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पर्यावरण

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1. पर्यावरण और पयररस्थिस्िकी

पयररस्थिस्िकी शब्द का सर्वप्रथम प्रर्ोग रेटीर्र द्वयरय 1865 में ककया गया था।
जैस्वक और अजैस्वक ित्वों की परथपर स्िर्यशीलिय से पयररस्थिस्िकी की रचना होती है।
पाररकथथकतकी तंत्र शब्दार्ली का प्रयोग सवाप्रिम ए जी टयांसले लेने 1935 में स्कर्य था।
पयररस्थिस्िक िांत्र जैस्वक और अजैस्वक पदयिों की परथपर प्रयकृस्िक स्िर्य है किसमें िैर् एर्ं
अिैर् पदाथों के साथ-साथ पयावर्रण के संपणू व कारक सकममकलत होते हैं।
महयसयगरीर् पयररस्थिस्िक िांत्र सबसे स्थिर ििय सबसे स्वशयल पयररस्थिस्िक िांत्र है।
गौरय देवी कय सांबांध स्िपको आांदोलन से है जो उत्तरयखडां में शुरू हुआ िय।

पयररस्थिस्िक िांत्र के घटक

जैस्वक घटक

जैस्वक घटक को िीन भयगों में स्वभक्त ककया गया है


A. उत्पयदक – र्े सभी िीर् िो साधारण अकार्वकनक पदाथों को प्राप्त कर िकिल पदाथों का
ं ेषण कर लेते हैं अथावत थवर्ां भोजन कय स्नमयाण करिे हैं।
सश्ल
यह सयू व से ऊिाव प्राप्त कर प्रकाश संश्लेषण की किया द्वारा अकार्वकनक पदाथव तथा िल
और कार्वन डाइऑक्साइड को प्रयोग में लाकर भोिन र्नाते हैं िैसे हरे पौधे।
B. उपभोक्तय
िर् उत्पयदक द्वयरय पैदय स्कर्य हुआ भोजन दूसरे जीव द्वयरय प्रर्ोग में स्लर्य जयिय है
तो प्रर्ोग में लेने वयले जीव को उपभोक्तय र्य अपघटन किया कहलाता है।
उपभोक्तय िीन प्रकयर के होिे हैं
I. प्रयिस्मक उपभोक्तय – यह शयकयहयरी जांिु र्य परजीवी होते हैं िो सीधे उत्पयदकों कय
भोजन करिे हैं िैसे – गाय, र्करी, कहरण, खरगोश, चींिी
II. स्द्विीर्क उपभोक्तय – यह प्रयर्: मयांसयहयरी िंतु होते हैं िो प्रयिस्मक उपभोक्तय को खयिे हैं
िैसे – मेंढक, भयल,ू मछली स्बल्ली, लोमडी
III. िृिीर्क उपभोक्तय – यह भी उपभोक्ता हैं जो स्द्विीर् श्रेणी के उपभोक्तयओ ां को खयकर
भोजन प्रयप्त करते हैं जैसे – सयांप (जो मेंढक को खयिय है) र्य स्िस्डर्य (जो मछली को
खयिी है)।

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उच्ि मयांसयहयरी – यह शीर्ा उपभोक्तय होिे हैं यह अन्र् श्रेणी के उपभोक्तयओ ां को खयिे हैं परंतु
इनको कोई नहीं खयिय जैसे – शेर, र्ाघ, र्ाि आकद।
C. अपघटक
अपघटक र्य मृिजीवी अन्र् परपोर्ी जीव है किनमें मख्ु य रुप से बैक्टीररर्य ििय
कवक होते हैं।
यह मरे हुए उपभोक्तयओ ां को सयधयरण भौस्िक ित्वों में स्वघस्टि कर देते हैं िो किर से
र्ायमु डं ल में कमल िाते हैं। जैसे – िींटी, कें िुआ, फफूांद, गोल कृस्म, प्रोटोजोआ।

अजैस्वक घटक
अजैस्वक घटक को िीन भयगों में बयांटय जयिय है
a) अकयबास्नक पदयिा – इसके अांिगाि जल, स्वस्भन्न प्रकयर के लवन (जै से – कै स्ल्शर्म,

पोटेस्शर्म, मैग्नीस्शर्म, फयथफोरस और नयइट्रोजन आस्द) ििय गैसें (जैसे – ऑक्सीजन,


नयइट्रोजन, कयबान डयइऑक्सयइड, हयइड्रोजन और अमोस्नर्य) सस्ममस्लि है।
b) कयबास्नक पदयिा – इसके अांिगाि मृत्त पौधे एवां जांिुओ ां के कयबास्नक र्ोस्गक (िैसे – प्रोिीन,

कार्ोहाइड्रेि्स तथा र्सा और उसकी अपघटन द्वयरय उत्पयस्दि पदयिा िैसे – यरू रया और ह्यमू स आकद
आते हैं।
c) ऊजया सांघटक – इसमें सूर्ा कय प्रकयश, ियपिम, वर्या आकद सकममकलत है।

िीर्मडं ल में एक िीर् से दसू रे िीर् में होने र्ाले ऊिाव के थथानांतरण के िम को आहयर श्रख ृां लय (FOOD
CHAIN) कहते हैं।
समुद्री खयद्य श्रृांखलय में फयइटोप्लैकटोन प्रयिस्मक उत्पयदक है।
पयररस्थिस्िकी असांिुलन कय मुख्र् कयरण वनोन्मूलन है।
जैव आवधान – हयस्नकयरक और स्वर्यक्त पदयिा (िैसे DDT) हमारी खाद्य श्रंखला में प्रर्ेश करते हैं
क्योंकक यह आसानी से कर्घकित नहीं होते किस कारण र्ह प्रत्र्ेक पोर्ण थिर पर सांस्िि होने लगिे हैं
इसे जैव आवधान कहय जयिय है।
DDT कय सि ां र्न सयपां में सवयास्धक होगय क्योंकक सयपां आहयर श्रख ृां लय में सबसे ऊपर है।
पाररकथथकतकी तंत्र में ऊजया कय प्रवयह एकस्दशीर् होता है।
ऊजया प्रवयह के 10% स्नर्म को स्लांडेमयन ने 1942 में प्रकतपाकदत ककया था।
इसके अनस ु यर के वल जैव भयर कय 10% खयद्य श्रख ृां लय के एक पोर्ण थिर से दूसरे पोर्ण थिर में
थियनयांिररि होिी है।
घयस थिलीर् एवां फसल थिलीर् पयररस्थिस्िकी िांत्र के स्परयस्मड को सीधय स्दखयर्य िाता है।
जैव भयर कय स्परयस्मड उल्टय होता है।

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पयररस्थिस्िकी अनुिम कय ियत्पर्ा समय के साथ समदु ाय का थथानांतरण से है।


ओडम ने अनुिम की िमयगि स्वस्ध को र्ताया था
a. न्र्ूडेशन – NUDATION
b. आिमण – INVASION
c. थपधया – COMPETITION
d. प्रस्िस्िर्य – REACTION
e. िरम अवथिय – CLIMEX STAGE
पयररस्थिस्िकी स्नके ि का प्रयोग सर्वप्रथम किनेल्स ककया था।
ककसी भी पाररकथथकतकी तत्रं में िीर् ितं ओ ु ं एर्ं पादपों की िो कर्कर्ध प्रिाकतयां होती है उनका एक कनकित
थथानीय क्षेत्र सरु कक्षत होता है किसमें ये कनर्ास कर अपना िीर्न यापन करती है यही सरु कक्षत क्षेत्र कनके त
कहलाता है।

स्वस्भन्न जयस्िर्ों की जनसख्


ां र्यओ ां के बीि पयरथपररक स्िर्यएां

पयरथपररक स्िर्यओ ां के जयस्ि A जयस्ि B पयरथपररक स्िर्यओ ां की प्रकृस्ि


प्रकयर
सहोपकयररिय + + ए और बी दोनों के स्लए लयभदयर्क
(MUTUALISM)
सहभोस्जिय + 0 ए के स्लए लयभकयरी ििय बी पर कोई प्रभयव
(COMMENSALISM) नहीं
परजीस्विय + - ए के स्लए लयभदयर्क (परजीवी) ििय बी के
(PARASITISM) स्लए हयस्नकयरक (मेजबयन)
परभक्षण + - ए के स्लए लयभदयर्क (परजीवी) बी को
(PREDATION) अवरोध करनय (भक्ष्र्)
प्रस्िर्ोस्गिय - - ए और बी दोनों के स्लए नकयरयत्मक प्रभयव
(COMPETITION)

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2. जै व स्वस्वधिय
जैव स्वस्वधिय से ियत्पर्ा ककसी कर्शेष क्षेत्र के समथि जीव जयस्िर्ों एवां पयररिांत्र सग्रां ह से है अथावत
स्कसी क्षेत्र में उपस्थिि जीवो की स्वस्भन्न प्रजयस्िर्ों की सांख्र्य उस क्षेत्र की जैव स्वस्वधिय
कयहलयिी है।
स्हहटेकर ने 1972 में जैव स्वस्वधिय को िीन भयगों में स्वभयस्जि स्कर्य
1. अल्फय सि ू कयक ां – थियनीर् थिर पर प्रजयस्ि स्वस्वधिय
2. बीटय सूिकयक ां – थियनीर् एवां क्षेत्रीर् स्वस्वधिय कय अनुपयि
3. गयमय सूिकयक ां – भू दृश्र् की सांपूणा स्वस्वधिय।
22 मई को सर्ां क्त ु रयष्ट्ट्र द्वयरय जैव स्वस्वधिय स्दवस मनाया िाता है।

जैव स्वस्वधिय से सांपन्न क्षेत्र


उष्ट्णकस्टबांधीर् क्षेत्र
सामान्यतः भूमध्र् रेखय से ध्रुवों की ओर जैव स्वस्वधिय में स्नरांिर कमी आती है।
सवयास्धक जैव स्वस्वधिय उष्ट्णकस्टबांधीर् वर्या वनों में पाई िाती है और सबसे कम जैव
स्वस्वधिय महयसयगर की गहरयइर्ों में।
पवािीर् क्षेत्रों में ऊांिी िोटी की िुलनय में स्नमन िोटी पर सवयास्धक जैव स्वस्वधिय पयई
जयिी है।

उष्ट्णकस्टबांधीर् क्षेत्र में जैव स्वस्वधिय के समृद्ध होने के प्रमुख कयरण


a. शीिोष्ट्ण क्षेत्र की िुलनय में अत्र्स्धक थियई होिी है।
b. उष्ट्णकस्टबध ां ों में थियनीर् जयस्ि अपने आप लगयियर जीस्वि रहिी है।
c. उच्ि ियपमयन और उच्ि आद्रािय ज्र्यदयिर उष्ट्णकस्टबांधीर् क्षेत्रों में कई जयस्िर्ों के स्लए
अनुकूल दशयएां प्रदयन करिी है।

जैव स्वस्वधिय सांरक्षण की स्वस्धर्यां


जैव स्वस्वधिय के सांरक्षण की दो स्वस्धर्यां हैं
1. थवथियने (IN- SITU) उपयर्
जब जीव एवां वनथपस्ि जयस्िर्ों को उनके प्रयकृस्िक आवयस क्षेत्र में ही सांरक्षण
प्रदयन स्कर्य जयिय है।
जैसे – सरां स्क्षि क्षेत्र नेटवका , पस्वत्र उद्ययन, पस्वत्र झील, जैव मडां ल आरस्क्षि क्षेत्र,
रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन और वन्र् जीव अभ्र्यरण्र्।

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2. बयह्य थियने सांरक्षण (EX – SITU)


जब जीव एवां वनथपस्िर्ों को उनके प्रयकृस्िक आवयस से बयहर स्नकयलकर कृस्त्रम आवयस
में सरां स्क्षि स्कर्य जयिय है।
जैसे – गृह बगीिय, बीज बैंक, जीन बैंक, स्नमन ियपीर् सरां क्षण, वृक्ष उद्ययन, प्रयणी बगीिय,
जल िांत्र।
जैव मांडल आरस्क्षि क्षेत्र र्ूनेथको द्वयरय वर्ा 1971 में मैन एवां बयर्ोथफीर्र कयर्ािम के
अिां गाि शरू ु स्कर्य गर्य।
भारत सरकार ने वर्ा 1972 में वन्र् जीव सुरक्षय अस्धस्नर्म प्रथततु ककया।

जैव स्वस्वधिय के हॉटथपॉट

कर्श्व के सभी भौगोकलक क्षेत्रों में िैर् कर्कर्धता का कर्तरण समान नहीं है।
कर्श्व के कुछ कनकित क्षेत्र महाकर्कर्धता के क्षेत्र है।
स्िस्टश पयररस्थिस्िकी स्वज्ञयनी नॉमान मेर्सा ने वर्ा 1988 में हॉटथपॉट शब्द की पररकल्पनय
की।
हॉिथपॉि के कलए जयस्ि बहुियर्यि, थियनीर्िय और आशक ां य बोध कय होनय आवश्र्क है।
कसकक्कम को र्नथपकत शास्त्री का थर्गव माना िाता है।
भयरि में जैव स्वस्वधिय के ियर हॉटथपॉट है िो कनमनकलकखत हैं
1. पूवी स्हमयलर्

2. पस्िमी घयट

3. मर्यांमयर और भयरि की सीमय ििय

4. सुांडयलैंड।

पूरे स्वश्व में कुल 36 जैव स्वस्वधिय के हॉिथपॉि हैं।


जैव स्वस्वधिय हॉटथपॉट की सूिी कांजवेशन इटां रनेशनल द्वारा दी िाती है।
प्रयकृस्िक आवयस कय ह्रयस जैव स्वस्वधिय के रयस्श के स्लए सवयास्धक महत्वपूणा कयरक है।

भयरि की आद्रा भूस्म (WETLANDS)

झीलें रयज्र् झीलें रयज्र्


अष्टमदु ी के रल वेंबनयड के रल
भीिरकस्णकय उडीसय थिांभकोटय के रल
भोज सयगर मध्र् प्रदेश स्िल्कय उडीसय
दीपोर बील असम लोकटक मस्णपरु

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ईथट कोलकयिय पस्िम बांगयल रोपड पज ां यब


हरीके झील पांजयब कांजनी झील पांजयब
हके रय झील जममू कश्मीर त्सोमोरररी जममू कश्मीर
सुररसर मनसर जममू कश्मीर के वलयदेव रयजथियन
सयभां र झील रयजथियन पोंग डैम स्हमयिल
कोलेरू झील आांध्र प्रदेश रेणुकय स्हमयिल
प्वयइटां कै स्लमर िस्मल नयडु रुद्रसयगर स्त्रपरु य

रयमसर कन्वेंशन 2 फरवरी 1971 को रयमसर ईरयन में आर्ोस्जि स्कर्य गर्य िय।
रयमसर कन्वेंशन कय सबां धां वेटलैंड्स र्य आद्रा भूस्मर्ों से है ।
सवयास्धक आद्रा भूस्म गुजरयि और आांध्र प्रदेश में है।
आांिररक आद्रा भूस्म कय क्षेत्रफल िटीर् आद्रा भूस्म से ज्र्यदय है।

प्रवयल स्भस्त्त
प्रर्ाल कभकियों में िैर् कर्कर्धता की कर्शाल राकश कर्द्यमान है।
प्रवयल स्भस्त्तर्ों को समद्रु ी वर्यावन भी कहिे हैं।
कर्श्व की सबसे बडी प्रवयल स्भस्त्त ऑथट्रेस्लर्य में है।
पकिमी प्रशातं महासागर एर्ं पर्ू ी कहदं महासागर की प्रर्ाल कभकियों से समरद्ध है।
भयरि में लक्ष्र्दीप, अडां मयन स्नकोबयर द्वीप समहू , मन्नयर की खयडी में प्रवयल स्भस्त्तर्याँ पयई
जयिी है।
भारत में इनका सवयास्धक क्षेत्रफल अांडमयन स्नकोबयर दीप समूह में है।
मन्नयर और कच्छ की खयडी ििय अांडमयन स्नकोबयर फ्रीस्जांग प्रवयल के उदाहरण है।
लक्ष्र्द्वीप एटॉल प्रवयल के उदयहरण है।
िैर् कर्कर्धता अकधकनयम 11 कदसंर्र 2002 को पाररत ककया गया।
िय कर्कर्धता प्राकधकरण का मख्ु यालय चेन्नई में है।

की थटोन प्रजयस्िर्यां
वे प्रजयस्िर्यां जो स्कसी समदु यर् में प्रिुरिय ििय जैव भयर की अल्पिय के बयवजूद समदु यर्
अस्भलक्षणों पर प्रभयव दशयािी हैं प्रमुख जयस्िर्यां कहलयिी हैं।
कीथटोन प्रजयस्िर्यां सूक्ष्म जल वयर्ु मृदय की रिनय ििय मृदय रसयर्न एवां खस्नजों के थिर को
भी पररवस्िाि और प्रभयस्वि करिी हैं।

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सांकटग्रथि जयस्िर्ों की ियस्लकय को आईर्स ू ीएन (IUCN – International Union


Convention For Nature) रेड स्लथट में जयरी स्कर्य जयिय है।
आईर्स ू ीएन की रेड स्लथट में कुल 9 श्रेस्णर्यां हैं जो स्नमनस्लस्खि है
1. Extinct
2. Extinct In Wild
3. Critically Endangered
4. Endangered
5. Vulnerable
6. Near Threatened
7. Least Concern
8. Deficient Data
9. Not Evaluated.

भयरि के प्रमुख स्वश्व स्वरयसि थिल

थिल रयज्र् वर्ा


कयजीरगां य रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन असम 1985
के वलयदेव रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन रयजथियन 1985
मयनस रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन असम 1985
सुांदरबन रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन पस्िम बांगयल 1987
नांदय देवी रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन उत्तरयखांड 1988
पस्िमी घयट 2012
वृहि स्हमयलर् रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन 2014
कांिनजगां य SIKKIM 2016

र्ूनेथको द्वयरय मयन्र्िय प्रयप्त 9 जैव मांडल आरस्क्षि क्षेत्र

बयर्ोथफीर्र ररजवा थियपनय रयज्र्


वर्ा
नीलस्गरर 1986 िस्मलनयडु, कनयाटक, के रल
मन्नयर की खयडी 1989 िस्मलनयडु
सदुां रवन 1989 पस्िम बगां यल
नांदय देवी नेशनल पयका 1988 उत्तरयखण्ड

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नोकरेक 1988 मेघयलर्


पिमढी बयर्ोथफीर्र 1999 मध्र् प्रदेश
ररजवा
स्समलीपयल 1994 उडीसय
अियनकमयर- अमरकांटक 2005 मध्र् प्रदेश और छत्तीसगढ
ग्रेट स्नकोबयर द्वीप 1989 अांडमयन व स्नकोबयर द्वीप समूह
बयर्ोथफीर्र ररजवा
अगथत्र्मलयई 2001 िस्मलनयडु, के रल
बयर्ोथफीर्र ररजवा

भयरि में जैव स्वस्वधिय सांरक्षण की प्रमुख र्ोजनय


1. हांगुल पररर्ोजनय 1970
2. कथिूरी मगृ पररर्ोजनय 1972
3. GIR स्सांह पररर्ोजनय 1972
4. बयघ पररर्ोजनय 1973
वर्ा 2005 में टयइगर टयथक फोसा की अनुशांसय पर रयष्ट्ट्रीर् बयघ सांरक्षण
प्रयस्धकरण (NTCA) कय गठन स्कर्य गर्य
बयघ सरां क्षण पररर्ोजनय के अिां गाि देश में 50 टयइगर ररजवा है।
5. घस्डर्यल पररर्ोजनय 1975
भयरि के प्रमुख घस्डर्यल एवां मगरमच्छ सांरस्क्षि क्षेत्र
1. गुांडी रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन िस्मलनयडु
2. िांबल वन्र् जीव अभ्र्यरण रयजथियन
3. स्भिरकस्नकय वन्र्जीव अभर्यरण्र् उडीसय
4. नांदनकयनन वन जीव अभ्र्यरण उडीसय
5. सत्कोस्सर्य वन्र् जीव अभ्र्यरण उडीसय
6. कछुआ सरां क्षण पररर्ोजनय 1975
ऑस्लव ररडले कछुआ के स्लए स्भिरकस्नकय अभ्र्यरण में शरू ु स्कर्य गर्य।
7. हयिी पररर्ोजनय 1992
स्जसके अांिगाि मयईक कयर्ािम कय प्रयरांभ 2004 में स्कर्य गर्य।
8. लयल पयांडय पररर्ोजनय 1996
पूवी स्हमयलर् में वल्डा वयइड फांड के सहर्ोग से

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9. प्रोजेक्ट स्हम िेंदुआ 2009


इसके अांिगाि जममू कश्मीर से अरुणयिल प्रदेश िक के िेंदुआ कय सांरक्षण
स्कर्य जयिय है।
10. ड्र्ूगोंग एक थिनधयरी जीव है स्जसे समुद्री गयर् के नयम से जयनय जयिय है।
11. र्ह भयरिीर् िटों पर पयर्य जयिय है स्जसे स्वलुप्त श्रेणी में रखय गर्य है।

भयरि के रयष्ट्ट्रीर् उद्ययनों की सि


ू ी
रयजथियन मध्र् प्रदेश
के वलय देवी रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन कयन्हय रयष्ट्ट्रीर् पयका
रणथ्मभोर रयष्ट्ट्रीर् पयका पेंि रयष्ट्ट्रीर् पयका
सररथकय रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन पन्नय रयष्ट्ट्रीर् पयका
डैजटा रयष्ट्ट्रीर् पयका सिपुडय रयष्ट्ट्रीर् पयका
दरया रयष्ट्ट्रीर् पयका वन स्वहयर पयका
घनय पक्षी रयष्ट्ट्रीर् पयका रुद्र सयगर झील रयष्ट्ट्रीर् पयका
के वलय देवी रयष्ट्ट्रीर् पयका बयांधवगढ नेशनल पयका
ियल छयपर अभ्र्यरण्र् सांजर् नेशनल पयका
मयउांट आबू वयईल्ड लयइफ सैंिुरी मयधव रयष्ट्ट्रीर् पयका
कुनो नेशनल पयका
मयण्डलय प्लयांट फौस्सल रयष्ट्ट्रीर् पयका
अरुणयिल प्रदेश स्सस्क्कम
नयमदफय रयष्ट्ट्रीर् पयका खयांिनजोंगय रयष्ट्ट्रीर् पयका
हररर्यणय उत्तर प्रदेश
सुलियनपुर रयष्ट्ट्रीर् पयका दूदवय रयष्ट्ट्रीर् पयका
कलेशर रयष्ट्ट्रीर् पयका िन्द्रप्रभय वन्र्जीव स्वहयर
झयरखांड छत्तीसगढ
बेिलय रयष्ट्ट्रीर् पयका कयांगेर घयटी रयष्ट्ट्रीर् पयका
हजयरीबयग रयष्ट्ट्रीर् पयका इन्द्रयविी रयष्ट्ट्रीर् पयका
धीमय रयष्ट्ट्रीर् पयका गुरू घयसीदयस रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन
आांध्र प्रदेश महयरयष्ट्ट्र
कसरू िह्मयनदां य रेड्डी नेशनल पयका बोरीवली रयष्ट्ट्रीर् पयका
इस्न्दरय गयाँधी प्रयणी स्वज्ञयन पयका ियांदोली रयष्ट्ट्रीर् पयका
मरूगवयमी नेशनल पयका िबोडय रयष्ट्ट्रीर् पयका
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श्री वेंकटेश्वरम रयष्ट्ट्रीर् पयका गुग्गयमल रयष्ट्ट्रीर् पयका


कयवलय रयष्ट्ट्रीर् पयका नवयगयवां रयष्ट्ट्रीर् पयका
नयगयजाुन सयगर रयष्ट्ट्रीर् पयका िन्सय नेशनल पयका , ियणे
नेलयपत्तु पक्षी रयष्ट्ट्रीर् पयका मेलघयट रयस्ष्ट्ट्रर् अभ्र्यरण्र्
िस्मलनयडु जमम-ू कश्मीर
गल्फ आफ मनयर रयष्ट्ट्रीर् पयका दयिीग्रयम रयष्ट्ट्रीर् पयका
इस्न्दरय गयध ां ी रयष्ट्ट्रीर् पयका सलीम अली रयष्ट्ट्रीर् पयका
प्लयनी स्हल्स रयष्ट्ट्रीर् पयका स्कथिवयड रयष्ट्ट्रीर् पयका
मुकुरूिी नेशनल पयका हैमस्नश नेशनल पयका
गनु ीडे नेशनल पयका जैव मण्डल रीजवा , श्रीनगर
ओस्डसय स्मजोरम
भीिरगस्नकय रयष्ट्ट्रीर् पयका मयउन्टेन रयष्ट्ट्रीर् पयका
स्समां ली रयष्ट्ट्रीर् पयका मरु लेन रयष्ट्ट्रीर् पयका
नन्दनकयनन रयष्ट्ट्रीर् पयका फयांगपुई नेशनल पयका
स्िल्कय झील अभर्यरण्र् डयमफय अभ्र्यरण्र्
पस्िम बांगयल उत्तरयखण्ड
सुन्दरवन रयष्ट्ट्रीर् पयका स्जम कयबेट रयष्ट्ट्रीर् पयका
बुक्सय रयष्ट्ट्रीर् पयका वैली आफ फ्लयवर
जलधपयरय रयष्ट्ट्रीर् पयका नन्दय देवी रयष्ट्ट्रीर् पयका
गोरूवयरय रयष्ट्ट्रीर् पयका रयजयजी नेशनल पयका
स्सांघयस्ललय रयष्ट्ट्रीर् पयका गोस्वन्द पयसू स्वहयर
स्नर्ोरय वैली नेशनल पयका गांगोत्री रयष्ट्ट्रीर् पयका
स्हमयिल प्रदेश अण्डमयन-स्नकोबयर
स्पन वैली पयका सैस्डल पीक रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन
ग्रेट स्हमयलर् रयष्ट्ट्रीर् पयका महयत्मय गयाँधी मैरीन
रोहल्लय रयष्ट्ट्रीर् पयका फोस्सल रयष्ट्ट्रीर् पयका
स्करगांगय रयष्ट्ट्रीर् पयका कैं पबैल नेशनल पयका
सीमलबरय रयष्ट्ट्रीर् पयका गलेिय रयष्ट्ट्रीर् पयका
इन्द्रस्कलय नेशनल पयका मयऊांट हैररट नेशनल पयका
स्शकरी देवी अभ्र्यरण्र् रयनी झयस ां ी मैरीन रयष्ट्ट्रीर् पयका

िेलांगयनय मस्णपुर

Mob – 9993259075, 8815894728


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महयवीर हरीनय वनथिली कयइबुल लयमझो रयष्ट्ट्रीर् पयका


स्कन्नरसयनी अभ्र्यरण्र् स्सरोही रयष्ट्ट्रीर् पयका
असम गुजरयि
मयनस रयष्ट्ट्रीर् पयका स्गर रयष्ट्ट्रीर् पयका
कयजीरांगय रयष्ट्ट्रीर् पयका मरीन रयष्ट्ट्रीर् पयका
नयमेरी रयष्ट्ट्रीर् पयका ब्लेक बुक रयष्ट्ट्रीर् पयका
रयजीव गयध ां ी ओरयगां पयका गल्फ आफ कच्छ
स्डिूगढ शेखोवयल रयष्ट्ट्रीर् पयका वांसदय नेशनल पयका
के रल कनयाटक
सयइलेंट वैली रयष्ट्ट्रीर् पयका बयदां ीपरु रयष्ट्ट्रीर् पयका
पेररर्यर नेशनल पयका नयगरहोल रयष्ट्ट्रीर् उद्ययन
मैिीके िन नेशनल पयका अांसी रयष्ट्ट्रीर् पयका
अन्नयमदु यई नेशनल पयका बनेरघयटलय नेशनल पयका
एनयाकुलम नेशनल पयका कुडूरमुख नेशनल पयका
िुांगभद्रय रयष्ट्ट्रीर् पयका
गोआ मेघयलर्
सलीम अली बडा सैंिुरी बलफकरम नेशनल पयका
नेत्रयवली वन्र्जीव पयका सीजू अभ्र्यरण्र्
िौरय रयष्ट्ट्रीर् पयका नयांगस्खलेम अभ्र्यरण्र्
भगवयन महयवीर नेशनल पयका नोकरेक पयका
स्बहयर स्त्रपुरय
वयस्ल्मकी नेशनल पयका क्लयउडेड रयष्ट्ट्रीर् पयका
स्विमस्सलय गगां स्टक डॉस्ल्फन सैंिुरी पज ां यब
कांवर लेक बडा सैंिुरी हररकै वैटलैण्ड नेशनल पयका
नयगयलैण्ड
इटां यग्ां की अभ्र्यरण्र्, कोहीमय

