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1 पर्यावरण एवं पाररस्थिरिकी

पर्यावरण एवं पयररस्थिस्िकी www.examgurooji.in

• (I) उत्पयदक र्य थवपोषी घटक (Producer or Autotrophs)


• पर्या वरण कय शयब्दिक अर्ा है - ‘परर’ ‘आवरण’, अर्या त् ब्िससे - इसके अंतगा त हरे पेड़ पौिें, कु छ िीवयणु व शैवयल (algae) आते
सम्पूणा िगत ब्िरय हुआ है । इस प्रकयर पर्या वरण उस आवरण को है, िो सर्ू ा के प्रकयश की उपब्स्र्ब्त में सरल अिैब्वक तत्वों से
कहेंगे िो सम्पूणा पृथ्वी (िलमण्डल, स्र्लमण्डल, वयर्ुमण्डल) अपनय िोिन बनयते है, ऐसे िीव उत्पयिक र्य स्वपोषी िटक
तर्य इनके ब्वब्िन्न िटकों को अपने से ढके हुए है । कहलयते है ।
• िेश के पर्या वरण (संरक्षण) अब्िब्नर्म, 1986 की ियरय 2 (क) के • स्र्लीर् पयररतंत्र में में पेड़ – पौिें तर्य िलीर् पयररतंत्र में
अनुसयर पर्या वरण में वयर्ु, िल, िूब्म, मयनवीर् प्रयणी, अन्र् िीव- पयिपप्लवक (Phytoplankton) नयमक पौिें प्रमुख उत्पयिक होते
िन्तु, पौिे, सूक्ष्म िीवयणु और उनके मध्र् ब्वद्यमयन अन्तसा म्बन्ि है ।
सब्म्मब्लत हैं । • (II) उपभोक्तय (Consumer) - र्ह ब्वषमपोषी कहलयते हैं और
पयररस्थिस्िकी (Ecology) स्वपोब्षर्ों द्वयरय संश्लेब्षत ब्कए गए िोिन को खयते हैं । िोिन की
• र्ह ब्वज्ञयन की वह शयखय है, ब्िसके अंतगा त समस्त िीवों (िैब्वक पसंि के आियर पर इन्हें तीन वगों में रखय िय सकतय है ।
िटकों) तर्य िौब्तक पर्या वरण (अिैब्वक िटकों) के मध्र् • प्रयिस्िक उपभोक्तय - वे िीव िो अपने िोिन के ब्लए पौिों पर
अंतसंबंिो कय अध्र्र्न ब्कर्य ियतय है । ब्निा र रहते है, उन्हें प्रयर्ब्मक उपिोक्तय कहते है । िैसे – गयर्,
• “Oecology” शदि कय सवा प्रर्म प्रर्ोग 1869 में “अनेस्ट हैकल” बकरी, खरगोश, हयर्ी, ब्हरण आब्ि ।
ने ब्कर्य, िो ग्रीक ियषय के िो शदिों okios (रहने कय स्र्यन) तर्य • स्ििीर्क उपभोक्तय - वे िीव िो अपने पोषण (िोिन) के ब्लए
logos (अध्र्र्न) से बनय है, बयि में इसे Ecology प्रयर्ब्मक उपिोक्तय (शयकिक्षी) पर ब्निा र रहते है । िैसे – सयंप,
(पयररब्स्र्ब्तकी) कहय ियने लगय । िेब्ड़र्य आब्ि ।
• वता मयन समर् में पयररब्स्र्ब्तकी को अब्िक व्र्यपक रूप िे ब्िर्य • िृिीर्क उपभोक्तय - वे िीव िो अपने पोषण के ब्लए प्रयर्ब्मक व
गर्य है, अब इसके अंतगा त पेड़-पौिें, िंतु, मयनव समयि और उसके ब्द्वतीर्क उपिोक्तयओं पर ब्निा र रहते है । िैसे – बयंि, शेर, बयि
िौब्तक पर्या वरण की अंत:ब्िर्यओं कय िी अध्र्र्न ब्कर्य ियतय आब्ि ।
है । • (iii) अपघटक (Decomposer) - इन्हें मृतपोषी िी कहते हैं ।
❖ पयररस्थिस्िक िंत्र (Ecosystem) र्ह अब्िकतर बैक्टीररर्य (िीवयणु) और कवक होते हैं, िो पौिों
• पौिे, िीव-िन्तु एवं िौब्तक पर्या वरण को सयमूब्हक रूप से तर्य िन्तुओ ं के मृत अपिब्टत और मृत कयबा ब्नक पियर्ा िो सड़
‘पयररब्स्र्ब्तक तंत्र’ कहय ियतय है । रहे पियर्ों पर अपने शरीर के बयहर एन्ियइमों कय स्रयव करके ग्रहण
करते हैं । पोषकों के चिण में इनकी महत्त्वपूणा िूब्मकय होती है ।
• पयररतंत्र र्य पयररब्स्र्ब्तक तंत्र (ecosystem) शदि की रचनय इन्हें अपरििोिी (Detrivores) िी कहय ियतय है ।
1935 में ए-िी- टैन्सले के द्वयरय की गई र्ी ।
➢ पयररस्थिस्िक िंत्र के घटक
पयररस्थिस्िक िंत्र के प्रकयर
➢ (A) अजैस्वक घटक (स्िजीव) • इस शदि कय सवा प्रर्म प्रर्ोग A.G Tansle द्वयरय 1935 में ब्कर्य
गर्य ।
• अिैब्वक िटकों को ब्नम्नब्लब्खत तीन वगों में ब्वियब्ित ब्कर्य गर्य
है - • पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र के अंतगा त िैब्वक एवं अिैब्वक संिटकों के
समहू को सब्म्मब्लत ब्कर्य ियतय है, िो पयरस्पररक ब्िर्य में
• (I) भौस्िक कयरक (Physical factor) - सर्ू ा कय प्रकयश,
सब्म्मब्लत होकर पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र (Ecosystem) कय ब्नमया ण
तयपमयन, वषया , आर्द्ातय तर्य ियब । र्ह पयररतंत्र में िीवों की वृब्ि
करते है ।
को सीब्मत और ब्स्र्र बनयए रखते हैं ।
• इसे मुखर्त: िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है -
• (II) अकयर्ास्िक पदयिा - कयबा न डयइऑक्सयइड, नयइट्रोिन,
ऑक्सीिन, फयस्फोरस, सल्फर, िल, चट्टयन, ब्मट्टी तर्य अन्र् • 1. प्रयकृ ब्तक पयररतंत्र (Natural ecosystem)
खब्नि । • 2. मयनव ब्नब्मात पयररतंत्र (Manmade ecosystem)
• (III) कयर्ास्िक पदयिा - कयबोहयइड्रेट, प्रोटीन, ब्लब्पड तर्य ह्यूब्मक ❖ 1. प्रयकृस्िक पयररिंत्र (Natural ecosystem)
पियर्ा र्ह सिीव तंत्र के मूलिूत अंग हैं और इसीब्लर्े र्े िैब्वक • वे पयररतंत्र िो पूणा रूप से सौर ब्वब्करण (Solar radiation) पर
तर्य अिैब्वक िटकों के बीच की कड़ी हैं । ब्निा र रहते है प्रयकृ ब्तक पयररतंत्र कहलयते है । िैसे – िंगल, ियस
➢ (B) जैस्वक घटक (सजीव) के मैियन, सयगर, मरुस्र्ल, नब्िर्यं, झील आब्ि ।

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• प्रयकृ ब्तक पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र को मुख्र्त: िो ियगों में ब्वियब्ित • A. स्र्लीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र (Terrestrial ecosystem)
ब्कर्य िय सकतय है - • B. िलीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र (Aquatic ecosystem)
थल बायोम
बयोम क्षेत्र
1. टु ण्ड्रा हिमाच्छाहित ध्रवों से लगा सबसे उत्तरी क्षेत्र

2. टैगा उत्तरी यरू ोप, एब्शया व उत्तरी अमेररका परंतु ऐसे क्षेत्रों में जिां टु ण्डा की अपेक्षा औसत तापमान अहिक िोता िै । इसे बोररयल
वन भी किते िै ।
3. शीतोष्ण मध्य व िहक्षणी यरू ोप,पवू ी उत्तर अमेररका, पहचिमी िीन, जापान, न्यज ू ीलैंड आहि तक फै ला िुआ । तापमान औसतन सािारण
पणणपाती वन व वर्ाा प्रिुर िोती िै ।
4. उष्णकटटबंधीय उचणकहटबंिीय क्षेत्र हजसमें हवर्ुवतीय क्षेत्रों में भारी वर्ाा िोती िै, हजसके भीतर भरपूर जीवन व तापमान अहिक रिता िै ।
वर्ाण वन
5. सवाना उचणकहटबंिीय क्षेत्र सवाना अफ्रीका में सबसे अहिक हवस्तृत िै ।
6. घासस्थल उत्तर अमेररका का मध्य पहचिमी भाग व यूक्रेन हजसमें घासें बिुत िोती िै । शीतोचण िशाएं व अपेक्षाकृ त कम वर्ाा
7. मरूस्थल मिाद्वीपीय आंतररक भाग हजनमें बिुत कम व कभी िी वर्ाा िोती िै व आर्द्ाता कम रिती िै । हिन बिुत गमा व रातें ठंडी िोती
िै ।

❖ थिलीर् पयररिंत्र (Terrestrial Ecosystem) • इन वृक्षों कय ब्वस्तयर अमेज़न बेब्सन (Amazon Basin), कयंगो
➢ वि पयररस्थिस्िकी िंत्र बेब्सन (Cango Basin), अंडमयन एवं ब्नकोबयर, ियवय व सुमयत्रय
• इसके ब्लए तयपमयन, मृिय और आर्द्ातय अब्नवयर्ा तत्त्व है, वनों में आब्ि क्षेत्रों में पयएाँ ियते है ।
वनस्पब्त कय ब्वतरण उस क्षेत्र की िलवयर्ु ब्वब्वितय व मृिय पर • उष्ण-कस्टर्ंधीर् पणापयिी र्य ियिसूिी वि (Tropical
ब्निा र करतय है । deciduous or monsoon forests) –
• सयमयन्र्त: इसे तीन ियगों में बयाँटय िय सकतय है - • वे वन क्षेत्र िहयाँ औसत वयब्षाक वषया 70-200 सेमी. के मध्र् होती
• A) उष्ण-कब्टबंिीर् वन है, मयनसूनी र्य पणा पयती वन कहते है ।
• इन वनों के पौिें शुष्क र्य ग्रीष्म ऋतु में अपनी पब्िर्यं ब्गरय िेते है
• B) शीतोष्ण कब्टबंिीर् वन
तयब्क वयष्पोत्सिा न कम हो ।
• C) शंकुियरी वन (टैगय वन)
• इन वनों के प्रमुख वृक्ष – सयगवयन, शीशम, शयल बयंस आब्ि प्रमुख
➢ A) उष्ण-कस्टर्ंधीर् वि है । िो मुख्र्त: िब्क्षण – पूवा एब्शर्य में पयएाँ ियते है ।
• इन वनों को मुख्र्त: िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है – ➢ B) िध्र् अक्यंशीर् र्य शीिोष्ण कस्टर्ंधीर् वि (Middle
• उष्ण-कस्टर्ंधीर् सदयर्हयर वि (Tropical evergreen latitudes or Temperate forest)
forests) – ब्वषुवत रेखय के ब्नकट वह क्षेत्र िहयाँ वषा िर आर्द्ातय • इन वनों को मुख्र्त: तीन ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य ियतय है
व तयपमयन कयफी उच्च होते है तर्य औसत वयब्षाक वषया 200 सेमी.
• a. मध्र् अक्षयंशीर् सियबहयर वन (Middle latitudinal
से अब्िक होती है, उष्ण कब्टबंिीर् सियबहयर वन कहलयते है ।
evergreen forest)
• ब्वषुवत रेखीर् वनों में अत्र्ब्िक वषया के कयरण ब्नक्षयलन
(Leaching) की प्रब्िर्य से पोषक तत्त्व मृिय के ब्नचले ियग में चले • b. मध्र् अक्षयंशीर् पणा पयती वन (Middle latitudes deciduous
ियते है, अत: कृ ब्ष की दृब्ि से र्ह क्षेत्र उपियऊ नहीं होते है, तर्य forest)
र्हयाँ अम्लीर् मृिय (Laterite soil) पयई ियती है । • c. िूमध्र् सयगरीर् वन
• इन क्षेत्रों में वृक्ष व झयब्ड़र्ों के तीन स्तर पयएाँ ियते है, ब्िस कयरण • a. िध्र् अक्यंशीर् सदयर्हयर वि – उपोष्ण (Subtropical)
सूर्ा की रोशनी िमीन तक नहीं पहुचाँ पयती है । इसमें सबसे ऊपरी प्रिेशों में महयद्वीपों के पवू ी तटीर् ियगों के वषया वनों को इसके
स्तर पर महोगनी, रोिवुड, सैंडल वुड तर्य मध्र् स्तर पर अंतगा त रखय ियतय है, इन वनों के वृक्षों की पब्िर्यं चौड़ी होती है ।
अब्िपयिप (Epiphytes) और सबसे ब्नचले स्तर पर लतयएाँ िैसे – लौरेल, र्ुकब्लप्टु स (Eucalyptus) आब्ि ।
(Lianas) कहते है । • र्ह वन मुख्र्त: िब्क्षण चीन, ियपयन, िब्क्षण ब्रयज़ील, िब्क्षण
एब्शर्य आब्ि क्षेत्रों में पयएाँ ियते है ।

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• c. िध्र् अक्यंशी पणापयिी वि – र्े वन उष्ण-कब्टबंिीर् पणा पयती • शयकयहयरी िंतु उन बीिों से पर्या प्त मयत्रय में िल ग्रहण कर लेते है
वनों के ब्वपरीत शीत ऋतु (winter season) में ठंड से बचने के ब्िन्हें वे खयते है ।
ब्लए अपनी पब्िर्यं ब्गरय िेते है तर्य इन वनों में podzol मृिय पयई ❖ घयस पयररस्थिस्िकी िंत्र (Grass Ecosystem)
ियती है ।
• ियस पयररतंत्र में वृक्षहीन शयकीर् पौिों के आवरण रहते है, िो ब्क
• इन वनों के प्रमुख वृक्ष – वॉलनट, मेपल, चेस्टनैट आब्ि है । ब्वस्तृत प्रकयर की ियस प्रियब्त द्वयरय प्रियब्वत रहते है ।
• d.भूिध्र् सयगरीर् वि - मध्र् अक्षयंक्षों में महयद्वीपों के पब्िमी • इन क्षेत्रों में कम वयब्षाक वयब्षाक वषया होती है, िो ब्क 25-75 सेमी
ियगों में र्े वन पयएाँ ियते है, इन क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु शुष्क व गमा तर्य के मध्र् रहती है ।
शीत ऋतु आर्द्ा व ठंडी होती है, तर्य वषया शीत ऋतु में होती है ।
• वयष्पीकरण की िर उच्च होने के कयरण इन क्षेत्रों की िूब्म शुष्क हो
• इन वनों के प्रमुख वृक्ष – िैतून, पयइन, नींबू, नयशपयती व नयरंगी ियती है ।
आब्ि है ।
• मृिय की आंतररक उवा रतय के कयरण ब्वश्व के ज्र्यियतर प्रयकृ ब्तक
➢ C) शंकुधरी वि (टैगय वि) ियसस्र्ल कृ ब्ष क्षेत्र में पररवब्तात कर ब्िए गए है ।
• इस प्रकयर के वन मुख्र्त: पवा तीर् क्षेत्रों में आकाब्टक वृत (66.50) ➢ टु ंड्रय प्रदेश (Tundra Region)
के चयरों ओर एब्शर्य, र्ूरोप व अमेररकय महयद्वीपों में पयएाँ ियते है ।
• टु ंड्रय कय अर्ा है – बंज़र िूब्म, र्ह वन ब्वश्व के उन क्षेत्रों में पयएाँ ियते
• इन वनों के वृक्ष मुख्र्त: कोणियरी होती है, अर्या त् इन वनों के वृक्षों है, िहयाँ पर्या वरणीर् िशयएाँ अत्र्ंत िब्टल होती है ।
की पब्िर्यं नुकीली होती है तयब्क वयष्पोत्सिा न कम हो तर्य पब्िर्ों
• टु ंड्रय वन िो प्रकयर के होते है –
पर बफा न रुके ।
• आकाब्टक टु ंड्रय
• इन क्षेत्रों में अम्लीर् पोिि् ोल (Podzol) मृिय पयई ियती है, िो
खब्निों से रब्हत होती है । • अल्पयइन टु ंड्रय
❖ िरुथिलीर् पयररस्थिस्िकी िंत्र (Desert ❖ जलीर् पयररस्थिस्िकी िंत्र (Aquatic Ecosystem)
Ecosystem) • स्र्लीर् ियग के समयन ही िलीर् पयररतंत्र िी तयपमयन, पोषक
• इस पयररतंत्र में लंबे समर् तक आर्द्ातय की कमी रहती है, वयर्ु में तत्वों की उपलबध्तय, प्रकयश, िलियरय व लवणतय से प्रियब्वत
नमी की मयत्रय तर्य तयपमयन के आियर पर मरुस्र्ल को गमा होतय है ।
मरुिूब्म एवं ठंडी मरुिूब्म में ब्वियब्ित ब्कर्य ियतय है, अब्िकतर • इसे मुख्र्त: 3 ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है –
मरुस्र्लीर् िूब्म उिरी व िब्क्षणी गोलयिा के उष्ण-कब्टबंिीर् कका • अलवणिलीर् पयररतंत्र (Freshwater Ecosystem)
रेखय व मकर रेखय के पयस महयद्वीपों के पब्िमी तट पर 15० – 35० • समुर्द्ी/सयगरीर् पयररतंत्र (Marine Ecosystem)
अक्षयंश तक पयएाँ ियते है ।
• संिमणकयलीन पयररतंत्र (Transitional Ecosystem)
• मरुस्र्ल पृथ्वी कय लगिग 1/7 ियग िेरे हुए है ।
➢ जलीर् पयररस्थिस्िकी िंत्र को प्रभयस्वि करिे वयले प्रिुख कयरक
• मरुस्र्लीर् पौिों को उनकी ब्वशेषतय के आियर पर ब्नम्न ियगो में
• ियपियि (Temperature) - स्र्लीर् ियग की तुलनय में िल में
ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है —
तयपमयन कय पररवता न िीमी गब्त से होतय है, तयपमयन में पररवता न
• पब्िर्यं बहुत छोटी व नुकीली होती है । िलीर् िीवन को प्रियब्वत करतय है तर्य तयपमयन पर ही र्ह ब्निा र
• र्े पौिें अब्िकतर झयब्ड़र्ों के रूप में होते है । करतय है ब्क ब्कसी िीव की संख्र्य में बढ़ोतरी होगी र्य कमी ।
• पब्िर्यं व तने गूिेियर होते है िो िल को संब्चत रखते है । • लवणिय (Salinity) - र्ह िी िलीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र को
• कु छ पौिों के तनों में प्रकयश संश्लेषण की प्रब्िर्य के ब्लए प्रियब्वत करने वयले कयरकों में महत्वपूणा ब्नियतय है, क्र्ोब्कं
क्लोरोब्फल पयर्य ियतय है । िलीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्रों में पयएाँ ियने वयले िीव-िंतओ ु ंव
पयिपों में ब्िन्नतय होती है ।
• पयिप प्रियब्तर्ों में नयगफनी, बबूल, आब्ि के वृक्ष पयएाँ ियते है ।
• पोषक ित्व (Nutrients) - िलीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र पर पोषक
• मरुस्र्लीर् िंतुओ की ब्वशेषतयएं –
तत्वों कय गहरय प्रियव होतय है, क्र्ोब्कं िलीर् पयररतंत्र के ब्लए
• र्ह तेज़ िौड़ने वयले िीव पयएाँ ियते है । पोषक तत्वों एक ब्नब्ित मयत्रय होनय अब्नवयर्ा है अत्र्ब्िक पोषक
• र्े िीव स्वयियव से रयब्त्रचर होते है । तत्वों की अब्िकतय के कयरण िल में सुपोषण की समस्र्य उत्पन्न
• िंतु व पक्षी सयमयन्र्त: लंबी टयंगो वयले होते है, ब्िससे उनकय शरीर हो ियती है ।
गमा िरयतल से िरू रह सके । • सूर्ा प्रकयश (Sunlight) - सूर्ा के प्रकयश कय िलीर् पयररतंत्र में
महत्वपूणा र्ोगियन है, िलीर् पयररतंत्र की गहरयई में वृब्ि होने के

