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पययावरण

एवं
पयररस्थिस्िकी

मकसद RO/ARO
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पयररस्थिस्िकी िंत्र (Ecosystem)
 जीवों का समदु ाय और साथ ही वह पयाा वरण जजसमें वे जनवास करते हैं, 'पयररस्थिस्िकी िंत्र' ऄथवा 'पयररिंत्र (आकोस्सथटम)'
कहलाता है । यह एक खल ु ा तंत्र है ।
 पाररतंत्र का अकार एक छोटे तालाब से लेकर एक जवशाल महासागर तक हो सकता है । सामजु िक पाररजथथजतकी तंत्र पथ्ृ वी का
सबसे बडा व थथायी पाररजथथजतकी तंत्र है ।
 पयररस्थिस्िकी (Ecology): जीवों के अपसी संबंधों और पयाा वरण के बीच ईनके संबंधों का वैज्ञाजनक ऄध्ययन 'पयररस्थिस्िकी'
(आकोलॉजी) कहलाता है । आस शब्द के प्रथम प्रयोगकताा 'ऄर्नेथट हेकेल' थे । पययावरण (Environment): पयाा वरण एक
गजतशील प्राकृजतक आकाइ है, जजसमें जैजवक तथा ऄजैजवक घटक परथपर ऄंतः जिया कर ऄंतसंबंजधत होते हैं । जवश्व पयाा वरण
जदवस 5 जून को मनाया जाता है ।
 जैस्वक समदु यय (Biotic Community): जवजभन्न प्रजाजतयों के समदु ाय, जो एक ही क्षेत्र में रहते हैं तथा एक-दूसरे के साथ
परथपर जिया करते हैं, 'जैजवक समदु ाय' कहलाते हैं । जकसी भी पाररजथथजतकी तंत्र का जवकास जैजवक घटकों (ईत्पादक, ईपभोक्ता,
ऄपघटक) के साथ ऄजैजवक घटकों (थथलमंडल, जलमंडल, वायमु ंडल) के ऄंतसंबंधों से होता है ।
 बययोम (Biome): सभी पौधे तथा जंतु पयाा वरण से संयक्त ु जिया और प्रजतजिया द्वारा परथपर संबंजधत हैं । एक क्षेत्र में ऄनेक
समदु ायों का यह जाल ही 'बायोम' कहलाता है । बायोम एक 'जैजवक कजटबंध' होता है ।
 जैवमंडल (Biosphere): बायोम के समूह को 'जैवमंडल' कहते हैं, जो जैजवक और ऄजैजवक समदु ायों के बीच ऄंतसंबंधों से
जनजमा त वहृ द् एवं जजटल पाररजथथजतकी तंत्र है । यह पथ्ृ वी के तीन ऄजैव पररमंडलों, यथा-थथलमंडल, वायमु ंडल तथा जलमंडल के
जमलन थथल पर होता है, जहााँ जीवन का कोइ-न-कोइ ऄंश मौजूद होता है ।
 स्र्नके ि (Niche) एक प्रजाजत को जीने के जलये जजन जैजवक, भौजतक या रासायजनक कारकों की ज़रूरत होती है, ईन सबको
सजममजलत रूप से जनके त कहते हैं । दूसरे शब्दों में जनके त ऐसा थथान है, जहााँ जकसी प्रजाजत के ऄजथतत्व के जलये अवश्यक
पयाा वरणीय दशाएाँ सल ु भ हों । सामान्यत: दो जभन्न प्रजाजतयों का जनके त एक समान नहीं होता ।
पयररस्थिस्िकी िंत्र के घटक
 पाररजथथजतकी तंत्र के मख्ु य रूप से तीन घटक होते हैं-ऄजैजवक घटक, जैजवक घटक और उजाा संघटक । पाररजथथजतकी जनकाय
में उजाा का प्राथजमक स्रोत सौर उजाा है ।
ऄजैस्वक घटक
 आसके ऄंतगा त ऐसे जनजीव पदाथा अते हैं, जो जीवों को जकसी-न-जकसी रूप में प्रभाजवत करते हैं । ईदाहरण के जलये-मदृ ा, वाय,ु
जल, काबा जनक और ऄकाबा जनक पदाथा अजद ।
जैस्वक घटक
 आसके ऄंतगा त मख्ु य रूप से पौधे, जंतु एवं सूक्ष्म जीवों को शाजमल जकया जाता है, जो िमशः थवपोषी (ईत्पादक), परपोषी
(ईपभोक्ता) एवं मतृ पोषी (ऄपघटक) कहलाते हैं ।

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थवपोषी (Autotrophs)
 आसके ऄंतगा त मख्ु यतः हरे पौधे, शैवाल (Algae) व कुछ बैक्टीररया अते हैं । ये मख्ु यतः प्रकाश-संश्लेषण (बैक्टीररया द्वारा रसायन
संश्लेषण जकया जाता है) द्वारा काबोहाआड्रेट का संश्लेषण करते हैं, जो आनके साथ-साथ ऄन्य जीवों के जलये भी भोजन का मख्ु य
स्रोत होता है । आसजलये आन्हें 'ईत्पादक' कहा जाता है और प्रथम पोषण थतर (First Trophic Level) के ऄंतगा त रखा जाता है ।
परपोषी (Heterotrophs)
 आसके ऄंतगा त वे जीव अते हैं, जो ऄपने भोजन के जलये पौधों, जंतओ
ु ं या दोनों पर जनभा र होते हैं । भोजन के स्रोत के अधार पर
आन्हें हम शाकाहारी (Herbivores), मााँसाहारी (Carnivores) और सवाा हारी (Omnivores) वगों में बााँट सकते हैं ।
शयकयहयरी
 ये ऄपना भोजन मख्ु यत: पौधों से प्राप्त करते हैं । आसजलये ये 'प्रयिस्मक ईपभोक्तय' कहलाते हैं, जकं तु पोषण थतर में ये जद्वतीयक
थतर पर होते हैं । ईदाहरण के जलये जंतु प्लवक (जूप्लैंक्टन), गाय आत्याजद ।
मयाँसयहयरी
 मााँसाहाररयों को दो वगों में बााँटा जा सकता है-एक वे जो शाकाहारी जंतओ ु ं को खाते हैं और दूसरे वे जो शाकाहारी और मााँसाहारी
दोनों तरह के जीवों को खाते हैं । पहले वगा में हम लोमजडयों, पजक्षयों अजद को रख सकते हैं । ये 'स्ििीयक ईपभोक्तय' कहलाते हैं
और पोषण थतर में आनका थतर तीसरा होता है । आसी तरह दूसरे वगा में शेर और बाघ जैसे जहंसक पशु अते हैं । थवाभाजवक है जक
ये ततृ ीयक ईपभोक्ता (Tertiary Consumers) होंगे और पोषण थतर में आनका िम चौथा होगा ।
सवयाहयरी
 आसमें हम मख्ु यत: मनष्ु यों को रखते हैं, जो ऄपना भोजन पौधों और जंतओ
ु ं दोनों से प्राप्त करते हैं । आन्हें सवोच्च पोषण थतर के
ऄंतगा त रखा जाता है । आसजलये जसद्ांततः जैव-अवद्ा न (Biomagnification) का सवाा जधक दष्ु प्रभाव आन्हीं पर पडता है ।

मिृ पोषी/ऄपघटक (Saprotrophs / Decomposers)


 ये एक प्रकार के परपोषी ही हैं । ये मतृ पदाथों (जंतु या पौधे) में मौजूद जजटल काबा जनक पदाथों को सरल ऄकाबा जनक पदाथों में
तोड देते हैं । ये भोजन का पाचन नहीं करते बजकक मतृ पदाथों पर ऄपने एंजाआम का स्राव कर ईन्हें ऄपघजटत कर देते हैं ।
बैक्टीररया और कवक आसके ईदाहरण हैं ।

ऄपरदयहयरी (Detritivores)
 ये भी एक तरह से ऄपघटक ही हैं । ये भी ऄपरद ऄथाा त् मतृ काबा जनक पदाथों से ही ऄपना पोषण प्राप्त करते हैं । जकसान के जमत्र
कहे जाने वाले कं चएु को आसी वगा में रखते हैं ।
 उजाा संघटक आसके ऄंतगा त सौर प्रकाश, सौर जवजकरण तथा ईसके जवजभन्न पक्षों को सजममजलत जकया जाता है । थथलीय
पाररजथथजतकी तंत्र थथलीय पाररजथथजतकी तंत्र थथलाकृजतक जवजवधता, जलवायवु ीय जवजवधता व ऄक्षांशीय जवथतार अजद कारकों
के कारण एक समान नहीं होता ।
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 आसमें वन से लेकर घास के मैदान तथा मरुथथल से लेकर टुंड्रा प्रदेश तक का क्षेत्र सजममजलत है ।
जलीय पयररस्थिस्िकी िंत्र
 ऐसा पाररजथथजतकी तंत्र जजसमें अवास का मख्ु य अधार जल हो, 'जलीय पाररजथथजतकी तंत्र' कहलाता है । जल में लवण की मात्रा
के अधार पर जलीय पाररतंत्र को मख्ु यतः तीन भागों में बााँटा जा सकता है-
 ऄलवण जलीय पयररिंत्र: आस पाररतंत्र में लवण की मात्रा बहुत कम होती है, जो कभी भी 0.5 Parts per thousands (PPI) से
ऄजधक नहीं होती । आसमें झील, तालाब, नदी, झरने आत्याजद शाजमल हैं ।
 समद्रु ी पयररिंत्रः 35 ppt या ईससे ऄजधक लवण की मात्रा वाले समिु ी जल में यह पाररतंत्र जवकजसत होता है ।
 ग्वयरर्नवमख ु ी यय एश्चुऄरी पयररिंत्र: सामान्यत: यह ईपया क्त
ु वजणा त दो पाररतंत्रों के बीच का संिमण क्षेत्र होता है । ईदाहरण के
जलये-एश्चऄु री, मैंग्रोव अजद ।
अद्राभूस्म पयररिंत्र
 अिा भूजमयााँ न तो गहरे जलीय तंत्र हैं और न थथलीय पाररतंत्र, बजकक ये वैसे दलदली या जल वाले क्षेत्र हैं, जहााँ सालभर या साल
के कुछ महीनों में प्राकृजतक या कृजत्रम रूप से शांत या बहता हुअ, मीठा या खारे पानी वाला समिु ी या गैर-समिु ी जल जमाव हो |
 पाररजथथजतकी व्यवथथा बनाए रखते हुए ये पोषक तत्त्वों का पनु जना माा ण व जहरीले तत्त्वों को जनजष्िय करती है । आसजलये
अिा भूजमयों को 'प्रकृस्ि की स्कडर्नी' कहते हैं । भारत सरकार द्वारा 1985-86 में राष्रीय अिा भूजम संरक्षण काया िम चलाया गया ।
अद्राभूस्मयों पर रयमसर सम्मेलर्न, 1971

 1971 में अिा भूजमयों के संरक्षण के जलये रामसर (कै जथपयन सागर के तट पर इरान में ऄवजथथत) में एक ऄंतर-सरकारी और
बहुपक्षीय सममेलन हुअ, जजसमें अिा भूजमयों और ईनके संसाधनों के संरक्षण और यजु क्तयक्त
ु ईपयोग के जलये राष्रीय कारावाइ और
ऄंतराा ष्रीय सहयोग की रूपरेखा तय की गइ । रामसर समझौते के ऄंतगा त भारत में 26 अिा भूजम क्षेत्र हैं । जवश्व अिा भूजम जदवस
प्रत्येक वषा 2 फरवरी को मनाया जाता है ।

