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पर्यावरण PRE 2024 - 31475838 - 2024 - 03 - 02 - 15 - 22
पर्यावरण PRE 2024 - 31475838 - 2024 - 03 - 02 - 15 - 22
पर्यावरण कय आशर् जैववक एवं अजैववक घटकों एवं उनके आस-पयस के वयतयवरण के सम्मिलित रूप से है जो पृथ्वी
पर्यावरण सभी जैववक तर्य अजैववक अवर्वों से जुडे हुए और परस्पर आसित रहते है। पर्यावरण के कुछ कयरक
संसयधन के रूप में जबवक दूसरे कयरक, लनर्ंत्रक के रूप में कयर्ा करते है।
पर्यावरण के संघटक
1. भौतिक र्य अजैववक संघटक – इसके अंतगात स्र्ि, वयर्ु, जि आदद सम्मिलित होते है।
2. जैववक संघटक –इसके अंतगात पयदप, मनुष्र् समेत जन्तु तर्य सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते है।
3. ऊजया संघटक – सौर ऊजया एवं भूतयपीर् ऊजया को ऊजया संघटक के अंतगात सम्मिलित करते है।
भौवतक संघटक के अंतगात सयमयन्र् रूप से स्र्िमंडि, वयर्ुमंडि तर्य जिमंडि को सम्मिलित वकर्य जयतय है , इन्हे क्रमश:
मृदय, वयर्ु, तर्य जि संघटक भी कहय जयतय है। भौवतक वयतयवरण वयर्ु, प्रकयश, तयप, जि, मृदय जैसे कयरकों से बनय होतय है।
• वयर्ुमंडल
• जल
• मृदय
जैववक संघटक -पर्यावरण के जैववक संघटक कय लनमयाण तीन लनम्नलिखित उपतंत्रों द्वयरय होतय है –
पयदप –पयदप जैववक संघटकों में सवयाघधक महत्वपूणा होते है, क्र्ोवक पौधे ही जैववक पदयर्ो कय लनमयाण करते है सजनकय उपभोग
पौधे स्वर्ं करते है। सयर् ही मयनव ररहत जन्तु तर्य सूक्ष्मजीव प्रत्र्क्ष र्य अप्रत्र्क्ष रूप में इन्ही पौधों पर लनभार रहेत है। हरे पौधे
अपनय आहयर स्वर्ं तैर्यर करते है। अत: वे स्वपोवित कहियते है।
जीव –जीव स्वपोसशत एवं परपोवित दोनो प्रकयर के होते है। परंतु अघधकयंशत: जीव परपोवित ही होते है। स्वपोवित जीव अपने
आहयर कय लनमयाण स्वर्ं करते है, जैसे – सयइनोबैक्टीररर्यपणाहररत की उपस्थिवत में एवं ई. क्िोरोरटकय एक प्रकयर कय समुद्री
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घोंघय जो शैवयि से क्िोरोदिि ग्रहण कर अपनय भोजन स्वर्ं लनलमि त करतय है। परपोवित जीव अपने आहयर हेतु अन्र् सयधनों
1. मृिजीवी – वे जीव जो मृत पौधों तर्य जीवों से घुलित रूप से कयबालनक र्ौघगकों को प्रयप्त करते है।
2. परजीवी –वे जीव जो अपने आहयर हेतु अन्र् जीववत जीवों पर लनभार करते है।
3. प्रयणीसमभोजी –वे जन्तु जो अपनय आहयर अपने मुि द्वयरय ग्रहण करते है। सभी बडे जन्तु इसी िेणी के अंतगात आते
सूक्ष्मजीव - सूक्ष्मजीवों को ववर्ोजक भी कहते है। र्े मृत पौधो, जन्तुओ ं के जैववक पदयर्ो कय सडय गिय कर ववर्ोसजत करते है।
ऊजया संघटक – इसके अंतगा सौर प्रकयश, सौर वववकरण तर्य इसके ववलभन्न पक्षों को सम्मिलित वकर्य जयतय है। सूर्ा से प्रयप्त
ऊजया सौर ऊजया कहियती है। पृथ्वी की क्षैवतज सतह पर पहुँचने वयिे सकि सौर वववकरण को भूमण्डिीर् वववकरण कहते है।
प्रकयश – पृथ्वी पर अवस्थित प्रयर्: सभी जीवों के लिए प्रत्र्क्ष र्य अप्रत्र्क्ष रूप से ही उऊजया कय अंवतम स्त्रौत है।
पर्यावरण के घटक िथय पर्यावरणीर् कयरक – चूँवक पर्यावरण एक भौवतक एवं जैववक संकल्पनय है अत: इसमें पृथ्वी के
भौवतक र्य अजैववक तर्य जैववक संघटकों को सम्मिलित वकर्य जयतय है। पर्यावरण की इस आधयरभूत संरचनय के आधयर पर
र्े पुन: पवात पर्यावरण, मैदयन पर्यावरण, झीि पर्यावरण, रहमनद पर्यावरण,
मरूस्र्ि पर्यावरण में ववभयसजत होते है।
जैववक पर्यावरण
जलवयर्ु –एक लनर्त स्र्यन तर्य समर् पर, वयर्ुमंडि के क्षसणक िक्षणों (जैसे –
तयपमयन, दयब,आद्रातय, विया, सौर प्रकयश, बयदि तर्य वयर्ु) को मौसम कहते है। क्षेत्र ववशेि में वयर्ुमंडिीर् स्थिवत की सयमयन्र्
अवस्र्यएँ ऋतु पररवतान तर्य मौसमी चरम सीमयओ ं की िं बे समर् की औसत स्थिवत जिवयर्ु कहियती है। तयपमयन तर्य विया
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सूक्ष्म जलवयर्ु – सूक्ष्म जिवयर्ु, जिवयर्ु की वह स्थिवत है, जो वक स्र्यनीर् स्तर पर र्य छोटे क्षेत्रों मे पयई जयती है। सूक्ष्म
जिवयर्ु सयधयरणत: उपस्थित क्षेत्रीर् जिवयर्ु स्थिवतर्ों से लभन्न होती है, जैसे घने जंगिों में वृक्षों की पघिर्यँ, जमीन पर पडने
आवयस िथय निकेि –वह स्र्यन जहयँ जीव लनवयस करते है, आवयस कहियतय है। आवयस स्पष्ट भौवतक िक्षणों से र्ुक्त होतय है
अर्यात उस स्र्यन को इं घगत करतय है जो संपूणा जैववक समुदयर् द्वयरय अध्र्यससत रहतय है। उदयहरण के तौर पर, वन आवयस में
एक आवयस में कई लनकेत हो सकते है। लनकेत के द्वयरय हमे वकसी प्रजयवत के पयररस्थिवतकी तंत्र में उसके स्र्यन
कय पतय चितय है। अर्यात एक प्रजयवत को जीववत रहने के लिए सजन जैववक, भौवतक र्य रयसयर्लनक कयरकों की जरूरत होती
निर्तिवयदी अवधयरणय –
संभववयदी अवधयरणय -
िवनिर्िीवयदी अवधयरणय -
2. टै िर के द्वयरय।
i. जैव-भौवतक सीमयएँ द्वयरय ii. आचयरपरक लनर्ंत्रणों द्वयरय iii. संसयधनों की सुिभतय द्वयरय
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जैव भौतिक सीमयएँ – मौसम और जिवयर्ु के कयरक मनुष्र्ों, पौधों और पशुओ ं के जीवन पर ववशेि प्रभयव डयिते है। जैववक
दृखि से मयनव शरीर कय कुछ लनलित पर्यावरणीर् दशयओ ं में ही अच्छी तरह से कयर्ा हेतु सक्षम हो पयतय है। मयनव के वक्रर्यकियपों
को ऊष्मय, प्रकयश, आद्रातय, विाण, वयर्ु, बयदि इत्र्यदद भौवतक कयरक ववशेि रूप से प्रभयववत करते है। अत्र्घधक ऊँचयई, अघधक
तयपमयन तर्य आद्रातय मनुष्र् के ववकयस एवं उत्तरजीववतय में बयधय उत्पन्न करते है।
आचयरपरक निर्ंत्रण – ववलभन्न पर्यावरणीर् कयरक मनुष्र् की जयतीर् ववशेितयओ ं को प्रभयववत करने के सयर्-सयर् उन्हे
लनधयाररत भी करते है। र्ह मनुष्र् की घचन्तन, ववचयरधयरयओ ं, संस्कृवत तर्य आचयर व व्र्वहयर को भी प्रभयववत करतय है।
संसयधिों की सुलभिय – प्रयकृवतक संसयधनों की सुिभतय मनुष्र् को ववलभन्न तरीकों से प्रभयववत करती है।र्ह उसके
वक्रर्यकियपों को प्रमुितय से लनधयाररत करती है। सयर् ही मनुष्र् की आलर्ि क क्षमतय, सयमयसजक संगठन, रयजनीवतक स्थिरतय
पर्यावरण पर मयिव कय प्रभयव – पर्यावरण अवनर्न पर्यावरण में उत्पन्न असंतुिन कय पररणयम है जो मयनवीर् र्य प्रयकृवतक
गवतववघधर्ों के कयरण होतय है। ऐसी मयनवीर् गवतववघधर्यँ सजनकय प्रभयव पर्यावरण पर पडतय है , उनमें शयलमि है –
महत्वपूणा आंदोलि –
• तचपको आंदोलि –
• Appiko आंदोलि (1983) –घचपकों आंदोिन की तजा पर ही कनयाटक में र्ह आंदोिन पयण्डुरंग हेगडे के नेतृत्व में
• िमादय बचयओ ं आंदोलि (1985) –र्ह आंदोिन विा 1985 मेघय पयटकर के नेतृत्व में नमादय घयटीह की जैव ववववधतय
को बचयने तर्य मूि आददवयससर्ों के सयंस्कृवतक पर्यावरण की रक्षय के लिए चियर्य जय रहय है , सजनके सयर् अरूं धवत
• एक वन्र्जीव गोदलों र्ोजिय –एक वन्र्जीव गोद िो र्ोजनय की शुरूआते मयचा , 2008 मे ओरडशय के नन्दनकयनन
घचरडर्यघर में की गई र्ी। इस र्ोजनय के तहत गोद लिए गए वन्र्जीव कय पयिन गोद िे ने वयिे को करनय लनधयाररत
वकर्य गर्य।
• पनिमी घयट बचयओ ं आंदोलि – महयरयष्र सरकयर द्वयरय पलिमी घयट की जैव ववववधतय को नुकसयन पहुंचयने के ववरोध
में र्ह आंदोिन People party के कयर्ाकतयाओ ं द्वयरय शुरू वकर्य गर्य र्य।
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• िरयई आका पररर्ोजिय -बयघों के सरंक्षण (UK) वबहयर सरहत तरयई क्षेत्रों में हररत गलिर्यरे कय लनमयाण करनय इस
र्ोजनय कय मुख्र् िक्ष्र् है। तरयई आका पररर्ोजनय को ववश्व वन्र् लनधी (WWF) के सहर्ोग से रहमयिर् के तरयई क्षेत्रों
• शयन्िघयटी आंदोलि (1973) –जैव ववववधतय वयिे केरि में शयंवत घयटी (Silent Valley) ऊष्णकरटबंधीर् सदयबहयर
वनों कय क्षेत्र है। जि ववद्युत पररर्ोजनय स्वरूप सरकयर कय अपनय लनणार् बदिकर उसे रयष्रीर् आरलक्षत वन क्षेत्र घोवित