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जैव स्वस्वधिय के स्लए अांिररयष्ट्ट्रीर् सांस्ध


सांस्ध थियन वर्ा
कयटोजेनय प्रोटोकॉल कुआलय लांपुर 2004
नयगोर्य प्रोटोकोल जयपयन 2010
COP 11 हैदरयबयद 2010
TRAFFIC
र्ह एक NGO है स्जसकी थियपनय 1976 में हुई िी।
इसके अांिगाि वन्र् पयदप और जांिु के हर्यपयर से प्रयकृस्िक सांरक्षण को खिरय
नय हो को स्नर्स्ां त्रि स्कर्य जयिय है।
TEEB- The Economics Of Ecosystem And Biodiversity
इसकय मुख्र् उद्देश्र् पयररस्थिस्िकी और जैव स्वस्वधिय के आस्िाक लयभ के प्रस्ि
ध्र्यन आकस्र्ाि करनय है।
इसे सांर्ुक्त रयष्ट्ट्र पर्यावरण कयर्ािम (UNEP) के अांिगाि बनयर्य गर्य।
इसकय मुख्र्यलर् स्जनेवय में स्थिि है।
रयष्ट्ट्रीर् जैव स्वस्वधिय अस्धस्नर्म (Bio Diversity Act) कय मख् ु र् उद्देश्र् जैव िोरी को
रोकनय और परांपरयगि अनुवयांस्शक सांसयधन कय सांरक्षण है।

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3. प्रदूर्ण
मनष्ु य द्वारा उत्पन्न प्रदषू ण को एथ्र
ां ोपोजेस्नक प्रदूर्ण कहते हैं।
यह नॉन बयर्ोस्डग्रेडेबल होता है जैसे – प्लयस्थटक, डीडीटी।
रबड जैव स्नमनीकरणीर् है।
ज्वयलयमुखी उद्गयर और अजैस्वक पदयिों के सडने से सल्फर डयइऑक्सयइड और नयइट्रोजन के
ऑक्सयइड िैसे प्रदषू क उत्पन्न होते हैं।
कोर्लय, पेट्रोल और डीजल िैसे िीर्ाश्म इधं नों के िलने से कयबान और नयइट्रोजन के ऑक्सयइड
उत्पन्न होते हैं।
2.4 से कम ब्यास र्ाले पाकिवकुलेि मैिर (PM) के कारण र्षाव और उससे र्ायमु डं ल से थर्च्छ नहीं होते।
SMOG = SMOKE+FOG
ओजोन, फॉमास्ल्डहयइड और पेरॉक्सी एसेटयइल नयइट्रेट(PAN) स्द्विीर्क प्रदूर्क होते हैं।
पेरोक्सीएस्सस्टल नयइट्रेट (PAN) के कयरण आख ं , कान, नाक में िलन और श्वशन संर्ंधी समथया
होती है।
प्रयिस्मक प्रदूर्क कयबान मोनो ऑक्सयइड, कयबान डयई ऑक्सयइड, सल्फर डयइऑक्सयइड इत्याकद
स्द्विीर्क प्रदूर्क से अकभकिया करता है तो थमॉग (प्रकयश धूम्र कोहरय) बनिय है र्ह भूरय नयरांगी
होिय है।
पेट्रोल जलने से लेड स्नकलिय है िो कदमाग के कर्कास में र्ाधक होता है।
मोटर कयर और स्सगरेट के अधूरे प्रज्ज्वलन से कयबान मोनोऑक्सयइड (CO) र्नता है।
स्सगरेट की धाँआ ु में कयबान मोनोऑक्सयइड, हयइड्रोजन सयर्नयइड, नयइट्रोजन के ऑक्सयइड,
स्नकोटीन, फॉमास्ल्डहयइड, एिे स्लन और बेंजीन पयर्य जयिय है।
कोर्लय आधयररि स्वद्युि सांर्ांत्र से उप उत्पयद के रूप में फ्लयई एस उत्पन्न होिय है।
र्ाहनों के नए उत्सजान प्रस्िमयन हेिु भूरेलयल सस्मस्ि गस्ठि की गई थी।
50 माइिोन से कम व्यास र्ाले पाकिवकुलेि मैिर के कलए र्ैग किल्िर का उपयोग ककया िाता है।
वयर्ु प्रदूर्ण की रोकियम की र्यांस्त्रक स्वस्ध सयइक्लोन सेपरेटर है।
लयइके न कय स्नमयाण शैवयल और कवक के सहयोग से होता है।
लयइके न प्रदूर्ण कय जैस्वक सूिक होता है यह नगरों के समीप नहीं कनकलता।
राष्रीय र्ायु गणु र्िा सचू काक ं 2014 के अनसु ार एक सख्ं या एक रंग कर्ककरण को सकू चत करता है।
वयर्ु गुणवत्तय सूिकयक ां (AQI) 8 प्रदूर्कों को सकममकलत ककया गया है िो कनमनकलकखत है
पयस्टाकुलेट मैटर10 (PM 10)
PM 2.5
नयइट्रोजन डयइऑक्सयइड

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कयबान मोनोऑक्सयइड
एर्र क्वयस्लटी इडां ेक्स (AQI) में कयबान डयइऑक्सयइड सस्ममस्लि नहीं है।
र्ायु की गणु र्िा को मापने के स्लए स्दल्ली सरकयर ने VAYU नयमक प्रणयली शुरू की।

CCAC – Climate And Clean Air Coalition

यह देश, नागररक और कनिी क्षेत्रों के र्ैकश्वक प्रयास द्वारा प्रदषू ण को कम करने का कायव करता है।
CCAC के अांिगाि 53 देश सस्ममस्लि हैं किसमें मख्ु यत: मीिेन, कयलय कयबान और
क्लोरोफ्लोरोकयबान पर ध्यान कें कित ककया गया है
रेडॉन को मुख्र्िः इनडोर पॉल्र्ूशन के नाम से िाना िाता है।
रेडॉन को फे फडय सबां ांधी रोगों और रक्त कैं सर कय कयरण माना िाता है।
जल प्रदूर्ण
िल में पोर्क ित्वों की मयत्रय बढ जयने के कयरण से शैवयलों का तीव्र कर्कास होता है किसके
कयरण जल में जैव ऑक्सीजन की मयांग (BOD) बढ िाती है इस प्रस्िर्य को सुपोर्ण र्य
र्ूट्रॉस्फके शन कहा िाता है।
BOD को जल प्रदूर्ण मयपने की प्रमुख इकयई माना िाता है।
यकू नकलि और कुछ कीि के कडर्ं अत्यकधक प्रदकू षत या कम ऑक्सीिन मागं में िीकर्त रह सकते हैं इन्हें
प्रदूर्ण जल की सूिक प्रजयस्ि कहा िाता है।
गंगा में BOD की सर्ावकधक मात्रा कानपरु और प्रयागराि में है।
आसेस्नक भूस्मगि जल को प्रदूस्र्ि करने वयलय अजैस्वक प्रदूर्क है।
आसेकनक का मुख्र् स्रोि बेडरॉक होता है किसके कारण ब्लैकफुट नयम की बीमयरी होती है।
सर्ावकधक आसेकनक प्रदकू षत राज्य पकिम र्ंगाल है।
दयमोदर नदी घयटी को जैस्वक मरुथिल के नाम से िाना िाता है।
फ्लोराइड की कमी से फ्लोरोकसस, कुर्र पीठ और नॉक नी नामक र्ीमारी होती है।
िैर् शौचालय प्रणाली में अर्ायर्ीय िीर्ाणु अपकशष्ट पदाथों का कर्खकं डत कर उसे पानी और मीठे में
पररर्कतवत कर देते हैं।
समुद्र कयबान डयइऑक्सयइड के स्लए भांडयरगृह कय कयम करता है।
ज्यादा कार्वन डाइऑक्साइड से अमलीयता में र्रकद्ध होती है और प्रर्ाल कर्रंिन की घिना घकित होती है।
मॉनसनू में भकू म से िलर्ाह तथा अपर्ेकलंग से समिु ी िल में हाकनकारक सेर्ाल प्रथिुकित होता है।
अांिरयाष्ट्ट्रीर् समुद्री सांगठन (IMO) कय मुख्र्यलर् लांदन में है।
अतं रावष्रीय समिु ी संगठन की थियपनय 1948 में हुई थी।
भयरि 1982 में इसकय सदथर् र्ना।

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मृदय और ध्वस्न प्रदूर्ण

डेसीबल ध्वस्न की इकयई कय मयपक है।


ध्वस्न डेसीबल
पत्ते की सरसरयहट 20 डेसीबल
फुसफुस आहट 30 डेसीबल
शयांि कयर्यालर् 40 डेसीबल
सयमयन्र् बयििीि 60 डेसीबल
जेट इज ां न 120 डेसीबल
रॉके ट इज ां न 180 डेसीबल
जेट प्लेन उिरनय 150डेसीबल

ध्वस्न प्रदूर्ण को स्नर्ांस्त्रि करने वयले पौधे को ग्रीन मफलर कहा िाता है।
उर्वरक मरदा र्ायु और िल प्रदषू ण का कारक है।
1953 में कगकलयो और किगलर को पॉलीकथन की खोि के कलए नोर्ेल परु थकार कदया गया।
26 अप्रैल 1986 को र्ि ू े न के िनोस्बल में नयस्भकीर् दुघाटनय हुई थी।
3 स्दसांबर 1984 को भोपयल में स्मियइल आइसोसयइनेट (MIC) के ररसार् के कारण व्यापक त्रासदी
हुई।
नाकभकीय उिाव को उष्मीय प्रदषू ण का कारक माना िाता है।
जैव उपियर
जीवों द्वयरय पर्यावरण से स्वर्ैले पदयिा के स्नष्ट्कयसन को िैर् उपचार कहा िाता है
कै डस्मर्म और लेड जैसे भयरी धयिु कय जैव उपियर नहीं होता है।
िैर् उपचार के कलए जेनेस्टक इज ां ीस्नर्ररांग कय उपर्ोग ककया िाता है इसकी मुख्र्िः दो स्वस्ध है
1. INSITU TECHNIQUE – BIOVENTING, BIOSPARGING,

BIOSTIMULATION, BIOAUGMENTATION
2. EX SITU TECHNIQUE – COMPOSTING, LANDFARMING,

BIOPILES
पयनी की सिह से िेल हटयने के स्लए आर्ल जैपर कय उपर्ोग ककया िाता है।
TERI ने इसकी की खोज 2010 में की थी।

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प्रदूर्ण और रोग

शीशय कय प्रर्ोग थर्चाकलत र्ाहन में एटां ी नॉस्कांग एजेंट के रूप में होता है।
शीशा तंकत्रका तंत्र, मकथतष्क और पाचन तंत्र से संर्ंकधत र्ीमाररयों को उत्पन्न करता है।
कै डस्मर्म – इटयई इटयई – जोडों कय ददा
पयरय – मीनयमयिय – बहरयपन, मयनस्सक िकयन
बेस्ल्डांग, पेंट, रब्बर स्नमयाण प्रस्िर्य. स्जांक और कॉपर गलयने की इकयई के द्वारा सीसय उप उत्पयद
के रूप में कनष्काकसत होता है।
इसके अलार्ा कलपकथिक, मोम इत्याकद में शीशा का उपयोग ककया िाता है।
चाइनीस िाथि िूड में मोनोसोस्डर्म ग्लूटयमैट कय उपर्ोग ककया िाता है।
एथर्ेथिस की धल ू िे िडे के कैं सर का कारण र्नता है।
कार्वन मोनोऑक्साइड के कारण कहमोग्लोकर्न संदषू ण होता है किसके द्वारा कोकशकीय श्वसन की प्रकिया
र्ाकधत होती है।
इथपयि और भयरी उद्योगों के द्वयरय कयबान मोनोऑक्सयइड सल्फर के ऑक्सयइड, नयइट्रोजन के
ऑक्सयइड और कयबान डयइऑक्सयइड गैस उत्पन्न होती है।
एफलयटॉक्सीन फफूांदी द्वयरय उत्पन्न होता है िो कैं सर का कारक है।
थटॉकहोम कन्वेंशन परस्सथटेंट ऑगेस्नक पोल्र्ूटेंट्स (pop) से सांबांस्धि है।
5 माइिोन से छोिे सक्ष्ू म कण िो नाक से न रुके और िे िडों तक पहुचं िाए ऐसे कणों को श्वसनीर्
सक्ष्ू म कण कहते हैं।
स्मशोिैस्लस्मर्य कैं सर एथबेथटस फयइबर से होता है।
यरू ो मानक यरू ोप के र्ाहनों पर लागू होता है।
1992 में प्रिम र्ूरो मयनक 1996 में स्द्वत्तीर् र्ूरो मयनक लयगू हुआ।
1 अप्रैल 2017 से भयरि में बीएस-4 मयनक लागू है।
मयशेलकर सस्मस्ि रयष्ट्ट्रीर् ऑटो फ्र्ूल नीस्ि से सबां ांस्धि है।

अमलीर् वर्या
अमलीर् वर्या कय पीएि मयन 5-6 से कम होता है।
वर्या कय जल पूणाि: शुद्ध नहीं होता क्योंकक वयर्ु में उपस्थिि कयबान डयइऑक्सयइड के घुलने से
कयबास्नक अमल र्नता है।
सल्फर डयइऑक्सयइड और नयइट्रस ऑक्सयइड की अकभकिया के कारण सल्फ्यरू रक अमल और
नाइकरक अमल का कनमावण होता है िो अमलीर् वर्या कय प्रमुख कयरण है।
1. सल्फर डयइऑक्सयइड

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2. नयइट्रोजन
3. नयइट्रस ऑक्सयइड अमल र्षाव के कारण है।

सल्फर डयइऑक्सयइड को िै स्कांग गैस भी कहा िाता है क्योंकक इसके द्वयरय पत्िर िोडय जयिय है।
पूरे स्वश्व में सवयास्धक अमलीर् वर्या नयवे में होती है।
मथरु ा ररिाइनरी के कारण आगरा में अमलीय र्षाव होती है िो तािमहल को प्रदकू षत कर रहा है।
अमल र्षाव के कारण झील जैस्वक रूप से मृि हो िाता है किसके कारण अमलीर् वर्या को लेक
स्कलर भी कहय जयिय है।
अमल वर्या सूिनय कें द्र इग्ां लैंड के मैनिेथटर में कथथत है।

ग्रीन हयउस गैस (GHG)


जॉन फे ररर्र ने 1824 में िीनहाउस गैस की संकल्पना की थी।
प्रमुख ग्रीन हयउस गैस
1. जलवयष्ट्प

2. कयबान डयइऑक्सयइड

3. मीिेन

4. ओजोन

5. नयइट्रोजन ऑक्सयइड

6. क्लोरोफ्लोरोकयबान
आईपीसीसी (IPCC) के अनसु ार ग्रीन हयउस गैस में
1. मीिेन

2. क्लोरोफ्लोरोकयबान

3. नयइट्रस ऑक्सयइड

4. कयबान डयइऑक्सयइड

5. सल्फर हेक्सयफ्लोरयइड

6. नयइट्रोजन ट्रयई फ्लोरयइड को शाकमल ककया गया है।

IPCC – Intergovernmental Panel On Climate Change.


सल्फर डयइऑक्सयइड को ग्रीनहयउस गैस में शयस्मल नहीं ककया िाता लेककन यह अमलीर्
वर्या कय प्रमुख कयरण है।
र्ल्डव मेरोलॉकिकल ऑगेनाइिेशन (WMO) ने कार्वन डाइऑक्साइड की सांिता को पूवा
औद्योस्गक र्ुग के 0.03% तक रखने का लक्ष्य रखा है।
र्ायोगैस, िीर्ाणु अपघिन तथा िगु ाली करने र्ाले पशु मीथेन या मयशा गैस के प्रमुख स्रोि हैं।
धयन के खेि, कोर्ले की खदयन एवां घरेलू पशु मीिेन उत्सजान के मयनवीर् स्त्रोि हैं।

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सोलर फ्लेर्र मे वृस्द्ध जलवयर्ु पररविान के कयरण नहीं होिय।


र्ायमु डं ल में कार्वन डाइऑक्साइड की सािं ता के कारण पादप र्रकद्ध होती है किसे कयबान
फस्टालयइजेशन कहा िाता है।
समय से पर्ू व आम में र्ौर आना िीन हाउस गैस का प्रभार् है।
आईपीसीसी के अनसु ार यकद र्ैकश्वक ताप 2 कडिी सेकल्सयस र्ढ़ िाता है तो कर्श्व में प्रर्ाल मत्यवता
घकित होगी।
कयबान डयइऑक्सयइड कय उत्सजान
िीन 27 % > अमेररकय> र्ूरोपीर् र्ूस्नर्न
भूटयन स्वश्व कय स्सफा कयबान नेगेस्टव देश है।
ग्रीन हयउस गैस के प्रभयव को कम करने के कलए 1997 में क्र्ोटो प्रोटोकोल ककया गया।
16 फरवरी 2005 से क्र्ोटो प्रोटोकॉल प्रभयवी हुआ।
1. CDM – Clean Development Mechanism

2. Carbon Credit

3. CER – Certified Emission Reduction

4. Carbon Tax

कय सांबांध क्र्ोटो प्रोटोकोल से है।


कार्वन डाइऑक्साइड की तल ु ना में मीथेन की ग्लोर्ल र्ाकमिंग पोिेंकशयल ज्यादा होती है।
GREENHOUSE GAS PROTOCOL = World Resource Institute +
World Business Council On Sustainable Development की वैस्श्वक पहल है।
र्न गैस कार्वन भागीदारी सुकर्धा (GCF) को र्ल्डव र्ैंक की पहल से िनू 2008 में शरूु ककया
गया िो स्वकयसशील देशों को ग्रीन हयउस गैस के प्रभयव को कम करने में स्वत्तीर् मदद देता
है।
29 जनवरी 2000 को कयटयाजेनय प्रोटोकॉल को लागू ककया गया।
कयटयाजेनय प्रोटोकॉल 11 स्सिांबर 2003 से प्रभयवी है।
कयटयाजेनय प्रोटोकॉल जैव स्वस्वधिय पर आधयररि सस्ां ध कय परू क प्रोटोकॉल है।
यह स्लस्वांग मोस्डफयइड ऑगेनयइज्मस (LMO) के हर्यपयर द्वारा उत्पन्न सभं ाकर्त खतरों
से जैव स्वस्वधिय की रक्षय करता है।
नयगोर्य प्रोटोकोल को 12 अक्टूबर 2014 से लयगू ककया गया।
नागोया जयपयन में स्थिि एक शहर है।
यह प्रोिोकॉल जैव स्वस्वधिय पर आधयररि सस्ां ध कय परू क है।
इसके अतं गवत आनुवांस्शक सांसयधन ििय उससे स्मलने वयले लयभ कय स्नष्ट्पक्ष बाँटवयरय सदथय
देशों के र्ीच ककया िाता है।

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प्रमुख अांिररयष्ट्ट्रीर् जलवयर्ु सांस्धर्यां वर्ा प्रमुख िथ्र्

जलवयर्ु सांस्ध वर्ा प्रमुख िथ्र्


थटॉकहोम कन्वेंशन 1972 मयनव पर्यावरण सममेलन
IPCC 1988 ऑन क्लयइमेट िेंज
अिा सस्ममट (ररर्ो में) 1992 UNFCCC कय गठन

UNFCCC – र्ूनयइटेड नेशांस फ्रेमवका कन्वेंशन ऑन क्लयइमेट िेंज


COP 1 1995 बस्लान
क्र्ोटो प्रोटोकोल 1997 ग्रीन हयउस गैस के प्रभयव को कम करने
के स्लए

MOP1 – MINISTER ON PARTIES 2005 क्र्ोटो प्रोटोकोल प्रभयवी पहली प्रस्िबद्धिय


सीमय 2008 – 12
बयली एक्शन प्लयन 2007
कोपेनहेगन समझौिय 2009 2020 िक 100 स्बस्लर्न डॉलर कय लक्ष्र्
कयनकुन समझौिय 2010 ग्रीन क्लयइमेट फांड पर सहमस्ि
दोहय वयिया 2010

क्र्ोटो प्रोटोकॉल कय स्द्विीर् िरण 2013 – 20


वसयार् सममेलन 2013 UNREDD+की सथां िुस्ि
लीमय वयिया 2014 COMMON BUT DIFFERENCE
RESPONSIBILITY से सांबस्ां धि
पेररस समझौिय 2015 वैस्श्वक ियपन पूवा औद्योस्गक थिर से 2 स्डग्री सेस्ल्सर्स से
अस्धक नहीं।
ग्रीन क्लयइमेट फांड (GCF) – स्वकयसशील देशों को पर्यावरण अनक ु ू लन एवां न्र्नू ीकरण
प्रस्िर्य में सहयर्िय देिय है।
वल्डा वयइड फांड (WWF) फॉर नेिर द्वयरय मयिा के अांस्िम शस्नवयर को अिा आवर मनयर्य जयिय
है।

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नेशनल क्लयइमेट एक्शन प्लयन

30 जून 2008 से लयगू ककया गया।


इसके अतं गवत पर्यावरण प्रदूर्ण को कम करने के स्लए ऊजया के वैकस्ल्पक स्रोिों पर ध्र्यन कदया
गया।
इस र्ोजनय में 8 स्मशन सस्ममस्लि है जो स्नमनस्लस्खि है
1. रयष्ट्ट्रीर् सोलर स्मशन

2. नेशनल स्मशन फॉर इनहयन्स एनजी एस्फस्शएस ां ी


3. सिि पर्यावयस पर रयष्ट्ट्रीर् स्मशन

4. रयष्ट्ट्रीर् जल स्मशन

5. नेशनल स्मशन फॉर सथटे स्नांग स्हमयलर्न इको स्सथटम

6. नेशनल स्मशन फॉर ग्रीन इस्ां डर्य

7. नेशनल स्मशन फॉर सथटे नेबल एग्रीकल्िर

8. नेशनल स्मशन ऑन थट्रै टेस्जक नॉलेज फॉर क्लयइमेट िें ज

इिं ेंडेड नेशनल कडिरमाइडं कंरीब्यशू न (INDC) – नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेि चेंि के अतं गवत
र्न एर्ं र्रक्ष लगाकर कार्वन कसक
ं को र्ढ़ार्ा देता है।

पर्यावरण और सिि स्वकयस

वयर्मु डां ल में प्रमख


ु गैस से (घटिे िम में)
नयइट्रोजन > ऑक्सीजन > आगान > कयबान डयइऑक्सयइड > स्नर्ॉन > स्हस्लर्म
सिि स्वकयस के स्लए 5 जून 1972 को थटॉकहोम सममेलन आयोकित ककया गया किसके उपलक्ष में
प्रत्र्ेक वर्ा 5 जून को स्वश्व पर्यावरण स्दवस मनयर्य िाता है।
स्वश्व पर्यावरण स्दवस की शुरुआि 5 जून 1973 से हुई।
1992 में ियजील के शहर ररर्ो में अांिरयाष्ट्ट्रीर् अिा सस्ममट कय आर्ोजन ककया गया।
इस सममेलन में ग्लोबल एनवयर्रमेंट फै स्सस्लटी (GEF) की थियपनय की गई।
ग्लोबल एनवयर्रमेंट फै स्सस्लटी (GEF) को UNDP, UNEP, WB, ADB िैसी 18
सथं थाओ ं से स्वत्तीर् सहयर्िय कमलती है।
कर्श्व के 183 देश र्ैकश्वक पयावर्रण की चनु ौती से कनपिने के कलए ग्लोर्ल एनर्ायरमेंि
िै कसकलिी के सदथय हैं।
CBD,UNFCCC, UNCCD, POP और मीनय मयिय जैसी सांस्धर्ों के स्लए इस सांथिय
द्वयरय कम स्वकयसशील देशों को स्वत्त की आपूस्िा की जयिी है।

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अतं रराष्रीय अथव सकममि के 5 र्षव र्ाद 1997 में सांर्ुक्त रयष्ट्ट्र महयसभय (UNGA) की बैठक न्र्ूर्ॉका
में आर्ोस्जि की गई स्जसे ररर्ो + 5 कय नयम कदया गया।
इस बैठक में पर्यावरण के सिि स्वकयस के स्लए एजेंडय 21 कनकित ककया गया।
ररर्ो + 10 कय आर्ोजन दकक्षण अफ्रीका के शहर िोहांसर्गव में कसतंर्र 2002 में आयोकित की गई।
ररर्ो प्लस 20 कय आर्ोजन 2012 में ियजील के शहर ररर्ो डी जनेररर्ो में आयोकित ककया गया।

सांथिय/कयनून मुख्र्यलर् थियपनय वर्ा


NEERI नयगपुर 1958
अिां ररयष्ट्ट्रीर् मौसम स्जनेवय 1951
सांथियन
UNEP नैरोबी (के न्र्य) 1972
इस्ां डर्न वयइल्डलयइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972
दी वॉटर (प्रीवेंशन एडां कांट्रोल) आफ पॉल्र्ूशन एक्ट 1974
दी एर्र (प्रीवेंशन एडां कांट्रोल) आफ पॉल्र्श ू न एक्ट 1981
रयष्ट्ट्रीर् पर्यावरण सांरक्षण अस्धस्नर्म 1986
जेनेस्टक इज ां ीस्नर्ररगां अप्रेजल कस्मटी 1986
दी बयर्ोलॉस्जकल डयर्वस्साटी एक्ट 2002

वैकस्ल्पक ऊजया

ु राष्र द्वारा 2014 – 24 को “सभी के स्लए सिि ऊजया कय दशक” घोस्र्ि ककया गया है।
संयक्त
जीवयश्म ईधन ां ऊजया के अनवीकरणीर् स्रोि है।
कोर्लय, पेट्रोस्लर्म, प्रयकृस्िक गैस को जीवयश्म ईधनां की श्ेणी में रखा िाता है।
कोर्लय, पेट्रोस्लर्म, प्रयकृस्िक गैस एवां परमयणु ऊजया की अपेक्षा िलकर्द्यतु धारणीय कर्द्यतु उत्पादन
के साधन है।
कुल ऊिाव उत्पादन में नवीकरणीर् ऊजया कय र्ोगदयन 21.21% है।
कुल ऊजया नवीकरणीर् उत्पयदन में स्वस्भन्न स्रोिों कय र्ोगदयन घटिे िम
पवन > सौर ऊजया >जैव ऊजया >लघु पनस्बजली
फोटोवोस्ल्टक िकनीक द्वयरय सूर्ा के प्रकयश को सौर ऊजया में बदलय जय सकिय है।
सौर ऊजया को भस्वष्ट्र् कय इधां न कहा िाता है।
जवयहरलयल नेहरू सोलर स्मशन 11 जनवरी 2010 को शरू ु ककया गया।
वर्ा 2022 िक 20000 मेगयवयट सौर ऊजया उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

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घरेलू अांश आवश्र्किय (DCR) का संर्ंध सौर शकक्त उत्पादन से है।