मोंट्रेक्स ररकॉडा

 रामसर सममेलन के तहत मोंरेक्स ररकॉडा ऄंतराा ष्रीय महत्त्व की अिाभूजमयों की सूजचयों पर ऐसे अिा भूजम थथलों का एक रजजथटर
है जहााँ तकनीकी जवकास, प्रदूषण या ऄन्य मानवीय हथतक्षेप के कारण पाररजथथजतकी थवरूप में नकारात्मक पररवता न अया है,
अने वाला है या अने की संभावना है । भारत के के वलादेव राष्रीय ईद्यान (राजथथान) एवं लोकटक झील (मजणपरु ) मोंरेक्स
ररकॉडा के ऄंतगा त सूचीबद् हैं ।
मैंग्रोव पयररिंत्र
 ईष्ण और ईपोष्ण कजटबंधीय समिु तटीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले वक्षृ ों और झाजडयों के ऐसे समूह, जजनमें लवणीय जल को सहने
की ऄच्छी क्षमता होती है, मैंग्रोव कहे जाते हैं ।
 मैंग्रोव वनों की पाररजथथजतकी ईत्पादकता (काबा जनक पदाथों के ईत्पादन की दर) घास व समिु ी पाररतंत्र से भी ऄजधक होती है ।
 भारत में सदंु रवन मैग्रोव जवश्व का सबसे जवथततृ मैंग्रोव है । ओजडशा का भीतरकजणका मैंग्रोव भी काफी जवथततृ है । ये मैंग्रोव बहुत
सारे जीव-जन्तओ
ु ं के अवास और प्रजनन थथल हैं ।
प्रवयल स्भस्ि (Coral Reefs)

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 प्रवाल (Coral) एक प्रकार का जंतु है, जो जज ु ैंथले नामक एककोजशकीय शैवाल (Algae) के साथ सहजीजवता (Symbiotic
Relation) में रहता है । ये प्राय: गमा और थवच्छ समिु ी जल में पाए जाते हैं । प्रवाल की जैव जवजवधता और पाररजथथजतकी
ईत्पादकता ऄत्यजधक होने के कारण ही आन्हें 'समद्रु कय वषयावर्न' कहते हैं ।
 भारत में प्रवाल जभजि ऄंडमान एवं जनकोबार, लक्षद्वीप, मन्नार की खाडी तथा कच्छ की खाडी में पाइ जाती है ।

प्रवयल स्वरंजर्न (Coral Bleaching)


 प्रवाल पर जनभा र रहने वाले रंगीन जज ु ैंथले शैवाल जब पयाा वरणीय घटकों के नकारात्मक प्रभाव के कारण ईनके उपर से हट जाते
हैं तो प्रवाल ऄपने वाथतजवक सफे द रंग में अ जाते हैं । आसे ही प्रवाल जवरंजन कहते हैं ।
 वैजश्वक तापमान में वजृ द् से सागरीय जल के तापमान में वजृ द् प्रवाल जवरंजन का प्रमख ु कारण है । प्रवाल जवरंजन के ऄन्य कारणों में
कोरल खनन, मछली पकडने की ऄवैज्ञाजनक पद्जत, ऄवसादों में वजृ द्, एलनीनो, भारी वषाा एवं बाढ़, जववता जनकी ईत्थान अजद
प्रमखु हैं ।
सुपोषण (Eutrophication)
 कृजष में प्रयक्त
ु होने वाले ईवा रकों, सीवेज का गंदा पानी, औद्योजगक कचरा आत्याजद जकसी जलीय पाररतंत्र में पहुचं कर पोषकों की
मात्रा में ऄत्यजधक वजृ द् कर देते हैं । यह प्रजिया 'सपु ोषण' कहलाती है ।
 पोषकों की मात्रा में ऄचानक हुइ वजृ द् शैवालों की संख्या को ऄत्यजधक बढ़ा देती है, जजससे जल की सतह पर शैवालों की एक
परत बन जाती है । आसे 'एल्गल ब्लूम' कहते हैं ।
 एकगल ब्लूम जल का रंग पररवजता त कर देता है । सामान्यतः वह जल के रंग को ब्लू-ग्रीन, भूरा या लाल बना देता है । आसे 'लाल
ज्वार' (Red Tides) कहते हैं ।

पयररस्थिस्िकी िंत्र से संबस्ं िि सयवा भमम स्र्नयम


 उजाा का प्रवाह एकजदशीय होता है । प्रत्येक पोषण थतर के जीवों में ऄपने जपछले पोषण थतर के जीवों से प्राप्त उजाा का 10% ही
संजचत हो पाता है । आसे जलंडमैन के उजाा थथानांतरण का 10 प्रजतशत का जनयम भी कहते हैं ।
 पाररतंत्र की ईत्पादकता को प्रभाजवत करने वाला सवाा जधक महत्त्वपूणा कारक सूयाा तप है । सूयाा तप में कमी पाररतंत्र की ईत्पादकता
और जैव जवजवधता दोनों में कमी लाती है । यही कारण है जक जनमन ऄक्षांशों से ईच्च ऄक्षांशों की ओर जाने पर सामान्यतः पाररतंत्र
की ईत्पादकता और जैव जवजवधता में कमी अती है ।
जैव-भू-रयसययस्र्नक चक्र (Blogeochemical Cycle)
 जैव-भू-रासायजनक चि एक ऐसी प्रजिया है, जजसमें प्राकृजतक रूप से जैजवक और ऄजैजवक घटकों के बीच जीवन के जलये
अवश्यक तत्वों का चिीय प्रवाह होता रहता है । यह प्रवाह जीवन के बने रहने के जलये ऄजत अवश्यक है ।
जल चक्र
 वातावरण में जवजभन्न माध्यमों, जैसे-वायमु ंडल, समिु , झील, जहमानी, मदृ ा, भौम जल के बीच वाष्पीकरण (वाष्पोत्सजा न भी),
संघनन, वषा ण, संग्रहण और ऄंत: थपंदन जियाओं द्वारा जल का जनरंतर प्रवाह जल चि कहलाता है ।
कयबार्न चक्र
 प्रकाश संश्लेषण की जिया में पौधे वायमु ंडलीय काबा न डाआऑक्साआड का ऄवशोषण कर ईसे काबा जनक पदाथों के रूप में संजचत
करते हैं । आस तरह काबा न, खाद्य श्ख ंृ ला के जवजभन्न थतरों से जीवों में संजचत और श्वसन द्वारा काबा न डाआऑक्साआड के रूप में
वायमु ंडल में मक्त
ु होता रहता है । साथ ही काबा न मतृ जीव-जंतओ ु ं व पादपों के ऄपघटन से जीवाश्म इधन ं के रूप में संजचत व आस
जीवाश्म इ ंधन को जलाने से मक्तु होता रहता है । आस तरह जवजभन्न भौजतक एवं जैजवक जियाओं के द्वारा काबा न का पनु चा िण होता
है ।
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र्नयआट्रोजर्न चक्र
 वायमु ंडलीय गैसों में नाआरोजन की मात्रा सवाा जधक (लगभग 78 प्रजतशत) है । आस वायमु ंडलीय नाआरोजन का जवजभन्न प्रजिया
(नाआरोजन जथथरीकरण, नाआरीकरण, ऄमोनीकरण, जवनाआरीकरण) द्वारा जमट्टी, जल और जीवों के बीच जनरंतर प्रवाह तथा पनु ः
वायमु ंडल में आसकी वापसी को नाआरोजन चि के रूप में जाना जाता है । राआजोजबयम, नीले-हरे शैवाल नाआरोजन जथथरीकरण
द्वारा वायमु ंडलीय नाआरोजन को काबा जनक नाआरोजन में पररवजता त कर देते हैं । फॉथफोरस चि काबा न और नाआरोजन की तरह
फॉथफोरस गैसीय रूप में वायमु ंडल में नहीं वरन् फाथफे ट के रूप में चट्टानों में पाया जाता है । आन चट्टानों से ऄपक्षय एवं ऄपरदन
द्वारा फाथफोरस का समिु में प्रवेश होता है । जफर पजक्षयों एवं मछजलयों के द्वारा पनु ः थथल में प्रवेश होता है । फॉथफोरस के कुछ
भाग अयन में टूटकर भूजम में जमल जाते हैं, जहााँ से पौधों द्वारा ऄवशोजषत होकर ये पोषण थतरों तक पहुचं ते हैं । आसके बाद ये
जीवों द्वारा ईत्सजजा त एवं सक्ष्ू म जीवों द्वारा ऄपघजटत होकर पनु ः जमट्टी में प्रवेश करते हैं । फॉथफोरस चि सबसे धीमी गजत से
संपन्न होता है । जीव एवं 'पयाा वरण के बीच फॉथफोरस का गैसीय जवजनमय नगण्य होता है ।
अहयर श्ख ृं लय ििय अहयर जयल
 पाररजथथजतकी तंत्र में प्रत्येक पोषण थतर के जीवधारी भोजन के जलये एक-दूसरे पर जनभा र रहते हैं । यही जनभा रता जब िजमक रूप
में अगे बढती है तो ईसे खाद्य श्ख ंृ ला कहते हैं । ईदाहरण के जलये पौधे ऄपने भोजन के जलये सौर प्रकाश व ऄन्य पोषक तत्त्वों पर
जनभा र रहते हैं, जबजक शाकाहारी ऄपने भोजन के जलये आन पौधों पर जनभा र रहते हैं । आसी तरह मांसाहारी आन शाकाहाररयों पर
अजश्त होते हैं ।
 जवजभन्न खाद्य श्ख ंृ लाएाँ अपस में जडु ी होती हैं और कइ बार ये एक-दूसरे पर ऄजत व्याप्त (Overlapped) भी हो जाती हैं । खाद्य
श्ख ंृ ला की आस तरह से जडु ी जजटल संरचना को ही खाद्य जाल (Food Web) कहते हैं । खाद्य जाल जजतना जजटल और
वैजवध्यपूणा होगा, पाररजथथजतकी तंत्र ईतना ही थथायी और संतजु लत होगा ।
पयररस्थिस्िकीय स्परयस्मड (Ecological Pyramid)
 जकसी खाद्य श्ख ंृ ला में ऄलग-ऄलग पोषण थतर के जैजवक समदु ायों के बीच ईनकी संख्या, जैवभार, ईत्पादकता तथा उजाा के
अधार पर जकया गया जचजत्रत प्रदशा न, जो सामान्यतः एक सीधे या ईकटे जपराजमड की तरह होता है, 'पयररस्थिस्िकीय स्परयस्मड'
कहलाता है ।
 पाररजथथजतकी जपराजमड के मख्ु यतः तीन प्रकार होते हैं-संख्या जपराजमड, जैवभार जपराजमड और उजाा जपराजमड ।
संख्यय स्परयस्मड (Number Pyramid)
 एक पाररजथथजतकी तंत्र में प्रत्येक पोषण थतर से संबंजधत ऄलग-ऄलग प्रजाजतयों की कुल संख्या को िमानस ु ार दशाा ने पर हमें
संख्या जपराजमड प्राप्त होता है । कुछ ऄपवादों जैसे वक्षृ के पाररजथथजतकी तंत्र को यजद छोड दें तो यह सीधा ही होता है ।
जैवभयर स्परयस्मड (Biomass Pyramid)
 जकसी जीजवत प्राणी में ईपलब्ध काबा जनक पदाथों का कुल शष्ु क भार (Dry Weight) ईसका जैवभार (Biomass) कहलाता है ।
आसका भी प्रदशा न सीधा या ईकटा हो सकता है ।
उजया स्परयस्मड
 यह एकमात्र ऐसा जपराजमड है जो हमेशा सीधा ही होता है, क्योंजक उजाा का प्रवाह एकजदशीय होता है और प्रत्येक पोषण थतर पर
उजाा का कुछ-न-कुछ क्षय ऄवश्य होता है ।
जैव संचयर्न व जैव अवर्द्ार्न
 जैव संचयन एक ऐसी प्रजिया है, जजसमें हाजनकारक पदाथो या प्रदूषकों का प्रवेश जकसी जीव में होता है एवं आन प्रदूषकों के जैव
ऄजनमनीकरण के कारण जीव में ईनका संचयन लगातार बढ़ता जाता है ।
 जैव संचयन में संग्रहीत प्रदूषकों का थथानांतरण जब ऄगले पोषण थतर के जीवों में होता है तो आन प्रदषू कों को मात्रा एवं सांिता में
िमशः वजृ द् होती जाती है । आसे ही जैव अवद्ा न (Biomagnification) कहते हैं । थवाभाजवक रूप से सवोच्च पोषण थतर के
जीवधाररयों में आन प्रदूषकों को सांिता सवाा जधक होगी । ईदाहरणाथा -डीडीटी ।
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पयररस्थिस्िकी दक्षिय (Ecological Efficiency)
 जकसी पाररतंत्र में उजाा का एक पोषण थतर से दूसरे पोषण थतर में थथानांतरण जजस कुशलता के साथ होता है, ईसे
'पाररजथथजतकी दक्षता' कहते हैं ।
जैस्वक/पयररस्थिस्िकीय ऄर्नक्र ु म (Biotic/Ecological Succession)
 वह प्रिम जजसके द्वारा जकसी क्षेत्र में पाइ जाने वाली वनथपजत और जंतु प्रजाजतयों के समदु ाय समय के साथ दस ू रे समदु ाय में
पररवजता त हो जाते हैं या दसू रे समदु ाय ईनका थथान ले लेते हैं, पाररजथथजतकीय ऄथवा 'जैजवक ऄनि ु म' कहलाता है ।
 जैजवक ऄनि ु म में जकसी क्षेत्र में ईपजथथत होने वाला प्रथम जीव या समदु ाय ऄग्रज समदु ाय (Pioneer Community) कहलाता
है, जबजक आस ऄनि ु म में भाग लेने वाले प्रत्येक पररवता नशील समदु ाय को 'िमक' (Sere) कहते हैं । प्रजिया के ऄंत में जो
समदु ाय थवयं को थथाजपत करने में सफल हो जाते हैं, ईन्हें 'चरम समदु ाय' (Climax Community) कहते हैं ।
 जैस्वक ऄन्योन्यस्क्रयय (Biotic Interaction)
 प्रकृजत में पौधे, जंतु या सूक्ष्म जीव सभी जकसी-न-जकसी रूप में एक-दूसरे पर जनभा र हैं । पाररतंत्र के समजु चत संचालन के जलये
जवजभन्न प्रजाजतयों के बीच परथपर जियाओं का होना ऄजनवाया है । ये जियाएाँ एक जाजत या दोनों जाजतयों के जलये लाभकारी,
हाजनकारक ऄथवा ईदासीन (न लाभकारी, न हाजनकारक) हो सकती हैं ।
ऄन्योन्यस्क्रयय के प्रकयर प्रिम प्रजयस्ि स्ििीय प्रजयस्ि ऄन्योन्यस्क्रयय के प्रभयव
ऄसहभोजजता (-) (0) एक प्रजाजत नक
ु सान में रहती है, जबजक दूसरी
(Amensalism) प्रजाजत ऄप्रभावी रहती है । ईदाहरण-
पेजनजसजलयम कवक व बैक्टीररया ।
परजीजवता (Parasitism) (+) (-) एक प्रजाजत को लाभ जमलता है । और दस ू री
प्रजाजत को हाजन होती है । ईदाहरण-ऄमरबेल
का दूसरे पौधे पर ईगना ।
सहभोजजता (+) (0) एक प्रजाजत को लाभ होता है । तथा दूसरी
(Commensalism) प्रजाजत ऄप्रभाजवत रहती है । ईदाहरण-चूषक
मछली शाका की सतह पर जडु ी रहती है ।
(सरु क्षा व भोजन प्राजप्त)
सहजीजवता(Mutualism) (+) (+) दोनों प्रजाजतयााँ लाभाजन्वत होती हैं । ईदाहरण-
लाआके न, जहााँ कवक शैवाल को सरु क्षा तथा
शैवाल कवक को भोजन प्रदान करता है ।
(0) प्रजाजत पर कोइ प्रभाव नहीं
(-) प्रजाजत पर नकारात्मक प्रभाव ।
(+) प्रजाजत पर सकारात्मक प्रभाव ।