• M.S. स्वयमीियथि –कृवि और वन्र् दोनो प्रकयर की जैव ववववधतय ववलभन्न पक्षों से इनकय संबंध रहय है। इन्होने चेन्नई
• सुंदरलयल बहुगुणय –घचपको आंदोिन चियर्य। इसके आियव रटहरी बयँध के खिियि भी आंदोिन चियर्य।
• M.C. मेहिय –विा 1984 में M.S. मेहतय ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक र्यघचकयएं दयर्र की। इन्होने तयजमहि कय
• अनिल अग्रवयल –ऐसे पत्रकयर र्े सजन्होने 1982 में स्टे ट ऑि Inside Environ पर पहिी ररपोटा प्रस्तुत की र्ी।
• बंगयरी मथयई –इन्होने ग्रीन Movement कय नेतृत्व वकर्य इन्हे विा 2004 में नोबि प्रयइज लमिय।
• पयण्डुरग
ं हे गडे –इन्होने घचपको आंदोिन को कनयाटक में चियर्य।
• डॉ. रयमदेव नमश्रय –इन्होने विा 1956 में International for Tropical Ecology की स्र्यपनय की। इन्हे भयरत में
• मयधव गयडक्तगल –र्े प्रससद्ध पर्यावरण शयस्त्री है र्े Lige Escape of Peninsular India के संपयदक है।
• अमृियदेवी ववश्िोई –इन्होने विा 18वीं शतयब्दी में रयजस्र्यन के मयरवयड ररर्यसत में िेजरी वृक्ष के संरक्षण हेतु आंदोिन
वकर्य।
• सोिम वयंग्चुक
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• वन्दय नशवय – नवदयन्र् नयमक संस्र्यन।
क्र. पर्यावरण के प्रमुख संस्थयि स्थयि ववश्व आद्रा भूलम संरक्षण 2 िरवरी
5. सिीम अिी पक्षी ववज्ञयन तर्य प्रयकृवतक कोर्ंबटू र (तलमिनयडू) अंतरय पृथ्वी ददवस 22 अप्रैि
6. रयष्रीर् पर्यावरण शोध संस्र्यन नयगपुर महयरयष्र ववश्व जैव ववववधतय ददवस 22 मई
7. रयष्रीर् पर्यावरण अलभर्यंवत्रकी शोध संस्र्यन नयगपुर ववश्व जनसंख्र्य ददवस 11 जुियई
8. केन्द्रीर् पक्षी शोध संस्र्यन इज्जत नगर, बरेिी अंतरयाष्रीर् ओजोन परत 16 ससतंबर
10. ववश्व कय सबसे बडय घचरडर्यघर क्रूगर (द. अफ्रीकय) ववश्व आपदय लनर्ंत्रण 13 अक्टू बर
13. भयरत कय सबसे ववशयि घचरडर्यघर अिीपुर, कोिकयतय ददवस/ ववश्व उजया ददवस
institute)
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17. नेशनि ग्रीन ररब्र्ूनि ददल्िी (2010)
अनुकूलन
• वकसी जीव तर्य पौधे की बनयवट र्य व्र्वहयर र्य जीने की पद्धवत सजसकी सहयर्तय से वह वकसी पर्यावरण में जीववत रहतय
• धीरे – धीरे पररवतानशीि नए वयतयवरण में शरीर के वक्रर्यत्मक अनुकूिन को दशयनुकूिन कहते है।
• प्रकयश अिुकूनलि पौधे उच्च तयपमयन में भी प्रकयशसंश्िे िण करने की क्षमतय रिते है तर्य उनकी श्वसन दर भी उच्च
होती है। छयर्य अिुकूनलि पौधों में सयमयन्र्त: प्रकयशसंश्िे िण, श्वसन तर्य उपयपचयर्ी वक्रर्यओ ं की दर कम होती है।
• जो पौधे स्वर्ं को शुष्क स्थिवतर्ों के अनुकूि बनय िे ते है एवं सजनकी िघु जीवन अवघध होती है , वे इविमीरल कहियते
है।
• कई मरूस्र्िीर् पौधे कोसशकयओ ं में प्रोलीि (अमीिो अम्ल) इकट्ठय करते है , सजससे पत्तों में परयसरण तर्य जि ववभव
• जलोद्भिद् पौधे पघिर्ों एवं पणावृतों में एरेन्कयइमय (बडे वयर्ु क्षेत्र) की उपस्थिवत दशयाते है। इनके ऊतक पौधों में
• स्वतंत्र रूप से तैरने वयिे जिोद्भिद जैसे – सयिववलनर्य, ससरेटोियइिम, वुिदिर्य में जडे अनुपस्थित रहती है। लनदिर्य
• लवणमृदोद्भिद् पौधे जि र्य मृदय में िवण की उच्च सयंद्रतय में उगने के लिए अनुकूलित होते है।
• अल्पपोिक तत्व वयिी मृदयओ ं के अंतगात आने वयिे पौधे कवक मूि होते है अर्यात इनकी जडो कय कवकों के सयर्
सहजीववतय कय संबंध होतय है। कवक मूि पोिक तत्वों (जैसे िॉस्फेट) के तेजी से अवशोिण में सहयर्तय करते है।
• मयइकोरयइजय – कवक जो पेडो की जडों पर रहतय है एवं पेडो को पोिक तत्वों के अवशोिण में मदद करतय है।
• रयजोवबर्म – बैक्टीररर्य गठजोड जयपे वक दिहनी पौधों की जडों पर वृद्धद्ध कर पौधों को नयइरोजन उपिब्ध करयतय है।
• प्रवयस (Migration) – प्रवयस में जीवों कय एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में, िं बी दूरी र्य कम दूरी कय संचयिन (Movement|
होतय है।
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• छद्मयवरण (Camouflage) – कुछ प्रयसणर्ों में पररवेश के सयर् घुि लमि जयने की क्षमतय होती है जो छद्मयवरण कहियती
है। तेंदआ
ु , वततिी, घगरघगट आदद इसके उदयहरण है।
र्े एक्टोर्मा र्य पोएवकिोर्लमि क जीव के नयम से भी जयने र्े एं डोधमा र्य होलमर्ोर्लमि क जीव के नयम से भी जयने जयते है।
जयते है।
उदय. – उदय. -
सरीसृप वगा – सयँप ,घछपकिी, कछुआ, मगरमच्छ, घगरघगट। स्तनधयरी वगा – मनुष्र् , शेर, कुत्तय
भारत में पर्ाावरण संरक्षण के ललए लिए जाने वाले फेलोलिप एवं पुरस्कार
• अमृिय देवी ववश्िोई सुरक्षय पुरस्कयर
• जैव ववववधिय हे िु पीियंबर पंि रयष्टरीर् पर्यावरण िेलोनशप एवं बी.पी. पयल रयष्टरीर् पर्यावरण िेलोनशप
• इं ददरय गयंधी पर्यावरण पुरस्कयर – पर्यावरण वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् ने पूवा प्रधयनमंत्री िीमवत इं ददरय गयंधी की
नोट – ग्लोबल 500 : पर्यावरण के क्षेत्र में उल्ले खनीर् र्ोगदयन के ललए संर्ुक्त रयष्टर कयर्ाक्रम (UNEP} द्वयरय वर्ा 1987 से
ववलिन्न व्र्क्तिर्ों एवं संगठनों को र्ह पुरस्कयर प्रदयन वकर्य जय रहय है।
• व्हिटली अवार्ड
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• टाइलर अवार्ड
कयबान क्रेरडट एक व्र्यपयर र्ोग्र् प्रमयण पत्र र्य आज्ञय है जो धयरक को 1 टन कयबान डयइऑक्सयइड र्य कयबान
डयईऑक्सयइड के वैलिक तयपन क्षमतय के बरयबर अन्र् हररतगृह गैसों (सजनकी मयत्रय 1 टन CO2 के बरयबर हो ) के उत्सजान कय
कयबाि रे रडिं ग – कयबान रे रडिं ग की िरीद एवं वबक्री ही कयबान रे रडिं ग कहियती है।
कयबाि टै क्स – कयबान टै क्स एक शुल्क है जो वक हररतगृह गैस प्रदुिण (ियसकर जीवयश्म ईंधन द्वयरय उत्सजान) पर िगतय है।
महत्वपूणा िथ्र् -
• प्रससद्ध पक्षी ववज्ञयनी सलीम अली को भयरि कय बडामैि भी कहय जयतय है। इन्होने ‘बुक ऑि इं रडर्ि बर्डसा’ नयमक वकतयब
लििी तर्य इनके व्र्घिगत प्रर्यस से केवियदेव नेशनि पयका (भरतपुर) कय लनमयाण वकर्य गर्य।
• पयररस्थिवतकी ववज्ञयन प्रो. मयधव गयडक्तगल पनिमी घयट पररतंत्र ववशेिज्ञ पैनि के चैर्रमैन रहे। 2015 में टयर्िर पुरस्कयर
लमिय।
• पक्षी ववज्ञयनी प्रमोद पयरटल को ग्रेट इं रडर्ि बस्टडा के संरक्षण के लिए जयनय जयतय है। र्े रॉर्ि सजर्ोग्रयदिकि सोसयइटी
िं दन द्वयरय खिटिी अवयडा से सम्मयलनत वकर्े जय चुके है। र्ह अवयडा ग्रीन आस्कर के नयम से जयनय जयतय है।
• गयंधीवयदी पर्यावरणववद् एवं सयमयसजक कयर्ाकतया चण्डी प्रसयद भट्ट को आधुलनक भयरत कय प्रर्म पर्यावरण ववद्वयन मयन
• घचपको आंदोिन के नेतृत्वकतया सुंदरियि बहुगुणय आज ववश्वभर में ‘वृक्षलमत्र’ के नयम से प्रससद्ध है। इन्होने रटहरी बयंध
• Society for Environment Communication की लनदेशक सुनीतय नयरयर्ण Down to Earths पवत्रकय भी संपयदक
भी है।
• वन्र्जीव (सरंक्षण) अघधलनर्म, 1972 (2002 में संशोघधत) प्रशयसलनक, सियहकयरी, वैधयलनक (दंड एवं जुमयानय) तर्य
अभ्र्यरण्र्ों व रयष्रीर् उद्ययनों की स्र्यपनय आदद हेतु वन्र्जीव रक्षय संबंधी समग्र दृखिकोण से पररपूणा है।
• पर्यावरण (संरक्षण) अघधलनर्म, 1986 स्वच्द हवय, जि एवं अन्र् कयरकों हेतु ववलभन्न तरह के प्रदुिण पर लनर्ंत्रण के लिए
समग्रतय वयिय सयधन है जो केंद्र सरकयर को संबंघधत अघधकयर प्रदयन करने में सक्षम है।
• अनुसूघचत जनजयवत और अन्र् परंपरयगत वन लनवयसी अघधलनर्म, 2006 संदलभि त समूह के आजीववकय, लनवयस एवं
पयररस्थिवतकी संतुिन बनयने हेतु प्रभयवशयिी उपयर्य है जो वक ग्रयम सभय एवं समुदयर् के ववचयर को प्रयर्लमकतय देतय है।
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• तटीर् क्षेत्रों मे पर्यावरण के संरक्षण हेतु वकर्े गए ववशेि प्रर्यसों में िरवरी 1991 में तटीर् ववलनर्मन क्षेत्र संबंधी पहि सबसे
• 1894 में भयरत की प्रर्म वन नीवत ियगू की गई र्ी। आजयदी पश्चयत 1952 एवं 1988 में इसे संशोघधत वकर्य गर्य। आदशा