अांिररयष्ट्ट्रीर् सौर गठबांधन (ISA) के सदथर् कका रेखय और मकर रेखय के बीि स्थिि सभी
देश हैं।
30 कदसंर्र 2015 को पेररस क्लयइमेट कन्वेंशन में इसकी थथापना की गई।
ISA के सांथियपक सदथर्ों में भयरि और फ्रयांस शाकमल है।
इसकी प्रिम बैठक 11 मयिा 2018 को नई स्दल्ली में हुई।
ISA का मख् ु र्यलर् गरुु ग्रयम हररर्यणय में कथथत है।
इसके अतं गवत 2030 िक सौर ऊजया उपलब्ध करयने हेिु 100 स्बस्लर्न डॉलर कय लक्ष्र् कनधावररत
ककया गया है।
सौर ऊजया के उत्पयदन में कोस्च्ि कय प्रिम थथान है।
र्ायोमास में सौर ऊिाव अप्रत्यक्ष रूप से होती है।
िैर् ईधन
ं र्ायोडीिल (िेरोिा) से र्नता है।
करंि, महुआ और नीम भी िैर् इधं न के स्रोत हैं।
जैव इधां न, जीवयश्म ईधन ां की िुलनय में लयगि प्रभयवी नहीं होिय है।
प्रोड्र्ूसर गैस के मख्ु य स्रोि कयबान मोनोऑक्सयइड, हयइड्रोजन है।
फ्र्ूल सेल हयइड्रोजन और ऑक्सीजन से समृद्ध होता है किसका उपर्ोग स्वद्यिु उत्पयदन में ककया
िाता है।
फ्र्ूल सेल से स्वद्यिु उत्पयदन के दौरयन बयर्प्रोडक्ट के रूप में ऊष्ट्मय एवां जल कय स्नष्ट्कयसन होता
है।
पयरांपररक एथफयल्ट (डयमर) के स्वपरीि बयर्ो एथफयल्ट जीवयश्म ईधन ां पर आधयररि नहीं होिय र्ह
जैव अपस्शष्ट से स्नस्माि होिय है।
जैस्वक उत्पयदन के स्लए रयष्ट्ट्रीर् कयर्ािम वयस्णज्र् एवां उद्योग मांत्रयलर् द्वयरय स्कर्य जय रहय
है।
कृस्र् और प्रसांथकृि खयद उत्पयद स्नर्याि स्वकयस प्रयस्धकरण (APEDA) इसके सस्िवयलर्
के रूप में कयर्ा करिय है।
बयर्ोगैस के मुख्र् घटक कयबान डयइऑक्सयइड और मीिेन है।
भारत में भूियपीर् ऊजया के प्रमुख क्षेत्र स्नमनस्लस्खि है
स्हमयलर्, खांभयि की खयडी, सोन नमादय ियप्ती बेसीन, पस्िमी घयट, गोदयवरी और महयनदी
बेस्सन।

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गैस मख्
ु र् घटक
प्रोड्र्ूसर गैस CO + N2 + CO2 + H2
WATER GAS CO + H2
बयर्ोगैस CO2 + CH4
WOOD GAS N2 + CO + H2 + CO2 + CH4
SYN GAS CO + H2

जलवयर्ु पररविान पर अिां र-सरकयरी पैनल


(Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC):
IPCC की थियपनय सांर्ुक्त रयष्ट्ट्र पर्यावरण कयर्ािम और स्वश्व मौसम सांगठन द्वयरय वर्ा 1988 में की गई
थी।
यह िलर्ायु पररर्तवन पर स्नर्स्मि वैज्ञयस्नक आकलन, इसके स्नस्हियिा और भस्वष्ट्र् के सभ
ां यस्वि
जोस्खमों के सयि-सयि, अनुकूलन और शमन के स्वकल्प भी उपलब्ध कराता है।
IPCC का मुख्र्यलर् स्िनेवय में कथथत है तथा र्तवमान में इसके 195 सदथय हैं।
सिि् स्वकयस लक्ष्र्

र्षव 2015 में संयक्त


ु राष्र महासभा की 70र्ीं र्ैठक में ‘2030 सिि् स्वकयस हेिु एजेंडय’ के तहत सदथर्
देशों द्वयरय 17 स्वकयस लक्ष्र् अियाि् एसडीजी (Sustainable Development goals-SDGs) तथा
169 प्रर्ोजन अगां ीकृि ककये गए हैं।
‘पर्यावरण ििय स्वकयस पर स्वश्व आर्ोग’ (1983) के अंतगवत बटालैंड कमीशन द्वयरय जयरी ररपोटा
(1987) के अनसु ार–‘आने वयली पीढी की अपनी आवश्र्कियओ ां को पूरय करने की क्षमिय से
समझौिय स्कर्े स्बनय विामयन पीढी की आवश्र्कियओ ां को परू य करने हेिु स्वकयस ही सिि् स्वकयस
है।’
MDGs (Millennium Development Goals)

र्े सांर्ुक्त रयष्ट्ट्र महयसभय द्वयरय वर्ा 2000 में फ्रेम को थवीकयर स्कर्य गर्य िय।
लेस्कन लक्ष्र्ों की 1990 के थिर पर गणनय की गई।
र्े 2015 िक के स्लर्े िे।
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इसके अांिगाि 8 गोल ििय 18 टयरगेट्स रखे गए िे।


17 सिि स्वकयस लक्ष्र् (एसडीजी)

1. गरीबी की पण ू ाि: समयस्प्त


2. भुखमरी की समयस्प्त
3. अच्छय थवयथथ्र् और जीवन थिर
4. गण ु वत्तयपण ू ा स्शक्षय
5. लैंस्गक समयनिय
6. सयफ पयनी और थवच्छिय
7. सथिी और थवच्छ ऊजया
8. अच्छय कयम और आस्िाक स्वकयस
9. उद्योग नवयियर और बुस्नर्यदी ढयांिय कय स्वकयस
10. असमयनिय में कमी
11. स्टकयऊ शहरी और सयमदु यस्र्क स्वकयस
12. स्जममेदयरी के सयि उपभोग और उत्पयदन
13. जलवयर्ु पररविान
14. पयनी में जीवन
15. भूस्म पर जीवन
16. शयांस्ि और न्र्यर् के स्लए सांथियन
17. लक्ष्र् प्रयस्प्त में सयमस्ू हक सयझेदयरी

रयष्ट्ट्रीर् हररि अस्धकरण

रयष्ट्ट्रीर् हररि अस्धकरण की थथापना 18 अक्तूर्र, 2010 को रयष्ट्ट्रीर् हररि अस्धकरण अस्धस्नर्म
2010 के तहत की गई थी।
NGT की थथापना के साथ भारत एक स्वशेर् पर्यावरण न्र्यर्यस्धकरण थियस्पि करने वयलय दुस्नर्य कय
िीसरय (और पहला कर्कासशील) देश र्न गया। इससे पहले के वल ऑथट्रेस्लर्य और न्र्ूिीलैंड में ही ऐसे
स्कसी स्नकयर् की थथापना की गई थी।
NGT की थथापनय कय मख् ु र् उद्देश्र् पर्यावरण सबां ध
ां ी मद्दु ों कय िेिी से स्नपटयरय करनय है, NGT कय
मुख्र्यलर् स्दल्ली में है, िर्कक अन्र् ियर क्षेत्रीर् कयर्यालर् भोपयल, पुणे, कोलकयिय एवां िेन्नई में
स्थिि हैं।

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राष्रीय हररत अकधकरण अकधकनयम के अनसु ार, NGT के कलये यह अकनर्ायव है कक उसके पास आने र्ाले
पयावर्रण सर्ं धं ी मद्दु ों का कनपिारा 6 महीनों के भीतर हो िाए।
NGT पर्यावरण से सांबांस्धि 7 कयनूनों के िहि नयगररक मयमलों की सुनवयई कर सकिय है:

1. जल (प्रदूर्ण स्नवयरण और स्नर्ांत्रण) अस्धस्नर्म, 1974

2. जल (प्रदूर्ण स्नवयरण और स्नर्ांत्रण) उपकर अस्धस्नर्म, 1977

3. वन (सांरक्षण) अस्धस्नर्म, 1980

4. वयर्ु (प्रदूर्ण स्नवयरण और स्नर्ांत्रण) अस्धस्नर्म, 1981

5. पर्यावरण (सांरक्षण) अस्धस्नर्म, 1986

6. पर्यावरण (सांरक्षण) अस्धस्नर्म, 1986

7. जैव-स्वस्वधिय अस्धस्नर्म, 2002

नयगररक प्रस्िर्य सस्ां हिय, 1908 (Code of Civil Procedure 1908) में उकल्लकखत
न्याकयक प्रकिया का पालन करने के कलये NGT र्ाध्य नहीं है।
NGT द्वयरय स्दर्े गए आदेश/स्नणार्/अस्धस्नणार् के स्वरुद्ध सवोच्ि न्र्यर्यलर् में 90
स्दनों के भीिर अपील की जय सकिी है।

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4. प्रयकृस्िक आपदय
आपदय कय अिा
आपदा अचानक होने र्ाली कर्ध्र्ंसकारी घिना को कहा िाता है, किससे व्यापक भौकतक क्षकत
र् िान-माल का नक ु सान होता है।
यह र्ह प्रकतकूल कथथकत है िो मानर्ीय, भौकतक, पयावर्रणीय एर्ं सामाकिक कियाकलापों को
व्यापक तौर पर प्रभाकर्त करती है।
आपदय प्रबांधन अस्धस्नर्म, 2005 में – आपदय से ियत्पर्ा स्कसी क्षेत्र में हुए उस स्वध्वसां , अस्नष्ट,
स्वपस्त्त र्य बेहद गांभीर घटनय से है, जो प्रयकृस्िक र्य मयनवजस्नि कयरणों से र्य दुघाटनयवश अिवय
लयपरवयही से घस्टि होिी है और स्जसमें बहुि बडी मयत्रय में मयनव जीवन की हयस्न होिी है।
इसमें या तो मानर् पीकडत होता है अथर्ा संपकि को हाकन पहुचुँ ती है और पयावर्रण का भारी क्षरण होता है।
यह घिना प्रायः प्रभाकर्त क्षेत्र के समदु ाय की सामना करने की क्षमता से अकधक भयार्ह होती है।

भयरि में आपदय को स्नमन श्रेस्णर्ों में बयाँटय गर्य है-

1. जल एवां जलवयर्ु से जुडी आपदयएाँ : चिर्ात, र्र्ण्डर एर्ं ति ू ान, ओलार्रकष्ट, र्ादल ििना, लू र्
शीतलहर, कहमथखलन, सख ू ा, समिु -क्षरण, मेघ-गिवन र् कर्िली का कडकना|
2. भूस्म सांबांधी आपदयएाँ : भथू खलन, भक ू ं प, र्ांध का िूिना, खदान में आग|
3. दुघाटनय सांबांधी आपदयएाँ: िगं लों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का
िै लार्, प्रमख
ु इमारतों का ढहना, एक साथ कई र्म कर्थिोि, कर्िली से आग लगना, हर्ाई, सडक एर्ं
रेल दघु विनाएुँ|
4. जैस्वक आपदयएाँ : महामाररय, कीिों का हमला, पशओ ु ं की महामाररयॉ, िहरीला भोिन|
5. रासायकनक, औद्योकगक एर्ं परमाणु संर्ंधी आपदाए,ं रासायकनक गैस का ररसार्, परमाणु र्म कगरना।

प्रयकृस्िक आपदय को कम करने पर स्वश्व सममेलन, र्ोकोहयमय, 1994

आपदय/सांकट की स्कथम नोडल मांत्रयलर्


प्राकर कतक और मानर् कनकमवत आपदाएुँ गरह मत्रं ालय
सख
ू ा कर कष मत्रं ालय
कर्मान दघु विनाएुँ नागर कर्मानन मत्रं ालय
रेल दघु विनाएुँ रेल मत्रं ालय

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रासायकनक आपदाएुँ पयावर्रण मत्रं ालय


िैकर्क आपदाएुँ थर्ाथ्य मत्रं ालय
न्यकू क्लयर दघु िव नाएुँ परमाणु ऊिाव कर्भाग

भूकांपीर् जोस्खम क्षेत्र िीव्रिय


क्षेत्र
एमएसके R. SCALE

ट अत्र्स्धक क्षस्ि जोस्खम क्षेत्र IX 8+


सपां ूणा उत्तर-पूवा और जममू एवां कश्मीर, स्हमयिल प्रदेश, उत्तरयि
ां ल, गुजरयि, स्बहयर ििय अडां मयन और
स्नकोबयर द्वीपसमहू के भयग
IV अस्धक क्षस्ि जोस्खम क्षेत्र VIII 7-7.9
जममू एवां कश्मीर, स्हमयिल प्रदेश, पांजयब, हररर्यणय, उत्तरयांिल, उत्तर प्रदेश, स्बहयर, झयरखडां , पस्िम
बांगयल, गुजरयि और महयरयष्ट्ट्र के भयग
III सर्ां ि क्षस्ि जोस्खम क्षेत्र VII 5-6.9
पांजयब, हररर्यणय, उत्तर प्रदेश, स्बहयर, झयरखडां , पस्िम बगां यल, उडीसय, मध्र् प्रदेश, छत्तीसगढ, रयजथियन,
गजु रयि और महयरयष्ट्ट्र के भयग, आध्र
ां प्रदेश, िस्मलनयडु, कनयाटक, के रल और लक्षद्वीप
II स्नमन क्षस्ि जोस्खम क्षेत्र VI 4.9
रयजथियन, मध्र् प्रदेश, छत्तीसगढ, झयरखडां , उडीसय, महयरयष्ट्ट्र, आध्र
ां प्रदेश, िस्मलनयडु, कनयाटक और
के रल के भयग

रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबांधन प्रयस्धकरण कय स्वकयस

आपदा प्रर्ंधन प्राकधकरण को राष्रीय प्राथकमकता का महत्त्र् देते हुए भारत सरकार ने अगथत 1999 में
एक उच्चाकधकार प्राप्त कमेिी और र्षव 2001 के गिु रात भक ू ं प के र्ाद एक राष्रीय कमेिी का गठन
आपदा प्रर्धं न योिनाओ ं पर तैयारी की कसफ़ाररश करने और प्रभार्ी शमन सझु ाने हेतु ककया।

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दसर्ीं पंचर्षीय योिना के अकभलेख में भी प्रथम र्ार आपदा प्रर्ंधन पर एक कर्थतरत अध्याय है।
र्ारहर्ें कर्ि आयोग को भी आपदा प्रर्धं न हेतु कर्िीय प्रर्धं की समीक्षा हेतु अकधदेश कदया गया था।
23 स्दसबां र, 2005 को भयरि सरकयर ने आपदय प्रबध ां न अस्धस्नर्म र्नाया किसमें प्रधयनमत्रां ी के
नेिृत्व में एक रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबांधन प्रयस्धकरण (NDMA), और सांबद्ध मुख्र्मांस्त्रर्ों के
नेिृत्व में रयज्र् आपदय प्रबांधन प्रयस्धकरणों (SDMAs) की थियपनय की पररकल्पना भारत में
आपदा प्रर्धं न का नेतत्र र् करने और उसके प्रकत एक समि र् एकीकर त दृकष्टकोण कायावकन्र्त करने हेतु
की गई।

रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबांधन प्रयस्धकरण के कयर्ा ििय उत्तरदयस्र्त्व

1. रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबांधन र्ोजनय को थवीकृस्ि देनय।


2. आपदय प्रबांधन हेिु नीस्िर्याँ िैर्यर करनय।
3. रयष्ट्ट्रीर् र्ोजनय के अनसु यर कें द्र सरकयर के मत्रां यलर्ों र्य स्वभयगों द्वयरय बनयई गई र्ोजनयओ ां
को थवीकृि करनय।
4. ऐसे स्दशय-स्नदेश िैर्यर करनय स्जनकय अनुसरण कर रयज्र् के प्रयस्धकयरी रयज्र् र्ोजनय िैर्यर
कर सकें ।
5. ऐसे स्दशय-स्नदेश िैर्यर करनय स्जनकय अनुसरण कें द्रीर् सरकयर के मांत्रयलर्ों र्य स्वभयगों द्वयरय
आपदय रोकियम के उपयर्ों को एकीकृि करने र्य आपदय प्रभयवों के शमन हेिु अपनी
स्वकयस र्ोजनयओ ां ओर पररर्ोजनयओ ां में स्कर्य जय सके ।
6. आपदय प्रबांधन नीस्ि एवां र्ोजनय के प्रविान और कयर्यान्वर्न में समन्वर् करनय।
7. शमन के स्लर्े स्नस्धर्ों के प्रयवधयन की स्सफ़यररशें करनय।
8. अन्र् ऐसे देशों को जो स्क बडी आपदयओ ां से प्रभयस्वि होिे हैं, ऐसी सहयर्िय देनय जो कें द्रीर्
सरकयर द्वयरय स्नधयाररि की गई है ।
9. भर्यवह आपदय स्थिस्िर्ों र्य आपदयओ ां से स्नपटने हेिु रोकियम र्य शमन र्य िैर्यरी और
क्षमिय स्नमयाण के ऐसे अन्र् उपयर् अपनयनय स्जन्हें वह आवश्र्क समझे।
10. रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबधां सथां ियन की कयर्ापद्धस्ि हेिु हर्यपक नीस्िर्याँ और स्दशय-स्नदेश िैर्यर
करनय।

राष्रीय आपदा मोचन र्ल (NDRF) आपदा मोचन हेतु एक कर्शेषीकर त र्ल है और यह NDMA के
समि पयवर्ेक्षण और कनयंत्रण में कायव करता है।

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रयष्ट्ट्रीर् आपदय प्रबांधन र्ोजनय (NDMP)

प्रधानमत्रं ी नरेनि् मोदी ने 1 िनू , 2016 को रयर्ट्र् ीर् आपदय प्रबध


ां न र्ोजनय (NDMP) िारी
की थी। देश में पहली र्ार इस तरह की राषर् ीय योिना तैयार की गई है।
मख्
ु र् स्वशेर्ियएां
NDMP आपदा िोकखम घिाने के कलये प्रमख
ु तः सेंडयई फ्रेमवका में तय ककये गए लक्षय् ों और
प्राथकमकताओ ं के साथ तालमेल करता है।

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5. रयष्ट्ट्रीर् थवयथथ्र् नीस्िऔर कयर्ािम


राष्रीय थर्ाथ्य कमशन की र्षव 2013 में शरुु आत की गई थी।
र्षव 2018 में राष्रीय थर्ाथ्य कमशन को माचव, 2020 तक िारी रखने का कनणवय कलया गया।
रयष्ट्ट्रीर् थवयथथ्र् स्मशन में ियर घटक शयस्मल हैं-
1. रयष्ट्ट्रीर् ग्रयमीण थवयथथ्र् स्मशन

2. रयष्ट्ट्रीर् शहरी थवयथथ्र् स्मशन

3. िृिीर्क देखभयल कयर्ािम

4. थवयथथ्र् ििय स्िस्किस ् य स्शक्षय के स्लर्े मयनव सांसयधन।


राष्रीय थर्ाथ्य कमशन के तहत प्रजनन-मयिृ-नवजयि स्शशु-बयल एवां स्कशोरयवथिय थवयथथ्र्
(Reproductive-Maternal-Neonatal-Child and Adolescent Health- RMNCH+A)
तथा सांियमक व गैर-सांियमक रोगों के दोहरे र्ोझ से कनपिने के कलये ग्रयमीण और शहरी क्षेत्रों में
थवयथथ्र् प्रणयली के सदृु ढीकरण पर ध्र्यन कें स्द्रि ककया िा रहा है।
राष्रीय थर्ाथ्य कमशन का लक्ष्य नय् ायसंगत, र्हनीय और गणु र्िायक ु ् त थर्ाथ्य सेर्ाओ ं तक सार्वभौम
पहुचुँ सकु नकित करना है िो कक लोगों की आर्श्यकताओ ं के प्रकत ज़र्ार्देह एर्ं उिरदायी हो।
राष्रीय थर्ाथ्य कमशन का लक्ष्य कनमनकलकखत संकेतकों की प्राकप्त सकु नकित करना है-
मयिृ मृत्र्ु दर (MMR) को 1/1000 के थिर पर लयनय।
स्शशु मृत्र्ु दर (IMR) को 25/1000 के थिर पर लयनय।
कुल प्रजनन दर (TFR) को कम करके 2.1 पर लयनय।
15-49 वर्ा की मस्हलयओ ां में एनीस्मर्य रोकियम एवां स्नर्त्रां ण।
संिामक और गैर-संिामक रोगों, चोिों तथा उभरते रोगों से होने र्ाली मौतों को कनयकं त्रत करना।
कुल थर्ाथ्य देखभाल खचव में व्यकक्तगत आउि-ऑि-पॉके ि व्यय में कमी लाना।
क्षय रोग के र्ाकषवक मामलों एर्ं मरतय् ु दर को घिाकर आधा करना।
कुष्ठ रोग की हर्यपकिय को <1/10000 के थिर पर लयनय और सभी स्िलों में नए मयमलों को भी
शून्र् िक लयनय।
मलेररर्य के वयस्र्ाक मयमलों को <1/1000 के थिर पर लयनय।
सभी कज़लों में माइिोिाइलेररया की व्यापकता को एक प्रकतशत तक कम करना।

स्शशु मृत्र्ुदर: कशशु मरत्यदु र द्वारा प्रकत 1000 िीकर्त िन्मे र्च्चों में से एक र्षव से कम उम्र के र्च्चों की
मौत की संख्या को प्रदकशवत करता है।
मयिृ मृत्र्ुदर: यह गभावर्थथा या उसके प्रर्ंधन से संर्ंकधत ककसी भी कारण से (आककथमक या
अप्रत्याकशत कारणों को छोडकर) प्रकत 100,000 िीकर्त िन्मों में मातर मरत्यु की र्ाकषवक सख्ं या है।

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जन्मदर: िन्मदर से तात्पयव प्रकत र्षव 1000 व्यकक्तयों पर िीकर्त कशशओ ु ं की कुल संख्या से है।
मृत्र्ुदर: मरत्यदु र से तात्पयव प्रकत 1000 िीकर्त िन्मे कशशओ
ु ं में से 1 र्षव या इससे कम उम्र के कशशओ
ु ं
की कुल संख्या से है।

जननी सरु क्षय र्ोजनय


जननी सुरक्षय र्ोजनय (Janani Suraksha Yojana-JSY) मयियओ ां और नवजयि स्शशुओ ां की
मृत्र्ु दर को कम करने के स्लर्े भारत सरकार के राष्रीय िामीण थर्ाथ्य कमशन (National Health
Mission-NHM) द्वारा चलाया िा रहा एक सरु कक्षत मातरत्र् हथतक्षेप (safe motherhood
intervention) है।
रयष्ट्ट्रीर् ग्रयमीण थवयथथ्र् कमशन के अतं गवत प्रिनन एर्ं कशशु थर्ाथ्य कायविम के तहत मयिय एवां स्शशु
की मृत्र्ु दर को घटयनय प्रमुख लक्ष्र् रहा है।
यह योिना 12 अप्रैल, 2005 में गरीब गभाविी मस्हलयओ ां के र्ीच सथां ियगि प्रसव को बढयवय देने
के स्लर्े शुरू की गई।
JSY एक 100% कें द्र प्रयर्ोस्जि योिना है और प्रसव एवां प्रसव उपरयांि देखभयल हेिु नकद
सहयर्िय प्रदयन करिी है।
इस र्ोजनय की सफलिय को गरीब पररवयरों के बीि सांथियगि प्रसव में वृस्द्ध दर द्वयरय स्नधयाररि
स्कर्य िाता है।
उद्देश्र्
योिना का उद्देश्य गरीर् गभवर्ती मकहलाओ ं को पांजीकृि थवयथथ्र् सांथियओ ां में प्रसव के स्लर्े
प्रोत्सयस्हि करना है।
िर् र्े िन्म देने के कलये ककसी अथपताल में पंिीकरण कराते हैं, तो गभवर्ती मकहलाओ ं को प्रसर् के कलये
भगु तान करने के कलये और एक प्रोत्सयहन प्रदयन करने के स्लर्े नकद सहयर्िय दी िाती है।

आशय की भूस्मकय
कनमन प्रदशवन करने र्ाले राज्यों में JSY के तहत लाभों का उपयोग करने के कलये गरीर् गभवर्ती
मकहलाओ ं की मदद हेतु ‘आशा’ मान्यता प्राप्त सामाकिक थर्ाथ्य कायवकताव की भकू मका अहम् होती है।
1. अपने क्षेत्र में उन गभवर्ती मकहलाओ ं की पहचान करना िो इस योिना से लाभ के कलये पात्र हैं।
2. गभवर्ती मकहलाओ ं को संथथागत प्रसर् के लाभों के र्ारे में र्ताना।
3. गभवर्ती मकहलाओ ं की पिं ीकरण में मदद करना और कम-से-कम 3 प्रसर् पर्ू व िाुँच प्राप्त करना,
किसमें कििनेस के इिं ेक्शन एर्ं आयरन िोकलक एकसड की गोकलयाुँ शाकमल हैं।

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4. JSY काडव और र्ैंक खाता सकहत आर्श्यक प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में गभवर्ती मकहलाओ ं की सहायता
करना।
5. गभवर्ती मकहलाओ ं के कलये अलग-अलग सक्ष्ू म िन्म योिना तैयार करना, किसमें उन कनकिर्ती
थर्ाथ्य संथथाओ ं की पहचान करना शाकमल है िहाुँ उनको प्रसर् के कलये भेिा िा सकता है।
6. िीर्ी के कखलाि BCG िीकाकरण सकहत, नर्िात कशशओ ु ं के कलये िीकाकरण की व्यर्थथा करना।
7. प्रसर्ोिर यात्रा के कलये िन्म के 7 कदनों के भीतर मकहलाओ ं से कमलना।
8. पररर्ार कनयोिन को र्ढ़ार्ा देना

प्रधयनमांत्री मयिृ वांदनय र्ोजनय

PMMVY एक मयिृिव् लयभ कयर्ािम है, जो 01 जनवरी, 2017 से देश के सभी स्िलों
में लयगू स्कर्य जय रहय है।
इस योिना के तहत मातरतर्् और र्ाल थर्ाथ्य से संर्ंकधत कर्कशषि् शतों को परू ा करने र्ाले पररर्ारों के
पहले िीकर्त र्चच् े के िनन पर गभवर्ती मकहलाओ ं और थतनपान कराने र्ाली माताओ ं के र्ैंक/पोसि्
ऑकिस खाते में 5,000 रुपए की नकद प्रोतस् ाहन राकश प्रदान की िाती है।
यह योिना मस्हलय एवां बयल स्वकयस स्वभयग और समयज कलर्् यण स्वभयग के मयधर्् म से िलयई
िा रही है।
इस योिना के कलये कें िीय मकहला एर्ं र्ाल कर्कास मत्रं ालय द्वारा रािय् ों/कें िशाकसत प्रदेशों मे सच
ं ाकलत
आुँगनर्ाडी सकर्वसेज़ सक ् ीम ऑि अमब्र् ेला (Anganwadi Services Scheme of Umbrella
ICDS) के पल ् ेटफॉमा कय उपर्ोग स्कर्य जय रहय है।

आई.सी.डी.एस. र्ोजनय के अांिगाि शयस्मल उपर्ोजनयएाँ हैं:

1. आांगनवयडी सेवय
2. स्कशोरी र्ोजनय
3. बयल सांरक्षण सेवय
4. रयष्ट्ट्रीर् स्शशु गृह र्ोजनय
स्वत्तीर् आवटां न
सभी रयजर्् ों ििय स्वधयनमांडल वयले सांघ रयजर्् क्षेत्रों के स्लर्े 60-40 स्वत्तीर् आवांटन।
पूवोत्तर ििय स्हमयलर्न रयजर्् ों के स्लर्े 90:10।
स्वधयनमांडल रस्हि सांघ रयज्र् क्षेत्रों के स्लर्े 100 प्रस्िशि।

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उद्देश्र्

कुपोषण, रक्ताल्पता तथा िन्म के समय र्च्चों में कम र्ज़न की समथया का समाधान करना।
ककशोररयों का सशक्तीकरण सकु नकित करना।
काननू का उल्लघं न करने र्ाले र्च्चों को सरं क्षण प्रदान करना।
कामकािी माताओ ं के र्च्चों की देख-रेख हेतु सरु कक्षत थथान की व्यर्थथा करना।
र्ेहतर कनगरानी सकु नकित करना।
समय पर कायवर्ाही के कलये नकारात्मक अलिव िारी करना।
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को र्ेहतर कनष्पादन के कलये प्रोत्साकहत करना।
कनधावररत लक्ष्य को प्राप्त करने एर्ं अकधक पारदकशवता लाने हेतु संर्ंकधत मत्रं ालय तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों
का मागवदशवन एर्ं पयवर्ेक्षण करना।
लयभयिी
इस सक ् ीम के अतं गवत 11 करोड से अकधक र्चच् ों, गभवर्ती मकहलाओ,ं सत् नपान कराने र्ाली माताओ ं के
अकतररक्त ककशोर यर्ु कतयों को लाभ प्रदान करने का प्रयास ककया िाएगा।
कयर्यान्वर्न रणनीस्ि और लक्ष्र्
आगं नर्ाडी सेर्ा (आईसीडीएस) और र्ाल संरक्षण सेर्ा परू े देश में पहले से ही चल रही है। ककशोरी
योिना का चरणर्द्ध ढंग से कर्थतार ककया िाएगा।

