Professional Documents
Culture Documents
जल परदूषण Water Pollution in Hindi PDF
जल परदूषण Water Pollution in Hindi PDF
जल दषू ण : कारण, भाव एवं िनदान (Water Pollution: Causes, Effects and
Solution)
पीने के अत र घरेलू, ↓सचाई, कृिष काय, मवेशय के उपयोग, औ ोिगक तथा यावसायक गतिवधयाँ आिद म बड़ी मा ा
म जल क खपत होती है तथा उपयोग म आने वाला जल उपयोग के उपरा त दिू षत जल म बदल जाता है। इस दिू षत जल म
अवशेष के प म इनके मा यम से क गई गतिवधय के दौरान पानी के स पक म आये पदाथ या रसायन के अंश रह जाते
ह। इनक उप थत पानी को उपयोग के अनुपयु बना देती है। यह दिू षत जल जब िकसी व छ जल ोत म िमलता है तो
उसे भी दिू षत कर देता है। दिू षत जल म काबिनक एवं अकाबिनक यौिगक एवं रसायन के साथ िवषाणु, जीवाणु और अ य
हािनकारक सू म जीव रहते ह जो अपनी कृत के अनुसार जल ोत को दिू षत करते ह।
1. िब द ु ोत के मा यम से दषू ण
2. िव तृत ोत के मा यम से दषू ण
1. िब द ु ोत के मा यम से दषू ण :-
जब िकसी िन त ि या णाली से दिू षत जल िनकलकर सीधे जल ोत म िमलता है तो इसे िब द ु ोत जल दषू ण कहते ह।
इसम जल ोत म िमलने वाले दिू षत जल क कृत एवं मा ा ात होती है। अतः इस दिू षत जल का उपचार कर दषू ण तर
कम िकया जा सकता है। अथात बद ु ोत जल दषू ण को कम िकया जा सकता है। उदाहरण िकसी औ ोिगक इकाई का
दिू षत जल पाइप के मा यम से सीधे जल ोत म छोड़ा जाना, िकसी नाली या नाले के मा यम से घरेलू दिू षत जल का तालाब
या नदी म िमलना।
2. िव तृत ोत जल दषू ण :-
अनेक मानवीय गतिवधय के दौरान उ प हुआ दिू षत जल जब अलग-अलग मा यम से िकसी ोत म िमलता है तो इसे
1/15
िव तृत ोत जल दषू ण कहते ह। अलग-अलग मा यम से आने के कारण इ ह एक करना एवं एक साथ उपचा रत करना
स भव नह है। जैसे निदय म औ ोिगक एवं घरेलू दिू षत जल या अलग-अलग मा यम से आकर िमलना।
1. निदयाँ :- जहाँ औ ोिगक दिू षत जल िवभ नाल के मा यम से निदय म िमलता है, वह घरेलू जल भी नाल आिद के
मा यम से इसम िवस■जत होता है। साथ ही खेत आिद म डाला गया उवरक, क टनाशक तथा जल के बहाव के साथ िम ी
कचरा आिद भी निदय म िमलते ह।
2. समु ी जल का दषू ण :- सभी निदयाँ अंततः समु म िमलती ह। अतः वे इनके मा यम से तो िन त प से दिू षत होती
ह। निदय के मा यम से औ ोिगक दिू षत जल और मल-जल, क टनाशक, उवरक, भारी धातु, ा टक आिद समु म िमलते
ह। इनके अत र सामुि क गतिवधय जैसे समु ी प रवहन, समु से पेटो लयम पदाथ का दोहन आिद के कारण भी
सामुि क दषू ण होता है।
जल ोत क भौतक थत को देखकर ही उनके दिू षत होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। जल का रंग, इसक गंध,
वाद आिद के साथ जलीय खरपतवार क सं या म इजाफा, जलीय जीव जैसे मछ लय एवं अ य ज तुओं क सं या म कमी
या उनका मरना, सतह पर तैलीय पदाथ का तैरना आिद जल दिू षत होने के संकेत ह। कभी-कभी इन ल ण के न होने पर
भी पानी दिू षत हो सकता है, जैसे जल ोत म अ लीय या ारीय िन ाव या िमलना या धा वक दषू क का जल ोत से
िमलना। इस तरह के दषू क का पता लगाने के लये जल का रासायिनक िव ेषण करना अिनवाय होता है।
मु यतः सभी काबिनक पदाथयु दषू क जैिवक प से न होने वाले होते ह। ये दषू क जल म उप थत सू म जीव के ारा
न कर िदए जाते ह। वा तव म काबिनक पदाथ सू म जीव का भोजन होते ह। सू म जीव क इन गतिवधय म बड़ी मा ा म
जल म घु लत ऑ सीजन का उपयोग होता है। यही कारण है िक जब काबिनक पदाथयु दषू क जैसे मल-जल या आसवन
उ ोग का दिू षत जल, जल ोत म िमलता है तो उनक घु लत ऑ सीजन क मा ा म उ ेखनीय कमी आती है, कई बार ऐसा
होने पर यहाँ उप थत जलीय जीव जैसे मछ लयाँ आिद ऑ सीजन क कमी के कारण मारे जाते ह।