कीथटोर्न प्रजयस्ि

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 कीथटोन प्रजाजत वह जीव है, जो समथत पाररजथथजतकी तंत्र को पररभाजषत करने में सहायक होता है । ये जाजतयााँ ऄन्य जाजतयों की
अनपु ाजतक प्रचरु ता को जनयंजत्रत करने में महत्त्वपूणा भूजमका जनभाती हैं । ऄत्यजधक थपष्ट कोथटोन प्रजाजत शीषा मांसाहारी (Top
Carnivores) होते हैं ।

आकोटोर्न (Ecotone)
 दो या दो से ऄजधक जभन्न पाररतंत्रों के बीच का संिमण क्षेत्र जहााँ जैव जवजवधता ऄपेक्षाकृत ऄजधक होती है, आकोटोन कहलाता है ।
ईदाहरण के जलये मैंग्रोव वन, एश्चरु ी |
कोर प्रभयव (Edge effect)
 कोर प्रभाव एक पाररजथथजतकीय ऄवधारणा है, जहााँ दो पाररतंत्र अपस में जमलते हैं । वहााँ दोनों पाररतंत्रों के संसाधन एक ही जगह
पाए जाते हैं । आसजलये यहााँ जवजवधता एवं ईत्पादकता ऄजधक पाइ जाती है ।
जैव स्वस्वििय
 "जैव जवजवधता जीवों के बीच पाइ जाने वाली जवजभन्नता है, जो प्रजाजतयों में, प्रजाजतयों के बीच और ईनकी जजटल पाररजथथजतक
तंत्रों की जवजवधता को भी सजममजलत करती है । "
 जैव जवजवधता शब्द का सवा प्रथम प्रयोग वाकटर जी. रोज़ेन द्वारा जकया गया ।
 ईच्च जैव जवजवधता वाले समदु ाय ऄजधक थथायी, ईत्पादक और जैजवक अिमणों के प्रजत ऄजधक प्रजतरोधी होते हैं ।
 ऄमेजन ईष्ण कजटबंधीय वषाा वनों की जैव जवजवधता पथ्ृ वी पर सबसे ऄजधक है । ईष्ण कजटबंधीय क्षेत्र में ऄजधक सौर उजाा
ईपलब्ध होती है, जजससे पाररजथथजतकी ईत्पादकता और जैव जवजवधता में परोक्ष रूप से वजृ द् होती है । ईष्ण कजटबंधीय क्षेत्रों में
सूक्ष्म जीवों और कीट-पतंगों की ऄजधकता है, जजससे जकसी एक जाजत का प्रभावी होना संभव नहीं हो पाता । आसजलये जैव
जवजवधता का ज्यादा ह्रास नहीं हो पाता है । प्राकृजतक वास का जवनाश जैव जवजवधता के ह्रास के जलये सवाा जधक महत्त्वपूणा कारक है

जैव स्वस्वििय की प्रवणिय (Gradient of Biodiversity)
 ऄक्षांशों में प्रायः ईच्च ऄक्षांश से जनमन ऄक्षांश की ओर तथा पवा तीय क्षेत्रों में उपर से नीचे की ओर अने पर प्रजाजतयों की संख्या
में ऄंतर जैव जवजवधता की प्रवणता कहलाती है । जनमन ऄक्षांश से ईच्च ऄक्षांश (भूमध्य रेखा से ध्रवु ों) की ओर एवं पवा तीय क्षेत्र में
उाँचाइ की ओर जाने पर जैव जवजवधता में कमी अती है ।
 जैव जवजवधता का संरक्षण जैव जवजवधता के संरक्षण की दो जवजधयााँ हैं-थव-थथाने (आन जसटू) व बाहा-थथाने (एक्स जसटू)
 थव-थियर्ने (आर्न-स्सटू ):-राष्रीय ईद्यान, वन्यजीव ऄभयारण्य, जैवमंडलीय अरजक्षत क्षेत्र, अरजक्षत वन, संरजक्षत वन, पजवत्र ईपवन
और झीलें ।
 बयहय-थियर्ने (एक्स-स्सटू ):-जचजडयाघर, वनथपजत ईद्यान, जीन बैंक, बीज बैंक, जीन सफारी पाका, उतकीय संवद्ा न कें ि,
िायोजप्रजरवेशन ।
 जैव जवजवधता और थथाजनक (Endemic) जाजतयों की ईपलब्धता से पररपूणा कुछ ऐसे क्षेत्र जो पाररजथथजतकीय दृजष्ट से काफी
ईत्पादक होते हैं, 'जैव स्वस्वििय हॉट-थपॉट' कहलाते हैं । जवश्व में आनकी संख्या 36 हैं । सवा प्रथम 1988 में नामा न मायसा ने आस
शब्द का प्रयोग जकया था ।
रयष्ट्ट्रीय ईद्ययर्न
 आसमें जकसी भी प्रकार के ऄजधवास और मानवीय गजतजवजधयों की ऄनमु जत नहीं होती है । यहााँ तक की जानवरों को चराने या
जंगली ईत्पादों को आकट्ठा करने की मंजूरी भी नहीं है ।
 राष्रीय ईद्यानों का गठन जवशेष प्रकार की शरणथथली के संरक्षण के जलये जकया जाता है ऄथाा त् आस जवशेष शरणथथली क्षेत्र में
रहने वाले सभी जीवों का संरक्षण समान रूप से जकया जाता है ।
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वन्यजीव ऄभययरण्य
 जानवरों को चराने या लकडी अजद आकट्ठा करने एवं पया टन की ऄनमु जत तो होती है, परंतु कुछ ऄपवादों को छोडकर मनष्ु यों का
बसना प्रजतबंजधत होता है ।
 वन्यजीव ऄभयारण्यों का गठन जकसी एक प्रजाजत ऄथवा कुछ जवजशष्ट प्रजाजतयों के संरक्षण के जलये जकया जाता है ऄथाा त् ये
स्वस्शष्ट प्रजयस्ि अियररि संरस्क्षि क्षेत्र होते हैं ।
 वन्यजीव ऄभयारण्य और राष्रीय ईद्यान दोनों की घोषणा राज्य सरकार के वल अदेश/जनदेश देकर कर सकती है, जबजक सीमा में
पररवता न के जलये राज्य जवधानमंडल को एक संककप (Resolution) पाररत करना होता है ।
 एक ऄभयारण्य को राष्रीय ईद्यान में पररवजता त जकया जा सकता है, पर एक राष्रीय ईद्यान को ऄभयारण्य घोजषत नहीं जकया जा
सकता ।
जैवमंडलीय अरस्क्षि क्षेत्र
 आसके बाहरी क्षेत्र (Outer Zone) में मनष्ु यों को बसने और परंपरागत कायों को करने की ऄनमु जत होती है ।
 भारत में जैव जवजवधता हॉट-थपॉट के चार क्षेत्रों का चयन जकया गया है । वे क्षेत्र हैं-
 पजश्चमी घाट व श्ीलंका
 आंडो-बमाा क्षेत्र
 पूवी जहमालय
 सडंु ालैंड (जनकोबार द्वीप समूह)
पस्वत्र ईपवर्न व पस्वत्र झीलें (Sacred Groves and Lakes)
 थव-थथाने संरक्षण के ऄंतगा त भारत एवं कुछ ऄन्य एजशयाइ-ऄफ्रीकी देशों में पजवत्र वनों के रूप में जैव जवजवधता के संरक्षण की
परंपरागत काया नीजत प्रचजलत है । ये छोटे-छोटे वन होते हैं, जो धाजमा क पजवत्रता के कारण अजदवासी या ऄन्य समदु ायों के द्वारा
संरजक्षत हैं । पजवत्र वन भारत के कइ राज्यों में जथथत है, जैसे-कनाा टक, महाराष्र, मजणपरु , मेघालय अजद ।
 स्सस्क्कम में खेस्चओपलरी झील को लोगों द्वारा पजवत्र माना जाता है, जजससे जलीय पौधों व जंतओ ु ं को संरक्षण जमलता है ।
जैवमंडलीय अरस्क्षि क्षेत्र (Blosphere Reserve)
 प्राकृजतक और सांथकृजतक दृश्यभूजमयों का सजममजलत रूप जो वहृ द् थथलीय या जलीय पाररतंत्र को समाजहत करता है,
जैवमंडलीय अरजक्षत क्षेत्र कहलाता है । एक जैवमंडलीय अरजक्षत क्षेत्र में एक या एक से ऄजधक राष्रीय ईद्यान या वन्यजीव
ऄभयारण्य भी हो सकते हैं ।
पक्षी ऄभययरण्य (Bird Sanctuaries)
 घाना पक्षी जवहार-भरतपरु (राजथथान)
 रंगन जथटू पक्षी जवहार (मांड्या, कनाा टक)
 वेदाधंगल पक्षी जवहार (कांचीपरु म, तजमलनाडु)
 नीलापटू पक्षी जवहार-(नेकलौर, अंध्र प्रदेश)
 सकु तानपरु पक्षी जवहार-(गरुु ग्राम, हररयाणा)
 सलीम ऄली पक्षी जवहार-(चोराओ, मांडवी नदी के पास, गोवा)
 कौजडन्या पक्षी जवहार-(जचिूर, अंध्र प्रदेश)
 जचकका झील पक्षी जवहार-(परु ी के पास, ओजडशा)
 कुमाराकॉम पक्षी जवहार या वेबनाद पक्षी जवहार-कोट्टायम (के रल)