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सयर्-सयर् सूर्ा के प्रकयश व तयपमयन कमी होते ियती है और 200 ➢ स्ििलीर् क्ेत्र (Benthic zone) − इस क्षेत्र में ब्बलकु ल नही
meter के बयि प्रकयश ब्बलकु ल समयप्त हो ियतय है । िलीर् पयररतंत्र प्रकयश नहीं पयर्य ियतय है तर्य र्हयाँ अब्िकयंश अपिटक,
को िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है — Dwelling Fish आब्ि पयए ियते है ।
• प्रकयशीर् क्ेत्र (Photic Zone) – इस क्षेत्र में प्रकयश संश्लेषण • झीलों के प्रकयर (Types of lakes)
(Photosynthesis) व श्वसन (Respiration) िोनों प्रब्िर्य
• पोषण के आियर पर झीलों को मुख्र्त: 3 ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य
संपन्न होती है ।
िय सकतय है −
• अप्रकयशीर् क्ेत्र (Aphotic Zone) – र्ह 200 meter से
अब्िक गहरयई वयलय क्षेत्र होतय है तर्य र्हयाँ रहने वयले प्रयणी • आंब्लगोट्रोब्फक (Oligotrophic)
अवसयिो पर ही ब्निा र रहते है, तर्य इस क्षेत्र में के वल श्वसन • मीिोट्रोब्फक (Mesotrophic)
(Respiration) प्रब्िर्य संपन्न होती है । • र्ूट्रोब्फक (Eutrophic)
• जल िें घुस्लि ऑक्सीजि (Dissolved oxygen in water) ➢ झील/ियलयर् पयररिंत्र िें पयएँ जयिे वयले पयदपजयि व प्रयस्णजयि
– स्वच्छ िल में िुब्लत ऑक्सीिन (O2) की सयंर्द्तय 0.001 % (Flora & Fauna lake/pond ecosystem) −
होती है, स्र्लीर् पयररब्स्र्ब्तकी की तुलनय में िलीर् • पयदप (Flora) − मैिोफयइटस प्रियब्त वगा , फयइटोप्लैंकटन,
पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र में लगिग 150 गुनय कम ऑक्सीिन (O2) क्लोरोफयइसी, सयइनोफयइसी, र्ुग्लीनोफयइसी की ब्वब्िन्न
उपलदि होती है । प्रियब्तर्याँ झील पयररतंत्र में पयई ियती है ।
❖ थवच्छ जल पयररिंत्र (Fresh Water Ecosystem) • जंिु (Fauna) − कछुए, मेंढक, िूप्लैंकटन, के कड़य, मच्छर, िोंिय
• स्वच्छ िल पयररतंत्र को पुन: िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय (Snail), टेडपोल (Tadpole), बतख (Duck) आब्ि ।
है − ❖ सयगरीर् पयररिंत्र (Marine Ecosystem)
• िल पयररतंत्र (Lotic Ecosystem) − बहतय हुआ िल (नब्िर्याँ) • सयगरीर् पयररतंत्र को मुख्र्त: 4 ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय
• ब्स्र्र िल (Lentic Ecosystem) − झील व तयलयब है –
➢ झील पयररिंत्र (Lake ecosystem) • खुलय समुर्द् (Open Sea)
• स्वच्छ िलीर् पयररतंत्र (झील) में िुब्लत लवणों की सयंर्द्तय बहुत • बैररर्र द्वीप (Barrier Island)
कम होती है । उष्णकब्टबंिीर् (Tropical) झीलों में सतह कय • तट रेखय (Shorelines)
तयपमयन किी िी 40 °C से कम नहीं होतय है, तर्य समशीतोष्ण
• प्रवयल ब्िब्ि (Coral Reef)
झील के तयपमयन में िी पररवता न अब्िक नहीं होतय है ।
• खुलय समुर्द् (Open Sea)
• शीतोष्ण (Temperate) क्षेत्रों में झील की सतह िम ियती है परंतु
िीव इस ब्हमयच्छयब्ित सतह के नीचे िीब्वत रहते है । ❖ खुलय सिुद्र (Open Sea)
• स्वच्छ िलीर् पयररतंत्र पर प्रकयश कय गहरय प्रियव पड़तय है, इस • समुर्द्ी पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र में आहयर श्ृंखलय सूर्ा के प्रकयश,
पयररतंत्र में पयएाँ ियने वयले िंतु श्वसन (Respiration) के ब्लए ऑक्सीिन व कयबा न डयइ-ऑक्सयइड की सुलितय, लवणतय व
ऑक्सीिन प्रयप्त करने हेतु पयनी की सतह पर तैरते है तर्य िलीर् पोषक तत्वों की उपलदितय पर ब्निा र करती है, क्र्ोब्कं गहरयई में
पयिप प्रकयश संश्लेषण (photosynthesis) के ब्लए िल में वृब्ि होने के सयर्-सयर् सूर्ा के प्रकयश की तीव्रतय कम हो ियती है
िुलनशील कयबा न डयइऑक्सयइड (CO2) प्रर्ोग करते है । झील तर्य 200 meter के बयि सूर्ा कय प्रकयश पूणात: समयप्त हो ियतय
को 4 ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है है ।
➢ वेलयंचली िंडल (Littoral zone) − र्ह िल की सतह कय ❖ र्ैररर्र िीप (Barrier Island)
सबसे ऊपरी क्षेत्र होतय है, र्हयाँ उच्च िैव-ब्वब्वितय, प्रकयश व • र्ह िैव-ब्वब्वितय कय प्रमुख स्रोत्र होते है, इसकय ब्नमया ण सयगर में
ऑक्सीिन (O2) की िरपूर उपलदितय होती है । इस क्षेत्र में मृिय के अवसयि से होतय है । र्ह तटीर् क्षेत्र को समुर्द्ी तूफयन र्य
िलीर् पयिप, कछुआ,मछली,पचा (Perch) आब्ि प्रियब्तर्याँ पयई सुनयमी कहते है, बैररर्र द्वीप स्र्ल व समुर्द्ीर् पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र
ियब्त है । के बीच कय क्षेत्र होतय है । ब्िसमें समुर्द् व स्र्ल िोनों में रहने वयली
➢ स्लििेस्टक िंडल (Limnetic zone) − गमा व प्रकयश की प्रियतीर्यं पयई ियती है ।
उपलदितय । बड़ी मछब्लर्याँ, प्लैंकटन । ❖ िट रेखय (Shorelines)
➢ प्रोफं डल िंडल (Profundal zone) − इस क्षेत्र में गहरयई पर
• इसे अंतरज्वयरीर् पयररतंत्र (Difference tidal ecosystem) िी
प्रकयश व ऑक्सीिन की कमी रहती है तर्य इस क्षेत्र में कम ठंडय
कहते है, इसे मुख्र्त: िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है -
व पौिों कय आियव रहतय है ।

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• 1. पर्रीले तट, 2. रेतीले तट • मन्नयर की खयड़ी (Bay of Mannar)
• र्ह अत्र्ब्िक िैव – ब्वब्वितय (Biodiversity) वयलय क्षेत्र होतय है, • लक्षद्वीप समूह (Lakshadweep Group)
िो उच्च व ब्नम्न ज्वयर क्षेत्र के मध्र् पयर्य ियतय है । र्ह क्षेत्र ➢ प्रवयल स्वरंजि (Coral Bleaching)
िलियरय, लवणतय, तयपमयन, आर्द्ातय,पर ब्निा र करतय है । • प्रवयल पर ब्निा र रहने वयले िीव (रंगीन िूिैब्न्र्ली शैवयल) िब
❖ प्रवयल स्भस्ि (Coral Reef) पर्या वरण िटकों के नकयरयत्मक प्रियव के कयरण उनके ऊपर हट
• प्रवयल एक चनू य प्रियन िीव है, िो मुख्र्त: कठोर रचनय वयले खोल ियते है, तो प्रवयल अपने सफे ि रंग में आ ियते है । इस प्रब्िर्य को
(Cover) होते है ब्िसमें कोमल र्य मुलयर्म त्वचय वयले िीव रहते प्रवयल ब्वरंिन (Coral Bleaching) कहते है ।
है, र्ह मुख्र्त: उष्ण-कब्टबंिीर् सयगरों में 30°C north से 30°C ➢ संक्रिणकयलीि जलीर् पयररिंत्र
south के मध्र् पयएाँ ियते है क्र्ोब्कं इनके िीब्वत रहने के ब्लए • संिमणकयलीन िलीर् पयररतंत्र को मुख्र्त: तीन ियगों में
उपर्ुक्त तयपमयन 20-21°C होतय है । ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है -
• प्रवयलों के ब्वकयस के ब्लए स्वच्छ िल होनय आवश्र्क है, क्र्ोब्कं • ज्वयरनिमुख पयररतंत्र (Estuaries ecosystem)
अवसयिों के कयरण प्रवयलों के मुख बंि हो ियते है तर्य वे मरने
• आर्द्ा पयररतंत्र (Wetland ecosystem)
लगते है, िब कोई प्रवयल की मृत्र्ु होती है तो िूसरय कड़ी के रूप
में उसी के शरीर पर ब्वकब्सत हो ियतय है, इस प्रकयर प्रवयल िीव • मैंग्रोव पयररतंत्र (Mangrove ecosystem)
मरने के बयि एक ब्वब्शि प्रकयर की रचनय बनयते है । िो एक िीवयर ❖ ज्वयरिदिुख पयररिंत्र
की तरह होती है, इसी िीवयर की तरह रचनय को प्रवयल ब्िब्ि • िब नब्िर्यं डेल्टय न बनयकर सीिे समुर्द् में ब्मल ियती है, तब
(Coral Reef) कहते है । ज्वयरनिमुख (Estuaries) कय ब्नमया ण होतय है, इसी कयरण
➢ प्रवयल स्भस्ि पर खिरे के प्रिुख कयरक ज्वयरनिमुख को एक ऐसे संिमण के रूप में पररियब्षत ब्कर्य
• प्रयकृ ब्तक कयरक ियतय है िहयाँ नब्िर्याँ समुर्द् ब्मलती है ।
• एल-ब्ननों (EL-Nino) • र्ह ऐसय तटीर् क्षेत्र (Coastal area) होतय है ब्िसकय मुाँह समुर्द्
• चिवयत (Cyclone) की और खुलय होतय है ।
• रोग (Disease) • इस क्षेत्र में नब्िर्ों के सयर्-सयर् समुर्द् की िी ब्वशेषतयएं होती है,
अत: र्हयाँ िैव-ब्वब्वितय (Biodiversity) व पयररब्स्र्ब्तकी
• प्रवयल ब्िब्ि को खयने वयले समुियर् (Coral eating organism) उत्पयिकतय िी अब्िक होती है ।
➢ ियिवीर् कयरक ➢ ज्वयरीर् पयररिंत्र की सिथर्यएं
• तटीर् ब्वकयस • नगरीर् व औद्योब्गक अवब्शि
• वैब्श्वक तयपमयन में वृब्ि • बंिरगयह व िल पररवहन
• मछली पकड़ने की गलत तर्य क्षब्तकयरी प्रकृ ब्त • मनोरंिन व पर्ा टन कय प्रियव
• परमयणु परीक्षण • िलवयर्ु पररवता न
• प्रिूषण • अत्र्ब्िक मत्सर्न
• अवसयिों में वृब्ि • सुनयमी, चिवयत
➢ प्रवयल स्भस्ि कय संरक्ण (Conservation of coral reefs)
• नवीन प्रियब्तर्ों कय आगमन
– ग्लोबल कोरल रीफ मॉब्नटररंग नेटवका (Global Coral Reef
Monitoring Network- GCRMN), International Coral ❖ आद्राभस्ू ि पयररस्थिस्िकी िंत्र (Wetland
reef Initiative (ICRI) को सहयर्तय प्रियन करतय है । र्ह ICRI ecosystem)
को ब्वब्िन्न वैज्ञयब्नक खोि एवं समन्वर् द्वयरय कोरल पयररतंत्र की • वषा 1971 में ईरयन (Iran) में आर्ोब्ित रयमसर सम्मेलन
सूचनय सयझय करतय है, एवं उसके संरक्षण व प्रबंिन में सहयर्तय (Ramsar conference) के अनुसयर आर्द्ािूब्म ब्नम्न रूप में
करतय है । पररियब्षत ब्कर्य िय सकतय है ।
• ियरत में प्रवयल ब्िब्ि मुख्र्त: 4 क्षेत्रों में पयई ियती है – • िैसे – िलिल (Marsh), पंकिूब्म (Fen), ब्पटिूब्म, िल, कृ ब्त्रम
• अंडमयन और ब्नकोबयर द्वीप समूह (Andaman and Nicobar र्य अप्रयकृ ब्तक, स्र्यर्ी र्य अस्र्यर्ी, ब्स्र्र िल र्य गब्तमयन िल,
Islands) तयिय पयनी, खयरय व लवणर्ुक्त िल क्षेत्रों को आर्द्ािब्ू म (Wetland)
• कच्छ की खयड़ी (Gulf of Kutch) कहते है ।

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• ियरत में अिी तक कु ल 36 (2018) आर्द्ािूब्म (Wetland) क्षेत्रों • ियरत में आर्द्ािूब्म कय क्षेत्रफल लगिग 4.63 % है, ियरत में
को ब्चब्न्हत ब्कर्य गर्य है । आर्द्ािूब्म क्षेत्रफल वेम्बनयड-कोल (Kerala) कय है तर्य सवया ब्िक
➢ स्वशेषियएँ आर्द्ािूब्म क्षेत्रफल वयलय रयज्र् गुिरयत (Gujrat) है ।
• आर्द्ािूब्म क्षेत्र में उच्च िैव ब्वब्वितय पयई ियती है । • ियरत के 37 रयमसर स्र्ल (वेटलैंड्स) -
• आर्द्ािूब्म क्षेत्र में पयररब्स्र्ब्तकी उत्पयिकतय अब्िक होती है । • 1. कोलेरु झील (आंध्र प्रिेश) 2. गहरय बील (असम) 3. नयलसरोवर
• र्े प्रयकृ ब्तक िीन-पूल कें र्द् (Gene-Pool Center) होते है, पक्षी अिर्यरण्र् (गुिरयत) 4. चंिेरटल वेटलैंड (ब्हमयचल प्रिेश) 5.
क्र्ोब्कं र्हयाँ प्रयब्णर्ों के प्रिनन के ब्लए अनुकूल सुब्वियएाँ होती पौंग बयंि झील (ब्हमयचल प्रिेश) 6. रेणुकय वेटलैंड (ब्हमयचल प्रिेश)
है । 7. होके रय वेटलैंड (िम्मू और कश्मीर) 8. सूररंसयर-मयनसर झीलें
• र्ह क्षेत्र बयढ़ व सूखे के प्रियव को कम करते है । (िम्मू-कश्मीर) 9. त्सो-मोरीरी (लियख) 10. वुलर झील (िम्मू-
कश्मीर) 11. अिमुडी वेटलैंड (के रल) 12. सस्र्मकोट्टय झील
• र्े क्षेत्र तटीर् चिवयत व सुनयमी से सुरक्षय करते है ।
(के रल) 13. वेम्बनयड-कोल वेटलैंड (के रल) 14. िोि वेटलैंड,
• िौम िल स्तर को बनयएाँ रखते है ।
िोपयल, (मध्र् प्रिेश) 15. लोकतक झील (मब्णपुर) 16.
• र्े ईकोटोन (ecotone) क्षेत्र होते है । ब्ितरकब्नकय मैंग्रोव (ओब्डशय) 17. ब्चब्लकय झील (ओब्डशय) 18.
• र्ह क्षेत्र प्रवयसी पब्क्षर्ों के ब्लए आवयस स्र्ल कय कयर्ा करते है । हररके झील (पंियब) 19. कं िली झील (पंियब) 20. रोपड़ (पंियब)
• िैसे – के वलयिेव ियनय पक्षी उद्ययन (Rajasthan) 21. सयंिर झील (रयिस्र्यन) 22. के वलयिेव रयष्ट्रीर् उद्ययन
• र्े नब्िर्ों में अवसयिीकरण को कम तर्य िल को शुि करते है । (रयिस्र्यन) 23. प्वयइंट कै ब्लमेरे वन्र्िीव और पक्षी अिर्यरण्र्
➢ आद्राभूस्ि कय िहत्व व उपर्ोग (तब्मलनयडु ) 24. रुर्द्सयगर झील (ब्त्रपुरय) 25. ऊपरी गंगय निी,
• स्वच्छ पयनी, िोिन, अनुवयंब्शक संसयिन, िलवयर्ु ब्नर्मन, ब्रिियट से नरौरय ब्खंचयव (उिर प्रिेश) 26. पूवा कलकिय
मनोरंिन स्र्ल, मृिय कय ब्नमया ण, परंपरयगत िीवन, उच्च िैव वेटलैंड्स (पब्िम बंगयल) 27. सुंिर वन डेल्टय (पब्िम बंगयल)
ब्वब्वितय आब्ि । • वषा 2020 िें शयस्िल स्कए गए 10 क्ेत्र -
• आर्द्ािूब्म को मुख्र्त: िो ियगों में ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है – • 28. नंिूर मिमेश्वर, नयब्सक (महयरयष्ट्र) 29. के शोपुर ब्मआनी
• अंत: स्र्ली आर्द्ािूब्म (Inland Wetland) कम्र्ुब्नटी ररिवा (पंियब) 30. व्र्यस संरक्षण ररिवा (पंियब) 31.
• समुर्द्ी/तटीर् आर्द्ािूब्म (Marine/Coastal Wetland) नयंगल वन्र्िीव अिर्यरण्र्,रूपनगर (पंियब) 32. सयण्डी पक्षी
❖ वैस्िक थिर पर आद्राभूस्ि संरक्ण (Wetland अिर्यरण्र्,हरिोई (उिर प्रिेश) 33. समसपुर पक्षी
अिर्यरण्र्,रयर्बरेली (उिर प्रिेश) 34. नवयबगंि पक्षी
protection at global level)
अिर्यरण्र्, उन्नयव (उिर प्रिेश) 35. समन पक्षी अिर्यरण्र्,
• वषा 1971 में ब्वश्विर में आर्द्ािब्ू म संरक्षण के ब्लए रयमसर मैनपुरी (उिर प्रिेश) 36. पयवा ती अरगय पक्षी अिर्यरण्र्, गोंडय
(कै ब्स्पर्न सयगर के तट पर ईरयन में ब्स्र्त) में एक बहुउद्देशीर्
(उिर प्रिेश) 37. सरसई नयवर झील, इटयवय (उिर प्रिेश)
सम्मलेन हुआ, र्ह एकमयत्र ऐसय सम्मेलन िो ब्कसी ब्वशेष
पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र (Ecosystem) से संबंब्ित वैब्श्वक संब्ि है । ➢ रयष्रीर् आद्राभूस्ि संरक्ण कयर्ाक्रि (National Wetland
Conservation Programme- NWCP)
• र्ह समझौतय वषा 1975 में लयगू हुआ तर्य ियरत (India) इसमें
वषा 1982 में शयब्मल हुआ । • ियरत सरकयर द्वयरय वषा (1985-86) में रयज्र् सरकयरों के सयर्
ब्मलकर रयष्ट्रीर् आर्द्ािूब्म संरक्षण कयर्ा िम चलयर्य गर्य, ब्िसके
• ब्वश्विर में 2 फरवरी को ब्वश्व आर्द्ािूब्म ब्िवस (World wetlands
अंतगा त अिी तक 115 आर्द्ािूब्मर्ों को सब्म्मब्लत ब्कर्य ।
day) के रूप में मनयर्य ियतय है क्र्ोब्कं वषा 1971 में इसी ब्िन
रयमसर सम्मेलन में अपनयर्य गर्य र्य, िबब्क प्रर्म ब्वश्व आर्द्ािूब्म ➢ िोंरेक्स ररकॉडा (Montreux Record)
ब्िवस – 1977 में मनयर्य गर्य । • र्ह रयमसर सम्मेलन के अंतगा त कयर्ा करतय है, Montreux
➢ आद्राभूस्ि पर संकट के कयरण Record के अंतगा त अंतरयष्ट्रीर् महत्व की उन आर्द्ािूब्मर्ों को
शयब्मल ब्कर्य ियतय है िहयाँ मयनवीर् हस्तक्षेप व पर्या वरण प्रिूषण
• ियरत में आर्द्ािूब्म संरक्षण
के कयरण पयररब्स्र्ब्तकी संकट उत्पन्न हो गर्य ।
• वषा 1982 में ियरत रयमसर सम्मलेन कय सिस्र् बनय । उस समर्
• वता मयन में इसके अंतगा त ियरत की िो आर्द्ािूब्मर्ों को सब्म्मब्लत
के वलयिेव रयष्ट्रीर् उद्ययन (Rajasthan) तर्य ब्चल्कय झील
ब्कर्य गर्य है -
(Odisha) को आर्द्ािूब्म शयब्मल ब्कर्य गर्य ।
• लोकटक झील (Manipur) – 1993 में सब्म्मब्लत

