।
● कोई पद थग एक भौतिक अिस्थ से दस
ू री भौतिक अिस्थ में पररििगन करके ि पम न में िद्
ृ धि ककए
त्रबन ऊष्म को अिशोवर्ि कर सकि है। उद हरण के भलए - 1) र्लन में , पद थग ठोस से िरल में
बदल ज ि है। 2) ऊध्िगप िन की प्रकिय में ठोस ि ष्प अिस्थ में पररितिगि हो ज ि है। 3) क्ट्िथन
की प्रकिय में, िरल ि ष्प में पररितिगि हो ज ि है।
● ऊष्म को ऊज ग के रूप में ऊज ग के अन्य रूपों में बदल ज सकि है। उद हरण के भलए, मोटर च भलि
ि हनों में, ऊष्म को य ांत्रिक ऊज ग में पररितिगि ककय ज ि है। विद्युि बल्टबों में , इसे प्रक श ऊज ग में
पररितिगि ककय ज ि है। ि प विद्यि
ु सांयांिों में , इसे अांििः विद्यि
ु ऊज ग में पररितिगि ककय ज ि
है।

ऊष्र् क वगीकरण
ऊष्म को इस प्रक र िर्ीकृि ककय ज सकि है :
1. गर्थ - उच्च ि प स मग्री ि ली िस्िुओां को र्मग िस्िओ
ु ां के रूप में पररभ वर्ि ककय ज ि है (ककसी
िस्िु की र्मी य ठां डक एक स पेक्ष शब्द है स्जसे हमेश सांदभग िस्िु के सांबांि में म प ज ि है )।
o उद हरणों में सूय,ग अस्ग्न, र्मग बिगन, हे अर ड्र यर से ि य,ु ज्ि ल मुखी विस्फोट से ल ि आदद
श भमल हैं।
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2. ठां डी - कम ऊष्म स मग्री ि ली िस्िओ


ु ां को ठां डी िस्िओ
ु ां के रूप में पररभ वर्ि ककय ज ि है (ककसी
िस्िु की र्मी य ठां डक एक स पेक्ष शब्द है स्जसे हमेश एक सांदभग िस्िु के सांबांि में म प ज ि है )।
o उद हरणों में बफग, एयर कांडीशनर से तनकलने ि ली ि य,ु शीिल पेय, सदी के ददनों में खल
ु े
में रखे ि िु के बिगन आदद श भमल हैं।

ऊष्र् के स्रोत
ऊष्म के कई स्रोि हैं, लेककन ऊष्म के मुख्य स्रोि तनम्नभलखखि हैं-
1. सूयथ - सय
ू ग से ऊज ग विद्युि चुम्बकीय िरां र्ों य फोटॉन द्ि र मुक्ट्ि की ज िी है।
2. र स यतनक - दहन (जलन) िह रस यतनक प्रकिय है, जो ि पीय ऊज ग उत्पन्न करिी है।
3. ववद्युत - विद्युि ऊज ग क उपयोर् अच्छे प्रतिरोिक ि प ित्िों में ऊष्म उत्पन्न करने के भलए ककय
ज सकि है।
4. न भभकीय - न भभकीय अभभकिय एां परम णुओां और अणुओां की ऊज ग से सांबांधिि होिी हैं; एक
न भभकीय अभभकिय में लुप्ि द्रव्यम न आइांस्टीन के द्रव्यम न-ऊज ग सांबांि के अनस
ु र ऊज ग के रूप
में ब हर तनकलि है और इस प्रक र ऊष्म उत्पन्न करि है।

