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पर्यावरण

पर्यावरण कय आशर् जैववक एवं अजैववक घटकों एवं उनके आस-पयस के वयतयवरण के सम्मिलित रूप से है जो पृथ्वी

पर जीवन के आधयर को संभव बनयतय है। अत: पर्यावरण एक प्रयकृवतक

पररवेश है जो पृथ्वी पर जीवन को ववकससतक, पोवित एवं समयप्त होने में

मदद करतय है।

Environment शब्द फ्रेंच भयिय के ‘Environner’ शब्द से

लिर्य गर्य है सजसकय अर्ा है – घघरय हुआ र्य घेरनय।

पर्यावरण सभी जैववक तर्य अजैववक अवर्वों से जुडे हुए और परस्पर आसित रहते है। पर्यावरण के कुछ कयरक

संसयधन के रूप में जबवक दूसरे कयरक, लनर्ंत्रक के रूप में कयर्ा करते है।

पर्यावरण के संघटक

भौवतक र्य अजैववक संघटक जैववक संघटक ऊजया संघटक

1. भौतिक र्य अजैववक संघटक – इसके अंतगात स्र्ि, वयर्ु, जि आदद सम्मिलित होते है।

2. जैववक संघटक –इसके अंतगात पयदप, मनुष्र् समेत जन्तु तर्य सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते है।

3. ऊजया संघटक – सौर ऊजया एवं भूतयपीर् ऊजया को ऊजया संघटक के अंतगात सम्मिलित करते है।

भौतिक र्य अजैववक संघटक

भौवतक संघटक के अंतगात सयमयन्र् रूप से स्र्िमंडि, वयर्ुमंडि तर्य जिमंडि को सम्मिलित वकर्य जयतय है , इन्हे क्रमश:

मृदय, वयर्ु, तर्य जि संघटक भी कहय जयतय है। भौवतक वयतयवरण वयर्ु, प्रकयश, तयप, जि, मृदय जैसे कयरकों से बनय होतय है।

• वयर्ुमंडल

• जल

• मृदय

जैववक संघटक -पर्यावरण के जैववक संघटक कय लनमयाण तीन लनम्नलिखित उपतंत्रों द्वयरय होतय है –

1. पयदप 2. जीव 3. सूक्ष्मजीव

पयदप –पयदप जैववक संघटकों में सवयाघधक महत्वपूणा होते है, क्र्ोवक पौधे ही जैववक पदयर्ो कय लनमयाण करते है सजनकय उपभोग

पौधे स्वर्ं करते है। सयर् ही मयनव ररहत जन्तु तर्य सूक्ष्मजीव प्रत्र्क्ष र्य अप्रत्र्क्ष रूप में इन्ही पौधों पर लनभार रहेत है। हरे पौधे

अपनय आहयर स्वर्ं तैर्यर करते है। अत: वे स्वपोवित कहियते है।

जीव –जीव स्वपोसशत एवं परपोवित दोनो प्रकयर के होते है। परंतु अघधकयंशत: जीव परपोवित ही होते है। स्वपोवित जीव अपने

आहयर कय लनमयाण स्वर्ं करते है, जैसे – सयइनोबैक्टीररर्यपणाहररत की उपस्थिवत में एवं ई. क्िोरोरटकय एक प्रकयर कय समुद्री

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घोंघय जो शैवयि से क्िोरोदिि ग्रहण कर अपनय भोजन स्वर्ं लनलमि त करतय है। परपोवित जीव अपने आहयर हेतु अन्र् सयधनों

पर लनभार करते है।

जैववक पदयर्ों की सुिभतय के आधयर पर परपोवित जीव 3 प्रकयर के होते है –

1. मृिजीवी – वे जीव जो मृत पौधों तर्य जीवों से घुलित रूप से कयबालनक र्ौघगकों को प्रयप्त करते है।

2. परजीवी –वे जीव जो अपने आहयर हेतु अन्र् जीववत जीवों पर लनभार करते है।

3. प्रयणीसमभोजी –वे जन्तु जो अपनय आहयर अपने मुि द्वयरय ग्रहण करते है। सभी बडे जन्तु इसी िेणी के अंतगात आते

है। उदयहरण – हयर्ी, गयर्, बैि, ऊँट आदद।

सूक्ष्मजीव - सूक्ष्मजीवों को ववर्ोजक भी कहते है। र्े मृत पौधो, जन्तुओ ं के जैववक पदयर्ो कय सडय गिय कर ववर्ोसजत करते है।

सूक्ष्मजीवों के अंतगात सूक्ष्म बैक्टीररर्य तर्य कवक सम्मिलित है।

ऊजया संघटक – इसके अंतगा सौर प्रकयश, सौर वववकरण तर्य इसके ववलभन्न पक्षों को सम्मिलित वकर्य जयतय है। सूर्ा से प्रयप्त

ऊजया सौर ऊजया कहियती है। पृथ्वी की क्षैवतज सतह पर पहुँचने वयिे सकि सौर वववकरण को भूमण्डिीर् वववकरण कहते है।

प्रकयश – पृथ्वी पर अवस्थित प्रयर्: सभी जीवों के लिए प्रत्र्क्ष र्य अप्रत्र्क्ष रूप से ही उऊजया कय अंवतम स्त्रौत है।

पर्यावरण के घटक िथय पर्यावरणीर् कयरक – चूँवक पर्यावरण एक भौवतक एवं जैववक संकल्पनय है अत: इसमें पृथ्वी के

भौवतक र्य अजैववक तर्य जैववक संघटकों को सम्मिलित वकर्य जयतय है। पर्यावरण की इस आधयरभूत संरचनय के आधयर पर

पर्यावरण को लनम्न प्रकयर से ववभयसजत वकर्य जयतय है –

अजैववक र्य भौवतक पर्यावरण

स्र्िमंडिीर् पर्यावरण वयर्ुमंडिीर् पर्यावरण जिमंडिीर् पर्यावरण

र्े पुन: पवात पर्यावरण, मैदयन पर्यावरण, झीि पर्यावरण, रहमनद पर्यावरण,
मरूस्र्ि पर्यावरण में ववभयसजत होते है।

जैववक पर्यावरण

वनस्पवत पर्यावरण जन्तु पर्यावरण

पर्यावरण के संघटकों को 3 प्रमुि भयगों में ववभयसजत वकर्य जयतय है –

जलवयर्ु –एक लनर्त स्र्यन तर्य समर् पर, वयर्ुमंडि के क्षसणक िक्षणों (जैसे –

तयपमयन, दयब,आद्रातय, विया, सौर प्रकयश, बयदि तर्य वयर्ु) को मौसम कहते है। क्षेत्र ववशेि में वयर्ुमंडिीर् स्थिवत की सयमयन्र्

अवस्र्यएँ ऋतु पररवतान तर्य मौसमी चरम सीमयओ ं की िं बे समर् की औसत स्थिवत जिवयर्ु कहियती है। तयपमयन तर्य विया

वे प्रमुि कयरक है, जो वकसी क्षेत्र की जिवयर्ु कय लनधयारण करते है।

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सूक्ष्म जलवयर्ु – सूक्ष्म जिवयर्ु, जिवयर्ु की वह स्थिवत है, जो वक स्र्यनीर् स्तर पर र्य छोटे क्षेत्रों मे पयई जयती है। सूक्ष्म

जिवयर्ु सयधयरणत: उपस्थित क्षेत्रीर् जिवयर्ु स्थिवतर्ों से लभन्न होती है, जैसे घने जंगिों में वृक्षों की पघिर्यँ, जमीन पर पडने

वयिे प्रकयश की मयत्रय को कम कर देती है।

आवयस िथय निकेि –वह स्र्यन जहयँ जीव लनवयस करते है, आवयस कहियतय है। आवयस स्पष्ट भौवतक िक्षणों से र्ुक्त होतय है

अर्यात उस स्र्यन को इं घगत करतय है जो संपूणा जैववक समुदयर् द्वयरय अध्र्यससत रहतय है। उदयहरण के तौर पर, वन आवयस में

कई तरह की प्रजयवतर्यँ पयई जयती है।

एक आवयस में कई लनकेत हो सकते है। लनकेत के द्वयरय हमे वकसी प्रजयवत के पयररस्थिवतकी तंत्र में उसके स्र्यन

कय पतय चितय है। अर्यात एक प्रजयवत को जीववत रहने के लिए सजन जैववक, भौवतक र्य रयसयर्लनक कयरकों की जरूरत होती

है , उन्हे सम्मिलित रूप से लनकेत कहते है।

मानव पर पर्ाावरणीर् प्रभाव

निर्तिवयदी अवधयरणय –

1. मयनव पर्यावरण कय ही रहस्सय

2. हम्बोल्ट व कयिा ररटर के द्वयरय

संभववयदी अवधयरणय -

1. मयनव प्रकृवत पर ववजर् प्रयप्त कर चुकय है।

2. ववडयि डी ियप्ियस द्वयरय।

िवनिर्िीवयदी अवधयरणय -

1. पररवतान एक सीमय तक ही होनय चयरहए।

2. टै िर के द्वयरय।

भौतिक पर्यावरण मयिव को निम्ि मयध्र्मों से प्रभयववि करिय है –

i. जैव-भौवतक सीमयएँ द्वयरय ii. आचयरपरक लनर्ंत्रणों द्वयरय iii. संसयधनों की सुिभतय द्वयरय

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जैव भौतिक सीमयएँ – मौसम और जिवयर्ु के कयरक मनुष्र्ों, पौधों और पशुओ ं के जीवन पर ववशेि प्रभयव डयिते है। जैववक

दृखि से मयनव शरीर कय कुछ लनलित पर्यावरणीर् दशयओ ं में ही अच्छी तरह से कयर्ा हेतु सक्षम हो पयतय है। मयनव के वक्रर्यकियपों

को ऊष्मय, प्रकयश, आद्रातय, विाण, वयर्ु, बयदि इत्र्यदद भौवतक कयरक ववशेि रूप से प्रभयववत करते है। अत्र्घधक ऊँचयई, अघधक

तयपमयन तर्य आद्रातय मनुष्र् के ववकयस एवं उत्तरजीववतय में बयधय उत्पन्न करते है।

आचयरपरक निर्ंत्रण – ववलभन्न पर्यावरणीर् कयरक मनुष्र् की जयतीर् ववशेितयओ ं को प्रभयववत करने के सयर्-सयर् उन्हे

लनधयाररत भी करते है। र्ह मनुष्र् की घचन्तन, ववचयरधयरयओ ं, संस्कृवत तर्य आचयर व व्र्वहयर को भी प्रभयववत करतय है।

संसयधिों की सुलभिय – प्रयकृवतक संसयधनों की सुिभतय मनुष्र् को ववलभन्न तरीकों से प्रभयववत करती है।र्ह उसके

वक्रर्यकियपों को प्रमुितय से लनधयाररत करती है। सयर् ही मनुष्र् की आलर्ि क क्षमतय, सयमयसजक संगठन, रयजनीवतक स्थिरतय

एवं अंतरयाष्रीर् संबंध को भी लनधयाररत करती है।

पर्यावरण पर मयिव कय प्रभयव – पर्यावरण अवनर्न पर्यावरण में उत्पन्न असंतुिन कय पररणयम है जो मयनवीर् र्य प्रयकृवतक

गवतववघधर्ों के कयरण होतय है। ऐसी मयनवीर् गवतववघधर्यँ सजनकय प्रभयव पर्यावरण पर पडतय है , उनमें शयलमि है –

i. िनन ii. औद्योगीकरण iii. आधुलनक कृवि

iv. शहरीकरण v. आधुलनक प्रौद्योघगकी

महत्वपूणा आंदोलि –

• तचपको आंदोलि –

o विा 1973 में

o उत्तरयिण्ड रयज्र् के चमोिी सजिे के गोपेश्वर नयमक स्र्यन पर

o सुंदर ियि बहुगुणय एवं चण्डी प्रसयद भट्ट।

• Appiko आंदोलि (1983) –घचपकों आंदोिन की तजा पर ही कनयाटक में र्ह आंदोिन पयण्डुरंग हेगडे के नेतृत्व में

चयिु हुआ। घचपकों कय पर्यार् शब्द कन्नड में Appikoहोतय है।

• िमादय बचयओ ं आंदोलि (1985) –र्ह आंदोिन विा 1985 मेघय पयटकर के नेतृत्व में नमादय घयटीह की जैव ववववधतय

को बचयने तर्य मूि आददवयससर्ों के सयंस्कृवतक पर्यावरण की रक्षय के लिए चियर्य जय रहय है , सजनके सयर् अरूं धवत

रयर् तर्य बयबय आम्टे भी शयलमि है।

• एक वन्र्जीव गोदलों र्ोजिय –एक वन्र्जीव गोद िो र्ोजनय की शुरूआते मयचा , 2008 मे ओरडशय के नन्दनकयनन

घचरडर्यघर में की गई र्ी। इस र्ोजनय के तहत गोद लिए गए वन्र्जीव कय पयिन गोद िे ने वयिे को करनय लनधयाररत

वकर्य गर्य।

• पनिमी घयट बचयओ ं आंदोलि – महयरयष्र सरकयर द्वयरय पलिमी घयट की जैव ववववधतय को नुकसयन पहुंचयने के ववरोध

में र्ह आंदोिन People party के कयर्ाकतयाओ ं द्वयरय शुरू वकर्य गर्य र्य।

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• िरयई आका पररर्ोजिय -बयघों के सरंक्षण (UK) वबहयर सरहत तरयई क्षेत्रों में हररत गलिर्यरे कय लनमयाण करनय इस

र्ोजनय कय मुख्र् िक्ष्र् है। तरयई आका पररर्ोजनय को ववश्व वन्र् लनधी (WWF) के सहर्ोग से रहमयिर् के तरयई क्षेत्रों

में शुरू वकर्य गर्य।

• शयन्िघयटी आंदोलि (1973) –जैव ववववधतय वयिे केरि में शयंवत घयटी (Silent Valley) ऊष्णकरटबंधीर् सदयबहयर

वनों कय क्षेत्र है। जि ववद्युत पररर्ोजनय स्वरूप सरकयर कय अपनय लनणार् बदिकर उसे रयष्रीर् आरलक्षत वन क्षेत्र घोवित

करनय पडय। इसकी नेतृत्वकतया सुगयर्य र्ी।

• िवधयन्र्य आंदोलि - वन्दनय सशवय द्वयरय, 1982 में।

• िरूण भयरि संघ - 1985, रयजस्र्यन में जि संरक्षण हेतु।

पर्यावरण आंदोलि से जुडे प्रमुख व्र्क्ति –

• M.S. स्वयमीियथि –कृवि और वन्र् दोनो प्रकयर की जैव ववववधतय ववलभन्न पक्षों से इनकय संबंध रहय है। इन्होने चेन्नई

में M.S. स्वयमीनयर् अनुसंधयन स्र्यवपत वकर्य है।

• सुंदरलयल बहुगुणय –घचपको आंदोिन चियर्य। इसके आियव रटहरी बयँध के खिियि भी आंदोिन चियर्य।

• M.C. मेहिय –विा 1984 में M.S. मेहतय ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अनेक र्यघचकयएं दयर्र की। इन्होने तयजमहि कय

सरंक्षण, गंगय की सियई आदद के लिए बहुत संघिा वकर्य।

• अनिल अग्रवयल –ऐसे पत्रकयर र्े सजन्होने 1982 में स्टे ट ऑि Inside Environ पर पहिी ररपोटा प्रस्तुत की र्ी।

• बंगयरी मथयई –इन्होने ग्रीन Movement कय नेतृत्व वकर्य इन्हे विा 2004 में नोबि प्रयइज लमिय।

• पयण्डुरग
ं हे गडे –इन्होने घचपको आंदोिन को कनयाटक में चियर्य।

• डॉ. सलीम अली –Birdman of India

• डॉ. रयमदेव नमश्रय –इन्होने विा 1956 में International for Tropical Ecology की स्र्यपनय की। इन्हे भयरत में

पयररस्थिकी कय जिक भी कहय जयतय है।

• मयधव गयडक्तगल –र्े प्रससद्ध पर्यावरण शयस्त्री है र्े Lige Escape of Peninsular India के संपयदक है।

• अमृियदेवी ववश्िोई –इन्होने विा 18वीं शतयब्दी में रयजस्र्यन के मयरवयड ररर्यसत में िेजरी वृक्ष के संरक्षण हेतु आंदोिन

वकर्य।

• चण्डी प्रसयद भट्ट

• मेिकय गयंधी – 1992 में वपपल्स िॉर एलनमि नयमक संगठन।

• जी.डी. अग्रवयल – पर्यावरण इं जीलनर्र के नयम से जयनय जयते है।

• सोिम वयंग्चुक

• रवीन्र कुमयर नसन्हय – डॉिदिन मैन ऑि इं रडर्य।

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• वन्दय नशवय – नवदयन्र् नयमक संस्र्यन।