रूप में भूलम के एक-वतहयई भयग पर शुद्ध वन क्षेत्र इसकय िक्ष्र् है।
• अघधवयसों के आस-पयस एवं अन्र् सयमुदयघर्क सयवाजलनक स्र्यनों पर सरकयर व जनतय के संर्ुक्त प्रर्यसों से वनीकरण
• वकसयनों को अपनी कृवि भूलमर्ों, गौशयिय आदद के अंतगात पेड िगयने के लिए प्रोत्सयहन हेतु ‘कृवि वयलनकी’ को अपनयर्य
गर्य।
• सयमुदयघर्क भूलम पर पेड िगयने संबंधी सयमुदयघर्क वयलनकी की अवधयरणय वनों के ियभ पर समुदयर् के अघधकयरों को
• सयवाजलनक वयलनकी के अंतगात सडकों, नेहरों, रेिवे रै क के वकनयरे व अन्र् सरकयरी भूलम पर वनीकरण की अवधयरणय है।
• बॉम्बे िेचुरल रहस्री सोसयइटी (BNHS) पर्यावरण एवं जैव ववववधतय हेतु कयर्ारत भयरत कय सबसे बडय गैर सरकयरी संगठन
है। इसकय िोगो ग्रेट हॉनावबि है। जो 15 ससिं तंबर 1883 को बनय।
• भयरिीर् विस्पति सवेक्षण (BSI) की स्र्यपनय 1890 में की गई एवं इसकय मुख्र्यिर् कोिकयतय में है। इसकय उद्देश्र् देश
महत्वपूणा िथ्र् –
• संर्ुक्ि रयष्टर पर्यावरण कयर्ाक्रम (UNEP) संर्ुक्त रयष्र की पर्यावरण मयमिों पर मुख्र् एजेंसी है। इसकय गठन महयसभय
की 1972 की स्टॉकहोम मे मयनव पर्यावरण कॉन्फ्रेंस में हुआ। इसके स्र्यपनय ददवस (5 जून) को ववश्व पर्यावरण ददवस के
• IUCN ववश्व कय सबसे पुरयनय एवं बडय वैलिक पर्यावरण एवं प्रकृवत संरक्षण नेटवका है। इसकय मुख्र्यिर् ग्ियण्ड
(स्विट्जरिैं ड) में है। इसके द्वयरय ‘रेड डयटय बुक’ कय प्रकयशन वकर्य जयतय है (oct. 1948)
• सयइट्स (The convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) –
इसे ‘ वयसशिं गटन कन्वेशन’ भी कहय जयतय है क्र्ोवक इसकय प्रर्म कन्वेशन (मयचा 1973) वयसशिं गटन में ियगू हुआ। भयरत
• बडा लयइि इं टरिेशिल - बडा ियइि इं टरनेशि ‘प्रकृवत संरक्षण सयझेदयरों’ कय सबसे बडय और पुरयनय वैलिक संगठन है ,
सजसके 120 से अघधक सहर्ोगी संगठन है। इसकी स्र्यपनय 1922 में पक्षी संरक्षण के लिए अंतरयाष्रीर् सलमवत के नयम से
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• वर्लडा ररसोसेज इं स्टीट्यूट – वल्डा ररसोसेज इं स्टीट्यूट एक स्वतंत्र वैलिक गैर सरकयरी संस्र्य है सजसकी स्र्यपनय 1982 में
की गई।
• REDD (Reducing Emission form Deforestation and forest Degradation) – र्ह ववकयसशीि देशों में वन
प्रबंधन को बढयवय देकर हररतगृह गैसों (Green house gases) के लनवि उत्सजान को सीलमत कर जिवयर्ु पररवतान
के प्रभयव को कम करने हेतु UNFCC (संर्ुक्त रयष्र कय जिवयर्ु पररवतान पर फ्रेमवका कन्वेंशन) कय 2005 (COP 11)
• ग्रीिपीस (GreenPeace) – ग्रीनपीस एक स्वतंत्र वैलिक अलभर्यनकयरी (campaigning| संस्र्य है। सजसकी स्र्यपनय
जैवमण्डल
पृथ्वी के समस्त जीववत जीव तर्य उनके आस-पयस कय पर्यावरण, सजससे इन जीवों
की पयरस्पररक वक्रर्य होती है , लमिकर जैवमंडि की रचनय करते है। जैवमंडि के अन्तगात
समस्त जीव (जैववक संघटक) तर्य भौवतक पर्यावरण (अजैववक संघटक) को सम्मिलित
जैवमंउि के तीन प्रमुि उपववभयजन है : प्रर्म वयर्ुमंडि, दद्वतीर् – स्र्िमंडि, तृतीर् – जिमंडि।
जैववक समुदयर् – जब एक ही क्षेत्र में ववलभन्न् प्रजयवतर्ों की जनसंख्र्य रहती है तर्य एक-दूसरे के सयर् परस्पर वक्रर्य करती है ,
की-स्टोि प्रजयति – वे जयवतर्यँ जो वकसी समुदयर् में प्रचुरतय तर्य जैवभयर की अल्पतय के बयवजूद सयमुदयघर्क अलभिक्षणों पर
ियउं डेशि प्रजयति –ियउं डेशन प्रजयवत, अन्र् प्रजयवतर्ों के लनमयाण व संरक्षण में मुख्र् भुलमकय लनभयती है। कौरि।
अंब्रेलय प्रजयति – इसकय संरक्षण उसी लनवयस में रहने वयिी अन्र् प्रजयवतर्ों के लिए भी संरक्षण कय कयर्ा करतय है।
संकेिक प्रजयति – संकेतक प्रजयवत से अलभप्रयर् वकसी एक पौधय र्य जन्तु की प्रजयवत से है जो पर्यावरण पररवतान के लिए बहुत
संक्रनमकय - दो र्य उससे अघधक ववववध समुदयर्ों के मध्र् संक्रमण क्षेत्र को संक्रलमकय (Ecotone) कहते है।
कोर प्रभयव – कोर प्रभयव एक पयररस्थिवतकीर् अवधयरणय है जहयँ दो पररतंत्र आपस में लमिते है वहयँ ववशयि ववववधतय पयई जयती
है।
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बयर्ोम – बयर्ोम पौधों व प्रयसणर्ों कय एक समुदयर् है जो एक बडे भौगोलिक क्षेत्र में पयर्य जयतय है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी पर पेड-
पौधों तर्य जीव-जंतुओ ं सरहत सभी प्रमुि पयररस्थिवतक तंत्र बयर्ोम कहियते है।
जैव ववववधिय
• जैव ववववधतय से तयत्पर्ा पृथ्वी पर पयए जयने वयिे जीवो की ववववधतय से है। 1992 में ररर्ो रड जेनेररर्ों में आर्ोसजत पृथ्वी
• ववश्व के कुछ क्षेत्रों में प्रजयवतर्ो की अत्र्घधक संख्र्य होती है। सजसे हॉटस्पॉट र्य मेगय डयइवससि टी क्षेत्र कहते है। ववश्व के
िगभग 60% उभर्चर, पक्षी, जयनवर तर्य पेड-पौधे इन्ही क्षेत्रों में पयए जयते है।
• जैव ववववधतय शब्द कय सवाप्रर्म प्रर्ोग 1980 में W.A. रोजेन द्वयरय।
जैव ववववधतय वकसी जैववक तंत्र के स्वयस्थ्र् कय द्योतक है। र्ह वकसी ददर्े गए पयररस्थिवतकीर् तंत्र , बयर्ोम र्य पूरे
ग्रह में जीवन के रूपों की ववलभन्नतय कय पररणयम है। एक समुदयर् में रहने वयिे जीव-जन्तु
व वनस्पवत दूसरे समुदयर् के जीव जन्तुओ ं से आवयस, ियद्य िृंििय के आधयर पर अत्र्घधक
आिुवयंनशक ववववधिय –
• एक ही जयवत र्य इसकी एक समखि में कुि आनुवयंसशक ववववधतय जीन पूि कहियती है।
प्रजयिीर् ववववधिय –
• प्रजयतीर् ववववधतय से आशर् वकसी पयररस्थिवत तंत्र के जीव-जन्तुओ ं के समुदयर्ो की प्रजयवतर्ों में ववववधतय से है। .
• एक समुदयर् के जीव जंतुओ ं और वनस्पवतर्ों एवं दूसरे समुदयर् के जीव-जंतुओ ं व वनस्पवतर्ों के बीच पयई जयने वयिी
महत्वपूणा िथ्र् -
• पृथ्वी पर सबसे अघधक प्रजयवतगत ववववधतय कीट (आर्ोपोडय समूह) में पयई जयती है (िगभग- 751000) ।
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• अर्लिय ववववधिय - वकसी एक समुदयर् र्य पररतंत्र में प्रजयवतर्ों की कुि संख्र्य को बतयती है।
• बीटय ववववधिय - आवयसों र्य समुदयर्ों की एक प्रवणतय के सयर् जयवतर्ों के ववस्र्यपन होने की दर बीटय ववववधतय
• गयमय ववववधिय - एक भौगोलिक क्षेत्र र्य आवयसो की प्रजयवतर्ों की प्रचुरतय को बतयती है।
स्र्ियकृवतर्ों एवं पररतंत्रों मे लभन्नतय के कयरण र्ह क्षेत्र जैव ववववधतय की दृखि से समृद्ध है। भयरत, ववश्व के ववववधतय
बयहुल्र् क्षेत्रों में से एक है। ववश्व के कुि 17 मेगय डयइवससि टी प्रदेशों में भयरत को भी शयलमि वकर्य गर्य है। ववश्व के हॉटस्पट
• जैव ववववधतय की दृखि से भयरत ववश्व के 10 एवं एसशर्य के 4 शीिा देशों में शयलमि है। IUCN के अनुसयर भयरत में जीवों की
1. भयरत के प्रमुि हॉटस्पॉट क्षेत्र 2. समुद्रीर् जैव ववववधतय क्षेत्र 3. भयरत के जैव भौगोलिक क्षेत्र
• हॉटस्पॉट शब्द कय प्रर्ोग सबसे पहिे 1988 में नॉरमन मयर्सा द्वयरय।
• पलिमी घयट हॉटस्पॉट क्षेत्र में 64.95% इण्डो-बमया 5.13 % रहमयिर् क्षेत्र 44.37% और सुंडयिैं ड हॉटस्पॉट क्षेत्र में 1.28% क्षेत्र।
• भयरत कय समुद्र तटीर् क्षेत्र 7,516.6 वकमी तक ववस्तृत है। समुद्रीर् जैव ववववधतय क्षेत्रों में ववलभन्न मैंग्रोव, एश्चुरी, प्रवयि
• ववश्व में कोरि, मोिस्क(घोंघय), क्रस्टे सशर्न, पॉिीकीट्स और प्रवयि प्रजयवतर्ो की प्रचुरतय पयई जयती है।
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• जैव भौगोलिक क्षेत्र वे क्षेत्र है जहयँ जंतुओ ं और पौधो की प्रजयवतर्ो के िक्षणो एव ववतरण में ववश्व के अन्र् क्षेत्रों से
• जैव ववववधतय की दृखि से भयरत के 10 जैव भौगोलिक क्षेत्र है सजनमें जिवयर्ु, स्र्ियकृवतर्ों, मृदय आदद में लभन्नतय पयई
जयती है।
ववश्व में पयए जयने वयिे समस्त जंतुओ ं को दो भयगों में बयँटय गर्य है -
जन्तुओ की प्रजयवतर्यं
कशेरूकी अकशेरूकी
उदय.