ऊष्र् क स्र् न ांतरण


च र मख्
ु य विधिय ँ हैं स्जनके द्ि र ऊष्म ऊज ग एक िस्िु से दस
ू री िस्िु में स्थ न ांिररि होिी है।
1. अभभवहन - यह एक स्थ न से दस
ू रे स्थ न िक द्रि क पररिहन िांि है और उस द्रि की र्ति और
सांिेर् पर तनभगर करि है।
2. च लन - यह िब होि है जब ऊज ग एक दस
ू रे के स थ ि पीय सांपकग में दो स मधग्रयों के बीच सीिे
स्थ न ांिररि होिी है। जब तनकटस्थ परम णु एक दस
ू रे के विरुद्ि कांपन करिे हैं य जब इलेक्ट्रॉन
एक परम णु से दस
ू रे परम णु में ज िे हैं, िो ऊष्म च लन द्ि र स्थ न ांिररि होिी है।
3. सांवहन - यह द्रिों के सांचलन द्ि र ऊष्म क एक स्थ न से दस
ू रे स्थ न पर स्थ न ांिरण है , एक इस
प्रकिय में जो अतनि यग रूप से बड़े पैम ने पर स्थ न ांिरण के म ध्यम से ऊष्म क स्थ न ांिरण होि
है। सांिहन आमिौर पर द्रिों और र्ैसों में ऊष्म स्थ न ांिरण क प्रमुख रूप है।
4. ववक्रकरण - विककररि ऊष्म स्थ न ांिरण ि पीय विककरण, अथ गि ् विद्युि चुम्बकीय िरां र्ों के
म ध्यम से ऊज ग क स्थ न ांिरण है। यह एक तनि ि
ग य ककसी प रदशी म ध्यम (ठोस य द्रि, य र्ैस)
में होि है।
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त पर् न क्य है ?
● ि पम न ककसी पद थग की, य अधिक स म न्यिः ककसी भी भौतिक तनक य की, ऊष्मीय ऊज ग को
ककसी अन्य भौतिक तनक य में स्थ न ांिररि करने की क्षमि की एक म प है।
● ककसी िस्िु क ि पम न स्जिन अधिक होि है, उस िस्िु की ऊष्म स्थ न ांिररि करने की प्रिवृ ि
उिनी ही अधिक होिी है। ककसी िस्िु क ि पम न स्जिन कम होि है, उस िस्िु के ऊष्म
स्थ न ांिरण के प्र स्प्ि छोर पर होने की प्रिवृ ि उिनी ही अधिक होिी है।
● ि पम न को ककसी िस्िु की ि पीय ऊज ग की म प के रूप में पररभ वर्ि ककय ज ि है। इसे केस्ल्टिन
य सेस्ल्टसयस में म प ज ि है। इसक एसआई म िक केस्ल्टिन (K) है।

चांब
ु कत्व
● चुांबकत्ि चुांबकीय क्षेि से जुड़ी एक घटन है , जो विद्युि आिेशों की र्ति से उत्पन्न होिी है।
● यह एक च लक य त्रिविम के म ध्यम से
चलने ि ले आिेभशि कणों में विद्युि प्रि ह भी
हो सकि है, य यह एक परम णु कक्ष में एक
इलेक्ट्रॉन की र्ति हो सकिी है।
● चुांबकत्ि प्र थभमक कणों से भी जुड़ है , जैसे कक
इलेक्ट्रॉन, स्जसमें प्रचिण न मक एक
र्ुणिमग होि है।
● एक चुांबकीय क्षेि लॉरें ज बल के क रण क्षेि के
कणों पर बल आरोवपि करि है।
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जह ां E विद्युि क्षेि की स मर्थयग है, vिेर् है और B चब


ांु कीय क्षेि की
स मर्थयग है , और Q आिेश क पररम ण है।

● विद्युि आिेभशि कणों की र्ति चुांबकत्ि को जन्म दे िी है। एक चुांबकीय क्षेि में विद्युि आिेभशि
कण पर क यग करने ि ल बल, आिेश के पररम ण, कण के िेर् और चुांबकीय क्षेि की स मर्थयग पर
तनभगर करि है।
● चुांबकत्ि की खोज सबसे पहले प्र चीन विश्ि में की र्ई थी जब लोर्ों ने दे ख कक लोडस्टोन, खतनज
मैग्नेट इट के प्र कृतिक रूप से चुांबकीय टुकड़े, लोहे को आकवर्गि कर सकिे हैं।
● ककसी स मग्री की चुांबकीय अिस्थ (य चुांबकीय चरण) ि पम न, द ब और आरोवपि चुांबकीय क्षेि
पर तनभगर करिी है। एक स मग्री चुांबकत्ि के एक से अधिक रूपों को प्रदभशगि कर सकिी है क्ट्योंकक ये
चर बदलिे रहिे हैं।
● दरू ी के स थ चुांबकीय क्षेि की स मर्थयग लर्भर् हमेश कम होिी ज िी है।

● सभी पद थग ककसी न ककसी प्रक र के चांब


ु कत्ि क प्रदशगन करिे हैं, कुछ दस
ू रों की िल
ु न में अधिक
दृढ़ि से चांब
ु कत्ि क प्रदशगन करिे हैं। चांब
ु कीय स मग्री को उनकी समस्ष्ट सांिेदनशीलि के अनस
ु र
िर्ीकृि ककय ज ि है।

चुांबकत्व के प्रक र
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1. प्रततचांब
ु कत्व - यह ककसी पद थग की प्रयक्ट्
ु ि चांब
ु कीय क्षेि क विरोि करने
की प्रिवृ ि है, और इसभलए, इसे चांब
ु कीय क्षेि द्ि र प्रतिकवर्गि ककय ज ि
है। प्रतिचांब
ु कत्ि सभी स मधग्रयों में प्रकट होि है। एक प्रतिचांब
ु कीय पद थग
में, जब कोई प्रयक्ट्
ु ि क्षेि नहीां होि है , िो परम णओ
ु ां में कोई शद्
ु ि चांब
ु कीय
आघण
ू ग नहीां होि है।
उद हरण – अकिय र्ैसें, Au, Cu, Hg, B, Si, आदद