• प्रमोद पयरटल – ग्रेट इं रडर्न बस्टडा से संबंघधत।

• सयलू मरयदय क्तथमक्कय – सबसे वर्ोवृद्ध पर्यावरणववद्।

• जयधव पर्यंग – िॉरेस्ट मैन ऑि इं रडर्य।

• सुगयथय कुमयरी – सयइिैं ट वैिी से सबंघधत।

• वबन्देश्वर पयठक – सुिभ इं टरनेशनि के संस्र्यपक।

पर्यावरण के प्रमुख संस्थयि महत्वपूणा ददवस

क्र. पर्यावरण के प्रमुख संस्थयि स्थयि ववश्व आद्रा भूलम संरक्षण 2 िरवरी

1. भयरतीर् प्रयणी ववज्ञयन सवेक्षण केन्द्र कोिकयतय (पलिम ददवस

बंगयि) ववश्ववयलनक ददवस 21 मयचा

2. भयरतीर् वन प्रबंधन संस्र्यन भोपयि ववश्व जि ददवस 22 मयचा

3. इं रडर्न िॉरेस्ट कॉिे ज देहरयदून (उत्तरयिंड) ववश्व मौसम ववमयन 23 मयचा

4. भयरतीर् वन्र्जीव अनुसंधयन संस्र्यन देहरयदूर ददवस

5. सिीम अिी पक्षी ववज्ञयन तर्य प्रयकृवतक कोर्ंबटू र (तलमिनयडू) अंतरय पृथ्वी ददवस 22 अप्रैि

इवतहयस केन्द्र ववश्व प्रवयसी पक्षी ददवस 8 मई

6. रयष्रीर् पर्यावरण शोध संस्र्यन नयगपुर महयरयष्र ववश्व जैव ववववधतय ददवस 22 मई

7. रयष्रीर् पर्यावरण अलभर्यंवत्रकी शोध संस्र्यन नयगपुर ववश्व जनसंख्र्य ददवस 11 जुियई

8. केन्द्रीर् पक्षी शोध संस्र्यन इज्जत नगर, बरेिी अंतरयाष्रीर् ओजोन परत 16 ससतंबर

9. भयरत कय सबसे ववशयि पक्षी उद्ययन भरतपुर (रयजस्र्यन) संरक्षण ददवस

10. ववश्व कय सबसे बडय घचरडर्यघर क्रूगर (द. अफ्रीकय) ववश्व आपदय लनर्ंत्रण 13 अक्टू बर

11. वन अनुवयंसशकी एवं वृक्ष प्रजनन कोर्ंबटू र ददवस

12. उष्णकरटबंधीर् वयलनकी अनुसंधयन जबिपुर रयष्रीर् ऊजया संरक्षण 14 ददसंबर

13. भयरत कय सबसे ववशयि घचरडर्यघर अिीपुर, कोिकयतय ददवस/ ववश्व उजया ददवस

14. NEERI (national environment नयगपुर (1958)

engineering research institute)

15. TERI (the energy and resource ददल्िी

institute)

16. वयइल्ड ियइि इं स्टीट्यूट ऑि इं रडर्य देहरयदून (1982)

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17. नेशनि ग्रीन ररब्र्ूनि ददल्िी (2010)

अनुकूलन
• वकसी जीव तर्य पौधे की बनयवट र्य व्र्वहयर र्य जीने की पद्धवत सजसकी सहयर्तय से वह वकसी पर्यावरण में जीववत रहतय

है, अनुकूिन कहियतय है।

• धीरे – धीरे पररवतानशीि नए वयतयवरण में शरीर के वक्रर्यत्मक अनुकूिन को दशयनुकूिन कहते है।

• प्रकयश अिुकूनलि पौधे उच्च तयपमयन में भी प्रकयशसंश्िे िण करने की क्षमतय रिते है तर्य उनकी श्वसन दर भी उच्च

होती है। छयर्य अिुकूनलि पौधों में सयमयन्र्त: प्रकयशसंश्िे िण, श्वसन तर्य उपयपचयर्ी वक्रर्यओ ं की दर कम होती है।

• जो पौधे स्वर्ं को शुष्क स्थिवतर्ों के अनुकूि बनय िे ते है एवं सजनकी िघु जीवन अवघध होती है , वे इविमीरल कहियते

है।

• कई मरूस्र्िीर् पौधे कोसशकयओ ं में प्रोलीि (अमीिो अम्ल) इकट्ठय करते है , सजससे पत्तों में परयसरण तर्य जि ववभव

बनय रहतय है।

• जलोद्भिद् पौधे पघिर्ों एवं पणावृतों में एरेन्कयइमय (बडे वयर्ु क्षेत्र) की उपस्थिवत दशयाते है। इनके ऊतक पौधों में

उत्प्ियवकतय प्रदयन करते है।

• स्वतंत्र रूप से तैरने वयिे जिोद्भिद जैसे – सयिववलनर्य, ससरेटोियइिम, वुिदिर्य में जडे अनुपस्थित रहती है। लनदिर्य

र्य वयटर लििी डूबे हुए जडर्ुक्त पौधे कय उदयहरण है।

• लवणमृदोद्भिद् पौधे जि र्य मृदय में िवण की उच्च सयंद्रतय में उगने के लिए अनुकूलित होते है।

• अल्पपोिक तत्व वयिी मृदयओ ं के अंतगात आने वयिे पौधे कवक मूि होते है अर्यात इनकी जडो कय कवकों के सयर्

सहजीववतय कय संबंध होतय है। कवक मूि पोिक तत्वों (जैसे िॉस्फेट) के तेजी से अवशोिण में सहयर्तय करते है।

नमिपोषणी मृदय (Oligotrophic Soil) के प्रति अिुकूलि

• मयइकोरयइजय – कवक जो पेडो की जडों पर रहतय है एवं पेडो को पोिक तत्वों के अवशोिण में मदद करतय है।

• रयजोवबर्म – बैक्टीररर्य गठजोड जयपे वक दिहनी पौधों की जडों पर वृद्धद्ध कर पौधों को नयइरोजन उपिब्ध करयतय है।

• शैवयल एवं दीमक – र्े दोनों नयइरोजन स्थिरीकरण करते है।

• वृक्ष अिुकूलिय – पेडों को सहयरय देने वयिी ऊपरी सतह की जड।

प्रयणणर्ो में अिुकूलिशीलिय (Adaptivity in Organism)

• प्रवयस (Migration) – प्रवयस में जीवों कय एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में, िं बी दूरी र्य कम दूरी कय संचयिन (Movement|

होतय है।

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• छद्मयवरण (Camouflage) – कुछ प्रयसणर्ों में पररवेश के सयर् घुि लमि जयने की क्षमतय होती है जो छद्मयवरण कहियती

है। तेंदआ
ु , वततिी, घगरघगट आदद इसके उदयहरण है।

असमियपी प्रयणी और समियपी प्रयणी में अंिर –

असमतयपी प्रयणी समतयपी प्रयणी

र्े एक्टोर्मा र्य पोएवकिोर्लमि क जीव के नयम से भी जयने र्े एं डोधमा र्य होलमर्ोर्लमि क जीव के नयम से भी जयने जयते है।

जयते है।

उदय. – उदय. -

सरीसृप वगा – सयँप ,घछपकिी, कछुआ, मगरमच्छ, घगरघगट। स्तनधयरी वगा – मनुष्र् , शेर, कुत्तय

उभर्चर वगा – टोड, मेढक, सैियमेंडर पक्षी वगा – उदयहरण – कबूतर

मत्स्र् वगा – अफ्रीकन िं गदिश

मोिस्कय वगा – घोंघय

भारत में पर्ाावरण संरक्षण के ललए लिए जाने वाले फेलोलिप एवं पुरस्कार
• अमृिय देवी ववश्िोई सुरक्षय पुरस्कयर

• इं ददरय वप्रर्दनशि िी वृक्ष नमत्र पुरस्कयर

• मेददिी पुरस्कयर र्ोजिय

• प्रदूषण निवयरण के नलए रयष्‍टरीर् पुरस्कयर

• जैव ववववधिय हे िु पीियंबर पंि रयष्‍टरीर् पर्यावरण िेलोनशप एवं बी.पी. पयल रयष्‍टरीर् पर्यावरण िेलोनशप

• डॉ. सलीम अली रयष्‍टरीर् वन्र्जीव िेलोनशप पुरस्कयर

• रयजीव गयंधी वन्र्जीव संरक्षण पुरस्कयर

• मरूभूनम पयररस्थितिकी िेलोनशप – ससतंबर 1992 में पर्यावरण और वन मंत्रयिर् ने ।

• इं ददरय गयंधी पर्यावरण पुरस्कयर – पर्यावरण वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् ने पूवा प्रधयनमंत्री िीमवत इं ददरय गयंधी की

र्यद में विा 1987 मे।

नोट – ग्लोबल 500 : पर्यावरण के क्षेत्र में उल्ले खनीर् र्ोगदयन के ललए संर्ुक्त रयष्‍टर कयर्ाक्रम (UNEP} द्वयरय वर्ा 1987 से

ववलिन्न व्र्क्तिर्ों एवं संगठनों को र्ह पुरस्कयर प्रदयन वकर्य जय रहय है।

• व्हिटली अवार्ड

• गोल्र्मैन अवार्ड (USA द्वारा)

• सासाकवा अवार्ड (UNEP द्वारा)

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• टाइलर अवार्ड

कयबाि क्रेरडट क्र्य है ?

कयबान क्रेरडट एक व्र्यपयर र्ोग्र् प्रमयण पत्र र्य आज्ञय है जो धयरक को 1 टन कयबान डयइऑक्सयइड र्य कयबान

डयईऑक्सयइड के वैलिक तयपन क्षमतय के बरयबर अन्र् हररतगृह गैसों (सजनकी मयत्रय 1 टन CO2 के बरयबर हो ) के उत्सजान कय

अघधकयर देतय है।

कयबाि रे रडिं ग – कयबान रे रडिं ग की िरीद एवं वबक्री ही कयबान रे रडिं ग कहियती है।

कयबाि टै क्स – कयबान टै क्स एक शुल्क है जो वक हररतगृह गैस प्रदुिण (ियसकर जीवयश्म ईंधन द्वयरय उत्सजान) पर िगतय है।

महत्वपूणा िथ्र् -

• प्रससद्ध पक्षी ववज्ञयनी सलीम अली को भयरि कय बडामैि भी कहय जयतय है। इन्होने ‘बुक ऑि इं रडर्ि बर्डसा’ नयमक वकतयब

लििी तर्य इनके व्र्घिगत प्रर्यस से केवियदेव नेशनि पयका (भरतपुर) कय लनमयाण वकर्य गर्य।

• पयररस्थिवतकी ववज्ञयन प्रो. मयधव गयडक्तगल पनिमी घयट पररतंत्र ववशेिज्ञ पैनि के चैर्रमैन रहे। 2015 में टयर्िर पुरस्कयर

लमिय।

• पक्षी ववज्ञयनी प्रमोद पयरटल को ग्रेट इं रडर्ि बस्टडा के संरक्षण के लिए जयनय जयतय है। र्े रॉर्ि सजर्ोग्रयदिकि सोसयइटी

िं दन द्वयरय खिटिी अवयडा से सम्मयलनत वकर्े जय चुके है। र्ह अवयडा ग्रीन आस्कर के नयम से जयनय जयतय है।

• गयंधीवयदी पर्यावरणववद् एवं सयमयसजक कयर्ाकतया चण्डी प्रसयद भट्ट को आधुलनक भयरत कय प्रर्म पर्यावरण ववद्वयन मयन

जयतय है। र्े घचपको आंदोिन के प्रमुि कयर्ाकतया र्े।

• घचपको आंदोिन के नेतृत्वकतया सुंदरियि बहुगुणय आज ववश्वभर में ‘वृक्षलमत्र’ के नयम से प्रससद्ध है। इन्होने रटहरी बयंध

के लनमयाण के ववरोध में भी आंदोिन चियर्य।

• Society for Environment Communication की लनदेशक सुनीतय नयरयर्ण Down to Earths पवत्रकय भी संपयदक

भी है।

पर्यावरण संबंतधि प्रमुख अतधनिर्म -

• वन्र्जीव (सरंक्षण) अघधलनर्म, 1972 (2002 में संशोघधत) प्रशयसलनक, सियहकयरी, वैधयलनक (दंड एवं जुमयानय) तर्य

अभ्र्यरण्र्ों व रयष्रीर् उद्ययनों की स्र्यपनय आदद हेतु वन्र्जीव रक्षय संबंधी समग्र दृखिकोण से पररपूणा है।

• पर्यावरण (संरक्षण) अघधलनर्म, 1986 स्वच्द हवय, जि एवं अन्र् कयरकों हेतु ववलभन्न तरह के प्रदुिण पर लनर्ंत्रण के लिए

समग्रतय वयिय सयधन है जो केंद्र सरकयर को संबंघधत अघधकयर प्रदयन करने में सक्षम है।

• अनुसूघचत जनजयवत और अन्र् परंपरयगत वन लनवयसी अघधलनर्म, 2006 संदलभि त समूह के आजीववकय, लनवयस एवं

पयररस्थिवतकी संतुिन बनयने हेतु प्रभयवशयिी उपयर्य है जो वक ग्रयम सभय एवं समुदयर् के ववचयर को प्रयर्लमकतय देतय है।

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• तटीर् क्षेत्रों मे पर्यावरण के संरक्षण हेतु वकर्े गए ववशेि प्रर्यसों में िरवरी 1991 में तटीर् ववलनर्मन क्षेत्र संबंधी पहि सबसे

महत्वपूणा है। इसे 2011 में संशोघधत भी वकर्य गर्य है।

• 1894 में भयरत की प्रर्म वन नीवत ियगू की गई र्ी। आजयदी पश्चयत 1952 एवं 1988 में इसे संशोघधत वकर्य गर्य। आदशा

रूप में भूलम के एक-वतहयई भयग पर शुद्ध वन क्षेत्र इसकय िक्ष्र् है।

• अघधवयसों के आस-पयस एवं अन्र् सयमुदयघर्क सयवाजलनक स्र्यनों पर सरकयर व जनतय के संर्ुक्त प्रर्यसों से वनीकरण

हेतु सयमयसजक वयलनकी को अपनयर्य गर्य।

• वकसयनों को अपनी कृवि भूलमर्ों, गौशयिय आदद के अंतगात पेड िगयने के लिए प्रोत्सयहन हेतु ‘कृवि वयलनकी’ को अपनयर्य

गर्य।

• सयमुदयघर्क भूलम पर पेड िगयने संबंधी सयमुदयघर्क वयलनकी की अवधयरणय वनों के ियभ पर समुदयर् के अघधकयरों को

प्रदसशि त करती है।

• सयवाजलनक वयलनकी के अंतगात सडकों, नेहरों, रेिवे रै क के वकनयरे व अन्र् सरकयरी भूलम पर वनीकरण की अवधयरणय है।

• बॉम्बे िेचुरल रहस्री सोसयइटी (BNHS) पर्यावरण एवं जैव ववववधतय हेतु कयर्ारत भयरत कय सबसे बडय गैर सरकयरी संगठन

है। इसकय िोगो ग्रेट हॉनावबि है। जो 15 ससिं तंबर 1883 को बनय।

• भयरिीर् विस्पति सवेक्षण (BSI) की स्र्यपनय 1890 में की गई एवं इसकय मुख्र्यिर् कोिकयतय में है। इसकय उद्देश्र् देश

के पयदप संसयधनों कय अन्वेिण एवं आलर्ि क महत्व की पहचयन करनय है।

महत्वपूणा िथ्र् –

• संर्ुक्ि रयष्‍टर पर्यावरण कयर्ाक्रम (UNEP) संर्ुक्त रयष्र की पर्यावरण मयमिों पर मुख्र् एजेंसी है। इसकय गठन महयसभय

की 1972 की स्टॉकहोम मे मयनव पर्यावरण कॉन्फ्रेंस में हुआ। इसके स्र्यपनय ददवस (5 जून) को ववश्व पर्यावरण ददवस के

रूप में मनयर्य जयतय है।

• IUCN ववश्व कय सबसे पुरयनय एवं बडय वैलिक पर्यावरण एवं प्रकृवत संरक्षण नेटवका है। इसकय मुख्र्यिर् ग्ियण्ड

(स्विट्जरिैं ड) में है। इसके द्वयरय ‘रेड डयटय बुक’ कय प्रकयशन वकर्य जयतय है (oct. 1948)

• सयइट्स (The convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) –

इसे ‘ वयसशिं गटन कन्वेशन’ भी कहय जयतय है क्र्ोवक इसकय प्रर्म कन्वेशन (मयचा 1973) वयसशिं गटन में ियगू हुआ। भयरत