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• के वलयिेव ियनय रयष्ट्रीर् उद्ययन (Rajasthan) – 1990 में ब्तकोने फलों के कयरण पड़य है, र्े सफे ि मैंग्रोव पयररतंत्र के अंतगा त
सब्म्मब्लत ही आते है ।
• ब्चल्कय झील को िी वषा 1993 में Montreux Record के अंतगा त ➢ िैंग्रोव जैव-स्वस्वधिय िें ह्रयस के कयरण
शयब्मल ब्कर्य गर्य क्र्ोब्कं र्हयाँ गयि की समस्र्य बढ़ गर्ी र्ी, • कृ ब्ष क्षेत्र कय ब्वस्तयर, झींगय उत्पयिन
ब्कन्तु सरकयर द्वयरय इस स्र्ल की सफयई के बयि इसे Montreux • औद्योब्गक एवं नगरीर् अवब्शि
Record से हटय ब्िर्य गर्य । • होटल उद्योग व पोटा आब्ि कय ब्नमया ण
• Montreux Record के स्र्लों को के वल COP की सहमब्त से • िलवयर्ु पररवता न, सुनयमी तूफयन व बयढ़
ही हटयर्य िय सकतय है ।
• कृ ब्त्रम वृक्षयरोपण व सौन्िर्ीकरण
❖ िैंग्रोव पयररस्थिस्िकी िंत्र (Mangrove ecosystem) ➢ भयरिीर् िैंग्रोव सस्िस्ि
• मैंग्रोव शदि की उत्पब्त पुतागयली शदि “मैग्र्ू” तर्य अंग्रेिी शदि
• 42 वें संब्वियन संसोिन 1976 के अंतगा त पर्या वरण की रक्षय करनय
“ग्रोव” से ब्मलकर हुई है ।
प्रत्र्ेक ियरतीर् कय मूल कता व्र् है ।
• मैंग्रोव कय उिगम स्र्ल ियरत मलर् क्षेत्र को है, क्र्ोब्कं आि िी • ियरत सरकयर 1976 में मैंग्रोव सब्मब्त कय ब्नमया ण ब्कर्य गर्य,
इस क्षेत्र में ब्वश्व के सबसे अब्िक मैंग्रोव प्रियब्तर्याँ पयई ियती है ।
ब्िसकय उद्देश्र् मैंग्रोव के संरक्षण एवं ब्वकयस के ब्लए सरकयर को
• मैंग्रोव खयरे पयनी (Salt water) तर्य तयिे पयनी वयले स्र्यनों पर सलयह िेनय र्य, इसमें वैज्ञयब्नक शोि तर्य मैंग्रोव ब्वशेषज्ञों शयब्मल
उग सकते है, ब्कंतु तयिे पयनी (Fresh water) में इनकी वृब्ि ब्कर्य गर्य ।
सयमयन्र् से कम होती है । ➢ एि. एस. थवयिीियिि शोध संथियि (चेन्िई)
• मैंग्रोव सयमयन्र्त: उष्णकब्टबंिीर् (Tropical) और उपोष्ण • इस संस्र्यन ने रयज्र् सरकयर व वन ब्वियग के सहर्ोग से
कब्टबंिीर् (Subtropical) क्षेत्रो के तटो ज्वयरनिमुख (Estuary), तब्मलनयडु , आंध्रप्रिेश, ओब्डशय में स्र्यनीर् समुियर् की ियगीियरी
ज्वयरीर् िीक (Tidal creek), पश्च्िल (Backwater), लैगून से मैंग्रोव वनों के संरक्षण में सफलतय प्रयप्त की तर्य इस संस्र्यन
(Lagoon) व पंक िमयवों में ब्वकब्सत होते है । द्वयरय सवा प्रर्म र्ह ब्सियंत प्रब्तपयब्ित ब्कर्य गर्य की मैंग्रोव पौिों
➢ िैंग्रोव क्ेत्रों कय वगीकरण (Classification of mangrove के िीन (Gene) तर्य DNA से ऐसी प्रियब्तर्याँ ब्वकब्सत की िय
areas) सकती है िो खयरे पयनी के अनुकूल हो ।
• मैंग्रोव वनों को उनकी िौगोब्लक ब्स्र्ब्त के आियर पर 4 ियगों में ❖ पयररस्थिस्िकी किािय (Ecological Niche)
ब्वियब्ित ब्कर्य िय सकतय है, र्ह वनस्पब्त ब्वश्व के लगिग 48
• पयररब्स्र्ब्तकी कमा तय/ब्नके त कय ब्सियंत “िोसेफ ग्रीनेल” ने
िेशों पयई ियती है -
प्रब्तपयब्ित ब्कर्य, इसके अंतगा त ब्कसी प्रियब्त की उसके पर्या वरण
• लयल मैंग्रोव (Red mangrove) के सयर् ब्िर्यत्मक िूब्मकय को प्रिब्शात ब्कर्य ियतय है ।
• कयली मैंग्रोव (Black mangrove) • पयररब्स्र्ब्तकी कमा तय की ब्वब्वितय ब्ितनी अब्िक होगी
• सफे ि मैंग्रोव (White mangrove) पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र की ब्स्र्रतय िी उतनी अब्िक होगी क्र्ोब्कं
• बटनवुड मैंग्रोव (Buttonwood mangrove) पयररब्स्र्ब्तकी तंत्र में उस प्रिब्त की आहयर श्ृंखलय व उिया प्रवयह
➢ लयल िैंग्रोव (Red mangrove) – इस क्ष्रेणी में वह पौिें आते है, ज्र्यिय होगी, ब्िससे प्रियब्तर्ों संख्र्य में कम उतयर-चढ़यव होगय ।
िो बहुत अब्िक खयरे पयनी को सहन करने की क्षमतय रखते है तर्य • पयररब्स्र्ब्तकी कमा तय को प्रियब्वत करने वयले कयरक –
समुर्द् के नििीक उगते है । • संख्र्य चर - संख्र्य कय िनत्व, प्रियब्त कय क्षेत्र, िोिन र्य आहयर
➢ कयली िैंग्रोव (Black mangrove) – कयली मैंग्रोव (कच्छ की आवृब्त
वनस्पब्त) क्ष्रेणी के अंतगा त आते है, ब्िनकी खयरे पयनी को सहन • स्िके ि चर - स्र्यन की ऊंचयई, िैब्नक समर् की अवब्ि, आहयर
करने की क्षमतय लयल मैंग्रोव वनस्पब्त की तुलनय में कम होती है, तर्य संख्र्य में अनुपयत
र्े सयमयन्र्त: िलिल (marsh) में उगते है ।
• आवयस चर - उच्चयवच (ऊंचयई), ढयल की मृिय, मृिय की उवा रतय
➢ सफे द िैंग्रोव (White mangrove) – इनकय नयम इनकी ब्चकनी
सफे ि सतह (छयल) के कयरण पड़य है, इन पौिे को इनकी िड़ो पयररिंत्र िें ऊजया प्रवयह
तर्य पब्िर्ों की बनयवट के आियर पर पहचयनय ियतय है । • खयद्य श्ृखलयएाँ और ऊिया प्रवयह ब्कसी पयररतंत्र की कयर्ा त्मक
➢ र्टिवुड िैंग्रोव (Buttonwood mangrove) – र्े झयड़ी के ब्वशेषतयएाँ हैं िो इन्हें गब्तशील (dynamic) बनयती है । ब्कसी
आकयर के पौिें होते है तर्य इनकय नयम इनके लयल-िूरे रंग के पयररतंत्र के िैब्वक तर्य अिैब्वक िटक इनके द्वयरय संर्ोब्ित रहते
हैं ।

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❖ खयद्य श्रंखलय/खयद्य जयल
• खयद्य श्ृंखलय र्य िोिन श्ृंखलय ब्वब्िन प्रकयर के िीवियररर्ों कय
एक िम है ब्िसके द्वयरय एक पयररब्स्र्ब्तक तंत्र में खयद्य ऊिया कय
प्रवयह होतय है ।
• हरे पौिे िोिन कय ब्नमया ण करते हैं ब्िसकय उपर्ोग प्रयर्ब्मक
उपिोक्तय अर्या त् शयकयहयरी िीव करते हैं । प्रयर्ब्मक उपिोक्तयओं
कय ब्द्वतीर्क उपिोक्तय (मयंसयहयरी) एवं ब्द्वतीर्क उपिोक्तयओं कय
तृतीर्क उपिोक्तय िोिन के रूप में उपर्ोग करते हैं ।

• उियहरण के ब्लए एक ियस स्र्ल के पयररब्स्र्ब्तक तंत्र की खयद्य


श्ृंखलय में पौिे, शयकयहयरी एवं मयंसयहयरी ब्नम्न िमयनुसयर आते हैं:
• खयद्य श्ृंखलय कय प्रत्र्ेक स्तर पोषण स्तर र्य ऊिया स्तर कहलयतय
है । इस श्ृंखलय के एक ब्सरे पर हरे पौिे अर्या त् उत्पयिक होते हैं
तर्य िूसरे ब्सरे पर अपिटक होते हैं । इनके मध्र् ब्वब्िन्न स्तर के
उपिोक्तय होते हैं । प्रत्र्ेक स्तर में ऊिया प्रवयह में कमी होती ियती
है ।

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2जैव ववववधता जैव ववववधता www.examgurooji.in

जैव ववववधता (Bio Diversity) ❖ जैव ववववधता का मापन


• जैव-ववववधता (जैववक-ववववधता) जीवों के बीच पायी जाने वाली • एक वनधाव ररत क्षेत्र में ववविन्न प्रजावतयों की संख्या वकतनी है तथा
ववविन्नता है जोवक प्रजावतयों में, प्रजावतयों के बीच और उनकी उनका पयाव वरण के साथ अनुकूलन कै सा है इसकी माप
पाररतंत्रों की ववववधता को िी समावहत करती है । वनम्नवलवखत तीन प्रकार से की जाती है
➢ अल्फा ववववधता (Alpha diversity) - यह ववववधता जीवों के
• जैव-ववववधता शब्द का प्रयोग सवव प्रथम वाल्टर जी. रासन ने 1985
ऐसे समहू से संबंवधत है जो एक ही पयाव वरण के अंतगव त जी रहे हैं
में वकया था ।
या एक समान स्रोतों के वलए पारस्पररक विया अथवा प्रवतस्पद्धाव
• जैव-ववववधता तीन प्रकार की हैं । करते हैं । इसकी माप पाररवस्थवतकी तंत्र में मौजूद प्रजावतयों की
• (i) आनुवंवशक ववववधता, गणना से की जाती है ।
• (ii) प्रजातीय ववववधता; ➢ बीटा ववववधता (Beta diversity) - यह पाररवस्थवतकी तत्रों के
• (iii) पाररतंत्र ववववधता मध्य प्रजातीय ववववधता है । इसमें उन प्रजावतयों की संख्या की
तुलना की जाती है जो प्रत्येक पाररवस्थवतकी तंत्र में वववशष्ट रूप से
❖ आनुवाांविक ववववधता (Genetic diversity) पाई जाती हैं । बीटा ववववधता उच्च होने का अथव है ववविन्न
• यह जीवधाररयों में अनुकूलन के आधार की रचना करता है । िारत आवासों की प्रजावतय संघटन में कम समानताएं ।
में आनुवांवशक ववववधता अत्यवधक है और इसे उच्च फसल ➢ गामा ववववधता (Gamma diversity) - यह एक क्षेत्र ववशेि के
आनुवांवशक ववववधता का वेवीलोव के न्र माना जाता है । यह नाम ववविन्न पाररवस्थवतकी तंत्रों में सम्पूणव ववववधताओं का पैमाना है ।
रूस के कृ वि वनस्पवतज्ञ एन आई वेवीलोव (Ni Vavilov) के नाम
पर रखा गया है वजन्होंने 1950 में ववश्विर में कृ विक पादपों के उद्भव ❖ जैवववववधता के ह्रास के कािण
के ऐसे आठ के न्रों की पहचान की थी । • िारत में लगिग 1500 पादप स्पीशीजें संकटग्रस्त हैं । अवस्तत्व
❖ स्पीिीज ववववधता (Species diversity) को खतरा या क्षवत के वनम्नवलवखत कारण हो सकते हैं:
• स्पीशीज ववववधता का अथव है वकसी िौगोवलक क्षेत्र में कई वकस्म • प्रत्यक्ष कारण - वनोन्मूलन, वशकार, अवैध वशकार, व्यवसावयक
की स्पीशीजें । स्पीशीज ववववधता को वनम्न के सम्बन्ध में मापा जा दोहन ।
सकता है । • अप्रत्यक्ष कारण - प्राकृ वतक पयाव वासों की क्षवत या इनमें रूपान्तरण
ववदेशी स्पीशीजों का प्रवेशन, प्रदूिण इत्यावद ।
• A. स्पीिीज समृवि - एक वनधाव ररत क्षेत्र में ववविन्न स्पीशीजों की
संख्या को दशाव ती है । • प्राकृ वतक कारण - जलवायु पररवतव न,िूकंप,बाढ़ ।
• B. स्पीिीज बाहुल्य - स्पीशीजों में अपेवक्षत संख्या को दशाव ता है ❖ जैव ववववधता का सांिक्षण
उदाहरण के वलये वकसी क्षेत्र में पादपों, जन्तुओ ं एवं सूक्ष्मजीवों की • संरक्षण प्राकृ वतक संसाधनों का योजनाबद्ध प्रबंधन है तावक
संख्या वकसी दूसरे क्षेत्र की अपेक्षा अवधक हो सकती है । प्राकृ वतक संतलु न एवं जैव ववववधता को बनाये रखा जा सके । इसमें
• C. ववगिकीय (Taxonomic) अथवा जावतवृत्तीय प्राकृ वतक संसाधनों का वववेकपणू व उपयोग िी शावमल है वजसके
(Phylogenetic) ववववधता - स्पीशीजों के ववविन्न समूहों के अन्तगव त संसाधनों का उपयोग इस प्रकार वकया जाए वक वतव मान
मध्य आनुवांवशक सम्बन्ध को दशाव ती है । पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूवतव हो सके तथा िववष्य की पीवढ़यों
के वलये िी पयाव प्त हो ।
• पारितांत्रीय ववववधता (Ecosystem biodiversity)
• संरक्षण के प्रयासों को वनम्नवलवखत दो श्रेवणयों में बांटा गया है -
• यह ववविन्न प्रकार के पाररतंत्रों की उपवस्थवत को दशाव ता है ।
उदाहरण के वलये उष्णकवटबन्धीय दवक्षण िारत, जोवक स्पीशीज ➢ 1. वनजस्थावनक (वनज स्थानीय) सांिक्षण - इस प्रकार के संरक्षण
ववववधता के मामले में समृद्ध है, की संरचना मरुस्थल (वजसमें के अन्तगव त पौधों एवं प्रावणयों को उनके प्राकृ वतक वास स्थान
पादप एवं जन्तु स्पीशीजों की संख्या बहुत कम होती है) की तुलना अथवा सुरवक्षत क्षेत्रों में संरवक्षत वकया जाता है । संरवक्षत क्षेत्र िूवम
में पूणवतया विन्न होगी । या समुर के वे क्षेत्र हैं जो संरक्षण के वलये समवपव त हैं तथा जैव
ववववधता को बनाए रखते हैं । उदाहरण राष्रीय उद्यान, वन्य जीव
• इसी प्रकार समुरी पाररतंत्रों में यद्यवप कई प्रकार की मछवलयााँ पायी अभ्यारण, जैव मंडल आरवक्षत क्षेत्र, आरवक्षत वन, संरवक्षत वन
जाती है, वफर िी इसके अविलक्षण नवदयों एवं झीलों के अलवणीय
➢ 2. पिस्थावनक (पिस्थानीय) सांिक्षण - पादपों एवं प्रावणयों का
पाररतंत्र से विन्न होते हैं । अतः पाररतंत्र के स्तर पर इस प्रकार
उनके पयाव वास के बाहर संरक्षण ।
ववविन्नता पाररतंत्रीय ववववधता कहलाती है ।