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सयमयस्जक वयस्र्नकी (Social Forestry)
 भारत सरकार के रयष्ट्ट्रीय कृस्ष अयोग (The National Commission on Agriculture) द्वारा 1976 में पहली बार
'सयमयस्जक वयस्र्नकी' शब्द पर का प्रयोग जकया गया । यह काया िम पेड लगाने को प्रोत्साहन देता है । तथा आसका लक्ष्य वनारोपण
को जन-अंदोलन में पररणत करना तथा बेकार पडी भूजम को वक्षृ ारोपण के ईपयोग में लाना है ।

वर्न संरक्षण अंदोलर्न


र्नयम/वषा स्टप्पणी
जचपको अंदोलन 1973 वनों व वक्षृ ों के संरक्षण हेतु सदंु रलाल बहुगणु ा के नेतत्ृ व में गढ़वाल जहमालय ईिराखंड
में ।
एजप्पको अंदोलन 1983 कनाा टक का जचपको अंदोलन
साआलेंट वैली अंदोलन 1973 पलक्कड, के रल के सदाबहार ईष्ण कजटबंधीय वनों के संरक्षण हेतु
नमा दा बचाओ अंदोलन 1985 नमा दा पर बहुईद्देशीय बााँध पररयोजना (सरदार सरोवर, गज
ु रात) का जवरोध, मेधा
पाटकर, बाबा अमटे एवं ऄरुंधती रॉय अंदोलनकारी ।
नवदान्या अंदोलन 1987 वंदना जशवा द्वारा जैजवक खेती व जैव जवजवधता संरक्षण हेतु
बजलयापाल अंदोलन बजलयापाल गााँव (ओजडशा) की भजू म पर जमसाआल परीक्षण रोकने हेतु

पययावरणीय ऄर्नक ु ू लर्न (Environmental Adaptation)


 जकसी जीव तथा पौधे की बनावट या व्यवहार या जीने की पद्जत, जजसकी सहायता से वह जकसी जवशेष पयाा वरण में जीजवत रहता
है, ऄर्नकु ू लर्न (Adaptation) कहलाता है ।
 लघु जीवन ऄवजध वाले पौधों को आस्िमीरल (Ephemeral) कहते हैं ।
 कुछ प्राजणयों में पररवेश के साथ घल ु -जमल जाने की क्षमता होती है, जजसे 'छदमयवरण' (Camouflage) कहते हैं, जबजक
ऄर्नहु रण (Mimicry) ईस बाहरी समानता को कहते हैं, जजसमें दो जाजतयााँ एक-दूसरे जैसी जदखती हैं । आससे ऄनुहारक जाजत को
सरु क्षा संबंधी लाभ प्राप्त हो जाता है ।
प्रदूषण
 पयाा वरण में ऄवांजछत पदाथों के समाजवष्ट हो जाने की प्रजिया, जो जीवन के सममख ु संकट ईत्पन्न करती है, प्रदषू ण कहलाती है ।
 वैसे प्रदूषक जो ऄपने मूल थवरूप में ही पयाा वरण में जवद्यमान रहते हैं, 'प्रयिस्मक प्रदूषक' कहलाते हैं । दूसरे शब्दों में कहा जाए तो
ये जजस रूप में ईत्पाजदत होते हैं, ईसी थवरूप में बने रहते हैं । जैसे काबा न डाआऑक्साआड, काबा न मोनोऑक्साआड आत्याजद ।
 वैसे प्रदूषक जो प्राथजमक प्रदूषकों की अपसी ऄंतःजिया के कारण जनजमा त होते हैं, 'स्ििीयक प्रदूषक' कहलाते हैं । जैसे-ओजोन,
नाआरोजन के ऑक्साआड, सक्यूररक एजसड, परॉक्सीएसीटाआल नाआरेट (PAN), धूम (Smog) आत्याजद ।
 प्रदूषकों के जनवारण के अधार पर आसे जैव जनमनीकृत (Bio degradable) प्रदूषक तथा जैव ऄजनमनीकृत प्रदूषकों (Non
Biodegradable) में बााँटा जाता है ।
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 वैसे प्रदूषक जो सूक्ष्मजीवीय गजतजवजधयों के कारण जनमनीकृत हो जाते हैं, ईन्हें 'जैव स्र्नम्र्नीकृि प्रदूषक' कहते हैं । जैसे-कागज,
सब्जी, फल आत्याजद ।
 वैसे प्रदूषक जजनका ऄपघटन सूक्ष्म जीवों द्वारा नहीं हो पाता, 'जैव ऄस्र्नम्र्नीकृि प्रदूषक' कहलाते हैं । जैसे-प्लाजथटक,
रेजडयोसजिय तत्त्व, सीसा आत्याजद ।
वययु प्रदषू ण
 वायु में जकसी भी हाजनकारक ठोस, तरल या गैस (ध्वजन व रेजडयोधमी जवजकरण भी) का आस मात्रा में जमल जाना जक वह प्रत्यक्ष या
परोक्ष रूप से मानव समेत ऄन्य जीवधाररयों को हाजन पहुचाँ ाए, 'वययु प्रदूषण' कहलाता है । वायु जवजभन्न गैसों का जमश्ण है, जजसमें
नाआरोजन (78 प्रजतशत), ऑक्सीजन (21 प्रजतशत), अगा न (0.9 प्रजतशत), काबा न डाआऑक्साआड (0.038 प्रजतशत) आत्याजद गैसें
पाइ जाती हैं ।

 फ्लयइ ऐशः कोयला दहन प्रजिया के पररणामथवरूप ईप ईत्पाद के रूप में राख (्लाइ ऐश) प्राप्त होती है । ताप जवद्यतु संयंत्रों से
बडी मात्रा में ्लाइ ऐश प्राप्त होती है, जो जल प्रदषू ण तथा वायु प्रदषू ण के साथ मानव में भी श्वसन संबंधी समथया पैदा कर सकती
है । हालााँजक वता मान में ्लाइ ऐश से सीमेंट, इटेंं व ऄन्य जनमाा ण सामजग्रयों का जनमाा ण कर आसका सदपु योग जकया जा रहा है ।
आसमें असेजनक, कोबाकट जैसी जवषैली धातएु ाँ भी होती हैं ।

 गैसीय प्रदूषक ताप संयंत्र, मोटरवाहन आत्याजद के संचालन में इधन ं के रूप में पेरोल या डीजल का प्रयोग जकया जाता है, जो
कजणकीय पदाथों के साथ-साथ गैसीय प्रदूषकों के रूप में काबा न डाआऑक्साआड, नाआरोजन के ऑक्साआड आत्याजद का भी ईत्सजा न
करते हैं ।
भीिरी वययु प्रदूषण (Indoor Air Pollution)
 भवन जनमाा ण के गलत तरीकों के कारण भवनों में वायु का संचार ठीक से नहीं हो पाता है, जजससे वायु प्रदूजषत होती है । दरऄसल
कमरे के ऄंदर के सामान, जैसे-फनीचर, कालीन, पेंट आत्याजद वाष्पशील काबा जनक यौजगक (Volatile Organic Compound-
voc) ईत्पन्न करते है । आसके ऄजतररक्त ऄथपतालों का कचरा भी हवा में रोगाणओ ु ं का प्रसार करता है ।
 थिबर अिा संचयकताा होते है तथा गैस की धारा से एरोसोकस को हटाते हैं | थिबर सख ू े या गीले दोनों प्रकार के पदाथों से
जनजमा त हो सकते हैं । ईदाहरण के जलये सकफर डाआऑक्साआड की जनकासी के जलये ऄककलाआन घोल (Alkaline Solution) की
अवश्यकता होती है, क्योंजक यह सकफर डाआऑक्साआड को घल ु ा देता है । ईसी प्रकार स्सस्लकय जेल (Silica Gel) जलवाष्प
को हटा देता है ।
 वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के जलये वाहनों में 'ईत्प्प्ररे क कन्वटार' (Catalytic Converter) का ईपयोग जकया
जाता है, जो नाआरोजन ऑक्साआड को नाआरोजन में बदल देता है, जजससे नाआरोजन ऑक्साआड के हाजनकारक प्रभाव कम हो
जाते हैं ।
रयष्ट्ट्रीय वययु गुणविय सूचकयंक
देश के बडे शहरी नगरों में ररयल टाआम अधार पर वायु गणु विा की जनगरानी करने और जरूरी कारा वाइ करने के जलये जन
जागरूकता में वजृ द् करने हेतु राष्रीय वायु गणु विा सूचकांक का शभु ारंभ जकया गया । आसमें छह वायु गणु विा सूचकांक श्ेजणयााँ हैं
। वायु गणु विा सूचकांक में अठ प्रदूषणकारी तत्त्वों (पीएम 10, पीएम 2.5, नाआरोजन डाआऑक्साआड, ओजोन, ऄमोजनया, सकफर
डाआऑक्साआड, काबा न मोनोऑक्साआड तथा लेड) पर जवचार जकया जाएगा ।
 जल प्रदूषण जल में ऐसे ऄवांजछत पदाथों का जमल जाना, जो ईसे ईपयोग लायक नहीं रहने देते, 'जल प्रदूषण' कहलाता है ।
 तापीय प्रदषू ण तापीय संयंत्र, नाजभकीय संयंत्र समेत ऄनेक ऄन्य औद्योजगक आकाआयााँ पानी का ईपयोग शीतलक (Coolant) के
रूप में करती हैं तथा ईपयोग के बाद गमा जल नजदयों, समिु या ऄन्य जकसी जलस्रोत में छोड देती हैं ।