CITES में 1976 में शयलमि हुआ। 183 सदस्र्।

• बडा लयइि इं टरिेशिल - बडा ियइि इं टरनेशि ‘प्रकृवत संरक्षण सयझेदयरों’ कय सबसे बडय और पुरयनय वैलिक संगठन है ,

सजसके 120 से अघधक सहर्ोगी संगठन है। इसकी स्र्यपनय 1922 में पक्षी संरक्षण के लिए अंतरयाष्रीर् सलमवत के नयम से

की गई र्ी। 1933 में इसकय नयम वतामयन अनुसयर रिय गर्य।

• वर्लडा िेचर ऑगेियइजेशि (WNO) – मई 2014 में WNO की आघधकयररक स्र्यपनय

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• वर्लडा ररसोसेज इं स्टीट्यूट – वल्डा ररसोसेज इं स्टीट्यूट एक स्वतंत्र वैलिक गैर सरकयरी संस्र्य है सजसकी स्र्यपनय 1982 में

की गई।

• REDD (Reducing Emission form Deforestation and forest Degradation) – र्ह ववकयसशीि देशों में वन

प्रबंधन को बढयवय देकर हररतगृह गैसों (Green house gases) के लनवि उत्सजान को सीलमत कर जिवयर्ु पररवतान

के प्रभयव को कम करने हेतु UNFCC (संर्ुक्त रयष्र कय जिवयर्ु पररवतान पर फ्रेमवका कन्वेंशन) कय 2005 (COP 11)

से चि रहय एक तंत्र (मैकेलनज्म) है।

• ग्रीिपीस (GreenPeace) – ग्रीनपीस एक स्वतंत्र वैलिक अलभर्यनकयरी (campaigning| संस्र्य है। सजसकी स्र्यपनय

1971 में हुई।

• इं टरिेशिल सोलर एलयइन्स -

o 2015 में पेररस समझौते के दौरयन

o भयरत और फ्रयंस के सहर्ोग से

जैवमण्डल

पृथ्वी के समस्त जीववत जीव तर्य उनके आस-पयस कय पर्यावरण, सजससे इन जीवों

की पयरस्पररक वक्रर्य होती है , लमिकर जैवमंडि की रचनय करते है। जैवमंडि के अन्तगात

समस्त जीव (जैववक संघटक) तर्य भौवतक पर्यावरण (अजैववक संघटक) को सम्मिलित

वकर्य जयतय है।

जैवमंउि के तीन प्रमुि उपववभयजन है : प्रर्म वयर्ुमंडि, दद्वतीर् – स्र्िमंडि, तृतीर् – जिमंडि।

जैववक समुदयर् – जब एक ही क्षेत्र में ववलभन्न् प्रजयवतर्ों की जनसंख्र्य रहती है तर्य एक-दूसरे के सयर् परस्पर वक्रर्य करती है ,

जैववक समुदयर् कहियती है।

की-स्टोि प्रजयति – वे जयवतर्यँ जो वकसी समुदयर् में प्रचुरतय तर्य जैवभयर की अल्पतय के बयवजूद सयमुदयघर्क अलभिक्षणों पर

अपनय प्रभयव दशयाती है, की स्टोन प्रजयवतर्यँ कहियती है। .

ियउं डेशि प्रजयति –ियउं डेशन प्रजयवत, अन्र् प्रजयवतर्ों के लनमयाण व संरक्षण में मुख्र् भुलमकय लनभयती है। कौरि।

अंब्रेलय प्रजयति – इसकय संरक्षण उसी लनवयस में रहने वयिी अन्र् प्रजयवतर्ों के लिए भी संरक्षण कय कयर्ा करतय है।

संकेिक प्रजयति – संकेतक प्रजयवत से अलभप्रयर् वकसी एक पौधय र्य जन्तु की प्रजयवत से है जो पर्यावरण पररवतान के लिए बहुत

संवेदनशीि होतय है।

संक्रनमकय - दो र्य उससे अघधक ववववध समुदयर्ों के मध्र् संक्रमण क्षेत्र को संक्रलमकय (Ecotone) कहते है।

कोर प्रभयव – कोर प्रभयव एक पयररस्थिवतकीर् अवधयरणय है जहयँ दो पररतंत्र आपस में लमिते है वहयँ ववशयि ववववधतय पयई जयती

है।

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बयर्ोम – बयर्ोम पौधों व प्रयसणर्ों कय एक समुदयर् है जो एक बडे भौगोलिक क्षेत्र में पयर्य जयतय है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी पर पेड-

पौधों तर्य जीव-जंतुओ ं सरहत सभी प्रमुि पयररस्थिवतक तंत्र बयर्ोम कहियते है।

जैव ववववधिय

• जैव ववववधतय से तयत्पर्ा पृथ्वी पर पयए जयने वयिे जीवो की ववववधतय से है। 1992 में ररर्ो रड जेनेररर्ों में आर्ोसजत पृथ्वी

सम्मेिन में जैव ववववधतय की मयनक पररभयिय अपनयई गई।

• ववश्व के कुछ क्षेत्रों में प्रजयवतर्ो की अत्र्घधक संख्र्य होती है। सजसे हॉटस्पॉट र्य मेगय डयइवससि टी क्षेत्र कहते है। ववश्व के

िगभग 60% उभर्चर, पक्षी, जयनवर तर्य पेड-पौधे इन्ही क्षेत्रों में पयए जयते है।

• जैव ववववधतय शब्द कय सवाप्रर्म प्रर्ोग 1980 में W.A. रोजेन द्वयरय।

• जैव ववववधतय के जनक –E. O. ववल्सन

जैव ववववधिय के प्रकयर –

जैव ववववधतय वकसी जैववक तंत्र के स्वयस्थ्र् कय द्योतक है। र्ह वकसी ददर्े गए पयररस्थिवतकीर् तंत्र , बयर्ोम र्य पूरे

ग्रह में जीवन के रूपों की ववलभन्नतय कय पररणयम है। एक समुदयर् में रहने वयिे जीव-जन्तु

व वनस्पवत दूसरे समुदयर् के जीव जन्तुओ ं से आवयस, ियद्य िृंििय के आधयर पर अत्र्घधक

लभन्न होते है।

आिुवयंनशक ववववधिय –

• आनुवयंसशक ववववधतय कय आशर् वकसी समुदयर् के एक ही प्रजयवत के जीवों के

जीन में हयने वयिे पररवतान से है।

• एक ही जयवत र्य इसकी एक समखि में कुि आनुवयंसशक ववववधतय जीन पूि कहियती है।

प्रजयिीर् ववववधिय –

• प्रजयतीर् ववववधतय से आशर् वकसी पयररस्थिवत तंत्र के जीव-जन्तुओ ं के समुदयर्ो की प्रजयवतर्ों में ववववधतय से है। .

सयमुदयतर्क र्य परतििं त्र ववववधिय –

• एक समुदयर् के जीव जंतुओ ं और वनस्पवतर्ों एवं दूसरे समुदयर् के जीव-जंतुओ ं व वनस्पवतर्ों के बीच पयई जयने वयिी

ववववधतय सयमुदयघर्क ववववधतय र्य पररतंत्र ववववधतय कहियती है।

महत्वपूणा िथ्र् -

• पृथ्वी पर सबसे अघधक प्रजयवतगत ववववधतय कीट (आर्ोपोडय समूह) में पयई जयती है (िगभग- 751000) ।

जैव ववववधिय के मयपि की िीि ववतधर्यँ है – 1. α-ववववधतय, 2. β-ववववधतय, 3. γ- ववववधतय

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• अर्लिय ववववधिय - वकसी एक समुदयर् र्य पररतंत्र में प्रजयवतर्ों की कुि संख्र्य को बतयती है।

• बीटय ववववधिय - आवयसों र्य समुदयर्ों की एक प्रवणतय के सयर् जयवतर्ों के ववस्र्यपन होने की दर बीटय ववववधतय

कहियती है (प्रजयवतर्ों की संरचनयत्मक ववववधतय) ।

• गयमय ववववधिय - एक भौगोलिक क्षेत्र र्य आवयसो की प्रजयवतर्ों की प्रचुरतय को बतयती है।

भारत में जैव लवलवधता


• भयरत में जिवयर्ु एवं ववलभन्न क्षेत्रों की स्र्ियकृवतों में लभन्नतय के कयरण पररतंत्रों में अत्र्घधक ववववधतय ददियई देती है।

स्र्ियकृवतर्ों एवं पररतंत्रों मे लभन्नतय के कयरण र्ह क्षेत्र जैव ववववधतय की दृखि से समृद्ध है। भयरत, ववश्व के ववववधतय

बयहुल्र् क्षेत्रों में से एक है। ववश्व के कुि 17 मेगय डयइवससि टी प्रदेशों में भयरत को भी शयलमि वकर्य गर्य है। ववश्व के हॉटस्पट

क्षेत्रो की दृखि से भयरत अत्र्घधक हॉटस्पयट क्षेत्रों में से एक है।

• जैव ववववधतय की दृखि से भयरत ववश्व के 10 एवं एसशर्य के 4 शीिा देशों में शयलमि है। IUCN के अनुसयर भयरत में जीवों की

91000 प्रजयवतर्यँ पयई जयती है।

• जैव ववववधतय की दृखि से भयरत के प्रमुि क्षेत्र लनम्नलिखित है –

1. भयरत के प्रमुि हॉटस्पॉट क्षेत्र 2. समुद्रीर् जैव ववववधतय क्षेत्र 3. भयरत के जैव भौगोलिक क्षेत्र

भयरि के प्रमुख हॉटस्पयट क्षेत्र –

• हॉटस्पॉट शब्द कय प्रर्ोग सबसे पहिे 1988 में नॉरमन मयर्सा द्वयरय।

• भयरत के 4 क्षेत्र है जो जैव ववववधतय की दृखि से समृद्ध क्षेत्र है –

• इण्डो – बमया क्षेत्र • रहमयिर् क्षेत्र

• पलिमी घयट एवं िीिं कय • सुण्डयिै ण्ड क्षेत्र (लनकोबयर द्वीप)

• पलिमी घयट हॉटस्पॉट क्षेत्र में 64.95% इण्डो-बमया 5.13 % रहमयिर् क्षेत्र 44.37% और सुंडयिैं ड हॉटस्पॉट क्षेत्र में 1.28% क्षेत्र।

समुरी जैव ववववधिय क्षेत्र

• भयरत कय समुद्र तटीर् क्षेत्र 7,516.6 वकमी तक ववस्तृत है। समुद्रीर् जैव ववववधतय क्षेत्रों में ववलभन्न मैंग्रोव, एश्चुरी, प्रवयि

लभत्ती सम्मिलित है1

• ववश्व में कोरि, मोिस्क(घोंघय), क्रस्टे सशर्न, पॉिीकीट्स और प्रवयि प्रजयवतर्ो की प्रचुरतय पयई जयती है।

भयरि के जैव भौगोनलक क्षेत्र –

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• जैव भौगोलिक क्षेत्र वे क्षेत्र है जहयँ जंतुओ ं और पौधो की प्रजयवतर्ो के िक्षणो एव ववतरण में ववश्व के अन्र् क्षेत्रों से

ववसशष्टतय होती है।

• जैव ववववधतय की दृखि से भयरत के 10 जैव भौगोलिक क्षेत्र है सजनमें जिवयर्ु, स्र्ियकृवतर्ों, मृदय आदद में लभन्नतय पयई

जयती है।

ववश्व में पयए जयने वयिे समस्त जंतुओ ं को दो भयगों में बयँटय गर्य है -

1. कशेरूकी जंतु 2. अकशेरूकी जंतु

जन्तुओ की प्रजयवतर्यं

कशेरूकी अकशेरूकी

मछलिर्य स्तनधयरी पक्षी अर्थ्रोपोड्स एनेलिड्स मोिस्क नेमेटोड्स

उभर्चर लमररर्यपोड्स क्रस्टे सशर्न एरेक्निड्स इनसेक्ट्स

उदय.
सरीसृप उदय. उदय. चींटी,
उदय. क्रैब स्पयइडसा,
सेंटीवपड्स कीट-पतंगे,
िॉब्स्टर स्कोवपि र्न्स
लमिीपीड्स िोकस्ट्स
रटक्स

कशेरूकी जंिु –

• जंतुओ ं की वे प्रजयवतर्यँ सजनमें रीड की हड्डी उपस्थित होती है कशेरूकी र्य रीढधयरी जंतु कहियते है।

• कशेरूकी जन्तुओ ं कय वगीकरण लनम्न है -

स्ििधयरी –

• ववश्व में स्तनधयररर्ों की िगभग पयँच हजयर प्रजयवतर्यँ पयई जयती है।

• स्तनधयररर्ों के शरीर पर बयि, नयिून और वकरेरटन से बने हुए सींग पयए जयते है।

• समुद्री गयर्, समुद्री ससिं ह, इर्रिे स सीि, पैगोलिन, व्हेि इत्र्यदद स्तनधयररर्ों के उदयहरण है।

प्रमुख स्ििधयरी प्रजयतिर्ों की ववशेषियएँ –

डॉस्थिि –

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• भयरत में सबसे अघधक डॉस्थिन गंगय नदी क्षेत्र में पयई जयती है।

• भयरत सरकयर ने नदी डॉस्थिन को रयष्रीर् जिीर् जीव घोवित वकर्य है।

• भयरत की गंगय, चंबि, गंउक, ब्रह्मपुत्र नददर्ों से िे कर बयंग्िोदश की नददर्ों में

डॉस्थिन पयई जयती है।

• डॉस्थिन देिने मे अक्षम होती है।

मयसुवपअर्लस –

• मयरसुवपअल्स ववश्व में पयई जयने वयिी जंतुओ ं की वे प्रजयवतर्यँ है जो अपने

अववकससत सशशुओ ं को जन्म के बयद अपने पेट के पयस बने र्ैिीनुमय स्र्यन में

रिती है।

• मयसुवपअल्स ववशेित: ऑस्रे लिर्य, न्र्ू घगनी, तर्य उनके आस-पयस के द्वीपों में

पयए जयते है।

• इन प्रजयवतर्ों में मुख्र्त: कंगयरू, कोआिय, पॉसम, वोम्बैत आदद है।

अंडे देिे वयले स्ििधयरी –

• अंडे देने वयिे स्तनधयरी, स्तनधयररर्ों की अन्र् समस्त प्रजयवतर्ों

की तुिनय में ववकयस के क्रम में सबसे लनचिे क्रम पर है।

• वतामयन में इनकी प्रजयवतर्ों के केवि 3 जीव ही जीववत है। र्े जीव

वरतचंचु (डक वबल्ड प्िे रटपस), पेंगोलिन तर्य संकटग्रस्त स्पयइनी ऐ ंट ईटर है।

उभर्चर -

• उभर्चर जंतु मत्स्र् एवं सरीसृप के बीच की प्रजयवत है। र्े स्र्ि एवं जि दोनो में रहने

में सक्षम होते है।

पक्षी –

• पलक्षर्ों के पंि ववकससत होते है सजससे वे उड सकते है। र्े समतयपी होते है । र्े अण्डे देते है।

सरीसृप -

• पृथ्वी पर रेंगकर चिने वयिे जीवों कय सरीसृप कहय जयतय है। इनके शरीर पर बयि र्य पंि के बजयर् शल्क होतय है।

मत्स्र् -

• मछलिर्यँ शल्कों वयिी जिचर जीव है जो कम-से-कम एक जोडे पंि से र्ुक्त होती है।

• र्े असमतयपी होती है।

• र्े प्रयर्: जि में पयई जयती है। (कुछ ियरे जि में तर्य कुछ स्वच्छ जि में)

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• र्े िेिडे की बजयर् ववकससत घगल्स से पयनी के अंदर सयँस िे ती है। इनमें शल्क एवं पंि पयए जयते है।

• मछलिर्यँ एक सयर् कई अण्डे देती है।

अकशेरूकी जंिु –

• अकशेरूकी जंतुओ ं में रीढ की हड्उी कय अभयव होतय है। अकशेरूकी जंतुओ ं की प्रजयवतर्यँ

लनम्नलिखित है

अर्थ्रोंपोडय –

• अर्थ्रोंपोडय प्रजयवतर्ों की संख्र्य पृथ्वी पर सबसे अघधक है। पृथ्वी पर दो वतहयई प्रजयवतर्यँ