लक्ष्र् कयर्ािम

थवयथथ्र् एवां पररवयर कल्र्यण मांत्रयलर् के ‘लक्ष्य कायविम’ (Labour room Quality
Improvement Initiative-LaQshya) का उद्देश्य प्रसकू त गरह और प्रसकू त शल्य कचककत्सा कक्ष
देखभाल की गणु र्िा में सधु ार करना है।
लक्ष्र्:
इस कयर्ािम से मयिृ एवां नवजयि अथवथििय ििय मृत्र्ु दर में कमी आएगी, प्रसकू त के
दौरान एर्ं उसके र्ाद की देखभाल की गणु र्िा में सधु ार होगा और सार्विकनक थर्ाथ्य कें िों में सभी
गभवर्ती मकहलाओ ं को सममानपणू व मातरत्र् देखभाल की सकु र्धा प्राप्त होगी।
उद्देश्र्:
मयिृ और नवजयि मृत्र्ु दर और अथवथििय को कम करना।
प्रसकू त तथा इसके तरु ंत र्ाद की अर्कध में देखभाल की गणु र्िा में सधु ार, िकिलताओ ं को सभं ालना
और समय पर रेिरल सकु नकित करना तथा एक प्रभार्ी दो-तरफ़ा अनर्ु ती प्रणाली को सक्षम र्नाना।

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सभी गभाविी मस्हलयओ ां को सयवाजस्नक थवयथथ्र् सुस्वधयओ ां में सममयननीर् मयिृत्व देखभाल
की सकु र्धा प्रदान करना।

आर्ुष्ट्मयन भयरि र्ोजनय

आयष्ु मान भारत योिना भारत सरकार की एक प्रमख ु योिना है किसे र्स्ू नवसाल हेल्ि कवरेज
(Universal Health Coverage-UHC) के उद्देश्य की प्राकप्त हेतु राष्रीय थर्ाथ्य नीकत 2017 द्वारा
की गई अनश ु सं ा के आधार पर लागू ककया गया था।
आर्ष्ट्ु मयन भयरि के िहि दो अिां र-सबां स्ां धि घटकों से यक्त
ु देखभाल के दृकष्टकोण को अपनाया गया है,
िो हैं-
1. थवयथथ्र् और कल्र्यण कें द्र (HWCs)

2. प्रधयनमांत्री जन आरोग्र् र्ोजनय (PM-JAY)

इस र्ोजनय कय उद्देश्र् प्राथकमक, माध्यकमक और तरतीयक थतरों पर थर्ाथ्य सेर्ा प्रणाली की र्ाधाओ ं
को समाप्त करना है। साथ ही इस र्ोजनय के मयध्र्म से देश की 40 प्रस्िशि जनसांख्र्य को थवयथथ्र्
कवर के दयर्रे में लयने कय भी प्रर्यस स्कर्य िा रहा है।
इसमें थवयथथ्र् एवां पररवयर कलर्् यण मत्रां यलर् के अनषु म् ान कमशन के अतं गवत कें िीय क्षेत्र के घिक
शाकमल हैं।
इस योिना में प्रस्िवर्ा प्रस्ि पररवयर को पयाँि लयख रुपए कय लयभ कवर स्कर्य गर्य है। प्रसत् ाकर्त
योिना के लकक्षत लाभाथी दस करोड से अस्धक पररवयर होंगे। ये पररर्ार एसपीसीसी डािा र्ेस पर
आधाररत गरीर् और कमज़ोर आर्ादी के होंगे।

आयष्ु मान भारत योिना के अतं गवत थर्ाथ्य क्षेत्र की दो प्रमख


ु योिनाएं इस प्रकार से है-
1) थर्ाथ्य एर्ं आरोग्य कें ि की थथापना
2) राष्रीय थर्ाथ्य सरु क्षा योिना

1) थवयथथ्र् एवां आरोग्र् कें द्र की थियपनय- इस योिना का मख्ु य उद्देश्य सकु र्धा से र्कं चतों (गरीर्)
और कमिोर पररर्ारों के कलए व्यापक प्राथकमक देखभाल कें ि प्रदान करना है, िो कक अत्यकधक महगं ी
दर्ाओ ं और िाचं का खचव र्हन नहीं कर सकते है। थर्ाथ्य एर्ं आरोग्य कें ि कन:शल्ु क नैदाकनक सेर्ाओ ं
और आर्श्यक दर्ाओ ं तक पहुचं प्रदान करेगा।
2) रयष्ट्ट्रीर् थवयथथ्र् सुरक्षय र्ोजनय (एनएिपीएस)- इस योिना के अतं गवत देश भर में ककसी भी कनिी
(सचू ीर्द्ध) या सार्विकनक अथपताल में प्रत्येक गरीर् पररर्ारों को पाचं लाख रुपए का थर्ाथ्य र्ीमा
कर्र उपलब्ध कराया िाएगा। यह ककसी भी माध्यकमक और तरतीयक थर्ाथ्य देखभाल सकु र्धा कें ि में

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लाभाथी को नकद रकहत उपचार प्रदान करता है। यह भारत के राज्यों के साथ सहकारी सघं र्ाद के
कसद्धातं पर आधाररत है। इस योिना के कायावन्र्यन के कलए राज्यों को एक राज्य थर्ाथ्य एिेंसी
(एसएचए) थथाकपत करनी होगी।
इसका मख्ु य उद्देश्य गरीर् पररर्ारों के कल्याण पर ध्यान देना है, िो कक कर्िीय र्ाधाओ ं के
कारण उकचत देखभाल और उपचार तक पहुचं ने में कर्िल रहते हैं। यह उममीद है, कक इस योिना के
अतं गवत सौ कमकलयन से अकधक पररर्ारों को लाभाकन्र्त ककया िाएगा। एनएचपीएस कर्श्व की सर्से र्डी
सरकार पोकषत थर्ाथ्य र्ीमा योिना है। राष्रीय थर्ाथ्य सरु क्षा योिना (एनएचपीएस) में पहले से चल
रही राष्रीय थर्ाथ्य र्ीमा योिना और र्ररष्ठ नागररक थर्ाथ्य र्ीमा योिना को भी कमला कदया गया
है।

एनएिपीएस (NHPS) की स्वशेर्ियए-ां

राष्रीय थर्ाथ्य सरु क्षा योिना के अतं गवत आने र्ाले हर पररर्ार को पाचं लाख रूपए का थर्ाथ्य र्ीमा
कदया िाएगा।
राष्रीय थर्ाथ्य सरु क्षा योिना (एनएचपीएस) का खचव (र्ीमा के कलए र्ाकषवक प्रीकमयम) कें ि और राज्य
सरकारें कमल कर र्हन करेंगी।
राज्यों र् कें ि शाकसत प्रदेशों को भी अपने यहां इस योिना को सचं ाकलत करने के कलए राज्य थर्ाथ्य
एिेंसी र्नाने को कहा गया है।
इस योिना से सौ कमकलयन से अकधक पररर्ारों को लाभ कमल सकता है (किसमें भारत की आर्ादी का
40% से अकधक कहथसा शाकमल है)।

प्रधयनमांत्री थवयथथ्र् सुरक्षय र्ोजनय (पीएमएसएसवयई)


प्रधानमत्रं ी थर्ाथ्य सरु क्षा योिना (पीएमएसएसर्ाई) का उद्देश्य सामान्य रूप से देश के कर्कभन्न भागों में
थर्ाथ्य देख-रेख की सथती सकु र्धाओ ं की उपलब्धता में असतं ल ु न दरू करना और खासकर कमिोर
राज्यों में गणु र्त्तापणू व कचककत्सा कशक्षा के कलए सकु र्धाओ ं को र्ढ़ाना है। इस योिना को माचव, र्षव
2006 में थर्ीकर कत प्रदान की गयी थी।
पीएमएसएसर्ाई के पहले चरण के दो घिक हैं– 1. अकखल भारतीय आयकु र्वज्ञान कचककत्सा संथथान
(एमस) के थतर के छह सथं थानों की थथापना और 2. मौिदू ा तेरह सरकारी कचककत्सा कॉलेि सथं थानों का
उन्नयन।
एमस थतर के छह संथथान कनमन थथानों पर थथाकपत ककए िाएगं े – कर्हार में पिना, छत्तीसगढ़ में रायपरु ,
मध्य प्रदेश में भोपाल, ओकडशा में भर्ु नेश्र्र, रािथथान में िोधपरु और उत्तराखडं में षकषके श।

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पीएमएसएसर्ाई के दसू रे चरण में सरकार ने एमस थतर के और दो संथथान खोलने की भी मिं रू ी दी है।
इनमें से एक पकिम र्गं ाल में और दसू रा उत्तर प्रदेश में होगा।
प्रधयनमत्रां ी थवयथथ्र् सरु क्षय र्ोजनय

यह थर्ाथ्य और पररर्ार कल्याण मत्रं ालय की एक प्रमख


ु योिना है।
पीएमएसएसर्ाई की घोषणा 2003 में की गई थी।
उद्देश्र्
देश के कर्कभन्न भागों में सथती और कर्शर्् सनीय सर्् ासथ् य् सकु र्धाओ ं की उपलर्ध् ता की कर्सगं कतयों को
दरू करना।
कर्शेष रूप से अकर्ककसत राज्यों में गणु र्िापणू व और र्ेहतर कचककत्सीय कशक्षा के कलये सकु र्धाओ ं का
कर्थतार करना।
देश के कर्कभन्न भागों में तरतीयक थर्ाथ्य सेर्ा सकु र्धाओ ं की उपलब्धता में असंतल ु न को ठीक करना।
पीएमएसएसवयई के दो घटक हैं:
एमस (AIIMS) िैसे संथथानों की थथापना।
राज्य सरकार के र्तवमान मेकडकल कॉलेिों का उन्नयन (Upgradation)

स्मशन इद्रां धनुर्

सभी बच्िों और गभाविी मस्हलयओ ां को तीव्रता से संपणू व िीकाकरण कर्रेि प्रदान करने के कलए
कायविम को मज़र्तू र्नाने और पनु : कियाकन्र्त करने करने के कलए भयरि सरकयर ने स्दसबां र वर्ा 2014 में
"स्मशन इद्रां धनुर्" का शभु ारंभ ककया।

कमशन इद्रां धनर्ु कय मख्


ु र् लक्ष्र् दो वर्ा तक की उम्र के सब बच्िों और गभाविी मस्हलयओ ां कय
सभी उपलब्ध टीकों के मयध्र्म से पूणा प्रस्िरक्षण सकु नकित करना है।
भारत सरकार, यआू ईपी/राष्रीय टीकयकरण कयर्ािम में नए टीकों िैसे कक
1. रोटयवयर्रस वैक्सीन,
2. आईपीवी, वर्थक जेई वैक्सीन,
3. न्र्ूमोकोकल सांर्ुग्म वैक्सीन (पीसीवी)
4. खसरय-रूबेलय (एमआर)
5. स्डप्िीररर्य,
6. पटुास्सस,
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7. टेटनस,
8. पोस्लर्ो,
9. खसरय,
10. बिपन में होने वयली िपेस्दक,
11. हेपेटयइस्टस बी,
12. मेस्नन्जयइस्टस और
13. न्र्मू ोस्नर्य (हेमोस्फलस इन्फ्लएू ज
ां य टयइप बी सि
ां मण) कय गभ
ां ीर रूप, जेई थियनीर् स्जले में
जयपयनी एन्सेफलयइस्टस (जेई) से मुकयबलय करने के स्लए टीकयकरण प्रदयन कर रही है।

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6. भयरिीर् अांिररक्ष अनुसांधयन


भारतीय राष्रीय अतं ररक्ष अनसु धं ान सकमकत का गठन 1962 में ककया गया।
इस सकमकत की अध्यक्षता प्रमख ु र्ैज्ञाकनक डॉ कर्िम साराभाई ने ककया।
डॉ स्विम सयरयभयई को भयरिीर् अांिररक्ष कयर्ािम कय जनक कहा िाता है।
भयरिीर् रयष्ट्ट्रीर् अांिररक्ष अनुसांधयन सस्मस्ि कय पुनगाठन कर के 15 अगथि 1969 को भयरिीर्
अिां ररक्ष अनस ु ध
ां यन सगां ठन (ISRO) की थथापना की गई।
भारतीय अतं ररक्ष कायविमों को सचु ारू रूप से संचाकलत करने के कलए अांिररक्ष आर्ोग और अांिररक्ष
स्वभयग कय गठन 1972 में ककया गया।
21 नवबां र 1963 को देश कय पहलय सयउांस्डगां रॉके ट नयइक एपयस को भूमध्र् रेखीर् रॉके ट
प्रक्षेपण कें द्र TERLS से प्रक्षेस्पि स्कर्य गया।

अांिररक्ष में प्रिम भयरिीर्

3 अप्रैल 1984 को थक्वयर्ड्रन लीडर रयके श शमया अतं ररक्ष में िाने र्ाले प्रिम भयरिीर् बने।
वे अन्य दो सोकर्यत अतं ररक्ष याकत्रयों के साथ सोर्जू 2 अांिररक्ष र्यन से कजयस्कथियन में र्ैंकार्रू
कोथमोड्रोम से अतं ररक्ष में गए।
थक्र्ायड्रन लीडर रयके श शमया 11 अप्रैल 1984 को सुरस्क्षि पृथ्वी पर वयपस लौट आए
अिां ररक्ष में मयनव भेजने वयलय भयरि 14वयां रयष्ट्ट्र बनय और थक्वयर्ड्रन लीडर राके श शमाव अतं ररक्ष में
िाने र्ाले 139 र्े अतं ररक्ष यात्री।
अतं ररक्ष में िाने र्ाली भयरिीर् मूल की प्रिम मस्हलय कल्पनय ियवलय िे।
इनकी मरत्यु 1 िरर्री 2003 को अतं ररक्ष यान कोलकं र्या के कमशन sts-107 के र्ातार्रण में पनु ः प्रर्ेश के
कुछ देर पिात नष्ट हो िाने से हो गए।

अांिररक्ष स्वज्ञयन के क्षेत्र की कुछ महत्वपूणा घटनयएां

अिां ररक्ष र्यन वर्ा उपलस्ब्ध


थपूिस्नक 1 अक्टूबर 1957 पूवा सोस्वर्ि सांघ द्वयरय अांिररक्ष में प्रक्षेस्पि सबसे पहलय उपग्रह
थपूिस्नक 2 नवबां र 1957 अिां ररक्ष में जीस्वि कुत्ते लयइकय को ले जयने वयलय पहलय उपग्रह
लूनय 3 अक्टूबर 1959 पहलय अिां ररक्ष र्यन स्जसने िांद्रमय के उस पृष्ठ के स्ित्र भेजे जो पृथ्वी से
स्दखयई नहीं पडिे हैं।

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वोथटॉक 1 अप्रैल 1961 मयनव द्वरय पहली अांिररक्ष र्यत्री पूवा सोस्वर्ि सांघ के र्ूरी गयगररन ने
पृथ्वी कय एक पररिमण 12 अप्रैल 1961 में स्कर्य।
वोथटॉक 6 स्दसबां र 1963 पवू ा सोस्वर्ि सघां की वैलेंटयइनय टेररशकोवय प्रिम मस्हलय अिां ररक्ष र्यत्री
बनी।
लनू य 9 अक्टूबर 1968 िांद्रमय िल पर सफलियपवू ाक उिरने वयलय पहलय अिां ररक्ष र्यन
अपोलो 11 जुलयई 1969 नील आमाथट्रयांग िांद्रमय पर कदम रखने वयलय पहलय मयनव बनय इसके
बयद एडस्मन एल्डररन िांद्रमय की धरिी पर उिरय।
मयसा 2 मई 1971 मगां ल ग्रह पर पहली बयर अिां ररक्ष र्यन कय उिरनय।

अांिररक्ष कें द्र


1. शयर कें द्र श्रीहररकोटय
यह इसरो का प्रमख ु प्रक्षेपण कें ि है िो आध्रं प्रदेश के पर्ू ी ति पर कथथत है इस कें ि में भारतीय प्रक्षेपण
यान के ठोस इधं न रॉके ि के कर्कभन्न चरणों का पर्र्ी पर परीक्षण तथा प्रणोदक का प्रसंथकरण भी ककया
िाता है।
2. इसरो जडत्व प्रणयली इकयई स्िरुअनांिपुरम
इस इकाई का प्रमख ु कायव प्रक्षेपण यान और उपिहों के कलए िडत्र् प्रणाली का कर्कास करना है।
3. भौस्िक अनुसांधयन प्रर्ोगशयलय अहमदयबयद
अतं ररक्ष कर्भाग के अतं गवत कायवरत यह सथं थान अतं ररक्ष और सर्ं द्ध कर्ज्ञान में अनसु धं ान एर्ं कर्कास
करने र्ाला प्रमख ु राष्रीय कें ि है
4. स्विम सयरयभयई अांिररक्ष कें द्र स्िरुअनांिपुरम –
यह कें ि रॉके ि अनसु ंधान तथा प्रक्षेपण यान कर्कास पररयोिनाओ ं को र्नाने और उन्हें कियाकन्र्त करने
में अिणी भकू मका कनभाता है। SLV-3 ,ASLV,PSLV और GSLV का कर्कास इसी कें ि ने ककया है।
5. इसरो उपग्रह कें द्र बगां लरुु ISAC – इस कें ि में उपिह पर योिनाओ ं के कडिाइन कनमावण परीक्षण और
प्रर्ंध कायव संपन्न ककए िाते हैं
6. अांिररक्ष उपर्ोग कें द्र अहमदयबयद SAC
इस कें ि के प्रमख
ु कायों में दरू सचं ार और िेलीकर्िन में उपिह का प्रयोग प्राकर कतक संसाधनों के संरक्षण
और प्रर्ंधन के कलए दरू संर्दे न मौसम कर्ज्ञान भमू ापन पयावर्रण प्रदषू ण आकद शाकमल है।

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भयरि की उपग्रह प्रणयली: इन्सैट, आईआरएस एवां प्रयर्ोस्गक उपग्रह

इसरो ने दो प्रमुख अांिररक्ष प्रणयस्लर्याँ अियाि


1. सि ां यर, टेलीस्वजन प्रसयरण और मौसम सबां ध ां ी सेवयओ ां के स्लए ‘भयरिीर् रयष्ट्ट्रीर् उपग्रह
प्रणयली’ (इन्सैट) ।
इन्सैट में भू-स्थिर (Geo-stationary) उपग्रह शयस्मल हैं
2. सांसयधनों की मॉनीटररांग और प्रबांधन के स्लए ‘भयरिीर् सुदूर सवां ेदी उपग्रह’ (IRS) थियस्पि
की हैं |
आईआरएस में भू-प्रेक्षण (Earth-observatory) उपग्रह शयस्मल हैं

A. भ-ू स्थिर उपग्रह (भयरिीर् रयष्ट्ट्रीर् उपग्रह प्रणयली)

ये भ-ू कथथर कक्षा में थथाकपत उपिह हैं किनकी घण


ू ान अवस्ध पृथ्वी की घण ू ान अवस्ध के समयन होती है |
ये उपिह हमेशय आकयश में एक थियन पर, पृथ्वी के एक भूभयग के ऊपर स्थिर रहते हैं |
भकू थथर कक्षा पृथ्वी से 35780 स्कमी ऊाँियई पर स्थिि होती है किसमें उपग्रह पृथ्वी की भूमध्र् रेखय
के ऊपर उसकी कक्षय में घमू ता है।
प्रकसद्ध कर्ज्ञान कथा लेखक ऑिार सी. क्लयका को भ-ू कथथर उपिह की सक ं ल्पना का श्ेय कदया िाता है।
भ-ू कथथर उपिह, भ-ू काकलक (Geostationary) उपिहों का ही एक कर्कशष्ट प्रकार है जो भू-स्थिर कक्षय
अियाि भूमध्र्रेखय के ऊपर, में थियस्पि होिे हैं |
1983 में इन्सैट-1बी के प्रविान के सयि थथाकपत इस प्रणयली ने भयरि के सांियर क्षेत्र में ियस्न्ि को
जन्म स्दर्य और र्ाद में भी उसे र्नाए रखा।
इस प्रणाली में सी, स्वथियररि सी और के र्ू बैंड ट्रयांसपोंडर दूरसांियर, टेलीस्विन प्रसयरण, मौसम
पवू यानमु यन, आपदय िेियवनी और खोज ििय बियव कयर्ों में सेवयएाँ प्रदयन कर रहे हैं।
कल्पनय-1, एडुसैट आस्द इसी श्रेणी के उपग्रह हैं |

प्रिम पीढी के इनसैट- INSAT 1A, INSAT 1B, INSAT 1C, INSAT 1D
स्द्विीर् पीढी के इनसैट- INSAT 2A, INSAT 2B, INSAT 2C, INSAT 2D, INSAT 2E
िृिीर् पीढी के इनसैट - कुल 5 उपग्रह
ििुिा पीढी के इनसैट - कुल 7 उपग्रह

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B. भू-प्रेक्षण उपग्रह

@ भ-ू प्रेक्षण उपिहों का मख् ु र् उद्देश्र् है, भकू म के र्ारे में भौकतक, रासायकनक तथा िैकर्क सचू ना एककत्रत करना
@ भयरिीर् सुदूर सांवेदन (आईआरएस) उपग्रह प्रणाली भ-ू प्रेक्षण उपिहों पर ही आधाररत है |
@ भयरिीर् सुदूर सांवेदन (आईआरएस) उपग्रह प्रणयली 1988 में आईआरएस-1 ए के प्रमोचन के साथ
आरंभ हुई और आि आईआरएस कर्श्व में र्रहिम नागररक सदु रू सर्ं ेदन उपिह समहू है | @ इससे प्राप्त
आक ं डों का प्रयोग कर कष, िल संसाधन, शहरी कर्कास, खकनि संभार्नाओ,ं पयावर्रण, र्न, सख ू ा और र्ाढ़
के पर्ू ावनमु ान, समिु ी ससं ाधन और आपदा प्रर्धं न आकद में ककया िाता है।

GISAT के बयरे में

GISAT-1 एक कियो इमेकिंग सैिेलाइि है।


यह 36,000 ककमी. दरू कथथत भथू थैकतक कक्षा में थथाकपत ककये िाने र्ाले दो योिनार्द्ध भारतीय EO
अतं ररक्षयानों में से पहला होगा।
इसे एक कनकित थथान पर थथाकपत ककया िाएगा किससे यह हर समय भारतीय महाद्वीप पर नज़र रख सके गा।
ध्यातव्य है कक अभी तक सभी भारतीय पर्र्ी अर्लोकन उपिहों को के र्ल 600 ककमी. की दरू ी की कक्षा में
थथाकपत ककया िाता था, ये उपिह ध्रर्ु -से-ध्रर्ु के र्ीच चक्कर लगाते थे।
GISAT-1 को श्ीहररकोिा उपिह प्रक्षेपण कें ि से लॉन्च ककया िा सकता है।
इसे GSLV MK II के माध्यम से प्रक्षेकपत ककया िाएगा।

कयटोसेट

इसरो (ISRO) ने PSLV-C47 रॉके ि की सहायता से कािोसेि-3 उपिह को आांध्र प्रदेश के श्रीहररकोटय
स्थिि सिीश धवन अांिररक्ष कें द्र से सिलतापर्ू वक प्रक्षेकपत ककया
इस उपिह को पृथ्वी के ऊपर 509 स्कलोमीटर की ऊाँियई पर सूर्ा िुल्र्कयस्लक कक्षय (Sun
Synchronous Orbit) में थियस्पि ककया गया।
इस उपिह का भार 1625 ककलोिाम है िो कक इस र्गव के कपछ्ले सभी उपिहों के भार से दोगनु ा है।
कािोसेि-3 कयटोसेट शृांखलय कय नौवयां उपग्रह है। इस शरंखला का पहलय उपग्रह वर्ा 2005 में प्रक्षेस्पि
स्कर्य गर्य था।

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एमीसैट

इसरो ने एमीसैि समेत 29 उपिहों का एक साथ सिल प्रक्षेपण ककया किसमें 28 कर्देशी उपिह शाकमल हैं।
एमीसैि के ज़ररये सीमा पर दश्ु मन की छोिी-छोिी हरकतों पर भी नज़र रखी िा सकती है।
पहली र्ार इसरो ने एक ही कमशन के दौरान तीन अलग-अलग कक्षाओ ं में सैिेलाइि थथाकपत करने की
उपलकब्ध हाकसल की।
हाल ही में भारत ने अतं ररक्ष की दकु नया में एक नया इकतहास रचा था िर् भारत ने थपेस में एक मकू र्ंग
सैिेलाइि को मारने का सिल परीक्षण ककया था।
भारत उस समय ऐसा करने र्ाला अमेररका, रूस और चीन के र्ाद दकु नया का चौथा देश र्ना था।
एमीसैि के ज़ररये दश्ु मन देशों के रडार कसथिम पर नज़र रखने के साथ ही उनकी लोके शन को भी आसानी से
रैक ककया िा सकता है।
इस सैिेलाइि की मदद से सीमा पर इलेक्रॉकनक या ककसी भी तरह की मानर्ीय गकतकर्कध पर आसानी से
नज़र रखी िा सकती है।
एमीसैि की एक और खाकसयत यह है कक यह दश्ु मन के इलाकों का सही इलेक्रॉकनक नक्शा र्नाने हेतु सिीक
िानकारी देगा।
एडुसैट
एडुसैि को 'िीसैि-3' के रूप में िाना िाता है।
यह पाठशाला थतर से उच्च कशक्षा तक सदु रू कशक्षा के कलए र्ना है।
यह पहला समकपवत "कशक्षा उपिह" है, िो देश भर में शैक्षकणक सामिी के संकर्तरण के कलए कक्षा को उपिह
आधाररत दोतरफ़ा सचं ार उपलब्ध कराता है।
प्रमोचन कदनांक 20 कसतंर्र, 2004
प्रमोचन थथल शार, श्ीहररकोिा, भारत प्र
मोचक रॉके ि िीएसएलर्ी-एफ़01
कक्षा भ-ू कथथर

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आर्ाभट्ट

थर्देशी तकनीक से स्नस्माि प्रिम भयरिीर् उपग्रह आर्ाभट्ट को 19 अप्रैल 1975 को र्एू सएसआर
ने प्रक्षेस्पि ककया।
इस अकभयान के िीन प्रमुख लक्ष्र् िे र्ायु कर्ज्ञान प्रयोग, शौर भौकतकी प्रयोग तथा एक ककरण को
गोली की प्रयोग।
इस उपिह ने संचार व्यर्थथा से िडु े कुछ प्रयोग ककए।

प्रमुख भयरिीर् उपग्रह

1. भयथकर 1
यह एक प्रायोकगक पर्र्ी पयवर्ेक्षण उपिह था इसे सोकर्यत संघ द्वारा 7 िनू 1979 को प्रक्षेकपत ककया
गया
इसका लक्ष्य िल कर्ज्ञान, कहम गलन, समिु कर्ज्ञान एर्ं र्ाकनकी के क्षेत्र में भू पयवर्ेक्षण अनसु धं ान
करना था
इसने 1 अगथत 1981 को कायव करना र्ंद ककया।
2. भयथकर दो
इसका प्रक्षेपण यएू सएसआर द्वारा 30 नर्ंर्र 1981 को र्ेंकूर्र आईलैंड से ककया गया।
3. रोस्हणी श्रख ृां लय
रोकहणी उपिह श्रंखला के अतं गवत भारतीय प्रक्षेपण कें ि श्ीहररकोिा से SLV-3 द्वारा चार उपिह
प्रक्षेकपत ककए गए।
इस श्रंखला के उपिहों के प्रक्षेपण का मख्ु य उद्देश्य भारत के प्रथम उपिह प्रक्षेपण यान SLV-3 का
परीक्षण करना था।
इस अकभयान का प्रथम एर्ं तरतीय प्रायोकगक परीक्षण असिल रहा।
इस अकभयान के कद्वतीय प्रायोकगक परीक्षण में रोकहणी RS 1 को 18 िल ु ाई 1980 को श्ीहररकोिा से
SLV-3 प्रक्षेपण यान में सिलतापर्ू वक प्रक्षेकपत ककया गया
इस प्रकार रोकहणी RS.1 भारतीय भकू म से भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेकपत प्रथम भारतीय उपिह
र्ना।

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िांद्रर्यन-1

भारत के प्रिम िांद्र स्मशन िांद्रर्यन-1 को 22 अक्तूबर, 2008 को PSLV C-11 से सफलियपवू ाक
स्वमोस्िि ककया गया था।
यह अतं ररक्षयान चंिमा के रासायकनक, खकनि और प्रकाश-भौकमकी मानकचत्रण के कलये चंिमा की पररिमा
करता है।
इसका उद्देश्र् िांद्रमय की सिह के स्वथिृि मयनस्ित्र एवां पयनी की उपस्थिस्ि और हीकलयम की खोि
करने के साथ ही चिं मा की सतह पर मैग्नीकशयम, एल्यमु ीकनयम, कसकलकॉन, कै कल्शयम, आयरन और
िाइिेकनयम िैसे खकनिों और रासायकनक तत्त्र्ों का कर्तरण तथा यरू ेकनयम और थोररयम िैसे उच्च परमाणु
िमांक र्ाले तत्त्र्ों की खोि करना था।
िद्रां र्यन-2