2. अनुचुांबकत्व - एक अनुचुांबकीय पद थग में , अयुस्ग्मि इलेक्ट्रॉन होिे हैं,


जबकक प उली अपिजगन भसद्ि ांि द्ि र यस्ु ग्मि इलेक्ट्रॉनों के भलए
आिश्यक है उनके आांिररक ('प्रचिण') चांब
ु कीय आघण
ू ग विपरीि ददश ओां में
इांधर्ि हों, जो उनके चांब
ु कीय क्षेिों को तनरस्ि कर दें , एक अयस्ु ग्मि
इलेक्ट्रॉन अपने चांब
ु कीय आघण
ू ग को ककसी भी ददश में सांरेखखि करने के भलए
स्ििांि होि है। जब एक ब ह्य चांब
ु कीय क्षेि प्रयक्ट्
ु ि होि है , ये चांब
ु कीय आघण
ू ग स्ियां को प्रयक्ट्
ु ि क्षेि
की ददश के अनरू
ु प सांरेखखि कर लेिे हैं, स्जससे िे प्रबभलि हो ज िे हैं।
उद हरण – Al, O2, NO, आदद

3. लौहचुांबकत्व - एक अनुचुांबकीय पद थग के सम न, एक लौहचुांबक में अयुस्ग्मि


इलेक्ट्रॉन होिे हैं। ह ल ांकक, इलेक्ट्रॉनों के आांिररक चुांबकीय आघूणग के एक
प्रयक्ट्
ु ि क्षेि के सम ांिर होने की प्रिवृ ि के अल ि , इन स मधग्रयों में इन
चांब
ु कीय आघण
ू ों के भलए एक तनम्न-ऊज ग अिस्थ बन ए रखने के भलए एक
दस
ू रे के सम ांिर उन्मख
ु होने की प्रिवृ ि भी होिी है। इस प्रक र, एक प्रयक्ट्
ु ि
क्षेि की अनप
ु स्स्थति में भी, स मग्री में इलेक्ट्रॉनों के चांब
ु कीय आघण
ू ग स्िि: एक दस
ू रे के सम ांिर
पांस्क्ट्िबद्ि हो ज िे हैं।
उद हरण – Fe, Co, Ni, Mnके भमश्रि िु जैसे कक MnBi, आदद

4. प्रततलौहचुांबकत्व - एक प्रतिलौहचुांबक में , एक लौह चब


ुां क के विपरीि, पड़ोसी
सांयोजी इलेक्ट्रॉनों के आांिररक चुांबकीय आघूणों के विपरीि ददश ओां में इांधर्ि
करने की प्रिवृ ि होिी है। जब सभी परम णुओां को एक पद थग में व्यिस्स्थि
ककय ज ि है स्जससे कक प्रत्येक पड़ोसी प्रतिसम ांिर हो, िो पद थग
प्रतिलौहचांब
ु कीय होि है। प्रतिलौहचांब
ु कों में शन्
ू य शद्
ु ि चांब
ु कीय आघण
ू ग
होि है, स्जसक अथग है कक िे कोई क्षेि उत्पन्न नहीां करिे हैं।
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उद हरण – Mn, Cr और उनके यौधर्क जैसे ककMnO, CoO, NiO, आदद

5. फेरीचुांबकत्व - लौहचुांबक की िरह, फेरीचुांबक एक क्षेि की अनुपस्स्थति में


अपन चुांबकत्ि बन ए रखिे हैं। ह ल ांकक, प्रतिलौहचुांबक की िरह, इलेक्ट्रॉन
प्रचिण के पड़ोसी युग्म विपरीि ददश ओां में इांधर्ि करिे हैं।
उद हरण– Fe3O4, Fe2O3, आदद

एक ववद्युत चुांबक क्य है ?


● एक विद्यि
ु चांब
ु क एक प्रक र क चांब
ु क है स्जसमें विद्यि
ु ि र द्ि र चांब
ु कीय क्षेि उत्पन्न होि है।
ि र बांद होने पर चांब
ु कीय क्षेि लप्ु ि हो ज ि है।
● विद्यि
ु चांब
ु क में आमिौर पर बड़ी सांख्य में तनकट दरू ी पर ि र के फेरे होिे हैं जो चांब
ु कीय क्षेि क
तनम गण करिे हैं। ि रों के फेरे अक्ट्सर लोहे जैसे लौहचांब
ु कीय य फेरीचांब
ु कीय स मग्री से बने चांब
ु कीय
कोर के च रों ओर बांिे होिे हैं; चांब
ु कीय कोर चांब
ु कीय प्रि ह को केंदद्रि करि है और अधिक
शस्क्ट्िश ली चुांबक बन ि है।
● स्थ यी चुांबक पर विद्युि चुम्बक क मुख्य ल भ यह है कक ि इांडडांर् में विद्युि ि र की म ि को
तनयांत्रिि करके चुांबकीय क्षेि को शीघ्रि से बदल ज सकि ह

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