इन्ही जीवों की पयई जयती है।

• इनकी प्रमुि प्रजयवतर्यँ- वतिचट्टय, मच्छर, मक्िी, झींगय, केकडय आदद है।

एिेनलडय –

• एनेलिडय कय शयरीररक भयग दो टु कडो में ववभयसजत होतय है।

• उदय. केचुआ, जोक इत्र्यदद।

मोलस्क -

• र्े मुियर्म एवं िचीिे होते है।

• बयहरी आवरण कठोर होतय है, जो इन्हे बयहरी ितरे से बचयतय है।

• दो प्रकयर के होते है – एक जमीन पर रहते है, दूसरय जि में, घोंघय स्र्ि

भयग पर जबवक ऑक्टोपस जि में रहतय है।

िेमेटोर्डस –

• नेमेटोड्स समूह के जीवों कय शरीर िं बय संकरय होतय है। इनकय शरीर िचीिय तर्य धयगे की तरह होतय है।

• उदय. – गोि कृलम, िीतय कृलम, वपन कृलम।

जैव ववववधतय सरंक्षण

स्वस्र्यन संरक्षण बयह्य स्र्यन सरंक्षण

1. रयष्रीर् उद्ययन
2. वन्र्जीव अभ्र्यरण्र् 1. बीज बैंक 1. वनस्पवत उद्ययन
3. जैव मण्डि आगर 2. जीन बैंक 2. वृक्ष उद्ययन
4. पववत्र उपवन एवं 3. लनम्नतयपी 3. जंतु उद्ययन
झीिे संरक्षण 4. घचरडर्यघर
5. समुदयर् एवं संरक्षण

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पौधो कय वगीकरण

संवहनीर् पौधे असंवहनीर् पौधे

बीज वयिे पौधे बीज ररहत ब्रयर्ोियइट्स

एं सजर्ोस्पमा सजम्नोस्पमा र्ैिोियइट

जैसे - टे ररडोियइट्स जैसे


मोनोकॉट्स डयइकॉट्स - िना टे रीडोियइट
-चीड के वृक्ष
- क्िब कयई
-िर के वृक्ष

लयइकेि –

• ियइकेन लनम्न िेणी की छोटी वनस्पवतर्ों कय समूह है। र्े ववलभन्न आधयरों, जैसे वृक्ष की पघिर्ों, छयिों, प्रयचीन

दीवयरों, चट्टयनों एवं सशियओ ं पर उगते है।

• ियइकेन कवक एवं शैवयिय के सहजीवी संबंध के रूप में पयए जयते है।

कीटभक्षी पौधे –

• र्े पौधे नयइरोजन पूवति के लिे ए कीटो, मकरडर्ों, सूक्ष्म जीवों को ियते है।

• डोसेरय, वपचर प्ियंट (घटपणी), वीनस फ्लयई रै प, ब्िै डरवटा कीटभक्षी पौधो के उदयहरण है।

प्रजयति ववलोपि –

• प्रजयवतर्ों के वविोपन से अलभप्रयर् ववश्व के प्रत्र्ेक क्षेत्र से प्रजयवतर्ों के वविु प्त र्य पूरी तरह से समयप्त होने से है।

• कभी-कभी प्रयकृवतक आपदयओ ं के कयरण प्रजयवतर्ों के संपूणा समूह नष्ट हो जयते है। इस प्रकयर की घटनय करोडो

विों में होती है। र्ह वविोपन ‘समूह वविोपन’ कहियतय है।

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जैव लवलवधता का संरक्षण
रयष्‍टरीर् उद्ययि –

• वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1972 वकसी समृद्ध जैव ववववधतय वयिे प्रयकृवतक

पयररस्थिवतक तंत्रय को, रयष्रीर् उद्ययन घोवित करने की शघि रयज्र्ों को देतय है।

• रयष्रीर् पयका घोवित वकए गए क्षेत्र में जंतुओ ं कय सशकयर प्रवतबंघधत होतय है।

भयरि में रयष्‍टरीर् उद्ययि –

दयचीगयम (एकमयत्र क्षेत्र जहयँ कश्मीरी स्टै ग (हं गुल) पयए

जम्मू कश्मीर (4) जयिे है )

सिीम अिी , वकश्तवयर

लद्दयख हेलमस हयई भयरत कय सबसे बडय रयष्रीर् उद्ययन (िे ह जनपद)

रहमयचल प्रदेश (5) वृहद (ग्रेट) रहमयिर् र्ूनेस्को की ववरयसत सूची में शयलमि

इं दर वकिय, खिरगंगय, वपनघयटी, ससम बयिबयरय

उत्िरयखण्ड (6) गंगोत्री, गोववन्द पशु ववहयर, नंदय देवी, िूिों

की घयटी

रयजयजी बयघ, तेंदआ


ु तर्य हयलर्र्ों के लिए प्रससद्ध

हररर्यणय(2) कयिे सर, सुल्तयनपुर

रयजस्थयि (5) केवियदेव सयइबेररर्न क्रेन नयमक प्रवयसी पक्षी कय आिर्

स्र्ि

रणर्म्भौर, सररस्कय, मुकुंद्रय रहल्स (दरया)

मरूस्र्िीर् दूसरय सबसे बडय

गुजरयि (4) घगर वन एसशर्यई ससिं ह

मैरीन (कच्छ की ियडी), ब्िै कबक

(वैियवदयर), वंस्दय

महयरयष्‍टर (6) संजर् गयंधी (बोरीवबिी), पेंच, तदोबय,

गुगयमि, नवेगयँव, चयंदोिी

गोवय (1) महयवीर (मोल्िे म)

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कियाटक बयंदीपुर रेड हेडेड वल्चर, वृहद बयइसन, भयरतीर् हयर्ी,

चीति

रयजीव गयंधी (नयगरहोि), कुद्रेमुि,

बन्नेरघट्टय, अंशी

केरल (6) पेररर्यर हयर्ी, रहरण, सयंभर, भौंकने वयिय रहरण

िनमलियडु(5) इं ददरय गयंधी (अन्नयमियई), मुदम


ु ियई, गुंडी,

मुकुर्ी, मन्नयर मैरीन

िेलंगयिय (3) कयसुब्रह्मयनन्द रेड्डी, महयवीर हररनय

बनस्र्िी म्रुगयवयनी

आंध्र प्रदेश (3) पयपीकोंडय, रयजीव गयंधी (रयमेश्वरम), िी

वेंकटे श्वर

छत्िीसगढ (3) कयंगेर घयटी महत्वपूणा पक्षी क्षेत्र रयणय चयल्सा डयववि नी नयमक

नई मेंढक प्रजयवत

ओरडशय (2) भीतरकलनकय, ससमिीपयि

पं.बंगयल (6) बुक्सय, गोरूमयरय, नेओरय घयटी, ससिं गिीिय,

सुंदरवन

जिदयपयरय एक सींग वयिय गैंडय

तत्रपुरय (2) क्ियउडेड िे पडा, वबसो

नमजोरम (2) मुिेन, िवंगपुई नीिय पवात

मणणपुर (1) केइबुि – ियमजयओ ववश्व कय एकमयत्र तैरतय हुआ उद्ययन (Floating

Park)

ियगयलैं ड (1) इं टयकी

अरूणयचल प्रदेश नयमदिय, मयउलििंग

(2)

झयरखंड (1) बेतिय बयघ, स्िोर् भयिू , मोर, हयर्ी, सयंबर आदद

उत्िर प्रदेश (1) दुधवय

मध्र्प्रदेश (9) बयंधवगढ सबसे अघधक बयघ जनसंख्र्य घनत्व वयिय सिेद

शेर

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मंडिय प्ियंट िॉससि, मयधव, इं ददरय

वप्रर्दसशि नी पेंच, पन्नय, संजर्, सतपुडय, वन-

ववहयर

कयन्हय बयघ, तेंदआ


ु , जंगिी कुत्तय

वबहयर (1) वयल्मीवक

असम(5) रडब्रू-सयइिोवय, ओरयंग, नमेरी

कयजीरंगय एक सींग वयिय गेंडय

मयनस जंगिी भैसय

नसक्किम (1) कंचिजंगय र्ूनेस्कों की ववश्व ववरयसत स्र्ि में शयलमि

मेघयलर् (2) बयियिकरम रेड पयंडय, जंगिी जिीर् भैसय

नोकरेक ररज भौंकनेवयिय रहरण,गौर

अंडमयि और कैम्पेबेि ियडी, गयियलर्र्य ियडी, महयत्मय

निकोबयर (9) गयंधी मैरीन, उत्तरी बठन द्वीप, मयउण्ट

हैररर्ट, मध्र् बटन द्वीप, रयनी झयंसी मैरीन,

सैडम पीक

सयउर् बटन द्वीप भयरत कय सबसे छोटय रयष्रीर् उद्ययन

वन्र्जीव अभर्यरण्र् –

वन्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म,1972 के अनुसयर र्दद रयज्र् वकसी ववशेि क्षेत्र को जैव ववववधतय की दृखि से महत्वपूणा मयनते हो

अर्यात जहयँ पर पर्याप्त जैववकीर्, भू-आकृवतक, जीव जंतु, वनस्पवतर्ों आदद की बहुितय हो उस क्षेत्र को वन्र्जीव वन्र्जीव

अभर्यरण्र् घोवित वकर्य जय सकतय है।

रयज्र् वन्र्जीव अभर्यरण्र्

आंध्र प्रदेश कोररिं गय, कोल्िे रू, पुलिकट, नयगयजुान सयगर – िीशैिम, प्रयणरहतय

िेलंगयिय नयगयजुान सयगर – िीशैिम, प्रयणरहतय, वकन्नेरसयनी

वबहयर बरेिय झीि (वतामयन में सिीम अिी जुब्बय सयहनी पक्षी ववहयर), भीमबयंध, गौतम बुद्ध, कयँवरझीि, कैमूर,

वयल्मिकी, ववक्रमशीिय गंगय-डॉस्थिन

चंडीगढ सुिनय झीि

छत्िीसगढ अचयनकमयर, सीतयनदी

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गोवय भगवयन महयवीर (मोल्िे म)

गुजरयि कच्छ ग्रेट इं रडर्न बस्टडा, घगर, कच्छ की ियडी (मेरीन), नि सरोवर, नयरयर्ण सरोवर (घचिं कयरय), पूरनय,

जंगिी गधय

रहमयचल प्रदेश चंद्रतयि, पोंग डेम झीि, रेनुकय

जम्मुकश्मीर चयंगर्यंग शीत मरूस्र्ि (िद्दयि) , होकेरसर, सुररनसर –मयनसर

झयरखंड डयिमय, गौतम बुद्ध, हजयरीबयग, पयरसनयर्, पियमू, तोपचंची

कियाटक डयंडेिी, घयटप्रर्य, घचिं चोिी, तयिकयवेरी

केरल र्डेक्क्ड पक्षी, इदुक्की, नेय्ययर ,परयस्विकुिम, मयियबयर, पेररर्यर, वयर्नयड, कुमयरयकॉम

मध्र्प्रदेश बोरी, गयंधी सयगर, रयष्रीर् चंबि, पन्नय, रयतयपयनी, सोन घरडर्यि

महयरयष्‍टर िनसड, बोर, किसुबयई – हररश्चन्द्र, मेिघयट, नयगजीरय, नरनयि पक्षी, पेनगंगय, उमरेद करहयंडिय

ओरडशय भीतरकलनकय, घचल्कय, गरहरमयर्य (मेरीन), नंदनकयनन, सतकोससर्य गॉजा, ससमिीपयि

पंजयब हररके झीि

रयजस्थयि मयउण्ट आबू, सररस्कय, जवयहर सयगर, रयष्रीर् चंबि, वन ववहयर

िनमलियडु कोडयईकनयि, नेल्िई, प्वॉइं ट कैिीमर, पुलिकट झीि, सत्र्मंगिम, किक्कड, इं ददरयगयंधी

(अन्नयमियई) वेदयंर्ंगि वेल्ियनयडु (ब्िै कबक), मुदम


ु ियई

उत्िर प्रदेश बखिरय, कैमूर, महवीर स्वयमी, रयष्रीर् चंबि, ओििय पक्षी, पटनय पक्षी ववहयर

ददर्लली असोिय भयटी (इं ददरय वप्रर्दसशि नी)

अरूणयचल पिुई, सेसय ऑवकिड

प्रदेश

असम दीपोर बीि, पूवी कयबी एं गिोंग, ियिोवय

नमजोरम दंपय, र्ोरयंटियग

नसक्किम वकतयम, पयंगोििय

तत्रपुरय गुमटी, सेपयहीजयिय

मेघयलर् नोंगिैिेम, ससजू, बयघमयरय वपचेर पौधय

ियगयलै ड ियकीम

उत्िरयखंड केदयरनयर्

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अंडमयि व टटा ि द्वीप

निकोबयर

बयर्ोस्फीर्र ररज़वा की संरचिय

S.no विा नयम रयज्य प्रकयर

1. 1986 नीिघगरर बयर्ोस्फीर्र ररजवा तलमिनयडु, केरि और कनयाटक पलिमी घयट

2. 1988 नंदय देवी उिरयिंड पलिमी रहमयिर्

3. 1988 नोकरेक मेघयिर् पूवी रहमयिर्

4. 1989 ग्रेट लनकोबयर बयर्ोस्फीर्र ररजवा अंडमयन व नोकोबयर द्वीप समूह द्वीप

5. 1989 मयनस असम पूवी रहमयिर्

6. 1989 मन्नयरी की ियडी तलमिनयडु तटों

7. 1989 सुंदरवन पलिम बंगयि गंगय डेल्टय

8. 1994 ससमिीपयि उडीसय दक्कन प्रयर्द्वीप

9. 1997 रडब्रू-Saikhowa असम पूवी रहमयिर्

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10. 1998 ददहयंग-ददबयंग अरुणयचि प्रदेश पूवी रहमयिर्

11. 1999 पचमढी बयर्ोस्फीर्र ररजवा मध्य प्रदेश अद्धा शुष्क

12. 2000 कंचन्जोंगय ससक्कक्कम पूवी रहमयिर्

13. 2001 अगस्त्यमियई बयर्ोस्फीर्र ररजवा केरि, तलमिनयडु पलिमी घयट

14. 2005 अचयनकमयर - अमरकंटक मध्य प्रदेश, छिीसगढ मैकिय रहल्स

15. 2008 कच्छ कय रण गुजरयत रेघगस्तयन

16. 2009 कोल्ड डेजटा रहमयचि प्रदेश पलिमी रहमयिर्

17. 2010 शेिचिम रहल्स आंध्र प्रदेश पूवी घयट

18. 2011 पन्नय रयष्ट्रीर् उद्ययन मध्य प्रदेश अद्धा शुष्क

मैि एं ड बयर्ोस्फीर्र प्रोग्रयम:

▪ वषा 1971 में शुरू वकर्य गर्य र्ूनेस्को कय मैि एं ड बयर्ोस्फीर्र ररज़वा प्रोग्रयम (MAB) एक अंतर-सरकयरी वैज्ञयलनक

कयर्ाक्रम है सजसकय उद्देश्य िोगों और उनके वयतयवरण के बीच संबंधों में सुधयर के लिर्े वैज्ञयलनक आधयर ियवपत करनय है।

▪ र्ह आलर्ि क ववकयस के लिर्े नवयचयरी दृखिकोण को प्रोत्सयरहत करतय है जो सयमयसजक एवं सयंस्कृवतक दृखिकोण से उघचत

तर्य पर्यावरणीर् रूप से धयरणीर् है।

▪ भयरत में कुि 12 बयर्ोस्फीर्र ररजवा हैं सजन्हें मैि एं ड बयर्ोस्फीर्र ररज़वा प्रोग्रयम के तहत अंतरयाष्ट्रीर् स्तर पर मयन्यतय दी

गई है:

1. नीिघगरर (पहिे शयलमि वकर्य गर्य) 2. मन्नयर की ियडी

3. सुंदरबन 4. नंदय देवी

5. नोकरेक 6. पचमढी

7. ससमिीपयि 8. अचनकमयर - अमरकंटक

9. महयन लनकोबयर 10. अगस्त्यमयिय

11. िंगचेंदजोंगय (2018 में मैन एं ड बयर्ोस्फीर्र ररजवा प्रोग्रयम के तहत जोडय 12. पन्नय (2020 में जुडय)

गर्य) (कंचनजंघय कय अन्र् नयम )

UNESCO की World heritage site से संबंतधि प्रयकृतिक स्थल –

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ग्रेट रहमयिर्न नेशनि पयका संरक्षण क्षेत्र (2014)

कयजीरंगय रयष्ट्रीर् उद्ययन (1985)

केवियदेव रयष्ट्रीर् उद्ययन (1985)

मयनस वन्यजीव अभर्यरण्य (1985)

नंदय देवी और िूिों की घयटी रयष्ट्रीर् उद्ययन (1988, 2005)

सुंदरबन नेशनि पयका (1987)

पलिमी घयट (2012)

कंचनजंगय रयष्ट्रीर् उद्ययन (2016)

रयमसर िल

रयमसर ईरयन कय एक शहर है जहयं 2 िरवरी 1971 को आद्राभूलम के संरक्षण और उनके प्रबंधन के लिए एक अंतररयष्ट्रीर् संघध