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• इसमें वानस्पवतक उद्यान, वचव़िया-घर, जीन बैंक, बीज बैंक, • इन श्रेवणयों को वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अवधवनयम 2002 में
ऊतक संवधव न तथा िायोवप्रजवेशन सवम्मवलत हैं । जो़िा गया ।
❖ जैव मांडल आिवक्षत क्षेत्र • राष्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभ्यारण्य और िारत के आरवक्षत और
➢ कोि क्षेत्र - यह जैवमंडल क्षेत्र का सबसे महत्त्वपूणव िाग होता है । संरवक्षत वनों के बीच स्थावपत बफर जोन
इसमें वकसी िी प्रकार की मानवीय गवतवववधयों को छूट नहीं रहती • सरकार द्वारा वनजव न और पूरी तरह से स्वावमत्व ।
है । • यह िारत के 0.08 प्रवतशत िौगोवलक क्षेत्र को कवर वकया
➢ बफि क्षेत्र - यह जैवमंडल का ऐसा क्षेत्र है वजसका सीमांकन तो ➢ (d) सामुदावयक क्षेत्र
अच्छी तरह वकया जाता है परन्तु उपयोग ऐसे कायों के वलए वकया
• इन श्रेवणयों को वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अवधवनयम 2002 में
जा सकता है जो पूणवतया वनयंवत्रत एवं अववध्वंसक हो । शोध कायव
जो़िा गया ।
पयाव वरण वशक्षा तथा प्रवशक्षण, पयव टन या प्रबन्धन से संबंवधत कायव
इस क्षेत्र में वकए जा सकते हैं । • राष्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभ्यारण्य और िारत के आरवक्षत और
➢ सांक्रमण क्षेत्र - इस मंडल की सीमा सुरवक्षत नहीं होती है । इस संरवक्षत वनों के बीच स्थावपत बफर जोन
मण्डल का मुख्य कायव ववकासीय योजनाओं से संबंवधत होता है • समुदायों और सामुदावयक क्षेत्रों द्वारा वनवाव ह के वलए उपयोग वकया
अथाव त् आवान्तर मण्डल की प्रमुख िवू मका ववकास कायव से जाता है क्योंवक िूवम का एक वहस्सा वनजी तौर पर स्वावमत्व है
संबंवधत होता है । • यह िारत के 0.002 प्रवतशत िौगोवलक क्षेत्र को कवर वकया
❖ भाित में जैव ववववधता का सांिक्षण पयािविण औि जैव ववववधता से सांबांवधत पारित
• िारत के संरवक्षत क्षेत्र - हुए महत्वपूणि भाितीय अवधवनयम
• इन्हें IUCN (प्रकृ वत के संरक्षण के वलए अंतराव ष्रीय संघ) द्वारा • वन्य जीवन संरक्षण अवधवनयम, 1972
वनधाव ररत वदशा वनदेशों के अनुसार पररिावित वकया गया है ।
• खनन और खवनज ववकास वववनयमन अवधवनयम, 1957
• मुख्य रूप से चार प्रकार के संरवक्षत क्षेत्र हैं -
• जानवर िूरता वनवारण, 1960
• (a) राष्रीय उद्यान
• जल (प्रदूिण का वनवारण और वनयंत्रण) अवधवनयम, 1974
• (b) वन्यजीव अियारण्य
• वन संरक्षण अवधवनयम, 1980
• (c) संरक्षण क्षेत्र
• वायुमंडल (रोकथाम और प्रदूिण के वनयंत्रण) अवधवनयम, 1981
• (d) सामुदावयक क्षेत्र
• पयाव वरण संरक्षण अवधवनयम, 1986
➢ (a) िाष्ट्रीय उद्यान -
• जैव ववववधता अवधवनयम, 2002
• राष्रीय उद्यान के रूप में गवठत होने वाले राज्य सरकार द्वारा
अवधसूवचत कोई िी क्षेत्र होते है । • अनुसूवचत जनजावत और अन्य परंपरागत वनवासी (अवधकारों की
मान्यता) अवधवनयम, 2006
• िारत में 104 राष्रीय उद्यान हैं ।
• राष्रीय वन प्रारूप नीवत, 2018
• िारत का पहला राष्रीय उद्यान - वजम कॉबेट नेशनल पाकव (वजसे
पहले हेली नेशनल पाकव कहा जाता था) • वतव मान में देश में वनों की वदशा में कायव राष्रीय वन नीवत, 1988
के अनुरूप वकया जा रहा है ।
• इसमें वकसी िी मानव गवतवववध / अवधकार की अनुमवत नहीं है ।
• कें र सरकार ने 14 माचव , 2018 को वन नीवत का नया मसौदा
• यह िारत के 1.23 प्रवतशत िौगोवलक क्षेत्र को कवर वकया
‘राष्रीय वन मसौदा नीवत, 2018’ जारी वकया है
➢ (b) वन्यजीव अभयािण्य
➢ वन्यजीव से सांबवां धत परियोजना –
• वन्यजीव अियारण्य के रूप में गवठत होने वाले राज्य सरकार द्वारा
• प्रोजेक्ट टाइगर 1973
अवधसूवचत कोई िी क्षेत्र होता हैं ।
• ऑपरेशन मगरमच्छ 1975
• इसमें कु छ अवधकार लोगों के वलए उपलब्ध हैं उदाहरण - चराई
आवद • गेंडा पररयोजना 1987
• िारत में 543 वन्यजीव अियारण्य हैं । • हाथी पररयोजना 1988
• यह िारत के 3.62 प्रवतशत िौगोवलक क्षेत्र को कवर वकया • वहम तेंदएु प्रोजेक्ट 2009
➢ (c) सांिक्षण क्षेत्र ❖ बायोस्फीयि रिजवि (सांिवक्षत जैवमांडल)

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• बायोस्फीयर ररजवव एक ववशेि पाररवस्थवतकी तंत्र या वनस्पवत और • बायोस्फीयर ररजवव (बीआरएस) प्राकृ वतक और सांस्कृ वतक
जीवों का एक ववशेि वातावरण होता है, वजसे सुरक्षा और पोिण की पररदृश्य के प्रवतवनवध वहस्से हैं जो स्थलीय या तटीय / समुरी
आवश्यकता होती है । पाररवस्थवतक तंत्र के ब़िे क्षेत्र या इसके संयोजन और जैव-
• सवव प्रथम 1971 में यनू ेस्को के मनुष्य तथा जीव मण्डल कायव िम िौगोवलक क्षेत्रों / प्रांतों के प्रवतवनवध उदाहरणों के ववस्तार हैं ।
के अन्तगव त जीवमंडल प्रारक्षण की संकल्पना का उद्भव हुआ तथा ❖ भाित के बायोस्फीयि रिजवि
प्रथम जीवमंडल प्रारक्षण की स्थापना 1976 में की गई । • िारत सरकार द्वारा देश में अब तक 18 संरवक्षत जैवमंडलों की
• 1976 के बाद से (Man and Biosphere Program) MAB स्थापना की गई है, वजनमें से 10 यनू ेस्को के संरवक्षत जैवमंडलों के
द्वारा अविवनधाव ररत जीवमंडल प्रारवक्षयों की संख्या में वनरंतर वृवद्ध वैवश्वक नेटवकव में शावमल हो चुके हैं ।
होती गई तथा मई 2002 तक 94 देशों में कु ल 408 बायोस्फीयर
ररजवव की पहचान की गई थी ।
क्र. बायोस्फीयर स्थापना र्र्व / राज्य क्षेत्रफल प्रमुख जीर् मर्शेर्
ररजर्व / UNO
सूची में शाममल
र्र्व
1 नीलगिरि 1 अिस्त 1986 तगिलनाडु , 5,520 नीलगिरि तहि औि शेि- यह देश िें स्थागपत पहला
बायोस्फीयि कनाष टक, पूंछ िकाक बायोस्फीयि रिजवष है ।
वर्ष 2000 के िल
2 िन्नाि की खाडी 18 फिविी 1989 तगिलनाडु 10,500 डिोंि या सिुद्री िाय 1 कच्छ के पश्चात भाित का
(वर्ष 2001) दसिा सबसे बडा बायोगस्फयि
रिज़वष
2 यह प्रवाल गभगिओूं के गलए
जाना जाता है

3 सुूंदिवन 29 िार्ष 1989 पगश्चि बूंिाल 9,630 िॉयल बूंिाल टाइिि प्राकृ गतक गवश्व धिोहि
(वर्ष 2001) स्थल,िाष्ट्रीय उद्यान,टाइिि
रिज़वष है
सुूंदिी वृक्ष पाए जाते हैं
4 नूंदा देवी नेशनल 18 जनविी उििाखण्ड 5,860 गहिालयी या गहि तेंदुआ यह फलों की घाटी के साथ
पाकष औि 1988 गवश्व धिोहि स्थल िें सम्िगलत
बायोस्फीयि है
रिजवष
(वर्ष 2004)

5 नोकिेक 1 गसतम्बि 1988 िेघालय 820 लाल पाूंडा यह मदर ऑफ़ ऑरेंज के गलए
(वर्ष 2009), जाना जाता है
6 पर्िढी 30 िार्ष 1999 िध्य प्रदेश 4,981 बडी गिलहिी औि उडने यह िहादेव पहाडी पि
बायोस्फीयि वाली गिलहिी अवगस्थत है
रिजवष
(वर्ष 2009)
7 गसिलीपाल 21 जन 1994 उडीसा 4,374 िौि, िॉयल बूंिाल उद्यान का नािकिण सेिल
(वर्ष 2009) टाइिि औि जूंिली हाथी (लाल कपास ) के पेडों
8 अर्ानकिाि- 30 िार्ष 2005 िध्य प्रदेश 3,835 तेंदुए, िौि औि र्ीतल
अििकूं टक औि
(वर्ष 2012) छिीसिढ

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9 ग्रेट गनकोबाि द्वीप 06 जनविी 1989 अूंडिान व 885 सिुद्री ििििच्छ
बायोस्फीयि गनकोबाि
रिजवष द्वीप सिह
(वर्ष 2013),
10 अिस््यिलाई 12 नवम्बि 2001 तगिलनाडु , 3,500 नीलगिरि तहि औि
बायोस्फीयि (18-19 िार्ष , के िल हाथी
रिजवष 2016 को लीिा िें
(वर्ष 2016) UNO की सर्ी िें
शागिल )

11 कूं र्नजूंघा 7 फिविी 2000 गसगककि 2,931 गहि तेंदुए, लाल पाूंडा
(अिस्त 2018
भाित का 11वाूं)
12 गडब्र-सैखोवा 28 जुलाई 1997 असि 765 सुनहिा लूंिि
13 गदहाूंि-गदबाूंि 02 गसतम्बि 1998 अरुणार्ल 5,111 अनुपलब्ध
प्रदेश
14 िानस 14 िार्ष 1989 असि 2,837 सुनहिा लूंिि औि लाल
पाूंडा
15 कच्छ का िण 29 जनविी 2008 िुजिात 12,454 भाितीय जूंिली िधा
16 कोल्ड डेजटष 28 अिस्त 2009 गहिार्ल 7,770 गहि तेंदुआ
प्रदेश
17 शेर्र्लि 20 गसतम्बि 2010 आन्र प्रदेश 4,755 अनुपलब्ध
पहागडयााँ
18 पन्ना 25 अिस्त 2011 िध्य प्रदेश 2,998 र्ीता, र्ीतल, गर्ूंकािा,
साूंभि औि सुस्त भाल

भाित के प्रमुख िाष्ट्रीय उद्यान एवां अभ्यािण्य


िाज्य िाष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव अभ्यािण्य
जम्मू -कश्मीर दाचीगम, सलीम अली, हेवमस हाई, वकश्तवार चांगथांग, शीत मरुस्थल, होकरसर, सुनीरसर-मानसर
हररयाणा कलेसर, सुल्तानपुर कलेसर, नाहर
वहमाचल प्रदेश ग्रेट वहमावलयन, इन्दरवकला, खीरगंगा, वपनघटी, वसंबलबारा चन्रतल,पोंग डेम झील, रेणुका
उत्तराखंड वजम काबेट (प्रथम राष्रीय उद्यान 1936), गंगोत्री,गोववन्द पशु के दारनाथ
ववहार, नंदा देवी, राजाजी, फूलो की घाटी
राजस्थान के वलादेवी, रणथंिोर, सररस्का, डेजटव , मुकंु दरा हील्स (दराव ) माउंट अबू, सररस्का, जवाहर सागर, राष्रीय
चम्बल,वन ववहार
गुजरात वगरवान मरीन (कच्छ की घाटी ), ब्लैकबेल (ववलावदार) वगर, समुरी (कच्छ की घाटी), नल सरोवर, नारायण
वसन्दा सरोवर, पुरना, जंगली गधा
महाराष्र संजय गााँधी (बोरीववली ), पेंच (जवाहर नेहरू ), तादोबा, ग्रेट इंवडयन बास्टडव , फाँ स़ि, बोर, कलसुबाई-
गुगामल, नवेगॉव, चंदौली हररश्चन्रगाड, मेलघाट, नागवझरा, नरनाला पक्षी,
पेनगंगा,उमरेद, करहांगल
गोवा मोल्लेम, महावीर
कणाव टक राजीव गााँधी नागरहोल, कु रेमुख, बन्नेरघट्टा, अंशी, बांदीपुर डांडेली, घाटप्रिा, वचंचोली तालकावेरी
के रल अन्नामोरी शोला, इराववकु लम,मथीके टटन शोला, पेररयार, थङे क्कड पक्षी अभ्यराण्य, इदूक्की, नैय्यर परावबकु लम,
साइलेंट वेली मालाबार, पेररयार वायनाड
तेलंगाना कसुब्रहानन्द रेड्डी, महावीर हररना वनस्थली, मुग्रावनी नागाजुवन सागर, प्राणवहता, वकन्नेरसानी

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तवमलनाडु इवन्ररा गााँधी (अन्नामलाई ), मुदुमलाई, पालनी पहाव़िया, वगंडी
कोडाइकनाल, पॉइंट कै लीमर, पुवलकत झील, सत्य
मुकुथी, मन्नार की खडी (सागरीय उद्यान ) मंगलम, कलाक़ि, वेदांथांगल, वेल्लानाडु , मुदुमलाई
आंध्रप्रदेश राजीव गााँधी (रामेश्वरम ), पावपकोंडा, श्री वेंकटेश्वर कोररंगा, कोल्लेरू, पुवलकत नागाजुवन सागर - श्री शैलम
छत्तीसगढ़ इंरावती (कु तरु), कांगेरघाटी, गुरु घासीदास (संजय ) अचानकमार, सीतानदी
ओवडशा िीतरकवनका, वसमलीपाल िीतरकनीका, वचल्का,गवहरमाथा,नंदनकानन,
सतकोवसया, गाजव , वसमलीपाल
प. बंगाल बुक्सा, गोरुमारा, नेओरा वैली, वसंगलीला, सुंदरबन, जलदापारा चपरामारी, बल्लवपुर

वत्रपुरा क्लाउडेड लेपडव , वबसोन (राजबारी ) गुमटी, सेपाहीजाला


वमजोरम मुलेन, फवंगपुई (नीला पवव त ) दम्पा, थोराटलांग
मवणपुर के बुल - लामजाओ, वसरोही
नागालैंड ई ंटाकी फाकीम
अरुणचल नामदफा, माउवलंग पाखुई, सेसा आवकडव
प्रदेश
असम वडब्रू -सैखोवा, काजीरंगा, मानस, राजीव गााँधी ओरांग, नमेरी दीपोर वबल, पूवी काबी ऐ ंगलोंग लाखोवा
वसवक्कम कं चनजंगा वकताम, पंगोलखा
मेघालय बलफािम, नोकरेक ररज (गारो पहा़िी ) नोंगखैलेम, वसजू, बाघमारा, (वपचर पलांट )
झारखण्ड बेतला डालमा, गौतम बुद्ध, हजारीबाग, पारसनाथ, पलामू,
तोपचांची
वबहार वाल्मीवक िीम बांध, गौतम बुद्ध, कांवरझील कै मूर,वाल्मीवक,
वविमशीला (गंगा-डावल्फन )
उत्तरप्रदेश दुधवा बवखरा, कै मूर, महावीर स्वामी, राष्रीयचम्बल, पन्ना,
ओखला, पटना
मध्यप्रदेश बांधवगढ़, फॉवसल (मंडला), कान्हा, माधव, इंवदरा वप्रयदशव नी, बोरी, गााँधी सागर, रावष्रय चम्बल, पन्ना, रातापानी,
(सवाव वधक 11 पेंच, पन्ना, संजय, सतपु़िा, वन ववहार सोन घव़ियाल
राष्रीय उद्यान)
अंडमान एवं के म्पबेल गालवथला, महात्मा गााँधी मरीन, उत्तरी बटन द्वीप , टटव ल द्वीप, बैरेन द्वीप
वनकोबार मध्य बटन द्वीप, माउंट हैररयट, रानी झांसी मरीन,सैडल पीक,
(सवाव वधक - 96 साऊथ बटन द्वीप
अभ्यारण्य)
वदल्ली असोला िाटी (इंवदरा वप्रयदवशव नी)

देश में ररजर्व की सूची महाराष्ट्र िालघाट


राज्य टाइिि रिजवष तडोबा-अूंधेिी
कनावटक बाूंदीपुि, सह्नागद्र
भद्र नविाव -निजीिा
दाूंडेली-अूंर्ी बोि
नाििहोल तममलनाडु कलककड िुूंडनथुिई
गबलगिरि िूंिनाथ िूंगदि अन्नािलाई
मध्यप्रदेश पन्ना िुदिु लाई
कान्हा स्यिूंिलि
पेंर् असम िानस
बाूंधविढ नािेिी
सतपुडा काजीिूंिा
सूंजय दुबिी ओिेंि