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 आस प्रकार जल स्रोत का तापमान 10°C से 15°C तक बढ़ जाता है । जल का तापमान बढ़ने से पानी में घल ु ी हुइ ऑक्सीजन कम
हो जाती है जजससे जलीय जीवों पर प्रजतकूल प्रभाव पडता है ।
DO (Dissolved Oxygen): यह जल में घजु लत ऑक्सीजन की वह मात्रा है, जो जलीय जीवों के श्वसन के जलये अवश्यक होती
है । जब जल में DO की मात्रा 4.0 जमग्रा प्रजत लीटर से कम हो जाती है तो ऐसे जल को 'प्रदजू षत' कहा जाता है ।
BOD (Biological Oxygen Demand) जैस्वक ऑक्सीजर्न मयंग: ऑक्सीजन की वह मात्रा जो जल में काबा जनक पदाथों के
जैव रासायजनक ऄपघटन के जलये अवश्यक होती है । जहााँ ईच्च BOD है, वहााँ DO जनमन होगा । जल प्रदूषण की मात्रा को BOD
के माध्यम से मापा जाता है ।
COD (Chemical Oxygen Demand) रयसययस्र्नक ऑक्सीजर्न मयंगः जल में ऑक्सीजन की वह मात्रा जो ईपजथथत कुल
काबा जनक पदाथों (Bio-degradable and Non-Biodegradable) के ऑक्सीकरण के जलये अवश्यक होती है । यह जल
प्रदूषण के मापन के जलये बेहतर जवककप है ।
MPN (Most Probable Number) (सवयास्िक संभयव्य संख्यय): जजस जल में जल-मल जैसे जैजवक ऄपजशष्टों का प्रदूषण
होता है, ईसमें इ. कोलाइ (E. Coli) जैसे जीवाणओं की संख्या ऄजधक पाइ जाती है । MPN परीक्षण की सहायता से इ. कोलाइ
अजद जीवों को पहचाना एवं मापा जा सकता है । प्रदजू षत जल में ईच्च MPN पाया जाता है ।
ध्वस्र्न प्रदूषण
 ईच्च तीव्रता वाली ध्वजन ऄथाा त् ऄवांजछत शोर, जो जीवों को नकारात्मक रूप से प्रभाजवत करता है, 'ध्वजन प्रदूषण' कहलाता है ।
 भारत में ध्वजन प्रदूषण से संबंजधत मानकों का जनधाा रण कें द्रीय प्रदूषण स्र्नयंत्रण बोडा (C. P. C.B) द्वारा जकया जाता है ।
रेस्डयोसस्क्रय प्रदूषण
 कुछ तत्वों के नाजभकीय जवखंडन के कारण ऄकफा, बीटा तथा गामा जकरणों का जनष्कासन होता है, यही प्रजिया रेजडयोसजियता
(Radioactivity) कहलाती है । रेजडयम, थोररयम, यूरेजनयम जैसे कुछ तत्त्व हैं, जो आस प्रकार का गणु प्रदजशा त करते हैं । ये जकरणें
जैजवक कोजशकाओं को नक ु सान पहुचाँ ाती हैं ।
पययावरणीय प्रदूषण से संबंस्िि कयर्नूर्न

 वन्य जीव संरक्षण ऄजधजनयम 1972


 जल प्रदूषण (रोकथाम एवं जनयंत्रण) ऄजधजनयम, 1974
 वन (संरक्षण) ऄजधजनयम, 1980
 वायु प्रदूषण (रोकथाम एवं जनयंत्रण) ऄजधजनयम, 1981
 पयाा वरण (संरक्षण) ऄजधजनयम, 1986
 राष्रीय वन नीजत-1988 (आसके तहत भारत में 33 प्रजतशत वनक्षेत्र प्राजप्त का लक्ष्य रखा गया)
 ध्वजन प्रदषू ण (जनयमन व जनयंत्रण) जनयम, 2000
 पयाा वरण के ऄजधकारों की सरु क्षा तथा पयाा वरण संबंधी कानूनों के प्रभावी कायाा न्वयन के जलये ऄक्तूबर 2010 में
राष्रीय हररता ऄजधकरण (NGT) की थथापना की गइ ।

इ-ऄपस्शष्ट (E-Waste)
 इ-ऄपजशष्ट का जनमाा ण आलेजक्रकल एवं आलेक्रॉजनक ईपकरणों के ऄनपु यक्त ु एवं बेकार हो जाने से होता है । आनमें ऄनेक खतरनाक
रसायन एवं भारी धातएु ,ाँ जैसे-सीसा, कै डजमयम, बेररजलयम पाए जाते हैं, जो मानव थवाथथ्य के जलये खतरनाक हैं ।
जैव ईपचयर (Bioremediation)
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 सक्ष्ू म जीव, जीवाण,ु कवक अजद का प्रयोग कर पयाा वरण संदूषकों को कम जवषाक्त पदाथों में ऄपघजटत करना जैव ईपचार
कहलाता है । आसके द्वारा जकसी जवशेष थथान पर पयाा वरणीय प्रदूषकों के हाजनकारक प्रभाव को समाप्त जकया जा सकता है ।
बायोवेंजटंग, जैव जछडकाव, बायोजथटमल ु ेशन, जैव संवद्ा न, बायोररएक्टर प्रमख
ु जैव ईपचार तकनीक हैं । ऑयलजैपर जीवाणु
अधाररत जैव ईपचार तकनीक है, जो तेल पंक तथा जबखरे तेल के ईपचार के जलये प्रयोग की जाती है ।
हररिगृह प्रभयव
 ग्रीनहाउस प्रभाव वह प्रजिया है, जजसमें ग्रीनहाउस गैसें (जलवाष्प, काबा न डाइऑक्साआड, मीथेन, ओजोन, नाआरस ऑक्साआड
अजद) सूया से अने वाले लघु जवजकरणों को तो पथ्ृ वी पर अने देती हैं, जकं तु पथ्ृ वी से वापस लौटने वाले दीघा जवजकरणों
(Infrared) को ऄवशोजषत कर लेती हैं । आस प्रकार पथ्ृ वी की सतह पर उष्मा बनी रहती है । आन गैसों की बढ़ती मात्रा से
वायमु ंडलीय उष्मन की दर में वजृ द् हो रही है । जलवाष्य ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव में वजृ द् करने वाला सबसे प्रभावी कारक है ।
हालााँजक मानव जजनत कारकों में भूमंडलीय तापन हेतु काबा न डाआऑक्साआड सवाा जधक प्रभावी ग्रीनहाउस गैस है ।
हाआड्रो्लोरोकाबा न, पर्लूरोकाबा न । सकफर हैक्सा्लोराआड ऄन्य ग्रीनहाउस गैसें हैं । मीथेन का ईत्सजा न प्राकृजतक तथा
मानवजजनत (दलदली भूजम, धान के खेत, जानवरों की जगु ाली) दोनों रूपों से होता है ।
ग्लोबल वयस्मिंग
 जवगत दशकों में पथ्ृ वी और वायमु ंडल के तापमान में ऄप्रत्याजशत वजृ द् दजा की गइ है । जजसका कारण ग्रीनहाउस गैसों व पयाा वरण
प्रदूषण को माना जाता है । वैजश्वक तापमान में हुइ आसी वजृ द् को 'ग्लोबल वाजमंग' कहा जाता है । जजससे समिु तल (Sea level) में
वजृ द्, वषाा के प्रारूप में पररवता न, ग्लेजशयर का जपघलना, प्रवाल जवरंजन अजद घटनाएं हो सकती हैं ।
 भूमडं लीय तापन का प्रमख ु कारण काबा न डाआऑक्साआड में वजृ द् है ।
ऄम्लीय वषया
 वायमु ंडल में सकफर डाआऑक्साआड, नाआरोजन के ऑक्साआड, क्लोरोन व ्लोरीन आत्याजद पदाथों के जमलने के कारण वषाा में
ऄमलीयता बढ़ जाती है । आससे वनथपजतयों की प्रकाश संश्लेषण जिया व संगरमरमर की आमारतों पर नकारात्मक प्रभाव पडता है ।
ओजोर्न परि
 ओजोन परत समतापमंडल (थरेटोथफीयर) में मख्ु यतः 15 से 30 जक. मी. की उाँचाइ पर ऄवजथथत है, जो जक सूया से अने वाली
हाजनकारक पराबैंगनी (ऄकरा-वायलेट) जकरणों को ऄवशोजषत कर जीव समदु ायों जवशेषत: मानवों को त्वचा कैं सर व ऄन्य गंभीर
बीमाररयों से बचाती है । क्लोरो्लोरोकाबा न ओजोन परत के क्षरण के जलये प्रमख ु ईिरदायी गैस है । आसका प्रयोग रेफ्रीजरेटर,
एयर कं डीशनर, थप्रे अजद में होता है । आसके ऄलावा काबा न टेराक्लोराआड, जमथाआल ब्रोमाआड, जमथाआल क्लोरोफामा , हैलोन्स
अजद रसायन भी ओजोन परत के क्षरण हेतु जजममेदार हैं । 1987 में जनजमा त तथा 1989 से प्रभावी मॉजण्रयल प्रोटोकॉल ओजोन
परत संरक्षण से संबंजधत है । जवश्व ओजोन संरक्षण जदवस 16 जसतंबर को मनाया जाता है ।
 समताप मंडल के ऄजतररक्त वायमु ंडल के जनचले थतर ऄथाा त् क्षोभमंडल में भी ओजोन पाइ जाती है । समतापमंडल की ओज़ोन
ऄच्छी कहलाती है, जबजक क्षोभमंडल की ओजोन बरु ी कहलाती है, क्योंजक यह वायु को प्रदूजषत करती है एवं थमॉग का जनमाा ण
करती है, जो श्वसन के जलये हाजनकारक होता है ।
 थवच्छ स्वकयस यस्ु क्त (Clean Development Mechanism); क्योटो प्रोटोकॉल के तहत जवकजसत आस प्रणाली में
जवकासशील देशों में न्यूनतम काबा न ईत्सजा न वाली पररयोजनाओं में जनवेश कर जवकजसत देश काबा न िे जडट प्राप्त कर सकते हैं ।
 कयबार्न क्रेस्डट: यह एक व्यापार योग्य प्रमाण पत्र या अज्ञा है, जो धारक को 1 टन काबा न डाआऑक्साआड या आसके वैजश्वक तापन
क्षमता के बराबर ऄन्य हररतगहृ गैसों के ईत्सजा न का ऄजधकार देता है ।
 कयबार्न टैक्सः काबा न टैक्स जीवाश्म इ ंधनों के दहन से ईत्सजजा त हररतगहृ गैसों पर लगाया गया एक टैक्स है, जो एक शकु क के रूप
में हररतगहृ गैसों के प्रत्येक टन के ईत्सजा न पर लगता है ।
 कयबार्न कै प्चररंगः वैजश्वक जलवायु पररवता न में कमी लाने हेतु काबा न डाआऑक्साआड (CO2) या काबा न के ऄन्य रूपों को ग्रहण कर
ईन्हें लंबे समय तक संगहृ ीत करके रखना काबा न ऄजधग्रहण या कै प्चररंग कहलाता है ।
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 हररि जलवययु स्र्नस्ि (GCF): कॉप 16 कानकुन (मेजक्सको) में आसका प्रावधान जकया गया, जजससे जवकजसत देश 2020 तक
जवकासशील देशों को प्रजतवषा 100 जबजलयन डॉलर जलवायु पररवता न की चनु ौजतयों से जनपटने के जलये महु ैया कराएंगे ।
 कयबार्न िुटस्प्रंटः फुटजप्रंट से तात्पया जकसी एक संथथा या व्यजक्त द्वारा जकये जाने वाले कुल काबा न ईत्सजा न से है ।
 राष्रीय बाघ संरक्षण प्राजधकरण (NTCA) की ऄनशु ंसा पर राज्य जकसी क्षेत्र को टाआगर ररजवा के रूप में जचजन्हत करते हैं । बाघ की
कुल नौ प्रजाजतयााँ हैं । बंगाल टाआगर, कै जथपयन टाआगर (जवलप्तु ), जावा टाआगर (जवलप्तु ), बाली टाआगर (जवलप्तु ), समु ात्रा टाआगर,
दजक्षण चीन टाआगर, मलाया टाआगर, आंडो चीन टाआगर, साआबेररयाइ टाआगर ।
 मानस, जसमलीपाल, सदंु रवन ऐसे जैवमंडल ररजवा हैं, जहााँ टाआगर ररजवा भी हैं ।
 गंगा डॉजकफन (राष्रीय जलीय जीव) के वल थवच्छ जलीय अवास में जीजवत रह सकती है तथा भागलपरु में आसके संरक्षण हेतु
डॉजकफन ऄभयारण्य भी बनाया गया है ।
 कें िीय मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन प्रजशक्षण संथथान हैदराबाद में जथथत है ।
 कहओं के संरक्षण हेतु भीतरकजणका ऄभयारण्य (ओजडशा) में कछुअ संरक्षण पररयोजना प्रारंभ हुइ । मूलतः प्रशांत महासागर में
पाए जाने वाले कछुए की प्रजाजत 'ओस्लव ररडले' ओजडशा के तटीय क्षेत्र में भी पाए जाते हैं ।
पयररस्थिस्िकी मयका (Eco Mark)
भारत सरकार ने 1991 में ईपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के जलये आकोमाका के रूप में पयाा वरण लेबजलंग योजना का शभु ारंभ जकया,
जजससे पयाा वरण के ऄनक
ु ू ल ईत्पादों को असानी से पहचान की जा सके ।