पर हस्तयक्षर वकए गए र्े इसी संघध र्य समझौते को रयमसर समझौतय के नयम से जयनय जयतय है इस संघध कय उद्देश्य संपूणा ववि

के सभी महत्त्वपूणा आद्राभूलम ििों की सुरक्षय करनय है र्ह समझौतय 21 ददसंबर 1975 से प्रभयव में आर्य।

रयमसर िल से संबंतधि महत्वपूणा िथ्य

• भयरत में रयमसर संघध पर 1 िरवरी 1982 को हस्तयक्षर वकए र्े |

• भयरत की पहिी रयमसर िि उडीसय में स्थित घचल्कय झीि है |

• घचल्कय झीि के सयर् केवियदेव पक्षी अभ्ययरण को भी रयमसर िि घोवित वकर्य र्य |

• ववि आद्राभूलम ददवस प्रत्येक विा 2 िरवरी को मनयर्य जयतय है |

• दुलनर्य की पहिी रयमसर सयइट ऑस्रे लिर्य में स्थित कोबोगा प्रयर्द्वीप र्ी |

मध्य प्रदेश में अब कुि चयर रयमसर ियन हैं। भोज वेटिैं ड और बडय तयियब के नयम से जयने जयने वयिी अपर िे क को 2002

में मध्य प्रदेश की पहिी रयमसर सयइट घोवित वकर्य गर्य र्य। उसके दो दशक बयद 2022 में इं दौर के दो जि लनकयर्ों ‘र्शवंत

सयगर झीि’ और ‘ससरपुर झीि’ को रयमसर सयइट घोवित वकर्य गर्य। इसी सयि बयद में, सशवपुरी की सयख्यय सयगर झीि को भी

रयमसर सयइट कय दजया लमि गर्य र्य।

• भयरत में अब तक 80 रयमसर स्र्ि घोवित हो चुकें है।

भयरि में मॉन्रे क्ट ररपोटा के िहि भयरि में शयनमल क्षेत्र

✓ केउियदेव रयष्रीर् उद्ययन

✓ िोकटक झीि

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प्रोजेक्ट टयइगर

• देश में बयघों की िगयतयर घटती आबयदी तर्य बयघों कय संरक्षण करने के लिए सरकयर

ने 1973 में “प्रोजेक्ट टयइगर” ियंच वकर्य सजसके तहत भयरत के रयष्ट्रीर् पशु बयघ के संरक्षण

के लिए कई कदम उठयए गए |

• रयजियन के जोधपुर के कैियश सयंििय के नेतृत्व में पहिी बयर इं ददरय गयंधी ने प्रोजेक्ट

टयइगर नयमक कयर्ाक्रम 1973 में शुरू वकर्य, इसलिए कैियश सयंििय को टयइगर मैन ऑि

इं रडर्य भी कहय जयतय है |

• 1973 में जब टयइगर प्रोजेक्ट टयइगर ियंच वकर्य गर्य तब पूरे भयरत में 9 टयइगर ररजवा घोवित वकए गए |

• र्ह 9 टयइगर ररजवा र्े – मयनस, पियमू, रणर्ंबोर, बयंदीपुर, कयन्हय, मेिघयट, सजम कयबेट, सुंदरवन और ससमिीपयि |

पक्षी अभर्यरण्र् -

• घयनय पक्षी ववहयर (भरतपुर, रयजस्र्यन) • रंगन लर्ट्टू पक्षी ववहयर (मैसूर, कनयाटक)

• वेदयर्ंगि पक्षी ववहयर (कयंचीपुरत, तलमिनयडु) • मयियपट्टी पक्षी ववहयर (नेल्िौर, आंध्रप्रदेश)

• सुल्तयनपुर पक्षी ववहयर (गुरूग्रयम, हररर्यणय) • सिीम अिी पक्षी ववहयर (चोरयओ ं, मयंडवी नदी के पयस ,गोवय )

• कौण्डिन्र्य पक्षी ववहयर – (घचतुर, आंध्रप्रदेश) • घचल्कय झीि पक्षी ववहयर – (पुरी के पयस ओरडशय)

• कुमयरयकॉम पक्षी ववहयर र्य वेम्बनयद पक्षी ववहयर (केरि)

संरक्षण आगयर एवं समुदयर् आगयर – वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1973 में 2002 के संसोधन द्वयरय संरक्षण आगयर एवं

समुदयर् आगयर को जोडय गर्य। र्ह अघधलनर्म वन्र्जीव संरक्षण के लिए समुदयर्ों द्वयरय वकए जय रहे प्रर्यसों को नई पहचयन

देतय है।

समुदयर् आगयर – वन्र्जीव (संरक्षण) संशोधन अघधलनर्म 2002 के बयद वकसी व्र्घि व संस्र्य द्वयरय अघधकयररत क्षेत्रय जो

रयष्रीर् उद्ययन, अभर्यरण्र् व संरक्षण आगयर के अंतगात शयलमि नही है रयज्र् सरकयर उसे जीव जंतुओ ं व समुदयर् के संरक्षण हेतु

समुदयर् आगयर घोवित कर सकती है

संरक्षण आगयर – रयज्र् सरकयर द्वयरय अघधकयररत भूलम क्षेत्र , जो रयष्रीर् उद्ययन अर्वय अभर्यरण्र् क्षेत्र में संिग्न है।

पयररस्थितिक संवेदिशील जोि – पयररस्थिवतक संवेदनशीि जोन (ESZ) संरलक्षत क्षेत्र के आस – पयस के वे क्षेत्र है जो नेशनि

पयका व अभर्यरण्र् क्षेत्र मे ववकयस कयर्ाक्रम से नष्ट हो रही जैव ववववधतय को बचयने हेतु बनयए गए है। ESZ संरलक्षत क्षेत्र में शॉक

एब्जॉबार कय कयर्ा करतय है।

पववत्र उपवि – पववत्र उपवन वे क्षेत्र होते है सजन्हे िोगों की आस्र्य और उनके प्रयकृवतक िगयव के कयरण संरलक्षत वकर्य जयतय

है। IUCN के अनुसयर, पववत्र उपवन प्रकृवत की आरयधनय कय एक रूप है।

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समुरी संरनक्षि क्षेत्र - समुद्री संरलक्षत क्षेत्र कय उद्देश्र् प्रयकृवतक समुद्री पररतंत्र की मूि स्थिवत को सुरलक्षत और संरलक्षत करनय

है।

भयरि में समुरी संरनक्षि क्षेत्र को िीि वगों में बयँटय गर्य है –

• वगा 1 – इसके अंतगात भयरत के सभी रयष्रीर् उद्ययन एवं अभ्र्यरण्र् मैग्रोंव र्य अंतज्वयारीर् /उप –ज्वयरीर् क्षेत्र, कोरि रीि,

क्रीक्स, समुद्री घयस, एल्गी, एश्चुअरीज एवं िै गून संरलक्षत वकए जयते है।

• वगा 2 – इसके अंतगात द्वीपों के समुद्री पररवतंत्र के कुि भयग को शयलमि वकर्य जयतय है।

• वगा 3 – इसके अंतगात समुद्रय नही बम्मल्क जिीर् भयग के छूते रेतीिे क्षेत्र को शयलमि वकर्य जयतय है।

भयरि के कुछ महत्वपूणा समुरी रयष्‍टरीर् उद्ययि एवं अभर्यरण्र्

महयत्मय गयंधी समुरी रयष्‍टरीर् पयका – पोटा ब्िे र्र से 29 वकमी दूर भयरत के दलक्षणी

अंडमयन क्षेत्र में स्थित महयत्मय गयंधी समुद्री रयष्रीर् पयका में कोरि रीि और कछुओ ं

(ववशेिकर प्रजनन के लिए) की प्रचुरतय पयई जयती है।

कच्छ की खयडी समुरी रयष्‍टरीर् पयका – समुद्री पररतंत्र की दृखि से र्ह भयरत कय बहुत ही महत्वपूणा क्षेत्र है। भयरत में सबसे पहिे

इसी क्षेत्र को समुद्री रयष्रीर् पयका घोवित वकर्य गर्य है। इसमें कुि 42 द्वीप है।

गरहरमयथय समुरी वन्र्जीव अभर्यरण्र् –

• र्ह ओरडशय कयपहिय एवं इकिौतय समुु्द्री अभर्यरण्र् क्षेत्र है। इस क्षेद्ध में कछुओ ं की

अनेक ववसशष्ट प्रजयवतर्यँ पयई जयती है सजनमें से ओलिव ररडिे प्रजयवत के कछुए ज्र्यदय

प्रवयस करते है।

• गरहरमयर्य समुद्री तट भीतरकलनकय मैग्रोव को बंगयि की ियडी से अिग करते है। र्ह

ओलिव ररडिे कछुओ ं के प्रजनन एवं नेण्डटिंग (घोसिय बनयनय) के लिए दुलनर्य कय महत्वपूणा समुद्री तट है।

मन्ियर की खयडी समुरी रयष्‍टरीर् पयका –

• मन्नयर की ियडी रयष्रीर् पयका रहन्द महयसयगर मे तलमिनयडु के समीप स्थित क्षेत्र है।

• र्हयँ पर कोरि रीि पयई जयती है।

होप-स्पॉट – होप-स्पॉट सयगर कय वह क्षेत्र है जहयँ महत्वपूणा समुद्री वनस्पवत और जीवों हेतु पयनी के नीचे इनकी ववशेि सुरक्षय

की आवश्र्कतय होती है।

बयह्य - स्थयिे अभर्यरण्र् - बयह्य-स्र्यने संरक्षण ववघध में पौधे एवं जीव जंतुओ ं कय संरक्षण उनके प्रयकृवतक आवयस के बयहर

वकसी ववशेि क्षेत्र / स्र्यन में वकर्य जयतय है।

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बॉटवकल गयडेि - ववश्व के ववलभन्न क्षेत्रों से ियई गई पयदपो की महत्वपूणा एवं ववसशष्ट प्रजयवतर्ों, स्र्यलनक पौधों एवं बडे पौधों

की संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों कय संग्रह कर एक कृवत्रम रूप से बनयए गए आवयस क्षेत्र में प्रवतस्र्यपन वकर्य जयतय है , र्े कृवत्रम आवयस

बॉटे लनकि गयडेन कहियते है।

तचरडर्यघर (ZOO) –

• बयह्य स्र्यनें संरक्षण ववघध के अंतगात जीव-जंतुओ ं, पलक्षर्ों एवं जीवों की दुिाभ एवं संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों को उनके प्रयकृवतक

आवयस से दूर एक कृवत्रम आवयस क्षेत्र में रिय जयतय है, र्ह क्षेत्र घचरडर्यघर कहियतय है।

• इस क्षेत्र की देिभयि केन्द्रीर् घचरडर्यघर प्रयघधकरण द्वयरय की जयती है।

केन्रीर् तचरडर्यघर प्रयतधकरण – भयरतीर् वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनर्म, 1972 [Wildlife (protection) act] 1972] के तहत

जीवं-जंतुओ ं के संरक्षण और उनकी देिभयि के लिए रयष्रीर् घचरडर्यघर की प्रयघधकरण (CZA) की स्र्यपनय की गई।

डीएिए स्िर पर जैव ववववधिय कय संरक्षण – जीन बैंक एवं क्रयर्ोवप्रजवेशन के अंतगा आनुवयंसशक पदयर्ो एवं कोसशकयओ ं के

संरक्षण के सयर् अब आस्विक स्तर पर जमाप्ियज्म कय संरक्षण संभव हो गर्य है।

जीि पूल सेंटर – एक जयवत में कुि आनुवयंसशक ववववधतय को जीन कोश कहते है। वतामयन में जैव ववववधतय के ह्रयस के कयरण

ववश्व में जीन पूि केंद्रों कय लनमयाण वकर्य जय रहय है , सजससे समयप्त हो रही जैव ववववधतय को संरलक्षत वकर्य जय सके।

ववश्व के प्रमुख जीि पूल केंर इस प्रकयर है –

• दलक्षण एसशर्य उष्णकरटबंधीर् क्षेत्र, इण्डो-चयइनय एवं द्वीपीर् क्षेत्र जो मियर्य द्वीप को शयलमि करतय है।

• दलक्षण – पलिम एसशर्य क्षेत्र कॉकेससर्न मध्र्पूवा एवं उत्तर पूवा भयरतीर् क्षेत्र।

• पूवी एसशर्य, चयइनय एवं जयपयन के क्षेत्र

• भूमध्र् सयगरीर् क्षेत्र

• र्ूरोप क्षेत्र

• दलक्षण अमेररकय कें एं डीज पवात के क्षेत्र

जीि बैंक – जीन बैंको के अंतगात आनुवयंसशक पदयर्ों कय बयह्य स्र्यने संरक्षण कें अंतगात संग्रहण एवं संरक्षण वकर्य जयतय है।

इसमें िसिों की ववलभन्न प्रजयवतर्ों के बीजों को जीन बैंक में इकट्ठय कर एक सयमयन्र् तयप पर रिय जयतय है।

क्रयर्ोवप्रजवेशि –

• क्रयर्ोवप्रजवेशन कोसशकय, ऊतक, अंग एवं आनुवयंसशक पदयर्ो की जीन शघि बनयए रिने के लिए भंडयरण की एक प्रवक्रर्य

है।

• क्रयर्ोवप्रजवेशन तकनीकी के अंतगात पदयर्ो को द्रव नयइरोजन में अत्र्ंत लनम्न तयम पर रिय जयतय है तर्य सभी उपयपचर्ी

प्रवक्रर्यओ ं एवं वक्रर्यकियपों को आवश्र्क रूप से लनिं वबत रिय जयतय है।

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IUCN रेड नलस्ट क्र्य है –

• 1964 में स्र्यवपत IUCN रेड लिस्ट के रूप में भी जयनय जयतय है।

• रेड डयटय बुक में ऐसी प्रजयवतर्ों कय ररकयडा रिय जयतय है , जो ितरे में है और वविु प्त होने के जोखिम में है।

• इसमें मुख्र्त: दो प्रकयर के पेज होते है –

o हरय पेज – इन पेज में ितरे से बयहर प्रजयवतर्ों को रिय जयतय है।

o लयल /गुलयबी पेज – इस पेज में संकटग्रस्त र्य ितरों वयिी प्रजयवतर्ों कय ररकयडा रिय जयतय है।

IUCN रेड नलस्ट को निम्िनलखखि 9 श्रेणणर्ों में ववभयनजि वकर्य जय सकिय है –

• ववलुप्ि (Extinct) EX – वे प्रजयवतर्यँ सजनकय अस्वस्तत्व पृथ्वी से समयप्त हो चुकय है जैसे – डयर्यनयसोर, मैमि, डीडो।

• जंगली में ववलुप्ि (EW) – केवि केद जीववत रहने के लिए जयनय जयतय है र्य इसकी ऐवतहयससक सीमय के बयहर एक

प्रयकृवतक आबयदी के रूप में जयनय जयतय है।

• गंभीर रूप से संकटयपन्िय (CR) – जंगिी मे वविु प्त होने कय अत्र्घधक उच्च जोखिम जैसे – घगद्ध-रहमयिर् बटे र,

भयरतीर् चीतय।

• लुप्िप्रयर् (N) – वे प्रजयवतर्यँ सजनके वविु प्ति कय लनकट भववष्र् में ितरय है । जैसे – गंगय डॉस्थिन, शेर जैसी पुंछ वयिय

बंदर, ियि पयण्डय, रहम तेंदआ


ु ।

• सुभेर (VA) – वे प्रजयवतर्यं होती है सजनकी संख्र्य कम होने के कयरण उनकी वविु प्ती कय ितरय बनय रहतय है।

• निकट संकट (NT) – वे प्रजयवतर्यं जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने की संभयवनय है।

• कम से कम तचिं िय (LC) – र्े वे प्रजयवतर्यँ है जो दुिाभ िेणी में पहुंचने के करीब होती है।

• मूर्लर्यंकि िही वकर्य गर्य – मयनदंडो के खिियि अभी तक मूल्र्यंकन नही वकर्य गर्य।

• डेटय की कमी – इसके वविु प्त होने के जोखिम कय आंकिन करने के लिए पर्याप्त डेटय नही है।

संवेदिशील स्थलीर् स्ििधयरी - तयवकन, नीिघगरर मयटे न, संगमरमर के रंग की वबल्िी, बयरहससिं गय, भयरतीर् भेरडर्य, एसशर्यई

कयिय भयिू ।

संवेदिशील जलीर् स्ििधयरी - स्वच्छ जि र्य नददर्ों में रहने वयिी डॉस्थिन, ससिं धु नदी में पयए जयने वयिी डॉस्थिन, मयनयटीस।

शीि ऋिु में प्रवयस करिे वयले पक्षी – सयइबेररर्न क्रेन, ग्रेटर फ्ले लमिं गो, र्ूरसे शर्न टीि, पीिी वयगटे ि, सिेद वयगटे ि, उत्तरी

शॉविे र, रोजी पेलिकरन, वुड सैंडपयइपर, रोजी पेलिकन, वुड सैंडपयइपर, घचत्तीदयर सैंडपयइपर, र्ूरसे शर्न कबूतर।

ग्रीष्‍टम ऋिु में प्रवयस करिे वयले पक्षी - एसशर्यई कोर्ि, र्ूरोवपर्न सुनहरी ओररर्ोि, कॉम्ब डक, कूकूस, नीिी पूँछ वयिी

मक्िी भक्षी।

विस्पति ववववधिय – ववश्व के सभी क्षेत्रों में पर्यावरणीर् दशयओ ं में लभन्नतय के कयरण वनस्पवतर्ों में भी लभन्नतय पयई जयती है।

भयरि में शीषा 5 लुप्िप्रयर् प्रजयतिर्य –

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• लुप्िप्रयर् पशु

• भयरतीर् गैंडय • रॉर्ि बंगयि टयइगर • रहम तेंदआ


• महयन एसशर्यई शेर • नीिघगरी तहरी

• लुप्िप्रयर् पौधो की प्रजयतिर्यं

• आबनूस कय पेड • मयियबयर लििी • भयरतीर् मल्िों

• असम केटवकन र्ू • लमल्कयवॉट •

भयरि में जीव-जंिुओ ं के संरक्षण के नलए वकए जय रहे प्रर्यस

प्रोजेक्ट टयइगर - भयरत में बयघो की संख्र्य में िगयतयर घगरयवट के कयरय 1973 में भयरत

सरकयर ने बयघों को संरलक्षत करने के लिए प्रोजेक्ट टयइगर कयर्ाक्रम शुरू वकर्य।

रयष्‍टरीर् टयइगर संरक्षण प्रयतधकरण (National Tiger Conservation Authority -

NTCA) – रयष्रीर् टयइगर संरक्षण प्रयघधकरण ‘पर्यावरण, वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर्’ के अंतगात गरठत एक सयंववघधक

लनकयर् है जो वन्र्जीव अघधनघर्म, 1972 (2006 में संशोघधत) कें तहत कयर्ा करतय है। .