इसके िवपरीत अनेक दषू क होते ह, जो सामा य प र थतय म न नह होते, ऐसे दषू क म िवभ धा वक दषू क या
अकाबिनक लवणयु दषू क होते ह।
2. जल के साथ कोलायडल अव था बनाना :- िनल बत कण से कुछ छोटे आकार के कण पानी के साथ कोलायडल अव था
म आ जाते ह। इन दषू क को सामा य छनन ि या से पृथक नह िकया जा सकता, य िक इनके कण इतने छोटे होते ह जो
िफ टेशन मा यम से होकर िनकल जाते ह।
3. घु लत दषू क :- अनेक दषू क पानी म अ छी तरह घुल जाते ह। ऐसे दषू क को सामा य छनन क ि या से पृथक नह
िकया जा सकता। इ ह रासायिनक िवध से अ य अभकारक क ि या के प ात ही पृथक िकया जा सकता है।
ाकृतक जल ोत को दिू षत करने म मल-जल के अत र औ ोिगक दिू षत जल भी मुख कारक होते ह। िवभ
वै ािनक , पयावरणिवद एवं रसायन वे ाओं ने जल दषू क के आधार पर इ ह िवभ ेणय म बाँटा है। फ यूसन ने इ ह
सात ेणय म बाँटा है ■जनम मल-जल, कसरकारक, दषू क, काबिनक रसायन, अकाबिनक रसायन, ठोस अपश , िविकरण
पदाथ तथा उ ताप उ प करने वाले दषू क शािमल ह। इसी कार सन 1972 म इनका वग करण इनके भौतक एवं
रासायिनक गुण के आधार पर िकया गया तथा इ ह 10 ेणय म बाँटा। इस आधार पर इ ह इनक अ लीयता या ारीयता,
इनम उप थत खिनज क सां ता, िनल बत कण क मा ा, घु लत ऑ सीजन का उपयोग करने क वृ िवघटन यो य
काबिनक पदाथ क मा ा, काबिनक रसायन क मा ा, दषू क क िवषा ता, रोग जनक क टाणुओं क उप थत,
रासायिनक यौिगक जैसे नाइटोजन एवं फा फोरस से यु रसायन क उप थत तथा अ यधक उ ताप का होना शािमल
है।
पीटर ने इन दषू क क कृत तथा इनके कारण पयावरण पर पड़ने वाले द ु भाव का भी अ ययन िकया। इसे हम
िन नानुसार ेणीब कर सकते ह :-
3/15
2 खिनज क सां ता का बढ़ा िवभ माइ स या खदान े से िनकलने वाले पानी म बड़ी मा ा म
होना खिनज घुले हुए होते ह, इसके अत र वे िनल बत प म भी
िदखाई देते ह, जल ोत म िमलकर ये उसे पीने, कृिष काय या
औ ोिगक उपयोग के अयो य बना देते ह।
8 रोगाणुयु हैजा, पी लया, डाय रया, हेपेटाइिटस आिद सं ामक रोग के होने
का खतरा।
उ ोग से िनकलने वाले व अपश के अत र िवभ गतिवधय म यु होने वाले रसायन या इनसे उ प होने वाले
जल भी वयं म हािनकारक पदाथ को समेटे होते ह। ये घुलनशील या अघुलनशील पदाथ जल ोत म िमलकर उसे दिू षत या
पीने के उपयोग के अयो य बना देते ह। इनम से कुछ के बारे म हम सं चचा करगे।
1. क टनाशक या जैवनाशक :-
हमारे पा र थतक य तं म अनेक क ट ऐसे होते है; जो वन पतय या वान पतक उ पाद पर आ त रहते ह। क ट के
अत र फसल पर पनपने वाले परजीवी बै टी रया या वायरस भी बड़ी सं या म पाए जाते ह। क ट या अ य परजीवी जब
फसल पर धावा करते ह तो देखते ही देखते पूरी फसल को चट कर जाते ह। इनसे फसल को बचाने के लये
4/15
आव यकतानु प क टनाशक का छड़काव फसल पर िकया जाता है।
क टनाशक के प म उपयोग म आने वाले यादातर रसायन जिटल काबिनक यौिगक होते ह। अधकांश ऐसे यौिगक काबिनक
पदाथ कसरकारक होते ह। इन रसायन का छड़काव करने पर ये पौध क सतह पर अधशोिषत हो जाते ह। वषा के िदन म
जब पौध पर पानी पड़ता है तो ये रसायन पानी म घु लत प म आ जाते ह, या पानी के साथ कोलायडल िवलयन बना लेते ह।
दोन ही अव था म ये पानी के ोत म िनकलकर ये उसे दिू षत कर हािनकारक बना देते ह।
इसी कार जल का भ डारण आिद करते समय भी खा साम ी पर जैव िवनाशक का उपयोग िकया जाता है। ये जैव िवनाशक
भी जल ोत को दिू षत करने म अहम भूिमका िनभाते ह।
यादातर पे टीसाइड या बायोसाइ स ोरीनेटेड हाइडोकाबन होते ह। ये पे टीसाइड नॉन बायोड ेडेबल या जैिवक प से
न न होने वाले रसायन होते ह। इसी लये इनके अ यधक द ु भाव जल ोत और जलीय जीवन पर पड़ते ह।
2. मल-जल अपवहन :-