सरीसृप उदय. उदय. चींटी,
उदय. क्रैब स्पयइडसा,
सेंटीवपड्स कीट-पतंगे,
िॉब्स्टर स्कोवपि र्न्स
लमिीपीड्स िोकस्ट्स
रटक्स
कशेरूकी जंिु –
• जंतुओ ं की वे प्रजयवतर्यँ सजनमें रीड की हड्डी उपस्थित होती है कशेरूकी र्य रीढधयरी जंतु कहियते है।
स्ििधयरी –
• ववश्व में स्तनधयररर्ों की िगभग पयँच हजयर प्रजयवतर्यँ पयई जयती है।
• स्तनधयररर्ों के शरीर पर बयि, नयिून और वकरेरटन से बने हुए सींग पयए जयते है।
• समुद्री गयर्, समुद्री ससिं ह, इर्रिे स सीि, पैगोलिन, व्हेि इत्र्यदद स्तनधयररर्ों के उदयहरण है।
डॉस्थिि –
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• भयरत में सबसे अघधक डॉस्थिन गंगय नदी क्षेत्र में पयई जयती है।
• भयरत सरकयर ने नदी डॉस्थिन को रयष्रीर् जिीर् जीव घोवित वकर्य है।
मयसुवपअर्लस –
अववकससत सशशुओ ं को जन्म के बयद अपने पेट के पयस बने र्ैिीनुमय स्र्यन में
रिती है।
• मयसुवपअल्स ववशेित: ऑस्रे लिर्य, न्र्ू घगनी, तर्य उनके आस-पयस के द्वीपों में
• वतामयन में इनकी प्रजयवतर्ों के केवि 3 जीव ही जीववत है। र्े जीव
वरतचंचु (डक वबल्ड प्िे रटपस), पेंगोलिन तर्य संकटग्रस्त स्पयइनी ऐ ंट ईटर है।
उभर्चर -
• उभर्चर जंतु मत्स्र् एवं सरीसृप के बीच की प्रजयवत है। र्े स्र्ि एवं जि दोनो में रहने
पक्षी –
• पलक्षर्ों के पंि ववकससत होते है सजससे वे उड सकते है। र्े समतयपी होते है । र्े अण्डे देते है।
सरीसृप -
• पृथ्वी पर रेंगकर चिने वयिे जीवों कय सरीसृप कहय जयतय है। इनके शरीर पर बयि र्य पंि के बजयर् शल्क होतय है।
मत्स्र् -
• मछलिर्यँ शल्कों वयिी जिचर जीव है जो कम-से-कम एक जोडे पंि से र्ुक्त होती है।
• र्े प्रयर्: जि में पयई जयती है। (कुछ ियरे जि में तर्य कुछ स्वच्छ जि में)
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• र्े िेिडे की बजयर् ववकससत घगल्स से पयनी के अंदर सयँस िे ती है। इनमें शल्क एवं पंि पयए जयते है।
अकशेरूकी जंिु –
• अकशेरूकी जंतुओ ं में रीढ की हड्उी कय अभयव होतय है। अकशेरूकी जंतुओ ं की प्रजयवतर्यँ
लनम्नलिखित है
अर्थ्रोंपोडय –
• अर्थ्रोंपोडय प्रजयवतर्ों की संख्र्य पृथ्वी पर सबसे अघधक है। पृथ्वी पर दो वतहयई प्रजयवतर्यँ
• इनकी प्रमुि प्रजयवतर्यँ- वतिचट्टय, मच्छर, मक्िी, झींगय, केकडय आदद है।
एिेनलडय –
मोलस्क -
• बयहरी आवरण कठोर होतय है, जो इन्हे बयहरी ितरे से बचयतय है।
िेमेटोर्डस –
• नेमेटोड्स समूह के जीवों कय शरीर िं बय संकरय होतय है। इनकय शरीर िचीिय तर्य धयगे की तरह होतय है।
1. रयष्रीर् उद्ययन
2. वन्र्जीव अभ्र्यरण्र् 1. बीज बैंक 1. वनस्पवत उद्ययन
3. जैव मण्डि आगर 2. जीन बैंक 2. वृक्ष उद्ययन
4. पववत्र उपवन एवं 3. लनम्नतयपी 3. जंतु उद्ययन
झीिे संरक्षण 4. घचरडर्यघर
5. समुदयर् एवं संरक्षण
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पौधो कय वगीकरण
लयइकेि –
• ियइकेन लनम्न िेणी की छोटी वनस्पवतर्ों कय समूह है। र्े ववलभन्न आधयरों, जैसे वृक्ष की पघिर्ों, छयिों, प्रयचीन
• ियइकेन कवक एवं शैवयिय के सहजीवी संबंध के रूप में पयए जयते है।
कीटभक्षी पौधे –
• र्े पौधे नयइरोजन पूवति के लिे ए कीटो, मकरडर्ों, सूक्ष्म जीवों को ियते है।
• डोसेरय, वपचर प्ियंट (घटपणी), वीनस फ्लयई रै प, ब्िै डरवटा कीटभक्षी पौधो के उदयहरण है।
प्रजयति ववलोपि –
• प्रजयवतर्ों के वविोपन से अलभप्रयर् ववश्व के प्रत्र्ेक क्षेत्र से प्रजयवतर्ों के वविु प्त र्य पूरी तरह से समयप्त होने से है।
• कभी-कभी प्रयकृवतक आपदयओ ं के कयरण प्रजयवतर्ों के संपूणा समूह नष्ट हो जयते है। इस प्रकयर की घटनय करोडो
विों में होती है। र्ह वविोपन ‘समूह वविोपन’ कहियतय है।
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जैव लवलवधता का संरक्षण
रयष्टरीर् उद्ययि –
• वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1972 वकसी समृद्ध जैव ववववधतय वयिे प्रयकृवतक
पयररस्थिवतक तंत्रय को, रयष्रीर् उद्ययन घोवित करने की शघि रयज्र्ों को देतय है।
• रयष्रीर् पयका घोवित वकए गए क्षेत्र में जंतुओ ं कय सशकयर प्रवतबंघधत होतय है।
लद्दयख हेलमस हयई भयरत कय सबसे बडय रयष्रीर् उद्ययन (िे ह जनपद)
रहमयचल प्रदेश (5) वृहद (ग्रेट) रहमयिर् र्ूनेस्को की ववरयसत सूची में शयलमि
की घयटी
स्र्ि
(वैियवदयर), वंस्दय
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कियाटक बयंदीपुर रेड हेडेड वल्चर, वृहद बयइसन, भयरतीर् हयर्ी,
चीति
बन्नेरघट्टय, अंशी
बनस्र्िी म्रुगयवयनी
वेंकटे श्वर
छत्िीसगढ (3) कयंगेर घयटी महत्वपूणा पक्षी क्षेत्र रयणय चयल्सा डयववि नी नयमक
नई मेंढक प्रजयवत
सुंदरवन
मणणपुर (1) केइबुि – ियमजयओ ववश्व कय एकमयत्र तैरतय हुआ उद्ययन (Floating
Park)
(2)
झयरखंड (1) बेतिय बयघ, स्िोर् भयिू , मोर, हयर्ी, सयंबर आदद
मध्र्प्रदेश (9) बयंधवगढ सबसे अघधक बयघ जनसंख्र्य घनत्व वयिय सिेद
शेर
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मंडिय प्ियंट िॉससि, मयधव, इं ददरय
ववहयर
सैडम पीक
वन्र्जीव अभर्यरण्र् –
वन्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म,1972 के अनुसयर र्दद रयज्र् वकसी ववशेि क्षेत्र को जैव ववववधतय की दृखि से महत्वपूणा मयनते हो
अर्यात जहयँ पर पर्याप्त जैववकीर्, भू-आकृवतक, जीव जंतु, वनस्पवतर्ों आदद की बहुितय हो उस क्षेत्र को वन्र्जीव वन्र्जीव
आंध्र प्रदेश कोररिं गय, कोल्िे रू, पुलिकट, नयगयजुान सयगर – िीशैिम, प्रयणरहतय
वबहयर बरेिय झीि (वतामयन में सिीम अिी जुब्बय सयहनी पक्षी ववहयर), भीमबयंध, गौतम बुद्ध, कयँवरझीि, कैमूर,
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गोवय भगवयन महयवीर (मोल्िे म)
गुजरयि कच्छ ग्रेट इं रडर्न बस्टडा, घगर, कच्छ की ियडी (मेरीन), नि सरोवर, नयरयर्ण सरोवर (घचिं कयरय), पूरनय,
जंगिी गधय
केरल र्डेक्क्ड पक्षी, इदुक्की, नेय्ययर ,परयस्विकुिम, मयियबयर, पेररर्यर, वयर्नयड, कुमयरयकॉम
मध्र्प्रदेश बोरी, गयंधी सयगर, रयष्रीर् चंबि, पन्नय, रयतयपयनी, सोन घरडर्यि
महयरयष्टर िनसड, बोर, किसुबयई – हररश्चन्द्र, मेिघयट, नयगजीरय, नरनयि पक्षी, पेनगंगय, उमरेद करहयंडिय
िनमलियडु कोडयईकनयि, नेल्िई, प्वॉइं ट कैिीमर, पुलिकट झीि, सत्र्मंगिम, किक्कड, इं ददरयगयंधी
उत्िर प्रदेश बखिरय, कैमूर, महवीर स्वयमी, रयष्रीर् चंबि, ओििय पक्षी, पटनय पक्षी ववहयर
प्रदेश
ियगयलै ड ियकीम
उत्िरयखंड केदयरनयर्
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अंडमयि व टटा ि द्वीप
निकोबयर
4. 1989 ग्रेट लनकोबयर बयर्ोस्फीर्र ररजवा अंडमयन व नोकोबयर द्वीप समूह द्वीप
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10. 1998 ददहयंग-ददबयंग अरुणयचि प्रदेश पूवी रहमयिर्
▪ वषा 1971 में शुरू वकर्य गर्य र्ूनेस्को कय मैि एं ड बयर्ोस्फीर्र ररज़वा प्रोग्रयम (MAB) एक अंतर-सरकयरी वैज्ञयलनक
कयर्ाक्रम है सजसकय उद्देश्य िोगों और उनके वयतयवरण के बीच संबंधों में सुधयर के लिर्े वैज्ञयलनक आधयर ियवपत करनय है।
▪ र्ह आलर्ि क ववकयस के लिर्े नवयचयरी दृखिकोण को प्रोत्सयरहत करतय है जो सयमयसजक एवं सयंस्कृवतक दृखिकोण से उघचत
▪ भयरत में कुि 12 बयर्ोस्फीर्र ररजवा हैं सजन्हें मैि एं ड बयर्ोस्फीर्र ररज़वा प्रोग्रयम के तहत अंतरयाष्ट्रीर् स्तर पर मयन्यतय दी
गई है:
5. नोकरेक 6. पचमढी
11. िंगचेंदजोंगय (2018 में मैन एं ड बयर्ोस्फीर्र ररजवा प्रोग्रयम के तहत जोडय 12. पन्नय (2020 में जुडय)
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ग्रेट रहमयिर्न नेशनि पयका संरक्षण क्षेत्र (2014)
रयमसर िल
रयमसर ईरयन कय एक शहर है जहयं 2 िरवरी 1971 को आद्राभूलम के संरक्षण और उनके प्रबंधन के लिए एक अंतररयष्ट्रीर् संघध
पर हस्तयक्षर वकए गए र्े इसी संघध र्य समझौते को रयमसर समझौतय के नयम से जयनय जयतय है इस संघध कय उद्देश्य संपूणा ववि
के सभी महत्त्वपूणा आद्राभूलम ििों की सुरक्षय करनय है र्ह समझौतय 21 ददसंबर 1975 से प्रभयव में आर्य।
• घचल्कय झीि के सयर् केवियदेव पक्षी अभ्ययरण को भी रयमसर िि घोवित वकर्य र्य |
• दुलनर्य की पहिी रयमसर सयइट ऑस्रे लिर्य में स्थित कोबोगा प्रयर्द्वीप र्ी |
मध्य प्रदेश में अब कुि चयर रयमसर ियन हैं। भोज वेटिैं ड और बडय तयियब के नयम से जयने जयने वयिी अपर िे क को 2002
में मध्य प्रदेश की पहिी रयमसर सयइट घोवित वकर्य गर्य र्य। उसके दो दशक बयद 2022 में इं दौर के दो जि लनकयर्ों ‘र्शवंत
सयगर झीि’ और ‘ससरपुर झीि’ को रयमसर सयइट घोवित वकर्य गर्य। इसी सयि बयद में, सशवपुरी की सयख्यय सयगर झीि को भी
भयरि में मॉन्रे क्ट ररपोटा के िहि भयरि में शयनमल क्षेत्र