वैनिक टयइगर / बयघ िोरम – 1993 में वैलिक स्तर पर बयघों के संरक्षण के लिए ददल्िी में सम्मेिन हुआ, सजसमें वैलिक टयइगर

िोरम की स्र्यपनय की गई।

वैनिक टयइगर िोरम द्वयरय चलयए जय रहे प्रोजेक्ट –

• बयघो की लनगरयनी

• ग्िोबि टयइगर ररकवरी प्रोगयम की मॉनीटररिं ग

प्रोजेक्ट एलीिैंट

• प्रोजेक्ट एिीिैंट 1992 में केंद्र सरकयर द्वयरय शूरू वकर्य गर्य है।

• र्ह पररर्ोजनय मुख्र् रूप से 16 रयज्र्ों / केंद्रशयससतों प्रदेशों।

हयथी गनलर्यरय –

• र्ह भूलम कय वह संकरय गलिर्यरय र्य रयस्तय होतय है जो हयलर्ें को एक वृहद पर्यावयस से जोडतय है। र्ह

जयनवरों के आवयगमन के लिए पयइपियइन की तरह कयर्ा करतय है।

• देश में अभी 88 एिीिैंट कॉरीडोर है।

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हयक्तथर्ों की अवैध हत्र्य की निगरयिी कयर्ाक्रम –

• 2003 में सयइट्स (CITES) के दिीर् सम्मेिन (COP) द्वयरय र्ह कयर्ाक्रम दलक्षण एसशर्य के देशों में शुरू वकर्य गर्य।

‘हयथी मेरे सयथी’ अनभर्यि –

• र्ह जयगरूकतय अलभर्यन पर्यावरण वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् तर्य वयइल्ड ियइि रस्ट ऑि इं रडर्य (WTI)

द्वयरय संर्ुक्त रूप से शुरू वकर्य गर्य।

• औपचयररक रूप से र्ह अलभर्यन एिीिैंट- 8 की मंवत्रस्तरीर् बैठक में मई 2011 में शुरू वकर्य गर्य।

• गजु (Gaju) इस अलभर्यन कय शुभंकर (mascot) चुनय गर्य।

गंगय डॉस्थिि –

• वन एव पर्यावरण मंत्रयिर् ने गंगय डॉस्थिन को रयष्रीर् जिीव जीव घोवित वकर्य। र्ह भयरत,

नेपयि, बयंग्ियदेश की गंगय – ब्रम्हपुत्र- मेघनय और कनािुिी संगु नदी तंत्र में पयई जयती है।

• इनकी कुि संख्र्य 2000 के करीब बची हुई है। इन्हे वन्र्जीव संरक्षण अघधलनमर्, 1972 के

अनुसूची – I में रिय गर्य है।

• गंगय डॉस्थिन के अियवय ववश्व में 3 और डॉस्थिन प्रजयवतर्यँ है, जो मीठे जि में पयई जयती है वे है -

o बैजी डॉस्थिि – र्ह चीन की र्यंगत्जी नदी मे पयई जयती है।

o नसिं धु की भूलि डॉस्थिि – पयवकस्तयन के ससिं धु नदी क्षेत्र में पयई जयती है।

o बोटो डॉस्थिि – अमेजन नदी के िै रटन अमेररकय के क्षेत्र में पयई जयती है।

समुरी कछुआ प्रोजेक्ट –

कछुओ ं की ववसशष्ट प्रजयवतर्ों में से एक ओलिव ररडिे कछुआ प्रवतविा शीत के समर् में भयरत

के पूवी तटों पर अपने घोंसिे बनयने के लिए प्रवयस करते है। ओलिव ररडिे व अन्र् कछुओ ं की

संकटग्रस्त प्रजयवतर्ों के संरक्ष्ायण के लिए पर्यावरण, वन एवं जिवयर्ु पररवतान मंत्रयिर् एवं र्ूएनडीपी

(UPDP – United Nations Development Programme) ने सयझे तौर पर 1999 में भयरतीर् वन्र्जीव संस्र्यन, देहरयदून में

समुद्री कछुआ प्रोजेक्ट की शुरूआत की।

क्तगद्ध संरक्षण प्रोजेक्ट -

• हररर्यणय वन ववभयग तर्य बॉम्बे नेचुरि रहस्री सोसयइटी के बीच 2006 में एक समझौतय हुआ सजसमें

घगद्धो के संरक्षण कय िक्ष्र् रिय गर्य।

• भयरत में घगद्धों की कम होती संख्र्य को पहिी बयर रयजस्र्यन के ‘केवियदेव रयष्रीर् उद्ययन’ में

आकलित वकर्य गर्य।

हं गुल पररर्ोजिय –

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• हंगुि र्ूरोपीर् रेप्तिर्र प्रजयवत कय एक रहरण है। अब र्े केवि कश्मीर के ‘दयचीग्रयम रयष्रीर्

उद्ययन’ में ही शेि बचे है।

• इसे ‘कश्मीरी स्टै ग’ भी कहते है तर्य र्ह जम्मू एवं कश्मीर कय रयजकीर् पशु है।

• 1970 में इसकी संख्र्य घटकर 150 हो गई र्ी। तब जम्मू-कश्मीर सरकयर ने IUCN तर्य WWF

के सयर् लमिकर प्रोजेक्ट हंगुि शुरू वकर्य।

मगरमच्छ संरक्षण पररर्ोजिय –

• मगरमच्छ संरक्षण के लिए 1974 ई. में पररर्ोजनय बनयई गर्ी तर्य 1978 तक कुि 16

मगरमच्छ प्रजनन केंद्र स्र्यवपत वकए गए।

• केंद्रीर् मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन प्रसशक्षण संस्र्यन हैदरयबयद में स्थित है।

• मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन प्रोजेक्ट 1975 में FAO तर्य UNDP की सहयर्तय से शुरू वकर्य गर्य।

• 1970 के दशक में शुरू की गई 'भयगवतपुर मगरमच्छ पररर्ोजनय’ कय उद्देश्र् ियरे पयनी में मगरमच्छों की संख्र्य में वृद्धद्ध

करनय र्य।

गैंडय पररर्ोजिय –

• एक सींग वयिे ससिा भयरत में ही पयए जयते है।

• इनकी कम होती संख्र्य के कयरण 1987 में गैंडय पररर्ोजनय प्रयरंभ की गई।

• असम कय मयनस अभर्यरण्र्, कयजीरंगय उद्ययन तर्य पलिम बंगयि कय जयल्दयपयडय अभर्यरण्र्

गैंडों की मुख्र् शरणस्र्िी है।

• इं रडर्न रयइनों ववजन 2020 कय उद्देश्श्र् एक सींग वयिे गैंडे कय संरक्षण तर्य उनकी संख्र्य में वृद्धद्ध करनय है।

• इं रडर्न रयइनों ववजन 2020 को असम के वन ववभयग तर्य बोडो स्वयर्त्त पररिद द्वयरय पूणा वकर्य जयनय है।

• वल्डा वयइड िण्ड – इं रडर्य तर्य अंतरयाष्रीर् रयइनों ियउं डेशन द्वयरय इस पररर्ोजनय को सहर्ोग ददर्य जय रहय है।

लयल पयंडय पररर्ोजिय –

• ियि पयंडय पूवी रहमयिर् क्षेत्र में पयर्य जयतय है। अरूणयचि प्रदेश में इसे ‘कैट बीर्र’ के नयम

से जयनय जयतय है। 1996 में WWF के सहर्ोग से ियि पयंडय पररर्ोजनय शुरू की गई।

कस्िूरी मृग पररर्ोजिय –

• संरक्षण के लिए 1970 के दशक में तयत्कयिीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तरयिंड) के केदयरनयर्

अभर्यरण्र् से कस्तूरी मृग पररर्ोजनय शुरू की गई।

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रहम िेंदआ
ु पररेर्यजिय –

• जनवरी 2009 में रहम तेंदआ


ु पररर्ोजनय शुरू की गई।

• र्ह पररर्ोजनय भयरत के रहमयिर्ी रयज्र्ों – जम्मू एवं कश्मीर, रहमयचि प्रदेश, अरूणयचि

प्रदेश तर्य ससक्कक्कम में वक्रर्यन्वित की जय रही है।

भयरि में जैव ववववधिय से संबंतधि कयिूिी प्रर्यस –

जैव ववववधिय अतधनिर्म, 2002 - इस अघधलनर्म के अंतगात रयष्रीर् जैव ववववधतय प्रयघधकरण (National Biodiversity

Authority – NBA) चैन्नई, रयज्र् जैव ववववधतय बोडा (State Biodiversity Board – SBB) एवं स्र्यलनक लनकयर्ों में जैव

ववववयध्तय प्रबंधन सलमवतर्ों (Biodiversity Management Committess % BMC) कय गठन वकर्य गर्य है।

आिुवयंनशक इं जीनिर्ररिं ग मूर्लर्यंकि सनमति (GEC) – पर्यावरण, वनएवं जिवयर्ु मंत्रयिर् (MoEFCC) के अधीन र्ह भयरत

की सवोच्च लनर्यमक संस्र्य है।

जैव ववववधिय के संदभा मे अंिरयाष्ट्रीर् प्रर्यस व सम्मेलि

जैव ववववधिय अनभसमर् -

• जैव ववववधतय अलभसमर् (CBD) विा 1992 में ररर्ो – रड – जेनेररर्ों में आर्ोसजत पृथ्वी सम्मेनन के दौरयन अंगीकृत

प्रमुि समझौते में से एक है।

• सीबीडी में पक्षकयर के रूप में ववश्व के 196 देश शयलमि है।

कयटयाजेिय जैवसुरक्षय प्रोटोकॉल – कयटयाजेनय जैवसुरक्षय प्रोटोकॉि को जैव ववववधतय कन्वें शन के तत्वयधयन में अंवतम रूप ददर्य

गर्य तर्य इसे 29 जनवरी 2020 को अंगीकयर वकर्य गर्य। र्ह प्रोटोकॉि 11 ससतंबर 2003 को ियगू हुआ।

िगोर्य – क्वयलयलम्पुर अिुपूरक प्रोटोकॉल -दयघर्त्व एवं लनरयकरण के बयरे में अनुपूरक प्रोटोकॉि एक नई अंतरयाष्रीर् संघध

है जो छह विा की गहन वयतया के बयद 15 अक्टू बर 2010 को नगोर्य, जयपयन में सीपीबी (कयटयाजेनय प्रोटोकॉि ऑन बयर्ोसेफ्टी)

के पक्षकयरो के सम्मेिन की पयँचवी बैठक में अपनयई गई। र्ह कयटयाजेनय प्रोटोकॉि के प्रभयवी वक्रर्यन्वर्न हेतु एक अंतरयाष्रीर्

प्रर्यस है।

CBD के अंिगाि COP-10 - 2010 में जयपयन के नगोर्य के आइची प्रयंत में COP-10 सम्मेिन कय आर्ोजन हुआ। कॉप-10 के

पररणयमस्वरूप 2 चीजे अस्वस्तत्व में आर्ी –

• आनुवयंसशक संसयधनों हेतु नगोर्य प्रोटोकॉि

• जैव ववववधतय हेतु आइची िक्ष्र्

िगोर्य प्रोटोकॉल – सीबीडी के तत्वयधयन/संरक्षय में छ: विों की गहन वयतयाओ ं के बयद विा 2010 में पहुँच और ियभ भयगीदरी

संबंधी नगोर्य प्रोटोकॉि अंगीकृत वकर्य गर्य है।

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आइची लक्ष्र् – 18 से 29 अक्टू बर 2010 नगोर्य (जयपयन) के आइची (Aichi) प्रयंत में आर्ोसजत दिपों के 10वें सम्मेिन में जैव

ववववधतय के अद्यतन रणनीवतक र्य सयमररक र्ोजनय को स्वीकयर वकर्य गर्य।

रयष्‍टरीर् जैव ववववधिय कयर्ािीति और कयर्ार्ोजिय – सीबीडी के अनुच्छेद – 6 द्वयरय।

भयरिीर् जीव /पशु कर्लर्यण बोडा –

• भयरतीर् पशु कल्र्यण बोडा एक सयंववघधक सियहकयर लनकयर् है।

• पशुओ ं के प्रवत क्रूरतय लनवयरण अघधलनर्म 1960 (PCA act] 1960) के सेक्शन – 4 के तहत 1962 में गरठत भयरतीर्

पशु कल्र्यण बोडा।

वन्र्जीव अपरयध निर्ंत्रण ब्र्ूरों - वन्र्जीव (संरक्षण) अघधलनमर्, 1972 की धयरय 38(Z) के तहत र्ह अघधदेश ददर्य गर्य है।

पयररस्थििक-िंत्र

• पयररस्थिवतकी शब्द मूि जमान शब्द oekologic तर्य अंग्रेजी भयिय के Ecology शब्द कय रूपयंतरण है।

• पयररस्थिवतकी शब्द कय प्रर्ोग – ए जी टयंसिे

• पयररस्थिवतकी के जनक – अनेस्ट हैकि

• गहन पयररस्थिवतकी के जनक – अनीज नेस (1973)

• आधुलनक पयररस्थिवतकी के जनक – र्ूजीन पी ओदूम

• पयररस्थिवतकीर् अर्यात Ecology शब्द की मूि उत्पघि र्ूनयनी भयिय के OIKOS शब्द सजसकय अर्ा घर अर्वय लनवयस स्र्यन

होतय है तर्य LOFOS शब्द कय अर्ा अध्र्र्न होतय है, से बनय है।

• पयररस्थिवतक कय अर्ा जैववक तत्वों एवं उनके पर्यावरण के मध्र् संबंधों के प्रवतरूपों के अध्र्र्न के लिए वकर्य जयतय है।

o पयररस्थिवतकी को सवाप्रर्म पररभयवित करने और ववस्तृ त अध्र्र्न करने कय िेर् भी जमानी जैव वैज्ञयलनक

अनास्ट-हेकेि को भी प्रयप्त है। उनके अनुसयर वयतयरण और जीव समूदयर् के पयरस्पररक संबंधों के अध्र्र्न को

पयररस्थिवतकी कहते है।

o 1895 तर्य 1905 में वयलमिं ग E-warming के अनुसयर पयररस्थिवतकी पर्यावरण के संबंध में जीवों कय अध्र्र्न है।

o 1927 में वब्ररटश जीवशयस्त्री चयल्सा एल्टन ने इकोिॉजी को वैज्ञयलनक प्रयकृवतक इवतहयस कहय।