यह भारत का चंिमा पर दसू रा कमशन है।


इसमें परू ी तरह से थर्देशी ऑस्बाटर, लैंडर (स्विम) और रोवर (प्रज्ञयन) का इथतेमाल ककया गया है।
रोर्र (प्रज्ञान) लैंडर (कर्िम) के अदं र कथथत है।
िांद्रर्यन-2 स्मशन कय उद्देश्र् महत्त्र्पणू व प्रौद्योकगकी को कर्ककसत करना तथा इसका प्रदशवन करना है।
इसमें चिं मा कमशन क्षमता, चिं मा पर सॉफ्ि-लैंकडगं और चिं मा की सतह पर चलना शाकमल हैं।
इस कमशन द्वारा प्राप्त िानकारी से चिं मा की भौगोकलक कथथकत, खकनि, सतह की रासायकनक सरं चना, ताप,
भौगोकलक गणु तथा पररमण्डल के अध्ययन से चंिमा की उत्पकि एर्ं कर्कास की समझ र्ेहतर होगी।

प्रक्षेपण र्यन प्रौद्योस्गकी


ध्रुवीर् उपग्रह प्रक्षेपण र्यन (PSLV)

PSLV, कर्श्व के सर्ावकधक कर्श्वसनीय प्रमोचन र्ाहनों (Launch vehicles) में से एक है।
यह भारत द्वारा स्वकस्सि िीसरी पीढी कय लॉस्न्िांग हहीकल है।
यह भारत का पहलय लॉन्ि हहीकल है स्जसमें स्लस्क्वड थटेज र्यनी स्लस्क्वड रयके ट इज ां न कय
इथिेमयल ककया गया है।
1994 में पहली बयर इसको सफलियपूवाक लॉन्ि ककया गया था।
इसकी ऊुँचाई 44 मीिर होती है। व्यास 2.8 मीिर और िरणों की सांख्र्य 4 है।
1. पहले िरण में PSLV के 6 ठोस थिेप ऑन र्थू िरों द्वारा संर्कद्धवत S-139 ठोस राके ि मोिर का
उपयोग ककया िाता है।

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2. दूसरे िरण में तरल नोदन प्रणाली द्वारा कर्ककसत रॉके ि इिं न लगा होता है किसे कर्कास इिं न
के नाम से भी िाना िाता है।
3. िीसरे िरण में ठोस रॉके ि मोिर का प्रयोग होता है िो लॉन्च के दौरान र्ायमु डं लीय चरण के
पिात् तेज़ धक्के के साथ ऊपरी कहथसे को आगे धके लता है।
4. िौिय िरण PS-4 है, इसमें दो तरल इिं नों का प्रयोग ककया िाता है।
PSLV को िीन प्रकयर से स्वकस्सि ककया गया है, ये हैं-
PSLV-G, PSLV-CA ििय PSLV एक्सल।
PSLV की मदद से मुख्र् रूप से ऐसे सैटेलयइट को अांिररक्ष में भेजय जयिय है किनकी मदद से धरिी की
स्नगरयनी की जय सके या िथवीर ली जय सके ।
ऐसे सैटेलयइट को ररमोट सेस्टांग सैटेलयइट कहा िाता है।
PSLV आमतौर पर अतं ररक्ष के सनस्सांिोनस सकाु लर पोलर आस्बाट (SSPO) में सैिेलाइि भेिता है।
SSPO 600 से 900 स्कमी. की ऊाँियई पर कथथत होता है।
यह आमतौर पर लगभग 1000 Kg िक के सैटेलयइट को SSPO में भेजिय है।
यह गत 20 र्षों से भी अकधक समय से अपनी सेर्ाएुँ उपलब्ध करा रहा है।
इसने िांद्रर्यन-1, मांगल ओस्बाट स्मशन (Mars orbits mission), थपेस कै प्सूल ररकवरी
एक्सपररमेंट Space capsule recovery experiment), भयरिीर् क्षेत्रीर् स्दशय-स्नदेशन उपग्रह
प्रणयली (Indian Regional Navigation Satellite System-IRNSS) आकद िैसे अनेक
ऐकतहाकसक कमशनों के कलये उपिहों का प्रमोचन ककया है।
PSLV सन-स्सांिोनस पोलर ऑस्बाट (Sun-Synchronous Polar Orbit - SSPO), जीर्ो-
स्सिां ोनस ट्रयस
ां फर ऑस्बाट (Geo-synchronous Transfer Orbit - GTO) और लो अिा ऑस्बाट
(Low Earth Orbit - LEO) प्रक्षेपण अस्भर्यन में र्हुपयोगी प्रक्षेपणयान (versatile launch
vehicle) के रूप में उभरा है।
हाल ही में 12 अप्रैल, 2018 को PSLV-C41 के सिल प्रक्षेपण के साथ ही PSLV ने िीन स्वकयस और
43 पररियलन प्रक्षेपण सांपनन् स्कर्े हैं ििय स्पछले 41 प्रक्षेपण भी सफल रहे हैं।

पीएसएलवी-सी 45

राके ि PSLV-C45 ने 436 ककिा. का एमीसैि उपिह और कलथआ ु कनया, थपेन, कथर्िज़रलैंड तथा अमेररका
के 28 उपिहों को उनकी कनधावररत कक्षाओ ं में थथाकपत ककया।
कर्देशी उपिहों में 24 उपिह अमेररका के , 2 कलथआ ु कनया और एक-एक कथर्िज़रलैंड और थपेन के हैं।
इसरो प्रमख
ु के . कसर्न और अतं ररक्ष एिेंसी के र्ैज्ञाकनकों ने 17 कमनि की उडान के र्ाद 749 ककमी. दरू
कथथत कक्षा में एमीसैि उपिह के प्रर्ेश करने पर खशु ी िताई।

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र्हीं 220 ककिा. के सभी 28 कर्देशी उपिहों को करीर् 504 ककमी. दरू कक्षा में थथाकपत ककया गया।
भारत के कलये यह कमशन इसकलये भी र्ेहद खास है क्योंकक इसरो का यह पहला ऐसा कमशन है किसमें 3
अलग-अलग कक्षाओ ं में सैिेलाइि थथाकपत ककये गए।
चार थिेि में 16 पैनल थथाकपत करने र्ाला भी यह पहला कमशन है।
इस कमशन में किन सैिेलाइि को लॉन्च ककया गया उनमें सर्से महत्त्र्पणू व है एमीसैट र्यनी इलेक्ट्रॉस्नक
इटां ेस्लजेंस सैटेलयइट।
भारतीय अतं ररक्ष अनसु धं ान संगठन का यह पहला ऐसा कमशन है किसे आम लोगों की मौिदू गी में लॉन्च
ककया गया।
इस कमशन के कलये चार थिेप ऑन मोिर से लैस PSLV QL सथं करण का उपयोग ककया गया।
पोलर सैिेलाइि लॉन्च व्हीकल यानी PSLV का उपयोग भारत के दो प्रमख ु कमशनों में ककया िा चक ु ा है।
2008 में िांद्रर्यन में और 2013 में मांगल स्मशन में PSLV कय ही इथिेमयल स्कर्य गर्य िय।

भयरि कय मांगल स्मशन

भारत का मासव ऑकर्विर कमशन (MOM) या मांगलर्यन स्सिांबर 2014 में मांगल की कक्षय में पहुांि गया
था,
इसे नर्र्ं र 2013 में भारतीय अतं ररक्ष अनसु धं ान सगं ठन द्वारा आध्रं प्रदेश में सतीश धर्न अतं ररक्ष कें ि से
लॉन्च ककया गया था।
भारत अमेररका, रूस और यरू ोपीय संघ के र्ाद मगं ल िह की कक्षा में पहुचं ने र्ाला चौथा राष्र र्न गया है
और उसने पहले प्रयास में ही ऐसा ककया।यह नासा के मार्ेन ऑकर्विर की तल ु ना में सथता होने के कारण,
सर्से अकधक लागत र्ाला प्रभार्ी कमशन था।MOM द्वारा भेिी गई हिारों तथर्ीरों का उपयोग करते हुए,
यह एक Martian Atlas र्नाने की तैयारी है।मासव ऑकर्विर कमशन-2 (एमओएम 2) किसे मगं लयान-2 भी
कहा िाता है, भारत का दसू रा इिं रप्लेनिे री कमशन है, किसे मगं ल िह के प्रक्षेपण के कलए योिनार्द्ध ककया
गया है।
भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण र्यन

िीएसएलर्ी-III का कर्कास 2000 के दशक में शरू ु हुआ।


भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण र्यन सथां करण 3 , स्जर्ोस्सि
ां ोनस सैटेलयइट लयाँि वहीकल मयका 3,
या जीएसएलवी मयका 3), भारतीय अतं ररक्ष अनसु धं ान संगठन (इसरो) द्वारा कर्ककसत एक प्रक्षेपण र्ाहन
(लॉन्च व्हीकल) है।
इसे भू-स्थिर कक्षय (स्जर्ो-थटेशनरी ऑस्बाट) में उपग्रहों और भयरिीर् अिां ररक्ष र्यस्त्रर्ों को प्रक्षेकपत
करने के कलये कर्ककसत ककया गया है।

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िीएसएलर्ी-III में एक भयरिीर् िुर्यरजस्नक (ियर्ोजेस्नक) रॉके ट इज ां न की िीसरे िरण की भी


सकु र्धा के अलार्ा र्तवमान भकू थथर उपिह प्रक्षेपण यान की तल ु ना में अकधक पेलोड (भार) ले िाने क्षमता भी
है।
िांद्रर्यन-२ को भी जीएसएलवी एमके III द्वयरय 22 जुलयई 2019 को िांद्रमय पर लॉन्ि स्कर्य गर्य।
इसमें एक िांद्र ऑस्बाटर, लैंडर और रोवर शयस्मल हैं, िो सभी थर्देशी रूप से कर्ककसत ककए गए हैं।
PSLV की तरह GSLV यानी कियो सैिेलाइि लॉन्च व्हीकल भी इसरो द्वारा ही कर्ककसत है। GSLV एक
सिल लॉन्च व्हीकल है िो चौथी पीढ़ी का लॉन्च व्हीकल है।
अपनी स्जर्ो स्सांिोनस नेिर के िलिे सैटेलयइट अपने आस्बाट में एक स्नस्िि अवथिय में घूमिय है
और र्ह धरिी से एक स्नस्िि थियन पर स्दखयई देिय है।
GSLV Mk-III कनरंतरता कायविम-चरण 1 पररचालन उडानों का पहला चरण है िो देश की उपग्रह
सि ां यर आवश्र्कियओ ां को परू य करने हेिु 4 टन वगा के सि ां यर उपग्रहों को प्रक्षेस्पि करने में सक्षमिय
प्रदयन करेगय।
GSLV Mk-III कनरंतरता कायविम के प्रिम िरण के अिां गाि ग्रयमीण िॉडबैंड कनेस्क्टस्वटी के स्लर्े
उच्ि प्रवयह उपग्रहों की रयष्ट्ट्रीर् मयांग को पूरय करने, डीटीएि, वीसैट और टेलीस्विन
प्रसयरणकत्तयाओ ां के स्लर्े ट्रयस
ां पोंडर की उपलब्धिय को बढयने ििय बनयए रखने हेिु सि ां यर उपग्रहों
की प्रक्षेपण आवश्र्किय को परू य करेगा।

भयरिीर् अांिररक्ष अनुसांधयन सांगठन


(Indian Space Research Organisation- ISRO)

भारत की अतं ररक्ष एिेंसी भारतीय अतं ररक्ष अनसु धं ान संथथान (ISRO) की थथापना र्षव 1969 में हुई।
इसे भारत सरकार के ‘अतं ररक्ष कर्भाग’ द्वारा प्रर्ंकधत ककया िाता है, िो सीधे भारत के प्रधानमत्रं ी को
ररपोिव करता है।
ISRO का उद्देश्य अतं ररक्ष कर्ज्ञान अनसु ंधान और िहों की खोि को आगे र्ढ़ाते हुए राष्रीय कर्कास के
कलये अतं ररक्ष प्रौद्योकगकी का उपयोग करना है।
भू–थिैस्िक कक्षय:

भूथिैस्िक कक्षय (स्जर्ोथटेशनरी ऑस्बाट) एक उपिह की भतू ल्ु यकाकलक (कियोकसंिोनस) कक्षा का एक
प्रकार है।
यहाुँ उपग्रह पृथ्वी के घूणान की समयन गस्ि के सयि घूणान करता है।

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चुँकू क यह उसी गकत से पररिमा करता है किस गकत से पर्र्ी पररिमा करती है, इसकलएभूथिैस्िक उपग्रह
पृथ्वी की सिह से देखय जयए िो स्थिर प्रिीि होिय है।
कियोथिेशनरी ऑकर्वि को कियोथिेशनरी अथव ऑकर्वि और कियोकसंिोनस इक्र्ेिोररयल ऑकर्वि के रूप में भी
िाना िाता है।
भूसमकयस्लक कक्षय GEOSYNCHRONOUS ORBIT )

धरती के चारों ओर कथथत र्ह दीघवर्िर ाकार कक्षा है किसमें घमू ने र्ाले कपण्ड (िैस,े कर कत्रम उपिह का
आर्तवकाल १ कदन (धरती के घूणान कयल के बरयबर = २३ घण्टय, ५६ स्मनट, ४ सेकेण्ड) होिय है।
इस कक्षा का आविाकयल धरिी के घूणानकयल के ठीक बरयबर रखने कय पररणयम रह होता है कक धरती
के सतह पर कथथत ककसी प्रेक्षक र्य हर्स्क्त को स्कसी स्दन के स्कसी समर् पर वह वथिु आकयश में
उसी थियन पर स्दखेगी जहयाँ स्पछले स्दन उसी समर् स्दखी िी।
संचार उपिह को सामान्यता: इसी या करीर् की कक्षा में रखा िाता है ताकक धरती पर मौिदू ऐिं ीना का थथान
और कदशाकोण र्ार-र्ार र्दलना ना पडे और र्ो आकाश की तरफ़ एक ही कोण पर कथथत हो।
इसका एक अच्छा और आसान उदाहरण है घरों की छतों पर लगा के र्ल िीर्ी के कलये डीिीएच एंिीना िो
हमेशा एक ही कदशा में कथथत रहता है।
लो अिा ऑस्बाट (LEO)

पर्र्ी की सतह के 160 स्कमी. से 2000 स्कमी. की पररस्ध को लो अिा ऑस्बाट (Low Earth
Orbit) कहते हैं।
इस कक्षा में मौसम, स्नगरयनी करने वयले उपग्रह और जयसूसी उपग्रहों को थियस्पि ककया िाता है।
इस कक्षा की खास र्ात यह भी है कक इसमें ज्र्यदय शस्क्त वयली सांियर प्रणयली को थियस्पि स्कर्य जय
सकिय है।
ये उपिह किस गकत से अपनी कक्षा में घमू ते हैं उनकय हर्वहयर भू-स्थिर (स्जओ-थटेशनरी) की िरह ही
होिय है।
लो अथव ऑकर्वि के र्ाद मीकडयम अथव (इिं रमीकडएि सकवु लर) ऑकर्वि और उसके बयद पृथ्वी की सिह से
35,786 स्कलोमीटर पर हयई अिा (स्जओस्सांिोनस) ऑस्बाट है।

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भयरिीर् क्षेत्रीर् नेस्वगेशन उपग्रह प्रणयली (IRNSS)

IRNSS: भयरिीर् क्षेत्रीर् नेस्वगेशन उपग्रह प्रणयली (Indian Regional navigation satellite
system), िो कक NavIC के ही समान है
IRNSS भारत द्वारा कर्ककसत एक थविांत्र क्षेत्रीर् नेस्वगेशन सैटेलयइट स्सथटम है,
इसे भारत में उपयोगकतावओ ं को सटीक स्थिस्ि, सि ू नय सेवय प्रदयन करने के स्लए कडिाइन ककया गया
है और साथ ही यह क्षेत्र अपनी सीमा से 15000 ककमी तक िै ला हुआ है, िो इसका प्राथकमक सेर्ा क्षेत्र है
IRNSS दो प्रकयर की सेवय प्रदयन करेगा
1. मयनक स्थिस्ि सेवय (SPS)

2. प्रस्िबांस्धि सेवय

IRNSS कय इथिेमयल:

थथलीय हर्ाई और समिु ी नेकर्गेशन


सकं ि प्रर्धं न
र्ाहन रैककंग और र्ेडे प्रर्ंधन
मोर्ाइल िोन के साथ एकीकरण
सिीक समय
मैकपंग और कियोडेकिक डेिा कै प्चर
याकत्रयों और याकत्रयों के कलए थथलीय नेकर्गेशन सहायता
NavIC

NavIC में सैटेलयइट की सांख्र्य कुल 7 है


NavIC ने कुल 9 सैिेलाइि लॉन्च की थी, किसमें से 7 सकिय हैं
इस सैिेलाइि के माध्यम से भारत और उसके क्षेत्र पर लगभग 1500 ककमी की दरू ी तक कनगरानी रखी
िाएगी।
अब िक जो भी सूिनय हमें GPS के द्वयरय स्मलिी िी, वही अब NavIC के िहि प्रयप्त होगी। GPS
एक कर्श्व थतरीय है, िर्कक NavIC कय स्फलहयल दस्क्षण एस्शर्य िक सीस्मि होगा।
7 में से 3 सैटेलयइट भूथिैस्िक कक्षय (Geostationary Orbit) हैं और बयस्क के 4 सैटेलयइट भू-
समकयस्लक कक्षय (Geosynchronous Orbit) हैं।
र्े सैटेलयइट लो अिा ऑस्बाट में नहीं हैं।
NavIC सैटेलयइट पृथ्वी की सिह से 36,000 स्कमी ऊपर है।
NavIC GPS की िरह है

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GPS AMERICA GLOBAL

GLONASS RUSSIA GLOBAL

Beidou EU GLOBAL

NavIC INDIA REGIONAL

GAGAN

GAGAN कय पूरय नयम है- जीपीएस एडेड स्जर्ो ऑगमेंटेड नेस्वगेशन (GPS Aided GEO
Augmented Navigation)
भयरिीर् स्वमयनपत्तन प्रयस्धकरण (AAI) और भयरिीर् अनुसांधयन अांिररक्ष सांगठन (ISRO) ने
स्मलकर आपसी सहर्ोग से GAGAN को कर्ककसत ककया गया, जो स्क क्षेत्रीर् उपग्रह आधयररि
ऑग्मेंटेशन स्सथटम (SBAS) के रूप में है।

GAGAN का लक्ष्र् भयरिीर् हवयई क्षेत्र और आसपयस के क्षेत्र में सटीक लैंस्डांग में स्वमयन की
सहयर्िय के स्लए एक नेकर्गेशन प्रणाली प्रदान करना है और सरु क्षा से िीर्न के कलए कसकर्ल पररचालन
पर लागू है।
GAGAN अन्य अतं रराष्रीय SBAS प्रणाली के साथ परथपर कियाशील है।
1. अमेररकय में WAAS

2. रूस में SDCM

3. र्ूरोप में EGNOS

4. भयरि के पयस GAGAN है

स्मशन शस्क्त

27 माचव को भारत ने स्मशन शस्क्त को सिलतापर्ू क


व अिं ाम देते हुए एटां ी-सैटेलयइट स्मसयइल (A-
SAT) से तीन कमनि में एक लाइर् भारतीय सैिेलाइि को सिलतापर्ू वक नष्ट कर कदया।
अतं ररक्ष में 300 ककमी. दरू पर्र्ी की कनचली कक्षा (Low Earth Orbit-LEO) में घमू रहा यह लाइर्
सैिेलाइि एक पर्ू व कनधावररत लक्ष्य था।

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अर् तक रूस, अमेररका और चीन के पास ही यह क्षमता थी और इसे हाकसल करने र्ाला भयरि दुस्नर्य कय
िौिय देश र्न गया है।
एिं ी-सैिेलाइि कमसाइल का कनशाना स्कसी भी देश के सयमररक सैन्र् उद्देश्र्ों के उपग्रहों को स्नस्ष्ट्िर्
करने र्य नष्ट करने पर होता है
ियर्ोजेस्नक िकनीक

उल्लेखनीय है कक ककसी ियर्ोजेस्नक इज ां न (Cryogenic engine - CE) कय सांियलन उच्ि


कुशलिय र्ुक्त प्रणोदक के सांर्ोजन, द्रव हयइड्रोजन और द्रव ऑक्सीजन के पररणयमथवरूप होिय
है| यह और र्ात है कक इन तत्त्र्ों का अत्यकधक कम तापमान (मख्ु यतः िर् हाइड्रोिन का) उस समय
अत्यकधक ककठनाई उत्पन्न करता है िर् इन्हें प्रक्षेपास्त्रों में उपयोग ककया िाता है|
र्थततु ः िायोिेकनक चरण ककसी इिं न को र्ैसे ही व्यर्कथथत रखने का कायव करता है िैसे कक प्रणोदकों
और सभी पाइपों के कलये कुचालक िैंक, र्ाल्र् और अन्य तत्त्र्ों को इिं न में होने र्ाले प्रर्ाह को कनयंकत्रत
करने के कलये आर्श्यकता होती है|

वर्ा 1991 में, भयरि सरकयर द्वयरय ियर्ोजेस्नक इज ां न ििय ियर्ोजेस्नक िरण के स्वकयस हेिु
प्रौद्योस्गकी को प्रयप्त करने के स्लर्े रूस के सयि एक समझौिय पत्र पर हथियक्षर ककये गए थे|
परन्त,ु अमेररका के दर्ार् के चलते दो र्षव र्ाद ही रूकसयों ने इस समझौते को तोड कदया| किसके उपरांत
इसरो द्वारा थर्यं ही इस क्षमता को कर्ककसत करने का प्रयास ककया गया|
हालाुँकक, रूस द्वारा भारत को सात प्रक्षेपण करने योग्य िायोिेकनक चरणों की आपकू तव भी की गई, किनमें से
छह को िीएसएलर्ी प्रक्षेपास्त्रों के ऊपरी चरण के द्वारा संचाकलत ककया गया था|
यहाुँ यह थपष्ट कर देना अत्यतं आर्श्यक है कक इसरो को रुसी इिं नों के समान थर्देशी िायोिेकनक इिं न
और अन्य िायोिेकनक चरणों को र्नाने में परू े 20 र्षव का समय लगा|

भयरिीर् परमयणु अनस


ु ध
ां यन

भारत ने परमाणु यगु में 4 अगसि् , 1956 में उस समर् प्रर्ेश ककया िर् देश के पहले परमयणु ररएक्िर
‘अपस ् रय’ का शभु ारंभ ककया गया।
इस ररएक्िर की स्डियइन एवां स्नमयाण भयरि द्वयरय ककया गया था, परंतु इसके कलये परमयणु ईधन
ां की
आपूस्िा (एक समझौिे के अांिगाि) स्िटेन द्वयरय की गई थी।
दूसरय ररएक्टर ‘सयइरस’ कनयडय के सहर्ोग से कर्ककसत ककया गया था, किसे 1960 में सांियस्लि
स्कर्य गया।

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परमयणु के प्रर्ोग से स्बजली स्नमयाण कयर्ा

परमयणु ऊजया के मयध्र्म से स्बजली बनयने कय कयम अक्तूबर 1969 में उस समय शरू ु हुआ िर्
ियरयपुर में दो ररएक्टरों को सेर्ा में लाया गया।
तारापरु परमाणु कर्िली सि् ेशन का कनमावण अमेररका के िनरल इलेकक्रक द्वारा ककया गया था। ियरयपुर
सर्ां त्रां द्वयरय देश में सबसे कम लयगि की गैर-हयइड्रो स्बजली सप्लयई की जयिी है।
भारत का दूसरय परमयणु स्बजली सट् ेशन रयजथियन में कोटय के कनकि सथ् ाकपत ककया गया तथा इसकी
पहली इकाई ने अगसत् 1972 में काम करना शरू ु ककया।
रािथथान की पहली दो इकाइयाुँ कनयडय के सहर्ोग से थियस्पि की गई थीं।
भारत का िीसरय परमयणु स्बजलीघर िेनन् ई के स्नकट कलपक्कम में सि् यस्पि ककया गया। र्ह देश
कय पहलय थवदेशी सांर्ांत्र है। यह कर्शाल चनु ौतीपणू व कायव था क्योंकक उस समय भारतीय उद्योग को
परमाणु उपयोग के कलये आर्शय् क िकिल उपकरण र्नाने का कोई कर्शेष अनभु र् नहीं था।
तथाकप िल ु ाई 1983 में मिास परमाणु कर्िलीघर की पहली थर्देशी इकाई की सथ् ापना के साथ भारत उन
देशों के समहू में शाकमल हो गया िो अपने र्ल पर परमाणु कर्िली इकाइयों कीकडज़ाइकनंग और कनमावण
करते रहे हैं।
देश कय िौिय परमयणु स्बजलीघर गगां य नदी के िट पर नरोरय (उत्तर प्रदेश) में सि ् यस्पि ककया गया।
नरोरा की पहली इकाई का शभु ारंभ अक्तूर्र 1989 में ककया गया। अगले 20 र्षों में भारत ने अपनी
थर्देशी प्रौद्योकगकी के आधार पर गय् ारह 220 मेगार्ाि की इकाइयों तथा दो 540 मेगार्ाि की इकाइयों
को थथाकपत ककया।
भयरि की अपनी प्रौद्योस्गकी को ‘प्रेशरयइज्ड हैवी वयटर ररएक्टर’ कहय गर्य। इस कायव को परू ा
करने के कलये भारत ने सदृु ढ़ भारी िल उत्पादन क्षमता एर्ं ईधन
ं उतप् ादन क्षमता का कनमावण ककया।
र्तवमान में भयरि के पयस 21 परमयणु ररएक्टर इकाइयाुँ हैं।

बयका के अनुसांधयन ररएक्टर नीिे स्दए जय रहे हैं:


अप्सरा
साइरस
ध्रर्ु
काकमनी
पकू णवमा I
पकू णवमा II
पकू णवमा III
िरलीना

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भयरि के प्रमुख परमयणु शस्क्त कें द्र


1. कलपक्कम ,कुडनकुलम – िस्मल नयडु
2. नरोरय – उत्तर प्रदेश
3. कयकरयपयडय – गुजरयि
4. रयविभयटय – रयजथियन
5. कै गय – कनयाटक
6. ियरयपुर – मुांबई
एक िीडर ररएक्टर वह है जो स्वखडां न होने वयले पदयिों को उससे अस्धक उत्पन्न करिय है स्जिनय
वह जलिय है।
ऑपरेशन शस्क्त के अिां गाि पोखरण 2 परीक्षण 11 मई 1998 को स्कर्य गर्य।
पोखरण रयजथियन के जैसलमेर स्जले में स्थिि है।
रक्षय प्रौद्योस्गकी

एपीजे अब्दुल कलयम को भयरिीर् रॉके ट स्वज्ञयन कय जनक कहय जयिय है।
जुलयई 1983 में कलयम के स्नदेशन में इटां ीग्रेटेड गयइडेड स्मसयइल डेवलपमेंट प्रोग्रयम (IGMDP)
कय गठन स्कर्य गर्य।
इसके अांिगाि पृथ्वी, नयग, आकयश, स्त्रशूल और अस्ग्न कय सफल परीक्षण स्कर्य गर्य।
पथ्ृ वी कय पहलय सफल परीक्षण 27 फरवरी 1988 को स्कर्य गर्य।
पृथ्वी सिह से सिह (SS) पर मयर करने वयली प्रक्षेपयस्त्र है।
अस्ग्न स्मसयइल कय पहलय सफल परीक्षण 22 मई 1989 ओस्डशय के ियदां ीपरु से स्कर्य गर्य।
अस्ग्न-5 कय पहलय स्वकयसयत्मक परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को स्कर्य गर्य।
स्नभार् भयरि द्वयरय स्वकस्सि एक सबसोस्नक िूज स्मसयइल
स्नभार् सिह से सिह पर मयरक प्रक्षेपयस्त्र है।
अजाुन, भीष्ट्म थवदेश स्नस्माि र्ुद्धक टैंक
भयरि ने बरयक 8 स्मसयइल रोधी रक्षय प्रणयली इजरयइल से खरीदी है।
इद्रां डीआरडीओ द्वयरय स्वकस्सि रडयर की श्रृांखलय
िेजस (2016) पहलय थवदेशी हल्कय लडयकू स्वमयन
लक्ष्र् डीआरडीओ द्वयरय स्वकस्सि मयनव रस्हि एर्रियफ्ट
नेत्र मयनवरस्हि हवयई र्यन जो 300 मीटर ऊांियई िक उड सकिय है।
भयरि में परमयणु ऊजया कय जनक डॉ होमी जहयांगीर भयभय
जगदीश िांद्र बोस ने भौस्िकी और जीव स्वज्ञयन दोनों स्वर्र्ों में अनसु ध
ां यन स्कर्य