र्नवीकरणीय उजया (Renewable Energy)


 उजाा संसाधन शजक्त संसाधन कहे जाते हैं जजन पर राष्र की अजथा क शजक्त का जवकास जनभा र करता है । उजाा के ऄनवीकरणीय
स्रोतों के ऄंतगा त कोयला, पेरोजलयम अजद एवं नवीकरणीय स्रोतों के ऄंतगा त सौर उजाा , पवन उजाा , ज्वारीय उजाा , भू-तापीय
उजाा , बायोमास अजद अते हैं ।
पवर्न उजया (Vind Energy)
 पवन चजक्कयों में तीव्र गजत से चलने वाली हवाओं द्वारा जवद्यतु ईत्पादन होता है । पवन चजक्कयों के समूह से यक्त
ु पवन फामा
तटीय क्षेत्रों और पवा तघाजटयों जहााँ प्रबल और लगातार हवाएं चलती हैं, वहााँ थथाजपत जकये जाते हैं ।
र्नोटः पवर्न उजया की थियस्पि क्षमिय में भयरि कय थियर्न चीर्न, USA व जमार्नी के बयद चमिय है ।
जल स्वद्यिु (Hydro Electricity)
जल जवद्यतु पररयोजनाएाँ सामान्यतः 2 भागों में वगीकृत होती हैं-
25 मेगावाट तक की पररयोजनाएाँ-
लघु जल जवद्यतु पररयोजना
नवीन एवं नवीकरणीय उजाा मंत्रालय के ऄंतगा त
सूक्ष्म जल जवद्यतु -100kw तक
जमनी जल जवद्यतु -101 से 2000kw तक
थमॉल जल जवद्यतु -2001 से 25000kw तक
वहृ त्- जल जवद्यतु पररयोजना 25 मेगावाट से उपर की पररयोजनाएाँ

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जवद्यतु मंत्रालय (भारत सरकार) के ऄधीन

सौर उजाा (Solar Energy) सौर उजाा से जवद्यतु जनमाा ण की दो जवजधयााँ प्रचजलत हैं-
 फोटोवोजकटक सेल पर सूया द्वारा ईत्सजजा त फोटॉन्स के पडने से सीधे जबजली पैदा होती है । यह सेल जसजलकॉन की
फोटोवोजकटक

दो परतों की बनी होती है ।


 आससे जदष्ट धारा (D. C.) ईत्पन्न होती है जजसको आन्वटा र की सहायता से प्रत्यावती धारा (A. C.) में बदल जदया
जाता है ।
 यह सूया तापीय तकनीक भी कहलाता है ।
कॉन्संरेजटंग सोलर

 लेंस व जमरर के प्रयोग द्वारा प्रत्यावती धारा (A .C.) ईत्पन्न की जाती है ।


पावर

र्नइ प्रमद्योस्गकी (New Technology)


भू-ियपीय उजया (Geo-Thermal Energy)
 यह पथ्ृ वी के िथट (Crust) में संजचत ताप है जजसे पृथ्वी के ऄंदर भंडाररत यूरेजनयम, थोररयम व पोटैजशयम अआसोटोप के
जवकरण तथा पथ्ृ वी के िोड (Core) की तरल मैग्मा द्वारा प्राप्त जकया जाता है । ये ज्वालामख
ु ी, ईष्ण जल स्रोत अजद के रूप में
पथ्ृ वी की सतह पर जदखाइ पडते हैं ।
भयरि में भू-ियपीय उजया संबंिी क्षेत्र
जममू-कश्मीर पगु ाघाटी (लद्दाख)
जहमाचल प्रदेश मजणकणा , ज्वालामख
ु ी
ईिराखंड तपोवन
झारखंड सूरजकंु ड (हज़ारीबाग)
छिीसगढ़ तातापानी (बलरामपरु )
ओजडशा तप्तपानी
मध्य प्रदेश ऄनहोनी
कस्मययाँ
 दोहन में सथती तकनीक की कमी, संयंत्र को थथाजपत करने में ऄजधक धन व्यय एवं जवशेष क्षेत्रों में ही लगाना संभव ।
समद्रु उजया (Ocean Energy)

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िरंग उजया (Wave Energy)
 एक के बाद एक तरंगों के ईठने और जगरने से ईत्पन्न उजाा ।
ज्वयरीय उजया (Tidal Energy')
 ज्वार-भाटा के ईठने और जगरने से ईत्पन्न उजाा आस हेतु खाडी या महु ाने पर एक बााँध बनाया जाता है ।
 भारत में खंभात की खाडी, कच्छ की खाडी एवं हगली के ज्वारनदमख ु ी क्षेत्रों में आस उजाा की ऄच्छी संभावनाएाँ हैं ।
 समथययएाँ: ज्वार-जिकों की कम संख्या, उंची ज्वार श्ेणी (5 मी. से उपर) की भारतीय तटीय क्षेत्रों में कमी, ईच्च क्षमता क्षेत्र के
सदरवती होने के कारण उजाा का पारेषण खचीला, बााँध जनमाा ण काया भी खचीला ।
बययोमयस से जैव उजया (Bio-Energy from Biomass)
 बायोमास के ऄंतगा त जीजवत या हाल-जफलहाल में मतृ जीव, पौधे या जंतु अते हैं । बायोमास का प्रयोग नवीकरणीय जवद्यतु , थमा ल
उजाा या पररवहन इधन ं (जैव इधन-Biofuels)
ं के ईत्पादन हेतु जकया जा सकता है । बायोमास उजाा (Biomass Energy) का
अशय ईन फसलों, ऄपजशष्टों एवं ऄन्य जैजवक पदाथों से है जजनका ईपयोग उजाा या ऄन्य ईत्पादों के ईत्पादन हेत,ु जीवाश्म
इ ंधनों के जवककप के रूप में जकया जा सके । बायोमास में संजचत उजाा का जनष्कासन नवीकरणीय जवद्यतु या ताप के ईत्पादन हेतु
जकया जा सकता है ।
 िमाल उजया लकडी एवं शष्ु क बायोमास के सीधे दहन द्वारा प्राप्त होती है जो जक प्रदूषण का कारण है । परंतु नवीकरणीय जवद्यतु या
जैव जवद्यतु (Biopower) एवं जैव इ ंधन पयाा वरणीय रूप से जहतैषी हैं । जैव जवद्यतु का ईत्पादन शष्ु क बायोमास के दहन
(Combustion) या गैसीजफके शन (Gasification) द्वारा या जनयंजत्रत ऄनॉक्सी ऄपघटन द्वारा प्राप्त बायोगैस (मेथेन) से जकया जा
सकता है । कुछ पररवहन इधनों ं को बायोमास द्वारा प्राप्त जकया जा सकता है जो बायो इधन ं कहलाते हैं । जैसे: एथेनॉल
(Ethanol)-मक्का एवं गन्ने से तथा बायोडीजल (Biodiesel)-सोया, रेपसीड एवं पाम तेल से प्राप्त जकया जाता है ।

भयरि के जैवमंडल अरस्क्षि क्षेत्र व रयमसर अद्राभूस्म


रयज्य जैवमंडल अरस्क्षि क्षेत्र रयमसर सयआट (अद्राभूस्म)
तजमलनाडु नीलजगरर* (सवा प्रथम, 1986), मन्नार की पॉआंट कै जलमर
खाडी, ऄगथत्यामलाइ*
मध्य प्रदेश ऄचानकमार-ऄमरकं टक*, (सबसे नवीन पन्ना भोज अिा भजू म
2011 में), पंचमढ़ी
जहमाचल प्रदेश शीत रेजगथतान पौंगडैम झील, चंिताल, रेणक
ु ा (सबसे
छोटी)
के रल ऄगथत्यामलाइ, नीलजगरर* ऄष्ठमदु ी, षष्ठमकोट्टा, वेमबनाद (सबसे
बडी)
ओजडशा जसमलीपाल* जचकका झील, भीतरकजणका मैंग्रोव
अंध्र प्रदेश सेशाचेलम पहाजडयााँ कोकलेरू झील
ऄसम मानस, जडबू-सैखोवा (सबसे छोटा) दीपोर बील

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प . बंगाल सदंु रबन* पूवी कोलकाता अिा भूजम
गज
ु रात कच्छ (सवाा जधक बडा) नल सरोवर (सबसे नवीन)
ईिराखंड नंदादेवी*
मेघालय नोकरेक*
ऄंडमान एवं जनकोबार ग्रेट जनकोबार*
ऄरुणाचल प्रदेश जदहांग-जदबांग*
जसजक्कम कं चनजंगा
जममू कश्मीर वल
ु र, सोमोरीरी झील, होके रा, सरु रंसर-
मानेसर

पंजाब हररके झील (कृजत्रम), रोपड, कं जली झील


राजथथान सांभर झील, के वलादेव
जत्रपरु ा रुिसागर झील
मजणपरु लोकटक झील
ईिर प्रदेश उपरी गंगा नदी, (जब्रजघाट से नरोरा)

 आन्हें यूनेथको के Man and Biosphere (MAB) काया िम के तहत जैवमंडल ररजवा की जवश्वतंत्र सूची में शाजमल जकया है ।
नोट-1: ऄचानकमार-ऄमरकं टक मध्य प्रदेश व छिीसगढ़ में फै ला है ।
नोट-2: नीलजगरर, तजमलनाडु, के रल, कनाा टक में फै ला है ।
नोट-3; ऄगथत्यामलाइ तजमलनाडु एवं के रल में फै ला है ।

भयरि के वन्य जीव ऄभययरण्य, रयष्ट्ट्रीय ईद्ययर्न व टयआगर ररजवा


राज्य राष्रीय ईद्यान वन्यजीव ऄभयारण्य टाआगर ररजवा
जममू-कश्मीर दाचीगाम, सलीम ऄली, हेजमस हाइ, चांगथांग, शीत मरुथथल,
जकश्तवार होके रसर, सरु रनसर- मानसर