देश क बढ़ती आबादी के साथ आवासीय कॉलोिनय का िव तार भी हुआ है। इसी अनुपात म सीवेज अपश क मा ा म भी
बढ़ो री हुई है। आज भी हमारे देश म मल-जल के उपचार संतोषजनक यव था नह है। प रणाम- व प बड़ी मा ा म ये दिू षत
जल सीधे ही निदय म जा िमलता है। घरेलू दिू षत जल म बड़ी मा ा म काबिनक पदाथ होते ह, जो निदय के जल म घु लत
ऑ सीजन क मा ा को कम कर जलीय जीव के लये जीवन संकट खड़ा कर देते ह।
इसके अत र ये रोग के कारक भी होते ह। अनेक सं ामक रोग इनके कारण फैलते ह।
3. औ ोिगक दिू षत जल :-
िवभ उ ोग से अलग-अलग कृत का दिू षत जल उ प होता है। ये ाकृतक जल ोत पर अलग-अलग भाव डालते ह।
खा उ पाद आधा रत उ ोग से िनकलने वाले दिू षत जल म काबिनक पदाथ क मा ा अ यधक होती है, ■जससे जल ोत
म घु लत ऑ सीजन क सां ता को ये काफ कम कर देते ह। इसी कार ड टलरीज, पेपर िमल आिद से उ प दिू षत जल
भी इसी कार का भाव डालते ह। रसायन उ ोग , अभरंजक तथा औषध िनमाण कारखान से िनकलने वाले दिू षत जल क
कृत अ यंत जिटल होती है और ये जल ोत को अनेक कार से द ु भािवत करते ह। अनेक औ ोिगक िन ाव म भारी
धातुओं क मा ा अ यधक होती है। ये धातुएँ जलीय जीव और वन पतय पर िवपरीत भाव डालती ह। मानव जीवन पर भी
इसका अनेक कार से द ु भाव पड़ता है। ऐसे दिू षत जल का उपयोग करने पर तो ये उ ह सीधे भािवत करती ही ह, साथ ही
भारी धातु यु वन पतय या इनसे भािवत मछ लय आिद के सेवन से भी ये धातुएँ मनु य के शरीर म पहुँच जाती ह। इन
भारी धातुओं के दीघगामी भाव मनु य के शरीर म पड़ते ह।
औ ोिगक या घरेलू ठोस अपश को सीधे ही जल ोत म िवस■जत िकए जाने से तथा इसके अत र इनके लये बनाये गये
िनपटान थल से बहकर आने वाले जल (रन ऑफ वाटर) या इनसे उ प लीचेट के सीधे या वषाजल के साथ िमलकर
जल ोत म िमलने से भी जल ोत का जल दिू षत होता है।
5/15
5. कृिष अपश से :-
कृिष काय म ↓सचाई हेतु बड़ी मा ा म जल का उपयोग होता है। कृिष म उपयोग होने वाले पानी के उस भाग को छोड़कर जो िक
वा पत हो जाता है या भूिम ारा सोख लया जाता है, शेष बहकर पुनः जल धाराओं म िमल जाता है। इस तरह यह जल खेत
म डाली गई ाकृतक या रासायिनक खाद सिहत क टनाशक , काबिनक पदाथ , मृदा एवं इसके अवशेष आिद को बहाकर
जल ोत म िमला देता है।
6. िविकरणयु रसायन से :-
नाभक य ऊजा क , नाभक य परी ण क , ऐसी योगशालाओं, ■जनम िविकरण स ब धी योग िकए जाते ह, आिद से
िनकलने वाले दिू षत जल म बड़ी मा ा म रेडयो आइसोटो स होते ह। ये जल ोत म िनकलकर उसे अ यधक हािनकारक
बनाते ह।
सामुि क गतिवधय म समु ी जहाज से रसाव, तेल एवं पेटो लयम उ पाद के दोहन आिद के दौरान बड़ी मा ा म समु ी जल
म तेल एवं पेटो लयम पदाथ के अपश िमलकर जल ोत को भािवत करते ह।
8. तापीय दषू ण :-
ताप िव ुत संयं से रासायिनक उ ोग एवं अ य अनेक उ ोग म जल का उपयोग शीतलन म िकया जाता है। बहुधा ि या
के दौरान भी उ ताप यु दिू षत जल उ प होता है। इस कार के जल सामा य जल ोत म िमलकर उसका तापमान
सामा य से कई गुना बढ़ा देते ह। फल व प जलीय जीवन एवं पा र थतक य तं पर िवपरीत असर पड़ता है।
6/15
9. ा टक एवं पॉलीथीन बै स से दषू ण :-
सामा यतः ा टक बायोड ेडेबल नह होता। इसके कुछ उ पाद जैसे पॉली टाईरीन आिद का िवखंडन हो जाता है, लेिकन
िवख डन के उपरा त ये िन न िक तु हािनकारक उ पाद म बदल जाते ह। पॉलीथीन के बै स भी जैिवक प से न नह होते।
जल ोत म इ ह डाले जाने पर इनम जलीय ज तुओं के फँसने से वे मर जाते ह। इसी कार जलीय वन पत भी इनम फँसकर
सड़ती ह और पानी क गुणव ा को भािवत करती ह।
जल दषू ण के भाव
जल को अमृत कहा गया है। जल के िबना हम सृि क क पना नह कर सकते। जीवन के लये वायु के बाद सबसे मुख
अवयव जल ही है। यही जल जो जीवन का अिनवाय अंग है, जब इसम हािनकारक, अवांछनीय या िवषैले पदाथ िमल जाते ह