✓ िोकटक झीि
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प्रोजेक्ट टयइगर
• देश में बयघों की िगयतयर घटती आबयदी तर्य बयघों कय संरक्षण करने के लिए सरकयर
ने 1973 में “प्रोजेक्ट टयइगर” ियंच वकर्य सजसके तहत भयरत के रयष्ट्रीर् पशु बयघ के संरक्षण
• रयजियन के जोधपुर के कैियश सयंििय के नेतृत्व में पहिी बयर इं ददरय गयंधी ने प्रोजेक्ट
टयइगर नयमक कयर्ाक्रम 1973 में शुरू वकर्य, इसलिए कैियश सयंििय को टयइगर मैन ऑि
• 1973 में जब टयइगर प्रोजेक्ट टयइगर ियंच वकर्य गर्य तब पूरे भयरत में 9 टयइगर ररजवा घोवित वकए गए |
• र्ह 9 टयइगर ररजवा र्े – मयनस, पियमू, रणर्ंबोर, बयंदीपुर, कयन्हय, मेिघयट, सजम कयबेट, सुंदरवन और ससमिीपयि |
पक्षी अभर्यरण्र् -
• घयनय पक्षी ववहयर (भरतपुर, रयजस्र्यन) • रंगन लर्ट्टू पक्षी ववहयर (मैसूर, कनयाटक)
• वेदयर्ंगि पक्षी ववहयर (कयंचीपुरत, तलमिनयडु) • मयियपट्टी पक्षी ववहयर (नेल्िौर, आंध्रप्रदेश)
• सुल्तयनपुर पक्षी ववहयर (गुरूग्रयम, हररर्यणय) • सिीम अिी पक्षी ववहयर (चोरयओ ं, मयंडवी नदी के पयस ,गोवय )
• कौण्डिन्र्य पक्षी ववहयर – (घचतुर, आंध्रप्रदेश) • घचल्कय झीि पक्षी ववहयर – (पुरी के पयस ओरडशय)
संरक्षण आगयर एवं समुदयर् आगयर – वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1973 में 2002 के संसोधन द्वयरय संरक्षण आगयर एवं
समुदयर् आगयर को जोडय गर्य। र्ह अघधलनर्म वन्र्जीव संरक्षण के लिए समुदयर्ों द्वयरय वकए जय रहे प्रर्यसों को नई पहचयन
देतय है।
समुदयर् आगयर – वन्र्जीव (संरक्षण) संशोधन अघधलनर्म 2002 के बयद वकसी व्र्घि व संस्र्य द्वयरय अघधकयररत क्षेत्रय जो
रयष्रीर् उद्ययन, अभर्यरण्र् व संरक्षण आगयर के अंतगात शयलमि नही है रयज्र् सरकयर उसे जीव जंतुओ ं व समुदयर् के संरक्षण हेतु
संरक्षण आगयर – रयज्र् सरकयर द्वयरय अघधकयररत भूलम क्षेत्र , जो रयष्रीर् उद्ययन अर्वय अभर्यरण्र् क्षेत्र में संिग्न है।
पयररस्थितिक संवेदिशील जोि – पयररस्थिवतक संवेदनशीि जोन (ESZ) संरलक्षत क्षेत्र के आस – पयस के वे क्षेत्र है जो नेशनि
पयका व अभर्यरण्र् क्षेत्र मे ववकयस कयर्ाक्रम से नष्ट हो रही जैव ववववधतय को बचयने हेतु बनयए गए है। ESZ संरलक्षत क्षेत्र में शॉक
पववत्र उपवि – पववत्र उपवन वे क्षेत्र होते है सजन्हे िोगों की आस्र्य और उनके प्रयकृवतक िगयव के कयरण संरलक्षत वकर्य जयतय
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समुरी संरनक्षि क्षेत्र - समुद्री संरलक्षत क्षेत्र कय उद्देश्र् प्रयकृवतक समुद्री पररतंत्र की मूि स्थिवत को सुरलक्षत और संरलक्षत करनय
है।
भयरि में समुरी संरनक्षि क्षेत्र को िीि वगों में बयँटय गर्य है –
• वगा 1 – इसके अंतगात भयरत के सभी रयष्रीर् उद्ययन एवं अभ्र्यरण्र् मैग्रोंव र्य अंतज्वयारीर् /उप –ज्वयरीर् क्षेत्र, कोरि रीि,
क्रीक्स, समुद्री घयस, एल्गी, एश्चुअरीज एवं िै गून संरलक्षत वकए जयते है।
• वगा 2 – इसके अंतगात द्वीपों के समुद्री पररवतंत्र के कुि भयग को शयलमि वकर्य जयतय है।
• वगा 3 – इसके अंतगात समुद्रय नही बम्मल्क जिीर् भयग के छूते रेतीिे क्षेत्र को शयलमि वकर्य जयतय है।
महयत्मय गयंधी समुरी रयष्टरीर् पयका – पोटा ब्िे र्र से 29 वकमी दूर भयरत के दलक्षणी
अंडमयन क्षेत्र में स्थित महयत्मय गयंधी समुद्री रयष्रीर् पयका में कोरि रीि और कछुओ ं
कच्छ की खयडी समुरी रयष्टरीर् पयका – समुद्री पररतंत्र की दृखि से र्ह भयरत कय बहुत ही महत्वपूणा क्षेत्र है। भयरत में सबसे पहिे
इसी क्षेत्र को समुद्री रयष्रीर् पयका घोवित वकर्य गर्य है। इसमें कुि 42 द्वीप है।
• र्ह ओरडशय कयपहिय एवं इकिौतय समुु्द्री अभर्यरण्र् क्षेत्र है। इस क्षेद्ध में कछुओ ं की
अनेक ववसशष्ट प्रजयवतर्यँ पयई जयती है सजनमें से ओलिव ररडिे प्रजयवत के कछुए ज्र्यदय
• गरहरमयर्य समुद्री तट भीतरकलनकय मैग्रोव को बंगयि की ियडी से अिग करते है। र्ह
ओलिव ररडिे कछुओ ं के प्रजनन एवं नेण्डटिंग (घोसिय बनयनय) के लिए दुलनर्य कय महत्वपूणा समुद्री तट है।
• मन्नयर की ियडी रयष्रीर् पयका रहन्द महयसयगर मे तलमिनयडु के समीप स्थित क्षेत्र है।
होप-स्पॉट – होप-स्पॉट सयगर कय वह क्षेत्र है जहयँ महत्वपूणा समुद्री वनस्पवत और जीवों हेतु पयनी के नीचे इनकी ववशेि सुरक्षय
बयह्य - स्थयिे अभर्यरण्र् - बयह्य-स्र्यने संरक्षण ववघध में पौधे एवं जीव जंतुओ ं कय संरक्षण उनके प्रयकृवतक आवयस के बयहर
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बॉटवकल गयडेि - ववश्व के ववलभन्न क्षेत्रों से ियई गई पयदपो की महत्वपूणा एवं ववसशष्ट प्रजयवतर्ों, स्र्यलनक पौधों एवं बडे पौधों
की संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों कय संग्रह कर एक कृवत्रम रूप से बनयए गए आवयस क्षेत्र में प्रवतस्र्यपन वकर्य जयतय है , र्े कृवत्रम आवयस
तचरडर्यघर (ZOO) –
• बयह्य स्र्यनें संरक्षण ववघध के अंतगात जीव-जंतुओ ं, पलक्षर्ों एवं जीवों की दुिाभ एवं संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों को उनके प्रयकृवतक
आवयस से दूर एक कृवत्रम आवयस क्षेत्र में रिय जयतय है, र्ह क्षेत्र घचरडर्यघर कहियतय है।
केन्रीर् तचरडर्यघर प्रयतधकरण – भयरतीर् वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1972 [Wildlife (protection) act] 1972] के तहत
जीवं-जंतुओ ं के संरक्षण और उनकी देिभयि के लिए रयष्रीर् घचरडर्यघर की प्रयघधकरण (CZA) की स्र्यपनय की गई।
डीएिए स्िर पर जैव ववववधिय कय संरक्षण – जीन बैंक एवं क्रयर्ोवप्रजवेशन के अंतगा आनुवयंसशक पदयर्ो एवं कोसशकयओ ं के
जीि पूल सेंटर – एक जयवत में कुि आनुवयंसशक ववववधतय को जीन कोश कहते है। वतामयन में जैव ववववधतय के ह्रयस के कयरण
ववश्व में जीन पूि केंद्रों कय लनमयाण वकर्य जय रहय है , सजससे समयप्त हो रही जैव ववववधतय को संरलक्षत वकर्य जय सके।
• दलक्षण एसशर्य उष्णकरटबंधीर् क्षेत्र, इण्डो-चयइनय एवं द्वीपीर् क्षेत्र जो मियर्य द्वीप को शयलमि करतय है।
• दलक्षण – पलिम एसशर्य क्षेत्र कॉकेससर्न मध्र्पूवा एवं उत्तर पूवा भयरतीर् क्षेत्र।
• र्ूरोप क्षेत्र
जीि बैंक – जीन बैंको के अंतगात आनुवयंसशक पदयर्ों कय बयह्य स्र्यने संरक्षण कें अंतगात संग्रहण एवं संरक्षण वकर्य जयतय है।
इसमें िसिों की ववलभन्न प्रजयवतर्ों के बीजों को जीन बैंक में इकट्ठय कर एक सयमयन्र् तयप पर रिय जयतय है।
क्रयर्ोवप्रजवेशि –
• क्रयर्ोवप्रजवेशन कोसशकय, ऊतक, अंग एवं आनुवयंसशक पदयर्ो की जीन शघि बनयए रिने के लिए भंडयरण की एक प्रवक्रर्य
है।
• क्रयर्ोवप्रजवेशन तकनीकी के अंतगात पदयर्ो को द्रव नयइरोजन में अत्र्ंत लनम्न तयम पर रिय जयतय है तर्य सभी उपयपचर्ी
प्रवक्रर्यओ ं एवं वक्रर्यकियपों को आवश्र्क रूप से लनिं वबत रिय जयतय है।
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IUCN रेड नलस्ट क्र्य है –
• 1964 में स्र्यवपत IUCN रेड लिस्ट के रूप में भी जयनय जयतय है।
• रेड डयटय बुक में ऐसी प्रजयवतर्ों कय ररकयडा रिय जयतय है , जो ितरे में है और वविु प्त होने के जोखिम में है।
o हरय पेज – इन पेज में ितरे से बयहर प्रजयवतर्ों को रिय जयतय है।
o लयल /गुलयबी पेज – इस पेज में संकटग्रस्त र्य ितरों वयिी प्रजयवतर्ों कय ररकयडा रिय जयतय है।
• ववलुप्ि (Extinct) EX – वे प्रजयवतर्यँ सजनकय अस्वस्तत्व पृथ्वी से समयप्त हो चुकय है जैसे – डयर्यनयसोर, मैमि, डीडो।
• जंगली में ववलुप्ि (EW) – केवि केद जीववत रहने के लिए जयनय जयतय है र्य इसकी ऐवतहयससक सीमय के बयहर एक
• गंभीर रूप से संकटयपन्िय (CR) – जंगिी मे वविु प्त होने कय अत्र्घधक उच्च जोखिम जैसे – घगद्ध-रहमयिर् बटे र,
भयरतीर् चीतय।
• लुप्िप्रयर् (N) – वे प्रजयवतर्यँ सजनके वविु प्ति कय लनकट भववष्र् में ितरय है । जैसे – गंगय डॉस्थिन, शेर जैसी पुंछ वयिय
• सुभेर (VA) – वे प्रजयवतर्यं होती है सजनकी संख्र्य कम होने के कयरण उनकी वविु प्ती कय ितरय बनय रहतय है।
• कम से कम तचिं िय (LC) – र्े वे प्रजयवतर्यँ है जो दुिाभ िेणी में पहुंचने के करीब होती है।
• मूर्लर्यंकि िही वकर्य गर्य – मयनदंडो के खिियि अभी तक मूल्र्यंकन नही वकर्य गर्य।
• डेटय की कमी – इसके वविु प्त होने के जोखिम कय आंकिन करने के लिए पर्याप्त डेटय नही है।
संवेदिशील स्थलीर् स्ििधयरी - तयवकन, नीिघगरर मयटे न, संगमरमर के रंग की वबल्िी, बयरहससिं गय, भयरतीर् भेरडर्य, एसशर्यई
कयिय भयिू ।
संवेदिशील जलीर् स्ििधयरी - स्वच्छ जि र्य नददर्ों में रहने वयिी डॉस्थिन, ससिं धु नदी में पयए जयने वयिी डॉस्थिन, मयनयटीस।