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हररयाणा कालेसर, सकु तानपरु कालेसर, नाहर
जहमाचल प्रदेश ग्रेट जहमालयन, आंदरजकला, जखरगंगा, चंिताल, पोंग डेम झील,
जपनघाटी, जसमबालबारा रेणकु ा
ईिराखंड जजम काबेट (प्रथम राष्रीय ईद्यान वषा के दारनाथ काबेट, राजाजी टाआगर ररजवा
1936), गंगोत्री, गोजवंद पशु जवहार, नंदा
देवी, राजाजी, फूलों की घाटी
राजथथान के वलादेव, रणथंभौर, सररथका, डेजटा , माईंट अबू, सररथका, जवाहर रणथंभौर, सररथका, मक
ु ंु िा
मक ु ु िा जहकस (दराा ) सागर, राष्रीय चंबल, वन जहकस
जवहार
गज
ु रात जगरवन, मैरीन (कच्छ की खाडी), जगर, समिु ी (कच्छ खाडी),
ब्लैकबक (वैलावदार), वंसदा नल सरोवर, नारायण सरोवर,
पूरना, जंगली गधा
महाराष्र संजय गांधी (बोररजवली), पेंच (जवाहरलाल ग्रेट आंजडयन बथटडा , फनसड, मेलघाट, तडोबा ऄंधेरी, पेंच
नेहरू), तदोबा, गगु ामल, नवेगााँव, चांदोली बोर कलसबु ाइ- सह्याजि, नवगााँव- नगजीरा,
हररश्चंिगाड,मेलघाट, बोर
नागजीरा, नरनाला पक्षी,
पेनगंगा , ईमरेद करहांगल
गोवा मोकलेम महावीर
कनाा टक राजीव गांधी नागरहोल, कुिेमख
ु डांडेली,घाटप्रभा, जचंचोली, बांदीपरु , भिा, दांडेली ऄंशी,
बन्नेरघट्टा, ऄंशी, बांदीपरु तालकावेरी नागरहोल, जबलजगरर रंगनाथ
मंजदर
के रल ऄन्नामदु ी शोला, आरावीकुलम, मजथके ट्टन थडेक्कड पक्षी ऄभयारण्य, पेररयार, परांजबकुलम
शोला, पमबाडुम शोला, पेररयार, साआलैंट आदक्ु की, नेय्यार पराजबकुलम,
वैली मालाबार, पेररयार वायनाड
तेलंगाना कासू ब्रह्मानंद रेड्डी, महावीर हररना नागाजा नु सागर, प्राणजहता, कवल, ऄमराबाद
वनथथली, मग्रु ावनी जकन्नेरसानी
तजमलनाडु आंजदरा गांधी (ऄन्नामलाइ), मदु मु लाइ, कोडाइकनाल, पॉआंट कलक्कड मंडु नथरु इ,
पालनी पहाजडयााँ, जगंडी, मक
ु ु थी, मन्नार कै लीमर,पल ु ीकट झील, सत्य ऄन्नामलाइ, मदु मु लाइ,
की खाडी (सागरीय ईद्यान) मंगलम, कलाकाड, वेदांथगल, सत्यमंगलम
वेकलानाडु, मदु मु लाइ
अंध्र प्रदेश राजीव गांधी (रामेश्वरम), पापीकोंडा, श्ी कोररंगा, कोकलेरू, पजु लकट नागाजा नु सागर-श्ीशैलम
वेंकटेश्वर नागाजा नु सागर- श्ीशैलम (सबसे बडा क्षेत्रफल)
छिीसगढ़ आंिावती (कुतरू), कांगेरघाटी, गरुु ऄचानकमार, सीतानदी आंिावती, ईदजत-सीतानदी,
घासीदास (संजय) ऄचानकमार
ओजडशा भीतरकजनका, जसमलीपाल भीतरकजनका, जचकका, जसमलीपाल, सतकोजसया गॉजा
गजहरमाथा, नंदनकानन,
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सतकोजसया गॉजा , जसमलीपाल
प. बंगाल बक्ु सा, गोरूमारा, नेओरा वैली, जसंगलीला, चपरामारी, बकलवपरु सदंु रबन, बक्ु सा
सदंु रबन, जलदापारा
जत्रपरु ा क्लाईडेड लेपडा , जबसोन (राजबारी) गमु टी, सेपाहीजाला
जमजोरम मल
ु ेन, फवंगपइु (नीलापवा त) दंपा, थोरांटलांग दंपा
मजणपरु के बल
ु -लामजाओ, जसरोही
नागालैंड आंटाकी फाकीम
ऄरुणाचल प्रदेश नामदफा, माईजलंग पखइु , सेसा ऑजकाड नामदफा, पक्की, कमलांग
ऄसम जडब्र-ू साखोवा, काजीरंगा, मानस, राजीव दीपोर बील, पूवी कावी मानस, नमेरी, काजीरंगा,
गांधी ओरांग, नमेरी एंगलोंग लाखोवा ओरांग
जसजक्कम कं चनजंगा जकताम, पांगोलखा
मेघालय बलफािम, नोकरेक ररज (गारो पहाडी) नोंगखैलेम, जसजू, बाघमारा,
(जपचर प्लांट)
झारखंड बेतला डालमा, गौतमबद्
ु , पलामू
हजारीबाग, पारसनाथ,
तोपचंची
जबहार वाकमीजक भीम बााँध, गौतमबद् ु , वाकमीजक
कााँवरझील कै मूर, वाकमीजक,
जविमजशला (गंगा- डॉजकफन)
ईिर प्रदेश दधु वा बजखरा, कै मूर, महावीर थवामी, दधु वा, पीलीभीत
राष्रीय चंबल, ओखला, पटना
मध्य प्रदेश बांधवगढ़, फॉजसल (मंडला), कान्हा, बोरी, गांधी सागर, राष्रीय पन्ना, कान्हा, पेंच, सतपडु ा
(9 राष्रीय माधव, आंजदरा जप्रयदजशा नी पेंच, पन्ना, चंबल, पन्ना, रातापानी, सोन बांधवगढ़ संजय दबु री
ईद्यान) संजय, सतपडु ा, वन जवहार घजडयाल
ऄंडमान एवं कैं पबेल, गालजथया, महात्मा गांधी मैरीन, टटा ल द्वीप, बैरेन द्वीप
जनकोबार ईिरी बटन द्वीप, मध्य बटन द्वीप, माईंट सवाा जधक-96 वन्यजीव
(9 राष्रीय हैररयट, रानी झााँसी मैरीन, सैडल पीक, ऄभयारण्य
ईद्यान) साईथ बटन द्वीप
जदकली ऄसोला भाटी (आंजदरा
जप्रयदजशा नी)

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वययु प्रदूषक, ईर्नके स्रोि व प्रभयव
प्रदषू क स्रोि प्रभयव
काबा न यौजगक (CO और CO2) जीवाश्म इधन का दहन, मोटरगाडी हररत गहृ प्रभाव, श्वसन संबंधी समथयाएं
सकफर के यौजगक (SO2 और H2S) ताप संयंत्र, ररफाआनरी, ज्वालामख
ु ी ऄमल वषाा , श्वसन संबंधी समथयाएाँ, पौधों में
जवथफोट क्लोरोजसस
नाआरोजन के यौजगक (NO और ताप संयंत्र, मोटरवाहन वायमु ंडलीय ऄमल वषाा , पादपों की ईत्पादकता में कमी,
N2O) ऄजभजिया अंखों व फे फडों में जलन
मीथेन अिा भूजम, धान के खेत हररत गहृ प्रभाव में योगदान
जनलंजबत कण जनमाा ण काया , भापशजक्त संयंत्र, दृश्यता में कमी, लाल रक्त कण के जनमाा ण में,
मोटरवाहन बाधा, कैं सर
हाआड्रोकाबा न (बेंजीन, आथाआलीन) मोटरवाहन, पेरोजलयम ईद्योग कैं सर का कारण, श्वसन संबंधी समथया,
समयपूवा पजियों व फलों का जगर जाना
क्लोरो्लोरो काबा न (CFC) रेफ्रोजेरेटर, थप्रे भूमंडलीय उष्मन, ओजोन क्षरण
ओजोन (03) मोटरवाहन श्वसन संबंधी समथयाएाँ, पणा समूह (Foliage)
को नकु सान
सीसा (लेड) मोटरवाहन तंजत्रका तंत्र संबंधी समथयाएाँ
रेशे (कपास, उन) वस्त्र ईद्योग, कालीन ईद्योग फे फडों पर दष्ु प्रभाव
एमबेथटस एथबेथटस खनन व जनमाा ण ईद्योग श्वसन संबंधी समथयाएाँ तथा कैं सर
थमॉग (Smog) ईद्योग, मोटरवाहन अाँखों में जलन, श्वसन संबंधी समथयाएाँ

भयरि में जीव-जंिुओ ं के संरक्षण की पररयोजर्नयएाँ


योजर्नय वषा स्वशेषिय
प्रोजेक्ट टाआगर 1973 बाघ संरक्षण
प्रोजेक्ट एलीफैं ट 1992 हाथी व ईनके अवास का संरक्षण
सेव (Save) 2011 जगद् संरक्षण

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हंगल
ु पररयोजना 1970 कश्मीरी थटैग (हंगल
ु ) के संरक्षण हेतु
मगरमच्छ प्रजनन एवं संरक्षण पररयोजना 1975 मगरमच्छ प्रजनन प्रबंधन व संरक्षण
आंजडयन राआनो जवजन 2020 2005 एक सींग वाले गैंडों का संरक्षण
लाल पांडा पररयोजना 1996 पूवी जहमालय क्षेत्र के लाल पांडा संरक्षण हेतु
कथतूरी मगृ पररयोजना 1970 का दशक कथतूरी मगृ के संरक्षण हेतु
जहम तेंदअ
ु योजना 2009 जहमालयी राज्यों में तेंदअ
ु संरक्षण

पययावरण से संबंस्िि स्वस्भन्र्न रयष्ट्ट्रीय संगठर्न


र्नयम थियपर्नय स्वशेषिय
बॉमबे नेचरु ल जहथरी सोसाआटी (मंबु इ) 1883 जैव जवजवधता पर पयाा वरण संरक्षण हेतु भारत में सबसे बडा
गैर सरकारी संगठन प्रतीक-ग्रेट हाना जवल |
भारतीय वनथपजत सवेक्षण (कोलकाता) 1890 वन्य पादप संसाधनों का वगीकरण एवं पष्ु प ऄध्ययन |
भारतीय प्राणी सवेक्षण (कोलकाता) 1916 प्राजणजात संसाधनों का ऄन्वेषण, सवेक्षण, एवं प्रलेखीकरण ।
सलीम ऄली पक्षी जवज्ञान कें ि (कोयंबटूर) 1990 पक्षी शोध संथथान |
वकडा वाआड फं ड फॉर नेचर आंजडया 1969 वैजश्वक जैजवक जवजवधता संरक्षण |
भारतीय वन्यजीव संथथान, देहरादून 1982 वन्यजीव ऄनस
ु धं ान व प्रबंधन हेतु प्रजशक्षण व ऄकादजमक
(ईिराखंड) कोसा |
भारतीय वन सवेक्षण, देहरादून 1981 वन संसाधनों का मूकयांकन करना ।
भारतीय पशु ककयाण बोडा (चेन्नइ) 1962 पशु ककयाण हेतु भारत सरकार का वैधाजनक सलाहकार
राष्रीय जैव जवजवधता प्राजधकरण (चेन्नइ) 2003 जैव जवजवधता ऄजधजनयम 2002 के जियान्वयन हेतु
कें िीय जचजडयाघर प्राजधकरण (नइ 1992 वन्य जीवों (जवशेषतः जचजडयाघरों में) का संरक्षण करना |
जदकली)
भारतीय वन्यजीव रथट नोएडा (NCR) 1998 संकटापन्न प्रजाजतयों का प्राकृजतक अवास में संरक्षण
राष्रीय वनीकरण और पयाा वरण जवकास बोडा 1992 देश में वनीकरण, वक्षृ ारोपण, पाररजथथजतकी-जवकास को बढ़ावा
देना ।

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टेरी (The Energy and Resources 1974 पयाा वरण व उजाा संरक्षण, धारणीय जवकास को बढ़ावा देना ।
Institute) (नइ जदकली)

पययावरण से संबंस्िि स्वस्भन्र्न ऄंिरयाष्ट्ट्रीय संगठर्न


र्नयम थियपर्नय स्वशेषिय
संयक्त
ु राष्र पयाा वरण काया िम (UNEP), नैरोबी 1972 संयक्त
ु राष्र महासभा के मानव पयाा वरण कांफ्रेंस
(के न्या) (1972) थटॉकहोम (थवीडन) के पररणामथवरूप गजठत
जलवायु पररवता न पर ऄंतराा ष्रीय पैनल (IPCC) का
गठन UNEP व जवश्व मौसम जवज्ञान संगठन (WMO) ने
जमलकर जकया ।
प्राकृजतक संरक्षण हेतु ऄंतराा ष्रीय संघ (IUCN), जेनेवा 1948 संकटग्रथत जीव जंतओ
ु ं के जलये 'रेड डाटा बक
ु ' जारी
(जथवट् जरलैंड) करता है ।
वकडा वाआकडलाआफ फं ड (जथवट् जरलैंड) (WWF) 1961 पयाा वरण शोध, संरक्षण, पनु थथाा पना, थलोगन- 'फॉर ए
जलजवंग प्लैनेट' "सबसे बडा वैजश्वक थवतंत्र संरक्षण
संगठन । प्रतीक जचह्न 'जॉआंट पांडा' ।
वन्य जीव वनथपजत की लप्तु प्राय प्रजाजतयों के 1975 से न्यजीवों के ऄवैध व्यापार को रोकना । आसे 'वाजशंगटन
ऄंतराा ष्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) जेनेवा, लागू कन्वेंशन' भी कहते हैं । भारत CITES में 1976 में
जथवट् जरलैंड शाजमल हुअ था ।
प्रवासी प्रजाजतयों के संरक्षण पर सममेलन, बॉन (जमा नी) 1979 में आसे 'बॉन सममेलन' भी कहा जाता है । वैजश्वक थतर पर
में संजध संजध 1983 प्रवासी वन्यजीवों और ईनके अवासों को संरजक्षत
से लागू करना ।
जलवायु पररवता न पर ऄंतर सरकारी पैनल (IPCC), 1988 मानवीय गजतजवजधयों से जलवायु पररवता न के खतरों का
जेनेवा (जथवट् जरलैंड) मूकयांकन (UNEP व WMO द्वारा थथाजपत) |
ऄंतराा ष्रीय ईष्ण कजटबंधीय काष्ठ संगठन (ITTO) 1986 ईष्ण कजटबंधीय वनों के संरक्षण, प्रबंधन, ईपयोग व
व्यापार को बढ़ावा देना ।
वकडा कं जरवेशन मॉनीटररंग सेंटर (WCMC) 2000 जैव जवजवधता सूचनाओं का एकत्रण और अकलन |
वकडा वाच आंथटीट् यूट (WWI) 1974 वैजश्वक पयाा वरणीय जचंताओं पर थवतंत्र शोध |
वकडा ररसोसा आंथटीट् यूट 1982 धारणीय जवकास को पयाा वरण से जोडना ।
ग्रीनपीस, एमसटडा म (नीदरलैंड) 1971 एक थवतंत्र वैजश्वक ऄजभयानकारी संथथा, पयाा वरण
संरक्षण व जवकास को प्रोत्साहन देना |