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राजस्थान िणथम्भोि अरूणाचल प्रदेश कािेंि दगक्षणी अरूणार्ल
सरिस्का मेघालय िािो पहाडी,खासी पहाडी
िुकुन्द्रा गहल्स कनावटक िैसि
उत्तराखंड काबेट के रल वायनाड, नीलाम्बुि, अन्नािुद्री पेरियाि
िाजाजी टाईिि रिजवष नागालैंड इूंटान्की
उत्तर प्रदेश दुधवा तममलनाड़ु नीलगिरि,अन्नािलाई,
पीलीभीत श्रीगवल्लीपुथुि,कोयम्बटि
झारखंड पलाि आंध्र प्रदेश रॉयल
ओमडशा गसिलीपाल उत्तराखंड शीवगलक
सतकोगसया उत्तर प्रदेश उिि प्रदेश
पमिम बंगाल सुूंदिबन
बुकसा भाितीय वन्य जीव सिक्षांण परियोजनए
छत्तीसगढ़ इूंद्रावती नाम प्रािम्भ र्र्व स्थान
उदूंती - सीतानदी 1. बाघ परियोजना 1 अप्रैल 1973 काबेट नेशनल पाकष
अरुणचल प्रदेश नािदफा 2. गिि गसूंह 1973 गिि अभ्यिाण्य,
पाकके परियोजना जनािढ
कािलाूंि 3. हाथी परियोजना गदसम्बि 1992 गसूंहभि गजला
मबहार वाल्िीगक 4. हाूंिुल परियोजना 1970 डार्ीिि िाष्ट्रीय
ममजोरम दम्पा उद्यान
के रल पेरियाि 5. कस्तिी िृि 1970 के दािनाथ
पेिागिबकु लि परियोजना अभ्यािण्य
तेलंगाना कवाल 6. लाल पाूंडा 1996 पद्मनायडु गहिालयन
अििबाद परियोजना नेशनल पाकष
आंध्रप्रदेश नािाजुषन सािि -श्रीशैलि 7. िगणपुि थागिल 1977 िगणपुि
परियोजना
भारत में एलीफैं ट ररजर्व 8. कछुआ सिक्षूंण 1975 गभतिकगनका रिजवष
राज्य ररज़र्व योजना से
ओमडशा ियिभूंज,वैतिणी,िहानदी,दगक्षण 9. िेंडा परियोजना 1987 िानस एवूं
ओगडर्ा, सूंबलपुि अभ्यािण्य
पमिम बंगाल ियिझिना,पवी दुआि 10. घगडयाल प्रजनन 1975 गतकिपाडा ओगडशा
झारखंड गसूंहभि परियोजना
छत्तीसगढ़ बादलखोल-तिोिगपूंिला लेिरू 11. तिाई आकष 1975 तिाई क्षेत्र
असम सोगनतपुि, गदगहूंि प्रोजेकट
पटकई,गर्िाूंि,रिपु,काजीिूंिाा-काबी 12. गिद्ध सिूंक्षण 2006 हरियाणा वन क्षेत्र
एिलाूंि, धनगसिी लुूंिगडूंि प्रोजेकट

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3प्रदषु ण प्रदुषण www.examgurooji.in

• वयर्ुमण्डलीर् रयसयर्तनक तिर्यओं द्वयरय अम्ल िर्थय महयसयगरीर्


प्रदुषण जीव-जन्िुओ से तमर्थयइल क्लोरोइड आतद उद्भूि होकर वयियवयरण
• प्रदषू ण, पर्या वरण में दषू क पदयर्थों के प्रवेश के कयरण प्रयकृ तिक में प्रसयररि होिी है ।
संिुलन में पैदय होने वयले दोष को कहिे हैं । प्रदूषक पर्या वरण को ➢ 2. मानव जतनत स्त्रोत - गैसे व धूम्र लकडी,कोर्लय,उपले िर्थय
और जीव-जन्िुओ ं को नुकसयन पहंचयिे हैं । पेटोो्रतलर्म पदयर्थो को जलयने से तवतभन्न गैसे व धुऑ ं उत्पन्न होिय
है ।
• प्रदूषण कय अर्था है - 'हवय, पयनी, तमट्टी आतद कय अवयंतिि द्रव्र्ों से
दूतषि होनय', तजसकय सजीवों पर प्रत्र्क्ष रूप से तवपरीि प्रभयव • कतणकीय पदार्थ - लकड़ी कोर्लय िर्थय पेट्रोतलर्म पदयर्थो के दहन
पड़िय है िर्थय पयररतथर्थतिक िंत्र को नुकसयन द्वयरय अन्र् अप्रत्र्क्ष से कतणकीर् पदयर्था भी उड़कर वयर्ुमण्डल में चले जयिे है ।
प्रभयव पड़िे हैं । • ऊष्मा - जीवधयररर्ों के श्वसन से िर्थय ई ंधनों को जलयने से ऊचमय
❖ प्रदूषक भी उत्पन्न होकर वयर्ुमण्डल में चली जयिी है ।
• प्रदषू क मुख्र्िः दो प्रकयर के होिे है । ➢ गैसीय वायु प्रदूषक - जीवयचम ई ंधनों को अर्थया िो् खतनज िेल िर्थय
कोर्लय जलयने से कयबा न डयई ऑक्सयइड िर्थय कयबा न मोनो
• 1. सूक्ष्म जीव द्वयरय अपघटनीर् ऑक्सयइड तनकलिी है ।
• 2. सूक्ष्मजीव के द्वयरय अनअपघटनीर् • जीवयचम इंधानों के अपूणा दहन से उत्पन्न हयइड्रो कयबा न्स ।
• वे पदयर्था जो सूक्ष्म जीवों द्वयरय अपघतटि होकर अपने तवषयक्त प्रभयव • एरोसोल कै न िर्थय रैफ्रीजेरेशन प्रणयली से तनरथसृि
को खो देिे है, अपघटनीर् प्रदूषक कहलयिे है । जैसे-वयतहिमल फ्लोरोकयबा न्स ।
जैवीर् अवतषष्ट पदयर्था एंव कूड़य-करकट आतद । • गंधक र्ुक्त जीवयचम ई ंधनों के जलयने से तनकले हए सल्फर के
• ऐसे पदयर्था जो सूक्ष्मजीवों द्वयरय अपघतटि नहीं हो पयिे र्ौतगक जैसे - सल्फर डयई ऑक्सयइड,सल्फर ट्रयई ऑक्सयइड,
है,अनअपघटनीर् प्रदूषक कहलयिे है । र्े आरम्भ से ही हयतनकयरक हयइडोजन सल्फयइड िर्थय सल्फ्र्ुररक एतसड आतद ।
होिे है । जैसे - जहरीली भयरी धयिुंए - सीसय, पयरय, आसेतनक, • ऊंचयई पर उड़ने वयले वयर्ुर्यनों, ई ंधनों के दहन एंव रयसयर्तनक
कै डतनर्म, तनके ल, मैंगनीज, लोहय, ियंबय, जथिय व फीनेल आतद उवा रकों से तनथसृि नयइट्रोजन के ऑक्सयइड िर्थय नयइट्रोजन के
रयसयर्तनक र्ौतगक । अन्र् र्ौतगक जैसे - नयइट्रयस ऑक्सयइड, नयइतट्रक ऑक्सयइड,
❖ प्रदूषण के प्रकार नयइट्रोजन ट्रयई ऑक्सयइड आतद ।
➢ वायु प्रदूषण • सूिी वस्त्रों के तवरंजन िर्थय अन्र् रयसयर्तनक प्रतिर्यओं द्वयरय
• वयर्ुमण्डल में तवतभन्न गैसे एक तनतचचि अनुपयि में पयर्ी जयिी है, तवसतजा ि क्लोरीन ।
जैसे -नयइट्रोजन (78.09%), ऑक्सीजन(20.95%), आगेन • तनलसरयल र्य िेल के ियप द्वयरय तवर्ोजन से उत्पन्न अल्डेहयइड ।
(0.93%) िर्थय कयबा नडयई ऑक्सयइड (0.03%) आतद प्रमुख गैसे
• धयन के खेिों िर्थय जुगयली करने वयले मवेतषर्ों के हवय िोड़ने से
उपतथर्थि है ।
मीर्थेन गैस उत्सतजा ि होिी है ।
• इसके अलयवय जल वयचप, हयइडोजन, हीतलर्म ओजोन, तिप्टयन,
तनर्यन िर्थय जेनयन आतद तनतचिर् गैसे पयर्ी जयिी है ।
❖ प्रदूषकों के प्रभाव
➢ कार्थन मोनोऑक्साइड - र्ह हवय से भयरी पयनी में अघुलनषील,
❖ वायु प्रदूषण के स्त्रोत गंध-थवयदहीन एंव रंगहीन गैस है, जो मयनव के सयर्थ-सयर्थ अन्र्
➢ 1. प्राकृ ततक स्त्रोत - वनयतनन से कयबा नमोनोऑक्सयइड,कयबा न प्रतणर्ों के तलए अत्र्न्ि हयतनकयरक है ।
डयइऑक्सयइड एंव रयख के कण आतद ।
• सभी वयर्ु प्रदषू कों में र्ह 50% भयग कय प्रतितनतधत्व करिय है ।
• ज्वयलयमुखी उद्गयर से-सल्फर डयईऑंक्सयइड,हयइडोो्रजन इसे दमघयंटू गैस भी कहिे है । सयंस के मयध्र्म से शरीर रक्त में
सल्फयइड आतद । उपतथर्थि हीमोनलोतबल की ऑक्सीजन वहन क्षमिय को तबल्कु ल
• पेड़-पौधों की दैतहक तिर्यओं से अमोतनर्य, नयइट्रोजन के कम कर देिी है तजसके फलथवरूप मनुचर् की मृत्र्ु हो जयिी है ।
ऑक्सयइड,तमर्थेन एंव कयबा न डयई ऑक्सयइड आतद । • इस गैस की उत्पति जीवयचम ई ंधनों के अपूणा दहन के फलथवरूप
होिी है । दबयवर्ुक्त िर्थय द्रतवि गैसों के प्रर्ोग से इस समथर्य कय
तनदयन कयफी सीमय िक तकर्य जय सकिय है ।

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➢ नाइट्रोजन के ऑक्साइड - रंगहीन एंव गंधहीन नयइतट्रक • मयंतट्रर्ल प्रोटोकॉल के अनुसयर, हेलोन िर्थय अन्र् ओजोन
ऑक्सयइड िर्थय लयल-भूरे रंग की िीव्र गंध वयली नयइट्रोजन ररतक्तकरण रसयर्नों जैसें - कयबा न टेट्रयक्लोरयइड के उत्पयदन पर
ऑक्सयइड िर्थय नयइट्रोजन डयइऑक्सयइड गैसे नयइट्रोजन के रोक लगय दी गई है ।
ऑक्सयइड है ।
• भयरि के श्रीनगर में ओजोन परि की मोटयई सवया तधक एंव तत्रवेन्द्रम
• नयइट्रोजन के ऑक्सयइडो् स की उत्पति खतनज िेलों व कोर्ले के में सबसे कम है ।
जलयने से होिी है ।
• ऐसे पदयर्था जो ओजोन की परि को कम से कम हयतन पह ंचयिे है,
• मनुचर् के शरीर में नयइतट्रक ऑक्सयइड के अतधक सयन्द्रण के कयरण ओजोन मैत्रीकयरक पदयर्था कहलयिे है । जैस-े HCFC (hydro
हयने वयले रोग-मसूड़ो में सूजन, रक्त स्त्रयव,तनमोतनर्य,फे फड़े कय chloro fluro carbon), HBFC (hydro bromo fluoro
कैं सर आतद । carban), HFC-134A ।
• नयइट्रोजन ऑक्सयइड सूर्ा के प्रकयश की उपतथर्थति में पयरथपररक ➢ कार्थन डाई ऑक्साइड - वयर्ुमण्डल में कयबा न डयई ऑक्सयइड के
तिर्य कर नयइट्रोजन डयइऑक्सयइड,ओजोन िर्थय पैरॉतक्सल सयन्द्रण में वृति होने से हररिगृह प्रभयव में वृति होिी है । तजस
ऐसीटयइल नयइट्रेट उत्पयतदि करिे है । तजन्हे सयमतू हक रूप से कयरण तनचले वयर्ुमण्डल एंव धरयिलीर् सिह के ियपमयन में वृति
‘प्रकयश-रयसयर्तनक थमोग‘ कहिे है । होिी है । फलिः वषया िर्थय मृदय-नमी में कमी, महयसयगरीर् जल की
➢ सल्फर के ऑक्साइड - वयर्ु प्रदषू ण कय तद्विीर् सवया तधक अम्लिय में वृति, तहम टोतपर्ॉं एंव महयद्वीपीर् तहमनद कय तपघलनय
महत्वपूणा प्रदषू क है । मयनव-जतनि स्त्रोिो में प्रमुख हैं - ियप शतक्त आतद तवनयशकयरी घटनयर्ें घतटि हो रही है ।
गृह(कोर्लय द्वयरय), खतनज िेल शोधनषयलयर्ें िर्थय थवचयतलि • ग्रीन हयउस गैसों द्वयरय होने वयले वैतचवक ियपन में लगभग 60% के
वयहन । सल्फर डयई ऑक्सयइड से ऑंखों में जलन, दमय, खॉंसी, तलए कयबा न डयई ऑक्सयइड ही तजम्मेदयर है ।
फे फड़ों के रोग िर्थय तसर ददा , चक्कर आनय और सयंस लेने में ➢ तमर्ेन - तमर्थेन गैस भी वयर्ुमण्डल के हररिगृह प्रभयव में (20%
कतिनयई । र्ोगदयन) वृति करिी है ।
• सल्फर डयई ऑक्सयइड को िै तकं ग गैस भी कहिे है । क्र्ोतक र्तद • इसके उत्पयदन के दो स्त्रोि है । धयन के खेि, कोर्ले की खदयनें एंव
र्ह लगयियर पत्र्थर पर प्रवयतहि की जयर् िो वह क्षि-तवक्षि हो घरेलु पशु वयियवरण में तमर्थेन उत्सजा न के मयनवीर् स्त्रोि है जबतक
जयिय है । आद्राभूतम एंव समुद्र,जलीर् तमर्थेन उत्सजा न के प्रयकृ तिक स्त्रोि है ।
• वयर्ुमण्डल में उत्सतजा ि सल्फर डयई ऑक्सयइड गैस वयियवरण की • प्रयकृ तिक स्त्रोंिों से वैतचवक तमर्थेन उत्सजा न कय सवया तधक 76%
नमी को अवषोतषि करके सल्फ्र्ुररक अम्ल बनयिी है । र्ही भयग आद्राभूतम से ही उत्सतजा ि होिय है ।
सल्फ्र्ुररक अम्ल जल वषया के सयर्थ धरयिल पर तगरिय है िो उसे
➢ शीशा - शीशय वयर्ुमण्डल की ऑक्सीजन से तमलकर लेड
अम्ल वषया कहिे है ।
ऑक्सयइड बनयिय है जो सॉंस के जररर्े शरीर में पह ंच कर िंतत्रकय
➢ क्लोरोफ्लूरो कार्थन - र्े क्लोररन,फ्लुओरीन िर्थय कयबा न ित्वों के िन्त्र पर हयतनकयरक प्रभयव डयलिय है । तजससे मतथिचक संबंधी
सयधयरण र्ौतगक है । बीमयररर्यं िर्थय गुदो व अन्र् अंगों को नुकसयन पहचयिय है ।
• इसके प्रमुख स्त्रोि है - थप्रेकैन्स, एर्रकण्डीशनर, रेफ्रीजरेटर, • मतथिचक हयतन,पेतशर्ॉं कय लकवय िर्थय चक्कर आनय आतद
फोम, प्लयतथटक, अतननर्शयमक िर्थय प्रसयधन सयमग्री आतद । व्र्यतधर्ॉं प्रकट होिी है ।
• ओजोन परि को सवया तधक नुकसयन क्लयरोफ्लयरों हैलयन्स िर्थय ➢ र्ेन्जीन - बेन्जीन से रक्त कैं सर हो जयिय है ।
कयबा न टेट्रयक्लोरयइड है । ➢ कै डतमयम - कै डतमर्म के कण श्वसन तवष की िरह कयर्ा करिे है ।
से हद्रर् संबंधी रोग उत्पन्न करिे है िर्थय रक्त दयब को बढ़यिे है ।
वायु प्रदषू क, उनके स्त्रोत व प्रभाव
प्रदषू क स्त्रोत प्रभाव
कार्बन यौगिक जीवष्म ई ंधन का दहन, मोटरगाड़ी हररत गृह प्रभाव, श्वसन संबंधी समस्याए
(CO और CO2)
सल्फर यौगिक ताप संयंत्र, ररफायनरी, ज्वालामुखी- अम्ल वर्ाा , श्वसन संबंधी समस्याए, पौधों में क्लोरोवसस, दृश्र्िय
ववस्फोट में कमी, कोहरे का कारण
नाईट्रोजन यौगिक ताप ववद्युत संयंत्र, मोटरवाहन, अम्ल वर्ाा , पादपों की उत्पादकता मे कमी, आखों व फे फड़ों में
वायुमंडलीय अवभविया जलन
गनलंगर्त कण वनमाा ण काया , भापशवि संयंत्र, मोटरवाहन दृश्र्िय में कमी, लाल रि कवणकाओं के वनमाा ण में बाधा कैं सर

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हाइड्रोकार्बन (र्ैंजीन, मोटरवाहन, पेट्रोवलयम उद्योग कैं सर का कारण, श्वसन संबंधी समस्याए, समयपूवा पवियों व
ईथाइलीन) फलों का वगर जाना
क्लोरोफ्लोरो कार्बन रेफ्रीजेरेटर, स्प्रे भूमंडलीय ऊष्मन, ओजोन क्षरण
(CFC)
ओजोन मोटर वाहन श्वसन संबंधी समस्याए,पणा सूह को नुकसान
सीसा मोटर वाहन श्वसन संबंधी समस्याए
रेषे(कपास,ऊन) वस्त्र उद्योग, कालीन उद्योग फे फड़ों पर दुष्प्रभाव
एस्र्ेस्टस एस्बेस्टस खनन व वनमाा ण उद्योग श्वसन संबंधी समस्याए तथा कैं सर
स््माि उद्योग, मोटर वाहन आखों में जलन, श्वसन संबंधी समस्याए