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रमन प्रभयव की खोज हेिु 1930 में भयरिीर् वैज्ञयस्नक सीवी रमन को भौस्िकी कय नोबेल पुरथकयर
स्दर्य गर्य।
हरगोस्वांद खुरयनय को प्रोटीन के सश्ल
ां े र्ण के स्लए नोबेल पुरथकयर से 1968 में सममयस्नि स्कर्य
गर्य।
एस िद्रां शेखर को 1983 में नक्षत्र भौस्िकी के क्षेत्र में नोबेल परु थकयर स्मलय।
प्रमुख स्मसयइल और स्वशेर्िय

स्मसयइल स्वशेर्िय
नयग एटां ी टैंक स्मसयइल
पथ्ृ वी सिह से सिह पर
धनुर् पृथ्वी स्मसयइल कय नौसैस्नक सांथकरण
स्त्रशूल सिह से हवय में
स्पनयकय बहु नयली रयके ट प्रणयली
िह्मोस सुपरसोस्नक िूज स्मसयइल, भयरि और रूस द्वयरय स्वकस्सि
स्नशयांि ियलक रस्हि दूरथि िस्लि र्यन
अस्ग्न मयध्र्स्मक परयस बैस्लस्थटक स्मसयइल
अस्त्र हवय से हवय में मयर करने वयलय प्रक्षेपयस्त्र
शौर्ा िल से िल पर मयर करने वयलय प्रक्षेपयस्त्र
स्मरयज 2000 लडयकू स्वमयन

डीआरडीओ के द्वयरय स्त्रशूल सुपर सोस्नक स्मसयइल कयर्ािम को 2008 में बदां कर स्दर्य
गर्य।
अवयक्स इजरयर्ल द्वयरय स्वकस्सि
फयल्कन वयर्ु सेनय के स्लए
आईएनएस अररहिां पहली परमयणु पनडुब्बी
आईएनएस िि नयस्भकीर् ऊजया द्वयरय सांियस्लि पनडुब्बी
आईएनएस स्सांधुरक्षक भयरिीर् नौसेनय की पनडुब्बी
आई एन एस स्विमयस्दत्र् स्वमयन वयहक पोि
आईएनएस शस्क्त िेल वयहक पोि
आई एन एस अस्त्रधयररणी टोरपीडो प्रमोिन और पुनप्रयास्प्त जलर्यन

28 फरवरी को प्रस्िवर्ा रयष्ट्ट्रीर् स्वज्ञयन स्दवस मनयर्य जयिय है।

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भयरि में अणु बम के स्वकयस रयजय रमन्नय से सबां ांस्धि है।


अल्बटा आइथां टीन वयर्स्लन और स्पर्यनो बजयने में स्नपण ु िे।

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7. पोर्ण आहयर पोर्क ित्व


शरीर के कलए आर्श्यक भोिन में घिक तत्त्र्ो को पोषक तत्र् कहा िाता है।
िो िीर् थर्यं के कलये भोिन का कनमावण करते है उन्हे थर्पोषक कहा िाता है और
िो िानर्रों या पौधों से र्ने भोिन को खाते है उन्हे कर्षमपोषण कहा िाता है।
कयबोहयइड्रेट्स, प्रोटीन, स्लस्पड्स, न्र्स्ू क्लक अमल, जल, खस्नज लवण ििय स्वटयस्मन सयि प्रकयर
के प्रमुख पोर्क पदयिा है।
पोटैस्शर्म, सोस्डर्म, मैस्ग्नस्शर्म, कै लस्शर्म, सल्फर क्लोरीन इत्र्यस्द को दीघा पोर्क ित्व कहय
जयिय है।
कयबोहयइड्रेट्स एवां वसय प्रमुख ऊजया उत्पयदक पदयिा है।
वसय में सवयास्धक मयत्रय में कै लोरी होिी है।
प्रोटीन शरीर कय स्नमयाणयत्मक पदयिा है।
स्वटयस्मन जल एवां खस्नज लवण उपयपिर्ी स्िर्यओ ां कय स्नर्त्रां ण व स्नर्मन करिे हैं।
स्वटयस्मन की खोज पोलैंड के वैज्ञयस्नक कै स्सस्मर फांक ने की िी।
स्वटयस्मन को सहयर्क आहयर भी कहय जयिय है।
B, C जल में घुलनशील स्वटयस्मन है जबस्क A D E K वसय में घुलनशील स्वटयस्मन है।
लेक्टोज प्रयकृस्िक शका रय है जो दूध में पयर्य जयिय है।
कै सीन की उपस्थिस्ि के कयरण दूध सफे द रांग कय होिय है।
बीटय कै रोटीन की उपस्थिस्ि के कयरण गयर् कय दूध हल्के पीले रांग कय होिय है।
दुग्ध प्रोटीन को पियने वयलय एज ां यइम रेस्नन है।
दूध लैक्टोबैस्सलस बैक्टीररर्य के कयरण खरयब होिय है।
अल्फय कै ररटन सींग, बयल, नयखनू और त्विय में उपस्थिि होिय है।
दूध में लगभग 87 प्रस्िशि जल पयर्य जयिय है इसके अलयवय इसमें वसय, प्रोटीन, कयबोहयइड्रेट,
कै स्ल्शर्म पोटेस्शर्म भी पयर्य जयिय है।
दूध में स्वटयस्मन नहीं पयर्य जयिय है।
टयर्रोस्सन मस्थिष्ट्क में एड्रीनस्लन, नोटएड्रीनस्लन और डोपयमयइन आस्द न्र्ूरोट्रयस
ां मीटसा कय स्नमयाण
करिय है।
सेब में पोटेस्शर्म होने के कयरण र्ह हृदर् रोस्गर्ों के स्लए स्वशेर् महत्व रखिय है।
कयबोहयइड्रेट और वसय ऊिाव शरीर को ऊिाव प्रदान करते हैं।
कार्ोहाइड्रेि , र्सा की तल
ु ना में कम ऊिाव देता है ।

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पशु वसय [सयिुरिेड ] फै टी एस्सड होता है, िो थर्ाथ्य के कलए हाकनकारक हैं ।
हमे खयनय पकयने के स्लए असांिृप्त वसीर् अमलों का चयन करना चाकहए।
ट्रयस
ां वसय [ट्रयन्सफॅ ट्स] असिां ृप्त र्सा है िो स्दल को नक
ु सयन पहुि
ां य सकिय हैं।
पयलक के पत्ते में सवयास्धक मयत्रय में आर्रन होिय है ।
आर्रन शरीर में हीमोग्लोस्बन ििय सयइटोिोम कय प्रमख ु घटक है।
शरीर में आर्रन की कमी से एनीस्मर्य हो जयिी है।
मैस्ग्नस्शर्म क्लोरोस्फल कय प्रमख ु घटक है।
ग्लूकोज मोनोसैकेरयइड ििय थटयिा र्य मडां एक पॉस्लसैकेरयइड कयबोहयइड्रेट है।
सोर्यबीन ििय पशुओ ां पशओ ु ां से हर्ुत्पन्न खयद्य पदयिा जैसे दूध, अांडय, मछली, ििय मयस ां में सभी
अस्नवयर्ा अमीनो अमल र्ुक्त प्रोटीन पयए जयिे हैं।
स्वटयस्मन C की कमी के कयरण थकवी रोग हो जयिय है स्जसके प्रभयव से घयव नहीं भरिे।
पपीिय में मख् ु र्िः स्वटयस्मन C पयर्य जयिय है इसके अलयवय र्ह स्वटयस्मन A स्वटयस्मन B1 एडां B2
कय भी मुख्र् स्रोि है।
स्वटयस्मन C लोहय के अवशोर्ण में मदद करिय है।
िूांस्क स्वटयस्मन C जल में घुलनशील होिय है अिः इसकय सि ां र् शरीर में नहीं होिय।
प्रस्िकयरक / एटां ी डॉट के रूप में स्वटयस्मन K कय प्रर्ोग स्कर्य जयिय है।
मनष्ट्ु र् की आिां में जीवयणु द्वयरय स्वटयस्मन B12 स्वटयस्मन D ििय स्वटयस्मन K कय सश्ल ां े र्ण स्कर्य
जयिय है।
सूर्ा की स्करण में स्वटयस्मन D होिय है।
स्वटयस्मन D को हयमोन मयनय जयिय है।
स्वटयस्मन D2 को आगोकै स्ल्सफे रॉल जबस्क स्वटयस्मन D3 को कॉलेकैस्ल्सफे रॉल कहय जयिय है।
कॉलेकैस्ल्सफे रॉल कय सांश्लेर्ण थवर्ां जांिु शरीर में होिय है।
मयनव शरीर में स्वटयस्मन A र्कृि में सांस्िि होिय है।
स्वटयस्मन B12 में कोबयल्ट पयर्य जयिय है।
स्वटयस्मन B6 कय स्नर्स्मि सेवन करने से थवप्नों को र्यद रखने में मदद स्मलिी है।
सोर्यबीन और मगूां फली सवयास्धक मयत्रय में प्रोटीन पयई जयिी है।
दूध स्पलयने वयली मयां को प्रस्िस्दन आहयर में 70 ग्रयम प्रोटीन लेनय ियस्हए जबस्क सयमयन्र्
स्िर्यशील मस्हलयओ ां के स्लए 45 ग्रयम प्रोटीन की आवश्र्किय होिी है।
पयनी कै लोरी फ्री आहयर होिय है अिः एक स्गलयस पयनी पीने से स्मलने वयली कै लोरी की मयत्रय
शून्र् होगी।

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फयथफोरस खस्नज लवण के रक्त में उपस्थिि होने से शयरीररक अमल एवां क्षयर कय सिां ुलन ठीक रहिय
है।
शरीर में आर्रन की कमी से एनीस्मर्य हो जयिी है।
मैस्ग्नस्शर्म क्लोरोस्फल कय प्रमुख घटक है।
प्रोटीन शरीर स्नमयाण खाद्य पदाथव हैं।
प्रोिीन polypeptides अथावत पेप्टयइड बयांडों से जुडे अमीनो एस्सड के रैकखक श्रंखला में होते है ।
एज
ां यइम वह प्रोटीन है िो िैकर्क उत्प्रेरक की भकू मका प्रदशवन करते हैं।
ररसेप्टसा प्रोटीन है िो शरीर में सचं ार प्रणाली से संर्ंकधत समारोह में प्रदशवन कर रहे हैं।

कोलेजन जयनवरों की दुस्नर्य में सबसे प्रिुर मयत्रय में प्रोटीन होिय है
Ribulose बयइफोथफे ट Carboxylase-oxygenase (RuBisCO) जीवमांडल के पूरे में सबसे
प्रिुर मयत्रय में प्रोटीन होिय है।
प्रोटीन की कमी से क्वयस्शओकयार और मयइसामस
ु [ kwashiorkor और Maerasmus ] जैसे रोग
होिे है ।

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प्रमुख स्वटयस्मन स्रोि वह उनके कमी से होने वयले रोग


स्वटयस्मन वैज्ञयस्नक नयम कमी से उत्पन्न रोग स्रोि
स्वटयस्मन A रेस्टनोल रिौंधी, जीरोप्िैलस्मर्यां गयजर, हरी सस्ब्जर्य,ां दूध, मक्खन, अांडय,
र्कृि, मछली कय िेल
स्वटयस्मन ियर्मीन बेरी बेरी, वृस्द्ध रुकनय अनयज, सोर्यबीन, दूध, फस्लर्यां
B1
स्वटयस्मन रयइबोफ्लेस्वन स्कलोस्सस पनीर, अडां े, र्ीथट, मयस
ां , हरी पत्तेदयर
B2 सस्ब्जर्यां
स्वटयस्मन स्नर्यस्सन पेलयग्रय मयांस, मूांगफली, आल,ू टमयटर, पत्ती
B3 वयली सस्ब्जर्यां
स्वटयस्मन पैंटोिैस्नक अमल िमा रोग, बयल सफे द मयांस, दूध, मूांगफली, गन्नय, टमयटर
B5
स्वटयस्मन पयइरीडॉस्क्सन रक्त क्षीणिय, िमा रोग र्कृि, मयांस, अनयज
B6
स्वटयस्मन बयर्ोटीन िमा रोग, बयलों कय अडां य, र्कृि, दूध, मयस
ां
B7 झडनय
स्वटयस्मन फोस्लक अमल रक्तक्षीणिय, कुांस्ठि दयल, र्कृि, सस्ब्जर्य, अांडय, सेम
B9 बस्ु द्ध
स्वटयस्मन सयइनोकोबयलैस्मन Pernicious मयांस, कलेजी, दूध
B12 Anaemia
स्वटयस्मन C एथकोरस्बक अमल थकवी रोग कच्िी और खट्टे फलों में, स्मिा हरी स्मिा,
पपीिय, नींबू ,सिां रय,
स्वटयस्मन आगोकै स्ल्सफे रॉल ओस्थटर्ोमैलेस्सर्य सूर्ा की स्करण, मछली र्कृि, िेल, दूध,
D2 (Adult) अडां े
स्वटयस्मन कॉलेकैस्ल्सफे रॉल सूखय रोग (ररके ट्स) सूर्ा की स्करण, मछली र्कृि, िेल, दूध,
D3 (Child) अडां े
स्वटयस्मन E टेकोफे रयल जनन क्षमिय की कमी पस्ि वयली सस्ब्जर्य,ां दूध, मक्खन,
अांकुररि, गेह,ां वनथपस्ि िेल
स्वटयस्मन नैफ्िोस्क्वनोन रक्त कय िक्कय न जमनय टमयटर, हरी सस्ब्जर्य,ां आिां ों में भी
K उत्पन्न होिी है।

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8. मयनव शरीर सांरिनय


कांकयल व मयांसपेशीर् िांत्र
मयनव कय कांकयल िांत्र मख्ु र्िः दो भयगों में बटय होिय है
1. बयह्य कांकयल िांत्र
2. अांि: कांकयल िांत्र
हर्थक मयनव में 206 हड्स्डर्यां पयई जयिी हैं।
बयल्र् अवथिय में कुल हड्स्डर्ों की सांख्र्य 208 होिी है।
मनुष्ट्र् की खोपडी में कुल अस्थिर्ों की सांख्र्य 28 होिी है।
स्जसमें 8 हड्स्डर्यां मस्थिष्ट्क के ियरों ओर और 14 हड्स्डर्यां िेहरे कय कांकयल बनयिी है।
मनुष्ट्र् कय कशेरुक दांड (Vertebral Column) र्य रीढ की हड्डी 26 (स्शशुओ ां में 33) छोटी-
छोटी हड्स्डर्ों की बनी होिी है।
मनुष्ट्र् के शरीर में पसस्लर्ों की कुल सांख्र्य 12 जोडी अियाि 24 होिी है।
मयनव शरीर की सबसे छोटी हड्डी थटेपीज है जो मनुष्ट्र् के कयन में पयई जयिी है।
मयनव शरीर की सबसे बडी हड्डी फीमर है जो जयांघ में पयई जयिी है।
हमयरे शरीर कय अस्धकिम भयर जल से बनय है स्जसमें इसकी मयत्रय लगभग 60 से 70% होिी है।
मयनव शरीर में प्रधयन रूप से 6 ित्व पयए जयिे हैं ऑक्सीजन >कयबान> हयइड्रोजन >नयइट्रोजन
कै स्ल्शर्म> ििय फयथफोरस।
मयनव शरीर में सवयास्धक मयत्रय में ऑक्सीजन (65%) पयर्य जयिय है।
स्लगयमेंट और टेंडन एक सांर्ोजी उत्तक है िमश: हड्स्डर्ों को हड्स्डर्ों से और मयस ां पेस्शर्ों को
हड्स्डर्ों से जोडिय है।
कै स्ल्शर्म फयथफे ट मयनव की हड्स्डर्ों में सवयास्धक मयत्रय में पयर्य जयने वयलय लवण हैं।
शल्र्स्िर्य में ऑिो प्लयथटी कय अिा कूल्हे के जोड कय प्रस्िथियपन (Hips Joint
Replacement) है।
नयखून बयह्य कांकयल के अांिगाि आिय है जो अल्फय कै रोटीन से बने होिे हैं।
नयखून कयटिे समर् ददा नहीं होिय क्र्ोंस्क नयखून मृि कोस्शकयओ ां के द्रहर्ों से बने होिे हैं स्जनमें
रक्त सि ां रण नहीं होिय है।
कै स्ल्शर्म, फयथफोरस और फ्लोरीन अस्थि एवां दांि स्नमयाण के स्लए आवश्र्क हैं।
मनुष्ट्र् के जीवन कयल में 20 दयिां दो बयर स्वकस्सि होिे हैं।

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मयनव सस्हि अस्धकयांश हर्थक थिनी स्द्वदांिी (DIPHYODONT) अियाि िवणा (MOLAR)
दयांिों के अलयवय अन्र् दयांि जीवन में दो बयर स्वकस्सि होिे हैं। मनुष्ट्र्ों में ियर प्रकयर के दयिां होिे
हैं
1. कृांिक – INCISORS
2. रदनक – CANINES
3. अग्रिवणाक – PREMOLARS
4. िवणाक – MOLARS

मनष्ट्ु र् कय दिां सत्रू – DENTAL FORMULA


I 2/2, C 1/1, PM 2/2, M 3/3 = 8/8 = 16 x 2 = 32
मयनव शरीर कय सबसे कठोर भयग दिां वल्क (इनेमल) है जो अत्र्स्धक कठोर सफे द एवां िमकीलय
होिय है।
इनेमल मुख्र्ि: कै स्ल्शर्म फयथफे ट और कै स्ल्शर्म कयबोनेट कय बनय होिय है।
स्कसी भयरी वथिु को उठयने की क्षमिय के सदां भा में जबडे की मयस
ां पेशी सबसे मजबिू समझी
जयिी है।
प्रमख
ु हड्स्डर्यां और उनके नयम

हड्स्डर्यां नयम
ब्रेथिर्ोन थिनवम
कॉलर र्ोन क्लेकर्कल
नी कै प पैिेला
शोल्डर ब्लेड थकै पल
ु ा

पयिन ित्रां (Digestive System)

मनष्ट्ु र् कय पयिन िांत्र मुख्र्िः मुख से गदु य िक फै ली एक लांबी आहयर नयल (ALIMENTARY
CANAL) होिी है।
ग्रयस नली (OESOPHAGUS) अमयशर् (STOMACH) ििय आिां (INTESTINE) आहयर
नयल के प्रमुख भयग हैं।
मनष्ट्ु र् के आहयर नयल की औसि लबां यई 10 से 14 मीटर होिी है।
लयर अमलीर् (PH 6.8) होिय है स्जसकय स्रयव लयर ग्रांस्िर्ों द्वयरय होिय है।

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मनष्ट्ु र् के मुख से प्रस्िस्दन एक से डेढ लीटर लयर कय स्रयव होिय है स्जसकय 99.5% स्हथसय जल
होिय है।
लयर में टयर्स्लन होिय है जो थटयिा को शका रय में िोडिय है।
एमयइलेज नयमक एज ां यइम कय स्रयव लयर ग्रांस्िर्ों ििय अग्नयशर् द्वयरय स्कर्य जयिय है।
एमयइलेज थटयिा को जल अपघटन द्वयरय मयल्टोज में पररवस्िाि करिय है।
अमयशर् से हयइड्रोक्लोररक अमल स्नकलिय है।
छोटी आांि
छोटी आिां (INTESTINE) मुख्र्िः िीन भयग में बयांटय जयिय है
1. मध्र्यत्रां – DUODENUM – 25 CM
2. मध्र्यांत्र – JEJUNUM – 2.5 M
3. शेर्यांत्र – ILEUM – 3.5 M
छोटी आिां में कयबोहयइड्रेट, वसय ििय प्रोटीन कय पयिन होिय है।
बिे हुए पोर्क पदयिों कय अवशोर्ण भी छोटी आि में होिय है।
आस्ां त्रक रस क्षयरीर् होिय है।
मनुष्ट्र् की बडी आिां िमशः सीकम, कोलन और मलयशर् में स्वभयस्जि होिी है।
बडी आांि में जल कय अवशोर्ण होिय है।
बडी आांि में भोजन कय पयिन नहीं होिय है।
र्कृि LIVER
र्कृि मयनव शरीर की सबसे बडी ग्रांस्ि है स्जसकय वजन लगभग 1.5 – 2 kg होिय है।
र्कृि द्वयरय स्पत्त स्रयस्वि होिय है जो आांि में उपस्थिि एजां यइम की स्िर्य को िीव्र कर देिय है।
र्कृि में ग्लयइकोजेनेस्सस की प्रस्िर्य होिी है स्जसके अांिगाि ग्लूकोज कय रूपयांिरण ग्लयइकोजन
में होिय है।
र्कृि एवां मयस ां पेस्शर्ों में उजया ग्लयइकोजन के रूप में सस्ां िि होिी है।
फयइस्िनोजेन ििय स्हपैररन नयमक प्रोटीन कय उत्पयदन र्कृि से होिय है।
फयइस्िनोजेन रक्त के िक्कय बनने में मदद करिय है जबस्क स्हपैररन शरीर के अदां र रक्त को जमने से
रोकिय है।
मृि RBC को र्कृि द्वयरय ही नष्ट स्कर्य जयिय है।
भोजन में जहर देकर मयरे गए हर्स्क्त की मत्ृ र्ु के कयरणों की जयि ां में र्कृि एक महत्वपण ू ा सरु यग
होिय है।
र्कृि स्वर्यक्त अमोस्नर्य को र्ूररर्य में पररवस्िाि करिय है अियाि र्रू रर्य कय सश्लां े र्ण करिय है।
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पयिन कय सयरयांश

ग्रांस्ि रस एज
ां यइम भोज्र् पदयिा प्रस्िस्िर्य के बयद
लयर टयर्स्लन मांड (Starch) मयल्टोज
,, मयल्टेज मयल्टोज ग्लक
ू ोज
जठर रस पेस्प्सन प्रोटीन पेप्टोन्स
,, रेस्नन के सीन
अग्नयशर् स्ट्रस्प्सन प्रोटीन पॉस्लपेप्टयइड्स
रस
,, एमयइलेज मांड शका रय
,, लयइपेज वसय स्गल्सरयल
अांत्रीर् रस इरेस्प्सन प्रोटीन अमीनो अमल
,, मयल्टेज मयल्टोज ग्लूकोज
,, लैक्टेज लैक्टोज ग्लक
ू ोज & फ्रुक्टोज
,, सुिेज सुिोज ग्लूकोज, गैलेक्टोज
,, लयइपेज वसय स्गल्स रयल

अग्नयशर् (PANCREAS)
अग्नयशर् मयनव शरीर की दूसरी सबसे बडी ग्रस्ां ि है।
अग्नयशर् एक स्मस्श्रि ग्रांस्ि है स्जसमें एक सयि अांिः स्रयवी (ENDOCRINE) एवां बस्ह स्रयवी
(EXOCRINE) दोनों भयग पयए जयिे हैं।
अग्नयशर्ी रस क्षयरीर् होिे हैं स्जसमें कयबोहयइड्रेट, वसय एवां प्रोटीन पियने के स्लए एज
ां यइम होिे हैं।
र्ह पूणा पयिक रस कहय जयिय है।
अपेंस्डक्स एक अवशेर्ी अगां (VESTIGIAL ORGAN) है।
इसकी लांबयई 4 इि ां होिी है ििय र्ह बडी आिां से सांलग्न होिय है।

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एज
ां यइम मुलि: प्रोटीन होिे हैं जो बयर्ो उत्प्रेरक के रूप में कयर्ा करिे हैं।
जयइमेज एज ां यइम ग्लूकोज को इिेनॉल में पररवस्िाि करिय है।

स्पत्त (BILE)

स्पत्त पीले हरे रांग कय एक क्षयरीर् द्रव है स्जस कय PH मयन 7.6 – 8.6 होिय है।
स्पत्त कय भडां यरण मयनव शरीर में स्पत्तयशर् (GALLBLADDER) में होिय है।
स्पत्तयशर् में उपस्थिि पत्िर न्र्स्ू क्लक अमल के पयिन को प्रभयस्वि करिय है।
मयनव शरीर में प्रस्िस्दन लगभग 800 – 1000 स्मलीलीटर िक स्पत्त कय स्रयव होिय है।
स्पत्त वसय कय पयर्सीकरण (EMULSIFICATION) करने में सहयर्क होिय है।
स्लस्पड्स के पयिन में लयइपेज नयमक एज ां यइम की महत्वपण ू ा भूस्मकय होिी है।
पेस्प्सन, स्ट्रस्प्सन ििय कयइमोस्ट्रस्प्सन नयमक एज ां यइम प्रोटीन के पयिन में सहयर्क होिे हैं।

श्वसन िांत्र (Respiratory System)


श्वसन िांत्र के अिां गाि वे सभी अगां आिे हैं स्जनसे होकर वयर्ु कय आदयन-प्रदयन होिय है।
मनुष्ट्र् में दो फे फडे होिे हैं जो फुफ्फुसयवरण र्य प्ल्र्ूरल मेंिेन (Pleural Membrane) से स्घरे
होिे हैं।
थिनधयररर्ों में श्वसन की स्िर्य फे फडे द्वयरय होिी है।
फे फडय शरीर के ियप को स्नर्ांस्त्रि रखिय है।
श्वसन एक जैस्वक स्िर्य है स्जसमें अिां :श्वयस (Inspiration) ििय उच्छवयस (Expiration)
स्िर्यएां शयस्मल है।
श्वसन स्िर्य में नयइट्रोजन, ऑक्सीजन, कयबान डयइऑक्सयइड और जलवयष्ट्प आस्द गैसें प्रर्ुक्त
होिी हैं।
श्वसन स्िर्य में नयइट्रोजन की मयत्रय में कोई पररविान नहीं होिय है।
लयल रुस्धर कस्णकयओ ां (RBC) में मौजूद हीमोग्लोस्बन प्रोटीन ऑक्सीजन के वयहक (carrier)
कय कयर्ा करिे हैं।
कयबान मोनोऑक्सयइड हीमोग्लोस्बन के सयि जुडकर कयबो कयबोक्सी स्हमोग्लोस्बन बनयिी है
स्जससे रक्त की पररवहन क्षमिय कम हो जयिी है।
रक्त में ऑक्सीजन की सयांद्रिय में कमी आने से श्वयस की गस्ि में िमश: बढोिरी हो जयिी है।
समुद्र की सिह से ऊपर जयने पर वयर्ु के घनत्व में कमी होिी है स्जससे पहयडों पर शरीर में
ऑक्सीजन की कमी होिी है।

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पहयडों पर ऑक्सीजन की कमी के कयरण मनुष्ट्र् की सयस


ां फूलने लगिी है अियाि श्वसन दर बढ
जयिी है।

पररसांिरण िांत्र (Circulatory System)


रक्त पररसांिरण िांत्र की खोज स्वस्लर्म हयवे ने की िी।
रक्त पररसांिरण िांत्र को मुख्र्िः ियर भयगों में बयांटय जयिय है

ह्रदर् धमस्नर्याँ
heart arteries

स्शरयएाँ रुस्धर
veins blood

1. हृदर् (Heart)

हृदर् छयिी के मध्र् िोडय सय बयई ओर स्थिि होिय है।


हृदर् पेररकयस्डार्ल द्रव से स्घरय होिय है जो बयह्य आघयिों से हृदर् की रक्षय करिय है।
हृदर् ियर प्रमुख कक्षों में स्वभयस्जि होिय है।
1. दो अस्लदां (Atrium Or Auricle)
2. दो स्नलर् (Ventricle)
दो ऊपरी कक्षों को दयर्यां ििय बयर्यां अस्लांद (Atrium Or Auricle) कहिे हैं स्जसके मध्र् में
स्द्ववलनी कपयट (Biscuspid Valve) होिय है।
दो स्निले कक्षों को दयर्यां एवां बयर्यां स्नलर् (Ventricle) कहिे हैं स्जसके मध्र् में स्त्रवलनी
कपयट (Tricuspid Valve) होिय है।
एक मनुष्ट्र् के हृदर् कय वजन लगभग 250 – 300 ग्रयम होिय है।