तो ये िवष बन जाता है।
हमारे देश म निदय का दैिनक जीवन के साथ ही औ ोिगक ि से तो िवशेष मह व रहा ही है, ये सां कृतक ि से भी
मह वपूण मानी जाती रही ह। इ ह मातृ-शि का दजा देकर पूजा जाता है। पाँच जीवन दायनी निदय ने पंजाब क उपजाऊ
भूिम को हरी-भरी फसल क सौगात देकर वहाँ के िकसान क झोली भर दी। आज भी हम जल ोत के प म इन निदय पर
ही सवाधक िनभर रहते ह। निदय के िकनारे थत भूिम कृिष-काय हेतु सवथा उपयु होती है। न ■सफ ↓सचाई वरन पेयजल
क आपूत के लये भी हम निदय पर ही िनभर करते ह। निदय पर एनीक स बनाकर पानी को रोका जाना और शहर क
पेयजल एवं अ य आव यकताओं क पूत के लये निदय के जल का उपयोग आम बात है। िवभ औ ोिगक एवं मानवीय
कारण से निदय के जल क गुणव ा भािवत हो रही है। हमारे देश क िवशाल एवं पिव गंगा, यमुना एवं नमदा जैसी निदयाँ
भी जल दषू ण से अछूती नह ह।
जल दषू ण का द ु भाव सीधे-सीधे वा य पर पड़ता है। ये भाव अ पका लक या दीघका लक हो सकते ह। कई बार जल
दषू ण से वा य पर शनैः शनैः भाव पड़ता है और काफ समय बीत जाने पर ात होता है िक वा य पर द ु भाव दिू षत
जल के कारण पड़ रहा है। लेिकन कई बार दिू षत जल का उपयोग जानलेवा भी हो सकता है। इसके अत र दिू षत जल के
स पक म पेयजल के आने से अनेक ऐसे रोग हो जाते ह; ■जनसे जीवन पर संकट आ जाता है।
दिू षत जल के द ु भाव पर चचा करने से पहले सन 1953 म जापान के िमिनमाता शहर म घिटत घटना पर चचा करना उचत
होगा। सन 1953 म जापान म िमिनमाता शहर म थत िवनाइल ोराइड बनाने वाले एक रसायन उ ोग ■जसम िनमाण
ि या के प म मर यू रक ोराइड एक उ ेरक क तरह उपयोग म आता था, औ ोिगक िन ाव के साथ बड़ी मा ा म
िन सा रत िकया गया। एक बड़ी झील म यह िन ाव एक हुआ और मरकरी वहाँ पाई जाने वाली मछ लय के शरीर म पहुँच
गई। इन दिू षत मछ लय को खाने के कारण लगभग 43 लोग मृ यु के शकार हो गए। जाँच एवं परी ण से ात हुआ िक इन
सभी के ारा यहाँ पाई जाने वाली मछ लय का सेवन िकया गया था, जो वयं मरकरी को हण कर चुक थ । इस दघ ु टना ने
दिु नया भर का यान जल दषू ण के ऐसे द ु भाव क ओर ख चा ■जनसे सीधे जल से नह वरन जलीय जीव ारा दिू षत
पानी के मा यम से हािनकारक पदाथ को हण करने और िफर इ ह खाने पर इनसे होने वाले खतरनाक प रणाम क
स भावना प रल त होती है। जापान के शहर िमिनमाता म होने वाली इस दघ
ु टना के कारण मरकरी िवषा ता के इस रोग को
िमिनमाता-डसीज के नाम से भी जाना जाता है।
हमारे देश म केरल थत चा लयार नदी म वण िन कषण एवं रेयान िनमाण इकाइय से िनकलने वाले मरकरीयु दिू षत जल
के िमलने से चा लयार नदी का जल दिू षत होने क घटना काश म आ चुक है।
7/15
पारे या मरकरी के साथ ही अनेक भारी एवं िवषैली धातुएँ अनेक औ ोिगक ि याओं के फल व प उ प होने वाले दिू षत
जल म पाई जाती ह, ■जनका हािनकारक द ु भाव देखने म आता है।
यहाँ हम िवभ दषू णकारी कारक एवं उनके भाव पर िव तृत चचा करगे।
मल-जल या इसी कार के दिू षत जल ■जसम काबिनक पदाथ बड़ी मा ा म उप थत होते ह, व छ जल ोत म िमलकर
उनका बी.ओ.डी. भार बढ़ा देते ह। अथात काबिनक पदाथ जोिक जैिवक प से िवन होते ह, के जल ोत से िमलने से सू म
जीवाणु क ि याशीलता से जल म घु लत ऑ सीजन क मा ा कम हो जाती है। साथ ही हािनकारक बै टी रया के पेयजल म
वृ करने से डाय रया, हेपेटाइिटस, पी लया आिद रोग सिहत अनेक चम रोग के होने का खतरा भी बन जाता है।
हमारे देश म तवष पेयजल के दिू षत होने से होने वाली इन बीमा रय के कारण अनेक मौत होती ह। िवशेष कर वषाऋतु के
समय जबिक रोगाणुओं के पनपने के लये अनुकूल दशाएँ िमलती ह। पेयजल से होने वाली बीमा रय का प रमाण भी बढ़ जाता
है।