भारी तत्वों का ्ानव स्वास्थय पर प्रभाव


भारी धातुए ं प्र्ुख स्त्रोत गव.स्वा.स.्ा ्ानव द्वारा ग्रहण की गवष गवषैलेपन के कारण ्ानव स्वास्थय
नक. सी्ा पर प्रभाव
ग्ग्रा/लीटर
आसेगनक रासायवनक कीटनाशकों व 0.05 ववर् ग्रहण 3 वमग्रा प्रवतवदन 2, 3 त्वचा कै सर, ब्लैकफूट रोग,
खरपतवारनातशयों का विड़काव सप्ताह तक हाइपरके राटोवसस, आंतररक अंगों में
कैं सर
कै डग्य् धातु गलाने वाले उपिम, 0.01 ववर् ग्रहणः200 माइिोग्राम प्रवत ईटायी-ईटायी रोग, रीनल ट् यबू र,
उवा रक, खनन, जल-मल वकग्रा ताजा भार ग्लकू ोसरू रया, प्रोटीनरू रया
क्रोग्य् चमड़ा उद्योग, सीवेज धातु 0.05 ववर् ग्रहणः200 माइिोग्राम प्रवत कैं सरकारक (कावसा नोजेवनक)
गलाने वाले उपिम वकग्रा ताजा भार
कॉपर धातु गलाने वाले उपिम, 1.5 12 वमग्रा प्रवतवदन (प्रौढ़ व्यवि) कैं सरकारक (कावसा नोजेवनक)
(तार्ां) औद्योवगक बवहःस्त्राव, खनन
लेड(सीसा) औद्योवगक बवहःस्त्राव, उवा रक 0.1 रि में संद्रता 500 वमग्रा प्रवत इनवसफै लोपैथी, नांपुसकता, स्नायु व
खनन,जीवाष्म ई ंधन दहन लीटर चयापचवनक ववकार
्रकरी औद्योवगक बवहःस्त्राव 0.001 रि में सांद्रता 500 वमग्रा प्रवत वमवनमाटा रोग
लीटर

तवतवध तथ्य
द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को वनयंवत्रत करने के वलये लक्ष्य तय वकया
प्रमुख समझौते गया ।
• UNFCCC की वावर्ा क बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पाटीज
❖ UNFCCC (COP) के नाम से जाना जाता है ।
• यह एक अंतराा ष्ट्रीय समझौता है वजसका उद्देश्य वायुमंडल में
❖ पेररस जलवायु स्झौता
ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजा न को वनयंवत्रत करना है ।
• समझौते को 2015 में ‘जलवायु पररवता न पर संयुि राष्ट्र
• समझौता जनू , 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान वकया गया
कन्वेंशन फ्रेमवका’ (UNFCCC) की 21वीं बैठक में अपनाया
था । वववभन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21
गया, वजसे COP21 के नाम से जाना जाता है । इस समझौते को
माचा , 1994 को इसे लागू वकया गया ।
2020 से लागू वकया जाना है ।
• वर्ा 1995 से लगातार UNFCCC की वावर्ा क बैठकों का
• इसके तहत यह प्रावधान वकया गया है वक सभी देशों को वैवश्वक
आयोजन वकया जाता है ।
तापमान को औद्योवगकीकरण से पूवा के स्तर से 2 वडग्री
• इसके तहत ही वर्ा 1997 में बहुचवचा त क्योटो समझौता (Kyoto सेवससयस से अवधक नहीं बढ़ने देना हैऔर 1.5 वडग्री सेवससयस
Protocol) हुआ और ववकवसत देशों (एनेक्स-1 में शावमल देश) से नीचे रखने के वलये सविय प्रयास करना है ।
क्रं ना् स्थापना/्ुख्यालय ्हत्वपूणब तथ्य

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1 आईयस ू ीएन अक्टु बर 1948 ववष्व का सबसे पुराना एंव सबसे बड़ा वैवष्वक पयाा वरण नेटवका है । यह ‘वल्डा
(International ग्लाण्ड, वस्वट् जरलैण्ड कन्जवेशन यूवनयन‘ के नाम से जाना जाता है ।
union for यह संकटग्रस्त जीव-जंतुओ ं की एक सूची जारी करता है, वजसे ‘रेड डाटा बुक‘ कहते
conservation of है ।
nature) आईयूसीएन संयुि राष्ट महासभा का ‘पया वेक्षक दजाा ‘ प्राप्त एकमात्र अंतराा ष्टीय संगठन
है जो पयाा वरण और जैव ववववधता से संबंवधत मुद्दों को देखता है । इस तरह
आईयस ू ीएन संर्क्त
ु रयचट्र का अंग नहीं है ।

2 वसडा वाइड फं ड 29 अप्रैल 1961 यह एक गैर सरकारी संगठन है । यह ववष्व का सबसे बड़ा स्वतंत्र संरक्षण संगठन है ।
फॉर नेचर (WWF) ग्लॉड, वस्वट् जरलैण्ड जो पयाा वरण के संरक्षण,र्ौध एंव पुनस्थापना के वलये काया करता है ।
इसका स्लोगन ‘फार ए वलववंग प्लेनेट‘ है ।यहIUCN की सहायक संस्था है ।
प्रतीक वचन्ह - भीमकाय पाण्डा
3 संयुि राष्ट्र 5 जून 1972 1988 में जलवायु पररवता न पर अंतराष्ट्रीय पैनल (UNEP) का गठन ववष्व मौसम
पयाा वरण काया िम नौरोबी (के न्या) ववज्ञान संगठन और न्िम्च् ने वमलकर ही वकया था ।
(UNEP) यह एक ऐवछिक संयुि राष्ट्र पयाा वरणीय फं ड भी है । पयाा वरण से संबंवधत प्रयासों के
वलये इस संस्था द्वारा ग्लोबल-500 पुरस्कार भी वदया जाता है ।
1972 से हर साल 5 जून को मनाया जाने वाला ववष्व पयाा वरण वदवस यूनेप की पहल
है । वजसका वनणा य स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 में वलया गया था ।
पहला ववष्व पयाा वरण वदवस 1973 में मनाया गया ।
4 वन्य प्रावणजात एंव 1976 इसे ‘‘वयतशंगटन कन्वेंशन” भी कहा जाता है । इसका प्रशयसन यूनेप के द्वारा देखा जाता
वनस्पवतजात की जेनेवा, वस्वट् जरलैण्ड है ।
संकटापन्न स्पीर्ीज
के अंतराा ष्ट्रीय
व्यापार पर कन्वेंशन
(CITIES)
45 प्रवासी जंगल 1979 यनू ेप के संरक्षण में 1979 में वववभन्न सरकारों के बीच जमा नी के बॉंन में एक संवध की
प्रजावतयों के संरक्षण जेनेवा, वस्वट् जरलैण्ड गई, वजसे ‘प्रवासी प्रजावतयों के संरक्षण पर सम्मेलन‘ या ‘‘बॉन सम्मेलन‘‘ का नाम
पर सम्मेलन वदया गया । भारत 1983 से इसका पक्षकार है ।
(convention on
the conservation
of migratory
species of wild
animals-CMS)
6 जलवायु पररवता न 1988 इसका काया मानवीय गवतवववधयों से जलवायु पररवता न के खतरों का मूसयांकन करना
पर अंतर-सरकारी जेनेवा,वस्वट् जरलैण्ड है ।
पैनल (IPCC)
7 पृथ्वी सम्मेलन 1992 पृथ्वी तशखर सम्मेलन का आयोजन स्टाकहोम सम्मेलन की 20 वीं वर्ा गॉंठ मनाने के
ररयो वड जेनेररयों, वलये 1992 में ब्राजील में वकया गया था । इसवलये ओ ‘ररयो सम्मेलन‘ भी कहते है ।
ब्राजील इसका आवधकाररक नाम ‘पयाा वरण एंव ववकास पर संयुि राष्ट्र सम्मेलन‘ (UNCED)
है ।
इस सम्मेलन में मुख्य रूप् से जलवायु पररवता न, जैव ववववधता और सतत् ववकास
संबधी मुद्दों पर ववस्तृत चचाा हुई और कई नए दस्तावेजों को जारी वकया गया ।
पयाा वरण और ववकास पर ररयो घोर्ण पत्र ।
एजेंडा 21 - इसमें संख्या 21 वी शताब्दी को दर्ाा ती है । यह सतत् ववकास से संबंवधत
एक काया योजना है ।

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वन वनयमों का वववरण - वैवष्वक स्तर पर वनों के वटकाऊ प्रबंधन के वलये कु ि
वसंद्धातों का वनधाा रण ।
8 क्योटो प्रोटोकॉल क्योटो, जापान 1997 यह (UNFCCC) से संबंवधत एक अंतराा ष्टी्रय और कानूनी रूप से बाध्य समझौता है
(UNFCCC cop- जो औद्योगीकृ त देर्ों पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सजा न कम करने के दबाव डालता है ।
3) 11 वदंसबर 1997 को इसे स्वीकृ वत वमली जबवक 16 फरवरी 2005 से प्रभावी हुआ ।
उन्हे 6 ग्रीनहाउस गैसो के उत्सजा न में 1990 के स्तर से 5.2% का लक्ष्य है । ये गैसे
है- काबा न डाईआक्साइड, वमथेन, नाइटस आक्साइड, ससफर हेक्साफ्लोराइड,
हाइडोंफ्लोरोकाबा न, परफ्लोरोकाबा न ।
9 पेररस सम्मेलन पेररस (फ्रांस) 2015 2020 के बाद के कायो के वलये पेररस करार लाया गया जो सावा भौवमक करार क्योटो
प्रोटोकॉल की जगह लेगा ।
मुख्य लक्ष्य वैतश्वक औसत तापमान वृवद्ध को इस शताब्दी में पूवा औद्योवगक स्तर से 2
वडग्री सेवससयस से नीचे रखना और आगें 1.5 वडग्री सेवससयस तक तापमान वृवद्ध को
सीवमत रखना ।
देर्ों से हर पॉच वर्ो में राष्टी्रय तौर पर वनधाा ररत अंशदान वाली अद्यतन जलवायु
काया -योजनाए प्रस्तुत करने की अपेक्षा की गई ।
ववकवसत देश,ववकासर्ील देर्ों की जरूरतों व वरीयताओं के संदभा में वर्ा 2025 से
पहले 100 वबवलयन डालर प्रवतवर्ा का लक्ष्य तय करेंगे ।
दीघाा ववधक लक्ष्यों को हावसल करने के वलये सामूवहक कारा वाई की प्रगवत की वैवष्वक
स्तर पर जॉंच हेतु रूपरेखा तैयार की गई । पहली जॉच वर्ा 2023 में वनधाा ररत की
गई ।
10 जेनेवा प्राटोकॉल 1928 जेनेवा यह एक अंतराष्टीय संवध है जो रासायवनक तथा जैववक हवथयारों के इस्तेमाल पर रोक
लगाती है । इस संवध पर 17 जून 1925 को जेनेवा में हस्ताक्षर हुए यह 1928 में
लागु हुई ।
जैववक हवथयार संवध, 1972
रासायवनक हवथयार संवध, 1993

11 ववयना कन्वेंशन 1988 ववयना कन्वेंशन ओजोन परत के संरक्षण से संबंवधत बहुपक्षीय पयाा वरण समझौता है ।
इस पर ववयना सम्मेलन 1985 में सहमवत बनी तथा यह 1988 में प्रभावी हुआ ।
यह ओजोन परत के संरक्षण का एक अंतराा ष्टीय प्रयास है । यह ओजोन क्षरण के वलये
वजम्मेदार महत्वपूणा रासायवनक यौवगक क्लोरोफ्लोरोकाबा न को कम करने का
प्रावधान करता है । हालांवक यह कानुनी रूप से बाध्य नहीं है ।
12 मॉंवन्ट्रयल समझौता 1987 यह समझौता ओजोन परत के संरक्षण का एक अंतराा ष्ट्रीय प्रयास है । इसके अंतगा त
ओजोन क्षरण के वलये वजम्मेदार अनेक पदाथो के उत्पादन में िमबद्ध रूप से कटौती
करने का प्रावधान है तावक जीवन रक्षक ओजोन परत का संरक्षण वकया जा सके ।
इस पर 16 वसंतबर 1987 को हस्ताक्षर हुए तथा 1 जनवरी 1989 में यह प्रभयव में
आया ।
इस सम्मेलन के दौरान प्रतिवर्ा 16 वसंतबर को अंतराा ष्ट्रीय ओजोन संरक्षण वदवस
मनयने की घोर्णा की गई ।
14 Green peace 1971 यह संस्था भी पयाा वरण संरक्षण के वलए काम करती है ।
organization एम्सटडा म
(नीदरलैण्ड)

प्र्ुख पयाबवरण गदवस 3. ववश्व वावनकी वदवस 21 माचा


1. ववश्व आद्र भूवम सरंक्षण वदवस 2 फरवरी 4. ववश्व जल वदवस 22 माचा
2. ववश्व गौरेया वदवस 20 माचा 5. ववश्व मौसम ववज्ञान वदवस 23 माचा

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6. जल संसाधन वदवस 10 अप्रैल 29. ववश्व ऊजाा वदवस 14 वदसम्बर
7. अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी वदवस 22 अप्रैल
8. ववश्व प्रवासी पंक्षी वदवस 8 मई
9. ववश्व जैव ववववधता वदवस 22 मई ग्रीन हाउस िैसे
10. ववश्व किुआ सरंक्षण वदवस 23 मई ग्रीन हाउस िैसे उत्सजबन स्त्रोत स्वास्थ्य
11. ववश्व तम्बाकु रोधी वदवस 31 मई प्रभाव
12. ववश्व पयाा वरण वदवस 5 जून कार्बन डाई जीवाश्म ई ंधन जैसे - कोयला, पृथ्वी की
13. ववश्व भू गभा जल वदवस 10 जून ऑक्साइड खवनज तेल, प्राकृ वतक गैसे ताप वृवद्ध
14. मरुस्थल व अनावृवष्ट रोकथाम वदवस 17 जून । इसके अवतररि लकड़ी और
15. ववश्व जनसँख्या वदवस 11 जुलाई गोबर के कं डो को जलाने से ।
16. राजीव गाँधी अक्षय ऊजाा वदवस 20 अगस्त ्ीथेन काबा वनक पदाथो के सड़ने पृथ्वी की
17. अंतराष्ट्रीय बलात ववलुवप्त वशकार वदवस 30 अगस्त से,जलने से,धान के खेतो से ताप वृवद्ध
18. अंतराष्ट्रीय ओजोन परत सरंक्षण वदवस 16 वसतम्बर पशुओ ं की जुगाली तथा दीमक
19. ववश्व अन्य जीव वदवस 1 अक्टूबर की गवतवववधयों से होती है ।
21. ववश्व शाकाहार वदवस 6 अक्टूबर नाइट्रोजन भरियों में ई ंधन का जलना श्वास संबंधी
ऑक्साइड रोग,
22. ववश्व आपदा वनयंत्रण वदवस 13 अक्टूबर वनमोवनया
23. ववश्व खाद्य वदवस 16 अक्टूबर हाइड्रोफ्लोरी औद्योवगक वियाओं के द्वारा पृथ्वी की
कार्बन उत्पन्न अववर्ष्ट पदाथो से ताप वृवद्ध
24. राष्ट्रीय पक्षी वदवस 12 नवम्बर परफ्लारोकार्बन एसयुवमवनयष्म इलेक्ट्रॉवनक्स यह एक तीव्र
25. ववश्व पयाा वरण वदवस 25 नवंबर
पदाथो द्वारा उत्पन्न हररत गृह
प्रभाव गैस
26. राष्ट्रीय प्रदुर्ण रोकथाम वदवस 2 वदसम्बर है ।
सल्फर गंधक युि ई ंधन के दहन से । अम्लीय वर्ाा
27. अंतराष्ट्रीय पवा त वदवस 11 वदसम्बर
हेक्साफ्लोराइड का कारक
28. राष्ट्रीय ऊजाा वदवस 14 वदसम्बर

प्र्ुख पयाबवरणगवद
पयाबवरणगवद कायबक्षेत्र गवशेष
सुन्दर लाल वचपको आंदोलन के जनक जंगलो को बचाने हेतु उिराखण्ड में क्षेत्रीय जनता का सहयोग व् भूकंप प्रभाववत क्षेत्र
बहुगुणा का ववरोध ।
श्रीमती इंवदरा बाघ सरंक्षण पररयोजना की ‘वन्य जीव सरंक्षण अवधवनयम 1972’ इनके काल में अवस्तत्व में आया
गांधी जन्मदात्री
स्व. सलीम अली पक्षी ववज्ञान व् जैव ववववधता बुक ऑफ़ इंवडया बड्ा स उनकी चवचा त कृ वत है उपनाम वसडा मन ऑफ़ इंवडया सलीम
के क्षेत्र उसलेखनीय योगदान अली राष्ट्रीय उद्यान जम्मू कश्मीर के श्री नगर में अववस्थत है
स्व. अवनल प्रवसद्ध पयाा वरणववद गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के संस्थापक थे
अग्रवाल
सुनीता नारायण औद्योवगक ववकास के पयाा वरण पर कें वद्रत अंग्रेजी पवत्रका ‘डाउन टो अथा ‘ की प्प्रकाशन व् सेंटर फॉर वाले
पयाा वरण पर चढ़ने प्रभावों पर साइंस एंड इन्वायरमेंट नमक संस्था से भी संबद्धता है । पद्मश्री एवं स्टॉकहोम वाटर
शोध काया पुरस्कार से सम्मावनत ।