पयररस्थितिकी –

• पर्यावरण एवं वयतयवरण व जीव समुदयर् के पयरस्पररक संबंधों के अध्र्र्न को

पयररस्थिवतकी कहते है।

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• पयररस्थिवतकी तंत्र – वयतयवरण के जैववक एवं अजैववक घटकों की अंतवक्रर्य से ववकससत तंत्र को पयररस्थिवतकी तंत्र

कहते है।

• र्ह एक िुिय तंत्र होतय है, सजसमें सयमग्री एवं ऊजया कय लनरंतर प्रवयह होतय रहतय है।

पयररस्थिवतक तंत्र की संरचनय (घटक)

अजैव घटक जैव घटक


(लनजीव) (सजीव)

भौवतक
पोिण जिवयर्ु उत्पयदक उपभोक्तय अपघटनकयरी
वयतयरण

सूर्ा रोशनी
मृदय, जि तर्य कयबालनक एवं जन्तु (जो पौधों
तयपमयन हरे पौधे सूक्ष्मजीव
वयर्ु अकयबालनक को ियते है)
आद्रातय, दयब
आदद

• अजैववक घटक – अजैववक घटक को लनम्नलिखित 3 भयगों में ववभयसजत वकर्य गर्य है –

1. भौतिक कयरक – सूर्ा को प्रकयश, तयपमयन, विया, आद्रातय तर्य ढयबय र्ह पररतंत्र जीवों की वृद्धद्ध को सीलमत और

स्थित बनयए रिते है।

2. अकयबानिक पदयथा – कयबानडयई ऑक्सयइड, नयइरोजन, ऑक्सीजन, ियस्िोरस, सल्िर, जि, लमट्टी तर्य अन्र्

िलनज पदयर्ा।

3. कयबानिक पदयथा – कयबोहयइड्रेट, प्रोटीन, लिवपड तर्य ह्यूलमक पदयर्ा र्ह सजीव तंत्र के मूिभूत अंग है। इसलिए

जैववक और अजैववक घटकों के बीच की कडी है।

• जैववक घटक – जैववक घटक के अंतगात उत्पयदक उपभोक्तय एवं अपघटनकतया सम्मिलित होते है –

1. उत्पयदक – इसके अंतगात वे घटक आते है जो अपनय भोजन स्वर्ं बनयते है जैसे सभी हरे पौधे ।

उत्पयदक CO2 व O2 के अनुपयत को वयतयवरण में बनयए रिते है।

2. उपभोक्िय - इसके अंतगात वे जीव आते है जो उत्पयदक द्वयरय बनयए गए भेत्र् पदयर्ा कय उपभोग करते है। र्े तीन

प्रकयर के होते है –

• प्रयथनमक उपभोक्िय - इसके अंतगात वे जीव आते है जो हरे पौधो र्य उनके वकसी भयग को ियते है। जैसे – गयर्,

भैंस बकरी, रटरड्डर्य आदद।

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• दद्विीर्क उपभोक्िय – इसके अंतगातम वे जीव आते जो प्रयर्लमक उपभोक्तयओ ं को अपने भोजन के रूप में

प्रर्ुकत करते है। जैसे – वबल्िी, भेरडर्य, मोर आदद।

• िृिीर्क उपभोक्िय – इसके अंतगात वे जीव आते है, जो दद्वतीर्क उपभोक्तयओ ं को ियते है। जैसे – बयघ, शेर,

घगद्ध आदद।

अपघटक – इसके अंतगात जीवयणु तर्य कवक आते है जो सभी प्रकयर के उपभोक्तयओ ं तर्य उत्पयदको को अपघरटत करके

वयर्ुमंडि में अकयबालनक तत्वों के रूप में ववससजि त कर देते है।

• र्े भौवतक वयतयवरण में लमि जयते है तत्पश्चयत हरे पौधे इन्हे अवशोवित करके भोजन मे पररववति त कर देते है।

• इन्हे पुन: प्रयर्लमक उपभोक्तय ग्रहण कर िे ते है और र्ह चक्र चितय रहतय है।

खयद्य श्रृंखलय –

• इकोससस्टम में एक जीव से दूसरे जीव में भोज्र् पदयर्ों कय स्र्यनयंतरण ियद्य िृंििय कहियतय है। इसमें ऊजया कय प्रवयह

एक ही ददशय में होतय है। र्े दो प्रकयर की होती है –

o चरण ियद्य िृंििय

o अपदरन ियद्य िृंििय

ियद्य िृंििय

चरण ियद्य िृंििय अपरदन ियद्य िृंििय

जैसे घयस- रटड्डय - मेंढक - सयंप जैसे - कचरय- कीट - छोटी - मकडी

खयद्य जयल -

• ियद्य िृंिियएं परस्पर संबंद्ध होकर (आपस में लमिकर) ियद्य

जयि कहते है। इसमें ऊजया कय प्रवयह एक ददशय में होते हुऐ कई

रयस्तों से होकर गुजरतय है।

• घयस स्थल के खयद्य जयल में पयंच श्रृंखलयएं दशयार्ी गर्ी है –

o घयस – रटड्डय (ग्रयस हॉपर) – बयज

o घयस – ग्रयसहॉपर – घछपकिी – बयज

o घयस – िरगोश – बयज (र्य घगद्ध र्य िोमडी र्य मनुष्र्)

o घयस – चुहय – बयज

o घयस – चुहय – सपा – बयज

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पयररस्थितिकी िंत्र के प्रकयर –

• पयररस्थिवतकी तंत्र के अंतगात जैववक एवं अजैववक संघटकों के समूह को सम्मिलित वकर्य जयतय है , जो पयरस्पररक

वक्रर्य में सम्मिलित होकर पयररस्थिवतकी तंत्र कय लनमयाण करते है। इसे दो भयगो में ववभयसजत वकर्य जय सकतय है –

o प्रयकृवतक पयररतंत्र

o मयनव लनलमि त पयररतंत्र

1. प्रयकृतिक पयररिंत्र – वे पयररतंत्र जो पूणा रूप से सौर वववकरण पर लनभार रहते है प्रयकृवतक पयररतंत्र कहियते है। जैसे –

जंगि, घयस के मैदयन, सयगर, मरूस्र्ि नददर्यं झीि आदद। प्रयकृवतक पयररस्थिवतकी तंत्र को मुख्यत: दो भयगों में

ववभयसजत वकर्य जय सकतय है।.

प्रयकृवतक पयररस्थिवतकी तंत्र

स्र्िीर् पयररतंत्र जिीर् पयररतंत्र

प्रयकृवतक कृवत्रम अिवणीर् िवणीर्

वन मरूस्र्ि उद्ययन िसि रूकय हुआ जि बहतय हुआ जि


घयस
स्र्ि
तयियब स्त्रोत नदी

1. स्थलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – भौवतक दशयओ ं तर्य उनके जैववक समुदयर् पर प्रभयव के अनुसयर पयलर्ि व र्य स्र्िीर्

पयररस्थिवतक तंत्रों में ववलभन्नतयएं होती है। तर्य पयलर्ि व पयररस्थिवतक तंत्र को पुन: कई उपभयगों में ववभयसजत वकर्य जयतय है–

a. उच्चस्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र b. लनम्न स्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र

c. उष्ण रेघगस्तयनी पयररस्थिवतक तंत्र d. शीत रेघगस्तयनी पयररस्थिवतक तंत्र

ववसशष्ठ अध्र्र्न एवं लनलित उद्देश्र्ों के आधयर पर पयररस्थिवतक तंत्र को कई छोटे भयगों में ववभयसजत वकर्य गर्य है।

2. जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र –

1. महयसयगरीर् जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – सबसे बडय व स्र्यर्ी इकोससस्टम है।

2. स्वच्छ जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – सबसे छोटय इकोससस्टम है र्े दो प्रकयर कय होतय है –

i. लै रटक – रूकय हुआ जि िै रटक कहियतय है जैसे तयियब, झीि

ii. लोरटक – बहतय हुआ जि िोरटक कहियतय है जैसे नदी, झरनय।

3. संक्रमणीर् जलीर् पयररस्थितिकी िंत्र – इसके अंतगात ज्वयरनदमुि, आद्रा, मैग्रोव आदद शयलमि है

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सीधय
संख्र्य वपरयलमड
उल्टय

ियद्य वपरयलमड पयररस्थिवतकी सीधय


जैवभयर वपरयलमड
उल्टय
उजया वपरयलमड सीधय

संख्र्य वपरयनमड - संख्र्य के संबंधों के आधयर पर देिय जयए तो अघधकयंश तंत्रों में उत्पयदक से उपभोक्तय की ओर जयने पर जीवों

की संख्र्य सभी स्तरों पर कमी होती है। इसलिए वपरयलमड कय आकयर सीधय होतय है।

• परन्तु कुछ पयररस्थिवतकी तंत्र में संख्र्य घटने की बजयए बढने िगती है वहयं वपरयलमड उल्टय लनलमि त होतय है। जैसे –

वन र्य वृक्ष पयररस्थिवतकी तंत्र में वपरयलमड उल्टय तर्य घयस एवं जिीर् पररतंत्र में सीधय होतय है।

शेर कीडे

भेड/बकरी घचरडर्य

घयस पेड

संख्ययद कय सीधय वपरयलमड संख्र्य में वृद्धद्ध उल्टय वपरयलमड

• जैव भयर वपरयनमड - बयर्ोमयस कय एक वपरयलमड प्रत्र्ेक रयदिक स्तर में रहने वयिे सभी जीवों कय अिग-अिग

संग्रह करतय है और उनके सूिे वजन को मयपतय है।

• बयर्ोमयस कय वपरयलमड दो प्रकयर कय होतय है –

o सीधय/ऊपर की ओर वपरयनमड – स्र्िीर् वपरयलमड – घयस – बकरी – शेर

o उर्लटय वपरयनमड – जैसे – तयियब – प्िै क्टन्स - छोटी मछिी – बडी मछिी।

शेर बडीी़ मछिी


मयंसभक्षी
मयंसभक्षी -12 gm/m2
1 Kg

भेड छोटी मछिी


शयकयहयरी
शयकयहयरी- 8 gm/m2
100 Kg

घयस छोटे जीव


उत्पयदक
1000 Kg उत्पयदक -4 gm/m2

स्थल में भयर कय सीधय वपरयनमड ियलयब में भयर कय उर्लटय वपरयनमड

• ऊजया वपरयनमड – र्ह सदैव सीधय होतय है इसमें दस प्रवतशत कय लनर्म ियगू होतय है। हर पोिक ति पर ऊजया क्रमश:

कम होती जयती है। क्र्ोवक प्रत्र्ेक पोिण ति के जन्तु केवि 10 प्रवतशत ऊजया ही अगिे ति पर दे पयते है –

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शेर Teritary Consumer 10 Kcal

भेड Secondary Consumer 100 Kcal

िरगोश primary Consumer 1000 Kcal

घयस producer 10000 Kcal

• दस प्रतिशि निर्म – 1942 में लििंडेमयन ने इस लनर्म को प्रवतपयददत वकर्य। इस लनर्म के अनुसयर जब हम एक पोिण

स्तर से दूसरे पोिण स्तर की ओर बढते है तो ऊजया की मयत्रय में धीरे-धीरे कमी होती जयती है।

• वयस्तव में एक पोिण स्तर से दुसरे पोिण स्तर में मयत्रय 10 प्रवतशत ही ऊजया स्र्यनयंतररत होती है। इसी कयरण ऊजया कय

प्रवयह एकददशीर् ऊजया होतय है।

2. मयिव निनमि ि पयरतििं त्र - सौर ऊजया पर लनभार वह पररतंत्र जो मनुष्र् द्वयरय लनलमि त वकए गए है जैसे – िेत, एक्वयकल्चर

और कृवत्रम तयियब।

• जीवयश्म ईंधन पर लनभार पयररतंत्र जैसे नगरी पररतंत्र औद्योघगक पयररतंत्र ।

मयनव लनलमि त पयररतंत्र

कृवि पयररतंत्र मयनव लनलमि त वन पयररतंत्र नगरीर् पयररतंत्र एक कल्चर पयररतंत्र

भयरि के पयररस्थितिक िंत्र -

• भयरत में 7 पयररस्थिवतक तंत्र है –

1. रहमयिर् पयररस्थिवतक तंत्र 2. जिोढ मैदयनी पयररस्थिवतक तंत्र

3. उष्ण मरूस्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र 4. समुद्र तटीर् पयररस्थिवतक तंत्र

5. पठयरी पयररस्थिवतक तंत्र 6. उत्तर-पूवी पयररस्थिवतक तंत्र

7. मैदयनी पठयर सीमयन्त पयररस्थिवतक तंत्र

पयररस्थितिकी से संबंतधि महत्वपूणा िथ्र् –

• 10 प्रवतशत लनर्म संबंघधत है – ऊजया कय ियद्य के रूप में एक पोिी स्तर से दूसरे पोिी स्तर तक पहँचने से।

• जीव से जैव मंडि तक जैववक संगठन कय सही क्रम है – जनसंख्र्य - समुदयर् – पयररस्थिवतक तंत्र – भू-दृश्र्

• परपौिी (वविम पोिणज्ञ) स्तर के उत्पयदन को कहय जयतय है – प्रयर्लमक उत्पयदकतय।

• एक पयररस्थिवतक तंत्र में ऊजया की मयत्र एक पोिण स्तर से अन्र् स्तर में स्र्यनयंतरण के पश्चयत – घटती है।

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• पयररस्थिवतक पयरस्पररक संबंधों कय अध्र्र्न है – जीव और वयतयवरण के बीच।

• सवाप्रर्म पयररस्थिवतक तंत्र की संकल्पनय प्रस्तयववक की गई – विा 1935 में ए.जी.टयंसिे द्वयरय।

• प्रकृवत की एक कयर्यात्मक इकयई के रूप में जयनी जयती है – पयररस्थिवतकी तंत्र ।

• वकसी क्षेत्र के सभी जीवधयरी तर्य वयतयवरण में उपस्थित अजैव घटक संर्ुक्त रूप से लनमयाण करते है – पयररतंत्र कय।

• कृवत्रम पयररतंत्र है - िेत।

• कृवत्रम पयररस्थिवतक तंत्र है – धयन कय िेत।

• घयस स्र्ि, वन तर्य मरूस्र्ि उदयहरण है – स्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र कें।

• झीि, नददर्यं तर्य समुद्र आते है – जिीर् पयररस्थिवतक तंत्र में।

• पृथ्वी के सवयाघधक क्षेत्र पर िैिय हुआ पयररस्थिवतकी तंत्र है – सयमुदद्रक ।

• पृथ्वी पर ववद्ययमयन जिमंडि मे समुद्री जि होतय है – िगभग 97 प्रवतशत भयग।

• समुद्र जि में सवयाघधक व्र्यप्त िवण है – सोरडर्म क्िोरयइड।

• पयररस्थिवतकी संतुिन बनयए रिने में मद करतय है – वनयरोपण, विया जि प्रबंधन तर्य जैव मंडि भंडयर।

• वह कयर्ा सजसमें पयररस्थिवतक संतुिन वबगडतय है – वृक्ष कयटनय।

• पयररस्थिवतक तंत्र में उच्चतम पोिण स्तर स्र्यन प्रयप्त है – सवयाहयरी को।

• पयररस्थिवतक लनकयर् मे ऊजया कय प्रयर्लमक स्त्रोत है – सौर ऊजया।

• पररतंत्र में ियद्य िृंिियओ ं कें संदभा में सजस प्रकयर के जीव अपघटक जीव कहियते है – कवन , जीवयणु।

• वकसी ियद्य िृंििय में मुख्र्त: प्रयर्लमक उपभोक्तय की िेणी में आते है – शयकयहयरी प्रयणी।

• अपघटक तर्य प्रयर्लमक उपभोक्तय दोनों की िेणी में आती है – चींटी।

• ियद्य िृंििय (िूडचेन) में मयनव है – प्रयर्लमक तर्य दद्वतीर् उपभोक्तय।

• पयररस्थिवतक तंत्र के जैववक घटकों में उत्पयदन घटक है – हरे पौधे।

• एक घयसस्र्िीर् पयररस्थिवतक तंत्र की ियद्य िृंििय में ववलभन्न घटकों कय सही क्रम है – घयस (उत्पयदक) – रटड्डय

(प्रयर्लमक उत्पयदक) – मेंढक (दद्वतर्क उत्पयदक) – सपा (तृतीर्क उपभोक्तय)