व छ जल म फा फेट एवं नाइटेट यु काबिनक यौिगक के िमलने से जल म पोषक त व क वृ के कारण इनम पाए जाने
वाले शैवाल एवं अ य जलीय पादप क सं या म तेजी से एवं अ याशत वृ होती है। इस घटना को वपोषण या
‘यूटोिफकेशन’ कहा जाता है।
सामा यतया िकसी भी झील या तालाब म पोषक त व क सं या सीिमत होती है जो उनके िनमाण, उस थान क िम ी, पानी
क गुणव ा उसम उप थत अपश आिद पर िनभर करती है। इस ोत के पा र थतक य तं और जीवन च पर इसम
उप थत पोषक त व क मा ा िनभर करती है और इसी के ारा िनयंि त होती है। उदाहरणाथ झील म पाए जाने वाले शैवाल
धीरे-धीरे झील म उप थत पोषक त व से पोिषत होते ह और उसका उपयोग कर लेते ह। इसी तरह जब शैवाल सड़कर न हो
जाते ह तो ये पोषक त व झील म पुनः उपल ध हो जाते ह, तािक अ य शैवाल या जलीय वन पतय के ारा इनका उपयोग
िकया जा सके। ये च इसी कार चलता रहता है और यव थत एवं संतु लत रहता है जब तक िक इस झील म िकसी बा
ोत के ारा पोषक त व का वेश न हो।
(ब) उ े रत वपोषण :-
8/15
बा मा यम से इन पोषक त व के जल ोत म वेश के साथ ही उ े रत यूटोिफकेशन या वपोषण क ि या आर भ हो
जाती है। इस यूटोिफकेशन क ि या के आर भ होने से वाभािवक प से जल ोत म पाए जाने वाली जलीय वन पत क
सं या म तेजी से वृ होती है और इसी कार इनका िवघटन या अपघटन भी काफ ती गत से होने लगता है। लेिकन पोषक
त व का जलीय ोत म वेश और उनका उपयोग होने के बाद जलीय वन पतय का िव ीकरण का च जो पूव म स तु लत
था अब वह स तुलन छ -भ हो जाता है, य िक पोषक त व का वेश शैवाल आिद वन पतय क वृ को बढ़ा देता है।
इनके न होने पर इनम जमा पोषक त व पुनः उपल ध हो जाते ह। इस कार जल ोत म पोषक त व क मा ा बढ़ती जाती
है।
काबिनक पदाथ क मशः बढ़ती मा ा धीरे-धीरे जल ोत के तल पर एक होने लगती है और इसी के कारण तलहटी पर
जमा अपश क मा ा भी बढ़ने लगती है। ■जससे धीरे-धीरे वै प, बै स, माश गैस आिद का िनमाण होता है और अ ततः
जल ोत म उप थत पानी सड़ने लगता है।
तालाब , झील आिद जल ोत म वपोषण को बढ़ावा देने के लये सवाधक ■ज मेदार इसे ही माना जा सकता है।
िवभ थान से बहकर आए जल म बड़ी मा ा म काबिनक पदाथ होते ह। इनम मृदा के साथ ही भूिमगत पड़े प क गाद,
बगीच , खेत आिद म डाले गए उवरक, गोबर एवं अ य जानवर के अपश आिद बहकर आते ह।
इसके अत र वषा के जल के साथ वातावरण म उप थत नाइटेट, अमोिनया आिद भी बहकर जल ोत म िमल जाते ह।
3. औ ोिगक अपश :-
कृिष एवं कृिष उ पाद आधा रत उ ोग से बड़ी मा ा म काबिनक पदाथयु दिू षत जल उ प होता है, ■जसे ड टलरीज,
श र कारखाने, राइस एवं पोहा िमल, फूड ोसे↓सग या खा सं करण इकाइयाँ आिद। इनके दिू षत जल म काफ मा ा म
काबिनक पदाथ होते ह। ■जनम फा फेट एवं नाइटेट आिद बड़ी मा ा म उप थत होते ह।
अतः कहना न होगा िक िवभ गतिवधय के कारण यूटोिफकेशन क दर का बढ़ना उ े रत यूटोिफकेशन कहलाता है। ऐसा
होने पर झील या तालाब म जलीय वन पतय क वृ दर अचानक बढ़ जाती है। यूटोिफकेशन जल के भौतक, रासायिनक
एवं जैिवक गुण-धम पर भाव डालता है। जल ोत म वन पतय क ती वृ दर जल ोत के सामा य संतुलन क थत
को भंग कर देती है। एक ओर तो जल ोत म शैवालीय वृ मछ लय के उ पादन को बढ़ाती है तो कभी-कभी कुछ शैवाल से
ािवत होने वाले या उनके ारा उ प िकये जाने वाले हािनकारक रसायन या ाव से मछ लयाँ और जलीय जीव मारे भी
जाते ह। यूटोिफकेशन के फल व प अिनयंि त प से जलीय वन पतय क वृ से झील का पानी ग दा होने लगता है।
■जससे उसका व प िबगड़ता जाता है और वो स दय क ि , पयटन अथवा नौकायन आिद के अयो य हो जाती है।
9/15
वन पतय के सड़ने के कारण पानी से दगु ध आने लगती है। दषू ण का तर बढ़ जाने से जल क गुणव ा खराब होने के