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बडा लाआफ आंटरनेशनल 1922 पजक्षयों व ईनके अवासों का संरक्षण
वकडा नेचर अगेनाआजेशन पयाा वरण संरक्षण हेतु वैजश्वक ऄंतर-सरकारी संगठन |

सिि् स्वकयस पर सम्मेलर्न


पथ्ृ वी सममेलन या पयाा वरण एवं सतत् जवकास पर 1992 जलवायु पररवता न, जैव जवजवधता और सतत् जवकास पर ररयो
संयक्त
ु राष्र सममेलन (UNCED) ररयो-जड- घोषणा पक्ष एजेंडा 21-सतत् जवकास संबंजधत काया योजना ।
जेनेररयो (ब्राजील)
ररयो + 5 1997 एजेंडा 21 के पााँच वषों के कायों की समीक्षा
ररयो + 10 (जोहांसबगा सममेलन) दजक्षण ऄफ्रीका 2002 आसे 'सतत् जवकास पर जवश्व सममेलन' भी कहते हैं । सहस्राब्दी
जवकास लक्ष्य (MDG) को लागू करने का लक्ष्य |
ररयो + 20 ररयो डी जेनेररयो, ब्राजील 2012 MDG के थथान पर सतत् जवकास लक्ष्य (SDG) ऄगले 15
साल 17 लक्ष्य व 169 प्रयोजन) 2030 तक के जलये घोजषत ।

जलवययु पररविार्न से संबंस्िि कुछ प्रमख


ु सम्मेलर्न
जलवायु पररवता न पर संयक्त ु राष्रप्रेमवका कन्वेंशन 1995 (1) 2017 वैजश्वक तापमान में कमी लाने हेतु हररतगहृ
(UNFCCC) COP-(1) बजला न (जमा नी), COP (23) (23) गैसों के ईत्सजा न में कमी लाना ।
बााँन (जमा नी)
क्योटो प्रोटोकॉल, क्योटो (जापान) 1997 में संजध ग्रीनहाकस गैसों के ईत्सजा न को कम करने
2005 से लागू हेतु काबा न िे जडट की ऄवधारणा ।
पेररस करार (COP-21) 2015 वैजश्वक औसत तापमान वजृ द् को आस शताब्दी
में पूवा औद्योजगक थतर से 2°C से नीचे रखना
और अगे 1.5°C तक तापमान वजृ द् को
सीजमत रखना ।
मराके श कॉप (COP-22) मराके श, मोरक्को 2016 पेररस समझौते के जियान्वयन हेतु ।
ग्रीन क्लाआमेट फं ड 2010 जलवायु पररवता न से होने वाले खतरे से
जनपटने में सहायता के जलये
वैजश्वक पयाा वरणीय सजु वधा 1992 वैजश्वक पयाा वरण संरक्षण एवं दीघा कालीन
जवकास हेतु ।
REDD (Reducing Emissions from 2005 से प्रारंभ वन प्रबंधन को बढ़ावा देकर हररतगहृ गैसों के
Deforestation and Forest Degradation) REDD 2007 में ऄपनाया ईत्सजा न को सीजमत करना ।

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PLUS (+) (बाली एक्शन प्लान) (2007) में ऄपनाया
र्नोट : 2-14 जदसंबर, 2018 के मध्य पोलैंड के कै टोवाआस शहर में यूनाआटेड नेशंस फ्रेमवका कं वेंशन ऑन क्लाआमेट चेंज-कॉन्फ्रेंस
ऑफ पाटीज-COP-24 जशखर सममेलन अयोजजत जकया गया । आस जशखर सममेलन में वषा 2015 में जकये गए पेररस समझौते के
व्यावहाररक जियान्वयन पर जवथततृ जवचार-जवमशा जकया गया । आस जशखर सममेलन की ऄध्यक्षता पोलैंड के पयाा वरण मंत्री माआकल
कजता का द्वारा की गइ ।
जैव स्वस्वििय पर सम्मेलर्न
जैव जवजवधता पर सममेलन (CBD) 1993 से लागू जैव जवजवधता संरक्षण |
काटाा जेना जैव सरु क्षा प्रोटोकॉल 2003 जीजवत संशोजधत जीवों (Living Modified Organism) के
सरु जक्षत हथतांतरण,हैंडजलंग और ईपयोग से संबंजधत ।
नागोया सममेलन, नागोया (अइची,जापान) 2010 अइची लक्ष्य (20 महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य), 2011-20 जैव
जवजवधता दशक घोजषत ।
ऄन्य पययावरणीय सम्मेलर्न
जेनेवा प्रोटोकॉल, जेनेवा, जथवट् जरलैंड 1925 में संजध रासायजनक व जैजवक हजथयारों पर प्रजतबंध |
1928 में लागू
मॉजष्रयल प्रोटोकॉल 1987 ओजोन परत संरक्षण हेतु ।
जवयना सममेलन 1988 में लागू ओजोन परत संरक्षण हेतु बहुपक्षीय पयाा वरण समझौता ।
वेटलैंड्स आंटरनेशनल, नीदरलैंड 1996 अिा भूजमयों का संरक्षण एवं पनु ःथथापना ।

थिलीय पयररिंत्र कय स्वभयजर्न


पयररस्थिस्िकी िंत्र पयदप/प्रयणी थियर्न

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सदाबहार वन  वक्षृ व झाजडयों के तीन थतर (कहीं-कहीं चार थतर ऄमेजन वेजसन, कांगो बेजसन,
भी मौजूद रहते हैं) पजश्चमी घाट, ऄंडमान व
जनकोबार द्वीप समूह, जावा व
 ऄजधपादप (एपीफाआट)
समु ात्रा अजद। ब्राजील में आन
 जवशाल वक्षृ (महागोनी, अबनूस, रोजवडु )
ईष्णकजटबंधीय वन

वनों को सेकवास कहा जाता


 जगअ ु र, ऄनाकोंडा, बाघ, बंदर अजद। है ।
 आर्न वर्नों में सवयास्िक जैव स्वस्वििय पययी जयिी
है ।
पणा पाती वन शीसम, सागौन, साल बांस अजद। ग्रीष्म ऊतु में दजक्षण पूवा एजशया, भारत मध्य
(मानसूनी वन) वाष्पोत्सजा न कम करने हेतु वक्षृ पजियां जगरा देते हैं। और दजक्षणी ऄमेंररका, ईिरी
अष्रेजलया
 यहााँ लोमडी, भालू, जगलहरी अजद पाये जाते हैं ।
सदाबहार वन लारेल, मैग्नोजलया, यूकेजलप्टस दजक्षण चीन, जापान, दजक्षण
ब्राजील,
 आनमें रोडेंड, भूरा भालू अजद पाये जाते हैं ।
दजक्षण पूवी ऄमेंररका
(USA)
वन पाररतंत्र

पणा पाती वन शीत ऊतु में पजियां ठंड से बचने के जलए जगर जाती ईिरी ऄमेंररका का पूवी भाग,
शीतोष्ण कजटबंधी वन

हैं, ये वक्षृ हैं-वयलर्नट, मैपल, ऐश, चेथटर्नट दजक्षण जचली जैसे शीतल
जलवायु प्रदेश ।
 आन वनों में भालू, इगल, लोमडी अजद पाए जाते हैं

भूमध्य सागरीय आन वनों में वषाा जाडों के समय में होती है । काका, मध्य अक्षांसो में महाद्वीपों के
वन जैतून, पाआन अजद और आनमें रसदार फल जैसे- पजश्चमी भागों में ये वन पाये
ऄंगूर, नीबू, नारंगी व नाशपाती ऄजधक मात्रा में जमलते जाते हैं आस बायोम को
हैं | 'चैपरल' भी कहा जाता हैं |

 आन वनों में प्रमख ु जीव जैसे-भेजडया, लंगूर, भालू


अइ-बैक्स अजद का जनवास होता है ।
शंकुधारी वन या टैगा वन सबसे ज्यादा जवथतार, नक ु ीली पजियां (कम अकाजटक वि ृ (66 1/2 ऄंश)
(कोणधारी वक्षृ ) वाष्पोत्सजा न व बफा /रूक न सके ), जैव जवजवधता व के चारो ओर यूरोप, एजशया व
ईत्पादकता कम; चीड, देवदार, फर, थप्रूस अजद । ईिरी ऄमेररका में व ईंचे
पवा तों पर भी ।
 लोमडी, जमंक, साआबेररयन िे न अजद प्राणी पाए
जाते हैं ।

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मरूथथलीय मरूथथलीय छोटी पजियां व कांटे (वाष्पोत्सजा न को न्यून करने महाद्वीपों के पजश्चमी भागों में
पाररतंत्र हेत)ु , गहरी जडें पजियां व तने फूले हुए। थार, सहारा गमा मरूथथल है,
जबजक लेह, लद्दाख, कारजगल
 उाँट कं गारू, जंगली कुिा अजद । अजद ठंडे मरूथथल हैं।
अकाजटक टुंड्रा टैगा वनों की समाजप्त थथल से ध्रवु ों तक काइ, लाआके न, ईिरी कनाडा, ऄलाथका,
बचा | यूरोपीय रूस, साआबेररया

 रेजडयर, लेजमंग, अजद ।


टुंड्रा पाररतंत्र

 यहााँ के मानव को 'एथकीमो' कहते हैं ।


ऄकपाआन टुंड्रा  बौनी घास, लाआके न अजद । पवा तों की ऄत्यजधक उंचाइ
पर (लगभग सभी महाद्वीपों में)
 पहाडी, बकरी, याक आत्याजद ।

ईष्ण कजटबंधीय घासभूजम छोटे और जवथतीणा घास मैदान, उाँची- उंची घास, कोलंजबया एवं वैनेजएु ला
जैसे- 'एलीफें ट घास' (3-4 मीटर उाँची)। (लानोज) ब्राजील (कैं पोस),
मध्य एवं पूवी ऄफ्रीका एवं
 हाथी, जजराफ, जेब्रा अजद । मध्य ऄमेररका (सवाना)
घास पाररतंत्र

शीतोष्ण कजटबंधीय घासभूजम जवश्व के प्रमखु ऄन्न भंडार व दूध ईत्पादक थथल, ऄजेंटीना, ईरूग्वे (पंपास),
थटेपी बायोम का सवाा जधक जवकास रूस के चनोजेम दजक्षण ऄफ्रीका (वेकड),
मदृ ा में हुअ है । न्यूजीलैंड (कैं टरवरी),
ऑथरेजलया (डाईंस) यूराल
 जसयार, लोमडी, खरगोश, कं गारू अजद । क्षेत्र (थटेपी), ई. ऄमेररका
(प्रेयरीज), हंगरी (पथु ताज)

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