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तवतवध तथ्य www.examgurooji.in
मेधा पाटकर नमा दा बचाओ आंदोलन की पयाा वरण क्षेत्र के प्रवतवित पुरुस्कार गोसड इन्वाया मेंट प्राइस से सम्मावनत
प्रमुख
वंदना वशवा आसटर ग्लोबलाइजेशन पयाा वरण क्षेत्र में प्रवसद्ध पुरुस्कारो से सम्मावनत एवं पयाा वरण पर अनेक पुस्तकों का
मवू मेंट व् ग्लोबल लेखन । नवदान्या संगठन की संस्थापक व जैववक कृ वर् की समथा क
एसोफोवनस्ट आंदोलन की
प्रेणता
गौरा देवी वचपको आंदोलन से सम्बद्ध जंगल बचाने हेतु मवहला मंडल दल का गठन वकया जीवन पर आधाररत पुस्तक
इमेवनवस पैरेड वुमन फोक फॉर उिराखंड है ।
एम सी मेहता पयाा वरण सरंक्षण के वलए यावचका माध्यम से ववद्यालयों व् महाववद्यालयों में पयाा वरण वशक्षा की शुरुआत के
जनवहत यावचकाएं दायर वलए सरकार को प्रेररत वकया व् गंगा की सफाई व् ताजमहल सरंक्षण के ववशेर् प्रयाश
वकये
माधव गाडवगल पाररवस्थकी ववज्ञानी । पयाा वरण शास्त्री के साथ साथ पयाा वरण पर अनेक पुस्तके वलख चुके है पविमी घाट
पाररतंत्र के अध्यक्ष ।
एम एम कृ वर् वैज्ञावनक व् भारत में जैव ववववधता के सरंक्षण के वलए काया रत ‘स्वामीनाथन अनुसंधान प्रवतिान चेन्नई ‘ के
स्वामीनाथन हररत िांवत के जनक संस्थापक भी है ।
आर के पचौरी प्रवसद्ध पयाा वरणववद IPCC के पूवा अध्यक्ष व TERI के महावनदेशक भी रह चुके है । IPCC को नोबेल
शांवत पुरस्कार 2007 में वमल चूका है
राजेंद्र वसंह गंगा प्रदुर्ण मुि में अग्रणी मैग्सेसे पुरस्कार ववजेता एवं वाटर मन ऑफ़ इंवडया के नाम से प्रवसद्ध है ।
मेनका गाँधी प्रवसद्ध पयाा वरणववद जीवो के सरंक्षण हेतु ‘पीपल फॉर एनीमल ‘ नामक संगठन बनायी ।
जी डी अग्रवाल पयाा वरण इंजीवनयर गंगा बचाओ आंदोलन में सिीय काया कताा ।
माइक पांडे वन्यजीवो पर वफसम वनदेशक वन्यजीवों के सरंक्षण हेतु अथा मेंटसा फाउंडेशन की स्थापना की ।
चंडी प्रशाद भि प्रवसद्ध गाँधी वादी 1964 में गोपेश्वर के दशोली ग्राम स्वराज संघ (DGSS) की स्थपना । वचपको
आंदोलन के प्रमुख काया कताा 1982 में सामुदावयक नेतृत्व हेतु रेमन मैग्सेसे पुरस्कार
प्राप्तकताा हुआ ।
बाबा आम्टे समाजसेवी गाँधी जी के ववचारो से प्रभाववत कु ि रोवगयों हेतु महाराष्ट्र के चंद्रपुर में आंनदवन
नामक संस्था द्वारा सेवा प्रदान वकये । 1985 में रैमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान वकया
गया ।
कै लाश सांखला प्रवसद्ध पयाा वरणववद 1973 के प्रोजेक्ट टाइगर काया िम के नेतृत्वकताा । इन्हे टाइगर मेन ऑफ़ इंवडया
उपनाम से जाना जाता है ।
सुगाथा कु मारी मलयालम कववयत्री के रल की शांवत घाटी की बहुमूसय वन सम्पदा में जलववद्युत वनमाा ण पररयोजनाओं को
1984 में रद्द करवाया ।

प्र्ुख संस्थान एंव उद्यान भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भोपाल


संस्थान स्थान वहमालयी पयाा वरण एंव ववकास का असमोड़ा
भारतीय प्राणी ववज्ञान सवेक्षण के न्द्र कोलकाता (पवष्चम गोववन्द वसलभ पंत संस्थान
बंगाल) इवण्डयन फारेस्ट कालेज देहरादून (उिराखण्ड)
पाररवस्थवतकीय ववज्ञानों का िे न्द्र बंगलुरू भारतीय वन सवेक्षण के न्द्र देहरादून (उिराखण्ड)

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तवतवध तथ्य www.examgurooji.in
इवण्डयन फारेस्ट रेंजर कालेज देहरादून (उिराखण्ड)
भारतीय वन्य जीव अनुसंधान संस्थान देहरादून (उिराखण्ड)
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून (उिराखण्ड)
भारतीय वनस्पवत उद्यान कोलकाता
सलीम अली पक्षी ववज्ञान तथा प्राकृ वतक कोयम्बटूर(तवमलनाडु )
इवतहास के न्द्र
प्राकृ वतक इवतहास का राष्ट्रीय संग्रहालय नई वदसली
राष्ट्रीय पयाा वरण अवभयांवन्त्रकी शोध नागपुर(महाराष्ट्र)
संस्थान
राष्ट्रीय पयाा वरण शोध संस्थान नागपुर(महाराष्ट्र)
के न्द्रीय पक्षी शोध संस्थान इज्जत नगर,बरेली
भारत का सबसे ववशाल संग्रहालय चेन्नई(तवमलनाडु )
भारत का सबसे ववशाल मिली घर मुम्बई
भारत का सबसे ववशाल वचवडयाघर अलीपुर,कोलकाता
भारत का सबसे ववशाल पक्षी उद्यान भरतपुर(राजस्थान)
ववश्व का सबसे बड़ा वचवडयाघर िूगर (दवक्षण अफ्रीका)
ववष्व में सबसे अवधक जन्तु संग्रह वाला बवला न (जमा नी)
जन्तु उद्यान

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4 प्राकृ तिक आपदाएँ एवं प्रबंधन
प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबंधन

• एक प्राकृ तिक आपदा एक प्राकृ तिक जोतिम (Natural Hazard)



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• मानव औि पशुधन की क्षति के साथ बाढ़ के कािण िेिों में िड़ी


का परिणाम है, जो जान औि माल की गंभीि क्षति किके अचानक लहलहािी िैयाि फसल की भी भािी हातन होिी है ।
सामान्य जीवन को उस सीमा िक अस्िव्यस्ि कििा है, तजसका ➢ बाढ़ों का तनयंत्रण
सामना किने के तलए उपलब्ध सामातजक िथा आतथि क संिक्षण
कायि तवतधयां अपयाि प्त होिी हैं । • बाढ़ों को कई प्रकाि से तनयंतत्रि तकया जा सकिा है । वृक्षािोपण
किके क्योंतक जंगल बारिश के पानी को भूतम के अंदि जाने का
• प्राकृ तिक जोतिम तकसी ऐसी घटना के घटने की सम्भावना को िास्िा देिे हैं । इससे भूतमगि जल स्िि पुनः स्थातपि होिा है औि
कहिे हैं तजससे मनुष्यों अथवा पयाि विण पि नकािात्मक प्रभाव पड़ पानी का व्यथि बहना कम हो जािा है ।
सकिा है । कई प्राकृ तिक िििे आपस में सम्बंतधि हैं, जैसे की
भूकंप सूनामी ला सकिे हैं, सूिा (drought) सीधे िौि पि अकाल • बांधों के तनमाि ण से पानी का भंडािण होिा है औि बाढ़ के जल में
(famine) औि बीमारियााँ पैदा कििा है । कमी आिी है । बांध पानी को एकतत्रि कि सकिे हैं, इस कािण
पानी नीचे नतदयों िक नहीं पहचाँ पािा ।
• प्राकृ तिक आपदाओ को तनम्नतलतिि तवतभन्न प्रकािों के रूप में
देिा जा सकिा है :- • नदी/नहि/नालों से गाद तनकालकि उन्हें गहिा किने से औि िटों
को चौड़ा किने से उनमें अतधक पानी भिने की धािण क्षमिा बढ़
• वायुजतनि आपदा – िफ ू ान, चक्रवािी पवन, चक्रवाि, समुद्री जािी है ।
िफ ू ानी लहि ।
➢ प्रबन्धन
• जलजतनि आपदा – बाढ़, बादल का फटना, सुिा ।
• यतद बाढ़ तनयंत्रण की उतचि योजना औि उतचि प्रबन्धन ििीकों
• धरिी जतनि आपदा – भूकंप, सुनामी, ज्वालामुिी, भूस्िलन । का तनयोतजि ढंग से पालन किें िो बाढ़ से होने वाली क्षति औि
प्रमुख प्राकृतिक आपदाएं एवं उनका प्रबंधन जान-माल की हातन को काफी हद िक िोका जा सकिा है औि
कम तकया जा सकिा है ।
❖ बाढ़ (Flood)
• बाढ़ प्रवृि क्षेत्रों की पहचान - बाढ़ों के उतचि प्रबन्धन के तलये
• नतदयों या जलस्रोि औि जलाशयों में अतधक जल आने से
सुचारु औि युतिसंगि योजना बनाने के तलये बाढ़-प्रवृि क्षेत्रों को
अचानक औि अस्थाई रूप से तकसी भूभाग का जलमग्न हो जाना,
पहचान कि उन्हें तचतन्हि किना आवश्यक है ।
बाढ़ (Flood) कहलािा है ।
➢ कारण • बाढ़ का पूवाानमु ान - प्रायः लोगों को काफी पहले िििे की सचू ना
देकि सुितक्षि स्थानों पि भेज तदया जािा है । भािि में वर्ाि मापक
• बाढ़ अतिवृति, िेज हवाएाँ, चक्रवाि, सुनामी, बफि का तपघलना या स्टेशनों का जाल (नेटवकि) काफी बड़ा है, बाढ़ की चेिावनी के न्द्रीय
बांधों का फटना आतद के कािण ही आिी हैं । जल कमीशन (Central Water Commission CWC), तसंचाई
➢ प्रभाव औि बाढ़ तनयंत्रण तडवीजन (Irrigation and Flood Control
• डूबने, गम्भीि चोट, या महामारियों जैस डायरिया, हैज़ा, पीतलया Division) औि जल संसाधन तवभाग (Water Resource
या वाइिल संक्रमण के कािण मनुष्य औि पशुओ ं की मृत्यु बाढ़ Department) द्वािा जािी की जािी है ।
प्रभातवि क्षेत्रों की सामान्य समस्या है । • भूतम उपयोग की योजना - बाढ़ संभातवि क्षेत्रों में तवकास के तकसी
• बाढ़ के दौिान तमट्टी के घि औि कमजोि नींव पि िड़े भवन ढह मुख्य कायि की अनुमति नहीं देनी चातहये । यतद तनमाि ण कायि
जािे हैं औि जान माल के तलये िििा औि क्षति पैदा हो जािी तबल्कु ल ही अतनवायि हो िो ऐसा होना चातहये तक बाढ़ की शति
है । वह इमािि झेल सके । इमाििों को तकसी ऊाँचे स्थान पि ही बनाना
• सड़कों, िेल पटरियों, बांधों, स्मािकों, फसलों औि पशुओ ं की भी चातहये ।
भािी हातन होिी है । • कु छ पवू ाि पाय (सावधातनयााँ) तजनसे बाढ़ का िििा कम होिा है
• बाढ़ के कािण भूस्िलन औि मृदा-अपिदन हो सकिा है । इस प्रकाि हैं-
- घिों को बाढ़ संभातवि क्षेत्र से दूि बनाएाँ ।
• घिेलू सामान के साथ िाद्य पदाथि , तबजली के उपकिण, फनीचि,
- मौसम की सूचना बाढ़ आने के पूवाि नुमान की सूचनाओं के प्रति
कपड़े सब बाढ़ के पानी में डूब जािे हैं ।
जागरूक औि सचेि ितहये ।
• उपयोगी वस्िुए ाँ अथाि ि जल-आपूतिि , वातहिमल व्यवस्था - स्थान िाली किने के तनदेश औि चेिावनी के बाद िुिन्ि ही
(sewerage), संचाि-व्यवस्था, तबजली व्यवस्था औि परिवहन उपलब्ध शिणास्थलों में चले जायें ।
व्यवस्था, िेलमागि सभी बाढ़ के कािण िििे में पड़ जािे हैं । - जब आप शिणास्थल में जा िहे हों िो अपने कीमिी सामान को
तकसी ऊाँचें स्थान पि िि दें तजससे वह बहे या डूबे नहीं ।

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प्राकृतिक आपदाएँ एवं प्रबंधन www.examgurooji.in
- आपािकाल के तलये कु छ अतिरिि भोजन जैसे दाल, चावल, ➢ प्रबन्धन
शक्कि आतद घि में ितिये । • यतद कु छ उपायों को ध्यान में ििा जाय िो सूिे के प्रतिकूल प्रभावों
- तकसी िुले या ढीले तबजली के िाि को न छुए ाँ । को कम तकया जा सकिा है । वर्ाि का तनयतमि रिकॉडि ििना,
- अफवाह फै लाने औि उनको सुनने से बचें । जलाशयों औि पानी के भंडािों, नतदयों, स्रोिों में पानी की
- वृद्ध औि बच्चों का तवशेर् ध्यान ििें औि उनके िाने का प्रबन्ध उपलब्धिा मांग के अनुपाि में होनी चातहये ।
ििें ।
- बाढ़ के समाप्त होने के बाद स्वयं की औि परिवाि की तचतकत्सकीय • जब मांग की िुलना में पानी कम हो िो पानी की िपि भी कम
जााँच अवश्य किायें, चोट औि तकसी भी प्रकाि की बीमािी में किनी चातहये । पानी की िपि कम किने के तलये अनेक जल
डॉक्टिी सलाह लें । संिक्षण उपाय अपनाने चातहये । इसमें जल की िपि कम किना,
- घि औि आस-पास जमा हए बाढ़ के कचिे के ढेिों को साफ किें । कु शलिा औि सावधानी से पानी का प्रयोग किना, पानी के बेकाि
- तकसी भी नुकसान या क्षति की सूचना िाजस्व तवभाग को अवश्य होने को िोकना औि प्रयोग तकये पानी को छोटे कामों के तलये
दें । दोबािा प्रयोग में लाना शातमल है ।
❖ सूखा (Draught) • तसंचाई औि बुवाई की कु शल तवतधयों को कृ तर् में अपनाना चातहये
। ऐसी फसलों को लगाएाँ तजनमें पानी की िपि कम हो । वर्ाि के
• तकसी ऋिु या तकसी काल में आशानुरूप वर्ाि न होने के कािण जल को एकतत्रि किने से पानी की उपलब्धिा बढ़िी है ।
सूिा पड़िा है । कम वर्ाि होने से मनुष्य, पौधों, पशुओ ं औि कृ तर्
• वर्ाि जल एकतत्रि किने (Rain water harvesting) का अथि है
की जल की आवश्यकिाएाँ पूिी नहीं हो पािी है । कम वर्ाि होने से
तक सब ििफ से बहकि आने वाला पानी एक ही स्थान पि इकट्ठा
नदी, झील, जलाशयों औि कु एाँ सूिने लगिे हैं क्योंतक इनमें से
पानी अतधक तनकाला जािा है औि भज हो औि जल भंडािण हो या पानी को भूतम में इिने नीचे िक जाने
ू ल की आपतू िि कम हो पािी
का िास्िा तमले तक भूतमगि जलस्िि बढ़िा िहे ।
है । पानी की कमी के कािण फसल भी अच्छी नहीं होिी । ये सब
बािें आने वाले सि ू े के मुख्य सचू क हैं । ❖ भूकम्प (Earthquake)
➢ कारण • पृ्वी की सिह की अपकृ ि (Deformed) चट्टानों में जमा हई
• सूिा वर्ाि की कमी के कािण होिा है । मौसम तवभाग के अनुसाि ऊजाि का अचानक बाहि तनकलना भक ू म्प कहलािा है । इस
यतद वातर्ि क वर्ाि का औसि 10% से अतधक कम हो जािा है, िब अचानक तनष्कासन से धििी कांप जािी है ।
यह सि ू े का सचू क है । तपछले कु छ समय में सि ू ों की संख्या में • भूकम्प वर्ि में तकसी भी समय तबना तकसी चेिावनी के अचानक आ
वृतद्ध हई है औि इसका मुख्य कािण वनोन्मल ू न औि पयाि विणीय सकिे हैं औि इसके कािण जान औि माल की भािी क्षति होिी
अवक्रमण है । है ।
➢ प्रभाव • भूकम्प की िीव्रिा का अनुमान उसमें से मुि हई ऊजाि की मात्रा से
• कृ तर् पि सूिे का भीर्ण प्रभाव पड़िा है । सबसे पहले सूिे से वर्ाि सम्बतन्धि है । जब धििी के भीिि तछपी िाकि चट्टानों के बीच से
पि तनभि ि फसलें प्रभातवि होिी हैं । चिवाहे, भूतमहीन मजदूि, िेिी बाहि तनकलिी है । इसको एक यंत्र के द्वािा नापा जािा है तजसे
पि तनभि ि तकसान, औििें, बच्चे औि फामि के पशु सि ू े के दष्ु प्रभावों ‘‘भूकम्पलेिी’’ (Seismograph) कहा जािा है ।
से सबसे अतधक प्रभातवि होिे हैं । • भूकम्प की िीव्रिा रिक्टि स्के ल (आतवष्कािक सी.एफ. रिक्टि के
- फसल न होने पि या भोजन की कमी से भुिमिी औि मृत्यु की नाम पि) पि मापी जािी है ।
ओि अग्रसि हो जािे हैं । ➢ कारण
- डेयिी की गतितवतधयााँ (दुग्ध उत्पादन), इमाििी लकड़ी औि मछली • पृ्वी द्वािा ऊजाि के तनष्कासन का प्राकृ तिक ढंग भकम्प है । भकम्प
ू ू
पालन प्रभातवि हो जािा है । पृ्वी के उन तहस्सों में ही आिा है जहााँ भू-तवज्ञान से सम्बतन्धि
- बेिोजगािी में वृतद्ध हो जािी है । त्रुतटयां होिी हैं । ऐसे क्षेत्र की पहचान पहले ही कि ली जािी है ।
- भूतमगि जल (भूजल) का स्िि कम हो जािा है ।
- गहिे पानी भिे स्थानों से पानी को बाहि पम्प किके फें कने से ऊजाि ➢ प्रभाव
की हातन होिी हैं । • भूकम्प द्वािा भवनों, सड़कों, बांधों औि स्मािकों की बहि क्षति
- जल-तबजली पावि पलांट में ऊजाि का उत्पाद कम हो जािा है । होिी है । ऊाँची-ऊाँची इमाििें या ऐसी इमाििें जो कमजोि नींव पि
- जैव तवतवधिा की क्षति, लैंडस्के प (भूदृश्यों) की गुणवत्ता में कमी िड़ी हैं तवशेर् रूप से भूकम्प से क्षतिग्रस्ि होिी हैं ।
आ जािी है । • घिेलू उपकिण तवशेर्रूप से तबजली के उपकिण औि फनीचि की
- स्वास््य समस्याओं, गिीबी में वृतद्ध, जीवनस्िि में कमी औि भी क्षति होिी है ।
सामातजक अशांति के कािण लोग दस ू िे स्थानों पि जाने लगिे हैं ।