साथ-साथ वह जलीय जीव-ज तुओं के जीवन के लये भी खतरनाक हो जाती है। धीरे-धीरे ताजे पानी क एक झील दिू षत
और ग दी झील म बदल जाती है।
इस कार अत अिनयंि त एवं अिनयिमत यूटोिफकेशन या वपोषण जल ोत पर अपना िवपरीत असर डालते ह। इन
द ु भाव से झील को बचाने के लये यूटोिफकेशन क ि या को िनयंि त करने का यास िकया जाता है। इस हेतु काबिनक
पदाथयु जल को झील म िमलने से रोकना, उनम व छ एवं ताजे जल का वाह, पोषक त व एवं इनके जमाव को झील से
हटाना, पोषक त व से प रपूण जल का अ य उपयोग कर कम पोषक त व यु पानी का िमलाना आिद शािमल ह। इस कार
यूटोिफकेशन या वपोषण क दर को कम िकया जा सकता है।
िवभ धातु सं करण इकाइय , पेपर िमल, ोर-अ कली इकाइयाँ, गै वेनाइ↓जग या इले टो े टग इकाइयाँ, धातु िन कषण
इकाइयाँ, बतन बनाने, बैटरी िनमाण या पुनच ण, रसायन उ ोग आिद अनेक औ ोिगक इकाइय से िनकलने वाले दिू षत जल
के साथ बड़ी मा ा म धातुओं का उनके घुलनशील, अध घुलनशील अघुलनशील रासायिनक यौिगक या िम ण के प म
िन सारण होता है। िन सा रत जल के नाल के मा यम से नदी-ना लय म िमलने से ये अशु याँ नदी जल म पहुँच जाती ह।
जहाँ से ये भोजन ख ृं ला के मा यम से या सीधे ही पेयजल के मा यम से हमारे शरीर म पहुँच जाती है। हमारे शरीर म पहुँच कर
ये हमारे शरीर के िवभ िह स पर िवपरीत असर डालती ह। कभी-कभी ये शरीर म एक होकर धीरे-धीरे भी अपना भाव
िदखाती रहती ह।
औ ोिगक अपश से लीचेट के प म भारी धातुएँ उ प होती ह, ये वषा के जल के साथ िनकलकर जल ोत को दिू षत
करती ह वह इनका अधकतर द ु भाव भूिमगत जल ोत पर देखा जाता है।
ाकृतक या िवभ मानवीय गतिवधय के कारण जल ोत म भारी धातुओं के िमलने से जल पीने यो य नह रह जाता।
1. मरकरी या पारा :-
मरकरी या पारा एक अ यंत िवषैली धातु है, ■जसका भाव घातक एवं जानलेवा होता है। काबिनक एवं अकाबिनक दोन ही
प म मरकरी के यौिगक अ यंत िवषैले होते ह। मरकरी, िमथाइल-मरकरी के प म खा ृं ला म सवाधक थाई प से
ख
रहने वाला दषू णकारी त व है। मरकरी िवषा ता के कारण जापान म एक ही साथ अनेक लोग के मृ यु के शकार होने क
घटना से हम प रचत ह। देश के केरल ांत क चे लयार नदी म वण िन कषण एवं रेयान िनमाण इकाइय से िनकलने वाले
मरकरीयु दिू षत जल के चे लयार नदी म िमलने से चे लयार नदी के पानी के वृहद पैमाने पर दिू षत होने के स ब ध म भी चचा
क जा चुक है। पेयजल म मरकरी क उप थत म त क एवं तंि का तं को त पहुँचाती है।
2. कैडिमयम :-
धातु िन कषण इकाइय जैसे ↓जक िन कषण इकाइयाँ, लेड-कैडिमयम बैटरी उ पादक या पुनच ण इकाइय आिद से कैडिमयम
बड़ी मा ा म दषू क के प म उ प होता है। कैडिमयम क पेयजल म उप थत से उ टी, द त एवं दय रोग हो सकते ह।
10/15
3. ोिमयम :-
ोिमयमयु िवभ रासायिनक यौिगक जैसे पोटैशयम बाइ ोमेट, पोटैशयम ोमेट आिद िनमाण इकाइय से िनकलने वाले
दिू षत जल तथा इसक िनमाण ि या से उ प होने वाले लीचेट, इन इकाइय से बड़ी मा ा म उ प होने वाले ठोस अपश
म ोिमयम काफ मा ा म उप थत होता है। ये अपने है सावैलट प म जल म घुलनशील होते ह फल व प इस अव था म
ये अपने द ु भाव िदखाते ह। पानी म घुलनशील अव थाओं म ये पीला रंग उ प करते ह। ोिमयम के लवण कसर कारक
होते ह।
4. आसिनक :-
आसिनक टायवैलट अव था म घुलनशील रहकर अपनी िवषा ता दशत करता है। ाकृतक भूगभ य संरचनाओं से भूिमगत
जल के आसिनक से दिू षत होने क अनेक थान म पाई गई है। अनेक औ ोिगक इकाइय जहाँ दिू षत जल के साथ
आसिनक िमला होता है, उनसे भी आसिनक िवषा ता होती है।
5. लेड :-
प म बंगाल के िमदनापुर सिहत देश के अनेक थान म भूिमगत जल ोत म लेड क िवषा ता पाई गई है। शरीर म लेड के
वेश करने पर ये ल बे समय तक पाचन तं म बना रहता है। एवं अनेक वा यगत परेशािनय को ज म देता है।