शीि ऋिु में प्रवयस करिे वयले पक्षी – सयइबेररर्न क्रेन, ग्रेटर फ्ले लमिं गो, र्ूरसे शर्न टीि, पीिी वयगटे ि, सिेद वयगटे ि, उत्तरी
शॉविे र, रोजी पेलिकरन, वुड सैंडपयइपर, रोजी पेलिकन, वुड सैंडपयइपर, घचत्तीदयर सैंडपयइपर, र्ूरसे शर्न कबूतर।
ग्रीष्टम ऋिु में प्रवयस करिे वयले पक्षी - एसशर्यई कोर्ि, र्ूरोवपर्न सुनहरी ओररर्ोि, कॉम्ब डक, कूकूस, नीिी पूँछ वयिी
मक्िी भक्षी।
विस्पति ववववधिय – ववश्व के सभी क्षेत्रों में पर्यावरणीर् दशयओ ं में लभन्नतय के कयरण वनस्पवतर्ों में भी लभन्नतय पयई जयती है।
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• लुप्िप्रयर् पशु
प्रोजेक्ट टयइगर - भयरत में बयघो की संख्र्य में िगयतयर घगरयवट के कयरय 1973 में भयरत
सरकयर ने बयघों को संरलक्षत करने के लिए प्रोजेक्ट टयइगर कयर्ाक्रम शुरू वकर्य।
NTCA) – रयष्रीर् टयइगर संरक्षण प्रयघधकरण ‘पर्यावरण, वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर्’ के अंतगात गरठत एक सयंववघधक
लनकयर् है जो वन्र्जीव अघधनघर्म, 1972 (2006 में संशोघधत) कें तहत कयर्ा करतय है। .
वैनिक टयइगर / बयघ िोरम – 1993 में वैलिक स्तर पर बयघों के संरक्षण के लिए ददल्िी में सम्मेिन हुआ, सजसमें वैलिक टयइगर
• बयघो की लनगरयनी
प्रोजेक्ट एलीिैंट
• प्रोजेक्ट एिीिैंट 1992 में केंद्र सरकयर द्वयरय शूरू वकर्य गर्य है।
हयथी गनलर्यरय –
• र्ह भूलम कय वह संकरय गलिर्यरय र्य रयस्तय होतय है जो हयलर्ें को एक वृहद पर्यावयस से जोडतय है। र्ह
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हयक्तथर्ों की अवैध हत्र्य की निगरयिी कयर्ाक्रम –
• 2003 में सयइट्स (CITES) के दिीर् सम्मेिन (COP) द्वयरय र्ह कयर्ाक्रम दलक्षण एसशर्य के देशों में शुरू वकर्य गर्य।
• र्ह जयगरूकतय अलभर्यन पर्यावरण वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् तर्य वयइल्ड ियइि रस्ट ऑि इं रडर्य (WTI)
• औपचयररक रूप से र्ह अलभर्यन एिीिैंट- 8 की मंवत्रस्तरीर् बैठक में मई 2011 में शुरू वकर्य गर्य।
गंगय डॉस्थिि –
• वन एव पर्यावरण मंत्रयिर् ने गंगय डॉस्थिन को रयष्रीर् जिीव जीव घोवित वकर्य। र्ह भयरत,
नेपयि, बयंग्ियदेश की गंगय – ब्रम्हपुत्र- मेघनय और कनािुिी संगु नदी तंत्र में पयई जयती है।
• इनकी कुि संख्र्य 2000 के करीब बची हुई है। इन्हे वन्र्जीव संरक्षण अघधलनमर्, 1972 के
• गंगय डॉस्थिन के अियवय ववश्व में 3 और डॉस्थिन प्रजयवतर्यँ है, जो मीठे जि में पयई जयती है वे है -
o नसिं धु की भूलि डॉस्थिि – पयवकस्तयन के ससिं धु नदी क्षेत्र में पयई जयती है।
o बोटो डॉस्थिि – अमेजन नदी के िै रटन अमेररकय के क्षेत्र में पयई जयती है।
कछुओ ं की ववसशष्ट प्रजयवतर्ों में से एक ओलिव ररडिे कछुआ प्रवतविा शीत के समर् में भयरत
के पूवी तटों पर अपने घोंसिे बनयने के लिए प्रवयस करते है। ओलिव ररडिे व अन्र् कछुओ ं की
संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों के संरक्ष्ायण के लिए पर्यावरण, वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् एवं र्ूएनडीपी
(UPDP – United Nations Development Programme) ने सयझे तौर पर 1999 में भयरतीर् वन्र्जीव संस्र्यन, देहरयदून में
• हररर्यणय वन ववभयग तर्य बॉम्बे नेचुरि रहस्री सोसयइटी के बीच 2006 में एक समझौतय हुआ सजसमें
• भयरत में घगद्धों की कम होती संख्र्य को पहिी बयर रयजस्र्यन के ‘केवियदेव रयष्रीर् उद्ययन’ में
हं गुल पररर्ोजिय –
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• हंगुि र्ूरोपीर् रेप्तिर्र प्रजयवत कय एक रहरण है। अब र्े केवि कश्मीर के ‘दयचीग्रयम रयष्रीर्
• इसे ‘कश्मीरी स्टै ग’ भी कहते है तर्य र्ह जम्मू एवं कश्मीर कय रयजकीर् पशु है।
• 1970 में इसकी संख्र्य घटकर 150 हो गई र्ी। तब जम्मू-कश्मीर सरकयर ने IUCN तर्य WWF
• मगरमच्छ संरक्षण के लिए 1974 ई. में पररर्ोजनय बनयई गर्ी तर्य 1978 तक कुि 16
• केंद्रीर् मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन प्रसशक्षण संस्र्यन हैदरयबयद में स्थित है।
• मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन प्रोजेक्ट 1975 में FAO तर्य UNDP की सहयर्तय से शुरू वकर्य गर्य।
• 1970 के दशक में शुरू की गई 'भयगवतपुर मगरमच्छ पररर्ोजनय’ कय उद्देश्र् ियरे पयनी में मगरमच्छों की संख्र्य में वृद्धद्ध
करनय र्य।
गैंडय पररर्ोजिय –
• इनकी कम होती संख्र्य के कयरण 1987 में गैंडय पररर्ोजनय प्रयरंभ की गई।
• असम कय मयनस अभर्यरण्र्, कयजीरंगय उद्ययन तर्य पलिम बंगयि कय जयल्दयपयडय अभर्यरण्र्
• इं रडर्न रयइनों ववजन 2020 कय उद्देश्श्र् एक सींग वयिे गैंडे कय संरक्षण तर्य उनकी संख्र्य में वृद्धद्ध करनय है।
• इं रडर्न रयइनों ववजन 2020 को असम के वन ववभयग तर्य बोडो स्वयर्त्त पररिद द्वयरय पूणा वकर्य जयनय है।
• वल्डा वयइड िण्ड – इं रडर्य तर्य अंतरयाष्रीर् रयइनों ियउं डेशन द्वयरय इस पररर्ोजनय को सहर्ोग ददर्य जय रहय है।
• ियि पयंडय पूवी रहमयिर् क्षेत्र में पयर्य जयतय है। अरूणयचि प्रदेश में इसे ‘कैट बीर्र’ के नयम
से जयनय जयतय है। 1996 में WWF के सहर्ोग से ियि पयंडय पररर्ोजनय शुरू की गई।
• संरक्षण के लिए 1970 के दशक में तयत्कयिीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तरयिंड) के केदयरनयर्
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रहम िेंदआ
ु पररेर्यजिय –
• र्ह पररर्ोजनय भयरत के रहमयिर्ी रयज्र्ों – जम्मू एवं कश्मीर, रहमयचि प्रदेश, अरूणयचि
जैव ववववधिय अतधनिर्म, 2002 - इस अघधलनर्म के अंतगात रयष्रीर् जैव ववववधतय प्रयघधकरण (National Biodiversity
Authority – NBA) चैन्नई, रयज्र् जैव ववववधतय बोडा (State Biodiversity Board – SBB) एवं स्र्यलनक लनकयर्ों में जैव
ववववयध्तय प्रबंधन सलमवतर्ों (Biodiversity Management Committess % BMC) कय गठन वकर्य गर्य है।
आिुवयंनशक इं जीनिर्ररिं ग मूर्लर्यंकि सनमति (GEC) – पर्यावरण, वनएवं जिवयर्ु मंत्रयिर् (MoEFCC) के अधीन र्ह भयरत
• जैव ववववधतय अलभसमर् (CBD) विा 1992 में ररर्ो – रड – जेनेररर्ों में आर्ोसजत पृथ्वी सम्मेनन के दौरयन अंगीकृत
• सीबीडी में पक्षकयर के रूप में ववश्व के 196 देश शयलमि है।
कयटयाजेिय जैवसुरक्षय प्रोटोकॉल – कयटयाजेनय जैवसुरक्षय प्रोटोकॉि को जैव ववववधतय कन्वें शन के तत्वयधयन में अंवतम रूप ददर्य
गर्य तर्य इसे 29 जनवरी 2020 को अंगीकयर वकर्य गर्य। र्ह प्रोटोकॉि 11 ससतंबर 2003 को ियगू हुआ।
िगोर्य – क्वयलयलम्पुर अिुपूरक प्रोटोकॉल -दयघर्त्व एवं लनरयकरण के बयरे में अनुपूरक प्रोटोकॉि एक नई अंतरयाष्रीर् संघध
है जो छह विा की गहन वयतया के बयद 15 अक्टू बर 2010 को नगोर्य, जयपयन में सीपीबी (कयटयाजेनय प्रोटोकॉि ऑन बयर्ोसेफ्टी)
के पक्षकयरो के सम्मेिन की पयँचवी बैठक में अपनयई गई। र्ह कयटयाजेनय प्रोटोकॉि के प्रभयवी वक्रर्यन्वर्न हेतु एक अंतरयाष्रीर्
प्रर्यस है।
CBD के अंिगाि COP-10 - 2010 में जयपयन के नगोर्य के आइची प्रयंत में COP-10 सम्मेिन कय आर्ोजन हुआ। कॉप-10 के
िगोर्य प्रोटोकॉल – सीबीडी के तत्वयधयन/संरक्षय में छ: विों की गहन वयतयाओ ं के बयद विा 2010 में पहुँच और ियभ भयगीदरी
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आइची लक्ष्र् – 18 से 29 अक्टू बर 2010 नगोर्य (जयपयन) के आइची (Aichi) प्रयंत में आर्ोसजत दिपों के 10वें सम्मेिन में जैव
• पशुओ ं के प्रवत क्रूरतय लनवयरण अघधलनर्म 1960 (PCA act] 1960) के सेक्शन – 4 के तहत 1962 में गरठत भयरतीर्
वन्र्जीव अपरयध निर्ंत्रण ब्र्ूरों - वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनमर्, 1972 की धयरय 38(Z) के तहत र्ह अघधदेश ददर्य गर्य है।
पयररस्थििक-िंत्र
• पयररस्थिवतकी शब्द मूि जमान शब्द oekologic तर्य अंग्रेजी भयिय के Ecology शब्द कय रूपयंतरण है।
• पयररस्थिवतकीर् अर्यात Ecology शब्द की मूि उत्पघि र्ूनयनी भयिय के OIKOS शब्द सजसकय अर्ा घर अर्वय लनवयस स्र्यन
होतय है तर्य LOFOS शब्द कय अर्ा अध्र्र्न होतय है, से बनय है।
• पयररस्थिवतक कय अर्ा जैववक तत्वों एवं उनके पर्यावरण के मध्र् संबंधों के प्रवतरूपों के अध्र्र्न के लिए वकर्य जयतय है।
o पयररस्थिवतकी को सवाप्रर्म पररभयवित करने और ववस्तृ त अध्र्र्न करने कय िेर् भी जमानी जैव वैज्ञयलनक
अनास्ट-हेकेि को भी प्रयप्त है। उनके अनुसयर वयतयरण और जीव समूदयर् के पयरस्पररक संबंधों के अध्र्र्न को
o 1895 तर्य 1905 में वयलमिं ग E-warming के अनुसयर पयररस्थिवतकी पर्यावरण के संबंध में जीवों कय अध्र्र्न है।