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• मानव औि पशुधन जीवन की हातन होिी है या इमाििों के तगिने से फ्लैश लाइट या टॉचि , मोमबत्ती, मातचस, कपड़े आतद यतद सम्भव
गम्भीि चोट लगिी है इसके बाद जैसे हैजा, डायरिया, औि संक्रमण हो िो साथ ले लें ।
से फै लने वाली महामारियााँ मानव जीवन को प्रभातवि कििी हैं । - इमाििें तवशेर्कि पुिानी औि ऊाँची इमाििों, तबजली के िम्भों,
िािों औि दीवािों से दूि ही िहें ।
• जल आपतू िि , वातहि मल, संचाि लाइनें, पॉवि लाइनें, परिवहन
नेटवकि औि िेलमागि आतद आवश्यक सुतवधायें अस्ि-व्यस्ि हो ❖ चक्रवाि (Cyclone)
जािी हैं । • चक्रवाि एक प्रकाि से तहंसक िफ ू ान होिे हैं, ये एक प्रकाि की िेज
➢ प्रबन्धन औि बहि उच्च वेग वाली हवाएाँ हैं जो तनम्न वायुमंडलीय दबाव के
• भूकम्प के दुष्परिणामों से बचने के तलये तनम्न ििीके अपनाने से शान्ि के न्द्र के चािों ओि िीव्रिा से घूमिी हैं ।
इसके प्रभावों को कु छ कम तकया जा सकिा हैः • यह शान्ि के न्द्र प्रायः आगे की ओि बढ़िा है, कभी-कभी इनका
• इमाििें इस प्रकाि की तडजाइन किनी चातहये तक वे भूकम्प के वेग 50 तक-मी-/घंटा होिा है । चक्रवाि अचानक ही घतटि होिे हैं
झटकों को झेल सकें , िासिौि से भूकम्प-संभातवि क्षेत्रों में िो जबतक इनको बनने में लम्बा समय लग जािा है ।
तवशेर् ध्यान ििना चातहये । • चक्रवाि के बाद प्रायः िेज वर्ाि होिी है तजसके कािण बाढ़ भी आ
• तमट्टी की भौतिक तवशेर्िाओं का तवश्लेर्ण तकया जाना चातहये, जािी है ।
तवश्लेर्ण कििे समय भूकम्प को सहने की उसकी शति का पिीक्षण • उपग्रहों के द्वािा इनके द्वािा प्रभातवि होने वाले संभातवि क्षेत्रों का
आवश्यक है । पूवाि नुमान लगाया जा सकिा है औि वहााँ के तनवातसयों को चेिावनी
• ब्यूिो ऑफ इतन्डयन स्टैन्डडि (Bureau of Indian Standard) दी जा सकिी है । चेिावनी औि स्थान परिविि न प्रस्िातवि मागि के
ने भवन तनमाि ण के तलये कु छ रूप-िेिा औि तनदेश िैयाि तकये हैं अनुसाि ही होना चातहये ।
जो भक ू म्प को सहने के तलये अपनाने अत्यंि आवश्यक हैं । ➢ प्रभाव
• तबल्डसि , आतकिटैक्ट, ठेकेदाि, तडजाइनि, घि के मातलक औि • हल्के भाि वाले तमट्टी, लकड़ी के तनमाि ण, पुिानी इमाििें तजनका
सिकािी अफसिों को इस सम्बन्ध में प्रतशतक्षि किना आवश्यक ढााँचा औि दीवािें कमजोि हो चुकी हैं औि तजनकी नींव की मजबूि
है । पकड़ नहीं है, चक्रवाि के समय भािी िििे में पड़ जािी है ।
• भूकम्प के घतटि होने पि ली जाने वाली कु छ सावधातनयााँ • समुद्री िट (mudslide) पि बसे तनचले क्षेत्र इनसे सीधे ही िििे
तनम्नतलतिि हैं - में पड़ जािे हैं । समीपविी बसे क्षेत्र बाढ़, मडस्लाइड या भूस्िलन
- िुले स्थान में तनकल जाएाँ । आतद होने से जल्दी प्रभातवि होिे हैं ।
- शातन्ि बना कि ििें, घबिा कि इधि उधि न भागें, तलफ्ट का प्रयोग • टेलीफोन औि तबजली के िाि औि िम्भे, दीवािें, पेड़, मछली
कभी भी न किें, तिड़तकयों से दूि िहें, फनीचि औि शीशों से भी पकड़ने की नावें, साइनबोडि आतद के तलये चक्रवाि आने से िििा
दूि िहें । बढ़ जािा है ।
- मजबिू बीम (beam) के नीचे िड़े िहें क्योंतक वह तगिेगी नहीं या • हल्का इमाििी ढांचा जैसे फूस की झोपड़ी, तटन की छि वाले घि
िाने की मेज या पलंग के नीचे घुस जायें । चक्रवाि की क्षति को बहि अतधक झेलिे हैं ।
- यतद आप तकसी इमािि के नीचे िड़े हैं या अपने स्थान से हट नहीं
• भािी वर्ाि के कािण लोग औि उनकी सम्पतत्त बाढ़ के पानी में बह
सकिे हो अपने तसि को, शिीि को अपने हाथों से, ितकयों या
सकिी है या चक्रवाि की िफ ू ानी हवा में उड़ सकिी हैं ।
कम्बल से ढक लें तजससे तगिने वाली तकसी वस्िु से चोट न लग
जाये । • िटीय क्षेत्र में आये चक्रवाि के कािण समुद्र की लहिें भूतम पि पहचाँ
- यतद बहमंतजला इमािि में हैं िो उसी मंतजल पि ितहए तलफ्ट या जािी हैं औि बाढ़ आ जािी है इससे प्रभातवि क्षेत्रों में तमट्टी औि
सीतढ़यों की ओि न दौड़ें न तलफ्ट से नीचे उििें । पानी में िािापन आ जािा है । इसके कािण पानी की आपूतिि औि
- यतद िास्िे में हैं औि यात्रा कि िहे हों िो अपनी गाड़ी को इमाििों, कृ तर् फसलों पि प्रतिकूल प्रभाव पड़िा है ।
दीवािों, पुल, पेड़, तबजली के िम्बों औि िािों से दूि ही िड़ी ➢ प्रबन्धन
किें । • चक्रवाि संभातवि क्षेत्र को पहचानना बहि आवश्यक है । चक्रवाि
- जो कु छ क्षति हई हो उसको देिें औि बाधा को साफ किें । संभातवि क्षेत्र में तकसी प्रकाि के तवकास कायि की अनुमति नहीं
- चोट आतद को देिें, प्राथतमक उपचाि दें औि लें, दूसिों की मदद देनी चातहए । ऐसी इमाििें बनानी चातहये जो हवा औि बाढ़ों की
किें । िीव्रिा को झेल सकें ।
- यतद आपका घि भक ू म्प के कािण बु ि ी ििह क्षतिग्रस्ि हो गया है
िो िुिन्ि घि से बाहि आ जायें । साथ में आपािकालीन आवश्यक
चीजें जैसे िाना, पीना, प्राथतमक उपचाि का बॉक्स, दवाइयााँ,

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• तकसी ढााँचे की पकड़ ििने वाले ित्व मजबूिी से जमीन में गड़े होने • जब कभी कोई भी आपदा आिी है िब अनेक सिकािी औि गैि
चातहये तजससे वे अपने ऊपि तटके ढााँचे को मजबूिी से सम्भाल सिकािी संस्थाएं औि समाज (समुदाय) आपदा प्रबन्धन में
सकें । महत्त्वपूणि भूतमका तनभािा है ।
• िट के तकनािे लगे वन चक्रवाि के प्रभाव को काफी हद िक कम • आपदा प्रबन्धन के चाि मुख्य घटक होिे हैं:
किने में समथि होिे हैं । अिः आवश्यक है तक समुद्री िट के तकनािे- ➢ िैयारी (Preparedness): समाज औि संस्थाएं आपदा के
तकनािे ग्रीन बैल्ट (िटों के साथ-साथ पेड़ उगाना) को तवकतसि दुष्प्रभावों का सामना किने के तलये िैयाि हैं या नहीं । इसके तलये
तकया जाय । मुख्य बािें तनम्नतलतिि हैं:
❖ सुनामी (Tsunami) - सामुदातयक जागरूकिा औि तशक्षा ।
• सुनामी प्रायः सैतस्मक (भूकम्पीय) समुद्री लहिें या ज्वाि भाटा - आपदा प्रबन्धन योजना की िैयािी समुदाय, स्कूल औि व्यतिगि
(Tidal) लहिें या आकतस्मक समुद्री लहिें आतद नामों से भी जाना रूप से ।
जािा है । - नकली (मॉकतिल) अभ्यास औि प्रतशक्षण ।
- सामग्री औि मानव कु शलिा दोनों की उपलब्धिा की सूची िैयाि
• ये प्रायः अन्िः समुद्री भूकम्प के कािण आिी है जो समुद्र सिह के होना ।
नीचे 50 तक.मी. (30 मील) से कम दूिी पि उठिा है तजसकी िीव्रिा - उतचि चेिावनी व्यवस्था ।
रिक्टि पैमाने पि 6-5 से अतधक होिी है । - पािस्परिक सहायिा व्यवस्था ।
• पानी के नीचे या िट पि भस्ू िलन या ज्वालामुिी फटने से भी - संवेदनशील समूह की पहचान ।
सुनामी आ सकिी है । ➢ प्रतितक्रया (Response): पवू ाि नमु ान से, आपदा के समय औि
• भूकम्प वैज्ञातनक संभातवि िििे की चेिावनी िटीय क्षेत्रों को िुिन्ि आपदा के िुिन्ि बाद आपदा के दष्ु प्रभावों को कम किने के तलये
ही दे सकिे हैं । जैसे ही कोई भूकम्प आिा है िभी चेिावनी देने से तकये गये उपाय/कायि वाही । इसके तलये मुख्य ित्व तनम्नतलतिि
सुनामी आने के कई घंटों पहले लोग सिकि हो सकिे हैं । हैं:
• सुनामी लहिें जैसे-जैसे महाद्वीपीय िटों की ओि बढ़िी हैं उनका - आपािकालीन ऑपिेशन के न्द्र को तक्रयातन्वि किना (कं ट्रोल
िल उथला होिा जािा है तजस पि लहिों के घर्ि ण से लहिों की रूम) ।
िीव्रिा औि वेग कम होिा जािा है । वेग कम होने के कािण लहिों - िोजी औि सुिक्षा टीमों का तवस्िाि ।
की ऊाँचाई 50 मीटि या उससे भी अतधक हो जािी है । - अद्यिन (अपडेट) चेिावनी का प्रसािण ।
• िीन से पााँच मुख्य अतनतिि दोलन लहिों के कािण सबसे अतधक - सामुदातयक िसोईघिों की स्थापना तजसमें स्थानीय लोगों को लें ।
नुकसान होिा है । तफि भी सुनामी का प्रभाव अलग-अलग स्थानों - अस्थायी तनवास औि शौचालयों की व्यवस्था ।
पि अलग-अलग प्रकाि का ही होिा है । - मेतडकल कै म्प की व्यवस्था ।
- संसाधनों का संग्रह किना ।
➢ प्रभाव
➢ पुनःप्राति या पुनस््ाापन (Recovery): इसमें भौतिक ढांचें के
• सुनामी के दुष्प्रभाव भी चक्रवाि या बाढ़ों की भांति ही हैं । समुद्री पुनः तनमाि ण के साथ आतथि क औि भावात्मक पुनरुद्धाि भी तकया
पानी की बड़ी लहिें िीव्र वेग के साथ अंदि घुस आिी है औि आस- जािा है । इसके मुख्य ित्व तनम्नतलतिि हैं:
पास का भक्षू ेत्र जलमग्न होने से बतस्ियां, फसलें औि दस ू िी अन्य - स्वास््य औि सुिक्षा उपायों के तलये सामुदातयक जागरूकिा ।
सम्पतत्त बुिी ििह से नि हो जािी हैं । - तजन्होंने अपने सगे सम्बतन्धयों को िोया है उनके तलये सांत्वना
• तदसम्बि 2004 में आये सुनामी ने अनेक देशों में, तवशेर्कि औि पिामशि के न्द्र ।
इंडोनेतशया, मलेतशया, श्रीलंका, भािि में भीर्ण तवनाश औि िांडव - यािायाि, संचाि औि तबजली जैसी व्यवस्थाओं का
मचाया था । पुनप्रि बन्धन/पुनिव्यवस्था ।
• आन्र प्रदेश औि ितमलनाडु के िटीय तजलों का बहि बड़ा क्षेत्र - शिणस्थल की उपलब्धिा ।
इसकी चपेट में आ गया था । - मलबे (rubble) से तनमाि ण सम्बंधी उपयोगी पदाथों को एकत्र
• 8 एतशयाई देशों में, भािि सतहि, दो लाि से अतधक लोगों की किना ।
जानें चली गई थीं । - आतथि क सहायिा प्रदान किना ।
- िोजगाि के अवसि िलाशना ।
• प्रबन्धन - नई इमाििों का तनमाि ण किना ।
• सुनामी के प्रतिकूल प्रभावों को कम किने के तलये चक्रवाि या बाढ़ ➢ रोक्ाम/बचाव (Prevention): आपदा की भीर्णिा को िोकने
के तलये ली जाने वाली सावधातनयााँ ही अपनानी चातहए । या कम किने के उपाय किने चातहए ।
❖ सामुदातयक स्िर पर आपदा प्रबन्धन - भूतम के उपयोग की योजना ।

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- िििे वाले स्थान में बसने पि िोक । चक्रवाि 05बी के रूप में जाना जािा है, यह चक्रवाि िाज्य के
- आपदा-प्रतििोधक तबतल्डंग/इमाििें । 10,000 से अतधक लोगों की मौि का कािण बना । इसने
- आपदा के आने से पूवि ही िििे को कम किने के ििीके ढूंढना । 275,000 से अतधक घिों को नि कि तदया था औि लगभग 1.67
- सामुदातयक जागरूकिा औि तशक्षा । तमतलयन लोग बेघि हो गए थे ।
❖ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रातधकरण • जब यह चक्रवाि 912 एमबी की चिम िीव्रिा पि पहचाँ गया, िो
• गठन - 27 तसिंबि 2006 यह उत्ति भाििीय बेतसन का सबसे मजबूि उष्ण कतटबंधीय
चक्रवाि बन गया था ।
• अध्यक्ष - प्रधानमंत्री (पदेन)
❖ गुजराि भूकंप
• सदस्य संख्या - 9
• वर्ि 2001
❖ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF)
• प्रभातवि क्षेत्र - भुज, अहमदाबाद, गांधीनगि, कच्छ, सूिि, तजला
• विि मान में NDRF की 12 बटातलयन है, तजसमें BSF औि
सुिेंद्रनगि, तजला िाजकोट, जामनगि औि जोतडया हैं ।
CRPF से 3-3 औि CISF, SSB औि ITBP से 2- 2 बटातलयन
है। • मृत्यु - 20,000 से अतधक ।
❖ राज्य आपदा प्रबंधन प्रातधकरण • 26 जनविी, 2001 की सुबह, तजस तदन भािि अपने 51 वें गणिंत्र
तदवस का जश्न मना िहा था, उस सुबह गुजिाि भािी भूकंप से
• अध्यक्ष - मुख्यमंत्री (पदेन) प्रभातवि हआ ।
• सदस्य संख्या - 8 • भूकंप की िीव्रिा रियेक्टि पैमाने पि 7.6 से 7.9 की िेंज में थी औि
❖ तजला आपदा प्रातधकरण यह 2 तमनट िक जािी िहा था ।
• अध्यक्ष - कलेक्टि (पदेन) • इसका प्रभाव इिना बड़ा था तक लगभग 20,000 लोगों ने अपने
• आपदा प्रबंधन अतधतनयम 2005 में भािि सिकाि द्वािा बनाया जीवन को िो तदया था । अनुमान यह है तक इस प्राकृ तिक आपदा
गया था। में लगभग 167,000 लोग घायल हए थे औि लगभग 400,000
लोग बेघि हो गए थे ।
भारि में घतिि प्रमुख प्राकृतिक आपदाएं ❖ तहंद महासागर सुनामी
❖ लािूर भूकंप • वर्ि - 2004
• वर्ि : 1993 • प्रभातवि क्षेत्र - दतक्षणी भािि के तहस्सों से लेकि अंडमान तनकोबाि
• प्रभातवि क्षेत्र - उस्मानाबाद औि लािूि के तजले । द्वीप समहू , श्रीलंका, इंडोनेतशया आतद ।
• मृत्यु - 20,000 से अतधक । • मृत्यु - 2 लाि से अतधक
• वर्ि 1993 का यह भूकंप सबसे घािक भूकंपों में से एक था, तजसने • 2004 में एक बड़े भूकंप के बाद, तहंद महासागि में एक तवशाल
महािाष्ट्र के लािूि तजले को अतधक प्रभातवि तकया था । तजसमें सुनामी आई थी, तजससे भािि औि पड़ोसी देशों जैसे श्रीलंका औि
लगभग 20,000 लोग मािे गए औि लगभग 30,000 से अतधक इंडोनेतशया में जीवन औि संपतत्त का भािी नुकसान हआ ।
लोग घायल हो गए थे । • भूकंप महासागि के कें द्र में प्रािम्भ हआ था, तजसने इस तवनाशकािी
• भूकंप की िीव्रिा को 6.4 रिक्टि पैमाने पि मापा गया था । तजसके सुनामी को जन्म तदया । इसकी िीव्रिा 9.1 औि 9.3 के बीच मापी
कािण संपतत्त का भािी नुकसान हआ था, हजािों घि मलबे के रुप गयी थी औि यह लगभग 10 तमनट के समय िक जािी िहा ।
में बदल गये थे औि इस भूकंप ने 50 से अतधक गााँवों को नि कि • इसकी तवनाशकािी क्षमिा तहिोतशमा मे डाले गए बमों के प्रकाि के
तदया था । 23,000 पिमाणु बमों की ऊजाि के बिाबि थी । तजसमें 2 लाि से
❖ ओतिशा में महाचक्रवाि अतधक लोग मािे गए थे ।
• वर्ि 1999 ❖ उत्तराखंि में आकातस्मक बाढ़
• प्रभातवि क्षेत्र - भद्रक िटीय तजलें, कें द्रपािा, बालासोि, • वर्ि 2013
जगितसंहपुि, पुिी, गंजम आतद । • प्रभातवि क्षेत्र - गोतवंदघाट, के दाि धाम, रुद्रप्रयाग, उत्तिािंड,
• मृत्यु - 10,000 से अतधक । तहमाचल प्रदेश, पतिमी नेपाल ।
• यह 1999 में ओतडशा िाज्य को प्रभातवि किने वाले सबसे • मृत्यु - 5000 से अतधक ।
िििनाक िफ ू ानों में से एक है । इसे पािादीप चक्रवाि या सुपि

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• वर्ि 2013 में, उत्तिािंड को भािी औि घािक बादलों के रूप में
एक बड़ी तवपतत्तपूणि प्राकृ तिक आपदा का सामना किना पड़ा,
तजससे गंगा नदी में बाढ़ आ गई । अचानक, भािी बारिश उत्तिािंड
में िििनाक भस्ू िलन का कािण बनी, तजसने हजािों लोगों को
माि तदया औि हजािों लोगों की लापिा होने की िबि है ।
• मौिों की संख्या 5,700 होने का अनुमान था, 14 से 17 जून,
2013 िक 4 तदनों के लम्बे समय िक बाढ़ औि भूस्िलन जािी
िहा । तजसके कािण 1,00,000 से अतधक िीथि यात्री के दािनाथ
की घातटयों में फाँ स गये थे ।
• उत्तिािंड आकातस्मक बाढ़ भािि के इतिहास की सबसे
तवनाशकािी बाढ़ मानी जािी है ।

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