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मनष्ट्ु र् कय हृदर् प्रस्ि स्मनट 72 – 75 बयर धडकिय है।


शरीर से हृदर् की ओर रक्त ले जयने वयली रक्त वयस्हनी को स्शरय (Vein) कहिे हैं।
स्शरय में अशुद्ध रक्त अियाि कयबान डयइऑक्सयइड र्ुक्त रक्त होिय है। अपवयद – पल्मोनरी स्शरय
(Pulmonary Veins)
हृदर् से शरीर की ओर रक्त ले जयने वयली रक्त वयस्हनी को धमनी (Artery) कहिे हैं।
धमनी में शुद्ध रक्त अियाि ऑक्सीजन र्ुक्त रक्त होिय है। अपवयद – पल्मोनरी धमनी
(Pulmonary Artery)।
ियर्रोस्क्सन एवां एड्रीनस्लन थविांत्र रूप से हृदर् की धडकन को स्नर्स्ां त्रि करने वयले हयमोन हैं।
ह्रदर् दो धडकनों के बीि आरयम करिय है स्जसे स्शस्िलन कयल कहय जयिय है।
रक्तदयब मयपने वयले र्त्रां को थफे गमोमैनोमीटर कहिे हैं।
मनुष्ट्र् कय औसि रक्तियप 120 / 80 होिय है।
सीने में ददा पसीनय एवां जी स्मिलयनय, बयह में ददा ििय झनझनयहट इत्र्यस्द लक्षण हृदर्यघयि र्य
हृदर् रोग से सबां स्ां धि है।
मयनव कलयई की नयडी हृदर् के बरयबर थपांस्दि होिी है।

2. रक्त (BLOOD)

रक्त एक िरल सांर्ोजी उत्तक है जो क्षयरीर् होिय है।


रक्त कय PH मयन 7.35- 7.45 होिय है।
हर्थक मनष्ट्ु र् में सयमयन्र्िः 5 – 6 लीटर रक्त होिय है।
मयनव रक्त की श्र्यनिय कय कयरण उसमें उपस्थिि प्रोटीन है।
रक्त कय िक्कय बनयने में फयइस्िनोजेन, फयइस्िन के पररविान में भयग लेने वयलय एन्जयइम थ्रयस्मबन
है।
कुल रक्त कय 55% भयग प्लयज्मय होिय है।
प्लयज्मय में लगभग 91 % जल होिय है।
रुस्धर के प्लयज्मय में स्लांफोसयइट्स द्वयरय एटां ीबॉडी र्य प्रस्िरक्षी प्रोटींस स्नस्माि होिी है।

लयल रक्त कस्णकयएां (RED BLOOD CORPUSCLES OR ERYTHROCYTES)

रुस्धरयणु कय लगभग 90% RBC होिी है।


RBC में हीमोग्लोस्बन नयमक प्रोटीन पयई जयिी है।
हीम नयमक रांजक के कयरण इसकय रांग लयल होिय है।
स्हमोग्लोस्बन ऑक्सीजन कय पररवहन करिय है।

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हीमोग्लोस्बन की मयत्रय कम होने पर रक्तक्षीणिय (ANAEMIA) रोग हो जयिी है।


थिनधयररर्ों (MAMMALS) के RBC में कें द्रक होिय है।
RBC कय स्नमयाण अस्थि मज्जय (Bone Marrow) में होिय है।
भ्रूण अवथिय में इसकय स्नमयाण र्कृि (Lever) और प्लीहय (Spleen) में होिय है।
RBC की मृत्र्ु र्कृि और प्लीहय में होिी है।
प्लीहय (Spleen) आरबीसी कय किगयह कहिे हैं।
RBC कय जीवनकयल 20 से 120 स्दन होिय है।

श्वेि रक्त कण (White Blood Corpuscles OR Leukocytes)

श्वेि रक्त कस्णकयओ ां (WBC) कय स्नमयाण अस्थि मज्जय, स्लांफ नोड और कभी-कभी र्कृि एवां
प्लीहय में होिय है।
WBC कय जीवनकयल 2 से 4 स्दन कय होिय है और इसकी मृत्र्ु रक्त में हो जयिी है।
ल्र्कू े स्मर्य को ब्लड कैं सर भी कहिे हैं।
रोगों के प्रस्ि प्रस्िरक्षय प्रदयन करने कय कयर्ा WBC करिी है।
WBC कय सबसे अस्धक भयग न्र्ूट्रोस्फल्स कस्णकयओ ां कय बनय होिय है।
न्र्ट्रू ोस्फल्स कस्णकयएां रोगयणओ ु ां ििय जीवयणओ
ु ां कय भक्षण करिी है।

रक्त स्बमबयणु (Blood Platelets Or Thrombocytes)

र्ह के वल मनष्ट्ु र् एवां अन्र् थिनधयररर्ों के रक्त में पयर्य जयिय है।
इसकय स्नमयाण अस्थि मज्जय में होिय है।
प्लेटलेट्स कय जीवनकयल 3 से 5 स्दन कय होिय है।
प्लेटलेट्स की मत्ृ र्ु प्लीहय में होिी है।
इसकय प्रमुख कयर्ा रक्त के िक्कय बनयने में मदद करनय होिय है।
डेंगू ज्वर के कयरण मयनव शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जयिी है।

रक्त स्बमबयणु (Blood Platelets Or Thrombocytes)

र्ह के वल मनुष्ट्र् एवां अन्र् थिनधयररर्ों के रक्त में पयर्य जयिय है।
इसकय स्नमयाण अस्थि मज्जय में होिय है।
प्लेटलेट्स कय जीवनकयल 3 से 5 स्दन कय होिय है।
प्लेटलेट्स की मृत्र्ु प्लीहय में होिी है।
इसकय प्रमख ु कयर्ा रक्त के िक्कय बनयने में मदद करनय होिय है।

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डेंगू ज्वर के कयरण मयनव शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जयिी है।

मनष्ट्ु र् के रक्त वगा (Blood Group)

रक्त समूह की खोज कयला लैंडथटीनर ने की िी।


मनुष्ट्र्ों की रक्त की स्भन्निय कय मुख्र् कयरण RBC में पयई जयने वयली ग्लयइकोप्रोटीन है स्जसे
एटां ीजन (Antigen) कहिे हैं।
एटां ीजन दो प्रकयर के होिे हैं
1.) एटां ीजन A 2.) एटां ीजन B
स्कसी एटां ीजन की उपस्थिस्ि में एक स्वपरीि प्रकयर की प्रोटीन रुस्धर प्लयज्मय में पयई जयिी है
स्जसे एटां ीबॉडी कहिे हैं।
एटां ीबॉडी दो प्रकयर के होिे हैं
1.) एटां ीबॉडी a 2.) एटां ीबॉडी b
सवादयिय (UNIVERSAL DONOR) – O
सवाग्रहिय (UNIVERSAL RECIPITOR) – AB

मेरुरज्जु (Spinal Cord)

मेड्र्ूलय ऑब्लयाँगेटय कय स्पछलय भयग ही मेरुरज्जु बनयिय है।


प्रमख ु कयर्ा
प्रस्िविी स्िर्यओ ां (Reflex Action) कय स्नर्ांत्रण एवां समन्वर् करनय (Coordination)
प्रस्िविी स्िर्य के द्वयरय ही हमयरय पैर कयांटे पर पडने पर हम पैर को पीछे की ओर खींि लेिे हैं।
मस्थिष्ट्क से आने वयली उद्दीपन कय सवां हन करनय।

िांस्त्रकय िांत्र (NERVOUS SYSTEM)

मनष्ट्ु र् कय िांस्त्रकय िांत्र िीन भयगों में स्वभक्त है


1. कें द्रीर् िांस्त्रकय िांत्र (Central Nervous System)
2. पररधीर् िांस्त्रकय िांत्र (Peripheral Nervous System)
3. थवयर्त्त र्य थवयधीन िस्ां त्रकय िांत्र (Autonomic Nervous System)
कें द्रीर् िांस्त्रकय िांत्र को दो भयगों से स्मलकर बनय है
1. मस्थिष्ट्क Brain
2. मेरुरज्जु Spinal Cord
मनुष्ट्र् के मस्थिष्ट्क कय वजन 1400 ग्रयम होिय है।

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सुई िुभने पर मस्थिष्ट्क में ददा महसस ू नहीं होिय है क्र्ोंस्क मस्थिष्ट्क में ददा ग्रस्हकयओ ां कय अभयव
होिय है।
सेरीिम के कयर्ा र्ह मस्थिष्ट्क कय सबसे स्वकस्सि भयग है।
र्ह बुस्द्धमिय, थमृस्ि, इच्छय शस्क्त, ऐस्च्छक गस्िर्ों, ज्ञयन वयणी एवां स्िांिन कय कें द्र है।
िैलेमस के कयर्ा र्ह ददा, ठांडय ििय गमा को पहियनने कय कयर्ा करिय है।
हयइपोिैलेमस के कयर्ा
1. र्ह अि ां ः स्रयवी ग्रस्ां िर्ों से स्त्रयस्वि होने वयले हयमोंस कय स्नर्त्रां ण करिय है।
2. र्ह भूख – प्र्यस, ियप स्नर्ांत्रण, प्र्यर, घृणय आस्द कय कें द्र होिय है।

3. रक्तदयब, जल के उपयपिर्, पसीनय, गुथसय, खुशी आस्द इसी के स्नर्ांत्रण में हैं।

सेरीबेलम के कयर्ा र्ह शरीर कय सिां ुलन बनयए रखिय है एवां ऐस्च्छक पेस्शर्ों के सक ां ु िन पर
स्नर्ांत्रण करिय है।
मेड्र्ूलय ऑब्लयाँगेटय र्ह मस्थिष्ट्क कय सबसे पीछे कय भयग होिय है।
इसकय मख् ु र् कयर्ा – उपयपिर्, रक्तदयब, आहयर नयल के सक ां ु िन, ग्रस्ां ि स्रयव, हृदर् की
धडकन ििय श्वयस कय स्नर्ांत्रण करनय है।
र्ह भोजन स्नगमन उल्टी हृदर् थपांदन की दर एवां प्रबलिय खयांसने छीकने इत्र्यस्द कय
स्नर्ांत्रण करिय है।
EEG (ELECROENCEPHALOGRAPH) कय प्रर्ोग मस्थिष्ट्क के कयर्ा कय पिय लगयने के
स्लए स्कर्य जयिय है।

पररधीर् िांस्त्रकय िांत्र (Peripheral Nervous System)

इन्हें िमशः कपयल (Cranial) एवां मेरुरज्जु िांस्त्रकयएाँ कहिे हैं।


मनुष्ट्र् में 12 जोडी कपयल िस्ां त्रकयएाँ है और 31 जोडी मेरुरज्जु िांस्त्रकयएाँ में पयई जयिी है।
िांस्त्रकय उत्तक की सबसे छोटी इकयई को न्र्ूरॉन कहिे हैं।
मनुष्ट्र् के शरीर कय ियपमयन और 98.6 फॉरेनहयइट अिवय 37 स्डग्री सेंटीग्रेड होिय है।
के स्ल्वन पैमयने पर शरीर कय ियप 310 K होिय है।

उत्सजान िांत्र (EXCRETION SYSTEM)


मनष्ट्ु र् सस्हि दूसरे थिस्नर्ों में मुख्र् उत्सजी अगां एक जोडी वृक्क (KIDNEY) पयए जयिे हैं।
वक्ृ क र्य गदु े (स्कडनी) में वक्ृ क नस्लकय र्य नेफ्रॉन पयई जयिी है जोस्क उत्सजान की सरां िनयत्मक
एवां स्िर्यत्मक इकयई है।
शरीर में सयरय रक्त स्कडनी के मयध्र्म से शुद्ध होिय है।

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स्कडनी प्रस्िस्दन लगभग 1500 लीटर रक्त की शुस्द्ध करिय है ििय लगभग 1.5 लीटर मूत्र में
िब्दील करिय है।
वृक्क, स्कडनी र्य गुदे से प्रस्ि स्मनट 1200 सीसी रक्त प्रवयस्हि होिय है।
जब स्कडनी कयर्ा करनय बदां कर देिे हैं िो रक्त में नत्रजस्नि अपस्शष्ट पदयिा जमय होने लगिे हैं।
प्रत्र्ेक वृक्क में लगभग 10 लयख नेफ्रॉन पयए जयिे हैं।
मनुष्ट्र् के शरीर में रक्त की शुस्द्धकरण की प्रस्िर्य डयर्स्लस्सस कहलयिी है।
डयर्स्लस्सस स्वसरण के स्सद्धयिां के अनस ु यर कयम करिय है।
र्ूररर्य र्कृि में बनिी है परांिु अस्ि सूक्ष्म स्नथर्ांदन (Ultrafiltration) स्िर्य द्वयरय इसे रुस्धर से
गुदे द्वयरय पृिक कर स्दर्य जयिय है।
सयमयन्र्ि: मनष्ट्ु र् स्दन भर में लगभग 1.45 लीटर मत्रू कय उत्सजान करिय है।
मूत्र हल्कय अमलीर् होिय है स्जस कय PH मयन 6 होिय है।
र्ूरोिोम की उपस्थिस्ि के कयरण मूत्र कय रांग हल्कय पीलय होिय है इसमें 95% जल 2.6 प्रस्िशि
र्रू रर्य और 2% अनयवश्र्क लवण के आर्न होिे हैं।
कै स्ल्शर्म ऑक्सलेट के कयरण वृक्क में पिरी (Stone) बनिी है।
र्कृि, त्विय ििय फे फडे उत्सजान में सहयर्क अांग है।
र्कृि अल्कोहल के स्नरयस्वर्न (Intoxication) के स्लए उत्तरदयर्ी है।
र्कृि जस्टल रयसयर्स्नक अस्भस्िर्यओ ां के मयध्र्म से हयस्नकयरक ित्वों कय स्नरयस्वर्न करिय है।

प्रजनन ित्रां (Reproductive System)

अन्र् कशेरुक (Vertebral) जांिुओ ां की िरह मनुष्ट्र् एकस्लांगी (Unisexual) होिय है।
इनमें नर ििय मयदय के जनन अांगों (Reproductive Organ) और लैंस्गक लक्षणों में स्भन्निय
होिी है।
पुरुर्ों में एक जोडी वर्ृ ण (TESTES) ििय स्स्त्रर्ों में एक जोडी अांडयशर् (OVARIES) प्रमुख
जननयांग होिे हैं।
मयनव में स्नर्ेिन (FERTILIZATION) की स्िर्य अडां वयस्हनी (Oviduct) र्य फै लोस्पर्न
नली (Fallopian Tube) में सपां न्न होिी है।
र्ुग्मनज (Zygote) स्नमयाण फै लोस्पर्न ट्र्ूब में होिय है।
पुरुर् कय शुियण,ु मस्हलय के स्डबां को स्डबां वयस्हनी नली (Fallopian Tube) में स्नर्ेस्िि करिय
है।
मयदय जनन पि में पहुांिने के पियि शुियणु की स्नर्ेिन क्षमिय सयमयन्र्ि: 48 से 72 घांटे िक
सुरस्क्षि रहिी है।

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स्नर्ेिन स्िर्य के बयद र्ुग्मनज अियाि जयर्गोट िमशः मॉरुलय, ब्लयथटुलय व गैथट्रूलय में
स्वभयस्जि होिय है।
भ्रूणीर् स्वकयस के िीसरे से आठवें सप्तयह को भ्रूण स्वकयस कयल कहिे हैं क्र्ोंस्क र्ह अगां ों के
स्वकयस कय मुख्र् समर् होिय है।
मयनव भ्रूण कय हृदर् अपने पररवधान (Development) की 4 – 5 सप्तयह में थपांदन (Pulsation)
करने लगिय है।
मनष्ट्ु र् में जन्म कय समर् स्नर्ेिन के बयद आदशा रूप से 266 स्दन र्य 38 सप्तयह होिय है।
मयनव सस्हि अन्र् कशेरूकी जांिुओ ां में ग्रांस्िर्ों की िीन थपष्ट श्रेस्णर्यां होिी हैं।
बस्ह: स्रयवी ग्रांस्ि (Exocrine Gland) र्ह ग्रांस्ि नस्लकय र्ुक्त होिी है स्जससे स्रयस्वि पदयिा
शरीर की सिह पर मक्त ु होिे हैं।
जैसे – दुग्ध ग्रांस्ि, थवेद ग्रांस्ि, अश्रु ग्रांस्ि, लयर ग्रांस्ि
अांिः स्रयवी ग्रांस्ि (Endocrine Gland) र्ह नस्लकय स्वहीन होिी है। इससे स्रयस्वि पदयिा र्य
हयमोन रुस्धर कोस्शकयओ ां के द्वयरय शरीर में सि ां ररि होिे हैं। जैसे – पीर्र्ू अिवय स्पट्र्टू री ग्रस्ां ि,
ियर्रयइड ग्रांस्ि, पैरय ियर्रयइड ग्रांस्ि, एस्ड्रनल, पीस्नर्ल, ियर्मस।
स्मस्श्रि ग्रांस्िर्यां इसमें वही शरयबी ििय अांिः स्रयवी दोनों प्रकयर के उत्तक होिे हैं। जैसे अग्नयशर्
हयइपोिैलेमस को पीर्र्ू ग्रांस्ि कय भी मयथटर मयनय जयिय है क्र्ोंस्क मस्थिष्ट्क कय र्ह भयग
िांस्त्रकय िांत्र ििय अिां ः स्रयवी िांत्र के प्रमुख सांर्ोजक की भूस्मकय स्नभयिय है।
अग्नयशर् को पयिक रस के उत्पयदन के स्लए उत्तेस्जि करने वयलय हयमोन स्सस्िस्टन है।
इस ां ुस्लन एक प्रोटीन श्रृांखलय र्य पेप्टयइड हयमोन है।
इस ां स्ु लन में जथिय धयिु मौजूद होिी है।
उदकमेह (डयर्स्बटीज) वयले हर्स्क्त को प्रयर्ः बहुि अस्धक प्र्यस लगिी है क्र्ोंस्क शरीर कय
स्नजालीकरण हो जयिय है स्जस के उपियर हेिु कृस्त्रम ADH कय उपर्ोग होिय है स्जसे स्पट्रेस्सन
कहिे हैं।
इस ां ुस्लन कय उत्पयदन अग्नयशर् के आईलेट्स ऑफ लैंगरहैंस द्वयरय स्कर्य जयिय है।
कृस्त्रम रूप से इस ां ुस्लन डहेस्लर्य की जडों से प्रयप्त होिय है।
सभी हयमोन प्रोटीन की श्रेणी में आिे हैं।
ियर्रोस्क्सन आर्ोडीन र्ुक्त हयमोन है।
स्स्त्रर्ों में रजोस्नवृस्त्त (Masturation) के पियि प्रोजेथट्रोन और एथट्रोजेन हयमोन कय उत्पयदन
समयप्त हो जयिय है।
पैरय ियर्रयइड हयमोन मयनव शरीर के रक्त में कै स्ल्शर्म और फयथफे ट को स्वस्नर्स्मि करिय है।

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मयनव शरीर की ग्रांस्िर्यां एवां उसे स्रयस्वि हयमोन

ग्रस्ां ि रस उत्सस्जाि हयमोन कयर्ा र्य महत्वपूणा िथ्र्


पीस्नर्ल मेलयटोस्नन मेलयटोस्नन हयमोन स्नद्रय व जगने की स्िर्य को स्नर्स्ां त्रि
ग्रांस्ि करिय है।

वेसोप्रोस्सन ADH वेसोप्रोस्सन मूत्र को स्नर्ांस्त्रि करिी है।

ऑक्सीटॉस्सन वयत्सल्र् की ििय मैिनु (Copulation) की भयवनयओ ां को


बढयिय है।

सोमैटोट्रोस्पन STH सोमैटोट्रोस्पन की अस्धकिय से भीमकयस्र्िय


(Gigantism) की अवथिय उत्पन्न होिी है जब की कमी
पीर्र्ू र्य वृस्द्ध हयमोन GH
से बौनयपन।
स्पट्र्ूटरी

प्रोलेस्क्टन PRL प्रोलैस्क्टन हयमोन स्शशु जन्म के बयद दूध के स्त्रयवण को


लूस्टओट्रॉस्पक हयमोन प्रेररि करिय है। स्पट्र्ूटरी ग्रांस्ि मयनव शरीर की सबसे छोटी
LTH अांिः स्रयवी ग्रांस्ि है।

लटु ेनयइस्जांग हॉरमोन LH स्पट्र्टू री ग्रस्ां ि को मयथटर ग्रस्ां ि के नयम से भी जयनय जयिय
ियर्रयइड प्रेरक हयमोन है।
STH
स्पट्र्ूटरी ग्रांस्ि के कई हयमोन अन्र् अिां ः स्रयवी ग्रांस्िर्ों कय
स्नर्त्रां ण करिे हैं।

पैरय पैरयिॉरमोन PTH पैरयिॉरमोन रक्त में कै स्ल्शर्म आर्न की आदशा मयत्रय को
ियर्रॉइड बनयए रखिय है।
ग्रस्ां ि

ट्रयई आर्ोडो ियर्रोस्नन

ियर्रॉइड र्य ियर्रॉस्क्सन 1. ियर्रॉस्क्सन शरीर में उपयपिर्ी स्िर्यओ ां कय


अवटु ग्रस्ां ि स्नर्त्रां ण करिय है।
2. इसकी कमी से बच्िों में जडमयनविय

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(Cretinism) वर्थकों में स्मस्क्सडीमय


(Myxoedema) नयमक रोग
3. इसकी कमी से घेंघय Goiter ििय हयस्शमोटो रोग
भी होिय है।

कै ल्सीटोस्नन ियर्रयइड ग्रांस्ि के अस्िस्त्रयवण से नेत्रोत्सेंधी गलगांड


र्य एक्जोप्िैस्ल्मक ग्वयर्टर ििय प्लमू र कय रोग
होिय है।

ियइमस ग्रांस्ि ियई मोस्सन

अमयशर् गैस्थट्रन, घ्रेस्लन

र्कृि इस
ां ुस्लन like

अल्फय कोस्शकय –
ग्लूकैगयन
अग्नयशर् इस
ां ुस्लन की कमी से उदकमेह र्य मधुमेह डयर्स्बटीज
बीटय कोस्शकय – इस
ां स्ु लन रोग होिय है।

डेल्टय कोस्शकय –
सोमेटोथटैस्टन

एफ कोस्शकय –
पॉस्लपेप्टयइड

वृक्क र्य कै स्लथट्रॉल, रेस्नन,


स्कडनी एररथ्रोपोइस्टन

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एस्ड्रनल ग्रांस्ि से स्रयस्वि हयमोन को लडो एवां उडो (fight


and flight) हयमोन भी कहय जयिय है।
अस्धवृक्क र्य एड्रीनेलीन र्य एस्पनेफ्रीन हृदर् गस्ि में वृस्द्ध होिी है ििय शरीर में उत्तेजनय कय
एस्ड्रनल ग्रांस्ि अनुभव
मस्थिष्ट्क कांकयल पेस्शर्ों हृदर्, फे फडों र्कृि आस्द अगां ों
में रुस्धर सांियर बढनय
नॉरएड्रीनेस्लन इसके प्रभयव के कयरण त्विय, पयिन, उत्सजान, जन्म
आस्द िांत्रों के अगां ों में रुस्धर सिां यर कम हो जयिय है और
इनकी स्िर्यशीलिय कम हो जयिी है।
कॉस्टासोल

एथट्रोजेन 1. एथट्रोजन को नयरी स्वकयस हयमोन कहिे हैं।


अडां यशर् 2. र्ह मस्हलयओ ां के स्द्विीर् लैंस्गक लक्षण हो जैसे
(मस्हलयओ ां लडस्कर्ों में थिन, दूध ग्रांस्िर्ों, गभयाशर् ििय र्ोस्न
में) इत्र्यस्द कय समुस्िि स्वकयस को दशयािय है।
प्रोजेथट्रोन र्ह गभाधयरण के स्लए आवश्र्क लक्षणों के स्वकयस को
प्रेररि करिय है।
ररलैस्क्सन इसके स्त्रयव से गभयाशर् ग्रीवय िौडी हो जयिी है और स्शशु
जन्म में सगु मिय होिी है।
वृर्ण (पुरुर्ों टेथटोथटरॉन र्य एड्रां ोजेन
में)

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कृस्र् उत्पयद िकनीक और खयध प्रसांथकरण

भारत में, कर कष आिीकर्का प्रदान करने और खाद्य सरु क्षा सकु नकित करने में अहम् भकू मका कनभाती है। साथ
ही, खेती गरीर्ी को कम करने और कर्कास को सतत र्नाए रखने के कलहाज़ से भी महत्र्पणू व है मसलन
नक्सलर्ाद और पलायन।
कर कष का सकल घरेलू उत्पयद में 16 प्रस्िशि का और रोजगयर में 49 प्रस्िशि कय स्हथसय है। ऐसे में,
खरार् कर कष प्रदशवन से महगं ाई, ककसानों से िडु े संकि और रािनीकतक-सामाकिक असन्तोष पैदा हो सकता
है। साथ ही, कर कष में उत्पयदकिय बढने से अिाहर्वथिय के अन्र् उत्पयदक क्षेत्रों को गस्ि देने में मदद
स्मलेगी।
भारत में, कृस्र् मत्रां यलर् के अिां गाि कृस्र् एवां सहकयररिय स्वभयग कृस्र् क्षेत्र के स्वकयस के स्लए
स्जममेदयर है। यह अन्य संर्द्ध कर कष क्षेत्रों को कर्ककसत करने के कलए कई अन्य कनकायों िैसे रयष्ट्ट्रीर् डेर्री
स्वकयस बोडा (NDDB) कय भी प्रबांधन करता है ।

मख्
ु र् रूप से िीन प्रकयर के फसल उगयर्े जयिे हैं:

(1) खरीफ: दकक्षण पकिम या िीष्म मानसनू के दौरान जुलयई से अक्टूबर िक फसल कय मौसम। चार्ल,
कपास, मक्का, र्ािरा, अरहर, सोयार्ीन, मगंू िली, ििू आकद इस मौसम में उगाए िाते हैं।
(2) रबी: उिर पर्ू व में मॉनसनू की र्ापसी के दौरान अक्टूबर से मयिा िक का मौसम। गेह,ं िौ, िई, सरसों आकद
इस मौसम में उगाई िाने र्ाली प्रमख ु िसलें हैं।
(3) ियर्द: मयिा और जून के बीि िसल का मौसम। तरर्िू और चार्ल इस मौसम में उगाए िाते हैं।

आियदी के बयद कृस्र् सुधयर के स्लए उठयर्े गए कदम

1. िमींदारी प्रथा को समाप्त करना


2. इस र्ात को थर्ीकार करना कक भकू म उन लोगों की है, िो इस पर खेती कर रहे हैं
3. भकू म सीमा अकधकनयम र्नाना
4. भदू ान और सर्ोदय आदं ोलनों को प्रोत्साकहत करना
5. भ-ू रािथर् उगाही के कलए उपयक्त ु तकव संगत व्यर्थथा तैयार करना
6. खाद्यान्न उत्पादन के मामले में देश को आत्मकनभवर र्नाना। इसके कलए हररत िाकं त समेत तमाम ऐसे क़दमों
को उठान किससे कर कष उत्पादन र्ढ़ सके , और
7. कर कष के कलए ज़रूरी क्षेत्रों में कनर्ेश मसलन कसचं ाई के कलए

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भयरिीर् कृस्र् कय विामयन पररदृश्र्