11/15
3. दिू षत जल म उप थत पे टीसाई स का भाव :-
बाग-बगीच , खेत आिद से बहकर आए रासायिनक क टनाशक एवं उवरक जल ोत म िमलकर उ ह दिू षत कर देते ह।
यादातर क टनाशक जिटल काबिनक यौिगक होते ह, जो व तुतः कसर कारक होते ह। जल ोत म रासायिनक
क टनाशकयु दिू षत जल के िमलने से जल क गुणव ा तो भािवत होती ही है साथ ही ये जलीय जीव पर भी अपना
हािनकारक भाव डालते ह। दिू षत जल का उपयोग करने पर ये मानव वा य को भी नुकसान पहुँचाते ह। इनक अ यधक
मा ा म उप थत अनेक रोग को ज म देती है। वषाजल के बहाव के साथ आने वाले पानी म उवरक क उप थत से
वा य स ब धी द ु भाव के अत र उ े रत यूटोिफकेशन क थत िन मत होती है। ■जसके स ब ध म पूव म िव तृत
चचा क जा चुक है।
अनेक धा वक इकाइय जैसे गै वेनाइ↓जग इकाइयाँ, ए■सड ा ट, फ टलाइजर ा ट आिद से िनकलने वाले दिू षत जल क
कृत अ लीय होती है। ये अ लीय जल जब भूिम के स पक म आता है तो उसम उप थत पोषक त व म अ ल या अ लीय
जल म घुल जाते ह और आव यक त व को वयं म घोलकर भूिम को अनुपजाऊ या बंजर बना देते ह। मृदा क सामा य
कृत ारीय होती है। अ यधक अ लीय दिू षत जल के स पक म आने से मृदा क ारीयता कम हो जाती है। इसी कार
अनेक उ ोग से िनकलने वाला दिू षत जल अ यधक ारीय कृत का होता है, जैसे साबुन, का टक सोडा।
िवभ औ ोिगक गतिवधय से बड़ी मा ा म दिू षत जल उ प होता है। इस दिू षत जल म उप थत दषू क क कृत और
मा ा औ ोिगक उ पादन के अनुसार होती है। कुछ उ ोग से उ प होने वाला दिू षत जल अ यंत दषू णकारी कृत का ग दा
या िवषैली कृत का होता है। जबिक कुछ उ ोग का दिू षत जल अधक दिू षत नह होता। इसके अत र शीतलन, बायलर
लोडाउन आिद से िनकलने वाला जल अधकतर सामा य होता है। ■जसे या तो िकसी अ य काय म लया जा सकता है या
पुनचि त िकया जा सकता है।
जल दषू ण क थत से बचने का सबसे मह वपूण उपाय यही है िक व छ जल ोत म दिू षत जल को िमलने से रोका
जाए। इस हेतु येक ोत से िनकलने वाले दिू षत जल के समुचत उपचार के उपरा त उसे िकसी अ य उपयोग म लाना
अथवा ि या म पुनचि त करना उचत होगा। िनधा रत मानदंड के अनु प उपचारोपरा त उपचा रत जल को यिद
आव यक हो तभी जल ोत म वािहत िकया जाना चािहए।
इसके अत र जल ोत म होने वाली दषू णकारी गतिवधय जैसे निदय /तालाब पर शौच आिद ि याकलाप; घरेलू कचरा,
मूतयाँ या पूजन साम ी का िवसजन, शव को निदय म बहाना आिद पर अंकुश लगाना चािहए।
निदय म बहकर आने वाली गाद, वषा के सामा य बहाव के ारा बाग-बगीच खेत म उपयोग िकए जाने वाले रासायिनक
फ टलाइजर एवं पे टीसाइड के बहकर आने से रोकने के उपाय पर भी िवचार िकया जाना चािहए।
12/15
वतमान म वषा क अिनयिमत थत, कम वषा आिद को देखते हुए उ ोग को अपनी जल खपत पर िनयं ण कर उ प दिू षत
जल का समुचत उपचार कर इसके स पूण पुनच ण हेतु ि या िवक■सत करनी चािहए। तािक जल ोत के अ यधक दोहन
क थत से बचा जा सके। इस हेतु उ ोग को दिू षत जल उपचार हेतु आधुिनकतम उपचार ि या/संयं को भावकारी
ढंग से अपनाना चािहए तथा यथा स भव शू य िन ाव क थत बनाना चािहए। इस कार घरेलू दिू षत जल को उपचा रत
कर औ ोिगक उपयोग, वृ ारोपण, सड़क , उ ोग म जल छड़काव आिद म उपयोग िकया जा सकता है।
ाकृतक जल ोत िवशेषकर निदय को जल दषू ण के द ु भाव से बचाने का सबसे अ छा तरीका यही है िक इनम दिू षत
जल के िन सारण को रोका जाए।
जल- दषू ण के ोत
समीपवत े से ■स ट व सेडमट का बहाव मानव एवं पशुओं ारा सीवेज व गंदगी का बहाव शहर क गंदगी, उ ोग-गंदगी एवं
कृिष-गंदगी आिद ारा अधकतम निदय एवं झील का दषू ण होता है।
घुलनशील आ सीजन के तर म कमी, ■जसके कारण जलीय-जीवन (मछली आिद) पर िवपरीत असर पड़ता है। नैनीताल