• जीव भयर कय वपरयलमड, सजस पयररस्थिवतक तंत्र में उिट जयतय है वह है - तयियब।

• वृक्ष जो पर्यावरण संकट मयनय जयतय है – र्ूकेलिप्ट्स।

• िै प्तिक आवयस कय उदयहरण है – तयियब एवं दिदि

• दो लभन्न समुदयर्ों के बीच कय संक्रस्वि क्षेत्र कहियतय है – इकोटीन

• सवयाघधक स्र्यर्ी पयररस्थिवतक तंत्र है – महयसयगर

• सबसे स्र्यर्ी पयररस्थिवतक तंत्र है – समुद्री

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• पयररस्थिवतक तंत्र में तत्वों के चक्रण को कहते है – जैव भू रयसयर्लनक चक्र।

• पयररस्थिवतकी स्र्यर्ी लमतव्र्घर्तय है र्ह वक आंदोिन कय नयरय है – घचपको आंदोिन।

• दलक्षण भयरत कय पर्यावरण संरक्षण से संबंघधत आंदोिन है – एवपको आंदोिन।

• सूक्ष्मजीव जो मृत पौधो, जंतुओ ं और अन्र् जैववक पदयर्ों को सडय-गिय कर आर्ोसजक करते है कहियते है – ववर्ोजक

• वन संरक्षण अघधलनमर् ियगू वकर्य गर्य - विा 1980

• एक सयधयरण समुद्री आहयर िृंििय कय सही क्रम है –

डयर्टम (स्वपोिी) – क्रस्टे सशर्यई (शयकयहयरी उपभोक्तय) – हेररिं ग (मयँसयहयरी उपभोक्तय)

• पयररस्थिवतकी पदछयप की इकयई है – भूमंडिीर् हेक्टे र्र

• सवाप्रर्म गहन पयररस्थिवतकी डीप इकॉिोजी शब्द कय प्रर्ोग वकर्य – अनीज नेस ने।

पयरस्थितिकी अिुक्रम

जैववक समुदयर्ों की प्रकृवत गवतक होती है। और र्ह समर् के सयर्

पररववति त होते रहते है। वह प्रक्रम सजसके द्वयरय वकसी क्षेत्र में पयर्ी

जयने वयिी वनस्पवत और जन्तु प्रजयवतर्ों के समुदयर् समर् के सयर्

दूसरे समुदयर् मे पररववति त हो जयते है र्य दूसरे समुदयर् उनकय स्र्यन

िे िे ते है, पयररस्थिवतकीर् अनुक्रम कहियतय है।

दो प्रकयर के अिुक्रम होिे है –

• प्रयर्लमक अनुक्रम • दद्वतीर्क अनुक्रम

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प्रयथनमक अिुक्रम – प्रयर्लमक अनुक्रम ियिी क्षेत्रों जैसे – चट्टयनों, नव लनलमि त डेल्टयओ ं और रते के टीिों, ज्वयियमुिी और

द्वीप समूह बहते हुए ियवय रहमयनी रहमोट (पीछे की तरि हट रही रहम नदी के द्वयरय बनयर्य गर्य अनयवृत कीचड भरय क्षेत्र) जहयं

पहिे वकसी भी समुदयर् कय अस्वस्तत्व नही र्य, मे होतय है।

दद्विीर्क अिुक्रम – दद्वतीर्क अनुक्रम उस समुदयर् कय ववकयस है जो उस वतामयन प्रयकृवतक वनस्पवत के पश्चयत अस्वस्तत्व में

आतय है जो समुदयर् की रचनय के बयद समयप्त हो जयती है, बयघधत हो जयती है र्य प्रयकृवतक पररघटनयओ ं जैसे तूियन, अर्वय

जंगि की आग र्य मयनव संबंधी पररघटनयओ ं जैसे िसि की कटयई से नष्ट हो जयती है।

दद्वतीर् अनुक्रम अपेक्षयकृत तेज होतय है क्र्ोवक लमट्टी में आवश्र्क पोिक तत्वों के सयर्-सयर् बीजो कय भंडयरण तर्य

जीवों की अन्र् प्रसुप्त अवस्र्यएं होती है।

र्ूएिएिसीसीसी क्यय है ?

• र्ूएनएिसीसीसी (जिवयर्ु पररवतान पर संर्ुि रयष्ट्र संरचनय अलभसमर् / किेंशन) संर्ुि रयष्ट्र आधयररत ढयंचय है

जो जिवयर्ु पररवतान के ितरे के प्रवत वैलिक प्रवतवक्रर्य कय समर्ान करतय है।

• 1992 में ररर्ो डी जेनेररर्ो में आर्ोसजत पर्यावरण एवं ववकयस पर संर्ुि रयष्ट्र सिेिन (र्ूएनसीईडी), सजसे

अनौपचयररक रूप से पृथ्वी सम्मेलि के रूप में जयनय जयतय है, में 154 रयज्यों द्वयरय हस्तयक्षर वकए गए र्े।

• मूि सघचवयिर् सजनेवय में र्य। 1995 से, सघचवयिर् बॉन, जमानी में अवस्थित है।

• अलभसमर् में िगभग सयवाभौलमक सदस्यतय (197 पक्षकयर) हैं एवं र्ह 2015 पेररस समझौते तर्य 1997 क्योटो

प्रोटोकॉि की मूि संघध है।

• र्ूएनएिसीसीसी ने “जिवयर्ु प्रणयिी के सयर् ितरनयक मयनवीर् हस्तक्षेप ” कय प्रवतरोध करने हेतु, आंसशक रूप से

वयतयवरण में हररत गृह गैस संकेंद्रण को स्थिर करके, एक अंतररयष्ट्रीर् पर्यावरण संघध की ियपनय की।

• र्ूएनएिसीसीसी संघध को ववतधक रूप से गैर-बयध्यकयरी समझौिय मयनय जयतय है।

कॉन्फ्रेंस ऑि पयटीज/पक्षकयरों कय सम्मेलि (कॉप) क्यय है ?

• अलभसमर् कय अनुच्छेद 2 कॉप को अनभसमर् के “सवोच्च निकयर्” के रूप में पररभयवित करतय है, क्योंवक र्ह इसकय

सवोच्च लनणार् लनमयाण प्रयघधकयर है। जिवयर्ु पररवतान प्रवक्रर्य कॉप के वयविि क सत्रों के इदा-घगदा घूमती है।

कॉन्फ्रेंस ऑि पयटीज/पक्षकयरों कय सम्मेलि (कॉप) के महत्वपूणा घटियक्रम

कॉप विा ियन महत्वपूणा लनणार्

कॉप 1 1995 बलििन, जमानी —

कॉप 3 1997 क्योटो, जयपयन क्योटो प्रोटोकॉि को अंगीकृत वकर्य गर्य

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कॉप 8 2002 नई ददल्ली, भयरत ददल्ली घोषणय: सवयाघधक लनधान देशों की आवश्यकतय एवं जिवयर्ु

पररवतान कय शमन करने हेतु प्रौद्योघगकी के हस्तयंतरण की आवश्यकतय पर

केंदद्रत है।

कॉप 2005 मॉन्ट्न्रर्ि, कनयडय क्योटो प्रोटोकॉि के लिए पक्षकयरों की बैठक के रूप में कयर्ारत पक्षकयरों

11/सीएमपी 1 के सिेिन कय पहिय सत्र।

कॉप 15 2009 कोपेनहेगन, कोपेिहे गि समझौिे कय प्रयरूप तैर्यर वकर्य। अमेररकय एवं बेससक देशों

डेनमयका (भयरत, चीन, ब्रयजीि एवं दलक्षण अफ्रीकय) के मध्य पयंच देशों कय समझौतय।

ववकससत देशों ने 2010-12 की अवघध हेतु 30 अरब डॉिर एवं 2020

तक वयविि क 100 अरब डॉिर कय दीघाकयलिक ववि जुटयने कय वयदय वकर्य

र्य।

कॉप 16 2010 कैनकन, मेक्सिको जिवयर्ु पररवतान से लनपटने में ववकयसशीि देशों की सहयर्तय के लिए

ग्रीि क्लयइमेट िंड (जीसीएि) की ियपनय की गई। जीसीएि कय

अलभप्रयर् 2020 तक 100 अरब डॉिर कय जिवयर्ु ववि एकवत्रत करने कय

र्य।

कॉप 21 2015 पेररस, फ्रयंस पेररस समझौतय अंगीकृत वकर्य गर्य।

पेररस समझौते के उद्देश्य को प्रयि करने की ददशय में सयमूरहक प्रगवत कय

आकिन करने के लिए प्रत्येक 5 विा में ग्लोबल स्टॉकटे क लनलमि त वकर्य

जयनय र्य।

कॉप 26 2021 ग्लयसगो, र्ूके ग्लयसगो सशिर सिेिन

लमस्र 2022 में COP27 संर्ुि रयष्ट्र जिवयर्ु पररवतान सिेिन की मेजबयनी

दुबई 2023 में COP28

• बयली सम्मेलि 2007 – गीनहयउस प्रभयव को कम करनय ।

• कोपिहे गि सम्मेलि 2009 – को मध्र् डेनमयका के शहर कोपेनहेगन में जिवयर्ु पररवतान पर सम्मे िन आर्ोसजत

वकर्य।

• प्रथम पृथ्वी सम्मेलि (Rio Sumit) – पृथ्वी तर्य उसके पर्यावरण की सुरक्षय एवं पयररस्थिवतक संतुिन को बनयए

रिने तर्य जैव ववववधतय को सरंक्षण एवं समृद्धद्ध के लिए ब्रयजीि के नगर ररर्ो-रड-जेनेररर्ों में संर्ुक्त रयष्र के द्वयरय
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रयष्र पर्यावरण एवं ववकयस सम्मेिन (UNCEO) United Nations Conference on Environment and

Development कय विा 1992 में आर्ोसजत वकर्य गर्य र्य। इस सम्मेिन के प्रमुि पयँि मुद्दे लनधयाररत वकए –

1. भूमण्डिीर् तयपमयन में वृद्धद्ध 2. वन संरक्षण 3. जैव ववववधतय

4. ररर्ो घोिण पत्र 5. Agenda- 21

• स्टॉकहोम सम्मेल 1972 – संर्ुक्त रयष्र ने स्टॉकहोम पर्यावरण को अन्तरयाष्रीर् मुद्दय बनयर्य तर्य 5 जुन को पर्यावरण

ददवस के रूप में मनयने कय िैसिय वकर्य गर्य।

• कोपेिहे गि सम्मेलि 1992 – इसमे मयन्ट्ण्रर्ि प्रोटोकयि समझौते कय पयिन करने के लिए ववकयसशीि एवं

ववकससत देशों के लिए समर् सीमय अिग-अिग लनधयाररत की गइा ।

• मयण्ट्ण्रर्ल प्रोटोकॉल 1987 – ओजोन परत के (क्षर्) क्षरण को रोकने के लिए 16 ससतंबर, 1987 को कनयडय में

अंतरयाष्रीर् समुदयर् कय सम्मेिन हुआ, सजसमें 16 ससतंबर को ओजोन ददवस के र्प में मनयने तर्य CFC गैस के

उत्पयदन में अगिे 10 विों में कटौती करनय तर्य हैिोजन गैस के उत्पयदन को पूणातर्य समयप्त करने कय समझौतय

हुआ।

• लं दि सम्मेलि 1990 – इसमें र्ह लनणार् लिर्य गर्य वक ववकससत देशों द्वयरय विा 2010 तक CFC कय उत्पयदन पूणारूप्

से रोक दे।

• क्र्ोटय प्रोटोकॉल 1997 – इसमें लनणार् लिर्य गर्य वक विा 2008- 12 तक की अवघध में तीन प्रमुि ग्रीन हयऊस गैस

अर्यात CO2 तर्य नयइरस ऑक्सयइड (N2O) के विा 1940 के उत्सजान स्तर में औसतन 5% कमी ियई जयएगी।

• स्टॉकहोम सम्मेलि 2004 – इसमें 12 ितरनयक जैव कीटनयशक एवं औद्योघगक प्रदुिकों पर रोक िगयने कय

समझौतय हुआ।

पर्यावरण से संबंतधि महत्वपूणा िथ्र्

• वन महोत्सव प्रयरंभ करने िेर् के. एम मुंशी को ददर्य जयतय है।

• िोटोकॉपी मशीन से ओजोन गैस लनकिती है।

• पर्यावरण कय दुश्मन र्ूकेलिप्टस वृक्ष को कहय जयतय है।

• इण्डिरय गयँधी वयलनकी अकयदमी देहरयदून मे स्थित है।

• भयरतीर् वन प्रबंधन संियन भोपयि में स्थित है।

• नेशनि ग्रीन ररब्र्ूनि (एन.जी.टी.) की भयरत सरकयर द्वयरय स्र्यपनय की गई र्ी – विा 2010 में ।

• रयजीव गयँधी ने अपने शयसन कयि में गंगय र्ोजनय (GAP) को शुरू वकर्य गर्य।

• इं ददरय गयँधी द्वयरय 1972 में वन्र् जीव संरक्षण अघधलनर्म को प्रयरंभ वकर्य ।

• ओजोन स्तर के क्षरण कय पतय सवाप्रर्म वकसने िगयर्य र्य – जोसेि िॉरमैन (1985 इं ग्िै ण्ड)

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• पर्यावरण सुरक्षय अघधलनर्म (EPA) को अन्र् वकस नयम से जयनय जयतय है – छयतय ववधयन

• ववश्व पर्याव्रण ददवस मनयर्य जयतय है – 5 जून को।

• विा 1972 में आर्ोसजत वकर्य गर्य र्य – स्टॉकहोम अंतरयाष्रीर् सशिर सम्मेिन

• नयइरोजन (78%) ऑक्सीजन (21%) आगान (0.93%) कयबानडयइऑक्सयइड (0.038%) इत्र्यदद गैस पयई जयती है –

वयर्ुमंडि में।

• नोबेि गैसों में से वह गैस जो वयर्ु में नही पयर्ी जयती है – रेडॉन

• वयतयरण में सवयाघधक प्रवतशत है – नयइरोजन कय

• र्दद पृथ्वी पर पयई जयने वयिी वनस्पवतर्यँ (पेड-पौधे) समयप्त हो जयए तो वह गैस सजसकी कमी होगी – ऑक्सीजन ।

• ववश्व मौसि ववज्ञयन संगठन कय मुख्र्यिर् अवस्थित है – जेनेवय में

• संर्ुक्त रयष्र पर्यावरण कयर्ाक्रम की स्र्यपनय हुई र्ी – विा (1972) में

• NEA से आशर् है – नेशनि इन्वयर्रमेंट अर्ॉररटी।

• ग्रीन पीस इं टरनेशन कय मुख्र्यिर् अवस्थित है – एम्सटडाम में।

• IUCN कय गठन 5 अक्टू बर 1948 में हुआ तर्य इसकय मुख्र्यिर् ग्ियण्ड (स्विट्जरिै ण्ड)।

• ग्रीन गोल्ड बयँस को कहय जयतय है।

• ग्रीन गोल्ड क्रयंवत - चयर् उत्पयदन से संबंघधत है।

• ग्रीन मििर र्ोजनय- ध्वलन प्रदूिण से संबंघधत है।

• ग्रीन आमी ऑस्रे लिर्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए - 15 हजयर र्ुवयओ ं को इसमें लनर्ुि वकर्य है।

• ग्रीन पीस - र्ह एक पर्यावरण संरक्षण एन.जी.ओ. है, इसकय मुख्ययिर् एम्सटडाम (नीदरिैं ड) में है।

• ग्रीन डेविपमेंट पुस्तक के िे िक डब्लू .एम. एडम्स है।

• ग्रीन ऑस्कर - खिटिी अवयड्सा को कहय जयतय है।

• ग्रीन रेव्यूिेशन - इसकय प्रयरंभ 1966-67 में हुआ है।

• ग्रीन हयउस गैस- इसमें सवयाघधक र्ोगदयन कयबान डयई ऑियइड कय है।

• ग्रीन लमल्क- मैसूर के केंद्रीर् ियद्य तकनीक

• अनुसंधयन संियन ने 18 ददसिर 2019 को ग्रीन लमल्क कय ववकयस वकर्य गर्य है।

• ग्रीन ससटी मध्यप्रदेश की ग्रीन ससटी सयँची शहर - को कहय जयतय है।

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• जीरोियइटय (Xerophyta) - मरूििीर् में उगने वयिी वनस्पवत

• िीर्ोियइटय (Lithophyta) - चट्टयनों पर उगने वयिी वनस्पवत

• हेलिर्ोियइटय (Haleophyta) - सूर्ा प्रकयश में उगने वयिी वनस्पवत

• हेिोियइटय (Halophyta)- िवणतय में उगने वयिी वनस्पवत

• लमसोियइटय (Mesophyta) - नम ियनों पर उगने वयिी वनस्पवत

• ससर्ोियइटय (Selophyta)- छयर्यदयर क्षेत्रों में उगने वयिी वनस्पवत

• वक्रप्टोियइटय (Cryptophyta)- बिा पर उगने वयिी वनस्पवत

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