o 1927 में वब्ररटश जीवशयस्त्री चयल्सा एल्टन ने इकोिॉजी को वैज्ञयलनक प्रयकृवतक इवतहयस कहय।
पयररस्थितिकी –
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• पयररस्थिवतकी तंत्र – वयतयवरण के जैववक एवं अजैववक घटकों की अंतवक्रर्य से ववकससत तंत्र को पयररस्थिवतकी तंत्र
कहते है।
• र्ह एक िुिय तंत्र होतय है, सजसमें सयमग्री एवं ऊजया कय लनरंतर प्रवयह होतय रहतय है।
भौवतक
पोिण जिवयर्ु उत्पयदक उपभोक्तय अपघटनकयरी
वयतयरण
सूर्ा रोशनी
मृदय, जि तर्य कयबालनक एवं जन्तु (जो पौधों
तयपमयन हरे पौधे सूक्ष्मजीव
वयर्ु अकयबालनक को ियते है)
आद्रातय, दयब
आदद
• अजैववक घटक – अजैववक घटक को लनम्नलिखित 3 भयगों में ववभयसजत वकर्य गर्य है –
1. भौतिक कयरक – सूर्ा को प्रकयश, तयपमयन, विया, आद्रातय तर्य ढयबय र्ह पररतंत्र जीवों की वृद्धद्ध को सीलमत और
2. अकयबानिक पदयथा – कयबानडयई ऑक्सयइड, नयइरोजन, ऑक्सीजन, ियस्िोरस, सल्िर, जि, लमट्टी तर्य अन्र्
िलनज पदयर्ा।
3. कयबानिक पदयथा – कयबोहयइड्रेट, प्रोटीन, लिवपड तर्य ह्यूलमक पदयर्ा र्ह सजीव तंत्र के मूिभूत अंग है। इसलिए
• जैववक घटक – जैववक घटक के अंतगात उत्पयदक उपभोक्तय एवं अपघटनकतया सम्मिलित होते है –
1. उत्पयदक – इसके अंतगात वे घटक आते है जो अपनय भोजन स्वर्ं बनयते है जैसे सभी हरे पौधे ।
2. उपभोक्िय - इसके अंतगात वे जीव आते है जो उत्पयदक द्वयरय बनयए गए भेत्र् पदयर्ा कय उपभोग करते है। र्े तीन
प्रकयर के होते है –
• प्रयथनमक उपभोक्िय - इसके अंतगात वे जीव आते है जो हरे पौधो र्य उनके वकसी भयग को ियते है। जैसे – गयर्,
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• दद्विीर्क उपभोक्िय – इसके अंतगातम वे जीव आते जो प्रयर्लमक उपभोक्तयओ ं को अपने भोजन के रूप में
• िृिीर्क उपभोक्िय – इसके अंतगात वे जीव आते है, जो दद्वतीर्क उपभोक्तयओ ं को ियते है। जैसे – बयघ, शेर,
घगद्ध आदद।
अपघटक – इसके अंतगात जीवयणु तर्य कवक आते है जो सभी प्रकयर के उपभोक्तयओ ं तर्य उत्पयदको को अपघरटत करके
• र्े भौवतक वयतयवरण में लमि जयते है तत्पश्चयत हरे पौधे इन्हे अवशोवित करके भोजन मे पररववति त कर देते है।
• इन्हे पुन: प्रयर्लमक उपभोक्तय ग्रहण कर िे ते है और र्ह चक्र चितय रहतय है।
खयद्य श्रृंखलय –
• इकोससस्टम में एक जीव से दूसरे जीव में भोज्र् पदयर्ों कय स्र्यनयंतरण ियद्य िृंििय कहियतय है। इसमें ऊजया कय प्रवयह
ियद्य िृंििय
जैसे घयस- रटड्डय - मेंढक - सयंप जैसे - कचरय- कीट - छोटी - मकडी
खयद्य जयल -
जयि कहते है। इसमें ऊजया कय प्रवयह एक ददशय में होते हुऐ कई
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पयररस्थितिकी िंत्र के प्रकयर –
• पयररस्थिवतकी तंत्र के अंतगात जैववक एवं अजैववक संघटकों के समूह को सम्मिलित वकर्य जयतय है , जो पयरस्पररक
वक्रर्य में सम्मिलित होकर पयररस्थिवतकी तंत्र कय लनमयाण करते है। इसे दो भयगो में ववभयसजत वकर्य जय सकतय है –
o प्रयकृवतक पयररतंत्र
1. प्रयकृतिक पयररिंत्र – वे पयररतंत्र जो पूणा रूप से सौर वववकरण पर लनभार रहते है प्रयकृवतक पयररतंत्र कहियते है। जैसे –
जंगि, घयस के मैदयन, सयगर, मरूस्र्ि नददर्यं झीि आदद। प्रयकृवतक पयररस्थिवतकी तंत्र को मुख्यत: दो भयगों में
1. स्थलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – भौवतक दशयओ ं तर्य उनके जैववक समुदयर् पर प्रभयव के अनुसयर पयलर्ि व र्य स्र्िीर्
पयररस्थिवतक तंत्रों में ववलभन्नतयएं होती है। तर्य पयलर्ि व पयररस्थिवतक तंत्र को पुन: कई उपभयगों में ववभयसजत वकर्य जयतय है–
ववसशष्ठ अध्र्र्न एवं लनलित उद्देश्र्ों के आधयर पर पयररस्थिवतक तंत्र को कई छोटे भयगों में ववभयसजत वकर्य गर्य है।
2. स्वच्छ जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – सबसे छोटय इकोससस्टम है र्े दो प्रकयर कय होतय है –
3. संक्रमणीर् जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – इसके अंतगात ज्वयरनदमुि, आद्रा, मैग्रोव आदद शयलमि है
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सीधय
संख्र्य वपरयलमड
उल्टय
संख्र्य वपरयनमड - संख्र्य के संबंधों के आधयर पर देिय जयए तो अघधकयंश तंत्रों में उत्पयदक से उपभोक्तय की ओर जयने पर जीवों
की संख्र्य सभी स्तरों पर कमी होती है। इसलिए वपरयलमड कय आकयर सीधय होतय है।
• परन्तु कुछ पयररस्थिवतकी तंत्र में संख्र्य घटने की बजयए बढने िगती है वहयं वपरयलमड उल्टय लनलमि त होतय है। जैसे –
वन र्य वृक्ष पयररस्थिवतकी तंत्र में वपरयलमड उल्टय तर्य घयस एवं जिीर् पररतंत्र में सीधय होतय है।
शेर कीडे
भेड/बकरी घचरडर्य
घयस पेड
• जैव भयर वपरयनमड - बयर्ोमयस कय एक वपरयलमड प्रत्र्ेक रयदिक स्तर में रहने वयिे सभी जीवों कय अिग-अिग
o उर्लटय वपरयनमड – जैसे – तयियब – प्िै क्टन्स - छोटी मछिी – बडी मछिी।
स्थल में भयर कय सीधय वपरयनमड ियलयब में भयर कय उर्लटय वपरयनमड
• ऊजया वपरयनमड – र्ह सदैव सीधय होतय है इसमें दस प्रवतशत कय लनर्म ियगू होतय है। हर पोिक ति पर ऊजया क्रमश:
कम होती जयती है। क्र्ोवक प्रत्र्ेक पोिण ति के जन्तु केवि 10 प्रवतशत ऊजया ही अगिे ति पर दे पयते है –
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शेर Teritary Consumer 10 Kcal
• दस प्रतिशि निर्म – 1942 में लििंडेमयन ने इस लनर्म को प्रवतपयददत वकर्य। इस लनर्म के अनुसयर जब हम एक पोिण
स्तर से दूसरे पोिण स्तर की ओर बढते है तो ऊजया की मयत्रय में धीरे-धीरे कमी होती जयती है।
• वयस्तव में एक पोिण स्तर से दुसरे पोिण स्तर में मयत्रय 10 प्रवतशत ही ऊजया स्र्यनयंतररत होती है। इसी कयरण ऊजया कय
2. मयिव निनमि ि पयरतििं त्र - सौर ऊजया पर लनभार वह पररतंत्र जो मनुष्र् द्वयरय लनलमि त वकए गए है जैसे – िेत, एक्वयकल्चर
और कृवत्रम तयियब।
• 10 प्रवतशत लनर्म संबंघधत है – ऊजया कय ियद्य के रूप में एक पोिी स्तर से दूसरे पोिी स्तर तक पहँचने से।
• जीव से जैव मंडि तक जैववक संगठन कय सही क्रम है – जनसंख्र्य - समुदयर् – पयररस्थिवतक तंत्र – भू-दृश्र्
• एक पयररस्थिवतक तंत्र में ऊजया की मयत्र एक पोिण स्तर से अन्र् स्तर में स्र्यनयंतरण के पश्चयत – घटती है।
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• पयररस्थिवतक पयरस्पररक संबंधों कय अध्र्र्न है – जीव और वयतयवरण के बीच।
• सवाप्रर्म पयररस्थिवतक तंत्र की संकल्पनय प्रस्तयववक की गई – विा 1935 में ए.जी.टयंसिे द्वयरय।
• वकसी क्षेत्र के सभी जीवधयरी तर्य वयतयवरण में उपस्थित अजैव घटक संर्ुक्त रूप से लनमयाण करते है – पयररतंत्र कय।
• पयररस्थिवतकी संतुिन बनयए रिने में मद करतय है – वनयरोपण, विया जि प्रबंधन तर्य जैव मंडि भंडयर।
• पयररस्थिवतक तंत्र में उच्चतम पोिण स्तर स्र्यन प्रयप्त है – सवयाहयरी को।
• पररतंत्र में ियद्य िृंिियओ ं कें संदभा में सजस प्रकयर के जीव अपघटक जीव कहियते है – कवन , जीवयणु।
• वकसी ियद्य िृंििय में मुख्र्त: प्रयर्लमक उपभोक्तय की िेणी में आते है – शयकयहयरी प्रयणी।
• एक घयसस्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र की ियद्य िृंििय में ववलभन्न घटकों कय सही क्रम है – घयस (उत्पयदक) – रटड्डय
• जीव भयर कय वपरयलमड, सजस पयररस्थिवतक तंत्र में उिट जयतय है वह है - तयियब।
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• पयररस्थिवतक तंत्र में तत्वों के चक्रण को कहते है – जैव भू रयसयर्लनक चक्र।
• सूक्ष्मजीव जो मृत पौधो, जंतुओ ं और अन्र् जैववक पदयर्ों को सडय-गिय कर आर्ोसजक करते है कहियते है – ववर्ोजक
• सवाप्रर्म गहन पयररस्थिवतकी डीप इकॉिोजी शब्द कय प्रर्ोग वकर्य – अनीज नेस ने।
पयरस्थितिकी अिुक्रम
पररववति त होते रहते है। वह प्रक्रम सजसके द्वयरय वकसी क्षेत्र में पयर्ी
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प्रयथनमक अिुक्रम – प्रयर्लमक अनुक्रम ियिी क्षेत्रों जैसे – चट्टयनों, नव लनलमि त डेल्टयओ ं और रते के टीिों, ज्वयियमुिी और
द्वीप समूह बहते हुए ियवय रहमयनी रहमोट (पीछे की तरि हट रही रहम नदी के द्वयरय बनयर्य गर्य अनयवृत कीचड भरय क्षेत्र) जहयं
दद्विीर्क अिुक्रम – दद्वतीर्क अनुक्रम उस समुदयर् कय ववकयस है जो उस वतामयन प्रयकृवतक वनस्पवत के पश्चयत अस्वस्तत्व में
आतय है जो समुदयर् की रचनय के बयद समयप्त हो जयती है, बयघधत हो जयती है र्य प्रयकृवतक पररघटनयओ ं जैसे तूियन, अर्वय
जंगि की आग र्य मयनव संबंधी पररघटनयओ ं जैसे िसि की कटयई से नष्ट हो जयती है।
दद्वतीर् अनुक्रम अपेक्षयकृत तेज होतय है क्र्ोवक लमट्टी में आवश्र्क पोिक तत्वों के सयर्-सयर् बीजो कय भंडयरण तर्य
र्ूएिएिसीसीसी क्यय है ?