झील म घुलनशील आ सीजन का तर 2.5 िम ल ाम त लीटर के खतरनाक तर तक िगर चुका है। नाइटेट तर के 350
िम0 ा0/ली0 होने पर आर भक यूटोिफकेशन थत पैदा हो जाती है। नैनीताल झील म नाइटेट तर 250 िम0 ा0/ली0
होने से अि म-यूटोिफकेशन क थत आ चुक है। झील क तली म िवषैले पदाथ जमा हो जाते ह। काबिनक पदाथ के कारण
13/15
पेयजल क गुणव ा कम हो जाती है तथा िवभ कार के सू मजीवी रोगाणुओं के कारण मानव व पशुओं म जलीय-बीमा रयॉं
लग जाती है। िम ी के सू म कण (■स ट, े ) तथा अ य कण के िनल बन ारा सूय क रोशनी पूणतः जल म वेश नह
करती, ■जसके कारण जल म पौध ारा खाना बनाने का काय (फोटो↓सथे■सस) कम हो जाता है।
जल- दषू ण के ोत
िब द ु ोत - ■जनका मु य ोत िन त होता है, जैसे अ पताल, योगशालाएँ , बाजार, शहरी-गंदगी, होटल, छा ावास आिद।
अ-िब द ु ोत - ■जनका मु य ोत िन त नह होता है, जैसे कृ यभूिम से भू रण, पवतीय-भू रण, मृत-पशु, खाद, दवाएँ ,
क टनाशक आिद।
जल दषू ण
1 पु तक भूिमका : जल और दषू ण
5 भू-जल दषू ण
6 सामुि क दषू ण
14/15
TAGS
3 causes of water pollution in Hindi language, Essay on effects of water pollution in points in
Hindi, solution of water pollution information in Hindi, causes of water pollution wikipedia in
Hindi in hindi, water pollution solutions Hindi, 8 effects of water pollution in Hindi, water
pollution prevention in Hindi, control of water pollution in Hindi, effects of water pollution in
india in Hindi, causes of water pollution in india in Hindi, water pollution in india facts in Hindi,
water pollution in india ppt in Hindi, water pollution in india in hindi, Water Pollution in hindi
wikipedia, Water Pollution in hindi language pdf, Water Pollution essay in hindi, Definition of
impact of Water Pollution on human health in Hindi, impact of Water Pollution on human life in
Hindi, impact of Water Pollution on human health ppt in Hindi, impact of Water Pollution on
local communities in Hindi, information about Water Pollution in hindi wiki, Water Pollution
prabhav kya hai, Essay on jal pradushan in hindi, Essay on Water Pollution in Hindi, Information
about Water Pollution in Hindi, Free Content on Water Pollution information in Hindi, Water
Pollution information (in Hindi), Explanation Water Pollution in India in Hindi, Jal Pradushan in
Hindi, Hindi nibandh on Jal Pradushan, quotes on Water Pollution in hindi, Water Pollution Hindi
meaning, Water Pollution Hindi translation, Water Pollution information Hindi pdf, Water
Pollution information Hindi, quotations Jal Pradushan Hindi, Water Pollution information in
Hindi font, Impacts of Water Pollution Hindi, Hindi ppt on Water Pollution information, essay on
Jal Pradushan in Hindi language, essay on Water Pollution information Hindi free, formal essay
on Jal Pradushan, essay on Water Pollution information in Hindi language pdf, essay on Water
Pollution information in India in Hindi wiki, short essay on Water Pollution information in Hindi,
Jal Pradushan essay in Hindi font, topic on Water Pollution information in Hindi language,
information about Water Pollution in hindi language, essay on Water Pollution information and
its effects in Hindi, Jal Pradushan in Hindi, Essay in Jal pradushan in Hindi, Jal Pradushan ke bare
me janakari,
15/15