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drishtiias.com/hindi/printpdf/drinking-water-quality-and-challenges
https://youtu.be/-bHVnAfZuA0
हालाँिक भारतीय मानक यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ारा िकये गए परी ण म िद ी, कोलकाता और
चे ई जैसे अ य महानगर 11 गुणव ा मानक म से लगभग 10 म िवफल रहे। अ य रा य क राजधानी म से अधकांश क
यही थत रही।
जल संकट क कृत
वाटरएड (WaterAid) ारा जारी जल गुणव ा सूचकांक म भारत 122 देश म से 120व रक पर है।
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नीत आयोग ारा वष 2018 म जारी क पोिज़ट वाटर मैनेजमट इंडे स रपोट म बताया गया है िक देश भर के
लगभग 21 मुख शहर (िद ी, बंगलू , चे ई, हैदराबाद और अ य) वष 2020 तक शू य भूजल तर तक
पहुँच जाएं गे एवं इसके कारण लगभग 100 िम लयन लोग भािवत ह गे।
नीत आयोग के अनुसार, भारत पहली बार जल संकट का सामना कर रहा है, यिद उपचारा मक कदम नह
उठाए गए तो वष 2030 तक देश म पीने यो य जल क कमी हो सकती है।
भारत के रा ीय राजधानी े को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है जहाँ न केवल वायु गुणव ा के खराब मानक
(वायु आपातकाल) मौजूद ह ब क जल गुणव ा क भी खराब थत है।
अमे रका थत िव संसाधन सं थान (World Resources Institute-WRI) ारा काशत आँ कड़ के अनुसार
िव के सवाधक जल संकट त 17 देश म भारत 13व थान पर है।
शहरी िवकास मं ालय के अनुसार, भारत का 80% सतही जल (Surface Water) दिू षत है जो यह दशाता है िक
भारत जल आपातकाल से गुजर रहा है।
सम जल बंधन सूचकांक
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सम जल बंधन सूचकांक म भूजल, जल िनकाय क पुन थापना, ↓सचाई, खेती के तरीके, पेयजल, नीत और
बंधन के िवभ पहलुओं के 28 िवभ संकेतक के साथ 9 िव तृत े शािमल ह।
समी ा के उ े य से रा य को दो िवशेष समूह - ‘पूव र एवं िहमालयी रा य’ और ‘अ य रा य ’ म बाँटा गया है।
आगे क राह
डेटा आधा रत णाली: जल क गुणव ा का बार-बार परी ण करना चािहये और इसके िन कष को सावजिनक िकया
जाना चािहये। इससे नाग रक , सेवा दाताओं तथा सरकार क भागीदारी, संवेदनशीलता और जाग कता म वृ
होगी।
अिनवाय अनुपालन: थानीय िनकाय के लये जल क गुणव ा के भारतीय मानक का अनुपालन करना अिनवाय बना
देना चािहये। इसके लये नगरपा लकाओं और अ य थानीय िनकाय को उ रदायी बनाया जा सकता है।
जल का मू य िनधारण: समाज के समृ वग के लये जल का मू य िनधारण िकया जा सकता है तािक उचत
रखरखाव लागत वसूल हो जाए।
बेहतर बंधन: जल आपूत के लये लंबी दरू ी के पाइपलाइन को हतो सािहत िकया जाना चािहये और जल उपचार को
अधकाधक थानीयकृत िकया जाना चािहये।
तकनीक समाधान: ज़हरीले अकाबिनक दषू क और घु लत ठोस पदाथ को हटा सकने क स मता के लये जल
उपचार संयं का उ यन। इसके अलावा भारत आज भी बांध िनमाण क पुरानी था का पालन कर रहा है और िफर
खुली नहर के मा यम से पानी पहुँचा रहा है ■जससे जल-जमाव जैसी सम याएँ पैदा होती ह तथा पानी क वा तिवक
मा ा ोत तक थानांत रत नह हो पाती है। जबिक आज सू म ↓सचाई, कल ↓सचाई ■जसम पानी क हर एक बूँद
का उपयोग िकया जाता है, जैसी वै क प से उपल ध तकनीक को लागू िकया जाना चािहये।
वषा जल संचयन: मुब ं ई का जल पीने के लये अपे ाकृत अधक सुर त इस लये है य िक यह वषा जल (जल का
शु तम ोत) से ा होता है। इस लये वषा जल संचयन को अधकतम संभव सीमा तक ो सािहत िकया जाना
चािहये।
जल जीवन अभयान: जल जीवन अभयान के तहत 2024 तक सभी ामीण घर म पाइप ारा जल पहुँचाने का
सरकार का ल य सही िदशा म उठाया गया कदम है। हालाँिक पाइप ारा गुणव ायु जल उपल ध कराना एक बड़ी
चुनौती होगी।
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े आधा रत जल क उपल धता: कृिष े क िवशेषताओं को यान म रखते हुए जल क उपल धता सुिन त क
जानी चािहये, साथ ही िवशेष जलवायु े के लये उपयु फसल प त का चुनाव भी करना चािहये। उदाहरण के तौर
पर महारा म ग ा और पंजाब म धान वहाँ क जलवायु के लये उपयु फसल नह ह य िक इन फसल को अधक
पानी क आव यकता होती है ■जससे दस ू री फसल को कम पानी िमलता है और उनक वृ भािवत होती है। कृिष
े क ज़ रत के अनुसार ही पानी उपल ध करवाया जाना चािहये ■जससे पानी क बबादी न हो।
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