• र्ूएनएिसीसीसी (जिवयर्ु पररवतान पर संर्ुि रयष्ट्र संरचनय अलभसमर् / किेंशन) संर्ुि रयष्ट्र आधयररत ढयंचय है
• 1992 में ररर्ो डी जेनेररर्ो में आर्ोसजत पर्यावरण एवं ववकयस पर संर्ुि रयष्ट्र सिेिन (र्ूएनसीईडी), सजसे
अनौपचयररक रूप से पृथ्वी सम्मेलि के रूप में जयनय जयतय है, में 154 रयज्यों द्वयरय हस्तयक्षर वकए गए र्े।
• मूि सघचवयिर् सजनेवय में र्य। 1995 से, सघचवयिर् बॉन, जमानी में अवस्थित है।
• अलभसमर् में िगभग सयवाभौलमक सदस्यतय (197 पक्षकयर) हैं एवं र्ह 2015 पेररस समझौते तर्य 1997 क्योटो
• र्ूएनएिसीसीसी ने “जिवयर्ु प्रणयिी के सयर् ितरनयक मयनवीर् हस्तक्षेप ” कय प्रवतरोध करने हेतु, आंसशक रूप से
वयतयवरण में हररत गृह गैस संकेंद्रण को स्थिर करके, एक अंतररयष्ट्रीर् पर्यावरण संघध की ियपनय की।
• अलभसमर् कय अनुच्छेद 2 कॉप को अनभसमर् के “सवोच्च निकयर्” के रूप में पररभयवित करतय है, क्योंवक र्ह इसकय
सवोच्च लनणार् लनमयाण प्रयघधकयर है। जिवयर्ु पररवतान प्रवक्रर्य कॉप के वयविि क सत्रों के इदा-घगदा घूमती है।
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कॉप 8 2002 नई ददल्ली, भयरत ददल्ली घोषणय: सवयाघधक लनधान देशों की आवश्यकतय एवं जिवयर्ु
केंदद्रत है।
कॉप 2005 मॉन्ट्न्रर्ि, कनयडय क्योटो प्रोटोकॉि के लिए पक्षकयरों की बैठक के रूप में कयर्ारत पक्षकयरों
कॉप 15 2009 कोपेनहेगन, कोपेिहे गि समझौिे कय प्रयरूप तैर्यर वकर्य। अमेररकय एवं बेससक देशों
डेनमयका (भयरत, चीन, ब्रयजीि एवं दलक्षण अफ्रीकय) के मध्य पयंच देशों कय समझौतय।
र्य।
कॉप 16 2010 कैनकन, मेक्सिको जिवयर्ु पररवतान से लनपटने में ववकयसशीि देशों की सहयर्तय के लिए
र्य।
आकिन करने के लिए प्रत्येक 5 विा में ग्लोबल स्टॉकटे क लनलमि त वकर्य
जयनय र्य।
लमस्र 2022 में COP27 संर्ुि रयष्ट्र जिवयर्ु पररवतान सिेिन की मेजबयनी
• कोपिहे गि सम्मेलि 2009 – को मध्र् डेनमयका के शहर कोपेनहेगन में जिवयर्ु पररवतान पर सम्मे िन आर्ोसजत
वकर्य।
• प्रथम पृथ्वी सम्मेलि (Rio Sumit) – पृथ्वी तर्य उसके पर्यावरण की सुरक्षय एवं पयररस्थिवतक संतुिन को बनयए
रिने तर्य जैव ववववधतय को सरंक्षण एवं समृद्धद्ध के लिए ब्रयजीि के नगर ररर्ो-रड-जेनेररर्ों में संर्ुक्त रयष्र के द्वयरय
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रयष्र पर्यावरण एवं ववकयस सम्मेिन (UNCEO) United Nations Conference on Environment and
Development कय विा 1992 में आर्ोसजत वकर्य गर्य र्य। इस सम्मेिन के प्रमुि पयँि मुद्दे लनधयाररत वकए –
• स्टॉकहोम सम्मेल 1972 – संर्ुक्त रयष्र ने स्टॉकहोम पर्यावरण को अन्तरयाष्रीर् मुद्दय बनयर्य तर्य 5 जुन को पर्यावरण
• कोपेिहे गि सम्मेलि 1992 – इसमे मयन्ट्ण्रर्ि प्रोटोकयि समझौते कय पयिन करने के लिए ववकयसशीि एवं
• मयण्ट्ण्रर्ल प्रोटोकॉल 1987 – ओजोन परत के (क्षर्) क्षरण को रोकने के लिए 16 ससतंबर, 1987 को कनयडय में
अंतरयाष्रीर् समुदयर् कय सम्मेिन हुआ, सजसमें 16 ससतंबर को ओजोन ददवस के र्प में मनयने तर्य CFC गैस के
उत्पयदन में अगिे 10 विों में कटौती करनय तर्य हैिोजन गैस के उत्पयदन को पूणातर्य समयप्त करने कय समझौतय
हुआ।
• लं दि सम्मेलि 1990 – इसमें र्ह लनणार् लिर्य गर्य वक ववकससत देशों द्वयरय विा 2010 तक CFC कय उत्पयदन पूणारूप्
से रोक दे।
• क्र्ोटय प्रोटोकॉल 1997 – इसमें लनणार् लिर्य गर्य वक विा 2008- 12 तक की अवघध में तीन प्रमुि ग्रीन हयऊस गैस
अर्यात CO2 तर्य नयइरस ऑक्सयइड (N2O) के विा 1940 के उत्सजान स्तर में औसतन 5% कमी ियई जयएगी।
• स्टॉकहोम सम्मेलि 2004 – इसमें 12 ितरनयक जैव कीटनयशक एवं औद्योघगक प्रदुिकों पर रोक िगयने कय
समझौतय हुआ।
• नेशनि ग्रीन ररब्र्ूनि (एन.जी.टी.) की भयरत सरकयर द्वयरय स्र्यपनय की गई र्ी – विा 2010 में ।
• रयजीव गयँधी ने अपने शयसन कयि में गंगय र्ोजनय (GAP) को शुरू वकर्य गर्य।
• इं ददरय गयँधी द्वयरय 1972 में वन्र् जीव संरक्षण अघधलनर्म को प्रयरंभ वकर्य ।
• ओजोन स्तर के क्षरण कय पतय सवाप्रर्म वकसने िगयर्य र्य – जोसेि िॉरमैन (1985 इं ग्िै ण्ड)
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• पर्यावरण सुरक्षय अघधलनर्म (EPA) को अन्र् वकस नयम से जयनय जयतय है – छयतय ववधयन
• विा 1972 में आर्ोसजत वकर्य गर्य र्य – स्टॉकहोम अंतरयाष्रीर् सशिर सम्मेिन
• नयइरोजन (78%) ऑक्सीजन (21%) आगान (0.93%) कयबानडयइऑक्सयइड (0.038%) इत्र्यदद गैस पयई जयती है –
वयर्ुमंडि में।
• नोबेि गैसों में से वह गैस जो वयर्ु में नही पयर्ी जयती है – रेडॉन
• र्दद पृथ्वी पर पयई जयने वयिी वनस्पवतर्यँ (पेड-पौधे) समयप्त हो जयए तो वह गैस सजसकी कमी होगी – ऑक्सीजन ।
• संर्ुक्त रयष्र पर्यावरण कयर्ाक्रम की स्र्यपनय हुई र्ी – विा (1972) में
• IUCN कय गठन 5 अक्टू बर 1948 में हुआ तर्य इसकय मुख्र्यिर् ग्ियण्ड (स्विट्जरिै ण्ड)।
• ग्रीन आमी ऑस्रे लिर्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए - 15 हजयर र्ुवयओ ं को इसमें लनर्ुि वकर्य है।
• ग्रीन पीस - र्ह एक पर्यावरण संरक्षण एन.जी.ओ. है, इसकय मुख्ययिर् एम्सटडाम (नीदरिैं ड) में है।
• ग्रीन हयउस गैस- इसमें सवयाघधक र्ोगदयन कयबान डयई ऑियइड कय है।
• अनुसंधयन संियन ने 18 ददसिर 2019 को ग्रीन लमल्क कय ववकयस वकर्य गर्य है।
• ग्रीन ससटी मध्यप्रदेश की ग्रीन ससटी सयँची शहर - को कहय जयतय है।
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• जीरोियइटय (Xerophyta) - मरूििीर् में उगने वयिी वनस्पवत
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