विामयन समर् में, भयरि दुस्नर्य भर में कृस्र् उत्पयदन के क्षेत्र में दूसरे थियन पर है।
सकल फसली क्षेत्र: 195 स्मस्लर्न हेक्टेर्र
बोर्य गर्य स्नवल क्षेत्र: 141 स्मस्लर्न हेक्टेर्र
कृस्र् स्सस्ां िि भूस्म (कुल कृस्र् भूस्म कय%): 36% (स्वश्व बैंक के सयल 2014 के आक ां डों के
अनुसयर)
58 प्रस्िशि से भी अस्धक ग्रयमीण पररवयर अपनी आजीस्वकय के स्लए कृस्र् पर स्नभार हैं।
आस्िाक सवेक्षण 2017 के मुियस्बक़, 2018 -2019 में कृस्र् स्वकयस दर 4.1% रहने की
सांभयवनय है जबस्क वर्ा में 2015-16 में र्े दर 1.2% िय।
बयगवयनी फसलों कय कुल फसल क्षेत्र में 10% कय स्हथसय है, पशुपयलन कय देश के कुल कृस्र्
उत्पयदन में लगभग 32% की स्हथसेदयरी है।
भयरि की दूध, आम, के लय, नयररर्ल, कयजू, पपीिय, मटर, कसयवय और अनयर में पहली रैंक।
मसयले, बयजरय, दलहन, सूखय बीन, अदरक कय सबसे बडय उत्पयदक और स्नर्यािक।
कुल स्मलयकर, सब्जी, फल और मछस्लर्ों कय दूसरय सबसे बडय उत्पयदक।
भयरि में स्वश्व की भैंस आबयदी कय 57% और मवेस्शर्ों की आबयदी कय 14% है।
और्धीर् और सुगस्ां धि पौधों के मयमले में स्वश्व बयजयर में 7% स्हथसेदयरी के सयि भयरि अपनय
6वयां थियन रखिय है।

भयरिीर् कृस्र् की विामयन समथर्यएां

िामीण-शहरी कर्भािन- शहरों की प्रगकत को देखकर ककसानों को ये लगने लगा है कक खेती घािे का सौदा
है। इससे शहरों की तरि पलायन की समथया भी र्ढ़ रही है। लोकनीकत द्वारा 2014 में ककये गए एक
सर्ेक्षण के अनसु ार लगभग 40% ककसान अपनी आकथवक कथथकत से परू ी तरह से असतं ष्टु थे। यह आक ं डा
पर्ू ी भारत में 60% से अकधक था। 70% से अकधक ककसानों का यह मानना है कक शहरी िीर्न िामीण
िीर्न से र्ेहतर है।
आर्ादी र्ढ़ने के साथ-साथ खेतों का आकार कदनों-कदन छोिा होता िा रहा है। इस कारण खेती में मशीनों
का प्रयोग थोडा मकु श्कल हो रहा है।
िल के समकु चत दोहन का अभार्, कसचं ाई के अपयावप्त साधन। मतलर् प्राकर कतक संसाधनों के सही उपयोग
का अभार्।
मानसनू पर अत्यकधक कनभवरता और मानसनू की अकनयकमतता।

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सकब्सडी का र्ाकज़र् पररणाम नहीं आ रहा है यानी सकब्सडी कर्तरण व्यर्थथा में कहीं न कहीं कमी है।
उत्पादन के र्ाद भडं ारण और प्रसथं करण की समकु चत व्यर्थथा नहीं है।
सरकारी अनसु ंधान से पता चलता है कक उर्वरक का ज़रूरत से ज़्यादा प्रयोग, परंपरागत िसल पद्धकत,
कमििी की घिती गणु र्िा भी प्रमख ु समथयायों में से एक है।
कर कष में कनर्ेश का अभार्
प्रभार्ी नीकतयों का अभार्
कनिी कनर्ेश की कमी
पयावप्त अनसु ंधान की कमी
गरीर्ी तथा षणिथतता के कारण ककसान अपनी उपि कम कीमतों पर कर्चौकलयों को र्ेचने के कलए र्ाध्य
हैं।
कर कष के कलए आर्श्यक मल ू भतू सकु र्धाओ ं िैसे सडक और कर्िली की कमी। कलहाज़ा कर कष उत्पादों का
र्ाज़ार प्रभाकर्त होता है।
कर कष उत्पादों की गणु र्िा अतं रावष्रीय मानकों के अनरूु प नहीं। इससे कर कष उत्पादों का कनयावत नहीं हो पा
रहा है।
सरकयर द्वयरय उठयर्े गए कदम

कर कष के व्यापक कर्कास के कलए सरकयर द्वयरय सयल 2007 में रयष्ट्ट्रीर् कृर्क नीस्ि लयइ गई।
िमीन की उर्वरता और िैर् कर्कर्धता को र्नाए रखने के कलए िैकर्क खेती को र्ढ़ार्ा कदया िा रहा है।
िसलों के मतु ाकर्क पोषण और उर्वरक की िानकारी उपलब्ध कराने के कलए 'सॉइल हेल्ि कयडा' और
'स्कसयन कॉल सेंटर' जैसी र्ोजनयएां िलयई जय रही हैं।
कसचं ाई की समथयाओ ं को दरू करने के कलए 'प्रधयनमांत्री कृस्र् स्सांियई र्ोजनय' को व्यापक थतर पर
कियाकन्र्त ककया िा रहा है।
यरू रया और अन्य खतरनाक रासायकनक उर्वरकों के दष्ु प्रभार् से र्चने के स्लए 'नीम कोटेड र्ूररर्य' को
र्ढ़ार्ा कदया िा रहा है।
इसके अलार्ा खाद्यान्नों के भडं ारण और उनके प्रसथं करण से िडु ी ढाच ं ागत कर्कास पर भी ध्यान कें कित
ककया िा रहा है।
कर कष उत्पादों को एक र्डा बयजयर उपलब्ध करयने के स्लए इ-नैम हर्वथिय और APMC एक्ट भी लाया
गया है।
कर कष में जोस्खम को कम करने के स्लए प्रधयनमत्रां ी फसल बीमय र्ोजनय भी कियाकन्र्त ककया िा रहा है।
इसके अलार्ा खेती में कर्ि की समथया से कनपिने के कलए लोन की सगु मता, स्कसयन िे स्डट कयडा और
न्र्ूनिम समथवन मल्ू य िैसे पहल ककए िा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य 2022 तक ककसानों की आय को दोगनु ा
करने की है। इस कदशा में 'प्रधानमत्रं ी ककसान सममान कनकध' एक और नयी पहल है।
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कर कष उत्पादों के कनयावत को र्ढ़ार्ा देने के कलए सरकार ने कपछले साल कदसंर्र 2018 में कर कष कनयावत नीकत
लागू ककया है।
कर कष में अनसु ंधान एर्ं कर्कास को भी र्ढ़ार्ा कदया िा रहा है। साथ ही, िलर्ायु पररर्तवन के अनसु ार ऐसी
खेती को र्ढ़ार्ा कदया िा रहा है किससे पयावर्रण में हो रहे र्दलार् के र्रु े प्रभार् से र्चा िा सके और
पयावर्रण को भी नक्ु सान न हो।

आगे क्र्य स्कर्य जयनय ियस्हए?

'पर ड्रॉप मोर िॉप' के लक्ष्य पर और भी ज्यादा ध्यान देने की िरूरत है।
हररत िांकत के र्ाद किस तरह से क्षेत्रीय असमानता देखने को कमला है मसलन पंिार् और कर्हार की कथथकत
में कािी फ़क़व है। ऐसे में एक दसू रे लेककन अकधक तकव संगत हररत िांकत की िरूरत है।
इसके अलार्ा कर कष क्षेत्र में अनसु धं ान अभी भी पयावप्त नहीं है। कलहाज़ा, इस पहलू पर और भी ज्यादा ध्यान
कदया िाना चाकहए।
कर कष संर्द्ध क्षेत्रों किसमें अडं े का उत्पादन,ऊन का उत्पादन, मांस का उत्पादन और मत्थय उत्पादन िैसी चीिें
शाकमल हैं इनके भंडारण, सरक्षण और माके किंग पर भी ध्यान देने की िरूरत है। हालांकक, सरकार इसके कलए
राष्रीय पशधु न कमशन िैसी योिना तो चला रही है लेककन इस क्षेत्र में सभं ार्नाएं और भी ज्यादा हैं।
इसके अलार्ा कर कष के कलए दी िाने र्ाली सकब्सडी को और भी तकव संगत र्नाने की िरूरत है। और इसमें
तकनीक का महत्र्पणू व योगदान हो सकता है।
किव मािी िैसी शािव िमव नीकत समकु चत रूप से प्रभार्ी नहीं होगी। कलहािा कर कष से िडु ी समथयाओ ं का लागं
िमव हल ढूंढा िाना चाकहए।
कर कष उत्पादों के भंडारण और उनके कर्तरण र्ाले पहलू पर सरकार को ध्यान देना होगा। क्योंकक हमारे यहां
उत्पादन पयावप्त मात्रा में होने के र्ार्िदू भी एक र्डा र्गव ऐसा है िो खाद्यान्न के अभार् से िझू रहा है।
हालाकं क सरकार ने इसके कलए राष्रीय खाद्य सरु क्षा कमशन िैसे उपाय िरूर ककए हैं लेककन अभी यह उपाय
नाकािी हैं।

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‘रयष्ट्ट्रीर् मृदय सेहि कयडा’

19 िरर्री, 2015 को रािथथान के श्ीगगं ानगर कज़ले के सरू तगढ़ में राष्रव्यापी ‘राष्रीय मरदा सेहत काडव’
योिना का शभु ारंभ ककया गया।
इस योिना का मख्ु य उद्देश्य देश भर के ककसानों को मरदा थर्ाथ्य काडव प्रदान ककये िाने में राज्यों का
सहयोग करना है।
इस योिना की थीम है: थवथि धरय, खेि हरय।
इस योिना के अतं गवत िामीण यर्ु ा एर्ं ककसान किनकी आयु 40 र्षव तक है, मरदा परीक्षण प्रयोगशाला की
थथापना एर्ं नमनू ा परीक्षण कर सकते हैं।
योिना के तहत मरदा की कथथकत का आकलन कनयकमत रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 र्षव में ककया िाता
है, ताकक पोषक तत्त्र्ों की कमी की पहचान के साथ ही सधु ार लागू हो सकें ।
प्रयोगशाला थथाकपत करने में 5 लाख रूपए तक का खचव आता हैं, किसका 75 प्रकतशत कें ि एर्ं राज्य
सरकार र्हन करती है। थर्यं सहायता समहू , कर षक सहकारी सकमकतयाुँ, कर षक समहू या कर षक उत्पादक
सगं ठनों के कलये भी यहीं प्रार्धान है।
प्रधयनमत्रां ी कृस्र् स्सि
ां यई र्ोजनय

िल
ु ाई 2015 में कें ि सरकार ने प्रधानमत्रं ी कर कष कसंचाई योिना को मज़ं रू ी दी थी।

इसमें पाुँच सालों (2015-16 से 2019-20) के कलये 50 हज़ार करोड रुपए की राकश का प्रार्धान ककया गया
है।
इस योिना के प्रमख ु उद्देश्यों में कनर्ेश में एकरूपता लाना, 'हर खेि को पयनी' के तहत कर कष क्षेत्र का कर्थतार
करना, खेतों में पानी इथतेमाल करने की दक्षता को र्ढ़ाकर पानी की र्र्ावदी को रोकना, सही कसंचाई और
पानी को र्चाने की तकनीक को अपनाना तथा हर बदूाँ अस्धक फसल आकद शाकमल हैं।

रयष्ट्ट्रीर् सूक्ष्म स्सांियई स्मशन

सूक्ष्म स्सि
ां यई कय रयष्ट्ट्रीर् स्मशन (National Mission on Micro Irrigation-NMMI) जून 2010 में
शुरू स्कर्य गर्य था। NMMI पानी के इथतेमाल में र्ेहतर दक्षता, िसल की उत्पादकता और ककसानों की
आय में र्रकद्ध करने के कलये राष्रीय खाद्य सरु क्षा कमशन (एनएफ़एसएम), कतलहनों, दालों एर्ं मक्का की

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एकीकर त योिना, कपास पर प्रौद्योकगकी कमशन आकद िैसे र्डे सरकारी कायविमों के अांिगाि सूक्ष्म स्सांियई
गस्िस्वस्धर्ों के समयवेश को बढयवय देगय। इसके तहत कदये गए कदशा-कनदेश पानी के उपयोग की दक्षता में
र्रकद्ध के साथ िसलों की उत्पादकता में र्रकद्ध करेंगे तथा पानी के खारेपन र् िलभरार् िैसे मद्दु ों का हल भी
प्रदान करते हैं।

सूक्ष्म स्सांियई कोर्

प्रधानमत्रं ी कर कष कसचं ाई योिना के तहत नार्ाडव के साथ 5000 करोड रुपए की आरंकभक राकश से 'सक्ष्ू म
स्सांियई कोर्' (Micro Irrigation Fund-MIF) र्नाया गया है।
इसमें से 2000 करोड रुपए 2018-19 और 3000 करोड रुपए का इथतेमाल 2019-20 के दौरान ककया िाना
है।
नयबयडा इस अवस्ध के दौरयन रयज्र् सरकयरों को ऋण कय भुगियन करेगय। नार्ाडव से प्राप्त षण राकश दो
र्षव की छूि अर्कध सकहत सात र्षव में लौिाई िा सके गी।
इलेक्ट्रॉस्नक रयष्ट्ट्रीर् कृस्र् बयियर

इलेक्रॉकनक नेशनल एिीकल्चर माके ि (e-NAM) एक अकखल भारतीय इलेक्ट्रॉस्नक ट्रेस्डगां पोटाल
(Electronic Trading Portal) है, िो मौजूदय कृस्र् उपज बयियर सस्मस्ि ( Agricultural
Produce Market Committee - APMC) मांस्डर्ों को कृस्र् स्जांसों हेिु एकीकृि रयष्ट्ट्रीर् बयियर
बनयने के स्लर्े नेटवका प्रदयन करिय है। इसे 2016 में शुरु स्कर्य गर्य िय।
e-NAM मोर्ाइल और र्ेर् अनप्रु योगों के माध्यम से मकं डयों में र्थतओ
ु ं के व्यापार करने की अनमु कत देता
है।
लघु ककसान कर कष व्यर्साय कंसोकिवयम (Small Farmers Agribusiness Consortium-SFAC) भारत
सरकार के कर कष और ककसान कल्याण मत्रं ालय के अतं गवत आता है िो e-NAM को लागू करने र्ाली प्रमख

एिेंसी है।
राज्यों को e-NAM व्यर्थथा अपनाने के कलये कनमनकलकखत पररर्तवन की आर्श्यकता है-
a. इलेक्रॉकनक रेकडगं प्रदान करना।
b. एकल व्यापार लाइसेंस प्रदान करना िो राज्य की सभी मकं डयों में मान्य हों।
c. लेन-देन शल्ु क की एकल-कखडकी व्यर्थथा लागू करना।

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e-NAM पोिवल सभी कर कष उपि र्ाज़ार सकमकत (APMC) से संर्ंकधत िानकारी और सेर्ाओ ं के कलये एक
एकल कखडकी सेर्ा प्रदान करता है। इसमें अन्य सेर्ाओ ं के साथ र्थतओु ं के आयात और मल्ू य, व्यापार
ऑिर खरीदना और र्ेचना, व्यापार ऑिर पर प्रकतकिया देने का प्रार्धान शाकमल है।
ए.पी.एम.सी. एक्ट, 2003: इसके अांिगाि स्कसयनों को APMC मांडी से बयहर उत्पयदों को बेिने की
छूट प्रदयन की गई है, सयि ही APMCs के उत्तरदयस्र्त्त्व को बढयर्य गर्य है।

स्कसयन िे स्डट कयडा र्ोजनय

ककसान िे कडि काडव योिना की शुरुआि वर्ा 1998 में की गई थी।

ककसानों की षण आर्शय् कताओ ं (कर कष संर्ंधी खचों) की पकू तव के कलये पयावपत् एर्ं समय पर षण की
सकु र्धा प्रदान करना, साथ ही आकसक् मक खचों के अलार्ा सहायक कायवकलापों से सर्ं कं धत खचों की पकू तव
करना। यह षण सकु र्धा एक सरली कायवकर्कध के माधय् म से यथा- आर्शय् कता के आधार पर प्रदान की
िाती है।
KCC में फसल कटयई के बयद के खिों, स्वपणन हेिु ऋण, स्कसयन पररवयरों की उपभोग सबां ध ां ी
आवश्र्कियओ,ां कर कष पररसपं कियों के रखरखार् के कलये कायवशील पंिू ी और कर कष से संर्द्ध गकतकर्कधयों,
कर कष क्षेत्र में कनर्ेश षण की आर्श्यकता को शाकमल ककया गया है।
स्कसयन िे स्डट कयडा र्ोजनय (KCC) को वयस्णस्ज्र्क बैंकों, RRBs, लघु स्वत्त बैंकों (Small
Finance Banks) और सहकयरी सांथियओ ां द्वयरय कयर्यास्न्वि स्कर्य जयिय है।
कृस्र् एवां स्कसयन कल्र्यण मांत्रयलर् (Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare) के
अनुसयर, विामयन में 14.5 करोड पररियलन भूस्म जोि (Operational Landholdings) के
मुकयबले 6.92 करोड KCCs हैं।

KCC के तहत उधारकिाव को एक ATM सह-डेकर्ि काडव िारी ककया िाता है ताकक र्े ATMs एर्ं POS
िकमवनलों से आहरण कर सकें । KCC एक कर्कर्ध खाते का सर्् रूप है। इस खाते में कोई िमा शेष रहने की
सक् थकत में उस राकश पर र्चत खाते के समान र्य् ाि कमलता है।

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न्र्ूनिम समिान मूल्र् (एमएसपी)

न्यनू तम समथवन मल्ू य र्ह न्यनू तम मल्ू य होता है, किस पर सरकार ककसानों द्वारा र्ेचे िाने र्ाले अनाि की
परू ी मात्रा िय करने के कलये तैयार रहती है।
िर् र्ाज़ार में कर कष उत्पादों का मल्ू य कगर रहा हो, तर् सरकार ककसानों से न्यनू तम समथवन मल्ू य पर कर कष
उत्पादों को िय कर उनके कहतों की रक्षा करती है।
सरकार न्र्ूनिम समिान मूल्र् की घोर्णय फसल बोने से पहले करिी है।
न्यनू तम समथवन मल्ू य की घोषणा सरकार द्वारा कृस्र् लयगि एवां मूल्र् आर्ोग (CACP) की सांथिुस्ि पर
वर्ा में दो बयर रबी और खरीफ के मौसम में की िाती है।

कृस्र् लयगि एवां मूल्र् आर्ोग (CACP)

कृस्र् लयगि एवां मूल्र् आर्ोग भयरि सरकयर के कृस्र् एवां स्कसयन कल्र्यण मांत्रयलर् कय एक सांलग्न
कयर्यालर् है। यह आयोग िनर्री1965 में अकथतत्र् में आया।
यह आयोग कर कष उत्पादों के संतकु लत एर्ं एकीकर त मल्ू य संरचना तैयार करने के उद्देश्य से थथाकपत ककया गया।
कृस्र् लयगि एवां मूल्र् आर्ोग कृस्र् उत्पयदों के न्र्ूनिम समिान मूल्र् पर सलयह देिय है।
इस आयोग के द्वयरय 24 कृस्र् फसलों के न्र्ूनिम समिान मूल्र् जयरी स्कर्े जयिे हैं।
इसके अकतररक्त गन्ने के कलये न्यनू तम समथवन मल्ू य की िगह उकचत एर्ं लाभकारी मल्ू य की घोषणा की िाती
है।
गन्ने कय मूल्र् स्नधयारण आस्िाक मयमलों की मांस्त्रमांडलीर् सस्मस्ि द्वयरय अनुमोस्दि स्कर्य जयिय है।

'प्रधयनमत्रां ी स्कसयन सममयन स्नस्ध

इस योिना के िहि 2 हेक्टेर्र िक भूस्म वयले छोटी जोि वयले स्कसयन पररवयरों को 6,000 रुपए
प्रस्िवर्ा की दर से प्रत्यक्ष आय सहायता उपलब्ध कराई िाएगी।
यह आय सहायता 2,000 रुपए की िीन समयन स्कथिों में लाभाकन्र्त ककसानों के र्ैंक खातों में सीधे ही
हथतांतररत कर दी िाएगी।
इस योिना का स्वत्तपोर्ण भयरि सरकयर द्वयरय ककया िाएगा और इससे लगभग 12 करोड छोटे और
सीमयिां स्कसयन पररवयरों के लाभाकन्र्त होने की उममीद है।
यह र्ोजनय 1 स्दसांबर, 2018 से लयगू की जय रही है और 31 मयिा, 2019 िक की अवस्ध के स्लर्े
पहली स्कथि का इसी र्षव के दौरान भगु तान कर कदया िाएगा।

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इस योिना पर 75 हियर करोड रुपए कय वयस्र्ाक हर्र् आएगा।


यकद पकत-पत्नी और र्च्चों की ज़मीन कमलाकर दो हेक्िेयर से अकधक हो िाती है तो ऐसे ककसान लघु सीमांत
की श्ेणी में नहीं आएंगे।
यकद पकत-पत्नी या कपता सरकारी नौकरी में है या पेंशनर है तो उसे भी इस योिना का लाभ नहीं कमलेगा।

प्रधयनमांत्री फसल बीमय र्ोजनय-

ककसानों के उत्पादन को कर्कभन्न आपदाओ ं से संरक्षण देने हेतु सरकार ने िसल र्ीमा योिना का प्रारंभ
ककया है, इसके अतं गवत-
I. सरकार ककसानों को मआ ु र्ज़ा देगी, यकद उनकी िसल र्ाढ़, सखू ा, ओला, भथू खलन आकद प्राकर कतक
कर्पदाओ ं में ख़रार् हो िाए|
II. यह र्ीमा योिना सभी अनािों, कतलहनों तथा र्गानी िसलों पर लागू होगी|
III. इसके अकतररक्त र्ीमा योिना के अतं गवत सभी प्रकार की हाकनयों को, यथा िसल पर्ू व (Pre-
Harvesting) होने र्ाले खतरे तथा तैयार िसल (Standing Crop) पर उत्पन्न खतरों के साथ-साथ
िसल पिात (Post-Harvesting) होने र्ाली हाकनयों को भी समाकहत ककया िायेगा|

कृस्र् स्नर्याि नीस्ि, 2018

कर कष कनयावत नीकत, 2018 का उद्देश्य र्षव 2022 तक कर कष कनयावत को 60 अरर् अमेररकी डॉलर से भी अकधक
करना है।
ध्यातव्य हो कक यह िै सला 2022 तक ककसानों की आय दोगनु ी करने के सरकार के उद्देश्यों के तहत कलया
गया है।
कर कष कनयावत नीकत से चाय, कॉिी और चार्ल िैसे कर कष उत्पादों के कनयावत को र्ढ़ार्ा कमलने के साथ-साथ
यह र्ैकश्वक कर कष व्यापार में देश की कहथसेदारी को र्ढ़ाएगी।
इस नीकत के तहत िैकर्क उत्पादों पर सभी प्रकार के कनयावत प्रकतर्ंधों को भी हिाने की कोकशश की िाएगी।
एक अकधकारी के मतु ाकर्क, इस नीकत के कायावन्र्यन के कलये अनमु ाकनत कर्ि 1,400 करोड रुपए से अकधक
का होगा।

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खयद्य प्रसांथकरण

खयद्य प्रसथां करण उद्योग कय ियत्पर्ा ऐसी गस्िस्वस्धर्ों से है स्जसमें प्रयिस्मक कृस्र् उत्पयदों
कयप्रसांथकरण कर उनकय मूल्र्वधान स्कर्य जयिय है। उदयहरण के स्लए डेर्री उत्पयद, दूध, फल ििय
सस्ब्जर्ों कय प्रसांथकरण, पैकेट बांद भोजन ििय पेर् पदयिा खयद्य प्रसांथकरण उद्योग के अांिगाि आिे हैं।
खाद्य प्रसंथकरण उद्योग ककसानों, सरकार एर्ं र्ेरोज़गार यर्ु ाओ ं के र्ीच कडी का कायव कर भारतीय
अथवव्यर्थथा को मज़र्तू ी प्रदान कर सकता है।
चीन के र्ाद भारत खाद्य पदाथों का दसू रा सर्से र्डा उत्पादक देश है, साथ ही कर्शाल िनसंख्या तथा र्ढ़ती
आकथवक समरकद्ध के कारण भारत में खाद्य प्रसथं करण उद्योगों के कलये र्डा र्ाज़ार उपलब्ध है।
सथते श्म र्ल की उपकथथकत के कारण भी भारत में खाद्य प्रसंथकरण अपेक्षाकर त कम लागत पर ककया िा
सकता है। इससे र्ैकश्वक व्यापार में भारत को लाभ प्राप्त हो सकता है।
सरकयर द्वयरय उठयए गए कदम:

खाद्य उत्पादों के कर्कनमावण में थर्चाकलत मागव के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष कर्देशी कनर्ेश।
खयद्य प्रसांथकरण पररर्ोजनयओ ां / इकयइर्ों को सथिय ऋण प्रदयन करने के स्लर्े ‘रयष्ट्ट्रीर् कृस्र् और
ग्रयमीण स्वकयस बैंक’ (National Bank for Agriculture and Rural Development- NABARD)
ने 2000 करोड रुपए का एक कर्शेष कोष र्नाया गया है।
खयद्य और कृस्र् आधयररि प्रसांथकरण इकयइर्याँ और कोल्ड िेन इन्फ्रयथट्रक्िर को ‘प्रयिस्मकिय प्रयप्त
क्षेत्रों के ऋण’ (Priority Sector Lending-PSL) के स्लर्े कृस्र् गस्िस्वस्ध के रूप में वगीकृि
ककया गया है।
नई खाद्य प्रसंथकरण इकाइयों के लाभ पर आयकर में 100% छूि िैसे रािकोषीय उपाय।
500 करोड रुपये के पररव्यय के साथ िमािर, प्याज़ और आलू (Tomato, Onion and Potato- TOP)
की िसलों की मल्ू य शरख
ं ला के एकीकर त कर्कास के कलये कें िीय क्षेत्र योिना "ऑपरेशन िीन्स" का प्रारंभ।

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प्रधयनमांत्री स्कसयन सांपदय र्ोजनय’

र्ोजनय कय उद्देश्र्:

इस योिना का मख्ु य उद्देश्य खाद्य प्रसथं करण एर्ं सरं क्षण क्षमताओ ं का कनमावण, मल्ू य सर्ं द्धवन,
खाद्यान अपव्यय में कमी के कलये प्रसंथकरण के थतर को र्ढ़ाना तथा मौिदू ा खाद्य प्रसंथकरण
इकाइयों का आधकु नकीकरण एर्ं कर्थतार करना है।
व्यकक्तगत प्रसंथकरण इकाइयों की गकतकर्कधयों में िसल किाई के र्ाद की कर्कभन्न प्रकियाओ ं
(Post-harvest Processes) यथा- मल्ू य सर्ं द्धवन, उत्पाद की शेल्ि लाइि र्ढ़ाने िैसी सकु र्धाएुँ,
संरक्षण कायव आकद शाकमल हैं
र्ोजनय के प्रयवधयन:

PMKSY योिना को MoFPI मत्रं ालय लागू कर रहा है किसके कायावन्र्यन की अर्कध र्षव 2016-20 है
तथा कुल पररव्यय राकश 6,000 करोड रुपए है।
इस योिना की सात घिक योिनाएुँ हैं-
1. मेगा िूड पाकव
2. एकीकर त कोल्ड चेन और मल्ू य सर्ं द्धवन अर्सरं चना
3. कर कष-प्रसंथकरण समहू ों ( Agro-Processing Clusters) के कलये र्कु नयादी ढाुँचा
4. र्ैकर्डव और िॉरर्डव कलंकेि का कनमावण
5. खाद्य प्रसंथकरण और संरक्षण क्षमता का कनमावण / कर्थतार
6. खाद्य सरु क्षा और गणु र्िा आश्वासन अर्सरं चना
7. मानर् ससं ाधन और सथं थान

मेगय फूड पयक्सा (Mega Food Parks)

खाद्य प्रसथं करण क्षेत्र पर कर्शेष ध्यान देने के साथ-साथ खाद्य प्रसथं करण क्षेत्र को मल्ू यर्ान र्नाने तथा
आपकू तव श्रंखला के प्रत्येक चरण में खाद्य अपव्यय को कम करने के कलये खाद्य प्रसंथकरण उद्योग मत्रं ालय
द्वारा देश में मेगा िूड पाकव योिना को लागू ककया गया है।

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खाद्य प्रसंथकरण के कलये मेगा िूड पाकव के तहत आधकु नक ढाुँचे का कनमावण कर ककसानों और र्ाज़ार के र्ीच
एक श्रखं ला र्ना दी िाएगी, ताकक कलथिर आधाररत व्यर्थथा र्न सके और कलक ं े ि को रोका िा सके ।
इस योिना के तहत भारत सरकार मेगा िूड पाकव के कलये 50 करोड रुपए तक की आकथवक मदद महु यै ा कराई
िा रही है।

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